माइक्रो सर्विसेस पर लेक्चर नोट्स
परिचय
- माइक्रो सर्विसेस के बारे में चर्चा
- माइक्रो सर्विसेस क्या हैं और क्यों आवश्यक हैं
- माइक्रो सर्विसेस के पैटर्न और उनका कार्यान्वयन
- केस स्टडी का उपयोग कर समझाना
माइक्रो सर्विसेस क्या हैं?
- एक बड़ा सिस्टम जो 10 कार्यात्मक भाग रखता है, उसे छोटे-छोटे सिस्टम में विभाजित किया जाता है।
- प्रत्येक छोटा भाग स्वतंत्र रूप से कार्य करता है।
मोनोलिथिक सिस्टम
- एक ई-कॉमर्स सिस्टम का उदाहरण
- सभी कार्य जैसे इन्वेंटरी, सेल्स, डिलीवरी, ऑर्डर प्रबंधन एक ही स्थान पर होते हैं।
- मोनोलिथिक सिस्टम के साथ समस्याएं:
- स्केलेबिलिटी की समस्या: एक ही सर्वर पर सब कुछ है, जिससे लोड बढ़ने पर समस्या होती है।
- वर्टिकल स्केलिंग: संसाधनों को बढ़ाना (CPU, डिस्क) लेकिन सीमित।
- हॉरिजॉन्टल स्केलिंग: कई सर्वर जोड़ना जिससे स्केलेबिलिटी बढ़े।
माइक्रो सर्विसेस के लाभ
- स्केलेबिलिटी: छोटे हिस्सों को स्वतंत्र रूप से स्केल किया जा सकता है।
- फ्लेक्सिबिलिटी और एजिलिटी: छोटे बदलाव जल्दी लागू किए जा सकते हैं।
- टेक्नोलॉजी विविधता: विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।
- आसान रखरखाव: छोटे कार्यों का रखरखाव करना आसान है।
- रेज़िलियंस और फॉल्ट टॉलरेंस: अगर एक सेवा विफल होती है, तो अन्य सेवाएँ प्रभावित नहीं होतीं।
कार्यान्वयन और क्लाउड
- माइक्रो सर्विसेस को क्लाउड में वितरित किया जा सकता है।
- क्लाउड के माध्यम से उच्च उपलब्धता और ऑटोमेटेड कार्यान्वयन।
निष्कर्ष
- माइक्रो सर्विसेस को अपनाने का महत्व।
- अगली बार बिजनेस केस स्टडी के बारे में चर्चा की जाएगी।
नोट्स
- माइक्रो सर्विसेस का ज्ञान सभी स्तरों के लोगों के लिए उपयोगी है।
- सीआईसीडी प्रक्रिया का महत्व।
- केस स्टडी से सीखने का महत्व।
ये नोट्स माइक्रो सर्विसेस के बारे में एक सारांश प्रस्तुत करते हैं, जो कि प्रभावी अध्ययन के लिए सहायक हो सकते हैं।