हाय गाइस एंड वेलकम बैक टू दी चैनल दीपक यादव एजुकेशन। वेलकम टू दी डेली हिंदू न्यूज़ एंड एडिटोरियल एनालिसिस ऑफ 24th ऑफ मई 2025। तो गाइस आज है तारीख 24 मई 2025 और है सैटरडे। देखेंगे आज के द हिंदू कंप्लीट न्यूज़पेपर को। कंप्लीट न्यूज़पेपर को एनालाइज़ करेंगे। बट लेक्चर में आगे बढ़ने से पहले अगर आपको इस लेक्चर का पीडीएफ चाहिए तो क्या करना है? सबसे पहले डाउनलोड करना है Telegram। देन उसके बाद जाके सर्च बॉक्स में टाइप करना दीपक यादव एजुकेशन पीडीएफ। आपको यह Telegram चैनल मिल जाएगा। यहां से आप इस लेक्चर डॉक्यूमेंट्स को डाउनलोड कर पाएंगे। नाउ हमेशा की तरह हम लोग अपने लेक्चर को एक मैप के क्वेश्चन के साथ स्टार्ट करेंगे। तो आज आप सभी को मैप में जाकर देखना है चैगोज़ आइलैंड्स को। आपको पता है चैगोज़ आइलैंड पिछले साल भी बहुत ज्यादा न्यूज़ में बने हुए थे। पॉसिबिलिटी है इस बार चैगोज़ आइलैंड को लेकर कुछ क्वेश्चन भी हमको मिल जाए। लेकिन अच्छे से यहां पर इसको एक बार फिर से मैप में देख लीजिएगा क्योंकि है बहुत यह इंपॉर्टेंट कहां पर एग्जैक्टली लोकेटेड है। पूरा सिचुएशन मैं आपको समझा दूंगा। अभी के लिए आपको यह मैप में देखना है और उसके बाद में नीचे कमेंट सेक्शन में आके टाइप करना है कि हां इसकी लोकेशन यह है। फिर उसके बाद दोस्तों आप इसको लंबे समय तक याद रख पाएंगे। चलिए फिर शुरुआत करते हैं आज के डिस्कशन की अपने थंबनेल वाले इंपॉर्टेंट आर्टिकल के साथ में। गुड मॉर्निंग आप सभी लोगों को। जो भी मेरे साथ में सेशन में जुड़ चुके हैं। मेरा वॉइस और वीडियो दोनों चीजें क्लियर हैं तो एक बार मेंशन कर दीजिएगा। सेशन की शुरुआत करते हैं। गुड मॉर्निंग। गुड मॉर्निंग आप सभी लोगों को। चलिए दोस्तों आज ना वैसे न्यूज़पेपर में काफी सारे टॉपिक हैं जो हमारे लिए काम के हैं। फॉर एग्जांपल अगर मैं आपको शो करूं तो जैसे पेज नंबर वन पे ये टॉपिक है जीएस पेपर नंबर टू पॉलिटी के लिए रेलेवेंट है। हम बात करेंगे इसमें नॉर्थ ईस्ट इंडिया केेंस के बारे में बहुत ज्यादा काम का आर्टिकल। इवन मेंस में यूपीएससी ने यहां से क्वेश्चन पूछा हुआ है। देन उसके बाद में दोस्तों आप देखोगे पेज नंबर वन पे ही अगेन जीएस पेपर नंबर टू पिटी के लिए एफएटीएफ को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। वो भी डिस्कस करेंगे। क्या है पूरा इशू? कुछ बेसिक बैकग्राउंड आपको जानने को मिलेगा। फिर अगेन पेज नंबर वन पर ही यहां पर एक बीएसएफ जवान के बारे में डिस्कशन हो रहा है। वेरी वेरी इंपॉर्टेंट टॉपिक। देन फिर उसके बाद आज एडिटोरियल डिस्कशन में ये एडिटोरियल थोड़ा काम का है। यहां पे बात हो रही है मेडिकल ऑक्सीजन के बारे में कि मेडिकल ऑक्सीजन के पर्टिकुलर सेक्टर में हम क्या-क्या चीजें कर सकते हैं। क्योंकि हेल्थ को लेकर तो हम बातचीत करते रहते हैं कि हेल्थ पे इंफ्रास्ट्रक्चर पे खर्च करना होगा, ये करना होगा, वो करना होगा। यहां पे कुछ नया टॉपिक है। मेडिकल ऑक्सीजन के ऊपर में काम किया गया। कोविड 19 का रेफरेंस यहां पर शेयर किया गया। तो वो यहां पे हम कवर करेंगे। पेज नंबर नाइन पे एक आर्टिकल है बहुत काम का। यहां पर इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड्स के बारे में डिस्कशन हो रहा है। वेरी वेरीेंट। यह टॉपिक आपने पढ़ना ही है। बहुत ज्यादा काम का है। क्या होता है इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड्स? कैसे रोल प्ले करता है? आज हमारे आर्म्ड फोर्सेस का स्ट्रक्चर क्या है? वो यहां पे हम लोग समझेंगे। फिर पेज नंबर 11 पर जीएस पेपर नंबर थ्री इकॉनमी के लिए रेलेवेंट टॉपिक आपको यह देखने को मिल जाएगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को लेकर जो आज से दो दिनों पहले न्यूज़ पब्लिश हो रहा था जो हमने डिस्कस भी किया था कि अभी के समय पर सेंट्रल गवर्नमेंट कोशिश कर रही है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कुछ फंड्स को लेने के लिए। ठीक है? क्योंकि अभी यहां पर ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया तो बहुत सारा जो फंड्स है वो यहां पर खर्च हुआ है। तो उसको बैलेंस करने के लिए जो आरबीआई है वो बहुत सारा जो सरप्लस है वो ट्रांसफर करता है। अभी के समय पर सारी डील सेट हो चुकी हैं। और आरबीआई क्या है? अभी ट्रांसफर करेगा 2.69 लाख करोड़ के आसपास। वैसे हर साल जो सरप्लस होता है उसको वह ट्रांसफर करता है। पिछले साल भी ट्रांसफर किया गया था। पिछले साल से इस बार ज्यादा यहां पर यह ट्रांसफर हो रहा है। ठीक है? ये आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा साहब हैं। इनके स्टेटमेंट्स आपको देखने को मिलेंगे। दो टर्म्स हम डिस्कस करेंगे। इकोनमिक कैपिटल फ्रेमवर्क एंड सेकंड वन इज़ कॉन्टिंजेंट रिस्क बफर। क्या होता है? बहुत इंपॉर्टेंट ये टर्म्स आपको देखने को मिल जाती हैं। तो आज के सेशन में ये सब कुछ होने वाला है। मतलब आप बने रहिएगा क्योंकि साथ ही साथ मैं आपको नोट्स भी प्रोवाइड करवाता हूं। एग्जैक्टली बैकग्राउंड में क्या-क्या आपने लिखना होगा। शुरुआत थंबनेल वाले टॉपिक के साथ में। देखो कल से एक प्रोजेक्ट के बारे में डिस्कशन हो रहा है जिसका नाम है प्रोजेक्ट कुशा। तो ये जो प्रोजेक्ट कुशा एयर डिफेंस सिस्टम है वैसे चर्चाएं तो उसकी बहुत पहले से हो रही हैं। अभी के समय पर ये न्यूज़ में ज्यादा आ चुका है। तो एक्चुअली में क्या हो रहा है? जैसे अभी हम लोगों ने यहां पर देखा कि S400 सिस्टम जो है वो कितना ज्यादा न्यूज़ में रहा और कितना ज्यादा बेहतरीन तरीके से इसने हमको एक अच्छी प्रोटेक्शन प्रोवाइड करवाई। पाकिस्तान ने इतने सारे 300 400 ड्रोंस हमारे ऊपर में दागे लेकिन उसके बावजूद भी हमने हवा में ही यहां पर उनके ड्रोंस को मार कर गिराया। अभी क्या हो रहा है? प्रोजेक्ट कुशा के तहत यहां पे दोस्तों हम अपना खुद का देसी सिस्टम इंडियंस जो हैं वो करंट समय पर अपना देसी S400 डेवलप कर रहे हैं। ठीक है? खुद से हम इसको डेवलप कर रहे हैं। इंडीजीनियसली आप इसको कह सकते हैं। अब ऐसा सिस्टम जो है इसको समय लगेगा तैयार होने में। तो एक जो पूरा डेमो है वो आने वाले एक साल में तैयार होगा। फिर उसके ऊपर में मल्टीलेवल पर काम भी शुरू होगा। वह यहां पर इस आर्टिकल में बताया जा रहा है। अभी मैं आपको थोड़ा विस्तार से बताऊंगा। सो डोंट वरी। आपसे एग्जामिनेशन में क्वेश्चन बन जाए कि रिसेंटली प्रोजेक्ट कुशा चर्चाओं में था। ये किस चीज से रिलेटेड है? तो ये एयर डिफेंस सिस्टम से रिलेटेड है। यह बात तो दोस्तों यहां पर आपको पता होनी ही चाहिए। ठीक है? अब आगे सुनिए क्या-क्या है कि इंडिया अपना खुद का जैसे मैंने बताया इंडीजीनियसली S400 टाइप लॉन्ग रेंज एयर सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम को डेवलप कर रहा है। अब S400 काम कैसे करता है? आई होप यह आप सभी लोगों को पता होगा जो आपने रिसेंटली यहां पर देखा भी है। ठीक है? यह हमारा S400 सिस्टम है जिसकी हम लोग बात कर रहे हैं। ठीक है? इसमें फोर कॉमोनेंट्स होते हैं। इसमें रडार भी है, डिटक्टर भी है और यह मिसाइल लांचर सिस्टम भी है। जो दुश्मन अगर कोई मिसाइल दागता है या उसका कोई ड्रोन है या कोई और यहां पर एयरक्राफ्ट है, कोई जेट है उसको डिटेक्ट करने के बाद में हवा में ही मार के गिराने की शक्ति रखता है। यह S400 यह रशियन मेड सिस्टम है जिसको रशिया ने डेवलप किया है। हमने रशिया से इसको परचेस किया था एक डील के तहत और उसमें तीन सिस्टम तो हम लोगों ने खरीद लिए थे डायरेक्टली। वो इंडिया के पास में है। दो अभी पेंडिंग पड़े हैं क्योंकि पांच सिस्टम का ऑर्डर हम लोगों ने दिया था। इतनी बात आपको क्लियर हुई। अब दोस्तों यहां पे जो एक यूनिट की कॉस्ट आती है वो आती है 1.2 बिलियन। इसकी जो ऑपरेशनल रेंज है क्योंकि नाम क्या है इसका? S400 ये जो बाद का 400 है इसका मतलब क्या है? यह 400 कि.मी. तक के जो अपनी रेंज है उसको कवर कर सकता है। 400 कि.मी. तक के टारगेट्स को हिट कर सकता है। सरफेस टू एयर डिफेंस सिस्टम है। यानी नीचे सतह पर है। ठीक है? इससे हवा में आसमान में हम क्या कर सकते हैं? अपने थ्रेट्स को, अपने एनिमी थ्रेट्स को डिस्ट्रॉय कर सकते हैं। तो, सरफेस टू एयर डिफेंस सिस्टम इसको बोला जाता है। ठीक है? क्लियर हो गया? यह क्या-क्या कर सकता है? एयरक्राफ्ट, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और बलिस्टिक मिसाइल को डिटेक्ट कर सकता है। 360° रेंज में काम करता है। इसमें अलग-अलग लेवल के मिसाइल्स यूज़ की जाती हैं। जब मैं वर्ड यूज़ करता हूं अलग-अलग लेवल के मिसाइल्स, तो यहां पर आप देख पाएंगे अलग-अलग चार मिसाइल्स के नाम दिए गए हैं। इन चारों मिसाइल्स की रेंजेस अलग-अलग हैं। ठीक है? S400 के अंदर में आप अलग-अलग रेंज की मिसाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे सबसे ऊपर वाली जो मिसाइल है इसकी रेंज ओनली 120 कि.मी. है। सेकंड वाले की 200 कि.मी. थर्ड वाले की 250 कि.मी. एंड फोर्थ वाले की 400 कि.मी. दोस्तों ये कुछ यहां पर रेंजेस के बारे में शेयर किया जा रहा है। तो इस वजह से जो इसकी मैक्सिमम रेंज है वो अभी S400 यानी कि 400 कि.मी. की मैक्सिमम रेंज देखने को मिल जाती है हम सभी लोगों को। क्लियर हो गया? अभी S400 मैंने आपको क्यों समझाया? क्योंकि पहले भी डिस्कस कर चुके हैं। अभी समझाना इसलिए था क्योंकि ऐसा ही बिल्कुल बिल्कुल इसी तरीके का जो सिस्टम है वह यहां पे हम डेवलप कर रहे हैं इस प्रोजेक्ट कुशा के अंदर। लेकिन इस पूरे प्रोजेक्ट को लीड कौन कर रहा है? तो वो है हमारा डीआरडीओ डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन जो इसको लीड कर रहा है। इसमें एक कंपनी का सपोर्ट भी है जिसका नाम है भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड। यह इसका डेवलपमेंट पार्टनर है। तो डीआरडीओ बीईएल के साथ पार्टनरशिप करके इस नए सिस्टम को तैयार कर रहा है। इस प्रोजेक्ट कुशा के तहत नाम अभी यहां पर नहीं दिया गया है। तो मैं आपको इसके बारे में समझाता हूं। तो प्रोजेक्ट कुशा आई होप आप समझ गए हैं कि हां डीआरडीओ का एक इंपॉर्टेंट इनिशिएटिव है। खुद का डिफेंस सिस्टम S400 ट्रियोम की तरह हम बनाना चाहते हैं जिसके पास में एयर डिफेंस कैपेबिलिटीज़ बहुत ज्यादा होंगी और भारत की क्षमताओं को यह बढ़ाएगा। क्षमता इसमें यह भी होगी क्योंकि हमने S400 भी तो रशिया से ही परचेस किया है ना। जहां पर हम लोगों ने मिलियंस ऑफ डॉलर्स का खर्चा किया है। तो अभी के समय पर हम चाहते हैं कि खुद से इस प्रकार का सिस्टम डेवलप करें जिससे जो मिलिट्री इंपोर्ट्स है बाहर से जो इंपोर्ट कर रहे हैं इसको कम किया जाए। क्योंकि दूसरी तरफ अगर आप देखोगे तो डिफेंस में हमारा एक बड़ा टारगेट भी है। टारगेट हमारा यह है कि आने वाले समय पर हम चाहते हैं कि लगभग ₹00 करोड़ का जो एक्सपोर्ट है वो कर सकें। ठीक है? है जिसमें हमारा ब्रह्मोस मिसाइल अभी एक यूनिक प्रोजेक्ट के तौर पर देखने को मिल रहा है। तो यह सब कुछ तो तभी हो पाएगा जब हम अपने मिलिट्री इंपोर्ट्स को कम करेंगे। तभी यहां पर डिफेंस का स्पेशली यहां पर आप देखोगे एक्सपोर्ट का सेक्शन बढ़ा पाएंगे। अदरवाइज इंपोर्ट भी बढ़ रहा है। एक्सपोर्ट को आप बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। तो ज्यादा चेंजेस हमको देखने को मिलेगा नहीं। हम चाहते हैं खुद से जो भी डेवलप जो भी सिस्टम डेवलप हम खुद से कर सकते हैं उसको डेवलप किया जाए। तो इसमें डीआरडीओ बीईएल ये सब यहां पर शामिल हो गए। अब दोस्तों जैसे इसका मैंने आपको बताया जो डेमो प्रोटोटाइप है ये कंप्लीट होगा आने वाले 12 से 18 महीनों के अंदर में और मेंशन यह भी किया जा रहा है कि आगे कुछ और समय भी लगेगा इसको फुल पोटेंशियल के तौर पे इंट्रोड्यूस करने में इसकी जो एस्टेटेड कॉस्ट लगने वाली है ₹400 करोड़ का यहां पर यह खर्चा आएगा ठीक है लेकिन अच्छी बात यह है कि वो रशियन S400 सिस्टम के ऊपर में निर्भरता को कम कर देगा लेकिन प्रॉब्लम यह है देखा जाएगा हम किस रेंज का बनाते हैं क्योंकि एक आर्टिकल यह भी शेयर करता है प्रॉब्लम्स आएंगी कि रशिया की क्वालिटी ्वालिटी को मैच करना। जैसी उनकी क्वालिटी है उसको मैच करने में हमें थोड़ा सा प्रॉब्लम आ सकता है। उसके लिए हमारी जो कॉस्टिंग है वह और ज्यादा इंक्रीस हो सकती है। हम कौन-कौन से एयर थ्रेट्स को डाउन करेंगे इस चीज के ऊपर भी हमें ध्यान रखना होगा। अगर यह सब करने में हम सक्सेसफुल हो गए तो ऑब्वियस सी बात है यह बड़ा अचीवमेंट होगा आत्मनिर्भर भारत को लेकर जैसे हम लोग यहां पे डिस्कस करते रहते हैं। ठीक है? अब ऑपरेशनल रेलेवेंस अगर आप देखोगे यह जरूरत बन चुका है आज के समय पर। जैसे यहां पर इंडिया पाकिस्तान का रीसेंट डिस्प्यूट हुआ उसकी वजह से ठीक है जिसमें हमने S400 का बेहतरीन उपयोग किया। ब्रह्मोस मिसाइल हो गया, आकाश एयर डिफेंस सिस्टम हो गया, बैराक एट सिस्टम हो गया। इन सबका बढ़िया तरीके से उपयोग किया गया। जिन्होंने सक्सेसफुली पाकिस्तान के 300 से ज्यादा जो ड्रोनस हैं उनको हवा में मार के गिरा दिया। तो हम चाहते हैं कि अब इस कैपेबिलिटी को और ज्यादा बढ़ाया जाए क्योंकि भविष्य में क्योंकि हम जानते हैं नहीं सुधरने वाले ये और पहले भी इसी तरीके के ये अटैक करवा चुके हैं। आज भी यहां पर ये अटैक हुआ है और अब यहां पे आने वाले समय पर भी हो सकता है पॉसिबिलिटीज है कि हां ये जो पाकिस्तानीज हैं ये सुधरेंगे नहीं। ठीक है? अब एक्चुअली में क्या है? हमें तो रेडी रहना होगा और हमें रेडी रहना होगा चाइना को लेकर भी क्योंकि चाइना का पूरा सपोर्ट था रीसेंट डिस्प्यूट में जैसे आपने देखा चाइना का ही HQ9 वगैरह जो भी है वो पाकिस्तान ने इस्तेमाल किया है। टर्की का यहां पे सपोर्ट था पाकिस्तान के प्रति। ये हम लोगों ने देखा अज़रबजान का सपोर्ट था। फिलहाल टर्की अज़रबजान दोनों की साइड में इंडिया ने बॉयकॉट करना शुरू कर दिया है। बहुत सारे इंडियंस जिन्होंने अपना कह सकते हैं कि टूर वगैरह सेट कर रखा था वो सब यहां पे रोक दिया है। ठीक है? ठीक है? बुकिंग्स वगैरह कैंसिल हो चुकी हैं। तो इस पूरे ऑपरेशन के दौरान हमको पता चला कि स्पेशली पाकिस्तान के प्रति किस-किस का इंक्लिनेशन है। या फिर क्योंकि गलती यहां पे प्रॉब्लम यह है कि पाकिस्तान टेररिज्म को स्पॉन्सर कर रहा है। और उसी चीज को अगर कोई पाकिस्तान को सपोर्ट कर रहा है इस केस में तो ऑब्वियस सी बात है वो टेररिज्म को ही सपोर्ट कर रहा है। जबकि एक तरफ आप देखोगे इतने सारे देश हैं चाहे वो रशिया हो, यूएसएस हो, यूरोपियन यूनियन हो, जापान हो सारे के सारे कंट्रीज वो इंडिया के साथ में खड़े हैं टू काउंटर दिस टेररिज्म। सब हम बात करते हैं आतंकवाद से लड़ने की। लेकिन कुछ कंट्रीज हैं जिन्होंने यहां पे पाकिस्तान के प्रति सपोर्ट दिखाया। अब फिलहाल दुर्भाग्य से ये दो देश हमारे बॉर्डर्स पर प्रेजेंट हैं। एक पाकिस्तान है, दूसरा यहां पर चाइना है। हमें इनसे डील करना होगा। सिचुएशन आगे कुछ भी हो सकती है। डील करने के लिए अपने बॉर्डर्स को पूरी तरह से सिक्योर रखना होगा। तो जैसे मैंने आपको बताया इसीलिए हम लोगों ने S400 परचेस किया। भले ही यहां पर अमेरिका का डर था। अमेरिका ने तो कह दिया कि यहां पर जो भी S400 परचेस करेगा या रशियन डिफेंस सिस्टम परचेस करेगा उसके ऊपर में काटसा सेंशंस लगा देंगे। लेकिन इंडिया ने फिर भी S400 परचेस किया। हमारी जरूरत थी। हालांकि इंडिया काटसा सेंश से बच गया। इंडिया के ऊपर में काटसा सेंशंस नहीं लगाए गए। ठीक है? तो आज हमारे पास में दोस्तों वैसे मैंने आपको बताया पांच यूनिट्स का हमने ऑर्डर दिया था रशिया को। जिसमें से तीन यूनिट्स हमारे पास में ऑलरेडी आ चुकी हैं। दो यूनिट्स पेंडिंग पड़ी हैं। वो भी जल्दी या नेक्स्ट ईयर तक आ जाएंगी। तो ये हम पांचों की पांचों यूनिट कहां पे रखेंगे? तो पांच S400 सिस्टम एक तो रखेंगे यहां पर और दूसरा यहां पर आप देख पाएंगे रखेंगे इधर तीसरा यह रखेंगे। यानी कि ये जो पाकिस्तान के साथ में हमारी बॉर्डर है यहां पे। फिर चौथा रखेंगे इधर और पांचवा रखेंगे इधर जो चाइना के साथ में बॉर्डर है। तो बॉर्डर पर कोई भी इशू होगा। कोई ड्रोंस वगैरह दागे जाते हैं तो उसको यहां पे हवा में गिरा दिया जाएगा। यह हमारा मेन पर्पस है। ठीक है? ठीक है? मैं आपको बताया 2018 में हमने रशिया के साथ में S400 को लेकर ये डील की थी। फाइव यूनिट्स और डिलीवरी डिलीवर हो चुके हैं। दो सॉरी तीन डिलीवर हो चुके हैं। तीन बचे हुए हैं। क्लियर? आगे आते हैं। तो एक थोड़ा सा रिवीज़ कर लेते हैं प्रोजेक्ट कुशा के बारे में। तो प्रोजेक्ट कुशा हमारा खुद का सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम है जो बिल्कुल S400 की तरह हम लोग डेवलप कर रहे हैं इंडीजीनियस सिस्टम। कौन सी ऑर्गेनाइजेशन लीड कर रही डीआरडी और बीएल दोनों मिलकर काम कर रहे हैं। लगभग 1 साल का समय लगने वाला है। ₹40,000 करोड़ लगने वाला है। S400 की रेंज 400 कि.मी. थी। अपना देखते हैं यहां पर किस रेंज का हम लोग इसको डेवलप करते हैं। फिलहाल कोशिश की जा रही है पूरी तरह से वैसा ही बनाया जाए। तो देखा जाएगा कि एग्जैक्टली वो हम बना पाते हैं या नहीं बना पाते हैं। ठीक है? क्लियर हो गया? चलिए आगे आते हैं उसके बाद में नेक्स्ट न्यूज़ आर्टिकल की तरफ। अगला आर्टिकल हमारे लिए और भी ज्यादा इंपॉर्टेंट होने वाला है। लेकिन उससे पहले एक इंपॉर्टेंट इनफेशन अगर आप लोग हमारे पेड ग्रुप्स को ज्वाइन करना चाहते हैं। आपके पास में बढ़िया मौका है इसको ज्वाइन करने के लिए। यहां पर आपको डेली बेसिस पे करंट नोट्स के पीडीएफ वगैरह प्रोवाइड करवाए जाते हैं। फॉर एग्जांपल जैसे अभी आप लोगों ने ये पूरा आर्टिकल देखा। इवन ये पीडीएफ देखा। ये पीडीएफ आप जो देख रहे हैं जिसमें बहुत सारे फोटोस का यूज़ किया गया है। एकदम एग्जैक्ट कंटेंट आपको मिल जाएगा। नोट्स आपके जनरेट हो जाएंगे। कुछ एक्स्ट्रा करने की जरूरत नहीं है। वीडियो देखो काम खत्म। पीडीएफ के थ्रू रिवाइज करो। ये पीडीएफ हिंदी और इंग्लिश दोनों में आपको प्रोवाइड करवाए जाते हैं इस ग्रुप के अंदर में। ठीक है? तो हिंदी इंग्लिश दोनों मीडियम के एस्पिरेंट्स के लिए हेल्पफुल है। इस ग्रुप को ज्वाइन करने का जो फी पेमेंट है वो बहुत ही ज्यादा मिनिमम है। जस्ट 499 फॉर द लाइफ टाइम एक्सेस। जब तक आपका सिलेक्शन ना हो जाए तब तक आप 499 में ग्रुप को ज्वाइन करके रख सकते हैं। जॉइ करने के लिए करना क्या है? WhatsApp पर जाना। यहां पर आपको एक नंबर दिया गया है 853487368। इस नंबर पर मैसेज कर देना कि आई वांट टू जॉइन दिस ग्रुप। वहां पे आपको रिप्लाई मिलेगा। पेमेंट का प्रोसेस दिया जाएगा। उससे ज्यादाेंट आपको डेमो वीडियो का लिंक मिलेगा। उसको देख सकते हैं, चेक कर सकते हैं। मुझको कहां पर क्या फायदा होगा। अपने आप को सेटिस्फाई कर लेना। उसके बाद जाकर यह इन्वेस्टमेंट आप सभी लोग कर सकते हैं। ठीक है? चलिए दोस्तों, अगली खबर की तरफ आते हैं। अगला न्यूज़ आर्टिकल भी काम का है। एक सेकंड एक मैं कमेंट देख लेता हूं थोड़ा सा। तो पेड ग्रुप पे मैसेज किया है। कोई रिप्लाई मिल जाएगा रिप्लाई। टेंशन मत लो। हर व्यक्ति को रिप्लाई मिलता है। ठीक है? हिडम वीडियो भी दे दिया जाएगा। चेक कर लीजिएगा। तो परेशान मत होइए। सबको रिप्लाई मिलेगा। ठीक है? बाकी यहां पर और कोई आपको इशू हो तो आप मुझे बता सकते हैं। कोई भी प्रॉब्लम हो तो आप एक बार इसको मेंशन कर सकते हैं। ठीक है? पाकिस्तान को एफीडीएफ के ब्लैक लिस्ट में होना चाहिए। अभी बस आ ही रहे हैं उस वाले आर्टिकल के ऊपर में वो भी डिस्कस करेंगे। चलिए ये जो यहां पर आपको अगला आर्टिकल दिख रहा है पहले इसको डिस्कस कर लेते हैं। ये थोड़ा सा हमारे लिए काम का है। ये देखिए प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी जी का स्टेटमेंट है। यहां पर ये कहते हैं कि जो नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट्स हैं हमारे नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट्स की बात करते हैं तो सेवन सिस्टर वन ब्रदर। तो सेवन सिस्टर्स की जब हम बात करते हैं दोस्तों, तो फर्स्ट इज अरुणाचल प्रदेश। ठीक है? सेकंड स्टेट आपको देखने को मिल जाएगा नागालैंड। थर्ड स्टेट देखने को मिल जाएगा मणिपुर। फोर्थ स्टेट मिजोरम, फिफ्थ स्टेट त्रिपुरा, सिक्स्थ स्टेट यहां पर मेघालय, सेवंथ स्टेट इज़ असम। और एट्थ यहां पे हो गया हमारा सिक्किम। तो, यह आप देख पाएंगे। ये हमारा पूरा नॉर्थ ईस्टर्न रीजन है। जब हम बात करते हैं नॉर्थ ईस्ट की, तो नॉर्थ ईस्ट रीजन बहुत खूबसूरत रीजन है। ठीक है? यहां का अगर आप देखोगे जो बायोडायवर्सिटी है वह बहुत ज्यादा है। स्पेशली यहां का कल्चर ट्रेडिशन कल्चर के अंदर भी डायवर्सिटी बहुत सारी है। बहुत सारी ट्रैवल कम्युनिटीज आपको देखने को मिलेंगी। उनकी फेस्टिवल हैं। आपने हॉर्न फेस्टिवल का नाम सुना होगा। वो यहां पर सेलिब्रेट होता है। लोग बाहर दूसरे कंट्रीज से आते हैं उस हॉर्नव फेस्टिवल को देखने के लिए। तो बहुत सारी चीजें हैं। बिल्कुल पावर हाउस है यह पर्टिकुलर रीजन। लेकिन पिछले कुछ समय में अगर आप देखोगे तो इस रीजन में ना ज्यादा डेवलपमेंट नहीं हो पाया। और एक चीज और ध्यान में रखनी है इंडिया का पूरा बाकी सारी टेरिटरी और नॉर्थ ईस्टर्न रीजन इनके बीच में जो छोटा सा कनेक्शन होता है वो एक छोटे से कॉरिडोर के माध्यम से होता है। आप यहां पर देख पा रहे होंगे ये वाला कॉरिडोर। इसको हम क्या बोलते हैं? इसको बोलते हैं सिलीगुड़ी कॉरिडोर। ठीक है? या इसको चिकन नेक कॉरिडोर के नाम से भी कहा जाता है। यह छोटा सा पतला सा रास्ता आपको दिख रहा होगा जिसके थ्रू हम अपने पूरे नॉर्थ ईस्टर्न भाग से कनेक्ट हो पाते हैं। तो इंडिया की कनेक्टिविटी यहां से थोड़ी सी वीक है। लेकिन कोई बात नहीं। अब यहां पर देखो फोकस ये किया जा रहा है कि इस पूरे एरिया को बिल्कुल पूरा एक पावर हाउस था ये शुरू से लेकिन वो इंफ्रास्ट्रक्चर वहां पर नहीं बन पाया। वो इन्वेस्टमेंट वहां पे उस रीजन में नहीं हो पाया। इस वजह से यहां पर ज्यादा पोटेंशियल जो था ना उस रीजन के अंदर में उस पोटेंशियल का सही तरीके से उपयोग नहीं हो पा रहा था। अब जो नॉर्थ ईस्टर्न रीजन है ये एक मेन हिस्सा है जो भारत को पूरे साउथ ईस्ट एशिया से जोड़ता है। अब देखो यहां पर ना एक बहुत बड़ाेंस है। मैं आपको बताता हूं। जैसा आपने देख लिया इंडिया ये नॉर्थ ईस्ट और नॉर्थ ईस्ट और इंडिया के बीच में कनेक्शन होता है सिलिगुरी कॉरिडोर के माध्यम से और एक चीज और मैं आपको एक मैप दिखाता हूं वर्ल्ड मैप ये आप देखेंगे दोस्तों एक मैप इसको बहुत ध्यान से देखिएगा ये आपको नजर आएगा ये अपना इंडिया है ठीक है और इधर हम लोग बात कर रहे थे जैसे अगर आप देखोगे लोकेशन तो ये जो रीजन जितनी भी कंट्रीज आपको दिख रहे हैं ये सारी की सारी साउथ ईस्ट एशियन कंट्रीज हैं। ठीक है? ये हमारा साउथ एशिया है। ये हो गया साउथ ईस्ट एशियन रीजन। ये इंडिया हो गया। और ये हो गया दोस्तों हमारा नॉर्थ ईस्टर्न रीजन। तो नॉर्थ ईस्टर्न रीजन एक ऐसा पोर्शन है जो हमारे बाकी सारे साउथ ईस्ट एशियन कंट्रीज के साथ में कनेक्ट हो पाता है। ठीक है? जैसा आप लोग यहां पर देख पा रहे होंगे। तो इस पूरे रीजन के साथ में अगर इंडिया की कनेक्टिविटी हो पाती है क्योंकि नीचे तो बे ऑफ़ बंगाल है। तो इस पूरे रीजन के साथ चाहे म्यांमार हो, थाईलैंड हो, कैंबोडिया उनके साथ में जो कनेक्टिविटी हो पाती है, वो हमारे इसी रेंज के साथ में हो पाती है। यह हम अपने नॉर्थ ईस्ट के साथ में ही एक बाउंड्री जॉइन कर पाते हैं इन सभी साउथ ईस्ट एशियन कंट्रीज के साथ में। तो आप इमेजिन कर सकते हैं नॉर्थ ईस्ट इंडिया काेंस हमारे देश के लिए कितना ज्यादा बड़ा है। तो अभी तक केवल और केवल यह फ्रंटियर रीजन की तरह देखने को मिलता था। अब कोई फ्रंटियर रीजन नहीं है। ऐसा यहां पे बोला जा रहा है। फ्रंटियर रीजन मतलब यहां पर अपने आप में कुछ ज्योग्राफिकल इश्यूज हुआ करते थे। बट अब यह भारत के लिए पूरे इंडिया के लिए यहां पर फ्रंट रनर माना जाता है। भारत की ग्रोथ के लिए एक बहुत अहम रोल है हमारे नॉर्थ ईस्ट इंडिया का जिसको हमें समझना होगा जिसको हमें वैल्यू करना होगा। समझ रहे हैं? चाहे आप किसी भी सेक्शन में देख लो। आज जब इसको पावर हाउस ऑफ एनर्जी यहां पर बोला जा रहा है तो पावर हाउस ऑफ एनर्जी क्यों बोला जा रहा है? इस पूरे रीजन में आप देखोगे बमबू का प्रोडक्शन, टी का प्रोडक्शन, पेट्रोलियम स्पोर्ट्स वाले सेक्टर में आप देख पाएंगे ओलंपिक्स के अंदर में कितने सारे मेडल्स हमारे नॉर्थ ईस्ट इंडियंस के थ्रू ही लेकर आए गए हैं। ठीक है? इको टूरिज्म हो गया। ये बहुत इंपॉर्टेंट रीजंस हैं जो उभरते हुए हब हैं। आगे जाके इसमें और ज्यादा ग्रोथ होगी। तो ये जो हमारे कह सकते हैं कि एट स्टेट्स हैं नॉर्थ ईस्ट के अंदर में इसको प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी क्या बोलते हैं कि ये है अष्टलक्ष्मी। ठीक है? क्या है यहां पे? अष्ट लक्ष्मी। नाम यहां पे थोड़ा बहुत अगर न्यूज़ में है तो याद रखना इसके बारे में। मान लो एग्जाम में क्वेश्चन बन जाए अष्ट लक्ष्मी के बारे में तो आपको पता होना चाहिए यहां कि यहां एट फॉर्म्स ऑफ गॉडेस लक्ष्मी। ठीक है? लक्ष्मी जी के यहां पर जो एट फॉर्म्स हैं जो रूप हैं इसके बारे में जब बात हो रही है तो इन्हीं एट फॉर्म्स को डिनोट किया गया है नॉर्थ ईस्टर्न रीजन के लिए। यह बात आपको ध्यान में रखना है। फिर हमने डिस्कस किया कि नॉर्थ ईस्टर्न रीजन किस लिए इंपॉर्टेंट है? साउथ ईस्ट एशिया के साथ में जोड़ने के लिए या साउथ ईस्ट एशिया के साथ में कनेक्टिविटी बनाने के लिए। और साउथ ईस्ट एशिया के साथ में कनेक्टिविटी कैसे बनती है? वो आप समझ गए। यह कनेक्टिविटी इस पूरे रीजन के साथ में अगर इंडिया कनेक्ट हो पाएगा बेहतर तरीके से या अपने लैंड बॉर्डर से तो हम अपने नॉर्थ ईस्टर्न रीजन से ही हो पाएंगे। ये आपको समझ में आ गया कि हां नॉर्थ ईस्ट काेंस क्या है। चलिए अब मैं आपको थोड़े से नोट जनरेट करवाता हूं। थोड़ा इस पे ध्यान रखिएगा क्योंकि यह टॉपिक अक्सर न्यूज़ में है। आज से कुछ दिनों पहले भी यह चर्चाओं में था स्पेशली मार्च के महीने में। ठीक है? तो हम लोगों ने इन ईस्ट एट स्टेट्स के बारे में बात कर ली। हां, वो कौन-कौन से हमारे आठ राज्य हैं? इस रीजन में पिछले कुछ समय पर कुछ चैलेंजेस देखने को मिले हैं। चैलेंजेस कौन-कौन से हैं? जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर में ज्यादा इन्वेस्टमेंट नहीं हुआ है। दूसरा चैलेंज यहां पर गवर्नेंस का है। तीसरा यहां पर सिक्योरिटी का इशू है जो मैंने आपको थोड़ी देर पहले बताया। भले यहां पर कितनी भी रिच बायोडायवर्सिटी क्यों ना हो, कल्चरल डायवर्सिटी क्यों ना हो, भले ये पावर हाउस क्यों ना हो। लेकिन जैसे मणिपुर कॉन्फ्लिक्ट हुआ था, ऐसे बहुत सारे कॉन्फ्लिक्ट्स और भी पिछले कुछ समय पर हुए हैं। काफी सारे रीजंस के अंदर नॉर्थ ईस्ट के रीजन के अंदर में सेपरेशन की बात होती है। बहुत सारे ग्रुप्स ऐसे खड़े हो जाते हैं जो अलग से अपनी टेरिटरी की डिमांड करते हैं। नागालैंड वाला एग्जांपल देखोगे, नागालैंड बनाने की बात होती है। तो ये कुछ चीजें हैं जो कहीं ना कहीं नॉर्थ ईस्ट को वापस से पीछे धकेलती हैं। समझ गए? तो आज हमें यहां पर इंप्रूवमेंट करने की जरूरत है। आज इस पूरे रीजन को होलिस्टिक डेवलप करने की जरूरत है। बेटर कनेक्टिविटी की जरूरत है। ठीक है? क्योंकि पावर हाउस तो ऑलरेडी है लेकिन उस पोटेंशियल का सही तरीके से उपयोग तो हो क्योंकि ये नॉर्थ ईस्ट रीजन जिसको छोटा-मोटा मत समझना। 5300 कि.मी. का रेंज आप इमेजिन करो 5300 कि.मी. की इंटरनेशनल बाउंड्री यहां पर ये शेयर करता है। वो भी हमारे अलग-अलग पांच देशों के साथ में। ठीक है? अकेले नॉर्थ ईस्ट की बात करेंगे तो इनके अरुणाचल प्रदेश की साइड से चाइना के साथ बाउंड्री लगती है। भूटान के साथ बाउंड्री लगती है। है ना? फिर उसके बाद में नेपाल के साथ बाउंड्री लगती है। है ना? सिक्किम की साइड से फिर म्यांमार के साथ बाउंड्री लगती है। इधर नागालैंड के साइड से बांग्लादेश के साइड से बाउंड्री लगती है। दोस्तों बांग्लादेश से हमारी बाउंड्री लगती है। नीचे अगर आप देखोगे मिजोरम हो गया, त्रिपुरा हो गया। ठीक है? मेघालय हो गया। तो ये कुछ यहां पर इंपॉर्टेंट कंट्रीज हैं। इन पांच देशों के साथ में हमारे नॉर्थ ईस्ट इंडिया के ये जो सात राज्य हैं, आठ राज्य हैं, ये बॉर्डर्स को शेयर करते हैं। ठीक है? आज हमारे लिए साउथ ईस्ट एशियन रीजन के साथ में जोड़ने के लिए उनके साथ में कनेक्टिविटी बैठाने के लिए नॉर्थ ईस्टर्न रीजन काेंस बहुत ज्यादा है। इसलिए हमने डेवलपमेंट करने के लिए या यहां यहां से कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए कुछ प्रोजेक्ट्स का अनाउंसमेंट हुआ था। उन प्रोजेक्ट्स के बारे में ध्यान रखना है। जैसे पहला प्रोजेक्ट है इंडिया म्यांमार थाईलैंड ट्राइलटरल हाईवे। ट्राईटरल हाईवे का नाम सुना होगा। इस ट्राइटरल हाईवे में हमारा मेन पर्पस क्या है? ये आप लोग देख पाएंगे। एग्जैक्टली ये भारत हो गया। स्पेशली हमारा नॉर्थ ईस्टर्न वाला रीजन। इसी के नीचे म्यांमार है। इसी के नीचे थाईलैंड है। तीनों को यहां पे रोड के साथ में कनेक्ट करना जिससे यहां पर क्या होगा? पीपल टू पीपल कनेक्शंस ऊपर से यहां पर इनके व्यापार और ज्यादा एक्सपैंड हो पाएंगे और ज्यादा यहां पर बढ़ पाएंगे। ठीक है? दूसरा यहां पे कालादन मल्टीमॉडल ट्रांजिट प्रोजेक्ट आपको देखने को मिल जाएगा। यह क्या है? यह आप देख पाएंगे दोस्तों। यह अगेन इंडिया हो गया। यह बांग्लादेश हो गया। हमारा मेन पर्पस है हम अपने कोलकाता वाले रीजन से सीधा यहां पर जोड़ें सितवे पोर्ट तक। ठीक है? म्यांमार के सतवे पोर्ट को जोड़ें। सितवे पोर्ट से ऊपर जाओगे तो अगेन यहां पे हमारा त्रिपुरा आ गया। ठीक है? ऊपर आप देख पाओगे। तो हमारा ये जो रीजन है ऊपर तो हम नॉर्थ ईस्ट इंडिया से कनेक्ट हैं ही। इस तरीके से सिलिगुरी कॉरिडोर से नीचे से भी यहां पर ये कनेक्टिविटी इस तरीके से बन जाती है जिसमें म्यांमार हेल्प करता है। समझ गए? तो ऐसे बहुत सारे प्रोजेक्ट्स हैं। इससे भी म्यांमार के साथ में कनेक्टिविटी हमारी यहां पर इंप्रूव होती हुई नजर आती है। तो हमने कनेक्टिविटी के लिए ऐसे ढेरों प्रोजेक्ट्स लगा रखे हैं। लेकिन इंप्लीमेंटेशन को लेकर कुछ समस्याएं हैं। लाइक अब देखो बांग्लादेश के अंदर में जो भी डिस्प्यूट हुआ अभी बांग्लादेश में एक नया बवाल चल रहा है। है ना? तो उसकी वजह से भी हम सही से अपने सारे प्रोजेक्ट्स को अभी के समय पर इंप्लीमेंट नहीं कर पाए हैं। फिर उसके बाद मणिपुर कॉन्फ्लिक्ट भी हमने रीसेंट समय पर देखा है। ये भी आपको पता होगा। बाकी नॉर्थ ईस्ट इंडिया की जब बात होती है तो यह पता होना चाहिए आपको दोस्तों 220 से ज्यादा एथनिक कम्युनिटीज यहां पर प्रेजेंट हैं। अलग-अलग सभी की यूनिक भाषाएं हैं, लैंग्वेज है, वहां का ट्रेडिशन है, सोशल कल्चर आपको वहां पर देखने को मिलेगा और इतना ज्यादा कल्चरल टूरिज्म है। लोग यहां पर घूमने जाते हैं। काफी लोग घूमने जाते हैं। मेघालय के अंदर में रीज़ मेघालय के अंदर में लिविंग रूट ब्रिजेस हैं। लिविंग रूट ब्रिजेस आपने देखे होंगे। फोटो सर्च करना Google पे मिल जाएगा मिल जाएगा। मैं यहां पे लगाया नहीं हूं। एक्चुअली में क्या है? जो हमारे पेड़ होते हैं, पेड़ की जो जड़े होती हैं, उन जड़ों के माध्यम से यहां पर ये जो ब्रिज है वो बनता है। ठीक है? फिर नागालैंड का हॉर्नव फेस्टिवल जिसके बारे में ऑलरेडी मैंने आपको एक्सप्लेन किया। इंपॉर्टेंट इवेंट्स है। ये एक एग्जांपल है बस। ऐसी बहुत सारी चीजें आपको देखने को मिल जाएंगी। बहुत ज्यादा ये जो रीजन है ना ये ऐसा रीजन है जिसको एक्सप्लोर किया जा सकता है बहुत ज्यादा। समझ रहे हैं? फिर बात आती है एग्रीकल्चर की। तो एग्रीकल्चर में यहां की जो जमीन है वो बहुत ही ज्यादा उपजाऊ है। ऑर्गेनिक फार्मिंग की जाती है। हॉर्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर ये सब चीजें यहां पर परफॉर्म हो रही हैं। मेडिसिनल प्लांट्स यहां पे बहुत सारे मिलते हैं जो दवा में उपयोग किए जाते हैं। इतना ही नहीं यहां की लिटरेसी रेट भी अच्छी है। अभी रिसेंट आपने एग्जांपल देखा होगा मिजोरम का था जहाने म्यांमार का था। लिटरेसी रेट वहां का एकदम मैक्सिमम लेवल पर है। जो हमारे देश का नेशनल एवरेज है लिटरेसी रेट का। उससे भी ज्यादा यहां पर आपको देखने को मिलेगा 78.5% का। लोगों के पास में वो स्किल है लेकिन अपॉर्चुनिटी नहीं है। तो ये जो रीजन है ये इतने सारे नेशनल एथलीट्स प्रोवाइड करवाता है जैसे हम देखते हैं। लेकिन वही है ना अब इसकोेंस देना जरूरी है। जोेंस पहले नहीं मिला वोेंस आज देना जरूरी है। आज कई बार क्या होता है सोशल मीडिया प्लेटफार्म पे हम आपस में भिड़ रहे होते हैं। है ना? वहां के जो लोग हैं थोड़ा सा यहां पर अगर आप कह सकते हैं कि जो फेस है उन्हीं उन्हीं फेस के हिसाब से यहां पर उनको कुछ भी बोल दिया जाता है। कई बार चाइनीस बोल दिया जाता है। ये बोल दिया जाता है। जबकि अपने देश के लोग हैं वो सब अपने ही बीच में यहां पर इस तरीके से बातें होने लगती हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पे इतने सारे कमेंट्स होते हैं। कहीं पर टिप्पणियां भी कर दी जाती हैं। वो व्यक्ति यहां पर घूम रहा है। तो वो सब चीजें चलती रहती हैं। अपने ही कंट्री के अंदर अपने ही लोगों को यहां पर इस तरीके से करना। अपने ही बीच के अंदर में क्या करना? आपस में डिसरप्शन या एक डिस्प्यूट को फैलाना। ऑब्वियस सी बात है आप किसी को कुछ बोलोगे तो वो व्यक्ति ऐसा थोड़ी है चुप हो जाएगा। वो भी यहां पर बोलेगा। तो ये डिस्प्यूट और ज्यादा एक्सपैंड होता चलता है। समझ रहे हैं? ऐसी बहुत सारी चीजें होती हैं जो नहीं होनी चाहिए। स्पेशली अपने देश के अंदर में अपने देश के भीतर में ही हम क्या कर रहे हैं? एक यूनिटी को डिसरप्ट कर रहे हैं। इस तरीके से मतलब उल्टा सीधा यहां पर बोलकर उल्टा सीधा यहां पर भाषा बोलकर स्पेशली सोशल मीडिया प्लेटफार्म पे ज्यादा नजर आता है। आप खुद एक बार चेक कीजिएगा। ठीक है? और ये केवल यहां पर मैं नॉर्थ ईस्टर्न रीजन की बात नहीं कर रहा हूं। नॉर्थ साउथ को लेकर भी ऐसे ही होता रहता है। आपने कई बार देखा भी होगा। है ना? कि साउथ इंडियंस को कुछ बोल दिया। साउथ इंडियंस नॉर्थ इंडियंस को फिर यहां पर कुछ बोल रहे हैं। तो ये सब चीजें चलती रहती हैं जो नहीं होनी चाहिए थी। इतना यहां पे हमें समझ होना चाहिए कि एग्जैक्टली क्या सिनेरियो है। ठीक है? हां जो गलत है ऑब्वियस सी बात है उसको गलत दिखाया जा सकता है और उस रीजन में जहां गलत हुआ है वहां पे उन लोगों को एक्सेप्ट भी करना होगा कि यहां पर ये गलत है। ठीक है? लेकिन इस तरीके से पूरे रीजन को इस तरीके से अलग कर देना यह गलत चीज है। और कई बार क्या होता है इंडियंस भी नहीं है इसके अंदर में। बाहर की दूसरे कंट्री का व्यक्ति यहां पर ये कर रहा होता है जो कमेंट्स वगैरह देखे होंगे कई बार वो दूसरे कंट्री का होता है। वो बांग्लादेश का है पाकिस्तान का और वो कमेंट कर रहा होता है इस रीजन को सेपरेट करो ये करो वो करो। है ना? वो लोग भी यहां पर बोल रहे होते हैं और फिर उसके रिस्पांस में हम एक जवाब दे रहे होते हैं। हम उल्टा कह रहे होते हैं उस अपने ही रीजन को। फिर वो लोग यहां पर जवाब दे रहे होते हैं नहीं होना चाहिए। समझ रहे हैं? कभी एग्जांपल दिखाऊंगा मैं आपको कमेंट्स के कमेंट्स के ऐसे कमेंट्स बहुत सारे मैं भी देखता हूं यार लेकिन एग्जांपल कभी शेयर करूंगा कि हां देखो ये है एक्चुअली में अब फिलहाल यहां पर क्या हो रहा है कि नॉर्थ ईस्ट रीजन की जब बात करते हैं तो ये रीजन कुछ चैलेंजेस फेस कर रहे हैं आज के समय पर चैलेंजेस कैसे अलग-अलग ग्रुप्स यहां पे लंबे समय से इकट्ठे हुए हैं असम के अंदर में यूएलएफए है ठीक है नागालैंड के अंदर एनएससीएन इन्होंने पहले भी मांग की है बहुत दंगे भी हुए हैं यहां पर इसलिए तो अफता एक्ट लगाया जाता है है ना आर्म्ड फोर्स स्पेशल एक्ट जहां पर आर्म्ड फोर्सेस को पावर्स दी जाती है कि वो इस पूरे डिस्प्यूट को रोक सकें उनको खुली पावर पावर मिलती है। किसी को भी यहां पर वह गोली मार सकते हैं। इस तरीके की पावर्स मिल जाती हैं। वायलेंस ऐसे हुए हैं। पहले एरिया को सेपरेट करने की बात हो जाती है। मणिपुर वायलेंस आपने देखा ही था कितना ज्यादा भयानक मेथी कुकी के बीच में ये डिस्प्यूट हुआ है। ये एक पहला रीजन आपको देखने रीजन देखने को मिलेगा जो चैलेंज है। ठीक है? जिसकी वजह से ऑब्वियस सी बात है ना ही कोई इन्वेस्टमेंट करना चाहता है उस रीजन में। कहेगा इतने सारे डिसरप्शन हो रहे हैं। इतने सारे डिस्प्यूट हो रहे हैं। इन्वेस्टमेंट कौन करेगा? है ना? फिर उसके बाद में टूरिज्म के लिए भी कोई नहीं जा पाता। फिर डर लगने लगता है लोगों को कि हां यहां पे इतना सारा वायलेंस हो रहा है। समझ रहे हैं? तो ये कहीं ना कहीं जो वायलेंस है या कहीं पर भी अपने देश में किसी भी हिस्से में वायलेंस हो रहा है वो अपने आप को ही हमको ही नुकसान कर रहा है। समझ रहे हैं? फिर बात आती है दोस्तों एग्रीकल्चरल इनफिशिएंसी की। तो ऑर्गेनिक फार्मिंग मैंने आपको स्टार्टिंग में बताया नॉर्थ ईस्टर्न रीजन में ऑर्गेनिक फार्मिंग को ज्यादा सपोर्ट करते हैं। तो ऑर्गेनिक फार्मिंग ज्यादा प्रॉफिटेबल नहीं है। ठीक है? क्योंकि यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर उस लेवल का नहीं है। और ऑर्गेनिक फार्मिंग में आप देखोगे तो हम लोग क्या कर रहे हैं? ज्यादा कुछ आर्टिफिशियल चीजों का यूज़ नहीं कर रहे हैं। है ना? लेकिन यहां पे क्या हो रहा है कि ज्यादा वहां पे प्रॉफिट नहीं मिल पा रहा है। मिडिलमैन का बीच में डोमिनेंस हो जाता है। वही बीच में पैसा खा लेता है। फार्मर्स को ज्यादा एक्सप्लइट कर दिया जाता है। बिचौली आता है बीच में। फार्मर्स हैं यहां पर। फार्मर्स से बहुत कम दाम में खरीदता है। फार्मर्स को ज्यादा प्रॉफिट नहीं मिल पाता। फिर फार्मर्स यहां पर फिर से उधारी के नीचे दब जाते हैं। उन्हें उधार लेना पड़ता है फसल लगाने के लिए। उन्हें बेचना ही पड़ेगा मजबूरन। उगा लिया है तो कटाई हो चुकी है फसल की तो। नहीं तो वो वो रखेंगे कहां पे? सड़ जाएगा तो और नुकसान हो जाएगा। तो ये एक प्रॉब्लम है। तीसरा है चाइना फैक्टर बॉर्डर टेंशन। आप देखो पाओगे जो चाइना है वो लगातार अरुणाचल प्रदेश को यहां पर क्लेम करता है। है ना? उसके अलावा तवांग में दो कलाम में इससे पहले बहुत ज्यादा जो डिसरप्शन है वो भी हुए हैं। लड़ाईयां भी हुई है बीच के अंदर में अरुणाचल प्रदेश पे खासकर। तो ये बॉर्डर का थोड़ा सा समस्या रहती है। लेकिन बॉर्डर को हम यहां पर मैनेज करते हैं। ऑब्वियसली अरुणाचल प्रदेश को उनका क्लेम करने से क्या हो गया? क्लेम करने से उनका पार्ट थोड़ी है वह। वो इंडिया का हिस्सा है। इवन यहां पर जो तिब्बत को कब्जा के बैठे हैं वो भी यहां पर तिब्बत अलग कंट्री है। ठीक है? वो चाइना का हिस्सा नहीं है। फिर बात आती है यहां पे दोस्तों क्लाइमेट चेंज की तो क्लाइमेट चेंज भी एक बड़ा प्रॉब्लम है। जब बात करते हैं क्लाइमेट चेंज की तो स्पेशली अभी देखोगे जब बारिश बहुत हो गई तो असम के अंदर में फ्लड्स बहुत ज्यादा आती हैं। 2022 की बहुत खतरनाक फ्लैट्स हैं। मैंने वीडियो भी रिकॉर्ड की थी। वीडियो भी अलग से शेयर की थी। है ना? काफी लोगों ने जो असम के साथ में असम के बहुत सारे स्टूडेंट्स हैं मेरे साथ में कनेक्टेड हैं। तो उन्होंने भी वो वीडियो शेयर की थी। 2022 में वीडियो अपलोडेड है मेरे चैनल पर ही इसी चैनल पर ही तो 2022 का यहां पर जो असम फ्लड है इसकी वजह से मिलियंस ऑफ लोगों को डिस्प्लेस करना पड़ा। ठीक है? बहुत ज्यादा कह सकते हैं कि जो डिजास्टर मैनेजमेंट है वो इतना ज्यादा पर्याप्त मात्रा में नहीं था। तो ऑब्वियस सी बात है क्लाइमेट चेंज हो रहा है जिससे फ्लड्स आएंगी, लैंडस्लाइड्स होंगे, प्रॉब्लम्स होंगी लोगों को तो वो करंट समय पर जो हमारा पूरा नॉर्थ ईस्टर्न रीजन है वो फेस कर रहा है। और लास्ट में दोस्तों गोल्डन ट्रायंगल वेरी वेरीेंट। गोल्डन ट्रायंगल की बात करते हैं तो स्पेशली म्यांमार, लाउस और थाईलैंड की बात होती है। और म्यांमार, लाउस और थाईलैंड तीनों के तीनों हमारे पड़ोसी देश हैं। है ना? जैसे अभी हम यहां पर बात कर भी रहे थे ट्रायलटरल हाईवे बनाने की तो चाहे वो म्यांमार हो, लाउस, हो, थाईलैंड हो, आसपास हैं। बिल्कुल करीब ही हैं। तो यहां पे बहुत सारा जो ओपिया में अफीम है इनका प्रोडक्शन किया जाता है। वो अफीम सीधा फिर भारत में नॉर्थ ईस्टर्न रीजन के थ्रू एंटर करता है। ठीक है? ठीक है? जिसमें मणिपुर के थ्रू, मिजोरम के थ्रू एंटर करता है जिसमें लोगों को फिर ड्रग एडिक्शन होना शुरू हो जाता है क्योंकि ड्रग्स की अवेलेबिलिटी हो रही है। जिस चीज की अवेलेबिलिटी ऑब्वियस सी बात है यहां पर अगर उसकी अवेलेबिलिटी खत्म कर दें तो लोग एडिक्ट नहीं होंगे। इसकी अवेलेबिलिटी है। ईजीली एक्सेस मिल जाता है। जब ये ट्रैफिकिंग होती है, तस्करी होती है। तो एडिक्शन है। उसी की वजह से यहां पर काफी बार जो क्राइम वगैरह है वो भी हमको यहां पर देखने को मिल जाता है। आई होप आपको ये क्लियर हो चुका है कि एग्जैक्टली चैलेंजेस क्या है। पूरा का पूरा जो स्ट्रक्चर मैंने आपको समझाया है। सब कुछ मैंने आपको पढ़ाया है। अलग-अलग प्रोजेक्ट बताए। गोल्डन ट्रायंगल का मतलब समझ में आया है ना? अलग-अलग जो हम लोगों ने इनिशिएटिव चला रखे हैं, ट्रायलटरल हाईवे आपको समझ में आया। कालाधन मल्टीमोडल प्रोजेक्ट आपको समझ में आया। ये प्रीलिम्स के लिए फैक्ट हैं। और जो ओवरऑल पूरा डिस्कशन किया सीक्वेंस में वो हमारे मेंस के लिए जरूरी है। तो प्रीलिम्स और मेंस दोनों के लिए काम का टॉपिक था ये। चलिए आगे आते हैं उसके बाद अगले न्यूज़ आर्टिकल की तरफ। अगला जो आर्टिकल है ये भी पेज नंबर वन पर है। जीएस पेपर नंबर टू पॉलिटी के पॉइंट ऑफ व्यू से काफी ज्यादा इंपॉर्टेंट है। यहां पर इंडिया लगातार कोशिश कर रहा है ऑपरेशन सिंदूर को कंडक्ट करने के बाद पाकिस्तान ने जो यहां पर यह आतंकवादी हमला भारत के ऊपर में करवाया उसके बाद हमारी यहां पर कोशिश है कि पाकिस्तान को सीधा एफएटीएफ के अंदर में घसीटा जाए। दिस इज़ फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स। तो आप कहोगे वेट एफएटीएफ एफएटीएफ में तो पाकिस्तान ऑलरेडी था। देखो था तो सही इनकी तो जर्नी बनी रहती है। इनकी बड़ी सुंदर जर्नी है एफएटीएफ की। सुंदर जर्नी कैसी है? तो यहां पर आप देखोगे तो एंट्री हुई है, एग्जिट हुए हैं। फिर एंट्री हुई है, फिर एग्जिट हुए हैं। मतलब सुधरे नहीं हैं। गलतियां कर कर के बार-बार एफटीएफ के अंदर में लिस्ट में आके ग्रे लिस्ट में कई बार आ चुके हैं। कई बार बाहर निकल चुके हैं। लेकिन सुधरना नहीं है अभी भी। अभी दोस्तों 2022 में ये निकले थे। अब 2025 में वापस से इनको ग्रे लिस्ट में डालने की तैयारी हो रही है। देखते हैं यहां पर किस तरीके से ग्रे लिस्ट में ऐड किया जाता है। नहीं नहीं किया जाता है। क्योंकि जो भी कुछ यहां पर पाकिस्तान ने किया है उसके हिसाब से तो इनको ग्रे लिस्ट में ऐड करना ही चाहिए। देखिए पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में पहले भी ऐड था इस एफ एटीएफ के अंदर में 2018 में इसको 2022 के अंदर में रिमूव कर दिया गया। 2022 में जो ये पाकिस्तान है जब इसको इस लिस्ट से हटाया गया था तो इसको यह बोला गया था कि ध्यान रखना अब टेररिज्म को कहीं से भी किसी प्रकार का सपोर्ट नहीं मिलना चाहिए। लेकिन फिर से अब तो हमारे पास में एविडेंस है ना। अब तो हमारे पास में सारे सबूत हैं। आपने रिसेंट देखा होगा कि जो जब ऑपरेशन सिंदूर हुआ तो इनके आतंकवादी जितने भी स्थल थे वो सब हम लोगों ने अटैक किए। तो आतंकवादी जब मारे गए तो उनके फिनरल के अंदर में उनके जनाजे में लोग पहुंच रहे हैं। उनके मिलिट्री ऑफिसर्स पहुंच रहे हैं। है ना? उनके ऑफिशियल जो सरकारी ऑफिशियल्स हैं वो उस कह सकते हैं कि आतंकवादी के फिनरल में पहुंच रहे हैं। तो वो तो क्लियरली सोशल मीडिया प्लेटफार्म पे सभी जगह पे अवेलेबल है ना। दिस इज द कोर एविडेंस। और यह जो ठोस एविडेंस है, यह सबूत है, इसी का हम यूज कर सकते हैं एफएटीएफ के अंदर में कि यह देखो इन्होंने फिर से टेररिज्म को सपोर्ट किया है। और शर्त यही थी इनको ग्रे लिस्ट से इसलिए निकाला गया था क्योंकि ये टेररिज्म को सपोर्ट नहीं करेंगे। लेकिन वही चीज वही हरकत यहां पर दोबारा की गई है इनके थ्रू। तो अब एक्चुअली में यहां पर क्या होने वाला है? अब वापस से यहां पे ग्रे लिस्ट में डालने के लिए भारत तो पुश कर रहा है। है ना? कि इसको वापस से ग्रे लिस्ट में डालो। एफीडीएफ इसको ग्रे लिस्ट में डालता है नहीं डालता है वो अभी देखा जाएगा। जब भी डालेगा ऑब्वियस सी बात है तुरंत पता चल जाएगा। यह तो यहां पे न्यूज़ आर्टिकल है जो आपको पता चला। लेकिन एग्जामिनेशन में दोस्तों यहां से कुछ क्वेश्चन बन सकते हैं। सबसे पहले आपको एफएडीएफ के बारे में थोड़ा विस्तार से पता होना चाहिए। है क्या? इसको बोलते हैं फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स। यह एक ऐसी बॉडी है जिसका जो मेन हेड क्वार्टर है वो पेरिस के अंदर में प्रेजेंट है। याद रखिएगा। और इसके अंदर कितने मेंबर्स हैं? तो एफएटीएफ के टोटल 39 मेंबर्स आपको देखने को मिल जाते हैं। कितने? 39 मेंबर्स एफटीएफ में प्रेजेंट हैं। जिसमें से 37 तो यहां पर इसके अलग से मेंबर हैं। बाकी दो इसमें ऑर्गेनाइजेशन है यानी संगठन है। एक ऑर्गेनाइजेशन है यूरोपियन कमीशन और दूसरा ऑर्गेनाइजेशन है गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल जिसको हम जीसी के नाम से जानते हैं। ठीक है? तो 37 मेंबर हैं। दो ऑर्गेनाइजेशन है। तो टोटल यहां पर कुल मिला के इसमें 39 मेंबर्स हो जाते हैं एफएटीएफ के अंदर में। ध्यान रखिएगा इसको। 39 मेंबर्स हैं। समझ में आ गया? एफ एटीएफ क्या है? समझ में आ गया? इसका हेड क्वार्टर कहां पर है? यह समझ में आ गया। इस बॉडी को बनाया गया था 1989 में जो G7 का समिट हुआ था पेरिस में उस दौरान यहां पर यह बॉडी बनाई गई। क्वेश्चन यह था कि यह बॉडी बनाई क्यों गई? कारण क्या था? कारण यह था दोस्तों कि काफी सारे देशों के अंदर में मनी लॉन्ड्रिंग हो रही थी। मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब क्या होता है? मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब होता है जो ब्लैक मनी होता है। ब्लैक मनी बेसिकली यहां पे बात हो रही है इललीगल मनी। अवैध तरीके से कमाया हुआ जो पैसा है उसको यहां पे वाइट मनी में कन्वर्ट करके दिखाया जाता है। कह कहा जाता है कि यह हमारा लीगल मनी है। हमने लीगल तौर पर कमाया है। ठीक है? वैध है। ऐसा यहां पे बोला जाता है। तो ब्लैक मनी को वाइट मनी में कन्वर्ट करना ये आपका मनी लॉन्ड्रिंग होता है। तो दुनिया भर में मनी लॉन्ड्रिंग होता है। और इसी मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए फिर क्या होती है? टेररिस्ट फाइनेंसिंग होती है जो पाकिस्तान में बहुत ज्यादा पॉपुलर है। है ना? यह आतंकवाद को फाइनेंसिंग मिल रही है। तभी तो अपने हेड क्वार्टर बना- बना कर बैठे हैं। फंड आ कहां से रहा है इनके पास में? अगर फंड ही नहीं आएगा तो पनपेंगे ही नहीं। ठीक है? लेकिन एक्चुअल में फंड आ रहा है। तभी तो वह अपने यह सारी एक्टिविटीज को अंजाम दे पा रहे हैं। तो यह फंडिंग रोकनी होगी। इस फंडिंग को रोकने के लिए इस मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए हमने इंट्रोड्यूस किया फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स। यह बात आपको समझ में आ गया। हेड क्वार्टर वगैरह सब समझ में आ गया। क्या इंडिया इसका मेंबर है? क्वेश्चन बन जाए तो कहोगे बिल्कुल इंडिया इसका मेंबर है। इंडिया इसका 34वां मेंबर बना था। मैंने बताया ना इसमें टोटल 39 मेंबर्स हैं। 37 एग्जैक्ट मेंबर्स हैं एंड टू इसमें ऑर्गेनाइजेशंस हैं। रीजनल ऑर्गेनाइजेशन। वन इज़ यूरोपियन कमीशन एंड सेकंड वन इज़ गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल। ठीक है? तो इसमें यहां पर अगर आप देखोगे तो 34वें नंबर पर साल 2010 में भारत इसका मेंबर बन चुका था। मेंबर हम इसके पहले भी थे लेकिन केवल ऑब्जर्वर स्टेट थे। अब बाद में इसको हमें हम लोगों को एकदम ऑफिशियल तौर पर मेंबर बनाया गया। अब इसके हम सदस्य हैं। याद रखिएगा। एफएटीएफ के अंदर सदस्य हैं। किसी लिस्ट में नहीं है। सदस्य हैं बस। अब क्वेश्चन ये था सर एफ एटीएफ क्यों बनाया गया? यह हमको पता चल चुका है कि हां ब्लैक मनी को वाइट मनी में कन्वर्ट करना इसको रोकने के लिए और टेररिस्ट फाइनेंसिंग को रोकने के लिए एफ एटीएफ बनाया गया। ये हमको पता चल गया। अब क्वेश्चन यह है कि कोई देश जब उसे पता है कि यह सब कुछ हो रहा है उसके बावजूद ही मान लो वो आतंकवादी को फंडिंग करेगा तो क्या होगा? तो दोस्तों एफएटीएफ ने इसके लिए दो लिस्ट बना दी। एक लिस्ट का नाम दे दिया गया ग्रे लिस्ट और दूसरे नाम लिस्ट का नाम दे दिया गया ब्लैक लिस्ट। याद रखिए ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट दो लिस्ट यहां पर प्रोड्यूस की गई। अब इन लिस्ट का मेन पर्पस क्या है? देखिए जो ग्रे लिस्ट है इसको हम कई बार क्या कहते हैं? इसको कई बार वार्निंग लिस्ट भी बोला जाता है कि इस कंट्री को ग्रे लिस्ट में डाल के एक वार्निंग दे दी गई है कि आगे से यह टेररिस्ट फाइनेंसिंग मत करना। आतंकवादियों को सपोर्ट मत करना। एक होती है ब्लैक लिस्ट। ब्लैक लिस्ट में डाल देना मतलब अब आपका काम खत्म। ब्लैक लिस्ट में आज के समय पर फॉर एग्जांपल जैसे नॉर्थ कोरिया है। ठीक है? नॉर्थ कोरिया के अलावा ईरान प्रेजेंट है। इस समय पर शायद म्यांमार भी प्रेजेंट है। तो ये सारी की सारी ब्लैकिस्टेड कंट्रीज हैं जिनकी हालत खराब कर चुके हैं। अब सवाल यह है कि सर ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट में डालने से होगा क्या? ये है दोस्तों मेन मुद्दा। ये समझिए क्या होगा? ठीक है? ग्रे लिस्ट के बारे में आप समझ गए। तो ग्रे लिस्ट को यहां पे कई बार हम मॉनिटरिंग लिस्ट या वार्निंग लिस्ट भी कहते हैं। जिसको जब भी कोई कंट्री इसके अंदर में डाली जाती है, रीज़न यह होता है कि वह टेरर फंडिंग कर रही थी वह कंट्री या मनी लॉन्ड्रिंग कर रहा था। हम केवल उसको वार्निंग दे रहे हैं। वार्निंग यह दे रहे हैं कि अभी ग्रे लिस्ट में हो। याद रखना और ग्रे लिस्ट में डालने से एक देश के ऊपर में इकोनॉमिक सेंशन लग जाते हैं। याद रखना दोस्तों इकोनॉमिक सेंशन मतलब जैसे आज कटोरा लेके पाकिस्तान जाता है इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड पे लोन लेने के लिए। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने पैसा प्रोवाइड भी करवाया। बीआर बिलियंस ऑफ डॉलर्स का फंड यहां पर रिलीज़ किया है। तो अब दोस्तों किसी भी कंट्री को अगर इस ग्रे लिस्ट में डाला जाता है तो चाहे वह इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड हो, चाहे वो वर्ल्ड बैंक हो, चाहे वो एशियन डेवलपमेंट बैंक हो या कोई सा भी प्रकार का बैंक कोई सपोर्ट नहीं करता। कोई पैसा नहीं देगा। उस देश को लोन लेने में परेशानी पड़ जाएगी। और अगर पाकिस्तान को यहां पर इस लिस्ट में डाल देता है तो लोन नहीं मिलेगा। लोन नहीं मिलेगा तो इनके मिलिट्री ऑफिसर्स कैसे अपने बड़े-बड़े बंगले बनवा पाएंगे बाहर दूसरे कंट्री के अंदर में। फिर एक और प्रॉब्लम आती है प्रॉब्लम इन गेटिंग लोनस जो मैंने आपको समझा दिया लोस लेने में परेशानी होगी क्योंकि यह फाइनेंसियल इंस्टीट्यूशन क्यों देंगे पैसा क्योंकि अगर पैसा दिया हो सकता है ये आतंकवादी के लिए उनको फंडिंग करते रह उनको उनके लिए खर्च करते रहें जो एक्चुअली में होता भी है उस देश के साथ में लोग ट्रेड कर्म करना शुरू कर देंगे इंटरनेशनल बॉयकॉट होना शुरू हो जाता है यह ग्रे लिस्ट के कॉन्सिक्वेंसेस हैं और ब्लैक लिस्ट में डाल दोगे तो काम ही खत्म ब्लैक लिस्ट में डालने के बाद मतलब अब हर प्रकार की फंडिंग उसको रोक दी जाएगी किसी प्रकार का कोई सपोर्ट नहीं मिलेगा कंट्री डूबे इकोनॉमिकली चाहे कुछ भी हो कोई फंडिंग नहीं मिलेगी किसी बैंक की साइट से। तो करंट समय पर कोशिश है ग्रे लिस्ट में डालने की। बट कोशिश यह होनी चाहिए सीधा इसको ब्लैक लिस्ट किया जाए। तब थोड़े समय के लिए यहां पर यह समझ में आएगा इन्हें। कंट्रीज आती जाती रहती हैं। लिस्ट में आती हैं। उनको रिमूव कर दिया जाता है बाद में। ठीक? चलें आगे। यह हो गया दोस्तों एक और आर्टिकल समाप्त। नेक्स्ट आर्टिकल पर आते हैं। और यह आर्टिकल थोड़ा सा हमारे लिए ज्यादा इंपॉर्टेंट है। सुनिएगा। वैसे यहां पर हमने बीएसएफ के बारे में डिस्कशन भी किया है। हमारी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के बारे में नाम से पता चल रहा है बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स हमारे बॉर्डर्स की प्रोटेक्शन करती है करंट समय पर और कुछ इंटरनल मैटर्स को भी देखते हैं। अभी मैं आपको समझाऊंगा। सो डोंट वरी हम ये डिस्कस क्यों कर रहे हैं? ये जो व्यक्ति आपको दिख रहे हैं सामने ट्रेन से यहां पर उतरते हुए ये जो पर्सन आपको दिख रहे हैं। है ना? तो इनका नाम यहां पर है पीके शाह। ठीक है? पूनम कुमार शाह। ये इनका नाम है। यह बीएसएफ के ऑफिसर हैं। अब एक्चुअली में क्या होता है? जब 22 अप्रैल आपको याद होगा 22 अप्रैल हम कभी भी भूल नहीं सकते। 22 अप्रैल जब पहलगाम टेरर अटैक हुआ जो पाकिस्तान ने करवाया और उस पहलगाम टेरर अटैक के जस्ट अगले दिन 23 अप्रैल को दोस्तों यहां पे हमारे एक बीएसएफ जवान इनकी इन्हीं की बात मैं कर रहा हूं। इनको यहां पे जो पाकिस्तान के पाकिस्तानी जो रेंजर्स हैं जो उनकी फोर्सेस हैं वो इनको पकड़ लेती है। होता यहां पर यह है क्योंकि पाकिस्तान के साथ जो बॉर्डर शेयर करते हैं ना वहां पर बीएसएफ तैनात है सिक्योरिटी के लिए बॉर्डर के ऊपर में निगरानी रखने के लिए। तो ये क्या करते हैं? उस बॉर्डर को थोड़ा सा क्रॉस कर जाते हैं। तो जो पाकिस्तानी रेंजर्स हैं वो इनको पकड़ लेते हैं। कब? उसके अगले दिन ही जो पहलगाम टेरिटो अटैक हुआ उसके अगले दिन यहां पर इनको पकड़ लिया जाता है। अब ऑब्वियस सी बात है यहां पर इतने दिन हो गए तो फाइनली यहां पर यह इनको रिलीज़ कर दिया गया है। जब यह छूट कर आए तो इनका कहना यह था कि देखिए शुक्र है यहां पर बच गया। नहीं तो फिर यहां पे ऐसा लग रहा था कि शायद अब काम खत्म। यह कहते हैं कि मैंने मतलब आने की जो एक पॉसिबिलिटी है वो शायद छोड़ दी थी। यह इनको एक दूसरी लाइफ मिली है। ऐसा इन्होंने रिपोर्टर्स को बोला है। तो फिलहाल पाकिस्तान ने यहां पर पकड़ा था पाकिस्तान के रेंजर्स ने। इनको रिलीज़ कर दिया गया है। यह वापस से अपने घर आ चुके हैं। यह वीडियोस यहां पर आप देख पाएंगे कल की वीडियोस हैं। जब ये अपने घर पहुंचे बंगाल में इनका घर है। ठीक है? दोपहर में पहुंचे इनका परिवार इनके जितने भी यहां पर लोग हैं आसपास के नेबर्स वो सब साथ में थे। तिरंगा लेकर इनकी बहादुरी को और ज्यादा यहां पर कह सकते हैं सेलिब्रेट करने के लिए। सिंपल है। तो ये दोस्तों यहां पर चीजें चर्चाओं में थी। ये कौन से ऑफिसर थे? कौन से ऑफिसर थे? बीएसएफ ऑफिसर। बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ हम यहां पे थोड़ा सा बात करने वाले हैं दोस्तों बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ के बारे में। क्योंकि इस बार बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ कितना ज्यादा चर्चाओं में रहा है, यह आपको पता ही है। अच्छा, एफएटीएफ को लेकर कुछ लिखना है, कुछ नोट वगैरह बनाने हैं, तो एफएटीएफ के नोट यहां पे बनवा दिए गए हैं कि एस्टैब्लिशमेंट इसका कब हुआ? अभी जो पहला वाला आर्टिकल था यह कौन सी एजेंसी है? इंटर गवर्नमेंटल बॉडी इंटर गवर्नमेंटल बॉडी कौन सी होती है? जहां पे जैसे हम बात कर रहे हैं इसमें 39 मेंबर्स हैं। तो इन देशों की जो गवर्नमेंट है वो आपस में मिलकर वर्क कर रही होती है। व्हिच इज इंटर गवर्नमेंटल बॉडी। पर्पस आपको समझ में आ चुका है। मनी लॉन्ड्रिंग और टेररिस्ट फाइनेंसिंग को रोकना। ये पूरे नोट आपके क्रिएट करवा दिए गए हैं। क्या-क्या एग्जैक्टली लोकेशन है? इसका हेड क्वार्टर कहां पर है? मेंबर्स कौन-कौन से हैं? इंडिया आज के समय पर फुल टाइम मेंबर है। है ना? इसमें ग्रे लिस्ट क्या है? ठीक है? उसके अलावा ब्लैक लिस्ट क्या है? ब्लैक लिस्ट में करंट इस समय पर कौन-कौन से कंट्रीज हैं यह आपको बता दिया गया है। फिलहाल आते हैं अभी आगे और यहां पे हम बात करने वाले हैं दोस्तों अपने बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ के बारे में जो बातें मैं आपको बता रहा हूं ये ध्यान से सुनिएगा। बहुत इंपॉर्टेंट चीजें हैं। इंडिया का जब हम थोड़ा इंटरनेशनल लैंड बॉर्डर देखते हैं तो भारत आज के समय पर सेवन कंट्रीज के साथ में बॉर्डर्स को शेयर करता है। ठीक है? सात देशों के साथ में हमारा बॉर्डर लगता है। अब जिसमें से सबसे बड़ा बॉर्डर हमारा बांग्लादेश के साथ में लगता है। जैसे कि आप लोग ये देख पाओगे। एक सेकंड रो को कलर चेंज कर लेते हैं। यह अपना जो बॉर्डर लग रहा है, यह बांग्लादेश के साथ में लग रहा है। बांग्लादेश के साथ में हम 496.7 कि.मी. का बॉर्डर शेयर करते हैं। ये लॉन्गेस्ट बॉर्डर है। ठीक है? सबसे छोटा बॉर्डर हम किसके साथ में शेयर करते हैं? अफगानिस्तान के साथ में 106 कि.मी. का। इसी बीच में दोस्तों यहां पर पाकिस्तान के साथ में भी एक बॉर्डर शेयर किया जाता है। और यह बॉर्डर का जो पूरा रेंज है वो है लगभग 3323 कि.मी. और भारतपाकि बॉर्डर से ज्यादा लंबा इंडिया चाइना का बॉर्डर है। ठीक है? के लगभग 3488 कि.मी. का। तो इंडिया बांग्लादेश का नंबर वन सबसे लंबा बॉर्डर है। सेकंड बॉर्डर यहां पर आप देख पाएंगे। यह आपको इंडिया चाइना के बीच में देखने को मिलेगा। थर्ड बॉर्डर आपको देखने को मिलेगा इंडिया पाकिस्तान के बीच में लॉन्गेस्ट बॉर्डर की हम बात कर रहे हैं। फिर उसके बाद यहां पे नेपाल के साथ में एक बॉर्डर लगता है। भूटान के साथ में लगता है। म्यांमार के साथ में लगता है। ये सेवन कंट्रीज हैं जिनके साथ में हम अपने बॉर्डर्स को शेयर करते हैं। अब दोस्तों भारत और बांग्लादेश के बॉर्डर को ध्यान से देखिएगा। इंडिया और पाकिस्तान के बॉर्डर को ध्यान से देखिएगा। यह बॉर्डर्स वो हैं जहां पर इन बॉर्डर पर लगातार निगरानी रखने की जरूरत है। और निगरानी रखने के लिए हमारे पास में है बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स। नाम से ही पता चल रहा है। हमारा जो बॉर्डर है उसी की सिक्योरिटी के लिए इस फोर्स को यहां पर बनाया गया है। ठीक है? अब आगे आते हैं। दोस्तों, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के बारे में जब बात आती है, तो इनको हम लोग फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस ऑफ इंडियन टेरिटरीज के नाम से भी जानते हैं। प्राइमरीली इनका काम है हमारे बॉर्डर्स की प्रोटेक्शन करना। ठीक है? और आज बीएसएफ जो है वो सीएपीएफ का ही एक हिस्सा है। ठीक है? अब सीएपीएफ का हिस्सा है। सीएपीएफ क्या है? ये है सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स। ये जो टर्म है ना सीएपीएफ ये एक अंब्रेला टर्म है। अंब्रेला टर्म मतलब इस सीएपीएफ के अंदर सेवन अलग-अलग फोर्सेस आती हैं। सात अलग-अलग फोर्सेस सीएपीएफ में आती हैं। दोस्तों याद रखिएगा। ठीक है? और ये पूरा जो सीएपीएफ है, यह मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स यानी गृह मंत्रालय के कंट्रोल के अंडर में आता है। ठीक है? सीएपीएफ गृह मंत्रालय के कंट्रोल में और इसी सीएपीएफ का हिस्सा है हमारा बीएसएफ दैट इज बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स। ठीक है? तो आपने सीएपीएफ का समझ लिया। सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेस हमारी क्या-क्या हैं? ये समझ में आ गया। इसमें सेवन फोर्सेस हैं। ये समझ में आ गया जो मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के अंडर में होती हैं। ये क्लियर हो गया। ये सेवन फोर्सेस हैं कौन-कौन सी? सबसे पहले आप देख पाओगे असम राइफल्स हैं। असम राइफल्स का यहां पर एक बहुत बड़ा रोल रहा है इतिहास में। साइनो इंडियन वॉर 1962 का जो ये युद्ध हुआ। इंडिया पीस कीपिंग फ़ जो हमने श्रीलंका में चलाया। असम राइफल्स का बड़ा रोल रहा दोस्तों इसके अंदर में। ठीक है? 1835 में बनाया गया था असम राइफल्स को। और आज के समय पर अगर आप देखोगे तो जो इंडिया, चाइना और इंडिया म्यांमार के बॉर्डर्स हैं, भारत और चाइना और भारत और म्यांमार के बॉर्डर जो हैं वहां पे सिक्योरिटी करती है असम राइफल। ठीक है? दूसरा हमारा बीएसएफ बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ जिसके बारे में भी हमने डिस्कशन किया। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स भारत, पाकिस्तान और भारत, बांग्लादेश इनका जो बॉर्डर है वहां पर प्रोटेक्शन करते हैं। वहां पर बॉर्डर की सिक्योरिटी करते हैं। और बॉर्डर की सिक्योरिटी करने के साथ-साथ देश के अंदर कहीं पर कोई नक्सलवादी जैसी चीजें चल रही हैं। उस नक्सलवाद के ऑपरेशंस को उस उस नक्सलवाद के खिलाफ में एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाना उसको खत्म करना या नॉर्थ ईस्ट रीजन में कहीं पर भी अलगाव की बात की जा रही है। तो उस इंसर्जेंसी को काउंटर करना। यह काम यहां पर बीएसएफ का है और मैं आपको बता दूं बीएसएफ में एक चीज खास है। बहुत खास है। बीएसएफ इकलौती यहां पर सीएपीएफ की ऐसी यूनिट है जिनके पास में इनका अपना एयर विंग है। मैरीन विंग है। आर्टिलरी रेजीमेंट आपको देखने को मिल जाते हैं। ठीक है? कमांडो यूनिट्स भी इनके पास में है। हम इनको इंडियास फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस के नाम से जानते हैं। दुनिया की याद रखिए दुनिया की सबसे बड़ी बॉर्डर गार्डिंग फोर्स है जो बॉर्डर की प्रोटेक्शन करती है। फिर असम राइफल बीएसएफ हो गया। देन उसके बाद में सीआरपीएफ आता है। सेंट्रल रिजर्व पुलिस फ़ ये सब सीएपीएफ के अंडर में आते हैं। तो दो फर्सेस पढ़ी। तीसरी यहां पर यह है। देन उसके बाद में आप देखोगे चौथा इंडो तिब्बतन बॉर्डर पुलिस। नाम से पता चल रहा है। इंडो तिब्बतन जो इंडिया चाइना वाला जो बॉर्डर है स्पेशली उसके प्रोटेक्शन के लिए है। देन उसके बाद में दोस्तों अरुणाचल प्रदेश वाला जो भी बॉर्डर आपको देखने को मिलेगा। फिर हमारा नेशनल सिक्योरिटी गार्ड एनएसजी भी यहां पर इसके अंडर में आता है। ठीक है? एनएसजी के बाद में दोस्तों अगर आप देखोगे तो सशस्त्र सीमा बल जो स्पेशली इंडिया नेपाल और इंडिया भूटान बोके बॉर्डर की प्रोटेक्शन करता है। तो यह हमारे सेवन फोर्सेस हैं जो कि सीएपीएफ के अंदर में आती हैं। बीएसएफ इनमें से यहां पर एक है। क्लियर हो गया? बीएसएफ का प्राइमरी रोल आप समझ गए। ये यहां पर सीएपीएफ का स्ट्रक्चर है। जो ये सेवन फोर्सेस हैं। इन सेवन फोर्सेस को तीन अलग-अलग सब्जेक्ट्स में डिवाइड कर रखा है। देखिए एक होता है बॉर्डर सिक्योरिटी। बॉर्डर गार्डिंग फोर्स और दूसरी है स्पेशल ऑपरेशंस के लिए और तीसरा है इंटरनल सिक्योरिटी के लिए। ठीक है? इसमें यहां पर एक चीज और है। हमने भूल गए सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स सीआईएसएफ। ठीक है? अभी मैं आपको इसके बारे में बताऊंगा। तो सीएपीएफ की जब बात करते हैं तो सीएपीएफ में तीन सेक्शंस हैं। बॉर्डर गार्डिंग की जब बात करते हैं बॉर्डर प्रोटेक्शन की तो इसमें बीएसएफ भी है, असम राइफल्स भी है, इंडो तिब्बतन बॉर्डर पुलिस है और सशस्त्र सीमा बल है। स्पेशल ऑपरेशंस के लिए हमारा नेशनल सिक्योरिटी गार्ड है। इंटरनेशनल सिक्योर सॉरी इंटरनल देश के अंदरूनी सुरक्षा के लिए यहां पर आप देख पाएंगे। तो सीआईएसएफ है, सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फ़ोर्स एंड देन सीआरपीएफ दैट इज़ सेंट्रल रिजर्व पुलिस फ़ोर्स। ये अलग-अलग सेशंस में डिवाइड करे गए हैं। आज के समय पर जो हमारा बीएसएफ वो कहां-कहां पे तैनात है? भारतपाकि भारत बांग्लादेश का बॉर्डर, एलओसी वाला रीजन और देश के अंदर में एंटी नेचुरल ऑपरेशन चलाना हो तो उसके लिए बीएसएफ रेडी है। बीएसएफ का लोगो यहां पर देखोगे दोस्तों तो दो अलग-अलग यहां पर जो अनाज हैं जो स्पाइक्स हैं ग्रीन के वो देखने को मिलते हैं। बीच में नेशनल एंबलम देखने को मिलता है और नीचे यहां पर एक कोट दिया गया है। मोटो दिया गया है। इसका नाम है ड्यूटी अनटू डेथ। ठीक है? तो ड्यू टू एंट्यू डेथ करके यहां पर ये नीचे बिल्कुल बॉटम में लिखा हुआ है। दुनिया की सबसे ज्यादा बड़ी दुनिया की लार्जेस्ट बॉर्डर गार्डिंग फोर्स है जिसके बारे में मैंने डिस्कशन किया। 100 86 बटालियंस हैं। लगभग 2ाई लाख से ज्यादा यहां पर इसके अंदर में पर्सनल्स प्रेजेंट हैं। एयर विंग मैरीन विंग आर्टरी रेजीमेंट्स ये प्रेजेंट है। यह बता चुका हूं। इकलौती सीएपीएफ है बीएसएफ जिसके पास में खुद का एयर विंग है। मैरीन विंग है और आर्टिलरी रेजीमेंट्स इनके खुद के देखने को मिल जाते हैं। पावर्स इनकी क्या है? देश के अंदर में मान लो कोई केस आया है जो पासपोर्ट एक्ट 1967 के तहत है कि इस एक्ट का उल्लंघन हुआ है। इस एक्ट के खिलाफ में कोई अपराध हुआ है या पासपोर्ट एंट्री एक्ट 1920 उसके अलावा कस्टम्स एक्ट एनडीपीएस ठीक है? एनडीपीएस क्या है? नारकोटिक ड्रग साइोट्रोपिक सब्सटेंसेस एक्ट। ठीक है? तो ये नशे के तहत यहां पर कोई पकड़ा गया है या आर्म्स एक्ट हो गया। तो ये कुछ यहां पर एक्ट्स आपको देखने को मिल जाते हैं। ये फोर एक्ट्स आपको नजर आएंगे। ठीक है? या फोर टू फाइव यहां पर यह लॉज़ हैं या ये एक्ट है। इनके अंडर में बीएसएफ को पावर दी गई है कि इस पर्टिकुलर सेक्शन के तहत कोई भी व्यक्ति पकड़ा जाता है तो उसको यहां पे अरेस्ट किया जा सकता है। सर्च उसका जो कह सकते हैं कि जगह है वो ज्त की जा सकती है। सामान जप्त किया जा सकता है। इन अलग-अलग एक्ट्स के माध्यम से इन एक्ट्स का वलेशन नहीं होना चाहिए। क्योंकि इन एक्ट्स के वायलेशन अगर होगा तो उसको डील करने की पावर बीएसएफ के पास में है। इसकी लीडरशिप की बात करेंगे तो बीएसएफ को हेड करने वाले होते हैं डायरेक्टर जनरल। वेरी वेरीेंट। बीएसएफ को हेड कौन करता है? डीजी डायरेक्टर जनरल। और वो डीजी होता कौन है? खुद एक आईपीएस ऑफिसर, इंडियन पुलिस सर्विस ऑफिसर जो करंट समय पर जिसके लिए आप प्रिपेयर कर रहे हैं, लगातार मेहनत कर रहे हैं। ठीक है? चलिए आगे आते हैं उसके बाद में अगली इंपॉर्टेंट न्यूज़ आर्टिकल की तरफ। यह भी समाप्त होता है। आता है हमारा आज का एडिटोरियल सेक्शन। ये एडिटोरियल दोस्तों काम का है थोड़ा सा। राइटर आपको यहां पर देखने को मिल जाती है जिनका नाम है साइमा वाज़िद। बहुत अच्छा आर्टिकल यहां पर इन्होंने लिखा है। बात करते हैं मेडिकल ऑक्सीजन के बारे में। क्योंकि हम देखो ज्यादातर हेल्थ के बारे में पढ़ते हैं तो हम यही तो पढ़ते हैं कि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना, प्राइमरी हेल्थ के ऊपर में थोड़ा सा इन्वेस्टमेंट करना। आज हम हेल्थ के ऊपर कम खर्चा कर रहे हैं तो उस जीडीपी के खर्चे को इंक्रीस करना है ना। है ना? ट्रेनिंग बढ़ाना। यही सब तो बात करते हैं हम। इन्होंने बात की है मेडिकल ऑक्सीजन के बारे में। तो ये राइटर कहती हैं कि ऑक्सीजन जो होता है ऑक्सीजन ऑब्वियस सी बात है ऑक्सीजन के बिना किसी इंसान की जिंदगी हो सकती है। नहीं। ऑक्सीजन एक लाइफ सेविंग एसेंशियल है। एक दवाई है जिसका कोई सब्स्टट्यूट नहीं हो सकता। ऑक्सीजन का कोई सब्स्टट्यूट है जिसके मतलब ऑक्सीजन ना मिले आपको उसके बगैर किसी चीज से जी सकता है इंसान। नहीं। लेकिन होता क्या है कि कोविड-19 में हमने वही एक समस्या देखी जो आप लोगों ने देखा भी होगा अपने सामने ही। जब यह कोविड-19 आया 2019 में अंत में शुरू होता है। 2020 में एकदम बड़े लेवल पर फैलना शुरू होता है। मार्च के बाद लॉकडाउन लगा दिया जाता है देश भर के अंदर में। और इस कोविड-19 की वजह से जिन लोगों की जान जा रही थी उसमें से बहुत सारे लोग ऐसे थे जिनको ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा था। ऑक्सीजन का शॉर्टेज हो रहा था। ऑक्सीजन मतलब अगर मान लो बीमार पड़े हैं सांस नहीं आ रही है तो आपको हॉस्पिटल के अंदर में ऑक्सीजन दिया जाता है। वो तो ऑक्सीजन का इंफ्रास्ट्रक्चर हॉस्पिटलों में कम पड़ गया था। स्पेशली वो देश जिसको हम बोलते हैं एलएमआईसी यानी लो मिडिल इनकम कंट्रीज की बात कर रहे हैं। इन देशों में ऑक्सीजन की कमी हो गई और ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोगों की जान गई क्योंकि हमारे पास में उन ऑक्सीजन के पर्याप्त मात्रा में प्लांट्स नहीं थे। इतने प्लांट्स नहीं थे क्योंकि इतनी जरूरत हमने महसूस नहीं की थी। अचानक से यहां पे बर्डन पड़ गया। इतना ज्यादा बड़ा तो कहां से वो प्लांट्स लगाते? कहां से यहां पर इतनी सारी ऑक्सीजन को बनाया जाता जो हम इधर मेडिकल के तौर पर यानी ऑब्वियस सी बात है हॉस्पिटल्स के तौर पर प्रोवाइड करवाते और अगर बन रहे थी तो हमें एक क्वालिटी मेडिकल ऑक्सीजन पे काम करना था। इवन लोग लोग तो क्या करते हैं जब प्रॉब्लम आती है तो उसका और ज्यादा फायदा उठाया जाता है। आप देखोगे जो ऑक्सीजन सिलेंडर बिक रहे थे ब्लैक में बिकने शुरू हो गए जो बहुत एक्सपेंसिव। अब लोगों की मजबूरी थी खरीदना। लोगों ने यहां पर खरीदा वो सब कुछ चल रहा था उस दौरान। अब यह ऑक्सीजन बहुत कॉस्टली हो चुकी थी। और ऑब्वियस सी बात है यह ऑक्सीजन देकर एक इंसान की जिंदगी बचाई जा सकती थी। उसकी जान क्यों गई? क्योंकि इस टाइम पर उसको वो ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल पाया। प्रॉब्लम यह थी। तो यह जो डेथ हुई ना इसको नाम दिया गया प्रिवेंटेबल डेथ। इसको रोका जा सकता था, कंट्रोल किया जा सकता था। बट हम इसको कंट्रोल नहीं कर पाए। तो राइटर कहते हैं कि आगे ऐसी समस्या ना आए उसके लिए हमें पहले से ही ऐसा प्रिपेयर करके चलना होगा। यह मेडिकल ऑक्सीजन का जो भी प्लांट्स है, इसका इंस्टॉलेशन यहां पर सही तरीके से करना होगा। प्रोफेशनल्स को हायर करना होगा। यह जरूरी है करना। WHO की रिपोर्ट भी बताती है। है ना? तो अब इनका एक्चुअली में क्या कहना है? आइए ये तो मैंने आपको एक ओवरव्यू दिया है कि हां एग्जैक्टली राइटर कहना क्या चाहती है। मैं आपको डिटेल्स लेकर चलता हूं कि हां एग्जैक्टली इनके पॉइंट ऑफ व्यूज क्या है जो मैंने अलग-अलग हेडिंग्स के अंदर में डिवाइड कर दिए हैं। जिससे आप ये एडिटोरियल पढ़ने में आपके लिए बहुत ज्यादा आसानी हो जाएगी। तो ऑक्सीजन के बारे में डिस्कशन क्या है कि हां भाई वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन कहता है ऑक्सीजन एक एसेंशियल मेडिसिन है। सबसे ज्यादा जरूरी है। इवन आज यहां पे छोटी-मोटी जब भी बीमारी होती है मान लो निमोनिया हो गया है। है ना? बच्चे को स्पेशली स्टार्टिंग बच्चा जब जन्म लेता है निमोनिया हो जाता है बहुत सारे केस में उसको रखा जाता है मशीन के अंदर। ऑक्सीजन रख ऑक्सीजन में रखा जाता है लंबे समय तक। फिर न्यूनेटल रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस हो गया। है ना? सर्जिकल प्रोसीजर्स हो गए। कोविड 19 ये तो हमने देखा ही जब भी कोई रेस्पिरेटरी इंफेक्शन होगा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी। और इसके ऑक्सीजन के अलावा कोई इसका सब्स्टट्यूट नहीं है। कोई दूसरा यहां पर दवा वगैरह काम नहीं करेगी। तो उस लेवल का ऑक्सीजन इंफ्रास्ट्रक्चर अपने पास में होना जरूरी है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अकॉर्डिंग बताया जाता है कि 5 बिलियन पीपल कितने 5 बिलियन पीपल ऐसे हैं दुनिया भर में जिनके पास में सेफ अफोर्डेबल या क्वालिटी वाला मेडिकल ऑक्सीजन नहीं है। यह कमी है इतनी ज्यादा बड़ी पूरे दुनिया में। यह बताया गया। आज का करंट सिनेरियो क्या है? करंट सिनेरियो यह बोलता है कि ठीक है डेवलप्ड कंट्रीज फिर भी थोड़ा सा मैनेज कर पाए क्योंकि पॉपुलेशन कम है पैसा अच्छा है मैनेज हो पाया लेकिन उनका क्या जो लो मिडिल इनकम कंट्रीज हैं यहां पर पॉपुलेशन भी ज्यादा है और इतना ज्यादा इनकम नहीं है उन देशों का या लोगों का इनकम नहीं है उनके लिए क्या करें सिनेरियो यहां पर बात हो रही है साउथ और ईस्ट एशिया के बारे में तो ऑक्सीजन जो सर्विस दी जा रही है करंट समय पर उसमें एक बड़ा गैप है। साउथ एशिया में 78% का गैप है। ईस्ट एशिया में 74% का गैप है। सबसे ज्यादा गैप इन्हीं रीजंस के अंदर है जहां पर इंडिया भी शामिल है। इंडिया भी साउथ एशिया में ही आता है और कहां आता है? तो WHO 2022 में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। उस रिपोर्ट का नाम है प्रॉमिसिंग प्रैक्टिस एंड लेसंस लर्नड इन द साउथ एशिया रीजन इन एक्सेसिंग मेडिकल ऑक्सीजन ड्यूरिंग द कोविड-19 पेंडेमिक। ये टाइटल है रिपोर्ट का कि कोविड-19 के समय पर जो भी हम लोगों ने यहां पर सीखा है, जो भी लेसंस लर्न करे हैं, स्पेशली यहां पर उसको लेकर चलना। लेकिन क्या हम लोग अभी तक कर पाए? नहीं आज भी दोस्तों यहां पर इस पे कोई एक्शन नहीं लिया गया है। आज हमें जरूरत है बड़े इन्वेस्टमेंट की, लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट की ताकि कोई भविष्य में ऐसा क्राइसिस आता है तो उसको डील कर सकें। क्योंकि जबकि बहुत सारे साइंटिस्ट यह बोल चुके हैं कि हां अभी भी एक और बड़ी प्रॉब्लम आनी बाकी है जिसको कई बार डिजीज एक्स कह दिया जाता है कि डिजीज एक्स बड़ी आपदा लेकर आ सकती है। 5 करोड़ लोगों की जान जा सकती है। ऐसा अनुमान है। ठीक है? तो प्रॉब्लम्स के लिए पहले से हमें सेटल होना जरूरी है। जबकि हम यह सब कुछ सीख चुके हैं। वह लेसंस ले चुके हैं। बट अभी तक यहां पर किसी भी कंट्री ने वह झेला तो झेला। लेकिन अभी तक दोस्तों यहां पर कोई एक्शन नहीं लिया है। तो क्वेश्चन यह है कि मेडिकल ऑक्सीजन एक्सेस में हमारे सामने चैलेंजेस क्या है? प्रॉब्लम क्या है? बताया जाता है लो मिडिल इनकम कंट्रीज के अंदर में केवल और केवल 54% केवल 54% यहां पर हॉस्पिटल्स इन देशों में देखने को मिलेंगे जिनके पास में पल्स ऑक्सीमीटर है। यानी जो ऑक्सीजन लेवल को बॉडी में मैनेज कर सकें। आपने देखा होगा कोविड के समय पर भी लोग ऑक्सीमीटर परचेस कर रहे थे उंगली पे लगाने के लिए है ना ताकि चेक कर सके ऑक्सीजन लेवल क्या है ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है मतलब कोविड हो गया है ना आपको ऑक्सीजन की रिक्वायरमेंट है ये सब तो चल रहा था है ना तो एक्चुअली में क्या है आज कम से कम चलो घर पे नहीं है हॉस्पिटल में तो ये फैसिलिटी होनी चाहिए तो बहुत कम हॉस्पिटल्स है केवल 50% के आसपास हॉस्पिटल है इन कंट्रीज के अंदर में जहां पे ये पल्स मीटर या ऑक्सीजन मॉनिटरिंग की फैसिलिटी अवेलेबल है 58% से ज्यादा के पास में यहां पर आप देखोगे तो मेडिकल ऑक्सीजन है। तो आप यह इमेजिन करो केवल 50% हॉस्पिटल में फैसिलिटी है। बाकी 50% में नहीं है। तो बाकी 50% ये नंबर बहुत बड़ा हो गया। हां ऐसा कह सकते थे अगर 10% हॉस्पिटल्स में नहीं है या 15% हॉस्पिटल में नहीं है तो वो मैनेजेबल था। लेकिन सीधा 50% हॉस्पिटल में ये फैसिलिटी नहीं है। डायग्नोसिस बहुत डिले हो रहा है। प्रॉपर मात्रा में ट्रीटमेंट नहीं मिल पा रहा है। जो डेथ हैं जो प्रिवेंटेबल डेथ हैं जिनको रोका जा सकता है वो डेथ हो रही हैं। तो ये कहीं ना कहीं प्रॉब्लम है। यहां पे इन्वेस्टमेंट करने की जरूरत है हमारे फ्यूचर जनरेशंस के लिए। क्योंकि एस्टीेटेड जो फंडिंग है, जो फंडिंग हमें चाहिए वो कितनी है? दुनिया भर के लिए 6.8 बिलियन के आसपास अमाउंट हमको चाहिए होगा। तब यह फैसिलिटी हम प्रोवाइड करवा पाएंगे। और 6.8 बिलियन डॉलर्स में से जो$.6 बिलियन होगा यह साउथ एशिया के लिए अकेला चाहिए। पूरे साउथ एशिया के लिए अकेला इतना अमाउंट चाहिए। बहुत सारी लो एंड मिडिंग इनकम कंट्रीज ऐसी हैं जो कहीं ना कहीं आज इन फैसिलिटीज से जूझ रही हैं। उनके पास में कोई ऐसा फाइनेंसिंग मैकेनिज्म नहीं है। यह पैसा वो कहां से लेकर आए, कहां से वो इन्वेस्टमेंट करें? यह उनके सामने चैलेंज है। समझ रहे हैं? अब यह तो हो गया एक चैलेंज। एक दूसरी तरफ चैलेंज यह है कि अब इन फैसिलिटीज को आपने मान लो यहां पर ऑक्सीजन के प्लांट्स वगैरह लगाने हैं तो आपको बायोेडिकल इंजीनियर्स की जरूरत पड़ती है। आपको टेक्नशियंस की जरूरत पड़ती है। तो इन बायोेडिकल इंजीनियर्स और टेक्नशियंस का भी अल्टीमेट लेवल पर शॉर्टेज चल रहा है। जो हमारे ऑक्सीजन प्लांट्स होते हैं या कंसंट्रेटर्स होते हैं जब इसको इंस्टॉल करते हैं तो ऑब्वियस सी बात है आपको यहां पर अच्छे खासे इंजीनियर्स चाहिए। उसको मेंटेन करने के लिए उसको चलाने के लिए। अब आपके पास में इंजीनियर्स नहीं है। टेक्नशियन भी नहीं है। तो आपने प्लांट लगा लिया तो उसका मेंटेनेंस ही नहीं कर पाए। आपके पास में ट्रेंड पर्सनल्स नहीं है जो यहां पर इसको सर्व कर सकें आगे। तो ये प्रॉब्लम है। इन्वेस्टमेंट के साथ-साथ इन ट्रेंड लोगों के ऊपर में भी ध्यान देना होगा। यह बताया गया। फिर एक और सबसे बड़ी समस्या आती है वो है एनर्जी डिपेंडेंस। कई बार क्या होता है कि जो ऑक्सीजन प्लांट होते हैं ये ऑक्सीजन प्लांट ऑपरेशंस जो होते हैं ये बिजली पे चलते हैं। है ना? अब बिजली चाहिए रेगुलर तब यहां पर वो चलते रहेंगे। जहां यहां पर पावर का डिसरप्शन हुआ है बिजली गई वहां पर यह बंद हो जाएगा। तो ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाएगी। इंटरप्शन हो जाएगा। तो राइटर का कहना यह है कि इस पे भी ध्यान दिया जाए और इसका सबसे अल्टीमेट सॉल्यूशन क्या हो सकता है? वो है सोलर पावर ऑक्सीजन सिस्टम को इंट्रोड्यूस किया जाए। सोलर पावर ऑक्सीजन सिस्टम यानी कि आप ऐसा प्लांट बना दो जो जहां पे हम बिजली का यूज़ करेंगे ना वो ऐसा ना हो कोयले वाली बिजली जो ग्रेड से आ रही है उस पे डिपेंडेंसी बढ़े नहीं। आप सोलर पावर के ऊपर में ज्यादा डिपेंडेंसी बढ़ाएं। सोलर पावर से जो भी एनर्जी जनरेट हो रही है तब तक वो ऑक्सीजन प्लांट चलते रहेंगे और रात में आपने बैटरीज रखी थी वो बैटरीज चार्ज हो गई तो उस बैटरी के माध्यम से प्लांट चलते रहेंगे। फिर सुबह फिर से सूर्य निकलेगा एनर्जी प्रोड्यूस करेगा उस एनर्जी से चलते रहेंगे। रात में कुछ हमने एनर्जी स्टोर करके रखी है उससे चलते रहेंगे। तो इससे कंटीन्यूअस सप्लाई होती रहेगी और ऑक्सीजन की सप्लाई जो हमारे पेशेंट्स हैं उनको मिलती रहेगी। तो सोलर पावर ऑक्सीजन सिस्टम की जरूरत है। आप कहोगे कहने में आसान है क्या किसी ने इसको लागू किया है ऑक्सीजन सोलर पावर ऑक्सीजन सिस्टम को? बिल्कुल दो एग्जांपल यहां पर राइटर शेयर करती हैं। इनका नाम है दो एग्जांपल जो है दो देशों के अलग-अलग कि एक इथियोपिया है दूसरा नाइजीरिया है। तो इथियोपिया नाइजीरिया इन्होंने ऐसे सिस्टम्स को अलग-अलग स्पेशली गांव वाले क्षेत्रों में प्रोवाइड करवाया है जो सोलर पावर सिस्टम पे काम करते हैं। जो बेसिकली यहां पर ऐसे मॉडल्स हम लोग इंस्पायर हो के और भी जगह पे रिमोट फैसिलिटीज पे प्रोवाइड करवा सकते हैं कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से किसी की मृत्यु ना हो। क्योंकि ऑक्सीजन की कमी और भी दूसरे डिफरेंट टाइप्स ऑफ डिजीज की वजह से हो सकती है। याद रखिएगा ऐसा नहीं है केवल कोविड की वजह से ऑक्सीजन की कमी हो रही है। लोगों की जान नहीं जानी चाहिए क्योंकि ये प्रिवेंटेबल डेथ है। रोका जा सकता है इसको बाय प्रोवाइडिंग दिस ऑक्सीजन। अब ऑक्सीजन प्लांट जब हम लगाते हैं दोस्तों तो आपको पता होना चाहिए दो प्रकार के प्लांट होते हैं। एक होता है क्रायोजेनिक ऑक्सीजन प्लांट और दूसरा होता है पीएसए ऑक्सीजन प्लांट। पीएसए मतलब प्रेशर स्विंग अब्सॉर्प्शन प्लांट्स की हम बात कर रहे हैं। कोविड-19 में सबसे ज्यादा पीएसए प्लांट्स को लगाया गया था। यह याद रखना। इसके लिए अच्छी खासी वर्कफोर्स चाहिए। लॉन्ग टर्म मेंटेनेंस चाहिए होती है। तो यह भी जरूरत होता है। तो आप थोड़ा सा ध्यान रखिए कि नई टेक्नोलॉजी पे हम काम कर सकते हैं। जो पोर्टेबल है जिसको इधर से उधर डिलीवर किया जा सके। जब समय हो तब तीसरी जगह पर पहुंचाया जा सके। तो पोर्टेबिलिटी पे थोड़ा ध्यान रखना जरूरी है। यह राइटर कहती हैं। लास्ट में कहती हैं कि देखो ऑक्सीजन की जब बात हो ही रही है तो कुछ नई रिपोर्ट्स आ रही हैं। हमें उस पे अट्रैक्ट करना होगा। सारा डाटा लिखना होगा। WHO कह भी रहा है कि भाई यह जो प्लान है इसको इंप्लीमेंट कीजिए क्योंकि आगे प्रॉब्लम हो सकती हैं। और आगे प्रॉब्लम की बात नहीं। प्रॉब्लम अभी भी होती है तो ऑक्सीजन की कमी की वजह से किसी की मृत्यु ना हो। इस चीज को हम सभी लोग मिलकर एनश्योर कर सकें। यह हमारा मेन पर्पस है। ठीक है? क्लियर हो गया? इसमें कौन-कौन आ सकता है? इसमें कोऑपरेशन की जरूरत है। कोऑपरेशन मतलब सरकार, प्राइवेट सेक्टर, इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन, सिविल सोसाइटी सब मिलकर काम कर सकते हैं। इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। जिससे लोकली हम इन प्लांट्स के प्रोडक्शन को कर सकें। तो यह बढ़िया तरीका हो सकता है जिससे कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोगों की जो मृत्यु है वो ना हो। इसको रोका जा सकता है। और सबसे बड़ी चीज दोस्तों, यह हमारे लिए एक बड़े राइट्स को प्ले भी करेगा। कहने का मतलब यह है कि अगर हम देखेंगे तो हमारे पास में टोटल 17 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स हैं। जिसमें से सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल थ्री देखोगे या 10 वाला देखोगे तो ये गुड हेल्थ और वेल बीइंग की बात करता है। है ना? इनकलिटीज को रिड्यूस किया जाए। असमताएं कम हो इस चीज की बात करता है। क्योंकि ऑब्वियस सी बात है जब ऑक्सीजन की कमी होगी तो जिस पे पैसा होगा वही ले पाएगा। ऑब्वियस सी बात है ज्यादा पैसा देगा जिस पे पैसा नहीं है। तो ये असमानताएं हो गई। तो ये इनकलिटीज़ ना हो कहीं पर भी। चाहे वो रिमोट रीजन हो, चाहे वो अर्बन रीजन हो, सभी जगह पर यह फैसिलिटीज प्रोवाइड करवाए जाए। यह हमारा मेन पर्पस था। इन्हीं 17 गोल में हमने ये डिसाइड कर रखा है। तो अगर यह ऑक्सीजन के प्लांटेशन जगह-जगह पर प्रोवाइड करवा दिए जाए या जैसा रिकमेंडेशन है उसके हिसाब से कर लिया जाए तो ऑटोमेटिकली इस गोल की तरफ हम लोग बढ़ रहे होंगे। समझ रहे हैं? ये हमारे बेसिक जो ह्यूमन राइट्स है उसका भी हिस्सा है। क्योंकि ऑक्सीजन जो है ये प्रिविलेज नहीं है। राइटर कहती हैं कि एक फंडामेंटल राइट भी है हम लोगों का। तो इसको सिक्योर करने की जरूरत है। ठीक है? क्लियर हो गया? तो अच्छा एडिटोरियल था। याद रखिएगा। इंपॉर्टेंट है। कुछ यूनिक चीज मिली है। यूनिक चीज मिले तो ऑब्वियस सी बात है डिस्कस करते हैं। कुछ एक व्यक्ति यहां पर मेंशन कर रहा है एआई वाला एडिटोरियल वो भी डिस्कस कर लेंगे। सो डोंट वरी। ठीक? डिजीज एक्स क्या होता है? डिजीज एक्स मतलब एक बीमारी को लेकर अनुमान लगाया गया है। नाम कोई नहीं दिया गया। नाम बस खाली ऐसे ही डिजीज एक्स रख दिया गया है। एक प्रॉब्लम हो सकती है आने वाले समय पर। एक बीमारी हो सकती है जो काफी लोगों की जान लेगी। करोड़ों लोगों की जान लेगी। डिजीज एक्स के बारे में मैंने लास्ट ईयर शायद उससे पहले भी आपको पढ़ाया। इस बार भी कुछ आर्टिकल्स मैंने आपको पढ़ाए हैं। ठीक है? चलिए आगे आते हैं। उसके बाद में नेक्स्ट आर्टिकल की तरफ। अगला आर्टिकल भी डिफेंस के लिए लेवेंट है और आज के न्यूज़पेपर में पेज नंबर थ्री के ऊपर में प्रेजेंट है। एज यू कैन सी हियर यहां पर क्या बात की जा रही है? एक थिएटर कमांड बनाने की बात की जा रही है। थिएटर कमांड। आपने थिएटर कमांड का नाम सुना होगा या आईटीसी का नाम सुना होगा जिसको हम बोलते हैं इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड। इसको लेकर यहां पे जो हमारे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ हैं जनरल अनिल चौहान जी इन्होंने रिसेंटली एक बुक ली है और उस बुक के अंदर में हमारे थिएटर कमांड के बारे में मेंशन किया है। जो बुक लिखी है उसका नाम यहां पर आप देख पाएंगे रेलेवेंट एंड रिसर्जेंट अ ब्लूप्रिंट फॉर द ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ इंडियास मिलिट्री। तो ये हम लोग जब इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड की बात करते हैं तो इस कमांड के माध्यम से रियलिटी में हम क्या कर रहे हैं? अपने जो आर्म्ड फोर्सेस हैं उनको ट्रांसफॉर्म करने की बात कर रहे हैं। उनको चेंज करने की बात कर रहे हैं। उनमें एक बड़े सुधार की बात कर रहे हैं। रिफॉर्म्स करने की बात कर रहे हैं। इससे क्या होगा? थिएटर कमांड जब इंप्लीमेंट होगा तो हमारी आर्म्ड फोर्सेस की ताकत बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी। ताकत कैसे बढ़ जाएगी? इनके बीच में सबसे ज्यादा बड़ी जो सिनर्जी होती है, सिनर्जी मतलब मेल मिलाप। कोऑर्डिनेशन ये बेहतरीन तरीके से इंप्रूव हो जाएगा। ये यहां पर कहना चाहते हैं। यह कोऑर्डिनेशन कैसे इंप्रूव होगा? आज हमारी स्थिति क्या है? क्या आज कोऑर्डिनेशन नहीं है? जरा इस बात को थोड़ा सा हम लोग समझते हैं। तो आपको ये जो आर्टिकल है ये समझ में आया? इसमें एक दो वर्ड यहां पर यूज़ हो रहे हैं दोस्तों। सबसे पहले थिएटर कमांड। अभी आपको पता चल जाएगा ये क्या है? फिर एक वर्ड यहां पर आता है थिएटराइजेशन। तो थिएटराइजेशन क्या है? थिएटराइजेशन एक मिलिट्री रिफॉर्म है। एक नया सुधार। जिस कांसेप्ट में हमारा मेन पर्पस है कि हम इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स तीनों को साथ में जोड़ दें। तीनों को साथ में जोड़कर एक कमांड के अंडर में ले आएं। जिसको नाम दिया गया इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड दैट इज आईटीसी। अब यह कैसे वर्क करता है? मैं आपको समझाता हूं। कुछ फोटो दिखाता हूं क्योंकि जब तक पिक्चर नहीं होगी सामने तब तक क्लीयरेंस थोड़ा सा कम हो सकता है। यह फोटो दोस्तों आपको देखने को मिलेगा हमारे भारत का। और आज यहां पे अगर आप देखोगे तो हमारे पास में 17 सिंगल सर्विज कमांड है। कितनी? 17 सर्विज कमांड प्रेजेंट हैं। आज हमारे देश में जगह-जगह पे जो आर्मी है, एयरफोर्स है, नेवी है, वो ऑपरेट करती है। फॉर एग्जांपल इनके अलग-अलग यूनिट्स बना रखे हैं। हमारे पास में आर्मी के सेवन यूनिट्स हैं। नेवी के तीन यूनिट्स हैं। एयरफोर्स के सेवन यूनिट्स हैं। इनके यूनिट्स अलग-अलग बना रखे हैं। ठीक है? तो हमारे पास में 17 यूनिट हैं। 17 यूनिट तो ये हो गए। बाकी दो देखोगे तो ट्राई सर्विस कमांड भी हैं। जहां पे तीनों सर्विस मिलकर यहां पे वर्क कर रही होती हैं। फॉर एग्जांपल अंडमान निकोबार कमांड 2001 में बनाया गया था। दूसरा है स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड जो यहां पर न्यूक्लियर वाली जो पावर है उसको मैनेज करने का काम करती है। अभी मैं आपको यह समझाता हूं कि आज का स्ट्रक्चर कैसा है। आज दोस्तों ये देखिए कुछ ऐसा यहां पर ये स्ट्रक्चर हमको नजर आता है। कुछ ऐसी स्थिति यहां पर दिखाई पड़ती है। जैसे जब मैं बात कर रहा था यहां पे कमांड्स के बारे में तो जो हमारी आर्मी की कमांड है। आर्मी का एक यूनिट यहां पर नजर आएगा जहां पे मैंने डॉट बनाया। ये आपको सिंबल दिए गए हैं। नीचे देख रहे होंगे ये आर्मी का सिंबल है। ये एयरफोर्स का सिंबल है। ये नेवी का सिंबल है। तो ध्यान दीजिएगा। ये आर्मी का सिंबल है। तो आर्मी का एक यूनिट एक फ़ यहां पर बैठी है। आर्मी का दूसरा यहां पर जो ट्रेनिंग कमांड है यहां पर है। ठीक है? वेस्टर्न कमांड यहां पर आप देख पाएंगे आर्मी का ये बैठा है। फिर एक यहां पर सेंट्रल कमांड ये देखने को मिल जाएगा आर्मी का। देन उसके बाद ईस्टर्न कमांड आर्मी का ये है। ऐसे आपको ढेरों अलग-अलग कमांड्स दिख रहे हैं। दिख रहे हैं आर्मी के। तो आर्मी के सेवन कमांड्स की बात की गई थी। ये सारे के सारे सेवन कमांड्स आर्मी के हो गए। उसी तरीके से एयरफोर्स की बात करेंगे तो एयरफोर्स का एक कमांड यहां बीचों-बीच में है। एक कमांड यहां पर आपको देखने को मिलेगा सेंट्रल कमांड। ठीक है? उसी तरीके से यह देखोगे एक सदर्न कमांड है। एक यहां पर ट्रेनिंग कमांड है। उसी तरीके से नेवी की बात करेंगे तो नेवी की जरूरत ऑब्वियस सी बात है ऊपर नहीं है क्योंकि ऊपर दोनों साइड पर हमारा लैंड बॉर्डर है इन कंट्रीज के साथ में। नीचे अगर आप देख पाओगे तो बिल्कुल यहां पर समुद्र के साथ में हम लोग बॉर्डर को शेयर करते हैं। तो समुद्र के साइड पे आपको ये नेवी दिखाई पड़ेगी। तो नेवी के जो यहां पर कमांड्स आपको नजर आएंगे तो नेवी का यहां पर एक कमांड आपका यह प्रेजेंट है। ठीक है? ये डॉट मैंने लगा दिया। नेवी का एक ईस्टर्न नेवल कमांड यह नजर आएगा। ठीक है? उसके अलावा यहां पर देखोगे नेवी का वेस्टर्न नेवल कमांड ये है। तो वेस्टर्न नेवल कमांड, ईस्टर्न नेवल कमांड एंड सदर्न नेवल कमांड ये तीन कमांड्स आपके नेवी के हो गए। ये सारे यूनिट्स अलग-अलग हैं। अलग-अलग तरीके से यहां पर वर्क कर रहे हैं। सबको अलग-अलग कर रखा है। कितने यूनिट हैं टोटल? 17 यूनिट्स जो अभी हम लोगों ने देखा। अब हम चाहते हैं कि इन 17 यूनिट्स को एक मिला दिया जाए। अभी ये बटे हुए हैं। कभी यहां पर जरूरत पड़ती है। फॉर एग्जांपल यहां पे कोई डिस्प्यूट हुआ तो यहां पे हमारी नेवी की जरूरत पड़ रही है। ठीक है? या एयरफोर्स की जरूरत पड़ रही है। अब जैसे मान लो यहां पर केवल एयरफोर्स कमांड है। इनको आर्मी की जरूरत पड़ रही है तो आर्मी का यूनिट दूर है। यह आएगा। ठीक है? यहां पर अब पड़ रही है एयर नेवी की जरूरत पड़ रही है। तो नेवी का यहां पर जो यूनिट है वो यहां पर आपको दूर देखने को मिलेगा। ये यहां से पहुंचेंगे। तब जाकर ये इंटीग्रेटेड होंगे। तो इनके बीच में जो सिनर्जी है कोऑर्डिनेशन है उसमें बहुत ज्यादा डिले हो जाता है। हम चाहते हैं कि इन 17 यूनिट्स जो अलग-अलग डिवाइड की गई है ना इन 17 यूनिट्स का जो पूरा कांसेप्ट है ये चेंज किया जाए। इनको केवल तीन यूनिट्स के अंदर में चेंज कर दिया जाए। इन 17 यूनिट को केवल तीन भाग में बांट दिया जाए पूरे देश में और चाइना ये भी यही कर रहा है और तीन भाग में हम कैसे बांटेंगे दोस्तों आगे देखिए इसी को बोला गया है इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड ये तीन यूनिट्स को बांटने का प्रपोजल दिया गया है एक होगा वेस्टर्न थिएटर कमांड दूसरा होगा नदर्न थिएटर कमांड एंड तीसरा होगा मैरिटाइम थिएटर कमांड जो वेस्टर्न थिएटर कमांड होगा यह पाकिस्तान को फेस करेगा पाकिस्तान के के साथ में कोई विवाद होता है तो हमारी तीनों फोर्सेस एकजुट साथ में खड़ी होंगी इसका हेड क्वार्टर जयपुर में होगा नदर्न थिएटर कमांड यहां पर चाइना को फेस करेगा। लखनऊ में इसका हेड क्वार्टर होगा। मेरिटाइम थिएटर कमांड यहां पर जितने भी ओशन थ्रेट्स हैं जो हमारे समुद्र के साथ में थ्रेट मिलेंगे उसको यहां पर डील करेगा। इसका हेड क्वार्टर कोयंबटूर में होगा। तो ये जो 17 यूनिट्स अलग-अलग यहां पर दी गई हैं इनको केवल तीन यूनिट्स में बदल दिया जाए और तीन यूनिट्स बदलने के बाद में कैसे दिखाई देंगी? कुछ इस प्रकार से यहां पर यह दिखाई देंगी। एक सेक्शन यहां पर यह पूरा बट जाएगा। जो वेस्टर्न थिएटर कमांड है वो दोस्तों यह है हमारी। पूरा यहां पर यह जो है ना पूरे रीजन को मैनेज करने के लिए एक यूनिट होगी। इस पूरे रीजन को मैनेज करने के लिए दूसरा यूनिट होगा और इस पूरे रीजन को मैनेज करने के लिए तीसरा यूनिट होगा। समझ गए इस बात को? तो यहां पे आप एक बात और ध्यान दीजिएगा। जो वेस्टर्न थिएटर कमांड होगा इसमें हम अपनी आर्मी और एयरफोर्स दोनों को शामिल कर लेंगे। क्या नेवी को नहीं लेकर आ रहे? नेवी की यहां पे जरूरत नहीं है सर। ऊपर यहां पे आप देखोगे तो हमारा ये पूरा का पूरा लैंड एरिया है। डिस्प्यूट होगा इस रीजन में डिस्प्यूट होगा। तो ऑब्वियस सी बात है यहां से यहां तक तो हम मैनेज कर लेंगे। यहां पर हमें अपने आर्मी की और एयरफोर्स की जरूरत है। इससे नीचे देखोगे तो यहां पर हमारा समुद्र का एक से शुरू हो गया। तो यहां पे नीचे तो नेवल कमांड है ही ना। सदर्न थिएटर कमांड जिसको कह रहे हैं। सदर्न थिएटर कमांड में हमारी यहां पे नेवी प्रेजेंट होगी। इसमें हमारी आर्मी भी प्रेजेंट होगी और एयरफोर्स भी होगा। तीनों को साथ में लेकर आ गए। इस वाले में देखोगे तो यहां पर आर्मी एयरफोर्स प्रेजेंट है। और इस वाले में भी दोस्तों यहां पे अगर आप देखोगे तो ईस्टर्न थिएटर कमांड में इसमें भी जितने भी आर्मी और एयरफोर्स हैं उसको तैनात कर दिया जाएगा। यह चाइना को फेस कर रहा होगा। ये पाकिस्तान को फेस कर रहा होगा। इसको लेकर डील कर रहा होगा। पाकिस्तान और थोड़ा एक्सेस चाइना को लेकर डील कर रहा होगा। नीचे वाला सेक्शन जितना भी ओशन है उसको लेकर डील कर रहा होगा। तो ये ढेरों यूनिट्स जो हैं इन ढेरों यूनिट्स को इस तरीके से तीन यूनिट्स में कवर कर देना इज नोन एज इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड। ठीक? क्लियर हो गया? बताओ कि हां क्लियर हो गया सर। अच्छे से समझ में आ गया कि इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड का कांसेप्ट एग्जैक्टली क्या है? क्वेश्चन यह है कि यह जो थिएटराइजेशन का कांसेप्ट है, इसको कोई दूसरा और फॉलो कर रहा है। बिल्कुल। हम तो पीछे चल रहे हैं। मोस्ट एडवांस मिलिट्रीज की जब बात आती है तो यूएसए, चाइना, रशिया, यूके, फ्रांस ये वो देश हैं जो ऑलरेडी थिएटर कमांड्स ऑपरेट कर रहे हैं। एग्जांपल मैं चाइना का देता हूं। चाइना ने अपने पूरे बॉर्डर को आप इमेजिन करो। चाइना ने इस वाले भारत के पूरे बॉर्डर को मैनेज करने के लिए एक कमांड बना के अलग से मेंशन कर रखा है। चाइना वेस्टर्न थिएटर कमांड जो यहां पर चाइना भारत के साथ बॉर्डर शेयर करता है। बॉर्डर वाले मैटर्स को चाइना इसी एक ही कमांड के माध्यम से देखेगा। समझ रहे हैं? तो ये जो कांसेप्ट है थिएटराइजेशन का है तो बेस्ट कांसेप्ट जिससे कोऑर्डिनेशन को बढ़ाया जा रहा है। है ना? सभी जो अलग-अलग यूनिट्स बंटी हुई हैं सबको बीच में एक साथ लेकर आया जा रहा है। लेकिन क्वेश्चन यहां पर यह है कि ये कांसेप्ट अभी तक लागू क्यों नहीं किया गया? क्या बिल्कुल नया-नया रिकमेंडेशन है क्या यह? नहीं, रिकमेंडेशन बहुत पुराना है। अभी कांसेप्ट इंप्लीमेंट नहीं हुआ है। आप देखोगे 1999 में कारगिल वॉर होता है पाकिस्तान के साथ में और इस कारगिल वॉर के बाद में कुछ कमेटी बनती है। फॉर एग्जांपल कारगिल रिव्यु कमेटी आती है। नरेश चंद्र टास्क फोर्स बनता है। और सबसे इंपॉर्टेंट यहां पे आती है शेखतकर कमिटी। यह शेकतकर कमेटी बहुत इंपॉर्टेंट है। नाम दोस्तों यहां पर इसका ध्यान में रखना है। तो यह शेखतकर कमेटी ने ही खासकर रेकमेंडेशन दिया था कि हमारे पास में एक तो होना चाहिए पोस्ट चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का सीडीएस का और दूसरा यहां पे थिएटर कमांड्स होनी चाहिए जॉइंटनेस के लिए और अपनी एफिशिएंसी को बढ़ाने के लिए। यह रिकमेंडेशन शेखतकर कमेटी का खास कर दिया गया था। वैसे यहां पर ये तीन कमिटीज बनाई गई थी। तो उस दौरान यहां पर यह पूरा रेमेंडेशन आया। आज यहां पे हम इसको इंप्लीमेंट करने की बात करते हैं। आई होप ये भी क्लियर हो चुका है। ठीक है? कि कैसे थिएटर कमांड्स वर्क करते हैं वो समझा दिया। इसकी लीडरशिप कैसे होगी वो आपके सामने कुछ स्ट्रक्चर प्रेजेंट है। जैसे यहां पे जो वाइस चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ हैं उनका एक बहुत बड़ा रोल होगा। वो हमारी प्लानिंग को मैनेज करेंगे। डेपुटी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जो हैं ये ऑपरेशंस के इंचार्ज होंगे। इंटेलिजेंस के इंचार्ज होंगे। थिएटर कोऑर्डिनेशन के इंचार्ज होंगे। है ना? थिएटर कमांडर्स यहां पर बनाए जाएंगे अलग-अलग। सर्विस चीफ यहां पर होंगे। सर्विस चीफ बेसिकली यहां पर हमारा मेन पर्पस होगा। दूसरी साइड पे भी जो फोर्सर्सेस हैं उनको बढ़ाना, ट्रेन करना, सस्टेन करना। ये हमारा मेन पर्पस होगा। ये सब करने के ऊपर में ध्यान दिया गया है। हालांकि यहां पर इसमें कुछ चैलेंजेस भी हैं। चैलेंजेस यहां पर ये है कि क्वेश्चन ये आता है कि डोमिनेंस किसका रहेगा? ठीक है? हालांकि यहां पर हो सकता है चैलेंज ना हो। बट मेंशन किया जाता है कि डोमिनेंस किसका रहेगा? जैसे फॉर एग्जांपल आज हमारी आर्मी सबसे ज्यादा बड़ी है। तो क्या आर्मी का डोमिनेंस रहेगा? आर्मी डोमिनेट करेगी इस थिएटर कमांड को? ये क्वेश्चन आता है कमांडर कौन होगा? कि कौन एक सिंगल कमांडर बनेगा? कौन से रीजन से बनेगा, आर्मी से बनेगा, एयरफोर्स से बनेगा, नेवी से बनेगा। ये कुछ क्वेश्चन उठते हैं। जो चैलेंजेस हैं, ऑब्वियसली चैलेंजेस हैं। आराम से हम इसको डील कर लेंगे। बट आज के समय पर जो ड्यूल फ्रंट थ्रेट है, दो तिहाई वॉर का खतरा है। एक तरफ पाकिस्तान से, दूसरी तरफ चाइना से। इससे निपटने के लिए एक मोस्ट इंपॉर्टेंट प्रोसेस है ये इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड का। क्लियर हो गया? समझ गए? चलिए आगे आते हैं। उसके बाद में नेक्स्ट आर्टिकल की तरफ। अगला न्यूज़ आर्टिकल और आज का आखिरी आर्टिकल है। फटाफट इसको भी डिस्कस करते हैं। उसके बाद में सेशन को खत्म करते हैं। यह आर्टिकल काफी काम का है। तो ध्यान से सुनिएगा। यहां पे आप देखोगे न्यूज़ आर्टिकल के अंदर में तो आज से कुछ दिनों पहले मैंने आपको पढ़ाया था कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास में अभी के समय पर जो हमारी फाइनेंस मिनिस्ट्री है उनकी एक नजर है। फाइनेंस मिनिस्ट्री आरबीआई से सरप्लस जो फंड है वो लेना चाहती है। ठीक है? फाइनेंस मिनिस्ट्री क्या? हमारी सरकार की बात कर रहे हैं। तो गवर्नमेंट जो यहां पर फंड लेती है ध्यान में रखना जो सरकार यहां पर फंड लेती है सरकार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपना सरप्लस फंड यहां पे ट्रांसफर करता है। सरकार की कमाई होती है अलग-अलग तरीके से। सरकार की कमाई यहां पर टैक्स रेवेन्यू के थ्रू भी हो रही है। एंड सेकंड वन इज़ नॉन टैक्स रेवेन्यू के थ्रू भी हो रही है। तो आरबीआई के पास में जो सरप्लस जो प्रॉफिट जनरेट हुआ था उस प्रॉफिट में से कुछ पैसा सरकार को दे दिया गया ताकि सरकार अपने खर्चे पूरे कर सके। अगर कहीं पर डिसररप्शन हुआ है तो वह पूरा हो सके। इसके लिए यहां पर ऑब्वियस सी बात है सरकार के पास जब पैसा आएगा तो वो क्या कहलाएगा? नॉन टैक्स रेवेन्यू कहलाएगा। ठीक है? तो आरबीआई यहां पर तैयार हो चुका है। जो भी बातचीत चल रही थी पिछले चार दिनों से वो फाइनलाइज हो चुकी हैं। आरबीआई कह रहा है ठीक है हम गवर्नमेंट को डिविडेंड के माध्यम से ₹.69 लाख करोड़ का फंड ट्रांसफर करेंगे। सरकार को इतना रुपया इतने लाख करोड़ दिया जाएगा। क्या यह हर साल देता है? जबजब आरबीआई का सरप्लस होगा यह पैसा दिया जाएगा। पिछले साल 2024-25 में देखोगे दोस्तों तो प्रीवियस ईयर की बात करेंगे तो सॉरी प्रीवियस ईयर में लगभग यह जो अमाउंट है यह ₹21874 करोड़ ₹1874 करोड़ यहां पर पे करे गए थे तो आरबीआई ने यह पैसा दिया था इतने करोड़ अब जो यह है नंबर बढ़ चुका है 2.69 लाख हो चुका है बताया जा रहा है 27% ज्यादा ट्रांसफर हो रहा है फंड इस बार गवर्नमेंट को ज्यादा पैसा दिया जा रहा है आरबीआई ज्यादा सरप्लस ट्रांसफर कर रहा है अब जो ये सरप्लस दिया जाता है दोस्तों दो चीजों के आधार पे दिया जाता है इसको लेकर हमारे पास में ऑलरेडी लॉज़ हैं। कुछ रूल्स हैं। नियम के नियम की बात कर रहे हैं। एक है हमारे पास में इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क जिसको आप शॉर्ट फॉर्म में ईसीएफ कहते हैं। और दूसरा है दोस्तों हमारे पास में कॉनंटजेंट रिस्क बफर जिसको हम सीआरबी कहते हैं। याद रखिएगा। तो ईसीएफ सीआरबी। अब ये ईसीएफ और सीआरबी क्या है? पहले तो यह जानिए। यह बहुत काम की चीज है। इसको सुनना होगा डिटेल से। ये देखिए आज से कुछ दिनों पहले जब ये आर्टिकल पब्लिश हुआ था तो ये आर्टिकल मैंने आपको यहां पर पढ़ाया था। हां बिल्कुल विमल जलन कमेटी आपको शायद याद आ रहा है जो मैंने आपको पढ़ाया था। ठीक है? तो यह देखिए फाइनेंस मिनिस्टर आज के समय पर यह रिव्यु कर रही थी। आरबीआई के ऊपर नजर रख रही थी कि आरबीआई यहां पर कितना फंड ट्रांसफर करेगा ना फाइनललाइज हो चुका है कि आरबीआई इतना फंड ट्रांसफर कर रहा है। आगे आते हैं। सर अभी आपने बोला कि ईसीएफ होता है और दूसरा सीआरपी होता है। दोनों में फर्क क्या होता है ये जानिए। कॉनसेप्ट क्वेश्चन में बन सकता है। इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क की बात करते हैं तो ये सेट ऑफ रूल्स हैं। अलग-अलग जो नियम है उन नियम का पूरा कंपाइलेशन इसमें बहुत सारे नियम हैं। इन नियमों के थ्रू यहां पर बताया जाता है कि कैसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जो है वो अपने कैपिटल अपने रिजर्व्स को मैनेज करेगा। अपने फंड्स को कैसे मैनेज करेगा। तो इसके अंदर में यह मेंशन किया गया है आरबीआई इस तरीके से अपने लिए भी कुछ पैसा रखेगा। और इसी नियम में यह भी शेयर किया गया है कि आरबीआई का जो एक्स्ट्रा प्रॉफिट होगा उसमें से कितना प्रॉफिट वो हमारी भारत सरकार को यानी गवर्नमेंट ऑफ इंडिया को ट्रांसफर करेगा। ये कहां पर है? ईसीएफ में इसी इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क में। अब ये सेट ऑफ रूल्स है यानी बहुत सारे नियम है इसमें से। इसी में से एक नियम आता है सीआरबी। ठीक है? इसी का ही एक नियम है सीआरबी दैट इज़ कॉन्टिंजेंसी रिस्क बफर जिसके बारे में अभी हम पढ़ रहे हैं। यह क्या है दोस्तों? यह भी एक प्रकार का रिजर्व है। यह भी यहां पर एक प्रकार का रिजर्व एक फंड मेंटेन करता है आरबीआई अलग से। क्योंकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक बहुत बड़ी बैंक है। भारत की सेंट्रल बैंक है। सभी बैंक को मैनेज कर रही है। बैंकर्स ऑफ द बैंक यहां पर इसको बोलते हैं। तो एक्चुअली में क्या होता है? रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को पता है कि देखो कभी भी बड़ा झटका लग सकता है। इकॉनमी को झटका लगेगा तो आरबीआई डाउन ना हो जाए। आरबीआई को फाइनेंशियल शॉक ना लगे। इसके लिए हम अलग से हम भी क्या करते हैं? अपनी अलग से सेविंग बना के रखते हैं ना कि कोई परेशानी पड़े लाइफ में। तो वहां पे जो सेविंग्स है उसलिए उसका उपयोग किया जाएगा। तो ऐसी दोस्तों यहां पर जो आरबीआई है इनको फाइनेंशियली अगर कोई परेशानी पड़ती है तो उस परेशानी को झेल सके इसके लिए अलग से थोड़ा सा फंड बचा के रखते हैं ये लोग। तो थोड़ा सा पैसा जो बचा के रखा उसी को यहां पर नाम दिया गया सीआरबी कंटिंजेंसी रिस्क बफर नाम से ही पता चल रहा है। रिस्क को झेलने के लिए यहां पर थोड़ा सा अमाउंट बचा के रखा हुआ है। और यह जो बफर है दोस्तों यह आरबीआई के इंटरनल कैपिटल का हिस्सा है। आरबीआई का जो खुद का जो उसने कैपिटल मैनेज कर रखा है उसी का हिस्सा है। और यहां पर मतलब डायरेक्टली गवर्नमेंट यूज़ के लिए इसको नहीं दिया जाता है। यह भी आपको ध्यान में रखना है। इसमें एक बहुत इंपॉर्टेंट कमेटी आती है जिसका नाम है विमल जलन कमिटी। 2018 में इस कमेटी को बनाया गया था और इस कमेटी ने रेकमेंडेशन दिया था कि जो कॉनंटिंजेंसी रिस्क बफर है यह कमेटी कहती है कि जो सीआरबी है दैट इज कॉनटिंजेंसी रिस्क बफर यह किस रेंज में होना चाहिए यानी कि आरबीआई को थोड़ा सा पैसा जो अलग से बचा के रखना है झटके को फेस करने के लिए फाइनेंसियल प्रॉब्लम को फेस करने के लिए उसके लिए कुछ पैसा रखना होगा कितना रखना होगा तो इस कमेटी ने बोला कि कम से कम 5.5 से लेकर 6.5% 5.5 से लेकर 6.5% के आसपास जो अमाउंट है वह अपना आरबीआई को अलग अलग से मैनेज करके रखना होगा इस कॉनंटिंजेंसी रिस्क बफर के अंदर में। क्लियर हो गया दोस्तों? आई होप आपको यह समझ में आ गया। अब कॉन्टिंजेंसी रिस्क बफर में यह जो अमाउंट है अगर मान लो कम कर दिया जाएगा मतलब ज्यादा पैसा जा रहा होगा सरकार के पास में। अगर यह बढ़ा दिया जाएगा मतलब कम पैसा दिया जाए गवर्नमेंट के पास में थोड़ा ज्यादा पैसा हम आरबीआई के फाइनेंसियल शॉक को झेलने के लिए रखेंगे। बाकी ये पूरे डेवलपमेंट से करंट समय पर जो भी रिव्यु दिया जा रहा है। मतलब जो भी पैसा इस तरीके से दिया गया है वो इसमें मेंशन किया गया है। अदरवाइज कुछ भी आपको नहीं पढ़ना है। ठीक है? मैं आपको यह बता ही चुका हूं कि यहां जो सरप्लस अमाउंट आरबीआई ट्रांसफर करता है इज़ नोन एज नॉन टैक्स रेवेन्यू। सरकार के लिए वो नॉन टैक्स रेवेन्यू है। सरकार को कहीं पर घाटा हो रहा होता है। है ना? कमाई कम हुई है, खर्चा ज्यादा हो गया है तो उस दौरान वो आरबीआई से यह सरप्लस लेते हैं। आरबीआई यह ट्रांसफर करता भी है। ठीक है? क्लियर हो गया? अब आगे देखिए। इसमें और कुछ नहीं है। विमल जलन कमेटी के बारे में डिस्कस कर चुके हैं। 2018 की कमेटी जिसका मेन पर्पस था कि हां कि आरबीआई जो है इतना पैसा मेंटेन करके चल सके। आरबीआई यहां पर इतना अपना फाइनेंसियल नीड्स को पूरा करके चल सके वो सरकार को देने में इतना ज्यादा कॉम्प्रोमाइज ना करे। ठीक? क्लियर हो गया? तो ये था दोस्तों हमारा आज का न्यूज़ आर्टिकल। बाकी घूम फिर के वापस से पहले वाले आर्टिकल पर आ चुके हैं। प्रोजेक्ट कुशा जो ऑलरेडी हम लोगों ने यहां पर डिस्कस कर लिया था सबसे पहले वाले आर्टिकल में यानी थंबनेल वाले टॉपिक में। तो ये था दोस्तों आज का डिस्कशन। आई होप आपको सभी प्रकार की क्लेरिटी मिल चुकी है। मेक श्योर करें यार कम से कम 560 से ज्यादा लोग देख रहे हैं। लाइक का बटन है। इसको आप प्रेस कर सकते हैं। वीडियो को सपोर्ट कीजिए। उसके अलावा मेक श्योर करें जितने भी लोग पहले जो बार आए हैं चैनल के ऊपर में उसको सब्सक्राइब करके रख लें। और कल किस-किस का प्रीलिम्स होने वाला है? बताइए दोस्तों नीचे कमेंट सेक्शन में। कल कौन-कौन जा रहा है प्रीलिम्स का एग्जामिनेशन देने? और प्रीलिम्स का एग्जामिनेशन देने जा रहे हैं। तो देखिए दो चार बातें सुनिए। ज्यादा पैनिकिक मत क्रिएट करो और उसके बाद मतलब ज्यादा पैनिकिक हो मत क्रिएट मत करो हो मत और दूसरा यहां पर अब जो है छोड़ दो अब पढ़ाई मत करो आप अब इतना टेंशन लेने की जरूरत नहीं है अब 1 दिन में आप क्या कर लोगे जितना आपने यहां पर पूरा एक डेढ़ साल में जो किया है किया है अब आप 1 दिन में क्या कर लोगे 1 दिन में कुछ नहीं कर पाओगे तो इसलिए यहां पर अब छोड़ दो अब स्ट्रेस मत लो थोड़ा ठंडा दिमाग रखो और अब कल आराम से पेपर देने के लिए जाना ठीक है और उसके अलावा अपना माइंडसेट देखो ऐसा डेवलप कर लो। ऐसा ना हो क्योंकि आराम ने देखो मैं मानता हूं बहुत मेहनत की होगी बहुत सारे लोगों ने। तो जो मेहनत की है ना आप यह मत समझना कि यार डर रहे हो कि कल कुछ ऐसा आ गया जो मुझे ना पता हो। डरना मत। आप स्टार्टिंग से पेपर पढ़ना। क्वेश्चन नहीं आ रहा है पहला। कोई बात नहीं। दूसरा देखो नहीं आ रहा है। कोई बात नहीं। बढ़िए आगे। आप यह भी इमेजिन कीजिए कि हां जो चीजें मैंने अगर पूरी मेहनत की है और पूरा सिलेबस मैंने कवर किया है। मैं अगर मेरे दायरे में क्वेश्चन नहीं फंस रहे हैं तो वो किसी के दायरे में नहीं फंस रहे होंगे। क्योंकि सिलेबस जो था वो मैं पढ़ के गया हूं सर। मैं करंट अफेयर पूरे साल पढ़े हैं। रिवीजन मैंने बराबर किया है। सारी स्टैटिक बुक्स कवर की हैं। तो जो क्वेश्चन आया है वो मेरे दायरे में आएगा। नहीं आता होगा मुझे तो वो किसी को भी नहीं आता होगा। सिंपल सी चीज है। तो इसलिए यहां पर परेशान मत होइए। दूसरी चीज यहां पे आप एक चीज और ध्यान में रखना। दूसरी चीज यह है दोस्तों कि हर क्वेश्चन को लगाने के पीछे मत पड़ जाना। थोड़ा सा यहां पर आपके अंदर में यह भी एक क्वालिटी होती है कुछ क्वेश्चन को छोड़ने की। क्वेश्चन को लीव करने की भी क्वालिटी होती है लोगों में। अगर आपको लग रहा है क्वेश्चन थोड़ा ट्रिकी है, ट्रिकी है, ज्यादा समय ले रहा है, उसको थर्ड राउंड के लिए छोड़ दो। जब भी आप पेपर सॉल्व करो। अच्छा थर्ड राउंड पे मैं सीधा आ गया। पेपर सॉल्व करो तो एक और ट्रिक है आप लोगों के लिए। तीन राउंड्स के अंदर में पेपर आपको सॉल्व करना है। थ्री थ्री राउंड्स में। पहला राउंड देखना है जो मुझे सही से बिल्कुल कंफर्म्ड क्वेश्चन पता है। फटाफट उसको लगाते चले जाओ। सेकंड में अगर आपको लग रहा है दो-तीन ऑप्शंस के अंदर में कंफ्यूजन है। ऐसा लग रहा है तो वहां पे थोड़ा सा डील करना बाद में। लेकिन पहले करेक्ट क्वेश्चन को करेक्ट कर लो। अगर आप राउंड टू वाले क्वेश्चन को पहले कवर करने की कोशिश करेंगे जिसमें कंफ्यूजन है तो जो याद है कंफर्म है उसको भूलना शुरू कर देंगे। जो एग्जैक्टली कंफर्म है फटाफट एक नजर में पेपर देखने पे पता चल जाता है कि हां सर इसका आंसर यह होगा। इसका आंसर यह होगा। होता है या नहीं होता? एक बार देखने में पता चल जाएगा। तो सिंपल सी चीज है। जो आपको कंफर्म है पहले उसका आंसर दीजिए। बाकी दूसरी तरफ अगर आप देखेंगे जितने क्वेश्चन बचते हैं जिसमें आपको कंफ्यूजन लग रहा है दो या तीन स्टेटमेंट में उसको सेकंड राउंड के लिए छोड़िए। अब सेकंड राउंड में आपका माइंड थोड़ा रिलैक्स हो गया है क्योंकि आपने जो जितने भी क्वेश्चन है कंफर्म थे वो तो कर लिए। अब थोड़ा ध्यान से यहां पर इसको अटेम्प्ट कीजिएगा। ये भी मान लो अटेम्प्ट कर लेते हो तो थर्ड राउंड पे जाना थोड़े टिपिकल क्वेश्चन है। इस तरीके से यहां पे आपको मैनेज करना है। अपनी स्ट्रेटजी पहले बनाने के चलनी होगी क्योंकि एग्जाम में आपको समय नहीं मिलना है। सोचने विचारने का भी समय नहीं मिलेगा। तो स्ट्रेटजी वहां पर कुछ बना नहीं पाओगे। समझ रहे हैं? तो सोच विचार का भी कोई समय नहीं मिलने वाला। तो ध्यान में रखिएगा इस चीज को। क्लियर? बाकी जो भी लोग पेपर देने जा रहे हैं बेस्ट ऑफ लक सभी लोगों को और पेपर का एनालिसिस जैसा भी होगा वो सबको पता चल जाएगा। पेपर जैसा भी होगा सबके लिए उसी तरीके से होगा। सिंपल सी बात है और डरिए मत। भगवान से प्रार्थना करूंगा जितने भी लोग पूरी शिद्दत के साथ में मेहनत कर रहे हैं, एग्जाम देने के लिए जा रहे हैं उन सबका एग्जाम क्लियर हो। ठीक? चलिए मिलते हैं आप लोगों से नेक्स्ट वीडियो के अंदर। आज के लिए बाय-ब। हैव ए नाइस डे।