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Zener डायोड और उसका उपयोग

Hello Students, आज हम चार important topic के बारे में पढ़ने वाले हैं जो कि बहुत बार exam में पुछे जा चुके हैं पहला topic होगा Zener diode या निक्या दूसरा होगा Zener effect का मतलब क्या होता है तिसरा है Avalanche effect का मतलब क्या है और आखिर में हम देख लेंगे कि Zener diode को as a voltage regulator हम कैसे use कर सकते हैं So I hope you are ready with your pen and paper So without wasting much time let us start this video तो सबसे पहले हम Zener diode से start करेंगे तो Zener diode यानि क्या? वो एक spatial purpose diode है वो PN junction का ही एक type है और ये Zener diode को हम as a voltage regulator use कर सकते हैं अगर जो Zener diode है उसका symbol PN junction diode जैसा ही है कुछ क्यों? वो type है PN junction diode का इसलिए PN junction diode का symbol कैसा देखा था? तैंकल और एक straight line थी तो यहाँ पर यह उपर की साइड आपको एक slanting line करनी हो और नीचे की साइड एक slanting line कर देनी है यहाँ पर P और यहाँ पर N लिख लेना है अब यह जो Zener diode है वो हमेशा reverse bias condition में ही connect किया जाता है reverse bias यानि क्या wrong connection minus plus minus यानि क्या कि जो battery का negative terminal है वो positive semiconductor के साथ connect करते हैं negative type semiconductor के साथ connect किया जाता है तो यह हो गया general diode का symbol अब हमने pn junction diode में दू characteristics पड़ी थी एक forward characteristics और एक reverse characteristics forward characteristics में हमने क्या दिखा था correct connection correct connection यानि क्या plus minus plus जो battery का terminal है उसे positive type semiconductor से connect करते हैं और negative बैटरी का टर्मिनल है उसे नेगेटिव टाइप सेमी कंडक्टर से कनेक्ट करते हैं जिससे करके डिपलेशन लेयर कम होती थी जिससे करके करन का फ्लो होता था सरकीट एक्टिव रहती थी दूसरी करेक्टिस्टिक हमने पड़ी थी रिवर्स करेक्टिस्टिक्स यानि क्या रॉंग कनेक्शन और ऐसा connection करने पर reverse bias करने पर क्या होता था कोई भी current flow होता नहीं था और हम बोलते थे diode inactive है अब कुछ तो current flow होता था यह हमें भी पता है तो यहाँ पर यह दो characteristics में से यह reverse characteristics बहुत ही ज़ादा important है zener diode के लिए क्यों ज़ेनर diode हमेशा reverse bias condition में ही होता है इसलिए हम reverse characteristics पे focus करेंगे reverse characteristics का graph कुछ ऐसा हमने बनाया था ठीक है जिसमें जब आप potential बढ़ाते हो, तब क्या होता था? कुछ micro ampere में current flow होता था, और ये micro ampere में जो current flow हो रहा है, वो किसकी वज़े से होता था?

वो diffusion current की वज़े से flow होता था, अब potential बढ़ाते बढ़ाते, एक potential तक अगर उसकी value बढ़ाते, जिसे हम breakdown voltage बोलते हैं, Suddenly current का flow increase हो जाता था, अब question ये आता है, कि suddenly current, कैसे reverse bias में flow होता है हमने तो क्या पढ़ा है no current flows in reverse bias यहाँ पे कैसे current बढ़ गया कैसे flow होना शुरू कर गया जैसे के यहाँ पे reverse bias condition ड्रॉ करके रखी है यहाँ पे यह plus यहाँ पे आ जाएगा यह minus यहाँ पे आ जाएगा जैसे potential बढ़ाते जाओगे तो यह positive terminal यह electron negative जो charge है उसको जादा force से खुद की तरफ attract करेगा यह negative terminal यह जो holes है यानि positive charge है उसको ज़्यादा force से attract करेगा यानि यहां से electron यहां attract होंगे यहां से hole यहां attract होंगे यानि potential बढ़ाने पर यह जो depletion layer है वो तो बढ़ता जाएगा अगर depletion layer बढ़ता गया तो कैसे यह electron potential जो हमारा barrier है उसको cross करके p type में enter करेंगे कैसे current का flow होगा तो वो बात यहाँ पे समझेंगे, यहाँ पे reverse bias में कैसे current flow होता है, उसके दो reasons है, पहला reason है zener effect और दूसरा reason है avalanche effect, तो पहले zener effect हम देख लेते हैं कैसे reverse bias में यह depletion layer बढ़ने पर भी कैसे electron यहाँ से यहाँ आके current बनाता है, कैसे current का flow बढ़ता है, तो zener effect के लिए एक condition important जो भी आप P टाइप और N टाइप में impurity एड कर रहे हो वो impurity आपको बढ़ाने पड़ेगी तो you have to increase the impurity impurity बढ़ाने से क्या होगा तो हमें पता है P टाइप semiconductor में हम trivalent impurity एड करते हैं trivalent impurity एड करने पर यहाँ पर एक hole extra आता है यानि impurity बढ़ाने पर hole बढ़ते जाएंगे यहाँ पर N टाइप में हम pentavalent impurity अंदर mix करते हैं अगर pentavalent impurity mix करी जादा तो number of electron बढ़ते जाएंगे एक electron free आता था यानि impurity बढ़ाने पर hole बढ़ेंगे, electron बढ़ेंगे hole बढ़ने पर depletion layer यहां shift होगा electron बढ़ने पर depletion layer यहां shift होगा यहां depletion layer कैसा हो जाएगा depletion layer यहाँ पे decrease हो जाएगा ठीक है depletion layer decrease हुआ क्यों impurity हमने बढ़ाई इसलिए अब depletion layer decrease हुआ तो क्या फाइदा हुआ depletion layer अगर decrease हुआ तो हमारा जो electric field है ये बढ़ जाएगा अगर electric field बढ़ा तो electrostatic force ये junction के पास बढ़ जाएगे अब depletion layer कम हुआ तो electric field कैसे बढ़ा वो समझ लेते हैं जैसे कि आपके पास दो magnet हैं दो magnet दूर रखे हैं तो इतनी कुछ magnetic field है नहीं जैसे पास लाए डिस्टेंस कम किया तब magnetic field बहुत चादा आपको लगेगी जिससे करके magnetic force बढ़ेगा जिससे करके magnet चिपक जाएगा या दूर चला जाएगा इसी तरीके से यहाँ पे भी depletion layer कम हुआ electric field बढ़ी तो इसके करण जो electrostatic force बना वो भी बढ़ा अब यह electrostatic force कहां लगेगा electron पे लगेगा holes पे लगेगा जो भी junction के पास में है उसके उपर पर electrostatic force लगेगा अब ये electrostatic force बहुत जादा है क्यों depletion layer बहुत कम है यहाँ पे electrostatic force जादा है जिसके कारण ये electrostatic force क्या करेगा n type के अंदर जो electrons covalent bond से connect करके जुड़े हुए थे वो covalent bond को तोड़ना शुरू कर देगा उसी तरीके जैसे ये junction के पास electrostatic force बहुत जादा लगेगा जिसके कारण ये p type में भी जो भी electrons है covalent वो तूटना शुरू हो जाएंगे यहाँ पे हमें number of holes ज़्यादा मिलेंगे यहाँ पे number of electron बढ़ते जाएंगे bond के तूटने के कारण यहाँ पे charge carrier बढ़ते जाएंगे और यह equation हम पढ़के आए हैं 12 में इसके हिसाब से यह n क्या है number of charge carrier अगर number of charge carrier बढ़े तो जो current का flow हुआ वो भी बढ़ेगा इस तरीके से suddenly current का flow बढ़ना शुरू हो जाएगा जिसे हम zener effect बोलते हैं अब ये जो Zener effect है वो कम potential पे होगी क्यों कम potential पे current flow होगा क्योंकि Zener effect में हमने क्या देखा Depletion layer कैसा है बहुत कम है अगर Depletion layer कम है तो potential barrier भी कम होगा अगर potential barrier कम है तो थोड़ा सा potential देने पर क्या हो जाएगा current flow होना शुरू हो जाएगा जैसे कि Depletion layer कम है तो potential barrier सिर्फ और सिर्फ इसका suppose कर देते हैं तो वोल्ड का पोटेंशल बैरियर है यहां पर टू वोल्ड का पोटेंशल बैरियर है जिससे करके करंट फ्लो होना शुरू हो गया अब हम समझ लेते हैं एवलांच इफेक्ट के बारे में जैनल इफेक्ट के बारे में क्या देखा इंप्रिटी बढ़ाई यह junction के पास के जो P और N type semiconductor है उसके covalent bond तोरना शुरू कर दिये जिससे करके free charge carrier बढ़ गए जिससे करके current का flow बढ़ गया कम potential पर क्यों depletion layer कम है क्यों impurity जादा है इसलिए इसलिए यहाँ पर potential barrier कम है अब avalanche effect के बारे में देख लेते हैं avalanche effect में भी एक condition है zener effect जैसे जैसी avalanche effect में यह condition है कि जो भी हमारा impurity है P type और N type में वो हमें कम करनी पड़ेगी तो यहाँ पर लिखा है impurity कैसे करने पड़ेगी कम करनी पड़ेगी अगर impurity कम करी तो p type में hole कम हो जाएगे यानि depletion layer यहाँ आएगा n type में electron कम हो जाएगी यानि depletion layer यहाँ आजाएगा यानि कि क्या होगा यह यहाँ पर depletion layer increase हो जाएगा impurity कम करने पर depletion layer increase हो जाएगा impurity कम करने पर अच्छा अब suppose हमने 2 volt की जगा 4 volt किया 4 volt किया तो यह इसका potential बढ़ गया और खीचेगा इसका potential बढ़ गया और खीचेगा यहाँ तक आ गया ठीक है 4 की जगा 6 volt किया और force बढ़ा यह direction में ठीक है तो suppose करते हैं यहाँ आ गया depletion layer ठीक है यहाँ पे अभी कुछ है नहीं ठीक है तो यह rub कर देता हूँ इतना portion ठीक अच्छा और हम बढ़ाएंगे यह potential suppose 8 volt कर दिया एट वोल्ड कर दिया तो यह डिपलेशन लेयर यहां पर आ गया ठीक है यह डिपलेशन लेयर यहां तक आ गया ठीक है अब एट वोल्ड पर हम ऐसा अस्यूम कर रहे हैं कि डिपलेशन लेयर का जो यह लेंथ है वो मैक्सिमम है इससे ज़्यादा तो डिपलेशन लेयर जा नह बहुत बदे हुए बहुत ज़्यादा फोस्ट लगा रहा है अगर गलती से ये n टाइप का एक इलेक्ट्रोन यहां से डिप्लेशन लेयर क्रॉस करके अगर p टाइप में चला गया तो ये इलेक्ट्रोन p टाइप में तबाही ला देगा कैसे? यहां पर full speed में निकला, यहां पर आ गया, तो इसके अंदर जो भी bond है, p type के जो भी bond है, वो तोड़ना शुरू कर देगा, bond तोड़ना शुरू कर दिया, इसका मतलब number of charge, free charge carrier बढ़ गए, मतलब current का flow increase हो गया, जैसे कि assume करते हैं, कि यहां पर electron है, एकदम दबे हुए, और य यह जो depletion layer की energy है वो भी add हो जाएगी depletion layer की energy suppose करते हैं 200 volt electro volt के बराबर है यानि n type में यह जो electron आएगा उसके पास 300 volt जितनी जबरदस्ट energy होगी और इतनी खतरनाक energy वाला electron क्या करेगा p type के जितने भी bond है सब को तोड़ना शुरू कर देगा यानि free charge carrier बढ़ जाएंगे तो current flow होना शुरू हो जाएगा तो यह effect को हम बोलते है avalanche effect अब दूसरी बात याद रखना, Avalanche Effect जो है वो High Potential पे होती है, क्यों High Potential पे होती है, क्योंकि Avalanche Effect में क्या बला था, Impurity कम करें तो Depletion Layer बड़ा, Depletion Layer बड़ा तो Potential Barrier बड़ा, Potential Barrier बड़ा तो Current को Flow करने के लिए जादा Voltage की जरूर पड़ेगी, जादा Reverse Voltage की जरूर पड इफेक्ट के कारण हुआ और यहां पर ज्यादा बढ़ाना पड़ेगा क्यों डिप्लेशन लेज ज्यादा है तब जाकर यह फ्लो करेगा इसे हम एवलांच इफेक्ट बोल देंगे यहां पर इसका ब्रेकडाउन पोटेंशल सपोस 8 वोल्ट के बराबर है तो यह था जैनर ड वो समझेंगे हमें पता है कि हमारे घर AC supply आता है और हमारे घर में कुछ ऐसे appliances होते हैं जो DC supply पे work करते हैं जैसे कि mobile की battery हो गई mobile की battery को कुछ 6 volt का DC supply चाहिए ठीक है यानि ऐसा current जो अपनी direction ना बदलता हो हमारे घर में कौन सा आता है AC current जो अपनी direction बदलता रहता है अब हमारे घर पे 220 volt का potential आता है वो उसकी RMS value होती है उसकी average value नहीं होती, RMS यानि root mean square value, BW में detail में हमने पढ़ा था, यहाँ पर detail में नहीं जाएंगे, इसका मतलब क्या हुआ, कि यहाँ पर ऐसे कुछ variation वाला voltage आ रहा है, जिसकी value 220, VRMS value 220 volt के बराबर है, हमने चाहिए कौन सा, हमने DC चाहिए, आता कौन सा है AC, तो हमें पता है, एक device आती है rectifier, जो क्या करती है, AC को DC में convert कर देती है, अब यह rectifier next lecture में हम समझेंगे, rectifier ने क्या किया, एसी को डिसी में कन्वर्ट कर दिया यानि अब करंट या वोल्टेज अपना डायरेक्शन चेंज नहीं कर रहा यानि डीसी तो हो गया लेकिन फिर भी यहां पर कभी यह दो वोल्ट कभी पांच वोल्ट कभी छह वोल्ट कभी तीन वोल्ट कभी एक वोल्ट यानि वोल्टेज कैसे? समझ लेते हैं तो उसके लिए हम ऐसा को सरकिट डियागराम बनाएंगे यह हमारा हो गया input voltage source जहां से हम voltage दे रहे हैं कौन सा voltage दे रहे हैं?

AC voltage दे रहे हैं अब series में एक हम resistance लगा देंगे जिसे RS बोलेंगे जिसमें से जो current flow होगा उसे IS बोल देंगे series में से flow हो रहा है इसलिए IS बाद में हम यह source के parallel में एक zener diode connect कर देंगे TN-+. यानि reverse bias अब यहां पर हम अजय को यह जो एसी है वह अपनी डायरेक्शन चेंज करता रहता है फ्रीक्वेंटली लेकिन कोई पर्टिकुलर टाइम के लिए हम बोल देंगे कि यह पॉजिटिव टर्मिनल है वह यह नेगेटिव टर्मिनल है यह एंटाइट पॉजिटिव टर्मिनल के साथ पीटाइट नेगेटिव टर्मिनल के साथ यह हो गया हमारा रिवर्स बायस यह ल यह देनर डायट के पैरलल में हम एक load resistance लगा देंगे, यानि कि हमारी mobile की battery लगा देंगे, suppose को एक appliance लगा देंगे, जहांपे हमें यह जो output VO, यानि output voltage चाहिए, वो कैसा चाहिए, constant चाहिए, ठीक है, अच्छा, अब दूसरी चीज़ यह भी पता है हमें, कि जब भी दो चीज़े पैरलल में होती है, तब दोनों चीज़ों के across potential difference same आता है, यानि कि यहांपे जो potential difference आया, वो ही यहांपे potential difference आने वाला है, ठीक है, सपोस करते हैं हमें यहाँ पे 50 वोल्ट का कॉंस्टेंट वोल्टेज आउटपूर्ट चाहिए ठीक है, तो उसके लिए हम क्या करेंगे, यह जो Zener diode हम लेंगे, वो 50 volt का ही लेंगे, क्यों यहाँ पर 50 volt का लिया, तो यहाँ पर भी 50 volt आने वाले हैं, ठीक है, अब यह suppose करते हैं कि हमारा जो input source है, वो 50 volt का है, अब 50 volt का है, तो बट obvious यहाँ पर 50 जाने वाले है, वहाँ पर 50 ओम्स लॉव, वी प्रोपोश्टनल टू आई, अगर पोटेंशल बढ़ा तो इसमें से जो करंट फ्लो होगा उसका भी रल्यू बढ़ जाएगा, यानि ये दो पॉइंट के अक्रोस जो पोटेंशल ड्रॉप आएगा वो भी बढ़ेगा, पोटेंशल ड्रॉप रेजिस्टे 50 में से 100 हुआ यानि 50 volt का potential यहाँ पे drop हो जाएगा और बचा कितना 50 volt जो यहाँ से जाएगा same potential यहाँ पे मिल जाएगा दुसरी तरीके से देखते हैं जैसे के 50 का suppose हम बोलते हैं 80 हुआ, 80 volt हुआ ठीक है 50 का 80 हुआ, वापस से क्या हुआ voltage बड़ा 50 से 80 current बड़ा, potential drop बड़ा कितना potential drop बड़ेगा कितना potential खतम हो जाएगा 50 से 80 हुआ, यानि 30 का potential drop यहाँ पे आ जाएगा, यानि यहाँ पे 80 बड़ा, तो 80 में से 30 गए, तो यहाँ पे 50 आ जाएगा, 50 यहाँ पे भी 50 रहेगा, यानि कि यह general diode क्या कर रहा है, potential को constant दे रहा है, यानि voltage को constant रख रहा है, तो इस तरीके से general diode use होता है as a voltage regulator, अब इ कि अगर हम केवियल की बात करें कि चॉप वोल्टेज लो सेकंड लो की बात करें तो वो लो में क्या था हम एक लूप कंसीडर करते से ठीक है करंट की डायरेक्शन में सपोस्ट यह पॉजिटिव टर्मिनल तो करंट ऐसे फुच फ्लो हो रहा है ठीक है एक लूप कंसीडर करते थे और हम बोलते थे कि समेशन ऑफ ऑल पोटेंशियल अक्रॉस दी लूप इस जीरो सारे जो पोटेंशल है यह लूप के अराउंड उसका समेशन जीरो के बराबर तो यहां से यह साइड पहले जाते हैं लूप ऐसे जा रही है तो कैसे जा रहे हैं negative to positive यानि voltage gain हो रहा है यानि vi कैसा आएगा positive आएगा तो vi positive लिख लिया ठीक है अब loop ऐसे है तो ऐसे जा रहे हैं ऐसे जाने पर क्या होगा current के flow का direction और loop का direction resistance में same है जब भी same direction में होता है तब हम potential drop मानते हैं ir के बराबर और negative sign लिखते हैं minus is rs लिख लिया ठीक है अब यहाँ से ऐसे downward गए तो यह downward यानि क्या plus to minus, यानि plus से minus यानि potential गट रहा है, यानि drop आया नहीं, minus sign क्या V O जो यहाँ पे लगेगा, तो minus V O, V I को subject बना दो तो यह equation मिलेगा, अब यहाँ पे यह जो I S है, यह current divide हो रहा है यहाँ पे यह current जा रहा है zener diode में और बाकी current जा रहा है load resistance में तो हम लिख सकते हैं, I S is equal to I Z plus I L तो I S की जगह हमने लिख लिया I Z plus I L RS plus V O, तो यह equation आपके लिए आपको याद रखना है अब यह जो जैनर डायड है उसके कुछ application से जो याद करके जाना एवं वोल्टेज रेगुलेटर देख लिया