व्हाट्स अप एवरीवन वेलकम बैक टू द चैनल हम लोग आ चुके हैं हमारे डे सेवन ऑफ 100 डेज कॉमर्स मास्टर क्लास सीरीज जिसके अंदर हम लोग 100 डेज में पूरा ही सिलेबस कंप्लीट करेंगे आज डे सेवन पे हम लोग बिजनेस स्टडीज का चैप्टर नंबर वन शुरू करने जा रहे हैं छह दिन ऑलरेडी हो चुके हैं जिसमें हमने अकाउंटेंसी और इकोनॉमिक्स को पढ़ा है और अभी हमारा बीएसटी की बारी आ गई है आज और कल में यानी कि डे सेवन और डे एट पे हम लोग फर्स्ट चैप्टर ऑफ आवर बिजनेस स्टडीज क कंप्लीट करेंगे आप लोगों को बस इतना ध्यान रखना है कि डेली की क्लासेस डेली करनी है एनसीईआरटी रीडिंग जरूर करनी है बिजनेस स्टडीज में और हेडिंग्स की लर्निंग और अंडरस्टैंडिंग साथ-साथ बना के चलनी है फिर देखो कैसे 100 में से 100 पूरे बिजनेस स्टडीज में आते हैं तो चलिए जल्दी से शुरू करते हैं और इन चीजों को आगे बढ़ाते हैं लेट्स बिगन [संगीत] [संगीत] तो स्टार्ट करते हैं हम लोग चैप्टर नंबर वन के साथ देखो हमारी जो बिजनेस स्टडीज का सिलेबस है वो 12 चैप्टर्स में डिवाइडेड है पहली बुक में आठ चैप्टर्स हैं सेकंड पार्ट में चार चैप्टर्स हैं और जो एट चैप्टर्स हैं वो 50 मार्क्स के हैं तो पहले हम उन एट को अच्छे से कवर करते हैं 50 मार्क्स पक्के करते हैं फिर अगले 30 की तरफ चलेंगे सबसे पहला चैप्टर आ रहा है नेचर एंड सिग्निफिकेंट ऑफ मैनेजमेंट यह जो पूरी बुक है इट इज ऑल अबाउट मैनेजमेंट इसके अंदर मैनेजमेंट पे फर्स्ट चैप्टर है दूसरा प्रिंसिपल्स ऑफ मैनेजमेंट है उसके बाद मैनेजमेंट के पांच फंक्शंस हैं बिज़नेस एनवायरमेंट है तो पूरा का पूरा ओवरऑल यह जो बुक है यह आपका मैनेजमेंट पे बेस्ड है अब सर मैनेजमेंट होता क्या है क्या मैनेजमेंट है देखो मैनेजमेंट किसको बोलते हैं मैनेजमेंट एक पूरा प्रोसेस है जिसमें आप ऑर्गेनाइजेशन में जो भी गोल सेट कर रहे हो वो आप अचीव कर पा रहे हो फ्लूएंटली बिना किसी प्रॉब्लम के कम से कम रिसोर्सेस को यूज करके ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट बना पाओगे कम से कम इनपुट में मैक्सिमम आउटपुट मिलेगा कोई भी चीज रिपीट नहीं होगी किसी भी चीज में जरूरत से ज्यादा समय नहीं लगेगा जब सब कुछ बहुत अच्छा हो रहा होता है एज पर प्लान हो रहा होता है तब हम बोलते हैं कि हां यार इस इंडिविजुअल कंपनी का मैनेजमेंट बहुत बढ़िया है तो मैनेजमेंट बेसिकली है क्या मैनेजमेंट एक ऐसा प्रोसेस है जो आपको हेल्प करता है अपने गोल्स को अचीव करने में कम से कम खर्च बचे में और बेहतर से बेहतर टाइम में यह मैनेजमेंट होता है अब आप जब अच्छे से प्लान करके पढ़ाई करते हो यह 100 डेज सीरीज आप फॉलो करोगे फिर रिवीजन के लिए हम जीएन जीी लेके आएंगे जो कि वैसे ही बहुत शानदार सीरीज होता है तो उसको जब आप फॉलो करोगे तो जब आपका अच्छे से मार्क्स आएंगे तो आप बोलोगे ना हां यार पूरे साल मैनेजमेंट बहुत अच्छा रहा किसी के आप घर में जाते हो तो देखते हो यार सब कुछ वेल ऑर्गेनाइज्ड है सब कुछ बहुत अच्छे से रखा है तो हम बोलते हैं क्या मैनेजमेंट है तो मैनेजमेंट तो सब जगह आपको देखने को मिलता है कोई स्कूल हो कॉलेज हो छोटा सा ऑर्गेनाइजेशन हो बड़ा ऑर्गेनाइजेशन हो सबको चाहिए भाई मैनेजमेंट तो मैनेजमेंट का पर्पस क्या है आपके गोल्स को अचीव करना आपका टाइम सेव करना कम से कम खर्चे में काम कराना दिस इज ऑल अबाउट मैनेजमेंट राइट आओ सबसे पहले सर मैनेजमेंट है क्या इट इज द प्रोसेस ऑफ गेटिंग थिंग्स डन काम हो जाए विद द एम ऑफ अचीविया इफेक्टिवली एज वेल एज एफिशिएंटली अब इसको प्रोसेस क्यों बोलते हैं बच्चों प्रोसेस इसलिए बोलते हैं क्योंकि इसके अंदर आपको कॉमनली पांच फंक्शंस फॉलो करने पड़ते हैं एक के बाद एक सबसे पहला प्लानिंग होता है प्लानिंग क्या होता है एडवांस में डिसाइड करना क्या आप अचीव करना चाहते हो कैसे करोगे कोई भी गोल हो सबसे पहले तो प्लान होगा ना उसके बारे में पी फिर ऑर्गेनाइजिंग होती है ऑर्गेनाइजिंग का मतलब आप अलग-अलग डिपार्टमेंट्स बनाते हो काम को डिवाइड करते हो जैसे मैंने 100 डेज में काम को डिवाइड करा हुआ है तो मैंने क्या करा है ऑर्गेनाइजिंग करा है है ना देन वी हैव स्टाफिंग पी हो गया ओ हो गया प्लानिंग ऑर्गेनाइजिंग स्टाफिंग क्या होता है फिर अब जो काम बांटा है उसको करने के लिए लोग भी चाहिए अच्छे तो उनकी हायरिंग करना उनके पे डिसाइड करना कैसे ऑर्गेनाइजेशन चलेगा तो यह स्टाफिंग में आ जाता है ये स्टाफ से रिलेटेड है तो प्लानिंग ऑर्गेनाइजिंग स्टाफिंग देन वी हैव डायरेक्टिंग डायरेक्टिंग का मतलब जो स्टाफ आया है उसकी ट्रेनिंग करना उसको गाइड करना चेक करना कि वो ठीक से कर रहा है या नहीं कर रहा है काम आप सिर्फ स्टाफ लगा के तो छोड़ नहीं सकते सिखाना भी पड़ेगा चेक भी करना पड़ेगा डायरेक्टिंग लास्ट होता है कंट्रोलिंग कंट्रोलिंग क्या होता है बच्चे कंट्रोलिंग होता है ओवरऑल रिव्यू लेना कि जो प्लान किया था जो प्लानिंग करी थी उसके हिसाब से काम हुआ भी है या नहीं हुआ है नहीं हुआ है तो ठीक करते हैं जो गलती है उसको सुधारते हैं ये कंट्रोलिंग है तो पांच फंक्शंस होते हैं जिसको साइमल नियस एक के बाद एक फॉलो करना है पहले प्लानिंग फिर ऑर्गेनाइजिंग फिर स्टाफिंग फिर डायरेक्टिंग फिर कंट्रोलिंग इन पांच फंक्शंस पे ही बच्चों पांच चैप्टर्स हैं चैप्टर नंबर 4 5 6 78 बहुत डिटेल में पढ़ेंगे क्लियर हो जाएगा प्रोसेस क्यों बोलते हैं समझ में आया मैनेजमेंट इज अ प्रोसेस गोल अचीव करने का इफेक्टिवली एंड एफिशिएंटली इसको हम अभी देखते हैं अब देखो प्रोसेस क्यों बोलते हैं बिकॉज प्राइमरी फंक्शंस दैट मैनेजमेंट परफॉर्म टू गेट थिंग्स डन मैनेजमेंट इज डिस्क्राइब्ड एज द प्रोसेस ऑफ प्लानिंग ऑर्गेनाइजिंग डायरेक्टिंग कंट्रोलिंग द एफर्ट्स ऑफ ऑर्गेनाइजेशन मेंबर्स उसके बाद आता है बच्चों इफेक्टिव किसको बोलते हैं देखो इफेक्टिव में शब्द यूज हुआ है टी टी स्टैंड्स फॉर टाइम याद रखना इफेक्टिव का मतलब है सही समय पे काम करना है ना सही टाइम पे काम पूरा करना इफेक्टिव बीइंग इफेक्टिव और डूइंग द वर्क इफेक्टिवली बेसिकली मींस फिनिशिंग द गिवन टास्क इफेक्टिव इज कंसर्न विद सही काम करना कंप्लीट करना एक्टिविटीज को और गोल्स को अचीव करना सही समय पे ठीक हो गया ये इट इज कंसर्न विद एंड रिजल्ट्स तो यह हमारा इफेक्टिव होता है देन वी हैव एफिशिएंसी यहां पे वर्ड यूज़ होता है सी वहां पे टी था तो टाइम सी स्टैंड्स फॉर कॉस्ट कम से कम खर्चे में काम होना पैसा कम से कम लगना चाहिए मैं कोई भी काम करूं मेरे पास रिसोर्स लिमिटेड है पैसा लिमिटेड है बट मैं अचीव करना चाहता हूं अनलिमिटेड चीजें तो कम से कम खर्चे में ज्यादा से ज्यादा बेनिफिट हो जाए ये एफिशिएंसी बोलता है इट इज नॉट इनफ टू जस्ट कंप्लीट द टास्क देयर इज अनदर एस्पेक्ट दैट इज बीइंग एफिशिएंट और डूइंग द वर्क एफिशिएंटली इट मींस डूइंग द टास्क करेक्टली एंड विद मिनिमम कॉस्ट इसका ध्यान रखना ठीक है चलो सर इफेक्टिव और एफिशिएंसी पे कई बार डिफरेंस पूछ लेता है तो यहां पे आपको मैंने बहुत अच्छे से प्रेसा इज वे में सारी चीजें लिख दी है देखो मेन चीजें जो है मैं यहां पर अंडरलाइन भी करके दे रहा हूं आपको इफेक्टिव और एफिशिएंसी आर द टू साइड्स ऑफ द सेम कॉइन एक साथ चलते हैं ये कभी भी अलग-अलग नहीं होंगे उसके बाद कई बार मैनेजमेंट को एफिशिएंसी के साथ कॉम्प्रोमाइज करना पड़ता है क्योंकि समय पे काम पूरा करना ज्यादा इंपॉर्टेंट है खर्चा थोड़ा ज्यादा भी आ गया तो चलेगा तो कई बार एग्जाम में पूछता है क्या आप किसी एक को कज कर सकते हो तो हम बोलेंगे हां अगर बहुत ही ज्यादा ऐसी सिचुएशन आ जाए तो टाइम को पहली प्रायोरिटी देंगे कॉस्ट तो बाद में भी कवर हो सकती है ठीक है उसके बाद देखो क्या लिखा हुआ है एट टाइम्स बिजनेस में कंसंट्रेट मोर ऑन प्रोड्यूस गुड्स विद फ्यूअर रिसोर्सेस यानी कॉस्ट कम करना बट नॉट अचीविया किसको दी जाएगी इफेक्टिव को दूसरी प्रायोरिटी किसे दी जाएगी एफिशिएंसी को ठीक है परफेक्ट है ये यहां पे लिखा हुआ है चलो सर ये भी डन हो गया अब आ रहा है फीचर्स ऑफ मैनेजमेंट जल्दी से इसका स्क्रीनशॉट ले लो ये जो मैनेजमेंट आपको मैंने समझाया है इसके क्या-क्या फीचर्स हैं इसके अंदर क्या-क्या क्वालिटीज देखने को मिलती है बेसिकली वो सब हम आगे पढ़ने वाले हैं वन बाय वन पढ़ते हैं सबसे पहले लिखा हुआ है मैनेजमेंट इज ऑलवेज अ गोल ओरिएंटेड प्रोसेस गोल ओरिएंटेड का क्या मतलब होता है बेटा कि मैनेजमेंट हमेशा एक गोल के टुवर्ड्स फोकस्ड होगा एंड ऑर्गेनाइजेशन हैज सेट अ गोल्स व्हिच आर द बेसिक रीजन फॉर एसिस्टेंसिया वो होता है दीज शुड बी सिंपल सिंपल होने चाहिए क्लीयरली स्टेटेड होने चाहिए हर ऑर्गेनाइजेशन का अलग-अलग गोल्स हो सकता है किसी का 20 पर रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट कमाना किसी का सेल्स बढ़ाना तो मैनेजमेंट हमेशा फोकस करता है कि ये गोल्स अचीव हो जाए तो मैनेजमेंट गोल्स को अचीव करने में हेल्प करता है दैट इज व्हाई इट इज टर्म्ड एज अ गोल ओरिएंटेड प्रोसेस दूसरा क्या लिखा हुआ है मैंने इज परवेसिव परवेसिव का मतलब सब जगह है इट इज एवरी वेयर इट इज यूनिवर्सल मैनेजरियल एक्टिविटीज आर परफॉर्म इन ऑल द टाइप्स ऑफ ऑर्गेनाइजेशन ऑल द डिपार्टमेंट्स ऑल द लेवल्स हर डिपार्टमेंट में हर तरीके की ऑर्गेनाइजेशन में हर जगह छोटी बड़ी स्कूल कॉलेज क्लब हॉस्पिटल जिम कुछ भी हो आपका घर सबको मैनेजमेंट चाहिए इसलिए हम बोलते हैं मैनेजमेंट इज परवेसिव ठीक है अगला क्या आता है मैनेजमेंट इज मल्टी डायमेंशन मैनेजमेंट इज मल्टी डाइमेंशनल में हम बोलते हैं बच्चों मैनेजमेंट के तीन डायमेंशन है कौन-कौन से डायमेंशन है सर देखो सबसे पहले आपको क्या मैनेज करना होता है आपको सबसे पहले मैनेज करना होता है कि काम क्या है मैं सबसे पहले प्लानिंग करूंगा रिगार्डिंग माय वर्क ठीक है मैं बोलूंगा यार चलो 100 डेज का प्लान करना है 100 दिन के अंदर मैंने एक पेपर पे लिखा मैंने चीजें प्लान करी उसमें मुझे रिलाइज हुआ कि 19095 डेज लग रहे हैं मैंने कहा बच्चों को 1995 नहीं बोलूंगा 100 डेज बोलूंगा कि अगर एक आधा आगे पीछे हुआ तो 100 दिन में तो हो ही जाएगा है ना तो मैंने क्या करा है बेसिकली यहां पे अपने काम को मैनेज करने की कोशिश करी है मैनेजमेंट ऑफ वर्क फिर मुझे लगा यार अब मुझे ये सब करने के लिए कितने लोगों की जरूरत है मुझे चाहिए सर एक इंडिविजुअल जो मेरे लिए शानदार पीपीटी बना दे एक इंडिविजुअल जो मेरे लिए थंबनेल्स क्रिएट कर दे एक इंडिविजुअल जो मुझे हेल्प कर दे इंपोर्टेंट क्वेश्चंस निकालने में एक इंडिविजुअल जो मुझे हेल्प कर दे वीडियो एडिट में ऑडियो क्लेरिटी में उसके साथ-साथ थोड़े-थोड़े सबटाइटल्स में तो इसके साथ-साथ मैं क्या कर रहा हूं लोगों को मैनेज करने की की कोशिश कर रहा हूं तो मैं यहां पे कर रहा हूं मैनेजमेंट ऑफ पीपल तो पहले मैंने अपना काम प्लान कर लिया मैनेजमेंट ऑफ वर्क फिर मैंने लोगों के बारे में सोच लिया मैनेजमेंट ऑफ पीपल अब जब ये 100 डेज सीरीज चल रही है अब हम सेवंथ डे पे आ गए हैं तो वो सब मिलजुल के काम कर रहे हैं ऑपरेशन स्टार्ट हो गए हैं ऑपरेशंस का मतलब एक्चुअल में हम काम करना शुरू कर चुके हैं अब इन सबको एक साथ लेके मैनेज करना कि सबको टाइमली बताना कि भैया यह काम है कल यह जाएगा इस चीज की रेडी रखो चीजें ऐसे-ऐसे पीपीटी बनाओ तो अब ऑपरेशंस पे ध्यान दे रहा हूं मैं दिस इज़ मैनेजमेंट ऑफ ऑपरेशंस तो अगर वर्क और पीपल को साइमल नियस जोड़ के एक साथ लेके चलूं अब तो ऑपरेशंस हो जाता है तो तीन डायमेंशन हो गए मैनेजमेंट ऑफ वर्क ठीक है फिर मैनेजमेंट ऑफ पीपल फिर मैनेजमेंट ऑफ ऑपरेशंस देखो वर्क में क्या लिखेंगे ऑल ऑर्गेनाइजेशन एजिस्ट फॉर परफॉर्मेंस ऑफ सम वर्क फैक्ट्री में प्रोडक्ट मैन्युफैक्चर हो रहा है गारमेंट स्टोर में कस्टमर नीड सेटिस्फाई हो रही है हॉस्पिटल में पेशेंट को ट्रीट किया जा रहा है तो सबसे पहले मैनेजमेंट फोकस करता है कि जो भी काम किसी ऑर्गेनाइजेशन का है अच्छे से हो पीपल में हम क्या करते हैं ह्यूमन रिसोर्स लोगों की जरूरत होती है ऑर्गेनाइजेशन में तो टेक्नोलॉजी के साथ-साथ भी अच्छे लोग भी होना इंपॉर्टेंट है तो मैनेजमेंट ऑफ पीपल इज आल्सो इंपोर्टेंट फिर मैनेजमेंट ऑफ ऑपरेशंस में क्या होता है बेटा जब एक्चुअल में ऑपरेशंस हो रहे हैं सर्वाइवल के लिए प्रॉफिट मेकिंग के लिए ग्रोथ के लिए मुझे अच्छे से काम करवाना है उसको बोलते हैं मैनेजमेंट ऑफ ऑपरेशंस तो तीन फीचर जल्दी से बताओ गोल ओरिएंटेड परवेसिव एंड मल्टीडाइमेंशनल मल्टीडाइमेंशनल में मैनेजमेंट ऑफ वर्क पीपल ऑपरेशंस परफेक्ट हो गया चलो सर चौथा क्या आता है मैनेजमेंट इज अ कंटीन्यूअस प्रोसेस सर कंटीन्यूअस से क्या समझे कंटीन्यूअस से ये समझो कि मैनेजमेंट कभी रुकता नहीं है चलता रहेगा चलता रहेगा चलता रहेगा पहले मैं पिछले साल का सारे सारी सीरीज बना रहा था आप 11थ में थे आपको 11थ में पढ़ा रहा था अभी आप 12थ में आ गए आपके लिए 12थ का प्लान करना शुरू कर दिया जो नए बच्चे 11थ में आए हैं उनके लिए 11थ का प्लान करना शुरू कर दिया कि और क्या बेहतर हो सकता है इस साल कितनी अच्छी स्लाइड्स हो सकती हैं कितनी अच्छी सीरीज बन सकती हैं अब 12थ के लिए मैंने लास्ट ईयर तो 100 डेज सीरीज नहीं बनाई थी थी सिर्फ रिवीजन सीरीज बनाई थी द जीएनजी सीरीज वही इतनी बड़ी सीरीज बनके निकली मजा आ गया मुझे तो मुझे लगा यार 100 डे सीरीज तो बनानी चाहिए बच्चों के लिए मजा आ जाएगा इसके अंदर तो कुछ नया लेके आया मैं इस बार तो चलता रहता है अगले साल शायद कुछ और नया लेके आऊं तो क्या बोलूंगा मैं मैनेजमेंट इज अ कंटीन्यूअस प्रोसेस कभी रुकेगा नहीं चलता रहेगा चलते रहेगा चलता रहेगा ठीक है नेक्स्ट आता है मैनेजमेंट इज अ ग्रुप एक्टिविटी मैनेजमेंट इज अ ग्रुप एक्टिविटी का क्या मतलब है देखो एक ऑर्गेनाइजेशन में जब हम काम करते हैं जब आप अपने ही बिजनेसेस देखते हो तो पूरा ग्रुप काम कर रहा होता है एक ओनर होगा एक हेल्पर होगा साथ में बहुत सारे लोग जुड़े होते हैं है ना चाहे वो मेरा सप्लायर हो चाहे वो मेरा बैंकर हो कोई भी हो बहुत सारे लोग मिलजुल के काम करते हैं तो मैनेजमेंट कभी भी एक इंडिविजुअल इंसान से नहीं होता पूरे ग्रुप का एक्टिविटी है तो हम क्या बोलते हैं मैनेजमेंट कंसिस्ट ऑफ सेवरल पीपल हु वर्क एज अ ग्रुप सभी मेंबर्स के एफर्ट्स को एक साथ एक गोल की तरफ डायरेक्ट किया जाता है इसीलिए ताकि हमारे गोल्स अचीव हो पाए इसीलिए हम क्या बोलते हैं कि मैनेजमेंट एक कैसा एक्टिविटी है ग्रुप एक्टिविटी देन वी हैव मैनेजमेंट इज अ डायनेमिक फंक्शन डायनेमिक का मतलब होता है बच्चों एवर चेंजिंग एवरी डे चेंजिंग एवरी आर चेंजिंग हर रोज कुछ ना कुछ नया डेवलप हो रहा है हर रोज कुछ ना कुछ नया देखने को मिल रहा है हर रोज कोई ना कोई नई एक्टिविटी परफॉर्म करी जा रही है तो मैनेजमेंट भी खुद को उस हिसाब से चेंज कर रहा है है ना अब हर डेली बेसिस पे कुछ ना कुछ नया टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट आ रहा है कोई ना कोई नई प्रॉब्लम आ रही है हर बिजनेस के सामने तो उस बिजनेस को उस प्रॉब्लम सॉल्विंग पे लगना पड़ता है एक एंटरप्रेन्योर के सामने क्या होता है बहुत सारी प्रॉब्लम्स है उसको सॉल्व करनी है कैसे सॉल्व करता है कैसे उससे प्रॉफिट मेकिंग करता है तो हर रोज कुछ ना कुछ नया आ रहा है आपके मैनेजमेंट को उसके साथ खुद को बदलना पड़ता है इसीलिए क्या बोलते हैं मैनेजमेंट इज डायनेमिक ठीक है डायनेमिक का मतलब कीप्स ऑन चेंजिंग मैनेजमेंट इज इनटेंजिबल इनविजिबल अनसीन मैनेजमेंट हमें दिखता नहीं है अब मेरा मैनेजमेंट कैसा है मुझे दिख नहीं रहा लेकिन जब बच्चों के रिजल्ट्स आते हैं जब बच्चे मुझे बोलते हैं कि सर मजा आ गया तो मुझे फील हो जाता है कि हां यार चलो मेरा मैनेजमेंट अच्छा था तो मैनेजमेंट एक कैसा प्रोसेस है इनटेंजिबल अनसीन दिखेगा नहीं बट यू कैन फील ठीक हो गया तो आओ फटाफट से साथ के साथ फीचर्स रिवाइज करेंगे गोल ओरिएंटेड परवेसिव मल्टी डायमेंशन उसके बाद उसके बाद उसके बाद सोचो सोचो सोचो क्या था कंटीन्यूअस ग्रुप एक्टिविटी ग्रुप एक्टिविटी के बाद इनटेंजिबल इनटेंजिबल के साथ-साथ डायनेमिक तो ये सात पॉइंट्स हमें याद रखने हैं फीचर्स के अंदर स्क्रीनशॉट ले लो फिर अगले टॉपिक पे चलते हैं इसका भी स्क्रीनशॉट ले लो बच्चों साथ-साथ ऑब्जेक्टिव्स ऑफ मैनेजमेंट कितने ऑब्जेक्टिव्स होते हैं किस गोल्स के साथ मैनेजमेंट किया जाता है तो हमारे पास मेनली तीन ऑब्जेक्टिव्स होते हैं ऑर्गेनाइजेशनल सोशल पर्सनल आ जाओ ऑर्गेनाइजेशनल से शुरू करते हैं ऑर्गेनाइजेशनल ऑब्जेक्टिव्स को हम इकोनॉमिक ऑब्जेक्टिव्स भी बोलते हैं इकोनॉमिक नाम में ही है पैसा कमाना है पैसे की बात हो रही है एक ऑर्गेनाइजेशन आपको कभी भी बड़ा करना है एक बिजनेस कभी भी बड़ा करना है तो आपका फोकस हमेशा पैसे के ऊपर होगा अगर आपके पास पैसा नहीं है आप बिजनेस नहीं कर सकते आप ग्रोथ नहीं कर सकते यू नीड मनी टू एक्सपेंड योर बिजनेस तो एक बिजनेस के लिए सबसे पहला ऑब्जेक्टिव होता है बच्चों सर्वाइवल सर्वाइवल का मतलब कि मैं कम से कम इतना लायक हो जाऊं इतना पैसा कमाने लगूं अपने कंपटीशन को बीट कर पाऊं अपने रोज के खर्चे निकाल पाऊं मुझे एटलीस्ट बिजनेस बंद ना करना पड़े मैं सरवाइव कर जाऊं किसी तरी से इसको क्या बोलते हैं सर्वाइवल द बेसिक ऑब्जेक्टिव ऑफ एनी बिजनेस इज सर्वाइवल ठीक है तो मैनेजमेंट मस्ट स्ट्राइव इतना अच्छे से मैनेज करें टू मेक श्यर दैट ऑर्गेनाइजेशन सर्वाइव्स इन एवरी सिचुएशन कम से कम इतना पैसा कमा ले कि खर्चा कवर हो जाए इन ऑर्डर टू सर्वाइव ऑर्गेनाइजेशन मस्ट अर्न इनफ रेवेन्यू टू कवर कॉस्ट तो मैनेजमेंट का पहला फोकस किस पे होगा सर्वाइवल पे एक बार मैं सर्वाइव कर गया मैं कंपटीशन को झेल पा रहा हूं मैं ठीक-ठाक पैसा कमा पा रहा हूं मुझे अब चाहिए प्रॉफिट खर्चा कम से कम आए सेल ज्यादा से ज्यादा हो रेवेन्यू ज्यादा से ज्यादा हो तो अपने आप प्रॉफिट्स में चला जाऊंगा तो सर्वाइवल के बाद अगला टारगेट होता है पैसा बनाना प्रॉफिट होना चाहिए मोर स मेयर सर्वाइवल इज नॉट इनफ सिर्फ सर्वाइवल इनफ नहीं है मैनेजमेंट को मेक श्यर करना पड़ता है कि वो पैसा कमाए प्रॉफिट होना चाहिए प्रॉफिट होगा तो ही मैं अगला ऑब्जेक्टिव फुलफिल कर पाऊंगा ग्रोथ मेरे पास प्रॉफिट होगा उस पैसे को मैं रिइन्वेस्ट करूंगा बिजनेस में एक की जगह दो ब्रांच एक की जगह दो एंप्लॉयज एक की जगह दो हेड मोर ब्रांचेस मोर एंप्लॉयज मोर कस्टमर मोर सेल्स पर्सन बड़ी टीम ये सब ग्रोथ कहलाता है ग्रोथ के लिए यू नीड मोर एंड मोर मनी राइट तभी बिजनेस एक्सपेंड होता है तभी बिजनेसेस बड़े होते हैं तभी बड़ी-बड़ी कंपनीज बनती हैं तो किस तरीके से आपको ये सारी चीजें करनी है ये मैनेजमेंट ही आपको हेल्प करेगा तो पहला ऑब्जेक्टिव क्या है द फर्स्ट ऑब्जेक्टिव इज ऑर्गेनाइजेशनल ऑब्जेक्टिव जिसमें यू नीड सबसे पहले सर्वाइवल देन प्रॉफिट एंड देन फाइनली ग्रोथ समझ गए तो ये तो हमारा ऑर्गेनाइजेशन का ऑब्जेक्टिव होता है उसके बाद दूसरा ऑब्जेक्टिव कौन सा होता है सोशल ऑब्जेक्टिव सर सोशल क्या है सोशल होता है बेटा सामाजिक सामाजिक का मतलब समाज के लिए सोसाइटी के लिए देखो सोसाइटी में आप बिजनेस कर रहे हो सोसाइटी ने आपको सारे रिसोर्सेस दिए हैं नेचुरल रिसोर्सेस दिए हैं तो सोसाइटी के लिए भी तो हमारा कुछ ना कुछ दायित्व बनता है हमारा कुछ ना कुछ वहां पे एक रिस्पांसिबिलिटी बनती है कि हम सोसाइटी को भी कुछ ना कुछ दें तो सोसाइटी को हम क्या दे सकते हैं सोसाइटी को हम दे सकते हैं एनवायरमेंट फ्रेंडली मेथड्स हम पोल्यूशन ना करें हम इस तरीके से बिजनेस करें कि एनवायरमेंट फ्रेंडली हो वो उसके साथ-साथ एंप्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटी जनरेट करें ऐसे-ऐसे सेक्शन ऑफ सोसाइटी को काम दें जिनके लिए कोई काम नहीं मिल रहा है ना ज्यादा ज्यादा एंप्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटी जनरेट करें उसके साथ बेसिक एमेनिटीज दें स्कूल्स दें क्रचस दें एंप्लॉयज को है ना जितने भी एंप्लॉयज हैं उनके बच्चों के लिए स्कूल्स वगैरह देना उनके बच्चों के डेवलपमेंट की बात करना तो सोसाइटी को चल रहा है ना ये सारी की सारी चीजें ये हमारे सोशल ऑब्जेक्टिव हैं पॉल्यूशन नाना करें फेयर प्राइसेस पे सामान बेचे फॉल्स एडवर्टाइजमेंट ना करें किसी भी तरीके का किसी को भी अनड्यू लूटे ना उसके साथ हमेशा जेनुइन रहे फेयर रहे ट्रू रहे कस्टमर के साथ ऐसी चीजें ना करें तो यह सारी चीजें बच्चों किसम आती है सोशल सोसाइटी के ऑब्जेक्टिव्स में उसके बाद तीसरा ऑब्जेक्टिव कौन सा होता है पर्सनल पर्सनल ऑब्जेक्टिव में क्या होता है बच्चों अपने एंप्लॉई के लिए सोचना एंप्लॉयज के बारे में अच्छे तरीके से करना देखो ऑर्गेनाइजेशन में बहुत सारे लोग आते हैं जो अलग-अलग अलग-अलग अलग-अलग गोल्स के साथ आते हैं अलग-अलग बैकग्राउंड से आते हैं तो उनको अच्छी एनवायरमेंट देना उनको अच्छे से ट्रीट करना टाइम टू टाइम प्रमोशंस देना इंसेंटिव्स देना सैलरी में हेल्प करना तो एंप्लॉयज को जब आप हेल्प कर रहे हो वो सारी चीजें पर्सनल ऑब्जेक्टिव्स में आ जाती हैं तो ये देखो स्क्रीनशॉट ले लेंगे फटाफट से ऑर्गेनाइजेशन में क्या-क्या आया सोशल में क्या-क्या आ गया पर्सनल में उनके फाइनेंशियल नीड्स यानी पैसा देना सोशल नीड्स उनको इज्जत देना उनको अच्छी रेपुटेशन देना उनको अच्छा स्टेटस देना हायर लेवल नीड्स उनको हेल्प करना उनके फाइनल गोल्स अचीव करने में तो यह सब बच्चों हमारे पर्सनल ऑब्जेक्टिव्स में आ जाता है ऑर्गेनाइजेशनल ऑब्जेक्ट सोशल ऑब्जेक्टिव्स पर्सनल ऑब्जेक्टिव्स ठीक है नेक्स्ट आ रहा है इंपॉर्टेंस ऑफ मैनेजमेंट मैनेजमेंट क्यों इतना इंपॉर्टेंट है व्हाई इज मैनेजमेंट सो इंपॉर्टेंट पूरा चैप्टर पढ़ रहे हैं हम इसके ऊपर क्या ये सच में इंपॉर्टेंट है स्क्रीनशॉट ले लिया सबसे पहला पॉइंट बोल रहा है कि इसलिए इंपॉर्टेंट है क्योंकि मैनेजमेंट हेल्प करता है ग्रुप गोल्स अचीव करने में देखो हमने बोला ना मैनेजमेंट इज अ ग्रुप एक्टिविटी ग्रुप एक्टिविटी है तो ग्रुप में जितने भी लोग हैं सबके अपने-अपने गोल्स हैं सबको अपने-अपने टारगेट्स हैं हर इंडिविजुअल यह चाहता है कि मैं कुछ ना कुछ कुछ ना कुछ अचीव कर लूं किसी का गोल हो सकता है पैसा कमाना किसी का गोल हो सकता है ऑर्गेनाइजेशन के लिए स्ट्राइव करना किसी का गोल हो सकता है कि हां यार मुझे कुछ नया सीखना है तो मैनेजमेंट आपको हेल्प करता है सभी गोल्स को अचीव करने में अच्छा मैनेजमेंट होगा तो सब सेटिस्फाई होंगे सबका ध्यान रखा जाएगा तो देखो लिखा हुआ है मैनेजमेंट इज रिक्वायर्ड नॉट फॉर इट सेल्फ बट फॉर अचीविया कि अच्छे डायरेक्शंस दे इंडिविजुअल्स को ताकि ओवरऑल गोल्स अचीव हो हो पाए दूसरा इंक्रीजस एफिशिएंसी अच्छा मैनेजमेंट जब होगा हर चीज का ध्यान रखा जा रहा होगा वेस्टेज नहीं होगी बढ़िया जगह से रॉ मटेरियल आ रहा होगा सब कुछ सोच समझ के हो रहा होगा तो ऑफकोर्स कॉस्ट कम आएगी कॉस्ट कम आएगी तो एफिशिएंसी बढ़ेगी या नहीं बढ़ेगी इसीलिए बोला जाता है मैनेजमेंट इंक्रीजस एफिशिएंसी तीसरा अच्छा मैनेजमेंट एक डायनेमिक ऑर्गेनाइजेशन बना के चलता है देखो फॉर एग्जांपल कंपनीज है नॉर्मली चल रही थी एकदम से मोदी जी ने आके बोला नोटबंदी हो गी 500000 के नोट बंद क्या ऑर्गेनाइजेशंस को सोचना पड़ेगा उस हिसाब से मोदी जी ने आगे बोला जीएसटी आएगा जी सारा टैक्स स्ट्रक्चर चेंज करेंगे ऑर्गेनाइजेशन को सोचना पड़ेगा उस हिसाब से खुद को बदलना पड़ेगा उसी हिसाब से फाइलिंग्स चेंज हुई टैक्स का प्रोसेस चेंज हुआ सारी चीजें बदलती चली गई तो जिनका अच्छा मैनेजमेंट है उनके लिए चेंज करना आसान हुआ जिनका मैनेजमेंट अच्छा नहीं है वो तो डूब गए बेचारे तो मैनेजमेंट आपको हेल्प करता है टू क्रिएट अ डायनेमिक ऑर्गेनाइजेशन देन मैनेजमेंट हेल्प्स इन अचीविया बच्चों कि एंप्लॉयज के लिए भी अच्छा हेल्प करता है एक अच्छा मैनेजमेंट अपने एंप्लॉयज का भी ध्यान रखेगा एक अच्छा मैनेजमेंट यह कोशिश करेगा कि उनके एंप्लॉयज खुश हो हैप्पी हो हेल्दी हो उनका ध्यान रखा जाए तो मैनेजमेंट ऑलवेज हेल्प्स यू इन अचीविया मेंबर अपना-अपना गोल अचीव कर पाए लास्ट मैनेजमेंट हेल्प्स इन डेवलपमेंट ऑफ़ द सोसाइटी अच्छा मैनेजमेंट सोसाइटी का भी ध्यान रखता है वही सोशल ऑब्जेक्टिव्स वाली बात सोशल ऑब्जेक्टिव्स पूरे होंगे तो अपने आप डेवलपमेंट ऑफ द सोसाइटी हो जाएगा तो ये सब हमारे इंपॉर्टेंस ऑफ गुड मैनेजमेंट आ जाते हैं ठीक है बेटा नेक्स्ट सर नेचर ऑफ मैनेजमेंट जल्दी-जल्दी से इसका स्क्रीनशॉट ले लो कई लोग मैनेजमेंट को बोलते हैं साइंस है कई लोग बोलते हैं आर्ट है कई लोग बोलते हैं प्रोफेशन है तो हम अब देखने की कोशिश करेंगे कि एक्चुअल में है क्या ठीक है क्या साइंस है क्या आर्ट है क्या प्रोफेशन है तो सबसे पहले हम साइंस की बात करते हैं देखो सर साइंस होता क्या है किस तरीके से मैनेजमेंट एक साइंस है हमें जल्दी से ये बता दो देखो बच्चों मैनेजमेंट को साइंस बोलने के लिए हमें ये देखना होगा कि साइंस क्या होता है फर्स्ट पॉइंट इज सिस्टमैटिक बॉडी ऑफ नॉलेज साइंस क्या है बेटा एक ऐसी बॉडी ऑफ नॉलेज है जिसके अंदर कुछ साइंटिफिक प्रिंसिपल्स दिए गए हैं कुछ लॉज दिए गए हैं कुछ ऐसी चीजें बताई गई हैं जो सब जगह देखने को मिलती हैं जैसे लॉ ऑफ ग्रेविटी भैया कुछ भी गिरेगा ऊपर से तो नीचे ही जाएगा चाहे कुछ भी हो ऐसे लॉ ऑफ इनर्टिया लॉ ऑफ एक्सीलरेशन न्यूटन के लॉज हैं बहुत सारे है ना उसके साथ-साथ और भी पता नहीं कितने फंडामेंटल्स हैं ओम्स लो और पता नहीं क्या-क्या पढ़ते हो आप साइंस के अंदर तो सा साइंस एक सिस्टमिक बॉडी ऑफ नॉलेज है एक ज्ञान का भंडार है जिसके अंदर बहुत कुछ देखने को मिलता है जितनी भी चीजें गाड़ी चल रही है पंखे चल रहे हैं एसी चल रहा है सब फिजिक्स पे चल रहे हैं है ना तो यह सारी की सारी चीजें साइंस में एक बॉडी ऑफ नॉलेज है पढ़ाया जाता है देन जितने भी ये प्रिंसिपल्स हैं जो साइंस में पढ़ाए जा रहे हैं ये सब एक्सपेरिमेंटेशन पे बेस्ड है ऑब्जर्वेशंस पे बेस्ड है ये सब एक दिन में नहीं बने हैं बेटा ये सब डे टू डे मेहनत के साथ धीरे-धीरे धीरे-धीरे डेवलप हुए हैं तो इसको क्या बोलते हैं जितने भी साइंटिफिक प्रिंसिपल्स है आर डेवलप थ्रू ऑब्जर्वेशन फिर उनका एक्सपेरिमेंटेशन करा गया है बहुत ध्यान से सोच समझ के तब ये बनाए गए हैं तीसरा इनका एप्लीकेशन यूनिवर्सल है यूनिवर्सल मतलब आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाओ ये सारे लॉज ऐसे ही लगेंगे चेंज नहीं होते ये ग्रेविटी है तो है सब जगह नीचे ही गिरेगा कुछ भी गिरेगा तो ऐसा नहीं है कि इंडिया में नीचे गिरेगा चाइना में सीधा ऊपर जाएगा ऐसा नहीं है सब जगह ऐसे ही चलेंगे तो जब भी हम साइंस की बात करते हैं तो साइंस में देखो सिस्टमिक बॉडी ऑफ नॉलेज होता है प्रिंसिपल्स एक्सपेरिमेंटेशन पे बेस्ड होते हैं यूनिवर्सल वैलिडिटी होता है क्या मैनेजमेंट में ऐसा होता है क्या मैनेजमेंट में ऐसा होता है क्या मैनेजमेंट में भी एक सिस्टेमेटाइज्ड बॉडी ऑफ नॉलेज है क्या मैनेजमेंट में भी प्रॉपर थ्योरी प्रॉपर बुक्स प्रॉपर अरेंजमेंट है हर चीज का हम बोलेंगे हां सर ऐसा तो है अब आपको मैनेजमेंट पढ़ाया जा रहा है 12थ में पढ़ाया जा रहा है इसके बाद जब आप बीबीए करते हो तो फिर वहां पे प्रॉपर मैनेजमेंट पढ़ाया जाता है एमबीए करते हो और शानदार तरीके से पढ़ाया जाता है तो एक सिस्टमैटिक बॉडी ऑफ नॉलेज तो यहां भी है तो हम बोलते हैं यस दिस फीचर ऑफ साइंस इज प्रेजेंट इन द मैनेजमेंट साइंस की तरीके से मैनेजमेंट में सिस्टेमेयर बॉडी ऑफ़ नॉलेज है अपनी थ्योरी है अपनी टर्म्स है कॉन्सेप्ट्स हैं प्रिंसिपल्स हैं दूसरा जितने भी प्रिंसिपल्स ऑफ अ मैनेजमेंट है क्या वो भी ऑब्जर्वेशन एक्सपेरिमेंटेशन पे बने हैं क्या ऐसा है हम बोलते हैं यस बिल्कुल ऐसा ही है जितने भी मैनेजमेंट के प्रिंसिपल्स हैं अभी हम चैप्टर नंबर टू में पढ़ेंगे वो सब भी ऐसे ही डेवलप हुए हैं ऑब्जर्वेशन से एक्सपेरिमेंटेशन से इसी तरीके से वो भी धीरे-धीरे डेवलप हुए हैं तो सर अगर वो भी इसी तरीके से डेवलप हुए हैं धीरे धीरे धीरे-धीरे डेवलप हुआ है तो फिर हम क्या यह बोल सकते हैं कि वो भी साइंस में मैच हो रहा है बट एक छोटी सी प्रॉब्लम है यहां पे जितने भी एक्सपेरिमेंटेशन ऑब्जर्वेशन करे गए हैं वो ह्यूमंस पे करे गए हैं और इंसान तो रोज रंग बदलता है इंसान तो आज आपका कल किसी और का परसों फिर किसी और का आज आपका जो बेस्ट फ्रेंड है शायद आज से 5 साल पहले ना हो तब कोई और हो शायद आज से 5 साल बाद कोई और हो तो इंसान तो रोज चेंज हो रहा है अब साइंस तो वही है फिक्स्ड है इंसान तो फिक्स्ड नहीं है ना तो हम बोलते हैं कि हां ठीक है लेकिन ह्यूमन बीइंग से डील करता है तो आउटकम जो है वह एक्युरेटली प्रिडिक्ट नहीं कर सकते इसीलिए यह फीचर फुल्ली प्रेजेंट नहीं है मैनेजमेंट में तीसरी चीज यूनिवर्सल एप्लीकेशन साइंस के प्रिंसिपल्स एज इट इज चलते हैं अब ह्यूमन बीइंग है यार ह्यूमन बीइंग तो सेम नहीं चल सकता ना आपको हिसाब से हर ऑर्गेनाइजेशन के हिसाब से सब कुछ बदलना पड़ेगा अब जैसे डिसिप्लिन है रूल्स है हर ऑर्गेनाइजेशन को अपने अलग करने पड़ते हैं हर ऑर्गेनाइजेशन को अपने अलग बनाने पड़ते हैं क्यों सबका अपना सराउंडिंग होता है एनवायरमेंट होता है एरिया होता है तो यूनिवर्सल एप्लीकेशन भी इसमें नहीं चलता तो हम क्या बोलेंगे दिस फीचर ऑफ साइंस इज नॉट फुल्ली प्रेजेंट इन मैनेजमेंट तो यह सब पढ़ के हमें क्या लग रहा है देखो यह है यह पार्शियली है यह है ही नहीं तो हम क्या बोलेंगे सर क्या मैनेजमेंट साइंस है तो हम बोलेंगे नहीं मैनेजमेंट साइंस नहीं है इनएग्जैक्ट साइंस या सोशल साइंस आप बोल सकते हो कि थोड़ा-थोड़ा थोड़ा-थोड़ा मैच हो रहा है तो बेस्ड ऑन द अबब फीचर्स वी कैन से दैट मैनेजमेंट इज अ साइंस बट नॉट एग्जैक्ट र अ सोशल साइ सांस ठीक हो गया परफेक्ट हो गया तो दिस इज ऑल अबाउट द नेचर ऑफ मैनेजमेंट एज साइंस आई होप आपको साइंस वाली बात समझ में आई होगी यह हमने कर लिया है आज की क्लास को हम यहीं पर विराम लगाएंगे यह और यह हम कल वाली क्लास में स्टार्ट करेंगे आज आपके पास एक छोटा सा होमवर्क है बच्चों जितने भी टॉपिक्स मैंने पढ़ाए हैं एक बार अपनी एनसीआरटी उठा लेना क्योंकि एनसीआरटी इज बाइबल अगर एनसीआरटी नहीं है तो दिक्कत है ग पे जाओ चैप्टर नंबर वन नेचर एंड सिग्निफिकेंट ऑफ मैनेजमेंट एनसीआरटी लिखो पीडीएफ आ जाएगी खोलो जितने जितने टॉपिक्स मैंने पढ़ाए हैं एक बार गो थ्रू कर लो रीडिंग लगा लो हेडिंग्स लर्न कर लो समझा दिया मैंने पूरा जैसे-जैसे आप साल में आगे बढ़ो ग वैसे-वैसे आपको लिखना आ जाएगा हेडिंग सेम लिखनी है इंटीरियर अंदर का जो पोर्शन है वो आपको अपने हिसाब से अपनी लैंग्वेज में लिख सकते हो बस ध्यान रखना अच्छा लिखने की कोशिश करो राइट तो इतना इतना कर लो आज कल इस चैप्टर को कंप्लीट करेंगे और बिल्कुल खत्म कर देंगे दैट इज इट फॉर टुडे गाइज थैंक थैंक यू सो मच फॉर जॉइनिंग इन मैं आपको कल मिलता हूं तब तक ऑल द वेरी बेस्ट कीप ग्लोइंग एंड कीप ग्रोइंग [संगीत]