हेलो एवरीवन अ वेरी गुड मॉर्निंग टू ऑल दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैगनेट ब्रेंस मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलने वाले हैं बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्यों क्योंकि मैग्नेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट सो स्टूडेंट्स आज के इस सेशन से इस लेक्चर से हम स्टार्ट करने वाले हैं क्लास 10थ फिजिक्स का सेकंड चैप्टर द ह्यूमन आय एंड द कलरफुल वर्ल्ड प्रीवियस लेक्चर में प्रीवियस वीडियो में हमने जो फर्स्ट चैप्टर था लाइट रिफ्लेक्शन एंड रिफ्रैक्ट वह हमने सक्सेसफुली फिनिश किया है बहुत सारे कंसेप्ट बहुत सारे टॉपिक्स हमने पढ़े हैं उन सभी कंसेप्ट से रिलेटेड हमने बहुत सारे क्वेश्चंस भी सॉल्व करे हैं न्यूमेरिकल सॉल्व करे हैं इनफैक्ट हमने एनसीआरटी की इंटेक्स क्वेश्चंस और एक्सरसाइज को भी नहीं छोड़ा सब कुछ हमने वहां पे अच्छी तरीके से समझ लिया है अब भाई जब हम अपना सेकंड चैप्टर स्टार्ट करने वाले हैं तो पैटर्न तो हमारा वही रहेगा जो हमने फर्स्ट चैप्टर में फॉलो किया था मतलब कि सभी टॉपिक्स को हम बहुत डिटेल में समझेंगे उन टॉपिक्स से रिलेटेड जो भी जिस भी तरह के जिस भी पैटर्न के सवाल आते हैं एग्जामिनेशंस में आपके उनको देखेंगे फिर इसके बाद में एनसीआरटी के इंटेक्स क्वेश्चंस और एक्सरसाइज भी करेंगे हम तो पैटर्न तो भैया हमारा सभी चैप्टर्स में एक ही जैसा रहने वाला है कि हम चैप्टर में पूरी तरीके से घुस जाएंगे बिल्कुल डेप्थ में जाएंगे और वापस कब निकलेंगे जब सभी चीजें समझ में आ जाएंगी तो सभी कांसेप्ट और टॉपिक्स को समझने के बाद क्वेश्चन सॉल्व करने के बाद हम बाहर निकलेंगे चैप्टर के अंदर से ठीक है तो ये है एक बच्चों इंट्रोडक्टरी वीडियो जहां पे मैं आपको बताने वाली हूं कि जो हमारा चैप्टर है सेकंड चैप्टर फिजिक्स का उसमें कौन-कौन से टॉपिक्स हैं जो हमें कवर करने हैं जो हमें पढ़ने हैं तो स्टार्ट करते हैं आज का हमारा लेक्चर तो भाई देखो जो हमारा नेक्स्ट लेक्चर होगा जो हमारा नेक्स्ट सेशन होगा उसमें हम डिस्कस करेंगे हमारा फर्स्ट टॉपिक द ह्यूमन आय ठीक है भगवान ने हमको बड़ी सुंदर सुंदर आंखें दी हैं उन सुंदर आंखों को हमें अब समझना होगा पढ़ना होगा हमें पता है कि हम अपनी आंखों से देख पाते हैं आईज हमारे लिए क्यों जरूरी है क्योंकि अगर आईज नहीं होंगी तो फिर हम देख कैसे पाएंगे है ना तो सबसे पहले तो स्ट्रक्चर समझना होगा हमें यूमन आय का फिर इसके बाद में आईज फंक्शन कैसे करती हैं यानी कि जिस विजन की हम बात कर रहे हैं कि आंखें हमको विजन में हेल्प करती हैं उस विजन को हमें समझना होगा कि पूरी प्रोसेस चल कैसे रही है ठीक है फिर इसके बाद में डिफेक्ट्स ऑफ विजन एंड देयर करेक्शन देखो विजन की अगर हम बात करें तो आइज हमारे लिए बड़ी इंपॉर्टेंट होती है आई नो विजन में हेल्प करती हैं लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि इस विजन में हो जाती है कुछ प्रॉब्लम यानी कि आंखों में आ जाते हैं कुछ डिफेक्ट्स अब यह जो डिफेक्ट्स होते हैं ना बच्चों ये ऐसा नहीं है कि आप इन्हें कभी भी ठीक नहीं कर सकते आप इन्हें ट्रीट नहीं कर सकते हो बिल्कुल कर सकते हो तो आपके सिलेबस में केवल तीन ही डिफेक्ट्स है एक है मायोपिया एक है हाइपरमेट्रोपिया और एक है प्रेसबायोपिया इन तीनों डिफेक्ट्स को हम पढ़ेंगे और फिर इसके बाद में इन डिफेक्ट्स को कैसे ट्रीट किया जा सकता है वो भी हम इन टॉपिक्स में समझेंगे तो भाई जो पहला लेक्चर होगा बच्चों उसमें हम ह्यूमन आई का स्ट्रक्चर देखें े फिर इसके बाद में फंक्शन देखेंगे इस टॉपिक में इन टॉपिक्स में मैं आपको दो चीजें बताऊंगी कि आखिर क्यों हमको हमारे पेरेंट्स मना करते हैं कि टीवी को बहुत पास से मत देखो बहुत नजदीक से मत देखो फोन को बहुत देर तक बिल्कुल इस तरह से आंखों के सामने मत रखो अगर मैं आपसे पूछूं कि अब आप लोग यनो 10थ में आ गए थोड़े बड़े हो गए हो आपको पता होगा कि मम्मी पापा क्यों मना करते हैं तो आप बोलोगे कि मैम उनका कहना है कि हमारी आंखें खराब हो जाएंगी क्यों खराब हो जाएंगी क्योंकि आंखों प बहुत स्ट्रेन पड़ता है जब हम बहुत पास से नजदीक से ज्यादा देर के लिए टीवी देख ले या लैपटॉप चला ले कंप्यूटर चला ले फोन चला ले तो आंखों पे बहुत स्ट्रेन पड़ता है लेकिन मेरा सवाल यह है कि आखिर यह स्ट्रेन आता कहां से कहां से आ जाता है यह स्ट्रेन कि आसमान से टपकता है या फोन हमें दे देता है है ना यू नो बट इस चैप्टर में अच्छी चीज यही है कि इसमें एक तो सीधी सी बात है इसमें न्यूमेरिकल्स बड़े कम आते हैं है ना तो आपके लिए तो यह हो हो गई एक पहला बोनस पॉइंट कि इसमें न्यूमेरिकल्स कम है अभी-अभी हम लाइट रिफ्लेक्शन रिफलेक्शन पढ़ के आ रहे हैं और उसमें कितने सारे जो है ना न्यूमेरिकल्स थे इस चैप्टर में थ्योरी ज्यादा है न्यूमेरिकल्स कम है थ्योरी ज्यादा है और थ्योरी भी ऐसा नहीं है कि रट्टा मारना पड़े थ्योरी भी ऐसी है जो हम कभी ना कभी अपनी लाइफ में डेली लाइफ में उस थ्योरी के साथ रिलेट जरूर करते हैं जैसे कि अभी मैंने आपको बोला कि पास से टीवी क्यों नहीं देखना है फोन क्यों नहीं चलाना है क्योंकि स्ट्रेन पड़ता है आंखों पे लेकिन ये स्ट्रेन कहां से आया है यह हम पढ़ेंगे इस चैप्टर में इसकी थ्योरी में ठीक है फिर इसके बाद में यह हम सबको पता है हमने कभी ना कभी अपनी लाइफ में जरूर ये जो है ना एक्सपीरियंस किया ऑब्जर्व किया है कि आप अपने घर से जो है ना बाहर निकले तेज धूप है बाहर तो जैसे ही आप बाहर निकलोगे आपकी आंखें हो जाएंगी ऐसी छोटी सी अब आप बोलोगे कि मैम आपकी ऑलरेडी आंखें छोटी है आपकी और ज्यादा छोटी आंखें कैसे हो सकती है अरे बिल्कुल हो सकती है कितनी भी छोटी आंखें क्यों ना हो जैसे ही कड़क धूप में हम पहुंचते हैं ना हमारी आईज बिल्कुल ऐ छोटी-छोटी हो जाती हैं क्यों हो जाती हैं तो आप बोलोगे कि मैम लाइट बहुत ज्यादा पड़ती है सनलाइट बहुत तेज होती है ब्राइटनेस हमारी आंखें बर्दाश्त नहीं कर सकती इसलिए हमारी आंखें छोटी हो जाती हैं बिल्कुल सही बात है लेकिन ये आंखें छोटी हुई तो हुई कैसे कि आपने सोचा और आपकी आइज ने वो चीज फॉलो कर ली आप आपने सोचा कि नहीं नहीं बहुत तेज धूप है बहुत ज्यादा ब्राइटनेस है एक काम करते हैं आंखें छोटी कर लेते हैं तो आपका ऑर्डर आपका कमांड फॉलो कर दिया आपकी आइज ने और आपकी आइज छोटी-छोटी हो गई ये जब आपकी आईज छोटी होती है तो आईज में ऐसा कौन सा पार्ट होता है ऐसी कौन सी चीजें होती हैं जो छोटी हो जाती हैं जिसकी वजह से ज्यादा लाइट आपकी आंखों तक नहीं पहुंच पाती इन सभी क्वेश्चंस के आंसर हम निकालेंगे कहां इस चैप्टर में इसलिए मैंने बोला कि इस चैप्टर में यह चैप्टर बहुत अच्छा है सबसे पहली बात तो ये बहुत छोटा है बहुत सारी चीजें नहीं इसमें पढ़ने के लिए दूसरी चीज जितनी भी चीजें हैं जितनी भी थ्योरी है वो ऐसी थ्योरी कि कहीं ना कहीं हम अपनी ली लाइफ में उस थ्योरी के साथ रिलेट करते हैं जैसे कि पास से ज्यादा देर तक मोबाइल नहीं चलाना धूप में जाना तो आंखें छोटी हो जाना ये क्यों होता है इन क्वेश्चंस के हमें जवाब मिलेंगे इस पर्टिकुलर चैप्टर में इन पर्टिकुलर टॉपिक्स में ठीक है तो आई होप इन चीजों को हमें क्या-क्या पढ़ना है एक आपको य ना आईडिया रफ आईडिया मिल गया होगा कि कौन-कौन सी चीजें हैं जो हमें इन टॉपिक्स के अंदर देखनी है फिर इसके बाद में आता है रिफ्रैक्ट ऑफ लाइट थ्रू अ प्रिज्म अब आप बोलोगे कि मैम जब आपने स्फेरिकल मिरर्स पढ़ाए थे रिफ्लेक्शन पढ़ाया था उस टाइम प तो आपने बहुत सारे एप्लीकेशंस बताए थे स्फेरिकल मिरर्स के लेकिन जब स्फेरिकल लेंसेशन बताए ही नहीं बस रे डायग्राम बता दिया मैग्नीफिकेशन बता दिया है ना न्यूमेरिकल्स करा दिए लेकिन आपने एप्लीकेशंस नहीं बताए बिल्कुल सही बात है वो एप्लीकेशंस मैंने इसलिए नहीं बताए वहां पे क्योंकि मुझे यहां बताने थे भाई ये जो रिफ्रेश है ना रिफ्रेश इसको हल्के में मत लेना बहुत भारी टॉपिक है ये ऐसा नहीं है कि एक लेंस रख दिया आपने स्फेरिकल लेंसेक्स यह जो रिफ्रैक्ट के कारण हम देख पाते हैं तो यह बात बिल्कुल भी गलत नहीं होगी अगर हमारी आंखों में रिफ्रैक्ट को हल्के में मत लेना बहुत भारी चीज है ये तो यहां पे हमें रिफ्रैक्ट देखना होगा कहां थ्रू अ प्रिज्म एक प्रिज्म हम लेंगे उसमें से रिफ्रैक्ट कैसे होता है वो हम देखेंगे दो-तीन इसमें नए टॉपिक्स हैं दो-तीन नई चीजें हैं जैसे कि एंगल ऑफ डेविएशन हो गया एंगल ऑफ इमर्जेंट वगैरह हो गया यह सब आपको अ इस इस टॉपिक में देखने को मिलेगा ठीक है फिर इसके बाद में अगर हम आगे जाएं आगे हमें देखने को मिलेगा डिस्पर्शन ऑफ वाइट लाइट बाय अ ग्लास प्रिज्म एक ग्लास प्रिज्म से हम क्या करेंगे वाइट लाइट जो है पास कराएंगे और फिर इसमें होगा एक मैजिक मैजिक क्या होगा कि आप एक तरफ से क्या कर रहे हो इस ग्लास पिज्म में वाइट लाइट फेंक रहे हो और दूसरी तरफ से आपको डिफरेंट कलर्स देखने को मिल रहे हैं ऐसा कैसे पॉसिबल हुआ कि एक तरफ से तो लाइट आ रही है कैसी वाइट कलर की और दूसरी तरफ से डिफरेंट कलर्स की लाइट आपको देखने को मिल रही है ऐसा क्यों हो पाता है ऐसा हो पाता है भाई डिस्पर्शन के फिनोमिना से अब अगर आपको लाइट का डिस्पर्शन एक प्रिम से समझ में आ गया ना बच्चों तो फिर रेनबो फॉर्मेशन कैसा होता है वह आपके लिए हो जाएगा बड़ा इजी मैंने बोला है ना कि इस चैप्टर में जो भी थ्योरी है ना उस थ्योरी से हम कहीं ना कहीं रिलेट करते हैं अपनी डेली लाइफ में हम सबने देखा है रेनबो लेकिन हमें नहीं पता होता कि रेनबो कैसे बनता है भाई एक काम करते हैं ना प्रिज्म का एग्जांपल ले लेते हैं कि किस तरह से एक वाइट लाइट अंदर जाकर के प्रिज्म के डिस्पर्स हो जाती है डिफरेंट कलर्स में इस चीज को समझ लेते हैं तो रेनबो फॉर्मेशन भी हमें बड़े आसानी से समझ में आ जाएगा ठीक है फिर इसके बाद में एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट भाई अगर मैं आपसे बोलूं कि रिफ्रेश क्या होता है तो आप बोलोगे कि मैम लाइट की बेंडिंग होती है लाइट की बेंडिंग क्या होती है रिफ्रेश होती है अब अगर मैं इस रिफ्रेश के आगे लगा दूं क्या एटमॉस्फेरिक रिफ्रेश तो आप क्या समझोगे कि लाइट का रिफ्रेश हो रहा है कहां एटमॉस्फेयर में रिफ्रेश कहां हो रहा है एटमॉस्फियर में यानी कि लाइट की बेंडिंग कहां हो रही है एटमॉस्फेयर में तो क्या लाइट की बेंडिंग एटमॉस्फेयर में पॉसिबल है बिल्कुल पॉसिबल है क्यों जैसे एक काम करते हैं हम मेजर लाइट ले देते हैं हमारे हम हम तक जो पहुंचती है वो है क्या सनलाइट सनलाइट कहां से आ रही है सन से आ रही है अब जो सन है वो हमसे मिलियंस ऑफ लाइट ईयर दूर है बहुत ज्यादा दूर है आप उस डिस्टेंस को इंफिनिटी ले सकते हो है ना मिलियंस ऑफ लाइट ईयर वो सन दूरी पे है हमसे अब थोड़ा दिमाग लगाओ बच्चों ये रहे हम ठीक है ये रहे हम और यह रहा क्या सन और ये सन कहां है भाई मिलियंस ऑफ लाइट ईयर के डिस्टेंस पे है हमसे या अर्थ से तो क्या यह पॉसिबल है कि हम से लेकर के अर्थ से लेकर के सन के बीच का जो मीडियम है वह कांस्टेंट हो भाई रिफ्रेश कब हो रहा था लाइट का रिफ्रेश मतलब लाइट की बेंडिंग लाइट की बेंडिंग कब हो रही थी बच्चों जब लाइट एक मीडियम से दूसरे मीडियम में जा रही थी उसकी स्पीड चेंज हो रही थी तब हम बोल रहे थे कि लाइट ने क्या किया है अपने पाथ को चेंज किया है डेविट हो गई अपने ओरिजिनल पाथ से यहां पे भी मैं क्या बोल रही हूं कि एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट हो रहा है कैसे रिफ्रैक्ट हो रहा है भाई एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट तो ये रहे हम और ये रहा क्या हमारा सन जो कि हमसे मिलियंस ऑफ लाइट यर की डिस्टेंस पे है तो क्या इस पूरे डिस्टेंस पे मीडियम सेम रहेगा मीडियम चेंज नहीं होगा बिल्कुल चेंज होगा भाई इतना ज्यादा डिस्टेंस है मैं ये नहीं कह रही हूं कि मीडियम चेंज में जो है ना एक लेयर आ जाएगी पानी की एक लेयर आ जाएगी ऑयल की एक लेयर आ जाएगी ग्लास की ऐसा कुछ नहीं है होगा यहां पे क्या हवा ही होगी हवा क्या होता है भाई एयर क्या होता है मिक्सचर होता है गैसेस का तो क्या एयर की भी डेंसिटी अलग-अलग नहीं हो सकती हमने पढ़ा है ये हम पढ़ के आ रहे हैं एथ क्लास तक नाइंथ क्लास तक कि जो हमारा एटमॉस्फेयर है इसकी भी कई सारी लेयर होती है स्ट्रेटोस्फीयर ट्रोपो स्फीयर है ना कितनी सारी लेयर्स होती हैं क्या उन लेयर्स की डेंसिटी बराबर होती है समान होती है कि अगर वहां से हमने लाइट पास कराई तो वो बिल्कुल स्ट्रेट पाथ को जो है ना फॉलो करते हुए हम तक आ जाएगी बिल्कुल भी नहीं या थोड़ा दिमाग लगाओ ना एयर की भी डेंसिटी अलग हो सकती है कैसे कूलर एयर एंड हॉटर एयर गर्म हवा और ठंडी हवा इन दोनों की भी डेंसिटी कैसी होती है अलग-अलग होती है तो जब हम बात कर रहे हैं हमारे एटमॉस्फेयर की जहां पर बहुत सारी एटमॉस्फेरिक लेयर्स होती हैं है ना तो वहां पर सोचो मीडियम तो चेंज होगा तो जब एक लाइट सनलाइट सन से हम तक आ रही है डिफरेंट मीडियम को ट्रेवल करते हुए तो क्या वहां पर लाइट की बेंडिंग नहीं होगी बिल्कुल होगी और इसी को तो हम क्या कहते हैं एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट फेरिक रिफ्रैक्ट समझ में आ जाएगा तो फिर ला स्टार्स ट्विंकल कैसे करते हैं प्लेनेट ट्विंकल क्यों नहीं करते हैं स्टार्स जो है हायर देन द एक्चुअली आर क्यों हमें लगते हैं फिर एडवांस सनराइज एंड डिले सनसेट क्या होता है कि सनराइज से पहले ही हमको लगता है एक्चुअल जो सनराइज हो रहा है उसके पहले से हमको लगता है कि हां भाई सूरज उ गया है ना और सनसेट के केस में ऐसा होता क्यों होता है अगर आपको बच्चों एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट आ गया ना तो फिर ये जो नेचुरल फिनोमेना हो रहा है ना यह तो आपके लिए समझना बिल्कुल बाए हाथ का खेल है ठीक है फिर इसके बाद में हम नेक्स्ट जो टॉपिक पढ़ेंगे अपना वो होगा स्कैटरिंग ऑफ लाइट लाइट की स्कैटरिंग भाई स्कैटरिंग टॉ को समझने के लिए बड़ा आसान सा एक तरीका है एक कांच का ग्लास लो और उसको जोर से नीचे फेंको जैसे ही आप नीचे फेंको ग जैसे ही ग्लास आपका टकराएगा कैसे ग्राउंड पर टकराएगा मोमेंटम चेंज वैसे ही क्या होगा जो ग्लास होगा आपका वह छोटे-छोटे ग्लास पार्टिकल्स में क्या हो जाएगा स्कैटर हो जाएगा फैल जाएगा सिमिलरली अगर मैं बात करूं लाइट की स्कैटरिंग की स्कैटरिंग का मतलब आपको समझ में आ गया ना एक कांच का ग्लास लो उसको से जमीन प फेंको मोमेंटम चेंज होने के कारण क्या होगा जैसे ही आपका ग्लास ग्राउंड प स्ट्राइक करेगा छोटे-छोटे टुकड़ों में वो टूट जाएगा सिमिलरली अगर मैं बात करूं लाइट की स्कैटरिंग की तो लाइट भी स्कैटर करती है कैसे हमारा जो वातावरण है हमारा जो एनवायरमेंट है एटमॉस्फियर है उसमें बहुत सारे छोटे बड़े पार्टिकल्स होते हैं जब लाइट इन पार्टिकल से टकराती है तो क्या हो जाती है स्कैटरिंग हो जाती है जैसे कि हमारा कांच का गला गलास फ्लोर पर टकराने के बाद स्कैटर हो गया था बिखर गया था उसी की तरह जब लाइट हमारे एटमॉस्फियर में जो छोटे-छोटे पार्टिकल्स होते हैं छोटे-बड़े उन पार्टिकल से एटमॉस्फेरिक पार्टिकल से जब टकराती है तो क्या हो जाती है स्कैटर हो जाती है इस चीज को हम और अच्छी तरीके से समझेंगे जब हम इस टॉपिक पे पहुंचेंगे अगर आपको लाइट की स्कैटरिंग समझ में आ गई ना तो फिर आपके लिए स्काई ब्लू कलर का क्यों होता है यह समझना आसान हो जाएगा फिर इसके बाद में सनराइज और सनसेट का जो कलर होता है वह आपको समझ में आ जाएगा यानी कि एक टॉपिक समझ लो तो उससे रिलेटेड जो नेचुरल फिनोमिना हो र है हमारे एनवायरमेंट में वो आपको बड़े आसानी से समझ में आ जाने वाले हैं तो आई होप कि इस इंट्रोडक्शन के बाद आपको एक रफ आईडिया मिल गया होगा कि कौन-कौन से टॉपिक्स हैं जो हमें इस चैप्टर के अंडर कवर करने हैं तो आज का यह जो इंट्रोडक्टरी लेक्चर है वह यही हम कवर करते हैं खत्म करते हैं ठीक है रफ आईडिया आपको समझ में आ गया लग गया कि कौन-कौन से टॉपिक्स हम हमें कवर करने हैं तो इस लेक्चर के लिए इतना ही मिलते हैं हम अपने नेक्स्ट लेक्चर में नेक्स्ट लेक्चर में हम स्टार्ट करेंगे बच्चों ह्यूमन आई के साथ ठीक है ह्यूमन आई का स्ट्रक्चर पढ़ेंगे और किस तरह से पूरी विज़न की प्रोसेस होती है वह हम समझेंगे तो मिलेंगे हम नेक्स्ट लेक्चर में तब तक आप क्या करेंगे हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है magnetbrains.com उसको विजिट कर लेना जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे अरेंज्ड फॉर्म में यानी कि प्लेलिस्ट में साथ ही साथ वहां पे आपको अ नोट्स भी होंगे अवेलेबल सो डू विजिट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विद magnetbrains.com कांसेप्ट हैं जो कि हमको हमारे चैप्टर द ह्यूमन आय एंड द कलरफुल वर्ल्ड में करने हैं कवर तो आज उसी को कंटिन्यू करते हुए इस लेक्चर में इस सेशन में हम पढ़ने वाले हैं ह्यूमन आय का स्ट्रक्चर तो इस टारगेट मैं इस सेशन का पूरा टारगेट फिक्स कर देती हूं कि इस सेशन के एंड तक आपको ह्यूमन आय का स्ट्रक्चर अच्छे तरीके से समझ में आ जाना चाहिए तो भाई जब टारगेट हो गया है सेशन का फिक्स तो फिर देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं आज का हमारा लेक्चर आज का हमारा सेशन सो दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्यों क्योंकि मैग्नेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं बको बच्चों आज जो हमारा जो सेकंड चैप्टर है क्लास 10थ फिजिक्स का द ह्यूमन आय का फर्स्ट टॉपिक जो कि है द स्ट्रक्चर ऑफ ह्यूमन आय अब भाई आईज का सिग्निफिकेंट बताने की जरूरत तो मुझे नहीं है हम सबको पता है कि भगवान ने हमें दो सुंदर-सुंदर हर इंसान को हर एक लिविंग ऑर्गेनिस्ट म को दो सुंदर सुंदर क्या दी है आंखें दी हैं क्यों दी है ताकि हम अपने आसपास जितनी भी चीजें हैं ऑब्जेक्ट्स हैं नजारे हैं लोग हैं उन सबको देख सके तो ये जो आइज है ना बच्चों ये क्या है भगवान का गिफ्ट है हमें ठीक है तो य आई इज वन ऑफ द मोस्ट वैल्युएबल एंड सेंसिटिव सेंस ऑर्गन ओबवियस सी बात है यह क्या है एक सेंस ऑर्गन भी है क्यों क्योंकि विजन क्या है एक तरह का सेंस है तो उस सेंस को सेंस करने के लिए कौन आते हैं भाई सेंस ऑर्गन्स होते हैं तो यह बहुत ही वैल्युएबल और सेंसिटिव सेंस ऑर्गन है ह्यूमन बॉडी का इट इनेबल्स अस टू सी द वंडरफुल वर्ल्ड एंड द कलर्स अराउंड अस ठीक है अब सिग्निफिकेंट तो चलो समझ में आ गया अब अब हम बात करते हैं इसके स्ट्रक्चर की यमना आय का हमें स्ट्रक्चर पढ़ना है तो भाई जब भी हम किसी इंसान को जो हमारे सामने खड़ा है उसको जब हम देखते हैं तो उसकी आंखें कुछ इस तरह की नजर आती हैं है ना हमें करना क्या है इन्हीं आंखों को समझना है इनके स्ट्रक्चर को समझना है तो अब एक काम करते हैं ये जो आंखें हैं ना इसके थोड़े अंदर जाते हैं हम ठीक है अंदर जब जाएंगे तो हमें जो हमारी आइज हैं वो कुछ इस तरह की देखने को मिलेंगी यानी कि अभी जो हमने प्रीवियस स्लाइड में देखा कि आंखें कैसी दिख रही थी कुछ इस तरह की दिख रही थी लेकिन जब हमें इनका स्ट्रक्चर समझना होगा स्ट्रक्चर समझने के लिए हमें जाना होगा इन आंखों के अंदर तो हमें कुछ इस तरह के का स्ट्रक्चर हमें देखने को मिलेगा ठीक है अब इस स्ट्रक्चर को हम क्या कहते हैं भाई इस स्ट्रक्चर को हम कहते हैं आई बॉल स्ट्रक्चर को हम क्या कहते हैं बच्चों आई बॉल कहेंगे अब सवाल ये आता है कि भाई आई तो ठीक था लेकिन य क्यों बोला जा रहा है तो भाई आपको दिख रहा है यहां पे पिक्चर में कि हमारी जो आइज होती हैं अंदर से वो कैसी होती है उनका स्ट्रक्चर कैसा होता है रफल स्फेरिकल होता है ठीक है रफल स्फेरिकल होता है इसीलिए इसे हम क्या कहते हैं आई बॉल्स कहेंगे ठीक अब देखो उसका आईबॉल का एक लेटरल व्यू क्या होता है लेटरल व्यू मतलब कैसे आपके पास है समझो एक बॉल है ठीक है आपके पास क्या है एक बॉल है अब उस बॉल को क्या कर दो आप बीच में से डिवाइड कर दो हाफ में काट दो अब जो आपको दो हाफ मिलेंगे उसमें से एक हाफ आप फेंक दो और दूसरा देखो दूसरा कैसे देखोगे कुछ इस तरीके से देखोगे ठीक है क्या बोला मैंने आपके पास है एक बॉल उस बॉल को आपने आधे में डिवाइड कर दिया है बीच में से डिवाइड कर दिया है काट दिया है एक हाफ को आप फेंक दो दूसरे हाफ को आप कुछ इस तरीके से देखो तो आपको क्या देखेगा उस बॉल का लेटरल व्यू देखेगा सिमिलरली अगर मैंने इस आ को डिवाइड किया है किसम दो इक्वल हाफ में ू इक्वल हाफ में मैंने डिवाइड कर दिया है तो यह वाला साइड और यह वाला साइड अलग-अलग हो जाएगा इस वाले साइड को जब मैं कुछ इस तरीके से देखूंगी तो मुझे आई का स्ट्रक्चर आई बॉल का स्ट्रक्चर कुछ इस तरीके का मिलेगा तो ये क्या है भाई ये है आई बॉल का एक लेटरल व्यू ठीक है अब हम क्या करते हैं आई के कंपोनेंट्स को समझने की कोशिश करते हैं तो भाई जब हम बात करते हैं आंखों की तो पहली चीज आपको आंखों में क्या दिखती है तो आप बोलोगे कि मैम आई कलर सही बात है हमारे पास इतने सारे लोग हैं इस धरती पे और सबके जो है आई कलर अलग-अलग होते हैं हो सकता है बहुत से लोगों का सेम भी हो है ना लेकिन बहुत से ऐसे भी लोग होते हैं जिनका आय कलर काफी डिफरेंट होता है ये आय कलर डिफरेंट क्यों हो रहा है ये जैसे कि आप यहां पे इमेज दिख रहे हो तो यह जो आपको ब्राउन कलर का पार्ट दिख रहा है आई का ये कौन सा पार्ट है भाई इसे हम कहते हैं आइरिस क्या कहते हैं आइरिस कहते हैं यानी कि हमारी आंखों का जो कलर्ड पार्ट होता है बच्चों उसे हम कहते हैं आयरस यस सी बात है ना मैंने आपको क्या बताया अभी कि जब भी हम आंखों में देखते हैं किसी की तो हमें पहली चीज क्या देखने को मिलती है उसकी आंखों का कलर ये आंखों का कलर कहां से आता है क्योंकि भाई हमारी जो आईबॉल है ना इसका एक एक पार्ट होता है जिसे हम कहते हैं आइरिस और इस आइरिस का कलर ही डिफरेंट डिफरेंट होता है अलग-अलग लोगों में अलग-अलग होता है कुछ लोगों में एक जैसा होता है कुछ लोगों में अलग-अलग हो जाता है सवाल यह है कि इतने डिफरेंट आई कलर्स हमें कैसे देखने को मिलते हैं किसी की आंखों का कलर ब्लू होता है किसी का ग्रीनि ग्रे होता है ग्रे होता है ब्लैक ब्राउन ऐसा कैसे पॉसिबल है यह सब पॉसिबल है इस आयरस के कारण क्यों क्योंकि ये जो आयस है ना इसके पास होता है क्या एक पिगमेंट जिसे हम कहते हैं मेलेनिन इस पिगमेंट को हम क्या कहते हैं बच्चों मेलेनिन कहते हैं यही मेलेनिन क्या करता है अलग-अलग कलर्स प्रोवाइड करता है इस आयरस को आयरस को मतलब क्या आंखों के कलर मतलब ये जो पिगमेंट है बेसिकली मेलेनिन पिगमेंट ये अलग-अलग कलर प्रोवाइड करेगा हमारी आंखों को ठीक है अब ये मेलेनिन पिगमेंट आता कहां से है तो भाई इसके लिए भी स्पेशलाइज्ड सेल्स होते हैं हमारी बॉडी में उन सेल्स को हम क्या कहते हैं मेलानोसाइट्स कहते हैं तो हमारी आंखों में होते हैं मेलानोसाइट्स सेल ये मेलानोसाइट्स क्या करते हैं मेलेनिन पिगमेंट सेक्रेट करते हैं अब ये जो सेक्रेशन होता है बच्चों मेलेनिन पिगमेंट का ये भी अलग-अलग रेश्योस में होता है अगर कि किसी की आइज में मेलेनिन का रेशो है कम ठीक है तो उसकी आंखों का कलर कैसा हो सकता है भाई आंखों का कलर हो सकता है ब्लू अगर रेशो है ज्यादा थोड़ा ज्यादा मेलेनिन जो है मेलानोसाइट्स ने प्रोड्यूस कर दिया तो उसकी आंखों का कलर क्या हो जाएगा भाई ब्राउन हो जाएगा आयरस का कलर हो जाएगा ब्राउन अगर और ज्यादा मेलानिन प्रोड्यूस कर दिया मेलानोसाइट्स में तो फिर कलर क्या हो जाएगा तो कलर हो जाने वाला है ब्लैक यानी कि जो डिफरेंट आई कलर्स देखने को मिलते हैं वो क्यों देखने को मिलते हैं क्योंकि भाई पूरा खेल होता है यह आइरिस के मेलेनिन मेलेनिन का यह मेलानिन क्या है एक पिगमेंट है जिसको मेलानोसाइट्स प्रोड्यूस करते हैं और यूज करेंगे तो अलग-अलग रेशो में करेंगे अगर मेलेनिन कैसा है कम है तो आंखों का कलर हो जाएगा ब्लू अगर थोड़ा सा मेलेनिन ज्यादा है तो आंखों का कलर हो जाएगा ब्राउन और अगर और ज्यादा है मेलेनिन तो फिर हो जाएगा आंखों का कलर ब्लैक ठीक है तो ये पूरा जो आंखों के कलर का खेल है वो किसके कारण है मेलेनिन के कारण है क्योंकि मेलेनिन जो है अलग-अलग रेश्योस में प्रोड्यूस होता है कौन प्रोड्यूस करता है मेलानोसाइट्स प्रोड्यूस करते हैं तो जितने भी रेशो का मेलेनिन प्रोड्यूस हुआ है उसके हिसाब से आंखों का कलर हो जाता है और आंखों को भी अब हम क्या बोलेंगे हमें पता चल गया है कि अब कि आंख का कौन सा पार्ट कलर्ड होता है तो आप बोलेंगे कौन सा आयरस तो मेलेनिन के रेशो पे डिपेंड करेगा कि आयरस का कलर क्या होने वाला है आप ये नहीं कहेंगे कि आपकी पूरी आंख कैसी है कलर्ड है नहीं मैंने आपको बताया कि जब भी हम किसी की आंख को देखते हैं तो सबसे पहली चीज हमें देखने को क्या मिलती है सबसे पहली चीज हमें देखने को मिलती है क्या आंखों का कलर्ड पार्ट आंखों का कलर वो आंखों का कलर कौन सा है भाई वो डिपेंड करेगा आयरिश पे है ना हमारी जो पूरी आंख है उसमें पूरी आंख में कलर्ड पोर्शन क्या होता है कलर्ड पोर्शन होता है हमारी आयरस कहां से आया है ये कलर मेलेनिन के कारण आया है तो आई होप ये चीज आपको समझ में आ गई होगी ठीक है तो हमारी आंखों का जो कलर्ड पार्ट है उसे हम क्या कहते हैं भाई आइरिस कहते हैं अब इस आइरिस के सेंटर पे जरा आप ध्यान से देखो यह जो आयस है इसके सेंटर पे आप जरा ध्यान से देखो आपको दिख रहा होगा एक ब्लैक कलर का स्ट्रक्चर यह ब्लैक कलर का आपको स्पॉट दिख रहा होगा यह स्पॉट क्या कहलाता है भाई स्पॉट को हम कहते हैं क्या प्यूप क्या कहेंगे इसको हम प्यूप कहेंगे यानी कि हमारी आंखों का जो कलर्ड पार्ट है वो हो गया आइरिस इस आयरस के भी सेंटर में आपको देखने को मिलेगा एक ब्लैक कलर का स्पॉट उस ब्लैक कलर के स्पॉट को हम क्या कहते हैं बच्चों प्यूप कहते हैं ठीक एक्चुअली यह जो प्यूप है ना यह हमारे घर की खिड़कियों से कम नहीं होता इसीलिए मैं इसे क्या कहती हूं मैं इसे कहती हूं आइस की विंडो क्यों विंडोस का काम क्या होता है भाई फ्रेश एयर जो है ना घर के अंदर लेके आना ठीक है और घर में जो एयर है उसको बाहर लेकर के जाना सनलाइट घर के अंदर ले लेकर के आना यही काम होता है प्यूप का भी प्यूप क्या करती है भाई कि जो रोशनी हमें एनवायरमेंट से मिल रही है या किसी पर्टिकुलर ऑब्जेक्ट से आ रही है उस रोशनी को उस लाइट को आंखों के अंदर लेकर के जाना ठीक है काम क्या होता है प्यूप का इस प्यूप का काम होता है कि हमारी आंखों के बाहर जो भी रोशनी है चाहे वो सन से आ रही है चाहे वो किसी ऑब्जेक्ट से आ रही है चाहे वो किसी लाइट अ यू नो इलेक्ट्रिकल अप्लायंस से आ रही है उन सभी लाइट रेस को अंदर लेकर के जाना किसका काम होता है प्यूप का काम होता है यानी कि ये जो प्यूप है ये सिर्फ एक ब्लैक कलर का स्पॉट नहीं है ये क्या है एक ओपनिंग होती है प्यूप क्या है एक है ओपनिंग कहां आयरिश के बीच में इसका काम क्या है इसको मैं क्या कहती हूं ये हो जाती है हमारी आइस की विंडो क्यों क्योंकि ये रोशनी को आंखों के अंदर लेकर के जाती है आई आपको बात समझ में अब देखो कभी-कभी ऐसा होता है कि बाहर बहुत गर्मी होती है ना गर्मियों के मौसम में बहुत ज्यादा धूप आ रही होती है तो आप क्या करते हो खिड़की बंद कर लेते हो है ना और ठंड के मौसम में जब घर के अंदर बहुत ठंडी लग रही होती है तो हम क्या कर देते हैं खिड़कियों को खोल देते हैं क्यों खोल देते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा सनलाइट आए और घर में थोड़ी सी गर्मी हो जाए यानी कि ऐसा नहीं है कि अगर आप आपके घर में खिड़कियां है तो आप उसे ना कभी बंद करोगे ना उसको कभी खोलोगे टाइम टाइम पे आप खिड़की को खोलने बंद करने को रेगुलेट करोगे तो भाई यह जो प्यूप है हमारी यह भी तो हमारी आंख की विंडो ही है इसको भी तो खोलने और बंद करने को रेगुलेट करना पड़ेगा वरना क्या होगा आईज डैमेज हो सकती है अभी-अभी मैंने आपको बताया था कि आइज जो होती है वो बहुत ज्यादा सेंसिटिव सेंस ऑर्गन है हमारी पूरी बॉडी का अंदर की चीजें बड़ी सेंसिटिव चल रही हैं अगर आप तेज धूप में बाहर निकलोगे सनलाइट आपकी आंखों प पड़ेगी अगर आपने इस प्यूप को बंद नहीं कर लिया छोटा नहीं कर लिया तो क्या होगा मैक्सिमम सनलाइट जो है ना हमारी आंखों तक पहुंच जाएंगे और हमारी आंखें डैमेज हो जाएंगी और कई बार ये डैमेज परमानेंट हो जाता है इसको हम ट्रीट नहीं कर सकते हैं करेक्ट नहीं कर सकते हैं इस डैमेज को तो क्या करना पड़ेगा हमें इस प्यूप के साइज को भी रेगुलेट करना पड़ेगा इसके बंद इसको भी इसको भी हमें बंद करना पड़ेगा और खोलना करना पड़ेगा और इसकी जिम्मेदारी कौन लेता है भाई इसकी जिम्मेदारी ये आयरस ही लेते हैं मतलब आयरस का काम सिर्फ इतना नहीं है कि आंखों को सुंदर बना देना आंखों को कलर कर देना इस आयरस का काम क्या है इस प्यूप की जो अ का जो साइज है उसको भी रेगुलेट करना कैसे होता है ये चीज एक जीआईएफ देख लो मैंने आपको एक इं इंट्रोडक्शन जो था उसमें भी मैंने आपको बताया था कि जब हम अपने घर से तेज धूप में बाहर निकलते हैं तो हम क्या करते हैं अपनी आंखों को ऐसे छोटा-छोटा कर लेते हैं क्यों कर लेते हैं छोटा क्योंकि बाहर बहुत सनलाइट होती है बहुत ज्यादा ब्राइटनेस होती है अगर पूरी की पूरी सनलाइट में सनलाइट जो है इस प्यूप के थ्रू क्या हो जाए अंदर आ जाएगी तो आइज हमारी डैमेज हो जाएगी तो हम क्या करते हैं अपनी आंखों को ऐसे छोटा-छोटा कर लेते हैं छोटा क्या हो रहा है भाई छोटी हो रही है ये हमारी आंख की जो पुतली होती है हिंदी में इसको पुतली कहते हैं जो प्यूप है वो छोटी हो पा रही है उसे कौन कौन छोटा कर रहा है आयरस कर रहा है फिर आप तेज धूप से घर के बाहर से आ जाओ घर के अंदर जैसे ही आप घर के अंदर आओगे आप जो है ना अपनी थोड़ी सी आंखें ऐसी ऐसी बड़ी करोगे क्यों बड़ी करोगे क्योंकि कमरे के अंदर ब्राइटनेस है थोड़ी सी क्या कम एज कंपेयर टू बहर बाहर तो सन था बहुत ज्यादा ब्राइटनेस थी जैसे ही आप बाहर से घर के अंदर आए घर में हो गई ब्राइटनेस कम तो क्या होगा आपको देखने में दिक्कत होगी तो आप क्या करोगे अपने आंखों की पुतलियों को क्या करोगे लाओगे डायलेट करोगे डायलेट करोगे जिसके कारण क्या होगा ज्यादा से ज्यादा रोशनी कमरे से आपकी आंखों तक जाए और आप कमरे में देख पाओ आसानी से यस और नो तो यहां पर आपको एक दिख रहा होगा जीआईएफ जहां पर हमारी जो प्यूप है वो क्या हो रही है डायलेट हो रही है यानी कि फैल रही है फैले गी कब जब उसे ज्यादा लाइट चाहिए होगी अंदर भेजने के लिए ताकि वो देख सके ठीक है और फिर उसके बाद में जाकर के सिकुड़ भी जा रही है सिकुड़ कब जा रही है जब उसे ज्यादा लाइट नहीं चाहिए है देखने के लिए क्यों वरना अंदर जो चीजें हैं भाई आई के अंदर वह चीजें क्या हो जाएंगी डैमेज हो जाएंगी तो यह जीआईएफ का मतलब आपको समझ में आ रहा होगा कि किस तरह से प्यूप क्या करती है डाइलेटर है और जाकर के सिकुड़ जाती है डायलेट कब होगी बच्चों मैं रिपीट कर रही हूं डायलेट कब होगी डायलेट तब होगी जब आप ऐसी जगह पे हो जहां पे रोशनी कम है लेकिन रोशनी कम है इसका मतलब ये थोड़ी कि हम देख ही नहीं पाएंगे जरूर देख पाएंगे कैसे देख पाएंगे हमारी जो प्यूप है ये क्या करेगी ज्यादा से ज्यादा रोशनी को अंदर लेने की कोशिश करेगी और ये सिकुड़ गी कब जब आप जाओगे ऐसी जगह पे जहां पे बहुत ज्यादा लाइट होगी ज्यादा लाइट भी हमारी आंखों के लिए घातक है तो क्या होगा ये सिकुड़ जाएगी ताकि जितनी पॉसिबल जितनी रिक्वायर्ड है उतनी ही लाइट जो है आंखों के अंदर जाए अब ये जो डाले हो रहा है ये जो सिकुड़ना हो रहा है प्यूप का इसे कौन करता है इसे करता है हमारी आंखों का कलर्ड पार्ट यानी कि आइरिस यानी कि आयरस का काम क्या है एक तो आंखों को सुंदर कलर देना मेलेनिन के कारण और दूसरी चीज क्या है कि यह जो हमारी आंखों की खिड़की है यानी कि जो प्यूप है उसके साइज को क्या करना कंट्रोल करना रेगुलेट करना कि कब डायलेट करनी है कब स कोड़नी है आई आपको बात समझ में क्लियर है ठीक है अब इसके बाद में प्यूप की आयर समझ में आ गया समझ में आ गया मैं आपको बार-बार एक चीज कह रही हूं बच्चों कि हमारी आंखें जो होती हैं ठीक है वो बहुत ही सेंसिटिव होती है अंदर का मामला काफी सेंसिटिव होता है तो इसका मतलब क्या कि अगर आंखों का मामला बड़ा सेंसिटिव है अंदर मामला बहुत सेंसिटिव चल रहा है बहुत डेलिकेट चल रहा है यानी कि कोई ना कोई एक चीज तो होनी चाहिए जो आंखों को प्रोटेक्ट करे है ना कोई ना कोई चीज तो ऐसी होनी चाहिए जो आंखों को प्रोटेक्ट करे क्योंकि आंखें हमारी बड़ी सेंसिटिव वो प्रोटेक्शन की जिम्मेदारी कौन लेता है भाई प्रोटेक्शन की जिम्मेदारी लेता है कॉर्निया यह आपको रेड कलर से मैं हाईलाइट कर दे रही हूं रेड कलर से आपको एक लेयर दिख रही होगी बाहर की तरफ जो कि आंखों के बाहर की तरफ निकली होती है बस्टड आउट होती है कैसी होती है ट्रांसपेरेंट होती है जिसे हम क्या कहते हैं भाई जिसे हम कहते हैं कॉर्निया तो कॉर्निया क्या है कॉर्निया है एक आउटर मोस्ट कवरिंग हमारी आंखों की आंखों के सामने होती है वो ठीक है और ट्रांसपेरेंट कलर की होती है ओबवियस सी बात है अगर यह ट्रांसपेरेंट नहीं होगी तो जो आइरिस का कलर है वो दिख पाएगा क्या आपको आप कॉर्नियो को समझ सकते हो जिलेटिन की तरह हम अपनी-अपनी नोटबुक्स और बुक्स में क्या करते हैं ब्राउन पेपर चढ़ाते हैं उसके बाद वो ब्राउन पेपर खराब ना हो हम क्या कर देते हैं उसके ऊपर जिलेटिन रैप कर देते हैं तो ये जो कॉर्निया है ना ये बिल्कुल जिलेटिन की तरह होती है जिलेटिन कवर की तरह होती है ट्रांसपेरेंट होती है तभी तो हमें आयरिश का कलर दिख पा रहा है बाहर से और कैसी होती है आउटर मोस्ट प्रोटेक्टिव कवरिंग होती है आई बॉल्स की इसका काम क्या होता है इसका काम होता है कि डर्ट से डस्ट पार्टिकल से किसी भी तरह के डैमेज से आइस को बचाना क्योंकि मैं आपको बोल रही हूं बार-बार प्यूप भाई प्यूप अपना साइज चेंज क्यों कर रहा था आयरस क्यों प्यूप को उसका साइज चेंज करवा रही थी क्योंकि अंदर मामला बड़ा सेंसिटिव है ज्यादा लाइट चली गई तो डैमेज हो जाएगा तो उस डैमेज से जब मामला इतना ज्यादा सेंसिटिव हो रहा है तो एक प्रोटेक्टिव कवरिंग भी तो चाहिए ना आइस को तो उसके लिए कौन आता है कॉर्निया आता है कॉर्निया कैसा होता है ट्रांसपेरेंट होता है जिलेटिन कवर जैसा होता है ठीक है और ये क्या करेगा आइस को प्रोटेक्ट करेगा किसी भी तरह के डैमेज से डस्ट पार्टिकल से बेसिकली प्रोटेक्ट करता है आइबॉल्स को ठीक फिर इसके बाद में आपको दिख रहा होगा क्या एक वाइट कलर का हमने ये आईबॉल देखी थी आई बॉल में मैंने आपको बता दिया कि हां भाई जो कलर पार्ट होता है आईबॉल का इसको हम कह देते हैं आइरिस लेकिन आपको यह वाइट कलर का भी तो पोर्शन देखा होगा इस वाइट पोर्शन को क्या कहते हैं आई बॉल की इसे हम कहते हैं स्क्लेरा क्या कहेंगे स्क्लेरा कहते हैं यानी कि आई बॉल का कलर्ड पार्ट इज आइरिस और जो वाइट पोर्शन है उसे हम कहते हैं स्क्लेरा इसका भी काम क्या होता है भाई स्क्लेरा का भी काम होता है क्या आइज को प्रोटेक्ट करना यह भी प्रोटेक्शन के लिए ही बनी होती है ठीक है तो आई बॉल का स्ट्रक्चर अभी तक हमने क्या-क्या पढ़ लिया सबसे पहले तो आयरिश पढ़ लिया जो कलर्ड पार्ट होता है आई बॉल का वो इसके बाद में इस बॉल के बीचों बीच होता है क्या एक ब्लैक कलर का स्पॉट ये स्पॉट एक्चुअली क्यों होता है क्योंकि जो लाइट रेज आ रही है बाहर से वातावरण से एनवायरमेंट में उन लाइट रेज को ये कहां लेके जाएगा आंखों के अंदर की तरफ लेके जाएगा यानी कि ये सिर्फ स्पॉट नहीं है ये क्या है एक ओपनिंग है इस स्पॉट को हम क्या कहते हैं इस ओपनिंग को हम क्या कहते हैं इसे हम कहते हैं प्यूप यानी कि आंखों की खिड़कियां ठीक है टाइम टाइम पे इन खिड़कियों को बंद करना पड़ता है खोलना पड़ता है इसका काम कौन करती है आयरे स करती यानी कि आयरस का काम सिर्फ कलर प्रोवाइड करना नहीं है आइस को बल्कि प्यूप के साइज को भी रेगुलेट करना है फिर इसके बाद में जब अंदर का मामला इतना सेंसिटिव है तो एक प्रोटेक्शन के लिए कवरिंग होनी चाहिए उस कवरिंग को हम क्या कहते हैं कॉर्निया कहते हैं कॉर्निया क्या होती है आउटर मोस्ट कवरिंग होती है आई बॉल्स की ठीक है ट्रांसपेरेंट होती है और एक और खास बात है क्या कि ये बाहर की तरफ निकली होती है बर्ल्स डाउट होती है कुछ इस तरह की होती है तो इसका शेप कॉन्वेक्स नहीं हो क्या है ना अभी-अभी हम प्रीवियस चैप्टर में पढ़ के आ रहे हैं कॉन्वेक्स और कॉनकेव शेप बाहर की तरफ जब पोर्शन निकला रहता है बाहर की तरफ जब कर्विंग होती है कर्व्ड आउटवर्क हैं कॉन्वेक्स कहते हैं तो भाई हमारा जो कॉर्निया है ना इसका शेप कैसा है कॉन्वेक्स शेप का ही होता है और इस शेप का सिग्निफिकेंट है ऐसा ही नहीं कि कोई भी रैंडम शेप जो है ना भगवान जी ने हमें दे दिया बिल्कुल भी नहीं इस कॉन्वेक्स शेप का भी एक बड़ा सिग्निफिकेंट होता है यह हम समझेंगे कब जब हम पढ़ेंगे कि किस तरह से हम चीजों को देख पाते हैं है ना किस तरह से लाइट बाहर से हमारी आंखों की तरफ अंदर आती है आई होप ये चीज आपको समझ में आ गई कि कॉर्निया क्या होती है आउटर मोस कवरिंग होती है आईबॉल की ट्रांसपेरेंट होती है आंखों को किसी भी तरह के डैमेज से डस्ट पार्टिकल वगैरह से प्रोटेक्ट करती है ठीक और इसके बाद में इसका शेप कैसा होता है कॉन्वेक्स शेप होता है यानी कि बाहर की तरफ निकली होती है यह बर्ज ड आउट होती है फिर इसके बाद में आईबॉल का जो वाइट पोर्शन होता है उसे हम क्या कहते हैं उसे हम कहते हैं स्क्लेरा ये भी क्या करती है आईबॉल को प्रोटेक्ट करने का काम ही करती है अब आ जाओ थोड़ा और अंदर अंदर की तरफ जब आओगे आप तो और क्या मिलेगा आपको आपको मिलेगा क्या एक लेंस यानी कि हमारी जो आईबॉल है ना बच्चों सबसे पहले कॉर्निया स्क्लेरा फिर इसके बाद में आइरिस प्यूप प्यूप के अंदर कौन आएगा भाई प्यूप के अंदर आएगी एक क्रिस्टलाइन लेंस ठीक है एक आएगी क्या क्रिस्टलाइन लेंस आएगी य आपको दिख रही होगी इसका शेप देखो जरा क्या है इसका शेप आपको कॉन्वेक्स नहीं लग रहा है बिल्कुल तो भाई हमारी हर एक आंख में क्या होती है एक लेंस होती है और वो लेंस कैसी होती है वो लेंस होती है भाई कॉन्वेक्स शेप की आखिर ये कॉन्वेक्स शेप इतना पॉपुलर क्यों है हमारी आइज में कि जो बाहर की कॉर्निया है देखो इस इमेज में तो और क्लियर आपको दिख रही होगी है ना ये देखो इस तरह से बाहर की तरफ कॉर्निया निकली होती है ट्रांसपेरेंट कलर की होती है ये जो कॉर्निया है वो भी कॉन्वेक्स अब कॉर्निया भी कैसी है कॉन्वेक्स है और लेंस के लिए तो मैंने आपको बोला ही है वो कैसा है क्रिस्टलाइन बेसिकली एक जेली लाइक सब्सटेंस होता है आप ये मत सोचना कि मैम ने जो है ना अ कॉन्वेक्स लेंसेक्स जो है ना कैसे बताए स्फेरिकल मिरर स्फेरिकल लेंसेक्स के बने हैं तो भाई ये जो हमारी आंखों के अंदर की लेंस है नाना ये इसी ग्लास से नहीं बनती है ये एक जेली लाइक सब्सटेंस होता है उससे बनती है शेप कैसा होता है शेप होता है भाई कॉन्वेक्स का और ये भी कैसी होती है ट्रांसपेरेंट होती है ट्रांसपेरेंट होगी तभी तो लाइट को अपने थ्रू क्या होने पाएगी पास करने देगी ठीक तो कॉन्वेक्स भी अ जो कॉर्निया है वो भी कॉन्वेक्स शेप है और जो हमारी लेंस है वो भी कैसी है कॉन्वेक्स शेप की ही है ऐसा क्यों हो रहा है क्यों इतना पॉपुलर क्यों है कॉन्वेक्स शेप यहां पे तो इस बच्चों क्योंकि हम आंखों से करना क्या चाह रहे हैं हम चाह रहे हैं कि आंखों से हम ऑब्जेक्ट्स को देख पाएं सपोज ये मेरे सामने रखा हुआ है पेन मैं चाहती हूं इस ऑब्जेक्ट को मैं देखूं मैं इसे कैसे देख पाऊंगी जब इसकी इमेज कहां बनेगी मेरी आंखों के अंदर बनेगी आंखों के अंदर जब इमेज बनेगी तभी मुझे ये क्या देगा ये जो पेन है मुझे यह मुझे दिखाई देगा इमेज कब बनती है याद करो जब रेज क्या होती है ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो रेज है इंसीडेंट रेज है वो क्या हो जाती है किसी पॉइंट प जाकर के कन्वर्ज हो जाएंगी और जब हम बात करते हैं कन्वर्जेंस की तो भाई कॉन्वेक्स लेंस से अच्छा कन्वर्जेंस तो कोई और दे ही नहीं सकता कॉनकेव लेंस भी लगा सकते थे लगा के देख लो कॉनकेव लेंस क्या होता था बच्चों वो डायवर्ज करता था है ना उस परे पड़ने वाली इंसीडेंट रेज को वो डायवर्ज कर देते था कर देता था लेकिन जो हमारा कॉन्वेक्स लेंस है वो क्या करता है उस परे आ रही इंसीडेंट रेज को कन्वर्ज कर देता है और यही तो हम चाहते हैं हम चाहते हैं कि ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो रेज है इंसीडेंट रेज है वो हमारी आंखों में जाकर के कन्वर्ज हो जाए ताकि हमें इस ऑब्जेक्ट की इमेज दिख जाए आंखों के अंदर हमें ऑब्जेक्ट दिख जाए इसीलिए कॉर्निया का शेप भी क्या होता है कॉर्निया का शेप भी होता है कॉन्वेक्स और लेंस का शेप भी क्या होता है कॉन्वेक्स होता है ताकि क्या हो बाहर से आ रही जो लाइट है सपोज ये आ रही है लाइट रेस यह क्या हो कन्वर्ज होती जाए और मैक्सिमम रिफलेक्शन ये सवाल आता है एग्जामिनेशन में कि मैक्सिमम कन्वर्जेंस कहां होता है लाइट का आई बॉल पे मैक्सिमम कन्वर्जेंस कहां होता है तो आपका आंसर होना चाहिए मैक्सिमम कन्वर्जेंस होता है कॉर्निया पे क्यों क्योंकि पहला जो कॉन्वेक्स शेप दिख रहा है आई बॉल का वो कहां है क निया पे ही है तो लाइट हमारी आंखों पे कन्वर्ज होकर ही क्या होंगी अंदर आएंगी ऐसे ही नहीं कि बस पैरेलल रेज आ रही थी तो पैरेलली हमारे आंखों के अंदर चली गई और आईलेंस के बाद जाकर के कन्वर्ज हुई नहीं कॉन्वेक्स शेप तो उसको पहले ही मिल गया है ना इसीलिए लाइट जब हमारी आंखों के अंदर आती है ना भाई भाई तो वो कन्वर्ज हो कर के आती है ऑलरेडी वो कन्वर्ज्ड होती है और मैक्सिमम कन्वर्जेंस कहां होता है मैक्सिमम कन्वर्जेंस होता है मैक्सिमम रिफ्रैक्ट आप बोल सकते हो होता है हमारी कॉर्निया पर आई होप ये चीज आपको समझ में आ गई हो तो लाइट रेज जो है वो कुछ इस तरह से बेंड हो कर के अंदर आती है और लेंस पे आके क्या होता है लेंस के पहले उन्हें कौन मिलता है लेंस के पहले मिलती है आयरस अब ये नहीं कि जितनी भी लाइट जो है अ कॉर्निया के थ्रू अंदर आ ये पूरी की पूरी जो है लेंस पे चली जाएगी नहीं कुछ लाइट ऐसी भी होती है जो कि आयरस पे जाने के बाद रिफ्लेक्ट हो जाती है कुछ ऐसी होती है जो अब्जॉर्ब हो जाती है वो लाइट रेज जो कि उस आंखों की खिड़कियों पे यानी कि प्यूप पे आएंगी सिर्फ वही लाइट रेस क्या होंगी लेंस के पास जाएंगी यानी कि कॉर्निया ने क्या किया ऑब्जेक्ट से आ रही इंसिडेंट रेज को कन्वर्ज किया ये लाइट कन्वर्जड लाइट कहां पहुंची आयरस पे पहुंची आयरस पे आने वाली जो रेज होंगी वो कुछ रिफ्लेक्ट हो जाएंगी कुछ अब्जॉर्ब हो जाएंगी वो कन्वर्जड लाइट रेज जो कि प्यूप से अंदर जा रही है प्यूप पे पड़ रही है वही लाइट रेस क्या होगी लेंस के पास जाएगी लेंस के पास जब जाएंगी तो क्या होगा फिर से क्योंकि हमारा लेंस कौन सा है कॉन्वेक्स लेंस है और हमें पता है कॉन्वेक्स लेंस क्या करता है कन्वर्ज करता है लाइट रेज को फिर क्या होगा फिर से हम बोलते हैं कि लाइट रेज कन्वर्ज हो जाएंगी कन्वर्ज कहां होंगी भाई एक स्क्रीन पे होगी आपको याद होगा प्रीवियस चैप्टर में हमने ऐसे बहुत सारे क्वेश्चंस सॉल्व किए हैं जहां पे हमने देखा है कि एक ऑब्जेक्ट है एक कैंडल है कैंडल को हमने लेंस के सामने रखा है स्क्रीन को कहां रख दें कि उस कैंडल की हमें एक क्लियर इमेज दिख जाए ये इस तरह के सवाल हमने बहुत पढ़े हैं भाई स्क्रीन हम कहां रखते थे बच्चों अगर आपको याद हो हम स्क्रीन वहां रखते थे जहां पे ऑब्जेक्ट की इमेज बननी वाली हो यहां पे भी तो ऐसे ही हो रहा है इंसिडेंट रेज आ रही है आंख के बाहर से किसी पर्टिकुलर ऑब्जेक्ट से वो इंसिडेंट रेज पहले कन्वर्ज हुई कॉर्निया पे फिर इसके बाद में आयरस पे पहुंची प्यूप पे पहुंची प्यूप के बाद कहां पहुंची लेंस पे पहुंची लेंस ने भी क्या कर दिया उन रेस को कन्वर्ज कर दिया अब जो ये जो रिफ्रैक्टेड रेज आ रही है कन्वर्ज हो कर के ये क्या होंगी किसी पर्टिकुलर पॉइंट पे क्या होंगी आकर के कन्वर्ज हो जाएंगी और वो कहां कन्वर्ज होगी जहां पे इमेज बनेगी यानी कि हमारी जो आईबॉल है ना बच्चों आईबॉल के पीछे होती है एक लेयर एक स्क्रीन उस स्क्रीन को हम क्या कहते हैं उस स्क्रीन को हम कहते हैं रेटीना क्या कहेंगे रेटीना कहेंगे क्यों क्योंकि इसी स्क्रीन पे क्या बन है इमेज बनती है यानी कि थोड़ा-थोड़ा कन्वर्जेंस तो रेस का शुरू हो ही गया था कॉर्निया से लेंस के बाद क्या होगा सभी रिफ्रैक्टेड रेज एक पर्टिकुलर पॉइंट प जाकर के क्या हो जाएंगी कन्वर्ज हो जाएंगी मिल जाएंगी और जिस पॉइंट पे वो मिल रही है जिस पॉइंट प वो फाइनल कन्वर्ज हो रही है वो पॉइंट कहां आता है तो एक स्क्रीन पे आता है उस स्क्रीन को हम क्या कहते हैं भाई रेटीना कहते हैं अब ऐसा क्या हो रहा है कि रेटीना पे जो है इमेज बन रही है रेटीना के पास होते हैं दो सेंसर्स उन सेंसर्स को हम क्या कहते हैं एक होते हैं हमारे रॉड्स और दूसरे होते हैं कोनस ये जो रॉड्स होते हैं ये क्या करते हैं ये अमाउंट ऑफ लाइट को अ यू नो इवेलुएट करते हैं कि कितनी लाइट कितने अमाउंट आ रही है लाइट फिर इसके बाद में ये जो कोन्स है इनका काम क्या होता है यह देखते हैं कि कौन से कलर की आ रही है लाइट यानी कि जो भी ऑब्जेक्ट रखा होगा आंखों के सामने जिससे कि ये इंसिडेंट ीज आ रही होंगी उस ऑब्जेक्ट के लाइट की क्वांटिटी के बारे में और लाइट के कलर के बारे में ये रॉड्स एंड कोन्स जो कि दो सेंसर्स होते हैं कहां प्रेजेंट होते हैं रेटीना पे प्रेजेंट होते हैं ये दोनों सेंसर्स इंफॉर्मेशन जो है ना ले लेते हैं ऑब्जेक्ट के बारे में अब जब इंफॉर्मेशन आ गई है तो ये क्या करेंगे भाई अचार डालेंगे क्या इस इंफॉर्मेशन का बिल्कुल भी नहीं ये इंफॉर्मेशन किसको देंगे हमारे ब्रेन को देंगे ब्रेन को ऐसे कैसे दे देंगे कि बस जोर से बोल दिया कि अरे लाइट जो है ना ब्लू कलर की आ रही है ये तो हमारे ब्रेन ने सुन लिया ऐसा नहीं होता ये क्या करते हैं ये पूरी इंफॉर्मेशन देते हैं किसके थ्रू ऑप्टिक नर्व के थ्रू ऑप्टिक नर्व के थ्रू इंफॉर्मेशन रॉड्स एंड कोन से कहां जाती है हमारे ब्रेन तक जाती है यानी कि ऑप्टिक नर्व्स भी ये आपको दिख रही होंगी ये ऑप्टिक नर्व्स भी क्या होती है हमारी आंखों के अंदर होती है लेकिन हमने अभी क्या पढ़ा कि आंखों के पीछे तो एक स्क्रीन होती है जहां पे ऑब्जेक्ट की इमेज बनती है लेकिन हम बोल रहे हैं कि ऑप्टिक नर्व भी क्या हो रही है आईबॉल के अंदर है और आप ये नहीं बोल सकते हो कि ठीक है अ हां ऑप्टिक नर्व्स जो है ना आईबॉल के अंदर है मतलब वो बाहर नहीं होंगी बिल्कुल भी नहीं जो ऑप्टिक नर्व्स होती हैं वो आंखों के अंदर भी होती है और आंखों के बाहर भी होती है तभी तो ब्रेन तक इंफॉर्मेशन लेके जा रही है ना रॉड्स एंड कोन्स की ऐसा थोड़ी ना है कि एक जो है ना बॉल के अंदर आपने ऑप्टिक नर्व्स को एंक्लोज कर दिया नहीं वो क्या होती हैं आंखों के अंदर भी होती है आखों के बाहर भी जाती है लेकिन हमने तो पढ़ा है कि एक आंखों के पीछे क्या होती है स्क्रीन होती है यानी कि डेफिनेटली हमारी जो स्क्रीन है हम हमारी जो रेटीना है वो क्या होती है फटी हुई होती है कहीं से छेद होता है उसमें तभी तो उसी छेद में से हमारे जो ऑप्टिक नर्व्स है वह आंखों के अंदर पेनिट्रेट कर पाती है अगर पेनिट्रेट नहीं करेंगी तो क्या होगा यह जो रोड्स एंड कोन्स के पास इंफॉर्मेशन है ना इसका सच में अचार ही डालना पड़ेगा है ना तोय ऑप्टिक नर्व्स क्या करती है जहां पे रेटीना पे छेद होता है उस छेद के थ्रू अंदर आएंगी और इंफॉर्मेशन को लेके चली जाएंगी कहां ब्रेन तक ठीक अब क्या है यानी कि हमारी जो रेटीना है वो इनकंप्लीट है ओबवियस सी बात है कंप्लीट तो नहीं है वो उसमें एक छेद है उस छेद को जहां से ऑप्टिक नर्व्स आंखों के अंदर आती है बच्चों उसे हम क्या कहते हैं उसे हम कहते हैं ब्लाइंड स्पॉट क्या कहेंगे उसे उसे हम कहेंगे ब्लाइंड स्पॉट ब्लाइंड स्पॉट क्यों कह रहे है क्योंकि वहां पे रॉड्स एंड को भाई रॉड्स एंड कोड्स कहां होते हैं सिर्फ रेटीना पे होते हैं इस पॉट पे तो हम कह रहे हैं कि रेटीना है ही नहीं तो जब रेटीना नहीं है तो क्या रॉड्स एंड कोन्स होंगे बिल्कुल भी नहीं होंगे तो ब्लाइंड स्पॉट क्या है एक ऐसी जगह है रेटीना पे जहां पे रॉड्स एंड कोन्स नहीं होते हैं ठीक और यहां पे इसी के थ्रू इसी स्पॉट के थ्रू ऑप्टिक नर्व्स जो होती है वो आंखों के अंदर जाती हैं आंखों के अंदर क्यों जा रही है क्योंकि रॉड्स एंड कोन्स ने जो ऑब्जेक्ट के बारे में इंसिडेंट रे ऑब्जेक्ट के बारे में जो इमेशन गेन करी है उस इंफॉर्मेशन को लेकर जाना होता है कहां ब्रेन तक ब्रेन क्या करेगा उस इंफॉर्मेशन का ब्रेन इस इंफॉर्मेशन को करता है प्रोसेस अगर मैं आपसे बोलूं कि हम हमारी जो आंखें है ना वो हमें देखने में हेल्प नहीं करती तो आप बोलोगे कि मैम ऐसे कैसे इतना सब कुछ पढ़ रहे हैं यह लेंस वो लेंस यह पार्ट वो कलर पार्ट वो वाइट पार्ट और आप कह रहे हो कि सिर्फ इंफॉर्मेशन के लिए यूज होता है बिल्कुल हम अपनी आंखों आखों से नहीं देखते हैं हम अपनी आंखों से नहीं देखते आंखों का काम क्या होता है आंखों का काम होता है आंखों के सामने जो भी ऑब्जेक्ट है जो भी पर्सन है जो भी चीज है उसके बारे में इंफॉर्मेशन लेकर के आना कहां तक लेकर के आना ब्रेन तक लेकर के आना फिर यह ब्रेन क्या करेगा उस इंफॉर्मेशन को प्रोसेस करता है और उस इंफॉर्मेशन जो प्रोसेस्ड इंफॉर्मेशन है उससे बनाता है इमेज और तब जाकर के हम उस ऑब्जेक्ट को देख पाते हैं यानी कि कि हमारी आंखों का काम क्या है चीजों को देखना नहीं चीजों के बारे में इंफॉर्मेशन कैरी करके ब्रेन तक ले जाना समझे ये पूरे वही पार्ट्स हैं बच्चों आईबॉल के स्ट्रक्चर के कंपोनेंट्स वही हैं जो आपकी सिलेबस में इसके अलावा हम और कुछ नहीं पढ़ेंगे हां दो चीजें और हैं दो चीजें वो ये है कि हमारी आईबॉल के पास जो है ना दो फ्लूइड कंपार्टमेंट्स भी होते हैं एक होता है एक्वसस और एक होता है विटर चैंबर या विट ह्यूमर ठीक है ये जो आपको पार्ट दिख रहा है यानी कि लेंस या आई लेंस है तो लेंस से लेकर के जो हमारा रेटीना है ठीक है लेंस से लेकर के जो हमारा रेटीना है इस पूरे पोर्शन में इस पूरे पोर्शन में क्या होता है भाई इसमें भरा होता है एक फ्लूइड ये फ्लूइड क्या होता है 99.9 इसमें पानी होता है % इसमें विटामिंस होते हैं ठीक है प्रोटींस होते हैं और इसे हम क्या कहते हैं इसे हम कहते हैं अ बेसिकली ये भी क्या है एक फ्लूइड कंपार्टमेंट है ठीक फिर इसके बाद में यह आपको दिख रहा होगा यह जो हमारी कॉर्निया है कॉर्निया और यह जो आपको दिख रही होगी हमारी आयरस तो कॉर्निया और आयरस के बीच में भी क्या होता है एक फ्लूइड कंपार्टमेंट होता है इसमें भी क्या होता है पानी भरा होता है थोड़े बहुत उसमें प्रोटीन हो जाएंगे विटामिंस हो जाएंगे फ्लूइड कंपार्टमेंट क्यों है क्या जरूरत है एक हो गया एक्वास यूमर एक हो गया विस यूमर क्या जरूरत है तो भाई जरूरत इनकी यह है कि यह जो है ना आंखों को थोड़ा सा मॉइश्चर प्रोवाइड करते हैं हमारी आंखों को आप क्लियर देखो कभी आपको तो बहुत ही मॉइश्चर दिखेंगी गीली दिखेंगी क्यों क्योंकि ये दोनों चैंबर्स जो है ना ये सूटेबल मॉइश्चर प्रोवाइड करते हैं अगर यह ना हो तो हमारी आंखें बिल्कुल सूख जाएंगी ठीक तो हमारी आंखों में दो फ्लूइड कंपार्टमेंट्स भी होते हैं एक हो गया विट्रेस चेंबर और एक हो गया एक्वास चेंबर आई बात आपको समझ में पहला चेंबर होता है कहां लेंस से लेकर के रेटीना के बीच में दूसरा होता होता है कॉर्निया से लेकर के आयरस प्यूप के बीच में ठीक आई होप ये चीजें आपको समझ में आ गई होंगी इसके अलावा हमें अपने आई के स्ट्रक्चर में और कुछ नहीं पढ़ना है स्टार्ट हमने क्या कहां से किया था कॉर्निया के साथ आउटर मोस्ट पोर्शन होता है इट इज अ ट्रांसपेरेंट स्फेरिकल मेंब्रेन कवरिंग द फ्रंट ऑफ द आई लाइट एंटर्स द आई थ्रू दिस मेंब्रेन मोस्ट ऑफ द रिफ्रैक्ट ऑफ लाइट रेज एंटरिंग द आइज अकर एट द आउटर सरफेस ऑफ़ द कॉर्निया मैक्सिमम रिफ्रैक्ट कहां होगा भाई मैक्सिमम रिफ्रैक्ट होता है इस कॉर्निया पे ट्रांसपेरेंट कलर की होती है यह आउटर मोस्ट पार्ट होता है आंखों को अ किसी तरह के डैमेज से डस्ट पार्टिकल से भी प्रोटेक्ट करती है साथ ही साथ जो लाइट रेज आ रही हैं बाहर से किसी भी ऑब्जेक्ट से उनको क्या करेगी कन्वर्ज करेगी उसको रिफ्रैक्ट करेगी क्यों क्योंकि शेप कैसा है कॉन्वेक्स शेप का है तो ओबवियस सी बात है कन्वर्ज ही करेगी लाइट रेज को फिर इसके बाद में आती है क्रिस्टलाइन लेंस क्रिस्टलाइन लेंस हम बोलते हैं द आई लेंस इज अ कॉन्वेक्स लेंस मेड अप ऑफ ट्रांसपेरेंट सॉफ्ट फ्लेक्सिबल मटेरियल लाइक अ जेली मेड ऑफ प्रोटींस तो कांच की लेंस नहीं है भाई हम बोल सकते हैं कि जेली लाइक प्रोटींस होते हैं कुछ प्रोटींस के बने होते हैं जो कि जेली लाइक मटेरियल होता है काफी सॉफ्ट होते हैं फ्लेक्सिबल होते हैं एंड ट्रांसपेरेंट होते हैं ठीक फिर इसके बाद में नेक्स्ट चीज क्या पढ़ी थी हमने आइरिस पढ़ी थी कि आयरस क्या है भाई एक डार्क मस्कुलर डायफार्मा होता है बिटवीन कॉर्निया एंड द लेंस जो कि क्या करते हैं बेसिकली आयरस हमारी अ जो आंखों का कलर्ड पार्ट होता है कलर क्यों हो रहा है उसमें क्योंकि मेलेनिन प्रेजेंट है मेलेनिन कहां से आ रहा है एक पिगमेंट जिसको मेलानोसाइट्स प्रोड्यूस करते हैं जितना रेशियो होगा मेलेनिन का उस हिसाब से आयरस का कलर होगा फिर इसके बाद में इसका और काम क्या होता है ना सिर्फ ये अ कलर आंखों को एक कलर प्रोवाइड करता है साथ ही साथ ये क्या करता है ये हम बोलते हैं कि जो प्यूप है यानी कि आयरस के बीच में जो छोटी सी ओपनिंग होती है जिसको हम आंखों की विंडो कहते हैं उस ओपनिंग को भी क्या करता है उसके साइज को रेगुलेट करता है ज्यादा लाइट में जा रहे हो तो क्या हो जाएगा प्यूप छोटी हो जाएगी और अगर कम लाइट में जा रहे हो तो प्यूपिया हो जाएगी बड़ी लाइट बड़ी हो जाएगी ताकि ज्यादा से ज्यादा लाइट रेज आंखों के अंदर पहुंचे और हम देख पाएं कम लाइट में भी ठीक फिर इसके बाद में प्यूप प्यूप का मैंने बताया छोटा सा होल होता है ओपनिंग होती है और इसी के थ्रू लाइट जो है हमारी आंखों के अंदर जाएगी कॉर्निया से तो अंदर आ जाती है लेकिन क्या होगा अगर आयरस पे पड़ी वो लाइट तो होगी थोड़ी सी अब्जॉर्ब हो जाएगी थोड़ी सी रिफ्लेक्ट हो जाएगी अगर हमें लाइट को आंखों के अंदर भेजना है तो वो कहां से जाएगी इस प्यूप के थ्रू यानी कि खिड़की के थ्रू ही जाएगी आ गई बात समझ में फिर इसके बाद में सिलियरी मसल्स हां सिलेरी मसल्स मैंने आपको नहीं बताई थी क्या होती है सिलेरी मसल्स आईलेंस मैंने आपको पढ़ाया था ठीक है अब यह जो आईलेंस है बच्चों यह हवा में तो नहीं झूले गी आंखों के अंदर हवा में तो नहीं झूले गी इसको कोई ना कोई पकड़ के रखता है और कौन पकड़ के रखता है अपनी पोजीशन पे वह यही होती हैं सेलियरी मसल्स सेलियरी मसल्स का ना सिर्फ लेंस को पकड़ के रखने का काम है इनका और भी बहुत बड़ा काम है यह मैं आपको अभी नहीं यह मैं आपको बताऊंगी नेक्स्ट लेक्चर में ठीक तो दे होल्ड द लेंस इन द पोजीशन और उसके अगले वाली लाइन मत पढ़ो ठीक फिर इसके बाद में रेटिना रेटिना तो क्या है भाई एक लाइट सेंसिटिव सरफेस है आई का स्क्रीन जिसे हम बोलते हैं और यहीं पे इमेज बनती है इसके पास दो सेंसर्स होते हैं रड एंड कोन्स सेंसर मतलब कि सेंसिटिव सेल्स होते हैं रॉड्स क्या करता है लाइट की अमाउंट नापेगा कि किस कितने अमाउंट की लाइट आ रही है और कोनस क्या करते हैं कलर कौन से कलर की लाइट आ रही है वो देखते हैं ठीक फिर इसके बाद में ऑप्टिक नर्व ऑप्टिक नर्व क्या करती है जो भी इंफॉर्मेशन रॉज एंड कोनस ने ली है विजुअल इंफॉर्मेशन उसको रेटीना से कहां पहुंचाएगी ब्रेन तक पहुंचाएगी स्क्लेरा क्या होता है भाई एक ओपेक फाइब्रसिस्टिक है आंखों को प्रोटेक्ट करना ही है ब्लाइंड स्पॉट ब्लाइंड स्पॉट क्या है यह वो पोर्शन पोर्शन है रेटीना पे जहां पे रॉड्स एंड कोन्स नहीं होते हैं और वहीं से जो ऑप्टिक नर्व है वो आंखों के अंदर एंटर करती है नेक्स्ट चीज क्या पड़ी हमने हां एक्वास यूमर एंड ट्रस यूमर एक्वास यूमर क्या है कॉर्निया से लेकर के जो आईलेंस है ठीक है कॉर्निया से लेकर के आईलेंस यानी कि ये वाला जो पोर्शन है ठीक है कॉर्निया से लेकर के आईलेंस के बी बीच में जो चेंबर होता है फ्लूइड पोर्शन उसे हम क्या कहते हैं उसे हम कहते हैं एक्वास चेंबर या एक्वास यूमर और यह भरा होता है ट्रांसपेरेंट लिक्विड से जिसको हम एक्वास यूमर कहते हैं और ये क्या करता है बेसिकली ये आंखों को अ थोड़ा सा मॉइश्चर भी प्रोवाइड करेगा ठीक है फिर इसके बाद में जो रिफ्रैक्ट हो रहा है लाइट का आंखों के अंदर उसको भी ये सपोर्ट करता है फिर इसके बाद में विट टूमर विटर ट्यूमर क्या है अ जो हमारी आईलेंस है आईलैंड से लेकर के रेटिना आईलैंड से लेकर के रेटीना के बीच की जो स्पेस होती है वह भी फ्लूइड से भरी होती है और वह कौन सा फ्लूइड होता है भाई विट अस उसमें 99.9 पर पानी होता है 1 पर प्रोटींस एंड वाटर अ एंड विटामिंस होते हैं आई आपको बात समझ में तो ये वही चीजें हैं जो आपके सिलेबस में है एक भी ऐसा कंपोनेंट नहीं है जो मैंने आउट ऑफ द सिलेबस जा करके आपको पढ़ाया है तो आपको स्ट्रक्चर समझ में आ गया होगा कि आंखों का स्ट्रक्चर कैसा है अब अगर मैं आपको बोलूं कि भाई हम देख कैसे पाते हैं चीजों को तो बड़ा आसान है जो जो हमने अभी चीजें पढ़ी है ना जिस सीक्वेंस में उसी सीक्वेंस में आप क्या करो लाइट रेस को अंदर ले आओ एन इमेज इज फॉर्म्ड ऑन द रेटीना बाय सक्सेसिव रिफ्रैक्ट एट द कॉर्निया द एक्वसून लेंस एंड द विट अस यूमर भाई ये जो फ्लूइड है ना फ्लूइड कंपार्टमेंट ये करता क्या है ये मीडियम चेंज कर रहा है लाइट रिफ्रैक्ट कब कर पाएगी बच्चों थोड़ा दिमाग लगाओ हमने रिफ्रैक्ट क्या पढ़ा है लाइट की बेंडिंग लाइट की बेंडिंग क्यों होती है क्योंकि मीडियम चेंज होता है लाइट हमारी बाहर से आंखों के अंदर आ है उसका पाथ तब तक चेंज नहीं होगा जब तक कि क्या हो अ हम बोलते हैं कि मीडियन चेंज ना हो तो बेसिकली जो फ्लूइड कंपार्टमेंट है ये ना सिर्फ हमारी आंखों को मॉइश्चर करते हैं प्रोवाइड साथ-साथ में एक मीडियम भी चेंज कर देते हैं जिसकी वजह से लाइट रिफ्रैक्ट हो पाए लेंसेक्स पढ़े जिस भी सीक्वेंस में पढ़े हैं सबसे पहले कॉर्निया आया कॉर्निया के बाद प्यूप आई फिर आयरस आई फिर प्यूप आई प्यूप के बाद लेंस आया लेंस ने क्या किया लाइट को कन्वर्ज कर दिया रेटिना पे और रेटिना ने क्या किया उसके पास कोन्स और रॉड्स थे उन्होंने इंफॉर्मेशन दे दी कहां ऑप्टिक नर्व्स को ऑप्टिक नर्व्स ने पहुंचा दी कहां ब्रेन तक ठीक है ये एक आपको जीआईएफ दिख रहा होगा कि कैंडल रखी हुई है आंखों के सामने इसकी इमेज देखो जरा सबसे पहले कन्वर्जेंस कहां हुआ रिफ्रैक्ट कहां हुआ ये हुआ कॉर्निया पे कॉर्निया के बाद लाइट रेज जो है कहां पहुंची लेंस से लेंस पे पहुंची लेंस के बाद में और क्या हुआ कन्वर्जेंस हुआ और इमेज कहां बन गई रेटीना पर बनी लेकिन एक देखने वाली बात है क्या है वो देखने वाली बात कि यह जो इमेज बनी है ना ऑब्जेक्ट की यह कैसी है यह इनवर्टेड है घूमी हुई है याद करो अभी अभी मैंने आपको 5 मिनट पहले बोला था कि हम अपनी आंखों से सिर्फ इंफॉर्मेशन लेते हैं ऑब्जेक्ट के बारे में इंफॉर्मेशन लिखते देखते नहीं है देखता कौन है ब्रेन दिखाता है हमें देखो ना जो हमारी आईबॉल है इसने जो भी इंफॉर्मेशन ली है इसने जो इमेज बनाई है रेटीना पे इस कैंडल की वो कैसी है रियल इनवर्टेड है भाई ये सवाल तो आपको जब आपको पता चला था कि हमारी आंखों में कॉन्वेक्स लेंस होती तभी समझ में आ जाना चाहिए था यस और नो कि हमारी आंखों में कैसी है एक कॉन्वेक्स लेंस है यानी कि इनवर्टेड और रियल इमेज बनने वाली है लेकिन हमें तो कैंडल जो है सीधी ही दिखेगी हमें तो नहीं दिखेगी वो उल्टी ऐसा क्यों क्योंकि ये जो पूरी इंफॉर्मेशन है ना इमेज जो बनी है इसकी इंफॉर्मेशन जाती है हमारे ब्रेन के पास ब्रेन उस इंफॉर्मेशन को प्रोसेस करता है और हमें कैंडल अपराइट पोजीशन में दिखाता है इसीलिए मैंने बोला था कि हम अपने आई से नहीं देखते अगर देखते होते तो ये कैंडल हमें इनवर्टेड दिखती छोटी दिखती और इनवर्टेड दिखती डिमिनिश्ड रियल एंड इनवर्टेड दिखती लेकिन ऐसा कुछ नहीं है बढ़िया दिखती है हमें कैंडल अपराइट दिखती है जितने साइज की होती है उतने ही साइज की दिखती है है ना क्यों क्योंकि यह जो पूरी इंफॉर्मेशन है ना जो रेटीना प आई है ऑब्जेक्ट की वो हमारा ब्रेन प्रोसेस करता है तो इट इज रियल डिमिनिश्ड एंड इनवर्टेड इन नेचर द लाइट सेंसिटिव सेल्स ऑफ़ द रेटीना गेट्स एक्टिवेटेड अपॉन द इल्यूमिनेशन एंड जनरेट इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स दीज सिग्नल्स आर देन सेंट टू द ब्रेन वाया द ऑप्टिक नर्व जो सेंसिटिव सेल्स होते हैं लाइट लाइट सेंसिटिव सेल्स हमारे रेटिना पे वो जैसे ही लाइट पड़ती है एक्टिवेट हो जाते हैं और इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स जनरेट करते हैं इन्हीं इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स के पास क्या होती है इंफॉर्मेशन होती है और लाइट के अमाउंट के बारे में और उसके कलर के बारे में जिसको कि ऑप्टिक नर्व के थ्रू ब्रेन तक पहुंचा दिया जाता है द ब्रेन इंटरप्रिटेड दीज सिग्नल्स एंड फाइनली प्रोसेस द इंफॉर्मेशन सो दैट वी पर्सीव ऑब्जेक्ट्स एज दे आर ठीक फिर इसके बाद में क्या बोला द रॉड शेप्ड सेल्स ऑफ़ द रेटीना रेस्पॉन्ड टू द इंटेंसिटी ऑफ़ द लाइट दैट इज़ द डिग्री ऑफ़ द ब्राइटनेस ऑ द डार्कनेस बट डू नॉट रेस्पॉन्ड टू कलर रॉड्स का काम क्या होता है सिर्फ लाइट की इंटेंसिटी कितने अमाउंट की लाइट है कि डिम लाइट है कि ब्राइट लाइट है वो पता करना और कोनस का काम क्या होता है कलर्स को आइडेंटिफिकेशन के पास तो इस लेक्चर में इस सेशन में मैंने आपको दो चीजें बता दी हैं नाना सिर्फ हमने ह्यूमन आई का स्ट्रक्चर पढ़ा है बल्कि हमने इमेज फॉर्मेशन विजन की जो पूरी प्रोसेस होती है वो भी हमने पढ़ ली यानी कि हमने अपने टारगेट से ज्यादा ही पढ़ लिया सारे स्ट्रक्चर्स आपको समझ में आए सारे कंपोनेंट समझ में आया आपको आई के फिर इसके बाद में किस तरह से हम चीजों को देख पाते हैं विजन की प्रोसेस कैसे होती है कि लाइट आई है कॉर्निया पे कॉर्निया पे थोड़ा सा क्या हुआ है रिफ्रैक्ट हुआ है रिफ्रैक्ट में कौन हेल्प करता है भाई जो दो फ्लूइड कंपार्टमेंट होते हैं हमारी आईबॉल के एक हो गया है एक्वास यूमर एक हो गया विट अस यूमर वो हेल्प करते हैं फिर लाइट पहुंची कहां अ खिड़की पे प्यूप की खिड़की यानी कि अ सॉरी आयरिश की खिड़की यानी कि प्यूप प्यूप से अंदर गई अंदर उसको मिला क्रिस्टलाइन लेंस जो कि जली लाइक मटेरियल का बना होता है प्रोटीन का बना होता है कॉन्वेक्स शेप का होता है उस लेंस ने क्या किया रिफ्रैक्ट शो किया लाइट रेस को और कन्वर्ज कर दिया कहां कर दिया आंखों के पीछे एक स्क्रीन पे उस स्क्रीन को हम क्या कहते हैं रेटीना कहते हैं उस रेटीना के पास क्या होते हैं दो सेंसर्स होते हैं सेंसिटिव सेल्स होते हैं रॉड्स एंड कोन्स ये एक्टिवेट हो जाते हैं जैसे ही लाइट पड़ती है इन पे रॉड्स क्या करें करेंगे लाइट की इंटेंसिटी को मेजर करेंगे कोनस क्या करेंगे कौन से कलर की लाइट आई है उसको मेजर करेंगे फिर क्या होता है इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स प्रोड्यूस करेंगे इन इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को ऑप्टिक नर्व्स जो होती हैं वो कहां लेके जाएंगी ब्रेन पे लेके जाएंगी यानी कि रेटीना पे क्योंकि कॉन्वेक्स लेंस है हमारी आंखों में कैसा कैसी इमेज बनेगी रियल अ इनवर्टेड एंड डिमिनिश्ड लेकिन हमें ऑब्जेक्ट कैसा दिखता है बड़ा अच्छा दिखता है ठीक है अपराइट दिखता है वर्चुअल दिखता है और कैसा उसकी साइज भी जो है ना बराबर दिखती है क्यों क्योंकि जो इंफॉर्मेशन है वो कहां गई हमारे ब्रेन पे गई ब्रेन ने उस इंफॉर्मेशन को प्रोसेस किया तब जाकर के हम उस चीज को देख पाए जैसी वो ओरिजनली थी ये नहीं कि साइज में छोटी दिख रही है इनवर्टेड दिख रही है रियल दिख रही है ऐसा कुछ भी नहीं ठीक तो आज इस लेक्चर में हमने काफी सारी चीजें पढ़ी हैं हमने आय का स्ट्रक्चर पढ़ लिया है और हमने जो विजन की प्रोसेस है वो भी पढ़ ली है अब इस सेशन के लिए है एक आपके लिए सवाल सवाल थोड़ा सा अलग है हमने तो कॉनकेव और कॉन्वेक्स लेंस के केसेस में पढ़ा था कि अलग-अलग ऑब्जेक्ट की पोजीशन तो अलग-अलग इमेज की भी पोजीशन लेकिन यहां पर आई के केस में तो बड़ी अजीब सी चीजें चल रही है लेंस तो हमने सेम लगा करके रखी है लेकिन आप ऑब्जेक्ट को कहीं भी रखो बहुत दूर बहुत पास है ना लेकिन इमेज जो है वो तो रेटिना प ही बन रही है ऐसा कैसे पॉसिबल है अलग-अलग ऑब्जेक्ट को प पोजीशन पे रखोगे तो उसकी इमेज भी अलग-अलग पोजीशन पे बनती है यह हम पढ़ते आ रहे हैं चाहे स्फेरिकल लेंसेक्स क्यों ना हो लेकिन अभी इस केस में हम क्या देख रहे हैं कि आई लेंस अपनी जगह पे फिक्स्ड है सिलेरी मसल्स से उनको पकड़ के रखा हुआ है लेकिन फिर भी कहीं भी रख दो ऑब्जेक्ट को इमेज रेटीना पे ही बनेगी रेटीना पे बनेगी तभी तो रॉड्स इन कोन्स अपना काम करेंगे सिग्नल्स भेजेंगे ऑप्टिक नर्व्स के थ्रू ब्रेन पे ऐसा कैसे पॉसिबल है इस सवाल का जवाब थोड़ा दिमाग लगा कर के सोचो यहां आ रही है सिलियरी मसल्स ठीक है तो इस लेक्चर के लिए इतना ही मैंने आपको इस लेक्चर में छोड़ा है एक सवाल के साथ उस सवाल का जवाब आपको बताना है ये वो वाली स्लाइड है जहां पे आपको डिफरेंट आई कलर्स दिख रहे होंगे यानी कि डिफरेंट आयरस का कलर इस लेक्चर के लिए इतना ही मिलेंगे हम अपने नेक्स्ट लेक्चर में जहां पे हम अ स्टार्ट करेंगे आई के डिफेक्ट्स के साथ नहीं आई का डिफेक्ट तो अभी और बाद में आएगा पहले हम पावर ऑफ अकोमोडेशन पढ़ेंगे नियर पॉइंट पढ़ेंगे फार पॉइंट पढ़ेंगे वो सब हम देखेंगे नेक्स्ट लेक्चर में इस लेक्चर के लिए इतना ही आप क्या करेंगे तब तक हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है magnetbrains.com उसको विजिट कर लेना जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे अरेंज फॉर्म में प्लेलिस्ट में साथ ही साथ सभी टॉपिक्स के वहां पे आपको नोट्स भी होंगे अवेलेबल सो डू विजिट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विद मैग्नेट ब्रेंस थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन इस लेक्चर में इस सेशन में हम पढ़ने वाले हैं हमारे क्लास 10थ फिजिक्स के सेकंड चैप्टर द ह्यूमन आय एंड द कलरफुल वर्ल्ड का एक और नया टॉपिक एक्चुअली यहां पे हम तीन नए टॉपिक्स पढ़ने वाले हैं फर्स्ट होगा पावर ऑफ अकोमोडेशन फिर इसके बाद में हम पढ़ेंगे नियर पॉइंट और फिर हम पढ़ेंगे फार पॉइंट ठीक है ये तीन टॉपिक्स हैं छोटे-छोटे से टॉपिक हैं जो आज हमें इस लेक्चर में इस सेशन में कवर करना है तो भाई आज के इस लेक्चर का सेशन का टारगेट हो गया सेट तो फिर देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं आज का ये हमारा सेशन दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलने वाले हैं बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैग्नेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं आज का ये हमारा सेशन अगर आपको बच्चों याद होगा तो प्रीवियस सेशन में मैंने आपको एक क्वेश्चन मार्क एक क्वेश्चन के साथ आपको छोड़ दिया था सवाल मेरा यह था कि हमने देखा है कि चाहे वह कॉनकेव लेंस हो चाहे वो कॉन्वेक्स लेंस हो अलग-अलग पोजीशंस पे जब आप लेंसेक्स लेंसेक्स को रखोगे उनकी जो इमेज है वो भी अलग-अलग पोजीशन पे ही बनेगी कॉनकेव लेंस के अगर केस में देखा जाए तो अगर ऑब्जेक्ट इंफिनिटी पे रखा गया है ठीक है तो ओबवियस सी बात है क्योंकि ये क्या है एक डायवर्जिंग लेंस है तो रेज क्या हो जाएंगी डाइवर्जंस लेकिन क्या होगा जब हम इन डायवर्जिंग रिफ्रैक्टेड रेज को कहीं पीछे लेकर करके आएंगे तो हम देखते हैं कि भाई फोकस पे इमेज बन रही है फिर इंफिनिटी से लेकर के लेंस के ऑप्टिकल सेंटर के बीच में कहीं भी आप रख दो अपने ऑब्जेक्ट को तो इमेज जो है वो फोकस और ऑप्टिकल सेंटर के बीच में ही बनेगी यानी कि ऑब्जेक्ट की पोजीशन चेंज हो रही है तो इमेज की पोजीशन चेंज हो रही है इसको छोड़ो इस पे आओ कॉन्वेक्स लेंस पे कॉन्वेक्स लेंस की तो हमने कितने छह केसेस देखे थे कि ऑब्जेक्ट को रखा है इंफिनिटी पे फिर रखा है 2f 1 के पीछे फिर रखा है 2f 1 के ऊपर तो इमेज कहां बन रही थी पहले बन रही थी फोकस पे फिर इसके बाद में कहां बनी अगर 2f 1 पे ऑब्जेक्ट रखा है तो 2f 2 पे इमेज बन गई यानी कि अलग-अलग ऑब्जेक्ट की पोजीशन और अलग-अलग इमेज फॉर्मेशन होगा अलग-अलग पोजीशन पे है ना लेकिन जब हम बात करते हैं अपने आंखों की हमें पता है कि हमारी आंखों में भी क्या होता है एक लेंस होता है कौन सा लेंस होता है भाई कॉन्वेक्स लेंस ही होता है लेकिन यह जो कॉन्वेक्स लेंस है यह बड़ा अजीब है विचित्र है क्यों क्योंकि कॉन्वेक्स लेंस की प्रॉपर्टीज तो कुछ अलग होती है अलग-अलग पोजीशंस पे ऑब्जेक्ट तो इमेज भी अलग-अलग पोजीशन पे लेकिन हमारे केस में तो ऐसा नहीं हो रहा हमारे केस में हमारी आंखों के केस में तो ऑब्जेक्ट को आप कहीं भी रख दो इंफिनिटी पे रख दो 10 सेमी के डिस्टेंस पे रख दो है ना 5 किमी के डिस्टेंस पे रख दो इमेज हमेशा कहां बनेगी इंफिनिटी पे ही अ सॉरी रेटीना पे ही बनेगी कहां बनेगी रेटीना पे ही बनेगी भाई रेटीना पे इमेज क्यों बन रही है उसका सिग्निफिकेंट हम प्रीवियस सेशन में देख चुके हैं कि भाई रेटीना के पास होते हैं दो लाइट सेंसिटिव सेल्स जो कि इलुमिनाटी वेट हो जाते हैं जिनको हम रॉड्स बोलते हैं कोन्स बोलते हैं रॉड्स क्या करेंगे लाइट की इंटेंसिटी को मेजर करेंगे भाई कितने अमाउंट की लाइट आ रही है और कोन्स क्या करेंगे जो प्राइमरी कलर्स होते हैं उनको आइडेंटिफिकेशन को ऑप्टिक नर्व्स के थ्रू भेज देते हैं हमारे बे के पास यह ब्रेन क्या करता है उस प्रोवाइडेड इंफॉर्मेशन को करता है प्रोसेस प्रोसेस करने के बाद में हमें ऑब्जेक्ट दिखा देता है इज दैट क्लियर तो ये रेटिना का सिग्निफिकेंट हुआ कि अगर भाई रेटीना पे इमेज नहीं बनेगी तो गड़बड़ हो जाएगा क्यों क्योंकि कहीं और तो रॉड्स एंड कोन्स है ही नहीं रॉड्स एंड कोन्स अगर नहीं होंगे तो फिर इंफॉर्मेशन इलेक्ट्रिकल सिग्नल की फॉर्म में ब्रेन को कैसे मिल पाएगी ऑप्टिक नर्व तो वही होगी लेकिन जो रॉड्स एंड कोज इंफॉर्मेशन इकट्ठा कर रहे हैं वो तो नहीं कर पाएंगे ना अगर इमेज रेटिना पे नहीं बनी तो रेटिना पे क्यों बन रही है इमेज यह हमें समझ में आ गया इस सवाल का जवाब हमें मिल गया लेकिन रेटीना पर ही कैसे बन रही है यह हमें किसी ने नहीं बताया इसे मैं करती हूं एक्सप्लेन मैंने आपको बताया था प्रीवियस सेशन में कि हमारी जो लेंसेक्स से हवा में तो नहीं झूड़ी है ना कि फ्लोट कर रही है मस्त आंखों के अंदर का कभी यहां तो कभी वहां बिल्कुल भी नहीं सेलियरी मसल्स होती हैं ये सेलियरी मसल्स क्या करती हैं आई लेंस को पकड़ के रखती हैं अपनी पोजीशन पे जिससे क्या होगा कि आई लेंस पूरे आंख में आईबॉल में तैरे गी नहीं इधर से उधर की बढ़िया दो-दो फ्लूइड कंपार्टमेंट है तो कभी इस कंपार्टमेंट में स्विमिंग तो कभी दूसरे कंपार्टमेंट में स्विलिंग स्विमिंग है ना ऐसा नहीं होगा सेलेरी मसल्स क्या करेंगी उन जैसे कि ये क्या है हमारी आई लेंस है इसको मैं आपको दिखा देती हूं ये क्या है हमारी आई लेंस है इस आई लेंस को ये क्या है हमारी आई लेंस है इस आई लेंस को कौन पकड़ के रखेंगी भाई तो ये होती है कुछ सिलियरी मसल्स ये पकड़ के रखेंगी कैसे पकड़ के रखेंगी तो भाई इनके पास होते हैं कुछ क्या सस्पेंसरी लिगामेंट्स क्या होंगे कुछ सस्पेंसरी लिगामेंट्स जो आपको ब्लू कलर के दिख रहे हैं वो क्या है सस्पेंसरी लिगामेंट्स रेड कलर की क्या है लेंस है हमारी आई लेंस है इसको ये रेड कलर के जो स्ट्रक्चर्स आपको दिख रहे होंगे इनम क्या सेलियरी मसल्स कहते हैं यह सेलियरी मसल्स आई लेंस को पकड़ के रखती है अपनी पोजीशन पर ताकि स्विम ना कर पाए और कैसे पकड़ के रखेंगी तो सस्पेंसरी लिगामेंट्स के थ्रू पकड़ के रखेंगी नासिफ सिलियरी मसल्स का काम होता है कि आई लेंस को अपनी जगह पर पकड़ के रखना पोजीशन पर फिक्स रखना साथ ही साथ इन सिलियरी मसल्स का काम होता है आई लेंस के कर्वेचर को चेंज करना जो हम अभी हमने जो अपने सेशन की स्टार्ट क रहा था ना कि आखिर क्यों ऑब्जेक्ट को आप कहीं भी रख दो आंखों के सामने इमेज उसकी हमेशा रेटीना पर ही बनेगी कैसे बन रही है रेटीना पे तो यह सेलेरी मसल्स के कारण ही बन रही है ये सिलेरी मसल्स क्या करती हैं आई लेंस को का जो कर्वेचर होता है उसको चेंज करती जाती है कर्वेचर चेंज करती जाती है क्या मतलब फोकल लेंथ जो हमारी आई लेंस है उसकी फोकल लेंथ को ये सिलेरी मसल्स क्या करती हैं उसे यह चेंज करती जाती हैं टाइम टू टाइम टा डिपेंडिंग अपॉन कहां पर आंखों के सामने किस डिस्टेंस पर रखा गया है ऑब्जेक्ट ठीक इसे हम कैसे समझेंगे सपोज एक ऑब्जेक्ट रखा गया है कहां काफी दूर काफी दूर रखा गया है जैसे कि 5 किलोमीटर के डिस्टेंस पर रखा गया है उस टाइम पर क्या होता है कि ये जो हमारी सरीरी मसल्स होती है ना ये बहुत ही रिलैक्स होती है एकदम चिल पिल टाइप ठीक है एकदम रिलैक्स होंगी तो क्या होगा यह जो सस्पेंसरी लिगामेंट्स जो कि सिलियरी मसल्स को अटैच करते हैं जॉइन करते हैं किसके साथ लेंस के साथ ये सस्पेंसरी मसल्स क्या करेंगे लिगामेंट्स लेंस को खींच देंगे आप लेंस को ऐसा समझ लो जैसे कि एक रबर बैंड है रबर बैंड को जब आप स्ट्रेच करते हो तो रबर बैंड का क्या होता है रबर बैंड हो जाती है पतली है ना रबर बैंड क्या हो जाती है पतली हो जाती है पिचक सी जाती है तो क्या हुआ जब ऑब्जेक्ट रखा हुआ है दूर उस दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट को जब हमें देखना हो होता है तो उस टाइम पे हमारी जो सिलेरी मसल्स होती हैं वो कैसी होती है एकदम रिलैक्स्ड होती हैं उनसे अटैच जो सस्पेंसरी लिगामेंट्स होते हैं ये क्या करते हैं आई लेंस को खेंच देते हैं पकड़ के स्ट्रेचिंग के कारण क्या होता है आईलेंस हो जाती है कैसी पतली यानी कि आईलेंस हो जाती है हमारी कैसी थिन थिन हो गई थिन आई लेंस का फोकल लेंथ कहां होता है भाई फोकल लेंथ बढ़ जाती है प्रीवियस चैप्टर में हम पढ़ के आ रहे हैं कि आई लेंस कैसा जब हो जाएगा आ लेंस क्या कोई भी कॉन्वेक्स लेंस आप ले लो अगर वो कैसा है पतला है यानी कि उसकी फोकल लेंथ क्या है ज्यादा है यहां क्या हुआ ऑब्जेक्ट रखा हुआ दूर किसी अ 5 किमी की दूरी पे दूर रखा गया था उस दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए क्या हुआ सिलेरी मसल्स क्या हो गई रिलैक्स हो गई उनसे अटैच जो सस्पेंसरी लिगामेंट्स थे उनने क्या किया लेंस को पकड़ के खींच दिया खींचने के कारण क्या हुआ हमारी जो लेंस है वो कैसी हो गई थिन हो गई थिन होने के कारण क्या हुआ इसकी जो फोकल लेंथ थी बच्चों वो कैसी हो गई बढ़ गई फोकल लेंथ बढ़ गई जिसके कारण जो दूर रखा गया था ऑब्जेक्ट उसकी इमेज कहां बनी रेटीना पे बन गई आ रही है आपको बात समझ में थोड़ा-थोड़ा दिमाग के अंदर जा रहा होगा मैंने आपको बोला कि हमने कॉन्वेक्स लेंस का केस देखा है हमने कॉनकेव लेंस का केस देखा है कि अलग-अलग पोजीशंस पे ऑब्जेक्ट रखा है तो अलग-अलग पोजीशंस पर ही इमेज बन रही है लेकिन हमारी आंखों के केस में ऐसा क्यों नहीं होता हमारी आंखों के अंदर भी तो रिफ्रैक्ट हो रहा है भाई कॉन्वेक्स लेंस रखी हुई ई है तो क्यों अलग-अलग अ जैसे कि ऑब्जेक्ट को आपने कहीं भी रखा है हो के सामने इमेज हमेशा रेटिना पे ही बन रही है क्यों ऐसा नहीं होता कि रेटीना के आगे बने क्यों ऐसा नहीं होता कि रेटिना के पीछे बने रेटीना पे बनने की मजबूरी क्या है क्योंकि उसके पास रॉड्स एंड कोन्स हैं अगर वो इंफॉर्मेशन कलेक्ट नहीं करेंगे तो फिर ब्रेन कैसे जो है ना इंफॉर्मेशन को प्रोसेस कर पाएगा तो रेटिना पे बनने की मजबूरी हमें पता है रीजन हमें पता है लेकिन रेटीना पे ही कैसे बन पाती है इन सेलेरी मसल्स के कारण ये सिलेरी मसल्स क्या करती हैं जो आई लेंस है उसके कर्वेचर को चेंज कर देती हैं यानी कि ना सिर्फ ये आई लेंस को अपनी पोजीशन पे फिक्स्ड रखती हैं उनको स्विमिंग करने से रोकती हैं बल्कि ये इनके जो आईलेंस है उसका कर्वेचर भी चेंज करती है यानी कि उसकी जो फोकल लेंथ है वो भी चेंज कर सकती है कैसे जब ऑब्जेक्ट रखा गया है दूर पे किसी दूरी पे उस दूरी पे रखे हुए ऑब्जेक्ट को अगर हमें देखना है तो क्या होगा हमारी जो सिलेरी मसल्स होती हैं वो क्या हो जाएंगी एकदम रिलैक्स हो जाएंगी ये सिलियरी मसल्स जो हमारी आईलेंस होती है उससे अटैच होते हैं कैसे सस्पेंसरी लिगामेंट्स के थ्रू यह लिगामेंट्स क्या कर देंगे हमारी जो आईलेंस है उसको पकड़ के खींच देंगे स्ट्रेच कर देंगे जिससे क्या होगा आईलेंस हो जाएगी थिन थिन आईलेंस मतलब क्या फोकल लेंथ इंक्रीज हो गई फोकल लेंथ इंक्रीज होने के कारण क्या होता है कि जो दूर रखा गया ऑब्जेक्ट है उसकी इमेज कहां बन जाएगी रेटीना पे बन जाएगी ठीक अब क्या करते हैं अब इसका उल्टा कर देते हैं उल्टा में क्या होगा अब ऑब्जेक्ट रखा हुआ है काफी पास ऑब्जेक्ट रखा हुआ है काफी पास तो उस पास वाले ऑब्जेक्ट को देखने के लिए क्या होगा ये जो हमारी सिलेरी मसल्स होंगी ना ये क्या करेंगी कॉन्ट्रैक्ट करेंगी अभी तक ये क्या क्या कर रही थी ये हम बोल रहे थे रिलैक्स थी अब क्या करें थोड़ा सा कांट्रैक्ट करेंगी कांट्रैक्ट करने के कारण क्या होगा ये जो हमारी सस्पेंसरी लिगामेंट्स हैं ये क्या कर रही थी अभी तक क्या कर रही थी लेंस को खींच रही थी है ना अब क्या करेंगी उसको छोड़ देंगी छोड़ देंगी मतलब ऐसा नहीं कि साथ ही छोड़ देंगी अलग-अलग हो जाएगी नहीं उसको क्या क्या करेगी अभी तक ये खींच रही थी अब क्या कर देगी लेंस को बोलेगी कि भाई तुम अपने नॉर्मल शेप में जैसे तुम हो ना वैसे हो जाओ ठीक आप इस तरह से समझ सकते हैं कि हमारी ये जो सिलरी मसल्स हैं इनने फर्स्ट केस में क्या किया था जब ऑब्जेक्ट दूर रखा गया था उसको पकड़ के खींच दिया था खुद कैसी थी रिलैक्स थी लेकिन आई लेंस को पकड़ के खींच दिया जब ऑब्जेक्ट रखा गया है पास तो क्या हुआ खुद हो गई कांट्रैक्ट खुद हो गई कांट्रैक्ट जिसके कारण जो हमारी आई लेंस थी ना उसको हमने क्या करा दबा दिया उसको कंप्रेस कर दिया जिसके कारण हमारी आई लेंस कैसी हो गई आई लेंस हो गई थोड़ी सी मोटी थिक हो गई यहां पे कैसी हो रही थी यहां हो रही थी थिन यहां हो गई थिक थिक क्यों हुई क्योंकि भाई ये जो हमारी सिलेरी मसल्स है ना वो कैसी हो गई कॉन्ट्रैक्ट हो गई कॉन्ट्रैक्ट हुई तो आईलेंस को इने क्या कर दिया कंप्रेस कर दिया थिक हो गई आईलेंस आईलेंस थिक होने का मतलब क्या हुआ इसकी जो फोकल लेंथ है बच्चों वो हो गई कम फोकल लेंथ कम हो गई यानी कि पास रखे हुए ऑब्जेक्ट की भी इमेज कहां बनेगी रेटीना पे ही बनेगी आ रही है आपको बात समझ में कि किस तरह से सिलियरी मसल्स ना सिर्फ लेंस को अपनी पोजीशन पे फिक्स रखती हैं साथ-साथ में उसका कर्वेचर यानी कि उसकी जो फोकल लेंथ है उसके साथ भी छेड़छाड़ कर देती हैं कम कर देंगी अ बढ़ा देंगी कैसे जब ऑब्जेक्ट रखा गया होगा दूर तो क्या होगा ये मसल्स रिलैक्स करेंगी रिलैक्स करने के कारण क्या होगा जो सस्पेंसरी लिगामेंट्स होते हैं वो लेंस को क्या कर देंगे पकड़ के खींच देंगे इस चीज को अगर आपको समझना है तो आप एक हाथ में ले लो रबर बैंड उस रबर बैंड को जब आप खींचो ग तो आप देखोगे क्या कि वो पतली हो जाएगी सिमिलरली हमारा आईलेंस भी कैसा हो जाता है पतला हो जाता है जब सस्पेंसरी लिगामेंट्स उनको खींचते हैं न आईलेंस मतलब क्या फोकल लेंथ इंक्रीज हो गई तो दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट की भी इमेज कहां बनी टीना पे बनी फिर क्या हुआ दूसरे वाले केस में कि ऑब्जेक्ट रखा हुआ है आंखों के पास में फिर क्या होगा जो हमारी सिलियरी मसल्स हैं वो क्या होंगे कॉन्ट्रैक्ट हो जाएंगी कांट्रैक्ट होने के कारण क्या होगा जो आईलेंस है उसको वो कर देगी कंप्रेस ठीक है कंप्रेस कर देंगी जिसके कारण हमारी जो आईलेंस है वो गोलगोल हो जाएगी थिक हो जाएगी यहां पे थिन हो रही थी और यहां पे थिक हो रही थी थिक होने के कारण क्या हुआ फोकल लेंथ हो गई कम तो पास रखे हुए ऑब्जेक्ट की भी इमेज क्या बनेगी बच्चों रेटीना पे पे ही बनेगी तो रेटिना पे बनने की मजबूरी तो थी ही लेकिन रेटिना पर ही कैसे बन रही थी इन सिलरी मसल्स के कारण ही बन रही थी और यह जो एबिलिटी होती है आई लेंस की अपनी फोकल लेंथ को कम करने की बढ़ाने की वाया सिलियरी मसल्स उसी को हम क्या कहते हैं पावर ऑफ अकोमोडेशन कहते हैं किसकी आईलेंस की है ना इट इज द एबिलिटी ऑ द प्रॉपर्टी ऑफ द आईलेंस टू टू फोकस बोथ नियर एंड डिस्टेंट ऑब्जेक्ट्स बाय एडजस्टिंग इट्स फोकल लेंथ अपनी फोकल लेंथ को एडजस्ट करता है किस चीज के लिए दूर या पास रखे हुए ऑब्जेक्ट्स को देखने के लिए इस एबिलिटी और इस प्रॉपर्टी को ही हम क्या कहते हैं पावर ऑफ अकोमोडेशन कहते हैं ठीक हाउ एवर द फोकल लेंथ कैन नॉट बी डिक्रीज और इंक्रीजड बियोंड अ सर्टेन लिमिट हां ये चीज़ आपको समझ में आ गई द सरीरी मसल्स हेल्प इन चेंजिंग द कर्वेचर ऑफ़ द आईलेंस व्हेन मसल्स आर रिलैक्स्ड द लेंस बिकम थिन इट्स फोकल लेंथ क्या हो जाती है बढ़ जाती है ठीक फिर इसके बाद में अ दिस इनेबल्स अस टू सी डिस्टेंट ऑब्जेक्ट्स क्लीयरली वाइल व्यूइंग नियर बाय ऑब्जेक्ट द सिलेरी मसल्स कांट्रैक्ट सो द लेंस बिकम थिक एंड इट्स फोकल लेंथ डिक्रीजस ये पूरी चीज कहानी वो है जो मैं आपको ऑलरेडी समझा चुकी हूं डायग्राम्स के थ्रू यानी कि पावर ऑफ अकोमोडेशन आपको समझ में आ गया तो इस सेशन का जो टारगेट था कि हमें पावर ऑफ अकोमोडेशन समझना है वो हो गया है दो चीजें और बची हैं टॉप टॉक्स एक है नियर पॉइंट और एक है फार पॉइंट ठीक अब देखो नियर पॉइंट को अगर मैं बोलूं किसी से कि भाई नियर पॉइंट क्या होता है आंखों के लिए तो लोग बोलते हैं कि यह वो मिनिमम डिस्टेंस होता है जिसके आगे हमारी आंखें उस ऑब्जेक्ट को देख ही नहीं सकती और वो डिस्टेंस कितना होता है 25 सेंटीमीटर कितना डिस्टेंस होता है भाई 25 सेंटीमीटर यानी कि 25 सेंटीमीटर मिनिमम डिस्टेंस है जिस तक कि हमारी आंखें ऑब्जेक्ट को देख पाएंगी अगर ऑब्जेक्ट को 25 सेंटीमीटर के डिस्टेंस से कम पे रखा गया है अगर 20 पे रखा गया है 24 पे रखा गया है 23 पे रखा गया है तो हमारी आंखें इस ऑब्जेक्ट को देख ही नहीं पाएंगी और यह डिस्टेंस कौन सा है भाई यह डिस्टेंस है हमारी आंख से लेकर के ऑब्जेक्ट तक का डिस्टेंस ये डिस्टेंस कौन सा है हमारी आंख से लेकर के ऑब्जेक्ट तक का डिस्टेंस है तो 25 सेंटीमीटर क्या है मिनिमम डिस्टेंस है अ जिसके जिस तक कि हमारी आंखें जो है ऑब्जेक्ट को देख पाएंगी इससे कम अगर डिस्टेंस पे रखा गया है ऑब्जेक्ट तो उसे हम नहीं देख पाएंगे अच्छा एक काम करते हैं ये रहा मेरी आंखों के सामने पेन ठीक है 25 सेंटीमीटर का मतलब क्या होता है 25 सेंटीमीटर होती है वो कितने की होती है 30 सेंटीमीटर की होती है उससे थोड़ा और कम कर दो तो वो हो जाएगा कितना 25 सेंटीमीटर के बराबर अब ये पेन रखा हुआ है यहां चलो पहले मैंने यहां रखा है तो भी मुझे ये पेन दिख रहा है अब मैं इस पेन को ग्रैजुअली जो है ना अपनी आंखों के पास लेक आती जा रही हूं अब समझ लो यह क्या है यह वो डिस्टेंस है मिनिमम डिस्टेंस 25 सेंटीमीटर यानी कि मेरी आंखों से लेकर के इस पेन तक का डिस्टेंस कितना है 25 सेंटीमीटर है अगर इस थ्योरी की माने नियर पॉइंट की थ्योरी की माने कि 25 सेंटीमीटर के बाद 25 सेंटीमीटर तक ही मुझे ऑब्जेक्ट दिखाई देगा तो एक काम करते हैं अब मैं इस ऑब्जेक्ट को मैं और पास लेकर जा रही हूं हमारे बीच में भी डिस्टेंस कितना है 10 सेंटीमीटर का है तो भी मुझे ये ऑब्जेक्ट दिख रहा है तो भी मुझे ये पेंट दिख रहा है मतलब क्या ये जो नियर पॉइंट वाली थ्योरी थी ये तो गलत हो गई ये तो ये बोल रहा था नियर पॉइंट क्या बोल रहा था ये वो डिस्टेंस होता है मिनिमम डिस्टेंस होता है जिसके आगे हम ऑब्जेक्ट को देख ही नहीं सकते 25 सेंटीमीटर लेकिन यहां तो मैं अपने पेन को रख रही हूं 10 सेंटीमीटर के डिस्टेंस पे अपनी आंखों से तो भी मुझे ऑब्जेक्ट दिख रहा है थ्योरी गलत हो गई बिल्कुल हो गई एक काम करो अगर इस पेन को मैं अपने बिल्कुल बॉडी से टच कर लू फोरहेड से टच कर लूं तो भी मुझे ये पेन दिखाई देगा मतलब कि ये पूरी थ्योरी तो गलत ही हो गई यार इस थ्योरी के अकॉर्डिंग तो 25 सेंटीमीटर के बाद मुझे दिखना ही नहीं चाहिए था पेन लेकिन मुझे तो दिख रहा था क्या मेरे पास कोई सुपर पावर है नहीं मेरे पास कोई सुपर पावर नहीं है यह एक्सपेरिमेंट आप खुद करके देख सकते हो एक यहां पे चीज है मैंने आपको इंट्रोडक्टरी वीडियो में बताया था कि किस तरह क्यों हमको हमारे माता-पिता मना करते हैं कि भाई फोन को या लैपटॉप को टीवी को बहुत नजदीक से मत देखो दूर से देखो अब आप 10थ में आ गए हो है ना मैं आपसे पूछू कि क्यों मना करते हैं तो आप बोलोगे कि मैम स्ट्रेन बहुत पड़ता है आंखों प इसलिए मना करते हैं बात तो सही है आंखों पर बड़ा स्ट्रेन पड़ता है लेकिन यह स्ट्रेन कहां से आ रहा है टीवी दे रही है कि ऊपर से कहीं नीचे गिर के आ रहा है या धरती से हो करहा स्ट्रेन यह स्ट्रेन आ कहां से रहा है तो भाई अभी अभी जो हम पावर ऑफ अकोमोडेशन पढ़ के आ रहे हैं ना यह उसी का खेल है क्या मैंने आपको बता या था कि जब हमको अपनी आंखों के जो पास रखा हुआ ऑब्जेक्ट होता है उसे देखना होता है तो हम क्या होता है सेलरी मसल्स क्या करती है कांट्रैक्ट करती है जिसके कारण हमारा जो आईलेंस होता है वो कैसा हो जाता है थिक हो जाता है यानी कि थोड़ा सा चपटा सा हो जाता है यार पिचकने की भी तो कोई लिमिट होती है है कि नहीं हमारी जो सिलियरी मसल्स है अगर किसी ऑब्जेक्ट को कोई ऑब्जेक्ट जो कि पास में रखा हुआ है आइस के उसको देखना है तो ये हमारे सिलेरी मसल्स क्या करेंगी आईलेंस को पिचका एंगी कंप्रेस करेंगी लेकिन कंप्रेशन की भी तो कोई लिमिट होनी चाहिए ना ऐसा थोड़ी है कि सिलेरी मसल्स उठा कर के बढ़िया गोल-गोल जो है ना आईलेंस बन रही है तो उठा कर के रोटी बना डाली उसकी नहीं है पॉसिबल अगर सिलेरी मसल्स पास में रखे हुए ऑब्जेक्ट को अगर हमें देखना है तो ये सिलेरी मसल्स क्या करेंगी इस लेंस को आई लेंस को कंप्रेस करेंगी खुद कांट्रैक्ट होंगी और लेंस को भी क्या करवाएंगे कंप्रेस कराएंगे लेकिन कंप्रेशन की भी कोई लिमिट होनी चाहिए पिचकने की भी कोई लिमिट होनी चाहिए ऐसा नहीं होगा कि इसकी रोटी ही बना दे सिलेरी मसल्स तो ये जो लिमिट है ना बच्चों ये होती है 25 सेंटीमीटर नियर पॉइंट पूरे तरीके से गलत नहीं था नियर पॉइंट लोग क्या बोलते हैं यूजुअली कि वो मिनिमम डिस्टेंस होता है जिसके आगे हम आंखें जो है ना उस ऑब्जेक्ट को देख ही नहीं पाएंगी एंड दैट मिनिमम डिस्टेंस इ 25 सेंटीमीटर बिल्कुल सही बात है लेकिन हमने बोला कि जब हमने ऑब्जेक्ट को अपने फोरहेड से टच करवा लिया तो भी हमें यह ऑब्जेक्ट दिख रहा था क्यों क्योंकि भाई ये 25 सेंटीमीटर वाली थ्योरी पूरी कंप्लीट गड़बड़ नहीं थी हमारी आंखों पे बहुत स्ट्रेन पड़ता है 25 सेंटीमीटर के बाद यह जो सिलियरी मसल्स है ना मैंने आपको बोला कि आई आई लेंस के कंप्रेशन की भी कोई लिमिट होनी चाहिए यह लिमिट कहां आती है यह लिमिट आती है 25 सेंटीमीटर के डिस्टेंस पे यानी कि जब ऑब्जेक्ट हमारी आंखों से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर होगा तो हम उस ऑब्जेक्ट को देख सकते हैं बिना किसी स्ट्रेन को डाले अपनी आंखों पर यानी कि सेलरी मसल्स 25 सेंटीमीटर के डिस्टेंस पे ऑब्जेक्ट को क्या करती है हमारी जो आईलेंस है उसको मैक्सिमम कंप्रेस कर देती है 25 सेंटीमीटर प क्या होता है भाई आई लेंस का मैक्सिमम कंप्रेशन होता है मैक्सिमम कंप्रेशन हम बोल सकते हैं 255 सेंटीमीटर के डिस्टेंस पे होता है किसका आई लेंस का अब अगर उसके बाद आपने अगर आपने अपने ऑब्जेक्ट को आंखों से 10 सेंटीमीटर के डिस्टेंस प रखा है तो क्या होगा बेचारी आंखों को तो उनका काम ही है चीजों को ऑब्जेक्ट को क्या करना देखना ताकि इंफॉर्मेशन ब्रेन तक ले जा पाए तो कहीं भी रखो ऑब्जेक्ट को उस उसको तो देखने की मजबूरी है इंफॉर्मेशन कलेक्ट करने की मजबूरी है तो क्या होगा ये जो सिलेरी मसल्स होंगी ना ये क्या हो कर य सेलेरी मसल्स और ज्यादा कंप्रेस करेंगी आईलेंस को आईलेंस को कंप्रेस करने के कारण क्या होगा स्ट्रेन डेवलप हो जाएगा क्या होगा स्ट्रेन डेवलप हो जाएगा वह बच्चे वो लोग जो कि बहुत ज्यादा कंटीन्यूअस यूज करते हैं इलेक्ट्रिकल अप्लायंस का मोबाइल गैजेट्स का इन सबका आंखों के बहुत पास रख के उनके आईलेंस में परमानेंट डैमेज हो जाता है जिसको कभी भी करेक्ट नहीं किया जा सकता क्यों नहीं किया जा सकता आपको समझ में आ रहा होगा नियर पॉइंट क्या बोलते थे अगर मैं लोगों से पूछूं कि नियर पॉइंट क्या है तो लोग बोलेंगे कि भाई य वो मिनिमम डिस्टेंस है जिसके आगे हम ऑब्जेक्ट को देख ही नहीं सकते आधा गलत है आधा नहीं एक्चुअली इनकंप्लीट है अगर मैं इसको कुछ इस तरीके से लिख दूं कि मिनिमम डिस्टेंस नियर पॉइंट एक ऐसा मिनिमम डिस्टेंस है जिसके बाद में हम किसी ऑब्जेक्ट को देख तो सकते हैं लेकिन अपनी आंखों पर स्ट्रेन डाल के तो वो क्या कहलाएगा नियर पॉइंट कहलाएगा और वो डिस्टेंस कितना होगा 25 सेंटीमीटर किसी भी ऑब्जेक्ट को अगर जो कि पास में रखा गया है उस ऑब्जेक्ट को देखने के लिए सिलेरी मसल्स को कांट्रैक्ट करना पड़ता है और हमारे लेंस को कंप्रेस करना पड़ता है जिसके कारण वो थिक हो जाता है फोकल लेंथ कम हो जाती है अगर आप किसी भी ऑब्जेक्ट को 25 सेंटीमीटर के अंदर रखोगे तो क्या होगा ओबवियस सी बात है 25 सेंटीमीटर के डिस्टेंस पर क्या होता है ये जो सिलेरी मसल्स होती हैं ये आईलेंस को मैक्सिमम कंप्रेस कर देती हैं और अगर 25 सेंटीमीटर के अंदर रखा गया है और ज्यादा कंप्रेस करना पड़ जाता है और आंखों पे स्ट्रेन आ जाता है तो आई होप नियर पॉइंट का मतलब आपको समझ में आया होगा क्या होता है नियर पॉइंट कि यह बेसिकली हमारा पावर अकोमोडेशन ही चल रहा है मैं इसको और आगे करती हूं फार पॉइंट ये रहा द मिनिमम डिस्टेंस एट व्हिच न ऑब्जेक्ट कैन बी सीन मोस्ट डिस्टिंक्टली विदाउट एनी स्ट्रेन इज कॉल्ड द लीस्ट डिस्टेंस ऑफ द डिस्टिंक्ट विजन और वो कितना होता है एक नॉर्मल एडल्ट आई के लिए 25 सेंटीमीटर होता है अब जैसे नियर पॉइंट है तो एक फार पॉइंट भी होता है फार पॉइंट क्या होता है भाई यह वो मैक्सिमम डिस्टेंस होता है जिसके अगर आगे अगर आपने ऑब्जेक्ट को रखा गया है तो उसे हम नहीं देख पाएंगे अब कुछ बच्चे बोल बोलते हैं कि हमें 10 किलोमीटर के आगे का डिस्टेंस दिखता नहीं है अच्छा तो जरा अपना मुंह ऊपर करके देखना जरा क्या स्टार्स नहीं दिखते क्या सन नहीं दिखता क्या मून नहीं दिखता एरोप्लेन नहीं दिखते बिल्कुल दिखते हैं एरोप्लेन तो छोड़ो हमें सन स्टार मून सब दिख जाता है अगर वो बच्चे कंप्लेन कर रहे हैं कि हमें मैम 10 किलोमीटर के आगे का डिस्टेंस नहीं दिखता तो वह बच्चे जरा मुझे यह बताए कि क्या उनको स्काई में घूम रही चीजें नहीं दिखती बिल्कुल दिखती है वो चीजें तो हमसे मिलियंस ऑफ लाइट इयर्स दूर है इतना ज्यादा डिस्टेंस है लेकिन फिर भी वो दिख रही हैं इसीलिए जो फार पॉइंट है वो नॉर्मल एडल्ट आ के लिए वो कितना होता है वो होता है भाई इंफिनिटी कितना होता है इंफिनिटी नियर पॉइंट के लिए हमने बोल दिया 25 सेंटीमीटर लेकिन फार पॉइंट क्या है इट इज द फाद पॉइंट अप टू व्हिच हमारी आंखें जो है ना देख सकती हैं ऑब्जेक्ट को अगर वहां रखा गया है तो उसे हम क्या बोलेंगे फार पॉइंट ये कितना होता है इंफिनिटी के लिए होता है अगर बच्चे 10 किलोमीटर के आगे नहीं देख पा रहे हैं बच्चों तो हो सकता है कि काफी ट्रैफिक हो 10 किलोमीटर के बाद इसेलिए आप 10 किलोमीटर के बाद देख नहीं पा रहे हो है ना लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपका फार पॉइंट जो है वो 10 किमी हो गया फार पॉइंट मतलब क्या ये फादर्स डिस्टेंस होता है पॉइंट होता है जहां तक कि आप ऑब्जेक्ट को देख पाते हो अगर आप 10 किलोमीटर के आगे नहीं देख पा रहे इसका मतलब क्या है कि कोई ना कोई चीज आ रही है आपके विजन में अगर आपका फार पॉइंट ही 10 किलोमीटर होता तो आपको स्काई में मून सन स्टार्स वगैरह कुछ नहीं दिखते ठीक इसीलिए हमारा नॉर्मल ह्यूमन एडल्ट का भाई जो फार पॉइंट है वो कितना होता है इनफिनिटी होता है तो इस लेक्चर में इस सेशन में मैंने आपको बताया था कि टारगेट फिक्स किया था क्या-क्या पढ़ना था हमें हमें पढ़ना था पावर अकोमोडेशन फार पॉइंट और नियर पॉइंट समरा इज कर देती हूं मैं जल्दी से हमने पावर ऑ अशन क्या पढ़ा था कि हमने देखा था कि हमने कॉन्वेक्स लेंस के केस में देखा था कि कहीं भी ऑब्जेक्ट रखो इमेज अलग-अलग पोजीशन पे बनता है लेकिन हमारी आंखों के केस में नहीं होता आंखों के केस में इमेज कहां बनेगी रेटीना पे ही बनेगी बनने की मजबूरी है क्यों क्योंकि वहां पे रॉड्स एंड कोनस है अगर उन तक इंफॉर्मेशन इमेज नहीं पहुंचेगी तो वो लोग इंफॉर्मेशन नहीं कैलकुलेट कर पाएंगे लाइट की इंटेंसिटी नहीं बता पाएंगे लाइट का कलर नहीं बताए नहीं बता पाएंगे इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स नहीं भेज पाएंगे ब्रेन को ऑप्टिक नर्व्स के थ्रू मुसीबत हो जाएगी इसलिए रेटीना पे बनने की अ मजबूरी है इमेज की लेकिन रेटीना पर ही कैसे तो भाई जो सिलेरी मसल्स होती हैं वो लेंस का जो कर्वेचर है उसको चेंज कर देती हैं उसकी फोकल लेंथ कम या ज्यादा कर देती हैं अगर दूर रखा हुआ है ऑब्जेक्ट तो क्या होगा सिलेरी मसल्स रिलैक्स करेंगी और जो हमारा लेंस होगा वो क्या हो जाएगा थिन हो हो जाएगा स्ट्रेच हो जाएगा जिसकी वजह से उसकी फोकल लेंथ क्या हो जाएगी बढ़ जाएगी अगर कोई ऑब्जेक्ट रखा हुआ है पास में तो सिलेरी मसल्स क्या हो जाएंगी कॉन्ट्रैक्ट हो जाएंगी कॉन्ट्रैक्ट होने के कारण क्या होगा लेंस को कर देंगी चपटा कंप्रेस कर देंगी लेंस क्या हो जाएगा थिक हो जाएगा थिक हो जाएगा मतलब क्या उसकी फोकल लेंथ हो जाएगी कम तो दोनों ही केसेस में इमेजेस कहां बनेंगी रेटिना पे ही बन जाएगी फिर इसके बाद में ये जो कंप्रेशन हो रहा है लेंस का इस कंप्रेशन की भी कोई लिमिट होनी चाहिए ऐसा नहीं कि गोल-गोल बढ़िया लेंस बन रहा है उसकी रोटी बना डाली सिलेरी मसल्स ने तो मैक्सिमम कंप्रेशन लेंस का कब हो सकता है जब ऑब्जेक्ट रखा गया हो आपकी आंख से 25 सेंटीमीटर की दूरी पे अब अगर आपने ऑब्जेक्ट को 25 सेंटीमीटर के अंदर आप लेकर के आए तो क्या होगा बहुत ज्यादा एक्सेसिव अ यू नो कंप्रेशन करना पड़ेगा लेंस का तो स्ट्रेन बहुत बढ़ जाएगा तो नियर पॉइंट क्या होता है ये वो डिस्टेंस होता है मिनिमम डिस्टेंस होता है जहां पे आप ऑब्जेक्ट को रखोगे और आपकी आंखें उसे देख पाएंगे बिना किसी स्ट्रेन के दैट इज 25 सेंटीमीटर फार पॉइंट क्या होगा ये वो मैक्सिमम डिस्टेंस होता है जिस पर कि रखा हुआ ऑब्जेक्ट आपको दिख जाए जो कितना होता है हमारे लिए इंफिनिटी होता है तो भाई आज के इस सेशन के लिए इतना ही इस लेक्चर के लिए इतना ही टारगेट हमने कर लिया है अचीव तो अब नेक्स्ट लेक्चर में हम मिलेंगे जहां पे हम डिफेक्ट्स ऑफ आई शुरू करेंगे और देखेंगे कि कैसे उन डिफेक्ट्स को करेक्ट किया जा सकता है तो हम मिलेंगे नेक्स्ट लेक्चर में तब तक आप क्या करेंगे हमारी जो ऑफिशियल वेब वेबसाइट है magnetbrains.com उसे विजिट कर लेना जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे प्लेलिस्ट में साथ ही साथ सभी टॉपिक्स के वहां पे आपको होंगे नोट्स भी अवेलेबल सो डू विजिट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विद मैग्नेट बेंस थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन इस लेक्चर में हम पढ़ने वाले हैं डिफेक्ट्स ऑफ विज़न और फिर उनको कैसे करेक्ट किया जाता है उन डिफेक्ट्स को यह हमें पढ़ना है प्रीवियस लेक्चर में हमने बात करी थी पावर ऑफ अकोमोडेशन की फिर इसके बाद में हमने पढ़ा था नियर पॉइंट फिर हमने पढ़ा था फार पॉइंट ये तीन चीजें हमने पढ़ ली थी प्रीवियस लेक्चर में उसके भी पहले हमने आई का स्ट्रक्चर पढ़ा है और पूरी विजन की प्रोसेस कैसे होती है यह हमने सीख लिया अब ह्यूमन आई से रिलेटेड जो आखिरी टॉपिक है पढ़ने के लिए सब टॉपिक मान लो पहला जो हमारा मेन टॉपिक था वो क्या था ह्यूमन आय को समझना उसका स्ट्रक्चर पढ़ लिया विजन की प्रोसेस पढ़ ली फार पॉइंट पढ़ लिया नियर पॉइंट पढ़ लिया पावर ऑफ अकोमोडेशन समझ लिया अब जो सब टॉपिक उसका जो लास्ट बचा है यूमन आय का वो है अ वजन के डिफेक्ट्स तो वो आज इस सेशन में इस लेक्चर में हम पढ़ लेते हैं तो इस लेक्चर का इस सेशन का मैं टारगेट कर देती हूं फिक्स कि आज हमें क्या पढ़ना है विजन के डिफेक्ट्स पढ़ने हैं और साथ ही साथ उनको करेक्ट कैसे किया जाता है वो भी पढ़ना है तो भाई जब आज का टारगेट फिक्स हो गया है तो फिर देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं आज का हमारा लेक्चर दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रें जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलने वाले हैं बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैग्नेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं आज का ये हमारा लेक्चर जहां पे हमें पढ़ने हैं कुछ डिफेक्ट्स तो भाई डिफेक्ट्स होते क्या है द डिफेक्ट्स ड्यू टू व्हिच अ पर्सन कैन नॉट सी द ऑब्जेक्ट डिस्टिंक्टली एंड कंफर्टेबल आर कॉल्ड डिफेक्ट्स ऑफ द विजन कोई ऐसी कुछ ऐसे कारण जिसके जिसकी वजह से हम ऑब्जेक्ट्स को क्लियर और कंफर्टेबल नहीं देख पाते हैं कि आंखों प बहुत ज्यादा स्ट्रेन पड़ रहा है किसी भी चीज को देखने के लिए या अगर वो हम देख भी पा रहे हैं तो वो ब्लरी है क्लियर इमेज नहीं दिख रही है हमें उस ऑब्जेक्ट की तो उस सिचुएशन में समझ लो कि कोई ना कोई अ यू नो डिफेक्ट है आंख में कोई ना कोई प्रॉब्लम है जिसके कारण नॉर्मल विजन नहीं हो पा रहा है तो आपके सिलेबस में तीन ही डिफेक्ट्स है पहला है क्या मायोपिया जिसको हम क्या कहते हैं जिसको हम कहते हैं शॉर्ट साइटेडनेस ठीक है फिर दूसरा आता है हाइपरमेट्रोपिया जिसको हम लॉन्ग या फार साइटेडनेस भी कहते हैं और तीसरा आता है प्रेस बायोपिया मैंने आपको क्या बताया कि डिफेक्ट्स क्या होते हैं विजन डिफेक्ट्स क्या होते हैं कि कुछ ऐसे कारण जिनकी वजह से हम ऑब्जेक्ट्स को क्लियर और कंफर्टेबल नहीं देख पा रहे हैं क्लीयरली मतलब क्या कि वो ब्लरी है ब्लर्ड इमेज बन रही है उन ऑब्जेक्ट्स की हमारी आंखों में और कंफर्टेबल मतलब क्या कि बहुत स्ट्रेन पड़ रहा है उनको देखने के लिए अगर दिख भी रही है तो बहुत जोर देना पड़ रहा है आंखों पे तो वो जो कारण होते हैं उन्हीं को हम क्या कहते हैं विजन के डिफेक्ट्स कहते हैं तीन डिफेक्ट्स हैं आपके सिलेबस में आपके चैप्टर में तीनों को हम एक-एक करके पढ़ते हैं सबसे पहले हम स्टार्ट करते हैं किसके साथ हम स्टार्ट करते हैं मायोपिया के साथ जिसको हम शॉर्ट साइटेडनेस भी कहते हैं भाई मायोपिया क्या होता है मायोपिया में दूर की चीजें नहीं दिखती हैं ठीक है मायोप में क्या नहीं होता है मायोप में हमें दूर की चीजें नहीं दिखती हैं लेकिन पास की चीजें दिख जाती हैं अब जरा याद करो प्रीवियस लेक्चर को प्रीवियस सेशन को मैंने आपको बताया था कि भाई अ किसी भी ऑब्जेक्ट से निकल रही जो इंसिडेंट रेज है जो हमारी आंखों तक आ रही है उनको कन्वर्ज होने की जो मजबूरी है वो कहां कन्वर्ज होंगी जाकर के वो होंगी जो हमारी आईबॉल की जो स्क्रीन होती है रेटीना वहां पर जाकर के वो कन्वर्ज होती है उनकी मजबूरी होती है क्या मजबूरी होती है भाई क्योंकि रेटिना के पास प्रेजेंट होते हैं रॉड्स एंड कोन्स ठीक है उनके पास क्या होते हैं दो लाइट सेंसिटिव सेल्स होते हैं रॉड्स एंड कोन्स होते हैं जो कि सारी ऑब्जेक्ट से रिलेटेड इंफॉर्मेशन कहां लेकर जाते हैं ब्रेन तक लेकर जाते हैं ऑप्टिक नर्व्स के थ्रू इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स के फॉर्म में अब क्या हो रहा है अब अगर ऐसा कोई केस आ रहा है जहां पे इमेज अभी तक तो हमें पता था कि रेट पे ही बननी चाहिए और कैसे बनती है वो भी हमें पता है बाय द पावर ऑफ अकोमोडेशन ऑफ द आइलैंड्स लेकिन कोई एक ऐसा केस जहां पे इमेज रेटिना पे नहीं बन रही है अगर रेटीना पे नहीं बन रही तो कहां बनेगी रेटीना के आगे बनेगी ये आपको एक डायग्राम दिख रहा होगा इस डायग्राम में देखो इंसिडेंट रेज आ रही है ये इस तरह की पैरेलल इंसीडेंट रेज आ रही है और क्या हुआ जैसे ही आग के अंदर गई आई बॉल के अंदर आई लेंस के थ्रू कन्वर्ज हुई कहां इस पर्टिकुलर पॉइंट पे बनना कहां था ये जो आपको स्क्रीन दिख रही है आई बॉल की रेटीना इस पे जाकर के इमेज बननी चाहिए थी रिफ्रैक्टेड रेज को कन्वर्ज होना चाहिए था लेकिन क्या हुआ वो कन्वर्ज पहले ही हो गई रेटिना के पहले कन्वर्ज हो गई इस पर्टिकुलर पॉइंट पे यानी कि अब रेटिना पे जो कोन्स और रॉड्स होते थे क्या वो सही इंफॉर्मेशन जो भी सपोज यहां पे क्या रखा है कैंडल रखी हुई है तो इस कैंडल से इंसिडेंट रेज आ रही थी और इस कैंडल की इमेज कहां बन गई रेटीना के पहले ही बन गई तो भाई जो रॉड्स एंड कोन्स थे हमारे रेटीना के ऊपर क्या वो इस कैंडल के बारे में सही सही इंफॉर्मेशन ब्रेन तक पहुंचा पाएंगे नहीं पहुंच नहीं पहुंचा पाएंगे क्यों क्योंकि रेटीना पे तो इमेज बनी ही नहीं रेटिना पे तो इमेज बनी नहीं कोन्स और रॉड्स तक इंफॉर्मेशन प्रॉपर्ली आ ही नहीं पाई तो क्या होगा कुछ भी उल्टी सीधी इंफॉर्मेशन जो है ब्रेन तक पहुंचेगी तो ब्रेन हमें किस तरह की इमेज दिखाएगा कैंडल की ब्लर्ड इमेज दिखाएगा धुंधली सी कोई इमेज दिखाएगा क्लियर इमेज कैंडल की नहीं मिलने वाली क्यों नहीं मिलने वाली क्योंकि ये जो इमेज है वो कहां बन गई है रेटिना के पहले ही बन गई है रेटिना पे बनती तो रॉड्स एंड कोन्स प्रॉपर इंफॉर्मेशन लेकर के ब्रेन तक जा पाते ब्रेन तक पहुंचा पाते ब्रेन उस इंफॉर्मेशन को प्रोसेस करती इमेज बढ़िया दिख जाती कैंडल की लेकिन क्या हुआ यहां पे हम बोल रहे हैं कि कैंडल जो है वो उस उसके पास से लाइट्स तो आ रही थी लेकिन ये जो लाइट्स है वो रिफ्रैक्ट के बाद कन्वर्ज हो गई रेटीना के पहले रॉड्स एंड कोन्स प्रॉपर इंफॉर्मेशन नहीं पहुंचा पाए ब्रेन तक ब्रेन प्रोसेस नहीं कर पाया सही इंफॉर्मेशन को इसलिए कैंडल की जो इमेज है वो कैसी रहेगी ब्लर्ड रहेगी धुंधली सी रहेगी तो हम बोल सकते हैं कि हमें कैंडल नहीं दिखाई देगी क्यों नहीं दिखाई देगी पूरा खेल कहां किस चीज का है इमेज अ लाइट रेस के कन्वर्जेंस का है कि रेटीना के पहले ही हो गई इस चीज को आप ऐसे समझ सकते हो कि सपोज आप गए हो थिएटर मूवी देखने के लिए थिएटर में क्या होता है आपके सामने लगी होती है स्क्रीन और पीछे कहीं चल रहा होता है प्रोजेक्टर सीट्स के पीछे है ना प्रोजेक्टर से जो है लाइट रेज आती है और स्क्रीन पे इमेजेस बनती जाती हैं और आप बढ़िया तरीके से स्क्रीन पर मूवी को एंजॉय कर पाते हो लेकिन ऐसा कुछ हो कि जो लाइट रेज आ रही है प्रोजेक्टर से वो स्क्रीन पे ना हो स्क्रीन प नहीं करें स्ट्राइक और स्क्रीन के पहले ही आ जा जाए या एक काम करो स्क्रीन को उठा कर के पीछे खींच दो यानी कि अब जो पिक्चर चल रही है वो स्क्रीन प नहीं चल रही स्क्रीन के पीछे चल रही है स्क्रीन के आगे चल रही है तो क्या आपको पिक्चर प्रॉपर्ली दिखाई देगी नहीं दिखाई देगी क्यों क्योंकि जब तक प्रॉपर्ली पिक्चर इमेज ना बना दे कहां पे स्क्रीन पे तब तक आप पिक्चर को नहीं देख सकते हो है ना क्या हुआ कि प्रोजेक्टर से इमेजेस आ रही थी पिक्चर चल रही थी प्रोजेक्टर पे इमेज छप रही थी लेकिन प्रोजेक्ट को ही आपने क्या कर दिया पीछे की तरफ खिसका दिया दूर ले गए अब कहां बन रही है इमेज ऐसी हवा में बन रही है तो क्या हवा में चलती हुई पिक्चर को आप एंजॉय कर पाओगे बिल्कुल भी नहीं कर पाओगे सेम केस तो यहां हो रहा है कैंडल से निकलने वाली जो इंसीडेंट रेस थी वो रिफ्लेक्ट होने के बाद कहां आई रेटिना के पहले ही क्या हो गई कन्वर्ज हो गई इमेज इस पॉइंट प बन गई जिसके कारण हमें कैंडल की सही इमेज नहीं दिखाई दी ब्लर्ड इमेज हमें देखने को मिली और ऐसा डिफेक्ट जहां पे हमें ऑब्जेक्ट पास जो दूर रखा होता है ऑब्जेक्ट वो दिखाई नहीं देता पास रखा हुआ ऑब्जेक्ट हमें दिख जाता है उसे हम क्या कहते हैं उसे हम कहते हैं मायोपिया तो मायोपिया क्या है भाई एक ऐसा विजन डिफेक्ट है जहां पे हमें जो पास में रखा हुआ ऑब्जेक्ट है वो दिख जाएगा लेकिन दूर रखा हुआ ऑब्जेक्ट नहीं दिख पाता ठीक अब इसके बाद में इसके कॉसेस क्या है क्यों ऐसा हो रहा है कि देखो ऐसा भी तो हो सकता है ना आप इसको ऐसे समझो कि अगर कोई प्रॉब्लम है तो ना दूर की चीज दिखनी चाहिए ना पास की चीज दिखनी चाहिए यह भेदभाव क्यों कि पास की दिख रही है दूर की नहीं दिख रही है क्या प्रॉब्लम है क्या कॉसेस है कि अगर दिख रहा है तो पास का दिख रहा है लेकिन दूर का नहीं दिख रहा तो भाई इसके दो कॉसेस होते हैं पहला कॉज क्या है जरा दिमाग लगाओ जब हम पढ़ रहे थे पावर ऑफ अकोमोडेशन नियर पॉइंट फार पॉइंट उस समय मैंने आपको बताया था कि अगर कोई ऑब्जेक्ट कहां रखा गया है दूर रखा गया है अगर ऑब्जेक्ट आपकी आंखों से दूर रखा गया है तो उसको देखने के लिए क्या होता है हमारे जो सिलियरी मसल्स होती है वो रिलैक्स कर जाती हैं उससे अटैच जो सेंसरी लिगामेंट्स होते हैं वो क्या करते हैं आईलेंस को पकड़ के खींच देते हैं जिसकी वजह से हमारी आईलेंस क्या हो जाती है आईलेंस हो जाती है हमारी थिन आईलेंस थिन हो गई मतलब क्या हुआ इसका जो फोकल फोकस है या जो फोकल लेंथ है वो हो गई क्या सॉरी इसकी जो फोकल लेंथ है वो क्या हो गई बढ़ गई जब कोई ऑब्जेक्ट रखा गया हमारी आंखों से दूर को देखने के लिए सिलेरी मसल्स क्या करेंगी रिलैक्स कर जाएंगी जो सस्पेंसरी लिगामेंट्स है वो इन लेंस को क्या करेंगे आई लांस को स्ट्रेच कर देंगे जिसकी वजह से आईलेंस हो जाएगी थिन इसकी फोकल लेंथ बढ़ जाएगी और हम ऑब्जेक्ट को देख पाएंगे जो दूर रखा गया है ऑब्जेक्ट उसको मायोपिया में क्या हो रहा है कि दूर रखा हुआ ऑब्जेक्ट नहीं दिख रहा है व इसका मतलब क्या कुछ ना कुछ गड़बड़ी है लेंस के कर्वेचर में लेंस जो है जो रिक्वायर्ड कर्वेचर होता है दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए उस रिक्वायर्ड कर्वेचर तक पहुंच ही नहीं रहा है लेंस मतलब लेंस के पास क्या है लेंस जो है थिन की जगह क्या हो गया है थिक हो गया है यानी कि इसके पास क्या आ गया है इसके पास आ गया है भाई एक्स्ट्रा कर्वेचर कई बच्चे कंफ्यूज हो जाते हैं कि मैम एक्स्ट्रा कर्वेचर का क्या मतलब है जब लेंस अपनी थिन है तो ये इसका कर्वेचर देखो थिक लेंस इसके कंपैरिजन में कम है ना इसका कर्वेचर देखो ये कम मुड़ा हुआ है मुड़े हुए से समझ में आ जाएगा अगर तो समझ लो ये जो मेरा थिन लेंस है यह थिक लेस के कंपैरिजन में कम कर्वड है ना एक तरह से ही कैसा हो रहा है स्ट्रेट हो रहा है तो इसीलिए इसका जो कर्वेचर है वो थिक लेंस के कंपेरिजन में कैसा है कम है तो अगर मुझे दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखना है तो मुझे लेंस का कर्वेचर क्या करना पड़ेगा कम करना पड़ेगा और यदि कर्वेचर कम ना हो वो ज्यादा हो तो क्या मुझे दूर रखा हुआ ऑब्जेक्ट देखने को मिलेगा बिल्कुल भी नहीं मिलेगा तो यह क्या हुआ यह हो गया ना मायोपिया का केस मायोपिया में क्या होता है दूर की चीजें नहीं दिखती है पास की चीजें दिख जाती हैं दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए क्या करना पड़ता है आई लेंस को स्ट्रेच करना पड़ता है फोकल लेंथ बढ़ानी पड़ती है आई लेंस को थिन करना पड़ता है लेकिन अगर ये लेंस क्या हो थिन ना हो थिक ही रहे एक्स्ट्रा कर्वेचर इसका आ जाए तो क्या होगा फोकल लेंथ जो है ना बढ़ नहीं पाएगी तो दूर रखा हुआ ऑब्जेक्ट नहीं दिखाई देगा तो ये हो गया क्या पहला कॉज फिर इसके बाद में आता है दूसरा कॉज दूसरा कॉज क्या है भाई दूसरा कॉज होता है बर्थ डिफेक्ट क्या होता है बर्थ डिफेक्ट यानी कि बाय बर्थ इस तरह की डिसेबिलिटी पेशेंट की आंखों में रहती है क्या होता है कि सपोज यहां पर मैं आपको बता देती हूं जैसे जो फोकस सॉरी जो इमेज थी वो कहां बन रही थी कैंडल से इं ट्रेस आई और उसकी इमेज कहां बनी इस पॉइंट पे बनी ठीक अब समझ लो हमारी जो आंखों की जो लेंथ है यह वाली जो लेंथ होती है बच्चों आंखों की इसे हम क्या कहते हैं एक्सियल लेंथ कहते हैं क्या कहते हैं एक्सियल लेंथ कहते हैं ठीक अब ये वाली जो एजिल लेंथ है बच्चों सपोज हमारी आंखों हमारी आंखें इतनी लंबी नहीं होती बस इतनी ही होती ये जो ब्लू कलर से मैंने लाइन बनाई है वो क्या है मैं अज्यू कर रही हूं कि हमारी जो आंख है वो इतनी बड़ी नहीं होती वो इतनी ही बड़ी होती यानी कि जहां पर अभी इमेज बन रही है वहीं पर क्या होता रेटिना होता आंखों का तो क्या होता कोई डिफेक्ट होता ही नहीं इमेज कहां बन रही है इस पॉइंट प बन रही है अगर इसी पॉइंट प किसी आंखों का रेटीना होता तो क्या फिर ये डिफेक्ट कहलाता नहीं कहलाता नॉर्मल कंडीशन होती लेकिन क्या हुआ जो आंख है वो तो लंबी हो गई अगर आंख लंबी हो गई यानी कि आंख की जो एक्सियल लेंथ है आई बॉल की जो एक्सियल लेंथ है वो क्या हो गई बढ़ गई जिसके कारण ऑब्जेक्ट से निकली इंसीडेंट रेज आफ्टर रिफ्रैक्ट कहां कन्वर्ज हो गई रेटिना के पहले ही कन्वर्ज हो गई आर यू गेटिंग माय पॉइंट कि मैं क्या बोलना चाह रही हूं मैं आपको बताना चाह रही हूं कि मायोपिया क्यों होता है दो रीजंस के कारण होता है पहला क्या है कि एक तो जो है लेंस का आई लेंस में एक्स्ट्रा कर्वेचर आ गया है उसको थिन होना चाहिए था दूर की चीजें देखने के लिए लेकिन वो कैसा हो गया है थिक हो गया है एक्स्ट्रा कर्वेचर आ गया जिसकी वजह से फोकल लेंथ हो गई उसकी कम दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट को नहीं देख पा रही है दूसरा क्या है दूसरा है बर्थ डिफेक्ट बाय बर्थ पर्सन के अंदर होता है क्या होता है इसमें कि सपोज इस पर्टिकुलर पॉइंट पे जो है इमेज बन रही थी कैंडल की अगर मैं बोलूं कि मेरी आंख जो है बस इतनी ही चौड़ी होती इतनी ही इसकी एक्सियल लेंथ होती तो तो ये डिफेक्ट नहीं कहलाता क्यों क्योंकि आई लेंथ भी इतनी है रेटीना पे इमेज बन रही है कोई डिफेक्ट नहीं बढ़िया ही बढ़िया लेकिन क्या हुआ बाय बर्थ डिफेक्ट आ गया जिसके कारण जो मेरी आंख है वो इतनी नहीं इतनी लंबी हो गई लंबी हो गई एजय लेंथ ज्यादा हो गई आईबॉल की जिसके कारण क्या हुआ जो इमेज बनी है ऑब्जेक्ट की वो आईबॉल के आगे की तरफ यानी कि रेटीना के आगे ही बन गई तो इसमें ऑब्जेक्ट की या इमेज की गलती क्या है कि आपकी आईबॉल ही लंबी है आपकी आई आईबॉल की एक्सियल लेंथ ही ज्यादा है इमेज की क्या गलती कि वो रेटीना के आगे बन गई ठीक तो यह क्या है दूसरा कॉज है किस चीज का मायोपिया का आ गई आपको बात समझने तो मायोपिया क्या होता है मायोपिया एक ऐसा डिफेक्ट है विजन का जहां पे पास रखा हुआ ऑब्जेक्ट दिखाई देता है लेकिन दूर रखा हुआ ऑब्जेक्ट दिखाई नहीं देता है क्यों नहीं देता दो रीजन है एक तो आईलेंस का एक्स्ट्रा कर्वेचर दूसरा क्या है बर्थ डिफेक्ट है जहां पे आई बॉल की जो एक्सियल लेंथ है वो जरूरत से ज्यादा हो जाती है ठीक है नॉर्मल से ज्यादा हो जाती है जब एक्सल लेंथ आई बॉल की तब वो कहलाता है बर्थ डिफेक्ट जिसके कारण हो जाता है मायोपिया मायोपिया समझ में आ गया अब एक काम करते हैं अब इस डिफेक्ट को करेक्ट कैसे करें हमें चश्मा लगाना पड़ेगा कैसा चश्मा लगाना पड़ेगा हमें बेसिकली कुछ इस तरह की डिवाइस चाहिए है जो क्या करे जब जब हमारी आंखों के अंदर जो लाइट आ रही है ना उसको थोड़ा डायवर्ज करके जो है ना लेकर के आए ताकि आई लेंस कहां उसको कन्वर्ज करे रेटीना पे करें अब चाहे वो बर्थ डिफेक्ट हो चाहे एक्स्ट्रा कर्वेचर हो जो भी कॉज हो उस कॉज को हमें हटाना है ना कैसे हटा सकते हैं तो हमें एक ऐसी डिवाइस चाहिए जो कि लाइट रेस को अब हमारी आंखों पर कैसे लेके आए डायवर्जिंग फॉर्म में लेकर के आए जिससे क्या हो जैसे ही वो कॉर्निया प पहुंचे जैसे वो आई लेंस पर पहुंचे तो वो डायवर्जिंग इंसीडेंट ट्रेस को क्या करें कन्वर्ज करें कहां कन्वर्ज करें तो भाई थोड़े और डिस्टेंस पर कन्वर्ज करें यानी कि रेटिना पे करें तो इसके लिए हम कौन सा लेंस लेंगे भाई डायवर्जिंग लेंस ले लेंगे क्या मैं बोल रही हूं बारबार कि हमें एक ऐसी डिवाइस चाहिए है जो कि लाइट रेस को हमारी आंखों के अंदर थोड़ा सा डायवर्ज करती हुई लेके आए यानी कि जैसे ही डायवर्जिंग इंसिडेंट रेज कॉर्निया या लेंस प पहुंचेंगी तो वो कहां कन्वर्ज करें सभी रेज को डायवर्जिंग इंसिडेंट रेज को थोड़ा दूर दूर मतलब कहां रेटिना पे तो इसके लिए हमें कौन सी लेंस की जरूरत है डायवर्जिंग लेंस की जरूरत है थैंकफूली हमारे पास एक ऐसी डिवाइस है फॉर्चूनेटली हमारे पास ऐसी डिवाइस है जो कि लाइट रेस को क्या कर रही है डायवर्ज करती हुई हमारी आंखों के अंदर लेके जा रही हैं आ गई आपको बात समझ में आई होप मायोपिया आपको क्लियर होगा अब एक काम करो जो रिटर्न पोर्शन है वो भी देख लो मायोपिया क्या होता है इन दिस डिफेक्ट अ पर्सन कैन सी नियर बाय ऑब्जेक्ट डिस्टिंक्टली बट कैन नॉट सी अ डिस्टेंट ऑब्जेक्ट क्लीयरली दूर रखे ऑब्जेक्ट को नहीं देख पाता है ठीक है ऐसे में क्या होता है जो इमेज है वोह कहां बनती है रेटिना के पहले ही बन जाती है यह डिफेक्ट क्यों होता है क्योंकि आई लेंस का एक्स्ट्रा कर्वेचर होता है या फिर आई बॉल का लोंगे यानी कि आईबॉल की एक्सियल लेंथ बढ़ जाती है वत डिफेक्ट होता है एज अ रिजल्ट द इमेज इज फॉर्म्ड बिफोर रेटिना रेटिना के पहले ही इमेज बन जाएगी ऑब्जेक्ट की इसको कैसे कर सकते हैं कॉनकेव लेंस को कर सकते हैं अ कॉनकेव लेंस ऑफ सूटेबल पावर विल ब्रिंग बैक द इमेज ऑन द रेटिना अब अगर आपको मायोपिया समझ में आ गया होगा बच्चों तो हाइपरमेट्रोपिया बिल्कुल भी डिफिकल्ट नहीं है हाइपरमेट्रोपिया में क्या होता है मायोपिया का उल्टा कर दो मायोपिया में क्या हो रहा था पास की चीजें दिख रही थी दूर की चीजें नहीं दिख रही थी हाइपरमेट्रोपिया में क्या होता है दूर की चीजें दिख जाती हैं पास की चीजें नहीं दिखती क्या होता है हाइपरमेट्रोपिया में दूर की चीजें दिख जाती हैं पास की चीजें नहीं दिखती है यानी कि ऑब्जेक्ट की जो इमेज है बच्चों इस केस में कहां बन रही है इस केस में बन रही है रेटीना के पीछे जो कुछ भी हमने मायोपिया में पढ़ा है उसका बिल्कुल रिवर्स कर दो तो हाइपरमेट्रोपिया बन जाता था मायोपिया में पास की चीज दिखती थी दूर की नहीं दिखती थी हाइपरमेट्रोपिया में दूर की चीज दिख जाती है पास की चीज नहीं दिखती मायोपिया में इमेज कहां बनती थी ऑब्जेक्ट की रेटिना के पहले बनती थी हाइपरमेट्रोपिया में इमेज कहां बनेगी रेटिना के पीछे जाकर के बन जाएगी कॉसेस कॉसेस देखो जो मायोपिया में होते थे उसी से सिमिलर हाइपरमेट्रोपिया मेंही है उल्टा कर दो जब हमें किसी हाइपरमेट्रोपिया में हो क्या रहा है हमें दूर की चीज दिख रही है पास की नहीं दिख रही है तो ध्यान लगाओ याद करो कि जब हम बात करते थे कि कोई ऑब्जेक्ट रखा हो गया है कहां हमारी आंखों के पास तो उस पास रखे ऑब्जेक्ट को देखने के लिए हमें क्या करना पड़ता था जो हमारी आई लेंस जो हमारी सेलियरी मसल्स होती थी वह क्या करती थी आई लेंस को कंप्रेस कर देती थी क्या कर देती थी कंप्रेस कर देती थी जिसके कारण वो क्या हो जाता था थिक हो जाता था और उसकी जो फोकल लेंथ है वो क्या हो जाती थी कम हो जाती थी जिसकी वजह से पास रखा हुआ ऑब्जेक्ट भी हमें दिख जाता था अब इस केस में क्या हो रहा है हाइपरमेट्रोपिया में डिफेक्ट में कि पास रखी हुई चीज नहीं दिख रही है मतलब क्या कि यह जो थिकनेस हो रही है ना लेंस की फॉर सम रीजन नहीं हो पा रही है यानी कि उसकी फोकल लेंथ कम नहीं है यानी कि जो पास में रखा गया ऑब्जेक्ट है वो हमें नहीं दिख रहा है ऐसा क्यों हो रहा है क्योंकि जो रिक्वायर्ड फोकल लेंथ चाहिए है पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए उतनी नहीं मिल पा रही है यानी कि हमारी जो आई लेंस है ना उसके पास क्या है उसका कर्वेचर छोटा हो गया मायोपिया में एक्स्ट्रा कर्वेचर हो रहा था और इसमें क्या हो गया इसमें हम बोलते हैं कि आईलेंस का शॉर्ट कर्वेचर हो जाता है आईलेंस इसका क्या होता है बच्चों शॉर्ट कर्वेचर हो जाता है मैंने बोला ना अगर मायोपिया समझ में आ गया तो हाइपरमेट्रोपिया समझने में तो बिल्कुल देर ही नहीं लगनी है उल्टा करते जाओ बस मायोपिया में दूर का नहीं दिख रहा हाइपरमेट्रोपिया में पास का नहीं दिख रहा इमेज मायोपिया में रेटिना की पहले बन रही थी हाइपरमेट्रोपिया में इमेज रेटिना के पीछे बन रही है मायोपिया में जो लेंस है आई लेंस है उसका एक्स्ट्रा कर्वेचर हो रहा था हाइपरमेट्रोपिया में क्या हुआ आई लेंस का जो कर्वेचर है वो कैसा हो गया छोटा हो गया यानी कि फोकल लेंथ कम हो गई इसलिए पास की चीजें जो है ना दिख नहीं पा रही है ठीक है सॉरी फोकल लेंथ इसकी क्या हो रही है बढ़ रही है फोकल लेंथ जितनी कम होनी चाहिए ना पास में रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए उतनी नहीं हो पा रही है मतलब ज्यादा ही है इस वजह से क्या हो रहा है शॉर्ट कर्वेचर हो रहा है और पास रखा ऑब्जेक्ट नहीं दिख रहा है यह हो गया पहला कॉज फिर इसके बाद में दूसरा कॉज क्या होता है दूसरा कॉज भी हम बोलते हैं कि बर्थ डिफेक्ट मा हमें क्या बताया था कि आईबॉल की जो एक्सियल लेंथ है वो क्या हो रही थी ज्यादा हो रही थी जिसकी वजह से इमेज का बन रही थी रेटीना के पहले इसमें क्या होगा एक्सियल लेंथ जो है ना आईबॉल की वो हो जाएगी कम ठीक है फॉर एग्जांपल अगर मैं इसको देखूं इस इमेज को मैं देखूं यहां पे आपको दिख रहा होगा कि इमेज कहां बन रही है लेंस रेटीना के पीछे बन रही है अगर जो मेरी आईबॉल है अगर वो कैसी होती इतनी बड़ी होती आईबॉल कैसी होती इतनी बड़ी होती तो इमेज कहां बनती रेटीना पे ही बनती स्क्रीन पे ही बनती लेकिन बर्थ डिफेक्ट के कारण क्या हुआ आईबॉल रह गई छोटी उसकी एजल लेंथ छोटी हो गई तो कहां बनी आईबॉल का साइज बना सिर्फ इतना तो इमेज की क्या गलती वो तो पीछे जा करर के बन गई तुम्हारी आईबॉल की गड़बड़ी थी आईबॉल छोटी रह गई उसकी एसल लेंथ छोटी रह गई इमेज की क्या गलती ठीक तो इसका इसका क्या होगा कॉज इसका भी होगा हो बर्थ डिफेक्ट कॉज जहां पे जो आईबॉल की जो एक्सियल लेंथ है वो कैसी हो जाती है छोटी रह जाती है इसलिए इमेज जाक के पीछे बनेगी अब जब आपको डिफेक्ट समझ में आ गया है तो उसकी करेक्शन कैसे पॉसिबल है वो भी समझ में आनी चाहिए तो हमें क्या करना है बच्चों देखो इमेज क बन रही थी रेटिना के पीछे बन रही थी हमें कुछ ऐसा करना है कि जो इमेज है वो रेटीना पे ही बने यानी कि थोड़े पहले बन जाए तो क्या करेंगे हम एक ऐसा डिवाइस लेकर के आएंगे जो क्या करें ऑब्जेक्ट से निकलने वाली इंसीडेंट रेज को पहले क्या कर दे कन्वर्ज कर दे यानी कि जब किसी ऑब्जेक्ट से कोई इंसीडेंट रे आ रही होगी तो इससे पहले कि वो हमारे कॉर्निया पे लेंस तक पहुंचे वो ऑलरेडी कैसी हो जाए कन्वर्ज हो जाए जिससे क्या होगा कि कॉर्निया और जो लेंस है कॉर्निया और लेंस मिलके क्या करें उस कन्वर्जिंग इंसीडेंट ट्रस को भी कन्वर्ज कर दें लेकिन बहुत दूर जाकर के कन्वर्ज ना करें थोड़े पास ही कन्वर्ज कर दें ऐसा कब पॉसिबल है जब इंसिडेंट रे जो हमारी आंखों के अंदर आ रही हैं वो कैसी हो ऑलरेडी कन्वर्जड हो जब ऑलरेडी कन्वर्जड होंगी तो बहुत ज्यादा कन्वर्जेंस नहीं लगेगा रेटीना तक कन्वर्ज करने के लिए है ना बहुत डिस्टेंस ट्रेवल नहीं करना पड़ेगा कन्वर्जेंस के लिए तो हमें क्या चाहिए एक ऐसी डिवाइस चाहिए जो अ क्या करें ऑब्जेक्ट से निकल रही इंसीडेंट रेज को क्या कर सके कन्वर्ज कर सके और वो वही कन्वर्जड रे हमारी आंखों तक पहुंचे तो उसके लिए हम क्या यूज करते हैं हम यूज करते हैं कॉन्वेक्स लेंस क्या यूज करेंगे हम हम यूज करें कॉन्वेक्स लेंस यानी कि कॉन्वेक्स लेंस क्या है एक ऐसा डिवाइस है जो कि क्या करता है इंसीडेंट रेज जो कि ऑब्जेक्ट से आ रही है उस इंसीडेंट रे को क्या करेगा कन्वर्ज कर देगा अपने लेवल पे फिर ये कन्वर्ज रेज कहां पहुंचेंगी हमारे कॉर्निया से आईलेंस तक पहुंचेगी आईलेंस से पहुंचने के बाद क्या होगा फर्द कन्वर्जेंस होगा लेकिन बहुत दूर जाकर के नहीं होगा बहुत दूर जा कर के नहीं होगा पास में ही हो जाएगा कहां हो जाएगा रेटीना पे हो जाएगा तो हाइपरमेट्रोपिया को हम कैसे ट्रीट कर सकते हैं हम यू हम कर सकते हैं इसको ट्रीट करेक्ट कर सकते हैं कॉन्वेक्स लेंस का यूज करके मतलब अगर हम बोल सकते हैं कि हमें जैसे कि मायोपिया था मायोपिया में हम कैसे करेक्ट कर रहे थे हम कर रहे थे एक कॉनकेव लेंस के थ्रू और हाइपरमेट्रोपिया में हम कैसे करेक्ट कर रहे हैं डिफेक्ट को कॉन्वेक्स लेंस के थ्रू ठीक है अब अगर आपको मायोपिया समझ में आ रहा होगा हाइपरमेट्रोपिया समझ में आ रहा होगा तो जो नेक्स्ट डिफेक्ट है प्रेस बायोपिया वो भी आपको बहुत अच्छी तरीके से समझ में आ जाएगा यह कुछ हाइपरमेट्रोपिया कि अ कुछ थ्योरी है इन दिस डिफेक्ट अ पर्सन कैन सी डिस्टेंट ऑब्जेक्ट्स क्लियर बट कैन नॉट सी नियर बाय ऑब्जेक्ट्स दूर का दिख जाता है पास कानी दिखता अ पर्सन विद दिस डिफेक्ट हैज द नियर पॉइंट फादर अवे फ्रॉम द नॉर्मल नियर पॉइंट 25 सेंटीमीटर इन दिस केस द इमेज इज फॉर्म बिहाइंड रेटीना रेटीना के पीछे बनेगी क्या हो सकते हैं इस डिसीज के कॉसेस इस डिफेक्ट के कॉसेस दो हो सकते हैं पहला क्या है कि जो आई लेंस है उसकी फोकल लेंस कैसी हो जाए लार्ज हो जाए भाई इसमें क्या हो रहा है पास की चीजों को नहीं देख पा रहे ना पास की चीजों को देखने के लिए क्या करना पड़ता है लेंस को फोकल लेंथ अपनी कम करनी पड़ती है लेकिन यहां क्या हो रहा है फोकल लेंथ बढ़ रही है है ना फोकल लेंथ क्या हो रही है बढ़ रही है यानी कि यहां पे लेंस का कर्वेचर कैसा हो रखा है भाई शॉर्ट कर्वेचर हो गया है ल है ना कैसा हो गया है अ स इसका कर्वेचर कैसा हो गया है शॉर्ट हो गया है ठीक फिर इसके बाद में आईबॉल बिकम टू शॉर्ट यानी कि एक्सल लेंथ जो है वह क्या हो गई है कम हो गई है इसलिए इमेज जाक के कहां बन रही है रेटीना पर बन रही है शॉर्ट कर्वेचर मतलब क्या हो गया लेंस का कि वह सिकुड़ गई है लोंगे हो गई है स्ट्रेच हो गई है है ना जब लेंस थिक होती है तभी तो उसका कर्वेचर कैसा हो पाता है बच्चों उसका कर्वेचर ज्यादा हो पाता है अगर उसका कर्वेचर शॉर्ट है किसी लेंस का मतलब क्या कि वो एलोंगटेड ज्यादा है कर्वड के कंपैरिजन में आई होप ये चीज आपको समझ में आ गई होगी कॉसेस समझ में आ गए डिफेक्ट समझ में आया करेक्ट कैसे करेंगे कॉन्वेक्स लेंस का यूज़ करेंगे जिसके कारण इमेज क बने रेटिना पे ही बन जाए फिर इसके बाद में नेक्स्ट क्या है प्रेस बायोपिया अब बहुत से बच्चे प्रेस बायोपिया को क्या बोलते हैं कि मैं प्रेस बायोपिया मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया का का कॉमिनेशन होता है इधर देखो ये लाइन सम टाइम्स अ पर्सन मे सफर फ्रॉम बोथ मायोपिया एंड हाइपरमेट्रोपिया इस लाइन को लिख के ना एक बड़ा सा यहां पे क्रॉस लगा दो ये ब्लंडर मिस्टेक होती है कि एक आंख में मायोपिया भी है हाइपरमेट्रोपिया भी है जरा एक मुझे बात बताना मायोपिया में हम क्या बोल रहे थे कि लेंस का जो कर्वेचर था वो एक्स्ट्रा था हाइपरमेट्रोपिया में हमने बोला कि लेंस का कर्वेचर शॉर्ट था अब अगर आप दोनों ही डिफेक्ट्स को एक आंख में डाल रहे हो हो तो क्या लॉजिक बन रहा है कि लेंस का कर्वेचर कैसा है ज्यादा भी है और लेंस का कर्वेचर कम भी है ऐसा कैसे पॉसिबल है या तो लेंस का कर्वेचर ज्यादा ही रखो या उसको कम ही रखो ज्यादा रखोगे तो क्या होगा मायोपिया कम रखोगे तो क्या होगा हाइपरमेट्रोपिया तो एक आंख में कभी भी मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया नहीं हो सकते हैं इस चीज को हमेशा ध्यान रखना एट अ टाइम आई लेंस का कर्वेचर ना हमेशा ऐसा नहीं हो सकता कि एक टाइम पे ज्यादा हो गया एक टाइम पे दूसरे टाइम पे हम बोलते हैं कि कम हो गया नॉट पॉसिबल एट ऑल ठीक तो अब अगर कोई बोले कि भाई प्रेस बायोपिया क्या है तो ये मत बोलना कि मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया का कॉमिनेशन है नहीं प्रेस बायोपिया में होता क्या है दो चीजें होती हैं एक तो जो हमारी सिलरी मसल्स होती हैं ये सिलरी मसल्स क्या करती है यही तो आईलेंस को स्ट्रेच करेगी लोंगे करेगी या उसको कंप्रेस करेगी ये सिलरी मसल्स हो जाती है वीक क्यों हो जाती है वीक क्योंकि ये जो डिफेक्ट है बच्चों प्रेस बायोपिया ये एजिंग के साथ-साथ होता है जैसे जैसे बुढ़ापा आता है बॉडी के सभी पार्ट्स सभी कंपोनेंट्स वीक होते जाते हैं बोनस वीक हो जाती है मसल्स वीक हो जाती है तो भाई हमारे सरेरी मसल्स भी तो एक टाइप की मसल्स ही है वो भी क्या हो जाती है वीक हो जाती है तो क्या होता है पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को जो एजेट लोग होते हैं वो देख नहीं पाते क्यों नहीं देख पाते क्योंकि हमें पता है कि अगर कोई पास रखा हुआ ऑब्जेक्ट है उसे देखने के लिए क्या करना पड़ता है आई लेंस को थिक करना पड़ता है उसका कर्वेचर बढ़ ना पड़ता है फोकल लेंथ कम करनी पड़ती है यानी कि सिलेरी मसल्स क्या करती हैं लेंस को थिक बनाने के लिए उसको कंप्रेस कर देंगी अब अगर सिलेरी मसल्स ठीक से काम नहीं कर रही है तो क्या वोह आई लाइंस को प्रॉपर्ली कंप्रेस कर पाएंगी इतना कंप्रेस कि उसकी जो फोकल लेंथ है वो क्या हो जाए कम हो जाए और पास रखा हुआ ऑब्जेक्ट हमें दिख जाए नहीं हो पाएगा तो सिलेरी मसल्स के वीक होने के कारण क्या होता है कि वो जितना कंप्रेशन चाहिए है आई लेंस में उतना ला नहीं पाती है जिसके कारण लेंस की फोकल लेंथ कम नहीं होती और पास रखा हुआ ऑब्जेक्ट लोगों को दिखाई नहीं देता है क्यों क्योंकि सेलेरी मसल्स वीक हो गई हैं तो एक बात बताओ मुझे प्रेस बायोपिया मतलब क्या हुआ प्रेस बायोपिया में हम बोलते हैं कि जो नियर पॉइंट होता है वो ग्रेजुएट करता जाता है यानी कि पास रखा हुआ ऑब्जेक्ट नहीं दिखता ठीक है जो नियर बाय ऑब्जेक्ट्स होते हैं जो नियर बाय ऑब्जेक्ट्स होंगे वो नहीं दिख पाएंगे किसमें प्रेस बायोपिया में क्यों नहीं दिख पाएंगे क्योंकि सिलेरी मसल्स वीक हो गई हैं कंप्रेस नहीं कर पा रही हैं अब जरा ये मुझे बताओ कि सिलेरी मसल्स का काम क्या होता है लेंस को कंप्रेस करना और लेंस को लोंगडम असल्ट हो गई है कंप्रेस नहीं कर पा रही है तो भाई जो उसका दूसरा काम है आई लेंस को स्ट्रेच करना वो भी तो नहीं कर पाएंगी ना ऐसा थोड़ी है कि जो मसल से उनकी वीकनिंग सिर्फ एक फंक्शन के लिए हो रही है आई लेंस को कंप्रेस करने के लिए हो रही है जो दूसरा फंक्शन है उसका आई लेंस को स्ट्रेच करने का वहां नहीं हो रहा वीकनिंग मतलब तो वीकनिंग चाहे जो फंक्शन परफॉर्म करो दोनों ही फंक्शंस क्या होंगे अफेक्ट हो जाएंगे उस वीकनिंग के कारण यानी कि अगर सेलेरी मसल्स आई लेंस को कंप्रेस नहीं कर पा रही है तो आई लेंस को स्ट्रेच भी नहीं कर पाएंगी स्ट्रेच नहीं कर पाएंगी इससे क्या होगा जो फोकल लेंथ है लेंस की वो बढ़ नहीं पाएगी बढ़ नहीं पाएगी मतलब क्या हुआ दूर र खा हुआ ऑब्जेक्ट नहीं दिखाई देगा बच्चों को ये जो कंफ्यूजन होता है ना कि एक टाइम पे प्रेस बायोपिया क्या होता है मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया ना पास का दिखेगा ना दूर का दिखेगा ये ब्लंडर मिस्टेक होती है प्रेस बायोपिया मतलब क्या होता है एक ऐसी कंडीशन जहां पे जो आई लेंस है वो कंप्रेस नहीं हो पाती तो पास रखा हुआ ऑब्जेक्ट जो है दिखाई नहीं देता लेकिन क्या होगा सेलेरी मसल्स वीक हो रही हैं जिसके कारण आईलेंस कंप्रेस नहीं कर पाती हैं वो और ना ही उसको एलोंगटेड नहीं कर पाएंगे मतलब क्या फोकल लेंथ नहीं बढ़ेगी लेंस की जिसके कारण दूर रखा हुआ ऑब्जेक्ट नहीं दिखाई देगा इसके लिए हम बोल सकते हैं कि भाई एक आंख में जो प्रेस बायोपिया है उसके साथ हम बोल सकते हैं कि मायोपिया आ सकता है एक आंख में मायोपिया हाइपरमेट्रोपिया नहीं आ सकता लेकिन हां प्रेस बायोपिया और और मायोपिया आ सकता है प्रेस बायोपिया में क्या होता है कि पास रखी हुई चीज नहीं दिखती और मायोपिया में क्या होता है जो डिस्टेंट ऑब्जेक्ट होते हैं जो दूर रखे होते हैं ऑब्जेक्ट वो नहीं दिखाई देते तो जैसे ही बच्चों को समझ में आ कि अच्छा ना दूर का दिख रहा ना पास का दिख रहा मतलब क्या मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया का कॉमिनेशन हो गया प्रेस बायोपिया जबक ऐसा कुछ नहीं है माना यहां पे ना दूर का दिख रहा है क्लियर ना पास का दिख रहा है क्लियर लेकिन रीजन अलग है ना सिलियरी मसल्स अभी तक जो भी हम डिफेक्ट पढ़ रहे थे उसमें मैंने सिलरी मसल्स को का नाम नहीं लिया था मैं हमेशा क्या कह रही थी कि जो आई लेंस है वो थिन नहीं हो पा रहे हैं वो थिक नहीं हो पा रहे हैं या जो आईबॉल की जो एसियर लेंथ है वो क्या नहीं हो पा रही है वो कभी बहुत ज्यादा हो गई है जरूरत से ज्यादा कभी बहुत जरूरत से कम हो गई है लेकिन अभी मैं क्या बोल रही हूं कि ये जो डिफेक्ट्स हो रहे हैं प्रेस बायोपिया जो हो रहा है वो क्यों हो रहा है सेलियरी मसल्स के कारण हो रहा है वो वीक हो गई है जिसके कारण वो ना कंप्रेस कर पा रही है कंप्रेस नहीं कर पाएंगी तो क्या होगा पास का नहीं देखेगा यानी कि प्रेस बायोपिया और दूर कभी नहीं दिख पाएगा क्यों क्योंकि वो लोंगे भी नहीं कर पाएंगी स्ट्रेच भी नहीं कर पाएंगी आई लाइंस को इसलिए मायोपिया हो जाएगा यानी कि दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट्स भी हमें दिखाई नहीं देंगे ठीक आई होप यह चीज आपको समझ में आई होगी बच्चों अब क्या होता है अब देखो इस डिफेक्ट के दो कॉसेस है पहला कॉज क्या है एक तो सिलेरी मसल्स वीक हो जाना अच्छे से समझ लिया दूसरा क्या है आई लेंस की जो इलास्टिसिटी होती है व कहीं ना कहीं चली जाती है ठीक है ना वो लॉस्ट हो जाती है क्यों फॉर सम रीजन एजिंग के साथ-साथ हर चीज क्या होती है डिग्रेड हो जाती है तो आई लेंस की भी इलास्टिसिटी चली जाएगी यानी कि वो हार्ड हो जाएगी तो प्रेस बायोपिया के भाई दो कॉसेस हैं एक क्या है सिलेरी मसल्स की वीकनेस और दूसरा क्या है आई लेंस की हार्ड निंग हो जाती है या उसकी फले जो उसकी फ्लेक्सिबल है जो इलास्टिसिटी है वो लॉस हो जाती है ठीक अब क्या करें इसको करेक्ट करना पड़ेगा कैसे करेक्ट करेंगे भाई अब इसको करेक्ट करते हैं कैसे बाय फोकल लेंस के थ्रू कैसे करेक्ट करेंगे बाय फोकल लेंस के थ्रू करेक्ट करेंगे कैसे चश्मा बनाते हैं ठीक है ये रहा एक चश्मा ये रहा दूसरा चश्मा ठीक है दो अलग-अलग अब क्या करेंगे जब हमें ऑब्जेक्ट को जो पास रखना जो पास रखा होता है सपोज आप एक बुक पढ़ रहे हो बुक ओबवियसली बात है आप अपनी आंखों के सामने रख के पढ़ते हो तो कैसे पढ़ते हो ऐसे पढ़ते हो यानी कि जब कोई ऑब्जेक्ट आपकी आंखों के पास रखा होता है आपकी आंखें कहां जाती हैं नीचे की तरफ जाती है तो नीचे की तरफ एक अलग लेंस होगा और जब आपको देखना होगा कहां ऑब्जेक्ट को दूर यानी कि कोई ऑब्जेक्ट आपकी आंखों के दूर रखा हुआ है तो आप कैसे देखोगे अपनी आंखों को ऊपर उठा करके देखोगे तो नीचे कोई और टाइप का लेंस और ऊपर कोई और टाइप का लेंस ठीक प्रेस बायोप में हो क्या रहा था ना दूर का दिख रहा था ना पास का दिख रहा था जब दूर का नहीं दिखता है तो भी एक अ उस डिफेक्ट को करेक्ट करना पड़ता है लेंस लगा कर के जब पास का नहीं दिखता है तो भी क्या करना पड़ता है लेंस लगा कर के करेक्ट करना पड़ता है डिफेक्ट को यहां तो क्या हो रहा है ना दूर का दिख रहा है ना पास का दिख रहा है यहां नहीं कि यहां पे दोनों ही चीजों को करेक्ट करना है दोनों चीजों को कैसे करेक्ट करेंगे दो अलग-अलग टाइप के लेंस लगा कर के जब हम किसी चीज को पढ़ते हैं तो हमारी आंखें कहां जाती है नीचे की तरफ जाती हैं तो यहां पे लेंस अलग लगेंगे चश्मे के नीचे जब हम अपने ऑब्जेक्ट को कक दूरी पर रखा गया है उस ऑब्जेक्ट को जब हम देखते हैं तो हम अपनी आंखों को ऊपर उठाते हैं तो ऊपर क्या होंगे ऊपर भी होंगे अलग अलग लेंसेक्स की नजर भी कमजोर है पास की नजर कमजोर है यानी कि यहां पर हम क्या कर सकते हैं यहां पे हम लगा सकते हैं एक कॉन्वेक्स लेंस क्या लगा सकते हैं यहां पे यहां पे हम लगा सकते हैं कॉन्वेक्स लेंस क्यों क्योंकि नीचे की तरफ हमें क्या देखना है हमें जो ऑब्जेक्ट्स पास में रखे हैं उसको देखना है और अगर पास की नजर कमजोर हो तो हम कौन सा लेंस लगाते थे हम कॉन्वेक्स लेंस लगाते थे याद करो अभी-अभी पढ़ा है हमने हाइपरमेट्रोपिया जिसमें हमें पास का नहीं दिखता है दूर का दिखता है तो जब हमें पास का नहीं दिखता था तो हम कौन सा लेंस लगाते थे कॉन्वेक्स लेंस ही तो लगाते थे ना तो इस केस में भी आप कौन सा लेंस लगाओगे कॉन्वेक्स लेंस लगाओगे फिर इसके बाद में ऊपर कौन सा लेंस आएगा भाई ऊपर हम कब देखेंगे जब हमें दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखना होगा अब दूर की नजर भी कमजोर है तो जब दूर की नजर कमजोर होती थी मायोपिया के केस में तो कौन सा लेंस लगाते थे हम लगाते थे कॉनकेव लेंस जब पास का दिख जाता था लेकिन दूर का नहीं दिखता था तो कौन सा लेंस लगाते थे मायोपिया के केस में कॉनकेव लेंस तो दो अलग-अलग टाइप के लेंस लगे हैं दो अलग-अलग फोकल लेंस के लेंस लगे हुए हैं इसीलिए इसे हम क्या कहते हैं बाय फोकल चश्मे कहते हैं आई होप आपको पूरी स्टोरी पूरी कहानी समझ में आई होगी बच्चों मैं रिपीट कर देती हूं हमने स्टार्ट किया था विजन डिफेक्ट्स के साथ कि विजन डिफेक्ट्स क्या होते हैं कुछ वो कारण जिसके कारण हम जिसकी वजह से हम किसी भी ऑब्जेक्ट को क्लियर नहीं देख पाते हैं ना ही कंफर्टेबल देख पाते हैं क्लीयरली मतलब क्या उसकी इमेज थोड़ी सी ब्लर्ड होती है और कंफर्टेबल मतलब क्या कि आंखों प बहुत जोर देना पड़ता है उन्हें देखने के लिए तो उन कारणों को हम बोलते हैं विजन डिफेक्ट्स ती तीन टाइप के होते हैं एक हो गया मायोपिया एक हो गया हाइपरमेट्रोपिया और एक कौन सा हो गया प्रेसबायोपिया मायोपिया में क्या होता था मायोपिया में हम बोलते थे कि जो इमेज बनती थी ऑब्जेक्ट की वो कहां बनती थी रेटीना के पहले ही बन जाती थी यानी कि हमें पास की चीजें तो बढ़िया दिखती थी लेकिन दूर रखी हुई चीजें नहीं दिखती थी क्यों एक तो पहला रीजन क्या था उसका कि एक्सियल लेंथ जो थी आइस की वो बहुत ज्यादा हो गई थी बर्थ डिफेक्ट था दूसरा रीजन क्या है जो कर्वेचर था आई लेंस का वो कैसा हो गया था ज्यादा हो गया था कर्वेचर ज्यादा मतलब क्या लेंस हो गया मोटा थिक यानी कि उसकी फोकल लेंथ हो गई कम जब फोकल लेंथ हो गई कम तो हम दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट को कैसे देखेंगे दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए तो हमें आई लेंस को एलोंगता था कर्वेचर कम करना पड़ता था फोकल लेंथ ज्यादा करनी पड़ती थी तो जब कर्वेचर ही कम हो रहा है लेंस का थिक हो रही है लेंस ठीक है फोकल लेंथ कम हो रहा है तो दूर रखे ऑब्जेक्ट को कैसे देखेंगे तो इसको करेक्ट करने के लिए कौन आते थे कॉनकेव लेंस आते थे फिर इसके बाद में आए कौन हमारे अ दूसरा डिफेक्ट आया कौन सा हमारा हाइपरमेट्रोपिया हाइपरमेट्रोपिया में हमने बोला कि कि हमें दूर की चीजें दिख जाती हैं अब लेकिन पास की नहीं दिखती यानी कि अब जो ऑब्जेक्ट की इमेज है वो कहां बनेगी वो बनेगी रेटीना के पीछे कॉसेस कॉसेस इसके दो थे एक तो क्या हुआ जो एक्सियल लेंथ है आई बॉल की वो छोटी हो गई जितनी होनी चाहिए उससे छोटी हो गई इसलिए इमेज जाकर के पीछे बन गई रेटीना के दूसरे काउस क्या हुआ दूसरा ये हुआ कि आई लेंस का जो कर्वेचर है ना वो शॉर्ट हो गया शॉर्ट कर्वेचर मतलब क्या लेंस हो गया थिक उसकी फोकल लेंथ हो गई कैसी सॉरी शॉर्ट कर्वेचर मतलब क्या शॉर्ट कर्वेचर का मतलब है कि लेंस हमारा कैसा हो गया एलोंगटेड हो गया स्ट्रेच हो गया उसकी फोकल लेंथ इंक्रीज हो गई लेकिन हमें पता है कि क पास में कोई ऑब्जेक्ट रखा गया हो उसको देखने के लिए हमें लेंस कैसा चाहिए है थिक चाहिए उसकी फोकल लेंथ कम चाहिए लेकिन यहां पे क्या हो रहा है लेंस का कर्वेचर शॉर्ट हो रहा है यानी कि वो एलोंगटेड हो रहा है स्ट्रेच हो रहा है फोकल लेंथ उसकी बढ़ रही है तो उसको करेक्ट करने के लिए हम कॉन्वेक्स लेंस लगाते थे फिर प्रेस बायोपिया में क्या हुआ कि सिलेरी मसल्स हो जाती हैं वीक जिस जि के कारण वो आईबॉल को कंप्रेस नहीं कर पाती हैं जिसके कारण पास की जो नजर होती है वह कमजोर हो जाती है अब अगर सिलेरी मसल्स वीक हो रही हैं अगर वो लेंस को कंप्रेस नहीं कर रही है तो जाहिर है वो उसको एलोंगटेड नहीं करेंगी मतलब क्या होगा कि दूर की भी चीजें नहीं देख पाएंगे तो प्रेस बायोपिया एक ही आंख में प्रेस बायोपिया और मायोपिया पॉसिबल है लेकिन एक आग में हाइपरमेट्रोपिया और मायोपिया पॉसिबल नहीं है कॉज क्या हैं एक तो सेलेरी मसल्स की वीकनेस एजिंग के साथ होती है ये प्रॉब्लम प्रेस बायोपिया की दूसरा क्या है जो आई लेंस है वो अपनी फ्लेक्सिबल इलास्टिसिटी खो देती है फिर इसके बाद में इसको करेक्ट कैसे करें तो भाई बाय फोकल लेंस के थ्रू करेक्ट करना पड़ेगा क्यों क्योंकि ना दूर का दिख रहा है ना पास का दिख रहा है तो दूर की नजर को भी सही करना है पास की नजर को भी सही करना है अगर पास की नजर को हमें सही करना है तो कौन सा यूज़ करना पड़ेगा लेंस कॉन्वेक्स और दूर की नजर को सही करना है तो कौन सा यूज करना पड़ेगा लेंस कॉनकेव तो बाय फोकल लेंस का यूज करना पड़ता है प्रेस बायोपिया को ट्रीट या करेक्ट करने के लिए आई होप पूरी स्टोरी आपको समझ में आ गई होगी बच्चों और बिल्कुल भी कंफ्यूजन नहीं होगा अब विजन के डिफेक्ट्स में तो इस लेक्चर के लिए इतना ही ह्यूमन आई से रिलेटेड जो भी कुछ था इस चैप्टर में वो हमने आज कवर कर लिया है अब हम जो हमारा जो भी नेक्स्ट लेक्चर होगा उसमें हम बात करेंगे प्रिज्म की कि प्रिज्म में कैसे रिफ्रैक्ट होता है वो हम देखेंगे फर्द इस टॉपिक को इस चैप्टर को हम करेंगे कंटिन्यू इस लेक्चर के लिए इतना ही मिलते हैं हम अपने नेक्स्ट लेक्चर में तब तक आप क्या करेंगे हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है magnetbrains.com उसे विजिट कर लेना जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे अरेंज्ड फॉर्म में यानी कि प्लेलिस्ट में साथ ही साथ सभी टॉपिक्स के होंगे वहां पे आपको नोट्स भी अवेलेबल सो डू विजिट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विद मैगनेट बेंस थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन अ वेरी गुड मॉर्निंग टू ऑल 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करेंगे बच्चों उनको क्वेश्चंस के थ्रू वो क्वेश्चंस कौन से होंगे हमारे डीपीक्यू इससे क्या होगा रिवीजन भी हो जाएगा और आपको क्वेश्चंस का पैटर्न भी पता चलेगा कि किस तरह से एग्जाम्स में क्वेश्चंस आते हैं तो भाई आज के इस सेशन का मैंने टारगेट कर दिया है सेट कि हमें सॉल्व करना है डीपी क तो जब टारगेट हो गया सेट तो फिर देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं आज का हमारा यह लेक्चर दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैगनेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं आज का हमारा डीपीक्यू सेशन एक डाउट था बच्चों के मन में बहुत बड़ा डाउट था और मुझे लगता है ये ऑलमोस्ट सभी बच्चों के दिमाग में रहेगा जिन्ने हमारा लाइव सेशन नहीं देखा है कि मैम ये सारा टॉपिक्स तो जो है ना हटा दिए गए हैं हमारे सिलेबस से फिर आप क्यों पढ़ा रहे हो बच्चों ये जो टॉपिक्स जो हटाए दिए हैं ना यह सिर्फ इस सेशन के लिए हटाए गए हैं वो भी कोरोना वगैरह के कारण कि आपकी यू नो स्कूल्स ओपन नहीं हो पा रहे हैं और क्लासेस नहीं लग पा रही हैं रेगुलर क्लासेस ऐसा नहीं है कि सीबीएससी को रियलाइफ हुआ है कि बच्चों के ऊपर काफी बर्डन था सिलेबस का इसलिए उठा कर के कम कर दिया नहीं सिर्फ इसलिए क्योंकि आपकी क्लासरूम टीचिंग नहीं हो पा रही है प्रॉपर्ली हो सकता है बहुत सी बहुत से ऐसे टॉपिक्स हैं जो क्लासरूम में कवर ना हो पाए इसलिए एग्जाम पॉइंट ऑफ व्यू से इन टॉपिक्स को हटा दिया गया है इसका मतलब ये नहीं है कि ये चीजें ये टॉपिक्स आपके लिए अब जरूरी नहीं है और इनको हमेशा के लिए हटा दिया गया है ठीक है पहली बात तो ये दूसरी चीज क्या है कि अभी आपके पास सफिशिएंट टाइम है ये चैप्टर बहुत छोटा सा है मुझे लगता है इस वीक हम ये वाला चैप्टर फिनिश कर लेंगे और जो हमारा थर्ड चैप्टर है वो भी स्टार्ट कर देंगे तो अभी आपके पास सफिशिएंट टाइम है ये सारी चीजों को पढ़ने का बेशक जब आपके एग्जाम्स आए तो इन्हें आप मत पढ़िए इन्हें रिवाइज मत करिएगा लेकिन अभी क्या हो रहा है ना कंटिन्यूएशन में पढ़ते जाइए यूमन आय हट गया है सिलेबस से लेकिन द कलरफुल वर्ल्ड अराउंड अस ये तो अभी भी है है ना तो आपने देखा होगा कि बस चार लेक्चर में ह्यूमन आय कंप्लीट हो गया है बहुत छोटे से टॉपिक्स है बच्चों और आपकी अंडरस्टैंडिंग को बेटर बनाने के लिए ही यह सारी चीजें आपकी सिलेबस में डाली गई है तो जब सिलेबस में है तो पढ़ लेते हैं ठीक है तो अभी एक काम करते हैं जो भी हमने कल पढ़ा है उसको हम रिवाइज कर लेते हैं हमारे फर्स्ट क्वेश्चन के साथ फर्स्ट क्वेश्चन क्या है कलर पार्ट ऑफ द आय अब आप फ्लैशबैक में जाओ हमने कल बहुत सारे आई के पार्ट पढ़े थे है ना सबसे पहले हमने क्या बात करी थी कि जब भी आप किसी की आंखों प देखते हो तो आपको सबसे पहली चीज क्या दिखती है दिखती है आंखों का कलर आंखों का कलर बहुत ज्यादा डिफरेंट होता है वो आंखों का कलर किसके कारण आ रहा है एक आई के पर पर्टिकुलर पार्ट के कारण मतलब क्या कि आई का एक पर्टिकुलर पार्ट होता है कंपोनेंट होता है जिसका कलर वेरी करता है डिफरेंट इंडिविजुअल्स में है ना हमें आई कलर कितने टाइप के होते हैं किसी का लाइट ब्राउन किसी का डार्क ब्राउन किसी का ब्लू लाइट ब्लू ग्रे कितने सारे कलर्स होते हैं क्यों इतने सारे कलर्स होते हैं मेलेनिन पिगमेंट के कारण अगर आपको याद हो हमने पढ़ा था कि मेलेनिन पिगमेंट होता है और यह जो पिगमेंट है इसे सेक्रेट कौन करता है मेलानोसाइट सेक्रेट करते हैं अब ये मेलेनिन डिफरेंट डिफरेंट डिफ्रेंट रेश्योस में सेक्रेट होगा जहां पे मेलेनिन का कंसंट्रेशन रेशो हो गया ज्यादा आय कलर हो जाएगा ज्यादा अगर मेलेनिन का अमाउंट क्या है कम है तो फिर आई कलर भी क्या हो जाएगा लाइट हो जाएगा तो भाई ये जो आई कलर है ये किस पे डिपेंड करता है इस मेलेनिन पिगमेंट पे डिपेंड करता है अब जरा याद करो कि कौन सा ऐसा पार्ट था हमारी आई का जो कि कलर था यह देखो यहां पे मैंने जो भी हमने कल चीजें पढ़ी हैं उसको मैंने समरा इज करने के लिए इस तरह से ये टॉपिक्स हैं जो कि हमने आई के बारे में पढ़ा है आई के स्ट्रक्चर के बारे में और यह है इसका एक बढ़िया सा डायग्राम तो देखो ये जो ब्लू कलर का आपको स्ट्रक्चर दिख रहा है ये क्या है कलर्ड है कलर्ड क्यों है मेलानिन के कारण है और इसे हम क्या कहते हैं इसे हम कहते हैं आयरस याद आया आपको कि जब भी हम किसी की आंख में पहली बार देखते हैं आंखों में पहली बार देखते हैं हमें सबसे पहले क्या दिखता है आंखों का कलर आंखों का कलर क्यों होता है मेलेनिन पिगमेंट के कारण और कौन सा पार्ट कौन सा कंपोनेंट आई का कलर्ड होता है देन योर आंसर शुड बी आयरस ठीक है अब आपको कभी किसी की आंखों के कलर की तारीफ करनी है ना तो यह मत बोलना कि आपकी आंखों का कलर बहुत सुंदर है आप बोलना कि आपके आयरस का कलर बहुत सुंदर है अब अगर तो सामने वाले को पता होगा कि आईरिस क्या होता है तो तो ठीक है अगर नहीं पता होगा तो आपको यह जो ज्ञान मिला है ना उन पर जाकर चिपका देना मस्त हो जाएगा ठीक है तो आयरिश का कलर आयरस बेसिकली एक ऐसा पार्ट होता है आय का जो कि कैसा होता है कलर्ड होता है डिफरेंट डिफरेंट कलर्स का होता है कलर क्यों होता है क्योंकि भाई मेलेनिन पिगमेंट होता है इसमें मेलेनिन पिगमेंट अलग-अलग रेश्योस में प्रोड्यूस होता है जिसके कारण आयरस का कलर भी अलग-अलग लोगों में अलग-अलग होता है कुछ लोगों में एक जैसा भी होता है ठीक आई होप ये चीज आपको समझ में आ गई होगी तो हमारा जो फर्स्ट क्वेश्चन था वो क्या था कि कौन सा पार्ट है आय का जो कि कलर्ड होता है तो आपका आंसर होना चाहिए आंसर बी आयस फिर मैंने आपको बताया था कि जिस तरह से हमारे घरों में खिड़कियां होती हैं उसी समान हमारी आंखों में भी खिड़कियां होती हैं एक आंख में एक खिड़की ये जो आयरस है इस आयरस के सेंटर में आपको एक ब्लैक कलर का स्पॉट दिखेगा एक्चुअली वो स्पॉट नहीं है वो है ब्लैक कलर की ओपनिंग और उसे हम क्या कहते हैं उसे हम कहते हैं प्यूप इस प्यूप का काम क्या होता है जो आपके घर में खिड़कियों काम होता है ना वही इस प्यूबल का भी काम होता है खिड़कियों का काम क्या होता है कि सनलाइट को अंदर लेकर के आना तो प्यूप भी जो हमारी आंखों की खिड़कियां हैं उसका भी यही काम होता है क्या करती है प्यूप लाइट रेस को बाहर से अंदर की तरफ लेकर के आएगी ठीक तो क्या होगा इधर देख लो डायग्राम में ये दिख रहा है आपको ये रही क्या हमारी ब्लू कलर की आइरिस इसके बीच में देखो आपको ब्लैक कलर का एक स्ट्रक्चर दिख रहा होगा इसको हम कहते हैं प्यूप फिर मैंने आपको बताया था कि जो प्यूप है अ हम जाते हैं जैसे कि अपने घर से निकले हैं हम कहां धूप में निकले हैं घर के बाहर निकाला है जैसे ही बाहर निकलते है ना वैसे ही हम अपनी आंखों को ऐसे छोटा-छोटा कर लेते हैं क्यों छोटा कर लेते हैं क्योंकि हमारी आंखों के पीछे की जो भी चीजें है ना काफी सेंसिटिव है हमें पता है कि हमारी आंख में क्या है खिड़कियां है ये खिड़कियां क्या करती है सनलाइट को लाइट ट्रेस को अंदर लेकर के आती हैं जब तक आप घर में थे तब तक सफिशिएंट लाइट मिल रही थी आपको आंखों तक जैसे ही आप बाहर गए तो सनलाइट ज्यादा जाने लगी आंखों में अब ज्यादा जाएंगी तो आंखों की चीजें जो है वो डैमेज हो सकती है इसलिए क्या होता है ये प्यूप छोटी-छोटी हो जाती हैं आपके घर में भी जब ज्यादा धूप आती है तो आप क्या करते हो खिड़की लगा देते हो ज्यादा हो तो कर्टंस भी लगा सकते हो प्यूप भी क्या करेगी ज्यादा रोशनी अंदर ना जाए इसलिए छोटी हो जाएगी फिर जब आप बाहर से घर के अंदर आते हो जहां पे लाइट कम हो जाती है फिर क्या करते हो आप एकदम से अपनी आंखें से बड़ी-बड़ी करते हो बड़ी-बड़ी क्यों करते हैं क्योंकि आप चाहते हो जब आप बाहर से अंदर आए हो तो लाइट कम हो गई है लेकिन अंदर भी तो आपको देखना ही है तो आप कैसे देख पाओगे जब ज्यादा लाइट अंदर जाएगी ज्यादा लाइट अंदर कैसे जाएगी जब हमारी ये खिड़की बड़ी हो जाएगी तो जब बाहर निकलोगे तो खिड़की छोटी जब अंदर आओगे तो खिड़की बड़ी प्यूप हो जाएगी बाहर जाओगे तो छोटी अंदर आओगे तो बड़ी हो जाएगी अब ये जो प्यूप की साइज का रेगुलेशन है ना ये कौन करता है ये जो कलर्ड पार्ट है ना यही करता है यानी आयरस ना सिर्फ आंखों को एक सुंदर सा कलर प्रोवाइड करता है बल्कि लाइट की जो एंट्री हो रही है आंखों के अंदर प्यूप के थ्रू एक छोटे से ओपनिंग के थ्रू उसको क्या करता है रेगुलेट भी करता है ठीक तो ये रहा क्या आयरस और उसके बीच में प्यूप यानी कि छोटी सी ओपनिंग जहां से लाइट अंदर जाती है आई बात आपको समझ में चलो ये हो गया पूरा रिवीजन आयरस और प्यूप का तो फर्स्ट क्वेश्चन का आंसर आपको पता चल गया बच्चों क्या है आइरिस है सेकंड क्वेश्चन क्या है मैक्सिमम रिफ्रैक्ट अकर्स एट व्हिच पार्ट ऑफ द आई भाई आंखों पे अभी तो हमने यह पढ़ लिया कि आइरिस पढ़ लिया और जो प्यूप है उसके थ्रू लाइट जा रही है यह भी हमने पढ़ लिया लेकिन क्या आयरिश और प्यूप सबसे पहली चीज होती है आंखों की जिस परे लाइट डायरेक्टली स्ट्राइक करती है बिल्कुल भी नहीं क्यों क्योंकि भाई सबसे पहली चीज जो आउटर मोस्ट लेयर होती है हमारी आंखों की वो कौन होती है कॉर्निया होती है यह दिख रहा है आप को इस तरह से एक बाहर की तरफ उभरी हुई एक आउटर मोस्ट लेयर होती है आई की और उस लेयर को हम क्या कहते हैं बच्चों उसको हम कहते हैं कॉर्निया कैसी होती है ये ट्रांसपेरेंट होती है ट्रांसपेरेंट है तभी तो हमें आइरिस का कलर इतने क्लीयरली दिख रहा है आप कॉर्निया को कैसे समझ सकते हो मैंने आपको कल भी बताया था आपकी नोटबुक्स पे जो आप ब्राउन कलर के ऊपर जो जिलेटिन चढ़ाते हो ना ये जिलेटिन क्या है ये जिलेटिन बिल्कुल बराबर है कॉर्निया के जिलेटिन आप क्यों चढ़ाते हो ताकि डस्ट वगैरह से किसी भी गंदगी से आपकी नोटबुक्स सेफ रहे कॉर्निया का भी यही काम है ये क्या करती है बेसिकली प्रोटेक्शन का काम तो करती ही है किसी भी तरह के डैमेज डस्ट पार्टिकल्स फॉरेन पार्टिकल्स आंखों में डायरेक्टली घुसने नहीं देती है वरना क्या होगा आंख तो बहुत सेंसिटिव है है ना बेचारी छोटी-छोटी सी दो आइबॉल्स डैमेज हो जाएंगी अंदर का मामला बड़ा सेंसिटिव है इसलिए आउटर मोस्ट प्रोटेक्टिव कवरिंग की तरह काम करती है कौन कॉर्निया ट्रांसपेरेंट होती है और बड़ी बात क्या है कि ये कैसी होती है बाहर की तरफ बर्ज होती है उभरी हुई रहती है इसका मतलब क्या है इसका शेप कैसा हो जाएगा बच्चों इसका शेप होता है कॉन्वेक्स शेप ना सिर्फ यह आंखों को प्रोटेक्ट करने का काम करती है आपको पता है कि यह कैसा शेप हो गया कॉन्वेक्स शेप हो गया और यह कैसा है ट्रांसपेरेंट भी है मतलब क्या यह लाइट को अंदर भी जाने देगा जब यह लाइट को अंदर जाने दे रहा है अपने से पास कराने पास करवा पास करवा रहा है और साथ ही साथ कैसा है कॉन्वेक्स शेप का है यानी कि कर्व्ड शेप का है तो क्या ये एक लेंस की तरह बिहेव नहीं करेगा लेंस के लिए मैंने आपको बताया था कि कोई भी चीज लेंस कब बन सकती है जब वो अपने में से लाइट को पास होने दे और एटलीस्ट उसका एक सरफेस कैसा हो कर्व्ड हो तो ये ऑलमोस्ट क्या करेगा एक लेंस की तरह ही काम करेगा क्यों पहली चीज तो उसने क्या करी प्रोटेक्ट कर लिया आंखों को किसी भी तरह के डैमेज से और फॉरेन पार्टिकल से साथ ही साथ जो लाइट रेज आ रही होंगी बच्चों उसको ये क्या करेगा उसको ये कर देगा कन्वर्ज ठीक है शेप कैसा है कॉन्वेक्स है तो कॉन्वेक्स लेंस क्या करता था कॉन्वेक्स लेंस चीजों को जो पैरेलल इंसीडेंट रेज आ रही थी उनको कन्वर्ज कर देता था वो तो ये भी क्या करेगा ये लाइट को कन्वर्ज करेगा अब ये जो लाइट रेज आ रही है बच्चों ये पूरी की पूरी आग के अंदर नहीं जाएंगी प्यूप के थ्रू कुछ आयरस पे गिरें तो हो सकता है कि कुछ रिफ्लेक्ट हो जाए कुछ अब्जॉर्ब हो जाए सिर्फ वो इंसिडेंट रे जो कि प्यूप पे स्ट्राइक कर रही है है यही क्या होंगी अंदर जाएंगी बाकी हो सकता है कि रिफ्लेक्ट हो जाए या हो सकता है कि अब्जॉर्ब हो जाए आई आपको बात समझ में तो कोर्निया का काम क्या है भाई ना सिर्फ आंखों को प्रोटेक्शन प्रोवाइड करना साथ ही साथ जो लाइट रेज आ रही हैं उनको आंखों के अंदर कन्वर्ज करके ले जाना ठीक है आई होप ये चीज आपको समझ में आई होगी तो जो हमारा थर्ड क्वेश्चन था वो हमसे क्या बोल रहा था सॉरी सेकंड क्वेश्चन कि मैक्सिमम रिफ्रैक्ट कहां होता है तो हमने दे देखा कि आंखों के अंदर जो लाइट आ रही है वो ऑलरेडी कैसी होके आ रही है कन्वर्ज होके आ रही है अपना पाथ चेंज करके आ रही है और पाथ चेंज को हम क्या कहते थे रिफ्रैक्ट कहते थे आगे लेंस भी मिलेगी क्रिस्टलाइन लेंस जो कि प्रोटीन से बनी होगी ठीक है जेली लाइक स्ट्रक्चर होगा उसका लेकिन वहां पे उतना रिफ्रैक्ट नहीं होगा जितना कि होता है कहां कॉर्निया पे सबसे पहले तो लाइट रेस को मिल ही कौन रहा है सबसे पहले तो लाइट रेज को हमारी आंखों के आंखों पे एंटर करने के पहले कॉर्निया मिल रहा है तो कॉर्निया पे ही क्या होता है मैक्सिमम रिफ्रैक्ट होता है इस क्वेश्चन को कर लो स्टारमार्क कई बार सवाल आया है कि आंखों में मैक्सिमम रिफ्रैक्ट कहां होगा बच्चे क्या करते हैं कि अच्छा रिफ्रैक्ट की बात है हमारे आंखों के पास तो लेंस होता है तो फटाक से टिक कर दिया क्या आई लेंस लेकिन नहीं आई लेंस के भी पहले जो लाइट रेज आ रही हैं वो हमारी आंखों तक कन्वर्ज होके आ रही हैं यानी कि रिफ्रैक्ट होके आ रही है कौन कर रहा है वो रिफ्रैक्ट अ कॉर्निया कर रहा है ठीक है कॉर्निया कर रहा है इसकी स्पेलिंग गलत है सीओ आर एनई ए कौन कर रहा है कॉर्निया कर रहा है और कन्वर्ज हो कर के ही लाइट लेंस तक पहुंचती तो मैक्सिमम रिफ्रैक्ट कहां होगा बच्चों आंखों पे कॉर्निया पे ही होगा इज दैट क्लियर तो चलो आगे बढ़ते हैं हम अपने थर्ड क्वेश्चन पे थर्ड क्वेश्चन क्या है भाई हाउ डज इमेज फॉर्मेशन एट रेटिना हेल्प इन विजन अब देखो क्या हुआ कोर्निया से रिफ्रैक्ट होकर के लाइट कहां पहुंची प्यूप पे पहुंची प्यूप के बाद कहां आई लेंस पे आई लेंस कौन सा होता है हमारी आंखों में कॉन्वेक्स लेंस होता है कॉन्वेक्स लेंस भी क्या करेगा बच्चों ओबवियस सी बात है रेस को क्या करेगा इंसीडेंट रेस को कन्वर्ज ही करेगा कहां कन्वर्ज करता है रेटीना पे कन्वर्ज करता है और रेटीना को याद करो रेटिना को हमने क्या बोला था हमारी आंखों की क्या होती है स्क्रीन होती है जिस तरह से स्क्रीन पे इमेज बनती है उसी तरह से हमारी आंखों पे भी एक स्क्रीन होती है जिसे हम कहते हैं रेटीना इस रेटीना पे बनती है क्या इमेज लेकिन सवाल यह है कि रेटीना पे ही क्यों इमेज बनाई जाती है कहीं और क्यों नहीं बनाई जाती तो भाई रेटीना के पास होते हैं दो सेंसर्स रॉड्स एंड कोन्स रॉड्स क्या करेंगे लाइट के अमाउंट को इवेलुएट करेंगे कोन्स क्या करेंगे लाइट के कलर को इवेलुएट करेंगे फिर इसके बाद में जो उनको इंफॉर्मेशन मिली है ओबवियस सी बात है जो भी लाइट आ रही है वो किसी ऑब्जेक्ट से ही आ रही होगी तो जो भी रॉड्स एंड कोन्स ने उन लाइट्स के थ्रू ऑब्जेक्ट के रिगार्डिंग जो इंफॉर्मेशन कलेक्ट करी है उसको उन्हें पहुंचाना होगा कहां हमारे ब्रेन तक ब्रेन तक कैसे पहुंचाएंगे ऑप्टिक नर्व्स के थ्रू पहुंचाएंगे वाया इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स फिर क्या करेगा हमारा ब्रेन उन चीजों को प्रोसेस करेगा और हमें वो ऑब्जेक्ट दिख जाएगा अब ये जो रेटीना है ये जो स्क्रीन है इसी के पास ही होते हैं रॉड्स एंड कोन्स इसके अलावा तो मैंने आपको किसी भी आई कंपोनेंट में मैंने आपको नहीं बताया कि रॉड्स एंड कोन्स होते हैं है ना तो अगर रॉड्स एंड कोन्स नहीं हुए तो क्या होगा इंफॉर्मेशन कलेक्ट नहीं हो पाएगी ऑब्जेक्ट के बारे में इंफॉर्मेशन नहीं होगी कलेक्ट तो फिर ब्रेन को क्या भेजेंगे अपन तो क्यों इमेज रेटीना पे बनती है ड्यू टू प्रेजेंस ऑफ ब्लाइंड स्पॉट ब्लाइंड स्पॉट क्या होता है जैसे मैंने आपको बताया कि जो रॉड्स एंड कोनस है वो इंफॉर्मेशन इलेक्ट्रिकल सिग्नल के थ्रू कहां भेजते हैं ब्रेन में भेजते हैं किसके थ्रू भेजेंगे ऑप्टिक नर्व्स ऑप्टिक नर्व क्या होता है ऑप्टिक नर्व्स बेसिकली आईबॉल में हमारे प्रेजेंट होती है ऐसा नहीं कि पूरी की पूरी अंदर ही रहती है ऑप्टिक नर्व्स नहीं थोड़ी बाहर निकली रहेंगी थोड़ी अंदर निकली रहेंगी इसका मतलब क्या ऑप्टिक नर्व्स हमारी आईबॉल के अंदर एंटर करती है जिस पॉइंट से एंटर करती है उसी को हम क्या कहते हैं ब्लाइंड स्पॉट कहते हैं यानी कि जो हमारी स्क्रीन होती है रेटीना वो पीछे की तरफ इनकंप्लीट होती है बीच में से फटी होती है जो फटा वाला पोर्शन है उसे हम कहते हैं ब्लाइंड स्पॉट क्यों क्योंकि वहीं से ऑप्टिक नर्व आती है और वहां पे रॉड्स एंड कोन्स नहीं होते हैं इसलिए तो उसे हम ब्लाइंड स्पॉट कह रहे हैं तो यहां पे सवाल पूछा जा रहा है कि इमेज फॉर्मेशन रेटीना पे विजन में हेल्प कैसे करता है तो आप बोलोगे कि ड्यू टू प्रेजेंस ऑफ ब्लाइंड स्पॉट अ बोल सकते हैं क्योंकि ब्लाइंड स्पॉट से ऑप्टिक नर्व्स आ रही हैं ठीक है ड्यू टू प्रेजेंस ऑफ लाइट सेंसिटिव सेल्स लाइट सेंसिटिव सेल्स मतलब क्या रॉड्स एंड कोन्स ड्यू टू लेस थिकनेस ऑफ रेटिना या ऑल दी अबब अब बताओ इसमें से कौन सा सबसे सूटेबल आंसर है तो आपका आंसर होना चाहिए बी कि भाई अगर रॉड्स एंड कोन्स नहीं हुए तो इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स ब्रेन को नहीं मिल पाएंगे ऑब्जेक्ट के रिगार्डिंग फिर क्या होगा ब्रेन प्रोसेस नहीं कर पाएगा तो इमेज कैसे बनेगी नहीं बन पाएगी है ना तो इसलिए इमेज फॉर्मेशन रेटीना पे विजन में कैसे हेल्प करता है भाई क्योंकि रेटिना के पास होते हैं लाइट सेंसिटिव सेल्स और अगर ये लाइट सेंसिटिव सेल्स नहीं होंगे अगर इमेज रेटीना प नहीं बनी कहीं और बन गई तो क्या होगा इंफॉर्मेशन ब्रेन तक नहीं पहुंचेगी तो विजन कैसे पॉसिबल है पूरी विजन की प्रोसेस पॉसिबल नहीं है आई बात आपको समझ में आई होप क्वेश्चन नंबर थ्री आपको क्लियर हुआ हो इसका आंसर क्या होगा बी नेक्स्ट क्वेश्चन क्वेश्चन नंबर फोर फ्लूइड चेंबर बिटवीन आई लेंस एंड रेटीना इज फिल्ड विद अब देखो मैंने आपको बताया था कि हमारा जो आईबॉल होता है उसमें दो फ्लूइड कंपार्टमेंट होते हैं पहला फ्लूइड कंपार्टमेंट कहां होता है डायग्राम से देख लो पहला फ्लूइड कंपार्टमेंट कहां आएगा हमारी कॉर्निया और लेंस के के बीच में ठीक है हमारे कॉर्निया और इनफैक्ट आयरस के बीच में आता है जिसे हम क्या कहते हैं एक फ्लूइड कंपार्टमेंट हो गया दूसरा फ्लूइड कंपार्टमेंट कौन सा होता है ये वाला होता है जो कि लेंस और रेटिना के बीच में होता है हमसे सवाल में पूछा गया है कि लेंस और रेटिना के बीच में जो फ्लूइड कंपार्टमेंट है चेंबर है वो किससे भरा होता है तो आपका आंसर होना चाहिए व एचएच यानी कि विचस यूमर और यह वाला जो कंपार्टमेंट है फ्लूइड कंपार्टमेंट है कॉर्निया से आयरस के बीच में वो किससे भरा होता है भाई एक्वास ट्यूमर से भरा होता है ठीक है बेसिकली इसमें 99.9 पर पानी होता है % क्या होते हैं इसमें प्रोटींस होते हैं विटामिंस होते हैं ना सिर्फ ये हमारी आंखों को ये दोनों ही फ्लूइड कंपार्टमेंट हमारी आंखों को अ यू नो मॉइश्चर प्रोवाइड करते हैं साथ ही साथ ये लाइट का जो रिफ्रैक्ट हो रहा है ना आंखों के अंदर है ना लाइट का जो रिफ्रैक्ट हो रहा है आंखों के अंदर उसको भी सपोर्ट करें ओबवियस सी बात है ना बच्चों लाइट का रिफ्रैक्ट कब पॉसिबल है जब मीडियम चेंज होगा है ना जब मीडियम चेंज होगा तभी तो लाइट अपना पाथ क्या करेगी चेंज करेगी तो ये जो बेंडिंग होगी लाइट की जो पाथ चेंज होगा उसमें कौन हेल्प करता है ये दोनों फ्लूइड चेंबर्स बेसिकली मीडियम को अलग-अलग कर देते हैं क्लियर है आप सबको तो फ्लूइड चेंबर बिटवीन आई लेंस एंड रेटीना उसमें कौन भरा रहेगा भाई विट्रेस ूमर आई होप क्वेश्चन नंबर फोर आपको समझ में आ गया होगा अब हम बात करते हैं क्वेश्चन नंबर फाइव की हाउ इज इट पॉसिबल फॉर एन इमेज टू बी फॉर्म्ड ऑलवेज ऑन रेटीना रेटीना पे इमेज की बनने की मजबूरी तो हमने देख ली कि भाई उसके पास रॉड्स एंड कोन्स होते हैं इसके अलावा कहीं नहीं होंगे आईबॉल में रॉड्स एंड कोन्स और अगर इमेज रेटीना पे नहीं बनी तो रॉड्स एंड कोन्स इंफॉर्मेशन कलेक्ट नहीं कर पाएंगे ब्रेन को नहीं देख पाएंगे नहीं दे पाएंगे और विजन नहीं होगा पॉसिबल लेकिन ऐसा कैसे पॉसिबल है कि रेटिना पर ही इमेज बनती है ऑप्शंस देखते हैं ड्यू टू सिलरी मसल्स सिलरी मसल्स क्या होती है भाई मैंने आपको बताया था कि हमारा जो लेंस होता है वह हमारे आईबॉल में एक पर्टिकुलर पोजीशन पे फिक्स्ड होता है यह नहीं कि उसको दो फ्लूइड स्टैंप मिले कंपार्टमेंट्स मिले तो दोनों में जाकर के वह बारी-बारी से स्विमिंग कर ले ऐसा नहीं होता है वह एक ही जगह पे अपनी प्रेजेंट होता है फिक्स्ड होता है और उसे फिक्स कौन रखती हैं यह सिलियरी मसल्स रखती हैं सिलियरी मसल्स का मैंने आपको एक और फंक्शन बताया था क्या बताया था कि यह सिलेरी मसल्स हमारा जो हमारी जो आईलेंस होती है उसके कर्वेचर को अलग-अलग करने में हेल्प करती है उसकी फोकल लेंथ को चेंज करने में हेल्प करती है ठीक है क्या होता है सिलेरी मसल्स जो होती है वो हमारी आई लेंथ से अटैच होती है अगर हमें दूर रखी हुई किसी चीज को देखना है तो क्या होगा उस स्टेज पे हमारी जो सिलियरी मसल्स होती है वो एकदम कैसी होती है रिलैक्स हो जाती हैं उस टाइम पे हमारे जो आईलेंस होते हैं वो क्या हो जाते हैं स्ट्रेच हो जाते हैं लोंगे हो जाते हैं ठीक है कैसे हो जाएंगे स्ट्रेच हो जाएंगे लोंगे हो जाएंगे यानी कि काफी थिन हो जाते हैं इनका जो फोकल लेंथ है वो क्या हो जा बढ़ जाती है तो दूर रखा हुआ ऑब्जेक्ट भी हमें दिख जाता है उसकी इमेज कहां बन जाती है रेटीना पे क्योंकि हमने कई बार ही पढ़ा है ना कि कॉन्वेक्स लेंस हो चाहे कॉनकेव लेंस हो अलग-अलग ऑब्जेक्ट की पोजीशन पे अलग-अलग इमेज पोजीशन हमें मिलती है कहीं भी ऑब्जेक्ट रखो तो इमेज भी क्या होगी उसके अकॉर्डिंग कहीं और मिलेगी लेकिन हमारे आंखों के केस में क्या हो रहा है आंखों के पास भी तो कॉन्वेक्स लेंस है लेकिन इमेज हमेशा रेटीना पे बन रही है कैसे बन पा रही है दिमाग लगाओ डेफिनेटली हमारे लेंस का क्या हो रहा है है फोकस यानी कि फोकल लेंथ चेंज हो रही है ये कौन कर रहा है सिलियरी मसल्स ही तो कर रही है जब दूर रखा हुआ ऑब्जेक्ट देखना है हमें तो सिलेरी मसल्स क्या करती हैं सिलेरी मसल्स रिलैक्स हो जाती हैं आईलेंस हो जाता है हमारा लोंगे स्ट्रेच थिन हो जाता है जिससे इसकी फोकल लाइन बढ़ जाती है इसीलिए तो दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट की भी इमेज क बनेगी रेटीना पे ही बनेगी फिर क्या हुआ ऑब्जेक्ट रखा हुआ है पास में ठीक है ऑब्जेक्ट रखा हुआ है पास में तो पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए क्या होता है कि हमारी जो सिलरी मसल्स होती है ना वो कॉन्ट्रैक्ट होंगी कॉन्ट्रैक्ट होने के कारण क्या होता है आई लेंस को वह क्या करेगी कंप्रेस करेगी कंप्रेस करने के कारण क्या होता है आई लेंस का फोकल लेंथ जो है वह कम हो जाता है जिसके कारण पास में रखे हुए ऑब्जेक्ट की भी इमेज कहां बन जाती है रेटीना पे बन जाती है तो सिलेरी मसल्स ना सिर्फ हमारे लेंस को उनकी पोजीशंस पे इंटैक्ट रखती हैं बल्कि उनका जो कर्वेचर है उनकी जो फोकल लेंथ है वो भी चेंज करवा पाती हैं तभी तो हम बोलते हैं कि चाहे ऑब्जेक्ट को दूर रखा हो चाहे पास रखा हो इमेज हमेशा कहां बनेगी उसकी रेटीना पे ही बनेगी और कैसी बनेगी रियल इनवर्टेड बनेगी एंड डिमिनिश्ड बनेगी क्यों क्योंकि कॉन्वेक्स लेंस है ना ठीक है तो इस सवाल में हमसे पूछा क्या गया था कि कैसे पॉसिबल है कि इमेज हमेशा रेटिना पे ही बने एक हो गया अ सिलेरी मसल्स के कारण दूसरा क्या है रेटिना के फ्लेक्सिबल के कारण क्या मैंने आपको बताया है कि रेटिना जो है ना अपनी पोजीशन से अ पोजीशन चेंज करता है अपनी कि अगर इमेज बन गई है यहां तो रेटीना आ गया यहां इमेज बन गई है पीछे तो रेटीना चला गया पीछे इतना कोऑपरेटिंग तो होता नहीं है रेटीना ये तो मैंने आपको बताया ही नहीं है तो ये वाला ऑप्शन हो गया गलत थर्ड क्या है ड्यू टू फ्लेक्सिबल ऑफ़ आईबॉल आईबॉल नो डाउट फ्लेक्सिबल होती है इलास्टिक होती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जहां-जहां इमेज बन रही है वहां वहां वो भी साथ में मूव करती जाए यह भी गलत है यू डू फ्लूइड नेचर ऑफ विट्रेस यूमर इसका तो कोई सेंस ही नहीं बनता हटाओ इसे यानी कि ऑप्शन ए सिलियरी मसल्स ही मेन ऐसी चीज होती है जिसके कारण हम दूर या पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को क्लियर देख पाते हैं यानी कि उसकी इमेज कहां बन पाती है रेटीना पे बन पाती है क्यों इस प्रॉपर्टी के कारण आई होप ये वाला सवाल आपको क्लियर हो गया होगा बच्चों फाइव क्वेश्चंस हो गए हैं अब हम बात करते हैं हमारे नेक्स्ट क्वेश्चन की नेक्स्ट क्वेश्चन क्या है द मोस्ट डिस्टेंट पॉइंट एट व्हिच अन ऑब्जेक्ट कैन बी सीन क्लीयरली इज कॉल्ड दो पॉइंट होते हैं अच्छा जो अभी हमने पढ़ा है आई लेंस के कर्वेचर को चेंज करना फोकल लेंथ इंक्रीज करना फोकल लेंथ कम करना इसे हम क्या कहते हैं पावर ऑफ अकोमोडेशन कहते हैं अब वो पॉइंट जो हमारी आंखों से काफी दूर है ठीक है मोस्ट डिस्टेंस डिस्टेंट पॉइंट जिस पर रखा हुआ ऑब्जेक्ट हमें दिख जाएगा उसे हम क्या कहते हैं फार पॉइंट कहते हैं यानी कि वो मैक्सिमम डिस्टेंस होता है हमारी आंखों से कोई भी ऑब्जेक्ट रखा हुआ है उस डिस्टेंस पे और जिसे हम देख पा रहे हैं उसे हम क्या कहेंगे फार पॉइंट कहेंगे अब आप बोलेंगे कि मैम हमें तो 10 किमी आगे दिखता नहीं है यानी कि हमारा फार पॉइंट क्या है 10 किमी है ऐसा कुछ नहीं है जरा ऊपर देखो क्या आपको स्काई में सन मून सैटेलाइट स्टार्स नहीं देखने को मिलते रेनबो नहीं देखने को मिलता बिल्कुल मिलता है तो भाई वो तो हमसे मिलियंस ऑफ लाइट ईयर दूर है लेकिन फिर भी आप उन्हें देख पा रहे हो ना छोटा ही सही लेकिन देख तो पा रहे हो इसका मतलब क्या कि हमारा जो फार पॉइंट है वो क्या होता है ह्यूमन बीइंग्स के लिए इंफिनिटी होता है यानी कि ऑब्जेक्ट को अगर आपने रखा है इंफिनिटी पे तो इंफिनिटी पे वो हमको दिखेगा हां इंफिनिटी के बाद नहीं देखेगा जैसे फार पॉइंट होता है तो इसका ऑप्शन क्या हो जाएगा भाई ऑप्शन सी द द मोस्ट डिस्टेंट पॉइंट एट व्हिच अन ऑब्जेक्ट कैन बी सीन क्लीयरली इज फार पॉइंट ठीक है फिर इसके बाद में जैसे फार पॉइंट होता है वैसे ही एक नियर पॉइंट भी होता है यानी कि ये वो मिनिमम डिस्टेंस है जिसके आगे हमारी आंख देख नहीं पाती है उस ऑब्जेक्ट को बिना किसी स्ट्रेन के ठीक है ये स्ट्रेन वर्ड लेना बहुत जरूरी है वरना मार्क्स कट जाते हैं जैसे आपने बोला कि 25 सेंटीमीटर होता है कि आप ऑब्जेक्ट को रखो कहां 25 सेंटीमीटर पे और उस 25 सेंटीमीटर पे जब आप अपने ऑब्जेक्ट को रखोगे इसके पास जब आप लेके जाओगे तो आपको ऑब्जेक्ट नहीं दिखेगा ऐसा तो कुछ नहीं है आप अपने चेहरे को आप अपने हाथ को अपने चेहरे पे रख लो तो भी आपको अपना हाथ दिखेगा ये कैसे पॉसिबल है क्योंकि हमें पता है कि कोई भी पास में रखी हुई ऑब्जेक्ट को हमें देखना होता है तो हमारी जो सिलियरी मसल्स हैं वो क्या करती हैं कांट्रैक्ट करती हैं और लेंस को कंप्रेस करेगी भाई कंप्रेशन की भी तो हद होनी चाहिए ऐसा थोड़ी है कि गोल-गोल लड्डू बना कर के सिलेरी मसल्स ने रोटी ही बना दी आई लेंस की ऐसा नहीं हो सकता तो एक मैक्सिमम एक्सटेंट जहां तक सिलेरी मसल्स लेंस को कंप्रेस कर सकती है वो एक्सटेंड कब आता है 25 सेंटीमीटर के डिस्टेंस पे इसके बाद भी क्या होगा ऐसा नहीं है कि 25 सेंटीमीटर के बाद में जो है ना अ जो सिलेरी मसल्स है वो लेंस को कंप्रेस नहीं करेगी बिल्कुल करेगी भाई उसका काम लेंस को कंप्रेस करना लेकिन क्या होगा आंखों प बहुत स्ट्रेन पड़ेगा खराब हो जाएंगे परमानेंट डैमेज हो जाएगा तो नियर पॉइंट क्या होता है नियर पॉइंट मिनिमम डिस्टेंस होता है हमारी आंखों से ऑब्जेक्ट का जहां से हम ऑब्जेक्ट को देख सकते हैं बिना किसी स्ट्रेन के दैट इज 25 सेंटीमीटर ठीक है आई होप ये चीज आपको समझ में आई होगी नेक्स्ट सवाल क्या है व्हाट हैपेंस टू द आईलेंस वन सेलेरी मसल्स आर रिलैक्स अभी बताया था स्ट्रेच हो जाती है और थिन हो जाती है तो ऑप्शन बी ठीक है फिर इसके बाद में नेक्स्ट सवाल क्या है व्हेन अ पर्सन इज नॉट एबल टू सी डिस्टेंट ऑब्जेक्ट्स ही इज सफरिंग फ्रॉम तीन डिफेक्ट्स पढ़े थे मायोपिया हाइपरमेट्रोपिया और प्रेसबायोपिया याद कैसे रखें मायोपिया क्या है एक छोटा सा वर्ड है यानी कि जो कम डिस्टेंस पे रखे ना ऑब्जेक्ट्स वो देख जाते हैं हमको हाइपरमेट्रोपिया क्या है एक बड़ा से बड़ा वर्ड है यानी कि जो दूर होंगी ना चीजें वो दिख जाएंगी पास की नहीं दिखेंगी अच्छा तरीका है याद रखने का तो यहां पे क्या बोल रहे हैं कि कि दूर की चीजें नहीं दिखती यानी कि पास की चीजें दिख जाती है पास की चीजें मतलब क्या छोटी चीजें छोटी चीजें मतलब क्या छोटा व छोटा वर्ड क्या है मायोपिया तो ये कौन सा केस है भाई मायोपिया का केस है जहां पे दूर रखी हुई चीजें नहीं दिख रही है पास रखी हुई चीज दिख जाती है करेक्ट कैसे करते हैं भाई करेक्ट इसको हम कर सकते हैं कॉनकेव लेंस लगा कर के आई बात आपको समझ में फिर इसके बाद में नेक्स्ट सवाल क्या है व्हिच लेंस इज यूज टू करेक्ट हाइपरमेट्रोपिया हाइपरमेट्रोपिया बड़ा वर्ड है यानी कि दूर का दिख जाएगा पास का नहीं दिखेगा पास का दिख क्यों नहीं रहा है क्योंकि भाई पास के ऑब्जेक्ट को देखने के लिए क्या करना पड़ता है लेंस का कर्वेचर बढ़ाना पड़ता है फोकल लेंथ कम करनी पड़ती है लेकिन फोकल लेंथ कम नहीं हो पा रही है कर्वेचर जो है अ ज्यादा होना चाहिए लेकिन कर्वेचर छोटा रह जा रहा है शॉर्ट कर्वेचर रह जा रहा है याद करो बर्थ डिफेक्ट है तो इस कारण हमें करेक्ट करना पड़ेगा कैसे करेक्ट करेंगे भाई तो आपका आंसर होना चाहिए कॉन्वेक्स लेंस लगाकर ठीक है अब जो नेक्स्ट सवाल है ना यह आप लोग के लिए होमवर्क मायोपिया हमने डिस्कस कर लिया हाइपरमेट्रोपिया डिस्कस कर लिया जो प्रेस बायोपिया है ना यह आपके लिए है होमवर्क इस सवाल का जवाब आपको देना होगा कमेंट सेक्शन में कि भाई प्रेस बायोपिया किसके वजह से होता है एक सेंटेंस याद रखना कि कभी भी किसी आग में मायोपिया हाइपरमेट्रोपिया साथ में नहीं होगा प्रेस बायोपिया मायोपिया हो सकता है तो इस सवाल को कर लो आप नोट और मुझे कमेंट सेक्शन में बताना इसका आंसर क्या होना चाहिए तो भाई इस सेशन के लिए इतना ही अब हम मिलेंगे हमारे नेक्स्ट सेक्शन में जहां पे हम कुछ बातें करेंगे अपने चैप्टर से रिलेटेड द कलरफुल वर्ल्ड अराउंड अस से रिलेटेड कुछ टॉपिक्स पढ़ेंगे और बड़े इंटरेस्टिंग टॉपिक्स हैं ये तब तक आप क्या करें हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है magnetbrains.com उसको विजिट कर लेना जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चरर्स मिलेंगे प्लेलिस्ट में साथ ही साथ सभी टॉपिक्स के वहां पे होंगे आपको नोट्स भी प्रोवाइड सो डू विजिट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विथ मैगनेट बेंस थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन इस लेक्चर में हम पढ़ने वाले हैं हमारे चैप्टर द ह्यूमन आय एंड द कलरफुल वर्ल्ड का एक और नया टॉपिक जिसका नाम है रिफ्रैक्ट ऑफ लाइट थ्रू प्रिज्म भाई जो ह्यूमन आय वाला पोर्शन था ना वो हमने कर लिया है कंप्लीट उसपे हमने बेस्ड कुछ क्वेश्चंस भी सॉल्व कर लिए हैं डीपीक्यू भी हमने सॉल्व कर लिया है अब आज हम स्टार्ट करते हैं द कलरफुल वर्ल्ड वाला पार्ट और यह आपके सिलेबस में है माइंड यू अभी तक आप मुझसे बोल रहे थे कि मैम ये तो सिलेबस में ही नहीं है क्यों पढ़ा रहे हो क्यों पढ़ा रहे हो कोई बात नहीं अब जो मैं स्टार्ट करूंगी ना पढ़ाना वो सब आपके सिलेबस में है ठीक है कलरफुल वर्ल्ड वाला पार्ट आपके सिलेबस में है तो इसे ध्यान से समझिए तो उस पार्ट को हम स्टार्ट कर रहे हैं उसके फर्स्ट टॉपिक के साथ फर्स्ट टॉपिक क्या है भाई रिफ्रेश ऑफ लाइट थ्रू प्रिज्म रिफ्रैक्ट तो हमें पता है लाइट का अच्छी तरीके से पता है लेकिन अब ये प्रिज्म क्या होता है और प्रिज्म के थ्रू रिफ्रैक्ट कैसे होता है ये हमें नहीं पता तो सबसे पहले तो हमें पता करना होगा कि प्रिज्म क्या है और फिर उसके थ्रू रिफ्रैक्ट कैसे होता है ये समझना है तो आज के इस टारगेट आज के इस सेशन का टारगेट हो चुका है फिक्स क्या है सबसे पहले हमें फ्रेज भी समझना है फिर उसके थ्रू लाइट का रिफ्रैक्ट कैसे होता है वो समझना है तो जब टारगेट हो गया सेट तो फिर देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं हम आज का अपना लेक्चर सो दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैग्नेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं आज का यह हमारा लेक्चर आज का ये हमारा सेशन जिसमें हमें समझना है सबसे पहले तो प्रिज्म फिर इसके बाद में प्रिज्म के थ्रू लाइट का रिफ्लेक्शन सॉरी रिफ्रैक्ट ठीक है अब प्रिज्म को हम कैसे समझे तो एक काम करते हैं आपने प्रिज्म भले ही ना देखा हो या देखा भी होगा तो उसका स्ट्रक्चर आपको याद नहीं होगा आपने ट्रायंगल तो देखा ही होगा है ना ट्रायंगल का शेप कुछ इस तरीके का होता है ट्रायंगल अगर मैं बनाऊं तो कैसा बनेगा कुछ इस तरीके का बनेगा अब अगर इसको आपको प्रिज्म में बनाना है ना तो क्या करो इस ट्रायंगल को पीछे की तरफ खींच के ले आओ अभी तक हम डायवर्जिंग रिफ्लेक्टेड और रिफ्रैक्टेड रेस को पीछे की तरफ खींच के लेके आते थे ना फोकस ऑब्टेन करने के लिए इमेज बनाने के लिए है ना अब क्या करना है यह खींचने वाला प्रोसीजर हमें कंटिन्यू रखना है हम क्या करेंगे इस ट्रायंगल को भी पीछे की तरफ खींच के लेके आएंगे जब हम इसे पीछे की तरफ खींच के लेके आएंगे ना तो हमें कैसा स्ट्रक्चर दिखेगा पता है हमें दिखेगा कुछ इस तरीके का स्ट्रक्चर और यह स्ट्रक्चर क्या है यह है एक क्या प्रिज्म तो भाई प्रिज्म और कुछ नहीं एक 3d स्ट्रक्चर होता है किस चीज का ट्रायंगल का मैंने आपको बोला कि हो सकता है आपने प्रिज्म ना देखा हो तो प्रिज्म को कैसे हम समझे कैसे उसका स्ट्रक्चर जाने तो कुछ नहीं एक ट्रायंगल हो उस ट्रायंगल को आप पीछे की की तरफ खींच के ले आओ जब वो खींचा हुआ जो स्ट्रक्चर हो ना होगा ना जो आपका उसी को हम क्या कहेंगे प्रिज्म कहेंगे प्रिज्म क्या होता है भाई यही है अपना प्रिज्म और प्रिज्म क्या होता है ये 3डी स्ट्रक्चर होता है किस चीज का एक ट्रायंगल का ठीक है अब प्रिज्म में कितने सरफेस होते हैं प्रिज्म में देखो अच्छा इसका शेप आपको कुछ मिलता जुलता नहीं लग रहा याद करो फ्लैशबैक में जाओ वो बहुत पुराने टाइम की बात है ये जब हम यू नो छोटे थे और एक हम गांव का सीन बनाते थे विलेज सीन बनाते थे बढ़िया पहाड़ बनाते थे है ना नदियां बनाने का नदियां निकाल देते थे पहाड़ों के बीच में से एक आधा अधूरा सा सन निकालते थे है ना फिर इसके बाद में बारी आती थी किसकी घर बनाने की तो घर भी हम बड़े अच्छे से बनाते थे यह बन जाता था क्या हमारा घर अब एक काम करो ये जो वॉल और जो फ्लोर वाला जो पोर्शन है ना इसको हटा दो क्यों हटा दो क्योंकि हमें पता है किससे मतलब है हमें मतलब है हमारे हट की रूफ के साथ क्यों क्योंकि इसका जो शेप है ना वो प्रिज्म से मिलता जुलता है देखो दिख नहीं रहा आपको इसका जो शेप है जो इसका स्ट्रक्चर है ये काफी मिलता जुलता है हमारे प्रिज्म के साथ फर्क क्या है फर्क है बस एक बेस का है ना ये जो हमारे हट का जो रूफ है इसके नीचे कोई बेस नहीं है तो एक काम करो बेस लगा दो तो ये क्या बन जाएगा भाई प्रिज्म का के जैसा ही एक स्ट्रक्चर बन जाएगा आई होप अब आपको प्रिज्म का स्ट्रक्चर क्लियर हो गया हो अगर इस थ्री डायमेंशन स्ट्रक्चर से अगर आप नहीं समझे होंगे तो ये जब हम जो हम फ्लैशबैक में गए हैं है ना अपनी जो ड्राइंग स्किल्स है उनको जब हमने याद किया है जब हम घर बनाते थे घर की हम बनाते थे रूफ तो उस रूफ से तो एटलीस्ट आपको अब प्रिज्म का स्ट्रक्चर समझ में आ गया होगा ठीक है तो भाई हो गया भाई प्रिज्म का स्ट्रक्चर समझ में आ गया अब प्रिज्म में कितनी सरफेस होती है वो हमें देखनी है सबसे पहली सरफेस कौन सी होती है भाई पहला ट्रायंगल जो हमें देखने को मिलता है तो फर्स्ट सरफेस वो हो गई अब घूम के जाओ तो आपको दूसरा ट्रायंगल भी मिलेगा तो वो क्या हो जाएगी दूसरी सरफेस हो जाएगी फिर साइड में आओ साइड में आपको एक रेक्टेंगल सरफेस देखने को मिलेगा ठीक है तो ये हो गया थर्ड सरफेस फिर उसके अपोजिट में आपको एक और रेक्टेंगल सरफेस दिखेगा वो होगी सरफेस नंबर फोर और उसके बेस में भी क्या है एक सरफेस है कैसा सरफेस है रेक्टेंगल ही है उसको मैंने नाम दिया कौन सा सरफेस फाइव यानी कि हमारा जो प्रिज्म है बच्चों उसमें पांच सरफेस होती हैं दो कैसी होंगी ट्रायंगुलर होंगी और जो तीन है वो कैसी होती है रेक्टेंगल होंगी यानी कि दो ट्रायंगुलर सरफेस होंगी और तीन रेक्टेंगल सरफेस होंगी इज दैट क्लियर अब ये जो पांचों सरफेस है ना यह एक दूसरे पर इंक्लाइंड होती है एक दूसरे के ऊपर झुकी हुई रहती हैं क्या बोला मैंने आपको कि एक प्रिज्म के पास पांच सरफेस होती हैं दो होती हैं ट्रायंगुलर और तीन होती हैं रेक्टेंगल यह पांचों सरफेस एक दूसरे के ऊपर क्या होती है झुकी हुई रहती है इंक्लाइंड रहती हैं अब एक बड़ा अच्छा बहुत ही फेवरेट सवाल आता है एग्जामिनेशन में कि एंगल ऑफ प्रिज्म क्या होता है एंगल ऑफ प्रेस में क्या होता है तो बड़ा आसान है यह जो रेक्टेंगल सरफेस मैं बोल रही हूं ना इसको मैं दूसरा नाम भी देती हूं इसका दूसरा नाम क्या है लेटरल सरफेस क्या नाम है इसका भाई लेटरल सरफेस तो दो लेटरल सरफेस के बीच का जो एंगल होता है उसी को हम क्या कहते हैं उसी को हम कहते हैं एंगल ऑफ प्रिज्म और इसको हम इस तरीके से डिनोट करते हैं प्रिज्म का आपको स्ट्रक्चर समझ में आया पांच सरफेस समझ में आई कि दो होती है ट्रायंगुलर तीन होती हैं रेक्टेंगल ठीक है रेक्टेंगल को हम लेटरल सरफेस भी बोलते हैं ये पांचों सरफेस एक दूसरे के ऊपर क्या होती है झुकी हुई रहती हैं इंक्लाइंड होती हैं फिर एक बड़ा फेमस सवाल आता है कि भाई प्रिज्म का एंगल क्या है यानी कि एंगल ऑफ प्रिज्म क्या है तो एंगल ऑफ प्रिज्म कुछ नहीं हलवा है बिल्कुल बिल्कुल कि दो लेटरल सरफेस दो लेटरल सरफेस फस मतलब कौन सी रेक्टेंगल सरफेस तो दो लेटरल रेक्टेंगल सरफेस के बीच का जो एंगल बना है एंगल कैसे बना अभी मैंने आपको बताया कि जो भी सरफेस हैं वो एक दूसरे के ऊपर कैसी होती है बच्चों इंक्लाइंड होती हैं तो दो इंक्लाइंड मतलब क्या कि झुकी हुई है आपस में कोई ना कोई एंगल बना रही है अपने बीच में तो दो लेटरल सरफेस के बीच का जो एंगल होगा बच्चों उसी को हम क्या कहते हैं एंगल ऑफ प्रिज्म कहते हैं ये है क्या एक प्रिज्म क्या आप मुझे एंगल ऑफ प्रिज्म इसमें बता सकते हैं एंगल ऑफ प्रिज्म इसमें पता है कौन सा होगा इसमें होगा यह वाला जो ब्लू कलर से मैंने एक आर्क बनाया है वो आर्क क्या है बच्चों एंगल ऑफ प्रिज्म है क्यों क्योंकि मैंने आपको क्या बताया दो लेटरल सरफेस के बीच में जो एंगल होता है तो ये देखो यह रही एक लेटरल सरफेस और उसके पीछे यह रही दूसरी लेटरल सरफेस तो दो लेटरल रेक्टेंगल सरफेस का बीच का जो एंगल है वह क्या है एंगल ऑफ प्रिज्म है आई होप यह चीज आपको समझ में आई हो कि कैसा प्रिज्म का स्ट्रक्चर होता है कैसे उसकी पांच सरफेस होती हैं कैसे वो एक दूसरे के ऊपर झुकी हुई रहती है और दो लेटरल रेक्टेंगल सरफेस के बीच का जो एंगल है वह कहलाता है एंगल ऑफ प्रिज्म ठीक है आई होप यहां तक आपको चीजें समझ में आ गई होंगी अब प्रिज्म का स्ट्रक्चर हमें समझ में आ गया है अब सेकंड चीज जो हमें पढ़नी थी वो क्या है लाइट का रिफलेक्शन इज प्रिज्म के थ्रू ठीक है अब हम बात करते हैं आ जाते हैं अपनी नेक्स्ट स्लाइड के ऊपर प्रिज्म का स्ट्रक्चर समझ में आ गया हमको तो भाई यहां पे क्या है यहां पे है मेरे पास एक प्रिज्म का डायग्राम ठीक है और इस प्रिज्म के डायग्राम में आपको बहुत सारी रेज दिख रही होंगी है ना एक काम करते हैं हम अपना ही एक अलग सा जो है ना डायग्राम बनाएंगे एक ब्लैंक डायग्राम बनाएंगे आई होप वो कहीं इधर ही हो हां यह है क्या मेरे पास एक प्रिज्म का डायग्राम है अब मैं इसमें लाइट का रिफ्रैक्ट आपको बताने जा रही हूं ये इधर पे प्रीवियस जो अपना वो था स्लाइड उसमें बहुत सारी रेज बनी हुई थी उन रेज को हम समझ लेंगे उन्हीं रेज को एक्चुअली हम यहां पे बनाने वाले हैं तो डरने की बात नहीं है कि बाप रे मैम ने तो सारी रेज ही उड़ा डाली फिर से बना लेंगे ठीक है अब देखो लाइट का जो रिफ्रैक्ट होता है ना बच्चों प्रिज्म में वो हम समझेंगे कहां से वो हम सम समझेंगे रेक्टेंगल सरफेस जो है ना हमारे प्रिज्म का वहां से समझेंगे और देखेंगे कहां से देखेंगे जो हमारे प्रिज्म का जो ट्रायंगुलर सरफेस है उधर से देखेंगे यानी कि प्रिज्म में लाइट का रिफ्रैक्ट कहां से हो रहा है लाइट का रिफ्रैक्ट हो रहा है हमारे प्रिज्म का जो रेक्टेंगल सरफेस है जो लेटरल सरफेस है वहां पे और हम उस लाइट के रिफ्रैक्ट को देखेंगे कहां हम देखेंगे सामने से यानी कि प्रिज्म का जो ट्रायंगुलर सरफेस है वहां वहां से हम देखेंगे इतना क्लियर है आप सबको ठीक है अब क्या होता है चलो अब हम लेके आते हैं क्या एक इंसीडेंट रे हम लेके आए हैं एक इंसिडेंट रे इस इंसिडेंट रे को मैं नाम दे देती हूं क्या p क क्या नाम दिया मैंने इस इंसीडेंट रे को इस इंसीडेंट रे को नाम दिया मैंने क्या p क अब जरा यह बताओ कि मेरा जो प्रिज्म है वो किसका बना होता है वो बना होता है ग्लास का तो प्रिज्म बना है किस चीज का ग्लास का बना हुआ है मेरी जो इंसिडेंट रे है व कहां से आ रही है वो आ रही है हवा से हवा और ग्लास कितने मीडियम हो गए दो मीडियम हो गए अलग-अलग रिफ्रैक्टिव इंडेक्स वाले दो मीडियम हो गए अब आपको पता होगा हम लोग ने इतना कुछ पढ़ चुका है तो आपको समझ में आ गया होगा यहां पे कि हमारी जो लाइट है जो लाइट रे है वो कहां से आ रही है भाई वो आ रही है एक रेयरर से डेंसर मीडियम में क्योंकि हमें पता है कि ग्लास का जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स है वो एयर के रिफ्रैक्टिव इंडेक्स से ज्यादा है यानी कि ग्लास कैसा है डेंसर मीडियम है तो भाई हमारे पास एक प्रिज्म था जिसके जो लेटरल सरफेस है वहां पे क्या हो रहा है रिफ्रैक्ट हो रहा है और जिसको हम देख कहां से रहे हैं प्रिज्म का जो ट्रायंगुलर सरफेस है वहां से देख रहे हैं एक इंसीडेंट रे प क नाम की इंसीडेंट रे आती है कहां पे प्रिज्म का जो अ रेक्टेंगल सरफेस है वहां पे आ कर के स्ट्राइक करती है ठीक अब जो हमारी इंसीडेंट रे है वो कहां से आ रही है वो आ रही है है एक रेयरर मीडियम से डेंसर मीडियम में तो जरा बताओ कि जब लाइट रेयरर से डेंसर मीडियम में आती है तो बेंड कहां होती है बेंडिंग तो होगी रिफ्रैक्ट तो होगा क्यों क्योंकि मीडियम चेंज हो रहा है तो जब मीडियम चेंज होगा तो लाइट की बेंडिंग होगी लाइट की बेंडिंग कहां होगी भाई टुवर्ड्स दी नॉर्मल नॉर्मल के तरफ क्या होगा हमारी लाइट जाएगी अब एक काम करते हैं इस रे को मैं थोड़ा सा नीचे की तरफ बनाती हूं ये इस तरीके से ठीक है अब हमारी इंसीडेंट ट्रेन ने स्ट्राइक कहां किया है स्ट्राइक किया है सपोज इस पर्टिकुलर पॉइंट पे हमें पता है कि डेंसर मीडियम में जाने के बाद क्या होगा लाइट का नॉर्मल की तरफ बेंड हो जाएगी लेकिन नॉर्मल की तरफ बेंडिंग के लिए नॉर्मल तो बनाना पड़ेगा एक काम करते हैं नॉर्मल बनाते हैं नॉर्मल कैसे बनेगा भाई नॉर्मल बनाना तो बड़ा इजी है हमने तो कर्वड सरफेस में भी नॉर्मल बनाना सीखा है फिर ये तो कैसा है प्लेन सरफेस है क्या करेंगे एक परपेंडिकुलर लाइन जो है ना बना देंगे क्या करेंगे बच्चों एक पर्टिकुलर लाइन एक परपेंडिकुलर लाइन हम बना देंगे कहां ये जो हमारा ए सरफेस है ना प्रिज्म का उसके ऊपर जो ए सरफेस है हमारा प्रिज्म का उसके ऊपर हम एक परपेंडिकुलर लाइन बना देंगे किस पॉइंट पे जहां पे इंसिडेंट रे ने ए सरफेस को किया है स्ट्राइक तो ये क्या बन गई भाई ये बन गई हमारी रेड कलर की एक नॉर्मल अब क्या होगा अब यहां पे अगर रिफ्रैक्ट नहीं हो रहा होता तो मेरी जो लाइट है वो कैसे जाती बिना पाथ चेंज करे जाती कुछ इस तरह से चली जाती लेकिन क्या हुआ रिफ्रैक्ट हो गया रिफ्रैक्ट होने के कारण क्या होगा लाइट बेंड हो जाएगी कहां बेंड होगी भाई तो टुवर्ड्स दी नॉर्मल यानी कि कोई हम बोलते हैं कि इस डायरेक्शन में वो बेंड हो जाएगी एरो का डायरेक्शन आपको दिख रहा है नीचे की तरफ बेंड हो जाएगी तो ये लो ये हो गई क्या लाइट टुवर्ड्स दी नॉर्मल बैंड क्लियर है आपको अब ये जो रिफ्रैक्टेड रे है पहला रिफ्रैक्ट तो हो गया पहला रिफ्रैक्ट कब हुआ जब लाइट एयर से पहुंची प्रिज्म के अंदर अब क्या होगा लाइट बाहर भी तो निकलेगी यानी कि प्रिज्म में भी होगा दूसरा रिफ्रैक्ट हमने जो रेक्टेंगल और ग्लास लैब के केस में पढ़ा था याद है आपको उसमें भी क्या हुआ था दो रिफ्रैक्ट हुए थे यहां पे भी दो रिफ्रैक्ट होंगे जो लाइट बाहर से अंदर आई है वो अंदर से बाहर भी तो जाएगी तो दूसरे वाले केस में दूसरे वाले रिफ्रैक्ट में हमारी जो रिफ्रैक्टेड रे है वो काम करेगी किस का इंसीडेंट रेखा काम करेगी ठीक अब जो लाइट है वो कहां से जाएगी बच्चों वो जाएगी एक डेंसर मीडियम से रेयरर मीडियम में सही है ना पहले एयर से ग्लास में जा रही थी इसलिए रेयरर से डेंसर मीडियम में जा रही थी अब क्या हो रहा है ग्लास से हवा में जा रही है वापस यानी कि एक डेंसर से रेयरर मीडियम में जा रही है और हमें पता है कि लाइट जब डेंसर से रेयरर मीडियम में जाती है तो क्या होता है नॉर्मल से दूर चली जाती है उसको बा बाय बोल देती है तो एक काम करते हैं इस पर्टिकुलर पॉइंट पे भी क्या करना पड़ेगा बच्चों आपको एक अह नॉर्मल तो बनाना पड़ेगा क्योंकि हमने बोला है कि नॉर्मल से दूर जाएगी तो नॉर्मल से दूर जाने के लिए एक नॉर्मल तो बनाओ नॉर्मल कैसे बनाएंगे फिर से हम एक काम करते हैं हम एक रेड कलर की जिस पॉइंट पे इस रिफ्रैक्टेड रेने इंसीडेंट रे ने स्ट्राइक किया है हमारे प्रिज्म कौन सा सरफेस है प्रिज्म के एसी सरफेस को उसको हम क्या कर देते हैं वहां पे एक नॉर्मल बना देते हैं नॉर्मल कैसे बनाएंगे भाई बड़ा आसान है नॉर्मल बनाने को के लिए हम क्या करते हैं एक परपेंडिकुलर लाइन बना देते हैं ठीक अब क्या हुआ अब अगर रिफ्रैक्ट नहीं हो रहा होता तो मेरी जो लाइट है वो अपने ओरिजिनल पाथ को फॉलो करती हुई चली गई चली जाती आगे है ना अगर रिफ्रैक्ट नहीं हो रहा होता तो अपने ओरिजिनल पाथ को फॉलो करती हुई चली जाती लेकिन क्या हो रहा है रिफ्रैक्ट हो रहा है यानी कि लाइट की बेंडिंग हो रही है लाइट की बेंडिंग कैसे होगी भाई जब लाइट डेंसर से रेयरर मीडियम में जाएगी तो वो नॉर्मल से दूर जाएगी तो यह देखो जो हमारा जो लाइट है एरो देखो एरो कहां जा रहा है नॉर्मल से दूर चली जाएगी कुछ इस तरीके से लाइट कहां चली गई नॉर्मल से दूर नॉर्मल क्या था देखो ये जो अपनी रेड लाइन है ये सेकंड नॉर्मल था लेकिन क्या हुआ ये जो लाइन है हमारी जो रिफ्रैक्टेड रे है अब बेसिकली जो रे है वो प्रिज्म के बाहर निकल रही है अब उसे मैं क्या बोलूंगी उसे मैं बोलूंगी इमर्जेंट रे यस और नो तो देखो जो इमर्जेंट रे है मेरी ब्लू कलर की वो नॉर्मल से कितने दूर होकर के बेंड होकर के निकल गई तो यह क्या है भाई यह है रिफ्रैक्ट ऑफ लाइट थ्रू प्रिज्म प्रिज्म का स्ट्रक्चर आपको समझ में आ गया ठीक है फर्स्ट केस में क्या हुआ इंसिडेंट रे आई p क उसने जो प्रिज्म का जो ए सरफेस था ए सरफेस मतलब कौन सा जो लेटरल सरफेस था प्रिज्म का ठीक है जो रेक्टेंगल लेटरल सरफेस था प्रिज्म का उसपे स्ट्राइक किया और हम रिफ्रैक्ट देख कहां से रहे हैं भाई रिफ्रैक्ट हम देख रहे हैं प्रिज्म को प्रिज्म का जो रेक्टेंगल सॉरी जो ट्रायंगुलर सरफेस है वहां से हम देख रहे हैं ठीक है तो p क इंसिडेंट रे आई कहां स्ट्राइक किया उसने प्रिज्म का जो ए लेटरल सरफेस है रेक्टेंगल सरफेस है उस पे स्ट्राइक किया अब ओबवियस सी बात है जो लाइट है वो एयर से कहां जा रही है ग्लास में जा रही है रेयरर से डेंसर मीडियम में जा रही है तो नॉर्मल के तो की तरफ बेंड होगी बेंडिंग दिखाने के लिए सबसे पहले हमको बनाना होगा क्या एक नॉर्मल तो यह लो जी हमने बना दिया क्या एक रेड कलर का नॉर्मल तो हमने देखा कि अगर अगर हमारी इंसिडेंट रे के साथ कोई रिफ्रैक्ट नहीं हो रहा होता मीडियम चेंज नहीं हो रहा होता तो हमारी जो इंसिडेंट रे है ना वो कुछ इस तरह से क्या करती अपने ओरिजिनल पाथ को फॉलो करती हुई अंदर चली जाती लेकिन मीडियम चेंज हो गया बेंडिंग होगी बेंडिंग कैसी होगी भाई तो नॉर्मल के रा तरफ बेंड हो जाएगी लाइट जो रिफ्रैक्टेड रे निकलेगी वो नर्मल की तरफ झुक जाएगी फिर अब ये जो रिफ्रैक्टेड रे है ये प्रिज्म के बाहर भी तो जाएगी बाहर जाएगी मतलब क्या होगा सेकंड रिफ्रैक्ट अब जो रिफ्रैक्टाइल मीडियम से रेयरर मीडियम में जाएगी यानी कि नॉर्मल से दूर हो जाएगी ये नॉर्मल से जो बेंडिंग हो रही है दूर बेंडिंग हो रही है उसको दिखाने के लिए हम क्या करते हैं फिर से क्या करते हैं एक नॉर्मल बना देते हैं ठीक है ये नॉर्मल कहां बना है प्रिज्म का जो दूसरा लेटरल सफेस है एसी वहां बना है तो हमने देखा कि हमारी जो इमर्जेंट रे है इमर्जेंट रे है सेकंड रिफलेक्शन की वो क्या हो गया नॉर्मल से दूर चली गई यानी कि डेफिनेटली लाइट जो अंदर गई थी वो डेविएशन से बाहर निकली है देख रहे हो ना आप अंदर कहां से गई थी बाहर कहां से निकली तो ये जो डेविएशन हो रहा है क्या बोला मैंने कि जब एक लाइट प्रिज्म के अंदर जाती है तो वह डेविएशन के अंदर जाती है तो बाहर डेविएशन है इसे हमें कैलकुलेट करना पड़ता है आखिर यह डेविएशन यह तो हमें पता चल गया कि डेविएशन हुआ है ठीक है डेविएशन हुआ है लेकिन कितना हुआ है यह तो हमें पता नहीं है कितने एंगल पे हुआ है यह तो हमें पता नहीं है तो एक काम करते हैं बच्चों तो जब भी आपको किसी भी चीज का चेंज निकालना होता है तो आप क्या करते हो ओरिजिनल चीज से माइनस करते हो ना तो यहां पे भी अगर हमें डेविएशन निकालना है तो हम किससे डेविएशन निकालेंगे लाइट का जो ओरिजिनल पाथ होगा ओ उस ओ से हम डेविएशन को निकालेंगे कैसे निकालेंगे ग्रीन कलर से अब जो मैं लाइन बना रही हूं उसको ध्यान से देखना लाइट का जो ओरिजिनल पाथ था बच्चों वो कैसा था कुछ इस तरीके का था ठीक है अब ये जो इमर्जेंट रे निक है ना बच्चों इस इमर्जेंट रे को मैं पीछे की तरफ क्या करती हूं एक्सटेंड करती हूं ये देखो दोनों ही हरी रेज एक पर्टिकुलर पॉइंट पे आकर के मिल रही हैं मैंने क्या किया मैं यहां पे यह पता करना चाह रही हूं कि मेरी जो लाइट है वो कितना डेविएशन पता है कि जब वो मैं देख भी चुकी हूं ऑलरेडी कि जब एक लाइट रे प्रिज्म के अंदर जाएगी तो डेविट हो कर के बाहर निकलेगी लेकिन मुझे यह नहीं पता कि कितना डेविएशन हो रहा है हाउ मच डेविएशन तो इस हाउ मच डेविएशन को मैं कैसे निकालू आपको पता है कि जभी भी आपको किसी भी चीज का डेविएशन क्या है बेसिकली चेंज ही तो है ना तो आप चेंज कैसे निकालते हो जो भी आपके पास वैल्यू आई है उसको आप ओरिजिनल जो वैल्यू होगी उससे आप सबस्टैक कर देते हो तो आपके पास चेंज आ जाता है जैसे कि आप एक पर्टिकुलर वेलोसिटी के साथ जा रहे थे ठीक है सपोज आप 5 मीटर 5 मीटर पर सेकंड की वेलोसिटी के साथ जा रहे थे फिर क्या हुआ कि ट्रैफिक आ गया तो आपकी जो स्पीड है गाड़ी की वो कितनी हो गई 2 मीटर पर सेकंड की स्पीड हो गई तो अब मैं अगर आपसे बोलूं कि आपकी जो स्पीड है वो कितनी चेंज हुई है तो आप क्या करोगे 5 - 2 = 3 तो आप बोलो दोगे चेंज इन स्पीड कितना हुआ 3 मीटर पर सेकंड ओरिजिनल स्पीड कितनी थी पांच थी ट्रैफिक के आने के कारण क्या हुआ दो हो गई मैंने आपको बोला कि चेंज निकालो चेंज आप कैसे निकालो ओरिजिनल ओरिजिनल में से आप माइनस कर देते हो दो तो आपके पास आती है क्या चेंज तो यहां पे भी अगर मुझे चेंज निकालना है या डेविएशन निकालना है तो मैं किसके रिस्पेक्ट में निकालू गी जो ओरिजिनल पाथ होगा ना लाइट का उसके रिस्पेक्ट में निकालू ओरिजिनल पाथ कहां हो रहा है भाई ये जो ग्रीन लाइन मैंने आपको बताई है ये क्या है लाइट का ओरिजिनल पाथ है कि अगर रिफ्रैक्ट नहीं हो रहा होता कि अगर रिफ्रैक्ट नहीं हो रहा होता तो मेरी जो लाइट है इंसीडेंट लाइट है p क वो ये वाला पाथ फॉलो करती डिफ्रेक्शन हो गया डेविएशन हो गया इसके कारण तो वो नीचे की तरफ झुक के बाहर निकली है तो अगर रिफ्रैक्ट नहीं होता तो यह जो ग्रीन लाइन बनाई है यह क्या होता ओरिजिनल पाथ मेरी लाइट का ठीक है फिर मैंने क्या किया जो इमर्जेंट रे बाहर निकली है ना इसको मैं पीछे की तरफ खींच के ले आई जब मैं इसको पीछे की तरफ खींच के लेके आई तो मैंने देखा कि भाई यह जो मेरी ओरिजिनल पाथ है और यह जो मेरी इमर्जेंट रे है ये किसी एक पर्टिकुलर पॉइंट पे आकर के मिल रही है यह जो दोनों के बीच का एंगल बन रहा है ना इसी को मैं पता है क्या कहती हूं एंगल ऑफ डेविएशन यह एंगल मुझे बताता है कि लाइट कितना डेविएशन से बाहर निकली है आफ्टर सक्सेसिव रिफ्रैक्ट आई होप यह चीज आपको समझ में आ गई होगी बच्चों कि क्यों हमने ओरिजिनल पाथ से डेविएशन निकाला है कि अगर हमें चेंज निकालना होता है तो हमेशा हमें एक ओरिजिनल वैल्यू चाहिए होती है तो यहां पर भी अगर हमें लाइट का डेविएशन चेंज निकालना है तो इसके लिए हमें क्या चाहिए है हमें एक ओरिजिनल पाथ चाहिए है लाइट का ओरिजिनल पाथ जो है लाइट का और जो इमर्जेंट रे है उसके बीच में जो एंगल बनता है उस एंगल को हम क्या कहते हैं उस एंगल को हम कहते हैं एंगल ऑफ डेविएशन आई होप यह चीज आपको समझ में आ गई होगी रिफ्रैक्ट थ्रू प्रिज्म में और कुछ नहीं है दो ऐसी चीजें थी जो आपको नहीं पता थी एक था क्या प्रिज्म का स्ट्रक्चर दूसरा प्रिज्म का जो एंगल होता एंगल ऑफ़ प्रिज्म और तीसरी चीज ये एंगल ऑफ डेविएशन ये चीजें आपको नहीं पता थी तो बस वो भी हमने कर ली है आई होप ये चीज आपको समझ में आ गई होगी बच्चों अब हम थोड़ी थ्योरी सी देख लेते हैं ठीक है ना क्या-क्या थ्योरी है हमारी वो हम देख लेते हैं सबसे पहले तो हमने स्टार्ट किया था प्रिज्म के स्ट्रक्चर के साथ तो प्रिज्म क्या है भाई एक ट्रांसपेरेंट रिफ्रैक्टिंग मीडियम है बाउंड बाय एटलीस्ट टू लेटरल सर्फेसेज इंक्लाइंड टू ईच अदर एट अ सर्टेन एंगल इट हैज टू ट्रायंगुलर बेसेस एंड थ्री थ्री रेक्टेंगल लेटरल सरफेस द एंगल बिटवीन टू लेटरल सरफेस इज कॉल्ड एंगल ऑफ प्रिज्म एंगल ऑफ प्रिज्म क्या होता है दो लेटरल सरफेस के बीच में जो एंगल होता है उसे हम कहेंगे एंगल ऑफ प्रिज्म ठीक है फिर इसके बाद में इन अ डायग्राम गिवन अबब ये जो पुराना वाला डायग्राम है उसकी बात कर रहा है इंसीडेंट रे थी p क एंटर कर रही थी ग्लास एयर से ग्लास में फर्स्ट सरफेस ए पे रिफ्रैक्ट होगा तो नॉर्मल की तरफ बेंड हो जाएगी सेकंड सरफेस एसी पे भी क्या होगा रिफ्रैक्ट होगा तो जो लाइट है वोह कहां बेंड हो जाएगी नॉर्मल से दूर चली जाएगी अब ये जो डायग्राम है ये जो पूरा एंगल ऑफ इंसिडेंट इमर्जेंट ये बेसिकली इने नेमिया है उठा कर के और कुछ नहीं तो यहां पे इस नेमिन को आप हमारा जो यह वाला डायग्राम है इसमें आप क्लियर देख सकते हैं आई आपको बात समझ में तो बस एंगल ऑफ प्रिज्म समझना था प्रिज्म का स्ट्रक्चर समझना था एंगल ऑफ प्रिज्म क्या है भाई प्रिज्म क्या है एक 3डी स्ट्रक्चर होता है ट्रायंगल का जिसमें कि तीन रेक्टेंगल सरफेस होती हैं और दो ट्राय र होती हैं सभी सरफेस आपस में इंक्लाइंड होती हैं दो लेटरल सरफेस के बीच का जो एंगल होता है उसे हम एंगल ऑफ प्रिज्म कहते हैं फिर एंगल ऑफ डेविएशन क्या है कि ओरिजिनल पाथ और जो लाइट का ओरिजिनल पाथ होता है और जो इमर्जेंट रे है लाइट के ओरिजिनल पाथ और इमर्जेंट रे के बीच में जो एंगल बनता है बच्चों उसको हम क्या कहते हैं एंगल ऑफ डेविएशन कहते हैं इट इज द एंगल एट व्हिच इमर्जेंट रे मेक्स विद द इंसिडेंट रे एक्सटेंड फॉरवर्ड ठीक है लाइट के ओरिजिनल पाथ और इमर्जेंट रे के बीच में जो एंगल है उसे हम कहेंगे एंगल ऑफ डेविएशन इमर्जेंट रे को हम पीछे की तरफ एक्सटेंड कर देते हैं और जो इंसीडेंट रे है उसको हम आगे की तरफ एक्सटेंड कर देते हैं बिना उसका पाथ चेंज करें आया आपको बात समझ में अब यह जो फार्मूला है यह आप अभी अभी के लिए बस समझ लीजिए यह फार्मूला आपके सिलेबस में नहीं है आगे जब हायर क्लासेस में जब आप जाओगे तो आप ये फार्मूला डेफिनेटली पढ़ो और इसका डेरिवेशन भी होता है काफी लंबा चौड़ा डेरिवेशन होता है तो अभी के लिए आप चाहो तो यह फार्मूला नोट डाउन कर लेना नहीं तो मत करो जितना अभी मैंने समझाया है एंगल ऑफ प्रिज्म एंगल ऑफ डेविएशन रिफ्रैक्ट थ्रू प्रिज्म यह आपको समझ में आ जाना चाहिए आई होप बच्चों यह टॉपिक आपको समझ में आ गया होगा तो यह तो क्या था प्रिज्म के थ्रू रिफ्रैक्ट था अब नेक्स्ट लेक्चर में हम पढ़ेंगे प्रिज्म के थ्रू डिस्पर्शन और प्रिज्म के थ्रू डिस्पर्शन अगर आपको समझ में आ गया ना तो रेनबो फॉर्मेशन भी ज्यादा मुश्किल नहीं होगा आपके लिए समझना तो आज के इस लेक्चर के लिए इतना ही मिलते हैं हम अपने नेक्स्ट लेक्चर में जहां पे हम बात करेंगे प्रिज्म के थ्रू डिस्पर्शन की तब तक आप क्या करेंगे हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है magnetbrains.com उसको विजिट कर लेना जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे एक अरेंज्ड फॉर्म में प्लेलिस्ट में साथ ही साथ वहां पे आपको सभी टॉपिक्स के होंगे नोट्स भी अवेलेबल सो डू विजिट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विद मैग्नेट बेंस थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन इस लेक्चर में हम पढ़ने वाले हैं वाइट लाइट का डिस्पर्शन किसके थ्रू तो हमारे ग्लास प्रिज्म के थ्रू प्रीवियस वीडियो में हमने प्रिज्म को समझा था फिर उसके थ्रू जो लाइट का रिफ्रैक्ट होता है वोह देखा था आज इस लेक्चर में हम बात करते हैं वाइट लाइट के डिस्पर्शन की तो भाई इस लेक्चर का टारगेट मैंने सेट कर दिया है कि इस लेक्चर में इस सेशन में हमें पढ़ना है कि किस तरह से वाइट लाइट का डिस्पर्शन करता है कौन करता है तो हमारा ग्लास प्रिज्म तो भाई जब टारगेट हो गया सेट तो फिर देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं आज का ये हमारा लेक्चर सो दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैग्नेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कोर्स तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं बच्चों आज का यह हमारा लेक्चर यह हमारा सेशन जिसमें हम पढ़ेंगे वाइट लाइट का डिस्पर्शन अब एक सेकंड के लिए मैं इस वाइट लाइट को हटा दूं और मैं आपसे पूछूं कि इस डिस्पर्शन का मतलब क्या होता है इस शब्द का मतलब क्या होता है तो कुछ बच्चे बोलते हैं मैम स्कैटर हो जाना फैल जाना भाई फैल जाना हिंदी शब्द तो ठीक है लेकिन डिस्पर्शन के साथ आप स्कैटरिंग वर्ड मत लगाओ क्योंकि डिस्पर्शन अलग अलग होता है स्कैटरिंग अलग होता है हम लाइट की भी स्कैटरिंग पढ़ेंगे जैसे-जैसे हम इस चैप्टर में आगे जाएंगे हम लाइट की भी स्कैटरिंग पढ़ेंगे लेकिन अभी हम पढ़ रहे हैं क्या डिस्पर्शन और डिस्पर्शन और स्कैटरिंग अलग-अलग शब्द होते हैं उनको एक मत करना डिस्पर्शन को आप बोल सकते हो स्प्लिटिंग ठीक है डिस्पर्शन को आप क्या बोल सकते हो स्प्लिटिंग बोल सकते हो तो अब मैं इस डिस्पर्शन के आगे कौन सा शब्द लगा दूं वाइट लाइट लगा दूं तो वो बन जाएगा क्या डिस्पर्शन ऑफ वाइट लाइट तो डिस्पर्शन ऑफ वाइट लाइट क्या होता है आई गेस आप क्लास सेवंथ या एथ में आपने ये डेफिनेशन पढ़ी होगी कि जब एक वाइट लाइट का डिस्पर्शन होता है वो स्प्लिट हो जाती है अपने सेवन कलर्स में यह डेफिनेशन क्लास ए तक के बच्चों के लिए तो बेस्ट है लेकिन अब आप आ गए हो क्लास 10थ में अब आपको अपने डेफिनेशन की जो लेवल है ना थोड़ा सा उसको पढ़ाना पड़ेगा अपग्रेड करना पड़ेगा तो क्लास टेंथ हमसे क्या एक्सपेक्ट करती है कि हम प्रॉपर डेफिनेशन बताएं लाइट वाइट लाइट के डिस्पर्शन की तो वाइट लाइट का डिस्पर्शन क्या होता है भाई द फिनोमेना ऑफ स्प्लिटिंग ऑफ वाइट लाइट इनटू इट्स कंसीट कलर्स व्हेन इट पासेस थ्रू अ प्रिज्म इज कॉल्ड डिस्पर्शन यानी कि देखो एक चीज आप हमेशा ध्यान रखना कि जो वाइट लाइट होती है ना वो केवल इन सात रंगों की नहीं बनी होती वो सिर्फ इन सात रंगों की नहीं बनी होती वो बहुत सारे कलर्स की बनी होती है और जब इनकी वाइट लाइट की जब स्प्लिटिंग होती है तो वो स्प्लिट भी कैसे होती है बहुत सारे कलर्स में होती है जिस कलर की ये बनी होती है वाइट लाइट उन सभी कलर्स में थाउजेंड्स एंड लैक्स ऑफ कलर्स की बनी होती है वाइट लाइट और उन सभी अ जब यह वाइट लाइट स्प्लिट होगी तो उन सभी लाइट को क्या करेगी स्प्लिट कर देगी अपने डिफरेंट कलर्स में स्प्लिट हो जाएगी वाइट लाइट लेकिन प्रॉब्लम क्या है हमें तो यह सिर्फ सात रंग दिखते हैं रेनबो कलर कौन-कौन से वॉयलेट इंडिको ब्लू ग्रीन येलो ऑरेंज रेड हमें सिर्फ और सिर्फ ये सेवन कलर्स ही दिखते हैं तो हमें ऐसा लगता है कि वाइट लाइट जो है ना वो केवल सात रंगों में स्प्लिट होती है जबकि ऐसा नहीं है स्प्लिट तो वो बहुत सारे कलर्स में होती है लेकिन ये जो सात रंग है ना सिर्फ इन सात रंगों की बैंड हमारी आंखें देख पाती हैं तो जो चीज हमारी आंखें देख पाती हैं वही हम देखते हैं ओबवियस सी बात है ना अब एक अंधेरे कमरे में एक पेन रखा हुआ है उसको आप नहीं देख पा रहे हो क्यों क्योंकि उससे रिलेटेड इंफॉर्मेशन आपकी आइस तक नहीं पहुंच रही है ब्रेन तक नहीं पहुंच रही है तो वह चीज हमें विजिबल नहीं है यस और नो इस केस में भी ऐसा ही हो रहा है बहुत सारी लाइट्स में जो हमारी वाइट लाइट है ना यह बहुत सारी लाइट में क्या हो जाती है स्प्लिट होती है बहुत सारी लाइट्स में स्प्लिट होती है लेकिन सभी कलर के जो लाइट्स है उनको हम देख नहीं पाते हम सिर्फ यह जो आपको स्पेक्ट्रम दिख रहा है स्पेक्ट्रम सात कलर का सिर्फ हमारी आंखें इन स्पेक्ट्रम को ही देख पाती है इन सात रंगों को ही देख पाती हैं तो हमेशा ध्यान रखना बच्चों कि ये जो सेवन कलर जो आपकी डेफिनेशन जो आप एट तक पढ़ते आए हो ना कि एक वाइट लाइट स्प्लिट होती है सेवन कलर्स में यह अधूरी है 10थ में आपको लिखना पड़ेगा कि जब एक वाइट लाइट एक ग्लास प्रिज्म से पास होती है तो वह अपने सेवन कंसीट कलर्स में स्प्लिट होती है ठीक है सेवन लिखने का अगर आपको मन कर रहा है तो आप उसको क्या लिखोगे सेवन कंसीट कलर्स में स्प्लिट होती है या सेवन प्राइमरी या डोमिनेंट वर्ड भी आप लगा सकते हो या तो कांस्टीट्यूएंट कलर्स बोल दो या सेवन प्राइमरी कलर्स बोल दो या सेवन डोमिनेंट कलर्स बोल दो आप यह भी बोल सकते हैं किय जो साथ कलर है ना यह इन सभी कलर्स में डोमिनेंट होते हैं इनके बैंड हमारी आंखें देख पाती हैं इसलिए हमें ये सात कलर दिखते हैं और इन सात कलर का जो बैंड होता है ठीक है जो ग्रुप होता है उसे हम क्या कहते हैं बच्चों स्पेक्ट्रम कहते हैं यह क्या है यह है वाइट लाइट का स्पेक्ट्रम स्पेक्ट्रम मतलब क्या जो सेवन कलर जो सेवन रेनबो कलर्स हैं उनका जो बंडल होता है उनका जो ग्रुप होता है उसे हम क्या कहते हैं स्पेक्ट्रम कहते हैं तो डिस्पर्शन तो बस इतना सा ही था मुझे आपको क्या बताना था कि आप क्लास 10थ में जो आपने क्लास एथ में पढ़ी होगी डिस्पर्शन की डेफिनेशन उसको आप अपग्रेड कैसे कर सकते हैं मुझे सिर्फ आपको ये बताना था कि वाइट लाइट जो है ना बहुत सारे कलर्स की बनी होती है और वो जब स्प्लिट होती है तो बहुत सारे कलर्स में होती है लेकिन हमें सिर्फ ये सात कलर दिखते हैं क्यों क्योंकि इन कलर्स की जो बैंड है उनको हमारी आंखें देख पाती हैं इसलिए हमेशा सात कलर दिखते हैं स्पेक्ट्रम दिखता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वाइट लाइट हमारी सिर्फ और सिर्फ सेवन कलर्स में ही स्प्लिट होती हैं जब स्प्लिटिंग होती है तो सेवन कॉन्सिटर कलर्स में सेवन डोमिनेंट या सेवन प्राइमरी कलर्स में होती है और उन कलर्स के ग्रुप को हम क्या कहते हैं स्पेक्ट्रम कहते हैं बस डिस्पर्शन के बारे में मुझे आपको सिर्फ इतना ही बताना था लेकिन अब हम क्या करेंगे हम करेंगे थोड़ी सी रिसर्च कैसी रिसर्च कि आखिर यह डिस्पर्जंस पहले ऑब्जर्व करने वाले कौन थे वही जो हमेशा रहते हैं न्यूटंस के जो लॉज ऑफ मोशन थे वहां से चलते आ रहे हैं हमारे न्यूटन जी तो इसक न्यूटन ने सबसे पहले जो वाइट लाइट का डिस्पर्शन है उन्होंने सबसे पहले इसको डिस्कवर किया था ठीक है हमारा मेरा सवाल आपसे यह है आप लोगों से कि आखिर ये डिस्पर्शन हो क्यों रहा है डिस्पर्शन समझ में आ गया लेकिन हो क्यों रहा है ऐसा क्या है वाइट लाइट में कि वो अपने कांस्टीट्यूएंट कलर्स में जाकर के स्प्लिट हो जाती है जैसे वो प्रिज्म से पास होती है इस चीज को आप बड़े आसानी से समझ सकते हो कैसे आप हो और आपके पांच छह साथी हैं आप जा आप गए हो कहां एक मॉल में ठीक है अब एक दोस्त को आपके लग गई भूख तो उसको जहां पर फूड काउंटर था वह वहां चला गया यह आप थे और यह आपका पूरा आपके साथियों का क्या था ग्रुप था जैसे ही आप लोग मॉल के अंदर गए ठीक है आपके एक फ्रेंड को लग गई क्या भूख वो चला गया कहां जहां पर खाना था फू काउंटर पर चला गया दूसरे दोस्त को याद आया कि अरे थोड़ी सी दवाइयां लेनी थी तो वह कहां चला गया भाई मेडिकल शॉप पर चला गया तीसरे दोस्त को याद आया कि यार मैं तो थक गया हूं थोड़ा सा एक काम करता हूं जा कर के बैठ जाता हूं तो वह कहीं कोई चेयर होगी वहां पर जाकर के बैठ गया चौथे दोस्त को याद आया कि थोड़ी सी ग्रोसरी शॉपिंग करनी थी यार तो वह कहां चला गया ग्रोसरी शॉपिंग करने चला गया अब इस केस में आपको क्या समझ में आया कि आपके दोस्तों की अलग-अलग रिक्वायरमेंट थी उस रिक्वायरमेंट के हिसाब से आप लोग गए तो सब साथ में थे मॉल लेकिन मॉल में जाके क्या हुआ आप लोग डिस्पर्स हो गए स्प्लिट हो गए क्यों क्योंकि आपकी रिक्वायरमेंट्स कैसी थी अलग-अलग थी आप सब दोस्तों की रिक्वायरमेंट अलग-अलग थी किसी को कोई थक गया था तो कोई बैठ गया किसी को दवाई लेनी थी किसी को खाना खाना था किसी को ग्रोसरी शॉपिंग करनी थी तो अलग-अलग जरूरत के हिसाब से क्या हुआ दोस्त आपके स्प्लिट हो गए सिमिलरली ये केस यहां यहां पे भी हो रहा है मेरा जो आपसे सवाल था कि आखिर ये वाइट लाइट का डिस्पर्शन हो क्यों रहा है क्योंकि भाई यह जो कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स निकल रहे हैं ना वाइट लाइट के उनकी जरूरत कुछ ऐसी है कि जैसे ही वह प्रिज्म के बाहर निकलेंगी ना वोह क्या हो जाएंगी अलग-अलग हो जाएंगी यानी कि उनके बीच में लड़ाई हो जाएगी है ना स्प्लिटिंग हो जाएगी वो हो जाएंगी डिस्पर्स ठीक है अब मेरा सवाल आपसे ये है कि आपको ये जो स्पेक्ट्रम मिलता पहला सवाल ये होगा कि डिस्पोज हुआ क्यों दूसरा सवाल ये है कि ये जो स्पेक्ट्रम है ना वो हमें ऐसा का ऐसा क्यों मिलता है कि पहले आएगा वायलेट फिर आएगा इंडिगो ठीक है फिर आएगा ब्लू फिर आएगा ग्रीन फिर आएगा येलो फिर ऑरेंज फिर रेड हमें हमेशा ये वाला बैंड ही क्यों मिलता है फॉर अ चेंज ऐसा नहीं हो सकता है क्या कि ब्लू की जगह हमें मिल जाए वायलेट इंडिगो की जगह मिल जाए हमें ऑरेंज येलो की जगह हमें मिल जाए रेड हमेशा यही बैंड क्यों सामने आता है इसे समझते हैं अब हम कैसे समझेंगे अब क्लास नाथ में आपने अगर पढ़ा होगा अच्छे से साउंड चैप्टर तो उसमें साउंड की स्पीड क्या होती है आपने पढ़ा होगा साउंड की स्पीड होती है लडा * न लडा क्या होता है भाई लडा होता है वेवलेंथ साउंड वेव का जो वेवलेंथ है वो ठीक है फिर इसके बाद में म क्या होता है म होती है फ्रीक्वेंसी साउंड वेव की अब यह जो फार्मूला है ना बच्चों ये सिर्फ और सिर्फ साउंड वेव्स के लिए नहीं यह लाइट रेस के लिए भी एप्लीकेबल है यह क्या था ये साउंड की स्पीड का फार्मूला था लेकिन मैं आपसे कह रही हूं कि यह जो फार्मूला है यह आप लाइट की स्पीड के लिए भी यूज कर सकते हो क्यों क्योंकि लाइट और साउंड वेव्स की प्रॉपर्टीज काफी सिमिलर होती हैं इसीलिए यह जो फार्मूला है साउंड की स्पीड का आप इसको लाइट की स्पीड के फॉर्मूले की जगह भी यूज कर सकते हो तो लाइट की स्पीड का फार्मूला क्या हो जाएगा भाई लडा * न यानी कि लैडा वेवलेंथ हो गई लाइट के रे की और न क्या हो गई लाइट की फ्रीक्वेंसी हो गई अब हमने क्या किया है हमने लिया है एक प्रिज्म उसको रखा है कहां सनलाइट के सामने सनलाइट के सामने जब हम रखेंगे तो जो सन से आ रही होंगी सनलाइट उसकी फ्रीक्वेंसी क्या होगी बच्चों फ्रीक्वेंसी हो जाएगी कांस्टेंट फ्रीक्वेंसी थोड़ी ना चेंज होगी क्यों क्योंकि फ्रीक्वेंसी डिपेंड करती है सोर्स के ऊपर और सोर्स तो हमारा क्या है सेम ही है सोर्स क्या है सन है तो उससे निकलने वाली जो सन रेज होगी सनलाइट होगी उसकी फ्रीक्वेंसी क्या होगी बराबर होगी तो हम एक काम करते हैं हमारा ये जो लाइट की स्पीड का जो फॉर्मूला है ना इससे हम फ्रीक्वेंसी का टर्म जो है ना निकाल देते हैं क्या किया हमने फ्रीक्वेंसी का टर्म हमने निकाल दिया क्यों निकाला क्योंकि भाई लाइट की जो अ फ्रीक्वेंसी होती है वो किस पे डिपेंड करती है लाइट के सोर्स पे डिपेंड करती है सोर्स क्या था हमारा सन था तो उससे निकलने वाली जो सनलाइट होगी उनकी फ्रीक्वेंसी क्या होगी सेम होगी इसलिए हमने लाइट की स्पीड का जो फार्मूला है उससे हमने फ्रीक्वेंसी का टर्म कर दिया है एलिमिनेट अब हमारे पास क्या बचा है भाई हमारे पास बचा है अब लाइट की स्पीड इ इक्वल टू लडा लडा मतलब क्या लाइट की वेलोसिटी आ गई आपको बात समझ में यह क्या है यह है लाइट की स्पीड और यह क्या है यह है वेवलेंथ लडा क्या है भाई वेवलेंथ है किसका लाइट का इतना क्लियर है आप सबको अब हम आगे बढ़ते हैं पहला फार्मूला ये आ गया य से हमको क्या पता चला कि भाई लाइट की जो अ की जो स्पीड होती है वो किसके बराबर होती है लाइट की वेवलेंथ के बराबर होती है ठीक है अब जरा वापस आओ रिफ्रैक्ट पे तो अगर आपको आपने रिफ्रैक्ट अच्छे से पढ़ा होगा तो उसमें मैंने आपको रिफ्रैक्टिव इंडेक्स भी पढ़ाया था रिफ्रैक्टिव इंडेक्स का फार्मूला क्या होता है रिफ्रैक्टिव इंडेक्स का फार्मूला होता है n = c / v अब ये जो हमारा ग्लास का जो प्रिज्म है इसमें से अलग-अलग कलर की लाइट निकल रही है यानी कि इस ग्लास के प्रिज्म का जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स होगा ना व हर लाइट के लिए अलग होगा अभी तक तो हम क्या करते थे सिर्फ एक ही एक लाइट जो है ना निकालते थे प्रिज्म से इसलिए ग्लास का जो अ प्रिज्म जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स होता था वो कांस्टेंट होता था वो एक ही होता था लेकिन अब क्या हो रहा है अलग-अलग कलर की लाइट प्रिज्म से निकल रही है जिसके कारण हर एक कलर की लाइट के लिए प्रिज्म का जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स होगा वो भी क्या हो जाएगा अलग हो जाएगा तो एक काम करते हैं हम दो रेज को लेते हैं एक रे हो गई अपनी एक दो कलर को लेते हैं हम एक कलर लेते हैं हम अपना रेड और दूसरा हम लेते हैं क्या अपना वॉयलेट तो भाई रेड कलर की लाइट के लिए अभी मैंने आपको बताया कि हमारे प्रिज्म से जो स्पेक्ट्रम निकल के आ रहा है सेवन कलर्स का तो हमारे प्रिज्म का जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स होगा वो हर कलर की लाइट के लिए क्या होगा चेंज हो जाएगा अब अगर मैं फोकस कर रही हूं रेड लाइट के ऊपर तो इस रेड लाइट के लिए मेरा जो ग्लास का प्रिज्म है उसका रिफ्रैक्टिव इंडेक्स कितना हो जाएगा रिफ्रैक्टिव इंडेक्स हो जाएगा n आ n आ क्या है रिफ्रैक्टिव इंडेक्स है ग्लास का किस चीज के लिए रेड कलर की लाइट के लिए ठीक फिर इसके बाद में इ इक्वल टू c ये क्या है लाइट की स्पीड है कहां वैक्यूम में भाई सभी लाइट जो होती है सभी टाइप की सभी कलर की लाइट चाहे वो रेड हो ब्लू हो वाइट हो दुनिया में किसी भी कलर की लाइट ले लो वो एक ही स्पीड के साथ ट्रेवल करती है कहां वैक्यूम में या फिर एयर में जैसे ही वो मीडियम में आती हैं तो मीडियम में आकर के उनकी जो स्पीड है वो चेंज हो जाती है ठीक तो अब जो रेड कलर की लाइट है उसकी स्पीड कितनी ले ली हमने v ले ली क्या ले ली हमने v ले ली आई आपको बात समझ में तो अब देखो c तो जो है वो कांस्टेंट ही रहता है तो हम क्या कर करते हैं c को हटा देते हैं अभी इस चीज से तो हमने क्या देखा कि जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स है प्रिज्म का रेड लाइट के लिए वो किसके इवर्स प्रोपोर्शन में है जो रेड लाइट की स्पीड है ग्लास में उसके ठीक है जो रेड लाइट की जो स्पीड है ग्लास में उसके इवर्स रेशियो में है उसके इवर्स प्रोपोर्शन में है अब जरा ये वाला फॉर्मूला देखो इस वाले फॉर्मूले में हमने क्या कैलकुलेट किया था क्या कंक्लूजन की जो स्पीड होती है वो किसके बराबर होती है लाइट वेवलेंथ के बराबर होती है तो भाई जो रेड लाइट की जो स्पीड होगी वेलोसिटी होगी वो किसके बराबर होगी उसके वेवलेंथ के बराबर होगी तो मैं यहां v की जगह क्या लिख देती हूं मैं लिख देती हूं यहां पे 1 अप 1 अप लडा आ लड क्या है वेवलेंथ है रेड लाइट की क्या किया मैंने सबसे पहले मैंने जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स का फार्मूला था वो मैंने कैलकुलेट किया मैंने आपको बताया कि भाई हर एक लाइट के कलर के लिए प्रिज्म का जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स होगा वो क्या होगा अलग हो जाएगा क्यों क्योंकि अभी तक तो हम एक ही टाइप की लाइट जो है ना प्रिज्म से पास करा रहे थे जिसके कारण रिफ्लेक्टिव इंडेक्स ग्लास का या प्रिज्म का बरा सेम था लेकिन अब क्या हो रहा है डिफरेंट कलर्स निकल के आ रहे हैं प्रिज्म से तो हर एक लाइट के कलर के लिए जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स होगा हमारे ग्लास के प्रिज्म का वो चेंज हो जाएगा मैं अभी फोकस कर रही हूं रेड लाइट के ऊपर तो रेड लाइट के लिए जो ग्लास का रिफ्रैक्टिव इंडेक्स है वो कितना हो जाएगा प्रिज्म का n आ फार्मूला क्या होता है रिफ्रैक्टिव इंडेक्स का रिफ्रैक्टिव इंडेक्स = c / v सभी कलर की लाइट्स सेम स्पीड के साथ वैक्यूम या एयर में ट्रेवल करती हैं लेकिन जैसे ही क्या होगा मीडियन चेंज होगा उन सबकी वेलोसिटीज हो जाएंगी चेंज तो इस सी वाला का जो सी टर्म था उसको मैंने कर दिया अपने फॉर्मूला से एलिमिनेट तो फिर क्या हुआ जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स था ग्लास का अ लाइट r के लिए सॉरी लाइट रेड लाइट के लिए वो किसके बराबर हो जाएगा भाई वो हो जाएगा बराबर स्पीड ऑफ रेडलाइट लाइट ठीक है अब क्या करेंगे यह वाला जो फार्मूला था इससे मैंने पता किया था कि लाइट की जो स्पीड होती है वो किसके बराबर होती है लाइट की वेवलेंथ के बराबर होती है तो मैंने इस v आ की जगह क्या रख दिया लडा आ लडा आ क्या है ये है रेड लाइट की वेवलेंथ अब आपको यह तो पता ही होगा कि अगर किसी भी मीडियम का रिफ्रैक्टिव इंडेक्स ज्यादा होता है मतलब क्या वो डेंसर होता है डेंसर होगा मतलब क्या उसमें रिफ्रैक्ट भी होगा ज्यादा रिफ्रैक्ट होगा ज्यादा क्या मतलब बेंडिंग लाइट की क्या होगी ज्यादा होगी ठीक है लाइट की बेंडिंग क्या होगी ज्यादा होगी यह जो रिलेशन है ना इसको फटाफट से अपनी कॉपी में कर लो कॉपी अपनी नोटबुक में कर लो कॉपी और इसके ऊपर कर दो स्टार मार्क यह कभी मत भूलना कि भाई जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स है वो किसके डायरेक्टली प्रोपोर्शनल होता है रिफ्रैक्ट के कि जिस मीडियम का रिफ्रैक्टिव इंडेक्स होगा ज्यादा उस मीडियम में रिफ्रैक्ट होगा ज्यादा यानी कि लाइट की बेंडिंग होगी ज्यादा और मीडियम जो है जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स है किसी भी मीडियम का वो किस पे डिपेंड कर रहा है लाइट की जो वेलोसिटी है या लाइट की जो की जो वेवलेंथ है उस पे ठीक है अब इस पूरे फार्मूले से मैं क्या कंक्लूजन निकाल सकती हूं कि अगर रेड लाइट की जो वेवलेंथ है वो कैसी होगी कम होगी अगर रेड लाइट की वेवलेंथ कैसी हो गई भाई कम हो गई यानी कि जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स होगा ग्लास का रेड लाइट के लिए वो क्या हो जाएगा ज्यादा हो जाएगा ओबवियस सी बात है ना इवर्स प्रोपोर्शन में है यहां वेवलेंथ हो गई रेड लाइट की कम तो ग्लास का जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स होगा रेड लाइट के लिए वो क्या हो जाएगा ज्यादा हो जाएगा ज्यादा हो गया मतलब क्या उधर पे रिफ्रेंनिंग क्या हो जाएगी बच्चों ज्यादा हो जाएगी ठीक है फिर इसके बाद में अगर मैं बोलूं जो मेरा रेड लाइट है उसकी जो वेवलेंथ है वो क्या हो गई ज्यादा हो गई ठीक है रेड लाइट की जो वेवलेंथ है वह क्या हो गई ज्यादा हो गई तो जो मेरा ग्लास का प्रिज्म है उसके उसका जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स है रेड लाइट के लिए वो क्या हो जाएगा कम हो जाएगा रिफ्रैक्टिव इंडेक्स कम हो गया मतलब क्या उसमें रिफ्रैक्ट हो जाएगा कम यानी कि बेंडिंग क्या होगी कम हो जाएगी आई आपको बात समझ में अभी तो यहां पर सिर्फ रेड लाइट के ऊपर चर्चा कर रही थी अब आपको यहां पर जितने भी कलर्स मिल रहे हैं ना उन सबको ले लो ऑरेंज ले लो इंडिगो ले लो येलो ले लो वॉयलेट ले लो जो मन कर रहा है आप ले लो सबके ऊपर यही रूल अप्लाई होगा तो मेरा जो आपसे सवाल था कि आखिर क्यों हमें हमेशा वाइट लाइट की स्प्लिटिंग के दौरान डिस्पोजल के दौरान यह पूरा का पूरा स्पेक्ट्रम हमें मिलता है ऐसा का ऐसा कभी ये नहीं होता कि लाइट्स का जो है ना सीक्वेंस चेंज हो जाए क्यों पूरा खेल है किसका इस फार्मूले का इन सभी लाइट्स की वेवलेंथ का और प्रिज्म का जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स है उसका ठीक है इस डायग्राम को आप ध्यान से देखो यहां पे देखो जो वाइट लाइट आ रही है उसमें से जो ये स्प्लिट होगी जब वाइट लाइट अपने कांस्टीट्यूएंट कलर्स में तो सबसे ज्यादा ऐसा कौन सा कलर है जिसमें रिफ्रैक्ट बहुत ज्यादा हुआ यानी कि बेंडिंग बहुत ज्यादा हुई है तो आप बोलोगे वॉयलेट अभी जब हम रिफ्रैक्ट पढ़ के आ रहे थे ग्लास प्रिज्म के थ्रू उसमें आपने देखा था कि प्रिज्म क्या करता है जो भी इंसीडेंट रे आती है उसको बेस की तरफ क्या करता है रिफ्रैक्ट करता है बेस की तरफ बेंड करता है याद है ना इंसीडेंट रे आ रही थी यहां पे और इमर्जेंट रे निकली थी इधर है ना प्रिज्म के केस में सिमिलरली यहां क्या होता है वाइट लाइट जो आएगी ना उसको ये क्या करेगा ग्लास का प्रिज्म नीचे की तरफ बेस की तरफ क्या करेगा बेंड करने की कोशिश करेगा सबसे ज्यादा नीचे कौन है सबसे ज्यादा नीचे है वॉयलेट कलर यानी कि सबसे ज्यादा बेंडिंग कहां हुई है वॉयलेट कलर पे ही बेंडिंग हुई है बेंडिंग हुई है मतलब क्या रिफ्रैक्ट ज्यादा है यानी कि जो मेरा ग्लास का प्रिज्म है उसका रिफ्रैक्टिव इंडेक्स वॉयलेट कलर के लिए ज्यादा है क्यों ज्यादा है क्योंकि वेव लेंथ कम हो गई आ रही है बात समझ में ये पूरी कहानी पूरी कथा मैंने क्यों सुनाई थी मेरा डिस्पर्शन तो बहुत ही छोटा सा टॉपिक था कि भाई डिस्पर्जंस लाइट जब एक ग्लास प्रिज्म से पास करती है तो वो अपने सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स में स्प्लिट होती है सेवन कॉन्स्टिट्यूशन प्राइमरी कलर्स में या सेवन डोमिनेंट कलर्स में स्प्लिट होती है और वो जो बंडल होता है पूरी अ लाइट का सेवन कॉन्यूट सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स का उस बंडल को हम क्या कहते हैं स्पेक्ट्रम कहते हैं और वो ये बंडल होता है विबग्योर रेनबो कलर्स ठीक है दो सवाल थे मेरे आपसे कि पहला सवाल यह था कि आखिर ये डिस्पर्शन हो ही क्यों रहा है तो आपने बोला कि मैं जो हमारे फ्रेंड्स का आपने एग्जांपल दिया था उससे हमें समझ में आया कि भाई सभी जो लाइट्स है उनकी क्या हो रही है अलग-अलग जरूरत हो रही है उनकी अलग-अलग रिक्वायरमेंट्स है जिसके कारण जैसे ही वो प्रिज्म के बाहर निकलेंगे वो स्प्लिट हो जाएंगी दूसरी चीज क्या कि हमें हमेशा यही वाला बैंड क्यों मिलता है यही वाला स्पेक्ट्रम क्यों मिलता है क्यों इन कलर्स का सीक्वेंस चेंज नहीं हो जाता मुझे पता है कि ये स्पेक्ट्रम हमें क्यों दिख रहा है सेवन कलर्स क्यों दिख रहे हैं मुझे क्योंकि हमारी लाइट केवल इन सेवन कलर्स के बैंड को ही देख पा आती है वरना हमारी जो वाइट लाइट है वो तो बहुत सारे कलर्स में स्प्लिट होती है लेकिन सिर्फ और सिर्फ ये सेवन कलर्स के बैंड को हमारी आंखें देख पाती हैं इसलिए हमें ये स्पेक्ट्रम मिलता है लेकिन स्पेक्ट्रम में कलर्स का जो सीक्वेंस है वो चेंज क्यों नहीं होता वो इसलिए नहीं हो पाता क्योंकि ये जो पूरा फार्मूला दिख रहा है आपको रिलेशन दिख रहा है इस रिलेशन के कारण कि भाई जिस भी लाइट के कलर की वेवलेंथ क्या होगी ज्यादा होगी उस कलर के लिए उस लाइट के कलर के लिए जो ग्लास का प्रिज्म है उसका रिफ्लेक्ट इंडेक्स क्या हो जाएगा कम हो जाएगा यानी कि उसमें रिफ्रैक्ट कम हो जाएगा बेंडिंग कम हो जाएगी उस लाइट की जैसे कि ये जो रेड लाइट है जरा आप इसकी बेंडिंग देखो ग्लास प्रिज्म में काफी कम हो रही है प्रिज्म की ये टेंडेंसी होती है कि जो इंसिडेंट रेज आ रही है ना उसको रिफ्रैक्ट कहां करें नीचे की तरफ करें सबसे कम नीचे कौन है सबसे कम नीचे तो देखो रेड वाली है सबसे कम नीचे मतलब कौन जो सबसे ऊपर है ऊपर कौन है रेड लाइट है क्यों रेड लाइट है क्योंकि इसकी जो वेवलेंथ है ना वो कैसी है ज्यादा है तो ग्लास प्रिज्म का जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स है रेड लाइट के लिए वो कैसा है कम है यानी कि रिफ्रैक्ट होगा कम रेड लाइट का रिफ्रैक्ट हो जाएगा कम वॉयलेट सबसे नीचे क्यों वॉयलेट सबसे नीचे क्योंकि इसकी जो वेवलेंथ है वॉयलेट कलर की लाइट की वो कैसी है कम है जिसके कारण ग्लास प्रिज्म का जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स है वॉयलेट कलर के लिए वो कैसा है काफी ज्यादा है यानी कि रिफ्रैक्ट काफी ज्यादा होगा इसीलिए तो वॉयलेट कलर रिफ्रैक्ट हो कर के बिल्कुल प्रिज्म के नीचे आ गया गया आ रही है बात आपको समझ में आई होप यह आपको क्लियर हुआ होगा बच्चों आप चाहो तो इसका जल्दी से स्क्रीनशॉट भी ले सकते हो कि यह पूरा हमने फॉर्मूला किस तरह से देखा जाए तो ये कभी आपको पूछा नहीं जाता है ठीक है यह फॉर्मूला निकालो यह फॉर्मूला निकालो बस आपको यह रिलेशन हमेशा ध्यान रखना होता है क्लियर है आप सबको आई होप ये चीज आपको समझ में आई होगी चलो अब हम बढ़ते हैं अपने नेक्स्ट टॉपिक पे नेक्स्ट टॉपिक क्या है ये रहे कॉसेस जो मैंने आपको बताया था कि लाइट रेज और डिफरेंट कलर्स ट्रेवल विद सेम स्पीड इन वैक्यूम ए एंड एयर बट इन अदर मीडियम दे ट्रेवल विद डिफरेंट स्पीड एंड बेंड थ्रू डिफरेंट एंगल्स व्हिच लीड्स टू द डिस्पर्शन ऑफ लाइट कि आखिर कॉज क्या है तो अभी-अभी हमने देखा कि वैक्यूम और एयर में तो जो लाइट है डिफरेंट कलर्स की लाइट जो है वो एक एक ही स्पीड के साथ जोना ट्रेवल करेगी लेकिन जैसे ही मीडियम के अंदर आती है किसी भी दूसरे मीडियम के अंदर उनकी वेवलेंथ क्या हो जाती है कम हो जाती है वेवलेंथ कम हो जाए तो क्या होगा अलग-अलग स्पीड के साथ क्या होंगे बाहर निकलेंगे और अलग-अलग एंगल बना कर के निकलेंगे एंगल क्यों अलग बन रहा है वो भी वेवलेंथ के कारण ही बन रहा है क्यों क्योंकि जो ग्लास प्रिज्म का जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स है ना वो चेंज हुआ जा रहा है यह चीज आपको बहुत अच्छे से ध्यान से समझनी होगी बच्चों कि आखिर डिस्पर्शन का कॉज हो क्यों रहा है जो मैंने आपको बताया था कि आप और आपके दोस्त गए हो शॉपिंग मॉल में एक बच्चे को लग गई प्यास तो वो चला गया कहां पानी पीने एक को एक को भूख लग गई तो वो चला गया खाना खाने एक थक गया था तो वो रेस्ट करने लगा दूसरे को शॉपिंग प जाना था यह अलग-अलग स्प्लिट क्यों हो गए बच्चे आपका जो ग्रुप है वो स्प्लिट क्यों हो गया क्योंकि उन बच्चों की रिक्वायरमेंट अलग-अलग थी यहां पे वाइट लाइट से डिफरेंट कंसीट्स कलर्स क्यों निकल के आ रहे हैं क्योंकि डिफरेंट कलर्स की जो स्पीड होती है वैक्यूम में एयर में वो तो बराबर होती है लेकिन जैसे ही ये डिफरेंट कलर्स की एक पर्टिकुलर मीडियम के अंदर आएंगी उनकी वेवलेंथ अलग हो जाती है वेवलेंथ अलग हो गई तो क्या होगा उनकी जो वेलोसिटी है जो स्पीड है डिफरेंट कलर्स की लाइट की वो हो जाएगी चेंज तो अलग-अलग वेलोसिटी के साथ जो है ना बाहर निकल जाएंगे प्रिज्म के और अलग-अलग एंगल बना कर के एंगल किस पे डिपेंड करेगा वो डिपेंड करेगा ग्लास प्रिज्म का जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स होगा उस पर्टिकुलर कलर के लिए लाइट के कलर के लिए उस परे डिपेंड करेगा ठीक है रेड लाइट हैज द मैक्सिमम वेवलेंथ एंड वॉयलेट के पास हम बोलते हैं कि मिनिमम वेवलेंथ होती है इसलिए जो रेड लाइट है वो प्रिज्म से जो है डेविएशन लाइट होगी अ जो कि उसकी वेवलेंथ कैसी है कम है इसलिए हम बोलते हैं कि उसकी जो स्पीड होगी वो भी कम होगी और वो मैक्सिमम डेविएशन टू वेलोसिटी एंड वेलोसिटी इज इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू डेविएशन अगर वो वाला रिलेशन डिफिकल्ट लग रहा हो तो इसको को तो जरूर से याद कर ही लेना कि लाइट की जो वेवलेंथ होती है वो डायरेक्टली प्रोपोर्शनल होती है लाइट की वेलोसिटी के वेलोसिटी इवर्स प्रोपोर्शन में जाती है किसके डेविएशन के ठीक है तो इस टॉपिक में अ हमने वाइट लाइट का डिस्पर्जंस को हम यहीं फिनिश करते हैं नेक्स्ट लेक्चर में हम बात करेंगे वाइट लाइट के र कॉमिनेशन की ठीक है वाइट लाइट के र कॉमिनेशन की बात करेंगे और साथ-साथ में रेनबो फॉर्मेशन भी देखेंगे बड़ा मजा आने वाला है उस सेशन में मिस मत करिए तब तक आप क्या करेंगे हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है magnetbrains.com उसको विजिट कर लेना जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे प्लेलिस्ट में साथ ही साथ सभी टॉपिक्स के होंगे वहां पे आपको नोट्स भी अवेलेबल सो डू विजिट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विद मैग्नेट बन थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन इस लेक्चर में इस सेशन में हम पढ़ेंगे दो टॉपिक्स फर्स्ट टॉपिक होगा आपका रकॉम बिनेशन ऑफ वाइट लाइट और दूसरा होगा रेनबो फॉर्मेशन बच्चों प्रीवियस लेक्चर में हमने पढा था वाइट लाइट का डिस्पर्शन या उसकी स्प्लिटिंग किसमें सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स में अब एक काम करते हैं इस स्प्लिटिंग को कर देते हैं उल्टा उल्टा कर देंगे तो क्या हो जाएगा हमारा यह वाला टॉपिक यानी कि र कॉमिनेशन ऑफ वाइट लाइट तो फर्स्ट जो चीज हमें पढ़नी है फर्स्ट टॉपिक जो हमें पढ़ना है इस लेक्चर में वो क्या होगा रिकॉमिन ऑफ वाइट लाइट दूसरी चीज डिस्पर्शन ऑफ वाइट लाइट का एक बहुत ही सुंदर नेचुरल एप्लीकेशन जिसको हम कहते कते हैं रेनबो तो हम इस लेक्चर में पढ़ेंगे रेनबो फॉर्मेशन भी तो आज के इस लेक्चर का इस सेशन का मैंने टारगेट कर दिया है सेट तो जब भाई टारगेट सेट है तो देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं आज का ये हमारा लेक्चर दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलने वाले हैं बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैग्नेट ब्रेंस आप सब तक पहुंच जा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं आज का यह सेशन आज का यह लेक्चर फर्स्ट टॉपिक के साथ र कॉमिनेशन ऑफ वाइट लाइट के साथ देखो प्रीवियस लेक्चर में हमने पढ़ा था कि किस तरह से एक वाइट लाइट जब एक ग्लास प्रिज्म से पास होती है तो वो अपने सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स में स्प्लिट होती है एक्चुअली वाइट लाइट तो बहुत सारे कलर्स में स्प्लिट होती है लेकिन हमारी ये जो दो सुंदर आंखें हैं ना इन ये क्या करती हैं केवल उन सात रंगों को ही देख पाती हैं उन सात रंगों के बैंड को ही देख पाती हैं इसीलिए हम सोचते हैं कि वाइट लाइट सिर्फ जो है सात कलर में स्प्लिट हो रही है ठीक है लेकिन वो सिर्फ सात में नहीं सेवन कांस्टीट्यूएंट कलर्स में स्प्लिट होती हैं इतना क्लियर है आप सबको वो जो सात कलर का जो बैंड होता है जो ग्रुप होता है उसे हम क्या कहते हैं स्पेक्ट्रम कहते हैं फिर हमारा ये सवाल था हमारी एक क्वेरी थी कि क्यों हमेशा यह स्पेक्ट्रम एक ही सीक्वेंस में मिलता है यानी कि विप ग्यर में ही मिलता है कभी जी की जगह ग्रीन की जगह येलो नहीं ऑरेंज की जगह रेड नहीं ऐसा क्यों नहीं होता और आखिर ये डिस्पर्शन क्यों हो रहा है तो इसका हमने रीजन फाइंड आउट किया था कि भाई हर एक लाइट की कलर का क्या होता है उसकी एक अलग वेवलेंथ होती है अलग वेलोसिटी होती है सभी कलर की लाइट एयर और वैक्यूम में सेम स्पीड के साथ ट्रेवल करती हैं लेकिन जैसे ही वो मीडियम में आती है ना उनकी वेवलेंथ अलग हो जाती है उनकी वेलोसिटी अलग हो जाती है डिफरेंट वेलोसिटी और डिफरेंट वेवलेंथ के कारण क्या होता है जो ग्लास प्रिज्म है उसका रिफ्रैक्टिव इंडेक्स हर एक लाइट के कलर के लिए क्या हो जाता है चेंज हो जाएगा तो ऐसी लाइट जिसकी वेवलेंथ है कम उसके लिए ग्लास प्रिज्म का जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स है वो हो जाएगा ज्यादा यानी कि ग्लास प्रिज्म उस पर्टिकुलर लाइट को क्या करेगा ज्यादा रिफ्रैक्ट करेगा ज्यादा बेंडिंग हो जाएगी इसका मतलब वो जो लाइट का कलर है वो प्रिज्म के नीचे की तरफ आएगा तो वो जो बैंड है जो स्पेक्ट्रम का जो सीक्वेंस है वो क्यों होता है लाइट कलर्स के डिफरेंट वेवलेंथ और वेलोसिटीज के कारण ठीक है एक रिलेशन आपको याद रखना है क्या है वो रिलेशन कि भाई जो वेवलेंथ है जो वेवलेंथ है लाइट की यानी कि आप इसको लैडा भी लिख सकते हो लैडा डायरेक्टली प्रोपोर्शनल होती है किस चीज के वेलोसिटी ऑफ लाइट के और ये वेलोसिटी इन्वर्सली प्रोपोर्शनल होती है किसके डेविएशन के ये रिलेशन हमेशा याद रखना अब एक सवाल है क्या यह चीज मुझे पहले से पता थी मैंने डिस्कवर करी थी ओबवियसली नॉट मैंने भी यह चीज अपनी टीचर से ही सीखी होगी क्या मेरे टीचर ने यह चीज डिस्कवर करी थी वाइट लाइट का डिस्पर्शन बिल्कुल भी नहीं एक्चुअली यह जो डिस्पर्शन हो रहा है ना वाइट लाइट का इसको डिस्कवर करने वाले कौन थे प्रीवियस लेक्चर में मैंने आपको बताया था हमारे इसक न्यूटन लेकिन क्या है ना जब भी कोई अच्छी चीज करो तो लोग आ ही जाते उस अच्छी चीज को रोकने के लिए अपोज करने के लिए बड़े अच्छे से न्यूटन जी ने बोला था कि भाई जो हमारी वाइट लाइट है ना वो स्प्लिट हो जाती सेवन कंसीट कलर्स में जैसे ही वो प्रिज्म से बाहर निकलेगी ग्लास प्रिज्म से लेकिन लोगों ने बोला कि भाई ऐसा कुछ नहीं है यह जो लाइट की जो स्प्लिटिंग है ना वो इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि वाइट लाइट डिफरेंट कलर्स की बनी हुई है बल्कि य स्प्लिटिंग इसलिए हो रही है क्योंकि प्रिज्म के अंदर कोई मैजिक हो रहा है एक्चुअली वाइट लाइट कैसी है वो तो सिंगल ही है जब वो प्रिज्म से निकलती है ना तो प्रिज्म कर देता है कुछ मैजिक जिसके कारण वाइट लाइट स्प्लिट हो जाती है सेवन कलर्स में सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स में तो ये तो न्यूटन जी की थ्योरी के बिल्कुल ही अपोजिट हो गया न्यूटन जी ने तो कहा था कि भाई लाइट बनी होती है डिफरेंट कलर से तो ओबवियस सी बात है जब वो स्प्लिट होगी तो वो डिफरेंट कलर्स में ही तो स्प्लिट होगी ना लेकिन लोगों ने क्या बोला कि नहीं नहीं वो तो एक ही कलर से बनी होती है वो तो प्रिज्म के अंदर कोई जादू है जिसके कारण वो डिफरेंट कलर्स में स्प्लिट हो रही है अब न्यूटन जी ने बोला ऐसे कैसे ये तो गलत बात हो गई पूरी थ्योरी हमारी पूरा कांसेप्ट ही हमारा गलत कर दिया तो उन्होने क्या किया उन्होने एक्सपेरिमेंट किया क्या किया उनने जो है ना अपने पहले वाले प्रिज्म के सामने एक और प्रिज्म रख दिया लेकिन अप साइड डाउन यानी कि उल्टा प्रिज्म रख दिया तो लोगों ने बोला कि ये क्या बात हुई अरे अगर तुमने पहला प्रिज्म ऐसे रखा था तो दूसरे को भी तो इसी तरह से रखना चाहिए ना अपसाइट डाउन रखने का क्या मतलब है तो न्यूटन जी ने बोला कि देखो भाई ऐसा है तुमने जो बोला है हम उसी के अकॉर्डिंग चल रहे हैं तो हमने क्या बोला कि मैजिक कहां हो रहा है प्रिज्म के अंदर हो रहा है वाइट लाइट तो सिंगल ही लाइट है तुमने बोला कि प्रिज्म के अंदर मैजिक है जिसके कारण जैसे ही वाइट लाइट उस प्रिज्म के थ्रू जाएगी वह स्प्लिट हो जाएगी किसमें सेवन कलर्स में अब तुम्हारी इस चीज को प्रूव करने के लिए हम दूसरा प्रिज्म ले करके आए हैं दूसरा प्रिज्म भी अगर तुम्हारे अगर आप लोग की थ्योरी माने तो क्या होना चाहिए जब हम दूसरे प्रिज्म को पहले प्रिज्म के सामने रखेंगे तो ये जो सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स जो स्प्लिट हो रहे हैं ना वो कहां जाएंगे वो जाएंगे दूसरे प्रिज्म के अंदर एज इट इज जाएंगे रेड का रेड वॉयलेट का वॉयलेट येलो का येलो ग्रीन का ग्रीन और बाहर कैसे निकलेंगे बाहर भी कुछ इसी तरह से निकलेंगे क्यों क्योंकि आप तो ये कह रहे हो ना कि प्रिज्म की प्रॉपर्टी होती होती है प्रिज्म की प्रॉपर्टी होती है वाइट लाइट को डिफरेंट उसके कॉन्स्टिट्यूशन उसके कंसीट कलर नहीं वाइट लाइट को स्प्लिट करने की प्रॉपर्टी किसके अंदर होती है प्रिज्म के अंदर होती है है ना लोगों का तो यही कहना था तो उन्होने क्या न्यूटन जी ने क्या बोला कि आप जो कह रहे हैं ना हम उसी के अकॉर्डिंग चल रहे हैं आपने बोला कि भाई प्रिज्म के अंदर मैजिक है प्रिज्म में जैसी वाइट लाइट आई उसके कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स में वो स्प्लिट कर दी प्रिज्म ने अब हमने दूसरा प्रिज्म रख दिया तो आपके अकॉर्डिंग जब यह डिफरेंट कलर की लाइट इस दूसरे प्रिज्म के अंदर जाएंगी तो क्या होगा बाहर कैसे निकलेंगी बाहर भी हम बोलते हैं कि डिफरेंट कलर्स में निकलेंगी डिफरेंट कलर्स और स्प्लिटिंग हो जाएगी पहले तो एक अकेली लाइट की स्प्लिटिंग हो रही थी अब तो इतने सारे कलर्स अंदर जा रहे हैं तो फर्द बहुत सारी स्प्लिटिंग होनी चाहिए ऐसा न्यूटन जी ने उनको बोला है ना इसलिए हमने प्रिज्म उल्टा करके रखा अब प्रिज्म उल्टा क्यों करके रखा जैसे मैं बोल रही हूं मैं जो बोल रही हूं व आपको सुनाई देगा हर हालत में अगर मैं ऐसे खड़ी हूं तो भी देगा अगर मैं ऐसे पीछे घूम के खड़ी हूं तो भी आपको सुनाई देगा अगर मैं अप साइड डाउन हो गई इनवर्टेड हो गई तो भी जोब मैं बोलूंगी आपको सुनाई देगा देगा कि नहीं देगा तो न्यूटन जी ने भी यही रीजन दिया कि हम प्रिज्म को ऐसे रखें या ऐसे रखें या कैसे भी रखें आपके अकॉर्डिंग तो प्रिज्म से निकलने वाली हर एक लाइट को क्या हो जाना चाहिए स्प्लिट हो जाना चाहिए डिफरेंट कलर्स में वाइट लाइट जा रही थी उसको भी जो है ना स्प्लिट कर दिया अब इतनी सारी लाइट रेज जा रही है सेकंड प्रिज्म के अंदर उनको भी क्या कर देना चाहिए स्प्लिट कर देना चाहिए है कि नहीं तो इसलिए हमने उल्टा करके रख दिया प्रिज्म लेकिन जब यह एक्सपेरिमेंट हुआ सबकी बोलती बंद हो गई कैसे बोलती बंद हो गई देखो जरा एक प्रेज में से जब वाइट लाइट आ रही थी वो अपने सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स में स्प्रेड हो गई लेकिन जब यह कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स दूसरे प्रिज्म के पास गए जो कि कैसा रखा हुआ था अप साइड डाउन उल्टा रखा हुआ था फिर क्या हुआ जैसे ही ये कलर्स अंदर गए बाहर कैसे निकले बाहर निकले वाइट लाइट के फॉर्म में यानी कि लोग जो बोल रहे थे ना कि प्रिज्म करता है मैजिक प्रिज्म वाइट लाइट को स्प्लिट कर देता है वो होगा यहां पे रॉन्ग प्रूफ उनके अकॉर्डिंग तो दूसरे साइड से दूसरे प्रिज्म से भी डिफरेंट कलर्स की रेज निकलनी थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ सिर्फ और सिर्फ एक सिंगल वाइट लाइट निकली तो लोगों की बोलती हो गई बंद कि अरे भैया हमने जो पहले अपोज किया था ना न्यूटन जी की थ्योरी का वो बिल्कुल गलत था न्यूटन जी सही कह रहे थे यहां पे क्या हो रहा है बच्चों यहां पे लाइट के डिस्पर्शन का उल्टा हो रहा है उल्टा कैसे हुआ क्योंकि हमने प्रिज्म को उल्टा रख दिया न्यूटन जी जो कह रहे थे ना कि हम तो आप ही के अकॉर्डिंग चल रहे हैं अपोज करने वालों हम तो आप ही के अकॉर्डिंग चल रहे हैं जो जो आप बोलते होते जा रहे हो ना हम तो वो वो करते जा रहे हैं लेकिन कहीं ना कहीं इसके पीछे न्यूटन जी का अपना दिमाग था बुद्धि थी कि अच्छा तुमने हमें चैलेंज किया ना हम बताते हैं उनकी थ्योरी के अकॉर्डिंग वाइट लाइट डिफरेंट कलर्स की बनी होती है जब वो प्रिज्म से जाती है तो रिफ्रैक्ट होता है जिसके कारण डिफरेंट लाइट कलर्स की डिफरेंट वेलोसिटीज और वेवलेंथ के काल कारण वो अलग-अलग अपनी कांस्टीट्यूएंट कलर्स में स्प्लिट हो जाती हैं जब उनके सामने आप एक उल्टा प्रिज्म रख दोगे पहले प्रिज्म के सामने तो चीजें क्या हो जाए उल्टी ही तो हो जाएंगी ना उल्टा प्रिज्म रख दिया तो रिफ्रैक्टिंग सरफेस इस वाले प्रिज्म की जो रिफ्रैक्टिंग सरफेस है वो पहले वाले प्रिज्म के रिफ्रैक्टिंग सरफेस से क्या हो गई ऑपोजिट हो गई तो क्या होगा चीजें जो प्रो जो अभी प्रोसेस चल रही थी वो भी पलट जाएगी उलट जाएगी अभी तक क्या हो रहा था वाइट लाइट स्प्लिट हो रही थी कांस्टीट्यूएंट कलर्स में दूसरा प्रेज में जैसे ही रखा तो जो डिफरेंट कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स है ना वो इकट्ठा हो गए किसमें इकट्ठा हो गए एक वाइट लाइट में इकट्ठा हो गए और इसको ही हम क्या कहते हैं र कॉमिनेशन ऑफ वाइट लाइट आई होप यह चीज समझ में आ गई होगी कि किस तरह से न्यूटन जी ने जो उनको अपोज कर रहे थे कि अरे नहीं तुमको नहीं पता प्रिज्म के अंदर होता है मैजिक ऐसा कुछ नहीं है कि वाइट लाइट डिफरेंट कलर्स की बनी हुई है ऐसा कुछ नहीं है प्रिज्म जो है ना हर लाइट को स्प्लिट कर देता है तो न्यूटन जी ने एक्सपेरिमेंट करके बता दिया कि जरा अब बताओ कि अगर तुम्हारे अकॉर्डिंग प्रिज्म के पास ये प्रॉपर्टी थी कि वो जो भी लाइट उसके अंदर आ रही है उसको वो स्प्लिट कर सकता था डिफरेंट कलर्स में तो जब ये डिफरेंट कलर्स आ रहे हैं दूसरे प्रिज्म में तो इसने क्यों केवल एक ही लाइट में जो है ना एक ही लाइट निकली इस प्रिज्म के बाहर क्यों और डिफरेंट कलर्स में स्प्लिट नहीं कर दिया सेकंड प्रिज्म ने आई गेस ये आपको समझ में आ गया होगा बस इतना ही सा था र कॉमिनेशन ऑफ वाइट लाइट क्या बोलते हैं यहां पे न्यूटन शड दैट द रिवर्स ऑफ डिस्पर्शन ऑफ लाइट इज आल्सो पॉसिबल ही कैप्ट टू प्रिज्म्स क्लोज़ टु ईच अदर वन इन इरेक्ट पोजीशन एंड अदर इन एन इनवर्टेड पोजीशन द लाइट गेट्स डिस्पर्स व्हेन पास्ड थ्रू द फर्स्ट प्रिज्म द सेकंड प्रिज्म रिसीव ऑल द सेवन कलर्स कलर्ड रेज़ फ्रॉम फर्स्ट प्रिज्म एंड कंबाइंस देम टू द ओरिजिनल वाइट लाइट दिस ऑब्जर्वेशन शोज दैट द सनलाइट इज़ मेड अप ऑफ़ सेवन कलर्स इससे क्या समझ में आया कि भैया जो हमारी सूरज की रोशनी होती है ना वह भी किसकी बनी होती है सेवन कलर्स की बनी होती है तो इसी के साथ आज के हमारे लेक्चर का जो आधा पार्ट है जब हमें र कॉमिनेशन ऑफ वाइट लाइट समझना था वह हो गया है कंप्लीट अब हम बढ़ते हैं हमारे दूसरे टॉपिक के ऊपर जिसका नाम है रेनबो फॉर्मेशन एंड लेट मी टेल यू वन थिंग रेनबो फॉर्मेशन बड़ा इजी है बड़ा कमाल का है ठीक है इसको समझने के लिए रेनबो फॉर्मेशन को समझने के लिए मैं चाहती हूं यहां पर आप समझे पहले एक फिनोमेना जिसे हम कहते हैं टी आई आर पहले टी यार समझ लो तो रेनबो फॉर्मेशन समझना जो है ना बिल्कुल बिल्कुल चुटकी बजाने का काम हो जाएगा आपके लिए ठीक है कैसे टीआर क्या होता है टीआई आर का फुल फॉर्म होता है टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन अब आप बोलोगे कि मैम रिफ्रैक्ट पढ़ रहे थे इतनी देर से यह रिफ्लेक्शन कहां से आ गया तो भाई अगर रेनबो फॉर्मेशन समझना है तो आपको पहले टीआई आर समझना पड़ेगा क्या होता है टीआई आर इसको समझ हैं इसके लिए सबसे पहले आपको लेना होगा पानी है ना थोड़ा सा लेना होगा क्या आपको पानी और उसके ऊपर चाहिए होगी आपको क्या हवा यानी कि इस केस में डेंसर मीडियम कौन है हमारा पानी है और रेयरर मीडियम क्या है हवा है अब मैं क्या करूंगी इस पानी के नीचे से टॉर्च जलाऊंगा जलाई है इस टॉर्च से ओबवियस सी बात है इंसिडेंट रेज आएंगी लाइट की ठीक अब क्या होगा आपको पता है कि जब इंसिडेंट रेज डेंसर से रेयरर मीडियम में जाती है तो क्या होता है नॉर्मल से दूर हो जाती हैं अब क्या हुआ एक इंसीडेंट रे आई ये जो सरफेस है ये क्या है ये वो इंटरफेस है जहां पे पानी और हवा मिलते हैं तो जैसे ही पानी से एक इंसीडेंट रे निकल के आई इंटरफेस पे जैसे ही वो दूसरे मीडियम में जाएगी उसका पाथ चेंज होगा कैसा होगा नॉर्मल से दूर हो जाएगा क्यों क्योंकि वो डेंसर से रेर मीडियम में जा रही है तो पाथ बेंड करने के लिए करवाने के लिए एक नॉर्मल भी तो चाहिए है नॉर्मल हम कैसे बनाएंगे इस पॉइंट ऑफ इंसीडेंस पे कुछ नहीं बस एक परपेंडिकुलर लाइन बना देंगे इस इंटरफेस पे इस पर्टिकुलर पॉइंट पे हम देख रहे हैं कि भाई इंसीडेंट रे और नॉर्मल के बीच में तो एंगल है ही नहीं यानी कि एंगल इनके बीच का कितना हो गया एंगल ऑफ इंसीडेंस जीरो है ना क्यों क्योंकि इंसीडेंट रे ने जो दो मीडियम का जो इंटरफेस था पानी और हवा का जो इंटरफेस था उसपे 90° पे स्ट्राइक किया है यानी कि नॉर्मल और इंसीडेंट रे के बीच में एंगल कितना हो गया 0 डिग्री ठीक अब क्या हुआ एक दूसरी इंसिडेंट रे निकल के आई दूसरी इंसिडेंट रे निकल के आई और इसने इंटरफेस को सपोज पॉइंट ए पे स्ट्राइक किया है अब क्या होगा ये भी बाहर निकलेगी कैसे निकलेगी बाहर नॉर्मल से दूर होते हुए क्या करेंगे हम एक काम करते हैं इस पॉइंट ए पे भी क्या बना देते हैं एक नॉर्मल बना देते हैं क्या करते हैं पॉइंट ए पे भी हम बना देंगे एक नॉर्मल इससे क्या होगा कि अब जो हमारी रिफ्रैक्टेड रे है वो कैसे बाहर निकलेगी नॉर्मल से दूर नॉर्मल से दूर कैसे कुछ इस तरीके से कैसे निकली नॉर्मल से दूर यानी कि एंगल ऑफ इंसीडेंस जो है वो छोटा हो गया एंगल ऑफ रिफ्रैक्ट से दिख रहा है एंगल ऑफ इंसीडेंस कितना बना था सपोज यहां पे बना था 20 डिग्री का रिफ्रैक्ट एंगल ऑफ रिफ्रैक्ट कितना बना बन गया 30° का बन गया रिफ्रैक्टेड रे दूर हो गई ना नॉर्मल से अब क्या हुआ एक और इंसिडेंट रे निकली एक और इंसिडेंट निकली और इसने पानी और हवा के इंटरफेस को पॉइंट b पे स्ट्राइक किया है अब इस पॉइंट बी पे भी हम क्या बनाते हैं हम इस पॉइंट b पे भी बना देते हैं एक नॉर्मल फिर क्या होगा फिर से जो रिफ्रैक्टेड रे है वो कैसी निकलेगी नॉर्मल से दूर भागेगी तो ये लो भाग गई दूर अब यहां पे एंगल ऑफ इंसीडेंस मान लो कितने था यहां पे था 35 डिग्री का एंगल ऑफ रिफ्रैक्ट कितना बना एंगल ऑफ रिफ्रैक्ट बन गया 45 डिग्री का आ गई आपको बात समझ में फिर क्या हुआ एक और इंसिडेंट रे निकली एक और इंसीडेंट रे निकाली और इसने पानी और हवा के इंटरफेस को स्ट्राइक किया है पॉइंट सी पे इस पॉइंट सी को भी हम बना देते हैं क्या सी पे भी एक नॉर्मल फिर से इंसिडेंट रे कैसी होगी इंसीडेंट रे जो है नॉर्मल से दूर भागेगी और यह लो और भाग गई अब यहां पे अपना जो एंगल ऑफ इंसीडेंस था वो समझ लो कितने का था सपोज 50 डिग्री का था एंगल ऑफ इंसीडेंस कितना था 50 नहीं हम यहां प 40 40 ले लेते हैं ठीक है एंगल ऑफ इंसीडेंस कितना था 40 डिग्री का था एंगल ऑफ रिफ्रैक्ट कितना बन गया एंगल ऑफ रिफ्रैक्ट बन गया 60 डिग्री का सही है अब एक काम करते हैं हम एक अब लास्ट इंसिडेंट रे लेते हैं ये ले ली हमने एक लास्ट इंसिडेंट रे जिसने कि पानी के इंटरफेस को पानी और हवा के इंटरफेस को पॉइंट बी पे पॉइंट डी पे स्ट्राइक किया है इस पॉइंट डी पे भी हम क्या बना लेते हैं एक नॉर्मल बना लेते हैं ये लो जी बना ली हमने नॉर्मल अब क्या हुआ एक रिफ्रैक्टेड रे निकलेगी रिफ्रैक्टेड रे निकली कैसी कैसी निकली इंटरफेस के अलोंग ही निकल गई नॉर्मल से तो उसको दूर भागना था लेकिन इतनी गजब दूर भागी कि जो पानी और हवा का जो इंटरफेस था ना उसके अलोंग ही भाग गई यानी कि रिफ्रैक्टेड रेने नॉर्मल के साथ कितना एंगल बना लिया 90 डिग्री का सा का एंगल बना लिया ठीक क्या किया जब इंसीडेंट रे ने नॉर्मल के साथ x जब इंसीडेंट रे ने नॉर्मल के साथ कितना एंगल बनाया है एक बनाया है यानी कि एंगल ऑफ इंसीडेंस कितना है अपना x है तब हमने क्या देखा कि रिफ्रैक्टेड रे ने क्या कर लिया 90 डिग्री का एंगल बना लिया रिफ्रैक्टेड रेने नर्मल के साथ ठीक है अब क्या होगा अब काम करते हैं एक और इंसिडेंट बस एक लास्ट इंसिडेंट रे हम लेते हैं एक और हमने इंसीडेंट रे ली है कुछ इस तरीके से इस पॉइंट पर भी हमने क्या बना दिया नॉर्मल बना दिया लेकिन अब जो रिफ्रैक्टेड रे है ना वह क्या होगी वह बाहर नहीं जाएगी यानी कि रिफ्लेक्शन रिफ्रैक्टेड रे को तो मीडियम चेंज करके ऊपर जाना चाहिए था है ना लेकिन यहां पे क्या हुआ यहां तो उल्टा घूम के वापस ही आ गई पानी से ही निकली थी और पानी पे ही वापस आ गई तो क्या ये रिफ्रैक्ट कहलाएगा बिल्कुल नहीं कहलाएगा यह क्या कहलाएगा बच्चों यह कहलाएगा टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन अब ये रिफ्रैक्ट नहीं यह हो गया अपना रिफ्लेक्शन क्या हो गया ये अपना रिफ्लेक्शन हो गया ठीक और इस एंगल को य जो एक्स वाला आपने एंगल निकाला था ना इसी को हम क्या कहते हैं इसी को हम कहते हैं भाई क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसीडेंस क्या कहेंगे क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसीडेंस यानी कि इंसीडेंट रेन ने नॉर्मल के साथ कुछ इस तरीके का एंगल बनाया कि रिफ्रैक्टेड रेन ने नॉर्मल के साथ 90 डिग्री का एंगल बनाया अब अगर इं रे इस क्रिटिकल एंगल के ज्यादा से ज्यादा बड़ा एंगल बनाएगी नॉर्मल के साथ तो अब जो रिफ्रैक्टेड रे होगी ना वो रिफ्रैक्टेड रे नहीं कहलाए गी वो रिफ्लेक्टेड रे कहलाए कीी क्यों क्योंकि इस क्रिटिकल एंगल के बाद रिफ्रैक्ट होगा ही नहीं क्या होगा सिर्फ और सिर्फ रिफ्लेक्शन होगा यानी कि जिस मीडियम से लाइट गई थी उसी मीडियम में वापस आ जानी है इस पूरे फिनोमेना को हम क्या कहते हैं इसे हम कहते हैं टी आ आर फिर से मैं बता देती हूं नीचे था अपना पानी ऊपर था अपना एयर नीचे था डेंसर मीडियम ऊपर था रेयरर मीडियम जब एक लाइट डेंसर से रेडियर मीडियम में जाती है तो वो क्या होती है नॉर्मल से दूर भाग जाती है है ना दूर भाग जाती है यहां पे क्या हो रहा था देखो इंसीडेंट रे एंगल ऑफ इंसीडेंस कितना बना रही थी नॉर्मल के साथ 20° का तो रिफ्रैक्टेड रे ने कितना बना लिया 30° का यानी कि नॉर्मल से दूर भाग रही है वो एंगल ऑफ इंसीडेंस कितना है 35 डिग्री एंगल ऑफ रिफ्रैक्ट कितना है0 55° एंगल ऑफ इंसीडेंस कितना है 40° एंगल ऑफ रिफ्रैक्ट है 60° अब एक एंगल इंसीडेंट रेने कुछ इस तरह का बनाया कि रिफ्रैक्टेड रे ने नॉर्मल के साथ 90° का एंगल बना लिया यानी कि अब वो इंटरफेस के अलोंग ही चली गई रिफ्रैक्टेड रे ठीक फिर दूसरी इंसिडेंट रे आई इस दूसरी इंसिडेंट रे ने क्या किया ये जो x एंगल बनाया था इंसिडेंट रे ने जिसके कारण रिफ्रैक्टेड रे ने 90° का एंगल बनाया नॉर्मल के साथ उससे भी बड़ा उससे भी ज्यादा का एंगल बना दिया इसने नॉर्मल के साथ तो क्या हुआ रिफे हुआ ही नहीं लाइट घूम के वापस पानी में ही आ गई तो ये जो एक एंगल था ना इंसीडेंस का इसको हम क्या कहते हैं क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसीडेंस कहते हैं ये कौन सा एंगल है जब रिफ्रैक्टेड रे बनाती है नॉर्मल के साथ 90 डिग्री का एंगल और अगर आपका कोई भी एंगल ऑफ इंसीडेंस एंगल ऑफ इंसीडेंस इस क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसीडेंस से ज्यादा हुआ उस केस में रिफ्रेश होगा ही नहीं रिफ्लेक्शन हो जाएगा और उस पूरे केस को पूरे फिनोमिना को हम क्या कहते हैं बच्चों टीआई आर कहेंगे आ गई आपको बात समझ में कि जब एंगल ऑफ इंसीडेंस क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसीडेंस से ज्यादा होगा तो रिफ्रैक्ट नहीं होगा रिफ्लेक्शन होगा लाइट सेम मीडियम में वापस आ जाएगी रिफ्रैक्ट नहीं होगी इसका फटाफट से ले लो एक स्क्रीनशॉट ध्यान रखना यह 12वीं में है अभी मैंने आपको समझा दिया क्योंकि हमें रेनबो फॉर्मेशन समझना है टी आई आर समझ में आ गया तो रेनबो फॉर्मेशन कुछ भी नहीं है फटाफट से ले लो इसका स्क्रीनशॉट मैं हो जाती हूं फ्रेम के बाहर ऑन द काउंट ऑफ फाइव आप इसका स्क्रीनशॉट लेंगे सो 5 4 3 2 एंड व आई होप आपने इसका स्क्रीनशॉट ले लिया होगा टी आई आर भी आपको समझ में आ गया होगा अब मैं इसको करती हूं रप अब जो रेनबो फॉर्मेशन है ना बच्चों उस पे आते हैं रेनबो फॉर्मेशन थ्री स्टेप प्रोसेस होती है पहली कौन सी होती है पहली होती है रिफ्रैक्ट दूसरी होती है टीआई आर और तीसरी क्या होती है तीसरी भी होती है रिफ्रैक्ट क्शन के बीच में टीआई आर का बन जाता है सैंडविच कैसे यहां पे मैं एक बनाती हूं क्या बड़ी सी वाटर ड्रॉपलेट अब आप बोलोगे वाटर ड्रॉपलेट कहां से आ गई भाई भाई रेनबो कब दिखता है जब बारिश होती है बारिश होती है मतलब क्या एटमॉस्फियर में प्रेजेंट प्रेंट होते हैं छोटे-छोटे से वाटर ड्रॉपलेट्स और हर एक वाटर ड्रॉपलेट किसकी तरह बिहेव करता है भाई बिहेव करता है प्रिज्म की तरह हर एक छोटा सा छोटा वाटर ड्रॉपलेट बिहेव करेगा प्रिज्म की तरह ठीक है अब क्या हुआ आई क्या सोलर लाइट हमें पता है अभी-अभी हमने पढ़ के आया है कि सन से निकलने वाली जो किरण होती है वो भी कैसी होती है वाइट लाइट होती है अब क्या हुआ जैसे ही सूरज से किरणें आई सन लाइट आई इस वाटर ड्रॉपलेट के पहले सरफेस पे इसने स्ट्राइक किया अब क्या होगा यह कहां से आ रही थी ये आ रही थी सोलर लाइट सनलाइट हवा से गई कहां वाटर ड्रॉपलेट के अंदर यानी कि पानी के अंदर एक कौन से मीडियम से आ रही है ये ये आ रही है एक रेयरर से डेंसर मीडियम में और हर एक वाटर ड्रॉपलेट किसकी तरह बिहेव कर रहा है प्रिज्म की तरह कर रहा है एक्ट यानी कि क्या होगा जैसे ही वाइट लाइट इस प्रिज्म के अंदर जाएगी क्या होगा ये जो वाटर ड्रॉपलेट है ना इसको स्प्लिट कर देगा किसमें इसके सेवन कलर्स में किसमें स्प्लिट कर देगा भाई स्प्लिट कर देगा इस वाइट लाइट को उसके सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स में आई बात आपको समझ में कैसे यह चीज पॉसिबल हुई अभी तक तो हम प्रिज्म के केस में पढ़ रहे थे कि एक वाइट लाइट आई और जब वो प्रिज्म के बाहर निकलेगी तो वो अपने सेवन कंसीट्स कलर्स में स्प्लिट हो कर के निकल जाएगी मैंने आपको बोला कि जब बारिश होती है तो एटमॉस्फियर में प्रेजेंट होते हैं छोटे छोटे से वाटर ड्रॉपलेट और हर एक वाटर ड्रॉपलेट बिहेव करता है किसकी तरह एक प्रिज्म की तरह जैसे ही सन की किरणें आई सनलाइट आई इस वाटर ड्रॉप प्लेट को स्ट्राइक करा तो क्या होगा जैसे ही सनलाइट अंदर जाएगी इस वाटर ड्रॉप पलेट ने सनलाइट को स्प्लिट कर दिया किसम उसके सेवन कंसीट्स कलर में ठीक है अब कायदे से क्या हो जाना चाहिए था इन सभी सेवन कलर्स को बाहर की तरफ स्प्लिट हो जाना चाहिए था है ना बाहर की तरफ की ऐसी निकल जाती लेकिन हो सकता है कुछ अब्जॉर्ब भी हो जाती यानी कि कुछ हो सकती थी क्या रिफ्रैक्ट और कुछ हो सकती थी अब्जॉर्ब लेकिन ऐसा नहीं हुआ अब्जॉर्ब लेकिन ऐसा नहीं हुआ हुआ क्या हुआ यह कि यहां पे हो गया भाई टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन ये जो दूसरा सरफेस था ना वाटर ड्रॉपलेट का जो कि एक प्रिज्म की तरह काम कर रहा था था इसने क्या कर दिया जितने भी ये सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स आ रहे हैं ना वाइट लाइट के सनलाइट के उन सबको टोटली इंटरनली रिफ्लेक्ट कर दिया टीआई आर का फुल फॉर्म क्या होता है टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन ही तो होता है ये जो दूसरा साइड था ना वाटर ड्रॉपलेट का इसने सभी सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स को अंदर ही अंदर टोटली इंटरनली रिफ्लेक्ट कर दिया यानी कि ये जो विप ग्यर है ना ये कुछ दूसरे तरफ इस तरह से आ जाएगा जो दूसरा एंड है वाटर सर वाटर ड्रॉपलेट का उस पे रिफ्लेक्ट हो कर के कुछ इस तरीके से आ जाएगा ऐसे कैसे हुआ टीआई आर कैसे हुआ अभी बताया था मैंने कि जब कोई इंसीडेंट रे एक क्रिटिकल एंगल से बड़ा एंगल बना कर के आती है नॉर्मल के साथ तो रिफ्लेक्शन हो जाता है यानी कि जितनी भी कॉन्स्टिट्यूशन लाइट्स आ रही थी ना सात अलग-अलग कलर की इन्होंने वाटर ड्रॉपलेट के सरफेस पे किस तरह से इंसीडेंट किया कि इनका एंगल ऑफ इंसीडेंस बड़ा हो गया क्रिटिकल एंगल से किससे बड़ा हो गया स यानी कि क्रिटिकल एंगर से बड़ा हो गया इसीलिए रिफ्रैक्ट हो कर के बाहर नहीं निकली ये ना ही ये अब्जॉर्ब हुई क्या हुआ ये टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन हो गया इनका सब की सब अंदर की तरफ रिफ्लेक्ट हो गई आई आपको बात समझ में फिर क्या होगा फिर से हम बोलते हैं कि रिफ्रैक्ट हो जाएगा ठीक है रिफलेक्शन होगा और यह सभी की सभी लाइट्स क्या होंगी बाहर निकल जाएंगी और हमको क्या दिख जाएगा भाई हमको दिख जाएगा रेनबो आई आपको बात समझ में इस तरह से आपको दिख जाएगा रेनबो यह पूरा रेनबो फॉर्मेशन की प्रोसेस थी कहां से हमने स्टार्ट किया हमने भाई टीआई आर से स्टार्ट किया था टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन से कि जब इंसिडेंट रेखा जो जब जब कोई इंसिडेंट रे कुछ इस तरह से अ किसी सरफेस पे यू नो इंसिडेंट हो कि उसका जो एंगल ऑफ इंसीडेंस हो नॉर्मल के साथ वो कैसा हो क्रिटिकल एंगल से ज्यादा हो उस टाइम पे क्या होगा रिफ्लेक्शन हो जाएगा उसे हम कहते हैं क्या टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन अब जो रेनबो फॉर्मेशन है वो थ्री स्टेप प्रोसेस है यानी कि पहले होता है उसमें रिफ्रैक्ट फिर होता है टोटल इंटरनल रिफ्रैक्ट फिर होता है रिफ्रैक्ट लाइट आई इस वाइट लाइट ने क्या क्या किया हमको पता है कि जब बारिश होती है तभी रेनबो दिखता है बारिश होती है तो एटमॉस्फियर में छोटे-छोटे से क्या हो जाते हैं वाटर ड्रॉपलेट्स आ जाते हैं और हर एक वाटर ड्रॉपलेट एक प्रिज्म की तरह काम करेगा ठीक क्या हुआ कि एक वाइट लाइट आई यानी कि सन की किरण आई सन लाइट आई जैसे ही ये सनलाइट इस वाटर ड्रॉपलेट पे स्ट्राइक करेगी एक सरफेस पे इससे क्या होगा क्योंकि हमारा जो वाटर ड्रॉपलेट है वो एक प्रिज्म की तरह काम कर रहा था सनलाइट को वो स्प्लिट कर देगा उसके सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स में ये देखो टिंग हो गई अब कायदे से तो इन अ कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स की लाइट को बाहर निकल जाना चाहिए था रिफ्लेक्ट होना चाहिए था या फिर अब्जॉर्ब हो जाना चाहिए था लेकिन दोनों में से ऐसा कुछ भी नहीं हुआ हुआ क्या ये अंदर ही अंदर रिफ्लेक्ट हो गई क्यों रिफ्लेक्ट हो गई इस टीआई आर के साथ हो गई यानी कि जो सेवन कलर्स की कॉन्सिटर लाइट्स आ रही थी ना ये वाटर ड्रॉपलेट के दूसरे सरफेस पे कुछ इस तरह से इंसीडेंट हुई कि इनका एंगल ऑफ इंसिडेंट क्रिटिकल एंगल से हो गया ज्यादा यानी कि अब रिफ्रैक्ट नहीं होगा है ना कायदे से तो रिफ्रैक्ट होना चाहिए था प्रिज्म से बाहर निकल ये वाटर डबलेट से बाहर निकल जाती लेकिन नहीं निकल पाई क्यों क्योंकि इन सभी डिफरेंट कलर्स की लाइट का जो एंगल ऑफ इंसीडेंट है एंगल ऑफ इंसीडेंस है नॉर्मल के साथ वो कैसा हो गया ज्यादा हो गया इनके क्रिटिकल एंगल के साथ जिसके कारण अंदर ही अंदर क्या हुई ये टोटली इंटरनली रिफ्लेक्ट हो गई रिफ्लेक्ट हो कर के कहां आई भाई रिफ्लेक्ट हो कर के आ गई हमारी वाटर ड्रॉपलेट के पहले वाले सरफेस पे पहले वाले सरफेस पे आई फिर क्या होगा रिफ्रैक्ट होगा और रिफ्रैक्ट हो कर के बाहर निकल जाएंगी जिसकी हेल्प से हमें मिल जाएगा रेनबो आई होप बच्चा लोग आपको यह चीज समझ में आ गई होगी कि किस तरह से टीआई आर होता है और किस तरह से रेनबो का फॉर्मेशन होगा रेनबो फॉर्मेशन में क्या बोलते हैं भाई अ रेनबो इज अ नेचुरल स्पेक्ट्रम अपीयरिंग इन द स्काई आफ्टर अ रेन शार इट इज कॉल्ड बाय द डिस्पोजल ऑफ सनलाइट बाय टाइनी वाटर रॉ पलेट्स प्रेजेंट इन द एटमॉस्फेयर अ रेनबो इज ऑलवेज फॉर्म्ड इन अ डायरेक्शन अपोजिट टू दैट ऑफ द सन ओबवियस सी बात है ना यहां से सन आ रहा है तो रेनबो कहां बनेगा उसके अपोजिट डायरेक्शन में ही तो बनेगा ना क्यों क्योंकि सन यहां है तो उससे निकलने वाली जो सनलाइट है जो वाटर ड्रॉपलेट्स आपको दिख रही होगी यहां पे वाटर ड्रॉपलेट में पड़ेंगी फिर वाटर ड्रॉपलेट से पहली बार रिफ्रैक्ट होगा टीआई आर होगा फिर रिफ्रैक्ट हो कर के कहां बनेगी सन के अपोजिट डायरेक्शन में बनेगी द रिफ्लेक्ट दे रिफ्लेक्ट एंड डिस्पर्स द इंसिडेंट सनलाइट किसकी बात हो रही है दे कौन है यहां पे भाई दे है हमारे वाटर ड्रॉपलेट्स तो वटर ड्रॉपलेट्स क्या करते हैं जो सनलाइट उनके पास आ रही है उसको रिफ्लेक्ट करेंगे डिस्पर्स करेंगे इंसीडेंट रे को एंड देन रिफ्लेक्ट इट इंटरनली एंड फाइनली इसको मैं हटा ई देती हूं फाइनली क्या करेंगे रिफ्रैक्ट कर देंगे अगेन तो सबसे पहले क्या किया इंसीडेंट रेन को अ सनलाइट की वाटर ड्रॉपलेट्स ने रिफ्रैक्ट किया डिस्पर्स किया सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स पे फिर टोटली इंटरनली रिफ्लेक्ट कर दिया टीआई आर फिर इसके बाद में क्या हुआ रिफ्रैक्ट बैक कर दिया एटमॉस्फेयर में जिसके कारण हमें जो है एक रेनबो दिखाई दे गया आई बात आपको समझ में ड्यू टू द डिस्पोज ऑफ द लाइट एंड इंटरनल रिफ्लेक्शन डिफरेंट कलर्स रीच द ऑब्जर्वर्स आई अ रेनबो कैन आल्सो बी सीन ऑन अ सनी डे बाय लुकिंग एट द स्काई थ्रू अ वाटरफॉल और थ्रू अ वाटर फाउंटेन विद द सन बिहाइंड यू आई होप यह चीज आपको समझ में आ गई होगी बच्चों र कॉमिनेशन ऑफ वाइट लाइट समझ में आया होगा रेनबो फॉर्मेशन समझ में आया होगा तो आज के इस लेक्चर को टारगेट को कर लिया है हमने अचीव दोनों ही टॉपिक्स को बड़े पेशेंस के साथ बड़े ही आराम से समझा है आई होप आप इस सेशन को करेंगे एंजॉय अब हम मिलेंगे हमारे नेक्स्ट सेशन में नेक्स्ट लेक्चर में जहां पे अ हम डिस्कस करने वाले हैं लाइट के ही बारे में कुछ और नई बातें कुछ और नए टॉपिक्स हम पढ़ेंगे तो इस लेक्चर के लिए इतना ही मिलेंगे हम अपने नेक्स्ट लेक्चर में तब तक आप क्या करेंगे हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विथ मैग्नेट ब्रेंस थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन अ वेरी गुड मॉर्निंग टू ऑल स्टूडेंट्स आ आज के जितने भी लेक्चर और सेशंस होने वाले हैं ना उसमें हम मचाएंगे धूम अब आप बोलोगे मैम धूम कैसे तो भाई आज जितने भी हमारे लेक्चर है सेशंस है उसमें हम डिस्कस करेंगे कुछ रियल लाइफ इवेंट्स जैसे कि अगर मैं आपसे पूछूं कि स्काई का कलर क्या होता है तो आप बोलोगे ब्लू और यह ब्लू कलर सभी के लिए होगा स्काई का ऐसे नहीं कि दो बच्चों को लगा कि ब्लू है और बाकी तीन चार बच्चों को लगा कि स्काई का कलर क्या है पिंक है तो तो स्काई का कलर ब्लू ही होता है लेकिन जैसे ही सनसेट और सनराइज होता है स्काई का कलर चेंज हो जाता है ऑरेंजिश रेडिश टाइप का दिखने लगता है ऐसा क्यों होता है फिर इसके बाद में हम डिस्कस करेंगे कि जो स्टार्स है वो ट्विंकल करते हैं ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार हम सबने पढ़ी है ये पोयम आखिर स्टार्स ट्विंकल करते हैं तो फिर हमारी जो सेटेलाइट्स हैं जो हमारे प्लेनेट हैं वो क्यों नहीं ट्विंकल करते हैं यह चीजें बच्चों हम सभी ने कभी नाना कभी अपनी लाइफ में एक्सपीरियंस करी है ऑब्जर्व करी है लेकिन कभी दिमाग नहीं लगाया कभी अपने दिमाग में जोर नहीं दिया कि आखिर ये चीजें होती तो है लेकिन होती क्यों है तो ये क्यों होती है इन्हीं सवालों के जवाब हम फाइंड आउट करेंगे आज के हमारे अपकमिंग लेक्चर में सेशंस में लेकिन उसके पहले हमें करना होगा रिवीजन क्या रिवीजन हमने जो भी चीजें पढ़ी है ना कल उन सबको हम करेंगे रिवाइज कैसे रिवाइज करेंगे भाई तो भाई क्वेश्चंस के फॉर्म में यानी कि डीपी क्यूज के फॉर्म में डेली प्रैक्टिस क्वेश्चंस तो आज के इस सेशन में होने वाला है क्या डीपी क्यूज को सॉल्व करना होगा तो इस सेशन का मैंने टारगेट सेट कर दिया है क्या है हमको सॉल्व करने हैं भाई कुछ डेली प्रैक्टिस क्वेश्चंस ताकि हम अपने चैप्टर में आगे बढ़ जाएं पीछे का रिवाइज करके आगे बढ़ जाएं तो ज भाई जब हमारे लेक्चर का इस सेशन का टारगेट हो गया सेट तो फिर देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं आज का ये हमारा सेशन डीपीक्यू सेशन सो दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैग्नेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है एजुकेशन क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं आज का हमारा डीपीक्यू सेशन क्वेश्चन नंबर वन के साथ क्वेश्चन नंबर वन क्या है भाई व्हाट इज डिस्पर्शन डिस्पर्शन क्या है कल हमने पढ़ा था भाई डिस्पर्शन को डिफाइन करने से पहले मैंने आपको एक चीज बताई थी क्या थी वो चीज कि कभी भी डिस्पर्शन को आप स्कैटरिंग मत बोलना डिस्पर्शन अलग चीज है स्कैटरिंग अलग चीज है डिस्पर्शन हमने पढ़ा था कल स्कैटरिंग हम पढ़ेंगे आज जो स्काई का कलर ब्लू रेड ऑरेंज हो रहा है ना अलग-अलग टाइम पे वो पूरी चीज होती है लाइट की सनलाइट की स्कैटरिंग के कारण तो स्कैटरिंग एक अलग चीज है और लाइट का वाइट लाइट का डिस्पर्शन इज डिफरेंट थिंग इस चीज को हम कैसे समझ सकते हैं चलो एक काम करते हैं मैंने आपको एग्जांपल दिया था एक कि आप एक लो कांच का ग्लास ठीक है उसको आप जोर से क्या करो नीचे फेंको फ्लोर पे क्या होगा टूट जाएगा ओबवियस सी बात है कैसे टूटेगा वो अपने छोटे-छोटे ग्लास पार्टिकल्स में टूटेगा ग्लास के कणों में वो टूट जाएगा ठीक है अब दूसरा एग्जांपल पहला एग्जांपल क्या था ग्लास हमने तो दिया दूसरा एग्जांपल मैंने आपको पढ़ाया था डिस्पर्शन के टाइम पे कि आप और आपके दोस्त गए हैं कहां एक मॉल में अब आपके एक दोस्त को क्या हुआ भूख लगने लगी तो वो चला गया फूड काउंटर पे दूसरे दोस्त को क्या हुआ उसको याद आया कि अरे मुझे तो थोड़ी सी दवाइयां लेनी थी तो वो कहां गया फार्मेसी में चला गया तीसरे दोस्त को याद आया कि यार मुझे थोड़ी सी ग्रोसरी शॉपिंग करनी थी तो वो कहां गया ग्रोसरी शॉपिंग करने चला गया आपके चौथे दोस्त को लगा यार कि मैं तो बड़ा थक गया हूं मुझे तो रिलैक्स करना है तो वह क्या हुआ कहीं चेयर थी वहां बैठने चला गया लेकिन क्या यह पॉसिबल नहीं है कि आपके दोस्त अपना अपना काम खत्म करके वापस एक ग्रुप बना ले मतलब जब आप लोग आए थे मॉल के अंदर आप एक ग्रुप में आए थे लेकिन आपके सभी दोस्तों को अपने अपने डिफरेंट काम्स थे तो उन कामों को करने के लिए वह चले गए अलग-अलग डायरेक्शन में लेकिन वापस भी तो आना उनका पॉसिबल है ना अगर मैं आपसे बात करूं पहले एग्जांपल की कि जहां आपने ग्लास को तोड़ा था तो क्या आप वापस उस टूटे हुए कांच के पार्टिकल से ग्लास बना सकते हो नहीं बना सकते एक बार जो ग्लास टूट गया सो टूट गया डिफरेंट अपने छोटे-छोटे पार्टिकल्स में ग्लास पार्टिकल्स में टूट गया तो टूट गया अब आप उसको दोबारा जोड़ करके एक ग्लास नहीं बना सकते तभी तो डांट पड़ती है कांच का ग्लास तोड़ने पर क्यों क्योंकि वो वापस तो ग्लास बन नहीं सकता लेकि लेकिन हां आप और आपके दोस्त जब मॉल में गए हो अपने-अपने काम करने के बाद दोबारा क्या हो सकते हो आप रीयूनाइट हो सकते हो वो चीज पॉसिबल है तो वो जो कांच का ग्लास टूटा है ना दैट इज स्कैटरिंग और जो आप और आपके दोस्त अलग-अलग डायरेक्शंस में चले जाते हो मॉल के अंदर जब आप वापस आ जाते हो अपने-अपने काम खत्म करने के बाद इसे हम कहते हैं क्या डिस्पर्शन तो आई होप आप कभी भी डिस्पर्शन और स्कैटरिंग को अलग-अलग एक साथ एक आप नहीं मानोगे स्कैटरिंग अलग है और डिस्पर्जंस एग्जांपल से मैंने आपको समझाने की कोशिश करी है आई होप ये चीज आपको समझ में आए तो ठीक है डिस्पर्जंस पर्जन के लिए हम बोलते हैं कि स्कैटरिंग ऑफ वाइट लाइट इनटू कंसीट्स कलर भाई अभी-अभी मैंने आपको इतनी पूरी कहानी बताई है कि डिस्पर्शन कभी भी स्कैटरिंग नहीं होता तो हमारा जो फर्स्ट ऑप्शन है आगे तो पढ़ो ही मत कि वाइट लाइट का क्या हो रहा है पहली चीज क्या दिख गई आपको स्कैटरिंग वर्ड दिख गया तो ऑप्शन ए तो हटा ही दो अपने ऑप्शन लिस्ट में से कि डिस्पर्शन कभी भी लाइट की स्कैटरिंग नहीं कहलाता है डिस्पर्शन अलग है और स्कैटरिंग अलग है तो इसलिए ऑप्शन ए तो होने से रहा ठीक है फिर इसके बाद में दूसरा ऑप्शन क्या है भाई स्प्लिटिंग ऑफ वाइट लाइट इनटू ओनली सेवन कलर्स सी क्या है स्प्लिटिंग ऑफ वाइट लाइट इनटू इट्स सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स डिस्पर्शन के लिए हमने बोला था कि सबसे पहले मैंने आपको प्रिज्म बताया था कि प्रिज्म क्या होता है है ना जो 3d स्ट्रक्चर होता है ट्रायंगल का वो हो जाएगा प्रिज्म अब पिस्म में हम बोलते हैं कि अ जो उसका रिफ्लेक्टिंग सरफेस सॉरी जो रिफ्रैक्टिंग सरफेस होता है यानी कि जो लेटरल या जो रेक्टेंगल साइड्स होती है प्रिज्म की वहां पे जब आप एक वाइट लाइट क्या करोगे स्ट्राइक करोगे वो वाइट लाइट अंदर जाएगी प्रिज्म के और बाहर कैसे निकलेगी सेवन बेसिक या प्राइमरी कलर्स में बाहर निकलेगी इसे मैंने क्या नाम दिया था इसे हमने नाम दिया था डिस्पर्शन डिस्पोज क्या होता है जब एक वाइट लाइट एक ग्लास प्रिज्म के अंदर जाती है तो वह बाहर कैसे निकलती है स्प्लिट हो जाती है अपने सेवन प्राइमरी डोमिनेंट या फिर कंसीट कलर्स में अब हमें हमेशा वो सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स ही क्यों देखने को मिलते हैं एक्चुअली वाइट लाइट जो होती है बच्चों वो बहुत सारे कलर्स की बनी होती है लेकिन जब वो स्प्लिट होक के बाहर निकलती है ओबवियस सी बात है ना जिस चीज की वाइट लाइट बनी होगी स्प्लिट हो कर के भी तो उन्हीं कलर्स में निकलेगी ना लेकिन जो बाकी कलर्स है हमें दिखते क्यों केवल सेवन है क्योंकि जो बाकी कलर्स होते हैं बच्चों उनको उन कलर्स की बैंड हमारी आंखें नहीं देख पाती हैं हम उन्हीं चीजों को देख पाते हैं जिनसे रिलेटेड इंफॉर्मेशन हमारी आंखों तक जाए और हमारा ब्रेन उस इंफॉर्मेशन को क्या करे प्रोसेस कर कर बाकी कलर्स हमें नहीं दिख पा रहे हैं क्यों क्योंकि उनके बैंड विजिबल नहीं है हमारी आंखों के लिए हमें सिर्फ और सिर्फ क्या दिखते हैं हमें ये सेवन प्राइमरी या डोमिनेंट कलर्स ही दिखते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वाइट लाइट सिर्फ और सिर्फ इन्हीं कलर्स की बनी होती है वो बहुत सारे कलर्स की बनी होती है जिस चीज की लाइट बनी होगी स्प्लिट होने के बाद वो उन्हीं चीजों में तो क्या हो जाएगी डिस्पर्स हो जाएगी है कि नहीं तो इस सवाल का जवाब क्या होना चाहिए इस सवाल का जवाब होना चाहिए ऑप्शन सी क्यों क्योंकि ऑप्शन बी में बोल रहे हैं कि सिर्फ और सिर्फ सेवन कलर्स में ही वो क्या होती है स्प्लिट होती है सिर्फ सेवन कलर्स में नहीं होती है होती तो वो बहुत सारे कलर्स में है लेकिन हमारी आंखें केवल इन सात अ प्राइमरी कलर्स को देख पाती हैं इसलिए हमें लगता है कि वो सिर्फ सेवन कलर्स में स्प्लिट हो रही है तो इसका ऑप्शन क्या होना चाहिए भाई इसका ऑप्शन होना चाहिए ऑप्शन सी जहां पे डिस्पर्शन क्या है स्प्लिटिंग होती है वाइट लाइट की इनटू इट्स सेवन कॉन्सिटर कलर्स इज दैट क्लियर आपको याद आ रहा होगा फ्लैशबैक में जाओ किस तरह से हमने डिस्पर्शन ऑफ लाइट को अच्छी तरीके से समझा था ठीक है आए बात आपको समझ में चलो अब हम बात करते हैं हमारे नेक्स्ट सवाल की अरे हां एक चीज और है ये जो यहां पे आपको डिस्क दिख रही है न्यूटन ने यह जो पूरा डिस्पोज है वाइट लाइट का इसको डिस्कवर किसने किया था इसक न्यूटन ने किया था उन्होंने अपने एक्सपेरिमेंट को समझाने के लिए क्या किया था एक इस तरह की डिस्क ली थी सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स जो हैं जिसको हम क्या कहते हैं भाई रेनबो कलर्स विप गोर है ना विबग्योर कहते हैं तो इस विबग्योर की बनी हुई उन्होने क्या ली थी एक डिस्क ली थी और इस डिस्क को उन्होने क्या किया बहुत तेजी से घुमाया जब उन्होंने तेजी से घुमाया तो उनको क्या पता चला उन्होने देखा कि सभी के सभी जो विबग्योर हैं वह क्या हो गए डिसअपीयरिंग चले गए कहां चले चले गए तो भाई वो कन्वर्ट हो गए किसमें वाइट लाइट में न्यूटन ने कई सारे एक्सपेरिमेंट करे थे अपनी जो डिस्पर्शन की थ्योरी है वाइट लाइट की उसको प्रूव करने के लिए उनमें से एक एक्सपेरिमेंट तो हमने कल पढ़ा था प्रिज्म वाला कि हमने इनवर्टेड प्रिज में रख दिया था जिसकी वजह से क्या हुआ था हमारी वाइट लाइट रिकंबाइन हो गई थी ठीक और दूसरा एक्सपेरिमेंट क्या था ये डिस्क वाला था उन्होंने विप ग्यर की इस तरह से क्या ली थी एक डिस्क ली थी और इस डिस्क को इन्होंने बहुत तेज से घुमाया जब उन्होंने तेजी से घुमाया तो उन्होंने क्या देखा क्या ऑब्जर्व किया कि जितने भी वियोर है ना ये हो गए डिसअपीयर्ड दिखाई देने लगी ठीक है तो इससे उन्होंने क्या कंक्लूजन आई आपको बात समझ में चलो अब हम बात करते हैं हमारे नेक्स्ट सवाल की नेक्स्ट क्वेश्चन क्या है भाई व्हाट इज द रिफ्रैक्टिव इंडेक्स ऑफ ग्लास प्रिज्म फॉर डिफरेंट कलर्स ऑफ लाइट अब एक सवाल हमने डिस्पोज ऑफ लाइट में पढ़ा था वाइट लाइट में कि जो विबग्योर का जो पैटर्न है ना वो हमेशा उसी पैटर्न में हमें क्यों दिखता है चलो ठीक है हमें यह समझ में आ गया कि जो वाइट लाइट है वो बहुत सारे कलर्स की बनी होती है लेकिन जब वो स्प्लिट होती है तो भी ओबवियस सी बात है वो उन सभी कलर्स में स्प्लिट होगी लेकिन हमें सिर्फ विबग्योर दिखाई देते हैं क्यों क्योंकि उन कलर्स की बैंड हमारी आंखों तक पहुंचती है वो हमारे लिए विजिबल है लेकिन वो जो सीक्वेंस होता है ना विब ग्यर विब ग्यर क्या-क्या होता है इसमें वॉयलेट इंडिगो ब्लू ग्रीन येलो ऑरेंज रेड हमें हमेशा यही सीक्वेंस क्यों मिलता है क्यों नहीं हमेशा हमें कभी येलो की जगह ग्रीन दिख गया ब्लू की जगह ऑरेंज दिख गया रेड की जगह वॉयलेट दिख गया ऐसा क्यों नहीं होता वो इसलिए क्योंकि कौन रिस्पांसिबल है इनकी इन सभी डिफरेंट कलर की लाइट्स की वेवलेंथ रिस्पांसिबल है आखिर यह लाइट की स्प्लिटिंग हो ही क्यों रही थी क्यों डिस्पर्शन हो रहा था भाई अच्छा खासा हमारा प्रिज्म था उस परे जो है ना एक वाइट लाइट आ रही थी जबरदस्ती जो है ना हमारी जो लाइट थी वो किसम स्प्लिट हो गई डिफरेंट कलर्स में स्प्लिट हो गई ठीक है सवाल ये कि स्प्लिटिंग हुई क्यों है आप और आपके दोस्त जब मॉल तो अलग-अलग डायरेक्शंस में क्यों चले गए क्योंकि आप सबकी अलग-अलग रिक्वायरमेंट्स थी किसी को भूख लगी थी किसी को पानी पीना था किसी को रेस्ट करना था किसी को शॉपिंग करनी थी सिमिलरली ये जो वाइट लाइट के जो डिफरेंट कलर्स हैं सेवन कंसीट कलर्स हैं ये प्रिज्म से बाहर निकल के स्प्लिट क्यों हो गए क्योंकि मैंने आपको बताया था कि जब डिफरेंट कलर की लाइट्स एयर में और वैक्यूम में ट्रेवल करती हैं तो सभी क्या करती हैं सेम स्पीड के साथ ट्रैवल करती हैं हवा में यह वाइट लाइट की फॉर्म में कैसी आ रही थी क्योंकि इन सभी डिफरेंट कलर्स की स्पीड क्या थी सेम थी तो एयर में यह एक ही स्पीड के साथ आ रही थी लेकिन जैसे ही ये कहां गई ग्लास प्रिज्म के अंदर गई ग्लास प्रिज्म मतलब क्या मीडियम चेंज हो गया इस मीडियम चेंज के कारण क्या हुआ यह अपनी अपनी वेलोसिटी के साथ क्या हो गई बाहर निकल के आ गई ठीक है तो पहला रीजन क्या है पहला जो हमने डिस्पर्जंस पर्जन होता क्या है वाइट लाइट जब एक ग्लास प्रिज्म के अंदर जाएगी तो अपने सेवन कांस्टीट्यूएंट कलर्स में स्प्लिट हो जाती है लेकिन ये स्प्लिटिंग क्यों हो रही है क्योंकि भैया जब वो वाइट लाइट जब ये सभी कलर्स कहां ट्रेवल कर रहे थे एयर में ट्रेवल कर रहे थे वैक्यूम में ट्रेवल कर रहे थे उन सबकी वेलोसिटी कैसी थी सेम थी सेम वेलोसिटी के साथ जा रहे थे इसीलिए सब के सब क्या हुए एक साथ जा रहे थे लेकिन जैसे ही ये वाइट लाइट कहां पहुंची ग्लास प्रिज्म के अंदर पहुंची ग्लास प्रिज्म के अंदर क्या हुआ मीडियम चेंज हो गया तो ये जितने भी कंस्ट न कलर्स की लाइट है वो अपनी अपनी वेलोसिटी के साथ क्या हुई प्रिज्म के बाहर आ गई किसी की वेलोसिटी ज्यादा थी किसी की वेलोसिटी कम थी अगर ज्यादा थी तो वो प्रिज्म के पहले निकल आई जिसकी कम थी वो थोड़ी देर बाद निकली इस इसकी वजह से जो वाइट लाइट है हमारी उसकी क्या हो गई स्प्लिटिंग हो गई प्रिज्म से निकलने के बाद ग्लास प्रिज्म से निकलने के बाद पहली चीज फिर दूसरी चीज ये कि हमेशा हमें यही वाला पैटर्न क्यों नहीं क्यों देखने को मिलता है सीक्वेंस चेंज क्यों नहीं होता तो मैंने आपको एक रिलेशन याद रखने के लिए क्या था क्या था वह रिलेशन कि भाई जो अ रिफ्रैक्ट है जो रिफ्रैक्ट प्रोपोर्शनल होता है भाई वह इवर्स प्रोपोर्शनल होता है लाइट की वेवलेंथ के रिफ्रैक्ट प्रोपोर्शन में होता है लाइट के वेवलेंथ के ठीक है सबसे ऊपर हमें कौन सी लाइट मिलती है सबसे ऊपर मिलती है हमें रेड लाइट कौन सी लाइट मिलती भाई हमें मिलती है सबसे ऊपर एक रेड लाइट रेड लाइट क्यों मिलती है भाई जरा दिमाग लगाओ मैंने आपको बताया था कि जो प्रिज्म होता है वह हमेशा लाइट को अपने बेस की तरफ रिफ्रैक्ट होने के लिए मजबूर कर देता है और सबसे बेस में कौन है सबसे बेस में है हमारी वायलेट लाइट और सबसे ऊपर कौन है हमारी रेड लाइट ऐसा क्यों हुआ वो हुआ इस रिलेशन के कारण यह वाइट लाइट आ कहां से रही है यह आ रही है स लाइट से तो सनलाइट से निकलने वाली सभी रेज की फ्रीक्वेंसी क्या होगी सेम होगी एक फार्मूला मैंने आपको बताया था v = लडा * न्य यहां पे v क्या है यह है लाइट की स्पीड लैडा क्या है लाइट की वेवलेंथ और म क्या है लाइट की फ्रीक्वेंसी तो फ्रीक्वेंसी क्या होगी भाई यहां पे कांस्टेंट होगी सभी के लिए क्योंकि सोर्स क्या है सभी लाइट का सनलाइट है फिर इसके बाद में वेलोसिटी इज इक्वल्स टू क्या वेवलेंथ अब इन सभी डिफरेंट कलर की जो लाइट्स है इन सभी की क्या है अपनी अपनी नी वेलोसिटी है इसके कारण क्या हुआ इन सभी की अपनी-अपनी क्या है एक वेवलेंथ है तो जिस लाइट की वेवलेंथ होगी कैसी कम उसका रिफ्रैक्ट होगा ज्यादा सबसे ज्यादा रिफ्रैक्ट रिफ्रैक्ट मतलब होता क्या है लाइट की बेंडिंग यहां पे सबसे ज्यादा बैंड कौन हो रहा है सबसे ज्यादा हो रहा है बैंड हमारा यहां पे वॉयलेट कलर इसका रिफ्रैक्ट वॉयलेट कलर का सबसे ज्यादा है इसका मतलब क्या कि इसकी जो वेवलेंथ है वो कैसी हो गई कम हो गई रेड कलर में जो रिफ्रैक्ट है वो सबसे कम है इसका मतलब क्या इसकी वेवलेंथ क्या है ज्यादा है यानी कि वो लाइट ऐसी कलर्ड लाइट जिसकी वेवलेंथ क्या है ज्यादा है उसका रिफ्रैक्ट कैसा हुआ प्रिज्म में कम हुआ वो लाइट का कलर जिसकी वेवलेंथ क्या है कम है उसका रिफ्रैक्ट कैसा हो गया ज्यादा हो गया इसी वजह से हमें हमेशा डिस्पर्शन में यही ग्यर का पैटर्न सीक्वेंस देखने को मिलता है कभी ऐसा नहीं होगा कि वॉयलेट की जगह पहले रेड निकल आई या ऑरेंज निकल आई या ग्रीन की जगह पहले ब्लू निकल आया आई आपको बात समझ में इसी के साथ हमने डिस्पर्शन टॉपिक रिवाइज कर लिया दो ही क्वेश्चंस में ठीक है डिस्पर्शन क्या होता है वाइट लाइट बहुत सारे कलर्स की बनी होती है तो ओबवियस सी बात है जब वो ग्लास प्रिज्म में जाएगी तो स्प्लिट क्या होगी उन्हीं डिफरेंट कलर्स में होगी लेकिन हमारी आंखें सिर्फ उसकी जो सात बेसिक या डोमिनेंट कांस्टीट्यूएंट कलर्स हैं उन्हीं को देख पाते हैं इसलिए हमें लगता है कि जो वाइट लाइट है वो किसमें स्पेट हो रही है सेवन कांस्टीट्यूएंट कलर्स में स्प्लिट हो रही है स्प्लिटिंग क्यों होती है भाई क्योंकि ये जो जितने भी कलर्ड लाइट्स थी ये एयर और वैक्यूम में तो एक ही स्पीड के साथ ट्रेवल करती हैं लेकिन जैसे ही ये कहां पहुंची अ ग्लास प्रिज्म में पहुंची मीडियम अलग हो गया तो अपनी-अपनी अलग-अलग वेलोसिटी के साथ जो है निकल के प्रिज्म के बाहर आ गई इसलिए स्प्लिट हो गई वाइट लाइट हमेशा विबग्योर का पैटर्न हमें सीक्वेंस यही क्यों देखने को मिलता है क्योंकि यह जो सीक्वेंस है ना ये इस रिलेशन पे बेस्ड होता है लाइट की जो वेवलेंथ होती है वो इवर्स प्रोपोर्शन में होती है उसके रिफ्रैक्ट से जिस लाइट की वेवलेंथ होगी कम उसका रिफ्रैक्ट होगा ज्यादा जिस लाइट की वेवलेंथ होगी ज्यादा उसका रिफ्रैक्ट होगा कम यहां पे हमसे क्या पूछा गया था व्हाट इज द रिफ्रैक्टिव इंडेक्स ऑफ ग्लास प्रिज्म फॉर डिफरेंट कलर्स ऑफ लाइट तो क्या होगा भाई डिफरेंट फॉर ऑल सभी कलर्ड लाइट्स के लिए हमारे ग्लास का बेसिकली जो रिफ्रैक्ट है रिफ्रैक्ट को आप किससे बोल सकते हो रिलेट कर सकते हो मैंने आपको बताया था आप रिलेट कर सकते हो उसको रिफ्रैक्टिव इंडेक्स के साथ रिफ्रैक्ट को आप किससे रिलेट कर सकते हो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स के साथ जिस मीडियम का रिफ्रैक्टिव इंडेक्स होगा ज्यादा उसमें रिफ्रैक्ट भी होगा क्या ज्यादा जिस मीडियम का रिफ्रैक्टिव इंडेक्स ज्यादा उस मीडियम में होगा तो यहां पे हमसे क्या पूछा जा रहा है कि भाई रिफ्रैक्टिव इंडेक्स हमारे ग्लास प्रिज्म का डिफरेंट लाइट्स के लिए क्या होता है तो आपका आंसर होना चाहिए डिफरेंट फॉर ऑल क्यों क्योंकि सभी लाइट्स की वेलोसिटी क्या है अलग-अलग है सभी लाइट्स की वेवलेंथ क्या है अलग-अलग है ठीक है रिफ्रैक्टिव इंडेक्स का फॉर्मूला होता था क्या n = c / v अब अगर मैं बोलूं कि हमारे पास सेवन कलर की लाइट्स आ रही हैं तो रेड लाइट के लिए भाई सी तो सेम होता है लाइट की स्पीड इन एयर या वैक्यूम तो हमेशा सेम होती है तो इस सी को अगर मैं हटा भी दूं तो भी कुछ जाएगा नहीं मेरा तो मैंने क्या देखा रिफ्रैक्टिव इंडेक्स किसके इवर्स प्रोपोर्शन में आ गया है लाइट की वेलोसिटी के इवर्स प्रोपोर्शन में आ गया है अब अगर यहां पे वेलोसिटी मैंने लिखी है किस चीज की मैंने लिखी है वेलोसिटी रेड लाइट की तो जो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स होगा रेड लाइट का रेड लाइट के लिए ग्लास प्रिज्म का वो अलग हो जाएगा फिर अगर मैं लिखूं यहां पे वेलोसिटी ऑफ ब्लू कलर की लाइट तो रिफ्रैक्टिव इंडेक्स ऑफ ग्लास प्रिज्म फॉर ब्लू लाइट वो भी क्या हो जाएगा अलग हो जाएगा ठीक है तो इस सवाल का जवाब क्या होगा ऑप्शन सी कि रिफ्रैक्टिव इंडेक्स जो होता है ग्लास प्रिज्म का सभी कलर के लाइट्स के लिए क्या होगा अलग-अलग होगा आई होप ये चीज आपको समझ में आई होगी थर्ड क्वेश्चन क्या है स्टेट द रिलेशन बिटवीन रिफ्रैक्ट एंड वेवलेंथ ऑफ़ द लाइट ये तो अभी-अभी हमने पढ़ा था क्या होता है भाई रिफ्रैक्ट इज इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू द वेवलेंथ ऑफ दी लाइट तो ऑप्शन बी होना चाहिए आपका आंसर ठीक है चलो अब हम बात करते हैं फोर्थ सवाल की फोर्थ क्वेश्चन क्या है भाई व्हाट इज द एंगल ऑफ डेविएशन एंगल ऑफ डेविएशन क्या होता है भाई एंगल बिटवीन नॉर्मल एंड इमर्जेंट रे एंगल बिटवीन इंसीडेंट रे एक्सटेंडेड फॉरवर्ड एंड इमर्जेंट रे एक्सटेंडेड बैकवर्ड्स एंगल बिटवीन टू लेटरल सरफेस ऑफ प्रिज्म या फिर बोथ बी एंड c याद करो सबसे पहले हमने क्या पढ़ा था कल हमने जो लेक्चर की स्टार्ट करी थी वो कहां से करी थी हमने करी थी एक प्रिज्म के साथ हमने प्रिज्म का स्ट्रक्चर पढ़ा था क्या होता है प्रिज्म का स्ट्रक्चर भाई एक ट्रायंगल लो उसको पीछे की तरफ खींच दो बन जाएगा क्या प्रिज्म यानी कि जो थ्री डायमेंशन स्ट्रक्चर होता है ट्रायंगल का उसी को हम क्या कहते हैं प्रिज्म कहते हैं प्रिज्म के पास दो ट्रायंगुलर सरफेस होते हैं और तीन क्या होते हैं रेक्टेंगल सरफेस होते हैं सभी सरफेस आपस में क्या होते हैं झुके हुए होते हैं इंक्लाइंड होते हैं दो लेटरल सरफेस जैसे यह है अपना क्या प्रिज्म ठीक है इसके पास क्या है भाई इसके पास है यह रहा एक ट्रायंगुलर सरफेस यह रहा दूसरा ट्रायंगुलर सरफेस इसके पास तीन रेक्टेंगल सरफेस भी होते हैं एक बेस में एक इधर वाला और तीसरा अपोजिट वाला फिर इसके बाद में सभी के सभी सरफेस आपस में झुके होते हैं इंक्लाइंड होते हैं पर्टिकुलर एंगल पे दो लेटरल या दो रेक्टेंगल सरफेस के बीच का जो एंगल होता है उसे हम क्या कहते हैं उसे हम कहते हैं एंगल ऑफ प्रिज्म ये जो ग्रीन कलर से मैंने मार्क किया है ये क्या है एंगल ऑफ प्रिज्म है किसके बीच का एंगल है दो रेक्टेंगल सरफेस जो होती हैं उनके बीच के एंगल को हम क्या कहते हैं एंगल ऑफ प्रिज्म कहते हैं ठीक है तो भाई यहां पे जो ऑप्शन सी है ना ये तो बिल्कुल ही गलत हो गया ऑप्शन सी क्या बोल रहा है एंगल बिटवीन टू लेटरल सर्फेसेज ऑफ़ द प्रिज्म वो तो हमने अभी बोला है कि भाई दो लेटरल सर्फेसेज के बीच का जो एंगल होता है वो तो एंगल ऑफ प्रिज्म कहलाता है तो फिर वो एंगल ऑफ डेविएशन कैसे हो सकता है बिल्कुल गलत अगर सी गलत है तो ऑप्शन डी भी गलत हो जाएगा क्यों क्योंकि सी गलत है तो ऑप्शन डी में आने वाला जो ऑप्शन सी है वो भी गलत है तो ऑप्शन डी भी गलत बचा क्या एंगल बिटवीन नॉर्मल एंड इमर्जेंट रे भाई नॉर्मल और इमर्जेंट रे के बीच का जो एंगल होता है उसको तो हम एंगल ऑफ इमरजेंस कहते हैं वो एंगल ऑफ डेविएशन कैसे हो सकता है तो ये ऑप्शन भी गलत बचा कौन सा ऑप्शन है भाई एंगल बिटवीन इंसीडेंट रे एक्सटेंडेड फॉरवर्ड एंड इमर्जेंट रे एक्सटेंडेड बैकवर्ड ये ऑप्शन है सही ये मैंने आपको प्रूफ भी करके बताया था कैसे प्रूफ करके बताया था भाई फिर से देख लो ये हमने क्या किया था प्रिज्म लिया था एक लिया था फिर इसके बाद में मैंने आपसे क्या बोला था एक इंसिडेंट लेकर के आओ इंसिडेंट रे लेकर के जैसे ही आप आए क्या होगा इंसिडेंट रे एयर से कहां जा रही है ग्लास के अंदर जा रही है रेयरर टू डेंसर मीडियम जा रही है तो क्या होगा लाइट की बेंडिंग होगी कहां बेंडिंग होगी टुवर्ड्स दी नॉर्मल ठीक है टुवर्ड्स दी नॉर्मल बेंडिंग होगी अगर इस चीज को मैं और ऐसे बना देती हूं ये आ रही है क्या एक इंसिडेंट रे ठीक है इस पर्टिकुलर पॉइंट पे मैंने क्या बनाया एक नॉर्मल बनाया मेरी जो इंसिडेंट रे है अगर यहां पे रिफ्रैक्ट नहीं हो रहा होता तो इंसीडेंट रे जाती कहां कुछ इस डायरेक्शन में लेकिन जो कि मीडियम चेंज हो गया लाइट की बेंडिंग होनी पड़ेगी बेंडिंग कहां होगी नॉर्मल के तरफ तरफ होगी ठीक है नॉर्मल कहां है भाई नॉर्मल इधर है तो मेरी इंसीडेंट रे कहां बेंड हो जाएगी इंसीडेंट रे बेंड हो जाएगी कुछ इस तरफ ठीक है अब क्या होगा ये जो रे है ये कहां जाएगी ये जाएगी वापस हवा में यानी कि ग्लास से ये कहां जाएगी हवा में जाएगी डेंसर टू रेयरर मीडियम जाएगी फिर से क्या होगा रिफ्रैक्ट होगा मीडियम चेंज होगा लाइट की बेंडिंग होगी अब कैसी बेंडिंग होगी नॉर्मल से दूर होगी तो एक काम करते हैं इस पॉइंट पे भी हम क्या बनाते हैं एक नॉर्मल बनाते हैं ठीक है अगर रिफ्रैक्ट नहीं हो रहा होता तो मेरी लाइट कहां जाती कुछ इस तरह जाती लेकिन रिफ्रैक्ट हो गया जिसके कारण मेरी जो रे है वो नॉर्मल से और दूर भागेगी दूर भागेगी तो आपको कुछ इस तरह की एक इमर्जेंट रे देखने को मिलेगी ठीक है ये जो ब्लू कलर से मैं बना रही हूं ये क्या है एंगल ऑफ इमरजेंस है क्यों क्योंकि इमर्जेंट रे और नॉर्मल के बीच का ये एंगल है अब क्या करते हैं हम हम इस इमर्जेंट रे को कहीं पीछे की तरफ खींच के लेके जाते हैं और लाइट जब इंसीडेंट हुई थी जिस टाइम पे प्रिज्म पे अगर कि रिफ्रैक्ट नहीं हो रहा होता तो मेरी इंसीडेंट रे कौन सा पाथ फॉलो करती ये वाला फॉलो करती तो इंसीडेंट रे जिसको हमने आगे की तरफ खींचा है और इमर्जेंट रे जिसको हमने बैकवर्ड खींचा है दोनों एक पॉइंट पे मिल रही हैं और दोनों एक एंगल बना रही हैं उस एंगल को ही हम क्या कहते हैं एंगल ऑफ डेविएशन जो हमें बता रहा है कि हमारी इमर्जेंट रे एक्चुअली कितना डेविएशन अपने ओरिजिनल पाथ से हमारी जो इमर्जेंट रे है वो अपने ओरिजिनल पाथ से कितना डेविएशन जो कि किसके बीच में होता है इंसीडेंट रे जिसको हमने आगे की तरफ एक्सटेंड किया है और इमर्जेंट रे जिसको हमने पीछे की तरफ एक्सटेंड किया है क्लियर है आपको चलो अब हम बात करते हैं हमारे अगले सवाल की अगला सवाल क्या है स्टेट द वैल्यू ऑफ क्रिटिकल एंगल भाई क्रिटिकल एंगल का केस हमने कहां पढ़ा था क्रिटिकल एंगल का केस हमने पढ़ा था कहां रेनबो फॉर्मेशन में रेनबो फॉर्मेशन कैसे होता है तीन स्टेप प्रोसीजर होता है भाई सबसे पहले होगा रिफ्रैक्ट आईआर फिर होता है रिफ्रैक्ट टीआई आर क्या होता है टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन कैसे समझाया था मैंने आपको मैंने आपको समझाया था कि सबसे पहले हमने क्या लिया था पानी लिया था ठीक है हमने लिया था पानी ऊपर थी क्या हवा फिर इसके बाद में पानी के नीचे से मैं क्या कर रही हूं एक एक टॉर्च मैंने जला कर के रखी है इस टॉर्च को मैं अलग-अलग एंगल्स पे क्या कर रही हूं रोटेट कर रही हूं अब सबसे पहले जब मेरी टॉर्च यहां थी तो इंसीडेंट रे कहां गई इधर गई ठीक है कहां गई इस पॉइंट पे गई ये लाइन क्या है भाई ये लाइन है इंटरफेस इंटरफेस मतलब क्या जहां पे पानी और हवा मिल रहे हैं दो अलग-अलग मीडियम मिल रहे हैं उस जगह को हम क्या कहते हैं इंटरफेस कहते हैं तो टॉर्च से निकलने वाली पहली इंसिडेंट रे ने क्या किया इंटरफेस पे पॉइंट ए पे स्ट्राइक किया अब क्या होगा मीडियम चेंज होगा यानी कि लाइट की बेंडिंग होगी कहां होगी डेंसर से रेयरर मीडियम में जा रही है यानी कि नॉर्मल से दूर जाएगी लेकिन नॉर्मल तो बनाना पड़ेगा ना नॉर्मल कैसे बनेगा परपेंडिकुलर लाइन बना दो पॉइंट ए पे तो हम क्या देख रहे हैं कि भाई इंसीडेंट रे और नॉर्मल के बीच का एंगल तो है ही नहीं जीरो एंगल है एंगल ऑफ इंसीडेंस क्या हो गया जीरो हो गया ठीक है अब क्या हुआ हम दूसरे एंगल पे लेकर के गए दूसरे एंगल प जब हमने लेके गए इंसीडेंट रे को तो रिफ्रैक्टेड रे जो है ना कुछ इस तरह से मिली दूसरा एंगल बना लिया इसने नॉर्मल के साथ अलग बना लिया फिर तीसरी इंसीडेंट रे गई फिर से क्या हुआ रिफ्रैक्टेड रे बाहर निकली अलग एंगल बना लिया फिर इसके बाद में एक ऐसी इंसीडेंट रे आई जिसके कारण क्या हुआ हमारी जो रिफ्रैक्टेड रे थी ना उसने नॉर्मल के साथ 90 डिग्री का एंगल बना लिया तो एक ऐसा एंगल ऑफ इंसीडेंस जिसके कारण रिफ्रैक्टेड रे नॉर्मल के साथ 90 डिग्री का एंगल बना ले बच्चों उसे हम क्या कहते हैं उस पर्टिकुलर एंगल को हम कहते हैं क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसीडेंस क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसीडेंस यानी कि इंसिडेंट रे नॉर्मल के साथ कुछ इस तरह का एंगल बनाती है कि रिफ्रैक्टेड रे नॉर्मल के साथ 90 डिग्री का एंगल बना ले उसे हम कहते हैं क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसीडेंस और ये एंगल कितना भी हो सकता है अब जो भी इंसीडेंट रे आएगी अगर उस इंसीडेंट रे ने नॉर्मल के साथ इस क्रिटिकल एंगल से ज्यादा का एंगल बना लिया तो क्या होगा रिफ्रैक्ट नहीं होगा लाइट जो है वापस उसी मीडियम में ट्रैवल करके आ जाएगी यानी कि रिफ्लेक्शन हो जाएगा रिफ्लेक्शन में होता क्या है लाइट सेम मीडियम में ही तो ट्रैवल करती है ना वो तो रिफ्रैक्ट होता है जहां पे मीडियम चेंज हो जाता है लाइट का लेकिन यहां क्या हो रहा है यहां पे देखो एंगल ऑफ इंसीडेंस जो है वो क्रिटिकल एंगल से हो गया है ज्यादा जिसके कारण लाइट बाहर नहीं गई मीडियम चेंज नहीं किया उसने अपना वो वापस कहां आ गई उसी मीडियम में आ गई जिसके कारण क्या हुआ रि रिफ्लेक्शन हो गया रिफ्रैक्ट नहीं हुआ तो हमसे यहां पे पूछा क्या जा रहा था स्टेट द वैल्यू ऑफ क्रिटिकल एंगल तो भाई क्रिटिकल एंग एंगल की कोई वैल्यू नहीं होती है कोई भी वो एंगल ऑफ इंसीडेंस जिसके कारण रिफ्रैक्टेड रे क्या बना ले 90° का एंगल बना ले नॉर्मल के साथ उसे हम कहते हैं क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसीडेंस तो आपका आंसर होना चाहिए ऑप्शन डी ऐसा नहीं है कि 6 45° के एंगल पे जो है ना रिफ्रैक्टेड रे नॉर्मल के साथ 90 डिग्री का एंगल बना ले या 60 डिग्री एंगल ऑफ इंसीडेंस पे रिफ्रैक्टेड रे 90 डिग्री का एंगल बना ले नॉर्मल के साथ कोई भी ऐसा एंगल हो सकता है वो डिपेंड करेगा कि भाई आपने मीडियम कौन सा लिया है सॉर्टेड आ गई आपकी बात समझ में चलो अब इसके बाद में हम बात करते हैं हमारे क्वेश्चन नंबर सिक्स की सिक्स क्वेश्चन हमसे क्या बोल रहा है भाई स्मॉल ड्रॉपलेट्स इन एटमॉस्फेयर बिहेव एज भाई हमने टीआई आर तो पढ़ लिया टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन क्या होता है भाई लेकिन उसका रेनबो फॉर्मेशन में सिग्निफिकेंट क्या है हमने बोला था कि रेनबो फॉर्मेशन जो है थ्री स्टेप प्रोसेस होती है पहला क्या होता है भाई पहला होता है रि रिफ्रैक्ट ठीक है फिर इसके बाद में आती है कौन हमारी टीआई आर प्रोसेस फिर इसके बाद में दोबारा आता है क्या रिफ्रैक्ट कई किताबों में फर्स्ट वाले जो रिफ्रैक्ट है उसको डिस्पर्शन भी लिखा रहता है ठीक है इसको आप डिस्पर्शन भी बोल सकते हो और यह बिल्कुल भी गलत नहीं है कैसे ये थ्री स्टेप प्रोसेस आपको याद है इसी तरह का फ्लोचार्ट हमने कल भी बनाया था पहला क्या हो गया रिफ्रैक्ट या डिस्पर्शन फिर दूसरा होगा टीआई आर फिर थर्ड होगा क्या रिफ्रैक्ट बनाते हैं एक बड़ी सी वाटर ड्रॉप बनाते हैं ठीक है यह क्या है एक वाटर ड्रॉपलेट है भाई रेनबो हमेशा हमें बारिश के टाइम पे ही क्यों देखने को मिलता है क्योंकि जब जब बारिश होती है तो एटमॉस्फियर में प्रेजेंट होती है छोटी-छोटी क्या वाटर ड्रॉपलेट्स और हर एक वाटर ड्रॉपलेट क्या होती है एक छोटे प्रिज्म की तरह बिहेव करती है ठीक है हर छोटी-छोटी वाटर ड्रॉप पलेट किसके समान बिहेव करेगी एक छोटे प्रिज्म के समान बिहेव करेगी अब मैंने यहां पे क्या बनाई है एक वाटर ड्रॉपलेट बनाई हुई है ठीक है अब क्या हुआ सनलाइट आई सनलाइट आई जिसके पास हमें पता है सनलाइट क्या होती है सनलाइट होती है एक वाइट लाइट यानी कि हमारी सनलाइट भी क्या है एक वाइट लाइट है वो किसकी बनी हुई है बहुत सारे कलर्स की बनी हुई है किसकी बनी हुई है बहुत सारे कलर्स की बनी हुई है और जब वो स्प्लिट होगी तो किसम होगी बहुत सारे कलर्स में होगी लेकिन हमें दिखाई कौन देगा भाई हमें दिखाई देता है सिर्फ और सिर्फ उसके सेवन डोमिनेंट या प्राइमरी कलर जो कि है विबग्योर यह मैंने बनाई है क्या एक बड़ी सी वाटर ड्रॉपलेट इसके ऊपर आ रही है कौन सनलाइट सनलाइट क्या है एक वाइट लाइट है जो कि बहुत सारे कलर्स की बनी होती है ठीक और जब ये बहुत सारे कलर्स किसी प्रिज्म में जाते हैं तो स्प्लिट हो जाते हैं क्योंकि इन सबकी अलग-अलग वेलोसिटी होती है ठीक लेकिन दिखते हमें कौन है सिर्फ विबग्योर ही दिखते हैं क्यों क्योंकि इनकी जो बैंड है वो हमारी आंखों तक पहुंचती है तो ये कलर्स हमें दिखाई देते हैं ये कौन से कलर हैं ये कलर है हमारी वाइट लाइड के सेवन डोमिनेंट या कंसीट एंट कलर्स इज दैट क्लियर अब क्या हुआ अब देखो वाइट लाइट आ रही है सनलाइट आ रही है बाहर क्या है भाई बाहर तो है हवा लेकिन इंसीडेंट रे कहां जा रही है हमारी सनलाइट पानी के अंदर जा रही है यानी कि मीडियम हो जाएगा चेंज जब मीडियम चेंज होगा तो क्या होगा रिफ्रैक्ट होगा ठीक अभी-अभी मैंने आपको क्या बताया कि हर एक छोटी सी ड्रॉपलेट पानी की किसकी तरह बिहेव करती है प्रिज्म की तरह बिहेव करती है जब एक वाइट लाइट प्रिज्म के अंदर जाती है तो वो अपने सेवन कांस्टीट्यूएंट कलर्स में स्प्लिट हो जाती है तो क्यों नहीं ये सनलाइट जब इस छोटी सी वाटर ड्रॉपलेट के अंदर जाएगी तो स्प्लिट नहीं होगी क्या बिल्कुल होगी किसमें होगी अपने जो सेवन कंसीट कलर्स है उसमें जाकर के ये स्प्लिट हो जाएगी इतना क्लियर है आपको अपने सेवन कांस्टीट्यूएंट में कलर्स में जाकर के ये हो जाएगी स्प्लिट स्प्लिट हो कर के कहां पहुंची जो दूसरा सरफेस था वाटर ड्रॉपलेट का वहां पहुंच गई अब क्या होगा अब होगा टी आर टीआई आर मतलब क्या होता है एक ऐसा फिनोमिना जिसमें कि इंसीडेंट रे कुछ इस तरह से इंसीडेंट होती है कि उसका जो एंगल है वो एंगल ऑफ क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसीडेंस से ज्यादा हो जाता है जिसके कारण जो जो रिफ्रैक्टेड रे है वह कैसी हो जाती है वह दूसरे मीडियम में नहीं जा पाती है वो उसी मीडियम में वापस आ जाती है यानी कि वो रिफ्रैक्टेड रे नहीं कहलाती वो कहलाती है क्या रिफ्लेक्टेड रे और वो पूरी प्रोसेस क्या कहलाती है रिफ्रैक्ट नहीं रिफ्लेक्शन टीआई आर होता क्या था यही तो एक फिनोमेना होता था जहां पे इंसीडेंट रे नॉर्मल के साथ क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसिडेंट से ज्यादा एंगल बनाती थी जिसके कारण वो इंसीडेंट रे मीडियम के बाहर नहीं जाती थी मीडियम के अंदर ही रिफ्लेक्ट हो जाती थी टोटली इंटरनली रिफ्लेक्ट हो जाती थी यहां पे भी क्या हो रहा है ये जितने भी सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स आ रहे हैं वाइट लाइट के रिफ्लेक्ट होकर करके यह क्या होंगे यह मीडियम के बाहर नहीं जाएंगे प्रिज्म में तो क्या हो रहा था कि वाइट लाइट आती थी और प्रिज्म के बाद प्रिज्म के बाहर क्या होता था कि सभी की सभी ये लाइट्स बाहर निकल आती थी लेकिन इस केस में ऐसा नहीं होगा हमारी वाटर ड्रॉपलेट भले ही एक प्रिज्म की तरह काम कर रही हो लेकिन ये जो सेवन कांस्टीट्यूएंट कलर्स है ना ये अभी बाहर नहीं निकलेंगे क्यों नहीं निकलेंगे क्योंकि जितने भी कलर्ड लाइट्स है ना ये हमारी वाटर ड्रॉपलेट के सरफेस पे कुछ इस तरह से इंसीडेंट हुई है कि इनका जो एंगल ऑफ इंसीडेंस है वो क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसीडेंस से ज्यादा बन गया है क्या बोला मैंने कि जितनी भी कलर्ड लाइट्स आ रही हैं बच्चों हमारी वाटर ड्रॉपलेट्स के दूसरे सरफेस पे वो कुछ इस तरह से आ रही है कि उनका जो एंगल ऑफ इंसीडेंस है वो क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसीडेंस से हो गया है ज्यादा ज्यादा हो गया है जिसके कारण क्या होगा ये मीडियम के बाहर नहीं जाएंगी मीडियम के अंदर ही होंगी मीडियम के अंदर क्या होंगी रिफ्लेक्ट हो जाएंगी रिफ्लेक्ट हो कर के कहां पहुंचेंगी भाई रिफ्लेक्ट हो करके पहुंच जाती है हमारी वाटर ड्रॉप पलेट के दूसरे सरफेस पर कहां पहुंच जाएंगी वटर ड्रॉपलेट के दूसरे सरफेस पर पहुंच जाएंगी ठीक है पहुंच गई है दूसरे सरफेस प पहले वाले सरफेस प अब क्या होगा अब होगा फिर से रिफ्रैक्ट्स है ना यह आ जाएंगी बाहर रेनबो बन के ठीक है तो पहले क्या हुआ था रिफलेक्शन हुआ था वाइट लाइट जो है अंदर जा रही थी तो क्या होगा डिस्पर्स हो जाएगी क्यों क्योंकि हमें जो हमारी एटमॉस्फेयर में जो छोटी-छोटी वाटर ड्रॉपलेट्स होती हैं वो बिहेव करती हैं स्मॉल प्रिज्म की तरह तो जैसे ही वाइट लाइट प्रिज्म के अंदर गई अपने सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स में स्प्लिट हो गई लेकिन स्प्लिट होके ये वाटर ड्रॉपलेट के बाहर नहीं निकल जाएंगी क्यों क्योंकि इन सभी कलर्ड लाइट्स का जो इ जो एंगल ऑफ इंसीडेंस है वो क्रिटिकल एंगल ऑफ इंसीडेंस से हो गया है ज्यादा जिसके कारण जो इंसिडेंट रे है वो मीडियम के बाहर नहीं जाएगी मीडियम के अंदर ही रिफ्लेक्ट हो जाएगी जिसे हम क्या कहते हैं टो इंटरनल रिफ्लेक्शन सभी के सभी अ जो सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्ड लाइट्स हैं वो टोटली इंटरनली रिफ्लेक्ट हो गई है टीआई आर हो गया है रिफ्लेक्ट होने के बाद कहां पहुंची वटर ड्रॉपलेट के पहले वाले सरफेस पे फिर वहां से रिफ्लेक्ट हो कर के बाहर निकल जाएंगी और हमें रेनबो देखने को मिल जाएगा ठीक है तो इस सवाल का जवाब आपको पता चल गया होगा क्या होता है भाई सभी जो वाटर ड्रॉपलेट्स होती है एटमॉस्फियर में वो बिहेव करती हैं स्मॉल प्रिज्म की तरह ठीक है चलो अब हम बात करते हैं हमारे नेक्स्ट सवाल की नेक्स्ट सवाल क्या है सनलाइट क्या है अभी-अभी मैंने आपको बताया कि सनलाइट क्या होती है भाई हमारी एक वाइट लाइट होती है यानी कि हमारी सनलाइट भी बहुत सारे कलर्स की बनी होती है जब वो प्रिज्म से पास होगी ग्लास प्रिज्म से तो क्या होगा वो स्प्लिट हो जाएगी अपने कंसीट कलर्स में लेकिन हमें कौन दिखेंगे सिर्फ और सिर्फ विबग्योर दिखेंगे क्यों क्योंकि उन कलर्स की बैंड हमारी आंखों तक पहुंच पाती है इज दैट क्लियर फिर इसके बाद में क्वेश्चन नंबर एट क्या है कि हाउ रेनबो फॉर्मेशन टेक्स प्लेस तो इसमें वही थ्री स्टेप प्रोसेस आपको बतानी है पहली स्टेप क्या है रिफ्रैक्ट हो रहा है टीआई हो रहा है और फिर क्या हो रहा है रिफ्रैक्ट ठीक है दूसरा क्या है रिफ्लेक्शन हो रहा है टीआर हो रहा है रिफ्रैक्ट हो रहा है बिल्कुल गलत पहली बार में तो रिफ्रैक्ट होता है डिस्पोज होता है रिफ्लेक्शन नहीं होता है तीसरा केस क्या है रिफ्रैक्ट टीआई आर रिफ्लेक्शन बिल्कुल भी नहीं तीसरी बार में भी क्या होता है रिफ्रैक्ट होता है कलर्ड लाइट जो है एक मीडियम से दूस मीडियम में आ जाती है वाटर ड्रॉपलेट से हवा में आ जाती है तो वो रिफ्लेक्शन थोड़ी कहलाएगा रिफलेक्शन होता है तो ऑप्शन सी भी गलत फोर्थ क्या है टीआर हमने पहले रख दिया ये तो सबसे गलत है टीआई आर तो कहां होगा ड्रॉपलेट के अंदर ही होगा तो यहां पे सबसे सही ऑप्शन कौन सा है भाई सबसे सही ऑप्शन है हमारा ऑप्शन ए जहां पे हमें देखने को मिल रहा है कि सबसे पहले रिफ्रैक्ट होगा देन टी एंड देन फाइनली रिफ्रैक्टेड होगी बच्चों क्वेश्चन नंबर नाइन क्या है स्टेट द नेम ऑफ द प्रोसेस यह प्रोसेस आपको दिख रही है इसका आपको नाम बताना है क्या नाम हो सकता है भाई लाइट की स्कैटरिंग क्या मैंने आपको अभी लाइट की स्कैटरिंग पढ़ाई है बिल्कुल नहीं पढ़ाई तो ये ऑप्शन तो बिल्कुल ही गलत है ठीक है दूसरा क्या है डिस्पर्शन ऑफ लाइट यहां पे मुझे डिस्पर्शन ऑफ लाइट तो होते हुए दिख रहा है लेकिन न्यूटन ने क्या किया था अपने जो अपोनेंट्स थे उनको सबक सिखाने के लिए उन्होने एक एक्सपेरिमेंट किया था जहां पे उन्होंने उल्टा प्रिज्म रख दिया था उल्टा प्रिज्म रखने के कारण क्या हुआ दोनों ही प्रिज्म की जो रिफ्रैक्टिंग सरफेस है वो वो क्या हुई एक दूसरे के ऑपोजिट आ गई जिसके कारण क्या हुआ जो सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स बने थे एक वाइट लाइट से जब वो दूसरे प्रिज्म में गए तो वो क्या हो गए रिकंबाइन हो गए रिकंबाइन हो रहा है यहां पे तो प्रोसेस भी कौन सी होगी भाई र कॉमिनेशन ऑफ ही तो होगी वाइट लाइट की पहले इसमें क्या हो रहा है पहले उसमें डिस्पर्शन हो रहा है दूसरे में क्या हुआ इसक न्यूटन ने एक्सपेरिमेंट किया था उल्टा प्रिज्म रख दिया था जिसके कारण सभी की सभी सेवन कांस्टीट्यूएंट कलर्स क्या हो गए थे रिकंबाइन हो गए थे और रिकंबाइन हो करके क्या बनाया था उन्होंने वाइट लाइट बनाया था तो ये कौन सी प्रोसेस है ये प्रोसेस है हमारी प्रोसेस सी ऑप्शन सी र कॉमिनेशन ऑफ वाइट लाइट आ गई आपको बात समझ में चलो अब हम बात करते हैं हमारे आज के आखिरी सवाल की यह सवाल था बच्चों का कमेंट सेक्शन में कि मैम हमारे पास दो आंखें क्यों होती है क्यों नहीं हमारे पास एक ही आंख होती है है ना या अगर भगवान जी को आंख हमें एस गिफ्ट देनी थी तो थोड़ी सी ज्यादा दे देते चार पांच दे देते दो ही क्यों होती है सभी ह्यूमन बीइंग्स के पास सभी लिविंग ऑर्गेनिस्ट यह हमारी दो ही आंखें क्यों होती है तो इसका एक रीजन है क्या रीजन है एक्चुअली एक नहीं दो रीजन है पहला रीजन क्या है भाई पहला रीजन होता है हमारा जो विजन की जो फील्ड है पहला क्या है फील्ड ऑफ विजन क्या है फील्ड ऑफ विजन दूसरी दूसरा रीजन क्या है दूसरा है डिस्टेंस और डेप्थ परसेप्शन ठीक है डिस्टेंस या फिर डेप्थ परसेप्शन क्या है यह भाई दोनों रीजन आप बोलोगे कि मैम आपने तो नाम लिख दिए समझाया ही नहीं अभी रुको समझाते हैं फीड विजन से क्या मतलब है हमारे पास जो दो आंखें हैं ना उससे हम हॉरिजॉन्टल 180 का 180 डिग्री का डिस्टेंस देख पाते हैं 180 डिग्री एंगल प डिस्टेंस देख पाते हैं कैसे मैं अपने लेफ्ट में भी देख पा रही हूं मैं अपने राइट में भी देख पा रही हूं दोनों आंखों से यानी कि 180 डिग्री का 180 डिग्री के एंगल पे मैंने जो भी चीजें रखी होंगी उन सबको मैं देख पा रही हूं अगर लेफ्ट साइड में ये पेन रखा हुआ तो बिना मैं अपने नेक को रोटेट करे आंखों को ही मैं क्या करूंगी बेंड करूंगी और मैं देख लूंगी कि भाई लेफ्ट साइड में क्या रखा है एक पेन रखा है इधर पर अगर मैं रखूं पेन तो भी मुझे यह पेन दिख जाएगा यानी कि वन हॉरिजॉन्टल 180 डिग्री के एंगल पे जो भी ऑब्जेक्ट रखा होगा उसे मैं देख सकती हूं क्यों क्योंकि मेरे पास दो आंखें हैं एक काम करो यह एक्सपेरिमेंट आप घर पर करके देख सकते हो मैं भी करके दिखा देती हूं लेकिन वो एक्सपेरिमेंट तो मेरे लिए होगा ना आपके लिए क्या होगा एक काम करो अपनी एक आंख को जो है ना कवर कर लो और सिर्फ एक आंख से देखो आपको सिर्फ और सिर्फ 150 डिी के एंगल पर ही दिखेगा अभी तक आपकी फील्ड क्या थी विजन की दोनों आंखों से 180° थी यहां का भी ऑब्जेक्ट दिख रहा है यहां का भी ऑब्जेक्ट दिख रहा है हां जो चीजें पीछे रखी है वो नहीं दिखती आपको लेकिन जैसे आप अपनी एक आंख बंद करोगे ना आपको कम दिखाई देने लगेगा कम मतलब यह नहीं कि विजन कैसा हो गया है ब्लरी हो गया है ब्लर्ड दिखने लगी है चीजें नहीं जो फील्ड है आपकी विजन की व हो जाएगी कम कितनी रहेगी केवल एक आंख से जब आप देखोगे तो 150 रहेगी यानी कि 30° का जो एंगल है वह कम हो गया दोनों आंखों से आपको 180° दिखाई दे रहा था और एक आंख से आपको सिर्फ 150° दिखाई के का ही डिस्टेंस जो है ना दिखाई देता है यानी कि चेंज कितना हो गया चेंज हो गया 180 डिग्री - 150 डिग्री दैट इज 30 डिग्री का विजन लॉस हो जाता है समझे तो पहला रीजन क्या है दो आंखों का कि भाई दोनों आंखों से 180 डिग्री दिखाई दे रहा था फील्ड क्या थी विजन की 180 डिग्री थी लेकिन जैसे ही हम अपनी एक आंख बंद करते हैं तो हमें सिर्फ और सिर्फ 150 डिग्री का ही रह जाता है हमारा विजन का फील्ड यानी कि हमें 30 डिग्री जो डिस्टेंस है 30 डिग्री का जो एंगल है उसपे उसपे रखी ई कोई भी ऑब्जेक्ट हमें दिखाई नहीं देता ठीक है अब दूसरा होता है डिस्टेंस या फिर डेप्थ परसेप्शन इसका क्या मतलब है अब देखो जब भी मैं किसी ऑब्जेक्ट को देखती हूं तो मेरी दोनों आंखें उसी ऑब्जेक्ट को देखते हैं ऐसा नहीं है कि मेरे सामने ये पेन रखा हुआ है तो मेरी लेफ्ट आई देखेगी इस पेन को और राइट आई देखेगी किसी दूसरे ऑब्जेक्ट को अगर मैं किसी भी ऑब्जेक्ट को देख रही हूं तो मेरी दोनों ही आंखें क्या कर रही है उस ऑब्जेक्ट को देख रही हैं अब हर आंख के पास क्या होता है एक कॉर्निया होता है लेंस होता है रेटीना होता है लेफ्ट आई के पास भी कॉर्निया लेंस रेटीना होगा राइट आई के पास भी कॉर्निया लेंस रेटीना होगा यानी कि हर एक ऑब्जेक्ट की मेरे आंखों में दो इमेज बन रही है है ना क्योंकि दो दो लेंसेशन है तो वो लेंसेशन आई क्या करेगी लेफ्ट आई इस ऑब्जेक्ट की लेफ्ट रेटीना पे इमेज बनाएगी और राइट आई क्या करेगी इस ऑब्जेक्ट की राइट आई पे राइट रेटीना पे इमेज बनाएगी यानी इमेज कैसी बन गई दो बनी कैसी बनी रियल इनवर्टेड लेकिन दिखाई तो मुझे हमेशा ये एक ही पेन देगा ऐसा नहीं है कि दो आंखें दो इमेजेस बन रही है रेटीना पे तो मुझे ये मेरा पेन भी कैसा लगे दो ही दिखाई दे नहीं दिखाई तो मुझे क्या दे रहा है दिखाई तो मुझे मुझे एक ही चीज दे रही है ऐसा क्यों हुआ क्योंकि आईज का काम क्या होता है आइस का काम होता है इंफॉर्मेशन लेना इंफॉर्मेशन उन्होने ले ली किसको दी ब्रेन को जा कर के दी ब्रेन ने क्या किया लेफ्ट और राइट आई ने जो दो इमेजेस बनाई थी उन दोनों ही इमेजेस को क्या कर दिया कंबाइन कर दिया ठीक है क्या कर दिया कंबाइन कर दिया कंबाइन करके उन्होंने मुझे सिर्फ एक ही ऑब्जेक्ट दिखाया ऐसा कैसे पॉसिबल हुआ क्योंकि बच्चों जो हमारी लेफ्ट और राइट आई होती है ना वो एक ही ऑब्जेक्ट की अलग-अलग इमेज बनाती है ये सामने रखो आप अपने पेन ठीक है लेफ्ट आई क्लोज करके राइट आई से इसे देखो ठीक है फिर इसके बाद में राइट आई क्लोज करके इसे लेफ्ट आई से देखो आप ऑब्जर्व करोगे कि लेफ्ट आई से आपको इस पेन की अलग इमेज दिख रही है और राइट आई से आपको इस ऑब्जेक्ट की इस पेन की अलग इमेज दिख रही है यानी कि लेफ्ट और राइट आई दोनों ही एट अ टाइम एक ही ऑब्जेक्ट को देख रहे हैं लेकिन दोनों अलग-अलग इमेजेस बना रहे हैं इन दोनों ही अलग-अलग इमेजेस को हमारा ब्रेन क्या कर देता है कंबाइन कर देता है जिसके कारण क्या मिलता है हमें हमें इस ऑब्जेक्ट का एक 3डी इमेज मिलती है क्या मिलती है इस ऑब्जेक्ट की एक 3डी इमेज मिलती है अब सवाल ये आता है कि इस 3डी इमेज का क्या मतलब है क्यों मिली 3d इमेज कोई और टाइप की इमेज क्यों नहीं मिली क्योंकि इस 3डी इमेज का बड़ा सिग्निफिकेंट होता है एक 3d इमेज हमें ऑब्जेक्ट की क्या बताती है कि वो हमसे कितना दूर है यानी कि ऑब्जेक्ट हमसे कितना दूर है इसका परसेप्शन हमें कौन कराता है उस ऑब्जेक्ट की 3डी इमेज कराती है हमें एक्चुअल डिस्टेंस बताता है क्या 3डी इमेज की ऑब्जेक्ट हमसे कितने दूरी पे है इसी को हम कहते हैं डिस्टेंस या फिर डेप्थ परसेप्शन तो बच्चों जिसका यह क्वेश्चन था बहुत अच्छा डाउट था ये कि हमारे पास दो आंखें क्यों होती एक सेही काम क्यों नहीं चलता तो उसके दो रीजन है पहला रीजन क्या है कि हमारी जो विजन की जो फील्ड है एक आंख से कम हो जाती है ठीक है दोनों आंख से हमें कितना दिखता है 180 डिग्री दिखता है हॉरिजॉन्टल अगर एक आंख बंद कर दे तो कितना देखेगा 150 डिग्री देखेगा यानी कि 30 डिग्री का क्या हो जाता है अ विजन का फील्ड का लॉस हो जाता है ठीक है फिर दूसरी चीज क्या है डेप्थ और स् परसेप्शन किसी भी ऑब्जेक्ट को जब आप देखते हो तो दोनों आंखें देखती हैं लेफ्ट आई अलग इमेज बनाती है राइट आई उस ऑब्जेक्ट की अलग इमेज बनाती है दोनों इमेजेस कहां भेजी जाती है इंफॉर्मेशन हमारे दिमाग को भेजी जाती है दिमाग क्या करता है दोनों ही इमेजेस को कंबाइन कर देता है और हमें एक डी इमेज बना कर के देखा है उस ऑब्जेक्ट की उस डी इमेज से फायदा क्या होता है उससे फायदा हमें यह होता है कि हमें यह पता चल जाता है कि ऑब्जेक्ट हमसे कितने एक्चुअल डिस्टेंस पे है तो हमें डेप्थ और डिस्टेंस परसेप्शन देखने को मिलता है समझने को मिल जाता है दोनों आंखों से ठीक है आ गई आपको बात समझ में आई होप बच्चों यह डाउट आपका हो गया होगा क्लियर तो भाई आज के इस डीपी क्यू सेशन में हमने बहुत सारी बातें करी हैं हमने कल बहुत सारी चीजें पढ़ी थी उसको हमने रिवाइज कर लिया आपका जो डाउट था वह भी हमने सॉल्व कर लिया अब नेक्स्ट लेक्चर से नेक्स्ट सेशन से मचाते हैं हम धूम बात करेंगे कुछ रियल लाइफ इवेंट्स की तो इस सेशन के लिए इतना ही मिलते हैं हम अपने नेक्स्ट सेशन में तब तक आप क्या करेंगे हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है magnetbrains.com उसे विजिट कर लेना जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे अरेंज्ड फॉर्म में प्लेलिस्ट में साथ ही साथ सभी टॉपिक्स के वहां पे होंगे आपको नोट्स भी अवेलेबल सो डू विजिट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विद मैगनेट बेंस थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन इस सेशन में हम पढ़ने वाले हैं लाइट के एक फिनोमेना को एक और फिनोमेना है लाइट का जिसका नाम है स्कैटरिंग ऑफ लाइट प्रीवियस लेक्चर में हमने बात करी थी लाइट के डिस्पर्जंस का जो डिस्पर्शन है उसको हम लाइट की स्कैटरिंग नहीं बोल सकते हैं अब आज जब हमें इस सेशन में लाइट की स्कैटरिंग को पढ़ना ही है डिटेल में पढ़ना है उसके कुछ नेचुरल एप्लीकेशंस देखने हैं तो एक काम करते हैं जो डिस्पर्जंस डिफरेंस है ना वो मैं आपको फिर से बता दूंगी ताकि आपके लिए डिस्पर्शन और लाइट की स्कैटरिंग को कंपेयर करना हो जाएगा आसान तो भाई इस सेशन का टारगेट में सेट कर देती हूं क्या होने वाला है हमें समझना है लाइट का एक और नेचुरल फिनोमिना जिसे हम कहते हैं लाइट की स्कैटरिंग तो भाई जब आज के लेक्चर का सेशन का टारगेट हो गया है सेट तो फिर देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं आज का यह हमारा सेशन सो दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैगनेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे बिल्कुल फ्री ऑफ़ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैग्नेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं आज का यह हमारा सेशन जो कि बेज होगा लाइट की स्कैटरिंग पे अब मैं आपसे एक चीज बोलती हूं हो सकता है कि लाइट की स्कैटरिंग के बारे में आपको कोई आईडिया ना हो हो सकता है कि लाइट की स्कैटरिंग की जो एक क्लासिक डेफिनेशन होती है वो वो आपको ना पता हो लेकिन लाइट की स्कैटरिंग को आपने कभी ना कभी जरूर एक्सपीरियंस किया होगा बिल्कुल किया होगा भाई मैंने आपको डीपीक्यू सेशन में बताया था कि अब हमारे जितने भी अपकमिंग लेक्चरर्स है ना उसमें हम धूम मचाने वाले हैं क्यों क्योंकि हम बात करेंगे रियल लाइफ इवेंट्स की जो हम डेली बेसिस प कभी ना कभी एक्सपीरियंस जरूर करते हैं उन्हीं इवेंट्स की हम बात कर रहे हैं और उसमें से एक इवेंट कौन सा है भाई मैं आपको बताती हूं उसमें से एक इवेंट है हमारा ये अब यह क्या है यह चीज आपने अपने अपने घरों में हमेशा नोटिस करी होगी कभी ना कभी जरूर नोटिस करी होगी क्या होता है जब यू नो रात हो रात हो जाती है इसके बाद में सुबह होती है मॉर्निंग में आप अपने अपने कमरों की क्या करते हो खिड़कियों को खोलते हो पर्दे हटाते हो कर्टन हटाते हो और खिड़कियां खोलते हो जैसे ही आप खिड़कियां खोलते हो आपको कुछ इस तरह की चीज देखने को मिलेगी इस तरह का सीन आपको देखने को मिलेगा अब आप बोलोगे मैम इसमें क्या बड़ी बात है भाई यह तो रोज ही होता है हमारे घर में जैसे ही हम अपने रूम्स की खिड़कियां खोलते हैं विंडोज खोलते हैं हमें लाइट आती हुई दिखती है तो भाई ये जो लाइट आपको आते हुए दिख रही है ना अपने रूम में ये क्या है यही तो है लाइट की स्कैटरिंग लाइट की स्कैटरिंग बड़ी आसान चीज है समझे लाइट की जो स्कैटरिंग है वो बड़ी आसान चीज है जो आपको अपने कमरों में खिड़कियों के थ्रू लाइट का आना दिख रहा है ना आते हुए जो आपको लाइट दिख रही है ना इसी को हम कहते हैं लाइट की स्कैटरिंग लाइट की स्कैटरिंग मतलब क्या होता है कि लाइट का पाथ विजिबल हो जाना लाइट यूजुअली ट्रैवल करती है तो वह आपको दिखेगी नहीं लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि लाइट हमें ट्रेवल करती हुई दिख जाती है लाइट का हमें पाथ दिख जाता है तो ऐसी कंडीशन ऐसी सिचुएशन जब आपको लाइट का पाथ दिख जाए जब आपको साक्षात लाइट ट्रैवल करते हुए दिख जाए उसे हम कहते हैं क्या वो क्यों होता है क्योंकि लाइट की स्कैटरिंग हो जाती है अब इस चीज को हम एक और एक्सपेरिमेंट से समझेंगे कैसे समझेंगे तो देखो यहां पे है मेरे पास दो बीकर एक बीकर में है प्लेन वाटर एक बीकर में है प्लेन वाटर और दूसरे में मैंने क्या करा है पानी में दो-तीन ड्रॉप्स मैंने मिल्क की ऐड कर दी है यह वाला बीकर कौन सा है भाई बीकर ए जिसमें कि सिर्फ और सिर्फ क्या है वाटर है ठीक है इसमें क्या है वाटर है और यह जो मेरा बीकर बी है इसमें वाटर भी है और साथ में थोड़ा सा मिल्क भी मैंने ऐड कर दिया है अब मैंने दोनों ही बीकर से एक लाइट पास कराई है इस बीकर से भी मैंने लाइट पास कराई है और जो दूसरा बीकर है बीकर बी उसमें से भी मैंने लाइट जो जो है ना पास कराई है जरा आप मुझे यह बताओ कि कौन से बीकर में से आपको लाइट साक्षात पास करती हुई दिख रही है बीकर ए में आपको लग रहा है कि बिल्कुल भी लाइट आ जा रही है कुछ भी नहीं हो रहा लेकिन बीकर बी में आपको इस तरह का एक वाइट बैंड दिखाई दे रहा होगा ठीक है इस वाइट बैंड को मैं थोड़ा सा और हाईलाइट कर देती हूं आपको बीकर बी में ये वाइट बैंड दिखाई दे रहा होगा ये वाइट बैंड क्या है यह वाइट बैंड बच्चों यह वही लाइट का पाथ है जो कि लाइट ट्रेवल करती हुई पाथ को फॉलो करती हुई बीकर के अंदर आ रही है ठीक है अब आप बोलोगे कि अच्छा इस बीकर में हमें लाइट का पाथ दिख रहा है इसका मतलब क्या हुआ यहां भी स्कैटरिंग के स्कैटरिंग हो रही है लाइट की बिल्कुल सही बात है लाइट का पाथ तभी विजिबल होता है लाइट हमें तभी ट्रेवल करती हुई दिखाई देती है जब लाइट की स्कैटरिंग हो रही होती है बीकर ए में हमें लाइट का पाथ नहीं दिख रहा है इसका मतलब डेफिनेटली यहां पे स्कैटरिंग नहीं हो रही है अभी मैंने आपको स्कैटरिंग समझाया नहीं है मैं आपको सिर्फ यह बता रही हूं कि लाइट की स्कैटरिंग कहां-कहां हमें देखने को मिलती है एक वोह पहला वाला केस जहां पर आप अपने कमरों की जो खड़ियों जब आप खोलोगे तो आपको लाइट आते हुए दिखेगी यस और नो और दूसरा केस क्या हुआ दूसरा केस यह रहा कि जहां पे जैसे ही मैंने दूसरे बीकर में पानी के साथ मिल्क ऐड कर दिया आपको यहां पर लाइट का पाथ दिखने लगा ऐसा नहीं है कि बीकर ए में जिसमें सिर्फ पानी था उसमें लाइट ट्रेवल नहीं कर रही थी माना इसमें लाइट का पाथ नहीं दिख रहा है लेकिन ऐसा नहीं है कि बीकर ए में लाइट ट्रेवल नहीं कर रही थी लाइट बिल्कुल ट्रैवल कर रही थी बस उसका पाथ नहीं दिख रहा था पाथ नहीं दिखना मतलब क्या हो गया स्कैटरिंग नहीं हुई बीकर बी में क्या हुआ बीकर बी में हमें साक्षात लाइट ट्रैवल कर ती हुई दिखी हमें उसका इस तरह का एक वाइट बैंड दिखाई दे गया यह वाइट बैंड क्या है यह वही पाथ है यह वही बैंड है जिसको क्रॉस करती हुई जिसको ट्रेवल करती हुई लाइट आ रही है कहां से यहां से कहीं से आई बात आपको समझ में अब यह भेदभाव क्यों हो रहा है हमें यह पता करना है यह हमें समझ में आ गया कि इसमें लाइट का पाथ दिख रहा है यह समझ में आ गया इसमें लाइट का पाथ नहीं दिख रहा रहा है लेकिन क्यों यह तो अभी हमने बताया ही नहीं इतना समझ में आ गया कि लाइट की स्कैटरिंग के कारण लाइट का पाथ दिख रहा है अब ये लाइट की स्कैटरिंग होती क्या है भाई लाइट की स्कैटरिंग बच्चों एक ऐसी प्रोसेस होती है जिसमें कि लाइट किसी पर्टिकुलर मॉलिक्यूल एटम या पार्टिकल लाइट एक पर्टिकुलर पार्टिकल से टकराने के बाद बिखर जाती है लाइट की स्कैटरिंग क्या हुई भाई स्कैटरिंग का एक बहुत अच्छा शब्द है हिंदी में जिसको हम कहते हैं बिखरना इस बिखरने शब्द को आप हमेशा ध्यान रखोगे तो कभी भी स्कैटरिंग को भूलोगे नहीं स्कैटरिंग का मतलब क्या होता है स्कैटरिंग का मतलब होता है बिखरना तो लाइट की स्कैटरिंग क्या होगी एक ऐसी प्रोसेस होगी एक ऐसा फिनोमेना होगा जहां पे लाइट पर्टिकुलर एक पार्टिकल से टकराने के बाद क्या हो जाए बिखर जाए जैसे कि आपका जो ग्लास था कांच का ग्लास जैसे ही आप उसको क्या करोगे फ्लोर पर फेंको ग फ्लोर से टकराने के बाद क्या होगा आपका जो ग्लास है वह टूट जाएगा किसमें टूटेगा छोटे-छोटे ग्लास के पार्टिकल्स में कणों में टूट जाएगा सेम केस यहां भी हो रहा है कैसे यह आई क्या लाइट यह आई इस तरह से लाइट अब यहां पर क्या था लाइट के पाथ में आ गया क्या एक पर्टिकुलर पार्टिकल इस पार्टिकल से टकराने के बाद क्या हुआ इस पार्टिकल से टकराने के बाद जो मेरी लाइट थी ना वो हो गई क्या बिखर गई वो आखिर यह बिखरना होता क्यों है एक्चुअली ये जो पर्टिकुलर टाइप के पार्टिकल्स होते हैं ना ये क्या करते हैं जो आने वाली लाइट है ना इंसिडेंट लाइट उसको क्या कर लेते हैं वो अब्जॉर्ब कर लेते हैं और अब्जॉर्ब करने के बाद उनको री एमिट कर देते हैं यानी कि उन्हें वापस फेंक देते हैं अलग-अलग डायरेक्शंस में तो हमें क्या दिखता है कि एक लाइट आ रही थी इस पर्टिकुलर पार्टिकल से टकराई और टकराने के बाद क्या हुआ वह बिखर गई ठीक है और इस पूरे प्रोसेस को हम क्या कहते हैं और इस पूरे प्रोसेस को हम कहते हैं बच्चों स्कैटरिंग ऑफ लाइट ठीक है रिपीट करती हूं मैं स्कैटरिंग ऑफ लाइट क्या है जब लाइट ट्रैवल करती हुई आती है और उसके रास्ते में उसे कोई पर्टिकुलर टाइप का पार्टिकल मिल जाता है उस पार्टिकल से टकरा ने के बाद क्या होता है वह बिखर जाती है इस बिखरने की प्रोसेस को हम क्या बोलते हैं लाइट की स्कैटरिंग बोलते हैं ऐसा होता क्यों है भाई ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह जो पर्टिकुलर टाइप का पार्टिकल है ना यह उस लाइट को कर लेता है अब्जॉर्ब अब्जॉर्ब करने के बाद डिफरेंट डायरेक्शन में उसको री एमिट कर देता है यानी कि डिफरेंट डायरेक्शन में उनको फैला देता है ठीक है बिखेर देता है इसीलिए इस पूरी प्रोसेस को हम कहते हैं क्या स्कैटरिंग अब वापस आ जाओ इस इन दोनों केसेस पे स्कैटरिंग ऑफ लाइट समझ में आ गया ना अब इन दोनों केसेस पे वापस आ जाओ क्यों बीकर ए जिसमें पानी था उसमें मुझे लाइट का पाथ नहीं दिखा और जिस बीकर में पानी के साथ थोड़ा सा मिल्क डला हुआ था उसमें मेरे लाइट का पाथ दिखने लगा भाई लाइट तो दोनों ही बीकर्स में ट्रैवल कर रही थी लेकिन पाथ मुझे सिर्फ और सिर्फ उस बीकर में दिखा जिसमें कि कौन पड़ा हुआ था थोड़ा सा मिल्क भी मैंने ऐड किया हुआ था ऐसा क्यों हुआ भाई क्योंकि स्कैटरिंग क्यों होती है अभी मैंने आपको बताया स्कैटरिंग क्या है स्कैटरिंग क्यों होती है जब लाइट पर्टिकुलर टाइप के पार्टिकल से टकरा जाए मैंने आपको बोला था कि इस बीकर में लाइट का पाथ क्यों दिख रहा है क्योंकि यहां पे स्कैटरिंग हो रही है यानी कि डेफिनेटली जब मैं इस बीकर से किसी लाइट को पास करा रही हूं वो लाइट पर्टिकुलर टाइप के पार्टिकल के साथ क्या हो रही है टकरा रही है इसीलिए क्या हो रही है स्कैटरिंग हो रही है और इसीलिए आपको इस लाइट का पाथ पर्टिकुलर बीकर में दिख रहा है ठीक है क्या बोला था मैंने आपको कि भाई ये रहा बीकर ए ये रहा बीकर बी बीकर ए में था सिर्फ पानी बीकर बी में क्या था वाटर के साथ थोड़ा सा मैंने मिल्क भी डाल रखा था दोनों ही बीकर से मैंने लाइट पास करवाई थी जो हमारा बीकर ए था जिसमें सिर्फ वाटर था उसमें मुझे लाइट का पाथ नहीं दिखा मुझे नहीं दिखा कि किस इस तरह से लाइट उस पानी में ट्रैवल करती हुई जा रही है लेकिन वो बीकर जिसमें कि थोड़ा सा मिल्क भी एडेड था वाटर के साथ उस बीकर में बकायदा मुझे एक वाइट कलर का बैंड दिखाई दिया ये वाइट कलर का बैंड क्या था ये वही पाथ था जो कि फॉलो करके लाइट जा रही थी उस बीकर के अंदर ऐसा क्यों हुआ क्योंकि इस केस में लाइट की स्कैटरिंग हो रही थी और इस केस में लाइट की स्कैटरिंग नहीं हुई लाइट की स्कैटरिंग क्या है जब एक लाइट पर्टिकुलर टाइप के पार्टिकल से टकराती है तो बिखर जाती है डिफरेंट डायरेक्शंस में वो बिखर जाती है इसी को हम कहते हैं लाइट की स्कैटरिंग इस केस में बीकर बी में लाइट की स्कैटरिंग क्यों हुई क्योंकि बीकर बी में आने वाली जो लाइट थी डेफिनेटली वो किसी पर्टिकुलर टाइप के पार्टिकल से टकराई होगी टकराने के बाद बिखर गई होगी बिखरने को बिखरना मतलब क्या उसकी स्कैटरिंग हो गई इसी स्कैटरिंग के कारण उसका पाथ हमें दिखाई दे गया तो भाई पानी तो सेम ही था दोनों बीकर में लाइट भी हम सेम ही पास करवा रहे थे तो बीकर ए में स्कैटरिंग क्यों नहीं हो पाई क्योंकि उसके पास बीकर ए के पास पानी के पास यह पर्टिकुलर टाइप का पार्टिकल नहीं था जब तक यह पर्टिकुलर टाइप का पार्टिकल नहीं होगा लाइट बिखरे गी नहीं टकरा के ऐसा नहीं है कि बीकर ए के पास पार्टिकल थे ही नहीं बिल्कुल थे भाई पानी है ना इसमें तो क्या पानी के पास उसके वाटर मॉलिक्यूल नहीं होंगे एटम्स नहीं होंगे बिल्कुल होंगे के पास वाटर मॉलिक्यूल होंगे वाटर एटम्स होंगे लेकिन फिर भी लाइट उनसे टकरा कर के बिखर नहीं पाई बिखर नहीं पाई इसका मतलब क्या स्कैटरिंग नहीं हुई स्कैटरिंग नहीं हुई इसका मतलब क्या हुआ लाइट का पाथ हमें इस बीकर में दिखाई नहीं दिया हां लेकिन बी जो बीकर था हमारा जिसमें हमने मिल्क भी ऐड किया हुआ था ठीक है उस बीकर में क्या हुआ लाइट को वो पर्टिकुलर पार्टिकल मिल गया टकराने के लिए जैसे ही लाइट उस बीकर से पास हो रही थी तो उस लाइट को एक पर्टिकुलर पार्टिकल मिल गया टकराने के लिए इस पार्टिकल से टकराने के कारण क्या हुआ वह खुद बिखर गई और जिसके कारण उसका पाथ विजिबल हो गया तो भाई यह पार्टिकल कहां से आ गया याद करो मैंने आपको बताया था कि इस बीकर में मैंने ना सिर्फ पानी डाला है थोड़ा सा मिल्क भी ऐड किया है तो यह जो पर्टिकुलर टाइप ऑफ पार्टिकल मिल रहा है ना लाइट को यह कहां से मिल रहा है यह मिल रहा है इस मिल्क से याने कि हमारी जो लाइट है वह मिल्क पार्टिकल्स के साथ टकराई टकराने के बाद बिखर गई स्कैटरिंग हो गई जिसके कारण उसका पाथ हमें बीकर बी में दिख गया अब मिल्क पार्टिकल्स के पास ऐसा क्या है क्यों मिल्क पार्टिकल्स ये पर्टिकुलर टाइप के पार्टिकल्स बन गए क्योंकि भाई मिल्क पार्टिकल्स क्या थे वो थे हमारे कोलोड पार्टिकल्स क्या थे कोलोड पार्टिकल्स थे क्लास नाइंथ में आप पढ़ के आ रहे होंगे डिफरेंट टाइप के सॉल्यूशंस होते हैं डिफरेंट टाइप के मिक्सचर्स होते हैं डिफरेंट टाइप के पार्टिकल्स होते हैं तो वो पार्टिकल्स जिनके साइज की रेंज कितनी होती है वन से लेकर के 1000 नैनोमीटर के बीच में होती है उन्हें हम क्या कहते हैं नैनो पार्टिकल्स कहते हैं सॉरी उनको हम कोलोड पार्टिकल्स कहते हैं आई रिपीट वो पार्टिकल्स जिनकी साइज की रेंज वन से लेकर के 1000 नैनोमीटर के बीच में आती है उन्हें हम क्या क्या कहते हैं कोलोड पार्टिकल्स कहते हैं ये जो हमारा मिल्क था इस मिल्क के पास पार्टिकल्स कौन से थे इस मिल्क के पास पार्टिकल्स थे कोलइंडिया आई होप पूरी कहानी आपको समझ में आ गई होगी कि क्यों प्लेन वाटर में लाइट का पाथ विजिबल नहीं था और मिल्क प्लस वाटर के सॉल्यूशन में लाइट का पाथ विजिबल था क्योंकि मिल्क क्या है एक कोलाइडर सॉल्यूशन है मेल के पास क्या है कोलोड पार्टिकल्स हैं उन पार्टिकल्स से टकराने के बाद हमारी जो लाइट है वोह बिखर जाती है इसलिए उसका पाथ विजिबल हो जाता है ठीक है आई होप ये चीज आपको समझ में आई होगी बच्चों अब एक काम करते हैं अब वापस हम अपने फर्स्ट एक्सपीरियंस पे जाते हैं फर्स्ट इवेंट पे जाते हैं हमें हमारे रूम में लाइट का लाइट आती हुई क्यों दिख रही थी लाइट का पाथ हमें क्यों दिख रहा था क्यों विजिबल था क्योंकि जिस तरह से बीकर बी में पानी के साथ अ मिल्क पार्टिकल्स थे कोलोड पार्टिकल्स थे सिमिलरली इसी तरह के कोलोड पार्टिकल्स जिनकी साइज की रेंज कितनी होती है 1 2000 नैनोमीटर प्रेजेंट होते हैं हमारे एटमॉस्फेयर में भी कौन-कौन से होते हैं भाई तो देख लो होते हैं डस्ट पार्टिकल्स ठीक है कौन-कौन से होंगे डस्ट पार्टिकल्स हो जाएंगे फिर इसके बाद में वाटर ड्रॉपलेट्स भी होती हैं वाटर ड्रॉपलेट्स भी होती हैं फिर इसके बाद में वाटर वेपर्स भी होती हैं स्मोक पार्टिकल्स भी होते हैं ठीक और सबसे ज्यादा सबसे ज्यादा कौन तो भाई हमारी प्यारी गैसेस हमारे एटमॉस्फेयर में बहुत सारी गैसेस हैं सबसे एंडेंजर होना चाहिए नाइट्रोजन 78 पर होती है ये ऑलमोस्ट ठीक है तो हमारे एटमॉस्फियर में बहुत सारे पार्टिकल्स होते हैं डस्ट पार्टिकल्स वाटर ड्रॉपलेट्स वाटर वेपर्स स्मोक पार्टिकल है ना गैसेस और इनकी साइज कहां होती है इनकी साइज किस रेंज में आती है इनकी साइज रेंज होती है 100 से 1000 नैनोमीटर के बीच में यानी ये सब के सब कैसे एक्ट करते हैं भाई ये सब के सब एक्ट करते हैं कोलोड पार्टिकल्स की तरह किसकी तरह काम करेंगे एक्ट करेंगे क्लाइडर पार्टिकल्स की तरह तो जब लाइट हमारे रूम में आएगी तो कैसे आएगी इन कोलॉयडल पार्टिकल से टकराने के बाद आएगी टकरा के क्या हो जाता है बिखर जाती है वो बिखरने के कारण क्या होता है उसका पात हमें दिखने लगता है विजिबल हो जाता है इसीलिए तो जब हम अपने रूम्स की विंडोज खोलते हैं तो हमें साक्षात लाइट आते हुए दिखती है बकायदा उसका पाथ दिखता है क्यों क्योंकि वो रूम हमारे रूम में जो कोलोड पार्टिकल्स प्रेजेंट है इतने सारे उनसे टकरा के आ रही है कई बार आपने नोटिस भी किया होगा कि जब आप इस पाथ को आप देखोगे ना तो आपको छोटे-छोटे पार्टिकल्स जो है ना फ्लोट करते हुए दिखेंगे ध्यान से देखना इस चीज को अब जब नेक्स्ट टाइम आपको इस तरह का कोई इवेंट देखे तो जा कर के देखना उसको ये जो पाथ होगा ना लाइट का उसको जाके ऑब्जर्व करना आपको इस पाथ में छोटे-छोटे पार्टिकल्स जो है ना दिखाई देंगे वो पार्टिकल्स जो कि आपको वैसे दिखाई नहीं दे रहे हैं लेकिन जैसे ही उन पे लाइट पड़ रही है दिखने लगे ठीक तो इसे हम क्या कहते हैं लाइट की स्कैटरिंग कहते हैं आई होप अब आपको लाइट की स्कैटरिंग समझ में आ गई होगी कोई डाउट इसमें नहीं होगा ठीक है अब इस लाइट की स्कैटरिंग को हम टिंडल इफेक्ट भी कहते हैं क्यों कहते हैं टिंडल इफेक्ट क्योंकि साइंटिस्ट जॉन टिंडल ने इसे डिस्कवर किया था तो भाई जिसने इतना काम किया है डिस्कवर किया है तो उन्हीं के नाम पे हमने उस फिनोमेना को रख दिया क्या बोल दिया हमने इसको टेंडल इफेक्ट बोल दिया तो एक क्लासिक डेफिनेशन क्या होगी टेंडल इफेक्ट की या स्कैटरिंग ऑफ लाइट की क्या स्कैटरिंग ऑफ लाइट इज द फिनोमिना ऑफ चेंज इन डायरेक्शन ऑफ लाइट ऑन स्ट्राइकिंग अ पर्टिकुलर टाइप ऑफ पार्टिकल मेकिंग द पाथ ऑफ लाइट विजिबल क्या है ये एक ऐसा फिनोमिना है जहां पे लाइट पर्टिकुलर टाइप के पार्टिकल से टकरा करके अपना डायरेक्शन चेंज कर लेती है स्कैटर हो जाती है फैल जाती है और हम बोल सकते हैं कि अ बिखर जाती है जिसके कारण उसका पाथ विजिबल हो जाता है इस पूरे फिनोमेना को डिस्कवर किसने किया था जॉन टिंडल ने इसलिए इसको हम टिंडल इफेक्ट भी देखने को टिंडल इफेक्ट भी कहते हैं अब ये जो लाइट की स्कैटरिंग है या जो टिंडल इफेक्ट है ये ना सिर्फ हमको मिल्क सॉल्यूशन में देखने को मिलेगा या फिर हमको हमारे कमरों में देखने को मिलेगा भाई ये हर कहीं हमें देखने को मिलता है जो डेंस फॉरेस्ट होते हैं उनकी कैनोपी में भी हमें देखने को मिलता है क्यों क्योंकि अभी-अभी मैंने आपको बताया कि हमारे एटमॉस्फेयर में भी कई तरह के पार्टिकल्स होते हैं डस्ट पार्टिकल्स एयर पार्टिकल्स वाटर वेपर्स वाटर ड्रॉप प्लेट्स ठीक है गैस पार्टिकल्स तो वो पार्टिकल्स जिनकी साइज 1 टू 1000 नैनोमीटर के बीच में आती है इस साइज की रेंज में आती है उन्हें हम कहते हैं कोलॉयडल पार्टिकल्स तो अगर एक लाइट को बच्चों स्कैटर होना है टिंडल इफेक्ट दिखाना है तो उसे किससे जाकर के अ टकराना पड़ेगा स्ट्राइक करना पड़ेगा उसे कलोल पार्टिकल से जाकर के टकराना पड़ेगा तभी टिंडल इफेक्ट देखने को मिलेगा डेंस फॉरेस्ट में भी आपको इस तरह से टिंडल इफेक्ट देखने को मिलेगा ठीक है तो इस सेशन में मैंने आपको टिंडल इफेक्ट समझा दिया स्कैटरिंग ऑफ लाइट सम समझ में आ गई होगी आई होप अब जो हमारा नेक्स्ट सेशन होगा ना उसमें हम समझेंगे कि क्यों स्काई का कलर हमें दिन के टाइम पे ब्लू दिखता है और सनसेट या सनराइज के टाइम पे हमें ऑरेंजिश रेडिश टाइप का दिखने लगता है और इस सस्पेंस को मैं थोड़ा सा और बढ़ा देती हूं वो जो भी होता है ना इसी फिनोमिना टिंडल इफेक्ट या लाइट की स्कैटरिंग के कारण ही होता है आई होप बच्चों आपको इस सेशन में जो मैं समझाना चाहती थी लाइट की स्कैटरिंग टिंडल इफेक्ट वो समझ में आ गया होगा ये एक और डायग्राम है आप यहां पे देख सकते हो कि किस तरह से टॉर्च से निकलने वाली जो लाइट है सिंपल जब वाटर से पास हो रही है उसका पाथ हमें नहीं दिख रहा लेकिन जैसे ही एक कोलोड सॉल्यूशन हमने बना दिया यानी कि मिल्क प्लस वाटर डाल दिया तो देखो इस लाइट में आपको पार्टिकल्स दिखने लगे होंगे ठीक क्यों क्योंकि ये जो पार्टिकल्स प्रेजेंट थे मिल्क के इनसे लाइट जाकर के टकरा गई और लाइट का पाथ हमें दिखने लगा तो इस सेशन में जो मैं आपको समझाना चाहती थी आई होप वो आपको समझ में आ गया होगा नेक्स्ट सेशन में हम बात करेंगे इसी लाइट के स्कैटरिंग की कुछ नेचुरल एप्लीकेशंस की कि क्यों स्काई ब्लू दिखता है दिन में सनसेट और सनराइज के टाइम पे हमें दिखता है रेड या ऑरेंज मिलते हैं हम अपने नेक्स्ट लेक्चर में इस सेशन के लिए इतना ही तब तक आप क्या करेंगे हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है magnetbrains.com उसे विजिट कर लेना जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे प्लेलिस्ट में साथ ही साथ सभी टॉपिक्स के होंगे वहां पे आपको नोट्स भी अवेलेबल सो डू विजिट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विद मैग्नेट बेंस थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन इस लेक्चर में हम पढ़ने वाले हैं स्कैटरिंग ऑफ लाइट पे बेस्ड कुछ उसकी नेचुरल एप्लीकेशंस भाई लाइट की स्कैटरिंग खुद में ही क्या है एक नेचुरल फिनोमेना है और उस पे भी बेस्ड होते हैं कुछ बहुत ही ब्यूटीफुल नेचुरल एप्लीकेशंस तो उन एप्लीकेशंस को आज हम समझेंगे बेसिकली आज हम इस सेशन में समझने वाले हैं कि क्यू स्काई का कलर होता है ब्लू और सनसेट और सनराइज के टाइम पे वो हो जाता है रेड कलर का तो आज के इस सेशन का मैंने टारगेट फिक्स कर दिया है कि हमें समझना है कि स्काई का कलर ब्लू और रेड के बीच में अ क्यों लाय करता है क्यों ब्लू हो जाता है क्यों रेड हो जाता है तो जब टारगेट सेट हो गया तो फिर देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं आज का ये हमारा लेक्चर सो दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलने वाले हैं बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैगनेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं आज का यह हमारा सेशन जिसमें हम पढ़ेंगे कि अ लाइट की जो स्कैटरिंग हो रही है उसपे बेस्ड कुछ फिनोमेना उसके कुछ नेचुरल एप्लीकेशंस ठीक है अब मैंने आपको प्रीवियस सेशन में बताया था लेक्चर में बताया था कि किस तरह से लाइट जब पर्टिकुलर टाइप के पार्टिकल्स के साथ टकराती है तो वो क्या हो जाती है बिखर जाती है क्यों बिखर जाती है बेसिकली वो जो पार्टिकल्स होते हैं वो उस लाइट को कर लेते हैं अब्जॉर्ब और फिर री एमिट कर देते हैं डिफरेंट डायरेक्शंस में तो हमें लगता है कि लाइट टकराने के बाद पर्टिकुलर टाइप के पार्टिकल से बिखर गई है डिफरेंट डायरेक्शन में इसी बिखरने की प्रोसेस को हम क्या कहते हैं स्कैटरिंग कहते हैं लाइट की स्कैटरिंग के कारण ही हमें लाइट का जो पाथ है वो विजिबल होता है इज दैट क्लियर अब ये जो स्कैटरिंग की प्रोसेस है ना ये तभी पॉसिबल है जब क्या होगा हमारी लाइट टकराए गी पर्टिकुलर टाइप के पार्टिकल के साथ और उन पार्टिकल्स को हम क्या कहते हैं उन्हें हम कहते हैं कोलइंडिया क्या होती है इन पार्टिकल्स की खास बात होती है इनका साइज इनकी जो साइज है वो किस रेंज में लाइ करती है एक से लेकर के 1000 नैनोमीटर ठीक है 1 टू 1000 नैनोमीटर की साइज की रेंज होती है इन कोलोड पार्टिकल्स की इसीलिए जब लाइट इनसे टकराती है तो क्या हो जाती है स्कैटर हो जाती है इतना क्लियर है अब ये जो कोलॉयडल पार्टिकल्स हैं हमारे एटमॉस्फेयर में भी प्रेजेंट होते हैं जैसे कि डस्ट पार्टिकल्स वाटर ड्रॉपलेट्स वाटर वेपर्स डिफरेंट गैसेस स्मोक पार्टिकल्स ये सब किसकी तरफ बिहेव करते हैं कोलोड पार्टिकल्स की तरह बिहेव करते हैं तो क्या होगा आपको पता होगा कि हमारी अर्थ के लिए सबसे बेस्ट सोर्स क्या है लाइट का हमारा सन तो जब सन से आने वाली जो किरणें होती हैं जो सनलाइट होती है सनलाइट जब एटमॉस्फेयर में प्रेजेंट कोलोड पार्टिकल्स के साथ टकराए गी तो वहां भी क्या होगा लाइट की स्कैटरिंग हो जाएगी सनलाइट की स्कैटरिंग हो जाएगी तभी तो अ जो डेंस फॉरेस्ट वगैरह होते हैं उनकी कैनोपी में भी हमें लाइट की स्कैटरिंग टिंडल इफेक्ट देखने को मिल जाता है है कि नहीं क्यों क्योंकि हमारे एटमॉस्फेयर में प्रेजेंट होते हैं कुछ कोलॉयडल पार्टिकल्स और इनसे जब सन से आने वाली सनलाइट टकराएंगे तो क्या हो जाएंगी स्कैटर हो जाएंगी वो इतना क्लियर है आप सबको अब देखो मैंने आपको प्रीवियस सेशन में बताया है लेक्चर में बताया है कि हमारी जो सनलाइट होती है वो एक्चुअली कैसी होती है एक वाइट लाइट होती है वाइट लाइट मतलब क्या एक एक ऐसी लाइट जो कि बहुत सारे कलर से बनी होती है और जब बिखरने की बारी आती है तो वह अपने डिफरेंट कलर्स में बिखर जाएगी है ना उसी समान हमारी जो सनलाइट है वो क्या है एक वाइट लाइट है सन लाइट क्या है भाई सनलाइट है हमारी वाइट लाइट तो जब ये बिखरे गी तो किसमें बिखरे गी भाई ये बिखरे गी विबग्योर में यानी कि अपने सेवन कांस्टीट्यूएंट कलर्स में सेवन प्राइमरी या सेवन डोमिनेंट कलर्स में हमारी सनलाइट बिखर जाएगी मैंने आपको क्या बताया कि हमारे एटमॉस्फेयर में भी कोलॉयडल पार्टिकल्स प्रेजेंट होते हैं जब हमारी सनलाइट उन पार्टिकल से टकराए गी तो क्या होगा बिखरे गी कैसे बिखरे गी तो भाई विबग्योर में बिखरे गी क्यों क्योंकि हमारी सनलाइट खुद क्या है एक वाइट लाइट है वाइट लाइट किसकी बनी होती है वेब ग्यर की बनी होती है मैं अभी यह क्यों बोल रही हूं कि हमारी वाइट लाइट विबग्योर की बनी होती है क्योंकि हमें दिखते बस यही कलर हैं वैसे तो वह बहुत सारे कलर्स की ब बनी होती है लेकिन विबग्योर कलर्स के ही बैंड हमारी आंखों को दिखते हैं हमारी आंखें सिर्फ विबग्योर कलर्स को ही देख पाती हैं ठीक है तो इसलिए मैंने बोला कि हमारी जो सन लाइट है वो क्या है वाइट लाइट है वाइट लाइट जो कि विबग्योर से बनी हुई है स्प्लिट जब उसको स्कैटर होना होगा तो वो कैसे स्कैटर होगी स्प्लिट कैसे होगी विबग्योर में ही होगी तो जब हमारी सनलाइट एटमॉस्फेयर में प्रेजेंट जो अ कोलोड पार्टिकल्स हैं जब उनसे टकराती है तो हमें वो किस में अ स्कैटर होगी वो स्कैटर होगी विबग्योर में लेकिन आप बोलोगे कि मैम ऐसे तो हमें पूरे टाइम रेनबो ही दिखा दिखाई देनी चाहिए और एक नहीं कई सारे रेनबो दिखाई देने चाहिए क्यों क्योंकि आपने बताया था कि जब सनलाइट टकराए गी तो वो क्या बनाती है रेनबो बनाती है लेकिन हमें हमेशा रेनबो तो देखने को मिलता नहीं है बिल्कुल सही बात है अब हम देखते हैं कि क्यों हमें हमेशा रेनबो देखने को नहीं मिलता ठीक है उसको समझने के लिए पहले आपको मुझे यह बताना होगा कि ये जो विबग्योर कलर्स हैं इसमें वेवलेंथ का सीक्वेंस क्या होता है यह सभी अलग-अलग कलर की लाइट्स हैं सभी लाइट की क्या होगी अपनी एक वेवलेंथ होगी तो इस विबग्योर पैटर्न में वेवलेंथ का सीक्वेंस क्या होगा तो आप मुझे बोलेंगे कि मैम सीक्वेंस कुछ इस तरीके का होगा यानी कि जो रेड कलर की लाइट है उसकी जो वेवलेंथ होगी वो कैसी होगी सबसे ज्यादा होगी फिर उससे कम वेवलेंथ किसकी होगी ऑरेंज की उस उससे कम येलो की उससे कम ग्रीन की उससे भी कम ब्लू की उससे भी कम इंडिगो की और उससे भी कलर हमारे वॉयलेट की यानी कि वेवलेंथ का ऑर्डर क्या है वेवलेंथ का ऑर्डर ये है कि सबसे ज्यादा वेवलेंथ होती है रेड कलर की और सबसे कम वेवलेंथ होती है किसकी होती है हमारे वॉयलेट कलर की वॉयलेट कलर की लाइट की वेवलेंथ होती है सबसे कम ठीक है अब जो वेवलेंथ है लाइट की और उसकी जो स्कैटरिंग है दोनों के बीच में एक रिलेशन होता है क्या रिलेशन होता है लाइट की स्कैटरिंग ठीक है लाइट की स्कैटरिंग और लाइट की जो वेवलेंथ है उसके बीच में एक रिलेशन होता है क्या रिलेशन होता है भाई इवर्स रिलेशन होता है यानी कि जिस लाइट की वेवलेंथ होगी ज़्यादा उसकी से स्कैटरिंग क्या होगी कम होगी जिस लाइट की वेवलेंथ क्या होगी कम उस लाइट की स्कैटरिंग क्या हो जाएगी ज्यादा हो जाएगी अब हमें जो हमारी सनलाइट से विबग्योर देखने को मिल रहा है इस विबग्योर में सबसे ज्यादा वेवलेंथ किसकी है रेड कलर की लाइट की है इसका मतलब क्या होगा रेड कलर की लाइट की जो स्कैटरिंग होगी वो क्या होगी कम होगी क्योंकि हमें ये रिलेशन पता है इस रिलेशन को बच्चों अपनी-अपनी नोटबुक्स में कॉपी कर लो और कर लो स्टार मार्क ये कभी भूलना नहीं है ठीक है जिस लाइट की वेवलेंथ है ज्यादा रेड कलर की लाइट की वेवलेंथ है ज्यादा उसकी स्कैटरिंग होगी कम वॉयलेट कलर जो है इसकी जो वेवलेंथ है है वो कैसी है कम है इसलिए उसकी स्कैटरिंग होगी कैसी ज्यादा अब आप मुझे यह बताओ कि अ सपोज एक काम करते हैं इसको एक एक एग्जांपल से समझते हैं मैंने आपसे बोला है कि हमें अ 2 किमी जो है ना वॉक पे जाना है 2 किमी की हमें वॉक पे जाना है अब मैंने आपको एक दिन पहले से खाने पीने के लिए कुछ भी नहीं दिया ना मैंने आपको डिनर दिया ना मैंने आपको लंच दिया मॉर्निंग में भी जब आप उठे हो तो मैंने आपको ब्रेकफास्ट नहीं दिया मैंने आपको बोला कि नहीं चलो मेरे साथ वॉक पे चलो 2 किमी लंबी वॉक पे हमें जाना है अब आप क्या होगा जैसे ही आप 10 कदम चलोगे ना आप फैल जाओगे कि भाई हमसे नहीं हो पा रहा आपने जब हमें कुछ खाने को दिया ही नहीं है तो फिर हम कैसे वॉक पे जा सकते हैं कैसे 2 किमी वॉक पे जा सकते हैं यानी कि आप 10 कदम बाद ही क्या हो गए फैल गए यानी कि आपने डिस्टेंस कितना ट्रैवल किया काफी कम किया केवल 10 कदम ही डिस्टेंस आप ट्रैवल कर पाए अब अगर मैं आपको डिनर भी देती मॉर्निंग में ब्रेकफास्ट भी दे दी उसके बाद में मैं आपको वॉक पे ले जाती तो क्या होता आप मुझसे बोलते कि अरे 2 किमी क्या हम तो 5 किमी जो है ना वॉक कर सकते हैं और वॉक क्या हम तो दौड़ के भी जा सकते हैं यानी कि जब आपका पेट था भरा आप में थी एनर्जी तो आपने डिस्टेंस कैसा ट्रेवल किया ज्यादा किया ठीक है आप फैले नहीं और जब आपने खाना कम खाया था आप में एनर्जी नहीं थी तो क्या हुआ आप फैल गए फैल गए इससे इससे क्या हुआ कि आपने कम डिस्टेंस ट्रेवल किया अब इस रिलेशन को ध्यान से देखो मैंने आपको बोला जिस लाइट की वेवलेंथ है ज्यादा उसकी स्कैटरिंग होगी कम स्कैटरिंग होगी कम मतलब क्या वह फैले गी कम और फैले कीी कम मतलब क्या वो डिस्टेंस कैसा ट्रेवल कर लेगी डिस्टेंस कर लेगी ट्रैवल ज्यादा है ना और ऐसी लाइट जिसकी वेवलेंथ है वेवलेंथ कम है उसकी स्कैटरिंग क्या हो जाएगी ज्यादा हो जाएगी यानी कि वो डिस्टेंस कैसा ट्रैवल करेगी डिस्टेंस ट्रैवल करेगी वो काफी कम जब आपके अंदर एनर्जी नहीं थी आप फैल गए थे है ना कितना कम डिस्टेंस आपने ट्रैवल किया था आप आधा किलोमीटर 2 किलोमीटर तो बहुत दूर की बात है आप आधा किलोमीटर भी चल नहीं पाए थे आप उसके पहले ही फैल गए आप फैल गए मतलब क्या हुआ आपने डिस्टेंस जो है ना कम ट्रैवल किया और वहीं अगर मैंने आपको खूब सारा खाना खिला पिला दिया था आप में एनर्जी आ गई थी तो आपने डिस्टेंस ज्यादा ट्रैवल कर लिया और कहीं दूर जाकर के आप फैल गए होंगे यानी कि दूर जाकर के आप थक गए होंगे तो जब आप दूर जाकर के स्कैटर हुए तो आपने डिस्टेंस कैसा ट्रेवल कर लिया बच्चों ज्यादा ट्रेवल कर लिया सेम चीज यहां पे भी फॉलो हो रही है जिस लाइट की वेवलेंथ क्या होगी ज्यादा होगी उसकी स्कैटरिंग कम होगी कम स्कैटरिंग मतलब क्या कम फैलना मतलब क्या ज्यादा डिस्टेंस ट्रेवल करना और ऐसी लाइट जिसकी वेवलेंथ कैसी है वेवलेंथ है ज्यादा सॉरी जिसकी वेवलेंथ है कम उसकी स्कैटरिंग क्या होगी ज्यादा हो जाएगी स्कैटरिंग ज्यादा मतलब क्या डिस्टेंस कम ट्रैवल किया गया है आई होप यह रिलेशन आपको समझ में आ गया होगा क्यों मैं बोल रही हूं यह क्योंकि इसका अभी अभी हमें इसका एप्लीकेशन देखना है कि क्यों स्काई का कलर ब्लू होता है सनराइज और सनसेट के टाइम पे जो है ना कैसा हो जाता है वो रेड कलर का हो जाता है ये रिलेशन कभी मत भूलना एक लाइट जिसकी वेवलेंथ है ज्यादा उसकी स्कैटरिंग है कम स्कैटरिंग है कम मतलब कि ज्यादा डिस्टेंस ट्रेवल करके वो जा पा रही है पहुंच रही है और ऐसी लाइट जिसकी वेवलेंथ है कम यानी कि उसकी स्कैटरिंग है ज्यादा ज्यादा मतलब क्या उसने ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल कवर नहीं किया है ज्यादा डिस्टेंस कम डिस्टेंस पर ही क्या हो गई वो फैल गई इसका एक बहुत अच्छा एप्लीकेशन होता है क्या जो आपकी ट्रैफिक सिग्नल्स होते हैं वो जब आपको रेड कलर के क्यों होते हैं यानी कि जब स्टॉप करना होता है तो रेड कलर के क्यों होते हैं वो स्टॉप करने के लिए रेड लाइट क्यों होती है या जो एंबुलेंस वगैरह जो होते हैं जो डेंजर साइंस होते हैं वो हमेशा रेड कलर से ही क्यों बनाए जाते हैं क्योंकि देखो अभी अभी मैंने आपको बताया कि जो रेड कलर है उसकी वेवलेंथ क्या होती है उसकी वेवलेंथ होती है सबसे ज्यादा यानी कि उसकी स्कैटरिंग क्या होगी कम होगी कम फैले गी मतलब क्या ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल कर जाएगी और बेसिकली डेंजर साइन हो या एंबुलेंस हो या जो ट्रैफिक सिग्नल की जो रेड लाइट हो उसका मतलब क्या होता है कि भाई उसके पास मत जाना है ना रेड लाइट हमको दूर से दिख जाती है ताकि आपको पता चले कि भाई आगे जाकर के आपको रुकना है अचानक से आपको वहां पर कोई आकर के रोक देगा अरे रुक जाओ रुक जाओ तो क्या आप रुक पाओगे नहीं रुक पाओगे अगर आपको किसी पॉइंट पर रुकना है और आप स्पीड से आ रहे हो तो उस पॉइंट पर रुकने के लिए आपको दूर से पता होना चाहिए कि भाई आगे रुकना है इसके लिए रेड लाइट का ही यूज किया जाता है क्यों क्योंकि रेड लाइट हम तक ज्यादा डिस्टेंस ट्रेवल करके भी पहुंच जाती है एंबुलेंस की क्या जरूरत थी क्यों उसमें जो है ना रेड कलर की बत्ती जलती है अकेले सायरन से भी तो काम हो सकता है ना ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जो रेड कलर की जो बत्ती जलती है ना हम चाहते हैं कि वो बत्ती दूर तक दिख जाए जिससे क्या हो थोड़ा सा रास्ता बन जाए ट्रैफिक ना हो रोड पे और एंबुलेंस इजली निकल जाए तो रेड कलर क्यों इंपॉर्टेंट है भाई क्योंकि उसकी वेवलेंथ ज्यादा है उसकी स्कैटरिंग कम हो जाएगी स्कैटरिंग कम होगी मतलब क्या फैले गी कम मतलब क्या ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल करके ज्यादा दूर ट्रैवल करके जो है ना हम तक आ सकती है आई आपको बात समझ में आई होप यह चीज आपको क्लियर हो गई होगी इस रिलेशन को नहीं भूलना है मैं बार-बार बोल रही हूं आपसे ठीक है अब ये रिलेशन हमें समझ में आ गया है अब एक काम करते हैं अब हम बात करते हैं हम हमारे सन की स्काई की ठीक है स्काई का कलर क्यों ब्लू हो रहा है क्यों रेड हो रहा है अब हम उस पे आते हैं रिलेशन हमें समझ में आ गया कि लाइट की वेवलेंथ और उसकी स्कैटरिंग और उसके डिस्टेंस के बीच में क्या है रिलेशन अब आ जाओ इस पे तो देखो ये क्या है ये है हमारी अर्थ अब सन की जो पोजीशन होती है वो डिफरेंट हो जाती है आफ्टरनून के टाइम पे क्या होता है कि अर्थ के पोल्स पे आ जाता है क्या पोल पे आ जाता है सन और जब सनसेट और सनराइज की बारी होती है उस टाइम पे सन कहां जाता है सन आ जाता है हमारी अर्थ के कहां इक्वेट्स पे ठीक है सन राइज और सन सेट के टाइम पे सन कहां आता है अर्थ की इक्वेट्स पे आ जाता है और जब आफ्टरनून दिन का टाइम होता है उस टाइम पे जो अर्थ के जो पोल है उस पर आ जाता है हमारा सन अब मुझे जरा यह बताओ कि जो डिस्टेंस है बिटवीन सन एंड अर्थ वो मैक्सिमम कब है जब सन इक्वेटर पे है या जब सन पोल पे है तो आपका आंसर होना चाहिए कि भैया जब सन कहां है अर्थ की इक्वेटर पे होता है यानी कि सनराइज और सनसेट के टाइम पे उस टाइम पे क्या होता है डिस्टेंस इनके बीच का ज्यादा होता है किसके बीच का सन एंड अर्थ के बीच का इक्वेटर में क्या होगा ज्यादा होगा किसके कंपैरिजन में डिस्टेंस बिटवीन सन एंड अर्थ कब जब सन कहां है अर्थ के पोल पे है यानी कि दिन के टाइम पे ठीक है यह चीज आपको समझ में आ गई होगी कि भाई सन और अर्थ के बीच का डिस्टेंस मैक्सिमम कब होता है सनराइज और सनसेट के टाइम पे जब सन कहां हो इक्वेटर पे हो और कम कब होता है जब सन कहां हो पोल पे हो अर्थ के पोल पे हो यानी कि दिन के टाइम पे यह चीज आपको क्लियर हो गई चलो अब क्या करते हैं अब हम बात करते हैं कि भाई किस तरह से हमें सनसेट और सनराइज के टाइम पे जो स्काई है वह रेड दे देखने को मिलता है सन से क्या निकल के आता है भाई सन से निकल के आती है सनलाइट सनलाइट क्या होती है एक वाइट लाइट होती है है ना और ये वाइट लाइट जो कि हमारे एटमॉस्फेयर में बहुत सारे कोलोड पार्टिकल्स होते हैं ये वाइट लाइट जब उन कोलोड पार्टिकल से टकराए गी तो क्या हो जाएगी स्कैटर होगी कैसे स्कैटर होगी भाई तो पैटर्न तो अभी भी हमें वही मिलेगा क्या मिलेगा विबग्योर मिलेगा यानी कि हमारी जो सनलाइट है जैसे ही अ एटमॉस्फेयर में जो कोलोलम प्रेजेंस है उनसे टकराए गी तो किसम किससे जाकर के स्कैटर हो जाएगी किसमें तो हम बोलेंगे विबग्योर में ठीक है अब देखो अब ये जो हमें विप ग्यर स्पेक्ट्रम मिला है इसमें से अब एक-एक करके जो लाइट होगी अलग-अलग कलर की वो स्कैटर करना शुरू होगी सबसे पहले हम स्टार्ट करते हैं किसके साथ इस वॉयलेट कलर के लाइट के साथ वॉयलेट कलर अब मैं यहां पे फिर से रिपीट करती हूं कि वेवलेंथ का सीक्वेंस क्या है भाई इस स्पेक्ट्रम में वेवलेंथ का सीक्वेंस है कुछ इस तरीके का कि रेड कलर की की जो लाइट है उसकी वेवलेंथ है सबसे ज्यादा और जो ब्लू कलर है जो वॉयलेट कलर है उसकी जो वेवलेंथ है वो कैसी है सबसे कम है ठीक है तो अब क्या होगा वॉयलेट कलर की जो लाइट निकल के आई है स्पेक्ट्रम से सनलाइट के स्पेक्ट्रम से उसमें क्या होगा कि अ वॉयलेट कलर की लाइट की वेवलेंथ है कैसी सबसे कम सबसे कम मतलब क्या वेवलेंथ सबसे कम मतलब क्या इसकी स्कैटरिंग क्या हो जाएगी बच्चों इसकी स्कैटरिंग हो जाएगी सबसे ज्यादा यानी कि ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल नहीं कर पाएगी रिलेशन याद है ना इस रिलेशन को कभी भूलना नहीं है वॉयलेट कलर की लाइट की जो वेवलेंथ थी वो कैसी थी सबसे कम थी जिसके कारण उसकी स्कैटरिंग हो गई ज्यादा ज्यादा फैल गई ज्यादा फैलने के कारण क्या हुआ डिस्टेंस वो कम ट्रेवल कर पाई तो इधर पे देखो हम मान के चलते हैं कि यहां कहीं हमारी जो वॉयलेट लाइट है वो क्या हो गई स्कैटर हो गई अब बारी आती है किसकी इंडिगो कलर की लाइट की इंडिगो कलर की जो लाइट है उसकी जो वेवलेंथ है वो कैसी है वॉयलेट कलर से तो थोड़ी ज्यादा ही है है ना वॉयलेट कलर से थोड़ी ज्यादा ही है यानी कि वेवलेंथ थोड़ी ज्यादा मतलब क्या स्कैटरिंग हो जाएगी थोड़ी सी कम स्कैटरिंग थोड़ी कम हो गई मतलब क्या हुआ डिस्टेंस इसने ज्यादा थोड़ा सा ज्यादा ट्रेवल कर लिया किससे ज्यादा ट्रेवल कर लिया तो हमारे वॉयलेट कलर की लाइट से तो भाई हो सकता है कि यह जो हमारी इंडिगो है वो कहीं यहां जाकर के स्कैटर हो गई है डि डिस्टेंस इसने ज्यादा ट्रेवल किया है किससे वॉयलेट कलर की लाइट से ठीक अब बारी आई किसकी ब्लू कलर की लाइट की ब्लू कलर की जो लाइट है बच्चों उसकी जो वेवलेंथ है वो कैसी है उसकी वेवलेंथ वॉयलेट और इंडिगो से थोड़ी सी ज्यादा है यानी कि उसकी स्कैटरिंग क्या होगी थोड़ी कम होगी यानी कि डिस्टेंस ये थोड़ा ज्यादा ट्रेवल कर पाएगी तो यह देखो इसने हो सकता है कहीं यहां जाकर के डिस्टेंस इतना ट्रैवल कर लिया हो और इस पॉइंट पर जाकर के ये स्कैटर हो गई हो ठीक अब इसके बाद में आई ग्रीन कलर की लाइट की बारी ग्रीन कलर की भी वेवलेंथ कैसी है थोड़ी ज्यादा है उसकी स्कैटरिंग थोड़ी कम होगी यानी कि थोड़ा ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल कर लेगी हो सकता है कि इस पॉइंट पे आक के क्या हो जाए वो स्कैटर हो जाए फिर इसके बाद में बारी आई किसकी येलो कलर की लाइट की ठीक है येलो कलर के लिए हम बोलते हैं कि इसकी वेवलेंथ कैसी है ग्रीन से भी ज्यादा है यानी कि इसकी स्कैटरिंग थोड़ी और कम हो जाएगी थोड़ी और कम स्कैटरिंग मतलब क्या डिस्टेंस ज्यादा ट्रेवल तो हो सकता है कि येलो कलर थोड़ा यहां जाकर के स्कैटर हुआ हो येलो कलर की लाइट अब बारी आई किसकी ऑरेंज कलर की ठीक है अब किसकी बारी आई भाई ऑरेंज कलर की बारी आ गई यह रहा अपना ऑरेंज कलर ठीक है अब देखो अब क्या हुआ कि ऑरेंज कलर की लाइट आई उसकी वेवलेंथ येलो से भी थोड़ी ज्यादा है यानी कि उसकी स्कैटरिंग क्या होगी और थोड़ी कम हो जाएगी यानी कि डिस्टेंस वो और ट्रैवल कर पाएगी तो हो सकता है कहीं यहां पे आकर के वो स्कैटर हो गई हो फाइनली कौन आता है भाई रेड कलर आता है रेड कलर की वेवलेंथ तो सबसे ज्यादा है सबसे ज्यादा मतलब क्या उसकी स्कैटरिंग बहुत ही कम होगी बहुत ही कम स्कैटरिंग मतलब क्या वो ज्यादा डिस्टेंस ज्यादा दूर तक ट्रैवल कर पाएगी कहां से ट्रैवल कर पाएगी सन से अर्थ तक भाई लाइट को जाना कहां है सन से अर्थ तक ही तो जाना है ना तो मैं जो डिस्टेंस ट्रेवल की बात कर रही हूं वो कौन सा डिस्टेंस है सन और अर्थ के बीच का तो रेड ग्लाइड की जो वेवलेंथ है वो कैसी है सबसे ज्यादा है उसकी स्कैटरिंग सबसे कम है यानी कि वो ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल कर पाएगी तो भाई यह देखो हमारी जो रेड लाइट है वो यहां पे कहीं आक के स्कैटर हुई है हम कहां खड़े हैं भाई हम खड़े हैं इस अर्थ पे खड़े हैं तो हमें अर्थ से कौन सा कलर दिख रहा है हमें अर्थ से दिख रहा है ब्लू कलर इसीलिए हमें अर्थ से स्काई का कलर सॉरी हमें कौन सा कलर दिख रहा है रेड कलर दिख रहा है इसीलिए हमें स्काई का कलर कैसा दिखता है रेड कलर का दिखता है कब जब सनसेट होने वाला होता है ठीक है जब सनसेट होने वाला होता है तो हमें रेड कलर देखने को मिलता है सिमिलरली यही चीज फॉलो होती है कहां सनराइज के टाइम पे भी क्यों क्योंकि सनराइज के टाइम पे भी सन कहां होता है इक्वेटर पे होता है तो इक्वेटर सन और जो अर्थ है उसके बीच का डिस्टेंस क्या होता है ज्यादा हो जाता है डिस्टेंस ज्यादा हुआ मतलब क्या कि जैसे जो वॉयलेट लाइट है जो इंडिगो लाइट है जो ब्लू लाइट है वो बहुत पहले ही स्कैटर होती जाती है और अर्थ के पास आते-आते कौन सी लाइट स्कैटर होती है रेड कलर की लाइट क्यों क्योंकि उसकी वेवलेंथ सबसे ज्यादा थी ना वेवलेंथ ज्यादा मतलब क्या उसकी स्कैटरिंग कम हुई फैली कम इसलिए ज्यादा डिस्टेंस ट्रेवल करके आ गई वॉयलेट कलर की लाइट की क्या थी बहुत ही कम वेवलेंथ थी जिसके कारण वो फैल ज्यादा गई फैलने के कारण क्या हुआ वो डिस्टेंस ज्यादा ट्रेवल नहीं कर पाई इसीलिए सनराइज और सनसेट के टाइम पे हमें स्काई रेड कलर का दिखता है ठीक अब बारी आ आती है किसकी अब बारी आती है हमारे अ दिन की जबकि हमें स्काई कार कैसा दिखता है स्काई का कलर हमें दिखता है ब्लू कलर का ऐसा कैसे हो पाता है भाई देखो अब क्या हुआ यहां पे मैंने आपको बताया था कि डिस्टेंस होता है सन और अर्थ के बीच का पोल्स पे कैसा होता है कम होता है अब डिस्टेंस कैसा है कम है अब क्या होगा फिर से सनलाइट आएगी वाइट लाइट आएगी जो कोलोनल पार्टिकल्स प्रेजेंट है एटमॉस्फेयर से उससे टकराए गी टकरा ने के बाद क्या होगा टकराने के बाद हम बोलते हैं कि वो स्कैटर हो जाएगी किसमें स्कैटर होगी भाई फिर से हम बोलते हैं कि विबग्योर में ही स्कैटर होगी ओबवियस सी बात है अब कौन आया भाई सबसे पहले आई वॉयलेट लाइट वॉयलेट लाइट आई उसकी वेवलेंथ कैसी थी उसकी वेवलेंथ हम बोलते हैं कि सबसे कम थी जिसकी वजह से उसकी स्कैटरिंग जो है ना ज्यादा हो गई ज्यादा डिस्टेंस वो ट्रैवल कर नहीं पाई ठीक है तो कहीं यहां जाकर के स्कैटर हो गई होगी फिर क्या हुआ इंडिगो लाइट आई इंडिगो ने क्या किया इंडिगो ने भी हम बोलते हैं कि उसकी वेवलेंथ वॉयलेट से तो थोड़ी ज्यादा ही थी है ना वॉयलेट से थोड़ी ज्यादा थी जिसके कारण उसकी स्कैटरिंग क्या हो गई थोड़ी कम हो गई उसने ज्यादा डिस्टेंस ट्रेवल कर लिया तो हो सकता है कहीं यहां जाकर के हमारी इंडिको स्कैटर हो गई हो फिर इसके बाद में कौन आई हमारी ब्लू लाइट आई ब्लू लाइट की वेवलेंथ वॉयलेट और इंडिगो से ज्यादा है यानी कि उसकी स्कैटरिंग थोड़ी कम होगी वो ज्यादा डिस्टेंस ट्रेवल करके क्या हो जाएगी स्कैटर हो जाएगी तो हो सकता है हमारी जो ब्लू लाइट हो वह कहां स्कैटर हो वो यहां स्कैटर हो अब जरा देखो आप कहां खड़े हो आप खड़े हो अर्थ पर अर्थ से आपको कौन सा कलर दिख रहा है ब्लू कलर दिख रहा है हमारी आंखों पर छा जाता है ब्लू कलर इसीलिए हमें स्काई कैसा देखने को मिलता है भाई हमें स्काई देखने को मिलता है कौन से कलर का ब्लू कलर का कब जब दिन होती है आफ्टरनून के टाइम पे समझे कि नहीं समझे आई होप ये चीज आपको समझ में आ गई होगी अब आप बोलोगे कि मैम अब इस केस में जब सनराइज और सनसेट हो रहा था उस टाइम पे तो आपने बोला था कि जितने की जितनी विब और कलर्स है वो सब स्कैटर हो रहे थे यहां पे तो आपने सिर्फ तीन ही कलर्स को स्कैटर होते हुए दिखाया नहीं बेटा स्कैटर तो यहां पे सभी की सभी लाइट्स होंगी लेकिन क्या होता है ना कि सन और अर्थ के बीच का जो डिस्टेंस होता है दिन के टाइम पे वो कम होता है तो अभी क्या हो रहा है अभी जो बाकी की ग्रीन येलो ऑरेंज और रेड लाइट्स है ना इनने अभी स्कैटर करना शुरू नहीं किया है इससे पहले कि यह स्कैटर हो ब्लू लाइट आकर के हमारी आंखों पे छा जाती है इसीलिए हमें स्काई ब्लू कलर का दिखने लगता है आई होप यह चीज आपको समझ में आई होगी मैं सराइज कर देती हूं सभी चीजों को कि मैंने क्या बोला सबसे पहले हमने स्टार्ट किया था लाइट की स्कैटरिंग के साथ कि भाई लाइट की स्कैटरिंग क्या होती है कि लाइट जब किसी भी एक पर्टिकुलर टाइप के पार्टिकल से टकराती है टकराने के बाद वो डिफरेंट डायरेक्शन में क्या हो जाती है फैल जाती है बिखर जाती है उसे हम कहते हैं स्कैटरिंग स्कैटरिंग तभी पॉसिबल है जब वो पर्टिकुलर टाइप का पार्टिकल कौन सा हो कोलोड पार्टिकल हो यानी कि उसकी साइज की रेंज कितनी होनी चाहिए 1 से 1000 नैनोमीटर के बीच की होनी चाहिए इस कैटरिंग के कारण क्या होता है लाइट का पाथ विजिबल हो जाता है सन से आ रही जो हमारी सनलाइट होती है वो भी क्या होती है एक तरह की वाइट लाइट होती है ठीक है और हमारे एटमॉस्फेयर में बहुत सारे कोलोरियर पार्टिकल्स प्रेजेंट होते हैं जैसे कि वाटर वेपर ठीक है गैसेस डस्ट पार्टिकल स्मोक पार्टिकल्स तो उनसे टकराने के बाद क्या होता है वो भी स्कैटर हो जाती है किसमें स्कैटर होती है विबग्योर में स्कैटर होगी अब ये जो विबग्योर का जो पैटर्न मिला है उसमें वेवलेंथ का सीक्वेंस क्या होता है रेड का सबसे ज्यादा और वॉयलेट की सबसे कम वेवलेंथ ऐसी लाइट जिसकी वेवलेंथ क्या होती है ज्यादा होती है उसकी स्कैटरिंग थोड़ी कम होती है थोड़ी कम फैलती है इसका मतलब क्या वो ज्यादा डिस्टेंस ट्रेवल करके जा सकती है इसीलिए किसी भी भी तरह के जो डेंजर साइन होता है एंबुलेंस का जो सायरन का जो बत्ती होती है वो रेड कलर की होती है ठीक है ट्रैफिक सिग्नल में रोकने वाला जो सिग्नल है वो रेड कलर का होता है क्यों क्योंकि रेड कलर हम तक ज्यादा डिस्टेंस ट्रेवल करके पहुंचाता है अगर हम दूर भी होते हैं तो हमें दूर से रेड कलर का साइन दिख जाता है रेड कलर हमें दिख जाता है क्यों क्योंकि उसकी वेवलेंथ है ज्यादा स्कैटरिंग उसकी कम होती है फैलती कम है ज्यादा डिस्टेंस ट्रेवल करके पहुंच जाती है ठीक है अब क्या हुआ सनसेट और सनराइज की हम बात करते हैं सन सेट के टाइम पे क्या होता है कि अ जो सन है वो कहां होता है इक्वेटर पे होता है और दिन के टाइम पे क्या होता है सन अर्थ के पोल पे होता है तो जो डिस्टेंस होता है सन और अर्थ के बीच का वो ज्यादा कब होता है ज्यादा होता है सनराइज और सनसेट के टाइम पे और कम कब होता है दिन के टाइम पे ठीक है तो सनराइज और सनसेट की अगर हम बात करें तो क्या हो रहा है सन से आ रही है क्या सनलाइट अब किसमें स्कैटर हो जाएगी वो विबग्योर में स्कैटर होगी अब क्या होगा सबसे पहले जो वॉयलेट लाइट है वो सबसे पहले स्कैटर हो जाएगी क्यों क्योंकि उसकी वेवलेंथ कैसी है सबसे ज्यादा तो सबसे ज्यादा सॉरी सबसे कम वेवलेंथ किसकी है वॉयलेट की सबसे ज्यादा स्कैटर होगी यानी कि सबसे कम डिस्टेंस वही ट्रैवल करेगी तो देखो वॉयलेट लाइट कहीं यहां पे आके स्कैटर हो गई इसी तरह से बाकी लाइट्स भी क्या होंगी स्कैटर होती जाएंगी होती जाएंगी होती जाएंगी और अर्थ के सबसे पास कौन सी लाइट आकर के स्कैटर हुई है रेड कलर की क्यों वेवलेंथ ज्यादा थी ना वेवलेंथ ज्यादा ज्यादा थी जिसकी वजह से अ उसकी स्कैटरिंग कम हुई और उसने डिस्टेंस ज्यादा ट्रैवल कर लिया ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल करके वह सन से कहां पहुंच गई अर्थ के पास पहुंच गई दिन के टाइम पे क्या हुआ था सन और अर्थ के बीच का मून कैसा अ सन और अर्थ के बीच का डिस्टेंस कैसा था वो कम था इसीलिए जैसे ही ब्लू लाइट स्कैटर करती हुई हम तक पहुंची ब्लू लाइट हमारे आंखों के सामने छा गई और हमें पूरा का पूरा स्काय ब्लू कलर का दिखने लगा ऐसा नहीं है कि बाकी की जो लाइट्स होंगी वो स्कैटर नहीं होंगी बिल्कुल होंगी लेकिन अभी क्या था ना डिस्टेंस काफी कम था सन और अर्थ के बीच का तो अभी इन लाइट्स ने स्कैटर करना शुरू नहीं किया है क्यों क्योंकि अभी तक इनने सफिशिएंट इनफ डिस्टेंस ट्रेवल नहीं किया है ना एक पर्टिकुलर डिस्टेंस के बाद ही तो जाकर के ये स्कैटर होंगी ना इससे पहले कि ये स्कैटर हो ब्लू लाइट हो गई स्कैटर और हमें स्काई ब्लू दिखने लगा बस इतनी सी थी कहानी कि क्यों हमें दिन के टाइम पे सन दिख स्काई दिखता है ब्लू कलर का और सनराइज और सनसेट के टाइम पे हमें दिखता है कैसा रेड कलर का स्काई आई होप आप इस चीज को करेंगे एंजॉय और आप समझेंगे इस चीज को तो इस लेक्चर के लिए इतना ही स्कैटरिंग ऑफ लाइट हो जाती है इसी टॉपिक पे आके फिनिश अब हम बात करेंगे हमारे नेक्स्ट लेक्चर से एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट की तब तक आप क्या करेंगे आप हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है magnetbrains.com उसे विजिट कर लेना जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे प्लेलिस्ट में साथ ही साथ सभी टॉपिक्स के होंगे वहां पे आपको नोट्स भी अवेलेबल सो डू विजिट आ ऑफ ऑफिशल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विद मैग्नेट बेंस थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन इस लेक्चर में इस सेशन में हम पढ़ने वाले हैं कि किस तरह से जो भी हमें स्काई में सन मून और स्टार्स देखने को मिलते हैं एक्चुअली में वो सन स्टार या मून है ही नहीं मतलब क्या है कि जो हमें देखने को मिलता है जो हम देखते हैं ना एक्चुअली वो सब क्या है इमेजेस हैं जो स्टार्स हमें दिखते हैं वो क्या है स्टार नहीं है वो रियल स्टार नहीं है वो स्टार्स की इमेज है जो सन हम देखते हैं वो रियल सन नहीं है वो सन की इमेज है और जो मून हम देखते हैं वो मून नहीं है मून की इमेज है अब आप बोलोगे कि मैम ये कैसे पॉसिबल है हमें तो यही बताया गया था कि हमें स्काई में सन मून और स्टार्स देखने को मिलते हैं ये तो हमें बताया ही नहीं कि जो हम देखते हैं वो एक्चुअली में इमेजेस होती हैं और अगर वो इमेजेस होती हैं तो एक्चुअल स्टार सन या मून होते कहां हैं तो आज के इस सेशन में हम इन्हीं कुछ क्वेश्चंस को करेंगे सॉल्व इनके आंसर्स को करेंगे फाइंड आउट लेकिन उसके पहले आपको समझना होगा एक टॉपिक जो कि है हमारे चैप्टर का लास्ट टॉपिक जिसका नाम है एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट तो भाई इस वीडियो में इस लेक्चर में सबसे पहले हम समझेंगे एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट को और बाकी की बातें करेंगे बाद में तो टारगेट हो गया है सेट इस सेशन का कि हमें स्टार्ट करना है क्या एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट तो जब टारगेट सेट है तो फिर देरी किस बात की तो चलिए चलिए स्टार्ट करते हैं आज का यह हमारा सेशन आज का हमारा लेक्चर सो दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मै मैगनेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं आज का ये हमारा सेशन जिसमें हम पढ़ेंगे एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट तो कोई भी हमारे लिए अब नया वर्ड नहीं रहा हमने रिफ्रैक्ट के बारे में बहुत सारी चीजें पढ़ ली हैं इनफैक्ट हमारी आंखों में जो रिफ्रैक्ट होता है वो भी हमने देख लिया लेकिन जरा ये एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट क्या है यह नहीं पता भाई ऐसा रिफ्रैक्ट जो कि कहां हो रहा है एटमॉस्फेयर में हो रहा है हमारे अर्थ के एटमॉस्फियर में हो रहा है उसी को हम बोल देते हैं एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट फेयर में होता है रिफ्रैक्ट करने के लिए चाहिए क्या होता है भाई रिफ्रैक्ट के लिए चाहिए होते हैं मीडियम और एक लाइट तो लाइट कहां से आएगी भाई जो हम बात कर रहे थे ना अभी सन की या मून की या फिर किसकी स्टार्स की तो लाइट कहां से आएगी भाई हम तक यानी कि हमारी अर्थ तक इन्हीं सन मूस और मून और स्टार्स के से आएगी ठीक है अब हम कहां है भाई हम खड़े हैं हमारी अर्थ पे हम कहां है हम खड़े हैं हमारी अर्थ पे अब हमारी अर्थ का भी क्या होता है भाई एक एटमॉस्फेयर होता है ठीक है और इस एटमॉस्फेयर में इस एटमॉस्फेयर में भाई बहुत सारी क्या होती हैं लेयर्स होती हैं मैंने आपको क्या बताया कि जब हम बात कर रहे हैं एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट की तो मतलब क्या है एटमॉस्फेयर में होने वाला रिफ्रैक्ट उसको हम कहते हैं एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट रिफ्रैक्ट के लिए दो चीजें चाहिए होती है एक तो हमें डिफरेंट मीडिया चाहिए होते हैं और दूसरी चीज क्या चाहिए होती है लाइट चाहिए होती है लाइट का सोर्स कौन है सन मून एंड स्टार्स अब दूसरी चीज क्या चाहिए है डिफरेंट मीडिया चाहिए है ये डिफरेंट मीडिया कहां से आएंगे ये मीडिया आएंगे हमारी अर्थ के एटमॉस्फेयर से हमारी जो अर्थ का एटमॉस्फेयर है उसमें डिफरेंट लेयर्स होती हैं ठीक है सबसे अगर पहले मैं लेयर बोलूं तो कौन सी होती है भाई ट्रोपो स्फीयर होती है फिर इसके बाद में कौन सी लेयर होती है भाई इसके बाद में लेयर होती है स्ट्रेटोस्फीयर है ना फिर इसके बाद में कौन सी लेयर आएगी इसके बाद में लेयर आती है अपनी बीच वाली यानी कि मीजो स्फीयर फिर उसके आगे कौन आएगी इसके बाद में थर्मोस्फीयर आएगी और फिर सबसे बाहर कौन सी आती है भाई एगोस्तीनी कि ये रही हमारी अर्थ और इस अर्थ में क्या होता है एक एटमॉस्फेयर होता है अर्थ का एक एटमॉस्फियर होता है ये एटमॉस्फियर कैसे बनता है भाई अलग-अलग लेयर से मिलके बनता है सबसे वाली ट्रोपो स्फीयर फिर स्ट्रेटोस्फीयर फिर मीजो स्फीयर फिर थर्मोस्फीयर फिर एजोस्पिरिलम अब क्या होता है इन सभी लेयर्स का अपनी अलग-अलग क्या होती है डेंसिटी होती है यानी कि जो ट्रोपो स्फीयर है उसकी अपनी अलग एक डेंसिटी होगी स्ट्रेटोस्फीयर की अपनी एक अलग डेंसिटी होगी मीजो स्फीयर लेयर की भी अपनी एक डेंसिटी होगी थर्मोस्फीयर की भी होगी और एजोस्सिम अर्थ के सरफेस अर्थ के एटमॉस्फियर से बाहर निकलते हैं यानी कि हम अ ट्रोपो स्फीयर से होते हुए कहां जाते हैं एजोस्सिम होती जाती है यानी कि अगर मैं सबसे डेंस लेयर बोलूं हमारे अर्थ के एटमॉस्फेयर की तो वो कौन होगी ट्रोपो स्फेयर होगी क्या बोला मैंने कि जैसे-जैसे हम अर्थ के एटमॉस्फेयर से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं यानी कि ट्रोपो स्फीयर से कहां जाते हैं सबसे आउटर मोस्ट लेयर एग्जोटिवली कम होती जाती है लेयर्स की सबसे डेंस लेयर कौन सी होगी ट्रोपो स्फीयर और सबसे रेयरर लेयर कौन सी होगी सबसे रेयरर होगी हमारी एजोस्पिरिलम के लिए क्या चाहिए भाई एक लाइट चाहिए तो लाइट के तीन सोर्स है हमारे पास ऑलरेडी अवेलेबल और क्या-क्या चाहिए हमें हमें चाहिए होते हैं डिफरेंट मीडिया तो भाई इतनी सारी लेयर्स हैं उन सभी लेयर्स की अपनी अलग-अलग डेंसिटी है तो क्या अलग-अलग डेंसिटी वाली चीजें आपके लिए मीडियम की तरह काम नहीं करेंगी बिल्कुल करेंगी या यानी कि एक रिफ्रैक्ट होने के लिए जो भी चीजें रिक्वायर होती हैं पहली तो लाइट दूसरी चीज क्या है डिफरेंट मीडिया वो यहां पे हमको हो गए अवेलेबल तो अब आसानी से क्या हो सकता है रिफ्रैक्ट हो सकता है कैसे होगा भाई सन मून और स्टार्स से लाइट जब अर्थ पे आएंगी तो कैसे आएंगी हमारा ये जो अर्थ का एटमॉस्फेयर है इतना सारा उसको क्रॉस करके आएंगी और जब इसको क्रॉस करके आएंगी तो इनसे निकलने वाली जो रेज होंगी सन से जो निकलेंगी सनलाइट होंगी मून से जो रेज निकलेगी स्टार से जो लाइट निकलेगी वो जैसे ही इस अर्थ के एटमॉस्फेयर में आएगी तो क्या होगा रिफ्रैक्ट हो जाएगा क्यों रिफलेक्शन हो जाएगा क्योंकि भाई ये जो सन मून एंड स्टार्स है ये खुद कहां है ये खुद तो है कहां वैक्यूम में कहां है ये खुद वैक्यूम में है जहां पे लाइट की स्पीड अपनी अ लाइट जो है अपनी मैक्सिमम स्पीड के साथ ट्रेवल करती है कितनी 3 * 10 टू पावर 8 मीटर पर सेकंड लाइट जो है वैक्यूम में अपनी मैक्सिमम स्पीड के साथ ट्रेवल करती है कितनी होती है 3 * 10 टू द पावर 8 मीटर पर सेकंड इतनी स्पीड के साथ लाइट वैक्यूम में ट्रेवल करेगी अब जैसे ही क्या होगा वो अर्थ के एटमॉस्फेयर की डिफरेंट लेयर्स में ट्रैवल करती हुई आएगी तो क्या होगा मीडियम चेंज हो जाएगा क्यों क्योंकि खुद तो कहां से आ रही थी खुद आ रही थी वैक्यूम से फिर कहां आएंगी सबसे पहले वो आएंगी अर्थ के एटमॉस्फेयर की एजोस्पिरिलम फिर कहां जाएंगी मसोस्फीयर में फिर कहां जाएंगी स्ट्रेटोस्फीयर में फिर कहां आएंगी ट्रोपो स्फीयर में और उसके बाद में हम तक पहुंचेंगी इतनी सारी लेयर्स को क्रॉस करती हुई आएंगी और इतनी सारी लेयर्स के पास क्या है उनकी खुद की डेंसिटी है यानी कि जैसे-जैसे वो वैक्यूम से कहां आती जाएंगी लाइट रेज अर्थ के पास आती जाएंगी अलग-अलग डेंसिटी की लेयर्स वाली लेयर्स को क्रॉस करती हुई आएंगी तो भाई मीडियम हो रहा है ना चेंज लाइट का कहां से आ रही थी लाइट वैक्यूम में आ रही थी वैक्यूम से आ रही थी कहां आई अर्थ के एटमॉस्फेयर के पास आई अर्थ के एटमॉस्फेयर के पास क्या है डिफरेंट डेंसिटीज है यानी कि डिफरेंट मीडियम है तो भाई एक से जब दूसरे मीडियम में लाइट आती है तो क्या हो जाता है रिफ्रैक्ट हो जाता है और ये रिफ्रैक्ट कहां हुआ है भाई हमारे अर्थ के एटमॉस्फेयर में हुआ है इसलिए इसे हम क्या कहते हैं एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट कहते हैं मैं रिवाइज कराती हूं कि भाई ये रही हमारी अर्थ और अर्थ को लाइट कहां से मिलती है सन मून और स्टार्स से मिलती है सन मून और स्टार्स कहां होते हैं वैक्यूम में होते हैं ठीक है फिर इसके बाद में जो अर्थ है इसका एक अपना एटमॉस्फेयर होता है उस एटमॉस्फेयर में बहुत सारी लेयर्स होती हैं सबसे पहले कौन सी होती है ट्रोपो स्फीयर फिर स्ट्रेटोस्फीयर फिर मसोस्फीयर फिर थर्मोस्फीयर फिर एजोस्सिम अर्थ के सरफेस के बाहर निकलेंगे यानी कि ट्रोपो स्फीयर से से एजोस्सिम होती जाएगी यानी कि सबसे डेंसर लेयर कौन सी है अर्थ के एटमॉस्फेयर की ट्रोपो स्फीयर है और सबसे कम डेंस कौन सी लेयर है अर्थ के एटमॉस्फेयर की वो है हमारी कौन सी एजोस्सिम से उनमें से जब लाइट आएगी वो कहां थे वैक्यूम में प्रेजेंट थे और वैक्यूम में लाइट की स्पीड कैसी होती है मैक्सिमम होती है 3 * 10 टू द पावर मीटर पर सेकंड की स्पीड होती है वो जैसे ही अर्थ में आने की कोशिश करेंगी लाइट कहां से आएंगी अर्थ के एटमॉस्फेयर को क्रॉस करके आना पड़ेगा तो जैसे ही वैक्यूम से कहां घुसी अर्थ के एटमॉस्फेयर में घुसी हो गया रिफ्रैक्ट क्शन मतलब क्या इन लाइट्स का पाथ जो है वो क्या हो जाएगा चेंज हो जाएगा ठीक है तो जब रिफ्रैक्ट होगा लाइट का अर्थ के एटमॉस्फेयर में उसी को हम कहते हैं एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट अब इसकी दो-तीन हम क्या करते हैं एप्लीकेशंस देख लेते हैं सबसे पहले तो यह थ्योरी है द अर्थ एटमॉस्फेयर इज़ नॉट यूनिफॉर्म थ्रू आउट इट्स डेंसिटी गोज ऑन चेंजिंग एज़ वी मूव अप र मूव डाउन इट इज़ इट कैन बी कंसीडर्ड टू बी कंसिस्टिंग ऑफ़ लेयर्स ऑफ़ डिफरेंट डेंसिटीज व्हिच एक्ट एज़ अ रेयरर और डेंसर मीडियम विद रिस्पेक्ट टू ईच अदर ड्यू टू दिस व्हेन द लाइट रेज़ पासेस थ्रू इज़ अर्थस एटमॉस्फेयर दे अंडरगो रिफ्रैक्ट द रिफ्रैक्ट ऑफ़ लाइट कॉज्ड बाय दीज लेयर्स इज कॉल्ड एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट क्लियर है आपको कोई डाउट तो नहीं है चलो अब हम बात करते हैं इस चीज के पहले एप्लीकेशन की कि हमें क्यों स्टार्स जो मैंने आपको बोला था सेशन के बिगिनिंग में कि जो हमें स्टार्स मून और सन की जो बेसिकली जो हमें यू नो दिखते हैं स्काई में वो एक्चुअली उनकी इमेजेस होती हैं एक्चुअल सन मून स्टार होते नहीं है कैसे नहीं होते जरा देखो इधर ये क्या है भाई ये है हमारी अर्थ और यहां पे हम छोटू से खड़े हुए हैं ठीक है अब क्या हुआ अब यह रहा क्या स्टार इस स्टार से ओबवियस सी बात है स्टार भी क्या है एक सोर्स है लाइट का तो इस स्टार से भी क्या आती है लाइट आती है कहां से आ रही है लाइट लाइट आ रही है स्टार से स्टार कहां है वैक्यूम में है वैक्यूम से स्टार की लाइट कहां आएगी हम तक आएगी हम कहां खड़े हैं अर्थ के सरफेस प खड़े हैं लेकिन क्या बड़े आसानी से सीधे-सीधे आ जाएगी स्टार की लाइट बिल्कुल भी नहीं उसको क्रॉस करना होगा हमारे अर्थ का एटमॉस्फेयर और अर्थ के एटमॉस्फेयर में होती है बहुत सारी लेयर्स और उन सभी लेयर्स की क्या होती है अपनी-अपनी एक डेंसिटी होती है जो कि रेयरर और डेंसर मीडियम की तरह काम करेंगी मैंने आपको बोला था कि अह जो हमारी सबसे बाहर वाली लेयर होती है एजोस्सिम होती है और जैसे-जैसे हम अर्थ की तरफ जाएंगे लेयर्स की डेंसिटी क्या होती जाएगी ग्रैजुअली इंक्रीज होती जाएगी बाहर जाएंगे तो ग्रैजुअली डिक्रीज हो जाए जाएगी ठीक है तो अब क्या हुआ स्टार से आ रही है लाइट ये रही क्या पहली लेयर ये रही दूसरी लेयर ये तीसरी और चौथी जितनी भी लेयर्स आपको पता है वो सब यहां पे बना दो ठीक है अब क्या हुआ अब आ रही है हमारी स्टार की लाइट तो जब तक ये वैक्यूम में है जब तक ये अर्थ के एटमॉस्फेयर में नहीं पहुंची है तब तक तो सब कुछ फर्स्ट क्लास है है ना सीधी-सादी आ रही है अपनी मैक्सिमम स्पीड के साथ आ रही है लेकिन जैसे ही हमारे अर्थ के एटमॉस्फेयर में पहुंची मीडियम चेंज हुआ मीडियम चेंज के कारण क्या होगा मीडियम चेंज के कारण हम बोलते हैं कि इसका पाथ चेंज हो जाएगा क्या होगा पाथ चेंज हो जाएगा अब ये कुछ इस तरह से बेंड हो जाएगी ठीक है फिर ये दूसरे लेयर में जाएगी फिर इसका पाथ चेंज होगा फिर तीसरी लेयर में जाएगी फिर इसका पाथ चेंज होगा फिर जब तक ये हम तक पहुंचेगी तब तक इसके कई सारे पाथ चेंज होके हो चुके रहेंगे ठीक है अब क्या होगा जहां से एक्चुअल लाइट आ रही है हमारा दिमाग क्या करता है जब हमने आपको अगर याद होगा हमने एक केस पढ़ा था कि किस तरह से हमको कोई भी पेंसिल या कोई भी ऑब्जेक्ट पानी में डालने के कारण क्या दिखता है टूटा हुआ दिखाई देता है क्यों क्योंकि उस पार्ट से निकलने वाली रेज जैसे ही हमारी आंखों तक जाती है आंखों ने कहां पहुंचा दिया हमारे ब्रेन तक पहुंचा दिया ब्रेन क्या करता है उन सभी रिफ्लेक्टेड रेज को यू नो मिलाने की कोशिश करता है और इमेज बनाने की कोशिश करता है यहां पे भी क्या हुआ लाइट आ रही थी स्टार से जैसे ही स्टार्स से लाइट आई हम तक डिफरेंट एटमॉस्फेरिक लेयर्स को क्रॉस करती हुई ये लाइट कहां गई हमारे ब्रेन के पास गई ब्रेन ने क्या किया ब्रेन ने सोचा कि चलो हम स्टार की इमेज बनाते हैं कैसे बनाई उसने इमेज जो लाइट आ रही थी ना उस लाइट को एक्सटेंड कर दिया पीछे की तरफ क्योंकि ब्रेन को तो पता ही नहीं है ना कि ये जो लाइट आ रही है ना वो रिफ्लेक्ट हो हो के आ रही है अपना चेंज करती हुई आ रही है उसको क्या समझ में आ रहा कि भाई जो लाइट आ रही है ना उसी को अगर हम पीछे की तरफ एक्सटेंड कर देंगे अगर उसको हम उसके ओरिजिनल पाथ में ले जाएंगे तो वहीं पे क्या होगा हमारा ऑब्जेक्ट होगा वहीं पे वो क्या बना देगा उस ऑब्जेक्ट की इमेज बना देगा क्योंकि ब्रेन को तो नहीं पता कि जो लाइट है वो कहां से आ रही थी वैक्यूम से आ रही थी और हम तक कैसी पहुंची है हम तक पहुंची है रिफ्लेक्ट हो हो करके यानी कि अपना पाथ चेंज करते करते उसको क्या समझ में आया कि जो लाइट रही है ना उसको उसके ओरिजिनल पाथ में क्या कर दिया उसने एक्सटेंड कर दिया और एक्सटेंड किया तो क्या पाया कि सन का सॉरी जो स्टार कहां है वो कहां है यहां एक्चुअल में स्टार कहां था वो तो यहां था लेकिन ब्रेन को क्या लगा ब्रेन को लगा कि स्टार यहां है क्यों क्योंकि जो लाइट आ रही थी ना स्टार से उसको क्या कर दिया ब्रेन ने उसके ओरिजिनल पाथ के अलोंग ही एक्सटेंड कर दिया उसे नहीं पता था कि स्टार से जो लाइट आ रही है वो एक्सटेंड हो कर के पहुंच रही है सॉरी वो रिफ्रैक्ट हो कर के पहुंच रही है अपना पाथ चेंज करके पहुंच रही है क्योंकि मीडियम चेंज हो रहे हैं बार-बार ठीक है जिसके कारण क्या हुआ हमारे ब्रेन ने स्टार से निकल रही लाइट को उसके ओरिजिनल पाथ के अलोंग ही क्या कर दिया एक्सटेंड कर दिया तो यहां पे हमें क्या मिल गई स्टार की पोजीशन मिल गई न्यू पोजीशन मिल गई और इसे हम क्या कहते हैं इसे हम कहते हैं अपेरेंट पोजीशन और ये क्या था ये थी स्टार की ओरिजिनल पोजीशन ठीक है तो इसीलिए मैंने आपको बोला था कि जो हमें अ स्टार या मून या सन देखने को मिलता है ना वो एक्चुअली उनकी इमेजेस होती है क्यों क्योंकि एक्चुअल स्टार मून सन तो कहीं और होते हैं लेकिन हमारे ब्रेन को नहीं पता उनसे निकलने वाली इंसिडेंट ट्रेस को वो क्या कर देती है पीछे की तरफ एक्सटेंड कर देती है इमेज बनाने के लिए और इमेज कहीं और बनती है जहां बनती है हम सोचते हैं कि वहीं है अपना स्टार सन या मून ठीक है क्या लिखा गया है भाई द स्टार सीम हा र देन दे एक्चुअली आर अब ये देखो जरा ये देखो स्टार एक्चुअल पोजीशन में कहां है यहां है लेकिन हमें क्या लग रहा है कि वो थोड़े से ऊपर है जो इमेज बनाई है हमारे ब्रेन ने स्टार की वो कैसी है एक्चुअल स्टार की पोजीशन से थोड़ी ऊपर है इसीलिए हमें स्टार बहुत ऊपर दिखाई देते हैं लेकिन एक्चुअली में इतने होते नहीं है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि बिल्कुल ऐसे हाथ करोगे और तो पकड़ में आ जाएंगे नहीं होते तो वो हमसे वैसे भी काफी दूर हैं लेकिन जो ब्रेन उन स्टार्स की इमेज बनाता है वह क्या होता है थोड़े और हाइट पे बना देता है इसलिए स्टार हमको काफी ज्यादा हाइट पे दिखते हैं ठीक है एज द लाइट फ्रॉम अ स्टार एंटर्स द अर्थस एटमॉस्फेयर इट अंडरगोज रिफ्रैक्ट एंड बेंड टुवर्ड्स द नॉर्मल ईच टाइम ड्यू टू एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट ओबवियस सी बात है वैक्यूम से आ रही थी स्टार की लाइट और जैसे ही वो एटमॉस अर्थ के एटमॉस्फियर की फर्स्ट लेयर में घुसे गी वहां पे डेंसिटी उसको क्या मिलेगी ज्यादा मिलेगी है ना वो खुद कहां से आ रही थी वैक्यूम से आ रही थी और कहां आई वह वैक्यूम से अर्थ की जो फर्स्ट लेयर थी आउटर मोस्ट लेयर थी एजोस्पिरिलम थोड़ा सा डेंस हो गया डेंसिटी थी वहां पे उस आउटर मोस्ट लेयर में भले ही कम थी लेकिन थी तो तो लाइट कहां जा रही है रेयरर से डेंसर मीडियम में जा रही है तो क्या होगा नॉर्मल के तरफ बेंड हो जाएगी ठीक नॉर्मल की तरफ क्या हुई वो बेंड हो गई फिर इसके बाद में जैसे जैसे जैसे वो सक्सेसिव लेयर्स में बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे उसका पाथ क्या हो जाएगा चेंज होता जाएगा और नॉर्मल की तरफ वो बेंड होती जाएगी क्यों क्योंकि भाई जो एजोस्सिम स्फीयर थर्मोस्फीयर से भी ज्यादा डेंस कौन सी है उससे नीचे वाली लेयर मिजो स्फीयर मीजो स्फीयर से भी ज्यादा डेंसर कौन सी लेयर है तो आप बोलोगे ट्रोपो स्फीयर सॉरी स्ट्रेटोस्फीयर फिर उससे भी ज्यादा डेंस कौन सी होगी ट्रोपो स्फीयर ठीक है देयर फोर द अपेरेंट पोजीशन ऑफ द स्टार इज स्लाइटली डिफरेंट फ्रॉम इट्स एक्चुअल पोजीशन द स्टार अपीयर्स टू बी स्लाइटली हायर दन इट्स एक्चुअल पोजीशन व्हेन व्यूड नियर द होराइजन ठीक है आई होप ये चीज आपको समझ में आ गई होगी अब हम बात करते हैं दूसरे फिनोमेना की दूसरी चीज क्या है भाई एडवांस सनराइज एंड डिलेड सनसेट इसका क्या मतलब हुआ एडवांस सनराइज का मतलब होता है कि सनराइज सपोज हुआ है कितने बजे 5 बजे हुआ है सुबह सुबह 5 एम प हुआ है लेकिन हमें यह सनराइज कितने टाइम पे दिख जाएगा ये सनराइज हमें दिख जाएगा 458 एम पे यानी कि 2 मिनट जल्दी दिख जाएगा वही अगर हम बात करें सनसेट की ठीक है क्या बोल रहे हैं ये डिलेड सनसेट सनसेट कितने बजे हुआ है सपोज सनसेट हुआ है यहां पे 6 बजे लेकिन हमें सनसेट होते हुए कितने टाइम प मिलेगा सनसेट हमें मिलेगा 6:2 मिट पे यानी कि यहां पे क्या हो रहा है यहां पे हो रहा है एडवांस सन अ एडवांस सनराइज सनराइज कितने बजे हो रहा था एक्चुअल में 5:00 बजे लेकिन हमें कितने बजे दिख गया हमें दिख गया 2 मिनट पहले 548 पे और जो यहां पे सनसेट हो रहा है वो कैसा हो रहा है डिलेड सनसेट हो रहा है क्यों क्योंकि सनसेट हुआ एक्चुअल कितने टाइम पे हुआ था 6:00 बजे लेकिन हमें कितने टाइम पे दिखा 6:2 पे यानी कि दो मिनट बाद हमें सनसेट दिखा डिलेड सनसेट दिखा अब ये अर्ली सनराइज और डिलेड सनसेट का तो मतलब समझ में आ गया लेकिन ऐसा होता क्यों है जरा इधर देखो ध्यान से यहां पर आपको दिख रही होगी क्या एक अर्थ और उस अर्थ पर खड़े हैं हम छोटू से ठीक है अब एक लेयर आपको दिख रही होगी होराइजन अब ये होराइजन का मतलब क्या होता है यह एक ऐसी लाइन होती है जहां पर हम बोलते हैं कि अर्थ और स्काई मिलते हैं ठीक है हमें ऐसा लगता है कि अर्थ और स्काई क्या हो रहे हैं मिल रहे हैं तो एक ऐसी लाइन जहां पे हमें लगे कि अर्थ और स्काई कैसे हैं मिल रहे हैं उसे हम क्या कहते हैं होराइजन कहते हैं ठीक है या आप इसको हॉरिजॉन्ट भी कह सकते हो जो आप इसे बोलते हो ठीक है अब क्या हुआ सबसे पहले हम बात करते हैं सनराइज की सन कहां है भाई सन है हमारा वैक्यूम में तो उससे निकलने वाली सनलाइट भी कहां से आ रही होगी वैक्यूम से ही आ रही होगी वैक्यूम से कहां आएगी भाई वैक्यूम से आएगी हम तक हम कहां है अर्थ पे हैं यानी कि अगर सनलाइट को अर्थ पे आना है हम तक आना है तो उसे अर्थ का जो एटमॉस्फियर है ठीक है अर्थ का जो एटमॉस्फियर है अर्थ की जो लेयर्स हैं उसको क्रॉस करके आना पड़ेगा यानी कि फिर से क्या होगा मीडियम चेंज होगा क्यों क्योंकि खुद तो आ रही थी वैक्यूम से और कहां आई अर्थ के एटमॉस्फेयर पे आई जहां पे डिफरेंट लेयर्स की अपनी-अपनी एक क्या है डेंसिटी है तो मीडियम चेंज हो जाएगा तो क्या हो गया ओबवियस सी बात है जो पाथ होगा लाइट का वो क्या हो जाएगा चेंज हो जाएगा अब क्या होता है भाई सनराइज की बात कर रहे हैं हम सनराइज के टाइम पे क्या होता है कि जो हमारा सन होता है वो इस हॉरिज से ऊपर की तरफ उठता है और सन सेट के टाइम पे क्या होगा हॉरिज के नीचे चला जाता है सन ठीक है सन राइज कैसे होता है जो हमारा हॉरिजॉन्ट है हॉरिजॉन्ट मतलब क्या एक ऐसी लाइन जहां पे हम बोलते हैं कि सन और सॉरी अर्थ और और स्काय मिलते हैं तो सन राइज के टाइम पे क्या होता है सनराइज के टाइम पे यह जो सन है यह हरिजन के ऊपर आ जाता है ठीक है अभी क्या है अभी हमारा जो सन है वो एगजैक्टली हॉरिजॉन्ट के ऊपर आया नहीं है लेकिन क्या हुआ उसकी रेज जो है हमारे अर्थ के एटमॉस्फेयर में घुस गई घुसने के कारण क्या होगा ओबवियस सी बात है क्या होगा भाई रिफ्रैक्ट होगा क्योंकि मीडियम चेंज हो रहा है तो ये अपना पाथ जो है चेंज कर कर के हमारी आंखों तक पहुंच गई ठीक है हमारी आंखों तक पहुंच गई अब क्या हुआ आंखों ने इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स दिए किसको हमारे ब्रेन को ब्रेन को क्या समझ में आया कि अच्छा भैया रेज आ रही है फटाक से हम क्या कर लेते हैं इमेज बना लेते हैं तो इनने क्या किया जो रेज आ रही थी ना उन रेज को एक्सटेंड कर दिया पीछे की तरफ ये कर दिया एक्सटेंड पीछे की तरफ और जहां उन्होने एक्सटेंड किया पीछे की तरफ तो उन्होने बोला कि भाई सन कहां है यहां है ठीक है सन कहां है यहां है यानी कि हमको जो सनराइज है वो पहले ही देख गया सनराइज कब होना था जब पूरा का पूरा सन कहां आ जाए हॉरिजॉन्ट के ऊपर आ जाए लेकिन अभी सन हॉरिजॉन्ट के ऊपर आया नहीं है अभी वो नीचे ही था लेकिन उससे निकलने वाली जो सनलाइट थी ना वो हम तक पहुंच गई जैसे ही हम तक पहुंची हमारे ब्रेन ने क्या सोचा चलो फटाक से अपन बनाते हैं क्या सन की इमेज सन की इमेज कहां बनी सन की इमेज बन गई हॉरिजॉन्ट के ऊप पर यानी कि हमने सोच लिया कि सन सनराइज हो गया लेकिन हुआ नहीं है इसी को हम क्या कहते हैं अर्ली सनराइज सनराइज होना कब था 2 मिनट बाद होना था लेकिन हमें 2 मिनट पहले ही दिख गया ठीक है इसी के समान क्या होता है सनसेट भी होता है सनसेट के टाइम पे क्या होता है सन चला जाता है हॉरिजॉन्ट के नीचे कहां गया सन हॉरिजॉन्ट के नीचे गया ठीक है नीचे जा चुका है अब क्या हुआ इससे आएंगी क्या कुछ रेज सनलाइट निकलेंगी अगेन ये सनलाइट कहां से आ रही है वैक्यूम से आ रही है अर्थ के एटमॉस्फेयर में आ रही है अ डिफरेंट मीडियम में आ रही है तो ओबवियस सी बात है रिफ्रैक्ट हो कर के आएगी अपना पाथ चेंज करके आएगी ये लाइट लेकिन हमारे ब्रेन को क्या पता था कि भाई रिफ्रैक्ट चल रहा है सनलाइट ने अपना पाथ जो है ना चेंज कर रखा है उसने तो क्या सोचा जहां से लाइट आ रही है उसी पॉइंट को उसने क्या कर दिया एक्सटेंड कर दिया है ना जहां से लाइट आ रही थी हमारे ब्रेन ने क्या किया उसी पाथ को एक्सटेंड कर दिया और और जहां पे एक्सटेंड किया तो वहां पे उसने बोल दिया कि भाई यहां है हमारा सन सन कहां है हमारा यहां है अभी भी हॉरिजॉन्ट के ऊपर ही है लेकिन एक्चुअली में सन तो नीचे जा चुका था हॉरिजॉन्ट के इसलिए हमको सनसेट 2 मिनट बाद दिखा क्यों क्योंकि जब सन हॉरिजॉन्ट के नीचे चला गया उससे निकलने वाली जो सनलाइट थी वो हमारे ब्रेन तक पहुंची ब्रेन ने क्या किया ब्रेन को नहीं पता था कि जो सनलाइट आई है वो रिफ्रैक्ट करके आई है अपना पाथ चेंज करके आई है उसने तो जो लाइट आ रही थी उसी को क्या कर दिया एक्सटेंड कर दिया पीछे की तरफ और उसको लगा कि कहां बन रही है इमेज इस पर्टिकुलर पॉइंट पे बन रही है यानी कि सन कहां है यहीं है लेकिन सन एक्चुअली भी नीचे जा चुका है हमें सन थोड़ी देर से नीचे जाता हुआ मिलेगा 6:2 पे नीचा नीचे जाता हुआ मिलेगा आई होप यह चीज आपको समझ में आ गई होगी यह होता है अर्ली सनराइज एंड डिलेड सनसेट का कांसेप्ट और यह कांसेप्ट काफी सिमिलर है किससे जो हम बोलते हैं ना कि स्टार्स हमें क्यों ज्यादा यू नो हाइट पे दिखते हैं एक्चुअली उतने हाइट प होते नहीं लेकिन फिर भी ज्यादा हाइट प दिखते हैं और साथ ही साथ हम बोलते हैं कि जो भी हम सन मून और स्टार देखते हैं ना वो सब क्या है उनकी इमेजेस है एक्चुअल सन स्टार मून तो क्या होते हैं अलग पोजीशन प होते हैं ठीक है ये क्यों हो रहा है यह हो रहा है सिर्फ और सिर्फ उनसे आने वाली ला लाइट रेस के रिफ्रैक्ट के कारण रिफ्रैक्ट क्यों हुआ क्योंकि भाई यह सभी जो चीजें हैं सभी जो लाइट है चाहे वो सनलाइट है चाहे वो मून की लाइट है चाहे वो स्टार की लाइट है वो सब वैक्यूम से आ रही थी कहां आ रही थी हमारे अर्थ के एटमॉस्फेयर में आ रही थी हमारी अर्थ के एटमॉस्फियर के पास बहुत सारी डिफरेंट लेयर्स होती हैं और उन सभी डिफरेंट लेयर्स की होती है अलग-अलग डेंसिटीज तो मीडियम चेंज हो जाएगा जैसे ही रिस्पेक्टिव लाइट्स वैक्यूम से आएंगी अर्थ के एटमॉस्फेयर पे मीडियम चेंज होगा बेंडिंग हो जाएगी एक्शन हो जाएगा लेकिन हमारे ब्रेन को तो पता नहीं है जहां से लाइट आ रही थी उसी डायरेक्शन में क्या कर दिया उसने लाइट को एक्सटेंड कर दिया और उसने बोला कि भाई अच्छा मतलब यहां से आ रही है लाइट एक्चुअल पोजीशन हमारे ब्रेन को नहीं पता होती तो आई होप इस कांसेप्ट को आप समझ गए होंगे बच्चों अब इस चैप्टर में थ्योरी के नाम पे सिर्फ और सिर्फ एक ही अ टॉपिक बचा है वो यह है कि हमारे स्टार्स ट्विंकल कैसे करते हैं और अगर करना ही है तो प् ट क्यों नहीं करते तो उस टॉपिक को हम पढ़ेंगे हमारे नेक्स्ट लेक्चर में और इस लेक्चर के लिए इतना ही मिलेंगे हम अपने नेक्स्ट सेशन में तब तक आप क्या करेंगे हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है magnetbrains.com उसे विजिट कर लेना जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे अरेंज फॉर्म में प्लेलिस्ट में साथ ही साथ आपको सभी टॉपिक्स के वहां पे आपको नोट्स भी होंगे अवेलेबल सो डू विजिट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विथ मैगनेट ब्रेंस थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन अ वेरी गुड मॉर्निंग टू ऑल स्टूडेंट्स इस लेक्चर में हम पढ़ने वाले हैं स्टार्स ट्विंकल क्यों करते हैं और अगर ट्विंक ंग करनी ही है तो फिर हमारे प्लेनेट क्य उनी ट्विंकल करते हैं आई नो आप लोग बोलोगे कि मैम डीपी क्यू सेशन कहां गया डीपी क्यू सेशन भी आने वाला है डोंट वरी आपके इस चैप्टर का एक लास्ट टॉपिक रह गया था यही वाला कि स्टार्स ट्विंकल क्यों करते हैं और हमारे प्लेनेट क्यों नहीं तो पहले हम वो कवर कर लेते हैं इसके बाद में हम आराम से बैठ के डीपीक्यू सेशन लेंगे आराम से बैठ के क्वेश्चन सॉल्व करेंगे क्यों क्योंकि अब इस चैप्टर में सिर्फ इस टॉपिक के बाद में सिर्फ क्वेश्चंस ही बचेंगे हमें इंटेक्स क्वेश्चन करना है सॉल्व हमें एनसीआरटी एक्सरसाइज क्वेश्चंस करने हैं सॉल्व तो एक लास्ट टॉपिक पढ़ लो इस चैप्टर का फिर इसके बाद में हम अपने डीपीक्यू सेशन पे आएंगे और फिर इंटेक्स्ट क्वेश्चंस और फिर एक्सरसाइज क्वेश्चंस भी करेंगे तो भाई आज के इस लेक्चर का आज के सेशन का मैं टारगेट फिक्स कर देती हूं कि इस सेशन में हमें समझना है कि स्टार्स हमारे ट्विंकल क्यों करते हैं और हमारे प्लेनेट क्यों नहीं करते हैं तो जब टारगेट फिक्स हो गया है तो देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं हम आज का लेक्चर सो दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलने वाले हैं बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैग्नेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं आज का ये हमारा सेशन जहां पे हमें समझना है कि स्टार्स की ट्विंकल कैसे होती है और प्लेनेट की टविंकल क्यों नहीं होती है भाई सबसे पहले तो आप मुझे यह बताओ कि ट्विंकल वर्ड का मतलब क्या है तारे चमकते हैं है ना लेकिन ये ट्विंक वर्ड क्या है ट्विंक से हम ऐसा समझते हैं कि हमारे पास है क्या एक स्टार अब यह जो स्टार है यह कहां है स्काई पे है हम कहां है हम अर्थ पे हैं ठीक है स्टार कहां है भाई हमारे स्काई में है और हम कहां है हमें अर्थ पे तो हम जब स्काई में देखते हैं स्टार को तो एक सेकंड में एक सेकंड में हमको ये जो स्टार है वो कैसा दिखता है काफी ब्राइट दिखता है दूसरे ही सेकंड में ठीक है सेकंड सेकंड में क्या होता है ये स्टार हमको बहुत ही डिम लगने लगता है एक सेकंड में आपको स्टार बहुत ब्राइट लगेगा दूसरे सेकंड में आपको ये स्टार बहुत ही डिम लगेगा यानी कि पहले सेकंड में जब आपको लग रहा था कि आपका स्टार कैसा है बहुत ही ब्राइट है उससे निकलने वाली जो स्टार लाइट है जो लाइट है वह कैसी थी ज्यादा थी दूसरे ही सेकंड में जब आपको स्टार कैसा लगा काफी डिम लगा तो आपने बोला कि भाई इससे आ रही जो लाइट है वह कैसी है काफी कम है और जब यही पैटर्न ब्राइट और डिम का बहुत तेजी से होता है तो उसे हम क्या कह देते हैं स्टार्स की ट्विंकल यस और नो स्टार्स की ट्विंकल होती क्या है एक टाइ टाइम पे हमको लगता है फर्स्ट सेकंड में कि अरे स्टार तो बहुत ब्राइट है दूसरे सेकंड में हमको लगता है कि स्टार तो बहुत डिम है जब स्टार हमें ब्राइट लगता है तो उस समय हम बोलते हैं कि उसकी लाइट कैसी है उसकी लाइट है काफी ज्यादा और दूसरे सेकंड में जब हमको लगता है कि हमारा जो स्टार है वो डिम हो गया है यानी कि उससे निकलने वाली जो स्टार लाइट है वो कैसी है कम है और जब यही ब्राइट रो डिम का पैटर्न बहुत जल्दी-जल्दी हम देख हमें देखने को मिलता है अर्थ से स्काई में तो हम बोलते हैं कि हमारा जो स्टार है वो क्या कर रहा है ट्विंकल कर रहा है ठीक है वो क्या कर रहा है ट्विंकल कर रहा है हमारा स्टार लेकिन मैं आपसे बोलती हूं कि आखिर यह ब्राइट और डेम लाइट हो ही क्यों रही है हम ऐसा क्यों कह रहे हैं कि एक सेकंड में स्टार की लाइट ज्यादा है और दूसरे सेकंड में स्टार की लाइट अचानक से कम हो गई ऐसा क्यों क्या हमारे स्टार के पास कोई टॉर्च लाइट है या कोई फ्लैश लाइट है जो बैठ के वहां पे वो ऑन ऑफ ऑन ऑफ कर रहा है तो एक सेकंड में जब उसने ऑन की अपनी लाइट तो हमें लगा कि लाइट ज्यादा आ रही है दूसरे सेकंड में जब हमको लगा कि हमारा स्टार डिम हो गया मतलब क्या उसने बटन कर दिया ऑफ आखिर ये ब्राइट और डिम का पैटर्न हमें देखने को क्यों मिलता है मेरा सवाल आपसे यह है चलो इस चीज को हम समझते हैं एक एक्सपेरिमेंट से मेरे पास है यहां पे क्या एक टॉर्च ठीक अब इस टॉर्च से आ रही है एक लाइट आप सबको दिख रही होगी अब अगर इस टॉर्च के आगे मैंने रख दिया अपना पाम अपना हाथ रख दिया तो क्या आपको यह लाइट दिख रही है अब नहीं दिख रही ऑब् वियस हम चीजों को कब देख पाते हैं हम किसी भी ऑब्जेक्ट को कब देख पाते हैं जब उससे इ उससे निकलने वाली जो इंसीडेंट रेज है वो हमारे आंखों तक पहुंचे अब अभी इस टॉर्च से लाइट आप तक आ नहीं रही है इसलिए आप बोलोगे कि टॉर्च बंद है लेकिन एक्चुअली में मैंने तो टॉर्च को कभी बंद करा ही नहीं था अभी भी ये कैसी है ऑन है अभी इसकी लाइट आप तक आ रही होगी लेकिन जैसे ही मैंने अपना हाथ रख दिया तो अब आपके पास लाइट नहीं आ रही है ना लेकिन क्या हुआ मेरी टॉर्च तो अभी ऑन ही है अब अगर इसी पैटर्न को मैं बहुत जल्दी जल्दी जल्दी जल्दी करूं तो क्या आप बोलोगे कि मेरी टॉर्च भी ट्विंकल कर रही है बिल्कुल कर रही है यही तो है ट्विंकल ट्विंकल का मतलब यह नहीं है कि स्टार ने अपनी जो लाइट है वो ऑन ऑफ ऑन ऑफ कर दी स्टार तो बच्चों कांस्टेंटली कंटीन्यूअसली हम तो क्या कर रहा है अपनी लाइट प्रोवाइड कर रहा है लाइट भी क्या है स्टार भी क्या है एक लाइट का सोर्स है तो स्टार भी क्या कर रहा है कंटीन्यूअसली हम तक अपनी लाइट दे रहा है बिखेर रहा है फर्क कहां आ रहा है फर्क आ रहा है उस अमाउंट में किसकी लाइट की जो हम तक पहुंच रही है यानी कि उस एक सेकंड में जब हमको लग रहा था कि ला जो स्टार है वो बहुत ब्राइट है उस समय क्या हो रहा था ज्यादा स्टार की लाइट हम तक पहुंच रही थी और दूसरे सेकंड में जब हमको लगा कि जो हमारा स्टार है वह कैसा हो गया है डिम हो गया है तो हमने क्या कंक्लूजन वाली जो लाइट है ना वो हम तक कम आ रही है तो यह जो आपका कांसेप्ट था कि ब्राइट जब लग रहा है स्टार तो उसकी लाइट ज्यादा है डिम जब लग रहा है आपका स्टार उसकी लाइट कम है एक्चुअली यह लाइट कम और ज्यादा क्यों हो रही है यह लाइट कम और ज्यादा हो रही है हम तक आने में स्टार तो जितनी लाइट है उसके पास पूरी की पूरी उसी इंटेंसिटी के साथ हम तक जो है पहुंचा रहा है कंटीन्यूअसली वो अपना बटन ऑफ नहीं करता वह अपना बटन ऑन नहीं करता लेकिन फिर भी लाइट की जो अमाउंट है हम तक आते-आते क्या हो गई कम ज्यादा हो गई एक सेकंड में ज्यादा हो गई दूसरे सेकंड में कम हो गई जिसके कारण हमें क्या दिखता है कि हमारा स्टार ब्राइट लग रहा है फिर हम बोलते हैं कि दूसरे सेकंड में वो डिम हो गया और इसी को हम कहते हैं ट्विंकल तो ट्विंकल का कांसेप्ट तो हमें समझ में आ गया कि इस पूरे चीज को अगर मैं कंक्लूजन सकती हूं कि स्टार के पास कोई भी ऑन या ऑफ करने वाला बटन नहीं होता लाइट जो स्टार है वो अपनी लाइट स्टार लाइट कंटीन्यूअसली कांस्टेंट इंटेंसिटी के साथ हम तक पहुंचा रहा है लेकिन क्या होता है जो लाइट की अमाउंट है स्टार लाइट की जो अमाउंट है जो हम तक पहुंच रही है वो चेंज हो जा रही है ठीक है स्टार लाइट की अमाउंट जो हम तक पहुंच रही है वो चेंज हो रही जा रही है डिफरेंस उसमें है जिसके कारण हमें एक सेकंड में स्टार ब्राइट दिखता है तो दूसरे सेकंड में हमें स्टार डिम दिखने लगता है अब यह जो लाइट में जो डिफरेंस आ रहा है कि कभी हम तक ज्यादा पहुंच रही है स्टार की लाइट कभी हम तक कम पहुंच रही है स्टार की लाइट ऐसा क्यों होता है तो ऐसा होता है भाई इस फिनोमेना के कारण यानी कि एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट के कारण मैंने आपको बताया था कि अ जो भी ऊपर ऑब्जेक्ट्स होते हैं सोर्स है लाइट के चाहे वो सन हो चाहे वो मून हो चाहे वो स्टार्स ही क्यों ना हो उन सबकी लाइट जो है वो हम तक पहुंचती है अर्थ तक पहुंचती है कैसे अर्थ का जो एटमॉस्फेयर है अर्थ के एटमॉस्फियर में बहुत सारी लेयर्स आती हैं कौन-कौन सी आती है भाई सबसे पहले तो आती है ट्रोपो स्फीयर फिर आती है स्ट्रेटोस्फीयर फिर आएगी मीजो स्फीयर फिर आएगी थर्मोस्फीयर फिर आएगी एजोस्पिरिलम फेयर के पास इतनी सारी क्या होती है लेयर्स होती है और इन सभी लेयर्स की अपनी अपनी एक डेंसिटी होती है तो जब सन मून या स्टार में से किसी को भी लाइट हमारी अर्थ तक पहुंचा होगी ना तो उनको क्या करना पड़ेगा इन सभी लेयर से क्रॉस करते हुए ट्रेवल करते हुए अर्थ तक आना पड़ेगा अब हमारे स्टार्स मून और जो सन है वो कहां प्रेजेंट होते हैं वो तो भाई वैक्यूम में प्रेजेंट होते हैं यानी कि उनसे निकलने वाली जो उनके रिस्पेक्टिव लाइट्स होंगी वो कहां से आ रही होंगी वैक्यूम से आ रही होंगी और वैक्यूम में तो हमें पता है कि लाइट की स्पीड कैसी होती है मैक्सिमम होती है कितनी होती है भाई 3 * 10 टू पावर 8 मीटर पर सेकंड होती है यस और नो तो वैक्यूम में तो लाइट अपनी मैक्सिमम स्पीड के साथ ट्रेवल करती हुई आएगी लेकिन जैसे ही वो अर्थ के एटमॉस्फेयर में जो एटमॉस्फेरिक लेयर्स हैं उनमें घुस सेगी क्या होगा रिफ्रैक्ट हो जाएगा क्यों क्योंकि अब क्या हो रहा है लाइट का मीडियम चेंज हो रहा है वो आ रही थी वैक्यूम से अपनी मैक्सिमम स्पीड के साथ लेकिन जैसे ही सबसे पहले ओबवियस स बात है किसमें आएगी अर्थ के एटमॉस्फेयर की जो जो आउटर मोस्ट लेयर है यानी कि एग्जॉस्मोसिस जैसे ही वो वैक्यूम से कहां आई एग्जॉस्ट स्फेयर में आई मीडियम हो गया चेंज मीडियम हो गया चेंज मतलब क्या होगा अब लाइट का जो पाथ है वो चेंज हो जाएगा बेंडिंग हो जाएगी बेंडिंग कहां होगी भाई नॉर्मल की तरफ होगी क्यों क्योंकि लाइट आ कहां से रही है एक रेयरर मीडियम से डेंसर मीडियम में आ रही है ठीक अब अगर मैं इन सभी एटमॉस्फेरिक लेयर्स की डेंसिटी को कंपेयर करूं तो मैं बोलूंगी कि जो हमारा ट्रोपो स्फीयर है ना इसकी डेंसिटी मैक्सिमम होती है और जो एग्जॉस्केल की डेंसिटी मिनिमम होती है यानी कि जैसे-जैसे हम अर्थ के सरफेस से बाहर निकलेंगे टुवर्ड्स द वैक्यूम जो एटमॉस्फेरिक एटमॉस्फेरिक लेयर्स की जो डेंसिटी है वो क्या होती जाएगी कम होती जाएगी सबसे ज्यादा डेंसर कौन है भाई वो है हमारी ट्रोपो स्फीयर लेयर तो एक चीज तो हमने अच्छी तरीके से समझ ली कि जब अभी हम बात कर रहे हैं स्टार्स की तो स्टार्स से जो निकलने वाली उनकी स्टार लाइट है जैसे ही वैक्यूम से हमारी अर्थ तक आएगी उसको ट्रैवल करके आना होगा इन सभी अर्थ की एटमॉस्फेरिक लेयर्स को अब जो कि मीडियम बार-बार चेंज हो रहा है कभी डेंसर कभी अ रेयरर इसके कारण क्या होगा रिफ्रैक्ट होगा स्टार लाइट में क्या होगा रिफ्रैक्ट होगा यानी कि जो स्टार लाइट है हम तक कैसे पहुंचेगी बेंड करके पहुंचेगी अपना पाथ चेंज करके पहुंचेगी ठीक अब एक काम करते हैं अब हम इ इन डिफरेंट लेयर्स की बात नहीं करते हैं हम अभी सिर्फ एक लेयर की बात करते हैं कौन सी वाली अर्थ के सबसे पास कौन सी होती है भाई ट्रोपो स्फीयर ठीक है अभी हम बात करते हैं इस ट्रोपो स्फीयर लेयर की अब इस ट्रोपो स्फीयर लेयर में भी बहुत सारी चीजें होती हैं बहुत सारे पार्टिकल्स होते हैं कैसे कौन-कौन से तो आप बोलोगे कि मैम इनके पास डस्ट पार्टिकल्स होते हैं फिर इसके बाद में डिफरेंट गैसेस होती है हमारे एटमॉस्फेयर में कितनी सारी गैसेस होती है भाई सबसे ज्यादा कौन सी होती है नाइट्रोजन होती है ठीक है फिर इसके बाद में ऑक्सीजन होती है अब यह हो गई गैसेस इसके अलावा इसके अलावा क्या होता है हमारे एटमॉस्फेयर में ट्रोपो स्फेयर में तो हो सकता है कि वाटर वेपर्स होंगी ठीक है वाटर वेपर्स होंगी और वाटर एयर ड्रॉपलेट्स भी हो सकते हैं एयर ड्रॉपलेट्स भी हो सकते हैं स्मोक पार्टिकल्स भी हो सकते हैं तो ले दे करके हमारी जो ट्रोपो स्फीयर लेयर है उसमें बहुत सारे अलग-अलग टाइप के पार्टिकल्स होते हैं अब हो सकता है कि इस ट्रोपो स्फीयर लेयर में इस पर्टिकुलर पार्ट पे इस पर्टिकुलर पोजीशन प पॉइंट पे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन बहुत ज्यादा हो यानी कि इस पॉइंट की डेंसिटी क्या हो जाएगी ज्यादा हो जाएगी दूसरे पॉइंट प क्या होगा दूसरे पॉइंट प हो सकता है कि हमारी वाटर वेपर्स बहुत ज्यादा हो तो वहां पर भी डेंसिटी क्या हो जाएगी ज्यादा हो जाएगी हो सकता है कि एक तीसरा पॉइंट हो ट्रोपो स्फीयर में जहां पे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन कैसी हो अलग-अलग हो दूर दूर हो तो उस पॉइंट प डेंसिटी क्या हो जाएगी कम हो जाएगी यानी कि अभी तक हम क्या कर रहे थे बच्चों जितनी भी अर्थ के एटमॉस्फेयर की लेयर्स हैं उनको आपस में कंपेयर कर रहे थे कि जैसे-जैसे हम अर्थ के एटमॉस्फेयर से बाहर निकलेंगे जो एटमॉस्फेरिक लेयर्स की डेंसिटी है वो क्या होती जाएगी कम होती जाएगी लेकिन अब मैं बात कर रही हूं सिर्फ और सिर्फ एक लेयर की तो उस एक लेयर में भी हर एक पॉइंट पे जो डेंसिटी है पार्टिकल्स की वो चेंज हो रही है कैसे किसी पॉइंट पे नाइट्रोजन ऑक्सीजन ज्यादा हो रहा है तो उस पॉइंट की डेंसिटी ज्यादा हो गई ट्रोपो स्फेयर लेयर में दूसरे पॉइंट पे एयर पार्टिकल ज्यादा हो गए हैं एयर मॉलिक्यूल ज्यादा हो गए हैं तो उस पॉइंट पे मैंने बोला ट्रोपो स्फेयर लेयर में कि उस पॉइंट पे भी डेंसिटी ज्यादा हो गई तीसरे पॉइंट पे मैंने बोला कि नाइट्रोजन ऑक्सीजन कैसे हैं दूर-दूर है तो उस पॉइंट पे डेंसिटी क्या हो गई कम हो गई अब आएगी कौन अब आएगी हमारी स्टार की लाइट यानी कि स्टार लाइट अब जब वो इस ट्रोपो स्फेयर लेयर में आएगी तो कभी वो कहां से आएगी एक रेयरर से डेंस डसर मीडियम में आ जाएगी जहां पे नाइट्रोजन ऑक्सीजन क्या है ज्यादा है वो पॉइंट क्या है भाई डेंसर हो गया तो जैसे ही हमारी स्टार लाइट क्या होगी उस डेंसर मीडियम में आएगी क्या होगा नॉर्मल की तरफ बेंड हो जाएगी तो ये लो हो गई नॉर्मल की तरफ बेंड दूसरे पॉइंट पे जैसे ही वो पहुंची तो उसको रिलाइज हुआ कि यहां तो डेंसिटी कम है क्यों हो सकता है वहां पे नाइट्रोजन ऑक्सीजन कैसे हो गए दूर-दूर हो गए अब क्या होगा वो फिर से जो है ना नॉर्मल से दूर चली जाएगी क्यों क्योंकि अब वो रेयरर मीडियम में आ गई थी तो बहुत मुश्किलों से डिफरेंट मीडियम से ट्रेवल करके डेंसर और रेयरर मीडियम से ट्रेवल करके बड़े मुश्किलों से स्टार की लाइट कहां पहुंचती है भाई हम तक पहुंचती है और आप देख रहे होंगे कि किस तरह का पैटर्न फॉलो होता है एक जिगजैग लाइन का पैटर्न फॉलो होता है ठीक है अब यह जो एटमॉस्फियर की डेंसिटी है ना डिफरेंट पॉइंट्स पे यह कांस्टेंट नहीं रहती है कैसे अगर हवा चल गई तो इस पॉइंट पे मैंने आपको बोला था कि डेंसिटी ज्यादा थी क्यों क्योंकि नाइट्रोजन ऑक्सीजन ज्यादा थे अब अगर हवा चल गई तो क्या होगा नाइट्रोजन यहां आके गिर जाएगी ऑक्सीजन यहां आके गिर जाएगी तो क्या अब उस पॉइंट पे डेंसिटी सेम रहेगी ज्यादा रहेगी नहीं रहेगी तो भाई एक लेयर में जो डिफरेंट पोजीशंस की जो डेंसिटी होती है वो बहुत ज्यादा वेरी करती है क्यों क्योंकि गैसेस तो भाई खुद ही फ्लोट करती रहती हैं खुद ही स्विम करती रहती हैं कभी साथ में आ गई किसी पॉइंट पे तो वहां पे डेंसिटी होगी ज्यादा फिर कभी दूर-दूर चली गई तो उस पॉइंट पे डेंसिटी हो जाएगी कैसी कम और अगर टेंपरेचर की बात करें तो जिस पॉइंट पे टेंपरेचर ज्यादा होता है वहां पे डेंसिटी कम होती है जिस पॉइंट पे टेंपरेचर कम होता है वहां पे डेंसिटी बढ़ जाती है और अगर हवा चल गई तो जो जो भी हमने अभी पॉइंट्स डिसाइड करे थे जहां पे डेंसिटी कम थी जहां पे ज्यादा थी वो सब चेंज हो जाएगा इस कारण स्टार से निकलने वाली जो लाइट है वो हम तक कैसे पहुंचती है इस तरह के एक जिगजैग पैटर्न में पहुंचती है ये चीज आपको समझ में आई चलो अब एक काम करते हैं यहां खड़े हो क्या आप ठीक है यह रही क्या आपकी आंख अब स्टार यह रहा अपना अब स्टार से निकलने वाली जो लाइट है वो एक सेकंड में कितनी पहुंच रही है सपोज हमारी आंखों तक पहुंच रही है स्टार की फाइव रेज ठीक तो एक सेकंड में आपको लगा कि अरे स्टार तो बड़ा ब्राइट है उससे क्यों क्योंकि उससे निकलने वाली जो लाइट है वो आपकी आंखों तक ज्यादा पहुंच रही थी अब एक काम करते हैं अब क्या हुआ हमारे एटमॉस्फेयर का जो डेंसिटी है वो चेंज हो गई डेंसिटी चेंज हो गई मतलब क्या होगा अब ये जो तीन स्टार लाइट आ रही थी ना हो सकता है कि इनके रास्ते में कोई ऐसी चीज आ गई जिसके कारण इनका पाथ क्या हो गया हो चेंज हो गया हो तो एक काम करते हैं अब अगर मैं बोलूं कि दूसरे सेकंड में लाइट आप तक पहुंची नहीं वो क्या हो गई रिफ्रैक्ट हो गई तो अब जरा देखो आपके पास दूसरे सेकंड में स्टार से केवल दो ही लाइट रेज आ पा रही थी तो दूसरे सेकंड में आपको क्या लगा दूसरे सेकंड में आपको लगा कि भाई स्टार कैसा हो गया गया डिम हो गया पहले सेकंड में तीनों स्टार की रेज आप तक आ रही थी लेकिन अगले सेकंड में क्या हुआ अगले सेकंड में हमारे एटमॉस्फेयर की डेंसिटी चेंज हो गई डेंसिटी चेंज हो गई इसके कारण क्या हुआ ये जो तीसरी वाली रे आ रही थी स्टार रे इसने अपना पाथ क्या कर लिया चेंज कर दिया हो सकता है कि इसके रास्ते में जो है ना कोई एक डेंसर मीडियम आ गया हो ग्रुप आ गया हो गैसेस का जिसके कारण इसको अपना पाथ चेंज करना पड़ा और ये हमारी आंखों तक नहीं आ पाई तो अब हमारे पास स्टार की केवल दो ही रेज आ रही हैं तो इस टाइम पे हमको लगेगा कि भाई स्टार क्या है डिम हो गया है लेकिन एक्चुअली में डिम नहीं हुआ है आप देख सकते हो स्टार तो कांस्टेंटली सेम इंटेंसिटी के साथ लाइट हमें दे रहा था उस उसके स्टार से तो केवल हमेशा तीन ही रेज निकल के आ रही हैं लेकिन हां आपकी आंखों तक आते-आते वो हो सकता है कि तीनों के तीनों आ जाए हो सकता है केवल दो ही आए और ये भी हो सकता है कि सिर्फ कैसी आए सिर्फ और सिर्फ एक ही आए पहली वाली भी क्या हो जाए रिफ्रैक्ट हो जाए आई आपको बात समझ में कि किस तरह से सा स्टार्स हमारे ट्विंकल करते हैं स्टार्स की ट्विंकल को हम ये सोच लेते हैं कि स्टार्स के पास है क्या भाई एक ऑन और एक ऑफ का बटन तो कभी स्टार अपनी लाइट ज्यादा हम तक देता है कभी स्टार हमको लाइट कम देता है लेकिन स्टार सच क्या है सच ये है कि स्टार तो हमेशा हमको एक कांस्टेंट इंटेंसिटी की लाइट क्या कर रहा है दे रहा है सप्लाई कर रहा है फर्क कहां आ रहा है फर्क आ रहा है उस लाइट में जो उस लाइट के अमाउंट में जो हमारी आंखों तक आ रही हैं अब ये अमाउंट चेंज क्यों हो रहा है ये अमाउंट लाइट का इसलिए चेंज हो रहा है बच्चों क्योंकि हमारे एटमॉस्फेयर की जो डेंसिटी है वह बहुत ज्यादा चेंज होती है कभी एक सेकंड में किसी पॉइंट की डेंसिटी ज्यादा तो दूसरे पॉइंट पे दूसरे सेकंड में क्या होगा डेंसिटी कम हो जाएगी क्यों हो सकता है हवा चल जाए तो वहां के पार्टिकल्स को वो उड़ा ले जाए तो उस पॉइंट की डेंसिटी क्या हो जाएगी कम हो जाएगी जिसके कारण हम बोलते हैं कि स्टार से निकलने वाली जो लाइट्स है वो क्या होती है उस उनका जो अमाउ अमाउंट है हमारी आंखों तक जो पहुंचता है वो चेंज हो जाता है इसीलिए हमें स्टार कैसा दिखता है ब्राइट दिखता है और डिम दिखता है अलग-अलग टाइम पे ठीक है आई होप यह चीज आपको समझ में आई होगी कि किस तरह से स्टार्स जो है वो ट्विंकल करते हैं अब एक काम करते हैं अब हम समझते हैं कि प्लेनेट क्यों नहीं ट्विंकल करते हैं प्लेनेट के पास भी तो लाइट होती है प्लेनेट भी क्या करते हैं हमको लाइट देते हैं तो वह हमको ट्विंकल करते हुए क्यों नहीं दिखते हैं स्टार्स हमको ट्विंकल करते हुए क्यों दिख रहे थे बच्चों क्योंकि उनसे निकलने स्टार से निकलने वाली जो स्टार लाइट है उसकी अमाउंट जो हमारी आंखों तक पहुंच रही थी वो डिफर कर रही थी तो क्या प्लेनेट से निकलने वाली जो लाइट है उसकी अमाउंट डिफर नहीं करती उसकी अमाउंट चेंज नहीं होती बिल्कुल होती है लेकिन फर्क कहां है फर्क ऐसे है बच्चों आप इस चीज को को ऐसे समझो कि एक स्टार को आप मानते हो क्या एक पॉइंट एक स्टार को क्या मानते हो आप एक पॉइंट मानते हो अब एक जो प्लेनेट है मेरे पास उस प्लेनेट को मैं क्या मानती हूं प्लेनेट को मानती हूं मैं बहुत सारे डॉट्स का एक ग्रुप स्टार क्या है एक डॉट है प्लेनेट क्या है प्लेनेट है डिफरेंट डॉट्स का बहुत सारे डॉट्स का एक ग्रुप और प्लेनेट का एक्चुअल साइज जो होता है वो स्टार से कैसा होता है काफी छोटा होता है लेकिन प्लेनेट हमारे अर्थ के ज्यादा पास होते हैं इसलिए वो हमें कैसे दिखते हैं बड़े दिखते हैं तो आपके दिमाग में ये सवाल आना चाहिए था डायग्राम देखते साथी कि मैम आपने स्टार को पॉइंट साइज क्यों लिया है एक डॉट क्यों लिया है और आपने प्लेनेट को डॉट्स का ग्रुप क्यों लिया है वो इसलिए क्योंकि प्लेनेट हमारे अर्थ के पास होते हैं तो वो हमको बड़े दिखाई देते हैं लेकिन एक्चुअल में उनका जो साइज है स्टार से वो काफी छोटा होता है वो तो हमारे अर्थ के पास है इसलिए वो हमें कैसा दिखता है बड़ा दिखता है स्टार से अब स्टार से जो लाइट रेज आ रही थी हम तक उनका पाथ क्या हो रहा था चेंज हो रहा था जिसकी वजह से हमको जो स्टार है वो कैसा दिख रहा था कभी ब्राइट कभी डिम अब बात करते हैं हम अपने प्लेनेट की प्लेनेट के पास भी क्या है बहुत सारे डॉट्स हैं इन डॉट से भी क्या निकलेगी लाइट निकलेगी प्लेनेट की लाइट निकलेगी ठीक है अब सपोज यहां पे आप खड़े हुए हो खड़े हुए हो और आप देख रहे हो प्लेनेट को क्या हुआ इस डॉट से जो है ती तीन रेज निकल के आई तीन लाइट रेज निकल के आई अब जैसे ही आपके आंखों प ये पहुंचने वाली थी हो उसमें से क्या हुआ दो हो गई रिफ्रैक्ट क्योंकि हमारे एटमॉस्फेयर की डेंसिटी चेंज हो गई और आपकी आंखों तक क्या पहुंची सिर्फ इस डॉट से निकलने वाली एक ही रे पहुंची अब क्या हुआ जो बाकी डॉट्स हैं वो भी तो साइमल नियस अपनी रेज निकालेंगे ना एक डॉट ने अपनी राइट रे निकाली है तो बाकी डॉट्स भी तो अपनी लाइट रेन निकालेंगे तो क्या होगा दूसरे डॉट्स ने भी क्या किया अपनी लाइट रेज निकालना शुरू किया अब हो सकता है कि दूसरे डॉट ने कितनी लाइट रेज निकाली थी पांच निकाली थी उन पांच में से कितनी पहुंची आप तक दो पहुंची बाकी की तीन क्या हो गई रिफ्रैक्ट हो गई ठीक है तो क्या हुआ देखो पहले वाले डॉट ने कितनी निकाली थी तीन निकाली थी लेकिन आप तक कितनी पहुंची एक पहुंची तो आपको क्या लगना चाहिए था कि हमको प्लेनेट कैसा लग रहा है काफी डिम लग रहा है लेकिन हमें डिम नहीं लगा क्यों क्योंकि दूसरा डॉट आ गया ना दूसरे डॉट की लाइट रेज आ गई पहले डॉट की लाइट रेज को कंपनसेटर के लिए दूसरे डॉट ने क्या बोला कि पहले डॉट को अरे भाई कोई बात नहीं तुम्हारी अगर पूरी लाइट नहीं पहुंची है यूमन तक तो एक काम करते हैं मैं अपनी लाइट जो है ना निकाल देता हूं तो उसने क्या किया उसने पांच लाइट रेज निकाल दी उसमें से तीन क्या हो गई रिफ्रैक्ट हो गई अपना पाथ उन्होने चेंज कर लिया डेविएशन लाइट पहुंची हमार सरे प्लेनेट से दूसरे सेकंड में क्या होगा यह कहानी थी किसकी फर्स्ट सेकंड की कहानी थी अब हम बात करते हैं दूसरे सेकंड की दूसरे सेकंड में क्या हुआ हो सकता है कि जो फर्स्ट वाला डॉट है इसकी अब दो रेज आपकी आंखों तक पहुंच रही है पहले में क्या हो रहा था पहले में हो रहा था कि सिर्फ एक ही रे पहुंच रही थी अब मैं बोल रही हूं कि दो रेज पहुंच रही है ठीक और ये जो दूसरा वाला डॉट था इससे पहले कितनी पहुंच रही थी दो पहुंच रही थी अब एक काम करते हैं अब सिर्फ एक ही पहुंचा दे देते हैं तो आपके पास कितनी राइट पहुंची तीन पहुंची पहले भी उतनी ही पहुंच रही थी अभी भी उतनी ही पहुंच रही है पहले भी फर्स्ट स्टार पहली केस में क्या हुआ था जो हमारा फर्स्ट डॉट है उससे कितनी रेस मिल रही थी आपकी आंखों को एक दूसरे से कितनी मिल रही थी दो टोटल कितनी हुई तीन ठीक है फिर सेकंड केस में क्या हुआ पहला जो डॉट था उससे कितनी लाइट रेज मिल गई आपको दो और दूसरे वाले स्टार से दूसरे वाले डॉट से आपको कितनी लाइट मिली एक टोटल कितनी हो गई तीन यानी कि दोनों ही केसेस में आपकी आंखों तक सेम अमाउंट की लाइट पहुंच रही है इसीलिए हमें प्लानेट ट्विंकल करते हुए नहीं दिखाई देते हैं आई बात आपको समझ में कि प्लेनेट क्यों ट्विंकल कर रहे थे क्योंकि प्लेनेट से सॉरी स्टार्स ट्विंकल क्यों कर रहे थे क्योंकि स्टार से आने वाली जो स्टार लाइट है ना उसके अमाउंट में डिफरेंस आ रहा था कभी हमारी आंखों तक ज्यादा अमाउंट की लाइट आ रही थी कभी कभी हमारी आंखों तक कम लाइट की अमाउंट आ रही थी और यह अमाउंट इसलिए चेंज नहीं हो रहा था क्योंकि स्टार जो है ना डिफरेंट अमाउंट की लाइट इमिट कर रहा था नहीं स्टार तो सेम इंटेंसिटी की सेम अमाउंट की लाइट हम तक पहुंचा रहा है लेकिन जो कि हम कहां है अर्थ पे हैं हमारे अर्थ का अपना एक एटमॉस्फेयर है एक डेंसिटी है तो वो डेंसिटी चेंज होने के कारण क्या हो रहा था सफिशिएंट लाइट सेम अमाउंट की लाइट हम तक हर सेकंड में सेम नहीं पहुंच रही थी कहीं ना कहीं वो भाग जा रही थी कहीं ना कहीं वो डेविएशन लेकिन प्लैनेट्स के केस में ऐसा क्यों नहीं हुआ क्योंकि प्लेनेट के केस में आप देख रहे हो बहुत सारे क्या होते हैं डॉट्स होते हैं ये हमारी अर्थ के ज्यादा पास होते हैं ज्यादा बड़े दिखते हैं ठीक है ये हमारी अर्थ के ज्यादा पास होते हैं ज्यादा बड़े दिखते हैं एज कंपेयर टू स्टार्स यानी कि इनसे जो निकलने वाली जो लाइट है वो भी कैसी होगी ज्यादा होगी क्यों पास है ना जब लाइट का सोर्स आपसे दूर होता है तो उसकी इंटेंसिटी कम हो जाती है अगर मैं आपके चेहरे पे एक टॉ लाइट जो है ना एमिट करूं तो आप कुछ इस तरह से उस लाइट को रोकोगे आपकी आंखों में पड़ेगी और अगर कहीं मैं दूर जाकर के आपके चेहरे पे टॉर्च लाइट जो है ना फेंकू आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्यों क्योंकि आप मैं दूर से फेंक रही हूं लाइट की इंटेंसिटी आप तक आते आते कम हो गई ऐसा इसमें भी हो रहा है प्लेनेट हमसे पास में है जिसके कारण उनसे जो निकलने वाली जो लाइट है वह कैसी है वो है ज्यादा तो आपको दिख रहा होगा इसीलिए मैंने स्टार को क्या बनाया था एक डॉट बना बनाया था और प्लेनेट को क्या बनाया था डॉट्स का एक ग्रुप बनाया हुआ था ठीक है तो एक सेकंड में क्या हुआ लाइट हम तक कैसी पहुंची तीन तीन अमाउंट की पहुंची और दूसरे सेकंड में क्या हुआ दूसरे सेकंड में भी हम तक लाइट तीन अमाउंट की पहुंची कैसे क्योंकि पहले सेकंड में इस डॉट से केवल दो एक ही रे निकल के आ रही थी तो उसको कंपनसेटरी डॉट ने अपनी रे एमिट करवा दी ठीक है आई होप यह चीज आपको समझ में आ गई होगी इसी की तरह हमारे जो प्लेनेट हैं वह ट्विंकल नहीं करते हैं एक बार मैं समरा इज कर देती हूं फटाफट हमने क्या सीखा आज हमने सीखा कि भाई जो हमारे स्टार्स होते हैं वह ट्विंकल करते हैं लेकिन हमारे प्लेनेट ट्विंकल नहीं करते हैं स्टार्स हमारे ट्विंकल क्यों करते हैं क्योंकि उनसे निकलने वाली जो स्टार लाइट है उसकी अमाउंट क्या करती है बहुत डिफर करती है वेरी करती है यानी कि वह तो सेम अमाउंट की लाइट हम तक पहुंचा रहे थे कंटीन्यूअसली लेकिन हम तक क्या हुआ एक सेकंड में कम पहुंची दूसरे सेकंड में ज्यादा पहुंच गई तो हमें लगा कि स्टार क्या है एक सेकंड में डिम है दूसरे सेकंड में ब्राइट है और ये लाइट के अमाउंट में डिफरेंस क्यों आ रहा है क्योंकि हमारा जो अर्थ का एटमॉस्फेयर है वो बहुत ही बहुत ही डिफिकल्ट है समझने के लिए कहीं पे पार्टिकल्स का ग्रुप बन गया गैस मॉलिक्यूल का ग्रुप बन गया तो उस पॉइंट पे उस पर्टिकुलर लोकेशन पे हो गई डेंसिटी ज्यादा तो जैसे ही स्टार लाइट अपने रेयरर मीडियम से उस डेंसर लोकेशन पे आएगी डेंसर पॉइंट में आ क्या होगा नॉर्मल की तरफ झुक जाएगी नॉर्मल की तरफ झुक गई मतलब क्या अपना पाथ वो डेविएशन कर गई तो हम तक पहुंच ही नहीं पाई तो अर्थ की वेरियस डेंसिटीज के कारण अर्थ के एटमॉस्फियर की वेरियस डेंसिटीज के कारण क्या होता है स्टार की लाइट हम तक कम या ज्यादा पहुंच पाती है प्लेनेट के केस में ऐसा क्यों नहीं होता क्योंकि प्लेनेट से प्लेनेट हमारे अर्थ के काफी पास में है तो उससे जो लाइट रेज निकल के आती है वो बहुत ज्यादा होती हैं तो एक दूसरे को क्या करती हैं वो कंपनसेटर हुई हमारी आंखों तक आती हैं यानी कि हर सेकंड में प्लेनेट से हम पे इक्वल अमाउंट की लाइट आती है क्यों क्योंकि प्लेनेट से निकलने वाली जो लाइट रेज है वो ज्यादा है ना वो हमारे अर्थ के पास है जब लाइट का सोर्स पास होता है हमारे तो उससे निकलने वाली जो लाइट है वो ज्यादा हम तक पहुंचती है ठीक है और एक दूसरे जो रेज कम यू नो रिफ्रैक्ट हो रही है अपने पास से डेविएशन करने के लिए दूसरी रेज आ जाती ती हैं इसलिए लाइट के अमाउंट में डिफरेंस नहीं आता तो आई होप यह चीज आप समझ गए होंगे बच्चों तो इस तरह से आज का हमारा यह जो सेशन है यह होता है कंप्लीट और इसी के साथ में हमारा जो थ्योर पोर्शन है इस चैप्टर का वो होता है कंप्लीट अब नेक्स्ट सेशन में हम बात करेंगे डीपी क्यू की जो भी हमने कल चीजें पढ़ी थी उसको हम करेंगे रिवाइज तब तक आप क्या करेंगे हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है मैगनेट brain.com उसे विजिट कर लेना जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे प्लेलिस्ट में साथ ही साथ वहां पे आपको टॉपिक टॉपिक्स के नोट्स भी होंगे अवेलेबल सो डू विजिट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विद मैग्नेट बें थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन इस सेशन में हम सॉल्व करने वाले हैं कुछ डीपी क्यूज डीपी क्यूज का मतलब क्या डेली प्रैक्टिस क्वेश्चंस अब बच्चों हमने कल बहुत सारी चीजें पढ़ी थी उन सभी चीजों को करना होगा हमें रिवाइज और रिवीजन ऐसे ही नहीं कि मैंने बोल दिया और आपने सुन लिया बिल्कुल भी नहीं हम रिवीजन करते हैं हमेशा क्वेश्चंस के फॉर्म में तो आज इस सेशन में हम सॉल्व करेंगे कुछ डीपी क्यूज और कल हमने जो भी चीजें पढ़ी थी उनको हम करेंगे रिवाइज तो आज के इस सेशन का टारगेट हो गया है सेट क्या है ये सेशन ये सेशन है एक डीपी क्यू सेशन जहां पे हमें करने होंगे बहुत सारे क्वेश्चंस सॉल्व तो भाई जब टारगेट सेट हो गया है तो देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं आज का ये हमारा डीपीक्यू सेशन सो दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलने वाले हैं बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैगनेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैग्नेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ़ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं आज का हमारा डीपीक्यू सेशन क्वेश्चन नंबर वन के साथ क्वेश्चन नंबर वन क्या है भाई व्हाट इज स्कैटरिंग ऑफ लाइट लाइट की स्कैटरिंग क्या होती है ऑप्शन ए डिस्पर्शन ऑफ लाइट इनटू सेवन कलर्स भाई ये जो ऑप्शन ए है ना यह तो शुरुआत से ही गलत है क्यों क्योंकि मैंने आपको हमेशा बताया है कि लाइट की स्कैटरिंग और लाइट का डिस्पर्शन दोनों अलग-अलग फिनोमिना होता है लाइट की स्कैटरिंग अलग होती है लाइट का डिस्पर्शन बिल्कुल अलग होता है इसको हमने कैसे समझा था एक बड़े अच्छे से एग्जांपल से हमने समझा था कि एक काम करो आप एक कांच का ग्लास लो उसको फ्लोर पे जोर से फेंक दो फेंकने के बाद क्या होगा वो टूट जाएगा अपने छोटे-छोटे पार्टिकल्स में पहला एग्जांपल दूसरा एग्जांपल क्या था कि आप और आपके कुछ दोस्त गए हैं मॉल में एक ग्रुप बना कर के लेकिन मॉल के अंदर जैसे ही घुसे आपके दोस्तों को अपने अलग-अलग काम याद आ गए किसी को शॉपिंग करना था किसी को रेस्ट करना था थक गया था वो चलते-चलते फिर किसी को अ खाना खाना था किसी को पानी पीना था तो सब मॉल में गए तो थे एक ग्रुप में लेकिन मॉल में जाने के बाद क्या हुए अलग-अलग डायरेक्शंस में चले गए स्प्लिट हो गए ठीक जो पहला वाला केस था अपना कांच के गिलास वाला क्या टूटे हुए कांच के पार्टिकल से कणों से आप दोबारा बना सकते हो बिल्कुल पॉसिबल नहीं है एक बार कांच का ग्लास जो टूट गया सो टूट गया आप दोबारा उससे कांच का ग्लास नहीं बना सकते हो लेकिन हां जो हमारा दूसरा एग्जांपल था जिसमें कि आपके दोस्त अपने अलग-अलग काम करने के लिए डिफरेंट डायरेक्शंस में चले गए थे डिफरेंट शॉप्स में चले गए थे तो क्या यह पॉसिबल है कि वापस आप लोग एक ग्रुप बना पाओ बिल्कुल पॉसिबल है भाई एक बार आपके दोस्तों ने अपना काम खत्म कर लिया तो वो वापस क्या हो सकते हैं वापस एक ग्रुप बना आ सकते हैं वापस भी तो आएंगे ना तो आप लोग मॉल के अंदर गए थे एक ग्रुप बना कर के ठीक है अपने-अपने काम करने के लिए डिफरेंट डायरेक्शंस में चले गए और वापस असेंबल हो गए रिअसेंबल हो गए और एक ग्रुप बना लिया और इसी ग्रुप को बना कर के आप मॉल के बाहर भी निकल आए तो यह जो हमारा ग्लास टूटा था कांच का ग्लास जो हमारा टूटा था वो किसका एग्जांपल है वो एग्जांपल है भाई हमारी लाइट की स्कैटरिंग का और जो आप अपने दोस्तों के साथ ग्रुप बना कर के मॉल के अंदर गए हो और बाहर आओगे वो किसका एग्जांपल है लाइट के डिस्पोज का एग्जांपल है लाइट का डिस्पर्शन क्या होता था भाई कि हमारी जो वाइट लाइट होती थी जैसे ही वो एक ग्लास प्रिज्म से पास होगी तो अपने सेवन डोमिनेंट प्राइमरी या कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स में स्प्लिट हो जाती थी ठीक है और ये जो स्प्लिटिंग है ये किसमें होती थी सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स में और जब इन सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स को आप उल्टे प्रिज्म में पास कराओ तो यह वापस क्या हो जाएंगी री कंबाइन हो जाएंगी किसमें एक वाइट लाइट में ठीक है इसीलिए मैंने आपको एग्जांपल दिया था कि जिस तरह से आप और आपके दोस्त ग्रुप बना कर के मॉल के अंदर जाओगे अपने-अपने काम करने के लिए स्प्लिट हो जाओगे स्प्लिट होने के बाद काम खत्म करने के बाद वापस आप एक ग्रुप बना लोगे और मॉल के बाहर निकल आओगे सेम चीज किसके साथ हो रही है वाइट लाइट के साथ हो रही है एक सीधे रखे हुए ग्लास प्रिज्म से जैसे ही वाइट लाइट गई अपने सेवन कंसीट कलर्स में स्प्लिट हो गई ठीक है और जैसे ही स्प्लिट हुई इसके बाद में उनके सामने एक इनवर्टेड क्या रख दिया प्रिज्म रख दिया इनवर्टेड प्रिज्म रखने के बाद क्या हुआ जैसे ही वो सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स उस इनवर्टेड प्रिज्म में गए तो बाहर कैसे निकले एक वाइट लाइट के फॉर्म में निकले यानी कि वाइट लाइट गई थी अंदर प्रिज्म के अंदर और एक इनवर्टेड प्रिज्म से वाइट लाइट ही बाहर आई तो ये क्या हो गया र कॉमिनेशन भी तो हुआ है ना सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स का तो डिस्पर्शन ऑफ वाइट लाइट कुछ यह होती है अभी तक हमें इस क्वेश्चन का जवाब नहीं मिला है हमसे क्या पूछा गया था भाई लाइट की स् की स्कैटरिंग क्या होती है तो हमारा जो फर्स्ट ऑप्शन है ये तो शुरुआत से ही गलत है क्यों क्योंकि ऑप्शन ए ने क्या बोल दिया लाइट की स्कैटरिंग को बोल दिया डिस्पर्शन ऑफ लाइट तो बिल्कुल गलत हो गया ऑप्शन बी क्या बोलता है स्प्लिटिंग ऑफ वाइट लाइट अरे भाई जब डिस्पर्जंस बी क्या है बिल्कुल गलत है ऑप्शन सी क्या बोलता है चेंज इन द डायरेक्शन ऑफ लाइट आफ्टर स्ट्राइकिंग अ पर्टिकुलर टाइप ऑफ पार्टिकल हां यही तो हमें चाहिए था हमारा ऑप्शन सी क्या है बिल्कुल सही है स्कैटरिंग ऑफ लाइट क्या होती है जब हमारी एक लाइट एक पर्टिकुलर पार्टिकल से टकराने के बाद बिखर जाए स्कैटर हो जाए सिमिलर किसकी तरह जैसे ही आपने ग्लास कांच का ग्लास आपने जो तोड़ा था फ्लोर पे वो कैसे टूट गया था छोटे-छोटे पार्टिकल्स में टूट गया था उस कांच के पार्टिकल्स बिखर गए थे सेम केस किसका होता है जब एक लाइट एक पर्टिकुलर पार्टिकल से क्या होती है टकराती है टकराने के बाद डिफरेंट डायरेक्शंस में क्या हो जाती है स्केटर हो जाती है फैल जाती है बिखर जाती है और इसी को हम क्या कहते हैं लाइट की स्कैटरिंग कहते हैं यानी कि लाइट की जो बिखरने की प्रोसेस होती है उसे हम क्या कहते हैं लाइट की स्कैटरिंग कहते हैं ठीक अब क्या होगा सभी केसेस में यह चीज पॉसिबल नहीं है यानी कि अगर आपने कोई भी रैंडम पार्टिकल यहां पे किसी भी रैंडम साइज का आपने यहां पे पार्टिकल ला कर के रख दिया है और आप सोचो कि आपकी लाइट इससे टकराने के बाद डिफरेंट डायरेक्शन में स्कैटर हो जाए बिखर जाए तो यह बिल्कुल पॉसिबल नहीं है अगर आप चाहते हो कि आपकी एक लाइट एक एक पर्टिकुलर पार्टिकल से टकराने के बाद बिखर जाए तो आपको क्या करना पड़ेगा इस पर्टिकुलर पार्टिकल को क्या लेना पड़ेगा आपको लेना पड़ेगा कोलोड पार्टिकल क्या होना पड़ेगा इस पार्टिकल को कोलाइडर पार्टिकल होना पड़ेगा अगर आप चाहते हो कि इस पार्टिकल से टकराने के बाद आपकी लाइट स्कैटर हो जाए यह जो हमारा कोलाइडर पार्टिकल है इसकी साइज रेंज कितनी होती है 1 टू 1000 नैनोमीटर ठीक है कितनी होती है 1 से 1000 नैनोमीटर की साइज रेंज होती है यानी कि वह पार्टिकल्स जिनकी साइज किस रेंज में आती है 1 से 1000 नैनोमीटर की रेंज में आती है उन्हें हम क्या कहते हैं कोलॉयडल पार्टिकल्स कहते हैं और उन्हीं पार्टिकल से टकराने के बाद उन्हीं पार्टिकल से सिर्फ टकराने के बाद हमारी जो लाइट है वो कैसी हो जाती है बिखर जाती है स्कैटर हो जाती है ठीक है और इस पूरी प्रोसेस को लाइट की स्कैटरिंग को डिस्कवर किसने किया था इसको डिस्कवर किया था जॉन टिंडल ने किसने डिस्कवर किया था भाई जॉन टिंडल ने तो उनको रिस्पेक्ट देने के लिए रिस्पेक्ट देने के लिए हमने इस फिनोमेना का नाम क्या रख दिया टिंडल इफेक्ट नाम रख दिया ठीक है टिंडल इफेक्ट अगर आपको याद हो तो हमने एक बड़े अच्छे एग्जांपल से एक्सपेरिमेंट से समझा था कि आपने लिए थे क्या दो बीकर एक बीकर में आपने क्या रखा हुआ था पानी रखा हुआ था दूसरे में आपने पानी के साथ थोड़ा सा क्या ऐड कर दिया मिल्क भी ऐड कर दिया अब दोनों ही बीकर से आपने क्या करा एक लाइट पास कराई आपने देखा अच्छा यह दोनों बीकर्स थे कैसे ये दोनों बीकर्स थे ग्लास के आपने दो ग्लास के बीकर लिए हैं एक में डाला पानी एक में डाला पानी के साथ थोड़ा सा मिल्क भी जैसे ही आपने दोनों ही बीकर से अ कांच के बीकर से आपने लाइट पास कराई आपने क्या देखा इस बीकर में तो आपको लाइट पास करते हुए दिखी ही नहीं लेकिन हां यह वाला जो बीकर था जिसमें आपने क्या डाला हुआ था थोड़ा सा मिल्क भी डाला हुआ था उस पर्टिकुलर बीकर में आपको लाइट पास करती हुई दिखी ऐसा नहीं है कि यह वाला बीकर जिसमें आपने सिर्फ पानी डाला हुआ था उस वाले बीकर से लाइट पास नहीं हुई लाइट तो यहां से भी बिल्कुल पास हुई थी लेकिन हां पास होते हुए हमें यहां पे दिखी नहीं लेकिन यह वाला जो बीकर था जिसमें आपने पानी और मिल्क ऐड किया हुआ था इस वाले बीकर में आपको लाइट पास होती हुई दिखी ऐसा क्यों हुआ क्योंकि भाई हमारा जो यह वाला बीकर था ना इसके पास थे कौन से पार्टिकल्स इसके पास थे कोलोड प पार्टिकल्स अब मिल्क अब यह वाला जो बीकर है इसमें कोलाल पार्टिकल्स कहां से आ गए क्योंकि इस बीकर में डाला हुआ था क्या मिल्क तो मिल्क के जो पार्टिकल्स होते हैं बच्चों उनकी साइज किस रेंज में आती है उनकी साइज उनकी साइज जो है वो इस पर्टिकुलर रेंज में फॉल करती है इसीलिए मिल्क पार्टिकल्स क्या बन जाते हैं हमारे कोलोड पार्टिकल्स बन जाते हैं तो जैसे ही लाइट इस पर्टिकुलर बीकर से पास हुई लाइट क्या हो गई टकरा गई मिल्क के जो पार्टिकल्स थे उनके साथ टकरा गई अब जो कि हमारे मिल्क पार्टिकल्स कैसे थे क्लाइडर पार्टिकल्स थे टकराने के बाद क्या होगा बिखर जाएगी तो जैसे ही हमारी लाइट गई इस बीकर में मिल्क के पार्टिकल से टकराई टकराने के बाद क्या हो गई वो बिखर गई स्कैटर हो गई जिसके कारण उसका जो पाथ है ना हमें विजिबल हो गया यानी कि हम साक्षात लाइट को उस पर्टिकुलर बीकर से पास होते हुए हमने उसे देख लिया ऐसा नहीं है कि इस वाले बीकर के पास पार्टिकल्स नहीं थे बिल्कुल थे इस बीकर में पानी था ना तो पानी के भी तो उनके मॉलिक्यूल होते हैं एटम्स होते हैं लेकिन फिर भी हमें इस पर्टिकुलर बीकर में लाइट पास होती हुई नहीं दिखी क्यों नहीं दिखी क्योंकि भाई पानी के पास उसके पार्टिकल्स तो थे लेकिन उनकी जो साइज थी ना वो इस रेंज में नहीं आती थी इस रेंज में नहीं आई इसका मतलब पानी के जो पार्टिकल्स हैं वो कोलोड पार्टिकल्स नहीं हुए नहीं हुए इससे क्या होगा कि जैसे ही लाइट इनसे टकराई टकराने के बाद क्योंकि वाटर पार्टिकल्स जो थे वो कोलाइडर नहीं थे नेचर के इसलिए टकरा कर के लाइट बिखरी नहीं स्कैटर नहीं हुई इसलिए उसका पाथ भी विजिबल नहीं हो पाया ठीक आई होप ये चीज आपको यू नो आपने रिवाइज कर ली होगी हमने बहुत अच्छे से स्कैटरिंग ऑफ लाइट को समझा था तो भाई इस सवाल का जवाब क्या है ऑप्शन सी चलो एक काम करते हैं हम बढ़ते हैं अपने नेक्स्ट सवाल पे नेक्स्ट क्वेश्चन क्या है व्हेन डज दिस स्कैटरिंग ऑफ लाइट अकर लाइट की स्कैटरिंग कब होगी मैंने आपको बताया था किसी भी रैंडम अ साइज के पार्टिकल से टकराने के बाद आपकी लाइट स्कैटर नहीं होगी अगर आप चाहते हो कि आपकी लाइट कैसी हो स्कैटर हो इसके लिए पार्टिकल के साइज अ पार्टिकल का जो साइज है वो किस रेंज में आना चाहिए वन से लेकर के 1000 नैनोमीटर्स की रेंज में आना चाहिए पर्टिकुलर पार्टिकल का साइज तभी उस पर्टिकुलर पार्टिकल से टकराने के बाद लाइट बिखरे गी स्कैटर होगी यानी कि आपके पार्टिकल को क्या होना पड़ेगा कोलोड होना पड़ेगा नेचर में इज दैट क्लियर देखो ऑप्शन वन में पार्टिकल की साइज कितनी बोल रहे हैं 1 नैनोमीटर से कम की बोल रहे हैं लेकिन हमारी रेंज क्या है हमारी रेंज तो 1 से 1000 नैनोमीटर की है यानी कि जो हमारे पास फर्स्ट ऑप्शन में पार्टिकल है वो कैसा है इस रेंज से बाहर जा रहा है इस रेंज से कैसा है छोटा है तो क्या यहां पे लाइट की स्कैटरिंग हो पाएगी नहीं हो पाएगी क्यों क्योंकि ये 1 नैनोमीटर से छोटा है यानी कि ये कोलॉयडल पार्टिकल नहीं है तो इससे टकराने के बाद लाइट स्कैटर नहीं होगी दूसरा ऑप्शन क्या है दूसरे ऑप्शन में बोल रहा है कि पार्टिकल का साइज है 1000 नैनोमीटर से ज्यादा 1000 नैनोमीटर से ज्यादा मतलब क्या इस वाले पार्टिकल की भी जो साइज है ना वो हमारे रेंज के बाहर जा रही है रेंज के बाहर जा रही है ज्यादा हो रही है यानी कि ये वाला पार्टिकल भी कैसा होगा कोलोड नहीं होगा तो इससे टकराने के बाद हमारी राइट स्कैटर नहीं होगी तो ऑप्शन बी भी इनकरेक्ट है फिर ऑप्शन सी क्या है ऑन स्ट्राइकिंग अ पार्टिकल ऑफ साइज 50 ननो मीटर हां यह ऑप्शन कुछ सही लग रहा है क्यों क्योंकि इस ऑप्शन में जो पार्टिकल लिया गया है उसकी साइज कितनी है 50 नैनोमीटर की है और यह 50 नैनोमीटर हमारा ये जो अ कोडल पार्टिकल का जो साइज की जो रेंज है उसमें गिर रहा है बिल्कुल गिर रहा है है ना 1 और 1000 के बीच में आ रहा है कहीं तो बिल्कुल यह वाला पार्टिकल कैसा है कोलोड है यानी कि इससे टकराने के बाद हमारी लाइट स्कैटर हो सकती है तो ऑप्शन सी है बिल्कुल सही ऑप्शन डी क्या है बोथ ऑप्शन बी एंड सी नहीं सिर्फ और सिर्फ ऑप्शन सी क्यों क्योंकि ऑप्शन बी जो है वो क्या हो रहा है हमारी रेंज के बाहर जा रहा है साइज की रेंज के बाहर जा रहा है तो बाहर नहीं जाना चाहिए ना कम होना चाहिए ना ज्यादा होना चाहिए एग्जैक्ट रेंज में आना चाहिए ठीक है तो इस सवाल का जवाब क्या है ऑप्शन सी चलो अब हम बात करते हैं अपने थर्ड क्वेश्चन की व्हाट इज द रिलेशन बिटवीन वेवलेंथ ऑफ लाइट एंड इट्स स्कैटरिंग लाइट की वेवलेंथ और उसकी स्कैटरिंग के बीच में क्या रिलेशन होता है इस चीज को हमने बड़े ही अच्छे एग्जांपल से समझा था क्या समझा था सपोज आप और आपका दोस्त जा रहा है कहां मॉर्निंग वॉक पे अब आपने क्या किया आपके दोस्त आपने अपने दोस्त को डिनर नहीं दिया और जब वह सुबह सो कर के उठा तो उसे ब्रेकफास्ट भी नहीं दिया मतलब कि आपका जो दोस्त है ना वो कल रात से भूखा है और आप सुबह-सुबह आप उसको जगाने में लगे हो कि सुनो उठो जल्दी से उठो हमें मॉर्निंग वॉक पे जाना है और मॉर्निंग वॉक पे भी हमें क्या करना है 2 किमी मॉर्निंग वॉक पे हमें जाना है अब आपका दोस्त किसी तरह से बेचारा उठ तो गया लेकिन उसमें एनर्जी बिल्कुल भी नहीं है जाने की अब क्या होगा जैसे ही आप लोग मॉर्निंग वॉक पे निकलोगे ना आपका जो दोस्त है वो 10 कदम चलने के बाद ही क्या हो जाएगा थक जाएगा थक जाएगा जिसके कारण क्या हो जाएगा फैल जाएगा आगे जा ही नहीं पाएगा अब क्या किया आपने आपने सोचा कि यह तो बड़ी गड़बड़ हो गई फिर आपने क्या किया उसको थोड़ा सा ब्रेकफास्ट खिला दिया नाश्ता करवा दिया अब आपके दोस्त में थोड़ी सी एनर्जी आ गई तो आपके दोस्त ने बोला अरे 2 किलोमीटर की वॉक क्या होती है मैं तो 2 किलोमीटर की रनिंग कर सकता हूं अब मुझ में इतनी एनर्जी आ गई है तो आपके दोस्त ने क्या किया 2 किलोमीटर की रनिंग कर डाली ठीक है और 2 किलो की 2 किलोमीटर के कहीं जाकर के फैल गया यानी कि थक गया दोनों ही केसेस में क्या फर्क है फर्क है डिस्टेंस का पहले केस में जब आपके दोस्त के पास एनर्जी कैसी थी काफी कम थी तो क्या हुआ व बहुत जल्दी फैल गया बहुत जल्दी थक गया बिल्कुल रोड पर बिल्कुल लेट ही गया था कि भाई मुझसे तो हो नहीं रहा यानी कि जब आपके दोस्त की एनर्जी कम थी तो आपका दोस्त जल्दी फैल गया जल्दी फैल गया मतलब क्या ज्यादा डिस्टेंस ट्रेवल नहीं कर पाया और जैसे ही उसके अंदर थोड़ी सी एनर्जी आ गई तो उसने क्या किया कहीं दूर जाकर के व वो फैला है ना कहीं दूर जाकर के वो थक गया होगा लेकिन तब तक उसने डिस्टेंस काफी ज्यादा कवर कर लिया था यानी कि स्कैटरिंग और जो डिस्टेंस ट्रैवल्ड है सॉरी जो आप स्कैटरिंग और वेवलेंथ की अगर हम रिलेशन की बात करें तो इनके बीच का रिलेशन क्या होना चाहिए भाई इवर्स होना चाहिए कैसे एक लाइट जिसकी वेवलेंथ ज्यादा होती है उसकी स्कैटरिंग क्या होती है बच्चों उतनी ही कम होती है मैंने आपको बताया था कि चाहे वो आप एंबुलेंस ले लो चाहे वो हमारे जो ट्रैफिक सिग्नल्स होते हैं जिसमें मतलब हम चाहते हैं कि गाड़ियां रुक जाए एक पर्टिकुलर पॉइंट प आक के उसके लिए हम रेड लाइट का यूज करते हैं जितने भी डेंजर के साइन वगैरह होते हैं वो सब रेड कलर से ही बनाए जाते हैं आखिर ऐसा है क्यों वो इसलिए क्योंकि हमारे पास जो एक विबग्योर का पटन होता है ना वेब ग्यर का जो स्पेक्ट्रम है हमारे पास उसमें जो रेड लाइट होती है बच्चों उसकी जो वेवलेंथ है वो क्या होती है सबसे ज्यादा होती है यह जो आपको वेब ग्यर स्पेक्ट्रम मिलता है उसमें अगर मैं आपसे पूछूं कि वेवलेंथ का सीक्वेंस क्या होगा तो आपको होना आपको बोलना चाहिए कि इस तरफ जाएंगे टुवर्ड्स राइट जाएंगे तो वेवलेंथ क्या होती जाएगी इंक्रीज होती जाएगी रेड कलर की जो लाइट है उसकी वेवलेंथ होती है सबसे ज्यादा जिसके कारण क्या होता है कि वह स्कैटर क्या होती है थोड़ी सी कम होती है और ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल कर पाती है आपके दोस्त ने जब एनर्जी कम थी तो उसने डिस्टेंस कैसा किया था कम ट्रैवल किया था 2 किलोमीटर तो क्या वो 10 कदम नहीं चल पाया था और तुरंत क्या हो गया स्कैटर हो गया और जब उसमें एनर्जी आ गई तो वो ज्यादा डिस्टेंस क्या कर पाया ट्रेवल कर पाया कवर कर पाया और आगे जाकर के स्कैटर हो पाया ठीक है आगे जाकर के स्कैटर हो पाया यानी कि डिस्टेंस है अगर कम तो स्कैटरिंग हो गई ज्यादा ठीक है और अगर मैं इसका उल्टा बोलूं कि कोई एक पर्टिकुलर लाइट है जिसकी स्कैटरिंग बहुत ज्यादा होती है यानी कि वो डिस्टेंस कम ट्रेवल करती है और एक पर्टिकुलर लाइट है जो कि स्कैटर क्या करती है थोड़ी सी कम करती है यानी क्या थोड़ी ज्यादा डिस्टेंस ट्रेवल करके कहीं दूर जाकर के वो बिखरती है ठीक है रेड लाइट के केस में भी ऐसा ही होता है रेड लाइट की वेवलेंथ क्या होती है ज्यादा होती है जिसके कारण उसकी स्कैटरिंग क्या होती है बच्चों कम होती है इसीलिए वो ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल करके हम तक पहुंच जाती है ठीक है एंबुलेंस में क्या जरूरत है रेड कलर की बत्ती की अकेले सायरन से भी तो काम हो सकता है ना रेड कलर की जो लाइट है क्यों जलाई जाती है ताकि दूर-दूर तक लोगों को पता चल जाए कि भाई एंबुलेंस आ रही है रास्ता खाली कर दो ट्रैफिक मत करो और एंबुलेंस को जल्दी से जाने दो है ना क्यों क्योंकि वो जो रेड लाइट होती है ना वो दूर तक पहुंचती है क्यों पहुंचती है क्योंकि उसकी स्कैटरिंग क्या होती है कम होती है स्कैटरिंग कम क्यों होती है क्योंकि उसकी जो वेवलेंथ है वो सबसे ज्यादा होती है अगर वेवलेंथ है ज्यादा तो स्कैटरिंग क्या हो जाएगी कम हो जाएगी यानी कि यहां पे स्कैटरिंग ऑफ लाइट और उसकी वेवलेंथ में क्या रिलेशन होता है भाई इवर्स रेशियो होता है ऑप्शन बी इज द आंसर क्यों ऑप्शन बी में हमको बताया जा रहा है कि लाइट की स्कैटरिंग किसके इवर्स प्रोपोर्शन में होती है लाइट की वेवलेंथ के प्रोपोर्शन में होती है किसी भी लाइट की वेवलेंथ है ज्यादा उसकी स्कैटरिंग है कम यानी कि वह ज्यादा डिस्टेंस तक जो है ट्रेवल कर पाएगी ठीक है और अगर किसी लाइट की जैसे कि हमारा जो वॉयलेट लाइट है इसकी वेवलेंथ काफी कम होती है तो इसकी स्कैटरिंग क्या होगी ज्यादा होगी यानी कि ये ज्यादा डिस्टेंस तक ट्रेवल नहीं कर पाएगी कौन हमारी वॉयलेट लाइट ठीक है आई होप ये चीज आपको समझ में आई होगी बच्चों तो इस सवाल का जवाब क्या था अपना ऑप्शन बी स्कैटरिंग इज़ इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू द वेवलेंथ ऑफ़ दी लाइट व्हाट इज़ द रिलेशन बिटवीन स्कैटरिंग ऑफ लाइट एंड द डिस्टेंस कवर्ड इड अभी बताया है जितनी ज्यादा वो अ किसी पर्टिकुलर लाइट की क्या होगी स्कैटरिंग होगी वो डिस्टेंस उतना ही कवर करेगा यानी कि लाइट की स्कैटरिंग ना सिर्फ वेवलेंथ के इवर्स प्रोपोर्शनल में होती है बल्कि डिस्टेंस प्रोपोर्शन के भी डिस्टेंस के भी क्या होती है इवर्स प्रोपोर्शन में होती है तो इस सवाल का जवाब क्या होना चाहिए ऑप्शन डी जितनी ज्यादा लाइट की स्कैटरिंग उतना ही कम डिस्टेंस वो ट्रैवल कर पाएगी जैसे कि वॉयलेट लाइट और जितना ज्यादा क्या होगा अ जितना कम लाइट की स्कैटरिंग होगी उतना ज्यादा वो डिस्टेंस ट्रेवल कर पाएगी जस्ट लाइक द रेड लाइट ठीक है तो इस सवाल का जवाब क्या होना चाहिए भाई ऑप्शन डी क्योंकि ऑप्शन डी में हमें दिख रहा है कि जो स्कैटरिंग है वो किसके प्रोपोर्शन में है इवर्स प्रोपोर्शनल में है डिस्टेंस कवर्ड के ठीक है आई होप इस चीज इस चीज को आपने समझा होगा इस क्वेश्चन को आपने समझा होगा अब एक काम करते हैं हम बढ़ते हैं अपने नेक्स्ट सवाल पे क्वेश्चन नंबर फाइव क्या है द साइज ऑफ एयर मॉलिक्यूल इज ऑफ द ऑर्डर मैंने आपको बताया था कि लाइट की जो स्कैटरिंग है वो ना सिर्फ हमारे वो दूध वाले एक्सपेरिमेंट में होती है बल्कि यह हमारे एटमॉस्फेयर में भी होती है एटमॉस्फियर में क्यों होती है भाई क्योंकि हमारे एटमॉस्फेयर में भी कई सारे पार्टिकल्स होते हैं जैसे कि एयर मॉलिक्यूल हो गए गैस मॉलिक्यूल हो गए वाटर वेपर्स हो गई वाटर ड्रॉपलेट्स हो गई स्मोक पार्टिकल्स डस्ट पार्टिकल्स है ना तभी तो आपको मैंने एक एग्जांपल बताया था कि आपके कमरों की खिड़की सपोज सुबह-सुबह आप उठे हो और आपके कमरे में काफी अंधेरा है जैसे ही क्या करोगे आप अपनी खिड़की खोलोगे कमरों की खिड़की खोलोगे आपको लिटरली लाइट जो है आती हुई दिखेगी लाइट आते हुए क्यों दिख रही है आपको भाई लाइट का पाथ विजिबल क्यों हुआ क्योंकि सनलाइट जब आपके कमरे तक आ रही थी तो वह किस पार्टिकल के साथ टकराई है कोलाइडर पार्टिकल के साथ टकरा गई मैंने आपको बताया है कि एक लाइट का पाथ कब विजिबल होता है जब उसकी स्कैटरिंग होती है लाइट की स्कैटरिंग के बाद ही लाइट का पाथ क्या होता है विजिबल होता है और लाइट की स्कैटरिंग कब होती है जब वो कोलोड पार्टिकल से टकराती है यानी कि जब आपको अपने कमरों में लाइट सनलाइट आते हुए देखे इसका मतलब क्या है कि आपकी स सनलाइट क्या हो रही है स्कैटर हो रही है कैसे स्कैटर हो रही है क्योंकि वो इस तरह के कोलइंडिया मॉलिक्यूल गैस मॉलिक्यूल डस्ट पार्टिकल्स ठीक है स्मोक पार्टिकल्स ये सब क्या होते हैं ये सभी हम बोलते हैं कि कोलोड पार्टिकल्स होते हैं तो इन पार्टिकल से टकराने के बाद हमारी सनलाइट क्या हो जाती है स्कैटर हो जाती है और इस वजह से उसका पाथ विजिबल हो जाता है डेंस फॉरेस्ट की जो कैनोपी होती है वहां भी हमें लाइट की स्कैटरिंग टेंडल इफेक्ट देखने को मिलता है ठीक है तो यहां पे जो हमसे पूछा जा रहा है कि भाई एयर मॉलिक्यूल का साइज क्या रहेगा एयर मॉलिक्यूल क्या है एक टाइप का कोलोड पार्टिकल ही तो है यानी कि इसकी साइज की रेंज भी क्या होगी वन से 1000 नैनोमीटर्स की रेंज में ही आएगी तो भाई इस ऑप्शन इस सवाल का जवाब क्या होना चाहिए ऑप्शन सी 10 टू द पावर - 10 मीटर ठीक है हमारी जो एयर मॉलिक्यूल है उसका साइज कितना होना चाहिए उसका साइज होना चाहिए 10 टू द पावर - 10 मीटर क्यों क्योंकि वो भी क्या है एक टाइप का कोलाइडर पार्टिकल ही तो है ठीक आई होप ये सवाल आपको समझ में आया होगा अब हम बढ़ते हैं अपने सिक्सथ क्वेश्चन की तरफ सिक्सथ क्वेश्चन क्या है अपेरेंट पोजीशन ऑफ द स्टार अपीयर रेज्ड ड्यू टू भाई मैंने आपको बताया था था कि अ जो हमारा अर्थ है जो हमारी अर्थ होती है उसका एक एटमॉस्फियर होता है और उस एटमॉस्फियर में डिफरेंट लेयर्स होती हैं ठीक है जैसे यह हुई क्या हमारी अर्थ और इस अर्थ के अराउंड है बहुत सारी क्या लेयर्स सबसे पहले आती है कौन हमारी ट्रोपो स्फीयर फिर आती है हमारी स्ट्रेटोस्फीयर फिर इसके बाद में आती है हमारी मीजो स्फीयर फिर आती है थर्मोस्फीयर फिर आती है लास्ट में कौन हमारी ो स्फीयर ठीक है ये डिफरेंट लेयर्स आपको अर्थ की देखने को मिलती हैं अर्थ के एटमॉस्फेयर की देखने को मिलती है और इन सभी लेयर्स की अपनी-अपनी एक डेंसिटी होती है और जैसे ही हम अर्थ से बाहर की तरफ जाएंगे अर्थ से वैक्यूम की तरफ जाएंगे देखो ये है क्या अपनी अर्थ और ये क्या है पूरा अर्थ का एटमॉस्फियर अर्थ के एटमॉस्फियर में डिफरेंट लेयर्स होती हैं और इन सभी लेयर्स की क्या होती है अपनी डेंसिटी होती है लेकिन जैसे ही आप अर्थ के एटमॉस्फेयर से बाहर निकलोगे ना आपको कौन मिले गा भाई आपको मिलेगा यह वैक्यूम ठीक है और इसी वैक्यूम में क्या प्रेजेंट होते हैं हमारे सन हमारे स्टार्स और हमारा मून ठीक है अब क्या होगा जैसे ही आप अर्थ के एटमॉस्फियर से बाहर निकलोगे ना तो जो डेंसिटी होगी वो क्या होती जाएगी कम होती जाएगी यानी कि सबसे ज्यादा डेंसिटी किसकी होती है अर्थ की जो सबसे पास वाली लेयर होती है ट्रोपो स्फीयर उसकी होती है और सबसे कम डेंसिटी किसकी होती है एजोस्सिम मोस्ट लेयर होती है अब क्या हुआ अब हुआ कि स्टार से जो है ना लाइट आ रही थी हम कहां खड़े थे भाई हम खड़े थे इस अर्थ पे एक काम करती हूं मैं इसको रब कर देती हूं हम कहां खड़े थे भाई हम खड़े थे यहां पे कहीं अर्थ पे हम क्या कर रहे थे हम स्टार को देख रहे थे ठीक है अब स्टार से क्या हुआ स्टार से हम बोलते हैं कि लाइट आई और ये क्या बनाया मैंने अर्थ का एटमॉस्फेयर बनाया है स्टार की लाइट आ कहां से रही थी वैक्यूम से आ रही थी और कहां आई वो अर्थ के एटमॉस्फेयर में आई अर्थ के एटमॉस्फेयर में तो क्या हो रहा है डेंसिटी चेंज हो रही है यानी कि मीडियम स्टार की लाइट का क्या हो जाएगा चेंज हो जाएगा तो ओबवियस सी बात है हमारी जो स्टार की जो लाइट आ रही थी वो कहां से आ रही थी एक रेयरर से डेंसर मीडियम में आएगी तो डेंसर मीडियम के में आने के कारण क्या होगा नॉर्मल की तरफ वो झुक जाएगी तो हमारी तरफ हम हम तक हम कहां खड़े थे अर्थ पे खड़े थे तो तक जो स्टार की लाइट आ रही है बच्चों वो कैसी आ रही है वो रिफ्रैक्ट हो करके आ रही है यानी कि अपना पाथ चेंज करके आ रही है लेकिन हमारे ब्रेन को तो नहीं पता था ब्रेन का काम क्या होता है आंखों से जो भी इंफॉर्मेशन आई है ऑब्जेक्ट से रिलेटेड उसकी इमेज बनाना इमेज कैसे बनती है आपको हमेशा पता है कि जहां पे दो रिफ्रैक्टेड या दो रिफ्लेक्टेड रेज मिलती हैं वहीं ऑब्जेक्ट की इमेज बनती है अब क्या हुआ हमारी आंखों से स्टार से निकलने वाली कुछ रिफ्रैक्टेड रेज आ रही थी कहां पहुंची ब्रेन तक पहुंची ब्रेन ने क्या किया उसका इमेज बनाने की कोशिश करी कैसे करी यह जो दोनों रेज आ रही है ना इनको उनके ओरिजिनल पाथ की पे क्या कर दिया एक्सटेंड कर दिया ठीक है जो ओरिजिनल पाथ था इन दोनों ही रिफ्रैक्टेड रेज का उनको पीछे की तरफ क्या कर दिया एक्सटेंड कर दिया भाई ब्रेन को नहीं पता था ना कि यह दोनों जो रेज निकल के आ रही है वह कैसी आ रही है अपना जो पाथ है वह बेंड करके आ रही है ब्रेन को क्या पता था कि भाई ऊपर कहीं क्या हो रहा है रिफ्रैक्ट हो रहा है स्टार की लाइट आ रही है कहां से वैक्यूम से यस और नो ब्रेन को नहीं पता था ब्रेन को क्या पता था कि बस लाइट आ रही है उस लाइट की हमें इमेज बनानी लाइट कहां से आ रही है एक ऑब्जेक्ट से आ रही है उस ऑब्जेक्ट की इमेज बनाने के लिए उसने क्या किया जो दो रेज उसकी आंखों तक आ रही थी उनको पीछे की तरफ एक्सटेंड कर दिया क्यों क् क्योंकि उसे इमेज बनानी थी ऑब्जेक्ट की और जहां पे ये दोनों ही रिफ्रैक्टेड रेज मिली वहां पे बन गई क्या एक स्टार की इमेज यानी कि एक्चुअल जो पोजीशन होती है स्टार की वो जो एक्चुअली हम जो स्टार देखते हैं स्काई में वो एक्चुअल स्टार नहीं होता है वो तो स्टार की इमेज होती है एक्चुअल स्टार तो उससे थोड़ा नीचे होता है ठीक है तो ये जो यहां पे आपसे पूछा जा रहा है कि भाई अपेरेंट पोजीशन क्या है स्टार की अ स्टार क्यों हमें उठा हुआ दिखता है थोड़ी हाइट पे दिखता है तो इस एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट के कारण हमारे एटमॉस्फेयर में क्या हो रहा है रिफ्रैक्ट हो रहा है जिसके कारण हमें स्टार की हाइट कैसी दिखती है ज्यादा दिख जाती है इतना क्लियर है आप सबको चलिए अब हम बढ़ते हैं अपने नेक्स्ट सवाल पे ऑन गोइंग फ्रॉम ट्रोपो स्फीयर टू एजोस्सिम आपको बताया था कि जैसे हम अर्थ की सरफेस से बाहर जाएंगे तो डेंसिटी क्या होती जाएगी कम होती जाएगी ठीक है फिर लास्ट क्वेश्चन क्या है भाई इफ सनसेट इज अरिंग एट 6 50 पीएम पे इन सूरत एट व्हाट टाइम पीपल विल सी इट अब इस सवाल का जवाब क्या होना चाहिए अब देखो यह वाला केस किस चीज का है भाई यह वाला केस है अर्ली सनराइज का और बलेड सनसेट का ठीक है ये किस चीज का केस है भाई अर्ली सनराइज और डिलेट सनसेट ये क्या होता है अर्ली सनराइज क्या होता है डिलेट सनसेट मैंने आपको बताया था कि अगर किसी जगह अ जो सनराइज है वो कितने बजे हो रहा है 6:00 बजे हो रहा है सुबह-सुबह सनराइज तो हमें कितने बजे देखने को मिलता है हमें एक्चुअली देखने को मिल जाता है ये 558 एएम पे यानी कि 2 मिनट पहले इसे हम कहते हैं अर्ली सनराइज और अगर किसी जगह सनसेट हो रहा है कितने बजे शाम को 6 बजे तो हमें सनसेट देखने को कितने बजे मिलेगा हमें सनसेट देखने को मिलेगा 6:2 पे यानी कि 2 मिनट देरी से हमें सनसेट देखने को मिलेगा ऐसा क्यों होता है भाई इस चीज में भी एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट ही काम आता है क्यों जरा देखो इदर हम बात कर रहे हैं सनराइज और सनसेट की यह रहा क्या हमारा हमारी अर्थ ठीक है यह क्या है हमारी अर्थ है अब हम बनाते हैं क्या एक हॉरिजॉन्ट हॉरिजॉन्ट क्या होता है भाई एक ऐसी लाइन होती है जहां पे हम बोलते हैं कि सन जो स्काई है हमारा स्का और अर्थ दे अपीयर टू मीट ठीक है ये मैंने क्या बनाई थी अर्थ बनाई थी और फिर मैंने इस तरह की एक हॉरिजॉन्टल लाइन बना दी ये हॉरिजॉन्टल लाइन क्या है भाई इसे हम कहते हैं हॉरिजॉन्ट जहां पे हम बोलते हैं कि स्काई और अर्थ मिलते हैं तो भाई जब सन राइज या जब सन सेट होता है उस टाइम पे क्या होता है बच्चों उस टाइम पे बेसिकली जो हमारा सन है ना ये इसी हॉरिजॉन्ट के ऊपर या नीचे जाता है अगर सन राइज हो रहा है सन उगर है तो कहां से उग रहा है भाई इस हॉरिजॉन्ट के ऊपर आ रहा है सन और अगर सन सेट हो रहा है मतलब क्या इस हॉरिजॉन्ट के नीचे इस हॉरिजॉन्ट के नीचे आ रहा है क्या हमारा सन ठीक है सबसे पहले हम बात करते हैं सनराइज की आपको सनराइज समझ में आया ना क्या होता है सनराइज मतलब क्या एक ऐसी सिचुएशन जहां पे हमारा जो सन है वो होराइजन के ऊपर आ रहा है होराइजन क्या होता है भाई एक ऐसी लाइन है जहां पे सन हमारा जो हमारी जो अर्थ है है और जो स्काई है दे अपीयर टू मीट हमें ऐसा लगता है कि इस लाइन पे हमारा जो स्काई है और हमारी जो अर्थ है वो मिलते हैं ठीक है अब क्या हुआ सपोज कि कितने बज रहे थे यहां पे यहां पे बज रहे थे अ सॉरी इसको आप ऐसे समझ सकते हो कि ये क्या है हरिजन है और ये आपने आपने क्या बना दिया सन बना दिया ठीक है अब सन क्या करेगा सन की सनलाइट आएगी कहां आएगी अर्थ पे आएगी लेकिन ऐसे कैसे आ जाएगी बिना रिफ्रैक्ट के क्योंकि हमें पता है कि हमारा सन कहां है हमारा सन है हमारे अ वैक्यूम में और अर्थ कहां है अर्थ के अराउंड क्या है अर्थ का एक एटमॉस्फेयर है जिसमें कि डिफरेंट एटमॉस्फेरिक लेयर्स हैं और उन सभी एटमॉस्फेरिक लेयर्स की क्या है अपनी-अपनी एक डेंसिटी है तो जब सन से निकलने वाली सनलाइट कहां आएगी अर्थ तक आएगी उसको अर्थ के एटमॉस्फेयर से क्या करना पड़ेगा भिड़ना पड़ेगा उसके अक्रॉस आना पड़ेगा यानी कि अपने पाथ को चेंज करना पड़ेगा और क्यों करना पड़ेगा क्यों कि भाई मीडियम में चेंज हो रहा है सनलाइट कहां से आएगी सनलाइट वैक्यूम से कहां आएगी अर्थ के एटमॉस्फेयर में आएगी जहां पे डिफरेंट डेंसिटीज है तो मीडियम चेंज हो गया मीडियम चेंज हुआ मतलब क्या मीडियम चेंज हुआ मतलब कि एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट होगा लाइट जो है वो बेंड कर जाएगी ठीक है अब क्या होगा सपोज यहां से हम बोल रहे हैं कि सनलाइट आ रही है ठीक है और वो क्या हो रहा है बेंड हो जा रही है क्या हो गई बेंड हो गई इसको ध्यान से देखना रेड कलर की सनलाइट आ रही है सन से रेड कलर की सनलाइट आ रही है सन से और जैसे ही वह हम तक पहुंची हम क ओबवियस सी बात है हम कहां खड़े हैं हम खड़े हैं अर्थ पे ठीक है अब यहां पे हम खड़े हुए हैं हम तक क्या हुआ सनलाइट आई आ गई सनलाइट लेकिन यह सनलाइट कहां गई हमारी आंखों से हमारे ब्रेन प गई भाई ब्रेन को तो नहीं पता था कि जो सन से लाइट आ रही है व वो रिफ्लेक्ट हो करके आ रही है उसे क्या पता कि ऊपर कहीं रिफ्रैक्ट चल रहा है ब्रेन तक जैसे ही सन से लाइट आई रिफ्रैक्टेड रेज आई उसने क्या सोचा कि चलो सन की हम क्या बनाते हैं इमेज बनाते हैं इमेज बनाने के लिए उसने क्या किया ये जो दोनों रिफ्रैक्टेड रेज आ रही है ना उनको उसने उनके ओरिजनल पाथ के अलोंग क्या कर दिया पीछे की तरफ एक्सटेंड कर दिया क्योंकि हमारे ब्रेन को ये तो पता ही है कि अगर उसे किसी भी ऑब्जेक्ट की इमेज बनानी है तो क्या करना पड़ेगा रिफ्रैक्टेड रेज और रिफ्लेक्टेड रेज को मिलाना पड़ेगा तो लाइट जो आ रही थी हमारे पास हमारी आंखों पे वो कहां से आ रही थी सन से आ रही थी लेकिन ब्रेन को नहीं पता था कि ये जो लाइट आ रही है सनलाइट वो रिफ्रैक्ट हो कर के आ रही है उसने क्या किया जो ओरिजिनल बेसिकली जो रिफ्रैक्टेड रेज आ रही थी उस तक उन्हीं रेस को उन उनकी ओरिजिनल पाथ के अलोंग क्या कर दिया पीछे की तरफ एक्सटेंड कर दिया इमेज बनाने के लिए तो हमारे ब्रेन को क्या लगा हमारे ब्रेन को लगा कि भाई सन कहां है वो यहां कहीं अभी तो सन हमारा हरिजन के ऊपर आया ही नहीं था सन राइज हुआ ही नहीं था लेकिन फिर भी हमारे ब्रेन ने कैसी इमेज बना दी हमारे ब्रेन ने इमेज कहां बना दी सन की हॉरिजॉन्ट के ऊपर बना दी यानी कि हमारे ब्रेन के हिसाब से क्या हो गया सनराइज हो चुका है लेकिन एक्चुअल में सनराइज अभी नहीं हुआ था इसी को हम क्या कहते हैं इसको हम कहते हैं अर्ली सनराइज ठीक है इसी को हम क्या कहते हैं अर्ली सनराइज यानी कि हमा सन को 6 बजे हॉरिजॉन्ट के ऊपर आना था लेकिन हमारे ब्रेन ने 558 मिट पर ही क्या हो गया सन की इमेज बना दी हॉरिजॉन्ट के ऊपर इसीलिए मैंने आपको बताया था कि सन मून स्टार्स जो भी हम देखते हैं वो एक्चुअली में क्या होती है इमेजेस होती हैं सन मून और स्टार्स की एक्चुअल सन मून स्टार होते ही नहीं है वो कुछ अलग जगह होते हैं क्यों क्योंकि हमारी ब्रेन उनकी कुछ इस तरह की इमेज बना देता है कि हमें लगता है कि स्टार वहां है क्योंकि हमारे ब्रेन को नहीं पता होता कि इन सेलेटििन बॉडी से जो भी लाइट निकल के आ रही है हम तक पहुंच रही है वो कैसी हो रही है रिफ्लेक्ट हो कर के पहुंच रही है अपना पाथ चेंज करके पहुंच रही है ब्रेन का काम क्या है किसी भी ऑब्जेक्ट से रेज आ रही है उन रेज को उनकी ओरिजिनल पाथ के अलोंग एक्सटेंड कर देना ताकि क्या बन जाए उस ऑब्जेक्ट की इमेज बन जाए और हमें वो ऑब्जेक्ट देखने को मिल जाए सन से भी क्या आ रही थी रेज आ रही थी हम तक हम कहां थे अर्थ पे थे लेकिन हम अ हमारा जो अर्थ है वो उसके एटमॉस्फियर से घिरा हुआ रहता है तो जैसे ही सनलाइट वैक्यूम से अर्थ के एटमॉस्फेयर में आई रिफ्रैक्ट हो गई लाइट की क्या हो गई बेंडिंग हो गई बेंडिंग के कारण लाइट सनलाइट हम तक जो है ना बेंड हो कर के पहुंची लेकिन हमारे ब्रेन को नहीं पता था उसने क्या किया इन रेज को उनके ओरिजिनल पाथ के अलोंग पीछे की तरफ एक्सटेंड कर दिया और जहां पे एक्सटेंड किया वहां पे क्या बन गई सन इमेज बन गई ठीक है सन को हरिजन के ऊपर आना था कितने बजे 6 बजे लेकिन हमारी ब्रेन ने 558 मिनट पर ही क्या कर दिया सन की इमेज बना दी और हो गया सनराइज इसे हम क्या कहते हैं इसे हम कहते हैं अर्ली सनराइज अब हम बात करते हैं डिलेट सनसेट की सनसेट मतलब क्या कि हमारा ये जो सन होगा यह हरिजन के क्या होगा नीचे चला जाएगा ठीक है अब जैसे ही ये नीचे गया तो भाई सन तो हमें हमेशा ही जो है ना सनलाइट देगा तो सन से क्या निकली सन से निकली कुछ लाइट लेकिन फिर से क्या हुआ हम तक कैसे पहुंचेंगी सनलाइट बेंड हो कर के पहुंचेगी तो ये लो बेंड हो कर के पहुंच गई एक और सनलाइट आई ये भी कैसे पहुंची बेंड हो कर के पहुंची लेकिन हमारे ब्रिन को तो नहीं पता था ना कि सनलाइट कैसी हो रही है बेंड हो कर के पहुंच रही है ठीक है उसको नहीं पता था कि सनलाइट कैसे पहुंच रही है हम तक बेंड हो कर के पहुंच रही है उसने क्या किया इस सनलाइट को उस उसके ओरिजिनल पाथ के अलोंग पीछे की तरफ क्या कर दिया एक्सटेंड कर दिया और जहां एक्सटेंड किया वहां पर उसने सन की इमेज बना ली क्यों क्योंकि उस एक्सटेंडेड पॉइंट में दोनों ही रिफ्रैक्टेड रेज मिल रही थी और उसी पॉइंट पे सन की इमेज बना ली सन ऑलरेडी क्या हो चुका है हॉरिजॉन्ट के नीचे आ चुका है यानी कि सनसेट हो चुका है लेकिन हमारे ब्रेन को अभी भी क्या लग रहा है हमारे ब्रेन को लग रहा है कि अभी भी सन कहां है हॉरिजॉन्ट के ऊपर है यानी कि सनसेट अभी हुआ नहीं है लेकिन यह एक्चुअली में हो हो चुका है ठीक है इसे हम क्या कहते हैं इसे हम कहते हैं डिलेड सनसेट यानी कि सनसेट हो चुका रहता है लेकिन हमें 2 मिनट बाद सनसेट दिखता है क्यों सिर्फ हमारे ब्रेन के कारण ब्रेन कुछ अलग ही इमेज बना लेता है कहीं और ही इमेज बना लेता है सन की ठीक है आई होप आपको अर्ली सनराइज और अर्ली सनसेट की सॉरी डिलेड सनसेट की स्टोरी समझ में आई होगी सवाल क्या था अगर सूरत में सनसेट कितने बजे हो रहा है भाई 6 58 पीएम पे हो रहा है सनसेट सनसेट कितने बजे हो रहा है 658 पे हो रहा है तो लोगों को कितने बजे देखेगा लोगों को 2 मिनट की देरी से मिलेगा 2 मिनट की देरी से दिखेगा 2 मिनट की देरी मतलब कितने बजे 7 बजे ठीक है तो इस ऑप्शन इस सवाल का जवाब क्या होना चाहिए ऑप्शन ए 7:00 बजे लोगों को सनसेट देखने को मिलेगा क्यों क्योंकि एक्चुअल में तो वो 658 पीएम पे हो रहा था लेकिन ब्रेन इमेज बाद में बनाएगा सनसेट की ठीक है इसलिए डिलेड सनसेट हमें दिखेगा हॉरिजॉन्ट के नीचे सन ऑलरेडी आ चुका है 658 पे लेकिन लोगों को कब दिखेगा 658 पे सूरत पे क्या हुआ 658 पे ऑलरेडी सन जो है हॉरिजॉन्ट के नीचे आ चुका है लेकिन 658 पे सूरज जो सूरत है जगह ठीक है वहां पे सन की इमेज का बनी है अभी हरिजन के ऊपर ही बनी है 2 मिनट बाद इमेज कहां बनेगी नीचे बनेगी तो सनसेट दो मिनट की देरी से लोगों को दिखाई देगा इसलिए इस सवाल का जवाब होगा ऑप्शन ए आई होप आपको अर्ली सनराइज और डिलेट सनसेट की स्टोरी समझ में आ गई होगी और इसी के साथ हमारा यह चैप्टर होता है खत्म यानी कि इस डीपीक्यू सेशन के साथ जितने भी थ्योरी पोर्शन थी आपके इस चैप्टर की द ह्यूमन आई एंड द कलरफुल वर्ल्ड की वो होती है कंप्लीट अब हम बात करेंगे इस चैप्टर के क्वेश्चंस की न्यूमेरिकल्स की यानी कि इंटेक्स क्वेश्चंस की और एक्सरसाइज क्वेश्चंस की तो आई होप आपने आज के इस डीपीक्यू सेशन को किया होगा एंजॉय अब हम आगे बात करेंगे इंटेक्स क्वेश्चंस के बारे में तो हम मिलेंगे अपने नेक्स्ट लेक्चर में तब तक आप क्या करेंगे हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है magnetbrains.com उसे विजिट कर लीजिएगा जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे अरेंज्ड फॉर्म में प्लेलिस्ट में साथ ही साथ आपको वहां पे सभी चैप्टर्स सभी टॉपिक्स के आपको वहां पे नोट्स भी होंगे अवेलेबल सो डू विजिट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विद magnetbrains.com हेलो एवरीवन इस सेशन में आज हम बात करेंगे लीक से थोड़ा हटकर लीक से थोड़ा हटकर मतलब क्या आज हम बात करेंगे एक ऐसे टॉपिक की जो आपने पढ़ा होगा क्लास नाइंथ में और आप सीधे जाकर के पढ़ोगे क्लास 11थ में और वो भी ऐसा वैसा नहीं हायर लेवल का पढ़ोगे यानी कि क्लास 10थ में उस टॉपिक को कहीं भी मेंशन नहीं किया गया है पूरे सिलेबस में कहीं वो टॉपिक है ही नहीं तो एक काम करते हैं इससे पहले कि आप उस टॉपिक को 11थ में जाकर के कंप्लीट भूल जाओ उसको हम कर लेते हैं आज रिवाइज तो भाई इस सेशन में आज हम बात करेंगे स्केलर और वेक्टर क्वांटिटीज के बारे में जी हां क्लास नाइंथ में आप पढ़ते हो बहुत ही बेसिक पढ़ते हो स्केलर और वेक्टर क्वांटिटीज का क्लास 10थ में तो आपकी सिलेबस में है ही नहीं कहीं मेंशन नहीं है कोई भी ऐसा टॉपिक नहीं है जहां पे स्केलर और वेक्टर क्वांटिटीज को पढ़ाया गया हो और सीधे जाकर के 11थ क्लास में बच्चों के ऊपर फोड़ देते हैं बॉम ठीक है स्केलर और वेक्टर क्वांटिटीज का तो भाई वो बॉम ना फूटे इसके लिए काम करते हैं अभी से थोड़ा सा स्केलर और वेक्टर क्वांटिटीज के बारे में पढ़ते चलते हैं ताकि आगे जाकर के दिक्कत ना हो तो आज के सेशन का मैंने टारगेट कर दिया है फिक्स कि आज हम पढ़ेंगे स्केलर और वेक्टर क्वांटिटीज के बारे में बस तो भाई जब टारगेट हो गया सेट तो फिर देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं आज का ये हमारा सेशन जिसमें हमें बात करना है स्केलर और वेक्टर क्वांटिटीज के बारे में सो दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स इस के वीडियो लेक्चर मिलने वाले हैं बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैगनेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैग्नेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं स्केलर एंड वेक्टर क्वांटिटीज का टॉपिक भाई जब भी आप स्केलर और वेक्टर क्वांटिटीज की को आप जब googlethalli.com दो क्वांटिटीज जिनके पास उनका मैग्निटिया कि भाई यहां पे क्वांटिटीज हो कौन सी क्वांटिटीज है रही है भाई जब तक आपको क्वांटिटीज समझ में नहीं आएंगी तब तक आप उनके मैग्निटिया कौन सी है यह क्वांटिटीज है हमारी फिजिकल क्वांटिटीज कौन सी क्वांटिटीज है फिजिकल क्वांटिटीज जैसे कि टाइम मास डिस्टेंस वर्क टेंपरेचर डिस्प्लेसमेंट वेलोसिटी एक्सीलरेशन मोमेंटम फोर्स यह सब क्या है फिजिकल क्वांटिटीज है अब आप बोलोगे कि मैम आप आपने तो बस नाम पढ़ दिया उठा कर के आपने तो एक्सप्लेन करा ही नहीं फिजिकल क्वांटिटी को तो भाई फिजिकल क्वांटिटीज यू नो हम हमारे लिए चीजों को बहुत ही आसान कर देती हैं कैसे अब जैसे कि इमेजिन करो कि हमारे पास जो है ना कोई भी एक भी फिजिकल क्वांटिटी नहीं है ठीक है और मैंने आपसे पूछा कि आप अपने होमवर्क को कितनी देर में कंप्लीट करते हो यानी कि आपको जो भी टाइम पीरियड लग रहा है टाइम पीरियड भी नहीं आपको कितनी देर में आप अपने होमवर्क को कंप्लीट कर लेते हो तो अगर कि आपके पास कोई फिजिकल क्वांटिटी होती जो कि आप आपको इस जो जिसकी हेल्प से आप इस ड्यूरेशन को आप नाप सकते तो आपके लिए मुझे बताना बड़ा आसान हो जाता कि मैं अपना होमवर्क एक दिन में एक घंटे में या आधा घंटे में या दो दिन में या दो मिनट में खत्म कर लेते हैं हम अपना होमवर्क लेकिन जो कि आपके पास फिजिकल क्वांटिटी नहीं है यानी कि आप को जो भी टाइम लग रहा है अपना होमवर्क कंप्लीट करने में जो भी ड्यूरेशन लग रहा है आपको अपना हो कंप्लीट करने में वो ड्यूरेशन आप मुझे बता ही नहीं पा रहे हो कि एक्चुअली में आप कितनी देर में बैठ के अपना होमवर्क कंप्लीट कर लेते हो क्यों क्योंकि आपको मैंने बोला है कि एक भी फिजिकल क्वांटिटी नहीं है हमारे पास यानी कि आपको जो भी टाइम जो भी आपको ड्यूरेशन लग रहा है अपना होमवर्क कंप्लीट करने के लिए उस ड्यूरेशन को मेजर करने के लिए कोई नहीं है आपके पास ठीक है जो मैंने बोला था ना कि फिजिकल क्वांटिटीज हमारे लिए बहुत ही हेल्पफुल होती हैं हमारे लिए चीजों को बहुत ही इजी बना देती हैं इजी कैसे बना देती है क्योंकि इन फिजिकल क्वांटिटीज की हेल्प से हम किसी भी चीज को मेजर कर सकते हैं मैंने आपको बोला कि आपके पास कोई भी फिजिकल क्वांटिटी नहीं है यानी कि आपके पास कोई टाइम लाइन की चीज है ही नहीं आप भूल जाओ कि हमारे हाथों पे एक कोई रिस्ट वॉचेस बंदी होती है या हमारे घर की दीवारों पर कोई भी वॉल क्लॉक होती है या आपके पास कोई भी अलार्म क्लॉक है आप सब कुछ भूल जाओ आप आर्स भूल जाओ आप मिनट्स भूल जाओ आप सेकंड्स भूल जाओ आप ड्यूरेशन डे टाइम नाइट सब भूल जाओ और फिर मुझे बताओ कि आपको अपना होमवर्क कंप्लीट करने में कितना समय लगता है कितनी देर में आप अपना होमवर्क कंप्लीट कर पाते हो तो आपके लिए बड़ा मुश्किल होने वाला है ना कि कैसे बताएं मैम को कि मैम हम तो बस जो है ना हम इतने होशियार हैं हम इतने ब्राइट है कि हम बस दो घंटे में अपना होमवर्क कंप्लीट कर लेते हैं तो भाई जब तक आपके पास टाइम नहीं होगा जब तक आपके पास यह टाइम नहीं होगा तब तक आप अपने इस ड्यूरेशन को मेजर नहीं कर सकते ठीक है दूसरा एग्जांपल मैंने आपको एक लोहे का बना बड़ा सा ब्लॉक आपको बोला है कि इसे उठाओ और इसे अपने बाइसेप्स ट्राइसेप्स बनाओ ठीक है अब यह जो ब्लॉक मैंने आपको दिया है आयरन का लोहे का जो मैंने आपको डब्बा दिया है वह बड़ा भारी है आपसे उठ ही नहीं रहा है ठीक है अब आपको मुझे बताना है कि यह चीज बहुत बहुत भारी है यह बॉक्स बहुत भारी है लोहे का और हमसे उठ नहीं रहा है और मैं आपको बोल रही हू खड़े हो कर के अरे कैसे हो तुम में तो बिल्कुल स्टैमिना नहीं है बिल्कुल भी एनर्जी नहीं है बिल्कुल भी ताकत नहीं है उठा ही नहीं पा रहे हो इस ब्लॉक को अब जब तक कि आपके पास कोई फिजिकल क्वांटिटी नहीं होगी मुझे यह बताने के लिए कि मैम इस ब्लॉक का इस लोहे के डब्बे का जो वजन है ना वो बहुत ज्यादा है इसलिए मैं उठा नहीं पा रहा हूं आप यह तो मुझे दिख रहा है कि आप इस चीज को उठा नहीं पा रहे हो लेकिन आप मुझे यह नहीं बता पा रहे कि आप इसे क्यों नहीं उठा पा रहे हो क्यों क्योंकि भाई उस लोहे के डब्बे का मास बहुत ज्यादा है यानी कि जब तक आपके पास यह फिजिकल क्वांटिटी मास नहीं होगी आप मुझे नहीं बता सकते कि वह लोहे का डब्बा भारी है आप नहीं बता सकते कि उस लोहे के डब्बे को आप क्यों नहीं उठा रहे हो सकता है कि मैं सोच लू कि आपका मूड ही नहीं है ठीक है आपका मूड ही नहीं उठाने का इसलिए आप नहीं उठा रहे हो लेकिन दरअसल क्या है आपका बिल्कुल पूरा मूड है आपका पूरा मन है उस डब्बे को उठाने का लेकिन उसका मास इतना ज्यादा है वो इतना भारी है कि आपसे उठ ही नहीं रहा है आप पूरी ताकत भी उस परे लगा रहे हो लेकिन वो उठ नहीं रहा है तो रीजन कि आपसे वो क्यों नहीं उठ रहा है इसे बताने के लिए आपको एक फिजिकल क्वांटिटी की जरूरत पड़ गई भाई कि इसका मास बहुत ज्यादा है जैसे ही आपने बोल दिया ना कि मैम ये बहुत भारी है इसका मास बहुत ज्यादा है तो मैं समझ जाऊंगी कि अरे वाह बच्चा जो है ना मक्कारी नहीं कर रहा था उससे उठ नहीं रहा था क्यों क्योंकि बहुत भारी था ना उसका मास बहुत ज्यादा था ठीक है तो ये फिजिकल क्वांटिटीज का क्या है सिग्निफिकेंट है तो फिजिकल क्वांटिटीज क्या होती है ये वो क्वांटिटीज होती हैं जिससे हम ऑलमोस्ट सभी चीजों को मेजर कर सकते हैं इनफैक्ट हमसे और हमारा जो सन है उसके बीच का जो डिस्टेंस है अर्थ और सन से लेकर का जो डिस्टेंस है है हम इन फिजिकल क्वांटिटीज की हेल्प से उसको भी मेजर कर सकते हैं लाइट इयर्स में है ना सन हमसे कितने लाइट इयर्स दूर है इतना डिस्टेंस हम कैसे मेजर कर पाए हैं इन्हीं फिजिकल क्वांटिटीज से मेजर कर पाए हैं तो आई होप आपको फिजिकल क्वांटिटीज का सिग्निफिकेंट समझ में आया होगा मतलब समझ में आया होगा कि यह वो फिजिकल यह वो क्वांटिटीज होती हैं जिससे हम चीजों को ऑलमोस्ट सभी चीजों को मेजर कर सकते हैं ठीक है अब इन्हीं फिजिकल क्वांटिटीज को मैं दो कैटेगरी मैं कैटेगरी इज करती हूं एक है हमारी वेक्टर और दूसरी है हमारी स्केलर ऐसी फिजिकल क्वांटिटीज जहां पे हमें मैग्निटिया और वो फिजिकल क्वांटिटीज जिसमें केवल उनके मैग्नी ूडल चल जाता है और किसी डायरेक्शन को मेंशन करने की जरूरत नहीं होती उन्हें हम कहते हैं हमारी स्केलर क्वांटिटीज अब आप बोलोगे कि मैम थोड़ा और एक्सप्लेन कीजिए समझ में नहीं आया ठीक है भाई अब देखो मैंने आपसे पूछा है कि आपका घर कितनी दूरी पे है जिस भी पॉइंट पे आप खड़े हो समझो आप खड़े हो पॉइंट ए पे ठीक है मैंने आपसे पूछा है कि इस पॉइंट ए से आपके घर का डिस्टेंस कितना है तो आपने बोल दिया क्या 5 किलोमीटर तो मुझे समझ में आ गया कि आप जहां भी खड़े हो वहां से आपका घर कितनी दूरी पे है आपने बोल दिया 5 किलोमीटर तो मैंने भी मान लिया 5 किलोमीटर क्या मैंने या आपने कहीं भी इस 5 किलोमीटर में डायरेक्शन मेंशन किया है कि टुवर्ड्स ईस्ट है मेरा डायरेक्शन या टुवर्ड्स वेस्ट है मेरा डायरेक्शन या टुवर्ड्स नॉर्थ है या टुवर्ड्स साउथ है बिल्कुल भी नहीं जरूरत ही नहीं है ना मैंने आपसे बस इतना पूछा था कि आपका आपकी जो भी लोकेशन है आप पॉइंट ए पे खड़े हो उस पॉइंट ए से आपका घर कितनी दूरी पे है तो आपने बता दिया ना कि पाच किलोमीटर की दूरी पे है अब डायरेक्शन को उसमें बताने की जरूरत क्या पड़ गई ठीक है अब फिर मैंने आपसे दूसरा सवाल पूछा दूसरा सवाल क्या है कि जरा ये बताओ टाइम कितना हो रहा है तो आपने मुझे बोला 2 बज रहे हैं दिन के 2 बज रहे हैं 2 पीएम तो मैंने आपसे बोला कि क्या इसका क्या मतलब तुमने एक फिजिकल क्वांटिटी फिजिकल क्वांटिटी कौन सी टाइम है ना फिजिकल क्वांटिटी तो आपने फिजिकल क्वांटिटी का मैग्निटिया नहीं तो आप बोलोगे कि मैम ऐसे कैसे बता दूं मैं डायरेक्शन टाइम का भी कोई डायरेक्शन होता है क्या बिल्कुल भी नहीं होता भाई फिजिकल क्वांटिटी जो भी हमने पढ़ी है ना वेक्टर चाहे स्केलर हमें पता है उनके बारे में लेकिन हम कहीं ना कहीं उनको क्लासिफाई करने में गलती कर देते हैं आपको पता है कि जो टाइम फिजिकल क्वांटिटी उसमें डायरेक्शन नहीं लगता लेकिन जब सवाल पूछा जाता है कि टाइम स्केलर क्वांटिटी है वेक्टर क्वांटिटी है उसमें आपकी हालत खराब हो जाती है भाई खुद ही सोचो ना कभी भी आपसे कोई भी टाइम पूछता है तो क्या आप उसके टाइम के मैग्निटिया है तो हम साथ में डायरेक्शन भी चिपका दें कि दो बज दो बज रहे हैं टुवर्ड्स नॉर्थ यह क्या बात हुई भाई अगर आपने किसी को बोल भी दिया ना कि दो बज रहे हैं टुवर्ड्स साउथ वो बोलेगा कि ये क्या चल रहा है भाई इस दुनिया में टाइम के साथ कौन डायरेक्शन लगाने लगा कब से लगाने लगा हमें तो पता ही नहीं चला ठीक है तो ऐसी फिजिकल क्वांटिटीज जहां पे सिर्फ हमें मैग्निटिया था कि आप पॉइंट ए पे खड़े हो आप पॉइंट ए से आपका घर किस कितने डिस्टेंस पे है तो आपने बोल दिया 5 किमी के डिस्टेंस पे तो मुझे समझ में आ गया कि आपसे आपके घर की दूरी अभी कितनी है 5 किमी की है मैंने आपसे पूछा कि अभी टाइम कितना हो रहा है आपने मुझे बताया कि दिन के 2 बज रहे हैं तो मैंने मान ली आपकी बात मैंने यह थोड़ी पूछूंगी आपसे कि भाई डायरेक्शन कहां है डायरेक्शन कैसा है क्यों क्योंकि मुझे पता है कि जो टाइम है वो एक ऐसी फिजिकल क्वांटिटी है जिससे हम मैग्नी जिसमें हम सिर्फ और सिर्फ मैग्नी ूडल करते हैं डायरेक्शन से हमें कोई मतलब नहीं होता है आई आपको बात समझ में तो यह क्या है यह वो स्केलर क्वांटिटीज है जहां पर सिर्फ और सिर्फ मैग्निटिया मैग्निटिया मैग्नी ूडल किसकी डिस्टेंस की ठीक है आई होप आपको समझ समझ में आया होगा इसी की तरह कुछ और स्केलर क्वांटिटीज के बारे में हम बात करते हैं यह बॉल है ठीक है इस बॉल का मास अगर मैंने आपसे पूछा कि इस बॉल का मास कितना है तो आपने बोला कि मैम इस बॉल का मास है 5 केजी क्या मैं इसका डायरेक्शन आपसे पूछूंगी बिल्कुल भी नहीं क्योंकि मुझे पता है कि मास में डायरेक्शन का क्या रोल मास क्या होता है अच्छा जरा मुझे ये बताना मास और वेट दोनों अलग-अलग होता है क्लास नाइंथ में आपने ग्रेविटेशन चैप्टर के अंदर पढ़ा होगा कि मास और वेट दोनों अलग-अलग होते हैं मास का क्या मतलब होता है भाई यह जो बॉल है मेरी सपोज ये किसकी बनी हुई है यह बनी हुई है रबर की तो जितना अमाउंट ऑफ रबर लगा होगा इस बॉल को बनाने में इस बॉल का मास क्या होगा वही अमाउंट होगा यानी कि अगर मेरे बॉल का मास कितना है 5 केजी है यानी कि 5 केजी रबर लग गई होगी इस बॉल को बनाने में तो मास क्या होता है किसी भी ऑब्जेक्ट का जिस भी चीज से वह ऑब्जेक्ट लगी बनी है उस ऑब्जेक्ट का अमाउंट हो जाएगा उस ऑब्जेक्ट का मास ठीक है और इसके बाद में बारी आती है किसकी वेट की वेट क्या होता है भाई यूजुअली मास और वेट क्या हो जाते हैं आपस में कंबाइन हो जाते हैं और इसे कंबाइन कौन करता है हम ही करते हैं हम सोचते हैं कि मास भी एक चीज है और वेट भी एक ही चीज है आप क्लास नाइंथ पढ़ के तो आ ही रहे हैं उसमें आपको पता होगा कि हमारी जो मदर अर्थ है वो हम पे क्या लगाती है एक तरह का अट्रैक्टिव फोर्स लगाती है जिसे हम क्या कहते हैं जिसे हम कहते हैं ग्रेविटेशनल फोर्स तो भाई वेट क्या होता है यह वो वेट बेसिकली वेट यह वो फोर्स होता है जो कि अर्थ लगाती है किसी भी ऑब्जेक्ट पे ठीक है और इसे हम क्या कहते हैं मास * g ठीक है मास * g क्या है भाई g होता है अपना एक्सीलरेशन ड्यू टू ग्रेविटी ग्रेविटी ग्रेविटेशनल फोर्स के कारण जो एक्सीलरेशन प्रोड्यूस होता है हमारी बॉडी में दैट इज स्लज तो मास अलग है बच्चों और जो वेट है वो अलग है मास क्या होता है मास हम बोलते हैं कि एक पर्टिकुलर ऑब्जेक्ट को बनाने में जो भी चीजें लगी हुई है और उन चीजों का जो अमाउंट है वही अमाउंट हो जाता है उस पर्टिकुलर ऑब्जेक्ट का मास जैसे कि मेरे पास ये बॉल थी इस बॉल का मास कितना था 5 किलो ये बॉल बनी किसकी थी रबर की बनी थी यानी कि टोटल 5 किलो रबर लगी होगी इस बॉल को बनाने के लिए इसी इसलिए इस बॉल का मास क्या होगा 5 केजी वेट क्या होता है वेट अलग चीज होती है वेट क्या है ये एक्चुअली वो फोर्स होता है जो कि अर्थ लगाती है किसी भी चीज पे चाहे मुझ पे चाहे इस पेन पे किसी भी लिविंग ऑर्गेनिस्ट म पे या किसी भी नॉन लिविंग ऑ ट पे तो वेट क्या है यह वो फोर्स है जो कि अर्थ लगाती है किसी भी ऑब्जेक्ट पे कहां टुवर्ड्स इट्स सेंटर ठीक है अपने सेंटर की तरफ जो अर्थ सभी ऑब्जेक्ट को खींचती है तो जिस फोर्स के साथ खींचती है उसे हम क्या कहते हैं वेट कहते हैं दैट इज एज ठीक है तो हम कहां थे भाई हम अपनी थे स्केलर क्वांटिटीज पे तो मास क्या है एक स्केलर क्वांटिटीज है क्यों क्योंकि अगर मैं आपसे पूछूं कि भाई इस बॉल का मास बताओ तो आप मुझे बोलोगे 5 केजी क्या आप डायरेक्शन बताओगे बिल्कुल भी नहीं बताओगे क्यों इसमें डायरेक्शन लगेगा कहां चलो खुद ही सोचो अगर आपको इसमें डायरेक्शन लगाने का मन है भी तो आप कहां लगाओगे कैसे लगाओगे डायरेक्शन नॉर्थ ईस्ट ईस्ट वेस्ट नॉर्थ साउथ कैसे डायरेक्शन लगा पाओगे आप इसमें कहीं से लेके कहीं तक डायरेक्शन की बात आ ही नहीं सकती फिर इसके बाद में दूसरी इमेज जो आपको दिख रही है वो क्या है फॉरेस्ट की है फॉरेस्ट कैसा है भाई फॉरेस्ट है अपना डेंस डेंस से क्या मिला मुझे टर्म डेंसिटी डेंसिटी क्या होती है भाई मास बाय वॉल्यूम ठीक है डेंसिटी का फार्मूला क्या होता है मास बाय वॉल्यूम यानी कि गिवन वॉल्यूम में कितना मास है दैट इज डेंसिटी क्या डेंसिटी में भी मैं डायरेक्शन यूज करती हूं बिल्कुल भी नहीं अगर मुझे बताना है कि एक क्यूब है मेरे पास उस क्यूब की डेंसिटी कितनी है भाई उस क्यूब की डेंसिटी है छह ठीक है कितनी है उसकी डेंसिटी छह तो क्या मैं उसकी साथ डायरेक्शन भी लगा दूंगी कि इसकी डेंसिटी है छ टुवर्ड्स नॉर्थ या उसकी डेंसिटी है छह टुवर्ड्स साउथ बिल्कुल भी नहीं डायरेक्शन की तो कहीं जिक्र ही नहीं होता है फिर आपने बोला कि मैम कल हमें बहुत तेज फीवर था मैंने बोला अच्छा कितना फीवर था तो आपने बोला कि मैम हमको 102 डिग्री फारेनहाइट फीवर था मैंने कला ओ माय गॉड आपको इतना सारा फीवर था चलो कोई बात नहीं आपने फीवर की मैग्निटिया आपने टेंपरेचर का लेकिन डायरेक्शन तो आपने बताया ही नहीं ऐसे कैसे काम चलेगा जब तक आप मुझे फीवर का डायरेक्शन नहीं बताओगे तब तक मैं कैसे मानूंगी कि आपको सच में फीवर था आपने तो अभी मुझे सिर्फ और सिर्फ मैग्नी ूडल था तो आप बोलोगे कि मैम आप कैसी बात कर रहे हो टेंपरेचर में क्या कभी डायरेक्शन यूज होता है एगजैक्टली माय पॉइंट डायरेक्शन टेंपरेचर में यूज होगा ही नहीं क्यों नहीं होगा क्योंकि हमारा टेंपरेचर क्या है प्यारा सा एक प्यारी सी एक स्केलर क्वांटिटी है ऐसी क्वांटिटी जहां पर हमें सिर्फ और सिर्फ मैग्निटिया आपने ली है एक ब्रांड न्यू कार ब्लू कलर की ठीक है अब इस ब्लू कलर की कार पर आप जा रहे हो ट्रेवल करके फिर मैंने आपसे पूछा कि आपकी कार की स्पीड कितनी है तो आपने बोला कि मैम हमारी कार की स्पीड कितनी है 20 मीटर पर सेकंड मैंने बोला वेरी गुड यानी कि आपकी जो कार है वह एक सेकंड में कितना डिस्टेंस ट्रेवल कर रही है 20 मीटर डिस्टेंस ट्रेवल कर रही है ठीक है यह क्या हो जाएगी आपके कार की स्पीड हो जाएगी अब आपने अब क्या किया आपने अपनी कार की स्पीड तो मुझसे दूसरे केस में बोली ठीक है लेकिन आपने साथ में एक वर्ड जोड़ दिया वह वर्ड क्या जोड़ दिया आपने वह जोड़ दिया आपने टू द राइट पहले केस में मैंने आपसे पूछा था कि आपके कार की स्पीड कितनी है आपने बोला था 20 मीटर पर सेकंड मैंने मान लिया कि आपकी जो कार है व एक सेकंड में 20 मीटर डिस्टेंस ट्रेवल करती है दूसरी बार जब मैंने आपसे अपने आपके कार की स्पीड पूछी तो आपने बोल दी क्या 20 मीटर पर सेकंड टू द राइट यानी कि आपने यहां पे मुझे अपने कार के ट्रेवलिंग का डायरेक्शन बता दिया तो क्या अब ये 20 मीटर पर सेकंड टुवर्ड्स राइट स्पीड कहलाए कीी नहीं अब ये क्या बन जाएगी भाई एक वेक्टर क्वांटिटी बन जाएगी यानी कि ये बन गई क्या एक वेलोसिटी वेलोसिटी क्या होती है किसी भी ऑब्जेक्ट की स्पीड प्लस डायरेक्शन ठीक है वेलोसिटी क्या होती है स्पीड प्लस डायरेक्शन स्पीड क्या होगा भाई स्पीड का फार्मूला होता है डिस्टेंस अपॉन टाइम डिस्टेंस भी क्या है अपना एक स्केलर क्वांटिटी है टाइम भी क्या है अपनी एक स्केलर क्वांटिटी है दोनों में ही डिस्टेंस हो चाहे टाइम हो डायरेक्शन बताने की जरूरत नहीं पड़ती तो स्पीड भी क्या हो जाती है एक स्केलर क्वांटिटी हो जाती है लेकिन जैसे ही आप इस स्पीड के साथ क्या मेंशन कर दो एक डायरेक्शन मेंशन कर दो डायरेक्शन मतलब क्या अब वो आपकी फिजिकल क्वांटिटी स्केलर नहीं रही क्यों क्योंकि वहां पे डायरेक्शन आ गया है इसलिए वो क्या बन जाएगी अब एक वेक्टर क्वांटिटी बन जाएगी इस डायरेक्शन से मुझे पता क्या चला इस डायरेक्शन से मुझे ये पता चला कि भाई आपकी गाड़ी 20 मीटर पर सेकंड की स्पीड के साथ तो जा रही है लेकिन कहां जा रही है तो टुवर्ड्स राइट जा रही है तो ये क्या हुआ ये हुई एक वेक्टर क्वांटिटी अब ये जो स्पीड है ना ये स्पीड नहीं कहलाए गी अब ये बन जाएगी वेलोसिटी वेलोसिटी क्या होता है भाई वेलोसिटी होता है स्पीड प्लस डायरेक्शन जब आप किसी भी मूविंग ऑब्जेक्ट की स्पीड मेंशन कर दो उसके डायरेक्शन के साथ कि वो जा तो रहा है स्पीड के साथ लेकिन किस डायरेक्शन में ईस्ट वेस्ट नॉर्थ साउथ कहीं भी तो वो उसकी वेलोसिटी बन जाती है आई आपको बात समझ में अब इस डायरेक्शन को अब आप बोलोगे कि मैम डायरेक्शन क्यों लगाया फालतू में अच्छा खासा स्केलर क्वांटिटीज चल रही थी बेवजह आपने जो है ना टुवर्ड्स राइट वर्ड लगा कर के चीजों को रंग बना दिया कॉम्प्लिकेट कर दिया फालतू में आप वेक्टर क्वांटिटीज लेकर के आ गई भाई ये जो वेक्टर क्वांटिटीज है ना की जो डायरेक्शन है ना ये बहुत कमाल की चीज है कैसे बताती हूं मैं आपको अब देखो मेरे पास है क्या एक बड़ा सा ब्लॉक और यहां पे मेरे दो असिस्टेंट हैं ठीक है अब मैंने क्या बोला है इन दोनों अपने असिस्टेंट से कि मुझे ये जो ब्लॉक है ना ये मैं चाहती हूं कि टुवर्ड्स राइट आप शिफ्ट करो पहले ये पॉइंट ए पे था मैं चाहती हूं कि आप इसे पॉइंट बी पे ले आओ यानी कि आप इस ब्लॉक को टुवर्ड्स बी शिफ्ट कर दो टुवर्ड्स राइट शिफ्ट कर दो ठीक है मैं अपने दोनों ही असिस्टेंट को इंस्ट्रक्शंस देके चली गई कि मैं क्या चाहती हूं इस ब्लॉक को मैं चाहती हूं कि यह शिफ्ट हो जाए टुवर्ड्स राइट पॉइंट ए से पॉइंट बी पे आ गए आ जाएंगे ठीक है इतने इंस्ट्रक्शंस दे कर के मैं चली गई अब मेरे जो दोनों असिस्टेंट थे वो बड़े होशियार थे उनने क्या किया उन्होंने अपनी जितना हो सकता है उनके पास दिमाग उतना उन्होंने अपना दिमाग लगा लिया ठीक है और क्या किया उन्होंने अब जोर लगाना शुरू किया उन्होंने अब फोर्स लगाना शुरू किया अब ये जो पहले असिस्टेंट भाई साहब थे इन्होंने टुवर्ड्स राइट फोर्स लगाया कितना फोर्स लगाया 10 न्यूटन का फोर्स लगाया और ये जो मेरे दूसरे असिस्टेंट भाई साहब थे इन्होंने भी क्या करा फोर्स लगाया कहां लगाया कितना लगाया 10 न्यूटन का फर्स लगाया लेकिन किस डायरेक्शन में लगा दिया इन्होंने तो वर्ड्स लेफ्ट डायरेक्शन में लगा दिया मैंने बोला था इनको कि आपको इस ब्लॉक को शिफ्ट करना है राइट डायरेक्शन में पॉइंट ए से b तक ले लेके जाना है ठीक है और इतना कह कर के मैं चली गई इन दोनों असिस्टेंट को क्या समझ में आया कि भाई ये ब्लॉक काफी हैवी है ये तभी अपनी जगह से शिफ्ट होगा जब हम इस पे फोर्स लगाएंगे जब हम इनप जोर लगाएंगे इन्होंने अपनी-अपनी कैपेसिटीज के अकॉर्डिंग फोर्स लगाना शुरू कर दिया इस असिस्टेंट ने क्या करा टुवर्ड्स राइट फोर्स लगा दिया और यह वाले असिस्टेंट ने भी कितना फोर्स लगाया 10 न्यूटन का लेकिन टुवर्ड्स लेफ्ट जरा मुझे यह बताओ कि क्या इस जन्म में मेरा ब्लॉक ए से बी शिफ्ट हो पाएगा टुवर्ड्स राइट जा पाएगा बिल्कुल नहीं जा पाएगा क्यों नहीं जा पाएगा भाई क्योंकि दोनों तरफ से एक जैसा फोर्स लग रहा है फोर्स तो लग रहा है लेकिन डायरेक्शन गड़बड़ हो गई ना मैंने आपको क्या बताया था अभी कि डायरेक्शन और वेक्टर क्वांटिटीज का बहुत बड़ा खेल होता है उसको हल्के में मत लेना यहां पे इस ब्लॉक को तो कायदे से मूव हो जाना चाहिए था आपके हिसाब से क्यों क्योंकि 10 न्यूटन का फोर्स लग रहा है इधर पे भी 10 न्यूटन का फोर्स लग रहा है लेकिन मेरा ब्लॉक तो मूव हो ही नहीं पा रहा क्यों नहीं हो पा रहा क्योंकि दोनों तरफ से एक जैसा फोर्स लग रहा है ठीक है चलो एक काम करते हैं एक जैसे फोर्स की बात है ना इस वाले असिस्टेंट से लगवा देते हैं हम कितना फोर्स 20 न्यूटन का फोर्स अब क्या होगा ये लगा रहा है 10 न्यूटन का फोर्स ये लगा रहा है 20 न्यूटन का फोर्स इसने ज्यादा फर्स लगा दिया तो मेरा ब्लॉक जो है इधर की तरफ शिफ्ट हो जाएगा लेकिन मैं ऐसा नहीं चाह रही थी मैं तो चाह रही थी मेरा ब्लॉक a से b आ जाए ये तो कहीं और ही चला गया c पे ही चला गया यानी कि सेम फोर्स से भी सेम मैग्निटिया कि एक काम करो तुम जो है ना दूसरे साइड आ जाओ अब इनने लगाया है कितना 5 न्यूटन का फर्स इनने भी लगा दिया 2 न्यूटन का फर्स अब मेरा जो ब्लॉक है ना वो बड़े ही स्मूथली शिफ्ट हो जाएगा ए से बी में टुवर्ड्स राइट क्यों हुआ क्योंकि अब फोर्स का डायरेक्शन सही लग रहा था दोनों ही केसेस में जो हमने अभी पहले देखे जब सेम मैग्नी ूड्स लग रहा था जब अलग-अलग मैग्नी ूड्स लग रहा था दोनों ही केसेस में मेरा ब्लॉक जो मैं चाह रही थी जिस डायरेक्शन में चाह रही थी उस डायरेक्शन में शिफ्ट नहीं हो पाया क्यों क्योंकि डायरेक्शन का खेल था डायरेक्शन गलत था फोर्स का और इस केस में दोनों ने ही कम फोर्स लगाया है इसने पांच का इसने दो का पहले में तो ये 10 ये 10 फिर दूसरे में तो ये 10 और ये 20 न्यूटन का फोर्स लगा रहा था लेकिन अब क्या हुआ फोर्स का मैग्नी ट्यूड कम हो गया लेकिन डायरेक्शन सही हो गई तो मेरा जो ब्लॉक है वो इजली शिफ्ट कर जाएगा पॉइंट ए से पॉइंट b तक इसीलिए जो डायरेक्शन है ना यह बहुत बड़ी चीज होती है बच्चों बहुत बड़ी चीज होती है इसको कभी हल्के में मत लेना इसी डायरेक्शन के कारण हमारी जो वेक्टर क्वांटिटीज है ना वो जीरो भी हो जाती हैं ठीक है क्यों क्योंकि आपको मैंने नाइंथ क्लास में भी बताया होगा कि अगर आप किसी एक डायरेक्शन को पॉजिटिव लेते हो ना तो दूसरे डायरेक्शन को आपको नेगेटिव लेना पड़ता है जैसे कि पहले केस में इस इस डायरेक्शन में टुवर्ड्स राइट डायरेक्शन में कितना फोर्स लग रहा था 10 न्यूटन का और दूसरे तरफ कितना फर्स लग रहा था 10 न्यूटन का लग रहा था अगर मैं टोटल या नेट फोर्स निकालने की कोशिश करूं तो टुवर्ड्स राइट अगर मैं जा रही हूं तो टुवर्ड्स राइट मुझे कौन सा डायरेक्शन लेना पड़ेगा पॉजिटिव अगर मैं एक डायरेक्शन को पॉजिटिव लेती हूं तो दूसरे डायरेक्शन को मुझे नेगेटिव लेना पड़ेगा तो नेट फर्स कितना आ जाएगा + 10 - 10 = 0 यानी कि ये सिस्टम कैसा हो गया बैलेंस्ड फोर्स का सिस्टम हो गया इस डायरेक्शन के कारण हमारी जो फिजिकल क्वांटिटीज होती है ना वेक्टर क्वांटिटीज वो क्या हो जाती हैं जीरो तक हो जाती हैं जैसे कि हमारा डिस्प्लेसमेंट डिस्टेंस कभी जीरो नहीं हो सकता लेकिन डिस्प्लेसमेंट हो सकता है कैसे मेरा ये जो ऑब्जेक्ट है ये o से स्टार्ट पॉइंट से कहां तक जा रहा है 6 मीटर तक के डिस्टेंस पे जा रहा है और फिर वापस भी जा रहा है अगर मैं डिस्टेंस की बात करूं डिस्टेंस कितना होगा एक बार में कितना ट्रेवल किया 6 मीटर दूसरे बार में क्या हुआ वापस गया वापस कितना ट्रेवल करके गया 6 मीटर टोटल इसने डिस्टेंस कितना ट्रेवल कर लिया 12 मीटर लेकिन अगर मैं बात करूं डिस्प्लेसमेंट की जहां पे आपको डायरेक्शन लेना पड़ेगा तो आप अगर इस डायरेक्शन को क्या ले रहे हो पॉजिटिव ले रहे हो तो आपको दूसरे डायरेक्शन को नेगेटिव लेना पड़ेगा यानी कि जब आपका ऑब्जेक्ट स्टार्ट पॉइंट से 6 मीटर के डिस्टेंस पे आएगा वो डिस्टेंस कितना हो जाएगा + 6 और जब वो वापस जाएगा स्टार्ट पॉइंट पे तो कितना डिस्टेंस ट्रेवल करके जाएगा -6 तो हो जाएगा रो यानी कि डिस्प्लेसमेंट हो गया आपका रो आई आपको बात समझ में तो डायरेक्शन को कभी भी हल्के में मत लेना डायरेक्शन का बहुत बड़ा सिग्निफिकेंट होता है ये वेक्टर क्वांटिटीज को फिजिकल क्वांटिटीज को जरो इनफैक्ट कभी-कभी तो नेगेटिव भी बना देता है अगर ये ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल कर लेता वापस लौटते टाइम सपोज -7 तो आपका डिस्प्लेसमेंट कितना हो जाता + 6 - 7 दैट इज -1 मीटर या सेंटीमीटर यहां पे डिस्प्लेसमेंट हो गया क्या नेगेटिव आई बात आपको समझ में आई होप अब किसी भी तरह की कोई भी डाउट नहीं होगा अब जब आप क्लास 11थ में जाओगे स्केलर और वेक्टर क्वांटिटीज के बारे में और डेप्थ में पढ़ोगे तो कंफ्यूज नहीं होगे स्केलर क्वांटिटीज में सिर्फ मैग्निटिया डायरेक्शन का बहुत बड़ा खेल होता है उसे अवॉइड नहीं करते हैं ठीक है अब इस लेक्चर के लिए इतना ही मिलेंगे हम अपने नेक्स्ट लेक्चर में जहां पे हम अपने क्लास 10थ के सेकंड चैप्टर को करेंगे कंटिन्यू तब तक आप विजिट कर लेना हमारी ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे प्लेलिस्ट में साथ ही साथ सभी टॉपिक्स के वहां पे होंगे आपको नोट्स भी अवेलेबल सो डू विजिट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विद मैगनेट बेंस थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन इस सेशन में हम करने वाले हैं हमारे चैप्टर द ह्यूमन आय एंड द कलरफुल वर्ल्ड के कुछ इंटेक्स क्वेश्चन सॉल्व एक्चुअली इस चैप्टर में केवल चार ही इंटेक्स क्वेश्चंस हैं तो फटाफट से काम करते हैं इस सेशन में हम उन सभी चारों इंटेक्स क्वेश्चंस को कर लेते हैं सॉल्व तो इस सेशन का टारगेट क्या है इस सेशन का टारगेट है कि हमको क्लास 10th फिजिक्स के सेकंड चैप्टर के इंटेक्स क्वेश्चंस को करना होगा सॉल्व जब टारगेट सेट है तो फिर देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं आज का यह हमारा सेशन सो दिस इज़ विभूति घरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स की वीडियो लेक्चरर्स मिलने वाले हैं बिलकुल फ्री ऑफ़ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैगनेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ़ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं आज का यह सेशन हमारे फर्स्ट इंटेक्स्ट क्वेश्चन के साथ क्या है वो भाई क्वेश्चन व्हाट इज मेंट बाय पावर ऑफ अकोमोडेशन ऑफ द आई अब देखो याद करो फ्लैशबैक में जाओ जब हमने ह्यूमन आय टॉपिक पढ़ा था ठीक है हमने ह्यूमन आय का बहुत अच्छी तरीके से स्ट्रक्चर देखा था जितने भी पार्ट्स ह्यूमन आय के हमारे सिलेबस में हैं वो हमने देख लिए थे फिर इसके बाद में हमने प्रोसेस समझी थी विजन की कि किस तरह से हम चीजों को देख पाते हैं वहां पे मैंने आपको बताया था कि भाई देखने के लिए हम अपनी आंखें यूज नहीं करते यानी कि किसी भी ऑब्जेक्ट को अगर हमें देखना है ना तो उसके लिए हमारी आंखें काम नहीं आती हैं कौन काम आता है हमारा ब्रेन काम आता है कैसे आंखों का काम क्या होता है कि ऑब्जेक्ट से निकल रही जितनी भी रेज हैं उनको क्या करना कलेक्ट करना उनकी अपनी-अपनी रिस्पेक्टिव रेटीना पे एक रियल एंड इनवर्टेड डिमिनिश्ड इमेज बनाना और इतनी पूरी इंफॉर्मेशन कहां दे देना हमारे ब्रेन को दे देना फिर ब्रेन क्या करता है जो भी इंफॉर्मेशन उसके पास आई है उसको वो प्रोसेस करेगा और प्रोसेसिंग के बाद में उस ऑब्जेक्ट की हमारे सामने एक इमेज बना देगा जिसके कारण हमें वो ऑब्जेक्ट दिखने लगता है ठीक है फिर इसके बाद में मैंने आपको अ प्रीवियस चैप्टर में बताया था कि जो हमारा कॉन्वेक्स लेंस है हमारी आंखों में कौन से लेंसेशन लेंस होते हैं लेफ्ट आई में एक क्रिस्टलाइन लेंस और राइट आई में एक क्रिस्टलाइन लेंस वो कौन सा लेंस होता है भाई वो होता है हमारा कॉन्वेक्स लेंस यस और नो अब देखो क्या बोला जा रहा है यहां पे कि अ मैंने आपको बताया था प्रीवियस चैप्टर में हमने डिफरेंट केसेस पढ़े थे अ स्फेरिकल मिरर्स के स्फेरिकल लेंसेक्स के केस में जो हमारा कॉन्वेक्स मिरर कॉन्वेक्स लेंस था उसमें हमने टोटल कितने केसेस पढ़े थे छह केसेस पढ़े थे वो केसेस बन ही क्यों रहे थे क्योंकि आपने जो भी ऑब्जेक्ट रखा था ना बचों वो ऑब्जेक्ट आपने अ इस कॉन्वेक्स लेंस के सामने डिफरेंट पोजीशंस पे रखा था कभी आपने रखा था ऑब्जेक्ट को इंफिनिटी पे कहीं आपने 2f 1 के पहले रखा था कभी आपने 2f 1 पर ही रख दिया था कभी आपने 2f 1 और f1 के बीच में रखा था फिर आपने f1 के बीच में रख दिया f1 पर रख दिया फिर आपने f1 और हमारे लेंस का प्यारा सा जो ऑप्टिकल सेंटर है उसके बीच में रख दिया भाई आप जो है ना कंटीन्यूअसली ऑब्जेक्ट की की पोजीशन चेंज करते जा रहे थे लेंस के सामने जिसके वजह से क्या हो रहा था जो यह इमेज बना रहा था लेंस वो उस पर्टिकुलर इमेज की पोजीशन भी क्या हो रही थी चेंज होती जा रही थी है ना जब आपने रखा था ऑब्जेक्ट को कहां इंफिनिटी पे तो इमेज कहां बनी थी भाई इमेज बनी थी 2f 2 पे जब आपने ऑब्जेक्ट को कहां रखा था 2f 1 पे तो इमेज कहां बन गई थी 2f 2 पे फिर जैसे-जैसे आप ऑब्जेक्ट का डिस्टेंस चेंज करते जा रहे थे पोजीशन चेंज करते जा रहे थे इमेज की पोजीशन और डिस्टेंस भी चेंज होती जा रही थी लेकिन यार हमने ये चीज तो यहां पे पढ़ी ही नहीं जब हम अपने बात कर रहे थे किसकी आई लेंस की कॉन्वेक्स लेंस की ऑब्जेक्ट कहीं पे भी रखा हो इमेज हमेशा रेटीना पे ही बनेगी है ना यानी कि हमारी आंखों में जो दो क्रिस्टलाइन लेंसेशन ऑब्जेक्ट की इमेज का बनाते हैं रेटीना पे बनाते हैं ऐसा कैसे पॉसिबल है अभी-अभी हमने देखा कि कॉन्वेक्स लेंस के सामने आप डिफरेंट पोजीशंस पे ऑब्जेक्ट रखोगे तो डिफरेंट पोजीशंस पे ही क्या बनेगी इमेज बनेगी कभी अगर आपने ऑब्जेक्ट को आगे रखा है तो इमेज बनेगी दूर ऑब्जेक्ट को अगर आपने पीछे रखा है तो इमेज बनेगी पास में लेकिन हमारी आंखों के केस में ऐसा क्यों नहीं हो रहा तो मैंने आपको दो चीजें बताई थी एक चीज क्या है कि इमेज की मजबूरी है रेटीना पे बनने की क्या मजबूरी है क्योंकि भाई रेटीना के पास क्या होते हैं दो लाइट सेंसिटिव सेल्स होते हैं दो सेंसर सेल्स होते हैं जिसे हम क्या कहते हैं रॉड्स क कहेंगे और क्या कहेंगे कोन्स कहेंगे इन रॉड्स एंड कोन्स का काम क्या होता है रॉड्स बताता है कि किस इंटेंसिटी की कितने अमाउंट की लाइट आ रही है और कोनस क्या बताते हैं कोन्स हमें बताते हैं कि कौन से कलर की लाइट आ रही है और यही इंफॉर्मेशन ये हमारे ब्रेन को भेजते हैं ऑप्टिक नर्व्स के थ्रू ये रॉड्स एंड कोन्स रेटिना के अलावा आई के किसी भी कॉम्पोनेंट या किसी भी पार्ट में नहीं होते हैं यानी कि अगर ये दोनों लाइट सेंसिटिव सेल्स रेटीना पे नहीं होंगे तो ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो लाइट है उसकी इंफॉर्मेशन हमारे ब्रेन तक नहीं जा पाएगी और हम किसी भी ऑब्जेक्ट को नहीं देख पाएंगे क्योंकि जब तक यह इंफॉर्मेशन ऑप्टिक नर्व्स के थ्रू ब्रेन को नहीं पहुंचाएंगे वो इंफॉर्मेशन ब्रेन प्रोसेस नहीं कर पाएगा प्रोसेस नहीं कर पाएगा क्या मतलब ऑब्जेक्ट की इमेज नहीं बन पाएगी हम उसे देख नहीं पाएंगे आ रही आपको बात समझ में तो इमेज की क्या मजबूरी है रेटीना प बनने की कि भाई रेटीना के पास ही होते हैं क्या दोनों लाइट सेंसिटिव सेल्स अगर नहीं कहीं और बनी इमेज रेटिना के अलावा कहीं इमेज बनी तो क्या हम उस ऑब्जेक्ट को क्लियर देख पाएंगे नहीं देख पाएंगे ब्लर्ड इमेज हमें देखने को मिलेगी तो एक चीज हमें क्या समझ में आई कि क्या मजबूरी है इमेज की रेटिना पे बनने की क्योंकि सिर्फ और सिर्फ रेटिना के पास ही होते हैं ये दोनों लाइट सेंसिटिव सेल्स दूसरी चीज क्या है कि हमेशा कैसे रेटीना पर ही इमेज बनती है क्योंकि भाई हमारी जो आई लेंस होती है ना वो बहुत बहुत कमाल की होती है कैसे जो हमारी आई लेंस होती है वो अपना कर्वेचर चेंज कर लेती है वो अपनी फोकल लेंथ क्या कर लेती है चेंज कर लेती है जिसके कारण ऑब्जेक्ट कहीं भी रखा हो हमारी आंखों के सामने इमेज कहां बनेगी सिर्फ और सिर्फ रेटीना पे ही बनेगी और ये जो एबिलिटी होती है हमारी आई लेंस की अपना कर्वेचर चेंज करने की या अपनी फोकल लेन चेंज करने की उसी को हम क्या कहते हैं पावर ऑफ डेशन कहते हैं यह कहानी पूरी मैंने आपको क्यों सुनाई क्योंकि आपको क्वेश्चन का आंसर मुझे बताना था कि पावर ऑफ अकोमोडेशन क्या है यह वो एबिलिटी होती है हमारी आई लेंस की कि वो अपने कर्वेचर को या अपनी फोकल लेंथ को क्या कर सके चेंज कर सके और इसमें कौन हेल्प करता है भाई इसमें मदद करती है सिलियरी मसल्स अगर आपको याद होगा तो मैंने आपको बताया था कि हमारी जो कॉन्वेक्स लेंस है उनको अपनी पो पोजीशन पे कौन फिक्स रखती है भाई उनको अपनी पोजीशंस पे फिक्स रखती हैं इस तरह की कुछ मसल्स ठीक है वरना क्या होगा हमारे आई के पास तो दो-दो फ्लूइड कंपार्टमेंट्स हैं पता चला ये आई लेंस जो है दोनों ही फ्लूइड कंपार्टमेंट्स में चेंबर में बारी-बारी से जाकर के स्विम करके आ गया ठीक है तो इनको स्विमिंग करने नहीं देना है आई लैंस को इसीलिए क्या करती हैं ये सिलेरी मसल्स इनको पकड़ के रखती हैं ना सिर्फ सिलेरी मसल्स पोजीशंस पे इंटैक्ट रखती हैं बल्कि इनके कर्वेचर को और इनकी फोकल लेंथ को चेंज करने में भी हेल्प करती हैं कैसे हेल्प करती है भाई आपको मैंने बताया था कि जब हमें ऑब्जेक्ट को देखना होगा कहां वो ऑब्जेक्ट जो कि रखा होगा आंखों आपकी आंखों से दूर ठीक है अगर कोई ऑब्जेक्ट है जो कि आपके आंखों से कैसा रखा गया हो दूर रखा गया हो और उस दूर रखे ऑब्जेक्ट को अगर आपको देखना हो तो क्या होता है ये जो हमारी सिलियरी मसल्स हैं ये क्या करती है रिलैक्स करती हैं जिसके कारण हमारा यह जो कॉन्वेक्स लेंस है यह कैसा हो जाता है भाई यह हो जाता है स्ट्रेच या फिर लोंगे और इसका कर्वेचर क्या हो जाता है कम हो जाता है जिसके कारण इसकी जो फोकल लेंथ है वो क्या हो जाती है बढ़ जाती है तो सिलेरी मसल्स ने क्या किया अगर हमें दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखना है तो खुद कैसी हो जाएंगी रिलैक्स हो जाएंगी और लेंस को कर देंगी क्या स्ट्रेच लोंगे जिसके कारण उसकी फोकल लेंथ इंक्रीज हो जाती है ठीक अब क्या होगा अब अगर हमें किसी ऑब्जेक्ट को देखना होगा जो कि हमसे पास में रखा गया है हमारी आंखों के पास में रखा गया है तो हम क्या करेंगे हम कुछ नहीं करेंगे हमारी जो सिलियरी मसल्स होती है ना ये ऑटोमेटिक क्या करती हैं ये कॉन्ट्रैक्ट हो जाती हैं क्या करती है कॉन्ट्रैक्ट हो जाती जिसके कारण हमारा जो लेंस है ना वो क्या हो जाता है कंप्रेस हो जाता है ठीक है हमारा लेंस क्या हो गया कंप्रेस हो गया जिसके कारण इसका जो कर्वेचर है वो तो बढ़ गया लेकिन इसकी जो फोकल लेंथ है वो क्या हो हो जाती है कम हो जाती है जिसके कारण पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को हम क्या कर पाते हैं देख पाते हैं ठीक है आई होप ये चीज आपको समझ में आ गई हो और इसी पूरी प्रोसेस को हम क्या कहते हैं पावर ऑफ अकोमोडेशन कहते हैं इसके कारण क्या होता है भाई फोकल लेंथ इंक्रीज और डिक्रीज करने के कारण क्या होता है ऑब्जेक्ट की इमेज हमेशा कहां बनेगी बच्चों रेटीना पे बनेगी रेटीना पे अगर नहीं बनेगी तो क्या होगा इमेज क्लियर नहीं दिखेगी किसी भी ऑब्जेक्ट की ब्लर्ड विजन हो जाएगा तो एबिलिटी ऑफ़ आईलेंस टू एडजस्ट इट्स फोकल लेंथ सो एज टू क्लीयरली फोकस रेज कमिंग फ्रॉम डिस्टेंट एज वेल एज नियर ऑब्जेक्ट ऑन द रेटिना इज कॉल्ड पावर ऑफ अकोमोडेशन ऑफ द आई अब एक काम करो अब अगर आपको इस आंसर का लेना है स्क्रीनशॉट तो मैं हो जाती हूं स्क्रीन के बाहर आप इसका स्क्रीनशॉट लेंगे ऑन द काउंट ऑफ फाइव ओके सो फाइ 4 3 टू एंड वन आई होप आपने ले लिया होगा इसका स्क्रीनशॉट हम बढ़ते हैं अपने नेक्स्ट क्वेश्चन पे नेक्स्ट क्वेश्चन क्या है भाई अ पर्सन विद अ मायोपिक आई कैन नॉट सी ऑब्जेक्ट बियोंड 1.2 मीट डिस्टिंक्टली व्हाट शुड बी द टाइप ऑफ़ द करेक्टिव लेंस यूज्ड टू मेजर प्रॉपर विज़न अब देखो मैंने आपको आई डिफेक्ट्स पढ़ाए थे ठीक है आई डिफेक्ट्स क्यों होते हैं भाई आई डिफेक्ट्स जब भी होंगे ना तो यह जो लेंस की एबिलिटी होती है अपनी अपने कर्वेचर को चेंज करने की या अपने फोकल लेंथ को चेंज करने की वो कहीं ना कहीं क्या हो जाती है सफर कर जाती है जिसके कारण विजन कैसा हो जाता है गड़बड़ा जाता है उन्हीं को हम क्या कहते हैं डिफेक्ट्स कहते हैं यहां पे हम बात कर रहे हैं कि इसकी एक मायोपिक आई की यानी कि उस पर्सन को क्या है उस पेशेंट को क्या है मायोपिया है मैंने आपको तीन आई डिफेक्ट्स पढ़ाए थे विजन डिफेक्ट्स पढ़ाए थे एक कौन सा था मायोपिया एक था कौन सा हाइपरमेट्रोपिया और एक था प्रेसबायोपिया बच्चे मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया में कंफ्यूज हो जाते हैं कि मैम समझ में नहीं आता कि किसमें कहां क्या नहीं दिखता है तो एक काम करो इसकी मैंने आपको एक ट्रिक बताई थी मायोपिया मायोपिया क्या है भाई एक छोटा सा वर्ड है है ना एक छोटा सा वर्ड है क्यूट सा वर्ड है तो छोटा सा वर्ड है मतलब क्या इसमें लोगों को क्या दिखेगा छोटी चीजें दिखेंगी यानी कि जो नियर बाय ऑब्जेक्ट्स होंगे जो पास में रखे हुए ऑब्जेक्ट्स होंगे वही दिखाई देंगे यानी कि दूर की चीजें नहीं दिखेंगी ठीक है और दूसरी तरफ कौन आता है दूसरी तरफ आता है हाइपरमेट्रोपिया हाइपरमेट्रोपिया यह कैसा है यह तो काफी लंबा सा वर्ड है काफी बड़ा वर्ड है बड़ा मतलब क्या इस केस में लोगों को क्या देखेगा बड़ी चीजें देखेंगे यानी कि जो दूर रखी हुई चीजें होंगी जो डिस्टेंट ऑब्जेक्ट्स होंगे जो डिस्टेंट ऑब्जेक्ट्स होंगे वो लोगों को दिखाई देंगे यानी कि पास वाली चीजें लोगों को दिखाई नहीं देंगी तो आई होप इस ट्रिक से आप समझेंगे कि मायोपिया क्या है एक छोटा सा वर्ड है यानी कि लोगों को छोटी चीजें दिखाई देंगी जो नियर बाय ऑब्जेक्ट्स होंगे वो दिखाई देंगे दूर का दूर का नहीं दिखेगा और जो हाइपरमेट्रोपिया है वो एक बड़ा वर्ड है बड़ा वर्ड है मतलब क्या लोगों को जो बड़ी चीजें हैं जो दूर की चीजें हैं वो दिखाई देंगी डिस्टेंट ऑब्जेक्ट्स दिखाई देंगे लेकिन पास की चीजें दिखाई नहीं देंगी ये जो अभी हमारे पास सवाल है इसमें बोला जा रहा है कि पर्सन की आंखें कैसी है भाई मायोपिक है मायोपिक मतलब क्या कि उसको पास का दिखता है लेकिन दूर का नहीं दिखता है ठीक है मायोपिया के केस में हमने बोला कि ऑब्जेक्ट्स जो है कौन से ऑब्जेक्ट दिखते हैं जो पास रखे हुए हैं दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट्स दिखाई नहीं देते जरा याद करो अभी-अभी मैंने आपको बताया था कि कोई भी ऑब्जेक्ट जो कि हमसे दूर रखा गया है हमारी आंखों से दूर रखा गया है उसे देखने के लिए क्या करना पड़ता है सिलरी मसल्स को रिलैक्स करना पड़ता है आई लेंस को स्ट्रेच होना पड़ता है लोंगे होना पड़ता है बेसिकली उसे कैसा होना पड़ता है थिन होना पड़ता है जिसके कारण उसका कर्वेचर क्या हो जाता है कम हो जाता है फोकल लेंथ उसकी क्या हो जाती है बढ़ जाती है यानी कि जिस अ जिन लोगों को मायोपिया होता है उन केस में उनके केसेस में क्या होता है कि उनके आई लेंस की जो फोकल लेंथ है वह बढ़ नहीं पा रही है ठीक है वह कैसी नहीं हो पा रही है बढ़ नहीं पा रही है इसके दो रीजंस मैंने आपको बताए थे दो कॉसेस बताए थे मायोपिया के एक का क्या होता है भाई एक तो है हमारा एक्स्ट्रा कर्वेचर ठीक है आई लेंस का क्या हो जाता है एक्स्ट्रा कर्वेचर हो जाता है हमें दूर की चीजें देखने के लिए क्या करना पड़ता है लेंस को लंबा करना पड़ता है थिन करना पड़ता है उसका कर्वेचर कम करना पड़ता है लेकिन क्या हो अगर लेंस का कर्वेचर ज्यादा रहे कम ना हो उसकी वजह से क्या होगा फोकल लेंथ उसकी कम की कम रहेगी है ना अगर आईलेंस का कर्वेचर कम ना हो ज्यादा ही रहे ज्यादा ही रहेगा मतलब उसकी फोकल लेंथ कम रहेगी तो अगर फोकल लेंथ कम है तो दूर रखी हुई चीजों को कैसे देख पाएगा भाई इंसान तो पहला कॉस्ट तो ये हो गया दूसरा क्या होता है एक बर्थ डिफेक्ट होता है ठीक है बाय बर्थ होता है उस केस में क्या होता है कि बेसिकली मायोपिया में होता क्या है इमेज कहां बन जाती है इमेज रेटिना के आगे बन जाती है ठीक है इमेज कहां बनती है रेटीना के आगे बन जाती है तो बर्थ डिफेक्ट कैसे होता है भाई बाय बर्थ ऐसा होता है कि आपकी आंखों की आई बॉल की जो एक्सियल लेंथ है वो क्या हो जाती है ज्यादा हो जाती है इमेज बननी होगी कहां यहां सॉरी इमेज कहां बननी होगी सपोज यहां बननी होगी ठीक है लेकिन आपकी आंखें बाय बर्थ कैसी है लंबी है आईबॉल की जो एक्सल लेंथ है वो कैसी है लंबी है तो आपकी आंखों की एक्चुअल लेंथ कैसी होती है ऐसे इमेज की क्या गलती व तो यहीं के यहीं बन गई यानी रेटीना के आगे बन गई आई आपको बात समझ में तो यह दो मेन कॉसेस होते हैं एक तो एक्स्ट्रा कर्वेचर दूसरा आईबॉल की ज्यादा हो जाती है एक्सियल लेंथ ठीक है जिस वजह से दूर रखी हुई चीजें लोगों को नहीं दिखाई देती सवाल ये पूछा गया था कि हम ऐसा क्या करें कि इस मायोपिक आई का डिफेक्ट दूर कर सके तो भाई इसके लिए हमें लगाना पड़ता है क्या एक एसी डिवाइस बेसिकली हो क्या रहा है यहां पे इमेज जो है रेटिना के आगे अ बेसिकली जो रेज आ रही है ऑब्जेक्ट से वो कहां कन्वर्ज हो रही है वो रेटिना के आगे ही आकर के कन्वर्ज हो रही है रेटिना तक कन्वर्ज होके जा ही नहीं पा रही है तो एक काम करते हैं हम इस आंख के सामने एक ऐसी लेंस लेकर के आते हैं एक ऐसा ऑब्जेक्ट लेकर के आते हैं जो क्या करें ऑब्जेक्ट से आ रही रेज को हमारी आंखों तक क्या करें डायवर्ज करके पहुंचाए ठीक है हम क्या करते हैं हम एक ऐसा ऑब्जेक्ट या ऐसी लेंस लेकर के आते हैं जो ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो इंसीडेंट रेस है उनको हमारी आंखों तक कैसे पहुंचाए डायवर्ज करके पहुंचाए जिससे क्या होगा कि हमारे कॉर्निया और आईलेंस को उस डायवर्जिंग इंसीडेंट रेस को कन्वर्ज करने के लिए क्या लगेगा ज्यादा टाइम लगेगा ज्यादा टाइम मतलब क्या ज्यादा जदा डिस्टेंस पर जाकर के उसको कन्वर्ज कर पाएंगी ज्यादा डिस्टेंस क्या रेटीना रेटीना आपकी पीछे हो गई ना इमेज कहां बन रही है इमेज बन रही है रेटीना के आगे तो हम क्या करेंगे एक ऐसा लेंस लेकर के आएंगे जो क्या करे इंसिडेंट रेज को ऑब्जेक्ट से निकल रही इंसिडेंट रेज को क्या करें डायवर्ज करें जब ये डायवर्जिंग इंसीडेंट रेज हमारे लेंस तक पहुंचेगी तो इन डायवर्जिंग इंसिडेंट रेज को कन्वर्ज करने में ज्यादा डिस्टेंस लग जाएगा हमारे लेंस को और ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल करके इमेज जो है ना रेटीना पे बन जाएगी ठीक है तो इसके लिए हमें क्या यूज करना पड़ेगा एक डायवर्जिंग लेंस यूज करना पड़ेगा डायवर्जिंग लेंस कौन सा होता है भाई डायवर्जिंग लेंस होता है हमारा कॉनकेव लेंस ठीक है और हमसे बोला जा रहा है कि जो मायोपिक पर्सन है ना वो 1.2 मीटर के आगे देख ही नहीं पाता ठीक है वो यह तो समझ में आ गया कि उसको पास का दिखता है दूर का नहीं दिखता लेकिन कितना दूर का नहीं दिखता तो 1.2 मीटर के बाद का उसको दिखता ही नहीं है तो ये तो हमें समझ में आ गया कि हमें एक कॉनकेव लेंस चाहिए है लेकिन कितने फोकल लेंथ का कॉनकेव लेंस चाहिए भाई तो 1.2 मीटर की फोकल लेंथ का हमें एक कॉनकेव लेंस चाहिए है क्यों क्योंकि पेशेंट ने हमको बताया है अपनी प्रॉब्लम शेयर करी है कि भाई मुझे पास के ऑब्जेक्ट्स तो दिख जाते हैं लेकिन दूर के नहीं दिखते और कितने दूर के 1.2 मीटर के डिस्टेंस पे जो भी ऑब्जेक्ट रखा होता है उसके बाद के मुझे कोई भी चीजें दिखाई नहीं देती है यानी कि हम इस मायोपिक पर्सन को कॉनकेव लेंस तो देंगे डायवर्जिंग लेंस तो देंगे लेकिन उसकी फोकल लेंथ कितनी होनी चाहिए 1.2 मीटर होनी चाहिए उस फोकल लेंथ उस कॉनकेव लेंस की फोकल लेंथ तभी तो उसे लगा कर के वो इस फोकल लेंथ के बाहर जो ऑब्जेक्ट रखे होंगे उसको देख पाएगा आपको समझ में आ रही है बात बच्चे कंफ्यूज हो जाते हैं कि मैम ये 1.2 अ मीटर फोकल लेंथ कहां से आ गई भाई बिल्कुल आ सकती है कैसे हमें बताया गया है मायोपिक पर्सन 1.2 मीटर के आगे का जो डिस्टेंस होता है उसके आगे कहीं भी कुछ भी रख दो ऑब्जेक्ट वो नहीं देख पाएगा यानी कि हमें उसके लिए जो भी उसका जो डिफेक्ट है उसको दूर करने के लिए हमें एक ऐसा लेंस चाहिए है जिसकी फोकल लेंथ कितनी हो 1.2 मीटर हो इससे क्या होगा एक ऐसी लेंस जिसकी खुद की फोकल लेंथ कितनी है 1.2 मीटर इससे क्या होगा कि अब 1.2 मीटर पे रखा हुआ ऑब्जेक्ट या उससे दूर रखा हुआ ऑब्जेक्ट भी क्या होगा उस ऑब्जेक्ट की इमेज जो है रेटीना पे बन जाएगी ठीक है आई होप ये चीज आपको समझ में आई होगी अब अगर आपको लेना है इसका एक स्क्रीनशॉट तो आप बिल्कुल ले सकते हैं ऑन द काउंट ऑफ फाइव मैं हो जाती हूं स्क्रीन के बाहर सो 5 4 3 टू एंड वन आई होप आपने इसका स्क्रीनशॉट लिया होगा अब हम बात करते हैं क्वेश्चन नंबर थ्री की व्हाट इज द फार पॉइंट एंड द नियर पॉइंट ऑफ़ द ह्यूमन विथ नॉर्मल विजन अगर एक पर्सन की विजन कैसी है नॉर्मल है तो उसके आंखों के लिए फार पॉइंट और नियर पॉइंट क्या होगा तो भाई नियर पॉइंट क्या होता है यह वो मिनिमम डिस्टेंस होता है ऑब्जेक्ट और हमारी आंखों के बीच में जिस डिस्टेंस पे रखे हुए ऑब्जेक्ट को हम क्लियर और कंफर्टेबल देख सके क्लियर मतलब क्या उस ऑब्जेक्ट की ब्लड इमेज हमें नहीं दिखनी चाहिए ब्लड नहीं दिखना चाहिए और कंफर्टेबल मतलब क्या कि हमारी आंखों पे स्ट्रेन नहीं आना चाहिए ठीक है कैसे जैसे कि मैंने बोला कि किसी भी पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को अगर हमें देखना होता है तो हमारी सिलेरी मसल्स क्या करती है हमारी सिलेरी मसल्स जो हमारे आई लेंस होते हैं उनको कंप्रेस कर देती है कंप्रेस करने के कारण क्या होता है हमारी आई लेंस का कर्वेचर बढ़ जाता है और उसकी फोकल लेंथ क्या हो जाती है कम हो जाती है है ना अब क्या हुआ आपने और पास में बेसिकली जो किसी भी नॉर्मल एडल्ट विजन के लिए जो नियर पॉइंट होता है वो कितना होता है वो होता है 25 सेंटीमीटर यानी कि लोग यह समझ लेते हैं कि 25 सेंटीमीटर के डिस्टेंस प रखा हुआ ऑब्जेक्ट हमें दिखेगा हमारी आंखों से और जैसे ही आपने ऑब्जेक्ट और आंखों के बीच का जो डिस्टेंस है वो 25 सेंटीमीटर से कम किया तो वो ऑब्जेक्ट हमें दिखना ही बंद हो जाएगा बिल्कुल ऐसा नहीं है करके देख लो अगर ये मैंने हाथ अपना अपने मुंह पर भी रख लिया तो भी मुझे मेरा यह हाथ दिखेगा बिल्कुल दिखेगा तो फिर क्या हमारे नियर पॉइंट की थरी गलत है बिल्कुल गलत नहीं है वो अपनी जगह सही है लोग उसे गलत समझ लेते हैं एक्चुअली क्या होता है यह 25 सेंटीमीटर ये वो डिस्टेंस होता है जहां पे हमारी जो सिलेरी मसल्स है वो आई लेंस को कंप्रेस करती हैं मैक्सिमम एक्सटेंट तक ठीक है 25 सेंटीमीटर क्या है अगर कोई ऑब्जेक्ट हमारी आंखों से 25 सेंटीमीटर के डिस्टेंस पे रखा गया है इसका मतलब क्या कि हमारी सिलेरी मसल्स ने आई लेंस को क्या किया है कंप्रेस किया है टू द मैक्सिमम एक् अब अगर क्या करोगे आप अपने ऑब्जेक्ट को 25 सेंटीमीटर के और पास लेकर के आओगे सपोज 20 सेंटीमीटर पे या 15 सेंटीमीटर पे तो आपकी सिलरी मसल्स को और ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी और ज्यादा ताकत लगानी पड़ेगी आई लेंस के कर्वेचर को कम करने के लिए उसके फोकल लेंथ को कम करने के लिए ताकि हम उस पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को देख पाएं यानी कि हमारी सिलेरी मसल्स और लेंस प बहुत स्ट्रेन पड़ने वाला है बहुत जोर पड़ने वाला है भाई ऐसा तो थोड़ी है कि सेलेरी मसल्स को गोलगोल जो है ना आई लेंस दिख गई है तो उसकी वो रोटी बना दे पिचका ही दे उसको बिल्कुल भाई पिचका की भी तो कोई एक्सटेंट होनी चाहिए और ये एक्सटेंट हमें कहां मिलती है 25 सेंटीमीटर पॉइंट क्या है नियर पॉइंट एक ऐसा डिस्टेंस है हमारी आंखों और ऑब्जेक्ट के बीच का ये बेसिकली मिनिमम डिस्टेंस होता है जहां पे उस ऑब्जेक्ट को रखा जाएगा तो हमारी आंखें उसे क्लीयरली और कंफर्टेबल देखें क्लियर मतलब क्या कोई ब्लर इमेज ना बने उस ऑब्जेक्ट की प्लस हमारी आंखों पे हमारी लेंसेक्स कितना होता है 25 सेंटीमीटर होता है यानी कि 25 सेंटीमीटर के अगर पहले आपने कोई ऑब्जेक्ट रखा हुआ है तो उसे देखने के लिए स्ट्रेन पड़ेगा आइस पे हम उसे कंफर्टेबल नहीं देख पाएंगे तो नियर पॉइंट आपको समझ में आया फार पॉइंट क्या होता है फार पॉइंट हम बोलते हैं बेसिकली ये मैक्सिमम डिस्टेंस होता है हमारी आंखों से ऑब्जेक्ट तक का टू व्हिच द आई कैन सी द ऑब्जेक्ट्स क्लियर अब कुछ बच्चे बोलते हैं कि मैम हमें तो 2 किमी के बाद दिखता ही नहीं है तो हमारा फार पॉइंट क्या हो गया 2 किमी यानी कि 2 किलोमीटर के आगे कोई भी ऑब्जेक्ट रखा होगा वो हमें दिखाई नहीं देगा अच्छा जरा एक काम करो अपना चेहरा ऊपर करके स्काई में देखो क्या आपको सन स्टार और मून देखने को नहीं मिलते बिल्कुल देखने को मिलते हैं तो भाई वो तो मिलियंस ऑफ लाइट ईयर हमसे दूर हैं लेकिन फिर भी हमें देखने को तो मिल रहा है भले ही पॉइंट साइज लेकिन दिख तो रहे हैं ना तो इसलिए एक नॉर्मल एडल्ट ह्यूमन बीइंग के लिए उसकी अ आंखों का फार पॉइंट क्या होगा वो होता है इनफिनिटी तो कभी ये मत बोलना कि हमारी आंखों का फार पॉइंट है 2 किमी या 5 किमी क्योंकि हमें दो या 5 किमी के बाद दिखाई देना बंद हो जाता है ठीक है हमारी आंखों के लिए फार पॉइंट क्या होता है इंफिनिटी होता है अब अगर आपको इस आंसर का चाहिए स्क्रीनशॉट तो मैं हो जाती हूं स्क्रीन से बाहर आप ऑन द काउंट ऑफ फाइव इसका ले लेंगे स्क्रीनशॉट सो फ 4 थ टू एंड वन आई होप आपने इसका स्क्रीनशॉट ले लिया होगा अब हम बढ़ते हैं अपने नेक्स्ट सवाल पे एंड आई गेस ये आज के सेशन का आखिरी सवाल है अ स्टूडेंट हैज डिफिकल्टी रीडिंग द ब्लैक बोर्ड वाइल सिटिंग इन द लास्ट रो व्हाट कुड बी द डिफेक्ट द चाइल्ड इज सफरिंग फ्रॉम हाउ कैन इट बी करेक्टेड यानी कि एक क्लासरूम है और उस क्लासरूम के बिल्कुल एंड में लास्ट रोम में एक बच्चा बैठा हुआ है और उस बच्चे को ब्लैक ब्लैक बोर्ड पे जो भी चीजें लिखी हुई हैं वो दिखाई नहीं दे रही हैं इसका मतलब क्या हुआ हु इसका मतलब यह है कि उस बच्चे को दूर की चीजें नहीं दिख रही हैं दूर की चीजें नहीं दिखती मतलब क्या पास की तो दिख रही है पास की दिख रही है मतलब क्या छोटी चीजें दिख रही है छोटी चीजें मतलब क्या छोटा वर्ड छोटा वर्ड क्या होता है भाई मायोपिया यानी कि उस बच्चे को डेफिनेटली क्या है मायोपिया है ठीक है और उसको करेक्ट कैसे कर सकते हैं भाई उसको हम करेक्ट कर सकते हैं एक डायवर्जिंग लेंस है यानी कि एक कॉनकेव लेंस है एक कॉनकेव लेंस दे दो उसको है ना तो क्या होगा बेसिकली उसकी जो आई लेंस है उसकी फोकल लेंथ क्या हो जाएगी बढ़ जाएगी तो दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट को दूर रखे हुए ब्लैक बोर्ड पे जो भी लिखा होगा वो उसे आसानी से दिखाई देने लगेगा ठीक है तो इसी के साथ हमारा आज का यह सेशन होता है कंप्लीट और हां अगर आपको इसका स्क्रीनशॉट लेना है तो आप ले लो जल्दी से ऑन द काउंट ऑफ फाइव आप स्क्रीनशॉट लेंगे तो फाइव 4 3 2 एंड वन आई होप आपने इसका स्क्रीनशॉट ले लिया होगा और इस सेशन के लिए इतना ही छोटा सा चैप्टर है इसलिए इसके जो इंटेक्स क्वेश्चन है वो भी काफी कम है छोटे से हैं है ना बस चार ही थे तो इनटेक्स क्वेश्चंस हम यही कवर करते हैं खत्म करते हैं अब हम बात करेंगे हमारे नेक्स्ट सेशन में नेक्स्ट सेशन में हम डिस्कस करने वाले हैं इस चैप्टर की एनसीआरटी एक्सरसाइज और हर एक क्वेश्चन को बड़े ही पेशेंस के साथ बड़े ही डिटेल में हम पढ़ेंगे क्यों क्योंकि इससे हमारा पूरे चैप्टर का रिवीजन होता जाएगा ना अभी तक तो हम जो भी डीपी क्यूज पढ़ते हैं उसमें क्या होता है कि एक दिन पहले जो चीजें पढ़ी हैं उसको हम रिवाइज कर लेते हैं लेकिन एनसीआरटी एक्सरसाइज से क्या होता है कि पूरा का पूरा चैप्टर ही एक बार में रिवाइज हो जाता है तो आज की सेशन के लिए इतना ही मिलेंगे हम अपने नेक्स्ट सेशन में यानी कि कल जहां पे हम डिस्कस करेंगे एनसीआरटी एक्सरसाइज तब तक आप क्या करेंगे हमारी जो ऑफिशियल वेबसाइट है magnetbrains.com उसे विजिट कर लेना जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलेंगे अ प्लेलिस्ट में साथ ही साथ सभी टॉपिक्स के होंगे वहां पे आपको नोट्स भी अवेलेबल सो डू ट आवर ऑफिशियल वेबसाइट magnetbrains.com टिल देन कीप लर्निंग विद मैगनेट बेंस थैंक यू फॉर वाचिंग हेलो एवरीवन इस सेशन में हम सॉल्व करने वाले हैं एनसीआरटी एक्सरसाइज हमारे चैप्टर द ह्यूमन आय एंड द कलरफुल वर्ल्ड की प्रीवियस लेक्चर में हमने बात करी थी उस चैप्टर के इंटेक्स क्वेश्चंस के बारे में ज्यादा नहीं थे थोड़े से ही थे और आज उसी को कंटिन्यू करते हुए हम करेंगे इस चैप्टर के कुछ एक्सरसाइज क्वेश्चंस को सॉल्व तो भाई इस टारगेट अ इस लेक्चर का इस सेशन का मैंने टारगेट कर दिया है फिक्स कि आज हमें पढ़ना होगा क्या हमारी एनसीआरटी एक्सरसाइज के कुछ क्वेश्चंस और जब टारगेट हमारा फिक्स है तो फिर देरी किस बात की तो चलिए स्टार्ट करते हैं आज का हमारा यह सेशन दिस इज विभूति खरे वेलकम टू मैग्नेट ब्रेंस जहां पे आपको सभी चैप्टर्स के वीडियो लेक्चर मिलने वाले हैं बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट यानी कि मैग्नेट ब्रेंस में आपको दो चैप्टर्स पढ़ने के बाद किसी भी तरह का पेमेंट करने की या पैकेज लेने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि मैगनेट ब्रेंस आप सब तक पहुंचा रहा है क्वालिटी एजुकेशन बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट तो इसी अच्छी बात से हम स्टार्ट करते हैं आज के इस सेशन का फर्स्ट क्वेश्चन वो क्या है द ह्यूमन आय फॉर्म्स द इमेज ऑफ एन ऑब्जेक्ट एट इट्स भाई ह्यूमन आई का जो स्ट्रक्चर है वो हमारे इस चैप्टर का सबसे पहला टॉपिक था और बड़े ही अच्छे से बहुत ही डिटेल में जो जो भी पार्ट्स आए के आपके सिलेबस में है उन पार्ट्स को हमने ही बड़ी ही डिटेल में डेप्थ में जाकर के समझा था ठीक है और उन्हीं में से से एक पार्ट होता है आई का जहां पे आई क्या करती है ऑब्जेक्ट की इमेज बनाती है भाई हमारी आंखों के सामने कोई भी ऑब्जेक्ट रखा हो ठीक है हमारी आंखों के सामने कोई भी ऑब्जेक्ट रखा हो तो इस ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो रेज होती हैं वो सबसे पहले कहां जाती हैं सबसे पहले जाती हैं हमारी आंखों के फर्स्ट पार्ट पे फर्स्ट पार्ट क्या होता है भाई फर्स्ट पार्ट होता है एक बर्स्ट आउट शेप का या एक कॉन्वेक्स शेप का एक स्ट्रक्चर जिसे हम क्या कहते हैं जिसे हम कहते हैं हमारी कॉर्निया ये जो कॉर्निया होती है ये कैसी होती है भाई कलर में ट्रांसपेरेंट होती है शेप कैसा होता है इसका ये बाहर की तरफ कर्व्ड होती है ठीक है इसलिए इस शेप को हम कॉन्वेक्स शेप भी कहते हैं ठीक और इसका काम क्या होता है इसका काम एक्चुअली दो काम होते हैं पहली चीज तो क्या हमारी आंखों के अंदर की चीजें बहुत ज्यादा सेंसिटिव होती हैं ठीक है तो उन सेंसिटिव चीजों को प्रोटेक्ट करने के लिए एक आउटर कवरिंग भी होनी चाहिए मैंने आपको बताया था कि कॉर्निया को आप कैसे समझ सकते हो आप अपनी नोटबुक्स में जो जो कवर पेज होता है उसके ऊपर जो आप जिलेटिन चढ़ाते हो उसी तरह हमारी जो कॉर्निया है ना वो बिल्कुल उस जिलेटिन की तरह ही काम करती है जिलेटिन आप क्यों चढ़ाते हो जिलेटिन कवर ताकि अंदर का जो आपका ब्राउन कवर होता है अ पेपर होता है वो गंदा ना हो जल्दी से उसको लॉन्ग लास्टिंग बनाने के लिए आप क्या करते हो उसके ऊपर जिलेटिन चढ़ा लेते हो सिमिलरली ये जो हमारी कॉर्निया होती है इसका क्या काम होता है आंखों के अंदर की चीजें बहुत सेंसिटिव है तो उसको प्रोटेक्ट करने के लिए किसी भी तरह के डस्ट पार्टिकल से है ना और किसी भी तरह के फॉरेन पार्टिकल से और किसी भी तरह के इंजरी वगैरह से ये क्या करती है आंखों के अंदर की चीजों को कंटेंट को प्रोटेक्ट करेगी ठीक तो पहली चीज क्या हो गई प्रोटेक्शन का काम हो गया हमारी आई के जो अंदर के कंटेंट्स है इनर कंटेंट्स है दूसरा दूसरा जो इसका काम है वो इसके शेप पे डिपेंड करता है इसका शेप कैसा है इसका शेप है कैसा कॉन्वेक्स तो जाहिर सी बात है जब इसका शेप कॉन्वेक्स है और ये खुद कैसी है ट्रांसपेरेंट है यानी कि अपने आप से लाइट को जाने दे रही है तो ये क्या करेगी ऐसे थोड़ी ना जाने देगी लाइट को क्योंकि इसका शेप कैसा है कॉन्वेक्स है तो ये क्या करेगी ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो रेज होगी ना उसको कन्वर्ज करके आंखों के अंदर लेकर के जाएगी कॉर्निया जो है वो लाइट को अपने अंदर से पास होने के लिए अलाउ कर देती है कि हां भाई ठीक है हमारे अंदर से तुम पास हो जाओ आई के अंदर चले जाओ लेकिन कैसे जाओगे क्योंकि हमारा शेप कैसा है कॉन्वेक्स है तो हम तुम्हें अंदर कैसे भेजेंगे हम तुम्हें थोड़ा सा कन्वर्ज करके भेजेंगे ठीक है तो ये क्या करती है इसके दो काम है पहली चीज तो इसने क्या किया अ हमारी आईबॉल को प्रोटेक्ट किया दूसरी चीज क्या है जो भी ऑब्जेक्ट से इंसीडेंट रेज निकल के आ रही हैं उनको कन्वर्ज करके आंखों के अंदर पहुंचाना फिर इसके बाद में कॉर्निया के बाद जो ऑब्जेक्ट से निकलने वाली इंसीडेंट रेज हैं वो कहां पहुंचेंगी वो पहुंचती है हमारी आंखों के एक कलर्ड पार्ट में कलर्ड पार्ट क्या होता है भाई कलर्ड पार्ट होता है आइरिस जब मैंने आपको बताया था कि जब भी हम किसी की आंखें देखते हैं तो उसमें सबसे पहली चीज हमें क्या देखने को मिलती है सबसे पहली चीज देखने को मिलती है उसके आंखों का कलर आंखों का कलर क्यों होता है भाई क्योंकि यह जो पार्ट होता है ना हमारी आंखों का इसके पास क्या होता है एक पिगमेंट होता है मेलेनिन पिगमेंट और इसे कौन प्रोड्यूस करता है स्पेशलाइज सेल्स होते हैं जिन्हें हम क्या कहते हैं मेलानोसाइट्स कहेंगे ये मेलानोसाइट्स क्या करते हैं ये पिगमेंट मेलेनिन पिगमेंट सेक्रेट करते हैं प्रोड्यूस करते हैं अब अलग-अलग रेशो में प्रोड्यूस करते हैं अगर कि मेलेनिन का जो अमाउंट है वह ज्यादा हो गया मेलानोसाइट्स ने ज्यादा मेलानिन प्रोड्यूस कर दिया तो क्या होगा इस आइरिस का कलर हो जाएगा डार्क डार्क ब्राउन और अगर मेले कैसा हुआ है कम सक्रेट हुआ है कम प्रोड्यूस हुआ है तो आयस का कलर क्या हो जाएगा ब्लू यानी कि अगर हम बात करें हमारी आंखों का हमारी आंखों का कलर्ड पार्ट क्या होता है तो आप बोलोगे यह होता है आइरिस और इस आइरिस में कलर कहां से आता है इस आयरस में कलर आता है कहां से मेलेनिन पिगमेंट से जो कि कौन प्रोड्यूस करते हैं मेलानोसाइट्स प्रोड्यूस करते हैं ठीक अब इस आयरस के बीचोबीच बिल्कुल बीचोबीच आप आपको क्या दिखेगा एक ब्लैक कलर का स्पॉट दिखेगा एक्चुअली वो ब्लैक कलर का स्पॉट नहीं होता है वो ब्लैक कलर की ओपनिंग होती है और उस ओपनिंग को हम क्या कहते हैं उस ओपनिंग को हम कहते हैं प्यूप क्या कहेंगे उसे हम कहेंगे प्यूप ठीक है ये आपको दिख रहा होगा यह ब्लू कलर का क्या है आइरिस है और इसके मैं उसको हाईलाइट कर देती हूं आपको यह ब्लू कलर की आयरिश दिख रही होगी और इसके अंदर आपको यह बिल्कुल जरा सा छोटी सी ब्लैक कलर की ओपनिंग दिख रही होगी और इसी ओपनिंग को हम क्या कहते हैं बच्चों प्यूप कहते हैं खिड़की है यह है ना मैंने आपको बताया था कि ये हमारी आंखों की क्या होती है खिड़की होती है जिस तरह से हमारे रूम्स और हमारे घरों की जो विंडोज होती हैं वो क्या करती है सनलाइट को अंदर आने देती हैं उसी की तरह ये जो प्यूप है छोटी सी जो ओपनिंग है आयरस के सेंटर में ये क्या करेगी ऑब्जेक्ट से निकल रही इंसिडेंट रेज को कहां जाने देगी आंखों के अंदर जाने देगी ठीक है अब क्या होता है जिस तरह से आप अपने घरों की खिड़कियों को कभी बंद करते हो तो कभी खोलते हो जब बहुत धूप आ रही होती है तो आप क्या कर दोगे खिड़कियां बंद कर दोगे और ज्यादा हुआ तो पर्दे भी डाल दोगे और अगर आपको अपने रूम के अंदर रोशनी चाहिए है सनलाइट चाहिए है तो आप क्या करते हो उसे खोल भी देते हो लेकिन क्या करें इस प्यूप के साथ भी तो कुछ हमें ऐसे ही करना पड़ेगा क्योंकि भाई जो हमें लाइट मिल रही है अगर आप घर के अंदर हो तो आपको ट्यूब राइट वगैरह से लाइट मिल जाएगी अगर आप घर के बाहर जा रहे हो तो आपको सनलाइट वगैरह से लाइट मिल जाएगी लेकिन क्या होता है ना कि जिस तरह से हम अपने घर में रोशनी की एंट्रेंस को क्या करते हैं रेगुलेट करते हैं उसी तरह हमें अपने आंखों की जो खिड़की होती है प्यूप इसके थ्रू ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो लाइट है उसे क्या करना पड़ेगा उसकी एंट्री को रेगुलेट करना पड़ेगा और उस रेगुलेशन में कौन हेल्प करता है भाई हमारी ये आइरिस इसका मतलब क्या हुआ ना सिर्फ आयरस हमारी आंखों को सुंदर बनाने के लिए कलर प्रोवाइड करती है मेलेनिन के थ्रू साथ ही साथ ये क्या करेगी इस प्यूप को क्या करेगी छोटा और बड़ा भी करेगी जैसे कि आप अपने घर में हो और अभी आपके घर में ट्यूबलाइट वगैरह जल रही है आपकी आंखों तक सफिशिएंट लाइट पड़ रही है जिसके कारण क्या है आपके कमरे में आपके घर में जो भी चीजें रखी हुई हैं फर्नीचर रखा है इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेज रखें जो भी चीजें हैं वो आपको दिख रही हैं तो इतनी सफिशिएंट लाइट आपको कहां मिल रही है ट्यूब लाइट से मिल रही है लेकिन जैसे ही क्या होगा आप दिन के टाइम पे जाओगे घर से बाहर दिन के टाइम पे तो बहुत तेज धूप होती है और अगर इतनी तेज धूप इतनी ज्यादा हीट अगर आपकी आंखों के अंदर चली गई तो क्या होगा आंखों के अंदर का जो कंटेंट है वो तो डैमेज हो जाएगा क्योंकि क्यों अंदर का कंटेंट बहुत सेंसिटिव है तो क्या करना पड़ेगा तो हमें इस खिड़की को छोटा करना पड़ेगा और ये छोटा कौन करता है प्यूप को छोटा कौन करता है यह आयरस करती है ठीक है जैसे ही हम धूप में जाते हैं तो आपने नोटिस किया होगा हमारी आंखें बिल्कुल ऐसी छोटी-छोटी सी हो जाती हैं क्यों हो जाती है क्योंकि ये आयरिश जो है प्यूप को छोटा कर देती है ताकि कम लाइट अंदर जाए हमारी आंखों के अंदर और जैसे ही आप घर से घर के बाहर से घर के अंदर की तरफ आते हो लाइट क्या हो जाती है थोड़ी कम हो जाती है तो एकदम से आपको चीजें जो है ना दिखाई नहीं देती आप नोटिस करके देखो तेज धूप के बाद आप घर के अंदर आओगे तो आपको ना एकदम से चीजें दिखाई नहीं देंगी काली-काली दिखाई देंगी क्यों क्योंकि सफिशिएंट लाइट आपकी आंखों तक नहीं पड़ रही होती है तो आप क्या करते हो अपनी आंखों को इस तरह से बड़ा-बड़ा करते हो बड़ा क्यों करते हो क्योंकि आप चाह रहे हो कि अब ज्यादा लाइट हमारी आंखों के अंदर जाए उस समय क्या होता है ये जो खिड़की होती है प्यूप ये बड़ी हो जाती है कौन बड़ा करता है इसको हमारी आयरस ठीक है तो ये आयरस ना सिर्फ हमारी आंखों को सुंदर कर करने के लिए कलर प्रोवाइड करती है आंखों को साथ ही साथ ये क्या करेगी प्यूप का जो साइज है उसको भी रेगुलेट करेगी टाइम टाइम पे जब प्यूप को बड़ा होना रहेगा तो उसको बड़ा करवा देगी जब ज्यादा लाइट चाहिए होगी आंखों के अंदर और जब कम लाइट चाहिए होगी तो प्यूप को क्या करेगी छोटा कर देगी अब ऑब्जेक्ट से निकलने वाली इंसिडेंट रेस कहां पहुंच गई भाई आयरस पे पहुंच गई अब हो सकता है कि कुछ इंसिडेंट रेज जो हैं एक चीज और है सभी के सभी इंसिडेंट रेज जो है ना आखों के अंदर नहीं जाती है जो इंसिडेंट रेज कहां पड़ रही है आयरस पे पड़ रही है वो हो सकता है तो रिफ्लेक्ट हो जाए या अब्जॉर्ब हो जाए सिर्फ वही इंसीडेंट रेज जो कि कहां जा रही है जो कि हम बोलते हैं कि प्यूप के अंदर जा रही है प्यूप से प्यूप पे पड़ रही हैं वही क्या हो पाएंगी आंखों के अंदर जा पाएंगी यानी कि ऑब्जेक्ट से निकलने वाली सभी इंसीडेंट रेज आंखों के अंदर नहीं जाएंगी सिर्फ वो इंसीडेंट रेज जो कि प्यूप पे पढ रही है प्यूप पे स्ट्राइक कर रही है वही आंखों के अंदर जा पाएंगी क्यों क्योंकि भाई प्यूप तो हमारी क्या है प्यूप तो हमारी एक खिड़की है जैसे कि आपके घरों में जो दीवारें होती हैं दीवारों में खिड़कियां लगी होती हैं सनलाइट कहां से आती है सनलाइट वहीं से आती है जहां से उसको जगह मिलती है आने की यानी कि खिड़कियों से जगह उसको मिलती है वॉल पे भी सनलाइट पड़ती है लेकिन क्या वॉल से दीवारों से सनलाइट हमारे घर के अंदर आ पाती है नहीं आ पाती कहां से आ पाती जहां से उसको जगह मिलती है जगह मतलब क्या खिड़कियां तो हम हमारी आंखों की जो खिड़कियां है प्यूप है उसी से ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो रेज होगी लाइट रेज होगी वो आंखों के अंदर जाएगी आंखों के अंदर उसको क्या मिलेगा भाई आंखों के अंदर उसको मिलता है एक वाइट क्रिस्टलाइन लेंस हमारी आंखों के पास भी क्या होता है लेंस होता है एक आंख के पास एक लेंस तो दूसरे आंख के पास दूसरा लेंस और कैसा होता है भाई यह होता है हमारा कॉन्वेक्स लेंस ठीक है ये लेंस कैसा होता है कॉन्वेक्स लेंस होता है वाइट लाइन होता है और यह लेंस किसी कांच का नहीं बना होता है ग्लास का नहीं बना होता यह प्रोटीन का बना होता है जेली लाइक मटेरियल होता है ठीक है फिर इसके बाद में लेंस के बाद में क्या मिलेगा एक बड़ा सा फ्लूइड चेंबर मिलेगा एक बड़ा सा फ्लूइड चेंबर मिलेगा फ्लूइड चेंबर मैं क्यों बोल रही हूं क्योंकि इस चेंबर के अंदर भरा होता है फ्लूइड और उस फ्लूइड को हम क्या कहते हैं विट अस यूमर कहते हैं फिर इसके बाद में आंखों के पीछे की तरफ आपको क्या मिलेगी एक बड़ी सी स्क्रीन देखने को मिलेगी एक्चुअली ये क्या होती है ये हम बोलते हैं कि अ बेसिकली ये एक टाइप की स्क्रीन तो होती है ये बहुत ही पतली सी मेंब्रेन होती है जो कहां मिलती है आपको आंखों की जो आईबॉल होती है बेसिकली हमारी जो आईबॉल होती है उसके पीछे की तरफ एक पतली सी मेंब्रेन होती है और उस पतली सी मेंब्रेन को हम क्या कहते हैं इसे हम कहते हैं रेटिना क्या बताया मैंने रेटिना क्या है एक पतली सी मेंब्रेन जो कि हमारी आईबॉल में पीछे की तरफ प्रेजेंट होती है ठीक ये रेटीना खास क्यों है क्योंकि इसके पास प्रेजेंट होते हैं भाई दो लाइट सेंसिटिव सेल्स जिसे हम क्या कहते हैं रॉड्स एंड कोन्स कहते हैं अगर यह रॉड्स एंड कोन्स ना हो ना रेटीना पे तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी क्यों क्योंकि ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो इंसिडेंट रेज थी वो कहां पहुंच गई है अब लेंस पे पहुंच गई है लेंस क्या करेगा क्योंकि हमारा लेंस कैसा है कॉन्वेक्स है तो यह क्या करेगा इंसिडेंट रेस को कन्वर्ज करेगा ठीक है कन्वर्ज करने के बाद में यह जो रिफ्रैक्टेड अब ओबवियस सी बात है लेंस तक आ गई है इंसीडेंट रेज तो लेंस से जब निकलेंगी तो क्या होगा अब वो रिफ्रैक्टेड रेज कहलाएंगे तो ये जो रिफ्रैक्टेड रेज होती है बच्चों ये क्या होती है ये आकर के कन्वर्ज होती है कहां कन्वर्ज होती है ये रेटीना पे ही कन्वर्ज होंगी और मैंने आपको बताया था कि जहां पे दो रिफ्लेक्टेड या दो रिफ्रैक्टेड रेज मिलती हैं वहां पे क्या हो जाता है ऑब्जेक्ट की इमेज बन जाती है यानी कि लेंस से रिफ्रैक्ट होने के बाद में ये रिफ्रैक्टेड रेज कहां जाके कन्वर्ज होती है इस रेटीना पे कन्वर्ज हो होती है यानी कि ऑब्जेक्ट की इमेज भी कहां बनेगी इसी रेटीना पे बनेगी रेटीना पे होते हैं रॉड्स एंड कोन सेल्स जो क्या करते हैं ये जो रिफ्रैक्टेड रे आ रही है ना इसको यह लोग क्या करते हैं एग्जामिन करते हैं रॉड्स का क्या काम होता है रॉड्स यह पता लगाता है कि कितने अमाउंट की कितनी इंटेंसिटी की लाइट आई है और कौन क्या पता लगाएगा कौन पता लगाएंगे कि भाई कौन से कलर की लाइट आई है फिर क्या होगा इनने ये तमाम सारी इंफॉर्मेशन जो है ना टेन कर ली अब क्या करेंगे अचार थोड़ी ना डालेंगे इस इंफॉर्मेशन को यह कहां पहुंचाएंगे हमारे ब्रेन तक पहुंचाएंगे किसके फॉर्म में तो भाई इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स के फॉर्म में इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स के फॉर्म में यह हमारे ब्रेन तक इंफॉर्मेशन को पहुंचाएंगे ठीक है और किसके थ्रू पहुंचाएंगे तो होती है ऑप्टिक नर्व्स क्या होती है भाई ऑप्टिक नर्व्स होती हैं ये ऑप्टिक नर्व्स क्या करेंगी इंफॉर्मेशन को जो भी रजन कोनस ने इकट्ठा करही है उन इंफॉर्मेशन को इलेक्ट्रिकल सिग्नल के फॉर्म में कहां लेके जाएंगी ब्रेन तक लेके जाएंगी यानी कि यह जो ऑप्टिक नर्व है यह हमारी आंखों से लेकर के कहां तक जाती है हमारे ब्रेन तक जाती है लेकिन अभी तो मैंने आपको बताया कि हमारी आई बॉल का जो पीछे का पोर्शन होता है उसके ऊपर एक पतली सी मेंब्रेन होती है तो इसका मतलब यह है कि ये जो ऑप्टिक नर्व है ये इस मेंब्रेन को रेटीना को चीरते हुए हमारी आईबॉल के अंदर एंटर करती है बिल्कुल सही बात है एक्चुअली ये जो हमारी रेटिना होती है ना ये इनकंप्लीट होती है कंप्लीट नहीं होती है एक पर्टिकुलर पॉइंट पे रेटिना फटी हुई रहती है और उस पॉइंट को हम क्या कहते हैं उस पॉइंट को हम कहते हैं ब्लाइंड स्पॉट ये आपको दिख रही होगी जगह जहां से ऑप्टिक नर्व एंटर कर रही है इसे हम क्या कहते हैं ब्लाइंड स्पॉट कहते हैं ब्लाइंड स्पॉट क्यों कह रहे हैं भाई क्योंकि इस स्पॉट पे कोई भी रॉड्स एंड कोन्स नहीं है रेटिना वहां से फटी हुई है और इसी स्पॉट से ऑप्टिक नर्व्स हमारी आईबॉल के अंदर आती हैं ठीक है ये पूरा स्ट्रक्चर हो गया किसका हमारी आईबॉल का एक चीज और है हमारी आंखों के पास दो फ्लूइड कंपार्टमेंट होते हैं एक तो मैंने आपको बता दिया ये वाला होता है ठीक है लेंस और रेटिना के बीच में जिसे हम क्या कहते हैं विट्रेस यूमर कहते हैं जो कि किससे फीड होता है वेटस यूमर से और एक और होता है जो कि हमारी अ बेसिकली जो कॉर्निया है कॉर्निया और जो आयरस है उसके बीच में प्रेजेंट होता है एक और फ्लूइड कंपार्टमेंट है जो कि कहां होता है हमारी कॉर्निया और आयरस के बीच में होता है और वोह किससे भरा हुआ होता है वो होता है एक्वास यूमर से फिल्ड ठीक अब यह जो दोनों ही फ्लूइड कंपार्टमेंट्स होते हैं इनका क्या काम होता है पहली चीज तो यह क्या करेंगे हमारी आंखों को थोड़ा सा मॉइश्चर प्रोवाइड करेंगे वरना हमारी आंखें तो बिल्कुल सूख जाएंगी और दूसरी चीज क्या होता है जो ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो इंसीडेंट ट्रेज है ना उनको उनके रिफ्रैक्ट को उनके कन्वर्जेंस को हेल्प करती है क्यों क्योंकि एक तरह से यह मीडियम को चेंज कर रही है ना डेंट रे कहां से आ रही है भाई हवा से आ रही है कहां के कहां जा रही है आईबॉल के अंदर जा रही है यह तो हमें पता है कि आईबॉल के अंदर उसे क्या मिलेगा लेंस मिलेगा ठीक है लेंस क्या करेगा जो कि हमारे पास कैसा लेंस है कॉन्वेक्स लेंस है तो वो कॉन्वेक्स लेंस इंसिडेंट रेस को कन्वर्ज कर देगा लेकिन साथ ही साथ वो क्या करवाएगा जो दोनों फ्लूइड कंपार्टमेंट्स होते हैं ना ये आईबॉल के अंदर का मीडियम चेंज कर देते हैं जिसके कारण जो इंसीडेंट रेज है उनका के अंदर और इमेज प्रॉपर्ली बन जाती है रेटीना पे अब ये जो इमेज है बच्चों वो कैसी होगी कॉन्वेक्स लेंस है मतलब कैसी इमेज बनाएगा यह बनाएगा रियल एंड इनवर्टेड तो चीजें हमें उल्टी क्यों नहीं दिखाई देती है ना कॉन्वेक्स लेंस में इमेज कैसी बना दी रियल इनवर्टेड बना दी लेकिन फिर भी हमको चीजें जो है ना उल्टी दिखाई नहीं देती क्यों क्योंकि भाई आंखों का काम क्या है इंफॉर्मेशन लेकर के ब्रेन तक पहुंचाना ब्रेन उस इंफॉर्मेशन को प्रोसेस करता है और हमें ऑब्जेक्ट सीधा दिखाई देता है और जिस का होता है उसी साइज का दिखाई देता है ठीक आई होप यह चीज आपको समझ में आई होगी अब सवाल क्या पूछा था यार हमसे सवाल हमसे य पूछा गया था कि ह्यूमन आई पे इमेज कौन से पार्ट प बनती है तो अभी-अभी मैंने आपको बताया कि रेटीना एक पतली सी मेंब्रेन होती है आईबॉल के पीछे की तरफ उस परे इमेज बनती है भाई इमेज की रेटिना प बनने की मजबूरी होती है क्या मजबूरी होती है कि भाई इस रेटीना पर प्रेजेंट होते हैं रॉड्स एंड कोन्स अगर कि रिफ्रैक्टेड रेज कन्वर्ज हो कर के रेटीना पे नहीं पहुंची अगर रेटिना पे नहीं पहुंचेंगी तो रॉड्स एंड कोन्स कैसे पता कर पाएंगे कि जो रिफ्रैक्टेड रेज आ रही हैं उसकी इंटेंसिटी कितनी है अमाउंट कितनी है या हम बोल सकते हैं कि उसका कलर कैसा है जब यह तमाम सारी इंफॉर्मेशन रॉड्स एंड कोन्स ब्रेन तक पहुंचाएंगे ही नहीं तो ब्रेन प्रोसेस क्या करेगा कौन सी इंफॉर्मेशन प्रोसेस करेगा और फिर कैसे हम उस ऑब्जेक्ट को देख पाएंगे कैसे ब्रेन उस ऑब्जेक्ट की एक इरेक्ट इमेज बना पाएगा तो इमेज की मजबूरी होती है कि उसे रेटीना पे ही बनना पड़ता है क्यों क्योंकि रेटिना के पास प्रेजेंट होते हैं दो लाइट सेंसिटिव सेल्स या आप इनको दो सेंसर सेल्स भी बोलते हो ये रॉड्स एंड कोन्स आई के किसी भी और पार्ट में प्रेजेंट नहीं होते हैं इसलिए इमेज की मजबूरी है कि उसे कहां बनना है रेटीना पे ही बनना है ठीक आई होप य आपको चीज समझ में आई होगी चलो अब हम बात करते हैं हमारे नेक्स्ट क्वे क्वेश्चन की नेक्स्ट क्वेश्चन क्या है भाई क्वेश्चन नंबर टू द ह्यूमन आय कैन फोकस एन ऑब्जेक्ट एट डिफरेंट डिस्टेंस बाय एडजस्टिंग द फोकल लेंथ ऑफ द आई लेंस दिस इज ड्यू टू अब मैंने आपको बताया था पहले से हम काफी चर्चा करते आ रहे हैं इस टॉपिक पे इस विषय पे कि जो कॉन्वेक्स लेंस है आप कोई भी स्फेरिकल लेंस या कोई भी मिरर ले लो स्फेरिकल मिरर ले लो अगर आप अपने ऑब्जेक्ट की पोजीशन चेंज करते जाते हो उस लेंस या उस मिरर के सामने वो जो इमेज बनाएगा रिस्पेक्टिव इमेजेस जो बनेंगी उनकी भी पोजीशन क्या होती जाएगी चेंज होती जाएगी लेकिन अभी-अभी हमने सवाल में देखा कि हमारी आंखों के अंदर जो कॉन्वेक्स लेंस होता है वो हमेशा इमेज कहां बनाता है रेटिना पे बनाता है इमेज की मजबूरी होती है रेटिना पे बनने की क्योंकि उसके पास क्या प्रेजेंट होते हैं अ रेटीना पे रॉड्स एंड कोन्स लाइट सेंसिटिव सेल्स जो कि जो भी इंसिडेंट रेज आ रही है रिफ्रैक्टेड रेज आ रही है उससे रिलेटेड इंफॉर्मेशन हमारे ब्रेन को पहुंचाएंगे ब्रेन क्या करेगा उसकी की इमेज बनाएगा उस उस ऑब्जेक्ट की है ना तो इमेज की मजबूरी है क्या होने की अ रेटीना पे बनने की लेकिन ऐसा कैसे पॉसिबल है कि हमारी आंखों का जो कॉन्वेक्स लेंस है वो हमेशा ही इमेज कहां बनाए रेटीना पे बनाए कॉन्वेक्स लेंस के तो हमने छह केसेस देखे थे कि ऑब्जेक्ट की अलग-अलग पोजीशन है और इमेज भी जो है ना अलग-अलग पोजीशन पे बन रही है अगर ऑब्जेक्ट को रखा हुआ है आपने कॉन्वेक्स लेंस के सामने कहां इंफिनिटी पे तो उसकी इमेज कहां बनेगी f2 पे बनेगी अगर आपने 2f 1 पे ऑब्जेक्ट रखा हुआ है तो इमेज कहां बनेगी 2f 2 पे बनेगी लेकिन भाई आंखों के अंदर ऐसा क्या है कि कॉन्वेक्स लेंस तो प्रेजेंट है यहां पे लेकिन ऑब्जेक्ट कहीं भी रखा गया हो इंफिनिटी पे क्यों ना रखा गया हो इमेज कहां बनेगी हमेशा रेटीना पे तो भाई इसका बड़ा ही सिंपल सा जवाब है क्या जवाब है वो कि हमारा जो आई लेंस होता है वोह क्या करता है अपनी जो फोकल लेंथ है उसे चेंज करता रहता है क्या करता रहता है हमारा आई फ्रेंड्स हमारा आई लेंस अपनी फोकल लेंथ को चेंज करता रहता है अगर ऑब्जेक्ट कहां रखा गया है दूरी पे रखा गया है तो वो क्या करेगा अपनी फोकल लेंथ बढ़ा लेगा और अगर ऑब्जेक्ट कहां रखा गया है आंखों के पास रखा गया है तो वो क्या करेगा अपनी फोकल लेंथ कम कर लेगा लेकिन क्या हमारा लेंस इतना स्मार्ट होता है कि वो अपनी जो फोकल लेंथ है वो खुद ही बढ़ा ले या खुद ही कम कर ले बिल्कुल भी नहीं इस लेंस को भी क्या चाहिए होते हैं कुछ सपोर्टिंग कुछ सपोर्टर्स चाहिए होते हैं वो सपोर्टर्स कौन होते हैं भाई वो सपोर्टर्स होते हैं हमारी सिलियरी मसल्स ये सिलियरी मसल्स क्या करती हैं यही एक्चुअली में आई लेंस का जो फोकल लेंथ है उसको चेंज कराती रहती हैं क्या हम बोल सकते हैं कि हमारी आई लेंस के कर्वेचर को चेंज करती रहती हैं कैसे जब हमें दूर की चीजें देखनी होती हैं ठीक है कोई जब हमें दूर कोई ऑब्जेक्ट है जो कि हमारी आंखों से दूर रखा हुआ है उस दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट को अगर हमें देखना होता है तो क्या होता है ये सिलेरी मसल्स क्या करेंगी रिलैक्स करेंगी जिसके कारण क्या होगा हमारा जो आई लेंस होगा वो क्या हो जाएगा पतला हो जाएगा थिन हो जाएगा थिन हो गया मतलब क्या इसका जो कर्वेचर है वो हो गया कैसा काफी कम यानी कि इसकी फोकल लेंथ क्या हो गई बढ़ गई तो दूर रखा हुआ ऑब्जेक्ट भी दिख जाएगा अब अगर कोई ऑब्जेक्ट रखा होगा पास में तो उसके लिए क्या होगा ये जो हमारी सेलेरी मसल्स हैं ये क्या करेंगी कॉन्ट्रैक्ट करेंगी कॉन्ट्रैक्ट करने के कारण क्या होगा हम हमारा जो आई लेंस है ना वो क्या हो जाएगा कंप्रेस हो जाएगा पिचक जाएगा पिचकने के कारण क्या हुआ ये इस तरह से थोड़ा सा गोल हो जाएगा जिसके कारण इसका जो कर्वेचर है वो बढ़ जाएगा और फोकल लेंथ क्या हो जाएगी कम हो जाएगी जब पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को हमें देखना होता है तो सिलरी मसल्स क्या करती है कॉन्ट्रैक्ट करती हैं जिसके कारण हमारा जो आईलेंस है वो कंप्रेस होता है कंप्रेस होने के कारण उसका कर्वेचर जो है बढ़ जाता है और उसकी फोकल लेंथ कम हो जाती है जिसके कारण पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को भी हम क्लियर देख पाते हैं यानी कि उसकी जो इमेज है वह कहां बनती है रेटीना पे ही बन जाती है इतना क्लियर है आप सबको इससे क्या होता है कि चाहे ऑब्जेक्ट दूर रखा हो चाहे ऑब्जेक्ट पास रखा हो इमेज कहां बनेगी हमेशा रेटीना पे ही बनेगी और इस पावर को हम क्या कहते हैं अपने अ आई लेंस के फोकल लेंथ को चेंज करने की इसे हम कहते हैं पावर ऑफ अकोमोडेशन और इसमें हेल्प कौन करता है उसमें हेल्प करती हैं यह हमारी सिलियरी मसल्स सिलियरी मसल्स के दो काम होते हैं एक तो आपने देख लिया पावर ऑफ अकोमोडेशन दूसरा काम क्या होता है यह हमारी आईलेंस को जो है ना अपनी पोजीशंस पे इंटैक्ट रखता है वरना क्या हो हमारा जो आईलेंस है ना बढ़िया हमारी आईबॉल के पास दो-दो फ्लूइड कंपार्टमेंट्स है तो बारी-बारी जाकर के वोह क्या कर ले उनमें स्विम करके आ जाए लेकिन ऐसा होता नहीं है क्यों क्योंकि सेलरी मसल्स उनको पकड़ के रखते हैं अपनी पोजीशन पे आई आपको बात समझ में तो अपनी पोजीशंस पे आईलेंस को फिक्स रखते हैं प्लस क्या करेंगे उनका फोकल लेंथ भी कम और ज्यादा करवा देंगे तो सवाल क्या हमसे पूछा गया था कि यह जो यू नो एबिलिटी होती है आई लेंस की अपने फोकल लेंथ को एडजस्ट करने की दूर रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए या पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए इसे हम क्या कहते हैं ऑप्शन बी पावर ऑफ अकोमोडेशन ठीक है और इसमें कौन हेल्प करता है आई लेंस को इसमें करती है हेल्प सिलियरी मसल्स अपने फोकल लेंथ को चेंज करने के लिए अपने कर्वेचर को चेंज करने के लिए आई होप यह सवाल आपको क्लियर हो गया होगा बच्चों अब हम बात करते हैं हमारे नेक्स्ट क्वेश्चन की नेक्स्ट क्वेश्चन क्या है द चेंज इन फोकल लेंथ ऑफ़ एन आय लेंस इज कॉज्ड बाय द एक्शन ऑफ अभी-अभी हमने डिस्कस किया है कौन करता है भाई आय लेंस के कर्वेचर को या उसके फोकल लेंथ को चेंज सिलियरी मसल्स सिलियरी मसल्स के दो काम है एक तो वो लेंस को पकड़ के रखेंगी अपनी जगह और दूसरी चीज जो आईलेंस का जो फोकल लेंथ है उसको वह क्या करती रहेंगी चेंज करती रहेंगी ठीक है आई होप यह सवाल आपको समझ में आया होगा अब हम बात करते हैं क्वेश्चन नंबर फोर्थ की द लीस्ट डिस्टेंस ऑफ डिस्टिंक्ट विज़न फॉर अ यंग एडल्ट विद नॉर्मल विज़न इज अबाउट अब देखो दो थ्योरी होती है एक होती है नियर पॉइंट की थ्योरी और एक होती है फार पॉइंट की थ्योरी एक होता है कौन सा नियर पॉइंट और एक होता है अपना फार पॉइंट नियर पॉइंट क्या बोलता है सबसे पहले नियर पॉइंट देखो नियर पॉइंट हम बोलते हैं कि वो मिनिमम डिस्टेंस होता है ऑब्जेक्ट का हमारी आंखों से जिस डिस्टेंस पे रखा हुआ जो ऑब्जेक्ट है वो हमें क्लीयरली और कंफर्टेबल दिखाई देगा नियर पॉइंट क्या है भाई यह वो मिनिमम डिस्टेंस है हमारी आंखों का और हमारी आंखों से लेकर के किसी भी ऑब्जेक्ट का कि भाई उस डिस्टेंस पे जो भी ऑब्जेक्ट रखा होगा वो ऑब्जेक्ट हमें क्लियर दिखाई देगा और कंफर्टेबल दिखाई देगा क्लीयरली का क्या मतलब है वो हमें ब्लर्ड नहीं दिखेगा है ना वह हमें बिल्कुल जैसा है ऑब्जेक्ट वैसा का वैसा उसकी बहुत ही क्लियर इमेज हमें दिखेगी ब्लर्ड इमेज नहीं मिलेगी तो क्लियर का मतलब तो समझ में आ गया लेकिन यह कंफर्टेबल का मतलब क्या होता है कि हम उस ऑब्जेक्ट को उस पर्टिकुलर डिस्टेंस पे कंफर्टेबल देख सकते हैं कंफर्टेबल देख सकते हैं मतलब क्या कि अपनी आंखों पर किसी भी तरह का प्रेशर या स्ट्रेन दिए बगैर है ना अपनी आंखों पे किसी भी तरह का स्ट्रेन दिए बगैर हम कम कंफर्टेबल उस ऑब्जेक्ट को देख पाते हैं कैसे तो मैंने आपको बताया था अभी-अभी कि किसी भी पास में रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए हमें क्या करना पड़ता है हमें अपनी जो बेसिकली जो हमारी सिलेरी मसल्स होती हैं वो क्या करती हैं कांट्रैक्ट करती हैं कांट्रैक्ट करने के कारण क्या होता है हमारा जो आई लेंस है वो ऐसा गोल मटोल सा हो जाता है यानी कि थिक हो जाता है उसका कर्वेचर बढ़ जाता है और उसकी फोकल लेंथ क्या हो जाती है कम हो जाती है हमारा आईबॉल क्या होता है हमारी आई लेंस क्या होती है कंप्रेस हो जाती है लेकिन कंप्रेशन की भी तो कोई हद होनी चाहिए ना कंप्रेशन की भी तो कोई लिमिट होनी चाहिए ऐसा थोड़ी है कि हमारा जो आई लेंस है वो गोल होता जा रहा है थिक होता जा रहा है तो सिलियरी मसल्स इतनी कॉन्ट्रैक्ट हुई कि हमारा जो आई मसल्स है जो हमारी आई जो आई लेंस है वो क्या हो गई पिचक के बिल्कुल रोटी बन गई ऐसा पॉसिबल नहीं है ना वरना तो आई लेंस क्या हो जाएगा हमारा डैमेज हो जाएगा और ये डैमेज कैसा होगा इरिवर्सिबल होगा आप इसे ठीक नहीं कर सकते हो तो अगर सेलियरी मसल्स पास में रखने पास में रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए कांट्रैक्ट होती हैं और आई लांस को क्या करती है कंप्रेस करती है तो इस कंप्रेशन की भी क्या होनी चाहिए कोई लिमिट होनी चाहिए और मैक्सिमम लिमिट आपको कहां देखने को मिलेगी मैक्सिमम लिमिट आपको देखने को मिलेगी 25 सें मी पे यानी कि कोई ऑब्जेक्ट रखा गया है कहां हमारी आंखों से 25 सेंटीमीटर पे तो इस डिस्टेंस पे क्या होगा इस डिस्टेंस पे हमारी जो सेलियरी मसल्स होंगी वो मैक्सिमम कंप्रेस कर देंगी हमारे आई लेंस को अब अगर कि आपने ऑब्जेक्ट कहां रखा है इस 25 सेंटीमीटर के अंदर रखा है यानी कि सपोज अ आपने ऑब्जेक्ट को अपनी आंखों से 20 सेंटीमीटर के डिस्टेंस पे रखा गया है तो क्या होगा मजबूरी में अब भाई सिलेरी मसल्स का तो काम है क्या करना कंटक्ट करना पास में रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए ठीक है और आईलेंस का भी क्या काम हो जाएगा जो भी ऑब्जेक्ट से इंसिडेंट रेज आ रही है उनको वर्ज करने का तो अगर आपने ऑब्जेक्ट को रखा गया आपने अपने ऑब्जेक्ट को रखा है 20 सेंटीमीटर के डिस्टेंस पे तो मजबूरी में सिलेरी मसल्स को आई लेंस को क्या करना पड़ेगा और कंप्रेस करना पड़ेगा ठीक है जिससे क्या होगा आंखों पे बहुत स्ट्रेन पहुंचेगा तो 25 सेंटीमीटर क्या है भाई 25 सेंटीमीटर है जिस पर रखे हुए ऑब्जेक्ट को आप क्लियर देख सकते हो और कंफर्टेबल देख सकते हो कंफर्टेबल मतलब क्या कि आंखों पे किसी भी तरह का स् ट्रेन नहीं पहुंचेगा क्योंकि 25 सेंटीमीटर पे हमें पता है कि हमारे जो सिलियरी मसल्स है वो मैक्सिमम कंप्रेशन कर देती हैं आई लेंस का और अगर इससे कम डिस्टेंस पे आपने अपने ऑब्जेक्ट को रखा है तो भाई आई लेंस पे बड़ा ही स्ट्रेन पड़ने वाला है क्योंकि सिलेरी मसल्स उसे और कंप्रेस करेंगी उसके मैक्सिमम एक्सटेंट से भी ज्यादा कंप्रेस कर देंगी उसे हम क्या कहते हैं नियर पॉइंट कहते हैं सवाल क्या पूछा गया था कि एक नॉर्मल विजन के लिए जो लीस्ट डिस्टेंट है ऑफ डिस्टिंक्ट विजन वो क्या होना चाहिए तो आपका आंसर होना चाहिए ऑप्शन सी 25 सेंटीमीटर क्या कहलाता है कहलाता है नियर पॉइंट अब जैसे एक नियर पॉइंट है उसी के जैसा एक फार पॉइंट भी होगा नियर पॉइंट पे हम मिनिमम डिस्टेंस ले रहे थे ऑब्जेक्ट और अपनी आंखों के बीच में फार पॉइंट में हम क्या लेते हैं फार पॉइंट में हम लेते हैं हमारी आंखों से लेकर के ऑब्जेक्ट तक का एक मैक्सिमम डिस्टेंस ठीक है फार पॉइंट में हम क्या लेते हैं फार पॉइंट में हम लेते हैं मैक्स डिस्टेंस कौन सा मैक्सिमम डिस्टेंस भाई तो हमारी आंखों से लेकर के ऑब्जेक्ट तक का अब आप बोलोगे कि मैम हमें तो दो किलोमीटर के आगे दिखता ही नहीं है यानी कि हमारे लिए फार पॉइंट क्या हो गया मैक्सिमम डिस्टेंस क्या हो गया जहां तक हम अपने ऑब्जेक्ट को देख सकते हैं अपनी आंखों से आप बोलोगे 2 किलोमीटर जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है एक नॉर्मल विजन के लिए जो फार पॉइंट है वो कितना होता है वो होता है इनफिनिटी किसके बराबर होता है भाई वो इंफिनिटी के बराबर होता है यानी कि हम किसी भी ऑब्जेक्ट को जो कि कहां रखा गया है इंफिनिटी पे रखा गया है हमसे बहुत दूर रखा गया है उस ऑब्जेक्ट को भी हम अपनी आंखों से देख सकते हैं कंफर्टेबल देख सकते हैं और बहुत ही क्लियर इमेज के साथ देख सकते हैं यानी कि हमें ऑब्जेक्ट इंफिनिटी पे रखा हुआ ऑब्जेक्ट ब्लर नहीं दिखेगा साथ ही साथ हमारी आंखों पे किसी भी तरह का स्ट्रेन नहीं पड़ेगा उस इंफिनिटी पे रखे हुए ऑब्जेक्ट के को देख के लिए अब सवाल ये आता है कि मैम हमें तो केवल 2 किलोमीटर के बाद दिख ही नहीं रहा था और आप बात कर रहे हो इंफिनिटी की अच्छा एक काम करो अपने चेहरे को थोड़ा सा ऊपर की तरफ घुमाओ और स्काई में देखो क्या आपको सन नहीं दिखता या आपको मून नहीं दिखता या आपको स्टार्स नहीं दिखते यह सब चीजें दिखाई देती है ना इसका मतलब क्या है कि फार पॉइंट आपका क्या है इंफिनिटी ही है क्यों क्योंकि ये जो स्टार्स मून ए सन है ना यह हमसे मिलियंस ऑफ लाइट ईयर दूर है बहुत ज्यादा दूर है आप बात कर रहे थे 2 किमी की मैंने आपको मिलियंस ऑफ लाइट ईयर दूर भी रखे हुए ऑब्जेक्ट दिखा दिए ठीक है तो वो इतने मिलियंस ऑफ लाइट यर हमसे दूर है इसीलिए हम उन चीजों की सन मून या स्टार्स की या कोई भी सेलेटििन ऑब्जेक्ट की पोजीशन हम क्या बताते हैं इंफिनिटी बताते हैं तो इसीलिए मैंने कहा था कि नॉर्मल विजन के लिए अ फार पॉइंट क्या है वो मैक्सिमम डिस्टेंस क्या है जहां पे रखे हुए ऑब्जेक्ट को आप देख सकते हो तो वह है इंफिनिटी यानी कि ऑब्जेक्ट जो कि हमसे कैसा रखा गया है हमारी आंखों से इंफिनिटी पे रखा गया है उस ऑब्जेक्ट को भी हम देख सकते हैं आई होप आपको नियर पॉइंट और फार पॉइंट का कंसेप्ट अब समझ में आया होगा अब हम बात करते हैं हमारे नेक्स्ट क्वेश्चन की नेक्स्ट क्वेश्चन क्या है अ पर्सन नीड्स अ लेंस ऑफ पावर - 5.5 डार्स फॉर करेक्टिंग हिज डिस्टेंट सॉरी डिस्टेंट विज़न फॉर करेक्टिंग हिज नियर विज़न ही नीड्स अ लेंस ऑफ पावर + 1.5 डायऑप्टर व्हाट इज द फोकल लेंथ ऑफ द लेंस रिक्वायर्ड फॉर करेक्टिंग डिस्टेंट विज़न एंड नियर विजन यानी कि यहां पे एक बंदा है जिसको ना ही दूर का क्लियर दिखता है और ना ही पास का दिखता है ठीक है यानी कि उसको प्रेस बायोपिया भी है अ और इसके बाद में उसको मायोपिया भी है ठीक है तो अब यहां पे हमको क्या बोला जा रहा है प्रेस बायोपिया में क्या होता था पास का नहीं दिखता था और मायोपिया में क्या होता है दूर का नहीं दिखता मैंने आपको उसकी एक ट्रिक बताई थी याद करने की कि मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया में बच्चे बहुत कंफ्यूज होते हैं कि कैसे हम पता करें कि मायोपिया में क्या दिखता है क्या नहीं दिखता और हाइपरमेट्रोपिया में क्या दिखता है क्या नहीं दिखता तो एक काम करो मायोपिया क्या है भाई मायोपिया एक छोटा सा वर्ड है है ना मायोपिया क्या है एक छोटा सा वर्ड है छोटा सा मतलब क्या कि पर्सन को छोटी चीज दिखेगी यानी कि ऑब्जेक्ट जो कि कम डिस्टेंस पर रखा गया होगा छोटे डिस्टेंस पर रखा गया होगा पास रखा गया होगा वोह दिखाई देगा दूर का नहीं दिखाई देगा और हाइपरमेट्रोपिया हाइपरमेट्रोपिया अब यह वाला वर्ड कुछ बहुत ज्यादा लंबा नहीं हो गया बहुत बड़ा नहीं हो गया तो बिल्कुल सही बात है यह वर्ड कैसा है बहुत बड़ा है है ना बहुत लंबा है तो लंबी डिस्टेंस पर रखा गया जो ऑब्जेक्ट होगा यानी जो दूर रखा गया ऑब्जेक्ट होगा वो इस केस में पर्सन को दिखाई देगा इसका मतलब क्या पास रखी हुई चीज दिखाई नहीं देगी ठीक आप इस ट्रिक से अ मायोपिया में क्या दिखता है क्या नहीं और हाइपरमेट्रोपिया में क्या दिखता है क्या नहीं वो आप हमेशा याद रख सकते हो अब यहां पे क्या बोला गया है भाई कि एक पर्सन है जिसको लेंस लगा हुआ है कितने पावर का -5.5 डायऑप्टर्स का अब जरा फ्लैशबैक में जाओ प्रीवियस चैप्टर में जब हमने पावर का कांसेप्ट पढ़ा था पावर के लिए मैंने आपको क्या बताया था पावर का एक अच्छा सा फार्मूला होता है छोटा सा फार्मूला होता है पावर इ इक्टू 1 / f ये 1 / f क्या है भाई ये है किसी भी लेंस की फोकल लेंथ तो अगर आपको एक पर्टिकुलर लेंस की क्या निकालनी है पावर निकालनी है तो आपको सबसे पहले उसकी फोकल लेंथ पता होनी चाहिए वन अपॉन फोकल लेंथ कर देना तो पावर आ जाएगी पा पावर किसमें आएगी एसआई यूनिट डायपर्स में आएगी कब आएगी जब आप अपनी फोकल लेंथ को किस में लोगे मीटर्स में लोगे और अगर आपको सवाल में फोकल लेंथ किसम दी गई है सेंटीमीटर में दी गई है आप उसको इनिशियली मीटर्स में कन्वर्ट करना नहीं चाहते हो तो एक काम करना यह वाला फार्मूला लगा देना 100 / f और यहां पे f कैसा है भाई f लिया है हमने सेंटीमीटर में ये चीज हमने अपने प्रीवियस चैप्टर में पढ़ी थी जब हम कॉनकेव या कॉन्वेक्स लेंस की पावर निकालना सीख रहे थे अब याद करो कॉन्वेक्स लेंस के केस में मैंने आपको बताया था कि कॉन्वेक्स लेंस का जो फोकस होता है व कैसा होता है एक रियल पॉइंट होता है यानी कि कॉन्वेक्स लेंस के केस में जो भी इंसिडेंट रेज कॉन्वेक्स लेंस के अंदर जाती हैं वो जैसे ही उस लेंस के बाहर निकलेंगी वो एक्चुअली में हमें किसी एक रियल पॉइंट पे क्या होती हुई दिखेंगी कन्वर्ज होते हुए दिखेंगी कोई पैरेलल इंसिडेंट रेज आ रही है अ कॉन्वेक्स लेंस के प्रिंसिपल एक्सिस के अलोंग वो क्या होंगी जैसे ही कॉन्वेक्स लेंस के अंदर जाएंगी रिफ्रैक्ट होंगी रिफ्रैक्ट होने के बाद में क्या होगा वो कन्वर्ज होंगी कहां कन्वर्ज होगी प्रिंसिपल एक्सिस के पर्टिकुलर पॉइंट पे जिसे हम कहते हैं फोकस तो फोकस कॉन्वेक्स लेंस का कैसा होता है रियल होता है क्योंकि हमें वाकई में जो इंसीडेंट ट्रेस है जो रिफ्रैक्टेड रेज है वो हमें कन्वर्ज होती हुई दिखती है और उसका अपोजिट कॉनकेव लेंस कॉनकेव लेंस के केस में क्या होता है भाई ये रहा हमारा कॉनकेव लेंस अगर आप स्ट्रक्चर भूल गए हो तो कॉनकेव लेंस में क्या होता है कि हमें रिफ्रैक्टेड रेज को मिलाना पड़ता है पीछे की तरफ एक्सटेंड करके क्यों क्योंकि भाई जो हमारा कॉनकेव लेंस है ना यह क्या करता है जो इंसिडेंट रेज आ रही होंगी इसके ऊपर पैरेलल इंसीडेंट रेज इनको क्या कर देगा ये डायवर्ज कर देगा क्योंकि हमारा कॉनकेव लेंस है ही कैसा डायवर्जिंग है नेचर में तो उसपे जितने भी इंसिडेंट रेस पड़ रही होंगी उनको वो रिफ्रैक्ट कैसे करेगा डायवर्ज कर देगा फैला देगा अब हमें पता है कि पैरेलल रेज तो भाई कहीं ना कहीं जाकर तो फिर भी मिल जाती इंफिनिटी पे मिल जाती है लेकिन डायवर्जिंग रेज तो कभी भी कन्वर्ज नहीं होंगी तो क्या करते हैं इन डायवर्जिंग रेज को पीछे की तरफ हम एक्सटेंड करते हैं तो जब हम एक्सटेंड करते हैं हमें दिखाई देता है कि भाई ये जो डायवर्जिंग रेज है ना ये पीछे किसी पर्टिकुलर पॉइंट पे मिलेंगी और उस पॉइंट को हम क्या कहते हैं फोकस कहते हैं किसका कॉनकेव लेंस का लेकिन यह फोकस कैसा होता है भाई यह नॉट रियल होता है यानी कि एक वर्चुअल पॉइंट होता है है ना यहां पे एक्चुअली में हमें रिफ्रैक्टेड रेज कन्वर्ज होती हुई नहीं दिखती हैं हम उनको कन्वर्ज करके लेके आते हैं और ऐसा अज्यू करते हैं कि अगर डायवर्जिंग रिफ्रैक्टेड रेस पीछे कहीं आ कर के मिलेंगी तो इस पॉइंट पे मिलेंगी फोकस पे मिलेंगी इसीलिए जो हमारा कॉन्वेक्स लेंस है उसकी फोकल लेंथ कैसी होती है बच्चों पॉजिटिव होती है और कॉनकेव लेंस की कैसी होगी नेगेटिव होगी तो यहां पे आपको दिख रहा होगा इसको मैं रक कर देती हूं यहां पे आपको दिख रहा होगा अ पर्सन नीड्स अ लेंस ऑफ पावर माइनस 5.5 डायऑप्टर्स मतलब क्या लेंस की पावर किस में आ रही है माइनस में आ रही है तो डेफिनेटली लेंस पावर के फार्मूले में जो फोकल लेंथ रखी गई होगी जो फोकल लेंथ रखी गई होगी वो भी क्या होगी नेगेटिव होगी और हमें पता है अभी-अभी हमने पढ़ा कि नेगेटिव फोकल लेंथ किसकी होती है नेगेटिव फोकल लेंथ होती है कॉनकेव लेंस की तो भाई यहां पे ये पर्सन अपने अ जो डिस्टेंट विजन है यानी कि जो दूर की जो दूर का जो विजन है दूर की जो नजर है उसे करेक्ट करने के लिए डेफिनेटली कौन सा लेंस यूज कर रहा होगा भाई वो यूज कर रहा होगा कॉनकेव लेंस यस और नो डिस्टेंट विजन मतलब क्या दूर की नजर दूर की चीजें उसको क्लियर नहीं देख रही है तो उसको देखने के लिए वह क्या करेगा वो यूज करेगा एक टाइप का अ डायवर्जिंग लेंस ऐसा लेंस जिसकी फोकल लेंथ कैसी है नेगेटिव है तभी उसकी पावर भी कैसी आई है नेगेटिव आई है दूसरा क्या है करेक्टिंग हिज नियर विजन यानी कि पास की नजर को करेक्ट करने के लिए वो एक लेंस यूज कर रहा है जिसकी पावर कैसी है + 1.5 मीटर है प्लस मतलब क्या कि जो लेंस वो यूज कर रहा है उसकी पावर पॉजिटिव है यानी कि उस लेंस की फोकल लेंथ भी कैसी होगी पॉजिटिव होगी तभी तो उसकी पावर कैसी आ रही है पॉजिटिव आ रही है है ना तो यहां पे पास की नजर को करेक्ट करने के लिए वो कौन से लेंस यूज कर रहा है भाई एक तरह का कन्वर्जिंग लेंस जिसे हम क्या कहते हैं कॉन्वेक्स लेंस लेंस क्योंकि हमने अभी-अभी पढ़ा कि हमारे कॉन्वेक्स लेंस की फोकल लेंथ कैसी होती है पॉजिटिव होती है इसलिए उसकी अ पावर भी कैसी होगी पॉजिटिव होगी अब हमसे क्या पूछा गया है व्हाट इज द फोकल लेंथ ऑफ़ द लेंस रिक्वायर्ड फॉर करेक्टिंग डिस्टेंट एंड डिस्टिंक्ट नियर विजन यानी कि दोनों ही टाइप के जो लेंसेक्स के लिए जो यूज़ करे जा रहे हैं उनकी पावर दी गई है रिस्पेक्टिव पावर्स दी गई है और हमें उनकी क्या निकालनी है फोकल लेंथ निकालनी है तो भाई हम हमें पता है कि पावर और फोकल लेंथ के बीच में क्या रिलेशन होता है पावर इ इक्व ट 1 / f अगर अ फोकल लेंथ आप ले रहे हो मीटर्स में तो ये वाला फार्मूला नहीं तो आप 100 / f यूज़ करोगे ये मैंने आपको प्रीवियस चैप्टर में बड़े अच्छे से समझाया था इनफैक्ट मैंने आपको अभी भी काफी कुछ बता दिया है पावर के बारे में ठीक है ये वाला फार्मूला आप यूज़ करेंगे तो सबसे पहले हम बात करते हैं अपने अ डिस्टेंट विजन को करेक्ट करने के लिए जो लेंस यूज़ किया गया है यानी कि जो कॉनकेव लेंस यूज़ किया गया है उसकी पावर दी गई है उसकी फोकल लेंथ निकालते हैं निकालना आसान है क्या करेंगे तो फोकल लेंथ इज इक्वल्स टू क्या कर देंगे आपको क्या निकालना है फोकल लेंथ निकालना है तो फोकल लेंथ को आप ले जाओगे कहां लेफ्ट में यानी कि एलएचएस में और आरएचएस में क्या ले आओगे डिनॉमिनेटर में पावर ले आओगे तो आपकी फोकल लेंथ आ जाएगी तो 1 अपॉन क्या कर दिया आपने -5.5 कर दिया तो फोकल लेंथ कितनी आ गई कॉनकेव लेंस की -1 181 मीटर्स क्या आ गई - 0.11 मीटर आ गई कॉनकेव लेंस की फोकल लेंथ वो लेंस जिसको कि पर्सन यूज कर रहा है अपनी दूर की नजर को करेक्ट करने के लिए दूर की नजर को सुधारने के लिए आई होप ये चीज आपको समझ में आई होगी सेम फार्मूले से हम जो पास की नजर करेक्ट करने के लिए जो लेंस यूज कर रहा है पर्सन यानी कि कॉन्वेक्स लेंस उसकी पावर उसकी फोकल लेंथ हम निकाल सकते हैं कैसे निकाल सकते हैं फोकल लेंथ को आप ले जाओ एलएचएस में आरएचएस में क्या आ जाएगा 1 अप p आ जाएगा 1 अप p की वैल्यू रख दी आपने क्या + 1.5 तो फोकल लेंथ कितनी आ गई + 0.66 7 मीटर ठीक यह क्या आई है फोकल लेंथ आई है कॉन्वेक्स लेंस की जो कि पर्सन यूज कर रहा है अपने पास की नजर को करेक्ट करने के लिए आई होप ये सवाल आपको समझ में आया होगा अब हम बात करते हैं हमारे नेक्स्ट क्वेश्चन की नेक्स्ट क्वेश्चन क्या है भाई द फार पॉइंट ऑफ अ मायोपिक पर्सन कितना है वो 80 सेंटीमीटर है इन फ्रंट ऑफ दी आई व्हाट इज द नेचर एंड द पावर ऑफ द लेंस रिक्वायर्ड टू करेक्ट द प्रॉब्लम हमसे बोला गया है कि जो फार पॉइंट है किसी मायोपिक पर्सन का मायोपिक मतलब क्या है मायोपिक मतलब क्या छोटा मायोपिक मतलब क्या होता है मायोपिया यानी कि छोटा वर्ड है छोटा वर्ड मतलब क्या कि पास का दिखेगा दूर का नहीं दिखेगा तो दूर का नहीं दिखेगा इसके कारण पर्सन का जो फार पॉइंट है वह कितना है वह है 80 सेमी यानी कि पर्सन 80 सेमी के आगे कोई भी ऑब्जेक्ट रखा हो कितना भी बड़ा क्यों ना हो वो उसे नहीं दिख रहा मैक्सिमम डिस्टेंस क्या है किस डिस्टेंस तक वो ऑब्जेक्ट को देख पा रहा है 80 सेमी तक ठीक है क्यों क्योंकि हमें पता है कि मायोपिक पर्सन है वह उसको क्या हो गया है मायोपिया हो गया है पास की चीजें दिखेंगी दूर की नहीं दिखने वाली और कितने दूर की नहीं दिखने वाली 80 सेमी से ज्यादा दूर की चीजें नहीं दिखने वाली अब कौन सा ऐसा लेंस लगा है हमसे पूछा गया है कि कौन सा ऐसा लेंस लगाए जिसके कारण अ उसके जो दूर की जो नजर है वो ठीक हो जाए तो आपको पता है अभी-अभी हम क्वेश्चन सॉल्व करके आ रहे हैं कि मायोपिया जब होता है मायोपिया में क्या होता है भाई कि जो इमेज होती है वो कहां बन जाती है रेटिना के आगे बन जाती है इमेज को कहां बनना होता है भाई जैसे ये रही क्या अपनी आईबॉल ठीक है ये क्या है अपनी आईबॉल है इमेज कहां बननी चाहिए रेटिना पे बननी चाहिए लेकिन अनफॉर्चूनेटली इमेज कहां बन जाती है रेटीना के आगे बन जाती है इस केस को आप ऐसे समझ सकते हो आप गए हो कोई मूवी देखने थिएटर थिएटर में क्या होता है आपकी चेयर्स लगी होती हैं जहां पे ऑडियंस बैठती है सामने लगी होती है क्या एक बड़ी सी वाइट स्क्रीन और पीछे की तरफ क्या चलता है एक प्रोजेक्टर चलता है प्रोजेक्टर क्या करता है रेज को जो पिक्चर की जो रेज है उसको स्क्रीन स्क्रीन पे क्या करता है फेंकता है जिसके कारण स्क्रीन प क्या बनती है उस पिक्चर की इमेज बन जाती है अब हमने क्या किया हमने जो है ना स्क्रीन को थोड़ा सा पीछे की तरफ खिसका लिया जिसके कारण क्या हुआ पिक्चर की इमेज तो बनी कहां बनी स्क्रीन पे नहीं बनी स्क्रीन के आगे ही बन गई तो क्या आपको वो पिक्चर क्लियर दिखाई देगी नहीं दिखाई देगी क्यों क्योंकि जहां पे बनना चाहिए था जो स्क्रीन थी वो तो पीछे चली गई ऐसा ही तो यहां पे हो रहा है रेटिना भी क्या हो गया है पीछे हो गया है इमेज कहां बनी है इस पॉइंट पे बनी है तो क्या चीजें क्लियर दिखाई देंगी नहीं दिखाई देंगी तो इसको करेक्ट करने के लिए क्या करना पड़ता है भाई हां करेक्ट करने के लिए हमें एक लेंस चाहिए होता है यहां पे हमसे क्या पूछा जा रहा है द फार पॉइंट ऑफ अ मायोपिक पर्सन इज 80 सेमी यानी कि 80 सेंटीमीटर से ज्यादा उसको दिखाई नहीं देता है कौन सा ऐसा लेंस यूज कर ले कि उसकी प्रॉब्लम जो है वो क्या हो जाए सॉल्व हो जाए तो आपको पता है कि जब कुछ इस तरह का केस होता है तो हमें एक ऐसा लेंस यूज करना पड़ता है कि जो क्या करें हमारी आंखों का जो लेंस है ना उस आंखों के लेंस तक इंसिडेंट रेस पहुंचाए कैसे डाइवर्जंस आईलेंस तो अपना काम यहां पे कर रहा है बच्चों आईलेंस क्या कर रहा है अपना काम यहां पे कर रहा है उसका काम क्या है जो रेज आ रही है ऑब्जेक्ट से उनको डायवर्ज करना लेकिन अनफॉर्चूनेटली क्या हो रहा है ये जो डा ये जो सॉरी उनको कन्वर्ज करना ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो इंसिडेंट रेज है उनको क्या करना कन्वर्ज करना बट अनफॉर्चूनेटली ये जो कन्वर्जेंस है वो कहां हो रही है ये रेटीना के आगे ही हो जा रही है तो हम क्या करते हैं एक ऐसा लेंस लेकर के आते हैं एक ऐसा लेंस लेकर के आते हैं जो कि क्या करे ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो इंसीडेंट रेज है ना उसको हमारी आंखों तक कैसे पहुंचाए उसको हमारी आंखों त थोड़ा सा डायवर्ज करके पहुंचाए ठीक है फैला के पहुंचा जाए जिसके कारण क्या होगा हमारी आईलेंस को थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी उन डायवर्जिंग रेज को कन्वर्ज करने में जिसके कारण जो कन्वर्जेंस होगा ना वो थोड़ा दूर हो जा करर के होगा दूर जाकर के होगा मतलब कहां होगा रेटिना पे होगा भाई किसी फैली हुई चीज को समेटने में हमें ज्यादा टाइम लग जाता है कोई ऑलरेडी चीज जमी होगी और उसको एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में टाइम लग जाए जल्दी पहुंचा दोगे आप लेकिन अगर कोई चीज फैली हुई है तो उस फैली हुई चीज को पहले आपको समेटना पड़ेगा फिर समेट के आपको दूसरी जगह पे उसको ले जाना पड़ेगा ज्यादा टाइम लग जाएगा हमारे जो आंखों का जो कॉन्वेक्स लेंस है उसके साथ भी कुछ ऐसे ही हो रहा है आंखों के कॉन्वेक्स लेंस की गलती नहीं है वो क्या कर रहा है ऑब्जेक्ट से आ रही इंसिडेंट ट्रेस को क्या कर रहा है कन्वर्ज कर रहा है लेकिन ये कन्वर्जेंस रेटीना पे नहीं हो पा रहा क्यों क्योंकि आई लेंस ने अपना काम तो किया लेकिन थोड़ा सा गड़बड़ हो गया आई लेंस में ही प्रॉब्लम कम आ गई उसका कर्वेचर क्या हो गया कर्वेचर हो गया उसका थोड़ा सा ज्यादा यानी कि फोकल लेंथ कम हो गई भाई मायोपिया है ना इस पर्सन को मायोपिया में क्या होता है दूर की चीजें नहीं दिखती है दूर की चीजें देखने के लिए क्या करना पड़ता है अपने आई लेंस को थोड़ा सा थिन करना पड़ता है उसका कर्वेचर कम करना पड़ता है फोकल लेंथ बढ़ानी पड़ती है लेकिन यहां पे क्या हो रहा है आईलेंस के साथ थोड़ी सी दिक्कत हो रही है वो अपना कर्वेचर बढ़ कम नहीं कर पा रहा है इनफैक्ट बढ़ रहा है जिसके कारण उसकी फोकल लेंथ बढ़ नहीं रही है कम हो रही है इसलिए वो दूर की चीजें नहीं देख पा रहा इसलिए कन्वर्जेंस कहां हो रहा है रेटीना के पहले ही हो रहा है तो हमें उसको करेक्ट करने के लिए एक ऐसा लेंस चाहिए जो कि क्या करे ऑब्जेक्ट से निकलने वाली इंसिडेंट रेज को क्या करें वो डाइवर्ट करके हमारे लेंस तक पहुंचाए तो क्या होगा लेंस को उन डायवर्जिंग रेस को कन्वर्ज करने में थोड़ा ज्यादा समय लग जाएगा और कन्वर्जेंस कहां होगी थोड़ा ज्यादा दूर होगी ज्यादा दूर मतलब कहां अब बन जाएगी इमेज रेटीना पे तो भाई डायवर्जिंग लेंस तो हमने एक ही पढ़ा है कौन है हमारा प्यारा कॉनकेव लेंस तो हम क्या करेंगे मायोपिया को ट्रीट करने के लिए कॉनकेव लेंस यूज करेंगे अब नेचर तो ठीक है लेकिन हमसे पावर भी पूछी गई है पावर कैसे निकालेंगे भाई फोकल लेंथ क्या होगी हमको पता है कि ऑब्जेक्ट जो पर्सन है वोह 80 सेंटीमीटर से ज्यादा का डिस्टेंस नहीं देख सकता यानी कि 80 सेमी के आगे जो भी ऑब्जेक्ट रखा है उसको वो दिखाई नहीं देगा तो हम क्या करते हैं हम पर्सन की अ जो भी हम जैसे कि कॉनकेव लेंस यहां पे हम यूज़ कर रहे हैं उस कॉनकेव लेंस की फोकल लेंथ हम कितनी रख देते हैं 80 सेमी कर देते हैं ठीक है जो हम कॉनकेव लेंस यूज़ कर रहे हैं उसके मायोपिया को करेक्ट करने के लिए उस लेंस की जो फोकल लेंथ है वो हम कर देते हैं 80 सेमी जिसके कारण क्या होगा कि अब 80 सेमी के आगे जो भी चीजें रखी गई होंगी ना वो उसको दिखाई देने लगेंगी तो हम क्या करते हैं फोकल लेंथ ले लेते हैं अपने कॉनकेव लेंस की 80 सेमी और कौन सी लेंगे -80 सेमी क्यों क्योंकि हमें पता है कि जो कॉनकेव लेंस है उसकी फोकल लेंथ कैसी होती है नेगेटिव होती है फिर क्या किया हमने हमने फार्मूला लगा दिया कौन सा p = 1 / f हमारा f किसम है भाई सेंटीमीटर में है तो हमने कौन सा फार्मूला लगाया 100 / f जहां पे हम f कहां रखेंगे किसमें रखेंगे सेंटीमीटर में रखेंगे तो 100 / ये कितना हो जाएगा -80 ये रो से ज़ीरो कैंसिल आउट हो गया ये हो जाएगा कितना फव ये हो जाएगा फर तो 5 / 4 कितना हो जाएगा -1.25 d यानी कि पर्सन की मायोपिया को ट्रीट करने के लिए हमने उसे कॉनकेव लेंस दिया है ठीक है किस तरह का लेंस दिया है भाई कॉन से नेचर का तो कॉनकेव लेंस दिया है और उस लेंस की पावर कितनी है तो -1.25 डाइप्स है आई होप ये चीज आपको समझ में आ गई होगी अब एक काम करते हैं अब हम बढ़ते हैं हमारे नेक्स्ट सवाल पे नेक्स्ट सवाल क्या है भाई मेक अ डायग्राम टू शो हाउ हाइपरमेट्रोपिया इज करेक्टेड द नियर पॉइंट ऑफ़ अ हाइपरमेट्रोपिक अ आई इज़ 1 मीटर व्हाट इज़ द पावर ऑफ़ लेंस रिक्वायर्ड टू करेक्ट दिस डिफेक्ट अज्यू द नियर पॉइंट ऑफ़ द नॉर्मल आई इज 25 सेमी अब देखो यहां पे बात हो रही किसकी हाइपरमेट्रोपिया की बात हो रही है हाइपरमेट्रोपिया आपको हाइपरमेट्रोपिया में क्या होता है पर्सन को क्या दिखता है क्या नहीं तो मैंने आपको बताया है हाइपरमेट्रोपिया मतलब क्या एक बड़ा वर्ड बड़ा वर्ड मतलब क्या कि लंबा लंबा वर्ड है है ना तो जो लंबे डिस्टेंस पे ऑब्जेक्ट रखे गए होंगे वो पर्सन को दिख जाएगा यानी कि पर्सन की पास की नजर जो होगी वह कमजोर होगी दूर की नजर उसकी बिल्कुल परफेक्ट होगी तो अगर हाइपरमेट्रोपिया है किसी पर्सन को यानी कि उसकी जो आई लेंस है वो ऑब्जेक्ट से निकलने वाली इंसिडेंट रेस को कन्वर्ज तो कर रही है लेकिन कहां कन्वर्ज कर रही है वो कन्वर्ज कर रही है रेटीना के पीछे है ना इमेज को जैसे ये आपकी क्या है आईबॉल है ये क्या रही आपकी आईबॉल रही अब हमारा जो आई लेंस है वो क्या करेगा ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो इंसीडेंट रेज है उसको कन्वर्ज करेगा लेकिन कहां कन्वर्ज करेगा रेटिना के पीछे कन्वर्ज करेगा करना कहां चाहिए था रेटिना पे हुई कहां रेटिना के पीछे भाई रेटिना के पीछे तो और ऑर्जन कौन सा है नहीं तो क्या उस पर्सन को जो भी ऑब्जेक्ट है वो क्लियर दिखाई देगा नहीं दिखाई देगा है ना बिल्कुल भी दिखाई नहीं देगा ब्लड इमेज होगी इसीलिए इस चीज को करना पड़े क्या करना पड़ेगा करेक्ट करना पड़ेगा कैसे करना पड़ेगा तो भाई हम एक काम करते हैं हम एक ऐसा लेंस लेकर के आते हैं इस हाइपर हाइपरमेट्रोपिक आई के आगे जो क्या करें ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो इंसिडेंट रेज है ना उनको क्या करें ऑलरेडी कन्वर्ज करके आंखों के अंदर भेजे जिससे क्या होगा हमारे जो आंखों का जो लेंस होगा आय लेंस होगा उसको ऑलरेडी जो इंसिडेंट रेज आ रही है वो कैसी होंगी कन्वर्जड होंगी तो और ज्यादा कन्वर्ज करने की उसको ज्यादा मेहनत ना करनी पड़े ठीक है ज्यादा मेहनत नहीं करेगा तो क्या होगा कन्वर्जेंस कहां हो जाएगा रेटीना पे ही हो जाएगा और यही तो हमें चाहिए है अभी कन्वर्जेंस कहां हो रहा है रेटिना के पीछे हो रहा है इसलिए चीजें दिखाई नहीं नहीं दे रही है पास की चीजें ठीक से दिखाई नहीं दे रही हैं दूर की दिख रही हैं हम क्या चाहते हैं कि ये कन्वर्जेंस कहां हो रेटीना पे हो इसके लिए हम क्या करते हैं एक ऐसा लेंस लेकर के आते हैं जो कि ऑलरेडी क्या करें आंखों के अंदर ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो इंसीडेंट रेज है उसको ऑलरेडी कन्वर्ज करके थोड़ा सा आंखों के अंदर पहुंचा है जिसके कारण क्या होगा हमारी जो आई लेंस होगी उसको ज्यादा कन्वर्जड ऑलरेडी कन्वर्जड रेज को बहुत ज्यादा कन्वर्ज करने की मेहनत नहीं नहीं पड़ेगी और कन्वर्जेंस कहां हो जाएगा रेटिना पे ही हो जाएगा और ऐसा लेंस कौन सा होता है भाई यह वाला लेंस होता है हमारा कौन सा कॉनकेव लेंस सॉरी कॉन्वेक्स लेंस है ना क्या होता है एक कॉन्वेक्स लेंस यहां पे हम कॉन्वेक्स लेंस लेंगे क्यों क्योंकि हमें पता है कि हमारा कॉन्वेक्स लेंस क्या होता है एक तरह का कन्वर्जिंग लेंस होता है ये क्या करता है इंसीडेंट ट्रेस जो इसके अंदर आती है उसको कन्वर्ज कर देता है तो ये जो हमारा सवाल था इसमें हमसे पूछा गया था कि एक हमें डायग्राम बनाना है टू शो हाउ हाइपरमेट्रोपिया इज करेक्टेड तो भाई कुछ इस तरह से उसको करेक्ट कर दिया जाता है एक अ कॉन्वेक्स लेंस लगा देते हैं जिसके कारण क्या हो इमेज कहां बन जाए रेटिना पे बन जाए द नियर पॉइंट ऑफ अ हाइपरमेट्रोपिक आय इज 1 मीटर यानी कि 1 मीटर के डिस्टेंस पे रखा हुआ कोई भी ऑब्जेक्ट है एक हाइपरमेट्रोपिक पर्सन को वह दिखाई देगा नियर पॉइंट उसका कित है 1 मीटर है व्हाट इज द पावर ऑफ द लेंस रिक्वायर्ड टू करेक्ट दिस डिफेक्ट हमने यह तो बता दिया कि कॉन्वेक्स लेंस लगेगा लेकिन किस पावर का लगेगा वो तो अभी बताया नहीं है और हमें अज्यू क्या करना है कि नियर पॉइंट क्या होता है नॉर्मल आई का होता है 25 सेंटीमीटर और हाइपरमेट्रोपिक पसन का कितना है नियर पॉइंट 1 मीटर है और होता कितना है 25 सेंटीमीटर है ठीक है आप क्या करेंगे अ पर्सन सफरिंग फ्रॉम हाइपरमेट्रोपिया कैन सी डिस्टिंक्ट ऑब्जेक्ट्स क्लीयरली बट फेसेस डिफिकल्टी इन सीइंग नियर बाय ऑब्जेक्ट्स यानी कि जो दूर रखा हुआ ऑब्जेक्ट है जो डिस्टेंट ऑब्जेक्ट्स होते हैं उसको वो देख पाता है नियर बाय ऑब्जेक्ट्स को नहीं देख पाता इट हैपेंस बिकॉज़ द आई लेंस फोकस द इनकमिंग डाइवर्जंस बियोंड द रेटिना रेटिना के पीछे जो है ना इमेज बन जाती है दिस डिफेक्ट ऑफ विज़न इज करेक्टेड बाय यूजिंग अ कॉन्वेक्स लेंस कॉन्वेक्स लेंस यूज़ करेंगे अ कॉन्वेक्स लेंस ऑफ़ सूटेबल पावर कन्वर्जेस द इनकमिंग लाइट इन सच अ वे दैट इमेज इज फॉर्म्ड ऑन द रेटिना क्या करेगा कॉन्वेक्स नेंस कन्वर्ज करके अ ऑब्जेक्ट से निकलने वाली इंसिडेंट रेस को आंखों तक पहुंचाएगा बहुत ज्यादा कन्वर्ज नहीं करेगा लेकिन हां थोड़ा बहुत कन्वर्ज कर देगा ठीक है नेक्स्ट क्वेश्चन है मेक अ डायग्राम टू शो हाउ हाइपरमेट्रोपिया इज करेक्टेड द नियर पॉइंट ऑफ अ हाइपरमेट्रोपिक आई इज 1 मीटर व्हाट इज द पावर ऑफ लेंस रिक्वायर्ड टू करेक्ट दिस डिफेक्ट अजूम दैट द नियर पॉइंट ऑफ द नॉर्मल आई इज 25 सेमी भाई इस सवाल में हमसे कई सारी चीजें पूछी गई हैं उनका हम एक-एक करके उनका आंसर निकालने की कोशिश करते हैं सबसे पहले तो भाई हाइपरमेट्रोपिया वर्ड आया है हाइपरमेट्रोपिया का मतलब क्या होता है यह कौन सा विजन डिफेक्ट है ये एक ऐसा डिफेक्ट है हाइपरमेट्रोपिया बड़ा वर्ड है यानी कि लंबा वर्ड है यानी कि जो लंबे डिस्टेंस पे रखे गए होंगे ऑब्जेक्ट ऑब्जेक्ट वो दिखाई देंगे और जो कम डिस्टेंस पे रखे गए हैं ऑब्जेक्ट यानी कि नियर बाय ऑब्जेक्ट वो दिखाई नहीं देंगे यानी कि दूर की नजर बढ़िया है लेकिन पास की नजर थोड़ी सी हो गई है कमजोर कैसे हो जाती है भाई कमजोर ये देखो जैसे कि हमने बनाई है क्या एक अपनी आईबॉल ठीक है ये रही क्या हमारी आईबॉल इस आईबॉल के अंदर क्या होगा भाई एक लेंस होगा लेंस का क्या काम होता है ऑब्जेक्ट से जो भी इंसिडेंट रेज आ रही है निकल के उनको कहां कन्वर्ज कर देना लाकर के रेटीना पे कन्वर्ज कर देना लेकिन हाइपरमेट्रोपिया के केस में क्या होता है कि दूर रखी हुई चीजें तो दिख जाती हैं लेकिन पास रखे हुए ऑब्जेक्ट्स नहीं दिख पाते क्यों नहीं दिख पाते क्योंकि भाई हमारी ये जो आईलेंस होती है ना ये पास रखे हुए ऑब्जेक्ट्स की जो इमेज है वो कहां बनाती है वो बना देती है इमेज रेटीना के पीछे कहां बना देती है रेटीना के पीछे आईबॉल के पीछे जहां बननी चाहिए वहां नहीं बनेगी रेटीना के पीछे जाकर के बन जाती है जरा क्यों वो इसलिए क्योंकि भाई आपको मैंने पहले भी बताया है कि पास में रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए क्या करना पड़ता है हमारी आय लेंस को अपना कर्वेचर बढ़ाना पड़ता है अपनी फोकल लेंथ कम करनी पड़ती है लेकिन अगर कोई अगर कोई ऐसा डिफेक्ट हो रहा है जहां पर हमें पास की चीजें दिखाई नहीं दे रही हैं इसका मतलब क्या है कि हमारा जो आई लेंस है जितना सफिशिएंट फोकल लेंथ कम करना चाहिए उसको दूर पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए उतनी सफिशिएंट फोकल लेंथ वो कम नहीं कर पा रहा है जिसके कारण इमेज कहां बन जाती है जाकर के रेटिना के पीछे बन जाती है अब क्या करें अब हमको इस डिफेक्ट को करेक्ट करना पड़ेगा कैसे करेक्ट करेंगे हम लेकर के आते हैं एक लेंस ठीक है हम एक लेकर के आते हैं लेंस वो लेंस कैसी होगी भाई वो लेंस कुछ इस तरीके की होनी चाहिए कि वो क्या करें ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो इंसिडेंट रेज है ना उसको क्या करें ऑलरेडी थोड़ा सा कन्वर्ज करके आंखों के अंदर भेजे जिसके कारण क्या होगा कि हमारी जो आई लेंस होगी ना उसको ऑलरेडी कन्वर्जड रेस को फर्द कन्वर्ज करने में ज्यादा टाइम ना लगे ज्यादा मेहनत ना करनी पड़े जिसके कारण क्या होगा कन्वर्जेंस कहां हो जाएगा रेटीना पे ही हो जाएगा तो एक ऐसी लेंस लेकर के हम आते हैं जो कि ऑब्जेक्ट से निकलने वाली इंसिडेंट रे को हमारी आईबॉल के अंदर आई लेंस तक कैसे पहुंचे थोड़ी सी कन्वर्ज करा करके पहुंचे ताकि हमारे आई लेंस को ज्यादा मेहनत ना करनी पड़े उन अ रेज को फर्द कन्वर्ट करने के लिए और वह जल्दी से रेटीना पर ही क्या कर दें रेस को कन्वर्ज कर दें तो इसके लिए तो हमें एक कन्वर्जिंग टाइप का लेंस यूज करना पड़ेगा और कन्वर्जिंग टाइप का लेंस कौन सा होता है भाई कन्वर्जिंग टाइप का लेंस होता है हमारा कॉन्वेक्स लेंस यानी कि रुपया को करेक्ट करने के लिए हमें कौन सा लेंस चाहिए है हमें चाहिए है एक कॉन्वेक्स लेंस ठीक अब देखो एक चीज यहां पे देखने वाली बात है एक नॉर्मल आई की अगर मैं बात करूं जिसमें किसी भी तरह का डिफेक्ट नहीं है उस नॉर्मल आई के लिए नियर पॉइंट क्या होता है यानी कि वो मिनिमम डिस्टेंस ऑब्जेक्ट और आंखों के बीच का जहां पे रखे हुए ऑब्जेक्ट को क्लियर देखा जा सकता है वो होता है 25 सेमी ठीक लेकिन हम बोल रहे हैं कि जो हाइपरमेट्रोपिया का केस हो होता है जो हाइपरमेट्रोपिक आई होती है उसमें हम बोलते हैं कि जो पास रखा हुआ ऑब्जेक्ट है वह क्लियर दिखाई नहीं देता है यानी कि इस डायग्राम से समझो आप इस डायग्राम से समझने की कोशिश करो ठीक है नियर पॉइंट नॉर्मल आई के लिए कितना होता है 25 होता है कितना होता है 25 होता है यह देखो लेकिन इस 25 सेंटीमीटर आपने कोई ऑब्जेक्ट रख दिया हाइपरमेट्रोपिक आई के सामने तो उसकी इमेज कहां बन जाएगी भाई उसकी इमेज बनेगी रेटीना पे यानी कि नॉर्मल नियर पॉइंट है अगर किसी आग का 25 सेंटीमीटर और इसी 25 सेंटीमीटर के डिस्टेंस में आपने कोई ऑब्जेक्ट रखा है हाइपरमेट्रोपिक आई के सामने तो उसकी इमेज कहां बनेगी उसकी इमेज बन जाएगी रेटिना के पीछे अब क्या करें एक काम करते हैं ये जो नियर पॉइंट है ना इसको थोड़ा सा बढ़ाने की कोशिश करते हैं क्या करते हैं इस हाइपर मेट्रो पिक आई की जो नियर पॉइंट है उसको हम बढ़ाने का कोशिश करते हैं अभी तक तो हम क्या कर रहे थे हमें पता है कि नॉर्मल विजन के लिए एक नॉर्मल आई के लिए नियर पॉइंट कितना होता है 25 सेंटीमीटर है हम उस हाइपरमेट्रोपिक आई के लिए भी नियर पॉइंट 25 सेंटीमीटर का लेकर के चल रहे थे जब हमने उस 25 सेंटीमीटर के डिस्टेंस पे ऑब्जेक्ट को रखा हाइपरमेट्रोपिक आई के सामने तो हमने देखा कि भाई इमेज तो रेटिना के पीछे बन गई अब क्या करें अब एक काम करते हैं हम इस हाइपरमेट्रोपिक आई का जो नियर पॉइंट है उस को हम थोड़ा सा पीछे की तरफ लेके जाते हैं थोड़ा सा बढ़ा देते हैं जब हम इसका नियर पॉइंट बढ़ा देते हैं तो हम क्या ऑब्जर्व करते हैं कि भाई इमेज कहां बन गई रेटिना पे बन गई यानी कि हम ये कंक्लूजन मेट्रोपिया पॉइंट होता है वो कैसा होता है 25 सेंटीमीटर से तो ज्यादा ही होता है क्यों क्योंकि देखो ना हम जब नियर पॉइंट 25 सेंटीमीटर के चलते हैं हाइपरमेट्रोपिक आई के लिए तो देख देखो इमेज कहां बन रही है रेटिना पे बन रही है और जैसे ही हमने क्या किया हमने नियर पॉइंट बढ़ा दिया 25 सेंटीमीटर भाई रेटीना पे बन गई यानी कि एक पॉइंट तो क्लियर है कि हाइपरमेट्रोपिक आई का जो नियर पॉइंट है वो कितना होता है 25 सेंटीमीटर से ज्यादा ही होता है ठीक अब क्या करते हैं अब देखो सवाल में हमको दिया गया है क्या कि नियर पॉइंट ऑफ हाइपरमेट्रोपिक आई इज 1 मीटर 1 मीटर मतलब कितना कितना भाई 1 मीटर मतलब कि 100 सेंटीमीटर यह तो हमने पहले ही पता कर लिया था हमें पता चल गया था कि हाइपरमेट्रोपिक आई का नियर पॉइंट क्या होता है 25 सेंटीमीटर से ज्यादा होता है अब वो कितना भी ज्यादा हो सकता है तो सवाल में देखो सवाल में दिया गया है कितना है नियर पॉइंट 100 सेंटीमीटर है अब हमें अजूम क्या करना है हमें अजूम करना है कि नॉर्मल आई का नियर पॉइंट कितना होता है 25 सेंटीमीटर होता है व्हाट इज द पावर ऑफ द लेंस रिक्वायर्ड टू करेक्ट दिस डिफेक्ट और किस पावर की लेंस हम प्रिस्क्रुटनी तो लेंस का टाइप तो हमें पता चल गया कौन सा लेंस चाहिए हमें कॉन्वेक्स लेंस चाहिए है क्यों क्योंकि हम चाहते हैं कि हमारी अ जो हाइपरमेट्रोपिक आई है उसकी आंखों तक ऑब्जेक्ट से निकलने वाली जो इंसीडेंट रे है वो कैसे पहुंचे थोड़ी सी कन्वर्ज हो कर के पहुंचे ताकि क्या हो आई लेंस को फर्द उन रेज को कन्वर्ज करने में ज्यादा मेहनत ना करनी पड़े ज्यादा दूर जा कर के कन्वर्ज ना करें थोड़ा पास ही कर दे यानी कि रेटीना पे ही कर दे तो कौन सा लेंस यूज़ होगा भाई हमारा कॉन्वेक्स लेंस यूज़ होगा यानी कि एक कन्वर्जिंग लेंस यूज़ होगा अब हम क्या निकालते हैं सबसे पहले तो हमें इसकी पावर निकालनी है पावर निकालने के लिए हमें किसी भी लेंस के लिए क्या जरूरत होती है फोकल लेंथ की जरूरत होती है अब यह फोकल लेंथ कहां से आएगी भाई एक काम करते हैं हमें हाइपरमेट्रोपिक आ का नियर पॉइंट दिया गया है और हमसे बो बोला गया है कि नॉर्मल आई का जो नियर पॉइंट है उसको आप अज्यू करो कितना है 25 सेंटीमीटर है ये दोनों जो चीजें हैं जो इंफॉर्मेशन गिवन है इसी से हम क्या करते हैं कॉन्वेक्स लेंस की फोकल लेंथ निकालने की कोशिश करते हैं कैसे कोशिश करते हैं भाई कुछ इस तरीके से हम अपने कॉन्वेक्स लेंस की एक ऐसी फोकल लेंथ लेंगे जिसके कारण क्या होगा कि 25 सेंटीमीटर पर रखा हुआ जो ऑब्जेक्ट है जैसे ही हाइपरमेट्रोपिक आई के सामने उसको रखा जाएगा जिस पे हमने क्या लगाया करेक्शन के लिए कॉन्वेक्स लेंस लगाया है उसकी इमेज कहां बने उसकी इमेज बने उसके नियर पॉइंट पे भाई हाइपरमेट्रोपिक पर्सन किसी भी ऑब्जेक्ट को देख कब पाता है पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को देख कब पाता है जब उसकी इमेज कहां बनती है उसके खुद के नियर पॉइंट पे बनती है ऐसा नहीं है कि नॉर्मल आई के लिए 25 सेमी क्या है नियर पॉइंट है तो हाइपरमेट्रोपिक पर्सन के लिए भी नियर पॉइंट कितना हो जाए 25 हो जाए अभी-अभी हमने देखा है कि अगर आपने हाइपरमेट्रोपिक पर्सन के लिए भी नियर पॉइंट अगर 25 लिया है तो उसकी इमेज रेटीना के पीछे बनेगी और अगर हम नियर पॉइंट बढ़ा देंगे 25 सेंटीमीटर से ज्यादा करेंगे तो इमेज कहां बनेगी उसकी प्रॉपर्ली रेटीना पे ही बनेगी तो अगर हम चाहते हैं कि हमारा हाइपरमेट्रोपिक पर्सन किसी भी इमेज को देखे तो उस किसी भी ऑब्जेक्ट को देखे तो ब्रेन को उसकी इमेज कहां बनानी पड़ेगी उसके नियर पॉइंट पे उसके खुद के नियर पॉइंट पे बनानी पड़ेगी ठीक है तो हम क्या करते हैं हमने हाइपरमेट्रोपिया को करेक्ट करने के लिए एक ऐसा लेंस लिया है जिसकी फोकल लेंथ बेसिकली हम इसकी फोकल लेंथ निकालनी है इस कॉन्वेक्स लेंस की तो हम एक ऐसे लेंस ऐसी फोकल लेंथ लेते हैं हमारे कॉन्वेक्स लेंस की जिससे क्या हो कि जब हम अपने ऑब्जेक्ट को कहां रखें 25 सेंटीमीटर पे रखें तो ब्रेन उस इमेज उस पर्टिकुलर ऑब्जेक्ट की इमेज का बना दे इमेज बना दे हाइपरमेट्रोपिया की हाइपरमेट्रोपिक आई की जो नियर पॉइंट है उस पे इमेज बना दे क्योंकि हमें पता है कि इमेज कोई भी हाइपरमेट्रोपिक पर्सन है उसकी आंख इमेज कब देख पाएगी वो कब किसी भी ऑब्जेक्ट को देख पाएगा जब उसकी इमेज बनाएगा ब्रेन कहां उसके नियर पॉइंट पे ठीक है तो ऑब्जेक्ट डिस्टेंस हम क्या ले देते हैं ऑब्जेक्ट डिस्टेंस हम ले लेते हैं कितना 25 सेंटीमीटर क्यों क्योंकि हम ऑब्जेक्ट कहां रख रहे हैं भाई 25 सेंटीमीटर पे रख रहे हैं नॉर्मल जो नियर पॉइंट होता है उस पर रख रहे हैं इमेज कहां बनेगी इमेज बनेगी उस हाइपरमेट्रोपिक आई के नियर पॉइंट पे और इस केस में हाइपरमेट्रोपिक आई का नियर पॉइंट क्या है n ड क्या है n ड हम ले लेते हैं कितना 1 मीटर है तो उसको हम ले लेते हैं कितना 100 सेमी अब आपके पास u है v है तो क्या आप लेंस फॉर्मूला नहीं लगा सकते हैं फटाफट से लेंस फॉर्मूला लगा दो और इस कॉन्वेक्स लेंस की आप एक फोकल लेंथ निकाल लो बढ़िया सी ठीक है और हां ध्यान रखना कि बिना साइन कन्वेंशंस के यूज करे फार्मूला में वैल्यू पुट मत करना ठीक है क्या है यहां पे u आप क्या लोगे हमें तो पता है ऑब्जेक्ट डिस्टेंस आप हमेशा नेगेटिव x एक्सिस पे ही लेते हो तो य क्या आएगा हमेशा नेगेटिव आएगा -25 सेमी अब इमेज क्या आएगी इमेज का जो डिस्टेंस है वो भी किसमें आएगा नेगेटिव में ही आएगा क्यों क्योंकि भाई कॉन्वेक्स इमेज बना कैसी इमेज रहा है कॉन्वेक्स लेंस बना कैसी इमेज रहा है एक वर्चुअल इमेज बना रहा है है ना कैसी इमेज बना रहा है एक वर्चुअल इमेज और कॉन्वेक्स लेंस वर्चुअल इमेज कब बनाता है जब वो इमेज कहां बने ऑब्जेक्ट के ही सेम साइड पे बने यानी कि नेगेटिव x एक्सिस पे बने इसलिए इमेज डिस्टेंस भी कैसा हो जाएगा -1 मीट या - 100 सेमी फोकल लेंथ हमें निकालनी है फटाफट से हमने क्या किया मेरा फॉर्मूला सॉरी लेंस फॉर्मूला हमने लगा दिया कितना होता है 1 / v - 1 / u = 1 / f सिंपल क्या करना है वैल्यूज पुट करनी है 1 / v की जगह क्या आ जाएगा -1 / 100 माइनस ये वाला माइनस कौन सा है फॉर्मूले का माइनस है ब्रैकेट में आप क्या लिख दोगे 1 / -25 -25 ये वाली कौन सी वैल्यू है भाई 1 / u की वैल्यू है अब ब्रैकेट खोल देना ब्रैकेट खोलोगे तो क्या हो जाएगा -1 / 100 प्लस यह वाला माइनस यह वाला माइनस क्या हो जाएगा प्लस हो जाएगा माइनस माइनस प्लस होता है क्योंकि तो ये कितना हो जाएगा -1 / 100 डिवा + 1 / 25 ठीक है यह कितना हो जाएगा 1 अप 25 हो जाएगा अब कॉमन फैक्टर लेकर के जब आप सॉल्व करोगे तो आपके पास फोकल लेंथ 1 / f कितनी आ जाएगी भाई 1 / f आ जाएगी आपके पास 100 / 3 कितनी आ जाएगी 100/3 और इसको आप इवर्स कर दोगे f कितना आ जाएगा तो आप बोलोगे 033 मीटर तो फोकल लेंथ कितनी आ गई कॉन्वेक्स लेंस की आप बोलोगे 33 मीटर हमें निकालना क्या था उस कॉन्वेक्स लेंस की फोकल लेंथ अ हमें पावर निकालनी थी अब आपके पास फोकल लेंथ आ चुकी है तो फटाफट से आप क्या करो फटाफट से आप जो है इसकी अ पावर निकालो पावर कैसे निकालो ग पावर इज इक्वल ट 1 / f कर देना तो कितना आ जाएगा 1 / 0.33 तो ये पावर कितनी आ जाएगी + 3.0 डाउटर्स इजी था ना थोड़ा सा ट्रिकी था बहुत ज्यादा भी नहीं थोड़ा सा इसका डिफिकल्टी लेवल थोड़ा सा ज्यादा था लेकिन बहुत ज्यादा भी नहीं था ठीक है हमसे क्या पूछा गया था भाई अभी तक हमने जितने भी न्यूमेरिकल्स देखे हैं वो कैसे थे वो कुछ इस तरह के थे कि सिंपली आपको लेंस की जो है अ या तो पावर दी गई थी उसकी आपको फोकल लेंथ निकालनी थी या फोकल लेंथ गिवन थी उसकी पावर निकालनी थी यहां पे आपको पावर भी निकालना था और फोकल लेंथ भी निकालना था कैसे हमने निकाला हमें पता था कि हाइपरमेट्रोपिया है एक पर्सन को हाइपरमेट्रोपिक आई के साथ हम डील कर रहे हैं जिसका नियर पॉइंट क्या होता है 25 सेमी से ज्यादा ही होता है क्यों क्योंकि कि अगर हमने हाइपरमेट्रोपिया में होता क्या है पास रखा हुआ ऑब्जेक्ट दिखेगा नहीं दूर रखा हुआ ऑब्जेक्ट हमें दिख जाएगा तो अगर आपने एक नॉर्मल जो नियर पॉइंट होता है नॉर्मल विजन के लिए वो कितना होता है 25 सेंटीमीटर मेट्रोपीसीएस ज्यादा कर देते हैं जब हमने 25 सेमी से ज्यादा किया नियर पॉइंट हाइपर हाइपरमेट्रोपिक आई का हमने क्या देखा इमेज बन गई रेटीना पे ठीक है अब क्या करेंगे हम हम एक काम करते हैं ऑब्जेक्ट को रखते हैं कहां हम रखते हैं 25 सेमी पे ठीक है और उसके सामने हाइपरमेट्रोपिक आई के सामने हम लगा देते हैं एक लेंस उस लेंस की हमें क्या निकालनी थी फोकल लेंथ निकालनी थी सबसे पहले पावर तो आप तब निकालो ना जब आपको फोकल लेंथ पता होगी तो आप कुछ इस तरीके का लेंस लोगे जिसकी फोकल लेंथ सपोज लो कितनी होगी x होगी इस फोकल लेंथ के x होने के कारण क्या होगा कि आप अपने ऑब्जेक्ट को कहां रखोगे 25 सें मी पे रखोगे जिसके कारण क्या होगा इमेज कहां बन जाएगी ब्रेन इमेज कहां बनाएगा उस हाइपरमेट्रोपिक आई की नियर पॉइंट पे बन जाएगा नियर पॉइंट कितनी थी इस केस में हाइपरमेट्रोपिक आई की आपने बोला 1 मीटर 1 मीटर कितना होता है 100 सेमी यानी कि ऑब्जेक्ट डिस्टेंस क्या हो गया u = - 25 सेमी v क्या हो गया - 100 सेमी फोकल लेंथ निकालो फोकल लेंथ अपनी कितनी आई थी फोकल लेंथ अपनी एक्चुअली फोकल लेंथ आ गई हमारी 33.3 सेमी ठीक है कितनी आई 33.3 सेमी है एक्चुअली ये गलत लिखा है देखो इधर पे ये 1 / f नहीं है ठीक है ये 100/3 क्या आया है भाई ये 100/3 आया है आपका f फोकल लेंथ कितनी आई है 100/3 आई है और इसको फदर कैलकुलेट करो तो 33.3 सेमी हो जाएगा और मीटर्स में 33 मीटर अब फोकल लेंथ आ गई है तो पावर के फॉर्मूले में पुट कर दो पावर कितनी आ जाएगी + 3 डायऑप्टर्स आ जाएगी आई होप आपको यह सवाल समझ में आया होगा अब हम बात करते हैं हमारे नेक्स्ट क्वेश्चन की नेक्स्ट क्वेश्चन क्या है भाई वई इज अ नॉर्मल आई कैन नॉट एबल टू सी क्लीयरली द ऑब्जेक्ट्स प्लेस्क देन 25 सेमी भाई ये तो बहुत ही पुराना क्वेश्चन हो गया है अब तो हम हायर लेवल के भी क्वेश्चन सॉल्व कर चुके हैं हमसे पूछा गया है कि एक नॉर्मल विजन की अगर हम बात करें तो क्यों हम किसी भी ऑब्जेक्ट को जो कि 25 सें मी से कहां रखा गया है पास में रखा गया है आंखों के हम क्यों उस ऑब्जेक्ट को क्लियर नहीं देख पाते हैं कंफर्टेबल नहीं देख पाते हैं क्योंकि हमें पता है कि पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए सिलेरी मसल्स क्या करती हैं सिलेरी मसल्स हमारी आईलेंस को क्या करेंगी कंप्रेस करेंगी वो खुद भी कांट्रैक्ट होंगी और आईलेंस को क्या करेंगी कंप्रेस करें कंप्रेस करने के कारण क्या होगा जो आई लेंस का कर्वेचर होगा वह कैसा हो जाएगा काफी बढ़ जाएगा गोल-गोल हो जाएगा हमारा आई लेंस और इसकी फोकल लेंथ क्या हो जाएगी कम हो जाएगी तो पास रखे हुए ऑब्जेक्ट को देखने के लिए हमारे आई लेंस की फोकल लेंथ होनी चाहिए कम कर्वेचर होना चाहिए ज्यादा और यह मैक्सिमम जो कंप्रेशन है आईलेंस का जिसको कि हमारी सिलेरी मसल्स करेंगी वो कब होता है वो होता है 25 सेंटीमीटर के डिस्टेंस में यानी कि जब ऑब्जेक्ट रखा गया हो हमारी आंखों से 25 सेंटीमीटर के डिस्टेंस पे उस समय हमारी जो सिलियरी मसल्स हैं हमारी आई लेंस को मैक्सिमम कंप्रेस करेंगी भाई कंप्रेशन की भी तो कोई लिमिट होती है ऐसा थोड़ी है ना कि गोल-गोल आई लांस की रोटियां ही बना दो आप बैठ के तो 25 सेंटीमीटर पे आईलेंस का मैक्सिमम कंप्रेशन आपको देखने को मिलेगा अब अगर आपने क्या किया है इस 25 सेंटीमीटर आप अपने ऑब्जेक्ट को लेकर आ गए हो आंखों के यानी कि आपने सपोज ऑब्जेक्ट को कहां रख दिया है अपनी आंखों से 20 सेमी की डिस्टेंस पे रखा गया है तो आप क्या होगा सिलरी मसल्स और ज्यादा क्या करेंगी आई लेंस को कंप्रेस करेंगी इस कंप्रेशन से क्या होगा इसकी फोकल लेंथ तो कम हो जाएगी और आप किसी तरह से ऑब्जेक्ट देख भी लोगे लेकिन क्या होगा आंखों पे बहुत स्ट्रेन पड़ेगा और आप एक या दो सेकंड से ज्यादा उस ऑब्जेक्ट को क्लियर नहीं देख पाओगे है ना क्यों क्योंकि आईलेंस में बहुत ज्यादा जोर पड़ रहा है स्ट्रेन पड़ रहा है वो आपको ऑब्जेक्ट कैसा दिखाई देने लगेगा उसकी इमेज काफी ब्लर्ड दिखाई देने लगेगी ठीक है तो 25 सेंटीमीटर को इसीलिए हम क्या कहते हैं नियर पॉइंट कहते हैं यह मिनिमम डिस्टेंस होता है आंखों से किसी भी ऑब्जेक्ट के बीच का जहां पे रखे हुए ऑब्जेक्ट को आप क्लीयरली और कंफर्टेबल देख सकते हो तो 25 सेंटीमीटर से अगर कम डिस्टेंस किया है तो क्या होगा बहुत ज्यादा स्ट्रेन पड़ जाएगा हमारे आई लेंसेक्स हो जाएंगी कौन करेगा कंप्रेस सिलेरी मसल्स करेंगी ठीक आई होप ये चीज आपको समझ में आ गई होगी बच्चों अब अब हम बात करते हैं किसकी अपने नेक्स्ट क्वेश्चन की व्हाट हैपेंस टू द इमेज डिस्टेंस इन द आई व्हेन वी इंक्रीज द डिस्टेंस ऑफ एन ऑब्जेक्ट फ्रॉम दी आई अगर आपने ऑब्जेक्ट का डिस्टेंस हमारी आंखों से क्या कर दिया है थोड़ा सा बढ़ा दिया है यानी कि आप अपने ऑब्जेक्ट को आंखों से दूर लेकर के चले गए हो तो इमेज डिस्टेंस पे क्या फर्क पड़ेगा कोई फर्क नहीं पड़ेगा है ना अभी-अभी हम प्रीवियस क्वेश्चंस में पढ़ के आ रहे हैं कि ऑब्जेक्ट को आप कहीं भी रख दो आंखों के सामने इमेज की मजबूरी है रेटीना पे बनने की और यह कैसे हो पाता है यह हो पाता है लेंसेक्स लेंथ के इंक्रीज और डिक्रीज होने के कारण सेलेरी मसल्स क्या करती हैं लेंसेशन का जो अ कर्वेचर होता है उसको चेंज करती जाएंगी और फोकल लेंथ चेंज करती जाएंगी बढ़ा देंगी ऑब्जेक्ट को अगर दूर रखा है तो फोकल लेंथ क्या हो जाएगी आई लांस की बढ़ जाएगी कैसे क्योंकि वो खुद पतला हो जाएगा स्ट्रेच हो जाएगा लोंगे हो जाएगा और अगर ऑब्जेक्ट फस रखा गया है तो आईलेंस क्या हो जाएगा कंप्रेस हो जाएगा अच्छा सा गोल मटोल सा हो जाएगा उसकी फोकल लेंथ कम हो जाएगी ठीक तो ऑब्जेक्ट को कहीं भी रख लो आप आंखों से इमेज डिस्टेंस पे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला ठीक है और इमेज कहां बनेगी इमेज हम बोलते हैं हमेशा ही रेटिना पे बनेगी द इमेज इज़ फॉर्म ऑन द रेटिना अ इवन ये इवन है अवन नहीं है इवन ऑन इंक्रीजिंग द डिस्टेंस ऑफ़ एन ऑब्जेक्ट फ्रॉम द आई फॉर दिस द लेंस बिकम थिनर एंड इट्स फोकल लेंथ इंक्रीज एज अ ऑब्जेक्ट इज मूव्ड अवे फ्रॉम द आई दूर जाएगा तो फोकल लेंथ इंक्रीज हो जाएगी पास आएगा तो फोकल लेंथ कम हो जाएगी आई लेंस की आई होप यह वाला सवाल भी आपको आया होगा समझ अब क्वेश्चन नंबर 10 क्वेश्चन नंबर 10 क्या है भाई व्हाई डू स्टार्स ट्विंकल स्टार्स ट्विंकल क्यों करते हैं भाई यह हमने कल पढ़ा है फटाफट से करते हैं इस चीज को रिवाइज भाई स्टार कहां है स्टार होते हैं हमारे वैक्यूम में है ना स्टार अर्थ से बहुत दूर होते हैं ठीक है और कहां होते हैं वैक्यूम में होते हैं स्टार से निकलने वाली लाइट को हम क्या कहते हैं स्टार लाइट कहते हैं और यह स्टार लाइट कहां पहुंचती है हम तक पहुंचती है हम कहां है भाई हम खड़े हैं हमारी अर्थ पे ये स्टार लाइट कहां पहुंचती है हम तक पहुंचती है हम कहां खड़े हैं अर्थ पे खड़े हैं अर्थ के पास क्या होता है अर्थ के पास होता है एक बढ़िया सा क्या एटमॉस्फेयर एक बहुत बढ़िया सा एटमॉस्फेयर होता है और इस एटमॉस्फियर में होती है बहुत सारी लेयर्स सबसे पहले ट्रोपो स्फीयर फिर स्ट्रेटोस्फीयर फिर मसोस्फीयर फिर थर्मोस्फीयर फिर एजोस्सिम फियर के पास और इन सभी एटमॉस्फेरिक लेयर्स की क्या होती है अपनी-अपनी एक डेंसिटी होती है ट्रोपो स्फीयर लेयर की डेंसिटी सबसे ज्यादा होती है और एजोस्सिम लेयर जो है उसकी डेंसिटी सबसे कम होती है यानी कि जैसे-जैसे हम क्या करेंगे अर्थ के एटमॉस्फेयर से बाहर निकलेंगे और कहां जाएंगे वैक्यूम में जाएंगे एटमॉस्फेरिक लेयर की जो डेंसिटी है जो डेंसिटी है व क्या हमको मिलेगी कम होते हुए दिखेगी ठीक अब जो स्टार से निकलने वाली जो अ स्टार लाइट है वो हम तक आती है वो कहां से आ रही है वैक्यूम से आ रही है और कहां आ रही है अर्थ पे आ रही है तो जाहिर है वो वैक्यूम से जब अर्थ पे आएगी तो अर्थ की जो एटमॉस्फेरिक लेयर्स हैं अर्थ का जो एटमॉस्फेयर है उससे ट्रेवल करते हुए आएगी है ना अब स्टार लाइट जो कि खुद कहां से आ रही थी वैक्यूम से आ रही थी उस समय क्या हो रहा था कि हमें पता है कि वैक्यूम में तो जो लाइट है वो अपनी मैक्सिमम स्पीड के साथ ट्रेवल करती है तो स्टार की भी जो लाइट होगी स्टार लाइट वो अपनी मैक्सिमम स्पीड के साथ आ रही होगी कितनी आ रही होगी भाई कितने स्पीड के साथ तो 3 * 10 टू द पावर 8 मीटर पर सेकंड स्पीड के साथ आ रही होगी है नाना अब क्या होगा जैसे ही वो अर्थ के एटमॉस्फेयर में आएगी जैसे ही क्या होगा वो अर्थ के एटमॉस्फेयर में आएगी वैक्यूम से वैक्यूम से वो कहां घुसे गी वो घुसे गी सबसे पहले एजोस्सिम की तो कोई डेंसिटी थी नहीं लेकिन एजोस्सिम लाइट कहां से आ रही है एक रेयरर से डेंसर मीडियम में आ रही है और हमें पता है कि जब एक लाइट रेयरर से डेंसर मीडियम में जाती है तो क्या होता है उसकी स्पीड कम हो जाती है जिसकी वजह से उसको शॉर्टकट लेना पड़ता है शॉर्टकट लेने की वजह से क्या होगा वो नॉर्मल के तरफ बेंड हो जाएगी ठीक तो क्या होगा जैसे ही स्टार लाइट वैक्यूम से पहुंची कहां एगोस्ता चेंज अब क्या हुआ एजोस्पिरिलम जाएंगे लेयर्स की डेंसिटी कम होती जाएगी एजोस्सिम कहां जाएगी वो जाएगी कहां थर्मोस्फीयर में ठीक है थर्मोस्फीयर लेयर की जो डेंसिटी है वो एगोस्ता है यानी कि फिर से लाइट कहां से कहां जा रही है एक रेयरर से डेंसर मीडियम में जा रही है फिर से वो नॉर्मल की तरफ बेंड हो जाएगी और इसी तरह नॉर्मल की तरफ बेंड होते होते वोह कहां पहुंचेगी अर्थ पे पहुंचेगी मीजो स्फीयर ट्रोपो स्फीयर र और स्ट्रेटोस्फीयर को पास करते हुए यानी कि जब स्टार लाइट हम तक पहुंचती है ना तो वो क्या होती है अपना काफी रास्ता बेंड करके पहुंचती है अपना रास्ता काफी बेंड करके पहुंचती है वो अपने ओरिजिनल पाथ जिस पाथ से वो आ रही होती है उस पाथ को फॉलो नहीं कर पाती क्यों क्योंकि भाई डेंसिटी चेंज हो रही है ना मीडियम चेंज हो रहा है उसका मीडियम चेंज हो रहा है रेयरर से डेंसर मीडियम में वो कंटीन्यूअसली आती जाती है तो नॉर्मल की तरफ बेंड हो होती जाएगी अपना रास्ता बेंड करते हुए हम तक पहुंचेगी अर्थ तक पहुंचेगी अब अर्थ पे कौन खड़ा है हम खड़े हैं ठीक है हमने क्या किया इन स्टार लाइट्स को हम अपनी आंखों के अंदर लेकर के गए और आंखों के बाद कहां पहुंचा दिया हमारे ब्रेन को पहुंचा दिया ब्रेन क्या करता है ब्रेन जैसे ही ऑब्जेक्ट से निकलने वाली इंसिडेंट रेज पहुंचती है उसके उस तक वो क्या करेगा उस इंफॉर्मेशन को प्रोसेस करेगा और वो कोशिश करेगा उस ऑब्जेक्ट की इमेज बनाने की इमेज कब बनती है जब दो रिफ्रैक्टेड रेज या रिफ्लेक्टेड रेज मिलती है तो ब्रेन तक कौन सी रेज पहुंच रही है भाई ब्रेन तक पहुंच रही है रिफ्रैक्टेड रेज है ना ब्रेन तक कौन सी रेज पहुंच रही है रिफ्रैक्टेड रेज पहुंच रही है तो ब्रेन क्या करेगा इन रिफ्रैक्टेड रेज को उनके ओरिजिनल पाथ के अलोंग एक्सटेंड करेगा लेकिन एक्चुअली क्या है ना ब्रेन को तो पता ही नहीं है कि जो स्टार लाइट आ रही है उस तक वो रिफ्रैक्ट हो कर के आ रही है अपना रास्ता चेंज करती आ रही है उसको क्या लगेगा कि जिस डायरेक्शन से रेज आ रही हैं वही उनका क्या है ओरिजिनल पाथ है तो ब्रेन ने क्या किया उन रिफ्रैक्टेड रेज को उनके ओरिजिनल पाथ के अलोंग कर दिया क्या एक्सटेंड कर दिया एक्सटेंड और जिस पॉइंट पे दोनों रेज मिली उस पॉइंट पे ब्रेन ने बोला कि भाई ये है स्टार हमारा क्या है स्टार ये रहा हमारा स्टार तो एक्चुअल स्टार था कहां वो यहां था लेकिन ब्रेन ने स्टार की इमेज कहां बना दी कहीं और बना दी यह कौन सा था यह ओरिजिनल स्टार था यह कौन सा बन गया भाई यह बन गया अपना अपेरेंट स्टार और इसीलिए जो हम बोलते हैं कि सन मून या स्टार्स जो हमें स्काई में देखने को मिलते हैं वो एक्चुअली ओरिजिनल सन स्टार मून नहीं होते हैं वो क्या होते हैं उनकी इमेजेस होती हैं और ये इमेज कौन बनाता है हमारा ब्रेन बनाता है एक्चुअल पोजीशन तो कुछ उनकी और ही होती है लेकिन ब्रेन उनकी इमेज कहीं और बना देता है क्यों बनाता है क्योंकि उसे नहीं पता कि उस तक जो स्टार लाइट पहुंच रही है वो अपना पाथ डेविएशन करके पहुंच रही है या चेंज करके पहुंच रही है उसे बिल्कुल भी नहीं पता उसे तो क्या समझ में आ रहा है कि अच्छा तुम यहां से आई हो यानी कि तुम्हारा ओरिजिनल पाथ क्या है वो यही वाला है उसे क्या पता है कि एटमॉस्फेयर में रिफ्रैक्ट हो गया एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट हो गया उसने क्या किया कि जो रेज आ रही थी उन रेज को उनके ओरिजिनल पाथ के अलोंग क्या कर दिया पीछे की तरफ एक्सटेंड कर दिया और जहां वो मिली वहां पर बन गई क्या स्टार की इमेज इसीलिए स्टार मून या सन हमें जो देखने को मिलता है वह ओरिजिनल नहीं होता है वो उनकी इमेजेस होती हैं यह पहला कांसेप्ट था क्या एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट का अब आ जाओ जरा कि स्टार हमें ट्विंकल करते हुए दिखाई क्यों देते हैं भाई ट्विंकल का मतलब क्या होता है ट्विंकल का मतलब होता है कि क्या आप मान यह मान के चलते हो कि स्टार के पास क्या है एक टॉर्च लाइट है और वो एक सेकंड में अपनी लाइट जो है वह ऑफ कर रहा है और दूसरे सेकंड में अपनी लाइट ऑन कर रहा है क्या वोह ऑन ऑफ ऑन ऑफ खेल रहा है हमारे साथ इसलिए तो वह हमें ट्विंकल करते हुए दिखाई दे रहे हैं बिल्कुल भी नहीं भाई स्टार के पास कोई भी इस तरह का बटन नहीं है कोई भी इस तरह का स्विच नहीं है जिसको वो ऑन ऑफ ऑन ऑफ करें और अपनी लाइट को क्या करें कभी यू नो कभी फेंके कभी नहीं फेंके लेकिन फिर भी हमें स्टार्स ट्विंकल करते हुए दिखाई देते हैं यानी कि एक सेकंड में हमें लगता है कि स्टार क्या हो रहे हैं जल रहे हैं उनसे रोशनी आ रही है और दूसरे सेकंड में ही हमको लगता है कि स्टार बुझ गए हैं उनसे रोशनी नहीं आ रही है दरअसल प्रॉब्लम क्या हो रही है ना प्रॉब्लम ये हो रही है कि स्टार जो है ना उसकी कोई गलती नहीं है स्टार तो कंटीन्यूअसली हम तक अपनी जितनी पॉसिबल हो सकती है लाइट उतनी कंटीन्यूअसली हमें देख रहा है नॉन स्टॉप दे रहा है उसके पास कोई स्विच नहीं है कोई बटन नहीं है जिसको वो ऑन करें तो आप तक लाइट पहुंचे और ऑफ करें तो आप तक लाइट ना पहुंचे वो तो कांस्टेंट इंटेंसिटी के साथ कंटीन्यूअसली हम तक जो है ना लाइट पहुंचा रहा है स्टार लाइट हम तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है लेकिन प्रॉब्लम कहां है प्रॉब्लम है उस स्टार लाइट में स्टार लाइट के अमाउंट में जो हमारी आंखों तक पहुंच रही है जिस एक सेकंड में हमें लगता है कि स्टार कैसा है ब्राइट है स्टार चमक रहा है उस समय क्या होता है कि उससे निकलने वाली जो स्टार लाइट है ना ज्यादा स्टार लाइट हमारी आंखों तक पहुंच रही है और जिस सेकंड हमें लगता है कि स्टार जो है ना जलना बंद हो गया है बुझ गया है उस समय क्या होता है कि कम से कम स्टार लाइट हमारी आंखों तक पहुंचती है जिसकी वजह से हमें लगता है कि स्टार कैसा हो अब क्या होगा यही जो स्टार का जलना और बुझना है ना यह क्यों हो रहा है क्योंकि डिफरेंस है उस स्टार की लाइट में जो हमारी आंखों तक पहुंच रही है अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों कभी स्टार की लाइट हम तक ज्यादा पहुंच रही है और क्यों कभी स्टार की लाइट हम तक कम पहुंच रही है इस चीज को ऐसे समझते हैं अभी तक हमने क्या समझा अभी तक हमने अर्थ के एटमॉस्फेरिक लेयर्स जो हैं उनके बारे में समझा था कि किस तरह से एटमॉस्फेरिक लेयर्स की डेंसिटी अ किसी लेयर की ज्यादा होती है किसी की कम होती है यानी कि अभी तक हम एटमॉस्फेरिक लेयर्स को आपस में ही कंपेयर कर रहे थे उनकी डेंसिटी के बेसिस पे अब एक काम करते हैं अब हम जो है सिर्फ और सिर्फ क्या करते हैं एक लेयर की बात करते हैं अर्थ की जो कि क्या है हमारी ट्रोपो स्फीयर ठीक है ये क्या है हमारी अर्थ है और उसके सबसे पास वाली लेयर कौन सी है ट्रोपो स्फीयर है और इसी ट्रोपो स्फीयर की अब हम बात करते हैं इस ट्रोपो स्फीयर में क्या है इस ट्रोपो स्फीयर में है बहुत सारे तरह-तरह के पार्टिकल्स हैं जैसे कि हमने बोला कि इसके पास है डस्ट पार्टिकल्स फिर इसके पास है क्या वाटर ड्रॉपलेट्स कुछ वाटर वेपर भी हैं फिर इसके बाद में इसके पास गैसेस भी है भाई हमारे एटमॉस्फेयर में सबसे एंडेंजर होती है फिर ऑक्सीजन होती है तो इस ट्रोपो स्फीयर के पास डस्ट पार्टिकल हैं वाटर ड्रॉपलेट्स हैं वाटर वेपर्स हैं गैस पार्टिकल्स हैं ठीक है स्मोक पार्टिकल्स हैं तरह-तरह के पार्टिकल्स है इस ट्रोपो स्फीयर के पास अब क्या होता है हो सकता है इस ट्रोपो स्फीयर में यह एक पर्टिकुलर लोकेशन है यहां पे गैसेस इकट्ठा हो गई है तो इस लोकेशन पे डेंसिटी क्या हो जाएगी ज्यादा हो जाएगी फिर अगर हम बात करें दूसरी लोकेशन की लोकेशन बी की इस लोकेशन पे क्या है यहां पे पार्टिकल्स दूर-दूर हैं यहां पे बहुत ज्यादा डस्ट पार्टिकल्स भी नहीं है बहुत ज्यादा वाटर ड्रॉपलेट्स भी नहीं है तो इस लोकेशन पे क्या होगा डेंसिटी हो जाएगी कम और इसी तरीके से जो पूरी हमारी ट्रोपो स्फीयर लेयर है उसमें अलग-अलग पोजीशंस पे अलग-अलग लोकेशंस पे डेंसिटी कभी ज्यादा हो रही है डेंसिटी कभी कम हो रही रही है कभी गैस पार्टिकल्स वाटर ड्रॉपलेट्स इकट्ठा हो गए हैं जिसकी वजह से उस लोकेशन की डेंसिटी बढ़ गई है और कभी वो लोग एक दूसरे से दूर-दूर है तो उस लोकेशन पे डेंसिटी हो गई है कम ठीक अब क्या हो गया अब सपोज हवा चल गई हवा चलने से क्या होगा जो अभी तक हमने डेंसिटी डिसाइड करी थी कि हां लोकेशन ए पे डेंसिटी ज्यादा है लोकेशन बी पे डेंसिटी कम है हवा चल गई पार्टिकल्स फिर क्या हुए इधर-उधर हो गए अपनी-अपनी पोजीशन उन्होने चेंज कर ली तो डेंसिटी क्या हुई फिर से चेंज हो गई यानी कि जो ट्रोपो स्फीयर लेयर है ना इसकी डेंसिटी बहुत बिल्कुल भी कांस्टेंट नहीं होती है कंटीन्यूअसली जो है ना चेंज होती जाती है तो डेंसिटी कंटीन्यूअसली चेंज हो रही है जिसके कारण क्या होता है स्टार से आने वाली जो स्टार लाइट है ना उसकी बड़ी मुसीबत हो जाती है ठीक है स्टार से आने वाली जो स्टार लाइट है उसकी बड़ी मुसीबत हो जाती है क्यों क्योंकि अगर वो पहुंची है कहां इसको अगर मैं रब करके आपको दिखाऊं ठीक है ये थी हमारी अर्थ और ये है क्या हमारा ट्रोपो स्फीयर अब क्या हुआ यहां से समझो स्टार लाइट आ रही है ठीक है स्टार लाइट यहां से आई वैक्यूम से आई अब उसको अपना मीडियम चेंज करना पड़ेगा ठीक है मीडियम चेंज हो रहा है उसका उसका पाथ चेंज होगा तो क्या होगा रेयरर से डेंसर मीडियम में आ रही है तो ये क्या हो गई नॉर्मल की तरफ बेंड हो गई सपोज नॉर्मल की तरफ ये बेंड हुई है ठीक है ऐसे नहीं ये नॉर्मल की तरफ कैसे बेंड हुई है भाई ये बेंड हुई है कुछ इस तरीके से ठीक है अब क्या हो गया अब वह ऐसी लोकेशन पे आई है ट्रोपो स्फीयर की जहां पे डेंसिटी क्या थी ज्यादा थी गैस पार्टिकल्स कैसे थे इकट्ठा थे तो वहां पे डेंसिटी ज्यादा हो गई फिर से उसे अपना पाथ चेंज करना पड़ेगा ठीक है चलो उसने कर लिया अपना पाथ चेंज अब क्या हुआ वह ऐसे लोकेशन पे पहुंची जहां पे डेंसिटी क्या हो गई थी ट्रोपो स्फीयर लेयर में कम हो गई थी फिर से उसे अपना पाथ चेंज करना पड़ेगा यह लो फिर से कर दिया इसने अपना पाथ चेंज फिर क्या होगा फिर से वो ऐसी लोकेशन प पहुंची जहां पे डेंसिटी कैसी थी ज्यादा थी फिर क्या हुआ फिर से वो ऐसी लोकेशन प पहुंची जहां पे डेंसिटी कम थी तो भाई ये जिगजैग जिगजैग करती हुई कहां पहुंचेगी स्टार लाइट हम तक पहुंचेगी ठीक है तो स्टार लाइट हम तक कैसे पहुंचती है एक जिगजैग मैनर में हम तक ट्रेवल करके पहुंचती है क्यों क्योंकि हमारी जो एटमॉस्फेरिक अ जो डेंसिटी है वो कंटीन्यूअसली चेंज हो जाती है अब इस डायग्राम को मैं मिटाती हूं फिर से एक और नया डायग्राम सपोज यहां हो आप और क्या कर रहे हो स्टार लाइट को देख रहे हो अब इस स्टार से स्टार को मैंने क्या समझा हुआ है स्टार हमको कैसा दिखता है स्काई में एक पॉइंट जैसा दिखता है पॉइंट साइज्ड दिखता है तो ये मैंने माना है क्या स्टार अब इस स्टार से आ रही है क्या सपोज तीन स्टार लाइट आ रही हैं अब एक सेकंड में क्या हुआ जितनी भी स्टार लाइट आ रही हैं चार स्टार लाइट स्टार से निकल के आंखों तक हमारी आंखों तक ये सभी की सभी स्टार लाइट हम तक पहुंच गई तो हमें स्टार कैसा दिखने लगा ब्राइट दिखने लगा अब क्या हुआ दूसरे ही सेकंड में जैसे ही ये स्टार लाइट आ रही थी ना इनके लोकेशन पे आ गए क्या इनके पाथ में आ गए क्या कुछ डेंस पार्टिकल्स डेंस लोकेशंस आ गई हवा चल गई जिसके कारण क्या हुआ यह जो पहली वाली स्टार लाइट थी ना इसको अपनी पाथ चेंज करनी पड़ी और ये जो फोर्थ वाली स्टार लाइट थी ना इसको भी अपना पाथ क्या करना पड़ा चेंज करना पड़ा तो आप देखो जरा दूसरे सेकंड में आप तक कितनी स्टार लाइट पहुंची सिर्फ दो पहले में चारों की चारों स्टार लाइट आप तक पहुंच रही थी मैक्सिमम स्टार लाइट पहुंच रही थी लेकिन दूसरे सेकंड में क्या हुआ इन स्टार लाइट के पाथ में कोई डेंस पार्टिकल्स आ गए मीडियम चेंज हो गया उनका जिसके कारण उनका पाथ चेंज हो गया तो अब दूसरे सेकंड में आप तक कितनी लाइट पहुंची सिर्फ दो ही लाइट पहुंची तो उस दूसरे सेकंड में आपको स्टाइलाइट कैसा देखा स्टार कैसा देखा काफी डिम देखा तो आपने सोचा कि एक सेकंड में तो स्टार काफी ब्राइट है और दूसरे सेकंड में स्टार काफी डिम है यानी कि एक सेकंड में आपको स्टार दिखा जलता हुआ और दूसरे सेकंड में स्टार आपको दिखा कैसा बुझा हुआ और इस बुझने को जलने को हम क्या कहते हैं ट्विंकल कहते हैं और इसीलिए स्टार हमें क्या करते हुए दिखाई देते हैं ट्विंकल ट्विंकल करते हुए दिखाई देते हैं स्टार्स की गलती नहीं होती है वो तो कंटीन्यूअसली कांस्टेंट अमाउंट की लाइट हम तक पहुंचाती है प्रॉब्लम कहां होती है है उस स्टार लाइट के अमाउंट में होती है जो हमारी आंखों तक पहुंच रही है कभी मैक्सिमम स्टार लाइट पहुंचती है तो उस समय लगता है कि स्टार कैसा है जल रहा है ब्राइट है दूसरे सेकंड में क्या होता है इन स्टार लाइट के रास्ते में कोई ना कोई पार्टिकल्स या जो भी इनका पाथ है उस उस पाथ में सपोज यू नो मीडियम चेंज हो गया कभी रेयरर मीडियम आ गया कभी डेंसर मीडियम आ गया जिसके कारण इन इन लाइट्स को अपना पाथ चेंज करना पड़ता है और तक नहीं पहुंच पाती तो दूसरे सेकंड में क्या हुआ कम स्टार लाइट पहुंची तो हमें लगा कि स्टार कैसा है डिम हो गया है जबकि वो डिम नहीं हुआ है वो तो अभी भी उतनी ही स्टार लाइट फेंक रहा था देखो ना दोनों ही केसेस में हमारे स्टार से चार स्टार लाइट निकल रही थी लेकिन पहले में हम तक पहुंची कितनी चार और दूसरे में पहुंची दो ये सब क्यों हुआ है ये पूरा नाटक हुआ है एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट के कारण हमारे एटमॉस्फेयर की जो डेंसिटी है वो काफी चेंज होती रहती है काफी नॉन यूनिफॉर्म है कंटीन्यूअसली चेंज होगी हवा चल जाएगी टेंपरेचर का भी असर होता है अगर किसी लोकेशन पे टेंपरेचर है ज्यादा तो वहां की डेंसिटी है ज्यादा कम और किसी लोकेशन पे टेंपरेचर है कम तो वहां की डेंसिटी हो गई ज्यादा तो बहुत सारे फैक्टर्स होते हैं जो कि हमारे एटमॉस्फेयर के अर्थ के एटमॉस्फेयर की डेंसिटी पे अ अफेक्ट डालते हैं अपना उसको इन्फ्लुएंस करते हैं जिसके कारण एटमॉस्फियर की डेंसिटी काफी ज्यादा नॉन यूनिफॉर्म होती है और फिर जो हमारा स्ट है उससे निकलने वाली जो स्टार लाइट है इसी डेंसिटी के कारण क्या होता है अपना पाथ टाइम टाइम पर हर सेकंड पर चेंज करती जाती है और हम तक एक इनफ क्वांटिटी में कांस्टेंट क्वांटिटी में हम तक नहीं पहुंच पाती आई होप ये चीज आपको समझ में आई होगी इसी से मिलता जुलता है क्या हमारा नेक्स्ट क्वेश्चन नेक्स्ट क्वेश्चन क्या है भाई कि स्टार्स तो ट्विंकल करते हैं लेकिन प्लेनेट हमारे ट्विंकल क्यों नहीं करते हैं प्लेनेट इसलिए ट्विंकल नहीं करते हैं बच्चों क्योंकि इस चीज को हम ऐसे समझते हैं जैसे अभी मैंने आपको बोला था कि हमारा स्टार क्या है स्टार हमको स्काई में एकदम पॉइंट के बराबर दिखता है यानी कि पॉइंट साइज दिखता है वही अगर हम बात करें प्लेनेट की तो प्लेनेट हमें थोड़ा सा बड़ा दिखता है एक्चुअली में प्लेनेट तो हमारे स्टार से कैसे होते हैं काफी छोटे होते हैं लेकिन प्लेनेट हमारे अर्थ के काफी पास होते हैं इसलिए वो हमें स्टार से कैसे दिखते हैं बड़े दिखते हैं ठीक है और इन प्लेनेट को मैं क्या कंसीडर करती हूं बहुत सारे पॉइंट्स का पॉइंट सोर्सेस का एक ग्रुप मानती हूं स्टार्स कैसे थे दूर थे इसलिए वह मुझे कैसे दिखते हैं पॉइंट साइज्ड दिखते हैं स्टार कैसे दिखते हैं पॉइंट साइज्ड दिखते हैं यानी कि जो मेरा स्टार है वह क्या है एक पॉइंट सोर्स है लाइट का लेकिन जो हमारे प्लेनेट होते हैं उनकी साइज कैसी होती है बड़ी होती है बड़ी क्यों दिख रही है हमको क्योंकि वह हमारे अर्थ के करीब होते हैं पास होते हैं तो उन प्लेनेट को मैं क्या कंसीडर करती हूं बहुत सारे पॉइंट सोर्सेस का एक ग्रुप कंसीडर करती हूं ठीक अब क्या हुआ आप खड़े हो यहां पे और इस प्लेनेट को देख रहे हो अब क्या हुआ इस प्लेनेट का जो एक पॉइंट सोर्स है उससे कितनी लाइट निकल के आ रही है सपोज पा तीन लाइट निकल के आ रही है ठीक है अब क्या हुआ फिर से एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट हो गया अगर इस प्लेनेट से निकलने वाली लाइट को हम तक पहुंचना है तो हम तक कैसे पहुंचना होगा अर्थ के एटमॉस्फेयर को क्रॉस करके पहुंचना होगा और अभी-अभी मैंने आपको बताया कि अर्थ का एटमॉस्फेयर कैसा है बहुत ज्यादा नॉन यूनिफॉर्म है कंटीन्यूअसली चेंज होता रहता है तो जैसे ही प्लेनेट के इस पॉइंट सोर्स से लाइट निकल के आएगी हम तक तो एटमॉस्फेयर जो होगा अर्थ का उसको क्रॉस करके आएगी ठीक है अब हो सकता है कि एटमॉस्फेरिक रिफ्रैक्ट के कारण ये वाली जो लाइट है ये अपना पाथ चेंज कर दे और ये वाली जो लाइट है है वो अपना पाथ चेंज कर दे और हम तक कौन सी लाइट आए हम तक सिर्फ और सिर्फ यह वाली लाइट आए अब क्या होगा लाइट तो हम तक कम पहुंच रही है तो क्या हुआ जो दूसरा वाला पॉइंट सोर्स था हमारे प्लेनेट का वहां से भी क्या होता है लाइट रेज निकल के आती हैं लाइट रेज कैसे आएंगी हम तक हम तक आएंगी एटमॉस्फेयर को क्रॉस करते हुए और जैसे ही एटमॉस्फेयर को क्रॉस करेंगी हो सकता है कि इनकी भी कुछ लाइट क्या हो जाए अपने पाथ से डेविएशन पहुंचेगी तो यह देखो इसकी जो दूसरा वाला पॉइंट सोर्स था प्लेनेट का उससे हमारी आंखों तक कितनी रेज आ गई दो रेज आ गई तो हमारी आंखों तक टोटल कितनी रेज पहुंच गई लाइट की तीन रेज पहुंच गई दो पहुंच गई ब्लू वाली और एक पहुंच गई रेड वाली इनिशियली क्या हुआ था प्लेनेट का जो एक पॉइंट सोर्स था रेड वाला उससे तीन रेड लाइट निकल के आ रही थी लेकिन तीन में से सिर्फ एक ही पहुंची उसको कंपनसेटर के लिए क्या हुआ जो दूसरा पॉइंट सोर्स था हमारे प्लेनेट का उससे क्या निकली चार रेज निकली दो डेविट हो गई और दो हमारी आंखों तक पहुंची यानी कि टोटल कितनी पहुंची हमारे पास तीन पहुंच गई ठीक है ये कहानी थी किसकी पहले सेकंड की अब क्या हुआ दूसरा सेकंड हुआ दूसरे सेकंड में क्या हुआ दूसरे सेकंड में ऐसा कुछ हुआ कि ये जो दूसरा वाला पॉइंट सोर्स था ना इसकी हम तक सिर्फ एक ही स्टार लाइट पहुंची ये जो दूसरी वाली जो स्टार लाइट थी ये भी क्या हो गई डेविएशन हो गई पाथ से हो सकता है कि जब यह हमारे एटमॉस्फेयर में आ रही होगी तो इसके रास्ते में कोई अ पार्टिकल्स आ गए होंगे इसका मीडियम चेंज हो गया होगा हो सकता है डेंसर रीजन में आ गई हो हो सकता है रेयरर मीडियम में आ गई हो जिसके कारण इसको अपना पाथ चेंज करना पड़े अब क्या हुआ जो तीसरा वाला पॉइंट सोर्स था ना मेरे प्लेनेट का उससे लाइट नि निकल के आ रही थी उससे लाइट रे निकल के आई और इसने क्या किया लाइट रे ने जो एक ब्लू वाली लाइट जो मुझ तक नहीं आ पाई दूसरे सेकंड में उसकी जगह क्या हुआ खुद आ गई अब मेरी आंखों के पास कितनी लाइट आ रही है अभी भी तीन आ रही है एक ब्लू वाली एक रेड वाली और एक ग्रीन वाली तो दूसरे सेकंड में भी क्या हुआ मुझ तक कितनी लाइट पहुंची तीन लाइट पहुंची स्टार के केस में क्या हो रहा था पहले केस में पहुंची चार लाइट दूसरे केस में पहुंच दो लाइट इसीलिए वो हमको ऐसा लग रहा था कि कभी ब्राइट लग रहे हैं कभी डिम लग रहे हैं लेकिन प्लेनेट के केस में क्या हो रहा है प्लेनेट के के पास इतने सारे लाइट के सोर्सेस हैं पॉइंट सोर्सेस हैं जिसके कारण क्या हो रहा है कि हर सेकंड अगर कोई ना अगर कोई लाइट नहीं भी पहुंच रही है हमारी आंखों तक तो दूसरा पॉइंट सोर्स क्या कर रहा है लाइट का अपनी लाइट हम तक पहुंचा दे रहा है इसीलिए हमारी आंखों पर कांस्टेंटली सेम अमाउंट की लाइ ट पहुंच रही है और इसीलिए प्लेनेट हमें ट्विंकल करते हुए नहीं दिखाई देते भाई स्टार्स ट्विंकल क्यों कर रहे थे स्टार तो कांस्टेंटली हम तक अपनी मैक्सिमम लाइट जो है ना पहुंचा रहे थे वो बिल्कुल भी स्विच ऑन या स्विच ऑफ नहीं खेल रहे थे हमारे साथ लेकिन क्या हो रहा था हमारे अर्थ के रिफ्रैक्ट के हमारी अर्थ के एटमॉस्फेयर के कारण उन स्टार लाइट का रिफ्रैक्ट हो रहा था अपने पाथ को वो चेंज करती जा रही थी और इसीलिए कभी कम लाइट पहुंच रही है कभी ज्यादा लाइट पहुंच रही है लेकिन प्लेनेट के केस में क्या हुआ पहली बात तो क्या है डिस्ट डिस्टेंस कम है प्लेनेट का हमारी अर्थ से इसलिए वो हमको बड़े दिख रहे हैं और इसीलिए प्लेनेट को हम बहुत सारे एक ग्रुप मान रहे हैं किस चीज का अ जो पॉइंट जो होते हैं जो सोर्स है पॉइंट का उसका हम एक बहुत बड़ा सा ग्रुप मान रहे हैं इसको यानी कि इस प्लेनेट के पास बहुत सारे क्या है पॉइंट सोर्सेस हैं लाइट के अब अगर पहले सेकंड में एक सोर्स से क्या आ रहा है एक पॉइंट सोर्स से तीन लाइट आ रही है और दूसरे सेकंड में केवल एक ही लाइट पहुंची उस पॉइंट सोर्स से तो क्या हुआ दूसरा वाला पॉइंट सोर्स आ गया उसको कम कंपनसेटर के लिए और दोनों ही केस में हम तक कितनी लाइट पहुंची तीन लाइट पहुंची इसीलिए प्लेनेट हमको ट्विंकल करते हुए नहीं दिखे क्यों क्योंकि पूरे पूरे समय कांस्टेंटली हम तक प्लेनेट से सेम अमाउंट की लाइट हम तक पहुंच रही है रिफ्रैक्ट होने के बावजूद ऐसा नहीं कि प्लेनेट की लाइट का रिफ्रैक्ट नहीं हो रहा है अर्थ के एटमॉस्फियर में बिल्कुल हो रहा है लेकिन प्लेनेट के पास लाइट के इतने सारे पॉइंट सोर्सेस थे कि वह क्या कर रहे हैं एक दूसरे की कमी को कंपनसेटर रहे हैं पहला पॉइंट सोर्स दूसरे पॉइंट सोर्स की कमी को कंपनसेटर रहा है दूसरा वाला तीसरे को तीसरा वाला चौथे को और इस तरह से प्लेनेट कंटीन्यूअसली हम तक अपनी रोशनी पहुंचा रहे हैं और इसीलिए प्लेनेट हमें ब्लिंक करते हुए या ट्विंकल करते हुए नहीं दिखेंगे आई होप यह चीज आपको समझ में आ गई होगी तो यह वाला सवाल भी हो गया है अपना कंप्लीट खत्म अब हम बढ़ते हैं हमारे नेक्स्ट क्वेश्चन पे नेक्स्ट क्वेश्चन क्या है व्हाई डज द स्काई अपीयर रेडिश अर्ली इन द मॉर्निंग हमको सनराइज के टाइम पे या सनसेट के टाइम पे स्काई से लेकर के सन तक सब कुछ हमेशा रेड कलर का क्यों दिखता है अब इस चीज को समझने के लिए ये चीज हमने एक्चुअली बहुत अच्छे से समझी थी ठीक है और इसी डायग्राम से हमने समझी थी जब सन राइज और सनसेट की बात होती है तो सन आता कहां है भाई सन आता है अर्थ के कहां इक्वेट्स पे ठीक है सन कहां आ जाता है अर्थ के इक्वेट्स पे आ जाता है और उस समय सन का जो डिस्टेंस है हमारे अर्थ से वो काफी ज्यादा हो जाता है किसके कंपैरिजन में तो भाई दिन के टाइम पे जब सन कहां होता है अर्थ के बिल्कुल पोल पे होता है तो उस टाइम पे सन और अर्थ का जो डिस्टेंस है वो काफी कम होता है यानी कि सनराइज और सनसेट के टाइम पे अर्थ और सन के बीच में डिस्टेंस हुआ क्या काफी ज्यादा और दिन के टाइम पर सन और अर्थ के बीच का जो डिस्टेंस है वह हो जाता है क्या काफी कम ये चीज आपको समझ में आई अब दूसरी चीज क्या है दूसरी चीज यह है कि भाई सन से क्या मिलता है हमें सनलाइट मिलती है सनलाइट क्या होती है सनलाइट होती है एक टाइप की क्या वाइट लाइट और हमें पता है कि एक वाइट लाइट किसकी बनी होती है एक वाइट लाइट बनी होती है बहुत सारे कलर्स की और जब वो स्कैटर होती है या डिस्पर्स होती है तो वो अपने सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स में स्कैटर हो जाती है या फिर स्प्लिट हो जाती है ठीक है उसी समान जो हमारी सनलाइट है वो भी क्या होगी बहुत सारे कलर्स की बनी होती है और स्कैटर क्या होती है स्कैटर अपने एक्चुअली बहुत सारे कलर्स में होती है लेकिन क्या है ना कि हमारी आंखें सिर्फ और सिर्फ जो सेवन प्राइमरी कलर्स होते हैं जो सेवन डोमिनेंट कलर्स होते हैं उन्हीं को क्या कर पाती है देख पाती है इसीलिए हमें लगता है कि जो वाइट लाइट है या जो सन लाइट है वो सिर्फ अपने सेवन प्राइमरी कलर्स में स्कैटर हो रही है जबकि ऐसा नहीं है वाइट लाइट बनी भी बहुत कल कलर्स की होती है और जब वो स्कैटर या स्प्लिट होने की बारी आती है तो वो उन्हीं कलर्स में क्या हो जाएगी स्कैटर हो जाएगी या स्प्लिट हो जाएगी लेकिन हमारी आंखें सिर्फ और सिर्फ ये सात प्राइमरी कलर्स को देख पाते हैं सेवन कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स को देख पाते हैं तो हमें लगता है कि हमारी सनलाइट किससे बनी हुई है और किसमें स्कैटर हुई है इन सेवन प्राइमरी कलर्स में कौन-कौन से होते हैं भाई वो होते हैं विब गोर वी आई बी जी वाई ओ आर यानी कि वॉयलेट इंडिग ब्लू ग्रीन येलो ग्रीन है ये ग्रीन और सॉरी विब ग्यर ये बीज वाला हटा देना ठीक है विब ग्यर येलो ऑरेंज और रेड इसको हम क्या कहते हैं यह होता है पूरा स्पेक्ट्रम वाइट लाइट का स्पेक्ट्रम ठीक है अब हमारी सनलाइट कैसी है एक वाइट लाइट है जो कि कैसे स्कैटर होगी अपने सेवन प्राइमरी या डोमिनेंट कलर्स में कॉन्स्टिट्यूशन कलर्स में स्कैटर होगी लेकिन यह स्कैटरिंग पॉसिबल कब है यह स्कैटरिंग पॉसिबल है तब जब हमारी सनलाइट किससे आ कर के टकराए स्पेशल टाइप के पार्टिकल से आ कर के टकराए जिन्हें हम क्या कहते हैं जिन्हें हम कहते हैं डल पार्टिकल कहते हैं इतना क्लियर है आप सबको अब क्या हमारे एटमॉस्फेयर में इस तरह के कोडल पार्टिकल्स प्रेजेंट हैं बिल्कुल प्रेजेंट है हमारे एटमॉस्फियर में कितने तरह के पार्टिकल्स होते हैं डस्ट पार्टिकल्स होते हैं एयर पार्टिकल्स होते हैं वाटर वेपर्स वाटर ड्रॉपलेट्स स्मोक पार्टिकल्स है ना तमाम तरह के पार्टिकल्स होते हैं और वो सारे कैसे होते हैं कोलोड पार्टिकल्स होते हैं जिसके कारण जैसे ही सन से निकलने वाली सनलाइट हमारे अर्थ के एटमॉस्फियर पे आएगी स्कैटर हो जाएगी किसमें स्कैटर हो जाएगी इस विबग्योर स्पेक्ट्रम में स्कैटर हो जाएगी अब मैंने आपको बताया था कि यह जो सेवन कलर की डिफरेंट लाइट्स निकल के आती हैं इनकी क्या होती है अपनी-अपनी वेवलेंथ होती है और अगर मैं वेवलेंथ का सीक्वेंस पूछूं तो आप बोलोगे क्या कि सबसे ज्यादा वेवलेंथ किसकी होती है रेड कलर के लाइट की होती है और सबसे कम किसकी होती है वॉयलेट कलर की जो लाइट है सबसे कम वेवलेंथ होती है इस कलर के लाइट की फिर मैंने आपको एक रिलेशन समझाया था क्या बताया था कि भाई जिस लाइट की वेवलेंथ होगी क्या ज्यादा उसकी स्कैटरिंग क्या होगी उसकी स्कैटरिंग होगी उतनी ही कम एक लाइट जिसकी वेवलेंथ बहुत ज़्यादा है उसकी स्कैटरिंग होगी कम यानी कि लाइट की स्कैटरिंग और उसकी वेवलेंथ के बीच में रिलेशन कैसा होता है इवर्स प्रोपोर्शन का होता है वेवलेंथ ज्यादा तो स्कैटरिंग कम वेवलेंथ कम तो स्कैटरिंग ज्यादा और अगर कम स्कैटरिंग है इसका मतलब क्या कि क्या मेरी लाइट वह ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल कर पाई क्या अगर आप बीच रास्ते में ही फैल जाओगे तो क्या ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल कर पाओगे नहीं कर पाओगे लाइट के साथ भी तो ऐसा ही हो रहा है इसकी वेवलेंथ पर्टिकुलर लाइट की वेवलेंथ क्या है ज्यादा है तो यह फैल थोड़ी कम रही है कम फैले गी मतलब क्या होगा डिस्टेंस ये कर लेगी ज्यादा ट्रैवल यानी कि लाइट की वेवलेंथ और उसके डिस्टेंस के बीच में होता है डायरेक्ट अ डायरेक्ट प्रोपोर्शनल का रेशियो या यानी कि अगर किसी लाइट की वेवलेंथ है ज्यादा वो डिस्टेंस ज्यादा ट्रेवल करेगी क्यों क्योंकि उसकी स्कैटरिंग कम होती है रेड लाइट ये जो आपके पास स्पेक्ट्रम आया है सन लाइट से रेड लाइट का जो वेवलेंथ है वो कैसा है काफी ज्यादा है यानी कि उसकी स्कैटरिंग क्या होगी कम होगी और वो डिस्टेंस कैसा ट्रेवल करेगी ज्यादा करेगी इसीलिए एंबुलेंस और जितने भी डेंजर साइंस वगैरह जो होते हैं वो सब रेड कलर से बने होते हैं क्यों क्योंकि रेड कलर हम तक ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल करके पहुंच जाता है इसीलिए क्योंकि उसकी स्केट क्या होती है कम होती है क्यों होती है क्योंकि उसकी वेवलेंथ ज्यादा होती है अगर हम बात करें वॉयलेट लाइट की तो सब कुछ उल्टा हो जाएगा वॉयलेट के केस में क्या होता है इसकी वेवलेंथ वॉयलेट लाइट की कैसी होती है काफी कम होती है जिसके कारण ये फैले का ज्यादा अगर ज्यादा फैल जाएगा तो क्या ये डिस्टेंस ज्यादा ट्रेवल कर पाएगा नहीं ट्रेवल कर पाएगा ठीक है अब ये जो चीज मैंने आपको बताई है ना ये हम अप्लाई कर देते हैं कहां अपने इस क्वेश्चन पे कैसे अप्लाई करेंगे सनराइज का टाइम हो रहा है सनराइज से क्या निकला है भाई सनलाइट आई है अब सनलाइट जैसे ही हमारे अर्थ के एटमॉस्फेयर पे आएगी अपने इस स्पेक्ट्रम में हो जाएगी क्या स्कैटर सबसे पहले हम बात करते हैं किसका वॉयलेट लाइट की हम बात करते हैं ठीक है अब देखो जो कि वॉयलेट लाइट की वेवलेंथ कैसी है काफी कम है तो उसकी स्कैटरिंग क्या होगी ज्यादा हो जाएगी वो ज्यादा डिस्टेंस तक ट्रेवल नहीं कर पाएगी तो हो सकता है कि मेरी जो वॉयलेट लाइट है ना वो यहां कहीं आकर के हो जाए स्कैटर तो देखो इसने डिस्टेंस तो काफी कम किया है ट्रैवल फिर इसके बाद में आई इंडिगो इंडिगो का जो वेवलेंथ है वो हमारी वॉयलेट लाइट से थोड़ी सी ज्यादा होती है लेकिन बहुत ज्यादा भी नहीं है जिसके कारण उसकी जो स्कैटरिंग है वो थोड़ी कम होगी अगर हम वॉयलेट से कंपेयर करें तो थोड़ी कम होगी लेकिन होगी तो तब भी ज्यादा ही यानी कि ये भी ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल नहीं कर पाएगी लेकिन हां वॉयलेट से थोड़ा ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल करेगी तो हो सकता है कि मेरी जो इंडिगो है वो कहीं यहां आकर के स्कैटर हो जाए लाइट फिर इसके बाद में आया कौन ब्लू ब्लू ब्लू कलर क्या करता है ब्लू कलर की वेवलेंथ वॉयलेट और इंडिगो से ज्यादा होती है तो जाहिर है इसकी जो अ यू नो स्कैटरिंग होगी वो वॉयलेट और इंडिगो से थोड़ी सी कम होगी यानी कि थोड़ा ज्यादा डिस्टेंस ट्रेवल कर लेगा तो ये देखो मेरी जो ब्लू लाइट है वो कहीं यहां पे आकर के स्कैटर हो गई ज्यादा डिस्टेंस इसने ट्रेवल किया है वॉयलेट और इंडिगो के कंपैरिजन में इसी तरह से क्या आएगी ग्रीन लाइट आएगी ग्रीन क्या करेगी ग्रीन आकर के कहीं यहां स्कैटर होगी क्यों क्योंकि इसकी वेवलेंथ ब्लू से भी ज्यादा है इसकी स्कैटरिंग कम होगी तो डिस्टेंस ज्यादा ट्रैवल करेगी फिर आया कौन फिर आया येलो येलो जो है कहीं यहां पे आके स्कैटर करेगी और ज्यादा इसने डिस्टेंस ट्रेवल कर लिया क्योंकि इसकी वेवलेंथ कैसी थी ज्यादा थी फिर आई कौन ऑरेंज लाइट ऑरेंज लाइट कहीं यहां पे आ कर के स्कैटर हो जाएगी फिर फाइनली कौन आई भाई फाइनली आई हमारी रेड लाइट तो भाई रेड लाइट का जो वेवलेंथ है वो कैसी है सबसे ज्यादा है यानी कि उसकी स्कैटरिंग क्या होगी सबसे कम होगी और वो सबसे ज्यादा डिस्टेंस ट्र कर लेगी डिस्टेंस कौन सा वाला डिस्टेंस सन और अर्थ के बीच वाला ठीक है सनराइज और सनसेट के केस में क्या होता है कि सन और अर्थ के बीच का डिस्टेंस काफी ज्यादा होता है तो इससे पहले कि रेड लाइट जो है ना मतलब जो वायलेट इंडिगो और जो ब्लू लाइट होती है वो क्योंकि इनकी वेवलेंथ काफी कम होती है यह इससे पहले कि हम तक पहुंचे सनलाइट से ये क्या हो जाती है स्कैटर हो जाती है फैल जाती हैं ज्यादा डिस्टेंस ट्रैवल नहीं कर पाती हैं और सिर्फ और सिर्फ सन की जो रेड लाइट होती है वही हम तक ज्यादा डिस्टेंस ट्रेवल करके पहुंच पाती है क्यों क्योंकि उनकी वेवलेंथ है ज्यादा स्कैटरिंग है कैसी उनकी कम ठीक है इसीलिए सनराइज और सनसेट के टाइम पे हमें चाहे स्काई हो चाहे वोह सन हो क्या दिखता है रेड कलर का ही दिखता है और अगर हम बात करें दिन के टाइम की दिन के टाइम पे हमें स्काई ब्लू कलर का क्यों दिखेगा भाई ब्लू कलर का दिखता है क्योंकि उस समय जो सन है और अर्थ के बीच का जो डिस्टेंस है वो काफी कम होता है सन से क्या आती है सनलाइट निकल के आती है ठीक है सनलाइट निकल के आई और क्या होगा स्कैटरिंग होगी सनलाइट की क्यों क्योंकि हमारे अर्थ के एटमॉस्फियर में प्रेजेंट होते हैं क्या कोलाइडर पार्टिकल्स तो सबसे पहले वॉयलेट लाइट निकल के आई वॉयलेट लाइट सपोज यहां कहीं स्कैटर हो गई फिर इसके बाद में कौन आई इंडिगो आई इंडिगो लाइट हो सकता है कहीं यहां स्कैटर हो जाए फिर आई कौन फाइनली ब्लू लाइट तो ब्लू लाइट हो गई कहां यहां स्कैटर हम कहां खड़े हैं अर्थ पे खड़े हैं हमको अर्थ से स्काई का कलर इस समय क्या दिख रहा है ब्लू कलर का दिख रहा है ऐसा नहीं है कि बाकी की ग्रीन येलो ऑरेंज रेड कलर की लाइट स्कैटर नहीं होंगी ये बिल्कुल स्कैटर होंगी लेकिन क्या है ना कि सन और अर्थ के बीच का डिस्टेंस कैसा है काफी कम है दिन के टाइम पे जिसके कारण क्या होगा कि अभी तक ग्रीन येलो और रेड लाइट ने सफिशिएंट डिस्टेंस ट्रेवल नहीं किया है कि इससे पहले वो स्कैटर हो जाए भाई स्कैटर कब होंगी वो एक पर्टिकुलर डिस्टेंस ट्रेवल करके उनकी वेवलेंथ के अकॉर्डिंग जो उन्हें डिस्टेंस ट्रैवल करना होगा उतने डिस्टेंस पर जाकर के वो क्या कर जाएंगी फैल जाएंगी लेकिन अभी तक वो डिस्टेंस आया ही नहीं है इससे पहले कि वो डिस्टेंस ट्रेवल करके स्कैटर हो जो ब्लू लाइट है वो स्कैटर हो गई और हमें अर्थ से स्काई का कलर कैसा दिखा ब्लू दिखा और हमारी आंखों के सामने नीला नीला छा गया इसी को बोलते हैं क्या कि सन हमें दिन के टाइम पर कैसा दिखता है सॉरी स्काई ब्लू कलर का दिखता है आई होप यह सवाल आपको समझ में आ गया होगा अब अगर आपको इसके आंसर का स्क्रीनशॉट चाहिए है तो आप यह ले सकते हो मैं हो जाती हूं स्क्रीन के बाहर ठीक है ऑन द काउंट ऑफ फाइव आप इसका ले लेंगे स्क्रीनशॉट सो फ 4 3 2 एंड वन आई होप आपने इसका स्क्रीनशॉट ले लिया होगा अब यह सवाल है आज के सेशन का आखिरी सवाल जहां पर हमसे पूछा जा रहा है कि क्यों एस्ट्रोनॉट्स को आउटर स्पेस में जाकर के स्काई कैसा दिखता है डार्क कलर का दिखता है भाई अभी-अभी हमने पढ़ा कि सनराइज सनसेट के टाइम पे बढ़िया सुंदर सा जो है ना रेडिश कलर का दिख रहा है सन और स्काई और दिन के टाइम पे स्काई हमें ब्लू कलर का दिखने लगता है तो एस्ट्रोनॉट्स ये शिकायत हमसे क्यों कर रहे हैं कि उन्हें जो स्काई है वो डार्क कलर का दिखता है भाई याद करो कि हमें जो सनलाइट हम तक आ रही है वो हमें डिफरेंट कलर्स की कब दिख पाती है जब उसकी स्कैटरिंग होती है सनलाइट की सनलाइट की स्कैटरिंग कब पार्टिकल्स है जब वो हमारे एटमॉस्फेयर में प्रेजेंट जो कोलाइडर पार्टिकल्स हैं उनसे जाकर के टकराए एस्ट्रोनॉट अभी कहां है एस्ट्रोनॉट है आउटर स्पेस पे क्या स्पेस में किसी भी तरह का एटमॉस्फेयर होता है बिल्कुल भी नहीं होता स्पेस तो क्या है एक वैक्यूम पोर्शन है वैक्यूम एरिया है वहां पे तो किसी भी तरह के एयर पार्टिकल्स एयर मॉलिक्यूल होते ही नहीं है तो वहां पे एटमॉस्फेयर कहां से आएगा एटमॉस्फेयर नहीं आएगा मतलब क्या वहां पे कोलोड पार्ट टिकल्स नहीं होंगे जब कोडल पार्टिकल्स है ही नहीं तो हमारी जो सनलाइट है वह जाकर के टकरा कर के किसम बिखरे गी सनलाइट कब बिखरती है जब व कोलोड पार्टिकल से जाकर के टकराती है तो भाई जब एटमॉस्फेयर में यह पार्टिकल्स है ही नहीं तो सनलाइट किससे जाकर के टकरा के बिखरे गी बिखर ही नहीं पाएगी क्योंकि टकराने के लिए बिखरने के लिए यह चाहिए होते हैं तो जब वो बिखरे गी नहीं तो फिर हमें स्काई का जो एस्ट्रोनॉट है उनको स्काई का डिफरेंट कलर रेड या ब्लू कलर कैसे दिखाई देगा द स्काई अपीयर्स डार्क इंस्टेड ऑफ़ ब्लू टू एन एस्ट्रोनॉट बिकॉज़ देयर इज़ नो एटमॉस्फेयर इन द आउटर स्पेस दैट कैन स्कैटर द सनलाइट एज द सनलाइट इज़ नॉट स्कैटर्ड नो स्कैटर्ड लाइट रीच द आइज ऑफ़ द एस्ट्रोनॉट्स एंड द स्काई अपीयर्स ब्लैक टू देम इसीलिए स्काई उनको कैसा दिखता है ब्लैक कलर का दिखता है वो हमसे कंप्लेन करते हैं धरती वालों से कि भाई तुम्हें तो जा ना बढ़िया स्काई का कलर ब्लू दिख रहा है रेड दिख रहा है सनराइज सनसेट के टाइम पे लेकिन ऊपर आओ ऊपर से तो ब्लैक दिख रहा है क्यों दिख रहा है क्योंकि वहां पे एटमॉस्फियर नहीं है हमारी गलती नहीं है एटमॉस्फेयर नहीं है इसलिए स्कैटरिंग नहीं हो रही है सनलाइट की इसीलिए हम बोलते हैं कि अ लाइट जो है स्कैटर नहीं हो रही है डिफरेंट कलर्स में अपने और स्काई डार्क कलर का दिख रहा है ठीक है आई होप ये क्वेश्चन भी आपको हो गया होगा क्लियर और इसी क्वेश्चन के साथ में हमारा आज का ये सेशन होता है कंप्लीट यानी कि हमारा जो च चैप्टर है द ह्यूमन आय एंड द कलरफुल वर्ल्ड व होता है कंप्लीट इस चैप्टर के हमने बहुत सारे थ्योरिया के साथ में हमारा ये चैप्टर होता है फिनिश आई होप आप इस चैप्टर को करेंगे एंजॉय इस सेशन को करेंगे एंजॉय अब हम मिलेंगे अपने नेक्स्ट सेशन में नेक्स्ट लेक्चर में जहां पे हम क्लास 10थ फिजिक्स का थर्ड चैप्टर स्टार्ट करने वाले हैं 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