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डी ब्लॉक एलिमेंट्स और ट्रांजिशन मेटल्स
Jul 9, 2024
डी ब्लॉक एलिमेंट्स और ट्रांजिशन मेटल्स
परिभाषा और परिचय
डी ब्लॉक एलिमेंट्स को ट्रांजिशन मेटल्स भी कहा जाता है।
ये पी ब्लॉक और एस ब्लॉक के बीच में स्थित होते हैं।
इनके इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फिगरेशन में 3d और 4s ऑर्बिटल्स होते हैं।
D ब्लॉक के एलिमेंट्स में इनकंप्लीटली फील्ड D ऑर्बिटल्स होते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फिगरेशन
इनका जनरल इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फिगरेशन (n-1)d1-10ns0-2 होता है।
इलेक्ट्रॉन्स पहले 4s में और फिर 3d में जाते हैं।
(n+l) नियम के कारण 4s पहले और 3d बाद में भरता है।
ट्रांजिशन एलिमेंट्स की पहचान
ट्रांजिशन एलिमेंट्स के डी और ऑर्बिटल इनकम्प्लीटली फील्ड होते हैं।
महत्वपूर्ण उदाहरण
कॉपर (Cu) और जिंक (Zn) D ब्लॉक एलिमेंट्स हैं लेकिन ट्रांजिशन मेटल्स नहीं माने जाते क्योंकि इनमें डी ऑर्बिटल पूरी तरह भरी होती है।
अधिकतर ट्रांजिशन मेटल्स उद्योग में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं जैसे आयरन (Fe), कॉपर (Cu), और टाइटेनियम (Ti)।
फर्स्ट सीरीज के तत्व
स्कैंडियम (Sc)
टाइटेनियम (Ti)
वानाडियम (V)
क्रोमियम (Cr)
मैंगनीज (Mn)
आयरन (Fe)
कोबाल्ट (Co)
निकल (Ni)
कॉपर (Cu)
इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फिगरेशन की विशेषताएँ
डी ब्लॉक तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फिगरेशन D और S ऑर्बिटल्स का उपयोग करता है।
अनेक वैरिएबल ऑक्सीडेशन स्टेट्स शो करते हैं।
केमिकल और फिजिकल प्रॉपर्टीज
हाई मेल्टिंग और बॉइलिंग पॉइंट
मल्टीपल ऑक्सीडेशन स्टेट्स
उच्च गर्मी संचालन
अक्सर कलर्ड कंपाउंड्स बनाते हैं
मैग्नेटिक प्रॉपर्टीज
नंबर ऑफ अनपेयर्ड इलेक्ट्रॉन्स के आधार पर पैरामैग्नेटिक और डाइमैग्नेटिक होते हैं।
अट्रैक्टेड बाय मैग्नेटिक फील्ड्स (पैरामैग्नेटिक)
बढ़ने वाले अनपेयर्ड इलेक्ट्रॉन्स से मैग्नेटिक मोमेंट बढ़ता है।
कलर्ड आयन्स
अनपेयर्ड डी इलेक्ट्रॉन्स की वजह से कलर्ड आयन्स बनाते हैं।
डी डी ट्रांजिशन के दौरान एनर्जी एमिशन से कलर उत्पन्न होते हैं।
इंटरस्टिशल कंपाउंड्स
छोटे साइज के आइटम्स फंसे होते हैं जैसे H, B, C, N आदि।
ये गुणधर्मों को प्रभावित करते हैं, जैसे हाई हार्डनेस, हाई मेल्टिंग पॉइंट, मैटैलिक कंडक्टिविटी आदि।
कैटेलिटिक प्रॉपर्टीज
वेरिएबल ऑक्सीडेशन स्टेट्स और कॉम्प्लेक्स फॉर्मेशन के कारण रेचक के रूप में उपयोग किए जाते हैं।
उदाहरण: Fe, V, Ni आदि।
एक्सेप्शंस और विशेषताएँ
कुछ आसानी से हाइड्रेटेड होते हैं, कुछ नहीं।
कुछ के इलेक्ट्रोड पोटेंशियल ज़्यादा या कम होते हैं का कारण इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फिगरेशन में छुपा होता है।
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