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क्लाइमेट इमरजेंसी में इंडिया

इंडिया एक क्लाइमेट इमरजेंसी में है यह है राधिका गोविंद राजन का पोस्ट जहां वह कहती है कि दिल्ली में इतनी गर्मी है कि चमगादड़ भी पेड़ों से गिर रहे हैं अब इमेजिन करो कि इंसानों के साथ क्या हो रहा है यह हैं कृष्णा जी जो अपने करीब 60 साल के पति कृष्णकांत अवस्ती की फोटो दिखा रही है 31 मई को उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर में उनके पति काम के लिए डीएम के ऑफिस गए थे 15 किमी साइकिल करने के बाद जब 9 घंटे की शिफ्ट करने के बाद वो घर पर आए तो उन्होंने खाना खाया और सो गए पर वो नींद से कभी उठे नहीं उसी रात 17 गवर्नमेंट एंप्लॉयज की भी मौत हुई मिर्जापुर में और पास के सोन भद्रा इलाके में कारण क्या था गर्मी गर्मी की वजह से 17 गवर्नमेंट एंप्लॉयज की मौत हो गई दुनिया में शायद कहीं और ऐसा होता तो एक बवाल मच जाता पर हमारे देश में आपको इस बात की भनक भी नहीं लगी होगी इसकी बजाय गवर्नमेंट के मिनिस्टर सूडो साइंस प्रमोट कर रहे हैं जब ज्योति रादित्य सिंध्या से हीट वेव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्याज पॉकेट में रखो कुछ नहीं होगा कचिंग हॉट द टेंपरेचर्स आर यू थ द वोटर्स टन आ यू मस्ट लवेज रिमेंबर मसमी यू डोंट हैव टू वरी अबाउट हीट ए लग ए यू हैव दिस अगर ऐसा ही है तो पूरे देश में एक स्टार्ट कर दो गवर्नमेंट प्रोग्राम जहां प्याज बटे पूरे देश में क्या दुनिया को बताना चाहिए हमें कि इंडिया के पास एक क्लाइमेट चेंज का सलूशन है अब थैंकफूली 2014 से प्राइम मिनिस्टर मोदी के तो व्यूज बदले हैं क्लाइमेट चेंज पर 70 80 85 90 साल के लोग तो सर्दियों में आप देखेंगे तो अक्सर कहते हैं कि पिछली बार से इस बार सर्दी ज्यादा है एक्चुअली सर्दी ज्यादा नहीं है उनकी उम्र बढ़ने के कारण उनकी सहने की शक्ति कम हो गई है वैसे ही यह क्लाइमेट चेंज नहीं हुआ है हम चेंज हो गए हैं पर हमारे लिए और भी काम करना बाकी है हमारे देश ने इस साल एक डेडली हीट वेव सहन करी है दिल्ली एनसीआर इलाकों में सिचुएशन इतनी खराब है कि लोगों के एसीज और गाड़ियों में आग लगने लग गई जो पानी भी निकल रहा है नल से वो भी मानो जल ही रहा है सरकारी अस्पताल ये इमरजेंसी से लड़ नहीं पा रहे इस वजह से वो इन्फ्लेटेड टबस और आइस मेकिंग मशीनस यूज कर रहे हैं पेशेंट्स को ट्रीट करने के लिए दिल्ली के राम मनोहर हॉस्पिटल के डॉक्टर वेंकट ने कहा कि हम बस सेमी कॉन्शियस पेशेंट्स को इस टब में डालते हैं अगर पेशेंट अनकॉन्शियस होता है तो हम उनको बेड पर रखते हैं जहां हम उन पर आइस क्यूब्स लगाते हैं इंडिया अभी एक क्लाइमेट इमरजेंसी में है और यह मत समझना कि बस दिल्ली ही एक इमरजेंसी में है और अगर कुछ दिन बाद बारिश हो गई तो सिचुएशन ठीक हो जाएगी दिल्ली के साथ-साथ पूरा देश एक इमरजेंसी सिचुएशन में है अगर दिल्ली के इलाके में गर्मी का कहर है तो कोस्टल इलाकों में बाढ़ आ रही है माउंटेंस में लैंडस्लाइड और वेस्टर्न इंडिया में नॉर्मल जमीन बंजर बन रही है इस क्लाइमेट चेंज का सबसे नेगेटिव इंपैक्ट गरीब लोगों पर देखा जाएगा पर एक सवाल पूछने की बात है कि हमारी सरकार से कोई रिस्पांस क्यों नहीं आया क्लाइमेट चेंज के खिलाफ इलेक्शंस की पोलिंग के लास्ट दिन पर उत्तर प्रदेश के करीब 33 इलेक्टोरल ऑफिशल्स की मौत हो गई हीट स्ट्रोक की वजह से और सरकार से कुछ चू भी नहीं निकली प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी विक्ट्री स्वीच में कई इलेक्टोरल ऑफिश को थैंक तो किया पर इसके बारे में कभी जिक्र नहीं किया गुजरात में डायरेक्टर ऑफ इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ डॉट दिलीप ने कहा कि शॉकिंग है कि गवर्नमेंट ऑफिशल्स खुद इलेक्शन ड्यूटी के दौरान मारे गए अगर हम अपने स्टाफ को ही नहीं बचा सकते तो रेगुलर सिटीजंस का क्या होगा अब आप में से कई लोग मानोगे नहीं कि हम क्लाइमेट इमरजेंसी में क्योंकि ना तो कोई दंगे चल रहे हैं और ना कोई हिंदू मुस्लिम की स्पीस दी जा रही है पर मैं आपको तीन एग्जांपल देना चाहता हूं ये प्रूफ करने के लिए कि हम एक इमरजेंसी में हैं और आपको क्या कदम उठाने पड़ेंगे आपने तो खबर पढ़ी होगी कि नॉर्थ इंडिया के कई इलाकों में 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंच गया था राजस्थान में कई बीएसएफ जवान स इस गर्मी के चलते पापड़ और अंडे उबाल रहे थे बीकानेर में 2021 में एक स्टडी ने दिखाया था कि क्लाइमेट चेंज की वजह से अप्रैल और म के महीनों में हीट वेव्स की संभावना नॉर्थ इंडिया में 100 गुना बढ़ गई है जैसे हीट वेव्स और दूसरी एक्सट्रीम वेदर कंडीशंस और फ्रीक्वेंसी और भी जरूरी हो रहा है बढ़ती गर्मी से डिहाइड्रेशन हीट एग्जॉशन और हीट स्ट्रोक जैसी सीरियस कंडीशंस भी हो सकती हैं और ऐसे चैलेंजिंग टाइम्स में हेल्थ इंश्योरेंस होना बहुत ही जरूरी है स्पेशली क्योंकि मेडिकल इंफ्लेशन 14 पर तक पहुंच गई है और 70 पर इंडियंस के पास कोई भी मेडिकल इंश्योरेंस नहीं होता तो कोई भी सीरियस हेल्थ कंडीशन की वजह से एक फाइनेंशियल रिस्क पहुंच सकता है आपको अब कोई भी हेल्थ इंश्योरेंस एक मेडिकल इमरजेंसी को प्रिवेंट तो नहीं कर सकता पर कम से कम आपको पीस ऑफ माइंड दे सकता है कि फाइनेंशियलीईएक्सप्रेस प्रोटेक्टेड रहोगे और स्टार हेल्थ इंश्योरेंस इसी चीज में बहुत अच्छा है क्योंकि वो मेडिकल इमरजेंसीज को समझते हैं 14000 हॉस्पिटल के नेटवर्क और 247 सपोर्ट के साथ वो ये इंश्योर करते हैं कि आपको मदद मिलती रहे और आपको कॉस्ट के बारे में चिंता ना करनी पड़े इंसेप्शन के बाद उन्होंने 1 करोड़ से ज्यादा क्लेम सेटल करें चाहे रूटीन चेकअप हो या इमरजेंसी ट्रीटमेंट स्टार हेल्थ इंश्योरेंस के साथ आपको कहीं भी कैशलेस ट्रीटमेंट मिल जाएगी तो स्टार हेल्थ इंश्योरेंस है आप अपने आप को और अपनी फैमिली को प्रोटेक्टेड रख सकते हो परफेक्ट प्लान ढूंढने के लिए डिस्क्रिप्शन में लिंक है उधर जा सकते हो आप अब आते हैं वीडियो पर वापस पंजाब हरियाणा दिल्ली उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश बिहार और राजस्थान में कई जगह मैक्सिमम टेंपरेचर मानो हर दिन 44 से 46 डि के बीच में था बेंगलुरु जैसे शहर जो माने जाते थे अपने अच्छे वेदर के लिए उधर भी टेंपरेचर रिकॉर्ड पार हो गए आईएमडी डटा के हिसाब से बेंगलुरु में एवरेज टेंपरेचर मे में 33 से 35 डिग्री सेल्सियस रहता था जबकि इस साल उधर टेंपरेचर 42° सेल्सियस पहुंच गया आसाम में जहां लोग एसीज नहीं खरीदते थे आज हालत इतनी बुरी हो गई कि आसाम की टी प्रोडक्शन गिर गई है इस हाई टेंपरेचर के चलते अब इस हाई टेंपरेचर के पीछे एक कारण है एलनीनो एलनीनो बेसिकली एक क्लाइमेट पैटर्न है जो इंडिया में मानसून के दौरान बारिश को रोक देता है इस एनोई के चलते जो प्री मानसून शॉवर्स होते हैं यानी कि मानसून से पहले जो बारिश होती है वो इतनी डिले हुई है इंडिया में वर्ल्ड मीटरोलॉजी ऑर्गेनाइजेशन के हिसाब से से 2023 और 24 में जो एल नियो का इंपैक्ट हुआ है वो ऑन द रिकॉर्ड वन ऑफ द फाइव स्ट्रांगेस्ट है यह आप इस मैप से भी देख ही सकते हो यह मैप दिखा रहा है कि लॉन्ग टर्म एवरेज के मुकाबले मैक्सिमम टेंपरेचर कितना ज्यादा रहा है इस गर्मी में और आप देख सकते हो कि नॉर्थ इंडिया का इलाका कितना ज्यादा रेड है कुछ इलाकों में तो इस साल मैक्सिमम टेंपरेचर एवरेज से 5 से 75 डिग्री ज्यादा रहा है पर इस गर्मी के पीछे मैन मेड कारण भी है एक कारण है ग्लोबल वार्मिंग का कई ह्यूमन एक्टिविटीज चाहे वो फॉसिल फ्यूल्स को बर्न करना हो या फिर पेड़ों को काटना हो उसकी वजह से ग्रीन हाउस गैसेस की क्वांटिटी बहुत बढ़ गई है इसकी वजह से इंडिया में टेंपरेचर्स बढ़ गए फिर हमें अर्बन प्लानिंग पर भी दोष डालना होगा जैसे इस फोटो को देखो लेफ्ट में है दिल्ली का सैनिक फार्म और राइट में है संगम विहार गेस करो कि इन दोनों इलाकों में से कौन सा ज्यादा अमीर है ओबवियसली सैनिक फार्म और अब गेस करो कि इन दोनों इलाकों में से तापमान कहां ज्यादा है सैनिक फार्म कि संगम वियर संगम वियर क्योंकि उधर पेड़ नहीं है यह होता है एक अर्बन आइलैंड इफेक्ट की वजह से जहा हमने शहरों को कंक्रीट जंगल बना दिया है जिसकी वजह से जो हीट होती है वह एक शहर में ट्रैप हो जाती है और क्लियर इस हीट का सबसे ज्यादा असर किसको होगा वह लोग जो संगम विहार जैसे इलाके में रह रहे हैं और जिनके पास इतना पैसा नहीं है सैनिक फार्म में घर लेने का मुंबई के मरीन ड्राइव में भी एक नई रोड तो बनाई गई है पर पेड़ों को काटकर तो लोग अब मरीन ड्राइव पर चल तो सकते हैं पर धूप से नहीं बच सकते अनलेस उनकी पॉकेट में एक प्याज है यू डोंट हैव टू वरी अबाउट ट ल य हैव प्याज पॉकेट में रखो कुछ नहीं होने वाला सही है कि नहीं अब जहा दिल्ली में लोग गर्मी से मर रहे हैं करीब 2000 किलोमीटर दूर हमारे देश में लोग प्रार्थना कर रहे हैं कि बारिश रुक जाए आसाम के कुछ इला में बारिश इतनी भारी हो गई है कि कई जगह बाढ़ आ गई है 18 जून को भारी बारिश की वजह से एक लैंड स्लाइड भी हो गई जहां छह लोग मारे गए सिजू दास जो एक स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट ऑफिशियल है उन्होंने कहा कि लैंडस्लाइड की वजह से एक महिला और उनकी तीन बेटियां मानो जिंदा दफना दी गई कोपली नदी की डेंजरस लेवल्स की वजह से करीब ढ लाख लोग इफेक्टेड हो गए और यह आसाम में एक महीने के अंदर दूसरा बाढ़ है पहला बाढ़ आया था एंड म में जब इंडिया में साइक्लोन रेमल आया था रेमल तूफान पूर्व उत्तर में जमप कर तबाही मचा रहा है तूफान की वजह से पूर्वोत्तर में करीब 33 लोगों की मौत हो गई है अकेले मिजोरम में 28 लोगों की जान गई है काउंसिल ऑफ एनर्जी एनवायरमेंट एंड वाटर की 2020 की स्टडी ने दिखाया कि 2005 से नंबर ऑफ डिस्ट्रिक्ट्स जो हर साल एक साइक्लोन से इफेक्ट होते हैं वो तीन गुना हो गए हैं और साइक्लोन की जो फ्रीक्वेंसी है वो भी डबल हो गई है जहां एक जमाने में साइक्लोंस मानसून के बाद आते थे अब साइक्लोंस मानसून से पहले आने लग गए हैं और स्टडी ने दिखाया कि मेन कारण इसके पीछे था क्लाइमेट चेंज और याद रखना कि साइक्लोन बस आसाम या फिर उड़ीसा की प्रॉब्लम नहीं है मे 2021 में यानी कि जब गर्मी की पीक थी तब मुंबई में इसका इंपैक्ट देखने को मिला था समुंदर में तूफान आ रहा है इसलिए आप सभी से निवेदन किया जाता है कि आने वाले चार पांच दिनों तक कोई मवारा समुंदर में मजली पकड़ने नहीं जाएगा अरब सागर में दबाव का क्षेत्र बनाने से पैदा हुए चक्रवाती तूफान तक्ते के आज शाम 5:00 बजे के करीब मुंबई के तट से टकराने की आशंका जताई जा रही है अब टिपिकली साइक्लोन बे ऑफ बंगाल में ही फॉर्म होते थे अरेबियन सी में नहीं पर एक 2021 की स्टडी ने दिखाया कि अरेबियन सी में 2001 और 2019 के बीच साइक्लोंस की फ्रीक्वेंसी 52 पर तक बढ़ गई है इसी वजह से 2021 में मुंबई में साइक्लोन तोकापाल कई मछुआरों के घरों पर देखा गया और 12 महीनों में यह दूसरा साइक्लोन था जो मुंबई में देखा गया था तो प्लीज यह मत समझना कि आपका शहर या फिर आपका इलाका सेफ है क्लाइमेट चेंज से अब आप में से कई लोग यह पूछोगे कि अगर यह इतना इमरजेंसी मुद्दा है तो ये क्लाइमेट चेंज एक पॉलिटिकल मुद्दा क्यों नहीं बनाया अभी तक वोटर्स इसके बेसिस पर क्यों नहीं वोट कर रहे पॉलिटिशियन इसके बारे में क्यों बात नहीं कर रहे और इसके बारे में भी रिसर्च हुई है और मेन कारण है अंधभक्ति अरे बाप रेखा हम देखिए सर हम उनका प्रतारक है प्रधानमंत्री के 10000 वोट का मालिक है मैं सर हम उनके लते बैठे हैं चुपचाप रहो बहुत खराब औरत हूं भाई ध्यान रख लेना हां रिसर्च जो हुई है इसके बारे में वो बहुत ही इंटरेस्टिंग है जो रिसर्चस है वो बस एक सवाल का जवाब ढूंढना चाहते हैं दिल्ली में एयर पोल्यूशन की सिचुएशन बहुत ही बेकार है ऑन एवरेज इंडिया में एयर पोल्यूशन की वजह से एक एवरेज आदमी की जिंदगी 5 साल से कम हो जाती है पर दिल्ली में ये नंबर 12 है तो आप 12 साल कम जी रहे हैं अगर आप दिल्ली के शहर में रहते हैं पर इसके बावजूद ना स्टेट इलेक्शंस ना जनरल इलेक्शंस ना म्यूनिसिपल इलेक्शंस में एयर पोल्यूशन की बात होती है बस एक दो महीना बात होती है जब दिवाली का महीना आता है उसके बाद लोग भूल जाते हैं रिसर्चस ने कई थ्योरी टेस्ट करी और एक थ्योरी जो सही निकली वो थी अं भक्ति लोग अपने पॉलिटिशियन और पॉलिटिकल लीडर्स के इतने अन भक्त बन गए हैं कि वह उनसे सवाल ही नहीं पूछना चाहते एयर पोल्यूशन के बारे में मैं आपको एगजैक्टली बताता हूं कि पेपर में लिखा क्या गया है अंग्रेजी में लिखा गया है कि वी फाइंड दैट सिटीजन सिलेक्टिवली एटिबल ब्लेम फॉर एयर पोल्यूशन एंड आर सिग्निफिकेंट लेस विलिंग टू होल्ड देर पार्टी रिस्पांसिबल कंपेयर टू द राइवल पार्टी अगर हिंदी में बोलूं तो एयर पोल्यूशन के मामले में वह अपनी पार्टी पर दोष नहीं डालेंगे बल्कि दूसरी पार्टी पर डालेंगे तो कांग्रेचुलेशन आपको जिसकी वजह से आप अंबग बन गए हैं और एयर पोल्यूशन कोई इलेक्टोरल मुद्दा ही नहीं है आपके शहर में एक ऐसे शहर में जहां एक एवरेज रेसिडेंट 12 साल खो रहा है अपनी जिंदगी के जहां चीफ मिनिस्टर और प्राइम मिनिस्टर उसी शहर में रहते हैं पर अंध भक्ति की वजह से य ये पॉलिटिकल मुद्दा नहीं है तो कांग्रेचुलेशन पर थैंकफूली इन रिसर्चस ने एक सलूशन के बारे में भी बात करी जो एयर पोल्यूशन पर भी अप्लाई करता है और क्लाइमेट चेंज पर भी उन्होंने कहा कि अगर आप दिल्ली के रेजिडेंट को बोलोगे कि क्लाइमेट चेंज की वजह से बेंगलुरु में बाढ़ है तो उनको घंटा फर्क नहीं पड़ता उल्टा हमें अपने कम्युनिकेशन में चीजों को पर्सनलाइज करना होगा ताकि लोगों को पता चले कि उनकी पर्सनल जिंदगी पर इंपैक्ट हो रहा है क्लाइमेट चेंज का तो अब मैं वही करने की कोशिश करता हूं आपको यह समझाने के लिए कि क्लाइमेट चेंज का पर्सनल इंपैक्ट क्या है यह है रुक्मिणी कामले एक किसान जो महाराष्ट्र के कोल्हापुर इलाके में कई साल से काम कर रही हैं जब वह एक गन्ने के खेत में काम कर रही थी तो गर्मी में काम करते-करते वह बेहोश हो गई मुझे पता चल गया था कि कुछ ना कुछ गलत तो है मानो सब धुंधला हो गया और हर 10 दिन के अंदर तपती धूप की वजह से मैं बेहोश हो जाती हूं मैंने जिंदगी भर खेतों में ही काम किया है पर ऐसी चीजें मेरे साथ कभी हुई नहीं यह सिचुएशन बस रुक्मिणी की नहीं है आसपास अगर अपने दोस्त और परिवार में आप पूछने की कोशिश करोगे ऐसी सिचुएशन से कई लोग गुजर रहे हैं ह्यूमन बॉडी का जो स्वेटिंग का तरीका होता है यानी कि पसीने का तरीका होता है उससे हमारी बॉडी ठंडी रहती है पर उसकी भी एक लिमिट होती है जब ह्यूमिडिटी और टेंपरेचर एक लिमिट को पार कर देता है तो ह्यूमन बॉडी हमारे टेंपरेचर को रेगुलेट नहीं कर पाती अगर यह लिमिट पार हो जाती है तो एक आदमी जो छाया में भी बैठा होगा ना उसको भी कुछ घंटों में एक मल्टीपल ऑर्गन फेलियर हो सकता है इस साल 1 मार्च और 18 जून के बीच हेल्थ मिनिस्ट्री ने 40000 हिचो केसेस और 110 कंफर्म डेथ्स रिपोर्ट करी पर यह तो बस रिपोर्टेड नंबर है जो एक्चुअल डेथ्स है वो रिपोर्टेड से कई ज्यादा है पर सरकार यह मानना नहीं चाहती कि लोग हीट स्ट्रोक से मारे जा रहे हैं और इसके पीछे भी कई कारण हैं ऐसे 30 में और 1 जून के बीच बिहार के जम्मू ई डिस्ट्रिक्ट में कई सरकारी टीचर्स की मौत हो गई हीट स्ट्रोक की वजह से उनमें से एक थे वासी जिनकी हीट स्ट्रोक से मौत हो गई जैसे ही वह अपने स्कूल पहुंचे काम करने के लिए अगर सरकार यह मानने लगई कि वसी जैसे लोग की डेथ हीट स्ट्रोक से हुई है तो उनको उनके परिवार को करीब ₹ लाख देने होंगे और सरकार यह करना नहीं चाहती लोकल एक्टिविस्ट पुष्पराज शास्त्री कहते हैं सरकार यह पैसा देना नहीं चाहती इसलिए सरकारी डॉक्टर्स यूजुअली कह देते हैं कि हार्ट अटैक की वजह से मौत हुई है दूसरा कारण यह है कि कई मेडिकल प्रोफेशनल्स को ये ट्रेनिंग ही नहीं मिली हुई है कि हीट स्ट्रोक के बारे में जानकारी हासिल करना हमारे देश में कितना जरूरी है इसी वजह से जो सही हीट स्टो का इंपैक्ट है वो हमें पता ही नहीं चल रहा है क्योंकि वह गवर्नमेंट रिकॉर्ड ही नहीं कर रही है अब अगर वो सरकार जो 150 साल में पहली सरकार बनी हो जिसने सेंसस ही ना करवाया हो उसके लिए हीट स्ट्रोक डेथ्स छुपाना बहुत ही आसान है पर अनफॉर्चूनेटली बात यह है कि जब तक हम डाटा को सही ढंग से देखेंगे नहीं हम प्रॉब्लम को सॉल्व भी नहीं कर पाएंगे नसेट की एक 2022 की स्टडी ने दिखाया कि 2004 और 2021 के बीच हीट रिलेटेड डेथ्स की संख्या इंडिया में 55 पर तक बढ़ गई है और अन अपॉर्चुनिटी जो फ्यूचर की प्रोजेक्शंस है वो और खराब है हमारे देश की 90 पर पॉपुलेशन हीट वेव से इंपैक्ट हो जाएगी और जहां अभी हीट वेव बस ऑन एवरेज 12 दिन की होती हैं कुछ सालों बाद ये 18 दिन की हो जाएंगी और सबसे बड़ा इंपैक्ट पड़ेगा उन लोगों पर जो संगम विहार जैसे इलाकों में रहते हैं जिनको रोजी रोटी तभी मिलती है जब वो धूप में काम करेंगे जैसे कंस्ट्रक्शन वर्कर हो सिक्योरिटी गार्ड हो ट्रैफिक पुलिसमैन हो या फिर ठेले वाले हो कुछ ही दिन पहले कानपुर के हेड कांस्टेबल की मौत हो गई एक हीट स्ट्रोक की वजह से इस गर्मी की वजह से ही नासिक में गांव वाले एक कुए को मानो खोद रहे हैं पानी के लिए ऐसी हालत हमने देश की राजधानी दिल्ली में देखी आ नहीं रहा टैंकर आती इतनी भीड़ होती है मिलता ही नहीं है बहुत दिक्कत है अब ऐसी गर्मी में लोग कैसे काम कर सकते हैं अनसरप्राइजिंगली कई ई-कॉमर्स कंपनीज चाहे एसी नहीं चल रहे आप इंसानों की तो बात छोड़ो गर्मी की वजह से पावर डिमांड इतनी बढ़ गई है कि देश के पास इतना इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई नहीं है इसकी वजह से लोड शेडिंग हो रही है ऐसा ही हमें दिल्ली एयरपोर्ट में भी देखने को मिला जिसकी वजह से बोर्डिंग और चेक इन फैसिलिटी ही बंद हो गई देश के कई इलाकों में ट्रांसफॉर्मर्स के सामने पंखे लगा दिए गए हैं ताकि कम से कम मशीने तो ना बिगड़े अब मेरे जैसे प्रिविलेज लोग तो गर्मी से लड़ने के लिए एक और एसी लगा देंगे पर कई लोगों के पास यह ऑप्शन नहीं है याद रखना कि प्राइम मिनिस्टर की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसलर की रिपोर्ट के हिसाब से इंडिया में अगर आपको टॉप 10 पर में आना है तो आपकी मंथली इनकम ₹2500000 से आप टॉप 10 पर में आ जाओगे तो उन लोग के बारे में सोचो जिनके पास इतना पैसा ही नहीं है इसी वजह से येल यूनिवर्सिटी की एक स्टडी ने दिखाया कि 33 पर लोगों ने या तो अपना घर बदल दिया या फिर वह अपना घर छोड़ने की सोच रहे हैं वेदर रिलेटेड डिजास्टर्स की वजह से 2050 तक तो 5 करोड़ लोग डिस्प्लेस हो जाएंगे क्लाइमेट चेंज की वजह से आप और मैं तो एसी लगा लेंगे दूसरे लोगों का क्या क्लाइमेट चेंज के बारे में एक और पॉपुलर रिसर्च हुई है कि नेगेटिविटी से कुछ नहीं होता अगर आप बस यह बोलते रहोगे ना कि दुनिया खत्म होने वाली है तो लोग बहुत डिप्रेसो एक्शन नहीं लेते इसलिए एक सलूशन ओरिएंटेड अप्रोच अडॉप्ट करना बहुत ही जरूरी है तो अब इस चीज के सॉल्यूशंस क्या है पहली चीज है अनोले करना कि एक प्रॉब्लम है अब जब तक हमारे पॉलिटिशियन बोलते रहेंगे कि हीट स्ट्रोक से मत डरो पॉकेट में बस प्याज लगा के घूमो तो उससे कुछ नहीं होने वाला यू डोंट हैव टू वरी अबाउट हीट एज लग एज यू हैव दिस हमें दूसरों को और हमारे पॉलिटिशियन को अकाउंटेबल रखना पड़ेगा अगर वो लोग जो क्लाइमेट चेंज के बारे में चिंता नहीं करते आप उनको अवेयरनेस डाल सकते हो उनकी कॉस्ट पर्सनलाइज करके इसमें मीडिया का भी एक बहुत इंपॉर्टेंट रोल है और वही मैं निभाने की कोशिश कर रहा हूं अपने छोटे तरीके से अनफॉर्चूनेटली इंडियन मीडिया की कवरेज क्लाइमेट चेंज पर बहुत ही भद्दी है तो ये देखिए इस वक्त द्वारिका के द्वारिका हम पहुंच चुके हैं गुजरात के द्वारिका में इतनी तेजी से हवाइयां चल रही है कि खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा है क्योंकि बपर जॉय तूफान जो आ रहा है बपर जॉय तूफान जो 150 किमी की रफ्तार से इस वक्त आपको बता है जो हवाइयां हवाएं चल रही हैं कि खड़ा होना बोलना मुश्किल हो रहा है इंडियन मीडिया क्लाइमेट चेंज के बारे में ऐसे बात करती है कि यह बहुत दूर की प्रॉब्लम है आपका कोई पर्सनल इंपैक्ट नहीं होगा जबकि हमें मीडिया कवरेज बिल्कुल अपोजिट चाहिए हमें पर्सनलाइज सलूशन ओरिएंटेड कवरेज चाहिए इसके लिए मीडिया को अपनी कवरेज डिसेंट्रलाइज करनी होगी मैंने अपने इंडियन मीडिया पर वीडियो पर बताया था कि इंडियन मीडिया बहुत हैवली कंसंट्रेटेड है दिल्ली के इश्यूज पर पी साईनाथ जो फाउंडर एडिटर हैं परी के उन्होंने कहा कि मास मीडिया बस अमीर और पॉलिटिकल क्लास की कवरेज के बारे में बात करती है जिसकी वजह से इंडियन मीडिया के लिए 75 पर पॉपुलेशन मैटर ही नहीं करती है जबकि इंडियन मीडिया अगर महाराष्ट्र की ऑडियंस को कवर कर रही है तो उनको महाराष्ट्र के इश्यूज के बारे में बात करनी चाहिए इसी तरीके से हम क्लाइमेट चेंज को और पर्सनलाइज कर पाएंगे इसमें आपको भी एक रोल निभाना चाहिए आपको कम्युनिकेट करना चाहिए अपने परिवार और दोस्तों के बीच कि ज्यादा गर्मी और क्लाइमेट चेंज की वजह से सोना कितना मुश्किल हो जाएगा कैसे आपका बिजली का बिल बढ़ सकता है कैसे आपको शायद हायर टनेज का एसी चाहिए होगा बाहर काम करना मुश्किल हो जाएगा आपकी प्रोडक्टिविटी कम हो जाएगी इसकी वजह से इनकम कम हो जाएगी देखो हम सभी लोगों की जिंदगी में वैसे ही काफी प्रॉब्लम्स है एक और प्रॉब्लम ऐड करने लग जाओगे तो लोग उसे डील नहीं करना चाहेंगे वो उल्टा इग्नोर करेंगे इससे जैसे आप कम्युनिकेट करते हो वो बहुत मैटर करता है अब अगर हम सरकार की जिम्मेदारी की बात करें तो सबसे जरूरी है कि हमारे पॉलिटिकल लीडर ड रिस्पांसिबिलिटी लें और यह अकाउंटेबिलिटी दिखाएं कि क्लाइमेट चेंज एक रियल थ्रेट है हमारे देश को जब तक हम इस चीज को एक्सेप्ट नहीं करेंगे सलूशन भी नहीं निकलने वाला इसके बाद सेंट्रल गवर्नमेंट को एक हाई पावर्ड कमेटी बनानी चाहिए क्लाइमेट चेंज पर इसमें कई मिनिस्टर्स शामिल हो क्योंकि क्लाइमेट चेंज एक ऐसी चीज है जो बस ट्रांसपोर्ट हाउसिंग या फिर रूरल डिपार्टमेंट को इफेक्ट नहीं करता बल्कि वो हमारी पूरे देश को इफेक्ट करेगा इसलिए एक हाई पावर्ड कमेटी बननी चाहिए जिके चेयर खुद प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी हो पर यह याद रहे कि क्लाइमेट चेंज बस सेंट्रल गवर्नमेंट सॉल्व नहीं कर सकती इसके लिए हमें कोऑर्डिनेशन चाहिए सेंट्रल से स्टेट लेवल तक और स्टेट लेवल से लोकल लेवल तक इसी वजह से निरंजन साहू जो एक सीनियर फैलो है ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में वह कहते हैं कि हमें एक इंटरगवर्नमेंटल इंस्टिट्यूशन चाहिए क्लाइमेट चेंज के लिए जिसमें सेंट्रल स्टेट और लोकल लेवल गवर्नमेंट बॉडीज की कोऑर्डिनेशन होए इसके अलावा एग्जीक्यूशन भी सेंट्रल गवर्नमेंट नहीं कर सकती अकेली उनको स्टेट और स्पेशली लोकल लेवल की जरूरत है और मैं अपने वीडियोस में कई बार बोल चुका हूं कि हमें अपनी लोकल गवर्नेंस को और स्ट्रांग बनाना होगा एक कारण जिसकी वजह से हमारे शहर इतने गंदे और अनप्लांड है व है कि उनके पास इतनी पावर ही नहीं है मैंने कई वीडियोस में बताया कि जहां चाइना का 50 पर बजट लोकल लेवल पर खर्च होता है इंडिया में यह नंबर बस 3 पर है अगर हमें क्लाइमेट चेंज को सॉल्व करना है और हम चाहते हैं कि हमारे शहर और गांव इसको डील कर सके तो हमें उनको और पावर देनी होगी फाइनेंशियल पावर भी और पॉलिटिकल पावर भी और पर इस काम को स्टार्ट करने के लिए हमारी सरकार को बस दो चीजें करनी होंगी ये एक्सेप्ट करें कि हीट स्ट्रोक एक रियलिटी है डाटा से छुपे नहीं बल्कि डाटा को एक्सेप्ट करें और दूसरी चीज साइंस के खिलाफ जाकर नहीं बल्कि साइंस के सपोर्ट के साथ हम क्लाइमेट चेंज को सॉल्व करने की कोशिश करें स्टार हेल्थ इंश्योरेंस को चेक आउट करना मत भूलना डिस्क्रिप्शन से ताकि आपका फोकस आपकी फैमिली की वेल बीइंग और रिकवरी पर रहे और स्टार हेल्थ आपके फाइनेंस को हैंडल करे