Accounting Standards and Their Global Impact

Aug 6, 2024

Lecture Notes on Applicability of Accounting Standards

Introduction

  • आज के लेक्चर का मुख्य विषय: एप्लीकेबिलिटी पर फोकस
  • पिछली क्लास में इंट्रोडक्शन पर चर्चा की गई थी।

Global Accounting Language

  • एक वैश्विक अकाउंटिंग भाषा की आवश्यकता।
  • ग्लोबल अकाउंटिंग लैंग्वेज की संकल्पना से गैर-भेदभाव सुनिश्चित किया जा सके।
  • Generally Accepted Accounting Principles (GAAP) के नियमों का पालन करना।

Four Aspects of Accounting Standards

  1. Recognition - कब रिकॉर्ड करना है।
  2. Measurement - किस मूल्य पर प्रस्तुत करना है।
  3. Presentation - वित्तीय विवरण कैसे प्रस्तुत करें।
  4. Disclosure - अतिरिक्त जानकारी का खुलासा।

Advantages of Accounting Standards

  • Standardization - विकल्पों में कमी।
  • Additional Disclosure - विशिष्ट जानकारी का खुलासा।
  • Comparability - विभिन्न देशों के डेटा की तुलना सरल।

Development of International Accounting Standards

  • International Accounting Standards Committee (IASC) का गठन।
  • 2001 में इसे International Accounting Standards Board (IASB) में बदल दिया गया।
  • विकास के दौरान International Financial Reporting Standards (IFRS) लागू हुए।

India and IFRS

  • भारत में कंपनी और कॉर्पोरेट्स पर IFRS लागू करने की आवश्यकता।
  • Ind AS का उपयोग किया गया।
  • 2015 से Ind AS लागू हुआ।

Key Points on Ind AS Adoption

  • Convergence vs. Adoption - भारत ने convergence का मार्ग अपनाया।
  • Carve-out और Carve-in की चर्चा।
  • ICAI और NFRA की भूमिका।

Applicability of Accounting Standards in India

Corporate Entities

  • Corporate Entities को Ind AS का पालन करना है।
  • SME Exchange पर लिस्टेड कंपनियों को Ind AS का पालन करने की आवश्यकता नहीं।

Non-Corporate Entities

  • Non-Corporate Entities को Accounting Standards का पालन करना आवश्यक है।

Classification of Corporate Entities

  • Corporate Entities को SMC (Small and Medium Company) और Non-SMC में वर्गीकृत किया गया।
  • NBFCS, Banks, and Insurance कंपनियों की विशेषताएँ।

Key Criteria for Classification

  1. लिस्टेड कंपनी होना या लिस्टिंग की प्रक्रिया में होना।
  2. बैंकों और वित्तीय संस्थानों की श्रेणी में आना।
  3. टर्नओवर और बोरिंग के मानदंड।
  4. होल्डिंग और सब्सिडियरी की स्थिति।

Conclusion

  • Accounting Standards की अनुपालनता को सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • विश्व स्तर पर सामंजस्य स्थापित करना और भारत के कॉर्पोरेट जगत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना आवश्यक है।
  • अगले लेक्चर में हम अध्ययन करेंगे कि कैसे विभिन्न कंपनियों की श्रेणियाँ बदलती हैं और उनके लिए लागू Accounting Standards क्या हैं।

यह नोट्स आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण हैं, इन्हें नियमित रूप से रिवाइज करें।