ब्रेकआउट ट्रेडिंग और सिग्नेचर्स

Jun 28, 2024

ब्रेकआउट ट्रेडिंग और प्राइस सिग्नेचर्स

परिचय

  • ब्रेकआउट ट्रेडिंग: रेजिस्टेंस या सपोर्ट को तोड़ते हुए प्राइस के मूव को कैप्चर करना। यह काफी पॉपुलर ट्रेडिंग फॉर्म है।
  • चुनौतियाँ: ब्रेकआउट्स में से केवल 20-25% सफल होते हैं।
  • लक्ष्य: सफल ब्रेकआउट्स की पहचान करना और उन्हें ट्रेड करना सीखना।

सफल ब्रेकआउट सिग्नेचर्स

  • वॉल्यूम: ब्रेकआउट के समय मजबूत वॉल्यूम्स होने चाहिए।
  • बेस बिल्डिंग: ब्रेकआउट से पहले प्राइस का कंसोलिडेट करना जरूरी है।
  • कैंडल पैटर्न और एब्सेंट ऑफ़ सेलिंग: ब्रेकआउट कैंडल का स्ट्रॉंग होना और क्लोजिंग अपने हाई के पास होना चाहिए।
  • ट्रेंड लाइन: ब्रेकआउट लेवल के बाहर 50% बॉडी होनी चाहिए।

मुख्य समस्याएँ और समाधान

  • चेजिंग मूव: मूव को चेज नहीं करना चाहिए। इंतजार करें और बेस बनने का ध्यान दें।
  • लिक्विडिटी ड्रिवन मूव्स: इन्हें पहचानना और इससे बचना।
  • रिस्क मैनेजमेंट: सही एंट्री, एग्जिट, और स्टॉप लॉस का पालन करना।
  • फेल फास्ट रूल: अगर ब्रेकआउट फेल हो, तो तुरंत नुकसान मानकर निकल जाएं।

प्रैक्टिकल उदाहरण

  1. हेवल्स इंडिया
    • एन्ट्री: एसटीएल कैंडल ब्रेकआउट पर
    • स्टॉप लॉस: ब्रेकआउट कैंडल या बेस के नीचे
    • एग्जिट: कैंडल क्लोजिंग सेलियस एग्जिट के नीचे
  2. बीएचईएल
    • बेस फार्मेशन से पहले कंसोलिडेशन, स्ट्रॉंग कैंडल पैटर्न, और प्रॉपर वॉल्यूम्स

रिस्क मैनेजमेंट

  • रिस्क-रिवॉर्ड रेशियो: कम से कम 3:1 रखना चाहिए।
  • एंट्री: ब्रेकआउट के समय ही करनी चाहिए।
  • स्टॉप लॉस: कैंडल लो या बेस लो के नीचे सेट करें।
  • एग्जिट: सैलियस एग्जिट के नीचे क्लोजिंग पर करें।

शॉर्ट प्रोग्राम्स

  • प्राइस एक्शन: 6200 का प्रोग्राम
  • एडवांस प्राइस एक्शन: एडवांस लेवल प्रोग्राम
  • आरएसआई: एडवांस आरएसआई का प्रोग्राम
  • ऑप्शन ट्रेडिंग: ऑप्शन ट्रेडिंग प्रोग्राम