यह एक जगह के बारे में [संगीत] [संगीत] ये सारी कॉमेंट सारकास्टिक है क्योंकि गाजीपुर लैंडफिल के अराउंड इतनी भद्दी स्मेल आती है और हवा में इतने टॉक्सिक केमिकल्स है कि लोगों की हेल्थ पर असर पड़ रहा है इसमें बल के साथ-साथ ऐसी धुआ आता है ऐसा पोलूशन आता है कि जो बीमारियों की जड़ है ये मैं दिल्ली की बात कर रहा हूं दुनिया की फोर्थ लार्जेस्ट इकॉनमी की राजधानी अगर आपको लगता है कि आप गाजीपुर में नहीं रहते तो आपकी सिचुएशन ठीक है तो वापस से सोच लो एयर पोल्यूशन की वजह से ऑन एवरेज एक इंडियन सिटीजन की लाइफ 5 साल कम होती है हां 5 साल तो जब एक बच्चा इंडिया में पैदा होता है उसकी एज रो से नहीं बल्कि -5 से स्टार्ट होती है यह नंबर न्यू दिल्ली के लिए है - 122 पर एयर पोल्यूशन के बारे में कितने लोग बात करें इलेक्शंस के लिए सिचुएशन इतनी खराब है कि कचरा साफ करवाने के लिए दिल्ली में डेनिश एंबेसडर को एक वीडियो बनाना पड़ा जिसके बाद कचरा साफ हुआ हम तो हिंदू मुस्लिम मंगलसूत्र और कास्ट सर्वे के बारे में बात कर रहे हैं इतने लोगों ने सिविक इश्यूज के बारे में बात करी है वो इश्यूज जो हमारे लिए जरूरी हैं इसीलिए कहा जाता है कि फॉरेन कंट्रीज के कंपैरिजन से इंडिया में घर के अंदर जिंदगी बहुत अच्छी है पर घर के बाहर जिंदगी मानो नर्क है क्योंकि घर के बाहर इंडियन शहरों की हालत इतनी बेकार है पर फिर भी लोग कुछ करना नहीं चाहते उसके बारे में 17 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि हमारे शहर हमारी इकॉनमी की ड्राइविंग फोर्स है कौन सी ड्राइविंग फोर्स जब रोड पर कचरा हो हवा में पोल्यूशन और होर्डिंग से लोगों की जान जा रही हो 13 मई को एक 250 टन की होर्डिंग मुंबई के घाटकोपर इलाके में गिर गई ना ला गिरा बहुत सारे गिरा ला मर गया मर ग 13000 किमी दूर एक नौजवान यश चंस दिया अपने पेरेंट से बात करने की कोशिश कर रहा था यूएस से पर उसका फोन लग नहीं रहा था इसलिए अपने दोस्त की मदद से उसने एक मिसिंग रिपोर्ट फाइल करी मुंबई में उसके पेरेंट्स जबलपुर से मुंबई आए थे यू की वीजा फॉर्मेलिटीज कंप्लीट करने ताकि वह यश से यूएस में मिल सके फॉर्मेलिटीज कंप्लीट करने के दौरान वो एक पेट्रोल पंप में रुके अपना फ्यूल टैंक भरने के लिए पर उनको यह नहीं पता था कि यह उनका लास्ट स्टॉप होने वाला है मनोज चंचोरी और उनकी बीवी अनीता चंचिया करीब 17 लोगों में से थे जिनकी मौत हो गई होर्डिंग कोलबस से पर आपको एक चीज बताऊं जिससे आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे वो होर्डिंग तो इल्लीगल थी पर वो पेट्रोल पंप भी इल्लीगल निकला पर हम में से कितने लोग इन सिविक इशू ूज को एक इलेक्शन का मुद्दा बना रहे हैं हिंदू मुस्लिम तो चल रहा है न्यूज़ चैनल्स में और यही चीज मैं चेंज करना चाहता हूं आपको बताना चाहता हूं कि हमारे सिविक इश्यूज की क्या हालत हो गई है इस वीडियो में मैं बस तीन चीजों पर फोकस करूंगा जब आप किसी नए शहर में आते हो आपको क्या-क्या चाहिए होता है एक सस्ता सा घर मिल जाए साफ-सुथरे एरिया में मिले और जहां अच्छा पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर हो इसीलिए मैं तीन प्रॉब्लम्स पर फोकस करूंगा हाउसिंग की प्रॉब्लम क्लीनलीनेस की प्रॉब्लम और पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की प्रॉब्लम और मैं ये चीजें एक्सप्लेन करूंगा देश के सबसे बड़े शहरों के उदाहरण से दिल्ली बेंगलुरु और मुंबई सॉल्यूशंस के बारे में भी बात करूंगा मैं ताकि आप अपने पब्लिक लीडर्स को अकाउंटेबल रख सको सबसे पहले हाउसिंग के बारे में बात करते हैं यह है धारावी एशिया का सबसे बड़ा स्लम और दुनिया के सबसे डेंसली [संगीत] पॉपुलेशन हज लोग मुंबई के हर स्क्वायर किलोमीटर में रहते हैं यह कितना ज्यादा होता है यह अंदाजा लगाने के लिए दूसरे शहरों से कंपेयर कर लो मुंबई में घरों के दाम इतने बढ़ गए हैं कि एक 2014 की स्टडी ने दिखाया कि 80 पर परिवार महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी के सब्सिडाइज फ्लैट्स भी नहीं खरीद सकते आप बोलोगे पर ये तो 10 साल पुरानी रिसर्च है तो लेटेस्ट रिसर्च देख लेते हैं 2023 में एक अफोर्डेबल इंडेक्स रिलीज हुआ था जिसने यह देखा कि इंडिया के शहरों में आपको कितनी इनकम देनी पड़ती है एक घर के लोन की ईएमआई के लिए और अनसरप्राइजिंगली मुंबई सबसे खराब सिचुएशन में था तो मुंबई सपनों के शहर में एक ढंग का घर नहीं मिल सकता नहीं और इसके पीछे कई कारण है मैं आपको डिटेल में समझाता हूं पहला कारण है कि मुंबई में इतनी लैंड ही नहीं है यह मुंबई का मैप है अगर आप नोटिस करोगे तो मुंबई एक पेनिंस सुला में है यानी कि तीन साइड से वह पानी से घिरा हुआ है अब इसका मतलब है कि मुंबई एक पोर्ट सिटी तो बन गई पर शहर के लिए किसी भी दिशा में एक्सपेंड करना बहुत मुश्किल है तो अगर वो साइड में एक्सपेंड नहीं कर सकता शहर तो इसका एक सलूशन क्या है वो वर्टिकली एक्सपेंड कर ले यानी कि बड़ी-बड़ी इमारतें बनाए पर इधर एक प्रॉब्लम आ जाती है इसको कहते हैं फ्लोर स्पेस इंडेक्स मुंबई में किसी भी बिल्डिंग की हाइट को कंट्रोल किया जाता है फ्लोर एरिया रेशो या फिर फ्लोर स्पेस इंडेक्स से फ्लोर स्पेस इंडेक्स डिसाइड करता है कि आप किसी भी जमीन पर कितना एरिया बना सकते हो जैसे अगर एफएसआई एक है यानी कि वन है और मानो आपका प्लॉट 4000 स्क्वा फीट का है तो आप उस पर एक बिल्डिंग बना सकते हो बस 4000 स्क्वा फीट फ्लोर स्पेस की इसका मतलब है या तो आप उस पूरे प्लॉट पर एक वन स्टोरी बिल्डिंग बना सकते हो 4000 स्क्वा फीट की या फिर दो स्टोरी बिल्डिंग बना सकते हो 2000 स्क्वा फीट ईच की एफएसआई इंट्रोड्यूस हुआ था मुंबई में 1960 में क्योंकि वो चाहते थे कि वोह पॉपुलेशन को कंट्रोल करें टू बी स्पेसिफिक वो चाहते थे कि ना 1980 तक मुंबई में बस 34 लाख की पॉपुलेशन हुई तो क्या एफएसआई सक्सेसफुल रहा नहीं क्योंकि आज मुंबई की पॉपुलेशन 2 करोड़ है 34 लाख तो छोड़ो 1980 के दौरान कई लोग रूरल एरिया से मुंबई शहर में आए और इन लोगों ने जगह बनाई 12वी में जिसकी वजह से वह देश का सबसे बड़ा स्लम बन गया अब आप में से कई लोग करेक्टली सोचोगे कि मुंबई की अफोर्डेबल हाउसिंग प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए शहर को अपना एफएसआई बढ़ा देना चाहिए इससे और बड़ी इमारतें बन जाएंगी और लोगों को घर मिल जाएंगे पर यह कॉम्प्लिकेटेड है मुंबई के डिफरेंट इलाकों में एफएसआई 3 टू 5 है और सरकार ने कई बार ये एफएसआई बढ़ाया है पर अगर आप दूसरे शहरों से कंपेयर करोगे तो एफएसआई रिलेटिवली बहुत कम है न्यूयॉर्क के मैनहैटन में यह एफएसआई 3 से 12 के बीच है टोक्यो में 20 से ज्यादा और सिंगापुर में तो 25 से ज्यादा तक तो मुंबई की सरकार यह एफएसआई बढ़ाती क्यों नहीं है क्योंकि ये एफएसआई बढ़ाने से पहले आपको शहर का इंफ्रा स्क्चर भी अपग्रेड करना पड़ेगा एफएसआई तो बढ़ जाएगा और कई घर भी बन जाएंगे पर सिटी के इंफ्रास्ट्रक्चर का क्या रोड हो गई गटर हो गए क्लीनिंग सर्विसेस हो गई सीवर लाइन हो गई ये सब चीजें भी अपग्रेड करनी पड़ेगी पर मुंबई के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए मुझे आपको ज्यादा कहानी बताने की जरूरत नहीं है यह वही शहर है जहां गोखले ब्रिज और बर्फी वाला फ्लाई ओवर अलाइन तक नहीं किया गया मतलब इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की कोशिश तो करी गई पर दोनों साइड से यह नहीं देखा कि फ्लाई ओवर और ब्रिज अलाइन होगा भी या नहीं तो लोग मुंबई आते हैं घर की तलाश में पर उधर अफोर्ड करना मुश्किल है क्योंकि एफएसआई कम है एफएसआई कम इसलिए है क्योंकि सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं बनाया इसी वजह से लोग धारावी स्लम एरिया या फिर कई इल्लीगल जगह रहते हैं तो पानी घर के अंदर आ जाता पानी के साथ-साथ कीड़ा आता मच्छर आता हर चीज उसके अंदर आ जाती है किचन ले लेके चुआ अंदर से थैली बली सब चीज घसीट घसीट लाता इतनी तकलीफ हम लोग को है कि फिर भी हम लोग कैसा कैसा करके झेल ले रहे देख लो पर अगर बाय चांस किसी हॉलीवुड फिल्म ने इन स्लम एरियाज के बारे में पिक्चर बना दी तो हम ऑफेंड हो जाते हैं हम इस बात पर ऑफेंड नहीं हो रहे कि जो धारावी में रह रहा है उसकी इतनी बुरी हालत है बल्कि इस बात पे ऑफेंड हो रहे हैं कि हमारे देश की पिक्चर आपने कैसे दिखा दी ऐसी यह सिचुएशन और भी खराब होती है क्योंकि हमारी गवर्नमेंट अथॉरिटीज कितनी इनकम्पेटिबल पमें प्रोजेक्ट के अंडर अडानी ग्रुप और महाराष्ट्र सरकार ने डिसाइड किया था कि वो धारावी स्लम एरिया को रीडेवलप्ड वेलप मेंट के लिए उनको 47.5 एकड़ की जमीन चाहिए थी जिसकी ओनर थी रेलवे लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी स्टेट सरकार ने इंडियन रेलवेज के साथ एक 99 साल का लीज एग्रीमेंट साइन किया जिससे यह जमीन सरकार को दी जाएगी और फिर सरकार यह जमीन वापस लीज कर सकती है हाउसिंग सोसाइटीज को 30-30 सालों के लिए पर रेलवे लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने स्टेट सरकार को वापस लीज पर देने के लिए हाउसिंग सोसाइटीज को मना कर दिया और यह प्रोजेक्ट अटक गया महाराष्ट्र मिनिस्टर अतुल सावे ने कहा कि सरकार 20 लाख घर बनाना चाहती है 40 लाख लोगों के लिए जो मुंबई की झपर पट्टी में रह रहे हैं पर 20 लाख तो छोड़ो बस दो से ा लाख घर ही बने अभी तक उन्होंने कहा कि 219 कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स लीगल इश्यूज की वजह से डिले हु गए हैं और 22 की सुनवाई चल रही है कोर्ट्स में तो हमारी सरकार डिफरेंट गवर्नमेंट अथॉरिटीज के बीच नेगोशिएट ही नहीं कर पाती जिसकी वजह से ऐसे प्रोजेक्ट्स अटके रहते हैं नेट रिजल्ट क्या है कि मुंबई में इतने घर की सप्लाई ही नहीं है ऑल ऑफ द फॉर्मल हाउसिंग पुट टुगेदर वेदर इट इज पब्लिक हाउसिंग और प्राइवेटली बिल्ट हाउसिंग द आउटपुट वाज नॉट बियोंड य 20000 यूनिट्स यर और पता है सबसे इंटरेस्टिंग बात क्या है 2018 के इकोनॉमिक सर्वे ने दिखाया कि मुंबई में 5 लाख घर खाली है 5 लाख घर खाली है ऐसे शहर में जहां लोग झोप पट्टी में रह रहे हैं क्योंकि उनके पास अफोर्डेबल घर नहीं है भला क्यों क्योंकि कई लोगों के लिए मुंबई की प्रॉपर्टी मार्केट एक इन्वेस्टमेंट मार्केट है इन मोर रिसेंट इयर्स आई थिंक वन ऑफ द फेसट्स दैट वी हैव टू लुक फॉर इज दैट कि मुंबई इज नो लंगर ओनली अ हाउसिंग मार्केट इट इज अ इन्वेस्टमेंट मार्केट तो कई लोगों ने घर ले रखे मुंबई में ना तो उधर रहने के लिए और ना उनको रेंट आउट करने के लिए बस इन्वेस्टमेंट पर्पसस के लिए इस वेकेंसी के पीछे एक और मेजर प्रॉब्लम है मुंबई रेंट कंट्रोल एक्ट 1947 में बॉम्बे में एक रेंट कंट्रोल लॉ पास हुआ था जिसने कहा था कि हाउसिंग रेंट 1940 के प्राइसेस पर फ्रीज हो जाएगा 1999 में भी एक नया लॉ आया महाराष्ट्र रेंट कंट्रोल एक्ट जिसका भी यही कहना था यह लॉ अप्लाई करता है मुंबई की 23 लाख बिल्डिंग्स में इस लॉ का मेन पर्पस था कि जो लोग भाड़े पर रह रहे हैं उनको प्रोटेक्ट किया जाए ये नहीं कि लैंडलॉर्ड बहुत तेजी से रेंट बढ़ा दे जिसकी वजह से उन लोगों को खाली करना पड़े घर तो उस लॉ की इंटेंशन उनको प्रोटेक्ट करने की थी पर इसका आउटकम हुआ क्या कि कई लोग अपना घर रेंट ही नहीं करना चाहते क्योंकि उनको पता है कि इस लॉ की वजह से उनको रेंट मार्केट रेट पर नहीं मिलेगा इसके अलावा कई बिल्डिंग जिन पर यह लॉ लागू है वो बहुत ही बुरी हालत में है क्योंकि लैंडलॉर्ड्स कोई मेंटेन करना ही नहीं चाहते उनको है कि मैं पैसा क्यों लगाऊं ना मुझे ढंग का रेंट मिल रहा है तो मैं ऐसी बुरी हालत में रखूंगा अपनी बिल्डिंग को और इन सारी प्रॉब्लम्स की वजह से लोगों के पास घर नहीं है मुंबई में रहने के लिए इसलिए वह रहते हैं झपर पट्टी में हां इतनी बुरी गंदगी है जिसको दिल्ली के लोग बहुत अच्छी तरह समझते हैं गाजीपुर का लैंड करीब कुतुब मीनार की हाइट का है अब कई पहाड़ों पर लैंड स्लाइड्स होती है और यही चीज गाजीपुर लैंड फिल् में भी होती है ल्ली गाजीपुर कंटिन्यू टू लिव इन द फियर ऑफ अनदर ट्रैश स्लाइड 2017 में ऐसी ट्रैश स्लाइड की वजह से दो लोगों की मौत हो गई थी अब ट्रैश लाइट तो बहुत रेयरली होती है पर हर दिन इस कूड़े के पहाड़ से टॉक्सिक गैसेस रिलीज होती है और इसमें आग लगने की बात तो आम बात है आग तो हमेशा लगती रहती है इस कूड़े के अंदर अभी पिछले हफ्ते भी आग लगी थी तो मैंने फिर 100 नंबर को कॉल किया था तो तीन दिन में जाकर के इसकी आग बुझा पाए दमकल कर्मी और सारे विभाग वाले गाजीपुर के एरिया में कई लोग इस वजह से एक ब्रीदिंग डिसऑर्डर से गुजर रहे हैं ये आग हमेशा अक्सर लगती रहती है दो चार दिन में इसकी वजह से प्रॉब्लम होती है सांस की बीमारी हो गई वाइफ को हां आग से धुआ धुए के मारे इतने परेशान है मैं बीमार हूं मुझे हार्ट की प्रॉब्लम हो गई है पर गाजीपुर तो बस एक छोटा सा एग्जांपल है हमारे देश की बुरी वेस्ट मैनेजमेंट के बारे में देश का करीब 80 से 90 पर कूड़ा अनट्रीटेड है यूजुअली कूड़े को ट्रीट किया जाता है जिससे उसके अंदर से हार्मफुल केमिकल्स हटा दिए जाए पर इंडिया में जो वेस्ट होता है जो कूड़ा होता है वह पूरी तरह अनट्रीटेड होता है वो या तो एक लैंड फीड जैसे गाजीपुर लैंड फिड में डंप किया जाता है या फिर कई बार बस सड़कों पर फेंक दिया जाता है और यह बात तो इंडियन सरकार भी मानती है 2017 में मिनिस्टर ऑफ एनवायरमेंट प्रकाश जावड़ेकर ने था कि इंडिया का 40 पर प्लास्टिक वेस्ट ट्रीट नहीं होता बल्कि डायरेक्टली इंडियन सड़कों पर फेंका जाता है इसी वजह से कई लोग शौक हो जाते हैं देखकर कि हमारे शहर कितने गंदे हैं पर कई इंडियंस इस बात से ऑफेंड हो जाएंगे कि फॉरन लोग हमारी गंदगी के बारे में बात कर रहे हैं अनने रिटी ऑ लाइफ इन इंडिया डर्टी काउ टंग ट्रैश सड मैन वो गंदगी से अ फें नहीं होए बल्कि इस बात से होंगे कि तुम्हारा शहर भी तो गंदा है उसके बारे में बात करो कूड़ा तो कम से कम हमें दिख तो जाता है एयर पोल्यूशन तो ऐसी चीज है जो कई लोग को दिखती भी नहीं है लांसेट की एक स्टडी ने दिखाया कि 2017 में 12 लाख इंडियंस एयर पोल्यूशन की वजह से मरे पर एयर पोल्यूशन के बारे में ना कोई वोट बैंक पॉलिटिक्स हो सकती है और ना हिंदू मुस्लिम इसे कोई पॉलिटिकल लीडर इसके बारे में बात ही नहीं करना चाहता दुनिया में टॉप 10 मोस्ट पोल्यूटेड शहरों में से नौ इंडियन शहर है मैं वापस बोलता हूं टॉप 10 मोस्ट पोल्यूटेड शहरों में से नौ इंडियन है पर किसको चिंता है अब आप में से कई लोग बोलोगे कि यह बस इसलिए है क्योंकि हमारा देश गरीब है पर ऐसे कई गरीब देश हैं जिनके शहर इंडियन शहरों से ज्यादा साफ है जैसे केन्या में नैरोबी शहर ले लो या फिर नि कागवा में ग्रेनाडा इन शहरों का बजट दिल्ली और मुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन से बहुत कम है पर फिर भी यह शहर कई ज्यादा साफ है कई ब्लॉगर्स ने यह भी दिखाया है कि सिरिया जैसे देश में जहां कई सालों से वायलेंस चल रहा है उधर के शहर भी इंडियन शहर से ज्यादा साफ है तो अगर पैसा प्रॉब्लम नहीं है तो प्रॉब्लम है क्या एक प्रॉब्लम है हमारा एटीट्यूड इस फोटो को देखो गेस करो ये फोटो कहां से है दिल्ली मुंबई बेंगलुरु नहीं यह फोटो है सिंगापुर से सिंगापुर जो दुनिया का सबसे साफ शहर माना जाता है पर यह है सिंगापुर का लिटिल इंडिया तो इंडियंस ने सिंगापुर जैसे शहर में भी गंदगी पैदा करना स्टार्ट कर दिया तो क्या प्रॉब्लम बस हम हम में अब आप में से कई लोग बोलोगे कि जनरलाइज करना सही नहीं है क्योंकि जब इंडियंस न्यूजीलैंड या फिर दूसरे देश भी जाते हैं तो उधर वो साफ सफाई रखते हैं पर रियलिटी है कि दोनों चीजें सही हो सकती हैं कि हम में एक एटीट्यूड की प्रॉब्लम है पर अगर हम एक ऐसे सिस्टम में जाते हैं जहां रूल और पनिशमेंट हो तो हम उधर साफ सफाई करते हैं इसी चीज के बारे में बात करी थी अनम एक नागरिक ने जो इंडियन शहरों को साफ करने में तुले हुए हैं उन्होंने दो थ्योरी की बात करी पहली थ्योरी है नो ब्रोकन विंडो थ्योरी जो कहती है कि अगर किसी सड़क पर टूटी हुई खिड़कियां होती हैं तो हमें उस जगह और गंदगी फैलाने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती इसलिए जब इंडियन शहरों में हमें थोड़ा सा कचरा दिखता है किसी भी सड़क पर हम अपना भी कचरा उधर डाल देते हैं क्योंकि हमें लगता है कि बस हमारी प्रॉब्लम थोड़ी है दूसरे लोग भी यही कर रहे हैं पर जब आप इन्हीं लोगों को एक साफ सुथरी सड़क दे दोगे तो वो जरूर गिल्टी फील करेंगे उधर कचरा डालने में जैसे अनामिक ने एक एक्सपेरिमेंट किया बेंगलुरु में जहां उन्होंने देखा कि जब वो एक दीवार को ढंग से साफ कर देते तो उधर लोग पान थूकना बंद करते थे दे पेंटेड द वॉल दे पेंटेड अ रेड बैंड एट द बॉटम दे पुट सम फ्लावर पॉट्स एंड इंक्रेडिबली देर वेर नो मोर पान स्टेंस ऑन दैट वॉल एंड व्हाई बिकॉज़ द पर्सन स्पिटिंग पान इज इज ट्राइज बेस्ट टू बी क्लीन सेकंड थ्योरी एनवायरमेंटल साइंस से आती है जिसको कहा जाता है ट्रेजेडी ऑफ द कॉमनस इस थ्योरी के हिसाब से जबी भी कई लोग एक चीज के लिए एक साथ रिस्पांसिबल होते हैं तो कोई भी उनमें से जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहता तो अगर एक सड़क है और 10 घर हैं हर घर यह मानता है कि उनकी जिम्मेदारी नहीं है कि वो उधर साफ सफाई रखें जिम्मेदारी तो दूसरे लोगों की है चाहे वो म्युनिसिपल वर्कर्स हो या फिर एनजीओ के वर्कर्स यह एटीट्यूड आज भी कई लोगों में है जब वो यह मानते हैं कि साफ सफाई करना मेरी रिस्पांसिबिलिटी नहीं है कई लोग तो यह भी कहते हैं कि उनकी डिग्निटी के खिलाफ है ये करना वो छोटे महसूस करते हैं अगर उनको साफ सफाई करने के लिए बोल दिया जाए यह गंदगी पार्टी के लोग ही साफ करने वाले हैं या कैसे होने वाला है हम य करेंगे और ये गंदगी कह रहे हो आप इसको और और भी चीज देखो ये देखो ना नहीं आप इधर भी देखो इधर भी देखो मैं मैं जवाब दे रहा हूं अगर आपके घर में कोई विवाह शादी या पार्टी होती है या बच्चे की पार्टी होती है आप अपने घर में फूल उड़ाती हो तो वो क्या गंद हो गया क्या ये एटीट्यूड चेंज किया जा सकता है कल्चरल चेंज से जैसे आप जापान पर नजर डालो जहां कई लोग मानते हैं कि उनकी खुद की रिस्पांसिबिलिटी है साफ सफाई रखना वो लोग नहीं सोचते यह काम तो बड़ा नीच काम है कतर में फीफा वर्ल्ड कप मैच के बाद भी कई जापनीज फैन देखे गए साफ सफाई करते अब इस एटीट्यूड को डेवलप करने के लिए हमारी जिम्मेदारी तो है ही पर सरकार की भी जिम्मेदारी है अननेली सरकार अपनी जिम्मेदारी उठाना चाहती नहीं मैं करेंटली एक किताब पढ़ रहा हूं कार्तिक मूले धरण की और मैं आपको स्ट्रांग रिकमेंड करूंगा यह बहुत मोटी किताब है जो बेसिकली बताती है कि हमारे देश में गवर्नेंस इतनी बेकार क्यों है इस किताब में कार्तिक मुरलीधरन कहते हैं कि हमारे देश में पॉलिटिशियन के पास कोई इंसेंटिव है ही नहीं कि वह पब्लिक की प्रॉब्लम सॉल्व करें क्योंकि एक सीट जीतने के लिए किसी भी पॉलिटिशियन को हाईएस्ट वोट्स जीतने होते हैं इसका मतलब है कि वह वोट बैंक पॉलिटिक्स में ज्यादा समय बिताते हैं और इस वजह से उनके पास कोई इंसेंट नहीं होता पब्लिक की सारी प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए जिससे सबको फायदा पहुंचे जैसे कूड़ा साफ करना कार्तिक मुरलीधरन कहते है कि देश में वोट बैंक पॉलिटिक्स की वजह से ही कई पॉलिटिशियन हमारी रिसोर्सेस कुछ स्पेसिफिक वोट बैंक्स को देना पसंद करते हैं ना कि ऐसी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करना जिससे सभी का भला हो जैसे गंदगी को हटाना या फिर पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर इंप्रूव करना और जब काम करना भी होता है तो कार्तिक मुरलीधरन कहते हैं कि पॉलिटिशियन ऐसे प्रोजेक्ट्स चुनते हैं जो शॉर्ट टर्म हो और जिससे उनको इलेक्शंस में तुरंत ही फायदा मिल जाए पर किसी भी शहर को साफ करना शॉर्ट टर्म नहीं होता समय चाहिए होता है और बहुत रिसोर्सेस चाहिए होती हैं जिसकी वजह से कोई गारंटी नहीं है कि अगर वह शहर को साफ करने की कोशिश करेंगे तो इलेक्शंस में उनको फायदा मिलेगा या फिर नहीं इस वजह से आप दिल्ली की भी हालत देख लो आम आदमी पार्टी की सरकार पोल्यूशन को कम करने के लिए ऑड इवन स्कीम निकालती है या फिर एंटी स्मॉक गंस लॉन्च करती है ऐसी चीजें जिससे शॉर्ट टर्म में वोटर को यह तो दिखे कि हमारी सरकार कुछ करने की कोशिश कर रही है पर ल लॉन्ग टर्म में प्रॉब्लम पर कुछ असर नहीं पड़ेगा 2020 में भी युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध कैंपेन लॉन्च किया था एक प्लांटेशन ड्राइव शहर के फॉरेस्ट कवर को बढ़ाने के लिए पर स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 ने ये बताया कि 10 साल में पहली बार दिल्ली में फॉरेस्ट कवर कम हो गया तो आम आदमी पार्टी को पता है कि एयर पोल्यूशन सॉल्व करने से उनको इलेक्शन में फायदा नहीं मिलेगा और वैसे ही वोटर्स एयर पोल्यूशन के बेसिस पर वोट तो करता ही नहीं है तो क्यों टेंशन ले इस चीज के बारे में वो एक और प्रॉब्लम है जो हमारी पॉलिटिक्स में वो है कि पावर की बिल्कुल डिसेंट्रलाइजेशन नहीं है जैसे गंदगी को हटाना या फिर पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर इंप्रूव करना इंडिया दुनिया में सबसे ज्यादा सेंट्रलाइज देशों में से एक है जहां चाइना का बजट 50 पर से ज्यादा लोकल लेवल्स पर खर्च होता है इंडिया का बस 3 पर बजट लोकल सरकारी लेवल पर खर्च होता है कई इंडियंस कहते हैं कि चाइना तो इतना सेंट्रलाइज्ड है पर वो यह भूल जाते हैं कि बजट के मामले में चाइना इंडिया से 17 गुना ज्यादा डिसेंट्रलाइज्ड है इंडिया इतना सेंट्रलाइज्ड है क्योंकि जब हमारे देश को आजादी मिली थी हमारे लीडर्स के बीच एक डर था कि यह देश टिक भी पाएगा या फिर नहीं इसलिए एक स्ट्रांग सेंटर बनाना तब बहुत जरूरी था पर अब 75 साल बाद यह करना इतना जरूरी नहीं है हमें उल्टा और डिसेंट्रलाइज होना चाहिए अब क्लीनलीनेस जैसा इशू सबसे अच्छा सॉल्व होगा लोकल लेवल पर पर हमारे देश में पॉलिटिकल पावर स्टेट गवर्नमेंट के पास है और सेंट्रल गवर्नमेंट के पास लोकल लेवल ऑफिशल्स के पास बिल्कुल पावर है ही नहीं करीब 2 करोड़ सरकारी एप्ल एलॉइज हैं पर इन दो करोड़ में से बस 20 लाख लोग लोकल लेवल पर काम करते हैं जबकि यह नंबर चाइना और यूनाइटेड स्टेट्स में कई ज्यादा है चाइना में तो 50 पर से ज्यादा सरकारी एंप्लॉयज लोकल एंप्लॉयज होते हैं पर हमारे देश में ऐसा है ही नहीं मोस्ट पॉलिटिकल पावर स्टेट और सेंट्रल लेवल पर है और उनकी कोई अकाउंटेबिलिटी नहीं है शहर में प्रॉब्लम हमारी भी है कि हम लोकल सिविक इश्यूज के बारे में सोचते नहीं है वोट करने से पहले तो क्या इसका मतलब है कि इंडियन शहर हर बार गंदे ही रहेंगे नहीं साफ होना मुमकिन है जैसे इन फोटोस को देखो यह फोटोज है कोरिया के कैपिटल सोल की 1960 से पर कुछ ही साल बाद इस शहर की तस्वीर बिल्कुल बदल गई सोल की तो बहुत बड़ी बात है अगर आप इंदौर की तस्वीर भी देख लोगे तो आपको पता चल जाएगा कि ऐसी चीजें सॉल्व करना मुमकिन है बस अकाउंटेबिलिटी चाहिए लोकल लेवल पर सिविल सोसाइटी के सपोर्ट के साथ पर इन सारी चीजों के बारे में वोटर्स के पास सोचने का टाइम क है वो तो ट्रैफिक में बिजी हैं या फिर मुंबई लोकल में धक्के खा रहे हैं जिसके बाद उनको कहा जाता है कि मुंबई का स्पिरिट इतना अच्छा है बेंगलुरु की हालत तो और भी खसता है 27 सितंबर 2023 को कॉमेडियन ट्रेवर नोवा बेंगलुरु में परफॉर्म करने जा रहे थे अब ये कॉमेडी शो तो टेक्निकल ग्लिचस की वजह से हुआ नहीं पर कई फैंस वेन्यू पर पहुंच नहीं पाए ट्रैफिक की वजह से कई लोग तो अपनी टिकट 23 में दुनिया की सिक्स कन्जेस्टेड सिटी का अवार्ड बेंगलुरु को मिला कि एक एवरेज बेंगलुरु कम्यूटर साल के करीब 250 घंटे ट्रैफिक में गुजारता है यही सिचुएशन मुंबई की है जिसके बुरे इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में कई कॉमेडियन जोग बना चुके हैं मुंबई हैज रेज द स्टिक्स मुंबई इज लाइक ब्रो विल देयर बी अ रोड नोबडी नोज जैसे यह है मुंबई के अंधेरी में गोखले ब्रिज और यह है बर्फी वाला फ्लाई ओवर अब दोनों ही गोखले ब्रिज और बर्फी वाला फ्लाईओवर नई कंस्ट्रक्शंस नहीं है गोखले ब्रिज बना था 1960 में जबकि बर्फी वाला फ्लाईओवर बनाया गया था 2008 में 2018 में 47 ईयर ओल्ड पुराना गोखले ब्रिज कोलप्पा लोग घायल हो गए तो 2022 में सरकार ने डिसाइड किया कि वो इस ब्रिज को तोड़ेंगे और एक नया ब्रिज बनाएंगे इस ब्रिज की कंस्ट्रक्शन कंप्लीट हुई फरवरी 2024 में पर प्रॉब्लम क्या है गोखले ब्रिज एक तरफ और बर्फी वाला फ्लाईओवर दूसरी तरफ दोनों मैच नहीं कर रहे 28 साल बनाने के बाद उनको पता चला जो इधर से आ रहा है और इधर से आ रहा है वो मैच नहीं कर रहा है हम शायद सोचते ना हो पर ट्रैफिक का एक डायरेक्ट इंपैक्ट पड़ता है दोनों इकोनॉमिक भी और हमारी हेल्थ पर भी जैसे ट्रैफिक एक्सपर्ट एमएन श्री हरी और उनकी टीम की रिसर्च ने दिखाया कि बेंगलुरु की ट्रैफिक प्रॉब्लम की वजह से शहर को साल का 00 करोड़ र का नुकसान हो होता है ऑन एवरेज हर आदमी हर साल करीब ₹5000000 गवाता है इस ट्रैफिक की वजह से इकोनॉमिक कॉस्ट के अलावा एक मेंटल हेल्थ कॉस्ट भी पड़ती है इस ट्रैफिक से स्ट्रेस लेवल्स बढ़ते हैं और नॉज पोल्यूशन का एक डायरेक्ट हेल्थ इंपैक्ट पड़ता [संगीत] है अब देखो पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत ही कॉम्प्लेक्टेड ऑफ पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के पीछे एक मेजर कारण गवर्नेंस है जैसे बेंगलुरु में बीबीएमपी उनकी मनि सिपल कॉर्पोरेशन है जो एक इलेक्टेड बॉडी है पर बेंगलुरु में कई और नॉन इलेक्टेड बॉडीज भी हैं जैसे बीडीए केएसडीपी बीएमटीसी और बीएमआरसीएल म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन का इन सारी बॉडीज पर कोई कंट्रोल नहीं है ये सारी नॉन इलेक्टेड बॉडीज डायरेक्टली कर्नाटका सरकार को रिपोर्ट करती हैं और ना कि म्युनिसिपल कॉरपोरेशन को इसका मतलब है कि म्युनिसिपल बॉडी और यह सारी बॉडीज कांस्टेंटली एक साथ लड़ाई करते रहते हैं स्पेशली क्योंकि कई रिस्पांसिबिलिटीज जो इन दोनों बॉडीज की है उनमें ओवरलैप है जैसे बीडीए जिम्मेदार है बेंगलुरु की लैंड रेगुलेशन के लिए और केएससी भी जिम्मेदार है स्लम रिहैबिलिटेशन के लिए तो अगर मान लो बेंगलुरु की म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन अगर एक स्लम को ठीक करना चाहती हैं तो व अकेली नहीं कर सकती उनको नॉन इलेक्टेड बॉडीज की परमिशन भी मांगनी पड़ेगी तो भला यह इलेक्टेड बॉडी के पास क्या ही पावर होगी पर कर्नाटका स्टेट सरकार भी इस चीज को सॉल्व नहीं करना चाहती क्योंकि इस चीज को सॉल्व करने के लिए उनको अपनी पावर देनी होगी लोकल बॉडी को इसलिए कोई चीफ मिनिस्टर ये करना ही नहीं चाहता अब मैं सलूशन देना चाहता हूं दोनों ही इंडियन सरकार को और आपके लिए इंडियन सरकार के लिए दो सॉल्यूशंस है पहला सलूशन है कि हमारी सरकार को लोकल लेवल बॉडीज को ज्यादा पैसा देना होगा हमें और डिसेंट्रलाइजेशन की जरूरत है दोनों पैसे के मामले में भी और पॉलिटिकल पावर के मामले में भी पॉलिटिकल पावर का मतलब ऑटोनॉमी जो भी अच्छी ऑर्गेनाइजेशंस होती है ना उनका एक तरीका होता है काम करने का जैसे अगर कोई अच्छी क्रिकेट टीम होती है तो कैप्टन अपने प्लेयर्स को फ्रीडम देता है कि आप अपने हिसाब से खेलो पर रिजल्ट के बेसिस पर सभी को जज किया जाएगा पर इंडियन सरकार का कहना है उल्टा है वो अपने एंप्लॉयज को माइक्रो मैनेज करती है और अकाउंटेबल भी नहीं रखती है रिजल्ट के लिए उल्टा हमारी सरकार को लोकल लेवल बॉडीज को फ्रीडम देना चाहिए कि आपको जो करना है करो पर आपको रिजल्ट के बेसिस पर जज किया जाएगा वो कहते हैं कि हमें इंडियन शहरों की म्युनिसिपालिटीज को ऑटोनॉमी देनी चाहिए कि वो अपना रेवेन्यू कलेक्ट करें यह हो सकता है रोड टैक्सेस प्रॉपर्टी टैक्सेस रजिस्ट्रेशन फी पार्किंग फी और कंजेशन चार्जेस के बेसिस पर बेंगलर ने महिलाओं के लिए बसेस फ्री कर दी हैं जिसको कई रिसर्चस ने कहा है कि वो एक अच्छा कदम है फीमेल एंपावरमेंट के लिए इस चीज के बारे में मैंने कई वीडियोस में बात भी करी है जहां मैंने कहा है कि इंडियन महिलाएं बेचारी बंद रहती है अपने घरों में इस स्कीम की वजह से वो कम से कम घर के बाहर तो जा रही हैं पर बेंगलुरु सरकार ने लोकल बॉडीज का ना ही रेवेन्यू इंक्रीज किया और ना बसेस की सप्लाई इंक्रीज करी जिससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर प्रेशर और बढ़ गया उल्टा स्टेट सरकार को सिटी गवर्नमेंट को कहना चाहिए कि आप अपना बजट खुद संभालो और आप आप जिम्मेदार होंगे अपने आउटकम्स के लिए और अगर मैं आपकी बात करूं तो प्लीज डिसेंट्रलाइजेशन की मांग करो हमारे देश में डिसेंट्रलाइजेशन की बजाय सबको एक मसीहा चाहिए प्राइम मिनिस्टर की पद पर जो हमारे देश की सारी प्रॉब्लम्स को सॉल्व कर दे पर भाई ऐसा काम नहीं करता है इमेजिन करो कि किसी कंपनी में इतनी सेंट्रलाइजेशन हो जाए कि सीईओ को ही सारे डिसीजन लेने पड़े तो अगर आपको छुट्टी भी चाहिए आपको सीईओ से अप्रूवल चाहिए होगा तो ये काम करेगा नहीं अगर आपकी सड़क गंदी है क्या आप प्राइम मिनिस्टर को आप टैग करो बिहार और हरियाणा देन प्लीज गो एंड वोट बी गुड सिटीजन एंड इफ यू लाइक द वीडियो प्लीज सब्सक्राइब टू द चैनल एंड शेयर इट कुछ फायदा हो शहरों की सिचुएशन बदले थैंक यू सी यू नेक्स्ट टाइम