पराठा अचार मक्खन दही चटनी घर की औरतों की एक ही दिक्कत होती है कि आज कौन सी सब्जी बनाई जाए सोचिए अगर किसी गणी को इस बात की चिंता ना खाती हो कि आज सब्जी में क्या बनाएं तो उसकी जिंदगी कितनी सुकून भरी हो सकती है लेकिन क्या सच में ऐसा होता है आज की कहानी सोनिया की है जिसके घर पर सब्जी तो कभी बनती नहीं लेकिन फिर भी खाना बनाने से जुड़ी उसकी कई समस्याएं हैं अरे बाबूजी क्या बात है नाराज चल रही है क्या हमसे जब भी आपके घर के सामने ताजी सब्जियों की रेडी लेकर आता हूं आप दरवाजा बंद कर लेते हैं अरे पूरा मोहल्ला हम ही से सब्जी लेता है पर आप वो क्या है ना भाभी जी सब्जी ताजी और कम दाम की देते हैं हम पूरा मोहल्ला लेता है हमसे सब्जी बस आप ही के शुभ पैर नहीं पड़ते यहां हां ठीक है ठीक है वो तुमसे धनिया और कच्चे आम लिए तो थे और अगर कुछ चाहिए होगा तो ले लूंगी तुमसे तभी सब्जी की रे पर खड़ी पड़ोसन बोल पड़ती है बात तो भैया सही बोल रहे हैं कभी नहीं देखा कि तुम सब्जी खरीदती हो क्या बात है तुमको पता है हरी सब्जियां सेहत के लिए कितनी अच्छी होती है चिंटू को खिलाया करो पालक मेथी दिमाग भी बढ़ेगा और शरीर भी सोनिया पड़ोसन की बात सुनकर अंदर चली जाती है लेकिन वहां उसके बारे में चर्चे होने लगते हैं पड़ोसन सब्जी वाले से कहती है यहां तो यह सोच-सच कर रोज दिन भर कटा जाता है कि क्या काटे और क्या छोंके क्या पकाए मजे तो इस औरत के हैं जो कभी घर पर सब्जी बनाती ही नहीं पता नहीं किससे खाना खाते होंगे ये लोग और बहन जी सब्जी नहीं खाते हो तो क्या खाती होगी काला नमक और लाल मिर्च नहीं तो क्या कामचोर होती है ऐसी औरतें इन लोगों का यही हाल है बस किचन में कुछ पकाना पड़े तो शामत आती है जबकि इसकी तो सास भी है कम से कम अपनी नहीं तो बुढ़िया सास की सोच के अच्छी सब्जियां पका लिया करें लेकिन नहीं आराम जो पसंद होगा इसे सुबह-सुबह सोनिया का बेटा चिंटू स्कूल के बस में अकेला लाइन में खड़ा था इतने में दूसरे बच्चे की मां चिंटू से कहती है और चिंटू बेटा क्या बात है तुम्हारी मम्मी स्कूल बस में तुम्हें बिठाने नहीं आई नहीं वो मम्मी ना पापा और दादी के लिए खाना बना रही थी तभी वही पड़ोसन जो पास में खड़ी थी चिंटू से कहती है क्यों ऐसा क्या बना रही है मम्मी तुम्हारी सुबह-सुबह और तुम क्या लेकर आए हो आज टिफिन में पराठा और मक्खन तभी बस आ जाती है और चिंटू वहां से चला जाता है उसके जाने के बाद दोनों औरतें बातें करने लगती हैं बताओ क्या सोनिया के पास इतना वक्त नहीं है कि कम से कम बस तक आ जाए माना बच्चा थोड़ा बड़ा है लेकिन फिर भी बस तक तो आती ऐसा भी क्या नाश्ता बना रही थी बच्ची को तो सिर्फ मक्खन देकर भेजती है अब आइए चलते हैं सोनिया की रसोई में आखिर जब सब्जी बनाने की चिंता ही नहीं है तो फिर बनाती क्या रहती है रसोई में बस बहू सिर्फ एक पराठा बनाना होता है तुमको फिर भी वक्त पर नाश्ता कभी नहीं देते कल भी तुमने मुझे वही धनिया की चटनी दी थी पता है कितना बुरा लगता है ऑफिस में रोज एक खाना ले जाकर ये सब सुनते ही सोनिया का पारा हाई हो जाता है क्या करूं कहां से रोज-रोज़ नई चटनी बना कर दूं आपको मुझे तो याद भी नहीं मैंने किस-किस की चटनी नहीं पीसी अरे चटनी तो तूने सबकी पीस दी लेकिन मुझे तो हर वक्त वही एक नींबू और मिर्च का अचार दे देती है मां जी अचार एक दिन में नहीं बनता मैं कोशिश करती हूं कि अलग-अलग चीजों का अचार बना कर दूं कल ही तो कटहल का डाला है सारा दिन मसाले भुनने में लग जाता है दरअसल कहानी यह है कि सोनिया के घर में सब्जी तो नहीं लगती लेकिन सास जो कि अचार से खाना खाती है पति चटनी से और बेटा मक्खन से इन्हें अचार चटनी और मक्खन में अलग-अलग वैरायटी चाहिए होती है जिसको बनाना सोनिया के लिए सब्जी बनाने से लाख गुना ज्यादा मुश्किल काम लगता है चिंटू स्कूल से वापस आता है और मां को बस स्टैंड की सारी बात बताता है अरे बाहू के पास कितना काम होता है वो कैसा तुझे छोड़ बस स्टैंड तक का है यह बात मां जी आप समझती हैं बाहर वाले नहीं उनको तो लगता है मुझे किचन में कोई काम ही नहीं होता ना मैं कोई सब्जी बनाती हूं ना बेटे को टिफिन में हरी सब्जियां देती हूं लेकिन सारा दिन अचार चटनी और मक्खन के अलग-अलग वैरायटी बनाने में मेरी हालत खराब हो जाती है पर बाहर की औरतें यह क्या समझे अरे सबको अपना काम मुश्किल भरा लगता है बहु बड़ी सिंपल सी बात है अचार सब्जी बनाना और चटनी अचार बनाना क्या मुश्किल है खुद भी सोच लो अरे यार कल मैं Google में देख रहा था चने की दाल की चटनी बड़ी अच्छी लगती है एक काम करो ना आज वही चटनी बना दो बहु मैं भी यह कह रही थी कि बाहर से ना मैं बेर तोड़ कर लाई हूं टेबल पर रख दिया जरा उसका अचार बना देना लो आज फिर एक नई मुसीबत फिर से एक नई चटनी और फिर से आज एक नया अचार अचार में जहां 75 तरीके के मसाले भूनकर पीसकर बनाना पड़ता है तो वहीं पति को मिक्सी की नहीं बल्कि सिलबट्टे पर पीसी चटनी पसंद है हम अब सोनिया क्या करें सोनिया हार कर भगवान के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो जाती है हे भगवान आंख खुलते ही पूरे घर का नाश्ता और नाश्ते में यह नाटक मुझसे अब नहीं हो रहा है भगवान कुछ तो मदद कर तभी बाहर से सास के जोर-जोर से रोने की आवाज आती है अब क्या हो गया हाय रे मैं मर गई अरे मेरा पूरा मुंह जल रहा है बहु क्या पूरा मिर्ची का डब्बा डाल दिया था चटनी में नहीं तो मां जी कैसे बात कर रही है मैं ऐसा क्यों करूंगी क्या नहीं करेगी अरे तू तो मेरा खाना बनाने से बचती रहती है करना कुछ नहीं दूसरों की बहुओं को देख कितना काम करती है और एक तो आ चल अब डॉक्टर के पास लेकर चल बहू सास को डॉक्टर के यहां ले जाती है जहां डॉक्टर साफ-साफ कह देता है कि उनके मुंह में छाले पड़े हुए हैं क्योंकि वह बहुत ज्यादा मसाला मिर्च खाती है डॉक्टर सास को सलाह देता है कि कुछ दिनों तक वह ठंडी दही खाएं अब क्या चटनी की जगह दही ले सकती है एक तरफ जहां सोनिया को लगता है कि उसकी जिंदगी में अब थोड़ा आराम होगा लेकिन होता क्या है अगले रोज यार सोनिया क्या है यार मूली गाजर का अचार बनाओ कभी रोज या आम का मिर्ची का खाया नहीं जाता नाश्ता ठीक से होता नहीं और फिर सारा दिन भूख लगती रहती है पति की बात सुनते हुए सोनिया सास को नाश्ता देती है दही और परांठा मन ही मन खुश कि अब सास की चटनी से तो छुटकारा मिला बस करना क्या है दही भरो कटोरी में और दे दो लेकिन यह क्या अरे यह क्या फीकी दही नमक और भुना जीरा कौन डालेगा इसमें जाकर लेकर आ हाय रे दही में नमक और भुना जीरा खैर सारे दिन की थकावट के बाद देर रात जब सोनिया सोने जाती है तो दिमाग में सिर्फ दही अचार और मक्खन ही चलता रहता है अगली सुबह मां आज लहसुन फ्लेवर वाला मक्खन देना कल जिंजर वाला मक्खन दिया था ना वही दो दिन से दे रही हो कटोरी में जिंजर यानी कि अदरक घिस कर रखी थी सोनिया ने सोचा था नाश्ते में उसी का मक्खन बनाकर बेटे को टिफिन देगी लेकिन बेटा है किसका अपनी दादी और पापा का भला नाश्ते के वक्त आराम से कैसे नाश्ता कर सकता है कोई ना कोई नाटक तो उसको करना ही था बेचारी सोनिया फटाफट लहसुन छीलती है और लहसुन वाला मक्खन बनाकर जल्दी से पराठे के साथ बेटे को खाने देती है और उसके टिफिन में रखती है भुना जीरा नमक सास के लिए दही में मिलाती है और लग जाती है पति के लिए अचार बनाने की तैयारी में किसी तरह से मूली गाजर का अचार बनाकर पराठे तैयार करके सोनिया टेबल पर लगा देती है चलो बोलने पर कम से कम तुमने कुछ काम तो किया वरना सुबह का नाश्ता तो हमेशा ऐसा मिलता था कि सारा दिन नाश्ते की तरह ही खराब जाता था सास दही को देखती है और फिर यह क्या है बहु अरे मां जी यह तो वही है ना दही आप ही ने तो कहा भूना जीरा और नमक डाल देना पराठे के साथ हाय रे कैसे बहु से पाला पड़ा है बहू सुबह-सुबह तेरा दिमाग घास चने चला जाता है क्या आज मुझे मीठी दही खानी थी जाकर मीठी दही लाकर दे सोनिया घबरा जाती है और भागकर किचन में जाती है पर यह क्या घर पे तो अब दही नहीं है एक कटोरी दही थी वह भी सास को दे दी सोनिया सास के सामने आती है और बताती है कि घर पर दही नहीं है जब तुमको पता है कि पराठे मां दही के साथ खाती है तो अच्छे से घर में दही क्यों नहीं रखती हो और दही देने से पहले पूछ रही थी मां कैसे दही खाना चाहती हो अरे कल मां जी ने कहा था कि अभी सोनिया की बात पूरी भी नहीं हो पाती की अरे कहा तो मैंने बहुत कुछ था लेकिन तू सुना तब ना तुझे याद रहा कि दही में नमक डालना है लेकिन तुझे यह याद नहीं रहता कि तू रोज-रोज़ हमें एक जैसा नाश्ता कराती है उससे हमारा सारा दिन बेकार जाता है वो तो शुक्र मान के हम सब्जी नहीं खाते सब्जी खाते होते तो सुबह का नाश्ता नसीब ही नहीं होता सुबह का नाश्ता सोनिया के लिए शादी का लड्डू हो गया था जो ना निगला जा सकता था और ना उगला अगले रोज बाहू आज कोई अच्छी सी सब्जी बना लेना नाश्ते में वो क्या है ना मेरी बहन आ रही है और वह सिर्फ सब्जियां ही नाश्ते में पसंद करती है ठीक है मां जी मैं नाश्ते में अच्छी सी सब्जी बना लूंगी हां और वो ना अभी कुछ दो महीने यहीं रहेगी तब तक याद रखना नाश्ते में अब सब्जी भी बनाएगी और उसके साथ भी हमारे जैसे मत कर देना कि हर रोजे की तरह का नाश्ता वो थोड़ी सख्त है उसकी बहू अच्छी है ऐसा ना हो कि वह कहे कि मैं कैसी बहू ले आई अगले रोज सुबह-सुबह नाश्ते में सोनिया भिंडी की सब्जी और पराठा बनाती है सास के लिए दही में चीनी डालती है और पति को अचार के साथ पराठा देती है अभी मौसी सास के आने का वक्त ही था कि तभी चिंटू आ जाता है मां आज किस फ्लेवर का मक्खन है बेटा आज गार्लिक फ्लेवर है साथ में सब्जी भी है खाकर देखो नाश्ते में कौन खाता है सब्जी आज तो मुझे फ्रूट्स वाला मक्खन चाहिए था आज ना मैं बेटा गार्लिक मक्खन ही दे पाऊंगी क्योंकि हमारे घर तुम्हारी दादी मां आ रही है उनके स्वागत की तैयारी भी करनी है ना चिंटू रोज नए-नए तरह के मक्खन देती हूं तुम्हें नाश्ते में आज यही खा लो बेटा तुम ना मम्मा बहुत आजी हो वैसे दादी कौन सी तभी चिंटू की दादी बोल पड़ती है मेरी बहन आ रही है मेरी बहन तेरे पापा की मौसी समझा सोनिया की मौसी सास आती है सभी नाश्ता करने के लिए बैठते हैं तो सोनिया अलग-अलग तरह के आचार दही मक्खन और सब्जी पराठों के साथ रखती है क्या बात है सोनिया इतना सारा वैरायटी और वो भी इतनी सुबह-सुबह नाश्ते में कैसे बना लेती हो बेटा बहू की तारीफ सुनकर तू सास को मानो कांटे ही चुभने लगते हैं अरे यह कौन सी बात है और सब्जी तो आज पहली बार बनी है हमारे घर में वरना हम लोग ना पराठे को सिंपल दही अचार और मक्खन से ही खाते हैं मैंने कितनी बार कहा बहु मुझसे एक बार पूछ लिया करो दही में चीनी डालनी है पर मुझे तो लस्सी पीनी है पर मां जी आप ही ने तो कहा था मीठी दही खानी है इसीलिए मैंने शक्कर डाल दी जबान लड़ाने बोल दो इसको खूब जुबान चलती है मीठी दही का मतलब लस्सी भी तो हो सकता है ना लेकिन यह तो तुम्हारे मोटे दिमाग में घुसेगा नहीं अचानक से मौसी सास बोल पड़ती है अच्छा लेकिन यह सब बाजार का तो नहीं लग रहा नहीं नहीं मौसी बाजार का कुछ नहीं है मैंने बनाया है सब हां हां ठीक है मैंने बनाया है सब अरे तुमने बनाया तो कौन सा बड़ा काम कर दिया एक नाश्ता ही तो होता है घर में वह अभी कभी टाइम से नहीं मिलता चलो बहन कमरे में चले इसकी तो आदत है खुद की तारीफ करना सास अपनी बहन को लेकर कमरे में चली जाती है वहीं बहू पीछे से पूरा किचन टेबल सब निपटाकर दिन के खाने की तैयारी में लग जाती है सास की बहन सास से कहती है क्या बात है कमला अपनी बहू को इतना डांटती है यह अच्छी चीज थोड़ी ना है बेचारी सुबह से लगी रहती है तू तो चुप ही हो जा देखा है मैंने तेरी बहू सीमा को काम करते हुए कितनी मेहनत करती है घर को कितना अच्छे से रखती है वो अरे खाने बैठो तो दुनिया की ऐसी कोई चीज नहीं होती है जो टेबल पर नहीं दिखती ऐसा लगता है होटल का खाना खा रहा है अरे क्या है ऐसे तो कुछ आता ही नहीं मौसी सास देखती है कि हर किसी को सोनिया से शिकायत होती है उन्हें रोज एक ही चीज में 10 तरह की वैरायटी चाहिए और सोनिया पूरी कोशिश करते हैं उनकी मांग पूरी करने की लेकिन बावजूद इसके घर का एक भी सदस्य सोनिया से खुश नहीं होता खास करके सास अरे मौसी कैसी हो और बताओ यहां किसी चीज की कमी तो नहीं है अरे नहीं नहीं सुनिया बहुत अच्छे से हमारा ख्याल रखती है उसे मत बताओ उसे सब पता है सारा दिन घर पर क्या-क्या होता है यह सब मैं अपने बेटे को बताती रहती हूं कुछ नहीं छुपाती उससे हां मौसी मां सही कह रही है सोनिया तो इतने आराम से घर पे रह रही है मानो कोई सरकारी नौकरी लग गई है जहां सिर्फ साइन करने आओ और सैलरी जेब में अगली सुबह से भी नाश्ते में बैठे थे मैंने तुमको बोला था ना कटहल के छिलके का अचार बना दो लेकिन तुमने आज फिर वही गाज और मूली का अचार रख दिया सामने तुम सच्ची ना बड़ी कामचोर हो आज लस्सी ले आई तुमको क्या बोलूं मुझे जीरा और नमक से खाना था मां आज फ्रूट वाला मक्खन खाने का मन नहीं आज वैनिला वाला खाना खाना है तभी मौसी सास देखती है कि आलू की सब्जी के साथ पूरी भी रखी है अरे बेटा रात की सब्जी थी वही दे देती सोनिया जिसकी आदत थी सबकी बातें सुनने की नहीं नहीं मौसी जी कैसे रात का खाना मैं आपको खिला देती वैसे जैसे हम लोगों को रोज नाश्ता कराती हो अब तक तो सोनिया को ज्यादा बुरा नहीं लगता था क्योंकि घर की बात होती थी और आज जब मौसी सास के आगे सपना को निकम्मा घोषित कर दिया तो सोनिया खुद को नहीं रोक पाई और खुद को कमरे में बंद कर लिया ला अब एक और नया नाटक अरे कोई इसको बताएं कि क्या इसकी गलती भी ना बताए कोई मां यह नाटक से तुम ही निपटो मैं चला ऑफिस वहीं गुस्से में सोनिया भी अपने मायके चली जाती है और घर में रह जाती है सास अगली सुबह सास नाश्ते का टिंबे लगाती है बहन बुरा मत मानना सब्जी बनाने में ना वक्त लगता है तो मैंने रात की सब्जी ही तुझे दे दी ठीक है ना मौसी सास कुछ नहीं बोलती लेकिन चिंटू बोल पड़ता है मां ने कल फ्रूट वाला मक्खन दिया था आज मैंने वैनिला मांगा था दादी आपको ऐसा नहीं करना चाहिए कल का ही अचार आज भी रख दिया पराठे के साथ नाश्ते में अब मैं क्या बोलूं आपको कटहल के छिलके का अचार कहां है सबको पराठे के साथ नाश्ता कराने के बाद सास जब खुद का नाश्ता लेकर बैठती है तो कटोरी में दही लेकर सोचती है इसमें क्या डालूं और वो इतनी थकी थी कि खाली दही ही खा लेती है अगली सुबह भी ऐसा ही होता है सब खाने में कोई ना कोई दोष निकाल देते हैं सास बहू को फोन करती है लेकिन वो फोन नहीं उठाती देखा मैं कितनी अभागी हूं जिसे ऐसी बहू मिली है अरे यह भी नहीं सोच रही कि सास कैसे घर चला रही होगी तुम्हें मेरी बहू अच्छी लगती है ना तुम सोचती हो वो पूरा टेबल सजा देती है और ऐसा लगता है जैसे खाना होटल का है तो सुनो खाना होटल का ही होता है आज मेरी जो इतनी तबीयत खराब है ना वह उसी बाहर का खाना खाने की वजह से मेरी बहू घर पर खाना बिल्कुल नहीं बनाती और साथ ही हमेशा हर बात का गलत जवाब देती है तुम्हारी बहू तुम्हारे इतने ताने चुपचाप सुनती है अब पता नहीं कौन अभागा है मैं या तुम सास को अपनी गलती का एहसास होता है वो बहू के मायके जाती है और बहू मुझे माफ कर दे तेरे एक दिन ना होने से पूरा घर खराब हो गया मैं क्यों नहीं समझ पाई तेरी कीमत तू तो दुनिया की सबसे अच्छी बहू है मुझे माफ कर दे बेटा बहू सास को माफ करके गले लगा लेती है अब घर में सिर्फ सास ही नहीं बल्कि कोई भी सोनिया से कुछ नहीं बोलता और घर में जो बनता है सब खुशी-खुशी खाते