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भगवान श्री कृष्ण और कलियुग के लक्षण

भगवान श्री कृष्ण ने बताया है कल्युग का अंत कैसे होगा? आज के इस विडियो के मध्यम से हम बताएंगे कि कल्युग के क्या लक्षन है? कल्युग में स्त्री और पुरुष कैसे होंगे? उनकी आयु कितनी होगी? कल्युग का अंत किस प्रकार से होगा? तो उनके मन में सृष्टी के भविष्य को लेकर अनेक चिंताएं उठने लगी। द्वापर युग अब समाप्त होने की कगार पर था और कलियुग के आगमन के संकेत मिलने लगे थे। युधिष्ठिर यह सोच कर व्याकुल हो उठे कि कलियुग में मानव जीवन का क्या हो� भगवान श्री कृष्ण के पास जाने का निश्चय किया, युधिष्ठिर ने अपने भाईयों को बुलाया, अर्जुन ने चिंतित स्वर में पूछा, हे बड़े ब्राता, आप इतने चिंतित क्यों दिखाई दे रहे हैं, क्या किसी शत्रू ने हमारे राज्य पर आक्रमण मैं तुम्हारे पराक्रम से भली भांती परिचित हूँ इस पृत्वी पर कोई भी राजा इतना साहस नहीं कर सकता कि हस्तिनापूर पर आक्रमण करने का विचार भी करे लेकिन मेरा चिंतन किसी बाहरी शत्रू के बारे में नहीं है भीम जो हमेशा से ही अपने बड़े भाई की हर चिंता को साझा करते थे बोले तो फिर क्या बात है बड़े भाईया आपकी चिंता देखकर हमारे मन में भी अनिश्चितता और भै उत्पन्न हो रहा है कृपया हमें शीगर ही बताईए कि कौन सा संकट हमारे सामने है युधिष्ठिर ने गंभीर स्वर में उत्तर दिया हे भीम तुम सत्य कह रहे हो एक भयंकर संकट सचमुच आने वाला है मैं कलियुग के आगमन के विशय में सोच कर चिंतित हूँ मुझे यह भय सता रहा है कि आने वाले समय में मानव समाज किस दिशा में जाएगा धर्म का क्या होगा और सत्य का क्या हश्र होगा इसी लिए मैंने निष्चय किया है कि अब हमें द्वारिका धीश श्री कृष्ण जी के पास जाना चाहिए। केवल वही हमें इस चिंता से मुक्त कर सकते हैं। सभी पांडवों ने युधिष्ठिर की बातों से सहमती प्रकट की। अर्जुन ने कहा, आप सत्य कह रहे हैं भाईया। श्री कृष्ण ही इस समय स हम सब द्वारिका चल कर श्री कृष्ण से परामर्श करेंगे। इस प्रकार से विचार करके सभी पांडव द्वारिका की ओर प्रस्थान करने लगे। वे पवित्र नगरी द्वारिका में पहुँचे, जहां श्री कृष्ण ने उनका स्वागत किया। श्री कृष्ण के पा द्वारिका नगरी में आपका स्वागत है। कहिए, मैं आपकी किस प्रकार से सहायता कर सकता हूँ। युधिष्ठिर ने विनम्रता पूर्वक कहा, हे माधव, आप तो सब कुछ जानते हैं। द्वापर युग अब समाप्त होने वाला है और कलियुग के संकेत सपष्ट र� श्री कृष्ण ने गहरी मुस्कान के साथ उत्तर दिया, हे धर्मराज, आपकी जिग्यासा उचित है, कलियुक के प्रभावों को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका उत्तर मैं आपको सीधे नहीं दे सकता, इसके लिए आपको और आपके भाईयों को कुछ वि श्री कृष्ण ने कहा, हे महाराज, आपको और आपके चारों भाईयों को अलग-अलग दिशाओं में स्थित घने और भयानक वनों में जाकर कुछ विचित्र और अद्भुत चीजें देखनी होंगी. जब आप वहां कुछ असामान्य घटनाओं का अनुभव करेंगे, तो आप जिस स्थान की ओर इशारा करेंगे, हम वहाँ पर जाने के लिए तैयार हैं। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, हे महाराज, आप और आपके चारों भाई अब अलग-अलग दि सभी दिशाओं में भयंकर वन स्थित है, आप उन जंगलों में जाकर देखो, अगर आपको कोई विचित्र चीज दिखाई दे, तो आप वापिस आकर बता देना, मैं उससे आपको आने वाले कल युग का रहस्य बताऊंगा, फिर युधिष्ठिर और उनके भाईयों ने भ� पालन करने के उद्देश्य से चल रहे थे वन का वातावरण शांती और रहस्यमयता से भरा हुआ था और पांडव एक-एक करके अलग-अलग दिशाओं में जाने लगे ताकि वे अधिक से अधिक अद्भुत घटनाओं का अनुभव कर सकें सबसे पहले युधिष्ठिर को एक घने और रहस्यमय वन में एक विचित्र द्रिश्य दिखाई दिया उन्होंने देखा कि एक विशाल काय हाथी के दो सूण्ड हैं वह हाथी अपने दोनों सूण्डों से वन के पेडों को उखाड रहा था मानो उसकी शक्ती अद्वितिय हो यह द्रिश्य देखकर युधिष्ठिर आश्चर्य चकित हो गए और सोचने लगे कि यह अद्भुत घटना क्या संकेत दे रही है उन्होंने उस हाथी को ध्यान से देखा और उसके अद्वितिय रूप को समझने का प्रयास किया इसके बाद अर्जुन ने भी एक अद्भुत घटना का साक्षात कार किया जहां पक्षियों की चहचहाहट सुनाई दे रही थी वहां उन्होंने देखा कि एक विशाल पक्षी के पंखों पर वेदों की रचाय लिखी हुई थी। वह पक्षी अत्यंत विशाल और गौरवशाली था। लेकिन वह मुर्दे का मांस खा रहा था। अर्जुन यह द्रिश्य देख कर सोचने लगे यह कैसा अद्भुत और वि फिर भीम जो बड़े बलवान और हृष्ट पुष्ट थे उन्होंने भी एक अनोखी घटना देखी भीम एक हरे भरे चारागाह में पहुँचे जहां गायों का एक जुंड चर रहा था वहां उन्होंने देखा कि एक गाय ने बच्चडे को जन्म दिया और वह गाय अपने बच्चडे को इतनी जोर से चाटने लगी कि वह बच्चडा लहु लुहान हो गया भीम ने यह द्रिश्य देखा और सोचने लगे यह कैसी विचित्र मम्ता है जो बच्चे को गायल कर रही है इसके बाद सहदेव ने एक विचितर दृश्य देखा. सहदेव एक सुन्दर और शांत जलाशाय के पास पहुँचे, जहां सात कुएं थे. उन सात कुओं में से छह कुओं में पानी भरा हुआ था, लेकिन बीच वाला कुआं, जो सबसे गहरा था, उसमें जरासा भी पानी नहीं था. यह दृश्य देखकर सहदेव गहरे विचार में पढ़ गए और सोचने लगे कि यह अद्भुत दृश्य क्या संकेद दे रहा है. उन्होंने इस दृश्य को ध्यान से देख और फिर अंत में नकुल ने भी एक अद्भुत द्रिश्य देखा। नकुल एक परवतीय क्षेत्र में पहुँचे, जहां चारों ओर उंचे परवत थे और उन पर हरे भरे व्रिक्ष उगे हुए थे। उन्होंने देखा कि एक पहाड की छोटी से एक विशाल काय शिल नकुल इस घटना से स्तब्ध रह गए और सोचने लगे कि यह छोटा सा पौधा इतना शक्तिशाली कैसे हो सकता है। उन्होंने इस दृश्य को ध्यान से देखा और यह समझने का प्रयास किया। शाम होते ही पाँचों भाई वन से वापस लौटे और भगवान श्री कृष् यह द्रिश्य देखकर मैं बहुत चकित हुआ। श्री कृष्ण मुस्कुराय और बोले, धर्मराज, इस द्रिश्य का अर्थ यह है कि कलियुग में ऐसे लोग सत्ता में आएंगे जो दोनों ओर से शोषन करेंगे। वे एक ओर प्रजा से सेवा और भक्ती की मांग करेंगे औ इसके बाद अर्जुन ने कहा, प्रभु, मैंने एक पक्षी देखा, जिसके पंखों पर वेदों की आर्चाय लिखी हुई थी, लेकिन वह पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा था, यह द्रिश्य मेरे लिए अत्यंत विचित्र था, श्री कृष्ण ने गहरे विचार में डू� विम्रितकों के नाम पर धन अरजित करने के लिए तत्पर रहेंगे। ऐसे विद्वान केवल अपने लाभ के लिए धर्म और वेदों का उप्योग कर वे केवल उस समय का इंतजार करेंगे जब कोई धनी व्यक्ति मरे और उनकी संपत्ती उनके नाम हो जाए। इस युग में धर्म के नाम पर भी छल और कपट होगा। फिर भीम ने अपनी बात कही, प्रभु, मैंने देखा कि एक गाय अपने बच्छडे को इतनी जोर से चाट बच्चों के प्रती इतनी मम्ता और मोह दिखाएंगे कि वे उनके विकास का मार्ग ही बाधित कर देंगे। अत्यधिक स्नेह और सुरक्षा के कारण बच्चे आत्म निर्भर नहीं बन पाएंगे और वे जीवन में आगे बढ़ने के बजाएं मोह माया के जाल में फंस कर रह मैंने साथ कूँओं का अद्भुत द्रिश्य देखा चह कूँओं में पानी भरा हुआ था लेकिन बीच वाला कूँआ हां जो सबसे गहरा था वह पूरी तरह से सूखा था यह द्रिश्य मुझे बहुत विचित्र लगा सहदेव, कलियुग में ऐसे लोग होंगे वे बड़े उत्सवों और आयोजनों में अपार धन खर्च करेंगे प्यासे लोगों की ओर देखने की भी जरूरत नहीं समझेंगे। वे केवल अपने स्वार्थ और आनंद के लिए धन का उपयोग करेंगे और दूसरों की पीड़ा की उन्हें कोई परवाह नहीं होगी। यह युग स्वार्थ और अनदेखी का होगा जहां धन का असली उपय वह अपने रास्ते में आने वाले बड़े व्रिक्षों को उखाड कर फेंक रही थी। लेकिन एक छोटे से पौधे के पास पहुँचते ही वह शिला स्थिर हो गई। यह दृश्य मेरे लिए अत्यंत आश्चर्य जनक था। श्री कृष्ण ने गंभीर स्वर में उत भक्ति धारण कर लेता है तो वह पतन के मार्ग से बच सकता है। हरिनाम का छोटा सा पौधा भी जीवन को संभाल सकता है। जबकि बड़े व्रिक्ष जैसे धन और सत्ता उसे नहीं बचा पाएंगे। यही कलियुग का सच होगा। भगवान श्री कृष्ण के इन उ कैसे बदल जाएगा? वे समझ गए कि इस युग में धर्म और सत्य का पालन करना कितना कठिन होगा, लेकिन यदि वे सच्ची भक्ती और भगवान के नाम का आश्रे लें, तो वे अवश्य ही इस पतन से बच सकते हैं. इसके पश्चात पितामह भीश्म ने भी कली युग के बारे में कुछ भविश्य वाणियां की. उन्होंने कहा, कली युग में लोग अपने माता पिता की सेवा नहीं करेंगे. संपत्ती के लालच में, वे अपने माता पिता को घर से बाहर निकाल देंगे और विशय वासना में लिप्त हो जाएंगे। लोग पराई स्त्रियों पर बुरी नजर डालेंगे और सदैव काम वासना से भरे रहेंगे। यह सुनकर पांडवों ने कल युग की एक और गहरी जहलक पाई। और यह समझ गरुड पुराण में भी कल्युग के अंत का वर्णन मिलता है। गरुड पुराण में भगवान श्री कृष्ण ने कल्युग के अंत के संकेत बताए है। एक बार गरुड जी ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा, हे प्रभु, चारों युगों में कल्युग को ही सबसे प्रित्वी पर ये संकेत दिखाई देने लगे तो समझ लेना कि कलियुग का अंत निकट आ चुका है और अब सृष्टि का अंत प्रलये से होगा। पहला संकेत मानव आयू का हरास। भगवान श्री कृष्ण ने सबसे पहले बताया कि कलियुग के अंत समय में मानव जीवन क जब मनुष्य मात्र बारह वर्ष का होगा तभी उसके बाल सफेद हो जाएंगे और उसका शरीर जुर्रियों से भर जाएगा। यह संकेत इस बात का प्रतीक होगा कि कलियुग में मनुष्य की शारीरिक और मानसिक शक्ती का पूर्ण पतन हो ज इसके अलावा उस समय की स्त्रियां आठ या नौ वर्ष की आयू में ही संतान को जन्म देने लगेंगी। यह स्थिती समाज में एक अस्वाभाविकता और असंतुलन की ओर इशारा करती है। स्त्रियों का शरीर अत्यंत क्षीण और छोटा होगा, लेकिन उनकी भोजन की लालसा अत्यधिक होगी। वे कम संतान को जन्म देंगी और अत्यंत क्रोधी स्वभाव की होंगी। वे अपनी संतान का पालन पोशन करने में भी असमर्थ होंगी, जिससे समाज में पालन पोशन अव्यवस्था और असंतोष का माहौल बनेगा दूसरा संकेत पतिवरता स्त्रियों का लोप भगवान श्री कृष्ण ने दूसरा संकेत बताते हुए कहा कि कल युग के अंत समय में पतिवरता स्त्रियाओं कहीं दिखाई नहीं देंगी एक ही स्त्री कई पुरुषों से विवाह करेगी यह स्थिती समाज में नैतिकता और सदाचार का हरास होने का प्रतीक है इसके अलावा लोग पूजा पाठ, श्राध, अंतिम संसकार, मुंडन और विवाह जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों का परित्याग कर देंगे। जल के अभाव के कारण लोग स्नान भी नहीं करेंगे और अशुद्ध ही रहेंगे। कल युग के अंत में लोग केवल मानसाहार का ही सेवन करेंगे और कोई भी सात्विक आहार ग्रहन नहीं क फल हीन होना। भगवान श्री कृष्ण ने तीसरा संकेत बताया कि कलियुग के अंत समय में व्रिक्षों में फल आना बंद हो जाएगा। सभी व्रिक्ष फल रहित हो जाएंगे और सृष्टी में हर तरफ केवल शमी के व्रिक्ष ही दिखाई देंगे। मनुष्य शाकाहार क गाय की पूजा करना बंद कर देंगे और गायों को केवल दूध और मांस के लिए पाला जाएगा यह संकेत समाज में धर्म, नैतिकता और प्रकृति के प्रती सम्मान की कमी का प्रतीक है चौथा संकेत अलप वृष्टी श्री कृष्ण ने चौथे संकेत के रूप में कहा कि कल्यूग के अंत समय में अलप वृष्टी होगी अर्थात बहुत ही कम बारिश होगी खेतों में अनाज नहीं उगेगा और धान्य का आकार बहुत छोटा हो जाएगा फलों में रस भी उत्पन्न नहीं होगा मनुष्य भूक और प्यास के कारण तडब कर मरने लगेंगे। इस स्थिती में मनुष्य को केवल बकरियों का दूद ही प्राप्त होगा। यह संकेत समाज में प्राकृतिक संसाधनों की कमी और जीवन की कठिनाईयों को दर्शाता है। पाँचवा संकेत साथ सूर्य और प्रलय। अंत में भगवान श्री कृष्ण ने सबसे भयानक संकेत का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जब कलियुक का अंत निकट होगा तब भगवान विश्णु सूर्य की किरणों में विराजमान होकर पृत्वी का संपूर्ण जल सोख लेंगे आकाश में चारों तरफ साथ सूर्य दिखाई देंगे इन सभी सूर्यों के प्रभाव से संपूर्ण सृष्टी जल कर खाक हो जाएगी तत पश्चात रुद्र रूपी भगवान विश्णू संपूर्ण संसार को दग्ध करके अपने श्वास से मेगों को उत्पन्न करेंगे ये मेग भयंकर गर्जना करते हुए अगले सौ वर्षों तक आकाश से जल की वर्षा करेंगे जिससे सृष्टी की वह भयंकर अगनि शांत हो जाएगी अगनिशान्त होने पर ये मेग संपूर्ण जगत को जल में डुबो देंगे, जिससे संपूर्ण सृष्टी का अंत हो जाएगा। श्री कृष्ण ने गरुडजी से कहा, यह दृश्य इतना विनाशकारी और भयावह होगा कि समस्त संसार जल कर राख हो जाएगा। संपूर् एक नई स्रिष्टी की रचना करेंगे यह स्रिष्टी पहले से अधिक शुद्ध, पवित्र और दिव्य होगी जहां धर्म, सत्य और आध्यात्मिकता का पुणः उठान होगा यह एक चक्र है, स्रिष्टी, पालन और संघार जब एक युग का अंत होता है तो यह किसी नई युग की शुरुवात के लिए मार्ग प्रशस्त करता है यह हमें यह समझाता है कि हर अंत एक नई शुरुवात का प्रारंभ है और इस नई स्रिष्टी में वही जीवित रहेंगे जिन्होंने धर्म और सत्य इस प्रकार से कल्युग का अंत होगा और फिर परमात्मा अपनी इच्छा मात्र से पुन्ह स्रिष्टी की रचना करेंगे। यह ज्ञान हमें सिखाता है कि कल्युग की कठिनाईयों और चुनौतियों के बावजूद हमें सच्चे धर्म और भगवान के नाम का आश्रै लेना कि कल युग के अंत समय में क्या हो सकता है और हमें इस युग में भी धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो वीडियो को लाइक करें और चैनल को 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