क्या हम इंसान फाइनली भगवान बन चुके हैं? वेल, जिस तरह भगवान ने अपने एक अंच से हम इंसानों को बनाया. रीसेंटली कोलंबिया युनिवर्सिटी के साइंटिस्टों ने भी एक कैंसर पेशेंट की जान बचाने के लिए उसका एक मीनी क्लोन बनाया इसे वो टेस्ट कर सके पर आखिर यह छुटकू सा human clone यानि इंसानों का carbon copy दिखता कैसे क्या वो अब जिंदा भी है और human cloning तो most of the countries में तो banned है ना illegal है known cloning techniques to actually create a human being is untested, unsafe and morally unacceptable so ऐसा कौन सा loophole है जिसकी मदद से ये scientists और even अब तो कुछ companies तक secretly human clones बना रहे हैं और अगर ऐसा है तो क्या ऐसा नहीं हो सकता इन में से कितने ही clones आज हमारे बीच में टहीं पर secretly रह रहे हैं Well, modern science ना आज कितना advance हो चुका है हमें से कितने लोगों को तो इसकी जरा सी भी ख़बर नहीं है और ये तो latest technology की बस सिफ एक जलक थी UK की एक PhD student Alexia Lopez ने तो recently ब्रह्मान का एक ऐसा विशाल mega structure ढून निकाला है जिसे physics के सिधानतों के हिसाब से exist ही नहीं करना चाहिए था इस विशाल structure का नाम है The Big Ring और ये कैसे हमारी universe की समझ को एक कदम और आगे बढ़ाएगा इसे हम आगे थोड़ा डीटेल में डिसकास करेंगे, बट जितनी तरक्की आज विज्ञान बड़े स्केल पर कर रहा है न, उससे कहीं ज्यादा इंटरेस्टिंग टेकनोलॉजी तो माइक्रो स्केल पर डिवेलप हो जोएंगे. इस वीडियो को जरा ध्यान से देखना, कैसे ये स्प्रिंग जैसे दिखने वाली सुक्षमसी चीज अपने आप ही तेजी से घूम रही है और कैसे वो एक सुस्थ स्पर्म याने की विरिया को पकड़ कर एग के अंदर घुसा रही है, ये एक छोटा सा रोबोट, नानो रोबोट या नानो बॉट है जिनने साइंटिस्ट ने कैंसरस सेल्स को टारगेट करके मारने के लिए बना है अब एक्साक्ली साइंटिस्ट ये कैसे कर रहे हैं इसकी टेक्नीक भी आप कुछी मिन्टों में जान जाओगे पिछले सेंचुरी के तरह ही इस सेंचुरी में भी ऐसे कई सारे कमाल के डिसकवरीज और इंवेंशन्स हुए है जो इंसानी सभ्यत पर लेकर जा रहे हैं देखो रात में नौर्थ की दिशा की ओर अगर आप यहाँ पर बूतिस कॉंस्टिलेशन और उर्सा मेजर कॉंस्टिलेशन के बीच में ध्यान से देखोगे, तो आपको एक ऐसा बड़ा सा रिंग जैसा स्ट्रक्चर दिखाई देगा.
इसी का नाम है दबिग रिंग. यह इतना विशाल है कि एस्टिमेट्स बताते हैं कि इसकी चौड़ा� Actually, there is an old principle in science called the Cosmological Principle which says that in this universe, on a larger scale, no space, i.e. space, is special. You will see almost the same things everywhere and all the laws of physics are the same everywhere.
से ही काम करेंगे क्योंकि इस प्रिंसिपल के अनुसार आज से करीब 13.8 बिलियन साल पहले जब बिग बैंक हुआ था जिसने बाइड यह अगर आपको नहीं मालूम तो हमारे यूनिवर्स को जन्म दिया था तो उस वक्त विदेन माइक्रो सेकंड्स एक सिंगल पॉइं बॉम से निकले पर खच्चों की तरह चारों दिशाओं में फेकी गई थी जिससे फिर आगे चलकर हाइड्रोजन कार्बन ऑक्सिजन इन सभी एलिमेंट्स के आटम्स बने यही वजह है कि अगर आप इस ब्रह्मान के शुरुवाती समय के रेडियेशन्स यानि की कॉस्मिक मा जाता है क्योंकि it represents a special place in the universe जहां पर ब्रह्मान का एक अच्छा खासा amount of mass concentrated है प्लस अगर सिफ एक ऐसा structure हमें मिलता तो भी यह ठीक था एक anomaly हो सकती है या फिर हम बोल भी सकते थे कि शायद scientists को कोई से मापने में कोई गलती हुई हो लेकिन scientists को ऐसे और भी तीन structures मिले हैं क्लाउस कैंपिसानो ग्रूप, दे ग्रेट वॉल और दे जायंट आर्क जो लगभग इतने ही बड़े हैं So, what now? You may ask कि फरक क्या पड़ता है? कि कॉजमोलॉजिकल प्रिंसिपल डिस्प्रूव हो जाया इससे क्या हो जाएगा ब्रह्मान इक्वली डिस्ट्रिब्यूटेड है या नहीं है इससे हमें क्यों फरक पढ़ना चाहिए वेल दाट्स पिकेस बिना कॉजमोलॉजिकल प्रिंसिपल के हमारे फिजिक्स के अलरेडी टॉफ कैलकुलेशन्स और भी दस कुना हाड हो जाएगे क्योंकि जब आप पृत्वी पर आज कोई एक्सपेरिमेंट करते हो और फिर उसे लेट से पाँच साल बाद फिर से रिपीट करते हो तो भले ही आपने वो एक्सपेरिमेंट सेम लाब में भी क्यों न किया हो उन पाँच सालों में हमारी पृत्वी वो जिसमें मौजू� और ये galaxy जिसमें embedded है वो local group ये सब की movement मिला कर हम at least millions and billions of kilometers move कर चुके होते हैं in space अगर cosmological principle ना हो जो ये कहता है कि हर जगे physics के laws same है तो हमें पृत्वी पर किये जाने वाले सभी experiments में हमारी space में जो current position है उसे भी हर बार consideration में लेना होगा for accurate calculation इस एक अकेले discovery ने हमारी physics और universe की पूरी understanding को challenge करके रख दिया है और अब अगर विश्वास बाहर निकाल सकते हैं कि scientist इस unique pothole से हमें कैसे बाहर निकाल सकते हैं अब बढ़ते हैं दूसरे बड़े scientist इंटिफिक अचीवमेंट की तरफ जो है नानो बॉट्स एक इंसानी शरीर काफी कॉंप्लेक्स होता है डॉक्टर्स कितने भी एक्सपीरियंस क्यों ना हो कई ऐसी सर्जरी होती है जिसमें कॉंप्लीकेशन को एवोइट करना एक्स्ट्रीमली मुश्किल होता एक्स्ट्रीमली ट्रिकी हो जाता है अगर गलती से भी ट्यूमर कट करते वक्त यह फेशियल नर्फ कट हो गई तो पेशेंट का आधा face ही paralyzed हो जाएगा then similar dangers thyroid operation के दौरान भी होते गलती से भी अगर recurrent laryngeal nerve cut हो गई जो हमारे vocal cords को control करती है तो patient हमेशा हमेशा के लिए गूंगा हो जाएगा अब यार इंसान तो इंसान ही ठहरे गलती किसी से भी हो सकती है और इसलिए पिछले कई सालों से हमारे medical professionals को desperately ऐसी technology की ज़रूबत थी जो की least invasive हो यानि की कम से कम चीर फाड करने की ज़रूबत पड़े जिससे patients बिमारी से ज्यादा treatment से ही डर डरने या उसे रिग्रेट करने पर मजबूर ना हो। और इसलिए रीसेंटली साइंटिस्टों ने ऐसे नानो बॉट्स बनाएं जिनने बस अगर किसी ड्रग की तरह आपके शरीर में इंजेक्ट कर दिया जाएं तो वो बिलको टार्गेटेट तरीके से पैरोटिड, थाइरो फिर इन आयन ओक्साइट से बने नानो बॉट्स को मेगनेटिकली कंट्रोल करके, उनसे उन आंटी कैंसर स्पर्म्स को पिक किया, और फिर उन घातक स्पर्म्स को किसी स्वीसाइड मिशन की तरह कैंसर सेल्स में पेनिट्रेट करवाया, उन्हें किल करने के लिए. इससे बेसिकली आंटी कैंसर ड्रग्स के दो मेजर साइड इफेक्स खतम हो गए, क्योंकि पहले आंटी कैंसर ड्रग्स आसपास के हिल्दी टिशूस को भी डामेज किया करते थे, और यही ड्रग्स हमारे बॉडी फ्लूइट्स के साथ मिक्स होकर डाइलूट भी हो जाते थे जिसमें हम हमारे ही स्पर्म्स को स्वीसाइड मिशन पर भेज देते हैं मैं ये दोनों भी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाती है और इसलिए ये एक highly effective drug delivery system बन गया है So to all the cancer patients out there मैं बस आपको इतना ही बोलूंगा Just hang in there बहुती जल्द आपके cancer को ठीक करना एक पास के क्लीनिक में जाकर injection लगवाने जितना आसान होने वाला है खेर, now let's move on to the next big achievement जो है miniature nuclear batteries Imagine करो एक phone जिसे कभी भी charge ही नहीं नहीं करना पड़े, एक remote या घड़ी जिसका cell कभी भी बदलनी की ज़रूबती ना पड़े और एक camera जो आपके best moments को capture करते वक्त बीच में ही अपना दम ना तोड़ दे, well guess what अगले 4-5 सालों में ये actually possible हो सकता है, एक Chinese company है, Beijing Beta Volt New Energy Technology Limited करके, उन्होंने एक ऐसी nuclear powered battery बनाई है, जो once manufactured वो बिना किसी charging या maintenance के अगले 50 सालों तक आपके devices को charge रख सकती है बस हाली में ही World Nuclear Association ने भी इसे अपने official LinkedIn handle पर promote किया था Looking at which Beijing Beta Volt people are positive वो साल 2025 तक इन nuclear powered batteries को market में उतारना शुरू भी कर देंगे अब ये काम कैसे करता है? Well इसमें nickel का एक radioactive isotope nickel 63 होता है जिसे दो synthetically made diamond layers के बीच में place किया जाता है So जब ये nickel 63 decay डीके होता है डीडियो एक्टिव डीके और हाई एनर्जी बीटा पार्टिकल्स या सिंपली हाई स्पीड इलेक्ट्रॉन्स रिलीज करता है तो वह इलेक्ट्रॉन्स डायमंड के आटम से उनके इलेक्ट्रॉन्स को नॉक आउट करके बाहर उड़ा देते हैं अब इन से ऑफिसली डायमंड के स्ट्रक्चर में एक तरफ काफी ज्यादा इलेक्ट्रॉन्स जमा हो जाते और दूसरी तरफ उनकी कम ही हो जाती है तो बस इन्हीं दो लो और हाई डेंसिटी रीजन्स को अगर वायर से जोड़ दो तो उसमें से करंट फ्लो होना यहाँ पर एलेक्ट्रॉन्स को नॉक करने के लिए संलाइट के फोटॉन्स नहीं बलकि एक रेडियो आइसोटोप के बीटा पार्टिकल्स यूज होते हैं पर आपके दिमाग में में भी यह सवाल आएगा कि यार नूकलियर पावर के लिए तो विशाल पावर प्लांट्स लगते हजारों सेफ्टी प्रिकॉशन्स लेने पड़ते हैं उसके कोर को थंडा रखने के लिए उसे पानी में डुबोके रखना पड़ता है और इतनी कॉम् nuclear energy पहले thermal और फिर electrical energy में convert होती है और strong nuclear force जो की third fundamental force of nature है उसे यहाँ पर बैजिंग बीटा वोल्ट में और अन्य अदर हैं न्यूक्लियर एनर्जी को डायरेक्टली एलेक्ट्रिकल एनर्जी में कन्वर्ट किया जा रहा है और वीक न्यूक्लियर फोर्स जो कि फोर्थ फंडेमेंटल फोर्स ऑफ नेचर है उससे पावर किया जा रहा है इन बैटरीस को एन हेंस दीज बैटरीस है वेरी कैंसर ही आया होगा तो वेल इस बैटरी में क्योंकि निकल 63 का रेडियो अक्टिव कोर इस्तेमाल हुआ है वह जैसे हमने अब ये ट्रेडिशनल न्यूक्लियर प्लांट्स में इस्तमाल होने वाले यूरानियम 235 कोर जितना खतरनाक स्ट्रॉंग न्यूक्लियर फोर्स नहीं पैदा करते हैं। सप्लाई करने वाली है और फिर थरली टेस्ट होने के बाद ही हम इन बैटरीस को कॉमन कंजूमर प्रॉड़क्स में देख पाएंगे जैसे कि हमने शुरुवात में जाना था बहुत सालों तक हमें लगता था कि human cloning या even animal cloning in general illegal होता है बट देन जिस तरह की खबरे रीसेंटली सामने आ रही है ऐसा लग रहा है कि secretly cloning की एक काफी flourishing industry खड़ी हो चुकी है और लोग इससे मोटे पैसे चाब भी रहे हैं अब ये आखिर कैसे हो रहा है देखो साल 1996-97 में जब पहला cloned जानवर Dolly the Sheep सबके सामने आया तो कुछ scientists तुरंथ इसी cloning technology को इंसानों पर भी test करना चाते थे उनका मानना था कि वो इस technique से infertile couples की मदद कर सकते हैं करना शुरू कर दिया बेसिकली इस टेक्नीक में वो लोग पेरेंट से उनके कुछ टिशू साम्पल्स ले लेते थे और फिर उसमें से एक टिशू के सेल्स में से नूकलियस निकाल कर उसकी जगे पर दूसरे टिशू के नूकलियस को इंजेक्ट कर देते थे और उसके बाद वो हुबहु अपने उस पेरेंट का क्लोन होता था उसका कार्बन कॉपी जैसा दिखता था जिसका उसे नूकलियस मिला था सिंपली पुट वो एक तरह से अपने पेरेंट का एक हुबहु जुड़वा होता जस्ट एक अलग टाइमलाइन से क्लोनेड की CEO ब्रिगेट बॉईसेलियर का ये दावा है कि उन्होंने एट लीस्ट 20 हुमन क्लोन्स अलरेडी बना लिये और उनमें से पहली बेबी ईव डिसेंबर 26, 2002 को पैदा भी हो चुकी है बाइस साल की आम college going लड़की बन कर शायद हमारे बीच ही कहीं पर रह रही है। और ये fact कि वो इंसान का ही एक clone है उसे शायद पता भी नहीं। But cloning तो banned है right?
So ये कैसे possible हो रहा है? Well it turns out that's just the half truth. Firstly, human cloning सिर्फ 46 countries में ही banned है, out of total 195 countries that we have now.
और सिले क्लोनेट ने भी इव और बाकी के clone babies को अपने home country USA के बाहर develop किया। दूसरी बात जिन 46 देशों ने इसे बैन किया है उसमें से भी अलमोस सभी देशों में सिफ यूमन क्लोनिंग बैंड है आनिमल क्लोनिंग नहीं यानिकी आनिमल्स पर क्लोनिंग के ट्रायल्स करके क्लोनिंग टेक्नीक को पॉलिश करना जोरो शोरो से सभी देशों में चालू एक को सेंड करते हैं एंड देन विदेन जस्ट टू थी मंस उनके मरे हुए पेट के क्लोन पपीस उनके घर पर डिलीवर कर दिए जाते हैं यानि कि आज के तारीख में हम क्लोनिंग में इतने आगे बढ़ चुके हैं कि अगर यह बैन पूरी तरीके भट जाएं तो हम किसी भी इंसान का एक बिल्कुल डिक्टो कार्बन कॉपी बिल्कुल क्लोन क्रिएट कर सकते हैं इन एक मिनिएचर क्लोन मनाया था वह हमारी इसी ह्यूमन क्लोनिंग एबिलिटी को वो दर्शाता है इस रीसर्च के लीड साइंटिस्ट प्रोफेसर गौरडाना वुनजूक नौवकोविच और उनकी टीम ने सबसे पहले चार सेपरेट कंपार्टमेंट्स में पेशंट के हार्ट बोन लिवर और स्किन के टिशूस को ग्रो की फिर उन्हें आर्टिफिशल ब् डॉक्सो रोबेसिन के क्लिनिकल ट्रायल्स में एक असली इंसानी शरीर करता है। यानि कि अगर ethical concerns ना हो, तो we are this close to becoming God. So friends, इस विडियो को अपने friends और family members के साथ जरूर share करना। जैसे आपको पता है हमारा mission है कि हम इंडिया में scientific thinking फैलाना चाहते हैं और एक scientific culture डिवेलप करना चाहते हैं, जो हर एक इंसान को अपनी life में तो empower करेगा ही, बट हमारे देश के लिए भी brilliant minds और scientists create करेगा। So thank you so much for watching. See you next time.
तब तक के लिए take care. जय हिंद.