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Federalism Lecture Notes

हाय विजय बाटी मेरा नाम है शुभम पाठक वेलकम टू द चैनल शुभम पाठक जहां पर हम क्लास 10 से रिलेटेड बहुत सारी चीजें पढ़ते हैं एक तो मैं इस चैनल पे आपको एसएसटी के सारे सब्जेक्ट्स पढ़ाती हूं देन आई आल्सो टीच यू बायोलॉजी ऑन दिस चैनल एंड यहां पे एग्जाम टिप्स के साथ-साथ बहुत सारी मोटिवेशन भी मिलती है तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर लेना अगर आज का लेक्चर अच्छा लगे तो अच्छा आज हम पढ़ने वाले हैं सिविक्स का जो आपका सेकंड चैप्टर है अ फेडरेलिज्म नाउ वैसे तो मैं इस साल के सारे चैप्टर्स आपको दे रही हूं उस चैनल पे लेकिन अगर आपको आगे वाले चैप्टर्स चाहिए जो अभी तक इस साल के मैंने नहीं कराए हैं जैसे मान लो फेडरलिस्ट म तो आज मैं करा रही हूं पर पॉलिटिकल पार्टीज चाहिए तो ऑलरेडी वन शॉर्ट वीडियो सारे चैनल्स के अवेलेबल हैं यू कैन गो इन माय लाइव सेक्शन चैनल के लाइव सेक्शन में या फिर चैनल के वीडियो सेक्शन में भी आप जाके इन सारी चीजों को एक्सेस कर सकते हो सो डोंट फॉरगेट टू सी दीज लेक्चरर्स आल्सो ये नेशनलिज्म इन इंडिया वाला तो बच्चों को बहुत पसंद आता है देन वी हैव पावर शेयरिंग आल्सो कार्बन एंड इट्स कंपाउंड भी मैंने एक बार पढ़ाया हुआ है राइज ऑफ नेशनलिज्म यूरोप तो अभी रिसेंटली भी पढ़ाया था सो यू कैन गो थ्रू देम नाउ लेट्स स्टार्ट विद द चैप्टर फेडरलिस्ट तो इससे पहले हम सिविक्स में कौन सा चैप्टर पढ़ते हैं भाई पावर शेयरिंग चैप्टर पढ़ते हैं पावर शेयरिंग में हमने दो कहानियां पढ़ी हैं एक तो हमने बेल्जियम की कहानी पढ़ी है दूसरी हमने श्रीलंका की कहानी पढ़ी है बेल्जियम की कहानी से हमने क्या सीखा है बेल्जियम बेल्जियम की कहानी से हमने क्या सिखा है कि पावर को क्या करना चाहिए डिवाइड करना चाहिए पावर शुड बी डिवाइडेड क्यों भाई क्योंकि बेल्जियम में भी फ्रेंच और डच बोलने वाले लोगों के बीच में कुछ अनबन हो रही थी लेकिन उन्होंने क्या किया उस अनबन को सिविल वॉर में कन्वर्ट होने से पहले ही रोक लिया क्योंकि उन्होंने पावर को डिवाइड कर दिया अकोमोडेशन दिखाई श्रीलंका के केस में ऐसे नहीं हुआ श्रीलंका के केस में पावर सेंट्रल गवर्नमेंट के ही हाथ में थी सेंट्रल गवर्नमेंट जो है सिर्फ सिन्हा बोलने वाले लोगों की तरफदारी कर रही थी तमिल बोलने वाले लोगों को एलियने केड फील हो रहा था उन्होंने मांग उठाई कि यार हमें भी इक्वलिटी दे दो सेंट्रल गवर्नमेंट ने एक भी बात नहीं सुनी उनकी राइट सो बेल्जियम में पावर शेयर हुआ 1993 में ऐसा नहीं है कि बेल्जियम में पहले स्टेट गवर्नमेंट का कांसेप्ट नहीं था स्टेट गवर्नमेंट में पहले भी थी लेकिन स्टेट गवर्नमेंट के हाथ में ना कोई रियल पावर नहीं हुआ करती थी उसे जब भी कोई काम या इंपॉर्टेंट डिसीजन लेना होता था उसे सेंट्रल गवर्नमेंट के पास जाना पड़ता था तो ये तो कोई पावर नहीं हुई मैं मान लो आपको बोलूं कि ये ₹1 तुम्हारे हैं तुम्हें जैसे खर्च करना है करो लेकिन जब भी खर्च करना हो ना तो मेरे से एक बार परमिशन ले लेना तो जब अगर मेरे से परमिशन नहीं लेनी पड़ रही अपने पैसे खर्च करने के लिए तो वो कोई रियल पावर तो तुम्हारे पास नहीं है स सिमिलर कांसेप्ट था बेल्जियम में लेकिन 1993 में बेल्जियम ने अकोमोडेशन प्रॉपर तरीके से दिखाई डच बोलने वाले लोगों और फ्रेंच बोलने वाले लोगों का जो नंबर था मिनिस्टर्स का जो नंबर था सेंट्रल गवर्नमेंट में भी इक्वल रखा ब्रेसल लेवल पे भी इक्वल रखा और स्टेट गवर्नमेंट को रियल पावर्स दी ये नहीं कि आपको जब भी कोई डिसीजन लेना है तो आप हमारे पास भगते हुए आइए राइट सो इसी से हमें समझ आता है कि डेमोक्रेसी कई सारी डेमोक्रेसीज हैं भाई दुनिया की जो यह मॉडल फॉलो करती हैं सो एक तरीके से मैं बोल सकती हूं दैट डेमोक्रेटिक नेशन जितने भी देश हैं जिनमें डेमोक्रेसी है देखो सारे देशों में तो डेमोक्रेसी नहीं है जैसे सऊदी अरेबिया वहां पे अभी भी एब्सलूट मोनार्की है लेकिन मोस्ट ऑफ द कंट्रीज जो है दुनिया में वहां पे डेमोक्रेसी आ चुकी है सो डेमोक्रेटिक नेशन दो टाइप के होते हैं बच्चा एक होते हैं जहां पे यूनिटरी सिस्टम होता है और एक होते हैं जहां पे फेडरल सिस्टम होता है सो पहले तो आपको ये जानना जरूरी है कि हर डेमोक्रेसी फेडरल नहीं होती थी तो श्रीलंका भी डेमोक्रेसी लेकिन श्रीलंका क्या नहीं थी वो फेडरल सिस्टम नहीं थी वो यूनिटरी सिस्टम थी तो फेडरल सिस्टम होता क्या है फेडरल सिस्टम गवर्नमेंट बनाने का या डेमोक्रेसी का एक ऐसा सिस्टम हो होता है जिसमें पावर को एटलीस्ट दो लेवल में डिवाइड किया जाता है राइट सो अ फेडरल सिस्टम इज अ सिस्टम ऑफ द गवर्नमेंट इन व्हिच द पावर इज डिवाइडेड बिटवीन एटलीस्ट टू लेवल्स तो ये भी एक डेफिनेशन अच्छी सी बन जाती है एटलीस्ट टू लेवल अगर एनसीआरटी वाली डेफिनेशन लेनी है तो आप सेंट्रल अथॉरिटी और वेरियस कांस्टीट्यूएंट यूनिट्स ऑफ द कंट्री भी लिख सकते हैं अब यहां पे कंफ्यूज होने वाली बात नहीं है अगर आपको किसी भी चीज को डिवाइड करना है तो एटलीस्ट दो पार्ट्स में तो डिवाइड करना ही पड़ेगा है ना भाई दो पार्ट्स में डिवाइड करना ही पड़ेगा तो दो लेवल तो होने ही चाहिए एक लेवल को बोला जाता है यूनियन गवर्नमेंट जिसे प्यार से हम सेंट्रल गवर्नमेंट भी बोलते हैं अब दूसरे वाले को दूसरे लेवल को आप कुछ भी बोल सकते हो बच्चा हमारे देश में उन सेकंड लेवल को स्टेट्स बोला जाता है क्या बोला जाता है स्टेट्स बोला जाता है लेकिन सारी फेडरल कंट्रीज में उन्हें स्टेट्स नहीं बोला जाता कहीं-कहीं प्रोविंसेस भी बोला जाता है कहीं-कहीं यू नो स्टेट्स भी बोला जाता है सो देयर आर डिफरेंट डिफरेंट नेम इसीलिए यहां पे डेफिनेशन में सेंट्रल अथॉरिटी लिखा है और वेरियस कंसीट यूनिट लिखा है आपको इतनी डिफिकल्ट डेफिनेशन नहीं चाहिए तो आप मत लिखो आप सिंपल लिख दो भाई पावर इज डिवाइडेड बिटवीन टू लेवल्स ऑफ दी गवर्नमेंट वो भी उतने ही नंबर देगी जितनी ये वाली डेफिनेशन देगी अच्छा तो अभी मैंने यहां पे बताया कि फेडरल सिस्टम एक तरीके की डेमोक्रेसी होती है लेकिन यूनिटरी सिस्टम भी एक दूसरे तरीके की डेमोक्रेसी होती है यहां देख लो पूरी दुनिया का मैप सो पूरी दुनिया में जहां-जहां डेमोक्रेसी है वो सारे कंट्रीज यहां पे मार्क्ड है बच्चा अब जहां-जहां पे फेडरल गवर्नमेंट है वहां वहां पे रेड कलर से मार्क्ड है तो ये देखो ये फेडरल गवर्नमेंट है इंडिया भी आपको यहां फेडरल गवर्नमेंट दिख रहा है पाकिस्तान में भी फेडरल गवर्नमेंट है ऑस्ट्रेलिया में भी फेडरल गवर्नमेंट है राइट सो यहां पे आपको फेडरल गवर्नमेंट वाली चीजें दिख रही है जहां-जहां यूनिटरी सिस्टम है वहां वहां आपको यहां पे यूनिटरी सिस्टम देखने को मिल रहा है ब्रिटेन में यूनिटरी सिस्टम देखने को मिल रहा है यहां यूरोप के कई सारे पार्ट्स में आपको यूनिटरी सिस्टम देखने को मिल रहा है राइट अफ्रीकन कंट्रीज में आपको यूनिटरी सिस्टम देखने को मिल रहा है सो कहने का मतलब ये है नॉट ऑल डेमोक्रेटिक कंट्रीज आर फेडरल सम आर आल्सो यूनिटरी तो यूनिटरी का क्या मतलब होता है यूनिट का मतलब होता है बच्चा एक यूनिट का मतलब होता है एक यूनिटरी गवर्नमेंट मतलब इकलौती गवर्नमेंट तो ऐसी कोई डेमोक्रेसी जिसमें या तो एक ही तरीके की गवर्नमेंट होगी यानी कि सेंट्रल गवर्नमेंट होगी जिसे तुम यूनियन गवर्नमेंट भी बोल सकते हो या अगर स्टेट गवर्नमेंट होगी तो वो सिर्फ नाम के लिए होगी चलो और एक्सप्लेन करती हूं मैं बेल्जियम का एग्जांपल लेके बेल्जियम 1993 के बाद क्या बना अच्छे से फेडरल सिस्टम बना राइट फेडरल सिस्टम बना बेल्जियम 1993 से पहले क्या था यूनिटरी सिस्टम था क्यों हम उसे यूनिटरी क्यों बोलेंगे क्योंकि ऐसा नहीं है कि उसमें यूनियन गवर्नमेंट और स्टेट गवर्नमेंट नहीं थी उसमें दोनों थी तब भी लेकिन तब ना स्टेट गवर्नमेंट के पास रियल पावर्स नहीं थी डिड नॉट हैव रियल पावर्स उसको कभी भी कोई डिसीजन लेना होता था तो सेंटर के पास जाना पड़ता था राइट तो यूनिटरी सिस्टम वो सिस्टम होता है जिसमें या तो सिर्फ एक ही तरीके की सरकार होगी या अगर दो लेवल ऑफ गवर्नमेंट होंगे भी तो एक लेवल जो है सबोर्डिनेट होगा मतलब कि नीचे होगा सेंट्रल गवर्नमेंट से राइट इस केस में फेडरल सिस्टम में ऐसा नहीं होता है फेडरल सिस्टम में एटलीस्ट दो लेवल ऑफ गवर्नमेंट तो होते ही हैं और जो स्टेट गवर्नमेंट होता है उसके पास अपनी खुद की पावर होती है उसे बास बास सेंट्रल गवर्नमेंट से पावर मांगनी नहीं पड़ती है फॉर एग्जांपल ब्रिटेन और फ्रांस जो है यहां पे फेडरल गवर्नमेंट का आंसर आ गया और यहां पे सॉरी उल्टा लिखा हुआ है वही मैं बोलू ये क्या लिखा हुआ है हां फॉर एग्जांपल इंडिया और यूएसए जो है फेडरल गवर्नमेंट के एग्जांपल है और यूनिटरी गवर्नमेंट के एग्जांपल है ब्रिटेन और फ्रांस ये दो एग्जांपल्स याद कर लेना पेपर में डेफिनेशन आएगी तो यू वुड बी एबल टू आंसर नाउ लेट्स टॉक अबाउट फीचर्स ऑफ फेडरलिस्ट बच्चा अभी हम फेडरलिस्ट म जनरल तरीके से पढ़ रहे हैं अभी हम इंडियन कॉन्टेक्स्ट में फेडरलिस्ट म नहीं पढ़ रहे हैं फेडरलिस्ट म क्लियर हुआ ऐसी डेमोक्रेसी जहां पे एटलीस्ट दो लेवल में पावर को डिवाइड किया जाता है उसे हम बोलते हैं फेडरल स्ट्रक्चर अभी डेफिनेशन में आप देख रहे थे कि स्टेट गवर्नमेंट के पास अपनी पावर होती है लेकिन पता है ये तो हो गई थ्योरी की बात जो हम साइंस पढ़ते हैं थ्योरी में और जब हम प्रैक्टिकल करने जाते हैं ना उसमें बड़ा डिफरेंस आ जाता है क्यों क्योंकि वातावरण की कंडीशन उसमें ऐड हो जाती है ह्यूमिडिटी कितनी है आसपास का पीएच कितना है ऑल ऑफ दैट राइट ये तो मैं आपको नॉर्मल सा एक कैजुअल सा एग्जांपल बता रही हूं सिमिलरली फेडरेलिज्म के जब तुम थ्योरी पढ़ रहे हो तो उसमें तुम ये देख रहे हो कि स्टेट गवर्नमेंट के पास अपनी खुद की पावर होती है लेकिन जब फेडरलिस्ट म प्रैक्टिस हो रहा होता है ना बच्चा तो सेंट्रल गवर्नमेंट थोड़ा सा अपना जो है धोक जमा रही होती है तो इस बात को याद रखना डोंट गेट कंफ्यूज चलो फीचर्स ऑफ फेडरलिस्ट की बात करते हैं फीचर्स ऑफ फेडरलिस्ट में पहला फीचर है एटलीस्ट टू लेवल्स ऑफ द गवर्नमेंट एटलीस्ट टू लेवल्स ऑफ द गवर्नमेंट मोस्टली दुनिया की जो फेडरल कंट्रीज है वहां पर सिर्फ दो ही लेवल है गवर्नमेंट के इंडिया एक एक्सेप्शन है इंडिया में तीन लेवल है गवर्नमेंट के ठीक है एटलीस्ट दो लेवल होने चाहिए यूनियन और स्टेट दो से ज्यादा है तो बढ़िया है सिर्फ इंडिया में है दो से ज्यादा बाकी देशों में ज्यादातर नहीं है चलो दूसरा बोथ द लेवल्स बोथ द लेवल्स ऑफ व्ट बच्चा बोथ द लेवल्स ऑफ गवर्मेंट हैव देर ओन जूरिस क्शन हैव देयर ओन जूरिस जिक्स अब जूरिस जिक्स का क्या मतलब होता है जूरिस क्शन का मतलब होता है लीगल अथॉरिटी लीगल अथॉरिटी जैसे एक क्लास में किसकी लीगल अथॉरिटी होती है सबसे ज्यादा किसका जूरिस जिक्स चलता है क्लास टीचर का चलता है राइट घर में किसका चलता है पेरेंट्स का चलता है सिमिलरली हर गवर्नमेंट का चाहे वो स्टेट गवर्नमेंट है चाहे वो सेंट्रल गवर्नमेंट है अगर वो फेडरल स्ट्रक्चर है तो उनका अपना अपना जूरिस क्शन होगा मतलब कुछ ऐसे एरियाज होंगे जिनपे सेंट्रल गवर्नमेंट ही लॉज़ बनाएगी कुछ ऐसे एरियाज होंगे जिस पे सिर्फ स्टेट गवर्नमेंट ही लॉज बनाएगी एनी कंफ्यूजन इन दिस यू कैन लेट मी नो इन द कॉमेंट्स बच्चा ठीक है कॉमेंट्स में मुझे बता सकते हो अब यह जो जूरिस क्शन है यह जो पावर है कि कहां पे कौन रूल करेगा और क्या डिसीजन बनाएगा यह डिसाइड कौन करता है कि सेंट्रल गवर्नमेंट के पास कौन सी पावर होगी स्टेट के पास कौन सी पावर होगी यह कोई गवर्नमेंट डिसाइड नहीं करती बच्चा कोई मिनिस्टर्स डिसाइड नहीं करते ये हमारा संविधान डिसाइड करता है सो दस पावर्स दस पावर्स ऑफ बोथ बोथ व्ट बोथ सेंट्रल एंड स्टेट गवर्नमेंट आर क्लियर आर क्लियर कहां पर मेंशन है आर क्लीयरली मेंशन इन आवर कांस्टिट्यूशन राइट तो अभी तक क्या-क्या फीचर पड़े एटलीस्ट दो लेवल ऑफ सरकारें होनी चाहिए दोनों लेवल के अपने-अपने एरियाज होते हैं अपने अपनी पावर्स होती है और ये जो पावर्स है हमारे कॉन्स्टिट्यूशन में लिखे होते हैं अब अगर इस पैटर्न को चेंज करना है किसी कंट्री को अपने फेडरल स्ट्रक्चर को चेंज करना है तो वो कैसे होगा क्या सेंट्रल गवर्नमेंट अपने आप चाहे क्योंकि सेंट्रल गवर्नमेंट तो मेन गवर्नमेंट है भाई वो तो यूनियन गवर्नमेंट है पूरे देश पे राज करती है क्या वो अपने आप चेंज कर सकती है फेडरल स्ट्रक्चर को द आंसर इज नो द बेसिक स्ट्रक्चर ऑफ फेडरलिस्ट जो बेसिक स्ट्रक्चर है है जो बिल्कुल उसका फंडामेंटल स्ट्रक्चर है द बेसिक स्ट्रक्चर ऑफ अ फेडरेलिज्म कैन नॉट बी चेंज्ड यूनिलैटरली यूनिलैटरली का मतलब एक कोई सरकार अपने आप नहीं कर सकती ऐसा नहीं है कि कल को सारी स्टेट गवर्नमेंट जा गई और उन्होंने अपना फेडरलिस्ट देश का चेंज कर दिया या सेंट्रल गवर्नमेंट जागी और सेंट्रल गवर्नमेंट ने बोला हम बिना स्टेट गवर्नमेंट से पूछे फेडरलिस्ट का स्ट्रक्चर चेंज कर रहे हैं नहीं ऐसा नहीं हो सकता सेंटर और स्टेट को मिलके चेंज करना पड़ेगा और उसके जो रूल्स होते हैं वो हर कंट्री में अलग-अलग होते हैं हर फेडरल कंट्री में अलग होंगे अभी आगे जाएंगे हम तो इंडिया में फेडरेलिज्म कैसे चेंज हो सकता है उसके रूल्स पढ़ेंगे बट ये बेसिक पॉइंट अभी तो हम दुनिया के सारे फेडरलिस्ट के फीचर्स पढ़ रहे हैं तो ये बेसिक पॉइंट आपको याद करने है एनी कंफ्यूजन इन दिस यू कैन लेट मी नो नेक्स्ट पॉइंट नेक्स्ट पॉइंट है बच्चा अब जुडिशरी में तीन लेवल्स होते हैं एग्जीक्यूटिव जुडिशरी और आपका लेजिस्लेटर तो जुडिशरी का काम फेडरल स्ट्रक्चर में क्या होता है बच्चा दो काम होते हैं पहली बात तो कॉन्स्टिट्यूशन में क्या लिखा है वो जुडिशरी समझाए गी अभी यहां पे लिखा है ना कि कांस्टिट्यूशन में लिखा होता है कि भाई सेंट्रल गवर्नमेंट की क्या पावर है स्टेट गवर्नमेंट की क्या पावर है तो कल को सेंट्रल गवर्नमेंट रुठ के ये नहीं बोल सकती कि भैया ये जो सेंटेंस लिखा है ना कॉन्स्टिट्यूशन में इसका ना रियल मतलब ये है सेंट्रल गवर्नमेंट के हाथ में या स्टेट गवर्नमेंट के हाथ में वो पावर नहीं है जो भी कुछ कांस्टिट्यूशन में लिखा है उसे इंटरप्रेट करने का या उसका मतलब बताने की जो पावर है वो सिर्फ और सिर्फ इंडियन जुडिशरी में है या तो सुप्रीम कोर्ट या तो हाई कोर्ट इनफैक्ट अगर फेडरल स्ट्रक्चर के नाम पे सेंट्रल गवर्नमेंट या स्टेट गवर्नमेंट के बीच में कोई झगड़ा होता है कोई आपत्ति आती है कोई डिस्प्यूट होता है तो वो भी कौन उलटा एगा वो भी आपके जुडिशरी उलटा एगी नाउ नेक्स्ट पॉइंट नेक्स्ट पॉइंट इज अच्छा आपको यह पता है कि देश में टैक्सेस होते हैं आपको यह भी पता होगा कि देश में अलग अलग-अलग तरीके के टैक्सेस होते हैं इनकम पे टैक्स लगता है हाउस पे टैक्स लगता है इनडायरेक्टली हम कुछ सामान खरीदते हैं तो उसपे टैक्स देते हैं अल्कोहल ट बाको उसपे भी बहुत सारा टैक्स लगता है इनफैक्ट जब आप लोन लेते हो चलो उस पे तो रेट ऑफ इंटरेस्ट लगता है दैट नॉट टैक्स गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स होता है चलो जीएसटी का एग्जांपल लेते हैं जीएसटी सबने सुना है गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स जब भी कोई आप सामान बेचते हो या जब भी आप कोई सर्विस बेचते हो तो उसपे जो टैक्स लगता है उसे जीएसटी बोलते हैं कभी आप जीएसटी का ब्रेकअप देखना जीएसटी दो तरीके का होता है एक होता है आईजीएसटी सॉरी एक होता है सी जीएसटी और एक होता है आपका एसजीएसटी व्हाट इज सीजीएसटी सीजीएसटी इज बच्चा सेंट्रल जीएसटी तो ये वाला जो टैक्स है जीएसटी एक ही लगता है एक इंसान पे जीएसटी लग रहा है तो उस पे एक ही जीएसटी लगेगा लेकिन वो जीएसटी दो पार्ट्स में स्प्लिट होता है आधा हिस्सा जाता है उसका सेंटर को आधा हिस्सा जाता है उसका जिस आप पर्टिकुलर स्टेट में रह रहे हो अगर आप कर्नाटका में हो तो कर्नाटका की स्टेट को जाएगा हरियाणा में हो तो हरियाणा की स्टेट को जाएगा तो कहने का मतलब ये है कि सिटीजंस पे अलग-अलग तरीके के टैक्सेस लगते हैं कुछ टैक्सेस उनकी स यू नो सेंट्रल गवर्नमेंट लगा रही होती है कुछ टैक्सेस उनकी पर्टिकुलर स्टेट गवर्नमेंट लगा रही होती है तो स्टेट गवर्नमेंट के पास भी पैसा जा रहा है सेंट्रल गवर्नमेंट के पास भी जा रहा है स्टेट गवर्नमेंट उस पैसे से स्टेट में वेलफेयर कर रही है सेंट्रल गवर्नमेंट उस पैसे से सेंटर में वेलफेयर कर रही है तो ऐसा नहीं है कि पैसे के लिए स्टेट गवर्नमेंट को सेंटर के आगे हाथ फैलाना पड़ता है वी आर टॉकिंग अबाउट अ फेडरल स्ट्रक्चर तो दोनों के पास अपना-अपना सोर्स ऑफ रेवेन्यू भी होता है अपनी-अपनी जूरिस इक्स यानी कि पावर भी होती है नाउ बात ये आती है कि हम करते क्यों हैं हम करते क्यों हैं फेडरेलिज्म ये भी फीचर है फेडर का जो जिन जिन देशों ने बच्चा फेडर अपनाया है फॉर एग्जांपल इंडिया फॉर एग्जांपल आपका बेल्जियम बेल्जियम में तो पहले था भी नहीं फेडर उसने जानबूझ के फेडर अपनाया उन्होंने दो कारणों की वजह से अपनाया एक वो कंट्री की रीजनल डायवर्सिटी को अमेट करना चाहते थे अमेट द रीजनल डायवर्सिटी दूसरा ओवरऑल कंट्री की यूनिटी को वो एनहांस करना चाहते थे ठीक है सो ये दो होता है बेल्जियम का एग्जांपल लेंगे अगन तो बेल्जियम में क्या था कि डच बोलने वाले और फ्रेंच बोलने वाले लोगों के बीच में थोड़ी सी अनबन हो रही थी हो सकता है कि वो सिविल वॉर ब्रेक आउट हो जाती वहां पे श्रीलंका की तरह लेकिन वहां पे फेडरलिस्ट म को क्यों अपनाया गया ताकि डच लोगों को बोलने डच भाषा बोलने वाले लोगों को भी बहुत रिस्पेक्टेड फील हो और साथ में आपका फ्रेंच भाषा बोलने वाले को भी रिस्पेक्टेड फील हो तो मतलब कि हम फेडरेलिज्म मोस्टली इसलिए करते हैं ताकि रीजनल डायवर्सिटी रीजनल मतलब कंट्री के अंदर लोकल लेवल पे रीजनल मतलब लोकल लेवल पे लोकल लेवल पे जो भिन्नता है डायवर्सिटी है जो अलग-अलग तरीके का कल्चर है उन सारे कल्चर्सल हो अकोमोडेटेड फील हो रिस्पेक्टेड फील हो दूसरा पॉइंट कंट्री की यूनिटी बढ़े अगर बेल्जियम में फेडरलिस्ट नहीं होता तो क्या होता धीरे-धीरे करके डच बोलने वाले लोगों को और नफरत होता हो जाती फ्रेंच भाषी लोगों से फिर दोनों आपस में लड़ने लगते फिर दंगे होते फिर कंट्री की इकॉनमी हल्ट कर जाती कंट्री में बहुत सारे लोगों की डेथ होती लड़ाई होती झगड़ा होता वो सब कुछ होता राइट तो कंट्री में क्या एकता बचती क्या यूनिटी बचती बिल्कुल भी नहीं सो फेडरेलिज्म के दो ऑब्जेक्टिव हो गए एक हो गए रीजनल डायवर्सिटी को अमेट करना दूसरा ओवरऑल कंट्री की यूनिटी को एनहांस करना और ये काम इतना इजी नहीं होता है बच्चा ये काम थोड़ा सा तो डिफिकल्ट डेफिनेटली होता ही है और इसमें बहुत ज्यादा कोआर्डिनेशन की जरूरत पड़ती है कोई आसान नहीं है फेडरलिस्ट म करना लेकिन हां फेडरलिस्ट म करना जरूर ही जरूर हो जाता है अगर आप देश में यूनिटी बनाए रखना चाहते हो सो दो चीजें टू थिंग्स दैट यू नीड फॉर फेडरेलिज्म दैट यू मस्ट हैव इन फेडरेलिज्म वन इज म्यूचुअल ट्रस्ट एंड द अदर इज एग्रीमेंट म्यूचुअल एग्रीमेंट मतलब कि मान लो अगर स्टेट गवर्नमेंट और सेंट्रल गवर्नमेंट के बीच में म्यूचुअल ट्रस्ट ना हो अगर स्टेट को ये नहीं लग रहा कि भैया सेंट्रल मेरा हक नहीं मारेगा या सेंटल को ये नहीं लग रहा कि स्टेट गवर्नमेंट ज्यादा मनमानी नहीं करेगी तब तक तो फेडरेलिज्म चलेगा नहीं दो-चार दिन चलेगा फिर क्या है वो कोलैक्स हो जाएगा राइट तो म्यूचुअल ट्रस्ट होना सेंटर और स्टेट के बीच में बहुत जरूरी है दूसरा एग्रीमेंट होना बहुत जरूरी है सेंटर का सेंटर थोप नहीं सकता कि कल से जो है भैया हम फेडरल स्ट्रक्चर करेंगे यूनिटरी सिस्टम खत्म नहीं थोपा थापी नहीं चल सकती दोनों को सेम पेज पे आना पड़ेगा दोनों को जो है अग्री करना पड़ेगा कि हमें फेडरल स्ट्रक्चर चाहिए सो फिर से एक बार रिवाइज करते हैं हमारे पास फीचर्स है फेडरलिस्ट म के कुछ पांच छह या सात पहला है एटलीस्ट दो लेवल ऑफ गवर्नमेंट होनी चाहिए सेंटर और स्टेट या फिर सेंटर या लोकल जो बोलना है बोलो दूसरा दोनों गवर्नमेंट के पास अपनी-अपनी पावर्स के एरियाज होते हैं तीसरा ये जो कौन से सब्जेक्ट पे कौन सी सरकार डिसीजन लेगी ये सारी बातें हमारा संविधान बताता है और कोई नहीं बताता है चौथा जो बेसिक स्ट्रक्चर है फेडरेलिज्म का वो किसी भी देश में कोई एक तरीके की सरकार चाहे वो सेंटर हो चाहे वो स्टेट हो अपने आप चेंज नहीं कर सकती है बिना दूसरे से पूछे और फिर पांचवा है कि ये जो कोर्ट्स होते हैं हमारे देश में डेमोक्रेसी में जो कोर्ट्स होते हैं वो कोई भी डिस्प्यूट होता है फेडरेलिज्म पे तो उसे भी उलटा हैं किसी भी बात पे कंफ्यूजन होता है संविधान में लिखी हुई तो उसे भी वो इंटरप्रेट करके बताते हैं देन वी हैव इंडिपेंडेंट सोर्सेस ऑफ रेवेन्यू होते हैं पैसों के लिए भी मारामारी नहीं होती सेंटर भी टैक्सेस लगाती है लोगों पे स्टेट गवर्नमेंट भी टैक्सेस लगाती है अब हरियाणा की गवर्नमेंट राजस्थान के लोगों पे नहीं लगा सकती टैक्स राजस्थान की ही गवर्नमेंट लगाएगी ठीक है तो स्टेट भी टेस्ट लगा रही है सेंटर भी टेस्ट लगा रही है दोनों के पास अपना-अपना पैसा जा रहा है लोगों के वेलफेयर के लिए सेंटर जो है उस पैसे को बड़ी चीजों के लिए यूज करती है जो सबके लिए हो जैसे आर्मी के लिए डिफेंस को जो पैसा जाता है या यू नो फॉरेन अफेर में जो पैसा जाता है स्टेट गवर्नमेंट जो है स्टेट में जो सड़कें बनानी होती है पुल बनवाने होते हैं उन सब पे भी काम करती है एनीवे ड्यूल ऑब्जेक्टिव होते हैं फेडरेलिज्म से दो चीजें होती हैं एक तो लोकल लेवल पे जो भी डायवर्सिटी होती है उन सबको रिस्पेक्टेड फील होता है दूसरा ओवरऑल कंट्री में जो है एकता ज्यादा बढ़ती है नाउ फेडरल जम भी दो तरीके के होते हैं अब यहां थोड़ा कंफ्यूजन आ सकता है आपको आप बोलोगे मैम पहले डेमोक्रेसी में बोल रहे हो यूनिटरी सिस्टम होता है फेडरल सिस्टम होता है फिर आप बोल रहे हो फेडरल सिस्टम भी दो तरीके का होता है हां भैया होता है क्या करें अब डेमोक्रेसी ऐसी ही चलती है ठीक है थोड़ी टेरी तो है डेमोक्रेसी तो डेमोक्रेसी में फेडरल स्ट्रक्चर दो तरीके का देखा जाता है एक होता है कमिंग टुगेदर दूसरा होता है होल्डिंग टुगेदर पूरा साल बीत जाता है बच्चों को इसका कंफ्यूजन ही बंद नहीं होता तो अगले पांच मिनट अगर ध्यान से सुन लेंगे अगले 30 सेकंड ध्यान से सुन लो तुम्हें कोई कंफ्यूजन नहीं रहेगा कमिंग टुगेदर फेडरेशन मतलब कि लोग भाग भाग के आ रहे हैं बड़ा संगठन बनाने के लिए इतना तो समझ आता है कमिंग टुगेदर लोग अकेले खड़े हुए थे लेकिन लोग भाग भाग के आ रहे हैं बड़ा सा ग्रुप बनाने के लिए सिंपल लॉजिक होल्डिंग टुगेदर फेडरेशन यानी कि लोग ऑलरेडी ग्रुप बना के खड़े हुए थे उन्हें समझ आया कि ग्रुप बहुत बड़ा बन गया है इसके छोटे-छोटे और ग्रुप बना देने चाहिए ये एक इमेज अपने दिमाग में बिठा लो लोग भाग भाग के आ रहे हैं बड़ा संगठन बनाने के लिए बड़ा संगठन है और लोग उसमें से जाके छोटे-छोटे संगठन बना रहे हैं राइट अब समझो कमिंग टुगेदर फेडरेशन होता है जब ऑलरेडी देश जो है ऑलरेडी स्टेट्स जो है बिल्कुल इंडिपेंडेंट तरीके से रह रहे होते हैं उनकी अपनी सिक्योरिटी होती है अपनी पॉलिटिकल अथॉरिटी होती है अपना जूरिस जिक्स होता है सब कुछ उनका अपना चल रहा होता है लेकिन उन्हें लगता है कि यार वी विल बी स्ट्रांग पर अगर हम साथ में रहेंगे तो हम ज्यादा स्ट्रंग रह पाएंगे हम ज्यादा बड़ा देश बना पाएंगे ज्यादा सुपर देश बना पाएंगे अगर हम साथ में आ जाएंगे तो जब इंडिपेंडेंट स्टेट्स ये वादा करती हैं ये तय करती हैं कि उन्हें साथ में आके एक बड़े यूनिट की तरह रहना है तो उसे बोला जाता है कमिंग टुगेदर फेडरेशन फॉर एग्जांपल यूएसए यूएसए का पूरा नाम क्या है यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका यानी कि अमेरिका की ऐसी स्टेट्स जो यूनाइटेड होके रहना चाह रही है जो एक साथ आके रहना चाह रही है राइट चाहे तो वो अलग-अलग भी रह सकती थी लेकिन उन्होंने एक एक दूसरे पे विश्वास करके ऐसा डिसाइड किया कि हमें साथ में रहना है है ना सो जब इंडिपेंडेंट स्टेट साथ में आके बड़ा यूनिट बनाती है बड़ा संगठन बनाती हैं तो उसे बोलते हो कमिंग टुगेदर फेडरेशन अब इन सारी स्टेट्स के अपने पास क्या थे अपनी खुद की क्या थी सोवे निटी थी सोव निटी का मतलब होता है पॉलिटिकल अथॉरिटी है ना भैया यूएसए में जो भी स्टेट्स आ आती हैं वो जब यूएसए का पार्ट नहीं था तब भी तो वहां पे पॉलिटिक्स चल ही रही थी तबी तो वहां पे डिसीजन लिए ही जा रहे थे राइट सो उन सारी स्टेट्स की अपनी खुद की पॉलिटिकल अथॉरिटी थी खुद की रिटी थी खुद का जूरिस क्शन था सब कुछ था लेकिन वो आके एक दूसरे के साथ अपनी सारी चीजें मिक्स कर देते हैं मिला देते हैं ताकि जो बड़ा यूनिट बने जो बड़ा यूनिट बने वो काफी स्ट्रांग बने रुको मैं एक एग्जांपल दिखाती हूं मान लो ये दो इंडिपेंडेंट स्टेट्स है अभी तो मेरे पास दो ही एग्जांपल है अच्छा रुको मान लो ये मेरे पास चार इंडिपेंडेंट स्टेट्स है अब स्टेट की भी अपनी सोवे निटी सिक्योरिटी जूरिस क्शन है इसकी भी है इसकी भी है इसकी भी है अब ये एक अगर अकेला खड़ा रहेगा तो ये थोड़ा सा कमजोर होगा राइट ये कमजोर होगा लेकिन अगर इनमें चारों को एक साथ करके एक बड़ा यूनिट कर दूं इनकी सिक्योरिटी भी मिक्स हो गई है इनकी ताकत भी मिक्स हो गई है जूरिस सक्शन भी मिक्स हो गया है तो अब इसको दबाना थोड़ा मुश्किल हो रहा है राइट क्यों क्योंकि ये बड़ा यूनिट बन गया है तो यही कांसेप्ट होता है बच्चा कमिंग टुगेदर फेडरेशन में कि हम और बड़ा देश बने हम और स्ट्रांग बने और सुपर पावर बने ऑल द कंसीट एंट स्टेट्स यूजुअली हैव इक्वल पावर लेकिन इसमें ऊच नीच का भेदभाव नहीं होता है है इसके अंदर मान लो ये यूएसए है यूएसए के अंदर छोटी-छोटी स्टेट्स हैं तो सब स्टेट्स के पास इक्वल पावर होती है अगेन थ्योरी की बात हो रही है प्रैक्टिकल में थोड़ा सा डिफरेंट हो सकता है तो इस बात को याद रखें एनीवे एग्जांपल यूएसए स्विट्जरलैंड में भी यही कंसेप्ट है ऑस्ट्रेलिया में भी यही कांसेप्ट है अब आते हैं हमारे देश के ऊपर हमारे देश और हमारे देश जैसे देश जिन्हें बोला जाता है होल्डिंग टुगेदर फेडरेशन तो इंडिया आप खुद सोचो मोस्ट पॉपुलेशन इन द वर्ल्ड इनफैक्ट एरिया वाइज भी इंडिया क्या है सातवें नंबर पे आता है एरिया में भी हम सातवें नंबर पे हैं मतलब कि हम बहुत विशाल देश हैं और साथ में सबसे ज्यादा पॉपुलेशन है तो इतना बड़ा देश जब बना था तब उसे नहीं लगा था यार कि हमें ना फेडरल स्ट्रक्चर को थोड़ा और डिटेल में बनाना चाहिए लेकिन धीरे-धीरे हमें समझ आया फॉर एग्जांपल बेल्जियम बेल्जियम इतना छोटा सा देश है लेकिन उसे नहीं पता था कि यार हमारे देश में डच बोल भाषा बोलने वाले और फ्रेंच भाषा बोलने वाले लोगों के बीच में इतनी ज्यादा भिन्नता हो जाएगी इतना ज्यादा अलगाव हो जाएगा कि कभी हमें पावर को फिर से डिवाइड करना पड़ेगा राइट तो कुछ कंट्रीज होते हैं जो फोर्स ही नहीं कर पाते जो फ्यूचर नहीं देख पाते हैं और उन्हें लगता है कि यार ऐसा जैसा देश चल रहा है वैसा देश चल जाएगा यूनिटरी सिस्टम में लेकिन उन्हें बाद में रिलाइज होता है कि नहीं हमें अब पावर को डिवाइड कर देना चाहिए तो उन देशों को बोला जाता है होल्डिंग टुगेदर फेडरेशन जब एक बड़ा कंट्री अब बड़ा कंट्री इन टर्म्स ऑफ एरिया नहीं बच्चा क्योंकि बेल्जियम तो बहुत छोटा है एरिया वाइज लेकिन बड़ा कंट्री इन टर्म्स ऑफ रीजनल डाइवर्सिटी राइट सो जब एक बड़ा कंट्री डिसाइड करता है कि पावर को डिफरेंट डिफरेंट स्टेट के बीच में और नेशनल गवर्नमेंट के बीच में डिवाइड करने से कंट्री में ज्यादा प पीस आएगा कम कॉन्फ्लेट आएगा तो उसे बोलते हैं होल्डिंग टुगेदर फेडरेशन इसमें जो सेंट्रल गवर्नमेंट होती है उसके पास हमेशा थोड़ी सी ज्यादा पावर रह जाती है क्योंकि पहले तो क्या है सारी पावर सेंट्रल गवर्नमेंट के पास होती है फिर सेंट्रल गवर्नमेंट फेडरल स्ट्रक्चर को होल्डिंग टुगेदर फेडरल स्ट्रक्चर को अपना के थोड़ी-थोड़ी पावर स्टेट गवर्नमेंट को देती है फिर भी उसके पास थोड़ी सी रह जाती है तो ये इसमें नहीं होता है इसमें ऐसा होता है अनइक्वल पावर बिटवीन डिफरेंट कंटेंट यूनिट्स और ऐसा देखा गया है कि होल्डिंग टुगेदर टाइप के फेडरेशन में सारी स्टेट्स में भी इक्वल पावर नहीं होती है कुछ स्टेट्स होते हैं उनके पास एक्स्ट्रा पावर होती है कुछ स्टेट्स होते हैं उनके पास थोड़ी सी कम पावर होती है अभी इंडिया का एग्जांपल जब हम पढ़ेंगे नॉर्थ ईस्ट वाली स्टेट्स का हम डिस्कस करेंगे तो आपको अच्छे से समझ आएगा एग्जांपल है इसका एस आईबी एस आईबी का मतलब है स्पेन इंडिया और बेल्जियम यहां पे एग्जांपल है यूएसए यानी कि साऊ साऊ एसआई भी दो वर्ड्स याद रखलो चलो आगे चलते हैं अब बात करते हैं इज इंडिया फेडरल और नॉट पर उससे पहले मैं एक क्वेश्चन दे रही हूं यू हैव 30 सेकंड ट्राई एंड आंसर इट चलो 45 दे रती हूं ऑप्शन बहुत बड़े-बड़े हैं अच्छा हट जाती हूं यहां से यहां जाती हूं वेरी नाइस द राइट आंसर इज कॉमेंट्स में बताऊं कि अभी बता दूं चलो अभी बता देती हूं ऑल द अबब ऑप्शन नंबर डी नेक्स्ट इ इंडिया फेडरल ये क्वेश्चन जो है पेपर में तीन मार्क्स का भी पूछा जाता है पांच मार्क्स का भी पूछा जाता है तो सबसे पहले तो मैं बता दूं कि हमारे संविधान में कहीं मेंशन नहीं है फेडरल वोर्ड कहीं पे भी लिखा नहीं हुआ है दैट इंडिया इज अ फेडरल कंट्री लेकिन हमारी हरकतें देखोगे ना हमारी डेमोक्रेसी देखोगे और हमारी हिस्ट्री देखोगे तो यकीन हो जाएगा कि डेफिनेटली फेडरल ही है इंडिया कैसे मैं बताती हूं देखो जब इंडिया आजाद भी नहीं हुआ था बिफोर 1947 बिफोर 1947 हमारे देश में दो तरीके की स्टेट्स हुआ करती थी एक होती थी प्रिंसली स्टेट्स और एक होती थी प्रोविंशियल स्टेट्स ठीक है प्रिंसली स्टेट्स में क्या होते थे राजा महाराजा हुआ करते थे और ब्रिटिश गवर्नमेंट का इनडायरेक्ट कंट्रोल होता था इनडायरेक्ट कंट्रोल ऑफ ठीक है वैसे तो उन्होंने राजा महाराजा बिठा रखे थे लेकिन वो इंडिया की राजा महाराजाओ से साठ घट कर ली थी कि देखो भाई इससे पहले हम तुम्हें गद्दी से हटाए और पूरा तुम्हारा राज्य जो है कब्जे करे इससे अच्छा है कि तुम गदी प बैठे रहो अपनी ये जो खोखली शान है उसे बरकरार रखो लेकिन हक तो हमारा ही चलेगा मर्जी तो हमारी चलेगी तो प्रिंसली स्टेट्स में क्या है इनडायरेक्ट कंट्रोल हुआ करता था ब्रिटिश गवर्नमेंट का बैठे वहां पे हेड बन के प्रिंसेस हुआ करते थे चाहे वो हैदराबाद में हो चाहे वो कश्मीर में हो चाहे वो कहीं पे हो लेकिन प्रोविंशियल स्टेट्स में क्या होता था कि डायरेक्ट कंट्रोल होता था क्या होता था डायरेक्ट कंट्रोल होता था ब्रिटिशर्स का अब देखो गुगली ये है जो एनसीआरटी में नहीं दिया बड़ी इंटरेस्टिंग बात है जब हम आजाद हुए ना तो ब्रिटिशर्स हमें इसका कंट्रोल तो देके चले गए उन्होंने बोला भैया ये तो हमारे डायरेक्ट कंट्रोल में था ये तुम ले लो जितनी प्रोविंशियल स्टेट है आठ प्रोविंशियल स्टेट्स थी हमारे पास सिर्फ एट राइट वो वो देखके चले गए अब प्रिंसली स्टेट्स को कन्वेंस करना छोड़ गए हमारे लीडर्स के ऊपर चाहे वो जवाहरलाल नेहरू है चाहे वो महात्मा गांधी है जो उस वक्त के फ्रीडम फाइटर्स थे उन्होंने बोला अब तुम जानो तुम्हारा काम जाने अब तुम देखो कि तुम प्रिंसली स्टेट्स को कैसे इंडिया का हिस्सा बनाओगे तो हमें बहुत टाइम लग गया प्रिंसली स्टेट्स को इंडिया का हिस्सा बनाने में इसीलिए आप देखोगे जब भी आप संविधान पढ़ोगे तो इंडिया को बोला जाता है यूनियन ऑफ स्टेट्स क्या बोला जाता है है इंडिया को यूनियन ऑफ स्टेट ऐसा नहीं है कि इन स्टेट्स ने डिसाइड किया था हां भैया हम कमिंग टुगेदर फेडरेशन बनाएंगे कि आओ भाई सब मिलके भारत बनाए नहीं नहीं इन्हें कन्वींस करना पड़ा था तभी इंडिया का जो फेडरेशन है वो कमिंग टुगेदर नहीं है वो होल्डिंग टुगेदर है तो इंडिया के संविधान में इंडिया को इस तरीके से हम एड्रेस करते हैं हम इंडिया को हमेशा बोलते हैं यूनियन ऑफ स्टेट तो जब 1947 में हम आजाद हुए राइट 1947 में जब हम आजाद हुए चलो 1947 में नहीं लिखती हूं य प मोर अप्रोपो 1990 1990 के दशक से पहले इंडिया में जो है दो लेवल ऑफ गवर्नमेंट हुआ करती थी सेंटर और स्टेट राइट आफ्टर या आफ्टर 1990 भी नहीं बोलेंगे इन 90 बोलेंगे 1990 के दशक में इंडिया में कितनी तरीके की गवर्नमेंट होने लग गई सेंटल स्टेट और साथ में लोकल गवर्नमेंट और लोकल में भी दो तरीके की हो गई मतलब की गांव है तो अलग और शहर है तो अलग राइट सो 1990 से पहले भी हम फेडरल थे लेकिन हमारा फेडरेलिज्म इतना स्ट्रांग नहीं था हमारे पास सिर्फ दो लेवल ऑफ गवर्नमेंट हुआ करती थी थे तो फेडरल लेकिन 1990 के दशक में हमने जाना 73 कॉन्स्टिट्यूशन में जो अमेंडमेंट हुआ था जो चेंज हुआ था उसका नंबर है 73 एंड 74th अगेन जस्ट फॉर योर जनरल नॉलेज सो 73 एंड 74th अमेंडमेंट के बाद हमने डिसाइड किया कि लोकल गवर्नमेंट कांसेप्ट डालेंगे लोकल गवर्नमेंट में ऐसा नहीं है कि गांव वाली जो लोकल गवर्नमेंट है वो ऊपर है शहरों वाली की जो नीचे ऐसा कुछ नहीं है लोकल गवर्नमेंट थर्ड लेवल ऑफ गवर्नमेंट है वो थर्ड लेवल डिपेंड करता है कि अगर वो थर्ड लेवल गांव में है तो उसे अर्बन रूरल लोकल गवर्नमेंट बोला जाएगा अगर वो शहर में है तो उसे अर्बन लोकल गवर्नमेंट बोला जाएगा बट लेवल हमारे पास कितने हैं सरकार के तीन तो ये मैं आपको थोड़ा सा समझाना चाहती थी कि प्रोविंशियल स्टेट्स क्या होते थे और 1990 से पहले क्या होता था और उसके बाद क्या होता था अभी करंट की बात करें तो क्या हम इंडिया को बोल सकते हैं फेडरल स्ट्रक्चर बिल्कुल बोल सकते हैं पहला पॉइंट तो हो गया हमारे पास तीन लेवल ऑफ गवर्नमेंट है सेंटर स्टेट और लोकल गवर्नमेंट दूसरा पॉइंट है कि हमारे पास जो अभी हमने पढ़ा था ना दूसरा फीचर क्या फेडरल का दूसरा फीचर क्या था कि अलग-अलग गवर्नमेंट के अलग-अलग जूरिडिक्शन के एरियाज होंगे अलग अलग लीगल अथॉरिटी के एरियाज होंगे तो क्या हमारे पास है बिल्कुल है एक्चुअली हमारे कांस्टिट्यूशन में तीन तरीके की लिस्ट होती है बच्चा तीन तरीके की लिस्ट यह लिस्ट क्या है यूनियन लिस्ट स्टेट लिस्ट य लिस्ट क्या है द लिस्ट कंटेन द एरियाज ऑफ जूरिस किसका मालिकाना हक होगा किस चीज प यह लिस्ट हमें यह बताती है तो यूनियन लिस्ट होती है बच्चा यूनियन लिस्ट हैज एरियाज वेर यूनियन गवर्नमेंट है पावर जिन चीजों पर यूनियन गवर्नमेंट की पावर है यूनियन गवर्नमेंट की पावर है उसे आप बोल दोगे यूनियन लिस्ट का पार्ट इसम डिसीजन कौन बनाता है डिसीजन आर मेड बाय ओबवियसली सेंट्रल गवर्नमेंट सेंट्रल गवर्नमेंट बोलो यूनियन गवर्नमेंट बोलो एक ही बात है राइट अब खुद ही सोचो एक पूरे देश की जो सेंट्रल गवर्नमेंट होती है सेंट्रल गवर्नमेंट तो एक ही होती है जो हमारे एमपीज हैं मेंबर ऑफ पार्लियामेंट्स हैं वो क्या है सेंट्रल गवर्नमेंट का पार्ट है लोकसभा और हमारी राज्यसभा क्या है सेंट्रल गवर्नमेंट का पार्ट है तो ये जो सेंट्रल गवर्नमेंट के मिनिस्टर्स होते हैं ये सिर्फ अपनी-अपनी स्टेट के लिए डिसीजन लेंगे पूरे देश के लिए डिसीजन लेंगे ओबवियसली पूरे देश के लिए डिसीजन लेंगे तो ये उन चीजों पे मोस्टली यूनियन लिस्ट में वो वाली चीजें आती है बच्चा जो पूरे देश के लिए सेम रहती है इट कंटेंस एरियाज व्हिच आर यूनिफॉर्म फॉर दी होल नेशन पूरे देश के लिए जो चीजें सेम रहती है उन चीजों को इसमें कवर किया जाता है फॉर एग्जांपल फॉर एग्जांपल हमारी आर्मी फॉर एग्जांपल हमारा पैसा फॉर एग्जांपल हमारा बैंकिंग करने का तरीका फॉर एग्जांपल हमारे फॉरेन अफेयर और भी बहुत सारी चीजें आती हैं ये कुछ चीजें हैं जो एनसीआरटी में मेंशन की है फॉरेन अफेयर क्या होता है बच्चा इंडिया बाकी देशों से कैसा व्यवहार रखेगा उसे फॉरेन अफेयर बोलते हैं तो ऐसा तो नहीं है कि दिल्ली बोलता है कि चलो भाई हम जो है अपने पड़ोसी देशों से बात नहीं करेंगे और केरला बोलता है लेकिन तुम मत करो हम तो करेंगे ऐसा तो नहीं है पूरे देश की एक ही फॉरेन पॉलिसी होती है तो फॉरेन अफेयर यूनियन लिस्ट का पार्ट है करेंसी ऐसा तो नहीं है कि केरला में यूरो चलता है और हरियाणा में डॉलर चलता है ऐसा तो नहीं है पूरे देश में रुपैया चलता है तो करेंसी भी इसका पार्ट है बैंकिंग सिस्टम वैसे तो अलग-अलग स्टेट में अलग-अलग स्टेट बैंक्स होते हैं कर्नाटका का अलग है पंजाब का अलग है पंजाब नेशनल बैंक एंड ऑल लेकिन बैंकिंग सिस्टम बैंकिंग बैंक चलेंगे कैसे वो तो पूरे देश में सेम ही रहता है देन आर्मी हमारी एक ही आर्मी है हर स्टेट की कोई अपनी-अपनी आर्मी तो नहीं है पूरे देश की एक ही आर्मी है चाहे वो केरला के लिए हो मणिपुर के लिए हो हरियाणा के लिए हो किसी के लिए हो राइट सो दीज टॉपिक्स आर मेंशन इन द यूनियन लिस्ट नाउ ऑन द अदर हैंड स्टेट लिस्ट होती है बच्चा जिसमें डिसीजन मेकिंग पावर क्या किसके हाथ में होता है स्टेट गवर्नमेंट के हाथ में होता है सो दिस कंटेंस द सब्जेक्ट्स एरियाज बोलो सब्जेक्ट्स बोलो एक ही बात है दैट स्टेट गवर्नमेंट हैज पावर इन डिसीजन कौन बनाता है अब क्या है कांसेप्ट स्टेट लिस्ट हमने बनाई ही क्यों और सारी स्टेट लिस्ट में ऐसी चीजें क्यों आती है जो स्टेट में अलग-अलग हो क्योंकि भैया पांचों उंगलियां बराबर नहीं होती है कोई स्टेट है जिसके पास ज्यादा एरिया है राजस्थान देख रहे हो लार्जेस्ट स्टेट है इंडिया का गोवा देख रहे हो छोटा सा है यूपी देख रहे हो मोस्ट पॉपुलेशन में जाओगे पॉपुलेशन बहुत ही कम है सो हर स्टेट में एक तरीके की की पॉपुलेशन एक तरीके का एरिया एक तरीके का क्लाइमेट एक तरीके की मिट्टी एक तरीके की नदियां नहीं है तो ऐसी चीजें जो हर स्टेट में डिफरेंट होती हैं उन चीजों को हम स्टेट लिस्ट में डालते हैं फॉर एग्जांपल पुलिस अब हर जगह पे अगर एक जैसी पॉपुलेशन होगी एक ही लेवल की पॉपुलेशन होगी तो इक्वल नंबर ऑफ पुलिस वाले होंगे हर स्टेट में लेकिन ऐसा नहीं होता राइट हर जगह पे पुलिस स्टेशंस का नंबर अलग होता है पुलिस पीपल का नंबर अलग होता है राइट सो पुलिस कम्स अंडर स्टेट लिस्ट व्हाई तुम देखते हो हरियाणा पुलिस अलग है मध्य प्रदेश पु पुलिस अ अलग है यूपी पुलिस अलग है बिहार पुलिस अलग है व्हाई बिकॉज़ पुलिस कम्स अंडर स्टेट लिस नाउ ट्रेड ट्रेड कई चीजें होती है जो किसी स्टेट में सस्ती मिलती है कई चीजें होती है बाकी स्टेट्स में वो महंगी मिलती है क्यों क्योंकि ट्रेडिंग सामान को बेचना और खरीदना कितने में बिकेगा कितने में खरीदा जाएगा वो सब कौन डिसाइड करता है स्टेट गवर्नमेंट के अंदर आता है तो हर स्टेट में वो अलग-अलग होता है कॉमर्स कॉमर्स भी ट्रेड का ही पार्ट है डोंट गेट कंफ्यूज एग्रीकल्चर व्हाई एग्रीकल्चर बिकॉज़ अगेन हर जगह की मिट्टी हर जगह का क्लाइमेट अलग-अलग है तो एग्रीकल्चर कम्स न दर स्टेट लिस्ट इरिगेशन इरिगेशन मतलब खेतों में आर्टिफिशियल तरीके से पानी देना पानी कहां से दोगे नदियों में से दोगे कनाल में से दोगे लेक में से दोगे राइट सो हर जगह पानी की क्वांटिटी सेम नहीं है तो इसलिए इरीगेशन भी किसमें आता है स्टेट लिस्ट नाउ इन दोनों लिस्ट के अलावा सेंटर और स्टेट के अलावा एक और लिस्ट होती है हमारे संविधान में जिसे बोला जाता है कॉन्करेंट लिस्ट क्या बोला जाता है बच्चा कॉन करेंट कॉन करंट मतलब कौन इस पे करंट लगाएगा नो आई एम किडिंग बट कॉन्क लिस्ट में वो वाले सब्जेक्ट्स आते हैं जिन पे डिपेंडिंग अपॉन द सिचुएशन सिचुएशन टू सिचुएशन हम डिसाइड करते हैं कि स्टेट गवर्नमेंट भी लॉज बना सकती है सेंट्रल गवर्नमेंट भी लॉज बना सकती है सो जूरिस क्शन किसका होता है बच्चा इस पे लीगल अथॉरिटी किसकी होती है बोथ सेंटर एंड स्टेट मान लो राजस्थान की बात करते हैं मान लो राजस्थान में एडॉप्शन के ऊपर कोई केस आया अडॉप्ट के ऊपर अब उसम राजस्थान की स्टेट गवर्नमेंट भी डिसीजन ले सकती है और सेंट्रल गवर्नमेंट भी ले सकती है मान लो राजस्थान की गवर्नमेंट ने डिसीजन लिया x और हमारी सेंट्रल गवर्नमेंट ने राजस्थान के एडॉप्शन वाले केस पे डिसीजन लिया वाई तो इस केस में क्या होगा राजस्थान की सरकार वाला डिसीजन चलेगा कि सेंट्रल गवर्नमेंट का चलेगा सेंट्रल गवर्नमेंट का चलेगा इसीलिए मैं बोल रही थी इंडिया क्या है होल्डिंग टुगेदर फेडरेशन है होल्डिंग टुगेदर फेडरेशन में स्टेट को जितनी मर्जी पावर दे दो सेंटर के पास थोड़ी सी ज्यादा पावर हमेशा होती है क्योंकि कॉन्करेंट लिस्ट में बना तो डिसीजन दोनों र सकते हैं स्टेट भी सेंटर भी अच्छा किसी और की स्टेट में कोई और स्टेट दखल नहीं दे सकती मान लो अडॉप्ट का मामला राजस्थान गवर्नमेंट का है राजस्थान के अंदर हो रहा है तो राजस्थान की गवर्नमेंट या फिर सेंट्रल गवर्नमेंट इस डिसीजन लेगी इसमें मध्य प्रदेश की गवर्नमेंट नहीं बोलेगी लेकिन हमें तो लगता है कि डिसीजन एक्स ही सही है ऐसा नहीं हो सकता उसमें से वहां की स्टेट गवर्नमेंट और सेंटर ठीक है सो वो वाले एरियाज आते हैं इसमें मोस्टली शादी ब्याज से रिलेटेड जो एरियाज हैं आपके कॉन्करेंट लिस्ट में आते हैं जैसे कि एजुकेशन बच्चे होंगे तभी तो पढ़ाने भेजोगे ना उन्हें मैरिज एडॉप्शन सक्सेशन मतलब कि पीढ़ी धर की पीढ़ी प्रॉपर्टी कैसे डिवाइड होगी साथ में फॉरेस्ट और ट्रेड यूनियन भी इसमें आता है सो बोथ ऑफ देम हैव द पावर टू टेक डिसीजन सेंटर एंड स्टेट बट अगर कॉन्फ्लेट हुआ दोनों के बीच में सेंटर और स्टेट के बीच में तो सेंटर के पास ज्यादा पावर है अब इसके अलावा थोड़े से कुछ और चीजें होती बच्चा बच्चा इसके ना स्क्रीनशॉट लेने की कोई जरूरत नहीं है ये फ्री पीडीएफ शुभम पाठक चैनल पे शुभम पाठक जो हमारा चैनल है इसकी सारी वीडियोस में सारी वीडियोस में तुम्हें फ्री पीडीएफ मिलती है सो डोंट वरी डिस्क्रिप्शन बॉक्स में देखो लिंक मिल जाएगा एनीवे इसके अलावा एक और पोटली होती है सब्जेक्ट्स की जिसे बोला जाता है रेसिड सब्जेक्ट्स रेसिड सब्जेक्ट्स नाउ द सब्जेक्ट हाउ विल यू डिफाइन इट द सब्जेक्ट दैट आर नॉट अ पार्ट ऑफ सेंटर स्टेट और कॉंकल लिस्ट आर टर्म्ड एज रेसिड एरी सब्जेक्ट आरएस ठीक है अब कुछ ऐसी चीजें भैया कुछ ऐसी एरियाज हैं जो हमें पता ही नहीं था कि आगे हमारे देश में एजिस्ट करेंगे जैसे इंटरनेट होगा कि नहीं साइबर बुलिंग होगी नहीं आईटी टेक्नोलॉजी आएगी नहीं ये सब हमें नहीं पता था 1947 में जब आप संविधान बना रहे थे और ये लिस्ट बना रहे थे राइट सो हमने उन चीजों को तब नहीं जाना लेकिन बाद में जैसे-जैसे एक डेमोक्रेसी में वो मुद्दे आते गए वो एरियाज आते गए क्या पता आगे और सारे ऐसे एरियाज हैं जो अभी हम इमेजिन नहीं कर पा रहे हैं तो उन एरियाज का भी तो जूरिस जिक्स डिसाइड करना पड़ेगा ना तो उन एरियाज को हम रेसिड सब्जेक्ट्स की तरह मेंशन करते हैं कांस्टिट्यूशन में वो तीन लिस्ट अलग चलती है रेसिड सब्जेक्ट्स अलग चलते हैं कांस्टिट्यूशन में मोस्टली इसमें टेक्नोलॉजी से रिलेटेड वाली चीजें आती है बच्चा जैसे कि इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसे कि कंप्यूटर सॉफ्टवेयर से रिलेटेड कोई भी डिसीजन लेना होता है तो साइबर बुलिंग से रिलेटेड कोई डिसीजन लेना होता है सो ये सारी चीजों पे किसका हक है इस पे हक है सेंट्रल गवर्नमेंट का तो सेंट्रल गवर्नमेंट के पास हो गई ना ज्यादा पावर सेंटर पे भी यूनियन लिस्ट पे भी सेंट्रल गवर्नमेंट हक जमा रही है कॉन्करेंट लिस्ट में भी सेंट्रल गवर्नमेंट की बात मानी जाती है अगर स्टेट और सेंटल के बीच में कोई राडा हो गया कोई प्रॉब्लम हो गई तो और रेसिड सब्जेक्ट भी सेंट्रल गवर्नमेंट लॉज बना रही है तो फिर क्या बात है कि सेंट्रल गवर्नमेंट के पास ज्यादा पावर ऑलरेडी है नाउ इंडिया इंड फेडरेलिज्म अब इंडिया को हम होल्डिंग टुगेदर फेडरेशन क्यों बोलते हैं उसका आंसर आपको इन दो पॉइंट्स में मिल जाएगा पहला पॉइंट तो ये हो गया कि यूनियन गवर्नमेंट के पास क्लीयरली ज्यादा पावर है तो हम कमिंग टुगेदर फेडरेशन तो नहीं है दूसरा रीजन होगा बच्चा कि हमारे यहां सारी स्टेट्स में भी इक्वल पावर नहीं है जैसे पहले कश्मीर का अलग कांस्टीट्यूशन होता था कश्मीर में जो है आप अगर कश्मीर के परमानेंट रेजिडेंट नहीं हो तो आप जमीन नहीं खरीद सकते थे है ना कश्मीर में थोड़ा सा अलग माहौल चलता था लेकिन कश्मीर को तो अभी हमने यूनिफॉर्म सिविल कोड के अंदर इंडिया का बाकी स्टेट्स की तरह बाकी राइट्स दे दिए हैं लेकिन अभी भी जो हमारे नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट्स है जैसे कि मिजोरम है अरुणाचल प्रदेश है नागालैंड है वहां का कल्चर इतना डिफरेंट है वहां की बायोडायवर्सिटी वहां का फ्लोरा और फाना इतना डिफरेंस है वहां का लैंड इतना डिफरेंट है कि हम उसे आर्टिकल 371 के अंडर हमारे संविधान के आर्टिकल 371 के अंदर थोड़ी सी स्पेशल पावर देते हैं अब ये स्पेशल पावर बिहार हरियाणा पंजाब इन लोगों के पास नहीं है इन स्टेट्स के पास नहीं है ये स्पेशल पावर किनके पास है जिनको आर्टिकल 371 रिकॉग्नाइज करता है एज स्पेशल स्टेट्स राइट अब यहां पे मोस्टली इन पावर्स में क्या आता है कि अगर आप यहां के रेजिडेंट नहीं हो तो आप यहां जमीन नहीं खरीद सकते इसके ऊपर भी लॉजिक है वहां पे इतना अच्छा फ्लोरा एंड फना है अगर वहां पे हम ये सारी चीजें नहीं रखेंगे तो इंडिया का कोई भी बिजनेसमैन या कोई भी बड़ा इंडस्ट्रियलिस्ट क्या करेगा वहां पे जाके प्रॉपर्टी खरीद के इंडस्ट्री लगा लेगा वो तो इंडस्ट्री लगा लेंगे लेकिन वहां के जंगलों का क्या होगा वहां के एनिमल्स का क्या होगा तो ऐसे बहुत सारी चीजें हैं ऐसी बहुत सारे रीजंस की वजह से इन स्टेट्स को प्रोटेक्ट करने की वजह से हमने वहां पे आर्टिकल 371 लगा रखा है वहां की इंडिजन अस कम्युनिटी ट्राइबल कम्युनिटी को भी कुछ अधिकार दे रखे हैं जो बाकी स्टेट्स के लोगों के पास नहीं है दूसरा पॉइंट आता है यूनियन टेरिटरीज का किसका बचा यूनियन टेरिटरीज अब हमारे देश में एक तो होता है सेंटर एक होता है स्टेट है ना लेकिन एक और कांसेप्ट है वो है यूनियन टेरिटरी का जैसे दिल्ली यूनियन टेरिटरी है जैसे चंडीगढ़ यूनियन टेरिटरी है है ना तो ये यूनियन टेरिटरीज क्या होते हैं बच्चा ये वो वाले एरियाज है ध्यान से सुनना ये वो वाले वाले एरियाज हैं जो इतने बड़े नहीं है कि इन्हें स्टेट बोल दो लेकिन इतने छोटे भी नहीं है छोटे इन टर्म्स ऑफ एरिया एंड छोटे इन टर्म्स ऑफ लोकल डाइवर्सिटी तो इतने छोटे भी नहीं है कि उन्हें तुम एक शहर बोलो तो उन्हें हम एक स्पेशल दर्जा देते हैं हमारी होल्डिंग टुगेदर फेडरेशन में और उन्हें हम बोलते हैं यूनियन टेरिटरी यूनियन टेरिटरी पे कौन रूल करता है सेंट्रल गवर्नमेंट रूल करती है सेंट्रल गवर्नमेंट के पास यहां पे स्पेशल पावर होती है अब तुम्हारा ये क्वेश्चन होगा बहुत बच्चों का क्वेश्चन होता है इसलिए मैं पहले ही बता देती हूं चार साल से एसएसटी पढ़ा रही हूं मुझे तुम्हारे क्वेश्चंस भी पता है कि मैम दिल्ली भी तो यूनियन टेरिटरी है फिर दिल्ली के अपने चीफ मिनिस्टर क्यों होते हैं भैया कुछ यूनियन टेरिटरी है ध्यान से सुनो कुछ यूनियन टेरिटरी है जैसे कि दिल्ली वो इतनी खतरनाक तरीके से हमारे देश के लिए इंपॉर्टेंट है सोचो पूरे देश की कैपिटल है वो तो इतने खतरनाक तरीके से हमारे लिए इंपॉर्टेंट है कि वहां पे हमने थोड़ी सी और वहां की पॉपुलेशन बहुत ज्यादा है यूनियन टेरिटरी होते हुए भी उसकी पॉपुलेशन कई स्टेट से ज्यादा है तो ओबवियसली वहां पे हमने थोड़े से स्पेशल तरीके से वहां के अपने चीफ मिनिस्टर और ये वो पोजीशंस बना रखी हैं लेकिन बाकी यूनियन टेरिटरीज में मोस्टली ऐसा नहीं होता है वहां पर सेंट्रल गवर्नमेंट को ही पावर मिलती है जूरिस क्शन की सो ये दोनों पॉइंट क्या दर्शाते हैं ये दोनों पॉइंट दर्शाते हैं कि हमारे देश में होल्डिंग टूगेदर फेडरेशन है अब मैं बता रही थी ना कि इंडिया में अगर बेसिक फेडरेलिज्म को चेंज करना है तो कैसे होगा ये हम आगे पढ़ेंगे आ गया है वो टाइम तो अगर अपने देश के बेसिक फेडरेलिज्म को चेंज करना है सो वी हैव टू फॉलो टू स्टेप्स विदाउट स्किपिंग इसमें से कोई भी स्टेप जो है वो स्किप नहीं कर सकते हम पहला स्टेप है बच्चा बोथ द हाउसेस ठीक है पहला स्टेप है कि जो हमारे दो घर हैं पार्लियामेंट के कौन से हैं वो दो घर एक तो है आपका लोकसभा और दूसरा है आपका राज्यसभा तो उन दोनों घरों के अंदर उन दोनों हाउसेस के अंदर जो भी हम बिल है बिल का मतलब होता है जब भी कोई कोई कोई चीज कांस्टिट्यूशन में बदलने के लिए या नई ऐड करने के लिए प्रेजेंट होती है ना तो जब तक वो पास नहीं होती है उसे बिल बोला जाता है जब वो एक बार पास हो जाती है तो उसे एक्ट बोल दिया जाता है बच्चा ठीक है एक्ट बोल दिया जाता है तो एक छोटा सा डिफरेंस है तो जो भी हम चेंज चाह रहे हैं फेडरलिस्ट में मान लो वो फेडरेलिज्म का जो बिल है वो दोनों घरों की मेजॉरिटी टू थर्ड मेजॉरिटी के बाद स्टेप नंबर वन पूरा होगा कहीं जाके फिर आएंगे हम स्टेप नंबर टू पे एटलीस्ट अब ऐसा नहीं है कि स्टेप नंबर टू को हम पहले कर सकते हैं या स्टेप नंबर वन को हम बाद में कर सकते हैं ठीक है स्टेप नंबर वन पहले ही होगा फिर स्टेप नंबर टू होगा अब स्टेप नंबर टू में क्या है कि हमारे देश में उस वक्त जितनी स्टेट्स होंगी क्योंकि स्टेट्स का नंबर हमारे देश में हमेशा बदलता रहा है करेंटली हमारे पास 28 स्टेट्स हैं बच्चा अब जिन लोगों को लग रहा है नहीं मैम 29 है प्लीज ग कर लीजिए गेट योर फैक्टस स्ट्रेट हमारे पास 28 स्टेट्स हैं जो भी नंबर ऑफ स्टेट होगा उस वक्त जब ये बिल प्रपोज हुआ है तब उसमें से एटलीस्ट आधी स्टेट्स को इस बिल के लिए रजामंदी देनी पड़ेगी स्टेट्स कैसे रजामंदी दगी स्टेट्स में होती है विधानसभा तो विधानसभा को एटलीस्ट 50 पर ऑफ द विधानसभा को पास करना पड़ेगा बिल्कुल जब ये दोनों स्टेप पूरे हो जाएंगे तभी जाके फेडरल स्ट्रक्चर में कोई बदलाव आएगा वरना फेडरल स्ट्रक्चर में कोई बदलाव नहीं आएगा तो चलो आगे जाने से पहले एक क्वेश्चन और कर लो आप बच्चा क्वेश्चन है आपके आपका ये हु हैज द पावर टू मेक लॉज ऑन द रेसिड सब्जेक्ट इजी पीजी ले क्जी राइट आंसर यूनियन गवर्नमेंट नेक्स्ट चलो अब जुडिशरी का क्या रोल है पहला तो जुडिशरी का रोल है कांस्टिट्यूशन इंप्लीमेंट हो रहा है वो देखें वो ये देखें कहीं सेंट्रल गवर्नमेंट स्टेट गवर्नमेंट में ज्यादा टांग तो नहीं आरा रही वो ये देखें कहीं स्टेट गवर्नमेंट अपने काम जो है सेंटर पे तो नहीं थोप रहा है ये सारी चीजें जुडिशरी ओवरसी करता है दूसरा डिवीजन ऑफ पावर पे कोई राडा हो गया कोई लड़ाई हो गई भाई सेंटर और स्टेट के बीच में कोई झगड़ा हो गया वो भी कौन सुलझाए जुडिशरी जुडिशरी सुलझाए गी ये मैं ऑलरेडी बता चुकी हूं कि सेंट्रल और स्टेट के पास अपने-अपने पैसे होते हैं सेंट्रल गवर्नमेंट अपने पैसे अपने टैक्सेस लगाती है लोगों पे और स्टेट गवर्नमेंट अपने तरीके के टैक्स लगाती है लोगों पे टैक्सेस से जो पैसा आता है वही पैसा यूटिलाइज किया जाता है लोगों के वेलफेयर के लिए तो ऐसा नहीं है दोनों को आपस में मिलके पैसा डिवाइड करना पड़ता है दोनों के पास अपने अलग-अलग टैक्सेस होते हैं जिससे वो लोगों से पैसा वसूलते है और वो लोगों का वेलफेयर करती है तभी आपने सुना होगा जब भी आपके पापा मम्मी गुस्सा होते हैं वो बोलते होंगे सरकार हमसे इतना पैसा लेती है पर हमारे लिए करती ही क्या है वो सेंटेंस कहां से आता है क्योंकि हम लोग अपनी सैलरी में से बहुत सारा टैक्स देते हैं बच्चा कुछ टैक्स सेंटर को जाता है कुछ स्टेट को जाता है तो हम बिल्कुल डेमोक्रेसी में यह बात बोलने के लिए एलिजिबल है कि हमारे पैसे से हमारा क्या भला किया जा रहा है इसीलिए डेमोक्रेसी में आवाज उठाना जरूरी है क्योंकि इनफैक्ट ये जो पैसा जा रहा है सरकार के पास हमारे ही भले के लिए जा रहा है और हमारा ही पैसा जा रहा है राइट नेक्स्ट नेक्स्ट टॉपिक इज बच्चा कि इंडिया फेडरल सिस्टम फॉलो करता है ये हमारे संविधान में तो कहीं नहीं लिखा है अभी मैंने आपको बताया हमारे कांस्टिट्यूशन में कहीं मेंशन नहीं है कि हम फेडरल कंट्री है लेकिन फिर भी हमारी डेमोक्रेसी की जो ये हरकतें हैं वो देखोगे तो पता चलेगा फेडरल है तो वो हरकतों को हम डिकस करने वाले हैं हमारी डेमोक्रेसी की जो प्रैक्टिस है अभी तो हम थ्योरी पढ़ रहे थे लेकिन प्रैक्टिस भी देखोगे अगर हमारी डेमोक्रेसी की तो तुम्हें समझ आएगा कि हम क्या है डेमोक्रेटिक हैं सो इसमें सबसे पहला एक्सपेरिमेंट जो हमारे देश में हुआ था जिसने प्रूफ किया कि हम डेफिनेटली फेडरल है उसे बोलते हैं लिंग्विस्टिक स्टेट्स लिंग्विस्टिक स्टेट्स नाउ व्हाट आर लिंग्विस्टिक स्टेट्स द स्टेट्ट हैव बीन फॉर्म्ड और रिफॉर्म ऑन दी बेसिस ऑफ लैंग्वेज आर नोन एज लिंग्विस्टिक स्टेट्स यानी कि ऐसी स्टेट्स जिनका बर्थ ही हुआ है लैंग्वेज के आधार पे या फिर उनका नाम बदला गया है या उनका एरिया बदला गया है कुछ भी हुआ है उनके साथ कोई भी छेड़खानी कोई भी बदलाव या उनका बर्थ ही हुआ है लैंग्वेज के आधार पे तो उन्हें बोला जाता है लिंग्विस्टिक स्टेट्स 1947 से लेके 1947 से लेके 2019 तक अ लॉट ऑफ अ लॉट ऑफ लिंग्विस्टिक स्टेट्स हैव बीन फॉर्म अ लॉट ऑफ लिंग्विस्टिक स्टेट्स हैव बीन फॉर्म्ड एलएस का मतलब लिंग्विस्टिक स्टेट नाउ ऐसा नहीं है कि सिर्फ लैंग्वेज के आधार पे स्टेट्स बनी है कभी उनका नाम भी चेंज हुआ है रिनेम भी हुई है बच्चा कभी वो उनका बर्थ भी हुआ है कभी उनका डिवीजन भी हुआ है तो तीनों ही चीजें हुई है फॉर एग्जांपल 2014 की बात करते हैं 2014 में से 2014 में आंध्र प्रदेश में से एक हिस्सा निकाल के हमने उसे क्या नाम दे दिया तेलंगाना नाम दे दिया राइट तो तेलंगाना का बर्थ 2014 पे किस तरीके से हुआ था लिंग्विस्टिक स्टेट्स के आधार पर हुआ था अब आप सोचोगे मैम अगर हम भाषा के नाम पे देश का बंटवारा कर रहे हैं तो ये तो बहुत बहुत गलत बात है देश टूट जाएगा बिखड़ जाएगा हमारा इंडिया एंड ऑल ऑफ दैट यू आर वेरी राइट इन योर फियर एक्चुअली जब हम लिंग्विस्टिक स्टेट्स बना भी रहे थे तो हमारे जो नेशनल लीडर्स थे या जो स्टेट के मिनिस्टर्स थे उन्हें लग रहा था क्या लैंग्वेज के आधार पे हम बंटवारा कर रहे हैं कहीं देश में खंडन तो नहीं आ जाएगा देश कहीं टूट के बिखर तो नहीं जाएगा बट हमारा ये डर ूर दूर हो गया क्योंकि जब लिंग्विस्टिक जब जब हमने लिंग्विस्टिक स्टेट्स बनाई है नागालैंड बनी है बिहार में से झारखंड निकला है यूपी में से उत्तराखंड निकला है आंध्र प्रदेश में से तेलंग गाना अलग हुआ सो जब भी हमने लिंग्विस्टिक स्टेट्स बनाई है बच्चा तब तब हमारी डेमोक्रेसी क्या हुई है और स्ट्रेंथ हुई है हमने ये देखा है दैट इट स्ट्रेंथ द डेमोक्रेसी स्ट्रेंथ इंक्रीजस द यूनिटी हमने देखा है कि देश की यूनिटी में बढ़ोतरी हुई है बल्कि कमी नहीं आई है हमने देखा है कि और मैने जेबल हो गई है मैने जबल हो गई है डेमोक्रेसी पहले होता क्या है कि अगर बहुत बड़ा घर है जिसमें सारे लोग लड़ रहे हैं लड़ रहे हैं लड़ रहे हैं हमेशा लड़े जा रहे हैं लड़े जा रहे हैं क्योंकि आपस में बहुत झगड़े होते हैं तो उस घर में ज्यादा शांति होगी या दो घर आमने-सामने हैं और दोनों लोग खुशी-खुशी रहते हैं उस घर में ज्यादा शांति होगी ओबवियसली दूसरे वाले में होगी सो मैने जबल हो गई है डेमोक्रेसी पहले जब लिंग्विस्टिक आधार पे हम स्टेट्स का बंटवारा नहीं करते थे तो लोगों में बहुत लड़ाई होती थी बहुत ही ज्यादा दंगे होने की सिचुएशन बनती थी लेकिन डेमोक्रेसी मेनेजेबल हो गई डेमोक्रेसी स्ट्रेंथ हो गई और लोगों की यूनिटी बढ़ गई और लोगों को ज्यादा रिस्पेक्टेड फी फ हुआ तो हमारा ये जो एक्सपेरिमेंट था लिंग्विस्टिक स्टेट्स करने का जो 1947 से हमने चालू कर दिया था वो जब जब हमने किया है वो देश की डेमोक्रेसी के लिए क्या साबित हुआ है सक्सेसफुल साबित हुआ है चलो दूसरा दूसरा है हमारी लैंग्वेज पॉलिसी मतलब कि लैंग्वेजेस से रिलेटेड हमारे देश में क्या-क्या प्रोग्राम्स एंड पॉलिसीज हैं इसमें हमें ना तीन चीजें पढ़नी है अब ध्यान से सुनना कई लोगों के पेरेंट्स कई लोगों के रिश्तेदारों ने बोलेंगे तुम्हारे टीचर ने गलत पढ़ाया लेकिन हमारे टीचर हमें क्या पढ़ा रही है जो एनसीआरटी में लिखा है और संविधान में लिखा है हम यूनिवर्सिटी वाले बच्चे नहीं है सो पहली बात यह है कि हमारे देश में ओहो कई लोगों को बहुत बुरा लगने वाला है हमारे देश में कोई भी नेशनल लैंग्वेज नहीं है देयर इज नो नेशनल लैंग्वेज कोई भी राष्ट्रीय भाषा हमारी नहीं है इन फैक्ट हमारे पास दो ऑफिशियल लैंग्वेजेस है ऑफिशियल लैंग्वेजेस का मतलब होता है बच्चा जब भी सरकार को कोई मैसेज देना होगा अपने लोगों को या कोई नोटिस निकलेगा या कोई प्रोग्राम बनेगा कोई पॉलिसी बनेगी तो वो इन दो भाषाओं में तो एटलीस्ट पब्लिश होती ही होती है तो हमारे पास दो नेशनल लैंग्वेजेस है एक है इंग्लिश और एक है हिंदी एक है हिंदी तो दो ही ऑफिशियल लैंग्वेज सॉरी नेशनल लैंग्वेज बोला मैंने दो ऑफिशियल लैंग्वेजेस है हिंदी और इंग्लिश नेशनल लैंग्वेज हमारे पास कोई भी नहीं है कई लोगों को लगता है हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा नहीं है इनफैक्ट हमारे पास कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है राइट दूसरा स्टेट्स के पास य अथॉरिटी है सॉरी तीसरा स्टेट्स हैव द अथॉरिटी टू हैव देयर ओन ऑफिशियल लैंग्वेज आल्सो हमारे इंडियन स्टेट्स के पास ही अथॉरिटी है भाई हम हर स्टेट से तो यह नहीं एक्सपेक्ट कर सकते कि वहां के लोगों को इंग्लिश आए और हिंदी आए दोनों में से कोई एक भाषा आए राइट इसीलिए हमारी इंडियन स् स्ट के पास ये अथॉरिटी है कि वो अपनी ऑफिशियल भाषा कोई रखना चाहते हैं तो रख सकते हैं जैसे कर्नाटका की क्या है कनाडा है राइट सो लेकिन ऑफिशियल भाषा हिंदी और इंग्लिश तो रहेगी साथ में आप कनाडा भी रख सकते हैं अपने स्टेट में इनफैक्ट आपको पता है हर स्टेट के पास ये भी अथॉरिटी है कि वो अपना झंडा भी रख सकते हैं ये भी कई लोगों को नहीं पता होता बट एनीवे इसका मतलब ये नहीं है कि हम तिरंगे को डिमन कर रहे हैं तिरंगा हमारा तिरंगा ही रहेगा वो हमारे इंडियन होने की पहचान है पर अगर आप अपनी स्टेट में अपना कोई स्टेट का झंडा रखना चाहते हैं तो आप रख सकते हैं एनीवे अब आती है बात चौथा पॉइंट है कि स्केड्यूल ल्ड भाषाएं क्या होती है अब वैसे तो हमारे देश में हर 10 किलोमीटर पे भाषा चेंज हो जाती है भोजपुरी भी बोलोगे ना तो हर 10 किलोमीटर पे भोजपुरी का लहजा भी चेंज हो जाता है राइट लेकिन हम सारी भाषाओं को तो कितनी भाषाओं को रिकॉग्नाइज करेंगे तो हम टोटल इन टोटल 22 भाषाओं को स्केड्यूल लैंग्वेजेस का स्टेटस देते हैं क्या देते हैं शेड्यूल्ड लैंग्वेजेस का स्टेटस अभी कई बहुत ओवर स्मार्ट बच्चों को लग रहा होगा मैम एनसीआरटी में 21 लिखा है आप 22 कैसे कह रहे हो बुद्धू बच्चा बाटी उस 2 के आगे लिखा है बेसाइड्स 21 लैंग्वेज बेसाइड्स का मतलब इन टोटल हिंदी को लेके हमारे पास 2 शेड्यूल लैंग्वेजेस है जिसमें उर्दू भी आती है संस्कृत भी आती है उड़िया भी आती है बंगाली भी आती है और हिंदी भी आती है बहुत सारी भाषाएं आती है राइट सो वी हैव 22 स्केड्यूल लैंग्वेजेस अच्छा एक और बात अगर आप किसी पब्लिक जॉब के लिए अप्लाई कर रहे हो या फिर किसी पब्लिक एग्जाम का कोई पेपर दे रहे हो तो आपके पास पूरी छूट होती है कि इन 22 लैंग्वेजेस में से आप कोई भी लैंग्वेज कर सकते हो अपना पेपर देने के लिए आपको जरूरी नहीं है कि हिंदी में ही देना पड़े या इंग्लिश में ही देना पड़े राइट सो ये भी कितनी अच्छी छूट है तो ये सारी हमारी लैंग्वेज पॉलिसी का आधार है अब इसमें एक चेंज ये हुआ था कि 1964 और 65 के बीच में हमने एक बार ऐसा सोचा था कि यार हमने इंग्लिश को ऑफिशियल भाषा क्यों रखा हुआ है सिर्फ हिंदी को रहने देते हैं ना सिर्फ हिंदी ठीक तो है लेकिन हमें तुरंत समझ आ गया कि ये गलती नहीं करनी चाहिए थी क्योंकि बच्चा हिंदी हमारे देश में सिर्फ 40 पर लोगों को आती है बाकी 60 पर लोगों को 60 पर लोगों को हिंदी नहीं आती है तो क्या वो 60 पर जो मेजॉरिटी में है क्या उन 60 पर के साथ हम ऐसा कर सकते थे बिल्कुल भी नहीं गलत था तो हमने 1964 में एक बार ट्राई किया था कि इंग्लिश को ऑफिशियल लैंग्वेज हटा देते हैं सिर्फ हिंदी को रहने लग देते हैं तो जो सदर्न इंडिया की स्टेट थी हमारी कर्नाटका हो गया केरला हो गया तमिलनाडु हो गया जो भी हमारी सदर्न स्टेट्स है वहां पे बहुत ज्यादा प्रोटेस्ट हुआ था क्योंकि ओबवियसली सदर्न इंडिया के लोगों को हिंदी ना बोलनी आती है ना पनी आती है ना लिखनी आती है कुछ लोगों को आती है सब लोगों से आप एक्सपेक्ट नहीं कर सकते राइट सो वहां पे बहुत ज्यादा प्रोटेस्ट हुआ था इनफैक्ट तमिलनाडु एक ऐसी स्टेट थी जहां पे प्रोटेस्ट थोड़ा सा वायलेंट भी हो गया था तो एक ही साल के अंदर हमने फिर से रिवर्स कर दी अपनी लैंग्वेज पॉलिसी और करेंटली हमारे पास ऑफिशियल लैंग्वेजेस में दो है हिंदी और इंग्लिश पहले भी दो ही थी एक साल के लिए हमने बदली थी हमें उसका जो डिसीजन का रिजल्ट है दिख गया था लोगों को पसंद नहीं आया हमने फिर से क्या कर दिया पॉलिसी को चेंज करके दो ऑफिशियल भाषाएं बना दी इफ यू वांट टू टेक अ स्क्रीनशॉट यू कैन अब देखो श्रीलंका में नहीं किया गया था श्रीलंका में क्या किया गया था सिन्हा लीज भाषा को ही बार-बार प्रमोट कर रहे थे तमिल भाषा को नहीं किया था ऐसी गलती हम अपने देश में नहीं करना चाहते ना इसलिए हमने कभी भी हिंदी को नेशनल नेशनल भाषा नहीं बनाया इनफैक्ट कोई नेशनल भाषा बनाया ही नहीं चलो अब आते हैं हम सेंटर स्टेट रिलेशन पे सेंटर स्टेट रिलेशंस पे पहली बात तो यह बताओ कि क्या हमारा देश 1947 में भी फेडरल था हां जी भाई 1990 से पहले भी फेडरल था बस फेडर स्ट्रांग 1990 के बाद हुआ है सो हम दो तरीके से रिवाइज करेंगे सेंटर स्टेट रिलेशनशिप एक है बिफोर 1990 1990 से पहले क्या होता था ना एक ही पार्टी हुआ करती थी जो पूरे देश में मैक्सिमम नंबर से फेमस हुआ करती थी क्योंकि वही पार्टी थी इंडियन नेशनल कांग्रेस जिन्होंने हमें आजादी एक तरीके से दिलाई थी क्योंकि सारे प्रोग्राम्स और पॉलिसीज गांधी जी के इंडियन नेशनल कांग्रेस ही से कैरी आउट करती थी तो वो पूरे देश में फेमस हो गई थी और पूरे देश में उसके लीडर्स भी फेमस हो गए थे तो जब भी इलेक्शन होते थे सेंटर में या स्टेट में तो मोस्टली कौन जीता था इंडियन नेशनल कांग्रेस जीती थी बाय चांस अगर किसी स्टेट में इंडियन नेशनल कांग्रेस नहीं जीती थी तो उसने अपने हाथ में इतनी पावर इकट्ठी कर ली थी कि वो उस उस उस जगह प उस स्टेट में इलेक्शन दोबारा से करवाती थी तो कहने का मतलब यह है कि 1990 के दशक से पहले सेंट्रल गवर्नमेंट सेंट्रल गवर्नमेंट यूज टू मिसयूज द क्या करती थी पावर को मिसयूज करती थी वह क्या करती थी स्टेट गवर्नमेंट को डोमिनेट करती थी डोमिनेटेड द स्टेट गवर्नमेंट अब यह स्टेट गवर्नमेंट को अगर आप डोमिनेट कर रहे हो फेडरल स्ट्रक्चर में तो अच्छी बात है कि बुरी बात है बुरी बात है तो क्या होता था डिन किया जाता था डिन मतलब फेडरल सिस्टम को क्या कर रहे थे आप डिन कर रहे थे डिस स्पेक्ट कर रहे थे राट लेकिन 1990 आते-आते हमने किसी ने प्लान नहीं किया ये देश में लेकिन हमने देखा देखो मार्केट में अगर एक चॉकलेट मिल रही है एक आइसक्रीम मिल रही है तो सभी लोगों को वही खानी पड़ेगी वनीला आइसक्रीम मिल रही है भाई आपको पसंद हो चाहे नहीं पसंद हो आइसक्रीम खाने का मन है तो वनीला ही खानी पड़ेगी अगर किसी शादी में गए हो मान लो सिर्फ वनीला आइसक्रीम है तो वही खानी पड़ेगी लेकिन अगर वनेला भी है बटर स्कच भी है पीकन भी है बेल्जियम चॉकलेट भी है इतनी सारी अलग-अलग तरीके की टूटी फ्रूटी भी है बहुत सारी आइसक्रीम है तो जिसको जो खानी है वो खा लेगा है ना सब एक आइसक्रीम थोड़ी खाएंगे जिसको जो पसंद है वो खाएगा सिमिलरली हमारे देश में पहले एक ही पार्टी बहुत फेमस हुआ करती थी तो सब लोग उसे ही वोट दिया करते थे लेकिन 1990 आते आते इतनी सारी पार्टीज बन गई और सारी पार्टीज ने इतना सारा सपोर्ट गैदर कर लिया कि लोगों को कई और सारी पार्टीज भी पसंद आने लग गई तो एक तरीके से हमारी जो डेमोक्रेसी है उसने खुद को ही बदल दिया हमारे खुद के लोगों ने भारतवासियों ने ही इस तरीके से मूड बनाया कि हमारी डेमोक्रेसी में ये बदलाव आया 1990 के दशक से तो 1990 के दशक से क्या हुआ फेडर स्ट्रंग हो गया इनफैक्ट हमारे सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को बहुत सपोर्ट किया सुप्रीम कोर्ट ने भी बोला ये जो होता है जहां पर सेंट्रल गवर्नमेंट स्टेट गवर्नमेंट के ऊपर राज चलाती है बिल्कुल अच्छी बात नहीं है हमारे फेडरल स्ट्रक्चर के खिलाफ है फेडरल स्ट्रक्चर यह कहता है सेंटर की अपनी पावर हो स्टेट की अपनी पावर हो तो सुप्रीम कोर्ट ने भी बोला स्टेट गवर्नमेंट शुड हैव इट्स ओन क्लियर पावर क्लियर तरीके से बताओ भाई उसकी क्या पावर है ये नहीं कि थोड़ी सी पावर दे रहे हो थोड़ी सी रख रहे हो राइट पहले तो ये चलता था यहां देखो क्या है स्टेट गवर्नमेंट के मिनिस्टर्स दिखाए हैं सेंट्रल सॉरी सेंट्रल गवर्नमेंट के मिनिस्टर्स दिखाए हैं स्टेट गवर्नमेंट को यहां पे कटोरा लेके दिखाया वो बेचारे आ रहे हैं पावर मांगने के लिए तो 1990 से पहले हमारी जो डेमोक्रेसी है कुछ इस तरीके से दिखती थी जहां स्टेट गवर्नमेंट जो है सेंट्रल गवर्नमेंट से बना के रखती थी क्योंकि उन्हें पावर के लिए भीख मांगनी पड़ती थी सेंट्रल गवर्नमेंट से नहीं मांगोगे तो तुम्हें पावर मिलेगी नहीं लेकिन 1990 के बाद से जो हमारी रीजनल पार्टीज है यानी कि जो स्टेट पार्टी स्टेट पार्टी बोलो रीजनल पार्टीज बोलो उन दोनों मतलब स्टेट पार्टीज का रोल इनक्रीस किस चीज में रोल इनक्रीस हो गया बच्चा डेमोक्रेसी में जो रीजनल पार्टी है उनका रोल इंक्रीज हो गया अब य बदलाव आया कैसे यह बदलाव आया बच्चा कोलिजन गवर्नमेंट से कोजन गवर्नमेंट से अभी ध्यान से सुनना मान लो यह हमारा इंडिया है इसमें ह लोग है 100 और एक ही पार्टी है वन पार्टी है जो बहुत फेमस है दूसरी पार्टी है सेकंड पार्टी है जो बहुत ज्यादा फेमस नहीं है इस पार्टी को मिल गए 80 वोट्स इस पार्टी को मिल गए 20 वोट्स क्लियर कौन जीत गया क्लीयरली जीत गया आपका पार्टी नंबर वन राइट तो 1990 से पहले कुछ इस तरीके का सीन था 1990 आते-आते इतनी सारी पार्टीज हो गई मान लो ये पार्टी वन है पार्टी टू है पार्टी थ्री है पार्टी फोर है पार्टी फाइव है पार्टी सिक्स है बिल्कुल मल्टी पार्टी सिस्टम बन गया इंडिया राइट अब 100 ही लोग हैं 100 ही लोग हैं मान लो पार्टी नंबर वन को मिल भी गए अच्छे खासे वोट तो इन्हें मिल गए मान लो 30 वोट्स इन्हें मिल गए 10 इन्हें मिल गए फाइव इन्हें मिल गए 25 राइट इस तरीके से वोट डिस्ट्रीब्यूटर गए तो क्या किसी को क्लियर इतने नंबर ऑफ वोट मिले कि वो ट्रू मेजॉरिटी से सरकार बना ले नहीं यहां पे तो ट्रू मेजॉरिटी मिल रही थी 80 पर वोट जो है पार्टी नंबर वन को मिल गए थे लेकिन यहां पे 1990 के दशक के बाद से इतनी सारी पार्टीज हो गई कि किसी एक पार्टी के लिए अपनी खुद की सरकार बनाना नामुमकिन हो गया उस केस में पार्टीज को क्या करना पड़ता है बच्चा अलायंस बनाने पड़ते हैं क्या बनाने पड़ते हैं अलायंस बनाने पड़ते हैं व्हाट आर अलायंस वन टू और मोर देन टू पार्टीज कम टुगेदर टू फॉर्म द गवर्नमेंट दैट ग्रुप ऑफ पार्टीज इज नोन एज अलायंस एंड दैट गवर्नमेंट इज नोन एज कोलेजन गवर्नमेंट जब दो या दो से अधिक पार्टीज अपने जीतने के चांसेस बढ़ाने के लिए साथ में हाथ मिला के गठबंधन करती हैं तो उस गठबंधन को बोला जाता है अलायंस और गठबंधन से जो सरकार बनती है उसे बोला जाता है गठबंधन की सरकार यानी कि कोलिजन गवर्नमेंट जैसे कि अभी भी जो सरकार चल रही है वो सिर्फ बीजेपी की नहीं चल रही है वो एनडीए की चल रही है तो एनडीए क्या है बच्चा नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस इट इज एन अलायंस बीजेपी के साथ उसमें और भी पार्टीज हैं अगर उसमें सिर्फ बीजेपी होती तो बीजेपी सरकार नहीं बना पाती क्योंकि उसके पास इतने वोट्स नहीं थे कि वो ट्रू मेजॉरिटी से सरकार बना ले तो उसे बाकी पार्टीज के साथ हाथ मिलाना पड़ा तो अभी एनडीए की सरकार चल रही है एनडीए की सरकार बीजेपी लीड करती है यूपीए एक संगठन है बच्चा जिसे कांग्रेस लीड करती थी और अभी भी करती है और लेफ्ट फ्रंट एक संगठन है जिसे कम्युनिस्ट पार्टी जो हैं देश की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया वो लीड करती हैं राइट और अभी एक रिसेंटली इस एक होमवर्क दे रही हूं मैं ये जो अभी इलेक्शन हुए थे 2024 के जो इलेक्शन हुए थे उसमें एक उसमें एक नया अलायंस देखने को मिला था जो देश की बहुत सारी पार्टीज ने बनाया था इट वाज वेरी वेरी न्यू इसी साल देखने को मिला था उसका नाम आपको खोज के मुझे कमेंट्स में बताना है कि वो कौन सा अलायंस था डेमोक्रेसी में कुछ बहुत बड़ा बदलाव आया था उस बदलाव के बारे में आपको पता होना चाहिए चलो यहां पे फोटो में हमें क्या दिखाया हुआ है यहां पे हमें फोटोज में दिखाए हुए हैं पेरिल्स ऑफ कोलिजन गवर्नमेंट पेरिल्स ऑफ कोलिजन गवर्नमेंट मतलब ऐसे सुनने में अच्छा लग रहा है कि 1990 के दशक के बाद क्या है सरकारें जो हैं हल्के में नहीं लेती स्टेट पार्टीज को क्योंकि स्टेट पार्टीज के साथ मिलके आपको अलायंस बनाने होते हैं तो स्टेट पार्टीज को अगर आप हल्के में लोगे तो वो आपके साथ हाथ थोड़ी मिलाएंगे फिर आप थोड़ी सरकार बना पाओगे राइट सो अब सुनने में अच्छा लग रहा है लेकिन एक्चुअली प्रैक्टिकल में देखा जाए तो ये बहुत ही मुश्किल बात है क्योंकि गद्दी पे तो मान लो जैसे अभी भी एनडीए की सरकार है तो एनडीए में सबसे ज्यादा वोट किसके बीजेपी है अलायंस है अलायंस में सबसे ज्यादा वोट किसके बीजेपी के तो बीजेपी की ही जो लीडर है वो हमारे देश के प्राइम मिनिस्टर बने नरेंद्र मोदी जी राइट तो गद्दी पे तो जो लोग बैठ रहे हैं वो तो बेशक उस पार्टी के बैठ जाएंगे जिसके पास ज्यादा वोट थे लेकिन क्योंकि सरकार कोलिजन गवर्नमेंट की है सरकार अलायंस की बनी हुई है तो आपको बाकी लोगों की भी बातें क्या करनी पड़ेगी सुननी पड़ेंगी तो यहां पे देखो अटल बिहारी वाजपेई जी दिखाए हुए हैं जब अटल जी की सरकार बनी थी 1990 के में तो वो गद्दी प बैठे हुए थे लेकिन वो कोलिजन गवर्नमेंट थी वो एनडीए की सरकार थी और जब कोलिजन गवर्नमेंट होती है तो आपको सबको साथ लेके बैठना पड़ता है क्योंकि अगर किसी ने भी संगठन में से हाथ पीछे खींचा किसी को भी आप पे गुस्सा आया और उसने बोला जाओ हम तुम्हारे साथ कॉलेजन नहीं बनाते तो आपके तो वोट बिखर जाएंगे फिर आपकी सरकार गिर जाएगी जो कोई भी नहीं जाता है तो ये होती है डेमोक्रेसी की ताकत अब रीजनल पार्टीज को लोग हल्के में नहीं लेते क्योंकि उन्हें पता है कि गठबंधन की सरकार बनेगी गठबंधन बनाए रखना है तो पार्टीज को खुश रखना पड़ेगा चलो इससे पहले कि हम आगे जाएं हम अच्छा आगे ही चले जाते हैं लास्ट टॉपिक है इसको भी खत्म करते हैं द टॉपिक इज डिसेंट्रलाइजेशन तो जैसा कि मैंने बताया 1990 के दशक में 73 एंड 74 कांस्टिट्यूशन अमेंडमेंट के साथ हमने देश में लोकल गवर्नमेंट का कांसेप्ट ऐड किया जो विलेज लेवल पे अलग होती है और स्टेट लेवल सिटी लेवल पे अलग होती है इसी प्रोसेस को बोलते हैं डिसेंट्रलाइजेशन मतलब क्या होता है रट्टा मारे कि समझे समझ लो यार देखो जब सेंटर की तरफ चीजें ला आ रहे होते हो ना सेंटर की तरफ फिजिक्स दिखा रही हूं फिजिक्स तो उसे बोला जाता है सेंट्रलाइजेशन जब सेंटर से दूर लेके जा रहे होते हो कोई चीजें तो उसे बोला जाता है डिसेंट्रलाइजेशन सिंपल तो जब तुम सेंटर की पावर पहले तो तुमने क्या किया सेंटर की पावर स्टेट को दी थोड़ी सी पावर उसकी स्टेट को दी अब वही पावर उसमें से भी थोड़ी सी पावर तुम लोकल गवर्नमेंट को दे रहे हो राइट तो सेंटर से दूर लेके जा रहे हो ना पावर सो व्हेन पावर इज टेकन अवे फ्रॉम सेंटर एंड स्टेट गवर्नमेंट्स एंड गिवन टू द लोकल गवर्नमेंट उसे बोला जाता है डिसेंट्रलाइजेशन इंडिया में डिसेंट्रलाइजेशन कब हुआ 1990 के दशक में विद 73 एंड 74th कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट क्योंकि हमने ऐड किया लोकल गवर्नमेंट का कांसेप्ट लोकल गवर्नमेंट लोकल गवर्नमेंट ओई सॉरी हां जी पहली बात तो ये है कि डिसेंट्रलाइजेशन करने की जरूरत क्या पड़ रही थी क्या हम बोर हो रहे थे एज अ नेशन इसलिए हमने डिसेंट्रलाइजेशन किया नहीं हम बोर नहीं हो रहे थे बच्चा हम परेशान हो रहे थे एक्चुअली एक्चुअली हमारे देश में जनता इतनी बढ़ती जा रही थी पॉपुलेशन इतनी बढ़ती जा रही थी कि लोगों की प्रॉब्लम्स भी बढ़ती जा रही थी पहले कम लोग थे तो कम प्रॉब्लम्स थी अब ज्यादा लोग थे तो ज्यादा प्रॉब्लम्स थी तो इश्यूज बढ़ते जा रहे थे अब एक बेचारी स्टेट गवर्नमेंट कितने सारे लोगों के इश्यूज पे ध्यान देगी वो भी यूपी जैसी बिहार जैसी स्टेट में जहां पे लोग भर भर के हैं राइट पॉपुलेशन डेंसिटी बहुत हाई है सो लोग जितने होंगे उतने ही तो आपको रिप्रेजेंटेटिव चाहिए क्लास नाइंथ में क्या पढ़ा है वी हैव अ रिप्रेजेंटेटिव फॉर्म ऑफ डेमक जब नंबर ऑफ पीपल इंक्रीज हो रहा है तो नंबर ऑफ लीडर्स भी इंक्रीज होना चाहिए नंबर ऑफ लीडर्स इंक्रीज करने के लिए हम क्या करें हमने तीसरा लेवल ऑफ गवर्नमेंट बना दिया अच्छा सेकंड पॉइंट पीपल हैव बेटर नॉलेज ऑफ प्रॉब्लम इन देयर लोकेलिटी तुम्हारी क्लास में मान लो तुम्हें ₹1 पाए हैं तुम्हें उस ₹1 से क्या करना है उसका डिसीजन मैं तुम्हारे से 6 साल बड़े कजन पे सौंप दूं तो उसको ज्यादा अच्छे से पता होगा कि तुम्हें ज्यादा अच्छे से पता होगा कि तुम्हें उस ₹1 का क्या करना चाहिए ओबवियसली तुम्हें ज्यादा अच्छे से पता होगा तो जो लोगों की प्रॉब्लम्स होती हैं वो लोगों को उनका सॉल्यूशन ज्यादा अच्छे से पता होता है तो हमने यही सोचा कि जब लोकल लेवल पे प्रॉब्लम्स आ रही है तो लोकल लेवल पे ही सॉल्व हो जाएंगी तो कितना अच्छा होगा पॉइंट नंबर थ्री दे आल्सो हैव बेटर आइडियाज ऑन वयर टू स्पेंड द मनी स्टेट गवर्नमेंट को मान लो हम पैसा दे देंगे कि भैया आपके पास ₹ लाख है आपको अपनी स्टेट के अंदर जितने गांव जितने शहर आ रहे हैं सबका भला करना है स्टेट गवर्नमेंट सोचेगी सब में इक्वल इक्वल बांट देते हैं अब इक्वल इक्वल बांटने से तो प्रॉब्लम सॉल्व नहीं होगी हो सकता है कोई गांव हो उसमें भर भर के ऑलरेडी पानी बिजली पुल सड़कें सब कुछ हो कोई गांव हो उसमें कुछ भी ना हो तो ज्यादा पैसा तो उस गांव को चाहिए ना जहां पे कुछ नहीं है जिसके पास सब कुछ है उसे थोड़ा कम पैसा भी दोगे तो चल जाएगा अब ये सारी बातें किसको पता होंगी ये सारी बातें पता होंगी लोकल लोगों को तो लोकल लोगों को अच्छे से पता होता है कि उनको जो पैसा दिया जाएगा वो किस काम में लगाना चाहते हैं इन शोर्स डायरेक्ट पार्टिसिपेशन इन डिसीजन इसके लिए मेरे पास एक बहुत अच्छा एग्जांपल है पेड़ होता है पेड़ की पत्तियों को पानी दिया जाता है कि पेड़ को जड़ों को पानी दिया जाता है जड़ों को पानी दिया जाता है जब तुम जड़ों को पानी देते हो तो पेड़ बहुत फलता फूलता है जब तुम पती को पानी देते हो तो पेड़ की मौत हो जाती है क्योंकि पतियों के अंदर से थोड़ी पानी जाता है जड़ों के अंदर से पानी जाता है राइट सो वही है बात जब तुम डेमोक्रेसी की जड़ों को डेमोक्रेसी की जड़े कौन सी है लोकल विलेजेस एंड सिटीज राइट जब डेमोक्रेसी की जड़ों को पानी दोगे तो लोग जो डेमोक्रेसी का पेड़ है वो फलेगांव से हमने डिसेंट्रलाइजेशन किया अब इससे पहले कि हम आगे जाकर डिसेंट्रलाइजेशन पूरा डिस्कस करें एक बार ये क्वेश्चन कर लो हाज चलो द राइट आंसर इज ऑप्शन नंबर ए नेक्स्ट क्वेश्चन अच्छा ऐसा नहीं है कि डिसेंट्रलाइजेशन हम अच्छे से 1990 के दशक में ही कर पाए उससे पहले भी हमने कई बार ट्राई किया था डिसेंट्रलाइजेशन करने का हमने पंचायती राज रूरल लोकल गवर्नमेंट अर्बन लोकल गवर्नमेंट का कांसेप्ट हमने इंट्रोड्यूस किया था लेकिन जब तक हमने अच्छे से रूल्स नहीं बनाए थे ना 73 और 74th कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट के साथ तब तक ना मामला सेट नहीं बैठ रहा था क्या करते थे कई स्टेट तो है वो लोकल गवर्नमेंट के इलेक्शन अच्छे से करा देते थे रेगुलरली लेकिन कई स्टेट्स जो है कभी कभी कराते थे कभी नहीं कराते थे कभी स्टेट गवर्नमेंट पैसा देती थी लोकल गवर्नमेंट को कभी स्टेट गवर्नमेंट पैसा ही नहीं देती थी तो बेसिकली जो मामला है थोड़ा उल्टा सीधा चल रहा था और इसी उल्टे सीधे मामले से डिसेंट्रलाइजेशन जो है इफेक्टिव नहीं हो पा रहा था हमारे देश में तो हमने कहा ठीक है फिर अब बात आ ही गई है तो एक बात करते हैं कि कांस्टिट्यूशन में लिख देते हैं कि डिसेंट्रलाइजेशन होएगा ही होएगा तो हमने क्या किया कॉन्स्टिट्यूशन को 1992 में 1992 में अमेंड कर दिया अमेंड का मतलब उसमें चेंजेज ले आए नई चीजें ऐड कर दी रूरल लोकल गट एंड अर्बन लोकल गवर्नमेंट इसमें हमने क्याक किया हमने दिया रिजर्वेशन रिजर्वेशन किसको ओबीसी को एससी को और एसटी को प्लस अब ये तो लोकल गवर्नमेंट के अलावा स्टेट गवर्नमेंट में भी होता है सेंट्रल गवर्नमेंट में भी होता है इन कम्युनिटीज को तो मिलता है हर जगह पॉलिटिकल रिजर्वेशन लेकिन हमने दे दिया 1 थर्ड सीट्स वमन के लिए भी रिजर्व कर दी ये वाला जो कांसेप्ट है ये ना तो स्टेट गवर्नमेंट में होता है ना आपका सेंट्रल गवर्नमेंट में होता है तो यहां हम एक कदम जो है आगे चले गए बच्चा हमने औरतों को भी सीट रिजर्व करके दे दी नाउ हमने बोला कि अब रेगुलर इलेक्शंस होंगे रेगुलर इलेक्शंस रेगुलर इलेक्शंस किस लेवल पे एट लोकल लेवल जैसे सेंटल के रेगुलर इलेक्शंस होते हैं जैसे स्टेट के रेगुलर इलेक्शन होते हैं हर पाच साल पे वैसे ही अब हमने बोला कि लोकल लेवल पे भी रेगुलर इलेक्शन होंगे स्टेट डिसाइड नहीं करेगा कब इलेक्शन होंगे कब नहीं होंगे राइट फिर हमने और क्या बोला हमने बोला कि स्टेट इलेक्शन कमीशन बनाया जाएगा जैसे हमारे देश में क्या होता है एक नेशनल इलेक्शन कमीशन है है ना नेशनल इलेक्शन कमीशन का काम है स्टेट गवर्नमेंट के इलेक्शंस को देखना और सेंट्रल गवर्नमेंट के इलेक्शन को देखना लेकिन लोकल लेवल पे कौन इलेक्शन देखेगा तो लोकल लेवल पे इलेक्शन देखने के लिए हर स्टेट में हमने एक स्टेट इलेक्शन कमीशन बिठाया जो कि उस स्टेट के लोकल इलेक्शंस को देखता है चाहे वो गांव के हो चाहे वो शहरों के हो देन हमने बोला स्टेट गवर्मेंट को स्टेट गवर्नमेंट को हमने बोला हर स्टेट की गवर्नमेंट को बोला हमने कि चलो चलो थोड़ा सा रेवेन्यू दो थोड़ा सा रेवेन्यू और थोड़ी सी पावर अब परमानेंटली किसके पास रहेगी भैया लोकल गवर्नमेंट के पास रहेगी ये नहीं तुमने इस साल दी है अगले साल मांग लोगे नहीं भैया अब जो तुम ये पैसा देते आ रहे हो मान लो तुमने पैसा बोला है कि 0000 हम लोकल गवर्नमेंट को देंगे तो अब वो देना ही पड़ेगा तुम्हें हर बार तुम उसे रोक नहीं सकते तो रेवेन्यू और पावर को शेयर करने को बोला स्टेट गवर्नमेंट को लोकल गवर्नमेंट के साथ तो ये चार पांच तरीकों से हमने क्या किया अपने कांस्टिट्यूशन में ये मेक श्योर किया कि डिसेंट्रलाइजेशन कभी भी इंडिया में वीक ना हो ना बच्चा लोकल गवर्नमेंट दो तरीके की होती है गांव में अलग होती है शहरों में अलग होती है अगेन ये डिपेंड करता है कि गांव की पॉपुलेशन कितनी है या शहर की पॉपुलेशन कितनी है तो पहले हम डिस्कस कर लेते हैं रूरल लोकल गवर्नमेंट रूरल लोकल गवर्नमेंट का दूसरा नाम है पंचायती राज पंचायत नाम का एक सीरियल है ना प्राइम पे आता है देखा वो उसको देखो थोड़ा बहुत और सब समझ आएगा पंचायती राज बोलो मैम मैथ्स का होमवर्क करने से हमें फुर्सत नहीं है तुम कह रही हो प्राइम चलाओ चलो सॉरी जले प नमक नहीं ड़कते पर इतने झूठ मत बोलो यार टाइम माइम तो होगा यार एक सीरियल तो देख ही सकते हो चलो सो होता क्या है पंचायती राज में विलेज हर विलेज में एवरी विलेज हैज वन विलेज हैज वन पंचायत ठीक है इसमें वोटर्स कौन होते हैं वोटर्स होते हैं विलेज की अडल्ट पॉपुलेशन मान लो ढोलपुरी जो अडल्ट पॉपुलेशन होगी चाहे वो लड़का या लड़की ट्रांसजेंडर है वो वहां की हो जाएगी एडल्ट पॉपुलेशन और वो वोट करेगी पंचों को पांच लोग सिलेक्ट होंगे पंचायत में इसमें जो हेड होगा सरपंच मतलब हेड जो होगा पंचायत का या होगी उसे बोला जाता है सरपंच क्या बोला जाता है सरपंच तो हर गांव में क्या होगा बच्चा हर गांव में एक पंचायत होग राइट अब इंडिया में क्या होता है ना इंडिया में मान लो ये विलेज मान लो ये डिस्ट्रिक्ट है दिस इज अ डिस्ट्रिक्ट राइट डिस्ट्रिक्ट के अंदर होते हैं कई सारे ब्लॉक्स राइट ब्लॉक वन ब्लॉक टू ब्लॉक थ्री अब इनके अंदर होते हैं बच्चा गांव विलेजेस किसी में तीन होंगे किसी में चार होंगे किसी में हो सकता है पांच छह हो राइट सो दीज आर विलेजेस तो इंडिया का जो गांव है कुछ इस तरीके का दिखता है राइट तो अभी हमने बोला कि हर विलेज लेवल पे तो पंचायत होती है जिसे आप पंचायत बोलते हो या फिर आप ग्राम पंचायत बोलते हो ग्राम का मतलब है गांव पंचायत का मतलब आप जानते ही हो देन ब्लॉक लेवल पे ब्लॉक लेवल पे क्या होता है क्योंकि एक ब्लॉक में क्या है कई सारी पंचायत आ रही है एक ब्लॉक में मान लो ये इस ब्लॉक की बात करें तो इसमें तीन पंचायत आ रही है तो वहां पे एक इलेक्टेड बॉडी होती है जिसका नाम होता है ब्लॉक समिति अब इसके इलेक्शन में कौन वोट देता है बच्चा इसके इलेक्शन में ग्राम पंचायत जितनी भी उस ब्लॉक में पंचायतें आ रही थी ना उनके जो मेंबर्स हैं वो वोट देके ब्लॉक समिति के मेंबर या पंचायत समिति भी बोलते हैं इसे उसके मेंबर्स को इलेक्ट करते हैं आया समझ हर गांव में ग्राम पंचायत हर ब्लॉक लेवल पे एक ब्लॉक समिति ग्राम पंचायत में उस पर्टिकुलर गांव के लोग वोट देंगे और ब्लॉक समिति में जो है उसमें जितनी पंचायतें आ रही है उसके मेंबर्स वोट देंगे ठीक है अब कई सारी ब्लॉक समिति मिलके कई सारी ब्लॉक समिति मिलके 1 टूथ क्या बनाती है जिला बनाती है जरूरी नहीं है तीनों मैंने यहां एग्जांपल दिया है तो कई सारी ब्लॉक्स मिलके क्या बनाते हैं जिला बनाते हैं जिला का मतलब होता है डिस्ट्रिक्ट तो उस लेवल पे क्या होता है बच्चा जिला परिषद होता है अब जिला परिषद के रूल्स अलग-अलग हैं हर स्टेट में कई जगह जिला परिषद में कई सारे डीएम भी बैठते हैं डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स बैठते हैं कई जगह डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स का नंबर डिफरेंट होता है कई जगह डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के साथ बाकी पोजीशंस भी होती है जैसे पंचायत जो मैं सीरियल बता रही हूं उसमें डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का आपने कॉन्टेक्स्ट देखा होगा साथ में सचिव जी वाला कॉन्टेक्स्ट देखा होगा तो वो सब जो है अ डिपेंड करता है कि किस पर्टिकुलर स्टेट की हम बात कर रहे हैं तो कई जिला परिषद हर गांव गांव में अपने सचिव बिठाते हैं कई जगह नहीं बिठाए जाते हैं तो यह वाला जो कांसेप्ट है जिला परिषद और जिला परिषद का चेयर पर्सन कैसे इलेक्ट होगा जिला परिषद के इलेक्शंस कैसे होंगे जिला परिषद के मेंबर्स कौन-कौन होंगे वो डिपेंड करता है कि आप कौन सी स्टेट की बात कर रहे हो लेकिन ये दोनों आप समझ लो कि हर विलेज लेवल पे ग्राम पंचायत हर ब्लॉक लेवल पे ब्लॉक समिति या पंचायत समिति और हर डिस्ट्रिक्ट लेवल पे जिला परिषद ग्राम पंचायत के हेड को बोला जाता है आपका सरपंच ब्लॉक समिति के हेड को अलग-अलग जगह अलग-अलग बोलते हैं और जिला परिषद के हेड को चेयर पर्सन बोला जाता है मोस्टली लेकिन वो भी अलग-अलग जगह अलग-अलग नाम से जाने जाते हैं इफ यू वांट टू टेक अ स्क्रीनशॉट यू कैन चलो अब दे देयर इज आल्सो कांसेप्ट ऑफ ग्राम सभा बच्चा ग्राम का मतलब होता है गांव और सभा का मतलब होता है मीटिंग कई जगह हर जगह नहीं होता है अगेन य दिस इज नॉट अ मैंडेटरी थिंग टू डू कांस्टिट्यूशन में लिखा नहीं है किय होना ही होना चाहिए पर कई जगह ये फॉलो किया जाता है इट इज अ गुड प्रैक्टिस कई जगह क्या होता है कि मान लो एक ब्लॉक है यह ब्लॉक है ब्लॉक के अंदर बहुत सारे गांव आ रहे हैं बहुत सारे गांव आ अब इसमें से दो तीन गांव ने सोचा मान लो इन दोनों गांव ने सोचा कि यार हम ना अपनी ग्राम सभा किया करेंगे क्या किया करेंगे ग्राम सभा कि यार हम ना एनुअली दो बार मिला करेंगे साल में दो बार मिलेंगे और हम देखेंगे कि हमने क्या काम किया है हम आपस में डिस्कस करेंगे तेरे गांव के लोग भी आ जाएंगे मेरे गांव के लोग भी आ जाएंगे तेरे गांव के सरपंच भी बैठे होंगे मेरे गांव के सरपंच भी बैठे होंगे दोनों जगह की पंचायत भी बैठी होगी राइट सो इस तरह की मीटिंग जो होती है जो साल में दो बार कराई जानी चाहिए लेकिन वो मैंडेटरी नहीं है तो कई जगह होती है कई जगह नहीं होती है उसे बोला जाता है ग्राम सभा तो ग्राम सभा का क्या काम होता है कि पंचायत अच्छे से काम कर रही है कि नहीं कर रही है लोग उसको डिस्कस करते हैं मान लो आपकी आपकी जगह पे कोई प्रॉब्लम हुई थी आपके गांव पे आपकी पंचायत ने उस परे डिसीजन दे दिया आपकी प्रॉब्लम पे वो डिसीजन आपको पसंद नहीं आया अब आप किसका दरवाजा खटखटा होगे अब आप क्या करोगे ग्राम सभा का वेट करोगे ग्रामसभा में वो मुद्दा फिर से उठाओगे क्या पता आपको लगेगा कि क्या पता मेरी पंचायत जो है अपना डिसीजन चेंज कर दे तो ग्रामसभा काम आती है लोगों के बहुत ज्यादा मेंबर्स ऑल द वोटर्स ऑफ द विलेज आर द मेंबर्स ऑफ द ग्राम सभा वो साल में दो बार मिलते हैं और एनुअल बजट डिसाइड करते हैं ग्राम पंचायत का और कौन-कौन सी ग्राम पंचायत ने क्या-क्या काम किया है उसे रिव्यू भी करते हैं नाउ वी कम टू अर्बन सेल्फ गवर्नमेंट पंचायती राज जैसा कोई अच्छा सा नाम नहीं है हमारी सिटीज की लोकल गवर्नमेंट का अर्बन लोकल गवर्नमेंट ही बोलते हैं बट इट ऑल डिपेंड्स अपॉन कि कितनी पॉपुलेशन है जैसे मान लो बहुत छोटा शहर है बहुत छोटा शहर है तो उसे बोल देंगे नगरपालिका क्या बोल देंगे नगरपालिका ये भी आपका होमवर्क है कि आपको पता लगाना है नगरपालिका कौन से शहर में कोई एक एग्जांपल सर्च करना नगरपालिका कौन से शहर में है और सर्च करना कि उसके हेड को क्या बोला जाता है बहुत कम पॉपुलेशन है तो नगरपालिका होगी थोड़ी ज्यादा पॉपुलेशन है बच्चा तो मुसिपालिटी होगी 25 लाख टाइप पॉपुलेशन होती है किसी शहर की तो मुंसिपल होती है 25 लाख से ऊपर पॉपुलेशन होती है तो वहां पे मुनसिफ कॉर्पोरेशन कॉर्पोरेशन होती है जैसे जो महानगर है दिल्ली दिल्ली को तो हटा दो अभी दिल्ली एक स्पेशल केस है पर दिल्ली में भी मुंसिपल कॉर्पोरेशन है जैसे आपका ये बमबे हो गया बेंगलोर हो गया कोल्काटा हो गया है ना मैसूर हो गया ये बड़े-बड़े शहर हैं वहां पे क्या होती है मुसिपालिटी होगी उसके हेड को बोला जाता है मुसिपालिटी सेंट्रलाइजेशन का कांसेप्ट कितना अच्छा है इसकी कुछ अच्छी बातें भी हैं कुछ बुरी बातें भी हैं सबसे अच्छी बात तो ये है कि लोकल लेवल पे प्रॉब्लम सॉल्व हो जाती है सबसे अच्छी बात ये है कि हमारे देश में डेमोक्रेसी के नाम पे बहुत सारे लीडर्स इकट्ठा हो गए हैं सिर्फ लोकल गवर्नमेंट की बात की जाए तो हमारे देश में 30 लाख 36 लाख इलेक्टेड रिप्रेजेंटेटिव्स हैं लोकल गवर्नमेंट में मतलब इतने सारे लोग तो डेमोक्रेसी का डायरेक्ट पार्ट है बाकी सिटीजंस अलग हैं तो हमारे देश की डेमोक्रेसी जो है वो और स्ट्रेंथ हो रही है राइट लोकल गवर्नमेंट से डेमोक्रेसी जो है गांव-गांव शहर शहर तक पहुंची है और लोगों को अपने यू नो वोटिंग का हक है इस बात की भी पहचान प्राप्त हुई है तीसरा क्योंकि हम लोकल गवर्नमेंट में औरतों को भी रिप्रेजेंटेशन देते हैं तो औरतों को अभी एंपावरमेंट हुआ है वो वो भी अपने घर से निकल के पंचायत का एक पार्ट बनने लगी है तो दैट इज आल्सो हैज रिजल्टेड इन वमन एंपावरमेंट तो ये तीन अच्छी बातें हैं लेकिन इसके अलावा कुछ खराब बातें भी हैं पहली बात तो ये है कि ग्राम सभा रेगुलरली नहीं होती है कहीं होती है कहीं नहीं होती है क्योंकि ये कांस्टीट्यूशनली मैंडेटरी नहीं है तो कई जगह होती है कई जगह नहीं होती है कई जगह जो स्टेट गवर्नमेंट है लोकल गवर्नमेंट के पास ये अधिकार तो है कि वो पावर मांग सकती है स्टेट गवर्नमेंट से लेकिन स्टेट गवर्नमेंट कभी-कभी घपले कर देती है पावर और पैसा देने में लोकल गवर्नमेंट को तीसरा पॉइंट कभी-कभी स्टेट गवर्नमेंट के पास इतने पैसे ही नहीं होते कि वह हर गांव और हर शहर का भला कर सके तो वहां पर भी लोकल गवर्नमेंट होते हुए भी लोगों की प्रॉब्लम्स लोकल लेवल पे या लोगों का भला लोकल लेवल पे नहीं हो पा रहा होता है सो दज आर द थ्री प्रॉब्लम्स विद डी सेंट्रलाइजेशन आई होप यू एंजॉय टुडेज लेक्चर इफ यू डिड डोंट फॉरगेट टू फॉलो शुभम पाठक एंड मेरा एक सोशली शुभम से मैं हूं टेलीग्राम पे और सोशली शुभम में एक और एम लगा दो तो उस नाम से हूं मैं नेक्स्ट टाइम एंड वीडियो अच्छी लगी हो तो वीडियो को लाइक जरूर करिएगा और एक बार कमेंट में बता दीजिएगा कि आपको लेक्चर अच्छा लगा बाय एंड थैंक यू