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भारतीय भक्ति परंपरा और मानव मूल्य

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सब मैं अन आपका बहुत-बहुत स्वागत करता हूं आज के इस नई वीडियो में दोस्तों आज के इस वीडियो के अंदर हम यह हिंदी का देखने वाले हैं जो कि भारतीय भक्ति परंपरा और मानव मूल्य देखो मैं आपको सीधे-सीधे शब्दों में बता दूं बड़े साफ-साफ बता दूं कि मुझे अभी तक का सबसे कॉम्प्लिकेटेड जो सब्जेक्ट है वो यही लगा क्यों क्योंकि इसमें कुछ एक्सप्लेन नहीं करा इट जस्ट अबाउट स्टोरीज ठीक है इसमें स्टोरीज की तरह चीजें लिखी गई है जो कि आपको कहीं ना कहीं थोड़ी सी रटा माननी पड़ेंगी और रटा मानने की जरूरत नहीं है अगर आप एक बार चीजों को पढ़ लोगे और मतलब जोड़ जोड़ के लिखना स्टार्ट कर दोगे तो आप कर लोगे ठीक है कोई दिक्कत वाली बात नहीं है देखो यहां पर कुछ भी एक्सप्लेन करने लायक नहीं है ठीक है आपको इसका पीडीएफ जो है वो तो दिया गया है ठीक है इसके पूजा मतलब जो भी इस भक्ति के अंदर हमारे पास भगवान कृष्ण की सेवा और पूजा के विशेष महत्व दिया गया है यह मार्ग बिना किसी कामना के पूर्ण संपन्न और प्रेम के साथ भगवान की आराधना पर जोर देता है यहां पर कहने का मतलब यह है कि यह जो रास्ता है यहां पर बिना किसी कामना के मतलब बिना किसी लालच के बिना किसी अ मतलब मन्नत के पूरी तरीके से समर्पण करके अपना और पूरी तरीके से प्रेम के साथ भावना मतलब प्रेम प्रेम करके भगवान के साथ उनकी आराधना पर जोर देता है इस भक्ति में साधक भगवान को अपने जीवन का सर्व सव मानकर निस्वार्थ भाव से उसकी सेवा करता है कहने का मतलब यह है कि पूरी तरीके से भक्ति में जो साधक होता है कहने जो भक्त होता है ठीक है वो भगवान को पूरी तरीके से निस्वार्थ होकर कोई उसके अंदर स्वार्थी पना नहीं होता और भगवान की सेवा करता है ठीक है कबीर के राम कबीर के राम क्या कहते हैं कबीर के राम निर्गुण है और निराकार हैं ठीक है वे किसी विशेष मूर्ति या रूप में नहीं बल्कि सर्व यापी सर्वशक्तिमान के रूप में पूछने आ है यहां पर कबीर के राम कबीर अपने दो मतलब आपने कभी ना कभ सुना होगा वह राम के बारे में बात करते हैं राम के बारे में चर्चा करते हैं तो यहां पर कहने का मतलब यह है कि उनके राम एक्चुअली में है कौन ठीक है तो यहां पर बताया गया है कि उसके उनके जो राम है वह निर्गुण है और निराकार हैं उनका कोई आकार नहीं है ठीक है और उन जो भी विशेष वह किसी विशेष मूर्ति या रूप में नहीं बल्कि एक सर्वव्यापी मतलब उनका कोई रूप नहीं है उनका कोई मतलब कोई भी शरीर नहीं है ठीक है बल्कि व एक सर्वशक्तिमान के रूप में पूजनीय है ठीक है कबीर के राम धर्म जाति और सामाजिक बंधनों से परे हैं ना उनका कोई धर्म है ना कोई जाति है ना किसी सामाजिक मतलब बंधनों से बंधे हुए हैं वो ठीक है वे मानवता और सच्चे प्रेम के प्रतीक है वो बस मानवता और सच्चे प्रेम को मानते हैं कि जिसमें मानवता होगी वह उसके साथ देंगे ऐसा कहते हैं कबीर के राम ठीक है वो ऐसा मानते हैं अ महादेवी की भक्ति भावना आक महादेवी कर्नाटक की प्रसिद्ध संत थी ठीक है उनकी भक्ति शिव के प्रति थी वे रहनी भक्ति के रूप में जानी जाती थी ठीक है यहां पर एक बताया जा रहा है अक महादेवी कर्नाटका के प्रसन्न संत थी जो कि शिव जी की बहुत बड़ी भक्त थी ठीक है उन्होंने अपने काव्य में अपनी व्यक्तिगत भावनाओं और अनुभूतियों को प्रकट किया है ठीक है उनका एक काव्य है जिसमें उन्होंने अपने पर्सनल इमोशंस को डिस्क्राइब किया है ठीक है अपने सा अनुभूतियों को वहां पर प्रकट किया गया है उनके द्वारा उनकी भक्ति में आत्म समर्पण प्रेम और तड़प की अद्वित संगम मिलता है ठीक है आत्म समर्पण मतलब पूरी तरीके से भक्ति में अपने आप को जो नी लीन कर देते हैं वो यहां पर बताया जा रहा है प्रेम जो कि भक्ति में पूरे डूब चुके होते हैं तड़प तड़प क्या एक भगवान के के साथ मतलब भगवान से मिलने की भगवान को देखने की भगवान की एक झलक पाने की ठीक है तो यहां पर उसके बारे में बात की जा रही है मीराबाई के काव्य में व्यक्ति स्त्री चेतना पर प्रकाश डालिए व्यक्त सॉरी व्यक्त स्त्री चेतना पर मीराबाई के काव्य में स्त्री चेतना का विशेष स्थान है उन्होंने सामाजिक बंधनों और रूढ़ियों का विरोध कर अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त किया है उ उनके गीतों में स्त्री की स्वतंत्र आत्म सम्मान और भक्ति के सहज और सजीव चित्रण मिला मिलता है मीरा ने अपनी भक्ति के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में भी कार्य किया है यहां पर देखो मीरा भाई जो है एक काव्य लिखती हैं उसमें स्त्री चेतना के ऊपर चीजें बात चर्चा करती हैं उन्होंने बता रखा है कि उनका जो मतलब पहली बात तो उनका एक विशेष स्थान है उनके काव्य में स्त्री चेतना का ठीक है उन्होंने बताया कि जो भी सामाजिक बंधन है ठीक है रूढ़ियों है उनके इन सबका विरोध करके वह अपने प्रेम को और भक्ति को व्यक्त करती हैं अपने काव्य के अंदर उनकी गीतों में स्त्री की स्वतंत्रता आत्मसम्मान और भक्ति कि स्त्री को स्वतंत्र मतलब जो भी वो बंधनों में बंदी रहती है उसको लेकर और जो भी उसका आत्म सम्मान है उसकी सेल्फ रिस्पेक्ट है उसको लेकर यहां पर उनकी गीतों में चीजें मिलती हैं ठीक है मीरा ने अपनी भक्ति के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की दिशा कहने का मतलब यह है उन्होंने जो भक्ति की है मतलब उन्होंने जो भक्ति किया उसके माध्यम से वो एक समाज को परिवर्तन की ओर ले जाना चाहती है समाज को परिवर्तन की दिशा दिखाने में बहुत ज्यादा काम किया उन लोगों ने उन्होंने ठीक है राम भक्ति काव्य परंपरा में तुलसीदास का स्थान निर्धार कीजिए तुलसीदास राम भक्ति काव्य परंपरा के मुख्य कवि हैं ठीक है उन्हो उन्होंने रामचरित्र मानस की रचना की जिसमें भगवान राम के जीवन आदर्शों का वित विस्तृत वर्णन है तुलसीदास ने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रस्तुत किया और उनके आदर्शों का समाज में स्थापित किया उनकी काव्य रचना आज भी प्रसंगी और पूजनीय है जो हमारे पास तुलसीदास जी हैं उन्होंने एक रचना की थी जो कि रामचरित्र मानस के नाम से जानी जाती जाती है जो कि आज भी कई बार आज भी हर जगह पढ़ी जाती है इंडिया के अंदर भारत में ठीक है इसके अंदर उन्होंने राम जी के बारे में बिल्कुल डिटेल में बताया हुआ है उनके मतलब रंग रूप के बारे में हर चीज बताई हुई है उन्होंने यहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम कहा है राम को ठीक है राम जी को सॉरी राम जी को यहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम कहा है ठीक है प्रस्तुत किया है और उनके जो भी आदर्श थे उनको समाज में स्थापित करने की पूर्ण प्रयास मतलब प्रयास किया है ठीक है संत रामदेव के काव्य में अभिव्यक्त जीवन मूल्यों पर प्रकाश डालिए संत रामदेव के काव्य में सत्य अहिंसा और प्रेम जैसे जीवन मूल्य का महत्व दिया गया है ठीक है सत्य और अहिंसा हिंसा ना करें प्रेम करें लोगों से सत्य बोले हमेशा ऐसे ऐसे कुछ जीवन मूल्य है जिनका महत्व बताया गया है संत रामदेव के काव्य में उन्होंने अपने गीतों में मानवता करुणा और समता का संदेश दिया है उनके काव्य में सामाजिक और धार्मिक सुधारों का आहान हैं वे व्यक्ति के माध्यम से जीवन को उच्चतम आदर्शों पर प्रेरित करते हैं देखो इसमें मोस्टली जो संत है मोस्टली जो जो भी महापुरुष थे जिनके बारे में बताया गया है जो भी काव्य थे उन्होंने क्या किया समाज को एक अच्छा समाज मतलब समाज को एक परिवर्तन की रू दिशा में ले जाने की कोशिश की है समाज को एक बेहतर रुक देने का कोशिश किया है ठीक है तो इससे चीज से आप कॉमन कॉमन पॉइंट ढूंढ के बना के लिख सकते हो भक्तिकालीन वल्लभ संप्रदाय में प्रचलित भक्ति के स्वरूप पर प्रति पर प्रकाश डालिए वल्लभ संप्रदाय से प्रचित भक्ति को पुष्टि मार्ग कहा जाता है ठीक है इसमें भगवान कृष्ण की आराधना और सेवा मुख्य है या भक्ति बिना स्वार्थ की या फल की कामना की जाती है जैसा कि हमने ऊपर पढ़ा सबसे ऊपर पहला पॉइंट ही था ठीक है तो यहां पर जो वल्लभ संप्रदाय में प्रचलित जो भक्ति है उसे हम पुष्टि मार्ग कहते हैं ठीक है जिसमें भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है बिना किसी कामना के बिना किसी स्वार्थ के ठीक है पूरी तरीके से लीन हो जा जाता उनके भक्त में भक्ति में वल्लभाचार्य ने इस मार्ग को स्थापित किया और इसे प्रेम संपन्न संपन्न और सेवा पर आधारित किया इसमें क्या होता है बस आप प्रेम में डूबे रहिए पूरी तरीके से अपने आप को समर्पण कीजिए और बिना किसी स्वार्थ के बस सेवा करते रहिए भगवान की सूफी काव्य धारा का विशेष उल्लेख कीजिए सूफी काव्य धारा में प्रेम समर्पण आध्यात्मिक एकता का महत्व है सूफी काव्यों ने अपने काव्य में भगवान से मिलने की तड़प और प्रेम का वर्णन किया है यह काव्य धारा भेदभाव जा जाति पाति और धर्म से कटता से परे है देखो मैंने कहा ना यहां पर जितने भी काव्य मिलेंगे आपको ये सारी चीजें एक अच्छी दिशा में ले जा रहे हैं समाज को यहां पर वो भेदभाव यहां पे जान जाति पाति ठीक है यहां पे धार्मिक कटता से परे हैं मतलब इन चीजों से हटकर है वो एक सत्य को प्रेम को भक्ति को महत्व दे रहे हैं ठीक है इसमें प्रेम और भक्ति के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग बताया गया है ठीक है तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित्र मानस के साहित्यिक सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालिए तुलसीदास कारा रामचरित्र मानस हिंदी साहित्य का महान रचना है जैसा कि आप सबको पता है बहुत ही महान रचना है मैं तो कहूंगा ठीक है इसमें भगवान राम जी को यहां पे भगवान राम जी को राम जी के जीवन और आदर्शों का विस्तृत वर्णन किया गया है साहित्यिक दृष्टि से यह कृति अत्यंत समृद्ध और सजीव है सांस्कृतिक दृष्टि से यह भारतीय समाज को नैतिकता आदर्श सामाजिक स समस समस्ता की शिक्षा देती है यह कृति धार्मिक और अ सांस्कृतिक चेतना का महत्त्वपूर्ण स्रोत है यहां पर कहने का मतलब यह है अगर आपके सामने क्वेश्चन आता है तो आपको यहां पर बताना है कि तुलसीदास जी ने रामचरित्र मानस में हमारे राम जी के बारे में क्या-क्या चीजें लिखी थी क्या-क्या महत्व थे क्या-क्या साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व थे ठीक है तो यहां पर आप अगर आपको नहीं पता जदा चीजें थ तो आप लिख सकते हो जो भी आप जानते हो उस चीज के बारे में कि रामचरित मानस जो है वह एक बहुत ही महान रचना है उनकी तुलसीदास जी के द्वारा लिख करी गई है ठीक है धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में नानक वाणी में व्यक्त जीवन आदर्शों पर विचार कीजिए गुरु नानक देव की वाणी में सत्य करुणा और क्षमता का महत्व है उन्होंने धार्मिक आडंबर का विरोध किया है सच्ची भक्ति को महत्व किया है उनकी वाणी में ईश्वर की सर्व व्यापकता और मानवता की एकता का संदेश है उन्होंने सामाजिक समानता और सेवा के आदर्शों को स्थापित किया गुरु नानक जो देव थे हमारे ठीक है उन्होंने जो अपने काव्य में मतलब अपने हां काव्य हां उसमें उन्होंने बताया है उन्होंने सत्य की बात की है उन्होंने करुणा की बात की है दया भाव की बात की है उन्होंने समता का भाव महत्व बताया है ठीक है उन्होंने धार्मिक आडंबर का विरोध किया है मतलब जो धार्मिक अटता होती है उसका विरोध किया और सच्ची भक्ति को महत्व दिया कि जो लोग धर्म को लेकर धर्म के मतलब धर्म को दिखाते तो है कि हम उस धर्म के हैं हम उस धर्म के फॉलो करते हैं बट एक सच्ची भक्ति वहां पर देखने को नहीं मिलती तो इस बारे में हमारे पास गुरु नानक देव जी ने हमें बताया है ठीक है उनकी वाणी में ईश्वर का सर्व व्यापकता और मानवता का भावना दिखता है ठीक है जिनको नहीं पता गुरु नानक देव जी के बारे में वो एक बार ग पर जाकर सर्च कर ले वैसे पता होना चाहिए आपको कबीर वाणी में व्यक्त नैतिक नैतिक बोध के अंतर्गत मानव मूल्य पर प्रकाश डालिए कबीर की वाणी में सत्य अहिंसा प्रेम जैसे मानव देखो मैंने कह दिया ना आपके पास कि बहुत सारे मोस्टली जो चीजें हैं वो हमरे पास इन्हीं चीजों से रिलेटेड है सत्य करुणा नैतिकता आदर्श से मिलते हैं ठीक है सांस्कृतिक एकता का अभिप्रेत एकता का अर्थ है कि विभिन्न संस्कृतियों के बीच सामा समां जस्य और सहयोग यहां कहने का मतलब ये है कई लोगों की अलग-अलग संस्कृति है उनके बीच एक सामंजस मतलब व एक समाज में अच्छी तरीके से रह सके मिलजुलकर यह होती है हमारे पास सांस्कृतिक एकता का अभिप्रा और परंपरा के बीच एकता और समझदारी का बढ़ाव देता है ताकि वह अलग-अलग धर्म के लोग अलग-अलग जाति के लोग अलग-अलग परंपराओं के लोग एक साथ मिल सके एक साथ एक समाज में अच्छी तरीके से रह सके उनके बीच में एकता प्रकट हो सके एक सांस्कृतिक एकता समाज ठीक है भक्ति के प्रकार भक्ति के मुख्य प्रकार है सगुण भक्ति और निर्गुण भक्ति सगुण भक्ति में ईश्वर को मूर्ति या किसी विशेष रूप में पूजा जाता है सगुण भक्ति क्या होता है इसमें जो ईश्वर होते हैं उनको एक विशेष किसी मूर्ति के रूप में पूजा जाता है किसी फोटो के रूप में पूजा जाता है ठीक है जो जबकि जो निर्गुण भक्ति होती है उसमें जो ईश्वर होते हैं वो निराकार होते हैं उसमें बस एक मतलब महसूस किया जाता है ईश्वर को और सर्वव्यापी मानकर पूजा की जाती है इसके अलावा भक्ति प्रेम ज्ञान भक्ति इन सबको अन्य प्रकार भी होते हैं ये अलग-अलग प्रकार है हमारे पास भक्ति के लेकिन जो मेन है वह सर्व सगुण और निर्गुण ठीक है रिदास काव्य में जीवन मूल्य जीवन मूल्य का विशेष स्थान है उन्होंने अपने मानवता समता प्रेम फिर वही आ गई चीजें ठीक है संप्रदाय सैव संप्रदाय शक्ति संप्रदाय यह थोड़ा देख लेना सवा ठीक है अक्का महादेवी की काव्य में स्त्री चेतना का पर प्रकाश डालिए पहले डाल चुके हैं तुलसीदास के काव्य में लोक मंगल की भावना पर विचार कीजिए लोक मंगल की भावना प्रमुख उनके काव्य में चेतना नैतिक और धार्मिक आदर्शों पर प्रकाश प्रकाश से प्रचार किया है तुलसीदास ने भगवान राम के चरित्र आदर्शों को स्थापित मतलब जो आपको अलग दिखे उसे आप रीड कर सकते हो ठीक है जैसे अगर मैं आपको बता दूं 21 वा नंबर ठीक है वैसे तो आपको सारे रीड कर लेने हैं आपको मतलब ज्यादा टाइम नहीं जाएगा भक्ति आंदोलन का प्रसार एवियन विकास की चर्चा करते हुए इसकी अखिल भारतीय स्वरूप को दर्शन दे भक्ति आंदोलन का प्रसार मध्यकाल में हुआ ठीक है और यह अखिल भारतीय स्वरूप में विकसित हुआ यह आंदोलन विभिन्न क्षेत्रों में सतो संतों द्वारा प्रचित प्रचारित हुआ संत कबीर मीराबाई गुरु नानक देव और तुकाराम जैसे संतों ने भक्ति का प्रचार किया इस आंदोलन में सामाजिक और धार्मिक सुधारों को आहान किया और जाति पाति का भेदभाव पर विरोध किया तो देखो मेन जो यहां पर मोटो है ना इस चीज का जो भी क्वेश्चंस है जो भी आंसर्स है जो भी चीजें यहां पर दी गई है उनका मोटो यही है कि समाज को एक अच्छी तरीके अच्छे मतलब सुधारा जा सके एक अच्छी दिशाओं में ले जा सके ठीक है तो मैं आपसे भी यही कहूंगा कि समाज को अच्छी दिशाओं में लेने ले जाने की पूरी कोशिश करें आज और फ्यूचर में भविष्य में क्योंकि इंडिया को एक टॉप लीडर कंट्री बनाना है टॉप कंट्री बनाना है पूरे विश्व में तो हमें ही आगे स्टैंड लेना पड़ेगा ठीक है तो आज के इस वीडियो के लिए इतना ही