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Class 10 Civics: Power Sharing

हाय बचा पडी मेरा नाम है शुभम पाठक वेलकम टू माय चैनल मैं आपको पढ़ाती हूं क्लास नाइंथ और क्लास 10थ की एसएसटी और साइंस और आज का लेक्चर होने वाला है बहुत ही गजब क्योंकि आज हम क्लास 10 सिविक्स का पहला चैप्टर यानी कि पावर शेयरिंग पूरा खत्म करने वाले हैं आज के लेक्चर में आपको एनसीआरटी का एक-एक वर्ड एक्सप्लेन करने वाली हूं मैं साथ में जो इसमें बीच-बीच में इमेजेस है ना जिसपे इमेज बेस क्वेश्चन यानी कि कार्टून बेस क्वेश्चन आ जाते हैं मैं वो भी कराने वाली हूं और बीच-बीच में ना मैं आपको इंपोर्टेंट पॉइंट्स मार्क कर आती हुई चलूंगी तो आपको साथ-साथ लेक्चर के अपनी एनसीआरटी को हाईलाइट करते रहना है और इसकी जो फ्री नोट्स हैं वो भी मैंने डिस्क्रिप्शन में डाल दिए हैं तो उन्हें भी कलेक्ट कर लेना इस चैनल पे मैं फ्री ऑफ कॉस्ट आपको क्लास नाइंथ और 10थ पढ़ाती हूं सो डोंट फॉरगेट टू सब्सक्राइब एक्सप्लेनेशन थोड़ी सी भी अच्छी लगे तो अपने दोस्तों के साथ चैनल के बारे में शेयर करना मत भूलना और बहुत अच्छी लगे तो कमेंट्स में आके मुझे जरूर बताना तो चलिए स्टार्ट करते हैं पावर शेयरिंग अच्छा ये मेरा एक और चैनल है आप चाहे तो इसे भी सब्सक्राइब कर सकते हैं इसे क्लास नाथ 10th 11th और 12थ के पे बहुत सारी स्ट्रेटजीजर हैं बच्चा दे आर वेरी वेरी यूजफुल फॉर यू चाहे वो हाफ ली से रिलेटेड हो प्रीबोर्ड से रिलेटेड हो सो ऑन एंड सो फोर्थ सो डोंट फॉरगेट टू सब्सक्राइब दिस आल्सो इसका भी डिस्क्रिप्शन में मैंने लिंक दे दिया है चलिए सो बेल्जियम की बात करते हैं तो पावर शेयरिंग में क्या है ना कि हम दो देशों की बात करते हैं एक यूरोप का देश है एक एशिया का देश है यूरोप के देश में हम बेल्जियम की बात करते हैं और एशिया में हम श्रीलंका की बात करते हैं तो जैसे होता था ना कि बचपन में लोग हमें कहानियों से कोई मोरल सिखाने की कोशिश करते थे जैसे कछुए और खरगोश की कहानी से हमें सिखाया गया था कि स्टो एंड स्टडी वेंस तर रे उसी तरीके से इस वाले चैप्टर में नाना हमें क्या किया है कि बेल्जियम और श्रीलंका की कहानियां बताई है और उसके थ्रू हमें समझाने की कोशिश की है कि क्यों डेमोक्रेसी में लोकतंत्र में पावर को डिवाइड करना इंपॉर्टेंट होता है क्यों अगर पावर किसी एक इंसान के हाथ में रहेगी डेमोक्रेसी में तो डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी ही नहीं रहेगी तो हम ये थोड़ी कहानियां बढ़ने की कोशिश करते हैं उसके बाद चैप्टर खुद पर खुद समझ आ जाएगा पहला देश है हमारा बेल्जियम बेल्जियम एक छोटा सा देश है आपका यूरोप में मतलब अगर साइज की बात करें ना तो हमारे हरियाणा से भी छोटा साइज है इसका और पॉपुलेशन भी इसकी कुछ हरियाणा वाइज है मतलब हमारे देश की एक स्टेट और बेल्जियम का एक देश सोचो इतने छोटे से देश की बात हो रही है लेकिन इस देश के ना नखरे बहुत हो गए थे क्योंकि इस देश में ना एथनिक पॉपुलेशन बहुत ही वेरी हो गई थी बच्चा जब भी कहीं आपको एसएसटी में वोट दिखे ना एथनिक उससे डरने की जरूरत नहीं है एथनिक का मतलब होता है कल्चर अच्छा मैं पूछूं आपका कल्चर क्या है मान लो आप साउथ इंडियन हो मान लो आप तेलंगाना से हो तो आप बोलोगे मैं तेलुगु बोलता हूं आप बोलोगे कि मुझे ना राइस खाने में बहुत पसंद है या आपका जो भी ट्रेडिशनल फूड होगा वो आप बोल दोगे आप बोलोगे कि ना हमारी ट्रेडिशनल ड्रेस ये होती है हमारी लैंग्वेज ये है हमारे त्यौहार ऐसे होते हैं यही तो आपका कल्चर बनेगा सिमिलरली जब मैं बेल्जियम के केस में आपको एथनी सिटी बोल रही हूं आई मीन देयर कल्चर तो कल्चर ना लैंग्वेज से बहुत ज्यादा डिफाइन होती है सो बेल्जियम में क्या था ना कि दो अलग-अलग भाषा के लोग रहते थे और उनका ना कल्चर भी इसी वजह से काफी अलग था रहने सहने का तरीका कपड़े पहनने का तरीका बोलने का तरीका लैंग्वेज सब कुछ बहुत अलग-अलग हुआ करता था तो मेजर ये कौन सी दो भाषाएं थी बच्चा एक थी डच भाषा और दूसरी थी आपकी फ्रेंच बोलने वाली भाषा अब यहां पे भी ना तिगड़म थोड़ा सा और और टेढ़ा था टेढ़ा कैसे था कि अगर कंट्री वाइज अगर आप उठा के देखोगे बेल्जियम ओवरऑल एज अ कंट्री देखोगे तो कंट्री में डच बोलने वाले लोग जो है वो मेजॉरिटी में थे मतलब कि ज्यादा संख्या में कौन से लोग थे कंट्री लेवल पे मेजॉरिटी में डच बोलने वाले लोग थे जो रहते थे आपका फ्लेमिन में ये हो गया आपका फ्लेमिन ठीक है जैसे नॉर्थ इंडिया साउथ इंडिया बोल देते हैं हम इंडिया में वैसे ही आप मान लो फ्लेमशॉट लोग देश के और वो ज्यादातर लोग क्या बात करते हैं किस भाषा में बात करते हैं डच में अब जो नीचे वाला रीजन है सदर्न बेल्जियम की बात करोगे जिसे लोनिया बोलते थे लोनिया में रहते थे फ्रेंच भाषी लोग तो ज्यादातर लोग रह रहे हैं फ्लेमेस रीजन में जो डच भाषा बोलते हैं और कम मात्रा वाले लोग रह रहे हैं जो फ्रेंच बोलते हैं वो लोनिया रीजन में अब प्रॉब्लम ये है कि ये पूरी की पूरी सिचुएशन उल्टी हो जाती है राजधानी के अंदर बेल्जियम की राजधानी का नाम क्या है ब्रुसेल कैपिटल का नाम क्या है ब्रुसेल अच्छा 1 पर जर्मन बोलने वाले लोग भी रहते थे लेकिन इस चैप्टर के लिए ना हम जर्मन बोलने वाले लोगों को थोड़ा सा साइडलाइन करेंगे क्योंकि कहानी हमारी जो है वो डच और फ्रेंच बोलने वाले लोगों के बीच में है ठीक है ना समझ आया अच्छा मैंने बोला ना ब्रुसेल में बिल्कुल मामला उल्टा हो गया तो ब्रुसेल में कैसे उल्टा हुआ कि ब्रुसेल में मेजोरिटी में आ गए ज्यादा संख्या में आ गए फ्रेंच बोलने वाले लोग 80 पर और 20 पर हो गए डच बोलने वाले लोग तो अगर पूरे कंट्री के लेवल पे देखो तो डच बोलने वाले लोग अगर ज्यादा हक जमा रहे हैं तो ब्रुसेल में तो सिचुएशन उल्टी हो गई तो ब्रुसेल में फ्रेंच बोलने वाले लोग ज्यादा हक जमा रहे हैं और यही जो हक जमाने की प्रॉब्लम थी दोनों कम्युनिटीज के बीच में थोड़ा-थोड़ा अलगाव आ रही थी अब डच लोगों को लगता था कि जैसे-जैसे बेल्जियम की सरकार ज्यादा डेवलपमेंट कर रही है जैसे जैसे-जैसे कंट्री में ज्यादा डेवलपमेंट हो रही है वैसे-वैसे फ्रेंच बोलने वाले लोग अक्सर ज्यादा अमीर बन जा रहे हैं तो उन्हें लगा कि यार डेवलपमेंट का सारा असर जो है ना वो फ्रेंच बोलने वाले लोगों पे जा रहा है डच बोलने वाले लोगों का स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग नहीं बढ़ रहा है अब इसी मनमुटाव की वजह से दोनों कम्युनिटीज के बीच में थोड़ी बहुत नफरत पैदा होनी शुरू हो गई थी 1950 या 1960 की बात करें तो ये टेंशन बहुत ही ज्यादा बढ़ गई थी अगर थोड़ी सी और टेंशन बढ़ती ना अगर बाकी देशों की डेमोक्रेसी की जरा यहां की सरकार भी लोगों के बीच में तनाव पैदा करने में ज्यादा बिजी होती ना तो ंगे हो जाने थे सिविल वॉर हो जानी थी लेकिन बेल्जियम में ऐसा नहीं हुआ ठीक है सो क्यों नहीं हुआ बेल्जियम में ऐसा ब्रुसेल में ऐसा ये हम बाद में डिस्कस करेंगे बट अभी आपने समझा ना कि बेल्जियम में तनाव की सिचुएशन बनी लेकिन उस तनाव की सिचुएशन से कोई वॉर नहीं हुई ठीक है अब देखो उल्टा केस बताती हूं उल्टा केस है हमारे पड़ोसी देश का जिसका नाम है श्रीलंका सब लोग जानते हैं श्रीलंका को एक आइलैंड कंट्री आइलैंड कंट्री का मतलब चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है तमिलनाडु के नीचे पड़ता है टियर ड्रॉप की तरह हमें दिखता है अब इसकी भी कोई पॉपुलेशन बहुत ज्यादा नहीं है ज्यादा से ज्यादा इसमें 2 करोड़ लोग होंगे एरिया भी कोई बहुत ज्यादा नहीं है छोटा सा देश है हमारा अब प्रॉब्लम यहां पे ये आईग कि यहां पे भी बड़े डिफरेंट डिफरेंट एथनिक कल्चर के लोग हैं डिफरेंट डिफरेंट कल्चर डिफरेंट डिफरेंट भाषा के लोग हैं ठीक है अच्छा यहां पे मेजॉरिटी में कौन है बच्चा मेजॉरिटी मतलब ज्यादा संख्या मेजॉरिटी मतलब बहु संख्या यानी कि पीपल हु आर मोर इन नंबर अब आप मेजॉरिटी रिलीजन भी बोल सकते हो मेज मेजॉरिटी कास्ट भी बोल सकते हो मेजॉरिटी जेंडर भी बोल सकते हो मेजॉरिटी इंग्लिश का वर्ड है किसी के आगे भी लगा सकते हो अब श्रीलंका में मेजो टी भाषी यानी कि ऐसे लोग जो ज्यादा मात्रा में कोई पर्टिकुलर भाषा बोलते थे वो कौन से लोग थे सिन्हा बोलने वाले सिहाली बोलते हैं उन लोगों को तो सिन्हा भाषा 74 पर श्रीलंका क्या बोलता था सिन्हा बोलता था बचा बाकी 18 पर 18 पर श्रीलंका तमिल बोलता था अच्छा अब इस तमिल में भी दो तरीके के तमिल होते थे एक होते थे जिनके फोर फादर्स यानी कि जिनके पिताजी उनके पिताजी उनके पिताजी सब लोग श्रीलंका से ही थे और कुछ तमिल थे जो बेचारे भारत के थे आपको पता है जब अंग्रेज हम पे राज करते थे ना तो वो श्रीलंका प भी राज कर रहे थे तो श्रीलंका में चाय पत्ती उगाते थे वो और वो चाय पत्ती की खेती के लिए ना हमारे देश से लोग जाया करते थे वर्कर बन गए तो बड़े सारे हमारे तमिल भाई बहन श्रीलंका गए वहां पे प्लांटेशन वर्कर बने लेकिन फिर वहीं के हो गए रह गए लेकिन आज भी उन इंडियंस को जो तमिलनाडु के होके सॉरी जो श्रीलंका के हो गए हैं अब आज भी उन्हें श्रीलंका में क्या बोला जाता है इंडियन तमिल बोला जाता है तो कहने का मतलब क्या है कि मेजॉरिटी भाषा है सिहाला माइनॉरिटी भाषा है तमिल तमिल के अंदर भी दो तरीके के तमिल हैं एक श्रीलंकन तमिल जिनके पूर्वज जो हैं श्रीलंका से ही थे और एक इंडियन तमिल जिनके पूर्वज जो है इंडिया से थे प्लांटेशन वर्कर बनके किसी जमाने में गए थे है ना जी आ गया समझ चलिए रिलीजस कंपोजिशन की बात करते हैं अब बेल्जियम में अभी हमने रिलीजन नहीं पढ़ा था हमने सिर्फ भाषा पढ़ी थी श्रीलंका में क्या है कि रिलीजन का भी तड़का है अब प्रॉब्लम ये बचा कि देखो मेजॉरिटी भाषा कौन सी है सिहाला अब सिहाला बोलने वाले लोग सिर्फ एक पर्टिकुलर रिलीजन के उस रिलीजन का नाम है बुद्धिज्म तो 74 पर श्रीलंका कौन से रिलीजन को फॉलो करते हैं बुद्धिज्म को फॉलो करते हैं बाकी लोग क्या है बाकी कुछ लोग हिंदूजा एक मेजॉरिटी भाषा मेजॉरिटी रिलीजन को भी फॉलो करती है है ना दो चीजें हो गई मेजॉरिटी रिलीजन मेजॉरिटी भाषा दोनों सेम हो गई यहां पे सिहाला ही क्या है बुद्धिस्ट है अब यहां पे लगने वाला था प्रॉब्लम प्रॉब्लम इस प्रॉब्लम को बोला जाता है मेजॉरिटेरियन जम देखो बच्चा जब हम डेमोक्रेसी पढ़ाते हैं ना तो हम ये जरूर बोलते हैं कि सरकार जो है मेजॉरिटी की बनती है लेकिन उसका मतलब ये नहीं होता है कि सरकार मेजॉरिटी रिलीजन की बनती है या मेजॉरिटी कास्ट की बनती है डेमोक्रेसी में होती है पॉलिटिकल इक्वलिटी मतलब कि अगर आप किसी भी कास्ट किसी भी धर्म किसी भी लैंग्वेज को बिलोंग करते हो डजन मैटर आपको इक्वलिटी देगा आपका संविधान लेकिन जब वही संविधान और वही डेमोक्रेटिक सरकार सिर्फ मेजॉरिटी रिलीजन या मेजॉरिटी लैंग्वेज के बारे में बात करने लगे और बाकी लोगों को दरकिनार कर दे बाकी लोगों को इग्नोर कर दे तो ये तो डेमोक्रेसी नहीं है इस तरीके की हरकतों को बोला जाता है मेजॉरिटेरियन नि जम मतलब कि एक ऐसा विश्वास या कि कोई ऐसी हरकत जिसमें सिर्फ मेजॉरिटी कम्युनिटी को ध्यान में रखा जाता है उसके इंटरेस्ट उसकी नीड्स उसकी जरूरतों को ध्यान में रखा जाता है माइनॉरिटी की विशेस को माइनॉरिटी की जरूरतों को डिस रिगार्ड यानी कि डिस रिस्पेक्ट कर दिया जाता है ऐसे कल्चर को मेजॉरिटेरियन ज्म बोला जाता है क्या ये डेमोक्रेसी के लिए सही है बिल्कुल भी नहीं लेकिन क्या ये श्रीलंका में हो रहा था हां जी हो रहा था अच्छा हमें आजादी मिली 1947 में श्रीलंका को अगले साल मिल गई गई थी 1948 में जब आजादी मिली तो श्रीलंका ने डिसाइड किया कि श्रीलंका बनेगा लोकतंत्र डेमोक्रेसी अब डेमोक्रेसी है तो पार्लियामेंट भी होगा डेमोक्रेसी हुई पार्लियामेंट बना पार्लियामेंट में मिनिस्टर चूज किए गए अब हमारे देश में तो क्या है कि रिजर्वेशन देते हैं हम हम एससी एसटी ओबीसी कैटेगरी को पॉलिटिकल रिजर्वेशन देते हैं ठीक है तो सारे तरीके के लोग हमें पार्लियामेंट में देखने को मिलते हैं अब यहां पे श्रीलंका के केस में कोई रिजर्वेशन नहीं था तो अगर देश में ज्यादातर लोग सिहाला बोलते हैं या बुद्धिस्ट रिलीजन को फॉलो करते हैं तो जाहिर सी बात है कि आप पार्लियामेंट में भी ज्यादातर लोग कौन थे सिहाला बोलने वाले लोग थे अब यहां तक भी कोई प्रॉब्लम नहीं है प्रॉब्लम ये हुई कि ये जो पार्लियामेंट बना ये जो सरकार बनी जिसमें ज्यादातर मिनिस्टर सिन्हा भाषा बोलते थे ये लोग सिन्हा बोलने वाले लोगों का ही भला करना चाहते थे ये लोग बाकी रिलीजन को या बाकी लैंग्वेजेस को नीचा दिखाने लग गए तो श्रीलंकन गवर्नमेंट ने क्या एटीट्यूड बना लिया मेजॉरिटेरियन एटीट्यूड बना लिया अब इस पे आता है सवाल कि प्रूफ करो भाई प्रूफ करो कि श्रीलंकन गवर्नमेंट कैसे मेजोरिटी टेरियन थी तो क्या बोलोगे पता है क्या 1956 में ना श्रीलंका की गवर्नमेंट ने ऑफिशियल लैंग्वेज बना दी ऑफिशियल लैंग्वेज वो लैंग्वेज होती है बच्चा जिसमें ना सरकार अपने नोटिसेज सेंड करती है कोई भी अगर उसे सूचना देनी होती है पब्लिक को तो वो उस लैंग्वेज में जाता है ठीक है अब हमारे देश में बड़ी सारी भाषाएं हैं तो हमारी ऑफिशियल लैंग्वेज क्या है हिंदी और इंग्लिश ठीक है लेकिन श्रीलंका में दो ही तो भाषा थी एक तमिल थी एक सिहाला थी चाहते तो दोनों को ऑफिशियल भाषा बना सकते थे लेकिन नहीं 1956 में एक नया प्रावधान बना नया एक्ट बना बना श्रीलंका में जिसने सिन्हा भाषा को बना दिया ऑफिशियल लैंग्वेज और तमिल भाषा पीछे छूट गई तमिल लोगों ने बोला भाई कि यार हमारी भी भाषा को थोड़ी इज्जत दे दो पर उनकी किसी ने नहीं सुनी अच्छा दूसरा पॉइंट सिहाली वर गिवन प्रेफरेंशियल ट्रीटमेंट इन गवर्नमेंट जॉब यूनिवर्सिटीज एंड पोजीशन अभी भी पेट नहीं भरा है इस मेजॉरिटेरियन गवर्नमेंट का इसने क्या किया कि जब रिज्यूमे होता है ना जब आप जॉब पे जाते हो आप सीवी बनाते हो अगर आपके रिज्यूमे पे लिखा है अगर आपके जॉब एप्लीकेशन पे लिखा है कि आप सिहाला भाषी हो तो आपको जॉब में प्रेफरेंस मिल जाएगी ये क्या है ये तो इनिक्वालिटी है मैं बोलूं अगर आप लड़के हो तो आपको क्लास में एंट्री मिल जाएगी लड़की हो तो नहीं मिलेगी जेंडर के बेसिस पर डिस्क्रिमिनेशन कर दिया मैंने है ना गलत है सिमिलरली यहां पे लैंग्वेज के बेसिस पे जॉब एप्लीकेशंस में हो रहे थे घपले अच्छा तीसरा पॉइंट फिर इन्होंने ना नया संविधान बना दिया और नए संविधान में डाल दिया कि भैया आज से जो सिहाला गवर्नमेंट है मतलब कि जो श्रीलंकन गवर्नमेंट है वो बुद्धिस्ट रिलीजन को फास्टर करेगी फास्टर का मतलब प्रोटेक्ट करेगी भई एक ऐसा रिलीजन जो ऑलरेडी बहु संख्या में है जो ऑलरेडी मेजॉरिटी में है देश में क्या उसको प्रोटेक्ट करने की जरूरत है या माइनॉरिटी रिलीजन को प्रोटेक्ट करने की जरूरत है जिसमें बोलने वाले लोग ही कम हैं ओबवियसली माइनॉरिटी को प्रोटेक्ट करने की जरूरत है लेकिन नहीं यहां पे हुआ उल्टा यहां पे मेजॉरिटी रिलीजन को प्रोटेक्ट करने की बात की गई अब ये सारी हरकतें धीरे-धीरे हो रही थी और धीरे-धीरे हमारे तमिल भाई बहनों को चाहे वो श्रीलंका के हो चाहे वो इंडियन तमिल्स थे उन सबको क्या लग रहा था बुरा लग रहा था एलियने फील हो रहा था एलियने का मतलब उन्हें लग रहा था कि यार हमारे ही देश में हमारी इज्जत नहीं है तो फिर और कहां होगी राइट तो उन्होंने आवाज उठाई आवाज उठाई तमिल लोगों ने आवाज उठाई उन्होंने पॉलिटिकल पार्टीज से बोला उन्होंने मिनिस्टर्स से बोला उन्होंने संविधान में चेंज करने को बोला उन्होंने बहुत जगह पे बहुत तरीके से प्रोटेस्ट वगैरह करके पीसफुली आवाज उठाई कि भैया हमारी मांगे भी पूरी करो हमें इक्वल पॉलिटिकल राइट्स दो हमें जॉब्स में हमें भी प्रेफरेंस दो हमें अच्छे इकोनॉमिक राइट्स दो हमारे साथ ऐसा भेदभाव नहीं करो लेकिन किसी ने भी उनकी कोई बात नहीं सुनी कई बार बोला श्रीलंका के तमिल लोगों ने कि भैया हमारी लैंग्वेज को भी ऑफिशियल लैंग्वेज बना दो या तुम्हें हम नहीं समझ आ रहे मान लो तुम सिन्हा और तमिल लोगों के बीच में डिस्क्रिमिनेशन कर रहे हो तो भैया श्रीलंका के श्रीलंका का बंटवारा कर दो हमें एक हिस्सा दे दो तुम एक हिस्सा ले लो रीजनल ऑटोनॉमी की भी मांग हुई तब भी सरकार ने कोई बात नहीं सुनी उन्होंने बोला हमें इक्वल अपॉर्चुनिटी दे दो ऐसे तो मत करो कि हमारी भाषा के बेसिस पे हमें जॉब मिल रही है ऐसा मत करो लेकिन फिर भी सरकार ने कोई बात नहीं सुनी फिर क्या हुआ ये 1950 और 60 में चल रहा था जब इनकी मांगे जो है पीसफुल हुआ करती थी 1980 तक आते-आते जब उन्हें लगा कि यार एसिस्टिंग पॉलिटिकल पार्टीज या एसिस्टिंग संविधान या एसिस्टिंग मिनिस्टर हमारी कोई बात सुन ही नहीं रहे हैं तो 1980 आते-आते तमिल लोगों ने क्या किया अपनी पॉलिटिकल पार्टीज बनाना शुरू कर दिया कुछ ऑर्गेनाइजेशंस थी इसमें से जो अ मिलिटेंट थी यानी कि जो आर्म्ड ऑर्गेनाइजेशन थी कुछ थी जो पीसफुल ऑर्गेनाइजेशन थी और 1980 में जाके हार मान के तमिल लोगों ने सेपरेट तमिल एलम की मांग करनी शुरू करी एलम का क्या मतलब है एलम का मतलब है स्टेट यानी कि उन्होंने बोला कि अब हमें इस सरकार से कोई लेना देना नहीं है हमारा बंटवारा ही कर दो अलग ही कर दो हमारी सरकार ही अलग बना दो देश में ही अलग बना दो ठीक है फिर भी सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी तो क्या हुआ सिहाला बोलने वाले लोग और तमिल बोलने वाले लोगों के बीच में दंगे हुए जब दंगे होते हैं तो दोनों साइड पिटाई लगती है चाहे सिहाला बोल रहे हो चाहे तमिल बोल रहे हो कई लोगों की जाने गई कई लोगों के घर टूटे हजारों लोग रिफ्यूजी बन गए रिफ्यूजी मतलब उनका घर बार खेत सब उनसे छिन गया उनके पास कोई जगह ही नहीं थी जाने के लिए और इसी को बोलते हैं बच्चा सिविल वॉर सिविल का मतलब होता है कंट्री के अंदर होने वाली जिस वॉर में सिटीजंस पार्टिसिपेट करते हैं उसे बोला जाता है सिविल वॉर ठीक है तो सिविल वॉर में तमिल साइड से भी कई लोग मारे गए सिहाला की साइड से भी कई लोग मारे गए और ये सालों साल ये चलती रही वॉर और जाके खत्म हुई 2000 2009 में सोचो कितना नुकसान हुआ होगा ऐसा पता है श्रीलंका की ना इकोनॉमिक डेवलपमेंट बहुत तेजी से हो रही थी क्योंकि छोटा सा कंट्री था बहुत ही फल फूलने वाला कंट्री था लोग बढ़िया उसमें उन्नति कर रहे थे लेकिन इसी सिविल वॉर के चक्कर में उसकी इकोनॉमिक ग्रोथ भी खत्म हो गई और अभी हमने एक दो साल पहले सुना कि श्रीलंका में इकोनॉमिक क्राइसिस आ गया था ऑल ऑल ऑफ दिस स्टार्टेड विद द सिन्हा और तमिल लोगों के बीच की टेंशन तो हमने दो अलग-अलग कहानियां सुनी भाई हमने एक जगह सुना जहां पे टेंशन बढ़ रही थी लेकिन सिविल वॉर नहीं हुई हमने दूसरी जगह सुना कि जहां पे टेंशन बढ़ रही थी लेकिन सिविल वॉर हो गई इनफैक्ट श्रीलंका के केस में तो सिविल वॉर में एक बहुत ही मिलिटेंट ऑर्गेनाइज ऑर्गेनाइजेशन बन गई थी जिसे बोला जाता है एलटीटी ई लिबरेशन टाइगर ऑफ तमिल इलम 1976 में बनाई गई थी क्यों क्योंकि तमिल लोग तब तक थक हार चुके थे और अब वो बोल रहे थे कि जोर जबरदस्ती से भी हमें अगर तमिल स्टेट लेना पड़े सेपरेट तमिल एलम लेना पड़े तो हम ले लेंगे तो इस तरीके की वायलेंट ऑर्गेनाइजेशंस भी देश में बन गई थी चलिए अब बात करते हैं कि बेल्जियम में ऐसी क्या खिचड़ी बनी बेल्जियम के मिनिस्टर्स ने ऐसा क्या दिमाग लगाया कि बेल्जियम में सिविल वॉर नहीं हुई तो बेल्जियम के मिनिस्टर्स ने दिखाया प्यार का रास्ता प्यार का रास्ता अकोमोडेशन का रास्ता रिस्पेक्ट का रास्ता उन्होंने 1970 से 1933 के बीच में चार बार अपने संविधान में बदलाव लाए और जब भी वो बदलाव लाते थे उनका मेजर ऑब्जेक्ट होता था कि देश में डच बोलने वाले और फ्रेंच वाले लोगों के बीच में प्यार बढ़े ना कि नफरत बढ़े ठीक है तो पहले उन्होंने क्या किया क्या कि कंट्री लेवल पे सेंट्रल गवर्नमेंट जो होती है ना यूनियन गवर्नमेंट सेंट्रल गवर्नमेंट में डच बोलने वाले लोग और फ्रेंच बोलने वाले लोगों का मिनिस्टर्स का नंबर इक्वल कर दिया कि दोनों को ये ना लगे कि हम मेजॉरिटी में हम माइनॉरिटी में दोनों का नंबर इक्वल कर दिया फिर इससे पहले क्या होता था बेल्जियम में जब स्टेट गवर्नमेंट होती थी तो उसे सेंट्रल गवर्नमेंट के आगे ना हाथ फैलाने पड़ते थे किसी भी काम को करने से पहले अब इन्होंने कहा कि नहीं स्टेट गवर्नमेंट के पास अपनी पावर्स हो स्टेट गवर्नमेंट को सेंट्रल गवर्नमेंट के आगे हाथ फैलाने की कोई जरूरत नहीं है ना पैसे के लिए ना पावर के लिए ठीक है दूसरा पॉइंट तीसरा पॉइंट ब्रुसेल की सिचुएशन बड़ी स्पेशल थी ब्रुसेल में फ्रेंच बोलने वाले लोग मेजॉरिटी में थे तो उन्होंने जैसा सेंट्रल गवर्नमेंट में किया था वैसा ही ब्रुसेल में कर दिया कि भाई ब्रुसेल में भी फ्रेंच बोलने वाले लोगों और डच बोलने वाले लोगों के जो मिनिस्टर्स हैं उनका नंबर रहेगा इक्वल अच्छा चौथा पॉइंट उन्होंने एक तरीके की कम्युनिटी गवर्नमेंट बनाई बच्चा कम्युनिटी गवर्मेंट हमारे भी देश में ना बहुत सारे लैंग्वेज बहुत सारे रिलीजस को इज्जत देने के लिए अलग अलग तरीके के प्रावधान बनाए जाते हैं सिमिलरली बेल्जियम की गवर्नमेंट को समझ में आया कि हमारे देश में तीन भाषाएं बोली जा रही है 1 पर लोग हैं जो जर्मन बोलते हैं बाकी लोग हैं जो डच बोलते हैं और फ्रेंच बोलते हैं तो एक लैंग्वेज के बारे में अगर मैं बोलूं तमिल लैंग्वेज के बारे में बताओ कि तमिल लैंग्वेज में ग्रामर कैसी होती है तमिल लैंग्वेज में जेंडर कैसा होता है लिंग पुलिंग कैसा होता है तो पता होगा क्या हिंदी भाषी लोगों को बिल्कुल नहीं पता होगा क्यों क्योंकि हम हिंदी भाषी हैं हमें तमिल के बारे में ज्यादा नॉलेज नहीं है राइट सिमिलरली डच के बारे में डच लोगों को पता होगा फ्रेंच के बारे में फ्रेंच लोगों को पता होगा जर्मन के बारे में जर्मन लोग लोगों को पता होगा तो ताकि लैंग्वेज के बेसिस पे लोगों को रिस्पेक्टेड फील हो हर लैंग्वेज की अपनी कम्युनिटी गवर्नमेंट बनाई डच कम्युनिटी गवर्नमेंट फ्रेंच कम्युनिटी गवर्नमेंट जर्मन कम्युनिटी गवर्नमेंट और डच वाली गवर्नमेंट में डच बोलने वाले लोग इलेक्ट करते थे फ्रेंच वाली में फ्रेंच वाले लोग इलेक्ट करते थे और जर्मन वाले में जर्मन लोग इलेक्ट करते थे अब ये कम्युनिटी गवर्नमेंट का ये काम नहीं था कि वो इकोनॉमिक डिसीजंस ले कि भैया बजट क्या होगा कौन सा सामान महंगा होगा कौन सा सामान सस्ता हुआ ये डिसीजंस नहीं लेती थी कम्युनिटी गवर्नमेंट क्या करती थी लैंग्वेज के बेसिस पे जो चीजें इंपोर्टेंट है उनके बेसिस पे डिसीजन लेती थी जैसे कि अ कल्चरल डिसीजन लेना या फिर एथनिक डिसीजन लेना ठीक है एजुकेशनल डिसीजन लेना ये वाली तो दोबारा से ब्रश अप करते हैं बेल्जियन मॉडल क्या था चार संविधान में चेंजेज हुए पहला यूनियन गवर्नमेंट में मिनिस्टर्स का नंबर इक्वल रख दिया फ्रेंच एंड डच दूसरा स्टेट गवर्नमेंट को पावर दे दी तीसरा ब्रुसेल में भी फ्रेंच और डच का नंबर इक्वल रख दिया चौथा हर लैंग्वेज के लिए एक सेपरेट कम्युनिटी गवर्नमेंट बना दी और ये मॉडल दुनिया को इतना पसंद आया बच्चा दुनिया ने इतनी हवाई की बेल्जियम की स्पेशली ब्रस सेल की कि बाद में जब यूरोपियन यूनियन बन रहा था ना जैसे यूनाइटेड नेशंस है वो तो पूरी दुनिया के लिए हो गई यूरोपियन यूनियन यूरोप की कंट्रीज के लिए एक संगठन है ऑर्गेनाइजेशन है तो जब यूरोपियन यूनियन बन रहा था तो उन्होंने अपना हेड क्वार्टर किसे चुना ब्रुसेल को चुना क्यों क्योंकि ब्रुसेल एक डेमोक्रेसी की मिसाल बन गया था चलिए आगे जाने से पहले मैं एक होमवर्क क्वेश्चन दे रही हूं इसका आपको मुझे जो जवाब है कमेंट्स में बताना है कमेंट्स में आपको सही जवाब भी देखने को मिल जाएगा और बीच-बीच में मैं और होमवर्क क्वेश्चंस दूंगी चलिए एक और हो गया दूसरा वाला दो हो गए अब चलते हैं एक्सप्लेन हाउ बेल्जियम वाज एबल टू सॉल्व हर एथनिक प्रॉब्लम्स ये ना क्वेश्चन आ जाता है पेपर में या तो तीन मार्क्स का आ जाता है या पांच मार्क्स का आ जाता है वैसे तो मैं चारों चीजें पढ़ा चुकी हूं लेकिन यहां पे मैंने आंसर के फॉर्म में भी आपको दिखा दिया है कि आंसर आए तो कैसे लिखना है अगर तीन मार्क्स में आए तो थोड़े छोटे-छोटे पॉइंट्स भी लिख सकते हो पांच मार्क्स में आए तो एग्जैक्ट ऐसा आंसर आपको लिखना है बड़े-बड़े पॉइंट्स बना के आने हैं ठीक है चलिए अब बात करते हैं कि हम इन हमने इन दोनों कहानियों से क्या सीखा हमने इन कहानियों से सीखा कि नफरत फैलाओ ग तो सिविल वॉर होगी और प्यार और रिस्पेक्ट फैलाओ ग तो सिविल वॉर नहीं होगी है ना हमने यहां से सीखा कि पावर शेयर करना पावर शेयर चाहे वो डच लोगों और फ्रेंच लोगों के बीच में करो या वो सिन्हा और तमिल लोगों के बीच में करो लेकिन डेमोक्रेसी में लोकतंत्र में पावर को शेयर करना बहुत जरूरी है और इसके हमने दो कारण पढ़े एक जो हमने अपने एक्सपीरियंस से सीखा देखो दिमाग के पर्दे खोल लो ये वर्ड समझ नहीं आता पूरी पूरी क्लास 10थ पढ़ लेते बच्चे बोलते हैं मैम प्रूडेंशियल क्या होता है प्रूडेंशियल क्या होता है प्रूडेंट प्रूडेंट का मतलब होता है समझदार समझदार लोग कौन से होते हैं जो मान लो अगर गर्म प्लेट एक बार छुई है और हाथ जल गया था तो दूसरी बार किचन में जाएंगे ना तो प्लेट को पहले हल्का सा हल्का सा ऐसे पानी की छीट डाल के देखेंगे कहेंगे प्लेट गर्म तो नहीं है हाथ तो नहीं जलेगा क्यों क्योंकि वो अपनी एक्सपीरियंस से चाहे वो अच्छे हो चाहे वो बुरे हो उनसे सीखते हैं लर्न करते हैं तो उसको बोलते हैं समझदार सिमिलरली प्रूडेंशियल रीजन डेमोक्रेसी में पावर शेयर होने का प्रूडेंशियल रीजन वो रीजन है जो हमने अपने एक्सपीरियंस से सीखा है हमारे एक्सपीरियंस मतलब हमारी कहानियां चाहे वो श्रीलंका की हो चाहे वो पाकिस्तान की हो चाहे वो इंडिया की हो चाहे वो इंग्लैंड की हो चाहे वो आपकी बेल्जियम की क्यों ना हो तो हमने अपने एक्सपीरियंस से सीखा है कि अगर डेमोक्रेसी में पावर को शेयर किया जाता है ना डिफरेंट सोशल ग्रुप्स के बीच में पावर शेयर हो जाती है तो फिर पॉलिटिकल ऑर्डर मेंटेन रहता है ना लड़ाई होता है ना झगड़ा होता है मेजॉरिटी की टायरन यानी कि मेजॉरिटी कम्युनिटी चाहे वो रिलीजन हो चाहे वो लैंग्वेज हो चाहे कुछ भी हो मेजॉरिटी जो है अपना अत्याचार टायरे नहीं का मतलब अत्याचार नहीं कर पाती माइनॉरिटी पे क्योंकि सबके पास पावर है मेजॉरिटी के पास पावर है अगर संख्या की तो माइनॉरिटी के पास कांस्टिट्यूशन की पावर है है ना तो जब पावर डिवाइड होती है तो दंगे फसाद नहीं होते हैं कॉन्फ्लेट नहीं होते हैं मेजॉरिटी का अत्याचार नहीं होता है माइनॉरिटी पे और एक पीस मेंटेन रहता है सोसाइटी में पॉलिटिकल स्टेबिलिटी मेंटेन रहती है दूसरा कारण दूसरा कारण ये बच्चा कि यार अगर सेब मीठा नहीं होगा खट्टा होगा तो मैं उसे फ्रूट में क्यों काउंट करूंगी मतलब मैं उसे क्यों खाऊंगी कि ये तो सेब का तो सेब का तो मतलब है मीठा होना अब सेब खट्टा हो गया तो मैं क्यों खाऊं नहीं आया समझ मतलब यह है कि किसी चीज की कोई आत्मा होती है बच्चा डेमोक्रेसी पहले तो दुनिया में डेमोक्रेसी नहीं होती थी राजा महाराज का राजपाट हुआ करता था राजा महाराजा किसी की बात नहीं सुनते थे रानियां किसी की बात नहीं सुनती थी बाद में हमने धीरे-धीरे समझा कि यार सबकी बातें सुनते हैं तो डिसीजन अच्छा आता है तो डेमोक्रेसी ले आते हैं पूरी दुनिया में फिर डेमोक्रेसी आ गई है ना डेमोक्रेसी आई इसी बेसिस पे थी दुनिया में क्योंकि लोग चाहते थे कि सबके बीच में पावर डिवाइड हो सबको डिसीजन मेकिंग में इवॉल्व किया जाए ना कि सिर्फ राजा को और रानी को तो इसको बोलते हैं मोरल रीजन जैसे एक अच्छे टीचर का काम होता है अच्छे से पढ़ाना अच्छे बच्चे का काम होता है अच्छे से पढ़ना और टीचर का आदर करना उसी तरीके से डेमोक्रेसी का मोरल यानी कि डेमोक्रेसी की आत्मा है पावर शेयरिंग अगर डेमोक्रेसी में पावर शेयरिंग नहीं है तो डेमोक्रेसी खोखली है कहने का मतलब क्या मैं श्रीलंका को सच्ची डेमोक्रेसी बोल सकती हूं नहीं बोल सकती क्योंकि वहां पावर शेयर नहीं हुई क्या मैं बेल्जियम को सच्ची डेमोक्रेसी बोल सकती हूं बिल्कुल बोल सकती हूं क्योंकि वहां पे पावर शेयर हुई सो डेमक मतलब पावर शेयरिंग के दो रीजन एक हमने जो अपने एक्सपीरियंस से सीखा एक जो उसका मोरल रीजन है है ना लेज मेट का मतलब होता है बच्चा जायज नाजायज सरकार होती है जो किसी की मर्जी के बिना बनी होती है जैसे कि डिक्टेटर हिटलर को बनना था डिक्टेटर वो बन गया उसने किसी से पूछा थोड़ी मैं डिक्टेटर बन जाऊं लोगों ने हां थोड़ी बोला वो बन गया डिक्टेटर वो थी इलेजिटिमेसी में क्या होता है कि हम अपने मिनिस्टर्स खुद चूज करते हैं तो हमारी जो डेमोक्रेसी होती है वो जायज तरीके की सरकार होती है सारे सिटीजंस की मंजूरी होती है और सिटीजंस की मंजूरी तभी होगी जब सिटीजंस के साथ पावर को शेयर किया जाएगा नो मैटर वो किस धर्म के हैं किस लैंग्वेज के हैं किस कास्ट के हैं किस जेंडर के के ठीक है आया समझ तो ये है दो मोटे-मोटे रीजंस नाउ फॉर अ लॉन्ग टाइम इट वाज बिलीव दैट ऑल द पावर ऑफ़ द गवर्नमेंट मस्ट डिसाइड इन वन पर्सन और ग्रुप और पर्सन लोकेटेड एट वन प्लेस अब ओबवियसली दुनिया में पहले ऐसा नहीं होता था पहले माना जाता था कि एक इंसान अगर डिसीजन लेगा या थोड़े से लोग मतलब पांच-छह लोग मिलके डिसीजन ले लेंगे तो डिसीजन जल्दी भी आएगा और डिसीजन बेटर भी आएगा धीरे-धीरे धीरे-धीरे हमने लो दुनिया में देखा कि ऐसा जरूरी नहीं है हिटलर आए भाई इटली में बड़े सारे प्राइम मिनिस्टर्स आए जो बहुत अच्छे नहीं थे जर्मनी में आए उसके बाद बड़े सारे राजा महाराजा हुए जो बहुत क्रूअल थे तो हमने ऐसे एग्जांपल्स देखे कि हमें समझ आया कि ये बात सही नहीं है कि एक इंसान के पास पावर होगी तो पावर अच्छी रहेगी हमें जो है पावर को डिवाइड करना चाहिए एनीवे पावर को डिवाइड करने के बहुत सारे तरीके होते हैं बच्चा डेमोक्रेसी में जरूरी नहीं है कि ये सारे तरीके सारी डेमोक्रेसी में फॉलो हो लेकिन हमारी खुश किस्मती है कि इंडिया की डेमोक्रेसी में पावर शेयरिंग के सारे फॉर्म्स आपको देखने को मिलते हैं पहला तरीका है पावर को डिवाइड करने का हॉरिजॉन्टल पावर शेयरिंग एक बात मैं बता दूं हॉरिजॉन्टल पावर शेयरिंग इज देयर इन ऑल डेमोक्रेसी ये सारे डेमोक्रेसीज में होता है बच्चा सारी की सारी डेमोक्रेसीज में पावर शेयरिंग होती है हॉरिजॉन्टल तरीके की हॉरिजॉन्टल मतलब जैसे लेटा हुआ है ना लेटा हुआ इंसान जब एक इंसान बेड पे लेटा हुआ होता है तब ऐसा थोड़ी होता है कि उसके पैर ऊंचे हैं और उसका मुंह नीचे है और उसकी पीठ ऊंची है ऐसा तो नहीं होता वो सारे क्या होते हैं सेम लेवल पे होते हैं है ना जब आप लेटे हुए होते हो पूरी बॉडी आपकी सेम लेवल पे होती है सिमिलरली डेमोक्रेसी में पावर को शेयर किया जाता है हॉरिजॉन्टल लेवल पे तीन ऑर्गन्स में यानी कि लेजिसलेच्योर कोर्ट हाई कोर्ट लोअर कोर्ट एग्जीक्यूटिव का मतलब आपके आईएएस एस्परेंस हो गए प्रेसिडेंट हो गए मेयर हो गए और लेजिस्लेटर का मतलब आपके एमपीज एमएलएस मिनिस्टर्स वगैरह पार्लियामेंट को लेजिस्लेटर बोल दो आप ठीक है तो मतलब कि जैसे एक बॉडी में कई सारे ऑर्गन्स होते हैं एक ऑर्गन चलना बंद कर देगा तो क्या बॉडी सही रहेगी नहीं बॉडी खराब हो जाएगी है ना भाई बॉडी जो है खराब हो जाएगी सिमिलरली डेमोक्रेसी के ये तीन अंग हैं और अगर इनमें से कोई एक अंग भी फंक्शन अच्छे से नहीं करेगा तो डेमोक्रेसी अच्छे से फंक्शन नहीं करेगी अब इसमें कोई ऊंचा नीचा नहीं है मैं ये तो नहीं बोल सकती किडनी कम जरूरी है हार्ट ज्यादा जरूरी है भई जरूरी दोनों है दोनों का जरूरी होना जरूरी है दोनों का ठीक होना जरूरी है हमारी बॉडी में बॉडी को अच्छे से फंक्शन करने के लिए उसी तरीके से लेजिस्लेटर एग्जीक्यूटिव और जुडिशरी तीनों का अच्छा होना जरूरी है ऐसा नहीं है कि किसी के पास ज्यादा पावर है किसी के पास कम पावर है सबके पास अलग-अलग पावर है इस सिस्टम को चेक और और बैलेंस का सिस्टम भी बोला जाता है चेक इंड बैलेंस कहने का मतलब ये है कि जब लेजिस्लेटर मान लो ज्यादा पावर इकट्ठी करने की कोशिश करता है तो उसे बाकी दोनों डाट लगा देते हैं एंड वाइस से वर्सा तो ये तीनों ऑर्गन्स आपस में एक दूसरे पर निगरानी रखते हैं इसी से शक्ति का जो संतुलन है पावर का जो संतुलन है डेमोक्रेसी में वो बरकरार रहता है डेमोक्रेसी अच्छे से फंक्शन करती है इसीलिए इसे सिस्टम ऑफ चेक एंड बैलेंस या फिर हॉरिजॉन्टल पावर डिवीजन या फिर पावर डिवीजन बिटवीन डिफरेंट ऑर्गन्स ऑफ डेमोक्रेसी इन तीन नामों से जाना जाता है ठीक है सारी डेमोक्रेसी में होता है दुनिया की देन वी हैव वर्टिकल पावर डिवीजन अब वर्टिकल पावर डिवीजन के लिए आपको इमेजिन करनी है सीढ़ी सीढ़ी ठीक है सीढ़ी में क्या होता है ऊंची वाली सीढ़ी हमेशा नीची वाली सीढ़ी से क्या होती है ज्यादा हाइट की होती है तो वर्टिकल पावर शेयरिंग सारी डेमोक्रेसीज में नहीं होता जैसे श्रीलंका में वर्टिकल पावर शेयरिंग नहीं था इंडिया में है बेल्जियम में है ठीक है कई देशों में है कई देशों में नहीं है तो पहली बात तो ये हो गई कि वर्टिकल पावर शेयरिंग ऑल डेमोक्रेसीज में एजिस्ट नहीं करता अब वर्टिकल पावर शेयरिंग के लिए मिनिमम क्राइटेरिया क्या है कि हमारे पास दो लेवल ऑफ गवर्नमेंट होनी चाहिए अगर मैं बोलूं सीडी है तो सीडी में एटलीस्ट दो स्टेप तो होने चाहिए ना दो स्टेप होंगे तभी तो सीढ़ बनेगी एक स्टेप की तो सीढ़ नहीं होगी उसको सीढ़ नहीं बोल सकते सिमिलरली वर्टिकल पावर शेयरिंग में एटलीस्ट दो लेवल ऑफ गवर्नमेंट होने चाहिए यूजुअली क्या होता है देशों में यूनियन गवर्नमेंट होती है यानी कि सेंट्रल गवर्नमेंट होती है और एक स्टेट गवर्नमेंट होती है लेकिन हमारे देश में वर्टिकल पावर शेयरिंग है भी और उसके दो लेवल नहीं है उसके तीन लेवल हैं हमारे पास है यूनियन गवर्नमेंट स्टेट गवर्नमेंट एंड लोकल गवर्नमेंट बेल्जियम में कितने हैं दो हैं यूनियन एंड स्टेट हमारे में कितने हैं यूनियन स्टेट एंड लोकल लोकल लेवल पे भी हमारे पास मुसिपालिटी अलग है मतलब लोकल लेवल पे हमने बायफर केट कर रखा है कि लोकल गवर्नमेंट शहरों की कि लोकल गवर्नमेंट गांव की कोई ऊंचा नीचा नहीं है इसमें दोनों को लोकल गवर्नमेंट ही बोला जाता है लेकिन अगर शहरों में है तो मुसिपालिटी होगी अगर गांव में है तो पंचायत होगा शहरों में मुंसिपल कॉर्पोरेशन मुनसिफ नगर पंंचायत अलग-अलग नामों से जाना जाता है डिपेंडिंग अपॉन शहर का क्या साइज है फेडरलिस्ट म चैप्टर जब मैं पढ़ाऊंगा पे तब ये आपको अच्छे से समझ आएगा इसलिए चैनल को सब्सक्राइब करना मत भूलिए बट एनीवे अ तो ये डिपेंड करता है शहरों के साइज पे बट अभी के लिए आप इतना समझ लो कि वर्टिकल पावर शेयरिंग हमारे इंडिया में है और तीन लेवल की है यूजुअली बाकी देशों में जो है दो लेवल की होती है डेमोक्रेसीज में ठीक है अच्छा इसको क्या बोला जाता है इसका क्या प्यारा सा नाम है इसका नाम है फेडरल स्ट्रक्चर फेडरेलिज्म बोलो या फेडरल पावर शेयरिंग बोलो वर्टिकल पावर शेयरिंग का ही दूसरा नाम है है ना सारी डेमोक्रेसी में नहीं होता इंडिया में तीन लेवल पे है और क्या पावर होगी किस लेवल ऑफ गवर्नमेंट की जैसे सेंट्रल गवर्नमेंट की क्या पावर होगी स्टेट गवर्नमेंट की क्या पावर होगी ये कोई और डिसाइड नहीं करता बल्कि संविधान डिसाइड करता है संविधान में सबकी पावर क्या है क्या पावर नहीं है सब कुछ लिखा हुआ होता है नेक्स्ट इज अमंग डिफरेंट सोशल ग्रुप डिफरेंट सोशल ग्रुप बच्चा सोशल ग्रुप का क्या मतलब होता है ग्रुप का मतलब होता है झुंड है ना और सोशल का मतलब होता है सोसाइटी से रिलेटेड तो अगर मैं बोलूं क्लास में कितने तरीके के ग्रुप्स है तो बोल दोगे भैया एक ग्रुप है जो ना सिर्फ मस्ती करता रहता है एक ग्रुप है जिसको ना टीचर्स को होमवर्क याद दिलाने में बड़ा मजा आता है एक ग्रुप है जिसे गेम्स का पीरियड बड़ा पसंद है एक ग्रुप है जो आर्ट में बहुत अच्छा है डिबेटिंग में बहुत अच्छा ऐसे अलग-अलग ग्रुप आप अपनी क्लास में भी बना सकते हो सिमिलरली एक कंट्री के अंदर कौन-कौन से ग्रुप होते हैं एक सेकंड रुकना हां एक कंट्री के अंदर कौन-कौन से ग्रुप होते हैं एक कंट्री के अंदर होते हैं डिफरेंट डिफरेंट ग्रुप्स डिफरेंट डिफरेंट लैंग्वेज डिफरेंट डिफरेंट रिलीजन डिफरेंट डिफरेंट यू नो कम्युनिटीज ये सारे ग्रुप्स होते हैं अब इन ग्रुप्स में भी हमें पावर शेयर करनी पड़ती है क्योंकि कोई मेजॉरिटी में होता है कोई माइनॉरिटी में होता है जैसे हमारे देश में मेजॉरिटी कास्ट ग्रुप्स जो हैं हम उनको रिजर्वेशन नहीं देते जो माइनॉरिटी कास्ट ग्रुप है जैसे शेड्यूल कास्ट हो गए शेड्यूल ट्राइब हो गए अदर बैकवर्ड क्लासेस हो गए हम उन्हें रिजर्वेशन क्यों देते हैं पॉलिटिकल रिजर्वेशन क्यों देते हैं ताकि उनको भी डेमोक्रेसी में उतनी ही इवॉल्वमेंट लगे जितना मेजोरिटी कम्युनिटी को लग रहा है सिमिलरली बेल्जियम में कम्युनिटी गवर्नमेंट कांसेप्ट क्यों आया था इसीलिए ही आया था ताकि उनको भी उतनी ही इंपॉर्टेंस लगे जितना बाकी लोगों को लग रहा है एक सेकंड रुकना मेरा लैपटॉप चार्ज नहीं है एक सेकंड मैं जरा लैपटॉप चार्ज कर लू हां जी सो डिफरेंट सोशल ग्रुप कम्युनिटी गवर्नमेंट बेल्जियम में और इंडिया में रिजर्व्ड कंसीट जो है दोनों ही किसका एग्जांपल है ये आपके डिफरेंट सोशल ग्रुप का है और भी चीजें हैं हम कई सारे रिलीजस को कई सारे कास्ट ग्रुप को कई सारे जेंडर्स को जैसे ट्रांसजेंडर्स के लिए कोटा होता है हमारी गवर्नमेंट जॉब्स में या यू नो 3 पर कोटा इज देयर अ पीपल विद डिसेबिलिटीज को हम लोग कोटा देते हैं विडोज के लिए पेंशन होती है ये सारी क्या है ये सारी तरीके हैं पावर को शेयर करने के लिए कॉन्स्टिट्यूशन बेसिस पे ठीक है पावर शेयरिंग अरेंजमेंट कैन आल्सो बी सीन इन द वे पॉलिटिकल पार्टीज प्रेशर ग्रुप्स एंड मूवमेंट कंट्रोल द इन्फ्लुएंस दोज इन द पावर अच्छा ये तीन चीजें क्या होती है पॉलिटिकल पार्टीज तो समझ आया कि पॉलिटिकल पार्टीज हमारे देश में इतनी सारी क्यों है हम एक पॉलिटिकल पार्टी भी तो बना सकते थे हमारे को इतनी सारी पॉलिटिकल पार्टीज की क्या जरूरत थी क्योंकि बच्चा डिफरेंट डिफरेंट पॉलिटिकल पार्टीज डिफरेंट डिफरेंट सेक्शन ऑफ सोसाइटी को रिप्रेजेंट करती है कोई गरीबों को करता है कोई दलित सेक्शन को करता है कोई औरतों को करता है कोई यू नो ओबीसी को करता है तो अलग-अलग अलग-अलग लोग हैं तो अलग-अलग अलग-अलग पॉलिटिकल पार्टीज चाहिए ताकि सारे लोगों को रिप्रेजेंटेशन मिले डेमोक्रेसी में देन प्रेशर ग्रुप की बात करें अगर प्रेशर ग्रुप वो ग्रुप्स होते हैं बच्चा जो सरकार पे दबाव डालते हैं अब देखो सरकार जरूरी नहीं है कि हम लोगों ने अपनी मर्जी से सरकार चुनी है तो वो सरकार अच्छी होगी सरकार में आपने पूरी इच्छा से चुनी थी कि सरकार हमारी अच्छी बनेगी लेकिन सरकार फिर भी खराब बन गई जो सरकार दिल्ली में बैठ के मान लो असम की चीजों पे ध्यान ही नहीं दे रही है केरला की चीजों पे ध्यान ही नहीं दे रही है तो आपको दबाव डालना पड़ेगा ना कि भाई हमारे भी मुद्दे जरूरी हैं हमारी मुद्दों को भी ध्यान दो तो ये दबाव डालने वाली जो ऑर्गेनाइजेशंस होती हैं सरकार पे इन्हें बोला जाता है प्रेशर ग्रुप्स ठीक है देन होती है मूवमेंट आपने देखा होगा हमारी इंडियन डेमोक्रेसी में धरने दिए जाते हैं और बहुत पहले से दिए जाते हैं प्रोटेस्ट वगैरह बहुत होते हैं तो ये जो पीसफुल प्रोटेस्ट होते हैं ये भी क्या तरीका होता है ये भी होता है सरकार पे दबाव डालने का तरीका जैसे नर्मदा बचाओ आंदोलन था तो नर्मदा बचाओ आंदोलन में क्या था कि सरदार सरोवर डैम बना सरदार सरोवर डैम बनने की वजह से बहुत सारे ट्राइबल लोगों को बहुत सारा नुकसान हो रहा था और एनवायरमेंट को नुकसान हो रहा था तो नर्मदा बचाओ आंदोलन की तरह एक मूवमेंट चलाया गया उस मूवमेंट पे बहुत सारे सोशल वर्कर्स ने बहुत सारे लोगों ने बैठ के धरना दिया ताकि सरकार का ध्यान इस प्रॉब्लम पे एकत्रित हो सके अट्रैक्ट हो सके और सरकार इसके बारे में कुछ कर सके तो ऐसे बहुत सारे मूवमेंट बहुत सारे प्रेशर ग्रुप्स बहुत सारी पॉलिटिकल पार्टीज डेमोक्रेसीज में क्यों होती हैं हम चाहे तो उन्हें डाट डपट के चुप भी तो करा सकते हैं लेकिन हम इन्हें डाट डपट के चूट क्यों नहीं कराते बल्कि इनकी बातें सुनते हैं क्यों क्योंकि ये लोग पावर को शक्ति का संतुलन बनाने के लिए कभी अगर गवर्नमेंट अपनी मनमानी करने लग जाए और सिटीजंस की बात सुनना बंद कर दे तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी तो इसीलिए इनका होना भी बहुत जरूरी है देन अमंग पॉलिटिकल पार्टीज इन कंटेंपरेरी डेमोक्रेसी कंटेंपरेरी का मतलब मॉडर्न डे डेमोक्रेसी पिछले 20-30 साल में जो आप डेमोक्रेसी दे रहे हो उसे आप कंटेंपरेरी डेमोक्रेसी बोल सकते हो कंपटीशन अमंग पॉलिटिकल पार्टीज इंश्योर दैट पावर डज नॉट रिमन इन द हैंड पहले क्या होता था एक पॉलिटिकल पार्टी हुआ करती थी वही फेमस रहती थी वही स्टेट में जीतती थी वही सेंटर में जीतती थी बाकी पॉलिटिकल पार्टी से लोगों को कोई मतलब ही नहीं होता था है ना जैसे एक हीरो हुआ करता था उसी की पिक्चर चलती थी अब जो है बहुत सारे हीरोज आ गए हैं कोई किसी को पसंद करता है कोई किसी को कोई किसी को सिमिलरली हमारी मॉडर्न डे डेमोक्रेसीज में क्या हो हो गया है कि लोगों की पसंद बहुत वेरी हो गई है किसी को कोई पॉलिटिकल पार्टी पसंद है किसी को कोई पॉलिटिकल पार्टी पसंद है तो इससे क्या हो गया है कि किसी एक पॉलिटिकल पार्टीज के ना ज्यादा नखरे नहीं होते कोई एक पॉलिटिकल पार्टी बहुत ज्यादा सर चढ़ के नाचती नहीं है क्योंकि उसे पता है कि यार हम सर चढ़ के नाचेंगे ना या लोगों को टेकन फॉर ग्रांटेड लेंगे तो लोग दूसरी पॉलिटिकल पार्टी को वोट करना शुरू कर देंगे और अब क्या होता है पहले बनती थी ट्रू मेजॉरिटी इंडिया की बात करें तो इंडिया में पहले होती थी ट्रू मेजॉरिटी जो कांग्रेस ही होती थी इंडियन नेशनल कांग्रेस ही सेंटर में भी जीती थी स्टेट में भी जीती थी धीरे-धीरे क्या हुआ कि ये पट बदला धीरे-धीरे और पॉलिटिकल पार्टीज आई धीरे-धीरे लोगों को समझ आया कि सिर्फ एक पॉलिटिकल पार्टीज के बारे में नहीं सोचना चाहिए बाकी पॉलिटिकल पार्टी पे भी ध्यान देना चाहिए क्या पता बाकी पॉलिटिकल पार्टीज भी अच्छी हो है ना तो धीरे-धीरे हमारे यहां गठबंधन की सरकार आने लगई अच्छा ये गठबंधन की सरकार वाला टॉपिक समझ नहीं आएगा अगर दो मिनट ध्यान नहीं दोगे तो ठीक है अभी भी जो आपकी जो सरकार चल रही है सेंटर में वो चल रही है नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस की नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस इज एन अलायंस व्हिच इज मेड बाय बीजेपी बीजेपी उसकी मेन पार्टी है लेकिन उसमें और भी बहुत सारी पार्टीज आती हैं कुछ सेंट्रल पार्टी यानी कि नेशनल पार्टी कुछ स्टेट पार्टीज ठीक है सेंट्रल पार्टी तो सिर्फ बीजेपी आती है स्टेट पार्टीज आती हैं ठीक है तो ये एक अलायंस है तो होता क्या है बच्चा जीतने के लिए सब कुछ चल रहा है मान लो आपको लेना है कोई वीडियो गेम वीडियो गेम है ₹5000000 आपको पता है यार मैंने भाई को कन्विंसिंग और फिर हम दोनों मिलके ₹5000000 में तो ना मेरे को कुछ मिलेगा 00 में ना उसको कुछ मिलेगा लेकिन अगर हम हाथ मिला लेंगे तो हमें वीडियो गेम मिल जाएगी जो हम दोनों मिलके खेल सकते हैं सिमिलरली पॉलिटिकल पार्टीज को पता है कि यार अकेले अगर इलेक्शन में खड़े होंगे ना तो नहीं जीतेंगे वोट ना बट जाते हैं किसी को मिल गया किसी को मिल गया जितने वोट चाहिए सरकार बनाने के लिए उतने वोट हमारी पार्टी को नहीं मिलेंगे तो वो क्या करते हैं आपस में हाथ मिला लेते हैं इसी हाथ मिलाने को बोला जाता है अलायंस अलायंस का मतलब दोस्ती तो यूपीए यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस जो कांग्रेस का अलायंस है एनडीए नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस जो बीजेपी का अलायंस है ऐसे बहुत सारे एलायंसेज हैं हमारे देश में उसमें कौन सी पार्टी आएगी कौन सी पार्टी जाएगी वो थोड़ा बहुत चेंज होता रहता है इसी को पॉलिटिक्स बोलते हैं लेकिन ये एलायंसेज इसलिए बनाए गए हैं बीजेपी ने एनडीए बनाया ताकि उसके जीतने के चांसेस बढ़ जाए कांग्रेस ने यूपीए बनाया क् ताकि उसके जीतने के चांसेस बन जाए और जब इस तरीके के अलायंस वाली सरकार बनती है जब एक पार्टी जीती जब एक बच्चा विनर है तो वो तो क्लियर विनर है क्लियर टॉपर है लेकिन जब बहुत सारे बच्चे विनर हैं तो उसे बोलते हैं को विनर है ना को विनर ये भी विनर है ये भी विनर है ये भी विनर है सिमिलरली जब एक पार्टी जीतती है मेजॉरिटी में जो पहले हुआ करता था इंडियन नेशनल कांग्रेस के जमाने में तो उसे बोला जाता था ट्रू मेजॉरिटी लेकिन आज कल जो ये एनडीए जीतता है या यूपीए जीतता है इसे बोला जाता है गठबंधन की सरकार क्योंकि इस सरकार के अंदर गठबंधन है ना गांठे बंधी हुई है बंधन बंधे हुए हैं बीजेपी का किसी और के साथ उसका किसी और के साथ ऐसे बना है तो व्हाट इज अलायंस अलायंस इज अ ग्रुप ऑफ टू और मोर पॉलिटिकल पार्टीज जो इलेक्शन में साथ में खड़ा होते हैं ताकि उनके जीतने के चांसेस बढ़े कोलिजन गवर्नमेंट वो सरकार होती है जो अलायंस मिलके बनाता है ठीक है समझ आया अलायंस हो गया गुट पॉलिटिकल पार्टीज का और कोलिजन गवर्नमेंट हो गई गई वो सरकार जो उस गुट से बनाई जाती है आया ना समझ चलिए सो ये प्रेशर ग्रुप वाला भी मैंने बता दिया था जैसे एफ आईसीसीआई भी एक प्रेशर ग्रुप है वैसे ही ये उसका है अ चेंबर ऑफ कॉमर्स का है मतलब कि बहुत सारी कंपनीज ने मिलके बनाया था फैक्ट्रीज वगैरह ने ऐसे ही मूवमेंट में आप एग्जांपल लिख सकते हैं नर्मदा बचाओ आंदोलन ये पेपर में कभी आएगा नहीं बट मैंने सोचा आपको बता दूं ये दो फोटोज है आपकी एनसीआरटी में जो आपका समझना बहुत जरूरी है पहली फोटो जो है जर्मनी की है जर्मनी में कोलिजन गवर्नमेंट बच्चा कहीं पे भी हो गठबंधन की सरकार कहीं पे भी हो गठबंधन की सरकार में प्रॉब्लम्स आती हैं क्योंकि आप सोचो ना जब इंडियन नेशनल कांग्रेस ट्रू मेजॉरिटी से जीती थी तो सिर्फ उसे अपनी पार्टी के मेंबर्स की बात सुननी होती थी कोलिजन गवर्नमेंट में मान लो एनडीए एनडीए की बात करें एनडीए में बीजेपी भी है बीजेपी के साथ पांच छह और पार्टीज भी हैं है ना तो उनके भी अलग-अलग मेंबर अलग-अलग मेंबर अलग-अलग मेंबर तो बहुत सारे लोगों की सुननी पड़ती है तो जैसे इस गाड़ी में देखोगे गाड़ी में दो स्टेयरिंग व्हील है एक स्टेयरिंग व्हील होगा गाड़ी आराम से जिस साइड आप ले जाओगे उस साइड चली जाएगी लेकिन जब दो स्टेयरिंग व्हील होगा तो फिर गाड़ी को चलाना मुश्किल हो जाएगा लेफ्ट ले जाओगे इधर से राइट ले जाओगे तो गाड़ी कहीं नहीं जाएगी बीच में रुकी रहेगी है ना सो कोलिजन गवर्नमेंट में भी ऐसा ही होता है क्योंकि बहुत सारे स्टेयरिंग वल्स होते हैं यानी कि बहुत सारी पॉलिटिकल पार्टीज होती हैं तो सरकार को चलाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है ये इस इस फोटो में दिखाया हुआ है दूसरी फोटो है आपकी अ इसमें दिखाया है बुश और पुतिन बुश हो गए आपके यूएसए के पुतिन हो गए आपके इटली के है ना तो इसमें दिखाया है कि बुश और पुतिन ने डेमोक्रेसी ले तो आई है यूएसए में इन दोनों ने डेमोक्रेसी ले आई इटली में भी डेमोक्रेसी है कहने के लिए यूएस में भी डेमोक्रेसी है लेकिन दोनों से डेमोक्रेसी कोई बहुत ज्यादा अच्छी चल नहीं रही है दोनों डेमोक्रेसी को वैसे चला रहे हैं जैसे घोड़े को चलाया जाता है ना चाबुक मार-मार के लेकिन डेमोक्रेसी को ऐसे थोड़ी चलाना होता है डेमोक्रेसी को तो प्यार से चलाना होता है तो इसमें वही दिखाया गया है कि जो वर्ल्ड के बड़े-बड़े लीडर्स हैं ना ये नाम के डेमोक्रेटिक है तो लेकिन डेमोक्रेसी को डेमोक्रेसी की तरह चला नहीं रहे हैं तो ये दोनों इमेजेस थी आई थॉट यू शुड नो देन दिस इज योर अनदर होमवर्क क्वेश्चन बच्चा असर्शन एंड रीजनिंग इसका आंसर भी मुझे कमेंट्स में जरूर दीजिएगा और ये कि दो 11 का क्वेश्चन है जो तीन मार्क्स में आया हुआ है जो इस साल भी आ सकता है जिसका नाम है डिफरेंशिएबल हॉरिजॉन्टल एंड वर्टिकल पावर डिवीजन वैसे मैंने यहां पे आंसर दे दिया है लेकिन मैं चाहूंगी मैं चाहूंगी कि आप इसका आंसर खुद से भी देने की कमेंट्स में पूरी पूरी कोशिश करें अगला चैप्टर कौन सा चाहिए मुझे कमेंट्स में बताना मेरा नाम था शुभम पाठक मैं जाती हूं अब अगली बार मिलती हूं बहुत सारा प्यार एंड या ऑल द बेस्ट टाटा