इमेजिन कीजिए आप एक रेस्टोरेंट में जाते हैं जहां पर जो चेयर होती है उस पर दाग लगे हुए होते हैं आप टेबल की ओर देखते हैं तो उसमें काफी गंदगी होती है आप एक नजर रेस्टोरेंट की तरफ डालते हो तो पता चलता है कि ऊपर से जो छत है वो भी टूटी हुई है लेकिन क्या है कि आसपास कोई रेस्टोरेंट का ऑप्शन होता नहीं है और आपको भूख बहुत ज्यादा लगी होती है इसलिए आप क्या करते हो एक प्लेट इडली मंगा लेते हो इडली आपके पास आ जाती है आप देखते हो तो इडली भी बिल्कुल भी टेस्टी नहीं होती है और सबसे शॉकिंग बात तो ये होती है कि जब बाद में बिल आता है तो बिल आता है ₹ का एक प्लेट इडली का भी ₹ यानी एक इडली 000 की अब आपको आता है गुस्सा आप सीधे काउंटर पर जाते और बहस करने लगते हो लेकिन सामने वाला व्यक्ति कहता है कि मेरा भाई एसपी है अगर आप बिल पे नहीं करेंगे तो आपको सीधा जेल भिजवा दूंगा इसलिए डर के मारे आप बिल पे कर देते हैं लेकिन रेस्टोरेंट के बाहर आने के बाद एक चीज तो आपको पता चल जाती है कि आपके साथ बहुत गलत हुआ है क्योंकि रेस्टोरेंट था वन स्टार वाला और बिल था फाइव स्टार वाला और कुछ रिसेंट रिपोर्ट्स और न्यूज़ आप पढ़ेंगे तो ऐसा पता चलता है कि काफी सारे इंडियंस के मन में इस तरह की जो फीलिंग है वो आ रही है इसीलिए आजकल इस तरह के कमेंट्स काफी ज्यादा वायरल हो रहे हैं कि टैक्स लाइक यूरोप एंड सर्विसेस लाइक युगांडा और ऐसे कमेंट्स के साथ-साथ ऐसी न्यूज़ भी वायरल हो रही है जहां पर यह बात हो रही है कि रिच इंडियंस आर लिविंग इंडिया इन न्यूज़ के पीछे एक रिपोर्ट है जिसका नाम है नली एंड पार्टनर्स इस रिपोर्ट की माने तो पिछले साल 4500 मिलि नियर्स ने इंडिया छोड़ दिया है और इस साल भी 4300 मिलियन यर्स इंडिया छोड़ने की प्लानिंग कर रहे हैं इस रिपोर्ट के बाद इंटरनेट पर हर जगह यही चर्चा होने लगी कि आखिर क्या कारण हो सकते हैं उसी में काफी सारे लोग यह कहने लगे कि इंडिया में ज्यादा टैक्सेस है इसलिए हो रहा है लेकिन जब हमने इस पर रिसर्च शुरू की तो हमें काफी शॉकिंग चीजें पता चली और जो नंबर वन चीज जिसकी वजह से रिच इंडियंस इंडिया छोड़ के जा रहे हैं वो टैक्स नहीं है हां टैक्स एक बड़ा कारण है लेकिन पहला कारण टैक्स नहीं है तो जो पहला कारण है और बाकी सारे कारण है उनकी इस वीडियो में हम बात करेंगे जो पहला कारण है वो सबके लिए बहुत शॉकिंग होने वाला है क्योंकि यह काफी किसी ने सोचा नहीं था कि यह चीज काफी भारी पड़ सकती है इंडिया को और जो बाकी कारण है उन्हें भी आज हम विस्तार में एग्जांपल्स के साथ समझेंगे और ये जो अपॉर्चुनिटी है इंडिया जो प्रॉब्लम क्रिएट कर रही है उसकी वजह से किन-किन कंट्रीज को फायदा हो रहा है उनकी भी आज हम डिटेल में बात करेंगे नमस्कार मैं प्रसाद आपका आज के इस वीडियो में स्वागत करता हूं 1 फेब्रुअरी 2022 को फाइनेंस मिनिस्टर इंडिया के सामने आती है और ऐलान करती है कि अब से क्रिप्टो करेंसी से बनने वाले प्रॉफिट कंसीडर होगा स्पेक्युलेटिव इनकम में उस पर लगेगा 30 पर का टैक्स और टीडीएस अलग से और उसके बाद इंडिया की जो क्रिप्टो करेंसी कंपनीज हैं उनमें होते हैं ले ऑफस आप स्क्रीन पर देख सकते हैं कि वजर एकस ने 40 पर वर्क फोर्स को ले ऑफ कर दिया अब उसके बाद जो हुआ उससे आप यह समझ पाएंगे कि हमारा देश और बाकी देशों में क्या अंतर है इसके अगले ही महीने यानी मार्च 2022 में यूएई काफी अलग काम कर दी वो यूएई वर्चुअल रेगुलेटरी अथॉरिटी नाम से एक इंडिपेंडेंट रेगुलेटरी बॉडी की स्थापना करती है और रेगुलेटरी बॉडी क्या करती है यह रेगुलेटरी बॉडी यूएई में क्रिप्टो करेंसीज कंपनीज को दुनिया भर के टैक्स इंसेंटिव्स देती है और दुनिया की सारी क्रिप्टो कंपनीज को अपने हेड क्वार्टर्स यूएई में खोलने का आमंत्रण देती है और ऐसा पहली बार नहीं है ऐसे आर्बिट्री डिसीजंस पहले भी लिए गए हैं अगर हम वेस्टर्न डेवलप कंट्रीज को भी देखें तो वहां पर पर भी इस तरह के टैक्सेस क्रिप्टोकरेंसीज पर नहीं है और इसी चीज को इंग्लिश भाषा में बोलते हैं रेगुलेटरी अनसर्टेंटी यानी कि आज शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15 पर है कल शायद 30 पर हो सकता है आज ऑप्शंस ट्रेडिंग से जो इनकम आती है वो बिजनेस में काउंट की जाती है कल वो स्पेक्युलेटिव इनकम में काउंट हो सकती है एंड बिजनेसेस डोंट लाइक दिस काइंड ऑफ अनसर्टेंटी अब वीडियो में आगे बढ़ने से पहले आपको बता दूं कि ये जो अनसर्टेनटीज होती है इनका इंपैक्ट सिर्फ बिजनेसेस या बिजनेस मन तक सीमित नहीं होता है इन्वेस्टर्स पर भी होता है जिनका पैसा इन बिजनेसेस में लगा हुआ होता है फिर चाहे वो बड़े इन्वेस्टर्स हो या आप मेरे जैसे रिटेल इन्वेस्टर्स हो अब शेयर मार्केट में इन्हीं सारी रिस्क को हमें समझना होता है और उसी हिसाब से कंपनी का वैल्युएशन निकाल के उन्हें खरीदना होता है अब इन रिस्क को कम करने के लिए जो बड़े और सक्सेसफुल इन्वेस्टर्स होते हैं वो क्या करते हैं वो हाई वैल्यू कंपनीज को कम से कम प्राइस में खरीदने की कोशिश करते हैं और इसीलिए फाइनेंशियल मॉडल्स बनाए जाते हैं और डीसीएफ मेथड की बेसिस पर कंपनी की सही वैल्यू निकाली जाती है और यही सारी चीजें हम अपने तीन महीने की फाइनेंशियल मॉडलिंग एंड वैल्यूएशन मेंटरशिप में सीखने वाले हैं यह मेंटरशिप आपको शेयर मार्केट में बहुत ही एडवांस लेवल पर लेकर आएगी क्योंकि रियल केस स्टडीज के बेसिस पर यह आपको बताएगी कि किसी भी कंपनी का डीसीएफ की मदद से रियल वैल्युएशन कैसे निकाले तो अगर आप भी शेयर मार्केट को लेकर बहुत सीरियस है और अपने वैल्युएशन और फाइनेंशियल मॉडलिंग गेम को ऊपर ले जाना चाहते हो तो यह मेंटरशिप आपके लिए है मेंटरशिप को अप्लाई करने की लिंक आपको नीचे डिस्क्रिप्शन और कमेंट बॉक्स में मिल जाएगी पहली जो बैच है वो सिर्फ 100 लोगों की है तो जो पहले 100 लोग सिलेक्ट हो जाएंगे उन्हें इन मेंटरशिप में एंट्री मिल जाएगी चलिए अब बढ़ते हैं टॉपिक की तरफ और इसी वजह से बाहर के कोई लोग हैं तो इंडिया में बिजनेस शुरू करना पसंद नहीं करते हैं और काफी सारे इंडियंस भी आजकल बाकी कंट्रीज में अपने बिजनेसेस रजिस्टर कर रहे हैं और इस चीज को कहते हैं रेगुलेटरी आर्बिट्राज जिसमें एक कंट्री दूसरे कंट्री में होने वाली रेगुलेटरी अनसर्टेंटी का फायदा उठाने लगती है और दूसरी कंट्रीज की कंपनीज को इंसेंटिव देना शुरू कर देती है मान लेते हैं कि दो कंट्रीज है कंट्री ए और कंट्री बी कंट्री ए की फाइनेंस मिनिस्टर सबके सामने आती है टीवी पर और कहती है कि आज से जो कॉर्पोरेट टैक्स वो 15 नहीं 30 हम कर देंगे और वहीं पर कंट्री बी है जिसका कॉर्पोरेट टैक्स ऑलरेडी 15 पर था वो ये बात सुन ले तो वो तुरंत क्या करते हैं अपना कॉर्पोरेट टैक्स 15 से और 5 पर घटाकर 10 पर कर देते हैं तो अब क्या होगा कि ए का कॉर्पोरेट टैक्स फाइनल हो गया 30 पर बी का हो गया मात्र 10 पर जिसकी वजह से ज्यादातर बिजनेसेस कंट्री ए से कंट्री बी की तरफ जाने लग ग और इसी चीज को कहते हैं टेकिंग एडवांटेज ऑफ रेगुलेटरी अनसर्टेंटी एंड क्रिएटिंग अ वेरी हाई रेगुलेटरी आर्बिट्राज सो दैट सारी कंपनीज आपकी कंट्री में शिफ्ट हो जाए और रियल वर्ल्ड में इस टेक्निक का सबसे ज्यादा फायदा अगर किसी ने उठाया है तो आप बताइए किसने उठाया होगा यूएई और सिंगापुर और यही मेन कारण है जिसकी वजह से रिच इंडियंस इंडिया छोड़कर दूसरी कंट्री में जा रहे हैं अब आप कहेंगे यह तो कंपनीज के साथ हुआ इसका रिच इंडियन से क्या लेना देना लेकिन आप एक बात को समझिए कि क्रिप्टो पर लिए गए एक्शन की मदद से जो क्रिप्टो एक्सपर्ट्स थे जो ब्लॉकचेन में एक्सपर्ट्स थे उन लोगों का टैलेंट भी दूसरी कंट्री में चला गया क्योंकि उस तरह की कंपनीज अब दुबई चली गई और इसी के साथ जो रिच इंडियंस है उनको एक मैसेज भी पहुंचा कि इंडिया में रेगुलेटरी सर्टेंटी नहीं है आज कई सारी मैन्युफैक्चरिंग कंपनीज भी इंडिया आने से पहले चार बार सोचती है इस इसी चीज की वजह से जिसका नाम है रेगुलेटरी सर्टेंटी आज कई सारी कंट्रीज चाइना में मैन्युफैक्चर नहीं करना चाहती इसलिए अल्टरनेट ऑप्शन ढूंढ रहे हैं जिसमें वियतनाम को काफी प्रेफरेंस मिल रहा है लेकिन इंडिया की बात करें तो कंट्रीज चार बार सोचती है क्योंकि यहां पर रेगुलेटरी अनसर्टेंटी का एक इशू तो है और इसी चीज का फायदा फिर सिंगापुर जैसी कंट्रीज लेती है और एक आर्बिट्राज क्रिएट कर देती है कि इंडियन कंपनीज इन देशों में जाकर रजिस्टर्ड होने लगती है अब ये बात हो गई रेगुलेटरी अनसर्टेंटी की अब बात करते हैं टैक्सेस की एक सवाल आपसे पूछता हूं बड़ा ही आसान सवाल है देखते हैं आप में से कितने लोग इसका जवाब दे पाएंगे देखिए स्क्रीन पर आप देख सकते हैं तीन कंट्रीज हैं तीन में से आपको एक चूज करनी है अब आप मुझे बताइए कि आप कौन सी कंट्री में रहेंगे आप अपना टाइम ले सकते हैं ओके चलिए अब बताइए अब आप में से काफी सारे लोग कहेंगे कंट्री बी या फिर कंट्री सी क्योंकि उन दोनों कंट्रीज में कैपिटल गेन टैक्स और डिविडेंड टैक्स जीरो है और कंट्री बी में तो इनकम टैक्स भी जीरो है क्या आप में से किसी ने कंट्री ए चुनी तो हाई प्रोबेबिलिटी है कि नहीं तो चलिए आपको रियल टाइम सिनेरियो बताता हूं कंट्री ए है इंडिया कंट्री बी है यूएई और कंट्री सी है सिंगापुर चौक गए तो यही रीजन है कि पिछले 20 सालों में सिंगापुर में 8000 से ज्यादा इंडियन कंपनीज रजिस्टर्ड हुई है स्टार्ट किया हालांकि अब फोन पे अपना आईपीओ लाना चाहता है इसलिए उन्होंने रिसेंटली सिंगापुर वाली जो अपनी पैरेंट कंपनी है उसे इंडिया में शिफ्ट किया है और यूएई के बारे में तो डेटा बहुत शॉकिंग है लास्ट ईयर जितने भी रियल स्टेट बायर्स वहां पर है उसमें से 40 पर बायर्स इंडियंस है और इसे टैक्स डिफरेंस की वजह से कई सारे जो इंडियंस हैं उनका एक मोटो बन गया है और वो मोटो यह है कि अर्न इन इंडिया बट लीव आउटसाइड ऑफ इंडिया आप में से कुछ लोगों को शायद पता होगा लेकिन ज्यादातर लोगों को आज भी यह नहीं पता है कि वेदांता ग्रुप के जो प्रमोटर हैं अनिल अगरवाल वो लंदन में रहते हैं यही नहीं कृष्ण कुमार र जो ग्रेफाइट इंडिया के चेयरमैन है वो सिंगापुर में रहते हैं इसके अलावा आयशर मोटर के एमडीएन सीईओ लंदन में रहते हैं अपोलो टायर्स के एमडी एंड वाइस चेयरमैन भी लंडन में रहते हैं और कई सारे इंडियन स्टार्टअप्स हैं इंक्लूडिंग पॉलिसी बाजार जिनके फाउंडर्स आज दुबई में रहते हैं इसके अलावा जितने भी क्रिप्टोकरेंसीज कंपनीज हैं लगभग उन सब कंपनीज के फाउंडर्स आज दुबई में रहते हैं मतलब फंडा सिंपल है बिजनेस इंडिया में है पैसा इंडिया से कमाना है लेकिन रहना बाहर है अब ये हो गए रेगुलेशन और टैक्सेस की बातें इसके अलावा और भी दो रीजंस है जिसकी वजह से रिच इंडियंस और काफी सारे लोग इंडिया छोड़ रहे हैं अगला कारण है गोल्डन वीजा कई सारी कंट्रीज हैं जो आपको पैसे लेकर जो आपको रेसिडेंसी परमिट्स या सिटीजनशिप दे देते हैं मतलब सिंपल है पैसा दो और सिटीजनशिप लो इसका मतलब यह है कि जिनके पास पैसा है उनके पास ऑप्शंस भी काफी सारे हैं और ऐसा नहीं कि सिर्फ छोटी-मोटी कंट्रीज ऐसा कर रही है कई सारी बड़ी-बड़ी कंट्रीज जैसे कि ऑस्ट्रेलिया यूएसए कनाडा और बाकी कंट्रीज जैसे कि न्यूजीलैंड स्पेन यूएई पोर्तु यह सब गोल्डन वीजा देती है स्क्रीन पर आप देख सकते हो कि एक 2 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट आप करो जिसके बदले में आपको सिटीजनशिप या फिर रेसिडेंसी परमिट मिल जाता है और इसके अलावा एक और मेन रीज़न है जिसकी वजह से ये लोग इंडिया छोड़ रहे हैं वो है क्वालिटी ऑफ लाइफ मतलब शायद इस चीज का पैसों से ज्यादा लेना देना ना हो लेकिन अगर हम अलग-अलग इंडेक्सेस देखें जैसे कि एनवायरमेंटल परफॉर्मेंस इंडेक्स है तो ये इंडेक्स वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम रिलीज करता है जो अलग-अलग देशों के लिए एनवायरमेंट पॉलिसीज को रैंक करती है 180 कंट्रीज में से इंडिया की रैंक कितनी होगी गेस कीजिए 176 इतना ही नहीं आप स्क्रीन पर देख लीजिए कि क्वालिटी ऑफ लाइफ इन इंडिया 84 में से 70th रैंक पर है हंगर इंडेक्स में 107 पर हैपी नेक्स इंडेक्स पर 136 और करप्शन के मामले में 85th यहां पर किसी को शॉक नहीं होना चाहिए था मुझे लगता है शायद थोड़ा और ऊपर भी हो सकती थी तो ये सारी रैंकिंग्स है अगर बड़ी रैंकिंग की बात करें तो एक रैंकिंग में इंडिया काफी ऊपर है तो जिन लोगों के नहीं पता उनके लिए आप प्लीज कमेंट करके बता दीजिए और थोड़े फनी वे में बता देंगे तो सबको इजली समझ में आ जाएगा क्वालिटी ऑफ लाइफ के अलावा एक और रीजन है जिसकी वजह से काफी सारे लोग बाहर जा रहे हैं वो है बच्चों का एजुकेशन आप देखेंगे इंडिया में कई सारे ऐसे मिनिस्टर्स हैं एक दो नहीं कई सारे ऐसे इसलिए मैं एक दो का नाम नहीं ले रहा हूं क्योंकि कई सारे हैं कई सारे आईएस ऑफिसर्स हैं कई सारे बड़े-बड़े पोस्ट पर लोग हैं जिनके बेटे और बेटियां आज भी पढ़ने के लिए बाहर जाती है यानी जो लोग एजुकेशन सिस्टम यहां पर बना रहे हैं उन्हें ही शायद अपने सिस्टम पर भरोसा नहीं और इसका इंपैक्ट ये हो रहा है कि कई सारे जो मिलेनियर हैं वो शुरुआत से अपने बच्चों को अच्छी एजुकेशन देना चाहते हैं तो शुरुआत में ही बाहर कंट्री में जा रहे हैं और एक बार वो बाहर जाते हैं तो पता चलता है कि इंफ्रा बेटर है उस कंट्री में उस कंट्री में सिविक सेंस अच्छा है क्लीनलीनेस अच्छी है फिर वो परमानेंटली वहीं पर रहने लगते हैं बेटर हेल्थ केयर सिस्टम भी एक रीजन है तो ऐसे बहुत सारे छोटे-छोटे रीजन से लेकिन मेन रीजंस चार हैं रेगुलेशन टैक्सेस गोल्डन वीजा और क्वालिटी ऑफ लाइफ और टैक्सेस की बात करें तो इतने सारे टैक्सेस यहां पर लगते हैं कि कई सारे लोग इसे फिर टैक्स टेररिज्म कहने लगे तो क्या आप इन टैक्सेस पर भी अगर आप कोई वीडियो चाहते हैं तो कमेंट करके वो बताइए हम उस पर भी वीडियो बना के डिटेल वीडियो बनाने की कोशिश करेंगे और मुझे लगता है कि दिस इज अ हाई टाइम कि इंडिया के जो सारे लोग हैं उन्हें ये चीजें गवर्नमेंट से एक्सपेक्ट करना शुरू कर देनी चाहिए कि अगर हम इतने सारे टैक्सेस पे कर रहे हैं तो इन चीजों की भी हम धीरे-धीरे डिमांड करें ऑफकोर्स काफी सारे रिफॉर्म्स चल रहे हैं लेकिन वो और तेजी से होने की जरूरत है तो जब भी इलेक्शंस होते हैं या फिर इलेक्शन के बाद भी इन पॉइंट्स को उठाना बहुत जरूरी है जब हम इन रियल प्रॉब्लम्स को सामने रखेंगे विदाउट हैविंग एनी पॉलिटिकल ओपिनियन इन योर माइंड तो हमें जरूरत है कि इन सारी चीजों को हमें प्रेजेंट करने की विदाउट हैविंग एनी पॉलिटिकल एजेंडा और अगर इस तरह की रिक्वायरमेंट सभी की होती है सभी लोग डेवलपमेंट्स के नाम पर वोट करने लगेंगे तो चीजें जरूर बदलेगी क्योंकि एक बड़ा प्रॉब्लम यह भी है कि आजकल डेवलपमेंट के नाम पर कोई वोट नहीं करता है वोट करता है कास्ट या बाकी चीजों के नाम पर जिसकी वजह से भी कई सारे पॉलिटिशियन वो डेवलपमेंट पर नजर नहीं देते हैं तो इन चीजों की हमें अपने से शुरुआत करनी चाहिए और इन चीजों की डिमांड भी करनी चाहिए तो जाने से पहले हमारे फाइनेंशियल मॉडलिंग एंड वैल्युएशन मेंटरशिप को जरूर अप्लाई करें लिंक नीचे दी गई है साथ ही आपको बता दूं कि 27 जुलाई को मैं गोवा जा रहा हूं जहां पर एक इवेंट है जिसका नाम है ट्रेडर्स ला व्हिच इज ऑर्गेनाइज बाय फिन ग्राइल तो वहां पर मैं भी एज अ स्पीकर जाने वाला हूं वहां पर मैं मेनली इन्वेस्टिंग की बात करने वाला हूं लेकिन ये जो इवेंट है ये मेनली ट्रेडर्स के लिए है तो अगर आप ट्रेडर हैं और इन चीजों में इंटरेस्ट रखते हैं तो यहां पर काफी सारे इंटरेस्टिंग लोगों से आपको मिलने मिलेगा साथ ही उनसे काफी कुछ सीखने मिले मिलेगा तो उसकी भी लिंक हमने नीचे डिस्क्रिप्शन में डाल दिए हैं तो उसे भी आप जरूर चेक आउट कीजिए और आज जाते-जाते ये बता देता हूं कि इस वीडियो का कोई एजेंडा नहीं है किसी के खिलाफ ये बस रियल प्रॉब्लम्स है जिसकी वजह से मिलियनर्स जा रहे हैं जो हमने अपने रिसर्च में पाया और वही चीजें हमने आपको बताई है तो आप भी अपना ओपिनियन जरूर बताइए कि इन चीजों को इंडिया में कैसे ला सकते हैं इंडिया में रह के हम इंडिया को कैसे बेटर कर सकते हैं तो मिलते हैं अगले वीडियो में थैंक यू सो मच फॉर वाचिंग दिस वीडियो अभी तक अगर आपने चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो इसी तरह के फाइनेंस से रिलेटेड वीडियोस के लिए चैनल को जरूर सब्सक्राइब कीजिए और फाइनेंस में अगर आपका सीरियस इंटरेस्ट है तो बेल आइकॉन पर भी जरूर क्लिक कीजिए मिलते हैं अगले वीडियो में थैंक यू सो मच फॉर वाचिंग दिस वीडियो