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हेलो अलकेन और हेलो अरेन का अध्ययन

Sep 1, 2024

रिवीजन: हेलो अलकेन और हेलो अरेन

हेलो अलकेन और हेलो अरेन का परिचय

  • हेलोजन: फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन, आयोडीन जिन्हें हम सामान्यतः हेलो कहते हैं।
  • अलकेन: सिंगल बॉन्ड वाले हाइड्रोकार्बन।
  • अरीन्स: एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन जैसे बेंजीन।

हेलो अलकेन बनाना

  • हेलो अलकेन में हेलोजन जोड़ा जाता है।
  • डिग्री पहचान:
    • वन डिग्री: हेलोजन कार्बन से एक हाइड्रोजन से जुड़ा।
    • टू डिग्री: हेलोजन कार्बन से दो हाइड्रोजन से जुड़ा।
    • थ्री डिग्री: तीन हाइड्रोजन से जुड़ा।

हेलो अलकेन की तैयारी

  • एल्कोहल से तैयार करना:

    • OH ग्रुप को CL से बदलना।
    • SO2, SCL जैसे गैसें साइड प्रोडक्ट के रूप में बनती हैं, लेकिन उड़ जाती हैं।
  • हाइड्रोकार्बन से तैयार करना:

    • CL2 और प्रकाश की उपस्थिति में बॉन्ड क्लोरीन से बदलें।
  • डबल बॉन्ड कार्बन में हाइड्रोजन हैलाइड जोड़ना:

    • नेगेटिव पार्ट जोड़ना वहाँ होता है जहाँ कम हाइड्रोजन होता है।

SN1 और SN2 रिएक्शन

  • SN1 रिएक्शन:

    • यूनिमॉलिक्यूलर, दो-स्टेप प्रक्रिया।
    • मेकेनिज्म: कार्बोकैटायन बनता है और प्लेनर अटैक होता है।
  • SN2 रिएक्शन:

    • बायमॉलिक्यूलर, सिंगल-स्टेप प्रक्रिया।
    • पीछे से अटैक होता है, जिससे इन्वर्शन होती है।

हेलो अरेन की तैयारी

  • फ्रीडेल क्राफ्ट्स एल्काइलेशन और एस्साइलेशन: बेंजीन रिंग पर हेलोजन जोड़ना।
  • सैंड मियर और गेल्टरमैन रिएक्शन: विशेष परिस्थितियों में फ्लोरीन, क्लोरीन, या ब्रोमीन जोड़ना।

अन्य महत्वपूर्ण रिएक्शन

  • वूर्ज और फिटिंग रिएक्शन:
    • कार्बन की संख्या बढ़ाना या मिलाना।

रिेक्टिविटी का सरलीकरण

  • ओर्थो और पैरा पोजीशन: सिंगल बॉन्ड के साथ अटैचमेंट。
  • मेटा पोजीशन: डबल बॉन्ड या ऑक्सीजन के साथ अटैचमेंट。

उपसंहार

  • हेलो अलकेन और हेलो अरेन की रीयाक्टिविटी उनके अटैचमेंट्स और बॉन्डिंग के आधार पर होती है।

टिप्स:

  • परीक्षा में SN1 और SN2 के बीच अंतर को ध्यान में रखें।
  • रिएक्टिविटी ऑर्डर को समझें: अधिक स्थिर कार्बोकैटायन तेज़ रिएक्शन।