दोस्तों आज हम पढ़ने वाले हैं Class 9th History का Chapter No. 2 जिसका नाम है Socialism in Europe and the Russian Revolution तो दोस्तों हमने पिछले चेप्टर में पढ़ा था कि फ्रांस सोसाइटी थ्री स्टेट्स में बटी हुई थी जिसमें हमने देखा था जो फर्स्ट और सेकंड स्टेट के लोग थे वही फ्रांस की गवर्वर्वेंट को रन कराते थे और उन्हीं के पास सोसल और एकॉनिमि और उन्हीं के पास property थी अब यार आप खुदी सोचो कि जिसके उपर अत्याचार होगा वो क्या करेगा आवाज उठाएगा तो जो फ्रांस के normal लोग थे यानि कि third state के लोग थे उन्होंने demand की कि हमें एक ऐसी society चाहिए जिसमें सब लोगों के पास equality हो freedom हो और सब के बीच में property equally distribute हो और इसी demand के चलते फ्रांस में इतना बड़ा revolution हुआ था अब दोस्तों जो ये revolution हुआ था फ्रांस के अंदर लोग आपस में डिस्कस करने लगे कि अगर फ्रांस के लोगों में freedom and equality जैसी भावनाएं आ सकती हैं तो हमें क्यों नहीं आ सकते हैं तो ये जो freedom, equality and fraternity के idea थे वे धीरे धीरे पूरे यूरोप में फैलने लगे अब यूरोप के लोगों को लगने लगाता कि society में changes लाना possible है क्योंकि उन्हें idea मिल चुका था फ्रांस revolution से तो दोस्तों उस समय में यूरोप में आलग लग बिचार धानाओं के लोग रहते थे जिनके आइडियाज और सोचने के तरीके अलग लग थे जैसे कि लिवरल्स, रैडिकल्स और कंसर्वेटिव्स पहले हम बात करते हैं लिवरल्स की वो नहीं चाहते थे कि कोई भी राजा या डाइनिस्टिक रूलर उनके उपर राज करें वो चाहते थे कि गवर्मेंट ऐसी हो जिसे लोगों के दौर चुना गया हो और गवर्मेंट वो काम करें जिसमें लोगों का भला हो सेकेंडर रैडिकल्स Radical वो लोग थे जो ये चाहते थे कि country के अंदर government वो लोग बना है जिनके पास majority of population हो वो नहीं चाहते थे कि कुछी लोगों के पास privileges हो मतलब भिसेज अधिकार हो अगर privileges हो तो सब के लिए समान हो लेकिन सारी के सारी संपती किसी एक के पास ना हो Last है Conservatives तो Conservative वो लोग थे जो society में बदलाओ तो चाह रहे थे लेकिन धीरे धीरे से मतलब changes तो ये भी चाह रहे थे मगर ये चाह रहे थे कि changes आएं तो धीरे धीरे से आएं एकदम से कोई change ना आएं अब दोस्तों जो यूरोप था वो एक ऐसे दौर से गुजर रहा था जब यूरोप के अंदर नई-ने सिटीज बन रही थी इंडस्ट्रीज डबलप हो रही थी रेल्वे नेटवर्क एक्सपेंड हो रहा था और इनी सबसे यूरोप के अंदर इंडस्ट्रियल रिवोलूशन आया इसे सोसाइटीज डबल� Industries की बजे से लोग factories में आकर काम करने लगे लोगों से काम जादा कराया जाता था लेकिन उसके उन्हें बहुती कम पैसे दिये जाते थे इसके अलाबा लोगों को housing और sanitation की भी problem होने लगी unemployment भी बढ़ने लगा क्योंकि population जादा थी लोगों के पास काम कम था तो जो liberals और radicals थे उन्होंने सुझा कि कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा क्योंकि उन्हें ऐसा लग रहा था कि burkers के साथ गलत हो रहा है किसके खिलाब जो factories owner थे मतलब ऐसे ही लोगों के खिलाब आबाज उठाना सुरू कर दिया जो केवल profit कमाना चाहते हैं उन्हों लोगों कोई परबाँ नहीं थे और इन्हों को conservative कहते हैं अब दोस्तों जो workers थे उन्हें liberals और radicals पसंद आये लगे थे क्योंकि वो workers को support कर रहे थे लेकिन अब जो liberals और radicals थे उन्हें समझ में आ गया था अब जरूरत है करांधीकारी बदलाव की revolutionary activity होनी लगे जैसे कि फ्रांस, इटली, सर्मनी, रसिया और ये revolutionary activity कर कौन रहे थे जो liberals और radicals थे इनका एक ही उद्देश्च था कि यूरोप के अंदर से monarchy system को कतम कर दिया जाए क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि किसी के पास पूरी power हो अब जो यूरोप था उसके अंदर 19th century के mid में जो socialism का idea था वो धीरे धीरे फैलने लगा क्योंकि सोशलिज्म का आर्थ होता है समाज बात यानि कि एक ऐसी बिचारधार है जिसमें समाज के अंदर हर एक नागरेक के बीच में एक्कॉलिटी हो और जो प्रॉपर्टी है वो लोगों के बीच में एक्कॉलिटी डिस्टिविट हो अब जो सोशलिष्ट ये पर प्राइबेट प्रॉपर्टी के बिलकुल खिलाब थे उनका मानना ये था कि सारी की सारी परिशानी की जड़ केबल प्राइबेट प्रॉपर्टी हैं ऐसा उनको इसलि� उनका केवल एक ही मकसद होता है जो कि है प्रॉफ़िट कमाना वे उन वरकर्स के वारे हम विलकुल नहीं सोचते हैं जिनकी बजे से वे प्रॉफ़िट कमा पा रहे हैं तो ये जो सोशलिष्ट थे वो ये चाहते थे कि लोगों के बीच में cooperative community बनाई जाए मतलब लोगों के बीच में association बना दी जाए जिससे क्या होगा कि लोग साथ में काम करेंगे और जो भी profit निकलेगा उसे आप उसमें बाट लिया करेंगे ऐसे एक और सोशलिष्ट थे जिनका नाम था लूइस ब्लैंक वो भी cooperative community बनाना चाहते थे पर वो चाहते थे कि government encourage करें लोगों को cooperative community बनाने के लिए जिससे capitalist को अटाया जा सके मतलब ऐसे लोगों को अटाया जा सके जिनकी पास private property हो इन दोनों के अलाबाद दो और सोचलेश्ट थे जो नोंने बहुत कुछ बताया था कि सोचलेश्ट सोचाइटी कैसे चलनी चाहिए उनका नाम था काल मक्स और फेडरिक एंगल अब दोस्तो 1970s तक जो सोचलेश्ट का आइडिया था वो पूरी तरीके से पॉपूलर हो चुका था यूरोप के अंदर जितने भी सोचलेश्ट थे यूरोप के अंदर उन्होंने क्या किया कि एक इंटरनेशनल बॉडी बनाई जिसका नाम तो ये जो international body थी वो socialism को support करते थी ऐसे ही कई दिशों के अंदर association बनने लगी parties बनने लगी जैसे कि Germany में एक party बनी जिसका नाम था social democratic parties ऐसी Britain में एक party बनी जिसका नाम था Labour party और इन सब के अलावा France में एक party बनी जिसका नाम था socialist party तो इस तरीके से पार्टीज पूरे यूरोप में बनने लगी और ये वही पार्टीज थी जो सोसलिस्ट को फॉलो करती थी पर दोस्तो हैरन की बात तो ये है कि इतनी पार्टीज थी सोसलिस्ट की वो कंट्री थी रसिया कैसे revolution हुआ था और कैसे monarchy गवर्मेंट को अटाया गया था तो इसके लिए हमें जाना पड़ेगा 1914 में तो चली चलते हैं The Russian Empire in 1914 अब दोस्तों आप इस मैप को देखो यहाँ पर जो Highlighted portion है वो है Russian Empire मतलब देख रहे हो कितना बड़ा सामराज्य था और इतनी बड़े सामराज्य पर राज गरता था एक राजा जिसका नाम था Zahar Nicholas II अब दोस्तों जो Russian Empire था जैसे कि Protestants, Muslims, Buddhists, Catholics पर सबसे ज़ादा लोग एक ही धर्म को मानते थे वो था Russian Orthodox Christianity रसिया में सबसे ज़्यादा लोग एग्रिकल्चर पर डिपेंडेंट थे करीब 85% पॉपुलेशन एग्रिकल्चर सेक्टर में काम करती थी रसिया के अंदर इंडरस्टीज बहुत कम थी जातर इंडरस्टीज दो ही जगहों पर थी धीरे धीरे समय निकलता गया और 1890s में रसिया के अंदर रेलिवे नेटवर्क एक्सपेंड हुआ प्रोडक्शन बढ़ने लगा कई सारे बरकर्स फैक्टरीज में आकर काम करने लगे 1914 में फैक्टरीज के अंदर 31% फीमिल काम करती थे पर उनको जो पैसे मिलते थे वो मेल के कम पैसे में काफी कम मिलते थे पर जो बरकर्स थे रसिया के वो दूसरों से काफी अलग थे सारे के सारे बरकर्स एक दूसरे को सपोर्ट करते थे अगर किसी बरकर्स को परिशानी होती थी तो दूसरों यहाँ पर हमने देखा कि रसिया सिटी के अंदर कैसी थी अब अपन बात करते हैं कि रसिया सुसाइटी और रूरल एरिया मतलब गाउं की सुसाइटी कैसे थी तो रसिया के अंदर जितने भी कंट्री साइड और रूरल एरिया थे वहाँ पर जातर लोग खिती करते थे मतलब किसान थे लेकिन इनके पास काफी कम जमीन होती थी किसानों को सबसे ज़्यादा नफरण नोवालिटी से थी क्योंकि किसानों का मानना ये था कि जो जमीन नोवालिटी ने होल्ड करके रखी है उसके असली अकदर किसान है अब दोस्तों जो रसिया के किसान थे वो बाकी उरोपियन किसानों से अलग थे उसे मिल जुल कर होगा थे पहले फसलों को एखटा कर लेते थे अब दोस्तों जो रसिया था उसमें क्या होता था कि 1914 से पहले जितनी भी पॉलिटिकल पार्टी थी रसिया के अंदर उनको इलीगल माना जाता था मतलब वहाँ पर पार्टी बनाने का कोई अधिकारी नहीं था लेकिन उसके बावजूद भी 1898 में एक इलीगल पार्टी बनाई गई जिसका नाम था Russian Social Democratic Workers Party नाम से ही पदा चल रहा है कि ये बरकर्स के लिए बनाई गई थी इनका काम जनरली अरवन एरिया में था मतलब ये से ये जो पार्टी थी वो किसानों के द्वारा बनाई गई थी लेकिन किसानों को पार्टी ही क्या जरूरत थी जरूरत थी क्योंकि एक तो उन्हें अपने जमीन बाबो सही थी जो नोवालिटी ने होल्ड करके रखी थी जो की रसिया के अंदर बनी थी पहली वो थी जो बरकर्स के लिए बनी थी दूसरी वो थी जो किसानों ने बनाई थी पहली वो थी जो अर्बन एरिया में काम करती थी दूसरी वो थी जो रूरल एरिया में काम करती थी लेकिन दोनों ही पार्टी इल्लीगल थी बुलसेबिक चाहते थे कि अमारी पार्टी डिसिप्लेंड हो मतलब वो नहीं चाहते थे कि कोई भी मेंबर हमारी पार्टी को जॉइन करें केवल क्वालिटी ओफ मेंबर ही जॉइन कर सकते थे मैंसेबिक चाहते थे कि पार्टी सब के लिए ओपन होनी चाहिए कोई भी पार्टी में सामिल हो सकता अदुस्व जो राजा था यूरूप का जार निकोलस सेकंड उसके पास ही पूरी पावर थी जो भी डिसिजन लेता था वो जार निकोलस सेकंड ही लेता था क्योंकि दोनों को कोरिया और मंचूरिया चाहिए थे अब दोस्तों जो रसिया था वो जापान से कई बार हार चुका था लेकिन वहाँ का जो राजा था जार निकोला सेकंड वो हार मानने के लिए तैयारी नहीं था इतनी बार हार मानने के बावजूद भी उसने फिर से युद्ध किया लेकिन वो फिर हार गया और लगातर हारती जाएगी तो वार के चलते रसिया में प्राइजेस बढ़ने लगे वरकर्स को रहने और खाने में प्रॉबलम होने लगी वरकर्स डिमांड करने लगे बेल्टर कंडिसन्स की स्ट्राइक करने लगे असोसिजन बनाने लगे और करीब 300 वरकर्स घायल हो गए इस गटना के बाद कई लोगों के अंदर revolution की भावना और भड़क गई जगए जगए पर strike और protest होने लगे कई सारे workers, doctors, engineers, lawyers इस तरीके कई सारे लोगों ने अपने union बनाना सुरू कर दिया और सब लोग यही demand करने लगे कि हमें constituent assembly शेये अब जो राजा था रसिया का वो pressure में आ गया क्योंकि जार को लगने लगाता कि लोग control से बाहर होते जार हैं जार नहीं चाता था कि उसकी power धीरे धीरे खतम होती जाए लेकिन फिर भी उसने लोगों के pressure में आकर allow कर दिया एक elective parliament बनाने का जैसे डूमा बोलते हैं लेकिन राजा ने पहले ही डूमा को 75 days के अंदर ही dismiss कर दिया फिर 3 महिने बाद फिर से डूमा बनाई गई यानि की second डूमा लेकिन राजा ने उसे भी dismiss कर दिया क्योंकि राजा नहीं चाहता था कि उसकी power कम होकर किसी और के पास सिली जाए अब कुछ समय बाद राजा ने तीसरी डूमा बनाई अब की बार राजा ने क्या किया कि voting laws में changes कर दिया और ऐसे ही लोगों को डूमा में रखा गया जो राजा के supporter थे और येने कोई मतलब नहीं था कि सुसाइड में चल क्या रहा है जैसे ही conservative और जो liberals और revolutionary थे उनको Duma से बाहर कर दिये The First World War 1914 में यूरोप के अंदर कई दुस्सों को बीच में लड़ाई सुरू हो गए एक तरफ थे जर्मनी, टरकी, ओस्ट्रिया और दूसरी तरफ थे फ्रांस, बृतेन और रसिया इसलिए इसको बल्ड वर कहा गया क्यों कर दिया क्योंकि वो एक जर्मन नेम था और जर्मनी से वार चल रहा था और जर्मनी से लोगों को उतनी नफरत थी लेकिन जैसे जैसे समय निकलता गया वार बढ़ता गया लोगों को राजा पर से भरूसा उठने लगा और जनता ने धीरे धीरे करके राजा को सपोर्ट करना बंद कर दिया अब सपोर्ट करना क्यों बंद कर दिया था इसके तीन कारण थे दूसरा रीजन जी था कि जो ये आप पिक्चर देख रहे हो वो है राजपूतिन ये जो था वो राजा का एडवाइजर था मतलब राजा को एडवाइज देने का काम करता था लेकिन रसिया के लोग राजपूतिन को पसंद नहीं करते थे क्यों पसंद नहीं करते थे क्योंकि लोगों को लगता था कि राजपूतिन एक पूर एडवाइजर है थर्ड रीजन ये था कि जो राणी थी रसिया की वो जर्मनी की रहने वाली थी तो राजा जर्मनी से कैसे लड़ सकता है तो ये कुछ कारण थे जिनकी वज़े से जनता ने राजा को सपोर्ट करना कम कर दिया था 1914 से 1916 तक जो रसियन आर्मी थी वो बहुती बुरी तरीके से आर चुकी थी जर्मान और ओस्ट्रियन आर्मी से 1917 तक आते आते लगो 7 मिलियन लोग मारे गए थे इस बॉर की वज़े से और 3 मिलियन लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं बचे थे और इन सब के अलाबा लोगों के बीचे फूट्स की भी कमी होने लगे थी क्योंकि जातर फूट आर्मी के लिए चला जाता था मतलब बर्डवार फ़र्स्ट के कारण लोगों को बहुत बुरा असर पड़ा था नेवा नदी की राइट के तरफ गरीब लोग र लोकेटेड थी नेवा नदी की लेफ्ट की तरफ फेस अनेवल एरियास थे जैसे की विंटर पैलेस और कई सारी गवर्मेंट बिल्डिंग्स भी लोकेटेड थी इन सब के अलाबा डूमा भी यहीं पर लोकेटेड थी अब दोस्तों 1917 के फैबरेरी टाइम में पेट्रो ग्रे और नेवस की प्रोस्पेक्ट जो की एक जगह है थी वहाँ पर जाकर प्रोटेस्ट करने लगे इसे देखकर गवर्मेंट ने कर्फ्यू लगा दिया जिससे मजबूर होकर बरकर्स को वापस जाना पड़ा वे 24 और 25 फैवरेडी को फिर वापस गए और प्रोटेस्ट करने लगे फिर राजा ने 25 फैवरेडी को डूमा को ही सस्पेंड कर दिया बहुत सारे लोग सडकों पर आ गए और राजा के खिलाब प्रोटेस्ट करने लगे राजा ने ये सब देखकर केवलरी को बुलाया और फायर करने का ओर्डर दे दिया बट केवलरी ने उन पर फायर करने से मना कर दिया और जो वरकर्स थे वो पहले से ही परिसान थे फिर वरकर्स और सोल्जर आप उसमें मिल गए और एक नई काउंसल बनाए तो राजा ने उनकी बात माल ली और फाइनली 2nd मार्च 1917 को राजा ने रेजाइन दे दिया अब दोस्तो जो पेट्रोग्रेट सोबियत थे उन्होंने डूमा के साथ मिलकर एक नई गवर्मेंट बनाई जिसको प्रोवीजिनल गवर्मेंट बोला गया तो ये जो प्रोवीजिनल गवर्मेंट थी वही अब कंट्री को रन कर रही थी इसी भी चेंट्री होते है बुल सैबिक के लीडर लैधीमान लैनन की तो लेनिन की first demand थी कि war को खतम कर दिया जाए second demand थी जो जमीन है उसे किसानों को दे दी जाए और third demand थी कि banks को nationalize कर दिया जाए और इनी three demands को April thesis भी बोला जाता है उसने ये भी बोला था कि आप हमें bullsabic party का नाम बदल कर communist party कर देना चाहिए provisional government problem खड़ी करेगी ऐसा उसको क्यों लग रहा था क्योंकि provisional government के अंदर जाधातर वो leader बने थे जो पहले से landlord थे, businessman थे और जो army officers थे और दुस्तों आपको तो पता है कि अमीर लोगों से workers की कितनी लड़ाई चलती थी तो धीरे धीरे workers movement फैलने लगा, factories committee बनने लगी, trade union बढ़ने लगे तो उन्होंने सोचा कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा तो जो provisional government थी उसने बहुत बुरे step लेना सुरू कर दिया जैसे कि जू लीडर उनके किलाब protest करते थे या फर आवाज उठाते थे उन्हें जेल में डाल दिया जाता था इससे जो workers थे और भी कई सारे लोग थे उनको ये government धीरे धीरे बुरी लगने लगे थी और धीरे धीरे bullsabics और provisional government के बीच में लड़ाई भी बढ़ने लगे थे तो जो लेनिन था उसने government के किलाब विद्रो करने का फैसला लिया जितने भी supporter थे bullsabic party के चाय वो army के हो चाय वो soviets हो और चाहे वो factories workers हो और 16 October 1917 को लेने ने पेडरोगेट सोवियत को भी कनबेंस कर लिया और सोवियत के साथ मिलकर एक military revolutionary community बनाई जिसका एड लियोन ट्रोस्की को appoint किया गया अब सभी लोग तैयार हो चुके थे uprising करने के लिए provisional government के खिलाब और लेने ने किसी को नहीं बताया था कि कब बिद्रो करने वाले बट फाइनली 24 एक्टूबर को बुल्सेबक ने revolt करी दिया इसे देखका जो प्राइम नेश्टर तक रेंस की उसने क्या किया कि सेहना को आदेश दे दिया तो सेहना ने क्या किया कि बुलसैबिक की दो नीज़पेपर बुल्डिंग को सीज कर दिया पर बुलसैबिक क्या कम थे अब जैसे ही बुलसैबिक जीता और दोस्तों आपको तो पता ही है कि लेनन प्राइविट प्रॉपर्टी के बिलकुल अगेर्श था इसलिए उसने लेन्ड्स को सोसल प्रॉपर्टी डिकलियर कर दिया और जो पीजेंट थे मतलब फार्मा थे उनको अलाव कर दिया नोबालिटी की जमीन छीनने के लिए अब लेनन को लग रहा था कि हम तो जीती जाएंगे क्योंकि हमने प्रॉबिजिनल गवर्मेंट को अराया है और हमने देश के लिए बहुत कुछ किया है तो बुल्साइबिक को लग रहा था कि हम थोड़ना आर सकते हैं पर होता ऐसा ही है बुल्साइबिक पार्टी एलेक्शन जीती नहीं पाती है इस वाद से लेनन को गुस्सा आ जाता है तो वो क्या करता है कि पूरी असेंबली को इसमिस कर देता है और लोगों से कहता है कि आ� ले लिया और आपको तो पताई कि जर्मनी रसीय कितनी बड़ी दुस्मती वर्ल्ड वर्ड फर्स्ट में इन सब के अलाबा लोगों के पास फंडामेंटर रायट्स भी नहीं बचे थे लोगों के पास फ्रीडम भी नहीं बची थी अब जो रसीय था वो एक बन पार्टी स्ट अब दोस्तों कई सारे लोग रसिया के अंदर सिबल बॉर करने वाले थे अब सिबल बॉर किन के बीच में होने वाला था तो सिबल बॉर जैनरली तीन तरह के लोगों के साथ होने वाला था पहले थे रेड, दूसरे थे ग्रीन और तीसरे थे वाइट रेड वो लोग थे जो लेन के सपोर्टर थे यानि की जो बुल सैबिक के लोग थे ग्रीन वो लोग थे जो की पीजेंट थे यानि की किसान थे और वाइट वो लोग थे जो राजा के सपोर्टर थे जो राजा को आज भी याद करते थे यानि की जो ओटो करसी को पसंद करते थे अब दोस्तों सिबल वार स्टार्ट हुआ और इन तीनों के बीच में बहुती बुरी तरीके से सिबल वार चल रहा था क्योंकि तीनों ही एक दूसरे को पसंद नहीं करते थे लेकिन अफसोस इतनी कोशस करने के बाद भी Green और White हार जाते हैं और Bullsabic फिर जीत जाते हैं यानि कि जीत होती है Reds की और धीरे धीरे जनबरी 19-20 तक सारी Power Bullsabic के पास बापस आ जाते हैं अब फानिली लेनन और Bullsabic को लगा कि जिन बादों को करके हम लोग जीते थे इसके लिए उन्होंने 5-year plan बनाना सुरू कर दिया मतलब कितना development करेंगे पूरे 5 साल के अंदर तो पहले 2-5 सालों के लिए Government ने क्या किया कि सारी चीजों के prices fixed कर दिये जिससे country के अंदर industrial growth को बढ़ाया जा सके और ऐसा हुआ भी country के अंदर industrial production बढ़ने लगा नई-नी cities डबलप होने लगी साथ में industries डबलप होने लगी इन सब के अलावा schooling system भी डबलप होने लगा लोगों के लिए health facility improve होने लगे तो ये जो centralized planning कर रहे थे रसिया की economical growth तो काफी improve हो रही थी सब को साइज चल रहा था फिर लेनिन की death के बाद एक नया leader बनता है जिसका नाम था Stalin 1927-1928 तक आते आते ग्रेंस की काफी ज़्यादा कमी होने लगती है रसिया के अंदर गबर्मेंट ने जितने भी फूट ग्रेंस थे उनकी प्राइसेज फिक्ष कर दी अब दोस्तो प्राइस फिक्ष कर दी थी इसलिए पीजेंट ने ग्रेंस बेचना बंद कर दिया अब दोस्तो जो स्टेलेन था उसने क्या के की एमरजन्सी लगा थी क्योंकि स्टेलेन को लग रहा था की जो अमीर फार्मार है उन्होंने ग्रेंस को छुपा कर अपने पास रखा है क्योंकि वो चाहते थे कि जब प्राइस बढ़ेगा तब ग्रेंस को मतलब लोगों को ग्रेंस देना ही देना था अगर उनके पास ग्रेंस है तो उनको ग्रेंस देना ही पड़ेंगे ऐसा उन्होंने कमपल्सरी कर दिया था स्टैलिन ने 1928 में स्टैलिन के पार्टी मेंबर्स ने गूमना शुरू कर दिया जिसमें लोगों की जमीन को एकठटा किया जाता था ताकि मॉडरन मसीनरी का इस्तिमाल करके जाधा प्रोडक्शन निकाला जा शके फिर बाद में जो भी प्रोडक्शन निकलता था उसे बाट दिया जाता था लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद भी कंट्री के अंदर ग्रेंस की प्रोड़क्शन नहीं बढ़ रही थी 1913 से 1933 तक आते आते लगबख 4 मिलिया लोग मर गए थे इस भुकमरी से उसे जेल में या फिर लेवर केंट में भीज दिया जाता था ऐसे करके 1939 तक 2 मिलियन लोगों को जेल में या लेवर केंट में भीज दिया था दोस्तो रशियन रेवोलूशन की बज़े से काफी सारी कंट्रीज के अंदर कमुनिष्ट पार्टी बनने रखी बुल सैवक ने भी काफी ज़दा इंकरेज किया था लोगों को जिससे सोसलिस्म पूरे बल्ड में फैल सके बुल सैवक ने कॉन इंटरन्मी बनाया जसे सोसलिस्म को और भी ज़दा अभियर बनाया जा सके ओना इंटरनेशनल लेबल और University इसको भी खोला गया जिसमें लोगों को Socialism के बारे में सिखाया जा सके पर Russia के बारे में अलग-अलग Countries के अलग-अलग Views थे और दोस्तों जब बल्ड बॉर्ड सेकंड आया तब Socialism और भी ज़्यादा Popular हुआ पूरे बल्ड में इन फेक्ट इंडिया में भी काफी सारे लोग Russian Revolution से Inspire हुए थे जैसे कि जबारलाल नेरू और रवेदना टेगोर पर रसिया पूरी तरीके से एक Socialist Country नहीं बन पाया था और नाई लोगों को essential freedom मिल पाई थी बट जो ये socialism का idea था उसे पूरे bald bite popularity मिल चुकी थी और respect मिल चुकी थी after Russian revolution I hope आपको ये वीडियो पसंद आई होगी अगर आपको ये वीडियो पसंद आई तो यार आप इस वीडियो को like कर सकते हो और चाहो तो आप इस channel को subscribe भी कर सकते हो ऐसी class 9 की और भी वीडियो देखने की thanks for watching, take care, bye bye