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लिबरल हिंदू चैनल: बुक वर्म्स सीरीज परिचय और ऐतिहासिक क्रिकेट विजयों की कथा

नमस्कार जय मां भारती दोस्तों आपके अपने लिबरल हिंदू चैनल के ऊपर आज से हम एक नई सीरीज की शुरुआत कर रहे हैं सीरीज जिसका नाम होगा बुक वर्म्स यानी कि किताबी कीड़े इस सीरीज के हर एपिसोड में हम दुनिया भर की अलग-अलग किताबों से आपके लिए कुछ बहुत ही चुनिंदा और अत्यंत रोचक किस्से कहानियां लेकर आया करेंगे और किताबों का 40 साल पीछे जाना [संगीत] पड़ेगा 29 जून 2024 शनिवार के इस दिन हर वह भारतीय जो जीवित था सांस ले रहा था अपने होशो हवास में था उसे मरते दम तक य याद रहेगा क्योंकि आज के इस दिन भारतीय क्रिकेट टीम ने चौथी बार इतिहास रचा था भारतीय टीम एक बार फिर टी-20 क्रिकेट की वर्ल्ड चैंपियन बन गई थी 2024 के टी-20 वर्ल्ड कप में अनबीटन रहते हुए सारी टीमों को हराते हुए भारतीय टीम बर्ब डॉज में फाइनल खेलने पहुंच चुकी थी और उसके सामने खड़ी थी साउथ अफ्रीका की टीम साउथ अफ्रीका की टीम जिसके पास नंबर एक से लेकर नंबर सात तक एक से एक विस्फोटक बल्लेबाज थे और यदि बॉलिंग की बात की जाए तो रबाडा और य जैसे साढ़े फुट के तेज तरार फास्ट बॉलर्स थे और स्पिन डिपार्टमेंट में केशव महाराज जैसे जादूगर इस साउथ अफ्रीका की टीम को हराना आसान काम नहीं था और होता भी कुछ ऐसा ही है भारत की टीम इस दिन साउथ अफ्रीका से केवल मैच नहीं जीतती बल्कि हारा हुआ मैच जीतती है 15 ओवर के बाद जब साउथ अफ्रीका को 30 गेंदों पर मात्र 30 रन चाहिए थे तब सभी भारतीय फैंस ने कहीं ना कहीं मान ली थी सभी भारतीय फैंस ने मान लिया था कि भाई 14 साल का जो इंतजार है पूरी तरह बेकार गया और वर्ल्ड कप का सपना एक बार फिर चकनाचूर हो चुका है क्योंकि साउथ अफ्रीका को 30 गेंदों पर मात्र 30 रन चाहिए थे और उसके लिए क्रीज पर अभी डेविड मिलर और हेनरी क्लास जैसे अत्यंत विस्फोटक बल्लेबाज खेल रहे थे हेनरी क्लास जैसा बल्लेबाज जो अभी पिछले ओवर में 15वें ओवर में अक्षर पटेल को एक जगह खड़े खड़े 24 रन मार चुका था की झड़ी लगा चुका था 30 गेंदों पर 30 रन नहीं बना पाएगा असंभव था दुनिया की हर क्रिकेट वेबसाइट 92 पर से ज्यादा ऑड साउथ अफ्रीका के फेवर में दे रही थी सभी भारतीय फैंस लगभग सभी भारतीय फैंस हार मान चुके थे और अपने टीवी मोबाइल फोस और लैपटॉप्स को स्विच ऑफ करके सोने की तैयारी में लगे हुए थे लेकिन राहुल द्रविड की कोचिंग में खेल रही इस भारतीय टीम ने अभी हार नहीं मानी थी जब यह मैच भारत के लिए लगभग खत्म हो चुका था साउथ अफ्रीका जब यह मैच लगभग जीत चुकी थी तब जाकर रोहित शर्मा कप्तान रोहित शर्मा अपना तुरुप का इक्का बाहर निकालते हैं अपने तरकश से अपना ब्रह्मास्त्र या फिर यूं कहे कि बुमरा स्त्र बाहर निकालते हैं व जसप्रीत बुमरा के हाथों में गेंद थमा हैं और इसके बाद जो होता है वह किसी चमत्कार से कम नहीं था जसप्रीत बुमरा के नेतृत्व में अर्शदीप सिंह और हार्दिक पांड्या बॉलिंग की मास्टर क्लास का प्रदर्शन करते हैं और इतिहास रच देते हैं बीसीसीआई के सचिव जयश अगले दिन र के ऊपर घोषणा करते हैं कि इस वर्ल्ड चैंपियन भारतीय टीम को पूरे 125 करोड़ रुपए इनाम में दिए जाएंगे पूरी दुनिया का मुंह फटा रह जाता है खासतौर पर हमारे पड़ोसियों का सीमा पार से लोग कहने लगते हैं कि भाई इतना पैसा होता भी है क्या इतना पैसा तो हमारा क्रिकेट बोर्ड पूरे साल में नहीं कमाता और बीसीसीआई वर्ल्ड कप जीतने पर अपने खिलाड़ियों को दे रहा है हमारा य क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई जो आज दुनिया का सबसे अमीर सबसे धनवान क्रिकेट बोर्ड है एक समय ऐसा भी था जब इस क्रिकेट बोर्ड के पास वर्ल्ड कप जीत के घर वापस लौट रही टीम को देने के लिए एक करोड़ तो छोड़िए प्रति खिलाड़ी ₹ लाख तक नहीं थे एक लाख भी छोड़िए एक खिलाड़ी को देने के लिए 0000 तक नहीं थे आप सही सोच रहे हैं दोस्तों मैं बात कर रहा हूं 1983 की 1983 के वर्ल्ड कप की तो 83 में जून का महीना शुरू हो चुका था और भारतीय टीम ओडीआई वर्ल्ड कप खेलने इंग्लैंड जा रही थी दोस्तों यह वह समय था जब एक यूएस डॉलर में मात्र ₹ हुआ करते थे और ओडीआई वर्ल्ड कप 50 ओवर का नहीं बल्कि 60 ओवर्स का हुआ करता था अब भारतीय टीम वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने इंग्लैंड जा तो रही थी लेकिन दुनिया तो दुनिया खुद भारती फैंस को भी अपनी इस टीम से कोई खास उम्मीदें नहीं थी और इसके बहुत सारे कारण भी थे इससे पहले ओडीआई के केवल दो ही वर्ल्ड कप हुए थे ओडीआई एक नया फॉर्मेट था 75 और 79 दोनों ही ओडीआई वर्ल्ड कप्स में वेस्ट इंडीज चैंपियन रहा था वेस्ट इंडीज की टीम इस समय बहुत ही खूंखार टीम होती थी चाहे आप उसकी बैटिंग ले लो या बॉलिंग ले लो उसके सामने कोई दूसरी टीम नहीं टिक पाती थी और जहां तक ओडीआई फॉर्मेट की बात थी तो भारतीय खिलाड़ी अभी तक इस फॉर्मेट में रम नहीं पाए थे खुद को एडजस्ट नहीं कर पाए थे खास तौर पर भारतीय बैट्समैन जैसे कि सुनील गावस्कर टेस्ट मैच के महानतम वन ऑफ द ग्रेटेस्ट बैट्समैन ऑफ ऑल टाइम वो ओडीआई फॉर्मेट में खुद को एडजस्ट नहीं कर पा रहे थे वो कैसे बल्लेबाज थे जिन्हें क्रीस पर जमने के लिए सेट होने के लिए कम से कम 15 20 25 ओवर्स चाहिए होते थे और तब तक तो आधा मैच ही ओडीआई का खत्म हो जाता था दूसरा कारण यह था कि भाई इस वर्ल्ड कप में कुल आठ टीम्स हिस्सा ले रही थी और उनको दो ग्रुप्स में डिवाइड किया गया था भारत को ग्रुप बी में डाला गया था और भारत के ग्रुप में ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज को रखा गया था उस समय वर्ल्ड क्रिकेट की दो सबसे धुर्र टीम्स जिनके सामने कोई नहीं टिकता था जिनसे लोग खौफ खाते थे दूसरी टीम्स उन टीम्स के ग्रुप में भारत को डाल दिया गया था इसलिए भारतीय फैंस को कोई उम्मीद नहीं थी सबको लग रहा था कि ग्रुप स्टेज में जाएंगे जिंबाब्वे को हरा के ज्यादा से ज्यादा एक आधा मैच जीत के घर वापस आ जाएंगे और हमारा वर्ल्ड कप खत्म हो जाएगा भारतीय फैंस तो फैंस दोस्तों खुद बीसीसीआई को क्रिकेट बोर्ड को कोई उम्मीद नहीं थी अपनी टीम से बीसीसीआई अपनी टीम की परफॉर्मेंस को लेकर वड कप में कितना ज्यादा आशावादी था उसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सेमीफाइनल फाइनल के लिए बीसीसीआई ने अपनी टीम के ट्रैवल और होटल अरेंजमेंट्स नहीं किए थे ऐसे माहौल के बीच भारतीय टीम ओडीआई वर्ल्ड कप खेलने इंग्लैंड पहुंच जाती है भारत का पहला मैच 9 जून 1983 के दिन वेस्ट इंडीज के खिलाफ ही था अब मैनचेस्टर के ग्राउंड में भारत की टीम पहले बल्लेबाजी करने के लिए उतरती है और दर्शक तो दर्शक कमेंटेटर्स को भी चौका हुए बोर्ड के ऊपर आठ विकेट के नुकसान पे 269 का स्कोर लगा देती है यशपाल शर्मा 89 रंस की एक्सट्रीमली ब्यूटीफुल पारी खेलते हैं सब लोग हैरान रह जाते हैं कि भाई भारत की इस टीम ने वेस्ट इंडीज के बॉलिंग अटैक के खिलाफ 269 का स्कोर खड़ा कर दिया दोस्तों य वो समय था जब 60 ओवर के मैच में यदि आपने 250 250 प्लस स्कोर खड़ा कर दिया तो एक बहुत बड़ा स्कोर माना जाता था 270 के टारगेट का पीछा करने वेस्ट इंडीज के बल्लेबाज क्रीज पर उतरते हैं लेकिन क्लिक नहीं कर पाते वेस्ट इंडीज का पूरा बैटिंग लाइनअप भारतीय बॉलर्स के सामने बुरी तरह ढेर हो जाता है वेस्ट इंडीज की बैटिंग कितना गंदा परफॉर्म करती है उसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि वेस्ट इंडीज की तरफ से एनडी रॉबर्ट्स जो एक बॉलर थे टेल एंडर थे व 37 रंस के साथ हाईएस्ट स्कोर करते हैं रवि शास्त्री तीन विकेट्स लेते हैं और वेस्ट इंडीज 228 के स्कोर पर ऑल आउट हो जाती है भारतीय फैंस को लग रहा था यदि हम वेस्ट इंडीज को पहले मैच में हरा सकते हैं तो ऑस्ट्रेलिया को भी हरा सकते हैं वेस्ट इंडीज जितनी बार हमारे सामने आएगी उतनी बार हरा सकते हैं और शायद यह वर्ल्ड कप जीत सकते हैं कहीं ना कहीं छोटी सी ही सही लेकिन उम्मीद के किरण ने जन्म जरूर ले लिया था भारतीय फैंस के अंदर जगी इस छोटी सी उम्मीद के किरण को भारतीय क्रिकेटर्स टूटने नहीं देते भारतीय टीम ग्रुप स्टेज में छह मैच खेलती है और छह में से चार मैच जीतने के बाद सेमीफाइनल में पहुंच जाती है पूरी दुनिया में हड़क मच जाता है चारों तरफ हल्ला मच जाता है कि भाई यह कैसे हो गया भारत की यह टीम जिसका कोई नंबर ही नहीं था जिसको अंडर डॉग्स में भी काउंट नहीं किया जा रहा था वो सेमीफाइनल में पहुंच गई यह आखिर हो कैसे गया लेकिन भारतीय टीम के हौसले इस समय तक बुलंद हो चुके थे ग्रुप स्टेज में उसने वेस्ट इंडीज को एक मैच हराया था तो एक जीता था और अब वह सेमीफाइनल में पहुंच चुकी थी और अब वर्ल्ड कप से केवल दो कदम दूर थी अब सेमीफाइनल का मैच भारत और इंग्लैंड के बीच 22 जून के दिन मैनचेस्टर में ही खेला जाना था इंग्लैंड की टीम ग्रुप ए से नॉकआउट स्टेज में आई थी और इस टूर्नामेंट में अच्छी खासी फॉर्म में रही थी उसे हराना मजाक नहीं होने वाला था कैर मैच शुरू हो जाता है और इंग्लैंड के बल्लेबाज पहले बैटिंग करने के लिए पिच के ऊपर आ जाते हैं लेकिन कपिल देव की नागिन डांस करती हुई बॉलो को लहराती हुई बॉलिंग को बिल्कुल भी नहीं समझ पाते और इंग्लैंड की पूरी टीम 60 ओवर खेलने के बाद 213 213 के स्कोर पर ऑल आउट हो जाती [संगीत] है बोंग गु डिलीवरी अन फम कपल ब ल रेडियो के ऊपर कमेंट्री सुन रहे भारत के क्रिकेट फैंस नाचना शुरू कर देते हैं वह जानते थे कि अब भारतीय बल्लेबाजों को कुछ भी नहीं करना 35 3.5 के रन रेट से बिना कोई रिस्क लिए चुपचाप बैटिंग करनी है और यह मैच जीतना है और भारतीय बल्लेबाज ऐसा ही करते हैं 24 के इस टारगेट का पीछा करते हुए संदीप पाटिल और यशपाल श एक्सट्रीमली ब्यूटीफुल बैटिंग करते हैं दोनों ही बल्लेबाज 50 लगाते हैं हाफ सेंचरी लगाते हैं और भारतीय टीम अपना टारगेट 54.4 ओवर्स में अचीव कर लेती है छह विकेट से इस मैच को जीत जाती है पूरी दुनिया में हल्ला मच जाता [संगीत] है दुनिया भर में फोन की घंटियां बजने लगती हैं और फोन की घंटियां बज रही होती है बीसीसीआई के ऑफिस में भी बीसीसीआई के ऑफिस में जितने भी फस रखे थे उनकी घंटियां लगातार बज रही थी और सभी फ्स के ऊपर केवल एक ही आदमी फोन कर रहा था उस आदमी का नाम था पीआर मान सिंह उस समय भारतीय टीम के मैनेजर रहे पीआर मान सिंह बार-बार बीसीसीआई के ऑफिस में फोन कर रहे थे क्योंकि अब उनको पैसे चाहिए थे जो पूरी दुनिया ने नहीं सोचा था वोह हो गया था भारतीय टीम वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंच गई थी और फाइनल होना था लंदन में जो मैनचेस्टर से 200 मील दूर था अब भारतीय टीम वहां जाए कैसे पीआर मान सिंह की जेब में तो चार नए पैसे नहीं थे वो बीसीसीआई कह रहे थे कि भैया मेरे अकाउंट में कुछ पैसे ट्रांसफर करो टीम को वहां लेकर जाना है और तब जाकर बीसीसीआई उनके अकाउंट में कुछ फंड्स ट्रांसफर करती है और वो टीम के लंदन जाने का प्रबंध करते हैं खैर भारत की टीम इस वर्ल्ड कप का फाइनल खेलने किसी तरह लंदन पहुंच ही जाती है और दूसरी टीम जो फाइनल खेलने भारत का सामना करने लंडन आती है वह थी वेस्ट इंडीज वेस्ट इंडीज ओवल के सेमीफाइनल में पाकिस्तान को पूरे आठ विकेटों से हराकर फाइनल में आई थी और य भारत की टीम ने इंग्लैंड को हराया हुआ था दोनों टीम एक दूसरे की बराबरी पर थी दोनों के ही हौसले बहुत ज्यादा बुलंद थे दोनों टीमों ने पूरे टूर्नामेंट में बहुत अच्छा परफॉर्म किया था और दोनों ने ही ग्रुप स्टेज में एक दूसरे को एक एक मैच हराया भी हुआ था एंडस रेस इंग्लैंड से सेमीफाइनल जीतने के तीन दिन बाद 25 जून 1983 का व ऐतिहासिक दिन आखिरकार आ ही जाता है वेस्ट इंडीज का सामना करने के लिए भारत की टीम इंग्लैंड के लेजेंड लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में उतर जाती है और पहले बल्लेबाजी करते हुए बुरी तरह फेल होती है भारत की तरफ से इस फाइनल मैच में कोई भी बल्लेबाज नहीं चल पाता क्रिस श्रीकांत भारत की तरफ से 38 का हाईएस्ट स्कोर बनाते हैं उनके अलावा कोई भी बल्लेबाज हाफ सेंचुरी लगाना तो दूर की बात 30 का आंकड़ा तक भी पार नहीं कर पाता और इस टूर्नामेंट के सबसे जरूरी मैच में फाइनल मैच में भारत की टीम 183 के आंकड़े पर 183 के स्कोर पर ढेर हो जाती है आ 184 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बैटिंग करने उतरी वेस्ट इंडीज टीम की पहली विकेट मात्र पांच रंस के स्कोर पर गिर जाती है और इसके बाद क्रीज पर आते हैं सर विवियन रिचर्ड्स कपिल देव जानते थे यदि विव रिचर्ड्स को जल्दी आउट नहीं किया तो यह मैच हमारे हाथ से बिल्कुल वैसे ही निकल जाएगा जैसे मुट्ठी में से रेत निकल जाता है हम देखते रह जाएंगे तमाशा देखते रह जाएंगे और यह अकेला विव रिचर्ड इस मैच को जीत जाएगा अपनी तरफ कर लेगा हम कुछ नहीं कर पाएंगे अगर यह टिक गया क्रीज के ऊपर 20 ओवर और होता भी कुछ कुछ ऐसा ही है डेसमंड प्रीस के ऊपर पहले से मौजूद थे विचर आते हैं और दोनों के बीच पार्टनरशिप लग जाती है और यह पार्टनरशिप टूटती है 50 के स्कोर पर जब डेसमंड हिस आउट होते हैं लेकिन वि रिचर्ड अभी भी क्र के ऊपर थे जब विव रिचर्ड्स क्रीज के ऊपर सेट हो चुके थे जम चुके थे भले ही वेस्ट इंडीज की दो विकेट गिर चुकी थी लेकिन सबको लग रहा था कि भाई विव रिचर्ड जम गया है और इस मैच को यहां से निकाल लेगा ऐसे में मदन लाल कपिल देव के पास जाते हैं और कहते हैं पाजी मेनू बॉल दो कपिलदेव मदनलाल को बॉल दे देते हैं मदनलाल 33 पे खेल रहे फ रिचर्ड्स को बॉल कराते हैं और बॉल होती है थोड़ी सी शॉर्ट ऑफ गुड लिंग और फि रिचर्ड्स उसे पुल कर देते हैं पुल करते हैं और बॉल खड़ी हो जाती है बहुत ज्यादा ऊपर जाती है सर्कल में खड़े कपिलदेव इधर से बैकवर्ड बॉल की तरफ भागना शुरू कर देते हैं पीछे मुड़ते हुए और राइडर की तरफ कॉल करते हैं माइन ये कैच मेरी है हाथ मत लगाना दूर रहना और उल्टी दिशा में भाग रहे बैकवर्ड डायरेक्शन में भाग रहे कपिल देव इस बॉल को कैच कर लेते हैंट गेट इट वड लड 10 ट 15 यार्ड्स इनसाइड द बाउंड एंड कपल दे लो वे लो वे ट गो टू मेक हि स्टैंड्स में बैठे लोग पागल हो जाते हैं और मैदान के अंदर घुस आते हैं क्योंकि वह जानते थे कि कपिल देव ने बॉल नहीं पकड़ी बल्कि वर्ल्ड कप पकड़ लिया है और इस कैच के बाद जो होता है दोस्तों वह इतिहास है आप जानते हैं भारत ओडीआई का वर्ल्ड कप जीत जाता है [प्रशंसा] अब इधर भारतीय टीम इतिहास रचती है ओडीआई क्रिकेट की वर्ल्ड चैंपियन बनती है पूरा देश उत्सव मना रहा होता है खुशियां मना रहा होता है दिवाली बन रही होती है देश में और उधर खुद बीसीसीआई का चीफ एनकेपी सालवे साहब शोक में डूब जाते हैं उनका बीपी ऊपर चला जाता है वह टेंशन में आ जाते हैं उस समय बीसीसीआई के चीफ रहे एनकेपी सालवे महाराष्ट्र से आने वाले कांग्रेस के एक बहुत ही सम्मानित नेता जो राज्यसभा में कांग्रेस के एमपी हुआ करते थे और आगे चलकर 1993 में पीवी नरसिंहा नाव के अंडर कैबिनेट मंत्री भी बनने वाले थे वह सालवे साहब टेंशन में आ जाते हैं शौक में डूब जाते हैं क्योंकि उन्हें पता था कि हमारे पास हमारे बोर्ड के पास अब इन खिलाड़ियों को देने के लिए एक पैसा नहीं है इसीलिए भारत के वर्ल्ड कप जीतते ही वह पहला फोन ना ही देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लगाते हैं और ना ही उनके सुपुत्र और कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी राजीव गांधी को वो सबसे पहला फोन लगाते हैं बीसीसीआई के ट्रेजरर को और अकाउंटेंट को वो अकाउंटेंट से पूछते हैं कि भाई यह बताओ बोर्ड के अकाउंट में कितने पैसे पड़े हुए हैं हमने सोचा नहीं था लेकिन यह खिलाड़ी वर्ल्ड कप जीत गए और वर्ल्ड कप जीत के जब वापस आएंगे तो इन्हें कुछ देना तो पड़ेगा इनाम में तो कितने पैसे दे सकते हैं अकाउंटेंट कहता है कि सर अगर पूरा अकाउंट भी खाली कर दें पूरे बैंक अकाउंट पर झाड़ू फेर दें तब भी 15 20 हज ज्यादा से ज्यादा 00 इसलिए वो अगला फोन अपने पीए को लगाते हैं और पीए से पूछते हैं कि भाई मैं एमपी हूं हूं मेरे एमपी फंड में मुझे हर साल पैसा मिलता है तो बताओ उसमें कितने पैसे पड़े हैं वहां से पैसे निकाले जाएं तो हम खिलाड़ियों को कितने दे सकते हैं उनका पीए कहता है सर ₹ लाख पड़े हैं 1 लाख से ऊपर नहीं हो पाएगा आपके फंड में 1 लाख है बाकी खर्च हो गए इधर-उधर यह बनवा दिया वो बनवा दिया ₹ लाख से ऊपर नहीं हो पाएगा आपके फंड में से निकाले तो तो बीसीसीआई के पास जो पैसे थे और इनके एमपी फंड में जो पैसे थे वह मिलाकर भी हर खिलाड़ी के लिए इनाम की राशि 25000 से ऊपर नहीं जा पा रही थी ₹ 5000 पर प्लेयर वर्ल्ड कप जीतने के बाद उस समय के हिसाब से 00 मात्र उनको इंदिरा गांधी से कोई आशा नहीं थी क्योंकि इंदिरा गांधी ने पहले ही मना कर दिया था उन्होंने फोन लगाया था पीएमओ को व इंदिरा गांधी जी से बात करना चाहते थे लेकिन बात हो नहीं पाई थी लेकिन इंदिरा गांधी जी के पीएमओ में आसपास जो उनके रहते थे पीएमओ में उन्होंने सालवे साहब से फोन पर ही साफ मना कर दिया था कि भाई पैसे नहीं है संविधान में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है जिसके तहत पैसे दिए जा सके कहां से दे पैसे कोई कानून तो हो कोई ऐसा कानून हो कोई प्रावधान हो संविधान में जिसके तहत हम पैसा ये फंड्स रिलीज कर सके नहीं है हमारे पास कोई ऐसा प्रावधान उन्होंने साफ मना कर दिया था लेकिन फिर भी सालवे साहब दिल्ली जा रहे थे क्योंकि उनको उम्मीद थी राजीव गांधी जी से राजीव गांधी जी एक युवा नेता थे कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी भी थे और अभी पिछले साल यानी कि 1982 में हुए एशियन गेम्स में उन्हें बहुत बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां दी गई थी उन्होंने एशियन गेम्स को मैनेज किया था खेलों से उनको लगाव था तो राजीव गांधी से मिलने दिल्ली गए लेकिन राजीव गांधी जी ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए उन्होंने कहा भाई जब मम्मी ने मना कर दिया तो मैं पैसे कहां से दूं जो देश की प्रधान मंत्री मेरी मां नहीं दे पा रही उसने मना कर दिया तो मैं कहां से दूं पैसे मेरे पास तो नहीं है पैसे देने के लिए ना मेरे पास कोई ऑफिशियल पोजीशन है मैं कोई मंत्री नहीं हूं कुछ नहीं मैं पैसे कहां से लाऊ राजीव गांधी जी ने भी हाथ खड़े कर दिए सालवे साहब अपना समूह लेकर मुंबई वापस आ गए और बहुत ज्यादा टेंशन में थे कि भाई अब खिलाड़ियों को दे तो दे क्या पैसे लाए तो लाए कहां से दरदर की ठोकरे खाने के बाद सालवे साहब एक ऐसे व्यक्ति को फोन करने का निर्णय करते हैं जिसको क्रिकेट से बहुत ज्यादा लगाव था भारतीय फर्स्ट क्ला क्रिकेट की डोमेस्टिक क्रिकेट की भारतीय क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन की एक लार्जर दन लाइफ इमेज राज सिंह डूंगरपुर राजस्थान की प्रिंसली स्टेट डूंगरपुर में जन्मे हिज हाईनेस राज सिंह डूंगरपुर 1955 और 71 के बीच राज सिंह डूंगरपुर ने कुल 86 फर्स्ट क्लास मैचेस खेले थे और इन मैचेस में उन्होंने 208 विकेट ली हुई थी सालवे साहब जानते थे कि अब कोई मेरी मदद अगर कर सकता है इस पूरे देश में तो राज ही कर सकता है उसके अलावा कोई नहीं कर सकता और जैसे ही वह राज सिंह डूंगरपुर को फोन कर और कहते हैं बताओ भाई राज क्या चल रहा है सब बढ़िया उधर से उत्तर आता है अरे सालवे साहब आपके ही फोन का इंतजार कर रहा था क्या बात है पूरी दुनिया को फोन घुमा दिया और मेरी याद नहीं आई मैं यही सोच रहा था कि सालवे साहब मुझे फोन क्यों नहीं कर रहे हैं सालवे साहब अवाक रह जाते हैं कहते राज तुम्हें तो पता ही है सब यार फिर क्या चल रहा है बताओ क्या करना है डूंगरपुर उनसे पूछते हैं कि आप कितनी इनाम की राशि घोषित कर सकते हो कितने पैसे आप आपके पास जो आप खिलाड़ियों को दे सकते हो सालवे साहब कहते हैं कि भाई राज 25000 से ऊपर नहीं जा पा रहा है आंकड़ा तो मैं क्या घोषणा कर दूं डूंगरपुर कहते हैं नहीं बिल्कुल भी मत कीजिएगा मैं कुछ करता हूं सालवे साहब टेंशन मत लीजिए घोषणा मत कीजिएगा 25000 की मैं कुछ करता हूं रुक जाइए अभी दोस्तों ये वो समय था जब राज सिंह डूंगरपुर और भारत की लेजेंड गायिका लता मंगेशकर के बीच बहुत अच्छी दोस्ती थी दोनों बैचलर्स थे दोनों ने शादी नहीं की हुई थी दोनों बैचलर्स थे और दोनों के बीच पर्सनल रिलेशनशिप थी व्यक्तिगत रिश्ता था और काफी गहरा रिश्ता था नजदीकी रिश्ता था राज सिंह डूंगरपुर लता जी के पास जाते हैं और कहते हैं लता तुम्हें तो पता ही है भारत ने वर्ल्ड कप जीता है लता जी कहती है हां पता है और तुम क्रिकेट की बहुत बड़ी फैन भी हो क्रिकेट को रेगुलरली फॉलो करती हो लता जी कहती हां करती हूं मैं क्या हो गया बताओ तो सही पहेलिया क्यों बुझा रहे हो कहते हैं तुम्हें पता है अब वर्ल्ड कप जीत के टीम वापस आई है और बीसीसीआई वाले कह रहे हैं कि भाई हर खिलाड़ी को 000 देंगे उससे ज्यादा नहीं हमारे पास लता मंगेशकर जी गुस्से के मारे आग बबूला हो जाती हैं जो आराम से बैठ के अभी तक डूंगरपुर जी की बातें सुन रही थी वह गुस्से के हमारे खड़ी हो जाती है चिल्लाना शुरू कर देती है 000 दोगे क्या पागल हो गए हैं बीसीसीआई वाले व इतना बड़ा काम करके आए हैं खिलाड़ी वर्ल्ड कप जीत के आ रहे हैं तुम उन्हे 25000 दोगे इससे ज्यादा तो हमारे यहां एक सिंगर एक गाना गाने का ले लेता पा मिनट का गाना गाने का राज सिंह डूंगरपुर कहते हैं तुम ही बताओ क्या करना है भाई उनके पास तो इतने ही है उन्होंने प्राइम मिनिस्टर से पूछा है पीएमओ ने मना कर दिया है राजीव गांधी जी से बात की सावले साहब ने उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए कि हमारे पास तो पैसे नहीं है तो तुम ही बताओ फिर क्या करना है क्या इलाज है तो राज सिंह डूंगरपुर उनसे कहते हैं लता तुम्हारी फिल्म इंडस्ट्री में सब बहुत ज्यादा रिस्पेक्ट करते हैं तुम्हारा सब सम्मान करते हैं तुम्हारी बात को कोई टाले का नहीं एक म्यूजिक कंसर्ट अगर तुम कर दो ता मंगेशकर जी कहती हैं डन अब तुम टेंशन मत लो आराम से बैठ जाओ सब मैं कर लूंगी लता जी तभी के तभी फोन घुमाना शुरू कर देती है इंडस्ट्री के दूसरे सिंगर्स को और म्यूजिशियंस को और हर वो आदमी जिसको वो फोन करती हैं वो बिना कोई सवाल पूछे फ्री ऑफ चार्ज फ्री ऑफ कॉस्ट बिना एक नया पैसा लिए कंसर्ट करने को दिल्ली में तैयार हो जाता है इतना ही नहीं दोस्तों लता दीदी और कुछ म्यूजिशियंस मिलके इस भारतीय टीम के लिए एक गाना भी कंपोज करते हैं जिसे इस कंसर्ट का ओपनिंग सॉन्ग होने वाला था जो इस कंसर्ट का और यह सब काम करते हैं ये म्यूजिशियन सिंगर्स और लताजी बिना पैसे के बिना एक पैसा लिए कंसर्ट से पहले जब भारतीय टीम दिल्ली पहुंचती है तो व इंदिरा गांधी जी जिन्होंने पैसा देने से साफ मना कर दिया था वो फोटो खिंचवाने के लिए मीडिया के सामने टीम को वेलकम करती हैं सामने आ जाती हैं और जिस दिन कंसर्ट होता है तो स्टेज पर खिलाड़ी लता जी बीसीसीआई के कुछ ऑफिशियल और राजीव गांधी भी खड़े होते हैं जिनका कोई लेना देना नहीं था जिनके पास कोई ऑफिशियल कैपेसिटी नहीं थी कोई ऑफिशियल पोजीशन नहीं थी वो भी आ जाते हैं वहां पे उस समय तो पैसा देने के समय प कोई नहीं आता लेकिन जब सब कुछ हो जाता है तब वो आ जाते हैं कैर 17 अगस्त के दिन दिल्ली में कंसर्ट शुरू हो जाता है और कंसर्ट का पहला ही गाना लता दीदी जो गाती हैं वही गाना था जिसको को विशेष रूप से भारतीय टीम के लिए कंपोज किया गया था और इसके बोल थे भारत विश्व विजेता भारत विश्व विजेता भारत विश्व विजेता अपना भारत विश्व विजेता भारत विश्व विजेता अपना भारत विश्व विजेता संघ है विश्व विजेता अपना संघ है विश्व विजेता स्वर साम्राज्य लताजी द्वारा गाए गए इस गाने के साथ इस कंसर्ट की शुरुआत होती है और य कंसर्ट खम भी हो जाता है भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के और भी कई सिंगर्स इसमें परफॉर्म करते हैं और कंसर्ट खत्म होते-होते ऑर्गेनाइजर्स द्वारा भारतीय टीम के लिए पूरे 20 लाख रुप रेज कर लिए जाते हैं ₹ लाख र और तब जाकर कहीं यह राशि भारतीय खिलाड़ियों में बांटी जाती है कब इंदिरा गांधी 1983 में भारतीय टीम से मिली थी उनका वेलकम करने आई थी और इस बार नरेंद्र मोदी आए आज 2024 में 41 साल बाद उन्होंने 40 मिनट के लिए भारतीय खिलाड़ियों के साथ बातचीत भी की और जब वह ख के साथ बातचीत कर रहे थे तब देश को एक बात ऐसी पता चली जो अभी तक नहीं पता थी और व बात थी भारतीय टीम के खिलाड़ी ऋषभ पं से संबंधित डेढ़ साल पहले मेरा एक्सीडेंट हो गया था तो काफी टफ टाइम चल रहा था वह मेरे को याद है बहुत ज्यादा क्योंकि आपका कॉल आया था सर मेरी मम्मी को तो बहुत ज्यादा दिमाग में बहुत सारी चीजें चल रही थी बट जब आपको कॉल आया मम्मी ने मेरे को बताया कि सर ने बोला कोई प्रॉब्लम नहीं है तब थोड़ा मेंटली रिलैक्स हुआ काफी ष जब आपका रिकवरी चल रहा था मैंने आपसे मां से बात किया था मैंने मेने दो बातें कही थी एक तो मैं पहले डॉक्टर से चर्चा की थी तो डॉक्टर से मैंने ओपिनियन लिया था फिर मैंने कहा कि भाई कहीं इसको बाहर ले जाना है तो आप मुझे बताइए हम चिंता करेंगे लेकिन मुझे आश्चर्य था आपकी मां के आत्मविश्वास का ऐसा लग रहा था जब मैं उनसे बात कर रहा था मेरा परिचय तो नहीं था कभी मिला तो नहीं था लेकिन ऐसा लग रहा है जैसे वो मुझे आश्वासन दे रही है बड़ा बड़ा बड़ा गजब का था दोस्तों एक तरफ तो हमारे देश में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे प्रधानमंत्री रहे हैं मुरार जी देसाई जैसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिसकी वजह से ना जाने कितने आर एनडी डब्लू के को पाकिस्तान में अपना जीवन खोना पड़ा आज तक भी जेल में सड़ रहे होंगे दूसरी तरफ हमारे देश में आज हमें एक नरेंद्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री मिला है उसके एक खिलाड़ी को और कोई बहुत बड़ा स्टार खिलाड़ी नहीं नॉर्मल सा खिलाड़ी एक खिलाड़ी का एक्सीडेंट हो जाता है उसको चोट लग जाती है तो पर्सनली उसके ट्रीटमेंट को सुपरवाइज करता है उसकी मां को फोन करके दिलासा देता है उसके आठ पूर्व नौसैनिक को दोहा में मृत्युदंड दे दिया जाता है तो उसकी भूख प्यास मर जाती है वह खाना छोड़ देता है जब तक उनको देश में वापस नहीं ले आता जेल से बाहर निकाल के तब तक चैन से नहीं बैठता आज हमें एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला हुआ है और हम अभागे उसको 270 सीटें तक नहीं दे पाए इस बार रात को जब अपने घर की लाइट्स बंद करके कमरे की लाइट्स बंद करके आप सोने के लिए बिस्तर पर लेटे अपनी आंखें बंद करें तो ऐसा क्यों हुआ इस बारे में सोचिए का [संगीत] जरूर हम