हेलो एंड वेलकम टू एसपीएम आईस अकेडमी टुडे वील एनालाइज इंपोर्टेंट न्यूज पेपर आर्टिकल्स ऑफ 17 अगस्ट 2024 प्लीज नोट यू कैन डाउनलोड द पीडीएफ वर्जन ऑफ टुडेज न्यूज़पेपर एनालिसिस बाय क्लिंग द लिंक गिवन इन द कमेंट सेक्शन दिस इज द लिस्ट ऑफ द टॉपिक्स ट वी विल बी कवरिंग फ्रॉम टुडेज न्यूज़पेपर फर्स्ट टिकल इज अबाउट पनामा कनाल फेसिंग रिस्ट्रिक्टेड पसेस दिस टॉपिक इज इंपोर्टेंट फ्रॉम आवर सिलेबस जीएस पेपर व जियोग्राफी पॉइंट ऑफ व्यू एंड आल्सो यूजफुल फॉर जीएस पेपर थ एनवायरमेंट पेपर तो सबसे पहले पनामा कनाल के बारे में समझते हैं पनामा कनाल जो वाटर बॉडी है वो कनेक्ट करता है अटलांटिक ओशन को पैसिफिक ओसन के साथ तो इट हैज बीन कंस्ट्रक्टेड अक्रॉस थोमसुन क्या होता है इट इज अ नैरो पार्सल ऑफ लैंड वि सेग गट्स टू ह्यूज वाटर बॉडीज इस तरीके के लैंड पार्सल को कहते हैं हम लोग एमस तो यहां पर आप देख सकते हैं पनामा स्थु इसके ऊपर बनाया गया है पनामा कनाल और यह दो बड़े जो वाटर बॉडीज है एक तरफ अटलांटिक ओशन और दूसरे तरफ पैसिफिक ओशन उनको सेग करता है पनामा कनाल की अगर लेंथ की बात की जाए यहां पे ऐसे देखिए पनामा कनाल तो यह लगभग 82 किलोमीटर लॉन्ग है इसकी अगर हिस्ट्री देखी जाए कंस्ट्रक्शन हिस्ट्री कब कैसे बनाया गया तो यूएस गवर्नमेंट ने यहां पे 8 किलोमीटर का जो लैंड है ऑन आइर साइड वह खरीद लिया और फिर वहां पर उन्होंने पनामा कनाल कंस्ट्रक्ट किया कंस्ट्रक्शन 1904 में शुरू हुआ 10 साल में यह कंस्ट्रक्शन पनामा कनाल का कंप्लीट हो गया बन कर के उसके बाद से द पनामा कनाल वास अंडर एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल ऑफ द यूएस बट फिर 1999 में जाकर के द पनामा कनाल वास हैंडेड ओवर टू द कंट्री पनामा कनाल से सबसे ज्यादा फायदा वैसे यूएस को ही होता है आप देखिए यूएस की जो दो बड़ी सिटीज है न्यूयॉर्क एंड सैन फ्रांसिस को इनको आपस में अगर सी रूट के थ्रू कनेक्ट करना है तो पनामा कनाल के कारण यह डिस्टेंस कितना छोटा हो जाता है तो अबाउट 13000 किलोमीटर का डिस्टेंस शर्टन किया जा सकता है बिकॉज ऑफ पनामा कनाल अब पनामा कनाल की थोड़ी सी इंजीनियरिंग के बारे में समझते क्योंकि उसी से रिलेटेड ये करंट न्यूज है पनामा कनाल को अगर आप देखोगे तो उसमें एक लॉजिस्टिकल चैलेंज है यह अटलांटिक साइड का जो वटर बॉडी है और जो पैसिफिक साइड का वटर बॉडी है उसमें लेवल में थोड़ा अंतर है अटलांटिक साइड वाला जो वाटर बॉडी है थोड़ा लोअर साइड प है मतलब एक आप कह सकते हैं ग्रेडिएंट जैसा है स्लोप जैसा है फ्रॉम पैसिफिक टूू द अटलांटिक साइड तो अटलांटिक साइड इज स्लाइटली लोअर एस कंपेयर टू द पस साइड ए एलिवेशन में डिफरेंस है इस साइड में थोड़ा सा ऊंचा है पैसिफिक रीजन वाला जो वाटर बॉडी है ऐसा कुछ देखिए यहां से सो दिस साइड रिप्रेजेंट्स द पैसिफिक ओशन और यह जो है इट स्लाइटली हाईयर एस कंपेयर टू द अटलांटिक वाला वाटर बॉडी अब इस कारण से अगर पैसिफिक से अटलांटिक की तरफ जाना है तब तो ठीक है बट अटलांटिक से पैसिफिक की तरफ जाना है देन इट बिकम ए ह्यूज चैलेंज तो इसको डील करने के लिए जो पनामा कनाल बनाया गया है उसमें बहुत ही आप कह सकते हैं यूनिक तरीके की इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल किया गया है और कुछ ऐसा है कि यह सिप आ रहा है लॉक एंड गेट सिस्टम है तो यह सिप को पहले इस गेट को ओपन करके इस वाटर बॉडी में आने दिया जाएगा फिर यह गेट को बंद कर दिया जाएगा और फिर धीरे-धीरे इस वाटर बॉडी का हाइट को एलिवेटर बाय सप्लाइड वाटर तो इससे ये शिप की भी हाइट बढ़ेगी फिर यह सिप आगे जाएगा यहां पर फिर दूसरा गेट खोला जाएगा यह सिप इस वाटर बॉडी में आएगी फिर इस वाटर बॉडी के अंदर थोड़ी सी वाटर का लेवल को बढ़ाया जाएगा ताकि शिप की एलिवेशन बढ़े तो इस तरीके से करके तीन इस तरह के छोटे छोटे वाटर बॉडीज पैसिफिक साइड में है और तीन इस तरह के वाटर बॉडीज अटलांटिक साइड में है तो अटलांटिक साइड का लेवल कम है तो यहां पर क्या किया जाता है शिप को ऐसे धीरे-धीरे करके उसकी हाइट को इंक्रीज की जाती है और लगभग 85 फीट अबोव द सी लेवल लेकर के जाया जाता है विद हेल्प ऑफ दिस लॉक एंड गेट सिस्टम तो इस तरीके से 85 फीट की हाइट बढ़ाई जाती है थ्रू द थ्री सेगी गटे वाटर बॉडीज फिर यहां पर जाकर के यह शिप आराम से जाएगा फिर धीरे-धीरे तीन लेवल पर लाकर के इस शिप को नीचे उतारा जाएगा और पैसिफिक ओशन में वापस से इसको रिलीज कर दिया जाएगा सो दिस इज द सोफिस्टिकेटेड इंजीनियरिंग सिस्टम यूज्ड इन पनामा कनाल और इस तरीके से जो एलिवेशन डिफरेंस का प्रॉब्लम है उसको एड्रेस किया जा सकता है बट यह जो पूरा का पूरा पनामा कनाल है और इसमें यह जो इंजीनियरिंग सिस्टम एस्टेब्लिश किया गया है इसके लिए एक आर्टिफिशियल लेक बनाया गया जिसका नाम है टून लेक स टून लेक इज एन आर्टिफिशियल लेक क्रिएटेड्रॉअर्नेविगेटर ओरिजनली देयर अब इसी से रिलेटेड ये करंट न्यूज़ है कि क्लाइमेट चेंज के कारण ग्लोबल वार्मिंग क्लाइमेट चेंज के कारण इस एरिया में काफी टाइम से अच्छे से रेनफॉल हुई नहीं है और इस कारण से टून लेक का जो नेचुरल जो वाटर सप्लाई है वह कम हो रहा है तो इस कारण से अब यह जो इंजीनियरिंग सिस्टम है उसको ऑपरेट कर पाना कठिन हो रहा है एंड नाउ द पनामा कनाल सिस्टम इज फाइंडिंग इट डिफिकल्ट टू ट्रांसपोर्ट द बिगर शिप्स और अगर ट्रांसपोर्टेशन हो रहा भी है तो काफी स्लो पेस में दैट इज द कंसर्न एज आई टोल्ड यू कि क्लाइमेट चेंज के कारण द वाटर लेवल इन द टून लेख हैज रिड्यूस्ड दिस हैज रिस्ट्रिक्टेड द नंबर ऑफ शिप्स दैट कुड नाउ पास अक्रॉस पनामा कनाल या दूसरे शब्दों में द रेट ऑफ मूवमेंट ऑफ शिप्स हैव कम डाउन सिग्निफिकेंट एंड सिंस दिस पनामा कनाल रूट इज एन इंपॉर्टेंट ट्रेड रूट दैट इज व्हाई इट इज हैविंग डायरेक्टली इंपक ओवर ट्रेड स्पेशली बिटवीन यूरोप एंड यूएस वैसे तो यूएस के दो शहरों को भी कनेक्ट करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है यूरोपियन कंट्रीज अगर कुछ सप्लाई करना चाहते हो ऑन द वेस्टर्न स्टेट्स ऑफ द यूएस देन दे वेर अर्लिया यूजिंग द पनामा कनाल सिस्टम नाउ दैट इज क्रिएटिंग अ प्रॉब्लम क्योंकि पनामा कनाल सिस्टम का जो रेट है ऑफ अलांग मूवमेंट ऑफ शिप्स दैट हैज कम डाउन सो दिस कैन बी साइटेड साइटेड एज एग्जांपल ऑफ इकोनॉमिक इंपैक्ट ऑफ क्लाइमेट चेंज क्लाइमेट चेंज से कहां-कहां किस-किस तरीके से इश्यूज हो रहे हैं फूड सिक्योरिटी टेन हो रहा है इकोनॉमिक चैलेंज बढ़ रहे हैं क्रॉप फेलियर हो रहा है पेस्ट रेजिल के कारण इस तरीके से वेक्टर बॉन डिजीज बढ़ रहे हैं यह सब चीजें अलग-अलग करके एक दिन हमने देखा था कि कैसे जो डेवलपिंग कंट्रीज है वहां पर बच्चे कम स्कूल जा पा रहे हैं बिकॉज ऑफ क्लाइमेट फोर्स स्कूल क्लोजर्स तो एजुकेशन पर इंपैक्ट पड़ रहा है यह सब अलग-अलग डायमेंशन से जब हम आंसर लिखेंगे तो हमारा आंसर थोड़ा सा इनरीच लगेगा तो क्लाइमेट चेंज हो रहा है ग्लोबल वार्मिंग हो रहा है ये तो सब जानते हैं लेकिन उसके अलग-अलग डायमेंशन में क्या-क्या इंपैक्ट देखने को मिल रहे हैं वो जब हम लिखेंगे तो दैट विल मेक आवर आंसर डिफरेंट फ्रॉम अदर्स इस टॉपिक के बेसिस पे प्रिम्स प्रैक्टिस क्वेश्चन हमने आपको दे रखा है प्लीज अटम दिस क्वेश्चन एंड सबमिट द आंसर इन द कमेंट सेक्शन द नेक्स्ट आर्टिकल इज अबाउट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एसएसएलवी दिस टॉपिक इज इंपोर्टेंट फ्रॉम आवर सिलेबस जीएस पेपर थ्री साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉइंट ऑफ व्यू देखिए लॉन्च वेकल होता क्या है एक तरीके से आप कह सकते हैं रॉकेट है जिसके अंदर इंजन लगा है और फ्यूल भी है और उसके मदद से वो फिर किसी पेलोड को पेलोड मतलब सैटेलाइट इस केस में उसको ले जाकर के अर्थ के अराउंड किसी ऑर्बिट में रिलीज कर देता है या तो फिर आउटसाइड बियोंड द अर्थस एटमॉस्फेयर वो कहीं दूर दूसरे आउटर स्पेस में पहुंचा देता है इस तरीके से रॉकेट का काम होता है तो सस रॉकेट्स आल्सो नोन एस सैटेलाइट लच व्हीकल्स दे आर यूजफुल फॉर लंचिंग डिफरेंट काइंड ऑफ सेटेलाइट्स इंटर प्लेनेटरी सेटेलाइट्स या फिर अ सैटेलाइट अराउंड अर्थ एंड ऑर्बिट अराउंड द अर्थ इस तरह के सेटेलाइट्स को लंच करने में सेटेलाइट लच व्हीकल्स का काम होता है अब अगर भारत के अंदर सैटेलाइट लॉच व्हीकल्स की बात की जाए आज के डेट में तो हमारा जो स्पेस एजेंसी है इसरो दैट इज क्वाइट डेवलप्ड वन लेकिन आवर बिगिनिंग वाज क्वाइट अ हंबल वन हम लोग स्टार्टिंग में काफी बेसिक तरीके से हमने शुरुआत की और भारत के अंदर जो स्पेस प्रोग्राम है इसके फादर कहे जाते हैं डॉक्टर विक्रम सारा भाई तो उन्होंने भारत के अंदर यह सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम लच करना शुरू किया स्टार्ट किया 1960 में कि हम लोग खुद के अप ने रॉकेट्स बनाएंगे जो स्पेस में सेटेलाइट्स को छोड़े छोड़ करके आएंगे या छोड़ जाएंगे तो इसकी शुरुआत की डॉक्टर विक्रम सारा भाई ने 1960 में ही स्टार्टेड इंडिया सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम विक्रम सारा भाई ने ही डॉक्टर विक्रम सारा भाई ने ही एस्टेब्लिश किया था एक एजेंसी जिसका नाम था इनको स्पार स एजेंसी वाज क्रिएटेडॉक्युमेंट्सफ्रैगमेंट 69 में कर दिया गया ऑन 15th अगस्त 1969 द सन कोस पार वाज लेटर ऑन रिनेम ड एज इसरो तो किस-किस तरीके से स्पेस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल में डेवलपमेंट हुए हमारे देश के अंदर वो देखते हैं एकएक करके 1967 में इनको स्पार ने एक साउंडिंग रॉकेट भेजा था साउंडिंग रॉकेट जिसका नाम था आरएच 75 साउंडिंग रॉकेट होता क्या है देखिए साउंडिंग रॉकेट में बेसिकली इस तरीके का कुछ इक्विपमेंट इस्तेमाल किया जाता है जो पेलोड्स को बलून की मदद से लगभग कुछ हाई एल्टीट्यूड तक लेकर के जाए यह आउटर स्पेस में नहीं जा पाता इन जनरल साउंडिंग सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल्स या साउंडिंग रॉकेट्स आप कह सकते हैं सबसे बेसिक या सबसे फंडामेंटल तरीके का लॉन्च वेकल है इसमें अ काइंड ऑफ ज बलून इज यूज्ड इन ऑर्डर टू टेक द पेलोड्स यानी कि साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स या इक्विपमेंट्स इनटू अपर एटमॉस्फेयर नियर द स्पेस आउटर स्पेस का जो आप कह सकते हैं बाउंडी है तो अर्थ सरफेस से लगभग 100 किलोमीटर की हाइट तक को जो डिस्टेंस है उसके बाद से जो एरिया या रीजन शुरू होता उसको हम लोग कहते हैं आउटर स्पेस तो अर्थ से लेकर के 100 किलोमीटर की हाइट पे एक आप ऐसे इमेजिनरी सा लाइन इमेजन कर लीजिए और उस लाइन को कहा जाता है कर्मन लाइन इमेजिन कर लीजिए और उसको कहा जाता है कर्मन लाइन कर्मन लाइन इज बेसिकली द सेग लिमिट बिटवीन द आउटर स्पेस एंड यू में से द नेशनल स्पेस एरिया ऑफ रिस्पेक्टिव कंट्री तो कर्मन लाइन लगभग 100 किलोमीटर की हाइट पर है उसको क्रॉस नहीं कर पाता है साउंडिंग रॉकेट्स तो शुरुआत ऐसे ही हुई हमने 1967 में इसरो ने एक साउंडिंग रॉकेट भेजा आरएच 75 नाम से फिर हमने उससे और बड़े अचीवमेंट्स कि 1980 में इसरो वास सक्सेसफुल इन सेंडिंग इंजीन हमारे देश का सेटेलाइट एस एल सैटेलाइट का नाम था रोहिनी सैटेलाइट वन एंड इट वास सेंट ऑन लच वेकल या रॉकेट जिसका नाम था एलवी 3 तो आप सही मायने में पहला जो लॉन्च व्हीकल हमने डेवलप किया दैट वाज एस एलवी 3 दैट वाज अ सक्सेसफुल इन सेंडिंग रोहिनी सैटेलाइट इनटू ऑर्बिट ऑफ द अर्थ फिर धीरे-धीरे धीरे-धीरे हमने और भी अलग-अलग अलग-अलग तरीके के लॉन्च व्हीकल्स डेवलप किए आज की डेट में इंडिया इज अ काइंड ऑफ लीडर इन डिफरेंट काइंड ऑफ लॉन्च वेकल और हमारी जो स्पेस एेंसी है इसरो अब उसको दुनिया के कई सारे देश कमर्शियल कांट्रैक्ट देते हैं अपने अपने सेटेलाइट्स को लच करवाने के लिए तो अगर बेसिक से जर्नी देखी जाए हाईलाइट देखी जाए इंडिया के सैटेलाइट लॉच व्हीकल्स के डेवलपमेंट की तो सबसे पहले हमने साउंडिंग रॉकेट्स भेजा साउंडिंग रॉकेट्स के बाद एसएलवी 3 उसके बाद ऑगमेंटेड सेटेलाइट लच वेकल 1983 में हमने भेजा वैसे इसका पहला टेस्ट फेल हो गया था सरे टेस्ट में जाकर के ऑगमेंटेड सेटेलाइट लंच वकल वास सक्सेसफुल आज के डेट में जो हमारे सबसे ज्यादा रिलायबल सैटेलाइट लच व्हीकल्स है तो वह है पीएसएलवी पोलर सेटेलाइट लच व्हीकल एंड जीएसएलवी जीएसएलवी जिओ स्टेशनरी सेटेलाइट लच वकल अब जिओ स्टेशनरी सेटेलाइट लंच व्हीकल का नाम बदल करके कर दिया गया है एल एमवी लच वकल उसका नाम कर दिया गया है तो आज के डेट में में हमारे जो मेन दो लॉन्च व्हीकल्स हैं वह है पीएसएलवी एंड जीएसएलवी अब आज जीएसएलवी का ही जो सबसे अपडेटेड वर्जन है उसका नाम है जीएसएलवी मैक 3 तो पहले पीएसएलवी जीएसएलवी के बारे में देख लेते हैं एंड देन वी विल कम टू द करंट न्यूज अब रिसेंटली इसरो ने रीयूबेन न्यूस एनालिसिस में कवर किया था रीयूज लॉन्च व्हीकल कैसा होता है याद कीजिए मैंने कराया था न्यूज़पेपर एनालिसिस में इट इज अ काइंड ऑफ कॉमिनेशन ऑफ एयरक्राफ्ट एंड रॉकेट सो व्हाट रियू जबल लॉन्च व्हीकल विल डू इट विल टेक अप अ पेलोड या सैटेलाइट इनटू द ऑर्बिट वयर इट इज इंटेंडेड टू बी पुट एंड देन अगेन इट विल रिटर्न ऑन द अर्थ टू बी रीयूज्ड फॉर सम फ्यूचर लॉन्च तो यह फायदे हैं रीयूज बल लॉन्च व्हीकल का उसका बार-बार बार-बार हम लोग इस्तेमाल कर सकते हैं इस यूज रीयूज बल लॉन्च व्हीकल का फॉर अ लॉन्चिंग डिफरेंट काइंस ऑफ सेटेलाइट्स तो इससे ओवरऑल सेटेलाइट लच करने का जो कॉस्ट है वह काफी हद तक रिड्यूस होगा तो भारत ने हाल फिलहाल में भारत की स्पेस एजेंसी इसरो ने रीयूज बल लॉन्च व्हीकल का भी फाइनल टेस्ट डेमोंस्ट्रेट कर लिया है दैट इज एन अचीवमेंट और आज का जो करंट न्यूज है दैट इज विद रिस्पेक्ट टू अ न्यू काइंड ऑफ लॉन्च व्हीकल जिसका नाम है स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एसएसएलवी इसका भी फाइनल टेस्टिंग आज हो गया है तो अब आप कह सकते हैं कि विथ सच अ हंबल बिगिनिंग ऑफ साउंडिंग रॉकेट्स देन एसएलवी एसएलवी नाउ इंडियन स्पेस एजेंसी इसरो हैज डेवलप सेवरल काइंड ऑफ लॉन्च व्हीकल राइट फ्रॉम पीएसएलवी जीएसएलवी यह तो मेन स्टे हैं हमारे मेन लॉन्च व्हीकल्स उसके अलावा कटिंग एज टेक्नोलॉजी वाले मॉडर्न टाइम के एसएसएलवी और रीयूज बल लच वेकल भी इसरो ने डेवलप कर लिया है तो पीएसएलवी और जीएसएलवी के बारे में जल्दी से देखते हैं देन वी विल कम टू द करंट न्यूज पीएसएलवी की अगर बात की जाए तो इसमें चार स्टेज में इंजंस लगे देखिए अलग-अलग स्टेजेस के जो इंजंस होते हैं वह अलग-अलग फ्यूल इस्तेमाल करते हैं उनका अलग-अलग पर्पस होता है कि डिफरेंट लेवल ऑफ थ्रस्ट दे अल्टीमेटली सॉलिड इंजन जो होता है सॉलिड फ्यूल को इस्तेमाल करने वाला वो इंजन होगा और सॉलिड फ्यूल जो है वह मैसिव थ्रस्ट देता है कम समय में ही ज्यादा मोमेंटम चेंज करके देता है बट वह लंबे समय तक चलता नहीं है वही लिक्विड इंजन की बात की जाए तो लिक्विड फ्यूल का इस्तेमाल करेगा वो एक बार में बहुत ज्यादा थ्रस्ट तो नहीं देता है लेकिन वह काफी लंबे समय तक वह फ्यूल चलता है तो इसीलिए पीएसएलवी में कैसा किया गया है चार इंजंस लगाए गए हैं दो सॉलिड दो लिक्विड बिल्कुल पहला स्टेज जो है वह सॉलिड का है फिर लिक्विड फिर सॉलिड फिर लिक्विड कि इनिशियल स्टार्टिंग में थ्रस्ट दिया जाए ताकि एक स्केप वेलोसिटी मिल जाए इस लॉन्च व्हीकल को स्केप वेलोसिटी लगभग होती है 11.6 किमी पर सेकंड इतनी वेलोसिटी अगर मिल जाती है किसी भी बॉडी को फ्रॉम अर्थ सफेस तो उसको इतना मोमेंटम जरूर मिल जाता है कि वह अर्थ के ग्रेविटेशनल फील्ड को ओवरकम करके स्पेस में चला जाए तो इसीलिए पीएसएलवी में जो पहला स्टेज है वो सॉलिड प्रोपल्शन है इन ऑर्डर टू गिव इनिशियल थ्रस्ट इन ऑर्डर टू हैव काइंड ऑफ स्केप वेलोसिटी फिर सेकंड स्टेज में लिक्विड इंजन इस्तेमाल किया जा रहा है फिर थर्ड स्टेज में अगेन सॉलिड आगे जाकर के एक थ्रस्ट के लिए देन अगेन लिक्विड पीएसएलवी को सक्सेसफुली लच किया गया 94 में पीएसएलवी भारत की स्पेस एजेंसी इसरो का सबसे महत्त्वपूर्ण लॉन्च व्हीकल है अभी तक सबसे ज्यादा सक्सेस रेशियो भी इसी का है लगभग 95 पर के आसपास और इसी कारण से इसके हाई सक्सेस रेशियो के कारण ही पीएसएलवी को कहा जाता है वर्क हॉर्स ऑफ इसरो चंद्रयान से लेकर के चंद्रयान वन से लेकर के मार्स ऑर्बिटर मिशन सब कुछ इसरो के इस पीएसएलवी ने ही लॉन्च की दिया है लेकिन पीएसएलवी का एक लिमिटेशन है कि पेलोड यह कम उठा सकता है मतलब जिस अ मास का अ सैटेलाइट लॉन्च करना है वह मास बहुत ज्यादा नहीं हो सकता यानी कि पीएसएलवी का पावर थोड़ा कम है और बहुत ज्यादा हाईयर एल्टीट्यूड में भी नहीं पहुंच सकता है और न एवरेज 600 किमी एल्टीट्यूड तक जा सकता है अब वहीं अगर बात की जाए तो इससे हाईयर कैपेसिटी वाला एज फर एज मास कैरिंग कैपेसिटी इज कंसर्न वो है हमारा दूसरा लॉन्च वेकल जीएसएलवी जिओ सिंक्रोनस सेटेलाइट लॉन्च वेकल य दो टन से लेकर के 4 टन तक यानी कि 4000 किलोग्राम तक का पेलोड को पहुंचा सकता है इन अ हाईयर आउटर स्पेस इवन टिल द जिओ सिंक्रोनस या जिओ स्टेशनरी ऑर्बिट अभी जीएसएलवी की अगर बात की जाए तो जैसा मैंने बताया था आपको कि पीएसएलवी में थ्री स्टेजेस ऑफ इंजंस है जोम सो सॉरी पीएसएलवी में फोर स्टेजेस ऑफ इंजन है जो अलग-अलग लेवल पर सॉलिड लिक्विड सॉलिड लिक्विड फ्यूल इस्तेमाल करते हैं जीएसएलवी में तीन स्टेजेस ऑफ इंजन है बिल्कुल पहला तो सॉलिड चाहिए होता है जोरदार पहला थ्रस्ट चाहिए होता है ताकि इसके वेलोसिटी आ जाए फिर दूसरे में लिक्विड है और तीसरे में जीएसएलवी यूस क्रायोजेनिक इंजन क्रायोजेनिक इंजन इज द वन व्हिच कैन हैंडल अ फ्यूल व्हिच इज इन जनरल अ गैस एट नॉर्मल रूम टेंपरेचर बट उसको इतना लो टेंपरेचर पर ले जाया जाता है कि वह लिक्विड फॉर्म में कन्वर्ट हो जाए जैसे क्रायोजेनिक इंजन में इस्तेमाल किया जाता है हाइड्रोजन एज फ्यूल की तरह तो हाइड्रोजन को अगर लिक्विड फॉर्म में ले जाना है तो उसका टेंपरेचर - 180 डिग्री सेल्सियस उससे भी कम होना चाहिए और - 180 डिग्री सेल्सियस उससे कम टेंपरेचर पर ले जाकर के हाइड्रोजन को लिक्विड फॉर्म में कन्वर्ट किया जाता है तो लिक्विड हाइड्रोजन इज फ्यूल फॉर क्रायोजेनिक इंजंस तो क्रायोजेनिक इंजन इज द मोस्ट डायनेमिक एंड यू मे से कॉम्प्लेक्टेड ऑफ जीएसएलवी और य क्रायोजेनिक इंजन में अक्सर फेलियर कभी कभार हो जाता है तो क्रायोजेनिक इंजन के कारण ही जीएसएलवी के का जो सक्सेस रेशियो है इट इज नॉट एज गुड एस पीएसएलवी एंड दैट इज व्हाई सिंस द फेलियर रेट्स इ स्लाइटली हाईयर एज कंपेयर टू पीएसएलवी जीएसएलवी को कभी-कभार आप इसरो के जो साइंटिस्ट है दे कॉल इट बाय निक नेम नॉटी बॉय बिकॉज इट्स फेलियर रेट्स आर स्लाइटली हाईयर एस कंपेयर टू पीएसएलवी व जहां पीएसएलवी को टाइटल मिला है वर्क हॉर्स ऑफ इसरो जीएसएलवी को टाइटल मिला है नॉटी बॉय अभी जीएसएलवी में जैसा कि मैंने आपको बताया क्रायोजेनिक इंजन जो है वह सबसे ज्यादा कॉम्प्लेक्टेड है वह लिक्विड फ्यूल को ही यूज कर रहा है बट व असल में जो लिक्विड है वह रूम टेंपरेचर पर गैस फॉर्म में होता है जैसे हाइड्रोजन उसको उतना लो टेंपरेचर पर ले जाया जाता है तब जाकर के उसको वह फ्यूल की तरह इस्तेमाल करता है - 180 डिग्री सेल्सियस इसलिए जो जीएसएलवी का जो पहला वर्जन बनाया गया जीएसएलवी मैक व उसमें जो क्रायोजेनिक इंजन मंगाया गया वह रशिया से मंगाया गया फिर जीएसएलवी मैकट मैक 3 यह यहां पर जो क्रायोजेनिक इंजन लगाए गए वह इंडिया डेवलप इंडिजन क्रायोजेनिक इंजन लगाए गए तो यह है जीएसएलवी अब द करंट डेवलपमेंट इज विद रिस्पेक्ट टू अ न्यू काइंड ऑफ लॉन्च व्हीकल दैट आवर स्पेस एजेंसी इसरो हैज डेवलप्ड जिसका नाम है एसएसएलवी स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल ये एसएसएलवी जो है नाम से जैसा आपको समझ आ रहा है यह छोटे-छोटे सेटेलाइट्स को स्पेस में एक डिटरमाइंड ऑर्बिट में एस्टेब्लिश करके करेगा तो स्मॉल पे लोट छोटे सेटेलाइट्स को लॉन्च करने के लिए सक्से हेल्पफुल रहेगा एसएसएलवी स्मॉल पेलो इन लोअर अर्थ ऑर्बिट अगर एसएसएलवी की बात की जाए तो इसमें तीन स्टेज के इंजंस लगे हैं तो सॉलिड ही है तीनों स्टेज में फर्स्ट सेकंड थर्ड तीनों में ही सॉलिड फ्यूल लगे हैं और सॉलिड फ्यूल को डील करने वाला इंजन लगा है इन एसएल एलवी इन ऑल द थ्री स्टेजेस एसएस एलवी की बात की जाए तो यह काफी छोटा है कंपैक्ट है और कॉस्ट इफेक्टिव भी है सस्ता भी पड़ता है सैटेलाइट लच करना एस कंपेयर टू पीएसएलवी या जी एलवी और इसका टर्न अराउंड टाइम भी काफी कम है यानी कि इसको लॉन्च करने के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं चाहिए इसको असेंबल करने के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं चाहिए क्योंकि इसका डिजाइन भी काफी सिंपलीफाइड है एसएसएलवी का हाल फिलहाल में इसरो ने कर लिया है सक्सेसफुल डेवलपमेंट अगले पेज प हम इससे रिलेटेड करंट न्यूज देखेंगे तो अब फायदा क्या हो सकता है इससे अब इसरो की जो कमर्शियल विंग है एनएसआईएल वो इसरो के लिए कमर्शियल कांट्रैक्ट्स लेकर के आ सकती है अलग-अलग देशों से जो भारत के स्पेस एजेंसी इसरो के मदद से अपने सेटेलाइट्स को छोटे-छोटे सेटेलाइट्स को स्पेस में लच करवाना चाहते हैं सो दैट वुड बी कमर्शियल एडवांटेज ऑफ दिस एसएसएलवी प्लस स्ट्रेटेजिक एडवांटेज भी होगा एसएसएलवी का क्योंकि एसएसएलवी की मदद से जो छोटे-छोटे सैटेलाइट स्पेस में लच किए जाएंगे वह डिफेंस में बॉर्डर सर्विलेंस में इंटेलिजेंस परपस के लिए इन सब में काम आ सकता है तो यह फायदा होगा एसएसएलवी का तो अब आप कह लीजिए कि पीएसएलवी जीएसएलवी के अलावा एक नया तरीके का लॉन्च व्हीकल भी सक्सेसफुली टेस्ट हो चुका है एंड नाउ दिस इज गोइंग टू ऐड टू द डायनामिस ऑफ आवर स्पेस एजेंसी इसरो इसी से रिलेटेड ये न्यूज़ है द थर्ड एंड द फाइनल डेवलपमेंटल फ्लाइट ऑफ एसएसएलवी हैज बीन टेस्टेड एसएसएलवी का तीसरा फ्लाइट मतलब इसके पहले दो एसएसएलवी के टेस्ट ऑलरेडी हो चुके हैं और एसएसएलवी का तीसरा फ्लाइट का नाम है एएसएलवी d3 जिसको हाल फिलहाल में यूज किया गया इन ऑर्डर टू लच अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट ईओएस अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट नंबर एट इनटू एन ऑर्बिट एंड विद दिस द एसएसएलवी डेवलपमेंटल प्रोजेक्ट इज कंप्लीट एंड नाउ वी कैन एक्सपेक्ट कि जो भारत की स्पेस एजेंसी इसरो है उसका कमर्शियल विंग न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड माइट गेट कमर्शियल कांट्रैक्ट्स फॉर इसरो एंड सच कमर्शियल मिशंस विल हेल्प इसरो टू जनरेट रेवेन्यू और वह रेवेन्यू जो है भारत के अंदर स्पेस टेक्नोलॉजी के इकोसिस्टम को और ज्यादा स्ट्रांग बनाएगा यह हम लोग उम्मीद कर सकते हैं तो इसरो की अभी तक की जो भी लॉन्च व्हीकल्स हैं और उनका क्या-क्या अ क्या आप कह सकते हैं एसेंस था यह सबको कंबाइन करते हुए मैंने एक बेसिक क्वेश्चन दिया है कि अभी तक के जो इंपॉर्टेंट लॉन्च विकल्स है उसके बारे में बताइए और भारत की जो स्पेस एजेंसी की जर्नी है उसका भारत के लिए क्या एडवांटेज है वो भी जरा बताए तो डिस्कस तो हमने कर ही लिया जल्दी से मैं रिवाइज करवा देता हूं सबसे पहले साउंडिंग रॉकेट था फिर एसएलवी था जिसका नाम था एक्सल में एसएलवी 3 फिर था एसएलवी फिर पीएसएलवी फिर जीएसएलवी जीएसएलवी में जीएसएलवी मैकट मैक 3 जो है इंडियन क्रायोजेनिक इंजन वो एक सोफिस्टिकेटेड टेक्नोलॉजी भारत ने डेवलप की अभी जीएसएलबी का नाम बदल करके कर दिया गया एलवीएम लंच व्हीकल मैग 3 अब हाल फिलहाल में उसके बाद हमने डेवलप कर लिया है रीयूज बल लच व्हीकल एंड स्मल सैटेलाइट लॉच वेकल इससे भारत की स्ट्रेटेजिक ऑटोनॉमी सॉफ्ट पावर इकोनॉमी ग्रोथ सबको फायदा मिलेगा नेक्स्ट टॉपिक इज अबाउट एम पॉक्स अ पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी पहले इसका नाम था मंकी पॉक्स अब उसका नाम बदल कर दिया गया है एम पॉक्स तो दिस टॉपिक इज इंपोर्टेंट फ्रॉम आवर सिलेबस जीएस पेपर थी साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉइंट ऑफ व्यू एम पॉक्स एक जूनोटिक डिजीज है मतलब एनिमल से ह्यूमंस में पास होने वाले डिजीज को कहा जाता है जूनोटिक डिजीज इट्स अ वायरल डिजीज मतलब वायरस के कारण ये एक इंसान को इफेक्ट करता है देखने में पॉक्स जैसा ही लगता है स्मॉल पॉक्स जैसा ही लगता है इट इज बिलीव्ड कि अर्लिफ्ट मंकीज एंड फ्रॉम मंकीज इट हैज बीन नाउ ट्रांसमिटेड टू ह्यूमंस एनिमल्स नोन टू बी सोर्स ऑफ मंकी पॉक्स वायरस इंक्लूड मंकी एप्स एंड डिफरेंट काइंड ऑफ रोडेंट्स जैसे कि रट्ज वगैरह मेनली वेस्ट एंड सेंट्रल अफ्रीकन कंट्रीज पहले इस इफेक्टेड थे फिर पिछले साल यूरोपियन कंट्रीज के अंदर भी इसका आउटब्रेक देखा जाने लगा मंकी पॉक्स कीर बात की जाए तो अब उसका नाम वैसे हो गया एम पॉक्स तो उसके सिमटम्स में फीवर होते हैं रसेस होते हैं रसेस एंड स्लेन लिंफ नोड्स लिंफ नोड्स कैसा रहता है हमारे बॉडी के अंदर कुछ कुछ ऐसे स्पेसिफिक एरियाज है जैसा जहां पर आप कह सकते हैं कि बीन सेप स्ट्रक्चर आपको फील होगा अपने बॉडी के अंदर ठीक है राइट यहां पर आप कह सकते हैं टॉन्सिल के पास या अलग-अलग जगहों पर बीन सेफ्ट स्ट्रक्चर फील होगा वोह बीन सेफ्ट स्ट्रक्चर असल में लिंफ है और वह हमारे इम्यून सिस्टम का हिस्सा है और मंकी पॉक्स में वह लिंफ नोड जो है वह स्वेल हो जाते हैं हेडेक भी हो सकता है नोसिया जैसी फीलिंग भी आएगी और मंकी पॉक्स और स्मॉल पॉक्स के बीच में अंतर पहचानने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि मंकी पॉक्स के अंदर लिंफ नोड्स की स्वेलिंग होती है जबक स्मल पॉक्स में नहीं होती है अभी हाल फिलहाल में मंकी पॉक्स वैसे दो महीने पहले भी हमने मंकी पॉक्स के बारे में देखा था हाल फिलहाल में वापस से न्यूज में इसलिए आया है क्योंकि डब्ल्यूएचओ ने नाउ एम पॉक्स को डिक्लेयर कर दिया है आज पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न क्यों हाल फिलहाल में वापस एम पॉक्स को लेकर इतनी चर्चा हो रही है क्योंकि एम पॉक्स फैलने का एक नया तरीका सामने आए जो पहले नहीं देखा जा रहा था एंड दैट इज कि एम पॉक्स इज बीइंग ट्रांसमिटेड थ्रू सेक्सुअल कांटेक्ट आल्सो तो सेक्सुअल कांटेक्ट के थ्रू एम पॉक्स का एक नया तरीके का इंफेक्शन क्लेडर क्लेडर इट रिफ्लेक्ट्स एंसेट ऑफ अ पर्टिकुलर काइंड ऑफ माइक्रो ऑर्गेनिस्ट म तो एम पॉक्स जो वायरस है उसके दो क्लेडर क्लेडर जो एम पोक्स वायरस है उनका मतलब कॉमन एंसेट है क्ड टू वाले जो एम पोक्स वायरस है उनका एक कॉमन एंसेट है एंड क्ड वन और क्ले टू के जो एंसेट हैं वो अलग-अलग है अब क्लेडर है एम पॉक्स वायरस दे आर डेडली अर व ज्यादा खतरनाक है और क्लेडर तरीके का वायरस है क्लेट व बी व्हिच इज नाउ फाउंड टू बी स्प्रेडिंग थ्रू सेक्सुअल कांटेक्ट एंड व्हिच हैज मेड एम पॉक्स अ कॉज ऑफ कंसर्न फॉर डब्लू और इसी कारण से डब्ल्यू एओ ने एम पॉक्स को डिक्लेयर कर दिया है एस पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न नेक्स्ट आ अबाउट नेशनल फिल्म अवार्ड्स यह टॉपिक प्रिलिम्स पर्सपेक्टिव से इंपोर्टेंट हो सकता है कभी प्रीलिम्स में प्रश्न पूछ लेते हैं एक बार सुन लीजिए फिर प्रीलिम से पहले तो हम लोग रिवाइज करेंगे ही तो 70 नेशनल फिल्म अवार्ड हाल फिलहाल में अनाउंस किया गया फॉर द ईयर 2022 तो बेस्ट फीचर फिल्म है अट्टम फ्रॉम मलयालम बाकी तो याद खने की ज्यादा जरूरत है नहीं बेस्ट एक्टर रिषभ सेठी फॉर सेट्टी फॉर कंटा बेस्ट एक्ट्रेस नित्या मेनन एंड मांसी पारक बेस्ट डायरेक्टर सूरज बजत फॉर ऊंचाई बट मुझे लगता है बेस्ट फिल्म याद रखिए और एपीएससी प्रिलिम्स पर्सपेक्टिव से याद रखिए बेस्ट एसएमस फिल्म इ मूथ पूति फॉर द बेस्ट फीचर फिल्म इन एसम बेस्ट एसम फिल्म शून्यता इन शॉर्ट फिल्म कैटेगरी तो यह जो बोल्ड में करके दिया है मैंने वही याद रखेंगे हम लोग प्रीलिम से पहले नालंदा स्पिरिट से रिलेटेड फर्स्ट एंड थर्ड स्टेटमेंट इज करेक्ट पीएम कुसुम अगेन सेकंड स्टेटमेंट इज करेक्ट क्योंकि सिर्फ फार्मर्स नहीं बाकी फार्मर ऑर्गेनाइजेशंस को भी फंड अवेलेबल है सर्वेस सिस्टम से रिलेटेड पेस्ट सर्वेस सिस्टम से रिलेटेड फर्स्ट स्टेटमेंट इज करेक्ट वल बसिया मेथड से रिलेटेड अगेन फर्स्ट स्टेटमेंट इज करेक्ट आज के जो एमसीक्यू है वो मैं पीडीएफ में अपलोड करके दे दूंगा अभी यहां पे मैंने दिया नहीं है ट्स ऑल फ्रॉम आ साड फॉर टुडे थैंक्स फॉर वाचिंग