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क्लास 10 हिंदी: मैं क्यों लिखता हूँ (अज्ञेय जी)

हेलो हेलो स्टूडेंट्स वेलकम टू माय ग्रीवेंस मैं रूपाली वर्मा हमारा चैनल आपके लिए बहुत प्रयास रहता है कि आपकी स्टडी आपके एग्जाम सभी कुछ अच्छे से जाएं इसीलिए उन आज जो हम वीडियो आपके लिए लेकर आए हैं यह हमारे पहले आ चुके वीडियो और इस वीडियो की तरह हंड्रेड परसेंट है हमारा चैनल आपसे कभी भी किसी भी पेमेंट की मांग नहीं करता हम कभी भी दो वीडियो दिखाने के बाद आपसी नहीं कहते कि आगे की वीडियो देखने के लिए आपको कुछ पेमेंट करना पड़ेगा तो हमारे चैनल में इस सिर्फ एक यही खासियत है कि आपको जितना भी वीडियो देखना है जबकि देखना है जितनी बार भी देखना है आप उसको दे सकते हैं बिना कुछ दिए तो आते हैं आज के वीडियो पर आज का वीडियो भी आपके एग्जाम से रिलेटेड है यानि कि एग्जाम जब होते हैं हमें लगता है कि हम फटाफट कुछ हमें ऐसा मिल जाएंगे हम रिवाइज करने से उस चैप्टर को तो यह वीडियो भी आपके रिवीजन के पर्पस से ही बनाया गया है यह हमारा क्लास टेंथ हिंदी कोर्स ए गिवर है कृतिका भाग 2 उसका अध्याय है पांच मैं क्यों लिखता इस पाठ में जो है हमारे लेखक अज्ञेय जी ने बताया है कि हम वह आखिर क्यों निकले हैं जब मौजूद लेखक होता है वह किसी चीज को प्रत्यक्ष रूप से यानि कि बिल्कुल सामने से देखता है तू ज्यादा अच्छी तरीके से लिख पाता है उसके बारे में बता पाता है बनिस्पत उसके कि उसने कोई चीज खूब सुनी हो तब वह लिखिए वह कल्पना के माध्यम से लिख रहा हु तब तो इसको इन्होंने खुद अनुभव किया हिरोशिमा में जो कहते हैं परमाणु बम गिराया गया था उसके अवशेषों को देखकर उन्हें चीज को अनुभव किया और उसको लिखा भी है तो चलिए बढ़ते हैं इस पार्ट को कि तू क्या है इस पाठ के माध्यम से लेखक ने स्पष्ट किया है कि लिखने के लिए प्रेरणा कैसे उत्पन्न होती है लेखक उस पक्ष को अधिक स्पष्टता और इमानदारी से लिख पाता है जिसे व स्वयं प्रत्यक्ष रूप से देखता है यानि कि लेखक जब मैडम सामने से देखता है तू ज्यादा अच्छी तरीके से हर एक बारी की के साथ हमारे साथ भी होता है हमने अगर कोई चीज सुनिए हूं तब अगर हम उसके बारे में देखिए और जब हमने देखी वह तब तो वह इसमें जब हमने देखी हो तो हम उसके बारे में ज्यादा जानकारी रखते हैं ना कि सुनी-सुनाई चीज़ों पर मुक्ति जानकारी नहीं रखते हैं कि लेखक विज्ञान के छात्र थे यानी कि व साइंस स्टूडेंट है लेखन में जापान के शहर हिरोशिमा में हुए रेडियोधर्मी विस्पोट के प्रभाव के बारे में केवल सुना था यानी कि उन्होंने जब परमाणु बम गिरा तो उसके बारे में अनुसार सुन रखा था जब जापान गए तो वहां एक पत्थर पर आदमी की शक्ल में काली छाया को देखिए यह तो उस रेडियोधर्मी के विस्पोट की भयावह रूप में उनकी आंखों के सामने प्रत्यक्ष रूप से प्रतीत होने लगी और उस याद को लेखक ने भारत आकर रेल में बैठे-बैठे उसे कविता के रूप में उतारा तो क्या हुआ कि जब वह जापान गए तो उन्होंने वहां पर एक पत्थर देखा पत्थर के समकक्ष शायद कोई आदमी खड़ा होगा और जब विस्फोट हुआ तो मतलब उस आदमी की छाया पूरी तरीके से उस पर बन गई मतलब जितना जैसे यह पत्थर था यह कैसे करके पत्थर दाणा आदमी उसके सामने खड़ा हुआ था तो ऐसे-ऐसे करके जो एक छाया होती है यहां यह पूरा पत्थर काला हो गया है जिस समय फोन नंबर पूरा वाइट राह मतलब इतना ज्यादा इंपैक्ट था उसका यह चीज उन्होंने देखी थी और उस चीज को आखिर ने क्या किया भारत आकर उस पर कविता लिखी वह भी कहां पर बैठे ट्रेन में बैठे बैठे होने कविता लिख दी लेख मैं क्यों लिखता हूं का उत्तर देते हुए कहते हैं कि मैं इसलिए लिखता हूं क्योंकि मैं स्वयं को जानना चाहता हूं बिना लिखें मैं इस प्रश्न का उत्तर नहीं जान सकता अब क्या होता है हम आखिर कोई काम क्यों करते हैं तो लेखक एक बार ऐसे उलझे कि आखिर मैं क्यों लिखता है है तो उन्होंने इस चीज का उत्तर से अपने आप से खोजना शुरू किया तो वह उत्तर पाया कि आखिर वह खुद को जानना चाहते हैं इसलिए लिखना चाहते हैं अब आप तो बोलोगे हम तो अपने आपको जानते हैं हम बहुत सी ऐसी चीज है जो अपने आप से भी झूठ बोलते हैं तो अगर हम चीजें अपने बारे में लिखें तो आप यह खुद पाएंगे कि हम अपने आप को ठीक तरीके से नहीं जानते कि देखिए कोई भी शांत रहो कोई भी व्यक्ति होता है सबने चीन ध्वनि ना कि भगवान को हम सभी जगह ढूंढते लेकिन भगवान का होते हमारे अंदर ही होते हैं अर्थात बुक पहली आवाज वह पहला ज हमें कोई भी डिसीजन कुछ भी करना हो तो वह पहली आवाज ही भगवान की आवाज होती है भगवान के हमेशा सत्य के रूप में हमारे सामने होते हैं तो वह हमारे अंदर कि तुम मत दर्द यहां पर लेखक अपने आप को जानना चाहते थे इसलिए उन्होंने लिखना शुरू किया था कि लेखक का मानना है कि लिखरही लेखक अपने अभियंत्र विश्वास पिता को पहचान सकता है और लिखकर ही उससे मुक्त हो सकता है यानी कि उनके अंदर जो कुछ भी घटित हो रहा है वह भी सकते हैं और अगर कुछ ऐसा है तो उससे मुक्त भी हो सकती हैं इसी लिए लिखता है लिखने के पीछे सभी लेखकों के लिए कोई न कोई कारण होता है कुछ खाती मिल जाने के बाद कुछ बाहर की व्यवस्था में लिखते हैं जैसे संपादकों के आगे से प्रकाशक के आखिरी से आर्थिक आवश्यकताओं से तूने बोला कि जब आप लिखते हैं आपको प्रसिद्धि मिल जाती है फिर ऊपर पड़ने लगता है कि आपको लिखना तब आपकी इच्छा रह जाती है जैसे आप लिख रहे हो आप के साथ उनके पास होता है कि आपको कोई लेख लिखना है कल के पेपर के ऊपर प्रेशर आपको कोई संपादक नहीं तो यह चीज आपके नहीं आती जो एक लेखक स्वेच्छा से लिख सकता है अपनी मर्जी के अनुसार ले सकता है वह प्रेशर अंडर प्रेशर वह काम नहीं हो पाता है कुछ अवेंजर प्रेरणा से लिखते हैं यानि अपने अंदर आ रही किसी प्रेरणा से भी लोग लिखते हैं हरेक रचना कार्यालय भाग्य भारत बनाए रखता है कि कौन सी कृति भीतरी प्रेरणा का फल है और कौन-सी आकृति बाहर ही दबाव का कोई भी रचनाकार होगा रचनाकार मतलब राइट होंगे जब वह अपनी कृति का निर्माण करते हैं यानि की कोई रचना करते हैं तो यह रचना आप जब भी देखेंगे या खुद लेखक भी देखेगा तो उसको पता होता है क्या चीज उसने अपने अंदर आ रही प्रेरणा से प्रेरित होकर लिखा है और क्या चीज उसे भारी दबाव यानि कि मान लीजिए कोई एक लेखक है अब उसकी अपनी जो अंदर की इच्छा होगी वह स्पीड मान लो वह उस समय किसी पुरानी यादों बुझा हुआ है तो उन यादों से रिलेटिड कुछ लिखना चाहेगा लेकिन अब बाहरी दबाव पड़ रहा है कृपया इस समय जो है कहीं पर युद्ध चल रहा है आपको यह कि विदेशी का पर एक लेख लिखना है तो आप वह क्या उसके ऊपर वह बाहरी दबाव यूं से युद्ध फिफा पर जो लिखना है वह दबाव के कारण लिख रहा है लेकिन जो पुरानी यादों यानि की संस्मरणात्मक लेख लिखेगा वह अपनी स्वेच्छा से अंदर की प्रेरणा के साथ लिखेगा तो यह हर रचनाकार को एक Difference पता होता है इनमें से कुछ ऐसे आरसी जैन भी होते हैं कि बिना किसी बाहरी दबाव के लिख ही नहीं सकते हैं या कुछ उसी प्रकार के कि जैसे सुबह नींद खुल जाने पर भी बिस्तर पर तब तक पढ़ा रहे जब तक की घड़ी का इलाज ना बन जाए तो आप कुछ रचनाकारों के बारे में हमारे लेखक जो बताते हैं कि पूछा आलसी लेखक भी होते हैं आलसी जीव भी होते हैं जिन पर अब तक बाहर का दबाव न पड़े होने के बाद उनके अंदर की कोई प्रेरणा होती नहीं वह बाहरी दबाव पर ही काम करते हैं अर्थात इसकी तुलना वह कैसे करते कल सुबह का हमने अलार्म लगाया और हमारी आंख खुल गई है लेकिन तबीयत में अलार्म बजने का इंतजार करते रहते हैं कि अलार्म बजे का या तब हम उठ्ठेंगे आपके साथ तो पता नहीं मेरे साथ तो अक्सर होता है जब तक इलाहाबाद है जब तक मिश्रण पड़ेगा पर भले आप खुद से हमारे साधु नहीं होता है क्योंकि भाई कि लगता है कि जरुर थोड़ी देर और 16 तो यह चीज क्या होती है बाहरी प्रेशर अलार्म का प्रश्न है कि अब आपको उठना है उसी तरीके से बाहर के संपादक उन सबका प्रश्न होता है कि नहीं अब आपको लिखना है तभी वह लिखते हैं जबकि उनके अंदर की को ट्रेन है से जागृति नहीं होती कि वह लिखें कि इस प्रकार के अधिकार बाहर के दबाव के प्रति समर्पित हुए बिना उसे सहायक यंत्र की तरह काम मिल जाता है यानि कि वह क्या है वह इसके लिए सपोर्टिंग क्रिकेट टूर होता है जो भारी दबाव होता क्या होता सपोर्टिंग टूर होता है कि वह तब काम करना शुरू करेगा जिसमें बहुत ही अथार्थ से संबंधित जुड़ा रहता है यानी कि जो प्रैक्टिकल लाइफ है जो प्रैक्टिकल लाइफ होती है उससे हमारा डायरेक्ट कनेक्शन रहता है अब देखिए कैसे होगा इस हम समझाते हैं जब लेखक अपनी प्रेरणा से लिखेगा तो वो काल्पनिक लिख सकता है वह अपनी खुद की यात्राओं के बारे में लिख सकता है खुद के बारे में लिख सकता है लेकिन जब बाहरी दबाव पड़ता है तो वह क्रॉस मान लीजिए कोई अखबार कर रहे जो लेख चेहरा है या कोई बुक बुक और जा रहा है कि कोई आपको बुक लिखनी है कुछ लिखना है तो जब यह बाहरी प्रश्न पड़ता है तो वह क्या करता है वह प्रैक्टिकल लाइफ से लिखे लेखों के बारे की मांग करता है वह काल्पनिक लिखी चीजों के अच्छा नहीं करता तो इस से क्या होता है यह एक सहायक यंत्री इसलिए बताया गया है कि वह वास्तविक जीवन से जुड़े रहते हैं यानि की प्रैक्टिकल लाइफ से वह अटैच रहते हैं इस बाहरी प्रयोग के कारण कि लेखक कहता है कि इस उसे इस सहारे की जरूरत नहीं पड़ती लेखक ऐसे मुझे सहारे की जरूरत नहीं है अर्थात वह बाहरी प्रयोग के जो एक हमारा सपोर्ट * है उसकी जरूरत हमारे लेखक उन्हीं के यज्ञ जयपुर नहीं पड़ती है वह अपने आप ही उठ जाता है कहने का तात्पर्य है कि उनको भारी दुश्मनी अगर आसपास कुछ घट रहा होता है मान लीजिए ही युद्ध हो रहा है कहीं कोई एक राजनीतिक षडयंत्र और आए कुछ हो रहा है तो वह खुद ही इन सब चीजों पर अपने आप ही लिख देते हैं कि बनिस्पत उन पर कोई प्रश्न न डालें अलार्म भी बच जाए तो ही कोई हानि नहीं कहने का मतलब अगर मुझे मेल खुद लिख लेता हूं अगर आप उसमें मुझे कोई बाहर बोल भी देता है तो मुझे कोई हानि नहीं होती है बिजली व्यवस्था क्या होती है यानि कि अंदर की जो हम बोलते हैं व्यवस्था मतलब हम अपने करना चाहते हैं मगर कर नहीं जा पाते उसके जो फीलिंग होती बहुत सारी काम होते हैं आपके साथ भी ऐसा घटित होता होगा कि बहुत ही ऊंची कि हम करना चाहते हैं पर हालातों के कारण या किसी चीज के कारण हम उन सारे कामों को कर नहीं पाते तो वह फीलिंग या फैला दिए विवशता ठीक है तो अब यहां पर बात हो रही है भीतरी व्यवस्था की में इसका वर्णन करना कठिन है अब आपको इंटरनल क्या है प्रेशर आ रहा है कि आप नहीं लिख पा रहे हो इसे समझने के लिए एक उदाहरण देते हैं कि मैं विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूं इसीलिए रेडियोधर्मिता के प्रभाव के क्या प्रभाव होते हैं इन सबका मुझे पुस्तकीय और सैद्धांतिक ज्ञान है तो अब यह जो इन्होंने यह चीज बताएं भीतरी विवशता इसको कैसे व्यक्त करते हुए उन्होंने बताया यह चीज बताना शुरू किया कि मैं साइंस स्टूडेंट था तो जब वह कहते हैं आपका यह चीजें होती है रेडिएशन वाली रेडियोधर्मी मतलब रेडिएशन रेडियोऐक्टिव दो चीजें होती हैं इनका अगर कोई स्पर्श मनुष्य पर हो जाए तो उसका क्या प्रभाव पड़ेगा यह बहुत अच्छी तरीके से जानते थे तो फिर क्या होता है जब हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरा तो उन्होंने समाचार में पड़ा जहां परमाणु विस्फोट किया गया तो उन्होंने यह चीज समाचार मिलेगी उसके प्रभावों का प्रमाण भी सामने आ गया मदर बिकॉज़ आई तो उन्हें लगा कि हां प्रभाव उनको भी दिखने लगे विज्ञान के इस अनुचित प्रयोग के प्रति बुद्धि का विद्रोह हुआ और लेखक ने लिखा भी पर लेख में अनुभूति के स्तर पर दो यथार्थता होती है वह बहुत अधिक पकड़ से आगे की बात होती है तो उन्होंने बताया कि इसके जो प्रभाव प्रमाण होते हैं जो कि सबूत जो होते हैं एवरीडे जो होते हैं वह धीरे-धीरे सामने आने लगे क्योंकि जब गिरा यह परमाणु बम तो उस समय तो बहुत मतलब बहुत बड़ी बात थी तरह बड़ा वर्ग या फिर धीरे-धीरे इसकी जब खबरें आने लगी तो उसके जो है एविडेंस आने लगे कि इसका जो इंपैक्ट हुआ यानी कि उसके बाद लोगों का क्या हुआ यह सारी चीजें से कितना तो कितने सारे लोग मर गए लेकिन जो बच्चे भी उनके ऊपर भी अ तु एक्टिव जो चीजें हुई थी वह प्रमाण सामने आ रहे थे कि मनुष्य के ऊपर कैसा इन फैक्ट पड़ता है घृत थी उन्होंने उनके पास अभी तक यह पुस्तकीय ज्ञान यानी कि उन्हें यह सारी मनुष्य के ऊपर जो रेडिएशन किस तरह इफेक्ट करता है यह चीज उन्होंने अभी तक थी सिर्फ किताब में पढ़ी थी वह जानते थे लेकिन जब परमाणु विस्फोट हुआ तो उन्होंने वास्तविक यथार्थ यानि कि सचमुच वह सीधे होते अपनी आंखों के सामने देखिए यह में यह चीजें हो रही हैं है इसलिए मैंने इस विषय पर कविता नहीं लिखी अब क्या हुआ जो चीज़ें हमने पड़ी हूं उससे कहीं दुगुना असर वहां पर लोगों के अंदर हुआ था ठीक है यहां पर अब उनकी विवशता का क्या कारण था हम बताते हुए पूरी व्यवस्था की बात कर रहे थे उसी पर इन्होंने कि हम को धारण दिया था तो उन्होंने यह जिस क्या बतानी शुरू करें कि हमने अभी तक यह सारी चीजें किताब में पढ़ी थी लेकिन जब हमने उसके एवरेज देखना शुरू किया कि कितना बुरा इंपैक्ट होता है कि आप पर लगेगा यह चीज लेकिन पीड़ितों तक इसका इन फैक्ट रहेगा यह चीज उनको नहीं पता थी तो इसलिए उन्होंने नहीं लिखा है इस बारे में क्यों क्योंकि वह अंदर से वह सारी चीजें लाभ ही नहीं पा रहे थे कि वह इस पर कुछ लिख पाते तो यह उनकी भीतरी व्यवस्था चाहने के बावजूद उन चीजों को कागज कलम पर ना उतार पाना यह होता है पितृ व्यवस्था कि हमको कोई चीज अंदर से वह कि लेखक बताते हैं कि युद्धकाल में ब्रह्मपुत्र नदी में बम फेंककर हजारों मछलियों को मार देते थे जींद के इस उपर से जो व्यथा भीतर उमड़ी थी उसे एक सीमा तक अनुपम द्वारा व्यर्थ जीव नष्ट कर कुछ अनुभव कर सकता तो अब क्या हुआ जब युद्ध हुआ था तो वह क्या करते थे भई इतनी बड़ी सेना थी तो उसको खाना खिलाना है अब खाना खिलाने के लिए भाई भाई उनको पौष्टिक चाहिए प्रोटीन चाहिए तो फिश के अंदर बहुत ज्यादा प्रोटीन होता है तो क्या करते थे नदी में बम गिरा दिया बम का विस्फोट हुआ तो उसे हजारों लाखों मछलियां मर जाती थी अब देखिए सैनिक इतना खा तो सकते नहीं है ना तो उसमें क्या उनकी जरूरत से ज्यादा जीवों का नाश हुआ और यही चीज उन्होंने कहा देखिए जापान में देखी मतलब आप एक युद्ध का विराम चाहते थे जापान को रोकना चाहते थे इसलिए आपने अणु बम गिराया है और उसका इन फैक्ट क्या हुआ उसके इन फैक्ट में हजारों करोड़ लोग मर गए और उसका पीढ़ी-दर-पीढ़ी असर होता है इस जिसको उन्होंने इस तरीके जीवन शैली वर्णनात्मक इसी जीवन का नाश करना यह चीज उन्हें ब्रह्मपुत्र की नदी और हिरोशिमा इन दोनों को कनेक्ट करने की बात पूरी को लेकर कहते हैं कि अनुभव घटनाओं को अनुभूति संवेदना और कल्पना के सहारे आत्मसात कर लेती है अब इस लाइन को समझ लीजिए हमारा अनुभव यानी कि हमारा एक्सपीरियंस जो है हमारे सारे ताकत जो घटनाएं घटित होती हैं उससे जो अनुभूति यानी कि हम जो फील करते हैं जो हमारे अंदर संवेदना यानि कि फीलिंग जागती हैं और जो उसमें हम कल्पनाएं करने लगते मान लीजिए सपोच आपके साथ अगर कोई घटना होती है तो आप उसको एक्सपीरियंस कर रहे हो उसके साथ ही आपके अंदर कुछ फीलिंग भी जाग रही है अच्छी बुरी जैसी भी आप उनसे आपको क्या प्रेरणा मिल रही है क्या चीजें हो रही है यह सभी चीजें हम कल्पना के साथ अपने पे जिनको लिखने का शौक है वह इस तरीके से करते हैं आजकल जैसे लोग हैं ग्रिल्स बना देते हैं मींस बना देते हैं वीडियो बना लेते हुए चीज का अपना एक्सप्रेस करने का तरीका होता है तो लेखक ने आत्मसात उसको कैसे किया अपनी राइटिंग के थैंक्यू जापान जाकर जब हिरोशिमा के अस्पताल में रेडियो पदार्थ से राहत और कष्ट पा रहे लोगों को देखा सब देखकर तत्काल कुछ नहीं लिख सका मतलब वह इतना ज्यादा स्तब्ध हो चुके थे इस साड़ी त्रासदी को देखकर क्योंकि देखिए जब रेडिएशन स्किन पर लगता है तो वह बहुत ही गलत पिंक डालता है मतलब कहने का मतलब धीरे-धीरे स्किन गलने लगती है शुरू मैं आपको कुछ पता नहीं चलेगा लेकिन धीरे-धीरे धीरे-धीरे उस डेट होने लगते हैं और डेड हजार थी मतलब बहुत ही पेन फूल जो होता है सब कुछ होता है तो जब उन्होंने यह सारी चीजें देखी तो वह तत्काल इतनी ज़्यादा मतलब हैरान रह गए परेशान हो गया होता है कि हम एकदम से देख कर एकदम सॉफ्ट हो जाएं कोई चीज तो हम कुछ रिएक्ट नहीं कर सकते वही चीज लेखक के साथ हुआ वह एकदम ऐसे शॉक हो गए थे कि वह कुछ रिएक्ट नहीं यानि कि कुछ भी लिख नहीं पा रहे थे तो कि एक दिन लेखक सड़क पर घूम रहे थे तभी उन्होंने जले हुए पत्थर पर एक लंबी सी सुनहरी छाया देखी तो मैंने जो भी पत्थर बताया था कि पत्थर था उसके हाथ में कोई आदमी खड़ा था उसी समय विस्फोट हुआ तो विस्फोट का इन पैसों से मैं यहां पर खड़ी हूं इस तरीके से मैं यहां पर खड़ी सामने अगर होगा तो क्या होगा उसे इंपैक्ट से पीछे का जो पत्थर था वह मेरी छाया के आसपास पूरा जल गया लेकिन मेरी छाया का इंफेक्शन मैंने कि उतनी जगह पर वाइट वाइट हो गया बाकी पूरा पत्थर जल गया था यह जिस लेखक ने अपनी आंखों से देखा छाया वह देखकर थप्पड़ से लगा मतलब एक झटका इसको बोलते हैं उन्हें लगा के भीतर कहीं सहसा जलते हुए सूर्य सा उग आया और डूब किया कहने का मतलब सोचिए एक आदमी उस समय भस्म हो गया होगा जो आकर पत्थर पर अगर वह काली छाया पड़ सकती है तो सोचिए वह आदमी का क्या हाल हुआ होगा तो यह सारी चीज लेकर एकदम सॉफ्ट हो गए थे यह उनकी फिल्म थी हाउ टो मेक बता दे कि उस समय जैसे आलू विस्फोट में अनुभूति पक्ष में आ गया और एक अर्थ में वह खुद हिरोशिमा के विस्फोटक भोगता बनकर मतलब कहने का तात्पर्य उन्होंने जब यह सारी चीजें खुद देखी तो उन्हें लगा कि शायद लग रहा था उनको कि वह खुद ही उस समय वहां विस्फोट के समय मौजूद थे और वह सारी चीजें जो अस्पताल में उन्होंने देखिए और उस पत्थर पर जो देखिए वह उनके साथ घटित हुई है उन्होंने उसको अपने इतना नजदीक फील किया इसी से यह सहज व्यवस्था जाएगी भीतर की आकुलता बुद्धि के क्षेत्र में बढ़कर संवेदना के क्षेत्र में आ गई और एक दिन अचानक उन्होंने हिरोशिमा पर कविता लिखती यानि कि भीतर उन्होंने जो कुछ भी फील किया था सारी चीज़े आकुलता यानि कि भीतरी जो हमारे अंदर अंदर जो इन्हें हम के दिन बहुत ही ज्यादा विचलित हो जाते हैं बेचैन हो जाते इंफेक्शन फूल जाते हैं तो वह सारी जो फीलिंग ही वह धीरे-धीरे बुद्धि पढ़ाई यानी कि धीरे-धीरे अपनी जितना सारे सारी चीजें सोचिए तो उनके दिमाग पर बहुत सारी चीजें हुई और धीरे ने फिर इस पूरी त्रासदी पर कविता लिख दी थी कि इस कविता को उन्होंने जापान में नहीं बल्कि भारत लौटकर रेल गाड़ी में बैठे-बैठे लिखी यह कविता अच्छी है या बुरी इससे कुछ मतलब नहीं है मतलब जब वह हिरोशिमा में थे यानी कि जापान में थे तो वह इन सारी चीजों से इतना ज्यादा सॉफ्ट हो चुके थे कि उस समय वह खुद ही अंदर से बहुत ज्यादा बेचैन थी कुछ नहीं लिख पा रहे थे लेकिन जब उन्होंने जापान से भारत तक की यात्रा कर ली तब तक उनकी वह जो अंदर की बेचैनी थी वह उनकी बुद्धि पर खाविस हो चुकी थी और धीरज धुनों को आया कि हमें इस पर कुछ लिखना चाहिए तब उन्होंने भारत आकर इस पर कविता लिखी तो इस तरीके से हमारे लेख अज्ञेय जी ने हिरोशिमा के माध्यम से क्यों लिख रहे हैं वह क्या लिख रहे हैं क्या व्यवस्थाएं होती हैं एक लेख हैं कुल लेख लिखने के लिए प्रेरित करती है और अज्ञेय जी को खासतौर से क्या प्रेरित करता है यह उन्होंने हमें इस पाठ के माध्यम से बताया कि हमें अच्छे से समझ में आ गया विस्फोट से रिलेटिड कुछ प्रश्न को देखते हैं यह प्रश्न संख्या 1 हिरोशिमा में बम विस्फोट में हुई क्षति को देखकर लेखक को कौन सी घटना याद आई तो कौन सी घटना याद आती थी उन्हें ब्रह्मपुत्र पर ब्रह्मपुत्र नदी पर बम गिराए जाने वाली घटना याद आएगी किस तरीके से हजारों करोड़ मछलियां जो है वह मर जाती थी उस चीज को है याद आया था तो क्या है देखिए कि हिरोशिमा में आलू विस्फोट से निकली रेडियोधर्मी तरंगों के असमय असंख्य लोगों के काल-कलवित कर दिया लेकिन उस वोट का दुख भोगते हुए लोगों को देखा यह देखकर भारत की पूर्वी सीमा की घटना याद आ गई कि कैसे सैनिक ब्रह्मपुत्र में बम फेंककर हजारों मछलियां मार देते थे जबकि उनका काम थोड़ी सी मछलियों से चल सकता था इसे जीवों का व्यर्थ ही विनाश हुआ था यानी कि उन मदरबोर्ड जो बेकसूर लोग ही वह भी मां भरे थे तो उसका कोई मतलब नहीं था महावीर मछली आपको वह मछलियां कितनी खानी कि आप मुद्रा खेलो किलो-दो किलो 4 किलो मांस चलो अरे हमको रक्षा खेलोगे लेकिन वहां तो कितनी सारी मर गई थी तो बाकी ज्योति वह तो सड़क के बिछड़ना उनकी तो जान फालतू में गई हैं जो आपको जरूरत नहीं थी आपने उनको भी मार दिया तो वही चीज कहां पर हुई थी हिरोशिमा पर हुई थी कि आप इस युद्ध में जीतना चाहते थे इसलिए आपने वहां पर हम गिरा दिया लेकिन उसका नतीजा आपने शहर में विस्फोट किया मासूम बच्चे है और ते बुजुर्ग ना जाने कितने मारे गए तो यह क्या था बेकार में जिम का नाश था यह प्रश्न संख्या दोहे चुनाव में हुए बम विस्फोट के दुष्प्रभावों को पढ़कर भी लेखक कविता क्यों न लिख सका क्या कारण था कि उन्होंने इस सारे दुष्प्रभाव देखें इतना इस इंपैक्ट देखा उसके बावजूद भी वह कविता नहीं लिख सके क्योंकि भीतरी व्यवस्थित नहीं लिख पा रहे थे इतनी बेचैनी थी वह अपने आपको इक्वल गिर नहीं कर पा रहे थे यदि लेकर विज्ञान का विद्यार्थी होने के कारण अनुभव रेडियोधर्मी तत्व रेडियोधर्मिता के प्रभाव आदि का सैद्धांतिक ज्ञान गहरी से रख गहरा इस रखना था कहने का मतलब वह जानते थे कि अट्टंस क्या होते हैं आपके साथ ही आपको कहते हैं रेडिएशंस क्या होते हैं यह सारी चीजों के बारे में बहुत अच्छे से जानते थे लेकिन इसके बाद भी हिरोशिमा के अनुपम गिरने से उसके परवर्ती प्रभावों का विवरण पढ़ने के बाद भी बल लेख आदि में कुछ भी लिख पाया लिख पाया पर कविता लिख सका क्योंकि लेख लिखने के लिए बहुत अधिक प्रज्ञा आवश्यकता होती है जबकि कविता के लिए अनुभूति के स्तर की व्यवस्था होती है हीरो की घटना पढ़ने मात्र से उनके भीतर अनुभूति के स्तर की व्यवस्था उत्पन्न न हो सके तो अभी मैंने यहां पर हमको क्या बताया कि जब हिरोशिमा पर बम गिराया था ये सब कुछ बहुत अच्छे से पहले जानते थे कि यह सारी चीजें इफेक्ट होते हैं उन्होंने यह सारी चीजें जानी तो उसमें लेख तूने लिखा है क्योंकि वह बहुत अधिक स्तर पर काम करना था हमने उसकी सोच और काम को कर दिया ले लिए लेकिन कविता आए जब भी लिखी जाती है वह अनुभूति जब तक हम उसको महसूस नहीं करेंगे हम उसे उसमें वह फीलिंग नहीं ला पाएंगे कि दूसरे को पढ़कर मजा आए तो वहीं आनंद जो दूसरों को आनंद लेना है तो पहले खुद को अनुमति लेनी होगी तो इसलिए वहां पर मतलब होने में चीज को खबर को पढ़ा था तब वह इस पर कुछ व्यक्तियों कर पाए लेकिन जब वह रोशन गए वहां से लौट के आए तब उन्होंने वह सारी चीजें अनुभूति में ले आई थी मतलब वह सब चीजें उन सब चीजों को फेल कर चुके थे तब वह इस पर कविता लिख पाए थे कि प्रशासन के अधीन है लेख अज्ञेय की प्रत्यक्ष अनुभव और अनुभूति में क्या अंतर बताया है प्रत्यक्ष अनुभव और अनुभूतियां यानी कि सामने हम्म जब कोई चीज देखते हैं वह अनुभूति मतलब फिल्म इन दोनों में उन्होंने अंतर क्या बताया कि अज्ञेय ने प्रत्यक्ष अनुभव अनुभूति में अंतर बताते हुए कहा कि अनुभव तत्व घटित का होता है यानि कि जो चीज़ें हो गई हैं हम उसका अनुभव कर सकते हैं परंतु अनुभूति संवेदना और कल्पना के सहारे उसे सत्य को आत्मसात कर लेता है जो कृतिकार के साथ खत्म नहीं हुआ हो अब यहां पर कहने का तात्पर्य है हम कोई चीज एक्सपीरियंस कैसे करते हैं मतलब हमारे साथ घटित होगी तो हम एक्सपीरियंस करेंगे है लेकिन हम उस चीज को अनुभूत यानी कि हम फील करते हैं फीलिंग हमारे जब किसी और के साथ घटित हो घटित हो हमने उसको देखा हो जाना हो और उस चीज को उस व्यक्ति ने जो फील किया हो उस चीज को हम अपने अंदर उतार लें तब वह होती है अनुभूति अब इसे आप कैसे अब इसे आप कैसे समझाऊं कि मैं आपको बताती हूं एक आपका एक्सीलेंट सपोच ऐसा किसी के साथ न हो आपका घर ऐक्सिडेंट हो जाए तो आप उसको एक्सपीरियंस कर लिया कि आपके साथ क्या हुआ कैसे हुआ यह सारी चीजें हूं ठीक है तो वह आपका क्या था एक्सपीरियंस था लेकिन अब हम आते हैं अनुभूति से उसको कैसे मान लीजिए आपके साथ यह हो चुका है अब आपने देखा कि एक रास्ते भी छोटा सा प्यारा सा डोगी है उसके ऊपर किसी ने गाड़ी चला दी जो उसके पैर के ऊपर है तो क्या होगा आप जानते हो कि एक एक्सपीरियंस आफ कर तू क्यों कितनी तकलीफ होती है आधुनिक उठाओगे उसका उपचार करोगे उसे डॉक्टर पास ले जाओगे सब कुछ करोगे उसके दर्द को आप अनुभव कर सकते हो क्योंकि वह आपके साथ घटित हो चुका है आप उसे पहले एक्सपीरियंस कर चुके वह तो अब आप उसके दर्द को गिव वन दर्द वह तो उन्होंने जो है वह तो बेजुबान है अब उसके दर्द को आप फील कर पा रहे हो तो यह वह यह अनुभूति दूसरे के दर्द को अपनाकर अपने अंदर वह फीलिंग जागृत करना जो हमारे साथ घटती नहीं हुई है तो यह अनुभूति होती यह अंतर लेखक ने हमें बताया है को देखते क्वेश्चन नंबर फोर तमाम तथ्यों का उल्लेख कीजिए जो लेखक को लिखने के लिए प्रेरित करते अभिनय ने बोला ना पूरी कहानी का हमारा टॉपिक है मैं क्यों लिखता हूं तो अब क्या चीज है जो उन्हें बहुत ही ज्यादा इंस्पायर कर रही है कि आप लिखी क्या है लेकर कुछ लिखने के लिए प्रेरित करने वाले तत्व निम्नलिखित थे अपनी भीतरी प्रेरणा व्यवस्था जाने के लिए लेखक लिखता है यानी कि हमारे अंदर क्या पी अंदर हमारे क्या प्रेरणा है और क्या चीज है जो हमें लिखने से रोक रही है इसलिए वह लिखना चाहते हैं नैक से किस बात ने लिखने के लिए उसे प्रेरित और विवश किया है यह जानने के लिए यानि कि कौन सी ऐसी बात है मालवी जी कोई घटना घटी उनके साथ तो वह घटना क्या हो सकती है हम अब उसके बारे में लिखने से पहले उसके बारे में जाने है ना हमारे जैसे आपको कोई प्रोजेक्ट दिया जाता है आप उस प्रोजेक्ट के बारे में नहीं जानते मगर आपको लिखना है तो अब लिखने के लिए आपको क्या करना पड़ेगा पहले उस प्रोजेक्ट भी जो टॉपिक है उस और आपको सारी नॉलेज इकठ्ठा करनी पड़ेगी ना तो वही चीजें अगर हम किसी घटना को जानना चाहते हैं तो क्या करना पड़ेगा पहले हमें लिखने के लिए सूचक लिखेंगे तो उस बारे में सारी वाले अधिकतर कर लेते हैं एक साथ मन के दबाव से मुक्त होने के लिए लेखक लिखता है कहने का मतलब हमारी अंदर जब बहुत ज्यादा भारीपन आ जाता है हम किसी से कोई बात कह नहीं पाते हमें एक्सप्रेस नहीं कर पाते उस कंडीशन में हम क्या करते हैं हम लिखने की कोशिश करते हैं है तो यह हमारा पार्ट था आप सभी को अच्छे से समझ में आ चुका होगा ध्यान रखिएगा एग्जाम्स में यह सारी चीजें पूछे जाएंगे बहुत ध्यान से सारी चीज़े लिखेगा है तो यह जो वन शॉट रिवीजन हमारे इस हिंदी में नहीं है आपके सभी सब्जेक्ट्स के लिए 130 बना रहे हैं तो अब इन थॉट को हम देखेंगे कैसे उसके लिए आपको सिंपल काम पर जाना है - 20th करेंगे आप आपके सुबह इंटरव्यू सकते हैं कोई दिक्कत लेकिन आप जैसे है आएंगे पिन पर तो आपके सामने एक पेज ओपन होगा जहां पर नीचे की साइड में सीबीएसई इंग्लिश मीडियम जैसे आप इसे करोगे आपके सामने यहां पर देखिए आप इस वर्ष को क्लिक करेंगे आपके सामने भी जाएंगे अब आप देख सकते हो यहां पर आपको क्लिक करना है जैसे आपके सामने क्लास चैनल को सबस्क्राइब इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी हिस्ट्री से लॉगिन और मिक्स इंग्लिश इंग्लिश हिंदी संस्कृत संस्कृत हिंदी चैप्टर यहां पर क्लिक 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