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Inspiring Tales of Startups and Founders

विजेश शेखर शर्मा विजेश शेखर शर्मा विजेश शेखर शर्मा, मैरिजिक डिरेक्टर और सीयो एट पेटियम वाट्स ते वेयर हेड विज़ान बै भाविश अगरवाल भाविश अगरवाल, दे सीयो ओफ ओला फाउंडर और सीयो ओफ ओला, रितेश अगरवाल कुछ ही टाइम पहले की बात है ये चारो फाउंडर्स का नाम न्यूज में छाया रहता था पूरा देश पीटीएम ही तो कर रहा था। बाईजू रविंद्रन, एटेक के सरताज, 22 बिलियन डॉलर्स के वैलिवेशन के साथ देश का सबसे ज़ादा वैलिवल स्टार्टअप। रितेश अगरवाल, ओयो रूम्स की कॉंसेप्ट जो यंग इंडिया को बहुत पसंद आया वो इनही का था। दुनिया भर में ओयो चा रहा था, एकस्पैंट कर रहा था। भाविश, इंडिया के एलॉन मस्क, ओला एलेक्ट्रिक स्कूटर के साथ मार्केट में आग लगा द वैसे सुर्खियों में तो ये founder भाई साब भी रहते थे भारत पे के co-founder start-ups की दुनिया को ग्यान यही देते थे फिर fraud का case चलाया गया इन पर और इनकी धरम पत्नी पर जब ज़ादा ही case आगे बढ़ गया तो चूट चाप settlement करका side हो गया आजकल साल्मान खान के सामने big boss में जलील होते हुए नजर आते हैं इंडिया के one of the greatest at one point of time start-up founders अशनीर ही नहीं विजैशेकर शर्मा पेटियम बैंक में जोल होता है आर्विया बैंक बंद कर देती है बड़ा जटका लगता है बाईजू रविंदरन कमपनी बैंकरप्सी के कगार पर खड़ी हुई है इंडिया वापस तक आने का नाम नहीं ले रहे हैं ये सब अपनी इंडिस्ट्रीज के सर्ताज और बाच्चा हुआ करते थे लेकिन आज इनका बैंड बाजा बज रहा है अपनी ओवर कॉंपिडेंस और अपनी हेकडी के वज़े से इन लोगों में ओयो के रिते शगरवाल का नाम भी शामिल हो सकता था लेकिन समय रहते इनके साथ कुछ हुआ जो दूसरों के साथ नहीं हुआ इनकी अकल ठिकाने आ गई और ये ओयो को बचाने में लग गए सारी प्रॉब्लम गई तो नहीं है लेकिन दूसरों के हालत से अभी ओयो के हालत बहतर है कि बिजनिस में क्या ना करे, फाउंडर क्या ना करे और शायद शायद रितेश अगरवाल ओयो को अगर पूरी तरीके से बचा पाते हैं तो ये साबित हो जाएगा कि मुश्किल चाही जितना भी एक प्रॉब्लम हो अगर founder ego को साइड में रख कर काम पर लग जाए तो अच्छा result निकल सकता है। और अभी हमारी economy और startup ecosystem को कुछ अच्छे news की दरकार है। अबे editor rate पढ़वाएगा। कुविट काल में ओयो की 10 billion dollar valuation की धज्या उड़ गई। बिजनिस हो गया ठप। बहुतों ने तो कमपणी का खतम टाटा गुडबाई लिख दिया था लेकिन फिर OYO ने वो किया जिसे बहुत सारे अनेलिस्ट आज कह रहे हैं कि दे ग्रेटिस्ट कमबैक इन दे स्कार्टअप इकोसिस्टम आज OYO दो बार होल्ड करने के बाद IPO का पक्का प्लान बना रहा ह लेकिन क्या सच में ये एक turnaround story है या cost cutting और financial jugglery का नतीजा है अगर morning context के एक lake को देखें तो इसमें अभी भी बहुत सवाल है OYO को लेकर इस साल मार्च में OYO का employee cost था 531 crore rupees और उससे एक साल पहले यही आकड़ा था 875 crore rupees तो cost cutting तो बहुत जोर शोर से हुई है लेकिन business growth COVID के बाद दुनिया में जब revenge traveling बढ़के हुआ है लेकिन India, China, Singapore, Indonesia यहां जहां OYO है वहां business अभी भी बहुत tough है उनका Shark Tank पर नए businessman को सला देना तो ठीक है लेकिन OYO की revenue अपने आप खुद from operations actually घटी है 5388 crores in March 2024 versus 5463 crores in March 2023 इसलिए ओयो अब क्या करता है उसके IPO को मार्केट कैसे देखती है काफी इंटरेस्टिंग रहेगा और ओयो के फ्यूचर को जानने के लिए रितेश अगरवाल का पास जानना काफी जरूरी है काफी इंटरेस्टिंग पास्ट है इस बन्दे का उस पर अभी हम आते हैं देश� बिना किसी high commission या fees के तो in-cred money platform आपकी इसमें मदब कर सकता है in-cred money आज के episode के partners भी है और इनके platform से आप unlisted companies में easily invest कर सकते हो कुछ stocks तो आप एक share तक खरीद सकते हो no fees, no commission ये best part है in-cred money के बारे में कि यहाँ आपका पैसा ऐसे ही जाया नहीं होगा इन्वेस्ट्मेंट करने के बाद शेयर आपके D-MAT अकाउंट में आ जाएंगे तो फुली सेफ है हर शेयर का अलग सेटल्मेंट टाइम होता है और आपको अपने D-MAT में दिख जाएगा। आपके क्वेरीज का जवाब देने के लिए फाइनेंचल एक्सपर्ट की टीम भी अवेलेबल है आप उनके साथ कॉल ब्लॉक भी कर सकते हो। पर क्लिक करिए शेयर सिलेक्ट करने के बाद इनवेस्ट नाव पर क्लिक करेंगे फाइनेंचल डिटेल्स आप चेक कर लीजिए कैसे आप प्राइस मार्केट कैप अगर जिसमें आप इंटरेस्ट रोशन शेयर में बैंक अकाउंट और डीमाट डिटेल्स मिलेगा सिंपल है एक बार जरूर ट्राइड करिए लिंक मैंने नीचे डिस्क्रिप्शन पर दिया हुआ है एनिवेस बैक टू थे स्टोरी ऑफ रितेश अगरवाल वह की कहानी वैसे काफी सिंपल है थोड़ा रिवाइंड करते हैं और देखते हैं कि बिजनेस का यह कहां से आता है अर्ली नाइनटीन नाइटीज उडिशा के कटक शहर में जहां रितेश अगरवाल जब अपने स्कूल में बाकी पर रितेश नहीं बानते हैं, काफी request करते हैं, तब उन्हें computer operate करने दिया जाता है और तब उनके लिए एक नई दुनिया सी मानो खुल जाती है। बच्चपन से ही उनकी रुची entrepreneurship के तरफ थी, school में जब teacher पूसते थे कि बड़े होकर क्या बनोगे तो standard जवाब engineer doctor नहीं, सुना है entrepreneurship का जवाब आता था। अपना खर्चा चलाने के लिए रितेश को एरटेल में सिम कार्ड्स भी बेचना पड़ा। वहाँ जब वो सिम बेचने जाते थे तो कंपनी की पॉलिसी के अकॉर्डिंग दुकान पर एरटेल का एक साइनेज भी लगा देते थे। ये आईडिया आगे जाकर उनके लिए का� और इसी बीच में रितेश एक किताब भी लिख डालते हैं, The Encyclopedia of Indian Engineering College, इस समय वो सिर्फ 17 साल के थे, रितेश के दिमाग में स्टार्टअप का भूत पहले से ही सवार था, लेकिन पैसे की प्रॉब्लम की वज़े से उन्हें अपने रूम से भी बाहर निकाल दिया गया, सडक समझने के लिए रितेश कई सस्ते होटेल्स में रहने लगे उनके पास इसके लिए पैसे भी नहीं होते थे वो होटेल्स को मेल किया करते थे डिसकाउंट मागा करते थे कुछ होटेल्स डिसकाउंट देते थे कुछ होटेल्स नहीं भी देते थे लेकिन इस तरीके से धीरे ध कि कई hotels में reception पर कोई रहता भी नहीं है जिससे customers को काफी दिक्कत होती है Hygiene का भी एक बहुत बड़ा question mark है जहां ये problems नहीं थी जहां ये सारी चीज़े set थी वह hotels काफी costly हुआ करते थे Ritesh ने सोचा कि अगर service को थोड़ा सा uplift कर दे और साथी साथ budget भी maintain करे तो एक बहुत बड़ा gap fill हो जाएगा market में 18 साल की उमर में 2012 में Ritesh Agarwal ने budget friendly accommodation के लिए arrival stays बनाया company इस पर वेंचर नर्सरी नाम के एक बिजनिस एक्सेलिरेटर प्रोग्राम की नजर पड़ती है और उसने रितेश को सीड फंडिंग प्रोवाइड कर दी। अपना बिजनिस बढ़ाने के लिए रितेश को और भी फंड्स की फिर ज़रूरत पड़ी। इसके लिए उन्होंने पेपैल के कोफाउंडर पीटर थील को फेलोशिप के लिए कॉंटाक किया। रितेश के पास इसके सारे जिस फेलोशिप के सारे प्री रिक्विजिट्स थे इसके बाद रितेश ने ओरावल स्टेज जो की एरबिनबी का एक रेप्लिका मॉडल था उसे छोड़ दिया उसे बंद कर दिया और स्टार्ट किया ओयो जो की अकरिनिम है ओन यौर ओन का ये दिखाता है कि बहुत सारे फांडर्स के तरह वो एक आइडिया पर चिपकते नही इसी बीच रितेश को लाइट स्पीड वेंचर पार्टनर्स LSVP से 4 करोर और DSG Consumer Partners Singapore से 14 करोर की फंडिंग मिली। नेट सीए समझे 20 साल की उमर होते रितेश को फंडिंग मिल रही थी सुकोया कैपिटल जैसे बड़े वेंचर फंड से एट अ वैलिवेशन आफ 60 मिलियन डॉलर्स फ़र ओयो 20 साल की उमर में हम तो कैंटीन में समोसा खा रहे थे और टेबल बजा रहे थे OYO का बिस्निस मॉडल काफी सिंपल था एट अ फंड़मेंटल लेवल किसी भी एलिजिबल होटेल के साथ आप एक ब्रैंडिंग अग्रीमेंट करते हो इस ब्रैंडिंग अग्रीमेंट के बाद OYO उस होटेल के स्टाफ को ट्रेन करेगा उस होटेल का एक मेक ओवर करेगा साथ ही साथ होटेल OYO के अप के साथ इनेबल हो जाएगा अब ये होटेल एक तरीके से OYO का फ्रेंचाइजी बन जाता है इसके बाद होटेल को जो रेविन्यू आता है उसमें से 20% ओयो के पास चले जाएगा, 80% होटेल ओनर के पास रहेगा. रितेश ने टेकनोलोजी के मदद से नए होटेल के अक्विजिशन टाइम को काफी कम कर दिया और सिर्फ तीन दिन में वो किसी भी नए होटेल को अपने फ्रंचाइज में शामिल कर लेते थे. अब बजट होटेल को एक ब्रैंड मिल गया क्योंकि उनकी कोई आइडेंटिटी नहीं होती थी लेकिन अब उन्हें एक आइडेंटिटी मिल गया और उसी के साथ क्योंकि ये टेकनोलोजी इंपलिमेंट हो रही थी तो उनकी बुकिंग्स बढ़न तो एक तरफ से देखिये तो मॉडल सबके लिए विन-विन था, अरे सस्ते में लोगों को बुकिंग भी मिल रही थी, होटेल उनर भी खुश है, ओयो को भी पैसे मिल रहे हैं, इंवेस्टर भी बहुत खुश. तो ये मॉडल फिर एक्सपैंड करने लगा, ओयो टाउन हाउस, ओयो सिल्वर पीक, ओयो होम लक्स, ओयो होम्स, इस सारे जो सब कंपनीज थे, बेसिकली रितेश हॉस्पिटालिटी के सारे सेग्मेंट को टच करने की कोशिश कर रहे थे, अलग-अलग सब ब्रैंड से, ओयो पर Federation of Hotel and Restaurant Association of India की सबसे पहले नजर पड़ती है 2018 में जब उन्हें पता लगा कि ओयो कई illegal apartments, rooms यहाँ तक की चौल को भी make over करके उन्हें endorse कर रही है और लोगों को वहाँ भेजा जा रहा है उस वक्त इस association के vice president गुर्बक सिंग कोहली का कहना था कि guests को mislead किया जा रहा है और ये Indian hotel industry के image को खराब कर रहा है guests को serious hygiene issues हो सकता है हलाकि गलती कमप्लीटली ओयो की नहीं थी इसके साथ यही काम Make My Trip Go, IBBO जैसे बड़े प्लेयर्स भी इसमें शामिल थे उनके अगेंस भी आवाज उठने लगी। पेमेंट्स टाइम से नहीं दे रही है, कॉंट्राक्ट को ब्रीच कर रही है इन छोटे-छोटे होटेल्स के साथ। दिखान रहें, ओयो मैनेजमेंट को ठीक करने का, एडमिनिस्ट्रेशन को स्टैंडडाइज करने का, होटेल्स को इंप्रूव करने का वाइदा करते आई हैं। पेमेंट्स और हिडिन चार्जेस से परिशान होकर होटेल्स ने बुकिंग्स लेना ओयो के थूँ बंद कर दिया। नोवेंबर 2019 इंडिया में 500 से भी जादा होटेल्स ने ओयो के साथ अपना कॉंट्राक्ट कैंसल कर दिया। पर एक्सांपल बैंगलोर के श्री निधी रेजिडेंसी के ओनर शंकर ने कहा कि कॉंट्राक्ट खतम होने के दो महिने बाद भी कंपनी की इंवेंटरी दिखा रही है ओयो दिखा रही है कि य इसी के साथ ओयो ने इनके 10 लाग रुपए भी होल्ड करके रखे थे दूसरे कंपनीज ने भी एलिगेशन लगाया। रितेश अगरवाल ने उस समय सारे एलिगेशन को सिरेज से हारिच कर दिया था क्योंकि उनको सिर्फ एक्सपेंशन की लगी हुई थी उस समय। जून 2019 में जब रितेश ने यूएस के 35 सिटीज में ओयो के रैपिड एक्सपेंशन को स्टार्ट किया तो शायद उन्हें भी पता नहीं होगा कि अफोर्डबल हॉस्पिटालिटी का नेगेटिव इंपैक्ट क्या होता है। यूएस में भी कई ओयो पार्टनर्स ने इशूस रेस करने शुरू कर दिया कि सस्ता होने के कारण होटेल्स में प्रोस्टिटूशन हो रहा है, ड्रगीज आ रहे हैं, बच्चे पाटीज थ्रो कर रहे हैं होटेल्स बुक करके इसके अलावा खराब सौफ़वेर, मिस्ट पेमिंट्स जैसे कई प्रॉब्लम भी ओयो को परिशानी में बार डाल रहा था लेकिन रितेश अगरवाल की सबसे बड़ी परिशानी अब आती है उनके सामने जब दुनिया भर में भयंकर कोविड आता है कोविड का जो प्रकोप है, सबसे भायंकर इंपैक्ट टूरिजम और हॉस्पिटालिटी सेक्टर में लगता है, लेओफ शुरू हो जाते हैं, ओयो को भी ये काम करना पड़ता है। रितेश ने कई इंप्लोईज को टेंपरी लीव पर भेजा, फिर ओयो ने करीब 60% इंप्लोईज को 4 मन्स के लिए लिमिटिट बेनिफिट्स के साथ लीव पर भेजा, इन सभी इंप्लोईज को में जून में अपनी फिक्स सैलरी का 30% मिला और जुलाय औगस्ट में कुछ भी पूरी आजादी दी गई इन लोगों को कंपनी छोड़ने के लिए बिना किसी notice period ओयो ने expand किया था ना left देखा था ना right देखा था तो कोई plan भी उनके पास था तो नहीं बस plan था grow करो कुछ भी cost पर बस grow करो ओयो के expansion में सबसे interesting story बताओं, China से आती है, China में ओयो अपने venture का नाम ओयो जोधियन रखता है, जोधियन मतलब Chinese in Hotel, और अपने press release में ओयो में अपने CEO का announcement किया जाता है with the name Lee Thaksai, CEO and co-founder of OYO, जानते हैं ये Lee कौन है, खुद रितेश अगरवाल है, जिन्होंने Chinese pseudonym का इस्तमाल क सिर्फ यही नहीं रितेश मैंडरिन भी सीखने लगे अब उन्हें चाइना से ऐसा कोई खास प्यार नहीं हो गया है बस बिजनेस के खातेर यह सब तनना पड़ता है जैसा आजकल भी आप देखोगे रितेश ओयो के सारे जो रिलिजिस टूरिजम में जो अपने होटेल्स हैं अपने जो स्टेज हैं उन्हें प्रमोट करते नजर आते हैं सोचल मीडिया पर ओयो का एक नया होटेल साइन अप करने का टाइम अब सिर्फ तीन घंटे रह गया था, पहले तीन दिन हुआ करता था, तीन घंटे में उन लोग होटेल साइन अप कर रहे थे, OYO की स्टाफ स्ट्रेंट चाइना में दस हजार तक पहुँच गई, पर किसमत को कुछ और ही मनजूर था, कोविट का जब बुल्डोजर चला तब सबसे जबर बार ये सुना होगा एग्रेसिव एक्स्पेंशन जहां स्टार्टअप की दुनिया में एग्रेसिव एक्स्पेंशन आ जाता है इसका हाल फिलाल में आपने एक और एक्सांपल देखा बाईजूस का ओला ने भी इसी एक्स्पेंशन का इस्तमाल किया था और यही प्रॉब्लम बढ़ती है ओयो में भी पर क्या इसके लिए क्या सिर्फ रितेश रिस्पॉंसिबल थे ओयो के सबसे बड़े इन्वेस्टर थे सौफ्ट बैंक जिसकी कमपणी में करीबन 45% ओनर्शिप है। सौफ्ट बैंक ने अपने विजन फ़ंड से करीब 2 बिलियन डॉलर ओयो में इन्वेस्ट किया था। उसे और पुष्च किया था कि तुम भैलो एक्सपैंड करो। रूम मैनेज करेंगे पर हुआ कितना actual management 7500 रूम्स तो कभी-कभी दुनिया के बेस्ट इन्वेस्टर्स बेस्ट विजनरीज भी गलत हो सकते हैं वो भी जादूगर नहीं है इस रैपिट ग्लोबल एक्सपैंशन के वजह से ओयो का लॉस तो माउंटिंग ही होता रहा पैसे व इन सभी घटनाओं के बाद ओयो का रिकवरी थोड़ा सा डिफिकल्ट लग रहा था, मार्केट गिरने लगा, फूटफॉल गिरने लगा, रितेश का लेकिन मॉरल नहीं गिरा, यहां रितेश ने दूसरे यूनिकॉन फाउंडर से कुछ अलग किया, रोना धोना, दूसरों को थोड़ा सा opportunity के तरह इस्तेमाल किया गया, hotel downtime को इस्तेमाल किया गया course correction करने के लिए, रितेश अपने सारे stakeholders के साथ OYO master classes लेने लगे और OYO के vision को explain करने लगे personally, रितेश ने इस बीच कई apps भी launch किये, YoChatbot, Tariff Manager Tool, Customer Acquisition Program, ट्वेंटी में रितेश ने अपने employees के साथ 169 town halls किये, उन्हें convince करने के लिए, अपना vision समझाने के लिए, और बिल्कुल basic तरीके से अपना एक reintroduction किया और फिर से अपने आपको शुरू किया उन्होंने employees, customers, travel agents सब से interact करके problem समझने की कोशिश की और resolve करने की कोशिश की कुछ बाते थी जो OYO के favor में by the way थी OYO के पास अभी भी sizable inventory थी और उसके कई hotels वो operate कर रहे थे इसके tough time पर भी OYO के पास करीबन एक billion dollar cash reserve था बहुत काम आता है जब आपका आपदा के समय आपके पास पैसे हो OYO के founding team members भी उनके साथ जुटे रहे उस टाइम पर जिस टाइम पर अगर आप देखे फ्लिप कार्ट पेटी है मोला जैसे बुरे टाइम पर लोग टॉप मैनेजमेंट छोड़कर चले जाती है ओयो के साथ वैसा नहीं हुआ था। रितेश ने आइडेंटिफाई किया कि ओयो की सबसे बड़ी इशु भवेश अगरवाल जैसे लोगों को समझ में नहीं आई अभी तक और वो अभी भी लोगों को गल आते हैं अगर वो प्रॉब्लम लेकर आते हैं रितेश क्लेम करते हैं कि यो चैटबॉट से करीबन थ्री फोर्थ इशूज ओनलाइन रिजॉल्व होने लगी और सिर्फ एसकेलेशन्स जो आती हैं वो उनके कॉल सेंटर्स के पास आई जहां हूँर इंटरवेंशन की जरूरत पड़ी एक और बड़ी प्रॉब्लम थी ओयो में जब कस्टिबर रिसेप्शन पर लास्ट मिरिट बुकिंग नहीं कर पाते थे ओयो ने टेकनोलोजी के मदद से ये प्रॉब्लम भी सॉल्व की प्राइसिंग एक कंसर्न था होटेल में ओयो के बुकिंग वाले कस्टमर्स को प्राइसिंग की वज़े से मना कर दिया जाता था। रितेश ने इसके लिए ओनर्स को टैरिफ 10% बढ़ाने के गैरिंटी भी दी, फ्लेक्सिबिलिटी भी दी कि आप बढ़ा भी सकते हो घटा भी सकते हो। शायद टाटा नैनो से ये बात भी उनको समझ में आ गई कि एस्पिरेशनल इंडियन्स को या दुनिया भर में भी लोगों को सस्ता नहीं वैल्यू फर मनी चाहिए होता है जो पैसा दे रहे हो जो भी आप फसिलिटी दे रहे हो उसका सही दाम लो। और सस्ता काम किसी को खराब नहीं चाहिए और सबसे बड़ा change जो आया OYO ने अपने सपनों को थोड़ा सा practical बनाया OYO एक समय पे वर्ल्ड का सबसे बड़ा hotel chain बनना चाहता था aim बस यही है Marriott के साथ हम compete करेंगे लेकिन फिर Ritesh ने realize कि यह सही dream नहीं है अपने company को आप एक tech platform के तरह उसको position उसका change किया customer service को focus किया ना कि सिर्फ हम सबसे बड़े बनेंगे तो end में इस सब का हुआ क्या? ओयो को फाइदा मिला? क्या ये company हम बच जाएगी? Booking.com में ओयो के rooms को लेकर user experience का एक survey हुआ. November 2019 तक सिर्फ 20% user 6 plus की rating देते थे. Booking.com फिर कहती है कि March 2020 तक ये rating गिरकर, 6 plus वाली rating गिरकर सिर्फ 11% हो गई. ये सारे strategies adopt करने के बाद post covid 6 plus वाली rating बढ़कर 36% तक हो गई. Financial year 23-24 के जब results आये तो उसने भी लोगों को surprise किया, पिछले 8 quarter में consecutively loss करने के बाद OYO अब अपने आपको profit में पाता है, profit after tax 229 crores declare किया है, जो खुद Ritesh Agarwal के 100 crore के profit estimate से ज़ादा है, आज के समय OYO 525 million US dollar में cash deal में Blackstone real estate से G6 hospitality acquire कर रहा है, Motel 6 की franchise network करीब विशेष ने वो सब कुछ गलतियां की है जो स्टार्ट अप फाउंडर्स करते हैं, हंगर फॉर एक्सपेंशन, ओवर दे टॉप फंडिंग, ओवर कॉंफिडेंस, पर कुछ गलतियां नहीं भी की है जो दूसरे काफी सारे फाउंडर्स करते हैं. नमबर वन अरोगेंस, रितेश के सक्सेस ने अभी तक जहां तक हमें दिखता है, उनके सर पर ये बात नहीं गई है चाहे वो शार्क टैंक पर आप उनका बरताव देख लीजिये परसिनल इंटरव्यूज देख लीजिये उनके सक्सेस ने उनके एटिट्यूट को चेंज नहीं किया है शायद इसीलिए कस्टमर सर्विस के वैल्यू को वो समझ पाए तूसरे एटल के सिम को बेच-बेच कर रितेश ने जो बोर्ड लगाने की मार्केटिंग टेकनीक सीखी थी वो कितनी कॉस्ट एफेक्टिव है और कितनी इंपैक्टफुल है अब आपको ओयो में समझ में आता है और उनके बोर्ड आपको हर जगह दिखने को मिलते हैं। और रिजिलियन्स तो बहुत ज़रूरी है जब पूरी दुनिया अस्थ-दस्थ हो रही थी कोविट के समय पर उस समय रितेश ने अपना आपा नहीं खोया बिजनेस पर अपना ध्यान लगाया और कगार से बिजनेस को बचा लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इंडिया एज़ वन अब दे बिगेस्ट स्टार्ट अप्स अभी उसका रास्ता आगे जाकर आसान है। चैलेंजेस अभी भी बहुत है। यूएसे में ब्रैंड तो आपने अक्वायर कर लिया। लेकिन जहां भी ओयो ने अपने आपको ओर जो कमर कस के काम करने को तैयार है बिना किसी एरोगेंस के बिना किसी शो के वैसे हम रितेश के बारे में यहाँ क्यों बात कर रहे हैं क्योंकि हमने काफी और स्टार्ट अप फाउंडर्स को भी प्रोफाइल किया है और पाया है कि कम से कम कुछ आशा है रितेश अगरवाल से आपको क्या लगता है कि ओयो बच पाएगा आपको कौन सा और एक डिटेल्ड प्रोफाइल हम करें यहां देशभक पर जरूर बताइएगा हम उसकी भी कोशिश जरूर करेंगे और अ�