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नेता नगरी एपिसोड

आपको पता चले ब्रॉट टू यू बाय कैड डस्टिंग पाउडर कैड डस्टिंग पाउडर रेडनेस इरिटेशन स्वेट रश और फंगल इंफेक्शन जैसे चार स्किन प्रॉब्लम्स का एक एक्सपर्ट सलूशन अब रहो अनस्टॉपेबल कैंड डस्टिंग पाउडर के साथ नेता नगरी के एक और एपिसोड में आपका बहुत-बहुत स्वागत है इस बार तो न्योता भी आया शपथ ग्रहण का दोस्ती हो गई फ बिल्कुल आया बिल्कुल आया वो भी रो टू में मैं उसी रो में था जहां योगी आदित्यनाथ थे जैसे ही राहुल गांधी ने एल ओपी का पद जो है वो वो ले लिया उसके बाद से ही कांग्रेस नेताओं में एक अलग सी ऊर्जा आ गई है जो आगे की सीट पर मॉनिटर बैठता है वो नालायक ही नहीं कर सकता तो क्या है कि आप प एक सेंस ऑफ रिस्पांसिबिलिटी उस पोस्ट के साथ आती है कॉन्फिडेंस और एरोगेंस के बीच में एक बड़ी थिन लाइन होती है और सरकार और विपक्ष दोनों इस समय मुझे लगता है वोटर जो वोटर जिसने मैंडेट एरोगेंस अहंकार के खिलाफ दिया है वो अलग दिशा में जा रहे हैं दिनों बाद 12 साल के बाद अखिलेश यादव का कोई दांव जो है वो सही हुआ है सोनिया गांधी बिकम एन एक्सेप्टेबल फेस एक एक्सेप्टेबिलिटी उनकी बड़ी क्या राहुल गांधी इस चुनाव के नतीजों के बाद उसी तरह से एक एक्सेप्टेबल फेस बन जाते हैं या अभी भी वो लड़ाकू है जो चैलेंज करेंगे यह जो डिसीजन दिया गया कि हमें डेप्युटी स्पीकर चाहिए किसी भी हालत में डिवीजन जो थी वो एक वॉर ऑफ ऑप्टिक्स थी जो आपने नहीं मांगी अभी महाराष्ट्र में हरियाणा में तमाम इलेक्शन है उसमें अगर अपोजिशन कैन डू बेटर क्रिएट कर सकते हैं सिचुएशन जिसमें द एलाइज ऑफ द बीजेपी इन द एनडीए उनके मन में बीजेपी और नरेंद्र मोदी के बारे में संशय क्रिएट करें सीन में मैं देख रहा हूं जैसे ही नाना मुझे टोक रहे हैं आप बड़े हंस रहे हैं यह सब मैं देख रहा हूं ौर जी मेरे आंखों से यह सब बातें हैं अरे आवाज तो देखिए आवाज आपने बंद की थी खोलने का काम भी आप ही करेंगे देने का और मुझे नहीं पता ओम बिडला की डेस्क प बटन है कि नहीं म्यूट करने की मेरी डेस्क प नहीं है दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आजाद है कि देखना है खींचता है पहला तीर कौन मुझ पे क्या बात है नमस्कार नेता नगरी के एक और एपिसोड में आपका बहुत-बहुत स्वागत है यहां हफ्ते भर की सियासी सुर्खियों के बारे में विस्तार से बात होती है आज के नेता नगरी में खूब सारे गेस्ट हैं खूब सारे पत्रकार हैं एकएक करके आपका परिचय करवा देते हैं सबसे पहले हमारी मेहमान है रॉकस्टार रिपोर्टर जो कि इंडिया टुडे ग्रुप से जुड़ी हुई है और प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिनके तेज तरार और जरूरी सवालों को सुनकर नेता खींचते हैं तो खींचते रहे वह अपना काम करती रहती हैं मौसमी सिंह जी बहुत-बहुत स्वागत है आपका नेता नगरी में बहुत-बहुत शुक्रिया सौरभ इतना ो वादार और दमदार स्वागत करने का मैं मैम आपका 2013 उमीद है आप सवालों के जवाब हम उसी तरह से दे पाएंगे जी जी मैं 2013 से आपकी रिपोर्टिंग का बहुत फैन हूं मैंने पहले भी आपको बताया था उन दिनों आप ये थोड़ा सा पर्सनल है पफाई में से उन दिनों आप बहुत सारी वो चिमिया लगाया करती थी मैं बाकी न्यूज रूम में बोलता यार ये लड़की कितनी तेज तरार एकदम भीड़ में नेता हो प्रोटेस्ट हो एकदम माइक लेके जाबाजी से तत्पर रहती है बहरहाल बहुत शुक्रिया आपने हमें जवाइन किया दूसरी मेहमान है हमारी इकोनॉमिक टाइम्स अखबार से जुड़ी हुई निधि शर्मा जी जिन्होंने द लीडर नाम की एक चर्चित किताब भी लिखी है जो अलिफ से पब्लिश हुई है हमने इस पर किताब वाला भी किया है आपको जरूर ये किताब पढ़नी चाहिए निधी बहुत-बहुत स्वागत है आपका भी तीसरे मेहमान है हमारे हाल ही में विदेश की यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे और देश के सबसे शानदार खेल प्रशासकों में से एक उनके समर्थकों के मुताबिक इकलौते और इन सबसे समय मिलता है तो इंडिया टुडे ग्रुप के पॉलिटिकल एडिटर भी हिमांशु मिश्रा जी बहुत-बहुत स्वागत है अरे आवाज तो देखिए आवाज आपने बंद की थी आवाज खोलने का काम भी आप ही करेंगे देने का और ब मुझे नहीं पता ओम बिडला की डेस्क पे बटन है कि नहीं म्यूट करने की मेरी डेस्क पे नहीं है अच्छा मेरे को लगा कि वहां से म्यूट किया गया मैं इसलिए कह रहा हूं और आप तो वसे पक्ष से नहीं है हैं मैंने कहा आप तो वैसे भी नेता नगरी के सत्ता पक्ष से हैं विपक्ष से नहीं है तो म्यूट क्यों किया जाएगा नहीं नहीं मैं किसी सत्ता किसी पक्ष और पक्ष के खिलाफ वाला आदमी नहीं हूं ना सत्ता पक्ष के साथ हूं ना विपक्ष के साथ मैं नेता नगरी स बात कर रहा हूं सर आप य वो जो मैं कवर करता हूं आप उस संदर्भ में बात करें वो ठीक है जी लेकिन मैं खेल प्रशासक नहीं हूं मैं तो खेल के साथ जुड़ा हुआ एक छोटा सा अधना सा व्यक्ति हूं जो जब जरूरत पड़ती है तो उसके उस खेल के साथ बस अपना आपको खड़ा महसूस करता हूं खेल लेता हूं आप सुन रहे थे बल के प्रधान सेवक हिमांशु को यह ठीक है हा यह कह सकते हैं चौथे मेहमान है अपनी किताब पर जोरशोर से काम कर रहे और नेता नगरी के हर एपिसोड से पहले अपने तगादे इंडिया ट टीवी के कंसल्टिंग एडिटर और हाल ही में साव वर्ष में दाखिल होने वाले राजदीप सर देसाई जी बहुत-बहुत स्वागत है आपका सर नमस्कार सर आप बड़े वायरल रहे पिछले दो तीन दिन विर पर कुछ आप नाना पाटेकर की बातचीत देखिए ऐसा है नाना पाटेकर और मैं पुराने दोस्त हैं और मैं आपके प्रोग्राम में आया था लेकिन अफसोस की बात है आपने इतना अच्छा तीन घंटे का उनके साथ प्रोग्राम किया जी लेकिन सोशल मीडिया प मेरे जो एक जो एक मिनट है वही वायरल रहा ये क्या दर्शाता है कि राजेश खन्ना के साथ भी कभी-कभी मुखरी की जरूरत पड़ती है यह दर्शाता है कि सोशल मीडिया लव्स यू मिस्टर सरदेसाई नहीं आई विश अच्छी ची वो सोशल मीडिया नहीं दिखाता है बस यही कहता है कि नाना पाटेकर ने आपको पत्रकारिता के बारे में एक दो सबक सिखाए ठीक है हंसी मजाक है और उस सीन में मैं देख रहा हूं जैसे ही नाना मुझे टोक रहे हैं आप बड़े हंस रहे हैं यह सब मैं देख रहा हूं सौरभ जी मेरे आंखों से यह सब बातें हैं कि आपने मैं इसलिए हस रहा था क्योंकि आप बड़े खुश हुए मैं इसलिए हंस रहा था क्योंकि जो आप अक्सर कहते हैं तुम उत्तर भारतीय तो मुझे लग रहा था कि महाराज दो स्लट एक बड़ा जर्नलिस्ट और एक बहुत बड़े नाना से मेरे फोन पर भी बात हुई उन्होंने कहा आप तुला वाइट नहीं वाट सर मला का वाइट नहीं वाटत मला ब्लैक एंड वाइट पाठवा शराब पीना स्वास्थ के लिए हानिकारक है यह पट्टी भी नीचे लगा देना गौरव उसका जिक्र भी किसी भी किस्म का नहीं नहीं मैं तो मेरे पास फिर नाना का फोन आया और उन्होंने पूछा आपकी खैर कोहा और बोले यार वो बहुत अच्छा मानुस है और मेरी बात होती रहती है और यह पता नहीं सोशल मीडिया पर क्या चला रहे तो मैंने उनसे कहा कि राजदीप जी को लुत्फ आता है किसी ना किसी बहाने महफिल में उनका जिक्र होता रहे देखिए जैसे मैंने कहा ना एक कैरेक्टर एक्टर जब होता है उसकी उसके करियर को आप उनकी लंबाई से दे उनके कितने सालों तक वो फिल्म में रहते हैं उसी से चलता है आप जो सुपरस्टार है आप ऊपर जाते हैं लेकिन शायद तीन चार साल पाच साल बाद कोई और नया सुपरस्टार आता है तो आप लोग सुपरस्टार है हम कैरेक्टर एक्टर है हमको फिल्म में काम करना पड़ता आप सुन रहे थे मेरे करियर का मर्सिया पढ़ रहे राजदीप सर देसाई को अब रुख करते हैं हमारे आज के आखिरी मेहमान जिस न्यूज में न्यूज डायरेक्टर और जिनके आने से मेरे चेहरे की इस बीमार की इस महफिल की सबकी रौनक बढ़ जाती है ऐसे राहुल श्रीवास्तव जी बहुत बहुत स्वागत है सर आपका भी स जी नमस्कार अगर इजाजत हो तो मैं कुछ कहू वो जो राजदीप जी कुछ कह रहे कहां है सर ऐसा है कि राजदीप जी के सा स्पेशलिटी देखिए इनकी क्या है कि एक इनको उड़ता तीर लेने की आदत है दूसरा यह इस समय प इनकी और जो नाना पाटेकर जी के साथ हुआ सोशल मीडिया की जो आप बात कर रहे थे उनकी और मोदी जी की सिचुएशन में एक बड़ी अजीब सिमिलरिटी है कि दोस्तों ने दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आजाद है कि देखना है खींचता है पहला तीर कौन मुझ पे क्या बात है क्या बात बहुत गहरी बात कह दी राहुल सर आपने मैं इस पर उम्मीद कर रहा हूं राजदीप जी सहमत होंगे नहीं देखिए ऐसा है देखिए ऐसा 5 मेरी 56 की छाती नहीं है तो जब मुझे कोई इस तरह से तीर मारता है तो कभी कभी लगता है यार कहां मैं छोटा कैरेक्टर एक्टर और कैरेक्टर जर्नलिस्ट को कहां आप लोग टारगेट कर रहे हैं कोई आपको टारगेट नहीं कर रहा है प्लीज स्टॉप सेइंग दैट अच्छा ये बताइए इस बार तो न्योता भी आया शपथ ग्रहण का दोस्ती हो गई फ बिल्कुल आया बिल्कुल आया वो भी रोड टू में मैं रो नंबर टू में था और गया जरूर क्योंकि मुझ मैंने सोचा अगर आप कोई किताब या इलेक्शन पर कुछ लिख रहे हैं तो थोड़ा कलर मिलेगा तो मैं जरूर गया था और शपथ ग्रहण बहुत लंबा होता है यही प्रॉब्लम है इतने मंत्री होते हैं तो वो थोड़ा लॉन्ग एक एक ज्यादा मजा तो नहीं आता पर देखते हैं कि कौन रो वन दिल्ली की राज दिल्ली की जो पॉलिटिक्स ऐसी है कि रो वन में कौन है वो पता चलता है कि उसकी उसकी क्या किस तरह से वह आगे बढ़ रहे हैं कहां पावर सिस्टम में है और जिसे रोड 10 पर डाला जाता है वो पता चलता है वह कहां पावर सिस्टम में है तो मैंने देखा कि मैं उसी रो में था जहां योगी आदित्यनाथ थे बाकी आप समझे और इस तरह से और आर्मी चीफ से आगे बैठे थे राजदीप कह रहा हूं कि इस हफ्ते की क्लिप भी जो वायरल होनी है देखिए कहां मुझे फसाते हैं वैसे ही अरे सर मैं आपने आपने रो बताई उम्र उम्र तो आप बताते नहीं रो बता दिया आपने तो मैंने उसी हिसाब से बताया कि पांचवी रो में वो थे हां चलिए चलिए मैं गया दूसरी रो में वैसे मेरा रो नंबर आठ या 10 था मैं बीच में बैठ गया रो रो नंबर टू में फिर मैं पीछे चला गया क्योंकि मुझे लगा बैक बेंचर होना अच्छा होता है लाइफ में पर अच्छा है पुरानी मोहब्बतें पुरानी दोस्ती आबाद होती रहे हां और ऐतिहासिक दिन है देखिए नरेंद्र मोदी जी तीसरी बार प्रधानमंत्री लगातार बनते हैं ऐतिहासिक क्षण था देखना था कि किस तरह से बदलाव आया है अगर कोई बदलाव आया है तो किस तरह से आया है तो कुल मिलाकर एज अ जलिस्ट इट वाज एन इंटरेस्टिंग ऑब्जर्वेशन कि किस तरह से दुनिया बदल रही है आप सोचिए चंद्रबाबू नायडू जिसके घर पर आठ महीने पहले जब मैं गया था ना कोई कोई नहीं दिख रहा था उस जैसे ही वो उस सेरेमनी में आए सब उनकी तरफ आ गए यह दुनिया बदलती है पवन कल्याण जैसे ही वहां पहुंच गए सभी जो पत्रकार थे या जितने भी वीवीआईपी से सब पवन कल्याण के साथ फोटो लेना चाहते थे यह दुनिया है बदलती रहती है कोई ऊपर कोई नीचे मैं एक बात कहना चाह रहा हूं बहुत देर से मैं राजदीप को सुन रहा हूं एक्टर अभिनेता कुछ कुछ कह रहे हैं मुझे लग रहा है 60 वर्ष के बाद अब क्या ये वेब सीरीज बनने वा राज के पर मुझे ऐसा आभास हो रहा है वेब सीरी राजदीप कोई एक्टिंग करने के लिए जाने वाले और य खुलासा राज कर इनके परर कोई वेब सरी बने आपको स्कूप दे रहा राजदीप जी कुछ लिख रहे हैं और इनकी कोशिश मत करो आपके लिए रोल देखता रो मिल जाए तो नहीं नहीं अच्छा है चलिए जब आप सब लोग पहली पायदान पर पहुंच जाए पहली रो में पहुंच जाए तो इत्तला करिएगा हम भी टीवी से इस बात का ऐलान करेंगे कि हमारे कुछ परिचित पहली रो में पहुंच गए बहरहाल चर्चा हो गई है शुरुआती अब बात की शुरुआत शुरुआत उस खेमे से जो आक्रामक है कॉन्फिडेंट है और लगातार सुर्खियां बटो रहा है विपक्ष का खेमा मौसमी सिंह कांग्रेस के खेमे की रणनीति क्या है खास तौर पर स्पीकर का चुनाव हो या फिर नीट का मुद्दा हो या कुछ और ऐसे ही दूसरे मुद्दे चर्चा क्या है अंदर खाने क्या रणनीति कितनी आक्रामकता और स्पीकर के मुद्दे को लेकर पक्ष विपक्ष के दावों के बीच कांग्रेस का अपना वर्जन क्या रहा देखिए सौरभ कांग्रेस के बहुत बदले बदले मिजाज और अंदाज नजर आ रहे हैं काफी गदगद है सारे कांग्रेस के सांसद आप यह समझ लीजिए कि जैसे ही राहुल गांधी ने एल ओपी का पद जो है वो वो ले लिया उसके बाद से ही कांग्रेस नेताओं में एक अलग सी ऊर्जा आ गई है कोई राहुल गांधी के पास कोई और रास्ता भी नहीं था क्योंकि यह बिल्कुल एक तरीके से कांग्रेस के सांसद से लेके वर्किंग कमेटी इस बात को लेकर बिल्कुल क्लियर थी कि अभी नहीं तो कभी नहीं और यह बात मल्लिकार्जुन खरगे साहब ने भी राहुल गांधी को इन शब्दों में समझाई कि यह मेरा भी निर्णय है सीडब्ल्यूसी का भी निर्णय है तो आप इस से जो है बिल्कुल भी नकार नहीं सकते तो ये शुरू से ही त था कि राहुल गांधी को यह पद लेना ही पड़ेगा राहुल गांधी आल्सो अंडरस्टूड की द टाइम है कम ये मैं इसलिए बता रही हूं कि इसकी वजह से कांग्रेस में एक नई प्लानिंग एक नई ऊर्जा नजर आ रही है जो चीज छोटी छोटी चीज है जैसे की अगर आपके घटक दल के नेता आपके साथ बैठे हैं उनसे मुस्कुरा के बात करना हाथ मिलाना उनको साथ लेकर चलना एक फोटो अपॉर्चुनिटी होती थी उसमें अलग लग नेता नजर आते थे जब इंडिया ब्लॉक बना भी था और उसके बाद भी कई फोटो अपॉर्चुनिटी हुई जिसमें आनंद पानंद में कहीं राहुल गांधी खड़े हैं कई खरगे खड़े हैं कहीं उद्धव ठाकरे खड़े हैं अखिलेश यादव उस तरफ कोने में खड़े तो मतलब की रणनीति इसलिए बढ़िया मजबूत बनाने की कोशिश कांग्रेस कर रही है क्योंकि अब बाकी दलों को भी साथ ले रही है अखिलेश यादव और ल गांधी में गजब की केमिस्ट्री नजर आ रही है और वहीं पे अभिषेक बैनर्जी को राहुल गांधी बिठा के बातचीत कर रहे हैं जैसे ही कुछ एक तरीके से कहते हैं ना स्पीड ब्रेकर जैसे ही नजर आता है बाहर अभिषेक बालेज कहते हैं कि यूनिलैटरल डिसीजन है कांग्रेस का स्पीकर का चुनाव लड़ना और भीतर हम देखते हैं कि राहुल गांधी अभिषेक बैनर्जी के साथ बैठे हैं ममता बैनर्जी से बात कर रहे तो एक तरीके से कांग्रेस अब ये जान गई है मतलब की कहते है ना नथिंग सक्सेस इससे बेहतर कुछ नहीं होता एक मतलब की एक तरीके से जो बूस्टर कहा जाए और कांग्रेस को लगता है कि उसकी जितनी सीट आई जितनी कम सीट बीजेपी की आई वो उसके लिए बहुत बड़ा नील का पत्थर है और इसीलिए आप रणनीति भी बन रही है नीट को लेके राहुल गांधी ने तमाम नेताओं से बात की रगे साहब ने भी बात की और आज हमने देखा कि पूरा सेशन जो है नीट पर ही केंद्रित रहा विपक्ष की तरफ से तमाम जो वार हुए और ऑफ और माइक ऑन की भी चर्चा होने लगी आपको याद हो कि पहले भी राहुल गांधी कहते थे कि सड़क का रास्ता इसलिए लेना पड़ा क्योंकि माइक ऑफ ऑन होता रहा माइक ऑफ हो जाता है संसद में जी तो एक तरीके से एक संगठित तौर पर कांग्रेस नीट को लेके अपने इंडिया ब्लॉक को एक साथ लेने में कारगर साबित हुई अभी तक और एक मुद्दा ऐसा मिला है जिसम यूनिटी कांग्रेस इंडिया ब्लॉक में दिखा रही है टीएमसी से लेकर तमाम दल भी साथ में तो कहते ना कि अ वर्क वेल बिगन इज हाफ डन तो शुरुआत कांग्रेस के लिए एक लीड रोल में और राहुल गांधी के लिए अच्छी रही जी और लगातार ऐसे मुद्दे भी मिल रहे हैं कभी ट्रेन हादसा हो रहा है कभी एयरपोर्ट प छत गिर रही है जिसको लेके कभी ये नीट को लेके पूरा एनटीएल के मैं मौसमी ये जानना चाह रहा हूं कि क्या कांग्रेस में या गांधी परिवार में किसी किस्म की हिचकिचाहट थी अलोपी को लेके कुछ और नामों प चर्चा हुई या डे वन से ये क्लियर था कि राहुल ये पद संभालेंगे सौरभ आपने बहुत वाजिब सवाल किया क्योंकि ऐसा लग रहा था कि राहुल गांधी ने समय मांगा है और आप देखिए की पिछले 10 सालों में कोई भी ऐसा संवैधानिक पद राहुल गांधी ने लिया नहीं राहुल गांधी का स्टाइल काफी अलग है वो कोई डेजिग्नेशन के लिए उनको ज्यादा वो लालसा नहीं रहती एक डेजिग्नेशन हो मैं अध्यक्ष रह या संगठन में कुछ डेजिग्नेशन हो उस तरह से मतलब वो लगातार खरगे साहब जब अपने रोल में आए तो उन्होंने बहुत अच्छा तालमेल उनके साथ भी बैठाया ये राहुल गांधी का की आप खासियत भी कह सकते हैं क्योंकि नेता जैसे हम लोग कुर्सी पर बैठे नेता अपनी कुर्सी नहीं छोड़ते राहुल गांधी को मैं बहुत लंबे समय से कवर कर रही हूं और मुझे याद है 2012 में मैंने राहुल गांधी से एक सवाल पूछा था जब एक डी ब्रीफिंग हो रही थी उत्तर प्रदेश में उ चुनावी रथा मैंने उनसे पूछा था कि आप आगे अपने आप को भावी प्रधानमंत्री के तौर पर देखते हैं क्या आपने गोल सेट कर रखा है कि आप प्रधानमंत्री बनेंगे देश के कभी तो तब राहुल गांधी बिल्कुल ही मतलब की बोले की मुझे मुझे नहीं लगता कि मैं कोई भी डेजिग्नेशन को टारगेट में रख के उसकी तरफ काम करता हूं मुझे लगता है कि मैं पार्टी के कार्यकर्ता के तौर पर काम करता हूं और वो डी ब्रीफिंग थी मुझे लगा एक नेता के तौर प उनका एक अच्छा बयान था और अगर आप देखि 12 से लेकर 24 तक राहुल गांधी उस बात पर स्ट्रिक्ट किए है कई लोगों ने इल्जाम लगाया कि अकाउंटेबिलिटी की का इशू है रिस्पांसिबिलिटी नहीं लेना चाहते लेकिन ये सच है कि राहुल गांधी ने समय मांगा था कि मैं सोच के बताऊंगा और एक वक्त में राहुल गांधी को ये सोचना हो पड़ा होगा कि मुझे सारे सेशन में रहना होगा एल ओपी की जिम्मेदारी अलग है कई नेता जो है घटक दल के उनके उनको साथ लेने के लिए अपने आहम को पीछे रखना होगा तालमेल बनानी होगी जब आपको मुस्कुराना होगा जब नहीं मुस्कुराना चाहते उनको भाव देना होगा जब नहीं देना चाहते कई चीजें होती है गठबंधन में क्या राहुल गांधी के लिए कहा जाता था वो इस रोल में फिट नहीं बैठेंगे पर राहुल गांधी ने एक तरीके से बड़ी छलांग ली है य एल ओपी की जिम्मेदारी ले क्योंकि सड़क के नेता तो वो साबित हो गए सड़क में चल के या भारत जोड़ो यात्रा करके और लगातार आक्रामक नेता भी वो साबित हो गए लेकिन क्या वो बाकी अपनी कंपट को जिनको एक ब उनका कपटर माना जाता है चाहे वो अखिलेश यादव हो या बाकी फायर ब्रांड नेता हो क्या उनको लेके एक साथ चल सकते हैं वही नेता जो भारत जोड़ो यात्रा में नहीं जुड़े वो भारत जोड़ो न्याय यात्रा में नजर आए अखिलेश यादव ने कहा था डू खाने की बात मत कीजिए भारत जोड़ो यात्रा के लिए लेकिन न्याय यात्रा में तो राहुल गांधी वो नजर आए तो राहुल गांधी भी खुद भी उनका स्टैचर उनकी मैच्योरिटी उनकी परिपक्वता यहां पर नजर आई है और मुझे लगता है गांधी परिवार का भी इसमें प्रियंका हो या सोनिया गांधी हो उनका भी उनको कन्वेंस करने में या उनसे सला मछरा करके इस पर आगे बढ़ने में एक योगदान रहा होगा और यही वजह है कि थोड़ा समय लगा वरना तो तुरंत राहुल गांधी हामी भर सकते मौसमी मेरा इस क्रम में ये आखिरी सवाल है देन आई विल स्विच टू अदर पैनलिस्ट आक्रामकता तो ठीक है लेकिन मौसमी सिंह जैसा कोई पत्रकार जरूरी सवाल पूछे और उसको आक्रामक होकर बीजेपी की ब्रीफिंग वाला सवाल बता देना कहां तक दुरुस्त है वो अपने पक्ष में दलील दे सकते हैं कि हम कम से कम प्रेस कॉन्फ्रेंस तो करते हैं पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करना और जर्नलिस्ट की टैगिंग करना दो अलग अलग चीजें हैं एक सही से दूसरा गलत सही नहीं हो जाता सौरभ जो आपने सवाल किया और मैंने मैंने भी यह सोचा कि मुझे जब राहुल गांधी ने एकदम से ये बोला तो मुझे मुझे लगा कि इसमें बीजेपी का सवाल कहा बनता है पर उसके पीछे भूमिका यह है कि पिछले 10 सालों में एक तरीके से कहीं ना कहीं एक धारणा एक बिलीफ राहुल गांधी के इको सिस्टम में है और जिस तरह से लगातार कांग्रेस भी कहती आई है और राहुल गांधी ने उसको बारबार दोराया है कि उनकी छवि को बिगाड़ने में उनको उनकी इमेज को डेंट करने में मीडिया का एक बहुत बड़ा योगदान रहा और किस तरह से बीजेपी बीजेपी का पक्षपात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रांड बिल्डिंग के लिए राहुल गांधी की इमेज को डिमोलिश करना यह बहुत जरूरी था बीजेपी के लिए और उनको लगता है कि मीडिया इसम एक इंस्ट्रूमेंटल रही तो बाद में भी डी ब्रीफिंग में जब पूछा भी गया था राहुल गांधी से तो उन्होंने कहा था कि मेरा मेरा किसी रिपोर्टर के प्रति कोई ऐसी टड नहीं है या किसी रिपोर्टर को आहत करना या उनकी इंटीग्रिटी पर सवाल खड़ा करना उन्होंने बोला कि मेरीय बिल्कुल इंटेंशन नहीं था पर उन्होंने ये भी बोला कि मीडिया के जो टाइकून है जो मीडिया की टॉप टाइकून है और जो मीडिया मालिक है उन्होंने एक भूमिका निभाई है उसको मैं उसको मुझे लगता है कि इसमें वो वो लोग जो है जवाबदेह है और उनकी जवाबदेही बनती है यही वजह है कि वो प्रेस कॉन्फ्रेंस भी उसी को लेकर थी हालांकि ये बार-बार राहुल गांधी कई बारी पत्रकारों से उन्होंने इस तरह की बात की है रिपोर्टर से खासतौर से और मुझे लगता है कि कहीं ना कहीं उनको भी इस बात का एहसास हुआ होगा कि आप यू कांट शूट द मैसेंजर उससे आपका आपको कुछ हासिल नहीं होता और एक परिपक्वता आप देखि कि जब वो एलोपी बन के वापस भी आए हैं तो इन लार्जर रोल मुझे लगता है कि राहुल गांधी ने यह फैसला शायद किया होगा क्योंकि मुझे मिले थे तो उन्होंने एक्नॉलेज किया 10 दिन बाद मैं भी बाहर थी तो मुझे नॉलेज करते हुए उन्होंने बोला हाउ आर यू मतलब मुझे उस समय हम बॉक ू कर रहे थे तो हमें ये एहसास नहीं था पर कहीं ना कहीं उनको लगता है कि रा बात गई और उस तरह की बात रिपोर्टर से नहीं करनी चाहिए तो मेरे ख्याल से वो एक आइस ब्रेकर भी था उनकी तरफ से या रीच आउट जी निधि जी आप विपक्षी दलों के राजनेताओं को उनकी पॉलिसी को लगातार कवर करती है हमने राहुल गांधी के बारे में मौसमी सिंह से सुना देखिए जिस तरीके से मौसमी ने ये कहा कि बहुत ऊर्जा दिख रही है अपोजिशन कैंप में वो बिल्कुल दिख रही है एक तालमेल बनता हुआ दिख रहा है लेकिन मेरा नजर थोड़ा डिफरेंट है पहले हफ्ते को अगर हम देखें तो जी वो अगर हम देख रहे हैं तो राहुल गांधी का जो सेंटर स्टेज लेना हुआ पहला स्टेप जो था पहला जो टेस्ट था व था स्पीकर का इलेक्शन उसके अंदर कहीं ना कहीं अपोजिशन कैंप में थोड़ा सा तालमेल नहीं बैठा पहले जो हमें अंदर से बात आई थी वो यह थी कि यह सारा 20 मिनट का खेल था अ सत्ता पक्ष ने उनके सामने रखा यह उन्होंने अ ये अपोजिशन ने कहा हमें यह बिल्कुल भी आप डेप्युटी स्पीकर के बारे में कमिट कीजिए उसी के बाद हम आपको यह करेंगे यह टू एंड फ्रो हुआ और बिल्कुल एक साथ उन्होंने यह डिसीजन लिया कि हम भी अपना कैंडिडेट खड़ा करेंगे उस टाइम कैंडिडेट भी अ डिस्कशन में नहीं आया था एलाइज के साथ जो हमें यह पता चला कि 20 मिनट के अंदर-अंदर उन्होंने सोचा कि सबसे सीनियर मोस्ट कौन है तो कोडकनी स का नाम आया और उन्होंने कहा यह होगा तो इस समय यह बनता है कि आप अपने एलाइज को डिफरेंट डिफरेंट चीजों के ऊपर बात करें पर यह कहीं पे भी तालमेल आपको नजर नहीं आया क्योंकि पहले में ही तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि हम आपको जो लंबी बात हुई राहुल गांधी की अभिषेक बैनर्जी के साथ उन्होंने कहा हम कल सुबह बताएंगे उसके बाद यह भी बात आई कि डिवीजन मांगे कि नहीं कि देखिए अगर आप इस कंटेस्ट को देखें कि कितना बड़ा चौड़ा उन्होंने कहा कि हम चैलेंज करेंगे ऑफिशियल नॉमिनी को जो कि इतिहास में सिर्फ चार बार हुआ है अ तो इस में जब आप करते हैं इतना हाई स्टेक्स बैटल जब आप बनाते हैं तो आप एक्सपेक्ट करते हैं कि विपक्ष उस चीज को एंड तक लेके जाएगा जो यहां कहीं पे भी आपको नजर नहीं आया तो अगले दिन सुबह होती है और तृणमूल कांग्रेस उनको बोलती है कि हां ठीक है हम आपके साथ हैं लेकिन कहीं पर भी एक और चीज नोट नहीं हुई है वो यह है डीएमके ने भी यह कहा कि अंदर जो बात हुई कि हम डिवीजन नहीं चाहते फ्लोर पर जब बात आती है तो आपने डिवीजन नहीं मांगा और हमने उसके बाद कांग्रेस यह बोलती है कि ये इन द स्पिरिट ऑफ कोऑपरेशन हमने नहीं मांगा डिवीजन वी वांटेड टू शो कि हम कोऑपरेट कर रहे हैं रूलिंग सत्ता जो के साथ तो एक तरफ तो कांग्रेस यह बोल बोती है विदन मिनट्स तृणमूल बोलती है कि हमने डिवीजन मांगा तो जब आपका खेमा इतना तितर बितर नजर आता है तब आपको यह लगता है कि पहले हफ्ते में आपके ट्रबल शूटर्स कहां थे कौन है यह लोग जो पीछे से बात कर रहे हैं जो पहले किसी टाइम पे आपके साथ होते थे कमलनाथ होते थे अहमद पटेल हमेशा फोन घुमाते थे लोगों से बात करते थे एक एक सिंगल सिंगल पार्टी के भी एमपीज होते हैं जो यह बात करते हैं जो जब इतना हाई स्टेक्स बैटल होती है तो एवरी ड्रॉप काउंट्स और डिवीजन जो थी वह एक वॉर ऑफ ऑप्टिक्स थी जो आपने नहीं मांगी ठीक है आपने नहीं मांगी पर इवन अपोजिशन के रैंक्स के अंदर आपको इधर-उधर लगा चाहे मेजर जो घटक दल थे उनके अंदर तालमेल था लेकिन तृणमूल कांग्रेस हुआ आपके दूसरी पार्टीज हुई उनमें ऐसा एक डिफरेंसेस लगे जो अवॉइडेबल थे और दूसरी बात जब आप इतना बड़ा कंटेस्ट रखते हैं तो आपने डिवीजन ना मांग के कहां पे किस तरीके से आपकी पॉलिटिक्स प्ले आउट हुई यह किसी को इतना समझ नहीं आया तो अगर विपक्ष को एक भूमिका बांधी है तो उस वॉर को एंड तक आप लेकर जाइए यह नहीं तो आप क्या प्रूव करने की कोशिश कर रहे हैं ये पहले हफ्ते में किसी को समझ नहीं आया ये आपके ऑब्जर्वेशंस में सुन रहा था कहां लीड करेगा क्योंकि हम पहले भी सुन चुके हैं कि टीएमसी और कांग्रेस आखिरी में बात अटकती हमें लगा कि अब अधीर रंजन चौधरी हट गए हैं अभिषेक बनर्जी राहुल गांधी के बीच एक डायरेक्ट समन्वय होगा मौसम अभी जिक्र कर रही थी जब भारत जोड़ो यात्रा निकल रही थी तब अखिलेश यादव का रुक क्या था अब क्या रुक है आपको लगता है एक बार अगर प्रियंका गांधी वायना से जीत जाती पहुंचेंगी तो बेटर कोऑर्डिनेशन होगा हु कैन बी दोस पीपल इन कांग्रेस और और अपोजिशन में जो इस चीज को स्मूथ कर सके उनके लिए बार-बार क्योंकि मैं सुनता हूं आप सब सीनियर पत्रकारों से बार-बार अहमद पटेल का जिक्र आता है तो अहमद पटेल की जगह क्या केसी विन गोपाल नहीं ले पा रहे कौन है वो मिसिंग लिंक्स देखिए एक थोड़ा सा ना थोड़ा सा इन सब चीजों में एक थोड़ी सी सॉफ्टनेस चाहिए एक थोड़ा सा डिप्लोमेटिक अप्रोच चाहिए होती है मैं ऑफ रेकॉर्ड जो ब्रीफिंग्स हमारी होती है केसी वेन गोपाल ने भी कांटेक्ट किया था काफी एमपीज ने जिस तरह से अगर आप देखेंगे लिंग साइड ने टीडीपी तो उनके साथ ही है वाईएसआरसीपी को भी अप्रोच करके उनके चार एमपीज को अपनी तरफ लिया था स्पीकर इलेक्शन के लिए खैर वो बात आई नहीं डिवीजन ऑफ वोट्स की पर वाईएसआरसीपी ने उनको सपोर्ट किया तो ऐसे में सिंगल सिंगल मेंबर पार्टी में भी केस केसी वेण गोपाल ने जैसे चंद्रशेखर आजाद रावण हुए उनको भी कांटेक्ट किया और उन्होंने चंद्रशेखर ने साफ बोला उनको जब सपोर्ट चाहिए था उन्होंने मेरे को तीन फोन घुमाए मैं कहीं बिजी था फिर मैंने फोन उठाया और जब मैंने उनको बोला कि हां ठीक है मैं आपके साथ हूं उसके बाद जब डिवीजन नहीं चाहिए था उन्होंने पलट के भी मुझे फोन नहीं किया अब अब मेरे को जब जरूरत है तो अ मुझे किसी भी इशू के लिए जरूरत हो सकती है तो मैं कहां जाऊं तो मुझे लग रहा है कि यह बड़ा मतलबी रिलेशनशिप हुआ कंजेक्शन और वो भी बहुत इ बहुत ज्यादा तो कहीं मैंने यह बात पहले भी आपके ललन टॉप में बोली कि एज जर्नलिस्ट हम लोग ने नेताओं को कल्ट वेट करना छोड़ दिया और नेताओं ने हम लोगों को मतलब वो रिलेशनशिप मैनेजमेंट जो होती है वो विदन द घटक दल जो होती है वो भी लोगों ने यह करना छोड़ दिया है पहले सबके पर्सनल रिलेशंस होते थे जब फोन उठा के बोल दिया जाता था कि देखिए हमें जरूरत है ये है ये करना है फ्लोर मैनेजमेंट होती थी अब वो आपको नहीं नजर आता है बड़ी ट्रांजैक्शनल आपने जैसे कहा वो बड़ी वैसे रिलेशनशिप्स हो गई हैं फौरी तौर पे एडॉक जम है एक किसम जी तो इसीलिए आपको कहीं ऐसे नेताओं की जरूरत है जो बैकरूम बॉयज हुआ करते थे जब हमारे जिन कौन हो सकते हैं ऐसे नेता जो आपको लगता है सॉफ्ट स्पोकन थोड़ी मैनरिंग आती हो डिप्लोमेटिक और किसको क्या चीज दी जा सकती है किससे क्या चीज ली जा सकती है देखिए अभी जो सामने फ्रंट स्टेज प अभी आपको मौशमी भी ये बताएंगे कि जो सेंटर स्टेज है अभी केसी वेन गोपाल ने लिया हुआ है तो थोड़ा सा मेरे ख्याल से तालमेल की बहुत जरूरत है पसन रि और उनके जो लेफ्टनंट है जैसे दीपेंद्र हुड्डा दिखते हैं देखिए जरूरी नहीं है कि जरूरी नहीं है कि वो पार्लियामेंट में ही हो जैसे दिग्विजय सिंह हुए कमलनाथ हुआ करते थे दिग्विजय सिंह है सबके इन सबके पर्सनल रिलेशंस दूसरे नेताओं के साथ भी हैं जैसे हम हमेशा बोलते थे कि सोनिया गांधी इज मोर एक्सेप्टेबल यूपीए चेयर पर्सन की तरह एंड नॉट राहुल गांधी क्योंकि उनके पर्सनल रिलेशंस हुआ करते थे शरद पवार ने किसी जमाने में तारिक अनवर साहब ने सबने उनके फॉरेन ओरिजिन के ऊपर सवाल उठाए थे लेकिन लेकिन वो डिफरेंसेस होने के बावजूद एक पर्सनल रिलेशन था शी वाज एन एक्सेप्टेबल शी स्टिल एन एक्सेप्टेबल फेस तो वो पर्सनल रिलेशंस जो है वो इंटरेस्टिंग बनाने पड़ेंगे राहुल श्रीवास्तव जी विपक्ष के खेबे की तैयारियां और चुनौतियां क्या बताएंगे सर सरब देखिए पहला इशू जो एक डिबेट हो रहा है कि डिवीजन का मामला ये डिवीजन के मामले में एक बात आप याद रखिए कि इसका एक इसके छोटे मोटे तालमेल नहीं था यह नहीं था बात अलग हो सकती है लेकिन इसका एक बात याद रखिएगा कि देर वास वेरी स्पेसिफिक रीजन जिसकी वजह से डिवीजन नहीं चाहता था विपक्ष जब से चुनाव के रिजल्ट आए हैं उसके बाद से अपोजिशन ने एक परसेप्शन नैरेटिव बिल्ड करने की कोशिश की है दिस इ अ गवर्नमेंट वि डज नॉट एंजॉय द मैंडेट ऑफ द पीपल ये तो जोड़ तोड़ की सरकार है एंड द सेकंड लाइन इ कि बीजेपी एक्चुअली चुनाव हारी है इट जज नॉट लॉस्ट जस्ट सम 60 और सीट्स बीजेपी चुनाव हारी है अगर कभी भी फ्लोर टेस्ट हुआ करता है तो हमने देखा जैसे एक समय पर यदुर साहब ने फ्लोर टेस्ट नहीं लिया क्योंकि वो हार जाएंगे तो ही वांटेड टू अवॉइड द न्यूमेरिक रूंग जो होती है एक नंबर टेस्ट से डिवीजन अगर होता तो सरकार अपने नंबर्स की कॉन्फिडेंट थी और आप चाहे कितना भी कर ले एलाइज को जो एक एक होप थी विपक्ष को कि चंद्रबाबू नायडू डिमांड करेंगे स्पीकर झगड़ा होगा वो सब नहीं हुआ और इस कारण से सरकार के नंबर्स बिल्कुल पुख्ता थे जहां तक स्पीकर का पोस्ट है अगर एक डिवीजन कोई खड़े होकर मांगता और डिवीजन विपक्ष के कहने पर हो जाता और नंबर्स प्रूव हो जाते तो सबसे पहला ये जो परसेप्शन और नैरेटिव है विपक्ष का कि ये सरकार चुनाव हार इसके पास नंबर्स नहीं है ये डिस्मेंटल हो जाता एंड द अपोजिशन डिड नॉट वांट दैट टू हैपन और अगर जिसने न्यूज जिसने हाउस की प्रोसीडिंग फॉलो की है हिमांशु वहां थे तो ललन सिंह वहां खड़े होकर दिखाई दे रहे हैं कि वो डिविजन मांग रहे हैं कुछ लोगों ने और बाद में आक गलती ये हुई लोगों से विपक्ष के कि उन्होंने इंटरप्रेट किया कि बीजेपी और बीजेपी के सहयोगी दल डिवीजन मांग रहे थे साहब वो डिवीजन इसलिए मांग रहे थे जिससे कि वो अपने नंबर्स को सिद्ध कर सके दैट वाज द रीजन व्हाई इवेंचर नहीं हुआ अब यह जो आप कह रहे हैं कि आगे आगे क्या है देखिए कुछ चैलेंस कुछ चीजें जो थी वो सेटल हो गए देखि राहुल गांधी का लीडर ऑफ अपोजिशन बनना एक एक थ्रश क्रॉस करता है एक मोमेंट है पॉलिटिकल हिस्ट्री में कांग्रेस पार्टी के लिए भी और क्योंकि कांग्रेस पार्टी में आप देखेंगे तो इंदिरा गांधी को ले राजीव गांधी को देले देव नॉट बीन द लीडर ऑ अपोजिशन फॉर लंग पीरियड एक सेंस ऑफ डिस्कंफर्ट रहा है और अब राहुल गांधी एक कांस्टीट्यूशनल पोस्ट पर आ गए हैं एक डिबेट पिछले 10 सालों से चल रही थी जिसमें एक रेस लगातार रहती थी अपोजिशन पार्टीज में खासकर कांग्रेस त्रिमल में गिवन जो उन दोनों के बीच में नंबर्स का गैप था लोकसभा सीट का तो रेस य रहती थी हु इज द प्रिंसिपल अपोजिशन पार्टी टू द बीजेपी उसमें क्या होता था आप देखिए कि मैंने कई बार ये देखा पिछले 10 सालों में कि कांग्रेस पार्टी यूज टू बी ऑफ द ब्लॉक यानी किसी चीज पे मुद्दे पे पहले अपोजिशन नहीं शुरू करती थी तृणमूल पहले शुरू कर देती थी एंड द कांग्रेस यूज टू प्ले कैचा वो एक बड़ा स्मार्ट मूव था तृणमूल के द्वारा कि वो अपने आप को पोजिशनिंग कर रही थी दैट इट इज द प्रिंसिपल चैलेंजर टू नरेंद्र मोदी और उसका उसका आशय हो सकता है कि वो के लिए था या उनके फ्यूचर के लिए मैं ये कहूंगा कि इस पर एक पूर्ण विराम एक तरह से लगा है कि कांग्रेस जो है यह य टीएमसी जैसी पार्टी के लिए सेटबैक मैं कहूंगा तो अलायंस में राहुल गांधी की एमिनेंट एस लीडर ऑफ अपोजिशन जो है वो इस डिस्पेरटनेस लिए अच्छी खबर नहीं है सेकंड इसमें एक इंटरेस्टिंग एलिमेंट है कि दिस इज नॉट द एंड ऑफ पॉलिटिक्स ये जो ये इलेक्शन जो हो गया इट्स नॉट द एंड ऑफ पॉलिटिक्स इस एंड ऑफ द पॉलिटिक्स ना होने के कारण आगे चुनाव आएंगे सबसे पहला चैलेंज प्रियंका गांधी वायनाड से चुनाव लड़ेंगे हमने केरल में देखा कि लेफ्ट पार्टीज कैसे बिल्कुल हाशिए पे है सरकार उनकी है मगर एक कांग्रेस एक स्ट्रांग चैलेंजर की तरह उभरी है नाउ लीडर ऑफ अपोजिशन राहुल गांधी को जो एमिनेंट मिलेगी उसमें तमाम चीजें होती है साहब विदेशी बड़े-बड़े जब राज नायक आते हैं तो लीडर अपोजिशन से मिलते हैं राहुल गांधी गेस दैट पोजीशन उनकी जो जो कोडक प्रेजेंस होती है जनमानस में वो बढ़ेगी और वो बाकी पार्टियां जो है जो इस कोलिशन के अंदर सहयोगी होकर के भी उनके खिलाफ लड़ते हैं द टर्म च आई यूज फॉर देम की दे आर स्लीपिंग विद द एनिमी कि केरल में दुश्मन है और बाकी जगह पर दोस्त है जो अपनी ग्रोथ को बढ़ाना चाहते हैं या हाथ पीछे करना चाहते हैं उनके लिए मुल आएगी हाउ विल टोन देम टूस रिसर्जेंस इन कांग्रेस राहुल गांधी की एनेस के साथ तीसरा एलिमेंट बहुत जरूरी जो है राहुल गांधी के साथ कि एक टाइम तक वो एक सांसद थे जो सेकंड रो में बैठते थे कांग्रेस झगड़ थी उनको आगे बैठने दिया जाए लेकिन आगे की रो में आ जाना जो है व एक बड़ी मुश्किल चीज होता है सौर जो आगे की सीट पर मॉनिटर बैठता है वो नालायक ही नहीं कर सकता तो क्या है कि आप रिस्पांसिबिलिटी उस पोस्ट के साथ आती है आप चाइना पर जैसे हमले बोलते थे जिस तरह की चीन फला कर रहा है चीन यह कर रहा है देश ने अमेरिका को बेज दिया फॉरेन कंट्रीज को फ्रांस के साथ यह हो गया घोटाला हो गया एस अ लीडर ऑफ द अपोजिशन आपके व्यवहार में और तमाम उसमें एक टेंपरिंग आनी पड़ेगी क्योंकि आप लीडर ऑफ अपोजिशन है इटस कांस्टिट्यूशन पोस्ट यू विल हैव टू मीट द प्राइम मिनिस्टर मेनी टाइम्स तो क्या आप उस रिश्ते को उतना दूर तक ले आ खराब करने के लिए तैयार है ये एक एलिमेंट जो है वो राहुल गांधी को देखना होगा विपक्ष के लिए एक बड़े तीन चार मेरे पास जो टास्क है जो बहुत जरूरी है कि पहला जैसे मैंने कहा कि यह प्रूफ नैरेटिव मेंटेन करना कि इस सरकार के पास मैंडेट नहीं है नंबर्स नहीं है दूसरा इस सरकार के नंब जो थे हाउस के अंदर वो इस सरकार को एक डिसाइसिव वो देते थे इमेज देते थे नंब कमजोर र हो जाने के बाद दो वन डजन नो कि एलाइज कैसा बिहेव करेंगे मगर जो सरकार की स्वैगर थी एरोगेंस यानी 5 इती जो राजदीप जी बात कर रहे थे वो डेफिनेटली अपोजिशन चाहेगा कि उसकी डिसाइसिव नेस जो लेजिसलेटिव डिसाइसिव है या उसकी जो एडमिनिस्ट्रेटिव डिसाइसिस उसको अंडरमाइंड करें या दिखाए कि नहीं है तीसरा है कि जो नरेंद्र मोदी और बीजेपी की जो एक्सेप्टेबिलिटी है एज अ लीडर उसको वो वहां से कमजोर कर सकते हैं अ दे कैन थ्रू मे बी अभी महाराष्ट्र में हरियाणा में तमाम इलेक्शन है उसमें अगर अपोजिशन कैन डू बेटर वो अपोजिशन का टारगेट रहेगा कि नैरेटिव और चुनावी आंकड़ों से वो एक क्रिएट कर सकते हैं सिचुएशन जिसमें द एलाइज ऑफ द बीजेपी इन द एनडीए उनके मन में बीजेपी और नरेंद्र मोदी के बारे में संशय क्रिएट करें दीज आर फ्यू ऑफ द थिंग्स ट द अपोजिशन विल ट्राई टू डू बट अपने कोहेन को पार्लियामेंट तक रिस्ट्रिक्टेड ना रखना बल्कि बाहर भी प्रूफ करना कि वो एक जैसे राहुल गांधी और अखिलेश की दोस्ती दिख रही गुड एग्जांपल मगर ममता बैनर्जी को लेकर जैसे निधि ने भी कहा कि यू हैव टू कांस्टेंटली प्रूव कि आप मौका परस्त नहीं है कि जरूर पॉलिटिक्स में फायदा मिल जाए तो आप आ गए वरना एक दूसरे के खिलाफ है है एंड आई थंक ब्रॉडली दिस इज द वे पॉलिटिक्स विल मूव इन द कमिंग डेज जी राहुल जी समाजवादी पार्टी के खेमे को लेकर मैं जिस तरह से अखिलेश यादव फ्रंट रो में है वह अवदेश प्रसाद को सबको आगे कर रहे हैं उनकी भूमिका भी बहुत महत्त्वपूर्ण रहने वाली है अखिलेश और समाजवादी पार्टी को लग रहा है कि वो यूपी में भी अब सत्ता की स्ट्राइकिंग डिस्टेंस पर है देखिए एक सेंस ऑफ कॉन्फिडेंस आया है देखिए मैंने मैंने अ अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के पॉलिटिक्स से काफी पहले से देख रहा हूं एक समय था जब 2008 में न्यूक्लियर डील को लेकर के अ लेफ्ट पार्टीज जो कि 61 सीटों करीब थी और 43 44 सीटें तो सीपीएम अकेले की थी और वो जिसको आज भी कहा जाता है कि इट वाज अ ब्लंडर बाय द सेंट्रल कमिटी की उन्होंने डिसाइड किया कि सपोर्ट वि क्योंकि कहते हैं कि प्रकाश कर कॉमरेड प्रकाश कारा जो थे सीपीएम के जनरल सेक्रेटरी वो कॉपी बुक कम थे और वो उस प्रैगमेट जम की तरफ नहीं गए जबकि सीताराम युरी ने हैड ब्रोक द डील विद द कांग्रेस पार्टी कि किस तरह से मूवमेंट होगी टूथ एग्रीमेंट और नक् पे तो कहीं पे उस समय पर मुलायम सिंह यादव को जो एमिनेंट मिली थी समाजवादी पार्टी को 39 के करीब उनकी सीटें थी और वो एक बड़े फोर्स की तरह उभरे थे अमर सिंह मुझे अच्छी तरह याद है कि रात में अमर सिंह को हम फॉलो करने का मतलब होता था कि कौन सी मिनिस्ट्री में समाजवादी पार्टी क्या चाहती है किस बिल पर क्या चेंजेज हो या किसका कहां अपॉइंटमेंट तो अमर सिंह की एक पोजीशन हुआ करती थी उसमें हम लोग रात बाद अमर सिंह जी के साथ भी पीछे दौड़ा करते थे बहुत दिनों बाद समाजवादी पार्टी वो जो एक 2012 में स्टेट में समाजवादी पार्टी को प्रॉमिनेंस मिली मगर उसके लिए प्रॉब्लम यह थी कि उस समय पर अखिलेश यादव भले ही एक मेजॉरिटी लेकर के अच्छी सरकार अच्छे नंबर्स लेकर के सरकार सत्ता में आए थे उ प्रदेश में मगर ही वास फेसिंग प्रॉब्लम्स एट द सेंटर अखिलेश यादव की प्रॉब्लम यह थी कि कांग्रेस जो थी वो दोष दुश्मन थी दैट फ्रेम थिंग उसमें क्या होता था कि उनके खिलाफ केसेस चल रहे थे सीबीआई के सुप्रीम कोर्ट में रोज सीबीआई हलफनामे बदल देती थी कि आज समर्थन चाहिए तो कह दो इनोसेंट है आज हा समर्थन नहीं चाहिए उनकी तांग मेंट नहीं है तो उनके खिलाफ कह दो कि ये गिल्टी है यानी अनोखा केस है कि इतने साल केस सुनने के बाद जो जज साहब थे सुप्रीम कोर्ट के वो डर रिजर्व करके रिटायर हो गए मामला फिर से सुनवाई हुई सो द समाजवादी पार्टी वास केप्ट ऑन द टेंटर हुक्स बहुत दोस्ती नहीं थी उस टाइम प कांग्रेस भी जाकर के आरोप लगाती थी रायबल कमेटी में क्योंकि यहां पर हमारी सरकार नहीं है इसलिए हमारे इलाके में विकास नहीं होता तो वो एक दौर था अखिलेश डिड वेल इन द असेंबली इलेक्शन 111 के करीब सीटें उनकी आई बीजेपी को बैकफुट प आना पड़ा ईस्टर्न यूपी का एक बड़ा बड़ा हिस्सा ऐसा है जहां पर बीजेपी को एक सीट सीट या शून्य सीट मिली है बहुत जिलों में तो अखिलेश इज ऑन द हाई इन द स्टेट असेंबली इलेक्शन आल्सो लोकसभा में रिजल्ट आए हैं क्या है बहुत दिनों बाद 12 साल के बाद अखिलेश यादव का कोई दांव जो है वो सही हुआ है एंड आई थिंक दैट फिल्स द यंग लीडर विद लॉट ऑफ एंटीसिपेशन फॉर द फ्यूचर ही वांट्स द एलायंस टू वर्क वो कांग्रेस पार्टी के साथ एलायंस को र् क्योंकि अगर आप देखें तो इस एलायंस का एक फायदा और हुआ है कि बसपा जो कि एक वोट की को कंट्रोल करती थी अगर वो बसपा से छिटक था वोट उनका तो वो बीजेपी के पास जाता था और एक दलित वोटर के अंदर एक कांस्टेंट परसेप्शन था कि सफा के साथ नहीं जाएंगे ये पहली बार ये परसेप्शन डिस्मेंटल हुआ और वोट मिला आई थिंक अखिलेश विल लाइक टू बिल्ड ऑन दिस सिचुएशन कि अगर कांग्रेस की प्रेजेंस से कुछ फायदा होता है इस एलायस से उसे फायदा होता है तो डेफिनेटली आई थिंक द समाजवादी पार्टी इज वेरी अप बट बट द प्रॉब्लम इज कि लोकसभा चुनाव की जो एंगर थी उस परे बहुत सारे लोग कहते हैं कि समाजवादी पार्टी एंड कांग्रेस हैव डन वेरी वेल बहुत अच्छा उनका रिजल्ट रहा है मेरा लेकिन अभी भी मैं इसमें ये कहता हूं कि ये बहुत बड़ा वोट जो था वो नरेंद्र मोदी की सरकार एनडीए सरकार और बीजेपी सरकार उसके खिलाफ वोट गया है और अगर आने वाले पीरियड में अगर बीजेपी इसको थोड़ा सा संभालती है डैमेज कंट्रोल करती है तो अखिलेश यादव को भी उस एक्सरसाइज को मेंटेन करना पड़ेगा जिसने उन्हें बेनिफिट किया है दैट इज वई इसमें कोई हनीमून पीरियड या रेस्टिंग पीरियड के चांसेस अखिलेश यादव के लिए नहीं है जी बहुत शुक्रिया राहुल जी राजदीप सरदेसाई जी अभी तक विपक्षी खेमे को लेकर इतनी बातें हुई इसमें और क्या जोड़ना चाहेंगे आप कितनी एकरूपता दिखी क्या चुनौतियां हैं भविष्य में क्या है देखिए पहली बात तो यह है कि मुझे लगता है कि दोनों विपक्ष और सरकार एक गलत गलती कर रहे हैं सरकार जिसे बीजेपी को 240 और एनडीए को 293 मिले हैं उनको लगता है उनको 400 सीटें मिली है यानी बिजनेस एस यूजुअल जो करना है हम करेंगे ओम बिरला को लाएंगे भले ही ओम बिरला वही स्पीकर है जिन्होंने 115 लोकसभा सांसदों को सस्पेंड किया था एक नया इतिहास रचाया था महुआ महित्रा को एक्सपेल किया था और एक अपनी एक प्रतिमा बना दली थी कि वो विपक्ष को वो एक न्यूट्रल अंपायर नहीं है विपक्ष को वो समय नहीं देते पार्लियामेंट में लेकिन उन्होंने जिद करके एक तरह से कहा नहीं ओम बिरला ही बनेंगे स्पीकर अब आप कैबिनेट भी देखिए उसी तरह की कैबिनेट है और जिस तरह से का रवैया आपने कुछ दिनों में पार्लियामेंट में देखा सरकार तो बिल्कुल अपने मुद्दों पर अड़ी है हम नीट पर डिबेट नहीं होने देंगे जो भी ऐसे मुद्दे हैं आप विपक्ष को उतना उतना स्पेस नहीं देंगे तो एक तो आप देख रहे हैं जो सरकार कर रही है कि हमें हमारे हमें 400 सीटें आई है दूसरी तरफ विपक्ष खास कर की कांग्रेस जिनको 999 सीटें आई है और विपक्ष को 234 आई है इंडिया अलायंस को उनको लगता है कि हमें 272 आ गई आजकल जब आप कांग्रेसियों से बात करते हैं वो कहते हैं इट इज ओनली मैटर ऑफ टाइम देखिए मोदी जी की सरकार या तो मिड टर्म इलेक्शन में 2027 2627 में मिड टर्म इलेक्शन हो गे और वहां हम उनको हराए या 2029 में इस सरकार का जाना लगभग तय है तो एक जो ये कॉन्फिडेंस कहिए कॉन्फिडेंस और एरोगेंस के बीच में एक बड़ी थिन लाइन होती है और सरकार और विपक्ष दोनों इस समय मुझे लगता है वोटर जो वोटर जिसने मैंडेट एरोगेंस अहंकार के खिलाफ दिया है वो अलग दिशा में जा रहे हैं अब आप देखिए जो निधि ने कहा वह बिल्कुल सही है कांग्रेस को लेकर अभी भी कई दलों में अविश्वास है कि कांग्रेस जो है हमारा इस्तेमाल करती हैं जब जरूरत पड़ती है हमारे पास आते हैं स्पीकर का चुनाव हो कोई और अगर आपको राहुल गांधी और सोनिया गांधी को अगर इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट टारगेट कर रहा है तो कांग्रेस चाहती है कि विपक्ष उनका साथ दे अब आप आम आदमी पार्टी लीजिए आज की तारीख में अरविंद केजरीवाल अभी भी जेल में है लास्ट मिनट पर उनको सीबीआई आकर उनको जेल री अरेस्ट करती है अब आम आदमी आम आदमी पार्टी के लोगों का कहना है क्या कांग्रेस हमारे साथ खड़ी रहेगी उसी तरह से वाटर क्राइसिस है दिल्ली में आम आदमी पार्टी की आतिशी अनशन पर थी तृणमूल कांग्रेस वहां पहुंचती है लेकिन कांग्रेस वहां नहीं पहुंचती है क्योंकि कांग्रेस दिल्ली में आम आदमी पार्टी को शायद टक्कर देना चाहती है कई ऐसे मुद्दे हैं महाराष्ट्र में अभी भी आप अगर आप देखें ये एक वहां चुनाव होने हैं सितंबर अक्टूबर में अक्टूबर के महीने में अभी तक यह तय नहीं है कि टिकट वितरण किस तरह से होगा क्योंकि अब तो कांग्रेस महाराष्ट्र में इस लोकसभा में नंबर वन पार्टी हो गई है लेकिन शिवसेना और एनसीपी का कहना है कि लोकल फैक्टर्स में हम मजबूत है हम हमें ज्यादा सीटें चाहिए या कम से कम इक्वल सीटें चाहिए लेकिन कांग्रेस की तरफ से कौन उनसे उनके साथ बात करेगा कांग्रेस के महाराष्ट्र नेता दिल्ली में आए थे कुछ दिनों पहले उन्होंने कहा नहीं कांग्रेस इज नाउ नंबर वन पार्टी ऑफ महाराष्ट्र हमें डिक्टेट करना चाहिए अब आप डिक्टेशन से अलायंस पॉलिटिक्स नहीं कर सकते अ उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने एक तरह से तय किया कि हम जूनियर पार्टनर हैं इसी वजह से उनकी अखिलेश के साथ वो बन अलायंस अच्छी तरह से बन पाया वहीं तमिलनाडु में कांग्रेस ने तय किया वी आर जूनियर पार्टनर्स इसीलिए इतने सालों तक उनका डीएमके के साथ अलायंस बन पाया है लेकिन कई राज्यों में कांग्रेस का यह जो बिग ब्रदर एटीट्यूड है कि हम तय करेंगे बड़ा इंटरेस्टिंग उदाहरण चंद्रशेखर आजाद का भी दिया गया उसी तरह से अन्य छोटे-छोटे दल हैं हनुमान बेनीवाल जो है उन वन मैन पार्टी है राजकुमार रोहत है भारतीय आदिवासी पार्टी के वन मैन पार्टी है अब इनको क्या आप पार्लियामेंट के अंदर और पार्लियामेंट के बाहर साथ ले पाएंगे तो कांग्रेस के सामने सौरभ या आप एक तरह से कह सकते हैं पूरे विपक्ष के सामने यह चुनौती है कि क्या जो आपने लोकसभा में कुछ हद तक सफलता पाई है उसका मोमेंटम जो है क्या आप अब स्टेट इलेक्शन में ले पाएंगे महाराष्ट्र जैसे राज्य में झारखंड जैसे राज्य में और पार्लियामेंट के अंदर और पार्लिमेंट के बाहर जब आप किसी चीज को लेकर एजीटेशन चलाते हैं जनता के बीच जाते हैं तो क्या एक साथ जाएंगे अब एनएसयूआई ने एक एजीटेशन कर दिया नीट के सामने वो एक कांग्रेस का एजीटेशन बन गया वहां कांग्रेसी लीडर पहुंच गए कांग्रेस को अपनी पहचान तो बरकरार रखनी है वो तो बात उनको वहां तक बिल्कुल जायज है कि उनको अपनी पहचान बरकरार रखनी है पर क्या वो पहचान बरकरार रखने में विपक्षी दलों को किस तरह से साथ ले जाएंगे यह बहुत बड़ा एक चैलेंज कांग्रेस के सामने क्योंकि कांग्रेसी नेता आप जानते हैं एक बार उनको थोड़ी भी सफलता मिल जाती है तो ऐसे कई कांग्रेसी नेता उनको लगता है कि चलो अब तो हमारी ही सरकार बनने वाली है लेकिन असलियत क्या है असलियत तो है नरेंद्र मोदी है भाजपा है 240 सीट्स च इज 141 मोर देन कांग्रेस तो दैट इज द चैलेंज पर एक मैं कहूंगा राहुल गांधी का बड़ी इंटरेस्टिंग बात है सौरव एक दो हफ्ते पहले मैंने एक सीनियर कांग्रेसी नेता से पूछा कि क्या राहुल ी विपक्ष के नेता बनने जा रहे हैं तो उन्होंने कहा नो नो नो नो नो राहुल गांधी नहीं बनना चाहते वो जनता के बीच रहना चाहते हैं वो लोकसभा नेता नहीं बनना चाहते ही इज नॉट इंटरेस्टेड इन एनी पोस्ट और उन्होंने यह कारण दिया कि देखिए अगर वो नेता विपक्ष बन जाते हैं तो उन्हें एडमिनिस्ट्रेशन बहुत करना पड़ेगा आपको रोज पार्लियामेंट आकर प बजे सभी पार्टियों से मिलना पड़ता है कुछ मीटिंग आपको नरेंद्र मोदी जी के साथ भी करनी पड़ती अगर सीबीआई डायरेक्टर का को नियुक्त करना है तो वो कह रहे थे देखिए राहुल गांधी अपना एक डिस्टेंस इस तरह की पॉलिटिक्स से करना चाहते हैं और वो जनता के बीच रहना चाहते हैं वो और यात्राएं करना चाहते हैं वो अपने आप को एक आईडियोलॉग पार्टी का बनाना चाहते हैं और तब मैंने पूछा तो अगर राहुल गांधी नहीं बनेंगे तो कौन उन्होंने कई नाम है और उन्होंने कई नाम मुझे दे गौरव गोय का नाम था मनीष तिवारी का नाम था और कहा उनमें से कोई भी बन सकता है वी विल हैव सम बडी एल्स अब क्या हुआ उन दो हफ्तों में कि जो राहुल गांधी कहा जा रहा था नहीं बनेंगे बने और जो मुझे कहा गया है कि मलिकार्जुन खरगे और बाकी लीडर ने और राहुल गांधी मलिकार्जुन खरगे को बहुत रिस्पेक्ट करते हैं मलिकार्जुन खरगे ने कहा देखिए राहुल जी आपको यह पद संभालना चाहिए यह एक अच्छा मौका है यह मोमेंटम जो है इसे खोए मत तो राहुल गांधी जी ने मल्लिकार्जुन जी खरगे को कहा सर आप मुझे बताइए आप पार्टी अध्यक्ष रहेंगे और संगठन संभालेंगे कि नहीं तो उन्होंने कहा बिल्कुल मैं संगठन संभालू लेकिन नेतृत्व पार्लियामेंट में आपको करना है और तब राहुल गांधी माने सोनिया गांधी ने भी उनको जिद की राहुल गांधी को कि आपको इस बार यह पद लेना है और तब यह तय हुआ कि वह पद लेंगे तब यह भी तय हुआ कि प्रियंका गांधी वाडरा जो है वो वायनाड से चुनाव लड़ेगी यानी ये जो है ये नई जो डिसीजन मेकिंग जो हुई एक कलेक्टिव जिसमें खरगे जी थे सोनिया गांधी जी थी उसके बाद राहुल गांधी हैज टेकन अप दिस चैलेंज इज ही कंफर्टेबल विद इट क्या यह उनके कंफर्ट जोन में है कि उस की नरेंद्र मोदी जी के साथ बैठकर चाय पीकर कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने हैं या पार्लियामेंट में बाकी सहयोगियों के साथ बैठकर आपको आगे बढ़ना पड़ेगा हां हमने वो तस्वीरें देखी है अभिषेक बैनर्जी के साथ अखिलेश यादव के साथ साथ ये सबसे बड़ा चैलेंज राहुल गांधी के सामने है कैन ही डू व्हाट हिज मदर डिड सोनिया गांधी बिकम एन एक्सेप्टेबल फेस एक एक्सेप्टेबिलिटी उनकी बढी क्या राहुल गांधी इस चुनाव के नतीजों के बाद उसी तरह से एक एक्सेप्टेबल फेस बन जाते हैं या अभी भी वो लड़ाकू है जो चैलेंज करेंगे ये जो डिसीजन लिया गया कि हमें डेप्युटी स्पीकर चाहिए किसी भी हालत में क्या वो एक लड़ाकू राहुल गांधी अभी भी है उनके इर्दगिर्द जो लोग हैं मुझे लगता है दो तरह के हैं और ज्यादातर लोग जो है वो लड़ाकू हैं और बिल्कुल सही कहा गया पहले कि वो जो ऐसे व्यक्ति जो पॉलिटिक्स करना जानते हैं अहमद पटेल टाइम जो किसी के साथ फोन पर बात कर सकते हैं किसी को प्यार पप्पी दे सकते हैं ऐसे लोग हैं क्या अभी भी कांग्रेस में और अगर नहीं है तो फिर यह काम कौन करेगा बिकॉज आई डोंट थिंक राहुल गांधी वांट्स टू डू दैट काइंड ऑफ पॉलिटिक्स उन्हें उस तरह की पॉलिटिक्स में कोई इंटरेस्ट नहीं है वो मुझे लगता है जनता के बीच जाकर अपनी एक छवि एज अ आइडियो कल स्ट्रीट फाइटर कहिए कि विचारधारा को लेकर कांग्रेस की विचारधारा को लेकर मैं टक्कर करने जा रहा हूं उस दिशा में जाना चाहते हैं तो यह मुझे लगता है राहुल गांधी किस दिशा में जाएंगे विल बी वेरी इंटरेस्टिंग इन द नेक्स्ट सिक्स मंथ्स बहुत शुक्रिया राजदीप जी अब हिमांशु जी आपका रुख कर रहे हैं बात सत्ता पक्ष की है हमने अपोजिशन बेंच के बारे में दलीलें सुनी बीजेपी में क्या रणनीति है ओम बिडला के अलावा किसी और नाम पर भी विचार हुआ क्या और जो दूसरा प्रश्न है लोगों के मन में कि बीजेपी का अगला अध्यक्ष कौन हो सकता है देखिए सौरव जी मुझे लगता है कि जो सवाल आपने मुझसे पूछा कि ओम बिरला के अलावा कोई और चॉइस थी मुझे लगता है कि अगर नंबर पहले जैसे होते 2014 और 19 की तरह तो चॉइस और हो सकती थी लेकिन ओम बला ने जिस तरीके से पिछले पाच सालों में स्पीकर पद पर रहते हु काम किया वो एक एक्सपीरियंस भारतीय जनता पार्टी को लगता था कि उनके काम आएगा और उसी लिए अगर आप देखेंगे तो ज्यादातर बड़े मंत्रियों में से किसी को हटाया भी नहीं गया था आप देखिए कंटिन्यूटी का मैसेज देना चाहते थे आप कुछ कह रहे स जी मैंने कहा कंटिन्यूटी का मैसेज देना चाहते थे बिजनेस कंटी का मैसेज है और उसी लिए उस मैसेज को देने की कोशिश भी की गई और ओम बला जो है वो उनको ही स्पीकर पद का उम्मीदवार बनाएगा हा लेकिन इस बार थोड़ा साय कहा जा सकता है कि पार्टी ने उसको सेव रखा क्योंकि मुझे याद है 2019 में जब उनको स्पीकर बनाया जा रहा था तो प्रलाद जोशी जो उस वक्त 2019 में पार्लिमेंट अफेर मिनिस्टर बने थे तो उनके दफ्तर में उनको कहा गया था कि आप यहां के कुछ बुक पढ़िए पार्लियामेंट्री के जो नियम कायदे कानून है जो रूल बुक्स है उनको पढ़ लीजिए थोड़ा बहुत आपको काम आएगा कुछ आगे ये नहीं बताया गया था उनको तब भी स्पीकर है लेकिन एक नेता होता है उनको आभास हो जाता है क्योंकि पार्लिमेंट अफेयर मिनिस्टर पार्लिमेंट हो चुके हैं तमाम चीजें हो चुकी तो उनको लगता था कि उनको कहीं ना कई बड़ा पद जो है वो मिलेगा ये इसकी उम्मीद थी इस बार कुछ ऐसा नहीं था लेकिन पाच साल का एक्सपीरियंस उनके काम आया और इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने उनके ऊपर भरोसा भी जताया और एनडीए के तमाम नेताओं से बातचीत करने के बाद ही जो है वो ओम ला का नाम जो है आगे लाया गया और मुझे लगता है एक दिन पहले क्योंकि राजनाथ सिंह जो है वो समन्वय का काम देख रहे थे चाहे वो अपोजिशन पार्टीज के साथ हो या एनडीए के घटक दलों के साथ बातचीत का समन हुए हो स्पीकर परद को लेकर उन्होंने खुलकर बात की हां एक चीज जरूर है डिप्टी स्पीकर के पद को लेकर विपक्ष इस बात को लेकर आड़ा रहा कि जो डिप्टी स्पीकर का पद है वो उनको मिलना चाहिए और यह संसदीय परंपरा रही है और हमेशा डिप्टी स्पीकर का पद जो है वो विपक्षी दलों को जाता है इसमें एक बड़ी अच्छी चालाकी जो है वो भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में भी की थी उन्होंने डिप्टी स्पीकर का पद जो है वो एआईडीएमके के नेता थंबी दरई को दे दिया था और थंबी दरई एडीएम के से थे जयललिता और प्रधानमंत्री के जिस तरीके के राजनीता के तौर पर संबंध है वो बहुत बेहतरीन संबंध थे 2012 के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शपथ ग्रहण समारोह में जलता पहुंची थी और 14 के अंदर दोनों ही पार्टियों का अलायंस नहीं हुआ था वहां लेकिन राजनीतिक तौर पर एआईडीएम के जो है ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी के समर्थित दलों में ही काउंट की जाती है एनडीए में रह चुकी दल था तो उन्होंने एक चालाकी वाला स्टेप उस टाइम किया था कि एडी एमके को जो है डिप्टी स्पीकर का पद दे दिया था 2019 से 24 तक डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहा उसको भरा नहीं गया क्योंकि सहयोगी दलों में कोई दे नहीं सकते आप और अपोजिशन में अगर आपको देना था तो वो बीजेडी के जो भरतरी मेता उनको देना चाहते थे भरतरी को जो है के लिए नाम के लिए नवीन पटनायक तैयार नहीं हुए अंत अंत तक नहीं तो भरतो महताब जो है डिप स्पीकर बन गए होते 2019 से 24 के बीच में बहरहाल आपने भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष को लेकर बातचीत में पूछा कि कौन हो सकता है तो मुझे लगता है कि कहीं ना कहीं अभी भारतीय जनता पार्टी सबसे पहले य जो विशेष सत्र है इसको खत्म होने के बाद आगे बढ़ रही है उन्होंने अपनी एक सदस्यता जो है दोबारा चलाया है फिर उनका बूथ और मंडल लेवल का जो है चुनाव होना है फिर जिला अध्यक्ष प्रदेश अध्यक्ष तक का दिसंबर तक का कार्यक्रम है अब देखना ये है भारतीय जनता पार्टी में अभी हमारी कुछ नेताओं से बात हुई कि क्या कोई कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाएगा जैसे 2019 में जेपी नड्डा को जो है कार्यकारी अध्यक्ष बना के ये संकेत दे दिए गए थे कि अमित शाह जो है वो महाराष्ट्र हरियाणा और झारखंड के चुनाव तक अध्यक्ष रहेंगे और उसके बाद ये जो पद है वह चपी नड्डा के पास चला जाएगा और अभी तक भारतीय जनता पार्टी ने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है कि अगला अध्यक्ष कौन होगा लेकिन एक चीज मुझे जो समझ आ रही है क्योंकि सेंटर में जितने अध्यक्ष पद के दावेदार हो सकते थे चाहे व धर्मेंद्र प्रधान हो या भूपेंद्र यादव हो या मनोहर लाल खट्टर हो सीयर पाटिल हो वो तमाम जो है वो मंत्रिमंडल में शामिल हो गए हैं अब मुझे किसी ने यह भी बताया कि इस बार जो है वो किसी प्रदेश के व्यक्ति को जो है वो ये जिम्मेदारी दीी जाएगी जो बड़ा चेहरा हो जिसने बड़े पार्टी में रहते हुए कुछ ऐसा काम किया हो जो पार्टी को बहुत ऊपर तक लेके गया हो तो वो उसमें मुझे जहां तक अभी जानकारी यही है कि कोई प्रदेश के किसी व्यक्ति को या प्रदेश अध्यक्ष को या प्रदेश में किसी बड़े पद पर व्यक्ति को जो है ये जिम्मेदारी जो है कौन ये व्यक्ति हो सकते जी हिमांशु जी थोड़ा सा कशन को किनारे रखिए जरा दो चार नाम आप सुझाए कौन ये व्यक्ति हो सकते हैं ये गोल गोल नहीं थोड़ा लेता रग मुझे लगता है मुझे लगता है केशव प्रसाद मौर्या और उसका कारण यह है कि केशव प्रसाद मौर्या 2016 में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बने थे और उसके बाद जो उन्होंने नॉन यादव ओबीसी का जो तानाबाना अमित शाह ने 2013 से 17 तक 16 तक बुना था उसमें उन्होंने बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका 17 और 16 के बीच ट्रांजीशन में निभाई थी और तमाम लोगों को जो है वो पार्टियों में भी लेकर आए और एक नॉन यादव ओबीसी चेहरे के तौर पर पार्टी के बड़े चेहरे के तौर पर उत्तर प्रदेश में आए देवेंद्र फस हो सकते हैं वो उप मुख्यमंत्री है महाराष्ट्र से आते हैं और जिस तरीके से वहां महाराष्ट्र की राजनीति अभी चल रही है हम सब जानते हैं उनको बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है तमाम इस तरीके के कई नाम जो है वो हो सकते हैं जिनकी महती भूमिका जो है वहां अपने अपने प्रदेशों में रही है और उन्होंने संगठनात्मक तौर पर बड़े काम जो है वह अपने प्रदेशों में रहते हुए किए हैं क्योंकि देवेंद्र फंडस 2014 में प्रदेश अध्यक्ष थे जब भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में जो है शिवसेना से अलग लड़कर विधानसभा चुनाव लड़ा था और 122 सीटें वहां पर जीती थी तो ये कहीं ना कहीं कुछ फैक्टर्स हो सकते हैं जहां पर किसी बड़े चेहरे के ऊपर जो है वो दाव लगाया जाए प्रदेश के जी सौरव जी मैं एक चीज कहना चाह रहा था मैंने चारों लोगों को सुना मैं ये कह रहा था कि यह बात जो बात निधि कह रही थी कि कहीं ना कहीं विपक्ष में कोऑर्डिनेशन की कमी है मैं क्योंकि जब भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में थी और एनडीए के अंदर एलायस पार्टनर बहुत छोड़ के चले गए थे जिसमें टीडीपी भी था जिसमें बीजेडी भी था और आरएलडी था ये तमाम ड़ छोड़ के चले गए लेकिन उसके बावजूद जो है कहीं ना कहीं लोग ब पीछे से जो काम करते थे उसमें सुषमा स्वराज बहुत अच्छा काम करती थी कुछ दलों से वो बात कर कर लेती थी कुछ से अरुण जेटली बात कर लेते थे और कई बार लालकृष्ण आडवाणी बहुत से दलों से बात करने की कोशिश करते थे जब भी फ्लोर पर कोई बिल आता था या कोई ऐसा प्रस्ताव होता था जिस पर भारतीय जनता पार्टी को लगता था कि लेफ्ट पार्टीज को भी साथ लाना चाहिए तो उसम शरद यादव की भूमिका बहुत बड़ी होती थी और जो बात अभी राजदीप कह रहे थे ना कि एनएसआई ने प्रोटेस्ट किया नीट को लेके तो वो अकेले कांग्रेस का नजर आया तो भारतीय जनता पार्टी ने इस चीज को बहुत तरीके से अगर देखे तो 201 से 14 के बीच में कई बार भारत बंद हुआ तो उसमें भारतीय जनता पार्टी लेफ्ट पार्टी तमाम अपोजिशन पार्टीज को जो है व एक फरम पर लाने का काम जो है उस वक्त अरुण जेटली सुषमा स्वराज लालकृष्ण आडवानी शरद यादव ये तमाम लोग किया करते थे और सब अपने अपने पर्सनल रिलेशंस जो अदर पार्टीज में है उसका भरपूर प्रयोग भी किया करते थे तो यह शायद कमी भी है और जैसा भी एक आप स्पीकर को लेकर बात कर रहे थे जब अपोजिशन पार्टी को बता गया ओम बला स्पीकर होंगे तो उसम टीआर बालू वहा सबसे पहले पहुंचे थे राजनाथ सिंह के कमरे में राजनाथ सिंह के कमरे में उस वक्त जो है जेपी नड्डा अमित शाह और एनडीए के तमाम घटक दलों के नेता वहां पर थे रामन नायडू थे चिराग पासवान थे ललन सिंह थे अनुप्रिया पटेल वहां पर थी तो टी आर बदुल को कहा गया कि आप सपोर्ट लेटर पर साइन कर दीजिए टी आर बालू साइन करने के लिए तैयार थे लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने पूछा कि बाकी अपोजिशन पार्टी से बात ई तो उन्होंने कहा नहीं अभी नहीं हम मल्लिका अर्जुन खड़के से बात कर रहे हैं लेकिन केसी वेणु गोपाल के लिए उन्होंने कहा है बात करने के लिए तो केसी वेणु गोपाल जब आए तो उन्होंने शर्त रखी कि आप डिप स्पीकर के लिए हमको जब तक आप प्रॉमिस नहीं करेंगे हम आपके समर्थन पत्र प जो है वो साइन नहीं करेंगे बड़ी इंटरेस्टिंग चीज ये है कि क्योंकि लास्ट 20 मिनट में 12:00 बजे आपको नॉमिनेशन फाइल करना था और 11:4 मिनट हो रहे थे उस वक्त तो आपको फॉर्म भी लेना है और तीन सेट तैयार भी करने हैं जिसमें तीन प्रस्तावक आए अलग-अलग तीन सेट में उस फॉर्म की फोटोकॉपी जो है वो पियूष गोयल ने करा के दी राजनाथ सिंह के दफ्तर में खाली फॉर्म की कि अब इनको फॉर्म का मिलेगा प्लस जो है स्पीकर पद के लिए नॉमिनेशन फाइल करने के लिए के सुरेश के लिए हम तो ये चीजें है क्योंकि सहमति बनाने की कोशिश जो है वो हुई लेकिन डिप्टी स्पीकर को लेकर मुझे लगता है बातचीत जो है अटक गई और अभी भी भारतीय जनता पार्टी कोशिश में है कि किस विपक्षी दल को जो है वो डिप्टी स्पीकर का पद दिया जाए जो उनका समर्थन भी करे और जो है इंडिया ब्लॉक से बाहर भी हो तो वो ऐसे किसी दल को ऐसी किसी नेता को ढूंढ रहे हैं जो सूटेबल हो उनको विपक्षी दल के रूप में भी देखे और उनके साथ भी काम करता नजर आ मसमी मेरा दूसरा राउंड का सवाल यह है विपक्ष में वो कौन से सांसद है हमने नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बारे में बात की जिन पर नजर रहेगी खासतौर पर भविष्य के नेता बिलो 50 वाले तेज तरार हमने शपथ ग्रहण में ही देखा चंद्रशेखर जब शपथ लेने आए पप्पू यादव जब शपथ लेने आए है ना एक अंदाज तो लग गया कि अगले पा साल कैसे होने वाले हैं किन नेताओं को आप पॉइंट आउट करें जिन पर नजर रखनी चाहिए वर्तमान के नेता और भविष्य के नेता सौरभ देखिए आपने सवाल किया नेताओ का और न सदन का तो उसम एक चीज और ड करना चाहती हूं कक व सवाल य पूछा गया था कि हमने पिछले 10 साल में भी संसद को चलते हुए देखा लोकसभा में चलते हुए देखा और मैंने राष्ट्रपति के एड्रेस के दौरान हम लोग हाउस में भीतर थे तो पूरा जो हाउस फुल था तो काफी मुझे ना जो सियासी समीकरण है वो बदले हुए नजर आए एक तरीके से जो विपक्ष थी उसकी आवाज उसकी संख्या ज्यादा थी जो पोजिशनिंग थी नेताओ की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बकुल बीच में बैठे हुए थे जे नड्डा साहब के साथ और दाई तरफ पहली पहली रो में तमाम विपक्ष के नेता बैठे हुए थे बीजेपी के सांसदों की संख्या उतनी नहीं थी तो उतनी नहीं थी जितनी पहले होती थी अगर आप लोकसभा देखते थे तो पूरा हाउस बीजेपी के सांसदों से भरा दिखता था पिछले पा साल 10 साल में तो एक तरीके से ब अलग नजारा देखने को मिला और शायद सरकार या बीजेपी को भी इस बात का एहसास है विपक्ष को भी कि बहुत कुछ इस अवी लोकसभा में बदला है और सांसदों में भी नयापन है जो पहली बार बने है चाहे वो इरा हसन हो एक नई उमंग दिखती है ऊर्जा नजर आती है चाहे वो पप्पू यादव हो नीट की टीशर्ट पहन के वो आए और जिस तरह से उन्होने भरतरी मेहताब साहब को फटकार लगाए तमाम समाजवादी पार्टी के मरेश प्रसाद है उनको ट्रोफी लेके की तरह जो है लगातार अखिलेश यादव अपने दाए या बाए रखते उनको तो छोड़ते ही नहीं है तो वो है आजाद है आजाद चंद्रशेखर से हमने बात की थी तो चंद्रशेखर जो है काफी उनके जो फॉलोअर है जैसे ही वो बाहर निकलते हैं मकर दवार से काफी उनके फॉलोअर उनके साथ खड़े होते हैं अब देखिए कि समाजवादी पार्टी के साथ कुछ सांसद कांग्रेस के भी है जो उत्तर प्रदेश से तनुज पुनिया है पहले पीएल पुनिया जो है वो नजर आते थे राजसभा में तनुज पुनिया उनके बेटे हैं वो है उज्जवल रमन सिंह है जो की प्रयागराज से जीत के आए हैं लाबाद से जीत के आए हैं तो काफी उन लोग के लिए भी बड़ा नया मौका है कुछ ना कुछ करने का और जिस तरह से बीजेपी के भी सांसद अगर आप देखें तो कई उसम नए सांसद है और सबको अब वो वो माहौल नहीं रहा मतलब मुझे कई सांसद ये बोलते हैं मैंने एक एक से बोला जो मंत्री थे और राज्य में और उनको मौका मिला वो सांसद जीत के आए तो मैंने कहा जल्दी से वो मकान किसको कौन सा मकान मिलेगा इस पे आजकल चर्चा चल रही है और हाउसिंग कमेटी बनेगी तो कहां मकान लेना चाहिए कुछ लोग दिल्ली के लिए नए हैं आबोहवा नहीं है दिल्ली की राजनीति अलग है तो मैंने कहा कि ऐसा भी हुआ है कि कई सांसदों को वापस भेज दिया गया विधानसभा के चुनाव लड़ने के लिए तो कहीं ऐसा ना हो जाए आपके साथ दोबारा आपको जाना पड़े तो सांसदों को भी बीजेपी के मालूम है एक एक सांसद की अहमियत है उनकी उनकी उनकी जो संख्या बल है उसकी अहमियत है तो वो पहले होड़ में जो है सारे गिने जाते थे अब एक तरीके से आप देखि की पत्रकारों के लिए भी कोजन के लिए बहुत सारी चीज है और सब लोग बड़े उत्साहित नजर आ रहे ये भी एक लोकतंत्र की खूबसूरती मैं कहूंगी तो कई ऐसे सांसद है मुझे लगता है जो जिनको पहली बार मौका मिला है और दे विल बी लुकिंग टू मेक अ मार्क थैंक यू थैंक यू मसन आप इसमें कुछ ऐड करना चाहेंगी निधि देखिए मेरे लिए जो आपका पहला ओथ टेकिंग के बाद जो फर्स्ट हुआ जब स्पीकर इलेक्शन के बाद जब था इंटरेक्शन तब वो मेरे लिए काफी मुझे देखने ल के लायक था क्योंकि उसमें कुछ सांसद थे जो खड़े हुए और उन्होंने स्पीकर के इलेक्शन के ऊपर जब बोला तो वो बहुत ही वाइटल था किस तरीके से जब स्पीकर ने कहा कि नहीं देखिए बस अब हो गया अब हम आगे चलते हैं लेकिन कुछ सांसदों ने और सिंगल पार्टी सिंगल मेंबर पार्टी वाले थे जिसमें से चंद्रशेखर आजाद थे उस टाइम उस टाइम ओवैसी साहब ने भी बात की लेकिन ये जो सांसद है दे आर टू वच आउट फॉर जिनको हम कहते हैं जैसे नेशनल कॉन्फ्रेंस के एमपी ने जब यह कहा कि किसी एमपी को टेररिस्ट कहा जाए तो दैट सो ही वाज नेशनल कॉन्फ्रेंस के थे आई थंक आगा सईद साहब थे उन्होंने मतलब पीपल टू वच आउट फॉर ऊपर से जैसे बड़ी-बड़ी पार्टीज के एमपीज जो होते हैं उनको इन जनरल समय मिलता है पार्टीज की तरफ से बोलने का जब भी कोई मेजर टॉपिक आता है लेकिन जो सिंगल मेंबर जो पार्टीज होती हैं उनको मुझे लगता है जैसे चंद्रशेखर आजाद हुए फिर भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत हुए दीज आर पीपल टू आई थिंक वच आउट फॉर फिर गेनी बेन ठाकुर कांग्रेस एमपी हुई पहली आई थिंक सांसद 10 साल में गुजरात से जो कांग्रेस की सांसद हैं डेफिनेटली टू वच आउट फॉर इंटरेस्टिंग अ आप अपोजिशन कर करती है इसलिए मेरा एक सवाल और लगे हां तो डिप्टी स्पीकर को लेकर क्या चर्चा चल रही है देखिए इतने समय से हम लोग सब कवर कर रहे हैं पार्लियामेंट ये जो बातें थी कि वो कभी एस सच जो मनमुटाव होता था वो बाहर नहीं आता था ये बड़ा एक तालमेल बैठा हुआ था पक्ष में और विपक्ष में जबकि अगर आपका स्पीकर है तो एस अ मैटर ऑफ कह सकते हैं प्रोपराइटी गुडविल डेप्युटी स्पीकर विपक्ष से को ऑफर कर दिया जाता था ये चीजें जो है ना टू एंड फ्रो ये यह सब बाहर नहीं आती थी कि पहला आप हमें डेप्युटी स्पीकर के लिए ये करिए कमिट कीजिए या दूसरी तरफ से कि हम यह देंगे या नहीं देंगे ये एक तालमेल बनता था खैर पिछली बार चार बारों से नहीं बना बट यह तालमेल बनता था और सामने आ जाया करता था लेकिन इस बार पक्ष ने भी बिल्कुल अपने जैसे कहते हैं कि बहुत ही कड़ा रुख लिया और विपक्ष ने भी पक्ष में जैसे किरण रिजीजू ने बिल्कुल सामने आके ये बोला हाउस में कि बहुत सरकारें आपकी भी है इंडिया ब्लॉक की है कांग्रेस की है जो जिनके पास स्पीकर स्टेट्स में स्पीकर भी है और डेप्युटी स्पीकर भी है तो ये कहीं ना कहीं एक अच्छी मतलब कंपैरिजन नहीं थी लेकिन यहां पे अगर आप शुरुआत कर रहे हैं 18वीं लोकसभा की और आप ये दिखा रहे हैं कि हम लोग दोनों साइड ही ही सामंजस्य रख के बैठा के आगे बढ़ना चाहते हैं और हाउस चलाना चाहते हैं ये कहीं ना कहीं बैकरूम बॉयज को चाहिए था मतलब कहीं डिप्लोमेटिक तरीके से सॉर्ट आउट करने की जो यहां नहीं आया क्योंकि ये आती नहीं थी पहले सामने चीजें जी राहुल श्रीवास्तव जी सत्ता पक्ष की चुनौतियां और अब तक का रुख ये जो डिप्टी स्पीकर का मामला है एक तो इसमें कुछ क्लेरिफिकेशन ये है कि जो आर्टिकल 93 आपका है कांस्टिट्यूशन का जी वो ये कहता है कि फम फ्रॉम द हाउस देर शल बी टू पीपल हु विल बी डेप स्पीकर एंड डिप्टी स्पीकर मगर वो यह कहता है कि होने चाहिए मगर उसके बाद बात आती है जो वो रूल अलग है कन्वेंशन अलग है जो बात हो रही है वो कन्वेंशन की है ऐसा भी नहीं था कि हमेशा डिप्टी स्पीकर अपोजिशन का हुआ करता है टिल 1969 सरकार के पास ही सत्ता पक्ष के पास ही हुआ करता था और संजीवा रेड्डी जब 1969 में स्पीकर पद से उन्होंने हटे 1969 जुलाई में इनफैक्ट कोइंसिडेंटली यही पीरियड था उसके बाद से यह कन्वेंशन शुरू हुआ और सिक्किम के सांसद थे शिलम से शिलम से सांसद थे गिलबर्ट स्वेन वो पहले विपक्ष के डिप्टी स्पीकर बने उसके बाद अगर कन्वेंशन की बात की जाए तो जैसे निधि ने कहा कि नौ राज्य है ऐसे जहां विपक्ष की सरकारें हैं और वहां स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पोस्ट जो है वो सत्ता पक्ष के पास ही है बंगाल तमिलनाडु कर्नाटक केरल तेलंगाना झारखंड पंजाब दिल्ली हिमाचल प्रदेश तो इस कन्वेंशन को भी बेंचमार्क नहीं माना सकता मगर मगर फॉर गुड पॉलिटिक सेक अटल बिहारी वाजपेई के टाइम में हुआ मनमोहन सिंह सरकार में टाइम में हुआ मगर सौरव यह 2019 से बंद हो गया और मैं यह कहूंगा किय अभी भी बहुत मुश्किल होगा एक डिप्टी स्पीकर का अपॉइंटमेंट या विपक्ष के किसी आदमी का तो मैं वर्चुअली रूल आउट करता हूं होगा क्योंकि नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट एंड द काइंड ऑफ लीडरशिप जो इस समय बीजेपी की है वो कंप्लीट नंबर्स के साथ नहीं आई है और कंप्लीट नंबर्स के आने के कारण वह पार्लियामेंट में उसके साथ क्या होता है उस परे बहुत कॉशस रहेगी और अगर आप आर्टिकल 95 अगर देखेंगे जो है वो कांस्टिट्यूशन का वो वर्चुअली इक्वल पावर देता है स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को दोनों का इलेक्शन प्रोसेस है दे आर अपॉइंटेड बाय द पार्लियामेंट नाउ सिंस दे आर अपॉइंटेड बाय द पार्लियामेंट एक दूसरे की एब्सेंट में फंक्शन करता है मगर रूलिंग को नहीं काट सकता मान लीजिए आज डिप्टी स्पीकर विपक्ष का हो और विपक्ष एक ऐसा मोशन एक्सेप्ट कर लेता है जैसे विपक्ष ने तमाम पिछले पाच सालों में 10 सालों में मोशन मूव किए एडजर्नमेंट के ऐसे मोशन के जिसमें डिबेट शुड एंड इन अ वोट या इन चीजों के या जहां पे सरकार को अपने नंबर्स का खतरा हो ऐसा मोशन एक्सेप्ट कर लेता है तो क्या आपको लगता है कि जब स्पीकर उसको रूल नहीं कर पाएगा या उस पर विवाद हो जाएगा व्हाट विल बी द सिचुएशन देन तो क्या है कि कन्वेंशन में यह भी है कि जो डिप्टी स्पीकर है व स्पीकर से तालमेल रखता है बहुत मैंने अपने उसम आज तक मैंने 28 साल पार्लियामेंट कवर करी मैंने नहीं देखा कि स्पीकर और डिप्टी स्पीकर चेयर और डिप्टी चेयर में कोई एक अंत विरोध हुआ हो मगर आज की पॉलिटिक्स ऐसी है कि ना तो स्पीकर के कंडक्ट के बारे में कह सकते हैं ना डिप्टी स्पीकर के तो जब ये एक फॉल्ट लाइन आ जाती है ट्रस्ट का इशू आ जाता है उसमें विपक्ष को डिप्टी स्पीकर की पोस्ट जाना वेरी अनलाइक डिप्टी स्पीकर पॉइंट होना मे बी थैंक यू राहुल जी राजदीप जी अंतिम टिप्पणी आपकी सत्ता पक्ष की रणनीतियों को लेके सत्ता पक्ष की रणनीतियों को लेके जैसे मैंने आपको कहा सौरभ कि सत्ता पक्ष जो है नरेंद्र मोदी जो है और मैंने आपके पिछले प्रोग्राम में भी कहा था नरेंद्र मोदी जी क्योंकि राजनीति में इतने सालों से रहे हैं नरेंद्र मोदी एक ऐसे नेता है जो समय को अपने अपने आप को अजस्ट कर देंगे अगर उनको कोलिशन सरकार चलानी है और चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को साथ लेकर चलना है वह उनको इस समय साथ लेकर बिल्कुल चलेंगे लेकिन नरेंद्र मोदी की जो इंस्टिट वो है स्ट्रांग मैन की कि मैं ताकतवर नेता हूं और मैं अपनी ताकत दिखाना चाहता हूं तो एक तरह से आप कह सकते हैं बड़े इंटरेस्टिंग है नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी दोनों अपने कंफर्ट जोन के बाहर है राहुल गांधी जिस तरह के नेता है वो केवल पार्लियामेंट में अपने आप को सीमित नहीं रखना चाहते मैं पहले भी भूल गया आपको कहने की एक व्यक्ति जो उनके हर इर्दगिर्द रहते हैं वो केसी बनु गोपाल और केसी वेण गोपाल का भी एक बड़ा रोल था राहुल गांधी को कन्विंसिंग मेंट कंफर्ट जोन नहीं है वो इससे कंफर्टेबल नहीं है लेकिन क्योंकि समय परिस्थिति दर्शाता है कि आपको चिराग पासवान को भी थोड़ा प्रोजेक्ट करना पड़ेगा या आपको जेडीयू में ललन सिंह जैसे नेता जो एक समय एक ही साल पहले इंडिया अलायंस में मोदी जी के स खिलाफ थे उनको म बनाना पड़ा है या आपको टीडीपी को वही चंद्रबाबू नायडू जिसने आपको 2019 में आतंकवादी कहा था उनको भी साथ लेकर चलना है तो व करेंगे लेकिन कब तक मुझे लगता है यह एक सिक्स मंथ इंटरवल है इस सिक्स मंथ इंटरवल में आपको हर जो जो भीय प्रतिद्वंदी है सरकार की से और विपक्ष से दोनों एक दूसरे को एक तरह से रख रहे हैं कि किस लेवल तक कितना मैं पुश कर सकता हूं बिल्कुल सही कहा केसी वेण गोपाल वो व्यक्ति है जो पुश कर रहे थे नहीं नहीं डेप्युटी स्पीकर कांग्रेस का ही होना चाहिए वही नरेंद्र मोदी जी और उनके करीबी पुश कर रहे थे नहीं ओम बिरला ही बनना चाहिए तो एक दूसरे को वो परख रहे हैं इस समय कि किस लेवल तक मैं इसे पुश कर सकता हूं और मुझे लगता है सौरव कि यही स्थिति आपको दिखेगी कम से कम सितंबर अक्टूबर त जब महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव होंगे अगर महाराष्ट्र में विपक्ष चुनाव जीत पाती है और अगर हरियाणा में भी जीत पाती है तो जरूर विपक्ष और मजबूत होगी और फिर देखना पड़ेगा कि सरकार किस तरह से अपना रवैया बदलती है लेकिन इस समय सरकार ने तय किया है कि एक लक्ष्मण रेखा है हम आपके साथ बातचीत करेंगे लेकिन फाइनल डिसीजन विल बी आवर्स और स्पीकर का जो चुनाव है वो यह दर्शाता है कि सरकार ने तय किया है कि वी विल नॉट सकम टू प्रेशर टैक्टिक्स हम दबाव की राजनीति नहीं करेंगे नरेंद्र मोदी ने इस तरह की राजनीति की ही नहीं है ये उनकी खासियत है वो दबाव में आकर अपनी राजनीति नहीं करते हालांकि जब वो गुजरात में भी थे उन पर अंदरूनी दबाव भी था लेकिन वो तैयार नहीं थे कई वहां के नेता काशीराम राणा सुरेश मेहता केशु भाई पटेल उस समय गुजरात में भी उनको पुश करना चाहते थे कई दिशाओं में केंद्र सरकार भी कुछ इन नेता बागी नेताओं को तब समर्थन करती थी लेकिन नरेंद्र मोदी ने लक्ष्मण रेखा खींची थी उनके घ साथ और कई लोगों को भी पार्टी छोड़नी पड़ी उस समय अ अब भी मुझे लगता है कि उसी तरह से सौरभ नरेंद्र मोदी एक लक्ष्मण रेखा ड्रॉ कर रहे हैं हां हमारी 63 सीटें कम आई है हमें 272 नहीं मिली है लेकिन इसके बावजूद कोई मुझे डिक्टेट नहीं कर सकता ना पार्टी के अंदर ना पार्टी के बाहर आप देखिए बड़ा इंटरेस्टिंग है जैसे इंद्रेश कुमार ने एक कमेंट की अहंकार पर और एक तरह से मोदी सरकार या मोदी जी पर तो तुरंत उनको रिट्रेक्ट करना पड़ा क्योंकि मोदी जी अलाव नहीं करेंगे आप मोदी जी जरूर राजनाथ सिंह का जो फ्रंट रो में दिख रहे उस पिक्चर में उनका एक तरह से उनको प्रोजेक्ट करेंगे जब विपक्ष से बातचीत करनी है मोदी जी ने फोन नहीं उठाया था कभी कभी राजनाथ सिंह जी ने खरगे जी से बात की तो यह सब वो करेंगे राजनाथ सिंह को एक कंसेंसस बिल्डर की तरह विपक्ष के सामने रखेंगे लेकिन फाइनल डिसीजन विल बी ट ऑफ मोदी जी एंड द अदर बिग टेस्ट इ क्या अगले महीने और शायद हिमांशु जी ज्यादा इस पर आपको जानकारी दे सके क्या भाजपा का जो नया अध्यक्ष होगा वो किस तरह का व्यक्ति होगा उस पर किसकी मोहर होगी कौन डिसाइड करेगा और उस व्यक्ति और मोदी जी और मोदी जी के सरकार में किस तरह के इक्वेशन रहेंगे जस्ट लाइक द स्पीकर्स इलेक्शन है शोन कि मोदी जी ने कहा कि मेरा ही आदमी रहेगा मैं पूरी तरह से ओम बिरला पर विश्वास करता हूं वो मेरी जो मैं कहता हूं वो उसी दिशा में जाएंगे उसी तरह से क्या जो अध्यक्ष है वो जेपी नड्डा टाइप रहेंगे या कोई और व्यक्ति रहेगा जिसकी एक अलग पहचान हो दैट आई थिंक विल टेल अस की च डायरेक्शन दिस गवर्नमेंट इज गोइंग ये अभी भी बहुत अर्ली डेज जी ब इस समय ये नहीं कह सकते कि च डायरेक्शन द गवर्नमेंट विल गो इन कन्फ द अपोजिशन एट सम स्टेज बिल्कुल ऑन दैट नोट यह सत्र समाप्त करते हैं सभी वरिष्ठ पत्रकारों का राजदीप सर देसाई जी राहुल श्रीवास्तव जी निधि शर्मा जी मौसमी सिंह जी और हिमांशु जी का बहुत-बहुत धन्यवाद [संगीत]