पर्यावरण और सतत विकास
परिचय
- यह अध्याय भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्याओं और पर्यावरण से संबंधित है।
- मुख्य समस्याएं: प्रदूषण, भूमि का क्षरण, मृदा की गुणवत्ता का खराब होना।
- उद्देश्य: संसाधनों का दीर्घकालिक उपयोग सुनिश्चित करना ताकि भविष्य की पीढ़ी भी उनका उपयोग कर सके।
पर्यावरण का अर्थ और कार्य
- अर्थ: हमारे आस-पास की सभी चीजें जैसे पौधे, जानवर, जल निकाय, वायु।
- प्रमुख कार्य:
- संसाधनों की आपूर्ति: नवीकरणीय और अनवीकरणीय संसाधन।
- अपशिष्ट का अवशोषण: उत्पादन और उपभोग द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट का अवशोषण।
- जीवन का पोषण: सूर्य, जल, वायु, भोजन जैसी आवश्यकताएं प्रदान करना।
- सौंदर्य सेवाएं: नदियों, पहाड़ों में जाकर मन प्रफुल्लित होता है।
पर्यावरण संकट के कारण
- जनसंख्या विस्फोट
- औद्योगिक क्रांति
- संसाधनों का अत्यधिक दोहन
- विकास के कारण वायुमंडल में प्रदूषण
पर्यावरण संकट का अवसर लागत
- शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण विपरीत प्रभाव जैसे:
- सरकारी खर्च में वृद्धि
- स्वास्थ्य की गुणवत्ता पर प्रभाव
मुख्य पर्यावरणीय समस्याएं
- ग्लोबल वार्मिंग: वातावरण का तापमान बढ़ना; ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता बढ़ना।
- ओजोन परत का क्षय: UV विकिरण से त्वचा कैंसर और अन्य समस्याएं।
भारत का पर्यावरण: स्थिति और चुनौतियां
- प्राकृतिक संसाधन जैसे काले मृदा, नदियाँ, खनिज।
- चुनौतियां:
- भूमि क्षरण
- वनों की कटाई
- जैव विविधता की हानि
सतत विकास
- वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करना बिना भविष्य की पीढ़ियों की क्षमता से समझौता किए।
- उपाय:
- नवीकरणीय संसाधनों का सीमित उपयोग
- प्रदूषण नियंत्रण
- जनसंख्या नियंत्रण
सतत विकास की रणनीतियाँ
- गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग
- स्वच्छ ईंधन का उपयोग
- जैविक खाद और जैव-कीटनाशकों का उपयोग
- पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं का सम्मान
ध्यान दें: पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद नमूना पेपर और पिछले वर्षों के प्रश्न-पत्रों की तैयारी करें।