यहाँ सिद्धार्थ पटेल ने इंडियन फॉरेन पॉलिसी का तेजी से रिविजन दिया।
कवर की मुख्य बातें: भारतीय विदेश नीति, द्वितीय विश्व युद्ध के प्रभाव, औपनिवेशिक देशों की आजादी, नॉन-एलाइनमेंट मूवमेंट, भारतीय उपमहाद्वीप और चीन के साथ संबंध तथा न्यूक्लियर पॉलिसी।
द्वितीय विश्व युद्ध और उसके प्रभाव
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आर्थिक संकट और देशों को पुनर्निर्माण की चुनौतियाँ।
एशिया और अफ्रीका के देशों को स्वतंत्रता हासिल होने लगी, जिसमें भारत भी शामिल था।
स्वतंत्रता प्राप्त देशों के समक्ष राष्ट्र के पुनर्निर्माण की चुनौती।
भारत की स्वतंत्रता और विदेश नीति
भारत को 1947 में आजादी मिली और सही नेतृत्व का सामना किया गया।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने फॉरेन पॉलिसी को स्थापित किया।
नॉन-एलाइनमेंट मूवमेंट
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया दो हिस्सों में बँटी: यूएसए का कैपिटलिज्म और यूएसएसआर का कम्युनिज्म।
भारत ने नॉन-एलाइनमेंट मूवमेंट को अपनाया, जिसमें किसी पक्ष में न जाकर स्वतंत्रता से निर्णय लिया।
चीन और तिब्बत के साथ भारत के संबंध
1950 में चीन का तिब्बत पर आक्रमण और दलाई लामा का भारत में शरण लेना।
भारत-चीन के संबंधों में तनाव और 1962 का युद्ध।
पाकिस्तान के साथ भारत के संघर्ष
1965 का युद्ध: भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर लड़ाई।
1971 का युद्ध: बांग्लादेश की स्वतंत्रता और भारत की जीत।
1999 का कारगिल युद्ध: LOC को क्रॉस करके पाकिस्तान के मुजाहिदीन का हमला।
इन सारे संघर्षों में भारत की जीत।
न्यूक्लियर पॉलिसी
भारत की न्यूक्लियर पॉलिसी: मुख्यत: शांति और उर्जा की जरूरतें।
नो-फर्स्ट यूज़ पॉलिसी: भारत पहले न्यूक्लियर वेपन का उपयोग नहीं करेगा, परंतु अगर अटैक हुआ तो जवाब देगा।
1974 और 1998 के न्यूक्लियर टेस्ट, और उन पर लगे प्रतिबंध।
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