जय स्टूडेंट चैनल स्टार तरुण रुपाणी एक्सक्लूसिव चैनल पर इससे बोर्ड स्टूडेंट आपने कहा और हमने बनाया यह चैनल है आपके लिए इसमें सब कुछ अब्सोल्युटली फ्री मिल रहा है आपके सारे मेजर सब्जेक्ट्स यही कर हो रहे हैं सारे नोट्स सब कुछ हां ये सब कुछ पेड़ है पर आपके लिए मेरे सुपरस्टार्स के लिए अप से ल ली फ्री है और आज बड़ी है हिस्ट्री के चैप्टर सेकंड फैज ऑफ इंडियन नेशनल मूवमेंट फर्स्ट स्पेस हमने बना दिया था और अगर आपने नहीं देखा है तो प्लीज जैन चैप्टर का नाम लिखे और आगे लिख दें बाय सर तरुण रुपाणी ये सारे सब्जेक्ट के साथ आप कर सकते हैं तो आज बड़ी है सेकंड फेस ऑफ इंडियन नेशनल मूवमेंट जिसकी शुरुआत हो जाएगी 197 से और 1916 तक चलेगा तो सेकंड फेस इतना क्यों इंपॉर्टेंट है तो सेकंड नेशनलिस्ट लोगों का वह लीडर्स कांग्रेस के जो स्ट्रांग मेथड ऑफ फाइटिंग पैक करना चाहते थे हिम्मैचेगा की ये लोग क्या करने वाले हैं लड़ाई करने वाले हैं ना ना ये वायलेंस का मेथड नहीं करना चाहते हैं मास मूवमेंट का एग्रेसिव मूवमेंट का फॉलो करना चाहते हैं ये प्रेयर प्लीडिंग्स नहीं करेंगे ये अपना हक लेकर रहेंगे इनका नारा है सदा हक एक्टर रख चलिए स्टार्ट करते हैं आज का चैप्टर सेकंड फेस ऑफ इंडियन नेशनल मूवमेंट है तो बात करते हैं जब लॉर्ड कर्जन ने लोट कर्जन ने पार्टीशन ऑफ बंगाल कर दिया था 1905 में और पार्टीशन ऑफ बंगाल एक बहुत ही सोची समझी साजिश थी भारत के लोगों को बंगाल को डिवाइड करके लड़ने की आई क्या था स्कीम ऑफ पार्टीशन जरा समझते हैं तो बंगाल जो की प्रेसीडेंसी और बंगाल के नाम से जाना जाता था पहले ब्रिटिशर्स का सबसे पहले प्रोविंस यही था जहां देश को गुलाम बनाना शुरू किया आपको पता होना चाहिए बंगाल सबसे पहले राज्य था जहां अंग्रेजन ने अपना कब्जा जमाया था और उसके बाद पूरे भारत को गुलाम बनाया था तो बंगाल उसे समय बहुत बड़ा था बंगाल के अंदर ही बंगाल आता था बिहार आता था करंट उड़ीसा आता था छोटा नागपुर रीजन और कुछ रिमोट एरियाज सो बहुत बड़ा रीजन था बंगाल का और बंगाल को डिवाइड कर दिया गया दो हसन में जरा स्क्रीन पर देख पाएंगे आप दो तथा ग्रीन और रेड ग्रीन ईस्ट बंगाल और असम कर दिया जो की मुस्लिम मेजॉरिटी वाला इलाका था और रेड वाला हिस्सा आप देख का रहे हैं वो है बंगाल प्रॉपर या सिंपली डेंगोल हिंदू में जरूरी वाला तो इस तरीके से बंगाल को दो हसन में रीजन के बेसिस पे डिवाइड कर दिया गया ये अंग्रेजन की सोची समझे साजिश थी अब हम बात करते हैं बंगाल की तो बंगाल में वेस्टर्न जिला ऑफ बंगाल प्रॉपर बिहार और उड़ीसा था जिसकी कैपिटल कोलकाता की दूसरा हिस्सा स्टैंड बंगाल और असम था इसमें स्टैंड स्टिक ऑफ बंगाल को जोड़ा गया था और असम को जोड़ा गया था ढाका इसकी में कैपिटल थी ढाका जो इस समय भी बांग्लादेश की कैपिटल है अब आते हैं इन दोनों ही प्रोविंस करने से क्या फायदा मिला अंग्रेजन को फायदा ये मिला की जो हिंदू बंगाली हुआ करते थे स्पेशली बंगाल के लोग उनको उन्होंने क्या कर दिया माइनॉरिटी बना दिया अपने ही राज्य में बंगाली लोग बेचारे माइनॉरिटी हो गए माइनॉरिटी जानते हैं जो लोग कम संख्या में रहते हैं उन्हें कहते हैं माइनॉरिटी तो बंगालियों को कमजोर करने की ये साजिश थी क्यों हां अभी बताऊंगा क्यों तो यह स्कीम ऑफ पार्टीशन कब इंप्लीमेंट हुआ 16 अक्टूबर 1905 16 अक्टूबर याद रखिएगा ये दिन देश के लिए एक कल दिन है एक ब्लैक दे है एक नेशनल दे ऑफ मॉर्निंग है एक दे ऑफ हड़ताल है पूरे भारत में 16 अक्टूबर चलिए कॉसेस जानते हैं तो अंग्रेजन ने इसका कल क्या बताया वो तो जानते हैं बहानेबाजी करते हैं अंग्रेज सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए भारत में आए थे और उन्होंने क्या कहा बहन दिया की हम पार्टीशन कर रहे हैं क्योंकि बंगाल को की एडमिनिस्ट्रेटिव डेंसिटी है अर्थात बंगाली स्कूल बड़े या प्रवंसेज एडमिनिस्ट्रेटिव्सली इंपॉर्टेंट तू डिवाइडेड बस एडमिनिस्ट्रा का बहन दे दिया और रियल कॉस्ट क्या है आई देखें ये है रियल कैसे बंगाल उसे समय नर्व सेंटर था इंडियन नेशनलिज्म का साड़ी देश की जो आजादी की लड़ाई है वो बंगाल से शुरू होकर के पूरे भारत में फेल रही थी और बंगाली लोगों को रोकना बहुत जरूरी था तो अंग्रेजन ने चला की चली की वहां पे जो स्पिरिट ऑफ नेशनलिज्म पूरे देश में फेल रही है पहले उन्हें को ही क्या करो तोड़ दो हां अंग्रेजन की एक बेसिक पॉलिसी थी फुट डालो और राज्य करो डिवाइड और रूल और क्या रीजन था बंगाली इन्फ्लुएंस अर्थात जो बंगाली इन्फ्लुएंस था हमारे नेशनलिज्म में उसको ही रोकना है क्योंकि ये लोग जो बंगाली स्पीकिंग लोग थे ये बंगाल में रहते हुए वहां पे ही माइनॉरिटी बन गए अपने ही राज्य में इनकी संख्या कम हो गई क्योंकि इन लोगों को बांट दिया गया ईस्ट और वेस्ट बंगाल में और तो और पार्टीशन बाज मां तू फास्टर डिवीजन के बेस में राज्य का बंटवारा कर दो इस बंगाल में मुस्लिम मेजॉरिटी और वेस्ट बंगाल में हिंदू मेजॉरिटी ये में मकसद था अब इसका विरोध हम करेंगे हम सारे भारतीय इसका विरोध करेंगे नाम होगा एंटी पार्टीशन मूवमेंट पार्टीशन के विरोध में एक मूवमेंट ये एक बहुत बड़ा मास मोमेंट बने वाला है अंग्रेजन ने कहते हैं ना इस और नेशनलिज्म को कमजोर करने की कोशिश की पर हुआ इसका ठीक उल्टा नेशनलिज्म और भड़क गया भारतवासी और अंग्रेजन के अब एकजुट हो गए खिलाफ एकजुट हो गए तो इस एंटी पार्टीशन मूवमेंट में एक माटी अफसर्ज हुआ बहुत सारे पॉलीटिकल लीडर्स जो पहले अलग-अलग हुआ करते थे अलग-अलग त्रिकोण से डील कर रहे थे नेशनलिज्म को अब वो सब एकजुट हो गए और एक प्लेटफॉर्म पर ए गए सारे लीडर्स इसमें से इंडियन नेशनल कांग्रेस और नेशनलिस्ट बंगाल के सब मिलकर के एक साथ विरोध करने लगे पहले अलग-अलग चल रहे थे अब उल्टा एक साथ हो गए और अंग्रेजन का विरोध करने लगे बंगाल में ही अलग-अलग लीडर्स अलग-अलग पापुलेशन के जैसे जमींदारा मरचेंट्स लॉयर स्टूडेंट विमेंस हर एक ने हर एक ने पार्टीशन का विरोध किया की आप जानते हैं की एवं वहां पर लोगों ने इसको विरोध करने कई नए तरीके निकालो क्या तरीके मैथर्ड अभी बताऊंगा पीपल ने आम जनता ने 16 अक्टूबर को क्या कर दिया ऐसा नेशनल मॉर्निंग मॉर्निंग मतलब क्राइम देश के रन का दिन देश के दुख मनाने का दिन ते किया 16 अक्टूबर को जी दिन पार्टीशन इंप्लीमेंट हुआ था और तो और लोगों ने इस दिन फास्टिंग राखी कहां गंगा पे गए बंगाल में गंगा नदी पास करती है वहां वो सब नंगे पर गए वहां पे बात किया और तो और ऐसा नहीं है सिर्फ वादिन किया बल्कि उन्होंने एक दूसरे को वचन दिया हिंदू मुस्लिम ने की वह एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे और तो और स्टेटस ऑफ कोलकाता में सिर्फ वंदे मातरम वंदे मातरम की चिल्लाहट हां चारों तरफ लोग सिर्फ क्या कर रहे हैं वंदे मातरम वंदे मातरम हमारा नेशनल सॉन्ग बन जाएगा कहां से आया वंदे मातरम वंदे मातरम आनंद मठ नाम की एक बुक का हां एक बुक का सॉन्ग है इसको लिखा था बंकिम चंद्र चटर्जी ने रविंद्र नाथ टैगोर जी ने एक गाना लिखा था अमर सोनार बांग्ला इसी परपज के लिए जिसका मतलब है मी गोल्डन बंगाल देखा आम जनता हाथ पकड़ कर के स्ट्रीट्स से इसको गीत गेट हुए जा रही है अंग्रेजन का विरोध कर रही है एवं हिंदू मुस्लिम ने एक दूसरे को राखियां बंदी इसका यकीन दिलाते हुए की हम सब एक है तो अंग्रेजन ने जितनी कोशिश की हमें तोड़ने की हम और एकजुट हुए हम और नेशनलिस्ट क्या हो गए अंग्रेजन का विरोध करने लगे आई इसका इंपैक्ट क्या होने वाला है याद रखिएगा इसका इंपैक्ट बहुत लॉन्ग बहुत लंबे समय तक चलने वाला है अंग्रेजन ने एक बहुत बड़ी गलती कर दी है पार्टीशन करके आपको पता है पार्टीशन का डिसीजन अंग्रेजन को वापस लेना पड़ा था नहीं जानते हैं हां अंग्रेजन को इस पार्टीशन को 1911 में वापस भी लेना पद गया 1995 में पार्टीशन किया 1911 में पार्टीशन हां रिटर्न बैक वापस कर लिया गया पटसन को क्या आप जानते हैं बहुत सारे हाजर्टेवेनस लीडर्स उसे समय लाइन लाइट में ए गए और किस लीडर को कहा गया फादर ऑफ इंडियन असर्टिव नेशनलिज्म में जिन्होंने देश प्रेम के लिए अपना सब कुछ निछावर कर दिया और सेल्फ सैक्रिफिस लोगों को सिखाया कौन थे फादर का इंडियन नेशनलिज्म आपसे पूछ रहा हूं बताइए मैं वेट कर रहा हूं आपका फादर कौन थे जिन्होंने अगर आप नष्टत्जम कहा जाता है चलिए मैं वेट कर रहा हूं हां वीडियो में बने रहिएगा क्योंकि आगे मैं उनके बड़े में ना सिर्फ आपको बताऊंगा उनका कंट्रीब्यूशन भी बताऊंगा और उनके दर्शन भी कराऊंगा तो एंटी पार्टीशन मूवमेंट बहुत जोर पे था अर्थात पार्टीशन का विरोध करने के लिए सारे नेशनलिस्ट लोगों ने हां मास मूवमेंट इसको कन्वर्ट कर दिया क्योंकि इसमें हर एक नागरिक चाहे वो जमींदार हो चाहे वो टीचर हो चाहे वो स्टूडेंट हो चाहे वो वूमेन हो सब ने पार्टीशन का विरोध किया स्वीट आईटी विकम मास मूवमेंट अंग्रेज ने जो किया हमारे लिए वो था हमारे साथ धोखा और हमने क्या किया इसका विरोध करने के लिए उसको मास मोमेंट में कन्वर्ट कर लिया लोगों ने स्वदेशी और बॉयकॉट को एक वेपन मां लिया एक तरीका मां लिया क्या अंग्रेजन का विरोध करना है तो स्वदेशी से करेंगे स्वदेशी मतलब यूजिंग गुड्स ऑफ वनस्पॉन्ड कंट्री और बाय गॉड मतलब अब विदेशी सानो का इस्तेमाल नहीं करेंगे पब्लिक प्लेस पर अंग्रेजन की होली अंग्रेजन की गुड्स की होली जान लगे हां जहां पर ब्रिटिश गुड्स दिखते थे वहीं पर हम लोग उसके सामने क्या करते थे अंग्रेजी सानो की होली जल रहे थे लोगों को आप विश्वास अब अंग्रेजन से खत्म हो गया अब समझ में ए गया की अंग्रेज धोखेबाज हैं अंग्रेजन के फेयर प्ले पर और जस्टिस पे तो विश्वास ही खत्म जो हाजर्टिंवनेस से वही लीडर अब सबसे आगे ए गए इस माहौल ने जब मॉडरेट्स अर्थात जो अर्ली नेशनलिस्ट थे वो बहुत स्ट्रिक्ट एक्शन नहीं ले रहे थे अंग्रेजन के खिलाफ वह बहुत बाय गॉड में बिलीव नहीं करते थे नहीं नहीं बहुत बाय कोर्ट नहीं करना चाहते थे इवेंट्स स्वदेशी को भी वह बहुत छुप-छुप के कर रहे थे तो जान जाते थे अपने एक्शंस के लिए याद रखिएगा हिंसा कहानी भी नहीं हो रही है अटैक करने की कोई भी बात नहीं कर रहे हैं लोग ना ना ना इनका मेथड एग्रेसिव है इनका मेथड है सेल्फ सैक्रिफिस का इनका मेथड है की हम अपना को मांग के रहेंगे छन के रहेंगे हां मांगने अगर नहीं डॉग तो छन लेंगे ये इनका सोचता पार्टीशन ऑफ बंगाल को 1911 में वापस ले लिया गया और इंडिया की कैपिटल 1911 में कोलकाता से शिफ्ट होकर दिल्ली बना दी गई अभी तक भारत की कैप्टन 199 तक कोलकाता थी हां आप और मैं आज भी कैपिटल ऑफ इंडिया बोलते हैं न्यू दिल्ली 1911 के बाद से 1971 एक बहुत ही सरप्राइजिंग एयर है इस साल कांग्रेस में पहले बार ऊंट पद जाएगी कांग्रेस सो में टूट जाएगी हम इसे जानते हैं सूरज प्लेट क्योंकि ये सेशन सूरत में हुआ था 1900 और 7 में क्यों हुआ क्या हुआ था आई समझते हैं तो असर्टिव नेशनलिस्ट क्या चाहते थे चाहते थे की स्वदेशी और बाय कोर्ट को पूरे भारत में लॉन्च कर दिया जाए सिर्फ बंगाल में नहीं पूरे भारत में इस मोमेंट को चलाया जाए पर मॉडरेट्स जो कोई अगली नेशनलिस्ट हुआ करते थे वह चाहते थे ना ना ना इस मूवमेंट को सिर्फ बंगाल तक ही सीमित रखा जाए मतलब वो नहीं चाहते थे की मन पूरे देश में पहले अर्ली नेशनलिस्ट इस बात का सपोर्ट नहीं कर रहे थे की एवं बाय गॉड तक किया जाए वो अंग्रेजन का विरोध नहीं करना चाहते थे उनको यकीन था की अंग्रेज जस्टिस करेंगे अंग्रेज फेयर प्ले करेंगे पर आप जानते ही हैं अंग्रेज कभी ऐसा नहीं करने वाले थे और नेशनलिस्ट ने ते किया लाल लाजपत राय जी को प्रेसिडेंट बनाया जाएगा 197 में लाल लाजपत राय जी का नाम प्रपोज किया गया की वो हमारे आप कांग्रेस के प्रेसिडेंट होंगे बट कांग्रेस के जो दूसरे पार्ट थे उन्होंने राज बिहार गोष्ट जी को अपना प्रेसिडेंट नाम नियुक्त किया नतीजा कांग्रेस में बंटवारा हो गया दो लीडर नहीं हो सकते ना एक म्यान में दो तलवारे नहीं र शक्ति नतीजा कांग्रेस में बंटवारा सूरत स्प्लिट के नाम से जाना जाता है 197 में सूरज स्पिरिट होने से नेशनल मूवमेंट और कमजोर हुआ हां अंग्रेजन को मौका मिल गया की अब वो मॉडरेट्स को खुश कर कंसेशन देकर और एवं मुस्लिम लोगों को कंस्ट्रक्शन देकर इन असर्टिव नेस्टलिस्ट को पनिशमेंट देंगे यही अंग्रेजन ने चला की भी चली क्योंकि देश प्रेम कमजोर होगा जब हमारे देशवासी आपस में लड़ेंगे और यही वो अंग्रेज चाहते थे तो सूरज स्प्लिट हुआ घबराए मत 1916 में वापस ये लोग रिजाइन कर जाएंगे कांग्रेस वापस ए जाएंगे तो कुछ वीडियो के नाम पहले समझे या असर्टिव नेस्टलिस्ट हैं कौन तो ये एक यंग तरह के एक न्यू और यंगर ग्रुप ऑफ लीडर्स से जो कांग्रेस के थे पर कांग्रेस की मैथर्ड और आईडियोलॉजी से अलग कम करते थे क्या मेथड था इनका तो इनका कम था की ये लोग कंप्लीट स्वराज चाहते थे हमको होम रूल नहीं चाहिए कंप्लीट इंडिपेंडेंस चाहिए ये इनकी सोच थी ये मास मूवमेंट में बिलीव करते थे इनका नाम था असर्टिव नेशनलिस्ट याद रखिएगा कहानी भी वायलेंस की मैं बात नहीं कर रहा हूं किसी को मार कैट करने की बात नहीं कर रहा हूं यह लोग इसलिए का लेट थे हाजरटेन नेस्टलिस्ट बिकॉज़ दे आर डिफरेंट आउटलुक और एडवोकेटेड एक्टर रेजिस्टेंस तू ब्रिटिश इंपैरेलिज्म अर्थात हम ब्रिटिश का विरोध एक्चुअली करेंगे सिर्फ लेटर बाजी से नहीं करेंगे की प्रेयर कर दिया आप लीडिंग कर दिया ना ना ना ना हम तो जन-जन में आंदोलन फैलाएंगे शॉर्ट पेपर जाएंगे मठ बनाएंगे और जहां अंग्रेज जाएंगे हर जगह उनका विरोध करेंगे यह उनका तरीका था दिन में तीन में लीडर्स हैं जिन्हें लाल लाजपत राय बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल के नाम से जाना जाता है हम इन्हें लाल बाल और बाल के नाम से जानते हैं स्क्रीन पर आप तीनों को देख का रहे होंगे आप बीच में देख रहे होंगे तो बाल गंगाधर तिलक जी हैं इस साइड देखेंगे तो आपको लाल लाजपत राय दिखे रहे हैं और यह बंगाली बाबू है हमारे विपिन चंद्र पाल जी लाल बाल पाल तो क्या मकसद था क्या ऑब्जेक्टिव था और जतिन नेशनलिस्ट मॉडरेट से अलग थे अर्लीस्टलिस्ट से अलग थे क्योंकि यह इनीशिएट अटेनमेंट ऑफ सोना चाहते थे इनको कोई होम रूल होम रूल नहीं चाहिए हमें पुरी तरीके से क्या चाहिए इंडिपेंडेंस चाहिए हमें भारत आजाद चाहिए अंग्रेजन से ये हिम्मत ये ताकत ये हौसला इनके पास था अर्लीस्ट बस इतनी हिम्मत नहीं थी वह थोड़े कमजोर थे अपने मैथर्ड में क्या नेशनलिस्ट ने तो असर्टिव नेशनलिस्ट ने भारत के लोगों को जोड़ने का तरीका लगाया सोचा कैसे जन-जन को इस आंदोलन में जोड़े देश प्रेम में जोड़ें और इन्होंने सबसे पहले तरीका लगाया स्वदेशी करेंगे स्वर मतलब खुद का देश मतलब कंट्री तो जो भी हो वो अपने देश का हो अर्थात तन पे वास्तु हूं अपने देश के हो घर का समाज हो अपने देश का हो तो प्रोड्यूजिंग नेसेसरी आइटम्स इन वंस कंट्री और यूजिंग डेम पर वंस उसे अपने देश का बना समाज हम ही इस्तेमाल करेंगे विदाउट बीइंग डिपेंडेंट ऑन इंपोर्टेड गुड्स आज भी हम स्वदेशी की जरूर महसूस करते हैं आज भी हमारी गवर्नमेंट को ताकतवर बनाने की सख्त जरूर है अब है बाय कोर्ट की जरूर यह मेथड मतलब एब्सटेनिंग फ्रॉम दी परचेज ऑफ ब्रिटिश गुड्स मतलब हम ब्रिटिश गुड्स को नहीं खरीदेंगे नहीं इस्तेमाल करेंगे बल्कि उल्टा ब्रिटिश गुड्स को जल देंगे जो हमारे पास हैवी उसको खत्म कर देंगे ऐसा माना जाता है की जब स्वदेशी होगा तो बाय गॉड तो होगा ही होगा क्यों व्हेन यू एक्सेप्ट स्वदेशी यू मस्त बाय गॉड ब्लेस जब आप अपने देश का इस्तेमाल करेंगे तो विदेशी सानो को आप विरोध करिए बैक को मतलब हिंदी शब्द होता है त्याग देना हां व्हेन यू बाय गॉड समथिंग मतलब आप उसे चीज को त्याग देते हैं और ये भी एक तरीका नेशनल एजुकेशन स्ट्रेट करना फॉरेन स्टडी सेंटर्स में नहीं जाना है विदेशी स्कूलों में नहीं जाना है अंग्रेजन के पढ़ाई सिस्टम को नहीं पटना है बल्कि भारत का अपना एजुकेशन सिस्टम होगा ये प्लेन करना अर्थात गवर्नमेंट की यूनिवर्सिटी में नहीं जाना है कौन-कौन से इंस्टिट्यूट को उसे जमाने ने बंगाल नेशनल कॉलेज खोल गया कोलकाता में 25 अप्पा नेशनल कॉलेज खोल गया चेन्नई में क्यों ताकि नेशनल स्कूल जो हमारे अपने भारतीयों के चलाएं गए स्कूल से हमारे भारतीय नागरिक वहां पढ़ेंगे क्योंकि वहां पे उन्हें देश प्रेम पटाया जाएगा ये तरीका था नेशनलिस्ट लोगों का असर्टिनस देखा विरोध करने का तरीका ही अलग है और तो और वो पैसे रेजिस्टेंस में बिलीव करते थे पैसिव का मतलब होता है हम बोलिंग तरीका नहीं लगाएंगे बट हां विग्रह असली अर्थात चोर से क्या करेंगे एक्शंस उठाएंगे अंग्रेजन के खिलाफ जैसे मैंने कहा जन-जन का आंदोलन करेंगे घर-घर जाएंगे और नागरिक को उसका मूवमेंट कहां हिस्सा बनाएंगे जब आंदोलन करेंगे सड़कों पे उतरेंगे सड़क जाम कर देंगे ये उनका तरीका था ये है बाय विगोरोस पॉलीटिकल एक्शन लेंगे और तो और हम अपना हकलाने की बजे करने की बजे अपना हाथ क्लेम करेंगे नो बैगिंग नो लेकिन मैंने कहा था साड्डा हक आते रख यह था इनका एटीट्यूड अब मांगना नहीं है हां छन लेना है और क्या मेथड थे इनका एक तरीका ये भी था रिवाइवलिज्म इसका मतलब होता है ये लोगों को यकीन दिलाना चाहते थे की हमें बहुत महान देश को बिलॉन्ग करते हैं भारत एक बहुत ही बड़ा और बहुत ही ज्ञान से भारत देश है सोनी की चिड़िया भारत है हमने ही विश्व में बहुत सारे धर्म दिए हमने विश्व में बहुत ज्ञान दिया तो ये ग्लोरी हम भारतीयों को सीखना वापस याद दिलाना की हमारा पास कितना महान था इसका नाम दिया गया रिवलिज्म हां त्रिलोक जी ने शिवाजी फेस्टिवल को रिवाइवल किया क्योंकि छत्रपति शिवाजी हम भारतीयों की एक महान लीडर थे जिन्होंने अंग्रेजन के पहले हां अंग्रेजन से पहले मुगल सल्तनत का भयंकर विरोध किया उन्होंने हम सबको एक जोड़ना सिखाया तो रिवाइवलिज्म और क्या किया गया और क्या किया पर्सनल सैक्रिफिस पर्सनल सैक्रिफिस का मतलब होता है की हमें सेल्फ सैक्रिफिस के लिए तैयार रहना चाहिए हमें अपना स्वयं का बलिदान देने के लिए तैयार रहना चाहिए हमें हार्ट शिफ्ट सहने के लिए तैयार होना चाहिए इसीलिए लाठी क्लब्स बनाए गए थे हां खड़ा आज बनाया गए थे किसने बनाया तिलक जी ने बनाया ठीक है मास मूवमेंट के लिए आम जनता को जोड़ा गया है इस मोमेंट से आई अंग्रेजन ने भी छोड़ नहीं अंग्रेजन ने एंटी पार्टीशन मूवमेंट के बाद चुन चुन करके नेस्टलिस्ट लीडर्स को जेल में बैंड किया बहुत अत्याचार किया इन पर जिम तिलक जी को तो जय डाला 6 साल तक वो जय रहे मंडल में हां बर्मा में अखिलेश है लाल लाजपत राय जी को भी बर्मा रिपोर्ट कर दिया गया और वो भी बिना किसी ट्रायल के बिना किसी सनी के सीधे सजा और तो और न्यूजपेपर्स को बन कर दिया गया मीटिंग्स करने पे माना हो गया अब कोई भी लीडर्स मीटिंग नहीं कर सकते हैं आम जनता जा खड़ी रहती थी एकजुट होती थी वहां उन पर लाठी चार्ज हो जाता तो अंग्रेजन ने भी बहुत अत्याचार किया नेशनलिस्ट मूवमेंट को रोकने के लिए अब आते हैं आपसे मैंने पूछा था हूं इसे डी फादर ऑफ इंडियन असर्टिव नेशनलिज्म तो वो थे श्री बाल गंगाधर तिलक थे फादर का इंडियन नेशनल में भर दिया इन्होंने कांग्रेस को एक मास मोमेंट पार्टी बना दिया जन-जन की पार्टी बना दिया तिलक जी स्वयं महाराष्ट्र के थे लोग पढ़ने के बाद इन्होंने आगे पुणे न्यू इंग्लिश स्कूल खोल और तो और परमिशन कॉलेज भी खोल इसके लिए उन्होंने डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की मदद की किसने तिलक जी ने अब तिलक जी स्वयं खुद हाली एजुकेटेड हाली एजुकेटेड व्यक्ति थे अब तिलक ने ही शुरू किया कुछ कंट्रीब्यूशन तिलक के कंट्रीब्यूशन आपको याद करने पढ़ेंगे पहले व्यक्ति थे फर्स्ट परसों थे जिन्होंने डिक्लेअर किया की मुझे स्वराज चाहिए इनका एक नारा था इनका एक स्लोगन होगा स्वराज इस मी बर्थराइट और आई शैली हैबिट स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा हां तिलक जी ने ही और लाठी क्लब्स को ले अखाड़ा खुला ताकि यंग लोगों को फिजिकल ट्रेनिंग दी जाए ताकि वो क्या करें मार्स सा सके याद रखिएगा मारना नहीं है सहनशक्ति बढ़ाने के लिए है फिजिकल लोगों को स्ट्रांग बनाने के लिए ये खुला गए थे इन्होंने नेशनलिज्म सिखाया कैसे उन्होंने खुद रिलिजियस फेस्टिवल्स के मध्य से जैसे गणपति फेस्टिवल जो हम भूल चुके थे उनको वापस स्टार्ट किया ताकि हम के हमारे अंदर नेशनल सोंग्स और नेशनल स्पीशीज को दोबारा हमको एकजुट किया तिलक जी नहीं शिवाजी फेस्टिवल वापस शुरू किया हमें याद दिलाया की किस तरह से छत्रपति शिवाजी ने भारतीयों को एकजुट किया था तो शिवाजी फेस्टिवल लोगों को इनकरेज करने के लिए था हम सब के अंदर स्पिरिट ऑफ फ्रीडम स्पिरिट ऑफ पेट्रोलियम जोड़ने के लिए के एक मराठा था जो की इंग्लिश न्यूज़पेपर था सोचिए इंग्लिश न्यूज़ पर लिखने वाले और केसरी जो की मराठी भाषा में लिखा गया न्यूज़पेपर था इन्होंने जय में रहते हुए भी किताबें लिखी मैंने कहा था इनको 6 साल की जय हुई थी ना तो जय में इन्होंने लिखी थी गीता रहे इससे और एक इनकी और महान किताब है दी आर्कटिक होम ऑफ वेद इमेजिन करिए इतनी महान हमारा ये अज़र्टिव नेशनलिस्ट लीडर है ऑर्डिनरी पीपल नहीं है याद रखिए ये सब हाली क्वालिफाइड है खुद डॉ की डिग्री लेने के बाद स्कूलों के मलिक होने के बावजूद वो देश प्रेम की आज पूरे भारतीयों में जाता रहे थे और क्या किया इन्होंने होम रूल लीग शुरू किया हमरूल लीग 1916 में शुरू किया और चाहते थे की हमें सेल्फ गवर्नमेंट मिल जाए विद हिंदी ब्रिटिश रूल विद हिंदी ब्रिटिश रूल ऐसा माना जाता है गांधी जी को भी इन्होंने ही बहुत सारे मेथड सिखाएं या उल्टा कहे की गांधी जी ने इनके मैथर्ड कॉपी कर लिए क्योंकि गांधी जी 19 15 के बाद पॉलिटिक्स में आए और 19 16 17 के बाद ही वो एक्टिवली इंटरेस्टेड हुए 1915 में इंडिया में उनको बुलाने के लिए गोपाल कृष्णा गोखले ही नहीं कहा था गोपाल कृष्णा गोखले जी पॉलीटिकल मेंटल या गुरु ऑफ गांधीजी मैन जाते हैं जबकि तिलक जी क्या है फोर रनर ऑफ गांधीजी पूर्ण मतलब होता है अगुवा अगुवा मतलब होता है आगे चलने वाला गांधीजी के आगे कौन थे तिलक जी क्योंकि तिलक जी की इतिहास कौन सी आइडिया स्वराज करने की आइडिया बाइक और करने की आइडिया ये सब महात्मा गांधी जी ने फॉलो की अगले असर्टिव नेशनल लीडर की बात करता हूं हां पाल विपिन चंद्र पाल इनको कहा गया है फादर ऑफ रिवॉल्यूशनरी थॉट इन इंडिया पर आप जानते हैं कोई एक ऐसा लीडर भी था जिसने कहा था की मुझे पड़ी मेरे शरीर पे पड़ी हर एक लाठी ब्रिटिश सरकार आपके राज्य की सबूत की कल बनेगी यथार्थ आपने मुझे लाठियां से तो मार दिया है पर मेरा मेरे शरीर पर पड़ी हर एक लाठी आपकी अंत का करण बनेगी जानते हैं वो लीडर कौन थे नहीं जानते हैं तो टाइप करिए और वरना वेट करिए अभी हम उसे लीडर को आपको दर्शन भी कराएंगे और उनके कंट्रीब्यूशन भी बताएंगे अभी बात करते हैं विभिन्न चंद्रपाल की विपिन चंद्र पाल जी स्वयं भी एक हाली क्वालिफाइड थे इन्होंने भी एक जंगलिस्ट के रूप में कम शुरू किया कौन सा न्यूज़पेपर था बंगाल पब्लिक ओपिनियन डी ट्रिब्यून और न्यू इंडिया ट्रिब्यून और न्यू इंडिया तो आज भी बहुत पॉपुलर न्यूज़ पेपर है आज भी हमारे देश में चलाएं जाते हैं और तो और इन्होंने नेशनल एजुकेशन को बहुत प्रमोट किया चाहते थे की लोगों का आजाद होने से पहले एजुकेशन क्या होना चाहिए हाय होना चाहिए इकोनामिक रिफॉर्म्स के भी इन्होंने बहुत सपोर्ट किया क्या सपोर्ट किया इन्होंने का सिस्टम का विरोध किया कहां हमारे इस देश में जो जाति प्रथम है जैसे ब्राह्मण क्षत्रिय शुद्ध वैश्य खत्म खत्म करो बैंड करो इन्होंने कहा जो रूल्स हैं वो इंटरनेट और इंटरनेट मिक्सिंग क्यों हनी चाहिए अर्थात एक दूसरे जाति में हम लोग का पी सके शादियां कर सके ये कितनी महान सोच वाले थे इन्होंने विद्योरी मैरिज को बढ़ावा दिया कहा औरतें को विधवा औरतें को भी शादी करने का हक होना चाहिए और एक बहुत इंपॉर्टेंट चीज ये चाहते थे वूमेन एजुकेशन को बढ़ावा मिले इनका मानना था की औरतें की पोजीशन तभी बढ़ेगी जब औरतें पड़ेंगी पड़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया ये सोचते थे अब ए गए हमारे लीडर तीसरी और आखिरी असर्टिव लीडर महान लॉयर थे महान लेखक थे प्रॉफिट राइटर थे और तो और एजुकेटर थे रिफॉर्मर थे और स्टंट फाइटर अगेंस्ट डी ब्रिटिश रूल स्टोन मतलब कतर दुश्मन थे अंग्रेजन के अंग्रेजन को खत्म करने के ते कर रखा था कुछ अनोखी बात बताऊं उनके बड़े में ये वो पहले इंडियन थे जिन्होंने इंपैरेलिज्म को कैपलिसन से जोड़ा पहले इंडियन थे जिन्होंने बताया की इनका जो अंग्रेजन का जो इंपैरेलिज्म है वो ही करण है दुनिया में केपीटलाइज्म का ये वो पहले व्यक्ति थे फर्स्ट प्रेसिडेंट ऑफ जो इंडिया ट्रेड कांग्रेस वर्कर्स के आंदोलन वर्कर्स की यूनियन की सबसे बड़ी पार्टी है जो इंडिया ट्रेड कांग्रेस इसके वो पहले प्रेसिडेंट भी बने हैं तो बहुत महान थे हमारे लाल लाजपत राय जी इन्होंने एक मैगजीन शुरू की नाम था यंग इंडिया इंडिया शुरू की थी बड़े कमल की बात है ये मैगजीन शुरू की थी अमेरिका में उन्होंने न्यूजपेपर्स लिखे पंजाबी वंदे मातरम और पीपल आप इमेजिन करिए इतने सारे कम हमारे ये नेशनल लीडर्स कर रहे हैं इमेजिन करें कितने महान होंगे देश के लिए संघर्ष कर रहे हैं हम सबके लिए एक रोल मॉडल के रूप में कम कर रहे हैं हमारे हाजरटेन नेशनलिस्ट इन्होंने किताब भी लिखी जिसका नाम था नेशनल एजुकेशन आई कुछ इनके कंट्रीब्यूशन भी कर लेते हैं एक महान एजुकेशनिस्ट थे राइटर भी थे मैंने बताया इन्होंने उस में रहते हुए जब ये उस गए थे अमेरिका गए थे वहां पे एक मैगजीन शुरू की यंग इंडिया क्यों क्योंकि वो मैसेज देना चाहते थे इंडियन सिटीजंस को यंग इंडियन को की वो अटेंडेंस और आज करें अर्थात इंडियन में स्वराज के लिए एक फायर एक आज जलताना चाहते थे और तो और एक सोशल रिफॉर्मर भी थे समाज में बदलाव करना भी चाहते थे समाज सुधार रहना चाहते थे इन्होंने आर्य समाज के जुड़ करके बहुत सारे रिफॉर्म्स के कम किया जैसे इन्होंने दव कॉलेज को पढ़ना मदद की और तो और उन्होंने बहुत सारे अनाथालय खोलें और अपने देश को ले हॉस्पिटल खोल स्कूल खोल इन्होंने एक सोसाइटी बनाई नाम था सर्वेंट ऑफ पीपल सोसाइटी क्यों ताकि वो लोग जो समाज में पिछड़ी हैं दामाद में दबे काले हैं उनको उनका हक मिल सके कितने महान थे सोचिए इतना सर कम करते हुए जेल में जाते हुए देश प्रेम का कम करते हुए समाज सुधार कर रहे हैं धन्य है हम हम सब भारतवासी ऐसे मां लीडर्स थे हमारे आई इनका एक और कम देखें पॉलीटिकल क आउटसाइड इंडिया तो ये जब एब्रॉड गए कई बड़ी अमेरिका गए वहां पर भी जाकर के उन्होंने इंडियन के लिए वहां के लोगों के नागरिकों के मां में एक अच्छा विचार भारत वहां पर भी फ्रीडम की स्ट्रगल के लिए तैयारी की वहां से हमने मदद मांगी ये गए एक बार 1914 में कहां गए उस गए वहां पे गदर पार्टी इन्होंने फॉर्म की गदर पार्टी ने विदेश में रहते हुए हम भारतीय रिवॉल्यूशनरीज को मदद की भारत में जो आंदोलन चल रहा था उनको उन्होंने पैसे से और हथियारों से मदद की किसने अगर पार्टी में जिसको यह जॉइन कर गए थे तो 1928 में जब साइमन को बैक अर्थात साइमन कमीशन का जब विरोध हो रहा था लाहौर में तो उसे वहां पर अंग्रेजन ने लाठी चार्ज किया उसे लाठी चार्ज में ये घायल हो गए इनको इतनी लाठियां लाल लाजपत राय जी को की यह घायल हो गए और हॉस्पिटलाइज्ड हो गए हॉस्पिटल में करने से पहले हॉस्पिटल में करने से पहले 1928 में उन्होंने कहा था क्या कहा था एवरी लाठी गला ऑन मी बॉडी बिल प्रूफ तू बी एन नल इन डी कॉफी ऑफ डी ब्रिटिश अंपायर और इंडिया यही क्वेश्चन मैंने आपसे पूछा था की किस लीडर ने कहा था की मेरे शरीर पर पड़ी हर एक लाठी अंग्रेजी सरकार के ताबूत की कली बनेगी यही थे लाल लाजपत राय सोचिए कितने महान लीडर थे जो उन्होंने कहा वो सच हुआ और इनके करने की कुछ इस साल बाद देखिए 1928 में इनकी डेथ हो रही है हम 1947 में आजाद हो रहे हैं तो कितने महान लीडर्स कितने त्याग के बाद हमें ये आजादी मिली है चलिए आई एम वेरी सर की ये चैप्टर समझ में ए गया होगा और आपके अंदर भी एक नया जुनून एक नई आज भर दिया होगा मेरी एक ही कोशिश है ये सब पेड़ कंटेंट्स हैं हां मैं सच का रहा हूं ये सब पेड़ कंटेंट्स हैं आप बहुत सारे यस दूसरे चैनल को हां युटुब चैनल को एवं वेबसाइट को बहुत सारे मैंने ऐसे सुन जो बहुत सर पैसा ले रहे हैं इन कोर्सेज को बेचे के लिए पर हम प्रोवाइड कर रहे हैं आप तो सब कुछ अब्सोल्युटली फ्री बट फ्री है फ्री है आपके लिए ही सिर्फ परी है मेरे सुपरस्टार यह सब कुछ पेड़ हो सकता था ये सब कुछ पेड़ हो सकता था और एवं पेड़ हो जाएगा आपकी सिर्फ और सिर्फ मुझे हेल्प चाहिए आपका चाहिए प्यार आपके चाहिए देर सारे कमेंट्स और लाइक्स मिलते हैं वीडियो में जो आप चाहते हैं और आपके लिए ही सर तरुण पानी सारे लेटेस्ट कंटेंट बना रहे हैं ये चैप्टर जो रेडी दो तीन बार मैंने अपलोड कर रखा है पर ये लेसन आपके लिए नए कंटेंट के अकॉर्डिंग इसकी करंट अफेयर्स के अकॉर्डिंग मैंने फिर से एपलेट किया है चलिए मिलते हैं बाय टेक केयर गॉड ब्लेस यू