नेशनलिज्म इन इंडिया - लाइव सेशन नोट्स

Jul 14, 2024

नेशनलिज्म इन इंडिया - लाइव सेशन नोट्स

मल्टीपरपज प्रोजेक्ट

  • एक डैम का उपयोग सिंचाई, बिजली उत्पादन, मनोरंजन गतिविधियों, और जल आपूर्ति को कृषि उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
  • यह मल्टीपरपज प्रोजेक्ट कहलाता है।

एनरोलमेंट रेशो

  • ग्रॉस इनरोलमेंट रेशो: प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और उच्च शिक्षा में छात्रों की कुल संख्या।
  • नेट अटेंडेंस रेशो: 14-15 साल के आयु समूह के बच्चों के स्कूल में जाने वाले छात्रों का अनुपात।

नेशनलिज्म इन इंडिया (भारत में राष्ट्रवाद)

आरम्भ

  • पहला चैप्टर: राइज ऑफ नेशनलिज्म इन यूरोप
  • दूसरा चैप्टर: नेशनलिज्म इन इंडिया

समानताएं

  • दोनों केस में नेशनलिज्म शब्द का प्रमुख उपयोग।
  • यूरोप में लिबर्टी और इक्वलिटी का विकास; भारत में राष्ट्रवाद का विकास औपनिवेशिक विरोधी आंदोलन से।

भारत में राष्ट्रवाद का विकास

  • आधुनिक औपनिवेशिकता में ब्रिटिशों का आगमन और अन्याय के खिलाफ संघर्ष।
  • विभिन्न समाजिक और आर्थिक परिस्थितियों ने राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ावा दिया।

महत्वपूर्ण आंदोलन

  • दो मुख्य आंदोलन: नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट और सिविल डिसओबीडिएंस मूवमेंट।

पहला विश्व युद्ध, खिलाफत और नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट

नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट का पृष्ठभूमि

  • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीयों की बढ़ती आर्थिक, समाजिक, और राजनीतिक दिक्कतें।
  • भारतीयों में नाराजगी बढ़ी: टैक्स वृद्धि, फोर्स्ड रिक्रूटमेंट, महंगाई, फसल बर्बादी, और महामारियाँ।
  • महात्मा गांधी का आगमन और सत्याग्रह का विचार:
    • सत्य और अहिंसा पर आधारित जीवन दर्शन।
    • अन्याय के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा।
    • चंपारण, खेड़ा और अहमदाबाद में सत्याग्रह का सफल आयोजन।

रॉलेट एक्ट और जलियाँवाला बाग हत्याकांड

  • रॉलेट एक्ट, 1919: क्रूर कानून जिसके तहत बगैर मुकदमा चलाए दो साल तक कैद किया जा सकता था।
  • 13 अप्रैल 1919, जलियाँवाला बाग: जनरल डायर का आदेश, खुलेआम गोली चलाने से सैकड़ों घायल।
  • जलियाँवाला बाग हत्याकांड के परिणामस्वरूप जनता का गुस्सा और बढ़ा, देशव्यापी विद्रोह।

खिलाफत आंदोलन

  • तुर्की के सुलतान (खलीफा) के खिलाफ ब्रिटिश विवाद से पैदा हुआ अवाम का गुस्सा।
  • महात्मा गांधी और मुस्लिम नेताओं मोहम्मद अली और शौकत अली ने खिलाफत आंदोलन और नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट को जोड़ा।

नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट का प्रारंभ

  • सितंबर 1920, कोलकाता: नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट का प्रस्ताव।
  • दिसंबर 1920, नागपुर: इसमें अनुशासन और रणनीति पर सहमति।
  • ब्लैकलिस्टिंग ब्रिटिश स्कूल, कॉलेज, अदालतें, और वस्त्रों का बहिष्कार। राष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से सहभागिता।

नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट का विश्लेषण

  • शहरों में शिक्षण संस्थानों, अदालतों और वस्त्रों का बहिष्कार।
  • आर्थिक हानि: ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार, विदेशी आयाद आधी हो गई।
  • समस्याएँ: खादी महंगी, भारतीय शिक्षण संस्थानों की कमी, रोज़गार का प्रश्न।

सिविल डिसओबीडिएंस मूवमेंट

भूमिगत संघर्ष (1922-1930)

  • स्वराज पार्टी की स्थापना:
    • कांग्रेस नेताओं द्वारा स्वराज पार्टी का गठन (जवाहरलाल नेहरू, सीआर दास और मोतीलाल नेहरू)।
    • राजनीति में भाग लेने और सत्ता पाने का प्रयास।
  • साइमन कमीशन का विरोध: "साइमन गो बैक"।
  • अखिल भारतीय संवैधानिक सुधार मांगें: इकॉनॉमिक डिप्रेशन में जूझ रहे किसान।

सिविल डिसओबीडिएंस मूवमेंट की शुरुआत

  • 31 जनवरी 1930, गांधीजी का वायसराय इरविन को 11 मांगों वाला पत्र।
  • 6 अप्रैल 1930, दांडी मार्च: नमक कानून का उल्लंघन, सत्याग्रह की शुरुआत।

सिविल डिसओबीडिएंस मूवमेंट का विवरण

  • अलगाववादी कदम: सत्याग्रह आंदोलन का विस्तार, विदेशी वस्त्रों का पूर्ण बहिष्कार।
  • जलियाँवाला बाग जैसे वृतांत, नो-रेंट कैंपेन, करों का बहिष्कार।
  • लीडर्स की गिरफ़्तारी: अब्दुल गफ्फार खान, महात्मा गांधी।
  • गांधी इरविन समझौता: आंदोलन स्थगित।

विभिन्न समूहों का दृष्टिकोण

कंट्रीसाइड में पार्टिसिपेशन

  • रिच पीजेंस: किसान यूनियनें (जैसे पाटीदार), कम रेवेन्यू डिमांड की मांग।
  • पुर गरीब किसान: कर्ज और रेंट कम करने की उम्मीद।
  • वर्कर्स: आंदोलनों में भागीदारी, लेकिन ज्यादा समर्थन नहीं मिला।

महिला सहभागिता

  • महिला समूह: प्रोटेस्ट मार्च, नमक बनाना, शराब की दुकानों के बहिष्कार। भारतीय जनमानस एकजुट हुआ।

जाति और धार्मिक मुद्दे

जाति समस्या

  • अछूतों का अलगाव: महात्मा गांधी का विरोध, डॉ. बी.आर. अंबेडकर का नेतृत्व।
  • पुणे समझौता, 1932: अलग निर्वाचक मंडल की मांग का परित्याग। रिजर्वेशन लागू।

धार्मिक समस्या

  • हिंदू-मुस्लिम तनाव: 1930 के दशक में बढ़ता साम्प्रदायिक तनाव।
  • मोहम्मद अली जिन्ना की अगुवाई में मुस्लिम लीग अलग वर्चस्व चाहती थी।

एकीकृत संघर्ष और सांस्कृतिक प्रक्रियाएँ

  • राष्ट्रवाद की भावना को सांस्कृतिक प्रक्रियाओं द्वारा मजबूती दी गई:
    • इतिहास, कल्पना, लोक साहित्य, गीत, चित्र और प्रतीक चिन्ह।
    • भारत माता की छवि: वंदे मातरम गीत, बंगाल विभाजन के समय स्वदेशी ध्वज, गांधीजी का चरखा ध्वज।
  • इतिहास का पुनर्विश्लेषण: भारतीय गौरव और आत्मगौरव को पुर्नजीवित करना।

क्यूट इंडिया मूवमेंट

  • 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन: ब्रिटिश वापसी की मांग, गांधीजी और अन्य नेताओं की गिरफ्तारी।
  • नव-नेता: अरुणा आसफ अली, जयप्रकाश नारायण।

निष्कर्ष

  • मध्यकालीन संघर्षों और सांस्कृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से भारतीय राष्ट्रवाद की विकास यात्रा।