हेलो एवरीवन वेलकम टू एग्जाम क्वेस्ट इंडियन पॉलिटी का यह हमारा पहला मैराथन सेशन है जहां पे हम इन सभी टॉपिक्स को कवर करने वाले हैं इंडियन पॉलिटी के जो क्वेश्चंस यूपीएससी पूछ रहा है उसमें आपको आर्टिकल नंबर के साथ-साथ आपको यह भी पता होना चाहिए कि वह आर्टिकल्स के पीछे का कांसेप्ट क्या है आपको सभी आर्टिकल्स नहीं पढ़ने हैं कुछ इंपॉर्टेंट आर्टिकल्स हैं जो आपको नंबर के साथ याद होने चाहिए तो हमारा इन लेक्चर के थ्रू ऑब्जेक्टिव यही है कि आपके इंडियन पॉलिटी के कांसेप्ट को हम क्लियर करते चलें चीजों को समझाते चलें साथ ही साथ आपको आर्टिकल्स याद कराते चले उसके लिए मैं चीजों को बार-बार रिपीट करूंगा और अगर आपकी इंडियन पॉलिटी वीक है तो मैं सजेस्ट करूंगा कि जब मैं रिपीट कर रहा हूं तो आप स्किप ना करें उसको अच्छे से देखें और मेरे साथ-साथ उसको रिकॉल करने की कोशिश करें अगर आप कोई सोर्स जानना चाहते हैं तो एम लक्ष्मीकांत से अच्छा कोई भी सोर्स नहीं है और आप एम लक्ष्मीकांत को बिना हिचक के इस बुक को फॉलो कर सकते हैं इंडियन पॉलिटी के लिए अगर आपने कभी भी यह बुक नहीं फॉलो की है और आपका पेपर काफी नजदीक है तो मैं सजेस्ट नहीं करूंगा कि आप इस टाइम पर एम लक्ष्मीकांत को पढ़े उस इस केस में आप हमारे नोट्स को ले सकते हैं हमारे नोट्स पूरी तरह से एम लक्ष्मीकांत से ही बने हुए हैं हैंड रिटन नोट्स हैं और काफी शॉर्ट में फ्लो चार्ट के माध्यम से आपको समझाया हुआ है और इन्हीं नोट्स को हमने अपनी वीडियो के अंदर आपको याद कराने की कोशिश की है तो हमारे नोट्स यूज करने के बाद आपकी रिवीजन जो है वोह थोड़ी सी इजी हो जाएगी थोड़ी सी फास्ट हो जाएगी जब हम बात करते हैं इंडियन पॉलिटी की तो बेसिकली हम यह बात करते हैं कि इंडिया का कांस्टिट्यूशन क्या कहता है इंडिया के कॉन्स्टिट्यूशन के अंदर क्या-क्या लिखा हुआ है तो सबसे पहला सवाल तो यही होता है कि कॉन्स्टिट्यूशन की जरूरत क्या पड़ी तो अगर हम डेमोक्रेसी से पीछे जाएं जब डेमोक्रेसी आई थी उससे पहले वाले सालों में जाएं तो जो सिस्टम चलता था उस सिस्टम का नाम था मोनार्की मोनार्की के अंदर एक राजा होता था और राजा हर एक चीज कर सकता था इसकी पावर के ऊपर कोई भी लिमिट नहीं लगी हुई थी सारे के सारे कानून जो है वह राजा बनाता था इन कानूनों को इंप्लीमेंट जो करना होता था वह इंप्लीमेंट करने की ड्यूटी भी राजा की होती थी और अगर कोई डिस्प्यूट हो गया तो उसके बाद उस डिस्प्यूट की सुनवाई कौन करता था सुनवाई भी राजा ही कर देता था तो जो राजा है वह बेसिकली हर एक चीज कर सकता था तो राजा अगर अच्छा है अगर राजा बेनेवेंटो वो क्या करेगा वो अपनी प्रजा के लिए काम करेगा अगर राजा बेनेवो एंट नहीं है तो क्या उसके ऊपर कोई भी कंपल्शन है अपनी प्रजा के लिए काम करने की उसके ऊपर कोई भी कंपल्शन नहीं है क्यों नहीं है वो कंपल्शन क्योंकि इस राजा को लोगों ने नहीं चुना है यह राजा कैसे चुना गया यह राजा बाय बर्थ चुना गया है यह पैदा हुआ एक रॉयल फैमिली में इसका बाप राजा था वो मर गया तो उसके बाद उसका बेटा राजा बन गया उसका बेटा मरेगा तो उसके बाद उसका पोता राजा बन जाएगा तो बेसिकली एक फैमिली के अंदर ही इनका जो गवर्नेंस है जो इनका रूल है वो एक फैमिली के अंदर ही चलता रहता है अगर किसी और को सत्ता चाहिए किसी और को पावर चाहिए तो व क्या करेगा वो अपनी सेना लेक आएगा और इस राजा के ऊपर हमला बोल देगा और इस राजा को मार देगा और वो पावर ले लेगा अब यह जो राजा है क्या इसको लोगों ने चुना है इसको भी लोगों ने नहीं चुना तो यह भी अब इसका रूल जो है वह हेरेडिटरी बन जाएगा तो यह भी एक फैमिली के अंदर रूल चलता आ जाएगा तो यह राजा जब लोगों ने नहीं चुना है लोग इसको ना तो चुन सकते हैं ना ही लोग इसको हटा सकते हैं अपनी पावर से तो यह तब तक पावर में रहेगा जब तक कि जब तक कि कोई और इससे ज्यादा शक्तिशाली आदमी इसको हरा ना दे तो ऐसे में जब इसको लोग ना चुन सकते ना ही इसको हटा सकते तो इसके ऊपर कोई भी कंपल्शन नहीं है लोगों के लिए अच्छा काम करने की तो अगर राजा दिल से अच्छा है जैसे कि अकबर दिल से अच्छा था तो अच्छा काम करता रहा लेकिन अगर राजा दिल से अच्छा नहीं होगा तो वो क्या करेगा वो लोगों का एक्सप्लोइटेशन करेगा लोगों के ऊपर अपने कानून थोप जाएगा उन कानूनों को बड़ी शक्ति के साथ इंप्लीमेंट करेगा और कोई भी सुनवाई नहीं होगी आप जेल में पड़े हैं तो जेल में ही पड़े रहेंगे तो यह मोनार्की के अंदर यह सारी ज्यादति यां होती थी तो जब मोनार्की के बाद हम डेमोक्रेसी की तरफ चले तो लोगों ने क्या कहा कि अब से राजा जो है वह हेरेडिटरी नहीं होगा डेमोक्रेसी के अंदर लोग लोग चुन के भेजेंगे कि कौन उनके लिए गवर्नेंस करेगा गवर्नेंस करने की क्यों जरूरत है क्योंकि अगर यह मान लीजिए यह कोई देश है इस देश के अंदर ढेर सारे लोग रहते हैं हर किसी के अपने-अपने एम होंगे यह आदमी कुछ करना चाहता होगा जिंदगी में यह कुछ करना चाहता होगा यह आदमी घर पर बैठ के खाना चाहता होगा जिसके लिए यह सिर्फ चोरी चकारी कर रहा है ठीक है तो ऐसे हर किसी का एम अलग है हर कोई अलग तरीके से काम कर रहा है तो इनके बीच में क्या हो जाएगा जब इसका एम अलग है इसके एम से तो हो सकता है इनके बीच में लड़ाई हो जाए हो सकता है यह जो आदमी ये चोर ही निकला यह दिल से खराब था यह चोर कर चोरी कर करता है लोगों को मारता पीटता है तो इसको भी कंट्रोल करने की जरूरत है तो इसको कंट्रोल कौन करेगा यह जो आदमी है इन दोनों के जो डिफरेंसेस हैं इन दोनों के जो जिंदगी के अंदर डिफरेंसेस हैं वो डिफरेंसेस आपस में टकराए नहीं दोनों के बीच में दिक्कतें ना आए उनको कौन कंट्रोल करेगा इन सारी चीजों को कंट्रोल करने के लिए एक सिस्टम की जरूरत पड़ी सिस्टम को कहा जाता है एडमिनिस्ट्रेशन वो सिस्टम क्या हो जाएगा वो सिस्टम हो जाएगा आपका एडमिनिस्ट्रेशन इस एडमिनिस्ट्रेशन के अंदर हम ढेर सारे ऑर्गन्स बनाएंगे यह जो ऑर्गन्स होंगे इनके अपने-अपने काम होंगे ऑर्गन्स कैसे होंगे एक ऑर्गन होगा आपका ऐसा जो कि लॉ बना सकता हो जो कि कानून बना सकता हो दूसरा ऑर्गन बनाया जाएगा ऐसा जो कि इन कानूनों को इंप्लीमेंट करे और तीसरा ऑर्गन बनेगा आपका ऐसा जो कि अगर लड़ाई हो जाए तो उस लड़ाई को सुलझा सके उस लड़ाई के अंदर न्याय दिला सके जस्टिस दिला सके ऐसा ना हो कि जिसकी लाठी उसकी भैंस वाला रूल हो जाए या फिर मत्स्य न्याय होता है मत्स्य न्याय में क्या होता है बड़ी मछली छोटी मछली को खा जा यानी कि जिसके पास ज्यादा ताकत है वह अपने से कमजोर को हमेशा दबाता रहेगा सोसाइटी के अंदर तो यह चीजें नहीं होनी चाहिए तो उसके लिए जुडिशरी बनी तो यहां पे आप देख रहे हैं ये ऑर्गन्स क्या कर रहे हैं पहले राजा लॉ भी बना रहा है लॉ की इंप्लीमेंटेशन भी कर रहा है और उसका अगर कोई डिस्प्यूट हो गया तो उसके ऊपर रिजॉल्व भी वही राजा ही कर रहा है ठीक है तो तीनों की तीनों ताकतें एक आदमी के अंदर समाई हुई थी यहां पे क्या करने लगे डेमोक्रेसी के बाद यह कह दिया कि ये जो ताकतें हैं ये ताकतें अलग-अलग ऑर्गन्स को दी जाएंगी जो लॉ बनाएगा उसको कहा गया पार्लियामेंट या फिर लेजिसलेच्योर करेगी डेमोक्रेसी के अंदर लोगों ने कह दिया कि हम चुन के भेजेंगे उस आदमी को जो कि एडमिनिस्ट्रेशन के अंदर काम करेगा जो कि आपका लेजिस्लेटर या एग्जीक्यूटिव बनेगा ठीक है लोगों ने ताकत को अपने हाथ में लिया ऐसा क्यों किया ताकि कोई भी मनमानी ना कर सके अब मान लीजिए आपने पार्लियामेंट बना दिया आपने एग्जीक्यूटिव बना दिया आपने जुडिशरी बना दी लेकिन इनकी ताकत के ऊपर कोई भी लिमिट नहीं लगी हुई यह जो चाहे वो कर सकते हैं लेजिसलेच्योर है कल को यह लॉ बना दे कि आप पूरे दिन एक नकाब के अंदर ही बैठे रहेंगे आप अपना चेहरा किसी को नहीं दिखा सकते तो यह भी लॉ एक अनज लॉ है ठीक है अगर यह लॉ बना दिया कि अगर कोई किसी के साथ हैंड शेक करेगा तो उसको जेल में डाल दिया जाएगा तो यह भी एक अनज लॉ है तो इसके लॉ मेकिंग पावर के ऊपर कुछ रोक होनी चाहिए ऐसी एग्जीक्यूटिव है ये जैसे चाहे वैसे काम कर रहा है लॉ को इंप्लीमेंट अपने तरीके से कर रहा है ठीक है मान लीजिए लॉ कहता है कि चोरी नहीं करनी चाहिए एग्जीक्यूटिव कहता है चोरी कर ली तो इसको सीधा मैं डंडों से पीटू पुलिस वाला आएगा और सीधा डंडों से पीटेगा ये नहीं होना चाहिए क्या होना चाहिए एग्जीक्यूटिव का काम है कि वो उस आदमी को जिसने चोरी कर ली जिसने लॉ को तोड़ा है वो उसको पकड़ेगा और पकड़ने के बाद जुडिशरी के पास ले जाएगा और जुडिशरी न्याय करेगा कि इसको कितनी सजा होनी चाहिए ठीक है ऐसा नहीं होना चाहिए कि पुलिस वाला आया और डंडे ही डंडे बरसाने लग गया ये भी एक अनज चीज है तो हर किसी की पावर के ऊपर एक लिमिट लगाने की बात कही गई और वो लिमिट कौन लगाता है वो लिमिट लगाया गया कॉन्स्टिट्यूशन के माध्यम से कॉन्स्टिट्यूशन के जरिए कांस्टिट्यूशन को बनाया गया कांस्टिट्यूशन का काम था कि वो देश के अंदर लिमिटेड गवर्नमेंट का कांसेप्ट लेके आए लिमिटेड गवर्नमेंट का मतलब यह है कि गवर्नमेंट की ताकत के ऊपर कुछ लिमिट लगी हुई है गवर्नमेंट कोई भी ऐसा काम जब मैं गवर्नमेंट की बात कर रहा हूं तो आप मान लीजिए ये तीनों ही यह तीनों ही ऑर्गन कोई ऐसा काम नहीं कर सकते जो कि कांस्टिट्यूशन के अलग जाते हो कांस्टिट्यूशन के अगेंस्ट जाते हो इन्हें हर एक चीज कांस्टिट्यूशन के अंदर रह के करनी है तो इसके ऊपर बहुत बार क्वेश्चन आया हुआ है कि ये जो कांस्टिट्यूशन है कांस्टिट्यूशन आपकी गवर्नमेंट के ऊपर आपकी पावर गवर्नमेंट की पावर के ऊपर लिमिट लगाता है तो वो बिल्कुल सही ऑप्शन हो जाएगा लिमिटेड गवर्नमेंट की डेफिनेशन कई बार पूछी गई है ये वन ऑफ द फेवरेट क्वेश्चंस में से एक है यूपीएससी का तो तीन से चार बार यह क्वेश्चन पूछा गया तो इसको आप आई होप समझ गए होंगे तो जब ये कॉन्स्टिट्यूशन बना इंडिया नया-नया आजाद हुआ था 1947 में 1946 में जब कैबिनेट मिशन आया था तो उसने कांस्टीट्यूएंट असेंबली बनाई थी और इस कंटेंट असेंबली का काम था इंडिया को जब अंग्रेज चले जाएंगे अंग्रेजों के जाने के बाद इंडिया को कैसे गवर्न किया जाएगा उसके लिए तुम रूल्स बनाओ उसके लिए तुम एक कांस्टीट्यूशन बनाओ कांस्टिट्यूशन में यह बताना था कि इंडिया कैसा देश होगा क्या यह एक ऐसा देश होगा जैसे कि पाकिस्तान एक इस्लामिक कंट्री बना तो इंडिया क्या एक हिंदू देश बनेगा या फिर सेकुलर देश बनेगा इंडिया क्या किसी के अधीन रहकर काम करेगा या फिर वह एक सॉवरेन बॉडी रहेगा अपने डिसीजन खुद लेगा इस तरह के जो डिसीजंस हैं वो सारे के सारे लेने थे कांस्टीट्यूएंट असेंबली को तो कांस्टीट्यूएंट असेंबली ने एक कांस्टिट्यूशन बनाया जो कि हमने अडॉप्ट कर लिया था 26 नवंबर 1949 में 1949 के अंदर हमने कॉन्स्टिट्यूशन को अडॉप्ट कर लिया था लेकिन इसके जो ढेर सारे प्रोविजंस थे ज्यादातर जो प्रोविजंस थे वह 26 जनवरी 1950 को इंप्लीमेंट होने चालू हुए थे ठीक है इसके पीछे का जो कारण था वह कारण मैं अपनी हिस्ट्री की क्लास में आपको ऑलरेडी बता चुका हूं तो आप कमेंट सेक्शन में बताइएगा कि 26 जनवरी 1930 को 26 जनवरी 1930 को हमने कौन सा दिवस रखा था कौन सा दिन रखा था जवाहरलाल नेहरू ने जवाहरलाल नेहरू ने 1929 के कांग्रेस के सेशन में पूर्ण स्वराज की बात कही थी कि अब तो हमें कंप्लीट इंडिपेंडेंस चाहिए और उन्होंने 26 जनवरी 1930 को एक दिन सेलिब्रेट करने की बात कही थी तो आप बताइएगा कि वो कौन सा दिन था ठीक है तो उसी दिन की गरिमा रखने के लिए 26 जनवरी 1950 को हमारा कांस्टिट्यूशन जो है वो पूरी तरह से लागू किया गया था और इसीलिए 26 जनवरी को हम रिपब्लिक डे मनाते हैं हैं रिपब्लिक डे मनाते हैं ठीक है तो यह सारी चीजें हमें कांस्टीट्यूएंट असेंबली को करनी थी तो जो कांस्टीट्यूशन जब बना रहे थे तो उनके सामने एक सवाल यह था कि एक तरफ है यूएस और एक तरफ है यूनाइटेड किंगडम यूएस के अंदर लोग डायरेक्टली प्रेसिडेंट को चुनते हैं डायरेक्टली प्रेसिडेंट का इलेक्शन होता है प्रेसिडेंट को चुना जाता है यह प्रेसिडेंट जो है यह लेजिसलेच्योर अलग से चुनाव होता है अलग से इलेक्शन होता है यह जो प्रेसिडेंट है यह अपने जो भी मंत्री बनाएगा जो भी मिनिस्टर बनाएगा या फिर सेक्रेटरी ऑफ स्टेट जैसा कि वहां पर कहा जाता है जो भी ये अपने मिनिस्ट्री मिनिस्टर्स बनाएगा वो मिनिस्टर ये लेजिसलेच्योर को बना लेगा हो सकता है डिफेंस के लिए इसको किसी और आर्मी के किसी आदमी की सलाह बहुत ही अच्छी लगती हो तो यह उस आर्मी के आदमी के लिए आर्मी के आदमी को मिनिस्टर बना देगा यह जो आदमी है इनका इलेक्शन होना जरूरी नहीं है इनको कौन चुन रहा है इनको डायरेक्टली प्रेसिडेंट चुन रहा है तो एक तरफ ये यूएस का सिस्टम था जिसको प्रेसिडेंशियल सिस्टम कहते हैं जहां पर प्रेसिडेंट का डायरेक्ट इलेक्शन हो रहा है प्रेसिडेंट कौन है प्रेसिडेंट यूएस के अंदर यूएस में गवर्नमेंट का हेड होता है गवर्नमेंट का भी हेड होता है और स्टेट का भी हेड होता होता है ठीक है प्रेसिडेंट जो है वह लेजिस्लेटर के अंदर से नहीं आता वोह लेजिस्लेटर से बिल्कुल अलग होता है तो वहां पे एग्जीक्यूटिव और लेजिस्लेटर दोनों के दोनों कंप्लीट सेपरेट होते हैं यहां पे प्रेसिडेंट को हटा पाना थोड़ा सा मुश्किल होता है और उसको हटाने के लिए इंपीच मेंट की जाती है और यह इंपीच मेंट प्रोसेस काफी डिफिकल्ट होता है तो यह डिफिकल्ट होने की वजह से क्या होता है यहां पे स्टेबिलिटी बनी रहती है स्टेबिलिटी क्यों क्योंकि अगर प्रेसिडेंट को इंपीच कर पाना बहुत ही मुश्किल होगा तो उसको बड़ी आसानी से तुम पावर से हटा नहीं सकते यानी कि उसकी अगर 4 साल की टर्म है तो वह 4 सालों तक रूल करेगा और उसके बाद ही हटेगा यानी कि 4 साल से पहले सरकार नहीं गिर सकती तो यह जो सिस्टम होता है प्रेसिडेंशियल सिस्टम यह स्टेबल होता है लेकिन यूके का जो सिस्टम था यूके का सिस्टम था पार्लियामेंट्री सिस्टम यूके के अंदर पार्लियामेंट्री सिस्टम था यहां पे इलेक्शन होते थे पार्लियामेंट के लिए यानी कि पार्लियामेंट यानी कि लेजिस्लेटर लेजिस्लेटर के लिए इलेक्शन होगा यहां पर ढेर सारे लोग चुन के आएंगे लेजिसलेच्योर यहां पर लेजिसलेच्योर होगी जिनकी मेजॉरिटी होगी उन लोगों से कहा जाएगा कि भाई साहब आप लोग पार्लियामेंट के तो मेंबर हो ही लेकिन आपकी पार्लियामेंट के अंदर क्या है मेजॉरिटी है आप पार्लियामेंट के अंदर सबसे ज्यादा आप लोग चुन के आए हो तो आप लोग आओ और आप एक गवर्नमेंट बनाओ आप जो है आप एग्जीक्यूटिव भी बनो एग्जीक्यूटिव इनको बनाया जाएगा ठीक है तो पार्लियामेंट्री सिस्टम के अंदर जो एग्जीक्यूटिव है वो कहां से निकल के आ रहा है लेजिसलेच्योर होगी तो उनको इनवाइट किया जाएगा कि आप आओ आप अपनी सरकार बनाओ और आप एग्जीक्यूटिव बन जाओ तो ये पार्लियामेंट्री सिस्टम था इसके अंदर क्या होता है इसके फीचर्स क्या होते हैं ये फीचर्स इंपॉर्टेंट है इसलिए मैं यहां पे आपको बता रहा हूं कोई भी मैं ऐसी चीज पर समय वेस्ट नहीं करूंगा जिससे आपको एग्जाम के अंदर फायदा ना हो ठीक है तो वही चीज करेंगे जो कि आपके एग्जाम में आ सकती हो तो यहां पे इसके फीचर्स क्या होते हैं पार्लियामेंट्री सिस्टम के इसके फीचर पहला फीचर तो यही हो गया कि जो एग्जीक्यूटिव है वो लेजिसलेच्योर मेंट होता है तो प्राइम मिनिस्टर गवर्नमेंट का हेड बन गया अब इस गवर्नमेंट को अपने मंत्री चुनने हैं अपने मिनिस्टर चुनने हैं तो वो मिनिस्टर किनको चुनेगा वह मिनिस्टर चुनेगा कि कोई ना कोई इस लेजिसलेच्योर ऐसे आदमी को मंत्री बनाया जा सकता सकता है मंत्री बनाया जा सकता है जो कि लेजिस्लेटर का हिस्सा ना हो तो इसका आंसर हो जाएगा बिल्कुल ऐसे आदमी को मंत्री बनाया जा सकता है जो कि लेजिस्लेटर का हिस्सा ना हो लेकिन उसके ऊपर एक कंडीशन है कि उसको 6 महीने के अंदर लेजिसलेच्योर पढ़ेंगे वहां पे आपको क्लियर होता जाएगा अभी सिर्फ हम फीचर्स देख रहे हैं हर एक चीज की डिटेल होगी ठीक है तो यहां पे पीएम जो है वो अपने मंत्रियों को या तो लेजिसलेच्योर लेजिसलेच्योर यह जो गवर्नमेंट है ये जो एग्जीक्यूटिव है ये कब तक पावर में रहेंगे इनको हमने क्यों चुना था इनसे हमने कहा था कि भाई साहब जब इलेक्शन हुए थे तब आप लोग मेजॉरिटी में थे आप लोग एक दूसरे का समर्थन करते थे और एक मेजॉरिटी में पार्लियामेंट के अंदर बैठे हुए थे तो आप कब तक पावर में रहोगे आप तब तक पावर में रहोगे जब तक कि यहां पे लेजिसलेच्योर है आपका जो समर्थन है आपका समर्थन सबसे ज्यादा है ठीक है सबसे ज्यादा मतलब कि आपको मेजॉरिटी का समर्थन मिला हुआ है अगर आपकी ये मेजॉरिटी खत्म हो जाएगी अगर आपको पार्लियामेंट के अंदर बहुमत नहीं मिला रहेगा तो क्या होगा आपकी जो सरकार है वो गिर जाएगी और और हमें नया एग्जीक्यूटिव चुनना पड़ेगा तो इनको हमने क्या किया लेजिस्लेटर के लिए इलेक्शन हुए इलेक्शन के बाद लेजिस्लेटर के अंदर लोग क्या बने एमपी बने लोग एमपी बने लोग एमपी बन गए एमपी बनने के बाद जो एमपी मेजॉरिटी के अंदर थे उनको इनवाइट किया जाता है और कहा जाता है कि आप एमपी तो रहोगे ही रहोगे साथ के साथ आप आओ और एग्जीक्यूटिव भी बन जाओ और अपनी एक सरकार भी बनाओ आप सरकार में तब तक रहोगे जब तक कि आप मेजॉरिटी में हो जैसे ही आपकी मेजॉरिटी खत्म होगी हम नया एग्जीक्यूटिव चुनना पड़ेगा तो यहां पे क्या हो गया यहां पे जब सरकार बनी थी तो उनसे कहा गया था कि आप 5 साल के लिए सरकार बने हो लेकिन कंडीशन क्या लगा दी कि आपको हमेशा मेजॉरिटी में रहना है मान लीजिए 3 साल के बाद 2 साल के बाद 6 महीने के बाद कभी भी इनकी मेजॉरिटी खत्म हो गई तो इन्हें क्या करना पड़ेगा इन्हें अपनी सरकार छोड़ के जाना पड़ेगा इनकी जो सरकार है वह गिर जाएगी यानी कि जो एग्जीक्यूटिव है एग्जीक्यूटिव अब पावर में नहीं रहेगा नया एग्जीक्यूटिव चुनना पड़ेगा यानी कि क्या हो गया देखिए उन्हें रूल दिया जा रहा था 5 साल का लेकिन क्या हो गया उनकी मेजॉरिटी खत्म हो गई तो 5 साल से पहले ही हटाना पड़ गया तो यह इस चीज को क्या कहा गया इसको कहा गया इंस्टेबिलिटी क्योंकि अचानक से ही सरकार गिर गई हम मान के चले थे कि अब भाई 5 साल तक इनका रूल है लेकिन उनकी सरकार यहीं गिर गई अब यहीं पे ही हमें कोई नया सिस्टम अपनाना पड़ेगा नई सरकार बनानी पड़ेगी तो इसको क्या कहा जाता है इसको कहा जाता है इंस्टेबिलिटी तो प्रेसिडेंशियल फॉर्म के अंदर स्टेबिलिटी बहुत ज्यादा थी लेकिन पार्लियामेंट्री फॉर्म के अंदर स्टेबिलिटी जो है वो इतनी ज्यादा नहीं होती वो इंस्टेबल भी हो सकती है दूसरी चीज क्या होती है इसका फायदा क्या होता है फिर प्रेसिडेंशियल फॉर्म का फायदा यह होता है कि यह लोग पार्लियामेंट के सॉरी लेजिसलेच्योर भी होगा साथ के साथ वह एमपी भी होगा ठीक है यह याद रखना है आपको तो यह जो एग्जीक्यूटिव है एग्जीक्यूटिव जब पार्लियामेंट का मेंबर है तो वह एमपी कहलाया जाएगा जब वह सरकार बना लेगा तो वह मंत्री भी बन जाएगा ठीक है यह पावर में कब तक रह र है जब तक कि इनकी मेजॉरिटी है यानी कि पार्लियामेंट जो है पार्लियामेंट इनके ऊपर एक नजर रखता है इनके ऊपर एक निगरानी रखता है और वह निगरानी क्या होती है निगरानी यह होती है कि तुम हमेशा तुम हमेशा मेजॉरिटी में रहो मेजॉरिटी में नहीं रहोगे तो हम तुम्हें हटा देंगे यानी कि पार्लियामेंट क्या कर रहा है पार्लियामेंट एग्जीक्यूटिव के ऊपर चेक रख रहा है एग्जीक्यूटिव के ऊपर चेक रख र है और यह क्वेश्चन यूपीएससी लगभग हर साल पूछती है ठीक है हर साल एक दो साल अगर स्किप हो गए तो हो गए वरना हर पेपर के अंदर एक क्वेश्चन इस चीज के ऊपर जरूर आता है पार्लियामेंट का जो रोल ज्यादातर बताया जाता है वो यह बताया जाता है कि पार्लियामेंट का रोल होता है लॉज बनाना लेकिन पार्लियामेंट का एक दूसरा सबसे इंपॉर्टेंट रोल जो होता है वो यह होता है कि वो एग्जीक्यूटिव के ऊपर चेक रखेगा वो यह निगरानी रखेगा कि जो एग्जीक्यूटिव है वो अपनी पावर से ज्यादा काम तो नहीं कर रहा एग्जीक्यूटिव को हमने कह दिया कि भाई अब तू सरकार बना और काम कर यह काम कर रहा है इसके काम से लोग खुश हैं या नहीं खुश हैं इसका फैस फसला कहां पे होगा इसका फर्मूला लेजिसलेच्योर में थे इन्होंने अपनी सरकार बना ली ठीक है इन्होंने अपनी सरकार बना ली बाकी लोग कौन से बचे बाकी लोग आपके बचे यह वाले यहां पर जितने भी लोग बचे यह आपकी यह जो है यह सारे के सारे सरकार का हिस्सा नहीं है यह सारे के सारे आपके अपोजिशन है यह क्या करेगी यह सरकार का अपोजिशन करेगी इसका काम है सरकार को अपोज करना सरकार ने कोई काम किया उस काम में कोई लूप होल हो सकता है ठीक है किसी भी काम में चाहे कितनी भी अच्छी इंटेंशन से किया जाए उसके अंदर लूप होल रह जाता है ह्यूमन एरर्स रह जाते हैं और वो एरर कब पकड़े जाएंगे वो एरर तब पकड़े जाएंगे जब उस उस काम के ऊपर सवाल किया जाएगा उन कामों के ऊपर क्वेश्चन किया जाएगा और ये क्वेश्चन कहां पे रेज होते हैं ये क्वेश्चन रेज होते हैं पार्लियामेंट के अंदर ये क्वेश्चन कौन रेज करता है ये क्वेश्चन रेज करती है अपोजिशन अपोजिशन क्या करेगी उनके हर एक काम का हर एक काम के ऊपर डिबेट करेगी उनसे सवाल जवाब करेगी कि तुमने यह काम किया इसके ऊपर तुमने कहा ₹1 खर्च हुए लेकिन हमारे हिसाब से 150 खर्च हुए तो यह 50 50 एक्स्ट्रा कहां से आए या फिर तुम कह रहे हो 50 खर्च हुए हमें लगता है ₹1 खर्च हुए ₹ आपने रिश्वत में अपनी जेब के अंदर डाल दिए इन 50 का हिसाब दो कौन मांगेगा यह मांगा जाएगा पार्लियामेंट के अंदर अपोजिशन मांगेगा तो पार्लियामेंट का एक मेजर काम है कि वह एग्जीक्यूटिव के ऊपर निगरानी रखे एग्जीक्यूटिव के ऊपर चेक रखे ठीक है तो यह सारी चीजें पार्लियामेंट करता है पार्लियामेंट के अंदर और क्या होता है पार्लियामेंट के अंदर सवाल उठा सवाल उठने के बाद यह पता चला कि गवर्नमेंट ने कुछ गलत काम किया था पार्लियामेंट के अंदर वोटिंग हुई वोटिंग के अंदर यह पता चलता है कि इनकी जो मेजॉरिटी थी वह मेजॉरिटी कम हो गई अब इनको बहुमत नहीं मिला हुआ है यह मेजॉरिटी के अंदर नहीं है तो क्या हो जाएगा इनकी सरकार गिर जाएगी तो पार्लियामेंट का एक मेजर काम है गवर्नमेंट की पावर के ऊपर चेक रखना तो ये ये जो अभी तक हमने कहानी की बहुत ही इंपॉर्टेंट कहानी आई होप आपको समझ में आ गई हो दूसरा सवाल जो हमारी कॉन्स्टिट्यूशन असेंबली के पास था वो सवाल क्या था यहां पे हमारे पास फिर से एक मॉडल था यूएस का मॉडल यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका का मॉडल यूएसए में क्या हुआ था ढेर सारी स्टेट्स एजिस्ट करती थी ठीक है ये अभी तक यूनाइटेड स्टेट्स बना नहीं है ये सारी की सारी अलग-अलग स्टेट्स हैं ठीक है मैं इनको नाम देता हूं ए बी सी डी ई एफ ये स्टेट्स ऐसे कर कर के बनी हुई हैं ये अपना अलग से काम कर रही है ये ई से अलग काम कर रही है डी से अलग काम कर रही है ये अपना-अपना काम करे जा रही हैं ठीक है इन्होंने क्या कहा कि बहनों हम लोग अलग-अलग काम तो कर रहे हैं पर एक काम कर लेते हैं हम यूनाइट हो जाते हैं हम यूनाइट हो जाते हैं और यूनाइट होक अपना एक देश बना लेते हैं और उस देश का नाम क्या करेंगे उस देश का नाम कर देंगे यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका ये सारी की सारी स्टेट्स यूनाइट होके एक देश बना लेती हैं यहां पे यूएसए पहले से एजिस्ट नहीं करता था यूएसए नाम की कोई चीज नहीं होती थी सिर्फ कुछ स्टेट्स होती थी वो स्टेट्स पास आई और यूनाइट होकर उन्होंने एक देश बना लिया जिसका का नाम हो गया यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका इन स्टेट्स ने क्या कहा देखो हम लोग पास तो आ गए हैं और हमने अपना एक देश भी बना लिया है लेकिन हम अपनी जो मेजर पावर्स हैं वो इस देश को नहीं देंगे वो पावर हम अपने पास रखेंगे यानी कि स्टेट्स ने क्या कहा कि हमारा जो कॉन्स्टिट्यूशन है हम अपने कॉन्स्टिट्यूशन के हिसाब से चलते रहेंगे साथ ही साथ एक नया कॉन्स्टिट्यूशन बनेगा और वो नया कॉन्स्टिट्यूशन होगा यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका का तो एक तरह से दो तरह के कॉन्स्टिट्यूशन वहां पे एजिस्ट करते हैं यूएसए के अंदर एक कांस्टिट्यूशन तो वो जो स्टेट्स ने अपने लिए खुद बना रखा है और एक कांस्टिट्यूशन वो जो कि इन सारी स्टेट्स को यूनाइट करा है यूनाइट करने के लिए जो जो प्रोविजन जो जो कानून लगे थे उन कानूनों की बात वो करता है ठीक है तो दो तरह के वहां पे कांस्टिट्यूशन हुए साथ ही साथ उन्होंने क्या कहा कि भाई मेरे जो सिटीजन थे मेरे जो सिटीजन थे वोह आज भी मेरे सिटीजन कहलाए जाएंगे तो अब जो मेरे सिटीजन है वो डुअल सिटीजन हो जाएंगे डुअल सिटीजन का क्या मतलब हुआ डुअल सिटीजन का मतलब यह हुआ कि जो आदमी मान लीजिए मैं एक स्टेट का यूएस की स्टेट का नाम लेता हूं यूटा तो जो आदमी यूटा के अंदर रहता है तो वह कहेगा कि मैं यूटा का सिटीजन हूं मैं यूटा का सिटीजन हूं और वह कहेगा साथ ही साथ मैं यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका का भी सिटीजन हूं मैं डुअल सिटीजन हूं मैं अपने स्टेट का भी सिटीजन हूं और मैं अपने देश का भी सिटीजन हूं ठीक है तो वहां पे जो सिटीजनशिप है वो डुअल होती है वहां पे ऐसा क्यों हुआ वहां पे ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि स्टेट्स जो है वो पास में आई पहले कोई देश एजिस्ट नहीं करता था इन स्टेट्स ने पास आके एक देश बना लिया और जब उन्होंने देश बनाया तो उन्होंने कहा कि मेजर पावर हम अपनी अपने पास ही रखेंगे यह जो देश है यह कुछ लिमिटेड चीजों के ऊपर गवर्न करेगा और उसकी पावर उसके लिए एक अलग से कांस्टिट्यूशन बना दिया जाएगा यूएसए का कांस्टिट्यूशन ठीक है तो यूएस के अंदर ड्यूल सिटीजनशिप होती है स्टेट्स जो हैं वो अलग-अलग एजिस्ट करती थी और वो आके अपना देश बनाती हैं लेकिन इंडिया के केस में क्या हुआ इंडिया के केस में एक मेजर पार्ट जो है वो ब्रिटिश इंडिया था यानी कि ब्रिटिशर जो हैं वो इनके ऊपर डायरेक्टली रूल करते थे यह ब्रिटिश इंडिया ऑलरेडी एजिस्ट करता था साथ ही साथ कुछ प्रिंसली स्टेट्स थी कुछ प्रिंसली स्टेट्स थी जब आजादी मिली थी तो इन प्रिंसली स्टेट से कहा गया था कि आप या तो पाकिस्तान जॉइन कर लो या फिर इंडिया को जॉइन कर लो यानी कि इंडिया पहले से एजिस्ट करता था इंडिया नाम का एक देश पहले से एजिस्ट करता था और प्रिंसली स्टेट्स को कह दिया कि तुम आके इंडिया को जॉइन कर लो तुम आके इंडिया को जॉइन कर लो ठीक है यूएस के केस के अंदर पहले स्टेट्स एजिस्ट करती थी और स्टेट्स ने मिलकर एक देश बनाया इंडिया के अंदर एक देश पहले से एजिस्ट करता था और इस देश के अंदर कुछ प्रिंसली स्टेट्स आके जुड़ी साथ ही साथ इतने बड़े देश को इतने बड़े देश को चलाने के लिए इन्होंने क्या करा इन्होंने इस देश को अलग-अलग हिस्सों में डिवाइड कर लिया और उन हिस्सों को अलग-अलग हिस्सों में डिवाइड कर लिया उन हिस्सों को कहा गया स्टेट्स ठीक है क्या कहा गया स्टेट्स कहा गया तो अब क्या हो गया कि ये पूरा का पूरा इंडिया है हमने अपनी एडमिनिस्ट्रेटिव कन्वीनियंस के लिए स्टेट बना रखी हैं स्टेट बना रखी हैं यह जो स्टेट हैं इन स्टेट की अपनी एक सरकार होगी इन स्टेट का अपना एक लेजिसलेच्योर स्टेट का अपना एक लेजिसलेच्योर और एग्जीक्यूटिव होगा साथ ही साथ पूरे देश के लिए पूरे देश के लिए एक अलग से एग्जीक्यूट और लेजिसलेच्योर मिनिस्टर मोदी जो है वह सेंट्रल गवर्नमेंट के हेड है और केजरीवाल जो है वह दिल्ली की स्टेट गवर्नमेंट का हेड है ऐसे ही ममता बैनर्जी कोलकाता की तो जो स्टेट गवर्नमेंट है वो अलग से एजिस्ट करेंगी और सेंट्रल गवर्नमेंट जो है वो अलग से एजिस्ट करेंगी इसका मतलब क्या हुआ इसका मतलब यह हुआ कि किसी भी देश को चलाने के लिए ढेर सारे काम करने होंगे जैसे कि पुलिस पुलिस का काम होगा यानी कि पब्लिक ऑर्डर को मेंटेन करना होगा पब्लिक ऑर्डर मेंटेन करना है वरना तो अफरातफरी मत जाएगी देश के डिफेंस को मजबूत रखना है देश के एक्सटर्नल रिलेशन मेंटेन करने हैं फिर आपको और भी बहुत सारे काम करने हैं जैसे कि पानी की सप्लाई देखनी है वाटर सप्लाई देखनी है तो यह सारे के सारे कामों को क्या किया गया है इन सारे कामों की लिस्ट बनाई गई ढेर सारे कामों की लिस्ट बनाई गई कि एक देश के अंदर क्या-क्या काम हो सकते हैं इन सारे काम कामों की लिस्ट बनाने के बाद क्या कहा गया जो कि ऐसे काम थे जिनकी नेशनल इंपॉर्टेंस थी यानी कि ऐसे काम जिससे पूरा का पूरा देश एक साथ अफेक्ट होता हो उन कामों को उन कामों को एक लिस्ट में रख दिया गया ठीक है इस पहले एक लिस्ट बनाई उस लिस्ट में से जो काम नेशनल इंपॉर्टेंस थे इंपॉर्टेंस के थे उनकी एक अलग से लिस्ट बनाई गई जिसको कहा गया यूनियन लिस्ट यूनियन लिस्ट ये वो लिस्ट है जिसके ऊपर कानून कौन बनाएगा पार्लियामेंट कानून बनाएगा और इनको इंप्लीमेंट कौन करेगा इनको सेंट्रल गवर्नमेंट सेंट्रल गवर्नमेंट एग्जीक्यूटिव इंप्लीमेंट करेगी जो काम ऐसे थे जो कि एक देश एक स्टेट के अंदर होने चाहिए थे यानी कि स्टेट की जो एक जरूरत होती है हर स्टेट की अलग जरूरत होगी है ना हर स्टेट के अंदर एजुकेशन के लिए अलग तरीके से काम पुलिस का पब्लिक ऑर्डर का अलग तरीके से काम होगा तो ऐसा क्या कहा गया कि जो पब्लिक ऑर्डर है उसमें कहा गया कि जो स्टेट्स है तुम पब्लिक ऑर्डर को तुम मेंटेन करोगे पब्लिक ऑर्डर को कौन मेंटेन करेगा स्टेट मेंटेन करेगा ही बहुत सारी जो चीजें थी वो ऐसी थी जो कि हर एक स्टेट को उसकी जिम्मेदारी दे दी गई तो इनकी एक अलग से लिस्ट बनाई गई यह वाली एक इनकी लिस्ट बनाई गई जिस लिस्ट का नाम दिया गया स्टेट लिस्ट इस लिस्ट के अंदर जितने भी काम आएंगे जितने भी काम आएंगे उन कामों को क्या कहा जाता है आइटम कहा जाता है ठीक है इस लिस्ट के अंदर जितने भी आइटम है उन आइटम के ऊपर लॉ कौन बनाएगा उस स्टेट का लेजिस्लेटर यानी कि स्टेट का लेजिस्लेटर उनके ऊपर कानून बनाएगा इन कानूनों को इंप्लीमेंट कौन करेगा उस स्टेट की जो सरकार चुनी जाएगी जो एग्जीक्यूटिव चुना जाएगा वह इनके ऊपर कानून बनाएगा ठीक है तो यह हो गया ऐसे ही कुछ कुछ आइटम ऐसे थे जिनके ऊपर यह देखा गया कि दोनों के दोनों यानी कि पार्लियामेंट भी बना सके कानून स्टेट का लेजिस्लेटर भी बना सके कानून ऐसे कुछ आइटम देखे गए और उनको एक तीसरी लिस्ट में दे दिया गया और उस लिस्ट का नाम दिया गया कंकट लिस्ट ठीक है उसका नाम दिया गया कंकट लिस्ट तो यह क्या किया गया कामों को जितने काम थे देश के अंदर उन कामों को तीन हिस्सों में डिवाइड कर दिया कुछ काम जो है वह दे दिया गया सेंटर के पास कुछ कामों को स्टेट के पास कुछ काम ऐसे जो कि दोनों के दोनों करेंगे दोनों के दोनों उन कामों को करेंगे ठीक है यह जो सिस्टम है यह सिस्टम को कहा गया यहां पर देखिए यहां पर क्या हो रहा है अलग-अलग स वो बनी हुई है गवर्नमेंट इस सिस्टम को कहा गया फेडरल सिस्टम तो क्या बात होती है बात य होती है कि इंडिया के अंदर क्या हो रहा है यूएस के अंदर अगर हमने जो देखा हुआ है यूएस के अंदर ढेर सारी स्टेट्स एजिस्ट करती थी वह सारी की सारी स्टेट पास में आई और उन्होंने अपना एक देश बना लिया इंडिया के अंदर एक देश पहले से एजिस्ट करता था और उन्होंने एडमिनिस्ट्रेटिव कन्वीनियंस के लिए कामों को अलग-अलग स्टेट के अंदर डिवाइड कर दिया ठीक है उन्होंने क्या किया यह देश पहले से एजिस्ट करता था एडमिनिस्ट्रेटिव कन्वीनियंस के लिए अलग-अलग स्टेट के अंदर डिवाइड कर दिया अगर कोई स्टेट बाद में जॉइन करती है जैसे किसी प्रिंसली स्टेट ने बाद में जॉइन किया ठीक है तो भी उसने क्या किया है उसने इंडिया को नहीं बनाया इंडिया पहले से रहता था वह इंडिया में आके मिल गया है अपनी मर्जी से आके इंडिया में मिल गया ठीक है तो जो इंडिया का फेडरलिस्ट म है वो यूएस के फेडरलिस्ट मम से अलग है यूएस के फेडरलिस्ट म के अंदर स्टेट्स मिलके एक देश बनाती हैं इंडिया के अंदर देश पहले से था और उसको अलग-अलग हिस्सों में डिवाइड किया गया ताकि जो कानून है जो कि एडमिनिस्ट्रेशन है गवर्नेंस है वो अच्छे से हो सके ठीक है यूएस के अंदर क्योंकि स्टेट्स ने मिलक एक देश बनाया तो ज्यादातर ताकत स्टेट्स ने अपने पास रखी है इंडिया के अंदर उल्टा है इंडिया के अंदर जब इंडिया आजाद हुआ था तो इंडिया में पार्टीशन हुआ इंडिया के अंदर पार्टीशन के बाद कम्यून वायलेंस हुई ढेर सारे जो स्टेट्स हैं वह चाहती थी कि अलग हो जाएं तो ऐसे में इंडिया की सबसे बड़ी जरूरत उस टाइम पे थी कि इंडिया को अपनी यूनिटी और इंटीग्रिटी को मेंटेन करके रखना है यूनिटी और इंटीग्रिटी मेंटेन रखनी है तो इंडिया ने ज्यादातर ताकत किसके पास रखी केंद्र के पास रखी सेंटर के पास रखी स्टेट्स को थोड़ी सी कम ताकतें दी तो जो इंडिया का फेडरलिस्ट म है वहां पर पावरफुल कौन है वहां पर ज्यादा पावरफुल सेंटर है यूएस के अंदर स्टेट ज्यादा पावरफुल है इंडिया ने क्या कहा इंडिया ने कहा इंडिया का केवल सिंगल सिटीजन होगा यानी कि जो भी आदमी होगा वह सिर्फ और सिर्फ इंडिया का सिटीजन कहलाया जाएगा आप अपने आप को यह नहीं बोलते कि मैं दिल्ली का सिटीजन हूं और मैं इंडिया का भी सिटीजन हूं आप ये नहीं बोलते आप ये बोलते हैं कि मैं इंडिया का सिटीजन हूं जो कि दिल्ली में रहता है मेरी डोमिसाइल दिल्ली की की हो सकती है लेकिन सिटीजनशिप सिर्फ इंडियन रहेगी तो इंडिया के अंदर सिंगल सिटीजनशिप है इंडिया के अंदर एक सिंगल कॉन्स्टिट्यूशन है कांस्टिट्यूशन सिर्फ एक ही है और वो कांस्टिट्यूशन हर कोई मानता है चाहे वह किसी भी स्टेट में चला जाए यूएस के अंदर आपका स्टेट का अलग से कॉन्स्टिट्यूशन है उनके अपने अलग से रूल्स होते हैं इंडिया के अंदर सिंगल कॉन्स्टिट्यूशन है और भी बहुत सारी चीजें हैं जो कि इंडिया को जो कि यह दिखाती हैं कि इंडिया के अंदर जो सेंटर है सेंटर ज्यादा पावरफुल है तो इंडिया को क्या कहा गया कि इंडिया को कहा गया कि इंडिया ट्रू फेडरेशन नहीं है ट्रू फेडरेशन का एग्जांपल अगर कोई पूछे तो कौन है ट्रू फेडरेशन का एग्जांपल है यूएस इंडिया ट्रू फेडरेशन का एग्जांपल नहीं है इंडिया कैसी फेडरेशन है इंडिया क्वासी फेडरल है क्वासी फेडरल है ठीक है इंडिया को क्वासी फेडरल कहा जाता है यानी कि हमारा जो मेजर फीचर्स हैं मेजर फीचर्स तो हमारे पास फेडरलिस्ट के हैं ठीक है मेजर फीचर्स अगर देखोगे तो आप कहोगे कि इंडिया एक फेडरेशन है लेकिन इसके अंदर कुछ फीचर्स ऐसे हैं जो कि इंडिया को फेडरल फेडरेशन नहीं बनाता इंडिया को एक यूनियन बना देता है यूनियन क्या होता है वो मैं आपको अभी बताता हूं ठीक है तो इंडिया को क्वासी फेडरल कहा गया यूनियन क्या होता है यूनियन का मतलब यह होता है कि कुछ-कुछ देश ऐसे होते हैं जहां पे सिर्फ एक ही प एक ही लेजिस्लेटर होता है एक ही एग्जीक्यूटिव होता है पूरे के पूरे इस पूरे के पूरे इस देश के लिए यही कानून बनाएगा और यही उस कानून को इंप्लीमेंट करेगा यहां पे कोई भी स्टेट जैसी डिवीजन नहीं होती यहां पे स्टेट जैसी डिवीजन नहीं होती यानी कि यहां पर स्टेट का अपना कोई लेजिस्लेटर या एग्जीक्यूटिव नहीं होता ठीक है तो इंडिया जो है इ अब यहां पे थोड़ा सा ट्रिकी है जहां पे यूपीएससी लोगों को फंसाते है इंडिया का जो पहला आर्टिकल है कॉन्स्टिट्यूशन का पहला आर्टिकल है वह शब्द यूज करता है इंडिया जो है वह यूनियन ऑफ स्टेट्स बनेगी इंडिया बनेगी यूनियन ऑफ स्टेट्स ठीक है तो अगर आपसे पूछ ले कि इंडिया का कांस्टिट्यूशन या फिर इंडिया का आर्टिकल वन इंडिया को एक यूनियन ऑफ स्टेट्स कहता है तो आप क्या मार्क करेंगे आप मार्क करेंगे बिल्कुल ये आपने एकदम सही सवाल पूछा आपने सही स्टेटमेंट दी दूसरी स्टेटमेंट अगर आपसे पूछ ले कि इंडिया एक फेडरेशन के सारे फीचर्स दिखाती है तो आप क्या बोलेंगे बिल्कुल सही है इंडिया अपने फेडरेशन के फीचर्स दिखाती है अगर आपसे एक जनरल क्वेश्चन आ जाए कि इंडिया इज अ फेडरेशन तो आप उसको सही मार्क करेंगे ठीक है क्योंकि इंडिया के जो फीचर्स हैं वो फेडरेशन वाले हैं पर अगर कहीं पे भी ये मेंशन हो जाए कि कांस्टिट्यूशन में क्या लिखा है तो आप उसमें यूनियन मार्क करके आ जाएंगे ठीक है यूनियन शब्द हमने क्यों रखा यूनियन शब्द हमने इसलिए रखा क्योंकि इंडिया पहले से एजिस्ट करता था और उसने सिर्फ एडमिनिस्ट्रेशन के लिए अलग-अलग स्टेट्स बनाई यूएस को फेडरेशन इसलिए कहा गया क्योंकि वहां पे अलग-अलग स्टेट्स पहले एजिस्ट करती थी उन्होंने आके देश बनाया तो यहां पे आप कंफ्यूज नहीं होंगे ये थोड़ा सा ट्रिकी यूपीएससी करने की कोशिश करती है कि अगर तुमने कांस्टिट्यूशन नहीं पढ़ा तो आप फीचर्स देख के चले जाएंगे फीचर से कहेंगे कि इंडिया एक फेडरेशन है पर कांस्टिट्यूशन में क्लीयरली लिखा है कि इंडिया जो है वो यूनियन ऑफ स्टेट्स है तो अगर कहीं पर भी ये लिखा जाए कि इंडिया का कांस्टिट्यूशन कहता है कि इंडिया यूनियन ऑफ स्टेट्स है तो आप बिल्कुल सही कहेंगे लेकिन अगर क्वेश्चन आ जाए कि इंडिया के कांस्टिट्यूशन में फेडरल फीचर्स हैं तो वो भी स्टेटमेंट सही होगी ठीक है बस थोड़ा सा स्टेटमेंट पे आपको ध्यान देना है तो अब हम इसके फीचर्स को जल्दी-जल्दी देख लेते हैं ये कुछ मेजर चीजें थी जो पहले बताना जरूरी था ठीक है तो अब इसके हम फीचर्स देखते हैं कि इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन के क्या-क्या फीचर्स हैं देखिए इन फीचर्स से आप यह मान के चलिए एक क्वेश्चन आपको मिलेगा इन फीचर्स से एक क्वेश्चन आपको मिलेगा किसी ना किसी फॉर्म में मिले चाहे डायरेक्टली या इनडायरेक्टली लेकिन अच्छी बात यह है कि इन फीचर्स को अभी तो हम देख लेंगे एक ही जगह पे फिर उसके बाद जब हम अपना पूरा का पूरा कॉन्स्टिट्यूशन कर लेंगे जब हमारी ये पूरी की पूरी क्लासेस खत्म हो जाएंगी तब आप खुद नोट करेंगे कि ये सारे फीचर्स आपको वैसे ही समझ में आ गए आपको यह पूरा रटना नहीं पड़ेगा फीचर्स की बात की जाए पहला फीचर यह है कि इंडिया के अंदर थ्री टियर गवर्नमेंट है जब इंडिया का कांस्टिट्यूशन बना था तो इंडिया के अंदर इंडिया के अंदर एक तो केंद्र पे सेंट्रल लेवल पे एक लेजिसलेच्योर टू टियर एजिस्ट करता था ठीक है दो लेवल पे हमारी जो एडमिनिस्ट्रेशन है जो हमारी पॉलिटी है इंडियन पॉलिटी दो लेवल पर डिवाइडेड थी एक तो केंद्र का लेवल और एक स्टेट का राज्य का लेवल सेंटर का लेवल और स्टेट का लेवल 1992 के अंदर हमने क्या किया हमने लोकल सेल्फ गवर्नमेंट के लिए कुछ प्रोविजंस अपने कांस्टिट्यूशन के अंदर डाल दिए कांस्टिट्यूशन के अंदर हमने कुछ चेंज किया और उस चेंज को कहा गया अमेंडमेंट कांस्टिट्यूशन के अंदर अमेंडमेंट की गई और उसके अंदर लोकल सेल्फ गवर्नमेंट की एक और चीज डाल दी गई जिससे हमने पंचायतों को पंचायतों को और म्युनिसिपालिटी हों को कांस्टीट्यूशनल स्टेटस दे दिया कांस्टिट्यूशन के अंदर एक जगह प्रोवाइड कर दी पंचायत को और म्युनिसिपालिटी को तो जब हमने 1992 के अंदर लोकल सेल्फ गवर्नमेंट की मतलब एक और गवर्नमेंट बना दी केंद्र के लेवल पे तो बनी हुई थी पार्लियामेंट और एग्जीक्यूटिव स्टेट के लेवल पे बना था स्टेट लेजिस्लेटर और एग्जीक्यूटिव और अब एक लोकल लेवल पे बन गई है गांव के लेवल पे आपकी पंचायत और शहरों में आपकी म्युनिसिपालिटी बन गई है तो इंडिया के अंदर अब तीन टियर ऑफ गवर्नमेंट हैं गवर्नमेंट तीन लेवल पर काम करती है यूनियन के यूनियन यानी कि सेंटर स्टेट के लोकल के कुछ एबीएन जहां पर भी आपको यू सर्कल में दिखे इसका मतलब है यूनियन जहां पर आपको सी सी सर्कल में दिखे इसका मतलब है सेंटर जहां पर आपको एसटी सर्कल में दिखे इसका मतलब है स्टेट आपको ई ई के ऊपर वी लिखा हुआ दिख जाए इसका मतलब है एग्जीक्यूटिव एग्जीक्यूटिव ऐसे ही एल सर्कल के अंदर और ऊपर व लिखा हुआ दिख जाए इसका मतलब है लेजिस्लेटिव लेजिसलेटिव और अगर आपको दिख जाए एल के ऊपर आर लगा दिख जाए इसका मतलब है लेजिसलेच्योर सा कंफ्यूज मत होना क्योंकि बार-बार कौन लिखे इसको इसलिए मैंने शॉर्ट फॉर्म में आपको लिखा दिया है ठीक है तो तीन टियर की गवर्नमेंट इंडिया के अंदर एजिस्ट करती है ठीक है यानी कि जो ढेर सारे आइटम्स हैं वो आइटम्स एक देश के अंदर ढेर सारे काम होते हैं उन कामों को तीन लेवल पर डिवाइड कर दिया है कुछ काम यूनियन करेगा कुछ काम स्टेट करेंगी कुछ काम आपके लोकल लेवल पे यह लोग कर देंगे तो इन कामों की डिवीजन कर दी गई है और यह डिवीजन कहां पे की गई है कांस्टीट्यूशन के अंदर ही कर दी गई है इसीलिए हम कहते हैं हमारे कांस्टीट्यूशन के अंदर तीन टियर ऑफ गवर्नमेंट है जो नोट्स हम अपनी इस वीडियो के अंदर यूज करेंगे वो हैंड रिटन नोट्स हैं एम लक्ष्मीकांत से अगर आप हमारे वो नोट्स लेना चाहते हैं तो उसका लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा वीडियो अगर आपको पसंद आ रही है तो लाइक करना ना भूलें दोस्तों के साथ शेयर करें और चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें इंडिया का जो कांस्टिट्यूशन है वो लेंथीएस्ट कॉन्स्टिट्यूशन में आता है इसके 395 आर्टिकल्स थे 22 पार्ट और आठ शेड्यूल थे जब ये बना था 395 आर्टिकल्स 22 पार्ट के अंदर डिवाइडेड थे ये आर्टिकल्स और आठ शेड्यूल बने हुए थे शेड्यूल को आप अभी सिर्फ ऐसे याद कर लें कि आठ अलग से लिस्ट बनी हुई थी इस लिस्ट के अंदर कुछ-कुछ बातें लिखी हुई थी तो बहुत सारे आर्टिकल्स ऐसे आएंगे जहां पे वो बार-बार ही कहेगा कि शेड्यूल फोर के अंदर ये लिखा हुआ है ठीक है तो जहां पे भी वो लिखा होगा शेड्यूल फोर तो आप समझ जाएंगे कि वो शेड्यूल फोर के अंदर जो भी लिस्ट लिस्ट है जो भी बात कही गई है शेड्यूल फोर के अंदर जो भी बात कही गई है वो सारी चीजें आती है अभी सिंपली आप लिस्ट समझ लें लिस्ट के अलावा भी कुछ रूल्स भी बने हुए हैं वो हम बाद में देखेंगे तो ये तो ओरिजिनल थी तो हम यहां पे शेड्यूल देख लेते हैं यहां से भी क्वेश्चन फसता है आपका ओरिजनली आपके आठ शेड्यूल थे वो आठ शेड्यूल कौन से थे पहला शेड्यूल ये बात करता है कि इंडिया के अंदर जो स्टेट्स और यूनियन टेरिटरी हैं उनके नाम क्या हैं स्टेट्स और यूनियन टेरिटरी के नाम क्या हैं और उनकी टेरिटरी क्या है कहां से कहां तक वो स्टेट और यूनियन टेरिटरी एजिस्ट करती है दूसरी लिस्ट के अंदर दिया हुआ है कुछ बहुत ही बड़ी-बड़ी अथॉरिटी जैसे कि प्रेसिडेंट हो गए उनकी क्या अलाउंस होगी क्या प्रिविलेज होंगे क्या एमोल्यूमेंट्स होगा प्रेसिडेंट की सैलरी को सैलरी नहीं कह रहे क्या कह रहे हैं अलाउंस प्रिविलेजेस और इमोल मेंट्स कहा जाता है तीसरी के अंदर क्या है कुछ ओथ है जब भी कोई आदमी मंत्री बनेगा जब भी कोई आदमी आपका चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनेगा जज बनेगा उनको कुछ शपथ लेनी होती है कि मैं कांस्टिट्यूशन के अंदर ही काम करूंगा लोग की भलाई के लिए काम करूंगा इस तरह की कुछ ओथ होती हैं वो ओथ और एफर्मेशन जो है वह थर्ड लिस्ट के थर्ड शेड्यूल के अंदर लिखी हुई है पहले शेड्यूल में स्टेट्स का नाम और टेरिटरी दूसरे के अंदर आपके अलाए दिए गए हैं तीसरे के अंदर ओथ दी गई है चौथे के अंदर क्या है चौथे के अंदर राज्यसभा की सीट्स दी गई हैं यह अगर आपको समझ में नहीं आ रहा तो आप चिंता ना करें पार्लियामेंट के चैप्टर के अंदर ये एकदम क्लियर हो जाएगा अभी के लिए आप बस यह याद कर लें कि चौथे शेड्यूल के अंदर राज्यसभा के अंदर किस स्टेट को कितनी सीटें मिलेंगी वह लिखी गई है पांचवा और छठा हमें काफी डिटेल में करना है पांचवा और छठा जो है याद करने के लिए आप याद रखें कि ये ट्राइब से जुड़ा हुआ है ट्राइब से जुड़ा हुआ है पांचवें शेड्यूल के अंदर हम देखेंगे शेड्यूल्ड एरियाज के बारे में कुछ लॉज बने हुए हैं कुछ रेगुलेशंस बनी हुई है वो देखेंगे शेड्यूल्ड ट्राइब्स के बारे में कुछ लॉज कुछ रूल्स कुछ रेगुलेशन बनी हुई है वो देखेंगे लेकिन यह जो पांचवा शेड्यूल है पांचवा शेड्यूल के अंदर हम सारे देश के सारी की सारी स्टेट्स के शेड्यूल्ड एरिया और शेड्यूल्ड ट्राइब को देखेंगे पर हम तामे मी स्टेट्स की तामे मी स्टेट्स को पांचवें शेड्यूल के लॉज के अंदर नहीं रखेंगे यानी कि इन स्टेट्स के अंदर अगर कोई शेड्यूल्ड एरिया या शेड्यूल ट्राइब है तो वो पांचवें शेड्यूल के हिसाब से रेगुलेट नहीं होगा तो ये किसके हिसाब से रेगुलेट होगा ये रेगुलेट होगा छठे शेड्यूल के हिसाब से सिक्स्थ शेड्यूल के हिसाब से ठीक है यानी कि पांचवा शेड्यूल बात करता है शेड्यूल्ड एरिया और शेड्यूल्ड ट्राइब्स के बारे में इनकी रेगुलेशन के बारे में कुछ बातें करता है वो बातें हम बाद में डिटेल में देखते रहेंगे कुछ बातें करता है लेकिन पांचवें शेड्यूल के अंदर तामे स्टेट्स के शेड्यूल एरिया और शेड्यूल ट्राइब की कोई बात नहीं होगी तामे स्टेट्स के ट्राइबल एरियाज की बात की जाएगी और वो ट्राइबल एरियाज की बात की जाएगी सिक्स शेड्यूल में ये ध्यान रखना है पांचवे में शेड्यूल्ड एरिया और शेड्यूल ट्राइब और छठे के अंदर ट्राइबल एरियाज अब सवाल उठता है तामिमी क्या है तामिमी है त्रिपुरा आसाम मेघालय और मिजोरम ठीक है तो ये उसकी शॉर्ट फॉर्म है मैंने आपको बताया कि एक देश के अंदर ढेर सारे काम होते हैं इन कामों को इन कामों को बांट दिया गया है केंद्र सेंटर के बीच में स्टेट के बीच में और एक कंक्रेंस लिस्ट बना रखी है जिसके ऊपर सेंटर और स्टेट दोनों के दोनों लॉज बना सकते हैं ठीक है तो ये जो लिस्ट बनाई गई है ये लिस्ट कहां रखी हुई है ये लिस्ट रखी हुई है सेवंथ शेड्यूल के अंदर कहां लिखी है सेवंथ शेड्यूल के अंदर अब सवाल ये उठता है कि इंडिया के अंदर तो तीन टियर का स्ट्रक्चर है यानी कि सेंट्रल लेवल पे है स्टेट लेवल पे है और फिर आपके लोकल सेल्फ गवर्नमेंट पे है तो लोकल सेल्फ गवर्नमेंट जिन चीजों के ऊपर कानून बना सकती है जिन चीजों को रेगुलेट कर सकती है उनकी लिस्ट कहां दी गई है तो देखिए लोकल सेल्फ गवर्नमेंट हमने बाद में ऐड किया था कब 1992 में ऐड किया था 73 और 74th अमेंडमेंट से यानी कांस्टिट्यूशन के अंदर चेंज किया था 73 और 74th अमेंडमेंट से और फिर लोकल सेल्फ गवर्नमेंट बनाई थी तो यह जिस चीज के ऊपर इनकी जो लिस्ट हैं वो लि का है वो सेवंथ शेड्यूल में नहीं है वो लिस्ट आपको मिलेंगी 11थ वो लिस्ट आपको मिलेंगी यहां पे 11थ और 12थ शेड्यूल के अंदर ठीक है 11 शेड्यूल पंचायत पंचायत से रिलेटेड जो जो चीजें हैं जिनके ऊपर पंचायत कानून बना सकता है और उनको रेगुलेट कर सकता है वो सारी 11थ शेड्यूल में लिखी है जिनके ऊपर म्युनिसिपालिटी कर सकती है वो 12थ शेड्यूल में लिखी है 11थ शेड्यूल से 73 अमेंडमेंट से आया था 11 शेड्यूल और 12 शेड्यूल आया था 74 अमेंडमेंट से ठीक है यह याद रखना कि 11 शेड्यूल के अंदर आपको 29 आइटम मिलते हैं यानी कि इस लिस्ट में 29 आइटम है और मुसिपालिटी की लिस्ट में आपको 18 आइटम देखने को मिलते हैं तो सातवें शेड्यूल के अंदर आपकी सेंटर की लिस्ट है स्टेट की लिस्ट है और कंकट लिस्ट है कंकट के बारे में आप यह याद रखेंगे कि इसके ऊपर कानून कौन बना सकता है सेंटर भी बना सकता है स्टेट भी बना सकता है और और अगर सेंटर ने भी कोई कान बनाया स्टेट ने भी कोई कानून बनाया और यह दोनों कानून एक दूसरे के अगेंस्ट जाते हैं या फिर कुछ बातें ऐसी हैं जो एक दूसरे से अलग हैं तो उस केस में किसका कानून माना जाएगा उस केस में सेंटर का कानून माना जाएगा ठीक है एक सवाल यह उठता है कि यह तो आपने जितने आइटम सोच सकते थे आपने उसकी लिस्ट बना दी मान लीजिए कल को कोई नया आइटम आ जाए उसके बारे में क्या जैसे कि सरोगेसी सरोगेसी ठीक है सरोगेसी यानी कि 1950 में जब कांस्टिट्यूशन बना था तो हमारे कॉन्स्टिट्यूशन मेकर्स को ये टर्म पता ही नहीं थी कि सरोगसी जैसा भी कोई कांसेप्ट होता है इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी तो इंडिया के अंदर आई ही 1990 में है और पूरे दुनिया की अगर बात की जाए तो भी आप देखेंगे 1980 से ही यह प्रचलन में आ पाई है तो 1950 में जो चीज एजिस्ट ही नहीं करती थी उसको वोह लिस्ट में कैसे रख सकते थे वो नहीं रख पाते तो यह वाले जो आइटम है जो कि किसी भी लिस्ट में नहीं आते इन आइटम को नाम दिया गया है रेसिड आइटम्स रेसिड आइटम्स तो ये रेजिडोर आइटम्स के ऊपर कौन कानून बनाएगा इनके ऊपर कानून बनाएगा सेंटर इनको रेगुलेट कौन करेगा सेंट्रल गवर्नमेंट इनको रेगुलेट करेगी आठवां शेड्यूल क्या कहता है आठवां शेड्यूल ऑफिशियल लैंग्वेजेस की बात करता है जब 1950 में हमारा कांस्टीट्यूशन बना था तो हमारी 14 ऑफिशियल लैंग्वेज थी फिर उसके बाद हमने आठ और ऐड की हैं और आज की डेट में 22 ऑफिशियल लैंग्वेज हैं इनके बारे में भी हम अलग से चैप्टर पढ़ेंगे नाइंथ शेड्यूल हम फंडामेंटल राइट्स के अंदर पढ़ेंगे आप इसके अंदर अभी क्या याद रखेंगे देखिए आठ तक तो ओरिजिनल शेड्यूल थे जब कॉन्स्टिट्यूशन बना था तो हमारे कॉन्स्टिट्यूशन में आठ ओरिजिनल शेड्यूल थे लेकिन कॉन्स्टिट्यूशन बनने के बाद कॉन्स्टिट्यूशन के अंदर कुछ चेंजेज लाए गए उन चेंजेज को अमेंडमेंट कहा जाता है और उन अमेंडमेंट से चार नए चार नए शेड्यूल ऐड किए गए हैं 9 10 11 12 नौवा शेड्यूल हमने 1950 में कॉन्स्टिट्यूशन आया और उसके अगले ही साल हमें उस कॉन्स्टिट्यूशन में कुछ बदलाव करना पड़ा फर्स्ट अमेंडमेंट 1951 किया गया जो कि नाइंथ शेड्यूल कहलाया जाता है इसके बारे में हम फंडामेंटल राइट्स के अंदर पढ़ेंगे 10थ शेड्यूल हमारा 1985 में आया था 52 अमेंडमेंट से और यह सीधा सवाल आ जाता है कि 10थ शेड्यूल 10थ शेड्यूल जो है वह कौन से अमेंडमेंट से आया 1985 में आया 52 अमेंडमेंट से यह डिस क्वालिफिकेशन की बात करता है एमपीज और एमएलएस की और 73 और 74 से यह दोनों शेड्यूल और ऐड हुए ठीक है यह हम ऑलरेडी बात कर चुके हैं और फीचर्स अगर हम देखें इसके फेडरल इंडिया के अंदर फेडरल सिस्टम है तो मैंने आपसे कहा था कि इंडिया का जो आर्टिकल वन है इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन का वो कहता है कि इंडिया जो है वह यूनियन ऑफ स्टेट्स बनेगी यूनियन ऑफ स्टेट्स है लेकिन इंडिया के कांस्टिट्यूशन के अंदर फेडरल फीचर्स हैं फेडरल फीचर्स हैं इसीलिए इंडिया को एक फेडरेशन कहा जाता है इंडिया एक फेडरेशन है ठीक है जिसका ऑफिशियल नाम यूनियन ऑफ स्टेट्स दिया गया है ठीक है तो फेडरल फीचर्स अगर हैं ऐसा सवाल आता है तो आप उसको सही बोलेंगे तो इंडिया के फेडरल फीचर्स क्या हैं फेडरल फीचर्स क्या होते हैं पहला फेडरल फीचर्स ये होता है कि यहां पे पावर जो है पावर की डिवीजन होनी चाहिए सेंटर के बीच में और स्टेट्स के बीच में क्या इंडिया के अंदर पावर की डिवीजन है सेंटर और स्टेट्स के बीच में अभी-अभी हमने देखा सेवन शेड्यूल के अंदर लिस्ट बनी हुई है और इस लिस्ट के अंदर ये लिखा हुआ है कि किन चीजों के ऊपर सेंटर कानून बनाएगा किनके ऊपर स्टेट बनाएगा तो क्या कर रखा है पावर डिवाइड ही तो कर दी इनके ऊपर सेंटर का वो है पावर इनके ऊपर स्टेट की पावर है तो पावर की डिवीजन पावर की डिवीजन एक फीचर होता है जो इंडिया के अंदर एजिस्ट करता है दूसरा फीचर मिनिमम टू टियर्स ऑफ गवर्नमेंट होनी चाहिए इंडिया के अंदर कितनी है टू टियर तो इंडिया की 1950 से ही थी 1992 से थ्री टियर हो चुकी है तो इंडिया के अंदर मिनिमम टू टियर्स ऑफ गवर्नमेंट भी है तीसरा फीचर होता है जो कांस्टिट्यूशन है व कांस्टिट्यूशन रिटन होना चाहिए रिजडन चाहिए और सुप्रीम होना चाहिए इंडिया के अंदर यह तीनों के तीनों फीचर्स प्रेजेंट है इंडिया का जो कांस्टिट्यूशन है वो रिटन है इंडिया के जो रिजडन देखिए रि ड और फ्लेक्सिबल का क्या मतलब है कांस्टीट्यूशन को कितनी आसानी से बदला जा सकता है उसको कहा जाता है फ्लेक्सिबल अगर बहुत ही आसानी से बदल सकते हैं हम किसी भी कॉन्स्टिट्यूशन को तो कह देते हैं कि यह हाईली फ्लेक्सिबल कॉन्स्टिट्यूशन है ठीक है इंडिया के अंदर क्या है इंडिया के अंदर एक बैलेंस मेंटेन करके चल रहे हैं बैलेंस किस चीज का कि यह कुछ हिस्सों में फ्लेक्सिबल है जहां पे हम आसानी से कांस्टिट्यूशन में बदलाव ला सकते हैं कुछ चीजों में वो बहुत ज्यादा रिजडन पे भी इंडिया के फेडरल फीचर्स को बदलने की बात होगी इंडिया के अंदर फेडरल फीचर्स हैं अगर उनको बदलने की बात होगी तो इंडिया का कांस्टिट्यूशन बहुत रिजडले नहीं देता तो इंडिया का कांस्टीट्यूशन फेडरल फीचर्स के मामले में रिजडन का कांस्टिट्यूशन सुप्रीम है यहां पे अगर आपको सवाल आ जाए या चलिए वो बाद में ही देखेंगे इंडिया का कॉन्स्टिट्यूशन सुप्रीम है ठीक है यानी कि चाहे वो एग्जीक्यूटिव हो लेजिस्लेटर हो या जुडिशरी हो कोई भी कांस्टिट्यूशन के विपरीत कांस्टिट्यूशन के अगेंस्ट जाके काम नहीं कर सकता तो इंडिया के अंदर यह फीचर भी है तो इंडिया के अंदर यह वाले भी फीचर्स हैं तीनों इंडिया के अंदर डिवीजन ऑफ पावर भी है मिनिमम टू टियर्स ऑफ गवर्नमेंट भी है और इंडिया के अंदर एक इंडिपेंडेंट जुडिशरी भी है जो जुडिशरी है जुडिशरी को हमने एग्जीक्यूटिव की एग्जीक्यूटिव के चंगुल से बाहर रखा है जुडिशरी को हमने लेजिस्लेटर के चंगुल से बाहर रखा है एग्जीक्यूटिव और लेजिस्लेटर जुडिशरी के ऊपर काबू नहीं कर सकते तो हम कह सकते हैं कि जो इंडिया की जुडिशरी है वो इंडिपेंडेंट है तो ये फीचर भी इंडिया के अंदर एजिस्ट करता है तो एक फेडरल सिस्टम के जो फीचर्स होते हैं वो सारे फीचर्स इंडिया के अंदर एजिस्ट करते हैं इसीलिए हम कह सकते हैं कि इंडिया एक फेडरेशन है ये सारे फीचर्स इंडिया में एजिस्ट करते हैं लेकिन क्या इंडिया एक ट्रू फेडरेशन है नहीं इंडिया ट्रू फेडरेशन नहीं है क्यों नहीं है क्योंकि इसके अंदर कुछ यूनिटरी फीचर्स भी हैं इसीलिए केसी वियरी ने कहा है इंडिया इज फेडरल इन फॉर्म बट यूनिटरी इन स्पिरिट यानी कि उसकी आत्मा जो है वो यूनिटरी है लेकिन उसका जो फॉर्म है वो फेडरल है तो यूनिटरी फीचर्स की अगर बात की जाए तो यूनिटरी फीचर्स क्या हैं इंडिया के अंदर एक सिंगल कांस्टिट्यूशन है स्टेट्स का अपना कोई कांस्टिट्यूशन नहीं है ठीक है जैसे कि यूएसए के अंदर होता है ऑस्ट्रेलिया के अंदर होता है इंडिया के अंदर एक सिंगल सिटीजनशिप है आप इंडिया के सिटीजन हैं आप किसी स्टेट के सिटीजन नहीं कहलाए जाते इंडिया के सिटीजन कहलाए जाते हैं यूएस के अंदर ऑस्ट्रेलिया के अंदर डुअल सिटीजनशिप होती है यानी कि आप यूएस के तो सिटीजन है ही उसके साथ-साथ यूएस की जिस स्टेट में आप रहते हैं उस स्टेट के भी सिटीजन है यूएस के अंदर ढेर सारी स्टेट्स आके एक यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका का गठन करती हैं एक यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका को फॉर्म करती हैं ढेर सारी स्टेट्स आके बनाती हैं यह स्टेट्स क्या कहती हैं हमने यह देश बना तो लिया है लेकिन यह जो देश है इसके पास ज्यादा पावर नहीं है यह जो देश हमने बनाया यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका यह कभी भी स्टेट्स की बाउंड्री को चेंज नहीं कर सकता यानी कि स्टेट की जो बाउंड्री है उसको वह कभी भी बदल नहीं सकता है उसकी की बाउंड्री को कम या ज्यादा नहीं कर सकता स्टेट की बाउंड्री स्टेट की बाउंड्री रहेगी ठीक है यानी कि जो जो जो कंट्री है यूएसए जो है यूएसए स्टेट को डिस्ट्रॉय नहीं कर सकता उनको डिस्ट्रक्ट नहीं कर सकता ठीक है स्टेट्स को डिस्ट्रक्ट नहीं कर सकता इंडिया में ऐसा नहीं है इंडिया के अंदर जो सेंटर है जो सेंटर है यानी कि जो केंद्र पर बैठे हुए लोग हैं यानी कि पार्लियामेंट और केंद्र प जो आपका पार्लियामेंट एस्टेब्लिश है वो पार्लियामेंट किसी भी स्टेट की बाउंड्री को उसके नाम को कुछ भी चेंज कर सकती है स्टेट का यानी कि जो पार्लियामेंट है वो स्टेट को डिस्ट्रक्ट कर सकती है डिस्ट्रॉय कर सकती है ठीक है यूएस के अंदर कंट्री स्टेट्स को डिस्ट्रक्ट नहीं कर सकती इंडिया के अंदर किया जा सकता है तो इसको भी हम यह कह सकते हैं ना कि अगर ट्रू फेडरेशन होता तो स्टेट की बाउंड्री हमेशा स्टेट की बाउंड्री रहती वो कम या ज्यादा नहीं हो सकती लेकिन इंडिया ट्रू फेडरल नहीं है ट्रू फेडरेशन नहीं है तो इसीलिए वो स्टेट की बाउंड्री को कभी भी तोड़ सकता है उसके अंदर कुछ भी जोड़ सकता है उसको कैसे भी चेंज कर सकता है तभी तो आप देखेंगे कि यूपी से आपका उत्तराखंड निकल आया आपका आंध्र प्रदेश जो है वो आंध्र आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में डिवाइड हो गया तो ये जो चीजें हैं ये कौन कर रहा है ये पार्लियामेंट कर रहा है और इसके लिए उसको स्टेट से पूछने स्टेट की मर्जी की भी जरूरत नहीं है स्टेट से बस एक बार बोलेगा कि भाई देख मैं यह करने वाला हूं तू अपनी राय बता दे स्टेटस अपनी राय देगा फिर पार्लियामेंट कहेगा कि मेरी मर्जी मैं तेरी राय मानूं या ना मानूं मैंने तो तेरी टेरिटरी चेंज कर दी यानी कि पार्लियामेंट जो है वो स्टेट्स को डिस्ट्रॉय कर सकता है इंडिया की जो यूनियन है इंडिया जो एक देश है इस देश को कोई भी डिस्ट्रॉय नहीं कर सकता लेकिन इसके अंदर की जो स्टेट्स हैं उन स्टेट्स को डिस्ट्रॉय किया जा सकता है और वो कौन करेगा वो पार्लियामेंट करेगा तो इसीलिए इंडिया में क्या कहा जाता है इंडिया एक इन डिस्ट्रक्ट बल यूनियन है इन डिस्ट्रक्ट बल यूनियन है यानी कि इस यूनियन को कोई तोड़ नहीं सकता इंडिस्ट्रक्टीबल यूनियन है विद डिस्ट्रक्ट बल यूनिट्स ठीक है यानी कि जो इसके स्टेट्स हैं उनको तोड़ा जा सकता है स्टेट्स तोड़ी जा सकती हैं पर यूनियन नहीं यूएस के अंदर क्या है यूएस के अंदर ना तो तुम देश को तोड़ सकते ना ही तुम स्टेट्स को तोड़ सकते तो वो इंडिस्ट्रक्टीबल यूनियन है इंस्ट्रक्ट बल स्टेट्स की इंडिया है इंस्ट्रक्ट यूनियन डिस्ट्रक्ट बल स्टेट्स की रेसिड पावर सेंटर के पास ऑलरेडी बता चुका हूं अब ये कुछ कुछ स्पेशल पावर्स हैं अभी के लिए आप इन आर्टिकल्स को जितना हो सके उतना याद करने की कोशिश करें नहीं होता तो उसकी चिंता ना करें मैं आपको यह याद करा दूंगा इतनी बार रिपीट करूंगा कि आपको याद हो जाएगा क्या-क्या याद करने हैं 249 250 252 253 यानी कि आप 250 के आसपास आ जाइए 249 के आसपास आ जाइए ये कुछ ऐसे आर्टिकल्स हैं जो कि पार्लियामेंट को पावर दे देता है कि वह स्टेट लिस्ट के ऊपर भी कानून बना सकता है सेवंथ शेड्यूल के अंदर तीन लिस्ट हैं यूनियन लिस्ट स्टेट लिस्ट कंक्रेंस लिस्ट यूनियन के ऊपर सिर्फ यूनियन बनाएगा स्टेट के ऊपर सिर्फ स्टेट बनाएगी और कंकर के ऊपर दोनों बनाएंगे अगर कहीं झगड़ा होता है तो यूनियन की मानी जाएगी यूनियन की सुप्रीम रहेगी स्टेट से ठीक है यूनियन लिस्ट पे सिर्फ पार्लियामेंट बना रहे है स्टेट लिस्ट पे सिर्फ और सिर्फ स्टेट बना रही है लेकिन यह जो कुछ आर्टिकल हैं यह स्पेशल आर्टिकल्स हैं इन आर्टिकल के अंदर तरीके लिखे हुए हैं कि किन केसेस के अंदर किन तरीकों से जो स्टेट है सॉरी जो सेंटर है जो पार्लियामेंट है वह स्टेट के आइटम पे यानी कि इस लिस्ट के ऊपर इस लिस्ट के ऊपर यूनियन कानून बनाने लग जाए यह कहां लिखा है यह आपका लिखा है इन कुछ आर्टिकल्स के अंदर जिनको हम डिटेल में बाद में देखेंगे अभी के लिए आप सिर्फ पढ़ लीजिए 249 के अंदर राज्यसभा ताकत दे देती है पार्लियामेंट को कि वह स्टेट लिस्ट के ऊपर कानून बनाए 250 के अंदर नेशनल इमरजेंसी लगी हुई है बहुत ही इमरजेंसी की सिचुएशन थी तब पार्लियामेंट बना सकता है 252 इसके अंदर इतने टू आ रहे हैं तो इसी से याद कर लो दो या दो से ज्यादा स्टेट खुद बोल द पार्लियामेंट को कि भाई मेरे ये ये सब्जेक्ट है मेरे लिए तू कान बना दें तो जो स्टेट्स पार्लियामेंट को बोलेंगे उनके ऊपर उन स्टेट्स के लिए पार्लियामेंट बना सकता है लेकिन यह दो या दो से ज्यादा स्टेट्स होनी चाहिए तीसरा क्या है इंटरनेशनल एग्रीमेंट जो सेंटर है पीएम मोदी गए इजराइल इजराइल में उन्होंने कर ली कोई भी डील उस डील को इंप्लीमेंट करने के लिए किसी कानून की जरूरत है किसी कानून की जरूरत है और वह कानून जो है स्टेट लिस्ट के अंदर आता है मान लीजिए सेंटर ने एग्रीमेंट कर लिया किसी दूसरे देश के साथ उस एग्रीमेंट को इंप्लीमेंट करने के लिए कानून की जरूरत है और व कानून स्टेट लिस्ट में आता है लेकिन इस केस में इंटरनेशनल एग्रीमेंट को फुलफिल करने के लिए उससे कंप्ला करने के लिए अगर कोई कानून बनना है तो पार्लियामेंट उसको बना सकती है लास्ट आप याद करेंगे आर्टिकल 356 प्रेसिडेंट्स रूल यानी कि स्टेट के अंदर ऐसा माना जा रहा है कि जो कांस्टिट्यूशन है कांस्टीट्यूशन के आधार पर सरकार नहीं चलाई जा सकती कांस्टिट्यूशन के आधार पर सरकार नहीं चलाई जा सकती उस केस में प्रेसिडेंट्स रूल वहां पर लगा जाता है और जब प्रेसिडेंट्स रूल लगा होता है जब प्रेसिडेंट्स रूल लगा होता है तो पार्लियामेंट जो है वह स्टेट की उस स्टेट की जहां पर प्रेसिडेंट्स रूल लगा है उस स्टेट की स्टेट लिस्ट पे लॉज बना सकती है ठीक है तो यहां पे दो यह भी एक तरह की इमरजेंसी होती है तो दो इमरजेंसी है नेशनल इमरजेंसी और स्टेट इमरजेंसी स्टेट के अंदर प्रेसिडेंट्स रूल लगा हुआ है वो इमरजेंसी इसको ब्रेक डाउन ऑफ कांस्टीट्यूशनल मशीनरी कहा जाता है क्योंकि कांस्टिट्यूशन के अकॉर्डिंग नहीं चल रहा ठीक है ये भी सब डिटेल में कर तो चिंता ना करें आर्टिकल 360 होता है फाइनेंशियल ऑर्डर्स प्रेसिडेंट जो है यहां पर वो स्टेट लिस्ट पे स्टेट लिस्ट पर लॉ नहीं बना रहा है यहां पर वह क्या कर रहा है यहां पर वह फाइनेंशियल फाइनेंशियल चीजों से रिलेटेड ऑर्डर दे सकता है पार्लियामेंट फाइनेंशियल चीजों से रिलेटेड चीजों पर ऑर्डर दे सकता है अगला फीचर क्या है जो कि यूनिटरी है ऐसे बहुत सारे एडमिनिस्ट्रेशन के अंदर उनका बहुत अहम रोल है लेकिन इनको चुनता कौन है इनको चुन के भेजता है सेंटर सेंटर ने इनको चुन के भेज दिया स्टेट के अंदर बैठे हुए हैं और स्टेट के अंदर काम कर रहे हैं जिसने चुना है वो उसी के ही तो ज्यादातर अकाउंटेबल रहेगा ठीक है तो गवर्नर जो है गवर्नर को केंद्र चुनती है सेंटर चुनती है और वो स्टेट में जाकर बैठा होता है और स्टेट के ऊपर निगरानी रखता है स्टेट के सारे के सारे काम गवर्नर के नाम से होते हैं अगर गवर्नर को कभी लगता है कि काम उसके अकॉर्डिंग नहीं हो रहा तो वो सेंटर को बता सकता है कि भैया काम जो है वो कांस्टिट्यूशन के अकॉर्डिंग नहीं हो रहा है यहां पे क्या लगा दो यहां पे आर्टिकल 356 लगा दो आर्टिकल 356 क्या है प्रेसिडेंट्स रूल है आर्टिकल 356 ठीक है तो गवर्नर को कौन चुन के भेजता है सेंटर चुन के भेजता है पर वो काम कहां कर रहा है स्टेट के अंदर कर रहा है इसीलिए कई बारी गवर्नर को एजेंट ऑफ सेंटर भी कहा जाता है कि वह सेंटर के एजेंट की तरह काम करता है हाई कोर्ट के जजेस हाई कोर्ट कहां पे हैं स्टेट के अंदर हैं लेकिन उसके जो जजेस हैं उनको चुन के कौन भेज रहा है सेंटर चुन के भेज रहे हैं ऑल इंडिया सर्विसेस के जो ऑफिसर्स हैं अगर आप आईएएस ऑफिसर बनते हैं आईपीएस ऑफिसर बनते हैं जो कि ऑल इंडिया सर्विसेस हैं यह ऑल इंडिया सर्विसेस सेंटर चुनता है सेंटर चुनता है और यह स्टेट में जाके काम करते हैं ठीक है सेंटर चुनेगा स और स्टेट में यह काम करेंगे चुन के सेंटर भेज रहा है यानी कि स्टेट अपनी मर्जी के आदमियों को नहीं चुन सकता इसीलिए इसको यूनिटरी फीचर के अंदर रखा गया है कि ये कुछ अपॉइंटमेंट ऐसी हैं जिनको यूनिटरी फीचर का हिस्सा मानते हैं कुछ-कुछ केसेस के अंदर जो केंद्र है सेंटर जो है वह स्टेट्स को डायरेक्शन दे सकता है डायरेक्शन दे सकता है अभी तक मैं जब भी सेंटर बोल रहा हूं तो ज्यादातर वह पार्लियामेंट या फिर एग्जीक्यूटिव है कहां पर एग्जीक्यूटिव आएगा कहां पर पार्लियामेंट आएगा उसकी आप चिंता ना करें क्योंकि जैसे जैसे हम आगे य लेक्चर करते जाएंगे चीजें क्लियर होती जाएंगी ठीक है तो बिल्कुल चिंता नहीं करना यह सारे फीचर्स रिपीट होंगे और बहुत डिटेल में होंगे इंडिया के अंदर पार्लियामेंट्री फॉर्म है ठीक है पार्लियामेंट्री फॉर्म के कुछ फीचर्स थोड़े बहुत मैं आपको बता चुका हूं ठीक है क्या बताया मैंने कि यहां पे मेजॉरिटी पार्टी का रूल होगा यानी कि पार्लियामेंट के अंदर जिस पार्टी के जिस पार्टी की मेजॉरिटी होगी वो आके अपने एग्जीक्यूटिव बना लेंगे और वो रूल करेंगे तो मेजॉरिटी पार्टी रूल यहां पे कलेक्टिव रिस्पांसिबिलिटी यानी कि जैसे ही इनकी मेजॉरिटी कम हो गई इन सभी को यहां से रिजाइन करना पड़ेगा इनकी सरकार गिर जाएगी कलेक्टिव रिस्पांसिबिलिटी यानी किय पार्लियामेंट में साथ में सरकार बना रहे हैं जब तक इनकी मेजॉरिटी है तब तक ये पावर में रहेंगे जब इनकी मेजॉरिटी खत्म ये पावर से हट जाएंगे फिर डिसोल्यूशन ऑफ लोअर हाउस इसका क्या मतलब है इंडिया के अंदर जो पार्लियामेंट है इसके दो हाउसेस हैं एक है आपका राज्यसभा और दूसरा है लोकसभा राज्यसभा को अपर हाउस कहा जाता है और लोकसभा को लोअर हाउस कहा जाता है लोकसभा के अंदर जो जनता है जो पीपल हैं वह डायरेक्ट वोट करते हैं वोट करके अपने प्रतिनिधि को अपने रिप्रेजेंटेटिव को चुनते हैं फिर वह रिप्रेजेंटेटिव लोकसभा के अंदर जाकर बैठ जाते हैं ठीक है जिनकी लोकसभा के अंदर मेजॉरिटी होती है अभी तक मैं पार्लियामेंट बोल रहा था पर अब मैं उसको और रिफाइन कर रहा हूं जिनकी लोकसभा के अंदर मेजॉरिटी होती है वो सरकार बनाते हैं वोह क्या बनाते हैं वह गवर्नमेंट बनाते हैं वह क्या बनते हैं वह एग्जीक्यूटिव बनते हैं तो अभी तक मैं पार्लियामेंट बता रहा था क्योंकि पार्लियामेंट की बात कर रहे थे अभी तक एक जनरल बात हो रही थी अब इंडिया की बात कर रहे हैं इंडिया के अंदर राज्यसभा है लोकसभा है लोकसभा के अंदर लोग डायरेक्टली जनता जो है वो डायरेक्टली अपने रिप्रेजेंटेटिव को चुन के भेजती है लोकसभा के अंदर जिस पार्टी की मेजॉरिटी होगी उसको इनवाइट किया जाएगा कि वह आए और वह एग्जीक्यूटिव बने और अपनी सरकार बनाए तो यहां से पीएम चुन के आता है पीएम जो है अपने मंत्रियों को चुनता है वह मंत्री कहां से चुन सकता है चाहे तो वह लोकसभा से चुने चाहे वह राज्यसभा से चुने मंत्री लोकसभा या राज्यसभा कहीं का भी हो सकता है ठीक है बाहर से भी वह किसी को चुन सकता है लेकिन 6 महीने के अंदर-अंदर उसे पार्लियामेंट का हिस्सा बनना है चाहे वह लोकसभा का हिस्सा बने या फिर राज्यसभा का हिस्सा बने पर उसको छ महीने के अंदर बनना पड़ेगा ठीक है तो यह जो सरकार बनती है यह सरकार बनती है 5 सालों के लिए 5 सालों के बाद पा सालों के बाद यह सरकार जो है वह अपने आप ही गिर जाती है सरकार की जो टर्म है वह खत्म हो जाती है जो लोकसभा है लोकसभा खत्म हो जाती है लोकसभा का टर्म कितनी देर का है लोकसभा का टर्म है पाच सालों का देखो जनता ने चुन के भेजा था लोकसभा ने और एग्जीक्यूटिव ने जो काम करना था उन्होंने 5 सालों तक काम कर लिया जनता जो है उनके कामों को परख रहती है अब जनता चाहती है कि यह सरकार दोबारा से चुन के ना आए तो उसके हाथ में भी कुछ ताकत होनी चाहिए तो जनता के हाथ में ताकत क्या है जनता के हाथ में ताकत है इलेक्शन की जनता के हाथ में हर 5 साल के बाद इलेक्शन की ताकत है तो यह इलेक्शन कब होगा यह इलेक्शन तब ही होगा जब लोकसभा का एक फिक्स समय होगा और वह फिक्स समय खत्म हो जाएगा तो इसीलिए हर 5 साल के बाद लोकसभा डिसोल्व हो जाती है खत्म हो जाती है पार्लियामेंट्री फॉर्म के अंदर जो लीडरशिप होती है लीडरशिप प्राइम मिनिस्टर की होती है सेंट्रल लेवल पर ठीक है और आपकी स्टेट लेवल पर सीएम की होती है एक चीज जो हमने नहीं देखी वह है प्रेजेंस ऑफ नॉमिनल और रियल एग्जीक्यूटिव इंडिया के अंदर जो सरकार बनती है एग्जीक्यूटिव्स की सरकार बनती है गवर्नमेंट बनती है इस गवर्नमेंट का हेड होता है प्राइम मिनिस्टर हर एक काम प्राइम मिनिस्टर करेगा लेकिन प्राइम मिनिस्टर जो यह काम करेगा वह काम करेगा प्रेसिडेंट के नाम पर प्रेसिडेंट कुछ काम खुद से नहीं करता डायरेक्टली लेकिन जो भी काम हो रहा है एग्जीक्यूटिव का वो इसके नाम पर होगा ठीक है यह एक तरह से ऐसा है कि आपके घर में आपने एक दुकान खोली दुकान पर आपने नाम दे दिया दादाजी का लेकिन दुकान के अंदर बैठता कौन है बैठता है सुरेश बैठते हो आप दुकान का नाम है दादाजी का हर एक बिल जो फटेगा वो दादाजी के नाम पर फटेगा लेकिन काम कौन कर रहा है काम आप कर रहे हो तो इसी तरह से इंडिया का हेड कौन है इंडिया का हेड कौन है या फिर इंडिया पूरे देश का हेड कौन है वो प्रेसिडेंट है और गवर्नमेंट का हेड पीएम है मैं यहां पर इसलिए हिचक चाया क्योंकि एक टर्म आपको बतानी है बहुत जगहों पे मैं बोलूंगा स्टेट क्योंकि हमारा कांस्टिट्यूशन ऐसे ही बात करता है और बात होगी स्टेट की तो जब हम स्टेट की बात कर रहे हैं राज्यों की बात कर रहे हैं तो हम बात करेंगे उन एडमिनिस्ट्रेटिव यूनियन की एडमिनिस्ट्रेटिव यूनिट की जिसमें हमने अपने देश को बांटा हुआ है यानी कि दिल्ली यूपी कोलकाता तमिलनाडु ऐसे कर कर के और एक दूसरी स्टेट होती है स्टेट कहा जाता है पूरे के पूरे देश के एडमिनिस्ट्रेटिव स्ट्रक्चर को ठीक है एडमिनिस्ट्रेटिव स्ट्रक्चर को भी स्टेट कह दिया जाता है तो आप कंफ्यूज नहीं होंगे मैं आपको क्लियर करता रहूंगा धीरे-धीरे आपको क्लियर हो जाएगा स्पेशली आफ्टर फंडामेंटल राइट्स एक और फीचर हमारे कॉन्स्टिट्यूशन का बहुत इंपॉर्टेंट है इस पे भी आप क्वेश्चन की उम्मीद कर सकते हैं वो है पार्लियामेंट सॉवरेन एंड जुडिशल सुप्रीमेसी देखिए यूके के अंदर रिटन कांस्टिट्यूशन एजिस्ट नहीं करता है वहां पे कांस्टिट्यूशन लिखा हुआ नहीं है वहां पे जो रूल्स चलते हैं वहां पे रूल्स कस्टम से चलते हैं ट्रेडिशनल हैं कन्वेंशन से चलते हैं जो आज तक होता है उसी के हिसाब से चलते हैं वहां पर पार्लियामेंट के पास बहुत ज्यादा पावर है पार्लियामेंट सबसे ज्यादा शक्तिशाली है यूके के अंदर जो ऑर्गन सबसे ज्यादा शक्तिशाली है वह है पार्लियामेंट पार्लियामेंट कोई भी लॉ बना सकता है कोई भी लॉ के अंदर बदलाव कर सकता है ठीक है पार्लियामेंट वहां पर पूरी तरह से सोवन है पार्लियामेंट की ताकत के ऊपर कोई लिमिट नहीं लगा रखी ठीक है यूएस के अंदर ता सबसे ज्यादा ताकतवर कौन है यूएस यूएस के अंदर जुडिशियस सुप्रीमेसी है यानी कि यूएस के अंदर लेजिसलेच्योर सकती है चैलेंज दे सकती है तो यूएस के अंदर जो जुडिशरी है वो सुप्रीम है यूके के अंदर पार्लियामेंट जो है वो सॉवरेन है यूके के अंदर जुडिशियस रिव्यू का जो कांसेप्ट है वो ज्यादा स्ट्रांग नहीं है ज्यादा स्ट्रांग नहीं है वीक कांसेप्ट है जुडिशल रि रिव्यू का जुडिशियस रिव्यू का मतलब यही होता है कि लेजिस्लेटर ने जो लॉ बनाए या एग्जीक्यूटिव ने जो एक्शन लिया इन दोनों को चेक कर सके चेक कर सके इसको कहा जाता है जुडिशियस ठीक है रिव्यू करने के बाद जुडिशरी कहेगा कि यह जो ये जो तुमने एक्शन लिया है यह एक्शन सही नहीं है इस एक्शन को खत्म कर दो तो जुडिशरी वो कर सकती है अंडर जुडिशियस रिव्यू पर यूके के अंदर यह बहुत ही वीक है और यूएस के अंदर यह बहुत ही ज्यादा स्ट्रांग है इंडिया ने इन दोनों के बीच में बैलेंस मेंटेन किया है इंडिया ने इन दोनों के बीच में बैलेंस मेंटेन किया है इसका मतलब क्या है इंडिया के अंदर जुडिशरी जो है वह कानूनों को चेक कर सकती है ठीक है कानूनों को चेक कर सकती है लेकिन जुडिशरी के ऊपर थोड़ा बहुत जो कंट्रोल है वह लेजिस्लेटर का हल्का सा कंट्रोल दिया हुआ है क्योंकि जो जुडिशरी के जुडिशरी के जजेस चुन के जो आते हैं उसके अंदर पार्लियामेंट का थोड़ा सा इवॉल्वमेंट रहता है ठीक है दूसरा दूसरा चीज क्या है जो पार्लियामेंट्री सोवन इंडिया के अंदर पार्लियामेंट जो है वो कोई भी लॉ बना सकता है वह कांस्टिट्यूशन को अमेंड कर सकता है अमेंडमेंट की ताकत पार्लियामेंट को दी गई है लेकिन यह पूरी तरह से सुप्रीम नहीं है क्यों नहीं है सुप्रीम क्योंकि जुडिशरी जो है वो इनको रिव्यू कर सकती है अगर इन्होंने कुछ भी कांस्टिट्यूशन के विपरीत कांस्टीट्यूशन के अगेंस्ट किया होगा तो उसको नल एंड वॉइड कह सकती है तो इंडिया के अंदर पार्लियामेंट्री सोवन पूरी तरह से नहीं है पार्लियामेंट के ऊपर पार्लियामेंट के ऊपर कौन बैठा हुआ है कांस्टिट्यूशन बैठा हुआ है पार्लियामेंट के ऊपर कौन बैठा हुआ है पार्लियामेंट के ऊपर जु रिव्यू का कांसेप्ट बैठा हुआ है ठीक है यहां पर जो जुडिशियस सुप्रीमेसी है वह पूरी तरह सुप्रीम नहीं है यहां पर कुछ पावर जो है व पार्लियामेंट को दी हुई है ठीक है जुडिशरी को रिमूव करने का प्रोसेस जो है वह भी पार्लियामेंट में होता है उनको चुने जाने का जो है उसमें भी पार्लियामेंट इवॉल्वड है इंडिया की जो जुडिशरी है वह इंडिपेंडेंट है और इंटीग्रेटेड है इंटीग्रेटेड का मतलब क्या है ऐसा नहीं है कि इंडिया के लिए यह पूरा इंडिया का देश है देश के लिए एक अलग से देश के लिए एक अलग से कोर्ट बना हुआ है जिसका नाम है फेडरल कोर्ट ठीक है कुछ देशों में ऐसा होता है कि एक फेडरल कोर्ट बना होता है और फिर हर एक स्टेट का हर एक स्टेट का अपना एक कोर्ट बना हुआ है हर एक स्टेट का अपना एक कोर्ट बना है तो इसमें स्टेट के अंदर कोई भी स्टेट के अंदर कोई भी कानून टूटेगा तो वहां पे आपको उस स्टेट के कोर्ट में जाना होगा और अगर किसी देश का कानून टूटेगा पूरे देश का तो आपको फेडरल कोर्ट में जाना पड़ेगा ये जो फेडरल कोर्ट है ये इन स्टेट्स के बीच के डिस्प्यूट्स को भी सॉल्व करता है ठीक है इंडिया में ऐसा नहीं है इंडिया में दो अलग-अलग इंडिया में दो अलग-अलग कोर्ट नहीं है ठीक है पर आप कहोगे कि इंडिया में पर हम तो सुनते हैं हाई कोर्ट भी है और सुप्रीम कोर्ट भी है तो इंडिया के अंदर दो अलग-अलग जुडिशरी नहीं है इंडिया के अंदर एक सिंगल जुडिशरी है जो कि अलग-अलग लेवल पे काम कर रही है अलग-अलग लेवल पर काम कर रही है देखिए सबसे टॉप पर तो बैठा है सुप्रीम कोर्ट जो कि एक ही है जब भी आपकी कोई लड़ाई होगी आप सबसे पहले जाते हैं सबोर्डिनेट जुडिशरी के पास कि के पास जाते हैं आप जाते हैं सबोर्डिनेट जुडिशरी के पास ही जाना होता है चाहे आप किसी भी स्टेट में हो चाहे आप किसी भी सेंटर में हो अपने लॉ तोड़ा है अगर या फिर आपको कोई भी दिक्कत है आप पहले जाएंगे सबोर्डिनेट जुडिशरी के पास यहां पे अगर आपको लगता है कि आपका केस सही से नहीं सुना गया तो आप सबोर्डिनेट जुडिशरी के बाद आप जाएंगे हाई कोर्ट के पास फिर हाई कोर्ट में अगर आपको लगता है कि आपका केस सही से नहीं सुना या आप सेटिस्फाइड नहीं है तो आप जाएंगे सुप्रीम कोर्ट के पास ठीक है लेकिन बाकी देशों में अगर हम यूएस का भी एग्जांपल तो वहां पे अलग-अलग कोर्ट बने हैं यानी कि अगर आपने ऐसे लॉ तोड़े जो कि नेशनल नेशनल लेवल के लॉ थे तो आप सीधा फेडरल कोर्ट में जाएंगे आप सीधा फेडरल कोर्ट में चले जाएंगे अगर आपने किसी स्टेट के लॉ तोड़े हैं तो आप सीधा स्टेट के जो भी कोर्ट होंगे वहां चले जाएंगे तो वहां पे ये दो अलग तरह के अलग तरह के इंस्टिट्यूट हैं ठीक है अलग है ये बिल्कुल ही यहां पे अलग लेवल पर है यहां पे अलग लेवल पर है यानी कि आप चाहे कोई भी लॉ तोड़े पहले आप सबोर्डिनेट पे जाएंगे फिर हाई कोर्ट पे जाएंगे फिर सुप्रीम कोर्ट पे जाएंगे ठीक है कुछ-कुछ ऐसे होते हैं जिनके लिए आप डायरेक्टली यहां पे जा सकते हैं उनको अभी हम आगे देखेंगे जैसे फंडामेंटल राइट्स लेकिन ज्यादातर अगर आपको कोई भी ग्रीवांसेज है आपको जाना है एक इंटीग्रेटेड यह सारी की सारी जुड़ी हुई है आपस में आप नीचे से जाएंगे और ऊपर तक आप जा सकते हैं ठीक है तो इसीलिए कहा जाता है कि इंडिया की जो जुडिशरी है वो इंटीग्रेटेड है अलग-अलग नहीं है जुडिशरी जुड़ी हुई है जो हाई कोर्ट के जजेस होंगे उन्हीं से ही आप चुन के सुप्रीम कोर्ट के भी जज बना सकते हैं सबोर्डिनेट कोर्ट के जो जजेस होंगे उन्हीं से आप हाई कोर्ट के जज बना सकते हैं और भी बहुत सारी चीजें देखेंगे हम डिटेल में अभी के लिए आप याद रखें कि जुडिशरी इंडिया की इंटीग्रेटेड है और इसके ऊपर पिछले साल ही शायद सिविल सर्विसेस का या तो पिछले साल या पिछले से पिछले साल क्वेश्चन आया है कि इंडिया के अंदर फेडरल कोर्ट एजिस्ट करता है कुछ इस तरह का क्वेश्चन था ठीक है तो अब आप यह समझ गए होंगे कि जुडिशरी में फेडरल कोर्ट इंडिया के अंदर नहीं है इंडिया के अंदर कोई भी फेडरल डिस्प्यूट अगर होगा फेडरल डिस्प्यूट फेडरल डिस्प्यूट का क्या मतलब है फेडरल डिस्प्यूट का मतलब है दो स्टेट का आपस में झगड़ा हो जाना दो स्टेट आपस में झगड़ गए या फिर स्टेट जो है वो सेंटर से झगड़ गई तो उस केस में ये आपके फेडरल डिस्प्यूट कहलाए जाते हैं और इनको कौन सुनता है इनको भी सुप्रीम कोर्ट सुनता है इनके डिस्प्यूट के लिए कोई अलग से कोर्ट नहीं बना हुआ ये सुप्रीम कोर्ट सुने का इंडिया के अंदर फंडामेंटल राइट्स और फंडामेंटल ड्यूटीज हैं और डीपीएसपी हैं इनको अभी हम देखेंगे तो अभी डिटेल में नहीं जाते इंडिया में ब्लैंड ऑफ रिजिंग और फ्लेक्सिबल है इसको हम अमेंडमेंट के टाइम पर पढ़ेंगे अच्छे से इमरजेंसी प्रोविजंस है यूनिवर्सल अडल्ट फ्रेंचाइजर सिंगल सिटीजनशिप बहुत बार देख चुके हैं और इंडिया को हमने ढेर सारे सोर्सेस से ड्रॉ किया है अब इन सोर्सेस को देख लेते हैं इनसे भी कभी-कभी भूले भट के क्वेश्चन आ जाते हैं यूएस से यूएस से हमने प्रेसिडेंट के फीचर्स लिए हैं प्रेसिडेंट जो है वह एग्जीक्यूटिव हेड होगा और जो हमारी आर्म्ड फोर्सेस हैं आर्म्ड फोर्सेस किसके नाम पर काम करती हैं और किसको सलाम करती हैं आर्म्ड फोर्सेस प्रेसिडेंट प्रेसिडेंट उनको हेड करता है आर्म्ड फोर्सेस का जो सुप्रीम कमांडर है वोह प्रेसिडेंट होता है और एग्जीक्यूटिव हेड जो है वो भी प्रेसिडेंट होता है राज्यसभा राज्यसभा का जो चेयरमैन है वो वाइस प्रेसिडेंट होता है और यह हमने कहां से लिया यूएस से लिया यूएस के अंदर फंडामेंटल राइट्स बहुत स्ट्रांग है यूएस के अगर तुम यूएस में कभी जाओ और तुम्हें कोई पुलिस वाला तंग करे तो तुम सीधा उसको यह बोलोगे तू मेरा फंडामेंटल राइट्स को वायलेट कर रहा है पुलिस वाला चुपचाप घर चला जाता है तो यूएस के फंडामेंटल राइट्स बहुत स्ट्रंग है वो हमने यूएस से लिए प्रीमल हमने यूएस से लिया है प्रीमल के बारे में अभी पढ़ेंगे जुडिशरी मैंने क्या बताया था आपको कि यूएस के अंदर जुडिशरी सबसे ज्यादा सुप्रीम है तो जुडिशरी की इंडिपेंडेंस का जो कांसेप्ट है वह हमने यूएस से लिया है जुडिशरी में जो जजेस होते हैं सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के उनको रिमूव करने का प्रोसेस भी हमने यूएस से लिया है यूनाइटेड किंगडम से हमने क्या लिया है देखिए इंडिया के ऊपर ब्रिटेन का रूल था ब्रिटेन ने हमें पार्लियामेंट्री सिस्टम दिया ठीक है तो ब्रिटेन से हमने क्या-क्या लिया रूल ऑफ लॉ लिया है इसके बारे में पढ़ेंगे अभी हम फंडामेंटल राइट्स के अंदर रूल ऑफ लॉ लिया है हमने लॉ मेकिंग प्रोसेस कैसे होगा वो लिया है पार्लियामेंट्री सिस्टम लिया है हमने मिनिस्टीरियल रिस्पांसिबिलिटी को आप एक तरह से एक तरह से आप कलेक्टिव रिस्पांसिबिलिटी लें यानी कि जब तक मेजॉरिटी है तब तक वह पावर में है पावर मेजॉरिटी खत्म पावर खत्म सिंगल सिटीजनशिप का कांसेप्ट जो है वो भी हमने यूके से लिया कनाडा से हमने क्या लिया है कनाडा से हमने लिया है फेडरेशन विद स्ट्रांग सेंटर फेडरेशन देखिए यूके में तो फेडरेशन है ही नहीं यूके में फेडरेशन नहीं है ठीक है तो यूके से तो ले नहीं सकते यूएस में ट्रू फेडरेशन है पर इंडिया का ट्रू फेडरेशन नहीं है इंडिया का क्वासी फेडरेशन है तो वह हमने कहां से लिया वह हमने कनाडा से लिया है इंडिया के अंदर सेवंथ शेड्यूल के अंदर सेवंथ शेड्यूल के अंदर आपको तीन लिस्ट मिलती है यूनियन लिस्ट स्टेट लिस्ट और कंक्रेंस लिस्ट यह कांसेप्ट हमने कहां से लिया है यह हमने कनाडा से लिया है ठीक है लेकिन यह कनाडा से लिया है लेकिन इसके अंदर जो यूनियन और स्टेट लिस्ट है यह वाला फीचर तो हमने कनाडा से ले लिया कनकं हमने किसी और स्टेट से लिया जिसको अभी देखते हैं हम और क्या लिया है हमने कनाडा से कनाडा ने क्या किया हुआ है यूनियन लिस्ट बना रखी है और स्टेट लिस्ट बना रखी है इनके अलावा अगर कोई भी आइटम बच जाता है तो उसको क्या कहते हैं रेसिड आइटम कहते हैं तो कनाडा ने क्या किया है यूनियन लिस्ट बनाई है स्टेट लिस्ट बनाई है जो रेसिड आइटम है वह सेंटर को दे दिया है तो यह जो तीन चीजें हैं यह तीन चीज़ें हमने कनाडा से ली हैं लेकिन जो हमने यह कंकर लिस्ट का कांसेप्ट लिया है कंकट लिस्ट का कांसेप्ट हमने ऑस्ट्रेलिया से लिया है ठीक है कंक्रेंस लिस्ट यानी कि जिसके ऊपर यूनियन भी बना सकता है लॉ स्टेट भी बना सकती है लॉ अगर इन दोनों के बीच में झगड़ा हो गया तो किसका लॉ माना जाएगा यूनियन का लॉ माना जाएगा आयरलैंड से हमने डीपीएसपी लिए हैं प्रेसिडेंट को कैसे इलेक्ट करना है यह तरीका लिया है ठीक है प्रेसिडेंट एग्जीक्यूटिव हेड होगा और सुप्रीम कमांडर होगा वो हमने यूएस से लिया है लेकिन उसको इलेक्ट कैसे करेंगे वो आयरलैंड से लिया है राज्यसभा के अंदर कुछ लोग लोगों को हम नॉमिनेट करके भेजते हैं जिसको आगे देखेंगे वो भी आयरलैंड से लिया है ऑस्ट्रेलिया से एक तो हमने यह कंक्रेंस लिस्ट का कांसेप्ट लिया है दूसरा हमने लिया है ट्रेड कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का कांसेप्ट जर्मनी से हमने इमरजेंसी लिया याद करने के लिए आप याद रखेंगे हिटलर आया था जर्मनी के अंदर और जब वह जर्मनी में आया तो उसने पूरे दुनिया के अंदर इमरजेंसी कर दी तो हमने इमरजेंसी कांसेप्ट जर्मनी से लिया रिपब्लिक का कांसेप्ट हमने फ्रांस से लिया है अमेंडमेंट अफ्रीका से और जापान से हमने फंडामेंटल ड्यूटीज ली है यह याद रखने के लिए ऐसे याद रख सकते हैं कि जो जापनीज लोग होते हैं वो अपनी ड्यूटी को बहुत अच्छे से निभाते हैं बच्चे स्कूल भी जाते हैं तो उनसे जो भी गंदगी होती है बच्चे खुद सफाई करके आते हैं क्योंकि फंडामेंटल ड्यूटी है बहुत सारी जगहों के पे आपको यूएसएसआर भी दिखेगा तो इसलिए आप कंफ्यूज नहीं होंगे जापान यूएसएसआर दोनों को आप मान सकते हैं अगला हमें जो टॉपिक देखना है जब भी आप कोई बुक उठाते हैं तो आपने देखा होगा बुक से मेन कंटेंट के स्टार्ट से पहले एक पेज लगा होता है उस पेज पे ऑथर ने यह सब लिखा होता है कि मैंने यह बुक क्यों लिखी मेरा ऑब्जेक्टिव क्या है इस बुक के पीछे आपको इस बुक के अंदर क्या-क्या चीजें पढ़ने को मिलेंगी यह सारी चीजें लिखता है व एक तरह से अपनी बुक की आइडेंटिटी बता देता है यह बता देता है कि इस बुक के अंदर आपको यह सब देखने को मिलने वाला है उसी तरह से हमारे कांस्टिट्यूशन का भी जो पहला पेज है उसमें आपको प्रिंबल देखने को मिलेगा प्रिंबल को एनए पालकी वाला ने कहा है कि वह हमारे कांस्टीट्यूशन का आइडेंटिटी कार्ड है प्रिंबल के अंदर हमारे जो कॉन्स्टिट्यूशन मेकर थे यानी कि असेंबली के अंदर जो भी लोग कांस्टीट्यूशन को बना रहे थे उन्होंने क्या-क्या सोचा था वह क्या चाहते थे कि हमारा देश आजादी के बाद कैसा हो वह सारी चीजें आपको प्रिंबल में देखने को मिलती है तो कांस्टीट्यूएंट असेंबली के जो मेन ऑब्जेक्टिव्स थे वह आपको प्रिंबल में दिखेंगे यह प्रिंबल जो है यह प्रिंबल हमने पंडित नेहरू के ऑब्जेक्टिव रेजोल्यूशन के बेसिस पर बनाया है पंडित नेहरू ने दिसंबर 1946 के अंदर एक ऑब्जेक्टिव रेजोल्यूशन दिया था जिसके अंदर उन्होंने एक विजन बताया था कि हमारा जो देश है आने वाला देश वह कैसा होगा लोगों के लिए हम क्या-क्या काम करने का सोच रहे हैं और उन्हीं एब्जेक्ट रेजोल्यूशन के बेसिस पर हमने प्रिंबल बनाया था यह प्रिंबल एक तरह से उसकी तरह है जैसे आपके प्रीफेस वाले पेज वगैरह होते हैं उनकी तरह एक तरह का इंट्रोडक्शन है इंट्रोडक्शन है हमारे कांस्टिट्यूशन का अगर आप हमारा प्रिंबल पढ़ लेंगे तो आप यह समझ जाएंगे कि हमारा कांस्टिट्यूशन क्या-क्या चाहता है तो प्रिंबल की इंपॉर्टेंस क्या होती है तो तो शॉर्ट में देखेंगे इंपॉर्टेंस क्या है पहले तो प्रिंबल आपको ये बताएगा कि इस कांस्टिट्यूशन की सोर्स ऑफ अथॉरिटी क्या है यानी कि इस कॉन्स्टिट्यूशन के अंदर हम जो जो बातें कर रहे हैं वो सारी बातें करने की ताकत हमें कहां से मिल रही है ताकत हमें मिलती है वी द पीपल ऑफ इंडिया से वी द पीपल ऑफ इंडिया वी द पीपल ऑफ इंडिया यानी कि लोगों ने चुन के अपने रिप्रेजेंटेटिव्स को कांस्टिट्यूशन असेंबली में भेजा था और उस कांस्टीट्यूएंट असेंबली ने हमारे लिए कांस्टिट्यूशन बनाया है तो ये टशन बनाने की जो ताकत हमें मिली है यह हमें लोगों से मिली है वी द पीपल ऑफ इंडिया से मिली है तो यह हमारा सोर्स ऑफ अथॉरिटी हो जाएगा उसके बाद हमें यह बताता है कि जो हमारा देश बनेगा हमारा देश किस तरह का होगा तो इंडिया को एक रिपब्लिक बनाएंगे हम एक ऐसी रिपब्लिक बनाएंगे जो कि सोवन है जो कि सोशलिस्ट प्रिंसिपल्स को फॉलो करती है जो कि सेकुलर है और डेमोक्रेटिक है सोवन का मतलब यह होता है कि एक ऐसा देश जो अपने डिसीजन खुद ले सके ऊपर से इसके ऊपर कोई डिसीजन ना थोपे थोपे ब्रिटिश रूल के टाइम पे इंडिया के ऊपर जो डिसीजंस थे वो ब्रिटेन थोप होता था जितने भी लॉज बनते थे वो ब्रिटेन का पार्लियामेंट बनाता था और फिर उसको सेक्रेटरी ऑफ स्टेट्स के थ्रू सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के थ्रू इंडिया प भेज दिया जाता था इंडिया में वाइस रॉय उसको इंप्लीमेंट करता था तो सारे डिसीजन ब्रिटेन का पार्लियामेंट बना रहा था इंडिया क्या अपने डिसीजन खुद ले पाता था नहीं ले पाता था लेकिन आजादी के बाद हमने जो अपना कांस्टिट्यूशन बनाया है उसने इंडिया को एक रिपब्लिक बना दिया है एक ऐसी रिपब्लिक जो अपने डिसीजन खुद लेगी इंडिया एक सोशलिस्ट कंट्री बनेगी सोशलिस्ट का मतलब क्या है देखिए एक होता है कम्युनिज्म कम्युनिज्म के अंदर जो भी इकोनॉमिक एक्टिविटी है वह कौन करता है वह गवर्नमेंट करती है या फिर स्टेट स्टेट करती है स्टेट का इससे मतलब है देश करता है यानी देश को चलाने वाले जो भी लोग हैं वह सारे के सारे सारी के सारी इकोनॉमिक एक्टिविटी को करेंगे यानी कि लैंड हो लेबर हो कैपिटल हो या एंटरप्रेन्योरशिप हो इन सबके ऊपर किसका रूल होगा इन सबके ऊपर गवर्नमेंट का ही हक होगा गवर्नमेंट डिसाइड करेगी लैंड को कैसे यूज करना है लेबर को कैसे यूज करना है कैपिटल को कहां इन्वेस्ट करना है और किन-किन एक्टिविटी के अंदर करना है यह सारी चीजें कम्युनिज्म में यह देखता है यहां पे कम्युनिज्म के अंदर प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं होती सारी की सारी चीजें जो हैं वह पब्लिक प्रॉपर्टी होती है गवर्नमेंट की होती हैं लेकिन इंडिया का जो सोशलिज्म है वो कम्युनिज्म से मिलता जुलता जरूर है कम्युनिज्म की एक फॉर्म ही होता है सोशलिज्म लेकिन इंडिया का जो सोशलिज्म है वो डेमोक्रेटिक सोशलिज्म है डेमोक्रेटिक सोशलिज्म डेमोक्रेटिक सोशलिज्म के अंदर हमने एक मिक्स्ड इकोनॉमिक सिस्टम फॉलो किया है कैसा सिस्टम मिक्स्ड इकोनॉमिक सिस्टम यहां पे आपकी पब्लिक पब्लिक इंस्टीट्यूशंस भी होंगे जो कि इकोनॉमिक एक्टिविटी में पार्ट लेंगे साथ की साथ प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस भी होंगे जो कि इकोनॉमिक एक्टिविटी में पार्ट लेंगे ठीक है सेकुलरिज्म का मतलब ये है जैसे पाकिस्तान पाकिस्तान को एक इस्लामिक कंट्री बनाया है इसका मतलब यह है पाकिस्तान देश का अपना एक रिलीजन है पाकिस्तान कहता है कि हमारा रिलीजन है इस्लाम लेकिन इंडिया कहता है कि इंडिया का कोई भी अपना धर्म नहीं है इंडिया हर एक धर्म से इक्विडिस्टेंट है इक्विडिस्टेंट है यानी कि इंडिया के अंदर जो जो लो लोग रूल करेंगे जो जो लोग शासन करेंगे ठीक है वह सब के सब हर एक धर्म को हर एक धर्म को समान दृष्टि से देखेंगे और इक्वल ट्रीटमेंट हर एक रिलीजन को मिलेगी यानी कि हमारे देश का कोई भी रिलीजन नहीं है हमारा देश हर एक रिलीजन से बराबर की दूरी मेंटेन करेगा ऐसा नहीं है कि उसने किसी रिलीजन से इतनी दूरी मेंटेन कर रखी है कि वो उस रिलीजन को बिल्कुल भी घास नहीं डालता बिल्कुल भी उस रिलीजन को मान्यता नहीं देता और उसके लिए कोई भी ढंग का काम नहीं करता ठीक है और ऐसा भी नहीं करेगा कि वह किसी रिलीजन के बहुत पास है और उस रिलीजन के लिए सारे काम करता रहेगा हर एक रिलीजन से हमारा देश इक्विडिस्टेंट रहेगा सेकुलरिज्म की एक जो मेजर डेफिनेशन होती है जो कि हमारे वेस्टर्न कंट्रीज ने जैसे फ्रांस जैसी कंट्री इन्होंने सेकुलरिज्म की डेफिनेशन जो दी व यह थी कि जो हमारी स्टेट है यानी कि जो हमारी गवर्नमेंट होगी हमारे पार्लियामेंट होगा हमारी गवर्नमेंट होगी हमारी जुडिशरी होगी इन सबको मिला के स्टेट कह दिया जाता है ठीक है तो वहां पे क्या कहते हैं वहां पे कहते हैं स्टेट धर्म से बिल्कुल अलग रहेगी स्टेट रिलीजन से बिल्कुल अलग रहेगी वो रिलीजन को बिल्कुल रिकॉग्नाइज नहीं करेगी इंडिया में ऐसा नहीं है इंडिया कहती है कि हमारा हमारा जो सेकुलरिज्म है वो इस सेकुलरिज्म से अलग है हमारे देश का हमारी स्टेट का कोई धर्म नहीं होगा लेकिन हम हर धर्म को रिकॉग्नाइज करेंगे आपको जो धर्म अपनाना है आप वह धर्म अपनाओ हम हर एक धर्म को इक्वल ट्रीटमेंट देते रहेंगे कहीं-कहीं पे किसी किसी धर्म के अंदर हमें इंटरफेयर करना पड़ेगा स्टेट कहती है कि धर्म के अंदर कभी-कभी हमें इंटरफेयर करना पड़ेगा तो वो हम इंटरफेयर करेंगे और ये इंटरफेयर किस फॉर्म में होता है वो हम फंडामेंटल राइट्स के अंदर देखेंगे ठीक है तो अभी चिंता ना करें बस इंडिया एक सेकुलर कंट्री है जो कि हर एक धर्म से इक्विडिस्टेंट है इसीलिए इंडिया को कहा जाता है सर्वधर्म संभव सर्व धर्म संभव यानी कि हर एक धर्म जो है वह यहां पर पॉसिबल है आप हर एक धर्म को यहां पर फॉलो कर सकते हैं क्योंकि सर्व धर्म संभव है डेमोक्रेटिक का मतलब यह है कि यहां पर जो रूल होगा रूल होगा बाय द पीपल फॉर द पीपल ऑफ द पीपल लोग अपने रिप्रेजेंटेटिव्स को चुन के भेजेंगे ठीक है देखिए डेमोक्रेसी अगर हम बात बात करें डेमोक्रेसी की डेमोक्रेसी दो तरह से देख सकते हैं एक होती है डायरेक्ट डेमोक्रेसी डायरेक्ट डेमोक्रेसी में क्या होता है लोग खुद एक जगह पर इकट्ठे होते हैं और चीजों के ऊपर डिसीजन ले लेते हैं यह पॉसिबल होता है जब लोग बहुत ही कम हो लेकिन जहां पे 120 करोड़ लोग रहते हैं क्या वहां पे कहीं पे भी 120 करोड़ लोग इकट्ठे हो सकते हैं कोई भी फैसला लेने के लिए क्या उन 120 करोड़ में कोई सहमति बन सकती है आसानी से उनके बीच में सहमति नहीं बनेगी तो इंडिया की जो डेमोक्रेसी है वो डेमोक्रेसी है रिप्रेजेंटेटिव डेमोक्रेसी रिप्रेजेंटेटिव डेमोक्रेसी के अंदर क्या होता है यहां पर लोग खुद से सारे डिसीजन नहीं लेते एक इलेक्शन होता है देश को छोटी-छोटी कांस्टीट्यूएंसी के अंदर भागों के अंदर बांट दिया है ठीक है ऐसे-ऐसे भाग भागों में बांट दिया जिसको कंसीट कहते हैं हर एक कंसीट से कुछ कैंडिडेट खड़े होते हैं और कैंडिडेट कहते हैं कि इस कांस्टीट्यूएंसी के अंदर जितने भी लोग रहते हैं व सब के सब मुझे चुन के मुझे चुन के पार्लियामेंट भेज दो मुझे चुन के पार्लियामेंट भेज दो मैं तुम्हारी बात पार्लियामेंट में रख दूंगा इस कांस्टीट्यूएंसी के अंदर मान लो 1 करोड़ लोग रहते हैं तो वो क्या 1 करोड़ लोग तो एक जगह इकट्ठे होकर डिसीजन ले नहीं सकते तो क्या होता है इलेक्शन कराया जाता है और यह कहा जाता है कि 1 करोड़ लोगों तुम वोट दो वोट देके तुम एक आदमी को चुन के पार्लियामेंट में भेज दो यह जो एक आदमी है यह इन 1 करोड़ की आवाज जो है वह पार्लियामेंट के अंदर या लेजिसलेच्योर के लिए काम करेगा इसको कहते हैं रिप्रेजेंटेटिव डेमोक्रेसी तो इंडिया के अंदर डायरेक्ट डेमोक्रेसी नहीं है इनडायरेक्ट डेमोक्रेसी है रिप्रेजेंटेटिव डेमोक्रेसी है यहां पे लोगों की आवाज जो है वो उनके रिप्रेजेंटेटिव्स लेजिसलेच्योर का मतलब यह होता है कि इंडिया के अंदर कोई भी ऑफिस ऐसा नहीं होगा जो कि हेरेडिटरी हो यानी कि सिर्फ आप पैदा हो गए किसी परिवार में उसकी वजह से राजा बनते जा रहे हैं ऐसा नहीं होगा इंडिया का टॉप मोस्ट ऑफिस भी ऐसा है जिसके लिए कोई भी इलेक्शन लड़ सकता है टॉप मोस्ट ऑफिस यानी कि प्रेसिडेंट प्रेसिडेंट के लिए कोई भी इलेक्शन लड़ सकता है उसके रूल्स हैं लेकिन लड़ कोई भी सकता है इंडिया के जो हमारा प्रिंबल है वह कुछ ऑब्जेक्टिव्स बताता है कि हमारे ऑब्जेक्टिव क्या है ऑब्जेक्टिव इंडिया का यह है कि हर किसी को जस्टिस मिलेगा लिबर्टी मिलेगी इक्वलिटी मिलेगी फ्रेटरनिटी मिलेगी लिबर्टी जो जस्टिस जो है वह सोशल इकोनॉमिक और पॉलिटिकल तीनों लेवल का होगा र्टी होगी आपकी थॉट्स की एक्सप्रेशंस की बिलीफ की फेथ की और वरशिप की आप चाहे कुछ भी सोच सकते हैं एक्सप्रेस कर सकते हैं आप किसी भी चीज में बिलीफ रख सकते हैं और यह सारी की सारी आपको लिबर्टी यहां पे मिलेंगी इक्वलिटी हर एक आदमी को देखिए दो तरह की इनक्व एजिस्ट कर सकती है एक होती है इनकम के अंदर इनकम के अंदर इनक्व और दूसरी होती है अपॉर्चुनिटी के अंदर इनक्व तो हमारा प्रिंबल कहता है कि हर किसी को इक्वलिटी मिलेगी कि हर कोई बराबर की अपॉर्चुनिटी मिले बराबर का उसको रास्ता मिले कि वह अपनी लाइफ को सुधार सके तो इक्वल अपॉर्चुनिटी मिलेगी सबको और जो इनकम की इनक्व होती है इनकम की इनक्व को हम पूरी तरह से जीरो नहीं कर सकते क्योंकि कभी भी ऐसा नहीं होगा कि हर एक आदमी के पास बराबर रुपए तो थोड़ी बहुत इन इक्वलिटी रहेगी पर उसको रिड्यूस करना होगा एक इनक्व होती है स्टेटस की स्टेटस की तो स्टेटस जो है वो देश में सबका बराबर हो इसके लिए भी हमारा प्रिंबल काम करता है तो इक्वलिटी किसकी होगी ऑफ अपॉर्चुनिटी एंड ऑफ स्टेटस इनकम की इक्वलिटी को हम रिड्यूस करेंगे फ्रेटरनिटी का मतलब होता है भाईचारा ये एक इमोटिव कांसेप्ट है यह इमोशन से जुड़ा हुआ है इंडिया इतना बड़ा देश है इसके अंदर अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं सबके अपने अलग-अलग ऑब्जेक्टिव्स होते हैं इन ऑब्जेक्टिव्स के बीच में हो सकता है लड़ाई हो जाए जब तक उनके बीच में एक ब्रदरहुड की फीलिंग नहीं होगी तब तक उनके बीच की लड़ाइयां को खत्म नहीं किया जा सकता इसलिए फ्रेटरनिटी को हमने अपने प्र ल के अंदर डाला है जो कि ब्रदरहुड की बात करता है जो कि एक इमोशनल कांसेप्ट देता है हमें और हमारा प्रिंबल बताता है कि हमने अपने कॉन्स्टिट्यूशन को कब अडॉप्ट किया उसकी डेट वह हमें देता है तो यह जो सारी चीजें हैं यह सारी की सारी हमें प्रिंबल बताता है कि हमारा देश कैसा होगा हमारे ऑब्जेक्टिव क्या है कब हम उसको अडॉप्ट करते हैं अब प्रिंबल से जुड़े हुए कुछ सवाल उठे उन सवालों का जवाब कौन देगा उन सवालों का जवाब जुडिशरी ने हमें दिया है तो वह हमें केसेस देखने हैं ठीक है इनके ऊपर भी आप को क्वेश्चन मिल सकता है देखने को पहला हमें जो केस देखना है वो केस था कि प्रिंबल का स्टेटस क्या है क्या प्रिंबल कांस्टिट्यूशन का हिस्सा है या फिर कांस्टिट्यूशन का हिस्सा नहीं है यह डिबेट इसलिए स्टार्ट हुई क्योंकि पहले पूरा का पूरा कॉन्स्टिट्यूशन हमने लिख लिया था जो हमारे कॉन्स्टिट्यूशन मेकर्स से पूरा कांस्टिट्यूशन लिख लिया और लिखने के बाद फिर प्रिंबल लिखा गया था और यह प्रिंबल हमने कांस्टिट्यूशन के बाहर लगा दिया तो यह सवाल उठा कि क्या हमारे कांस्टिट्यूशन मेकर्स प्रीमल को कॉन्स्टिट्यूशन का हिस्सा मान मानते हैं यह सवाल क्यों जरूरी हुआ यह सवाल इसलिए जरूरी हुआ क्योंकि जो भी कांस्टिट्यूशन के अंदर लिखा है उसको कभी भी हमारी जो स्टेट है वह वायलेट नहीं कर सकती स्टेट से यहां पे मतलब है हमारे हमारा लेजिस्लेटर हमारा एग्जीक्यूटिव हमारी जुडिशरी हमारी स्टेट कभी भी कांस्टिट्यूशन को वायलेट नहीं कर सकती ठीक है अगर कांस्टिट्यूशन को अमेंड करना है तो इसका अपना एक प्रोसीजर होता है अमेंड करने का प्रोसीजर वो फॉलो होगा अगर प्रिंबल कांस्टिट्यूशन का हिस्सा है तो इसको भी वायलेट नहीं किया जा सकता इसको भी अमेंड करने के लिए अमेंडमेंट का एक जो प्रोसीजर है वह फॉलो करना पड़ेगा तो इसीलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि क्या प्रिंबल कांस्टिट्यूशन का हिस्सा है या नहीं क्या प्रिंबल देखिए कांस्टीट्यूशन क्या करता है कांस्टिट्यूशन लिमिट लगाता है कांस्टीट्यूशन लिमिट लगाता है एग्जीक्यूटिव की लेजिस्लेटर की और जुडिशरी की पावर के ऊपर यह लिमिट लगाता है क्या प्रिंबल भी इनकी पावर के ऊपर लिमिट लगाता है ठीक है यह सारी चीजें हमें जाननी बहुत जरूरी थी कि क्या प्रिंबल भी हमारे एग्जीक्यूटिव लेजिसलेच्योर को रोक सकता है या नहीं रोक सकता है तो इन्हीं सब सवालों का जवाब हमें कुछ केसेस के अंदर मिला तो जो पहला केस हम देखेंगे वह पहला केस है बेरुबरी केस बेरुबरी केस के अंदर जुडिशरी ने कहा कि जो प्रिंबल है यह हमारे मेकर्स के दिमाग में क्या चल रहा था उसकी कुंजी है उसकी की है उनके दिमाग में क्या चल रहा था वह सारी चीजें प्रिंबल बताता है लेकिन यह कांस्टिट्यूशन का पार्ट नहीं है उन्होंने बस ये कह दिया कि प्रिंबल की इंपॉर्टेंस क्या है कि वो कांस्टीट्यूशन मेकर्स के जो दिमाग में चल रहा था वो चीजें बताता है पर ये कांस्टीट्यूशन का हिस्सा नहीं है फिर होता है केशवानंद भारती केस केशवानंद भारती केस जो है 1973 के अंदर होता है इस केस के अंदर जुडिशरी अपने पुराने डिसीजन को रिवर्स कर देती है उल्टा कर देती है ओवर रूल कर देती है ओवर रूल कर देती है डिसीजन को और क्या कहती है कहती है कि जो प्रिंबल है वो कांस्टिट्यूशन का हिस्सा है जहां पे भी जहां पे भी आपको देखिए कांस्टिट्यूशन के अंदर कोई लाइन लिखी है उस लाइन को एक आदमी ने पढ़ा और उसने उसका कुछ मीनिंग निकाला बी ने पढ़ा और उसका कोई और मीनिंग निकाला ठीक है लाइन जो है बड़ी ही टफ लैंग्वेज में लिखी होती है लीगल लैंग्वेज जो है वो बहुत ही टफ होती है उसमें लिखी है तो मीनिंग अलग-अलग निकाल लिया तो ऐसे चीजों को कहा जाता है कि कुछ एमिगस से क्लियर नहीं हो रहा कि ये आर्टिकल क्या कहना चाह रहा है तो केशवानंद भारती केस में यह कहा कि यहां पे एंक्विट जरूर है लेकिन हमारा प्रिंबल बहुत क्लियर है हमारा प्रिंबल बहुत क्लियर लिखा हुआ है तो ऐसे आर्टिकल्स ऐसे क्लॉज ऐसे प्रोविजन जहां पे आपको एमिगस ूश के अंदर वहां पे आप प्रिंबल को पढ़े और प्रिंबल से देखें कि प्रिंबल के ऑब्जेक्टिव से मैच कौन सी बात कर रही है क्या प्रिंबल के ऑब्जेक्टिव से ए की बात मैच कर रही है या फिर बी की बात मैच कर रही है जो बात मैच कर रही होगी वो ये आर्टिकल या ये प्रोविजन कहना चाहता था तो प्रिंबल क्या है प्रिंबल बेरुबरी ने कहा कांस्टिट्यूशन मेकर्स के माइंड की कुंजी है की है लेकिन कांस्टीट्यूशन का हिस्सा नहीं है केशवानंद भारती केस ने कहा कि वो कांस्टिट्यूशन का हिस्सा है और जहां पर भी आपको एमिग्रे करने में दिक्कत मिले कांस्टिट्यूशन के अंदर वहां पर आप प्रिंबल से मैच करो कि कौन सी इंटरप्रिटेशन प्रिंबल से मैच करती है और वही इंटरप्रिटेशन जो है वही ऑब्जेक्टिव हम मान के चलेंगे तो इसका इंपॉर्टेंट रोल है इन इंटरप्रिटेशन ऑफ स्टैचूट एंड प्रोविजंस फिर एक और केस हुआ 1995 के अंदर लगभग 20 सालों के बाद एलआईसी का केस हुआ एलआईसी के केस में क्या आ गया उसने सही सेम बातें रिपीट करी उसने कहा कि जो प्रिंबल है वह कांस्टिट्यूशन का पार्ट है लेकिन यह एनफोर्सेबल नहीं है यानी कि अगर एग्जीक्यूटिव लेजिसलेच्योर प्रिंबल के प्रिंबल के किसी ऑब्जेक्टिव को वायलेट कर देता है ठीक है अभी सुनिए प्रिंबल के किसी ऑब्जेक्टिव को वायलेट कर देता है तो उनके ऊपर केस नहीं हो सकता आप जुडिशरी नहीं जा सकते आप जुडिशरी नहीं जा सकते अगर प्रिंबल की किसी बात का सिर्फ ऑब्जेक्टिव नहीं किसी भी बात का अगर वायलेशन होता है तो आप जुडिशरी के पास नहीं जा सकते और यह नहीं कह सकते कि इनको चपट लगाओ इनको बोलो भैया अपनी आदतें सुधार लो नहीं जा सकते आप कब जा सकते हैं जब प्रिंबल में कही हुई बात से जुड़ा हुआ कोई आर्टिकल आपको कांस्टिट्यूशन के अंदर मिल जाए तो आप जा सकते हो जुडिशरी के अंदर ठीक है यानी कि ऐसी कुछ बातें प्रिंबल के अंदर होंगी जिसके अभी आर्टिकल्स नहीं मिलेंगे आपको तो उन चीजों को आप एनफोर्स नहीं करा सकते पर अगर प्रिंबल से जुड़ा हुआ कोई आर्टिकल है तो आप उसकी इंफोर्समेंट के लिए जुडिशरी के पास जा सकते हैं तो इसको कहा जाता है एनफोर्सेबल तो जो प्रिंबल है वो एनफोर्सेबल नहीं है यह आपको याद रखना है यह एलआईसी केस के अंदर कहा गया फिर एक सवाल उठा कि जैसे हम कांस्टिट्यूशन को अमेंड करते हैं क्या प्रिंबल को भी अमेंड किया जा सकता है तो इसमें केशवानंद भारती केस ने एकदम क्लियर कह दिया कि पार्लियामेंट जो है कांस्टिट्यूशन में कुछ भी अमेंड कर सकती है इंक्लूडिंग प्रिंबल यानी कि प्रिंबल को अमेंड किया जा सकता है पर केशवानंद भारती ने कह दिया कि कुछ-कुछ चीजें हमारे कांस्टिट्यूशन में ऐसी है जो कि बेसिक स्ट्रक्चर का हिस्सा बनती हैं यह बेसिक स्ट्रक्चर जो है हमारे कांस्टिट्यूशन की फाउंडेशन है ये ये एक तरह से क्या देखिए आपने कोई भी बिल्डिंग बनाई बिल्डिंग बनाई तो बिल्डिंग में जो सबसे मजबूत चीज होती है वो होती है उसकी नीव अगर नीव कमजोर होगी तो पूरी बिल्डिंग गिर जाएगी ठीक है ये जो ऊपर है ऊपर तो सिर्फ एक स्ट्रक्चर है सबको दिखाई क्या देता है सबको ये स्ट्रक्चर दिखाई देता है लेकिन मेन चीज होती है उसकी नीव उसकी फाउंडेशन उसी तरह से हमारे कांस्टीट्यूशन की नीव है कुछ बेसिक स्ट्रक्चर जैसे कि सेकुलरिज्म तो ये जो बेसिक स्ट्रक्चर होता है जुडिशियस रिव्यू यानी कि जो जुडिशरी है वो चीजों को रिव्यू कर सकती है ये बेसिक स्ट्रक्चर का पार्ट है तो ऐसी जो चीजें हैं वो हमारे कांस्टिट्यूशन का हमारे कांस्टीट्यूशन का फाउंडेशन बनती है आप इन चीजों को नहीं बदल सकते आप इसके ढांचे को आप इसके ऊपर वाले स्ट्रक्चर को कितना भी चेंज कर लो उस परे रोक नहीं है पर अगर तुमने जो चेंज किया वो इस फाउंडेशन को चेंज करता है तो जुडिशरी क्या करेगी जुडिशरी उसको नल एंड वॉइड डिक्लेयर कर देगी नल एंड वॉइड डिक्लेयर करने का मतलब है कि जो भी चेंज तुमने किया था उसको खत्म कर देगी उसको नलीफ आई कर देगी ठीक है तो केशवानंद भारती ने कहा कि आप प्रिंबल को भी अमेंड करो लेकिन बेसिक स्ट्रक्चर को नहीं करोगे अमेंड तो क्या हमारा प्रिंबल कभी भी अमेंड हुआ है एक बार अमेंड हुआ है 42 अमेंडमेंट से जिससे तीन शब्द जोड़े गए थे सोशलिस्ट सेकुलर इंटीग्रिटी क्वेश्चन आ जाए कि क्या यह जो शब्द है यह शब्द प्रिंबल में ओरिजिनल कांस्टिट्यूशन में थे आप कहेंगे नहीं थे कब जोड़ा गया इनको 42 अमेंडमेंट 1976 में जोड़ा गया ठीक है पर अगर क्वेश्चन आ जाए कि हमारा कांस्टिट्यूशन सोशलिज्म की बात बिल्कुल भी नहीं करता था 1976 से पहले अगर क्वेश्चन आ जाए कि 42 अमेंडमेंट से पहले हमारा कांस्टिट्यूशन सोशलिज्म की बात नहीं करता था तो आप उसको गलत कर देंगे क्योंकि हमारा जो कांस्टिट्यूशन है भले ही प्रबल में सोशलिस्ट मेंशन नहीं था लेकिन हमारे कांस्टिट्यूशन के अंदर कुछ आर्टिकल्स ऐसे हैं जो कि सोशलिज्म की बात करते हैं तो इसीलिए हमारा जो कांस्टिट्यूशन है उसमें सोशलिज्म की बात शुरू से है लेकिन प्रिंबल में ये जो ऑब्जेक्टिव्स ऐड किए गए हैं ये 42 अमेंडमेंट से ऐड किया और 42 अमेंडमेंट किस कमेटी की रिकमेंडेशन के बेसिस पे हुई थी ये हुई थी सरदार स्वरण सिंह कमेटी की रिकमेंडेशन के बेसिस पे सरदार स्वरण सिंह कमेटी की रिकमेंडेशन के बेसिस पे यह सब ऐड हुआ था फिर मैंने कहा था कि हमारा जो देश है वह एक रिपब्लिक बनेगा जो कि सोवन है जो किसी और के ऊपर डिपेंडेंट नहीं है फ्री टू टेक इट्स ओन डिसीजंस सोशलिस्ट है डेमोक्रेटिक सोशलिज्म है इंडिया के अंदर कम्युनिस्टिक नहीं है सेकुलर है जहां पे सर्व धर्म संभव है डेमोक्रेटिक है डेमोक्रेटिक कैसा रिप्रेजेंटेटिव पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी प्रेसिडेंशियल नहीं है प्रेसिडेंशियल का मैं आपको ऑलरेडी समझा चुका हूं प्रेसिडेंशियल इंडिया में नहीं है रिपब्लिक का मतलब कोई भी हेरेडिटरी रूलर इसके अंदर आपको नहीं देखने को मिलता फिर यह कुछ ऑब्जेक्टिव जो हमने देखे थे जस्टिस जस्टिस का मतलब है न्याय दिलाना सबको न्याय मिलेगा सोशल न्याय क्या होता है सामाजिक न्याय क्या होता है सामाजिक न्याय यह होता है कि आप लोगों के बीच में डिस्क्रिमिनेशन नहीं करेंगे कोई कैसा दिखता है किस कलर का है किस रेस से आता है किस रिलीजन का है किस जाति का है इस बेसिस पर डिस्क्रिमिनेशन नहीं होगी हर किसी को इक्वल ट्रीटमेंट दी जाएगी यह होता है सामाजिक न्याय सोशल जस्टिस इकोनॉमिक जस्टिस क्या कहता है इकोनॉमिक जस्टिस यह कहता है कि ऐसा नहीं होगा कि एक आदमी तो ऐसा जिसके पास करोड़ों रुपए हैं और बाकी लोग भूखे मर रहे हैं यह जो इतनी बड़ी-बड़ी इनक्व है इनको खत्म करने की कोशिश की जाएगी पॉलिटिकल जस्टिस का मतलब यह होता है कि चाहे आप किसी भी धर्म के हो किसी भी जाति के किसी भी कलर के हो किसी भी जेंडर के हो आपको पॉलिटिकल राइट इक्वल मिलेगा यानी कि हर एक आदमी को वन पर्सन वन वोट का प्रिंसिपल फॉलो किया जाएगा वन पर्सन वन वोट यानी कि हर एक आदमी जो कि वोट देने की एज के लिए एज का है और एलिजिबल है उस आदमी को एक वोट मिलेगा और उस वोट की वैल्यू भी एक ही होगी ऐसा नहीं है कि बोल दिया कि अमीर अगर वोट देगा तो हम उसको दो काउंट करेंगे और गरीब वोट देगा तो उसको एक काउंट करेंगे यह नहीं होगा हर किसी के वोट की इक्वल वैल्यू है इसको कहा जाता है इक्वल पॉलिटिकल राइट हर किसी को पॉलिटिकल वॉइस मिलेगी पॉलिटिकल वॉइस मिलेगी ताकि वह अपनी आवाज उठा सके पार्लिया के अंदर इसी की वजह से रिजर्वेशन देने की जरूरत है क्योंकि अगर रिजर्वेशन नहीं थी कोई भी एससी और एसटी को चुन के खुद से नहीं भेजेगा वो पॉपुलेशन में बहुत कम है 13 पर 7 पर के आसपास उनकी पॉपुलेशन रहती है तो वह खुद तो चुन के जा नहीं पाएंगे पार्लियामेंट अगर रिजर्वेशन नहीं होगा तो रिजर्वेशन देने की वजह से क्या होगा इनके भी कुछ प्रतिनिधि इनके भी कुछ रिप्रेजेंटेटिव आपके लेजिसलेच्योर है लिबर्टी का मतलब क्या है देखिए लिबर्टी के ऊपर इन सबके ऊपर कहीं से भी क्वेश्चन आ सकता है इंपॉर्टेंट चीजें हैं तो ध्यान से सुनिए लिबर्टी का मतलब होता है अगर आप लक्ष्मीकांत उठाएंगे पहली लाइन लिखी है एब्सेंट ऑफ रिस्ट्रेंट बच्चे इतना पढ़ के चले जाते हैं और पेपर में मार्क कर देते हैं और उनका आंसर हो जाता है गलत लिबर्टी का मतलब है एब्सेंट ऑफ रिस्ट्रेंट लेकिन यानी कि आप कुछ भी कर सकते हैं आपके ऊपर कोई भी पाबंदी नहीं लगाई गई लिबर्टी का यह मतलब होता है लेकिन क्या हुआ लेकिन यह एक आदमी है इसके ऊपर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई यह कहता है कि भाई मैं तो अपनी बातें मैं सिर्फ अपनी फीलिंग्लेस करता हूं यह गया इसने इसके थप्पड़ मार दिया तो क्या यह जस्टिफाइड है अगर आप सिर्फ इसको नहीं पढ़ते अगर आप सिर्फ यह चीज पढ़ते हैं तो आप कहोगे हां लिबर्टी का मतलब है कि कोई भी पाबंदी नहीं है लेकिन लिबर्टी जो है उसका मतलब यह नहीं होता कि कोई भी पाबंदी नहीं है इसका मतलब होता है कि आपकी पाबंदी आपके ऊपर तब लगेगी जब दूसरे की लिबर्टी जहां से स्टार्ट होगी यानी कि तेरे को पूरी छूट है तू चाहे जो मर्जी कर पर अगर तेरी जो एक्शन है वह किसी और को अफेक्ट करने लग गए तो वहां पर तेरे ऊपर रिस्ट्रिक्शंस लगेंगी हर एक पाबंदी के ऊपर इंडिया के अंदर आप देखेंगे कुछ कुछ को छोड़ के जो हम फंडामेंटल राइट्स के अंदर देखेंगे कुछ को छोड़ के जितने भी आपको राइट्स मिलेंगे जितने भी आपके अधिकार होंगे उन अधिकारों के ऊपर कुछ ना कुछ रिस्ट्रिक्शन लगी होगी जिनको कहा जाएगा रीजनेबल रिस्ट्रिक्शन रीजनेबल रिस्ट्रिक्शंस आपके ऊपर लगी जाती हैं तो आपकी जो टी है वो क्वालिफाइड है यानी कि एक कंडीशन के साथ है कंडीशन क्या है कि आपकी लिबर्टी वहां तक है जहां तक आप दूसरे की लिबर्टी खराब ना करें उसकी लिबर्टी है कि वह रोड पे मजे से चल सके और उसको कोई थप्पड़ ना मारे तो आपकी थप्पड़ मारने की लिबर्टी वहीं तक सीमित है जहां तक आप इसको थप्पड़ ना मारे ठीक है समझ रहे हैं मतलब आप कुछ भी करें लेकिन आप दूसरे को हमम नहीं पहुंचा सकते और इसके ऊपर और भी रिस्ट्रिक्शंस लगेंगी जिसको हम आगे चल के देखेंगे जैसे कि आप कह रहे हैं कि भाई मेरी जितनी मर्जी लिबर्टी है मैं जाऊं और पाकिस्तान को अपने देश के सीक्रेट बता दूं क्या यह जस्टिफाइड है यह जस्टिफाइड नहीं है यह आपके ऊपर रिस्ट्रिक्शन लगी है आप आप कहते हैं कि भाई मैं तो कुछ भी बोल सकता हूं मेरे पास लिबर्टी है कुछ भी एक्सप्रेस करने की और आप लोगों को भड़का रहे हैं कि उठो तलवार उठाओ और सबको काट दो ये लिबर्टी आपके ऊपर नहीं है आपके ऊपर रीजनेबल रिस्ट्रिक्शंस लग सकती हैं लिबर्टी क्वालिफाइड होती है इसके ऊपर क्वेश्चन आता है तो आपको क्वेश्चन के अंदर एक बैलेंस्ड ऑप्शन को ढूंढना होगा बैलेंस्ड ऑप्शन क्या कहेगा बैलेंस्ड ऑप्शन आपको लिबर्टी भी दे रहा होगा साथ के साथ यह भी बोल रहा होगा कि कुछ रीजनेबल रीजनेबल रिस्ट्रिक्शन लगाई जा सकती हैं ठीक है लिबर्टी क्यों दिया लिबर्टी इसलिए दिया जब लोगों के पास आजादी होगी तभी तो वो खुद को डेवलप कर पाएंगे वरना तो उनकी पर्सनालिटी ही कुछ नहीं बचेगी अभी जैसे नॉर्थ कोरिया में क्या होता है नॉर्थ कोरिया में कुछ हेयर स्टाइल हैं और हर आदमी को उन्हीं हेयर स्टाइल में से कोई ना कोई हेयर स्टाइल करवाना होता है वरना उसको जेल हो जाती है तो जब आपको हेयर स्टाइल कराने की आजादी नहीं है तो क्या आपकी पर्सनैलिटी बनेगी नहीं हर कोई आदमी एक जैसा दिखेगा इंडिया के अंदर किसी के लंबे बाल हैं तो किसी के छोटे हैं तो यहां पे पूरी की पूरी आजादी लिबर्टी देती है इक्वलिटी क्या कहती है इक्वलिटी कहती है कि किसी को भी स्पेशल प्रिविलेज नहीं दिया जाएगा हर किसी को समान ट्रीटमेंट मिलेगी ठीक है स्पेशल प्रिविलेज नहीं होगा हर किसी को अपॉर्चुनिटी मिलेगी कि वह अपने आप को ग्रो कर सके अपने आप को डेवलप कर सके तो लिबर्टी इक्वलिटी और फ्रेटरनिटी यह तीनों के तीनों ऑब्जेक्टिव हमने फ्रेंच रेवोल्यूशन से लिए हैं कहां से फ्रेंच रिवोल्यूशन और हमने जस्टिस जस्टिस का कांसेप्ट हमने कहां से लिया यह हमने रशियन रेवोल्यूशन से लिया है ठीक है जो नोट्स हम अपनी इस वीडियो के अंदर यूज करेंगे वह हैंड रिटन नोट्स हैं एम लक्ष्मीकांत से अगर आप हमारे वह नोट्स लेना चाहते हैं तो उसका लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा वीडियो अगर आपको पसंद आ रही है तो लाइक करना ना भूले दोस्तों के साथ शेयर करें और चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें अगला टॉपिक हमारा यूनियन एंड इट्स टेरिटरीज है इस बार के लिए ये इसलिए इंपोर्टेंट हो गया क्योंकि कुछ चेंजेज हुए हैं ठीक है वो अभी हम देखते चलेंगे क्या-क्या चेंजेज हुए हैं देखिए जब भी कोई देश बनता है तो आपको सबसे पहले तो यही जानना होगा कि उस देश की टेरिटरी कौन सी है कौन-कौन सी उसकी जमीन पड़ती है ठीक है उस जमीन में फिर कौन-कौन से लोग होते हैं यह देखना होगा कि कौन-कौन से सिटीजंस वहां पर रहते हैं सिटीजन अगर किसी देश में रह रहे होंगे तो उन नागरिकों को कुछ ना कुछ अधिकार मिले होते हैं कुछ राइट्स मिले होते हैं हमारा कांस्टिट्यूशन फंडामेंटल राइट्स और डीपीएसपी प्रोवाइड करता है हमारे सिटीजंस को जब उन्हें फंडा ल राइट्स और डीपीएसपी नाम के कुछ अधिकार मिले हुए हैं तो उनकी कुछ ड्यूटी भी बनती है तो उसके बाद हम देखेंगे फंडामेंटल ड्यूटीज को अब देखिए कोई भी देश बन रहा है वहां पर टेरिटरी है सिटीजन है उनके फंडामेंटल राइट्स और फंडामेंटल ड्यूटीज हमने देख लिए इन सब चीजों को इंप्लीमेंट कौन करेगा इन सब चीजों के लिए काम कौन करेगा तो जब यह चीजें हम खत्म कर लेंगे इसके बाद हम देखेंगे जो हमारे इंस्टीट्यूशंस हैं इंस्टीट्यूशंस जैसे कि एग्जीक्यूटिव को देखेंगे हम लेजिस्लेटर को देखेंगे और जुडिशरी को को देखेंगे ठीक है तो इस तरह से हमारा ये कांस्टिट्यूशन लिखा गया है बहुत ही लॉजिकली लिखा गया है तो अगर इसके पीछे का लॉजिक आप समझते चलेंगे तो चीजें पेपर में आप कंफ्यूज नहीं होंगे ठीक है एक चीज आपको याद रखनी है व यह कि आपको मिनिमम मिनिमम 51 आर्टिकल तक सारे के सारे आर्टिकल याद होने चाहिए 51 आर्टिकल तक वह सारे के सारे मैं आपको यहां पे याद करा दूंगा इसके बाद भी आपके जो बाकी के भी आर्टिकल बच जाते हैं तो बीच-बीच में कुछ आर्टिकल्स ऐसे होंगे जो आप याद रखेंगे क्योंकि वो डायरेक्टली पूछे जा सकते हैं ठीक है मेरी कोशिश ये होगी कि आपको ज्यादा से ज्यादा आर्टिकल्स मैं वीडियो के थ्रू ही याद करा दूं ठीक है दो-तीन बार रिपीट करेंगे अपने आप याद हो जाते हैं तो देखिए मैंने कहा कि सबसे पहले हम टेरिटरी की बात करेंगे ठीक है तो टेरिटरी के लिए हम चार आर्टिकल्स देके चलते हैं चार आर्टिकलोस से जुड़ी हुई चीजें करेंगे तो आर्टिकल एक से लेकर चार तक हम बात करते हैं कि इंडिया कैसा यूनियन है और उसकी टेरिटरी क्या-क्या होती है पहला आर्टिकल कहता है कि इंडिया का नाम क्या होगा इंडिया का नाम होगा एक तो इंडिया और दूसरा होगा भारत ठीक है इंडिया और भारत इंडिया के दो नाम है यह कैसा होगा देश यह एक यूनियन ऑफ स्टेट्स होगा ठीक है यूनियन ऑफ स्टेट्स लेकिन अगर कोई कह दे इंडिया एक फेडरेशन है तो वो बिल्कुल फेडरेशन है पर अगर सवाल में आ जाए कि कांस्टिट्यूशन में आर्टिकल वन यूनियन ऑफ स्टेट्स की बात करता है तो आप कहेंगे बिल्कुल वो यूनियन ऑफ स्टेट्स की बात करता है लेकिन क्योंकि उसके सारे फेडरल फीचर्स एजिस्ट करते हैं इंडिया में तो इंडिया एक फेडरेशन है ठीक है लेकिन उसको नाम दिया गया है यूनियन ऑफ स्टेट्स का तो आर्टिकल वन कहता है कि इंडिया एक यूनियन ऑफ स्टेट्स होगी जिसके नाम होंगे इंडिया और भारत जो इस यूनियन ऑफ स्टेट्स की हम बात कर रहे हैं तो यह जो स्टेट्स हैं इन स्टेट्स के नाम और इन स्टेट्स की टेरिटरी यानी कि यूपी की टेरिटरी कितनी होगी एमपी की टेरिटरी कितनी होगी बिहार की कितनी होगी यह सारी चीजें इनके नाम और इनकी टेरिटरी हमें फर्स्ट शेड्यूल में देखने को मिलती है आर्टिकल टू क्या कहता है आर्टिकल टू कहता है कि मान लीजिए यह हमारा इंडिया है कोई नया कोई नई टेरिटरी थी यह टेरिटरी थी जो इंडिया का हिस्सा नहीं थी ये एक अलग से कोई टेरिटरी थी लेकिन कुछ समय के बाद इसने कहा कि मुझे इंडिया का हिस्सा बनना है और ये इंडिया का हिस्सा बन गई यह इंडिया का हिस्सा बन गई टेरिटरी तो यहां पे इस टेरिटरी को क्या किया जाएगा इस टेरिटरी को हम अपनी यूनियन के अंदर शामिल कर लेंगे इसको हम एक स्टेट बनाने की कोशिश करेंगे यह भी तो स्टेट बनेगी यूनियन ऑफ स्टेट्स में तो यह करेगा कौन यह पार्लियामेंट करेगा पार्लियामेंट लॉ बनाया करेगा पार्लियामेंट के अंदर बैठ के लॉ बनाएंगे और फिर इस टेरिटरी को अपने देश के अंदर इनकॉरपोरेट कर लेंगे ठीक है एडमिट इन टू द यूनियन और एस्टेब्लिश न्यू स्टेट आर्टिकल टू कहता है आर्टिकल टू कहता है कि ये उन टेरिटरी के लिए जो पहले इंडिया का हिस्सा नहीं थी और अब बनना चाह रही है तो उसको कौन एडमिट करेगा पार्लियामेंट करेगा उसको स्टेट कौन बनाएगा पार्लियामेंट बनाएगा ये पहले से इंडिया का हिस्सा नहीं थी आर्टिकल थ्री बात करता है उन स्टेट्स की जो कि पहले से इंडिया का हिस्सा है ये इंडिया की टेरिटरी है इसके अंदर ये ढेर सारी स्टेट्स लाई करती हैं ये सारी की सारी इंडिया का हिस्सा ऑलरेडी हैं लेकिन अब इन स्टेट्स के अंदर कुछ चेंज लाना है क्या चेंज लाना है हो सकता है इनका नाम चेंज करना हो हो सकता है इसकी टेरिटरी चेंज करनी हो हो सकता है इसकी बाउंड्री को चेंज करना हो ठीक है तो यह जो सारे के सारे चेंजेज हैं यह सारे के सारे चेंजेज कौन करेगा यह सारे के सारे चेंजेज ही पार्लियामेंट करेगी एक कानून बना के और किस मेजॉरिटी से बनेंगे यह कानून यह कानून बनेंगे सिंपल मेजॉरिटी से मेजॉरिटी रिक्वायर्ड इज सिंपल ठीक है तो पार्लियामेंट सिंपल मेजॉरिटी से स्टेट्स के के नाम स्टेट्स के नाम बाउंड्री और एरिया इनको चेंज कर सकती है और ऐसा भी कर सकती है मान लीजिए यह इंडिया है इसके अंदर यह एक स्टेट रहती थी जिसका नाम था यूपी इस पूरी स्टेट का नाम था यूपी इंडिया ने क्या कहा कि हमें इसको दो हिस्सों में डिवाइड करना है और हम एक नई स्टेट बना रहे हैं नई स्टेट बना रहे हैं और नई स्टेट का नाम दे दिया उत्तराखंड तो यूपी और उत्तराखंड यहां से अलग हो जाते हैं ठीक है तो नई स्टेट भी बनाई जा सकती है किसी और स्टेट को तोड़ के ठीक है किसी और स्टेट को तोड़ के दो स्टेट को जॉइन करके भी हम कह सकते हैं कि आज से ये दोनों की दोनों आंध्र प्रदेश कहलाया जाएंगी ठीक है तो जॉइन भी किया जा सकता है तो ये सारे के सारे काम पार्लियामेंट करेगा एक कानून बना के क्या इसमें स्टेट का कोई रोल नहीं है देखिए स्टेट का इसमें बहुत नाममात्र रोल है इसके अंदर एक कंडीशन जो एक पूरा प्रोसेस है वो कैसे है सबसे पहले प्रेसिडेंट जो है देखिए कोई भी काम पार्लियामेंट के अगर अंदर होना होता है तो कोई भी एक्ट बनना होता है तो एक बिल को इंट्रोड्यूस किया जाता है बिल को इंट्रोड्यूस किया जाता है पार्लियामेंट के किसी हाउस के अंदर कुछ-कुछ बिल ऐसे होते हैं जिनको इंट्रोड्यूस करने से पहले प्रेसिडेंट की रिकमेंडेशन चाहिए होती है यानी कि प्रेसिडेंट से बोलते हैं प्रेसिडेंट भाई साहब आप बताओ यह बिल इंट्रोड्यूस करना है या नहीं करना है ठीक है तो कुछ-कुछ बिल में ऐसा होता है बाकी जो बिल है वो अपने आप ही इंट्रोड्यूस कर दिए जाते हैं बिना प्रेसिडेंट की रिकमेंडेशन के ये जो बिल है ये जो हमने आर्टिकल तीन के बात की इसके लिए क्या होगा इसके लिए पहले प्रेसिडेंट रिकमेंड करेगा कि एक बिल इंट्रोड्यूस किया जाए ठीक है प्रेसिडेंट की रिकमेंडेशन इसमें जरूरी चाहिए लेकिन प्रेसिडेंट कब रिकमेंड करेगा प्रेसिडेंट पहले बिल को भेजता है उस स्टेट के पास जो कि स्टेट अफेक्ट हो रही है यानी कि जिस स्टेट का नाम एरिया बाउंड्री चेंज हो रहा है उस स्टेट के पास वह बिल भेजेगा और पूछेगा कि तुम अपनी ओपिनियन मुझे बताओ और प्रेसिडेंट कह देगा कि मैं तुम्हें फलाना फलाना एक्स डेज दे रहा हूं इतने दिनों के अंदर तुम अपनी ओपिनियन दो इस डेज को वो बाद में इंक्रीज भी कर सकता है कि चलो दो दिन और ले लो तीन दिन और ले लो तो यह इतना इंपॉर्टेंट नहीं है प्रेसिडेंट स्टेट के पास भेजेगा कि ऐसे-ऐसे बिल इंट्रोड्यूस होने वाला है जिसके अंदर हम आपका नाम एरिया बाउंड्री या कोई भी चीज चेंज करने वाले हैं तो तुम अपनी ओपिनियन बता दो प्रेसिडेंट पहले स्टेट के पास भेजता है स्टेट अपनी ओपिनियन प्रेसिडेंट को भेज देती है स्टेट अपनी ओपिनियन प्रेसिडेंट को भेज देती है उसके बाद प्रेसिडेंट रिकमेंड करता है कि यह बिल तुम पार्लियामेंट के अंदर इंट्रोड्यूस करो प्रेसिडेंट रिकमेंड करता है कि बिल को पार्लियामेंट के अंदर इंट्रोड्यूस करो फिर वो बिल पार्लियामेंट के अंदर इंट्रोड्यूस होता है पार्लियामेंट के पहले हाउस में वह पास होगा सिंपल मेजॉरिटी से फिर वोह दूसरे हाउस के पास जाता है दूसरे हाउस में पास होता है सिंपल मेजॉरिटी से फिर वो प्रेसिडेंट के पास जाता है और प्रेसिडेंट उसके ऊपर जब साइन कर देगा तो वो बिल एक्ट बन जाएगा यह प्रोसेस जो होता है मैं दो-तीन बार रिपीट करूंगा क्योंकि ये प्रोसेस की डिटेल हम पार्लियामेंट के अंदर ज्यादा देखेंगे ठीक है तो ये इसके अंदर आपको क्या याद रखना है कि आर्टिकल तीन के अंदर जो भी बिल आ रहा है वो बिल इंट्रोड्यूस करने से पहले प्रेसिडेंट की रिकमेंडेशन जरूरी है और प्रेसिडेंट रिकमेंडेशन देने से पहले क्या करेगा वो स्टेट से उसकी राय उसकी ओपिनियन मांगेगा कि तू अपनी ओपिनियन दे कि क्या ओपिनियन है इस काम के बारे में जब उसके पास ओपिनियन आ जाएगी वो उसके बाद उसको रिकमेंड करेगा यह जो ओपिनियन स्टेट ने दी है क्या यह ओपिनियन प्रेसिडेंट को माननी ही होती है नहीं यह ओपिनियन नॉट बाइंडिंग है यह ओपिनियन प्रेसिडेंट माने या ना माने उसकी मर्जी ठीक है हो सकता है स्टेट कह दे कि भाई साहब मत तोड़ो मुझे लेकिन प्रेसिडेंट क नहीं भाई बिल तो इंट्रोड्यूस होगा अब पार्लियामेंट डिसाइड करेगी क्या होना है तो यह जो स्टेट की ओपिनियन है यह बाइंडिंग नहीं होती ये ये चीजें याद रखनी कि इस बिल की रिकमेंडेशन से पहले प्रेसिडेंट ओ सॉरी इस बिल की इंट्रोडक्शन से पहले प्रेसिडेंट की रिकमेंडेशन चाहिए होती है और प्रेसिडेंट रिकमेंड करने से पहले स्टेट की ओपिनियन लेता है यह जो ओपिनियन है यह बाइंडिंग नहीं है आर्टिकल चार क्या कहता है आर्टिकल चार कहता है कि आपने अभी-अभी आर्टिकल दो और तीन देखें इन दो और तीन के अंदर जो भी काम कर रहा है वह पार्लियामेंट कर रही है लॉ बना के कर रही है पार्लियामेंट जो भी काम कर रही है वह एक लॉ बना के कानून बनाक कर रही है पार्लियामेंट इन दोनों आर्टिकल के लिए जो भी कानून बनाएगी जो भी कानून बनाएगी उस कानून के अंदर कुछ प्रोविजन और रखने हैं कौन से प्रोविजन और रखने हैं उस कानून के अंदर तुम प्रोविजन रखोगे कि जो शेड्यूल एक है और शेड्यूल चार है यह दोनों के दोनों के अंदर जो भी चेंज करना हो वह ऑटोमेटिक हो जाए ठीक है अब इसको एक बारी और समझिए हमारा शेड्यूल वन क्या कहता है हमारा शेड्यूल वन कहता है कि स्टेट के नाम और उसकी टेरिटरी नेम और टेरिटरी हमारे शेड्यूल वन में लिखी है शेड्यूल फोर क्या कहता है शेड्यूल फोर के अंदर राज्यसभा के अंदर किस स्टेट की कितनी सीट है जैसे यूपी की मान लीजिए 70 सीट है सिक्किम की एक सीट है ये कहां लिखा है ये शेड्यूल फोर में लिखा है किस स्टेट की कितनी सीटें होंगी ये शेड्यूल फोर में लिखा है मान लीजिए आर्टिकल तीन बना आर्टिकल आर्टिकल तीन के अंदर एक लॉ बना उस लॉ से एक नई स्टेट बन गई एक स्टेट को तोड़ के दो स्टेट बन गई ये यूपी रह गया ये उत्तराखंड रह गया तो अब हमें क्या करना होगा शेड्यूल वन के अंदर लिखना होगा कि जो यूपी था अब वो दो स्टेट में बदल चुका है यूपी और यूके शेड्यूल वन में लिखना होगा यूपी की जो टेरिटरी है वो लिखनी होगी यूके की जो टेरिटरी है वो लिखनी होगी शेड्यूल वन में ये चेंज करना होगा ना तो आर्टिकल फोर कहता है कि तुमने जो यह लॉ बनाया है पार्लियामेंट ने आर्टिकल तीन के अंदर जो लॉ बनाया है तुम उसी के अंदर लिख दो ना कि क्या चेंज करना है तुम बार-बार अलग-अलग काम मत करो तुम उसी लॉ के अंदर लिख दो शेड्यूल वन में क्या चेंज होना है अब देखिए दो स्टेट बन गई तो पहले उत्तराखंड नाम की कोई स्टेट नहीं थी इसकी राज्यसभा में पहले कोई भी सीट नहीं थी अब राज्यसभा में यूपी की अलग सीट होंगी उत्तराखंड की अलग होंगी तो फोर्थ शेड्यूल के अंदर ये भी तो लिखना होगा कि यूपी की अब इतनी रह गई और उत्तराखंड की इतनी हो गई तो आर्टिकल चार क्या कहता है चार कहता है कि आर्टिकल तीन के अंदर जो तुमने नई स्टेट बनाई है उसको तुमने एक कानून से बनाया है इस कानून में तुम ऑटोमेटिक लिख दो कि शेड्यूल चार में क्या चेंज होना है ठीक है ये सारी चीजें आर्टिकल 1 2 3 4 कहते हैं है अब यहां पे एक सवाल उठता है कि इसके अंदर हम कॉन्स्टिट्यूशन के अंदर चेंज कर रहे हैं तो क्या इस कॉन्स्टिट्यूशन के चेंज को अमेंडमेंट कहा जाएगा तो इस कांस्टिट्यूशन के चेंज को अमेंडमेंट नहीं कहते हैं ठीक है यह लॉ से काम हो जाता है ठीक है इसको हम यह इसको ऐसे लिखा जाता है कि दीज चेंजेज आर नॉट डीम्ड अमेंडमेंट अंडर आर्टिकल 368 अमेंडमेंट के प्रोसीजर आपको आर्टिकल 368 में मिलते हैं और जो आर्टिकल दोती से हमने चेंज किया है उसको हम आर्टिकल 368 के अंदर वाला अमेंडमेंट नहीं मानते हैं ठीक है कांस्टिट्यूशन में चेंज भले ही हुआ है लेकिन हम इसको 368 वाला अमेंडमेंट नहीं मानेंगे एक बार जल्दी से ओवरव्यू पहले आर्टिकल के अंदर नाम लिखा हुआ है कि इंडिया और भारत बुलाया जाएगा फिर इसके अंदर लिखा हुआ है कि जो स्टेट्स हैं इंडिया और भारत बुलाया जाएगा और ये यूनियन ऑफ स्टेट्स बनेगी जो स्टेट्स हैं स्टेट्स के नाम और टेरिटरी आपको फर्स्ट शेड्यूल में मिल जाएंगे आर्टिकल टू क्या कहता है कि अगर कोई नई अगर कोई नई टेरिटरी इंडिया से जुड़ती है तो उसको यूनियन में कैसे यूनियन में कैसे शामिल किया जाए उसको कैसे एक नई स्टेट बनाया जाए यह कौन डिसाइड करेगा यह पार्लियामेंट डिसाइड करेगा कैसे डिसाइड करेगा एक लॉ बना के बाय लॉ डिसाइड करेगा आर्टिकल तीन क्या कहता है कि जो स्टेट ऑलरेडी इंडिया की हैं उनमें अगर कुछ भी चेंज करना है तो वो चेंज कौन करेगा पार्लियामेंट करेगा लॉ बना के बाय लॉ करेगा लेकिन ये पार्लियामेंट में लॉ बनाने के लिए एक बिल इंट्रोड्यूस करना होगा बिल प्रेसिडेंट की रिकमेंडेशन के बिना बिल इंट्रोड्यूस नहीं हो सकता तो प्रेसिडेंट रिकमेंड करेगा पर रिकमेंड करने से पहले वो स्टेट से ओपिनियन लेगा स्टेट अपनी ओपिनियन देगी फिर प्रेसिडेंट रिकमेंड करेगा फिर वो पार्लियामेंट के अंदर इंट्रोड्यूस हो सकता है आर्टिकल चार कहता है कि आपने यहां पे लॉ बना रहे हो यहां पे लॉ बना रहे हो इन दोनों लॉ के अंदर पहले से ही प्रोविजन कर दो कि शेड्यूल एक और शेड्यूल चार के अंदर क्या-क्या चेंज होने चाहिए ठीक है और इन ये जो भी तुम चेंज कर रहे हो कांस्टिट्यूशन के अंदर इसको हम अमेंडमेंट नहीं मानेंगे आर्टिकल 368 के अंदर वाली अमेंडमेंट ये नहीं कहलाई जाएगी ठीक है तो ये आपको याद रखना है इसके साथ हमारा अब ये हमारा कांस्टिट्यूशन की चीजें खत्म हो गई अब हम आगे देखते हैं यूनियन में क्या-क्या हुआ है अब आजादी के बाद क्या हुआ हम वो देखते हैं देखिए बहुत सारी स्टेट्स बहुत सारे एरियाज ऐसे थे जैसे कि यह वाला एक एरिया है जहां पे तेलुगु बोली जाती है और इसके अलावा एक यहां पे कोई एरिया है जहां पे तेलुगु बोली जाती है तो वहां के लोग ये कहने लगे कि ये सारा का सारा एरिया तेलुगु स्पीकिंग है तो इनको एक स्टेट बना दो और इस स्टेट के अंदर सेम लैंग्वेज वाले सेम लैंग्वेज जो है वो बोली जाएगी तो बेसिकली लोग क्या कहते थे वो कहते थे कि स्टेट्स को लिंग्विस्टिकली ऑर्गेनाइज कर दो यानी कि लैंग्वेज के बेस पे इसको ऑर्गेनाइज कर दो ठीक है तो उसके लिए एक कमेटी बनी 1948 के अंदर जिस कमेटी का नाम था एसके धार कमेटी एसके धार कमेटी ने कहा कि लैंग्वेज के बेसिस पे देश को जो है स्टेट्स के अंदर डिवाइड नहीं करना चाहिए उन्होंने इस लैंग्वेज के क्राइटेरिया को ज्यादा तवज्जो निधि उन्होंने कहा जो मेन इंपॉर्टेंस होनी चाहिए वो होनी चाहिए कि किस डिवीजन से हमारा एडमिनिस्ट्रेशन अच्छे से होता रहेगा यानी कि उन्होंने कहा एडमिनिस्ट्रेटिव कन्वीनियंस जो है वो मेजर फैक्टर होना चाहिए स्टेट्स को ऑर्गेनाइज करने के पीछे यानी कि स्टेट्स को उसी तरह से ऑर्गेनाइज किया जाए जिस तरह से सबसे कन्वेनिएंट एडमिनिस्ट्रेशन कैरी ऑन हो सके एसके धार ने ये रिकमेंडेशन दी एसके धार कमेटी की रिकमेंडेशन को कंसीडर करने के लिए एक और कमेटी बनी जिसका नाम था जेवीपी कमेटी जेवीपी के अंदर बहुत ही बड़े-बड़े दिग्गज लीडर थे जैसे जवाहरलाल नेहरू वल्लभ भाई पटेल और पट्टा भी सीता रमैया इस कमेटी ने एसके धार कमेटी की रिकमेंडेशंस को समझा पढ़ा उसको और इन्होंने भी क्या कहा इन्होंने भी रिजेक्ट कर दिया कि लैंग्वेज के बेसिस पर हम स्टेट्स को ऑर्गेनाइज नहीं करेंगे लेकिन ये जो डिमांड थी ये डिमांड बहुत ही ज्यादा स्ट्रांग थी लोगों के इमोशंस अटैच थे कि जो तेलुगु स्पीकिंग लोग हैं वो एक ही स्टेट के अंदर आने चाहिए तो उसी डिमांड की फुलफिलमेंट के लिए एक आदमी थे जिनका नाम था पोटी श्रीराम लू पोटी श्रीराम मलू हंगर स्ट्राइक पर बैठ गए उन्होंने फास्ट रखा फास्ट अन टू डेथ रखा कि जब तक कि तुम एक तेलुगु स्पीकिंग लोगों के लिए एक स्टेट नहीं बना दोगे मैं तब तक खाना नहीं खाऊंगा और 1953 के अंदर पोटी श्रीरामलू काफी दिनों के हंगर इसके फास्ट ऑन टू डेथ तक बैठे रहे और उनकी डेथ हो गई इसके बाद गवर्नमेंट के ऊपर प्रेशर और इंक्रीज हुआ और गवर्नमेंट ने क्या किया गवर्नमेंट के ऊपर प्रेशर बढ़ रहा था कि तुम लैंग्वेज के बेसिस पर क्यों नहीं बना रहे लोग इतने अटैच वो मर रहे हैं तो लोगों ने पोटी श्रीराम मलू के बाद उन्होंने एक स्टेट जो है लैंग्वेज के बेसिस पर बना दी और उस स्टेट का नाम था आंध्र प्रदेश तो अगर क्वेश्चन आ जाए कि पहली स्टेट कौन सी थी जो कि लैंग्वेज के बेसिस पर ऑर्गेनाइज हुई थी तो उसका नाम है आंध्र प्रदेश फिर उसके बाद एक कमेटी बनाई गई कमेटी का नाम था स्टेट रीऑर्गेनाइजेशन कमीशन यह बनाई गई 1953 में जिस साल में पोटी श्रीराम लू की डेथ हुई इस कमिटी के मेंबर थे फजल अली एच एन कुंझरू और के एन पन्निक चेयरमैन इसके फजल अली थे तो फजल अली कमीशन भी आ जाए तो आप समझ जाना स्टेट रीऑर्गेनाइजेशन कमीशन की बात हो रही है तो इस कमीशन ने भी जो रिकमेंडेशन दी इन्होंने कहा लैंग्वेज जो है लैंग्वेज एक क्राइटेरिया जरूर है स्टेट को रीऑर्गेनाइज करने का लेकिन ये एक मात्र क्राइटेरिया नहीं है ये एक इंपॉर्टेंट क्राइटेरिया है पर हम सिर्फ इसी के बेसिस पर नहीं बना सकते हमें और भी चीजें देखनी है हमें ये देखना है कि एडमिनिस्ट्रेशन कैसे अच्छे तरीके से चल सकता है हमें यह भी देखना है कि कैसे हमारी मतलब ऐसा नहीं हो सकता ना कि किसी एरिया के अंदर मान लीजिए इतना बड़ा एरिया है इसके अंदर यह लोग अपनी एक लैंग्वेज बोलते हैं और वो कह रहे हैं कि हमारी भी स्टेट बना दो अगर यह स्टेट बनेगी तो यहां पे इनका भी एक लेजिस्लेटिव असेंबली बनेगी इनके लिए भी एक हाई कोर्ट का प्रोविजन करना पड़ेगा इनके जो ऑफिसर होंगे उनके लिए बिल्डिंग बनानी पड़ेगी और इन सब चीजों के ऊपर ये जो बिल्डिंग बन रही हैं सबके ऊपर खर्चा होता है तो इसीलिए बहुत सारी स्टेट भी नहीं बना सकते थे तो उन्होंने क्या कहा कि लैंग्वेज एक क्राइटेरिया जरूर है लेकिन इसके साथ-साथ हमें और भी क्राइटेरिया देखने पड़ेंगे कि क्या हम जो स्टेट बना रहे हैं वो फाइनेंशियलीईएक्सप्रेस आ सकते हैं वो कैसे कंट्रोल करेगा वो कैसे उस टेररिज्म को कंट्रोल कर पाएगा तो यह सारी चीजें देखनी थी जो कि फजल अली कमेटी ने दी तो उसने कहा कि हम लैंग्वेज को कंसीडर जरूर करेंगे लेकिन उसके साथ-साथ हम और भी चीजें कंसीडर करेंगे उन्होंने एक चीज को रिजेक्ट कर दिया उन्होंने कहा कि वन लैंग्वेज वन स्टेट नहीं हो सकती यानी कि ऐसा मैं नहीं कर सकता कि जहां पे एक लैंग्वेज है उन सबको एक स्टेट बना दी जाए क्योंकि अगर ऐसा करने लग गए तो इंडिया के अंदर इतनी सारी लैंग्वेज हैं बहुत सारे स्टेट बन जाएंगे तो उन्होंने इसको पूरी तरह रिजेक्ट कर दिया पर इन्होंने कहा कि अब जो मैं ऑर्गेनाइज दूंगा स्टेट की ऑर्गेनाइजेशन करूंगा वह कुछ इस तरह होगी जिसमें लैंग्वेज को मैं कंसीडरेशन रखूंगा लेकिन वन लैंग्वेज वन स्टेट नहीं कर सकता ऐसा नहीं कर सकता कि एक लैंग्वेज के लिए एक स्टेट बना के मैंने छोड़ दी यह पॉसिबल नहीं हो पाएगा पर हां लैंग्वेज को कंसीडर जरूर करूंगा अलोंग विद अदर क्राइटेरिया तो अदर क्राइटेरिया क्या होंगे लैंग्वेज को ब्रॉडली एक्सेप्ट कर लिया था अदर क्राइटेरिया में यूनिटी आ जाएगा यूनिटी जो है वो प्राइम कंसीडरेशन थी फिर फाइनेंशियल और इकोनॉमिक कंसीडरेशन को देखा लोगों के वेलफेयर को देखा इंडिया की टी को देखा इन सब को देखने के बाद उन्होंने इंडिया को 16 स्टेट और तीन यूनियन टेरिटरी के अंदर ऑर्गेनाइज करने को कहा इस कमिटी के बेसिस पर एक एक्ट बना एक्ट कौन बनाएगा पार्लियामेंट बनाएगा तो पार्लियामेंट ने एक एक्ट बनाया जिसका नाम था स्टेट रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1956 इसके अंदर देखिए कमटी कह रही है 16 स्टेट पर उन्होंने बनाई 14 कमटी कह रही है तीन स्टेट्स पर इंडिया ने बनाई छह यूनियन टेरिटरी तो इस तरह से हमारी 1956 के अंदर स्टेट की रीऑर्गेनाइजेशन हुई इसके बाद एक केस हुआ था केस के अंदर हमें बेसिकली केस क्या बताता है केस यह बताता है कि क्या इंडिया अपने टेरिटरी का अपनी टेरिटरी का क्या इंडिया कोई हिस्सा किसी और देश को दे सकती है या नहीं दे सकती तो बेरुबरी केस ने कहा कि यह अगर इंडिया अपना कोई भी हिस्सा किसी और देश को देना चाहती है तो उसको कांस्टिट्यूशन में अमेंडमेंट करनी पड़ेगी बिना कांस्टिट्यूशन के अमेंडमेंट के हिस्सा नहीं दे सकती मतलब तुम ये नहीं कह सकते कि आर्टिकल तीन मुझे पावर देता हैय ये नहीं कह सकते कि आर्टिकल तीन मुझे पावर देता है कि मैं किसी भी स्टेट का स्टेट को रिड्रॉ कर सकता हूं स्टेट की बाउंड्री चेंज कर सकता हूं लेकिन कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल तीन तुम्हें स्टेट की बाउंड्री को तो रिड्रॉ करने को पावर देता है लेकिन तुम अपनी टेरिटरी का कोई भी हिस्सा किसी और देश को नहीं दे सकते जब तक कि तुम कांस्टिट्यूशन में अमेंडमेंट ना करो क्या ऐसा कभी हुआ है कि हमें अपनी टेरिटरी का कोई हिस्सा किसी और को देना पड़ा तो ऐसा दो बार आप देख सकते हैं एक हुआ था 1960 के अंदर जब हमने बेरू का जो रीजन है वो ट्रांसफर किया था दूसरा जो बहुत रिसेंटली हुआ है और यह इंपॉर्टेंट है वो यह कि यह इंडिया है ठीक है यह बांग्लादेश है तो जब बांग्लादेश आजाद हुआ या फिर अंग्रेजों के टाइम की अगर बात कर ले तो कुछ हिस्सा ऐसा था जो कि यहां पे यह इंडिया की टेरिटरी थी जो कि पूरी तरह से बांग्लादेश के अंदर लाई करती थी ऐसे ही बांग्लादेश की कुछ टेरिटरी इंडिया के अंदर लाई करती थी ठीक है ऐसे इनको कहा जाता है एनक्लेव्स एंक्लेव क्या होता है कि यह वो टेरिटरी होती हैं जो होती दूसरे देश की हैं पर किसी और देश के अंदर पूरी तरह से समाई हुई हैं तो यहां के लोग जो हैं वह यहां पे नहीं जा सकते आसानी से और यहां के लोग यहां नहीं आ सकते आसानी से ठीक है तो यह बांग्लादेश की टेरिटरी इंडिया के अंदर दबी हुई थी और इंडिया की टेरिटरी बांग्लादेश के अंदर तो इंडिया ने 2014 के अंदर एक कांस्टिट्यूशन में अमेंडमेंट किया जिसको कहते हैं 100 कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट और इस अमेंडमेंट से इंडिया ने जो बांग्लादेश की एनक्लेव थी वो बांग्लादेश को सौंप दी और इंडिया की जो क्लिफ थी वो ले ली ठीक है मतलब कुछ एग्रीमेंट करके उन्होंने उसकी अरेंजमेंट लेके आ गए तो यह सवाल आपसे पूछा जा सकता है इनफैक्ट पूछा भी गया है कि 100 कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट कौन सी थी तो आप बताएंगे 100 कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट थी जिसमें इंडिया और बांग्लादेश ने इंडिया और बांग्लादेश ने अपनी एनक्लेव्स को एक्सचेंज किया था इंडिया ने 111 एंक्लेव दी थी बांग्लादेश ने 51 एनक्लेव्स इंडिया को दे दी थी एक और जिसकी वजह से यह इंपॉर्टेंट होता है इस साल वोह है जम्मू-कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट जम्मू-कश्मीर एक स्टेट हुआ करती थी इस स्टेट को तोड़ के दो यूनियन टेरिटरी बना दिया है एक यूनियन टेरिटरी बनाई है जम्मू कश्मीर की और यह ऐसी यूनियन टेरिटरी है जिसकी अपनी लेजिस्लेटिव असेंबली होगी यानी कि जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी की अपनी लेजिसलेच्योर है जिनका अपना स्टेट लेजिसलेच्योर है जिसका अपना स्टेट लेजिस्लेटर है और दूसरी है आपकी दिल्ली ठीक है तो अब तीन यूनियन टेरिटरी ऐसी हैं जिनका अपना स्टेट लेजिस्लेटर है यूनियन टेरिटरी को सेंट्रल गवर्नमेंट गवर्न करता है तो यूनियन टेरिटरी के अंदर लेजिस्लेटर बनाने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसके ऊपर केंद्र कानून बनाता है सेंटर जो है वो लॉ बनाता है सेंटर जो है इन यूनियन टेरिटरी के अंदर एडमिनिस्ट्रेटर को एडमिनिस्ट्रेटर को भेजता है और वह एडमिनिस्ट्रेटर यहां पे एग्जीक्यूटिव का काम करते हैं जैसे कि लूटने गवर्नर ठीक है यह इस तरह से यूनियन टेरिटरी में चलता है लेकिन इंडिया के अंदर तीन यूनियन टेरिटरी ऐसी हैं जिनकी अपना स्टेट लेजिसलेच्योर अपना स्टेट लेजिस्लेटर है साथ की साथ जो सेंटर है वो अपने एडमिनिस्ट्रेटर को भी वहां पे भेजता है तो कौन सी तीन यूनियन टेरिटरी जिनका अपना स्टेट लेजिस्लेटर है दिल्ली पुडडू चरी और जम्मूकश्मीर दूसरी जो यूनियन टेरिटरी बनाई है जम्मूकश्मीर को तोड़ के वो है लद्दाख लद्दाख का अपना कोई भी असेंबली नहीं होगी यहां पे लूटने गवर्नर काम करेगा लद्दाख के अंदर ले और कारगिल की डिस्ट्रिक्ट शामिल है यह आपको याद रखना है ले और कारगिल की डिस्ट्रिक्ट इसके अंदर शामिल है इन दोनों ही यूनियन टेरिटरी के लिए कौन सा हाई कोर्ट काम करेगा तो जम्मूकश्मीर का जो हाई कोर्ट है हाई कोर्ट ऑफ जम्मू कश्मीर वो इन दोनों यूनियन टेरिटरी के लिए काम करेगा एक और जो इवेंट हुआ है पिछले साल ही वो इवेंट ये है कि दमन एंड ू और दादर एंड नागर हवेली ये दो अलग-अलग यूनियन टेरिटरी होती थी एक यूनियन टेरिटरी का नाम था दमन एंड दू और दूसरी का था दादर एंड नागर हवेली ये दोनों बहुत ही पासपास थी लेकिन दोनों अलग-अलग यूनियन टेरिटरी थी तो अब क्या किया गया है इन दोनों को मर्ज करके एक सिंगल यूनियन टेरिटरी बना दिया तो दो यूनियन टेरिटरी मर्ज करके एक बना दी है तो इंडिया की आज की डेट में क्या स्टेटस है इंडिया के अंदर आज 28 स्टेट्स और आठ यूनियन टेरिटरी हैं तो यह जो है हमारा पूरा का पूरा यूनियन एंडस टेरिटरी वाला चैप्टर खत्म होता है जो नोट्स हम अपनी इस वीडियो के अंदर यूज करेंगे वह हैंड रिटन नोट्स हैं एम लक्ष्मीकांत से अगर आप हमारे वह नोट्स लेना चाहते हैं तो उसका लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा वीडियो अगर आपको पसंद आ रही है तो लाइक करना ना भूलें दोस्तों के साथ शेयर करें और चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें हम ऑलरेडी देख चुके हैं कॉन्स्टिट्यूशन के चार आर्टिकल देख चुके हैं पहले आर्टिकल के अंदर हमने देखा कि इंडिया का नाम क्या होगा इंडिया और भारत उसकी स्टेट्स और टेरिटरीज फर्स्ट शेड्यूल के अंदर आपको देखने को मिलती हैं पहला आर्टिकल यह कहता था दूसरा आर्टिकल आपका यह बताता है कि अगर कोई नई टेरिटरी इंडिया से जुड़े गी तो उसको यूनियन में कौन एडमिट करेगा और उसको स्टेट कौन बनाएगा पार्लियामेंट बनाएगा कैसे बनाएगा बाय लॉ बनाएगा तीसरा हमने देखा कि अगर इंडिया के अंदर कोई स्टेट है उस स्टेट का नाम एरिया बाउंड्री चेंज करनी है तो कौन करेगा पार्लियामेंट करेगा बा लॉ करेगा लेकिन यह जो कानून है यह कानून बनाने से पहले प्रेसिडेंट रिकमेंड करेगा कि एक बिल इंट्रोड्यूस हो किसी हाउस के अंदर प्रेसिडेंट रिकमेंड करेगा और प्रेसिडेंट रिकमेंड करने से पहले स्टेट से पूछेगा कि तुम्हारी ओपिनियन क्या है हम तुम्हारे बारे में यह करना चाह रहे हैं स्टेट अपनी ओपिनियन देगा और उस ओपिनियन के बाद जो है वह प्रेसिडेंट आगे रिकमेंडेशन देगा कि लॉ लेके आया जाए तो यह हमने देखे थे एक दो तीन आर्टिकल चौथे आर्टिकल के अंदर लिखा था कि यह जो दोनों लॉ बनाओगे आप ये दोनों के दोनों लॉ के अंदर शेड्यूल फर्स्ट और शेड्यूल फोर के अंदर जो भी चेंज करना है वो ऑलरेडी इंक्लूडेड हो शेड्यूल फर्स्ट के अंदर आपकी टेरिटरीज के नाम और आपकी स्टेट्स के नाम और टेरिटरीज आती हैं शेड्यूल फोर के अंदर राज्यसभा में किस स्टेट की कितनी सीट है यह लिखा हुआ आता है तो यह हमने देख लिया आर्टिकल एक से लेकर चार तक अब हमें देखने हैं उसके आगे के आर्टिकल देखिए हमारी टेरिटरी हमें पता चल गई उस टेरिटरी में कौन रह रहा है सिटीजंस रह रहे हैं तो सिटीजन सिटीजनशिप से जुड़े जो भी आर्टिकल्स हैं कांस्टिट्यूशन के वो है आर्टिकल 5 से लेकर 11 तक लेकिन यह जो आर्टिकल्स थे यह हो चुके हैं आउट डेट क्योंकि यह आर्टिकल बात करते थे कि 1950 में इंडिया का सिटीजन कौन है लेकिन 1950 के बाद सिटीजनशिप कैसे मिलेगी सिटीजनशिप कैसे होएगी यह सारी चीजें हम निर्धारित करते हैं सिटीजनशिप एक्ट 1955 से तो हमें 1955 का ये जो एक्ट है हमें यह एक्ट पढ़ना है तो यह एक्ट बात करता है दो चीजों की कि सिटीजनशिप कैसे मिलती है कैसे एक्वायर की जा ती है सिटीजनशिप और कैसे सिटीजनशिप का लॉस होता है तो एक्वायर का हम अभी डिटेल में देखेंगे पहले लॉस देख लेते हैं देखिए पहले तो सिटीजनशिप का लॉस कैसे होता है आपने वॉलेटर अपनी सिटीजनशिप इंडिया की सिटीजनशिप गिव अप कर दी आप कहते हैं कि भैया मैं तो यूएसए की सिटीजनशिप ले चुका हूं मुझे इंडिया की नहीं चाहिए आपने वॉलेटर गिव अप कर दिया इसको कहा जाता है कि आपने रिनाउंस कर दी है इंडिया की सिटीजनशिप दूसरा होता है टर्मिनेशन से जैसे ही आप किसी और देश की सिटीजनशिप ले लेते हैं तो आपकी इंडिया की सिटीजनशिप ऑटोमेटिक टर्मिनेट हो जाती है ऐसा क्यों होता है क्योंकि इंडिया के अंदर आप अगर इंडिया के सिटीजन हैं तो किसी और देश के सिटीजन नहीं बन सकते ठीक है तो अगर आपने किसी और देश की सिटीजनशिप ले ली है या तो आप खुद ही उस हम इंडिया की सिटीजनशिप को रिनाउंस कर दो अगर तुम नहीं करोगे तो इंडिया उसको टर्मिनेट कर देगी ऑटोमेटिक और तीसरी होती है बाय डेप्रिसिएशन का क्या मतलब होता है कि आपने इंडिया की सिटीजनशिप फ्रॉड से एक्वायर की थी या आपने इंडिया का जो कांस्टिट्यूशन है इंडिया का संविधान है उसके साथ डिस लॉयल दिखाई है या फिर आपने वॉर के दौरान लड़ाई के दौरान हमारा जो शत्रु था हमारा जो एनिमी था उससे बातचीत करी है उसके साथ तुमने ट्रेड किया है तो तुम्हारी सिटीजनशिप चली जाएगी तो फ्रॉड से सिटीजनशिप लोगे तो तुम्हारी सिटीजनशिप जा सकती है कांस्टिट्यूशन से डिस्लॉयल्टी दिखाओगे तो जा सकती है लड़ाई के दौरान एनिमी से बात करोगे या ट्रेड करोगे तो सिटीजनशिप जा सकती है मान लीजिए आपने इंडिया की सिटीजनशिप ली है ठीक है रजिस्ट्रेशन करके या नेचरलाइजेशन से ये दोनों प्रोसेस हम आगे देखेंगे अभी के लिए इतना मान लीजिए कि आपने रजिस्ट्रेशन से या नेचरलाइजेशन से सिटीजनशिप ली और सिटीजनशिप लेने के 5 साल के अंदर सिटीजनशिप लेने के 5 साल के अंदर आप 2 साल जेल में रहे हैं ठीक है सिटीजनशिप लेने के बाद 5 साल के अंदर आप 2 साल जेल में रहे हैं चाहे इंडिया में रहे हो चाहे कहीं पर भी रहे हो अगर ऐसा हो जाएगा तो आपकी सिटीजनशिप चली जाएगी ठीक है तो सिटीजनशिप लेने के बाद कम से कम 5 साल तक आपको जेल नहीं जाना है और आखरी तरीका क्या है सिटीजनशिप के जाने का आखिरी तरीका है कि आप इंडिया के सिटीजन रीजन है पर 7 सालों से आप देश के बाहर रह रहे हैं आप इंडिया नहीं आए तो आपकी सिटीजनशिप चली जाएगी यह तरीके होते हैं सिटीजनशिप के जाने के तो तीन तरीके हैं पहला आप खुद गिव अप कर दो या फिर ऑटोमेटिक टर्मिनेट हो जाए तीसरा तरीका के अंदर ये ढेर सारे पॉइंट्स हैं कि कब आपकी सिटीजनशिप आपसे छीन ली जाएगी अगर आप फ्रॉड से सिटीजनशिप लें आप कांस्टीट्यूशन के साथ गद्दारी दिखाएं आप एनिमी के साथ बात करें लड़ाई के दौरान 5 सालों 5 साल हुए हैं आपको सिटीजनशिप मिले हुए रजिस्ट्रेशन या नेचरलाइजेशन के प्रोसेस से आपको सिटीजनशिप मिले हुए 5 साल हुए हैं और 2 साल आप जेल में गए थे सिटीजनशिप छीन ली जाएगी सात सालों से इंडिया से बाहर हैं तो अब हम देखेंगे सिटीजनशिप कैसे एक्वायर होती है तो इसके पांच तरीके हैं बर्थ से डिसेंट से रजिस्ट्रेशन से नेचरलाइजेशन और एक्यूजेशन ऑफ टेरिटरी एक्यूजन ऑफ टेरिटरी आसान है जैसे यह इंडिया है इंडिया ने मान लीजिए कल को कोई टेरिटरी एक्वायर कर ली तो इस टेरिटरी में जितने भी लोग रहते थे जैसे ही इंडिया इस टेरिटरी को एक्वायर करेगा यह जो लोग इस टेरिटरी में रहते थे वह भारत के नागरिक बन जाएंगे तो ये होता है बाय एक्विजिशन ऑफ टेरिटरी ठीक है तो ये तो आसान था अभी इन चारों को देखेंगे डिसेंट का मतलब होता है कि आपके पेरेंट्स या फिर आपकी जो पिछली जनरेशन थी वो इंडिया की सिटीजन थी उसकी वजह से आपको सिटीजनशिप मिले रजिस्ट्रेशन का मतलब यह है कि आप आप अपने आप को मानते हैं कि आप इंडिया की सिटीजनशिप लेने के लिए एलिजिबल है और आपने रजिस्टर कराया है कि मुझे भारत की नागरिकता दे दो नेचरलाइजेशन का मतलब होता है कि आप इतने समय से इंडिया में रह रहे हैं आप इतने ज्यादा समय से इंडिया में रह रहे हैं कि आपका रहना बोलना चालना हर एक चीज एक इंडियन की तरह हो गई है तो आप क्या कहते हैं आप कहते हैं कि मैं इतने समय से इंडिया में रह रहा हूं कि मैं लगभग इंडियन बन चुका हूं तो मुझे इंडिया की सिटीजनशिप दे दो तो देखिए जो ये डेप्रोसिस शिप एक्वायर करता है बाय रजिस्ट्रेशन और नेचरलाइजेशन लेकिन उसके बाद 5 सालों में वो 2 साल जेल में रह चुका है तो उसकी सिटीजनशिप छीन लेते हैं तो ये वाले जो दो तरीके हैं इनसे अगर आप सिटीजनशिप लेते हो और फिर 5 सालों के अंदर आप दो साल जेल में चले जाते तो आपकी नागरिकता ीनी जा सकती है अब हम इनकी डिटेल देखेंगे वो डिटेल इंपॉर्टेंट है तो आपको पता होनी चाहिए वो सारी डिटेल्स बाय बर्थ क्या होता है देखिए बाय बर्थ के अंदर आपको तीन फेजेस याद करने हैं तीन फेज याद करने हैं तीन पीरियड याद रखने हैं पहला पीरियड है 26 जनवरी 1950 से लेकर 1987 तक का इसमें इस पीरियड के दौरान जो भी इंडिया के अंदर बॉर्न हुआ है वो इंडिया का नागरिक इंडिया का सिटीजन बन जाएगा हमें फर्क नहीं पड़ता उसके मां-बाप कहां के सिटीजन हैं तो इस पीरियड के दौरान जो भी बच्चा इंडिया में पैदा हुआ होगा वह भारत का सिटीजन बन जाएगा चाहे उसके पेरेंट्स कहीं के भी रहने वाले हो फिर 1987 से लेकर 2004 तक हमने क्या कह दिया कि इस पीरियड के दौरान जो भी बच्चा इंडिया में बॉर्न हुआ हो वो प्लस में उसका कोई एक पेरेंट चाहे मम्मी या पापा इंडिया के सिटीजन रहे हो तो ठीक है तो एक तो आपको इंडिया में पैदा होने साथ ही साथ आपके कम से कम एक पेरेंट को इंडिया का नागरिक होना बहुत जरूरी है 2004 के बाद से लेकर अब तक क्या कर दिया है आपका इंडिया में बॉर्न होना जरूरी है और आपके दोनों के दोनों पेरेंट्स इंडिया के सिटीजन होने चाहिए ठीक है दोनों के दोनों पेरेंट्स यहां पे एक था दोनों के दोनों पेरेंट्स कह दिया दूसरा क्या कहा मतलब या तो ऐसे हो जाए कि आप बॉर्न हुए और आपके दोनों पेरेंट्स इंडिया के सिटीजन है तो आप ऑटोमेटिक इंडिया के सिटीजन बन जाएंगे दूसरा तरीका क्या है 2004 के बाद आप इंडिया में बॉर्न हुए हैं आपका एक पेरेंट इंडिया का सिटीजन है और जो दूसरा पेरेंट था वो इल्लीगल माइग्रेंट नहीं है यानी कि आप तो इंडिया में पैदा हो गए आपके मम्मी पापा में से एक इंडिया का नागरिक है और दूसरा इल्लीगल माइग्रेंट नहीं है यानी कि गैर कानूनी तरीके से इंडिया के अंदर नहीं घुसे ठीक है तो भी इंडिया के सिटीजन यह कहलाए जाएंगे यह तो था बाय बर्थ यानी कि आपका इंडिया में पैदा होना जरूरी है तीन फेज देखे एक में तो बस आप ही पैदा हो जाओ पेरेंट से कुछ लेना देना नहीं दूसरे फेज में आप पैदा हो जाओ और एक पेरेंट को भी इंडिया का सिटीजन बना हुआ होना चाहिए तीसरा 2004 के बाद आपको पैदा होना है और दोनों पेरेंट्स इंडिया के सिटीजन हो या फिर आप पैदा हो गए एक पेरेंट इंडिया का सिटीजन है और दूसरा इल्लीगल माइग्रेंट नहीं है रजिस्ट्रेशन से क्या होगा आप एक पीआईयू हैं यानी कि आप एक पर्सन है जो कि इंडिया के नागरिक नहीं है पर इंडिया से आप जुड़े हुए हैं जैसे अभी हम आगे ओसीआई देखेंगे तो उसी की तरह आप इसको मान के चलना अभी के अलावा ब से यह मान के चले कि पीआईओ का मतलब है एक ऐसा आदमी जो इंडिया से जुड़ा हो लेकिन इंडिया का सिटीजन नहीं है मान लीजिए कि वह पहले इंडिया का सिटीजन 1950 में था लेकिन उसके बाद वह चला गया है बाहर उसके बाद वह कई सालों तक इंडिया से बाहर रहता रहा बाहर की उसने नागरिकता ले ली तो वह अब इंडिया का सिटीजन नहीं रहा लेकिन उसका ओरिजन कहां हुआ था ओरिजन इंडिया में हुआ था ठीक है तो अगर आप ऐसे कोई आदमी हैं जो इंडिया के सिटीजन नहीं है पर इंडिया से जुड़े हुए हैं और सात सालों तक आप इंडिया में रह रहे हैं तो आप रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं कि मुझे भी यहां की नागरिकता दे दो मैं पीआईओ हूं और सा सालों से इंडिया में रह रहा हूं मुझे नागरिकता दे दो एक तो यह तरीका है दूसरा क्या है आपने किसी इंडियन सिटीजन से शादी कर ली है और आप 7 सालों तक इंडिया में रह रहे हैं तो भी आप रजिस्टर करा सकते हैं कि मुझे भारत की नागरिकता दे दो तीसरा तरीका क्या है रजिस्ट्रेशन का कि आप आप ऐसे लोगों के बच्चे हो जो कि इंडिया के सिटीजन थे यानी कि तुम्हारे मम्मी पापा जो हैं वो इंडिया के सिटीजन हैं पर तुम यूएस के सिटीजन हो तो तुम भी इंडिया के अंदर रजिस्टर करा सकते हो कि आपको नागरिकता मिल जाए ठीक है माइनर चिल्ड्रन की बात हो रही है माइनर चिल्ड्रन ऑफ पर्सन हु आर सिटीजंस ऑफ इंडिया तो ये दोनों आपके इंडिया के लेकिन इनका बच्चा सिटीजन नहीं था तो यह जो बच्चा है यह रजिस्टर करा सकता है तो तीन तरीके एक तो पीआईओ सात सालों से रह रहा है शादी करने के बाद सात सालों से रह रहे हो माइनर बच्चे हो ऐसे पेरेंट्स के जो कि इंडियन सिटीजन थे यह रजिस्ट्रेशन का तरीका हो गया डिसेंट का मतलब होता है इसमें तुम्हारे पेरेंट्स की बात होगी पेरेंट्स का मतलब क्या है यह ऐसे बच्चे पहला तरीका क्या है डिसेंट से सिटीजनशिप लेने का देखिए आप पैदा इंडिया से बाहर हुए हैं लेकिन आपके जो फादर हैं वह बाय बर्थ इंडि के सिटीजन थे तो आप बाय डिसेंट इंडिया के सिटीजन बन जाते हैं ठीक है फिर एक पीरियड आप याद करेंगे इसके अंदर 1992 से लेकर 2004 तक यह जो फादर वाला क्राइटेरिया था इसके अंदर यह कंप्लेंट होने लगी कि मदर को क्यों नहीं इंक्लूड किया है बाय डिसेंट अगर कर रहे हैं तो अगर मां इंडिया की सिटीजन थी तो उस बच्चे को क्यों नहीं नागरिकता देते यह डिस्क्रिमिनेशन जेंडर के बेसिस पर क्यों यह डिस्क्रिमिनेशन हमने 1992 में हटा दिया और कहा कि कोई एक भी पेरेंट चाहे फादर या म मदर अगर इंडिया के सिटीजन हैं और आप इंडिया के बाहर पैदा हुए हैं तो भी आप इंडिया के नागरिक बन सकते हैं ड दिसंबर 194 सॉरी 2004 के बाद क्या हो गया 2004 के बाद बस एक कंडीशन यह लगा दी कि ऐसा बच्चा जो कि बाहर पैदा हुआ है लेकिन उसका कोई भी एक पेरेंट इंडिया का सिटीजन था ठीक है इनका कोई भी एक पेरेंट इंडिया का सिटीजन था इसको मान लेते हैं लेकिन बच्चा इंडिया के बाहर पैदा हुआ है तो पहले तो पेरेंट्स को एक यह डिक्लेरेशन देनी होगी कि मेरे बच्चे का किसी फॉरेन कंट्री का पासपोर्ट नहीं है मेरे बच्चे के पास किसी और देश का पासपोर्ट नहीं है एक डिक्लेरेशन यह देनी होगी प्लस जैसे ही ये बच्चा पैदा होगा बच्चा पैदा होने के एक साल के अंदर यह बच्चा इंडिया के बाहर पैदा हो रहा है बाहर पैदा होने के एक साल के अंदर उस देश में जो इंडिया का कॉन्सुलट होगा यानी कि जहां पे इंडिया के एंबेसडर वगैरह बैठते हैं वहां पे जाके आपको रजिस्टर कराना होगा क्या बोलेंगे आप वहां प जाके वहां पे जाके आप ये बोलेंगे कि देखो हम जो हैं हम में से एक इंडिया का सिटीजन है हमारा बच्चा इंडिया के बाहर पैदा हुआ है इस बच्चे के पास कोई भी पासपोर्ट नहीं है हम 1 साल के अंदर इंडिया का जो ये कॉन्सुलट है इंडिया का जो ये एंबेसडर जहां बैठता है उस एरिया के अंदर हम रजिस्टर करा रहे हैं तो भी उसको सिटीजनशिप दे दी जाएगी तो ये सारे पॉइंट्स आपको पता होने चाहिए इनमें से कुछ भी पूछा जा सकता है चौथा पॉइंट है नेचरलाइजेशन का ये न्यूज़ में है और बेहद इंपॉर्टेंट है बेहद इंपॉर्टेंट इसको आप तीन-चार बार पढ़ेंगे और याद करके जाएंगे नेचरलाइजेशन का मतलब यह है कि मैं इतने सालों से इंडिया में रह रहा हूं कि मैं इंडियन बन चुका हूं मेरे खाने का तरीका मेरे बोलने का तरीका हर एक तरीका इंडिया का बन चुका है मैं अगर किसी और देश में जाकर रहने लगूंगा तो मैं नहीं रह पाऊंगा क्योंकि मेरा तरीका इंडियंस की तरह बन चुका है तो इसके अंदर क्या कहा गया इसके अंदर यह कहा गया कि आपको ऐसा अगर कोई आदमी अपने आप को मानता है कि वह नेचरलाइज हो चुका है तो ऐसे आदमी को ऐसे आदमी को रजिस्टर कराना पड़ेगा और रजिस्टर कराने से पहले की कंडीशन क्या है देखिए उसको 14 सालों में से 14 सालों में से 12 साल वो इंडिया में रहा हुआ होना चाहिए ठीक है 14 सालों में से 12 साल वो इंडिया में रहे मान लीजिए यहां पे एक साल रहा फिर एक साल बाहर रहा फिर एक साल रहा फिर एक साल बाहर रहा और फिर लगातार लगातार 10 साल वो इंडिया में रहा ऐसा कोई सिनेरियो मान लीजिए आप ठीक है तो 14 सालों में से 12 साल वो इंडिया में रहा और जो 15वीं साल थी वो पूरा साल वो इंडिया में रहा है बिल्कुल भी बाहर नहीं गया 15वीं साल वो कंटीन्यूअसली इंडिया में रहा है एक साल तो वो टोटल सॉरी यह 11 साल है 12 नहीं ये 11 साल है माफ कीजिएगा तो यहां पे क्या है पिछले यह जो 14 साल है इन 14 सालों में वो 11 साल इंडिया में रहा है ठीक है 11 साल वो इंडिया में रहा फिर उसके बाद इन 14 सालों के बाद एक साल एक साल वो कंटीन्यूअसली इंडिया में रहा है तो वो टोटल इंडिया में कितना रहे है टोटल वो इंडिया में रहा है 11 साल प्लस में एक साल यानी कि टोटल 12 साल रहा है तो आपको क्या याद रखना है कि 14 सालों में से 11 साल वो इंडिया में रहा हो ठीक है तो इसमें ऐसे पीरियड ऑफ ब्रेक आ सकते हैं कि कुछ महीनों के लिए व अपने देश चला गया और देश में रहा फिर वोह इंडिया में आके रहने लग गया पर जब हमने इन सारे पीरियड्स को काउंट किया इन सारे पीरियड्स को हम अगर काउंट करेंगे तो वो सारा का सारा पीरियड 11 साल का बन रहा है ठीक है वो 11 साल का होना चाहिए प्लस में एक साल वो कंटीन्यूअसली इंडिया में रहना चाहिए कहीं बाहर नहीं जाना चाहिए अगर कोई आदमी यह कंडीशन फुलफिल करता है तो वह रजिस्टर कर सकता है इंडिया में कि मुझे इंडिया की सिटीजनशिप के लिए मुझे इंडिया की सिटीजनशिप दे दो मैं नेचरलाइज हो चुका हूं मैं इंडिया में ढल चुका हूं ठीक है तो यह इंपॉर्टेंट क्यों है यह इंपॉर्टेंट इसलिए है क्योंकि 2019 में आया सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट ने क्या किया उसने इस नेचरलाइजेशन के अंदर कुछ चेंजेज ले आए वो चेंजेज क्या है उन्होंने कहा कि पहले प्रोविजन था कि 14 सालों में से 11 साल 14 सालों में से 11 साल आप इंडिया में रहे हुए होने चाहिए हो ठीक है यहां पे देखिए पहले था कि 14 सालों में से 11 साल इंडिया में रहा हुआ होना चाहिए इंसा लेकिन सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट से क्या कह दिया सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट से कह दिया कि 5 साल 11 की जगह अगर वह 5 साल भी इंडिया में रहा है प्लस में एक साल तो उसको रहना ही है ठीक है तो अब क्या हो गया इन 14 सालों में 5 साल वह इंडिया में रहा हो प्लस में एक साल कंटीन्यूअसली इंडिया में रहा हो पहले ये 11 थे 14 में से 11 साल इंडिया में रहो हो अब क्या कर दिया 5 साल इंडिया में रहो प्लस में एक साल कंटीन्यूअसली इंडिया में रहा हो तो आप नेचरलाइजेशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं क्या यह हर कोई कर सकता है यह हर कोई नहीं कर सकता यह सिर्फ यह सिर्फ तीन देशों के लोग कर सकते हैं तीन देशों के लोग कौन से तीन देश बांग्लादेश अफगानिस्तान और पाकिस्तान ठीक है क्या इन देशों का हर एक आदमी कर सकता है हर एक आदमी नहीं कर सकता सिर्फ छह धर्मों को मानने वाले लोग कर सकते हैं हिंदू सिख बुद्धिस्ट जैन क्रिश्चियन और पारसी यानी कि इन तीन देशों में यह जो छह धर्म मानने वाले लोग हैं यह लोग अगर इंडिया के अंदर 14 सालों में से 5 साल इंडिया में रह चुके हैं प्लस में एक साल कंटीन्यूअसली रह चुके हैं तो यह नेचरलाइजेशन के लिए एलिजिबल है यह अप्लाई कर सकते हैं अब जो इंपॉर्टेंट सवाल आता है वो यह कि क्या अगर कोई आदमी जो इन छह धर्मों में से जुड़ा हुआ है और इन तीन देशों से आया है लेकिन वह इंडिया के अंदर इल्लीगल माइग्रेंट बनके आया था इल्लीगल माइग्रेंट बनके आया था गैर कानूनी तरीके से आया था या गैर कानूनी तरीके से रह रहा है तो क्या वो भी अप्लाई कर सकता है तो ये एक इंपॉर्टेंट चीज है हां वो भी अप्लाई कर सकता है पहले इल्लीगल माइग्रेंट पहले इल्लीगल माइग्रेंट सिटीजनशिप के लिए अप्लाई नहीं कर सकते थे लेकिन अब कर सकते हैं वो इल्लीगल माइग्रेंट जो इन तीन देशों से आए हो ये छह रिलीजन में से किसी एक रिलीजन के हो प्लस में वो इंडिया के अंदर 31 दिसंबर 2004 से पहले आ गए हो तो ठीक है 31 दिसंबर 2004 से पहले आ गए हैं तो तो वो कर सकते हैं कितने साल उन्हें इंडिया में रहना है 14 में से 5 साल उन्हें इंडिया में रहना है प्लस में एक साल कंटीन्यूअसली रहना है तो टोटल 6 साल उनके इंडिया में होने चाहिए जिसमें से 5 साल 14 में से 5 साल होने चाहिए यानी कि कंटीन्यूअस ना हो तो भी चलेगा लेकिन आखिरी का एक साल जो है वह कंटीन्यूअसली वो इंडिया में रहे हुए होने चाहिए ठीक है यह आपको याद रखना है इसके अंदर पहले के प्रोविजन आई होप आपको क्लियर हो गए होंगे ठीक है पहले के प्रोविजन क्या थे 14 सालों में से 11 साल इंडिया में रहा हो और 15वें साल में पूरा 15वां साल वो इंडिया में रहा हो लेकिन अब क्या कर दिया साल में से 5 साल इंडिया में रहा हो और यह जो 12 महीने हैं उसके बाद के वो कंटीन्यूअसली इंडिया में रहा हो किन-किन के लिए जो भी 31 दिसंबर 2004 से पहले इंडिया में आ गए हैं चाहे वह इल्लीगल हो या फिर लीगल हो छह धर्मों को मानने वाले और इन तीन देशों से जो आए हुए हैं अब बात आती है कुछ-कुछ चीजें ऐसी हैं जो सिर्फ और सिर्फ सिटीजंस जिनके लिए एलिजिबल है जैसे कि प्रेसिडेंट बनना वाइस प्रेसिडेंट बनना गवर्नर बनना ये सारी पोस्ट के लिए सिर्फ और सिर्फ सिटीजन एलिजिबल है कोई भी चाहे वह पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन का ही क्यों ना हो पीआईओ इंडिया के सिटीजन नहीं होते अभी हम आगे देखेंगे ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया यह भी इंडिया के सिटीजन नहीं होते तो क्या यह दोनों कभी भी प्रेसिडेंट वाइस प्रेसिडेंट गवर्नर बन पाएंगे कभी नहीं बन पाएंगे ठीक है तो सिर्फ और सिर्फ सिटीजंस एलिजिबल हैं प्रेसिडेंट वाइस प्रेसिडेंट गवर्नर बनने के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज बनने के लिए एडवोकेट जनरल या अटॉर्नी जनरल बनने के लिए यह यहां पे कुछ भी नहीं है इसको भूल जाइए गलती से लिख गया है ठीक है एमपी क्या एमएलए बनने के लिए भी सिर्फ और सिर्फ सिटीजन एलिजिबल है वोटिंग करने के लिए वोटर भी सिर्फ और सिर्फ सिटीजन एलिजिबल है ठीक है क्या एनआरआई सिटीजन होते हैं जी एनआरआई भी इंडिया के सिटीजन होते हैं ये ऐसे इंडिया के सिटीजन होते हैं जो कि साल में 183 डेज से ज्यादा इंडिया से बाहर रहते हैं ठीक है तो यह एनआरआई सिटीजंस कहलाए जाते हैं अब हम ओसीआई देखेंगे क्योंकि ओसीआई के अंदर कुछ चेंजेज हुए हैं तो इसलिए वो देखना जरू हमारे लिए कुछ कैटेगरी ऑफ पीपल ऐसे होते हैं जो कि आज इंडिया के सिटीजन नहीं है आज की डेट में लेकिन वह इंडिया से बहुत गहरे रूप से जुड़े हुए हैं कैसे जुड़े हुए हैं मान लीजिए कोई ऐसा आदमी है कोई ऐसा आदमी या फिर औरत है जो कि खुद या फिर उनके पेरेंट्स या फिर उनके ग्रैंड पेरेंट्स इन तीनों में या तो खुद या तो पेरेंट्स या फिर उनके ग्रैंडपेरेंट्स इन तीनों में से कोई भी 26 जनवरी 1950 को इंडिया का सिटीजन था पर आज नहीं है फिर 26 जनवरी 1950 को वह एलिजिबल थे इंडिया का सिटीजन बनने के लिए पर वह बने नहीं इंडिया के सिटीजन अगर ऐसा कोई आदमी है तो वो इंडिया का भले ही सिटीजन ना हो पर वो एक फैसिलिटी अवेल कर सकता है और वो फैसिलिटी क्या है ओवरसीज सिटीजंस ऑफ इंडिया कार्ड ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड क्या करता है इन लोगों की लाइफ आसान कर देता है ये लोग अगर इंडिया आना चाहते हैं तो इन्हें बार-बार अप्लाई नहीं करना पड़ता इनको लाइफ लोंग एंट्री के लिए एक मीडियम मिल जाता है और भी इनको चीजें मिलती हैं जिनको अभी हम देखते चलेंगे पर आपको क्या ध्यान रखना है आपको यह ध्यान रखना है कि ये लोग इंडिया के सिटीजन नहीं हैं आपको कंफ्यूज करने के लिए कह देंगे कि ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया जो है वो डुअल सिटीजनशिप इंट्रोड्यूस करता है इंडिया के अंदर तो ऐसा नहीं है इंडिया के अंदर डुअल सिटीजनशिप नहीं है इंडिया के अंदर सिंगल सिटीजनशिप है ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड जो है वो कार्ड बस इनकी लाइफ थोड़ी सी आसान कर देगा वो लाइफ अभी हम बताएंगे कैसे आसान करता है दूसरा आप याद रखेंगे कि क्योंकि ये इंडिया के सिटीजन नहीं है तो क्या ये वोट दे सकते हैं यह वोट नहीं दे सकते यह इंडिया के सिटीजन नहीं है तो क्या यह एमपी मिनिस्टर या फिर प्रेसिडेंट ऐसा कोई पोस्ट एक्वायर कर सकते हैं यह नहीं कर सकते जो वोटर नहीं है वोह एमपी या मिनिस्टर बन ही नहीं सकता ठीक है तो वो वोट नहीं दे सकता यह वाले देखिए एक और चीज जो आप याद रखेंगे वह यह है कि यह ओसीआई कार्ड सबके लिए वैलिड है जो कि इन कंडीशंस पर फुलफिल करता है पर अगर वह या उसके पेरेंट्स या उसके ग्रैंड पेरेंट्स कोई भी पाकिस्तान या बांग्लादेश के सिटीजन हैं तो उन्हें ओसीआई कार्ड नहीं मिलता वह ओसीआई कार्ड का बेनिफिट नहीं ले सकते या तो वह खुद जो कि अप्लाई कर रहा है या उसके पेरेंट्स या फिर उसके ग्रैंडपेरेंट्स कोई भी अगर पाकिस्तान या बांग्लादेश के सिटीजन होंगे उसको कार्ड नहीं मिलेगा पहले एक पीआईओ कार्ड होता था पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन कार्ड और 2005 में हमने ओसीआई कार्ड को इंट्रोड्यूस कर दिया 2015 के अंदर इन दोनों को मर्ज करके अब एक सिंगल ओसीआई कार्ड चलता है ठीक है यह यहां पे लिखा हुआ है अभी रिसेंटली इसके अंदर चेंजेज हुए थे इसलिए हम देख रहे हैं वो चेंजेज क्या है चेंज यह है कि अगर कोई इंसान 20 साल की उम्र से पहले ओसीआई कार्ड को ओसीआई कार्ड के लिए रजिस्टर करता है तो जब वह 20 साल का होगा तो उसको दोबारा से अपने ओसीआई कार्ड को रिइश्यू कराना पड़ेगा क्यों क्योंकि 20 साल का वो हो गया तो हम मानते हैं कि वो अडल्ट हुड में आ चुका है और अडल्ट हुड में जो उसके फेशियल फीचर्स हैं और जो दूसरी चीजें हैं उनको हम कैप्चर करना चाहते हैं उसकी फोटो लगेगी तो 20 साल वाले इंसान की फोटो लग जाएगी बेसिकली यह कहता है अगर कोई आदमी 20 साल से 20 साल के बाद ही ओसीआई कार्ड लेता है तो उसको ऐसी कोई रिक्वायरमेंट नहीं है कि दोबारा से रिइश्यू कराए ठीक है रिइश्यू कब कराते हैं जब नया पासपोर्ट ले रहे होते हैं तब ओसीआई कार्ड को लेते हैं पर वो उनके केस में नहीं उनके केस में यह लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी उन्हें अब बेनिफिट्स क्या-क्या मिलते हैं ओसीआई कार्ड को पहला तो यह मिलता है देखिए जब भी इंडिया के अंदर कोई भी फॉरेनर आता है तो उसको वीजा लेना पड़ता है इंडिया में आने का लेकिन ओसीआई कार्ड अगर किसी के पास है ओसीआई कार्ड किसी के पास है तो वो बिना वीजा के इंडिया के अंदर मल्टीपल टाइम्स आ जा सकता है ठीक है लाइफ लंग एक तरह से उसको लाइफ लॉन्ग वीजा मिल गया वो जैसे मर्जी चाहे वैसे आए ठीक है उसको कुछ-कुछ ऐसी एक्टिविटीज हैं जो कि फॉरेनर नहीं कर सकते जैसे कि रिसर्च जर्नलिज्म माउंटेनियरिंग या फिर तबलीगी वर्क ये फॉरेनर नहीं कर सकते पर ओसीआई कार्ड जो हैं वो कर सकते हैं फॉरेनर को स्पेशल परमिशन लेनी पड़ती है यह सारे काम करने के लिए ओसीआई कार्ड होल्डर्स को नहीं करनी पड़ती एनआरआई अच्छा ये बताइए क्या एनआरआई इंडियन सिटीजन होते हैं बिल्कुल एनआरआई इंडियन सिटीजन होते हैं वो इंडियन सिटीजन है तो वोट दे सकते हैं बिल्कुल दे सकते हैं क्या वह इलेक्शन लड़ सकते हैं बिल्कुल लड़ सकते हैं ठीक है तो ओसीआई कार्ड को किसी किसी मामले में हमने एनआरआई के बराबर रखा है किन-किन मामलों में हमने उन्हें एनआरआई के बराबर रख रखा है देखिए एनआरआई जो है इंडिया के अंदर थोड़ा इजी है बच्चों को अडॉप्ट करना एनआरआई के लिए अब ओसीआई जो कार्ड होल्डर हैं वह भी इंडिया के अंदर बच्चों को अडॉप्ट कर सकते हैं एनआरआई के बच्चे इंडिया के अंदर कॉम्पिटेटिव एग्जाम में बैठ सकते हैं वैसे ही ओसीआई कार्ड होल्डर्स के भी बैठ सकते हैं एनआरआई इंडिया के अंदर जमीन खरीद सकते हैं ओसीआई वाले भी खरीद सकते हैं इमूवेबल प्रॉपर्टी लेकिन यह जो जमीन है यह एग्रीकल्चरल लैंड या फिर फार्म हाउस नहीं हो सकती यह बहुत इंपॉर्टेंट पॉइंट है ठीक है और जो दूसरे प्रोफेशन है जैसे डॉक्टर बनना लॉयर बनना आर्किटेक्ट बनना सीए बनना यह सारे काम जो है एनआरआई कर सकता है और ओसीआई कार्ड होल्डर भी अब कर सकता है ठीक है इंडियन नेशनल के साथ किस चीज में इनको पैरि मिली हुई है ठीक है इंडियन नेशनल यानी कि जो इंडिया के ही सिटीजन है इंडिया में ही रहते हैं उनको डोमेस्टिक में मतलब एक इंडिया में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए अगर वोह फ्लाइट टिकट खरीदते हैं तो उनको जो एयर फेयर है वो जो एक इंडियन नेशनल को देना होता है वही देना पड़ेगा ठीक है तो ये आप देख लेना एंट्री फीज वगैरह में उनको छूट मिल जाती है एंट्रेंस एग्जाम में हो सकता है ये आप रीड कर लेना इतना इंपॉर्टेंट नहीं है ये एक चीज और जो आप यहां पे देख सकते हैं कि कुछ इकोनॉमिक फाइनेंशियल और एजुकेशनल राइट मिले होते हैं वो राइट क्या है इसके अंदर वो राइट यह है कि जो भी इकोनॉमिक फाइनेंशियल और एजुकेशनल फील्ड है उसके अंदर अगर उसको बाहर से कहीं से पैसा मंगाना है तो वह मंगा सकता है उसके ऊपर थोड़ी सी रिस्ट्रिक्शंस कम हो जाते हैं ये भी इतना इंपॉर्टेंट पॉइंट नहीं है बस रीड करके एक में रखना कि हां फेमा एक्ट का इससे कुछ लेना देना है ठीक है बस इतना इसके अंदर आप माइंड के अंदर रखेंगे इसको कुछ एग्मन दे रखी हैं देखिए क्या होता है जब भी कोई फॉरेनर इंडिया में रह रहा होता है तो उसको हर 180 दिन के बाद पुलिस स्टेशन में जाके एफ आर आरओ के पास जो है जाके रजिस्टर कराना होता है ठीक है फॉरेन फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर के पास रजिस्टर कराना होता है लेकिन अगर आपके पास ओसीआई कार्ड है तो यह करने की आपको जरूरत नहीं है आप कितना भी समय इंडिया के अंदर रह सकते हैं तो एक तो मल्टीपल एंट्री मिल गई ऊपर से कितना भी समय इंडिया में रहो बिना रजिस्ट्रेशन के कुछ रिस्ट्रिक्शंस इनके ऊपर से हट जाती है जैसे किय रिलीजियस प्लेसेस पर जा सकते हैं लेकिन अगर वह प्रीच करना चाहते हैं खुद वहां पर रिलीजस प्लेसेस के अंदर प्रीच करना चाहते हैं तो वह अलाउड नहीं है यह रिस्ट्रिक्शन उनके ऊपर अभी भी है ठीक है यह कुछ रिस्ट्रिक्शंस है जो आप देख सकते हैं ज्यादातर जो इंपॉर्टेंट थी वो मैं बता चुका हूं कि वो वोट नहीं डाल सकते वो प्रेसिडेंट का इलेक्शन वाइस प्रेसिडेंट का इलेक्शन नहीं लड़ सकते वो एमपी एमएलए नहीं बन सकते हैं ठीक है यह रहा एलिजिबल नहीं है इन सब चीजों के लिए ठीक है एग्रीकल्चर प्रॉपर्टी ओन नहीं कर सकते यह सब मैं आपको बता चुका हूं यह एनआरआई की डेफिनेशन है जो आप देख लेंगे कोई भी ऐसा सिटीजन ऑफ इंडिया सिटीजन होते हैं यह एनआरआई जो हैं वह इंडिया के सिटीजन होते हैं ऐसे सिटीजन जो इंडिया से बाहर रह रहे हैं कितने दिनों के लिए साल में 183 दिनों से ज्यादा दिन वह इंडिया से बाहर रह रहे हैं उनको एनआरआई कहा जाता है एनआरआई को वोटिंग राइट भी मिला होता है और वह इनकम टैक्स रिटर्न भी फाइल करते हैं इंडिया की तरह ही ठीक है वोटिंग राइट इन्हें मिला होता है यह देख लेंगे फॉरेनर्स एक्ट 1946 जो है वो फॉरेनर्स की चीजों को गवर्न करता है तो यह सब आपको देखना था ओसीआई के अंदर क्योंकि कुछ यह न्यूज़ में रहा है करंट अफेयर से रिलेटेड था इसलिए इसको कवर किया है वरना ज्यादातर यह न्यूज़ में इतना रहता नहीं है अभी तक हमने यह देखा है कि इंडिया की टेरिटरी कैसी है इंडिया की यूनियन कैसी है उन सब चीजों के बारे में देखा आर्टिकल एक से लेकर चार तक फिर उसके बाद पांच से लेकर 11 तक जो आर्टिकल हैं वो सिटीजनशिप से जुड़े हुए हैं लेकिन हमने पांच से 11 तक आर्टिकल नहीं देखे हैं हमने देखा है सिटीजनशिप एक्ट 1955 देखा हमने और इसके अंदर जो रिसेंट चेंज हुआ है सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट 2019 वह भी हमने इसके अंदर देखा तो एक से लेकर 11 तक हम आर्टिकल पहुंच चुके हैं अब हमें देखने है आर्टिकल 12 ऑनवर्ड 12 के बाद के देखने हैं तो आर्टिकल 12 से हमारा एक चैप्टर चालू होता है एक नया पार्ट चालू होता है जिस पार्ट को कहा जाता है फंडामेंटल राइट्स ठीक है जो हमारे यूनियन एंड इट्स टेरिटरी था वो पार्ट वन के अंदर लाई करता है सिटीजनशिप पार्ट टू के अंदर ला लाई करता है तो फंडामेंटल राइट्स पार्ट थ्री में लाय करेंगे देखिए अंग्रेजों ने एक अपना मैग्ना कार्टा बनाया था एक चार्टर बनाया था जिस चार्टर के अंदर लिखा था कि लिबर्टी के कुछ प्रिंसिपल्स लिखे थे ठीक है तो उसको यह माना जाता था कि लिबर्टी को लेकर यह बहुत ही अच्छा डॉक्यूमेंट माना जाता था इंडिया के केस में फंडामेंटल राइट्स वाला ये जो हमारा पार्ट थ्री है पार्ट थ्री को मैग्ना काटा ऑफ इंडिया कहा जाता है जैसा अंग्रेजों का मैग्ना काटा था वैसे ही इंडिया के लिए मैग्ना काटा क्या बनेगा फंडामेंटल राइट्स बनेंगे तो कोई एक सिंपल सी स्टेटमेंट आ जाए कि मैग्ना कार्टा ऑफ इंडिया किसको कहते हैं तो आप उसमें फंडामेंटल राइट्स को मार्क कर देंगे देखिए इंडिया जब आजाद हुआ था तो इंडिया एक बहुत ही गरीब कंट्री था जिसका बहुत ज्यादा एक्सप्लोइटेशन हुआ था एक कॉलोनियल गवर्नमेंट के द्वारा ब्रिटेन ने इंडिया को बहुत लूटा था तो उसके बाद इंडिया के पास ज्यादा रिसोर्सेस नहीं थे तो जब इंडिया का कॉन्स्टिट्यूशन बना 1950 के अंदर तो हमारे कॉन्स्टिट्यूशन मेकर्स ने क्या कहा कि हम दो तरह के राइट्स रखेंगे दो तरह के राइट्स हम अपने कांस्टिट्यूशन में डालेंगे एक राइट्स तो वो हैं जो कि हम तुरंत ही लोगों को देना चाहते हैं यह राइट्स होते हैं पॉलिटिकल नेचर के हर किसी को पॉलिटिकल जस्टिस मिलना चाहिए हर किसी को पॉलिटिकल राइट्स मिलने चाहिए तो यह वाले राइट्स दिए गए जिनको रखा गया फंडामेंटल राइट्स के अंदर यह फंडामेंटल राइट्स एनफोर्सेबल होते हैं एनफोर्सेबल होते हैं साथ ही साथ इनके साथ एक एक्स्ट्रा इनको वो मिली हुई है प्रोटेक्शन वो क्या है कि देखिए हमने कुछ पॉलिटिकल राइट्स अपने लोगों को दिए हैं हम लोगों के पास कुछ-कुछ पॉलिटिकल राइट्स हैं जो कि पार्ट थ्री फंडामेंटल राइट्स के अंदर लिखे हुए हैं अगर हमारे यह राइट्स हमें सरकार नहीं देती है या किसी भी वजह से हमारे इस राइट्स को कम किया जाता है तो हम डायरेक्टली डायरेक्टली हम सुप्रीम कोर्ट के पास जा सकते हैं मैंने आपको बताया था कि इंडिया की जुडिशरी इंटीग्रेटेड है यानी कि पहले आपको सबोर्डिनेट जुडिशरी पे जाना पड़ेगा फिर हाई कोर्ट पे जाना पड़ेगा और फिर आप सुप्रीम कोर्ट पे जाओगे लेकिन अगर आपके यह फंडामेंटल राइट्स को वायलेट किया जाता है को खत्म किया जाता है या कम किया जाता है तो आप डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट को अप्रोच कर सकते हैं इसीलिए फंडामेंटल राइट्स जो हैं वह इनको एक थोड़ा ज्यादा दर्जा दिया गया है इसको माना गया है कि किसी के भी लाइफ में यह बेसिक राइट्स हैं जो हर किसी को मिलने चाहिए तो फंडामेंटल राइट्स के अंदर कुछ ऐसे पॉलिटिकल राइट्स रखे हुए हैं इसके अलावा कुछ सोशल राइट्स थे सामाजिक राइट्स थे और कुछ पॉलिटिकल राइट्स थे सॉरी इकोनॉमिकल राइट्स थे इकोनॉमिकल यानी कि अगर तुम्हारी नौकरी नहीं है तो तुम्हें बेरोजगारी भत्ता मिलना चाहिए तो इस तरह के कुछ इकोनॉमिकल राइट्स है लेकिन इंडिया 1950 के अंदर उतनी ज्यादा सक्षम नहीं थी उसके पास इतने ज्यादा पैसे नहीं थे कि वह शुरुआत से लोगों को इकोनॉमिकल राइट्स दे सके लोगों को यह कह सके कि अगर हम तुम्हें नौकरी नहीं दे पाएंगे तो हम तुम्हें बदले में पैसे देंगे यह करने की इंडिया के पास ताकत नहीं थी तो कांस्टिट्यूशन मेकर्स ने क्या कहा उन्होंने कहा कि ये जो पॉलिटिकल राइट्स हैं इनको हम तुरंत ही एनफोर्सेबल बना देते हैं अगर इन राइट्स को इन राइट्स को कोई भी वायलेट करेगा तो आप डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट जा सकते हो लेकिन जो सोशल और इकोनॉमिक राइट्स हैं इनको इंप्लीमेंट करने की हमारे पास अभी ताकत नहीं है तो हम क्या कहते हैं हम इन राइट्स को कांस्टिट्यूशन में रखते जरूर हैं लेकिन गाइडलाइन की तरह रखते हैं गाइडलाइन क्या है कि जब भी स्टेट जब भी कोई पार्लियामेंट स्टेट लेजिसलेच्योर मेंट या फिर स्टेट गवर्नमेंट जब भी कोई भी लॉ बनाएगी या कोई भी एक्शन लेगी तो वो ये कोशिश करेगी कि ये जो हमारे राइट्स हैं सोशल और इकोनॉमिक राइट्स हैं इनको इंप्लीमेंट किया जाए इनको फुलफिल करने की कोशिश की जाए पर क्या होगा अगर वो नहीं कर पाते हैं तो तो उन्होंने कहा तो हम कुछ नहीं कर सकते हमें यह मजबूरी समझनी पड़ेगी कि हमारे पास इतने पैसे नहीं है कि हम सरकार को मजबूर कर सके कि इन राइट्स को फुलफिल करो तो सरकार के ऊपर कोई कंपल्शन नहीं है इन राइट्स को फुलफिल करने की पर ये गाइडलाइंस की तरह है ठीक है तो ये जो राइट्स हैं ये नॉट एनफोर्सेबल होते हैं नॉट एनफोर्सेबल ये वाले राइट जो सोशल और इकोनॉमिक राइट्स हैं ये राइट्स आपको कहां पे देखने को मिलते हैं आपको देखने को मिलते हैं पार्ट फोर के अंदर पार्ट फोर का नाम दिया गया है डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ स्टेट पॉलिसी डीपीएसपी डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ स्टेट पॉलिसी यानी कि स्टेट की जब भी पॉलिसी बनेगी स्टेट का मतलब वो वाली राज्य वाली स्टेट नहीं स्टेट का मतलब चाहे वोह सेंट्रल लेवल पे हो चाहे स्टेट लेवल पे चाहे लोकल लेवल पे कभी भी स्टेट की पॉलिसी बनेगी तो उनको कुछ गाइडलाइन दी गई हैं जो कि डीपीएसपी की फॉर्म में हमारे कांस्टिट्यूशन के पार्ट फोर के अंदर एजिस्ट करती हैं आप इन गाइडलाइंस को फॉलो करने की की कोशिश करें अगर आप नहीं कर सकते तो आपको कोई कोर्ट में नहीं घसीट सकता है क्यों नहीं घसीट सकता है क्योंकि हम यह मजबूरी समझ रहे हैं कि हो सकता है आपके पास पैसे ना हो इसीलिए आप ये गाइडलाइन फॉलो नहीं कर रहे ठीक है ये मैंने इसलिए बताया क्योंकि एक स्टेटमेंट आती है कि फंडामेंटल राइट्स को ऐसे कौन सी चीजें हैं जिनको हमारे कॉन्स्टिट्यूशन का कॉर्नर स्टोन माना जाता है तो उसमें आंसर हो जाएगा फंडामेंटल राइट्स अलोंग विद डीपीएसपी यानी कि फंडामेंटल राइट्स और डीपीएसपी दोनों के दोनों जो हैं कांस्टिट्यूशन के कॉर्नर्स स्टोन या फिर कांस्टिट्यूशन का कॉन्शियस उसकी सोल माना जाता है ठीक है तो यह जो फंडामेंटल राइट्स और डीपीएसपी हैं ये मिलके हमारे कॉन्स्टिट्यूशन की कॉन्शियस बनते हैं किसी भी देश के अंदर दो तरह के लोग रह रहे होते हैं या तो देश के अंदर सिटीजंस रह रहे होंगे जो देश के नागरिक हैं या फिर एलियन रह रहे होंगे एलियन का मतलब वो नहीं कि मार्स से आए हुए हैं जो भी फॉरेनर होते हैं उनको एलियन कह दिया जाता है ठीक है तो जो फंडामेंटल राइट्स हैं काफी हद तक जो राइट्स हैं वो सिटीजन और एलियन दोनों के लिए हैं लेकिन कुछ ऐसे राइट्स हैं जो केवल और केवल सिटीजंस को मिलते हैं तो यह आपको याद रखना है कि ऐसे कौन से राइट्स हैं जो कि एलियन को अवेलेबल नहीं है वो राइट्स कौन से हैं 15 16 19 29 30 कैसे याद रखेंगे 15 और 16 तो साथ साथ है 29 29 30 साथ साथ है फिर 29 से 10 कम कर दो 15 16 19 29 30 तीन-चार बार बोलेंगे याद हो जाएगा 15 16 19 29 30 अब मैंने आपको पहले ही बताया था कि जितने भी आपको राइट्स देखने को मिलेंगे हमारे कॉन्स्टिट्यूशन के अंदर ज्यादातर जो राइट्स हैं उनके ऊपर रिस्ट्रिक्शंस लगी होती हैं जैसे कि आपको राइट मिला हुआ है कि आप अपनी एक्सप्रेशंस को आप अपनी थॉट को कैसे भी एक्सप्रेस कर सकते हैं ठीक है लेकिन कल को एक आदमी रोड प जाए और लो लोगों को उकसाने लगे कि आप दंगा कर दो आप किसी एक कम्युनिटी के खिलाफ नारेबाजी करो और उस सा उस कम्युनिटी के खिलाफ लोगों को भड़काऊ कि वो दंगा कर दे तो यह जो है तुम कहो कि भाई मेरे को राइट मिला हुआ अपने थॉट को एक्सप्रेस करने का मैं अपने थॉट्स को एक्सप्रेस कर रहा हूं पर यह अलाउड नहीं है कोई भी ऐसा राइट जो कि वायलेंस को इंसाइट करता है वो वो अलाउड नहीं है ठीक है यानी कि आपको हमने यह आजादी तो दी है कि आप खुद को एक्सप्रेस करो लेकिन आपके ऊपर एक रिस्ट्रिक्शन लगाई हुई है ये रिस्ट्रिक्शन क्या आप कहेंगे कि ये रिस्ट्रिक्शन लॉजिकल है क्या आप कहेंगे कि ये जो रिस्ट्रिक्शन है ये रीजनेबल है तो इन रिस्ट्रिक्शन को रीजनेबल रिस्ट्रिक्शन कहा जाता है आपको राइट है आप पूरे देश में कहीं प भी घूम सकते हैं तो इसका मतलब क्या है कि आप किसी आदिवासी के एरिया में घुस जाएंगे और उस आदिवासी को तंग करने लगेंगे यह अलाउड नहीं है ठीक है तो इस तरह से ज्यादातर जो राइट्स हैं उनके ऊपर कुछ ना कुछ रिस्ट्रिक्शन लगी हुई है जिनको रीजनेबल रिस्ट्रिक्शन कहा जाता है यह कहा जाता है कि ये जो राइट्स हैं यह क्वालिफाइड हैं क्वालिफाइड है यानी कि इनके ऊपर कुछ कंडीशन लगी हुई है लेकिन दो राइट्स ऐसे हैं दो फंडामेंटल राइट्स ऐसे हैं जो कि एब्सलूट हैं जिनके ऊपर कोई भी कंडीशन नहीं लगी हुई वो दो फंडामेंटल राइट्स कौन से हैं एक है आर्टिकल 17 आर्टिकल 17 बात करता है अनटचेबिलिटी की अनटचेबिलिटी की बात करता है कि अनटचेबिलिटी को अबॉलिश कर दिया है अगर कोई अनटचेबिलिटी को प्रैक्टिस करता है जिसकी वजह से किसी को कोई डिसेबिलिटी होती है तो वह एक ऑफेंस है ऑफेंस है जिसके अगेंस्ट आपको पनिशमेंट हो सकती है आर्टिकल 24 जो है वह चाइल्ड लेबर की बात करता है चाइल्ड लेबर की बात करता है उसको प्रोहिबिट और उसको रेगुलेट करने की बात करता है यह दोनों राइट्स जो है वह एब्सलूट राइट्स मिले हुए हैं बाकी सारे के सारे जो राइट्स हैं वो उनके ऊपर रीजनेबल रिस्ट्रिक्शंस लगी हुई है इस बात से आप मत डरना कि यह कैसे याद होंगे अभी जब हम लाइन वाइज करते जाएंगे तो ये सारे के सारे मैं आपको याद कराऊंगा उसकी चिंता मत कीजिए आप जो फंडामेंटल राइट्स हैं देखिए कांस्टिट्यूशन का एक काम क्या है कांस्टिट्यूशन का एक काम है कि वो लेजिसलेच्योर लिमिट लगाता है क्या लगाता है लिमिट लगाता है कांस्टीट्यूशन लिमिट लगाता है उसी तरह से जो फंडामेंटल राइट्स हैं फंडामेंटल राइट्स भी हमारा जो एग्जीक्यूटिव है हमारे जो लेजिसलेच्योर प कोई आदमी निकलेगा मैं उसको जेल में डाल दूंगा एग्जीक्यूटिव ने ऐसा इंप्लीमेंट करना चालू कर दिया फंडामेंटल राइट्स क्या कहते हैं कि आपको मूवमेंट की आजादी है आप रोड पे निकल सकते हो आपका फंडामेंटल राइट एग्जीक्यूटिव का एक्शन जो है वो आपका फंडामेंटल राइट वायलेट कर रहा है तो आप क्या करेंगे आप डायरेक्ट सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं अपने राइट को रिस्टोर कराने के लिए तो फंडामेंटल राइट ने क्या किया एग्जीक्यूटिव के एक अजीब से काम को जो कि आपके राइट्स को हार्म करता था उस चीज को इसने खत्म कर दिया उस चीज के अगेंस्ट आपको प्रोटेक्शन दे दी ऐसे ही कल को लेजिस्लेटर कोई लॉ बना दे और वो लॉ बिल्कुल ही अनज हो लॉ बिल्कुल अनज हो लॉ यह कह दे कि आप कल से मंदिर नहीं जाएंगे एक लॉ बन गया मान लीजिए ऐसा कि कल से कोई भी इंसान इंडिया के अंदर मंदिर नहीं जाएगा ये एक अनज लॉ है और आप के एक फंडामेंटल राइट को वायलेट करता है तो आप क्या करेंगे आप डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं अंडर आर्टिकल 32 आप अपनी 32 दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे कि देख तूने मेरे मेरे राइट्स को हैंपर करने की कोशिश की अब मैं तेरी 32 ही तोड़ता हूं तो आप आर्टिकल 32 को यूज करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच सकते हैं ठीक है तो ये फंडामेंटल राइट्स क्या कर रहे हैं यह फंडामेंटल राइट्स आपको प्रोटेक्ट कर रहे हैं एग्जीक्यूटिव और लेजिसलेच्योर जीब एक्शन से तो हम कह सकते हैं फंडामेंटल राइट्स एनफोर्सेबल है अगेंस्ट आर्बिट्रेरी इनवेजन ऑफ दी स्टेट आर्बिट्रेरी यानी कि ऐसा जो कि बिना सर पैर का है जिसके पीछे लॉजिक नहीं है तो ज्यादातर जो फंडामेंटल राइट्स हैं वोह स्टेट के अगेंस्ट है स्टेट का मतलब यहां पे राज्य नहीं है स्टेट का यहां पे मतलब क्या होता है स्टेट का आप यहां पे मतलब लेके चलेंगे पार्लियामेंट और यूनियन की गवर्नमेंट यानी कि सेंट्रल लेवल पे लेजिसलेच्योर स्टेट का लेजिसलेच्योर क्या होता है तीसरा मतलब होता है कोई भी लोकल अथॉरिटी जो इंडिया के अंदर एजिस्ट करती हो तो स्टेट की जो डेफिनेशन है जहां पे भी आप फंडामेंटल राइट्स के अंदर स्टेट देखेंगे जहां पे भी स्टेट लिखा हुआ देखेंगे आप राज्य नहीं मानेंगे आप क्या मानेंगे इनमें से इनकी बात हो रही है इनन सभी की बात हो रही है ठीक है तो ज्यादातर जो फंडामेंटल राइट्स है वो स्टेट के ऊपर लगाम लगा के रखता है लेकिन कुछ फंडामेंटल राइट्स ऐसे हैं जो कि प्राइवेट लोगों के ऊपर भी लगाम लगाते हैं रोहन सोहन मोहन सुमित अमित सबके ऊपर जो है रिस्ट्रिक्शन लगाते हैं ऐसे कौन से राइट हैं ये है 15 17 18 23 और 24 जब हम करेंगे तो ये आपको याद हो जाएगा बस जब मैं आपको एक बार याद करा दूं तो इस पेज के ऊपर आप वापस आ जाना कुछ राइट्स ऐसे हैं जो कि आपके पार्ट थ्री के बाहर लिखे हुए हैं मतलब यह राइट्स ऐसे हैं जो आपको मिले हुए हैं लेकिन यह फंडामेंटल राइट्स नहीं है इन राइट्स को क्या कहते हैं ये फंडा टल राइट्स नहीं है पर ये आपके कॉन्स्टिट्यूशन में मेंशन है तो इन राइट्स को कहा जाता है कि कुछ कांस्टीट्यूशनल राइट्स आपको और मिले हुए हैं कांस्टीट्यूशनल राइट्स आपको और मिले हुए हैं और यह कांस्टीट्यूशनल राइट क्या है राइट टू एक्वायर प्रॉपर्टी आप प्रॉपर्टी को एक्वायर कर सकते हैं और यह कहां पे है यह है 300a के अंदर 300a ए भी इसके साथ ही पढ़ना है आपको फिर ट्रेड और कॉमर्स का आपको आजादी मिली हुई है वो है 301 के अंदर फिर मिला हुआ है आपको राइट टू वोट राइट टू वोट है 326 के अंदर 326 के अंदर आपको राइट टू वोट मिला हुआ है याद करने के लिए 3 * 2 = 6 होता है ठीक है यह एक तरह से यूनिटी दिखा रहा है कि आप जितना ज्यादा यूनाइटेड रहेंगे उतनी आपकी ताकत बढ़ेगी सिटीजंस अगर यूनाइटेड रहेंगे और सही से वोट देंगे तो वो अच्छे पॉलिटिशियन को अच्छे नेताओं को चुन सकते हैं तो 326 जो है वो आपका राइट टू वोट कहलाता है ठीक है वहां पे आपको राइट टू वोट लिखा हुआ है आर्टिकल 350a और 350 बी बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है इसको आप अच्छे से याद रखेंगे ये दोनों के दोनों राइट्स जो हैं वो लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी के लिए लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी की प्रोटेक्शन के लिए ये राइट्स बने हुए हैं लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी कौन सी होती है ये वो माइनॉरिटी है मतलब देखिए इंडिया के अंदर ढेर सारे लोग रहते हैं हो सकता है कुछ लोग ऐसे हो जो ऐसी लैंग्वेज बोलते हो जो ज्यादातर लोग नहीं बोलते मतलब गिने-चुने लोग हैं जिनकी लैंग्वेज बहुत ही अलग है तो इनको लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी कहा जाता है तो देखिए कल्चर बचाने में आपको ऐसे लोगों की इस लैंग्वेज को बचाना आपकी जिम्मेदार बचती है वरना यह जो आपका एक कल्चर है यह कल्चर धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा सब के सब फिर सिर्फ फिर इंग्लिश बोलते रहेंगे तो इससे जो हमारे देश की जो एक एक कलरफुल हमें देश दिखाई देता है एक वाइब्रेंट देश दिखाई देता है जहां पर अलग-अलग तरह के लोग रहते हैं अलग-अलग बोलियां बोली जाती हैं वो खत्म हो जाएगा तो हमें लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी को भी प्रोटेक्ट करना है उसके लिए दो राइट्स मिले हुए हैं 350a और 350 बी 350a क्या कहता है कहता है कि लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी का अगर कोई बच्चा है च चिल्ड्रन है तो उसकी जो प्राइमरी एजुकेशन होगी वह उसकी मदर टंग में होगी देखिए यह एक प्रूवन फैक्ट है कि जो छोटे बच्चे होते हैं उनको अगर उनकी मदर टंग में पढ़ाया जाए तो वह जल्दी चीजों को समझते हैं अब कोई आदमी है कोई बच्चा है जो कि अपनी मां की भाषा ही समझ पाता है जो उसके यहां पे बोली जाती है वही समझ पाता है लेकिन उसको पढ़ाया जा रहा है इंग्लिश में तो वो आधा टाइम कंफ्यूज ही रहेगा कि यह बोल के क्या चला गया टीचर तो क्या कहा गया है कि लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी का अगर कोई बच्चा है तो उसकी प्राइमरी एजुकेशन उसकी मदर टंग में होगी यह गवर्नमेंट की यह स्टेट की यह स्टेट की रिस्पांसिबिलिटी है ठीक है और जो प्रेसिडेंट है प्रेसिडेंट जो राज्य होते हैं राज्यों को इसके लिए डायरेक्शंस दे सकता है यह जब हम ऑफिशियल लैंग्वेज का चैप्टर करेंगे तो इसको दोबारा से देखेंगे पर आई होप आप थोड़ा सा इसको याद करने की कोशिश करेंगे दूसरा जो है वह है 350 बी 350 बी 350 बी क्या कहता है वो कहता है कि प्रेसिडेंट एक ऑफिसर को अप पॉइंट करेगा उस ऑफिसर का नाम होगा लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी ऑफिसर इस ऑफिसर का काम होगा कि जो भी लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी हैं उनके जो भी सेफ गार्ड मिले हुए हैं उन सेफ गार्ड को इंश्योर करें यह इंश्योर करें कि उनके सेफ गार्ड जो हैं वो सही से उनको मिल रहे हैं या नहीं मिल रहे तो 350a के अंदर प्राइमरी एजुकेशन 350 बी के अंदर आपको लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी 326 में आपको राइट टू वोट मिला हुआ है और 30a के अंदर आपको राइट टू प्रॉपर्टी मिला हुआ है इस राइट टू प्रॉपर्टी के बारे में हम आगे भी बात करेंगे ठीक है तो फंडामेंटल राइट्स आपके कहां पे लिखे हुए हैं पार्ट थ्री के अंदर लिखा हुआ है सवाल आ जाए कि सिवाय पार्ट थ्री के सिवाय पार्ट थ्री के हमारा कांस्टिट्यूशन कोई भी राइट नहीं देता है यानी या कुछ इस तरह कहा जाए कि कांस्टिट्यूशन में सारे के सारे राइट्स जो हैं वो पार्ट थ्री के अंदर लिखे हैं तो यह गलत होगा क्योंकि कुछ कांस्टीट्यूशनल राइट्स और लिखे हुए हैं जो कि यहां पे हैं पार्ट थ्री के अंदर सिर्फ वो राइट्स है जो कि फंडामेंटल राइट्स कहलाए जाते हैं अच्छा अब कोई सवाल आ जाए कि ये जो पार्ट थ्री है इन राइट्स के अंदर और यह वाले जो पार्ट थ्री के बाहर के राइट्स हैं इनमें क्या डिफरेंस है तो इनमें यह डिफरेंस है कि पार्ट थ्री के राइट्स अगर इनको वायलेट किया जाता है इनको खराब किया जाता है तो आप डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट जाने की आपको इसमें राइट मिला हुआ है लेकिन इन राइट्स को अगर कोई वायलेट करता है तो क्या आप डायरेक्ट सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं तो आप डायरेक्ट सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकते ये सिर्फ कांस्टीट्यूशनल राइट्स हैं ये फंडामेंटल राइट्स नहीं है पर आपको ये नंबर से याद होने चाहिए इसलिए मैंने यहां पे आपको लिख के दे दिया है अब हम आर्टिकल वाइज पूरे के पूरे फंडामेंटल राइट्स को याद करेंगे ठीक है हमारे फंडामेंटल राइट्स कहां से चालू होते हैं देखिए एक से लेके चार तक तो आपके यूनियन एंड इ टेरिटरी यूनियन एंड इ टेरिटरी के वह हैं आर्टिकल्स फिर पांच से लेकर 11 तक सिटीजनशिप के आर्टिकल्स हैं फिर 12 से हमारे चालू होते हैं फंडामेंटल राइट्स के आर्टिकल्स जो कि जाते हैं 35 तक 12 से लेके 35 तक हमारे फंडामेंटल राइट्स का चैप्टर है जो कि पार्ट थ्री कहलाया जाता है 12 12 * 3 ठीक है 12 * 3 36 तो 36 से लेके 51 तक तक 36 से लेकर 51 तक हमारे डीपीएसपी हैं डीपीएसपी वो गाइडलाइंस हैं जो कि हम करना चाहते हैं लेकिन हमारे पास अभी इतने रिसोर्सेस नहीं है कि हम उनको एनफोर्स कर सके तो यह गाइडलाइन की फॉर्म में कांस्टिट्यूशन के अंदर लिखे हैं कि जब भी आपको मौका मिले आप इन डीपीएसपी को इंप्लीमेंट करें यह कहां पे लिखी है ये लिखी हुई है पार्ट फोर के अंदर 36 से लेकर 51 तक ठीक है तो यह हमें देखना है अभी तो हमारे फंडामेंटल राइट्स चालू होते हैं 12 से 12 में हम कांस्टिट्यूशन पहले ही स्टेट को डिफाइन कर देता है कि स्टेट की डेफिनेशन क्या होती है तो स्टेट की डेफिनेशन मैं बता चुका हूं पार्लियामेंट सेंट्रल लेवल पे पार्लियामेंट और गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ठीक है दूसरी स्टेट की डेफिनेशन के अंदर और क्या आता है स्टेट का लेजिसलेच्योर इंडिया के अंदर है वो सारी की सारी तो यह सब के सब स्टेट की डेफिनेशन में आएगा यानी कि पार्ट थ्री में पार्ट थ्री में जब भी हम स्टेट शब्द सुनेंगे हम मानेंगे कि इनमें से कोई भी या फिर यह सारे के सारे ठीक है ये सारे के सारे आप मान के चलना सेम स्टेट की डेफिनेशन जो है वो रिपीट होती है 12 * 3 कर लीजिए 36 तो आर्टिकल 36 के अंदर भी स्टेट की डेफिनेशन रिपीट होती है और वो भी सेम डेफिनेशन बोलता है यानी कि डीपीएसपी में भी जहां पे भी आपको स्टेट लिखा हुआ मिल जाए आप उसको मान के चलेंगे कि स्टेट के अंदर ये सारे लोग आते हैं स्टेट को आप राज्य नहीं मानेंगे ये था आपका आर्टिकल 12 जो कि स्टेट की डेफिनेशन देता है अगर हम बात करें आर्टिकल 13 की आर्टिकल 13 क्या कहता है आर्टिकल 13 कहता है कि भाई फंडामेंटल राइट्स जो हैं जो कि पार्ट थ्री में मेंशन है वो इतने अच्छे हैं वो इतने अच्छे हैं कि आप इनको वायलेट नहीं कर सकते आर्टिकल 13 कहता है कि अगर कोई लॉ कांस्टिट्यूशन लागू होने से पहले से बना हुआ है बहुत सारे लॉ ऐसे ब्रिटिश लॉ थे ब्रिटिश लॉ थे जो कि अंग्रेजों ने बनाए थे लेकिन वह आज भी कंटिन्यू होते हैं ठीक है तो इसलिए कंफ्यूज नहीं होना है तो 1950 में हमने कांस्टिट्यूशन को अडॉप्ट किया लेकिन उससे पहले के भी कुछ कानून बने हुए थे तो आर्टिकल 13 कहता है कि 1950 में जब हमने अपना कांस्टिट्यूशन अडॉप्ट कर लिया है उससे पहले अगर कोई लॉ बना हुआ था और वो लॉ किसी फंडामेंटल राइट को वायलेट करता है तो जिस हद तक वो फंडामेंटल राइट को वायलेट करेगा उसको खराब करेगा उसको कम करेगा उस हद तक वो वाला लॉ जो है वो खत्म हो जाएगा ठीक है मान लीजिए कोई लॉ बना हुआ है ये पूरा का पूरा लॉ है इस लॉ का ये वाला हिस्सा फंडामेंटल राइट्स को वायलेट करता है तो आर्टिकल 13 क्या कहता है कि यह वाला जो हिस्सा है यह वाला हिस्सा नल एंड वॉइड हो जाएगा यानी कि बाकी का जो लॉ है वो लगता रहेगा बाकी का जो लॉ है वो लगता रहेगा यह वाला जो हिस्सा है यह वायलेट ये जो है यह नल हो जाएगा यह वॉइड हो जाएगा इसको हम कंसीडर नहीं करेंगे हम मान के चलेंगे कि यह लॉ का हिस्सा नहीं है ठीक है तो एक तो उसने यह कहा कि 1950 से पहले के जो लॉ बने हुए हैं वो जिस हद तक फंडामेंटल राइट्स को खराब करेंगे वो उस हद तक खत्म हो जाएंगे ठीक है दूसरा उसने कहा कि पुराने लॉ जो पुराने लॉ जो थे उनके लिए हमने बात कर ली दूसरा आर्टिकल 13 कहता है कि आगे जाके भी आगे जाके भी जो स्टेट है कोई ऐसा लॉ नहीं बनाएगी जो कि फंडामेंटल राइट्स को वायलेट करें या फंडामेंटल राइट्स को कम करने का काम करें यानी कि आर्टिकल 13 कहता है कि कांस्टिट्यूशन आने से पहले के लॉ भी फंडामेंटल राइट को खराब नहीं कर सकते और कांस्टिट्यूशन आने के बाद कोई भी ऐसा लॉ नहीं बनाया जा सकता जो कि फंडामेंटल राइट को खराब करे तो फंडामेंटल राइट्स को एक बहुत ही ऊंचा दर्जा दिया गया है जो पहले के लॉ एजिस्ट करते हैं वो भी फंडामेंटल राइट्स को खराब नहीं कर सकते और आगे तुम ऐसा कोई भी लॉ नहीं बनाओगे जो कि फंडामेंटल राइट्स को खराब करे आर्टिकल 13 कहता है तो अगर कोई लॉ कोई लॉ बना दिया स्टेट ने कोई लॉ बना दिया और वो लॉ आपके फंडामेंटल राइट को वायलेट करता है तो क्या हमारा आर्टिकल 13 तो कह रहा है कि फंडामेंटल राइट को वायलेट नहीं करना पर लॉ बना दिया तो क्या तो आप जाएंगे सीधा जुडिशरी के पास और जुडिशरी उसको नल एंड वॉइड डिक्लेयर कर देगा कौन डिक्लेयर करेगा नल एंड वॉइड जुडिशरी डिक्लेयर करेगी तो इसीलिए कहा जाता है जो आर्टिकल 13 है आर्टिकल 13 जुडिशियस का बेसिस बनता है जुडिशियस रिव्यू का मतलब यह है कि जो भी लॉ बनाया गया है जो भी एग्जीक्यूटिव ने एक्शन लिया है उनको जुडिशरी रिव्यू कर सकती है परख सकती है अगर जुडिशरी को लगता है कि यह कांस्टिट्यूशन से कांस्टिट्यूशन को वायलेट करता है तो जुडिशरी उसको खत्म कर सकती है उस काम को उस लॉ को पूरी तरह से खत्म कर सकती है ठीक है तो आर्टिकल 13 जो है वो जुडिशियस रिव्यू की पावर देता है सवाल आ जाए कि कौन सा आर्टिकल है जो जुडिशियस की पावर दे रहा है तो आप कहेंगे आर्टिकल 13 इसी में अगर और प्रेसा इज आपको जानना है तो आप लिखेंगे आर्टिकल 13 का क्लॉज टू आर्टिकल 13 का क्लॉज टू जो है वो जुडिशियस की पावर देता है ठीक है अब यहां पे क्या सवाल है कि कोई भी ऐसा लॉ नहीं बनाया जाएगा कोई भी ऐसा लॉ नहीं बनाया जाएगा जो कि फंडामेंटल राइट्स को या तो कम करें या पूरी तरह से छीन ले अगर ऐसा कोई लॉ बनाया गया जो कि फंडामेंटल राइट्स को कम करे या फिर छीन ले तो उस लॉ को उस लॉ को वॉइड कर दिया जाएगा खत्म कर दिया जाएगा ठीक है ये कहा गया है किसको कहा गया लॉ को तो एक सवाल उठता है कि इस लॉ की डेफिनेशन में क्या इस लॉ की डेफिनेशन में अमेंडमेंट भी आता है क्या इस लॉ की डेफिनेशन में अमेंडमेंट भी आता है अगर आता है तो इसका मतलब ये हो जाएगा कि स्टेट जो है यानी कि पार्लियामेंट जो है पार्लियामेंट कांस्टीट्यूशन को अमेंड करने के बाद भी फंडामेंटल राइट्स को वायलेट नहीं कर सकती अगर लॉ की डेफिनेशन में अमेंडमेंट आता होगा तो क्योंकि आर्टिकल 13 क्या कहता है कि कोई लॉ ऐसा नहीं बनेगा जो कि फंडामेंटल राइट्स को वायलेट करे तो सवाल उठता है कि क्या हम अमेंडमेंट करके फंडामेंटल राइट्स को वायलेट कर सकते हैं तो इसकी एक पूरी डिबेट हुई थी जो कि हम अमेंडमेंट के चैप्टर के अंदर देखेंगे कि क्या डिबेट थी अभी आप क्या याद रखेंगे कि लॉ की डेफिनेशन के अंदर अमेंडमेंट नहीं आती है यानी कि यानी कि आर्टिकल 368 के अंदर अगर अमेंड अमेंट की गई है कांस्टिट्यूशन की और वह अमेंडमेंट आपके फंडामेंटल राइट्स को वायलेट करता है वह अमेंडमेंट फंडामेंटल राइट्स को वायलेट करती है तो वह कर सकती है उसको यह अलाउड है ठीक है इसके ऊपर एक कंडीशन यह लगी है कि फंडामेंटल राइट्स को वायलेट किया जा सकता है पर बेसिक स्ट्रक्चर को नहीं ठीक है यह सब आपको अमेंडमेंट के चैप्टर के अंदर क्लियर होगा अभी आप बस सुनते जाइए बेसिक स्ट्रक्चर मतलब फाउंडेशन को नहीं वायलेट किया जा सकता ठीक है तो आर्टिकल 132 कहता है कि कोई भी लॉ जो कांस्टीट्यूशन से पहले एजिस्ट करता था अगर वो लॉ हमारे फंडामेंटल राइट्स को खराब करता है तो जिस हद तक खराब करेगा उस हद तक वो लॉ वॉइड हो जाएगा आर्टिकल 13 का दूसरा पार्ट दूसरा सेक्शन क्या कहता है कि स्टेट जो है आगे फ्यूचर में भी ऐसा कोई लॉ नहीं बनाएगी जो आपके फंडामेंटल राइट्स को कमजोर करे या फिर उसको पूरी तरह से छीन ले ठीक है अगर छीना तो वो नल एंड वॉइड डिक्लेयर हो जाएगा और कौन डिक्लेयर करेगा जुडिशरी करेगी इसीलिए आर्टिकल 13 को कहा जाता है जुडिशियस रिव्यू का बेसिस सवाल उठा कि क्या अमेंडमेंट भी लॉ की डेफिनेशन में आता है या फिर हम अमेंडमेंट करके फंडामेंटल राइट्स को वायलेट कर सकते हैं तो उसके लिए एक अमेंडमेंट हुई थी अमेंडमेंट का नाम अमेंडमेंट थी 24th अमेंडमेंट 1971 और उस अमेंडमेंट से एक क्लॉज ऐड किया गया आर्टिकल 13 का क्लॉज चार ऐड किया गया जो कहता है कि लॉ की डेफिनेशन में अमेंडमेंट नहीं आएगी यानी कि अमेंड करके हम फंडामेंटल राइट्स को वायलेट कर सकते हैं ठीक है आर्टिकल 12 के अंदर हमने स्टेट की डेफिनेशन देखी आर्टिकल 13 के अंदर हमने जुडिशियस रिव्यू का बेसिस देखा कि पुराने लॉ फंडामेंटल राइट्स को खराब नहीं करेंगे और नए लॉ तुम ऐसे नहीं बनाओगे जो फंडामेंटल राइट्स को खराब करे अगर वो करता है तो तुम जुडिशियस रिव्यू का सहारा ले सकते हो इसी के अंदर हमने पढ़ा कि एक 24th अमेंडमेंट हुई है 24th अमेंडमेंट कहती है कि अगर हम आर्टिकल अगर हम आर्टिकल 368 को यूज करके अपने कॉन्स्टिट्यूशन में कोई बदलाव ले आए उसके अंदर अमेंडमेंट ले आए तो फंडामेंटल राइट्स को वायलेट किया जा सकता है ठीक है आर्टिकल 13 यह कहता है अब हमारे असली फंडामेंटल राइट्स चालू होंगे पहला जो हमारा क्लॉज पहले जो हमें फंडामेंटल राइट्स पढ़ने हैं वो इक्वलिटी से जुड़े हुए हैं तो आप इसके अंदर क्या देखेंगे इसके अंदर आपके आर्टिकल 14 से लेके 18 तक आते हैं ये सारे के सारे राइट किसी ना किसी तरह से इक्वलिटी एस्टेब्लिश करने की कोशिश करेंगे इंडिया के अंदर इक्वलिटी एस्टेब्लिश करेंगे तो जो पहला आर्टिकल है जिसको पेरेंट आर्टिकल कह सकते हैं इक्वलिटी का वो है आर्टिकल 14 14 से ही बाकी के सारे के सारे ये जो आर्टिकल है 15 16 17 और 18 ये सारे के सारे आर्टिकल जो है वो 14 से ही निकल के आएंगे आप देखना अभी आर्टिकल 14 कहता है कि जो स्टेट है स्टेट किसी को भी डिनायल बिफोर लॉ एंड इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ स्टेट शैल नॉट डिनायल एनी वन इक्वलिटी बिफोर लॉ एंड इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ इसका मतलब क्या है इसका मतलब यह है कि स्टेट किसी को भी इक्वलिटी बिफोर लॉ मना नहीं करेगी इसका मतलब यह होता है इक्वलिटी बिफोर लॉ का मतलब है कि नो वन नो वन इज अबब लॉ कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है आर्टिकल 14 में इक्वलिटी बिफोर लॉ का मतलब है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है कानून सबको एक बराबर मानता है और सबको इक्वली ट्रीट करता है इक्वली ट्रीट करता है और यह इक्वल ट्रीट करने से स्टेट मना नहीं करेगी ठीक है इस कांसेप्ट को एक नेगेटिव कांसेप्ट कहा जाता है यह कांसेप्ट हमने यूके से लिया है यूके से लिया है और नेगेटिव नेगेटिव क्यों क्योंकि ये नो नो वन से चालू होता है एक नेगेटिव स्टेटमेंट से चालू हो रहा है ठीक है अब इसके साथ दिक्कत क्या है इसके साथ दिक्कत यह है कि मान लीजिए एक रेस हो रही है रेस के अंदर दो लोग बहुत सारे लोग दौड़ रहे हैं इसी रेस के अंदर एक एक ऐसा आदमी है जिसकी एक ही टांग है वो डिसेबल्ड है और वो कहता है कि मुझे भी दौड़ना है मुझे भी पार्टिसिपेट करना है इस रेस के अंदर तो वो क्या कहते हैं तो वो कहते हैं कि इक्वलिटी बिफोर लॉ मनाया जाता है हमारे देश के अंदर हर किसी को इक्वल बनाया माना जाता है हर कोई इक्वल है तो ये जो लंगड़े लंगड़े और दोनों पैर वाले दोनों के दोनों एक ही ट्रैक पर एक साथ दौड़ेंगे यानी कि जो डिसेबल्ड आदमी है उसको भी इस दोनों टांग वाले के साथ दौड़ना पड़ेगा और ऐसा क्यों हो रहा है क्योंकि हम कांसेप्ट मानते हैं इक्वलिटी बिफोर लॉ का इक्वलिटी बिफोर लॉ कहता है कि हर कोई एक बराबर है हम सबको समान ट्रीट करेंगे ठीक है पर क्या ये लॉजिकली सही लगता है यह सही नहीं लगता तो इसीलिए हमने एक दूसरी टर्म भी इसके अंदर ऐड की हुई है और वो दूसरी टर्म क्या कहती है दूसरी टर्म कहती है इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ कि हम लोगों को इक्वल तो ट्रीट करेंगे लेकिन हम उनको प्रोटेक्शन भी प्रोवाइड करेंगे इस स्टेटमेंट से हमने क्या ऐड कर दिया इस स्टेटमेंट से यह ऐड कर दिया कि देखो हम यह जरूर मानते हैं कि लोग इक्वल है लेकिन जो कि हमें साफसाफ दिखाई दे रहा है कि यहां पर एक इक्वलिटी एजिस्ट करती है यहां पर यह कह दिया गया कि जितने भी लोग सिमिलर सिचुएशन में है हम उनको इक्वली ट्रीट करेंगे यानी कि दो रेस होंगी अब जिसके पास दोनों की दोनों टांगे हैं पूरी तरह से एबल्ड हैं वो एक साथ ल एक साथ दौड़ेंगे और जो कि सारे के सारे डिसेबल्ड हैं वो एक साथ दौड़ेंगे अब यहां पे इक्वलिटी एस्टेब्लिश हो गई ये भी एक तरह की इक्वलिटी है लेकिन यहां पे हमने एक डिफरेंस देख लिया है डिफरेंस क्या देखा है कि जो सिमिलर सरकमस्टेंसस में है जिनके सरकमस्टेंसस जिनकी सिचुएशन बराबर है उनको हम इक्वल ट्रीट करेंगे और उनसे बोलेंगे कि कंपीट करो ठीक है कंपलीट करो मैं एक एग्जांपल दे रहा हूं बस बेसिकली वो क्या कहता है यह पूरे के पूरे आर्टिकल का जिस्ट जो निकलता है वो यह निकलता है कि देखिए हम दो कांसेप्ट में बिलीव करते हैं पहला कांसेप्ट तो यह है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है हर एक इंसान को कानून सेम नजर से देखता है लेकिन हम हर हर जो कानून है वो हर किसी को इक्वल प्रोटेक्शन देगा यानी कि जिनके पास दोनों टांगे हैं उनको कम प्रोटेक्शन की जरूरत है और जिनके पास एक ही टांग है उसको ज्यादा प्रोटेक्शन की जरूरत है तो जो लॉ है लॉ इनके बीच में समानता लाने के लिए क्या करेगा इन्हें ज्यादा प्रोटेक्शन देगा इन्हें कम प्रोटेक्शन देगा तो यही जो बेसिस निकल के आया यहीं से हमारा बेसिस निकल के आता है रिजर्वेशन का या फिर अफर मेे एक्शन का अफर मेे एक्शन यानी कि रिजर्वेशन यानी कि कुछ लोग ऐसे होंगे जिनको एक सहायता की एक सहारे की जरूरत होगी उनको हम स्पेशल उनको हम स्पेशल ट्रीटमेंट दे सकते हैं ठीक है तो ये इक्वलिटी बिफोर लॉ और इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ की बात की जाती है ठीक है इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ यूएस का कांसेप्ट है और ये एक पॉजिटिव कांसेप्ट है इस लॉ को कैसे डिफाइन किया जाता है इसको डिफाइन किया जाता है इस लॉ शैल प्रोटेक्ट एवरीवन इक्वली लॉ शैल प्रोटेक्ट एवरीवन इक्वली यानी कि हर किसी को इक्वल प्रोटेक्शन देगा वो इक्वल प्रोटेक्शन देने के लिए जिनको ज्यादा प्रोटेक्शन की जरूरत है उनको ज्यादा प्रोटेक्शन मिलेगी जिनको कम उनको कम दी जाएगी तो उससे क्या होगा दोनों में एक समानता आ जाएगी तो बेसिकली ये कांसेप्ट कहता है कि जो सिमिलर सरकमस्टेंसस में हैं उनको इक्वली ट्रीट करना चाहिए ईबी एल कांसेप्ट हमने लिया था रूल ऑफ लॉ से एक सवाल आ सकता है रूल ऑफ लॉ का कांसेप्ट किसने दिया है तो आप देंगे ए बी डाई स का जवाब आप दे देंगे इक्वलिटी बिफोर लॉ के अंदर अब इक्वलिटी बिफोर लॉ की बात की है हमने और इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ की बात की आर्टिकल 14 के अंदर पर इसके कुछ एक्सेप्शन है कुछ लोग ऐसे हैं जो कि लॉ से ऊपर माने जाते हैं यानी कि इनके ऊपर लॉ जो है वह समान लॉ नहीं लगेगा इनके लिए अलग से कानून बने हुए हैं इनको अलग से एक स्पेशल ट्रीटमेंट मिलती है और ये लोग कौन हैं प्रेसिडेंट हो गए गवर्नर हो गए जजेस हो गए पब्लिक सर्वेंट्स और फॉरेन डिप्लोमेट्स ठीक है ये आपको याद रखना है कि आर्टिकल 14 की एक्सेप्शन कौन है ये सारे के सारे आर्टिकल 14 की एक्सेप्शन है आर्टिकल 14 बात करता है इक्वलिटी बिफोर लॉ की और इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ की ठीक है नेगेटिव कांसेप्ट पॉजिटिव कांसेप्ट ठीक है आर्टिकल 15 क्या करता है आर्टिकल 15 इ क्वालिटी की ही बात करेगा वो कहेगा कि आर आर सीएसपी के बेसिस पे किसी को डिस्क्रिमिनेट नहीं किया जाएगा आर आरसीएसपी क्या है रिलीजन रेस कास्ट सेक्स प्लेस ऑफ बर्थ इन क्राइटेरिया के ऊपर कोई भी किसी को डिस्क्रिमिनेट नहीं करेगा ठीक है लेकिन स्पेशल प्रोविजन इसके अंदर बनाए जा सकते हैं स्पेशल प्रोविजन किसके लिए बनाएंगे विमेन और चिल्ड्रन के लिए और एससी बीसी एससी और एसटी के लिए ठीक है इन पांच कैटेगरी के लिए स्पेशल प्रोविजन बनाए जा सकते हैं देखिए इक्वलिटी बिफोर लॉ की बात कही गई यानी कि कोई भी डिस्क्रिमिनेशन नहीं करेगा इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ की अगर हम बात करें कि सबको बराबर का प्रोटेक्शन मिलना चाहिए तो जो वन है उनको ज्यादा प्रोटेक्शन चाहिए है ना वमन को एक सहारा चाहिए तो वमन के लिए स्पेशल प्रोविजन बना सकते हैं चिल्ड्रन को सहार की जरूरत है तो स्पेशल प्रोविजन बना सकते हैं सोशली एंड इकोनॉमिकली बैकवर्ड क्लासेस ये एससीबीसी इस की फुल फॉर्म होती है सोशली एंड इकोनॉमिकली बैकवर्ड क्लासेस ये बैकवर्ड क्लासेस हैं सामाजिक और आर्थिक रूप से यह बैकवर्ड हैं तो इनको भी बैकवर्ड क्लासेस को भी स्पेशल प्रोविज की जरूरत है तभी तो वह तभी तो वह बाकी लोगों के साथ कंपीट कर पाएंगे एससी और एसटी को भी आगे लाने की जरूरत है इनको भी सहारे की जरूरत है तो इनके लिए स्पेशल प्रोविजन बनाए जा सकते हैं आर्टिकल 15 किनके लिए स्पेशल प्रोविजन बनाता है विमेन चिल्ड्रन एससीबीसी एससी और एसटी के लिए बनाता है आर्टिकल 15 जो है वह एजुकेशन के अंदर रिजर्वेशन देता है यह याद रखना है एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन के अंदर व रिजर्वेशन देता है और किसको देता है यह वाले जो थे ना एससीबीसी एससी और एसटी इन्हीं को वो देता है एक सवाल इसके अंदर उठता है कि जो एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन है कौन-कौन से आएंगे क्या इसके अंदर प्राइवेट भी आएंगे इसके अंदर प्राइवेट भी आएंगे इसके अंदर सिर्फ एक तरह के एजुकेशनल इंस्टीट्यूट हैं जो नहीं आते यानी कि रिजर्वेशन जो है वह प्राइवेट में भी मिलेगा पब्लिक में भी मिलेगा लेकिन एक तरह के एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन है जहां पे रिजर्वेशन नहीं मिलता और वो इंस्टिट्यूशन है माइनॉरिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन यानी कि माइनॉरिटी के जो एजुकेशनल इंस्टिट्यूट है वहां पे रिजर्वेशन नहीं कर सकती है स्टेट वरना कहीं पे भी की जा सकती है चाहे प्राइवेट इंस्टीट्यूट इंस्टिट्यूट हो या फिर पब्लिक हो ठीक है तो आर्टिकल 15 देखिए 14 बात करता है ईबी एल की और ईईपीएल की ठीक है अभी यह कंफ्यूज मत होना कि मैं कहता हूं कि लॉ सबको इक्वली प्रोटेक्ट करेगा इक्वल प्रोटेक्शन का क्या मतलब है इसको मान लीजिए ये एक बहुत ही ताकतवर आदमी है इसको प्रोटेक्ट करने के लिए एक पुलिस वाले की जरूरत है तो इसको एक पुलिस वाला दे दिया जाएगा यह बहुत ही कमजोर आदमी है इसके पीछे ढेर सारे लोग पड़े हुए हैं कोई कोई भी इसको मार के जा सकता है तो इसको अगर एक पुलिस वाला दे दिया तो क्या ये प्रोटेक्ट होगा नहीं प्रोटेक्ट होगा इसको एक एक्स्ट्रा हेल्प की जरूरत है तो यहां पे एक और एक्स्ट्रा हेल्प दे दी जाएगी ठीक है ये पुलिस का मैं एक एग्जांपल ले रहा हूं बेसिकली ये है कि कुछ लोग बहुत ज्यादा पुअर होते हैं बहुत गरीब होते हैं जिनको एक सपोर्ट की जरूरत होती है तो लॉ उनको इक्वल लेवल पे लाने के लिए क्या करता है उनको रिजर्वेशन या फिर एफर्मेटिव एक्शन जैसी चीजें देता है आर्टिकल 15 ही एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में रिजर्वेशन दे रहा है एससीबीसी की एससी की और एसटी की देता है तो ईबी एल ईईपीएल आर्टिकल 14 के अंदर हो गया उसी पे बेस्ड आपका आर्टिकल 15 आया जो कि डिस्क्रिमिनेशन खत्म करता है आरआर सीएसपी के बेसिस पे कैसे याद करेंगे 15 में आरआर सीएसपी फिर दूसरा आप याद करेंगे कि स्पेशल प्रोविजन है वमन और चिल्ड्रन के लिए एससीबीसी और एससी एसटी के लिए एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में रिजर्वेशन है एससी बीसी एससी और एसटी के लिए आर्टिकल यह जो है यह एक इंपॉर्टेंट है रिसेंट अमेंडमेंट हुई है अमेंडमेंट का नाम है 103 कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट जिससे आर्टिकल 15 के अंदर क्लॉज छ को ऐड किया गया है यह क्लॉज छ क्या करता है यह इकोनॉमिकली एंड वीकर सेक्शन जो है उनको रिजर्वेशन प्रोवाइड करता है इकोनॉमिकली एंड वीकर सेक्शंस को यह अपर कास्ट के ऐसे लोग हैं जो कि आर्थिक रूप से काफी वीक है उनको रिजर्वेशन दी गई है किस-किस में रिजर्वेशन दी है देखिए आर्टिकल 15 एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन की बात करता है ना तो इसके अंदर हमने एक और क्लॉज ऐड कर दिया आर्टिकल 15 6 वो किसको रिजर्वेशन दे रहा है ईड को रिजर्वेशन दे रहा है एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन के अंदर कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट 103 जो है वह एक और आर्टिकल ऐड करता है एक और क्लॉज ऐड करता है वह है 16 के अंदर 16 के अंदर आर्टिकल 16 जॉब से जुड़ा हुआ है तो 103 जो है वह क्या करता है इकोनॉमिकली एंड वीकर सेक्शन को एंप्लॉयमेंट के अंदर रिजर्वेशन देता है ठीक है यह है आपका आर्टिकल 16 क्लॉस 6 और यह है आपका आर्टिकल 15 क्लॉज 6 यह याद रखना है बहुत ही इंपॉर्टेंट है 14 के अंदर हमने देखा इक्वलिटी बिफोर लॉ एंड इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ 15 के अंदर हमने देखा कि आर आर सीएसपी रिलीजन रेस कास्ट सेक्स प्लेस ऑफ बर्थ के बेसिस पे कोई डिस्क्रिमिनेशन नहीं वमन चिल्ड्रन वमन चिल्ड्रन एससीबीसी एससी और एसटी के लिए स्पेशल प्रोविजन बनाए जा सकते हैं एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में रिजर्वेशन इनको मिलेगा फिर 103 कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट हुई जिससे हमने इकोनॉमिकली एंड वीकर सेक्शन को भी एजुकेशन के अंदर रिजर्वेशन दे दिया आर्टिकल 16 क्या बात करता है यह जॉब के अंदर जॉब के अंदर इ क्वालिटी लेके आएगा तो आर्टिकल 16 कहता है कि जो पब्लिक एंप्लॉयमेंट है यानी कि सरकारी नौकरियां हैं उसके अंदर सबको इक्वल अपॉर्चुनिटी मिलेगी कोई भी डिस्क्रिमिनेशन नहीं होगा देखिए 15 के अंदर हमने पढ़ा डिस्क्रिमिनेशन नहीं होगा आर आर सीएसपी के बेसिस पे 16 में आप क्या याद रखेंगे 16 में याद रखेंगे आर आर सी आर आर सी एस डी प आर ठीक है आर आर सी एस यहां पे फिर एक डी ऐड हो गया यहां पे एक आर ऐड हो गया ठीक है डी है डोमिसाइल और आर है रेजिडेंस ठीक है डोमिसाइल और रेजिडेंस ऐड हो गया बाकी सब सेम है रिलीजन रेस कास्ट सेक्स प्लेस डोमिसाइल और रेजिडेंस ये सारे के सारे इनमें से किसी के भी बेसिस पर डिस्क्रिमिनेशन नहीं हो सकता यह नहीं कह सकते कि आप इस रेस से बिलोंग करते हैं इसीलिए आपको हम सरकारी नौकरी नहीं दे रहे यह नहीं कह सकते कि आप यहां पे दिल्ली में रहते हैं इसलिए आपको सरकारी नौकरी नहीं मिल रही ठीक है तो इन बेसिस पर वो नहीं हो सकती लेकिन कुछ-कुछ केसेस में कुछ-कुछ नौकरियों के लिए रेजिडेंस की कंडीशन की जा सकती है रेजिडेंस की कि आपको किसी स्टेट में रहना जरूरी हो इसकी कंडीशन करी जा सकती है जैसे कि जम्मू कश्मीर की नौकरियों के लिए की जाती थी ठीक है जम्मू कश्मीर की नौकरी सिर्फ जम्मूकश्मीर के जो रेजिडेंट होते थे उनको मिलती थी तो यह जो कंडीशन है रेजिडेंस की यह कौन कर सकता है यह केवल और केवल पार्लियामेंट कर सकती है बस आप इतना याद रखेंगे रेजिडेंस की कंडीशन कौन बना सकता है सिर्फ पार्लियामेंट नौकरियों के अंदर रिजर्वेशन किसको मिलता है नौकरियों के अंदर रिजर्वेशन किसको मिलता है ज्यादातर बच्चे मार्क करके आ जाएंगे एससी और एसटी को और ओबीसी को मिलता है जबकि हमारा कांस्टिट्यूशन इनको रिजर्वेशन नहीं देता हमारा कांस्टिट्यूशन रिजर्वेशन देता है बैकवर्ड क्लासेस को किसको देता है बैकवर्ड क्लासेस को वो बैकवर्ड क्लासेस विच आर नॉट एडिक्ट रिप्रेजेंटेड यानी कि जिनकी नौकरियों के अंदर रिप्रेजेंटेशन नहीं है जिनकी नौकरियों के अंदर रिप्रेजेंटेशन नहीं है और वो बैकवर्ड क्लास से बिलोंग करते हैं उनको रिजर्वेशन मिलेगा रिप्रेजेंटेशन का क्या मतलब है मान लीजिए एक नौकरी के अंदर 100 लोग काम करते हैं एक नौकरी के अंदर 100 लोग काम करते हैं ये सारे के सारे जो 100 लोग हैं ये सारे के सारे 100 लोग किसी एक कास्ट से बिलोंग करते हैं मान लीजिए कोई अपर कास्ट है ब्राह्मण मान लेते हैं इस केस में कि सारे के सारे जो हैं वो शर्मा शर्मा है मिश्रा हैं ठीक है इस तरह के सारे के सारे अपर कास्ट के लोग हैं ठीक है मैं किसी को डिमन नहीं कर रहा चा रहा हूं सिर्फ समझाने के लिए मैं ये एग्जांपल ले रहा हूं तो कोई बुरा मत मानना तो ये मान लीजिए 100 नौकरियां थी और इन सारी की सारी नौकरियों में सिर्फ कुछ गिनी चुनी कास्ट हैं जो कि इस नौकरियों के अंदर शामिल हैं बहुत सारे लोग ऐसे हैं कोई भी एग्जांपल ले लेते हैं सिंह का एग्जांपल ले लेते हैं या फिर कुमार का एग्जांपल ले लेते हैं ठीक है कुछ ऐसी कास्ट हैं जो कि नौकरियों के अंदर बिल्कुल भी नहीं है बि बिल्कुल भी नहीं है तो यह जो यह जो लोग हैं यह इस नौकरी के अंदर बिल्कुल भी रिप्रेजेंटेशन इनको नहीं मिल पा रही है और यह बैकवर्ड क्लास से बिलोंग करते हैं तो इन बैकवर्ड क्लासेस को जो कि नौकरियों के अंदर बिल्कुल भी जिनकी रिप्रेजेंटेशन नहीं है उनको रिजर्वेशन दिया जाएगा तो आपको क्या याद रखना है कि जो 16 है वो नौकरियों में रिजर्वेशन किसको देता है बैकवर्ड क्लासेस व्हिच आर नॉट एडिक्ट रिप्रेजेंटेड उनको उनको यहां पे रिजर्वेशन मिलती है दूसरा सवाल क्या उठता है कि प्रमोशन के अंदर किसको रिजर्वेशन मिला है प्रमोशन के अंदर जो रिजर्वेशन है वो मिला है एससी को और एसटी एसटी को अगर वो एडिक्ट रिप्रेजेंटेड नहीं है यानी कि नौकरी के अंदर घुस घुस जाएंगे घुसने के बाद उनको प्रमोट ही नहीं किया जा रहा ठीक है एक होती है एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट बनती है जिसके बेसिस पर अप्रेजल होता है प्रमोशन होता है तो अगर ऊपर कोई दूसरी कास्ट के लोग बैठे हैं और नीचे कोई ऐसी कास्ट है जिससे वो आदमी पसंद नहीं है तो वो क्या करेगा अपने जूनियर की इस अप्रेजल रिपोर्ट को खराब कर देगा और वो प्रमोट ही नहीं हो पाएगा ठीक है तो ऐसे केस के अंदर क्या होता है उनको प्रमोशन में भी रिजर्वेशन देनी होती है इफ एससी एंड एसटी आर नॉट एडिक्ट रिप्रेजेंटेड ठीक है रिजर्वेशन में सिर्फ एससी और एसटी को है और वैसे जॉब के अंदर रिजर्वेशन बैकवर्ड क्लासेस व्हिच आर नॉट एडिक्ट रिप्रेजेंटेड उनको दी जाती है आर्टिकल 17 बात करता है अनटचेबिलिटी की अच्छा यहीं पे ही आप याद रखेंगे क्या 16 के अंदर ही कि जो 1003 कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट हुई है उससे हमने क्या कर दिया है एक क्लॉज 16 क्लॉज छ ऐड कर दिया है जो कि जो कि इकोनॉमिकली वीकर सेक्शंस को जॉब के अंदर रिजर्वेशन देता है आर्टिकल 17 अनटचेबिलिटी को अबॉलिश करता है अगर अनटचेबिलिटी करने की वजह से किसी को कोई डिसेबिलिटी होती है तो वो एक ऑफेंस होता है और उसकी पनिशमेंट आपको कहां मिलेगी प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स एक्ट 1955 के अंदर आपको उसकी पनिशमेंट मिल जाएगी 14 इक्वलिटी बिफोर लॉ और इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ 15 के अंदर क्या हो गया आपको आर आर सीएसपी के बेसिस पर डिस्क्रिमिनेशन नहीं है और एजुकेशन के अंदर एससीबीसी एससीबीसी एससी और एसटी के लिए रिजर्वेशन है और स्पेशल प्रोविजन और किसके लिए बनाए जा सकते हैं वमन चिल्ड्रन एससीबीसी एससी और एसटी के लिए स्पेशल प्रोविजन बना सकते हैं 16 के अंदर क्या है आर आर सीएस डीपीआर के बेसिस पर डिस्क्रिमिनेशन नहीं होगी जॉब के अंदर रिजर्वेशन है किसके लिए बैकवर्ड क्लासेस व्हिच आर नॉट एडिक्ट रिप्रेजेंटेड रिजर्वेशन में किसके लिए सॉरी प्रमोशन में किसके लिए रिजर्वेशन है एससी और एसटी के लिए है और 103 स्टीट्यूशन अमेंडमेंट से क्या हुआ ईडब्ल्यूएस के लिए जॉब में रिजर्वेशन और ईडब्ल्यूएस के लिए एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में रिजर्वेशन एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में सिर्फ और सिर्फ माइनॉरिटी एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस ऐसे होंगे जिसमें रिजर्वेशन नहीं देनी बाकी हर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में रिजर्वेशन दी जा सकती है आर्टिकल 18 कहता है टाइटल्स के बारे में बात करता है तो देखिए पहले कुछ ऐसे टाइटल्स होते थे राज प्रमुख हो गए या फिर महाराजा धीराज हो गए ऐसे बड़े-बड़े टाइटल होते थे ये टाइटल बेसिकली क्या दिखाते थे ये दिखाते थे कि एक आदमी कितना सुपीरियर है बाकी आदमियों से एक आदमी कितना सुपीरियर है बाकी आदमियों से कि जब वह कहीं दरबार में एंटर होता है तो उसके नाम से पहले लिखा जाता है श्री श्री महाराजाधिराज सर्व चक्र शली कुछ भी करके लिख देते हैं तो इतना सुपीरियर आदमी है जब समाज के अंदर हम कह रहे हैं कि एक आदमी बहुत सुपीरियर है तो हम यह नहीं कह रहे कि बाकी पूरी की पूरी सोसाइटी इनफीरियर है क्या हम खुद क्या हम खुद इंडिया के अंदर इनिक्वालिटी एस्टेब्लिश नहीं कर रहे और ये इ लिटी क्यों हो रही है क्योंकि हमने उसको कुछ टाइटल दे रखे हैं महाराजा अधिराज राज प्रमुख ऐसे कर कर के टाइटल दे रखे हैं तो आर्टिकल 18 क्या कहता है कि यह टाइटल को अबॉलिश किया जाए यह जो टाइटल है यह नहीं देने चाहिए ठीक है तो यह दो बातें कहता है एक बात क्या कहता है कि जो स्टेट है स्टेट यानी कि आर्टिकल 12 की जो डेफिनेशन में स्टेट हमने देखा वो कि स्टेट किसी को भी टाइटल कंफर नहीं करेगा स्टेट सिर्फ दो तरह के टाइटल दे सकता है दो तरह के टाइटल क्या है एकेडमिक यानी कि अगर कोई डॉक्टर बन गया तो डॉक्टर दे देंगे उसको टाइटल या फिर मिलिट्री मिलिट्री के अंदर जैसे आपको कमांडर जैसा टाइटल देना होता है मेजर जैसा टाइटल देना होता है तो जो स्टेट है स्टेट जो है वह सिर्फ और सिर्फ एकेडमिक और मिलिट्री टाइटल दे सकता है उसके अलावा कोई और टाइटल नहीं देगा ठीक है स्टेट तो नहीं देगा कोई भी टाइटल तो क्या सिटीजन किसी फॉरेन देश से कोई टाइटल एक्सेप्ट कर सकता है जैसे कि ब्रिटेन जो है वो नाइटहुड की उपाधि देते थे नाइटहुड की उपाधि देते थे और फिर नाम के आगे सर लग जाता था सर लग जाता था है ना तो क्या सिटीजन किसी फॉरेन स्टेट से एक्सेप्ट कर सकता है नहीं कर सकता देखिए इंडिया के स्टेट जो है वह तो देगी नहीं जो सिटीजन है व किसी विदेशी स्टेट से लेगा नहीं ले नहीं सकता अब मान लीजिए कुछ लोग ऐसे होंगे इंडिया के अंदर कुछ सिटीजन रह रहे हैं कुछ एलियन रह रहे हैं वो एलियन लोग कह दें कि भाई मैं अभी इंडिया में रह रहा हूं इंडिया के अंदर काम कर रहा हूं पर क्या मैं किसी फॉरेन स्टेट से ले सकता हूं टाइटल क्या मैं किसी फॉरेन स्टेट से टाइटल ले सकता हूं तो वो कहेंगे भाई तू ले सकता है पर पहले प्रेसिडेंट से कंसेंट ले ले प्रेसिडेंट से मर्जी पूछ ले प्रेसिडेंट की अगर प्रेसिडेंट हां बोल दे तो ले सकता है तो टाइटल के बारे में क्या कहा गया कि इंडिया जो है वो तो कोई भी टाइटल नहीं देगा सिर्फ वो एकेडमिक और मिलिट्री टाइटल दे सकता है लोगों को इंडिया नहीं देगा तो क्या आप बाहर से ले सकते हैं बाहर से अगर आप सिटीजन है तो नहीं ले सकते अगर आप कोई एलियन है और बाहर से लेना चाहते हैं तो आपको प्रेसिडेंट से कंसेंट लेनी पड़ेगी दूसरी बात क्या है इंडिया के अंदर इंडिया के अंदर कोई आदमी काम कर रहा है वो ऑफिस ऑफ प्रॉफिट यानी कि एक ऐसा ऑफिस होल्ड करता है जिससे उसको प्रॉफिट हो रहा है या फिर ऑफिस ऑफ ट्रस्ट होल्ड करता है यानी कि उसके ऊपर ट्रस्ट करके हमने कुछ काम दिया हुआ है ऐसे याद कर लीजिए ठीक है तो चाहे वो सिटीजन हो चाहे वो एलियन हो वो किसी भी विदेशी देश से कोई भी प्रेजेंट एमोल्यूमेंट या फिर ऑफिस नहीं ले सकता बिना प्रेसिडेंट की कंसेंट से ठीक है तो पहले तो टाइटल की बात हो गई और दूसरी बात होती है प्रेजेंट इमोल मेंट और ऑफिस की तो वो नहीं ली जा सकती बिना प्रेसिडेंट के कंसेंट से और इसके साथ आप देखेंगे सारे के सारे ही आर्टिक हमारे इक्वलिटी वाले थे 14 कौन सा था मेरे साथ-साथ एक बार रिवाइज कर लीजिए जिसको नहीं करना वो स्किप करके नेक्स्ट 1015 सेकंड आगे बढ़ सकता है 14 के अंदर इक्वलिटी बिफोर लॉ और इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ इक्वलिटी बिफोर लॉ का मतलब नोबडी इज अबब लॉ नेगेटिव कांसेप्ट यूके से लिया हमने इक्व इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ कहता है कि लॉ शल प्रोटेक्ट एवरीवन इक्वली पॉजिटिव कांसेप्ट यूएस से लिया यह बेसिस बनता है रिजर्वेशन का फिर 15 के अंदर आप डिस्क्रिमिनेशन नहीं होगा आ आर सीएसपी के बेसिस पे रिलीजन रेस कास्ट सेक्स प्लेस ऑफ बर्थ के बेसिस पर डिस्क्रिमिनेट नहीं करेंगे स्पेशल प्रोविजन बनाए जा सकते हैं किसके लिए वमन के लिए चिल्ड्रन के लिए एससीबीसी के लिए एससी के लिए और एसटी के लिए एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन में रिजर्वेशन की जा सकती है किसके लिए एजुकेशन में एससीबीसी के लिए एससी के लिए एसटी के लिए और 103 कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट से क्या कह दिया कि इकोनॉमिकली वीकर सेक्शंस के लिए भी एजुकेशन इंस्टीट्यूट में रिजर्वेशन 16 क्या कहता है 16 कहता है कि आर आर सी एस डी डीपीआर के बेसिस पर डिस्क्रिमिनेशन नहीं होगी पब्लिक किसमें पब्लिक एंप्लॉयमेंट में पब्लिक एंप्लॉयमेंट के अंदर ठीक है रेजिडेंस की कंडीशन कौन कर सकता है सिर्फ पार्लियामेंट कर सकता है रिजर्वेशन नौकरियों में किसको मिलेगा बैकवर्ड क्लासेस नॉट एडिक्ट रिप्रेजेंटेड प्रमोशन में रिजर्वेशन किसको मिलेगा प्रमोशन में रिजर्वेशन मिलेगा एससी को और एसटीजी शल अमेंडमेंट से इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन को रिजर्वेशन मिली हुई है 17 के अंदर अनटचेबिलिटी को अबॉलिश के 18 के अंदर टाइटल्स को अबॉलिश किया अगर कोई विदेशी बाहर से टाइटल लेना चाहता है तो उसको प्रेसिडेंट की कंसेंट लेनी पड़ेगी अगर कोई कोई भी आदमी चाहे वह सिटीजन हो या एलियन हो बाहर के किसी देश से कोई प्रेजेंट एमोल्यूमेंट या ऑफिस लेना चाहता है कोई भी गिफ्ट लेना चाहता है या फिर एमोल्यूमेंट लेना चाहता है या ऑफिस लेना चाहता है तो प्रेसिडेंट से पूछना पड़ेगा इसके साथ हमारे इक्वलिटी खत्म होती है अगला जो हमारे आर्टिकल का वह है चैप्टर वह है फ्रीडम वाला चैप्टर इसके अंदर हमें आर्टिकल 19 से लेके 22 तक के आर्टिकल्स को पढ़ना है 19 से लेकर 22 तक के आर्टिकल्स को हम पढ़ेंगे ठीक है 19 आर्टिकल बेहद इंपॉर्टेंट है तो इसको आप याद करेंगे याद करने का मैं एक आसान तरीका बताता हूं मान लीजिए आप गिटार बहुत अच्छा बन जाते हैं और आप चाहते हैं कि आप अपना एक बैंड बनाना चाहते हैं ठीक है आप चाहते हैं कि मेरा एक सक्सेसफुल बैंड बने तो आप उस केस में क्या करेंगे आप पहले अपना गिटार बजा बजा के लोगों को सुनाएंगे लोगों को आप सुनाएंगे कि आप अपनी एक्सप्रेशन देंगे लोगों को बताएंगे कि देखो मैं कितना अच्छा गिटार बजाता हूं फिर उसके बाद आप पब्लिक प्लेस के अंदर गिटार बजाने लगेंगे लोग आपको सुनने लगेंगे लोग आपको सुनने लगेंगे फिर इन्हीं में से ही कोई ड्रम बजाने वाला होगा वो आपसे कहेगा भाई तू बहुत अच्छा गिटार बजाता है मैं ड्रम बजा लेता हूं मैं तेरे साथ आ जाता हूं तो हम दोनों मिलके एक बैंड बना लेंगे ऐसे ही एक बेसिस्ट होगा बेसिस्ट आएगा और वो कहेगा कि भाई मैं बेस बहुत अच्छा बजा लेता हूं मैं भी तुम्हारे साथ बैंड बना लेता हूं तो आपने क्या कर लिया आपने अपनी एसोसिएशन बना ली आपने अपनी एसोसिएशन बना ली ये जो बैंड मेंबर्स होते हैं बैंड होते हैं ये पूरे देश में घूमते रहते हैं अलग-अलग जगहों पे परफॉर्म करते हैं जिससे लोग उनको जाने उनकी टिकटें खरीदें उनकी उनके जो सोंग्स हैं उनको खरीदें तो ये एसोसिएशन बनाने के बाद क्या करेंगे पूरे देश में फ्रीली घूमेंगे फ्रीली घूमते रहेंगे फ्रीली घूमने के बाद मान लीजिए उन्हें लगा कि बेंगलोर के अंदर बहुत अच्छा इनको काम मिलता है ज्यादा लोग इनको बेंगलोर में पसंद करते हैं तो ये क्या कहते हैं कि भाई हम अपना डेरा जो है बेंगलोर में जमा लेते हैं अब हम बेंगलोर में रहेंगे तो ये बेंगलोर में रहने लग जाते हैं फिर उसके बाद रॉकन मूवी की तरह हो जाता है कुछ लोग अपनी किसी और नौकरी में चले जाते हैं उनका बैंड टूट जाता है तो वोह क्या करते हैं कोई और ऑक्यूपेशन वहां पे बेंगलोर के अंदर ढूंढ लेते हैं कोई और ऑक्यूपेशन ढूंढ लेते हैं तो यही हमारा आर्टिकल 19 है पहले आप गिटार बजा के अपने आप को एक्सप्रेस करेंगे फिर उसके बाद आप पब्लिक प्लेस के अंदर गिटार बजाएंगे और कुछ लोग आपको जवाइन कर लेंगे तो आपकी एसोसिएशन बन जाएगी फिर आप फ्रीली मूव करेंगे फ्रीली मूव करके आप बेंगलोर में रिसाइट कर सकते हैं और वहां पे आपको पता चलेगा कि भाई गिटार से तो कुछ पैसे मिल नहीं रहे मैं आईटी सेक्टर में घुस जाता हूं मैं कोई और प्रोफ चुन लेता हूं तो यही आपका आर्टिकल 19 है आर्टिकल 19 कहता है कि हर एक इंसान को स्पीच और एक्सप्रेशन की आजादी है स्पीच और एक्सप्रेशन की आजादी है हर एक इंसान पीसफुली कहीं प भी असेंबल हो सकता है बिना किसी हथियार के आपको हथियार नहीं लेना ऐसा नहीं है बंदूक लेके आप कहीं प भी असेंबल हो गए हथियार नहीं होने चाहिए आप पीसफुली कहीं पे भी असेंबल हो जाइए आप अगर अपनी एसोसिएशन या यूनियन बनाना चाहते हैं तो वह भी आप बना सकते हैं आप पूरे देश में कहीं पर भी फ्रीली मूव कर सकते हैं कहीं पे भी आप रह सकते हैं और सेटल हो सकते हैं आप कोई भी प्रोफेशन कोई भी प्रोफेशन आप ले सकते हैं अब यह जो फ्रीडम है यह सारी की सारी फ्रीडम के ऊपर रीजनेबल रिस्ट्रिक्शन लगी हुई है रीजनेबल रिस्ट्रिक्शन क्या है जैसे आप स्पीच दे रहे हैं अगर उस स्पीच से पब्लिक ऑर्डर खराब होता है मोरालिटी खराब होती है इंडिया की सिक्योरिटी या इंटीग्रिटी खराब होती है इंडिया के फॉरेन देशों के साथ रिलेशन खराब होते हैं फॉरेन देशों के साथ रिलेशन खराब होते हैं तो आपकी स्पीच के ऊपर और आपकी के एक्सप्रेशन के ऊपर पाबंदी रिस्ट्रेन रिस्ट्रिक्शन लगाई जा सकती है ऐसे ही आपसे कहा गया कि आप पीसफुली असेंबल हो सकते हैं पर आपके जमा होने से पब्लिक ऑर्डर खराब होता है दंगे फसाद होते हैं तो आपके ऊपर रिस्ट्रिक्शन लगाई जा सकती है आप एसोसिएशन बना सकते हैं यूनियन बना सकते हैं लेकिन आपने ऐसी यूनियन बना ली जो कि मोरालिटी के बिल्कुल अगेंस्ट है आपने ऐसी यूनियन बना ली जो कि लड़कियों को छेड़ है ईव टीजिंग करती है तो ऐसी एसोसिएशन के ऊपर रिस्ट्रिक्शन लगाई जा सकती है सिर्फ एग्जांपल के लिए दिया है मैंने मूव फ्रीली की बात हो रही है आप पूरे देश में कहीं पे भी घूम सकते हैं पर आप पूरे देश में घूम रहे थे आप एक ऐसी जगह पहुंच गए जहां पे ट्राइब्स रहती हैं ये ट्राइब्स ऐसी हैं जिनकी इम्युनिटी बहुत वीक है क्योंकि इन्होंने कभी भी बाहर के किसी देश बाहर के किसी भी आदमी से ये संपर्क में नहीं आए और आप उसके वहां पे चले गए जिसकी वजह से ढेर सारी ट्राइब मर गई तो क्या यह सही है यह सही नहीं है तो आपकी जो मूवमेंट है उसके ऊपर भी रीजनेबल रिस्ट्रिक्शन लगाई जा सकती है आप कहीं पे भी रह सकते हैं पर वहां रहने से वहां का पूरा का पूरा कल्चर आपने खराब कर दिया तो आपके ऊपर रिस्ट्रिक्शन लगाई जा सकती है आप किसी एसटी एरिया में जाके ट्राइब्स के एरिया में रहने लग गए और उनका कल्चर जो है वो खराब हो रहा है आपके जाने से आपके जाने का मतलब है आप जाएंगे तो आपका परिवार जाएगा आपके पड़ोसी जाएंगे आपके रिश्तेदार जाएंगे तो क्या होगा धीरे-धीरे जो सारा एसटी का एरिया था वो आप ऑक्यूपाइड होने पे भी रिस्ट्रिक्शन है आप कोई भी प्रोफेशन कर सकते हैं पर इस पे भी रिस्ट्रिक्शन लगाई जा सकती है तो आर्टिकल 19 जो है वो फ्रीडम तो देता है आपको लेकिन इन सारी फ्रीडम के ऊपर रिस्ट्रिक्शंस लगाई जा सकती हैं यह फ्रीडम एब्सलूट नहीं है ठीक है यह बात हम बहुत बार कर चुके तो आई होप आपको याद हो गई होंगी आर्टिकल 20 बहुत ही अच्छा आर्टिकल है आर्टिकल 20 में आपको तीन शब्द याद करने हैं दो तीन बार बोलेंगे आप ये शब्द एक्सपोस्ट फैक्टोर लॉज डबल जेपी सेल्फ इनक्रिमिनेशन ठीक है एक्सपोज फैक्टो लॉज क्या कहते हैं मान लीजिए एक आदमी है ए एक आदमी है बी इन्होंने आज आज की डेट है आज की डेट हम मान लेते हैं कोई भी डेट मान लेते हैं 1 जनवरी मान लेते हैं 1 जनवरी को इन्होंने हैंड शेक किया 1 जनवरी को इन्होंने हैंड शेक किया 2 जनवरी को पार्लियामेंट ने एक लॉ बना दिया कि हैंड शेक करना इलीगल है जो भी हैंड शेक करेगा मैं उसको जेल में डाल दूंगा तो क्या इनको जेल होगी क्या इनको जेल होगी इनको जेल नहीं होगी क्यों क्योंकि इन्होंने जो एक्शन किया था इन्होंने जो एक्शन किया था वह लॉ बनने से पहले किया था तो कोई भी ऐसे क्रिमिनल कोई भी क्रिम क्रिमिनल ऑफेंस कोई भी क्रिमिनल ऑफेंस जो है वह रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट से नहीं हो सकता रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट का मतलब है कि पीछे से बैक डेट से नहीं हो सकता यानी कि आप दो तारीख को लॉ बना के यह नहीं कह सकते कि आपने एक तारीख को जो किया था वो इल्लीगल है हां आपने दो तारीख को लॉ बनाया अब 2 तारीख से लेके आगे कभी भी हैंड शेक होगा तो आप जेल में डाल सकते हैं ठीक है तो एक्सपोस्ट फैक्टर लॉ क्या कहता है एक्सपोस्ट यानी कि पीछे के लॉ नहीं बना सकते आप यहां पे आपको याद रखना है कि जो सिविल ऑफेंस है सिविल क्रिमिनल नहीं क्रिमिनल में आप रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट नहीं दे सकते सिविल यानी कि कोई टैक्स से जुड़ा हुआ मान लीजिए कोई कानून बनाया है तो टैक्स से जुड़े हुए कानून में रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट दिया जा सकता है यानी कि कानून बनाया है 2 जनवरी को और कानून कह दे कि 1 जनवरी से जिसने भी टैक्स नहीं भरा उनके ऊपर पेनल्टी लगेगी तो यह किया जा सकता है कानून भले ही बाद में बनाए लेकिन यह पीछे से इफेक्ट ले सकता है तो ये सिर्फ सिविल के केस में हो सकता है क्रिमिनल के केस में नहीं होगा आर्टिकल 20 क्या कहता है एक्सपोस्ट फैक्टो लॉज नहीं बनाओगे आप ठीक है दूसरा कहता है डबल जेपी यानी कि एक क्राइम के लिए अगर आपको एक बार पनिशमेंट हो गई तो आपको दूसरी बार पनिशमेंट नहीं दी जाएगी यह डबल जैपर्डी सेल्फ इनक्रिमिनेशन कहता है कि आपको अपने ही खिलाफ सबूत देने के लिए कोई भी मजबूर नहीं कर सकता तो आपने बहुत ज्यादा देखा होगा कि पुलिस वाले किसी आदमी को पकड़ के ले जाते हैं और उसको पीट पीट के उससे गवाही दिलवा देते हैं तो वह जो उसने गवाही दी है जो भी उसने बयान दिया होता है वह बयान कोर्ट के अंदर एक्सेप्टेबल नहीं होता क्यों नहीं होता क्योंकि आर्टिकल 20 कहता है कि आपको अपने ही खिलाफ सबूत देने के लिए कोई भी मजबूर नहीं कर सकता तो अगर कोई पुलिस वाला आपको पीट रहा है तो आप इस आर्टिकल का सहारा ले सकते हैं ठीक है तो एक्सपोज फैक्टो डबल जैपर्डी सेल्फ इनक्रिमिनेशन पीछे से कोई भी क्रिमिनल कानून नहीं बनाओगे एक बार पनिशमेंट हो गई तो दूसरी बार पनिशमेंट नहीं दोगे आपको अपने ही खिलाफ सबूत देने के लिए गवाही देने के लिए कोई भी मजबूर नहीं कर सकता था फिर आता है आर्टिकल 21 यह सारे के सारे जो वो थे एक्सपोज फैक्टो ये आपको प्रोटेक्ट करने के लिए बने हुए हैं आर्टिकल 21 जो है आर्टिकल 21 बेहद इंपॉर्टेंट आर्टिकल है इसको आपको पूरा का पूरा याद रखना है आर्टिकल नंबर के साथ याद रखेंगे यह आर्टिकल कहता है कि किसी भी इंसान की लाइफ और पर्सनल लिबर्टी को छीना नहीं जा सकता किसी भी इंसान की लाइफ और पर्सनल लिबर्टी को छीना नहीं जा सकता अब आप कहेंगे लेकिन लोगों को तो फांसी दी जाती है लोगों को फांसी दी जाती है लोगों को फांसी दी लोगों को जेल में डाला जाता है जब उसको फांसी दी गई तो हमने तो उसकी लाइफ छीन ली ना जब उसको जेल में डाला तो हमने उसकी लिबर्टी छीन ली ना आप तो कह रहे हो आर्टिकल 21 कहता है कि लाइफ और लिबर्टी छीनी नहीं जा सकती तो इसका क्या मतलब है तो देखिए लाइफ और लिबर्टी छीनी नहीं जा सकती अगर आप लाइफ और लिबर्टी छीनना चाहते हो तो उसके पीछे एक प्रोसीजर होना चाहिए वो प्रोसीजर फॉलो होना चाहिए और वो प्रोसीजर किसी ना किसी लॉ में लिखा हुआ होना चाहिए इसका मतलब यह है कि मान लीजिए कोई एक आदमी पकड़ा गया है यह आदमी पकड़ा गया है इसको अगर आप फांसी की सजा देना चाहते हैं तो आपको पूरा का पूरा प्रोसीजर फॉलो करना पड़ेगा आपको यह देखना पड़ेगा कि इसने कौन सा लॉ तोड़ा था कौन सा लॉ तोड़ा था उस लॉ को तोड़ने की क्या पनिशमेंट है आप ये देखेंगे ठीक है फिर उसके बाद आप उस आदमी को लेकर जाएंगे जुडिशरी के पास जुडिशरी उसके केस को सुनेगी उसको मौका मिलेगा अपना पक्ष रखने का जुडिशरी उसके केस को सुनेगी सुनने के बाद वो डिसाइड करेगी कि क्या इसकी लाइफ या लिबर्टी को छीना जा सकता है या नहीं छीना जा सकता ठीक है तो आर्टिकल 21 कहता है कि आप किसी की भी लाइफ और लिबर्टी को नहीं छीन सकते अगर आपको छीन नहीं है तो उसके पीछे एक लॉ होना चाहिए एक प्रोसीजर होना चाहिए तो हमारा कांस्टिट्यूशन आर्टिकल 21 एक बहुत ही सुंदर शब्द का इस्तेमाल करता है वह शब्द आपको याद रखना है शब्द का नाम है प्रोसीजर एस्टेब्लिश बाय लॉ प्रोसीजर टैब्लिक्स एब्लिश बाय लॉ के हिसाब से होनी चाहिए यानी कि एक कानून होना चाहिए जो यह बताए कि प्रोसीजर क्या है एक कानून बना होना चाहिए जो यह बताए कि भाई अगर किसी ने वायलेट किया है तो उसको जुडिशरी के पास ले जाओ जुडिशरी उसको पनिशमेंट देगी उसकी पनिशमेंट कितने साल की होगी वह भी लॉ के अंदर लिखा होगा ठीक है तो एक लॉ होना चाहिए और लॉ बताना चाहिए कि क्या प्रोसीजर फॉलो किया जाए तो यहां पर एक बहुत तगड़ी डिबेट स्टार्ट हुई मैं ज्यादा उस डिबेट में नहीं जाऊंगा आपको ऊपर ऊपर से बता देता हूं मान लीजिए पार्लियामेंट ने एक लॉ बना दिया पार्लियामेंट ने एक लॉ बना दिया कि आज से जो भी हाथ मिलाएगा आज से जो भी हाथ मिलाएगा उसको हम जेल में डाल देंगे ठीक है फिर उसके बाद पुलिस ने देखा दो आदमियों को रास्ते पर हाथ मिलाते हुए पुलिस उसको पकड़ के ले गई जुडिशरी के पास गई जुडिशरी के पास गई जुडिशरी से कहती है देखो एक कानून बना हुआ है वो कानून कहता है कि अगर कोई हाथ मिलाता है तो उसको पनिशमेंट होनी चाहिए जुडिशरी कहेगी बिल्कुल सही कह रहे हो वो दोनों के पक्ष सुनेगी जुडिशरी कह देगी कि बिल्कुल कानून में लिखा है कि हाथ मिलाओ ग तो आपको पनिशमेंट हो सकती है तो मैं इसको पनिशमेंट दे रहा हूं तो यह जो दो आदमी थे इन्होंने हाथ मिलाए थे यह कहने लगे जुडिशरी आप क्या कर रहे हो थोड़ा तो दिमाग लगाओ इतना आपने कानून पढ़ा है मेरे को एक बात बताओ क्या यह जो लॉ बना है क्या यह जो लॉ बना है क्या यह लॉ सही है क्या यह लॉ जस्ट है क्या यह लॉ रीजनेबल है तो जुडिशरी कहती है जुडिशरी 1984 1978 से पहले 1978 से पहले जुडिशरी क्या कहती थी 1978 साल जो है इस साल से पहले जुडिशरी कहती थी देख भाई सुन ले मेरी बात हमारा कांस्टिट्यूशन कहता है कि एक लॉ होना चाहिए और वो लॉ एक प्रोसीजर बताएगा उस प्रोसीजर को फॉलो करते हुए मैं तेरी लाइफ और तेरी लिबर्टी को छीन सकता हूं मुझे सिर्फ यह देखना है कि कौन सा लॉ है और वो क्या प्रोसीजर बताता है अगर वो प्रोसीजर फॉलो हुआ है तो तेरी लाइफ और पर्सनल लिबर्टी को छीना जा सकता है मुझसे ये फालतू के सवाल मत कर कि लॉ लॉ अपने आप में खराब है लॉ कैसा भी बनाओ मुझे कुछ लेना देना नहीं है बस लॉ होना चाहिए और प्रोसीजर होना चाहिए 1978 से पहले जुडिशरी ये कह देती थी लेकिन मेनका गांधी केस हुआ उसके अंदर जुडिशरी ने कहा कि भाई लॉ जो है जो कानून बनाया है जो कि प्रोसीजर बताता है कि कैसे इंसानों की लाइफ ली जा सकती है जो जुडिशरी है वो क्या चेक करती थी वो बस यह चेक करती थी कि क्या यह प्रोसीजर फॉलो हुआ है या नहीं हुआ अगर यह प्रोसीजर फॉलो हुआ है तो उसकी लाइफ और लिबर्टी को छीन सकते हैं 1978 से पहले जुडिशरी ये करती थी 1978 मेनका गांधी का केस जुडिशरी के पास गया जुडिशरी ने कहा कि भाई यह बात तुम बिल्कुल सही कह रहे हो मुझे कानून को भी चेक करना चाहिए मुझे कानून को भी चेक करना चाहिए कि यह जो कानून है क्या यह कानून अपने आप में सही है या नहीं सही अगर यह नहीं सही है तो मैं इसको वॉइड या फिर नल डिक्लेयर कर दूंगा ठीक है तो हमारा कांस्टिट्यूशन प्रोसीजर एस्टेब्लिश बाय लॉ दिखाता था लेकिन सुप्रीम कोर्ट की जो मेनका गांधी की जजमेंट आई थी उससे सुप्रीम कोर्ट ने इसका स्कोप जो है वो इंक्रीज कर दिया सुप्रीम कोर्ट ने यह कह दिया कि मैं सिर्फ प्रोसीजर नहीं चेक करूंगा मैं सिर्फ ये नहीं देखूंगा कि क्या प्रॉपर प्रोसीजर फॉलो हुआ है या नहीं हुआ मैं यह भी देखूंगा कि जिस लॉ की तुम बात कर रहे हो क्या वो लॉ अच्छा लॉ है या गंदा लॉ है अगर वो खराब लॉ है अगर वो ऐसा लॉ है जिसका कोई सर पैर नहीं है बिना तुक्का लॉ है आर्बिट्रेरी है आर्बिट्रेरी है तो तुम उसकी लाइफ और पर्सनल लिबर्टी नहीं छीन सकते इस कांसेप्ट को क्या कहा गया इस कांसेप्ट को कहा गया ड्यू प्रोसेस ऑफ़ लॉ और ड्यू प्रोसेस ऑफ़ लॉ कहां पे फॉलो होता है यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका के अंदर यह फॉलो होता है तो 1978 के बाद से हमारे आर्टिकल 21 के अंदर सिर्फ और सिर्फ प्रोसीजर एस्टेब्लिश बाय लॉ लिखा है लेकिन जुडिशरी ने अपनी जजमेंट के बाद से यह कह दिया है कि प्रोसीजर एस्टेब्लिश बाय लॉ के अंदर ड्यू प्रोसेस ऑफ़ लॉ भी शामिल है प्रोसीजर एस्टेब्लिश बाय लॉ क्या कहता था कि एक कानून बना है उस कानून को फॉलो करते हुए उस कानून को फॉलो करते हुए किसी आदमी की लाइफ या लिबर्टी छीनी गई है तो जुडिशरी क्या चेक करती थी जुडिशरी यह चेक करती थी कि यह जो यह जो लॉ लॉ के अंदर प्रोसीजर बना था जुडिशरी चेक करती थी क्या यह प्रोसीजर सही से फॉलो हुआ है या नहीं हुआ लॉ को इंप्लीमेंट कौन करता है एग्जीक्यूटिव इंप्लीमेंट करता है तो बेसिकली जुडिशरी यह चेक करती थी कि एग्जीक्यूटिव ने अपना काम ढंग से किया है या नहीं किया 1978 से पहले लेकिन 1978 के बाद जुडिशरी ने क्या कह दिया कि भाई मैं यह भी चेक करूंगा कि यह जो कानून है क्या यह का कानून फेयर था क्या यह कानून जस्ट था क्या यह कानून रीजनेबल था यह चीजें मैं चेक करूंगा ठीक है तो बेसिकली वह क्या चेक कर रहा है वो यह चेक कर रहा है कि कहीं ऐसा तो नहीं लेजिसलेच्योर फोकस करता रहा कि एग्जीक्यूटिव प्रोसीजर फॉलो कर रहा है या नहीं कर रहा लेकिन मुझे तो यह भी देखना चाहिए कि जो लेजिस्लेटर है वो लॉ अच्छा बना रहा है या नहीं बना रहा तो 1978 के बाद से उसने लेजिसलेच्योर भी चेक लगाना चालू कर दिया इसको कहा गया ड्यू प्रोसेस ऑफ लॉ ठीक है तो प्रोसीजर एस्टेब्लिश बाय लॉ हमारे कांस्टिट्यूशन के अंदर लिखा हुआ है जो कि एग्जीक्यूटिव की आर्बिट्रेरी नेस को चेक करता है जहां और ड्यू प्रोसेस ऑफ लॉ यूएस के अंदर लिखा हुआ था यूएस से हमने लिया है यह लेजिसलेटिव की आर्बिट्रेरी नेस को चेक करता है यह चेक करता है कि लॉ जो है वो रीजनेबल जस्ट और फेयर है या नहीं है ये आर्टिकल 21 कहता है और यह आपको कहानी याद रखनी पड़ेगी यह केस आपको याद रखना पड़ेगा डीपीएल क्या हमारे क ट्यूशन के अंदर डीपीएल लिखा है नहीं यह हमारे कॉन्स्टिट्यूशन में लिखा नहीं है पर क्या हमारा कांस्टीट्यूशन डीपीएल को फॉलो करता है बिल्कुल फॉलो करता है आफ्टर मेनका गांधी केस 1978 क्वेश्चन आ जाए कि डीपीएल हमारे कांस्टिट्यूशन में कब शामिल हुआ तो आप कहेंगे 1978 के बाद शामिल हुआ बेसिकली क्या हुआ था मेनका गांधी मेन देखिए 1975 में लगी इमरजेंसी इमरजेंसी के अंदर इंदिरा गांधी ने ढेर सारे अपोजिशन के लीडर को जेल में डाल दिया फिर 1977 में इमरजेंसी हटी और एक इंदिरा गांधी की गवर्नमेंट गिर के जनता पार्टी की गवर्नमेंट आ गई जनता पार्टी जो है वो इंदिरा गांधी की अपोजिशन वाली पार्टी थी यह सरकार में आ गई इन्होंने कहा कि अब हम गांधी परिवार को नहीं छोड़ेंगे तो मेनका गांधी विदेश जाने की प्लानिंग कर रही थी फॉरन जा रही थी तो इसका पासपोर्ट जो है वो जनता पार्टी के ऑफिसर्स मतलब जनता पार्टी ने ऑफिसर्स को बोला कि मेनका गांधी के पासपोर्ट को जप्त कर लो मेनका गांधी का जो पासपोर्ट है उसको जप्त कर लिया गया मेनका गांधी को विदेश नहीं जाने दिया तो मेनका गांधी गई कोर्ट के पास उसने कहा कि भाई इसने मेरी लिबर्टी मेरी लिबर्टी को इसने छीना है मुझे फौरन नहीं जाने दे रहे मेरा पासपोर्ट इन्होंने छीन के रख लिया है तो जनता पार्टी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह आप लॉ देखिए इस लॉ के अंदर इस लॉ के अंदर लिखा हुआ है कि मैं किसी का भी पासपोर्ट छीन सकता हूं तो इन्होंने इस लॉ में जो भी प्रोसीजर लिखा था मैंने वही प्रोसीजर फॉलो करके इनका पासपोर्ट छीना है तो आप मना नहीं कर सकते हमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह तो बहुत गलत हो हो रहा है ये जो लॉ बनाया है ये लॉ अपने आप में गलत है यह लॉ ही नहीं होना चाहिए था तो वहां पे ये जजमेंट निकल के आई कि प्रोसीजर टैब्लिक्स ऑफ लॉ शामिल है भले ही हमारा कांस्टिट्यूशन में लिखा नहीं है पर ये शामिल है ठीक तो यह कहानी यह मेनका गांधी वाली कहानी आपको इसलिए बताई ताकि ये जजमेंट आपको याद रहे ठीक है आर्टिकल 21a ये आर्टिकल हमारे ओरिजिनल कॉन्स्टिट्यूशन में नहीं था ये ए लगा हुआ है इसका मतलब यह है कि बाद में ऐड किया गया है ठीक है आर्टिकल 21a और नल कांस्टिट्यूशन में नहीं था इसको 2002 में 86 अमेंडमेंट से जोड़ा गया है 86 अमेंडमेंट 2002 जो है यह राइट टू एजुकेशन की बात करती है यह कहती है कि छ से लेकर 14 साल के जितने भी बच्चे होंगे उनको फ्री और कंपलसरी एजुकेशन प्रोवाइड की जाएगी स्टेट के द्वारा स्टेट जो है वह 6 से लेकर 14 साल के बच्चों को फ्री और कंपलसरी एजुकेशन प्रोवाइड करेगा क्या याद करना है आर्टिकल 21a ओरिजिनल कांस्टिट्यूशन में था नहीं था कब ऐड हुआ 86 अमेंडमेंट 2000 दो से ऐड हुआ किस बारे में बात करता है छ से लेकर 14 साल के बच्चों की बात करता है यह जो फ्री एजुकेशन है इसके ऊपर खर्चा होता है तो जब ओरिजिनल कॉन्स्टिट्यूशन बना था तो हमारे पास इतने पैसे नहीं थे कि हम छ से लेकर 14 साल के बच्चों को फ्री एजुकेशन दे दें तो हमने क्या कहा था हमने कहा था कि 0 साल से लेके 14 साल तक के जितने भी बच्चे होंगे उनको हम एजुकेशन और अर्ली चाइल्डहुड केयर देंगे अर्ली चाइल्डहुड केयर देंगे और एजुकेशन देंगे लेकिन हमारे पास पैसा नहीं था तो हमने यह कह दिया था कि यह डीपीएसपी के अंदर डाल देते हैं यानी कि यह एक गाइडलाइन की तरह है जब हमारे पास पैसा आ जाएगा तो हम लोगों को अर्ली चाइल्डहुड केयर और एजुकेशन देने लगेंगे 2002 में हमें ऐसा अनुमान हुआ कि अब हमारे पास इतना पैसा है कि हम 6 से लेकर 14 साल के बच्चों को पढ़ा सकते हैं तो हमने एक फंडामेंटल राइट ऐड कर दिया राइट टू एजुकेशन 2002 के अंदर जिसमें हमने छ से लेकर 14 साल के बच्चों को पढ़ा दिया डीपीएसपी में कितना लिखा था रो से लेकर 14 साल का लिखा था और हम कितनों को फंडामेंटल राइट्स दे रहे हैं 14 से 16 6 से 14 साल के बच्चों को तो बाकी कितने बचे रो से लेकर 6 साल के बच्चे तो ये रो से लेकर 6 साल के बच्चों को अर्ली चाइल्डहुड केयर दी जाएगी और एजुकेशन दी जाएगी यह कहां मिलेगा आपको ये अभी भी डीपीएसपी के अंदर आपको देखने को मिलेगा जब हम वहां पहुंचेंगे तो दोबारा से मैं आपको ये बताऊंगा तो जो 86 अमेंडमेंट है वो हमारे कॉन्स्टिट्यूशन के अंदर तीन जगह चेंज करता है एक तो वो नया फंडामेंटल राइट ऐड करता है 21a दूसरा वो डीपीएसपी आर्टिकल 45 है उसको थोड़ा सा चेंज कर देता है 45 आर्टिकल 45 जो है वह कहता था रो से लेकर 14 साल के बच्चों को एजुकेशन और चाइल्डहुड केयर दो 86 अमेंडमेंट के बाद आर्टिकल 45 क्या कहता है जीरो से लेकर 6 साल के बच्चों को अर्ली चाइल्डहुड केयर और एजुकेशन दो क्योंकि 6 से लेकर 14 साल के बच्चों को तो हम ऑलरेडी देने लग गए हैं ठीक है तो यह डीपीएसपी के अंदर यह हल्का सा मॉडिफिकेशन हुआ फंडामेंटल ड्यूटीज के अंदर भी कुछ चेंज हुआ उसके अंदर एक 11वीं ड्यूटी ऐड की गई जो फंडामेंटल ड्यूटीज वो हमने 42 अमेंडमेंट फंडामेंटल ड्यूटीज हमने 42 अमेंडमेंट 1976 से ऐड की थी और हमने 10 फंडामेंटल ड्यूटीज दी थी जो 11वीं ड्यूटी है एक और ड्यूटी हमने ऐड करी यह ड्यूटी कहती है कि पेरेंट्स जो हैं या फिर गार्जियंस जो हैं उनकी ड्यूटी होगी कि अपने बच्चों को स्कूल में भेजें ठीक है तो 86 अमेंडमेंट से ये तीन चेंज हुए फंडामेंटल राइट में डीपीएसपी में और फंडामेंटल ड्यूटीज के अंदर फिर आता है हमारा आर्टिकल 22 आर्टिकल 22 हमारा हमें जेल से प्रोटेक्शन देता है हमें अरेस्ट से प्रोटेक्शन देता है तो यह इंटरेस्टिंग आर्टिकल है बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट नहीं है तो देखिए जब भी किसी इंसान की अरेस्ट होती है तो उसको तुरंत ही ग्राउंड्स बताने होते हैं कि किस ग्राउंड्स पर तुम्हें अरेस्ट किया जा रहा है तुम्हारे खिलाफ क्या-क्या तुम्हारे खिलाफ क्या-क्या एलिगेशंस हैं ठीक है तुम्हारे ऊपर यह कहा जा रहा है कि आपने चोरी करी इसलिए मैं तुम्हें अरेस्ट कर रहा हूं ग्राउंड्स बताना पड़ेगा कि क्यों अरेस्ट किया जा रहा है दूसरा आपको एक अधिकार दिया हुआ है यह भी अधिकार है कि आपको यह पता होना चाहिए कि आपको क्यों अरेस्ट किया गया दूसरा अधिकार यह है कि आप अपनी पसंद के लीगल प्रैक्टिशनर यानी कि एडवोकेट लॉयर वगैरह आप अपनी पसंद के लीगल प्रैक्टिशनर को कंसल्ट कर सकते हैं और उसे हायर कर सकते हैं आपको डिफेंड करने के लिए तो पहले आपको ग्राउंड बताने होंगे दूसरा आप लीगल प्रैक्टिशनर को कंसल्ट कर सकते हैं और अपने आप को डिफेंड करने के लिए हायर कर सकते हैं और तीसरा क्या है जैसे ही किसी भी आदमी को अरेस्ट करके डिटेन कर लिया जाएगा तो 24 घंटे के अंदर यानी कि एक दिन के अंदर 24 घंटे के अंदर आपको मैजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा जो पुलिस वाला है जिस भी पुलिस थाने में आप बंद हैं वह पुलिस वाला आपको 24 घंटे के अंदर जो सबसे पास मैजिस्ट्रेट है उस मैजिस्ट्रेट के पास लेकर जाएगा और उसके पास उसको जाके बताएगा कि इस आदमी को मैंने इन इन केसेस पे अरेस्ट किया है फिर मैजिस्ट्रेट डिसाइड करेगा कि क्या आपको 24 घंटे के बाद भी जेल में रखना है या नहीं रखना ठीक है तो यह एक तरह की प्रोटेक्शन है कि 24 घंटे के अंदर आपको मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना पड़ेगा जो पुलिस वाला है वो आपको मजिस्ट्रेट के सामने पेश करेगा आप वहां पर अपनी बात रख सकते हैं इंटरेस्टिंग फैक्ट इसके अंदर क्या है जो पेपर में पूछा नहीं जाएगा पर इंटरेस्टिंग है कि ज्यादातर पुलिस वाले जो हैं वह क्या करते हैं एफआईआर करने में डिले कर देते हैं अगर उसको दुश्मनी है किसी से पुलिस वाले को तो वो एफआईआर डिले करता रहेगा कब तक फ्राइडे तक डिले करेगा फ्राइडे तक क्यों डिले करेगा क्योंकि फ्राइडे के बाद आ जाता है सैटरडे और संडे सैटरडे संडे को होती है छुट्टी तो फ्राइडे को वो एफआईआर करके आपको डिटेन कर लेगा ठीक है फिर उसके बाद वो कहेगा सैटरडे सनडे तो छुट्टी हो गई अब 24 घंटे जो हैं वो मंडे को होंगे और वो मंडे को आपको मजिस्ट्रेट के पास ले जाएगा और तीन दिन तक आपको जेल में सड़ा जाएगा ठीक है लॉजिकली क्या होता है जैसे ही आपकी डिटेन किया जाता है 24 घंटे के अंदर आपको मैजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है तो यह भी कुछ कुछ केसेस में होता है हर जगह नहीं होता इसके अंदर 24 घंटे जो है 24 घंटे के समय में आपका ट्रैवल टाइम इंक्लूड नहीं होता है यानी ट्रेवल करने में अगर 18 घंटे लग गए तो वो 24 घंटे का पार्ट नहीं बनेंगे वो 18 घंटे ऊपर से माने जाएंगे अब ये जो तीन प्रोटेक्शन है यानी कि आपको ग्राउंड्स बताने होंगे कि क्यों अरेस्ट किया जा रहा है दूसरा आप अपनी पसंद के लीगल प्रैक्टिशनर को कंसल्ट कर सकते हैं और तीसरा तीसरा यह कि 24 घंटे के अंदर मैजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा ये तीन अधिकार आपको मिले हैं पर यह तीन अधिकार हर किसी को नहीं मिले ये तीन अधिकार देखिए कोई भी देश होता है उस देश के अंदर या तो सिटीजंस रह रहे होते हैं या एलियन रह रहे होते हैं एलियन भी दो तरह के हो सकते हैं एलियन यानी कि फॉरेनर एलियन भी दो तरह का हो सकता है एक एलियन हो सकता है फ्रेंडली एलियन फ्रेंडली एलियन अच्छे देशों से जो भी फॉरेनर रह रहे हैं वो फ्रेंडली एलियन एक एलियन होता है एनिमी एलियन ऐसे देशों से जो कि हमारे दुश्मन देश हैं उसके अगर लोग यहां पे इंडिया में रह रहे हैं उनको एनिमी एलियन कहा जाता है तो अगर कोई एनिमी एलियन है तो एनिमी एलियन को ये तीन राइट्स नहीं मिले यानी कि 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट में पेश करना उसके लीगल प्रैक्टिशनर वाला राइट और उसको ग्राउंड्स बताने वाला राइट ये तीनों राइट जो हैं एनिमी एलियन को नहीं मिले सिटीजन को मिले हैं और फ्रेंडली एलियन को मिले हुए हैं फिर एक और जो एक्सेप्शन है वो यह कि अगर किसी को प्रिवेंट डिटेंशन में अरेस्ट किया गया है डिटेन किया गया तो उसके लिए भी ये राइट्स नहीं बने प्रिवेंट डिटेंशन क्या होती है देखिए एक तो क्या है एक आदमी चोरी कर रहा है चोरी करने के बाद वह पकड़ा गया उसको जेल में डाल दिया गया उसको डिटेन कर लिया गया यह चोरी करने के बाद है एक आदमी है यह आदमी की यह आशंका जताई जा रही है कि यह लोगों को उकसा के दंगे करवा सकता है यह वायलेंस करवा सकता है ठीक है इसकी यह कल कोई स्पीच देने वाला है और उसे स्पीच से हो सकता है वायलेंस हो जाए तो उसको आज ही अरेस्ट किया जा सकता है डिटेन किया जा सकता है डिटेन किया जा सकता है और इस तरह की डिटेंशन को क्या कहेंगे प्रिवेंट डिटेंशन हम प्रिवेंट कर रहे हैं हम प्रिवेंट कर रहे हैं कि वो कल स्पीच ना दे पाए जिससे वायलेंस हो सकती है तो इसको प्रिवेंट डिटेंशन कहा जाता है यानी कि उसके कुछ इल्लीगल करने से पहले ही उसको डिटेन कर लिया तो प्रीवेंटिव डिटेंशन के स्पेशल लॉज बने होते हैं और उन लॉ के अंदर उसको डिटेन किया जाता है तो अब हम प्रिवेंट डिटेंशन के कुछ वो देखेंगे कि हमारा कांस्टिट्यूशन क्या कहता है प्रिवेंट डिटेंशन जो है वो 3 महीने की हो सकती है नॉर्मल केस में 3 महीने की होती है अगर किसी इंसान को 3 महीने से ज्यादा के लिए डिटेन करना है तो सिर्फ दो केसेस में दो तरीकों से 3 महीने से ज्यादा डिटेन कर सकते हैं दो तरीके क्या हैं पहला तरीका हाई कोर्ट के जजेस का एक बोर्ड बनाओ हाई कोर्ट के जजेस का बोर्ड बनाओ एडवाइजरी और यह जो बोर्ड है यह कह दे कि हां इस आदमी को न महीने से ज्यादा डिटेन करना चाहिए इसके खिलाफ इतने ग्राउंड्स हैं कि इसको डिटेन करना सही होगा तो उसको तीन महीने से ज्यादा डिटेन किया जा सकता है पहला तो तरीका यह है उसको तीन महीने से ज्यादा डिटेन करने का दूसरा तरीका क्या है पार्लियामेंट ने कोई स्पेशल लॉ बनाया है और यह जो लॉ है यह लॉ कहता है कि उसको तीन महीने से ज्यादा डिटेन किया जाए ठीक है तो इस लॉ के अंदर अगर किसी आदमी को डिटेन किया जाएगा तो वह तीन महीने से ज्यादा डिटेन कर सकते हैं तो क्या याद रखना है कि डिटेंशन नॉर्मली 3 महीने की होती है 3 महीने से ज्यादा अगर डिटेन करना है तो आपको एडवाइजरी बोर्ड से सलाह लेनी पड़ेगी वो एडवाइजरी बोर्ड के अंदर हाई कोर्ट के जजेस होंगे दूसरा कि पार्लियामेंट ने कोई ऐसा लॉ बना रखा था जो कि 3 महीने से ज्यादा का समय बोलता हो डिटेन करने के लिए और आपको उस लॉ के अंदर डिटेन किया गया है तो आपको डिटेन किया जा सकता है अब जो आदमी डिटेन हो रखा है उसके क्या-क्या राइट्स होते हैं उसके राइट यह हैं कि उसको जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी ग्राउंड्स बताने होंगे कि किस बिना पर उसको गिरफ्तार या डिटेन किया गया है दूसरा उसको अपॉर्चुनिटी दी जाएगी कि वह अपनी रिप्रेजेंटेशन जुडिशरी के सामने रखे ठीक है यह उसको बताना होगा पर इसके अंदर कोई समय नहीं लिखा उसके अंदर समय लिखे हुए थे इसमें कोई समय नहीं है मन करेगा तो बताएंगे ज्यादातर नहीं बताए जाते और वो लोग ऐसे ही सड़ते रहते हैं तो अभी तक हमने कितने देख लिए हमने 14 से लेके 22 तक देख लिए ठीक है एक बारी जल्दी से ओवर व्यू ले लेते हैं जिसको लगता है कि ये वेस्ट ऑफ टाइम है वो स्किप करके आगे बढ़ सकता है जो पॉलिटी में ज्यादा अच्छे नहीं है वो एक बार इसको जरूर देखें आर्टिकल 12 आपकी स्टेट की डेफिनेशन बताता है जिसमें पार्लियामेंट सेंटर की गवर्नमेंट स्टेट लेजिसलेच्योर कीज आती हैं 13 के अंदर कहता है कि जो भी लॉ कॉन्स्टिट्यूशन से पहले के बने थे और फंडामेंटल राइट्स को वायलेट करता है वो लॉ खत्म हो जाएंगे जहां तक कि वो फंडामेंटल राइट्स को वायलेट करते हैं वहां तक जिस हद तक वो खत्म करते हैं उस हद तक वो वायलेट हो जाए वो वॉइड हो जाएंगे आर्टिकल 13 का क्लॉज टू कहता है कि स्टेट जो है वह आगे भी ऐसा कोई कानून नहीं बनाएगी जो कि फंडामेंटल राइट्स को वायलेट करता हो अगर कोई ऐसा कानून बना दिया तो उसको नल एंड वॉइड डिक्लेयर कर देगा और कौन करेगा जुडिशरी करेगी इसीलिए कहा जाता है कि आर्टिकल 13 का क्लॉज टू जुडिशियस रिव्यू का बेसिस बनता है फिर 24th अमेंडमेंट 1971 से क्या कह दिया गया ये कह दिया गया कि जो अमेंडमेंट है अमेंडमेंट लॉ की डेफिनेशन में नहीं आती यानी कि अमेंडमेंट करके फंडामेंटल राइट्स को वायलेट कर सकते हैं आर्टिकल 14 कहता है इक्वलिटी बिफोर लॉ एंड इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ आर्टिकल 15 कहता है कि आर आर सीएसपी के बेसिस पर डिस्क्रिमिनेशन नहीं होगा स्पेशल प्रोविजन बनाए जा सकते हैं वुमेन के लिए चिल्ड्रन के लिए रिजर्वेशन की जा और स्पेशल प्रोविजन बनाए जा सकते हैं और एससीबीसी एससी और एसटी के लिए एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में रिजर्वेशन एससीबीसी एससी और एसटी के लिए और 103 कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट से यह कह दिया कि ईडब्ल्यूएस के लिए एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में रिजर्वेशन एजुकेशनल इंस्टिट्यूट में माइनॉरिटी एजुकेशन इंस्टीट्यूट को छोड़ के सारे इंस्टीट्यूट में रिजर्वेशन दी जाती है आर्टिकल 16 कहता है कि आर आर सीएस डीपीआर को डीपीआर के बेसिस पर डिस्क्रिमिनेशन नहीं होगी रिलीजन रेस कास्ट सेक्स डोमिसाइल प्लेस ऑफ बर्थ रेजिडेंस इन बेसिस पर डिस्क्रिमिनेट नहीं करोगे रेजिडेंस की कंडीशन सिर्फ और सिर्फ पार्लियामेंट कर सकती है फिर इसके अंदर आपको रिजर्वेशन जो देना है नौकरियों के अंदर वो देना है बैकवर्ड क्लासेस व्हिच आर नॉट एडिक्ट रिप्रेजेंटेड आपके प्रमोशन के अंदर रिजर्वेशन किसको है एससी को और एसटी को इफ दे आर नॉट एडिक्ट रिप्रेजेंटेड 103 कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट एक्ट से क्या कह दिया इकोनॉमिकली वीकर सेक्शंस को रिजर्वेशन जॉब्स के अंदर कौन सी जॉब्स पब्लिक एंप्लॉयमेंट के अंदर 17 के अंदर अनटचेबिलिटी अबॉलिश 18 के अंदर टाइटल अबॉलिश टाइटल स्टेट देगी नहीं फॉरन से तुम ले नहीं सकते अगर तुम कोई विदेशी हो और फॉरन से लेना चाहते हो तो प्रेसिडेंट से पूछ के लो फिर साथ के साथ कोई प्रेजेंट एमोल्यूमेंट्स या फिर ऑफिस तुम बाहर से तभी ले सकते हो जब प्रेसिडेंट से तुम पहले ही पूछ चुके हो यह 18 हो गया फिर 19 के अंदर स्पीच और एक्सप्रेशन की आजादी फिर असेंबल पीसफुली विदाउट आर्म्स फिर उसके बाद मूव फ्रीली थ्रू आउट द टेरिटरी फिर रिसाइट करोगे आप रिसाइट करोगे रिसाइट करने के बाद आपका हो जाएगा कोई भी ऑक्यूपेशन आप ले सकते हो ठीक है इसके अंदर एक एक यहां पर क्लॉज और था 191 एफ 191 एफ जो था वो पहले एजिस्ट करता था वह बात करता था राइट टू प्रॉपर्टी की राइट टू प्रॉपर्टी की इसके बारे में हम डिटेल में बात करेंगे जब हम आर्टिकल 31 करेंगे आर्टिकल 31 को हम बहुत डिटेल में देखेंगे तब ये 191 एफ देखा जाएगा ठीक है फिर जो आर्टिकल 24 अब हमें चालू करना है आर्टिकल 23 और 24 से ठीक है सॉरी अभी तो ये 19 तक हमने देखे थे 19 के बाद आपका आर्टिकल आता है आर्टिकल 20 आर्टिकल 20 तीन बातें करता है कौन सी एक्सपोस्ट फैक्टो लॉज एक्सपोस्ट फैक्टो लॉज दूसरी बात वह करता है डबल ज पार्डी की और तीसरी बात करता है सेल्फ इनक्रिमिनेशन की आर्टिकल 21 बात करता है राइट टू लाइफ और लिबर्टी की जिसके अंदर हमने देखा प्रोसीजर एस्टेब्लिश बाय लॉ लिखा हुआ है 1978 तक जुडिशरी सिर्फ एग्जीक्यूटिव का काम चेक करती थी वह देखती थी कि क्या एग्जीक्यूटिव ने प्रॉपर प्रोसीजर फॉलो किया है या नहीं किया 1978 के अंदर केस हुआ मेनका गांधी केस उसके बाद से जुडिशरी लेजिसलेच्योर जो कानून बनाया है क्या यह कानून जस्ट है क्या यह कानून फेयर है क्या यह कानून रीजनेबल है ठीक है तो इसको कहा जाता है ड्यू प्रोसेस ऑफ लॉ 21a की अगर बात करें तो यह 86 अमेंडमेंट 86 अमेंडमेंट 2002 से आया था जिसमें हमने राइट टू एजुकेशन दे दी है यह अमेंडमेंट तीन जगहों पे चेंज करता है फंडामेंटल राइट्स के अंदर डीपीएसपी के अंदर और आपके फंडामेंटल ड्यूटीज के अंदर आर्टिकल 22 आपके अरेस्ट को और डिटेंशन को लेके बात करता है अरेस्ट के लिए आपके पास क्या राइट है ग्राउंड्स बताओ मजिस्ट्रेट के सामने 24 घंटे में पेश करो आपकी पसंद के लीगल प्रैक्टिशनर से आपकी डिफेंस करवाओ एनिमी एलियन के लिए और प्रिवेंट डिटेंशन के लिए ये तीनों राइट्स नहीं है प्रिवेंट डिटेंशन 3 महीने की हो सकती है 3 महीने से ज्यादा अगर करानी है तो एक एडवाइजरी बोर्ड बनेगा किसका हाई कोर्ट के जजेस का और वो बोल देगा कि हां इसको न महीने से ज्यादा डिटेन करो तो किया जा सकता है या फिर पार्लियामेंट ने कोई स्पेशल लॉ बनाया हुआ है जो कि तीन महीने से ज्यादा की डिटेंशन बताता है और उसके अंदर डिटेन किया गया तो तो ये हो गया आपके आर्टिकल 22 तक हमने रिवीजन कर ली अब आर्टिकल 23 और 24 हमें देखना है आर्टिकल 23 और 24 एक्सप्लोइटेशन से बचाता है एक्सप्लोइटेशन एक्सप्लोइटेशन किस तरह की हो सकती है ह्यूमन ट्रैफिकिंग हो जाए ह्यूमन ट्रैफिकिंग हो जाए लोगों को पकड़ के एक जगह से दूसरी जगह बेच दिया गया है तो उसको ह्यूमन ट्रैफिकिंग कही जाती है एक आदमी ने दूसरे आदमी को खरीद लिया और खरीदने के बाद वह उससे अब बॉन्डेड लेबर करा रहा है उससे मजदूरी करा रहा है पर उसे कोई भी पैसे नहीं दे रहा यह जो सारी की सारी चीजें हैं यह प्रोहिबिटेड है यह प्रोहिबिटेड है हमारे कांस्टिट्यूशन में फंडामेंटल राइट्स के अंदर जो कि पार्ट थ्री में आता है सिर्फ दो राइट्स ऐसे हैं जो कि एब्सलूट हैं जो कि क्वालिफाइड नहीं है जिनके ऊपर रीजनेबल रिस्ट्रिक्शन नहीं लगती वो दो राइट्स कौन से हैं एक तो है अनटचेबिलिटी अबॉलिश करने वाला आर्टिकल 17 और दूसरा है आपका आर्टिकल 24 ठीक है आर्टिकल 24 कहता है कि जो चिल्ड्रन हैं उन चिल्ड्रन को किसी भी फैक्ट्री माइन या हजार्ड अस एंप्लॉयमेंट के अंदर नौकरी नहीं दी जाएगी ठीक है यानी कि चाइल्ड को बचाता है हजार्ड ुस एंप्लॉयमेंट से तो आर्टिकल 23 23 और 24 एक्सप्लोइटेशन से बचाता है आर्टिकल 23 के अंदर आपकी ह्यूमन ट्रैफिकिंग की बात होती है कि ह्यूमन बीइंग्स को ट्रैफिक नहीं किया जाएगा बेगार नहीं कराया जाएगा उससे और फोर्सड लेबर नहीं कराई जाएगी यह बेगार है यह बैगर नहीं है यह भिखारी नहीं है बेगार एक तरह की फोर्स्ड लेबर होती है कि जबरन किसी से कोई काम कराया जा रहा है जिसके लिए उसको पैसा नहीं मिल रहा तो आर्टिकल 23 जो है इन तीनों चीजों को इन तीनों चीजों को मना करता है प्रोहिबिट करता है आर्टिकल 24 क्या करता है आर्टिकल 24 बच्चों को बचाता है चिल्ड्रन को फैक्ट्री माइन या हजार्ड अस एंप्लॉयमेंट के अंदर नहीं रखा जाएगा यह आर्टिकल 24 कहता है आर्टिकल 25 से लेकर 28 तक जो है वो फ्रीडम ऑफ रिलीजन की बात करते हैं राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन की बात की जाती है यहां पे राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन क्या कहता है वह कहता है कि हर एक इंसान को इंडिया के अंदर आजादी है कि वह कोई भी रिलीजन को प्रोफेस कर सके प्रैक्टिस कर सके प्रोपागेट कर सके ठीक है प्रोपागेट मतलब आगे बढ़ाना प्रैक्टिस का मतलब खुद ही रिलीजन की जो भी प्रैक्टिसेस हैं उनको फॉलो करना प्रोफेस करना लोगों को बताए कि मैं यह रिलीजन कर रहा हूं वो सारी चीजें इसके अंदर आती हैं तो आर्टिकल 25 जो है वो रिलीजन की आजादी देता है 25 से लेकर 28 तक जो भी हम बात करेंगे वो रिलीजन से जुड़ी होंगी तो आप कोई भी रिलीजन को प्रोफेस प्रैक्टिस और प्रोपागेट कर सकते हो बशर्ते वो पब्लिक ऑर्डर मोरालिटी और हेल्थ को खराब ना करें पब्लिक ऑर्डर को खराब ना करें मोरालिटी को खराब ना करें और हेल्थ को खराब ना करें क्या हमारे इंडिया के अंदर जो पार्लियामेंट है वह किसी तरह से रिलीजन के अंदर इंटरफेयर कर सकता है तो यहां पे आप ध्यान रखेंगे कि बिल्कुल कर सकता है फ्रांस का जो फ्रांस का जो सेकुलरिज्म है वो वो कहता है कि भाई हम किसी रिलीजन को एक्सेप्ट ही नहीं करते आप पब्लिक प्लेस के अंदर कोई भी रिलीजियस सिंबल दिखा ही नहीं सकते ठीक है इंडिया के अंदर ऐसा नहीं है इंडिया कहता है सर्व धर्म संभव हर एक धर्म पॉसिबल है लेकिन अगर किसी कोई भी रिलीजन है उस रिलीजन की दो तरह की प्रैक्टिस होती हैं कोई भी रिलीजन होगा तो उसकी एक तो प्रैक्टिस होगी जो कि धर्म से जुड़ी हुई है रिलीजन से जुड़ी हुई है और उसकी एक दूसरी प्रैक्टिस होंगी जो कि सेकुलर प्रैक्टिस होती है सेकुलर प्रैक्टिस का मतलब क्या है कि उस रिलीजन ने कुछ ट्रस्ट बना रखा होगा उसके पास कुछ फंड आते होंगे कुछ पैसे आते होंगे जो यह रिलीजन है यह कुछ पॉलिटिकल एक्टिविटी करता होगा यह जो रिलीजन है इसकी कुछ इकोनॉमिक एक्टिविटी होती होंगी तो जो हमारा पार्लियामेंट है वो रिलीजन के अंदर तो इंटरफेयर नहीं करेगा तुम अपने रिलीजन की प्रैक्टिसेस जो है जैसे पूजा पाठ करना कौन सा मंत्र पढ़ा जा रहा है इन सब चीजों में तुम आजाद हो जो मर्जी करो लेकिन जो तुम्हारी ये सेकुलर एक्टिविटीज होती हैं जैसे कि पैसों का लेनदेन तुम्हारी पॉलिटिकल एक्टिविटीज इन सब चीजों के ऊपर जो पार्लियामेंट है वो रेगुलेशन लगा सकता है उनको रिस्ट्रिक्टर सकता है यह आप ध्यान रखेंगे ठीक है तो पार्लियामेंट जो है इन चीजों के ऊपर इन चीजों के ऊपर जो कि धर्म से नहीं जुड़ी हुई भले ही धर्म के लोग कर रहे हैं पर ये धर्म से नहीं जुड़ी हुई है धर्म से जुड़ा होता है कि वो किस तरह से पूजा कर रहे हैं कौन से मंत्र पढ़ रहे हैं कौन सी उनकी प्रैक्टिसेस हैं उन पे नहीं कुछ बोला जाएगा लेकिन उसकी सेकुलर प्रैक्टिस पे बोला जाएगा दूसरा पार्लियामेंट कहां पे इंटरफेयर कर सकता है मान लीजिए किसी धर्म के अंदर ऐसी चीजें हैं जो कि सोसाइटी के अंदर सोसाइटी के अंदर कुछ खराब बातें फैलाती हैं जैसे कि मान लीजिए कोई धर्म है वह यह कहता है कि कि एक पर्टिकुलर कास्ट के लोग मंदिर में नहीं घुस सकते एक ठीक है वो उस कास्ट के लोगों के लिए मंदिर के दरवाजे बंद कर देता है तो यह समाज के अंदर क्या कर रहा है डिस्क्रिमिनेशन फैला रहा है तो पार्लियामेंट इन चीजों को रेगुलेट कर सकता है और इस चीज को रोक सकता है पार्लियामेंट क्या कर सकता है पार्लियामेंट सोशल वेलफेयर के लिए काम कर सकता है रिफॉर्म ला सकता है रिलीजन के अंदर अगर कोई सुपरस्टिशस प्रैक्टिस है जैसे कि सती 1829 में यह अबॉलिश हो चुकी है लेकिन मान लीजिए कोई ऐसी ही प्रैक्टिस है तो उस प्रैक्टिस को पार्लियामेंट खत्म कर सकता है क्यों क्योंकि यह रिफॉर्म लाया जा रहा है रिलीजन के अंदर और साथ के साथ पार्लियामेंट क्या कर सकता है जो रिलीजियस इंस्टिट्यूशन है उनको ओपन कर सकता है सभी हिंदू उस के लिए इन हिंदू उस के अंदर जैंस और सिक्स भी इंक्लूड होते हैं ठीक है तो यह पार्लियामेंट जो है वो ये रेगुलेशंस इसके अंदर लेके आता है 23 के बाद हम बात करेंगे ओ सॉरी 23 24 हम कर चुके हैं 25 के बाद हम बात करेंगे आर्टिकल 26 की देखिए आपने धर्म आप एक धर्म को फॉलो करते हैं ठीक है अब आप चाहते हैं कि मैं इस धर्म को आगे बढ़ाने के लिए कोई एक इंस्टिट्यूशन बनाऊं तो क्या आप इंस्टीट्यूशन बना सकते हैं बिल्कुल बना सकते हैं आर्टिकल 26 आपको एक राइट देता है कि आप अपने धर्म के लिए एक इंस्टिट्यूशन बना सकते हैं यह जो इंस्टिट्यूशन है यह आपके धर्म के लिए भी हो सकता है और यह चैरिटी के लिए भी हो सकता है ठीक ठीक है ये जो इंस्टीट्यूशन आपने बनाया है इसके जो भी अफेयर होगा इसके जो भी काम होंगे उनको आप खुद मैनेज करें मैनेज करने की आजादी दी गई है अब ये जो इंस्टिट्यूट है इसको अपनी एक बिल्डिंग चाहिए होगी इसको हो सकता है और भी कोई प्रॉपर्टी एक्वायर करनी हो तो इस इंस्टीट्यूट को प्रॉपर्टी एक्वायर करने की भी आजादी मिली हुई है तीसरा इसने और लास्ट क्या मिला हुआ है इस इंस्टिट्यूट को इंस्टिट्यूट ने प्रॉपर्टी एक्वायर कर ली अब इस प्रॉपर्टी को एडमिनिस्टर करना है उसको ढंग से चलाना है तो उसकी भी आजादी मिली है तो आर्टिकल 26 क्या कहता है कि रिलीजियस अफेयर को मैनेज करने के लिए आप क्या कर सकते हैं आप एक इंस्टिट्यूशन बना सकते हैं रिलीजस के लिए या फिर चैरिटेबल पर्पस के लिए आप उस इंस्टिट्यूशन को मैनेज कर सकते हैं यह जो इंस्टिट्यूशन है यह मूवेबल या इमूवेबल इमूवेबल मतलब जो हिल सकती है जैसे कि गाड़ी सोना जो ये इंस्टिट्यूशन है यह मूवेबल और इमूवेबल प्रॉपर्टी को एक्वायर भी कर सकता है ओन भी कर सकता है और उसको एडमिनिस्टर भी कर सकता है तो 25 के अंदर आपको आजादी दे दी गई कि आप कोई भी धर्म को प्रैक्टिस प्रोफेस और प्रोपागेट कर सकते हैं पार्लियामेंट कहां पे इंटरफेयर कर सकता है वह आपको बता दिया 26 के अंदर आप इंस्टिट्यूशन बना सकते हैं अपने रिलीजन या चैरिटी के लिए इंस्टिट्यूशन प्रॉपर्टी ले सकता है प्रॉपर्टी को मैनेज कर सकता है 27 आर्टिकल हमारे सेकुलरिज्म का एक मेन फीचर है आप इसको याद रखेंगे आर्टिकल 27 कहता है कि जो स्टेट है वह कोई भी ऐसा टैक्स नहीं लेगी जो कि किसी एक धर्म का प्रमोशन करती हो किसी एक पर्टिकुलर धर्म को प्रमोट करने के लिए या उसको मेंटेन करने के लिए कोई भी टैक्स नहीं लगाया जा सकता यह आर्टिकल 27 कहता है आर्टिकल 28 क्या कहता है देखिए आप लोग स्कूल में जाते हैं स्कूल में जाने पर हो सकता है आपके स्कूल वाले आपको कोई मंत्र सिखाएं हो सकता है कि कोई मंत्र सिखाए क्या वह सिखाना अलाउड है देखिए अगर स्कूल ऐसा है जो कि किसी गवर्नमेंट ने इस्टैब्लिशमेंट से एड लेता है तो से स्कूल के अंदर कोई भी रिलीजियस इंस्ट्रक्शन नहीं दी जा सकती कोई भी रिलीजियस इंस्ट्रक्शन नहीं दी जा सकती है अगर कोई ऐसा इंस्टिट्यूशन है जो कि पूरी तरह से पूरी तरह से पैसे नहीं लेता सरकार से देखिए एक बारी मैं आपको इसमें फिर से यहां पे बताता हूं तीन तरह के हम यहां पे इंस्टिट्यूशन की बात कर लेते हैं पहले इंस्टिट्यूशन वो है जो कि 100% पैसा सरकार से लेते हैं या फिर सरकार ने ही उनको इस्टैब्लिशमेंट कि 100% पैसा नहीं लेते थोड़ा बहुत पैसा लेते हैं और तीसरा इंस्टिट्यूट ऐसा है जो कि किसी रिलीजियस रिलीजियस ट्रस्ट ने ही एस्टेब्लिश किया है तो ऐसे जो इंस्टीट्यूशन है जो कि सरकार ने एस्टेब्लिश किए हैं या 100% पैसा जो वो सरकार से लेते हैं वहां पे कोई भी रिलीजियस इंस्ट्रक्शन नहीं दी जाएगी जो सरकार से थोड़ा सा पैसा लेते हैं थोड़ी सी एड लेते हैं सहायता लेते हैं वहां पर रिलीजियस इंस्ट्रक्शन दी जाएगी रिलीजियस इंस्ट्रक्शन दी जाएगी लेकिन आप वो रिलीजियस इंस्ट्रक्शन बच्चे को को देने से पहले जो उस बच्चे के पेरेंट्स या गार्जियन होंगे आपको उनसे परमिशन लेनी पड़ेगी अगर गार्जियन अलाव कर रहे हैं तो ही आप उस बच्चे को रिलीजियस इंस्ट्रक्शन दे सकते हो रिलीजियस ट्रस्ट जो होते हैं ये क्या कहते हैं कि भाई हम रिलीजियस इंस्ट्रक्शन देंगे भी और तुम्हें लेनी भी पड़ेगी अगर तुम्हें नहीं लेनी है तो हमारे स्कूल में एडमिशन लो ही मत ठीक है तो ये आर्टिकल 28 कहता है तो 25 क्या कहता है कि कोई भी रिलीजन को प्रे प्रोफेस प्रैक्टिस या प्रोपेगेटर पार्लियामेंट जो है वो इंटरफेयर कर सकता है 26 कहता है कि आप अपना इंस्टिट्यूट बना सकते हो रिलीजियस या चैरिटेबल पर्पस के लिए ये इंस्टिट्यूट प्रॉपर्टी एक्वायर कर सकता है उसको एडमिनिस्टर कर सकता है 27 कहता है कि किसी एक धर्म को प्रोपेट करने के लिए मेंटेन करने के लिए प्रमोट करने के लिए टैक्स नहीं लगाया जाएगा यानी कि किसी भी किसी भी धर्म को किसी एक धर्म को हम ऐसे प्रमोट नहीं कर सकते कि बाकी जनता उं से टैक्स लगा के पैसे ले लिए और उससे हम धर्म को प्रमोट कर रहे हैं 28 वां कहता है कि स्कूल्स के अंदर क्या हम रिलीजियस एजुकेशन देंगे या नहीं देंगे ठीक है एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के अंदर 29 और 30 यह हमारे कल्चरल और एजुकेशनल राइट्स बताते हैं ठीक है यह क्या बताते हैं यह माइनॉरिटी की बात करते हैं माइनॉरिटी देखिए आर्टिकल 29 क्या कहता है वह कहता है कि अगर कोई ऐसे लोग हैं जिनका डिस्टिंक्ट लैंग्वेज है स्क्रिप्ट है या कल्चर है लैंग्वेज स्क्रिप्ट या कल्चर आर्टिकल 29 कहता है कि अगर कोई ऐसे ग्रुप हैं जिनकी डिस्टिंक्ट लैंग्वेज स्क्रिप्ट या कल्चर है तो उनको पूरे राइट है उनको एक अधिकार है अपने इस डिस्टिंक्ट लैंग्वेज स्क्रिप्ट और कल्चर को प्रिजर्व करने की ठीक है अपने लैंग्वेज स्क्रिप्ट और कल्चर को प्रिजर्व कर सकते हैं ऐसी कम्युनिटी के लोग जिनकी डिस्टिंक्ट लैंग्वेज स्क्रिप्ट या कल्चर है वो कभी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में एडमिशन लेने जाएंगे तो उनके खिलाफ डिस्क्रिमिनेशन नहीं होगा किस बेसिस पर आर आरसीएल के बेसिस पर रिलीजन रेस कास्ट और लैंग्वेज तो आर्टिकल 21 के आप आर आरसीएल याद करेंगे कि कोई भी ऐसी कम्युनिटी जिसकी डिस्टिंक्ट लैंग्वेज स्क्रिप्ट या कल्चर होगी उनके पास अधिकार है अपनी डिस्टिंक्ट लैंग्वेज स्क्रिप्ट और कल्चर को प्रिजर्व करने का और जब वह एजुकेशन इंस्टीट्यूशन में एडमिशन लेने जाएंगे तो उनके खिलाफ डिस्क्रिमिनेशन नहीं होगी ऑन द बेसिस ऑफ रिलीजन रेस कास्ट और लैंग्वेज यह बोलके उन्हें एडमिशन से मना नहीं कर दिया जाएगा कि तुम तुम्हारी लैंग्वेज अलग है इसलिए हम एडमिशन नहीं दे रहे यह नहीं बोला जा सकता यह आर्टिकल 29 के अंदर है आर्टिकल 30 क्या कहता है देखो लैंग्वेज स्क्रिप्ट और कल्चर बचाने का एक मेजर हथियार क्या होता है कि आप अपना एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन एस्टेब्लिश कर दें तो जो आप अपना एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन इस्टैब्लिशमेंट बहुत ही कम लोग बनाते हैं बोलते हैं तो आप अपना एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन इस्टैब्लिशमेंट ू बन गया उसके ठीक अगले साल एक कांस्टीट्यूशनल चैलेंज हमारे सामने खड़ा होता है और जो कि इंडियन पॉलिटिक के अंदर बहुत ही इंटरेस्टिंग स्टडी है इसमें क्या होता है हमारे फंडामेंटल राइट्स के अंदर फंडामेंटल राइट्स ऐसे हैं जिनको हम कोई को भी कानून बनाक तोड़ नहीं सकते आर्टिकल 13 अगर आपको याद हो आर्टिकल 13 कहता है कि पुराने जो भी लॉ फंडामेंटल राइट्स को वायलेट करेंगे वो जिस हद तक वायलेट कर रहे हैं उस हद तक वो नल एंड वॉइड हो जाएंगे पुराने कर नहीं सकते वायलेट और तुम आगे आने वाले समय में फ्यूचर में ऐसा कोई कानून नहीं बनाओगे जो कि आपके फंडामेंटल राइट्स को एब्रेज करता हो कम करता हो या फिर उसको पूरी तरह छीन लेता हो टेक अवे कर लेता हो यह कहता है हमारा आर्टिकल 13 यही जुडिशल रिव्यू का बेसिस बनता है तो इसका म मतलब यह है कि हम फंडामेंटल राइट्स को वायलेट नहीं कर सकते कोई भी लॉ बनाकर ठीक है यह हमारे जो कांस्टिट्यूशन था उसने कहा तो जब हमारा कांस्टिट्यूशन बना था तब आर्टिकल 19 के अंदर एक सब क्लॉज होता था आर्टिकल 19 का क्लॉज एक सब क्लॉज एफ ठीक है आर्टिकल 19 के अंदर ये जो सब क्लॉज है ये देता था फंडामेंटल राइट जिसका नाम था राइट टू प्रॉपर्टी इसका मतलब यह था कि हर एक इंसान को अधिकार है प्रॉपर्टी को मेंटेन करने का का यानी कि कोई भी अपनी प्राइवेट प्रॉपर्टी खरीद सकता है और उसको अच्छे से एंजॉय कर सकता है अगर उसकी प्राइवेट प्रॉपर्टी को कोई छीनेगा प्राइवेट प्रॉपर्टी रखना क्या है प्राइवेट प्रॉपर्टी रखना एक फंडामेंटल राइट है अगर कोई उसकी प्रॉपर्टी को छीनेगा तो इस फंडामेंटल राइट में वो क्या कर सकता है कि मेरी प्रॉपर्टी को छीना जा रहा है मैं जा रहा हूं सुप्रीम कोर्ट में डायरेक्टली क्योंकि फंडामेंटल राइट्स को डायरेक्टली इंप्लीमेंट कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाया जा सकता है तो प्राइवेट प्रॉपर्टी एक फंडामेंटल राइट थी अगर उसको कोई छीनेगा तो डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं और सुप्रीम कोर्ट क्या कहेगा सुप्रीम कोर्ट कहेगा कि भाई फंडामेंटल राइट को कैसे छीन रहे हो आर्टिकल 13 तुम्हें परमिशन नहीं देता कि तुम किसी के भी फंडामेंटल राइट को छीन तो क्या चैलेंज यहां पे खड़ा होता है चैलेंज ये खड़ा होता है कि अंग्रेजों के टाइम पे जमींदारी प्रथा जो है वह बहुत प्रचलन में चलने लगी और जो जमीन है जमीन की ओनरशिप जमींदारों के पास पहुंचती गई तो जब इंडिया आजाद हुआ तो ऐसा हो गया कि इंडिया की ज्यादातर जमीन मुट्ठी भर जमीदारों के के पास थी ज्यादातर जो एग्रीकल्चर वाली लैंड है वो मुट्ठी भर जमीदारों के पास थी और जो इंडिया की वास्टप है वास्टप पुलेन बिना किसी जमीन के थी उसके पास रिसोर्सेस ही नहीं थे तो ये एक तरह की इन इक्वलिटी हमारे देश के अंदर टैब्लिक्स राज ने एक जमींदार नाम की क्लास बना दी थी और उनको जमीन देनी चालू कर दी थी वो जमीने जमीदारों की नहीं थी अंग्रेजों ने उनको सौंप दी क्यों दे दी ताकि अंग्रेजों को वो रेवेन्यू इकट्ठा करके देते रहे हैं ठीक है इसलिए दी थी तो ये जो इनक्व हो गई जब इंडिया आजाद हुआ तो इंडिया के जो लीडर्स थे वो इनक्व को हटाना चाहते थे तो वो कुछ लॉज लेके आते थे लॉज कैसे लेके आते थे वो लैंड सीलिंग का लॉ लेके आते थे वो क्या कहते थे कि किसी भी आदमी के पास एक लेवल से ज्यादा अगर जमीन है तो उसकी उस जमीन को जो गवर्नमेंट है जो स्टेट है वह हड़प लेगा और बाकी लोगों के अंदर डिस्ट्रीब्यूटर देगा जो कि लैंडलेस लोग हैं लैंडलेस लोगों के अंदर उसको डिस्ट्रीब्यूटर दिया जाएगा तो जमीदारों की जमीन के ऊपर रिस्ट्रिक्शन लगाने लगे ठीक है मान लीजिए ऐसी रिस्ट्रिक्शन लगा दी कि जिसके पास भी 5 हेक्टेयर से ज्यादा की जमीन है उससे 5 हेक्टेयर से ऊपर जितनी भी जमीन होगी वह सारी की सारी सरकार ले लेगी और इस जमीन को लोगों में बांट दिया जाएगा इस तरह के कानून बनने लगे तो अब यहां पे क्या होता था गवर्नमेंट स्टेट गवर्नमेंट जो है वो ऐसा कानून बनाती थी कि जिसके पास भी फलाना लेवल से ज्यादा जमीन है उसकी जमीन को हम ले लेंगे और गरीबों में बांट देंगे तो स्टेट गवर्मेंट ने जैसे ही उसकी जमीन को कब्जे में लिया लोगों में बांटने के लिए तो जमींदार क्या कहता था जमींदार कहता था कि भैया मेरे को तो फंडामेंटल राइट मिला हुआ है कि मेरी प्राइवेट प्रॉपर्टी मेरे पास रहेगी तो जब मेरे पास फंडामेंटल राइट है तो तुमने मेरी प्रॉपर्टी ली कैसे तो वो पहुंच जाता था सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जाके कहता था भैया आपने फंडामेंटल राइट देखा है 19 का क्लॉज एक का सब क्लॉज एफ कहता है मेरे पास राइट टू प्रॉपर्टी है और बिल्कुल इसी के ही जैसा एक और फंडामेंटल राइट था जिसका नाम था आर्टिकल 31 आर्टिकल 31 भी राइट टू प्रॉपर्टी देता था और यह भी एक तरह का फंडामेंटल राइट है तो यह जमीदार सुप्रीम कोर्ट के पास गया उसने कहा कि यह राइट देखो ये राइट देखो फंडामेंटल राइट है तो ये स्टेट क्या कर रही है ये कानून बना के मेरा फंडामेंटल राइट मुझसे छीन रही है आर्टिकल 13 कहता है कि कोई भी कानून बना के फंडामेंटल राइट को छीना नहीं जाएगा तो भाई स्टेट गवर्नमेंट एक अच्छे दिल से समाज के अंदर इनक्व खत्म करने के लिए कानून बनाती थी लेकिन फंडामेंटल राइट के अंदर लिखा था कि राइट टू प्रॉपर्टी फंडामेंटल राइट है तो जमीदार क्या करते थे सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते थे और सुप्रीम कोर्ट उस कानून को जो स्टेट ने कानून बनाया है उनकी जमीन खरीदने वाला कानून उस कानून को खत्म कर देता था नल एंड वॉइड डिक्लेयर कर देता था तो इससे क्या होता था देखिए अब जो सरकारें हैं वो एक दुविधा में फंस गई कि एक तरफ वो चाहती है इनक्व खत्म हो एक तरफ वो इनक्व खत्म करना चाहती है लेकिन दूसरी तरफ दिक्कत क्या है राइट टू प्रॉपर्टी एक फंडामेंटल राइट है तो इनक्व खत्म करने के लिए वो जो भी लॉ बना आ रहे हैं उस लॉ को सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट खत्म कर देता था वह कहता था कि यह जो तुम्हारा कानून है यह फंडामेंटल राइट को वायलेट करता है इसीलिए इस कानून को हम अलाउ नहीं कर सकते ऐसा वो इसलिए करता था क्योंकि आर्टिकल 13 ये उन्हें पावर देता है तो क्या हुआ जो हमारे लीडर्स थे उन्होंने एक तरीका निकाला उन्होंने पहला अमेंडमेंट किया हमारे कॉन्स्टिट्यूशन का 1951 के अंदर पहला अमेंडमेंट होता है हमारे कॉन्स्टिट्यूशन का 1951 के अंदर और उसके अंदर वो आर्टिकल 31a को आर्टिकल 31a को इंसर्ट कर देते हैं आर्टिकल 31a क्या कहता है पहला तो आप यह याद रखेंगे आर्टिकल 31a कौन से अमेंडमेंट से आया फर्स्ट अमेंडमेंट 1951 जो मैंने कहानी बताई है इससे आपको याद हो जाएगा ठीक है 31a क्या कहता है 31a कहता है कि पांच कैटेगरी के हम लॉ बना रहे हैं ठीक है पांच कैटेगरी के हम लॉ बना रहे हैं और ये पांचों के पांचों लॉ लैंड रिफॉर्म से जुड़े हुए हैं यानी कि हो सकता है इसके अंदर लैंड सीलिंग का कोई कानून बना हो ठीक है तो इस तरह हम पांच कैटेगरी के लॉ बना रहे हैं जो कि लैंड रिफॉर्म से जुड़े हुए हैं अगर यह वाले लॉ यह वाले लॉ जो कि लैंड रिफॉर्म से जुड़े हैं आर्टिकल 31a के अंदर ये लिखे हुए हैं आपको ये याद नहीं करने कि ये लॉ कौन से हैं बस इतना याद रखिए 31a कहता है कि पांच कैटेगरी के कानून जो हैं वो 31a के अंदर लिखे हुए हैं ये पांच कैटेगरी के कानून लैंड रिफॉर्म से जुड़े हुए हैं तो लैंड रिफॉर्म करने के लिए लैंड रिफॉर्म करने के लिए जो यह पांच कैटेगरी के कानून हैं यह फंडामेंटल राइट को लेट कर सकते हैं कौन से फंडामेंटल राइट को वायलेट कर सकते हैं आर्टिकल 14 और 19 को वायलेट किया जा सकता है क्या याद रखेंगे आप आप याद करेंगे कि 31a फर्स्ट अमेंडमेंट 1951 से आया था इसके अंदर यह लिखा है कि पांच लॉ हैं और यह पांचों के पांचों लॉ लैंड रिफॉर्म से जुड़े हुए हैं अगर यह लॉ आर्टिकल 14 और 19 को वायलेट करते हैं आपके फंडामेंटल राइट को भले ही वायलेट करते हो तब भी तब भी यह वाले लॉ मान्य रहेंगे इन लॉ को खारिज नहीं किया जाएगा इन लॉ को खत्म नहीं किया जाएगा यह जो लॉ है यह नल एंड वॉइड डिक्लेयर नहीं करेगा सुप्रीम कोर्ट ठीक है अब क्या हो गया अब अगर जमींदार जाता था जिसकी जमीन सरकार ने ले ली है वह जमींदार कोर्ट में जाता था जुडिशरी के पास जाता था और कहता था कि भैया आप आर्टिकल 31 पढ़ो और आर्टिकल 19 का क्लॉज वन का सब क्लॉस एफ पढ़ो यह मुझे फंडामेंटल राइट देता है राइट टू प्रॉपर्टी का ठीक है अब कोई भी कानून बना के आप राइट टू प्रॉपर्टी को छीन नहीं सकते तो सुप्रीम कोर्ट क्या कहता था सुप्रीम कोर्ट कहता था भाई आदी अधूरी कांस्टिट्यूशन की नॉलेज मत ले एक अमेंडमेंट हो चुका है कांस्टिट्यूशन के अंदर और अब एक नया आर्टिकल इंसर्ट कर दिया है और यह आर्टिकल क्या कहता है यह आर्टिकल कहता है कि पांच लॉ ऐसे बनाए गए हैं कि अगर यह पांच लॉ आर्टिकल 14 और 19 को वायलेट करते हैं आर्टिकल 14 और 19 को वायलेट करते हैं तो भी यह तो भी यह नल एंड वॉइड डिक्लेयर नहीं होंगे यानी कि तेरी प्रॉपर्टी सकती है अब तो यह था आर्टिकल 31a तो अी आता है कि यह सिर्फ 14 और 19 को वायलेट कर सकते हैं लेकिन राइट टू प्रॉपर्टी तो आर्टिकल 31 में भी है तो उसके लिए क्या किया उसके लिए उन्होंने क्या किया उन्होंने एक और फर्स्ट अमेंडमेंट से ही एक और आर्टिकल को इंसर्ट किया और वो आर्टिकल कौन सा था आर्टिकल था 31 बी आर्टिकल था 31 बी 31 बी क्या कहता है 31 बी यह कहता है कि हम मतलब कि पार्लियामेंट कहता है कि हम एक नया शेड्यूल ऐड कर रहे हैं हमारे कांस्टिट्यूशन में इस शेड्यूल को हम नाइंथ शेड्यूल बोलेंगे ओरिजनली हमारे कांस्टीट्यूशन में कितने शेड्यूल थे आठ शेड्यूल थे ठीक है 31 बी ने क्या किया एक एक्स्ट्रा शेड्यूल को ऐड कर दिया जिसका नाम था नाइंथ शेड्यूल और आर्टिकल 31 बी कहता है कि नाइंथ शेड्यूल के अंदर इस शेड्यूल के अंदर हम कोई भी कानून डाल सकते हैं इस शेड्यूल के अंदर हम कोई भी कानून डाल सकते हैं और अगर हमने शेड्यूल में कोई भी कानून डाल दिया तो उस कानून को आप किसी भी कोर्ट में जाके किसी भी जुडिशरी के पास चैलेंज नहीं कर सकते आप इन कानूनों के खिलाफ जुडिशरी के पास जा ही नहीं सकते यह कह दिया ठीक है आर्टिकल 31 बी फर्स्ट अमेंडमेंट 1951 से आया और यह क्या कहता है यह कहता है कि हमने एक शेड्यूल बनाया है जिसका नाम है नाइंथ शेड्यूल इस शेड्यूल के अंदर इस शेड्यूल के अंदर हम ढेर सारे लॉज को लिस्ट करेंगे लॉज का नाम लिख देंगे जिस भी कानून का नाम इस शेड्यूल के अंदर लिखा होगा आप उस कानून को सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट में या किसी भी जुडिशरी में चैलेंज नहीं कर सकते इन कानूनों के खिलाफ आप जुडिशरी के पास नहीं जा सकते अगर यह कानून यह जो कानून जो हमने नाइंथ शेड्यूल में डाल दी हैं अगर यह कानून आपके फंडामेंटल राइट्स को वायलेट करता है तो भी आप जुडिशरी के पास नहीं जा सकते तो बेसिकली उन्होंने क्या कह दिया कि नाइंथ शेड्यूल के जो कानून है उनके ऊपर केस नहीं किया जा सकता तो क्या किया जाता था जैसे ही यह नाइन शेड्यूल बनाया वैसे ही स्टेट गवर्नमेंट कोई भी लैंड रिफॉर्म के लिए कानून बनाती थी वह उस कानून को पार्लियामेंट को दे देती थी स्टेट गवर्नमेंट ने कानून बनाया लैंड रिफॉर्म का कि जमीदारों से जमीन लेक हम गरीबों में बांटेंगे ठीक है और वो उस कानून का नाम बता देती थी पार्लियामेंट को और पार्लियामेंट क्या करता था पार्लियामेंट उसको डाल देता था नाइंथ शेड्यूल में अब वो कानून पहुंच चुका है नाइंथ शेड्यूल के अंदर तो जब भी कोई जमींदार उस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के पास जाता था तो सुप्रीम कोर्ट कहता था कि भाई कांस्टीट्यूशन ने मना किया हुआ है मुझे कि मैं इस कानून के ऊपर कोई भी सुनवाई नहीं कर सकता तू इस कानून को लेकर मेरे पास नहीं आ सकता तो बेसिकली क्या हो गया अब जो भी लैंड रिफॉर्म करना है उसके कानून को नाइंथ शेड्यूल में डाल दो ठीक है ये चीज होने लग गई अब देखिए यहां पे कितनी बड़ी ताकत मिल गई है पार्लियामेंट को कि हम कोई भी कानून बना के नाइंथ शेड्यूल में डाल देंगे और जुडिशरी जो है उसकी सुनवाई तक नहीं कर सकती तो शुरुआत इसकी बहुत अच्छी हुई थी लेकिन धीरे-धीरे इसका क्या होने लग गया इसका मिसयूज होने लग गया इसके अंदर आज की डेट में 289 लॉज डाले गए हैं 289 लॉस डाले गए हैं हो सकता है उससे ज्यादा भी हो गए हो पर मुझे 289 याद है आपको यह नंबर याद रखने की जरूरत नहीं है तो नाइंथ शेड्यूल के अंदर इतने सारे कानून डालने लग गए इसकी स्टार्टिंग हुई थी कि हम लैंड रिफॉर्म किया करेंगे लैंड रिफॉर्म किया करेंगे और उससे लोगों का भला होगा लेकिन इसके अंदर कैसे-कैसे कानून डलने लग गए इसके अंदर तमिलनाडु का एक लॉ डला हुआ है तमिलनाडु इकलौती ऐसी स्टेट है जहां पर 69 पर रिजर्वेशन मिलती है बाकी सभी स्टेट के अंदर सिर्फ 50 पर रिजर्वेशन है 50 पर से ज्यादा नहीं दी जा सकती पर तमिलनाडु के अंदर 69 पर रिजर्वेशन दी जाती है क्यों दी जाती है क्योंकि तमिलनाडु ने यह वाला कानून बना के नाइंथ शेड्यूल के अंदर एंटर करवा दिया है अब इसके खिलाफ कोई भी कोर्ट में जाके केस नहीं कर सकता ठीक है तो क्या होने लगा इसका मिसयूज होने लगा मिसयूज होने लगा क्यों क्योंकि नाइंथ शेड्यूल किसी भी फंडामेंटल राइट को वायलेट कर सकता है नाइ शेड्यूल के अंदर जो भी कानून है वह किसी भी फंडामेंटल राइट को वायलेट कर सकते हैं और आप जुडिशरी के पास नहीं जा सकते लेकिन यहां पे होते हैं दो केस दो बहुत ही इंपॉर्टेंट केस जो आप याद रखेंगे पहला केस होता है वमन राव केस केस का नाम है वमन राव यह आपको याद रखना है वमन राव केस होता है 1981 में यह डेट एक बारी आप चेक कर लीजिएगा पर मेरे ख्याल से 1981 ही है वमन राव केस क्या कहता है कि नाइंथ शेड्यूल के अंदर आपको जो डालना है वो डाल दो ठीक है जो भी डालना है वो डाल दो लेकिन अगर 24 अप्रैल 1973 के बाद कोई कानून आप इसके अंदर डालोगे और वो कानून बेसिक स्ट्रक्चर को वायलेट करता होगा कांस्टिट्यूशन के बेसिक स्ट्रक्चर को वायलेट करता होगा तो हम उसको नल एंड वॉइड डिक्लेयर कर सकते हैं ठीक है यानी कि उसने क्या कह दिया कि नाइंथ शेड्यूल ठीक है तुम इसके अंदर जो डालना चाहते हो वो डाल दो लेकिन जुडिशरी उसको चेक जरूर करेगी वह देखेगी कि क्या यह जो लॉ आप नाइ शेड्यूल में डाल रहे हो वो बेसिक स्ट्र को वायलेट करता है या नहीं अगर करता है तो जुडिशरी उसको नल एंड वॉइड डिक्लेयर कर सकती है तो जुडिशरी ने थोड़ा सा इस इस नाइंथ शेड्यूल को थोड़ा सा सुधारने की कोशिश करी अब सवाल आता है कि यह जो डेट है 24 अप्रैल 1973 यह डेट क्यों ली जुडिशरी ने यह डेट इसलिए ली क्योंकि इस डेट को केशवानंद भारती केस की जजमेंट आई थी ठीक है अमेंडमेंट के जब हम चैप्टर पढ़ेंगे तो इस जजमेंट को और डिटेल में देखेंगे अभी थोड़ा सा सुन लीजिए बस कि जो यह केशवानंद भारती केस हुआ था इसके अंदर जुश ने यह कह दिया था कि जो पार्लियामेंट है पार्लियामेंट कांस्टिट्यूशन के किसी भी हिस्से को अमेंड कर सकता है पार्लियामेंट के पास कांस्टिट्यूशन को अमेंड करने की ताकत है और वह पूरे कांस्टिट्यूशन को अमेंड कर सकता है पर पर वह कांस्टिट्यूशन के बेसिक स्ट्रक्चर को अमेंड नहीं कर सकता कांस्टीट्यूशन का जो बेसिक स्ट्रक्चर है उसको अमेंड नहीं कर सकता तो इसीलिए वमन राव ने क्या कहा कि केशवानंद भारती केस के अंदर हमें एक नई टर्म मिली है बेसिक स्ट्रक्चर की तो हम उस टर्म को यूज कर रहे हैं वमन राव ने कहा कि केशवानंद भारती केस की जो जजमेंट हुई थी इस जजमेंट के बाद अगर आप कोई कानून इसके अंदर डालोगे नाइंथ शेड्यूल के अंदर डालोगे तो जुडिशरी उसको चेक करेगी कि क्या वह बेसिक स्ट्रक्चर को खराब करता है या नहीं कर सक करता क्या वो बेसिक स्ट्रक्चर को अमेंड करता है या नहीं करता अगर वो बेसिक स्ट्रक्चर को अमेंड करता होगा तो जुडिशरी उसको नल एंड वॉइड डिक्लेयर कर देगी ठीक है ये हुआ वमन राव के अंदर दूसरा केस जो आप इसके अंदर याद रखेंगे दूसरा केस है आईआर कोएलो केस केस का नाम क्या है आई आर कोएलो हो केस आई आर को एल हो केस यह हुआ 2007 में इसने कह दिया भाई पूरा का पूरा जो कांस्टिट्यूशन है इसके आप किसी भी हिस्से को अमेंड करोगे तो जुडिशरी उसको रिव्यू कर सकती है जुडिशरी के पास हर एक चीज को रिव्यू करने की ताकत है तो आईआर कोहेल केस में कह दिया कि नाइंथ शेड्यूल के अंदर जो भी लॉ आता है हम उसको रिव्यू कर सकते हैं ठीक है तो उसके बाद यह जो ना शेड्यूल का वो था दिक्कत थी उसको थोड़ा सा सॉल्व कर दिया गया आपको क्या-क्या याद रखना है इसमें आपको याद रखना है यह कहानी सिर्फ याद रखने में मदद करेगी और आपको पता होना चाहिए ये सब आपको इसके अंदर क्या-क्या याद रखना है आपको एक तो यह याद रखना है कि नाइंथ शेड्यूल कौन सी अमेंडमेंट से आया नाइंथ शेड्यूल आपकी फर्स्ट अमेंडमेंट 1951 से आया नाइंथ शेड्यूल किस आर्टिकल से जुड़ा हुआ है वो आर्टिकल 31 बी से जुड़ा हुआ है नाइ शेड्यूल के अंदर जो लॉ है वो किन-किन चीजों को वायलेट कर सकते हैं वो किसी भी फंडामेंटल राइट को वायलेट कर सकते हैं नाइंथ शेड्यूल से जुड़े हुए केसेस कौन से हैं तो आप केसेस का नाम बोलेंगे वमन राव केस वमन राव केस जो कि कहता है 1973 के बाद जो भी लॉ आप नाइ शेड्यूल में डालोगे उनको रिव्यू किया जा सकता है कि कहीं वह बेसिक स्ट्रक्चर को वायलेट तो नहीं कर रहे हैं दूसरा केस जो आप याद रखेंगे वो है आईआर कोएलो केस और बहुत सारे यूपीएससी के एग्जाम के अंदर यह क्वेश्चन पूछा हुआ है कि आईआर कोएलो केस किस चीज से जुड़ा हुआ है तो आप क्या बोलेंगे नाइंथ शेड्यूल से वो जुड़ा हुआ है आईआर कोहेल के केस कहता है कि नाइ शेड्यूल के अंदर जो भी लॉ है सबको जुडिशियसली जो है वो रिव्यू कर सकती है अब एक और जो 31 सी है यह एक और आर्टिकल आप याद रखेंगे यह ऐड हुआ था 25th अमेंडमेंट 1971 से 25th अमेंडमेंट 1971 से यह अमेंडमेंट क्या कहता है यह कहता है कि डीपीएसपी 39 बी और सी इसको अभी हम थोड़ी सी ही देर में देखने वाले हैं कि जो डायरेक्टिव प्रिंसिपल है डायरेक्टिव प्रिंसिपल एनफोर्सेबल नहीं होते एनफोर्सेबल नहीं होते ठीक है लेकिन यह गाइडलाइन की तरह काम करते हैं कि आपको इन इन यह जो डीपीएसपी के अंदर जो जो बातें हम कह रहे हैं आप जब भी पॉलिसी बनाएंगे तो इन बातों को ध्यान में रख के पॉलिसी बनाएंगे यह बात होती है अभी हम देखेंगे डीपीएसपी तो इसको अभी आप चिंता ना करें तो 31 सी में आप क्या याद रखें अभी के लिए कि एक तो यह 25वीं अमेंडमेंट 1971 से आया था 25 अमेंडमेंट 1971 से आया था और यह कहता है कि डीपीएसपी 39 बी और सी को इंप्लीमेंट करने के लिए इंप्लीमेंट करने के लिए अगर कोई लॉ बनाया जाता है और वह लॉ आपके फंडामेंटल राइट 14 और 19 को वायलेट करता है तो वह नल एंड वॉइड डिक्लेयर नहीं किया जाएगा क्या कहता है वह वह कहता है कि वैसे तो आर्टिकल 13 कहता है कि आप फंडामेंटल राइट को फंडामेंटल राइट को छीन नहीं सकते उसको एब्रेज नहीं कर सकते कमजोर नहीं कर सकते और उसको छीन नहीं सकते यह कहता है आर्टिकल 13 लेकिन आर्टिकल 31 सी जो कि 25वीं अमेंडमेंट से हमने कांस्टिट्यूशन में डाला वो कहता है कि अगर अगर हम डीपीएसपी 39 बी और सी को इंप्लीमेंट करने के लिए कोई कानून बनाते हैं और वो कानून फंडामेंटल राइट 14 और 19 को वायलेट करता है तो वो वायलेट कर सकता है और वो नल एंड वॉय डिक्लेयर नहीं होगा ठीक है ये आपको याद रखना है इसमें अब इसके अंदर कुछ चेंजेज हुए चेंजेज क्या 42 अमेंडमेंट किया 42 अमेंडमेंट इमरजेंसी के टाइम आया था तो आप यह डेट याद रखेंगे इमरजेंसी आती है 1975 में और 42 अमेंडमेंट एक बहुत बड़ा अमेंडमेंट हुआ था ठीक है 1976 के अंदर 42 अमेंडमेंट ने क्या कह दिया कि देखो मैंने 1971 में इंदिरा गांधी उस टाइम प पावर थी इंदिरा गांधी ने सोचा कि भाई 1971 में मैंने यह कह दिया है कि मैं दो डीपीएसपी को इंप्लीमेंट करने के लिए आर्टिकल 14 और 19 को वायलेट कर सकती हूं क्यों ना मैं यह कह दूं कि मैं किसी भी डीपीएसपी को इंप्लीमेंट करने की के लिए कानून बनाऊं और वो कानून अगर 14 और 19 को वायलेट करें तो उसको नल एंड वॉय डिक्लेयर नहीं किया जाएगा तो 42 अमेंडमेंट हुई 1976 में जिसने कह दिया कि मैं किसी भी डीपीएसपी को किसी भी डीपीएसपी को इंप्लीमेंट करने के लिए अगर कानून बनाऊंगी पार्लियामेंट ने कहा कि अगर मैं कानून बनाऊंगी और वो कानून 14 और 19 को वायलेट करता है तो वह कर सकता है वो वैलिड होगा उसको नल एंड वॉइड डिक्लेयर नहीं किया जाएगा लेकिन मिनर्वा मिल्स का केस होता है यह केस होता है 1980 के अंदर मिनर्वा मिल्स केस क्या कहता है कि यह जो अमेंडमेंट हुई है यह वाली जो अमेंडमेंट हुई है यह अमेंडमेंट ही खराब थी हम इस अमेंडमेंट को ही नल एंड वॉइड डिक्लेयर कर रहे हैं इस अमेंडमेंट को हमने नल एंड वॉइड डिक्लेयर कर दिया ठीक है यह मिनर्वा मिल्स केस के अंदर हुआ तो आज की डेट में ओरिजिनल पोजीशन क्या है आर्टिकल 31 सी की ओरिजिनल पोजीशन आर्टिकल 31 सी की है कि हम डीपीएसपी 39 बी और सी को इंप्लीमेंट करने के लिए डीपीएसपी 39 बी और सी को इंप्लीमेंट कर ने के लिए कोई कानून बनाएंगे लॉ बनाएंगे जो कि आर्टिकल 14 और 19 को वायलेट करता है तो वह वैलिड होगा यह आज की डेट में सिचुएशन है और यही चलती है और यह क्वेश्चन भी यूपीएससी पूछ चुकी है कि डीपीएसपी और फंडामेंटल राइट के बीच में आज की डेट में क्या रिलेशन है तो डीपीएसपी और फंडामेंटल राइट के बीच में आज की डेट में यह रिलेशन है कि पहला तो यह डीपीएसपी और फंडामेंटल राइट एक दूसरे से झगड़ा नहीं करते कंफ्लेक्स नेचर में नहीं है यह एक दूसरे को कंप्लीमेंट करते हैं ठीक है एक तो यह है कंप्लीमेंट करते हैं यानी कि एक के बिना दूसरा अधूरा है दूसरी चीज क्या है जो लीगल लीगल है जो कि यूपीएससी ने पूछा था वह यह है कि आज की डेट में डीपीएसपी और फंडामेंटल राइट के बीच में यह रिलेशन है कि डीपीएसपी डीपीएसपी 39 का क्लॉज बी और क्लॉज सी जो है वो वो फंडामेंटल राइट्स को वायलेट कर सकता है कौन से फंडामेंटल राइट्स को 14 और 19 को वायलेट कर सकता है यह आज की डेट में डीपीएसपी और फंडामेंटल राइट्स के बीच में रिलेशन है ठीक है तो ये चीजें 31 स के अंदर लिखी हुई है अभी इसका जो रिलेशन है ये 31c बताता है रिलेशन जो और भी ज्यादा इनका रिलेशन है वो हम अमेंडमेंट के चैप्टर के अंदर पढ़ेंगे ठीक है वो काफी इंपॉर्टेंट है इसलिए मैं रोक के रुका हुआ हूं कि अमेंडमेंट के चैप्टर में एकदम सही से क्लियर हो जाएगा तो आप क्या याद रखेंगे 31 सी कहता है कि डीपीएसपी 39 ब और c को इंप्लीमेंट करने के लिए अगर 14 और 19 वायलेट भी होते हैं तो हो जाने दो कोई दिक्कत नहीं है इसीलिए मैंने अब आपको अपने नोट्स के अंदर यह एक टेबल बना के प्रोवाइड कर दिया आप सिर्फ यह टेबल देखेंगे और आपको चीजें याद हो जाएंगी जो जो क्वेश्चन आ सकते हैं वह मैंने इस टेबल के अंदर दिए हैं आप एक बार इसको देख लीजिए ठीक है जो नोट्स परचेज नहीं करना चाहते हैं वह इसको जल्दी से लिख सकते हैं वीडियो को पॉज करके देखिए कैसे याद करेंगे आप आप याद करेंगे आर्टिकल यहां पे लिखा हुआ मैंने आर्टिकल का नाम कि आर्टिकल 31a है दूसरा इसके अंदर आर्टिकल 31 a के अंदर कौन से प्रोविजन है आर्टिकल 31a के अंदर पांच कैटेगरी ऑफ लॉज हैं जो कि लैंड रिफॉर्म से जुड़े हुए हैं ये किन चीजों को वायलेट कर सकते हैं ये आर्टिकल 14 और 19 को वायलेट कर सकते हैं दूसरा 31 बी अच्छा अमेंडमेंट भी यहां पे लिखी हुई है वो आप देख सकते हैं 31 बी क्या है फर्स्ट अमेंडमेंट से ही आया था इसके अंदर 31b के अंदर कौन से प्रोविजन लिखे हुए हैं क्या लिखा हुआ है इसके अंदर नाइ शेड्यूल के बारे में लिखा है और ये किसको वायलेट कर सकता है ये वायलेट कर सकता है किसी भी फंडामेंटल राइट को स्पेशल डेवलपमेंट में आप केशव ंद भारती केस में आई थी बेसिक स्ट्रक्चर की डॉक्ट्रिन फिर वमनराव केस याद रखेंगे 1981 का इसकी आप डेट चेक करेंगे और दूसरा याद रखेंगे आईआर कोएलो केस आईआर कोएलो केस 2007 का फिर आप तीसरा क्या याद रखेंगे 31 सी किस अमेंडमेंट से आया 25वीं अमेंडमेंट से आया क्या लिखा हुआ है इसके अंदर इसके अंदर लिखा है डीपीएसपी 39 बी और सी को इंप्लीमेंट करने के लिए कोई कानून बनाया है यह कानून किसको वायलेट कर सकता है 14 और 19 को वायलेट कर सकता है इससे जुड़ी हुई जजमेंट मिनर्वा मिल्स तो ये 31 की पूरी कहानी थी थोड़ी सी लंबी जरूर हुई पर ये इंपॉर्टेंट आर्टिकल है इसलिए मैंने याद कराया अब हम आते हैं आर्टिकल 32 के ऊपर देखिए फंडामेंटल राइट्स के साथ देखिए एक होते हैं कॉन्स्टिट्यूशन राइट्स कॉन्स्टिट्यूशन राइट्स कॉन्स्टिट्यूशन राइट्स वो हैं ये वो अधिकार हैं जो कि आपके संविधान में आपके कॉन्स्टिट्यूशन में लिखे हुए हैं लेकिन पार्ट थ्री में नहीं लिखे हुए पार्ट थ्री में नहीं लिखे कहीं और लिखे हैं पार्ट थ्री के बाहर कहीं लिखे हैं अगर फंडा अगर किसी कांस्टीट्यूशनल राइट को कोई वायलेट करता है तो आपको पहले सबोर्डिनेट जुडिशरी जाना है फिर हाई कोर्ट जाना है फिर सुप्रीम कोर्ट जाना है लेकिन फंडामेंटल राइट को अगर कोई वायलेट करता है तो आपके पास अधिकार है कि आप डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट के पास जा सकते हैं ठीक है और सुप्रीम कोर्ट को यह पावर दी गई है कि वह रिट्स इशू कर सकता है वो रेट्स इशू कर सकता है आपके राइट्स को रिस्टोर करने के लिए ठीक है वो रिट्स कौन-कौन सी होती हैं ये देखिए आर्टिकल 32 देता है कॉन्स्टिट्यूशन रेमेडीज यानी कि आपके अधिकार अगर हनन हो रहे हैं आपके अधिकार अगर खराब हो रहे हैं तो उस को कैसे आप सुधार सकते हैं आप सीधा सुप्रीम कोर्ट के पास जा सकते हैं और सुप्रीम कोर्ट रिट्स इशू कर देगा यह रिट्स क्या होती हैं रिट्स एक तरह के ऑर्डर होते हैं ये एक स्पेशल ऑर्डर होते हैं जो सुप्रीम कोर्ट इशू कर सकता है ठीक है हाई कोर्ट भी कर सकता है पर अभी हम सुप्रीम कोर्ट की बात करें हैं आर्टिकल 32 की जब भी आर्टिकल 32 होगा तो आप अपने दिमाग के अंदर 2 ट6 बोलेंगे आर्टिकल 32 का मतलब 226 ठीक है तो आर्टिकल 32 जो है वह सुप्रीम कोर्ट की पावर की बात करता है और 226 जो है वो आपके हाई कोर्ट की पावर की बात करता है इसीलिए 32 और 226 को आप एक साथ बोलेंगे हर बार रिट्स देखते हैं रेट्स से क्वेश्चन आते हैं कि रिट्स कितने तरह की होती हैं ये आपकी पांच तरह की रिट्स होती हैं और हमारे कांस्टिट्यूशन में ये लिखी हुई है इस तरह से एचएमपी क्यूसी एचएमपी क्यूसी ठीक है एच एम पी क्यूसी लिखी हुई है कु वारंटो ये जो क्यू है ये सी से पहले है लेकिन जब हम पढ़ेंगे तो हम पढ़ेंगे एच एमपी सी क्यू तो आप कंफ्यूज नहीं होंगे क्योंकि यूपीएससी कई बार का ऑर्डर भी पूछ चुका है कि किस ऑर्डर में लिखी है अब नहीं पूछता पहले पूछता था वो एचएमपी क्यूसी ऑर्डर में लिखी है एच से होता है हेबिस कॉर्पस हेबिस कॉर्पस का मतलब होता है हैव द बॉडी अगर किसी इंसान को अगर किसी इंसान को किसी ने अपने कब्जे में ले रखा है तो सुप्रीम कोर्ट एक रिट इशू कर सकता है रिट क्या होती है रिट उसको कहती है कि भैया तूने जिस इंसान को पकड़ा हुआ है उसको मेरे सामने पेश कर तुरंत के तुरंत ठीक है कौन पकड़ सकता है इंसान को या तो कोई या तो कोई पब्लिक एजेंसी पकड़ सकती है ठीक है पुलिस हो गई या फिर पुलिस हो गई सीबीआई हो गई इसने पकड़ रखा है या फिर कोई प्राइवेट इंडिविजुअल हो सकता है रोहन सोहन किसी ने पकड़ रखा है उसको तो मान लीजिए रोहन ने पकड़ रखा है अब यह आदमी किसी की गिरफ्त में है या किसी की कैद में है इस आदमी के बदले में कोई और आदमी सुप्रीम कोर्ट के पास जाएगा और कहेगा कि मेरा ऐसे ऐसे दोस्त था या भाई था उसको इस एजेंसी ने या फिर इस आदमी ने पकड़ रखा है तो आप हे बेस कॉर्पस को इशू करो ठीक है आर्टिकल 21 क्या कहता है राइट टू लाइफ एंड पर्सनल लिबर्टी अगर किसी को पकड़ रखा है तो उसकी पर्सनल लिबर्टी खत्म हो रही है ना तो सुप्रीम कोर्ट क्या करेगा रिट इशू करेगा कौन सी हे बेस कॉर्पस की रिट इशू करेगा और कहेगा कि मेरे सामने पेश कर इस बड इस आदमी को ठीक है किस तो कौन इशू करता है सुप्रीम कोर्ट इशू करता है अभी आर्टिकल 32 देख रहे हैं 226 में हाई कोर्ट भी इशू कर सकता है ठीक है तो हेबिस कॉर्पस सुप्रीम कोर्ट इशू करता है क्यों कि आपने जिस आदमी को पकड़ रखा है उसको मेरे सामने पेश करो किसके खिलाफ किसके खिलाफ वह इस रिट को यूज कर सकता है यह किसी भी स्टेट की एजेंसी या फिर प्राइवेट इंडिविजुअल के खिलाफ यूज कर सकता है मेंडेस क्या कहता है मेंडे मस कहता है कि हम तुम्हें यह ऑर्डर देते हैं कि तुम यह काम करो तो मेंडेस का मतलब होता है वी ऑर्डर और कमांड यह किसके अगेंस्ट यूज कर सकता है मान लीजिए कोई एक एजेंसी है या एक एग्जांपल ले लेते हैं दिल्ली जल बोर्ड है जो कि नाली नहीं खोद रही कहीं पर जिसकी वजह से बहुत सारे मच्छर पैदा होते हैं लोगों की सेहत खराब होती है तो लोग पहुंच गए सुप्रीम कोर्ट और वो कहते हैं कि भैया यह जो है दिल्ली जल बोर्ड अपना काम नहीं कर रही तो सुप्रीम कोर्ट एक रिट इशू कर सकता है मेंडेस की यह ऑर्डर देते हुए कि भैया दिल्ली जल बोर्ड जल्दी से नाली को साफ कर और यह पानी जो है यह खत्म हो जाना चाहिए यहां से तो मेंडेस का मतलब है ऑर्डर देना ऑर्डर देना या कमांड देना किसको दी जा सकती है यह कमांड यह कमांड सिर्फ पब्लिक अथॉरिटी को दी जा सकती है किसी या किसी इनफीरियर कोर्ट को दी जा सकती है यानी कि सुप्रीम कोर्ट जो है वो हाई कोर्ट को दे सकता है सबोर्डिनेट कोर्ट्स को दे सकता है डिस्ट्रिक्ट के अंदर कोई कोर्ट है उन सब को दे सकता है ठीक है ये किसके खिलाफ यूज नहीं की जा सकती ये प्रेसिडेंट और गवर्नर के खिलाफ यूज नहीं की जा सकती मतलब सुप्रीम कोर्ट प्रेसिडेंट को ये नहीं बोल सकता कि हम तुम्हें कमांड दे रहे हैं यह काम करो ठीक है प्रेसिडेंट जो है वो सुपीरियर है उसको नहीं बोला जा सकता ना ही गवर्नर को बोला जा सकता है इसमें आप ध्यान देंगे कि मेंडे मस प्राइवेट इंडिविजुअल के खिलाफ नहीं है ऐसा नहीं है कि कोई कंपनी थी कंपनी का नाम मान लेते हैं एचसीएल मान लेते हैं कि एचसीएल कंपनी कोई काम नहीं कर रही और आप सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए तो सुप्रीम कोर्ट एचसीएल कंपनी को ऑर्डर नहीं दे सकती है कोई काम करने के लिए ठीक है सिर्फ और सिर्फ पब्लिक अथॉरिटी को दे सकती है तो यहां पे वो ऑर्डर दे रही है अगला है जो है वो है प्रोहिबिशन प्रोहिबिशन कहता है कि भाई हम तुम्हें मना कर रहे हैं यह काम मत करो मेंडे मस में वो कहते हैं कि यह काम करो प्रोहिबिशन में कहते हैं यह काम मत करो तो यह किसके खिलाफ इशू किया जा सकता है यह सुप्रीम कोर्ट जो है यह किसी हाई कोर्ट या फिर कोई भी लोअर जुडिशरी के खिलाफ यूज कर सकती है और सुप्रीम कोर्ट कुछ क्वासी जुडिशियस बॉडीज होती है क्वासी जुडिशियस का मतलब जो पूरी तरह से जुडिशरी की बॉडी नहीं है लेकिन यहां पे भी जुडिशरी का काम होता है जैसे कि ट्राइबल बने हुए हैं ट्राइबल ट्राइबल किसका बना हुआ है एक एग्जांपल ले लेते हैं टेलीकॉम के लिए ट्राइबल बना हुआ है कि टेलीकॉम अगर कोई भी खराब काम करता है तो आपकी उस आप उसकी शिकायत करने के लिए इस ट्राइबल के पास जा सकते हैं ट्राइबल एक बॉडी है आप टेलीकॉम की शिकायत लेके इस ट्राइबल के पास जा सकते हैं और ट्राइबल जो है आपकी सुनवाई करके इस टेलीकॉम को कोई पनिश दे देगा क्या इसके अंदर सारे जजेस होते हैं नहीं इसके अंदर सारे जजेस नहीं होते इसके अंदर कुछ एक्सपर्ट्स बैठे होते हैं और कुछ कुछ जुडिशरी के मेंबर बैठे होते हैं तो ऐसी बॉडीज को क्वासी जुडिशियसली की चेन में नहीं आती है लेकिन जुडिशरी का थोड़ा बहुत काम करती है तो यह जो मना करने वाली बात है मना करने वाली बात जो है सुप्रीम कोर्ट अपने से लोअर कोर्ट्स को बोल सकता है कि भाई तू यह काम मत कर या फिर क्वासी जुडिशियस बॉडीज को बोल सकता है कि तू यह काम मत कर ठीक है मेंडे मस में काम करने को कहता है प्रोहिबिशन में काम करने से मना करता है सर शयो रेरी के अंदर वोह क्या कहता है देखिए प्रोहिबिशन में वो कह रहा है कि तू यह काम कर मत अभी तक उसने यह काम किया नहीं है और प्रोहिबिशन को यूज करके सुप्रीम कोर्ट ने उसको मना कर दिया तू यह काम करेगा नहीं मान लीजिए किसी ने कोई काम कर दिया है और वह काम करने की उसके पास ताकत नहीं थी ठीक है यह कोई लोअर कोर्ट मान लेते हैं कोई हाई कोर्ट मान लेते हैं इसने कोई जजमेंट ट दे दी है लेकिन इसके पास यह ताकत नहीं थी कि यह इस जजमेंट को दे सके तो इस केस में सुप्रीम कोर्ट इसको मना तो कर नहीं सकता क्योंकि यह ऑलरेडी कर चुका है अब क्या करने की जरूरत है अब यह करने की जरूरत है कि इसने जो जजमेंट दी है वो जजमेंट खारिज हो जाए वो जजमेंट खत्म हो जाए तो सुप्रीम कोर्ट एक रेट इशू करता है रेट का नाम है सरसो रेरी सरसो रेरी सरसो रेरी क्या करती है लोअर कोर्ट के जो ऑर्डर होते हैं उनको क्वश कर देती है क्श कर देती है इसका लिटरल मीनिंग है टू बी इफॉर्म लेकिन इसका काम क्या है ये ऑर्डर को क्श कर देती है चाहे वो ऑर्डर लोअर कोर्ट ने दिया हो किसी ट्राइबल ने दिया हो या फिर एडमिनिस्ट्रेटिव अथॉरिटी ने दिया हो यानी कि अगर कोई आईएएस ऑफिसर ने ऑर्डर दिया है और सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि आईएएस ऑफिसर के पास अथॉरिटी नहीं थी वो ऑर्डर देने की तब भी वो दे चुका है तो वो उसके ऑर्डर को क्श कर सकता है एक रिट को यूज़ करके और उस रिट का नाम है सर शयो रेरी प्रोहिबिशन के अंदर आप देखेंगे सिर्फ लोअर कोर्ट और क्वासी जुडिशियस बॉडीज इवॉल्वड हैं लेकिन सर शोरे के अंदर आप देखेंगे कि एडमिनिस्ट्रेटिव अथॉरिटी भी आती है यहां हां पे भी आप किसी प्राइवेट प्राइवेट इंसान को मेंडम अस नहीं दे सकते और आप सॉरी प्रोहिबिशन नहीं दे सकते और सरशर एरी भी आप किसी प्राइवेट इंसान को नहीं दे सकते कुओ वारंटो का क्या मतलब होता है कुओ वारंटो का मतलब होता है किस वारंट से तू यहां पर बैठा है तेरी अथॉरिटी क्या है तो यह किस लिए यूज होता है मान लीजिए किसी सीट पर कोई इंसान आके बैठ चुका है किसी सीट पर कोई इंसान आके बैठ चुका है लेकिन यह जो इंसान है ये एलिजिबल नहीं था इस सीट पर बैठने के लिए तो उस केस में सुप्रीम कोर्ट एक एक रिट इशू करती है रिट का नामम होता है कुआ वारंटो और यह रिट कहती है कि तेरे पास तो अथॉरिटी ही नहीं थी यहां पे बैठने की तू यहां पे बैठा कैसे है मेरे पास आ और मुझे बता कि तू किस अथॉरिटी से यहां बैठा है तो हमने पांच इसके रिट्स देखे एचएमपी क्यूसी देखा हमने जिसमें हेबिस कॉर्पस कहता है कि बॉडी मेरे पास लेके आओ तुमने जिसको पकड़ रखा है उसको मेरे सामने पेश करो यह पब्लिक के अगेंस्ट भी किया जा सकता है पब्लिक अथॉरिटी के अगेंस्ट भी और प्राइवेट के अगेंस्ट भी मेंडे मस का मतलब होता है कि हम तुम्हें कमांड दे रहे हैं कि यह काम करो ये कमांड किसको दिया जा सकता है ये पब्लिक अथॉरिटी को भी दिया जा सकता है और इनफीरियर कोर्ट्स को भी दिया जा सकता है क्या प्राइवेट को दे सकते हैं प्राइवेट को ये नहीं दी जा सकती प्रोहिबिशन यहां पे वो कह रहा है कमांड हम कह रहे हैं काम करो यहां पे सुप्रीम कोर्ट कहता है भैया हम कह रहे हैं काम मत करो प्रोहिबिट किया जा रहा है तुम्हें किसको प्रोहिबिट कर सकते हैं लोअर जुडिशरी को और क्वासी जुडिशियस को सरशर एरी के अंदर क्या होता है सरशर एरी के अंदर यह कहा जाता है कि भाई तूने जो काम कर दिया वो खराब था अब मैं तेरे ऑर्डर को क्वेस्ट कर रहा हूं ऑर्डर को क्वेस्ट कर रहा हूं और यह किसके अगेंस्ट है पब्लिक अथॉरिटी लोअर जुडिशरी और क्वासी जुडिशियस प्राइवेट के अगेंस्ट नहीं होता को वारंटो किस अथॉरिटी से तू यहां बैठा है ठीक है मेंडे मस किसको नहीं दिया जा सकता प्रेसिडेंट और गवर्नर को नहीं दिया जा सकता यह आर्टिकल आपका 32 यहां पर खत्म होता है ठीक है यह अमेंडेबिलिटी को हम बाद में देखेंगे अमेंडमेंट के चैप्टर के अंदर देखेंगे हम अमेंडेबिलिटी को फिर आता है आर्टिकल 33 आर्टिकल 33 क्या कहता है कि देखिए वैसे तो फंडामेंटल राइट्स सबको मिले हैं लेकिन जो लोग आर्म्ड फोर्सेस में काम कर रहे हैं इंटेलिजेंस के लिए काम कर रहे हैं जैसे इंटेलिजेंस ब्यूरो में काम कर रहे हैं पब्लिक ऑर्डर मेंटेन के लिए काम कर रहे हैं या फिर इन सभी को बात करने के लिए टेलीकॉम की जरूरत होती है ठीक है तो इन सबको जो टेलीकॉम सर्विसेस प्रोवाइड कर रहे हैं ठीक है उन सब के फंडामेंटल राइट्स को रिस्ट्रिक्टर जा सकता है क्यों अब देखिए आर्म्ड फोर्सेस में अगर कोई कह दे भैया मेरे पास तो राइट टू लाइफ है मेरे को राइट टू लाइफ मिला हुआ है वॉर के टाइम पर सारे के सारे सिपाही आए और वह कह दें कि भाई राइट टू लाइफ मिला हुआ है आप लड़ाई में मुझे भेज रहे हैं इसका मतलब तो यह है कि आप मुझे मौत के मुंह में भेज रहे हैं मैं नहीं जाना चाहता लड़ाई में लड़ने के लिए मुझे लड़ाई में पार्टिसिपेट नहीं करना है ठीक है तो वह कहेगा भाई मेरे पास तो फंडामेंटल राइट है मुझे लड़ाई में नहीं जाना तो ऐसे तो वॉर के टाइम पर बहुत दिक्कत हो जाएगी साथ ही साथ कोई कहेगा कि भैया मुझे तो मिली हुई है पर्सनल लिबर्टी मिली हुई है मुझे फ्रीडम ऑफ थॉट एंड एक्सप्रेशन मिला हुआ है ठीक है मैं जहां चाहूं मैं वहां घूम सकता हूं और वह अपनी अपनी ट्रूप को छोड़ के कहीं पर भी घूमने चला गया तो क्या हो गया उससे उसकी ट्रूप का जो डिसिप्लिन है वो खराब हो गया तो ये वाली जो सर्विसेस होती है ये बहुत ही एसेंशियल सर्विस है यहां पे हमें जरूरत होती है बहुत ज्यादा डिसिप्लिन की बहुत ज्यादा डिसिप्लिन की जरूरत होती है इसीलिए आर्टिकल 33 कहता है कि पार्लियामेंट ये याद रखना है आपको सिर्फ और सिर्फ पार्लियामेंट स्टेट लेजिसलेच्योर इन लोगों के लिए फंडामेंटल राइट्स को कमजोर रख सकता है ठीक है आर्टिकल 13 कहता है कि फंडामेंटल राइट्स को आप ना तो कमजोर कर सकते ना ही छीन सकते लेकिन आर्टिकल 33 कहता है कि जो भी लोग इन सर्विसेस में काम कर रहे हैं उन उन लोगों की जो फंडामेंटल राइट्स है उनको रिस्ट्रिक्टर है और अब्रोगेट भी किया जा सकता है क्यों ताकि वह अपनी ड्यूटीज को प्रॉपर्ली डिस्चार्ज करें और उनमें डिसिप्लिन मेंटेन रहे आर्टिकल 34 क्या कहता है आर्टिकल इसमें बस आप इतना याद रख लें कि मार्शल लॉ के दौरान जो रिस्ट्रिक्शंस होती है उनसे जुड़ा हुआ है ठीक है सिंपल सी स्टेटमेंट आएगी कि मार्शल लॉ लगा हुआ था तब फंडामेंटल राइट्स का चैप्टर कौन सा आर्टिकल इसमें इवॉल्वड है तो आप कहेंगे 34 ठीक है आर्टिकल 35 क्या कहता है आर्टिकल 35 कहता है कि कुछ लॉज ऐसे हैं जो सिर्फ और सिर्फ पार्लियामेंट ही बनाएगा जैसे कि हमने देखा आर्टिकल 33 जो कि आर्म फोर्सेस वाला था और 34 यह दोनों के दोनों जो आर्टिकल हैं यह दोनों के दोनों जो आर्टिकल है इनके लिए जो भी कानून बनाना होगा वह सिर्फ और सिर्फ पार्लियामेंट बनाएगी फिर दूसरा 163 163 में मैं आपको ऑलरेडी बता चुका हूं कि जो रेजिडेंस की कंडीशन होती है नौकरियों में आर्टिकल 16 नौकरी से जुड़ा था ना तो रेजिडेंस की कंडीशन जो होती है नौकरी में वो सिर्फ और सिर्फ पार्लियामेंट कर सकता है याद कीजिए आर आर सी एस डी पी आर रेजिडेंस की कंडीशन कौन कर सकता है सिर्फ और सिर्फ पार्लियामेंट कर सकता है तो ये वो है आर्टिकल 323 जो है यह कहता है कि जो हमने सुप्रीम कोर्ट को पावर दे रखी है रेट्स इशू करने की रिट्स इशू करने की पावर दे रखी हमने सुप्रीम कोर्ट को इस पावर को दूसरे कोर्ट्स को भी दिया जा सकता है दूसरे कोर्ट्स को भी यह पावर दी जा सकती है और वो पावर कौन देगा पार्लियामेंट देगा ठीक सिर्फ और सिर्फ पार्लियामेंट दूसरे कोर्ट्स को दे सकता है क्या उसने दी हुई है उसने नहीं दी हुई पर दे सकता है ठीक है यह सारी चीजें पार्लियामेंट बनाएगा तो इसके साथ हमारा जो फंडामेंटल राइट्स का चैप्टर था वह खत्म हो गया एक बारी फंडामेंटल राइट्स का छोटा सा ओवरव्यू जिसको अच्छे से याद है वो स्किप करके डीपीएसपी के चैप्टर पर जा सकता है आर्टिकल 12 स्टेट की डेफिनेशन देता है आर्टिकल 13 कहता है कि पहले जो भी कानून बने हुए थे अगर वह कानून फंडामेंटल राइट्स को वायलेट करते हैं तो जिस हद तक वो वायलेट करते हैं उस हद तक वह कानून वॉइड माने जाएंगे ठीक है और फिर आर्टिकल 13 का दूसरा पार्ट कहता है कि आने वाले समय में आने वाले लॉज भी किसी फंडामेंटल राइट को कमजोर नहीं कर सकते और उनको छीन नहीं सकते आर्टिकल 13 यह कहता है इसके अंदर एक अमेंडमेंट और आपको याद करनी थी 24 फोर्थ अमेंडमेंट 1971 यह भी अमेंडमेंट हम अमेंडमेंट के चैप्टर के अंदर देखेंगे यह हमारी कहानी का ही हिस्सा बनेगी ठीक है 24 24 अमेंडमेंट 1971 क्या कहती है कि लॉ की डेफिनेशन के अंदर अमेंडमेंट नहीं आता लॉ की डेफिनेशन के अंदर अमेंडमेंट नहीं आता है यानी कि अमेंडमेंट करके फंडामेंटल राइट्स को वायलेट किया जा सकता है यह कहता है वो आर्टिकल 14 आपकी बात करता है इक्वलिटी बिफोर लॉ की और इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ की बात करता है आर्टिकल 15 आपकी बात करता है कि आप डिस्क्रिमिनेट नहीं करेंगे आरआर सीएसपी के बेसिस पे रिलीजन रेस कास्ट सेक्स प्लेस ऑफ बर्थ के बेसिस पे डिस्क्रिमिनेट नहीं करेंगे स्पेशल प्रोविजन बनाया जाएगा किसके लिए वमन के लिए चिल्ड्रन के लिए एससीबीसी एससी और एसटीजी रिजर्वेशन मिलेगी एससी बीसी एससी और एसटीजी चिल्ड्रन नहीं है इसके अंदर एजुकेशन में और इसके अंदर आपको 103 कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट याद करनी है जो कहता है कि इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन को एजुकेशन के अंदर रिजर्वेशन मिल रहा है 10 पर 15 हो गया 16 के अंदर हम क्या बात करते हैं कि पब्लिक एंप्लॉयमेंट के अंदर हर किसी को इक्वल अपॉर्चुनिटी मिलेगी और उन्हें डिस्क्रिमिनेट नहीं किया जाएगा किस बेसिस पे आर आर सी एस डी पी आर के बेसिस प रिलीजन रेस कास्ट सेक्स प्लेस ऑफ बर्थ यह है आपकी डोमिसाइल और सॉरी डिसेंट यह होता है डिसेंट मैं शायद डोमिसाइल बोलता रहा हूं इतनी देर से यह होता है डिसेंट और यह है आपका रेजिडेंस ठीक है तो यह आर्टिकल 16 हो जाएगा आपका आरआरसीएस डीपीआर के बेसिस पर आपको वो नहीं किया जाएगा डिस्क्रिमिनेट नहीं किया जाएगा और रिजर्वेशन किसको मिलेगी बैकवर्ड क्लास नॉट एडिक्ट रिप्रेजेंटेड को रिजर्वेशन मिलेगी प्रमोशन में किसको रिजर्वेशन मिलेगी सिर्फ एससी को और एसटी को इसके अंदर रिजर्वेशन मिलेगी और फिर उसके बाद हम देखते हैं 17 के अंदर अनटचेबिलिटी को अबॉलिश कर दिया 18 के अंदर टाइटल्स की बात की गई है उनको अबॉलिश किया है 19 के अंदर मैंने पूरी बैंड बनाने की कहानी बताई थी कि स्पीच और एक्सप्रेशन का राइट है आप पीसफुली असेंबल हो सकते हैं असेंबल होने के बाद आप एसोसिएशन बना सकते हैं पूरे देश में कहीं पे भी आप फ्रीली मूव कर सकते हैं फिर मूव करने के बाद आप कहीं पे भी रिसाइट कर सकते हैं यह वाला जो आर्टिकल है 19 1f ठीक है यह वाला आर्टिकल राइट टू प्रॉपर्टी वाला है राइट टू प्रॉपर्टी वाला है इसको हटा दिया गया है यहां से किस किस अमेंडमेंट से हटाया गया है इसको हटाया गया है 44th अमेंडमेंट 1978 से यह भी हमारी उस जो मैं बड़ी देर से आपसे अमेंडमेंट की बात कर रहा हूं यह उस कहानी का हिस्सा है इसीलिए अभी मैंने इस परे ज्यादा बात नहीं किया ठीक है 191 ए और 191 जीी क्या कहता है कि आप कोई भी ऑक्यूपेशन कर सकते हैं यह 19 की बात हुई 20 के अंदर आपको तीन शब्द याद करने थे कौन-कौन से पहला शब्द आप याद करेंगे एक्स पोस्ट फैक्टो लॉज दूसरा डबल ज पार्डी और तीसरा आप याद करेंगे सेल्फ इनक्रिमिनेशन कि अपने खिलाफ आपको सब बू देने के लिए कोई नहीं बोलेगा 21 के अंदर आपकी राइट टू लाइफ एंड पर्सनल लिबर्टी है 211a कौन से अमेंडमेंट से जोड़ा गया ये जोड़ा गया 86 अमेंडमेंट 2002 से जो कि राइट टू एजुकेशन राइट टू एजुकेशन देता है किसको 6 से लेकर 14 साल के बच्चों को राइट टू एजुकेशन देता है 211a 22 के अंदर आपकी अरेस्ट से रिलेटेड कुछ आपको राइट्स मिले हुए हैं क्या कि जैसे ही अरेस्ट हो गए आपको ग्राउंड्स बताने होंगे मर्जी का लीगल प्रैक्टिशनर आप यूज कर सकते हैं फॉलो कर सकते हैं फिर उसके बाद आप आप 24 घंटे के अंदर आपको मैजिस्ट्रेट के सामने पेश करना है किस-किस को यह तीन राइट्स किस-किस को नहीं मिले यह आपके जो भी इंसान प्रिवेंट डिटेंशन में डिटेन किया गया उसको ये राइट नहीं मिले अगर कोई एनिमी एलियन है तो उसको ये राइट नहीं मिले फिर हमने प्रिवेंट डिटेंशन की बात की कि 3 महीने के लिए किया जा सकता है प्रीवेंटिव डिटेंशन अगर 3 महीने से ज्यादा करनी है तो या तो उसको एक स्पेशल कानून के अंदर डिटेन करो ये स्पेशल कानून किसने बनाया होगा पार्लियामेंट ने बनाया होगा ये स्पेशल कानून और ये स्पेशल कानून 3 महीने से ज्यादा की डिटेंशन को सैंक्शन करता हो या फिर एक हाई कोर्ट के जजेस का एडवाइजरी बोर्ड बनाओ और वह एडवाइजरी बोर्ड कह दे कि 3 महीने से ज्यादा इसको रखा जा सकता है डिटेंशन में यह हमारा आर्टिकल 22 हो गया 23 और 24 एक्सप्लोइटेशन से जुड़ा हुआ है जिसके अंदर ह्यूमन ट्रैफिकिंग और यहां पे चाइल्ड लेबर की बात की गई है दो एब्सलूट राइट कौन से हैं 17 और 24 दो एब्सलूट राइट है 25 से लेके 28 तक आपके रिलीजन के राइट्स हैं ठीक है 29 और 30 आपके माइनॉरिटी के राइट हैं कि अगर आपकी डिस्टिंक्ट लैंग्वेज स्क्रिप्ट या कल्चर है आप उसको प्रोटेक्ट कर सकते हैं और आप इंस्टीट्यूशन बना सकते हैं ठीक है 29 और 30 के अंदर ये था 31 के अंदर हमने 31 जो आर्टिकल था आर्टिकल 31 इसके अंदर राइट टू प्रॉपर्टी था ठीक है ये याद कर लीजिए 31 के अंदर राइट टू प्रॉपर्टी था और आर्टिकल 191 f के अंदर भी राइट टू प्रॉपर्टी की बात थी इन दोनों ही आर्टिकल्स को हटा दिया गया है है कांस्टिट्यूशन से कौन सी अमेंडमेंट से 44th अमेंडमेंट 1978 यह बाद में भी आएगा लेकिन अभी भी याद करें अच्छा अब 31 की जगह कौन-कौन से आर्टिकल हैं अब आर्टिकल है 31a 31b और 31c 31a और बी फर्स्ट अमेंडमेंट से आए 31c 25th अमेंडमेंट से आया फिर हमने 32 के अंदर सुप्रीम कोर्ट के पास आप डायरेक्टली जा सकते हैं और सुप्रीम कोर्ट रेट्स इशू कर सकता है कौन-कौन सी हेबिस कॉर्पस मेंडेस प्रोहिबिशन सर्चर को वारंटो यह सारी की सारी वो इशू कर सकता है ठीक है तो यह आर्टिकल 32 देखा हमने फिर 33 देखा 33 क्या है कि पार्लियामेंट कुछ लॉ बना के कुछ लोगों के जो फंडामेंटल राइट्स हैं उनको कमजोर रख सकता है या छीन सकता है कौन से लोग जो कि आर्म्ड फोर्सेस में है इंटेलिजेंस से हैं या फिर पब्लिक ऑर्डर मेंटेन करते हैं या फिर इन तीनों को इन तीनों को टेलीकॉम की सर्विस प्रोवाइड करते हैं क्यों किया गया है ताकि वो अपनी ड्यूटीज को अच्छे से करते रहे और वो डिसिप्लिन मेंटेन करके रखें 24 के 34 के अंदर 34 के अंदर मार्शल लॉ मार्शल लॉ के दौरान क्या होगा उसकी बात की गई है और 35 के अंदर बस यह बताया है कि पार्लियामेंट कौन-कौन से स्पेशल लॉज बना सकता है तो यह हमारे सारे के सारे फंडामेंटल राइट्स थे आई होप आपको याद हो गए होंगे बहुत इंपॉर्टेंट है कि हम आर्टिकल 51 तक आर्टिकल के साथ याद रखें इसीलिए मैं इसको बार-बार रिपीट कर रहा हूं जो नोट्स हम अपनी इस वीडियो के अंदर यूज़ करेंगे वह हैंड रिटन नोट्स हैं एम लक्ष्मीकांत से अगर आप हमारे वोह नोट्स लेना चाहते चाते हैं तो उसका लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा वीडियो अगर आपको पसंद आ रही है तो लाइक करना ना भूलें दोस्तों के साथ शेयर करें और चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें अगला चैप्टर हमारा डीपीएसपी का है पार्ट फोर जिस पार्ट फोर के अंदर यह डीपीएसपी लाई करते हैं पार्ट वन आपको याद होना चाहिए यूनियन एंड इट्स टेरिटरी था एक से लेकर चार आर्टिकल पार्ट टू के अंदर हमने सिटीजनशिप देखा जिसके आर्टिकल पांच से लेकर 11 तक थे लेकिन यहां पे हमने आर्टिकल नहीं देखे दो एक्ट देखे थे सिटीजनशिप एक्ट 1955 और सिटीजनशिप एक्ट 1955 की अमेंडमेंट जो कि 2019 में हुई फिर पार्ट थ्री में हमने फंडामेंटल राइट्स अभी-अभी खत्म किए हैं जो कि 12 से लेकर 35 तक आते हैं पार्ट फोर के अंदर आता है डीपीएसपी देखिए जब इंडिया आजाद हुआ था तो इंडिया के पास बहुत ज्यादा पैसे नहीं थे तो उन्होंने क्या किया कि कुछ ऐसे राइट्स थे जो कि हर इंसान को मिलने चाहिए उन राइट्स की दो कैटेगरी बना ली एक तो वो राइट्स जिनको तुरंत ही वो दे सकते हैं जिस परे ज्यादा खर्चा नहीं होता है ऐसे पॉलिटिकल राइट्स थे इनको डाला गया पार्ट थ्री के अंदर और वो बन गए फंडामेंटल राइट्स कुछ राइट्स ऐसे थे जिनको इंप्लीमेंट करने के लिए बहुत सारा पैसे की जरूरत पड़ती तो वो थे इकोनॉमिक राइट्स और सोशल राइट्स इकोनॉमिक राइट्स एंड सोशल राइट्स जिनको हमने कहा कि अभी हमारे पास पैसा नहीं है इसीलिए हम इनको तुरंत ही इंप्लीमेंट नहीं कर सकते तुरंत ही हम इनको एनफोर्स नहीं कर सकते इसीलिए हम इनको एक अलग पार्ट में डाल देते हैं पार्ट फोर में और जिसका नाम दे देंगे हम डीपीएसपी ठीक है तो अब हम डीपीएसपी देखने वाले हैं डीपीएसपी आपका स्टार्ट होता है आर्टिकल 30 56 से लेकर 51 तक ये आपके जाते हैं 51 तक ठीक है हाफ सेंचुरी हम डीपीएसपी में ही पार करेंगे 36 36 क्या है 12 * 3 12 क्या था फंडामेंटल राइट्स में स्टेट की डेफिनेशन थी 12 में फंडामेंटल राइट्स में स्टेट की डेफिनेशन थी 36 के अंदर भी सेम चीज है ठीक है आर्टिकल 36 के अंदर स्टेट की डेफिनेशन आती है आर्टिकल 37 क्या कहता है वो डीपीएसपी की कुछ कैरेक्टरिस्टिक बताते हैं पहली कैरेक्टरिस्टिक तो यही है कि जो डीपीएसपी हैं उनको एनफोर्स नहीं करा सकते जैसे कि मान लीजिए आगे जाके एक डीपीएसपी आएगा जो कहेगा कि समाज में इनक्व जो है इनक्व एकदम रिड्यूस हो जानी चाहिए आगे जाके एक राइट आएगा जो यह कहेगा कि हर किसी को लाइवलीहुड का अधिकार होना चाहिए लाइवलीहुड का अधिकार होना चाहिए मान लीजिए ठीक है यह राइट है देखिए अगर यह फंडामेंटल राइट में लिखा होता फंडामेंटल राइट में लिखा होता कि हर किसी को लेवली हुड का राइट है फंडामेंटल राइट में लिखा है अभी हम ये मान के चल रहे हैं ठीक है ये है नहीं बस मान रहे हैं मान फंडामेंटल राइट में लिखा है कि हर किसी को लेवली होड मिलनी चाहिए अगर उसको नहीं मिलती तो क्या हो रहा है उसका फंडामेंटल राइट वायलेट हो रहा है और वह अपने फंडामेंटल राइट के वायलेशन के केस में क्या कर सकता है डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट जा सकता है और सुप्रीम कोर्ट रिट्स इशू कर देगा जो कि हमने आर्टिकल 32 में देखी सुप्रीम कोर्ट रेट्स इशू करके यह करवा देगा कि उसको राइट टू लाइवलीहुड मिल जाए लेकिन हर किसी को नौकरी देना लेवली हड का मतलब उसको किसी तरह से पैसे देना हर किसी को पैसे देने पे सरकार का होता है खर्चा और सरकार के पास अगर पैसे ही ना हो तो वह कैसे देगा तो पूरी की पूरी 120 करोड़ की पॉपुलेशन को हम लेवली ड का अधिकार अभी नहीं दे सकते हैं क्योंकि हमारे पास इतना पैसा नहीं है तो हमने क्या किया हमने ऐसे राइट्स को डीपीएसपी के अंदर रख दिया डीपीएसपी के अंदर रख दिया और यह कहा कि यह जो लेवली हुड है यह एक तरह की गाइडलाइन है गाइडलाइन है कल को जब भी गवर्नमेंट या फिर स्टेट जो है जब भी वह पॉलिसी बनाएगी तो वो ध्यान रखेगी कि हर किसी को लाइवलीहुड मिलना चाहिए मान लीजिए वो ध्यान रखेगी ठीक है मान लीजिए उसने ध्यान नहीं रखा और उसने ऐसी पॉलिसी नहीं बनाई जिससे लोगों को लाइवलीहुड मिले तो क्या होगा तो क्या आप सुप्रीम कोर्ट या फिर किसी जुडिशरी के पास जा सकते हैं क्या आप वहां पे जुडिशरी के पास जाके ये कह सकते हैं कि मेरा जो डीपीएसपी था लेवली होड का वो फुलफिल नहीं कर रहा है कांस्टिट्यूशन में लिखा हुआ है कि लेवली होड मिलनी चाहिए पर ये जो स्टेट पॉलिसी है ये उसको फुलफिल नहीं कर रही तो मुझे फुलफिल करवाओ क्या तुम कोर्ट में जाके अपने इस डीपीएसपी को एनफोर्स करा सकते हो आप नहीं करा सकते क्योंकि डीपीएसपी नॉट एनफोर्सेबल है और यह लिखा हुआ है आपके आर्टिकल 37 के अंदर डीपीएसपी को एनफोर्स नहीं कराया जा सकता लेकिन लेकिन गवर्नेंस के लिए यह फंडामेंटल होते हैं और स्टेट की ड्यूटी होती है कि इन इन जो यह जो फंडामेंटल यह जो डीपीएसपी हैं इनको अप्लाई करवाना लॉ बनाते टाइम तो लॉ बनाते टाइम इनको अप्लाई कराना एक उनकी ड्यूटी होगी स्टेट की कि तुम इसके अंदर करो लेकिन अगर तुम नहीं करते हो तो कोई भी इंसान कोई भी सिटीजन कोर्ट नहीं जा सकता है क्योंकि यह एनफोर्सेबल नहीं है तो आर्टिकल 37 आप ये याद रखेंगे 36 में स्टेट की डेफिनेशन 37 में आ गया कि वो एनफोर्सेबल नहीं है लेकिन फंडामेंटल है गवर्नेंस के लिए और लॉ बनाते हुए आप ध्यान रखोगे आर्टिकल 38 क्या कहता है 38 कहता है कि समाज के अंदर वेलफेयर होना चाहिए समाज के अंदर जस्टिस होना चाहिए जस्टिस कैसा सोशो इकोनॉमिक पॉलिटिकल जस्टिस होना चाहिए और जो हमारे इंस्टीट्यूशंस हैं एडमिनिस्ट्रेटिव इंस्टीट्यूशंस या जो भी पब्लिक या स्टेट एजेंसीज हैं वो ऐसा सोशल ऑर्डर बनाएगी जिससे हम वेलफेयर अचीव कर सकें 38 क्या कहता है समाज में जस्टिस होना चाहिए सोशल इकोनॉमिक पॉलिटिकल और इस चीज को अचीव करने के लिए जो इंस्टीट्यूशंस हैं वो अच्छा सोशल ऑर्डर बनाएंगे एक ऐसा सोशल ऑर्डर जिससे वेलफेयर अचीव हो दो-तीन बार इसको सुन लेना वर्ब एटम याद रखने की जरूरत नहीं है आर्टिकल 38 में ही जो दूसरी बात कही गई है वो यह कही गई है कि इनकम की जो इनक्व है उनको रिड्यूस करना है और स्टेटस फैसिलिटी और अपॉर्चुनिटी में जो इनक्व है उसको खत्म करना है इनकम की इक्वलिटी को रिड्यूस और इस इक्वलिटी को खत्म करना है आर्टिकल 39 जो है सबसे इंपॉर्टेंट आर्टिकल है डीपीएसपी के अंदर इसमें आप क्या याद रखेंगे इसमें आप यह याद रखेंगे एलआर सीई एचएफडी किसी और ने कोई और एक्रोन बना रखा हो ऑलरेडी तो वो वही फॉलो करें मैंने ये बना रखा है तो मैं आपको अपना एक्रोनिल बता रहा हूं एल आर सीई एच एफ डी एल से आता है आपका लेवली होड आर से आप क्या आते हैं रिसोर्सेस सी से आती है कंसंट्रेशन ई से इक्वल पे फॉर इक्वल वर्क एच से है जैसे ही एच ध्यान में आ जाए तो हेल्थ स्ट्रेंथ ऑफ वर्कर एंड टेंडर एज ऑफ चिल्ड्रन हेल्थ स्ट्रेंथ ऑफ वर्कर एंड टेंडर एज ऑफ चिल्ड्रन एफडी से याद आ जाएगा फ्रीडम और डिग्निटी किसको मिले बच्चों को मिले फ्रीडम और डिग्निटी मिले इसीलिए एफडी लिखा है फ्रीडम और डिग्निटी तो अब ये क्या-क्या कहते हैं ये कहते हैं कि हर किसी को इक्वल अपॉर्चुनिटी मिलनी चाहिए लाइवलीहुड की चाहे वो मेन हो या फिर वीमेन हो वीमेन या मैन को एडिक्ट अपॉर्चुनिटी एडिक्ट अपॉर्चुनिटी मिलनी चाहिए लाइवलीहुड की ठीक है लाइवलीहुड से आप क्या याद करेंगे मेन वूमेन को एडिक्ट अपॉर्चुनिटी मिले लाइवलीहुड की दूसरा जो रिसोर्सेस हैं रिसोर्सेस की डिस्ट्रीब्यूशन ऐसे होनी चाहिए कि सबका भला हो रिसोर्सेस की डिस्ट्रीब्यूशन ऐसी होनी चाहिए कि सबका भला हो कंसंट्रेशन का क्या मतलब है कंसंट्रेशन का मतलब ये है कि वेल्थ तो और जो वेल्थ या फिर इन इकोनॉमिक वेल्थ है वो कंसंट्रेटेड नहीं होनी चाहिए कंसंट्रेशन ऑफ वेल्थ नहीं होनी चाहिए ऐसा नहीं है कि सारा का सारा पैसा कुछ मुट्ठी भर लोगों के पास है और जो मास है उसके पास जो मासेज हैं उसके पास थोड़ा बहुत ही पैसा बचा है और वह गरीबी में जी रहा है लेवली हुड के अंदर मैन और वुमेन को एडिक्ट अपॉर्चुनिटी मिले रिसोर्सेस की डिस्ट्रीब्यूशन होनी चाहिए ताकि सबका भला हो कंसंट्रेशन नहीं होनी चाहिए वेल्थ की इक्वल पे फॉर इक्वल वर्क मैन और वमन को समान काम के लिए समान पैसे मिलने चाहिए इक्वल पे फॉर इक्वल वर्क होना चाहिए फिर हेल्थ स्ट्रेंथ एंड हेल्थ स्ट्रेंथ एंड टेंडर एज हेल्थ स्ट्रेंथ किसकी वर्कर की वर्कर की हेल्थ और स्ट्रेंथ के हिसाब से ही उसको काम मिलना चाहिए ऐसा नहीं है कि वह गरीबी की वजह से ऐसा काम कर रहा है जिसकी जिससे उसकी हेल्थ खराब हो रही है टेंडर एज ऑफ चिल्ड्रन जो है वो एक्सप्लोइट नहीं होनी चाहिए तो बेसिकली यह जो आर्टिकल है वो यह कहता है कि वर्कर्स की हेल्थ और स्ट्रेंथ का और बच्चों की टेंडर एज का एब्यूज नहीं होना चाहिए लास्ट चिल्ड्रन वाला चिल्ड्रन वाला क्या कहता है कि चिल्ड्रन को फ्रीडम और फ्रीडम और डिग्निटी की लाइफ मिलनी चाहिए साथ ही साथ वह एक हेल्दी मैनर में डेवलप होते रहे इसकी अपॉर्चुनिटी मिलनी चाहिए उनको फ्रीडम होनी चाहिए एक्सप्लोइटेशन से एक्सप्लोइटेशन से उनकी प्रोटेक्शन होनी चाहिए अब आप यहां पे क्या देखेंगे यह है आर्टिकल 39 39 का यह है क्लॉज ए यह है क्लॉज बी यह है क्लॉज सी अगर आपको याद होगा हमने क्या देखा था हमने देखा था आर्टिकल 31 एक बार मैं आपको दिखाई देता हूं आर्टिकल 31 के अंदर जो हमने फंडामेंटल राइट्स के साथ हमने रिलेशन देखा था यह देखिए यहां पे अब याद आ रहा होगा आपको फंडामेंटल राइट्स के साथ हमने यह रिलेशन देखा है ना कि 39 बी और 39 सी इनको इंप्लीमेंट करने के लिए कोई भी कानून बनेगा तो वो कानून आर्टिकल 14 और 19 को वायलेट कर सकता है यही हमने बात की थी तो अब यहां पे क्या हो रहा है 39 बी और सी देखते हैं हम 39 बी और सी क्या कहते हैं 39 बी कहता है कि रिसोर्सेस की डिस्ट्रीब्यूशन होनी चाहिए और सी कहता है कि वेल्थ की कंसंट्रेशन नहीं होनी चाहिए जमींदारी में क्या हुआ है जमीदारी में लैंड रिसोर्स की लैंड रिसोर्स की कंसंट्रेशन हो गई है लैंड रिसोर्स क्या होता है वेल्थ होता है तो लैंड रिसोर्स की कंसंट्रेशन हो गई है जो रिसोर्सेस हैं क्या वो डिस्ट्रीब्यूटर रखे हैं नहीं हो रखे वो जमीदारों के हाथ में में पड़े हुए हैं तो इसी चीज को इंप्लीमेंट करने के लिए कि रिसोर्सेस जो हैं वह लोगों में डिस्ट्रीब्यूटर जो वेल्थ है उसकी कंसंट्रेशन चंद हाथों में ना रहे उसके लिए अगर कोई कानून बनेगा उसके लिए अगर कोई लॉ बनेगा तो वह किसको वायलेट कर सकता है फंडामेंटल राइट 14 और 19 को वो वायलेट कर सकता है यह 39 का बी और सी ठीक है तो आप 39 कैसे याद करेंगे आप 39 को याद करेंगे एल आर सी ई एच एफ डी कोई और एक्रोनिल आपको अच्छा लगे तो आप वो बनाए मैं ने आपको अपना वाला बताया है दूसरी चीज आपको 39 में क्या याद रखनी है 39 का जो लास्ट लास्ट यह है क्लॉज है यह 39 क्लॉज एफ है आर्टिकल 39 क्लॉज एफ आर्टिकल 39 क्लॉज एफ ओरिजिनल कांस्टिट्यूशन में नहीं था इसको हमने 1976 में 42 अमेंडमेंट से ऐड किया है चिल्ड्रन वाला यह अमेंडमेंट पूछी जाती है डीपीएसपी में 51 तक आपको वैसे भी आर्टिकल से ही याद रखना है तो अभी तक हमने क्या देखा हमने देखा है आर्टिकल 36 में स्टेट की डेफिनेशन 37 में हमने देखा कि आप डीपीएसपी को एनफोर्स नहीं करा सकते पर वो फंडामेंटल है गवर्नेंस में 38 के अंदर हमने देखा कि जस्टिस होना चाहिए सोशल इकोनॉमिक पॉलिटिकल और जो इंस्टीट्यूशंस हैं इंस्टीट्यूशंस ऐसा सोशल ऑर्डर बनाएंगे जहां पे वेलफेयर हो सबका यह देखा दूसरा 38 में हमने क्या देखा कि इनक्व कम हो इनक्व कम हो इनकम में और इन इक्वलिटी खत्म हो जाए स्टेटस फैसिलिटी और अपॉर्चुनिटी में 39 में हमने क्या देखा एल आर सीई एच एफ डी देखा 39 में 39 का जो एफ वाला क्लॉज है 39 क्लॉज एफ है यह 42 अमेंडमेंट से ऐड किया गया था अब हम देखेंगे 39a यह एक अलग आर्टिकल है देखिए जब ऐसे लिखा हो जब कोई चीज ऐसे लिखी हो तो इसको पढ़ा जाता है आर्टिकल 39 क्लॉज ए ठीक है इसका मतलब यह है कि आर्टिकल 39 चल रहा है उस 39 का ही एक हिस्सा है ए और जब लिखा हो 39a तो इसको पढ़ा जाता है कि यह एक अलग से आर्टिकल है इस आर्टिकल का नाम ही है 39a ठीक है तो आर्टिकल 39a जो है यह भी 42 अमेंडमेंट से ऐड किया गया था और यह आर्टिकल क्या कहता है कि इक्वल जस्टिस हो और फ्री लीगल एड मिले ठीक है यहां पे मैंने आपको ये लिस्ट दे दी है जो जो चीजें 42 अमेंडमेंट से जो जो आर्टिकल डीपीएसपी में ऐड हुए थे वो लिख दिए हैं डीपीएसपी की जो भी अमेंडमेंट्स हुई हैं वो सारी की सारी यहां पे आपको मिल जाएगी एक ही जगह पे ठीक है तो 39a 42 अमेंडमेंट से इक्वल जस्टिस एंड फ्री लीगल एड आर्टिकल 40 आपको एकदम अच्छे से याद करना है आर्टिकल 40 है विलेज पंचायत की ऑर्गेनाइजेशन आर्टिकल 40 है विलेज पंचायत की ऑर्गेनाइजेशन यह डीपीएसपी के अंदर है और साथ ही साथ इसको इंप्लीमेंट करने के लिए 73 अमेंडमेंट क्या करता है पंचायतस को कांस्टीट्यूशनल स्टेटस प्रोवाइड करता है ठीक है 73 अमेंडमेंट कब हुआ था 1992 में हुआ था आर्टिकल 39a और 40 देखिए अब हम थोड़ा सा देखिए जब हम फंडामेंटल राइट्स करते हैं ना तो वहां पे तो अलग-अलग वो बने हुए हैं कि यह 14 से लेके आपके 18 तक सारे के सारे आर्टिकल इक्वलिटी के होंगे 19 से लेके आपके 22 तक सारे के सारे आर्टिकल फ्रीडम से जुड़े हुए होंगे 23 और 24 जो है वो एक्सप्लोइटेशन से बचाते होंगे इस तरह से लिखा हुआ है लेकिन डीपीएसपी के अंदर कुछ भी नहीं बना हुआ एकदम सब मिक्स हो रखे हैं कभी आपको कोई समाज के अंदर न्याय वाला मिल जाएगा कभी विलेज पंचायत का मिल जाएगा तो कभी आपको इकोनॉमिक राइट मिल जाएंगे तो ये सारी चीजें मिक्स है तो याद करना मुश्किल हो जाता है तो हम इसकी एक आर्टिफिशियल कहानी बना लेंगे कहानी हम चालू करते हैं आर्टिकल 41 से ठीक है 40 तक आप कैसे याद करेंगे देखिए 36 में स्टेट की डेफिनेशन 37 के अंदर एनफोर्सेबल नहीं है लेकिन फंडामेंटल है 38 के अंदर हो जाएगा जस्टिस वाली बात इंस्टिट्यूशन जो है वो सोशल ऑर्डर मेंटेन करेंगे वेलफेयर के लिए 39 के अंदर आपका हो जाएगा एल आर सीई एच एफ डी 39a के अंदर हो जाएगा आपका इक्वल जस्टिस एंड फ्री लीगल एड 40 के अंदर विलेज पंचायत ठीक है 41 में आप कैसे याद करेंगे हर किसी को काम का पढ़ाई का और पब्लिक असिस्टेंसिया होना चाहिए काम का एजुकेशन का और पब्लिक असिस्टेंसिया होना चाहिए पब्लिक असिस्टेंसिया हो गया है तो कहीं उसके खाने के लाले ना पड़ जाए और वह भूखा ना मर जाए तो उसको पैसा मिलना चाहिए उसको पब्लिक असिस्टेंसिया कि सरकार जो है वो उसको पैसे प्रोवाइड करें ओल्ड एज के टाइम पे उसको फैसिलिटी मिलनी चाहिए कि वह अपनी बुढ़ापे को सही से निकाल सके अगर कोई बीमार मिल गया है तो वहां पे भी उसको असिस्टेंसिया है तो भी उसको असिस्टेंसिया वांट है तो भी असिस्टेंसिया क्या करता है यह काम का एजुकेशन का और पब्लिक असिस्टेंसिया अधिकार है गाइडलाइन बना हुआ है तो देखिए काम की बात कर यहां पे काम मिले एजुकेशन मिले पब्लिक असिस्टेंसिया कहानी स्टार्ट कर देते हैं आर्टिकल 41 कहता है कि काम मिले काम मिल रहा है ठीक है काम अगर मिल रहा है तो जहां पे वह काम कर रहा है वहां पे कंडीशंस बड़ी अच्छी होनी चाहिए कैसी कंडीशन होनी चाहिए जस्ट और ह्यूमन कंडीशन होनी चाहिए साथ ही साथ फीमेल्स को मैटरनिटी रिलीफ मिलना चाहिए मैटरनिटी बेनिफिट मिलने चाहिए ठीक है जहां पर भी वह काम कर रहा है वहां पर जस्ट और ह्यूमन कंडीशन हो और मैटरनिटी रिलीफ मिले जस्ट और ह्यूमन कंडीशंस कैसे बनेंगी जस्ट और ह्यूमन कंडीशन तब मिलेगी जब उसको अच्छी सैलरी मिल रही है इतनी सैलरी मिल रही है कि वो डिसेंट स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग मेंटेन कर सके स्ट डिसेंट स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग मेंटेन कर सके ठीक है ये शॉर्ट फॉर्म है आप याद रखेंगे वो काम का अधिकार हमने 41 में दिया 42 में कह रहे हैं कि काम तो दे दिया पर जहां पे वो काम कर रहा है वहां पे कंडीशंस अच्छी होनी चाहिए जस्ट और ह्यूमन होनी चाहिए और मैटरनिटी रिलीफ मिलना चाहिए और ये जस्ट एंड ह्यूमन कंडीशंस कब होंगी अच्छी जब उसको अच्छी वेज मिलेगी अच्छी वेज मिलेगी जिससे उसका स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग डिसेंट रहेगा साथ ही साथ वेज के साथ-साथ जो उसकी कंडीशन ऑफ वर्क है वो भी अच्छी होनी चाहिए तो वेज और कंडीशन ऑफ वर्क अच्छा होना चाहिए ऐसा नहीं है कि वो दिन में 16 घंटे काम कर रहा है वो अंधेरे में काम कर रहा लाइट ही नहीं है वहां पे साफ पीने का पानी नहीं है ऐसा नहीं होना चाहिए तभी तो जस्ट और ह्यूमन कंडीशंस कहेंगे तो कंडीशन ऑफ वर्क अच्छी होनी चाहिए और वेज उसको अच्छी मिलनी चाहिए आर्टिकल 43 के अंदर कॉटेज इंडस्ट्री की भी बात की गई है और कोऑपरेटिव इंडस्ट्री की भी की गई है तो आप यह याद करेंगे क्योंकि बहुत सारा एंप्लॉयमेंट जो है बहुत ज्यादा एंप्लॉयमेंट जो है वो कॉटेज इंडस्ट्री के अंदर है इसीलिए उसकी बात 43 में की गई है यह जो गांधी गांधी जी थे गांधी जी के कुछ आदर्श थे गांधी जी चाहते थे कि कॉटेज इंडस्ट्री को बहुत बढ़ावा दिया जाए कोऑपरेटिव सेक्टर को बहुत बढ़ावा दिया जाए तो गांधी जी के इन आदर्शों को 43 के अंदर रखा गया है ठीक है तो 41 में वर्क मिलता है 42 के अंदर कहा गया कि कि काम तो दे दिया पर जहां वो काम कर रहा है वहां पे जस्ट और ह्यूमन कंडीशन हो और मैटरनिटी रिलीफ हो जस्ट एंड ह्यूमन कंडीशन तब होगी जब सैलरी अच्छी है और काम करने की जो कंडीशंस दी हुई हैं वो अच्छी हो साथ ही साथ गांधी जी के आदर्श यानी कि कॉटेज इंडस्ट्री और कोऑपरेटिव जो इंडस्ट्री है वो अच्छे से ऑर्गेनाइज्ड होनी चाहिए ये तो आपने सारी की सारी कर दी लेकिन जो वर्कर हैं वर्कर को जब तक मैनेजमेंट का हिस्सा नहीं बनाओगे तब तक वर्कर जो है वर्कर का एक्सप्लोइटेशन होता रहेगा इसीलिए 43a कहता है कि वर्कर्स को मैनेजमेंट के अंदर हिस्सेदारी दो वर्कर्स को पार्टिसिपेशन दो मैनेजमेंट के अंदर कि वह वर्कर्स को मैनेजमेंट के अंदर पार्टिसिपेशन देने की बात करता है आर्टिकल 43a ठीक है 43b कोऑपरेटिव सोसाइटी की बात फिर से करता है जो 43 के अंदर बात की गई थी कोऑपरेटिव उसी को ही दोबारा से बात किया गया है 43b के अंदर तो फिर से एक बार देखते हैं 41 के अंदर कहते हैं कि काम दो 41 के अंदर कहते वर्क होना चाहिए एजुकेशन होनी चाहिए और पब्लिक असिस्टेंसिया मेंट ओल्ड एज सिकनेस डिसेबिलिटी या अनडिजर्व्ड वांट में 41 में काम दिया है तो काम ऐसा होना चाहिए कि जहां पे वोह काम कर रहा है वहां जस्ट एंड ह्यूमन कंडीशन हो प्लस में मैटरनिटी रिलीफ मिले जस्ट एंड ह्यूमन कंडीशन तब होगी यह 42 हो गया जस्ट एंड ह्यूमन कंडीशन तब होगी जब आपकी जो वेज है वो स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग मेंटेन करने की हेल्प कर रही है साथ ही कंडीशन ऑफ वर्क अच्छी है यहां पे आपको कॉटेज इंडस्ट्री और और आपको कोऑपरेटिव की भी बात की गई है 43 हो गया 43a जो कि 42 अमेंडमेंट से आया है यहां पे वो कहते हैं कि भाई वर्कर को भी पार्टिसिपेट कराओ मैनेजमेंट में 43 बी जो है व कहता है कि कोऑपरेटिव सोसाइटी के लिए कुछ और अच्छा काम करो ठीक है यह सब किस-किस अमेंडमेंट से है वो आपको यहां पे लिखे हुए मिल जाएंगे ठीक है जो 43 बी है वो रिसेंटली ऐड हुआ है 2011 के अंदर यह कोऑपरेटिव सोसाइटी वाला है ठीक है 43 हमने देख लिया अब 44 आपको याद करना है जैसे मैंने आपसे कहा था कि 40 आप याद रखेंगे विलेज पंचायत का है 41 आप याद रखेंगे वर्क एजुकेशन और पब्लिक असिस्टेंसिया लेंगे 43 तक की ठीक है 43 बी तक की फिर 43 बी के बाद आप याद रखेंगे 44 44 बात करता है यूनिफॉर्म सिविल कोड की सीधा याद कर लो यूनिफॉर्म सिविल कोड यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी कि प्रॉपर्टी से रिलेटेड इन्हेरिटेंस कैसे होगी उसके कानून जो हैं वह समान होने चाहिए शादियों के कानून समान होने चाहिए मैरिज के डिवोर्स के कानून समान होने चाहिए आज की डेट में क्या है अगर कोई मुस्लिम धर्म का है तो उसके लिए सिविल राइट्स सिविल की बात कर रहे हैं क्रिमिनल नहीं अगर हत्या कर दी क्रिमिनल का मतलब अगर हत्या कर दी तो चाहे वह किसी भी धर्म का हो उसके लिए एक ही कानून लगता है लेकिन सिविल राइट्स होते हैं सिविल राइट्स अलग होते हैं जैसे कि प्रॉपर्टी किसको मिलेगी मैरिज और डिवोर्स के क्या-क्या कानून चलेंगे यह वाले जो जो मैटर होते हैं ये सिविल मैटर में आते हैं तो यहां पे क्या है यहां पे अलग-अलग धर्मों के अलग-अलग कानून बने हुए हैं जैसे इस्लाम का अलग बना होगा पारसियों का अलग बना होगा हिंदुओं का अलग है ठीक है तो क्या कहते हैं कि जब क्रिमिनल के लिए आपने एक समान कानून बनाया क्रिमिनल में आप डिस्क्रिमिनेट नहीं कर रहे कि वो किस धर्म का है तो सिविल सिविल केसेस के अंदर आप क्यों डिस्क्रिमिनेट कर रहे हैं तो ये आर्टिकल 44 कहता है कि जब भी तुम्हें लगे कि तुम यूनिफॉर्म सिविल कोड बना सकते हो तो एक यूनिफॉर्म सिविल कोड बनेगा यह यूनिफॉर्म सिविल कोट जो है वह सभी धर्मों के लोगों के लिए एक बराबर होगा 44 आप याद करेंगे यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट से 45 में आपको क्या याद करना है 45 जब भी आपको याद आए तो आपको जाना है आर्टिकल 21a पे आर्टिकल 21a 86 अमेंडमेंट 2002 से आया था जो यह कहता है कि 6 से लेकर 14 साल के बच्चों को फ्री एजुकेशन देनी होगी आर्टिकल 45 क्या कहता है कि जीरो से लेकर 6 साल के जो बच्चे हैं 6 से 14 का तो हमने 21a में कर दिया जीरो से लेकर 6 साल के जो बच्चे हैं उनको अर्ली चाइल्डहुड केयर दो और एजुकेशन दो यह ये जो यह जो आर्टिकल है 45 यह भी 86 अमेंडमेंट एक्ट से अमेंड किया गया है पहले यहां पर लिखा था जीरो से लेकर 14 अब कर दिया जीरो से लेकर छ ठीक है तो यह भी 86 अमेंडमेंट से अमेंड हुआ है तो ये आप याद रखेंगे तो अब हम दूसरी कहानी चालू करेंगे जैसे 40 पे आपने पंचायत याद किया था 41 पे आपने वर्क एजुकेशन और पब्लिक असिस्टेंसिया फिर हमने वर्क से एक कहानी बना ली 43 बी तक फिर मैंने आपसे कहा 44 और 45 आपको याद रखना है ठीक है 44 और 45 आप याद रखेंगे अब हम 45 से एक कहानी बना लेंगे आगे की 45 से कहानी क्या है 45 कहता है कि अर्ली चाइल्डहुड केयर होनी चाहिए और एजुकेशन मिलनी चाहिए बच्चे को रो से लेक 6 साल तक की उम्र तक अर्ली चाइल्डहुड केयर और एजुकेशन मिलनी चाहिए बच्चों को तुम बच्चों की अगर बात कर रहे हो तो बच्चे बच्चों में एक कैटेगरी है और उस कैटेगरी के बच्चों का इंटरेस्ट आपको जरूर देखना पड़ेगा और वह कौन से बच्चे हैं वो है आपके एससी एसटी और अदर वीकर सेक्शन के ठीक है जब तक आप एससी एसटी और अदर वीकर सेक्शन की इकोनॉमिक और एजुकेशनल ठीक है यहां पे क्या है एजुकेशन एजुकेशन से जोड़ा है मैंने ठीक है जब तक आप एससी एसटी और वीकर सेक्शंस को एजुकेशन नहीं दोगे इकोनॉमिक इंटरेस्ट को प्रोटेक्ट नहीं करोगे तब तक सोसाइटी के अंदर डिफरेंसेस बने रहेंगे ठीक है तो जो एससी एसटी और अदर वीकर सेक्शन है उनके इकोनॉमिक इंटरेस्ट और एजुकेशनल इंटरेस्ट को प्रोटेक्ट करो साथ ही साथ उन्हें सामाजिक इंजस्टिस सामाजिक अन्याय जो होता है उससे बचाओ और एक्सप्लोइटेशन से उन्हें बचाओ तो 45 में आपको अर्ली चाइल्डहुड केयर और एजुकेशन है इसी एजुकेशन से आप ड्राइव कर लेंगे कि एजुकेशन अगर दे ही रहे हो तो एससी एसटी और वीकर सेक्शन पे एक्स्ट्रा ख्याल दो और इन एक्स एससी एसटी और वीकर सेक्शंस को इंजस्टिस और एक्सप्लोइटेशन से बचाओ 47 में क्या आ जाएगा भाई एजुकेशन तो तब है मान लीजिए आप किसी बच्चे को एजुकेशन दे रहे हैं पर उसके पास खाना ही नहीं है तो खाना नहीं है तो क्या उसका दिमाग अच्छा चलेगा उसका दिमाग ही नहीं चलेगा तो एजुकेशन देने का तभी फायदा होगा जब आप उसको न्यूट्रीशन भी प्रोवाइड कर रहे हो तो ये स्टेट की ड्यूटी होगी स्टेट में वही आर्टिकल 12 और 36 में जो डेफिनेशन देखी वो होगी ये स्टेट की डेफिनेशन है कि वो लोगों के न्यूट्रीशन को स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को और हेल्थ को इंप्रूव करें ठीक 45 में हमने देखा जीरो से लेकर 6 साल के बच्चों के एजुकेशन को और अर्ली चाइल्डहुड केयर की बात करता है फिर व एजुकेशन जो है अगर तुम एजुकेशन दे रहे हो तो एससी एसटी और वीकर सेक्शन को एक्स्ट्रा ध्यान दो और वीकर सेक्शन को एक्सप्लोइटेशन से भी बचाओ एजुकेशन तब काम आएगी जब आप उसको न्यूट्रिशन दे रहे हैं तो 45 46 और 47 45 46 और 47 जो है वो हमारा हो गया न्यूट्रीशन दो और स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग और पब्लिक हेल्थ को रेज करो इंक्रीज करो ठीक है हेल्थ और न्यूट्रिशन पर ख्याल दो न्यूट्रिशन तभी अच्छा होगा जब तुम नशा नहीं कर रहे हो अभी पंजाब के अंदर इतने ड्रग्स ले रहे हैं उन बच्चों की क्या ही हेल्थ रह जाएगी ये जो ड्रिंक्स हैं इंटॉक्सिकेटिंग ड्रिंक्स है अल्कोहल है अगर नशे में ही कोई बच्चा पड़ा रहेगा तो वह क्या ही एजुकेशन अटन करेगा क्या ही उसकी न्यूट्रिशन होगी तो यह वाला जो यह वाला जो आइडियल है यह भी गांधी जी का आइडियल है गांधी जी का आइडियल है ठीक है गांधी जी क्या कहते थे नशा मत करो नशा मुक्त होना चाहिए भारत अब दूसरी चीज उसी एजुकेशन वाली लाइन को ही हम लेके चल रहे हैं 45 में अर्ली चाइल्डहुड केयर और एजुकेशन जीरो से लेकर 6 साल तक के बच्चों को 46 के अंदर क्या कर देंगे आप एससी एसटी और वीकर सेक्शन को एजुकेशन दो और उन्हें एक्सप्लोइटेशन से बचाओ 47 में भाई एजुकेशन तो तब काम आएगी जब तुम न्यूट्रीशन दे रहे हो उनकी हेल्थ का लेवल इंक्रीज कर रहे हो उनका स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग इंक्रीज कर रहे हो ठीक है ये 47 हो गया 47 हो गया 48 में क्या है न्यूट्रिशन देने की बात हो रही है न्यूट्रीशन देने की बात हो रही है न्यूट्रीशन तो तुम तब दोगे जब तुम्हारे यहां पे अच्छा दूध मिलेगा जब तुम्हारे यहां पे अच्छा चिकन मिलेगा जब तुम्हारे यहां पे अच्छी बकरियां मिलेंगी तभी तो न्यूट्रिशन लेवल इंक्रीज होगा तो 48 क्या कहता है 48 कहता है कि एग्रीकल्चर को अच्छा एग्रीकल्चर भी तो अच्छा होना चाहिए एग्रीकल्चर तो मैंने लिखा ही नहीं जो सबसे इंपॉर्टेंट था न्यूट्रिशन कब अच्छा होगा जब आपका एग्रीकल्चर अच्छा हो रहा है जब आपकी एनिमल हसबेंडरी अच्छी हो रही है एनिमल हसबेंडरी अच्छी होगी तो क्या होगा आपको अच्छा दूध मिलेगा आपको अच्छा मीट मिलेगा एग्रीकल्चर अच्छा होगा तो नॉन वेजिटेरियन को अच्छा खाना मिलेगा ठीक है तो उसी स्टोरी को कंटिन्यू करते हुए न्यूट्रिशन कब अच्छा होगा जब हम एग्रीकल्चर को अच्छे से ऑर्गेनाइज करेंगे एनिमल हसबेंडरी को अच्छे से ऑर्गेनाइज करेंगे साथ ही साथ जानवरों में जो हमारी ब्रीड्स हैं हमारी जो ब्रीड्स हैं उन ब्रीड्स को इंप्रूव करेंगे ठीक है हमारे यहां पे जो गाय पाई जाती हैं उनकी ब्रीड को और इंप्रूव करेंगे दूसरी ब्रीड के साथ फ्यूज करके हमारी जो ब्रीड है उनको प्रिजर्व भी करना है और उन्हें प्रूव भी करना है साथ ही साथ तुम जो गाय हैं गाय बछड़े या फिर दूसरे ऐसे जानवर हैं जो कि दूध देते हैं या फिर ड्रॉट में यूज होती हैं कैटल इन सब की स्लॉटर पे प्रोहिबिशन लगाओगे इन सबके स्लॉटर पे प्रोहिबिशन लगाओगे ठीक है यहां तक कहानी फिर से एक बार देखते हैं 45 के अंदर अर्ली चाइल्डहुड केयर और एजुकेशन एजुकेशन दे रहे हो तो एससी एसटी के बच्चों को और वीकर सेक्शन को भी दो एजुकेशन और साथ के साथ उन्हें एक्सप्लोइटेशन से बचाओ एजुकेशन तो तुम तब अच्छी दे पाओगे जब उनका न्यूट्रिशन और हेल्थ अच्छी कर पाओगे और उनके स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को इंप्रूव करोगे 47 48 न्यूट्रीशन और हेल्थ तो तुम तब अच्छी करोगे जब तुम्हारा एग्रीकल्चर और एनिमल हसबेंडरी अच्छे से ऑर्गेनाइज्ड है जब तुम अपनी ब्रीड को इंप्रूव कर रहे हो और उनके स्लॉटर पर प्रोहिबिशन लगा रहे हो ठीक है 48 हो गया एग्रीकल्चर और एनिमल हस्बैंड तब इंप्रूव होगी जब तुम्हारा एनवायरमेंट क्लीन है जब तुम्हारे फॉरेस्ट जो है वो अच्छे से फल फूल रहे हैं तो आर्टिकल 48a क्या कहता है कि जो तुम्हारा एनवायरमेंट है तुम हेल्थ सुधारना चाहते हो एग्रीकल्चर पर काम कर रहे हो पर पूरा का पूरा एनवायरमेंट पोल्यूशन से भरा हुआ है क्या ही किसी की हेल्थ अच्छी होगी क्या ही एग्रीकल्चर अच्छा होगा एग्रीकल्चर में खुद कंटेम हो जाएगी तो 48a कहता है कि एनवायरमेंट को प्रोटेक्ट करो फॉरेस्ट को प्रोटेक्ट करो वाइल्ड लाइफ को प्रोटेक्ट करो ठीक है याद करने का एक दूसरा तरीका यह भी देख सकते हो कि जब जब प्रोहिबिशन लगा रहे हो आप जानवरों की स्लॉटर पर तो वाइल्ड लाइफ को भी प्रोटेक्ट कर लो ठीक है जानवरों के स्लॉटर पर प्रोहिबिशन लगा रहे हो तो वाइल्ड लाइफ को भी प्रोटेक्ट कर लो यह हो जाएगा आपका आर्टिकल 48a इसमें कोई वो नहीं इसलिए मेरे को यह नकली कहानी बनानी पड़ रही है फिर 49 के लिए आप कैसे याद कर लेंगे कि 48a 48a जो कि आया आपका 42 अमेंडमेंट से यह भी आपको कहां पर लिखा हुआ मिल जाएगा यह भी आपको यहां पर लिखा हुआ मिल जाएगा ठीक है 48a जो कि आया आपका 4 सेकंड अमेंडमेंट से आपको यह देखने को मिल रहा है ठीक है तो जब आप जानवरों को प्रोटेक्ट कर रहे हो फॉरेस्ट को प्रोटेक्ट कर रहे हो एनवायरमेंट को इंप्रूव करने की बात कर रहे हो तो तुम जब जानवरों को बचा सकते हो वाइल्ड लाइफ को बचा सकते हो फॉरेस्ट को बचा सकते हो तो जो हमारे मॉन्यूमेंट्स हैं ताजमहल हो गया या फिर आपके पार्लियामेंट हाउस हो गया या फिर ढेर सारी बिल्डिंग्स इंडिया के अंदर बनी हुई है ढेर सारे मॉन्यूमेंट्स बने हुए हैं तो तुम उन मॉन्यूमेंट्स को क्यों नहीं बचा रहे फॉरेस्ट को बचा लिया जानवरों को बचा लिया मॉन्यूमेंट्स को भी बचा लो ऐसे मॉन्यूमेंट्स को बचाओ जो कि नेशनल इंपॉर्टेंस के हैं तो जो मॉन्यूमेंट्स के ऊपर ऐसे आप दिल बना के लिख के आ जाते हैं सोनू लव्स सोनू लव्स रीना सोनू लव्स मोनू यह सारे काम मत करो ठीक है अच्छा नहीं लगता है 49 हो गया फिर उसके बाद आर्टिकल 50 कहता है कि जुडिशरी सेपरेट होनी चाहिए एग्जीक्यूटिव से आर्टिकल 51 इसके लिए कोई कहानी नहीं है इसको आप याद कर लो आर्टिकल 50 कहता है कि जुडिशरी एग्जीक्यूटिव से सेपरेट हो होनी चाहिए 51 जो है ये इंटरनेशनल रिलेशन के बारे में बात करता है तो डीपीएसपी की आप वैरायटी देखिए यहां पे सोशल राइट्स भी आपको मिल रहे हैं इकोनॉमिक राइट्स भी मिल रहे हैं यहां पे इंटरनेशनल रिलेशन के लिए भी कुछ गाइडलाइंस दी गई हैं यहां पे आपके एडमिनिस्ट्रेशन की भी बात की गई है एडमिनिस्ट्रेशन की क्या बात की गई है कि जो जुडिशरी है वोह एग्जीक्यूटिव से अलग हो यहां पे एनवायरमेंट को प्रोटेक्ट करने की भी बात हो रही है मॉन्यूमेंट्स को प्रोटेक्ट होने की भी बात की जा रही है तो डीपीएसपी एक मिक्स है फंडामेंटल राइट्स के अंदर यह मिक्स नहीं था ठीक है तो आर्टिकल 51 क्या कहता है कि पीस और सिक्योरिटी होनी चाहिए तुम्हारे फॉरेन रिलेशन में आपके जो रिलेशन है वो जस्ट होने चाहिए ऑनरेडिस्टेटचेंज एसपी फिनिश हो चुके हैं आई होप यह आपको याद भी हो गए होंगे ठीक है कुछ ऐसे डायरेक्टिव है कुछ ऐसी गाइडलाइन हैं जो कि हमारी पार्ट फोर के बाहर भी लिखी हुई हैं यह भी कई बार पूछ लेते हैं कि ऐसी कौन सी गाइडलाइन है जो कि पार्ट फोर में नहीं आती हमारे कांस्टिट्यूशन में मेंशन है पर पार्ट फोर में नहीं है कहीं और गाइडलाइन लिखी है तो वो गाइडलाइन क्या है आर्टिकल 335 आर्टिकल 335 क्या कहता है कि आप रिजर्वेशन तो दो लेकिन रिजर्वेशन देते हुए आप इस तरह से पॉलिसी बनाएंगे कि एडमिनिस्ट्रेशन की जो एफिशिएंसी है वह एफिशिएंसी खराब ना हो इसीलिए रिजर्वेशन भले ही है लेकिन रिजर्वेशन भी मेरिट बेस्ड होता है ठीक है रिजर्वेशन के अंदर क्या है लोगों को अलग-अलग ग्रुप्स में रख दिया गया है जो सिमिलर कंडीशंस के लोग हैं जो कि सिमिलर कंडीशंस के लोग हैं उनको उनको अलग-अलग ग्रुप में रखा यह जो सिमिलर कंडीशन है यह सामाजिक सोशल कंडीशन की बात हो रही है इकोनॉमिक की बात नहीं हो रही क्योंकि बहुत सारे एग्जांपल ऐसे भी होते हैं जैसे कि राजस्थान का कुछ साल पहले केस हुआ था कि उसके फादर बहुत ही अच्छी पोस्ट पे थे बहुत ही अच्छी कमाई करते थे उनका बच्चा एक अच्छे स्कूल में पढ़ने जाता था लेकिन उनके फादर को भी नहीं पता था कि स्कूल में उस बच्चे के साथ डिस्क्रिमिनेशन होती है तो वहां पे क्या होता था एक कुआं लगा हुआ था एक कुआं था उस कुएं में से देखिए मटका मटका जो था मटके से बाकी के लोग जो हैं बाकी के बच्चे पानी पीते थे जो वो बच्चा था उस बच्चे को एक प्यून रखा गया था एक चपरासी रखा गया था वो चपरासी इस मटके से पानी निकाल के ऊपर से उसके को जो हाथ बनाते हैं ना ओखली कहते हैं या कुछ भी बोलते हो हाथ में पानी डालता था और बच्चा उससे पानी पीता था ठीक है इकोनॉमिकली उसकी फैमिली बहुत वेल टू डू थी अच्छे स्कूल में पढ़ता था लेकिन स्कूल के अंदर उसके साथ ये सोशल इंजस्टिस हो रहा था तो एक दिन क्या हुआ यह प्यून छुट्टी पे था छोटा बच्चा था तीसरी चौथी क्लास का उसको प्यास लगी तो उसके दिमाग में इतना ज्यादा बिठा दिया था कि उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वह उस मटके से पानी ले सके तो वह स्कूल में जो कुआं था उस कुएं में गया और कुने कुएं से पानी निकालते हुए कुएं में गिर गया और उसकी डेथ हो गई ये एक रियल कहानी है जो कि आप अ न्यूज़पेपर के अंदर सर्च करेंगे ना तो आपको को ये मिल जाएगी तो इस तरह के सामाजिक अन्याय होते हैं तो इकॉनमी से इससे रिलेशन बहुत ही कम है वो अच्छी फैमिली से था अच्छे स्कूल में पढ़ रहा है लेकिन सोसाइटी में डिस्क्रिमिनेशन हो रही है तो ये जो सोशल डिस्क्रिमिनेशन है इसको खत्म करने के लिए हमने देखा है कि ऐसे कौन से लोग हैं जो सिमिलर कंडीशन में उनके ग्रुप बना दिए और ये कहा है कि जो सिमिलर कंडीशन में है वो आपस में कंपीट करेंगे यानी कि ये लोग आपस में कंपीट करेंगे अपने आप में कंपीट करते रहेंगे और इनमें से जो मेरिट में आगे निकलेगा उसको नौकरी या फिर एजुकेशन मिल जाएगी सेम यहां पे सेम यहां पे तो यह जो तुम कर रहे हो यह इसलिए किया जा रहा है ताकि मेरिट का भी बेस रहे इसके अंदर और उसके साथ-साथ एफर्मेटिव एक्शन भी आपको मिलता रहे ठीक है तो ये आर्टिकल 335 कहता है आर्टिकल 350a हम ऑलरेडी देख चुके हैं जिसमें मदर टंग में इंस्ट्रक्शन दी जाएगी किसको जो भी लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी के बच्चे हैं उनको प्राइमरी प्राइमरी एजुकेशन में मदर टंग के अंदर एजुकेशन मिलेगी 350 बी भी देखा था हमने यह क्या कहता है कि जो प्रेसिडेंट है वो एक ऑफिसर को अपॉइंट्स माइनॉरिटी ऑफिसर को अपॉइंट्स को चेक करेगा आर्टिकल 357 जो है 357 कहता है कि यह स्टेट की ड्यूटी होगी कि वह हिंदी की हिंदी के यूज को प्रमोट करें हिंदी के यूज को प्रमोट करें लेकिन आज की डेट में सिचुएशन बहुत खराब है जैसे सिचुएशन इसलिए खराब है क्योंकि हिंदी लैंग्वेज के अंदर ऐसे बहुत सारे नए शब्द हैं जो कि हिंदी लैंग्वेज के अंदर बनाए ही नहीं है तो क्या करना होता है बहुत सारी जगहों पर मैं सही से एग्जांपल नहीं दे सकता क्योंकि मेरी खुद की हिंदी बहुत खराब है लेकिन बहुत सारे ऐसे शब्द होते हैं जैसे कंप्यूटर मुझे नहीं पता हिंदी में उसको क्या कहते हैं तो तो ऐसे में हिंदी यूज कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है और ज्यादातर लोग जो हैं वह इसी तरह से कंप्यूटर लिख देते हैं शायद इस तरह से कंप्यूटर लिख देते होंगे मुझे नहीं पता ठीक है तो हिंदी की डेवलपमेंट होना थोड़ा सा बंद हो गया और यह स्टेट की रिस्पांसिबिलिटी थी कि वो हिंदी को डेवलप करें और वो नहीं हुआ तो यह 351 के अंदर रखा हुआ है ये आपको याद रखने हैं कुछ ठीक है इसके साथ हमारे डीपीएसपी भी खत्म अब हम देख लेते हैं फंडामेंटल ड्यूटीज जो कि आर्टिकल 51a के अंदर लाई करती है फंडामेंटल ड्यूटी ओरिजनली हमारे कांस्टिट्यूशन में नहीं थी इसको ऐड किया गया है 1976 के अंदर 42 अमेंडमेंट से 42 अमेंडमेंट से इसको ऐड किया गया है 1976 के अंदर एक कमेटी बनी थी सरदार स्वरण सिंह कमेटी उन्होंने इसकी रिकमेंडेशन दी थी जिसके बाद इसे ऐड किया गया है 11वी ड्यूटी जब 42 अमेंडमेंट से इसको ऐड किया गया था तो यहां पर 10 ड्यूटी दी गई थी 10 ड्यूटी दी गई थी लेकिन जब हमने 86 अमेंडमेंट किया बच्चों को 86 अमेंडमेंट में बच्चों को राइट टू एजुकेशन दिया गया कि 6 से 14 साल के बच्चों को स्कूल दिया जाएगा तब एक ड्यूटी ऐड की गई 11वीं ड्यूटी ऐड की गई जो कहती है कि जो पेरेंट्स या गार्जियंस हैं व अपने बच्चे को स्कूल पहुंचाएंगे ठीक है उनको स्कूल पहुंचाना यह उनकी ड्यूटी है तो यह 11वीं ड्यूटी किसने ऐड की 86 अमेंडमेंट 2002 ने सरदार सोरन सिंह कमेटी से हमने 1976 में इसको कर दिया था अगर कोई इंसान कोई सिटीजन अपनी फंडामेंटल ड्यूटी को फ फुलफिल नहीं करता है तो क्या आप उसको कोर्ट में ले जा सकते हैं आप उसको कोर्ट में नहीं ले जा सकते यह नॉट एनफोर्सेबल है एक क्वेश्चन जो यहां पे बनता है वो यह कि क्या वोट डालना वोट डालना एक फंडामेंटल ड्यूटी है सिटीजन की तो नहीं वोट डालना फंडामेंटल ड्यूटी नहीं है सिटीजनशिप फिर सिटीजन की क्या इनकम टैक्स फाइल करना फंडामेंटल ड्यूटी है एक सिटीजन की वो फंडामेंटल ड्यूटी में नहीं है ठीक है तो जब आप मेंस के लिए पढ़ेंगे सिविल सर्विसेस के लिए अगर कोई पढ़े मेंस में हम यह देखते हैं कि फंडामेंटल ड्यूटी की शॉर्ट कमिंग में आता है कि वोट डालना और इनकम टैक्स डालना यह बहुत इंपॉर्टेंट चीजें हैं और इनको अभी तक हमने ड्यूटी नहीं बनाया है सिटीजंस की ठीक है बाकी अभी हम यहां पर वो नहीं जाएंगे एनालिसिस में ठीक है इन सबके बाद 51 तक आपको आर्टिकल नंबर से याद होना चाहिए इसके बाद अब हम एग्जीक्यूटिव पर जाएंगे जो नोट्स हम अपनी इस वीडियो के अंदर यूज करेंगे वो हैंड रिटन नोट्स है एम लक्ष्मीकांत से अगर आप हमारे वो नोट्स लेना चाहते हैं तो उसका लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा वीडियो अगर आपको पसंद आ रही है तो लाइक करना ना भूले दोस्तों के साथ शेयर करें और चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें हमने आर्टिकल 51 तक देख लिया अब हमें एग्जीक्यूटिव देखने है 51a जो है व फंडामेंटल ड्यूटीज है यह भी हम ऑलरेडी देख चुके हैं 51 के बाद से आपके चालू होते हैं यूनियन एग्जीक्यूटिव के आर्टिकल्स यूनियन एग्जीक्यूटिव का मतलब इन लोगों की बात होगी जो कि लॉज को इंप्लीमेंट करते हैं लॉज को इंप्लीमेंट कौन लोग करते हैं उनकी बातें होंगी ठीक है एग्जीक्यूटिव पहले है लेजिस्लेटर बाद में आएगा तो आर्टिकल 52 बात करता है सबसे बड़े एग्जीक्यूटिव की यानी कि प्रेसिडेंट की आर्टिकल 52 कहता है कि एक प्रेसिडेंट हमारे देश में हर टाइम पर होगा ऐसा कोई भी समय नहीं होगा जब इंडिया के अंदर प्रेसिडेंट नहीं है अगर प्रेसिडेंट बीमार है या फिर किसी वजह से उनकी डेथ हो जाती है या ऑफिस में वह नहीं नहीं है तो फिर वाइस प्रेसिडेंट यहां पर बैठे होंगे अगर वाइस प्रेसिडेंट भी नहीं है प्रेसिडेंट भी नहीं है तो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यह कन्वेंशन है यह कॉन्स्टिट्यूशन में नहीं लिखा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनेंगे या बाय कन्वेंशन सीजेआई जो है वो प्रेसिडेंट का रोल कर रहे होंगे पर हर समय कोई ना कोई प्रेसिडेंट हमारे देश के अंदर जरूर होगा तो इसीलिए आर्टिकल 52 कहता है देयर शैल बी अ प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया सिर्फ एक सिंपल सी बात कहता है कि एक प्रेसिडेंट इंडिया में होगा 53 कहता है कि ये जो प्रेसिडेंट है प्रेसिडेंट जितनी भी एग्जीक्यूटिव पावर है हमारे दे हमारे देश की सेंटर की जो एग्जीक्यूटिव पावर है वह प्रेसिडेंट की है प्रेसिडेंट के नाम पे ही एग्जीक्यूटिव सारे के सारे एक्शन लेंगे तो एग्जीक्यूटिव पावर किसमें वेस्टेड है एग्जीक्यूटिव पावर वेस्टेड है प्रेसिडेंट के अंदर और इसके साथ-साथ जो प्रेसिडेंट है वह सुप्रीम कमांडर है डिफेंस फोर्सेस का तो प्रेसिडेंट क्या है एग्जीक्यूटिव पावर सारी की सारी प्रेसिडेंट में वेस्टेड है और जो सुप्रीम कमांड है डिफेंस फोर्सेस की व प्रेसिडेंट के पास है तो बात यह आती है कि सारी की सारी एग्जीक्यूटिव पावर जो है व प्रेसिडेंट के पास वेस्टेड है तो प्रेसिडेंट इस पावर को एक्सरसाइज कैसे करेगा या तो वो खुद करेगा डायरेक्टली या फिर अपने सबोर्डिनेट्स के थ्रू करेगा इसके नीचे जो लोग आते हैं तो वहीं पे ही आपको पीएम देखने को मिलेंगे और मिनिस्टर्स देखने को मिलेंगे तो सारी की सारी पावर प्रेसिडेंट के पास है और ज्यादातर वो पावर एक्सरसाइज की जाती है इनके सबोर्डिनेट्स के थ्रू ठीक है डायरेक्टली कहां पे होती है वो थोड़ा बहुत ही उनका रोल है उसके बारे में आपको ज्यादा नहीं जानना तो 52 कहता है कि एक प्रेसिडेंट होगा और 53 कहता है कि एग्जीक्यूटिव पावर प्रेसिडेंट में वेस्टेड होगी और वो उस पावर को एक्सरसाइज करेंगी इदर डायरेक्टली और थ्रू सबोर्डिनेट्स एग्जीक्यूटिव पावर के साथ-साथ वो सुप्रीम कमांड होंगे डिफेंस फोर्सेस की 52 और 53 हो गया 54 में बात करता है कि आखिर प्रेसिडेंट चुने कैसे जाएंगे तो प्रेसिडेंट को चुनने के लिए जैसे जब भी आप लोग अपने किसी कंसीट एंसी में वोट देते हैं अपने किसी एमएलए को या फिर एमपी को चुनने के लिए आप वोट देते हैं तो आपके एरिया को ऐसे-ऐसे कंसीट एंसी में डिवाइड किया जाता है और आप जाते हैं आप लोग जो हैं आप वोटर होते हैं आप जाते हैं और वोटिंग डालते हैं प्रेसिडेंट के इलेक्शन में आप वोटिंग नहीं डालते प्रेसिडेंट के इलेक्शन में कौन वोटिंग डालता है प्रेसिडेंट के इलेक्शन में वोटिंग डालते हैं सारे के सारे एमपी वो एमपी जो कि इलेक्टेड हैं जो कि इलेक्टेड हैं एमपीज जो होते हैं मेंबर ऑफ पार्लियामेंट जो होते हैं वो या तो इलेक्ट होके पहुंचे होते हैं यानी कि किसी ना किसी तरह से वोट दे वोट लेके पहुंचे होंगे या फिर उनको नॉमिनेट किया जाता है यह हम लेजिसलेच्योर किया जाता है और किन्हें इलेक्ट किया जाता है ठीक है लेकिन प्रेसिडेंट के इलेक्शन में केवल और केवल इलेक्टेड एमपीज जो हैं वो वोट देंगे प्लस में इलेक्टेड एमएलए जो हैं एमएलए जो हैं इलेक्टेड वो वोट देंगे नॉमिनेटेड लोग वोट नहीं देते हैं प्रेसिडेंट के इलेक्शन में यह आपको याद रखना है तो प्रेसिडेंट का इलेक्शन में वोट देने के लिए जो जो लोग एलिजिबल हैं उनका एक इलेक्टोरल कॉलेज बनता है और कौन से लोग एलिजिबल हैं इलेक्टोरल कॉलेज में आने के लिए एमपी और एमएलए जो कि इलेक्टेड हैं ठीक है फिर 55 में आता है मैनर ऑफ इलेक्शन कि इलेक्शन कैसे होगा इलेक्शन कराने के लिए दो प्रिंसिपल फॉलो किए जाते हैं पहला प्रिंसिपल तो यह कि जो स्टेट्स हैं स्टेट्स की जो रिप्रेजेंटेशन होगी उसको यूनिफॉर्म रखने की कोशिश की जाएगी पहला ठीक है तो यह ढेर सारी स्टेट्स हैं मान लीजिए ठीक है और यह यह यूनियन है यूनियन गवर्नमेंट है यहां पे ठीक है तो आपने क्या देखा कौन-कौन वोटिंग कर रहा है वोटिंग कर रहे हैं सारे के सारे एमएलए जो कि इलेक्टेड हैं सारे के सारे एमपी जो कि इलेक्टेड हैं ठीक है तो हम यह कोशिश करते हैं कि सारे स्टेट्स जो हैं उनकी रिप्रेजेंटेशन यूनिफॉर्म हो दूसरा हम यह कोशिश करते हैं कि यह जो यह जो यूनियन वालों की रिप्रेजेंटेशन है वह और बाकी सारे स्टेट्स की मिला के बाकी सारे स्टेट्स की मिला के जो रिप्रेजेंटेशन है वो इन दोनों के बीच में पैरि हो तो स्टेट्स के बीच में यूनिफॉर्म होनी चाहिए स्टेट्स और यूनियन के बीच में सारी की सारी स्टेट्स को मिलाकर और यूनियन के बीच में एक पैरि होनी चाहिए यह जो स्टेटमेंट है यहां से आपके कुछ क्वेश्चन बनते हैं जो कि काफी ट्रिकी क्वेश्चन है पहला तो यह कि हमारा कांस्टिट्यूशन कहता है कि स्टेट्स की जो रिप्रेजेंटेशन है वो यूनिफॉर्म होगी तो इसका क्या मतलब है क्या इसका मतलब यह है कि यूपी के जो इलेक्टेड एमएलए हैं वो जितने वोट देंगे वह बराबर होंगे सिक्किम के इलेक्टेड एमएलएस के बराबर तो ऐसा नहीं है यह इसका मतलब नहीं है रिप्रेजेंटेशन यूनिफॉर्म जो करते हैं वह करते हैं पॉपुलेशन के बेसिस पे कि जो पॉपुलेशन जिसकी पॉपुलेशन ज्यादा है उसको ज्यादा वोट मिल जाते हैं इसका तरीका कैसे निकालते हैं तरीका ऐसे निकालते हैं कि हर एक स्टेट की पॉपुलेशन ली जाती है मान लीजिए हमें ये जानना है कि यूपी के जो इलेक्टेड एमएलए हैं जब वो वोट करेंगे तो उनके वोट की क्या वैल्यू होगी जब यूपी के इलेक्टेड एमएलए वोट करेंगे तो उनकी क्या वैल्यू होगी वो कैसे निकालते हैं हम यूपी की पॉपुलेशन लेते हैं उस पॉपुलेशन को डिवाइड कर देते हैं यूपी के जितने भी इलेक्टेड एमएलए हैं उससे जो भी इसका आंसर आता है उस आंसर को 1000 से और डिवाइड किया जाता है 1000 से और डिवाइड किया जाता है अब जो वैल्यू आती है मान लीजिए वैल्यू आई यहां पे यूपी की वैल्यू हम मान लेते हैं 280 के आसपास कुछ आती है या 200 208 के आसपास ठीक है तो यूपी का हर एक एमएलए जो है उसके एक-एक वोट की वैल्यू कितनी होगी 208 उसके एक-एक वोट की वैल्यू हो जाएगी ठीक है तो यूपी की ये एमएलए के वोट की वैल्यू किस पर डिपेंड कर रही है यह डिपेंड कर रही है यूपी की पॉपुलेशन के ऊपर अब हम एक एग्जांपल और देख लेते हैं सिक्किम का सिक्किम का या चलिए अरुणाचल प्रदेश का देख लेते हैं अरुणाचल प्रदेश में अरुणाचल प्रदेश के लोगों की पॉपुलेशन निकाली जाएगी उसकी पॉपुलेशन लेंगे और अरुणाचल प्रदेश के जितने भी इलेक्टेड एमएलएस हैं उससे डिवाइड कर दिया जाएगा जो आंसर आएगा उसको 1000 से डिवाइड कर दिया जाएगा और इसके बाद जो वैल्यू आती है अरुणाचल प्रदेश की वो वैल्यू आती है सिर्फ और सिर्फ आठ आठ ठीक है तो एक क्वेश्चन क्योंकि ये स्टेटमेंट कहती है कि स्टेट्स की रिप्रेजेंटेशन यूनिफॉर्म होगी तो यूपीएससी ने क्वेश्चन क्या पूछ लिया यूपीएससी ने क्वेश्चन ये पूछ लिया कि हर एक स्टेट के जो एमएलएस हैं एमएलए के वोट की वैल्यू सेम होगी तो आप इसका आंसर गलत कर देंगे जो एमएलए के वोट की वैल्यू है वो डिपेंड करेगा उस स्टेट की पॉपुलेशन के ऊपर और उस स्टेट में कितने इलेक्टेड एमएलए हैं उसके ऊपर ज्यादातर आप ये देख के चलेंगे कि जो बड़ी स्टेट होती है जो लार्जर स्टेट होती हैं वहां से ज्यादा वोट निकलते हैं एज कंपेयर टू स्मॉलर स्टेट्स स्मॉलर स्टेट से कम वोट आपको मिलेंगे दूसरा सवाल जो आप से पूछ लेंगे वो ये पूछ लेंगे कि ये तो एमएलए एक एमएलए के वोट की वैल्यू है अगर हम सारे एमएलए के वोट मिला ले यूपी के तो क्या वह बराबर होंगे सारे एमएलए के वोट जो कि अरुणाचल प्रदेश में होंगे तो यह भी गलत स्टेटमेंट है ठीक है एक एमएलए की वोट की वैल्यू हमने निकाल ली 208 और आठ आई है अगर हम यूपी के सारे एमएलएस की वोटिंग वैल्यू को ऐड कर देंगे तो वो आती है आपकी वो आती है आपकी लगभग 83000 के आसपास 83000 के आसपास जहां तक मुझे याद है 83000 के आसपास आती है और वहीं पर अरुणाचल प्रदेश के सारे एमएलएस इलेक्टेड एमएलएस के वोट की वैल्यू को अगर हम ऐड कर देंगे तो वह आती है केवल और केवल 480 के आसपास ठीक है तो आप क्या देख सकते हैं यह सब आपको याद रखने की जरूरत नहीं है कि कितनी वैल्यू आती है सिर्फ एक आईडिया के लिए बता रहा हूं देखिए एक स्टेट में एमएलए के वोट की वैल्यू हम कैसे निकालेंगे उस स्टेट की पॉपुलेशन को उस स्टेट के सारे के सारे इलेक्टेड एमएलए से डिवाइड करेंगे और फिर जो वैल्यू आएगी उसको 1000 से डिवाइड कर देंगे तो पॉपुलेशन बाय में इलेक्टेड एमएलएस और जो वैल्यू आई उसको 1000 से डिवाइड कर दिया ठीक है और जो भी आया वो उसके वोट की वैल्यू हो जाएगी पहला तो यह हो गया अगर सवाल आता है कि एक स्टेट में एक स्टेट में सिर्फ यूपी के अंदर जितने भी इलेक्टेड एमएलए हैं सबके वोट की सेम वैल्यू होगी सही स्टेटमेंट है ठीक है दूसरी स्टेटमेंट क्या देता हूं मैं दूसरी स्टेटमेंट में यह देता हूं कि यूपी के एमएलए के वोट की जो वैल्यू होगी वह बराबर होगी अरुणाचल प्रदेश के एमएलए के वोट की वैल्यू के बराबर यह स्टेटमेंट गलत है वह बराबर नहीं होगी ठीक है यूपी के यूपी की वोट की जो वैल्यू है सारे एमएलए की अगर मैं ऐड कर दूं तो क्या वह बराबर होगी अरुणाचल प्रदेश के सारे एमएलएस की वोट की वैल्यू के बराबर तो वह बराबर नहीं होगी ठीक है तो यह कुछ क्वेश्चंस बनते हैं जिस परे यूपीएससी दो-तीन बार बच्चों को फंसा चुका है तो यहां पे फसना नहीं है दूसरा आप क्या याद करेंगे दूसरा आप ये याद करेंगे स्टेटमेंट है पैरि होनी चाहिए स्टेट्स और यूनियन के बीच में यानी कि कोशिश यह की जाएगी कि जहां तक संभव हो सके वहां तक सारी की सारी स्टेट्स के जो इलेक्टेड एमएलएस हैं उन सबके वोट की वैल्यू को ऐड कर लिया जाएगा वोट की वैल्यू को ऐड कर लिया जाएगा ठीक है यह सारे वोट की वैल्यू को ऐड कर लिया फिर इसको डिवाइड कर दिया जाएगा जितने भी इलेक्टेड एमएलएस हैं इलेक्टेड सॉरी जितने भी इलेक्टेड एमपीज हैं उससे एमपीज क्योंकि यूनियन की बात हो रही है ना तो इससे क्या आ जाएगा इससे हमारे पास वैल्यू आ जाएगी कि एक एमपी के वोट की कितनी वैल्यू है एक एमपी के वोट की कितनी वैल्यू है यह हमें निकल के मिल जाएगा ठीक है मैं इसको एक और एग्जांपल से आपको समझाता हूं समय इसलिए लगा रहा हूं क्योंकि इस पे ट्रिकी क्वेश्चन आया था तो यहां पे इसलिए बता रहा हूं मान लीजिए इंडिया के अंदर सारे के सारे एमएलए के वोट की वैल्यू हम मान लेते हैं 100 आई ठीक है इंडिया के अंदर सारे के सारे इलेक्टेड एमपीज की बात हो रही है ये एमएलए ये एमपी इलेक्टेड एमपी हैं 10 तो हर एक एमपी के वोट की कितनी वैल्यू होगी वो हम कैसे निकालेंगे सारे के सारे एमएलए के वोट्स की जो वैल्यू आई इलेक्टेड एमएलएस के वोट की वैल्यू जो आई उसको हम डिवाइड कर देंगे इलेक्टेड एमपी से 10 तो एक एमएलए के वोट की वैल्यू आ गई 10 ठीक है तो इससे क्या हुआ इससे यह हो जाता है देखिए एक एमपी 1 एमपी के वोट की वैल्यू है 10 एक एमपी के वोट की वैल्यू है 10 तो 10 एमपी के वोट की वैल्यू कितनी हो जाएगी 10 * 10 यानी कि 10 * 10 यानी कि 100 तो सारे एमपी के वोट की वैल्यू कितनी हो गई 100 सारे एमएलए के वोट की वैल्यू कितनी हो गई 100 तो इसका मतलब यह है कि स्टेट्स और यूनियन के बीच में पैरि का मतलब यह है कि सारी की सारी स्टेट्स के इलेक्टेड एमएलएस के जो वोट की वैल्यू होगी वही टोटल सारे के सारे इलेक्टेड एमपीज के वोट की वैल्यू हो जाएगी ठीक है समझ गए अब इसी एग्जांपल में देखिए सारे के सारे इलेक्टेड एमएलएस के वोट की वैल्यू है 100 सारे के सारे इलेक्टेड एमएलएस के वोट की वैल्यू है 100 हमारे एमपीज हैं आठ मान लेते हैं आपके लोकसभा के एमपी हैं और दो मान लेते हैं राज्यसभा के एमपी हैं एमपी लोकसभा राज्यसभा दो होती हैं ठीक है तो ये 100 वैल्यू आई हमारे टोटल एमपी कितने हैं 10 आठ लोकसभा के और दो राज्यसभा के तो एक एमपी के वोट की वैल्यू कितनी आती है 100 एमएलए की जितनी वैल्यू थी वो डिवाइडेड बाय 10 तो कितनी आ गई 10 तो एक एमपी के वोट की वैल्यू आ गई 10 तो अब लोकसभा के एमपीज की वैल्यू कितनी हो गई 80 और राज्यसभा के एमपीज की वैल्यू कितनी आ गई 20 तो क्या हम यह कह सकते हैं कि प्रेसिडेंट के इलेक्शन में लोकसभा की वैल्यू ज्यादा है एज कंपेयर टू राज्यसभा तो यह बिल्कुल सही स्टेटमेंट होगा तो ये कुछ चीजें हैं जो कि आपको इस आर्टिकल से कांसेप्चुअल क्वेश्चन जो यूपीएससी पूछ रहा है एक दो सालों से वो यहां से आपका क्लियर हो जाएगा दूसरा जो प्रेसिडेंट का इलेक्शन होता है देखिए अभी तक हमने क्या देखा पहला तो आर्टिकल 52 था जो कहता है कि एक प्रेसिडेंट होगा 53 कहता है कि एग्जीक्यूटिव की पावर प्रेसिडेंट में होगी सुप्रीम कमांड आर्म्ड फोर्सेस की प्रेसिडेंट में होगी 54 कहता है कि इलेक्शन के लिए एक इलेक्टोरल कॉलेज बनेगा इस इलेक्टोरल कॉलेज में कौन होगा इसके अंदर सारे वो लोग होंगे जो प्रेसिडेंट के इलेक्शन में वोट दे सकते हैं और ऐसे कौन से लोग हैं जो प्रेसिडेंट के इलेक्शन में वोट दे सकते हैं वो है इलेक्टेड इलेक्टेड एमपीज एमपी चाहे लोकसभा का हो चाहे राज्यसभा का बस वो इलेक्टेड होना चाहिए नॉमिनेटेड नहीं होना चाहिए प्लस में इलेक्टेड एमएलएस 54 55 में मैनर बताया गया है कि किस मैनर में लेशन होगा तो यह पैरि मैं आपको समझा चुका हूं दूसरा इलेक्शन जो होगा वो प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन बाय एसटीवी एसटीवी है सिंगल ट्रांसफरेबल वोट ठीक है इसकी शॉर्ट फॉर्म है दो-तीन जगह पे आती है इसलिए मैंने लिख लिया पीआर का मतलब है प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन ठीक है एसटीवी का मतलब है सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिंगल ट्रांसफरेबल वोट तो ये कैसे काम करता है मान लीजिए किसी प्रेसिडेंट के इलेक्शन में अच्छा प्रेसिडेंट के इलेक्शन में कौन खड़ा हो सकता है यह भी आपको जानना है प्रेसिडेंट के इलेक्शन में कोई भी खड़ा हो सकता है बशर्ते कम से कम 50 लोग उसको उसके नाम को प्रपोज करें 50 लोग जो है उसके नाम को प्रपोज करें और 50 लोग उसके नाम को सेकंड करें अच्छा और यह जो 50 लोग प्रपोज और सेकंड करने वाले हैं यह कौन होंगे यह इलेक्टोरल कॉलेज के मेंबर होने चाहिए यानी कि इलेक्टेड एमपी या एमएलए जो हैं 50 इलेक्टेड एमपी या एमएलए अगर किसी आदमी का नाम प्रपोज करते हैं फिर उसके उस के बाद 50 और एमपी और एमएलए उस आदमी के नाम पे अपनी मोहर लगा देते हैं तो वो आदमी जो है वह प्रेसिडेंट के इलेक्शन में खड़ा हो सकता है उसको ₹1 ज की सिक्योरिटी जमा करानी होती है इलेक्शन में खड़ा होने के लिए ठीक है तो प्रपोजर और सेकें पर कितने होते हैं 50 50 होते हैं ठीक है तो मान लीजिए चार आदमी प्रेसिडेंट के इलेक्शन में खड़े हैं ए बी सी डी तो ये जो इलेक्टोरल कॉलेज बना है जिसमें इलेक्टेड एमपीज और एमएलए आते हैं वो वोटिंग कैसे करेंगे वो वोटिंग करेंगे इन चार के लिए वो अपनी प्रेफरेंस लिखेंगे मान लीजिए एक एमएलए ने अपनी प्रेफरेंस दी कि मैं चाहता हूं कि ए बने अगर ए नहीं बन पाता तो बी बन जाए बी नहीं बन पाता तो सी बने सी नहीं बनता तो डी बन जाए ठीक है ऐसे प्रेफरेंस दे दी दूसरे एमएलए ने क्या दी उसने कहा कि पहले बी बने बी नहीं बनता तो ए बन जाए ए नहीं बनता तो सी बन जाए सी नहीं बनता तो डी बन जाए ऐसे ही तीसरे ने कोई अपनी चॉइस दी होगी तो इस तरह से मान लीजिए ऐसे करके सबने वोट दे दिया फिर उसके बाद काउंटिंग होती है काउंटिंग किसकी होती है फर्स्ट प्रेफरेंस की हर वोट में जो फर्स्ट प्रेफरेंस है उसको काउंट कर लिया जाता है फर्स्ट प्रेफरेंस को काउंट करके यह देखते हैं कि कौन जीत रहा है और कौन हार रहा है तो मान लीजिए ए को वोट मिले 50 पर सॉरी ए को वोट मिले 40 पर बी को वोट मिले मान लेते हैं 30 पर सी को वोट मिले 20 पर और डी को वोट मिले 10 पर तो यहां पे जब हमने हर एक वोट की पहली प्रेफरेंस को काउंट किया तो हमें पता चलता है कि ए को 40 पर बी को 30 सी को डी और सी को 20 और डी को 10 पर वोट मिले तो अब क्या किया जाता है इसमें से जो सबसे लास्ट आया है उसको उस कैंडिडेट को हटा दिया जाता है भाई तू तो प्रेसिडेंट किसी हालत में नहीं बन रहा तू जा अपने घर सो तो ये चला जाता है अपने घर सो इसको 10 पर वोट मिले थे इसका मतलब यह है कि 10 पर एमएलए ने इसको अपनी फर्स्ट प्रेफरेंस रखा होगा 10 पर लोग ऐसे रहे होंगे जिसने इसको सॉरी डी को फर्स्ट प्रेफरेंस रखा होगा डी को फर्स्ट प्रेफरेंस रखा होगा 10 पर लोगों ने अब डी जो है वो रेस में है ही नहीं तो यह जो 10 पर लोगों के वोट होते हैं इनको हम फेंकते नहीं है हम इनके वोट में से डी को हटा देते हैं इनको हटा देते हैं अब इनकी सेकंड प्रेफरेंस देखी जाती है मान लीजिए इसकी सेकंड प्रेफरेंस बी थी इसकी ए थी इसकी सी थी इसकी डी थी तो ये जो बी है इसको हम जोड़ देते हैं इसके अंदर जो सेकंड प्रेफरेंस है वो इसमें जुड़ गई ये जो है ये इसमें जुड़ जाती है सी वाली इसमें जुड़ जाती है ये बी वाली फिर से बी में जाके जुड़ गई अब क्या होगा जो डी को ये 10 पर वोट मिले डी तो रेस से बाहर है यह जो 10 पर लोगों ने वोट दी थी इन 10 पर लोगों की जो सेकंड चॉइस होगी उन सेकंड चॉइस में यह वोट जुड़ जाएंगे ठीक है तो मान लीजिए फिर उसके बाद जो दूसरी काउंटिंग हुई उसके अंदर वोटिंग निकल के आती है एक को मिल गए 48 पर बी को मिल गए 32 पर सी को मिल गए मान लीजिए सी को रहे फिर से 20 पर के आसपास ही ठीक है तो इस तरह से वोटिंग हुई अब क्या कहते हैं सी को रेस से बाहर कर कर देंगे सी को रेस्ट से बाहर कर दिया जाएगा और इसको जितने लोगों ने वोट दिया था उनकी लिस्ट में से सी को हटा देंगे और उसके नीचे वाले के जो वोट हैं वो यहां पे जुड़ जाएंगे ठीक है तो यह होता है कि एक एक सिंगल बार इलेक्शन होता है एक सिंगल बार इलेक्शन होता है और उस सिंगल बार में जो कैंडिडेट वोटिंग सॉरी जो लोग वोट दे रहे हैं जो वोटर्स हैं इलेक्टोरल कॉलेज के लोग वो अपनी प्रेफरेंस बता देते हैं कि हम चाहते हैं कि पहले नंबर पे यह बने अगर यह नहीं बन पाता तो यह बने अगर यह नहीं बन पाता तो ये बने तो सिंगल वोट सिंगल टाइम वोटिंग होती है और जो वो वोटिंग होती है वो ट्रांसफरेबल होती है यानी कि अगर उनका कैंडिडेट पहली बार काउंटिंग में बाहर हो गया तो उनकी जो सेकंड प्रेफरेंस थी सेकंड प्रेफरेंस को उनके वोट चले जाएंगे फिर मान लीजिए इनकी फिर मान लीजिए कि एक और बंदा बाहर हो गया तो जो थर्ड प्रेफरेंस वाले थे उनके पास वोट चले जाएंगे तो इस तरह वोट जो है वो जाते रहते हैं और कब तक जाते रहते हैं ये तब तक जाते रहते हैं जब तक कि किसी एक कैंडिडेट को 50 पर प्लस वन वोट ना मिल जाए मेजॉरिटी ना मिल जाए ठीक है तो इतना भले ही आपको यह कांसेप्ट समझ में ना आया हो आप इतना याद कर ले प्रेसिडेंट का इलेक्शन होता है प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन बाय सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिंगल ट्रांसफरेबल वोट के अंदर क्या होता है हर एक इलेक्टर एक आदमी को वोट नहीं देता है वो अपनी प्रेफरेंस बताता है अपनी चॉइस बताता है कि मैं चाहता हूं मैं पहले तो चाहता हूं कि ए बने ए नहीं बनता तो बी बी नहीं बनता तो सी सी नहीं बनता तो डी इस तरह से वो चॉइस बताता है और फिर इनकी वोटिंग को बार-बार काउंट किया जाता है कब तक काउंट करते हैं जब तक कि किसी एक कैंडिडेट को 50 पर से ज्यादा वोट वोट ना मिल जाए ठीक है तो यह मैं आपको बता चुका हूं तरीके प्रेसिडेंट का इलेक्शन जो है वोह सीक्रेट बैलेट में होता है तो आपको क्या याद रखना है एक तो इलेक्टोरल कॉलेज याद करना है दूसरा आपको प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन बाय सिंगल ट्रांसफरेबल वोट ये वर्ड याद रखने है और जो भी आपको थोड़ा बहुत समझ में आया उतने से ही आपका काम चल जाएगा फिर आपको याद करना है कि एमएलए की वैल्यू कैसे निकालते हैं एमपी की वैल्यू कैसे निकालते हैं और इनसे जुड़े हुए कांसेप्ट जो मैं आपको बता चुका हूं ये यह भी मैं बता चुका हूं कितने लोग प्रपोज करेंगे प्रेसिडेंट के इलेक्शन के लिए 50 इलेक्ट ट जो है वो प्रपोज करते हैं और 50 इलेक्टर जो हैं वो सेकंड करते हैं वाइस प्रेसिडेंट के इलेक्शन में यह वैल्यू 202 हो जाती है कि 20 लोग प्रपोज करेंगे और 20 लोग सेकंड करेंगे ठीक है ₹1 ज प्रेसिडेंट को जमा करने पड़ते हैं जो भी कैंडिडेट जो भी कैंडिडेट प्रेसिडेंट के इलेक्शन के लिए लड़ेगा वो ₹1 ज जमा कराता है अगर इस कैंडिडेट को / सिथ वोट नहीं मिलते तो इसके ये पैसे जप्त हो जाते हैं ये 4 फीट हो जाते हैं स्पेलिंग गलत है ठीक है तो स्पेलिंग आप चेक कर लीजिएगा ये इनके जो पैसे हैं ये 4 फीट हो जाते हैं यह बहुत ही इंपॉर्टेंट पॉइंट है जो यूपीएससी 10-20 बार पूछ चुका है प्रेसिडेंट के इलेक्शन से जुड़ा हुआ कोई भी डिस्प्यूट हो प्रेसिडेंट से प्रेसिडेंट के इलेक्शन से जुड़ा कोई भी डिस्प्यूट हो वह डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट में जाता है यह आपको याद रखना है प्रेसिडेंट के इलेक्शन के जो भी लड़ाई होगी वह सुप्रीम कोर्ट देखेगा एक बार प्रेसिडेंट चुन गए तो 5 सालों के लिए आप चुन जाते हैं और आप तब तक ऑफिस में कंटिन्यू करते हैं जब तक कि आपका सक्सेसर ना आ जाए तो मान लीजिए कोई आदमी था वह यहां पे उस उसके 5 साल खत्म हो रहे थे लेकिन उसका जो सक्सेसर है व यहां तक यहां पे यहां पे जॉइन करता है तो यह वाला जो पीरियड है इस पीरियड में क्या होगा इस पीरियड में भी वो जो प्रेसिडेंट है वो कंटिन्यू करता रहेगा ठीक है क्यों क्योंकि आर्टिकल 52 कहता है देयर शैल बी अ प्रेसिडेंट एक प्रेसिडेंट हमेशा रहेगा तो 5 साल की भले ही उसकी टर्म खत्म हो गई हो पर वो ऑफिस से कब निकलेगा जब उसका सक्सेसर ऑफिस के अंदर आ जाएगा तो अगर बीच में एक दो महीने का समय एक दो हफ्ते का समय होता है तो उस समय में भी पुराना प्रेसिडेंट काम करता रहता है प्रेसिडेंट रिजाइन कर सकता है और प्रेसिडेंट किसको रिजाइन करता है वाइस प्रेसिडेंट को रिजाइन करता है प्रेसिडेंट को रिमूव भी किया जाता है रिमूव कैसे करते हैं प्रेसिडेंट को रिमूव करने के प्रोसेस को इंपीच मेंट कहते हैं यह टेक्निकल टर्म है कांस्टीट्यूशनल टर्म है प्रेसिडेंट को जब भी रिमूव किया जाएगा तो इंपीच मेंट होती है सिर्फ और सिर्फ प्रेसिडेंट की इंपीच मेंट होती है और किसी भी ऑफिसर की इंपीच मेंट नहीं होती तो प्रेसिडेंट की इंपीच मेंट होती है जिसके बारे में हम आर्टिकल 61 में पढ़ेंगे प्रेसिडेंट को सिर्फ एक ही ग्राउंड पे किया जा सकता है अपनी सीट से हटा सकते हैं और व ग्राउंड क्या है कि प्रेसिडेंट ने कांस्टिट्यूशन को वायलेट किया हो कांस्टिट्यूशन की वायलेशन अगर प्रेसिडेंट ने की है तो ही प्रेसिडेंट को हटाया जा सकता है प्रेसिडेंट को कब हटाया जाएगा जब उसने कांस्टिट्यूशन की वायलेशन की हो एक बार प्रेसिडेंट चुना है तो वह दूसरी बार भी चुना जा सकता है तो इंडिया के अंदर प्रेसिडेंट के रीइलेक्शन पर कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं है इतना इंपॉर्टेंट नहीं है ये कौन प्रेसिडेंट चुना जा सकता है कोई भी इंडिया का सिटीजन कोई भी इंडिया का सिटीजन जो कि 35 साल का हो चुका है और लोकसभा का मेंबर बनने के लिए एलिजिबल है वो प्रेसिडेंट बन सकता है ठीक है कोई भी इंडिया का सिटीजन जो कि 35 साल का हो चुका है और लोकसभा का मेंबर बनने के लिए एलिजिबल है वो प्रेसिडेंट बन सकता है लेकिन अगर वह लोकसभा का मेंबर है तो उसको अपने लोकसभा की सीट देनी पड़ेगी सिर्फ ये एलिजिबिलिटी की बात करता है क्वालिफिकेशन की बात करता है ठीक यानी कि अगर आप लोकसभा का इलेक्शन लड़ सकते हो 35 साल के हो और सिटीजन हो तो आप प्रेसिडेंट का भी इलेक्शन लड़ सकते हो ठीक है एक कंडीशन इसके अंदर यह है कि प्रेसिडेंट कोई भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट होल्ड नहीं करेगा सिवाय प्रेसिडेंट के अलावा प्रेसिडेंट जब तक प्रेसिडेंट है तब तक वह कहीं और से कोई और ऑफिस ऑफ प्रॉफिट होल्ड नहीं करेगा जहां से उसको प्रॉफिट मिलता हो वह होल्ड नहीं करेगा 59 आर्टिकल क्या कहता है 59 आर्टिकल यह कहता है कि अगर कोई प्रेसिडेंट बना है तो यह देख लेना कि कहीं वह एमपी या एमएलए तो नहीं है अगर अगर वो एमपी या एमएलए था पहले और वह अब प्रेसिडेंट चुन गया है तो जिस दिन वह अपने ऑफिस के अंदर घुसेगा उसे अपनी यह माना जाएगा कि उसने अपनी एमपी और एमएलए की सीट खाली कर दी है अगर कोई एमपी या एमएलए प्रेसिडेंट चुना जाता है तो जिस दिन वह अपने ऑफिस के अंदर घुसेगा उस दिन यह मान लिया जाएगा जिस दिन वो ऑफिस में घुसेगा उस दिन यह मान लिया जाएगा कि उसने अपनी एमपी या एमएलए की जो सीट थी उसको खाली कर दिया है प्रेसिडेंट जो है वह ऑफिस ऑफ प्रॉफिट होल्ड नहीं कर सकता है प्रेसिडेंट अपने घर को उसका जो घर है वही उसका ऑफिस है इसीलिए कहा जाता है ऑफिशियल रेजिडेंस प्रेसिडेंट प्रेसिडेंट जो है वह अपने ऑफिशियल रेजिडेंस को यूज कर सकता है बिना रेंट की पेमेंट के प्रेसिडेंट से तुम रेंट नहीं लोगे कि भैया तू राष्ट्रपति भवन में रह रहा है चल निकाल इसका किराया तो किराया नहीं लोगे आप प्रेसिडेंट के जितने भी इमोल मेंट्स अलोंस और प्रिविलेजेस हैं वो कहां लिखे हैं सेकंड शेड्यूल में जो हम ऑलरेडी देख चुके हैं ठीक है आर्टिकल 60 क्या कहता है 6वा आर्टिकल क्या कहता है कि प्रेसिडेंट को ओथ कौन दिलाएगा डेंट को ओथ दिलाएगा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया अगर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया प्रेजेंट नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट का जो भी सबसे सीनियर जज होगा वो प्रेसिडेंट को ओथ दिलाएगा ठीक है तो प्रेसिडेंट का इलेक्शन एक बार बहुत तेजी से देख लेते हैं प्रेसिडेंट के इलेक्शन के लिए एक इलेक्टोरल कॉलेज बनेगा जिसके अंदर सारे इलेक्टेड एमपीज और एमएलए वोटिंग करेंगे प्रेसिडेंट चुने जाने के लिए यह जो इलेक्टोरल कॉलेज बना है इस इलेक्टोरल कॉलेज के 50 लोग किसी भी कैंडिडेट का नाम प्रपोज करेंगे और 50 लोग उस का नाम सेकंड करेंगे तो ही वह कैंडिडेट जो है प्रेसिडेंट का इलेक्शन में खड़ा हो सकता है खड़े होने के लिए उसको ₹1500000 से डिवाइड कर दिया सारे के सारे स्टेट के एमएल ए की वैल्यूज को ऐड कर दिया जाएगा और सारे के सारे इलेक्टेड एमएलएस के जो वोट की वैल्यू आई है उस वोट की वैल्यू को डिवाइड कर देंगे इलेक्टेड एमपीज के नंबर से तो उससे हमें एक एमपी कितना वोट दे सकता है उसकी वैल्यू मिल जाएगी राज्यसभा के पास कम वोट की वैल्यू होती है लोकसभा के पास ज्यादा वोट की वैल्यू होती है हर एक एमपी की वोट की वैल्यू बराबर है क्योंकि लोकसभा में ज्यादा एमपी है इसीलिए उसके वोट की वैल्यू ज्यादा हो जाती है जो अभी आगे देखेंगे हम ठीक है बड़ी स्टेट के पास लार्जर स्टेट के पास वोट की वैल्यू ज्यादा है एस कंपेयर टू स्मॉलर स्टेट्स ठीक है यह सारे हो गए फिर जो जो यह प्रेसिडेंट चुन के आया हुआ है इस प्रेसिडेंट को जब यह ऑफिस में जाएगा तो इसको ओथ कौन दिलाएगा ओथ दिलाएगा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया या फिर सीनियर मोस्ट मेंबर इलेक्शन के लिए लड़ने के लिए एलिजिबल कौन है कोई भी सिटीजन जो कि 35 साल का हो चुका है और लोकसभा का मेंबर बनने के लिए एलिजिबल है वो वो जो है प्रेसिडेंट का इलेक्शन में खड़ा हो सकता है अगर कोई आदमी पहले से कोई एमपी है या फिर एमएलए है तो वह जैसे ही प्रेसिडेंट बनेगा तो जिस दिन वह अपने ऑफिस में घुसेगा उस दिन उसकी एमपी एमएलए की सीट को खाली माना जाएगा यह माना जाएगा कि उसने अपनी एमपी एमएलए की सीट को छोड़ दिया है और अब वो प्रेसिडेंट बन गया है और इसके अंदर हमने देखा कि जो प्रेसिडेंट है प्रेसिडेंट रिजाइन किसको करेगा वाइस प्रेसिडेंट को रिजाइन कर सकता है उसको इंपीच किया जा सकता है इंपीच करने का प्रोसेस क्या है 61 आर्टिकल के अंदर है जो थोड़ी देर में देखने वाले हैं और इंपीच करने का ग्राउंड क्या है किस बेसिस पर उसको हटाया जा सकता है सिर्फ एक ही बेसिस है कि उसने कांस्टिट्यूशन की वायलेशन करी है ठीक है और वो कितने सालों का टेनर होता है 5 साल का टेनर है पर वो ऑफिस में तब तक रहेगा जब तक कि उसका सक्सेसर ना आ जाए ओत का देख लिया अब इंपीच मेंट देखते हैं इंपीच मेंट जो है प्रेसिडेंट का वो एक इन्वेस्टिगेटिव प्रोसेस है वो एक क्वासी जुडिशल प्रोसेस है यह आप याद रखेंगे क्वासी जुडिशियस प्रोसेस है प्रेसिडेंट की इंपीच मेंट ऐसा क्यों होता है देखिए प्रेसिडेंट को इंपीच किया जाता है सिर्फ और सिर्फ कॉन्स्टिट्यूशन को वायलेट करने के लिए उसने कॉन्स्टिट्यूशन को माना नहीं है इसीलिए ही इंपीच कर सकते हैं और किसी ग्राउंड पर उसको नहीं हटाया जा सकता इंपीच करने के लिए उसके ऊपर आरोप लगाए जाएंगे जो आरोप हैं वह पहले हाउस के अंदर आते हैं तो कैसे आते हैं देखिए किसी भी हाउस में चाहे वह लोकसभा हो या राज्यसभा हो उसके 1 चौथाई मेंबर 1/4 मेंबर्स एक रेजोल्यूशन साइन करेंगे रेजोल्यूशन साइन करेंगे और 14 दिन का नोटिस देंगे इस रेजोल्यूशन में लिखा होगा कि हमें लगता है प्रेसिडेंट ने कांस्टिट्यूशन की वायलेशन की है और हम चाहते हैं कि प्रेसिडेंट के इंपीच मेंट के ही प्रोसेस को स्टार्ट किया जाए जो हम आरोप लगा रहे हैं कि उसने कांस्टिट्यूशन की वायलेशन की है इस आरोप की इन्वेस्टिगेशन की जाए यह सब इस रेजोल्यूशन में लिखा होगा तो यह पहले हाउस में आएगा एक चौथाई मेंबर उस हाउस के इसको साइन करेंगे और 14 दिन का नोटिस देंगे फिर वो जो चार्ज हैं वह चार्जेस उस हाउस के अंदर प्रेफर किए जाते हैं उस हाउस के अंदर आते हैं वह चार्जेस अगर इस रेजोल्यूशन को इस रेजोल्यूशन को स्पेशल मेजॉरिटी से पास कर दिया जाता है स्पेशल मेजॉरिटी यहां पे क्या है 2/3 ऑफ टोटल मेंबरशिप उस हाउस की जो मेंबरशिप है उस हाउस में जितने भी मेंबर हैं उसके अगर टू बाय थर्ड मेंबर्स उस रेजोल्यूशन को पास कर देते हैं तो यह माना जाता है कि जो उन्होंने चार्जेस लगाए थे उस चार्ज पर इन्वेस्टिगेशन कराने की जरूरत है ठीक है अभी तक उन्होंने क्या किया है उन्होंने सिर्फ यह प्रूफ कर दिया है कि जो चार्जेस लगाए हैं कांस्टिट्यूशन के वायलेशन के चार्जेस जो लगाए हैं उन परे इन्वेस्टिगेट करने की जरूरत है जैसे ही वह पास हो जाता है वो दूसरे हाउस में जाता है रेजोल्यूशन दूसरा हाउस क्या करता है दूसरा हाउस देखता है रेजोल्यूशन उसमें लिखा हुआ है कि प्रेसिडेंट के ऊपर कुछ चार्जेस लगाए हैं चार्जेस के अंदर लिखा हुआ है कि उसने कांस्टिट्यूशन की वायलेशन की है दूसरा हाउस कहता है कि मैं अब इन चार्जेस के ऊपर तहकीकात करूंगा इनको इन्वेस्टिगेट करूंगा तो दूसरा हाउस जो है वह इन्वेस्टिगेशन करता है इन्वेस्टिगेशन के बाद अगर दूसरा हाउस उस इन्वेस्टिगेशन को पास कर दे एक रेजोल्यूशन पास कर दे कि हां जो चार्जेस लगाए थे वह सही लगे थे तो जिस दिन दूसरा हाउस यह पास कर देगा कि हमारी तहकीकात में पता चला है कि जो चार्जेस पहले हाउस ने लगाए थे व सही हैं और वो रेजोल्यूशन पास हो जाता है 2/3 ऑफ टोटल मेंबरशिप से तो उस दिन से प्रेसिडेंट की इंपीच मेंट हो चुकी होती है तो बेसिकली क्या होता है इसमें पहले हाउस के अंदर चार्जेज आते हैं ठीक है यह पहला हाउस चार्ज लगाता है जब यह चार्ज लगा देता है तो सेकंड हाउस उसकी इन्वेस्टिगेशन कर देता है इन्वेस्टिगेशन के बाद अगर सेकंड हाउस टू बाय थर्ड मेजॉरिटी से पास कर दे इस रेजोल्यूशन को कि हां इन्वेस्टिगेशन में हमने उसको दोषी पाया है तो जिस दिन व रेजोल्यूशन पास होगा उस दिन से प्रेसिडेंट जो है वह इंपीच माना जाता है मेजॉरिटी यहां पे आप ध्यान रखेंगे मेजॉरिटी चाहिए 2/3 ऑफ टोटल मेंबरशिप ये सबसे डिफिकल्ट मेजॉरिटी होती है 2 बा थर्ड ऑफ टोटल मेंबरशिप तो ये हमारे प्रेसिडेंट को हटाने का तरीका आ गया प्रेसिडेंट को दोबारा से इलेक्शन कब प्रेसिडेंट के इलेक्शन कैसे होने चाहिए देखिए आपको पता है प्रेसिडेंट की टर्म है 5 साल की तो इलेक्शन कमीशन जो है वो प्रेसिडेंट के इलेक्शन कराता है उसको भी पता है ना कि 5 साल की टर्म है जो आदमी 2000 2000 के अंदर चुना गया है वो 2005 में उसकी टर्म खत्म हो जाएगी तो इलेक्शन कमीशन 2005 से पहले कभी भी इलेक्शन करा सकता है ठीक है पहले इलेक्शन करा ले मान लीजिए प्रेसिडेंट बीमारी की वजह से डेथ की वजह से या रेजिग्नेशन की वजह से बीमारी की वजह से डेथ की वजह से रेजिग्नेशन की वजह से या किसी भी वजह से वह अपने ऑफिस को खाली करके चले जाते हैं बीमार थे उन्होंने रिजाइन कर दिया या फिर घर पर वह काम करना चाहते थे उन्होंने रिजाइन कर दिया उनकी मृत्यु हो गई या फिर उन्हें इंपीच कर दिया 61 के अंदर ठीक है फॉर वायलेशन ऑफ कांस्टिट्यूशन किसी भी वजह से अगर वह 2005 से पहले ही इंपीच हो गए या फिर अब ऑफिस उन्हें खाली करना पड़ा है तो इलेक्शन कब होगा तो इलेक्शन कमीशन उनका इलेक्शन 6 महीने के अंदर-अंदर कराएगी 6 महीने के अंदर-अंदर उनका इलेक्शन कराना जरूरी है ठीक है तो अगर टर्म खत्म हो रही है तो टर्म खत्म होने से पहले इलेक्शन करा लो अगर टर्म खत्म होने से पहले उनकी डेथ रेजिग्नेशन या रिमूवल हो गई तो 6 महीने के अंदर उनका इलेक्शन कराना पड़ेगा तो देखिए आप कैसे याद रखेंगे आप 52 से लेके 62 तक जो आर्टिकल्स हैं वो प्रेसिडेंट के हैं फिर 53 से हमारे वाइस प्रेसिडेंट के आर्टिकल्स स्टार्ट होते हैं 52 सिंपल आर्टिकल कि एक प्रेसिडेंट होना चाहिए 53 कहता है कि जो एग्जीक्यूटिव पावर है वो प्रेसिडेंट में है सुप्रीम कमांड है वो प्रेसिडेंट के अंदर है 54 बताता है कि कौन प्रेसिडेंट को चुनेगा इलेक्टोरल कॉलेज कौन बनेगा 55 बताता है कि मैनर क्या है इलेक्शन का मैनर क्या है इलेक्शन का यहां पे वोट की वैल्यू बताई जाती है एमएलए के वोट की वैल्यू बताई जाती है और एमपी के वोट की वैल्यू बताई जाती है मैनर में बताया जाता है कि प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन बाय सिंगल ट्रांसफरेबल वोट जो है प्रेसिडेंट चुना जाएगा और सीक्रेट बैलेट में सीक्रेट बैलेट में वोटिंग होगी 55 में यह आ गया फिर उसके बाद कुछ आर्टिकल्स आएंगे फिर आपको जो आर्टिकल याद रखना है वो है आर्टिकल 60 60 के अंदर ओथ कौन दिला रहा है ओथ दिलाई जा रही है चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से 61 के अंदर इंपीच मेंट आ गई ठीक है तो यह तो वो थे जिनको आप आर्टिकल नंबर से याद रखेंगे अब इसके अंदर जो आर्टिकल नंबर से याद नहीं रखना पर आपको बातें पता होनी चाहिए प्रेसिडेंट की एलिजिबिलिटी क्या है कोई भी सिटीजन इंडिया का सिटीजन नागरिक होना जरूरी है जो 35 साल का हो चुका है और लोकसभा का मेंबर बनने के लिए क्वालिफाइड है वह प्रेसिडेंट के इलेक्शन में खड़ा हो सकता है फिर आपको पता होना चाहिए कि जो प्रेसिडेंट है उसको अपने ऑफिशियल रेजिडेंस का रेंट देने की जरूरत नहीं है अगर वह एमपी या एमएलए है और प्रेसिडेंट बन गया तो जिस दिन से वह अपने ऑफिस में जाएगा उस दिन से यह माना जाएगा कि उसने अपने एमपी एमएलए की सीट को छोड़ दिया है प्रेसिडेंट की जो टर्म होगी वह 5 साल की होगी वह रिजाइन किसको करेगा वो वाइस प्रेसिडेंट को रिजाइन करेगा वेरी इंपॉर्टेंट प्रेसिडेंट की 5 साल की टर्म है पर वो तब तक ऑफिस में रहेगा जब तक उसका सक्सेसर ना आ जाए उसको इंपीच किया जा सकता है अंडर आर्टिकल 61 इंपीच मेंट सिर्फ और सिर्फ वायलेशन ऑफ कांस्टिट्यूशन के लिए होगी वायलेशन ऑफ कांस्टिट्यूशन के लिए इंपीच मेंट होगी अगला जो हमारा चैप्टर है वो वाइस प्रेसिडेंट का है जो नोट्स हम अपनी इस वीडियो के अंदर यूज करेंगे वो हैंड रिटन नोट्स हैं एम लक्ष्मीकांत से अगर आप हमारे वो नोट्स लेना चाहते हैं तो उसका लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा वीडियो अगर आपको पसंद आ रही है तो लाइक करना ना भूलें दोस्तों के साथ शेयर करें और चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें अगला टॉपिक वाइस प्रेसिडेंट का यहां से जो जो क्वेश्चन आ सकते हैं वही देखते हैं बहुत ज्यादा डिफिकल्ट नहीं है तो आपने देखा कि 52 से 62 तक प्रेसिडेंट की बात है तो 63 से हम वाइस प्रेसिडेंट की बात करेंगे वाइस प्रेसिडेंट 63 कहता है कि एक वाइस प्रेसिडेंट होगा जैसे 52 कहता था कि एक प्रेसिडेंट होगा 64 कहता है कि वाइस प्रेसिडेंट जो है वह राज्यसभा का एक्स ऑफिशियो चेयरमैन होगा वह कोई भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट होल्ड नहीं करेगा साथ ही साथ व प्रेसिडेंट की तरह एक्ट करेगा जब भी एक परमानेंट वैकेंसी हो जाएगी प्रेसिडेंट की यानी कि प्रेसिडेंट की डेथ हो गई रेजिग्नेशन हो गया या रिमूवल हो गया इसकी वजह से परमानेंट वैकेंसी हो जाती है यानी कि अब प्रेसिडेंट नहीं है इस टाइम पर कोई भी तो जब कोई भी प्रेसिडेंट नहीं होता तो वाइस प्रेसिडेंट प्रेसिडेंट की तरह एक्ट करता है अगर प्रेसिडेंट बीमार है इल है या किसी भी वजह से ऑफिस से उसने छुट्टी ले रखी है एब्सेंट है उसकी तो उसके ऑफिस में वाइस प्रेसिडेंट जाकर बैठेगा और प्रेसिडेंट के काम करने लगेगा यहां पे प्रेसिडेंट जैसे ही ठीक हो जाएगा या उसका काम खत्म हो जाएगा तो वो दोबारा से प्रेसिडेंट अपने ऑफिस में आके बैठ जाएगा और वाइस प्रेसिडेंट अपना वाइस प्रेसिडेंट बन जाएगा तो बेसिकली वाइस प्रेसिडेंट या तो वो राज्यसभा के चेयरमैन की तरह काम करता है या फिर वो प्रेसिडेंट की तरह काम करता है ठीक है वाइस प्रेसिडेंट का अपना कोई काम नहीं है वो या तो राज्यसभा का चेयरमैन है या फिर वह प्रेसिडेंट की तरह काम कर रहा है ठीक है आर्टिकल 53 में हमने देखा था कि प्रेसिडेंट एग्जीक्यूटिव पावर होती है कमांडर होती है सुप्रीम कमांडर होता है वो 64 के अंदर हमने देखा कि जो जो वाइस प्रेसिडेंट है वह या तो राज्यसभा का चेयरमैन है या फिर वह प्रेसिडेंट की तरह काम कर रहा है 65 कहता है 65 वही बताता है कि जब परमानेंट वैकेंसी है तो जो वाइस प्रेसिडेंट है वो तब तक प्रेसिडेंट की तरह एक्ट करता रहेगा जब तक कि नया प्रेसिडेंट ना आ जाए जब टेंपरेरी वैकेंसी है तो वाइस प्रेसिडेंट प्रेसिडेंट के सारे काम करता रहेगा जब तक कि जो प्रेसिडेंट असली में था मतलब टेंपररी वैकेंसी मतलब वो बीमार है इसलिए भी ऑफिस में नहीं आ पा रहा तो टेंपररी वैकेंसी है तो जब तक वो प्रेसिडेंट नहीं आ जाता तब तक वो काम करेगा तो 65 में तो इतना कुछ ज्यादा आपको दिमाग लगाना नहीं है 66 के अंदर क्या है जैसे आपने प्रेसिडेंट के इलेक्शन के लिए आपने देखा था कि एक इलेक्टोरल कॉलेज बनता है उस इलेक्टोरल कॉलेज के अंदर सारे इलेक्टेड एमपीज मेंबर ऑफ पार्लियामेंट होते हैं और सारे इलेक्टेड एमएलए होते हैं वाइस प्रेसिडेंट के इलेक्शन में जो इलेक्टोरल कॉलेज होता है उसके अंदर सारे के सारे एमपी होते हैं चाहे वह इलेक्टेड हो चाहे वह नॉमिनेटेड हो ठीक है सारे के सारे एमपी आ जाते हैं क्या इसमें कोई एमएलए भी होता है वाइस प्रेसिडेंट के इलेक्शन में कोई एमएलए नहीं होता सिर्फ एमपी होते हैं इलेक्टेड और वो यह भी पीआर एसटीवी से होता है सीक्रेट बैलेट से होता है यहां पे इनकी एलिजिबिलिटी कंडीशन क्या है प्रेसिडेंट की थी सिटीजन जो कि 35 साल का हो और लोकसभा का मेंबर बनने के लिए क्वालिफाइड हो एलिजिबल हो वाइस प्रेसिडेंट में क्या है सिटीजन की एज इटस की सिटीजन होना चाहिए 35 साल का होना चाहिए लेकिन क्वालिफिकेशन उसकी लोकसभा की नहीं राज्यसभा की है क्यों राज्यसभा की है क्योंकि इसको राज्यसभा का चेयरमैन बनना है तो यह देख लेते हैं कि भैया आप राज्यसभा का चेयरमैन बनने के लिए क्वालिफाइड हो या नहीं तो अगर आप हो तो आप जो है वाइस प्रेसिडेंट के इलेक्शन में खड़े हो सकते हो इनके इलेक्शन को कितने लोग प्रपोज करेंगे 20 इलेक्टर जो हैं वो प्रपोज करेंगे और 20 इलेक्टर जो है वो सेकंड करेंगे जैसे हमने प्रेसिडेंट में देखा था कि प्रेसिडेंट एमपी या एमएलए नहीं होना चाहिए अगर वो एमपी या एमएलए है तो जिस दिन से वो प्रेसिडेंट की सीट ऑक्यूपाइड एमएलए की सीट को खाली माना जाएगा उसी तरह से वाइस प्रेसिडेंट जो है वो भी एमपी या एमएलए नहीं होना चाहिए अगर वो एमपी एमएलए है तो जिस दिन से वह वाइस प्रेसिडेंट बनेगा उसकी एमपी या एमएलए की जो सीट थी उसको खाली माना जाएगा तो सेम प्रोविजन जो हमने उसके पढ़े थे प्रेसिडेंट के वही हैं टर्म क्या होती है वाइस प्रेसिडेंट की वाइस प्रेसिडेंट की टर्म है 5 साल की ये रिजाइन करता है प्रेसिडेंट को तो प्रेसिडेंट किसको रिजाइन करता है वाइस प्रेसिडेंट को और वाइस प्रेसिडेंट किसको रिजाइन करता है प्रेसिडेंट को ठीक है तो क्या कोई ऐसी सिचुएशन हो सकती है जब प्रेसिडेंट वा प्रेसिडेंट को रिजाइन कर दे और वाइस प्रेसिडेंट प्रेसिडेंट को रिजाइन कर दे ठीक है मतलब सिर्फ फन के लिए ताकि आपको याद रहे तो दोनों के दोनों आपस में यह डॉक्यूमेंट की अदला बदली करते रह सकते हैं रेजिग्नेशन दे सकते हैं प्रेसिडेंट को रिमूव करने का जो आर्टिकल था वो था 61 वाइस प्रेसिडेंट को रिमूव करने का आर्टिकल है 67 ठीक है छह ऐड करने के बाद आ गया इनका प्रोसेस क्या है प्रेसिडेंट को रिमूव करने के लिए स्पेशल मेजोरिटी चाहिए थी प्रेसिडेंट को रिमूव करने के लिए हर हाउस में कौन सी मेजॉरिटी चाहिए 2 बा थड ऑफ टोटल मेंबरशिप उस हाउस के जितने भी मेंबर हैं उन मेंबर्स के 2/3 लोग अगर राजी होंगे तो ही प्रेसिडेंट को रिमूव करना रिमूव कर पाएंगे वाइस प्रेसिडेंट के लिए हमें सिर्फ और सिर्फ सिंपल मेजॉरिटी चाहिए वाइस प्रेसिडेंट को रिमूव करने के लिए सिंपल मेजॉरिटी चाहिए प्रेसिडेंट को रिमूव करने के लिए आपको लोकसभा के सॉरी दोनों हाउसेस के अंदर चाहे वह लोकसभा हो या राज्यसभा हो दोनों हाउसेस के अंदर स्पेशल मेजॉरिटी चाहिए होती है 2/3 ठीक है राज्यसभा के केस में में क्या है आपको सिर्फ सिर्फ राज्यसभा के अंदर यह मेजॉरिटी चाहिए राज्यसभा के अंदर आप सिंपल मेजॉरिटी से अगर पास कर देंगे कि वाइस प्रेसिडेंट को हटाया जाए राज्यसभा ने अगर वो पास कर दिया सिंपल मेजॉरिटी से तो वाइस प्रेसिडेंट हट जाता है ठीक है लेकिन एक कंडीशन है इसके अंदर कि राज्यसभा उसको हटाने के लिए सिंपल मेजॉरिटी से रेजोल्यूशन पास कर देता है फिर उसके बाद लोकसभा एग्री कर जाती है बस लोकसभा में कोई स्पेशल प्रोसीजर नहीं है लोकसभा को बस एग्री करना होता है ठीक है तो यहां पर क्या हो गया यहां पर प्रोसेस थोड़ा सिंपल है यहां पर जो लोग हैं वह 14 दिन का नोटिस देंगे कि हम वाइस प्रेसिडेंट को रिमूव करना चाहते हैं 14 दिन के नोटिस के बाद उसके ऊपर वोटिंग होगी राज्यसभा के अंदर ठीक है यह राज्यसभा में हो रहा है राज्यसभा में वोटिंग होगी अगर वह सिंपल मेजॉरिटी से पास हो गया तो बस लोकसभा से पूछ लेंगे भैया हमने उसको हटा दिया मान गए तुम लोकसभा कहेगा हम मान गए और वाइस प्रेसिडेंट हट जाएगा ठीक है इसमें ज्यादा तामझाम नहीं है मेजॉरिटी देखनी है और इसमें सिर्फ राज्य का मेजर रोल है लोकसभा का बहुत ही छोटा सा रोल है कि उसको सिर्फ एग्री होना है राजी होना है कि हां भाई हटा दो कोई बात नहीं तो 67 के अंदर यह हो गया अब जैसे हमने प्रेसिडेंट का देखा था कि 5 साल के 5 साल का उसका टर्म है या तो 5 साल से पहले उसके इलेक्शन करा लो अगर बाय चांस डेथ रेजिग्नेशन या रिमूवल वो तो कभी भी हो सकती है वो 5 साल से पहले हो गई अगर तो तुम्हें इलेक्शन कितने टाइम में कराना है उन्हें इलेक्शन इलेक्शन कमीशन को इलेक्शन 6 महीने के अंदर कराना था वाइस प्रेसिडेंट के केस में क्या होता है वाइस प्रेसिडेंट के केस में या तो तुम इलेक्शन उसकी 5 साल की जो टर्म है उससे पहले करा लो अगर वाइस प्रेसिडेंट की डेथ रेजिग्नेशन या रिमूवल हो गई कभी तो वाइस प्रेसिडेंट का इलेक्शन जल्दी से जल्दी कराना है इसमें यह 6 महीने की लिमिट नहीं है यह याद रखना है वाइस प्रेसिडेंट की अगर डेथ रेजिग्नेशन या रिमूवल हो गई तो 6 महीने की लिमिट नहीं है बस आप उनका इलेक्शन जल्दी से जल्दी कराने की कोशिश करें एज सून एज पॉसिबल इसको प्रेसिडेंट प्रेसिडेंट को ओत कौन देता था प्रेसिडेंट को ओट देता था चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया वाइस प्रेसिडेंट को ओथ देता है प्रेसिडेंट ठीक है वाइस प्रेसिडेंट को ओथ देता है प्रेसिडेंट कंफ्यूज करने के लिए आपको यहां पर सीजीआई दिया जा सकता है आपको चीफ जस्टिस ऑफ हाई कोर्ट दिया जा सकता है कंफ्यूज नहीं होना है प्रेसिडेंट को सिर्फ और सिर्फ प्रेसिडेंट को चीफ जस्टिस दे रहा है वाइस प्रेसिडेंट को प्रेसिडेंट ओथ देगा ठीक है यह इतना इंपॉर्टेंट नहीं है आप इसको सिर्फ रीड कर ले कुछ ज्यादा नहीं है अगर कोई भी डाउट होता है यह आर्टिकल एक्सट्रीमली इंपॉर्टेंट है कैसे याद करेंगे एक आर्टिकल आपको नंबर से याद रखना है आर्टिकल 61 61 बताता है प्रेसिडेंट कीी जमेंट उसमें 10 जोड़ दो तो आता है आर्टिकल 71 आर्टिकल 71 क्या कहता है कि अगर प्रेसिडेंट या वाइस प्रेसिडेंट के इलेक्शन से जुड़ा हुआ कोई भी झगड़ा होता है कोई भी डिस्प्यूट होता है या कोई भी डाउट होता है तो सिर्फ और सिर्फ सुप्रीम कोर्ट उस डिस्प्यूट को उस डाउट को सॉल्व करेगा कोई और सॉल्व नहीं करेगा ये सुप्रीम कोर्ट की एक्सक्लूसिव जूरिस जिक्स है एक्सक्लूसिव जूरिस जिक्स है सुप्रीम कोर्ट के अलावा कोई भी प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट के इलेक्शन के डिस्प्यूट को या डाउट को सॉल्व नहीं कर सकता अब कुछ पावर्स हैं यह प्रेसिडेंट की पावर है कि प्रेसिडेंट कि कुछ ऐसी पावर दी गई है जिसमें वह लोगों की पनिशमेंट को माफ कर सकता है लोगों के सेंटेंस को कम कर सकता है तो जैसी पावर प्रेसिडेंट को दी है उसके सिमिलर पावर एक जैसी तो नहीं है थोड़ी मिलती जुलती पावर जो है व गवर्नर को दी गई है गवर्नर को दी गई है आर्टिकल 161 के अंदर तो जब भी आप 72 पढ़ेंगे तो 161 के साथ पढ़ना है तो 72 आर्टिकल क्या कहता है कि जो प्रेसिडेंट है व पनिशमेंट जितनी भी मिली हुई है उन पनिशमेंट को पार्डन कर सकता है रिप्रज कर सकता है रिस्पेक्ट कर सकता है और रेमिट कर सकता है कैसे याद करेंगे पी3 पनिशमेंट को पीआर 3 करने की पावर प्रेसिडेंट को मिली है जितने भी सेंटेंसेस सुनाए गए हैं जितने भी सेंटेंसेस सुनाए गए हैं उन सेंटेंसेस को एसआरसी किया जा सकता है सस्पेंड किया जा सकता है रेमिट किया जा सकता है और कम्यूटर है किन-किन केसेस में प्रेसिडेंट अपनी इन पावर्स को यूज कर सकता है अगर कि कि आदमी का कोर्ट मार्शल हुआ था तो कोर्ट मार्शल के टाइम पर प्रेसिडेंट अपनी इन पावर्स को यूज कर सकता है अगर किसी ने किसी एग्जीक्यूटिव कोई एक पार्लियामेंट ने कानून बनाया था पार्लियामेंट ने लॉ बनाया था उस लॉ को इंप्लीमेंट करने की ड्यूटी एग्जीक्यूटिव थी एग्जीक्यूटिव की थी ऐसे किसी लॉ को जो कि पार्लियामेंट ने बनाया था जिसको इंप्लीमेंट करने की ड्यूटी एग्जीक्यूटिव थी एग्जीक्यूटिव की थी ऐसे किसी लॉ को अगर कोई आदमी वायलेट करेगा तो उस आदमी को पनिशमेंट होगी तो अगर किसी आदमी को ऐसे लॉज को वायलेट करने के लिए पनिशमेंट दी गई है या फिर सेंटेंस सुनाया गया है सेंटेंस सुनाया गया है तो उन केसेस में प्रेसिडेंट जो है अपनी यह वाली पावर्स ये जो दोनों पावर हैं इन पावर्स को यूज कर सकता है तो प्रेसिडेंट अपनी इन पावर्स को एक तो कोर्ट मार्शल के केस में यूज कर सकता है दूसरा वोह यूज कर सकता है कि अगर कोई ऐसा लॉ था जिसके ऊपर एग्जीक्यूटिव की पावर थी एग्जीक्यूटिव को वो इंप्लीमेंट करना था ऐसे लॉ की वायलेशन के लिए किसी को पनिशमेंट हुई है या सेंटेंस सुनाया गया तो वहां पे प्रेसिडेंट अपनी पावर यूज कर सकता है और तीसरा केस क्या है जहां पे प्रेसिडेंट अपनी पावर यूज़ करेगा तीसरा केस जो कि बहुत इंपॉर्टेंट है वो है जो भी डेथ सेंटेंस सुनाया जाएगा डेथ सेंटेंस के केस में भी जो प्रेसिडेंट है वह अपनी पावर्स को यूज कर सकता है तो तीन केसेस में प्रेसिडेंट को यह पावर दी गई हैं कि वह पनिशमेंट को पार्डन कर सकता है रिप्रज कर सकता है डिस्पाट रेमिट और सेंटेंसेस को एसआरसी कर सकता है किन केसेस में कोर्ट मार्शल के केसेस में किसी को पनिशमेंट हुई है या सेंटेंस दिया है कोई ऐसा लॉ जिसके ऊपर एग्जीक्यूटिव की पावर जाती है उस लॉ को वायलेट करने के लिए किसी को पनिश किया है या सेंटेंस दिया है या फिर किसी को डेथ सेंटेंस सुनाया गया है गवर्नर की जो पावर है वो थोड़ी सी लिमिटेड है गवर्नर सिर्फ और सिर्फ देखिए पावर वही है कि गवर्नर जो है वो पार्डन रिप्रीव रिस्पेक्ट रिमिटर सकता है पनिशमेंट को और सेंटेंसेस को एसआरसी कर सकता है लेकिन किन केसेस में कर सकता है गवर्नर सिर्फ और सिर्फ उन केसेस के अंदर अपनी इन दोनों पावर को यूज कर सकता है सिर्फ उस केस में कर सकता है जहां पर कोई स्टेट गवर्नमेंट स्टेट लेजिसलेच्योर था ऐसे किसी लॉ को वायलेट किया है किसी आदमी ने और उस आदमी को हो गई है पनिशमेंट या फिर सेंटेंस सुनाया है तो वहां पर गवर्नर जो है वहां पर जो गवर्नर है वह अपनी पावर को यूज कर सकता है क्या स्टेट एग्जीक्यूटिव को सिर्फ स्टेट लेजिस्लेटर बना दे पार्लियामेंट कोई लॉ बना दे और व स्टेट एग्जीक्यूटिव को बोले कि यह काम तुम करोगे तो उस केस में भी गवर्नर जो है अपनी पावर को यूज कर सकता है ठीक है क्या यहां पर कोर्ट मार्शल कोर्ट मार्शल से किसी को पनिशमेंट हुई है क्या वहां पर गवर्नर दे सकता है नहीं वहां पर गवर्नर नहीं दे सकता क्या किसी को डेथ सेंटेंस हुआ है वहां पर गवर्नर अपनी पावर यूज कर सकता है ये वाली नहीं नहीं कर सकता प्रेसिडेंट कर सकता है गवर्नर नहीं कर सकता ठीक है साफ-साफ लिखा हुआ है और इस पर बहुत बार क्वेश्चन आया कि डेथ सेंटेंस सिर्फ और सिर्फ जो प्रेसिडेंट है वही कर सकता है अब इन यह जो हमने शब्द देखे हैं इन शब्द का क्या मतलब होता है पार्डन का मतलब होता है कि आपने जो भी गुना किया था हमने आपको पूरी तरह बाइज्जत बरी कर दिया है आपके ऊपर अब कोई भी गुनाह नहीं है आपको पूरी तरह अब्सोल्व कर दिया है अब आप ऑफेंडर नहीं है कंप्लीट आपको छोड़ दिया आपको पार्डन कर दिया क्यूटे का मतलब यह होता है कि आपको पहले एक सख्त पनिशमेंट दी थी आपको पहले पनिशमेंट ये दी थी कि आप डेली 4 घंटा पत्थर तोड़ेंगे आप 5 घंटा चक्की पीसें ठीक है पहले यह पनिशमेंट थी अब हमने उसको थोड़ा सा लाइट कर दिया है थोड़ी हल्की पनिशमेंट कर दी है अब आपको 4 घंटा पत्थर नहीं तोड़ना है आप सिर्फ दो घंटा पत्थर तोड़ लीजिए या फिर पहले आप पत्थर तोड़ते थे अब आपको पत्थर नहीं तोड़ना है यानी कि रिग्रेस इंप्रिजनमेंट से उसको नॉर्मल इंप्रिजनमेंट दी जा सकती है कम्यू का मतलब ये होता है रेम रिमिशन का क्या मतलब होता है पहले आपको सजा सुनाई गई थी 5 सालों के लिए आप जेल में रहेंगे लेकिन आपने अच्छा व्यवहार किया या फिर किसी भी वजह से आपकी इस सेंटेंस को रेमिट किया जा रहा है आपके इस सेंटेंस को रेमिट किया जा रहा है आपकी ड्यूरेशन को रिड्यूस किया जा रहा है और आप सिर्फ 3 साल जेल में रहेंगे रिस्पा इट का मतलब क्या होता है मान लीजिए किसी फीमेल को जेल हुई थी वो फीमेल है प्रेग्नेंट फीमेल है प्रेग्नेंट उसको जब जेल हुई थी तब उसको रिग्रेस इंप्रिजनमेंट दी थी कि उसको पत्थर तोड़ने पड़ेंगे पर फीमेल ने बताया कि भाई मैं तो प्रेग्नेंट हूं मैं पत्थर कैसे तोडूंगी तो उसको रिस्पा इट दे दिया जाता है उसको थोड़ी राहत दे दी जाती है और उसे कहता है रिगस इंप्रिजनमेंट मत दो जेल में बैठी रहो तो ये स्पेशल ग्राउंड्स के लिए है स्पेशल ग्राउंड्स फीमेल की प्रेगनेंसी मैंने एक एग्जांपल लिया है हो सकता है कोई बुड्ढा हो कोई बहुत ज्यादा बीमार हो तो उसको भी लेसर पनिशमेंट दी जाती है रिप्रीव का मतलब क्या है किसी को डेथ सेंटेंस सुनाई गई है किसी को डेथ सेंटेंस सुनाई गई है और उसको आज फांसी होनी थी एकदम से पता चला कि भाई किसी वजह से इसकी फांसी रोक दी गई फांसी क्या कहा कि अब आपको फांसी दो महीने के बाद होगी तो इसको कहा जाता है रिप्रीव कि टेंपररी सस्पेंशन है डेथ सेंटेंस का अभी फांसी नहीं कर रहे कुछ महीनों के बाद कर देंगे तो यह टर्म्स है ज्यादा पूछी नहीं जाती पर आप इसको पढ़ लीजिएगा एग्जीक्यूटिव के अंदर अभी तक हमने प्रेसिडेंट देखे वाइस प्रेसिडेंट देखे आप कहेंगे पीएम कहां पे आएगा पीएम आपका आता है 73 में तो इसको कैसे याद करेंगे देखिए 52 से ले 52 से 62 तक तो प्रेसिडेंट था 63 से आपके वाइस प्रेसिडेंट चालू हो गए फिर 73 पे 73 पे आपके यह बताया जाएगा कि जो एग्जीक्यूट है एग्जीक्यूटिव की पावर कहां तक जाती है 73 इसलिए इंपॉर्टेंट है 52 में बताया कि प्रेसिडेंट जो है सारी एग्जीक्यूटिव पावर प्रेसिडेंट के अंदर है ठीक है 52 में बताया सारी एग्जीक्यूटिव पावर प्रेसिडेंट के अंदर वेस्टेड है 73 में बता देंगे कि एग्जीक्यूटिव की पावर आखिर है क्या एग्जीक्यूटिव की पावर आखिर है क्या वोह 73 में बताएंगे तो देखिए हमेशा से बात हुई है तीन ऑर्गन की लेजिस्लेटर एग्जीक्यूटिव जुडिशरी लेजिस्लेटर लॉ बनाता है और उन लॉ को इंप्लीमेंट करने की ड्यूटी किसकी होती है एग्जीक्यूटिव की होती है तो एग्जीक्यूटिव की पावर क्या होगी किसी ना किसी लॉ को इंप्लीमेंट करने की पावर होगी एग्जीक्यूटिव की यही एकदम मतलब एक सिंपल भाषा में अगर बताया जाए तो यही मतलब है इसका तो यही मतलब होता है यहां पे भी कि आर्टिकल 73 कहता है कि यूनियन की जो एग्जीक्यूटिव पावर है एग्जीक्यूटिव पावर है वो किस एक्सटेंट तक जाएगी ऐसे जितने भी मैटर होंगे जिनके ऊपर पार्लियामेंट लॉ बना सकता है वहां पे यूनियन की एग्जीक्यूटिव पावर जाएगी सिंपल जहां पर भी पार्लियामेंट लॉ बना सकता है वहां पर यूनियन की एग्जीक्यूटिव पावर है अगर कोई ट्रीटी और एग्रीमेंट हुआ है तो वहां पे भी एग्जीक्यूटिव की पावर है ठीक है 73 के अंदर आप यह याद करेंगे 73 हो गया अब आपका अब आएगा आपका 74 और 75 और यह दोनों के दोनों आपके मंत्रियों से जुड़े हुए हैं 74 के अंदर आएगा पीएम और 74 के अंदर पीएम और काउंसिल ऑफ मिनिस्टर आएंगे और 75 के अंदर एक अलग सी चीज आएगी जो अभी हम देखते हैं देखिए 74 आर्टिकल क्या कहता है कि एक काउंसिल ऑफ मिनिस्टर होगा एक बॉडी बनी होगी एक काउंसिल बनी होगी जिसके अंदर सारे मंत्री बैठते होंगे मंत्री गण होगा जिसका नाम होगा काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स इस काउंसिल ऑफ मिनिस्टर का हेड कौन होगा हेड होगा प्राइम मिनिस्टर प्राइम मिनिस्टर का और इस काउंसिल ऑफ मिनिस्टर का काउंसिल ऑफ मिनिस्टर होगी जिसका हेड है प्रेसिडेंट और इस काउंसिल ऑफ मिनिस्टर का काम क्या होगा इसका काम है प्रेसिडेंट को एड और एडवाइस देना प्रेसिडेंट को एड और एडवाइस देना सम समझ गए सारी की सारी एग्जीक्यूटिव पावर जो है सारी की सारी एग्जीक्यूटिव पावर किसमें वेस्टेड है आर्टिकल 52 कहता है प्रेसिडेंट में वेस्टेड है प्रेसिडेंट को काम करने के लिए एड और एडवाइस कौन करेगा काउंसिल ऑफ मिनिस्टर करेगा जिसका हेड होता है पीएम यह लिखा हुआ है 74 के अंदर काउंसिल ऑफ मिनिस्टर जो उसको एड और एडवाइज देगा एड और एडवाइस देगा वो प्रेसिडेंट को माननी पड़ेगी प्रेसिडेंट उसी एड और एडवाइस के अकॉर्डिंग काम करेगा शैल एक्ट अकॉर्डिंग टू द एड एंड एडवाइस गिवन बाय काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स यह आपको याद रखना है यहां पे एक जुडिशियस डेवलपमेंट हुई है जिससे सवाल आ सकता है वह यह कि पहले यह शेल नहीं था उस यह जो शेल है पहले यह शेल नहीं था यानी कि पहले हमने प्रेसिडेंट को एक तरह से मतलब क्लियर नहीं बोला था प्रेसिडेंट को कि तुम्हें हर हाल में काउंसिल ऑफ मिनिस्टर की एड और एडवाइस पर काम करना होगा ठीक है पहले जो कंसीट है वो इतना क्लीयरली यह बात नहीं कहता था मतलब सबको पता यही था कि उसको पीएम और काउंसिल ऑफ मिनिस्टर की एड एडवाइस पर काम करना है पर हमारे कांस्टिट्यूशन के अंदर यह शैल वर्ड नहीं लिखा था इसकी जगह लिखा था मे मे एक्ट ठीक है मे का मतलब होता है कि प्रेसिडेंट करना चाहे तो करें नहीं करना चाहे तो ना करें तो 42 अमेंडमेंट में जब इमरजेंसी चल रही थी तब इमरजेंसी चल रही थी तब इंदिरा गांधी ने कहा कि भाई प्रेसिडेंट को मेरी ही बात माननी पड़ेगी और उसने एक अमेंडमेंट कर दिया कांस्टिट्यूशन का और उसने एक शब्द ऐड कर दिया मे को हटा के कर दिया शेल कि प्रेसिडेंट हमेशा जब भी हम उसको कोई एड और एडवाइस देंगे हमारी बात माननी पड़ेगी तो प्रेसिडेंट अब पूरी तरह से काउंसिल ऑफ मिनिस्टर के अकॉर्डिंग ही चलेगा यह हो गया 42 अमेंडमेंट के बाद जब इमरजेंसी 1975 की इमरजेंसी 1977 में खत्म होती है तो जनता पार्टी का रूल आता है जनता पार्टी क्या कहती है कि यार तुमने तो प्रेसिडेंट को बिल्कुल ही रबर स्टैंप बना दिया प्रेसिडेंट तुम्हारी बात के अलावा कोई बात मान ही नहीं सकता उसको कुछ तो चॉइस दो तो जनता पार्टी एक अमेंडमेंट करती है 44th अमेंडमेंट 44th अमेंडमेंट करती है 1978 ठीक है 44th अमेंडमेंट 1978 के अंदर आता है जनता पार्टी करती है ये अमेंडमेंट क्या कह देती है कि देखिए वैसे तो जो प्रेसिडेंट है वो काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की एड और एडवाइस के अकॉर्डिंग ही काम करेगा यानी कि काउंसिल ऑफ मिनिस्टर जिसका हेड है पीएम वो प्रेसिडेंट को एड करेंगे उसकी हेल्प करेंगे और उसको एडवाइस करेंगे और प्रेसिडेंट जो है उसी के अकॉर्डिंग काम करेगा उसी के अकॉर्डिंग काम करेगा पर कभी-कभी हो सकता है प्रेसिडेंट को लगे कि काउंसिल ऑफ मिनिस्टर अच्छा काम नहीं कर रही तो उस केस में प्रेसिडेंट क्या कर सकता है उनकी इस एड और एडवाइस को वापस भेज सकता है एक बारी सिर्फ एक बारी वन टाइम एक बारी उसको वापस भेज सकता है और क्या क्या बोलेगा वो बोलेगा भैया आपने एड और एडवाइस दी है मैं काम तो इसी के अकॉर्डिंग करूंगा पर मुझे लग रहा है इसमें कुछ गड़बड़ है तो तुमने जो मुझे एड और एडवाइस की है इसको रिकंसीडर करो इस को दोबारा से देखो हो सकता है जो गड़बड़ मुझे दिखाई दे रही है वह तुम्हें भी अब दिखाई देने लग जाए और तुम अपनी एड और एडवाइस को चेंज कर दो प्रेसिडेंट जो है एक बारी काउंसिल ऑफ मिनिस्टर के पास वापस भेज सकता है यह बहुत ही इंपॉर्टेंट पावर दी गई क्यों मान लीजिए गवर्नमेंट प्राइम मिनिस्टर मोदी प्रेसिडेंट को कुछ काम करने के लिए बोलते हैं और प्रेसिडेंट उसको वापस कर देता है तो सारा मीडिया जो है वह पब्लिक को बताएगा कि प्रेसिडेंट को कोई चीज खराब लगी थी कोई चीज खराब लगी थी इसलिए उसने सरकार को वापस कर दी पूरी पब्लिक के अंदर एक सेंटीमेंट जाएगा कि प्रेसिडेंट ने वापस कर दी प्रेसिडेंट तो सबकी काउंसिल ऑफ मिनिस्टर की सारी बात मानता है पर वो भी वापस करने लग गया यानी कि चीज में कुछ ना कुछ गड़बड़ होगी तो गवर्नमेंट के ऊपर आ जाएगा दबाब गवर्नमेंट उस दबाब में हो सकता है अपनी एडवाइस को चेंज कर ले तो ये एक उसको पावर दे दी पर इस पावर का क्या मतलब है इस पावर को वो सिर्फ एक बार यूज कर सकता है एक बार बोलेगा भैया रिकंसीडर कर लो एक बारी अगर रिकंसीडर करने के बाद री कंसीडर करने के बाद अगर दोबारा से एग्जीक्यूटिव उस एड और एडवाइस को एज इट इज भेज देता है तो प्रेसिडेंट को फिर दोबारा जो उसने भेजी है दूसरी बार वो उसको माननी ही पड़ेगी मतलब वो सिर्फ एक बार भेज सकता है एक चीज पे ठीक है अगर वो चीज दोबारा से भेज दी गवर्नमेंट ने या काउंसिल ऑफ मिनिस्टर ने तो प्रेसिडेंट को माननी ही पड़ेगी ठीक है इसमें क्या हो रहा है इसमें एक तरह से काउंसिल ऑफ मिनिस्टर ने प्रेसिडेंट को एक एडवाइस दी प्रेसिडेंट ने कहा दोबारा से एडवाइस को रिकंसीडर करो तो प्रेसिडेंट ने कुछ दिनों के लिए कुछ दिनों के लिए उनकी एडवाइस मानने से मना कर दिया तो ये एक तरह का सस्पेंसिव वीटो की तरह काम करता है ठीक है सस्पेंसिव वीटो की तरह काम करता है ये ये सस्पेंसिव टो नहीं होता है मैं सिर्फ तुम्हें समझाने के लिए यहां पे लिखा हुआ है ठीक है सस्पेंसिव वीटो लॉ के केस में होता है वो हम बाद में देखेंगे तो जब हम लॉ में देखेंगे सस्पेंसिव वीटो क्या होता है तब आपको क्लियर हो जाएगा कि मैंने ये यहां पे क्यों लिखा था ताकि आपको याद रहे इसके लिए लिखा है ये सिर्फ मैं उल्टा आपको नोट्स के अंदर यह हटा ही दूंगा ताकि कंफ्यूजन ना हो ठीक है तो प्रेसिडेंट जो है वो एक तरह का एड और एडवा में भी एक तरह का सस्पेंसिव वीटो यूज कर सकता है आर्टिकल 75 क्या कहता है आर्टिकल 74 कहता है कि एक काउंसिल ऑफ मिनिस्टर होगी जिसका हेड होगा पीएम और इनकी ड्यूटी होगी कि वह प्रेसिडेंट को एड और एडवाइस करें और प्रेसिडेंट उसी एड और एडवाइस के अकॉर्डिंग काम करेगा उसके अकॉर्डिंग ही काम करेगा शैल वर्ड कब आया था 42 अमेंडमेंट से आया था प्रेसिडेंट एक बार री कंसीडर करने के लिए भेज सकता है और यह रिकंसीडरेशन कब आया था यह 44 अमेंडमेंट से आया था तो यह काउंसिल ऑफ मिनिस्टर और पीएम होगा इनको अपॉइंटमेंट कल 75 बताता है कि पीएम को अपॉइंटमेंट पीएम को अपॉइंटमेंट के पास है और जो बाकी काउंसिल ऑफ मिनिस्टर के अंदर मंत्री होंगे मंत्री होंगे उनको कौन अपॉइंट्स जेंट ऑन दी एडवाइज ऑफ पीएम यानी कि पहले प्रेसिडेंट पीएम को चुनेगा फिर पीएम बोलता जाएगा कि इसको मंत्री बनाते चलो तो प्रेस उसको मंत्री बनाता चलेगा अगर किसी मंत्री को हटाना है तो वह कौन हटाता है वह प्रेसिडेंट हटाता है ठीक है प्राइम मिनिस्टर नहीं हटाता प्रेसिडेंट हटाता है लेकिन प्राइम प्रेसिडेंट किसकी एड और एडवाइस पे काम करता है प्राइम काउंसिल ऑफ मिनिस्टर जिसका हेड है पीएम ठीक है हटाएगा कौन देखिए अगर क्वेश्चन आ जाए कि मिनिस्टर को हटाना है तो कौन हटाएगा तो आप आंसर करेंगे प्राइम मिनिस्टर ओ सॉरी प्रेसिडेंट प्रेसिडेंट और प्रेसिडेंट किसकी एड और एडवाइस पे करेगा पीएम की या फिर काउंसिल ऑफ मिनिस्टर की एड और एडवाइस पे करेगा कलेक्टिव रिस्पांसिबिलिटी का मतलब मतलब क्या है कि इसका मैं आपको एक प्रोसेस समझा देता हूं यहां पे क्या होता है जब भी इलेक्शन होते हैं इलेक्शन किए जाते हैं आपके यह पूरा का इलेक्शन जो होता है यह पार्लियामेंट है ठीक है इसको लोकसभा मान लेते हैं इसको राज्यसभा मान लेते हैं लोकसभा के लिए इलेक्शन हो रहे हैं यह लोकसभा की सीटें हैं तो जो पीपल हैं जो लोग हैं वो डायरेक्टली डायरेक्टली लोकसभा के लोगों को चुनते हैं लोकसभा में जो मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बैठेंगे उनको डायरेक्टली लोग वो वोट देते हैं और वोट देकर चुन के भेजते हैं अब मान लीजिए सिर्फ लोकसभा दिखा रहा हूं यह लोकसभा है इस लोकसभा के अंदर इस लोकसभा के अंदर इतनी सीटें इतनी सीटें एक पार्टी को मिल गई और जो यह बाकी सीटें हैं यह दूसरी पार्टी को मिली जो बाकी हिस्सा रह गया वोह एक तीसरी पार्टी को मिल गई ठीक है तो यहां पे ये देखा जाता है कि लोकसभा के अंदर किसकी मेजॉरिटी है किसकी मेजॉरिटी है किस पार्टी की मेजॉरिटी है तो अगर इस पार्टी की हमें मेजॉरिटी क्लियर दिखाई दे रही है तो इस पार्टी के जो भी लीडर हो गए इस पार्टी का लीडर होगा प्रेसिडेंट उस लीडर से कहेगा भाई साहब आपकी मेजॉरिटी है आप इलेक्शन में इतने बहुमत से जीत के आए हैं आप आओ और अपनी सरकार बनाओ प्रेसिडेंट उस पार्टी के लीडर को इनवाइट करेगा इनवाइट करेगा गवर्नमेंट बनाने के लिए तो बेसिकली वो उस पार्टी के प्राइम मिनिस्टर को इनवाइट करेगा पार्टी बनाने के लिए प्रेसिडेंट जो है उसको पीएम की तरह अपॉइंट्स हो गया जो जो लार्जेस्ट पार्टी जो जीत के आई थी जिसका बहुमत है लोकसभा के अंदर वहां से पीएम चुन के आएगा पीएम जो है पीएम क्या कहेगा पीएम प्रेसिडेंट को बताएगा कि मैं अपना मंत्री किसको बनाना चाह रहा हूं और प्रेसिडेंट उन सबको अपॉइंटमेंट है और यह सारे के सारे काउंसिल ऑफ मिनिस्टर हैं ठीक है अब सिचुएशन क्या हो गई यह हमारा पार्लियामेंट है इसके अंदर यह एक पार्टी की मेजॉरिटी है ये सारे के सारे एमपी बैठे हैं इसके अंदर ठीक है पार्लियामेंट के अंदर एमपी बैठे हैं यहां पे एक पार्टी की मेजॉरिटी है पार्टी की मेजॉरिटी है जिसको कहेंगे हम रूलिंग पार्टी यहां पे रूलिंग पार्टी के मेंबर बैठे हैं यह सारे के सारे मान लो अपोजिशन पार्टी के मेंबर हैं यह अपोजिशन पार्टी टू के मेंबर हैं ठीक है तो यह जो रूलिंग पार्टी है यह कब तक पावर में रहेगी यह तब तक पावर में रहेगी जब तक कि इसके पास मेजॉरिटी है पार्लियामेंट के अंदर मान लीजिए कल को इसके इतने मेंबर्स ने रिजाइन कर दिया और इसकी जो मेजॉरिटी है वह खत्म हो गई अब यह मेजॉरिटी में नहीं है और यह वाली जो पार्टी है यह मेजॉरिटी में आ गई तो प्रेसिडेंट क्या कहेगा प्रेसिडेंट यहां से बोलेगा भाई साहब आपकी मेजॉरिटी रही नहीं आप दो इस्तीफा अब मैं नया प्राइम मिनिस्टर को इनवाइट करूंगा और नया प्राइम मिनिस्टर अपनी नया प्राइम मिनिस्टर अपनी गवर्नमेंट बनाएगा ठीक है अब यहां पे ये आ जाता है कि देखिए जैसे ही जैसे ही रूलिंग पार्टी की मेजॉरिटी चली जाती है लोकसभा के अंदर किसके अंदर लोकसभा के अंदर जैसे ही रूलिंग पार्टी की रूलिंग पार्टी की मेजॉरिटी चली जाती है लोकसभा के अंदर वैसे ही उसकी सरकार गिर जाती है जो काउंसिल ऑफ मिनिस्टर है जिसका हेड होता है पीएम काउंसिल ऑफ मिनिस्टर जिसका हेड होता है पीएम वह पूरा का पूरा रिजाइन कर देता है उनकी जो सरकार है वह चली जाती है अब वह सिर्फ और सिर्फ एमपी बन के रह गए हैं अब कोई और पीएम बनेगा ठीक है तो इसको कहा जाता है कलेक्टिव रिस्पांसिबिलिटी यानी कि आप तब तक पावर में हैं जब तक आपकी लोकसभा के अंदर मेजॉरिटी है इंडिविजुअल रिस्पांसिबिलिटी का क्या मतलब है कोई मंत्री ढंग से काम नहीं कर रहा और प्राइम मिनिस्टर चाहता है कि वह मंत्री को चेंज कर दिया जाए तो प्राइम मिनिस्टर प्रेसिडेंट को बोलेगा कि इस मंत्री को हटा दो प्रेसिडेंट उस मंत्री को हटा देगा और एक दूसरे आदमी को मंत्री अपॉइंट्स करता है पीएम को कौन अपॉइंटमेंट बाकी मंत्रियों को कौन अपॉइंटमेंट अपॉइंट्स हटाता है ऑन दी एडवाइस ऑफ काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स और कलेक्टिव रिस्पांसिबिलिटी किसकी तरफ होती है लोकसभा की तरफ होती है यानी कि लोकसभा में आपको अपनी मेजॉरिटी बनाक रखनी पड़ेगी अच्छा अब बात ये आ गई क्या होने लग गया एक चालाकी दिखाने लग गए चालाकी क्या दिखाई यह हमारा पार्लियामेंट है इस पार्लियामेंट में यहां पर यह जो है यह मेजॉरिटी मार्क मान लीजिए ठीक है यह वाला पूरा हिस्सा मेजॉरिटी मार्क मान लीजिए यहां पर पार्टी वन के मेंबर बैठे हैं यहां पर पार्टी टू के मेंबर हैं और यह पार्टी थ्री के मेंबर हैं किसी के भी पास किसी के भी पास मेजॉरिटी अभी नहीं है पार्टी वन पार्टी टू पार्टी थ्री सबके पास जो है कम सीटें हैं तो पार्टी वन का आदमी आता है यहां का जो लीडर है वो जाता है पार्टी टू 2 के पास और वो कहता है भाई सुन तू मुझे सपोर्ट दे दे तू मुझे सपोर्ट दे दे तू अपनी पार्टी के अपने पार्टी के मेंबर यहां पे बिठाए रख पर मुझे सपोर्ट दे दे जब भी वोट हो लोकसभा के अंदर जिसमें यह पता लगाना हो कि किसकी मेजॉरिटी है तो तू मेरे मेरे फेवर में वोट दे दियो तो उससे यह लगेगा कि पार्टी वन की मेजॉरिटी है यहां पे यानी कि पार्टी वन को मेजॉरिटी लोग पसंद कर रहे हैं गवर्नमेंट बनाने के लिए तो पार्टी टू का आदमी कहता है कि भाई मैं तुझे सपोर्ट तो दे दूं बदले में मुझे क्या मिलेगा तो पार्टी वन का आदमी इसको लालच देता है वो क्या कहता है देख अगर तू मुझे सपोर्ट देगा तो मेरी बनेगी गवर्नमेंट सारे के सारे काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स जो हैं वो मैं चुनूंगा ठीक है पार्टी वन ने कहा कि मैं तो पीएम बन गया और मैं अपने सारे मंत्रियों को चुनूंगा मैं तेरे भी किसी आदमी को मंत्री बना सकता हूं समझ रहा है उसने लालच दे दी उसने कहा कि भाई पार्टी टू अगर तू सरकार का सपोर्ट नहीं कर रहा अगर तू मेरा समर्थन नहीं कर रहा तो तू केवल और केवल एमपी रह जाएगा तू सिर्फ और सिर्फ एमपी रह जाएगा ये भी एमपी रह जाएगा मैं भी एमपी रह जाऊंगा और फिर उसके बाद हो सकता है यह आदमी यह आदमी इसकी सपोर्ट से सरकार बना ले तो तू जो है तू केवल एमपी रह जाएगा अगर तुझे सरकार में आना है अगर तुझे एग्जीक्यूटिव बनना है अगर तुझे पावर चाहिए तो तू मुझे सपोर्ट कर मैं तेरे एमपीज को मंत्रिमंडल में शामिल कर लूंगा काउंसिल ऑफ मिनिस्टर में ऐड कर लूंगा तो पार्टी टू का आदमी बड़ा खुश हो जाता है तो ऐसा होने लग गया क्या होने लग गया कि हमारे लोकसभा के अंदर 4 545 मेंबर्स हैं 545 में से 200 250 जो है वह मंत्रीमंडल बन गया ठीक है 20050 मिनिस्टर बन गए तो देखो भाई आधा आधा लोकसभा तो मंत्रीमंडल ही बन चुका है मंत्री बन चुका है तो क्या यह जायज है यह जायज नहीं है तो हमारे कांस्टिट्यूशन ने एक लिमिट लगा दी उनके ऊपर लिमिट क्या लगा दी कि तुम इस तरह के लालच ना दे सको लोगों को तो लिमिट लगाई गई उनके ऊपर कि सिर्फ और सिर्फ 15 पर हां लोकसभा के जितने भी मेंबर हैं लोकसभा के मान लीजिए 540 मेंबर मान लेते हैं लोकसभा में 540 मेंबर हैं तो कितने मंत्री हो सकते हैं 540 का 15 पर केवल और केवल 15 पर या उससे कम मंत्री रहेंगे तो काउंसिल ऑफ मिनिस्टर का साइज कोई पूछ ले तो कितना रहता है 15 पर या उससे कम रहता है क्या हम किसी ऐसे आदमी को मंत्री बना सकते हैं जो कि एमपी नहीं है बिल्कुल ऐसे आदमी को मंत्री बनाया जा सकता है जो एमपी नहीं है पर उसको 6 महीने के अंदर-अंदर 6 महीने के अंदर-अंदर एमपी बनना पड़ेगा तो अगर कोई मिनिस्टर एमपी नहीं है 6 महीने के लिए तो वह मिनिस्टर नहीं रह सकता 6 महीने से ज्यादा कोई भी आदमी मिनिस्टर नहीं रह सकता अगर वह एमपी नहीं है तो ठीक है बस हमारे यह देखिए एमपी एमपी को डिसक्वालीफाई किसमें किया जाता है 10थ शेड्यूल के अंदर किया जाता है एमपीज को डिसक्वालीफाई ठीक है अगर कोई अगर कोई मेंबर ऑफ पार्लियामेंट 10वें शेड्यूल में 10वें शेड्यूल में डिस्क क्वालिफाई हो गया है तो वह मंत्री बनने से भी डिसक्वालीफाई हो चुका है अगर वह एमपी बनने से डिसक्वालिफाइड है तो मंत्री बनने से भी डिसक्वालिफाइड है मंत्रियों को ओथ कौन देता है मंत्रियों को ओथ प्रेसिडेंट देता है मंत्रियों की सैलरी कहां लिखी है सैलरी लिखी है सेकंड शेड्यूल में प्रेसिडेंट के एमोल्यूमेंट्स कहां लिखे हैं वो भी सेकंड शेड्यूल में लिखे हैं मंत्रियों को ओथ कौन दे रहा है प्रेसिडेंट तो प्रेसिडेंट किस-किस को थ देता है वाइस प्रेसिडेंट को देता है और मिनिस्टर्स को देता है अभी तक हमने इतना देखा है और प्रेसिडेंट को ओथ कौन देता है प्रेसिडेंट को ओथ देता है चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया फिर एक और एग्जीक्यूटिव के अंदर एक और आदमी आता है देखिए जो गवर्नमेंट है गवर्नमेंट के खिलाफ बहुत सारे केस होते हैं तो गवर्नमेंट को कोई ना कोई एडवोकेट कोई ना कोई लॉयर हायर करना होता है कोई ना कोई लॉयर उसको हायर करना होता है तो जो गवर्नमेंट का लॉयर होता है उसका नाम होता है अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया अटॉर्नी जनरल को गवर्नमेंट हायर कर रही है गवर्नमेंट किसके नाम पर काम करती है प्रेसिडेंट के नाम पे काम करती है तो गवर्नमेंट के लिए काम कर रहा है ये यह गवर्नमेंट के लिए काम करता है पब्लिक के लिए काम नहीं करता यह ध्यान रखेंगे आप ठीक है अटॉर्नी जनरल पब्लिक का काम नहीं कर रहा गवर्नमेंट का काम करता है वो गवर्नमेंट का लॉयर है ठीक है तो ये जो अटॉर्नी जनरल है अटॉर्नी जनरल गवर्नमेंट के लिए काम कर रहा है और गवर्नमेंट प्रेसिडेंट के नाम प काम करती है तो अटॉर्नी जनरल को अपॉइंटमेंट अपॉइंट्स दें जब तक प्रेसिडेंट को लगेगा कि ये अटॉर्नी जनरल अच्छा काम कर रहा है ये हमें सही से रिप्रेजेंट कर लेता है ये हमारी बातें कोर्ट के अंदर सही से दिखा देता है तब तक तो प्रेसिडेंट उसको रखेगा अगर लगेगा कि वो काम सही से नहीं कर रहा तो प्रेसिडेंट उसको हटा देगा का तो अटॉर्नी जनरल का कोई फिक्स्ड टेन्योर होता है क्या इसका कोई भी फिक्स्ड टेन्योर नहीं होता इसका जो टेन्योर है वो डिपेंड करता है प्रेसिडेंट के प्लेजर पे जब तक प्रेसिडेंट खुश तब तक वह ऑफिस में है वरना नहीं है अटॉर्नी जनरल जो है वह सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लायक क्वालिफाइड होना चाहिए उसकी क्वालिफिकेशन कितनी होनी चाहिए सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए होनी चाहिए अटॉर्नी जनरल की ड्यूटी क्या है गवर्नमेंट ऑफ इंडिया को लीगल मैटर्स पे एडवाइस देगा और गवर्नमेंट ऑफ इंडिया कोई भी लीगल कैरेक्टर की ड्यूटी अटॉर्नी जनरल को दे सकती है यह आपको याद रखना है यह बहुत इंपॉर्टेंट पॉइंट है अटॉर्नी जनरल को एक अधिकार मिला हुआ है एक राइट मिला हुआ है वो राइट क्या है देश के अंदर कोई भी कोर्ट हो वह उस कोर्ट में जाकर बैठ सकता है और उस कोर्ट के अंदर हियरिंग कर सकता है ऑडियंस की बात सुन सकता है यह एक बहुत ही इंपॉर्टेंट चीज यह इंपॉर्टेंट अधिकार उसको मिला है अटॉर्नी जनरल को राइट ऑफ ऑडियंस है इन ऑल कोर्ट्स इन द टेरिटरी ऑफ इंडिया इसको पैसे कौन देगा प्रेसिडेंट देगा क्यों दिया है कि भाई गवर्नमेंट चाहेगी मेरे को महंगे से मह अटॉर्नी मिले ताकि मेरे केसेस को व अच्छे से हैंडल कर सके अच्छे से अच्छा तो इसीलिए वो रिमुनरेट जो है वो प्रेसिडेंट डिटरमाइंड करता है पार्लियामेंट नहीं करती है आर्टिकल 77 और 78 की बात करेंगे यह भी काफी इंपॉर्टेंट है 77 और 78 गवर्नमेंट के बिजनेस को कंडक्ट कराने की बात कहती है जो भी एग्जीक्यूटिव एक्शन है वह प्रेसिडेंट के नाम पर होगा तो जो प्रेसिडेंट है वह कोशिश करेगा कि हर एक ट्रांजैक्शन कन्वेनिएंट हो जाए ठीक है प्रेसिडेंट डिसाइड करेगा कि जो बिजनेस है वो कौन कर रहा है यानी कि हेल्थ का डिपार्टमेंट कौन डिसाइड कर रहा है हेल्थ का डिपार्टमेंट कौन हेड कर रहा है कौन सा मंत्री हेल्थ के डिपार्टमेंट बैठा है एजुकेशन के डिपार्टमेंट में कौन बैठा है सिक्योरिटी के डिपार्टमेंट डिफेंस के डिपार्टमेंट में कौन बैठा है फाइनेंस के डिपार्टमेंट में कौन बैठा है तो जो ये फाइनेंस मिनिस्टर होते हैं इन सबको जो पोर्टफोलियो देने का काम होता है पोर्टफोलियो कौन देता है पोर्टफोलियो प्रेसिडेंट देता है इसमें कंफ्यूज नहीं होंगे किसकी एडवाइस पे देता है पीएम की एडवाइस पे प्रेसिडेंट पोर्टफोलियो बांटता है कौन किसका मंत्री होगा यह कौन डिसाइड करता है प्रेसिडेंट करता है और यह ट्रिक क्वेश्चन बहुत बार पेपर के अंदर पूछा हुआ है लोग प्राइम मिनिस्टर को मार्क करके आ जाते हैं जबकि इसका आंसर क्या है इसका आंसर है कि प्रेसिडेंट देता है ऑन द एडवाइस ऑफ पीएम ठीक है जो पीएम ने बोल दिया करेगा वही लेकिन किसके नाम पर होगा प्रेसिडेंट के नाम प होगा ठीक है फिर इसको आप भूल जाइए इसको आप भूल जाइए ठीक है सिर्फ जो पोर्टफोलियो वाली बात है वो आप याद रखेंगे फिर प्राइम मिनिस्टर की कुछ ड्यूटी होती है प्राइम मिनिस्टर की ड्यूटी क्या होती है प्राइम मिनिस्टर की ड्यूटी यह है कि काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स जो भी डिसीजन लेंगे उस डिसीजन को देखिए यह काउंसिल ऑफ मिनिस्टर बैठे हैं काउंसिल ऑफ मिनिस्टर का हेड है प्राइम मिनिस्टर और ऊपर बैठे हैं प्रेसिडेंट तो काउंसिल ऑफ मिनिस्टर ने जो भी डिसीजन लिया वह प्रेसिडेंट की ड्यूटी है कि वह प्रेसिडेंट को बताएंगे कि हमने यह डिसीजन लिया है अगर काउंसिल ऑफ मिनिस्टर कोई लेजिसलेशन लेकर आना चाहते हैं कोई लॉ बनवाना चाहते हैं पार्लियामेंट के अंदर तो उसकी भी इंफॉर्मेशन प्रेसिडेंट जो है ओ सॉरी प्राइम मिनि मिनिस्टर जो है वो प्रेसिडेंट तक पहुंचाएगा ठीक है अगर प्रेसिडेंट का मन करेगा तो वह कोई भी इंफॉर्मेशन प्रेसिडेंट से मांग सकता है और प्राइम सॉरी प्रेसिडेंट का मन करेगा तो वह कोई भी इंफॉर्मेशन प्राइम मिनिस्टर से मांग सकता है और प्राइम मिनिस्टर को वो इंफॉर्मेशन प्रेसिडेंट तक पहुंचा होगी जो भी प्रेसिडेंट मांगेगा मान लीजिए काउंसिल ऑफ मिनिस्टर के अंदर ढेर सारे मंत्री हैं किसी मंत्री ने कोई एक डिसीजन ले लिया और इस डिसीजन को काउंसिल ऑफ मिनिस्टर के सामने उसने नहीं रखा था उसने अपने आप ही डिसीजन ले लिया तो जो जो प्रेसिडेंट है व प्राइम मिनिस्टर को यह कह सकता है कि भाई साहब आपके एक मंत्री ने एक डिसीजन लिया है जो कि काउंसिल ऑफ मिनिस्टर ने कंसीडर नहीं किया तो आप उस डिसीजन को ध्यान से देखो तो यह प्रेसिडेंट बोल सकता है ठीक है अगर क्वेश्चन आ जाए कि काउंसिल ऑफ मिनिस्टर की बातों को प्रेसिडेंट तक पहुंचाने की ड्यूटी किसकी है तो आप आंसर दे देंगे प्राइम मिनिस्टर की ड्यूटी है प्रेसिडेंट तक इन बातों को पहुंचाने की ठीक है तो एक बारी जल्दी से हम ओवरव्यू ले लेते हैं अपने प्रेसिडेंट वाले इस चैप्टर का क्योंकि बहुत हैवी हो गया है मुझे भी पता है तो हो सके इसको दो दिन के अंदर आप देखिएगा पर मतलब सारी चीजें इंपॉर्टेंट है ऐसा मैं नहीं कराना चाहूंगा जो कि इंपॉर्टेंट ना हो यहां से हमारा प्रेसिडेंट चालू होता है या फिर ओवरव्यू ले लीजिए आप है ना पीछे जाके चले जाइ जाइएगा वरना मेरी वीडियो बहुत लंबी होती जाएगी तो आप भी बोलेंगे सर ने इतनी बड़ी वीडियो बना दी इसको देखें कैसे तो सिर्फ 52 से 62 तक प्रेसिडेंट 63 से आपके वाइस प्रेसिडेंट स्टार्ट हो जाते हैं 73 के अंदर 73 के अंदर यह बताया गया कि जो प्रेसिडेंट के पास एग्जीक्यूटिव पावर है वह किस एक्सटेंट तक है ठीक है 7475 जो है वह आपके काउंसिल ऑफ मिनिस्टर से जुड़े हुए मैटर है 76 के अंदर हमने अटॉर्नी जनरल को देख जनरल को देखा अटॉर्नी जनरल को देखा 77 के अंदर 77 के अंदर हमने देखा था कि जो पोर्टफोलियो जो है सारे के सारे पोर्टफोलियो कौन देगा वो प्रेसिडेंट देगा 78 में देखा था कि प्राइम मिनिस्टर की ड्यूटी है प्रेसिडेंट तक बात पहुंचाने की फिर से देखिए 52 से 62 प्रेसिडेंट के वो हैं फिर 53 से सॉरी 63 से वाइस प्रेसिडेंट के स्टार्ट हो जाते हैं 73 में यह बताया है कि एग्जीक्यूटिव की पावर किस एक्सटेंट तक है 74 और 75 आपके काउंसिल ऑफ मिनिस्टर से जुड़े हुए हैं 76 आपका अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया की बात करता है 77 पोर्टफोलियो की बात करता है और जो 78 है वह यह बताता है कि प्राइम मिनिस्टर जो है वह कम्युनिकेट करेगा काउंसिल ऑफ मिनिस्टर के डिसीजंस को प्रेसिडेंट तक ठीक है तो आप इस तरह से इसको याद करेंगे अगला जो है वह हम नेक्स्ट वीडियो के अंदर करते हैं