अच्छा एक इंपॉर्टेंट बात किसी ने तुमसे पूछ लिया कि भारत का धर्म कौन सा है क्या बोलोगे आज का हमारा चैप्टर बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट होने वाला है क्योंकि इस चैप्टर से बहुत सारे सवाल बनते हैं तो इसके चलते हमारे कांस्टीट्यूएंट मेकर्स ने क्या किया उन लोगों ने फोकस कि है कि लोगों के पास में पावर रहे सरकार सभी रिलीजन से वन हैंड डिस्टेंस मेंटेन करके चलती है तो आर्टिकल नंबर 32 इसलिए जरूरी है ये याद नहीं होता है लेकिन ये पेपर में आता है तो याद करना पड़ेगा फंडामेंटल राइट दूसरी राइट से बहुत ज्यादा अलग है हमारे देश में कोई भी ऑफिशियल रिलीजन नहीं है नमस्कार आप सभी का स्वागत है नेक्स्ट टॉपर ह्यूमैनिटीज पे मैं सिद्धार्थ पटेल आप लोगों के लिए लेके आया हूं आज नया वन शॉर्ट रिवीजन और आज का हमारा चैप्टर बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट होने वाला है क्योंकि इस चैप्टर से बहुत सारे सवाल बनते हैं एंड स्पेशली जो बच्चे कंपटिंग की तैयारी कर रहे हैं कंपटीशन की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए भी यह चैप्टर बहुत ही ज्यादा इंपोर्टेंट है वैसे कौन सा चैप्टर है राइट्स इन द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन यह चैप्टर बताता है कि एज ए सिटीजन हमारे पास में कौन-कौन सी राइट्स अवेलेबल है इंडियन कांस्टिट्यूशन ने हमें कौन-कौन सी राइट्स दी है इसके बारे में यह चैप्टर बताता है ठीक है तो स्टार्ट करते हैं सबसे पहले सवाल यह आता है कि आप संविधान से क्या समझते हैं राइट पे जाने से पहले हमें यह पता होना चाहिए व्हाट इज कांस्टिट्यूशन हमने प्रीवियस इस वीडियो में पढ़ा है कि कॉन्स्टिट्यूशन क्या है कॉन्स्टिट्यूशन कैसे बना कॉन्स्टिट्यूशन को कैसे लागू हो रहा है वह ठीक है अब मैं फिर से आपसे वहीं से सवाल करूंगा क्योंकि हमें क्या करना है हमें लिंक करना है देखो सारी चीजों को हमें क्या करना है सारी चीजों को हमें एक स्टोरी के वे में समझते चलना है रटना नहीं है पॉलिटिकल साइंस में चीजों को स्टोरी के वे में अगर करते चले गए तो ऑटोमेटिक सारी चीजें क्लियर हो जाएगी सो कांस्टीट्यूशन से हम लोग क्या समझते हैं कांस्टिट्यूशन इज नॉट ओनली अबाउट द कंपोजिशन ऑफ वेरियस ऑर्गन्स ऑफ गवर्नमेंट एंड रिलेशंस अमंग देम अ कॉन्स्टिट्यूशन इज अ डॉक्यूमेंट दैट सेट लिमिट्स ऑन द पावर ऑफ गवर्नमेंट एंड इंश्योर्ड डेमोक्रेटिक सिस्टम इन व्हिच ऑल पर्सन एंजॉय सर्टेन राइट कांस्टिट्यूशन मियर सिफ ऐसा नहीं है कि जो कि बता रहा है कि सरकार का यह काम है तो पार्लियामेंट का यह काम है जुडिशरी का यह काम है अगर आपको ध्यान हो तो प्रीवियस वीडियो में प्रीवियस वीडियो इन द सेंस जब आपने पहले चैप्टर का वन शॉर्ट रिवीजन देखा होगा कॉन्स्टिट्यूशन वायन हाउ का तो उसमें मैंने फंक्शन ऑफ कॉन्स्टिट्यूशन में आपको एक चीज बताई थी क्या बताई थी कि कॉन्स्टिट्यूशन का बेसिक फंक्शन क्या है कॉन्स्टिट्यूशन का बेसिक फंक्शन है दैट इट सेट लिमिट ऑन दी पावर ऑफ गवर्नमेंट गवर्नमेंट की पावर को कहीं ना कहीं रोकता है एक लिमिट सेट करता है क्यों जरूरी है गवर्नमेंट की पावर पे थोड़ा सी रोक लगाना अगर गवर्नमेंट की पावर को रोका नहीं गया तो सरकार अपने आप को मायबाप समझने लगेगी वह क्या सोचेगी कि मैं ही दादा हूं ऐसा सरकार को एहसास नहीं होना चाहिए क्योंकि इस देश में आप कोई भी भी सरकार देख रहे हो व इसलिए है क्योंकि हमने चुना है उनको और जिस दिन हम चाहेंगे उस दिन वह सरकार फिर से चुनाव हार जाएगी और कोई नई पॉलिटिकल पार्टी अपनी सरकार बना लेगी भैया तो सरकार की पावर पर लिमिट लगाना जरूरी है अगर तुम किसी को भी बहुत ज्यादा पावर दे दोगे बहुत ज्यादा पावर दे दोगे तो क्या हो जाएगा वह अपने आप को मायबाप समझने लगेगा और वह करप्शन की राह पर उतर जाएगा एक बहुत ही अच्छा कोट है पावर टेंड्स टू करप्ट एन एब्सलूट पावर करप्ट एब्सलूट पावर टेंड्स टू करप्ट एंड एब्सलूट पावर करप्ट एब्सलूट मतलब कि अगर आपने किसी को पावर दी है तो वो कहीं ना कहीं करप्शन के माध्यम से मतलब घपला ये वो कहीं ना कहीं अपने आप को दादा समझने लगेगा और अगर किसी के पास एब्सलूट पावर दे दोगे तो फिर तो वो किसी से नहीं डरेगा तो ये हमारे जो कांस्टिट्यूशन बना रहे थे जो कांस्टिट्यूशन मेकर्स थे उनको यह बात मालूम थी इसलिए उन्होंने क्या किया इसलिए उन्होंने सिटीजंस को राइट्स दिए और ये राइट्स इसलिए दिए कि सरकार तुम्हारी मायबाप नहीं बनेगी सरकार अगर ज्यादा तेज चले तो तुम बोल दो क्या बात है अगला चुनाव आएगा प्रोटेस्ट कर लोगे ये कर लोगे इसलिए कांस्टीट्यूएंट मेकर्स ने जो कांस्टिट्यूशन के जो मेकर्स थे तो कांस्टीट्यूएंट असेंबली में उन लोगों ने फोकस किया कि लोगों के पास में पावर रहे समझ रहे हो इसको ऐसा भी लिंक कर सकते हो कि जब अंग्रेज आए अंग्रेज ने हमें गुलाम बनाया तो हमारे पास में कोई अधिकार नहीं थे तो उनको ये लगा कि आज तो अंग्रेज अंग्रेज आए अंग्रेज चले गए कल को अगर मान लो कोई ऐसी सरकार आ जाए और वो लोगों को कुछ परेशान करें तो इसलिए उन्होंने सरकार की पावर पर लिमिट लगाने के लिए लोगों को राइट दे दी कि कोई भी सरकार इतनी ज्यादा पावर एक्सरसाइज ना करे या फिर से वैसा ना हो जैसा अंग्रेज ने हमारे साथ में किया क्लियर है लॉजिक समझ में आ रहा है पॉलिटिकल साइंस को लॉजिक से समझना है स्टोरी के वे में समझना है सो द पार्ट थ्री ऑफ इंडियन कांस्टिट्यूशन ऑफ इंडिया लिस्ट द फंडामेंटल राइट्स एंड आल्सो मेंशन द लिमिट्स ऑन दीज राइट्स तो हमारे कॉन्स्टिट्यूशन का जो पार्ट थ्री है वह फंडामेंटल राइट्स के बारे में बात करता है अब पार्ट थ्री क्या है भैया इसको ऐसे समझो कि आप लोगों को पता है कि इंडिया का कॉन्स्टिट्यूशन वर्ल्ड का लेंथीएस्ट कॉन्स्टिट्यूशन है हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है लेंथीएस्ट कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ दी वर्ल्ड ठीक है अब बहुत मोटी किताब होती है तो किसी को भी पढ़ने में रोना आता है ना आज मैं तुमसे बोलूं कि एक किताब पढ़ लो एक छोटी सी किताब दे दी तो तुम खुशी-खुशी पढ़ लोगे बहुत मोटी किताब दे दी तो पढ़ने में रोना आएगा तो जब बहुत मोटी किताब होती बहुत बड़ी किताब होती तो हम उसे क्या करते चैप्टर्स में डिवाइड करते तुम्हारी कि तुम्हारी जो किताब है वो चैप्टर में डिवाइडेड है चैप्टर 1 2 3 4 5 6 तो वैसे ही आप ये जो पार्ट थ्री आप इसको समझो चैप्टर एक तरीके से चैप्टर समझ लो ताकि तुम्हें समझने में आसानी होगी कि पार्ट वन किसी और के बारे में बात कर रहा है पार्ट टू किसी और के बारे में बात कर रहा है पार्ट थ्री फंडामेंटल राइट्स के बारे में बात कर रहा है तो पार्ट थ्री जो है मतलब चैप्टर थ्री जो है हमारे कांस्टिट्यूशन का पार्ट थ्री जो है हमारे कांस्टिट्यूशन का वो क्या बात करता है वो बात करता है फंडामेंटल राइट्स के बारे में एंड इन पास्ट सिक्स डिकेड्स द स्कोप ऑफ राइट हैज बीन चेंज इन सम रिस्पेक्ट एंड एक्सपेंडेड और पिछले छह दशकों से और इवन सात दशकों से सात दशक मतलब डिकेड्स इन सिक्स डिकेड्स और इन सेवन डिकेड्स मतलब प पिछले 60 टू 70 इयर्स में हमने ये देखा है कि फंडामेंटल राइट का स्कोप बहुत बढ़ गया है कांस्टीट्यूएंट असेंबली ने तो इतनी राइट दी थी आज की तारीख में हमें इतनी सारी राइट मिल गई है कैसे मिली है वो हम इस चैप्टर के माध्यम से समझेंगे क्लियर है यहां तक की चीजें आपको समझ में आ गई है सो व्हाट वी विल स्टडी इन दिस चैप्टर एक तरीके से देख लेते हैं कि हम इस पूरे चैप्टर में क्या पढ़ने वाले हैं व्हाट आर द वेरियस फंडामेंटल राइट लिस्टेड इन दी कांस्टिट्यूशन ऑफ इंडिया कौन-कौन से फंडामेंटल राइट्स हमें मिले हैं कौन-कौन से फंडामेंटल राइट्स इस संविधान में लिखे हैं सबसे पहले उसको समझते हैं ठीक है हाउ दीज राइट्स आर प्रोटेक्टेड ये राइट्स को प्रोटेक्ट कैसे किया जाता है मान लो कि लिख तो बहुत सारी चीजें देते हैं अब मान लो वो चीज फॉलो नहीं हो तो क्या होगा वो वाली चीज हमें देखना है व्हाट रोल द जुडिशरी हैज प्लेड इन प्रोटेक्टिंग एंड इंटरप्रिटिंग दीज राइट्स और जुडिशरी ने कौन सा रोल प्ले किया है जो सुप्रीम कोर्ट है जो हाई कोर्ट है उन्होंने क्या रोल प्ले किया है कि यह राइट्स लोगों के पास में रहे क्योंकि सरकार तो हमेशा लोगों की राइट कम करना चाहेगी तो कहीं ना कहीं जुडिशरी भागते भागते आ जाती भागो भागो भागो भागो कि तुम राइट्स कम नहीं कर सकते व्हाट इज़ द डिफरेंस बिटवीन फंडामेंटल राइट एंड डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ़ द स्टेट पॉलिसी और फंडामेंटल राइट्स और डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ़ द स्टेट पॉलिसी में क्या डिफरेंस है यह भी आप इस वीडियो के माध्यम से समझ जाएंगे क्लियर है ठीक है तो यहां पे देखो इंपॉर्टेंस ऑफ राइट्स के माध्यम से सबसे पहले मैं आपको दो स्टोरी बताऊंगा दो स्टोरी के माध्यम से क्या बताना चाहता हूं मैं दो स्टोरी के माध्यम से आपको यह बताना चाहता हूं कि राइट्स होना कितना ज्यादा जरूरी है और यह दोनों स्टोरी आपके किताब में लिखी हुई है कौन सी स्टोरी है दैट इन 1982 द कंस्ट्रक्शन वर्क फॉर एशियन गेम्स द गवर्नमेंट इंगेज फ्यू कांट्रैक्टर्स दीज वर्कर्स वेर केप्ट इन द पुअर वर्किंग कंडीशन एंड वेर पेड लेस देन मिनिमम वेज डिसाइडेड बाय द गवर्नमेंट अ टीम ऑफ सोशल साइंटिस्ट स्टडीड देयर पुअर कंडीशन एंड पिटीशन द सुप्रीम कोर्ट दे आर्गू दैट कंप्लाइंग अ पर्सन टू डू वर्क फॉर अ लेस दन मिनिमम प्रिस्क्रुटनी ऑफ फंडामेंटल राइट्स दैट इज राइट अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन अब यहां पे एशियन गेम्स में क्या हुआ था कि सरकार ने बहुत सारे लोगों को काम पे रखा था कांट्रैक्ट के बेसिस पे ठीक है अब सरकार ने उनसे खूब सारा काम करवाया लेकिन सरकार ने उन्हें पैसे बहुत कम दिए जब पैसे बहुत कम दिए तो यह केस कहां चले गया केस सुप्रीम कोर्ट में चल गया फिर सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि नहीं भैया तुमने काम करवाया वो आदमी गरीब है तो तुम मतलब उसे कम पैसे में बहुत ज्यादा काम करवा लोगे ऐसा नहीं हो सकता है एक मिनिमम वेज तो होनी चाहिए मतलब कि इतना काम करने के लिए 00 तो मिलने चाहिए 00 तो मिलने चाहिए ऐसा नहीं हो सकता कि काम इतना सारा करवा लिया और दिए तुमने 50 समझ रहे हो तो सुप्रीम कोर्ट ने क्या बोला सुप्रीम कोर्ट ने बोला ये क्या है यह है राइट अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन कि किसी भी व्यक्ति का आप एक्सप्लोइटेशन नहीं कर सकते हो आपको क्या है आपको एक मिनिमम वेज तो देना ही पड़ेगा यह थी यहां पे पहली कहानी और यह कहानी क्या बताती है यह कहानी एक तरीके से हमें बताती है कि राइट क्यों इंपॉर्टेंट है हमारे लिए ठीक है सेकंड कहानी किस सेकंड कहानी समझते हैं हम तो अब हम देखते हैं मेचल ला लुंग के बारे में ठीक है प्रोनंसिएशन पर ध्यान नहीं देना मेचल लालु पढ़ लो मेचल लाल पढ़ लो जो तुम्हें पढ़ना है पढ़ लो हमें कंटेंट प ध्यान देना है तो मेचल लाल ये कौन है भैया ये एक व्यक्ति है जो कि जब 23 साल के थे तब इनको अरेस्ट किया गया यह आसाम में गांव में रहते थे केस में क्या हुआ था एक ब्रीफ समरी देखते हैं कि इनके साथ में क्या हुआ था अरेस्टेड एट 23 इन आसाम फॉर कॉजिंग इंजरी फाउंड मेंटली अनस्टेबल ठीक है इनको अरेस्ट किया गया था कि फॉर कॉजिंग इंजरी कहीं कुछ उन्होंने मतलब एक तरीके से हम कर लो कि कुछ बहुत सारी इंजरी फैलाई थी या किसी को मारा था ऐसा समझ लो ठीक है फिर ऐसा पाया गया कि मेंटली अनस्टेबल है तो इनको डॉक्टर्स के पास में भेजा गया था ठीक है इनका प्रॉपर इलाज विलाज हो गया और डॉक्टर ने फिर दो-तीन बार पुलिस को बोला कि भैया कोर्ट को बोला सॉरी कि आप इनका ट्रायल स्टार्ट कर दीजिए वो एकदम फिट है लेकिन गए थे तब तक उनका ट्रायल नहीं हुआ था तब तक कोर्ट्स ने ध्यान नहीं दिया था और फिर नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन ने इंटरवेनर नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन ने देखा कि एक व्यक्ति ने 54 इयर्स अपनी लाइफ के कहां बिता लिए जेल में बिता लिए और कुछ पता ही नहीं चला कि क्या हुआ क्या नहीं हुआ 54 इयर्स कितनी बड़ी बात होती है 23 साल एक युवा होता है और 77 इयर्स तक वो जेल में रहा है तो यहां पे हमने क्या देखा यहां पे जो मेचल की जो राइट थी राइट टू फ्री एंड स्पीडी ट्रायल इसकी वजह से मतलब मेचल को यह वाला अधिकार नहीं मिला फ्री एंड स्पीडी ट्रायल और इसकी वजह से उनको क्या हुआ उनको बहुत समय जेल में गुजारना पड़ा जुडिशियस में गुजारना पड़ा ठीक है तो इसमें हम क्या देख रहे हैं कि मेचल की भी फंडामेंटल राइट्स कहीं ना कहीं वॉलेट हुई पीछे वाले केस में हमने यह देखा था कि यहां पे एक तरीके से किसकी फंडामेंटल राइट्स वायलेट हुई जो वर्कर्स थे उनकी फंडामेंटल राइट्स वायलेट हो रही थी यहां पे मचल की फंडामेंटल राइट्स वायलेट हो रही थी क्लियर है यहां तक समझ में आ गया नाउ ऑफ राइट्स राइट्स आर एसेंशियल इन डेमोक्रेसी टू इंश्योर इंडिविजुअल्स आर प्रोटेक्टेड एंड रिकॉग्नाइज बाय गवर्नमेंट मोस्ट डेमोक्रेटिक कांस्टिट्यूशन इंक्लूड अ लिस्ट ऑफ राइट कॉल्ड अ बिल ऑफ राइट्स देखो राइट्स बहुत ज्यादा जरूरी है राइट्स इसलिए ज्यादा जरूरी है ताकि लोगों को विश्वास रहता है कि हमारे साथ कुछ गलत नहीं होगा नो डाउट गलत आज भी हो रहा है कहीं ना कहीं हम यह बोल रहे हैं ना कि 100% सारी चीजें सही नहीं है लेकिन राइट्स नहीं होंगे तो पूरी सही नहीं होगी कम से कम कुछ खराब है कुछ अच्छी है तो उसमें राइट्स का बहुत बड़ा योगदान है हमने जो हमारा फंडामेंटल राइट्स का जो कांसेप्ट है ठीक है वो एक तरीके से हमने हमारे बहुत सारी जगह से हम लोग इंस्पायर हुए थे तो हमने यूएसए में देखा कि उनके यहां पे फंडामेंटल ऑफ राइट्स चल रहे हैं ठीक है तो उनका उनकी हमने एज इट इज फंडामेंटल राइट बिल्कुल भी कॉपी नहीं करी लेकिन हम बड़े इंस्पायर हुए थे कि देखो वो ऐसा कुछ बिल ऑफ राइट्स करके फंडामेंटल राइट्स दे रहे हैं तो इंडिया में भी ऐसा होना चाहिए कि लोगों के पास में क्या रहे लोगों के पास में कोई फंडामेंटल राइट्स रहे ठीक है बिल ऑफ राइट्स का पर्पस क्या है द बिल ऑफ राइट्स प्रिवेंट द गवर्नमेंट फ्रॉम वायलेट इंडिविजुअल राइट्स एंड प्रोवाइड रेमेडीज इफ राइट्स आर वायलेट एक तरीके से सरकार को रोकता है कि वह कुछ गलत ना करे और मान लो उन्होंने कुछ गलत कर दिया तो व उसका कंपनसेशन भरे इसलिए राइट्स अधिकार इसलिए जरूरी हो जाते हैं प्रोटेक्टिंग इंडिविजुअल राइट्स अ कांस्टिट्यूशन प्रोटेक्ट्स इंडिविजुअल राइट्स फ्रॉम थ्रेट्स बाय अदर इंडिविजुअल ऑर्गेनाइजेशन ऑन इवन द गवर्नमेंट इट सेल्फ यहां पे हमें प्रोटेक्शन मिल रहा है किससे सरकार से मिल रहा है दूसरे लोग से मिल रहा है मतलब मुझे कोई दूसरा इंसान आके नहीं मार सकता ठीक है मेरे पास अधिकार है सरकार से मिल रहा और कोई ऑर्गेनाइजेशन है उससे भी मुझे प्रोटेक्शन मिल रहा है ठीक है कोई दूसरा इंसान मेरे साथ में भेदभाव नहीं कर सकता क्योंकि मेरे पास में राइट टू इक्वलिटी समझ रहे हो कास्ट बेस डिस्क्रिमिनेशन नहीं कर सकते वह मेरे पास में क्योंकि मेरे पास राइट टू इक्वलिटी है ठीक है समझ रहे हो गवर्नमेंट रिस्पांसिबिलिटी इट्स इंश्योर्ड दैट गवर्नमेंट इज बाउंड टू सेफगार्ड दीज राइट्स इवन फ्रॉम इट्स ओन ऑर्गन्स लाइक लेजिसलेच्योर जो सरकार है ठीक है सरकार में अभी समझ लो कि सारा पार्लियामेंट हो जुडिशरी हो या जो एग्जीक्यूटिव विंग हो चाहे ये आईएएस हो और यह सारे लोग हो इन सबसे हमें बचाती है ये राइट्स क्लियर है वैसे ही फिर हमने देखा था कि साउथ अफ्रीका ने भी क्या किया साउथ अफ्रीका साउथ अफ्रीका ने भी बहुत सारे राइट्स अपने कांस्टीट्यूशंस में अपने कांस्टिट्यूशन में इनकॉरपोरेट किए हैं ठीक है जैसे यूएसए इंडिया साउथ अफ्रीका इन लोगों ने क्या किया इन्होंने अपने जो सिटीजंस है इन लोगों को राइट्स देके रखी है क्लियर है नाउ फंडामेंटल राइट्स इन द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन द मोतीलाल नेहरू कमेटी हैज डिमांडेड अ बिल ऑफ राइट एज फार एज बैक इन 1928 व्हेन इंडिया बिकम इंडिपेंडेंट एंड द कॉन्स्टिट्यूशन वाज बीइंग प्रिपेयर्ड देयर वेर नो टू ओपिनियन इन द इंक्लूजन एंड प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन द कॉन्स्टिट्यूशन द वर्ड फंडामेंटल सजेस्ट दैट दीज राइट्स आर सो इंपॉर्टेंट दैट कॉन्स्टिट्यूशन हैज सेपरेटली लिस्टेड देम एंड मेड अ स्पेशल प्रोविजन फॉर देयर प्रोटेक्शन द फंडामेंटल राइट्स आर सो इंपोर्टेंट दैट द कॉन्स्टिट्यूशन इट सेल्फ इन शर्ट दैट देयर आर दैट दे आर नॉट वायलेट बाय द गवर्नमेंट फंडामेंटल राइट्स ऐसा नहीं है फंडामेंटल राइट्स की बात 1928 में जब मोतीलाल नेहरू की जो कमेटी थी उन्होंने बात की थी 1928 में कि हमें हम हमारे नागरिकों को बिल ऑफ राइट्स हम बिल ऑफ राइट्स देंगे फंडामेंटल राइट्स देंगे जब हमारा देश आजाद हो जाएगा तब तो जब देश को आजादी मिली जब कांस्टीट्यूएंट असेंबली काम कर रही थी तो किसी के भी मन में ऐसा कोई सेकंड थॉट था ही नहीं सब लोग यही सो सोच रहे थे कि नहीं हम सभी नागरिकों को राइट्स देंगे ताकि मैंने रीजन बताया कि वैसे ही अंग्रेज आके फिर से कोई गुलाम ना कर ले मतलब वैसे कोई सरकार एक्सप्लोइटेशन ना कर दे इसके चलते हम क्या करेंगे इसके चलते हम राइट्स देंगे ही देंगे ठीक है वर्ड फंडामेंटल जो वर्ड फंडामेंटल है राइट्स क्या आगे जो हमने फंडामेंटल लगाया मतलब ये हमारे लिए इतना इंपॉर्टेंट है कि हमने इसका नाम ही फंडामेंटल रख दिया और कांस्टिट्यूशन में प्रॉपर पार्ट थ्री एक पूरे चैप्टर में इन राइट्स के बारे में बताया गया है ठीक है फंडामेंटल राइट्स आर डि डिफरेंट फ्रॉम अदर राइट्स अवेलेबल टू अस जुडिशरी हैज पावर एंड रिस्पांसिबिलिटी टू टू प्रोटेक्ट द फंडामेंटल राइट्स फ्रॉम वायलेशन बाय द एक्शंस ऑफ गवर्नमेंट फंडामेंटल राइट्स आर नॉट एब्सलूट और अनलिमिटेड राइट्स पहले यहां तक समझ लेते हैं फंडामेंटल राइट्स दूसरी राइट से बहुत ज्यादा अलग है कैसे बहुत ज्यादा अलग है हमारे पास में बहुत सारे अधिकार हैं लेकिन अगर हमारे फंडामेंटल राइट वॉलेट हो रहे हैं तो हम लोग डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं आप जानते हो कोई छोटे-मोटे राइट्स वायलेट हुए तो पहले डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जाओ फिर हाई कोर्ट जाओ फिर सुप्रीम कोर्ट जाओ लेकिन अगर आपके फंडामेंटल राइट्स वायलेट हो रहे हैं तो आप सीधा सुप्रीम कोर्ट जा सकते हो अपना केस आप सीधा सुप्रीम कोर्ट में लगा सकते हो क्लियर है तो इसलिए फंडामेंटल राइट्स दूसरे राइट से बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है जो कि आपको आगे इस वीडियो के माध्यम से समझ में भी आएगा जुडिशरी के पास में स्पेशल पावर है वही कि वो हमारी राइट्स को प्रोटेक्ट करके रख सके यह भी आपको आगे समझ में आएगा लेकिन जो फंडामेंटल राइट्स है वो एब्सलूट नहीं है और अनलिमिटेड राइट्स नहीं है गवर्नमेंट उसपे रीजनेबल रिस्ट्रिक्शंस लगा सकती है एब्सलूट राइट नहीं है मतलब कि अगर आपने बोल दिया कि तुम्हें बोलने की आजादी है तुम्हें फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन है तो इसका मतलब ये नहीं तुम कुछ भी बोल दो गालियां देना शुरू कर दो देश के विरोध में जाके शुरा कर कुछ रिस्ट्रिक्शंस है तो फंडामेंटल राइट्स आर नॉट एब्सलूट देयर आर रीजनेबल रिस्ट्रिक्शन कि तुम्हें बोलने की आजादी है तुम कुछ भी बोलो लेकिन देश के विरुद्ध जाके मत बोलो गाली गलोज मत करो समझ रहे हो तो ऐसे रीजनेबल रिस्ट्रिक्शंस लगाए हैं क्लियर है यहां तक बात समझ में आ गई है तो अब हम बढ़ते हैं एक-एक करके फंडामेंटल राइट को समझने की कोशिश करते हैं अब आप ये इमेज देख रहे होंगे इस इमेज से हम लोग सबसे पहले हेडिंग लिखी है राइट टू इक्वलिटी इस इमेज से आप क्या समझ रहे हो एक महिला है जो कि खाना बना रही है और यहां पर हम देख रहे हैं कि पढ़ाई चल रही है और एक बच्ची पीछे बैठी है तो पहला तस्वीर में क्या बताया जा रहा है पहले तस्वीर में तुम्हारे मन में पहले से एक माइंडसेट तय है कि लड़की ये करेगी लड़का यह करेगा ये हमने पहले भी डिस्कशन किया है पहले के वीडियो में तो एक तरीके से यहां पे क्या दिख रहा है यहां पे ये दिख रहा है कि हम डिस्क्रिमिनेशन करते हैं खाना बनाना से नहीं मैं डिस्क्रिप्शन का तात्पर्य नहीं बता रहा हूं कि अगर महिला ने खाना बना दिया तो डिस्क्रिमिनेशन हो गया लेकिन कभी भी हम लोग बात करते हैं कि कोई बड़ी अपॉर्चुनिटी की बात होती कुछ होती तो अगर मेल एंड फीमेल में ऑप्शन होगा तो वो मेल को प्रेफरेंस दी जाती है या अगर मैंने बोला मेल या मेन बोला तो तुमको क्या लगेगा बाहर जाके काम कर रहा होगा महिला बोला तो तुमको लगेगा कि घर पे खाना बना रही है ठीक है जैसे कि आपकी बुक में एग्जांपल बहुत अच्छा दिया है क्या एग्जांपल दिया है आपकी बुक में आपकी बुक में दिया है कि टेलीविजन न्यूज़ रीडर जो हैं एक हम लोग देखते हैं ना जो बहुत सारे न्यूज़ चैनल्स होते हैं तो वहां पे दो महिलाओं को क्या किया दो महिलाओं को बोल दिया कि आप नहीं आओगे या चार महिलाओं को बोल दिया कल से आप नहीं आओगे और रीजन क्या दिया गया कि आपकी उम्र 45 से ज्यादा है तो हमारे टेलीविजन की पॉलिसी है मतलब हमारे चैनल कीय पॉलिसी है कि हम 45 इयर्स प्लस को न्यूज़ रीड नहीं कर सकते लेकिन वही हम लोग देख रहे थे कि दो मेल जो कि 45 इयर्स प्लस थे लेकिन वो न्यूज़ न्यूज़ रीड कर रहे थे तो ये क्या हुआ ये डिस्क्रिमिनेशन हुआ वैसे ही दूसरा डिस्क्रिमिनेशन कास्ट बेस पे कि सारे बच्चे एक साथ में एक बच्चा पीछा बैठा है तो यह कहीं ना कहीं इंडिया की इंडिया में यह कहीं ना कहीं ये समस्याएं है तो इसके चलते और जब कांस्टिट्यूशन बना था तो आपको ध्यान करना 1950 1951 1952 1953 मतलब 1949 से लेके जब हम बता रहा हूं ना कि जब पूरा कांस्टिट्यूशन बन रहा था तब आप समझो कि इंडिया की स्थिति कैसी थी तो आपको वो टाइम पीरियड को ध्यान रखना है तो इसके चलते हमारे कांस्टीट्यूएंट मेकर्स ने क्या किया हमारे कांस्टीट्यूएंट ने एक फंडामेंटल राइट इनकॉरपोरेट करी वो फंडामेंटल राइट का नाम क्या रखा राइट टू इक्वलिटी अब राइट टू इक्वालिटीज टू इक्वालिटीज ट्राइज टू डू अवे विद सच एंड अदर डिस्क्रिमिनेशन जो ऐसे डिस्क्रिमिनेशन हो रहे हैं इनको राइट टू इक्वलिटी क्या कर रहा है इनको राइट टू इक्वलिटी ऐसे डिस्क्रिमिनेशन को कहीं ना कहीं रोकने की कोशिश कर रहा है क्लियर है देयर कैन नॉट बी एनी डिस्क्रिमिनेशन इन दी एक्सेस ऑन द ग्राउंड्स ओनली ऑफ रिलीजन रेस का सेक्स और प्लेस ऑफ वर्थ अब इनके बेसिस पर डिस्क्रिमिनेशन नहीं कर सकते किनके बेसिस पे रिलीजन के बेसिस पे रेस के बेसिस पे कास्ट सेक्स और प्लेस ऑफ बर्थ के बेसिस पे डिस्क्रिमिनेशन नहीं किया जा सकता है एक्सेप्शन हैं ध्यान करना मैंने थोड़ी देर पहले क्या बोला था दैट फंडामेंटल राइट्स आर नॉट एब्सलूट एब्सलूट नहीं है रीजनेबल रिस्ट्रिक्शंस है कि कहीं ना कहीं जैसे हमने देखा है कि यहां पे तुम नहीं आ सकते हो तो कहीं ना कहीं देखो थोड़ा सा जैसे ट्राइबल एरिया में हम लोग मूवमेंट नहीं कर सकते हैं बहुत सारी जगह पता है ऐसे कुछ आप लोग देखोगे तो कुछ टेक्निकल है इन आर्टिकल्स में वो आपको आगे जाके धीरे-धीरे समझ में आएगा लेकिन मैंने वही बताया कि हर फंडामेंटल राइट एब्सलूट नहीं है रीजनेबल रिस्ट्रिक्शंस है लेकिन आप इनके बेसिस प ऐसे डिस्क्रिमिनेशन नहीं कर सकते हो कि तुम उस रिलीजन से हो तुमको नौकरी नहीं देंगे तुम उस का से हो तुमको नौकरी नहीं देंगे हम सब लोगों को एक लाइन में इक्वल रखेंगे क्लियर इट आल्सो प्रोहिबिट एनी डिस्क्रिमिनेशन इन पब्लिक एंप्लॉयमेंट ऑन एनी ऑफ दी अबब मेंशन बेसिस प पलि एंप्लॉयमेंट जब सरकारी नौकरी की बारी आएगी तो इन इनके बेसिस पे डिस्क्रिमिनेशन नहीं हो सकता रिलीजन रेस का सेक्स प्लेस ऑफ बर्थ के उस परे डिस्क्रिमिनेशन नहीं हो सकता है क्लियर है मतलब जिसने पेपर निकाला तुम जाओ द प्रैक्टिस ऑफ अनटचेबिलिटी इज वन ऑफ द क्रूडेस्ट मेनिफेस्टेशन ऑफ इनिक्वालिटी अ तो यहां पे हम लोग देखते हैं राइट टू इक्वलिटी अनटचेबिलिटी की जो प्रैक्टिस है जो कि इंडिया में बहुत लंबे समय तक पहले फॉलो हुई है उसको भी कहीं ना कहीं क्या करता है उसको भी कहीं ना कहीं खारिज करता है उसको भी कहीं ना कहीं बैन करता है ठीक ठीक है खारिज बैन दो बोल दो नहीं तो बाद में बोलोगे सर बहुत ज्यादा टिपिकल हिंदी शबद बोलते हो तो मैं हिंदी इंग्लिश दोनों रिपीट करता हूं बेटा ध्यान से सुनोगे ना ध्यान इधर उधन नहीं भटकाने ध्यान मेरे पर रखोगे तो समझ में आ जाएगा ठीक है द स्टेट शैल कन्फर नो टाइटल ऑन अ पर्सन एक्सेप्ट दोज हु एक्सेल देम सेल्फ इन मिलिट्री और एकेडमिक फील्ड दिस राइट टू इक्वलिटी स्ट्राइव टू मेक इंडिया अ ट्रूली डेमोक्रेटिक बाय इंश्योरिटी ऑफ डिग्निटी एंड स्टेटस अमंग ऑल इट्स सिटीजन स्टेट मतलब कि सरकार जो है सरकार कि किसी को कोई भी टाइटल नहीं देगा मतलब फॉर एग्जांपल कि आपने देखा होगा ना कि बहुत सारे लोगों को पहले टाइटल चलता था राजा महाराजा ये वो नहीं अगर किसी को कोई टाइटल बोला जा रहा है तो सिर्फ मिलिट्री और एकेडमिक मिलिट्री मतलब कि कोई लेफ्टिनेंट जनरल है तो हमने नाम क्या आगे बोल दिया लेफ्टिनेंट जनरल वनरा रवि ऐसे करके बात कर ली लेफ्टिनेंट जनरल अभिषेक पांडे ऐसे करके अगर हमने बात कर ली तो ये चल सकता है लेकिन इसके अलावा हम सारे लोग इक्वल है ये नहीं हो सकता कि वो राजा महाराजा वो अपने आप को भले ही राजा बोले लेकिन जब हम बात करते हैं ना कि आधार कार्ड में ऐसा नहीं लिखा जाएगा महाराज ये वो ऐसा नहीं लिखेंगे तुम्हारा नाम क्या है नाम लिख लो ठीक है तो सरकार है सरकार देखो किसी को टाइटल्स नहीं देगी टाइटल्स बस कैसे दिए जाते हैं सिर्फ मिलिट्री और अकेडमी किसी ने कोई बहुत अच्छा काम किया है तो वो अपने नाम के आगे वो टाइटल यूज कर सकता है नहीं तो सारे के सारे लोग इक्वल है ये टाइटल वाला आर्टिकल टाइटल वाला क्लॉज क्यों रखा था ये टाइटल वाला क्लॉज इसलिए रखा था सो दैट किसी को ये ना लगे कि वो ऊंचा है मैं नीचा हूं अभी मैंने बोला क्लॉज क्लॉज क्या होता है देखो सबसे पहले एक होता है आर्टिकल आर्टिकल क्या हो गया राइट टू इक्वलिटी मान लेते हैं एग्जांपल के लिए राइट टू इक्वलिटी एक कॉन्स्टिट्यूशन का एक आर्टिकल है मतलब मेन पॉइंट है मेन पॉइंट को हमने आर्टिकल बोल दिया अब इस आर्टिकल के अंदर बहुत छोटे-छोटे सब पॉइंट्स होते हैं ना उनको हमने क्लॉज बोल दिया उनको हमने क्या बोला उनको हमने क्लॉज बोल दिया तो जो मेन लाइन है जो मेन हेडिंग है वो क्या हो गया वो हो गया आर्टिकल्स और जो छोटे-छोटे छोटे-छोटे पॉइंट्स है इनको हमने क्लॉज बोल दिया कि आर्टिकल 15 क्लॉज वन आर्टिकल 15 क्लॉज टू आर्टिकल 15 क्लॉज थ समझ रहे हो समझ में आ गया तो आर्टिकल और क्लॉज में क्या डिफरेंस है मतलब आर्टिकल और क्लॉज जो मैं शब्द बोल रहा हूं टेक्निकल शब्द बोल रहा हूं आई होप आपको समझ में आ रहा है प्रीमल मेंशन टू थिंग्स अबाउट इक्वलिटी दैट इज इक्वलिटी ऑफ स्टेटस एंड इक्वलिटी ऑफ अपॉर्चुनिटी जो हमारा प्रिंबल है ठीक है जैसे ही आप आपका कॉन्स्टिट्यूशन खोलोगे कांस्टिट्यूशन का पहला पेज ये आता है प्रिंबल प्रिंबल क्या होता है जैसे आप अपकी किताब को खोलोगे तो पहला पेज में नहीं आता एक तरीके से एक्नॉलेजमेंट प्रीफेस ये सारी चीजें आती है तो वैसे ही संविधान को सबसे पहले खोलोगे तो प्रिंबल एक तरीके से ब्रीफ समरी मान लो ठीक है पूरे कॉन्स्टिट्यूशन में क्या है वो सारी की सारी चीजें उसमें लिखा हुआ है एक छोटे से उसमें एक पेज में तो जो हमारा प्रिंबल भी है प्रिंबल क्या बात करता है प्रिंबल बात करता है इक्वलिटी ऑफ स्टेटस कि हम सभी लोग सेम सेम रहेंगे ऐसा नहीं होगा कि वो ऊपर है मैं नीचे हूं कास्ट के नाम पे इक्वलिटी ऑफ अपॉर्चुनिटी मैंने पॉलिटिकल थ्योरी के इक्वलिटी वाले चैप्टर में इक्वलिटी ऑफ अपॉर्चुनिटी को बहुत ध्यान से समझाया कि इक्वलिटी ऑफ अपॉर्चुनिटी मतलब कि सब लोगों के पास में सेम अपॉर्चुनिटी रहेगी तुम भी पेपर दो मैं भी पेपर दूंगा जिसमें दम होगा वो निकाल लेगा तुम भी चुनाव लड़ो मैं भी चुनाव लडूंगा जिसमें दम होगा वो चुनाव जीत जाएगा समझ रहे हो तो सबको इक्वलिटी ऑफ अपॉर्चुनिटी की बात हो रही है यहां पे ये बात नहीं हो रहा हमारा कांस्टिट्यूशन कहीं भी ये नहीं बोल रहा है कि सिद्धार्थ के पास 00 तो तुम्हारे पास भी 00 किसी और के पास भी 00 उसके पास भी 00 ऐसा नहीं होगा इक्वलिटी ऑफ अपॉर्चुनिटी है तुम भी बिजनेस ओपन करो मैं भी बिजनेस ओपन करूंगा मैंने मेहनत ज्यादा करी मैं ज्यादा पैसे कमा लूंगा समझ रहे हो मैं क्या बोल रहा हूं क्लियर है ठीक है अब यहां पे एक मैंने एनसीआरटी का स्क्रीनशॉट लगाया है ये आर्टिकल 16 देखो यहां पे लिखा है 16 तो इसको हम पढ़ेंगे आर्टिकल 16 और जो ब्रैकेट में लिखा रहता है उसको हम क्लॉज पढ़ते हैं तो आर्टिकल 16 क्लॉज फोर जो ब्रैकेट में लिखा है वो क्या हो गया वो क्लॉज हो गया मान लो यहां पे ऐसा लिखा है तो ये क्या हो गया आर्टिकल 15 क्लॉज थ समझ रहे हो ब्रैकेट वाले को हम क्या पढ़ते हैं ब्रैकेट वाले को क्लॉज पढ़ते हैं तो मतलब आर्टिकल 15 पे चल जाओ और उसका जो सब पॉइंट थ्री वाला है उसको देखना है तो आर्टिकल 16 क्लॉज 4 क्या बोल रहा है आर्टिकल 16 क्लॉज 4 बोल रहा है नथिंग इन दिस आर्टिकल शैल प्रिवेंट द स्टेट फॉर मेकिंग एनी प्रोविजन फॉर द रिजर्वेशन ऑफ अपॉइंटमेंट ऑफ़ द पोस्ट इन द फेवर ऑफ दी बैकवर्ड क्लासेस ऑफ सिटीजन व्हिच इन ओपिनियन ऑफ स्टेट इज नॉट एडिक्ट रिप्रेजेंटेड इन दी सर्विस अंडर दी स्टेट यहां पे देखो यहां पे आर्टिकल 16 क्लॉज फोर ये बोल रहा है कि लद पब्लिक एंप्लॉयमेंट में सरकारी नौकरी में सभी के पास में इक्वलिटी है लेकिन सर अगर सरकार चाहे स्टेट चाहे तो वो रिजर्वेशन प्रोवाइड कर सकती है बैकवर्ड क्लासेस को और अब तो ईडब्ल्यूएस को भी सरकार रिजर्वेशन दे सकती है कि अगर उनको लग रहा है कि पर्टिकुलर लोग पर्टिकुलर जो क्लास है पर्टिकुलर जो कास्ट है वो ज्यादा से ज्यादा आगे नहीं आ पा रही है तो उनके लिए स्पेशल रिजर्वेशन दे सकते हैं उससे राइट टू इक्वलिटी का कोई लेना देना नहीं है उसमें आप ये नहीं बोल सकते हो कि इक्वलिटी कहां है मैंने पहले भी बताया फंडामेंटल राइट एब्सलूट नहीं है कुछ रिस्ट्रिक्शंस हैं कुछ रिस्ट्रिक्शंस हैं फंडामेंटल राइट में समझ गए हो जैसे कि हमने बोला राइट टू इक्वलिटी तो हम सारे लोग इक्वल है लेकिन 10 पर सीट्स मान लो ईडब्ल्यूएस के लिए रिजर्व कर दी तो उसमें आप ये नहीं बोलोगे इन इक्वलिटी हम सारे लोग इक्वल है ना वो तो करनी पड़ी थी जैसे फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन है तुम कुछ भी बोलो लेकिन इसका मतलब नहीं है तुम देश के विरोध जाके बोलो राइट टू प्रोटेस्ट है कि बिल्कुल प्रोटेस्ट करो लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि प्रोटेस्ट करो तो मार मूर दो अगर तुम ऐसा करोगे तो ग हो जाएगा तो फंडामेंटल राइट एब्सलूट नहीं है कुछ ना कुछ रिस्ट्रिक्शंस है समझ गए हो मैं क्या कहना चाह रहा हूं देन राइट टू फ्रीडम ठीक है राइट टू फ्रीडम क्या है इक्वलिटी एंड फ्रीडम और लिबर्टी आर टू राइट्स दैट आर मोस्ट एसेंशियल टू डेमोक्रेसी इज इट पॉसिबल टू थिंक वन विदाउट मेकिंग अदर लिबर्टी मींस फ्रीडम ऑफ थॉट एक्सप्रेशन एंड एक्शन देखो इक्वलिटी ऑफ फ्रीडम एक साथ-साथ में चलता है इक्वलिटी ऑफ फ्रीडम एक साथ-साथ में चलता है इन द सस आप यह नहीं सोच सकते हो कि सिर्फ इक्वलिटी के बारे में सोचो फ्रीडम ना हो जैसे कि सबके पास में मैं ऐसा कर दूं एक हाइपोथेटिकल सिचुएशन बनाओ एक इमेजिनरी सिचुएशन बनाओ कि हम सबके पास ₹1 ठीक है और हम सबको बोल दिया तुम घर में ही बैठो कुछ मत करो तुम एक दिन दो दिन तीन दिन चार दिन पाच दिन गेम खेलोगे रील चलाओगे सब कुछ देखोगे लेकिन उसके बाद में तुम्हें घबराहट होने लगेगी तुम्हें फ्रीडम की जरूरत होगी कि नहीं मैं बाहर जाऊंगा मैं घूम के आऊंगा तो आप फ्रीडम और इक्वलिटी दोनों को साथ में लेके चलना होगा ठीक है समझ रहे हो तो कौन सी फ्रीडम की बात की गई है यहां पे बात की गई है फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन बोलने की आजादी है ठीक है आपको जो करना है वो करो आपको प्रोटेस्ट करना है प्रोटेस्ट करो लेकिन क्या ये एब्सलूट है नहीं है मैंने पहले भी बताया कि एब्सलूट नहीं है कुछ एरिया ऐसे भी होंगे जहां पे कि मूवमेंट नहीं होगा जैसे हमारे पास में फंडामेंटल राइट है फ्रीडम ऑफ मूवमेंट कि आपको उस पूरे देश में जहां जाना है आप वहां जा सकते हो लेकिन कुछ एरिया ऐसे हो जहां पर सरकार से परमिशन लेनी पड़ती है कुछ मान लो कुछ स्पेशल एरिया है शेड्यूल एरियाज है शेड्यूल ट्राइबल एरियाज हैं जहां पर की ट्राइबल पॉपुलेशन रह रही तो वहां पर आपको सरकार से पूछना पड़ेगा तो कुछ कुछ एरियाज है लेकिन बाकी कहीं पर भी घूम हो क्लियर है वैसे ही बोलने की पूरी आजादी है लेकिन क्या नहीं बोल सकते हो देश के विरुद्ध जाके नहीं बोल सकते हो प्रोटेस्ट करने की पूरी आजादी है लेकिन प्रोटेस्ट पीसफुल होना चाहिए पीसफुल प्रोटेस्ट करो प्रॉपर परमिशन लेके करो कोई मना नहीं तो रीजनेबल रिस्ट्रिक्शंस रहेंगे थोड़े-थोड़े क्लियर है देन नेक्स्ट और जो सबसे इंपॉर्टेंट राइट है उसे हम समझने की कोशिश करते हैं दैट इज राइट टू लाइफ एंड पर्सनल लिबर्टी ठीक है तो मोस्ट इंपॉर्टेंट फंडामेंटल राइट को स्टार्ट करते हैं दैट इज राइट टू लाइफ एंड पर्सनल लिबर्टी द फोरमोस्ट राइट अमंग राइट टू फ्रीडम इज राइट टू लाइफ एंड पर्सनल लिबर्टी नो पर्सन शल बी डिनाइड हिज और हिज और हर लाइफ एक्सेप्ट बाय प्रोसीजर एज लेड डाउन अंडर द लॉ जो सबसे इंपॉर्टेंट राइट है ना वो है राइट टू लाइ एंड पर्सनल लिबर्टी अब कांस्टिट्यूशन में क्या लिखा है एज इट कांस्टिट्यूशन की लाइन बोल रहा हूं नो पर्सन या नो सिटीजन लिखा है उसमें नो पर्सन है ठीक है नो सिटीजन कैन बी डिनाइड हिज और हर लाइफ एक्सेप्ट बाय प्रोसीजर एस लेड डाउन अंडर द लॉ मतलब कि सबको राइट टू लाइफ है सबको जीने का अधिकार है लेकिन उसका जीने का अधिकार कभी हम नहीं भी देंगे कब नहीं देंगे जब उस ने कोई ऐसा काम किया होगा जिससे कि उसको फांसी की सजा हो ठीक है एक इमेजिनरी सिचुएशन बनाते फिर से समझते हैं ठीक है एक इमेजिनरी सिचुएशन बनाएंगे सब समझ में आएगा इस देश में सभी के पास में राइट टू लाइफ है मेरे पास में राइट टू लाइफ है आपके पास में राइट टू लाइफ है आपके दोस्त के पास में राइट टू लाइफ है आपके रिश्तेदारों के पास में राइट टू लाइफ हम सबको जीने का अधिकार है ठीक है हमको जितना जीना है भरपूर जियो जब तक भगवान हमें नहीं उठा के ले जाते हम सब जी रहे हैं लेकिन मान लो कि एक इंसान है राम ठीक है या एक इंसान है रवि अपन रवि को ले लेते हैं एक इंसान है रवि रवि ने क्या किया रवि ने किसी को मर्डर कर दिया रवि ने किसी का मर्डर कर दिया अब रवि ने जब किसी का मर्डर किया तो रवि का केस चल रहा होगा कोर्ट में कोर्ट में केस चल रहा है तो कोर्ट में पूरा आज सुनवाई हुई कल सुनवाई हुई बहुत सालों तक सुनवाई चलती रही और कोर्ट इस डिसीजन पर पहुंचा है कि रवि को फांसी की सजा दी जाए तो रवि को फांसी की सजा दी जा रही है अब रवि यह क्लेम नहीं कर सकता है कि मेरे पास तो राइट टू लाइफ है तुम मेरे को मत मारो कांस्टिट्यूशन ने तो बोला है मेरे पास राइट टू लाइफ है तो कोर्ट कैसे कोर्ट मुझे यह सजा नहीं दे सकता है कोर्ट यह सजा दे सकता है क्योंकि आखिरी लाइन क्या बोल रहा है नो पर्सन कैन बी डिनाइड हिज और हर लाइफ एक्सेप्ट बाय प्रोसीजर एज लेड डाउन अंडर द लॉ प्रोसीजर कोर्ट ने क्या किया कोर्ट ने पूरा प्रोसीजर फॉलो किया ना फॉर एन एग्जांपल कि रवि ने किसी को मार दिया अब रवि ने किसी को मार दिया तो पूरा कोर्ट ऐसा थोड़ा ना कि मार दिया और कल ही सजा सुना दी कोर्ट ने रवि को भी मौका भैया रवि तुमको अपने बचाव में कुछ कहना है तुमको कुछ कहना पूरा प्रोसीजर फॉलो हो रहा है और उस पूरे प्रोसीजर को फॉलो करने के बाद में पता चला है कि रवि ही गुनहगार है तो हम उसकी जान ले सकते हैं बाय लॉ समझ गए हो तो राइट टू लाइफ सबके पास में है लेकिन अगर पूरा कोर्ट पूरा प्रोसीजर करके किसी को सजा सुना रहा है फांसी की तो वो सही है अभी के लिए इतना समझ लो क्लास 11थ में अपने को इतना समझना है सिमिलरली नो वन कैन बी डिनाइड हिज और हर पर्सनल लिबर्टी वैसे से ही सबके पास में पूरी आजादी है लेकिन अगर लॉ कहता है कि य यहां पे आजादी नहीं है तो फिर नहीं है क्लियर दैट मींस नो पर्सन कैन बी अरेस्टेड विदाउट बीइंग टोल्ड ऑन द ग्राउंड फॉर सच एन अरेस्ट इफ अरेस्टेड पर्सन हैज द राइट टू बी डिफेंड बाय हिमसेल्फ बाय अ लॉयर ऑफ हिज चॉइस देखो को और इसी के चलते कोई भी इंसान को अरेस्ट ऐसे नहीं किया जा सकता है बिना रीजन दिए फॉर एन एग्जांपल जैसे रवि है तो रवि को अपन क्या कर रहे हैं रवि को अपन अरेस्ट कर रहे हैं तो रवि को जब अरेस्ट कर रहे तो रवि को बताना पड़ेगा पुलिस को कि हम भैया तुमको इस इस ग्राउंड प अरेस्ट कर रहे हैं ठीक है फिर रवि को प्रॉपर राइट है कि वह अपने वकील से प्रॉपर लॉयर से वह बातचीत कर सके और लॉयर रवि के बिहाव प बेल या केस फाइल कर सके ठीक है यह भी समझ में आ गया आल्सो इट इज मैंडेटरी फॉर पुलिस टू टेक द पर्सन टू द नियरेस्ट मैजिस्ट्रेट विद इन द 24 आवर्स अब मान लो जैसे कि अपन ने क्या किया अपन ने रवि को अरेस्ट कर लिया रवि को अपन ने यहां पे अरेस्ट किया तो रवि के पास अपन ने उसको सबसे पहले पुलिस ने बताया कि तुमको इस इस कानून से या इस इस जुर्म से हमने तुमको अरेस्ट किया ठीक है अब रवि ने क्या किया रवि ने अपने वकील को बुलाया वकील से प्रॉपर रवि कंसल्ट कर रहा है और वकील या तो बेल का केस फाइल करेगा या वोह केस चलता रहेगा अरेस्ट करने के बाद में पुलिस को 24 घंटे के अंदर-अंदर रवि को नियरेस्ट मजिस्ट्रेट के पास में प्रेजेंट करना होगा वो नियरेस्ट मैजिस्ट्रेट ये देखेगा कि पुलिस ने जिस बेसिस पर अरेस्ट किया है वो वो बेसिस सही है भी या नहीं है मान लो वो बेसेस सही है तो क्या होगा रवि जेल में ही रह जाएगा और नहीं तो मैजिस्ट्रेट बोल देगा नहीं भैया तुमने गलत कर रहे हो तुम तो जो मैजिस्ट्रेट है वो क्या हो गया वो हो गया जुडिशल विंग वो क्या है वो जुडिशरी का पार्ट है ठीक यहां तक समझे हो फिर से एक फ्लो चार्ट बनाता हूं उसको ध्यान से समझोगे जो पुलिस है पुलिस पार्ट है एग्जीक्यूटिव का किसका पार्ट है एग्जीक्यूटिव विंग का जो मैजिस्ट्रेट है मैजिस्ट्रेट किसका पार्ट हो गया जुडिशरी का अरेस्ट किसने किया अरेस्ट एग्जीक्यूटिव ने किया अरेस्ट करने के बाद में 24 घंटे के अंदर इस एग्जीक्यूटिव को क्या करना होगा इस जुडिशरी वाले इस मजिस्ट्रेट वाले आदमी के सामने प्रेजेंट करना रहेगा कि यह रहा रवि देख लो तुम अब वह मैजिस्ट्रेट उसको छोड़ भी सकता है और मैजिस्ट्रेट यह भी बोल सकता है कि उसको जेल में रखो तो यहां पे क्या हो रहा है यहां पे पावर का चेक हो रहा है अगर सारी की सारी पावर पुलिस के पास छोड़ देते तो पुलिस तो किसी को भी अंदर करती रहती लेकिन पुलिस ने जो काम किया है वह मैजिस्ट्रेट देख रहा है तो इसके चलते क्या हो रहा है इसके चलते एक इंसान की राइट्स को प्रोटेक्ट किया जा रहा है नहीं तो समझे इधर से एक नेता ने फोन लगाया उसको अंदर कर दो ऐसे तो पुलिस सबको अंदर ही करते रहती लेकिन हमने वहां पे जुडिशरी मजिस्ट्रेट को ब बैठा के रखा है वो मैजिस्ट्रेट यह देखता है कि वाकई में जेनुइनली उस इंसान ने काम वो किया भी है या इन लोगों ने ऐसे ही पकड़ लिया क्लियर है समझ में आ गया देन वेरियस जजमेंट द मैजिस्ट्रेट हु इज अ पार्ट ऑफ पुलिस हु इज नॉट अ पार्ट ऑफ पुलिस विल डिसाइड वेदर द अरेस्ट इज जस्टिफाइड र नॉट क्लियर है वेरियस जजमेंट ऑफ सुप्रीम कोर्ट हैज एक्सपेंडेड द स्कोप ऑफ दिस राइट द सुप्रीम कोर्ट हैज रूल दैट दिस राइट आल्सो इंक्लूड राइट टू लाइफ विद ह्यूमन डिग्निटी फ्री फ्रॉम एक्सप्लोइटेशन द कोर्ट है द कोर्ट हैज हेल्ड दैट राइट टू शेल्टर एंड लाइवलीहुड इज आल्सो इंक्लूडेड इन राइट टू लाइफ अब हमारा आर्टिकल कौन सा चल रहा है आर्टिकल चल रहा है राइट टू लाइफ एंड पर्सनल लिबर्टी अब सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि बिल्कुल सबको जीने का अधिकार है वाह वाह बहुत बढ़िया तालियां तालियां लेकिन सबको जीने के लिए रोजगार भी तो जरूरी है यह सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से बोला रोजगार दो अगर सबको जीना है तो इज्जत से जिएंगे ना सब लोग तुम किसी को फोर्स करके तो नहीं ऐसा कर सकते हो कि काम कर तो डिग्निफाइड लाइफ इज्जत से सबको जीवन जीना है राइट टू लाइफ में लाइवलीहुड भी आ रहा है शेल्टर भी आ रहा है कोई भी इंसान जिएगा कब जब उसके पास में घर होगा तो इसीलिए याद करो जब मैंने यह चैप्टर के स्टार्टिंग में आपको बताया था कि कांस्टीट्यूएंट असेंबली ने तो हमें सिर्फ इतना अधिकार दिया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने धीरे-धीरे अधिकार जो इतना सा अधिकार था उसको सुप्रीम कोर्ट ने इतना बड़ा कर दिया है बात हुई है राइट टू लाइफ की कि सबके पास जीने का अधिकार है यह बोला है कांस्टीट्यूएंट असेंबली ने जिन्होंने कि हमारा संविधान बनाया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने क्या बोला सुप्रीम कोर्ट ने बोला यह तो बहुत बढ़िया बात कर दी लेकिन तुम उसे घर भी दो तुम उसे रोजगार भी दो उसको इज्जत भी दो तभी तो वह इंसान जीवन जी पाएगा नहीं तो जीवन कहां जी पाएगा तो राइट टू लाइफ के अंदर यह सारे राइट्स भी आ जाते हैं क्लियर है इसलिए यह बताया गया था कि पहले स्कोप ऑफ फंडामेंटल राइट्स इतना था अब स्कोप कितना वाइड हो गया है कनेक्ट कर पा रहे हो जो मैंने स्टार्टिंग में बताया था चैप्टर के स्टार्टिंग में लिंक हो रहा है कि क्यों वो पॉइंट वहां पर लिखा गया था क्लियर है ठीक नेक्स्ट आर्टिकल की तरफ बढ़ते हैं दैट इज प्रीवेंटिव डिटेंशन और इस आर्टिकल का सबसे ज्यादा क्रिटिसिजम होता है प्रीवेंटिव डिटेंशन प्रीवेंटिव डिटेंशन मतलब कि आप किसी को प्रिवेंट कर रहे हो प्रिवेंट मतलब क्या है कि फॉर एन एग्जांपल मुझे लग रहा है कि रवि शरारती बच्चा है अब रवि शरारती बच्चा है तो रवि को शरारत करने से पहले ही दो थप्पड़ लगा दो कई बार मां-बाप ऐसे नहीं करते थे कि पढ़ाई चल रही है पेपर आ रहे हैं अब अपने को पता है रवि फेल हो जाएगा रवि को कुछ नहीं आता तो पिताजी ने सोचा कि आज इसको पहले ही दो थप्पड़ लगा दूं ताकि ये पढ़ ले और एग्जाम में अच्छे नंबर आ जाए तो प्रीवेंटिव डिटेंशन में क्या हुआ कि मान लो रवि ने कोई क्राइम नहीं किया है लेकिन सरकार को लग रहा है कि रवि क्राइम कर सकता है तो रवि को चुपचाप पकड़ के जेल में डाल दिया कि अगर यह बाहर रहेगा तो यह क्राइम करेगा यूजुअली प्रीवेंटिव डिटेंशन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कब होता है जब मान लो युद्ध चल रहा फॉर एन एग्जांपल इंडिया और पाकिस्तान के बीच में युद्ध चल रहा है अब यहां पर सरकार पहले से देख देख लेती कि उनके पास टेररिस्ट की लिस्ट होती है कि ये ये ये ये टेररिस्ट है तो उनको पटापट पटापट सबसे पहले जेल में डाल देती है क्योंकि हमें डर होता है कि कहीं हमारे देश में बम धमाके ना हो जाए समझ रहे हो वैसे ही चुनाव से पहले क्या करते चुनाव से पहले सरकार देख लेती कि ये इंसान सुपारी लेकर किसी को भी मार देगा ऐसा कर लेगा तो उन इंसान को क्या करती उन सारे लोगों को सरकार पहले ही जेल में डाल देती प्रिवेंट कर रहे हैं हम ये नहीं बोल रहे हैं कि उस इंसान ने क्राइम किया है लेकिन हमको उम्मीद है कि वो इंसान बाहर रहेगा तो क्राइम कर लेगा इसलिए हमने उसको अंदर कर दिया समझे प्रीवेंटिव डिटेंशन डिटेंशन मतलब अंदर जेल में पकड़ के डाल दे रहे है क्लियर अब यहां पर थोड़ा सा रीड कर लेते हैं तो आपको और बेटर क्लेरिटी मिलेगी ऑर्डिनरी अ पर्सन वल बी अरेस्टेड आफ्टर ही एंड शी रिपोर्टेड कमिटेड सम ऑफेंस हाउ एवर देयर आर सम एक्सेप्शन टू दिस सम टाइम्स अ पर्सन कैन बी अरेस्टेड सिंपली आउट ऑफ एन एप्प्रिहेंशन दैट ही और शी इज लाइक टू इंगेज इन अनलॉफुल एक्टिविटी समझे कि ऑर्डिनरी हम चाहे तो किसी इंसान को कब अरेस्ट करेंगे जब उसने क्राइम कर दिया उसके बाद में अरेस्ट करते हैं लेकिन प्रीवेंटिव डिटेंशन में सिर्फ शक के आधार पर कि बाहर रहा तो गड़बड़ कर देगा चलो जेल में डालो क्लियर है इट मींस दैट इफ गवर्नमेंट फील्स दैट अ पर्सन कैन बी अ थ्रेट टू अ लॉ एंड ऑर्डर और पीस और अ सिक्योरिटी ऑफ नेशन इट कैन डिटेन और अरेस्ट दैट पर्सन इट इज प्रीवेंटिव डिटेंशन कैन बी एक्सटेंडेड ओनली फॉर थ्री मंथ्स एंड आफ्टर थ्री मंथ्स सच केस इज बट बिफोर एन एडवाइजरी बोर्ड फॉर रिव्यू ठीक है अब एक और टेक्निकल पॉइंट कि सर आपकी सारी बातें हमको यहां पर समझ में आ गई मैं पूरा सब कुछ समझ गया लेकिन उस इंसान को कितने दिन तक अंदर करेंगे फॉर एन एग्जांपल कि रवि को अगर अपन ने आज अंदर डाल दिया जेल में डाल दिया अपन ने रवि को जब रवि जेल में है तो यहां पर क्या हो रहा है यहां पर हमय कि जब रवि जेल में है रवि को हमने प्रिवेंट डिटेंशन के आधार पर हमने जेल में डाला है तो तुम लोग बोलोगे सर कितने समय तक वह जेल में रहेगा ऐसे तो एक साल तक भी रख सकते हो दो साल तक भी रख सकते हो नहीं तीन महीने तक और तीन महीने के बाद में एडवाइजरी बोर्ड एडवाइजरी बोर्ड मतलब एक कमेटी रहती है जिसमें कि चार पांच छ मेंबर रहते हैं उसके सामने रवि को प्रेजेंट किया जाएगा और फिर वह कमेटी डिसीजन लेगी कि रवि को फिर से अंदर करना है बाहर छोड़ देना है समझ गए इसका सरकार सबसे ज्यादा मिस मिसयूज करती है कैसे मिसयूज करती है समझो हां थोड़ा सा टेक्निकल है आज चुनाव होने वाले हैं चुनाव होने वाले हैं मेरे को लग रहा है वह आदमी मेरे लिए खतरा हो सकता है तो सरकार ने जानबूझ कर के उसको प्रिवेंट डिटेंशन के तहत अंदर कर दिया अब ना ही वह वकील से कंसल्ट कर पा रहा है यहां पे सारी राइट्स वकील वाली राइट्स और ये सारी राइट्स यहां पे अभी एक तरीके से चली गई वोह बेचारा जेल में है तीन महीने तीन महीने में तो चुनाव हो भी जाएंगे रिजल्ट भी आ जाएंगे तो प्रीवेंटिव डिटेंशन का मिसयूज बहुत ज्यादा होता है और इसलिए इसका क्रिटिसिजम बहुत ज्यादा आता है क्लियर है यह राइट टू फ्रीडम का क्रिटिसिजम है जो रवि के पास राइट टू फ्रीडम था वह फ्रीडम अब नहीं रहा उसको पकड़ के हमने जेल में डाल दिया समझ गए हो यह वाला पॉइंट क्लियर होगा देन अदर फ्रीडम ईच ऑफ दिस इज सब्जेक्ट टू रिस्ट्रिक्शंस इंपोज बाय गवर्नमेंट फॉर एग्जांपल राइट टू फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन इज सब्जेक्ट टू रिस्ट्रिक्शन सच एज पब्लिक ऑर्डर पीस एंड मोराल हर राइट के कुछ ना कुछ रिस्ट्रिक्शंस है ऑलरेडी डिस्कस फ्रीडम टू असेंबल टू इज एक्सरसाइज पीसफुली एंड विदाउट आर्म्स द गवर्नमेंट मे इंपोज रिस्ट्रिक्शन इन सर्टेन एरियाज डिक्लेयर दैट असेंबली ऑफ फाइव और मोर पर्सन इज अनलॉफुल वही फ्रीडम टू असेंबल सारे लोग एक साथ में इकट्ठा हो सकते हैं इस देश में अधिकार है लेकिन सरकार चाहे तो रोक सकती है कि पांच से ज्यादा लोग नहीं इकट्ठे होंगे कुछ-कुछ एरियाज में मान लो दंगे होने का डर हो गया तो तुम्हारे पास में अधिकार है लेकिन हर अधिकार पे क्या हर अधिकार पर कुछ ना कुछ रिस्ट्रिक्शंस है कंप्लीट पूरे राइट नहीं मिले हैं तुमको क्लियर है समझ में आ गया जैसे कि ऐसा समझो कि तुमको 00 दिए 00 क्यों दिए 00 दिए कि जा बेटा आज बाहर जाके कुछ भी नाश्ता करो घूमो फिरो मजा करो ठीक है अब तुम कंपलीटली क्या समझ रहे हो तुम एकदम सोच रहे हो कि मेरे पास तो फ्रीडम है कि 00 को मुझे जैसे खर्च करना होगा मैं वैसे खर्च करूंगा लेकिन रिस्ट्रिक्शंस क्या है कि शराब पीकर घर नहीं आ आना है तो तुम शराब नहीं पियोगे रिस्ट्रिक्शंस है सही नहीं है इसलिए शराब नहीं पीना है समझे हो तो एक तरीके से हमने तुमको फ्रीडम दिया दूसरी तरफ से हमने तुम्हारे ऊपर थोड़े से रिस्ट्रिक्शंस रखे क्लियर है इन अ कॉन्स्टिट्यूशन असेंबली इट सेल्फ सम मेंबर हैज एक्सप्रेस देयर डिस डिस सेटिस्फेक्शन अबाउट द रिस्ट्रिक्शंस ऑन राइट और वैसे ही कंटेंट असेंबली में भी हमने देखा कि कुछ लोग जो थे वो लोग बोल रहे थे कि रिस्ट्रिक्शंस क्यों रखना है एब्सलूट राइट दे दो लेकिन मैंने पहले भी बताया कि अगर आप किसी को एब्सलूट राइट दे दोगे किसी को भर भर के राइट दे दोगे तो वो मिसयूज करेगा थोड़े से रिस्ट्रिक्शंस एजन सिटीजन हमारे ऊपर भी होना जरूरी है अगर आज मैं बोलने की आजादी पर रोक नहीं लगाऊ तो हर इंसान गाली देता रहेगा इसलिए मुझे बोलने की आजादी पर भी थोड़ा सा रोक लगाना पड़ेगा समझ गए हो आई थिंक यहां तक की चीजें क्लियर है एंड अगेन यहां पे बहुत इंपॉर्टेंट आर्टिकल आ जाता है दैट इज बहुत इंपॉर्टेंट राइट आ जाती है दैट इज ऑफ एन्यूज अक्यू मतलब क्या है अक्यू मतलब यह है कि हमने देखा कि जिसको हमने शक के आधार पर हम जिसे अंदर कर रहे हैं जिसने की गुना किया वह है एक्यूज ठीक है अवर कांस्टिट्यूशन इंश्योर ट पर्सन एक्यूज ऑफ वेरियस ऑफेंसेस वड आल्सो गेट सफिशिएंट प्रोटेक्शन वी ऑफ टेंड टू बिलीव ट एनी वन हु इ चार्ज विद सम ऑफेंस इज गिल्टी हाउ एवर वन इज गिल्टी अनलेस द कोर्ट है फाउंड ट पर्सन इ गिल्टी ऑफ एन ऑफेंस ये बहुत ही इंपॉर्टेंट पॉइंट है इसलिए यहां पे हाईलाइट किया है ठीक है हमारा इंडियन सिस्टम एक चीज पर वर्क करता है कि वह आदमी तब तक गुनहगार नहीं है जब तक कि उसका गुनाह कबूल ना हो जाए ठीक एग्जांपल ले लेते हैं कि रवि ने क्या किया रवि ने एक मर्डर कर दिया ठीक है अब रवि ने मर्डर कर दिया है रवि तब तक गुनहगार नहीं है जब तक कि ये प्रूफ हो जाए कि रवि ने ही मर्डर किया तुम बोल रहे हो रवि ने मर्डर किया मैंने बोला रवि ने मर्डर किया अभिषेक पांडे ने बोला रवि ने मर्डर किया लेकिन रवि ने मर्डर किया है यह जब तक कोर्ट में साबित नहीं हो जाता है तब तक रवि बोलेगा साबित करके दिखाओ समझ रहे हो इस बेसिस पर इंडियन सिस्टम चलता है कि कोई भी इंसान तब तक गुनहगार नहीं है जब तक कि उसका गुनाह कोर्ट में कबूल ना हो जाए और इसी चीज को ये इंग्लिश में लिखा गया है हाउ एवर नो पर्सन इज गिल्टी अनलेस द कोर्ट हैज फाउंड दैट पर्सन इज गिल्टी ऑफ एन ऑफेंस ठीक है इट इज आल्सो नेसेसरी दैट अ पर्सन एक्यूज ऑफ एनी क्राइम शुड गेट एन एडिक्ट अपॉर्चुनिटी टू डिफेंड हिमसेल्फ और हरसे अब जिसम हम आरोप लगा रहे हैं उसके पास भी तो अपॉर्चुनिटी होनी चाहिए रवि के पास भी तो अपॉर्चुनिटी होनी चाहिए क्या अपॉर्चुनिटी होनी चाहिए कि वो बोल दे कि नहीं नहीं भैया वकील होगा वकील केस लड़ेगा तो हम चाहते हैं कि जिस पर आरोप लगा है उसके पास भी एपल अमाउंट ऑफ अपॉर्चुनिटी रहे कि वह कोर्ट में यह साबित कर सके कि मैंने यह काम नहीं किया क्लियर अब तीन पॉइंट बहुत ही खतरनाक है तो जो तुम सो रहे हो अंगड़ाइयां ले रहे हो इधर-उधर देख रहे हो पन्ने पलटा रहे हो ऐसा कर रहे हो यह सब मत करो यह तीन पॉइंट सबसे ज्यादा यहां पर इंपॉर्टेंट है इनको ध्यान से समझो टू इंश्योर अ फेयर ट्रायल इन द कोर्ट द कांस्टिट्यूशन हैज प्रोवाइडेड थ्री राइट्स कांस्टिट्यूशन ने तीन राइट्स दिए हैं कि कोर्ट के अंदर फेयर ट्रायल हो जो कोर्ट के अंदर जो चीज हो रही है उसमें किसी से जबरदस्ती कोई चीज ना बुलवा रही हो ठीक है पहला पॉइंट क्या है नो पर्सन वुल बी पनिश्ड फॉर द सेम ऑफेंस मोर देन वंस टेक्निकल है नो पर्सन वुल बी पनिश्ड फॉर द सेम ऑफेंस मोर देन वंस मतलब कि एक गुना की एक ही सजा मिल सकती है आप दो सजा मत दो और अच्छे से समझाता हूं मान लो रवि ने क्या किया रवि ने कर ली चोरी ठीक है रवि ने चोरी कर ली चोरी का गुना साबित हो गया अब रवि को तीन महीने के लिए किस में डाल दिया जेल में डाल दिया क्योंकि चोरी की सजा क्या होती थी तीन महीने की होती थी तो रवि क्या कर रहा है रवि तीन महीने तक जेल में बहुत बढ़िया तीन महीने जेल में काटा तीन महीने बाद व बाहर निकल गया लेकिन अब क्या हो गया था रवि को चस्का लग गया था एक बार करा है तो चस्का तो लग ही जाएगा ना तो रवि को चस्का लग गया जेल से बाहर निकलने के बाद रवि ने फिर से चोरी कर दी फिर से रवि को पुलिस पकड़ के लेकर चली गई अब क्या हो रहा है अब पुलिस कितने की सजा देगी 3 महीने की देगी अब पुलिस 6 महीने की नहीं दे सकती क्योंकि पहले वाले क्राइम की तो ऑलरेडी सजा काट चुका है ना तो पहले बार चोरी करी तब तीन महीना उसने सजा काटी फिर बाहर निकला फिर दूसरी बार चोरी करी फिर फिर से तीन महीने सजा काटेगा फिर बाहर निकलेगा दूसरी बार चोरी करी तब पिछले वाला तीन और यह वाला तीन ऐसे करके दो बार नहीं होगा समझ में आया क्लियर है ना ठीक है सेकंड पॉइंट क्या बोल रहा है नो लॉ शैल डिक्लेयर एनी सिटीजन एज इल्लीगल फ्रॉम बैक डेट अब देखो दो तरीके के लॉ होते हैं एक होता है सिविल लॉ और एक होता है क्रिमिनल लॉ सिविल लॉ क्या होता है जब पैसों का बात होता है जैसे डाइवोर्स हो गया टैक्स वाली चीजें हो गई यह सारी चीजें हो गई ये सिविल मैटर्स में आ गया क्रिमिनल क्या है क्रिमिनल किसी को मार रहे हो मर्डर कर दे रहे हो यह हो गया क्रिमिनल मैटर तो क्रिमिनल मैटर में बैक डेट से चीजें नहीं हो सकती ठीक है अब इसको समझो बैक डेट को हम लोग क्या बोलते हैं रेट्रोस्पेक्टिव बोलते हैं क्या बोलते हैं रेट्रोस्पेक्टिव ऐसा लेते फिर से अपन रवि को ही पकड़ लेते हैं रवि को पकड़ लिया रवि ने कर ली भैया चोरी रवि ने आज चोरी करी और कल जाके सरकार कानून बदल देती है कि अब से जो चोरी करेगा वह वह 6 महीने के लिए अंदर रहेगा और रवि ने चोरी आज करी है कानून कब बदला कल बदला तो रवि को सजा कितने महीने की मिलेगी तीन की ही मिलेगी पुराने कानून के हिसाब से क्योंकि आज की तारीख में 1 जनवरी 2025 को चोरी की सजा की कितनी थी तीन महीने थी रवि ने चोरी कब करी 1 जनवरी को करी अब सरकार ने उस सजा को 2 जनवरी 2025 को सरकार ने बोला कि अब कोई चोरी करेगा तो उसको छ महीने की सजा होगी लेकिन रवि ने तो चोरी 1 जनवरी को की थी ना तो 1 जनवरी को क्या सजा थी तीन महीने की थी तो तीन महीने की मिलेगी समझे हो पीछे से जाके चीजें नहीं बदल सकते क्लियर समझ आ गया तीसरा है नो पर्सन शल बी आस्क टू गिव एविडेंस अगेंस्ट हिमसेल्फ और हर सेल्फ कोई पर्सन अपने बिहाव पर एविडेंस नहीं दे सकता है अब तुम जितनी भी मूवी वगैरह देखते हो ना सब झूठ होती है सब झूठ कैसे होती है कि सबसे पहले मान लो रवि को पुलिस ने पकड़ लिया अब जेल में बहुत डंडे मारे इतने डंडे मारे कि रवि ने क्या बोला हा हम मा बाप हा हा मैंने चोरी करी और पुलिस ने आके कोर्ट में बोल दिया कि देखो य हमने तो रवि का वीडियो बना लिया और रवि ऐसे हाथ जोड़ के बोल रहा हा मैंने चोरी करी यह चीजें कोर्ट में मान्य नहीं होती है समझ में आया पुलिस कस्टडी में बोली गई कोई भी चीज वह कोर्ट नहीं मानेगा ठीक कोर्ट में भी मान लो जैसे रवि ने बोल दिया कि मैंने ही चोरी करी ऐसा हो सकता है कि कोर्ट में रवि ने बोल दिया मैंने चोरी करी तो भी कोर्ट रवि की बात नहीं मानेगा क्यों तुमने चोरी करी तो फिर कोर्ट चार सवाल पूछेगा कब थे कहां गए थे कैसे करी कैसे नहीं करी क्योंकि कोर्ट को ये डर है कि हो सकता है रवि को किसी ने बोल दिया हो कि तेरे को एक करोड़ रुपए दे देंगे तो दो तीन महीने के लिए अंदर हो जा हो सकता है ना और अभी तो दो तीन करोड़ रुपए के लिए क्या बग गड़ता है तीन महीने के लिए समझ रहे हो तो कोर्ट अगर रवि बोल भी रहा है कोर्ट में कि माय लॉर्ड मैं नहीं चोरी करी मैं नहीं चोरी करी मैं नहीं चोरी करी कोर्ट बोलेगा ठीक है तुम्हारी बात मान रहे हैं प्रूफ बताओ तुमने कैसे चोरी करी फिर कोर्ट चार सवाल रवि से करेगा अच्छा ऐसे करी ऐसे करी ऐसे करी फिर जज अपना दिमाग लगाएंगे कि वाकई में जेनुइनली करी है या इसको किसी ने डराया धमकाया इसलिए जुडिशरी इतना समय लेती है केस को निपटाने में समझ रहे हो इतने सारे पॉइंट को जुडिशरी को कंसीडर करना पड़ता है जो हम बोलते हैं ना तारीख प तारीख पर तारीख तारीख पर तारीख वो इसलिए आती है क्योंकि इतनी सारी चीजें जुडिशरी को ध्यान रखनी पड़ती है और इसी के चलते रवि जैसे लोग घूम रहे हैं क्लियर है अब सड़ा मतलब सड़ा सा तो नहीं बोल सकते मतलब सड़ा नहीं बोल रहा हूं सिंपल मतलब मेरा सड़ा बोलने का मतलब था कि सिंपल सा आर्टिकल ठीक है सिंपल सी राइट है वो बहुत आसान सी है राइट अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन राइट अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन मतलब जैसे आपने फोर्स लेबर देखा होगा बेगार देखा होगा उसम सब किसी से आप मजदूरी करवा रहे हो जानबूझ कर के काम करवा रहे हो फोज लेबर है आप किसी को भी प्रताड़ित नहीं कर सकते हो ठीक है साथ ही साथ एक और चीज क्या है कि कांस्टिट्यूशन ये बोल रहा है कि कोई भी बच्चा 6 साल से लेके 14 इयर्स तक 6 साल से लेके 14 साल तक वो क्या करेगा स्कूल जाना कंपलसरी है उसके लिए उसके लिए एजुकेशन कंपलसरी है साथ ही साथ वो किसी फैक्ट्री में काम नहीं कर सकता है माइन में काम नहीं कर सकता है वो बच्चा क्योंकि वो बच्चे की उम्र कम है ठीक है और आप स्कूल भेजो उन सारे बच्चों को और साथ ही साथ उसके खिलाफ कोई भी एक्सप्लोइटेशन नहीं होगा फोर्स लेबर और ये तमाम तरीके की चीजों को मना करता है राइट अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन बहुत ही सिंपल आर्टिकल है सबसे खतरनाक आर्टिकल है राइट टू एक्यूज और यह जो था प्रीवेंटिव डिटेंशन और यह फ्रीडम वाला राइट टू लाइफ एंड पर्सनल लिबर्टी यह वाले आर्टिकल इंपॉर्टेंट थे ठीक है अब आया भैया राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन ठीक है अगर अपन अपने देश को देखें आप देखोगे भारत को तो कितना खूबसूरत देश है कितने सारे रिलीजन हैं सभी रिलीजन के लोग यहां पर रह रहे हैं सब लोग बहुत व्यवस्थित तरीके से रह रहे हैं नो डाउट समस्याएं आती है लेकिन आप कभी भी देखोगे तो हम जो बोलते हैं ना कि मेरा भारत महान मेरा भारत सबसे अच्छा तो जेनुइनली है क्योंकि यहां पे सबको ऐसा लगता है कि नहीं यार मेरे बारे में सुना जा रहा है माइनॉरिटी को भी लगता है मेजॉरिटी को भी लगता है सब लोग आपस में मिलकर अपनी चीजें सेलिब्रेट कर रहे हैं क्रिसमस भी बन रहा है दिवाली भी बन रही है ईद भी बन रही है सब कुछ हो रहा है कितने बढ़िया से इस देश में काम चल रहा है क्यों चल रहा है क्योंकि हमारे यहां फ्रीडम ऑफ रिलीजन है कि हर आदमी के पास में अधिकार है अपने रिलीजन को मानने का साथ ही साथ किसी आदमी को यह भी अधिकार है कि अगर उसको कोई रिलीजन नहीं मानना है मान लो रवि ने बोल दिया मेरे को किसी धर्म में विश्वास नहीं है मैं नास्तिक हूं भगवान में विश्वास नहीं तो रवि क्या हो गया तो रवि को भी पूरा अधिकार है तुम किसी के बारे में बुरा मत बोलो तुमको अपना जो करना है वो करो ठीक है मैं अपने घर में कैसे भी पूजा करूं क्या करूं उसको सरकार से क्या लेना देना क्लियर है तो सभी के पास में क्या है सभी के पास में राइट टू रिलीजन है ठीक अकॉर्डिंग टू अवर कॉन्स्टिट्यूशन एवरीवन एंजॉय राइट टू फॉलो द रिलीजन ऑफ हिज और हर चॉइस दिस फ्रीडम इज कंसीडर्ड एज एन हॉलमार्क ऑफ डेमोक्रेसी यह फ्रीडम हमारा जो लोकतांत्रिक देश है इसके लिए एक बहुत बड़ी मिसाल है फ्रीडम ऑफ रिलीजन आल्सो इंक्लूड फ्रीडम ऑफ़ कं साइंस दिस मींस दैट अ पर्सन मे चूज एनी रिलीज और मैं चूज नॉट टू फॉलो एनी ऑफ रिलीजन फ्रीडम ऑफ कंसांस मतलब मेरे मन में हो सकता है मेरे मन में किसी और रिलीजन को मान रहा हूं अधिकार पूरा अधिकार है मेरे पास में मैं हो सकता है मेरे मन में सोच रहा हूं कि मेरे को किसी धर्म को नहीं मानना पूरा अधिकार है मेरे पास में ठीक फ्रीडम ऑफ रिलीजन इंक्लूड फ्रीडम ऑफ प्रोफेस फॉलो एंड प्रोपागेट एनी रिलीजन बहुत ही इंपोर्टेंट पॉइंट है मैं प्रोफेस कर रहा हूं फॉलो कर रहा हूं प्रोपो गट मैं अपने रिलीजन का प्रचार कर सकता हूं इस देश में ठीक है मान मैं निकला हूं तो मैं अपने रिलीजन का प्रचार कर सकता हूं यहां पर क्वेश्चन मार्क है क्या मैं प्रचार के माध्यम से कन्वर्ट करवा सकता हूं क्या नहीं फ्रीडम टू प्रोपेट रिलीजन मतलब कि मैं अपने हिंदू धर्म का जैसे मैं निकला हूं तो मैं प्रचार कर रहा हूं लेकिन मैं किसी को यह नहीं बोल सकता हूं कि तुम मेरे धर्म में क्या हो धर्म परिवर्तन कर लो या तुम मेरे धर्म में आ जाओ इस देश में हर लोग हम लोग देख रहे हैं कितनी सारी कथा चल रही है कुछ ना कुछ चल रहा है और हर रिलीजन का कुछ ना कुछ चल रहा है और सब लोग अपने रिलीजन के बारे में बता रहे हैं ठीक है क्रिश्चन अपने बारे में बता रहे हैं मुस्लिम अपने बारे में बता रहे हैं हिंदू अपने बारे में बता रहे हैं सब लोग अपने रिलीजन के बारे में बता रहे हैं लेकिन कोई यह नहीं बोल सकता है कि देखो मैं तुम्हें अपने रिलीजन के बारे में बता रहा हूं मैं ऐसे बता रहा हूं कि भगवान ने ऐसा किया था ऐसा किया था ऐसा किया था ऐसा किया था सामने वाला सुन रहा है ठीक है ना सुनने तो उसको लेकिन मैं उसको ये नहीं बोल सकता हूं कि तुमको मेरे धर्म में आना पड़ेगा अगर यह बोला है मैंने तो केस हो जाएगा तुम अपने रिलीजन की तारीफ करो ना कोई मना नहीं है लेकिन जहां तुमने बोला कि तुमको मेरे धर्म में कन्वर्ट होना है वो गलत हो जाएगा ठीक है वो अनलॉफुल होगा समझ में आ गया है यहां तक की चीजें द गवर्नमेंट कैन इंपोज रिस्ट्रिक्शन ऑन द प्रैक्टिस ऑफ फ्रीडम ऑफ रिलीजन इन ऑर्डर टू प्रोटेक्ट पब्लिक ऑर्डर मोरालिटी एंड हेल्थ अब वही वाली बात है जैसे बहुत सारे केसेस वगैरह हुए थे जैसे आप लोग देखते हो कि कभी कथा चल रही है चल रही है कभी कुछ हो रहा है या कहीं कोई नमाज पढ़ रहा है बहुत तमाम तरीके की चीजें तो रोड पर टेंट नहीं डालना है रोड पर टेंट डालना है तो प्रॉपर पुलिस के साथ में पुलिस की परमिशन लेके ऐसा नहीं हो सकता है तुम बोल दो रिलीजन के नाम पर तो हम बीच रोड पर बैठ के एकदम भगवान का नाम लेने लग गए नहीं आपके पास प्रॉपर स्पेस है मंदिर है मस्जिद है जाओ आराम से प्रेयर करो किसी ने मना नहीं किया कभी कुछ बड़े तौर पर तुम्हें कोई कार्यक्रम ऑर्गेनाइज करना है पहले परमिशन लो ठीक है तो सरकार पब्लिक ऑर्डर के चलते ठीक है पब्लिक ऑर्डर मतलब क्या है कि शांति बनी रहे उसके चलते सरकार या पुलिस एक्शन ले सकती है इस चीज का ध्यान रखना है ठीक है साथ ही साथ द गवर्नमेंट कैन इंटरफेयर इन द रिलीजस मैटर फॉर रूटिंग आउट सर्टेन सोशल इविल्स साथ ही साथ सरकार हमारे रिलीजन में घुस सकती है कुछ प्रथाएं बंद करने के लिए एग्जांपल दूं त्रिपल तलाक सरकार ने रिसेंटली क्या बोला तलाक तलाक तलाक त्रिपल तलाक नहीं चलेगा सती प्रथा जो थी उसको सरकार ने मना किया तो फ्रीडम ऑफ जजन के नाम पर आप यह नहीं कर सकते हो कि ऐसा ऐसा ऐसा ऐसा हो रहा है नहीं कोई भी ऐसी चीज जो कि समाज के लिए सही नहीं है तो सरकार आपके रिलीजन में घुस के उस चीज को अनलॉफुल कर सकती है इस चीज का ध्यान रखना है वो तुम्हारे रिलीजन में अच्छी चीजों में नहीं घुस रही है मतलब हर रिलीजन अच्छा है लेकिन वो ये नहीं अगर कुछ सोशल इविल्स या कुछ एक्टिविटी ऐसी हो रही तो सरकार उसको चेंज करेगी ना एग्जांपल मैंने सती भी दिया एग्जांपल मैंने तुम्हें त्रिपल तलाक भी दिया कि सरकार चाहे तो रिलीजन में इंटरफेयर करके चीजें चेंज कर सकती है या अनलॉफुल घोषित कर सकती है क्लियर है व्हेन द गवर्नमेंट सीक टू रिस्ट्रिक्ट्स ऑफ एनी रिलीजन ग्रुप और पीपल ऑफ दैट रिलीजन फील दैट दिस इज इंटरफेरेंस इन दिस रिलीजन वही वाला पॉइंट त्रिपल तलाक जब सरकार लेके आई तो बहुत सारे लोगों को लगा गलत है यह नहीं है वो नहीं है फ्रीडम ऑफ रिलीजन है हमारा खराब हो रहा है ऐसा वैसा ये तुम कुछ नहीं कर सकते सरकार के पास अधिकार है वैसे ही हमने ये देखा कि सरकार ने हिंदू रिलीजन में भी बहुत सारे चेंजेज किए समय के साथ-साथ में तो हम भी नहीं बोल सकते कि गड़बड़ है यह सरकार के पास पूरा अधिकार है क्लियर सॉर्टेड है फ्रीडम ऑफ रिलीजन तुमको यहां पर समझ में आ गया है इक्वलिटी ऑफ रिलीजन बीइंग एन कंट्री च इ होम टू सेवरल रिलीजन इट इ नेसेसरी ट गवर्नमेंट मस्ट एक्सटेंड इक्वल ट्रीटमेंट टू डिफरेंट रिलीजन अच्छा एक इंपोर्टेंट बात किसी ने तुमसे पूछ लिया कि भारत का धर्म कौन सा है क्या बोलोगे भारत का धर्म कौन सा है कोई भी नहीं हमारे देश में कोई भी ऑफिशियल रिलीजन नहीं है जैसे बहुत सारे देश में ऑफिशियल रिलीजन चलते हैं हमारे देश में कोई भी ऑफिशियल रिलीजन नहीं है प्रधानमंत्री का कोई प्रधानमंत्री एज एन पर्सन अगर हम बात करें कि हमारे प्राइम मिनिस्टर हैं ठीक है तो श्री नरेंद्र मोदी का पर्सनल लेवल प अपना रिलीजन हो सकता है लेकिन उस पोस्ट का कोई रिलीजन नहीं है मतलब ऐसा नहीं हो सकता कि प्रधानमंत्री की जो पद है वह इसी रिलीजन वाले के पास जाएगी उसमें तो कोई भी आ सकता है मनमोहन सिंह भी थे नरेंद्र मोदी भी ठीक है तो अलग-अलग रिलीजन के लोग आके रह सकते हैं वैसे ही तुम लोग प्रेसिडेंट वाइस प्रेसिडेंट में देखोगे तो हम लोग यह देखेंगे कि कितने सारे वाइस प्रेसिडेंट रहे हैं ठीक है तो उसमें हमने देखा कि मुस्लिम रिलीजन इस्लाम रिलीजन से भी थे हिंदू भी थे तो यह जो पोस्ट है इनका कोई रिलीजन नहीं है ना ही हमारे देश का कोई रिलीजन है सरकार सभी रिलीजन से वन हैंड डिस्टेंस मेंटेन करके चलती है कितना वन हैंड डिस्टेंस मेंटेन करके चलती है सरकार सिर्फ तब इंटरफेयर करेगी जब तुम्हारे रिलीजन में कोई चीज कोई सही नहीं लग रही है समाज के लिए तो सरकार उसको बदलने के लिए भले इंटरफेयर करे नहीं तो सरकार नहीं करेगी सभी रिलीजन को इक्वल ट्रीटमेंट मिलेगा साथ ही साथ सरकार का कोई ऑफिशियल रिलीजन नहीं है इस चीज को तुम्हें ध्यान रखना है ठीक तो वही बात यहां पे बताई कि हमारे जैसे प्राइम मिनिस्टर हो गए प्रेसिडेंट हो गए कोई भी जज हो गए कोई भी आईएएस ऑफिसर हो गया कोई भी सरकारी आदमी हो गया तुम्हारे जिले का कोई कलेक्टर भी है तो कलेक्टर के पद का कोई रिलीजन नहीं है वह आदमी का पर्सनल लेवल प हो सकता है और तो रहे गई ना मान लो कि प्रधानमंत्री भी है या कलेक्टर भी है तो पहले दिन की शुरुआत हाथ जोड़ के करेंगे ना भगवान से तो वो पर्सनल लेवल पर लेकिन उस पद का कोई रिलीजन नहीं क्लियर है समझ में आ गया है नेक्स्ट है कल्चरल एंड एजुकेशनल राइट्स यह माइनॉरिटी वाली राइट्स है थोड़ा सा इसको देखते हैं माइनॉरिटी कौन होते हैं सबसे पहले हमें ये समझना है जब मैंने बोला माइनॉरिटी तो तुम्हारे मन में बहुत सारी चीज जाती ये वो ये वो माइनॉरिटी कौन है माइनॉरिटी आर द ग्रुप दैट हैव कॉमन लैंग्वेज और रिलीजन इन अ पर्टिकुलर पार्ट ऑफ कंट्री और कंट्री एज अ होल दे आर ओवर नंबर्ड बाय सम ऑफ दी अदर सोशल सेक्शन सच कम्युनिटी हैव कल्चर लैंग्वेज एंड स्क्रिप्ट ऑफ देयर ओन एंड हैव देयर राइट टू कंजर्व एंड डेवलप दिस ऑल माइनॉरिटी रिलीजन और लिंग्विस्टिक कैन सेट अप देयर ओन एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन ठीक है माइनॉरिटी कौन है माइनॉरिटी सिर्फ रिलीजन के नाम पे माइनॉरिटी नहीं होता है माइनॉरिटी लैंग्वेज के नाम पे भी होता है बहुत सारी ट्राइबल पॉपुलेशन को तुम लोगों ने देखा होगा जिनके की अपनी भाषा होती है जो कि हमारी भाषा से अलग होती है तो इस देश में लैंग्वेज के आधार पर भी हम माइनॉरिटी को घोषित करते हैं रिलीजन के रिलीजन को तो देख ही रहे हैं लेकिन लैंग्वेज भी जरूरी है अब जो ये माइनॉरिटी में रहते हैं ये अपने एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन सेट अप कर सकते हैं एग्जांपल है मदरसा ठीक है जो माइनॉरिटी में है वो अपना स्कूल वगैरह खोल सकते हैं प्रॉपर वहां पे अपनी चीजें पढ़ा सकते हैं बता सकते हैं लेकिन वो चीजें क्यों पढ़ाते हैं उसका पर्पस क्या है माइनॉरिटी को यह राइट हमने क्यों देके रखा है कि भैया तुम जाकर अपनी चीजें पढ़ाओ ताकि उनका कल्चर या उनकी लैंग्वेज गायब ना हो जाए उनके बच्चे पढ़ते रहे वैसे ही तुम लोगों ने देखा होगा कि ट्राइबल पॉपुलेशन की जो लैंग्वेज है ना वो दिन परदन कम होती जा रही है तो मदरसा मैंने एग्जांपल दिया लेकिन बहुत सारी ट्राइबल कम्युनिटीज भी ऐसी है जो कि क्या कर रही है जो कि अपना प्रॉपर स्कूल चला रही है अपने लैंग्वेज में बच्चों को पढ़ा रही है और सरकार उनको क्या कर रही है सरकार एड देती है पता है तुमको पता है कि जितने भी माइनॉरिटी स्कूल रहती हैं उनको सरकार एड देती है पैसा देती है पैसा सम हो उनको सरकार पैसा देती है और पैसा देते वक्त सरकार डिस्क्रिमिनेट नहीं करेगी हमें इस चीज को ध्यान रखना है सरकार सबको इक्वल अमाउंट ऑफ पैसा देगी क्लियर तो यह था कल्चरल एंड एजुकेशनल राइट देन सबसे इंपॉर्टेंट राइट सबसे डिफिकल्ट और इसमें पक्का पेपर से सवाल बनेगा दैट इज राइट टू कांस्टीट्यूशनल रेमेडीज यह है आर्टिकल नंबर 32 कौन सा है हमारे संवि विधान का आर्टिकल 32 जो कि है सबसे इंपॉर्टेंट राइट आर्टिकल नंबर 32 या राइट टू कॉन्स्टिट्यूशन रेमेडीज को क्या बोला गया है राइट टू कॉन्स्टिट्यूशन रेमेडीज को डॉ बी आर अंबेडकर ने बोला है इट इज हार्ट एंड सोल ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन हार्ट एंड सोल ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन मतलब आर्टिकल 32 के बिना तो बाकी सारी राइट बे काम की है आर्टिकल 32 हर नागरिक को यह अधिकार दे रहा है क्या अधिकार दे रहा है कि अगर उसकी कोई भी फंडामेंटल राइट वॉयलेट हो रही है तो वो सीधा सुप्रीम कोर्ट जा सकता है फॉर एन एग्जांपल हमारे देश का सिस्टम कैसे चलता है मेरी कोई भी प्रॉपर्टी मेरे चाचा लेके चले गए ठीक है मेरी प्रॉपर्टी मान लो रवि वनरा लेके चले गए अब मेरे को क्या करना है अब मेरे को केस करना है उन्होंने मेरी प्रॉपर्टी पे कब्जा किया अब क्या होगा मैं डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जाऊंगा वहां से जजमेंट आएगा फिर रवि वनरा क्या करेंगे हाई कोर्ट में चले जाएंगे फिर मैं सुप्रीम कोर्ट में चले जाऊंगा इतने में मैं ऊपर जाने का समय आ जाएगा या मेरी उम्र हो जाएगी 7080 साल और रवि वनराम मस्त मेरी प्रॉपर्टी पे कमा रहे होंगे खा रहे होंगे कितने रुपए खाली होंगे समझ गए लेकिन अगर किसी की ये सारी राइट वायलेट हो रही है किसी की फंडामेंटल राइट वायलेट हो रही है तो वो इंसान डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट जा सकता है उसको डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जाने की जरूरत नहीं है समझे हो अगर किसी भी इंसान की फंडामेंटल राइट वॉयलेट हो रही है मान लो कि मेरे साथ में डिस्क्रिमिनेशन हुआ है तो मैं डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में नहीं जाऊंगा मुझे जाना है तो मैं सीधा सुप्रीम कोर्ट में जा सकता हूं इसलिए फंडामेंटल राइट इतनी इंपॉर्टेंट है क्योंकि यहां पे सीधा सुप्रीम कोर्ट में केस जा रहा है आपका बीचे की बीच के सारे कोर्ट्स को हमने उड़ा दिया है तो किसी की भी फंडामेंटल राइट वॉयलेट होती है तो उनके पास दो ऑप्शन है इदर दे कैन गो टू हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सबसे बड़ा है इसलिए मैंने सुप्रीम कोर्ट ही सीधा बोल दिया क्लियर और यह बात कहां पे लिखी है यह बात लिखी है आर्टिकल नंबर 32 में एक चीज और समझना है यहां पे एक टर्म और आएगा आर्टिकल 32 में दैट इज रिट डब्ल्यू आर आई टी रिट रिट मतलब क्या होता है रिट मतलब एक लीगल ऑर्डर जो कि कोर्ट इशू कर रहा है लीगल ऑर्डर को हम बोलते हैं रिट तो एक ऑर्डर को क्या बोला जाता है ऑर्डर को लीगल टर्म्स में हम लोग रिट बोलते थे क्लियर है तो आर्टिकल नंबर 32 इसलिए जरूरी है कि हमने इतनी सारी राइट का वादा तो कर लिया मान लो यह राइट कभी सरकार ने नहीं मानी तो क्या होगा तो हम लोग कोर्ट जाएंगे कोर्ट कैसे जाएंगे आर्टिकल नंबर 32 राइट टू कांस्टीट्यूशनल रेमेडीज का सहारा लेंगे और हम लोग अपना केस सुप्रीम कोर्ट में फाइल कर देंगे ठीक ठीक है अब यहां पे पांच रेट्स है ये पांच रेट्स है मतलब कोर्ट पांच ऑर्डर इशू कर सकता है ठीक है उनको समझते हैं ये याद नहीं होता है लेकिन ये पेपर में आता है तो याद करना पड़ेगा अपने को ठीक है सबसे पहला है हबीस कॉर्पस हबीस कॉर्पस क्या कहता है देखो हबीज कॉर्पस क्या कहता है अ रेट ऑफ हबीज कॉर्पस मींस दैट द कोर्ट ऑर्डर्स दैट अरेस्टेड पर्सन शुड बी प्रेजेंटेड बिफोर इट इट कैन आल्सो ऑर्डर टू सेट अ फ्री एंड अरेस्टेड पर्सन इफ अ मैनर ऑफ अ ग्राउंड ऑफ अरेस्ट आर नॉट लॉफुल और सेटिस्फेक्ट्री मतलब कोई भी अरेस्टेड पर्सन है उसको कोर्ट अपने कोर्ट ऑर्डर दे सकता है कि फॉर ए एग्जांपल रवि को तुमने जेल में डाल दिया उसको मेरे सामने लेके आओ ऐसा कोर्ट तब भी बोलता है जब कोर्ट को लगता है कि शायद रवि को जानबूझ कर के पुलिस के अंदर डाल दिया है ठीक है तो हबीस कॉर्पस की रिट कब इशू करता है हबीस कॉर्पस वाला ऑर्डर कब इशू करता है कोर्ट जब उसको लग जब उसको लगता है कि कोई अरेस्टेड पर्सन को उसको एक बार वन ऑन वन मिलना है या मतलब वन ऑन वन बात करनी है या देखना है कि पुलिस ने जानबूझ करके तो उस पर्सन को अंदर नहीं कर दिया यह है अपीस कॉर्पस सेकंड है ममस दिस रिट इज इश्यूड व्हेन अ कोर्ट फाइंड्स दैट पर्टिकुलर ऑफिस होल्डर इज नॉट डूइंग लीगल ड्यूटी एंड देयर फॉर देयर बाय इज इंफ्रिंजिंग द राइट ऑफ एन इंडिविजुअल कोई भी सरकारी आदमी जोब अपनी ड्यूटी अच्छे से नहीं कर रहा है तो कोर्ट उसके खिलाफ ये ऑर्डर इशू करता है कि भैया कोई भी कुछ भी बोल देगा या तो अपना काम करो या ऐसे नहीं चलेगा या रिजाइन डाल दो या सस्पेंड कर दिया तो कोई भी सरकारी आदमी कोई भी ऑफिस होल्डर मतलब कोई भी सरकारी आदमी अगर अपना काम अच्छे से नहीं कर रहा है क्योंकि अगर कोई भी सरकारी आदमी अपना काम अच्छे से नहीं करेगा मतलब बहुत सारे लोगों की राइट्स चली जाएगी कैसे मान लो कि हमने बात करी कि आधार वाले मान लो अपना काम नहीं कर रहे हैं ठीक है एक एग्जांपल ले लेते हैं आधार वाले अपना काम नहीं कर रहे हैं तो कोई इंसान अपना आधार अपडेट करवाने जा रहा है तो आधार से सारी चीजें उसका राशन आधार से लिंक है उसकी सारी चीजें लिंक है तो उस जिस आदमी का आधार नहीं हो पा रहा उसकी कितनी सारी राइट्स जा रही है इसलिए कोई भी व्यक्ति जिसके जिस जिसने कि सरकारी ऑफिस में है वह उसको काम बेहतर तरीके से करना होगा अगर नहीं कर रहा है तो कोर्ट उसके खिलाफ ममस करके य ऑर्डर या यह रिट इशू कर सकता है देन नेक्स्ट इ प्रोहिबिशन दिस रिट इ इशू बाय हायर कोर्ट हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट न लोअर कोर्ट है कंसीडर्ड अ केस गोइंग बियोंड इ जूरिडिक्शन प्रोहिबिशन कब होता है जब हायर कोर्ट लोअर कोर्ट को ऑर्डर देता है कुछ इस तरीके से समझो सुप्रीम कोर्ट हो गया हाई कोर्ट डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ठीक है अब ये तीन कोर्ट्स मैंने बनाए यह रिट क य रिट इशू करता है हायर कोर्ट डिस्ट्रिक्ट कोर्ट का हायर कोर्ट कौन सा होगा हाई कोर्ट हाई कोर्ट का हायर कोर्ट कौन सा होगा सुप्रीम कोर्ट फॉर एग्जांपल हाई कोर्ट य ख रहा है कि ये जो डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जो केस सुन रहा है वो केस इसके दायरे में आता ही नहीं है वो केस तो मुझे सुनना चाहिए मतलब कि छोटे-मोटे केस ही डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सुनता है जो बड़े-बड़े केस रहते हैं वो हाई कोर्ट सुनता है तो ये देख लेते हैं कि ये तो इसका जूरिस क्शन मतलब ये तो इसके दायरे से बाहर जाके जज काम कर रहे हैं नहीं भैया तो यहां पे क्या होता है यहां पे हाई कोर्ट में हाई कोर्ट के जो जज रहते हैं वो बोल देते हैं कि ये केस जो है ये केस मेरे पास आएगा ठीक है या हाई कोर्ट कोई केस सुन रहा है तो सुप्रीम कोर्ट बोल देता है कि नहीं भैया ये तो तुम तुम्हारे दायरे के बाहर जाके कर रहे हो ये वाली पावर तो हमारे पास में तो जब हाईयर कोर्ट ये आर्डर देता हाईयर कोर्ट हाई नहीं बोल रहा हूं जब हाईयर कोर्ट लोअर कोर्ट को आर्डर देता है कि केस मेरे पास में भेजो क्योंकि आगे क्योंकि पे ध्यान देना क्योंकि जो तुम केस सुन रहे हो वो तुम्हारे दायरे के बाहर आ रहा है वो तुम्हारे जूरिस जिक्स तुम्हारा जो दायरा है उसके बाहर आ रहा है तुम्हारे पास इतनी पावर नहीं है कि तुम उस केस को सुन लो समझ रहे हो जैसे डिस्ट्रिक्ट कोर्ट छोटे-मोटे केसे सुन सकता है मान लो डिस्ट्रिक्ट कोर्ट कोई बहुत बड़ा केस सुन रहा है तो हाई कोर्ट बोलेगा तुम्हारी पावर थोड़ी ना ये तुम्हारा जूरिस जिक्स थोड़ी है यह केस मेरे पास में आने दो क्लियर क्यू वारंटो इफ अ कोर्ट फाइंड दैट अ पर्टिकुलर पर्सन इज होल्डिंग ऑफिस बट इट इज नॉट एंटाइटल टू होल्ड दैट ऑफिस इट इशू अ रेट ऑफ क्यू वारंटो एंड रिस्ट्रिक्टर्स फ्रॉम एक्टिंग एज एन ऑफिस होल्डर क्यों वारंटो मतलब कि कोई इंसान है जो कि ऑफिस होल्ड कर रहा है मान लो सिद्धार्थ है सिद्धार्थ है आईएएस कोर्ट को लगता है कि सिद्धार्थ आईएएस है लेकिन सिद्धार्थ एंटाइटल नहीं है मतलब मान लो कि उसने पेपर में घपला करके व वहां पे पहुंच गया है तो कोर्ट बोलेगा तुम अपना ऑफिस खाली करो भैया ठीक है क्योंकि सिद्धार्थ जिस ऑफिस को होल्ड कर रहा है उसने तो वो पेपर निकाला ही नहीं था उसने तो वो पेपर खरीद लिया था समझ रहे हो मैं क्या बोल रहा हूं तो क्यू वारंटो का मतलब क्या हुआ क्यू वारंटो का मतलब ये हुआ कि आप जो ऑफिस होल्ड कर रहे हो जो ऑफिस होल्डर जोस ऑफिस को होल्ड कर रहा है मान लो हो सकता है वो एंटाइटल ही नहीं है उसके पास वो अधिकार नहीं कि वो उस ऑफिस को होल्ड कर सके तो उसको क्या करना होगा उसको वो ऑफिस खाली करना होगा ठीक है सर्च योरी ठीक है अब प्रोनंसिएशन अगेन अलग-अलग हो सकता है यह क्या कह रहा है अंडर दिस रिट द कोर्ट ऑर्डर्स अ लोअर कोर्ट और अनदर अथॉरिटी टू ट्रांसफर अ मैटर पेंडिंग बिफोर इट टू द हायर अथॉरिटी अब इन दोनों में थोड़ा सा कंफ्यूजन आएगा ठीक है प्रोहिबिशन को एक बार फिर से बताता हूं प्रोहिबिशन क्या बोल रहा है प्रोहिबिशन बोल रहा है कि हायर कोर्ट लोअर कोर्ट को ऑर्डर दे रहा है क्या ऑर्डर दे रहा है कि जो मैटर जो केस जो तुम सुन रहे हो वो तुम्हारे दायरे के बाहर का है तुम उसको नहीं सुन सकते हो तुम्हारे पास इतनी पावर नहीं है वो केस हमारे पास में दो ठीक है ये हो गया प्रोहिबिशन नाउ सचोर क्या होता है ये बेसिकली होता है कि केस यहां पे चल रहा है एक केस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में चल रहा है लेकिन हाई कोर्ट को लग रहा है कि भैया तुम ये केस मुझे दे दो क्योंकि तुम्हारे पास में ऑलरेडी केसेस बहुत पेंडिंग है लद तुम्हारे पास में पूरा पावर है उसकी उस केस को सुनने का लेकिन ऑलरेडी बहुत सारे केसेस पेंडिंग है तो और मुझे उस केस को पहले सुनना है तो इस केस को मेरे पास आने दो ठीक है तो यहां पे क्या होता है यहां पे हायर कोर्ट लोअर कोर्ट से बोलता है कि वो केस जो तुम्हारे पास में पेंडिंग पड़ा है उसको दे दो यार मेरे पास मैं निपटा देता हूं समझ गए तो यह पांच तरीके की रिट है और इसीलिए ये सारी फंडामेंटल राइट्स बिना आर्टिकल 52 के इंपॉसिबल है ये कोर्ट्स ये ऑर्डर इशू करते हैं ये ऑर्डर्स क्यों इशू करते हैं ताकि हमारी फंडामेंटल राइट्स प्रोटेक्टेड रहे ताकि हमारी फंडामेंटल राइट्स प्रोटेक्टेड रहे इसलिए आर्टिकल नंबर 32 बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट है ठीक है अब यहां पे आपके उसमें नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन के बारे में दिया गया था आपकी किताब में थोड़ा सा नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन को देख लेते हैं द रियल टेस्ट ऑफ राइट्स गिवन बाय एनी कॉन्स्टिट्यूशन इज इन देयर एक्चुअल इंप्लीमेंटेशन द पुअर इलिटरेट एंड द डिप्राइव्ड सेक्शन ऑफ सोसाइटी मस्ट बी एबल टू एक्सरसाइज दीज राइट इंडिपेंडेंट ऑर्गेनाइजेशन लाइक पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज और पीपल यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स हैव बीन वर्किंग एज अ वच डॉक अगेंस्ट द वायलेशन ऑफ राइट्स इन दिस बैकग्राउंड द गवर्नमेंट है एस्टेब्लिश इन 1993 एन इंस्टिट्यूशन द नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन द नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन इज कंपोज्ड ऑफ फॉर्मर चीफ जस्टिस ऑफ सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया अ फॉर्मर जज ऑफ अ सुप्रीम कोर्ट अ फॉर्मर चीफ जस्टिस ऑफ एन हाई कोर्ट एंड टू अदर मेंबर्स हैव अ नॉलेज एंड प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस इन द मैटर रिलेटिंग टू दी राइट्स देखो राइट्स दे देने से कुछ नहीं होता है राइट्स वाकई में वो गरीब इंसान वो इलिटरेट इंसान के पास पहुंच रही है कि नहीं पहुंच रही है अमीर तो अपनी राइट्स को एंजॉय कर रहे हैं लेकिन हमें उस गरीब व्यक्ति के बारे में सोचना है देखो तुम पॉलिटिकल साइंस पढ़ रहे हो तुम्हें सेंसिटिव होना पड़ेगा उस व्यक्ति के लिए जिसके के पास बहुत सारे रिसोर्सेस नहीं है जो कि जिसको कि बहुत सारी चीजें नहीं है जिसके के पास में तो वो राइट्स उन तक पहुंच भी रहे हैं कि नहीं रहे वो राइट्स उनकी कहीं वॉलेट क्योंकि उनको तो पता ही नहीं है ना कि उनके पास में ये राइट्स है कहीं उनके राइट्स वायलेट तो नहीं हो र तो बहुत सारे इंडिपेंडेंट बहुत सारे एनजीओस वगैरह हो होते हैं ठीक है एनजीओस वगैरह होते हैं वो क्या देखते हैं वो यह काम करते रहते हैं कि वो यह देखते रहते हैं कि वो गरीब व्यक्ति की राइट कहीं वॉलेट तो नहीं हो रही वो गरीब व्यक्ति की राइट्स कहीं खत्म तो नहीं हो रही ठीक है उसी के चलते एक 1993 में नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन बनाया था अब नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन में हम देखते हैं कि पांच मेंबर होते हैं एक तो फॉर्मर मतलब जो पहले के चीफ जस्टिस ऑफ सुप्रीम कोर्ट रहे वो एक फॉर्मर जज ऑफ द सुप्रीम कोर्ट मतलब एक वो इंसान जो कि चीफ जस्टिस रह चुके हैं एक वो इंसान जो कि सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं एक वो इंसान जो कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं और दो अदर और टू अदर पीपल दो और लोग जिसको कि राइट्स के बारे में नॉलेज हो इन पांच मेंबर की बॉडी होती है ठीक है द कमीशन फंक्शंस इंक्लूड इंक्वायरी एटस इट्स ओन इनिशिएटिव और ऑन अ पिटीशन प्रेजेंटेड टू इट बाय अ विक्टिम इनटू अ कंप्लेंट ऑफ वायलेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स विजिट टू अ जेल स्टडी अ कंडीशन ऑफ इंटिमेट्स अंडरटेकिंग प्रमोटिंग रिसर्च इन द फील्ड ऑफ ह्यूमन राइट्स अब कमीशन काम क्या करता है कमीशन या तो उनकी उनकी बात सुनता है जो कि डायरेक्टली इनके पास कंप्लेंट फाइल कर देता है या फिर ये कमीशन पता है कई बार क्या करते हैं कमीशन के लोग कि ऑटोमेटिक जेल में चले जाते हैं सरप्राइज विजिट जैसे तुम्हारे स्कूल में प्रिंसिपल आ जाते हैं अचानक से सरप्राइज विजिट प्रिंसिपल क्या देखते हैं पढ़ाई हो रही नहीं हो रही बच्चे क्या कर रहे हैं ये भी ये देखते हैं कि जेल में अच्छी कंडीशन तो है ना खाना तो प्रॉपर दे रहे हैं ना क्योंकि बहुत सारे लोग ऐसे भी होंगे जिनके कि गुनाह कबूल नहीं हुआ और अगर किसी का गुनाह कबूल भी हो गया तो भी ऐसा नहीं कि हम उसको ऐसे ही खा रहेते देते समझ रहे हो तो यह सारी चीजें ये लोगों के बीच में जाते हैं देखते हैं कि चीजें प्रॉपर वर्क कर रही है या नहीं कर रही है द कमीशन रिसीव कंप्लेंट इन थाउजेंड्स एवरी ईयर दीज रिलेट टू दीज आर रिलेटेड टू द कस्टोडियल डेट कस्टोडियल रेप डिसअपीयरिंग टेकिंग एक्शन हैज बीन डिसअपीयर्ड यूथ इन पंजाब इन्वेस्टिगेशन एंड ट्रायल ऑफ गुजरात राइड केस वेयर दिस इंटरवेंशन प्रूव इफेक्टिव साथ ही साथ यह कमीशन के पास थाउजेंड्स ऑफ कंप्लेंट आती है यह कई बार देखते हैं कि कस्टडी में पुलिस की कस्टडी में किसी की मौत हो जा रही है पुलिस कस्टडी में ही किसी के साथ में रेप हो गया ये तमाम तरीके की चीजें देखने को मिलता है साथ ही साथ जो गुजरात राइट केस हुआ था उसमें इस कमीशन का एक महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है द कमीशन डज नॉट हैव द पावर टू प्रोसीक द द कमीशन डज नॉट हैव द पावर टू प्रोक्यू इट कैन मरली मेक रिकमेंडेशन टू द गवर्नमेंट और रिकमेंडेशन टू द कोर्ट टू इनिशिएटिव दैट इट कंडक्ट्स कमीशन के पास ऐसी कोई पावर नहीं है कि वह सजा दे दे ऐसा कर दे लेकिन कमीशन स्टडी करके रिकमेंडेशन सरकार को दे देता है कि देखो तुम्हारे जेल की हालत ऐसी ऐसी उसको ठीक करो या कोर्ट को ऑर्डर दे देता है कोर्ट को एक तरीके से रिकमेंडेशन दे देता है कि हमने ये ये पाया है तुम इनका केस पहले देख लो और अपने केस में हमारी यह फाइंडिंग हमारे यह रिसर्च काम में आ जाएगा ठीक है तो यह वाली चीज भी नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन करता है अब है यहां पे बहुत ही इंपॉर्टेंट टॉपिक दैट इज डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ दी स्टेट पॉलिसी डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ़ द स्टेट पॉलिसी है पार्ट फोर में पार्ट थ्री में पार्ट थ्री ऑफ़ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन टॉक्स अबाउट फंडामेंटल राइट पार्ट फोर ऑफ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन टॉक्स अबाउट डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ़ द स्टेट पॉलिसी जिसको कि मैं पढ़ूंगा डीपीएसपी डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ दी स्टेट पॉलिसी ठीक है फंडामेंटल राइट्स किसके पास में सिटीजंस के पास में फंडामेंटल राइट्स किसके पास में सिटीजंस के पास में यह हमें अधिकार मिल ले ठीक है हमें अधिकार है डीपीएसपी क्या है ये डीपीएसपी गवर्नमेंट के पास में है ये गवर्नमेंट का काम है ठीक है ये जो काम है ये किसका है ये सिटीजंस का है ठीक है गवर्नमेंट का काम है डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ द स्टेट पॉलिसी ये गवर्नमेंट को डायरेक्शन देने के लिए इसमें चीजें लिखी गई है ये गवर्नमेंट को डायरेक्शन देगा डायरेक्टिव प्रिंसिपल गवर्नमेंट को डायरेक्शन दे रहा है कि तुम जब अपनी पॉलिसी बनाओ तो डीपीएसपी के हिसाब से बनाना समझ रहे हो डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ द स्टेट पॉलिसी मतलब सरकार की पॉलिसी ये सरकार को एक तरीके से डायरेक्शन दे रहा है कि जब तुम अपनी पॉलिसीज बनाओगे जब तुम लोगों के लिए काम करोगे तो कुछ इस हिसाब से काम करना और फंडामेंटल राइट क्या ये सिटीजंस के पास में राइट्स है कि सरकार कुछ ऐसा ना कर जाए जिससे कि वो मायबाप बन जाए हमारे पास में अधिकार है क्लियर ठीक है एक बेसिक डिफरेंस यहां पे समझ में आ गया यह पार्ट थ्री में है यह पार्ट फोर में ठीक है भैया द मेकर्स ऑफ आवर कॉन्स्टिट्यूशन न्यू दैट इंडिपेंडेंट इंडिया इज गोइंग टू टू फेस मेनी चैलेंज फोरमोस्ट अमंग दिस वाज चैलेंज टू ब्रिंग अबाउट इक्वलिटी एंड वेल बीइंग ऑफ ऑल सिटीजंस दे थॉट दैट सर्टेन पॉलिसी डायरेक्शन वाज रिक्वायर्ड फॉर हैंडलिंग दीज प्रॉब्लम्स एट सेम टाइम कॉन्स्टिट्यूशन डिड नॉट वांट फ्यूचर गवर्नमेंट टू बाउंड बाय सर्टेन पॉलिसी डिसीजंस देयर फोर सम गाइडलाइंस वेर इनकॉरपोरेटेड इन दी कॉन्स्टिट्यूशन बट दे वेर नॉट मेड लीगली एनफोर्सेबल ठीक है जब संविधान बना था जब हमारा देश आजाद हुआ था तो आप जानते हो 1952 1951 1953 हमारे देश की क्या हालत थी ठीक है तो संविधान जब बनने थे तो कांस्टीट्यूएंट असेंबली तो हमेशा यही चाहेगी ना कि मेरा देश बहुत अच्छा हो मेरा देश एकदम सोने की चिड़िया ही कहलाए मेरा देश विश्व में फर्स्ट है लेकिन उनको पता था कि अभी देश में इतने सारे चैलेंज हैं अंग्रेज अभी-अभी छोड़ के चले गए अंग्रेज छोड़ के चले गए तो हमने ये देखा कि अंग्रेज ने हमें किस हालत में छोड़ के चले गए एक दिन में तो इक्वलिटी नहीं आएगी ना एक दिन में तो सब अमीर नहीं बन जाएंगे ना समय लगेगा तो उन्होंने इसलिए डीपीएसपी को डाला डीपीएसपी को डाल दिया कि डीपीएसपी एक तरीके से सरकार को क्या करेगा सरकार को डायरेक्शन देगा कि देखो भैया तुमको इस इस डायरेक्शन में काम करना है तुमको ऐसा ऐसा काम करना है ठीक है मान लो सरकार ने डायरेक्टिव प्रिंसिपल पे काम नहीं किया तो क्या होगा तो कुछ नहीं होगा सरकार ने डीपीएसपी पे काम नहीं किया तो कुछ नहीं होगा वो सिर्फ डायरेक्शन देने के लिए है ठीक है तो ये एनफोर्सेबल नहीं है मतलब अगर सरकार ने डीपीएसपी इस पे काम नहीं किया तो हम कोर्ट में नहीं जा सकते कि देखो संविधान ने बताया था कि सरकार को ऐसे ऐसे ऐसे काम करना है सरकार ने काम नहीं किया हमने केस फाइल कर दिया ये नहीं हो सकता है बिकॉज़ ये लीगली एनफोर्सेबल नहीं है ये लीगली एनफोर्सेबल नहीं है ठीक है कि कांस्टीट्यूशन में जो फ कांस्टिट्यूशन में जो डायरेक्टिव प्रिंसिपल डीपीएसपी जो दिए हैं उसपे सरकार ने काम नहीं किया तो हम कोर्ट में नहीं जाएंगे बिकॉज़ दे आर नॉट लीगली एनफोर्सेबल वही फंडामेंटल राइट्स अगर हमारी वायलेट होती है तो हम कोर्ट में जा सकते हैं तो तीसरा डिफरेंस क्या हुआ तीसरा डिफरेंस ये हुआ कि ये लीगली एनफोर्सेबल है कि अगर हमारी फंडामेंटल राइट वायलेट हो रही है तो हम कोर्ट में जा सकते हैं हम कोर्ट में केस फाइल करेंगे कि हमारी राइट वायलेट हुई है सरकार ने मेरी राइट वायलेट करी है लेकिन अगर सरकार ने डीपीएसपी पर काम नहीं किया तो तो क्या होगा तो हम कोर्ट में नहीं जा सकते ठीक है ऐसा कांस्टीट्यूएंट असेंबली ने क्यों किया क्योंकि डीपीएसपी में लिखा है कि सरकार कोशिश करेगी कि इक्वलिटी आए अब अगर इसमें हम लोग लिख देते हैं कि अगर सरकार इक्वलिटी नहीं आगी तो कोर्ट में केस होगा तो आज तक केस ही चल रहा होता ना आजादी के 7075 साल बाद भी हम लोग लड़ रहे हैं इक्वलिटी के लिए तो कांस्टीट्यूएंट असेंबली ये जानती थी देखो कि अगर हमने इसको लीगली एनफोर्सेबल कर दिया ना तो इतने केसेस आ जाएंगे इतने केसेस आ जाएंगे क्योंकि सरकार को समय लगेगा एक रात में चीजें नहीं हो सकती टाइम लगेगा इसलिए यह सिर्फ डायरेक्शन है सरकार के क्लियर समझ में आ गया ठीक है दिस मींस दैट इफ गवर्नमेंट डिड नॉट इंप्लीमेंट अ पर्टिकुलर गाइडलाइन वी कैन नॉट गो टू टू द कोर्ट आस्किंग द कोर्ट टू इंस्ट्रक्ट द गवर्नमेंट टू इंप्लीमेंट द पॉलिसी दस दीज गाइडलाइंस आर नॉन जस्टिसिएबल इसलिए गाइडलाइन नॉन जस्टिसिएबल है हम कोर्ट में नहीं जाएंगे पार्ट्स ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन दैट कैन नॉट बी इंफोर्स बाय जुडिशरी दोज फ्रेम कॉन्स्टिट्यूशन थॉट दैट द मोरल फोर्स बिहाइंड दीज गाइडलाइंस वल इंश्योर दैट गवर्नमेंट वल टेक सीरियसली तो भी कांस्टीट्यूएंट असेंबली ने सोचा कि हम लेक किसलिए देते हैं ताकि सरकार को डायरेक्शन रहे और ऑफकोर्स सरकार काम करेगी ना इसमें अच्छी-अच्छी बातें लिखी है कि मिनिमम वेजेस होना चाहिए इक्वलिटी की कोशिश करना चाहिए वेलफेयर स्टेट होना चाहिए सबका कल्याण हो सबका साथ सबका विकास यह वाली चीजें लिखिए ठीक है तो यह सारी की सारी चीजें डीपीएसपी में यहां पे लिखिए व्हाट डू डायरेक्टिव प्रिंसिपल कंटेन पहला द गोल्स एंड ऑब्जेक्टिव दैट वी एज अ सोसाइटी शुड अडॉप्ट सर्टेन राइट दैट इंडिविजुअल शुड एंजॉय अपार्ट फ्रॉम फंडामेंटल राइट्स एंड सर्टेन पॉलिसी दैट गवर्नमेंट शुड अडॉप्ट देखो सबसे पहले गोल्स एंड ऑब्जेक्टिव हमारे समाज के क्या गोल्स एंड ऑब्जेक्टिव रहेंगे बहुत अच्छ बहुत अच्छा बहुत सशक्त समाज बहुत खूबसूरत समाज गोल्स एंड ऑब्जेक्टिव सर्टेन राइट दैट इंडिविजुअल शुड एंजॉय जैसे मिनिमम वेजेस वाली बात हो गई है ठीक है ये वाली चीजें कि कुछ और राइट्स फंडामेंटल राइट्स के अलावा साथ ही साथ सर्टेन पॉलिसीज कुछ पॉलिसीज जो कि गवर्नमेंट को अडॉप्ट करनी चाहिए ठीक द गवर्नमेंट फ्रॉम टाइम टू टाइम ट्राइड टू गिव इफेक्ट टू सम ऑफ दी डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ द स्टेट पॉलिसी दे हैव पास सेवरल जमींदारी एलेशन बिल नेशनलाइज बैंक एनेक्टेड न्यूमरस फैक्ट्री लॉज बहुत फिक्स मिनिमम वेजेस फिर सरकार ने देखो डीपीएसपी को लागू करने के लिए मिनिमम वेजेस लेकर आ गए ठीक है फैक्ट्रीज लॉज लेके आई जमींदारी सिस्टम को हटा दिया नेशनलाइज कर दिया बैंक को सब सरकार ने अपने कंट्रोल में ले लिया था उस समय कि उस समय प्राइवेट प्लेयर आता तो लोगों को लगता है कि एक्सप्लोइटेशन है आज के जमाने में और उस जमाने में फर्क है देखो आप लोग है ना पॉलिसीज को क्रिटिसाइज कर सकते हो कि नहीं नहीं सरकार ने ऐसा नहीं किया ये नहीं कि वो नहीं क्या मैं हमेशा बोलता हूं 1960 में जो देश की स्थिति थी उस हिसाब से सरकार ने काम किया 2025 में जो देश की स्थिति है सरकार इस हिसाब से काम करेगी 1960 और 2025 में फर्क होगा ना जब तुम लोग 2050 में जाओगे तब तुमको लगेगा कि 2025 में जो काम किया वो अच्छा नहीं किया लेकिन वो 2025 की नीट थी ये 1960 की नीट थी और 2050 में 2050 जैसे काम करेगी सरकार समझे ठीक है डायरेक्टिव प्रिंसिपल शुड इंक्लूड राइट टू एजुकेशन फॉर्मेशन ऑफ पंचायती राज इंस्टीट्यूशन ऑल ओवर द कंट्री पार्शियल राइट टू वर्क अंडर एंप्लॉयमेंट गारंटी स्कीम एंड मिडडे मील्स देखो डीपीएसपी में राइट टू एजुकेशन की बात हो रही है तो कोशिश की जा रही है कि सभी के पास एजुकेशन हो पंचायती राज इंस्टीट्यूशन की बात की गई तो आज आप देखते हो कि गांव में पंचायती राज इंस्टीट्यूशन वर्क कर रहा है तो डीपीएसपी पे देखो मैं आपको बताना ये चाह रहा हूं कि सरकार काम करती है सरकार काम बराबर तरीके से यहां पे काम हो रहा है ठीक है जैसे इसको देखो डीपीएसपी क्या बता रहा है गोल्स वेलफेयर ऑफ द पीपल इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल जस्टिस सोशल इकोनॉमिक एंड गोल्स है कि सबका कल्याण हो इकोनॉमिकली भी हो सोशली भी हो काज बेज डिस्क्रिमिनेशन नहीं हो पॉलिटिकल में सबके पास वोटिंग राइट हो सबको सबको कानून एक नजर से देखे ठीक है रेजिंग द स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग इक्विटेबल डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ रिसोर्सेस जो गरीब है उनका स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग बढ़ाना है सबके पास लगभग लगभग मैं बोल रहा हूं ना सबके पास एक जैसे -100 नहीं आ सकते लेकिन जो बहुत ज्यादा अमीर है उसम हमने क्या किया उसम हमने टैक्स लगा के गरीब को कोई कहीं रुपए दिया तो यह पॉलिसीज होती है अमीर पर क्यों टैक्स लगाते हैं जो एक दो करोड़ रुपए मैं मिडल क्लास की बात नहीं कर रहा हूं अमीर की अमीर जो बहुत ज्यादा रुपए कमा रहे उस परे टैक्स क्यों लगाते हैं कि तुम इतना कमा रहे हो तो थोड़ा सा गरीब के लिए भी कुछ बनता है ठीक है चीजों को लॉजिक से समझना है तुम लॉजिक से समझोगे ना बहुत मजे आएंगे तुमको पॉलिटिकल साइंस से प्यार हो जाएगा प्रमोशन ऑफ इंटरनेशनल पीस कैसी-कैसी पॉलिसीज अब पॉलिसीज कैसी-कैसी बात की गई प्रमोशन ऑफ विलेज पंचायत ठीक है प्रिवेंशन ऑफ क्लाउ काउ स्लॉटर यह वाली चीजें प्रमोशन ऑफ कॉटेज इंडस्ट्री प्रोहिबिशन ऑन द कंजप्शन ऑफ लीकर कि शरा नहीं बिकेगी अब तुम लोग बोलो रहे हो सर बिकेगी तो मैंने बोला ना बिकेगी तो हम केस फाइल नहीं कर सकते ये सरकार को कोशिश करनी है इसमें लिखा है कि सरकार को डीपीएसपी क्या है कि सरकार को कोशिश करनी है इन सारी चीजों प मैंने ये कहीं पे नहीं बोला कि दारू नहीं मिलेगी इन्होंने बोला कि प्रोहिबिशन ऑन द कंजप्शन ऑफ लेकर कोशिश ये करनी चाहिए समझ रहे हो ना अब समझ में आ रहा है ठीक है फिर कौन-कौन से राइट हम लोगों के पास में मिले डीपीएसपी की तरह राइट टू वर्क है ठीक है इक्वल पे फॉर इक्वल वर्क फॉर मेन एंड वुमेन अब इसमें भी बहुत सारी चीजें हैं कि जो कि हमारे पास में नहीं है तो हम कोर्ट में नहीं जा सकते लेकिन स्टिल कोशिश करना है हमें समझ रहे हो तो ये टेबल आपको एक तरीके से क्या कर देगा ये टेबल आपको बहुत अच्छे से चीजें समझा देगा क्लियर है इससे एक बहुत अच्छे से आपको एक आईडिया लग जाएगा कि डीपीएसपी किस बारे में बात करता है नाउ बहुत ही इंपॉर्टेंट वाला आर्टिकल दैट इज बहुत ही इंपॉर्टेंट वाला पॉइंट नॉट एन आर्टिकल बहुत ही इंपोर्टेंट पॉइंट दैट इज रिलेशनशिप बिटवीन फंडामेंटल राइट्स एंड डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स सो द रिलेशनशिप बिटवीन फंडामेंटल राइट्स एंड द डायरेक्टिव प्रिंसिपल देखो एक बार मैं फिर से आपको एक छोटा सा हम लोग डिफरेंस देख लेते हैं फंडामेंटल राइट्स इंडिविजुअल के लिए डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ द स्टेट पॉलिसी सरकार के लिए फंडामेंटल राइट इंडिविजुअल को प्रोटेक्ट कर रहा है सरकार से डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ द स्टेट पॉलिसी सरकार को बता र है कि तुमको यह काम करना है अगर किसी इंसान की फंडामेंटल राइट वायलेट हो जाती तो कोर्ट में जा सकता है लेकिन डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ द स्टेट पॉलिसी पर सरकार काम नहीं करती है तो हम कोर्ट में नहीं जा सकते ठीक है फंडामेंटल राइट पार्ट थ्री ऑफ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन में है डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ द स्टेट पॉलिसी पार्ट फोर ऑफ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन ठीक है अब क्या होता है डीपीएसपी पे हमने बता तो दिया कि डीपीएसपी एक तरीके से सरकार को बताया कि सरकार को कुछ इस हिसाब से काम करना है लेकिन जब भी सरकार कुछ ना कुछ काम करती है तो किसी ना किसी इंसान की फंडामेंटल राइट वायलेट हो जाती है हम चाहते भी हैं कि सरकार कुछ ना कुछ काम करें तो जब सरकार कुछ नाना कुछ काम करती है तो किसी ना किसी की फंडामेंटल राइट वहां पे क्या हो रही है वायलेट हो रही है तो इसके चलते हमने बहुत बार देखा है कि डीपीएस और फंडामेंटल राइट में लड़ाई चलती रहती है अच्छे जोर से ठीक है तो जोर से लड़ाई चलती रहती तो उसमें क्या होता है उसमें सरकार जो है सरकार देखो एक इंडिविजुअल के बारे में नहीं सोच सकती सरकार जो सोचती है सरकार को समाज के बारे में सोचना पड़ता है पूरे सोसाइटी के बारे में वहां पर सोचना पड़ता है ठीक है समझे हो तो जब इनके बारे में जब इनकी लड़ाई होती है तो सरकार पूरी सोसाइटी के बारे में सोचने लग जाती है फिर जुडिशरी बीच में से आता है भागते भागते कि रुक जाओ मैं हूं ठीक है तो जुडिशरी क्या है जुडिशरी ी गार्जियन ऑफ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन गार्जियन मतलब कि संविधान को प्रोटेक्ट करने की जवाबदारी जुडिशरी को दी है कॉन्स्टिट्यूशन असेंबली ने ठीक है तो हम लोग यहां पे देख रहे हैं कि जो सुप्रीम कोर्ट है सुप्रीम कोर्ट इज द गार्जियन ऑफ दी इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन ठीक फंड इट इज पॉसिबल टू सी बोथ फंडामेंटल राइट्स एंड डायरेक्टिव प्रिंसिपल एज अ कंप्लीमेंट्री टू ईच अदर फंडामेंटल राइट रिस्ट्रेन गवर्नमेंट फ्रॉम डूइंग सर्टेन थिंग्स वाइल डायरेक्टिव प्रिंसिपल एग्जॉर्ट द गवर्नमेंट टू डू सर्टेन थिंग फंडामेंटल राइट सरकार को मना कर रहा है कि तुम डिस्क्र ट मत करो तुम यह मत करो तुम वो मत करो वहीं डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ़ द स्टेट पॉलिसी क्या कर रहा है डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ़ द स्टेट पॉलिसी सरकार को बोल रहा है कि तुम यह करो तुम ये करो तुम ये करो और फंडामेंटल राइट बोल रहा है तुम ये मत करो तुम ये मत करो तुम ये मत करो फंडामेंटल राइट्स मेनली प्रोटेक्ट द राइट्स ऑफ इंडिविजुअल्स वाइल डायरेक्टिव प्रिंसिपल इंजर दी वेल बीइंग ऑफ दी सोसाइटी हाउ एवर एट टाइम्स व्हेन गवर्नमेंट इंटेंड्स टू इंप्लीमेंट डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ द स्टेट पॉलिसी इट कैन कम इन कॉन्फ्लेट विद फंडामेंटल राइट्स ठीक है जब सरकार जब हम देखते हैं कि गवर्नमेंट क्या कर रही है जब गवर्नमेंट फंडामेंटल राइट्स को इंप्लीमेंट कर रही है तब डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ द स्टेट प पॉलिसी के साथ में कॉन्फ्लेट में कहीं ना कहीं आ जाता है दिस प्रॉब्लम अरोज व्हेन द गवर्नमेंट सॉट टू पास टू अबॉलिश जमींदारी सिस्टम दीज मेजर वेर अपोज ऑन द ग्राउंड दैट दे वालेट राइट टू प्रॉपर्टी हाउ एवर कीपिंग इन द माइंड ऑफ सोसाइटल नीड्स दैट द ग्रेटर ग्रेटर दन द इंडिविजुअल इंटरेस्ट द गवर्नमेंट अमेंडेड द कांस्टिट्यूशन टू गिव द इफेक्ट ऑफ डायरेक्ट प्रिंसिपल ऑफ द स्टेट पॉलिसी अब एक एग्जांपल ले लेते हैं उस एग्जांपल से आपको बहुत अच्छे से समझ में आ जाएगा कि कब फंडामेंटल राइट और डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ द स्टेट पॉलिसी में लड़ाई हुई जमींदारी सिस्टम है उसमें बेसिकली क्या होता था कि बहुत बड़े-बड़े जमींदार थे आपने देखा था जिसके हजार 2000 3000 एकर्स ऑफ लैंड है तो सरकार आई थी कि यह जमींदारी सिस्टम को हम अबॉलिश करेंगे और यह जो बड़े-बड़े किसान है इनका लैंड हम गरीबों में बांटेंगे ठीक है अब पहले आज की बात नहीं है पहले राइट टू प्रॉपर्टी फंडामेंटल राइट था तो जब सरकार य लॉ लेके आई कि हम जमींदारी सिस्टम को अलाव नहीं करेंगे तो क्या होता है तो यहां पे बहुत सारे लोग कोर्ट में चले जाते हैं कि राइट टू प्रॉपर्टी तो मेरा फंडामेंटल राइट है आप मेरी प्रॉपर्टी कैसे छीन सकते हो लेकिन फिर भी सरकार ने बोला कि नहीं हम राइट टू प्रॉपर्टी को कांस्टिट्यूशन से अमेंड मतलब अमेंड मतलब उसको चेंज कर देंगे वहां से राइट टू प्रॉपर्टी को हम फंडामेंटल राइट नहीं रखेंगे ठीक है क्योंकि अगर वो फंडामेंटल राइट रहा तो बहुत सारे लोग कोर्ट जाते रहेंगे और सरकार कुछ काम ही नहीं कर पाएगी सरकार को रोड बनाना है तो जमीन लेना पड़ेगा सरकार को ट्रैक ट्रेन बनानी तो जमीन लेना पड़ेगा इस ये चलते तो सरकार कुछ काम ही नहीं कर पाएगी तो सरकार ने बोला कि हम संविधान में बदलाव करेंगे हम संविधान में चेंज करेंगे संविधान को चेंज नहीं करेंगे संविधान में बस राइट टू प्रॉपर्टी को चेंज करेंगे तो यहां पे कॉन्फ्लेट में देखने को मिल रहा था राइट टू प्रॉपर्टी और जमींदारी सिस्टम फिर भी सरकार ने क्या सोचा फिर भी सरकार ने सोचा कि नहीं भैया हमको लोगों का क्या करना है हमको लोगों का वेलफेयर करना है और हमको सोसाइटी एट लार्ज देखना है मैं एक इंडिविजुअल को नहीं देख सकता हूं तो उन्होंने संविधान में उन्होंने संविधान को संविधान में यह राइट टू प्रॉपर्टी को उड़ाने की बात करी तो इसके चलते एक बहुत कॉम्प्लिकेटेड डिबेट आ गया ठीक है कॉम्प्लिकेटेड डिबेट ये आ गया कि गवर्नमेंट बोलने लग गई कि पार्लियामेंट चाहे तो पार्लियामेंट संविधान को बदल सकती है यह पार्लियामेंट के पास में पावर है कि पार्लियामेंट पूरे संविधान को नहीं पार्लियामेंट चाहे तो पार्लियामेंट संविधान को बदल सकती है तो यहां पर फिर सुप्रीम कोर्ट आया सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि नहीं भैया देखो तुम संविधान को तो नहीं बदल सकते हो तुम संविधान के कुछ हिस्सों को बदल सकते हो तुम संविधान को कुछ भी हिस्से को बदलो एक्सेप्ट बेसिक स्ट्रक्चर को छोड़ के एक्सेप्ट बेसिक स्ट्रक्चर को छोड़ के फिर से लिंक करते हैं लड़ाई किसके किसके बीच में चल रही है लड़ाई फंडामेंटल राइट और डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ द स्टेट पॉलिसी के बीच में चल रही ठीक है लड़ाई का माध्यम क्या है प्रॉपर्टी प्रॉपर्टी को लेके हमारी यहां पे लड़ाई चल रही है यह भी क्लियर हो गया यहां पे सरकार बोल रही है कि हमको तो प्रॉपर्टी को हटाना ही पड़ेगा राइट टू प्रॉपर्टी को क्यों क्योंकि हमको लोगों का वेलफेयर करना है है तो राइट टू प्रॉपर्टी वाली बात तो भूल ही जाओ तो यह राइट टू प्रॉपर्टी जो था वो फंडामेंटल राइट था सरकार ने क्या किया सरकार ने कांस्टिट्यूशन में अमेंड कर दिया अमेंड मतलब सरकार ने कांस्टिट्यूशन को चेंज कर दिया और सरकार ने क्या बोला कि पार्लियामेंट के पास में ये पावर है कि वो संविधान को बदल सकती है यह केस कहां चले गया ये केस चले गया कोर्ट के पास में तो सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि चलो हम मानते हैं कि तुम संविधान को बदल सकते हो पार्लियामेंट के पास में पावर है कि वह संविधान को बदल सकती है लेकिन पार्लियामेंट संवि धान के बेसिक स्ट्रक्चर को नहीं बदल सकती है बेसिक लेकिन सं लेकिन जो पार्लियामेंट है वह संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर को नहीं बदल सकती जुडिशरी ने बोला अब पूछा बेसिक स्ट्रक्चर क्या है पार्लियामेंट ने तो यहां पे जुडिशरी ने बोला बेसिक स्ट्रक्चर ये है रिलीजन फ्रीडम ऑफ रिलीजन बेसिक स्ट्रक्चर ये है इक्वलिटी बेसिक स्ट्रक्चर है सुप्रीम कोर्ट बेसिक स्ट्रक्चर है राइट टू फ्रीडम तुम इधर-उधर की कोई सी भी पावर को बदलो हमको मतलब नहीं है लेकिन तुम ये जो बेसिक जो ढांचा है ना कि हर इंसान इक्वल ट्रीटमेंट हो ये जो बेसिक ढांचा है ना कि सबके पास में सेम अमाउंट ऑफ फ्रीडम हो ये जो बेसिक ढांचा है ना कि सब अपने-अपने रिलीजन को बहुत अच्छे से फॉलो करें तुम इसको नहीं बदल सकते हो और ये बात कब हुई थी ये बात हुई थी केसवानंदा भारती केस ये केस तुमको बहुत बार आएगा अभी आगे कॉम्पिटेटिव की तैयारी करोगे पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स करोगे और पॉलिटिकल में नहीं भी जाओगे और कोई भी कॉम्पिटेटिव की तैयारी करोगे ये केस बार-बार बार-बार आएगा तो इस केस को तुमको ये ध्यान रखना कि इसमें सुप्रीम कोर्ट ने ये बोला है कि बिल्कुल पार्लियामेंट को कुछ भी बदलना है तो बदलो पार्लियामेंट को कुछ भी अमेंड करना है तो अमेंड कर दो लेकिन बेसिक स्ट्रक्चर को नहीं बदल सकते ठीक है तो एक तरफ से सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया पार्लियामेंट को पावर तो दी कि तुमको जो बदलना है वो बदलो लेकिन साथ ही साथ उस पावर को खींच भी लिया कि बदल के दिखाओ बेसिक स्ट्रक्चर को नहीं बदल पाओगे तो सुप्रीम कोर्ट चालाक था कि तुम बदलो ना काम की चीजें नहीं बदल सकते हो और इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि बिल्कुल राइट टू प्रॉपर्टी को बदल लो वो बेसिक स्ट्रक्चर का पार्ट नहीं है क्योंकि अगर सरकार प्रॉपर्टी नहीं लेगी मतलब प्रॉपर्टी पे डेवलपमेंट का काम नहीं करेगी तो कैसे काम होगा बदले में तुम रोड के लिए प्रॉपर्टी ले रहे हो महाव दे दो ठीक है ऐसे करके इनका सेटलमेंट हुआ था और आज की तारीख में जो राइट टू प्रॉपर्टी वाली चीज है आज की तारीख में राइट टू प्रॉपर्टी फंडामेंटल राइट नहीं है ये नॉर्मल राइट है हमारा मतलब कि सरकार अगर हमारी प्रॉपर्टी ले रही है और हमको लग रहा है वो इल्लीगल है तो बिल्कुल हम कोर्ट में जा सकते हैं ऐसी बात नहीं कि हम कोर्ट में नहीं जा सकते हम कोर्ट में जा सकते हैं लेकिन नॉर्मल राइट की तरह लेके जाएंगे कोर्ट में फंडामेंटल राइट को लेके केस लेकिन नहीं जाएंगे क्लियर है तो यह पूरा यहां पे यह पूरा था तो यहां पे जो 44th कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट है 44 कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट ने क्या किया 44th कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट ने राइट टू प्रॉपर्टी को हटा दिया एज एन फंडामेंटल राइट ठीक है और यह केस राइट टू प्रॉपर्टी को लेके ये जो लड़ाई थी यह 1950 से चली आ रही थी कब से चली आ रही थी 1950 से चली आ रही थी क्लियर नाउ लास्ट पार्ट ऑफ अवर चैप्टर दैट इज फंडामेंटल ड्यूटी यह भी वहां पर दिया देखो हमें राइट्स मिल गए सरकार को बता दिया कि सरकार सरकार को यह ये काम करना है लेकिन एज एन इंडियन सिटीजन हमारे पास भी तो हमारा भी तो देश के प्रति कुछ ड्यूटी होगी ना कि सिर्फ अधिकार अधिकार लेंगे हम हम सिर्फ अधिकार ले रहे हैं ले रहे हैं ले रहे हैं सरकार को भी बता दिया कि सरकार को यह पॉलिसी करनी है ऐसा करना है यह करना है अरे नागरिक को भी तो पता होना चाहिए कि उसकी क्या ड्यूटी है तो हमने देखा कि 42 कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट जब संविधान कांस्टीट्यूएंट असेंबली ने बनाया था तब फंडामेंटल ड्यूटी की बात नहीं की थी तब फंडामेंटल ड्यूटी को कांस्टिट्यूशन में ऐड नहीं किया था मैं फिर से बोल रहा हूं जब कांस्टीट्यूएंट असेंबली ने कांस्टिट्यूशन बनाया तो हमारे ओरिजिनल कांस्टिट्यूशन में फंडामेंटल ड्यूटी नहीं था इसको 42 कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट मतलब जब 4 सेकंड बार कांस्टिट्यूशन को अमेंड कर रहे थे तब पार्लियामेंट ने एक चैप्टर ऐड कि वो चैप्टर क्या था वो चैप्टर था फंडामेंटल ड्यूटीज वो क्या था फंडामेंटल ड्यूटीज उसमें कुछ 10 ड्यूटीज थी आज की तारीख में एक ड्यूटी और ऐड कर दी वो ड्यूटी सिटीजंस को बताता है कि उनको क्या करना है अब क्या बताता है कि नेशनल फ्लैग को रिस्पेक्ट करना है हमें पीस और हार्मोनी से रहना है हमें एनवायरमेंट नीट एंड क्लीन रखना है एकदम बहुत बेसिक सी ड्यूटी कोई ऐसी ड्यूटी नहीं है जो आप और मैं नहीं कर सकते बहुत बेसिक सी ड्यूटीज है ठीक है अब मान लो किसी सिटीजन ने ये ड्यूटी को फॉलो नहीं किया तो क्या होगा तो कुछ नहीं होगा कोर्ट में केस नहीं जा सकता है वो सिर्फ जैसे डीपीएसपी सरकार को बताया कि देखो तुमको ऐसा करना चाहिए वैसे ही हमें ड्यूटीज बताई है कि भैया तुमको तुम्हारी ड्यूटी होनी चाहिए क्यों फंडामेंटल राइट को इंपॉर्टेंट बोला क्योंकि फंडामेंटल राइट वायलेट हुई तो केस हो सकता है वही फंडामेंटल ड्यूटी नहीं करा तो केस नहीं होगा डीपीएसपी को लेके सरकार ने कुछ नहीं करा तो केस नहीं होगा लेकिन फंडामेंटल राइट वायलेट हो गई तो केस होगा इसलिए फंडामेंटल राइट इंपॉर्टेंट है समझ में आया तो ये 42 कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट के थ्रू इन ड्यूटीज को ऐड किया गया लेकिन ये एज एन सिटीजन एज एन इंडियन सिटीजन ये हमारा दायित्व है हमारा दायित्व हमारे देश के प्रति भी है कि हमको कुछ ड्यूटी तो फॉलो करनी चाहिए ठीक है एक चीज समझ लो कि देखो जो कोर्ट है जो जुडिशरी है ठीक है जुडिशरी यह आपको आगे जाक समझ में आएगा लेकिन मैं बेसिक बता देता हूं एक जुडिशरी एक पार्लियामेंट तुमने पार्लियामेंट देखा होगा है ना गल करना पार्लियामेंट एक हो गया एग्जीक्यूटिव मतलब हमारे मंत्री और ये सारे लोग पार्लियामेंट का काम है कानून बनाना कानून बना रही है तो पार्लियामेंट कांस्टिट्यूशन को चेंज भी कर सकती है पूरे कांस्टिट्यूशन को चेंज कर सकती है नहीं कांस्टिट्यूशन के वो प्रोविजन को चेंज कर सकती है जो कि समय के साथ बदलना जरूरी है ठीक है याद करो चैप्टर वन का वन शॉर्ट जब मैंने बताया था कि हमारा कांस्टिट्यूशन फ्लेक्सिबल और रिजिल दोनों है कि समय के अनुसार हम चेंज कर सकते लेकिन हम पूरे संविधान को नहीं बदल सकते जो बेसिक स्ट्रक्चर है उसको जुडिशरी नहीं बदलने दे देगी तो जुडिशरी इस चीज का ध्यान रखती है कि पार्लियामेंट जो काम कर रही है उसमें ऐसा तो नहीं कि संविधान को बदल रहे हैं उसमें संविधान को बदलना है तो बदलो लेकिन पूरे को नहीं बेसिक स्ट्रक्चर को नहीं बदलना है तो सबके अलग-अलग काम है और ये अलग-अलग काम आपको कमिंग चैप्टर्स में समझ में आएंगे तो अगर अभी समझ में नहीं आए तो इतना लोड नहीं लेना है जैसे-जैसे आगे वाले चैप्टर में पढ़ोगे वैसे-वैसे चीजें समझ में आ जाएगी चैप्टर लेंथी था बहुत ज्यादा पढ़ाई पढ़ाई था लेकिन बहुत काम का चैप्टर था बहुत अच्छे से समझाया है अच्छे से पढ़ना और मैंने पहले भी कहा है वही क्या कहता हूं मैं कि चाणक्य नीति से लेके राजनीति तक तुम्हें जो चाहिए सब कुछ है मेरे पास जब सिद्धार्थ पटेल है तो पॉलिटिकल साइंस में नहीं डरना है हमें कांसेप्ट को बहुत ध्यान से समझना है बच्चों तुमको ऐसा लग रहा है अरे क्या लोड है कांसेप्ट को समझो हिंदी में बहुत ध्यान से समझो बढ़िया से समझो कांसेप्ट क्लियर होगा ऑटोमेटिक चीजें समझ में आ जाएगी अभी क्लास 11थ के पर्सपेक्टिव से पढ़ रहे हूं आगे जाओगे तो बहुत सारे एक्सेप्शन भी फंडामेंटल राइट्स में मिलेंगे लेकिन मैं बता रहा हूं पॉलिटिकल साइंस बहुत खूबसूरत है अगर तुमको बहुत अच्छे से समझ में आ जाए तो सो साइनिंग ऑफ विद दिस सिद्धार्थ पटेल थैंक यू बाय बाय