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कक्षा 10वीं भूगोल: वन और वन्यजीव संसाधन
Jul 3, 2024
कक्षा 10वीं सामाजिक विज्ञान - भूगोल अध्याय 2: वन और वन्यजीव संसाधन
परिचय
पृथ्वी को केवल मनुष्यों के लिए नहीं, बल्कि सभी जीवों के साथ साझा करना है।
सभी जीव-जन्तु, चाहे वे सूक्ष्मजीव हों या बड़ी जीवांश, इस ग्रह पर समान अधिकार रखते हैं।
समझना होगा कि पृथ्वी पर हम सभी समान रूप से सह-अस्तित्व में हैं।
जैव विविधता
जैव विविधता
: जैविक विविधता की संक्षिप्ति है।
विभिन्न वन्यजीव और खेती वाली प्रजातियों की विविधता को सम्मिलित करती है।
जैव विविधता का मतलब है विभिन्न प्रकार के जीवों का एक साथ जुड़े होना और एक प्रणाली बनाना।
सभी जीव आपस में जुड़े हुए हैं और एक इकोसिस्टम बनाते हैं।
जैव विविधता का एक सरल परिभाषा हो सकती है: किसी निर्दिष्ट क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और विविधता।
वन और वन्यजीव का महत्व
वनों और वन्यजीवों का महत्त्व सुनिश्चित करने में जैव विविधता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
वे हवा की गुणवत्ता, पानी की सफाई, मिट्टी संरक्षण, और जलवायु विनियमन में मदद करते हैं।
वन और वन्यजीव संरक्षण
संरक्षण की आवश्यकता बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के कारण अधिक हो गई है।
जैव विविधता बनाए रखने के कारण
:
इकोलॉजिकल डायवर्सिटी को बनाए रखना
जेनेटिक डायवर्सिटी को प्रिजर्व करना
पानी, मिट्टी आदि जैसे जीवन समर्थन प्रणालियों का संरक्षण
कृषि, औषधीय पौधे, और पारंपरिक फसल प्रणाली पर निर्भरता
भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
1972 में लागू हुआ
एन्डेमिक प्रजातियों का संरक्षण
हंटिंग और कब्ज़ा रोकने के लिए सख्त नियम
संरक्षित प्रजातियों की लिस्ट तैयार करना
नेशनल पार्क और वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना
विशिष्ट प्रजातियों के लिए प्रोजेक्ट (जैसे परियोजना टाइगर)
प्रोजेक्ट टाइगर
आरम्भ: 1973
उद्देश्य: बाघों की घटती संख्या को रोकना
कारण: अतिक्रमण, अवैध शिकार, घटती शिकार प्रजातियां, और मानव अत्यधिक गतिविधियाँ
पर्यावरण की रक्षा और बाघों की सुरक्षा में मदद
फ्लोरा और फौना - भारत
फ्लोरा: वनस्पतियों की जा व्यक्ति
फौना: जीव-जन्तु
भारत जैव विविधता की दृष्टि से दुनिया का एक अभिजात देश है।
वनों और वन्यजीवों की संरक्षण महत्व के बावजूद, ये परेशानियों का सामना कर रहे हैं:
तेजी से वनों की कटाई
पारिस्थितिक तंत्र का विनाश
बढ़ता शहरीकरण
वन के प्रकार और वितरण
आरक्षित वन
: सबसे महत्वपूर्ण। 50% से अधिक वन भूमि।
संरक्षित वन
: 33% वन भूमि प्रोटेक्टेड वर्ग में।
अन्य वन और बंजर भूमि
: शेष वन क्षेत्र।
राज्यवार वितरण:
जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र - आरक्षित वन
बिहार, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान - संरक्षित वन
उत्तर पूर्वी राज्य और गुजरात - अन्य वन
सामुदायिक भागीदारी और संरक्षण
समुदायों का संरक्षण में सहभागिता का महत्वपूर्ण योगदान।
उदाहरण: राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में, ग्रामीणों ने खनन का विरोध किया।
सैक्रेड ग्रोव्स
: पवित्र वन, जहां किसी भी प्रकार का मानव हस्तक्षेप वर्जित होता है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में महत्वपूर्ण पवित्र वन।
संयुक्त वन प्रबंधन (JFM) कार्यक्रम
प्रारंभ: 1990, उड़ीसा में
उद्देश्य: वन विभाग और स्थानीय समुदायों के बीच साझेदारी
फायदे: स्थानीय लोग नॉन-टिंबर उत्पाद और लकड़ी की हिस्सेदारी प्राप्त करते हैं
निर्णय लेने में स्थानीय समुदायों की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता
निष्कर्ष
स्थायी संरक्षण के लिए स्थानीय समुदायों का सक्रिय भागीदारी जरूरी।
संरक्षण रणनीतियों में उन्हें केंद्र में रखना जरूरी है।
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