आर्कटिक रिफ्लेक्शंस और ग्लोबल वार्मिंग

Jun 28, 2024

आर्कटिक रिफ्लेक्शंस और ग्लोबल वार्मिंग

नॉर्थ पोल की बर्फ पिघलने की समस्या

  • नॉर्थ पोल की बर्फ तेजी से पिघल रही है।
  • नासा का डेटा: 1984 से 2019 के बीच बड़ी मात्रा में बर्फ का पिघलना।
  • हर 10 साल में 12.2% की दर से पिघल रही है।

आर्कटिक रिफ्लेक्शंस का मेगा प्रोजेक्ट

  • डच स्टार्टअप: आर्कटिक रिफ्लेक्शंस।
  • प्लान: आर्कटिक रीजन को रिफ्रीज करना।
  • 15.5 मिलियन स्क्वायर किलोमीटर एरिया को 6 साल में रिफ्रीज करने का लक्ष्य।
  • नमकीन पानी का उपयोग: बर्फ को फ्रीज करने के लिए।

ग्लोबल वार्मिंग का खतरा

  • नासा साइंटिस्ट क्रिस्टीना पिस्टोन के अनुसार अगले 25 साल में कार्बन डाइऑक्साइड से गर्मी और बढ़ेगी।
  • गर्म मौसम से संबंधित समस्याएँ:
    • इंडोनेशिया, थाईलैंड, बैंकॉक, नेदरलैंड और मुंबई जैसे कोस्टल सिटीज डूबने का खतरा।
    • इंडिया में 50 डिग्री तापमान, 25,000 लोग हॉस्पिटलाइज और 56 मौतें।

आर्कटिक रिफ्लेक्शंस का समाधान

  • स्वॉल बार्ड आर्किपेलागो में छोटी डीजल पंप्स का उपयोग।
  • खारे पानी को बर्फ पर स्प्रे करना ताकि वह ठंडी हवा से फ्रीज हो सके।
  • यूनाइटेड नेशंस से सपोर्ट।
  • ग्रीन एनर्जी (विंड फार्म्स) का प्लान।

ग्लोबल वार्मिंग के मिथक और वास्तविकता

  • ग्लोबल टेंपरेचर में वृद्धि:
    • 1850: 13.7°C, अब: 15.8°C।
    • 1982 के बाद इंडस्ट्रियलाइजेशन से तापमान में तीव्र वृद्धि।
  • पृथ्वी की ऊर्जा संतुलन:
    • सूरज से 342 वाट्स/म² ऊर्जा मिलती है।
    • वाइट क्लाउड्स और स्नो 107 वाट्स/म² ऊर्जा रिफ्लेक्ट करते हैं।
  • ग्रीन हाउस गैसेस से 2.6 यूनिट्स एक्स्ट्रा ऊर्जा एब्जॉर्ब होती है।

संभावित कैस्केड इफेक्ट्स

  • पिघलती पोलर आइस कैप्स और बढ़ती ग्रीन हाउस गैसेस।
  • ओशन के तापमान में वृद्धि से कार्बन डाइऑक्साइड रिलीज।
  • जंगल की आग से ग्रीन हाउस गैसें रिलीज।

इंसानी गतिविधियों का योगदान

  • 1980 के बाद से कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ता स्तर।
  • नेचुरल प्रोसेसेस की तुलना में ह्यूमन एक्टिविटीज का अधिक प्रभाव।

आर्कटिक रिफ्लेक्शंस का महत्व

  • अगर आर्कटिक को फ्रिज किया गया तो ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को रोकने में मदद मिल सकती है।

कॉल टू एक्शन

  • लोगों को अवेयरनेस फैलाना, प्रदूषण और ग्रीन हाउस गैसेस को कम करना।