बायोडाइवर्सिटी और संरक्षण पर व्याख्यान के नोट्स
परिचय
- सभी छात्रों का स्वागत, व्याख्यान का विषय: बायोडाइवर्सिटी और संरक्षण (Biodiversity and Conservation)
- पाठ का उद्देश्य: बायोडाइवर्सिटी में कमी और इसे कैसे संरक्षित किया जाए।
बायोडाइवर्सिटी का महत्व
- बायोडाइवर्सिटी का अर्थ: जीवों की विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता।
- भारतीय संदर्भ में: भारत में 2.4% भूमि पर 8.1% बायोडाइवर्सिटी।
बायोडाइवर्सिटी के स्तर
- आण्विक स्तर (Genetic diversity)
- जीन के स्तर पर विविधता।
- उदाहरण: रावुल्फिया वोमिटोरिया का उपयोग उच्च रक्तचाप के उपचार में।
- प्रजाति स्तर (Species diversity)
- विभिन्न प्रजात ियों के बीच की विविधता।
- उदाहरण: अम्फीबियन्स की विविधता।
- पारिस्थितिकी स्तर (Ecosystem diversity)
- विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों की विविधता।
- भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र की तुलना नॉर्वे से।
बायोडाइवर्सिटी में कमी के कारण
- पर्यावास का नुकसान (Habitat Loss)
- जंगलों का कटाव और कृषि के लिए भूमि का उपयोग।
- फ्रैग्मेंटेशन (Fragmentation)
- बड़े पारिस्थितिक तंत्रों का छोटे टुकड़ों में विभाजन।
- अत्यधिक दोहन (Over-exploitation)
- वन्य जीवों और पौधों का अत्यधिक शिकार।
- विदेशी प्रजातियों का आक्रमण (Invasive Species)
- विदेशी प्रजातियों का स्थानीय प्रजातियों पर असर।
बायोडाइवर्सिटी का संरक्षण
संरक्षण के तरीके
- इन-सिटू संरक्षण (In-situ Conservation)
- प्राकृतिक आवास में संरक्षण।
- उदाहरण: राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य।
- एक्स-सिटू संरक्षण (Ex-situ Conservation)
- प्राकृतिक आवास से बाहर संरक्षण।
- उदाहरण: बोटैनिकल गार्डन, जू।
बायोडाइवर्सिटी हॉटस्पॉट्स
- तीन प्रमुख मानदंड: उच्च प्रजाति समृद्धि, अद्वितीय प्रजातियाँ, और खतरे में प्रजातियाँ।
- भारत में तीन बायोडाइवर्सिटी हॉटस्पॉट्स।
बायोडाइवर्सिटी पर अंतरराष्ट्रीय संधियाँ
- रियो डे जिनेरो में 1992 में पहला अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन।
- 2002 में जोहान्सबर्ग में दूसरा सम्मेलन।
उपसंहार
- बायोडाइवर्सिटी की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।
- छात्राओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।
नोट: ये नोट्स व्याख्यान के मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं, छात्रों को बायोडाइवर्सिटी और इसके संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए।