ई-बिजनेस और आउटसोर्सिंग
परिचय
- ई-बिजनेस: इंटरनेट के माध्यम से बिजनेस करने की प्रक्रिया। इसे इलेक्ट्रॉनिक बिजनेस कहते हैं।
- आउटसोर्सिंग: बिजनेस फंक्शन्स को किसी विशेष एजेंसी को कॉन्ट्रैक्टिंग करना।
ई-बिजनेस के प्रकार
- B2B (बिजनेस टू बिजनेस): बिजनेस का एक दूसरे से सामान खरीदना और बेचना।
- B2C (बिजनेस टू कंजूमर): बिजनेस का सीधे कंजूमर को सामान बेचना।
- C2B (कंजूमर टू बिजनेस): कंजूमर द्वारा बिजनेस को सामान बेचना।
- C2C (कंजूमर टू कंजूमर): दो कंजूमर के बीच सामान बेचना।
- B2A और C2A (बिजनेस/कंजूमर टू एडमिनिस्ट्रेशन): गवर्नमेंट से संबंधित सेवाओं का लाभ उठाना।
ई-बिजनेस के लाभ
- ईज़ी फॉर्मेशन: कम सेटअप कास्ट और सहूलियत।
- स्पीड और कन्वीनियन्स: 24x7 बिजनेस संचालन और तेज सूचना संग्रह।
- ग्लोबल एक्सेस: वैश्विक बाजार की पहुँच।
- पेपरलेस सोसाइटी की ओर कदम: कम पेपर वर्क।
- सरकार का समर्थन: डिजिटल पेमेंट्स और अन्य ऑनलाइन सुविधाएँ।
ई-बिजनेस के सीमाएं
- लैक ऑफ पर्सनल टच: सामान की व्यक्तिगत जांच का अभाव।
- डिलीवरी टाइम: सामान की डिलीवरी में समय का लगना।
- सुरक्षा समस्याएं: ऑनलाइन भुगतान में सुरक्षा की कमी।
आउटसोर्सिंग
- परिभाषा: जब विशेष बिजनेस गतिविधियों को किसी विशेष एजेंसी को सौंपा जाता है।
- लाभ:
- कम लागत और हायरिंग की ज़रूरत
- एक्सेस टू प्रोफेशनल एक्सपर्ट्स
- फोकस ऑन कोर प्रोसेस
- रिड्यूस इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट
- सीमाएं:
- लैक ऑफ कस्टमर सटिस्फैक्शन
- इनफॉर्मेशन सिक्योरिटी इश्यूज
- लॉन्ग डिलीवरी टाइम्स
प्रकार
- BPO (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग): साधारण बिजनेस टास्क्स को आउटसोर्स करना।
- KPO (नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग): नॉलेज-आधारित काम को आउटसोर्स करना।
- LPO (ल ीगल प्रोसेस आउटसोर्सिंग): कानूनी सेवाओं को आउटसोर्स करना।
निष्कर्ष
आउटसोर्सिंग और ई-बिजनेस ने बिजनेस संचालन को अधिक प्रभावी और वैश्विक रूप से कनेक्टेड बना दिया है, लेकिन इसमें कुछ सीमाएं भी हैं जिन्हें प्रबंधित करना जरूरी है।