[संगीत] लाला करोड़ी मल ने सारे गांव वालों को दावत पर बुलाया जब उनके घर एक तंदुरुस्त बालक का जन्म हुआ एक दिन लाला जी की पत्नी ने लाला जी से पूछा सुनिए जी लल्ला का नाम क्या रखना है नाम तो इसका बलवान रखेंगे यह दिखता ही बलवान है ठीक है जी अब से यह मेरा बलवान लल्ला है तो अब शुरू हुई बलवान लल्ला की खातिरदारी का सिलसिला बलवान को जरूरत से ज्यादा खाना मिला करता उसके लिए अलग-अलग पकवान भी बनाए जाते देखते ही देखते बलवान एक गोल मटोल बेटू बन गया था बलवान बहुत ही आलसी था वो दिन भर सिर्फ खाना खाया करता पर फिर भी उसकी मां उसे और खाना खिलाया करती हाय रे मेरा लाडला कितना दुबला हो गया है खा ले थोड़ा और खा ले यह भी खा माता-पिता के इस लाड़ प्यार से बलवान और भी मोटा होते जा रहा था अब बलवान ने मोटापे के कारण चलना फिरना छोड़ दिया था वो मुश्किल से चार कदम ही चल पाता था मोटापे के कारण उसकी तबीयत खराब रहने लगी थी चिंतित लाला करोड़ीमल ने डॉक्टरों को बुलाया डॉक्टरों ने उसे कई दवाइयां दी बलवान ने एक महीने तक दवाइयां खाई और साथ ही जरूरत से ज्यादा खाना भी हाय रे मेरा लल्ला बीमारी के मारे कुछ खा ही नहीं पा रहा है दवाइयां खाते हुए एक महीना बीत गया पर फिर भी बलवान की तबीयत में कोई सुधार नहीं था एक दिन लाला जी के यहां दूर गांव से एक वैद जी आए उन्होंने लाला जी से बात की लाला जी आप दिन भर बच्चे से मेहनत तो नहीं करवाते हैं नहीं नहीं बिल्कुल नहीं काम धाम करने के लिए तो मैंने नौकर चाकर रखे हैं मेरा लल्ला तो बस आराम करता है मुझे इसकी बीमारी की दवा मिल गई तो बताइए वैद जी इस बीमारी की दवा आपके ही गांव में है हमारे गांव में हां आपके गांव के बाहर पहाड़ी के ऊपर एक जादुई पीपल का पेड़ है जादुई पीपल का पेड़ पर गांव में तो किसी को भी नहीं पता हां आपके लल्ला को यही जादुई पेड़ ठीक कर सकता है वो कैसे कल से बलवान को रोज सवेरे बिना कुछ खाए उस जादुई पीपल के पेड़ को छूना होगा और आप उसे शाम को 7 बजे के बाद कुछ खाने को नहीं देना ठीक है वैद जी अगले दिन से वैद का आदेश अमल में लाया गया बलवान को पहाड़ी तक चलने में बहुत तकलीफ होती थी यह कैसा इलाज दे दिया वैद जी ने इससे तो मेरी जान ही निकल जाएगी और जब घड़ी में सात बज चुके होते थे तो बलवान को खाना भी नहीं मिलता मां मां मुझे कुछ खाने को दे दो बहुत भूख लगी है नहीं लला तुम नहीं खा सकते वैद जी बोल गए हैं कि तुम्हें 7:00 बजे के बाद खाना नहीं देना है अगले दिन [संगीत] सुबह काश यह जादुई पेड़ एक पहाड़ी पर ना होता दिन बीतते गए और धीरे धीरे धीरे बलवान का वजन घट रहा था और उसकी तबीयत भी ठीक हो रही थी और अब बलवान रतीलाल वान को पहले जैसी थकान नहीं होती थी लगभग तीन हफ्तों बाद बलवान जादुई पेड़ तक दौड़ के पहुंचने लग गया था अपने बेटे को तंदुरुस्त और खुश देख माता-पिता बहुत खुश थे एक महीना बीत चुका था और अब वैद जी बलवान को देखने आए बहुत खूब बलवान तुम्हारी तो काया ही बदल गई हां वैद जी आप सही थे जादुई पेड़ ने मेरी तबीयत एकदम ठीक कर दी बलवान बेटा उस पहाड़ी के ऊपर वाले पीपल के पेड़ में कोई जादू नहीं है जादू तुम में है मुझ में हां तुम में तुम्हारी तबीयत सिर्फ तुम्हारी वजह से ठीक हुई है मैं समझी नहीं बलवान की तबीयत बेहतर हुई है क्योंकि उसका वजन घटा है सेठानी जी आपके जरूरत से ज्यादा लाड़ ने बलवान को मोटा और आलसी बना दिया था रोज पीपल के पेड़ तक चलने से उसका वजन कम हुआ और उसकी वजह से वह फुर्तीला हो गया तो यह बात थी वैद जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया आपने मेरे बेटे को और हम सबको अपनी सेहत का ख्याल रखने की एक बहुमूल्य सीख दी है यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें अपने शरीर पर ध्यान देना चाहिए और जरूरत से ज्यादा खाना हमारे लिए जहर भी साबित हो सकता [संगीत] है चलो शानी साशा थोड़ा जल्दी करो दादा जी आप तो गजल की तरह दौड़ते हैं दादा जी हम आपकी तरह नहीं भाग सकते ठीक है तो चलो उस बेंच पर बैठते हैं आप इतने स्वस्थ और फिट कैसे हैं दादा जी क्या आप कोई जादुई दवाई लेते हैं हां मैं एक जादुई दवाई लेता हूं जानना चाहोगे मैं तुम्हें कहानी सुनाकर यह बताऊंगा ये कहानी सु सुनेंगे [संगीत] एक बार एक औरत थी उसकी शादी एक अमीर आदमी से हुई थी उसकी जिंदगी में हर तरह का ऐशो आराम था और बहुत से नौकर जो उसके लिए खाना लाते थे उसे घर से बाहर जाने की जरूरत पड़ती ही नहीं थी सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था पर एक दिन वह औरत बीमार पड़ गई उसके पति ने भी हर कोशिश की उसने बहुत से डॉक्टर्स को भी बुलाया पर कोई फायदा नहीं हुआ एक दिन उस अमीर आदमी ने एक ज्ञानी इंसान को पश्चिम दिशा से बुलाया आपकी पत्नी को हुआ क्या है सर यह आप मुझे बताइए अभी तक कोई कुछ नहीं बता पाया [संगीत] है अच्छा तो बताइए सर क्या परेशानी है बताइए मुझे क्या आपकी पत्नी को काम करना पड़ता है बिल्कुल नहीं सर भगवान की दया से हमारे पास सब कुछ है उसे कप उठाने की भी जरूरत नहीं उसे तो बेड पर ही सब कुछ मिल जाता है क्या कोई बड़ी परेशानी है नहीं कोई बड़ी परेशानी नहीं बल्कि इसका हल तो आपके घर के बाहर ही है सच में पर क्या वो आम का पेड़ देखिए उन्हें बस इतना करना है वहां जाना है पेड़ को छूना है और वापस आना है सच में बस इतना सा काम हां वो जादुई पेड़ है आप देखते जाइए उन्हें तीन हफ्तों तक सुबह सूरज उ ने से पहले जाना है ऐसा कीजिए और देखिएगा तो तुम बताओ तुम्हारा क्या ख्याल है मैं करूंगी ठीक है सर हम आम के पेड़ वाली तरकीब करेंगे चलना कितना मुश्किल होता है पहुंच गए शुक्र है वा वा ताजी हवा चल रही है और पक्षियों की कितनी अच्छी आवाज आ रही है इस तरह वो औरत आम के पेड़ को छूने के लिए हर दिन तीन हफ्ते तक लगातार जाती थी हर रोज उसे अच्छा महसूस होता तीन हफ्ते खत्म होने के बाद वह भागकर पेड़ तक पहुंच जाती आपने तो चमत्कार कर दिया वो पेड़ सच में जादुई है आप समझे नहीं सर वो पेड़ जादुई नहीं है यह एक्सरसाइज का जादू है आपकी पत्नी को बस इसकी जरूरत थी तो वो जादुई दवाई कौन सी है बताओ एक्सरसाइज बिल्कुल रोज एक्सरसाइज करो और तुम मेरी तरह फिट रहोगे मेरे बच्चों एक समय की बात है रमेश और सुरेश दोनों बहुत ही अच्छे दोस्त थे वो दोनों साथ में लाला के खेत में काम किया करते थे दोनों दिन भर बड़ी मेहनत करते और शाम होते ही लाला उन दोनों को कुछ पैसे देता फिर वह दोनों साथ में घर के लिए निकल पड़ते यह उनकी रोज की दिनचर्या थी दोनों की आर्थिक परिस्थिति खराब थी एक दिन की बात है दोनों दोस्त खाना खाने बैठे थे क्या हुआ भाई आज तुम इतने चिंतित हो क्या बताऊं रमेश भाई वही बीवी की रोज की किट किट तंग आ गया हूं जिंदगी से भाई इसमें भाभी की क्या गलती हमारे हालात ही ऐसे हैं अगर एक दिन हम ना कमाएं तो घर में खाने को कुछ भी नहीं होगा काश हम शहर जाकर काम कर सकते क्या शहर में हमें मेहनत के अच्छे पैसे मिल जाएंगे हां हमारा व पड़ोसी था ना नंदन वो शहर गया था और दो महीने में उसने इतने पैसे कमा लिए कि उसने अपना नया घर बनवा लिया भाई यह तो बहुत अच्छा है क्यों ना हम भी शहर जाएं और बहुत सारे पैसे कमाएं विचार तो बहुत अच्छा है मैं अपनी पत्नी को बताता हूं और फिर निकल पड़ते हैं सुरेश अपने घर पहुंचा विमला तुम्हें पता है आज मैंने और रमेश ने एक निर्णय लिया है कौन सा निर्णय शहर जाके काम करने का सच्ची इसका मतलब बहुत जल्द हम भी अमीर होंगे हमारे पास भी बहुत सारे पैसे होंगे गहने होंगे अरे वाह अरे अरेरेरे रुको थोड़ा सबर रखो अब तक तो हम गए भी नहीं और तुम पहले ही शेख ही बगा रही हो सुरेश की पत्नी बहुत ही खुश थी और कुछ ही दिनों में रमेश और सुरेश दोनों शहर के लिए निकल पड़े दोनों शहर पहुंचे और यहां इन्हें जो काम मिलता वह कर लेते दोनों खुश थे क्योंकि उन्हें शहर में ज्यादा पैसे मिल रहे थे देखते देख देखते एक महीना बीत गया मुझे गांव की बहुत याद आ रही है भी अब तक हमने बहुत सारे पैसे कमा लिए होंगे ना हां तो चलो हम गांव वापस चलते हैं हां दोनों गांव के बाहर पहुंचे आखिर एक महीने बाद हम गांव वापस आए हैं कितना अच्छा लग रहा है ना हां भाई लेकिन मुझे एक चिंता सता रही है कौन सी चिंता यही कि कहीं मैं यह सारे पैसे एक महीने में खर्च ना कर दूं हां भाई यह तो बिल्कुल संभव है तो हम एक काम करते हैं यहां यह जो पेड़ है इसमें हमारी आधी कमाई रख देते हैं और एक महीने बाद आके इसे निकाल लेंगे हां यह तो अच्छा सुझाव है दोनों ने अपनी अपनी पोटली में से कुछ पैसे अपने पास रख लिए और बाकी के बचे हुए पैसे पेड़ के तने में छिपा दिया दोनों गांव पहुंचे और खुशी से जीने लगे अब 15 दिन हो चुके थे और सुरेश अपनी पत्नी विमला के साथ बैठा था आप जितने पैसे लाए ना उसमें तो मैं एक हार भी नहीं खरीद पाई किसने कहा मैंने सिर्फ इतने ही पैसे कमाए हैं तो रमेश और मैंने ने अपने आधे पैसे छिपा दिए थे लेकिन क्यों क्योंकि हमें लगता था कि हमसे सारे पैसे जल्दी ही खर्च हो जाएंगे अच्छा तो इसका मतलब रमेश भैया के पैसे भी वही होंगे मतलब दुगुने पैसे सुरेश रात के अंधेरे में उसी पेड़ के पास गया और उसने दोनों पोटलिया निकाल ली अब एक महीना हो चुका था और दोनों पेड़ के पास पहुंचे पहले रमेश ने पेड़ के तने में हाथ डाला भाई यहां तो पोटली नहीं है क्या मुझे देखने दो और अब सुरेश ने पेड़ के तने में हाथ डाला नहीं है जरूर तुमने ही मेरे पैसे चुराए होंगे नहीं नहीं भाई मैंने चोरी नहीं की तुमने चोरी की या नहीं इसका फैसला अब पंच यत ही करेगा रमेश और सुरेश अब पंचायत के पास पहुंचे एक महीने पहले जब हम शहर से लौटे थे तो हमने अपनी आधी कमाई एक पेड़ में छिपाई थी और अब जब हम वहां गए तो वह वहां नहीं है यह बात सिर्फ मुझे और रमेश को पता थी और मुझे लगता है इसने ही चोरी की है नहीं सरपंच जी मैंने चोरी नहीं की है हो सकता है इसी ने की है ये तो गंभीर समस्या है अब इसका फैसला कैसे करें मेरे पास एक साक्षी भी है साक्षी पर कौन खुद पेड़ में वास करने वाली देवी जिस पेड़ में हमने पोटली रखी थी उस पेड़ में एक देवी रहती है हम उनसे ही जाकर पूछते हैं ठीक है चलो सभी लोग पेड़ के पास वापस पहुंचे हे देवी आप ही बताइए कि आपके पास रखे हुए पैसों की पोटली किसने चोरी की कुछ दिनों पहले आधी रात को रमेश ने ही वो पैसों की पोटली चुरा ली क्या तुम झूठ बोल रही हो अभी तुम्हें सबक सिखाता हूं रमेश ने पास पड़ी हुई आग उठाई और पेड़ को आग लगा दी अरे बचाओ बचाओ बचाओ मुझे बचाओ वहां खड़े लोगों ने विमला को पेड़ से बाहर निकाला और उसकी जान बचाई तो यह थी पेड़ में वास करने वाली देवी मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी दोस्त ऐसा बोल रमेश वहां से चला गया और सुरेश और विमला दोनों रोने लगे