उसको अलहदा नहीं किया जा सकता है और यह अगर किसी को खुश फहमी थी कि तालिबान में आने के बाद अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद जो है हमारी वेस्टर्न बॉर्डर ठीक हो जाएंगी हमारे अंगे यहां आपको याद होगा जब तालिबान की हुकूमत बनी थी तो बहुत खुशी का इजहार किया गया था और ऐसा मालूम होता था कि जैसे उन्होंने अफगानिस्तान फतह कर लिया है हेलो सलाम वालेकुम बहुत ज्यादा एजाज की बात है जब इतने बड़े लोग आते हैं मैं भी इंटिमिडेट हो जाता हूं इट्स ऑनर एंड अ प्लेजर फॉर अस कि जाहिद साहब आज हमारे साथ हैं आप इनके कॉलम डॉन में पढ़ते होंगे तीन किताबें लिख चुके हैं ही इज द फोरमोस्ट एक्सपर्ट ऑन मिलिटेंसी टाइम्स ऑफ लंडन में पहले लिखते थे ल स्ट्रीट जर्नल में पहले लिखते थे ही आल्सो कंट्रीब्यूटेड टू न्यूज़ वीक इकोनॉमिस्ट आप सब जानते हैं आई डोंट नो मैं क्यों इंट्रोड्यूस कर रहा हूं फ्रंट लाइन किताब आपने पढ़ी होगी स्कॉर्पियंस टेल आपने पढ़ी होगी नो विन वॉर इज लेटेस्ट बुक एंड लेट्स आस्क इफ ही इज वर्किंग ऑन अ न्यू बुक ए फर्स्ट ऑफ ल कैसे हैं सर आप बहुत बहुत शुक्रिया सर ये मिलिटेंसी इस्लामिक मिलिटेंसी प आपने बहुत ज्यादा लिखा है अभी ऐसान टीपू साहब भी आएए थे पॉडकास्ट प उन्होंने मुझे तो डरा ही दिया कि जो नई टीटीपी आई है इट्स अ लॉट मोर डेंजरस इट्स लॉट मोर कॉम्प्लेक्शन पैलेस इंट्रिग्स कि खान साहब का क्या हुआ यह क्या हुआ यह जो वाइट वॉकर्स आ रहे हैं इस टीटीपी जनली अ ह्यूज थ्रेट ट वीर इगनोरिंग राइट नाउ बिल्कुल सही है मतलब इस वक्त जो त है मुल्क के वो शायद इससे पहले नहीं थे यह बात सही है कि जो फोकस आपका सारा जो है डे टू डे पॉलिटिक्स है उस पर होता है और होना भी चाहिए मतलब उसमें क्योंकि उसी के ऊपर दार मदार होता है कि मुल्क किस तरफ जा रहा है लेकिन असल मसाइल जो पाकिस्तान में है उसकी त तवज्जो हाल है या सबसे पहले जैसे आपने बात की मिलिटेंसी का मिलिटेंसी का मसला जो है बहुत ही संगीन है और ये अभी शुरू नहीं हुआ है इसकी एक तारीख मौजूद है ये हम 253 साल से बल्क चार दईयो से हम देख रहे हैं कि किस तरह से मिलिटेंसी को यहां पर फरोग मिला है और शुरू में जो मिलिटेंसी की हम बात करते हैं तो वह तो कह सकते हैं कि वो एक स्टेट पॉलिसी के नतीजे में ही आई थी और एक वक्त वो था जब 1990 और 80 और में जब हमने मिलिटेंसी को एज पार्ट ऑफ द फॉरेन पॉलिसी और सिक्योरिटी पॉलिसी को अपनाया था और इट वाज यूज एस पाकिस्तान प्रॉक्सी लेकिन बात यही होती है कि जब इस किस्म की तंजीम आप क्रिएट करते हैं तो फिर आप यह उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि वह आपके कंट्रोल में रहेंगी और जैसे ही हालात बदले जब आप पर जो है प्रेशर पड़ा 91 के बाद तो हमने कोशिश की कि शायद उनको दबाया जाए लेकिन वो चीजें हाथ से निकल चुकी थी मसला ये आता है कि मिलिटेंसी को सिर्फ यह नहीं देख सकते हैं कि कोई एक जैसे लोग कहते हैं कि 2013 के और के बाद से जो एक एक ऑपरेशन हुए थे मुख्तलिफ फर्मर फाटा एरियाज में उसकी वजह से वो खत्म हो गई थी तो मेरा उस वक्त भी ख्याल यही था कि इस तरह खत्म नहीं होती है वक्ती तौर पे आप उसको हल तो जरूर कर लेते हैं लेकिन यह सिर्फ फायर फाइटिंग के तौर पे आप मिलिटेंसी के वजू हात को खत्म नहीं कर सकते इसके साथ बहुत सारी चीजें हैं और हैंको अगर हम हिस्टॉरिकली सर जी जी बताए बताए एक तो नजरिया तौर पे अब जो है हम हमारा पूरा तरीके का यह रहा कि जहां पे जैसे होता है कि फायर फाइटर्स जैसे होते हैं जहां पे आग लगी आपने उसको बुझाने के लिए पहुंच गए तो असल मसला यह नहीं था उसकी जड़े जो है एक नजरिया जड़े जो थी उसको आपने कभी एड्रेस नहीं किया बल्कि हमारी पूरी पॉलिसी जब हम लड़ भी रहे थे मिटेंस के खिलाफ हटा में तो भी हमारी क्लेरिटी मौजूद नहीं थी उस वक्त भी आपको ख्याल ये होता था कि गुड तालिबान और बैड तालिबान का पूरा एक बना हुआ था और यह भी आपको याद होगा कि देखि यह कभी इस तरह से नहीं हो सकता कि एक वक्त में आपने जो लोग आपके खिलाफ हथियार उठाए थे उनके खिलाफ आप लड़ रहे थे लेकिन दूसरी तरफ अफगान पा स्तान में जो कुछ तालिबान के जद थी अमेरिका के खिलाफ आप उसकी मदद भी कर रहे थे सारे तालिबान के लीडर जो यहां पर रहते थे तो इस किस्म की चीजों में जो है आपकी पूरी एक नेशनल सिक्योरिटी दाव पर लग गई थी अब जो है जो जिस तरह से रिसर्जेंस हुई है खास तौर पर जो है अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत की वापसी में तो इट वास प्रिडिक्टेबल यह नहीं था कि जो है अचानक हुआ है या हम सब समझ रहे थे कि जो है जैसे ही ये होगा तो क्योंकि अफगान तालिबान और पाकिस्तानी तालिबान के दरमियान बहुत ज्यादा फर्क नहीं है सिर्फ स्ट्रेटेजी का फर्क हो सकता है कि वोह अफगानिस्तान में पूरी उनकी ज थी और यह पाकिस्तानी स्पेसिफिक हो गए थे लेकिन एक उनमें जो है एक नजरिया एक एक आ मांगी थी इनफैक्ट एक्चुअली अगर आपको याद होगा कि जब टीटीपी फॉर्म हुई थी 2007 में बैतुल्लाह महसूद ने तो उसके ऊपर जो है उनके जो इता जो की थी उन्होंने मुल्ला उमर के साथ की थी तो इसका मतलब ये हुआ कि फर्क तो नहीं था इनमें लेके और यही वजह थी कि जो है जब वही तालिबान के जितने लीडर जो टीटीपी में बने थे वो ओरिजनली जो है वो तालिबान अफगान तालिबान के साथ ही नथ थे 90 में जब तालिबान की व हुकूमत थी तो सब के सब जो है वो अफगानिस्तान में थे और उसके कर रहे थे और मैं खल य कि उससे पहले भी अफगानिस्तान में जो खाना जंगी चल रही थी उनमें सब में उसका हिस्सा था तो उसको अलहदा नहीं किया जा सकता है और यह अगर किसी को खुश फहमी थी कि तालिबान में आने के बाद अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद जो है हमारी वेस्टर्न बॉर्डर ठीक हो जाएंगी हमारे अंगे यहां आपको याद होगा जब तालिबान की हुकूमत बनी थी तो बहुत खुशी का इजहार किया गया था और ऐसा मालूम होता था कि जैसे उन्होंने अफगानिस्तान फतह कर लिया तो ये एक चीज रही है दूसरा एक और भी है थो बहुत महंगी चाय पड़ गई थी हमें वो एक चाय का प्याला हमें अब सरीना में बड़ा महंगा पड़ गया अच्छा हम हमारे साहब गए थे ना अफगानिस्तान अच्छा हां ट्स राइट वो जो है तो यही थी सारी चीजें जैसे खुशी का इजहार हो रहा था जैसे उनकी अपनी हुकूमत आ गई और मतलब ये है कि जो कुछ हो रहा है उसमें हमारी स्टेट पॉलिसी का बहुत बड़ा दखल है मतलब एक ये कहा जाए कि ठीक है एक ऐसे मसाइल हैं जिससे स्टेट निबट रही है तो कभी भी नहीं था मतलब आप हमेशा पॉलिसी को देखें एक कंफ्यूज पॉलिसी रही है कभी आप लड़ते थे कभी उनसे माफ आमत करते थे कभी सोचते थे उनको इस्तेमाल किया जा सकता है फलाने के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है और जैसे अभी आपने जिन साहब का जिक्र किया कि वो चाय का पहले पी रहे थे तो उन उनका जो है जो नई जो एक लास वेव आई है उनका बहुत बड़ा कसूर है क्योंकि आप याद होगा आपको जैसे जैसे ही हुकूमत आई थी तो हमने तालिबान के दबाव में टीटीपी से मजाक शुरू करने की बात की थी लेकिन एक अजीब सी चीज थी यकीनी तौर पर दुनिया में ऐसी बहुत सारी मिसाले मौजूद है जहां पे इस किस्म के इं सर्जेंट ग्रुप के साथ स्टेट मजाक करती है लेकिन उसकी बात उसकी शराय मुख्तलिफ होती है रायत ये होती है कि आप हथियार डालेंगे आप जो है कानून करेंगे लेकिन यहां तो उल्टा हो रहा था कि जो मजाक हो रहे थे वो टीटीपी की शराय प कर रहे थे और आपने उनको कंसीट किया खुद अब ये कहते हैं इमरान खान साहब भी कहते हैं कि 40000 लोगों को वापस हम ले आए थे बहुत से ऐसे लोग थे अ जिनको पकड़ा गया था जो कि आप फांसी की सजा भी मिली थी उनको आपने रहा किया यहां पे खास तौर पे सवाद के जो थे जो टीटीपी के लोग थे उनको बाकायदा जो है वापस आ आने दिया गया तो अब मसला ये आता है कि जो अब सूरत हाल जो बन के आती है तो मैं कह सकता हूं कि ये बिल्कुल हमारे ही जो है गलत पॉलिसी के नतीजे में हुई है आई थिंक इट्स इजी कि अब हम इमरान खान और जनरल फैज के खाते में हर बुरी चीज डाल देते हैं बट इट हैज टू बी द इंस्टीट्यूशन बैकिंग टू पीपल कुडंट हैव डन इट इसको अगर हम हिस्टॉरिकली थोड़ा अन पैक करें आपने कहा वो जो नजरिया है हम थोड़े कंफ्यूज ही रहे उस बारे में इंडिया में अब एक ख्याल पाया जाता है क्योंकि पाकिस्तान का नजरिया ही हमेशा से ऐसा था आपने शुरू में कश्मीर में भी मिलिटेंसी की जिहाद को प्रमोट किया तो यहीं पर आना था आपकी अगर हम काम पढ़े आपके कॉलम्स पढ़े तो एक आईडिया मिलता है कि चलिए शुरू में इतना बुरा नहीं था एक वो डेमोक्रेसी मे बी इज अ टू काइंड अ वर्ड फॉर व्हाट द सेटअप वाज बट बेहतर था एंड इट वाज जल हक्स टाइम एंड द आईएसआई बिकमिंग अ स्टेट विद इन अ स्टेट एंड द प्रमोशन ऑफ जिहादिज्म जिसने हमारी तकदीर बदली क्या तो हमारे एक वो लीनियर पाथ य 1947 से ड्रॉ करना जायज है या आप कहेंगे कि वो जो जया का एरा था वो एक टर्निंग पॉइंट सा है देखिए पहले शुरू से पाकिस्तान की पॉलिसी ये नहीं रही थी यह पूरी जो है तब्दीली जो एक हद तक आई और उसकी वजहत बहुत ज्यादा है इसके एक जो यहां पे जो जंग जारी थी अफगानिस्तान में उसके नतीजे में जो बन के आई और आपको याद होगा कि 1980 जो है इट वास वेरी डिफरेंट फ्रॉम नाउ उस वक्त जो है एक एक मशहूर मकला था जॉन फस्टर डलस का जो कि 1950 में अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट थे उनका यह था कि जो है वो द इस्लाम इस्लाम और और मुस्लिम कंट्रीज आर द बुल वर्क अगेंस्ट कम्युनिज्म तो ये एक रही थी और जिसमें आपको याद होगा कि जो मुजाहिदीन का यहां पे बना था दुनिया भर के मुजाहिदीन य आ रहे थे तो जिहाद का नारा तो अमेरिकन प्रिंसेस की जब बॉर्डर प आए थे तो उस वक्त भी एक लिहाज से वही कि उने तो वाइट हाउस भी बुलाया था फाउंडिंग फादर सही बात है उनको सारे के सारे लोगों को तो मसला ये है कि ये जब ये चीज होती है कि जब आप एजाम में जा ते हैं तो उसके बाद जो है यह आपके काबू में नहीं रहते हैं पूरा एक माहौल तब्दील हो गया ठीक है यानी पाकिस्तान का एक और मसला भी जो है कि आप अगर देखें तो फ्रंटलाइन स्टेट रही है तकरीबन 40 साल से मुख्तलिफ जंगो में जिसमें सुपर पावर भी रही है तो एक तो इसका असर था लेकिन 80 में जब हमने सोचा तो हमारे जो उस वक्त हमीद गुल और साहब थे और फौज की जो और लोग थे तो उनका यह था कि उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से रशिया को हटाना जो है वो पाकिस्तान की फतह थी और उसमें खुश फहमी थ कि जो है वो अफगानिस्तान अब आपकी पांचवा सबा छठा सबा बन जाएगा इसी किस्म की चीज होती रही और उसके बाद जो है व असलम बेग साहब की जो फेमस इनफेमस जो थ्योरी थी स्ट्रेटेजिक डेप्थ की तो वो तो खैर फौज की रद खुद फौज ने रद्द कर दिया लेकिन 90 सबसे खतरनाक पीरियड था अगर आप देखें 80 को 90 में फिर हुआ यह कि जब अफगानिस्तान में एक लिहाज से सोवियत यूनियन को हटना पड़ा तो उसके बाद यह समझा गया कि यह तरीके का अब हम यहां पर कश्मीर में कर सकते हैं तो उस वक्त फिर ऑफिशियल पटने मिली उन तमाम तंजीम येह पहले तंजीम नहीं थी जब अफन सोक अफगान जहाज चल रहा था तो यह जो यहां के मिलिटेंट्स थे जो लड़ना चाहते थे जिहाद कर रहे थे सो कॉल्ड तो वो जो है वो अफगान मुजाहिदीन तंजीम का हिस्सा बन के आती थी लेकिन जो पाकिस्तान की तंजीम जैसे बनी यह सारी लश्कर तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन हा हरकत मुजाहिदीन और यह सारी त ह जश मोहम्मद वो सारी की सारी 90स की पैदावार है और उसको एक सरपस हासिल थी और मैं समझता हूं कि सबसे बड़ा नुकसान हमने जो है कश्मीर कॉस को हमने पहुंचाया हमने समझा कि इसके जरिए इनको भेज के हम वहां पर जो है वो तब्दीली ला सकते हैं इसके न उल्टा असर हुआ आपको याद होगा कि लेट 80 में कश्मीर में एक अपराइज ंग हुई थी इंडिया के खिलाफ और वो जो है अपराइज ंग जो है वो इंडिजन थी और उसमें यकीनी तौर पर पूरा जैसे एक इलेक्शन में रिगिंग के जरिए थी और वाकई वहां पर सूरत हाल तब्दील हो गई थी फिर वहां पे तंजीम भी बनी थी जो कि लोकल थी मिलिटेंसी की तो वो तो ठीक था लेकिन उसके बाद जो गड़बड़ हुई है वो यह थी कि आपने लश्करे तैयबा को वहां भेजना शुरू किया जिन्होंने ना सिर्फ जो है वहां पे यानी सो कॉल्ड जिहाद भी शुरू किया बल्कि जो है वहां पे लोगों को मुसलमान भी करना शुरू मुसलमान से मतलब ये है कि अपना इस्लाम फैलाना शुरू किया तो ये तमाम चीजें जो है अगर आप देखें तो कश्मीर में उसकी मुखालिफ कश्मीर में जो मजहब है उस बहुत ही एक उस टाइप का है जो कि वो वहाबी टाइप का नहीं है एक ज्यादा सॉफ्ट एक है और एक रिलीजन उनकी हैसियत रखती है यहां से आप हम ये एक यहां से लोग जाते थे चहार शरीफ को आग लगा दी और कहा कि इंडिया तो ये तमाम तमाम जो है ये चीजें पाकिस्तान के और कश्मीरियों के खिलाफ चली गई लेके अब मसला ये आता है कि वो हो गया सारी चीजें आपको याद होगा कि जब य तंजीम बनी थी तो पहली शुरू में जो कश्मीर की अपराइज जो थी जो इंडिजन थी उसको जेकेएलएफ जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट जो है लीड कर रही थी तो हमने सोचा कि भाई इसको पाकिस्तानाका के लोग थे उनको हलाक करना शुरू कर दिया तो यह बहुत ज्यादा जो है जि यानी एक जो हमारे जो जो प करता धरता है जिनको कहते हैं जो कि उनके अपने वियर्ड ख्यालात जो हैं कि दुनिया को फतह करने की और फलाने करने की वो जो थी और जहां पर उनको हर वक्त ख्याल आता था कि जैसे हम हिंदुस्तान के टुकड़े टुकड़े कर देंगे वो जाके अल्टीमेटली पाकिस्तान के खिलाफ गई है और जो आज जो सूरत हाल है वो एक दिन में नहीं बनी है ये उसी पॉलिसी के नतीजे में जो है जो सूरत हाल है उसने ना बल्कि उल्टा यह हुआ कि जो आप दुनिया को फतह करने चले थे इस्लाम के जिहाद करने चले थे वो आके आप के गले में पड़ गई है इसमें जाहिरी बात है जो जिहाद प्रमोट किया गया आपने मदरसे बनाए गए जहां जिहाद लिटरेचर अमेरिका से आ रहा है पाकिस्तान में व आपने प्रमोट किया गया बट आपने जिस तरह कहा है कि जब अमेरिकन डॉलर्स आ रहे थे तो आईएसआई में आई डोंट नो अगर आपका आंखों देखा हाल है आपने इंफॉर्मेशन से बताया था कि वो सेफ खुले होते थे और पैसा पड़ा होता था और उनका प्रेरोगेटिव होता था कि आपने मुजाहिदीन में बांटना है सो इट वाज ऑल कैश सो आप वो ऑडिट भी नहीं कर सकते कि वो कैश मुजाहिदीन को कितना गया जेब में कितना गया इधर इधर उधर कितना गया सो दैट इनफ्लक्स ऑफ मनी दैट इफ्लक्स ऑफ अमेरिकन सपोर्ट इज दैट व्ट क्रिएटेडटेड विदन द स्टेट और वो जो 80 में अमेरिकन सपोर्ट था क्या उसकी वजह से आईएसआई इतना स्ट्रेंथ हुई या व पहले ही स्ट्रंग होल्ड हो चुका था आईआई ये मैं कहूंगा कि एक और जो हमारे गलती थी पहले आईएसआई जो थी वो टिपिकल जो जैसे और होती है मुख्तलिफ दुनिया के इंटेलिजेंस एजेंसी होती है जिनका काम होता है कि एक्सटर्नल सिक्योरिटी की वो करते हैं तो वो तो हर एक उसम थ तो उस वक्त तक आईएसआई का काम यही था लेकिन गलती वहां से शुरू हुई जबकि आपने डोमेस्टिक पॉलिटिक्स में भी आपने एक इंटरनल जो विंग बनाया था पॉलिटिकल विंग आईएसआई का वहां से आईएसआई का असर नफू सियासत में पड़ना शुरू किया और सर ये कब था ये मे ख्याल ये 1970 में ये हुआ था मैं ख्याल भुट्टो साहब की भी एक गलती थी जिन्होंने जो है इसको बनाया था लेकिन सबको हुक्मरान जब होते हैं तो उनको ये ख्याल होता है कि वो हमारे लिए काम हो जाएगा लेकिन उनको ये पता नहीं होता है जब आप इस किस्म की तंजीम इस किस्म के करते हैं तो वो जो है वो आपके खिलाफ जाती है और यही भी देखें आज र गुलाम जीलानी जो थे आईएसआई के उस वक्त हेड थे उस वक्त शायद ब्रिगेडियर थे बाद में मे जनरल मे जनरल थे बाद में फिर गवर्नर पंजाब भी बनाए गए जियाउल्ला के बहुत ही खास उल खास आदमी थे तो वो जो है उन्होंने उनका किरदार सबको पता है कि जो है 1977 का जो खू था उसमें कितना था तो मसला यही होता है कि जब इस किसीम की तंजीम या इन के आप विंग क्रिएट करते हैं जिसको आप समझते हैं कि हम अपने राइवल के खिलाफ इस्तेमाल करेंगे तो उसके नताइवस्क्रिप्ट जो आते थे वो तो एक उसमें जो है मुजाहिदीन में इस तरह तकसीम होते थे और बहुत सारा जो है पैसा कहीं और भी चलाया जाता था तो यह सारी चीजें तो होती रही है सिर्फ अमेरिका से पैसे नहीं आ रहे थे जितने अमेरिका के आते थे पांच अरब आए थे पाच साल में उतने ही जो है कंट्रीब्यूट किए थे सऊदी अरेबिया ने तो उस वक्त तो पाकिस्तान वाज आई वश जिसको कहते हैं पूरा जो अ वश विथ डॉलर्स जो कि बाहर से आ रहे थे ना आपको जरूरत थी जलक को के जो है कोई यहां पे इकोनॉमिक पॉलिसी सही बनाया और उसके बाद जो है उसके बाद जो पाकिस्तान की इंटरनल सिचुएशन पर जो असर पड़ा है उसको अभी तक भुगत रहे हैं हम उससे बाहर नहीं आ सकते ना ही और बल्कि गहरा होता जा रहा है जो एक इस्लाम एक लिहाज से उस जमाने में जो है जो जलक ने अपनी सियासी वजूद की वजह से जो है एक लिहा से सो कॉल्ड इस्लामी निजाम नाफिटी उसका अपना शरीयत जो नाफिटी और उसमें उस वक्त आपको बाहर की जितनी भी ताक करते थी वो सब के सब हिमायत थी उसको क्योंकि उस वक्त सबसे बड़ा दुश्मन आपका उनका जो है कम्युनिज्म के था सोवित यूनियन थी तो उस वक्त इस्लाम तो है वह आपको जो बाद में अगर देखा जाए तो तमाम जो तंजीम जिसमें आज अमेरिका के खिलाफ लड़ है वो सब के सब यहीं से पैदावार यहां से बंद के गई है तो अलकायदा हो चाहे उसामा बिन लाडन का हो और यह हो सारी चीजें लेकिन वही बात आती है कि हमारा हमने सबसे ज्यादा इसलिए सफर किया कि हमारे घर में हो रहा था अका के लिए तो बहुत आसान था कि अपने आप को जब सोवियत फोर्सेस निकल गई तो उनका मकसद पूरा हो गया वापस चली गई तो जो असरात थे अफगान जहा के उसका भुगतना पाकिस्तान को पड़ा और उसके बाद 90 में जो असलम बेग और ये अमीर गुल उनकी जो पॉलिसी थी वो इतनी ज्यादा खतरनाक थी कि अब उसका अभी भी हमें भुगतना पड़ रहा है इसमें जो हम अमेरिका को शुरू से थोड़ा प्ले कर रहे हैं आई थिंक इंडिया जो नेहरू ने थोड़ा स्मार्ट किया कि नॉन अलाइन रहे हम जो कह रहे थे कि सोवियत आ जाएगा पाकिस्तान में वम वाटर्स चाहिए उसको वाज देयर एवर एक्चुअल सोवियत इंटरेस्ट इन टेकिंग ओवर पाकिस्तान या वर वी यूजिंग दैट एज अ प्लॉय टू गेट अमेरिकन सपोर्ट असल में थोड़ा सा इसकी तारीख में जाना चाहिए ये इलाका जिसका पाकिस्तान बना बाद में नॉर्थ वेस्टर्न पाकि इलाका जो है वो हमेशा से आज से दो 100 साल से जब ग्रेट गेम जो हो रहा था जिसमें ब्रिटिश एक तरफ एंपायर और दूसरी तरफ जो है रशियन एंपायर तो उसका जो है जो एक पूरा ग्रेट गेम चल रहा था तो वो इसी खिता में हो रहा था अफगानिस्तान से लेकर जो आपके नॉर्थ वेस्टर्न एरिया है वो सब के सब उसी के उसमें थे तो एक पुरानी एक वो चली आ रही थी और यकीनी बात ये है कि यह एक हद तक कह सकते हैं कि जो है पाकिस्तान वाज अ फ्रंटलाइन स्टेट क्योंकि जब उस जमाने में ब्लॉक पॉलिटिक्स थी यानी एक तरफ सोवियत ब्लॉक था एक तरफ अमेरिका का ब्लॉक था तो अगर देखा जाए पाकिस्तान का जो अपनी जियो स्ट्रेटेजिक पोजीशन थी उसकी वजह से पाकिस्तान एक फ्रंट लाइन स्टेट के तौर पर था लेकिन जिस तरह से हमने जो जंग में शमू इख्तियार की थी 80 की वो जो है उसने बहुत ही खतरनाक वो दिया मतलब यह कि उसमें बहुत बड़ा पस मंजर इसमें यह भी था कि जो है उस वक्त एक मिलिट्री गवर्नमेंट थी और मिलिट्री गवर्नमेंट अगर आप देखें अगर अफगान यह वाकया नहीं होता जब सोवियत फोर्सेस नहीं आती 1979 में तो जिया के खिलाफ जो है यहां पे मिस्टिकली डेमोक्रेटिक मूवमेंट बहुत तेज हो गई थी पीपल्स पार्टी ए अच्छा वो जो है उस जब ये आया जब सोवियत यूनियन आया तो उसके पूरी तब्दील आ गई जो अमेरिका जम्हूरियत की बात करता था सबसे बड़ा जो है लीफ उनको जल में नजर आया मिलिट्री को अपने अपने इकद के लिए भी जो हैय अच्छी सहूल थी तो वो जो है उस वक्त आपने हिस्सा तो बन गया लेकिन उसमें एक और बात भी हुई कि पूरा आपका कल्चर चेंज हो गया पाकिस्तान आर्मी का कल्चर भी चेंज हो गया मतलब यह कि जिहादी जनरल्स जो हैं वो आप पे हावी थे ले वही हमीद गुल व असलम बेग वे उस जमाने में जितने भी थे वो सब के सब जो है उनके ख्यालात यह थे कि जो हम इस चीज को आगे बढ़ा सकते हैं मुझे अच्छी तरह याद है कि हमीद गुल से मुलाकात जब होती थी तो वो हमेशा कहते थे कि हिंदुस्तान के टुकड़ टुकड़े होने वाले हैं तो मसला यह है कि जब यह आप इस ख्याल से चले तो अपने मुल्क की हालात जो है देखते नहीं है हमने समझा था कि जदी तंजीम जो है वह हमारी हमारी लड़ाई लड़ के जो है कामयाब करेंगे वो सब के सब अब वी आर पेइंग फॉर दैट इसमें आपके एक डॉन का पीस है जिसमें तीन आपने जो बेनजीर भुट्टो से बातें की थी आई बिलीव वन वाज इन 87 वन वाज इन 91 92 एंड वन वाज अ कपल ऑफ इयर्स लेटर तीनों में आपने उनसे पूछा था मिलिट्री के रोल में मिलिटेंसी के बारे में सस यूज ऑफ जिहाद के बारे में तो वंस बेनजीर केम यू आल्सो फील लाइक के वाइल रीडिंग मुझे भी लग रहा था इनके दो-तीन साल में थोड़ा या तो थॉट प्रोसेस प्रोग्रेस हो रहा है या इनको पाकिस्तान की रियलिटी समझ में आ रही है तो ये थोड़ी ज्यादा टो कर रही है मे बी आइडियल ट शी केम विथ दे व सॉफ विथ द रियलिटी ऑफ पाकिस्तान तो वो जो तीन इंटरव्यूज है या आपकी जो तीन मुलाकातें हैं आपने क्या पाया कि उनकी कोई थॉट प्रोग्रेस हुई या जस्ट हर आइडियल कंफ्रे विद द रियलिटी ऑफ पाकिस्तान नहीं मेरा ल तीन नहीं है अगर आप किताब देखें फेस टू फेस किताब में बहुत वो एक डन का जिसम उन्होंने तीन सिलेक्ट कर करर बना टॉपिक को सिलेक्ट किए थे लेकिन इंटरव्यू 14 थे हैं मतलब उसमें खाली तीन सब्जेक्ट को लिया था उन्होंने जो कि इस वक्त के हालात से रेलीवेंट थे बना यह कि जो मैंने 14 इंटरव्यू से जो कि शुरू होते हैं 1986 से तकरीबन 20 साल पे मोहित है बेनजीर साहबा के मुख्तलिफ अद्वार की इदार में आने से पहले इदार में आने के बाद फिर भी बाहर होने के बाद सारे एक है तो वो एक एक हद तक एक इलस्ट्रेट करती है खुद बनज साहबा की जो है वह जो एक सियासी सोच और मुख्तलिफ अद्वार में जो तब्दीली आती रही वो सब के सब उसमें आती है तो एक हकीकत थी ठीक है जो दो ती दो तीन चीजें अन थी कि जब शुरू में उनकी बात थी तो एक क्लेरिटी मौजूद थी कि जो है यह पाकिस्तान के मसाइल क्या है और मसाइल में जो है जो इंतहा पसंदी थी वो एक उनके हर इंटरव्यू में नुमाया तौर पर नजर आती है और लेकिन ये बात भी हकीकत है कि जब फिर जब उनको इदार में मिला था पहला तो वो जो है पूरा इदार नहीं था उसमें आपको जो है एक कंडीशनल इख्तियार था 18 महीने में तो वो भी खत्म हो गया तो बहुत सारी चीजों में व वो उस तरह की जो है उनको आजादी नहीं थी कि अपनी पॉलिसी को चला सके और गलतियां भीय थी मैं ये नहीं कहता हूं कि जो है उनकी नीति के लिहाज से जब 32 साल या 34 साल की उम्र में जब इदार मिलता है और उससे पहले कोई तजुर्बा नहीं होता है उसके बाद ऐसी आपको जो 10 साल के बाद से एक मि मि हुकूमत रही है इस दौरान में तो उसमें आसान नहीं होता है हम बाहर बैठ के तो बहुत आसानी से कह सकते हैंट मिलिट्री गवर्नर पंजाब नवाज शरीफ आईजी आए तो मतलब क्या ही पावर है आप पास बिलकुल उनकी हुकूमत इस्लामाबाद में ज्यादा आगे नहीं थी इसमें और सही बात है कि जो है तादाद आपको याद होगा कि 18 महीने तो हटा दी गई उससे पहले भी जो है बादा ओपनली आईएसआई उनके खिलाफ करती रही थी जो वोट कान्फ्रेंस हमित गुल मुझे अच्छी तरह याद है मुल्तान में मुलाकात हुई थी मेरी बड़ा कहना कि हमने इसको खत्म कर दिया है वह बेनजीर जो है वो इंडिया से दोस्ती करना चाहती थी और हमने जो है वहां पर फलाना क्रिएट कर दिया फलाने ने क्रिएट कर दिया तो यह एक सोच मौजूद थी तो ये आसान नहीं होती है तो यकीनी बात है जब दूसरी दफा इदार में आई तो बहुत सारी चीजों में आपको नकती है ठहराव सा था उनको यह हकीकत तो मालूम हो गई थी कि जो है पाकिस्तान में जो है वो एक तर इदार इस तरह का नहीं होता है तो वो सारी चीजें जो है नजर आती हैं फिर वो य सियासी जो हालात थे वो भी है और खुद भी मतलब मैं नहीं कहता हूं कि फिर के उनकी पॉलिसी हर जगह सही थी बहुत सारी चीजों में हम खामी नजर आती है लेकिन ओवरऑल अगर आप देखें तो उनके पास तीन चार चीजों बहुत वाज थी उनके ख्यालात एक तो मिलिटेंसी के खिलाफ इंतहा पसंदी के खिलाफ उन्होंने हमेशा जद्दोजहद की और जब आखिर में भी वापस आए उसी के नतीजे में तो मेरा खल वाहिद सियासी लीडर थी जिन्होंने टेररिज्म के खिलाफ मिलिटेंसी के खिलाफ आवाज उठाई और हमने देखा कि जब आखरी तकरीर आपको याद होगा पिंडी में वो भी यही थी सारी की सारी और इसी के नतीजे में जो उनके उनके इनके जो है ससने जो हुआ उसमें सबको पता है कि कौन किसके हाथ था बैतुल्लाह महसूद के मैंने मैंने पूरा इस पर तत भी की थी य हकीकत थी कि उसमें जो है य इतहा पसंद का पूरा हाथ था उस विथ स्टेट सपोर्ट और द स्टेट लक द अदर वे एंड लेट इट हैपन नहीं मुझे लगता ये कि उसमें यह नहीं था ल उनके इंटरेस्ट में उस वक्त नहीं था क्योंकि आपको याद होगा वो मुशर्रफ के से एनआरओ का भी हो गया था एक लिहाज से अमेरिका के के उस पे एक सियासी मुदा भी हो गया था मुशरा वाज अंडर द इंप्रेशन के इलेक्शन के बाद आएंगी और वो जब इलेक्शन पहले आ ग मुश वाज नॉट हैपी वि सही बात है वो तो बहुत कुछ और हुआ था फिर ये भी आ गए थे लेकिन मुझे जो लगता है मैंने जो देखा है उसमें साफ लगता था कि बैतुल्लाह महसूद और पीटीपी यहां तक कि जो लड़के थे जो सुसाइड बॉम्ब आए थे वो मदरसा ह कानिया से आए थे और उसके बाद दो लड़के और पकड़े भी गए थे उसके मदरसा ह कानिया के तो मतलब यह कि वो चीजें सारी मिलती मैं तो उसमें जो लोग इसमें तहकीकात में शामिल थे खासतौर पे नाम लेना शनास नहीं पुलिस ऑफिसर थे बहुत ही काबिल था अभी शायद रिटायर हुए हैं आईजी थे सब पंजाब के लेकिन वो तो बल्कि उका पीपल्स पार्टी से हमदर्दी भी थी तो उन्होंने पूरा मुझे डिटेल जो बताई थी उसमें साफ लगता था कि जो है वो सारा का सारा जो है ये वही मिलिटेंसी के हवाले से लेकिन अगर कहते स्टेट में तो स्टेट खुद एक लिहा उस वक्त इनके थे मुशरफ पर जो हमले हुए थे वो किसने करवाए थे तो यह कलाना हमले भी तो हुए थे आप उसी तरफ अंदाजा कर रहे जिसमें जाक से पूछा जाता है लक तो ही ल्स पॉइंट्स और सजेस्ट के घर के अंदर से ही कुछ हो सकता है पॉसिबिलिटी हमेशा घड़ के अंदर चीज होती है इसमें सर ओन ब जोनस की भी किताब है अ बुट्टो डायनेस्टी पे उस पे वो इन्वेस्टिगेशन पे भी बहुत सवालिया निशान उठाते हैं कि अ एक तो हमें क्राइम सीन थो दिया था व्हिच वाज अ बिग डिस्कशन देन मोबाइल फोस भी गायब हो गए थे तो वुड यू से दिस इज अ स्टैंडर्ड प्रोसीजर के बस इंफॉर्मेशन दबाने के लिए यह करते ही हैं या वुड यू से इट वाज अ कवर अप नहीं देखिए मतलब ये कि पाकिस्तान में कभी भी तहकीकात जो हुई है किसने हुई है इतने वाकत जो भी होते रहे कोई भी उस तरह की तहकीकात सही तौर पे हुई नहीं है तो इसी तरह बेनजीर के बी ससने की जितनी भी तहत थी उसके मुतालिक तो शक बात होते हैं और खास तौर पर एक और बात भी होती है कि जब एक मिलिट्री यानी एक लिहाज से सदर हो उस व हुकूमत उस तरह की नहीं थी लेकिन एक मुशर्रफ अभी तक इदार में थे तो यकीनी बात यह है कि तमाम शुकू शुभत तो जाते हैं अब मेरा ख्याल ये है कि यह इतना ठीक है यह बात आती थी वो धो दिया गया था फलाना लेकिन लोग बड़ी पिक्चर मिस कर जाते हैं मतलब एक एक सियासी इशू बन गया था इसको भी हमें देखना चाहिए कि बेनजीर का कत्ल जो है वो एक सियासी इशू बन गया था तो उसको हर शख्स अपनी तौर पर भी इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा था इसकी वजह से कभी भी सही तहकीकात या उसके नताइएपीजीईटी थ और मे खल य बहुत सारे सवालात तो बनते हैं लेकिन एक तो यह था कि लोगों का एतमाद नहीं था कि जो लोग तहकीकात कर रहे थे मतलब तहत से मतलब मैं हुकूमत उस वक्त की हुकूमत के मुतालिक बात कर रहा हूं स्टेट के मुतालिक बात कर रहा हूं जो अभी तक थी तो एक शुभ की गुंजाइश तो उसमें हमेशा रही है लेकिन मेरा अपना ख्याल है कि चीजों लोग जिन लोगों को पता थी कि किसने किया है वो यह बात ऐसी नहीं है कि यह बिल्कुल डाक कोई क बहुत सारे सबूत मौजूद थे उसके इसमें आपने मुशर्रफ का जिक्र कर दिया आपने उनके लिए कॉलम लिखा था आपने बोला कि मिक्स लेगासी होगी बट वन रीड बिटवीन द लाइंस वन ज एन आइडिया ऑफ व्ट प्रोली योर ओपिनियन माय ओपिनियन इज द सेम के अक्सर लोग कंफ्यूज कर जाते हैं जब जया और मुशर्रफ में तफरी करते हैं तो मुशर्रफ का जो पर्सनल लाइफ स्टाइल लिबरल जो है जिना लिबरल जिनको मैं कहता हूं कि आप अगर जिंदगी में शराब पीते हैं या कुछ करते हैं दैट डजन चेंज व्ट योर पॉलिसी आर सो मुशर्रफ ने उतना ही नुकसान दिया पाकिस्तान को जितना जल हक ने दिया आपने टीटीपी क्रिएशन की बात की लाल मजद वा ह्यूज फैक्टर 14 दिसंबर 2007 को जब सारी तंजीम साथ आई टीटीपी बनी तो मुशरफ की ये जो पॉलिसी थी के म्यूजिक वीडियोस हो लाइफ स्टाइल लिबरलिज्म प्रमोट हो इनलाइट मॉडरेशन के बात हो लेकिन एस फार ए स्टेट पॉलिसी इ कंसर्न वी सॉ द पेटनेट फॉर टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन देखिए असल बात दो चीज अलग-अलग एक तो यकीनी बात कि एक डिक्टेटर दूसरे डिक्टेटर के साथ मुख्तलिफ होता है हालात तो यकीनी तौर प जया का जो पूरा था वो इलाम एक इस्लामिक स्टेट बना आ चाहते मुशरफ जिस दौर में आया थे वो उससे मुख्तलिफ थी उस वक्त जो है एक लिबरल पाकिस्तान की जरूरत थी इंटरनेशनल उसमें भी जरूरत बनके आई थी और मुशर्रफ का खुद भी जो बैकग्राउंड है था वो एक मुख्तलिफ था तो यकीनी तौर पे उनका जो अप्रोच था वो बहुत ही मुख्तलिफ था लेकिन एक होती स्टेट पॉलिसी एक होती इंस्टिट्यूशन की पॉलिसी अपनी तो अगर देखा जाए तो मेरा खल जन मुशर्रफ जब चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनने से पहले या सदर बनने के बाद से पहले या उससे जो के बाद जो उनकी हैसियत बन के आई थी तो उससे पहले देखा तो एक इंस्टीट्यूशनल जो पॉलिसी थी ू टू पेनाइज मिटेंस ग्रुप तो सब एक हिस्सा बन के आए थे मे खल अगर 98 1998 वगर में मुशरफ से पूछा जाता तो वो सब लोग उसकी ताई करते उन पॉलिसी की जो कि स्टेट ने चलाई हुई थी यूज मिलिटेंसी एस टूल फॉर फॉन पॉलिसी लेकिन ये हकीकत थी कि हालात जैसे तब्दील हुए तो मुशर्रफ की पॉलिसी जरा उससे मुख्तलिफ थी क्योंकि खुद वही ताकत वही फोर्स जो कि किसी वक्त में स्टेट पैटन कर रही थी वह आपके खिलाफ खड़ी हो गई अब हम देखते हैं कि जब जो सूरत हाल तब्दील हुई 911 के बाद तो आपको जरूरत इस बात की बड़ी एक आयनी थी कि 1980 में अमेरिका की तरफ से यह था कि इनको मिलिटेंसी को जो है एक लिहा से इनकरेज किया जाए फिर वही चीज पाकिस्तान प जो बोझ पड़ा 911 के बाद वो यह था कि टू अनडू व्हाट वास आपको याद होगा कि टीटीपी का वजूद भी हुआ लाल मस्जिद के भी वाकत हुए मुशर्रफ पर दो कातिलाना हमले भी हुए बहुत ही करीब थे मतलब ऐसी बात नहीं थी कि जो है वो उसमें थे तो यही यही होता है कि जब ये तंजीम होती है तो उसके बाद यह नताइएपीजीईटी मुख्तलिफ राय हो सकती है लेकिन एक असल जो प्रॉब्लम आती है यह कि जैसे मैंने ा कि मुशर्रफ का बिल्कुल एक अपनी पर्सनल सोच जो थी मैं खल उससे बहुत मुख्तलिफ ी की जल हक की थी मिलिटेंसी के हवाले से इंतहा पसंदी के लावे से परसेप्शन ऑफ पाकिस्तान विजन ऑफ पाकिस्तान वास कंपलीटली डिफरेंट वो इस्लामी स्टेट बनाना चाह रहे थे यह एक मॉडर्न पाकिस्तानी स्टेट बनाना चाह रहे थे ये तो फर्क है लेकिन असल मसला जो आता है वो यही आता है कि जब मिलिटरी गवर्नमेंट रहती है तो उसके सियासी प असर प पड़ती है वो एकसा रहती है मतलब यह है कि एक हमेशा मैं कहता हूं कि एक अजीब सी सूरत हाल है इस मुल्क की कि जब मिलेट डिक्टेटर आता है थोड़ी दिन बाद जो है अपने आप को डेमोक्रेटिक बनाने के चक्कर में हो जाता है उसको लेजिटिमेसी चाहिए होती है तो वो जो है वो फिर आप देखें कि जया उल हक ने भी अपनी की 85 का इलेक्शन भी करवाना पड़ा उसको लेकिन वही चीज उसके खिलाफ चली गई अब जो है फिर मुशर्रफ जो है 2002 में भी उन्होंने वही तारीख से सबक कोई नहीं सीखता है वही चीज जो मुशर्रफ पहले तन कीद करते थे कि जया ने ऐसा गलत किया था तो बाद में जो है उन्होंने भी रेफरेंडम कराया मतलब उसी किस्म का फ्रॉड रेफरेंडम था जो कि जन ज ने करवाया था और उसी बाद 2002 में फिर उन्होंने एक हद तक इलेक्शन भी करवा दिए थे और एक किंग्स पार्टी भी बना दी थी जो पीएमएल एन क्यू के उसमें तो वो असल मसला जो है सियासत का होता है लेकिन एक बात सही है कि जब हम लिखे हैं मैं हमेशा मेरा एक मौक रहा कि जब आप किसी शख्स के बारे में तो आप या तो ब्लैक या वाइट उसको करने की कोशिश करेंगे तो गलत होता है और उसको एक ऑब्जेक्टिव तरीके का से आप करें ज्यादा बेहतर होता है तारीख के लिए भी और फिर आपके अपने एक स्कॉलर स्कॉलर स्कॉलरली जो आपकी एफर्ट होती है उसमें जरूरत उस बात की होती है कि आप ऑब्जेक्टिवली इसको देखें अगर मैं कोई यह कहना शुरू करूं कि अब मुशर्रफ और जया में कोई फर्क नहीं था तो मेरा खल सही नहीं होगा और बहुत बड़ा फर्क था हालात की लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता है कि आप किसी मिलिट्री टेकओवर की आप हिमायत करते हैं लेकिन हालात में बहुत फर्कता है उसके जो ऑब्जेक्टिव में बहुत ज्यादा फर्क था वो अलग और उसकी वजह भी थी कि जिन हालात में यह आए थे जलक बने थे और जिन हालात में मुशरफ बने थे उसमें भी बहुत ज्यादा फर्क था इसमें जाहिर सी बात है हिस्ट्री विल जज पाकिस्तान में क्योंकि मीडिया की इतनी आजादी नहीं थी तो हमें बस बोला गया था यू आर विद अस और अगेंस्ट अस इसका डिस्कशन नहीं हो सकता वो अगर आप टर्की से कंपेयर करें तो आप देख सकते हैं ऑप्शंस कुड हैव अराइज मे बी वो हिस्ट्री को री लिटिगेट तो हम नहीं कर सकते लेकिन हम लाल मस्जिद पे अगर वापस आए तो वो जब डेमोक्रेसी नहीं होती या पार्लियामेंट की जरूरत नहीं होती वो वन मैन रूल होता है मैं भी उस वक्त जवान था मुझे भी था कि हां अगर हमारे इस्लामाबाद के सेंटर में आप लोगों को किडनैप कर रहे हैं तो आप क्या ही कर सकते हैं यू हैव नो ऑप्शन यू हैव टू डू ए मिलिट्री ऑपरेशन इन रेट्रोस्पेक्ट आ आई वाज नाइव आई डिन अंडरस्टैंड दीज इश्यूज आप किस तरह देखते हैं मुशर्रफ का लाल मस्जिद ऑपरेशन और उसकी लेगासी आप किस तरह से देखते हैं कि दैट गनाइज द जिहादिस्ट मूवमेंट इन पाकिस्तान एंड सर्ट ऑफ मेड ऑल ऑफ पाकिस्तान लेजिटिमेसी थी एक तो पाकिस्तान में य था कि आप उनको जो है जो इस की तंजीम उसके खिलाफ जो जाल मस्जिद का जो था असल चीज यह थी कि जो स्टेट की गलती थी वो थी कि जो है जब यह शुरू हो रहा था उस वक्त क्यों नहीं रोका उसको रोका जा सकता था यह तो बाकायदा एक एक लिहाज से विदन स्टेट स्टेट विदन स्टेट बन गई थी यहां पर इनका पूरा एक हद तक वो था व तीन चार साल से सूरत हाल चल रही थी एंटीर क्राउ गन तक थी उसके अंदर जा मैंने खुद देखा मैं जा चुका था पहले प्रेशन बहुत पहले मा गया था ये क्या रशीद कते भाई वो उनसे तो सारे ल के बैठे हुए थे का फ तालिबान आ रहे थे जा रहे थे वो सब कुछ हो रहा था टीटीपी टीटीपी तो बनी थी इसके बाद बनी थी टीटीपी उस वक्त नहीं थी लेकिन उस वक्त आपका पूरा जहाज जो चल रहा था उस व एक पाकिस्तान की अपनी जो कंफ्यूज पॉलिसी थी ना अफगानिस्तान के मसले पे वो होना था कि जब आप तो एक हद तक आप तालिबान की सपोर्ट भी कर रहे थे तो आपने उसको अलाव कर दिया अब मैं उस तर तालिबान की बात कर रहा हूं उस व टीटीपी नहीं बनी थी वो था अफगान तालिबान वो सब के सब यही पे थे क्योंकि पाकिस्तान ही से लोग लोग जा रहे थे बहुत सारे लोग जो अफगान तालिबान लड़ रहे थे तो वो एक घर सा बन के आया था तो फिर जब वो बना समझा कि हम ताकतवर हो गए हैं तो उन्होंने अपना इस्लाम फैलाने की कोशिश की जब वहां पे आक स्टेट से टकरा हुआ लेकिन उससे पहले जो एक गढ़ बन गया था तो उसको आपने टच प नहीं किया मुझे अच्छी तरह याद है कि 2005 में एक दफा पुलिस ने उस पर जब इनकी मज मदरसा हजा के खवातीन ने जो है उस परे कब्जा किया था लाइब्रेरी पे तो उसपे पुलिस एक्शन हुआ था और जैसे ही वो कामयाब हो रहा था तो आपने वापस ले लिया दबाव में उस वक्त सूरत हाल ये थी कि यानी आप अगर मैं एक वहां पे सीनियर पुलिस ऑफिसर से बात करर जो कि आईजी थे वहां वो कहते थे कि अगर हमें हुकूमत बैक करे तो हम दो दिन में खत्म कर देते आई एम टॉकिंग अबाउट 2005 2006 में आराम के साथ हो जाता था लेकिन उस वक्त आपकी मस्लत कुछ और थी दूसरी एक और बात मैं आपको बताऊं कि जो उस वक्त हुकूमत जिनकी थी बनाई थी मुशर्रफ ने वो बजत खुद इनके साथ मतलब उनकी हमदर्द आं थी हम आपको याद है चौधरी शुजात इनके सबसे बड़े खलीफ थे उस मिलेट गवर्नमेंट के वो पैटरना इज कर रहे थे इनको सारे का सारा जो है उनको घर भी दिया था उनको ये भी दिया था तो विदन ये जो है हुकूमत के अंदर भी जो है एक वो बन के आ रही थी मुझे अच्छी तरह याद है कि जब ये पूरा फिर उन्होंने जब बढ़ा कशीद कीी बढ़ी और जब इन्होने का अवा करना शुरू कर दिया चीनी उसको भी और जाके अपनी कोर्ट भी सेट अप कर ली थी तो मुझे अच्छी तरह याद है कि एनडीयू में जन मुशर्रफ आए थे ये शायद जुलाई में इनका हुआ था ऑपरेशन से एक हफ्ता पहले की बात थी तो वहां वो तकरीर कर रहे थे इसी प के पाकिस्तान को मिलिटेंसी का तो मैं आखिर में खड़ा हो गया मैंने कहा कि आई कंपलीटली एग्री कि मिलिटेंसी इज द बिगेस्ट थ्रेट टू पाकिस्तान बट आई डोंट थिंक योर गवर्नमेंट है एनी क्लियर पॉलिसी अबाउट इट और यह जो है उसी नतीजे में आज हम देख रहे हैं कि इस्लामाबाद के अंदर जो है आपको रिट स्टेट की रिट चैलेंज हो रही है द स्टेट सीम्स टू बी हेल्पलेस तो मुशर्रफ मुझे याद है कि सुर्ख हो गया चेहरा फिर उन्होंने टिपिकल कहा हां मैं जानता हूं तुम क्या लिखते हो लेकिन फिर उसके बाद उन्होंने 15 मिनट तक री की कि देखें मैं भी अगर कल मैं ऑपरेशन करता हूं लेटरी को तो फिर आप टीवी वालों से कहे कि लाश नहीं लाशें ना दिखाए फिर लेकिन सबसे बड़ी बात य कि जरूरत इस बात की नहीं थी कि आप इसको फिर एक जंग का मैदान बना दें बात ये है कि उसको दूसरे तरीके से भी आप डील कर सकते थे जो डिले हो चुका था उसको जो है वो आप अगर शुरू में एक होता है हमेशा जब आप चीजें निकल रही होती क्या था मदरसा यह जो है यह लाल मस्जिद ल गढ़ बना हुआ था मिलिटेंसी का पूरी जो है वहां पे आप अच्छा स्टेट के सामने जो है सारा कुछ हो रहा था फिर आपने अचानक तोपे लगा दी उसमें ऐसा लगता था कि मैदान जंग बन गया है और यह हकीकत है कि फिर हमारे बहुत सारे एंकर परेसान ऐसे भी थे जो बड़े बातें करते थे फिर उन्होंने बिलकुल राय पलट दी कोई कहता कि 100 लाश हमने देखी कोई 50 लाशें देखी जो गलत थी सारी तो यह एक एक चीज बन के आई स्टेट के अंदर जो कांट्रडिक्शन थे वो भर के सामने आए थे उसमें तो बात वही थी कि ओवरऑल पॉलिसी गलत थी कि आपको यहां तक पहुंचने नहीं देना चाहिए था जब आपकी पॉलिसी जो है वो एक पैराडॉक्सिकल हो तो फिर ये ताइज फिर इस तरह जखम जो है जैसे होता है ना जब आप शुरू में ट्रीट ना करें किसी चीज को तो वो फिर एक नासूर बन जाता है और फिर उसको खत्म करना बड़ा मुश्किल हो जाता है तो एगजैक्टली य थी कि कि वो पॉलिसी भी गलत थी जिसमें अल किया आपने उसको आपको पहले से खत्म करना चाहिए था और जब जिस तरीके से डील करने की कोशिश वो भी गलत था इसका मतलब यह नहीं है कि हम उनकी लाल मस्जिद वालों की जो ऑब्जेक्टिव थी उसकी हम ताई करें और ठीक है एक नासूर फटा तो वो जहर जो है तमाम फैल गया इसका मतलब यह कि वो वो यह नहीं था कि वो मौजूद नहीं था ठीक है टीटीपी उसके बाद बनी लेकिन यह हकीकत भी थी कि लाल मस्जिद वालों का पूरा जो है एक राबता था अलकायदा के साथ बिल्कुल एकल है इसी वजह देखें जब मस्जिद प जब हुआ था तो उसामा बिन लाडन का और जवाहरी के बयानात भी आए थे इस पर और एक लिहाज से जिहाद का ऐलान कर दिया था स्टेट में तो वो ठीक है वो जब आपने नासूर को तोड़ने की कोशिश की तोव फैल गया और फिर हमने देखा था कि फिर पाकिस्तान जो है एक टेररिज्म का शिकार बन के आ गए लेकिन उसके बाद ठीक है हमने एक हद तक फौज भी भेजनी पड़ी आपको वहां पर खत्म भी करना पड़ा लेकिन क्या वजह है कि वो चीज अब तक चली आ रही है इसकी वजह यह थी कि हमने होलिस्टिक पॉलिसी नहीं थी हमारी एक स्टेट की कोई पॉलिसी लेटेंसी से हटने की हमने कभी य नहीं किया कि मिलिटेंसी और एक्सट्रीमिस्म जो है उसमें बहुत ही थिन फर्क होता है अगर आप एक्सट्रीमिस्म को अलाव करते रहते हैं मदरसे आपके खुले रहते हैं और वहां पर जिस किस्म के जहाज की तालीम दी जाती है तो उसके बाद फिर अगर आप वक्ती तौर पर कुछ मिलिटेंट्स को मार भी देते हैं तो वो तो फिर उर के आता है जैसे मैंने स्कॉर्पियन टेल जो लिखी थी वो यही थी कि स्कॉर्पियन टेल का मतलब आप एक बिच्छू को स्कॉर्पियन को जब आप उसका सर काटते हैं तो फिर री ग्रो कर जाता है तो मतलब यह कितने दफा सर कर यही मिसाल इसकी भी थी मिलिटेंसी की कि आपने जो है कुछ लोगों को तो मार दिया लेकिन यह कि उसके बाद जो उसी के वही फिर और बढ़ता ही चला जाता था तो पाकिस्तान में जर दिखाया तो एक कंफ्यूज पॉलिसी एक तरफ ये और पाकिस्तान की खुद जो है जो जो स्ट्रेटेजिक पोजीशन रही और जिसको हमने कैश करने की हमेशा कोशिश की उसका नतीजा भी नजर आता है हमारे अपने जो इस वक्त सूरत हाल है उसमें डायरेक्ट उसका लिंक बन के आता है तो एक चीज को नहीं देख सकते एक इंटरनल प में कंफ्यूजन दूसरी तरफ पाकिस्तान की अपनी जो है अब आप मुझे बताइए कि एक मुल्क जो है जो एक है दूसरी तरफ जो है अफगानिस्तान में 40 साल से जंग जा रही है 40 साल से और व्हाट एवर हैपेंस इन अफगानिस्तान आपका पूरा जो है वह स्पिल ओवर इफेक्ट तो यही बन के आते हैं और दोनों जंगे जो है आपकी उसमें सुपर पावर्स केल और दोनों में पाकिस्तान का रोल रहा था और मुतजेंस देखने के काबिल है कि जो पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है उसमें एक तो अपना अपनी पॉलिसी जो हमारे अपने जो हजरात थे हमीद गुल और असलम बेग टाइप के उनका अपना मसला बनके आता था उनकी सोच बनके आती थी वो जयस एक लिहाज से जो थिंकिंग थी वो रही बरकरार और दूसरी तरफ जो हमारी खुद की भी जो है जो एक शरत हाल रही थी जिओ स्टेजिक पोजीशन है उसका भी एक अमल दखर रहा था उसको हमने आई थिंक अग्री के सारे नुआंसेस हैं बट स्टिल फेयर टू से कि जो लाल मस्जिद का प्रोपेगेंडा था वो तो टेररिस्ट की आपने जीत करा दी बिकॉज दे केप्ट यूजिंग दोज वीडियोस एज अ वे टू से कि स्टेट ऑफ पाकिस्तान इज अगेंस्ट इस्लाम इसमें अगर हम वापस एक मुशर्रफ के आपने जो कहा वो लाल मस्जिद प ऑपरेशन हुआ वो एक कहावत भी है ना कि व्हेन ऑल यू हैव इज अ हैमर एवरी प्रॉब्लम सीम्स लाइक अ नेल आप अकबर भुक्ति के साथ साथ भी रहे उनके साथ भी आपने इंटरव्यूज किए बात की वुड यू ड्रॉ अ पैरेलल के उसमें भी द वे इट वाज डेल्ट विद कि आपने ड्रोन ही मार दिया तो बलोच इंसर्जनल हैव पॉलिटिकल सलूशन टू इट अगर मुझे पूछा जाए कि सबसे बड़ा जो है मुशर्रफ जन मुशर्रफ की वो क्या थी ग जो गलती कह ले या जो है सबसे बड़ा टू बी ब्लेम वास हाउ ही हैंडल द बस्तान सिचुएशन वो सबसे ज्यादा अगर मैं मुझे कहा मुझसे पूछा जाए तो यह था देखि एक बात थी कि बलूचिस्तान में एक सिम चल रही थी इनसरजेंसीज तो मौजूद था एक उसमें ये था कि अकबर बुक्ती की मैं मिसाल देता हूं अकबर कोई बहुत बड़े हीरो नहीं थे बल्कि अगर देखा जाए तो जो बलोच नेशनलिस्ट पार्टीज में उनको अच्छी नजरों से नहीं दिखा जाता था वो हमेशा समझ जाते थे कि वो स्टेट के साथ जाते थे ठीक है उनकी अपनी भी कुछ वो थी लेकिन आपको जिस तरह से डील किया उस उसने आपको जता ना कि एक एक उसको फैला दिया एक चीज को एक सिमरिंग सी एक अनरेस्ट मौजूद थी बलूचिस्तान में उसकी वजू हात भी थी उसकी वजू हात थी कि जो है वहां पर जो जिस तरह से ट्रीट किया जाता था वहां पर पुस मांदी गुरबत ये वो सारी चीजें मौजूद थी लेकिन जब अकबर बटी का जब आप मारा तो उसके बाद वो जो फैल गया था सूरत हाल और एक और बात बता जो इंसर्जनल उठी है उसको आप कभी भी कब नहीं कर सके वो अभी तक चल रही है मुझे अच्छी तरह याद है कि जब मैं वापस आया था अकबर बुक्ती के साथ दो तीन रहा था तो ये नहीं है कि मैं मैं ये नहीं कह रहा हूं कि उसकी समाम सोच सही थी लेकिन ये बहुत सारी चीजें सही भी थी मुझे लगा जोब मैंने एक आके न्यू न्यूज वीक में एक आर्टिकल लिखा था मुशर्रफ अदर वर और इसी तरह से एक न्यूजीलैंड में लिखा था तो न्यू न्यू वक में काफी बड़ी स्टोरी थी जिसमें पूरा मैंने एक वो किया था तो उस वक्त अकबर बुकट जिंदा थे तो उसके बाद उसमें बहुत ज्यादा इन पे वो पड़ा मुझे अच्छी तरह याद है मे जनरल शौकत सुल्तान ये होते थे आईएसपीआर के चीफ तो एक दिन मुझे फोन मिलना चाहते हैं तो मैंने कहा क्या कल कल आप आ सकते हैं तो मैंने कहा कल तो मुझे जाना है लंदन में मुझे मीटिंग है मेरी तो उसके बाद कहते हैं अच्छा मैं अभी आता हूं तोव आए तो एक न्यूज वीक का जो है पूरा मार्क करके लेके आया था कि ये ये तो पहला जुमला उन्होंने कहा द प्रेसिडेंट इज वेरी अनहैप्पी विथ यू ज मुशरफ थे विथ दिस आर्टिकल एंड ही वांट्स टू सी यू मैंने कहा कि देर नथिंग न्यू अबाउट इट मतलब थ उस जमाने में दोनों चीज रही थी मु मुशरफ के साथ मेरा एक लिहा से कांटेक्ट था एक वक्त ये भी था बीच में ऐसा भी आया था जहां प बहुत सख नाराज भी थे उसकी वजू हात यही थी जो जो मेरे कॉलम सॉरी आर्टिकल न्यूज वक में छपे थे उससे पहले दो एक और थे तो एक ये था तो मैंने उनको एक चीज का जवाब दिया मैंने उनको शौकत सुल्तान से कहा कि यह मैं इस वक्त आपको बता रहा हूं यह सूरत हाल ये 2005 की बात है 2005 की हा जब इसके अकबर बुट्टी के ससने से तकरीबन छ महीने पहले की मैंने कहा कि बात सुने सारी चीजों के बाद मैंने कहा देखें मैं वहां से अगर आपने इसको डील सही नहीं किया मैं तो आपको वर्न कर रहा हूं कि यह सूरत हाल है और अगर आप नहीं देखते हैं सूरत हाल को अगर आप मिस उसको एक लिहा से एक ट्रीट करते हैं चीजों को या सही पॉलिसी नहीं अपनाते हैं तो उसके बाद आपको फिर मैंने कहा कि एक मैंने मिसाल दी कि आपके एक प्रेडिसेसर थे आईएसपीआर के चीफ ए आर ब्रिगेड एआर सिद्दीकी उन्होंने किताब लिखी थी 20 साल बाद जो ई पाकिस्तान के जो वाकत हुए थे उसके मुतालिक एंड इट वाज वन ऑफ द बेस्ट बुक ऑन द मैंने कहा कि आप चाहते हैं कि आप जो है 20 साल बाद फिर लिखें कि बलूचिस्तान में क्या गलतियां हुई अब मुझे बताइए 2005 की बात कर रहा हूं 20 साल हो चुके हैं इस वक्त सूरत हाल और खराब हो गई है तो कोई यह नहीं पूछता है कि कहां पे पॉलिसी गलत हुई है तो मैं समझता हूं कि अच्छा दूसरी एक और बात थी उसी जमाने में इसको और अच्छी तरह डील कर सकते थे बाद मुझे और तका से और चीजें पता चलती रही इस वक्त कि किस तरह से अंदरूनी तौर पर भी फौज के अंदर जो था कि बाज बड़े हॉकिश थे जो चाहते थे कि बस हर चीज को वो बाय फोर्स डील किया जाए और बाज जो है उनका कहना ये था देखिए इतना अच्छा मौका था उस वक्त ज मुशर्रफ के जमाने में 2005 में उसी जमाने में थोड़ा सा जो एक अनरेस्ट थी जब बुटी के उससे पहले की बात थी कि जब उसको मारा गया था लेकिन उससे पहले की बात थी कि फिर एक एक बनी थी सेनेट कमेटी के एक बनी थी अस्तान की उसकी रिपोर्ट बहुत अच्छी थी कि क्याक ग्रीवांसेज है किस तरह से उसको डील कि शायद वो सेनेटर मु शायद उसके वो थे और दूसरे और लोग भी थे उसके हेड तो वो जो है वो बहुत अच्छी तजवीज थी तो एक अरगस जब आ जाते मिलिट्री उन्होंने रिफ्यूज कर दिया उसको इंप्लीमेंट करने के अगर वो इंप्लीमेंट हो जाती और फिर यहां पे मिलिट्री यूज ना करते तो आज बस्तान की सूरत हाल बहुत मुख्तलिफ होती आज ये जो सूरत हाल बन के आई है इसकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी यह थी कि 2005 में जो कुछ किया गया बलूचिस्तान में उसके असरात अब नजर आते हैं ठीक है अच्छा एक और बात भी लोग नहीं समझते हैं कि देखि य ज्यादा खतरनाक है देखि उससे पहले जो दो तीन इनसरजेंसीज स्तान में तो उसमें सब जो है वो उसव ज्यादातर जो है ये ट्राइबल जिसको कह सकते हैं मरी थे या वो थे तो वहां वहां तक महदूद थी लेकिन जो यह इं सर्जेंस इसलिए खतरनाक है कि इसका जो है मेवर जो है या जो है वो है मकरान का इलाका जहां पर मिडिल क्लास रहती जहां पर लोअर मिडिल क्लास रहती यहां प बलोच जो है वो सरदारी सिस्टम के अंडर में नहीं है आज वो जो है जब भुट्टो के जमाने में जो इनके खिलाफ कार्रवाई हुई थी मिलिटरी इसमें तो ये बलूचिस्तान ये मकरान का इलाका अफेक्टेड नहीं था अब जो है सबसे बड़ा इस वक्त इनसरजेंसीज हुई है वो मकरान है और वो ज्यादा खतरनाक सूरत हाल इसलिए है कि आप देखें खुद भी कि जो लोग उसके एक्टिविस्ट है वो वो नहीं है कि सरदारी सिस्टम की चे दबे हुए हैं यह जो है पढ़े लिखे और व है ये एक मिडिल क्लास जो है वो बन गए तो किसी मुल्क में अगर आप इस एलिशन क्रिएट करते हैं है और हमने नेट किया इनको हमने जो है आपको याद होगा 2009 में दो जो है वहां पर एक्टिविस्ट थे नेशनल पार्टी के मकरान में उनको पकड़ के मार दिया गया था उनकी लाशें पड़ी हुई थी तो मस ये कि जो बस्तान में इस वक्त है पॉलिसी आपने फिर एक वक्त वो आया था जब आपकी बॉडी बैक्स मिलती थी तो बात जब आप इस तरह के करेंगे तो नतीजा यह है कि उसका अभार तो पड़ेगा और फिर आप यह कह कि गैर मुल्की ताकतें उसकी सही बात है अगर आप एक ऐसे हालात होंगे आपके अंदरूनी तौर पे तो यकीनी तौर पे उसमें जो है दूसरे ममालाकंडम भी करते रहे और हकीकत है कि अब जो है अब जो मूवमेंट क्रिएट हुई है उसमें यकीनी तौर पे दूसरे मलिक की सपोर्ट भी रहती है लेकिन इसकी बुनियाद की खराबी कहां से बन ग आती इसको जरा देखें ना और अभी भी आप डील नहीं कर रहे हैं सही तौर पे अभी भी नहीं कर रहे हैं आप एलनेट कर रहे हैं लोगों को आप यूनिवर्सिटी से उठा के बलोच स्टूडेंट्स को उठा के ले जाते हैं तो उनमें क्या असर पड़ेगा ये लोग अब मैं खुद जानता हूं कि ये जो लड़के हैं वो ज्यादा जो है पढ़ते हैं लिखने वाले हैं और हम हम लोग खुद भी जानते हैं कि हम लोग जब यूनिवर्सिटी में थे हम तो उसमें भी हमारी भी इसी तरह की सोच मलती थी कि तब्दीली चाहते थे तो आपने उनको भी वो किया एक टिपिकल एक मिलिट्री का अंदाज होता है जब आप किनेटिक तरीके से डील करेंगे तो उसका नतीजा तो यही निकलेगा अब आपको सूरत हाल काबू में नहीं आ रही यकीनी तौर पे आप उनको हथियार भी मिल रहे हैं सब कुछ मिल रहा है लेकिन आप मुझे बताइए कि कैद यूनिवर्सिटी से जब उठा के ले आते हैं स्टूडेंट्स को अ तो आप उसके बाद क्या तवक्कालतू आई थी आप क्यों नहीं बातचीत करते हैं क्यों उनको पीछे अजीब है कि उनके खिलाफ यह कर दिया वो यानी एक घटिया तरीके से जिसको कहते हैं ने आपने डील किया और इस चीज को बढ़ दिया नतीजा क्या हुआ अगर आप उनसे बातचीत करते उनके मसाइल सुनते तो शायद आज जो है फिर कोएटा में इतना बड़ा जलसा हुआ वो नहीं मिल के आता था बात यह है कि ये हम बजाय इसके एक इल्जाम लगाए कि जी बाहर के ताकतें फलाना पहले तो अपने जरा गिरेबान में मुंह डाल के देखें हम अपनी पॉलिसी को जब तक नहीं दुरुस्त करेंगे जब तक ये नहीं मुझे अच्छी तरह याद है कि फौज के अंदर जो है एक बात ऐसे हॉकस जनरल मेरे काफी एक एक साहब से बहस भी हो गई थी तो वो तमाम उनको अभी तक कोई अंडरस्टैंडिंग नहीं वो टिपिकल हम इसको खत्म कर देंगे ये क्या एक दफा मैं ब्रीफिंग दे रहा था मुझे इतना गुस्सा आया मैं खड़ा हो गया मैंने कहा ये क्या उसकी भी एक कहानी है अगर आप सुनना चाहे तो वो था कि जो है मैं तो बस ये सोच रहा हूं आप जिंदा कैसे 2017 में एक वहां प ब्रीफिंग दी है कान्फ्रेंस थी बलूचिस्तान में तो वहां के उस वक्त के तो उन्होंने कहा बस्तान का मसला कि है तो उसमें एक हाइड्रा बनाया हाडरे में ये था कि जो प्रॉब्लम क्या है बलूचिस्तान का सब नेशनलिज्म है और उसको क्या करना है अल्टीमेटली अचीव एक नेशनलिज्म में तब्दील करना है और उसके बाद बहुत ही खुशी काजार किया एक दफा हम आजादी जो मनाई यहां पे मैं खड़ा हो गया मैंने उससे कहा कि भाई कि असल मसला तो मुझे अब किस तरह से आपने ये हालात खराब किए हैं कि आप सब नेशनलिज्म कैसे एक प्रॉब्लम बन के आई है आप मुझे बताइए पाकिस्तान इज अ फेडरेशन चार प्रोविंस हैं यहां बलोच रहते हैं नेशनलिटीज है आप सब नेशनलिटीज हैं हकीकत है अगर आप इसको तस्लीम नहीं करते हैं तो वो कैसी बात कि अगर कोई सिंधी है तो अपने आप को सिंधी कहेगा और उसका हक है सब नेशनलिज्म तो यही होती है और क्या कहते पंजाबी हो ग तो पंजाब का एक उसका एक आइडेंटिटी बन के आएगी ये कोई कांट्रडिक्ट नहीं करती है आपके पाकिस्तान स्टेट की उस पे और आपने उसको बना दिया है दुश्मन के तौर पे जब आप सब नेशनलिज्म को एक वो करते हैं तो वह जो है फिर उसका नतीजा भी आप देख ले तो एक और वाकया अगर आपको बता दूं तो फिर बड़ा इंटरेस्टिंग होगा तो उसी मजमे में से जब तो एक फौज जो उन को कमांडर थे वो थोड़ा डिफेंसिव हो गया फिर अपना बात करने लगे वो तो लेकिन इसी दौरान में एक साहब खड़े हुए और उन्होंने फौज की हिमायत में एक तकरीर कर डाली उसके बाद जो है दूसरे दिन फिर वो जब सेमिनार था तो उसमें सारे फौज के तमाम राहिल जनरल राहिल शरीफ और ये सब बैठे हुए थे तो मैंने उनसे मैंने अपनी उसमें कहा जो भी मेरी डिस्कशन थी मैंने कहा थिंग्स आर नॉट राइट जो आप लोग बात करें सब ठीक हो गया यह हो गया तो य ऐसी बात नहीं है यह बिल्कुल हमें सोचना चाहिए कि प्रॉब्लम है मिसिंग उसका पर्सन का और यह कि यह चीजें जो है जब तक आप उनको जो ग्रीवांसेज है उसको एड्रेस नहीं करेंगे बस्तान में एक लिहाज से आमान नहीं आ सकता है और उसको आप यह समझे कि आप उसको सिर्फ काइनेटिक उसम नहीं तो उस मजमे में से वही साहब दोबारा खड़े हो गए और उन्होंने फिर कहा कि आप लोग सिंह बलोच की बात करते हैं यह करते हैं मेरा नाम लिया मोहम्मद हनीफ का कि आप लोग सिफ इस पर लिखते हैं और साफ जाहिर हो रहा था कि वो इंप्रेस करना चाहते हैं जो लीडरशिप बैठी ई थी आपको नाम बता दूं उनका बताए उनका नाम था अनवारुल हक काकड़ मैं सोच ही रहा था कि ऐसे ही अनवारुल हक काकड़ बनते हैं फिर तो वही थे अनवारुल हक काकड़ थे और वो जो है ये उस वक्त कुछ भी नहीं थे खाली वो ऑर्गेनाइजर उसम शामिल थे तो मैंने देखा कि वो फिर जो कुछ भी उन्होने कर रहे थे उसके असरात मा आपको याद होगा अब्दुल मालिक उस वक्त चीफ मिनिस्टर थे 17 में उसके बाद फिर जहरी बन गए थे क्योंकि कुछ एक किस्म का एग्रीमेंट था कि ढाई साल वो रहेंगे ढाई साल मुस्लिम लीग के जहरी जब बन गए तो उसका मालूम हुआ य अनवार हक काकड़ उनके वो बन गए हैं स्पोक्समैन फिर तब्दीली आई फिर पता चला फिर चंद महीने बाद मुझे पता चला कि वो सेनेटर बन ग उसके बाद जो है आपको याद होगा 2018 में इलेक्शन पहले अचानक एक बलूचिस्तान अवामी पार्टी एक बन गई एक रिवोल्ट करा के जिसके कायद थे अनवा हक काकड़ तो अब जो एक लिहाज से जो ट्रेजे देखें और फिर हमसे कहा गया कि यह आपकी वजीर आजम है अब मैं कभी सोचता हूं कि जो है यह हमारी मुल्क की ये है किस्मत है कि आपने फलाने शख्स को उठाया और कहा यह आपका वजीर आजम फलाने शख्स को उठाया ये सिंध का गवर्नर है सब अगर तारीख बताना शुरू करूं कौन कौन क्या थे उसके दर होता है कि हमारे मुल्क के अंदर जो चीजें चल रही है उसकी वजह क्या है सारी वही यही है कि आप अपने जो टाउट्स को बैठा देदों प और फिर अपने आप को वो सीरियसली भी लेना शुरू करते हैं तो मसला ये है कि ये चीजें यही मुल्क के अंदर य होती है तो यह हमारे मुल्क की सबसे बड़ी बदकिस्मती जो लोग पूछते हैं कि क्या हो रहा है तो वजू ज पीछे की तरफ जाकर देखें ये तमाम जो है एक हमारी जो है एक स्टेट जिस तरह का रवैया रखती है जिस तरह से जो है अपने वो बनाती है तो वो जाहिर करती है चाहे वो आपकी बलूचिस्तान के बारे में पॉलिसी हो मिलिटेंसी के हवाले से पॉलिसी हो और जिस किस्म के अपने ख्यालात सियासी ख्यालात होते हैं माय गॉड उनको देख के तो आपको लगता है कि मुल्क अभी तक बचा हुआ कैसे है सर अगर ये पॉडकास्ट सुने और बोले जाहिद साहब बहुत जबरदस्त बातें की अल्लाह हमारी तौबा बड़ी गलतियां हो गई अब बताए हम क्या करें ईरान ने मिजल डाल दिया अभी कल रात मच में इतना बड़ा वाकया हुआ है अक्टूबर में मतंग में हुआ था आपने उस पर लिखा बड़ी अगेन वीर वड अबाउट इमरान खान नवाज शरीफ वी डोंट टॉक अबाउट दिस थिंग्स तो सर देखें यह भी हम फेस कर रहे हैं साथ हॉस्टाइल्स का शिकार हो तो फिर जो है आपकी फॉरेन पॉलिसी जो है हमेशा कहते हैं कि इट स्टार्टस फ्रॉम होम तो मसला ये है कि एक होम की शार है और पावर सेंटर आपको पता नहीं कौन है कौन पॉलिसी बनाता है सबको पता होता है लेकिन योग जो आपके लोग इलेक्ट होक आते हैं उनका तो कोई वो नहीं होता है वो तो एक सेकेंडरी पोजीशन में आते हैं तो मतला यह है कि यही चीज आती है कि आपके अगर आप फॉर्न पॉलिसी भी बनाएंगे आप जो है अब अब जो है माशी पॉलिसी भी बनाएंगे आप मुल्क को कैंटोनमेंट के तौर पर चलाना शुरू करेंगे और अपना काम नहीं करेंगे तो फिर तो नतीजा जो है जो आज मुल्क के अंदर हो रहा है वो यही होगा सबसे बड़ी चीज यही बन के आती है अभी मैं अब पता नहीं आप पॉडकास्ट में करें मैं सुन रहा देख रहा पढ़ रहा था उनकी तकरीर जो हमारे चीफ की वो आप जरा वो जो यूथ को खिताब फरमाया था उन्होंने 2000 लोगों का जरा आप उनकी तकरीर जो रिपोर्ट हुई है वो जरा पढ़ ले तो आपको एहसास होगा कि र के कहां पे मुल्क जा रहा है और क्या इसकी वो रहेगी तो जब आप यह समझना शुरू करें कि हम सारी चीजों को हम जो है रिजॉल्व कर सकते हैं उनके ख्यालात अगर मैं देखूं मैं तो रोंगटे खड़े हो गए थे कि हमारी किस्मत में यह चीज लिखी हुई है अच्छा वही है कि जहां तक फॉरेन पॉलिसी में हकीकत है कि इस वक्त आपकी एक मजाकिया में लिखा था कि पाकिस्तान की एक जो कामयाब फॉन पॉलिसी का एक इजहार ये है कि हमारे सिर्फ समुंदर के साथ ताल्लुकात सेफ बॉर्डर्स है बा खुदा कोही पता जितना हम समंदर में टॉक्सिक डाल चुके हैं वो समंदर ने अगर बदला लेने की कोशिश की हमने तो बहुत जुल्म किया समंदर पे वो समंदर प ही है आपने जिस तरफ आपने जिस तरफ अंदाजा दिया है कुछ हमारे दोस्त भी है वो भी रेड फ्लैग फ्रॉम विदन रेस कर रहे हैं जो कह रहे हैं ज 2.0 ज 2.0 इज दैट अ स्ट्रेच और इज दैट वेर दे स्मोक देर सम फायर मैं आपने जिस तरह अंदाजा किया कि जो फफी चल रही है जो आइडिया चल रहे हैं कुछ लोग कह रहे हैं कि यह साहब जया 2.0 बन सकते हैं म हर शख्स एक उसकी कॉपी नहीं हो सकता है लेकिन एक चीज मैंने देखी है जो पिछले चंद सालों में जो जो यानी इस उदे प रहे हैं तो वो तो एक लगता ज कि हर शख्स आता है अपने डॉक्ट्रिन के साथ हमने पहले बाजवा की डॉक्ट्रिन सुनी थी वो तो मुल्क जो कहां ले जाना चाहते हैं और वो तकरी वो 40 40 जर्नलिस्ट को बुला के तकरीर कर करते थे यानी थ्रू आउट पता नहीं चलता था कि वो हुक्मरान है या जो है जो इमरान खान हुक्मरान वही हाइब्रिड रूल तो था लेकिन हाइब्रिड रूल में ये सल गवर्नमेंट का पहलू नेगलिजिबल था तो वो उस वक्त जो है वो हमारे कुछ मेहरबान जो थे उनको डक्ट्रीन का नाम भी देते थे और उनकी तारीख में कलाब जिया में खलते थे लेकिन आपने देखा कि इस मुल्क का क्या हुआ अब ये नई डॉक्ट्रिन सुना आई है एक लिहाज से जो है डॉक्ट्रिन को अगर देखा जाए तो क्या है डॉक्ट्रिन मसला यह कि आप जरा उसको उठा के पढ़ ले उनकी तकरीर हिस्से को तो ऐसा साफ लगता है कि इंस्टिट्यूशन थिंकिंग है कि जहां पर आपको एक डिस्ट्रेस है कि सिविलियन हमारे लीडर्स ऐसे हैं ऐसे हैं और फिर अपना एक सेल्फ राइटसनेस ये है कि हम सबको ठीक कर सकते हैं और एक सवाल के जवाब में उनसे पूछा गया कि आप हुकूमत क्यों नहीं चलने देते तो उने कहा कि हम कैसे चलने दे अगर कोई मुल्क को तोड़ रहा हो फलाना हो तो हम उसको पा साल रहने दें तो मतलब ये कि एक सेंस ऑफ एरोगेंस देख ले मतलब यह है कि है तो वो ये चीज देखें तो आप अब फिर उसके बाद एक हमारे यहां तो एक और चीज बन गया कि मजहब हर एक शख्स समझता है कि वो सियासत दन भी है फौज फौज का कमांडर तो है ही है सियासत दन भी है और मजहबी लीडर भी है तो फिर उसके ताइज क्या निकलेंगे लेके आप ज मजहब को इस्तेमाल करते हैं आप समझते हैं कि जो है आप हाफिज हैं तो मतलब यह कि आपको पूरा इस्लाम पे हासिल है म ये क्या चीज है और एक तो मुझे सबसे पहला एक आर्मी चीफ को क्यों ये आके मजमे में खिताब करते हैं जब जहां पे सियासत से लेकर फॉरेन पॉलिसी से लेकर हर चीज प बात करते हैं एक तो क्या किसी भी मुल्क में ऐसा मुमकिन है उसका अ असरात फौज के अंदर भी पड़ते हैं फौज के अगर प्रोफेशनलिज्म प पढते हैं और यह हमारे समझते जब एक उस कुर्सी पर जब कोई बैठता है वो सबने अपने आप को खुदा समझने लगता है तो मेरा ख्याल ये पाकिस्तान की जो सूरत हाल है बमती उसका सबसे बड़ा चीज यही आती है इसमें एसडी हु बीन कवरिंग दज इश्यूज एंड हैज मेट दिस पीपल आपको क्या लगता है कि कुछ एक अर्नेस्ट एफर्ट था इनका कि यार थोड़ा हम पीछे हटे थोड़ा ए पट ए पॉलिटिकल तो कभ नहीं हो सकते लेकिन नाइंथ में ने इनको बिल्कुल ही वॉर जोन में डाल दिया उसके बाद जो प्रिटेंस भी था वो खत्म हो गया एंड सॉर्ट ऑफ पोस्ट नाइंथ में द आइडिया एजिस्ट के अब तो आपने हम पर डायरेक्टली हमला किया है हमारा जो एक ईगो भी हर्ट हुआ है तो अब तो वी आर एट वॉर नाउ नाउ वी विल ट्रीट यू एज एन एनिमी कॉम्बैटेंट मसला जी देखिए एक बात ठीक है कि एक हमेशा एक पॉइंट ऑफ रिफ्लेक्शन आता है तो हो सकता है कि लोग बताते लेकिन उसके थोड़ा सा पीछे जाए ना जैसे जनल बाजवा ने जाते जाते कम से कम इस बात का तरा किया था कि फौज ने जो सियासत में मुदा करता रहा वो गलत यह कहा उन्होंने उनकी समझ में शायद बहुत देर से आई थी जबक पा छ साल तक उन्होंने जो सारी चीज करते रहे थे उसके बाद जो है अब उसके बाद जो है जो ना में मैं नहीं उसको समझता हूं लेकिन जरा उसके पीछे भी जाए ना आप कि यह होता क्यों है य सारी चीज क्यों फौज की उस इलेशन तो यह क्यों नहीं देखा उन्होंने यानी मैं जो है एक पूरी है एक मेरा ज बाजा बहुत शौकीन थे बातचीत के तो मैं सा पांच घंटे एक दफा न वन बात की तो उसे मैंने पूछा कि आप 18 में ये ज ये जब क्या नाम उनका इमरान खान वजीर आजम थे नवंबर 2021 तो मैंने इससे पूछा कि अच्छा आपने सपोर्ट क्यों किया था इमरान को ऐसी मतलब सारी चीजों में और बात तो उन्होंने कहा देखें उस वक्त के जब इंतखाब हो रहे थे 2018 से उससे पहले तो मैंने अपने सारे फौजी टॉप ऑफिसर थे उनसे यानी एक होता है ना इनका तरीके का होता है कि पूजा तो उन्होंने कहा जी ये हम नवाज शरीफ करप्ट हम उसको नहीं आने देंगे और फिर सपोर्ट जो थी इमरान खान की तरफ से थी तो कहते मैंने फैमिली को ही बुला लिया फौजियों के पले ऑफिसर के उसमें 99 पर ने कहा कि जो है इनको लाना है तो मसला यह है कि जरा पीछे की तरफ जाए ना आप नई माई को करते हैं आपने जो म दखल करना शुरू किए सियासत में तो जरा इस पर गौर करें कि इस किस्म के वाकत क्यों होते हैं लेके आप अपने आपको को जो है एक लिहाज से जो है अब 18 में आपने कोशिश करके एक हुकूमत को लेकर आए सबको पता है कि इमरान खान के के जो इदार में या जो है उनको बरकरार रखने में फौज का कितना बड़ा हाथ था सबको पता है लेकिन अ फिर उस वक्त आपका दुश्मन कोई और था अब जो है वही चीज जब पलटी है तो आपने वो जो आपका फॉर्मर ब्लू आइड बॉय था वह आपका दुश्मन बन गया मतलब मैं नहीं कह रहा हूं इमरान खान ने जो जो कुछ किया वह बहुत सारी चीजों के जिम्मेदार खुद भी हैं जो कि क्या कहते हैं मैं खल ये शायद उनको शायद था कि व हमेशा इक्त में रहेंगे और उनका इतना ज्यादा इ सार खुद आदमी पर बन गया था कि हर चीज खुद नहीं करते थे सियासत एक तरीके का होता है तो व जब हर काम व आसाई से करवाना शुरू करते हैं तो आआ से जब आप मिला बजट भी पास करा खुद इमरान खान ने कहा कि बजट भी पास कराना था तो उनसे कहते जब आप इतना डिपेंडेंट हो जाएंगे और फिर जो है आप खुद जो है पार्लियामेंट को कमजोर करेंगे लिहाज से आप बजाय इसके कि आप फौज के ऊपर इंतजार करते या हर काम आईएसआई से करवाते आप क्यों नहीं जो है पार्लियामेंट के अंदर ले लोगों को अपने साथ लेकर चले वो ज्यादा पैदार होती वो ज्यादा आगे आपको बरकरार रखती फिर उसके बाद जो खैर एक एक तारीख अब बन के आई है कि जो है के इमरान खान ने जो है वो अगर पार्लियामेंट में बैठते अगर ये वोट ऑफ नो कॉन्फिडेंस के पंजाब हुकूमत रखते तो आशा सूरत हाल बहुत मुख्तलिफ बन के आती तो खैर ये तो सारी तारीख है लेकिन अब जो कुछ हो रहा है उनके साथ वो भी सही नहीं है मतलब यह कि जो इमरान खान की अपने गलतियां वो वो खुद भी कर सकते हैं वो सब कुछ है लेकिन ये पाकिस्तान ये तरीका का जो है कि आप पहले बनाते हैं उसके बाद गिराते हैं फिर उसको खत्म करते हैं और उसी से दूसरे को लेकर आते हैं यह एक साइकिल चली आ रही है सर मुझे पता है आपकी फ्लाइट भी है तो इसलिए आई एम ट्राइट रेस्ट मैं तो आपके साथ घंटे घंटे बैठ के बातें कर सकता हूं होप फुली नेक्स्ट टाइम इस्लामाबाद आप फिर हमें वक्त देंगे बज आई थिंक दिस नीड्स टू बी अ सीरीज ब लोगों के भी थोड़ी सवाल थे आपकी अगली किताब कब आ रही है तालिबान पे आप एक और किताब लिख रहे हैं देखिए मेरी तीन किताबें तो ये है जिसका जिक्र किया आपने नोवेन वॉर जो है लेकिन उसके बाद तीन किताबें और भी श हुई है मेरी वो मैं उसको इस तरह से नहीं एक मेरे दो तो है एक है जिसका नाम है हाइब्रिड रूल इन पाकिस्तान वो मेरे जो है इमरान खान के जमाने के दो कॉलम डॉन उसको छापा है वो उसका नाम रू एक और नवाज शरीफ अंडर सीज तीसरी किताब जो आई है वो थी फेस टू फेस विथ बेनजीर वो भी मेरे इंटरव्यूज का तो खैर ठी तीन किताबें तो दूसरी किसम की ये तीनों जो है मेरे ऑलरेडी जो काम था उसका एक हिसा अभी एक मैं किताब पे दो है एक और किताब मेरी आ रही है जो कि आ जाएगी उसका नाम है डायलॉग विद हिस्ट्री उसमें जो है तकरीबन 40 इंटरव्यू हैं बड़े-बड़े सारे जो हमारे पाकिस्तान के सियासत दन बड़े रहे हैं गफार खान वली खान हुए अ बेनती का तो ऑलरेडी हो गया है मुशर्रफ है और जितने भी थे नेम वन सारे जो हैं आसमा जहांगीर से लेके मुब शिर हसन से लेक हर एक फिर बाहर में जो है राजीव गांधी बनी सदर जो ईरान के थे अ इंडिया के जो आडवानी तो ये सारे इंटरव्यूज है उसम तकरीबन 40 हर नेम एनी वन वा इंपोर्टेंट वा हु इन पाकिस्तान उनका ट विल बी क्वाइट हिस्टोरिकल वो है अब उसके बाद एक और मैं काम करू आप देखें उसम क्या बनके आता है इट्स ल अबाउट एक्चुअली हाउ आई पूरा फ्रॉम माय आई डोंट नो वेदर यू नोट आई वाज स्टूडेंट लीडर वनस अपन टाइम जब एनएसएफ का मैं सेक्रेटरी जनरल था हैव स्पेंट मेनी यर्स इन जेल ग्राउंड के वक्त में आप जेल पहला जो है वो हुआ था एंड मैं उस वक्त यूनिटी में था डियाने आया था याया के जमाने में एक साल सजा हुई थी मुझे मिलिट्री कोर्ट से फिर उसके बादली भुट्टो के दौर में भी सजा हुई थी डिफेंस ऑ पाकिस्तान रूल में पकड़ा गयाला के जमाने में इस तरह से रहा तो वो जो एक है तो वो उसके ऊपर में सारा करने की किताब आज इस पॉडकास्ट के बाद एनडीओ में एक मीटिंग होगी कि तीन दफा हमारे हाथ आया ये निकलने क्यों दिया हमने इसको एनडीओ में मेरे ख्याल से इसके पॉडकास्ट के बाद मीटिंग होगी कि जब तीन दफा हमारे हाथ में आ गए थे ये तो हमने इनको निकलने क्यों आदत हो गई है कोई पता अब क्या रखा है मतलब अगर अभी भी नहीं बोलते खर जब था जब करियर शुरू किया रल्ड से अपने जर्नलिस्टिक तो यही सारी चीजें लिखते रहे बोलते रहे आदत पड़ गई व्हाट आर सम ऑफ द वायबल स्ट्रेटेजी टू एड्रेस द पॉलिटिकल क्राइसिस अलाउ द सिस्टम टू वर्क देखि एक आपकी ये लोग कहते हैं यार जम्हूरियत में क्या रखा है और यह सारे करप्ट है मतला यह आता है कि देखें ठीक है मतलब बहुत सारी चीज आइडियल सिस्टम नहीं है ले इसके अलावा दूसरा चॉइस क्या आपके बात यह है कि जब एक प्रोसेस जारी रहता है तो उसमें उसी के अंदर ही से चीजें आप निकाल सकते हैं ले हमारे य मसला यह है कि अगर आप सही तौर पर देखें तो आज मुल्क जिस हालत में है तो जरा लोग भूल जाते हैं कि यहां पर आधे से ज्यादा वक्त में डायरेक्ट मिलिट्री रूल र दूसरा यह रहा कि जो होती भी थी स्यासी हुकूमत आती भी थी तो वो भी एक अंडर एक एक लिहाज से अंडर शैडो होती थी तो यह एक है जिसकी वजह से कभी भी जम्हूर आपका जो है सिस्टम मुस्तहकम नहीं हुआ आपके इंस्टीट्यूशन मजबूत नहीं हुए और यही बात है कि उसी की वजह से हमय एक डायनेस्टिक पॉलिटिक्स को देखते हैं जब आपके जम्हूर अमल नहीं होता है तो फिर जो खानदानी सियासत शुरू हो जाती जो कि एक जम्हूरियत के लिए बहुत ही ग गलत है मैं समझता हूं कि इस वक्त जो सबसे बड़ी खराबी है हमारे पार्टियों में वो यही एक डायनेस्टी बन गई पहले नहीं होता था आप देखें 70 वगैरह में जो पॉलिटिकल पार्टीज थी वो एक डियोल जीी एक नजरिया की बुनियाद पे थे भुट्टो जो है कोई डायनेस्टिक पॉलिटिक्स से नहीं आया था या इवन बेनजीर को मैं कभी भी डायनेस्टिक उसम नहीं समझता हूं शी बिकम ए लीडर एंड राइट थ्रू ए स्ट्रगल 10 इयर्स के बाद उसको किसी ने बा के बैठा नहीं दिया गया था तो इसी तरह से जो है उससे पहले व आपको वली खान वभी तो वो डायनेस्टिक एनपी नेशनल पार्टी के लीडर जो थे बिंजो हुए या खैर बश मरी हुए ये तमाम के तमाम को डायनेस्टिक उसमें नहीं आए थे लेके और उसके बा आपको याद है कि जब हमारा हम इस पाकिस्तान और हम एक होते थे तो उस वक्त की जो कयादत वो बहुत ही मुख्तलिफ थी लेके तो अब जो है य ये जवा ये शुरू हुआ है डायनेस्टी मजबूत हुई है जियाउल हक के जमाने से जबकि उन्होंने एक एक तंजीम खड़ा करने की कोशिश की और उसके बाद जो है उन्होंने जो पाकिस्तान में जो तब्दीली आई थी उसको रो का सबसे बड़ा पाकिस्तान में एक और चीज भी आती है मैं जो उसको बात करना चाहता हूं कि हम देखते हैं कि अगर आप 75 साल की तारीख में देखें तो आपको आपको सोशो इकोनॉमिक तब्दीलियां तो आती है क्योंकि एक लाजमी चीज होती है तेज होती है कहीं पे कम होती है लेकिन है पाकिस्तान तब्दील हुआ है यानी एक सोशल सोश सोसाइटी के तौर पे और इकोनॉमिक उसमें भी अ लेकिन आपका जो पावर एक स्ट्रक्चर है वो तब्दील नहीं हुआ वो चाहे वो मिलिटरी गवर्नमेंट हो चाहे सिविलियन गवर्नमेंट हो आपको वही चेहरे नजर आते हैं आप मुझे बताइए कि जनल जियाउल हक की जो मिनिस्टर है वो आपको अभी भी सियासत में नजर नहीं आता इसका मतलब यह कि सेम फैम उसके बाद जनरल मुशर्रफ ने जिन लोगों को लेया था पीएमएल क्यू के हवाले से वो आपको फिर भी नजर आते हैं हर पार्टी के अंदर तो ये एक पावर स्ट्रक्चर कभी भी तब्दील नहीं हुआ है वेदर इटस मिलिट्री गवर्नमेंट और द सिविलयन गवर्नमेंट लेकिन मैं वही समझता हूं कि उसका भी तरी जो आपको नहीं लिडर आपको ऐसा लगता है कि आप मुंजमपल्ली के अंदर आपको सियासत में लोग नजर नहीं आते नए ठीक इमरान खान एक नई लेके आए थे लेकिन उसमें मतला ये आता था कि जो है वो एक एक जो आईडियोलॉजी की तौर प नहीं एक पॉपलिन की तरर प लेके आए थे तो बात यह है कि लेकिन मैं अभी भी समझता हूं कि तो भी यह जरूरत नहीं है कि आप किसी को सजा दें उनको मैदान से हटाए अला द सिस्टम टू वर्क अल तमाम खामियों और खराब हों से इसी के अंदर से बन जब ये कोई बैठे के वहां पर पे जीएच क में बैठ के यह फैसला करेगा कि यह अब हुकूमत खराब हो गई है उसको मैं हटाना चाहता हूं तो फिर जो है वहीं से मामलात बिगड़ते हैं और यह सोच अभी तक जारी है आप जो कह रहे हैं सर कि दरख्त हमें नहीं नजर आ रहे क्या उसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि आपने नसरिया तबाह कर दी है अगर स्टूडेंट पॉलिटिक्स नहीं होंगे कहां से लीडर आएगा मुझे अच्छी तरह याद है जब मैं यूनिवर्सिटी में था माय गॉड एक्चुअली मेरी सारी इनलाइटनमेंट जो आई है वो सारी की सारी जो आई यूनिवर्सिटी के दौरान में आई है हम उस जमाने में हर कुछ बहस करते थे एक माहौल दूसरा था हम पर कोई ब डर नहीं होता था हम पर ब्लास फेमी के चार्जेस लगा दे गए मतलब यह है कि उस जमाने में जो है स्टूडेंट यूनियन भी हुआ करती थी और बहुत ही वाइब्रेंट होती थी मुझे याद है कराची यूनियन कराची यूनिवर्सिटी यूनियन जो इलेक्शन होते थे प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट होते थे हर क्लास में जाकर अपना तकरीर करते थे इ डिबेट होती थी आपको जमाने के जो लोग नजर आते हैं डिबेटर भी बेहतरीन नजर आते थे उन्हीं में से सियासत दन में निकलते थे अब तो यह सारी चीजें खत्म हो गई है अब तो हमें काकड़ नजर आते हैं सारे सर किसी ने पूछा पाकिस्तान के पास क्या ऑप्शन रह गया फॉर आवर स्टंस इन कश्मीर आफ्टर व्ट इंडिया ज डन व्ट ऑप्शन ड वी हैव बट स्टिल एकच हम खत्म नहीं हुए मतलब ये कि हालात खराब जरूर हैं लेकिन एक और बात भी होती है दुनिया भर में मालिक जो है बराना से गुजरते हैं लेकिन इट आल्सो प्रोवाइड अपॉर्चुनिटी टू चेंज योरसेल्फ एंड आई थिंक प्रोबेबली यही है कि यह जो हम एक लिहा से एट द लोएस्ट उसम पहुंच गए हैं तो ये हमें एक अपॉर्चुनिटी भी आती है इस वक्त जरूरत है कि हम हम सोचे कि कहां पर होते हैं लेकिन और यही य सियासत दानों का भी काम है और कम से कम मिलिटरी हुकूमत लीडरशिप का भी काम है कि किस तरफ लेकर जा रहे हैं मुल्क को आप जो है कोई मैं क्या बोलू आप बहुत ज्यादा हो जाएगा कि आप अपनी अपनी तौर पर इस्लाम की तारीख की इंटरप्रिटेशन करना शुरू कर देते हैं कभी इमरान खान साहब करते हैं तो उसका जवाब मिलिटरी गवर्मेंट मिलिट्री लीडर जो है कुछ और उनकी उससे हटे पाकिस्तान की जो अफल मसाइल है उसकी तरफ तवज्जो की सतह पर लेके आए हम बहुत पीछे रह गए हैं उसकी वजह यही है कि जो हमारे तालीमी निजाम जिस किस्म का है और जिस किस्म के जो के ख्यालात या जो हम पे थोपे जाते हैं तो आप मुझे बताइए कि पाकिस्तान कहां पर ले आएगा आपको जो है जहां प सबसे बड़ा मसला ये आता है कि हम कहते हैं कि पाकिस्तान बुनियादी तौर पर बना था जो है ताकि एक लिहाज से जो यहां पे तमाम मजहब को आजादी होग आज सूरत हाल क्या बन के आती है आज हर शख्स काबिल नजर आता है और आप अब मैं क्या बोलूं कि जो है यह चीजें खत्म इसलिए नहीं हो सकती है आपको इसलिए नजर आती है जरा जब आपकी अ मिलिटरी जो लीडर्स हैं वो भी तकरीर फरमाते हैं जो उनका अपना विजन होता है डिस्टोर्टेड ट्विस्टेड विजन मैं कहता हूं वो आपने नाफिटी नहीं हुआ लेकिन अभी भी मुझे उम्मीद है के यह तमाम जो बोरान है उसके नतीजे में एक नई सोच भी आएगी सामने लेकिन उसी वत आ सकती है जबक यह जबर जो है वो खत्म किया जाए हु क्रिएटेडटेड इस्लाम इन द एफ पैक रीजन विद द हेल्प ऑफ आवर अरब ब्रदर मतलब ये अब मैं वही कहूं जो जनल जला के जमाने से शुरू होती है लेकिन मैं सिर्फ जनल जला को ब्लेम नहीं करता एक पूरा इंस्टीट्यूशनल जो हमारी पॉलिसी जिस रही जिस तरह पसी बनती रही है उसकी वजह से ये बन के आई एक और बात भी जो हमने सब महीने की बात है जो पाकिस्तान के लिए एक सबसे बड़ा कय कि हमने हमेशा जि हमारी एक जिओ स्ट्रेटेजिक पोजीशन रही है उसको हमने हमेशा कैश किया इसमें होता यह है कि हमने जो है बजाय अपने मुल्क के जो जो एक इंटरेस्ट है उसको पीछे रख के हम सिर्फ इस खुशी में जाते थे कि जो है हम किसके इतहाद बन जाएंगे तो हमारे बेहतर हालत हो जाएगी हमारी लेजिटिमेसी हुकूमत को मिल जाएगी यही हुआ है ना पाकिस्तान में कि हमने अपने आप ने कभी दुरुस्त करने की कोशिश नहीं की रिफॉर्म करने की कोशिश नहीं की अपने इकोनॉमी को जो है दुरुस्त करने की कोशिश नहीं की क्योंकि हमारी यहां हमेशा जो है नेसार जो है फॉरेन एड की तरफ रहा और वो जो है जिसको कहते हैं कि वी ऑलवेज ट्राई टू कैश अवर जियो स्ट्रेटेजिक पोजीशन एंड दैट हैज बीन द बिगेस्ट कस्ट फॉर पाकिस्तान आई गेस फिर होप हमारी यही है कि चीजें इतनी बुरी है क्या बेहतरी हो सकती है और क्या ही हो सकता नहीं करना पड़ेगा ये हमारा मुल्क है मैं तो मैं तो इस बात का ल हूं कि मैं मैं बावजूद तमाम चीजों के मैंने बाय चॉइस हैव स्टेड द और मेरा हमेशा र है कि बोलना चाहिए उस वक्त जब आप मुल्क के अंदर रहे मैं उन लोगों से इख्तिलाफ करता हूं जो जाके यहां से चले जाते हैं कोई बहाना बना के कोई चीज जरूरत नहीं होती आपको मुल्क बाहर जाने की और वहां से बैठ के जो है वो सारी चीजें करें तो वो मैं उसको उस है नहीं समझता हूं कि अगर आपको वाकई तब्दीली लानी है तो इस मुल्क के अंदर बैठ के लानी है मोर पावर टू यू सर एंड मोर पावर टू योर पेन सम टाइम्स थिंग्स आर सेड बिटवीन द लाइंस च इ द ब्यूटी ऑफ आई थिंक थोड़े ओल्ड स्कूल जर्नलिस्ट जो शायद थोड़ा लूज कर दिया है ऑन दिस वेव ऑफ बहुत कुछ लूज कर दिया अफसोस होता है मुझे देख के देखें सोशल मीडिया अच्छी चीज है एक उसमें आपको जब पाबंदी होती है तो आपको नजर आता है कि आप ब दूसरी बात डबल एज सर्ड है फिर जिसमें चीज निकलती है तो उसमें जो जजम का बुनियादी उसूल होता है कि आप बगैर तहकीकात के कोई चीज नहीं कर सकते और एक और कांसेप्ट होता है एडिटोरियल कंट्रोल का जिसे हमने हम जनजम हमने उसी सीखी थी एक और बात भी कि जो हमें उसम नजर नहीं आती एटल कंट्रोल बहुत जरूरी होता है एक यह था कि आपको यह नहीं है कि कोई रियासत आप पर पाबंदी लगाए बल्कि जर्नलिस्ट दुनिया भर में होता है मेरा मेरा बहुत बड़ा अरसा जो है मैं लंदन टाइम्स और उसके लिए काम करता 27 साल तक मैंने लिखा है लेकिन मुझे एक सबसे बड़ी चीज वहां नजर आई कि जो है वो के चेकिंग डबल लॉस कि आप किसी पर बैठ के इल्जाम नहीं जब तक आपके पास कोई वो सबूत नहीं हो तो ये एक चीज खत्म हो गई है आपके पास माइक आ गया आपने जो कुछ कहना चाहा कह दिया ठीक है एक ओपिनियन हो सकती है बट आप उसको खबर का जरिया मत द मैं अगर फर्ज की यहां प बठ के आपसे बात कर रहा हूं ये मेरे ख्यालात है ये जैसे सोच है मैं जैसे जैसे अपने ेड पीसे लिखता हूं वो उसी तरह के ख्यालात है मेरे तो ये मेरी अपने ख्यालात है लेकिन मैं इसको ये नहीं कह सकता हूं कि ये जो है एक सब कुछ सब कोई ऐसी तो सोचता है नहीं सबको अपने ख्यालात के अार की आजादी होनी चाहिए थैंक यू सो मच सर इस्लामाबाद एयरपोर्ट बहुत दूर हो गया आई डोंट वांट यू टू मिस योर फ्लाइट थैंक यू सो मच आपने हमें वक्त दिया एंड थैंक यू लि टेक [संगीत] केर