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डबल एंट्री सिस्टम का परिचय
Sep 24, 2024
डबल एंट्री सिस्टम
परिचय
डबल एंट्री सिस्टम अकाउंटिंग का आधार है।
इसके दो मुख्य टर्म्स हैं:
डेबिट
और
क्रेडिट
।
डेबीट और क्रेडिट
डेबीट मतलब 'प्लस' और क्रेडिट मतलब 'माइनस' नहीं होता।
टी-एकाउंट:
लेफ्ट हैंड साइड: डेबीट
राइट हैंड साइड: क्रेडिट
एसेट्स और लायबिलिटी
एसेट्स का नेचर
: डेबीट (बढ़ने पर डेबीट)
लायबिलिटी और कैपिटल का नेचर
: क्रेडिट (बढ़ने पर क्रेडिट)
एक्सपेंस और इनकम
एक्सपेंस का नेचर
: डेबीट (बढ़ने पर डेबीट)
इनकम (या प्रॉफिट)
:
कैपिटल बढ़ता है, इसलिए क्रेडिट होता है।
प्रॉफिट बढ़ने पर कै पिटल क्रेडिट होगा।
ड्रॉइंग्स
बिजनेस से पर्सनल उपयोग के लिए निकाली गई चीजें ड्रॉइंग्स कहलाती हैं।
ड्रॉइंग्स का नेचर: डेबीट (क्योंकि कैपिटल घटता है)
म्नेमोनिक
AED
: Asset, Expense, Drawing = डेबीट
LIC
: Liability, Income, Capital = क्रेडिट
इन्वेंटरी (स्टॉक)
खरीदने पर:
पर्चेज
अकाउंट (डेबीट)
बेचने पर:
सेल्स
अकाउंट (क्रेडिट)
कस्टमर से वापसी पर:
रिटर्न इनवर्ड
अकाउंट (डेबीट)
सप्लायर को वापसी पर:
रिटर्न आउटवर्ड
अकाउंट (क्रेडिट)
विशेष नोट्स
स्टॉक के अलावा अन्य खरीद-फरोख्त के लिए अलग अकाउंट्स (जैसे मोटर व्हीकल) बनाएं।
सेल्स, पर्चेज, रिटर्न इनवर्ड, रिटर्न आउटवर्ड केवल गुड्स या स्टॉक के लिए होते हैं।
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