Transcript for:
Financial Planning and Financial Products

हेलो गाइ वेलकम बैक टू आवर इस वन शॉर्ट रिवीजन को लेकिन उससे पहले अगर आपने अभी तक चैनल को सब्सक्राइब ना करा हो तो चैनल को जरूर सब्सक्राइब कर लेना वीडियो को लाइक करना मत भूलना अपने सभी दोस्तों के साथ शेयर करना मत भूलना यह जो नोट्स है पेड नोट्स है अगर आपको ये नोट्स चाहिए तो आप इन्ह परचेज कर सकते हैं 9 में आपको चारों यूनिट्स के नोट्स अवेलेबल मिल जाएंगे जिसके अंदर सारे टॉपिक जो जो आपके एग्जाम के अंदर आने वाले हैं सिलेबस में दिए हैं सारी चीजें कवर करी गई है एक एक टॉपिक तो चलिए अब शुरू करते हैं हम अपनी आज की वीडियो यूनिट नंबर वन है नाम है आपका फाइनेंशियल प्लानिंग एंड फाइनेंशियल प्रोडक्ट इसमें सबसे पहले देखिए क्या पढ़नी है आपको इंट्रोडक्शन टू सेविंग के बारे में कि सेविंग होती क्या है तो सेविंग रेफर्स टू द एक्ट ऑफ सेटिंग असाइट अ पोर्शन ऑफ वंस इनकम और रिसोर्स फॉर फ्यूचर यूज रदर देन स्पेंडिंग इट इमीडिएट सेविंग का क्या मतलब होता है किसी एक पर्सन की इनकम या रिसोर्सेस में से कुछ पोर्शन निकालकर साइड कर देना जिसे हम अभी खर्च नहीं करेंगे फ्यूचर में आने वाली नीड्स को पूरा करने के लिए इसको खर्च करेंगे वो चीज कहलाती है आपकी सेविंग सेविंग इज एन इंपोर्टेंट फाइनेंशियल हैबिट दैट कैन हेल्प इंडिविजुअल अचीव देयर लॉन्ग टर्म फाइनेंसियल गोल्स सच एज बाइंग हाउस स्टार्टिंग अ बिजनेस रिटायरिंग कंफर्टेबल सेविंग क्या है एक अच्छी फाइनेंशियल हैबिट है जो कि एक इंडिविजुअल की हेल्प करती है लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल गोल्स को मीट आउट करने के लिए अब लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल गोल क्या होते हैं किसी का गोल होता है अपना घर खरीदना किसी का गोल होता है अपना बिजनेस स्टार्ट करना या कोई चाहता है जब हम रिटायर हो जाए तो हम कंफर्टेबल रह सकें तो ये होते हैं आपके लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल गोल इनको किसकी मदद से पूरा किया जाता है शेविंग की मदद से पूरा किया जा सकता है देयर आर वेरियस वे टू सेव मनी सच एज सेटिंग अप सेविंग अकाउंट क्रिएटिंग अ बजट ऑटोमेशन सेविंग ट्रांसफर एंड कटिंग बैक एंड अननेसेसरी एक्सपेंसेस यहां पर कई सारे तरीके होते हैं सेविंग करने के मनी को सेव करने के आप सेविंग अकाउंट ओपन कर ले उसमें डिपॉजिट कर ले अपना बजट क्रिएट कर ले डायरेक्टली आपके इंस्ट्रक्शन के अकॉर्डिंग आपके सेविंग अकाउंट में सेविंग अकाउंट से किसी और अकाउंट में मनी ट्रांसफर होती रहे टाइम टू टाइम या फिर आप जो आपके अननेसेसरी एक्सपेंसेस हैं उन्हें खत्म कर दें तो इस तरीके से आप सेविंग कर सकते हैं सेविंग अलाउ इंडिविजुअल टू बिल्ड इमरजेंसी फंड फॉर अनएक्सपेक्टेड एक्सपेंसेस इन्वेस्ट इन देयर फ्यूचर एंड अचीव फाइनेंशियल स्टेबिलिटी सेविंग अलाव करता है एक इ को कि वो इमरजेंसी के टाइम पर फंड की रिक्वायरमेंट उसे पड़े अगर तो उसे फंड्स अवेलेबल मिल जाए और यह कैसे कर सकता है वो अपने अननेसेसरी एक्सपेंसेस को कट आउट करके फ्यूचर में इन्वेस्ट करके और अपनी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी अचीव कर सकता है वो बाय डेवलपिंग अ रेगुलर सेविंग एबट एंड बीइंग माइंडफुल ऑफ देयर स्पेंडिंग इंडिविजुअल कैन वर्क टुवर्ड बिल्डिंग वेल्थी एंड अचीविया गोल रेगुलर सेविंग की हैबिट डालकर और माइंडफुल तरीके से मतलब ध्यान पूर्वक स्पेंडिंग करके या खर्चे करके एक इंडिविजुअल क्या कर सकता है अपनी वेल्थ और फाइनेंशियल गोल को अचीव कर सकता है ठीक है बेनिफिट क्याक होते हैं सेविंग के तो सबसे पहले आता है फाइनेंशियल सिक्योरिटी सेविंग मनी प्रोवाइड सेफ्टी नेट फॉर अनएक्सपेक्टेड एक्सपेंस सच मेडिकल इमरजेंसी कार रिपेयर जॉब लॉस जो सेविंग की मनी होती है वो आपको अनएक्सपेक्टेड एक्सपेंसेस या जो अनएक्सपेक्टेड इवेंट होते हैं उनके टाइम पर फाइनेंशियल सिक्योरिटी या फिर सेफ्टी प्रोवाइड करवाती है अन एक्सपेक्टेड इवेंट में मान लो कोई मेडिकल इमरजेंसी आ गई कार रिपेयर का खर्चा आपकी जॉब चली गई उस टाइम पर सेविंग आपकी मदद करती है हैविंग सेविंग कैन हेल्प प्रिवेंट इंडिविजुअल फ्रॉम गोइंग इन टू डेट टू कवर दिस अगर इंडिविजुअल के पास सेविंग होगी तो वो डेट नहीं लेगा वरना वो डेट के ट्रैप में फंस जाएगा फिर आता है अचीविया गोल तो सेविंग मनी अलाउ इंडिविजुअल टू वर्क टुवर्ड देयर फाइनेंशियल गोल सच एज बाइंग अ होम स्टार्टिंग अ बिजनेस फंडिंग देयर चिल्ड्रन एजुकेशन जो सेविंग होती है वो एक इंडिविजुअल के जो फाइनेंशियल गोल है उन्हें अचीव करने में हेल्प करती है फाइनेंशियल गोल में वही सारे आ जाते हैं आपके अपना घर खरीदना अपना बिजनेस स्टार्ट करना अपने बच्चों की पढ़ाई पर खर्चा करना वो सारी चीजें आती है आपकी फाइनेंशियल गोल में हैविंग सेविंग कैन मेक दिस गोल्स मोर अटेब अगर किसी इंडिविजुअल के पास सेविंग होगी तो वो इन गोल को अच्छे से और जदा अच्छे तरीके से अचीव कर पाएगा फिर आता है इमरजेंसी फंड तो बिल्डिंग एन इमरजेंसी फंड थ्रो सेविंग कैन प्रोवाइड पीस ऑफ माइंड एंड फाइनेंशियल स्टेबिलिटी इन टाइम ऑफ क्राइसिस क्राइसिस के टाइम पर या किसी अनएक्सपेक्टेड इवेंट के टाइम पर जो सेविंग होती है वो आपका क्या इमरजेंसी फंड का भी काम करती है एंड इमरजेंसी फंड कैन कवर लिविंग एक्सपेंस ड्यूरिंग अन एक्सपेक्टेड सिचुएशन सच एज जॉब लॉस और नेचुरल डिजास्टर या तो आपकी जॉब चली जाए या कोई नेचुरल डिजास्टर आ जाए उसके टाइम पर इमरजेंसी फंड का काम करती है सेविंग फिर आता है रिटायरमेंट प्लानिंग तो सेविंग फॉर रिटायरमेंट इज क्रुशल टू इंश्योर फाइनेंशियल सिक्योरिटी इन लेटर ईयर बाय सेविंग एंड इन्वेस्टिंग कंसिस्टेंटली ओवर टाइम इंडिविजुअल कैन बिल्ड रिटायरमेंट नेक्स्ट एग दैट विल सपोर्ट देम ड्यूरिंग दे रिटायरमेंट ईयर क्या बोला है आपकी जो अभी इनकम है उसमें से आप कुछ पोर्शन सेव कर रहे हैं और उसे इन्वेस्ट करते जा रहे हैं ताकि आप जब रिटायर हो तो उसके बाद आपकी एक पैसिव इनकम बनी रहे तो उस चीज में भी आपकी सेविंग हेल्प करती है और यह रिटायरमेंट प्लानिंग का आपको एक बेनिफिट प्रोवाइड करवाती है फिर आता है अपॉर्चुनिटी टू इन्वेस्ट तो सेविंग मनी प्रोवाइड द अपॉर्चुनिटी टू इन्वेस्ट इन एसेट द कैन जनरेट एडिशनल इनकम और ग्रो इन वैल्यू ओवर टाइम सेविंग और किस चीज में आपको किसी दूसरे एसेट में इन्वेस्ट करने की अपॉर्चुनिटी प्रोवाइड करवाती है कि आपकी जो इनकम है उसमें से कुछ पोर्शन निकालकर आप इस जगह पर इन्वेस्ट कर दें जिससे आपको एक एडिशनल इनकम जनरेट हो और आपकी वैल्यू जो यह पैसा है उसकी वैल्यू बढ़ जाए ओवर द टाइम इन्वेस्टमेंट सच एज स्टॉक बंड रियल एस्टेट रिटायरमेंट अकाउंट कैन हेल्प इंडिविजुअल बिल्ड वेल्थ एंड अचीव लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल ग्रोथ कहां-कहां इन्वेस्ट कर सकते हैं स्टॉक्स में बंड्स में रियल स्टेट में रिटायरमेंट अकाउंट में जिससे क्या होता है आपकी वेल्थ भी बढ़ेगी और आपकी लॉन्ग टर्म ग्रोथ भी होगी फिर आता है रिड्यूस्ड फाइनेंशियल स्ट्रेस तो हैविंग सेविंग कैन रिड्यूस फाइनेंशियल स्ट्रेस एंड एंजाइटी बाय प्रोवाइड अ सेंस ऑफ फाइनेंशियल सिक्योरिटी नोइंग दैट देयर इज मनी सेट असाइट फॉर इमरजेंसी फॉर फ्यूचर गोल कैन अल्टरनेटिव वरीज अबाउट मनी मैनेजमेंट सेविंग करने से आपका क्या होता है जो आपका फाइनेंशियल स्ट्रेस है वो भी कम होता है क्योंकि आपको पता होता है कि अगर फ्यूचर में कोई भी अनएक्सपेक्टेड इवेंट कोई इमरजेंसी आती है तो मेरे पास इतना पैसा सेव हो रखा है कि मैं उसको हैंडल कर लूंगा तो इस वजह से आपकी एंजाइटी नहीं रहती है आप और आपकी फाइनेंशियल स्ट्रेस कम हो जाती है यह था आपका सेविंग का कांसेप्ट नेक्स्ट कांसेप्ट हैगा आपका टाइम वैल्यू ऑफ मनी तो द टाइम वैल्यू ऑफ़ मनी इज फंडामेंटल कांसेप्ट इन फाइनेंस दैट रेफर्स टू द आइडिया दैट डॉलर टुडे इज वर्थ मोर दन डॉलर इन द फ्यूचर टाइम वैल्यू ऑफ मनी एक इंपोर्टेंट कांसेप्ट हैगा फाइनेंस की फील्ड में जिसका मतलब क्या होता है इसको एक लाइन से बता रखा है दैट डॉलर टुडे इज वर्थ मोर देन डॉलर इन फ्यूचर मतलब जो आज की वैल्यू है पैसे की वो आपके फ्यूचर के पैसे की वैल्यू से ज्यादा है दिस कांसेप्ट इज बेस्ड ऑन प्रिंसिपल दैट मनी हैज अ टाइम रिलेटेड वैल्यू ड्यू टू फैक्टर सच एज इंफ्लेशन इंटरेस्ट रेट एंड पोटेंशियल अर्निंग कैपेसिटी ऑफ इन्वेस्टेड फंड ये कांसेप्ट कहता है कि जो मनी है कि उसकी टाइम रिलेटेड वैल्यू होती है किन फैक्टर्स की वजह से इंफ्लेशन की वजह से इंटरेस्ट रेट की वजह से और अर्निंग कैपेसिटी की वजह से टाइम के अकॉर्डिंग मनी की वैल्यू चेंज होती रहती है देयर आर टू मेन कंपोनेंट ऑफ़ टाइम वैल्यू ऑफ़ मनी अब टाइम वैल्यू ऑफ़ मनी के अंदर आपके दो कांसेप्ट आते हैं एक आता है फ्यूचर वैल्यू का एक आता है प्रेजेंट वैल्यू का फ्यूचर वैल्यू इज द वैल्यू ऑफ इन्वेस्टमेंट और सेविंग एट अ स्पेसिफिक पॉइंट इन द फ्यूचर टेकिंग टू अकाउंट द इंटरेस्ट न एंड द रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट फ्यूचर वैल्यू का मतलब क्या होता है जो आपके पास आज पैसा है उसकी फ्यूचर में किसी एक पॉइंट ऑफ टाइम पर क्या वैल्यू होगी वो चीज कहलाती है आपकी फ्यूचर वैल्यू इसके अंदर आप इंटरेस्ट अर्न जो होगा इस वैल्यू पर वो और रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट होगा वो इन दोनों चीजों को इंक्लूड करके फ्यूचर वैल्यू कैलकुलेट करते हैं फ्यूचर वैल्यू कैलकुलेशन हेल्प इंडिविजुअल डिटरमाइंड हाउ मच मनी देयर मनी विल ग्रो ओवर टाइम इफ दे सेव और इन्वेस्ट इड यह इंडिविजुअल को यह जानने में मदद करती है कि जो आज इसके पास इंडिविजुअल के पास पैसा है उसकी फ्यूचर में क्या वैल्यू हो जाएगी वोह कितना ग्रो होगा अगर वो इसे आज सेव या इन्वेस्ट कर देता है तो फ्यूचर वैल्यू का फार्मूला होता है आपका इंटरेस्ट मल्टीप्ला में 1 प् r * t एंड वेयर जहां इन्वेस्टमेंट अर्निंग कंपाउंड इंटरेस्ट जब ये इन्वेस्टमेंट पर इंटरेस्ट कैसा मिल रहा हो आपको कंपाउंड इंटरेस्ट मिल रहा हो तो ये वाला फार्मूला लगा के फ्यूचर वैल्यू निकलेगी लेकिन अगर आपको नॉर्मल इंटरेस्ट मिल रहा हो तो आप कौन सा लगाएंगे i * 1 * r / t ये वाला फार्मूला आप लगाकर वैल्यू निकालेंगे i का मतलब क्या है इन्वेस्टमेंट की अमाउंट r का मतलब इंटरेस्ट रेट और टी हैगा आपका नंबर ऑफ इयर्स ठीक है नेक्स्ट आता है आपका कांसेप्ट प्रेजेंट वैल्यू का तो प्रेजेंट वैल्यू इज द करंट वैल्यू ऑफ अ फ्यूचर सम ऑफ मनी डिस्काउंटेड बैक टू द प्रेजेंट एट ए स्पेसिफिक रेट ऑफ रिटर्न आपको फ्यूचर में कोई पैसा मिलने वाला है आप उस पैसे की आज की वैल्यू निकालना चाहते हैं तो वो कहलाती है आपकी प्रेजेंट वैल्यू मान लो कोई कह रहा है मैं तुम्हें 10 साल बाद इतना पैसा दूंगा तो अगर आप उससे यह कहो कि नहीं मेरे को 10 साल बाद इतना पैसा नहीं चाहिए आज मेरे को इतना पैसा दे दो तो वो जो आज की वैल्यू है वो कहलाती है आपकी प्रेजेंट वैल्यू इसको हम डिस्काउंटेड करते हैं एक स्पेसिफिक रेट ऑफ रिटर्न से प्रेजेंट वैल्यू कैलकुलेशन हेल्प इंडिविजुअल डिटरमाइंड हाउ मच फ्यूचर सम ऑफ मनी इ वर्थ इन टुडेज टर्म ये प्रेजेंट वैल्यू है य क्या कैलकुलेट करने में मदद करती है एक इंडिविजुअल की कि जो फ्यूचर की मनी है उसकी आज की वैल्यू क्या है आज के टर्म्स में जिसके अंदर हम इंफ्लेशन और अपॉर्चुनिटी कॉस्ट को कंसीडर करते हैं फार्मूला क्या होता है प्रेजेंट वैल्यू का फ्यूचर वैल्यू अपन में 1 प् आ टू द पावर ए जहां पर एवी का मतलब है फ्यूचर वैल्यू आ हैगा रेट ऑफ रिटर्न और ए हैगा नंबर ऑफ पीरियड ठीक है नेक्स्ट आता है टाइम वल व ऑफ मनी इन पर्सनल फाइनेंस पर्सनल फाइनेंस के अंदर टाइम वैल्यू ऑफ मनी की क्या टाइम वैल्यू ऑफ़ मनी क्या होता है तो इन पर्सनल फाइनेंस द टाइम वैल्यू ऑफ़ मनी इज की कांसेप्ट दैट अफेक्ट वेरियस एस्पेक्ट ऑफ फाइनेंशियल प्लानिंग पर्सनल फाइनेंस के अंदर टाइम वैल्यू ऑफ मनी एक ऐसा फैक्टर हैगा जो हमारे फाइनेंस के जो भी डिसीजन होते हैं फाइनेंशियल प्लानिंग के उन्हें अफेक्ट करता है हेयर आर फ्यू वेज इन व्हिच टाइम वैल्यू ऑफ़ मनी इज रिलेवेंट इन पर्सनल फाइनेंस अब कैसे-कैसे तो सबसे पहले बजटिंग एंड सेविंग तो द टाइम वैल्यू ऑफ़ मनी हाईलाइट द इंपोर्टेंस ऑफ़ सेविंग एंड इन्वेस्टिंग अर्ली बाय स्टार्टिंग टू सेव एंड इन्वेस्ट अर्ली इंडिविजुअल कैन टेक एडवांटेज ऑफ कंपाउंडिंग रिटर्न ओवर टाइम अलांग देयर मनी टू ग्रो सिग्निफिकेंट क्या बोला है टाइम वैल्यू ऑफ जो मनी है वो हाईलाइट करता है इंपोर्टेंस किस चीज की सेविंग और इन्वेस्टिंग की कि अगर कोई पर्सन जल्दी एज में या जल्दी टाइम में इन्वेस्टिंग और सेविंग स्टार्ट कर देता है तो उसे कंपाउंडिंग रिटर्न का एडवांटेज मिल जाता है फिर आता है डेट मैनेजमेंट तो द टाइम वैल्यू ऑफ मनी आल्सो अप्लाई टू डेट मैनेजमेंट व्हेन इंडिविजुअल बोरो मनी दे नीड टू कंसीडर द इंटरेस्ट कॉस्ट एसोसिएटेड विद द लोन टाइम वैल्यू ऑफ मनी डेट मैनेजमेंट में भी हेल्प करता है जब कोई पर्सन बोरो कर है मनी को तो वो क्या चीज कंसीडर करता है इंटरेस्ट कॉस्ट जो कि उस लोन पर देनी है उसे उस चीज को कंसीडर करता है उसकी टाइम वैल्यू क्या रहने वाली है फिर आता है मेजर परचेस तो वन मेकिंग मेजर परचेस सच एज बाइंग अ हाउस और अ कार द टाइम वैल्यू ऑफ मनी इज इंपोर्टेंट टू कंसीडर जब भी आप कोई मेजर परचेस करते हैं आप कोई घर खरीदते हैं कोई कार खरीदते हैं तो टाइम वैल्यू ऑफ मनी को ध्यान में रखना पड़ता है फिर आता है रिटायरमेंट प्लानिंग तो टाइम वैल्यू ऑफ मनी इज क्रुशल इन रिटायरमेंट प्लानिंग इंडिविजुअल नीड टू एस्टीमेट हाउ मच दे नीड फॉर रिटायरमेंट एंड फैक्टर इन द टाइम टाम वैल्यू ऑफ मनी टू डिटरमाइंड हाउ मच दे शुड सेव ईच मंथ अगर कोई पर्सन रिटायरमेंट प्लानिंग करना चाहता है तो उसे टाइम वैल्यू ऑफ मनी को ध्यान में रखना पड़ेगा यह जानने के लिए कि उसे रिटायरमेंट के टाइम पर कितना पैसा चाहिए और किस तरीके से उसे अभी से कितना कितना सेव करना पड़ेगा कि रिटायरमेंट के टाइम तक उसको इतना अवेलेबल मिल जाए ठीक है तो ये आपके पर्सनल फाइनेंस के अंदर टाइम वैल्यू ऑफ मनी की इंपोर्टेंस है नेक्स्ट आता है आपका कांसेप्ट मैनेजमेंट ऑफ स्पेंडिंग की जो आपके खर्चे हैं उन्हें किस तरीके से मैनेज किया जा सकता है तो मैनेजिंग स्पेंडिंग इ अ फंडामेंटल एस्पे ऑफ पर्सनल फाइनेंस दैट प्ले अ क्रुशल रोल इन अचीविया स्टेबिलिटी और लॉन्ग टर्म गोल किसलिए मैनेजमेंट की जरूरत पड़ती है ताकि आप फाइनेंशियल स्टेबिलिटी अचीव कर पाए और लॉन्ग टर्म गोल्स हैं उन्हें अचीव कर पाए स्टेप्स क्या-क्या होते हैं इस पेंडिंग में सबसे मैनेज करने में इस पेंडिंग को तो सबसे पहले क्रिएट अ बजट तो स्टार्ट बाय क्रिएटिंग अ डिटेल बजट दैट आउटलाइन योर इनकम एक्सपेंस एंड फाइनेंशियल गोल सबसे पहले आपको एक बजट बनाना है जिसमें आपकी इनकम पता हो आपको आपके एक्सपेंस पता हो और आपका गोल क्या है वो पता हो कैटेगरी इज योर एक्सपेंस इनटू फिक्स्ड एंड वेरिएबल एक्सपेंस टू ट्रैक वयर योर मनी इज गोइंग उसके बाद आप को अपने एक्सपेंसेस को कैटेगरी करना है कि आपके फिक्स्ड एक्सपेंस क्या है आपके वेरिएबल एक्सपेंसेस क्या-क्या है अब बजट हेल्प यू अंडरस्टैंड योर कैश फ्लो एंड आइडेंटिफिकेशन फंड अब जब आप बजट बना लोगे तो इससे आपको क्या पता लगेगा कि आपके कैश का फ्लो क्या है कहां से पैसा आ रहा है और कहां पैसा जा रहा है और आप कहां-कहां का पैसा कट कर सकते हैं जो कि अननेसेसरी आप खर्च कर रहे हैं फिर आता है ट्रैक योर एक्सपेंस और कीप ट्रैक ऑफ योर स्पेंडिंग बाय रिकॉर्डिंग ऑल एक्सपेंस वेदर थ्रू अ बजटिंग पप स्प्रेडशीट ऑफ पेन और पेपर आपको क्या करना है है फिर सेकंड स्टेप में आपको अपने खर्चों को रिकॉर्ड करना है कि आप कहां-कहां क्या-क्या खर्चे कर रहे हैं वो आप किसी भी चीज की मदद से कर सकते हैं या तो आप उसे ई फॉर्म में या फिर पेन और पेपर की फॉर्म में उन्हें रिकॉर्ड कर सकते हैं मॉनिटर और एक्सपेंस हेल्प यू आइडेंटिफिकेशन टू स्टे विद इन योर बजट अग जब आप ये खर्चे का रिकॉर्ड मेंटेन करते हैं तो आपको वो आपका स्पेंडिंग पैटर्न समझने में मदद करता है कि आप किस तरीके से खर्चे कर रहे हैं आप कहां-कहां ओवर स्पेंडिंग कर रहे हैं वो समझने में मदद करता है और आपको एडजस्टमेंट करने में मदद करता है जिसे आप अपके बजट में रहकर खर्चे करें फिर आता है प्रायोरिटी नीड ओवर वांट टू डिस्ट बिटवीन एसेंशियल नीड एंड डिस्क्रीशनरी वांट व्हेन मेकिंग परचेसिंग डिसीजन आपको क्या डिफरेंस करना है कि आपकी एसेंशियल नीड क्या है और डिस्क्रीशनरी वांट्स क्या-क्या है मतलब ऐसी वांट जो कि नेसेसरी नहीं है वो क्या-क्या है जिसकी वजह से आप एक अच्छा परचेज डिसीजन ले सके प्रायोरिटी स्पेंडिंग ऑन नेसेसिटी सच एज हाउसिंग फूड हेल्थ केयर एंड डेट पेमेंट बिफोर एलोकेटिंग टू नॉन एसेंशियल आइटम और लग्जरीज आपको क्या करना है सबसे पहले नेसेसिटी के खर्चे कर जैसे कि हाउस हो गया फूड हो गया हेल्थ केयर हो गई डेट पेमेंट हो गई इन सारे और जो अननेसेसरी एक्सपेंसेस हैं जो एसेंशियल नहीं है उनको बाद में करना है कंसीडर वेदर अ परचेस अलाइन विद योर फाइनेंशियल गोल बिफोर मेकिंग इट और आपको ये भी ध्यान में रखना है कि जो आप परचेस कर रहे हैं या स्पेंडिंग कर रहे हैं वो आपके फाइनेंशियल गोल्स के अकॉर्डिंग है या नहीं है फिर आता है यूज कैश और डेबिट कार्ड तो कंसीडर यूजिंग कैश और डेबिट कार्ड इंस्टेड ऑफ क्रेडिट कार्ड फॉर एवरीडे परचेस टू प्रिवेंट ओवर स्पेंडिंग एंड एक्युमटिका से करें क्रेडिट कार्ड का यूज ना करें क्योंकि क्रेडिट कार्ड से आपकी ओवर स्पेंडिंग हो जाती है सेटिंग अ लिमिट ऑन डिस्क्र स्पेंडिंग कैटेगरी एंड यूजिंग कैश एनवेलप कैन हेल्प कंट्रोल इंपल्स परचेस एंड स्टे विदन बजट आपको एक लिमिट सेट कर लेनी है जो आपकी डिस्क्र स्पेंडिंग है एक एनवेलप अलग से रख लेना है कि हां मेरे को ये डिस्क्रीशनरी मतलब जो नेसेसिटी वाली स्पेंडिंग नहीं है नॉन एसेंशियल स्पेंडिंग है वो इसमें से करने है इससे ज्यादा मेरे को नॉन एसेंशियल स्पेंडिंग नहीं करनी है फिर आता है कंपैरिजन शॉपिंग तो बिफोर मेकिंग अ परचेस कंपेयर प्राइस फ्रॉम डिफरेंट रिटेलर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म टू फाइंड द बेस्ट डील एंड डिस्काउंट कोई भी परचेस करते समय आपको अलग-अलग रिटेलर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्राइस चेक कर लेना है जहां से आपको बेस्ट डील और डिस्काउंट मिले वहां से आपको परचेस करनी है लुक फॉर सेल कूपन और प्रमोशनल ऑफर टू सेव मनी ऑन एसेंशियल परचेस विदाउट कंप्रोमाइज क्वालिटी आपको सेल कूपन प्रमोशनल ऑफर्स का ध्यान रखना है मनी बचाने के लिए लेकिन यह भी ध्यान में रखना है कि आपकी क्वालिटी कंप्रोमाइज ना हो फिर आता है अवॉइड लाइफस्टाइल इंफ्लेशन तो एज योर इनकम इंक्रीज रजिस्ट द टेंटेशन टू इन्फ्लेट योर स्टाइल बाय इंक्रीजिंग स्पेंडिंग ऑन नॉन एसेंशियल आइटम अगर आपकी इनकम बढ़ जाती है तो आपको अपनी लाइफ स्टाइल के खर्चों को नहीं बढ़ाना है कि आप अगर इनकम बढ़ गई तो आप नॉन एसेंशियल आइटम पर ज्यादा खर्चा करने लगे इंस्टेड कंसीडर वेदर सेविंग और इन्वेस्टिंग द एडिशनल इनकम टू बिल्ड वेल्थ एंड अचीव लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल सिक्योरिटी इसके बदले में आपको क्या करना है एडिशनल इनकम जो आई है उसे या तो वेल्थ बनानी है अपनी या फिर उसे लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए इन्वेस्ट कर देना है फिर आता है आपका सेट सेविंग गोल एलोकेट अ पोर्शन ऑफ योर इनकम टुवर्ड सेविंग एंड इमरजेंसी फंड टू बिल्ड अ फाइनेंसियल क्वेश्चन फॉर अनएक्सपेक्टेड एक्सपेंसेस और फ्यूचर गोल ऑटोमेट सेविंग कंट्रीब्यूशन टू इंश्योर कंसिस्टेंसी एंड डिसिप्लिन इन सेविंग एबिट उसके बाद आपको क्या करना है एक स्टेप ये करना है कि आपकी जो भी टोटल इनकम है उसमें से थोड़ा सा पोर्शन निकालकर उसे दूसरी जगह कहीं इन्वेस्ट कर देना है जो कि आपके इमरजेंसी फंड का काम करेगी आपके अनपे अनएक्सपेक्टेड एक्सपेंसेस और अन एक्सपेक्टेड इवेंट के केस में फिर आता है रिव्यू एंड एडजस्ट रेगुलरली तो रेगुलरली रिव्यू और बजट ट्रैक योर स्पेंडिंग एंड असेस टुवर्ड योर फाइनेंशियल गोल उसके बाद आपको क्या करना है जो आपका बजट है उसका रेगुलरली रिव्यू करना है उसे चेक करना है अपनी स्पेंडिंग को ट्रैक करना है और यह देखना है कि आपके फाइनेंशियल गोल्स जो आपको अचीव करने थे वो अचीव हो रहे हैं या नहीं हो रहे मेक एडजस्टमेंट ए नीडेड टू अमेट चेंज इन इनकम एक्सपेंस ऑफ फाइनेंशियल प्रायोरिटी और अगर किसी भी चीज में डिफरेंस होता है तो उसके लिए आपको फिर उसमें एडजस्टमेंट करने की जरूरत पड़ेगी ठीक है तो ये आपके एट स्टेप होते हैं किस तरीके से आप अपने खर्चों को मैनेज कर सकते हैं नेक्स्ट आता है आपका फाइनेंशियल डिसिप्लिन तो फाइनेंशियल डिसिप्लिन इ अ की कांसेप्ट ऑफ मैनेजिंग मनी इफेक्टिवली एंड अचीविया डिसिप्लिन क्या होता है आप अपनी मनी को इफेक्टिवली मैनेज करना जिससे आप फाइनेंशियल स्टेबिलिटी अचीव कर पाए वो कहलाता है फाइनेंशियल डिसिप्लिन इट इवॉल्व डेवलपिंग हेल्दी फाइनेंशियल हैबिट मेकिंग रिस्पांसिबल स्पेंडिंग डिसीजन एंड स्टेइंग कमिटेड टू योर फाइनेंशियल गोल इसके अंदर आपकी क्या-क्या चीजें इवॉल्व होती है एक हेल्दी फाइनेंशियल हैबिट स्पेंडिंग से जो भी रिलेटेड डिसीजन है वो रिस्पांसिबल तरीके से लेना और अपने फाइनेंशियल गोल के लिए कमिटेड रहना मतलब उन्हें अचीव करने के लिए रेडी रहना अब आप आप किस तरीके से फाइनेंशियल डिसिप्लिन अचीव कर सकते हैं या फिर पहला आएगा क्रिएट अ बजट एंड स्टिक ट तो स्टेबलाइज अ बजट दैट रिफ्लेक्ट योर इनकम एक्सपेंस सेविंग गोल्स एंड डेट रीपेमेंट फॉलो योर बजट डिलिजेंटली एंड ट्रैक योर स्पेंडिंग टू इंश्योर दैट यू स्टे विदन योर फाइनेंशियल लिमिट सबसे पहला स्टेप वै आपको बजट बनाना है अपनी इनकम एक्सपेंस और सेविंग गोल्स का और उसके बाद उसे ट्रैक करते रहना है कि आप कैसे जो खर्चे कर रहे हैं वो आपके बजट के अकॉर्डिंग है या नहीं है फिर है अवॉइड इंपल्स परचेस तो रेजिस्ट द अर्थ टू मेक इंपल्स परचेस बाय प्रैक्टिसिंग माइंडफुल स्पेंडिंग बिफोर बाइंग समथिंग आस्क योरसेल्फ इफ इट अलाइन विद योर बजट प्रायोरिटी एंड लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल गोल आपको किसी भी तरीके की इंपल्स परचेस को अवॉइड करना है किसी भी तरीके की ऐसी परचेस नहीं करनी है जो जरूरी ना हो फिर आता है लिमिट क्रेडिट कार्ड यूज वही सारे ऊपर वाले स्टेप है आपको क्रेडिट कार्ड का यूज नहीं करना है क्योंकि उससे ओवर स्पेंडिंग होती है आपको डेबिट कार्ड या कैश का यूज करना है फिर बिल्ड एन इमरजेंसी फंड उसके बाद आपके नेक्स्ट स्टेप वही है आपको अपनी इनकम में से थोड़ा सा पोर्शन सेट अाइड कर देना है एज इमरजेंसी फंड जो अन एक्सपेक्टेड इवेंट के केस में आपकी हेल्प करेगा फिर आता है सेट क्लियर फशल गोल तो डिफाइन स्पेसिफिक फाइनेंसियल गोल दैट आर मीनिंगफुल टू यू सच एज सेविंग फॉर डाउन पेमेंट ऑन हाउस पेइंग ऑफ डेट फॉर और फंडिंग योर रिटायरमेंट ब्रेक डाउन योर गोल इन टू मेनेजेबल स्टेप एंड ट्रैक योर प्रोग्रेस रेगुलरली उसके बाद आपको अपना फाइनेंशियल गोल सेट करना है कि आप किस कहां कहां अपनी मनी का यूज करने चाहते हैं आपको हाउस के लिए पेमेंट करनी है डेट की पेमेंट करनी है या रिटायरमेंट के लिए फंड क्रिएट करना है और फिर उसका ब्रेक डाउन करना है और उसे अच्छे से ट्रैक करना है फिर है ऑटोमेट सेविंग तो मेकिंग अ सेविंग अ प्रायोरिटी बाय सेटिंग ऑटोमेटिक ट्रांसफर फ्रॉम योर चेकिंग अकाउंट टू योर सेविंग और इवेस्टमेंट ए आउट आपको एक क्या हैबिट करनी है एक ऐसा अकाउंट मेंटेन करवाना है बैंक में कि जो आपका रेगुलर सेविंग जो आपका रेगुलर अकाउंट है जिसमें आपकी इनकम आती है उसमें से टाइम टू टाइम अपने आप आपकी इंस्ट्रक्शंस के अकॉर्डिंग थोड़ा सा पोर्शन निकलकर आपके दूसरे अकाउंट में या दूसरी जगह पर जाकर अपने आप इन्वेस्ट हो जाए आपको उसे ट्रांसफर ना करना पड़े फिर आता है मॉनिटर और प्रोग्रेस आपको अपने इस बजट का रेगुलरली मॉनिटर करना है और अगर कोई डिफरेंस आता है तो उसे आपको एडजस्ट करना है फिर प्रैक्टिस डिलीट ग्रेटिफुली इमीडिएट ग्रेटिफुली लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल रिवर्ड कंसीडर द ट्रेड ऑफ ऑफ स्पेंडिंग ऑन नाउ वर्थ सेविंग फॉर फ्यूचर गोल फिर आता है एजुकेट योरसेल्फ तो इंक्रीज योर फाइनेंशियल लिटरेसी बाय रीडिंग बुक अटेंडिंग वर्कशॉप और सीकिंग एडवाइस फ्रॉम फाइनेंशियल प्रोफेशनल अंडरस्टैंडिंग पर्सनल फाइनेंस कांसेप्ट कैन एंपावर यू टू मेक इनफॉर्म डिसीजन एंड मैनेज योर मनी इफेक्टिवली आपको अपने आप को एजुकेट करना है फाइनेंशियल लिटरेसी की अपनी नॉलेज बढ़ानी है अलग-अलग बुक्स को रीड करके वर्कशॉप अटेंड करके फाइनेंशियल प्रोफेशनल की एडवाइस लेकर जिससे आप क्या कर सके अपने मनी को अच्छे से इफेक्टिवली मैनेज कर सके फिर आता है स्टे मोटिवेटेड तो स्टे मोटिवेटेड बाय विजल द बेनिफिट ऑफ फाइनेंशियल डिसिप्लिन सच एज अचीविया इंडिपेंडेंस रिड्यूजिंग स्ट्रेस बिल्डिंग वेल्थ फॉर द फ्यूचर सेलिब्रेट स्मल विक्टरी अलोंग द वे टू स्टे इंस्पायर्ड आपको मोटिवेटेड रहना है विजुलाइज करना है अपने बेनिफिट देखने हैं फाइनेंशियल डिसिप्लिन के फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस को अचीव करना है अपने रिड स्ट्रेस को कम करना है और एक वेल्थ बिल्ड करनी है अपने लिए ठीक है तो इस तरीके से आप क्या कर सकते हैं ये आपके स्टेप्स हो गए जिसकी मदद से आप फाइनेंशियल डिसिप्लिन अचीव कर सकते हैं तो देखिए यहां पर हमारी यूनिट नंबर वन की वन शॉट रिवीजन कंप्लीट हो जाती है अब नेक्स्ट है हमारे पास पास यूनिट नंबर टू बैंकिंग एंड डिजिटल पेमेंट तो सबसे पहले इसमें आपको कवर करना है टाइप्स ऑफ बैंक के बारे में तो बैंक कैन बी कैटेगरी इज्ड इनटू डिफरेंट टाइप्स बेस्ड ऑन देयर फंक्शन ओनरशिप टारगेट कस्टमर हेयर आर सम कॉमन टाइप्स ऑफ बैंक्स बैंक को हम कई सारी कैटेगरी में डिवाइड करते हैं उनके फंक्शन के बेसिस पर ओनरशिप के बेसिस पर और उनके टारगेटेड कस्टमर के बेसिस पर यहां पर आपको कुछ कैटेगरी बताई है जैसे कि सबसे पहली बैंक है जो है वो है आपकी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इट इज अ सेंट्रल बैंक ऑफ द कंट्री एंड आल्सो कॉल्ड बैंकर्स बैंक यह हमारी कंट्री की सेंट्रल बैंक है और इसे बैंकर्स का बैंक कहा जाता है मतलब बैंकों का बैंक कहा जाता है इट्स फंक्शनिंग इ रेगुलेटरी इन नेचर एज इट रेगुलेट द फंक्शनिंग ऑफ ल अदर बैंक ऑपरेटिंग इन इंडिया इसका जो नेचर हैगा फंक्शनिंग का वो कैसा है रेगुलेटरी नेचर है ये जितनी भी बैंक इंडिया के अंदर ऑपरेट होती है उन सभी की फंक्शनिंग को रेगुलेट करती है मतलब देखभाल करती है उनकी हेस सुपरवाइज द फंक्शनिंग ऑफ एनटायर बैंकिंग सेक्टर इन इंडिया तो इंडिया के अंदर जितना भी बैंकिंग सेक्टर है उसकी फंक्शनिंग कौन देखता है आरबीआई रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया देखती है दूसरी तरीके की बैंक होती है आपकी कमर्शियल बैंक तो एडिंग टू ट्रेडिशनल डेफिनेशन ऑफ कमर्शियल बैंक इट इज अ फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन दैट प्राइमर इंगेज इन एक्सेप्टेंस ऑफ डिपॉजिट फ्रॉम इंडिविजुअल एंड ऑफर वेरियस लेंडिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेस जो कमर्शियल बैंक होती है वो कौन सी बैंक है ये एक तरीके के ऐसे फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन होते हैं जो कि लोगों से उनका पैसा एक्सेप्ट करते हैं एज अ डिपॉजिट और लोगों को ही कई सारे तरीके की लोन प्रोवाइड करवाते हैं फाइनेंशियल सर्विसेस प्रोवाइड करवाते हैं थर्ड आती है शेड्यूल बैंक तो बैंक मेंशन इन लिस्ट इन सेकंड शेड्यूल ऑफ आरबीआई एक्ट 1934 आर शेड्यूल बैंक ऐसी बैंक जो आरबीआई एक्ट 1934 के शेड्यूल सेकंड के अंदर मेंशन की गई है लिस्ट के अंदर वो कहलाती है आपकी शेड्यूल बैंक देयर आर फरदर कैटेगरी इनटू प्राइवेट फॉरेन एंड मल्टीनेशनल बैंक और इन शेड्यूल बैंक को तीन पार्ट में डिवाइड करा जाता है प्राइवेट शेड्यूल बैंक फॉरेन शेड्यूल बैंक और मल्टीनेशनल शेड्यूल बैंक कोऑपरेटिव बैंक टू फॉल इन कैटेगरी इफ दे फुलफिल सर्टेन क्राइटेरिया जो कोऑपरेटिव बैंक है वो भी शेड्यूल में आ जाती है अगर वो कुछ सर्टेन क्राइटेरिया को फुलफिल करती है वो क्राइटेरिया आपके सिलेबस में नहीं दिया गया है तो आपको जानने की जरूरत नहीं है नेक्स्ट आता है नॉन शेड्यूल बैंक तो दोज दैट आर नॉट लिस्टेड इन अबब आर ओबवियसली नॉन शेड्यूल बैंक ऐसी बैंक जो ऊपर वाले सेकंड शेड्यूल में मेंशन नहीं होती है वो सारी नॉन शेड्यूल बैंक है देयर आर टोटल 1458 नॉन शेड्यूल बैंक इन इंडिया एज पर लेटेस्ट इंफॉर्मेशन अवेलेबल एट द टाइम ऑफ प्रिपेयरिंग दिस लेसन तो आज के टाइम पर इंडिया में कितनी 1458 नॉन शेड्यूल बैंक्स हैं फिफ्थ हैग आपकी रीजनल रूरल बैंक तो रीजनल रूरल बैंक जोने हम आरआरबी कहते हैं इन इंडियार फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन दैट हैव बीन डिजाइंड एज शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक दीज बैंक आर स्पेसिफिक के लिए स्टेबलाइज टू कर्टर टू बैंकिंग नीड ऑफ रूरल एरिया विद इन ईच स्टेट ये ऐसे फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन है जो कि शेड्यूल कमर्शियल बैंक की कैटेगरी में आते हैं ये किसलिए बनाई गई है ताकि जो रूरल पीपल हैं रूरल एरियाज के पीपल है मतलब गांव के लोग हैं उनकी बैंकिंग नीड्स को पूरा किया जा सके द आरआरबी आर फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन दैट स्पेसिफिकली एड्रेस द फाइनेंशियल रिक्वायरमेंट ऑफ दोज रि साइडिंग इन रूरल एरिया एंड दोज हु आर सोशियो इकोनॉमिकली डिस एडवांटेजेस ये जो फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन है ये स्पेसिफिकली बनाई उन्हीं लोगों के लिए गए हैं जो या तो रूरल एरियाज में रहते हैं या या फिर सोशल इकोनॉमिक डिसएडवांटेजेस है मतलब जिन्हें एक तरीके से पिछड़ा वर्ग माना जाता है सिक्स है कि पब्लिक सेक्टर बैंक तो पब्लिक सेक्टर बैंक जिसे हम पीएसबी कहते हैं आर फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन कैरक्टराइज्ड बाय मेजोरिटी गवर्नमेंट ओनरशिप विद द गवर्नमेंट होल्डिंग मोर देन 50 पर ऑफ द बैंक कैपिटल क्या बोला है पब्लिक सेक्टर बैंक ऐसे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन है जिसके अंदर जो मेजर स्टेक होता है वो गवर्नमेंट का होता है 50 पर से ज्यादा का स्टेक गवर्नमेंट होल्ड करती है द गवर्नमेंट रेगुलेट द फाइनेंशियल स्टैंडर्ड ऑफ दीज इंस्टिट्यूशन और इन इंस्टिट्यूशन को कौन रेगुलेट करती है गवर्नमेंट अपने तरीके से रेगुलेट करती है फिर आती है हमारी प्राइवेट सेक्टर बैंक तो इन एडिशन टू थ्री एंड फोर अबब द थ्री एंड फोर अबोव आर प्राइवेट सेक्टर बैंक ओंड एंड मैनेज्ड प्राइवेटली अनलाइक पब्लिक सेक्टर बैंक देयर प्रायोरिटी इज नॉट द इकोनॉमिक वेलफेयर बट देयर न प्रॉफिटेबिलिटी एंड द ऑब्जेक्टिव ऑफ फॉर्मेशन ऑफ सच बैंक जो प्राइवेट सेक्टर बैंक कौन सी होती है ऐसी बैंक जो कि पब्लिक सेक्टर बैंक नहीं होती है मतलब जिसमें गवर्नमेंट की कोई इवॉल्वमेंट नहीं होती है वो कहलाती है आपकी प्राइवेट सेक्टर बैंक इनका जो मेन ऑब्जेक्टिव होता है वो प्रॉफिटेबिलिटी होता है ना कि सोशल वेलफेयर इनका ऑब्जेक्टिव होता है एथ आती है हमारी कोऑपरेटिव बैंक तो द वर्ड कोऑपरेटिव मींस ऑटोनोमस एसोसिएशन ऑफ पीपल एस्पायरिंग टू मीट देयर ओन इकोनॉमिक सोशल एंड कल्चरल ऑब्जेक्टिव थ्रो एन एंटिटी जॉइंट कंट्रोल्ड एंड ओंड कोऑपरेटिव बैंक क्या होती है कोऑपरेटिव का मतलब होता है एक ऐसी एसोसिएशन जो लोगों ने ख कुछ लोगों ने खुद ने मिलकर बना ली है जिसका ऑब्जेक्टिव क्या होता है अपने खुद के लोगों की इकोनॉमिक सोशल और कल्चरल ऑब्जेक्टिव को अचीव करवाना तो जब यही एक बैंकिंग फाइनेंशियल टाइम टर्म में काम करने लगे तो वह बन जाती है आपकी कोऑपरेटिव बैंक द बाइंडिंग फैक्टर इ म्यूचुअल ट्रस्ट इसके अंदर जो बाइंडिंग फैक्टर होता है लोगों का वो क्या होता है आपस के लोगों पर ट्रस्ट स बैंक ऑपरेट न सेम लाइन अदर बैंक ब ऑन नो प्रॉफिट नो लॉस बे बाकी बैंक की तरह ही ऑपरेट होती है लेकिन इसमें जो मोटिव होता है व नो प्रॉफिट नो लॉस का मोटिव होता है नेक्स्ट आती है हमारी फॉरन बैंक तो नेम सजेस्ट बैंक आर इनकॉरपोरेटेड इन फॉरन लैंड द बिग डिफरेंस ट दे हैव टू अाइड बा द रूल एंड ल ऑफर होम कंट्री वेल दो इन इंडिया क्या बोला है ऐसी बैंक जो दूसरी कंट्री में मतलब कंट्री के बाहर फॉर्म हुई है लेकिन है वो कहां की इंडिया की भी है तो वो कहलाती है आपकी फॉरेन बैंक इन जो ये बैंक होती है इनका डिफरेंस यही होता है कि जो फॉरेन बैंक नहीं होती है उन्हें सिर्फ इंडिया में आरबीआई की गाइडलाइन को फॉलो करना होता है लेकिन जो फॉरेन बैंक होती है उन्हें जिस कंट्री में वो इनकॉरपोरेट हुई है वहां की भी सारी गाइडलाइन माननी पड़ेगी और इंडिया की रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की भी सारी गाइडलाइन माननी पड़ेगी फिर है डेवलपमेंट बैंक तो डेवलपमेंट बैंक आर फाइनेंसियल इंस्टिट्यूशन दैट प्रोवाइड एक्सटेंडेड फंडिंग फॉर प्रोजेक्ट दैट नीड सिग्निफिकेंट कैपिटल इन्वेस्टमेंट एंड हैव एक्सपें एक्सटेंडेड रीपेमेंट पीरियड ऐसी बैंक जो कि किसी प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग प्रोवाइड करवाती है अगर कोई बड़ा प्रोजेक्ट होता है तो उसके लिए फंडिंग को एक्सटेंड करती हैं वो कहलाती है डेवलपमेंट बैंक दिस प्रोजेक्ट टिपिकली इंक्लूड द डेवलपमेंट ऑफ इरिगेशन सिस्टम माइनिंग हैवी इंडस्ट्री एज वेल एज अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के अंदर क्या-क्या कौन-कौन से प्रोजेक्ट के लिए ये बैंक लो फंडिंग प्रोवाइड करवाती है तो कोई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है माइनिंग का है हैवी इंडस्ट्री का है इरिगेशन का है तो उनके लिए ये फंडिंग प्रोवाइड करवाती हैं ठीक है तो ये आपकी हो गई कैटेगरी बैंक की कि किस-किस तरीके की बैंक आपकी होती है तो देखिए अब नेक्स्ट टॉपिक आएगा बैंकिंग प्रोडक्ट एंड सर्विसेस की जो बैंक है वो क्या-क्या सर्विसेस प्रोवाइड करवाती है और बैंक के क्या-क्या प्रोडक्ट होते हैं पहला होता है हमारा फैसिलिटी ऑफ लोन अदर देन एक्सेप्टिंग डिपॉजिट फॉर डिफरेंट टाइम ड्यूरेशन बैंक डील इन एडवांसिंग लोन टू डिफरेंट टाइप ऑफ़ एंटिटी रेंजिमर टू लार्ज मल्टीनेशनल कंपनी सिर्फ बैंक डिपॉजिट एक्सेप्ट करने के अलावा किसी इंडिविजुअल को या किसी एंटिटी को चाहे कोई इंडिविजुअल हो या बड़ी से बड़ी कंपनी हो उन्हें लोन की सर्विस प्रोवाइड करवाती है द इंटरेस्ट दे अर्न फ्रॉम गिविंग दिस लोन इन देर मेन सोर्स ऑफ इनकम और जो वो इंटरेस्ट अन करती है इन लोन पर वही इनकी इनकम का सबसे मेन सोर्स होता है दे फुलफिल द रिक्वायरमेंट ऑफ फंड डिफरेंट सेक्शन ऑफ सोसाइटी और जो सोसाइटी के डिफरेंट सेक्शन है उनकी जो भी रिक्वायरमेंट होती है फंड्स की उन्हें फुलफिल करती हैं उसके अलावा ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी तो द प्रोविजन ऑफ एन ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी विद इन अ करंट अकाउंट अलाउ द अकाउंट होल्डर टू मेक विड्रॉल इवन इन केस वेयर द अकाउंट बैलेंस इज लो ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी बैंक प्रोवाइड करवाती है इसके अंदर क्या होता है आपके करंट अकाउंट में बैलेंस है या नहीं है आपको फैसिलिटी दे दी जाती है कि आप उतने बैलेंस से ज्यादा अमाउंट विथड्रावल तो वो कहलाती है आपकी ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी इट इज अ फाइनेंसियल अरेंजमेंट प्रोवाइडेड बाय बैंक दैट अलाउ कस्टमर टू एक्सीड अ प्री डिटरमाइंड लिमिट रिजल्टिंग इन नेगेटिव बैलेंस रेफ रेफरड एज एन ओवरड्रॉन अमाउंट इसके अंदर क्या होता है बैंक कस्टमर को फैसिलिटी प्रोवाइड करवाती है कि एक लिमिट तक जितनी आपके अकाउंट की लिमिट सेट कर दी जाती है उतनी लिमिट तक आप विड्रॉ कर सकते हो आपके अकाउंट का बैलेंस नेगेटिव चला जाएगा जो कि ओवरड्रॉन विड्रॉन ओवरड्रॉन अमाउंट मानी जाती है ठीक है फिर आता है डिस्काउंटिंग ऑफ बिल तो बिल डिस्काउंटिंग इज अ वायबल अल्टरनेटिव दैट अलाउ बिजनेस टू स्पीड अप पेमेंट फॉर देयर सर्विस एंड फुलफिल ऑपरेशनल ऑब्लिगेशन विदाउट रिलाइंग ऑन आउटसाइड सोर्स फॉर फंडिंग बिल डिस्काउंटिंग की सर्विस प्रोवाइड करवाती है बैंक इसके अंदर क्या होता है जो बिल्स होते हैं आपका बी आरबीपी हो गए उन्हें डिस्काउंट पर प्रोवाइड करवा देती है मतलब अगर जो इंडिविजुअल है वो बिल बैंक के पास दे जाता है और बैंक उसके बदले में उन्हें अमाउंट मतलब मनी दे देती है ठीक है फिर आता है इनकेसिंग चेक तो बैंक एक् एक्सटेंड दिस सर्विस टू बोथ सेविंग एंड करंट अकाउंट होल्डर चेक कैन बी टुडे बी इनकेस्ड अक्रॉस एनी बैंक ब्रांच ईएसपी क्या बोला है ये एक सर्विस हैगी एनकैशिंग चेक की इसके अंदर बैंक ने ये सेविंग अकाउंट वालों को भी और करंट अकाउंट वालों को भी दोनों को यह सर्विस दे रखी है जिसके अंदर आप चेक को किसी भी बैंक की ब्रांच में जाकर इन कैश करवा सकते हैं कोर बैंकिंग सॉल्यूशन और सीबीएस व्हिच इज यूजुअली रिटर्न ऑन फेस ऑफ द चेक सम बैंक ऑफर फैसिलिटी ऑफ मल्टी सिटी चेक बुक टू देयर अकाउंट होल्डर तो ये किसकी मदद से हो पाता है कोर बैंकिंग सॉल्यूशन की मदद से हो पाता है जो बैंक सीबीएस सिस्टम फॉलो करती हैं उनकी किसी भी ब्रांच में जाके आप किसी भी ब्रांच की चेक को इन कैश करवा सकते हैं फिर आता है कलेक्टिंग एंड पेइंग इंस्ट्रूमेंट ऑफ क्रेडिट तो सर्विस लाइ कलेक्टिंग क्रेडिट इंस्ट्रूमेंट सच एज प्रमिसरी प्रोमस नोट्स एंड बिल एज मेंशन अलिर बैंक प्रोवाइड दिस फैसिलिटी एज अ कस्टोडियन ऑन बिहा ऑफ इट्स कस्टमर और क्या सर्विस प्रोवाइड करवाती है जो आपके प्रमिसरी नोट्स होते हैं या बिल्स होते हैं उन्हें कलेक्ट करने की भी सर्विस बैंक प्रोवाइड करवाती है एज अ कस्टोडियन ऑफ कस्टमर उसके अलावा एक्सचेंज ऑफ फॉरेन करेंसी तो अनदर सर्विस ऑफर्ड बाय बैंक टू कन्वर्ट लोकल फॉरेन करेंसी टू लोकल करेंसी नीडेड फॉर अकाउंट होल्डर डीलिंग इन ट्रेड आउटसाइड इंडिया अगर कोई इंडिविजुअल है वो इंडिया से बाहर ट्रेड कर रहा है तो उसे वहां की करेंसी में डील करनी होती है तो ये जो करेंसी कन्वर्जन की फैसिलिटी होती है ये भी बैंक प्रोवाइड करवाती है फिर यूटिलिटी बिल पेमेंट ऑफ द बैंक में फैसिलिटेट पेमेंट ऑफ बिल इवन टैक्सेस सच एज टेलीकॉम बल वाटर एंड इलेक्ट्रिसिटी बिल और क्या फैसिलिटी बैंक प्रोवाइड करवाती है आपको आपके जो भी टेलीकॉम का बिल है वाटर का इलेक्ट्रिसिटी का बिल है वो आपकी इंस्ट्रक्शन पर पे करने की भी फैसिलिटी बैंक प्रोवाइड करवाती है ठीक है तो ये आपकी प्रोडक्ट एंड सर्विसेस हो गए जो कि बैंक प्रोवाइड करवाती है फिर आता है टाइप्स ऑफ बैंक डिपॉजिट अकाउंट बैंक के अंदर आप किसकिस तरीके के डिपॉजिट अकाउंट खुलवा सकते हैं तो पहला जो सबसे जनरल अकाउंट होता है वह होता है आपका सेविंग बैंक अकाउंट इट इज नेस्ट अकाउंट फॉर इंडियन इंडिविजुअल विद लिमिटेड इनकम बट स्टेविंग फॉर अ बेटर एंड सिक्योर फ्यूचर ये किनके लिए होता है वो लोग जिनकी इनकम लिमिटेड है और वो अपने बेटर और सिक्योर फ्यूचर के लिए स्ट्राइव कर रहे हैं मतलब उन्हें अपना फ्यूचर सिक्योर चाहिए तो वो इसके लिए इस अकाउंट के अंदर थोड़ी-थोड़ी अपनी इनकम का पोर्शन सेट साइड करके सेविंग करते रहते हैं इसलिए इसका नाम सेविंग बैंक अकाउंट है दिस बी ओपन विद लिमिटेड इनिशियल अमाउंट अ मिनिमम बैलेंस इन दिस अकाउंट नीड टू बी मेंटेन यह आपके बहुत मिनिमल अमाउंट से खुल जाता है और इसके अंदर आपको उतना मिनिमम बैलेंस मेंटेन करके रखना होता है द अकाउंट होल्डर आल्सो आन अ क्वार्टरली इंटरेस्ट विच बराइज फ्रॉम बैंक टू अनदर एंड आल्सो एस पर डायरेक्टिव इश्यूज बाय आरबीआई फ्रॉम टाइम टू टाइम इसके अंदर जो आपकी मनी होती है उसके ऊपर जो कस्टमर होते हैं उन्हें क्वार्टरली इंटरेस्ट मिलता है और जो ये इंटरेस्ट का रेट है वो बैंक टू बैंक वरी हो सकता है और आरबीआई की गाइडलाइंस के अकॉर्डिंग होता है नेक्स्ट आता है टर्म डिपॉजिट तो अ टर्म डिपॉजिट इज अनदर नेम फॉर फिक्स्ड डिपॉजिट दैट इंक्लूड फंड डिपॉजिटेड इन टू अकाउंट एट बैंक फॉर अ फिक्स्ड पीरियड टर्म डिपॉजिट क्या है ये अनदर नेम है फिक्स्ड डिपॉजिट का इसे हम फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट भी बोलते हैं इसके अंदर आप एक लम समम अमाउंट को एक फिक्स टाइम के लिए बैंक में डिपॉजिट कर देते हैं टर्म डिपॉजिट इन्वेस्टमेंट यूजुअली कैरी शॉर्ट टर्म मैच्योरिटी रेंजिन फ्रॉम 1 म टू अबाउट 3 ईयर एंड विल अप वराइंग लेवल ऑफ़ रिक्वायर्ड मिनिमम डिपॉजिट जो इसकी ड्यूरेशन होती है मैच्योरिटी की वो शॉर्ट टर्म से लेकर लॉन्ग टर्म तक हो सकती है एक महीने की सबसे मिनिमम ड्यूरेशन होती है और यह 3 साल या उससे ज्यादा तक की भी हो सकती है दिस डिपॉजिट कैन बी मेड बाय पीपल हु विश टू सेव फंड फॉर लंगर पीरियड ये किनके लिए होता है ऐसे लोग जो अपने फंड को लोंगर पीरियड के लिए सेव करके रखना चाहते हैं उनके लिए ये सूटेबल होता है थर्ड टाइप का आता है आपका करंट अकाउंट तो दिस अकाउंट इज यूटिलाइज्ड बाय लार्ज एंटिटी सच एज बिजनेस हाउस कंपनीज एंड अदर कमर्शियल इंस्टिट्यूशन करंट अकाउंट कौन खुलवा हैं लार्ज एंटिटीज जो होती हैं बिजनेस फर्म्स कंपनीज या कोई कमर्शियल इंस्टिट्यूशन है वो इस तरीके के अकाउंट का यूज़ करते हैं एज देयर आर रिस्ट्रिक्शन ऑन नंबर ऑफ टाइम विड्रॉल कैन बी मेड इन सेविंग अकाउंट दीज अबोव एंटिटी नीड टू मेक मल्टीपल विड्रॉल टू रन देयर ऑर्गेनाइजेशन देयर फोर दे नीड टू हैव अ सेपरेट अकाउंट हियर यूजिंग अ चेक बुक एंड इवन ऑनलाइन द इंस्टिट्यूशन इट्स ऑथराइज रिप्रेजेंटेटिव कैन मेक मल्टीपल विड्रॉल एंड डिपॉजिट क्या होता है जो आपका सेविंग अकाउंट होता है उसमें आपके नंबर ऑफ विड्रॉल पर लिमिट होती है कि आप इतने टाइम पीरियड के अंदर सिर्फ इतने ही विड्रॉल कर सकते हो लेकिन जो ऑर्गेनाइजेशन होती है बड़ी-बड़ी उन्हें तो डेली बेसिस पर बहुत ज्यादा ट्रांजैक्शन करती करनी पड़ती है अपने बैंक अकाउंट से तो उसके लिए उन्हें ये सेपरेट टाइप का बैंक अकाउंट प्रोवाइड करवाया जाता है जैसे करंट अकाउंट बोलते हैं इसके अंदर आप चेक की फैसिलिटी भी आपको मिलती है ऑनलाइन पेमेंट की फैसिलिटी भी मिलती है और आप कितनी भी ट्रांजैक्शन कर सकते हैं कोई लिमिट नहीं होती है नेक्स्ट फोर्थ टाइप का आता है रिकरिंग डिपॉजिट तो दिस टाइप ऑफ अकाउंट इज मोस्ट सूटेबल फॉर दोज हु आर डिजायरस ऑफ़ अर्निंग अ फेयर रिटर्न ऑन देयर डिपॉजिट द डिपॉजिटर हैंड ओवर अ प्री डिसाइडेड अमाउंट मंथली फॉर अ स्पेसिफाइड पीरियड दे गेट लम समम अमाउंट एट द एंड ऑफ द स्पेसिफाइड पीरियड इंटरेस्ट इज कैलकुलेटेड ऑन क्वार्टरली कंपाउंडेड बेसिस ये क्या होता है रिकरिंग डिपॉजिट का अकाउंट उन लोगों के लिए होता है जिन्हें अपने डिपॉजिट पर एक अच्छा रिटर्न चाहिए होता है इसके अंदर जो इंडिविजुअल होता है वो रेगुलर इंटरवल पर कुछ अमाउंट बैंक में जमा मतलब इस अकाउंट में जमा करता रहता है और मैच्योरिटी पीरियड के बाद उसे एक लम समम अमाउंट मिलती है इस पर उसे क्वार्टरली इंटरेस्ट मिलता है कंपाउंडेड रे रेट से मिलता है मतलब कंपाउंडेड क्वार्टरली इंटरेस्ट मिलता है आपका ठीक है तो ये चार तरीके के बैंक अकाउंट होते हैं जो स बैंक प्रोवाइड करवाती हैं आप लोगों को फिर आता है हमारा नेक्स्ट टॉपिक डिजिटलाइजेशन ऑफ ट्रांजैक्शन यहां तक आपका बैंक का टॉपिक खत्म हो जाता है अब हैगा ट्रांजैक्शन जो डिजिटलाइज हो गई है वो किस-किस तरीके से हो गई है सबसे पहले डिजिटलाइजेशन में आती है आपकी नेट बैंकिंग नेट बैंकिंग आल्सो नोन एज ऑनलाइन बैंकिंग या फिर इंटरनेट बैंकिंग इसे हम ऑनलाइन बैंकिंग या इंटरनेट बैंकिंग भी कहते हैं इज अ सर्विस प्रोवाइडेड बाय बैंक दैट अलाउ कस्टमर टू कंडक्ट वेरियस फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन एंड मैनेज देयर अकाउंट थ्रू अ सिक्योर वेबसाइट और मोबाइल ऐप इसके अंदर बैंक सर्विस प्रोवाइड करवाती हैं अपने कस्टमर को जिसके थ्रू वो अपनी फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन को मैनेज कर सकता है अपने अकाउंट को मैनेज कर सकता है एक सिक्योर वेबसाइट या मोबाइल ऐप की मदद से फीचर क्या-क्या होते हैं सबसे पहले अकाउंट मैनेजमेंट तो नेट बैंकिंग अलो कस्टमर टू व्यू अकाउंट बैलेंस ट्रांजैक्शन हिस्ट्री एंड स्टेटमेंट नेट बैंकिंग की मदद से कस्टमर घर बैठे अपने अकाउंट का बैलेंस ट्रांजैक्शन हिस्ट्री और स्टेटमेंट देख सकता है फिर अ फंड ट्रांसफर तो कस्टमर कैन ट्रांसफर फंड बिटवीन देयर ओन बैंक अकाउंट ओन अकाउंट मेक पेमेंट टू अदर इंडिविजुअल बिजनेस एंड सेट अप रिकरिंग पेमेंट फंड ट्रांसफर की फैसिलिटी होती है घर बैठे ही कस्टमर अपने बैंक अकाउंट से किसी और में फंड को ट्रांसफर कर सकता है पेमेंट कर सकता है इंडिविजुअल या बिजनेस को या रिकरिंग पेमेंट्स भी कर सकता है उसके अलावा बिल पेमेंट तो नेट बैंकिंग प्रोवाइड द एबिलिटी टू पे बिल ऑनलाइन सच एज यूटिलिटी बिल क्रेडिट कार्ड बिल लोन पेमेंट बिल पेमेंट की फैसिलिटी प्रोवाइड करवाई जाती है नेट बैंकिंग के थ्रू इसके थ्रू ऑनलाइन ही बिल की पेमेंट कोई भी बिल हो चाहे यूटिलिटी बिल लो क्रेडिट कार्ड बेलो लोन की पेमेंट हो कुछ भी आप पे कर सकते हैं घर बैठे ही फिर मोबाइल रिचार्ज तो कस्टमर कैन रिचार्ज देयर मोबाइल फोन पे फॉर अदर सर्विस लाइक डीटीएच टेलीविजन सब्सक्रिप्शन थ्रो नेट बैंकिंग नेट बैंकिंग की मदद से आप मोबाइल फोन वगैरह के रिचार्जेस भी कर सकते हैं ऑनलाइन शॉपिंग तो मेनी नेट बैंकिंग प्लेटफॉर्म ऑफर इंटीग्रेशन विद ई-कॉमर्स वेबसाइट अलाउ कस्टमर टू मेक सिक्योर ऑनलाइन परचेज आप ऑनलाइन शॉपिंग करके ऑनलाइन पेमेंट कर सकते हैं चाहे किसी भी चीज की शॉपिंग करें आप उसके अलावा इन्वेस्टमेंट एंड इंश्योरेंस ऑफ सम नेट बैंकिंग प्लेटफॉर्म प्रोवाइड एक्सेस टू इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट सच एज म्यूचुअल फंड अलाउ कस्टमर टू परचेज इंश्योरेंस पॉलिसी ऑनलाइन कई सारी नेट बैंकिंग के प्लेटफॉर्म होते हैं जो आपको इन्वेस्टमेंट की सर्विस प्रोवाइड करवाते हैं जिसमें आप म्यूचुअल फंड्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं डायरेक्ट उनके प्लेटफॉर्म के थ्रू और आप इंश्योरेंस पॉलिसी भी परचेज कर सकते हैं ऑनलाइन ठीक है एडवांटेजेस का क्या हो जाते है नेट बैंकिंग के कन्वीनियंस होता है तो नेट बैंकिंग ऑफर 24 * 7 एक्सेस टू बैंकिंग सर्विस एलिमिनेट नीड टू विजिट द फिजिकल ब्रांच ड्यूरिंग बैंकिंग आवर कन्वेनिएंट होता है आप 2400 घंटे इसका यूज कर सकते हैं सेवन डेज वीक में यूज कर सकते हैं आपको बैंक पर फिजिकली ब्रांच में विजिट करने की जरूरत नहीं होती है टाइम सेविंग होता है तो कस्टमर कैन कंप्लीट ट्रांजैक्शन क्विकली एंड एफिशिएंटली विदाउट वेटिंग इन लॉन्ग यूज कस्टमर अपनी ट्रांजैक्शन को जल्दी खत्म कर सकता है उसे लाइनों में लगने की जरूरत नहीं होती है कॉस्ट इफेक्टिव होता है तो नेट बैंकिंग रिड्यूस द नीड फॉर पेपर बेस ट्रांजैक्शन सेविंग ऑन प्रिंटिंग एंड पोस्टेज कॉस्ट जो इसमें होता है वह आपकी सारी चीजें मोबाइल फोन में या लैपटॉप में आप कर सकते हैं तो किसी तरीके की आपको प्रिंटिंग वगैरह की जरूरत नहीं पड़ती है जिससे कॉस्ट की सेविंग होती है पेपर पोस्टेज की कॉस्ट बच जाती है एनहांस सिक्योरिटी तो बैंक एंप्लॉई वेरियस सिक्योरिटी मेजर सच एज इंक्रिप्शन टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन टू प्रोटेक्ट कस्टमर इंफॉर्मेशन एंड ट्रांजैक्शन ये कैसे होते हैं सिक्योर्ड होते हैं बिल्कुल क्योंकि बैंकिंग कई तरीके की स्टेप्स का यूज़ करती है इंक्रिप्शन प्रोवाइड करवाती है टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन करती है जब भी कोई ट्रांजैक्शन होती है तो इस तरीके से ये पूरी तरीके से सिक्योर्ड होते हैं फिर ट्रांजैक्शन हिस्ट्री तो नेट बैंकिंग प्रोवाइड अ डिटेल ट्रांजैक्शन हिस्ट्री मेकिंग इट इजी फॉर कस्टमर टू ट्रैक देयर फाइनेंशियल एक्टिविटी इसमें आप अपनी जो भी ट्रांजैक्शन करते हैं उसकी हिस्ट्री क्रिएट हो जाती है तो आप बाद में अगर चाहे तो कभी भी चेक कर सकते हैं कि आपने क्या-क्या क ट्रांजेक्शन करी थी डिसएडवांटेज क्या क्या होते हैं सिक्योरिटी का रिस्क होता है तो वाइल बैंक इंप्लीमेंट सिक्योरिटी मेजर देयर इज ऑलवेज अ रिस्क ऑफ अनऑथराइज्ड एक्सेस और फिशिंग अटैक दैट में कंप्रोमाइज कस्टमर डाटा भले ही बैंक कितनी भी सिक्योरिटी प्रोवाइड करवा लेती है लेकिन इसमें फिर भी एक रिस्क रहता है अनऑथराइज्ड एक्सेस का और पिशिंग डाटा का कि कस्टमर का डाटा लीक हो सकता है टेक्निकल इशू होता है तो टेक्निकल ग्लिच और सिस्टम फेलियर कैन ऑकर डिसर पटिंग एक्सेस टू नेट बैंकिंग अगर टेक्निकल ग्लिच आ जाती है कोई सिस्टम में या सिस्टम फेल हो जाता है तो फिर आपका नेट बैंकिंग काम करना बंद कर दे उतने टाइम के लिए फिर है डिपेंडेंस ऑन टेक्नोलॉजी तो नेट बैंकिंग रिक्वायर स्टेबल इंटरनेट कनेक्शन एंड एक्सेस टू कंपट बल डिवाइस च मे नॉट बी अवेलेबल टू एवरीवन अगर नेट बैंकिंग का यूज करना है तो उसके लिए आपको इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत पड़ती है और कंपल डिवाइस मतलब ऐसे डिवाइस जिनम वो वर्क कर सके ऐसे डिवाइस की जरूरत पड़ती है जो कि हर किसी के पास अवेलेबल नहीं होते हैं फिर है लेक ऑफ पर्सनल इंटरेक्शन तो सम कस्टमर में प्रेफर फेस टू फेस इंटरेक्शन विद बैंक रिप्रेजेंटेटिव फर कॉप्लेक्स ट्रांजेक्शन ऑफ पर्सनलाइज एडवाइस कुछ लोग होते हैं जिन्ह फेस टू फेस इंटरेक्शन की जरूरत ती है बैंक के रिप्रेजेंटेटिव के साथ क्योंकि उनकी ट्रांजैक्शन या तो कॉम्प्लेक्टेड नहीं कर पा पाता है नेट बैंकिंग नेक्स्ट है लिमिटेड कैश ट्रांजैक्शन तो नेट बैंकिंग इज प्राइमरी फोकस्ड ऑन डिजिटल ट्रांजैक्शन सो कस्टमर मे स्टिल नीड टू विजिट ब्रांच फॉर कैश रिलेटेड एक्टिविटी इसमें क्या होता है नेट बैंकिंग डिजिटलाइजेशन पर फोकस करता है लेकिन इसमें अभी भी आप एक लिमिटेड नंबर ऑफ ट्रांजैक्शन ही कर सकते हैं अगर आपको उससे ज्यादा ट्रांजैक्शन करनी हो है तो फिर आपको बैंक विजिट करना पड़ेगा ठीक है दूसरा आता है हमारा डेबिट कार्ड तो अ डेबिट कार्ड इज लिंक टू कार्ड होल्डर बैंक अकाउंट एंड अलाउ देम टू मेक परचेस बाय इलेक्ट्रॉनिकली डिडक्टिंग फंड डायरेक्टली फ्रॉम द बैंक अकाउंट डेबिट कार्ड क्या होता है ये डायरेक्टली जो कार्ड होल्डर होता है उसके बैंक अकाउंट से लिंक होता है जिसमें आप ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कर सकते हैं आपके बैंक अकाउंट से डायरेक्टली पैसा कट जाएगा अब जब आप डेबिट कार्ड यूज करेंगे फीचर क्या क्या होते हैं एक्सेस टू फंड होती है तो डेबिट कार्ड प्रोवाइड इमीडिएट एक्सेस टू कार्ड ऑडर अवेलेबल फंड इन देर बैंक अकाउंट इससे क्या होता है आपके बैंक अकाउंट में जो भी फंड होता है उसकी डायरेक्ट एक्सेस आपको मिल जाती है पिन बेस ट्रांजैक्शन होती है तो डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन टिपिकली रिक्वायर कार्ड ऑर्डर टू एंटर अ पर्सनल आइडेंटिफिकेशन नंबर फॉर सिक्योरिटी पर्पस जब भी आप इसके थ्रू ट्रांजैक्शन करते हैं तो आपको अपना पिन कोड डालना होता है जो आपका पर्सनल आइडेंटिफिकेशन नंबर होता है जो आपने सेट करा होता है तभी आप इससे ट्रांजैक्शन कर पाते हैं यह सिक्योरिटी परपस के लिए होता है फिर एटीएम विड्रॉल तो डेबिट कार्ड कैन बी यूज्ड टू विड्रॉल कैश फ्रॉम ऑटोमेटेड टेलर मशीन डेबिट कार्ड का यूज करके आप एटीएम से कैश विड्रॉ भी कर सकते हैं परचेज प्रोटेक्शन तो सम डेबिट कार्ड ऑफर परचेस प्रोटेक्शन व्हिच में इंक्लूड एक्सटेंडेड वारंटी ऑफ फ्रॉड प्रोटेक्शन परचेज पर आपको प्रोटेक्शन मिलती है फ्रॉड वगैरह से के थ्रू बजटिंग तो डेबिट कार्ड हेल्प इंडिविजुअल मैनेज देयर स्पेंडिंग एज दे कैन ओनली स्पेंड द अवेलेबल फंड इन देयर बैंक अकाउंट इससे एक बजटिंग रहती है बैलेंस बना रहता है फंड अच्छे से मैनेज होते हैं क्योंकि आप सिर्फ उतना ही फंड यूज कर सकते हैं जितना आपका बैंक अकाउंट में अवेलेबल होता है उससे ज्यादा आप खर्च कर ही नहीं सकते नेक्स्ट हैगा जो थर्ड डिजिटलाइजेशन में है वो है हमारा क्रेडिट कार्ड तो अ क्रेडिट कार्ड अलाउ इंडिविजुअल टू बोरो मनी फ्रॉम अ फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन अप टू अ सर्टेन क्रेडिट लिमिट टू मेक परचेज क्रेडिट कार्ड क्या होता है ये एक फैसिलिटी है जिसमें एक इंडिविजुअल फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन से मनी बोरो कर सकता है एक लिमिटड तक जो उसकी लिमिट सेट हो रखी होगी फीचर क्या-क्या होते हैं क्रेडिट लिमिट होती है तो क्रेडिट कार्ड हैव अ प्री डिटरमाइंड क्रेडिट लिमिट व्हिच रिप्रेजेंट द मैक्सिमम अमाउंट दैट कैन बी बरोड इसकी एक क्रेडिट लिमिट होती है कि आप इतनी मैक्सिमम अमाउंट तक अमाउंट को विड्रॉ कर सकते हो और क्रेडिट पर ले सकते हो इंटरेस्ट चार्ज तो इफ द कार्ड होल्डर डज नॉट पे द फुल बैलेंस बाय ड्यू डेट इंटरेस्ट चार्ज विल बी अप्लाइड टू आउटस्टैंडिंग बैलेंस इसके अंदर आप अगर जितना आपको टाइम दिया जाता है उतने टाइम में रीपेमेंट नहीं करते हो जो आपने बोरो ली थी तो फिर आपको उसके ऊपर इंटरेस्ट देना होता है जो भी आपकी आउटस्टैंडिंग अमाउंट रह जाती है रिवॉल्व क्रेडिट तो क्रेडिट कार्ड प्रोवाइड अ रिवॉल्ट लाइन ऑफ क्रेडिट मीनिंग दैट द अवेलेबल क्रेडिट रिप्लेनिश एज पेमेंट आर मेड रिवॉल्व क्रेडिट प्रोवाइड करवाता है इसमें क्या होता है कि आपने एक बार क्रेडिट लिया अगर आपने उसकी पेमेंट कर दी तो आपका वो वाला क्रेडिट खत्म हो जाएगा आपका दोबारा से क्रेडिट की फैसिलिटी मिल जाएगी फिर आता है रिवॉर्ड प्रोग्राम तो मेनी क्रेडिट कार्ड ऑफर रिवॉर्ड प्रोग्राम सच एज कैशबैक ट्रेवल पॉइंट डिस्काउंट ऑन स्पेसिफिक परचेज अगर आप क्रेडिट कार्ड का यूज करके कोई भी चीज ट्रांजैक्शन करते हैं तो उस पर कई सारे तरीके के आपको रिवार्ड्स मिलते हैं ऑफर मिलते हैं जैसे कैश बैक हो गया ट्रेवल पॉइंट हो गए डिस्काउंट हो गया यह सारी चीजें आपको मिलती हैं फिर परचेस प्रोटेक्शन तो क्रेडिट कार्ड ऑफें प्रोवाइड एडिशनल परचेस प्रोटेक्शन सच एज एक्सटेंडेड वारंटी ऑफ फ्रॉड प्रोटेक्शन जो क्रेडिट कार्ड होते हैं वो आपको एडिशनल परचेस प्रोटेक्शन भी प्रोवाइड करवाते हैं जिसके अंदर आपकी एक्सटेंडेड वारंटीज फंड प्रोटेक्शन ये सारी चीजें आ जाती हैं ठीक है नेक्स्ट आता है हमारा यूपीआई तो यूपीआई स्टैंड फॉर यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस व्हिच इज रियल टाइम पेमेंट सिस्टम डेवलप्ड बाय नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यूपीआई क्या होता है फुल फॉर्म हैग यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस ये क्या है एक तरीके की रियल टाइम पेमेंट सिस्टम है जो कि एनपीसीआई ने स्टेबलाइज कराता यूपीआई अलाउ यूजर टू लिंक मल्टीपल बैंक अकाउंट टू अ सिंगल मोबाइल एप्लीकेशन एंड मेक इंस्टेंट फंड ट्रांसफर बिल पेमेंट एंड मर्चेंट ट्रांजैक्शन इसमें क्या होता है आप सिंगल एप्लीकेशन में कई सारे बैंक अकाउंट को लिंक कर सकते हैं आपके जो भी बैंक अकाउंट है और फिर उनके थ्रू किसी भी तरीके का फंड ट्रांसफर बिल पेमेंट या ट्रांजैक्शन कर सकते हैं फीचर्स क्याक होता है रियल टाइम ट्रांसफर होता है तो यूपीआई इनेबल इंस्टेंट फंड ट्रांसफर बिटवीन बैंक अकाउंट 24 * 7 इंक्लूडिंग वीक डेज एंड हॉलिडे आप कभी भी रियल टाइम में फंड ट्रांसफर कर सकते हैं 2400 घंटे 7 दिन चाहे वीकेंड हो चाहे हॉलीडे हो कुछ भी हो सिंगल इंटरफेस तो यूजर कैन लिंक मल्टीपल बैंक अकाउंट टू अ सिंगल यूपीआई एप्लीकेशन प्रोवाइड अ यूनिफाइड इंटरफेस फॉर मैनेजिंग पेमेंट इसमें आप एक ही जो यूपीआई का ऐप होता है उसके अंदर आप अपने कितने भी अकाउंट को ऐड कर सकते हैं और एक साथ में सभी को मैनेज कर सकते हैं फिर है वर्चुअल पेमेंट एड्रेस तो यूपीआई यूज वीपीए व्हिच आर य यूनिक आइडेंटिफिकेशन लिंकड अकाउंट नंबर ड्यूरिंग ट्रांजैक्शन इसके अंदर आपका वीपीए का यूज होता है तो आपकी किसी भी तरीके की इंफॉर्मेशन लीक नहीं होती है आपकी एक यूनिक आईडी बन जाती है आपके अकाउंट नंबर वगैरह कुछ इंफॉर्मेशन शो नहीं होती है ड्यूरिंग द ट्रांजैक्शन क्यूआर कोड पेमेंट तो यूपीआई फैसिलिटेट पेमेंट यूजिंग क्यूआर कोड अलांग यूजर टू स्कैन अ मर्चेंट क्यूआर कोड एंड मेक पेमेंट डायरेक्टली फ्रॉम देयर बैंक अकाउंट इसके अंदर आप क्यूआर कोड का यूज़ करके पेमेंट कर सकते हैं आपको सारी बैंक की डिटेल डालने की जरूरत नहीं है आप मर्चेंट का जिसको ट्रांजैक्शन पैसे देने हैं उसके क्यूआर कोड को स्कैन करें और डायरेक्टली अपने बैंक अकाउंट से पेमेंट कर सकते हैं फिर आता है बिल पेमेंट तो यूपीआई सपोर्ट द पेमेंट ऑफ यूटिलिटी बिल मोबाइल रिचार्ज एंड वेरियस अदर सर्विस थ्रू इट्स प्लेटफॉर्म यूपीआई की मदद से आप हर तरीके के बिल की पेमेंट कर सकते हैं मोबाइल रिचार्ज कर सकते हैं और सर्विस अलग कई सारी तरीके की सर्विसेस का यूज कर सकते हैं प्लेटफॉर्म पर ठीक है बेनिफिट्स क्याक होते हैं सबसे पहले कन्वेनिएंट होता है तो यूपीआई ऑफर अ कन्वेनिएंट एंड यूजर फ्रेंडली मेथड फॉर मेकिंग पेमेंट एंड ट्रांसफरिंग फंड यूजिंग स्मार्ट फोम आप स्मार्टफोन का ही यूज करके आप डायरेक्ट पेमेंट कर सकते हैं किसी तरीके के आपको पेपर वर्क वगैरह की जरूरत नहीं पड़ती है फिर आता है इंटर ऑपरेबिलिटी तो यूपीआई इज इंटर ऑपरेबल अक्रॉस डिफरेंट बैंक एंड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन अलाउ सीमलेस ट्रांजैक्शन बिटवीन वेरियस बैंकिंग प्लेटफॉर्म आप अलग-अलग बैंक अकाउंट से एक साथ में भी पेमेंट कर सकते हैं सिक्योरिटी तो यूपीआई ट्रांजैक्शन आर सिक्योर्ड विद मल्टीपल फैक्टर ऑथेंटिकेशन इंश्योरिटी ऑफ डिजिटल पेमेंट इसके अंदर मल्टीपल फैक्टर ऑफ़ ऑथेंटिकेशन होता है मतलब पूरी तरीके से यह सिक्योर्ड होता है कॉस्ट इफेक्टिव होता है तो यूपीआई ट्रांजैक्शन टिपिकली हैव अ मिनिमल और नो ट्रांजैक्शन फी मेक इट कॉस्ट इफेक्टिव पेमेंट सॉल्यूशन फॉर यूज़र एंड मर्चेंट इसके अंदर कई-कई जगह पर बिलकुल फीस नहीं होती है और कई-कई जग जगह पर थोड़ी सी आपसे फीस चार्ज करी जाती है इसका यूज करने के लिए जो कि एक मिनिमल होती है इसलिए यह कॉस्ट इफेक्टिव भी माने जाते हैं फिर आता है फाइनेंशियल इंक्लूजन तो यूपीआई हैज प्लेड अ सिग्निफिकेंट रोल इन प्रमोटिंग फाइनेंशियल इंक्लूजन बाय प्रोवाइड इजी एक्सेस टू डिजिटल पेमेंट सर्विस फॉर अ वाइड रेंज ऑफ यूजर्स अक्रॉस इंडिया यूपीआई के अंदर ये फाइनेंशियल इंक्लूजन है मतलब ये एक इजी एक्सेस प्रोवाइड करवाता है डिजिटल पेमेंट सर्विसेस की चाहे आप इंडिया के किसी भी कोने में हो कहीं के भी यूजर हो आपको इसकी सर्विस मिल जाएगी तो ये इजली एक्सेस फाइनेंशियल इंक्लूजन हो जाता है ठीक है ये इसके आपके बेनिफिट हो जाते हैं नेक्स्ट आता है हमारा जो होता है वो है डिजिटल वॉलेट तो डिजिटल वॉलेट आल्सो नोन एज मोबाइल वॉलेट और ई वॉलेट और वर्चुअल वॉलेट दैट अलाउ यूजर टू स्टोर एंड मैनेज देयर पेमेंट इंफॉर्मेशन सिक्योर ऑन देयर मोबाइल डिवाइस डिजिटल वॉलेट को हम मोबाइल वॉलेट या ई वॉलेट भी बोलते हैं इसके अंदर आप अपनी जो भी पेमेंट वगैरह की इंफॉर्मेशन है उसे स्टोर कर सकते हैं और मैनेज कर सकते हैं अपने मोबाइल डिवाइस के अंदर दिस वॉलेट इनेबल यूजर टू मेक डिजिटल ट्रांजैक्शन सच एज ऑनलाइन परचेस बिल पेमेंट एंड पी टू पी ट्रांसफर विदाउट नीड फॉर फिजिकल कैश और कार्ड इसके थ्रू आप क्या कर सकते सकते हैं आप कोई भी ऑनलाइन परचेज कर सकते हैं बिल पेमेंट कर सकते हैं ट्रांसफर कर सकते हैं बिना फिजिकल कैश और कार्ड की मदद से फीचर्स क्याक होते हैं सबसे पहला पेमेंट ऑप्शन तो डिजिटल वॉलेट कैन स्टोर वेरियस पेमेंट मेथड इंक्लूडिंग क्रेडिट और डेबिट कार्ड डिटेल बैंक अकाउंट इंफॉर्मेशन एंड इवन क्रिप्टो करेंसी डिजिटल वॉलेट के अंदर आप किसी भी तरीके की इंफॉर्मेशन स्टोर कर सकते हैं अपनी चाहे क्रेडिट कार्ड की हो डेबिट कार्ड की हो बैंक अकाउंट की हो और क्रिप्टो करेंसी तक की इंफॉर्मेशन इसमें आ जाती है नेक्स्ट है अगर कांटेक्ट लेस पेमेंट होती है तो मेनी डिजिटल वॉलेट सपोर्ट न्यू फील्ड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी अलाउ यूजर टू मेक कांटेक्ट ले पेमेंट बाय सिंपली टैपिंग ऑन देर मोबाइल डिवाइस ऑन कंपैक्ट बल पेमेंट टर्मिनल कांटेक्ट लेस पेमेंट होती है आपको किसी तरीके के कांटेक्ट की जरूरत नहीं होती है किसी चीज से डायरेक्ट आप अपने मोबाइल डिवाइस पर टैप करोगे आपकी पेमेंट हो जाती है लॉयल्टी प्रोग्राम तो सम डिजिटल वॉलेट इंटीग्रेट लॉयल्टी प्रोग्राम इनेबलिंग यूजर टू अर्न एंड रिडीम रिवॉर्ड और डिस्काउंट फॉर पार्टिसिपेटिंग मर्चेंट लॉयल्टी प्रोग्राम का मतलब होता है कि जब आप इससे ट्रांजैक्शन करते हैं तो आपको कई सारी तरीके के अलग-अलग रिवॉर्ड और रिडीम करने के लिए डिस्काउंट वगैरह मिल जाते हैं जब आप मर्चेंट को पेमेंट करते हैं सिक्योरिटी मेजर तो डिजिटल लेट एप्ल वेरियस सिक्योरिटी मेजर लाइक इंक्रिप्शन टोकेनाइजेशन बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन टू इंश्योर सेफ्टी ऑफ यूजर पेमेंट एंड इंफॉर्मेशन इसके अंदर भी कई सारे तरीके के आपके ऑथेंटिकेशन रहते हैं इंक्रिप्शन रहते हैं टोकना इजेशन रहता है जिससे यूजर के पेमेंट की पेमेंट इंफॉर्मेशन की सिक्योरिटी बनी रहती है फिर आता है ट्रांजैक्शन हिस्ट्री तो यूजर कैन इजली ट्रैक एंड रिव्यू दे ट्रांजैक्शन हिस्ट्री विद इन द डिजिटल वॉलेट पप आप जो भी ट्रांजैक्शन करते हैं उसकी हिस्ट्री आ जाती है जिसकी मदद से आप उसे इजली ट्रैक कर सकते हैं और बाद में अगर देखना चाहे उसे रिव्यू भी कर सकते हैं नेक्स्ट आता है आपका पजी स्कीम ये जो आपका टॉपिक है तो अ पंजी स्कीम इज अ इन्वेस्टमेंट फ्रॉड दैट पे एसिस्टिंग इन्वेस्टर विद फंड कलेक्टेड फ्रॉम न्यू इन्वेस्टर यह एक तरीके का इन्वेस्टमेंट फ्रॉड होता है इसके अंदर क्या करा जाता है न्यू इन्वेस्टर से फंड लिया जाता है दूसरे जिसको उधार ले रखा था पहले उसे पे कर दिया जाता है इस तरीके से इसमें चेंज चलती है पजी स्कीम ऑर्गेनाइजर ऑफ प्रॉमिस टू इन्वेस्ट योर मनी एंड जनरेट हाई रिटर्न विद लिटिल और नो रिस्क ये जो होते हैं पजी स्कीम के ऑर्गेनाइजर वो आपको प्रॉमिस करते हैं कि आपकी मनी को किसी ऐसी जगह पर इन्वेस्ट कर देंगे जहां से आपको हाई रिटर्न मिलेगा और रिस्क बहुत ज्यादा कम होगा बट इन मेनी पंज फ्री स्कीम द फ्रॉस्ट डू नॉट इन्वेस्ट द मनी दे यूज इट पे दोज हु इन्वेस्टेड अर्लिया एंड कीप सम मनी फॉर देम सेल्व लेकिन एक्चुअल में ऐसा होता ही नहीं है वो आपकी मनी को कहीं इन्वेस्ट करते ही नहीं है आपसे मनी लेकर जिससे उन्होंने पहले उधार ले रखा था उसे दे देते हैं और कुछ पैसा अपने पास रख लेते हैं और इस तरीके से चेन को चलाते रहते हैं सिक्योरिटी और प्रिकॉशंस अगेंस्ट पंजी स्कीम तो इस पोंजी स्कीम का जो ये फ्रॉड होता है इसके लिए आप क्या-क्या सिक्योरिटी और प्रिकॉशंस ले सकते हैं पहला आता है रिसर्च एंड ड्यू डिलिजेंस तो बिफोर इन्वेस्टिंग इन एनी अपॉर्चुनिटी थोरली रिसर्च द कंपनी एंड इट्स बिजनेस मॉडल तो किसी भी चीज में इन्वेस्ट करने से पहले आप उसके बारे में सर्च कर ले अच्छे से उसके कंपनी के बारे में उसके बिजनेस मॉडल के बारे में लुक फॉर इंफॉर्मेशन अबाउट द कंपनी फाइनेंशियल मैनेजमेंट टीम एंड ट्रैक रिकॉर्ड आपको क्या देखना है कंपनी की फाइनेंशियल इंफॉर्मेशन मैने में टीम और ट्र रिकॉर्ड के बारे में ध्यान रखना है तभी आपको उनमें इन्वेस्ट करना है फिर है रेगुलेटिंग एंड लाइसेंसिंग तो चेक इफ द कंपनी इज रजिस्टर्ड विद रिलेवेंट रेगुलेटरी अथॉरिटी आपको ये भी चेक करना है कि जो ये कंपनी है वो रेगुलेटरी अथॉरिटी के पास रजिस्टर्ड है या नहीं है मेनी कंट्रीज हैव रेगुलेटरी बॉडी एंड ओवरसी इन्वेस्टमेंट स्कीम एंड इंश्योर दे कंप्ला विद द लॉ और यह सारी चीजें देखनी है कि लॉ वगैरह के साथ उसने कंप्ला करा है या नहीं करा फिर आता है फाइनेंशियल एडवाइस तो सीक एडवाइस फ्रॉम क्वालिफाइड फाइनेंशियल एडवाइजर और इन्वेस्टमेंट प्रोफेशनल बिफोर मेकिंग एनी सिग्निफिकेंट इन्वेस्टमेंट डिसीजन कोई भी सिग्निफिकेंट इन्वेस्टमेंट डिसीजन से लेने से पहले फाइनेंशियल प्रोफेशनल से आपको एक बार एडवाइस ले लेनी चाहिए दे कैन हेल्प यू एक्सेस द लेजिटिमेसी ऑफ द अपॉर्चुनिटी एंड प्रोवाइड अ गाइडेंस ऑन रिस्क मैनेजमेंट तो वो आपको अपॉर्चुनिटी और रिस्क मैनेजमेंट के बारे में बता देंगे फिर आता है हाई रिटर्न एंड गारंटी तो बी कॉशस ऑफ द इन्वेस्टमेंट अपॉर्चुनिटी दैट प्रॉमिस अनयूजुअली हाई रिटर्न और गारंटी प्रॉफिट ऐसी अपॉर्चुनिटी का से बहुत ज्यादा बच के रहना है जो आपको बहुत ज्यादा हाई रिटर्न प्रोवाइड करवा रही हो या प्रॉफिट की गारंटी दे रही हो दिस कुड बी रेड फ्लैग फॉर पजी स्कीम तो ऐसी जो अपॉर्चुनिटी होती हैं वही ज्यादातर पंजी स्कीम्स होती हैं फिर आता है प्रेशर टू रिक्रूट तो पंजी स्कीम ऑफ रिलाई ऑन रिक्रूटिंग न्यू इन्वेस्टर टू पे रिटर्न टू अर्ली इन्वेस्टर बी वेरी ऑफ एनी प्रेशर टू रिक्रूट फ्रेंड फैमिली इन टू द इन्वेस्टमेंट अपॉर्चुनिटी जो पजी स्कीम होती है वोह क्या करती है नए इन्वेस्टर से फंड लेकर पुराने को पे कर देती है तो इस वजह से आपको अपने फैमिली और फ्रेंड को इन चीजों को रेफर नहीं करना है ट्रांसपेरेंसी एंड डॉक्यूमेंटेशन तो डिमांड ट्रांसपेरेंसी फ्रॉम द कंपनी रिगार्डिंग देयर इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी फाइनेंशियल रिपोर्ट एंड लीगल डॉक्यूमेंटेशन आपको इन्वेस्ट करने से पहले जो कंपनी है आप उसकी फाइनेंशियल स्ट्रेटेजी के बारे में जान ले उसकी फाइनेंशियल रिपोर्ट्स को देख ले लीगल डॉक्यूमेंटेशन देख लें अवॉइड इन्वेस्टिंग इन अपॉर्चुनिटी डेट लेक ट्रांसपेरेंसी और रिफ्यूज टू प्रोवाइड एसेंशियल इंफॉर्मेशन ऐसी अपॉर्चुनिटी को अवॉइड करें जो ट्रांसपेरेंसी प्रोवाइड ना करवाए और आप को इंफॉर्मेशन प्रोवाइड करवाने से रिफ्यूज कर दें फिर आता है ट्रस्ट योर इंस्टिंक्ट तो इफ समथिंग फील टू गुड टू बी ट्रू और इफ यू हैव डाउट अबाउट इन्वेस्टमेंट अपॉर्चुनिटी ट्रस्ट योर इंस्टिट एंड वक अवे अगर आपको कुछ भी गलत लगता है कि कोई भी डाउट होता है तो आप यही अच्छा है कि उस अपने आप पर विश्वास करें और उस चीज को छोड़कर वहां से चले जाएं ठीक है तो इस तरीके से आप पंजी स्कीम से बच सकते हैं नेक्स्ट आता है आपका ऑनलाइन फ्रॉड तो ऑनलाइन फ्रॉड आर डिस्क्रिप्टिव स्कीम दैट टेक प्लेस ऑन इंटरनेट टारगेटिंग इंडिविजुअल बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन ये जो ऑनलाइन फ्रॉड है कहां होता है ये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का यूज़ करके फ्रॉड करा जाता है दिस फ्रॉड एंट एक्टिविटी कैन इनकंपास द वाइड रेंज ऑफ टैक्टिक इंक्लूडिंग आइडेंटिटी थेफ्ट फिशिंग स्कैम इन्वेस्टमेंट फ्रॉड फेक ऑनलाइन सेल्स मोर इनमें आपकी ये सारी चीजें आ जाती हैं फ्रॉड दैट कमिटेड यूजिंग द इंटरनेट इज ऑनलाइन फ्रॉड ऑनलाइन फ्रॉड कैन इवॉल्व फाइनेंशियल फ्रॉड आइडेंटिटी थेफ्ट इसके अंदर आपके दो तरीके के फ्रॉड आ जाते हैं या तो आपको फाइनेंशियल थेफ्ट करा जाएगा या फिर आपकी आइडेंटिटी चुरा ली जाएगी ऑनलाइन फ्रॉड कम इन मेनी फॉर्म इट रेंज फ्रॉम वायरस अटैक कंप्यूटर विद गोल रिट्रीविंग पर्सनल इंफॉर्मेशन टू ईमेल स्कीम दैट लर इनटू वायरिंग मनी टू फ्रॉड एंट सोर्सेस ऑनलाइन फ्रॉड के अंदर कई सारी एक्टिविटीज आ जाती है या तो आपके कंप्यूटर पर अटैक करा जाएगा और आपकी पर्सनल इंफॉर्मेशन है उसे चुरा लिया जाएगा या आपको विक्टिम बनाया जाएगा मनी से रिलेटेड या फाइनेंशियल फ्रॉड का ठीक है तो इसमें आपको क्या-क्या प्रिकॉशंस लेनी है वही सारी प्रिकॉशन हैगी मैं आपको इनको शॉर्ट में ही एक्सप्लेन कर दे रहा हूं सिक्योर और पर्सनल इंफॉर्मेशन तो जो भी आपकी पर्सनल इंफॉर्मेशन है उसको सिक्योर करके रखें पासवर्ड के सारी चीजों से और अपने जो सिस्टम है जिसमें वो इंफॉर्मेशन सिक्योर है उस सिस्टम को भी सिक्योर करके रखें यूज स्ट्रंग पासवर्ड इंफॉर्मेशन को सिक्योर करने के लिए स्ट्रंग पासवर्ड का यूज करें वेरीफाई वेबसाइट सिक्योरिटी किसी भी वेबसाइट पर विजिट करने से पहले उसकी सिक्योरिटी को वेरीफाई कर ले वहां पर पैड लॉक का एक आइकन होता है साइड में लॉक टाइप का वेबसाइट के बगल में उ उस आइकन का ध्यान रखें बेवेयर ऑफ फिशिंग अटेंप्ट अगर कोई भी अनसोलिसिटेड ईमेल आता है मैसेज आता है फोन कॉल आता है तो उसे अटेंड ना करें या किसी भी सस्पिशंस वगैरह पर क्लिक ना करें रिसर्च इन्वेस्टमेंट अपॉर्चुनिटी किसी भी चीज में इन्वेस्ट करने से पहले पूरी रिसर्च कर ले स्टे इनफॉर्म हर टाइप के फ्रॉड ऑनलाइन टैक्टिक्स के बारे में अपडेटेड रहे कि किस-किस तरीके के मार्केट में फ्रॉड हो रहे हैं उसके बाद यूज सिक्योर पेमेंट मेथड जब भी पेमेंट करें तो एक सिक्योर मेथड का यूज करके ही पेमेंट करें ठीक है तो देखिए दोस्तों यहां पर हमारी यूनिट नंबर टू की भी वन शॉर्ट रिवीजन कंप्लीट हो जाती है अब नेक्स्ट है हमारे पास यूनिट नंबर थ्री इन्वेस्टमेंट होता क्या है तो इन्वेस्टमेंट रेफर्स टू द एक्ट ऑफ एलोकेटिंग रिसोर्सेस सच एज मनी और टाइम विद द एक्सपेक्टेशन ऑफ जनरेटिंग फ्यूचर इनकम और प्रॉफिट जब हम अपनी मनी या टाइम को किसी जगह पर लगा दें एलोकेट कर दें अपने सोर्सेस को किस एक्सपेक्टेशन से कि इनसे हमें फ्यूचर में कोई बेनिफिट मिलेगा इनकम मिलेगी या प्रॉफिट मिलेगा तो उसे कहा जाता है इन्वेस्टमेंट करना इट इवॉल्व कमिटिंग कैपिटल टू वेरियस एसेट और वेंचर इन होप ऑफ अचीविया जाता है जो हमारी कैपिटल होती है उसे हम किसी एसेट या किसी वेंचर में लगा देते हैं किस होप के साथ कि हम ये हमें पॉजिटिव रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट देगा इन्वेस्टमेंट कैन टेक मेनी फॉर्म्स इंक्लूडिंग स्टॉक बंड रियल एस्टेट म्यूचुअल फंड एंड अदर फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट इन्वेस्टमेंट किसी भी तरीके से की जा सकती है स्टॉक में बंड में रियल स्टेट में म्यूचुअल फंड में या फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के अंदर ठीक है दो तरीके की इन्वेस्टमेंट होती है एक होती है फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट एक होती है रियल इन्वेस्टमेंट तो फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट टिपिकली इवॉल्व पुटिंग मनी इन टू वेरियस फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट सच एज स्टॉक बंड म्यूचुअल फंड एक्सचेंज ट्रेडिट फंड एंड अदर सिक्योरिटी फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट क्या होती है जब हम अपनी मनी को किस चीज में इन्वेस्ट करते हैं फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में जैसे कि स्टॉक हो गए बंड हो गए म्यूचुअल फंड हो गए ईटीएफ हो गए या कोई और सिक्योरिटी उनमें लगा दें जब हमारा अपना पैसा तो वो कहलाती है आपकी फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट दीज इन्वेस्टमेंट आर इनटेंजिबल दैट रिप्रेजेंट ओनरशिप और क्लेम ऑन अ अंडरलाइन एसेट और अ कंपनी ये जो इन्वेस्टमेंट होती है ये इनटेंजिबल एसेट्स पर होती है जो कि एक ओनरशिप या क्लेम शो करती है किसी एसेट के ऊपर आपका फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट आर ऑफें ट्रेडेड इन फाइनेंशियल मार्केट एंड देयर वैल्यू कैन फ्लकचुएट बेस्ड ऑन मार्केट कंडीशन इकोनॉमिक फैक्टर एंड कंपनी परफॉर्मेंस जो ये फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट होती है ये फाइनेंशियल मार्केट में ट्रेड करती है इसकी जो वैल्यू होती है वो मार्केट कंडीशन इकोनॉमिक फैक्टर और कंपनी की परफॉर्मेंस के अकॉर्डिंग चेंज हो रहती है दूसरी आती है रियल इन्वेस्टमेंट आल्सो नोन एज टेंज बल और फिजिकल इन्वेस्टमेंट इवॉल्व एलोकेटिंग कैपिटल टू टेंज बल एसेट सच एज रियल एस्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट मशीनरी इक्विपमेंट एंड अदर फिजिकल एसेट रियल इन्वेस्टमेंट को हम टेंज बल या फिर फिजिकल इन्वेस्टमेंट भी कहते हैं इसके अंदर हम अपनी कैपिटल को किसी टेंज बल एसेट जैसे कि रियल इस्टेट में इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट में मशीनरी में इक्विपमेंट में या फिर किसी और फिजिकल एसेट में लगा दे तो वो कहलाती है आपकी रियल इन्वेस्टमेंट रियल इन्वेस्टमेंट ऑफर इवॉल्व द एक्विजिशन डेवलपमेंट एंड इंप्रूवमेंट ऑफ टेंज बल प्रॉपर्टी और एसेट विद द एक्सपेक्टेशन ऑफ जनरेटिंग इनकम और एप्रिसिएशन ओवर टाइम रियल इन्वेस्टमेंट के अंदर हम क्या करते हैं एक्वायर करते हैं डेवलप करते हैं या इंप्रूव करते हैं किसी टेंज बल प्रॉपर्टी या फिर एसेट को और किसलिए इंप्रूवमेंट करते हैं ताकि यह हमें और ज्यादा इनकम जनरेट करके दे ओवर द टाइम तो वो चीज कहलाती है आपकी रियल इन्वेस्टमेंट ठीक है ऑब्जेक्टिव क्या होता है इन्वेस्टमेंट करने का सबसे पहले वेल्थ प्रिजर्वेशन तो वन ऑफ द फंडामेंटल ऑब्जेक्टिव ऑफ इन्वेस्टमेंट इज टू प्रिजर्व एंड प्रोटेक्ट द वैल्यू ऑफ कैपिटल अगेंस्ट इंफ्लेशन एंड अदर इकोनॉमिक रिस्क जो पहला ऑब्जेक्टिव है वो आपकी वेल्थ को जो आपकी कैपिटल हैगी उसे इंफ्लेशन और इकोनॉमिक रि रिस्क से बचाना इसका पहला ऑब्जेक्टिव होता है बाय इन्वेस्टिंग इन एसेट दैट हैव पोटेंशियल टू मेंटेन और इंक्रीज द वैल्यू ओवर टाइम इन्वेस्टर सी का सेफगार्ड देयर वेल्थ एंड परचेसिंग पावर क्योंकि जो ये इन्वेस्टिंग होती है इससे क्या होता है जो आपकी कैपिटल होती है वो जब किसी चीज में इन्वेस्ट हो जाती है तो उसमें पोटेंशियल आ जाती है कि उसकी वैल्यू ओवर द टाइम इंक्रीज होगी तो इस वजह से इन्वेस्टर को एक सेफगार्ड मिल जाता है उनकी वेल्थ का और परचेसिंग पावर का नेक्स्ट आता है कैपिटल ग्रोथ तो इन्वेस्टर ओपन श ग्रो देयर कैपिटल बाय इन्वेस्टिंग इन एसेट दैट हैव द पोटेंशियल टू एप्रिसिएशन इन वैल्यू ओवर द लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर इन्वेस्ट किसलिए करते हैं ताकि उनकी जो कैपिटल है वो ओवर द टाइम लॉन्ग टर्म टर्म में ग्रो हो जाए कैपिटल ग्रोथ कैन बी अचीव्ड थ्रू इन्वेस्टमेंट इन स्टॉक रियल स्टेट म्यूचुअल फंड एंड अदर फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट दैट ऑफर द अपॉर्चुनिटी फॉर कैपिटल एप्रिसिएशन और यह कैपिटल को ग्रो किसकिस चीज की मदद से करा जा सकता है स्टॉक में इन्वेस्ट करके रियल एस्टेट में म्यूचुअल फंड में या फिर किसी और फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट करके ग्रो करा जाता है फिर आता है इनकम जनरेशन तो अनदर कॉमन ऑब्जेक्टिव ऑफ इन्वेस्टमेंट इज टू जनरेट अ रेगुलर स्टीम ऑफ इनकम टू मीट करंट और फ्यूचर फाइनेंशियल नीड जो नेक्स्ट ऑब्जेक्टिव है वो क्या है कि आपको एक रेगुलर इनकम चाहिए इसलिए आपने इन्वेस्टमेंट कर दी है कि अब उस इन्वेस्टमेंट से आपको अभी रेगुलर इनकम मिलती रहेगी जिससे आप आज की और फ्यूचर में आने वाली जरूरत है पूरी करते रहेंगे इन्वेस्टमेंट सच एज डिविडेंड पेइंग स्टॉक बंड रेंटल प्रॉपर्टी इंटरेस्ट बेयरिंग सिक्योरिटी कैन प्रोवाइड इन्वेस्टर विद सोर्स ऑफ पैसिव इनकम अब अगर आपको रेगुलर इनकम चाहिए तो आप किन-किन चीजों में इन्वेस्ट कर सकते हैं ऐसे स्टॉक जो डिविडेंड पे करते हो ऐसे बंड जो डिविडेंड पे करते हो रेंटल प्रॉपर्टीज में जिससे आपको रेंट मिले या फिर आप लोन प्रोवाइड करवा सकते हो जिससे आपको इंटरेस्ट मिले या फिर इंटरेस्ट बेयरिंग सिक्योरिटीज आप परचेज कर सकते हो फिर आता है रिस्क मैनेजमेंट तो इफेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी एम टू मैनेज रिस्क डायवर्सिफाइड फोलियो अक्रॉस डिफरेंट एसेट क्लास सेक्टर एंड जियोग्राफिक रीजन एक इफेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी क्या देखती है वो आपके रिस्क को मैनेज करती है डायवर्सिफाई कर देती है अलग-अलग पोर्टफोलियो में अलग-अलग एसेट क्लासेस में सेक्टर्स में और जियोग्राफिक रीजन में बाय स्प्रेडिंग रिस्क अवॉइडिंग कंसंट्रेशन इ सिंगल इन्वेस्टमेंट इन्वेस्टर सीक टू मिनिमाइज पोटेंशियल लॉस एंड अचीव मोर स्टेबल रिटर्न ओवर टाइम तो इस तरीके से अलग-अलग चीजों में इन्वेस्ट करके किसी एक सिंगल उस चीज में इन्वेस्ट ना करके अलग-अलग जब डिफरेंट डिफरेंट सेक्टर्स में डिफरेंट डिफरेंट एरियाज में इन्वेस्ट कर देते हो तो उससे आपका क्या होता है जो लॉस का रिस्क होता है वो मिनिमाइज हो जाता है और आपको एक स्टेबल रिटर्न मिलता है ओवर द टाइम फिर आता है फाइनेंशियल गोल अचीवमेंट तो इन्वेस्टर्स सेट स्पेसिफिक फाइनेंशियल गोल सच एज रिटायरमेंट प्लानिंग एजुकेशन फंडिंग वेल्थ एक्यूमेन और एसेट एक्विजिशन इन्वेस्टर को क्या चाहिए होता है उसके कुछ फाइनेंशियल गोल होते हैं जिसके लिए वो इन्वेस्टमेंट करता है या तो उसे रिटायरमेंट प्लानिंग कर रखी होती है या उसे एजुकेशन के लिए फंडिंग करनी होती है या वेल्थ को एक्यूमिनेट करना होता है या एसकेसी एसेट को एक्वायर करना होता है जिसकी वजह से वो इन्वेस्टमेंट करता है तो द ऑब्जेक्टिव ऑफ इन्वेस्टमेंट इज टू अलाइन इन्वेस्टमेंट डिसीजन विद दिस गोल एंड क्रिएट अ स्ट्रेटेजिक प्लान टू अचीव देम विद इन अ स्पेसिफाइड टाइम फ्रेम तो जो इन्वेस्टमेंट का ऑब्जेक्टिव होता है वो क्या होता है कि जो आपका इन्वेस्टमेंट का डिसीजन है वो ऐसा होना चाहिए जो इन गोल के साथ अलाइन करें और उसी के अकॉर्डिंग आपको स्ट्रेटेजिक प्लान बनाना है कि जो एक स्पेसिफिक टाइम फ्रेम के अंदर आपका अचीव किया जा सके नेक्स्ट आता है टैक्स एफिशिएंसी तो इन्वेस्टर में आल्सो एम टू ऑप्टिमाइज देयर रिटर्न बाय कंसीडरिंग टैक्स इंप्लीकेशन एंड इंप्लीमेंटिंग टैक्स एफिशिएंट स्ट्रेटेजी इन्वेस्टर और क्या कर सकते हैं अपनी इन्वेस्टमेंट इस तरीके से कर सकते हैं जिससे उनके ऊपर कम से कम टैक्स की इंप्लीकेशन आए और उनकी टैक्स एफिशिएंट स्ट्रेटेजी इंप्लीमेंट हो जाए बाय मिनिमाइजिंग टैक्स लायबिलिटी थ्रू एप्रोप्रियेट डिडक्शन होती है तो आप उसके अकॉर्डिंग इन्वेस्टमेंट करके अपनी जो टैक्स की लायबिलिटी है उसे कम कर सकते हैं और आपका आफ्टर टैक्स जो रिटर्न है उसे इंक्रीज कर सकते हैं ठीक है नेक्स्ट आता है हमारा डायरेक्ट एंड इनडायरेक्ट इन्वेस्टिंग क्या होती है तो डायरेक्ट इन्वेस्टिंग इवॉल्व द परचेज ऑफ इंडिविजुअल सिक्योरिटी एसेट सच एज स्टॉक बंड रियल एस्टेट प्रॉपर्टी कमोडिटी विद द इन्वेस्टर डायरेक्टली ओइंग एंड मैनेजिंग द इन्वेस्टमेंट डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट क्या होता है इसके अंदर आप डायरेक्टली इंडिविजुअल एक पर्सन होता है वो सिक्योरिटीज एसेट को खरीद लेता है स्टॉक को बंड को रियल एस्टेट को और कमोडिटी को और वो खुद ही उन्हें ऑन और मैनेज करता है तो वो कहलाता है आपका डायरेक्ट इन्वेस्टिंग इनडायरेक्ट इन्वेस्टिंग क्या होती है इनडायरेक्ट इन्वेस्टिंग इवॉल्व गेनिंग एक्सपोजर टू डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो ऑफ एसेट और सिक्योरिटी थ्रू इन्वेस्टमेंट व्हीकल सच एज म्यूचुअल फंड ईटीएफ इंडेक्स फंड एंड मैनेज पोर्टफोलियो इनडायरेक्ट इन्वेस्टिंग के अंदर क्या होता है आप किसी ऐसे व्हीकल इन्वेस्टमेंट व्हीकल में इन्वेस्ट कर देते हैं जो आपके बिहाव पर आपकी इन्वेस्टमेंट को मैनेज करता है जैसे कि आपके म्यूचुअल फंड हो गए ईटीएफ हो गए मैनेज पोर्टफोलियो हो गए ये सारी चीजें ठीक है नेक्स्ट आता है आपका फाइनेंशियल डेरिवेटिव्स क्या होते हैं तो अ फाइनेंशियल डेरिवेटिव इज अ कांट्रैक्ट और फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हुज वैल्यू इज राइड फ्रॉम परफॉर्मेंस ऑफ एन अंडरलाइन एसेट इंडेक्स और एंटिटी फाइनेंशियल डेरिवेटिव को एक तरीके का कांट्रैक्ट या फिर फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट होता है जिसकी वैल्यू किससे ड्राइव होती है किसी एसेट इंडेक्स और एंटिटी की परफॉर्मेंस से ड्राइव होती है डेरिवेटिव आर यूज्ड फॉर वेरियस पर्पस इंक्लूडिंग हेजिंग अगेंस्ट रेस स्पेक्युलेटिंग ऑन प्राइस मूवमेंट एंड गेनिंग एक्सपोजर टू स्पेसिफिक मार्केट और एसेट ये जो डेरिवेटिव होते हैं इनका यूज किस लिए करा जाता है हेजिंग करने के लिए रिस्क के अगेंस्ट प्राइस की मूवमेंट को स्पेक्युलेटिंग की एक्सपोजर पाने के लिए इनका यूज करा जाता है डेरिवेटिव के कुछ टाइप्स ंगे पहला होता है हमारा कमोडिटी डेरिवेटिव तो डेरिवेटिव हुज वैल्यू इज लिंक टू प्राइस ऑफ कमोडिटी सच एज ऑयल गोल्ड एग्रीकल्चर प्रोडक्ट ऐसे डेरिवेटिव जिनकी जो वैल्यू होती है वो किस चीज से लिंक होती है किसी कमोडिटी के प्राइस से लिंक होती है जैसे कि ऑयल गोल्ड एग्रीकल्चर प्रोडक्ट एक्सेट्रा तो उन्हें कहा जाता है कमोडिटी डेरिवेटिव दूसरे आते हैं एलिमेंट्री डेरिवेटिव एंड कॉम्प्लेक्टेड तो एलिमेंट्री डेरिवेटिव आर दोज व्हिच आर सिंपल एंड इजली अंडरस्टैंडेबल ऐसे डेरिवेटिव जिन्हें हम सिंपली और इजली समझ सकते हैं वो कहलाते हैं एलिमेंट्री सच डेरिवेटिव आर फ्यूचर एंड ऑप्शन इसके अंदर क्या आ जाते हैं फ्यूचर एंड ऑप्शन जो होते हैं वो आपके एलिमेंट्री डेरिवेटिव होते हैं वही कॉम्प्लेक्शन हैज अ कॉम्प्लेक्शन एंड फीचर व्हिच मेक देम डिफिकल्ट टू अंडरस्टैंड बाय इन्वेस्टर लेकिन जो कॉम्प्लेक्शन होते हैं वो इसका उल्टा होते हैं इनके अंदर कुछ ऐसे फीचर होते हैं जिनकी वजह से इन्वेस्टर इन्हें आसानी से नहीं समझ पाता है इसके अंदर आपके आ जाते हैं एग्जॉटिक ऑक्शन सिंथेटिक फ्यूचर एंड ऑप्शन ये सारे जो एक प्रोफेशनल या एक्सपर्टीज समझ पाता है नेक्स्ट आता है एक्सचेंज ट्रेडेड डेरिवेटिव तो डेरिवेटिव ट्रेडेड ऑन ऑर्गेनाइज एक्सचेंज विद स्टैंडर्डाइज कांट्रैक्ट टर्म एंड सेंट्रलाइज्ड क्लीयरिंग ऐसे डेरिवेटिव जो एक स्टैंडर्डाइज कांट्रैक्ट टर्म पर बने होते हैं सेंट्रलाइज क्लीयरिंग होती है और एक ऑर्गेनाइज एक्सचेंज पर ट्रेड कर रहे होते हैं वो कहलाते हैं आपके एक्सचेंज ट्रेडेड डेरिवेटिव ओवर द काउंटर डेरिवेटिव तो कस्टमाइज्ड डेरिवेटिव ट्रेडेड डायरेक्टली बिटवीन टू पार्टीज ऑफ विद टेलर्ड कांट्रैक्ट एंड लेस स्टैंडर्डाइज डॉक्यूमेंटेशन ऐसे डेरिवेटिव जो कि डायरेक्टली दो पार्टीज के बीच में ट्रेड होते हैं इनके अंदर कोई एक्सचेंज इवॉल्व नहीं होता कोई और पार्टी इवॉल्व नहीं होती है सिर्फ कांट्रैक्ट की थोड़ी सी टर्म बना ली जाती है और ज्यादा स्टैंडर्डाइज डॉक्यूमेंटेशन की भी जरूरत नहीं होती है ठीक है ये तो थे आपके कॉमन टाइप के डेरिवेटिव लेकिन हमें बात करनी है फाइनेंशियल डेरिवेटिव क्या होते हैं तो फाइनेंशियल डेरिवेटिव देखिए पहला डेरिवेटिव है फ्यूचर कांट्रैक्ट तो दीज आर स्टैंडर्डाइज कांट्रैक्ट टू बाय और सेल एन अंडरलाइन एसेट एट फ्यूचर डेट एंड एट प्री डिटरमाइंड प्राइस फ्यूचर कांट्रैक्ट में क्या होता है जब हम एक कांट्रैक्ट कर ल किसी एसेट को खरीदने या बेचने का एक फ्यूचर डेट पर और और उसका प्राइस अभी डिसाइड कर ले तो वो कहलाता है आपका फ्यूचर कांट्रैक्ट फ्यूचर कांट्रैक्ट आर ट्रेडेड ऑन एक्सचेंज एंड आर यूज्ड फॉर हेजिंग और स्पेक्युलेटिंग और स्पेक्युलेटिव तो ऑप्शन गिवन द गिव द होल्डर द राइट बट नॉट द ऑब्लिगेशन टू बाय कॉल ऑप्शन और सेल पुट ऑप्शन एंड अंडरलाइन एसेट एट अ स्पेसिफाइड प्राइस विद इन अ सर्टेन टाइम फ्रेम ऑप्शन क्या होता है इसके अंदर होल्डर के पास राइट होता है लेकिन कोई ऑब्लिगेशन नहीं होती वो चाहे तो किसी ऑप्शन को बाय कर सकता है किसी ऑप्शन को सेल कर सकता है किसी अंडरलाइन एसेट का एक स्पेसिफाइड प्राइस पर विदन सर्टेन टाइम फ्रेम ऑप्शन आर कॉमनली यूज्ड फॉर हेजिंग और स्पेक्युलेटिव परपस इसका भी यूज हेजिंग और स्पेक्युलेटिव पर्पस के लिए करा जाता है फिर आता है फॉरवर्ड तो फॉरवर्ड कांट्रैक्ट आ कस्टमाइज एग्रीमेंट बिटवीन टू पार्टीज टू बाय और सेल अ एसेट एट अ फ्यूचर डेट एंड एट अ स्पेसिफाइड प्राइस फॉरवर्ड कांट्रैक्ट क्या होते हैं ये एक तरीके के कस्टमाइज एग्रीमेंट होते हैं जो कि दो पार्टीज के बीच में होते हैं जिसमें वोह किसी एसेट को फ्यूचर डेट पर और एक स्पेसिफाइड प्राइस पर खरीदने के लिए रेडी होते हैं अनलाइक फ्यूचर कांट्रैक्ट फॉरवर्ड आर ट्रेडेड ओवर द काउंटर एंड हैव फ्लेक्सिबल टर्म जो अब आप कहोगे कि जो ये फ्यूचर कांट्रैक्ट है और फॉरवर्ड कांट्रैक्ट है ये दोनों सेम ही है लेकिन फ्यूचर कांट्रैक्ट होते हैं वो ओवर द काउंटर नहीं होते लेकिन जो ये फॉरवर्ड कांट्रैक्ट होते हैं ये ओवर द काउंटर होते हैं और फ्लेक्सिबल टर्म्स होती है मतलब इसके अंदर सिर्फ दो ही पार्टी इवॉल्व होती है किसी तीसरे की इवॉल्वमेंट नहीं होती है ठीक है अब जो नेक्स्ट पढ़ना है वो आपको इंस्ट्रूमेंट्स के बारे में पढ़ना है म्यूचुअल फंड के बारे में बताया गया है सबसे पहले तो म्यूचुअल फंड आर इन्वेस्टमेंट व्हीकल दैट पूल मनी फ्रॉम मल्टीपल इन्वेस्टर टू इन्वेस्ट इन अ डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो ऑफ रिटी सच एज स्टॉक बंड एंड अदर एसेट म्यूचुअल फंड क्या होते हैं यह जो फंड्स होते हैं ये अलग-अलग इन्वेस्टर से उनका पैसा लेते हैं और उस सारे पैसे का एक पूल क्रिएट करके उसे अलग-अलग कंपनीज में इन्वेस्ट कर देते हैं मतलब इसके अंदर कोई स्पेसिफाइड नहीं होता कि किसका पैसा किस कंपनी में लगा है सबका पैसा इकट्ठा होकर अलग-अलग कंपनीज में इन्वेस्ट कर दिया जाता है एक्सपर्ट की मदद से तो वो जो मैकेनिज्म होता है व्हीकल्स होते हैं वो कहलाते हैं म्यूचुअल फंड एडवांटेज क्या होते हैं म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने के सबसे पहला आता है आपका डायवर्सिफिकेशन तो म्यूचुअल फंड ऑफर इन्वेस्टर बेनिफिट ऑफ डायवर्सिफिकेशन बाय इन्वेस्टिंग इन अ वाइड रेंज ऑफ सिक्योरिटी अक्रॉस डिफरेंट एसेट क्लास इंडस्ट्री एंड रीजन अब जो इन्वेस्टर का पैसा होता है उससे इन्वेस्टर को बेनिफिट मिलता है कि जो उसका पैसा है वो अलग-अलग सिक्योरिटीज में अलग-अलग क्लास के एसेट में अलग-अलग इंडस्ट्री में इन्वेस्ट हो जाता है दिस हेल्प रिड्यूस द रिस्क एसोसिएटेड विद इन्वेस्टिंग इन सिंगल सिक्योरिटी इससे क्या होता है किसी सिंगल सिक्योरिटी में इन्वेस्ट करके लॉस का रिस्क कम हो जाता है नेक्स्ट आता है इसका प्रोफेशनल मैनेजमेंट होता है तो म्यूचुअल फंड आर मैनेज बाय प्रोफेशनल फंड मैनेजर हु मेक इन्वेस्टमेंट न न बिहा ऑफ इन्वेस्टर जो म्यूचुअल फंड होते हैं उन्हें प्रोफेशनल मैनेजर मैनेज करते हैं जिससे किनके इन्वेस्टर के बिहा पर फंड मैनेजर कंडक्ट रिसर्च एनालाइज मार्केट ट्रेंड एंड एक्टिवली मैनेज द फंड पोर्टफोलियो टू अचीव द इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव य जो फंड मैनेजर होते हैं य मार्केट की रिसर्च करते हैं एनालाइज करते हैं ट्रेंड को और फिर फंड के पोर्टफोलियो को एक्टिवली एक्टिव रकर मैनेज करते हैं मतलब कोई भी फ्लकचुएशन होती है तो उसके अकॉर्डिंग य सेल परचेज करते रहते हैं ठीक है फिर आता है वैरायटी ऑफ ऑप्शन होते हैं तो म्यूचुअल फंड कम इन वेरियस टाइप्स एंड कैटेगरी इंक्लूडिंग इक्विटी फंड बंड फंड मनी मार्केट फंड इंडेक्स फंड सेक्टर फंड एंड बैलेंस फंड जो ये म्यूचुअल फंड होते हैं ये कई सारे टाइप के होते हैं कई सारे इनकी कैटेगरी है इक्विटी फंड होते हैं बंड फंड होते हैं मनी मार्केट फंड होते हैं इंडेक्स फंड होते हैं सेक्टर फंड होते हैं बैलेंस फंड होते हैं इन्वेस्टर कैन चूज फंड दैट अलाइन विद देयर इन्वेस्टमेंट गोल रिस्क टोलरेंस एंड टाइम ओरिजिन तो जो इन्वेस्टर होते हैं वो अपने इन्वेस्टमेंट गोल्स के अकॉर्डिंग रिस्क की टोलरेंस के अकॉर्डिंग और टाइम ओरिजिन के अकॉर्डिंग इन्हें चूज कर सकते हैं नेक्स्ट आते हैं लिक्विडिटी का बेनिफिट होता है तो म्यूचुअल फंड ऑफर लिक्विडिटी टू इन्वेस्टर एज दे कैन बाय और सेल फंड शेयर ऑन एनी बिजनेस डे एट फंड नेट एसेट वैल्यू दिस प्रोवाइड फ्लेक्सिबल फॉर इन्वेस्टर टू एक्सेस द इंस्ट्रूमेंट व्हेन नीडेड जो लि म्यूचुअल फंड होते हैं वो इन्वेस्टर को ऑफर करते हैं लिक्विडिटी का मतलब वो अपने जो फंड होता है उसे कभी भी सेल और परचेस कर सकते हैं किसी भी बिजनेस डे में एट नेट एसेट वैल्यू मतलब उस टाइम पर उसकी जो वैल्यू है उस वैल्यू पर इससे क्या आती है जो इन्वेस्टर होते हैं उन्हें फ्लेक्सिबल मिल जाती है उनकी इन्वेस्टमेंट से फिर आता है ट्रांसफर रेंसी तो म्यूचुअल फंड आर रिक्वायर्ड टू डिस्क्लोज देयर होल्डिंग परफॉर्मेंस फीस एंड एक्सपेंस टू इन्वेस्टर रेगुलरली जो म्यूचुअल फंड होते हैं इनके अंदर ट्रांसपेरेंसी होती है क्योंकि इनको अपने जो इन्वेस्टर्स होते हैं उन्हें अपनी होल्डिंग के बारे में परफॉर्मेंस के बारे में फीस के बारे में और एक्सपेंसेस के बारे में बताना पड़ता है द ट्रांसपेरेंसी अलाउ इन्वेस्टर टू मेक इनफॉर्म डिसीजन अबाउट इन्वेस्टमेंट एंड मॉनिटर द फंड परफॉर्मेंस ओवर टाइम इन इंफॉर्मेशन की ट्रांसपेरेंसी की मदद से इन्वेस्टर क्या कर पाते हैं एक इनफॉर्म डिसीजन ले पाते हैं इन्वेस्टमेंट से रिलेटेड और अपने फंड परफॉर्मेंस की फंड की परफॉर्मेंस को मॉनिटर कर पाते हैं ओवर द टाइम ठीक है ये आपके बेनिफिट हो गए म्यूचुअल फंड के अब आती हैं लिमिटेशन क्या-क्या होती हैं म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने की तो फीस एंड एक्सपेंस तो म्यूचुअल फंड टिपिकली चार्ज मैनेजमेंट फी सेल्स चार्ज एंड ऑपरेटिंग एक्सपेंस व्हिच कैन रिड्यूस द ओवरऑल रिटर्न फॉर इन्वेस्टर जो म्यूचुअल फंड होते हैं वो एक्सपर्ट के द्वारा मैनेज करे जाते हैं तो मैनेजमेंट की फीस लगती है सेल्स चार्जेस लगते हैं ऑपरेटिंग एक्सपेंसेस लगते हैं जिससे जो ओवरऑल रिटर्न होता है इन्वेस्टर का वो कम हो जाता है इट इज इंपॉर्टेंट फॉर इन्वेस्टर टू केयरफुली रिव्यू द फी स्ट्रक्चर ऑफ़ म्यूचुअल फंड बिफोर इन्वेस्टिंग तो इन्वेस्टर को इन्वेस्ट करने से पहले म्यूचुअल फंड का फीस स्ट्रक्चर क्या है एक बार उसे ध्यान से देख लेना चाहिए फिर आता है लैक ऑफ कंट्रोल तो व्हेन इन्वेस्टिंग इन म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर डेलीगेट द इन्वेस्टमेंट डिसीजन टू प्रोफेशनल फंड मैनेजर इन्वेस्ट म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करके जो इन्वेस्टर होते हैं वो अपने इन्वेस्टमेंट डिसीजन को प्रोफेशनल फंड मैनेजर के ऊपर डेलीगेट कर देते हैं दिस मींस इन्वेस्टर हैव लिमिटेड कंट्रोल ओवर द इंडिविजुअल सिक्योरिटी सिलेक्शन एंड टाइमिंग ऑफ ट्रेड विद इन द फंड पोर्टफोलियो तो इससे क्या होता है जो इन्वेस्टर होता है उसका कंट्रोल कम हो जाता है उसकी इंडिविजुअल सिक्योरिटी सिलेक्शन पर और ट्रेड करने की टाइमिंग पर ठीक है फिर आता है मार्केट रिस्क होता है तो म्यूचुअल फंड आर सब्जेक्ट टू मार्केट रिस्क एंड द वैल्यू ऑफ फंड पोर्टफोलियो कैन फ्लकचुएट बेस्ड ऑन मार्केट कंडीशन जो म्यूचुअल फंड होते हैं वो मार्केट रिस्क मार्केट का रिस्क उसमें भी होता है उसकी भी जो वैल्यू है वो मार्केट की कंडीशन के अकॉर्डिंग फ्लक्ट होती रहती है न वाइल डायवर्सिफिकेशन कैल हेल्प मिटिगेट रिस्क इट डज नॉट एलिमिनेट द पॉसिबिलिटी ऑफ लॉस यह होता है कि जो डायवर्सिफिकेशन होती है उससे क्या होता है जो आपका रिस्क है वो मिटिगेट हो जाता है लेकिन पूरी तरीके से एलिमिनेट नहीं हो पाता है और लॉस की पॉसिबिलिटी रहती ही रहती है फिर आता है टैक्स इंप्लीकेशन तो इन्वेस्टर इन म्यूचुअल फंड मे सब्जेक्ट टू टैक्स ऑन कैपिटल कटल गेन डिविडेंड एंड इंटरेस्ट इनकम जेनरेटेड बाय फंड पोर्टफोलियो जो इन्वेस्टर होते हैं म्यूचुअल फंड के उन्हें अगर किसी भी तरीके का कैपिटल गेन होता है डिविडेंड मिलता है या इंटरेस्ट की इनकम आती है तो उन्हें उसके ऊपर टैक्स पे करना पड़ता है एडिशनल म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर मे बी लायबल फॉर कैपिटल गेन टैक्स व्हेन द फंड सेल सिक्योरिटी एट अ प्रॉफिट इवन उन पर कैपिटल गेन भी लगता है अगर उनकी सिक्योरिटी की वैल्यू बढ़ जाती है और जब वो उसे सेल करते हैं अगर उस पर प्रॉफिट होता है उन्हें तो उस पर उन्हें कैपिटल गेन भी देना पड़ता है फिर आता है पोटेंशियल फॉर अन अंडर परफॉर्मेंस स नॉट ऑल म्यूचुअल फंड आउट परफॉर्म देयर बेंचमार्क और डिलीवर सुपीरियर रिटर्न सम फंड में अंडर परफॉर्म ड्यू टू फैक्टर सच एज हाई फी पुअर मैनेजमेंट डिसीजन और एडवर्स मार्केट कंडीशन जरूरी नहीं है सारे जो म्यूचुअल फंड है वो एक सुपीरियर रिटर्न पर ही ट्रेड करें मतलब सुपीरियर रिटर्न ही दें ऐसा नहीं होता है कुछ फंड होते हैं जो अंडर परफॉर्म भी करते हैं हाई फीस की वजह से पुअर मैनेजमेंट डिसीजन की वजह से या फिर एडवर्स मार्केट कंडीशन की वजह से फिर आता है रिडेंपशन रिस्ट्रिक्शन तो सम म्यूचुअल फंड में इंपोज रिडेंपशन फी और हैव रिस्ट्रिक्शन ऑन फ्रीक्वेंसी ऑफ बाइंग और शेरिंग शेयर व्हिच कैन लिमिट एन इन्वेस्टर एबिलिटी टू एक्सेस देयर मनी व्हेन नीडेड कुछ म्यूचुअल फंड होते हैं जो रिडेंपशन फीस इंपोज करते हैं मतलब जब आप अपने शेयर्स को बेचो ग तो आपसे कुछ फीस ली जाती है या फिर वो रिस्ट्रिक्शन लगा देते हैं कि आप इतने ही टाइम शेयर्स को सेल और परचेज कर सकते हैं जिससे क्या होता है जो इन्वेस्टर होते हैं उनकी अपनी मनी के ऊपर से ही एक्सेस कम हो जाती है या खत्म हो जाती है फिर आता है ओवर डाइवर्सिटी तो वाइल डायवर्सिफिकेशन इज द की बेनिफिट ऑफ़ म्यूचुअल फंड इट इज पॉसिबल फॉर इन्वेस्टर टू बिकम ओवर डायवर्सिफाइड इफ इन्वेस्ट इन टू मेनी फंड विद ओवरलैपिंग होल्डिंग क्या बोला है वैसे तो जो डाइवर्सिटी है वो एक बेनिफिट हैगा म्यूचुअल फंड का लेकिन अगर इन्वेस्टर का जो पैसा है वो ज्यादा ही डायवर्सिफाई हो जाता है तो उससे ओवर डायवर्सिफिकेशन का और ओवरलैपिंग का रिस्क हो जाता है व्हिच कैन डायलेट द पोटेंशियल ऑफ बेनिफिट ऑफ डाइवर्सिटी और इससे क्या होता है जो डाइवर्सिटी का बेनिफिट होता है म्यूचुअल फंड का वो बेनिफिट खत्म हो जाता है ठीक है अब देखिए नेक्स्ट हैगा सम इंपॉर्टेंट डेवलपमेंट ऑफ म्यूचुअल फंड मतलब किस-किस तरीके के म्यूचुअल फंड एक तरीके से होते हैं तो इसमें पहला आता है आपका एक्सचेंज ट्रेडिट फंड तो एन एक्सचेंज ट्रेडिट फंड इज अ टाइप ऑफ इन्वेस्टमेंट फंड दैट इज ट्रेडेड ऑन स्टॉक एक्सचेंज सिमिलर टू इंडिविजुअल स्टॉक ये क्या होता है सेम स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड करता है जैसे कि इंडिविजुअल स्टे ट्राइड होता है ईटीएफ आर डिजाइंड टू ट्रैक द परफॉर्मेंस ऑफ स्पेसिफिक इंडेक्स कमोडिटी बंड और बास्केट ऑफ एसेट इसके अंदर क्या होता है ये एक कमोडिटी का बंड का या फिर बास्केट ऑफ एसेट की परफॉर्मेंस को मेजर करता है एडवांटेज क्या होते हैं ईटीएफ के सो सबसे पहले वही है डाइवर्सिटी एफ ऑफर एक्सपोजर टू अ डाइवर्सिटी व्हिच कैन हेल्प स्प्रेड इन्वेस्टमेंट रिज अक्रॉस वेरियस एसेट एंड सेक्टर इसके अंदर म्यूचुअल फंड का ही पार्ट है इसलिए वही चीज है कि इसके अंदर जो आपकी इन्वेस्टमेंट होती है वो अलग-अलग सिक्योरिटी में होती है तो इससे आपका इन्वेस्टमेंट रिस्क कम हो जाता है कि क्योंकि आपका पैसा अलग-अलग एरियाज और सेक्टर में इन्वेस्ट हो रखा होता है दिस डाइवर्सिटी द इंपैक्ट ऑफ वोलेट इन सिंगल सिक्योरिटी और सेक्टर ओवर पोर्टफोलियो और किसी एक सिंगल सिक्योरिटी में इन्वेस्ट करके अगर वॉलेटी का रिस्क जो होता है वो कम हो जाता है फिर आता है लोअर कॉस्ट तो ईटीएफ टिपिकली हैव लोअर एक्सपेंस रेशियो कंपेयर्ड टू एक्टिवली मैनेज म्यूचुअल फंड जो ईटीएफ होते हैं आपके उनमें जो एक्सपेंस होते हैं वो कम होते हैं एज कंपेयर टू म्यूचुअल फंड्स दिस इज बिकॉज़ मोस्ट ईटीएफ आर पैसिवली मैनेज्ड एंड डिजाइन टू ट्रैक ए इंडेक्स रिजल्ट इन लोअर मैनेजमेंट फी एंड ऑपरेटिंग एक्सपेंस क्यों होते हैं इनमें जो एक्सपेंस होते हैं वो कम क्यों होते हैं क्योंकि इनका ये इस तरीके से डिजाइन करे जाते हैं और मैनेज करे जाते हैं कि इसके अंदर जो मैनेजमेंट फी होती है और ऑपरेटिंग एक्सपेंस होते हैं वो कम आ जाते हैं नेक्स्ट आता है लिक्विडिटी तो ईटीएफ ट्रेड ऑन स्टॉक एक्सचेंज लाइक इंडिविजुअल स्टॉक प्रोवाइड इन्वेस्टर विद द एबिलिटी टू बाय एंड शेयल थ्रू आउट द ट्रेडिंग डे एट मार्केट प्राइस ईटीएफ भी वही लिक्विडिटी प्रोवाइड करवाते हैं कभी भी आप ट्रेडिंग डे के ड्यूरेशन में कभी भी जो आपका ट्रेड आवर्स होते हैं उसमें कभी भी सिक्योरिटीज को सेल और परचेज कर सकते हैं इससे आपको लिक्विडिटी मिलती है और फ्लेक्सिबल रहती है इन्वेस्टर के पास ट्रांसपेरेंसी का वही सारे म्यूचुअल फंड वाले ही आंगे ट्रांसपेरेंसी क्योंकि इन्हें अपनी सारी चीजों के बारे में डेली बेसिस पर अपने इन्वेस्टर को बताना होता है जो भी इनके एक्सपेंस हैं जो इनका फीस वगैरह है सारी चीजें टैक्स एफिशिएंसी है तो ईटीएफ आर जनरली मोर टैक्स एफिशिएंट देन म्यूचुअल फंड ड्यू टू देयर यूनिक स्ट्रक्चर दे टेंड टू हैव लोअर कैपिटल गेन डिस्ट्रीब्यूशन पोटेंशियली रिजल्टिंग इन टैक्स एडवांटेज इसके अंदर कैपिटल गेन इतना नहीं होता है इसकी वजह से टैक्स का एडवांटेज मिलता है टैक्स इंप्लीकेशन ज्यादा नहीं आती है फिर फ्लेक्सिबल होती है क्योंकि बहुत सारे क्लास ऑफ एसेट में पैसा इन्वेस्ट होता है अलग-अलग स्टॉक बंड कमोडिटी में तो इससे क्या होता है जो इन्वेस्टर होता है उसकी इन्वेस्टमेंट को स अलग-अलग मार्केट का अलग-अलग सेक्टर्स का हर तरीके का एक्सपोजर मिल जाता है फिर है इंट्राडे ट्रेडिंग तो ईटीएफ कैन बी बट एंड सोल्ड थ्रू आउट द ट्रेडिंग डे एट मार्केट प्राइस प्रोवाइड इन्वेस्टर विद इंट्राडे ट्रेडिंग फ्लेक्सिबल अगर चाहे इन्वेस्टर तो इसको इंट्राडे के फॉर्म में भी डील कर सकता है ईटीएफ के साथ ठीक है दूसरा होता है जो म्यूचुअल फंड का डेवलपमेंट है वो है सिस्टमिक इन्वेस्टमेंट प्लान जिसे एसआईपी बोला जाता है एसआईपी इज अ डिसिप्लिन इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी दैट अलाउ इन्वेस्टर टू कंट्रीब्यूट अ फिक्स्ड अमाउंट ऑफ़ मनी एट रेगुलर इंटरवल इनटू अ सिलेक्टेड म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडिट फंड एसआईपी क्या होती है इसके अंदर जो इन्वेस्टर होता है वो एक फिक्स्ड अमाउंट को रेगुलर इंटरवल पर चाहे वह वीकली मंथली या क्वार्टरली इन्वेस्ट करता है किसी म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज क्रेडिट फंड में तो वो कहलाती है आपकी एसआईपी एसआईपी आर पॉपुलर इन्वेस्टमेंट मेथड फॉर इंडिविजुअल लुकिंग टू इन्वेस्ट इन फाइनेंशियल मार्केट ओवर द लॉन्ग टर्म एसआईपी किसके लिए बेटर है ऐसे इंडिविजुअल के लिए जो कि लॉन्ग टर्म में इन्वेस्ट रिटर्न जनरेट करना चाहता है मार्केट के अंदर उसके लिए एसआईपी बेटर होती है बेनिफिट क्याक होते हैं एसआईपी के सबसे पहले डिसिप्लिन इन्वेस्टिंग होती है तो एसआईपी इंक्रीज रेगुलर एंड डिसिप्लिन इन्वेस्टिंग बाय ऑटोमेटिंग द इन्वेस्टमेंट प्रोसेस जो इन्वेस्टर होता है उसकी हैबिट सुधर जाती है वो डिसिप्लिन तरीके से इन्वेस्टिंग करता है क्योंकि उसे रेगुलर इंटरवल पर अमाउंट डिपॉजिट करनी होती है बाय कंट्रीब्यूटिंग फि अमाउंट एट रेगुलर इंटरवल इन्वेस्टर कैन अवॉइड मार्केट टाइमिंग डिसीजन एंड बेनिफिट फॉर द पावर ऑफ कंप्यूटेशन क ओवर टाइम इससे उसकी जो मार्केट टाइमिंग के डिसीजन होते हैं वो अवॉइड हो जाते हैं और उसको कंपाउंडिंग का बेनिफिट मिलता है फिर आता है रुपी कॉस्ट एवरेजिंग तो थ्रो एसआईपी इन्वेस्टर बाय मोर यूनिट न प्राइस आर लो एंड फ्यूअर यूनिट न प्राइस आर हाई दिस स्ट्रेटेजी नोन एज रुपी कॉस्ट एवरेजिंग ये रुपी कॉस्ट एवरेजिंग का बेनिफिट प्रोवाइड करवाती है क्योंकि जब प्राइस लो होता है तो इन्वेस्टर को ज्यादा यूनिट मिल जाती है किसी फंड की और जब प्राइस हाई होता है तो उसे कम यूनिट मिलती है दिस स्ट्रेटेजी हेल्प टू रिड्यूस द इंपैक्ट ऑफ मार्केट लिटी ऑन ओवरऑल इन्वेस्टमेंट एंड पोटेंशियल लीड टू लोअर एवरेज कॉस्ट पर यूनिट ओवर द टाइम तो इससे क्या होता है जो आपका वोलेट का इंपैक्ट होता है वो कम हो जाता है और जो लोअर एवरेज कॉस्ट पर यूनिट होती है वो लोवर हो जाती है फिर आता है फ्लेक्सिबल होती है तो एसआईपी ऑफर फ्लेक्सिबल इन टर्म ऑफ इन्वेस्टमेंट अमाउंट फ्रीक्वेंसी ऑफ़ कंट्रीब्यूशन एंड एबिलिटी टू इंक्रीज और डिक्रीज द इन्वेस्टमेंट बेस्ड ऑन चेंजिंग फाइनेंशियल सरकमस्टेंसस एसआईपी जो होते हैं वो आपको फ्लेक्सिबल प्रोवाइड करवाते हैं कि आप अपनी फ्रीक्वेंसी की कंट्रीब्यूशन कंट्रीब्यूशन की फ्रीक्वेंसी को चेंज कर सकते हैं इन्वेस्टमेंट अमाउंट को चेंज कर सकते हैं और अपनी एबिलिटी के अकॉर्डिंग उसे इंक्रीज और डिक्रीज कर सकते हैं जैसे आपके फाइनेंशियल सरकमस्टेंसस हो उनके अकॉर्डिंग ठीक है फिर आता है लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन तो एसआईपी आर वेल सीटेड फॉर लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन एंड फाइनेंशियल गोल सच एज रिटायरमेंट प्लानिंग एजुकेशन फंडिंग और बिल्डिंग अ कॉप्स फॉर मेजर लाइफ इवेंट एसआईपी किस लिए बेटर होती है ये लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन के लिए बेटर होती है कि अगर आपको अपने फाइनेंशियल गोल अचीव करने हैं कि अपने रिटायरमेंट के लिए आप प्लानिंग कर रहे हैं या फिर एजुकेशन के लिए फंडिंग करना चाहते हैं या किसी मेजर लाइफ इवेंट के लिए कॉप्स फंड बिल्ड कर रहे हैं तो उसके लिए ये बेटर होती है फिर डायवर्सिफिकेशन वही होता है आपका आपका जो इन्वेस्टर का पैसा होता है वो अलग-अलग एसेट में अलग-अलग एरियाज में इन्वेस्ट करा जाता है लो मिनिमम इन्वेस्टमेंट तो मेनी म्यूचुअल फंड एंड ईटीएफ ऑफर एसआईपी विद लो मिनिमम इन्वेस्टमेंट रिक्वायरमेंट मेक इट एक्सेसिबल फॉर इन्वेस्टर विद वरिंग लेवल ऑफ फाइनेंशियल कैपेसिटी इसमें जो इन्वेस्टमेंट होती है वो बहुत ही लो लेवल से स्टार्ट हो जाती है कोई जरूरी नहीं है कि आपके पास जो बहुत ज्यादा अमाउंट हो तभी आप एसआईपी कर सकते हैं आप मिनिमम अमाउंट से भी स्टार्ट कर सकते हैं प्रोफेशनल मैनेजमेंट होता है तो म्यूचुअल फंड एंड ईटीएफ आर मैनेज बाय प्रोफेशनल फंड मैनेजर हु मेक इन्वेस्टमेंट डिसीजन ऑन बिहा ऑफ इन्वेस्टर लेवरेजिंग देयर एक्सपर्टीज एंड रिसर्च कैपेबिलिटी जो ये टीएफ होते हैं और जो एसआईपी होती हैं इन सभी को भी इनको भी जो म्यूचुअल फंड है उन्हीं की तरह प्रोफेशनल फंड मैनेजर ही मैनेज करते हैं इन्वेस्टर के बिहाव पर अपनी एक्सपर्टीज और रिसर्च कैपेबिलिटी के अकॉर्डिंग ठीक है ये था आपका कांसेप्ट फाइनेंशियल एसेट्स वगैरह का इन सारी चीजों का अब जो नेक्स्ट कांसेप्ट स्टार्ट हो रहा है यहां से आपका वो हो रहा है स्टार्ट कांसेप्ट ऑफ इंश्योरेंस तो इंश्योरेंस इज अ फाइनेंशियल मैकेनिज्म डिजाइंड टू प्रोवाइड प्रोटेक्शन अगेंस्ट द रिस्क ऑफ अनसर्टेन इवेंट्स इ इंश्योरेंस क्या होता है एक तरीके का प्रोटेक्शन होता है अनसर्टेन इवेंट के अगेंस्ट जो रिस्क होता है उस के लिए इट ऑपरेट ऑन प्रिंसिपल ऑफ रिस्क पूलिंग वेर इंडिविजुअल और एंटिटी फेसिंग सिमिलर रिस्क कंट्रीब्यूट प्रीमियम इनटू अ कलेक्टिव फंड ये क्या होता है एक तरीके से प्रिंसिपल ऑफ रिस्क पूलिंग के ऊपर काम करता है जो कि क्या कहता है कि जो इंडिविजुअल या एंटिटी जिनका रिस्क सिमिलर हो वो एक सिमिलर फंड में अपना प्रीमियम पे करके एक फंड क्रिएट कर सकती हैं दोज हु एक्सपीरियंस कवर्ड लॉस रिसीव कंपनसेशन फ्रॉम दिस फंड और फिर अगर इनमें से किसी इंडिविजुअल एंटिटी को कोई लॉस होता है तो फिर उसे इस फंड में से पैसा या सपोर्ट मिल जाएगी द कांसेप्ट ऑफ इंश्योरेंस इव सेवरल की एलिमेंट कुछ एलिमेंट होते हैं इंश्योरेंस के कांसेप्ट के सबसे पहले इं शोरे बल इंटरेस्ट तो द इंश्योर्ड मस्ट हैव लेजिटीमेट फाइनेंसियल इंटरेस्ट इन द सब्जेक्ट मैटर ऑफ द इंश्योरेंस जिस भी चीज का इंश्योरेंस करवाया जा रहा है उसके अंदर जो इंश्योर्ड है उसका एक इंटरेस्ट होना चाहिए फाइनेंशियल इंटरेस्ट की हां उसका पैसा इवॉल्व होना चाहिए उस सब्जेक्ट में सस इंशोर ट इंश्योरेंस इ नॉट यूज फॉर स्पेक्युलेटिव परपस य किसलिए बोला गया रेबल इंटरेस्ट ताकि जो आपका इंश्योरेंस का पैसा है इंश्योरेंस है उसको स्पेक्युलेटिव परपस के लिए यूज ना किया जा सके फिर आता है रिस्क ट्रांसफर तो इंश्योरेंस ट्रांसफर द रिस्क ऑफ पोटेंशियल लॉस फ्रॉम इंश्योर्ड इंडिविजुअल और एंटिटी टू इंश्योर इसके अंदर जो आपका रिस्क होता है वो इंश्योर्ड इंडिविजुअल के ऊपर से इंश्योर के ऊपर ट्रांसफर हो जाता है इन एक्सचेंज फॉर प्रीमियम द इंश्योर एग्री टू कंपनसेटर फॉर कवर्ड लॉस इसके अंदर क्या होता है जो इंश्योर्ड इंडिविजुअल होता है मतलब जो पर्सन इंश्योरेंस करवा रहा होता है वो प्रीमियम पे करता है और उसके बदले में अगर कभी उसे आगे चलकर कोई लॉस होता है तो जो इंश्योरेंस कंपनी होती है वो उसके लॉस को कवर करेगी फिर आता है प्रीमियम होती है तो इंश्योर्ड पार्टी पे प्रीमियम टू इंश्योर टिपिकली ऑन रेगुलर बेसिस मंथली एनुअली क्वार्टरली दिस प्रीमियम कंट्रीब्यूट टू पूल ऑफ फंड यूज टू पे क्लेम जो इंश्योर्ड पार्टी होती है मतलब जो इंश्योरेंस करवा रही होती है उसे एक प्रीमियम पे करनी होती है रेगुलर बेसिस पर चाहे वो मंथली करे क्वार्टरली करे या एनुअली करे अब किसलिए ये जो इंश्योरेंस है इसे मेंटेन करने के लिए फिर आता है पॉलिसी तो द इंश्योरेंस कांट्रैक्ट का पॉलिसी आउटलाइन द टर्म एंड कंडीशन ऑफ कवरेज इंक्लूडिंग द टाइप ऑफ रिस्क कवर द कवरेज लिमिट एंड एनी एक्सक्लूजन और कंडीशन पॉलि क्या होती है इंश्योरेंस पॉलिसी एक तरीके का डॉक्यूमेंट होती है जिसमें आपकी सारी टर्म्स एंड कंडीशन मेंटेन होती है कि क्या-क्या चीजें कवर करी गई है किस टाइप का रिस्क कवर करा गया है कितनी कवरेज लिमिट है और क्या-क्या एक्सक्लूजन है और क्या-क्या कंडीशन इंक्लूड करी गई है ठीक है फिर आता है अंडरराइटिंग तो इंश्योर असेस द रिस्क एसोसिएटेड विद इंश्योरिटी एंड डिटरमाइंड द एप्रोप्रियेट जो एसोसिएट होता है इंश्योरिटी के साथ उसे असेस करता है और उसके बेसिस पर प्रीमियम चार्ज करता है जो कि किस चीज पर डिपेंड करता है कि कितना लाइक हुड है लॉस का कि लॉस होने के कितने चांसेस हैं इंश्योर्ड प्रॉपर्टी की वैल्यू क्या है और कवरेज कितनी कवर करनी है नेक्स्ट आता है क्लेम प्रोसेस तो व्हेन अ कवर्ड लॉस ओकर द इंश्योर्ड पार्टी फाइल अ क्लेम विद इंश्योर जब अगर कोई लॉस इनकर हो जाता है तो जिस पर्सन ने इंश्योरेंस करवा रखा होता है वो इंश्योर कंपनी इंश्योर कंपनी के पास मतलब एक क्लेम फाइल करता है द इंश्योर देन इन्वेस्टिगेट द क्लेम टू डिटरमाइंड इट्स वैलिडिटी फिर जो इंश्योरेंस कंपनी होती है वो इस क्लेम को इन्वेस्टिगेट करती है उसकी वैलिडिटी जानने के लिए और अगर अप्रूव हो जाता है तो फिर उसे कंपनसेशन दे दिया जाता है पॉलिसी की टर्म्स एंड कंडीशंस के अकॉर्डिंग ठीक है ये इसके एलिमेंट होते हैं इंश्योरेंस के अब देखिए आगे नेक्स्ट टॉपिक आएगा प्रिंसिपल ऑफ इंश्योरेंस की जो इंश्योरेंस हैगा उसके अंदर कौन-कौन से प्रिंसिपल वर्क करते हैं तो सबसे पहले प्रिंसिपल ऑफ अट मोस्ट गुड फेथ तो द प्रिंसिपल रिक्वायर बोथ द इंश्योर्ड एंड इंश्योर टू एक्ट इन अट मोस्ट गुड फेथ एंड डिस्क्लोज ऑल रिलेवेंट इंफॉर्मेशन ऑनेस्टली एंड एक्युरेटली क्या बोला है जो दोनों पार्टी इंवॉल्व होती हैं इंश्योर और इंश्योर्ड दोनों को अट मोस्ट गुड फेज के अंदर काम करना है और जो भी इंफॉर्मेशन रिलेवेंट है इंश्योरेंस से रिलेटेड उसे ऑनेस्टली और एक्युरेटली बताना है द इंश्योर्ड मस्ट प्रोवाइड कंप्लीट एंड ट्रस्टफुल इंफॉर्मेशन अबाउट रिस्क बीइंग इंश्योर्ड एंड द इंश्योर मस्ट प्रोवाइड क्लियर एंड एक्यूरेट डिटेल अबाउट द टर्म एंड कंडीशन ऑफ पॉलिसी जो पर्सन इंश्योरेंस ले रहा है वो सारे रिस्क के बारे में बताएगा कि जिस चीज का इंश्योरेंस ले रहा है उसको किस चीज किस-किस चीज का रिस्क है और जो इंश्योरेंस दे रहा है वो सारी पॉलिसी के बारे में क्लियर बताएगा फिर आता है प्रिंसिपल ऑफ इंश्योर बल इंटरेस्ट तो इंश्योर बल इंटरेस्ट मींस द इंश्योर्ड मस्ट हैव फाइनेंशियल स्टेक इन द सब्जेक्ट मैटर ऑफ इंश्योरेंस पॉलिसी मतलब जो पर्सन इंश्योरेंस करवा रहा है जिस चीज का उसके अंदर उसका फाइनेंशियल इंटरेस्ट होना चाहिए मतलब उसकी उसका पैसा इवॉल्व होना चाहिए उस चीज में इन अदर वर्ड द इंश्योर्ड मस्ट सफर अ फाइनेंशियल लॉस इफ द इंश्योर्ड इवेंट ओकर इसका मतलब क्या है कि अगर जो इवेंट बताया जा रहा है जिस चीज का इंश्योरेंस करवाया जा रहा है उसके साथ कोई कुछ चीज होती है मतलब कोई इवेंट हो जाता है या कोई एक्सीडेंट होता है तो उससे जो पर्सन इंश्योरेंस करवा रहा है उसका नुकसान होना जरूरी है द प्रिंसिपल प्रिवेंट इंश्योरेंस फ्रॉम बीइंग यूज्ड फॉर स्पेक्युलेटिव पर्पस यह प्रिंसिपल किससे बचाता है इंश्योरेंस का स्पेक्युलेटिव पर्पस के लिए यूज़ होने से बचाता है फिर आता है प्रिंसिपल ऑफ इंडम निटी तो द प्रिंसिपल ऑफ इंडम निटी स्टेट दैट इंश्योरेंस इज मीन टू कंपनसेटर फॉर एक्चुअल फाइनेंशियल लॉस सफर्ड अप टू द अमाउंट ऑफ पॉलिसी कवरेज प्रिंसिपल ऑफ इनमिटी क्या कहता है कि जितना लॉस हुआ है उसके लिए कंपनसेटर है लेकिन विद इन द पॉलिसी लिमिट अमाउंट मतलब अगर 10000 का लॉस हुआ है लेकिन पॉलिसी 8000 त की है तो 8000 के लिए कंपनसेटर है लेकिन अगर 10000 का लॉस हुआ है 20000 की पॉलिसी है तो सिर्फ 00 के लिए ही कंपनसेटर है द ऑब्जेक्टिव इज टू रिस्टोर द इंश्योर टू द सेम फाइनेंशियल पोजीशन दे वाज बिफोर इन द लॉस ऑ कर्ड विदाउट एलोइंग फॉर गेन और प्रॉफिट मतलब इसके अंदर इंश्योरेंस से किसी पर्सन को गेन या प्रॉफिट नहीं होना चाहिए फिर है प्रिंसिपल ऑफ़ कंट्रीब्यूशन तो व्हेन द सेम रिस्क इज इंश्योर्ड विद मल्टीपल इंश्योर ईच इंश्योर शेयर द बर्डन ऑफ़ लॉस प्रोपोर्शनली अकॉर्डिंग टू अमाउंट ऑफ इंश्योरेंस दे प्रोवाइड प्रिंसिपल ऑफ कंट्रीब्यूशन क्या कहता है कि अगर एक ही चीज के लिए एक से ज्यादा इंश्योरेंस ले रखे हैं तो तो अगर लॉस होता है तो वो सारे इंश्योरेंस वाले मिलाकर आपको उसके लिए कंपनसेटर जितनी जितनी अमाउंट का आप लोगों ने आपने उनसे इंश्योरेंस ले रखा होगा उसके प्रोपोर्शन में दिस प्रिंसिपल इंश्योर दैट इंश्योर्ड डज नॉट प्रॉफिट फ्रॉम द लॉस एंड इवेंट प्रिवेंट ऑ ओवर इंश्योरेंस मतलब एक ज्यादा इंश्योरेंस लेने से कहीं उसे प्रॉफिट ना हो जाए इस चीज का ध्यान रखता है ये प्रिंसिपल फिर आता है प्रिंसिपल ऑफ सब्रो केशन सब्रो केशन अलाउ द इंश्योर आफ्टर सेटलिंग अ क्लेम विद द इंश्योर टू एज्यूम दैट इंश्योर्ड राइट एंड पसू लीगल एक्शन ए थर्ड पार्टी रिस्पांसिबल फॉर दी लॉस प्रिंसिपल ऑफ सब्रो केशन क्या कह कि अगर इंश्योर्ड को उसका इंश्योरेंस का क्लेम मिल गया है तो अब इंश्योरेंस पार्टी के पास मतलब जिसने इंश्योरेंस दिया है उसके पास राइट आ जाता है कि वो उस क्लेम को जिस पार्टी की वजह से लॉस हुआ है उससे क्लेम कर सकती है द ऑब्जेक्टिव इ टू रिकवर द अमाउंट ऑफ क्लेम पेमेंट फ्रॉम पार्टी एट फल्ट देर बाय रिड्यूजिंग द इंशोर लॉस यह प्रिंसिपल किसलिए हैगा ताकि जो जिस पार्टी ने की वजह से फल्ट हुआ है मतलब एक्सीडेंट वगैरह जो कुछ भी हुआ है उससे लॉस को कवर करा जा सके ये चीज ध्यान रखता है प्रिंसिपल ऑफ सब्र प्रिंसिपल ऑफ़ प्रॉक्सिमेट कॉज तो द प्रिंसिपल डिटरमाइंड व्हिच कॉज और इवेंट डायरेक्टली लीड टू लॉस और वेदर इट इज कवर्ड अंडर द इंश्योरेंस पॉलिसी प्रिंसिपल ऑफ प्रॉक्सीमेटली इंश्योरेंस के अंदर कवर करी गई है और किस चीज की वजह से डायरेक्टली इवेंट मतलब लॉस हो सकता है द इंश्योर ओनली कंपनसेटर लॉस कॉस्ट बाय बैरल और इवेंट कवर्ड इन पॉलिसी ये ध्यान रखता है कि सिर्फ इंश्योर उसी के लिए कंपनसेटर जो चीज पॉलिसी के अंदर कवर की गई है अगर उससे बाहर से कोई इवेंट होता है तो उसके लिए इंश्योर कंपनी का का मतलब इंश्योरेंस कंपनी का कोई लायबिलिटी नहीं होती है फिर आता है प्रिंसिपल ऑफ मिटिगेशन ऑफ लॉस तो द इंश्योर्ड एज अ ड्यूटी टू टेक रिस्पांसिबल स्टेप टू मिनिमाइज और मिटिगेट द एक्सटेंट ऑफ लॉस आफ्टर एन इंश्योर्ड इवेंट ओकर क्या बोला है जो इंश्योर्ड है मतलब जो पर्सन इंश्योरेंस करवाता है वो अगर कोई इवेंट हो जाता है जिसके लिए इंश्योरेंस करवाया है उसने तो वो ये ना करे कि हां मेरा तो इंश्योरेंस से हो जाने दो लॉस तो ध्यान रखें जितना कम से कम वो लॉस को कर सकता है उतना उसे स्टेप्स लेने हैं उस लॉस को रिड्यूस करने के फेलियर टू डू में सो में अफेक्ट द इंश्योर एबिलिटी टू कंपनसेटर द लॉस अगर ऐसा नहीं करता है वो फेल होता है मतलब वो स्टेप्स लेते ही नहीं है उसे कम करने के तो उसके लिए फिर उसे कंपनसेटर जाएगा तो ये सात प्रिंसिपल के ऊपर आपकी इंश्योरेंस की पॉलिसी वर्क करती है अब आपके टाइप्स ऑफ इंश्योरेंस आंगे लाइफ इंश्योरेंस के बारे में पढ़ना है लाइफ इंश्योरेंस इज अ कांट्रैक्ट बिटवीन एन इंडिविजुअल एंड द इंश्योरेंस कंपनी वेयर द इंश्योरेंस कंपनी एग्री टू पे अ डेजिग्नेट सम ऑफ मनी टू द डेजिग्नेट बेनिफिशियरी अपऑन द डेथ ऑफ इंश्योर्ड पर्सन यह क्या होता है एक इंडिविजुअल के बीच में और इंश्योरेंस कंपनी के बीच में एक एग्रीमेंट होता है कांट्रैक्ट होता है जिसके अंदर जो इंश्योरेंस कंपनी है वो किसी पर्सन के मरने के बाद उसके डेजिग्नेट बेनिफिशियरी को कंपनसेटर है पैसा देती है वो कहलाता है आपका लाइफ इंश्योरेंस द पॉलिसी होल्डर पे अ प्रीमियम टू इंश्योरेंस कंपनी आदर इन लसम और पकली टू मेंटेन द कवरेज इसके लिए जो पर्सन पॉलिसी होल्डर होता है वो या तो एक लसम अमाउंट में कोई प्रीमियम पे कर देता है या फिर पीकली जब तक वो जिंदा रहता है तब तक प्रीमियम पे करता रहता है और जब उसकी डेथ हो जाती है तो उसके बेनिफिशियरी को या लीगल हायर को उसका वो क्लेम मिल जाता है अब यह प्रिंसिपल किसस कौन-कौन से प्रिंसिपल लाइफ इंश्योरेंस के अंदर वर्क करते हैं तो जो हमने पढ़े हैं उसमें से अट मोस्ट गुड फेथ तो इसके अंदर क्या आता है ये सारे मैं आपको एक्सप्लेन पहले कर चुका हूं अब इनके रेफरेंस में डायरेक्टली जल्दी-जल्दी समझा करर चलूंगा ज्यादा एक्सप्लेन है दोबारा रीड करके टाइम वेस्ट हम नहीं करेंगे ठीक है अट मोस्ट गुड फेथ क्या कहता है कि जो इंश्योर्ड है और इंश्योर है वो सारी कंप्लीट और एक्यूरेट इंफॉर्मेशन प्रोवाइड करेंगे इंश्योर्ड की हेल्थ के बारे में लाइफ स्टाइल के बारे में और जितने भी फैक्टर हैं उसके बारे में जब वो इंश्योरेंस ले रहा होगा इंश्योर बल इंटरेस्ट का मतलब क्या है तो जो पॉलिसी होल्डर है उसका फाइनेंशियल इंटरेस्ट होना चाहिए इंश्योर्ड की लाइफ में फैमिली मेंबर हैविंग अ फाइनेंशियल डिपेंडेंसी मतलब तभी ये वर्क करता है जब जो बाकी फैमिली मेंबर रह जाएंगे डेथ के बाद वो उसी जिस पर्सन की डेथ हो गई है उसके ऊपर डिपेंड थे तो फिर इसका क्लेम मिलता है इनमिटी का प्रिंसिपल तो लाइफ इंश्योरेंस एम टू प्रोवाइड फाइनेंशियल कंपनसेशन टू मिटिगेट द इकोनॉमिक इंपैक्ट ऑफ इंश्योर डेथ ये किस लिए करा जाता करवाया जाता है इंश्योरेंस ताकि जो इकोनॉमिक इंपैक्ट हैगा इंश्योर्ड की डेथ मतलब जो पॉलिसी होल्डर है उसकी डेथ हो जाने से जो इकोनॉमिक इंपैक्ट पड़ता है उसकी फैमिली पर उसे कंपनसेटर के लिए मिटिगेट करने के लिए इंश्योरेंस करवाया जाता है कंट्रीब्यूशन तो अगर उसने एक से ज्यादा लाइफ इंश्योरेंस ले रखे हैं तो उसे का जो बेनिफिट है वह सभी में डिस्ट्रीब्यूटर जितने अमाउंट का उसने जहां से भी इंश्योरेंस ले रखा था वो सभी प्रोपोर्शन अमाउंट में उसे कंपनसेटर देंगे उसके लीगल आयर को फिर सब्रो केशन तो इन सर्टेन केस द इंश्योर में पस लीगल एक्शन अगेंस्ट थर्ड पार्टी रिस्पांसिबल फॉर इंशोर ट सच केस केस ऑफ एक्सीडेंटल डेथ सब्रो केशन का प्रिंसिपल क्या कहता है कि अगर जो इंश्योर्ड पर्सन है मतलब जो पॉलिसी होल्डर है उसकी डेथ किसी एक्सीडेंट की वजह से हो जाती है तो इंश्योरेंस कंपनी उसके को तो जो भी बेनिफिशियरी है या लीगल आयर है उसे कंपट कर देगी लेकिन फिर वो जो थर्ड पार्टी जिसकी वजह से डेथ हुई है उसके अगेंस्ट लीगल एक्शन लेने का राइट इंश्योरेंस कंपनी के पास आ जाता है प्रॉक्सीमेटली क्या बोला है डेथ का जो कवरेज है वो तभी दिया जाएगा क्लेम तभी दिया जाएगा जब जिस इवेंट की वजह से डेथ हुई है वो पॉलिसी के अंदर कवर हो रखा होगा तो ठीक है एडवांटेज क्या क्या होते हैं लाइफ इंश्योरेंस के तो फाइनेंशियल प्रोटेक्शन फॉर बेनिफिशियरी जो मरने के बाद जिस पर्सन की डेथ हो जाती उसके बाद जो उसके बेनिफिशियरी होते हैं उनके ऊपर कोई फाइनेंशियल इंपैक्ट ना आए इकोनॉमिक इंपैक्ट ना आए उसे कवर करने के लिए करवाया जाता है स्टेट प्लानिंग तो टूल फॉर स्टेट प्लानिंग टू इंश्योर दैट एसेट आर ट्रांसफर्ड स्मूथली ट टू हायर एंड टू कवर स्टेट टैक्सेस स्टेट प्लानिंग मतलब जो भी जिस पर्सन की डेथ हुई है उसके जो भी एसेट वगैरह है वो स्मूथली ट्रांसफर हो जाए उसके लीगल आयर को कोई परेशानी ना आए ये इसका एक एडवांटेज होता है इनकम रिप्लेसमेंट तो इट्स सर्व सोर्स ऑफ इनकम ऑफ प्लेसमेंट फॉर डिपेंडेंट ू रिलाई ऑन इंश्योर्ड अर्निंग जोडि बेनिफिशियरी जो कि इंश्योर्ड की अर्निंग पर डिपेंड होते थे अब उनको रिप्लेस कर दिया जाता है इससे कंपनसेटर के तो एक तरीके से कुछ टाइम तक उनका डेली की जो लाइफ होती है वो स्मूथली चलती रहती है फिर है टैक्स बेनिफिट मिलता है तो इसमें ये टैक्स फ्री होता है जो अमाउंट मिलती है किसी तरीके का टैक्स पे नहीं करना पड़ता है डिसएडवांटेज क्या होती है तो कॉस्ट तो डिपेंडिंग ऑन टाइप ऑफ पॉलिसी द इंश्योर्ड एज एंड हेल्थ लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम कैन बी एक्सपेंसिव जो प्रीमियम दी जाती है वो एक्सपेंसिव हो सकती है इसके अंदर फिर कॉम्प्लेक्शन पॉलिसी कैन बी कॉम्प्लेक्शन ऑप्शन एंड फीचर दैट मे ब बी डिफिकल्ट फॉर पॉलिसी होल्डर टू अंडरस्टैंड फुली ये कई बार बहुत ज्यादा कॉम्प्लेक्शन को समझना पॉलिसी होल्डर के लिए फिर लेप्स रिस्क तो इफ द पॉलिसी होल्डर फेल टू पे प्रीमियम द कवरेज में लेप्स रिजल्ट इन लॉस्ट ऑफ प्रोटेक्शन एंड पोटेंशियल फाइनेंशियल लॉस अगर पॉलिसी होल्डर प्रीमियम के अमाउंट पे नहीं कर पाता है तो उसका जो भी अमाउंट पे करी होती है वो सारी खत्म हो जाती है लैप्स हो जाती है और उसको फाइनेंशियल लॉस का खतरा हो जाता है फिर है कैश वैल्यू एक्यूमेन तो पॉलिसी विद कैश वैल्यू कंपोनेंट सच एज होल लाइफ इंश्योरेंस में हैव लोअर रिटर्न कंपेयर्ड टू अदर इन्वेस्टमेंट कुछ होते हैं इसमें जो कि रिटर्न बहुत ज्यादा कम देते हैं कंपेयर टू जितना आप उनमें प्रीमियम देते हैं फिर पोटेंशियल फॉर मिस सेलिंग तो लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट मे बी सोल्ड विद फीचर और बेनिफिट दैट आर नॉट सूटेबल फॉर पॉलिसी होल्डर नीड लीडिंग टू डिसेटिस्फेक्शन नीड के बिना भी कई बार ये इंश्योरेंस सेल कर दिए जाते हैं सर्फ जो इंश्योरेंस सेलर होते हैं वो अपना फायदा बनाने के लिए बिना जरूरत के भीन इंश्योरेंस को सेल कर देते हैं पॉलिसी होल्डर को तो इसका भी एक पोटेंशियल मिस सेलिंग का रिस्क होता है फिर आता है हमारा टर्म इंश्योरेंस क्या होते है तो टर्म इंश्योरेंस इ टाइप ऑफ लाइफ इंश्योरेंस दैट प्रोवाइड कवरेज फॉर स्पेसिफाइड इ नोन एज टर्म यह भी एक तरीके के लाइफ इंश्योरेंस ही होते हैं लेकिन एक डेफिनेट टर्म के लिए होते हैं कुछ एक टाइम पीरियड के लिए ये कवरेज प्रोवाइड करवाते हैं इफ इंश्योर डाइड ड्यूरिंग द टर्म ऑफ पॉलिसी डेथ बेनिफिट पेड आउट टू डेजिग्नेट बेनिफिशियरी और अगर उस टर्म पीरियड के अंदर इंश्योर्ड पर्सन की डेथ हो जाती है तो फिर उसके बेनिफिशियरी को उसका पैसा मिल जाता है टर्म इंश्योरेंस डिजाइन टू ऑफर फाइनेंशियल प्रोटेक्शन फॉर अ स्पेसिफिक ड्यूरेशन टिपिकली रेंजिन फ्रॉम 5 टू 30 ईयर ये 5 साल से लेकर 30 साल तक की टर्म के लिए होते हैं ठीक है पॉलिसी टू पॉलिसी डिपेंड करता है कि आप कौन सी पॉलिसी लेते हैं 5 साल से मिनिमम होता है और 30 ईयर तक के ये हो जाते हैं टाइप्स होते हैं इसमें लेवल प्रीमियम और लेवल टर्म पॉलिसी तो देश पॉलिसी प्रोवाइड कवरेज फॉर 10 टू 30 ईयर 30 से 10 से 30 साल तक के लिए ये कवरेज प्रोवाइड करवाते हैं प्रीमियम की जो अमाउंट होती है और डेथ बेनिफिट होती है वो फिक्स होता है मतलब पहले से पता होता है इस वाले टाइप के अंदर दूसरा आता है द यरली रिन्यूएबल टर्म पॉलिसी तो इसके अंदर क्या होता है आपको इसे ईयरली रिन्यू करवाना पड़ता है ये एक डेफिनेट टर्म के लिए होते हैं लेकिन इसे आपको ईयर टू ईयर रिन्यू करवाना पड़ता है फिर आता है द पॉलिसी ऑफ डिक्रीजिंग टर्म तो अंडर दिस स्कीम द डेथ बेनिफिट ऑफ़ दिस प्लान डिक्रीज एनुअली अकॉर्डिंग टू प्री डिटरमाइंड शेड्यूल द पॉलिसी होल्डर पे अ फिक्स्ड लेवल प्रीमियम थ्रू आउट द पॉलिसी ड्यूरेशन इसके अंदर क्या होता है जो डेथ का बेनिफिट होता है वो जैसे-जैसे एज बढ़ती जाती है वैसे-वैसे डेथ का बेनिफिट कम होता जाता है नेक्स्ट आता है हमारा एंडोमेंट पॉलिसी तो एंडोमेंट पॉलिसी इज अ टाइप ऑफ लाइफ इंश्योरेंस दैट प्रोवाइड बोथ डेथ बेनिफिट एंड सेविंग और इन्वेस्टमेंट कंपोनेंट एंडोमेंट पॉलिसी में क्या होता है आपको डेथ का बेनिफिट भी मिलता है और साथ में य आपकी एक तरीके की सेविंग और इन्वेस्टमेंट भी होती है इट कंबाइन द एलिमेंट ऑफ इंश्योरेंस प्रोटेक्शन विद सेविंग और इन्वेस्टमेंट फीचर ऑफि अ लम सम पे आउट आइर अपऑन द इंशोर डेथ और एट द एंड ऑफ स्पेसिफाइड टर्म इसका अंदर इसके अंदर क्या होता है एक स्पेसिफाइड टर्म के लिए होता है अगर उस टर्म पीरियड में जो इंश्योर्ड पर्सन है उसकी डेथ हो जाती है तो उसके डेथ का बेनिफिट उसके बेनिफिशियरी को मिल जाता है और अगर उस टर्म के अंदर डेथ नहीं होती है तो जब उसकी टर्म खत्म हो जाती है मैच्योरिटी आ जाती है तो एक लम समम अमाउंट उस इंश्योर्ड पर्सन पॉलिसी होल्डर को दे दिया जाता है मैच्योरिटी पीरियड के बाद ठीक है अब इसके टाइप होते हैं एंडोमेंट पॉलिसी के एक होता है फुल एंडोमेंट तो दिस प्लान ो कॉल्ड प्रॉफिट एंडोमेंट प्लान अंडर दिस प्लान द कस्टमर विल गेट अ सम एश्योर्ड ऑन मैच्योरिटी इफ एनी अनयूजुअल इवेंट ओकर ड्यूरिंग दिस टाइम द इंश्योरेंस विल पे द अमाउंट टू द नॉमिनी फुल एंडोमेंट वही हैगा सिंपल वाले जो होते हैं कि अगर कुछ इवेंट नहीं होता है मतलब डेथ नहीं होती है तो उसे मैच्योरिटी पर एक लं सम अमाउंट मिल जाएगा और अगर डेथ हो जाती है तो फिर उसका जो नॉमिनी होगा उसे वो अमाउंट दे दी जाती है यूनिट लिंकड एंडोमेंट प्लान होते हैं तो दिस प्लान इज सूटेबल फॉर पीपल हु आर रिस्क टेकर एंड वांट बिग रिटर्न ये किनके लिए होते हैं ऐसे पर्सन जो रिस्क टेकर है और जिन्हें रिटर्न भी ज्यादा चाहिए फिक्स टर्म प्लान प्रीमियम आर यूज टू बाय इन्वेस्टमेंट फंड यूनिट इसके अंदर फिक्स टर्म प्लान प्रीमियम पे करा जाता है इन्वेस्टमेंट यूनिटस ही खरीद ली जाती है ठीक है फिर होता है नॉन प्रॉफिट इंडोम तो दिस पॉलिसी पे लम समम एट मैच्योरिटी और टू योर नॉमिनी इन अ कैटास्ट्रोफिक इवेंट वेयर इवन वेवर व्हिच एवर कम फर्स्ट द कंपनसेशन अमाउंट इज फिक्ड एंड स्टेटिक दिस पॉलिसी डज नॉट ऑफर एनी बोनसेज इसके अंदर क्या होता है नॉन प्रॉफिट एंडोमेंट में सेम वही है बस इसके अंदर जो आपकी कंपनसेशन की अमाउंट होती है वो फिक्स होती है लो कॉस्ट इमेंट क्या होते है दिस प्लान डिमांड लोवर प्रीमियम विच अलाउ द पॉलिसी होल्डर टू सेव फॉर फ्यूचर पेमेंट द इंश्योरेंस गारंटी द पेमेंट ऑफ सम एशो टू यो नॉमिनी इन केस ऑफ एन इमरजेंसी इसके अंदर जो लो कॉस्ट नमेंट होते हैं इसके अंदर आपको कम प्रीमियम पे करनी पड़ती है और आपकी डेथ के बाद जो आपका नॉमिनी होता है उसे इमरजेंसी के केस में गारंटी दे दी जाती है कि हां हम इतना अमाउंट आपके डेथ के बाद उन्हें पे करेंगे ठीक है फिर आता है हेल्थ इंश्योरेंस तो हेल्थ इंश्योरेंस इज अ टाइप ऑफ इंश्योरेंस कवरेज दैट पे फॉर मेडिकल एंड सर्जिकल एक्सपेंस इनक बाय इंश्योर्ड जो पर्सन पॉलिसी होल्डर है अगर उसको कोई मेडिकल या सर्जिकल एक्सपेंस होता है तो उसे कवर करवा बने के लिए जो इंश्योरेंस लिया जाता है उसे कहा जाता है हेल्थ इंश्योरेंस इ इट वर्क बाय पुलिंग द रिस्क ऑफ हेल्थ केयर एक्सपेंस अमंग अ लार्ज ग्रुप ऑफ पीपल अलांग इंडिविजुअल टू पे प्रीमियम इन एक्सचेंज फॉर फाइनेंशियल प्रोटेक्शन अगेंस्ट अन एक्सपेक्टेड मेडिकल कॉस्ट ये किस लिए करा जाता है ताकि कोई अगर अनएक्सपेक्टेड इवेंट हो जाता है अनएक्सपेक्टेड मेडिकल कॉस्ट आ जाती है किसी इंडिविजुअल के पास तो फिर उसे वो कवर कर सके उसे उसका फाइनेंशियल इंपैक्ट ना आए मतलब किसी तरीके का कोई उसे एक तरीके से परेशानी ना हो जब उसे कोई इमरजेंसी आ जाए तो उस केस में यह हेल्थ इंश्योरेंस काम करता है जरूरत क्या होती है सबसे पहले ये फाइनेंशियल प्रोटेक्शन प्रोवाइड करवाता है मतलब कोई भी अगर अन एक्सपेक्टेड इवेंट हो जाता है हेल्थ से रिलेटेड कोई एक्सीडेंट हो गया कोई बीमारी का इलाज करवाना है तो उस टाइम पर ये वर्क करता है एक्सेस टू हेल्थ केयर हेल्थ इंश्योरेंस इंश्योर दैट इंडिविजुअल हैज एक्सेस टू नेसेसरी मेडिकल सर्विस इंक्लूडिंग प्रीवेंटिव केयर डायग्नोस्टिक ट्रीटमेंट एंड मेडिटेशन सारी तरीके की हेल्थ केयर इसमें कवर करी जाती है जो भी आपके कोई डायग्नोस्टिक से रिलेटेड टेस्ट है ट्रीटमेंट है कोई मेडिटेशन से रिलेटेड है कोई प्रीवेंटिव केयर है सारी इसमें कवर होती है प्रीवेंटिव केयर तो मेनी हेल्थ इंश्योरेंस प्लान कवर प्रीवेंटिव सर्वेस सच एज वैक्सीनेशन स्क्रीनिंग वेलनेस विद इट वही सारी चीजें है प्रिवेंट केयर को भी कवर करता है पीस ऑफ माइंड प्रोवाइड करवाता है क्योंकि जब इंडिविजुअल को पता है कि हां उसे किसी चीज का डर नहीं है अगर कोई अनएक्सपेक्टेड इवेंट होता है तो उसके लिए उसके पास हेल्थ इंश्योरेंस है उसे पता है तो फिर वो कोसी तरीके का स्ट्रेस नहीं लेगा एंजाइटी नहीं होगी और वो पीस ऑफ माइंड मतलब उसका दिमाग शांत रहेगा वो दूसरी चीजों पर फोकस कर पाएगा फिर है लीगल रिक्वायरमेंट तो कई सारी जगहों पर हेल्थ इंश्योरेंस एक लीगल रिक्वायरमेंट होता है आपको लीगल लीगली मतलब कंपलसरी होता है मैंडेटरी होता है हेल्थ इंश्योरेंस करवाना अगर आप कहीं किसी स्पेसिफिक प्लेस पर जॉब करते हैं किसी चीज में किसी और चीज में आपको मैंडेटरी कर दिया जाता है तो ये आपके इसकी जरूरत होती है बेनिफिट क्या होते हैं कवर करता है ये आपके सारे मेडिकल एक्सपेंसेस को सारी वही नॉर्मल लैंग्वेज लिखी है इसलिए मैं अब इसे जल्दी थोड़ा कवर करवा रहा हूं क्योंकि बहुत ज्यादा बड़ी यूनिट है आपकी बहुत ज्यादा लंबी वीडियो नहीं करना चाह रहा मैं इसलिए थोड़ा इसे फास्ट पेज में मैं करवा रहा हूं ठीक है फाइनेंशियल प्रोटेक्शन प्रोवाइड करवाता है कि अगर कोई अन एक्सपेक्टेड इवेंट हो जाए तो फाइनेंशियल इंपैक्ट ज्यादा ना पड़े इंडिविजुअल के ऊपर नेटवर्क ऑफ प्रोवाइडर क्या ये द सभी हॉस्पिटल के साथ जो इंश्योरेंस कंपनी होती है वो पहले से ही कांट्रैक्ट करके रखती है कि हम ऐसे ऐसे हेल्थ इंश्योरेंस प्रोवाइड करवाएंगे अगर हमारा कोई जो पॉलिसी होल्डर है वो आता है तो आपको उसका ट्रीटमेंट करना पड़ेगा उसका कंपनसेशन हम करेंगे ये सारे इनम पहले से ही होता है प्रीवेंटिव केयर की सर्विस के लिए होता है एक्सिस टू स्पेशलाइज केयर अगर कोई स्पेशल मेडिकल ट्रीटमेंट है वो भी कवर करता है और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी प्रोवाइड करवाता है इंडिविजुअल को ठीक है प्रोपर्टी इंश्योरेंस क्या होता है तो प्रॉपर्टी इंश्योरेंस इज अ टाइप ऑफ इंश्योरेंस कवरेज दैट प्रोवाइड फाइनेंशियल प्रोटेक्शन अगेंस्ट डैमेज और लॉस ऑफ फिजिकल प्र प्र जो आपकी फिजिकल प्रॉपर्टी होती है उसकी उसको कोई लॉस या डैमेज होने से जो कवरेज बचाती है जो इंश्योरेंस बचाता है उसे कहा जाता है प्रॉपर्टी इंश्योरेंस इट टिपिकली कवर अ वाइड रेंज ऑफ प्रॉपर्टी इसके अंदर हर तरीके की प्रॉपर्टी आ जाती है आपका होम बिल्डिंग कंटेंट व्हीकल्स और अदर एसेट प्रॉपर्टी इंश्योरेंस पॉलिसी हेल्प इंडिविजुअल एंड बिजनेस रिकवर फाइनेंशियलीईएक्सप्रेस हो सकता है चोरी का फायर का नेचुरल डिजास्टर का एक्सीडेंट का तो इन सारी चीजों से जो कवरेज बचाता है उसे कहा जाता है प्रॉपर्टी इंश्योरेंस अब कौन-कौन से प्रॉपर्टी इंश्योरेंस होते हैं एक होता है होम ओनर इंश्योरेंस मतलब जो घर के मालिक होते हैं उनकी प्रॉपर्टी का जो इंश्योरेंस होता है वो कहलाता है होम ओनर इंश्योरेंस रेंटल इंश्योरेंस होते हैं जो हमारे टेनेंट होते हैं उनकी प्रॉपर्टी का जो इंश्योरेंस होता है वो कहलाता है रेंटर इंश्योरेंस फायर इंश्योरेंस होता है जो आपकी प्रॉपर्टी को फायर से बचाता है कि फायर से अगर कोई नुकसान होगा तो कवरेज मिलेगा क्लेम मिलेगा तो वो होता है आपका फायर इंश्योरेंस कमर्शियल प्रॉपर्टी इंश्योरेंस में आ जाता है कि आपका जो बिजनेस है उसकी जो प्रॉपर्टी हैगी अगर उसको कोई नुकसान होता है तो उसके लिए जो कवरेज प्रोवाइड करवाता है वो कहलाता है आपका कमर्शियल प्रॉपर्टी इंश्योरेंस नेचुरल डिजास्टर इंश्योरेंस क्या होता है कि अगर आपकी प्रॉपर्टी को नेचुरल डिजास्टर की वजह से कोई नुकसान होता है तो उसके लिए जो क्लेम प्रोवाइड करवाएगा कवरेज देगा वो कहलाता है आपका नेचुरल डिजास्टर इंश्योरेंस ठीक है नेक्स्ट टाइप का आता है पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस तो पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस ऑफर वेरियस लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट विद अफोर्डेबल प्रीमियम एंड अट्रैक्टिव फीचर टू कार्टर टू द डावर्स नीड ऑफ पॉलिसी होल्डर ये पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस भी एक तरीके का इंश्योरेंस है जो कि कई सारे प्रोडक्ट इंश्योरेंस के कई सारे टाइप के इंश्योरेंस प्रोवाइड करवा है एट अफोर्डेबल प्रीमियम और अट्रैक्टिव फीचर्स के साथ इट एम टू प्रोवाइड फाइनेंशियल सिक्योरिटी एंड प्रोटेक्शन टू इंडिविजुअल एंड देयर फैमिली इन द इवेंट ऑफ दैट डिसेबिलिटी और रिटायरमेंट ये फाइनेंशियल सिक्योरिटी और प्रोटेक्शन प्रोवाइड करवाता है इंडिविजुअल्स को उनकी फैमिली को डेथ के केस में डिसेबिलिटी और रिटायरमेंट के केस में कैरेक्टरिस्टिक क्या होती है पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस की तो अफोर्डेबल प्रीमियम होती है इसके अंदर जो प्रीमियम होती है वो अफोर्डेबल होती है मतलब बहुत ज्यादा हाई प्रीमियम नहीं होती है सिंपल एंड ट्रांसपेरेंट होता है मतलब स्ट्रेट फॉरवर्ड और इजी टू अंडरस्टैंड इसकी टर्म्स एंड पॉलि होती है फ्लेक्सिबल कवरेज ऑप्शन होता है मतलब आप इसे अपने अकॉर्डिंग फ्लेक्सिबल कर सकते हैं जितने टाइम के लिए आप लेना चाहते हैं जो जो चीजें कवर करवाना चाहते हैं हाई क्लेम सेटलमेंट रेश होता है मतलब इसके अंदर जो आपका क्लेम सेटलमेंट होता है वो हाई होता है एक तरीके से बहुत जल्दी होता है और एक्यूरेट होता है किसी तरीके की इसमें मिक्स लीडिंग नहीं होती है फिर गवर्नमेंट बैकिंग ये इसको एक तरीके से गवर्नमेंट का सपोर्ट होता है इस टाइप के इंश्योरेंस को ये गवर्नमेंट इंश्योरेंस के अंदर आता है और बोनस एंड डिविडेंड जो इसके पॉलिसी होल्डर होते हैं उन्हें बोनस और डिविडेंड भी मिलता है ठीक है बेनिफिट क्या-क्या होते हैं फाइनेंशियल सिक्योरिटी प्रोवाइड करवाता है वही सारी चीजें कि लम समम अमाउंट में अमाउंट मिल जाती है फैमिली मेंबर को अगर कुछ हो जाता है इवेंट डेथ का बेनिफिट प्रोवाइड करवाता है टैक्स बेनिफिट होता है जो भी अमाउंट मिलती है उसके ऊपर टैक्स नहीं देना पड़ता है लोन की फैसिलिटी भी प्रोवाइड करवाता है कि इस जो ये पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस होते हैं इसको सरेंडर करके कोई पर्सन चाहे तो लोन ले सकता है सेविंग एंड इन्वेस्टमेंट का भी ऑप्शन होता है ये सिर्फ इंश्योरेंस ही नहीं होता सेविंग और इन्वेस्टमेंट भी होती है कि मैच्योरिटी के बाद अगर कोई इवेंट नहीं होता है तो आपको इतना पैसा मिल जाएगा और रूरल रीच होता है ये ज्यादातर कहां पर पॉपुलर होता है रूरल एरिया के लिए ये ज्यादा सूटेबल होता है ठीक है तो देखिए दोस्तों यहां पर हमारी यूनिट नंबर थ्री की भी वन शॉर्ट रिवीजन कंप्लीट हो जाती है अब लास्ट यूनिट बची हु है हमारे पास यूनिट नंबर फोर पर्सनल टैक्स सबसे पहले बेसिक टैक्स स्ट्रक्चर इन इंडिया के बारे में समझेंगे तो द सेंट्रल गवर्नमेंट एंड द स्टेट गवर्नमेंट हैज डिस्टिंक्ट फंक्शन अंडर इट्स टैक्स इंडिया टैक्स सिस्टम जो इंडिया का टैक्स सिस्टम है उसमें सेंट्रल गवर्नमेंट का अलग फंक्शंस है स्टेट गवर्नमेंट के अलग फंक्शंस है टैक्स इंपोज्ड बाय सेंट्रल गवर्नमेंट इंक्लूड इनकम टैक्स सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी सर्विस टैक्स कस्टम ड्यूटी जो सेंट्रल गवर्नमेंट टैक्स लगाती है वो उनमें कौन-कौन से टैक्स आ जाते हैं इनकम टैक्स जो होता है आपका सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी सर्विस टैक्स और कस्टम ड्यूटी यह सारे आपके सेंट्रल गवर्नमेंट के लगाए हुए टैक्स हैं वहीं स्टेट एक्साइज ड्यूटी वेट प्रोफेशनल टैक्स लैंड रेवेन्यू स्टम ड्यूटी एंड टैक्स ऑन एग्रीकल्चरल इनकम आर ओनली अ फ्यू टैक्स इंपोज्ड बाय स्टेट गवर्नमेंट और स्टेट गवर्नमेंट लगाती है जैसे कि स्टेट का एक्साइज ड्यूटी हो गई वेट हो गया प्रोफेशनल टैक्स हो गया लैंड रेवेन्यू स्टैप ड्यूटी टैक्स ऑन एग्रीकल्चरल इनकम ये सारे आपके स्टेट गवर्नमेंट के टैक्स हैं द म्युनिसिपल एंड लोकल गवर्नमेंट अमंग अदर लोकल एंसी आल्सो इंपोज सम स्मॉल लेविज उसके अलावा जो लोकल गवर्नमेंट होती है म्युनिसिपालिटीज होती हैं वो भी कुछ टैक्स लगाती हैं जिन्हें हम स्मॉल लेवस के नाम से जानते हैं अब टैक्स जो होते हैं वो आपके दो तरीके के होते हैं एक होता है डायरेक्ट टैक्स एक होता है इनडायरेक्ट टैक्स तो डायरेक्ट टैक्स आर दोज टैक्स दज आर इंपोज डायरेक्टली ऑन द इंडिविजुअल और एंटिटी बाय गवर्नमेंट एंड कैन नॉट बी ट्रांसफर्ड टू अनदर इंडिविजुअल और एंटिटी ऐसे टैक्स जो कि गवर्नमेंट या गवर्नमेंट जो है वो इंडिविजुअल या एंटिटी के ऊपर डायरेक्टली लगाती है उनकी इनकम पर इन टैक्स को आप किसी और पर्सन को ट्रांसफर नहीं कर सकते वो कहलाते हैं आपके डायरेक्ट टैक्स इन इंडिया डायरेक्ट टैक्स प्राइमरी कंसिस्ट ऑफ डायरेक्ट टैक्स कौन-कौन से होते हैं जो आपका इनकम के ऊपर टैक्स हो गया कॉर्पोरेट टैक्स हो गया कैपिटल गेन का टैक्स हो गया सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन का टैक्स हो गया डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स हो गया वेल्थ टैक्स हो गया गिफ्ट टैक्स हो गया ये सारे आपके डायरेक्ट टैक्स के एग्जांपल होते हैं जो आपको ही पे करने होते हैं इनडायरेक्ट टैक्स आर लेबड ऑन द प्रोडक्शन सेल और कंजप्शन ऑफ गुड्स एंड सर्विसेस एंड दे आर अल्टीमेटली पास्ट टू ऑन कंज्यूमर एज अ पार्ट ऑफ परचेज इनडायरेक्ट टैक्स क्या होते हैं ऐसे टैक्स जो गुड्स और सर्विसेस के प्रोडक्शन सेल और कंसंट के ऊपर लगाए जाए और जिन टैक्सेस को आप कंज्यूमर के ऊपर पास कर सकते हो वो कहलाते हैं आपके इनडायरेक्ट टैक्स इन इंडिया इनडायरेक्ट टैक्स प्राइमर इंक्लूड कस्टम ड्यूटी एक्साइज ड्यूटी ऑक्ट्री टैक्स एक्सट्रा तो इंडिया के अंदर जो इनडायरेक्ट टैक्सिंग है उसके कुछ एग्जांपल दिए हैं जो आपका कस्टम ड्यूटी होती है एक्साइज ड्यूटी होती है ऑक्ट्रो टैक्स होता है यह सारे आपके इनडायरेक्ट टैक्सेस के एग्जांपल होते हैं नेक्स्ट आता है एस्पेक्ट्स ऑफ पर्सनल टैक्स प्लानिंग पर्सनल टैक्स प्लानिंग क्या होती है और यह क्यों जरूरी है तो टैक्स प्लानिंग क्या होती है टैक्स प्लानिंग इवॉल्व मेकिंग स्ट्रेटेजिक डिसीजन एंड टेकिंग एक्शन टू मिनिमाइज टैक्स लायबिलिटी विद इन लीगल फ्रेमवर्क लीगल फ्रेमवर्क के अंदर रहकर अपनी टैक्स लायबिलिटी को कम करना ऐसी स्ट्रेटेजी का यूज करना कि आपकी टैक्स लायबिलिटी कम से कम आए वो चीज कहलाती है आपकी टैक्स प्लानिंग अब टैक्स प्लानिंग किस लिए जरूरी है तो सबसे पहले तो मिनिमाइज टैक्स लायबिलिटी तो द प्राइमरी गोल ऑफ टैक्स प्लानिंग इज लीगली मिनिमाइज द अमाउंट ऑफ टैक्स ओन जो आपको टैक्स पे करना है उसकी अमाउंट को मिनिमाइज कर देना मिनिमम अमाउंट सबसे कम अमाउंट आपको पे करनी पड़े ऐसी स्ट्रेटेजी का यूज़ करके लीगल फ्रेमवर्क के अंदर रहकर स्ट्रेटेजी का यूज़ करना वो चीज कहलाती है आपकी टैक्स प्लानिंग मिनिमाइज टैक्स लायबिलिटी बाय स्ट्रेटजिकली यूटिलाइजिंग डिडक्शन एसेंशन क्रेडिट एंड अदर सेविंग अपॉर्चुनिटी इंडिविजुअल बिजनेस कैन रिड्यूस इट टैक्स बर्डन एंड रिटेन मोर ऑफ देयर इनकम और प्रॉफिट अब क्या-क्या स्ट्रेटेजी यूज़ कर सकते हैं तो कई सारी तरीके की डिडक्शंस होती हैं एग्मन होती हैं क्रेडिट्स होते हैं और कई सारी टैक्स सेविंग अपॉर्चुनिटी होती हैं जिनका यूज़ करके एक इंडिविजुअल और बिजनेस अपनी टैक्स बर्डन को कम कर सकता है उसके बाद दूसरा किस लिए जरूरी है तो ऑप्टिमाइज फाइनेंशियल रिसोर्स तो बाय रिड्यूजिंग टैक्स लायबिलिटी इंडिविजुअल एंड बिजनेस कैन फ्री ऑफ फाइनेंशियल रिसोर्स दैट आर रीडायरेक्टेड टुवर्ड्स सेविंग इन्वेस्टमेंट बिजनेस एक्सपेंशन और अदर प्रोडक्टिव पर्पस अब जब बिजनेस या इंडिविजुअल अपनी टैक्स लायबिलिटी को कम कर देगा तो उसके पास सेविंग्स मतलब इन्वेस्टमेंट के लिए पैसा ज्यादा बच जाएगा अब वो उस पैसे को इन्वेस्टमेंट में लगा सकता है बिजनेस एक्सपेंशन में लगा सकता है और दूसरे प्रोडक्टिव परपस में लगा सकता है दिस हेल्प इन अचीविया गोल एंड इंप्रूविंग ओवरऑल परफॉर्मेंस वेल बंग तो इससे क्या होगा आपका लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल गोल अचीव होगा और जो आपकी ओवरऑल परफॉर्मेंस आएगी फाइनेंशियल वेल बीइंग की वो इंप्रूव हो जाएगी ठीक है नेक्स्ट आता है इंक्रीज कैश फ्लो तो इफेक्टिव टस टैक्स प्लानिंग कैन रिजल्ट इन इंक्रीजड कैश फ्लो बाय लोंग टैक्स पेमेंट अगर टैक्स प्लानिंग अच्छी होगी तो आपको टैक्स कम पे करना पड़ेगा और आपके पास कैश फ्लो ज्यादा बच जाएगा दिस एक्स्ट्रा कैश कैन बी यूटिलाइज्ड फॉर इमीडिएट नीड सच एज पेइंग ऑफ डेट और कवरिंग एक्सपेंसेस और इन्वेस्टेड फॉर फ्यूचर ग्रोथ तो जो ये कैश बच गया आपके पास उसे आप इमीडिएट नीड्स को पूरा करने के लिए यूज़ कर सकते हो डेट को पे करने के लिए यूज कर सकते हो एक्सपेंसेस को कवर करने के लिए कर सकते हो और फ्यूचर के अंदर इन्वेस्ट करने के लिए टैक्स का कैश का यूज कर सकते हो आप नेक्स्ट आता है इनकरेज इकोनॉमिक ग्रोथ तो टैक्स इंसेंटिव एंड डिडक्शन प्रोवाइडेड बाय गवर्नमेंट आर ऑफें डिजाइंड टू प्रमोट स्पेसिफिक इकोनॉमिक एक्टिविटीज सच एज इन्वेस्टमेंट इन इंफ्रास्ट्रक्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट और स्मॉल बिजनेस गवर्नमेंट कई सारे तरीके के टैक्स इंसेंटिव प्रोवाइड करवाती है डिडक्शन प्रोवाइड करवाती है तो वो इस तरी किसलिए पर करवाती है कि आप जो इकोनॉमिक एक्टिविटी है स्पेसिफिक इकोनॉमिक एक्टिविटी जैसे कि इंफ्रास्ट्रक्चर में इन्वेस्ट इस्ट करना रिसर्च एंड डेवलपमेंट में इन्वेस्ट करना स्मॉल बिजनेसेस में इन्वेस्ट करना इसलिए प्रोवाइड करवाती है टैक्स प्लानिंग अलाउ इंडिविजुअल एंड बिजनेस टू टेक एडवांटेज ऑफ दिस इंसेंटिव देयर बाय कंट्रीब्यूटिंग टू इकोनॉमिक ग्रोथ एंड डेवलपमेंट तो टैक्स प्लानिंग की मदद से आप सारे इन इंसेंटिव और ए इंसेंटिव्स का एडवांटेज ले सकते हैं और जो आप बचाएंगे पैसा उसका कंट्रीब्यूशन इकोनॉमी की ग्रोथ और डेवलपमेंट में कर सकते हैं फिर आता है इंश्योर कंप्लायंस तो टैक्स प्लानिंग इवॉल्व अंडरस्टैंडिंग एंड कंप्लाइंग विद टैक्स लॉ एंड रेगुलेशन टैक्स प्लानिंग के अंदर आपको क्या चीज ध्यान रखनी पड़ती है कि आप जो भी टैक्स प्लानिंग कर रहे हैं वो टैक्स के लॉ और रेगुलेशन को ध्यान में रखकर करें बाय इंगेजिंग इन टैक्स प्लानिंग इंडिविजुअल एंड बिजनेस कैन इंश्योर दे मीट देयर टैक्स ऑब्लिगेशन वाइल आल्सो टेकिंग एडवांटेज ऑफ टैक्स अवेलेबल टैक्स सेविंग अपॉर्चुनिटी जब कोई पर्सन टैक्स प्लानिंग करता है कोई इंडिविजुअल या बिजनेस तो वो ये ध्यान में रखें कि वो अपनी टैक्स ऑब्लिगेशन को फुलफिल करें जो उसको एडवांटेज मिलना है वो एडवांटेज मिल जाए बाकी जो उसकी एक्चुअल ऑब्लिगेशन है वो उसे पे करनी है दिस हेल्प इन अवॉइडिंग पेनल्टी फाइन और लीगल कंसीक्वेंसेस एसोसिएटेड विद नॉन कंप्लायंस तो इससे क्या होता है आपको किसी तरीके की पेनल्टी फाइन या लीगल कंसीक्वेंसेस फेस नहीं करने पड़ते हैं फिर आता है मैनेज रिस्क तो टैक्स प्लानिंग आल्सो इवॉल्व असेसिनो सिएट विद वेरियस फाइनेंशियल डिसीजन और ट्रांजैक्शन टैक्स प्लानिंग से आपके जो भी रिस्क होते हैं फाइनेंशियल डिसीजन या ट्रांजैक्शन से रिलेटेड वो रिस्क को आप असेस कर पाते हैं और उन्हें मैनेज कर पाते हैं बाय प्रोएक्टिवली एड्रेस पोटेंशियल टैक्स इंप्लीकेशन इंडिविजुअल एंड बिजनेस कैन मिटिगेट रिस्क एंड मेक इफॉर्म डिसीजन दैट मिनिमाइज टैक्स रिलेटेड अनसर्टेनटीज तो इन टैक्स इंप्लीकेशंस को पोटेंशियली एड्रेस करके इंडिविजुअल और बिजनेस क्या कर सकते हैं अपने रिस्क को मिटिगेट कर सकते हैं और इनफॉर्म डिसीजन बना सकते हैं टैक्स रिलेटेड अनसर्टेनटीज को मिनिमाइज करके ठीक है तो यह आपका हो गया कि टैक्स प्लानिंग क्यों जरूरी है अब हमने देखा कई सारी एमपन होती है डिडक्शन होती है तो उनके बारे में पढ़ना है तो अब नेक्स्ट हैगा एमपन क्या होती है तो एमपन इन कंटेस्ट ऑफ टैक्सेशन रेफर्स टू प्रोविजन इन टैक्स लॉ दैट अलाउ इंडिविजुअल बिजनेस और सर्टेन एंटिटी टू एक्सक्लूड और रिड्यूस पोर्शन ऑफ देयर इनकम प्रॉफिट और एसेट फ्रॉम टैक्सेशन एक्सेप्शन सेशन के अंदर एग्मन का मतलब होता है ये एक तरीके की प्रोविजन होती है टैक्स लॉज के अंदर जो कि इंडिविजुअल बिजनेस और एंटिटीज को अलाउ करती हैं कि वो अपनी इनकम प्रॉफिट और एसेट का कुछ पोर्शन टैक्स में से रिड्यूस कर सकती हैं जो उन्हें लीगली अलाउड होता है वो चीज कहलाती है आपकी एग्मन एग्मन आर टिपिकली प्रोवाइडेड बाय गवर्नमेंट एज इंसेंटिव टू प्रमोट स्पेसिफिक इकोनॉमिक एक्टिविटी सोशल ऑब्जेक्टिव और पब्लिक वेलफेयर जो ये एग्मन है ये गवर्नमेंट के द्वारा प्रोवाइड करवाई जाती है कुछ स्पेसिफिक इकोनॉमी एक्टिविटीज को प्रमोट करने के लिए सोशल ऑब्जेक्टिव को प्रमोट करने के लिए और पब्लिक वेलफेयर के लिए ये एग्मन प्रोवाइड करवाई जाती हैं अब जो सैलरीड एंप्लॉई होते हैं उनके लिए क्या-क्या एग्मन होती हैं ये आपके सिलेबस में दी गई है तो सबसे पहली एग्मन आती है हाउस रेंट अलायंस जिसे आप एचआरए बोलते हैं इंडिविजुअल हु लिव इन रेंटेड हाउस अपार्टमेंट कैन क्लेम एचआरए टू लोअर टैक्स आउटग्रो जो इंडिविजुअल रेंटेड हाउस में या अपार्टमेंट में रहते हैं उन्हें ये एमपन मिलती है एचआरए कैन बी होली और पार्शियली एमटे फ्रॉम टैक्स एचआरए इज अ टैक्स बेनिफिट प्रोवाइडेड टू एंप्लॉई ऑक्यूपाइड मेंट और स्टेट्यूटरी ऑफिस हुज इनकम डज नॉट एक्सीड द प्रिसक्राइब लिमिट ऐसे एंप्लॉई जो कि गवर्मेंट ऑफिसेज में काम करते हैं जिनकी इनकम एक प्रिसक्राइब्ड लिमिट हैग उससे ज्यादा नहीं होती है तो उन्हें यह एमपन मिल जाती है अब कैसे आप एचआरए एमपन क्लेम कर सकते हैं तो जो यह मिलती है वो इन सब में से जो भी लोवर होता है उतने अमाउंट की आपको एमपन मिलती है सबसे पहले रेंट पेड माइनस 10 पर ऑफ बेसिक सैलरी प्लस डीए मतलब जो भी आप रेंट पे करते हैं उसमें से आप अपनी 10 पर ऑफ बेसिक सैलरी और 10 पर ऑफ डीए को माइनस कर दें जो अमाउंट आएगी वो आ जाएगी दूसरी होती है टोटल एचआरए रिसीवड कितना आपको एचआरए मिला है एंप्लॉयर से वो आएगा थ बेगा 40 पर ऑफ सैलरी फॉर नॉन मेट्रो और 50 पर ऑफ वेज फॉर मेट्रो सिटी 40 पर नॉन मेट्रो सिटीज में और 50 पर मेट्रो सिटीज में वो अमाउंट आ जाएगी यहां फिर एक्चुअल रेंट शुड बी लेस दन 10 पर ऑफ पर्सनल बेसिक सैलरी और डीए एक्चुअल रेंट में से आप लेस कर दे 10 पर ऑफ बेसिक सैलरी और डीए वो अमाउंट आ जाएगी और लीव ट्रेवल अलायंस वो आ जाएगी अब इन पांचों में से जो भी अमाउंट आपकी सबसे कम होगी उतनी एमपन आपको एचआरए की मिल जाती है ठीक है दूसरी मिलती है आपको लीव ट्रेवल एग्मन तो एलटीए कवर डोमेस्टिक ट्रेवल ओनली आप जो भी ट्रेवल करते हैं डोमेस्टिक ट्रेवल उसके लिए आपको ये लीव ट्रेवल एमपन मिलती है द मोड ऑफ ट्रेवल शुड बी रेलवे एयरवे और पब्लिक ट्रांसपोर्ट इन तीन में से आपने ट्रेवल करा होना चाहिए एंड एक्चुअल जर्नी इ मस्ट बी क्लेम द एग्मन एक्चुअल जर्नी होनी चाहिए तभी आप ये एमपन क्लेम कर सकते हैं द एग्मन फॉर ट्रेवल इज अलाउड फॉर एंप्लॉई अलोन और विद हिज इमीडिएट फैमिली ओनली जो ये एमपन होती है वो इंडिविजुअल जो एंप्लॉई होता है उसको और उसके फैमिली मेंबर्स को तरफ मिलती है थर्ड होती है आपकी स्टैंडर्ड डिडक्शन तो एन एंप्लॉई कैन क्लेम 0000 डिडक्शन फ्रॉम टोटल इनकम इंस्टेड ऑफ स्टेट द बाफर केशन बिटवीन ट्रेवल एंड हेल्थ एज डन प्रीवियसली और तीसरे तरीके की एमपन क्या मिलती है आपकी जो भी इनकम निकल के आती है उसमें से आपको डायरेक्ट फ्लैट 50 पर का डिडक्शन मिलता है जो भी सैलरीड एंप्लॉई होता है तो ये भी आपकी एक एमपन हो जाती है ठीक है ये तीन तरीके की एमपन के बारे में पढ़ना है इन चीजों के बारे में आपको ज्यादा नहीं पढ़ना है क्योंकि आगे सेमेस्टर में आपका टैक्स का सब्जेक्ट आएगा तब आपको पढ़ाया जाएगा यह सिर्फ एक ओवरव्यू लेना है आपको ज्यादा डिटेल में जाने की जरूरत नहीं है ठीक है नेक्स्ट आता है आपका डिडक्शंस तो डिडक्शंस इन कंटक्ट ऑफ टैक्सेशन रेफर्स टू स्पेसिफिक एक्सपेंस कंट्रीब्यूशन और अलायंस दैट टैक्स पेयर कैन सबकट फ्रॉम देयर ग्रोस इनकम टू अराइव एट देयर टैक्सेबल इनकम डिडक्शंस क्या होते हैं ऐसे एक्सपेंस कंट्रीब्यूशन या फिर अलायंस जो कि अलाउ किए जाते हैं जो कि टैक्स जो टैक्स पेयर होता है वो अपनी ग्रोस टोटल इनकम में से माइनस कर सकता है टैक्सेबल इनकम निकालने के लिए वो कहलाते हैं आपके डिडक्शन डिडक्शन हेल्प रिड्यूस द अमाउंट ऑफ इनकम सब्जेक्ट टू टैक्सेशन देयर बाय लोंग द ओवरऑल टैक्स लायबिलिटी ये क्या करता है जो इनकम की अमाउंट होती है टैक्सेशन के अंदर उसे रिड्यूस कर देता है जिससे आपकी ओवरऑल टैक्स लायबिलिटी भी रिड्यूस हो जाती है ठीक है अब पहला डिडक्शन आता है आपका सेक्शन 80c का डिडक्शन इसमें सेक्शन भी आपको याद दिए गए हैं सेक्शन 80c प्रोवाइड फॉर डिडक्शन फ्रॉम ग्रोस टोटल इनकम ऑफ सेविंग इन स्पेसिफाइड मोड ऑफ इन्वेस्टमेंट जब आप कुछ स्पेसिफाइड जगह बताई है जहां पर आप इन्वेस्टमेंट करते हैं तो आपको आपकी ग्रोस टोटल इनकम में से उनका डिडक्शन मिल जाता है द डिडक्शन अंडर एटीसी इज अवेलेबल ओनली टू इंडिविजुअल और एचयूएफ किससे मिलता है सिर्फ एक इंडिविजुअल और एचयूएफ हिंदू अन डिवाइडेड फैमिली होती है उन्हें ये डिडक्शन मिलता है मैक्सिमम डिडक्शन जो आप एटीसी के अंदर क्लेम कर सकते हैं वो ₹ लाख तक का कर सकते हैं इससे ज्यादा का डिडक्शन है तो फिर वो आपको टैक्सेबल हो जाता है नेक्स्ट होएगा आपका डिडक्शन इन रिस्पेक्ट ऑफ कंट्रीब्यूशन टू सर्टेन पेंशन फंड 80c का डिडक्शन तो एलिजिबल एसी कौन होता है एसी मतलब किस इंडिविजुअल को ये डिडक्शन मिलेगा तो एन इंडिविजुअल एसी हु पेड और डिपोजिट एनी अमाउंट फ्रॉम हिज इनकम दैट सब्जेक्ट टू टैक्स इन प्रायर यर टू स्टेबलाइज और मेंटेन कांट्रैक्ट फॉर एनटी प्लान ऑफ एलआईसी ऑफ इंडिया और अनदर इंश्योर इन ऑर्डर टू रिसीव पेंशन पेमेंट फ्रॉम फंड स्टेबलाइज बाय एलआईसी और अदर इंश्योर इज एलिजिबल टू डिडक्ट दैट अमाउंट फ्रॉम इट्स ग्रोस टोटल इनकम ऐसा इंडिविजुअल जिसने पहले अपनी सैलरी या इनकम में से कोई भी अमाउंट एलआईसी वालों के पास जमा करा है कंट्रीब्यूट करा है एज अ फॉर किस लिए पेमेंट के पेंशन पेमेंट के लिए फ्यूचर में तो वो उस अमाउंट का डिडक्शन उसे मिल जाता है सेक्शन 80 सी सीडी का डिडक्शन है ये तो 8 सीसीडीडी एम टू इनकरेज द हैबिट ऑफ सेविंग अमंग इंडिविजुअल प्रोवाइड देम एन इंसेंटिव फॉर इन्वेस्टिंग इन पेंशन इ स्कीम विच आर नोटिफाइड बाय सेंट्रल गवर्नमेंट जो ए सीसीडी का डिडक्शन है वो किस लिए दिया जाता है ताकि जो ल है उनके अंदर सेविंग की हैबिट बढ़े उसके लिए उन्हें इंसेंटिव दिया जाता है कि अ अगर व सेंट्रल गवर्नमेंट की पेंशन स्कीम में कोई अमाउंट कंट्रीब्यूट करते हैं तो उन्हें उसका डिडक्शन मिल जाता है कंट्रीब्यूशन मेड बाय एन इंडिविजुअल और हिजर एंप्लॉयर बोथ आर एलिजिबल फॉर डिडक्शन सब्जेक्ट टू डिडक्शन बीइंग लेस दन 10 पर ऑफ सैलरी ऑफ पर्सन यह डिडक्शन किस-किस पर मिलता है इंडिविजुअल कंट्रीब्यूट करता है तो या फिर इंडिविजुअल के बिहाव पर उसका एंप्लॉयर जमा कर देता है तो लेकिन कितने का डिडक्शन मिलता है जो एक्चुअल अमाउंट का कंट्रीब्यूशन करा गया है उसमें से 10 पर ऑफ बेसिक सैलरी को रिड्यूस य करेंगे उसके बाद ये डिडक्शन मिलता है फिर आता है सेक्शन 80 सीसीडी व का डिडक्शन तो ऑल इंडिविजुअल हु हैव सब्सक्राइब टू नेशनल पेंशन स्कीम विल एलिजिबल टू क्लेम बेनिफिट अंडर सेक्शन 80 सीसीडी अप टू अ लिमिट ऑफ 5 लाख इन एडिशन टू डेट इंक्लूसिव एक्सक्लूसिव टैक् डिडक्शन फॉर इन्वेस्टमेंट अप टू 8 50000 इन एनपीएस एसीसीडी व का डायरेक्शन क्या होता है जो भी 8 इंडिविजुअल होते हैं जो एनपीएस के अंदर कंट्रीब्यूशन करते हैं उन्हें डिडक्शन मिल जाता है 5 लाख तक का 5 लाख के अलावा उन्हें 50000 का और डिडक्शन मिल है एनपीएस में कंट्रीब्यूशन का ठीक है फिर आता है आपका सेक्शन 80d का डिडक्शन तो सेक्शन 80d ऑफ इनकम टैक्स एक्ट 1961 ऑफर डिडक्शन फॉर मनी स्पेंट ऑन हेल्थ इंश्योरेंस एंड मेंटे निंग योर हेल्थ एंड इज सिग्निफिकेंट फॉर योर टैक्स प्लानिंग एंड पर्सनल फाइनेंस आप अपने ऊपर हेल्थ इंश्योरेंस पर या हेल्थ को मेंटेन करने पर जो भी खर्चा करते हैं उसका डिडक्शन मिलता है सेक्शन 80d के अंदर फिर आता है डिडक्शन इन रिस्पेक्ट ऑफ मेंटेनेंस ऑफ इंक्लूडिंग मेडिकल ट्रीटमेंट ऑफ डिपेंडेंट डिसेबल सेक्शन 80 डडी सो इट इज टू बी नोटे दैट डिडक्शन अंडर सेक्शन 8डी कैन ओनली बी क्लेम बाय फैमिली ऑफ डिसेबल्ड पर्सन एंड नॉट पर्सन हिमसेल्फ इन केस ऑफ डिसेबल्ड पर्सन हैज ऑलरेडी क्लेम डिडक्शन अंडर सेक्शन 8 डीडी विल नॉट बी एप्लीकेबल टू फैमिली मेंबर द डिडक्शन परमिटेड अंडर सेक्शन 80 डीडीज अप टू 75000 इन केस ऑफ़ डिसेबिलिटी अप टू 40 पर द एनुअल लिमिट अवेलिंग डिडक्शन इज 125000 पर ईयर टेकिंग केयर ऑफ डिसेबल्ड पर्सन विद डिसेबिलिटी अप टू 80 पर और मोर 80 डीडी के अंदर कैसे डिडक्शन मिलता है डिपेंडेंट डिसेबल्ड मतलब कोई आपके फैमिली का मेंबर डिसेबल है और आपके ऊपर डिपेंडेंट है तो उसके ऊपर आप जो भी खर्चा करते हैं उसका आपको डिडक्शन मिलता है फ्लैट अगर जो डिसेबिलिटी है वह 40 पर तक की है डिसेबिलिटी तो आपको ₹ 75000 का फ्लैट डिडक्शन मिलता है और अगर डिसेबिलिटी % या 80 पर से ज्यादा की है तो आपको ₹1 25000 का डिडक्शन मिलता है इसके अंदर फिर आता है सेक्शन 80 डीडी बी का डिडक्शन तो इफ एन एसी इनकर एक्सपेंस ऑन मेडिकल ट्रीटमेंट ऑफ स्पेसिफाइड डिसीज और एलिमेंट ऑफ ₹ 60000 देन ही कैन क्लेम डिडक्शन ऑफ़ 40000 अंडर सेक्शन 80 डीडीबी अगर कोई भी एसएससी मेडिकल ट्रीटमेंट पर खर्चा करता है किसी स्पेसिफाइड डिसीज से रिलेटेड 0000 तक का तो उसे 40000 का डिडक्शन मिल जाता है इफ द एससी हैज रिसीवड एनी अमाउंट 30000 फ्रॉम इंश्योरेंस कंपनी अगेंस्ट एक्सपेंस देन अमाउंट ऑफ डिडक्शन क्लेम अंडर सेक्शन 80d इ रिड्यूस बाय सच अमाउंट और अगर इस 40000 में से उसे कोई भी इंश्योरेंस कंपनी से पैसा मिल जाता है तो उतनी अमाउंट इस डिडक्शन में से आप रिड्यूस करके तब वो डिडक्शन लोगे ठीक है फिर आता है आपका ए का डिडक्शन तो सेक्शन 80e एजुकेशन लोन डिडक्शन इज अ टैक्स इंसेंटिव गिवन टू पीपल हु अवेल एजुकेशन लोन फॉर हायर स्टडी द डिडक्शन इज अवेलेबल ओनली ऑन द इंटरेस्ट अमाउंट पेड ऑन द लोन एंड नॉट ऑन प्रिंसिपल अमाउंट 80e के अंदर आपको एजुकेशन लोन पर डिडक्शन मिलता है कि अगर आप हायर एजुकेशन के लिए कोई भी लोन लेते हैं अपने लिए या अपने बच्चों वगैरह के लिए तो फिर उसका आपको जो भी इंटरेस्ट की पेमेंट होती है उसका डिडक्शन आपको मिल जाता है सेक्शन 80 टीटीबी का डिडक्शन आएगा तो अ सीनियर सिटीजन रेजिडेंट हु है 60 ईयर ऑफ एज और ओल्डर एट एनी पॉइंट इन रिलेवेंट प्रायर ईयर इज एन एलिजिबल एसी इफ देयर ग्रोस टोटल इनकम इंक्लूड इंटरेस्ट फ्रॉम सेविंग एंड फिक्स डिपॉजिट अकाउंट 80 टीडीबी का डिडक्शन किसे मिलता है सीनियर सिटीजन को मिल मिता है अगर उनकी ग्रोस टोटल इनकम के अंदर सेविंग अकाउंट या फिक्स डिपॉजिट अकाउंट का कोई इंटरेस्ट आ रहा है उस पर डिडक्शन कितना होता है एक्चुअल इंटरेस्ट ऑन डिपॉजिट और 0000 जो भी कम होगा उतना डिडक्शन मिल जाता है सेक्शन 80 जीी का डिडक्शन तो द इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 80 जीी डिडक्शन अलाउ टैक्स पेयर टू डिडक्ट अमाउंट पेड एज डोनेशन टू एनी फ्रॉड इंस्टिट्यूशन और चैरिटेबल इंट्रस्ट द इनकम टैक्स डज नॉट ट्रीट ऑल डोनेशन सिमिलरली एटीजी के अंदर आप अगर किसी भी चैरिटेबल ट्रस्ट इंस्टिट्यूशन या फंड में डोनेशन करते हैं तो आपको ये डिडक्शन मिलता है कंट्रीब्यूशन मेड टू सर्टेन फंड और ऑर्गेनाइजेशन आर 100% और 50 पर डिडक्ट बल विद नो अप्पर लिमिट हाउ एवर सम डोनेशन आर एलिजिबल फॉर 100% और 50 डिपेंडिंग अपॉन क्वालीफाइंग लिमिट इसके अंदर आपको चार तरीके के डिडक्शन मिलते हैं एक 100% एक 50 पर जिस पर कोई लिमिट नहीं होती है आप कितना भी अमाउंट तक का ले सकते हैं और एक होता है 100% और 50 पर क्वालीफाइंग लिमिट लेकिन इसके बारे में इतना डिटेल में पढ़ने की आपको जरूरत नहीं है अगर डिटेल में जाएंगे तो बहुत बड़ा टॉपिक है ये बहुत बड़ा डिक्शन है सारा आप मैस अप कर लोगे ठीक है तो आगे चलते हैं नेक्स्ट हैगा 80 जीजी ए का डिडक्शन तो 80 जीजी ए अलाउ डिडक्शन फॉर डोनेशन मेड टुवर्ड साइंटिफिक रिसर्च और रूरल डेवलपमेंट द डिडक्शन इज अलाउड टू ऑल एससी एक्सेप्ट दोज हु हैव इनकम फ्रॉम अ बिजनेस और अ प्रोफेशन 80 जीजी के अंदर किसको डिडक्शन मिलता है अगर आप डोनेशन करते हैं साइंटिफिक रिसर्च या रूरल डेवलपमेंट के लिए तो आपको 80 जीजी का डिडक्शन मिलता है यह सभी के लिए होता है सिर्फ उन इंडिविजुअल के लिए नहीं है जिनकी बिजनेस से इनकम होती है या प्रोफेशन से होती है उन्हें इसका डिडक्शन नहीं मिलता है फिर आता है 80g का डिडक्शन तो सेक्शन 80g अलाउ यू टू क्लेम डिडक्शन फॉर रेंट पेड इवन इफ यू आर सैलरी डज नॉट इंक्लूड द एचआरए कंपोनेंट ऑफ बाय सेल्फ एंप्लॉयड इंडिविजुअल हैविंग इनकम अदर देन सैलरी 80 जीजी के डिडक्शन में आपको हाउस रेंट का डिडक्शन मिलता है अगर आपके सैलरी के अंदर एचआरए का कंपोनेंट इंक्लूड नहीं है द कंडीशन इज दैट यू शुड नॉट ओन एनी रेजिडेंशियल अकोमोडेशन इन द प्लेस ऑफ रेजिडेंस टू क्लेम डिडक्शन अंडर एजी लेकिन कंडीशन क्या है आपके पास खुद की कोई रेजिडेंशियल अकोमोडेशन नहीं होनी चाहिए ठीक है नेक्स्ट टॉपिक आता है हमारा ई फाइलिंग का तो ई फाइलिंग शॉर्ट फॉर इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग जिसे हम कहते हैं रेफर्स टू द प्रोसेस ऑफ सबमिटिंग टैक्स रिटर्न और अदर डॉक्यूमेंट टू गवर्नमेंट और रिलेवेंट अथॉरिटी इलेक्ट्रॉनिकली टिपिकली वाया इंटरनेट जब आप इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में इंटरनेट की मदद से गवर्नमेंट ऑफिशियल अथॉरिटीज के पास अपने टैक्स के रिटर्न टैक्स के डॉक्यूमेंट सबमिट करते हैं उसे कहा जाता है ईफाइलिंग ईफाइलिंग ऑफर सेवरल एडवांटेज ओवर ट्रेडिशनल पेपर बेस्ड फाइलिंग मेथड इंक्लूडिंग कन्वीनियंस स्पीड एक्यूरेसी एंड एफिशिएंसी ईफाइलिंग कई सारे बेनिफिट प्रोवाइड करवाता है कन्वेनिएंट होता है आप कैसे भी कर सकते हैं स्पीड होता है ज्यादा टाइम नहीं लगता है जल्दी होता है एक्यूरेसी होती है मतलब एक्यूरेट डॉक्यूमेंट सबमिट होते हैं और एफिशिएंसी होती है जल्दी काम हो जाता है एक तरीके से ठीक है इसके अंदर आपको स्टेप्स दिए गए हैं कि आईटीआर किस तरीके से यह जो इनकम टैक्स फाइल करा जाता है वो किस तरीके से करा जाता है तो स्टेप वन में आपको इनकम टैक्स की ईफाइलिंग वेबसाइट प जाना होता है स्टेप टू होता है आपको लॉग इन या रजिस्टर करना होता है वेबसाइट पर अगर आप न्यू यूजर है तो आपको रजिस्टर करना पड़ेगा एजिस्टिफाई फाइलिंग का मोड सिलेक्ट करना है स्टेटस सिलेक्ट करना है आपको सिलेक्ट द एप्रोप्रियेट फाइल करना है वो चूज करना है अगर आपने आईटी आर वन फाइल करा है तो उसे चूज करो फोर फाइल करना है तो उसे चूज करो समरी ऑफ टेक्स कंप्यूटेशन आ जाएगी आपके पास उस समरी को फिल करना है स्टेप में प्रोसीड टू वैलिडेशन और सबमिट द आईटीआर 11 स्टेप के अंदर आपका आईटीआर फाइल होता है ठीक है तो देखिए दोस्तों यहां पर हमारी यूनिट नंबर वन से लेकर यूनिट नंबर फोर तक की वन शॉर्ट रिवीजन कंप्लीट हो जाती है सारी यूनिट मैंने आपको डिटेल में कवर करवा दी है होप सो आप सभी के लिए वीडियो यूज़फुल रही होगी वीडियो अच्छी लगी हो वीडियो को लाइक करना मत भूलना चैनल को जरूर सब्सक्राइब कर लेना इस टाइप के और कंटेंट के लिए वीडियो को अपने सभी दोस्तों के साथ शेयर करना मत भूलना अब हम मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में थैंक यू