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Fundamentals of Electronics Engineering - Unit 2

Welcome क्यारे बच्चों, Engineers Gateway के YouTube प्लेटफॉर्म पर मैं लली ताठी फिर से आपका स्वागत करता हूँ और आशा और उम्मीद करता हूँ कि आपकी पढ़ाई चल रही होगी और आप बेहतर तरीके से इमानदारी से अपनी पढ़ाई कर रहे होंगे जैसा कि आप थम्निल देख रहे होंगे, Fundamental of Electronics Engineering का हमने Complete Slabbers कर लिया है, Cover हो गया है और साथी साथ OneSuite वीडियोज भी मिलना स्टार्ट हो गई है एक्सडाम के Point of View से आज उसी को आगे बढ़ाते हुई मैं आज यहाँ पर Unit 2nd का OneSuite Lecture आपके लिए लेकर आया हूँ और इसमें हम जो पढ़ेंगे वो BJT के बारे में पढ़ेंगे, GFET के बारे में पढ़ेंगे और MOSFET के बारे में पढ़ेंगे मैं आपको बताना चाहूँगा कि इस unit को हमने topic wise भी cover up किया हुआ है, complete playlist बनी हुई है unit 2nd की अगर आपको किसी topic में समस्या आती है और आप उसको अच्छे से बेहतर तरीके से डिटेल में पढ़ना चाहते हैं तो आप playlist में जाकर उस topic को वहां से video से cover कर सकते हैं साथ ही साथ सारे PDF notes आपको telegram channel पर free of cost available करा दिये गए हैं वहां पर कोई भी समस्या notes से related आपको नहीं मिलेगी तो इस video को start करने से पहले मैं आपको बताना चाहता हूँ कि unit second में जो तीनों type के transistors आपको पढ़ने हैं BJT, JFET और MOSFET उनके सब के बारे में आज हम यहाँ पर डिसकस करेंगे डिटेल में डिसकस ना करके हम एक ओबर विउ यहाँ पर लेंगे यानि कि आपका पूरा यूनिट रिकॉल कराने की कोशिश करेंगे जहाँ पर explanation की जरूरत है वो explanation आपको provide की जाएगी एक वीडियो आपको अभी मिला होगा कुछ दिन पहले जिसमें हमने PN junction की तो पी एन जंक्शन की जो वाइसिंग है उस वीडियो को आप जरूर देखें उस वीडियो का आपके इस ट्रांजिस्टर सब जो यूनिट है वो बहुत ही जादा इंपेक्ट है क्योंकि वहाँ पर जब आप ट्रांजिस्टर पढ़ेंगे बीजेटी जेफिटी या मॉसफै� कैसे आपका PN junction forward vising में काम करता है कैसे PN junction reverse vising में काम करता है और कैसे आपका diode conduct करता है तो वो सारी चीजे मैंने वहाँ पर detail में बहुत अच्छे से discuss की है वो वीडियो आपकी master वीडियो है unit 1st और 2nd को समझने के लिए तो पहले आप उस वीडियो को जरूर देखें मेरी दाय यह है आप उस वीडियो को देखने के बाद unit 1st और unit 2nd में आपका confidence 20% मैं guarantee ले रहा हूँ बढ़ जाएगा पूरी unit आपके understand हो जाएगी वहीं से, दोनों, तो उसी को ध्यान में रखते हुए, अब हम जो unit second आप अपना start कर रहे हैं, one suit की form में, उसमें हम तीनों type के जो transistor आपके syllabus में दिये हुए हैं, उनको discuss करेंगे, exam के point of view से जो जो चीजे important हैं, वो सब हम यहाँ पर discuss करने की कोशि आप अपने फ्रेंड्स या क्लासमेट की हैल्प करना चाहते हैं या जो आपके रिलेटिव्स हैं उनकी मदद करना चाहते हैं तो आप वीडियो को सेर कर दीजिए ज़्यादा से ज़्यादा जिससे कि सभी बच्चे लाभ उठा सकें और अपनी जो तैयारी है उसको एक बेहत वीडियो थोड़ा सा लेंदी हो जाएगा क्योंकि हमें पूरी यूनिट को कवर करना है तो सबसे पहले आप समझेंगे यहाँ पर क्योंकि हम ट्रांजिस्टर पढ़ रहे हैं तो ट्रांजिस्टर होता क्या है पहले हम उसको जानेंगे ट्रांजिस्टर एक तरमिनल सेमिकंडेक्टर डिवाइस है जो एलेक्ट्रोनिक सिगनल जैसे रीडियो और टेलिविजन हमें पता है transistor एक three terminal device होती है जो amplify करने का काम करती है electronic signal को जैसे radio में या television signal को before the transistors come into the existence vacuum tubes are used to amplify the electronic signal इससे पहले vacuum tubes का use किया जाता था electronic signal को amplify करने के लिए but now a day vacuum tubes are replaced by the transistor because of its various advantages over the vacuum tube. इसकी advantages vacuum tubes से related होकर किस तरीके से हैं वो मैंने एक वीडियो में जब unit second start की थी वहाँ पर बेहतर तरीके से vacuum tube का comparison transistor से किया था. आप अगर डिटेल में पढ़ना चाहते हैं तो वहाँ पर जाकर पढ़ सकते हैं, अदरवाइस advantages हम यहाँ पर भी discuss करेंगे transistor की, तो simple way में अगर हम कहें तो transistor is a three terminal device और वो भी किस तरीके की semiconductor device that amplify or switch the flow of the current, तो मैंने यहाँ पर बताया था, लेकिन यह जो switch है, यह क्या है इसको भी समझेंगे, जब हम transistor पढ़ेंगे बच्चो, तो transistor की हम voicing पढ़ेंगे, किस तरीके से हम उसको voiced करते हैं, जो Y-Sync PN junction आप वहाँ पर करेंगे तो उससे आपका different types of mode यहाँ पर निकल कर आते हैं जिसमें एक amplifier होता है और एक switch होता है यानि कि आप transistor को as an on and off की तरह भी use कर सकते हैं और यह एक switch का काम on और off ही करना होता है तो इसलिए यहाँ पर बुला गया switch, ठीक है, clear, चले, transistor के बारे में आपको समझ में आया है, आगे और बात कर लेते हैं, transistor के बारे में आपको समझ में आया है, तो इसलिए यहाँ पर बुला गया तो आप एक PNP ट्रांजिस्टर बोलते हैं जिसमें आपके दो P रहेंगे और एक N रहेगा और वहीं पर आप NPN ट्रांजिस्टर बोलें तो आपके दो N टाइप मेटेरियल रहेंगे और एक P टाइप मेटेरियल रहेगा यह आपका टाइप आफ ट्रांजिस्टर हो जाते हैं ठीक है अब आगे बात कर लेते हैं यहां पर तो थ्री टर्मिनल डिवाइस है इसमें एक आपका एमिटर होता है एक आपका कलेक्टर होता है और एक आपका बेस होता है और left side emitter, right side collector फिर ऐसे ही आपका अगर P-NP transistor की बात करें तो emitter और collector दोनों आपके P रहेंगे और base क्योंकि बीच में है वो separate करेगा इन दोनों materials को N type, that's called the base terminal वहीं पर अगर आप NPN transistor की बात करें तो दो N आपको देखने को मिल रहे हैं तो ये दो N रहेंगे यहाँ पर और बीच में base में रहेगा आपका P जो दोनों N type के materials को separate करेगा और वो base terminal आपका कहला है अगर आप डायोड की फॉर्म में बात करें हमें पता है पी एन जंक्शन का सिम्बल डायोड जो होता है वो क्या होता है इस तरीके से होता है चुकी यहाँ पर पी एन जंक्शन बन रहा है यह वाला तो डायोड ऐसे लगेगा और चुकी यह एन पी जंक्शन इस तरीके से बन रहा है तो आप कुछ इस तरीके से यहाँ पर देखेंगे तो सबसे ज़्यादा बच्चे कंफ्यूज होते हैं जब इसके सिम्बल को देखते हैं तो यह जो एरो है बच्चो यह एमिटर का एरो जो है यह एक में बाहर की तरफ होता है और एक में अंदर की तरफ जाता है तो वो किस तरीके से जाता है वो बेहतर तरीके से आप यहां से समझ सकते हैं जब आपने यहाँ पर बेटा इस junction के लिए PN junction के लिए diode का symbol बनाया फिर इस NP junction के लिए diode का symbol बनाया तो आपको क्या दिख रहा है यहाँ पर चुकी diode में current एक ही direction में flow होता है तो इसमें इधर की तरफ flow हो रहा है और इधर में यानिके इधर वाला जो diode है इसमें इधर की तरफ flow हो रहा है तो दोनों diode की बज़े से current अंदर की तरफ जा रहा है तो यह एरो इसलिए यहां पर इस तरीके से आप देखेंगे सॉरी पीएनपी है ना इसमें आपका एरो अंदर की तरफ लगा हुआ है ठीक है यहां पर यहां पर बना हुआ है यह डायोड आपका एक यह लगा हुआ है एक यह लगा हुआ है दोनों की डायरेक्शन जो है करं� junction बना हुआ है यानि कि Np डायोड का symbol आप इस तरीके से ये बना देंगे इधर आप Pn junction डायोड का symbol इस तरीके से बनाएंगे तो यहाँ पर जो current का flow हो रहा है वो ऐसे हो रहा है यहाँ पर जो current का flow हो रहा है ये ऐसे हो रहा है तो ये बाहर की तरफ जा रहा है तो बाहर की त यहां पर बाहर की तरफ लगा होता है, कहां पर अंदर की तरफ लगा होता है, मुझे नहीं लगता यहां पर कोई समस्या आपको आने वाली है, ठीक है, क्लियर, चलिए, अब बात आगे कर लेते हैं, इसके advantages की, transistor की, तो transistor की advantages में सबसे पहले है, low power consumption होता है, low cost होता है, small in size होत होती है low voltage need रहती है to operate the transistor transistor को operate कराने के लिए low voltage की हमें जरूरत होती है high physical resideness than vacuum tubes vacuum tubes के comparison में अगर हम physically देखें तो it will be stronger ठीक है produce far less heat than the vacuum tube vacuum tube के comparison में कम heat produce करता है ठीक है और ट्रांजिस्टर्स आर लाइटर देन द वैक्यूम ट्यूब और वैक्यूम ट्यूब के कंपरेजन में इनका साइज लाइट होता है स्मॉल होता है कॉस्ट भी कम पड़ती है हाइर एफिसेंसी होती है और लो पावर कंजम्शन होता है जिस बज़े से ट्रांजिस्टर्स ने वैक्यूम जो ट्यूब हम यूज करते थे पहले टू एंप्लिफाई द सिगनल उनको क्या करते हैं दिया रिप्लेस कर दिया ठीक है तो यह कुछ एडवांटीज थी ट्रांजिस्टर की जिसकी वजह से अब जो करंट में आपका ट्रांजिस्टर यूज होता है टू एंप्लीफाइड सिगनल कंपेयर टू द वैक्यूम ट्यूब ठीक है चलिए टाइप ट्रांजिस्टर की बात करें तो टाइप्स ऑफ ट्रांजिस्टर में दो तरीके की ट्रांजिस्टर होते हैं एक बीचेटी और एक एफ़ीटी बीचेटी स्टेंस फॉर मतलब इसको हम किस तरीके से बोलते हैं bipolar junction transistor और FET को आप बोलेंगे field effect transistor फिल्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर ठीक है और यहां पर आप बोलेंगे इसको bipolar junction transistor ठीक है तो यह BJT हो गया और FET दो टाइप हो गया बीजेटी भी दो तरीके के होते हैं NPN और और पी एन पी ट्रांजिस्टर जो अभी हमने पीछे डिस्कस किया है एफिटी दो तरीके के होते हैं एक जेफिटी यानि के जंक्सन फिल्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर और एक मोस्ट फैट यानि के मैटल ऑक्साइड सेमी कर्नेक्टर फिल्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर तो ये types of transistor हो जाते हैं, जिनको हमें 1 by 1 करके discuss करना है, ठीक है, types of transistor आपको clear हुए, अब बात कर लेते हैं हम bipolar junction transistor की, जो की हमें पहला type transistor का मिलता है, आपके syllabus में है BGT, ठीक है, तो पहले हम इसको समझते हैं, a bipolar junction transistor or BJT is a three terminal electronic device, क्योंकि transistor है, तो इसलिए ये three terminal device ही रहेगा, that amplify the flow of current, जो करंट के फ्लो को एंप्लिफाई करता है साथ ही साथ मैंने बताया था स्विचिंग का भी काम करता है यानि के ओन ओफ की तरह भी आप इसको यूज कर सकते हैं इट इज एक करंट कंट्रोल डिवाइस ये एक करंट कंट्रोल डिवाइस होती है जब आप FET या JFET को देखेंगे तो वो एक बॉल्टेज कंट्रोल डिवाइस होती है तो वो करंट कंट्रोल डिवाइस क्यों बोला जा रहा है In bipolar junction transistor, electric current is conducted by both free electrons and holes.

यानि के bipolar junction transistor में जो current flow होता है, जो current conduct होता है, वो electrons and holes दोनों की वजह से होता है, इसलिए इसको क्या बोला जाता है? Bipolar junction. Bipolar का मतलब होता है दोनों की के कारण, दोनों वजह से. एलेक्ट्रोन एंड होल्स तो देट्स द रीजन एट इस कॉल्ड आप आप पूरे जंक्शन ट्रांजिस्टर अगर आपसे कोई पूछे कि इसको बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर क्यों बोलते हैं तो आप सिंपली इस बात से उसको क्लियर करेंगे कि यह इस वजह से बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर कहा जाता है आगे बात कर लेते हैं ए बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर आर फॉर्म बाइ शेंड विचिंग आइएथर एंट टाइप और पी टाइप सेमीकंडेक्टर लेयर बिट्वीन द पेयर्स ऑफ द अपोसिट पर polarity semiconductor layers यानि कि bipolar junction transistor जो है वो form होता है कैसे जब हम दो same type के material के बीच में sandwich करते हैं या तो n type को या p type को ठीक है तो वो आपका bipolar junction transistor form हो जाता है जो उसके types है वन है n transistor और second है pnp transistor bipolar junction transistors are classified into two types बेस्ट ओन देयर कंस्ट्रक्शन जो अभी हमने ऊपर कंस्ट्रक्शन की बात की है एक हो जाएगा NPN ट्रांजिस्टर एक हो जाएगा PNP ट्रांजिस्टर आप देखें NPN ट्रांजिस्टर में तो दो सेम टाइप के यहाँ पर सेमिकंडेक्टर के मैटिरियल है एक N और ये भ और उनके बीच में एक n-type sandwich है तो वो आपका क्या बन जाएगा?

P-N-P transistor ठीक है इस तरीके से तो ये इस तरीके से आपकी construction के हिसाब से आपके classify हो जाते हैं bipolar junction transistor ठीक है? NPN और PNP अब NPN और PNP transistor के बारे में समझ देते हैं क्या है? NPN transistor when a single P-type semiconductor layer is sandwiched between the two n-type semiconductor layers, the transistor is said to be the NPN transistor.

वहीं पर PNP transistor क्या होता है? When a single n-type semiconductor layer is sandwiched between the two P-type semiconductor layers, the transistor is said to be PNP transistor. आगे, both PNP and NPN transistors consist of three terminals.

One is their ammeter, base and the collector. यानि कि चाहे आप NPN transistor की बात करें, चाहे आप PNP transistor की बात करें दोनों में तीन terminal होते हैं one is emitter, second is base and third one is collector ठीक है अब इन टर्मिनल्स के बारे में, next slide में समझते हैं ये terminal क्या है? अब जब आप construction करते हैं या अपने NPN transistor को बनाते हैं, तो सबसे पहले आपको ये चीजे ध्यान में रखनी हैं. क्यों importance हो जाती है, मैं आपको बताता हूँ, बच्चे NPN transistor लिखके आएंगे, अगर exam में पूछा गया है, diagram बनाएंगे, biasing करेंगे, सारी चीजे explain कराएंगे, अगर उन्होंने diagram में इन points को ध्यान में नहीं रखा, तो जब उनकी copy check होगी, एग्जामनर खुद समझ जाएगा उस डाइग्राम को देख कर कि इसको NPN ट्रांजिस्टर की समझ है या नहीं है क्या इसको पता है NPN ट्रांजिस्टर कैसे बनता है अगर ये पता है तो उसको इन पेरामिटर्स को ध्यान में रख कर अपनी NPN ट्रांजिस्टर को बनाना बहुत ध्यान से इन तीनों के यह जो points मैंने यहाँ पर लिखे हुए इनको आप समझेंगे और जो important चीज है मैं उसको underline यहाँ पर करूँगा सबसे पहला emitter है तो emitter नाम से ही आप समझ रहे होंगे emit यानि के emit करेगा यहाँ से तो as the name suggest the emitter section supply the charge carriers जो carrier को यानि के जो charge carriers है उनको supply करता है यह emitter terminal होता है आगे the emitter section is heavily doped जो emitter section होता है वो heavily doped रहता है so it can inject a large number of charge carriers अब वो large number of charge carriers कोई से भी हो सकते हैं अगर आप PNP की बात कर रहे हैं तो holes हो जाएंगे और अगर आप NPN की बात कर रहे हैं तो electrons हो जाएंगे क्योंकि उसमें doping का label high है heavy doping आपने की है into the base बेस में अब ये important हो जाता है जब आप construction करते हैं अपने circuit को बनाते हैं जिसको आप explain कर रहे हैं examiner के सामने तो the size of the emitter is always greater than the base ये point important है इस चीज को आपको ध्यान रखना है जब भी आप circuit बनाएं और वहाँ पर NPN transistor या PNP transistor को इस तरीके से अगर आप बना रहे हैं symbol में अगर बना रहे हैं तो there is no problem अगर आप इस तरीके से बना रहे हैं तो आपको इनके area के बारे में जरूर ध्यान रखना है वो अभी जब तीनों points clear हो जाएंगे तो मैं आपको यहाँ पर design करके दिखाओंगा आगे आते हैं base की बात करते हैं base क्या है?

base मतलब होता है बीच का part यहाँ पर the middle layer is called the base the base of the transistor is very thin as compared to the emitter and collector यहनिके emitter और collector के comparison में ये जो होता है ये thin होता है ये जो p reason है ये thin reason होता है और it is very lightly doped जबकि emitter highly doped होता है और आपका base जो है वो lightly doped रहता है ठीक है? क्लियर हुआ? चलिए आगे next जो terminal है वो है collector ठीक?

तो आप यहाँ पर ये ध्यान रखेंगे कि ये thin रहता है compare to the collector and base और ये lightly doped होता है ठीक? चलिए next collector terminal की the function of the collector इस टू कलेक्ट द चार्ज कैरियर्स अब जब हमें अपने ट्रांजिस्टर से वर्किंग करानी है तो यह क्या करें कि कलेक्ट करें ज्यादा से ज्यादा चीजों को इसलिए इट इस मोडरेटली डूप डोपिंग जो होगी वह मॉडरेट होगी मॉडरेट का इसकी जो डोपिंग लेविल है वह एमिटर और बेस के बीच में रहेगी एमिटर से कम रहेगी बेस से ज्यादा रहेगी थे इस that is the doping level of the collector section is in the between amateur and base. The size of collector is always greater than the amateur and base. जब आप design करेंगे तो ये line आपको ध्यान रखनी है, always greater, चाहे आप NPN की बात करेंगे या PNP की, तो आपको clear हो गया होगा, ये आपका amateur हो गया, ये आपका base हो गया और ये आपका collector हो गया.

तो आप अगर देखें size में, तो ये emitter वाला जो terminal है, या emitter जो region है, वो size में बड़ा है, p से, और size में छोटा है, collector से, यानि के base से बड़ा है, और collector से छोटा है, वहीं पर collector का जो size है, वो emitter और base दोनों से बड़ा है, डोपिंग की बात करें, तो डोपिंग level जो है, वो इसका high है, इसका compare to the base high है और emitter के comparison में low है और इसका low ही है आपका doping label ये clear हुआ I think आपको ये चीजे सारी clear हो गई होगी मतलब कहने का ये है जब आप design करें तो आप इस चीज का ध्यान रखेंगे emitter का reason जो है वो base से बड़ा बनाएंगे और collector से छोटा बनाएंगे तो आपको इस चीज को ही देखकर एक्जामनर समझ जाएगा और वो आपके मार्क्स काट लेगा यहां पर चलिए तो आपको इस चीज को ही देखकर एक्जामनर समझ जाएगा और वो आपके मार्क्स काट लेगा यहां पर चलिए अब बात आती है कि collector का size बड़ा क्यों रखा जाता है वो इसलिए रखा जाता है कि ज़्यादा area में आपके reasons में जो electrons and holes हैं वो recombine करेंगे और ज़्यादा surface मिलेगा वहाँ पर ज़्यादा surface available रहेगा जिससे कि heat dissipation की जो problem है उसको reduce किया जा सके क्योंकि transistor की advantage में आपने पढ़ा था कि ये heat को ज़्यादा reduce नहीं करता है तो वो यही कारण है कि collectors का जो reason है वो बड़ा बनाया जाता है जिससे heat dissipation की problem को reduce किया जा सके तो यह emitter based collectors जो तीन terminal हैं चाहे आप NPN transistor की बात कर लें चाहे आप PNP transistor की बात कर लें उन दोनों में यह जरूरी रहते हैं और इनको समझना इनके parameters को जानना आपके लिए बहुत चरूरी है ये चीज अगर आपकी रहेंगी तभी आप अच्छे से explain कर पाएंगे और examiner को भी समझ में आएगा कि हाँ बच्चे ने जो लिखा है उसको समझ है इसके बारे में वो जानता है NPN transistor और PNP transistor को कैसे construct किया जाता है तो ये चीज आप जरूर ध्यान रखेंगे अब आगे बात कर लेते हैं BJT के operation modes की, क्योंकि मैंने starting में आपको बताया था transistor हम as a amplifier भी use करते हैं और as a switch भी use करते हैं, तो आब जो हम बात करेंगे इस slide में BJT के operation mode की बात करेंगे, BJT operation mode, तो basically transistor can be operated in three modes, cutoff mode, जिसमें आपके दोनों junctions जो हैं वो reverse biasing में रहेंगे, saturation mode, इसमें दोनों जंक्शन्स आपके forward vising में रहेंगे और active mode जिसमें आपका emitter base junction जो है वो forward vising में रहेगा जबकि base collector junction जो है वो reverse vising में रहेगा तो ये आपके BJT के operational mode हैं मतलब जब आप दोनों जंक्शन को reverse vising में रख रहे हैं तो वो आपका cut off mode कहलाता है जब आप दोनों जंक और जब आप एक junction को forward vising में रख रहे हैं, दूसरे junction को reverse vising में रख रहे हैं, तो वो आपका active mode कहलाता है। any one of these reason any applying DC voltage to the transistor is nothing but the biasing of the transistor मतलब कहने का यह है कि जो operational mode है BGT का वो depend करेगा कि आपने कौन से junction पर किस type की battery connection दिया हुआ है suppose for example हम आपका लेते हैं यह आपका एक NP एंड टाइप ट्रांजिस्टर है पैरामीटर्स को ध्यान में रखते हुए आपको डिजाइन करना है यानि कि इसकी वेट इससे छोटी होनी चाहिए और इससे ज्यादा होनी चाहिए तो यह एमिटर टर्मिनल हो गया एमिटर की वेट बेस्ट से तो ज्यादा है बेस मैं नीचे ले लेता हूँ, ये बेस है और ये आपका collector है, और जो width है emitter की वो collector से कम है बच्चो, तो जब collector से कम है तो इस तरीके से हमें यहाँ पर बनाना है, अब चूकी हमें input apply करनी है और output लेनी है, करने के लिए दो टर्मिनल की जरूरत होती है आउटपुट अप्लाई करने के लिए या आउटपुट लेने के लिए भी हमें दो टर्मिनल की नीड होती है लेकिन आपका ट्रांजिस्टर थ्री टर्मिनल है इसलिए एक को हमें कॉमन करना होगा अभी हम आगे इसको इस पर बात करेंगे किस तरीके से हम उसको कॉमन लेते हैं डिफरेंट डिफरेंट तरीके से तो अगर हम बेस को कॉमन कर लेते हैं यहाँ पर तो एक इनपुट टर्मिनल के लिए बन गया कॉम्बिनेशन एमिटर और बेस का और इधर आउटपुट के ल तो जब आप NP जो ये emitter और base है इसको reverse biasing में रखते हैं मतलब आपने इधर positive connect कर दिया इधर negative connect कर दिया और same as it is इसको भी reverse में रखते हैं इधर positive connect करा battery का और इधर negative connect किया तो ये दोनो reverse biasing की situations हैं और reverse biasing में आपका जो transistor है वो cut off में काम करेगा अगर आपको इन दोनों को forward में कर दिया है तो यह आपका forward vising में हो जाएंगे दोनों junction है और जब forward vising में है तो वो किस में saturation mode में चला जाएगा अगर आपने amateur waste junction को तो forward vising में रखा यह और आपने base collector junction को reverse voicing में रखा तो वो आपका active mode कहलाएगा clear यानि के जो different type के operational mode है BJT के उसमें आपको कोई समस्या नहीं होगी ये इस तरीके से यहाँ पर बनी हुए हैं cut off mode अगर आप symbol के हिसाब से बनाना चाहते हैं तो इस तरीके से आप देख भी रहे होंगे ये जो width है ये इस base से तो कम है बच्चो और इस बेस से ज़्यादा है और कलेक्टर से कम है तो इस तरीके से ही आपको डिजाइन करना है ये बात आप ध्यान रखेंगे construction करते हुए मैं बार बार आपको इसी लिए बता रहा हूँ जब भी आप cut-off mode को अगर इस तरीके से explain करना चाहते हैं तो आपको उस parameter को ध्यान में रखना है कि किस reason को बड़ा बनाना है और किस के comparison में ठीक है तो cut-off mode में आपके दोनों जो junctions हैं वो किस form में है reverse pricing में यह आपका कट ऑफ मोड कहलाता है इसकी वर्किंग को एक्सप्लीन करने के लिए मैंने बताया थ जो PN junction की vising की master video available है उसको देखेंगे मैं guarantee ले रहा हूँ कहीं पे भी कोई भी confusion आपको नहीं होगा कहाँ पे depletion layer जादा बननी है कहाँ पे depletion layer कम बननी है कहाँ पे width जादा होगी किधर की side width जादा होगी वो सब आपका solution उसमें मिल जाएगा आपकी सारी working PN junction diode को ले लीजिए transistor को ले लीजिए सब समझ में आ जाएगी उस एक वीडियो की को देखकर ठीक है चलिए अब बात करते हैं सैचुरेशन मोड की तो सैचुरेशन मोड में हम क्या करते हैं सैचुरेशन मोड में हम दोनों जो जंक्शन से उनको हम फॉरवर्ड वाइसिंग में कर देते हैं दोनों जंक्शन आपके किस फॉरम में है फॉरवर्ड वा� टर्मिनल ऑफ बैटरी डायो जो ट्रांजिस्टर है इधर आपका एंड टाइप उससे कनेक्ट है और इधर भी एंड टाइप है तो नेगेटिव टर्मिनल ऑफ बैटरी कनेक्ट है ठीक है चलिए नेक्स्ट आ जाता है आपका एक्टिव मोड और एक्टिव मोड के लि� करेंगे फॉरवर्ड वाइसिंग में और जो बेस और कलेक्टर वाला टर्मिनल है जहां पर आपको दूसरा टर्मिनल एबिलेविल है बेस को आप ने वहां पर कॉमन किया हुआ है तो वह आप रिवर्स वाइसिंग में कर देंगे तो यह आपका एक्टिव मोड में हो जाएगा ट्रांजिस्टर और यहां से क्या कंक्लूजर निकलता है फाइनली वी कैन से देट द ट्रांजिस्टर वर्क एज एन ऑन एंड ऑफ यानि कि मैंने स्टार्टिंग में बताया था ट्रांजिस्टर को हम ऑन एंड ऑफ यानि कि स्विच की ओपन स्विच इन स्विच इन सैटूरेशन एंड कट ऑफ मोड यानि कि जब आपका ट्रांजिस्टर बच्चों सैटूरेशन मोड में है या कट ऑफ मोड में है तो आपका ट्रांजिस्टर विहेव लाइक इस स्विच वह एक स्विच की तरह बिहेव करेगा जबकि वेरेस इट वर्क एज एन एंप्लीफायर ऑफ करंट इन द एक्टिव मोड और जब आपका एक्टिव मोड में है यानि कि इस सिच्वेशन में है पहला आपका फॉरवर्ड वाइसिंग में यह आपका रिवर्स वाइसिंग में तो इस सिच्वेशन में आपका ट्रांजिस्टर एक तरीके से अम्प्लिफायर की तरह काम करेगा और यह एम्प्लिफाई करके देगा करं� ठीक है चले तो यह मोड से वर्किंग आप यहां पर देख रहे होंगे वही चीज यहां पर दिखाई गई है अनवायस्ट एंट पीएं ट्रांजिस्टर हमने लिया हुआ है जहां पर हमने कोई भी सप्लाई बाहर से नहीं दी है यह आपका जब पीएं जंक्सन हमने पढ़ा एन इधर है, पी इधर है, तो इसमें number of electrons की majority जादा है, इसमें number of holes की majority जादा है, लेकिन starting में due to the diffusion, यहाँ पर एक depletion layer create हो जाएगी, यह junction यहाँ पर, इनके बीच में यह है, और दूसरा junction आपको देखेंगे, यहां पर जो डिप्लेशन लेयर क्रिएट हुई है इसमें आप क्या देख रही है इसमें आपको देखने को मिल रहा है कि एक तरफ जो विर्थ है डिप्लेशन लेयर की वो जादा है और एक तरफ कम है वो क्यों है वो मैं आपको बताता हूँ अगर आपने उस मास्टर वीडि जितना जादा high doping उतना depletion layer की bit कम, तो वही scenario आप यहाँ पर देखेंगे, जब मैंने इस terminals के बारे में बात कीती, तो ammeter की जो doping होती है, वो heavily होती है, compare to the base, base में light dope आप करते हैं, तो light doping है और इदर heavy doping है, तो depletion layer की bit किधर जादा होनी चाहिए, base की तरफ, compare to the ammeter, clear हुआ अब वहीं पर दूसरी तरफ देख लेते हैं, base और collector वाले junction बार, जिसको J2 बुला गया है, यहाँ पर भी doping label collector में, amateur के comparison में कम होता है, इसलिए इसकी width अगर आप देखे, collector की तरफ बढ़ गई है, यहाँ पर एक positive ion है, यहाँ पर दो positive ion है, यहाँ पर बिर्थ यहाँ पर जा जादा ही है समझ गए आप लोग क्लियर है कैसे depletion layer की width base में जादा हो रही है compare to the emitter side as well as the collector side ठीक है क्लियर इसलिए मैंने starting में बच्चों बोला था आप उस video को जरूर देख के आएं आपका 50% solution हो जाएगा जो explanation आपको करनी है pn junction को लेकर चाहे वो transistor में हो चाहे वो डायोड में हो, चाहे वो GFET में हो, चाहे वो MOSFET में हो इसलिए मैं आपको स्टार्टिंग में बोल रहा हूँ कि वो वीडियो आप जरूर देख कराएं ठीक है, तो ये आपका हो जाएगा जब तक हमने वाइसिंग कोई अप्लाई नहीं की है जो बैटरी ने आपने कनेक्ट की है उसकी पॉलरिटी पर डिपेंड करेगा कि किस तरीके का बायसिंग आपने प्रोवाइट कराया है जो हमने अभी पीछे डिस्कस कर लिए हैं जब मैंने स्टार्टिंग में आपको बताया था ट्रांजिस्टर के बारे में बच्चों, तो ट्रांजिस्टर को हम किसकी जगह पर लेकर आये थे? वैक्यूम ट्यूब की जगह पर, और वैक्यूम ट्यूब हम क्यों यूज़ करते थे? वैक्यूम ट्यूब यूज़ करते थ कि हमारा ट्रांजिस्टर एंप्लीफाई करें सिग्नल को इसका कहने का मतलब लाइन का यही है कि हम ज्यादातर ट्रांजिस्टर को एक्टिव मोड में यूज करते हैं क्योंकि एक्टिव मोड में ट्रांजिस्टर एंप्लीफाई करता है एलेक्ट्रिक करंट को वह क्योंकि यह एक करंट कंट्रोल डिवाइस है ठीक है वह इस तरीके से यहां पर एक्टिव मोड में आपकी बैटरी अपलाई है यह आपका फॉरवर्ड वाइसिंग में है यह आपका रिवर्स पैसी में सारी डिटेल्स आपकी सारे जो है वह आपको टॉपिक वाइस पढ़ाए हुए हैं वह डिटेल वाइस अगर आपको पढ़ना है तो आप प्लेलिस्ट को चेक कर सकते हैं वहाँ पर जाकर पढ़ सकते हैं अदरवाइस यहाँ पर आप अगर आपने पढ़ा हुआ है तो आप उसको रिकॉल करने के लिए य डिप्लिसर लेयर की बिर्थ क्या होगी रिडूज हो जाएगी जैसा की अनवाइस्डिंग सिचुएशन में मैंने आपको दिखाया था और इसके लिए आपको कुछ नहीं करना है वन सूट आपके मांड में स्टार्ट हो जानी चाहिए वही वर्किंग आप यहाँ पर लिख देंगे और फोर्डा जंक्सन सेकंड एस वेक ठीक है किलियर चली एमिटर वेस कलेक्टर करंट की हम बात कर लेते हैं जो base में holes हैं क्योंकि वहाँ पर p type है यानि के जो N P N transistor है वहाँ पर ये emitter N हो गया, base P हो गया, collector N हो गया, यहाँ पर इसका जो region है, area है, वो इतना है, और इससे भी छोटा आपका P है, और सबसे बड़ा है N, है न, तो जब हम इस पर supply देते हैं, forward voicing connect करते हैं, तो that means यहाँ से electrons move करना start हो जाएंगे, किधर, hole यानि के P type की तरफ, और वो फिर recombine करेंगे जब वो P में पहुँचेंगे, जो बेस है वो थिन है और लाइटली डोप्ट है क्योंकि ये पतला भी है और लाइट डोप है तो number of जो holes है यहाँ पर बहुत कम होंगे तो वो कम ही electron यहाँ पर recombine हो पाएंगे the remaining large number of electrons will cross the base region and reach to the collector region और वो easily ज़्यादा amount में cross कर जाएंगे junction को और पहुँँच जाएंगे कहाँ पर collector की तरफ this is due to the positive supply voltage apply at the collector collector पर क्योंकि आपने positive supply दी हुई है क्योंकि ये आपका reverse biasing में है इधर की तरफ है ना तो इधर की तरफ को electron आपके भाग रहे हैं hence free electrons flow from emitter to collector at collector both the emitter free electrons ammeter free electrons and collector free electrons produce the current by flowing towards the positive terminal of battery मतलब यहां से जो electrons आए उनकी बज़े से और इसमें जो electrons थे उनकी बज़े से यह जो electrons है move करेंगे positive terminal of the battery की तरफ तो इसमें यहां से जो flow हो रहा है electrons का इसकी बज़े से current का flow हो गया therefore an amplified current is produced at the output और इस बज़े से collector यानि कि जो output terminal है वहाँ पर आपको amplified current मिला है clear हुआ note क्या लिखा हुआ है in NPN transistor the electric current is measurably conducted by the electrons यानि कि NPN transistor में जो current flow होता है वो basically electrons की बज़े से होता है क्योंकि 2 N यहाँ पर use है तो majority जो है वो electrons की जादा है इस बज़े से जादा amount में जो current flow होगा वो electrons की बज़े से होगा आप ये नहीं कह सकते हैं कि holes की बज़े से नहीं होगा यहाँ पर holes की बज़े से भी होता है लेकिन majorly आपकी जो current है वो electrons की बज़े से flow होती है और दोनों की बज़े से flow होने से इसको हम BGT यानि की bipolar junction transistor बोलती है ठीक है चलिए तो पी टाइप सेमीकंडेक्टर लेयर एक पी एंड पी ट्रांजिस्टर इस फॉर्म जब हम एक एंड टाइप सेमीकंडेक्टर लेयर को सैंडविच कर देते हैं दो पी टाइप सेमीकंडेक्टर लेयर के तो वो आपका बन जाता है पी एंड पी ट्रांजिस्टर आप देख यहाँ पर एक अम्बुजा सिमेंट की दिवार बन गई, एक यहाँ पर अम्बुजा सिमेंट की दिवार बन गई, जो आपके जंक्सन कहला है G1 and G2, ठीक है, और इन अम्बुजा सिमेंट की जो दिवार है, इनको भेद पाना मुश्किल है, और इसी बज़े से यहाँ पर कु वो आपका lightly doped होता है और जो collector होता है वो emitter के comparison में lighter होता है और base के comparison में heavily doped होता है reason same भी रहेगा जो reason की width है वो emitter की base से जादा रहेगी collector से कम रहेगी और collector की जो width है वो सबसे जादा रहती है base की width सबसे कम रहती है ठीक है same scenario आपका PNP transistor के लिए हो जाएगा PNP transistor में arrow आपका अंदर की तरफ होता है यह मैंने बहुत बहुतर तरीके से आपको सुरुवात में भी बता दिया था ठीक है चलिए अब बात कर लेते हैं working की same situation आपकी उसी तरीके से working होगी जिस तरीके से NPN transistor में आप देखते हैं चुकी यहाँ पर majority charge carriers पी में आपके क्या हो जाएंगे holes हो जाएंगे यहाँ पर majority में आपके क्या हो जाएंगे holes हो जाएंगे और बीच में जो sandwich है N layer जो की base है उसमें आपके electrons हैंगे majority में है न तो मतलब कहने का यह है कि जो base है उसकी bit कम होती है जैसे ही हम supply provide कराएंगे active mode में लेकर आएंगे तो एकदम से आपका moment हो जाएगा holes का फ्रॉम द पी टू एनिके एमिटर से बेस इस तरीके से आपका यह प्रोसेस स्टार्ट हो जाएगा चुकि यहां पर मैजोर्टी जो है वह वह बजह से होगा और माइनॉर्टी में इलेक्ट्रोन की बजह से होगा यह आपका हो जाएगा एंड पी ट्रांजिस्टर आप यहां पर देख रहे होंगे इसमें आपको इसको एक्टिव मोड के लिए फॉरवर्ड वाइसिंग में कनेक्ट करना है, इसको रिवर्स वाइसिंग में कनेक्ट करना है, फॉरवर्ड वाइसिंग के लिए क्योंकि ये P है तो बैटरी के पॉजिटिव से कनेक्ट कर दिया, इधर ये P है तो बैटरी के निगेटिव से कनेक्ट सेम वही है जो हमने NPN ट्रांजिस्टर के लिए पढ़ा है और फिर मैं वही कहूंगा मास्टर वीडियो इस बेस्ट फोर द एक्सप्लेनिशन फॉरवर्ड वायसिंग और रिवर्स वायसिंग के लिए ठीक है चलिए अब हम बात करते हैं एमिटर बेस कलेक्टर करंट की एमि� बेस में इलेक्ट्रोंस की जो मात्रा है वो बहुत कम है, number of electrons जो है वो कम है क्योंकि वो lightly doped है, however the base is very thin and lightly doped, so only a small percentage of emitted holes will combine with the free electrons in the base region, और इस बजे से बहुत कम amount में holes recombine हो पाते हैं, electrons से आगे, the remaining large number of holes will cross the base region and release, which is टू दा कलेक्टर रिजन और कलेक्टर रिजन तक बहुत आसानी से वह पहुंच जाते हैं दिस इस ड्यूट निगेटिवली सप्लाई बोल्टेज एप्लाई एड़ टा कलेक्टर और यह किस कारण होता है जो हमने निगेटिव सप्लाई एप्लाई की है बोल्टेज जो सप्लाई की है किस पर कलेक्टर पर हैंस होल्स फ्लॉट फ्रॉम एमिटर टू कलेक्टर यानि कि इसी बजे से जो होल्स हैं वह आपके एमिटर से कलेक्टर की तरफ भाग रही है क्योंकि यह आपके पॉजिटिव चार्ज होते हैं होल्स और इधर आपने negative connect किया हुआ है तो इसलिए इधर की तरफ भागेंगे ठीक है?

चलिए next चलते हैं at collector both the emitter holes and the collector holes produce the current by flowing towards the negative terminal of the battery अब जब जो holes है वो आपके emitter से भी आए और collector क्योंकि p type है वहाँ पर भी number of holes है और वो फिर move करेंगे एक साथ कहाँ पर negative terminal वो सॉरी हाँ निगेटिव टर्मिनल और बैंटरी क्योंकि वो रिवर्स वाइसिंग में है ना कलेक्टर तो वो आपके मूवमेंट होगा देरफोर एन एम्प्लिफाइक करंट इस प्रोडूस एट द आउटपूट और इसी बजे से एक एम्प्लिफाइक अमाउंट में आप वो measurely conduct होगी due to the holes जब आप PNP transistor की working को समझ रहे हैं या working इसमें PNP transistor में ठीक है लेकिन ऐसा नहीं है कि यहाँ पर electrons की बज़े से current flow नहीं होगा वो minority carrier में होगा बच्चो minority यानि के कम मात्रा में electrons की बज़े से current का flow होगा इसी बज़े से क्योंकि दोनों की current आपका यहाँ पर current flow होता है इसको BJT बोला जाता है bipolar junction transistor बोला जाता है आपका bipolar junction transistor electron and holes दोनों की बजह से चाहे आप PNP की बात कर लें या NPN की बात कर लें करंट को flow कराता है तो इसलिए आपका BJT एक current control device होता है और bipolar junction transistor होता है current control इसलिए बोल रहे है क्योंकि जो आपके charges हैं वो collector में इखटा होते हैं और वो फिर battery के terminal की तरफ भागते हैं तो जो charges का flow है उसकी बज़े से current flow हो रहा है और वो आपको output terminal पर amplified form में मिल रहा है यानि कि उसकी value increase हुई हुई मिल रही है तो इसलिए उसको क्या बोला जाता है current control device ठीक है चले next चलेते हैं अब transistor की configuration की बात कर लेते हैं configuration हम कैसे करते हैं कि transistor जो है वो three terminal device है लेकिन हमें input लेने के लिए और output लेने के लिए दोनों जगह पर दो दो टर्मिनल्स की नीड होती है तो हमें चार टर्मिनल चाहिए है ना यह अगर मैं ऐन ले लेता हूं यह मैं पी ले लेता हूं और यह भी मैं ऐन ले लेता हूं तो अगर मैं इसको वेट इतनी देता हूं और इसको वेट इतनी देता हूं तो आप समझ सक एमिटर है वो बेस से बड़ा है कलेक्टर से छोटा है तो इस तरीके से आपने यहाँ पर डिजाइन कर लिया यह एमिटर टर्मिनल हो गया यह आपका कलेक्टर हो गया और यह आपका बेस हो गया ठीक है तो जब आप ट्रांजिस्टर की कॉन्फिगेशन को देखते हैं तो आ और उसी से आपकी transistor की configurations आती हैं यानि कि आपने किस तरीके से अपने transistor को configure किया हुआ है जिससे कि आप दो terminal input के लिए provide करा सकें और दो terminal output के लिए provide करा सकें तो उसमें आपको एक terminal को common कर लेना है for the input as well as for the output तो input यहाँ पर आपने apply किया output आपको यहाँ पर मिल गया तो इस scenario में आपने किस को common किया हुआ है base को तो यह आपकी configuration हो जाएगी common base configuration इसी हिसाब से जब हम emitter को common कर लेंगे तो that's called the common emitter configuration और जब हम collector को common कर लेंगे तो that's called the common collector configuration तो इस तरीके से transistor की जो configuration है वो तीन तरीके से आप कर सकते हैं आएए इसके जो pictures हैं इस तरीके से हम आगे देखते हैं depending upon the terminal which is used as a common terminal to the input and the output terminal. यानि के जो configuration है वो depend करेगी कि कौन से terminal को हमने common किया है for the input as well as for the output. The transistor can be connected in the following three configuration.

First one is the common base configuration. Second one is the common ammeter configuration. And third one is the common collector configuration. ठीक है? यानि के इन तीनों तरीके से आपने अपने transistors की configuration करनी है.

क्लियर चलिए अब कॉमन वेस कॉन्फिग्रेशन में आपका बेस कॉमन हो जाता है आप इस तरीके से बना लीजिए या इस तरीके से बना लीजिए ठीक है वहीं पर आप अगर बात करें कॉमन एमिटर कॉन्फिग्रेशन की तो आपने यहाँ पर एमिटर टर्मिनल को कॉमन क कि यह कंफिग्रेशन बना सकते हैं ठीक है सारी कंफिग्रेशन डिटेल में एक्सप्लेइन है प्लेलिस्ट में अबलेबल है आप वहां से जाकर पढ़ सकते हैं तो कॉमन बेस कॉमन कलेक्टर और कॉमन एमिटर कंफिग्रेशन इस तरीके से आपको करनी है और इनकी वर्किंग एक्सप्लेइन करनी है ठीक है चलिए यह मैंने यहां पर आपको दिखा दिया कॉमन बेस कंफिग्रेशन फूर द पी टाइप और एंट टाइप दोनों के लिए एंट पीन ट्रांजिस्टर की कॉमन बेस कंफिग्रेशन इस प्राइस पर इनपुट करेक्टरिस्टिक कॉमन बेस कॉन्फिग्रेशन की अगर हम बात करें तो क्या हो जाएगी आप यहां पर बोल्टेज एप्लाई करेंगे वी वी इ जिसकी हेल्प से आपका जो वेरियेशन होगा वो किसका होगा वी सी बी अक्रॉस दा कॉमन मतलब कलेक्टर और बे है अगर हम देखें जब वीसीबी अप्लाई आपने किया हुआ है तो आप इस तरीके से देख सकते हैं आईए जीरो मिली एंप्र फिर आईए यानि कि यहां पर आईए वेरी कर रहा है ठीक है तो देख में यहां पर आप आईए को कैलकुलेट करते तरीके से आप इसको एक्सप्लेट कर सकते हैं करेक्टर स्टिक ठीक है चलिए अब यहां पर जो कॉमन बेस है उसमें आप डाइनामिक dynamic output resistance इनको समझेंगे क्या है तो dynamic input resistance क्या होता है यह आपसे definitions two marks में पूछ ली जाती है तो आप इसको जरूर ध्यान रखें dynamic input resistance क्या होता है for the common base and for the collector and for the emitter जब common आप रखेंगे तो dynamic input resistance is defined as the ratio of change in the input voltage or emitter voltage to the को रिस्पॉंडिंग चेंज इन दाप इनपुट करंट और एमिटर करंट यहां पर देखिए समझ जाए ना आप यहां पर डाइनमिक इनपुट रिजिस्टेंस की जो बात हो रही है वह एक रेशो है किसका कि इनपुट बोल्टेज में कितना चेंज हो रहा है किसके कोरिस्पॉंडिंग के इनपुट करंट में आपने कितन विद द आउटपुट बोल्टेज और कलेक्टर बोल्टेज कीप्ट कॉन्स्टेंट यहां पर जो आउटपुट बोल्टेज है देश द वीसी यानि कि कलेक्टर बोल्टेज वो कॉन्स्टेंट आपको रखनी है तब आप डाइनामिक इनपुट रेसिटेंस की बात करेंगे जैसे यहां पर डाइनामिक इनपुट रेसिटेंस को बताया गया है चेंज इन द बोल्टेज वी यानि के बेस एमिटर टर्मिनल पर ड्यूट कि कलेक्टर के एक्रॉस जो बोल्टेज है उसको आपने क्या रखा है कॉन्सटेंट नॉट यहां पर क्या लिखा है द इनपुट रजिस्टेंस ऑफ द कॉमन बेस एंप्लीफायर इस वेरी लूप यह आप ध्यान रखेंगे कि जो इनपुट रजिस्टेंस होता है कॉमन बेस कॉन्फिग्रेशन का या एंप्लीफायर का वह क्या होता है बहुत ही लो होता है वहीं पर डाइनामिक आप पुट रजिस्टेंस की बात करें जिसको हम आर नॉट से डिनोट करते हैं यह आर आई से डिनोट करेंगे आपकी इनपुट है यह आउटपुट है तो dynamic output resistance is defined as the ratio of the change in output voltage अब यहाँ पर change हो रहा है output voltage में और output voltage यहाँ पर क्या थी BCB ठीक है तो BCB to the corresponding change in the अब corresponding change किस में होगा output current में यानि के वो क्या होगी collector current IC with the input current और emitter current जहाँ पर हमें constant रखनी है IE तो वो आपका dynamic output resistance हो जाएगा यानि के R0 equals to change in the output voltage with respect to the change in output current जब आपने emitter current को constant रखा हुआ है तो यहाँ पर क्या हो जाएगा the output resistance of the common base amplifier is very high जो output resistance होता है common base amplifier का वो बहुत ही high होता है compared to the dynamic input resistance केलियर हुआ दोनों टाइप के resistance आपको clear हो गए होंगे अब बात करेते हैं DC current gain की जिसको हम alpha से denote करते हैं और alpha को देखते ही आपको समझ में आ जाना चाहिए कि यह एक बहुत important parameter हो जाता है second unit के लिए क्योंकि जो एक मात्र derivation आपसे पूछा जाता है वो यही होता है alpha beta में relation तो यह क्या कह रहा है the current gain of a transistor in common waste configuration is defined as the ratio of output current जो की IC है to the input current जो की emitter current यानि के IE है क्योंकि आप DC current gain की बात कर रहे हैं gain क्या होता है input का respect में output आपको क्या मिल रही है यानि के ratio of the output to the input वो आपका gain कहलाता है तो यहाँ पर आप current gain की बात कर रहे हैं तो output पर कितना current आपको मिला input की current के हिसाब से क्योंकि ये current control device है तो वही आपका DC current gain हो जाएगा और किस configuration के लिए आपका common base configuration के लिए ठीक है definition देखेगा आप जब आगे पढ़ेंगे सब की same है बस parameter change हो जाएगे क्योंकि आपकी configuration change हो जाएगी तो आपको definition को रटना नहीं है समझना है बस ये चीज आपके mind में होनी चाहिए कि picture में आपको पता होना चाहिए कि जब हमने किसी भी configuration में कौन सा terminal common किया है और वहाँ पर input किया है और output किया है बस रटने की जरूरत नहीं है मैं बार बार आपको कहता हूँ रटने की कोशिश आप ना करें आपको बहुत बेहतर तरीके से चीजे बताई जा रहे हैं समझाई जा रहे हैं तो alpha equals to क्या हो जाएगा ratio of the output current to the ratio of the input current आईसी अपन आई नोट क्या लिखा हुआ है दक करंट गेन ऑफ ट्रांजिस्टर इन कॉमन बेस कॉन्फिग्रेशन इस लेस्ट देन द यूनिटी क्यों क्योंकि आपका जो एमिटर करंट का अमाउंट है वह जब आप रिसो फाइंड आउट करते हैं तो वह एक से कम आता है मतलब डी सी करंट गेन आपको एक से कम ही मिलेगा वह आप इधर समझेंगे जब मैं अभी आपको यहां पर एक्सप्लीन करूंगा द टिपिकल करंट गेन क्योंकि आपका common base configuration में IE जो होता है, वो IC plus IE होता है, क्योंकि आपका यहीं से आपका emitter से emit हो रहे हैं charges, तो वो जो current होगा, वो equals to होगा IC plus IB के, और अगर हम change करें दोनों current में, तो change in emitter current equals to change in collector current as well as the base current, तो अगर आप यहाँ पर divide कर लेते हैं, मतलब delta IE से divide कर लें, क्योंकि यह क्या है, IC upon IE ratio है, तो जब हमने इनको divide किया, तो then ये तो cut के 1 हो जाएगा, ये 1 आ गया हमारे पास, IC upon IE क्या है, अभी हमने लिखा है, alpha है, alpha हो गया, और delta IB upon IE, ये as it is रहेगा, तो अगर आप यहाँ से alpha की value निकालें, और इसको इधर लेकर जाएं, तो ये alpha equals to 1 minus हो रहा है, तो that means, ये जो value है, 1 से minus हो रही है, तो ये indicate करती है, कि alpha की value हमेशा less than रहेगी 1 से. ठीक है, clear, तो यह आपका DC current gain हो जाता है, common waste configuration के लिए, जिसको आप alpha से denote करते हैं, ठीक है, चलिए, आगे चलते हैं, अब common emitter configuration आपकी यहाँ पर देखने को मिल रही है, तो यह उसी तरीके से है, जैसे मैंने पीछे आपको diagram में बताया है, सारी चीज़े आपकी active mode में चल रही यानि कि हम अभी common collector configuration को देख रहे हैं तो इसका जो input output impedance है वो कैसा रहता है medium ही रहता है जबकि common base में अगर आपने देखा हो तो input impedance मैंने note में लिखवाया था low रहता है जबकि output impedance high होता है जब input impedance low है और output impedance high है तो उस situation में जो voltage gain है वो high हो जाता है और जब voltage gain high है तो current gain जो होगा वो low रहेगा जैसा कि अभी हमने देखा था DC current gain वो 1 से कम है और जब voltage gain high है और current gain low है तो ये जो होगा low power gain आपको देखने को मिलता है क्योंकि power gain की अगर हम बात करते हैं तो वो low रहता है वहीं पर common emitter configuration में input और output impedance दोनों क्या होते हैं medium होते हैं इस वज़े से जो power gain है वो high हो जाएगा क्यो कि यह इनपुट करेक्ट्रेस्टिक हो जाएगी कॉमन एमिटर कॉन्फिग्रेशन की इनपुट करेक्ट्रेस्टिक है कॉमन बेस कॉन्फिग्रेशन की यहां पर आप कंपेयर कर सकते हैं दोनों चीजों में यहां पर आपने वीवी दिया हुआ है यहां पर वीवी है यहां पर आईए आपका है यहां पर आपका आईबी हो जाएगा ठीक है यहां पर आप देख रहे होंगे कि यह वीडियो जी रोबोल्ट था टैन बोल्ट था यह ट्वेंटी बोल्ट था यहां पर आपका उल्टा हो रहा है जी रोबोल्ट है एट बोल्ट है 18 बोल्ट है ठीक है तो इस तरीके से आप इसको समझ सकते हैं ठीक है, clear हुआ, चलिए डिटेल के लिए, मैं डिटेल में इसलिए मैंने explain नहीं करना चाह रहा है यहाँ पर कि वीडियो बहुत lengthy हो जाएगा otherwise यहाँ पर हम केवल एक तरीके से overview कर रहे हैं चीजों का ठीक, डिटेल के लिए सारी playlist check कर सकते हैं, वहाँ से पढ़ सकते हैं input characteristic of common configuration कि यह cut off region है यहाँ पर यह saturation region में हो जाएगा यह active region में भी हो जाएगा जब आप configuration common ammeter की form में कर रही है transistor की ठीक है चलिए अब आगे बात कर लेते है dynamic resistance input और output क्या है यहाँ पर तो dynamic input resistance जिसको हम RIC denote करेंगे तो dynamic input resistance is defined as the ratio of change in the input voltage जो की यहाँ पर है base voltage VVE to the corresponding change in the input current जो की है यहाँ पर base current IB with the output voltage और collector voltage kept constant यहाँ पर हम collector voltage जो है उसको हम constant रखेंगे यानि के output voltage जो है हम उसको constant रखेंगे that means dynamic input resistance equals to change in the input voltage with respect to change in the input current जब हमने output voltage को constant रखा हुआ है वहीं पर dynamic output resistance की बात करते हैं तो वही definition हो जाएगी आपकी यह किसका ratio होता है change in the output voltage जो कि यहाँ पर collector और emitter के बीच में है और किसके respect में जो current है output current collector current उसका और यहाँ पर जो input current है IB उसको constant रखा जाएगा जो होता है कि वह होता है इन पूछे जो होता है कि वह होता है ठीक है चलिए आगे बात कर लेते हैं यहां पर हम इसको करते हैं द चैनल ऑफ ट्रांजिस्टर इन कॉमन एमिटर कंफिग्रेशन इस डिफाइन ऐस द रेशो वही रहेगा, output current का ratio, input current के साथ, वो आपका current gain कहलाता है, और इसको हम beta से denote करते हैं, ठीक है, beta से हमने denote किया, तो that means, जो यहाँ पर output current है, वो क्या है, collector IC, और input है, base current IB, तो beta equals to हो जाएगा, IC upon IP, the current gain of a transistor in the common emitter configuration, high, यह high रहता है, therefore, इसी बजह से आपको जो common emitter configuration है वो ज़्यादा use करते है to amplify the करंट क्योंकि यहां पर जो गेन मिल रहा है करंट वह हाई मिल रहा है कंपेयर टू दा पॉवर्न बेस कॉन्फिग्रेशन जो आपका लेस्ट देन यूनिटी था है ना वहां पर आपने क्या देखा था जो गेन है वह लेस्ट देन यूनिटी आपको देखने को मिला था तो इस बजे से आप वहां पर करंट को एंप्लीफाइड नहीं कर पाते हैं क्लियर हुआ चलिए आगे बात कर लेते हैं आप आता है कॉमन कलेक्टर कंफिग्रेशन सेम वही सिचुएशन है कॉमन अ इस प्रक्रम को कमेंट कर दिया है यहां पर क्या नोट लिखा हुआ है तो कमन कलेक्टर कंफिग्रेशन एंप्लीफायर है इन पूर्ट इंपीडेंस एंड लो आउटपूट इंपीडेंस यहां पर जो इंपूट इंपीडेंस होता है किसका कमन कलेक्टर है वह हाई होता है और आउटपूट इंपीडेंस जो होता है वह लो होता है इट हैस लो बोल्टेज गेन इसी बजे से इंपूट जो बोल्टेज गेन है वह लो रहेगा और करंट गेन हाई हो जाएगा जिस बजे से पावर गेन जो है वह क्या हो जाएगा medium रहता है ठीक है यह common emitter configuration के कुछ points हो जाएंगे ठीक चलिए अब हम input resistance और output resistance के अगर हम बात करते हैं common emitter configuration में तो change in the input voltage with respect to the change in the input current जब हमने output voltage को constant रखा है तो input voltage यहाँ पर V C जो voltage है between the base and collector हो जाएगी और जो input current होगी वो क्या हो जाएगी बेस करंट हो जाएगी और आउटपुट बोल्टेज आपका यहां पर बिट्वीन द एमिटर एंड कलेक्टर टर्मिनल रहेगा और इनपुट की बात करें तो रेशन ऑफ द आउटपुट बोल्टेज एमिटर और कलेक्टर के बीच में जो है उसका विद रेस्पेक्ट टू चेंज या आउटपुट करंट जो कि आपकी एमिटर करंट है जब आपने इनपुट करंट को आईबी को कॉन्सेंट रखा हुआ है वह आपका और यहाँ पर note है the output resistance of the common collector amplifier is very low जो output resistance होता है common collector amplifier का वो बहुत ही low रहता है ठीक है तो यह आपका dynamic output resistance हो जाता है common collector में common collector में current gain की अगर हम बात करें तो common collector configuration में current amplification factor या फिर हम इसको DC current गेन भी बोल सकते हैं जिस तरीके से हमने पीछे देखा है दोनों के लिए common base और common emitter configuration के लिए इसको हम alpha से denote करते हैं तो the current amplification factor या DC current gain of the common collector configuration is defined as the ratio of the change in the output current जो की यहाँ पर emitter current है to the change in the input current जो की यहाँ पर base current है वो express होता है gamma से तो gamma equals to change in the output current IE to the change into input current IB यहाँ पर क्या है, note the current gain of the common collector amplifier is high, यानि के current gain है common collector configuration में वो क्या होता है, high होता है ठीक है, यह आप ध्यान रखेंगे clear, अभी मैं next slide में आपको इन तीनों के comparison दिखाऊंगा अलग-अलग parameters के ठीक है, तो यह आपका हो जाता है common collector configuration, ठीक है तीनों configuration को हमने समझा, किस तरीके से हम connection करते हैं, और किस में आपका input impedance high होगा या low होगा, किस में voltage gain high होगा, low होगा, किस में current gain high होगा, low होगा, वो सारी चीजे आपने यहाँ पर देखी, और किस का current amplification factor, जिसको हम current gain बोल देते हैं, high रहेगा, किस में low रहेगा, ठीक है, clear ह� तीनों टाइप की configuration में तो सबसे पहले input resistance की अगर हम बात करें तो common base का input resistance low होता है common emitter का भी low होता है लेकिन common collector का high होता है वहीं पर output resistance की अगर हम बात करें तो इसका high होता है इसका भी high होता है किसका common emitter का लेकिन common collector का जो होता है वो बहुत ही low रहता है वहीं पर आगर बात करें देखे output resistance से क्या हो रहा है output resistance high होने से जो current का एमप्लीफिकेशन है वो कम होगा तो कहने का मतलब क्या हुआ कॉमन बेस में बहुत ही हाई होता है तो इस वजह से एमप्लीफाई नहीं हो पाती है और गेन क्या हो जाता है लेस्ट दन बन हो जाता है यहां पर हाई होता है लेकिन वो इतना हाई नहीं है हम यहां पर अपनी करंट को एमप्लीफाई कर लेते हैं तो कॉमन एमिटर में आपका एमप्लीफाई हो जाती है कर लेकिन यहां पर बहुत ही कम होता है तो यहां पर बहुत ज्यादा अमाउंट बेंट प्लीफाई हो जाती है इसलिए ज्यादातर most of the common emitter configuration used की जाती है voltage गेन की बात करें तो यहां पर 150 के अप्रोक्ट होता है यहां पर 500 के अप्रोक्ट है यहां पर less than one है यानि कि बहुत ही low रहता है output phase same phase रहता है opposite phase रहता है यहां पर नहीं है वहीं पर current amplification की बात करें तो alpha बीटा और गामा डेफिनेशन वही है आउटपुट करेंट का रेशो इनपुट के साथ वही आपका करेंट एंप्लिफिकेशन या करेंट गेन कहलाता है फैक्टर आफ करेंट गेन इसमें आपका less than 1 रहता है यहाँ पर greater than 1 होता है यहाँ पर भी much much greater than 1 होता है वही पर voltage गेन की बात करें तो voltage गेन आप इस तरीके से बोल सकते हैं way out upon way in और यहाँ पर यह voltage गेन जो है वो डारेक्टली रिलेट कर रहा है लोड ऑफ था आप पुट टू दा इनपुट सेम एज इट इज लोड ऑफ था आउटपुट टू दा इनपुट क्लियर है और यहां पर इसकी मल्टिप्लाई हो रही है किससे गेन से जो करंट गेन है वहीं पर पावर गेन की बात करें तो पी और इस बजे से हम इसको amplification में use नहीं करते यह आप ध्यान रखेंगे ठीक है application for high frequency for audio frequencies और for the impedance आप यह different different configuration अलग अलग तरह के applications में use करते हैं clear हुआ यह ध्यान रखना है कि common collector को हम amplification में use नहीं करते हैं कोई आप से पूछे क्यों use नहीं करते हैं क्योंकि इसका जो DC current gain है वो बहुत ही ज़्यादा है हाई होता है इस बजे से हम यूज नहीं करते और वह हाई क्यों होता है क्योंकि इसका आउटपुट रेजिस्टेंस जो होता है वह बहुत ही लो होता है और इनपुट रेजिस्टेंस हाई होता है जूटू दिस टू पॉइंट्स इन जो दो पॉइंट्स है इनकी बजे से यह alpha और beta का, तो alpha और beta के relation के लिए अगर हम बात करें common base configuration की, तो उसमें जो current होता है, IE, वो equals to होता है base current और collector current के sum के, तो जब base current और collector current का sum है, तो हमें मिल गया I equals to IB plus IC, हमें alpha DC यानि के current gain of DC पता है, वो क्या है, IC upon IE होता है, और जो beta है, common collector के लिए, तो महाँ पर IC upon IB हो जाता है रिसो तो अगर हम इस equation को देखें तो इस equation में अगर मैं IE की divide कर दू दोनों तरफ तो हमें क्या मिलेगा यहाँ पर एक सेकेंड sorry IC का divide कर रहे है sorry इस पूरी equation को divide by IC on both sides तो हमें क्या मिलता है, यह मिलेगा हमें, जब हम दोनों तरफ आई सी से डिवाइट करते हैं, तो आई ए अपॉन आई सी हो जाएगा, यह आई बी अपॉन आई सी हो जाएगा, यह आई सी से आई सी कट हो जाएगा, ठीक है, यह कट हो गया, तो हमें यहाँ से यह वन मिल गया वहीं पर अगर मैं इसको 1 अपॉन बीटा लेता हूँ, तो हमें क्या मिलेगा, IB अपॉन IC, तो फिर हम ये values put कर सकते हैं, तो इसकी जगह पर मैंने value put कर दी, 1 अपॉन alpha DC, और इसकी जगह पर मैंने value put कर दी, 1 अपॉन beta DC, ठीक है, तो जब हम इसको solve out करेंगे, तो यहां से हमे और यहां से आप alpha dc की value find out करें तो इसको उल्टा कर देंगे, आप reverse कर देंगे, तो alpha dc और यह उपर पहुंच जाएगा यह नीचे, तो beta dc upon 1 plus beta dc, एक इस तरीके से आप बात कर सकते हैं दोनों में relation, अगर आप इस 1 को इधर ले आते हैं, तो क्या scenario होगा, 1 इधर आ गया है alpha DC upon 1 minus alpha DC, तो ये आपका relation हो जाता है, between the alpha and beta, यानि के DC current gain of the common base configuration, as well as for the common, एमिटर कॉन्फिग्रेशन ठीक है तो यह रिलेशन पूछा जाता है बार-बार आपसे एक्जाम में तो आप इसको जरूर बहुत अच्छे से प्रैक्टिस करके जाएंगे बस आपको यह ध्यान रखना है कॉमन बेस कॉन्फिग्रेशन में जो करंट होती है उसकी एक्वेशन में आई इक्वेस्ट टू आई बी प्लस आईसी होता है और बस इस एक्वेशन को आपको आईसी से डिवाइड करना है फिर आपको जो एलफा डी सी की वैल्यू होती है बीटा डी सी की वैल्यू होती है उनके साथ इसको इस पर बना लेना है और उन values को यहाँ पर introduce कर लेना है तो वो relation आपका alpha और beta में आ जाता है ठीक है clear चले तो यह आपका BJT वाला portion खतम हो जाता है अब जो second type का आपका transistor है यानि कि field effect transistor उसको हम यहाँ से पढ़ेंगे दोनो types JFET और MOSFET यहाँ पर हम discuss करने वाले हैं तो अगर हम JFET की ब two main type of the field effect transistors, the other being the metal oxide semiconductor field effect transistor, basic operation क्या है, GFAT operates based on the control of the current flow by an electric field, मतलब जो electric field हम apply कर रही हैं, उसके हिसाब से current के flow को हम control करते हैं, it has the three terminals, source, drain and the gate, इसके भी तीन terminal होते हैं, channel की बात करें तो जेफिटी है आइदर द एंड चैनल और पी चैनल कॉन्फिग्रेशन इन एंड चैनल कॉन्फिग्रेशन या एंड चैनल जेफिटी एलेक्ट्रोंस आर्था मैजोर्टी कैरियर्स वाइल इन द पी चैनल जेफिटी होल्स आर्था मैजोर्टी कैरियर्स बोल्टेज कंट्र meaning the current flow between the source and the drain terminals is controlled by the voltage applied to the gate terminal नियानिके जो source and drain terminal पर हम मतलब current जो flow हो रहा है उसको हम control किसे करेंगे जो voltage आपने apply की है किस पर gate terminal पर इसलिए इसको आप voltage control device बोलती हैं अभी आपने जो BJT की बात की वो एक current control device थी जिसमें आप current को करंट के द्वारा ही कंट्रोल कर रही है उस यानि कि इसका जो operation है amplification operation है वो किस से control हो रहा है करंट के द्वारा control हो रहा है तो वो आपकी current control device हो जाती है जबकि FET जो है वो एक तरीके से आपकी voltage control device है ठीक है चलिए आगे बात करते हैं mode of operations की तो JFET operates in the three modes first one is the cut off second one is the saturation and third one is the pinch off in cut off the JFET is non-conducting, in saturation it's fully conducting and in the pinch off there is a control flow of current. मतलब जब हम cut off reason की बात करते हैं तो वो आपका non-conducting होता है, field effect transistor.

जब हम saturation की बात करते हैं तो वो fully conduct होता है और जब हम pinch off की बात करते हैं तो उसमें control रहता है flow of current पर. चीक है? वहीं पर symbol and polarity की बात करें.

तो the symbol of the JFET indicates the direction of the current flow अभी हम आगे देखेंगे for the N-channel the arrow point is in the direction of the conventional current flow यानि कि opposite to the electrons flow electrons का flow जिधर हो रहा है उसके opposite direction को indicate करता है हाई input impedance होता है यानि कि JFET typically have high input impedance making them suitable for the applications where a high input impedance input is required एडिट एंड एंप्लीफायर सर्किट एंड एंप्लीफायर सर्किट में जहां पर हाई इंपोर्ट इंपेडेंस की रिक्वारमेंट होती है वहां पर हम इसका यूज करते हैं लो नॉइस होती है जैप्पी आर नोए फोर देर लो नॉइस करेक्टरिस्टिक मेकिंग देम यूजफुल इन द अप्लीकेशन वे द सिगनल फैल डिलीटी इज क्रूशियल सच एज द ऑडियो एंप्लीफायर जहां पर हमें लॉइस जो नॉइस है उसको हमें कम रखना होता है प्रायोटी होती है तो वहां पर हम जीफीटी का यूज करते हैं आगे बात कर लेते हैं नो गेट कैपेसिटेंस की अनलाइक देखे इन पॉइंट्स के हेल्प से मैं आपको पूरे जेफिटी के एक सॉर्ट में कंट्रोल करने की यानि के एक्स्पेन करने की कोशिस कर रहा हूँ पॉइंट्स के माध्यम से कि उसमें क्या क्या पॉइंट्स हैं ठीक है तो नो गेट कैपेसिटेंस जेफिटी डू नॉट हैव एक गेट कैपेसिटेंस सिंपलिफाइंग देर यूज इन द सर्टीन सर्किट डिजाइन वास्ट फैट की को अगर हम देखें तो वहां पर गेट कैपेसिटेंस होता है लेकिन यहां पर नहीं है टेंप्रेचर सेंसिटिविटी बात करें तो जेफिटी आर्ड सेंसिटिव टू द टेंप्रेचर वेरीशन मतलब अगर टेंप्रेचर में वेरीश वह भी आपका उसमें भी आपका वेरिजन हो जाएगा जीफीटी में विच कैन आफ अफेक्ट देर परफॉर्मेंस जो उसकी परफॉर्मेंस को अफेक्ट कर सकता है प्रॉपर थर्मल मैनेजमेंट इस इंपोर्टेंट इन द जीफीटी बेस्ट सर्किट तो इसलिए प्रॉपर थर्मल मैनेजमेंट की हमें नीड होती है जीफीटी को बदाती समय ठीक है एप्लीकेशन की बात कर उसका काम करता है, oscillator की तरह use करते है, voltage regulator की तरह हम use करते है, and high impedance pre-amplifier की तरह भी हम JFET का use करते है biasing की बात करते हैं तो proper biasing is crucial for the stable operation of the JFET पत्तब, JFET की stable operation के लिए proper biasing का करना बहुत चरूरी है आगे, biasing circuits are employed to set the JFET in the desired operating point मैनिफेक्ट्रिंग मेटेरियल की बात कर लेते हैं तो जेफेटी आर कॉमली फैब्रिकेटेड यूजिंग द सेमीकंडक्डक्टर मेटेरियल्स इस तरीके के जो भी सेमीकंडक्डक्टर मेटेरियल्स हैं आप उनका यूज करके फैब्रिकेट करते हैं जेफेटी को तो इसका मतलब पीएन जंक्शन डायोड ट्रांजिस्टर जेफेटी मोसफेट यह सब क्या है आपके सेमीकंडक्डक्टर डिवाइसेज होती हैं ठीक है क construction की बात कर लेते हो एक overview मैं यहाँ पर आपको provide कराता हूँ हमने एक कोई भी material ले लिया है अगर आप बात करते हैं कि n channels jfet आप बना रहे हैं तो यह आपका n type substrate होगा यानि कि यह जो पूरा part है यह किसका है n type material आपने बना लिया लेकिन चुकी आप n channel jfet की बात कर रहे हैं यहाँ पर इस रिजन में आपने पी टाइप की इंप्यूरिटीज एड की है, मतलब कहने का यह है, यहाँ पर आपने ट्राइवैलेंट इंप्यूरिटीज एड की, यहाँ पर आपने ट्राइवैलेंट इंप्यूरिटीज एड की, तो यहाँ पर आपने पी रिजन बचा जा� पी चैनल जेफ इटी की कंस्ट्रेक्शन देखिए तो यह आपका पी लेते आप और यहां पर पेंटावैलेंट इंप्रिटीज ऐड करके एन बन जाता यहां पर पेंटावैलेंट इंप्रिटीज ऐड करके एन आप बना देते ठीक है चलिए आगे बात करते हैं तो इस तरीके से आपको सप्लाई प्रोवाइड कराने के लिए यहां पर मैटल की कुछ प्लेट लेयर्स यहां पर आपने लगा दी थी और मिक कॉन्टेक्ट जिसको आप बोलते हैं ठीक है यह अभी हमने लिखा है यह क्योंकि हम एंड टाइप चैनल की बात कर रहे हैं तो यह एंड टाइप और फिर आगे जो यह टर्मिनल है अब यहां से आपके चार टर्मिनल आपको देखने को मिल रहे होंगे एक तू तीन और चार लेकिन हम अगर बात करें तो हमारा जो जेविटी होता है वह थ्री टर्मिनल डिवाइस है गेट ड्रेन और सोर्स लेकिन इसके टर्मिनल चार होते हैं ग्रेट गेट ड्रेन सोर्स और एक को बोलते हैं बॉडी या सब्सक्राइब टर्मिनल लेकिन जो body या substrate terminal है वो internally connect होता है gate terminal से इस वज़े से अब आपका जो JFET है वो three terminal device हो गया gate और second one is train और third one is the source तो ये three terminal device आपकी हो जाती है अब यहाँ पर आपको एक चीज़ धियान रखनी है कि जो JFET होता है वो आपका bipolar नहीं होता है यहाँ पर जो आपका flow of current होगा वो एक majority से ही होगा अगर आप यहाँ पर देखें तो majority किसकी है n type की यह पूरा reason n type से है भरा हुआ है तो electrons यहाँ पर बहुत जादा मात्रा में है तो यहाँ पर आप इसको bipolar junction नहीं बोलेंगे क्योंकि वहाँ पर electron and holes दोनों की बज़े से current flow हो रहा है ठीक है तो यह construction हो जाएगी जैसे जैसे आपने construction पहले step से की है वही वैसे वैसे आप explain करते चले जाएगे ठीक है तो इस तरीके से आपको यह मिलता है यह P है यह पी है यह पूरा सबस्टेज जो यहां पर आप देख रहे हैं यह आपका एंड टाइप है यहां पर तीन टर्मिनल हो गए एक ड्रेन है एक गेट है और एक सोर्स है आप इस टर्मिनल को इंटरनली कनेक्ट मानेंगे यहां पर यह इंटरनली कनेक्ट होता है गेट टर्मिन तो यह आपका सिंबल हो जाता है जेफ इटी का वहीं पर अगर आप पी टाइप या पी चैनल की जेफ इटी की बात करें तो यह सब्स्टेट यानि कि यह आपका एक टर्मिनल ड्रेन गेट और सोच टर्मिनल थी ही रहेंगे और यह वाला जो टर्मिनल है यह जो क्योंकि यह गेट है यह इसी से आपका इंटरनली कनेक्ट रहता है जिसको हम बॉडी या सब्सक्राइब टर्मिनल बोलते हैं ठीक है इसमें आपका जो एरो है वह करंट का बाहर की तरफ र कि यह है तो यह आपका सिंबल हो गया इसका एंड टाइप और पी टाइप जी एफ़िटी का ठीक है क्लियर चलिए अब कंस्ट्रक्शन की बात हो गई अब करेक्ट्रिस्टिक देख लेते हैं तो करेक्ट्रिस्टिक कुछ इस तरीके से आपकी जाती है वर्किंग के लिए आपको पूरा वीडियो वह जो मैंने डिटेल में बताया हुआ है वह आपको समझना उसको जरूरी मेन रीजन आपका इसी तरीके से रहेगा अगर मैं यहाँ पर बात करूँ तो जैसे ही आप इस पर सप्लाई प्रोवाइड कराते हैं गेट सोर्स और ड्रेन और सोर्स के बीच में तो डिपलिशन लेयर क्रियेट होना स्टार्ट हो जाएगी क्योंकि आपको भी पता है यहाँ क्योंकि ऊपर की तरफ ज़्यादा बढ़ रही है, नीचे की तरफ आपकी कम बढ़ रही है, इसका reason भी है, detail में आप वीडियो जरूर देखें, वहाँ से आपको सारी चीजे क्लियर हो जाएंगी, और जिस situation में आपकर आकर ये depression layer एक दूसरे को touch कर जाती हैं, वो आपका supply कहल कि जो अगर आप चुटकी बजाते हैं और आपने दोनों जो फिंगर्स होती है जिससे आप चुटकी बजा रहे हैं थम और फिंगर की डिटेल वर्किंग के लिए आप जरूर वीडियो देखिए आपका यूनिट नंबर सेकंड के प्लेलिस्ट में वीडियो चली तो यह इसका जीविटी का ठीक है यह एंड चैनल जीविटी का है यह पी चैनल जीविटी का है डिफरेंस क्या है एंड चैनल जेफिटे में आपका जो गेट वोल्टीज है वह आप निगेटिव फॉर्म यानि कि निगेटिव ली कनेक्ट करते हैं देट मिज आप उसमें निगेटिव टर्मिनल को कनेक्ट करेंगे ने इंटरनेट टर्मिनल से और इधर आप पॉजिटिव फॉर्म में गेट सोर्स वोल्टीज को अप्लाई करते हैं ठीक है और यहां पर आप आईडी को मिली एंपियर में आईडी यहाँ पर ये breakdown points हो जाएंगे जहाँ पर जाकर breakdown मिलेगा clear तो ये आपका different different situations में आपकी characteristics है n channel के लिए ये p channel के लिए अगर मैं यहाँ पर describe करूँ इस characteristics को तो n channel JFET को अगर आप ध्यान से देखें तो जब आपका BGS यहाँ पर बढ़ रहा है मतलब sorry घट रहा है तो वैसे वैसे जो current का flow है वो breakdown point जो है वो भी pass आता जा रहा है यानि के VDS जो यहाँ पर यह अबेलेबल है यह कॉन्स्टेंट है यह जो वैल्यू है यह कॉन्स्टेंट है यहाँ पर आप यह देखें यह जो है इस पर अगर आप देखें यह वेरी हो रही है कॉन्स्टेंट कर दिया आपने प्लस फोर बोल्ट प्लस री बोल्ट प्लस टू बोल्ट प्लस वन बोल्ट जीरो बोल्ट इससे क्या हो रहा है जो फ्लू करंट है वो चेंज हो रहा है यह करंट देख रहे हूं यहां यह चेंज हो रही है इस तरीके से आपका यह करेक्टर सिक्टर हो जाता है एंड चैनल और पी चैनल के लिए जब यहीं पर अगर हम बीजेटी और जेफीटी के कंपरेजन की बात करते हैं तो कंपरेजन में कुछ पॉइंट्स है जैसे टाइप है तो यह जैसे करेंट कंट्रोल डिवाइस है जैफीटी जो है बोल्टेज कंट्रोल डिवाइस है करेंट जो है यानि कि बीजेटी दूँटू दा होल्स एंड इलेक्टोंस दोनों की बज़े से करंट का फ्लो होता है जबकि आपका यहां पर जो फ्लो होगा वह आइदर इलेक्टोंस या फिर होल्स होगा क्योंकि यहां पर मैजोर्टी में होल्स हैं या इलेक्टोंस हैं जिसकी बज़े से केवल और केवल ए कि टू कंट्रोल द करेंट फ्लॉब बिट्वीन द सोर्स एंड ड्रेन एलिमेंट यहां पर मतलब कहने का है यह करंट कंट्रोल डिवाइस है जबकि यह बोल्टेज कंट्रोल डिवाइस है बोल्टेज गेंज जो है वह हाईयर होता है जबकि यहां पर बोल्टेज जो है वह होता है कंप्यूट द बीचेटी पॉलिटीज में एंड पीएंड और पीएंड पीएंड पीएंड होती है यहां पर careful vicing for the proper operation, मतलब किस तरीके का operation आप BJT से चाहते हैं, उसके हिसाब से vicing यहाँ पर की जाएगी, यहाँ पर easy होती है vicing compared to the BJT and self-vicing is possible in some configuration, यानि के self-vicing की भी facility आपको JFET provide कराता है अगर कहीं पर जरूरत पड़ती है तो, temperature sensitivity की बात करें तो more temperature sensitivity होता है than the JFET, JFET भी होता है लेकिन वो less रहता है compared to the BJT, ठीक है क्योंकि यहाँ पर high इसलिए बोला जा रहा है, starting में जब BJT को मैंने बताया था तो वहाँ पर जो minority charge carrier यानि के holes हैं उनकी बज़े से भी current flow होता है, इसलिए यह क्या है bipolar junction transistor है बच्चो और ज तो वहाँ पर minority charge carrier में changes आ जाएंगे और उस बज़े से आपका current में change आ जाएगा ठीक है तो इसलिए हम ये कह सकते हैं कि GFET के comparison में BJT high temperature sensitive होता है switch speed की बात करें तो generally faster switch speed होती है कंपेर्ट टू द जेफ़टी और इसकी थोड़ा स्लो होती है कंपेर्ट टू द बीचेटी एप्लीकेशन की बात करें तो कॉमनली यूज इन द एप्लीकेशन रिक्वायर फूर द हाई करंट एंप्लीफिकेशन सच एज द पावर एंप्लीफायर वहां पर आप इसका यूज करते हैं जहां पर हाई करंट एप्लीफिकेशन की नीड होती है कॉमनली यूज इन द लो पावर हाई इंपीडेंस एप्लीकेशन सच एज द प्री एंप्लीफायर इस द लो वेर लो नॉइस सर्किट इस नीडेड यानि कि जहां पर लो नॉइस की नीड है यानि कि आपका सर्किट जो है आउटपुट पर नॉइस कम क्रिएट करें वहाँ पर आप जीफेटी का यूज करते हैं तो यह एप्लिकेशन्स हो गई तो यह कंपेरिजन हो गया बीजेटी औ ठीक है हर टाइप में कंपेरिजन आप जरूर करकी जाना कंपेरिजन की फॉर्म में क्वेश्चन पूछे जाते हैं ठीक है और आप अगर पॉइंट के हिसाब से उसको एक्सप्लीन करेंगे तो वह बेहतर रहता है टाइम मेनेजमेंट उसमें बहुत अच्छा होता है अदर� कि आप चेक करते हुए अच्छा इंपैक्ट नहीं डालता है और उसमें आपका समय भी बहुत ज्यादा लगेगा तो अगर आपसे कोई कंपेरिजन पूछा जाता है तो कोशिश करें आप उसको इस कंपेरिजन फॉर में यानि कि इस तरीके से उसको आप कंपेर करके बताएं ठीक है चलिए आगे बात करते हैं मॉसफेट की तो यह जीफेटी के बारे में हो गया है अब मॉसफेट की बात कर लेते हैं यानि कि जो नेक्स्ट टाइप का आपका अ ट्रंजिस्टर होता है उसके बारे में डिस्कस करते हैं तो द टर्म मॉसफेट इस यूज टू रैफर द मैक्टल ऑक्साइड पर किस जूटू हाउ रैपिडली एंड इफेक्टिवली इट कैन स्विच एंड एंप्लीफाइडर इलेक्ट्रिक सिगनल मतलब मॉसफेट और पर्टिकुलरी इसका use जो जादा किया जाता है वो किस वजह से किया जाता है क्योंकि ये effectively switch कर जाता है या फिर amplify करता है electric signal को rapidly तो हम ये कह सकते हैं कि जो इसकी speed है BJT और FET के comparison में जादा है JFET के comparison में जादा है ठीक है तो MOSFET terminals are gate सब्स्रेट बॉडी जैसा कि अभी हमने जी एफ़िटी में देखा था ड्रेन एंड शोर्स तो चार तरीके की टर्मिनल ही यहां पर रहते हैं तो गेट मतलब गेट बॉडी या सब्स्रेट टर्मिनल ड्रेन और सोर्स जो बॉडी या सब्स्रेट टर्मिनल है वो इंटरनली कन पताब gate terminal जो है वो आपका attach रहता है एक insulating layer जो की silicon dioxide की होती है उसके साथ whereas the source and drain are doped region in the semiconductor materials जबकि source and drain जो होते हैं वो doped region रहते हैं semiconductor material में जो गेट टर्मिनल होता है वो क्यों इंसुलेट रहता है सिलिकन डाय ऑक्साइड से वो जब भी मैं डायग्राम आपको आगे समझाओंगा उसमें मैं आपको बताओंगा क्यों रहता है मॉस्फेट फंक्शन सिमिलर टू एट टिपिकल जेफिटी फंक्शनिंग जो रहती है वो मुख्यते है जो एफिटी है आपका जेफिटी उसके तरहके से ही आपकी मॉस्फेट की रहती है यानि के जैसे ही हम supply provide कराते हैं तो channel जो की source and drain के बीच में बना हुआ है वहाँ पर conductivity change होती है और एक electric field create हो जाता है the MOSFET can function as a switch करता है स्विच की तरह और एंप्लीफाइयर की तरह डिपेंडिंग ऑन द गेट वाइस वोल्टेज और यह बाय डिपेंडिंग इस पर करेगा कि आपने गेट पर किस तरीके की बाय सिंह अप्लाई की है ठीक है सेम एडिट जैसा कि जीव में होता है वहीं पर इस फैट है वेरियस एडवांटीजेस और अधर टाइप ऑफ टांजिस्टर देट मिश्चिप फूल कंपेयर टू द बीजेटी एंड जेफ इटीविटी अगर हम बात करते हैं तो इसके कुछ एडवांटीजेस है उनको देखते हैं जैसे कि एक प्रोवाइड सच एस हाई इनपुट इंपिडेंस लो पावर कं� फास्टिंग स्विचिंग है ना यानि कि हाई इंपोड इन पिडेंस होता है लो पावर कंजम्शन होती है और फास्ट स्विचिंग स्पीड होती है मॉसफेट कैन ऑल्सो बी मेड इन स्मॉलर साइज देन द अदर टाइप ऑफ ट्रांजिस्टर मतलब बीजेटी ट्रांजिस्टर तो वह तो ऑलरेडी एक कंपैक्ट साइज का था लेकिन उससे भी छोटे साइज में आपका मॉसफेट डिजाइन किया जाता है विच मेक्स देम सूटेवल फोर द यूज इन द हाई सेंसिटिविटी अ integrated circuit यानि के जो ICs हैं जिसमें highly sensitivity की need होती है उसमें आपके MOSFET easily use कर लिये जाते हैं due to the compact size compared to other transistors ठीक है तो ये कुछ advantages हैं compared to the BJT and JFET MOSFET की जिस वज़े से इसको जादा use किया जाता है ठीक है चलिए अब difference देख लेते हैं JFET और MOSFET में symbolically अगर आप देखें तो ये JFET यानि के field effect transistor में उसके सिम्बल दिये हुए हैं N चैनल और P चैनल की यहाँ पर अगर N चैनल और P चैनल की बात करें तो कुछ इस तरीके का सिम्बल आपको देखने को मिल जाता है चीक है क्लियर हुआ तो यह आपका हो जाता है N चैनल P चैनल टाइप MOSFET चीक है चलिए अगर बात करते हैं MOSFET भी दो तरीके के होते हैं एक Enhancement Type MOSFET होता है एक Deplicent Type MOSFET होता है Enhancement Mode Type में भी आपका P चैनल होता है N चैनल होता है और Depletion Type MOSFET में भी आपका P Channel होता है और N Channel होता है दोनों टाइप के MOSFET, Enhancement और Depletion अलग-अलग वीडियो में डिटेल में P Channel और N Channel दोनों को Explain किया हुआ है प्लेडिस्ट में आप जाकर चेक कर सकते हैं और उसको अच्छे से पढ़ सकते हैं अब हम बात कर लेते हैं Construction की थोड़ा सा तो Construction में आप देख रहे होंगे एक Substrate ले लेते हैं हम यहाँ पर अगर यह हमारा N Type अगर हमारे तो यह अगर N Type का Substrate है और इसमें हमने यहाँ पर doping करा कर इसको P बना लिया है इसको P बना लिया है जैसा theory में भी मैंने आपको बताया था पढ़कर कि यहाँ पर आप जो gate और वो sorry source और drain terminal है चुकी यह आपका source terminal है यह आपका drain terminal है तो source और drain terminal जो है वो dopend होते हैं लेकिन जो gate terminal होता है यह जो gate terminal है बच्चो इसको आप यह जो reason है यह yellow color में आप दिख रहे हैं न यह आपका क्या होता है silicon dioxide से metal से क्या होता है connect रहता है मतलब आप इसको directly connect नहीं करेंगे n type से इसके gate terminal के और इस substrate के बीच में आप silicon dioxide की layer एक लगा देते हैं जिस वजह से इसको metal oxide semiconductor field effect transistor बोलती है ठीक है क्योंकि यहाँ पर एक silicon dioxide metal जो की metal oxide है उसकी layer लगी होती है between the substrate और the gate terminal वहीं पर जो body terminal है या substrate terminal है वो आपका source terminal से क्या होता है internally connect रहता है ठीक है यह आपका substrate या body terminal रहता है जो internally source terminal से connect है ठीक है वहीं पर अब इसमें आप एक चीज़ देख रहे हैं यहाँ पर यह P है और यह P है बीच में ये n का reason है पूरा तो अब जब तक यहाँ पर junction create नहीं होगा और आपस में ये दूसरे से connect नहीं होगे यानि के इन दोनों के बीच में कोई connection नहीं होगा source और drain के बीच में तब तक कैसे ये work करेगा इसके लिए आप यहाँ पर बच्चो source और gate के बीच में एक supply देते है that's called the BGS और इस BGS का काम केबल इतना होता है कि ये BGS इन दोनों P के बीच में एक रास्ता प्रोवाइड कराता है, एक पाथ बना देता है, जो कि आप यहाँ पर देख रहे होंगे, यह P है, यह P है, अब due to this BGS, इन दोनों P terminals के बीच में, यानि कि इस source और drain terminal के बीच में एक रास्ता मिल गया है, जब यह रास्ता मिल गया, तो अ वो आपका वर्क करने लगेगा अब आप इसको यूज कर सकते हैं जब तक ये रीजन या ये लेयर नहीं बनेगी तब तक ये वर्क नहीं करता तो यानि के यहाँ पर VGS हम अप्लाई करेंगे for the formation of the जंक्सन between the source and drain terminal अब यहां पर वही प्रोसेस डिप्लेशन लेयर क्रिएट होना स्टार्ट हो जाएगी इस तरीके से तो यह आप यहां पर पूरा प्रोसेस समझ सकते हैं ठीक है तो यह इस तरीके से वर्किंग फिर आप जैसे supply provide कराएंगे between the gate and drain या gate to source वो उस तरीके से आप एन्हेंस्मेंट या डिप्लीशन टाइप मोस्टवेट तो यह अभी हम एन्हेंस्मेंट टाइप की बात कर रहे हैं ई टाइप और उसमें यहां पर एन ले यहां पर एन ले लें तो वह आपका पी टाइप एन्हेंस्मेंट टाइप मोस्टवेट हो जाएगा ठीक है अब drain characteristic समझ लेते हैं E MOSFET की चाहे आप N channel की बात कर लें या P channel की बात कर लें तो कुछ इस तरीके से रहता है बस difference जो होगा वो gate source terminal का रहता है जो voltage आप वहाँ पर apply कर रहे हैं वो किस form में कर रहे हैं उसके हिसाब से आपका N type और P type तो यह positive supply है यहाँ पर यह negative supply है ठीक है तो इस तरीके से आपका type of MOSFET change हो जाएगा N channel और P channel का ठीक है किलियर हुआ अदरवाइस बीडियस यहाँ पर है बीडियस यहाँ पर है वो वेरी कर रहा है और टोमेंटिकली यहाँ पर तीनों रीजन्स आपको देखने को मिल जाएंगे सैचुरेशन रीजन कट ऑफ रीजन और एक्टिव रीजन क्लियर चलिए यह जो रीजन है यह ओमिक रीजन होता ह अब यहाँ पर अगर आप construction को देखे तो आपको सारी चीज क्लियर हो गई होगी यह आपका source terminal है, यह आपका gate terminal है, यह आपका drain terminal है यह अगर मैं n ले लेता हूँ, n type substrate ठीक है यह मैंने p type substrate लिया, यह p type substrate है अब इन दोनों p के बीच में already जो रास्ता दिया हुआ है पहले से ही fabricated है तो अब यहाँ पर आप देख रहे होंगे कि source और drain के बीच में कोई भी supply नहीं दी है तब भी आपका एक रास्ता पहले से ही बना हुआ है जिस बजे से आपका depletion mode MOSFET differ होता है enhancement type MOSFET से जबकि यह रास्ता अगर आप enhancement type MOSFET की बात करें तो वहाँ पर हमें बन तो यही difference होता है depletion type MOSFET में और enhancement type MOSFET में इन depletion type MOSFET channel is pre-bolt in the MOSFET यानि के इन दोनों P के बीच में जो channel है वो already बना हुआ है पहले से ही in this type of MOSFET we apply a gate source voltage यानि के gate और source के बीच में जो voltage apply करेंगे to turn off the MOSFET MOSFET को turn off आप इस प्रति आपको पहले गेट और सोर्स के बीच में सप्लाई देनी होगी तो यह नॉर्मली क्लोज में जाएगा देप्लिशन मोड मोस्फेट इस निरली इक्वल टू दा नॉर्मली क्लोज स्विच दिस मोस्फेट इस ऑलवेज इद ऑन कंडिशन वेन वे अप्लाई दा बोल्टेज डिफरेंस बिट्वीन दा ड्रेन एंड सोर्स करंट मतलब ड्रेन और सोर्स के बीच में जब हम सप्लाई देते हैं दे देते हैं तो अगर सोर्स और गेट के बीच में सप्लाई नहीं है तब भी ये आपका ओन रहेगा क्योंकि हमारा जो चैनल ह ड्रेन और सोर्स के बीच में सप्लाई प्रोवाइड करा देते हैं will start flowing through the MOSFET क्लियर हुआ तो ये Depletion Type MOSFET इस तरीके से डिफर है Enhancement Type MOSFET से ठीक है चलिए आगे चलते हैं आगे ये इसका VI Characteristic है इसको आप समझ सकते हैं Drain Source Voltage यहाँ पर दिया हुआ है और VGS जो है वो आपका minus 3 Volt है, minus 1 Volt है, 1 Volt है, 0 Volt है तो जो आपका Depletion Type MOSFET है वो डिप्लेशन मोड एज वेल एज एनहेंस्मेंट मोड दोनों में काम करता है अगर आप बीजीएस को जीरो से ऊपर लेंगे तो इट बिहेव ऐसे एनहेंस्मेंट टाइप मोस्फेट और अगर आप इसको बीजीएस को जीरो से नीचे लेंगे बिलो लेंगे तो इट बिहे गेट और सोर्स के बीच में जो बोल्टेज है वो नेगेटिव यानि के जीरो से बिलो रखेंगे और जब आप उसको अवव जीरो कर देंगे तो वो एनहेंस्मेंट मोड में पहुंच जाएगा ये वी आई करेक्टरिस्टिक यही सो करती है ठीक है चली बहुत अच्छे अब एनेस्मेंट टाइप मोस्ट फैट में यह आप देख रहे हैं यहाँ पर यह आपका ऑलरेडी चैनल बना हुआ नहीं है आपको बनाना पड़ेगा यहाँ पर आपका चैनल ऑलरेडी बना हुआ है आपको बनाने की जरूरत नहीं है तो सिंबल में यह डिफरेंस होता है अगर operation की बात करते हैं, तो can be operate in the depletion mode as well as the enhancement mode, जबकि ये केवल और केवल operate करता है enhancement mode में, और current flow की बात करें, तो drain current flow on application of the drain to source voltage, that means यहाँ पर VGS जो रहता है, वो zero रहता है, क्यों, क्योंकि already पहले ही channel बना हुआ है, यहाँ पर VGS तब आप apply करते हैं, जब channel की need है, तो that means यहाँ पर flow of current जो है, वो VGS 0 होने पर भी flow of current होता है VGS कब आप apply करते हैं जब आपको अपने depletion type MOSFET को off करना हो ठीक है वहीं पर practically no current flow on the application of the drain to source at the VGS 0 जब तक यहाँ पर VGS नहीं apply करेंगे तो channel create नहीं होगा और जब तक channel create नहीं होगा between the drain and source terminal तो यहाँ पर current कुछ भी flow नहीं होगा that means 0 current flow होगा ठीक है clear तो यह difference है depletion type और enhancement type most fat में चलिए आगे बात कर लेते हैं BJT और FET के बीच में comparison यह control method की बात करें तो यहाँ पर input current control करता है यहाँ पर voltage के थूँ हम control करते हैं यानि कि यहाँ पर जो FET है वो दोनों को लेकर चल रहा है JFET और most fat हमने अभी पीछी comparison BJT और JFET में किया था तो वो similarly आपको लगेगा है न तो अगर हम बात करें बायस टाइप ऑफ इनपुट सर्किट एट एक्टिव मोड तो फॉरवर्ड वायस इन बेस एंड एमिटर जंक्शन जबकि एक्टिव मोड में यहां पर रिवर्स वाइसिंग होता है सोच एंड गेट जंक्शन गेन की बात करें तो एग्जांपल बोल्टेज गेन है यहां पर म्यूच्यों ट्रांस कंडक्टेंस होता है नॉइस लेवल की बात करें तो यहां पर हाई होती है जबकि यहां पर लू होती है डिपेंडेंसी इन द टर्म ऑफ द कैरियर एंड इन टाइप ऑफ इंप्रिटीज तो यहां पर आपका आ इट डिपेंड्स ऑन द मेजोर्टी एज वेल एस द माइनोर्टी कैरियर्स बट इट डिपेंड्स ऑनली ऑन द मेजोर्टी कैरियर्स करेगा और यहां पर विश्व डिपेंड करेगा फूल द फ्लू ऑफ द करंट नेम बाय पूलर इसी बजे से इसको नेमिंग दी जाता है वहीं पर डिपेंड एंस ऑन द ट्रांजिस्टर वर्क तो दम मैज माइनोर्टी केरियर्स इनजेक्टेड एक्रॉस दा फॉरवर्ड बोल्टेज इन द जक्शन जबकि कंट्रोल विद्ध डिप्लीशन रिजन विट इन द चैनल वाइट वाइस इन यहां पर इसको कंट्रोल किस विडिटीशन रिजन के विट के हिसाब से कंट्रोल होता है करेंट ऑन द पार्ट्स यानि कि करेंट विट विन द अमिटर एंड बेस एंड कलेक्टर जबकि यहां पर करेंट मूव करती है केवल और कोई बल सोर्स एंड ड्रेन डिप्लीशन रिजिन में अ तो उसमें ऑलरेडी चैनल बना हुआ है between the source and drain तो वहाँ पर current flow रहता है लेकिन अगर हम enhancement type MOSFET की बात करें तो उसमें हमें channel create करना पड़ता है और जब तक channel create नहीं करते हैं तो current flow नहीं होता है input resistance की बात करें तो low रहता है forward vising में यहाँ पर high रहता है due to the reverse vising मतलब थर्मली यह सेंसिव होता है ज्यादा इसलिए इसकी थर्मली सेंसिटिविटी लेस्ट बताई गई है बीजेटी की कंपैर्ट टू द एफिटी ठीक है क्लियर हुआ यह कंपेरिजन था बिट्वीन द बीजेटी एंड एफिटी और यह कंपेरिजन है बिट्वीन द बी� MOSFET एक unipolar device है क्योंकि यहाँ पर केवल और केवल majority carriers की बज़े से current का flow होता है Input impedance जो है वो low होता है इसका input impedance high होता है BJT are more commonly used in the low current applications जबकि ये high power applications में MOSFET यूज़ किये जाते हैं Switching frequency is low इसकी switching frequency low होती है इसकी fast होती है यानि कि इसमें switch करने की capability है वो ज़्यादा होती है compared to the BJT BJT has highest शुचिंग लॉसेस एंड लो कंडेक्शन लॉसेस बटन बीजेटी में जो है स्विचिंग लॉसेस कम देखने को मिलते हैं क्योंकि यह और low conduction losses देखने को मिलते हैं जबकि MOSFET में जो high conduction losses हैं और low switching losses देखने को मिलते हैं मतलब BJT में जो switching speed होती है वो कम होती है इस बज़े से जो switching में losses ज़्यादा देखने को मिलते हैं जबकि इसकी switching speed high होती है तो इसमें low switching losses देखने को मिलेंगे जबकि यहाँ पर low conduction losses देखने को मिलेंगे और यहाँ पर high conduction losses देखने को मिलते हैं इस चीज़ पर आप ध्यान देंगे वहीं पर BJT exhibits a negative temperature coefficient of the resistance यानि कि बीजेटी जो है वो निगेटिव टेंप्रेचर कोफिसेंट को सो करती है रजिस्टेंस के रस्पेक्ट में हैंस कैन नॉट नहीं ऑपरेटेड इन द पैरलल मोट जबकि मोस्ट फैट्स एग्जिबिट करता है पॉजिटिव टेंप्रेचर कोफिसेंट को आफ द रजिस्टेंस के इस बजे से इट कैन ऑपरेट इन द पैरलल सिचुएशन या पैरलल कंबिनेशन में आप मोस्ट फैट्स को लगा सकते हैं यूज कर सकते हैं हाई गेन रहता है लो बैंडविट रहती है लो गेन रहता है लार्ज बैंडविट रहती है तो ये comparison हो गया between the BJT and the MOSFET तो I hope हर तरीके का comparison मैंने यहाँ पर आपको करा दिया है इन सब comparison को समझ कर आपको clear हो गया होगा कि किस तरीके से एक दूसरे से ये सारे devices differ होते हैं clear हुआ क्योंकि ये सब type of transistor ही है तो कैसे कुछ parameters एक दूसरे से एक दूसरे के differ होते हैं यह आपको clear हो क्या होगा यह comparison पूछे जाते हैं तो आप सारे comparison को बहुत अच्छे से करेंगे और जब भी आपसे comparison पूछा जाए तो आप कोशिस करें कि आप इस तरीके से ही एक साथ compare करके दिखाएं otherwise अगर आपको नहीं यादा रहे हैं points तो आप simple उसको paragraph की form में भी describe करके दिखा सकते हैं ठीक है लेकिन जादा impact जो होता है वो इस situation का होता है तो थेंक यू फॉर वाचिंग दिस वीडियो ये आज यूनिट नंबर सेकेंड जो था आपका फंडामेंटल आफ एलेक्टॉनिक्स इंजिनियरिंग जिसमें हमने ट्रांजिस्टर के बारे में पढ़ा और ट्रांजिस्टर के जो तीनो टाइप्स थे वो हमने आज यहाँ प चाहे आप जेफिटी की बात करें और चाहे आप मॉसफेट की बात करें ठीक है वो सारी चीजे हमने कवर कर ली हैं एक ओवरव्यू हर तरीके से हर पॉइंट पर हमने बात करने की कोशिस की है अगर आपको पूरा डिटेल में टॉपिक्स पढ़ने हैं तो प्लेलिस्ट बनी ह वन सूट में जितना जादा इंफोर्मेशन प्रोवाइड की जा सकती थी एक्जाम के पॉंट आफ व्यू से कोई भी चीज मैंने यहाँ पर छोड़ने की कोशिस नहीं की है तो वो सब मैंने यहाँ पर इंक्लूड की हैं तो आपको सेशन कैसा लगा है उसके लिए आप एक कम और exam time में अपनी तैयारी को बहुत बेहतर कर सकें, जब exam उनका होगा, तो एक छोटे से समय में पूरी unit का overview लेना, और एक detail में overview लेना, उनके लिए beneficial हो जाएगा, ठीक है, साती साथ मैं बताना चाहता हूँ, और बेहतर result आपका इस video का तब मिलेगा, जब इस से पहले आप एक PN junction biasing करके मैंने एक master video applied, अप्लाई मतलब प्रोवाइड कराई है आपको अपनी चैनल पर उसको जरूर देखें आप उसको देखने के बाद आप जो ये वर्किंग है इन सब टाइप की ट्रांजिस्टर की या डायोड की वो सब आपकी क्लियर हो जाएंगी क्या आपको लिखना है इतनी समझ आपको जाएगी यानि कि एक कॉमन एक्सप्लीनेशन आपको मिल जाएगा ठीक है तो आपका थैंक यू अगेन मैं करना चाहूंगा हम पर इतना विश्वास बनाए रखने के लिए हर बार की तरह और साथ ही साथ सहयोग करने के लिए भी क्योंकि मैं आपसे कहता रहता हूं बच्चे को देखते हुए एक बच्चे के देखते हुए हम एक बेहतर तर्यारी आपकी करा रहे हैं उसके लिए आप ऐसे ही सहयोग करते रहें जादा से जादा वीडियो को सेयर करें बस यही मेरी आपसे रिक्वेस्ट है चलिए अब मिलते हैं अब नेक्स किसी वन सूट वीडियो के साथ तब तक के लिए जै हिंद जै भारत