भारतीय भौतिक भूगोल: संरचना और भौगोलिक स्थिति
पिछले व्याख्यान की पुनरावृत्ति
- हमने भारतीय पेनिन्सुला का उद्गम और भौतिक श्रेणियों में विभाजन देखा।
- तीन मुख्य श्रेणियां: हिमालय, नॉर्दर्न प्लेन्स और पेनिन्सुलर ब्लॉक।
- हिमालय खंड में, पैंजिया के टूटने के बाद गोंडवाना लैंड का हिस्सा भारत, यूरेशियन प्लेट से टकराता है जिससे हिमालय का निर्माण होता है।
हिमालय का गठन
- ट्रांस हिमालय, ग्रेटर हिमालय, मिडल हिमालय और शिवालिक के हिस्से।
- टेथिस सागर के मरीन सेडिमेंट्स के उत्थान से हिमालय का निर्माण।
नॉर्दर्न प्लेन्स का निर्माण
- हिमालय से निकली नदियों और पेनिन्सुलर ब्लॉक की नदियों के सेडिमेंट्स से फोर डीप क्षेत्र का निर्माण।
- नॉर्दर्न प्लेन्स का वर्गीकरण: भाभर, तराई, और एलवीयल प्लेन्स।
- भाभर: बड़े पत्थरों से बना क्षेत्र, नदियां अदृश्य हो जाती हैं।
- तराई: सैंडी और स्वंपी क्षेत्र, जल पुनः प्रकट होता है।
इंडो-गंगा-ब्रह्मपुत्र प्लेन्स का विस्तार
- मुख्य नदियां: सिंधु, गंगा, और ब्रह्मपुत्र।
- डेल्टा निर्माण: सुंदरबन डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा है।
- डेल्टा के अलावा, नदियों द्वारा बनाए गए भौतिक स्वरूप जैसे कि सैंड बर्स, मिएंडर्स, और ऑक्सबो लेक्स।
पेनिन्सुलर प्लेट का विस्तार
- पुराना पेनिन्सुलर ब्लॉक: अरावली, विंध्याचल, सतपुड़ा रेंज, और पश्चिमी व पूर्वी घाट।
- वर्गीकरण: नॉर्थ सेंट्रल हाइलैंड्स, साउथ सेंट्रल हाइलैंड्स, ईस्टर्न प्लेट्यू, डेक्कन प्लेट्यू।
- नॉर्थ सेंट्रल हाइलैंड्स: अरावली, बघेलखंड,
- साउथ सेंट्रल हाइलैंड्स: विंध्याचल, मालवा प्लेट्यू।
- ईस्टर्न प्लेट्यू: छोटा नागपुर प्लेट्यू, मेघालय प्लेट्यू।
- डेक्कन प्लेट्यू: सतपुड़ा रेंज, महाराष्ट्र रेंज।
भूगोल के अन्य पहलू
- नदियों के किनारे के हिस्से, जैसे रिवन।
- बढ़ते जलवायविक और भूगर्भीय परिवर्तन।
महत्वपूर्ण बिंदु
- भौगोलिक संरचना के विभिन्न हिस्सों का इतिहास और विकास।
- प्रमुख नदियों और उनके जलग्रहण क्षेत्रों का महत्व।
- पेनिन्सुलर भारत के भूगर्भीय विशेषताएं।
- भूगोलिक विशेषताओं की भिन्नता और उनका इकोलॉजिकल प्रभाव।
अगला सेशन
- भू-आकृति विज्ञान के साथ पेनिन्सुलर प्लेट्यू और कोस्टल क्षेत्रों का विस्तृत अध्ययन।
यह नोट्स आगामी परीक्षाओं के लिए संक्षिप्त और उपयोगी होंगे।