हेलो गाइस मैं आपका भाई दोस्त एजुगेटर आफ एकॉनोमिक्स लव कौशिक स्वागत करता हूं आपका चनक के बैच में और दोस्तों इस क्लास में मैं आपको इंडियन एकॉनोमी यानि चेप्टर नंबर टेन करा रहा हूं बिजनस एकॉनोमिक्स से इस यौर वन श� कि time के साथ चीजे कैसे बदलती है जमाना बदलता है हमें policy बदलने की ज़रूरत है तो इंडिया की एक ऐसी economic history जब इंडिया में अंग्रेजों का राज नहीं था उसका छोटा सा जिकर है फिर अंग्रेज आए इंडिया पे राज किया फिर जब अंग्रेज छोड़ कर चले गए हमारे देश को तो हमने अपने दम पर कैसे policies बनाई कैसे इंडिया को आगे बढ़ाया आज हमारा इंडिया कहां स्टेंड करता है यह ऑवरल क्रक्स है इस चैप्टर का जो आपको पढ़ना है और मजा आने वाला है लिटरली आप देख पाओगे कि इस चैप्टर को अगर आपको कवर करना है तो अपने दिमाग में दो पोर्शन करने होंगे यानि एक तो आजादी से पहले का भारत ब कुछ इंडिया की achievements, कुछ इंडिया की problems, कुछ इंडिया की policies, time to time जो बदलती रही हैं, वो जानने जरूरी है, चलो जी, अब module ने क्या किया है, कि आजादी से पहले के भारत के दो टुकडे कर दिये, मतलब इंडिया के दो टुकडे नहीं किया यार, इस time phase को दो पार्ट में 1858 से लेकर हम पढ़ लेंगे 1947 ऐसा क्यों भाई ऐसा क्यों ये 1757 से ही क्यों पढ़ा रहा है ये बताने वाला हूँ लेकिन एक बार ये भी देख लो कि अजाधी के बाद हमने कैसे टाइम को स्टेडी करना है हम 1947 से लेकर 1991 तक पढ़ेंगे कि क्या हुआ फिर 1991 के बाद क्या हुआ 1991 ओनवर्ड्स कि LPG की Economic Policies बनाई थी वो तो कुल मिला के आप अपने दिमाग में अब चार सेगमेंट कर लो भाई इस टाइम में क्या हो रहा था फिर इस टाइम में क्या हो रहा था हां यह बता देता हूं कि 1757 से इसको क्यों पढ़ा रहे हैं देखो जी तुम् वह हमारे देश पर उन्होंने हुकूमत जमानी स्टार्ट कर दी एरिया कैप्चर स्टार्ट करना शुरू कर दिया सेवन्टीन फिटी सेवन में उन्होंने एक बहुत बड़ी लड़ाई बेंगॉल के नवाप सिराजु दोला के खिलाफ लड़ी बेंगॉल में कौन सी जगह तो अंग्रेजो का राज बेसिकली official level पे मान के चलो 1757 से start हुआ और बड़े level की बात करोगे तो 1757 से 1947 तक अंग्रेजो ने राज किया तो overall आपकी knowledge के लिए बता दू ये 190 साल हो गए अंग्रेजो के राज के जब कोई country किसी देश पर राज करती है तो राज करने वाली country को ruler country बूलते हैं और ये कौन सी थी ये था बृतेन अब बृतेन ने राज किया इंडिया पे दोस्तो जिस देश पे राज किया जाता है उसको कॉलोनी बोलते हैं और जो एक रूलर कंट्री और कॉलोनी के बीच का रिष्टा होता है इस relationship को बोलते हैं colonialism तो basically colonialism is a relationship between रूलर कंट्री and the colony country तो तुम कौन जी colony में रहते हो वो colony word ही अंग्रेजों ने दिया हुआ है समझ रहे हो, चलो जी इनकी राज की कहानी यहाँ शुरू हो गई, लेकिन एक छोटी सी बात आप से कहना चाहेंगे कि अंग्रेजों के आने से पहले हमारे प्यारे देश भारत के हालात कैसे थे, वो आपको जानने होगे, और ये भी जानना होगा कि जैसे अंग्रेजों ने बुक लिखी थी जिसका नाम था अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र को इंग्लिश में Economics बोलते हैं ये कैसे Politics करनी है, कैसे Economy चलानी है, कैसे Military चलानी है कैसे Strategies बनानी है हर एक के उपर क्या दिमाग चलाना होता है उस बुक के अंदर लिखा था बस बहुत चोटी सी गिलेम्स जलाक है जो आपको बतानी थी वह तो मौर्यान एंपायर की बात है, बहुत पहले ही चले गए हम, ठीक है, उदर की भी बात मत करो, अब सीधी बात सुनो टार्गेट पे, अंग्रेजों के आने से पहले हमारे प्यारे देश भारत के क्या हाल थे, यह वर्ण लिखा है Advent, Advent का मतलब होता है Entry, अंग्रेजों क मतलब self dependent economy थी इंडिया आज के टाइम में जैसे हमें बहुत सारे चीज़े इंपोर्ट करानी पड़ती है ना विदेशों से और कंट्री से पहले कुछ इंपोर्ट कराना नहीं पड़ता था बलकि हम बहुत कुछ विदेशों को export करते थे हम famous थे भाई इंडिया was very famous for handicrafts उसमें क्या आता है precious stones आते हैं हरे रंग का पत्था रंगूठी के अंदर होता है वो precious stones होते हैं नील मणी, सफायर वगैरा वो इंडिया में बहुत caddy level के बनते थे इंडिया पूरे world में इस चीज के लिए famous था और बताऊं जो बड़े योद्धा होते थे सिकंदर की, एलेक्शंडर की यार इंडिया में dress चाहिए मुझे इंडियन हैंड लूम्स इंडिया के हाथ से जो डिजाइन हुआ है मतलब इंडिया के लोगों ने जो अपने हाथ से कारीगरी करी है वो पूरे वर्ल्ड में फेमस होती थी और दुनिया तरसती थी इंडिया के बने हुए कपड़े पहनने को तो इंडिया वास वेरी फेमस फॉर हेंडी क्राफ्ट उसमें कोटन का कपड़ा भी आ सकता है सिल्क भी आ सकता है मैटल भी आ सकते हैं ऐसे कपड़ों में मैटल भी होते थे मैटल की एक अलग जगह भी होती थी मैटल की अंगूठी बनती है इस गोल्ड सिल्वर हो गए मैटल एंटिक शॉप पर चले जाओगे, वहाँ तो में अलग-अलग तरीके की हाथों से करी गई कारी-करी दिखाई जाती है, तो वो उस चीज के लिए इंडिया बहुत फेमस है, और इंडिया तब से ज़्यादा एग्रिकल्चर के ओपर एंडिपेंडेंट था, तो एग्रिकल्� कि अंग्रेजों के आने से पहले की बात है अब मैंने बताया कि आपको चैप्टर पढ़ना है उसके ऐसे टुकड़े करने हैं तो सबसे पहले बात कर लेते हैं इस वाले आजादी से पहले मतलब सेवनटीन फिटी सेवन से लेकर 1947 यहां से लेकर यहां तक इस टाइम की बात कर लेते हैं ठीक है फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहेंगे धीरे-धीरे आपको यहाँ पर नीति आयोग भी बढ़ना है, वो एंड में बढ़ना है, लेकिन अभी क्या है, स्टाटिंग से चलो, तो बोल रहा है बाई, 1850 से अगर 1947 अजादी तक की बात कर लूँ, तो एक पुराने historical hint दे दू, module ने ऐसी बोला है, मतलब यहाँ कुछ पर लिख दिया, कि आज के डेम में कहते हैं अमेरिका सबसे बड़ी इकानोमी है अब सत्रवी सतापदी लगभग सत्रा सो सालों तक इंडिया वर्ल्ड की सबसे बड़ी इकानोमी रही है इंडिया को सोने की चुड़िया ऐसे नहीं कहते थे समझे दो इंडिया कंट्रोल करता था वन थर्ड से लेकर वन फोर्थ पूरे वर्ल्ड की वेल्थ यानि अरे वन थर्ड का मतलब कितना होता है वन फोर्थ का मतलब होता है थर्डी थ्री परसेंट लगभग वन फोर्थ का मतलब होता है 25 परसेंट यानि अगर मैं बोलूं तो 25 से 30 परसेंट माल लो 25 से 33 परसेंट के बीच में पूरी दुनिया में जितनी भी प्रोपर्टी है वेल्थ है हीरे जवारात वो इंडिया ही कंट्रोल करता था ये कुछ डेटा लिखा है जो आपको जानना है ठीक है इंडिया में सेल्फ सफीशेंट विलेजेस होते थे ऐस शहर पहले भी होते थे शहर ऐसे इलाक्टर होते थे जहां पर लोग माल खरीदने बेचने ट्रेड करने जाते थे तो यह कोमर्स पिलग्रिमेज और एडमिनिस्ट्रेशन के सेंटर होते थे और सिटीज पर थोड़ा ज्यादा ध्यान दिया जाता था इस बात को तुम जानके बहुत खुश होगे कि तुम्हें एक ऐसा कॉन्सेप्ट जानने को मिला देखो जी डिविजिन आफ लेबर का मतलब क्या होता है? डिविजिन आफ लेबर मतलब लेबर को तुम डिवाइड करो किसमें? उस काम में जो काम उसको करना आता है तो इसको आज के टाइम में बोलते हैं स्पेशलाइजेशन 12th क्लास के बिजनस स्टेडीज में फेयॉ ठीक है जिसको जो काम आता है उसको वो काम दे दो तो वो बंदा स्पेशलाइज वर्क उसको मिल गया और इसी बात को डिविजन ऑफ लेबर बोलते थे लेबर को इसे साफ से डिवाइड करो कि जिसको गाड़ी चलाने आती है आप उसको गाड़ी चलाने का काम दो ना आप उ कॉम्प्लेक्स मतलब थोड़ा डिफिकल्ट है और यही सही है मतलब क्या कह रहे हो सर देखो जी आज के टाइम में क्या होता है आज के टाइम में मालो एक कंपनी के अंदर चार डिपार्टमेंट है नॉर्मल माल लेते हैं कोई भी कंपनी रन हो रही है एक कंपनी के अंदर मार्केटिंग डिपार्टमेंट है प्रोडक्शन डिपार्टमेंट है फाइनांस फाइनस डिपार्टमेंट में जाओगे आपको जो काम आता है वह समालोगे न आपको प्रोडक्शन करने थोड़ी बिठा देंगे तो आपको जो काम आता है आपको वह काम दे दिया यह सब मिलकर एक चीज के पीछे पड़े हैं यानि यह सब मिलकर कंपनी का जो प्रोडक्ट डिवाइडेड है डिविजन हो रखी है उसकी आज ऐसा होता है पहले ऐसा होता था मालो एक कंपनी दो प्रोडक्ट बना रही है मालो एक तो बना रही है पेप्सी वाली कोल ड्रिंक एक बना रही है चिप्स एक कंपनी दो प्रोडक्ट बना रही है तो पहले होता था एक बं� कि मार्केटिंग प्रोडक्शन फाइनांस पूर्ण देखेगा यह अकेला एक अकेला बंदा इतने सारे कामों में स्पेशलाइज नहीं हो सकता भाई तो थोड़ा स्लो जाएगा और अगर एक बंदे को चिप्स बनाने का काम दे दोगे तो कि अब भाई बहुत ज्यादा कंप्लेक्स स्पेशलाइजेशन है यही वाला सही है लेकिन ठीक है कि वह बात भी बात कर रहे हैं 1850 से लेकर 1947 तक हमारे प्रदेश भारत के क्या हलात है कुछ मेन बातें कर रहे हैं एक लास्ट पॉइंट और आपको बना यहां पर ठीक है कि एग्रीकल्चर ही सबसे ज्यादा डोमिनेंट ऑक्यूपेशन था काम धन्य में सबसे ज्यादा देर वर हाईली स्किल्ड आर्टिसन, आर्टिसन का मतलब होता है कलाकार, कुछ कलाकार बहुत ज़्यादा स्किल्ड वाले भी थे, क्राफ्ट मैन प्रोडूसिंग सुपेरियर क्वालिटी मैनुफाक्टुरेट्स, यानि कुछ ऐसे भी थे जो बहुत ही प्रेमियम क्वालिट आएगा यार जरूर आएगा अब देखो अंग्रेज आए अंग्रेजों ने भाईया इस्ट इंडिया कंपनी बना दी इसकी थोड़ी से एक बैकअप देख लो क्या बताना चाहता हूँ सेवंटीन फिटी सेवन से लेकर एटीन फिटी एट तक अंग्रेजों ने जो इस्ट इंडिया कंपनी बनाई थी उसका राज चलता रहा भाईया एक कंपनी राज कर रही थी, समझ रहे हो, इस्ट इंडिया कंपनी तो बैसे बहुत सारी कंट्रीज ने बनाई है, लेकिन जो ये इंगलैंड वालों की थी न, ब्रिटेन वालों की थी, उन्होंने जो कंपनी बनाई उसका राज चलता रहा, अब कोशन ये उठता है, 1857 का revolution हुआ था East India Company को खदेड दिया था उन्होंने यहां से 1857 के बाद से यानि 1858 ले लिया module में year यहां से East India Company का राज खतम हो गया था इंडिया में अब proper अंग्रेज आये थे proper अंग्रेजों की government जिसे बोलते हैं British Government British Government बन गई तो British Government ने राज किया 1858 से 1947, तो आप से कोई पुछे Britishers ने कितना राज किया, तो ये भी Britishers थे, ये भी Britishers थे. कि इतना चाहिए अब क्वेश्चन यह उठता है भाई यह 17th मतलब सेवनटींथ सेंचुरी के बाद ही मतलब सत्रासों से जब ऊपर संग लग जाते हैं 1701 सत्रासों दो तो उसको 18th सेंचुरी बोलते हैं मतलब इसी टाइम में अंग्रेज क्यों आए यार और देंगे अभी अंग्रेज दो देंगे तो पता नहीं क्या इंडिया किस लेवल पर जीडीपी के मामले में भी इनको पीछे अब आओ जरा धे चाटे लंका न लगा दे इंडियन्स तुम्हें पता है ऐसा हो जाएगा ठीक है अब इनकी वह उकात नहीं है लेकिन फिर भी यह सेवनटीन फिफटी सेवन के टाइम पर ही इस टाइम पर ही क्यों यह राज कर रहे थे इंडिया पर इ कि इंडॉस्ट्रियलाइजेशन क्या होता है राज्य इंडॉस्ट्रियलाइजेशन का मतलब होता है यहां पर इंडॉस्ट्री लगातार सेट हो रही थी देवदनादन इंडॉस्ट्री पर इंडॉस्ट्री सेट अप हो रही थी सरकार यहां पर इंडॉस्ट्री लगा जा रही थी इंडॉस्ट्री मतलब फैक्ट्री बन रही थी यहां पर फैक्ट्री है तो फैक्ट्री में इनके पास मशीन भी मशीन तो लग गई मशीन में कुछ ना कुछ सामान बनाएंगे गुड्स बनाने के लिए रॉ मैटेरियल चाहिए यह कहां से लाएंगे तो तो अंग्रेजों का main purpose यही था, इंडिया में नहीं, इंडिया जैसे बहुत सारे देश थे, चाइना में भी था यह, अंग्रेजों का राज, तो अंग्रेज यहाँ पर आये क्यों, अंग्रेजों का main purpose था, कि इंडिया से raw material ले जाएं, इंडिया से raw material ले जाएं, तो इंडिया को यह बनाना चाहते थे, raw material का, एक्सपोर्टर मालों इंडिया से रूपी चली गई रूपी मतलब कॉटन पॉटन चली गई ब्रिटेन चली गई यह लगी हुए फैक्टरी लगी हुआ यह फैक्टरी में कॉटन की बना देंगे शर्ट और शर्ट वापिस इंडिया को दे देंगे तो इंडिया को एक्सपोर्टर बन���ना चाहते थे रॉ मेटेरियल का और इंपोर्टर बनाना चाहते थे फिनिस्� फाइनल गुड रॉ मेटेरियल इंडिया से इंग्लैंड में जाएगा इंग्लैंड से वह प्रोसेस होकर फाइनल प्रोडक्ट बनकर इंडिया में आ जाएगा तो अंग्रेजों को क्या फाइदा होगा भाई साहब जहां पर मैनुफाक्शनिंग हो रही होगी ना उसी देश में अंप्लॉइमेंट बढ़ेगी इसी देश के लोगों की इंकम जनरेट होगी तो यहीं पर ही फैसलिटी ज्यादा होंगे तो यह सब क्या है इन्होंने इंडिया में जो हाथ से बनता था सामान भाई इंडिया में आज से सामान बनता था हैंडीक्राफ्ट बहुत फेमस था इन चलाकों ने क्या किया?
इंडिया का माल जो विदेशों में जाता था, उस पर बहुत ज़्यादा टैरिफ लगाना स्टार्ट कर दिया. टैरिफ लगाने से इंडिया का हाथ से बनावा समान हो गया expensive. Expensive हो गया तो इसकी market धीरे खतब करने शुरू कर दी.
और क्या किया इन चलाक लोगों ने? भाई साब, जो विदेशों से इंडिया में machine से बनावा समान आता था, machine made product, वो थोड़ा देखने में stylist होता था, fashionable होता था. दादी नानी की बनाई हुई स्वेटर कहां पहनते हो तुम, अगर तुम्हें बोल दू कि जारा की जाकेट पहननी है तो तुम्हें वो जादा पसंद आईगी, खुदी सोच लो, थोड़ा फैशनेबल होता था, तो मशीन मेड प्रोड़क की डिमांड इंडिया में बढ़ने अंग्रेजों का रूल दो पीरेंड में एक तो इस्ट इंडिया कंपनी का 1757 से 1858 एक बृतिश गॉर्नमेंट आ गए इंडिया में 1858 से 1947 जो बृतिश का कोलोनियलिजम था मतलब जो बृतिश का रूल चल रहा था इंडिया में ये इंडॉस्ट्रियल रेवोलूशन के कारण ह ब्रिटिश की पॉलिसी थी जो बहुत ज़्यादा टैरिफ इंपोस करेगी इंडिया के एक्सपोर्ट पर किस चीज पर भाई अंग्रेजों शानों ने क्या करा अंग्रेजों ने बोला इंडिया अगर एक्सपोर्ट करेगा तो एक्सपोर्ट दो चीजें होती हैं एक होता है रॉ मेटेरियल एक होता है फिनिस्ट गुड कहता है रॉ मेटेरियल पर तो टैरिफ कम कर देंगे जामोजले म अब इंग्लैंड इसको पर्चेस कर लेगा फिनिश गुड इंडिया की जो थी उस पे बहुत ज़ादा टैरिफ लगा दिया इस कि जो बाहर समान जा रहा है उस पर टैरीफ बहुत ज्यादा है ताज टैरीफ बहुत ज्यादा तो इंडिया का सामान को खरीदेगा तो इंडिया से फिनिस्ट गुड की मार्केट को खत्म करना स्टार्ट कर दिया इन्होंने रॉ मेटेरियल वगैरह की मार्केट इन इंडिया को लिमिटाइज कर दिया अमजे तो लिखा था फिनिस्ट गुड के ऊपर जो टैरीफ था वह बहुत ज्यादा कर द इंडिया से माल बाहर जाएगा, दुबारा मैं explain करता हूँ, देखो जी, let me explain you once more, ताकि आपको clarity हो जाए, भाई ये point समझना बहुत ज़रूरी है, this is India, this is England, इंडिया से यहाँ पर export होगा, इंडिया यहाँ पर export करेगा, किस चीज को, दो चीजों को, रॉ मेटेरियल भी हो सकता है और फिनिस्ट गुड भी हो सकता है अंग्रेजों ने क्या किया फिनिस्ट गुड पर टैरिफ बढ़ा दिया ताकि इंडिया फिनिस्ट गुड को ना बना पाए अपने देश में बिकेगा नहीं तो क्यों बनाएगा या कम बनाएगा और रॉ मे� मतलब इंग्लैंड में बनाते थे और इंडिया को ऐसे-ऐसे करके बेचते थे तो आपको पता होना चाहिए ठीक है और कंपरेटिवली जितना ज्यादा टाइप यहां था उससे कम टाइप यहां पर रखा हुआ था उन्होंने टाइप था इस पर भी लेकिन कहता है फिर ऐसे करके धीरे इंडिया की हेंडी क्राफ्ट इंडॉस्ट्री इन उन्होंने डिस्ट्रॉय कर दी खराब कर दी भाई और जो डोमेस्टिक कंजीमर जो हमारे देश के कंजीमर थे उनको भी पसंद आने लगे फोरन गुड्स वेस्टरन कल्चर तितलिया पस जो मैनिसाक्शन कुछ चीजों की हो भी रही थी तो वो खराब होने लगी क्योंकि उसकी डिमांड नहीं थी तो अंग्रेजों ने जो डैमेज किया इंडिया के स्ट्रक्चर को डैमेज करने के कुछ कॉनसिक्वेंसेज है कुछ रिजल्ट है अंग्रेजों ने इंडिया का हे इंडिया की हेंडी क्राफ्ट और जो दूसरी मैनुफैक्शन यूनिट चल रही थी अंग्रेजों ने उनको खत्म कर दिया वहां से लोग फिर बेरोजगार हो गए हां फिर लैंड पर प्रेशर बढ़ गया यह लोग जो बेरोजगार हो रहे थे ना यह अब एग्रीकल्चर म अलग-अलग टुकड़ों में बाठ दिया बहुत सारे बंदे हो गया अलग-अलग टुकड़ों में बाठ दिया और क्या रिजल्ट रहा जो इंपोर्टेड गुड्स आ रही थी अंग्रेजों की मशीन से बनी हुई तो इंडिया के लोगों का दिल इनकी तरफ लगने लगा और इंडिया के लोगों ने भी एक शिफ्ट दिखाई डोमेस्टिक गुड्स के जगह वो फोरन गुड्स को परचेस करने लगे तो डोमे राज कर रखा था तो वह फार्मर से लगान वसूलते थे लगान को बोलते टैक्स तो लगान वसूलने के लिए इन्होंने अपना एजेंट बनाया जिसको जमीनदार बोलते थे यह जमीनदार को बोलते थे जा तो टैक्स ले लोगों से तो जमीनदार फिर कि अगर यह मतलब जो अपने लोगों पर जितना ज्यादा जुल्म करने के लिए तैयार हो अंग्रेज उसको जमीनदार बनाते थे इससे कोई पंगा लेता था तो अंग्रेजों की फोर्स होती थी बंबगोला बारूद के साथ तैयार तो इसलिए अंग्रेज थोड़े ज्यादा स्ट्रोंग भी थे और दोस्तों लैंड टेनियर प्रेशर लैंड टेनियर का प्रेशर सुनो कि अब लोग जमीन मतलब देखो जितनी लैंड है उससे ज़्यादा पोपुले यानि जितनी उपजाओ लेंड है उससे ज्यादा पॉपुलेशन है ठीक है और जो जमीनदार थे वह कहते हम मालिक हैं इसके जमीन के तो दूसरे फार्मर्स को वह कहते थे तू यहां पर किरायदार बनकर मेरी लेंड को यूज कर ले तो जबर्दस्ती लोगों पेट का सवाल है वह किराय पर जमीन लेंगे और फिर खेती करेंगे उससे एक्सेसिव रेंट चार्ज करेंगे यह जमीनदार जमीनदार एक्स्ट्रैक्ट करते थे जितना हो सके उतना ज्यादा रेंट और एग्रीकल्चर में दोस्तों आया फिर बड़े लेवल का क्राइसिस क्यों आया एक तो एप्सेंटी लैंडलोडिजम था ये क्या होता है लेको लैंडलोडिजम का मतलब होता है मालिका उसकी improvement कराने के लिए तुम्हें मतलब नहीं है लैंड अच्छी है बुरी है उपजाओ है या बेकार हो रही है आपको सिर्फ rent लेना है यहाँ पर लोग rent में ज़्यादा interested थे लोगों को करजे में डुमाने में interested थे जितना ज़्यादा हो सके उतरा ज़्यादा उनसे rent लेने क अफेक्ट हो गया लेकिन अब आप देखोगे थोड़े से और फैक्ट देखो जब मैं बात करूं मिड नाइंटीयंस सेंचुरी की ठीक है तो यहां पर आपको देखने को मिलेगा फैक्टरी बेस्ट प्रोडक्शन डिड नोट एक्सिस्ट इन इडिया बिफोर 1850 से पहले करवाने लगी, example के तोर पर बताऊं, तो cotton milling industry, milling का मतलब होता है mill, mill को तुम factory बोलो, cotton यानि रूई वाली factory, बहुत सारी industries इंडिया में बहुत धिरे धिरे, steadily expand होने लगी, और आपको एक बात बताऊं, इस cotton की industry ने international level पे बहुत high level का competition किया, और 1930 के दशक में, जब America में चल कि यह नोंने 9 मिलियन स्पिंडल्स बनाए थे कोटन के स्पिंडल जैसे वह चर्खी नहीं होती पतंग उड़ाने के उसके ऊपर धागा लगेटते हैं ऐसे स्पिंडल होते हैं स्पिंडल की फोटो दिखा दूं यह स्पिंडल है इसके ऊपर धागा लिप्टा बहुत बड़ी अचीवमेंट दिखाती है दोस्तों जूट मील्स मेंली सिचुएटेड अराउंट कॉलकाता के आसपास बहुत सारी जूट मील्स थी ठीक है, responding to a global demand, हमारे देश में से jute की भी बहुत global demand आने लगी, jute क्या होता है, वो बोरी बनाने के लिए जो चाहिए होता है न, रसी बनाने के लिए जो चाहिए होता है, नारियल की खाल के जैसा जो होता है, जिसे रसी, बोरी वगैरा बनती है, वो चीज, ठीक है, और late ब्रूरी जानते हो ना यह बियर की ज़वू बनती है अंग्रेजों के यह शौक भी थे ब्रूइंग, पेपर मिलिंग और लैधर मेकिंग या माचिस हो गई या चावल की राइस मील हो गई यह डवलप होनी स्टार्ट हुई धीरे तब के सब 1850 के बाद हुए हैं ध्यान रखना 1850 तक कोई भी हमारे यहाँ पर ऐसी कोई इंडॉस्ट्री नहीं थी एवि इंडॉस्ट्री लाइक द आयरन इंडॉस्ट्री अंग्रेजों ने 1814 में अपने पैसों से यानि ब्रिटिश मनी से एक इंडॉस्ट्री यहां पर सेट अप की रैंक्ड इंडिया एट्स ग्लोबली इन टर्म्स ऑफ आउटपुट बाय 1930 में यह आयरन जो कि बल्कि इंडिया में 1907 में इसको खुली टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी जिसको आज आप टाटा स्टील के नाम से जानते हो वह बहुत बड़ी थी लेकिन वह 1907 में खुली थी चलो यह भी देख लिया आपने यह भी देख लिया और एक छोटी सीज और देख लो कुछ इंडिया की अचीवमेंट चल रही है यह मतलब क्या पढ़ रहे हो पढ़ क्या रहे हो आप एक्चुली सुनो अंग्रेजों के रा कि कुछ इंडॉस्ट्रीज ने ग्लोबल स्टैंडर्स अचीव करने स्टार्ट कर दिया आपको बताऊं जब अमेरिका में ग्रेड डिप्रेशन चल रहा था 1930 के टाइम के आसपास की बात करूं तो अगर वर्ड की सारी इंडॉस्ट्रियलाइज्ड कंट्रीज की बात करी जाए जो मैनुफाक्चर्ड प्रोडक्ट बनाती है तो इंडिया कि उस टाइम पर बतला बार भी नंबर की थी तब भी बहुत हालात खराब थे यार अच्छी बात नहीं थी लिखा तो हुआ है इसके तरह ठीक है और इंग्लिश प्रोडूसर्स ने जो प्रेशर डाला था इंडिया पर जो अपने हिसाब से चीजों को प्रोडूस करवाया वो सारी की सारी पॉलिसीज डिसकरेज करती थी तब डेवलपमेंट ऑफ इंडॉस्ट्रीज डेट कोड कंपीट विद इंग्लिश प्रोडूसर्स यानि अंग्रेजों ने जो पॉलिसी बनाई इंडिया वो चीज़ नहीं बने जो अंग्रेज बनाते ही नहीं है तो competition हो गई नहीं इंडिया's industrial growth was insufficient to bring about general economic transformation इंडिया की जो economic growth थी वो इतनी कम थी कि इंडिया transform ही नहीं कर पा रही थी एक developed बनी नहीं पा रही थी with the manufacturing sector share in the net domestic product reaching to 7% in 1946 1946 बहुत आसान बात लिखी है 1946 वाले सनु के अंदर इंडिया का manufacturing sector के अंदर जो share था मतलब मैं मैंने फैक्टरी सेक्टर का मतलब क्या होता है दोस्तों यह फैक्टरी होती है इसके अंदर जो लोग काम करते हैं वह जैसे आपको दिख रहा हो कोई फैक्टरी में काम कर रहा है कोई फैक्टरी में मशीन चल रही है मशीन चलाता है दो बंदे इसके अंदर आते हैं तो कहते हैं कि एक इकानोमी के अंदर तीन सेक्टर है प्राइमरी सेकंडरी और टर्शरी यह सेकंडरी सेक्टर मैनुफेक्शनिक सेक्टर होता है तो एक इकानोमी मालो आज के टाइम में इडिया का जीडीपी 3.5 ट्रिलियन डॉलर है तो तब भी कुछ ना कुछ जीडीपी होगा ना जीडीपी में से अगर तुम डेप्रिशेशन लेस कर देते हो तो वह एंडीपी बन जाता है तो जितना भी इंडिया का एंडीपी था उस टाइम पर उसमें इस वाले सेक्टर का सिर्फ और सिर्फ 7 परसेंट चेयर था ज्यादा होना चाहिए तिर्फ कितना था 7 परसेंट चेयर था पैक्ट्री अंप्लाइमेंट इन इंडिया फैक्ट्री जो नौकरी करने वाले लोग थे वह आप देख पाऊंगे सन 1900 में जीरो पॉइंट परसेंट टोटल पपुलेशन के लेकिन अब देखोगे 1941 में 1.4% हो गए, यानि पहले से तो बढ़ गए, लेकिन ये भी बेकार हालात है, factory में काम करने वाले लोग, total population में 1.5% से कम लोग काम कर रहे हैं, वहाँ आधा परसेंट से कम लोग काम कर रहे हैं दोस्तो, समझे बात को, तो कुल मिला के आपके मन से एक बात निकलनी चाहिए, कि अंग्रेजों ने किया, तो बहुत बुरा किया, अब आपको स्टार्ट करा रहा हूँ वो वाली Indian economic history, जो अजादी से स्टार्ट होगी एक बात दोस्तों आपको बताऊं जितना लेटस्ट तुम पढ़ोगे उतना एग्जाम के लिए इंपोर्टेंट लेगा तो अब आजादी के टाइम से शुरू करते हैं 1947 के बाद से अगर आपको बताऊं तो आपको यह देखने को मिलेगा लेकिन अगर पढ़ाई-लिखाई की बात की जाए तो लिटरेसी रेट इंडिया का 18 परसेंट था मतलब 82 परसेंट ऐसे इंडिया में जो पढ़े-लिखे नहीं थे अगर गांव के लोगों की हालात को देखो कि किस तरीके से वो जिन्दा रह रहे थे, किस तरीके से वो जी रहे थे, तो वो हलात बहुत बत्तर थे, और आपको पता चलेगा कि year 1951 में जब calculate किया गया, तो 32 years, average basis पर एक इंसान जिन्दा रह सकता था, आज के डाइम में 69 से ज़्यादा है, right, अलब, this is called life expectancy rate, ठीक है, ज� मतलब गांधी जी कहते थे कि small scale industries पर, cottage industries पर, घर के उद्योगों पर ध्यान दो ताकि हर जगा employment बड़े और देश आगे बड़े. एक approach नहरू जी की थी. ये बड़े level पर industrialization चाते थे, factories चाते थे, तो इनकी growth approach अलग थी, लेकिन नहरू जी परधानमंत कि इंडिया को अगर पट्रोल चाहिए होता था मतलब तो पट्रोल तो बनेगा कुरुड ओयल से कुरुड ओयल जिस कंट्री से इंडिया मगाती थी उस कंट्री में ऑयल शॉक्स हो गए थे मतलब ऑयल की सप्लाई रुक गई थी उस पॉब्लम हो गई और दोस्तों हमने वार भी जेले हैं तीन-तीन तो वार जेले हैं दो बार इन पाकी चोरों से लड़े हैं, चाइना से लड़े हैं, सन्नी देवल नहीं लड़ा, लेकिन वार्थ की याद तो दिल आता है, ठीक है, ओके, तो एक बार पोस्ट इंडिपेंडेंट इंडिया को देख लेते हैं, अजाधी के बाद का इंडिया, 1947 से लेके 1991 तक, फि लाइफ एक्सपेक्टेंसी ये बहुत कम है नहरू जी का मोडल माना गया नहरू जी का मोडल हिस्टोरिकल फैक्टर से इंफुनेंस था ये कहता था कि अजादी के बाद भ इंडॉस्ट्रियलाइजेशन पर फोकस करना चाहिए वह भी कैसा इंडॉस्ट्रियलाइजेशन स्टेट लेड स्टेट का मतलब होता है मेजर फोकस हमारा इंडॉस्ट्रियल आइजेशन पर रहा हम यही हम सोचते थे फैक्ट्री ज्यादा से ज्यादा इस्टेब्लिश लोगों को ज्यादा से ज्यादा लोकरी मिलेगी तो नेहरू जी की जो डेवलप्पमेंट स्ट्रैटेजी थी इसका फोकस एकदम प्लाइट मोडरनाइजेशन में था मतलब मोडरनाइजेशन हम मोडिफाइड होंगे टेक्नोलोजिकल डेवलप्पमेंट से ठीक है तो इसके अंदर यह डिसाइड किया गया कि ज़्यादा चीजें सबके सब पब्लिक सेक्टर के कंट्रोल में होंगी यानि गवर्नमेंट के दे अपनी खुद की मोनोपॉली बना ली कौन से कामदंदे थे एटोमिक एनर्जी थी आर्म साइड एम्यूनिशन था रेलवे था कोई भी नई investment आए basic industries में, तो ये सब सरकार देखेगी, ठीक है, तो ये सब सरकार देखेगी, exclusively सरकार देखेगी, और अब देखो जरा, आपको मैं पहले ही बता चुका हूँ, नहीं 1950 में इडिया के पास दो option थे, दो economic philosophies थी, एक तो नहरू जी की बात को मानो, कि heavy industry पे focus करो, ये कहते थे small scale और cottage industries पे focus करो, इन दोनों की अपरोच देखो गांधी जी की बहुत पहले की अपरोच थी है गांधी जी पहले से बोलते आ रहे थे तो यहाँ पर हमने क्या किया अपनी industrial policy को अब देखो 1948 में industrial policy बनाई थी इसको update किया कब 1956 में और हमने इंडिया में जितने भी काम दन्दे हैं उसको तीन टुकडों में डिवाइड कर दिया पहले टुकडे में यानि एक फेज में वो सबी industry आएगी जो सरकार करेगी दूसरे में वो सब आएगी जो सरकार करेगी सरकार के बसकी नहीं हुआ तो प्राइवेट सेक्टर कर सकता है तीसरे में सब अदर आ जाएगी चोटे-बोटे चीजें आ जाएगी वो प्राइवेट सेक्टर कर सकता है लेकिन प्राइवेट सेक्टर बिना लाइसेंस के कुछ कि थोड़ा सा इंटरनेशनल हो जाते हैं तो हमने विदेशों से इनवेस्टमेंट मंगाने शुरू करें कोका कोला कंपनी तभी आई थी 1950 में फिर वह बंद हो गई 1970 में सरकार के खतरनाक पॉलिसी जा गई फिर सरकार की पॉलिसी आसान पसने लगा थोड़ी trade policy इंडिया को tight करनी पड़ी फिर इंडिया ने क्या किया comprehensive import control were maintained until 1966 1966 तक इंडिया ने विदेशों से माल जो खरीद रहे थे import करा रहे थे उस पर control बहुत बड़े level पे लगाना शुरू कर दिया और दिखेगा आपको 1950 से 1980 के जो तीन decade थे यहाँ पर इंडिया की GDP की annual growth rate को Hindu growth rate बोला गया क्योंकि यह बोला जाता है कि 1950 से लेके 1980 तक इंडिया ने बहुत स्लोग रोग किया है कितनी ग्रोथ रेट से महज 3.5 परसेट की ग्रोथ रेट इसको बोलते हैं हिंदु ग्रोथ रेट और इस वेरी इंपोर्टेंट यह आपसे पूछ सकता है हिंदु ग्रोथ रेट के बारे में क्वेश्चन आपसे पूछ सकता है जो इ कंजीमर गुड्स पे थोड़ा फोकस कम था इसकी वजह से बोलते हैं कि स्लो ग्रोथ हुई है हिंदू ग्रोथ रेट की तरफ हमें आना पड़ा है और दोस्तों मिड 1960s में यानि 1960 के बीच में हमने एक मेजर शिफ्ट देखा in the economic strategy marked by inadequate prioritization of agriculture 1960 के दशक में हमने देखा कि हमने agriculture को ज़्यादा priority नहीं दी थी inadequate priority थी तो कब second plan कि पहला प्लान फाइब्र प्लानिंग का बना 1951 से लेकर 1956 दूसरा प्लान बना फिर तीस से लेकर सिक्सटीवन तो सेकंड फाइब्र प्लान में एग्रिकल्चर पर ध्यान दिया हमने इंडॉस्ट्रियल प्रोडक्शन बना डाली था तरकार ने अपने आउटलेज कम कर दिए मतलब एग्रिकल्चर के ऊपर खर ग्रीन रेवोलूशन आ गया ठीक है और हमने देखा कि हम टेक्नोक्राटिक एरिया पर यहां से टेक्नोलोजी इंप्रूव होती है रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर हम बहुत कम खर्चा कर रहे थे इस दिव पॉइंट टू बी नोटेड फिर नाइन टी शिक्स से लेकर शिक्स टी सेवन दो सालों में हमारे देश की थोड़ी सी एग्रीकल्चरल ग्रूथ रेट जो कि उसे हमारे देश में फूट ग्रेन इंपोर्ट होता था यह याद रखना एक नंबर का क्वेश्चन आ सकता है ठीक है ओके ग्रेन रेवोलूशन का पॉइंट मैंने बीच में बता दिया ग्रेन रेवोलूशन का मतलब क्या होता है हाई एल्ड वाराइटी सीट्स को गौर्मेंट ने बहुत ज़्यादा स्ट्रिंजेंट, स्ट्रिंजेंट का मतलब होते है सक्त, ओफिशियल कंट्रोल स्टार्ट कर दिये थे साथ में, ग्रीन डेवोलूशन चल रहा था, साइमल्टेशनी गौर्मेंट ने, और लॉंच अ वेव ओफ नैशनलाइजेशन, सरकार ने ये दिखाना साबित कर दिया कि जो सरकार चाहेगी वो ही होगा, सरकार ने 1969 में, 14 बैंकों को अपने कभजे में ले लिया जब सरकार किसी को अपने कभजे में लेती है तो उसको बोलते है nationalization बचे हुए 6 बैंकों को 1980 में ले लिया तो सब nationalization हो गया और this is also an important fact एक्जाम के लिए यह भी आ सकता है 1980 के बाद धीरे मतलब यह बहुत सक्त policies थी government की overall एक summarize में मैं बताऊं तो सरकार बोल रही थी कि private sector को कोई भी major काम धन्दा लाइसेस लेने का प्रोसेस बहुत खतरनाग था तो प्राइवेटिजेशन थोड़ा अच्छे तरीके से नहीं हुआ हमारे देश में तरकार ही मेजरोटी ओफ इंडॉस्ट्रीज को कंट्रोल कर रही थी लेकिन यह सब ठीक होने लगा 1991 के बाद लेकिन वो तो ऑफिशल तोर पर सही होने लगा अनोफिशल तोर पर बताओ 1980 के बाद से ही इंडिया को थोड़ी बहीं इंप्रूवमेंट तो थी इंसान में थोड़ी सी अकल आने लगी और थो� यानि लोगों को बिजनस खोन ले दो भाई तुम इतनी सक्ताई मत लगाओ कि हर चीज करने पर तुम्हें सरकार से लाइसेंस लेना पड़ेगा इतनी सक्ताई मत लगाओ तो सक्ताईयां कम करी और आपको देख रहा है यहाँ पर बताऊं बिसिकल कि 62-65 71 और दो मेजर ट्राउट देने को पड़ गए और शॉक्स हो गए 73 और 79 में जिन कंट्रीसें इंडिया क्रूड ऑयल को इंपोर्ट कराती थी वहां पर लड़ाई चल रही थी वहां से ऑयल की सप्लाई रुक गई थी तो बड़ी प्रॉब्लम अंडरमाइंड वेल्ट क्रिएशन इंसेंटिव एंड वर लार्जली एंटी ग्रूथ कहता था जो हमारे देश की सरकार अमीरी और गरीबी के बीच का गैप कम करने की कोशिश कर रही थी ना उसने ही सारा बंटा धार कर दिया क्योंकि उसको ज्यादा गरीबी थे तुम गैप क्या कम करोगे आज के टाइम में अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगाना सही है लेकिन उस टाइम हां तो चीज चोटी बातें यहां पर जो थी यानी 65 से लेकर 81 के बीच में इंडिया की जो ग्रोथ थी वह सबसे वर्स्ट बताई गई है सबसे वर्स्ट क्यों वर्स्ट बताई गई है एड 65 से लेकर 81 में बल्कि 62 से लेकर 79 तक इंडिया ने कितने लाइसेस लेने के बाद भी सरकार उसको भी कंट्रोल करेगी तो एक 1969 में MRTP एक्ट लेकर आई MRTP की फुल फॉर्म है Monopolies and Restrictive Trade Practice सरकार कहती है किसी फर्म को हम इतना बड़ा नहीं उंदेंगे कि वो Monopoly बन जाए समझे?
तो इतना बड़ा नहीं उंदेंगे सरकार किसी को कि वो Monopoly बन जाए तो सरकार ने भाई Competition बरकरार रखना था Competition बरकरार रखने के लिए Government ने ये सब किया और Government ने बोला कि कुछ Product हम Small Scale Industry के लिए Reserve कर देंगे कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो सिर्फ स्मोल स्केल इंडॉस्ट्री ही बनाएगी बड़ी-बड़ी फर्म उसको नहीं बनाएगी क्यों स्मोल स्केल इंडॉस्ट्री बनाएगी तो छोटे-छोटे उद्योग हैं वहां पर लोकल लोग काम करते होंगे उनका पेट पलेगा उनकी अंप्लाइमेंट बढ़ेगी लेकिन यह डिसेडवांटेज रहा ब तो बड़ी-बड़ी कंपनियां फिर कंपीट नहीं कर पाली थी वर्ल्ड की इंटरनेशनल मार्केट के अंदर लिखा था कि कुछ प्रोडक्ट गॉर्नमेंट ने रिजर्व कर दिए स्मॉल स्केल सेक्टर के लिए ठीक है यह सोचकर कि भाईया वहां ग्रोथ होगी तो इस वजह से बिग फर्म को उसमें से एक्सक्लूड कर रखा था तो बिग फर्म फिर वह चीजें नहीं बना पाती थी तो वह ग्लोबल कंपेटिवनेस कि एक कंपडिशन मतलब ताल से ताल नहीं मिला पारी थी और दोस्तों स्ट्रिंजेंट लेवर लॉस बना रखे थे लेवर लॉस बहुत सक्त बना रखे थे सरकार ने तो उस वजह से इंडॉस्ट्रीज लेवर को हायर भी मुश्किल से कर पारी थी लेवर प्रोडूलाइज डेट स्ट्रिक्ट रिजाइन लाग इंसेंटिव एंड ऑपनेस नेसेसरी फोर सस्टेंड और रेबिट ग्रोथ कहता था जो इंडिया की जो रेपिट ग्रोथ होनी थी उसके लिए जिम्मेदार चीजें सरकार का बहुत सक्त सिस्टम है रिजाइम का मतलब सिस्टम जो सरकार ने सक्ताई कर रखी है यह सबसे ज्यादा बीच में ग्रोथ के बीच में पथ्थर हुआ है अब स्टार्ट करते हैं एरा ऑफ रिफॉर्म्स यानि देश के अंदर रिफॉर्म स्टार्ट हुए 1980 तक तो ऐसा हुआ कि हमारे देश की ग्रोथ रेट हिंदू ग्रोथ रेट नाम से पहचाने गई जस्ट फ्री पॉइंट परसेंट से ग्रोवरी थी फाइट लेकिन अपनी सो असी के बाद एक अर्ली लिबरलाइजेशन स्टार्ट हुआ धीरे-धीरे हमने अपनी इकानोमी को लिबरलाइज करना स्टार्ट किया और यह नाइन इन इटीज के बाद था नाइन इटीज ऑनवर्ड्स बिसिकली बात करूं तो 85 के बाद ज्यादा हुआ ठीक है दिस अर्ली लिबरलाइजेशन जहां पर हमारे देश की मोनेटरी पॉलिसी फिस्कल पॉलिसी और दूसरे स्ट्रक्शनल रिफॉर्म अंदर ही अंदर होने लगे ऑफिशल लेवल पर नाइंटी वन में हुआ था ठीक है हमने बोला कि हमने इन वर्ड पॉलिसी यूज कर रखी थी पहले हम सोचते थे अपने देश का भागार करना है भागार उन बतला फिर ऐसी पॉलिसी तो इस तरफ का मतलब होता चोरी चिपे हम सुधार कर रहे थे किसी को बता नहीं रहे थे देश के अंदर यंदर रिफॉर्म बहुत डिटेल्ड और रिफॉर्म का पैकेज लाइट है ऐसा तो नहीं किया लेकिन स्टेल दिजा फर्स्ट कंट्रीबूटेड हायर ग्रोथ रेट इसकी वजह से जो नाइटी नेटी वन में हम खुले हो रहे थे चैक कर रहे थे जो तीन डिकेड्स थे उसमें 3.5 की ग्रोथ रेट थी हमारी लेकिन कि 1980 के बाद जो हमने थोड़ा खुलापन दिखाया उससे पता लगा कि हमारी ग्रोथ रेट 1980 से 85 के पांच सालों में 5.7 परसेंट रही है 85 से 95 के पांच सालों के अंदर 5.8 परसेंट रही है यानि यह ग्रोथ रेट धीरे-धीरे बढ़ने गई फिर हमने क्या किया भाईया हां रिफॉर्म धीरे-धीरे आर्ली रिफॉर्म इन 1980 फोकस डोन इंडस्ट्री ट्रेड एंड टैक्सेशन इंडॉस्ट्रीय ट्रेड और टेक्सेशन पर भी यह रिफॉर्म धीरे-धीरे बढ़ने लगे फिसिकल इंडॉस्ट्रीय ट्रेड और टेक्सेशन पर भी यह रिफॉर्म धीरे-धीरे बढ़ने लगे नाइनटी नाइटी फाइव में 25 ब्रोड इंडॉस्ट्रीज को डिलाइसेंस किया मतलब कि विदाउट लाइसेंस तुम इन काम दंदों को स्टार्ट कर सकते हो ठीक है आज ठीक है भागर काम दंदों को स्टार्ट कर सकते हो दूसरा हमारे दिश में एक बार इसको देना पड़ेगा एक बार इसको देना पड़ेगा सबने कुछ-कुछ में वेल्यू एडिशन किया कि इसको खत्म करके सरकार बोल रही है जिस बंदे ने मेन माल बनाया ना सारा टैक्स को देना है जब एक बंदा टैक्स देता है उसको बोलते मोडवेट मतलब मोडिफाइड वैल्यू एडिट टैक्स लगना स्टार्ट हो गया तो सरकार अब आपको देखेगा expansion of the open general license यानि OGL list and introduction of export incentives सरकार ने बोला कि जो लोग export करेंगे इंडिया से माल बाहर बेचेंगे उनको कुछ incentive दिये जाएंगे और open license बातने श्राट कर दिये realistic exchange rate पे आये हम थोड़ा सा मतलब हमने जो foreign currency को decide करने का exchange rate था वो पहले central bank खुदी decide करता था fixed exchange rate था धिरे हम थोड़ा market based हो रहे थे foreign exchange का pressure था हमारे उपर कि भाईया हम जो माल विदेशों से खरीद रहे हैं उसको पे करने के लिए foreign currency चाहिए तो foreign currency हमारे देश से धिर कि हमने थोड़ा ओपनेस दिखाई इंटरनेशनल ट्रेड करना शुरू कि हमने भी अर्निंग स्टार्ट की तो फॉर्म करसी हमारे पास दिए थोड़े थोड़ी आने लगी तो फायदा हुआ ठीक है एबोलिशन ऑफ प्राइस एंड डिस्ट्रिब्यूशन रूपी को जबर्दस्ती डिप्रेशिएट किया 30 परसेंट से यह भी आ सकता है कि रूपी को जबरदस्ती डेप्रिशेट किया थी पर से इंटरनेशनल ट्रेड वाले चैप्टर बताया था जब हमारी करंसी का डेप्रिशेशन हो जाता है तो हमारे एक्सपोर्ट बढ़ जाते हैं ठीक है एक्सपोर्ट बनाने के लिए ठीक है और उसके अंदर बहुत सारे टैक्स को कट किया गया, इंपोर्ट्स को लिबरलाइज किया गया, और थोड़े बहुत इंटरनाशनल ट्रेड के ऊपर जो टैक्स लगता है, टैरिक बोलते हैं उसको, उसको रेडियूस किया गया, फाइन, ओके, कुछ और पॉइंट्स भी है दोस् क्योंकि इडिया के स्ट्रक्चर में थोड़ी सी प्रॉब्लम थी इडिया को स्ट्रक्चरल चेंजेस लेकर आने थे वह नाइटी वन मिलाये गए प्राइवेट सेक्टर इन्वेस्टमेंट वर इनहीं बिटेड ड्यूटो कॉंप्लेक्स लाइसेंसिंग प्राइवेट सेक्टर की इनवेस्टमेंट को डिस्करेज कर रही थी तो यह तुमने स्मोल सेक्टर वालों पर कुछ लगा रखिया लगा ठीक है वह भी डिस्करेज कर रही है द पब्लिक सेक्टर डिस्पाइट इट्स मैक्स मैसिफ साइज मोनोपॉली सफर फ्रॉम इन एफिशेंसी कहता है जो सरकारी सेक्टर था तो इसका बहुत मैसिफ साइज बड़े लेवल पर सरकार का पैसा लग रहा था ठीक है और इसने काफी हर जगह अपनी मोनोपॉली बना रखी थी लेकिन फिर भी गॉर्मेंट कंट्रोल जो ज्यादा था बिरोक्रेटिक प्रोसेसर बहुत बड़े थे तो इसकी वजह से इनवेस्टमेंट पर लॉरिटर्न मिलने स्टार्ट हुए क्या बोल दिया मैंने पूरी बात सुनो देखो गॉर्मेंट का जो पब्लिक सेक्टर था वो बहुत बड़ी जिससे कोई भी प्राइबेट इन्वेस्टर क्यों इन्वेस्ट करेगा तुम्हारे देश में कहीं इतनी सारी बसूड़िया पाल रखी है इतनी सारी टर्म्स एंड कंडिशन कर रखी है और सरकार ने एक MRTP एक्ट भी बनाया था ना 1969 में ये एक्ट तो इसलिए बनाया था कि क कि विदेशों से जो माल आएगा उस पर इंपोर्ट पर कंट्रोल करना कंट्रोल की लिमिट लगाना यानि कोटा लगाना टैक्स लगाना इसकी वजह से फॉरन कंपडीशन से हम बंद कर रहे थे मतलब कहते तुम्हें हम कंपडीशन करने नहीं दे रहे तो हम बहुत ज्यादा लगा रहे थे उस टाइम तो डोमेस्टिक इंडॉस्ट्रीज के प्रोजेक्ट में कोई भार का बंदा इनवेस्ट करने के लिए तैयार हो ही नहीं रहा था दोस्त despite limited scope and lack of clear roadmap scope बहुत limited था और जो strategy थी roadmap था वो clear नहीं था the reform in 1980s instilled confidence in politicians and policy makers regarding the efficacy of policy changes for sustained economic growth कहता है despite limited scope and lack of कि यह रोडमेप रिफॉर्म इन दाइन टीएटीज इंस्टिल्ड कॉन्फिडेंस इन दाइटीशन एंड पॉलिसी मेकर्स यानि जो यह रिफॉर्म हमने ने स्टार्ट के नाइन टीएटीज के बाद में चाहे उसका लिमिटेड स्कोप हो या रोडमेप क्लियर ना हो लेकिन पॉलिटीशन liberalization in the 1980s laid the necessary foundation for the more comprehensive reform of the 1990s, कहता है 1990 के टाइम पे जो हमने बहुत comprehensive reform किये थे, उसकी जो नीव रखी गई, वो 1980 के दशक में ही रखी गई थी, क्योंकि छोटे बोटे reform यहां से भी start हो गए थे, दोस्तों अब पढ़ेंगे हम main reform जो 1991 के बाद start हुए, 1980 के दशक में यह तो देखा गया कि इंडिया धिरे करके liberalize हो रहा है लेकिन दोस्तो 1990 में exactly इंडिया बहुत सारी problems face करने लग गया यानि हमने ढूंढ के निगाला कि क्या problem अभी चल रही है वो problem जाननी ज़रूरी है क्या problem थी आपको जानकर हैरानी होगी इंपोर्ट करा रहे थे तो इंपोर्ट जो कराते हैं उसकी पेमेट के लिए हमें फॉर्ट करंसी चाहिए होती है तो 14 डेज का इंपोर्ट ही हम करा सकते थे सिर्फ इतना हमारे पास फॉर्ट एक्चेंज का रिजर्व रखा था जो कि अच्छी करना पड़ता है बेसिकली हम गल्फ कंट्री से उसको इंपोर्ट कर आ रहे थे ना अब गल्फ कंट्रीज में हो गया आपस में लड़ाई इन में वार चल रहा है तो फिर हमारे पास कुरूड ओयल एक्सपेंसिव हो गया और काफी हद तक सप्लाई भी रुख गई इंडियन इकाउनमी को जो 1980s में सरकार अरली लिबरलाइजेशन कर रही थी वो बहुत जादा लेवल पे देखना पड़ गया और सरकार को अब चाहिए था पैसा गॉर्नमेंट इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फोरन कंट्री से उधार भी ले रही थी उधार भी बहुत ज्यादा बढ़ गया सरकार को इंटरेस्ट बहुत सारा पे करना पड़ रहा था तो कुल बिलाकर इंडिया नाइंटी नाइंटीज में बोले तो स्टार्टिंग में बोल दो कि 1990 के आसपास बहुत सारी प्रॉब्लम में फस गया उन प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए उस टाइम के फानेंशल मिनिस्टर डॉक्टर मनमोहन सिंह और प्राइम मिनिस्टर पीवी नरसीमा राव और जी जाने जाते हैं कि प्राइम मिनिस्टर तो पीवी नरसी माराओ थे और जो पॉलिसीज बनाने वाले थे वो गॉक्टर मनमोहन सिंग थे तो इन्होंने ऐसी पॉलिसीज बनाई जिसके दम पे आज इंडिया इंटरनाशनल कमपेटिटिवनेस पे एक टककर से मिला के पूरे अभी तेरे को अपनी इकानोमी की पॉलिसीज में कोई चेंजेस लाने होंगे तो इंडिया ने वह चेंजेस लाए तो आप देखो आगे जो आपको पढ़ना है में चीज यह देख रहे हो कौन है यह उस टाइम के प्राइम मिनिस्टर पीवी नरसीमाराव और यह डॉक्टर म कि 1991 में इंडिया बहुत सारी प्रॉब्लम में फसाता तो प्रॉब्लम्स कौन-कौन सी थी वह चेक करने एक बारी एक तो फिस्कल डेफिशिट गॉर्नमेंट के बजट में फिस्कल डेफिशिट बहुत अनस्टेनेबल हो गया बताओ बहुत ज्यादा हो गया आप सरकार को बहुत ज्यादा इंटरेस्ट पर करना पड़ रहा 1990 के अंदर गल्फ कंट्रीज में वार हो गया इसकी बहुत फर्क पड़ा ओयल प्राइस ���हां पर सर्ज कर गए सर्ज का मतलब होता है इंक्रीज अब तुम सोचो कि सर यह गल्फ कंट्रीज क्या होती है वह ढंग से बता दो दोस्तों छह कंट्रीज को गल्फ कंट्रीज बोलते हैं साउधी अरेबिया यूएई ओमान कतर बहारेन और क्वेद गल्फ कंट्रीज इसलिए बोलते हैं क्योंकि यह गल्फ की खाड़ी के पास बसी हुई है जैसे बंगाल की खाड़ी ना बेव बेंगॉल पच्च की खाड़ी है बेव कच तो यहां पर समुदर का एरिया उसको बोलते गल्फ और गल्फ के आसपास की जो कंट्रीज हमसे बोलते हैं, गल्फ कंट्रीज, आप ये बदबान ना कि गल्फ कोई दूसरा कॉंटिनेंट है, ठीक है, चलो जी ये प्रॉब्लम चल रही थी, गल्फ वार भी हो गया, और इंडिया को दो हफते का इंपोर्ट कराने तक के सिर्फ उसके ऊपर बहुत सारी barriers, tariff, non-tariff barrier लगाते हैं, उसको महंगा किया हुआ था, ठीक है, उस महंगा होने से, जो raw material था, वो भी विदेशों से महंगा आ रहा था, restrictions है, तो जिस चीज में विदेशों से मंगाया हुआ raw material इस्तमाल होता था, उस चीज का production कम हो गया, तो industrial output ultimately reduce हो गया, क्योंकि भाईया main essential imports पे भी tax लगाया है, तो वो भी महंगे हो गया, इंडिया की dependency external borrowing, IMF और World Bank जैसी borrowing पे जादा बढ़ गई, लेकिन इन्होंने बोल दिया कि भाई तुम corrective policy measure लो, तब तुम सुदरोगे, इंडिया का जो पूरा economic system था, वो fragile हो गया, प्रेजाईल क्या होता है प्रेजाईल का मतलब तुम मानो ऐसी चीज जैसे कांच के समान पर लिखा होता है ना प्रेजाईल मतलब ये तूट फूट सकती है कहते हैं प्लीज हेंडल विद केर तो ऐसी इकानोमी हो गई थी बहुत नाजुक इकानोमी हो गई थी इकानोमी कॉन जो सुधार लाए गए, सुधार को इंग्लिश में बोलते हैं, रिफॉर्म, अब इंडियन इकाउनमी प्रॉब्लम में है, इसको ठीक करना है, ठीक करना है तो रिफॉर्म लाए गए, मैजर्स लिये गए, यानि कुछ ऐसे स्टेप्स लिये गए, जिससे इंडियन इकाउनमी यानि कुछ ही दिनों में इंडियन इकाउनमी को temporary stabilize मतलब temporary okay करेंगे ठीक करेंगे problem से बाहर निकालेंगे और फिर दूसरे थे long term measure ये ऐसे measures थे जो इंडियन इकाउनमी के साथ लंबे time तक रहेंगे और इंडिया के structure को बदल के रख देंगे इन वाले measures को बोलते है stabilization measures stabilization measure यानि short term के लिए इंडियन इकाउनमी को stabilize करेंगे ठीक करेंगे और ये है एक चर्क्चरल मेजर्स या स्ट्रक्चरल रिफॉर्म बोल दो यह इंडियन इकानोमी को लंबे टाइम तक सही सिच्वेशन में रखेंगे चर्क्चरल मतलब इंडिया का स्ट्रक्चर चेंज करो जो पॉलिसी है उसको लॉन रन के लिए ठीक कर दो शॉट टर्म के अंदर कुछ में मेजर ले लिए कुछ मनी सप्ला इंक्रीज करने के मेजर ले लिए यह जो रेपोरेट होती है उनको कम कर दिया यहाँ पर short term measure लंबे टाइम में तो काम धन्दे industrial measures क्या लिया लंबे टाइम में वो बताता हूँ दोस्तो लंबे टाइम में बोलू तो यह है इंडिया के structural reforms structural measures यानि government ने fiscal reform की है fiscal reform मतलब जब सरकार अपने budget में reform करती है इसको tax वाले reform भी बोल सकते हो tax का system simplify कर दिया पहले लोग जो tax देना भी चाते थे न वह जानबुझकर टैक्स नहीं दे पारेंट को क्योंकि टैक्स भरने का सिस्टम बहुत कंप्लीकेटेड था टैक्स रेट भी बहुत ज्यादा थी गॉर्मेंट ने टैक्स रेट भी कम की और टैक्स को फिल करने का सिस्टम भी थोड़ा सिंप्लिफाई किया थोड़े ने मोनेटरी एंड फानेशल सेक्टर रिफॉर्म किया मतलब यह बेसिकली आप मान सकते हो बैंक से रिलेटेड रिफॉर्म से पहले इंडिया में प्राइवेट बैंक नहीं होते थे अगर प्राइवेट बैंक कुछ थे तो गॉर्मेंट ने उसको नेशनलाइज कर दिया अब प्राइवेट बैंक खुलेंगे ठीक है तो यहां पर बैंक से रिलेटेड रिफॉर्म हुए अभी पढ़ाऊंगा इनको फिर कैपिटल मार्केट रिफॉर्म मतलब शेयर मार्केट के रिफॉर्म हुए सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया अक्टिव हो यह सब आपको बताऊंगा तो दोस्तों तब से पहले हम बात करते हैं यहां पर एक वर्ड यूज किया हुआ है कि नाइटी वन तक कि अगर बात करें कि इंडिया के अंदर बहुत सारी प्रॉब्लम देखने को मिली इंडिया ने एक मिसाल होता है क्यों नाइटी वन से पहले इंडिया ने कॉनोमी जिस तरह से चल रही थी ना उससे यह साभीत होता था कि हम लोग यानि इंडियन्स गॉर्वर्मेंट जो बोल रही है वो कर रहे हैं गॉर्वर्मेंट की ज्यादा चल रही है देखो थी तो इंडियन मिक्स्ट एकॉनोमी लेकिन जो चैनल गॉर्वर्मेंट ना उसकी ज्यादा चल रही थी हर चीज के अंदर उसके इंटरफेरेंस था कोई भी मार्किट ओं कोई भी आप देखोगे कि चाइना और सोवियत यूनियन जैसी बातें हो रही थी लेकिन नहीं हम धिरे ठीक किया और हमने रिफॉर्म लिये ओपननेस लेकर आये और ये जो रिफॉर्म थे पोपुलरली रिफॉर्म को बोलते हैं L, P और वो रहा G LPG पॉलिसी बनाई हमने यहाँ पर तो कुछ fundamental changes लेकर आये, basic changes लेकर आये और उन basic changes लेकर आने के हमारे दो major objectives थे कि बड़े-बड़े ऑब्जेक्टिव थे कि 1991 में बदलाव क्यों लाए पहली बात तो प्रॉब्लम पर बदलाव लाए थे बदलाव कौन-कौन बदलाव लेकर क्यों आए उसके दो ऑब्जेक्टिव थे एक तो हमारे देश की इकाउनमी को री ओरियंटेशन की जरूरत थी मतलब हम वापस से तो अब बदलाव लाना था जैसे कि पहले इकाउनमी सेंटर से चल रही थी जो सेंटरल गॉर्नमेंट बोलती कि मार्किट के ऊपर छोड़ दो यार मार्किट को बनाने दो किस चीज का प्रोडक्शन करना है किस चीज में इनवेस्टर करनी है कुली छोड़ दो दंधा चलने दो और मैक्रो लेवल पर मैक्रो इकॉनोमिक स्टेबिलाइजेशन आना चाहिए तो स्टेबिलिटी लाना फिसिकल डेफिसिट के अंदर क्योंकि सरकार का फिसिकल डेफिसिट बहुत ज्यादा बढ़ गया था जरूरी थी ओके दो ऑब्जेक्टिव थे फिर यह मैजर्स कौन-कौन से लाई सरकार चलो जी यहां बता रखा है दुबारे देख लो कहते हैं 1991 में इंडियन इकाउनमी बहुत क्रिटिकल इकाउनमी क्राइसेस में फस गई फिसकल डेफिशिट बहुत ज़्यादा और लग गया बैलेंस ओफ पेमेंट में भी क्राइसेस हो गया तो एक core package of reform की ज़रूरत थी उसमें कुछ short term measures थे जिसे बोला गया stabilization measures कुछ structural reform measures थे ये long term measures थे मतलब लंबे time तक रहने वाले तो long term measures को आपको ढंग से बढ़ना है लेकिन एक बात बताऊं यह दोनों मेजर्स शॉट टर्म लोंग टर्म एक साथ लिए गए इसलिए बोलते हैं इंडियन इकाउनमी को सुधारने की यह डूअल अप्रोज थी दोनों मेजर्स शॉट टर्म लोंग टर्म एक साथ मतलब शॉट टर्म में भी कुछ ना कुछ सही कर रहे हैं लोंग टर्म म इससे related reforms basically किये जाते हैं तो tax का जो structure था वो बहुत जादा transparent नहीं था अब transparent हो गया 1991 के बाद से लोगों को जो compliance आ रही थी tax भरने में अगर कोई tax fill करना चाता है फाइल करना चाता है तो उसको जो भी difficulties आ रही थी compliance का मतलब होता है difficulties तो वो सारी difficulties धीरे करके दूर की गई है इससे सरकार का revenue बढ़ गया revenue collection revenue collection बढ़ जाता है सरकार ने अपना खर्चा, गॉर्मेट का खर्चा करब किया, कम किया, फाल्तू के खर्चे सरकार ने करने बंद किये, तब ही तो उसका एफिशीट खतम होगा, जब खर्चे कम करेगी और कमाईया बढ़ाएगी, कमाई टैक्स रेट को इक्रीज करके नहीं बढ़ाई सरकार न गॉर्वर्मेंट ने डिसिन्वेस्टमेंट स्टार्ट की डिसिन्वेस्टमेंट का मतलब होता है पबलिक सेक्टर अंडर्टेकिंग जैसी कंपनी का कुछ हिस्सा लोगों को बेच देना मालो LIC का 5% हिस्सा सरकार ने पबलिक को बेच दिया तो इसको बोलते है LIC का सरकार ने करी है डिसिन्वेस्टमेंट डिसिन्वेस्टमेंट करके सरकार को पैसा मिलता है तो एक तरीके से रिसिप्ट थी सरकार की है और एंकरीजिंग ऑफ प्राइवेट सेक्टर पार्टिसिपेशन प्राइवेट सेक्टर को भी बोलती थी तुम भी हमारे साथ मिलकर काम कर सकते पार्टिसिपेशन करो तो बहुत सारे पाइदे यहां पर रहे और एक बड़ी बात देखो दोस्तों आर्बियाई के साथ एक हिस्टॉरिक एग्रीमेंट किया सरकार ने सेप्टेंबर नाइन्टी नाइटी फूर में सरकार ने एग्रीमेंट यह किया कि जो गॉर्नमेंट का फेस्ट मैनर में कम करेगी, फेस्ट 1, फेस्ट 2, यानि slowly slowly, fiscal deficit को कम कर देगी, और 1978 तक इसको zero कर देगी, nil कर देगी, तो यह ध्यान रखना, government ने contract किया, historical agreement था यह, agreement था, agreement और contract में तुम difference obviously जानते होंगे न, historical agreement था, कि यह 4-5 साल में, 94 से लेके 97 तक हम दिरी दिरे, phased मैनर में fiscal deficit को remove करते हैं, दोस्तों मैंने बोला कि 5 तरीके की reform है, fiscal reform हो गए, अब, आएंगे monetary और financial reform पे, basically ये banking sector reform थे, bank के जो non-performing assets थे, ऐसे assets जो perform नहीं कर पा रहे हैं इतना मानो, इसको improve करने पे सरकार का ज़्यादा focus था, तो the focus of reducing non-performing assets, ठीक है non-performing assets जल्दी हटे, हटे मतलब performance में convert हो या ख़दम हो जाए, ठीक है, अब इसके अंदर कौन-कौन रिड्यूज किया गया और आरबियाई का कंट्रोल इंट्रस्ट रेट को डिसाइड करने में धीरे-धीरे खत्म किया गया जैसे क कि HDFC बैंक लोन के ऊपर 10 परसेंट का इंट्रस चार्ज करता है आईसी बैंक 10.5 का इंट्रस चार्ज करता है तो उनका अपना-अपना है ना तो पहले आप डिजाइट करती थी आप बेने बोला भाई तुम्हें अपने डिपोजिट पर या रिडक्शन इन द रिजर्व रिक्वायरमेंट जो एसएल आर एल आर होती है सी आर और एसएल आर दोनों एल आर के कंपोनेंट है इस रिजर्व को सरकार ने कम किया एस पर द रिकमेंडेशन ऑफ नरसीमा कमिटी रिपोर्ट नरसीमा जी ने कमिटी बिठाई ठीक है ओके अब नाइटी वन से पहले अगर एक बैंक को अपनी दूसरी ब्रांच खुल नहीं हो तो आरबिए से पूछना पड़ता था यहां मामला cancel हो गया, RBI से कुछ पूछने की ज़रूरत नहीं है, बैंक के बास अपनी freedom है भाई, तु दूसरी ब्रांच खोल ले, ब्रांच के operation जैसे करने है, तु वैसे कर ले, यहाँ पर banking sector reform में accounting के लिए, company के asset classification को दिखाने के लिए, income को disclose करने के लिए, bad debts के provision के लिए, कुछ prudential norms यानि rules बनाये गए, इससे banking system थोड़ा improvised होता है, धोके के chance नहीं रहते, rules थोड़े अच्छे बनाये गए, ताकि banking system में धोके बाजी ना हो. प्रणेंशन नॉर्म जानते होगा अकाउंटिंग में होता है ना ठीक है जी ओके रिपोर्ट है फिर थर्ड नंबर पर कैपिटल मार्केट में रिफॉर्म किया गया सेबी को खोलकर 1992 में सेबी को स्टैटूटरी रिकगनेशन दे दिगाई थी मतलब सेबी की स्थापना तो 1988 म डेट क्या थी 24 जुलाई 1991 इस पॉलिसी के अंदर डोमेस्टिक इंडॉस्ट्रीज के लिए बहुत सारे पैकेज थे स्टिमुलस पैकेज थे ग्रेटर अपॉर्टूरिटीज थी हर चीज के लिए धन्दा यानि बिजनेस करने को आसान बनाने की कोशिश गई है नई इंडॉस्ट्रियल पॉलिसी क्या बोलती है पहले पुरानी वाली जान ले थोड़ी सी देखो जी इससे पहले हमारे उसके बाद थोड़े से पॉलिसी चेंजेस 1980s में लेकर आये गए और 1991 में सबसे बड़े इंडॉस्ट्रीज में इंडॉस्ट्रियल पॉलिसी के लिए चेंजेस लेकर आये गए वो चेंजेस देखने है इससे धन्दा करना आसान हो गया तो वो चेंजेस कौन से थे यहा� पर 1956 में सरकार कह रही थी कि देश के अंदर 17 ऐसी चीज़ें हैं जो सिर्फ हम बनाएंगे क्या हम यहीं सरकार बनाएगी एक सबस्क्राइब आठ पर आ गई और आज बताऊं सरकार सिर्फ तीन चीज बनाती है सो परसेंट तरीके से देरे-देरे तीसरे नंबर पर आर्म्स एंड एम्मुनिशन का काम सरकार अपने हाथ में रखती है प्राइवेट सेक्टर को अडानी अम्मानी को यहां बीच में गुशने नहीं देती तीन चीज है पहले बहुत सारी चीजें थी भाईया ठीक है तो तीन चीज है अब इसको बेसिकली बोला जाता है कि दो ही चीजें है रेलवे और एटोमिक तीन नहीं दो अब दो ही हो गई है ठीक है आर्म्स एंड एम्मुनिशन तो देख रहे हो कि प्राइवेट लोगों से restructure बतलब 1969 में MRTP act आये था ये बूलता था कि कोई firm इतनी बड़ी ना हो जाए कि वो देश के ऊपर monopoly बनाए तो सरकार monopoly को restrict करना चाती थी तो अब business फिर दर रहे थे यार हम तो दंदा खोलते हैं बड़ा होने के लिए हम बड़े हो गए तो सरकार चिड़ेगी वो डी रिजर्व कर दिया, खतम कर दिया, लार्ज स्केल इंडस्ट्रीज को भी अलाव कर दिया, भाई तू भी बना, ये भी बना, कर लो कंपेटिशन, कोई दिक्कत नहीं है, ठीक है, रेडक्शन औफ पब्लिक सेक्टर मोनोपोली, जहां जा सरकार की खुद की मोनोपोली पॉरेल इनवेस्टमेंट जो इंडिया में आ रही थी उसके सिस्टम को लिबरलाइज किया यानि देखो जी विदेशी कंपनी इंडिया में आ कर क है तो कितने परसेंट तक उस कंपनी की ऑनरशिप हासिल कर सकती है विदेशी कंपनी इस पर हमने रोक लगाई हुई थी यानि हम कह रहे थे या कोई अमरिका या जपान की या विदेश की कोई भी कंपनी हो कोई भी बंदा हो इतना पैसा बोल दिया भाई बोल दिया आप फिफ्टी वन परसेंट तक इन्वेस्टमेंट कर सकते हो लेकिन यह अभी भी अलग-अलग सेक्टर में अलग-अलग तरीके कि इनवेस्टमेंट पर अलग रोग लगा रखी है कुछ चीजों पर रिजर्व करके लेकिन काफी सारी चीजों पर था 51 परसेंट तक आप यहां पर इनवेस्टमेंट कर सकते हो ठीक है यह लिबरलाइजेशन चल रहा है ठीक है अब सरकार ने इंपोर्ट के लिए जो लाइसेंस थे उसको धीरे-धीरे खत्म करना स्टार्ट कर दिया हम पॉजिटिव से लाइजेशन और एक्सटरनल ट्रेड का मतलब है इंपोर्ट एक्सपोर्ट की बात हो रही है इसको थोड़ा खुलाबन चल रहा था इसके लिए थोड़ा सा लिबरलाइज हो रहे जो बोल रहा है आप भी तेरी बात को मान रहे हैं बैन अब नेगेटिव कैंसल करना स्टार्ट किया बैन कैंसल करने स्टार्ट किये एलिमिनेट कर दिया इंपोर्ट के लाइसेंस छोड़ो बिछोड़ो टाओ इसको टाओ ठीक है और रिडक्शन आफ आयेस्टे टैरिफ रेट टैक्स के तोर पर देने पड़ते इतने बोरे हालात थे 1991 में सरकार ने उस टैक्स रेट को कम किया ठीक है कभी आप कि 91 में कर दिया 85% और 94 में किया 50% 96 में कर दिया 10% नहीं सुनो आज सरकार ने फिर फाइड परसेंट टैक्स ना 1990 के आवश्यकता चार्ज करना स्टार्ट किया मतलब तब तक चार्ज करती थी ठीक है इसको 85% पर ले गई 94 में ठीक है इस टैक्स को और कम कर दिया 50% 96 में 56 में और 2007-8 में इसको 10% पर लिया थी बहुत सारी गुड्स के थोड़े बहुत गुड़े एक्सेप्शन भी है मतलब कुछ गुड़े ऐसी भी है जिन पर ज्यादा टैक्स है अब तो यह कोई चक्कर नहीं है जीएसटी आ लिया है पता है ना और उस टाइम पर हम हमने अपने रुपिया को डिवेल्यूएट कर दिया आप पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज यह लाइन दोबारा लिखी हुई है यह स्टैप बहुत बोल्ड था कि सरकार डिस इनवेस्टमेंट कर रही है अपनी कंपनी का हिस्सा बेच रही है लेकिन इससे फायदा यह था कि जो गॉर्नमेंट आज आते हैं एक्सपोर्ट इंपोर्ट के रिफॉर्म पर भाई एक्सपोर्ट इंपोर्ट यानि ट्रेड पॉलिसी रिफॉर्म कौन से दे जो एक्सपोर्ट के ऊपर टैक्स लगा रखे थे जो चीजे रोकती थी कि हमारे देश से माल विदेश में जाएगा एक्सपोर्ट होकर तो उस पर जो चीजे रेस्ट्रिक्शन सी ना उसको पूरे डिस्मेंटल कर दिया मतलब खतम कर दिया सारी क्वांटिटिटिव र फोकसिंग ऑन मोर आउटवर्ड ऑरियंटेड रिजाइन का मतलब होता सिस्टम हम देख रहे थे कि अब थोड़ा आउटवर्ड ऑरियंटेड बनो यानि अपने माल को बाहर भेजो भाईया ठीक है धीरे-धीरे लेकिन फेस्ट रिडक्शन करो स्लोड खत्म करो इंप्लीफाई करो इस सिस्टम को ठीक है रिमोवल ऑफ लाइसेंसिंग प्रोसेजर फॉर इंपोर्ट्स इंपोर्ट उसके लिए लाइसेंसिंग प्रोसेसर था अरे सब खत्म कर दिया ठीक है हमने मेन फोकस रखा कि किसी भी नरीके से हमारे देश में बूस्ट हो जाएं एक्सपोर्ट्स ठीक है अभी देखो पीछे लिखा था 18% से डिवेल्यूट किया हमने अपनी रुपिया को यहां लिखा ह कि जो हमारे देश में fixed exchange rate system चल रहा था अब वो हट कर flexible exchange rate system हो गया और उस flexible exchange rate system के अंदर थोड़ा सा role government का भी था प्रतला पहले government यानि जो देश की monetary authority है वो हमारे देश की currency और dollar के बीच का rate decide करेगी इसको बोलते थे fixed exchange rate system या फिर packed exchange rate system कि इंटरनेशनल ट्रेड वाले चैप्टर में इसको नंग से समझाते हुए फिर नाइटी नेटी बाद से सरकार कह रही थी कि अब यह मार्केट के डिमांड सप्लाई डिसाइड करेगी जो फॉर्न करंसी की मार्केट होती है वहां के बायर सेलर ठीक है जी यह मेन चीजें आपको पढ़नी है लेकिन ऑवरॉल आपको जो बताना है मुझे ऑवरॉल आपको यह जानना होगा देखो दोस्तों जब से हमारे देश को आजादी मिली है 1947 से हमारे देश की ग्रोथ में हमारे देश की सारी पॉलिसीज में पब्लिक सेक्टर का बहुत बड़ा रोल था अब लिख सेक्टर की इंवालमेंट बहुत ज्यादा थी पब्लिक कि तरकार ने अपनी मरजी से 1950 में प्लानिंग कमिशन इस्टैबलिश की क्या प्लानिंग कमिशन हमारे देश में फाइव येर प्लान बनाती थी कितने पाइव येर प्लान बनाती थी पांच साल का एक प्लान कब से प्लान बनने प्लान बना पहला 1951 से 1956 तक ठीक है ना फिर 1956 से 1961 तक ऐसे पांच-पांच साल के प्लान बने बीच में कभी-कभी रुके भी तो 2012 से लेकर 2017 यह इसका लास्ट प्लान था ट्वेल्थ फाइव प्लान था क्यों ऐसा क्या हुआ भाई यह जो ऑर्गेजेशन थी कि यह प्रॉपर सेंट्रल गॉर्नमेंट के द्वारा चलाई जाने वाली ऑर्गेजेशन थी सेंट्रल अप्रोज थी इसकी सेंट्रल गॉर्नमेंट पूरे देश के बारे में कुछ प्लान करती थी कुछ प्रॉब्लम को सॉल्व करने की कोशिश करती थी यहां पर भी पॉलिसी बनाई जाती थी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए प्यूर सेंट्रल थी अब क्या किया भाई 2012 से जब प्लान चल रहा था ट्वेल्थ वाला हमारे देश की सरकार ने बीच में ही एक जनवरी 2015 को एक नई ओर्गनेजेशन कि इसका नाम था नेशनल इंस्टिट्यूशन ऑफ ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया आयोग नीति आयोग प्लानिंग कमिशन को खत्म कर दिया गया नीति आयोग आज के टाइम हमारे देश में नीति आयोग ने रिप्लेस करा प्लानिंग कमिशन को अब यह जो नीति आयोग प्लान बनाती है 55 साल के नहीं बनाती इसने प्लान मना रखा 2017 से लेकर 2032 का सीधा लंबा है तो दोस्तों अब आपको पढ़ना है नीतियायोग के बारे में जो नीतियायोग बनी है अभी हाल फिलाल यही हमारे देश के अंदर मेजर बड़े लेवल पर प्लानिंग कर रही है तो आप देखोगे जब नीतियायोग इस्टैबलिश हुई 2015 में ना प्लान बना रही थी प्लानिंग कमिशन तो बोला जाता है कि लगभग 64 यह तक हमारे देश में प्लानिंग कमिशन ही पॉलिसी बना रही थी ठीक है बहुत पावरफुल पॉलिसी बना रही थी लेकिन जो आज का टाइम देखा गया यहां पर आप देखोगे द न्यू आईडियोलोजी ऑफ नियो लिबरल एरा वेट टा सेंटर ऑफ अटेंशन ओन मार्केट ओरियंटेशन जो नया एरिया चल रहा है यहां पर वर बिवन बिकमिंग पॉपुलर सरकार का रोल धिरे economic activities में कम करना ही सही माना गया और ये popular भी होता जा रहा था तो 1 January 2015 को सबसे बड़ी Apex Policy Making Body establish की गई किसको खतम करके planning commission को replace करके इसका नाम था National Institution of for Transforming Ideal Niti Aayog ये date आपको ध्यान रखनी है easy भी है और exam के लिए important भी है ये क्यों establish हुई थी आपको इसके objectives देखने है objectives पे focus करो क्यों establish हुई थी बहुत बड़े यह क्या है जब नीति आयोग पॉलिसी बनाती है तो वह स्टेट को भी शामिल करता है स्टेट गॉर्नमेंट को भी शामिल करता है तो अपने वीजन को शेयर करता है उनके साथ इसके ऊपर दो बातें लिखी हुई है एक तो शेयर वीजन है क्योंकि इनवॉल कर रहा है वो अल बहुत फास्ट तरीके से हम अपने फेडरलिजम को कॉर्परेट कर रहे हैं। फेडरलिजम का मतलब होता है सेंटर गॉर्वर्मेंट और उसके अंडर में जितनी भी गॉर्वर्मेंट है उसका डिविजन और जो नीचे गॉर्वर्मेंट है वो कॉर्परेट कर रही हैं फेड कि कुछ क्रेडिबल प्लान मनाओ ऐसे प्लान मनाओ जो विलेज लेवल में डेवलपमेंट करें इसका मेन ऑब्जेक्टिव था विलेज लेवल की डेवलपमेंट करने के प्लान मनाना भाई विलेज लेवल तक जाओ सिर्फ शहर पर फोकस मत रखो ठीक है यह देश की इकानोमिक स्ट्रैटेजी को नैशनल सिक्योरिटी इंटरस्ट से रिलेट करना चाहते थे इंकॉर्परेट करना चाहते थे कहते हैं भाईया जैसे नैशनल सिक्योरिटी होती है देश की नैशनल सिक्योरिटी जानते हों कि नेशनल सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए हमने देश की इकानोमिक स्ट्रैटेजी बनाएंगे जैसे मालो कि पाकी चोर है वह हमारे नेशनल सिक्योरिटी के लिए अच्छे नहीं है तो उनसे धन्दा नहीं करेंगे अब धन्दा करने वाली पुछ ऐसे लोग जिनको इकानोमिक प्रोग्रेस का बेनेफिट नहीं मिल रहा तो उन्हें बोलते थे जिन लोगों को एडिक्वेट बेनेफिट नहीं मिल रहा कि इकानोमिक प्रोग्रेस का उनके ऊपर स्पेशल अटेंशन पे करना इसका ऑब्जेक्टिव था कुछ ऐसे सोसाइटी का सेक्शन है जो देश की तरक्किया के साथ गरीब हो रहा है तो इसका फोकस था यार देश की तरक्किया का फायदा एंड प्रोग्राम कुछ स्ट्रैटेजी लोंग टर्म पॉलिसी प्रोग्राम फ्रेमवर्क इनिशिएटिव बनाएंगे और उनको मोनिटर भी करेंगे कि उनका क्या इंपैक्ट रहा है मॉड्यूल में इसको efficacy लिखा है efficacy का मतलब impact यानि जो भी ये policy, program, framework जो भी चीज बना रहे हैं बनाने के बाद भाई implement तो हो रही है लेकिन उसको मोनिटर करना बहुत ज़रूरी है यानि उसपे नजर रखना बह कि माइंडेड थिंक टैंक्स है उनके साथ रिसर्च इंस्टिटूशन के साथ जुड़ेंगी प्राइवेट स्कूल कोलेज कुछ भी होगा उनके साथ जुड़ेंगी और उनको सलाह भी देंगी और उनके साथ पार्टनर्शिप भी करेंगी ठीक है ताकि जुड़ाव सा फील हूं सरकार भी जुड़ी रहे तो जुड़ाव सा फील होता है ठीक है उख के रिपोर्ट है ठीक है भाई नया-नया धन्दा स्टार्ट करवाना चाहते हैं इनोवेटिव कराना चाहते हैं देश को तो स्टार्टअप किसकी में लाइट सरकार ने स्टार्टअप के लोन वगैरह बहुत प्रोवाइड करती है ठीक है आप टू ऑफर प्लैटफॉर्म फॉर द रेजोलूशन इंटर सेक्टोरल एंड इंटर डिपार्टमेंटल इशूस कहता है कि एक ऐसा प्लैटफॉर्म ऑफर करेंगे जिसमें जो गौर्वर्मेंट के वेरियस डिपार्टमेंट्स है अलग-अलग डिपार्टमेंट जो भी इशू होगा जैसे कि मान लो आ गौर्वर्मेंट का किया जाएगा इसका मेन यह था कि भाई इनके बीच में जो इशू हो रहे उसको रिवाल किया जाए टू मेंटेन आफ टेट ऑफ द आर्ट का मतलब क्या होता है देखो एक ऐसा रिसोर्स सेंटर इस्टेब्लिश करेंगे जिससे आप तो डेवलपमेंट इक्विटेबल हो जाए गौर्नमेंट की गवर्नांस बढ़िया हो जाए गवर्नांस मतलब गौर्नमेंट की वर्किंग होती है कुछ लोग बोलते हैं और सरकार तो काम करती ही नहीं है यह वाली इमेज खताना खतम करना एक ऐसी स्टेट ओफ आर्ट मतलब एक ऐसे हालात पैदा किये जाएंगे कि सरक यहां पर भी लिखा हुआ है कहते जो भी चीज इंप्लीमेंट की है उसको इवेल्वेट भी करेंगे उन प्रोग्राम को मोनिटर भी करेंगे ठीक है और कहीं पर कुछ पता लगा कि किसी चीज की जरूरत है सही मेजर लेने की तो वह भी किया जाएगा स्ट्रेंक्ट किया जाएगा ठीक है ना ओके ठीक है हां टेक्नोलोजी को लगातार अपग्रेड किया ज़्यादा बढ़ाने पर focus किया जाएगा और कहता है to undertake, undertake का मतलब होता है start, to undertake other activities as may be necessary in order to further execution of national development, कहता है देश की development के लिए कोई भी agenda, objective जो भी उपर लिखे हुए हैं उसको achieve करने के लिए जो भी activities की ज़रूरत पड़ी हम वो भी करेंगे लास्ट में लिखे छुट्टी, तो अलग ये 13 objective लिखे हैं मॉडूल में, लेकिन very important चीज क्या आपको ये देखना है, कि ऐसे कौन-कौन से initiative हैं, जो नीति आयोग के दुबारा लिए जा जुके हैं, यानि ऐसे कौन-कौन से framework है, program है, जो नीति आयोग ने launch किये हुए हैं, य कि सबसे पहले इस नीतियायोग ने प्रोग्राम लॉन्च किया जिसे बोलते लाइफ क्या बोलता है कि यूज एंड डिस्पोस यूज एंड डिस्पोस का मतलब होता है यूज एंड थ्रो कुछ चीजें ऐसी है जिसको यूज करके फेक देते हैं जैसे कि प्लास्टिक कहता ऐसा काम नहीं लाइफ होती है उसकी तो हम उसको रिसाइकल करेंगे रिसाइकल पर फोकस करेंगे भाई जो को रिसाइकल पर फोकस कराने का काम लाइफ कहलाता है प्रोग्राम लॉज किया है इन्होंने एक नडब की फुल फॉर्म है ने नेशनल डेटा एंड एनलिटिक्स प्लेटफॉर्म प्रोवाइड किया अगर आपको सरकारी कोई भी इंफॉर्मेशन चाहिए इंडियन गवर्नमेंट का डेटा चाहिए तो आप यहां से एक्सेस कर सकते हो इसके पास जाकर उस डेटा को ले सकते हो जो पॉलूशन है उसको शुन्य करना है जीरो करना है तो पॉलूशन को जीरो करने के लिए इलेक्ट्रिक कार्ड को परमोट किया गया तो कहते हैं वह इलेक्ट्रिक वीकल्स को यूज करो इलेक्ट्रिक स्कूटी को डिप्लाइट करो उसको उसका ने शुन्य कैम्पेइन यूज किया यह इंपोर्टेंट शुन्य कैम्पेइन गॉर्नमेंट ने ई अमरित हरे रंग से करोगा इसको तरकार ने ई अमरित वन स्टॉप डेस्टिनेशन बना दी है तो कोई भी एलेक्ट्रिक वीकल की ई वीकल एलेक्ट्रिक वीकल कि मैथनॉल इकानोवी बनाने की कोशिश की है मैथनॉल एक ऐसी चीज है कि जिसमें पॉलूशन मिनिमाइज होता है ना के बराबर पॉलूशन होता सरकार कहती है जो भी हमारे कोल रिजर्व है हम इसको कंवर्ट करेंगे जो भी सोलिड वेस्ट है मुनिसिपल का मुनिसिपल कॉर्परेशन होती है जानते हो ना उसका है जो कम से कम पॉलूशन फैलाता है ठीक है इंडिया की गोल्ड मार्केट में हम लोगों को बताएंगे क्या बताएंगे कि तुम एक्सपोर्ट भी कर सकते हो अगर आप गोल्ड इंपोर्ट नहीं एक्सपोर्ट करने भी ध्यान दो तो गोल्ड मार्केट के एक्सपोर्ट भी ध्यान दिया गया तो दीजार सम प्रोग्राम्स चार्ट बाय द नीतियायोग ठीक है ओके रिपोर्ट है चलो जी अब दोस्तों के आपको यह जानना है नेक्स्ट टॉपिक में लिखा हुआ है कि आज के टाइम में हमारे प्यारे देश भारत के क्या हालात है अगर इंडिया के तुम्हें ह हालात जानो इंडिया के primary sector के क्या हालात है, secondary sector के क्या हालात है और tertiary sector के क्या हालात है अगर आज के टाइम में इंडिया निकाउनमिक स्टेट जाननी है, तो current state जानेंगे तो primary, secondary और tertiary sector की जानेंगे सबसे पहले बताओ primary sector क्या होता है, पाबू primary sector ऐसा sector होता है जहाँ पर natural resources पे काम किया जाता है, हाँ, जैसे की agriculture, agriculture land पे होती है ना नैचुरल रिसोर्स है माइनिंग भी प्राइमरी सेक्टर में आती है सेकंडरी सेक्टर का मतलब होता है इंडॉस्ट्रियल सेक्टर मैनुफाक्ट्रिंग सेक्टर जहां पर भी फैक्टरी लगी हुई है वह सब चीजें सेकंडरी तो यह सर्विस का भी बिजनेस होता है तो हम फिर पढ़ते हैं सर्विस सेक्टर के बारे में इन तीनों सेक्टर के बारे में डिटेल पढ़ेंगे आज के टाइम में क्या सिचिवेशन चल रही है फिर उसके बाद यह चैटर खत्म माना जाएगा और रिलेटेड कुछ एक्टिविडीज होती है तो पकड़ लेते हैं यह सबसे नंबर पर प्रामरी सेक्टर को प्रामरी सेक्टर बोले तो एग्रीकल्चर विद इट्स अलाइड सेक्टर्स मतलब इसके साथ जुड़े सेक्टर्स भी है आपको यहां की अचीवमेंट बारे सबसे पहले भाई साहब मैं बोलूं कि एग्रीकल्चर है माइनिंग है गाएं भैस बकरी पालना है गाएं भैस बकरी पालने को लाइट स्टॉक फार्मिंग बोलते हैं ना और टी कल्चर है horticulture मतलब fruit का production ये सब primary sector में आता है right तो यहाँ पर देखा जाए तो milk के production में pen का रंग हरा करता हूँ milk के production में masala, jute और pulse इन सब के प्रोडक्शन में अगर देखा जाए तो इंडिया वर्ल्ड का लारजेस्ट प्रोडूसर है इन सब में और इंडिया के पास सबसे बड़ा एरिया है वीट राइस और कोटन को प्रोडूस करने का इनको तो असलियत में सबसे बड़ा प एंड सूगर देखो कोटन का सेकंड लार्जेस्ट प्रोडूसर है ठीक है सबसे बड़ा एरिया पूरे वर्ल्ड में कोटन प्रोडूस करने का इंडिया के पास ही है तो एरिया की बात कर रहा था कुछ अचीवमेंट्स आपको जाननी है यहां पर नहीं ठीक है जो फूट और ग्रोसरी मार्किट होती है यह दुनिया में छटे नंबर पर है ठीक है और इसकी रिटेल सेल लगभग सत्तर परसेंट है ठीक है जैसे कि गाय-भैस पालनी होती है तो इंडिया है दब वर्ल्ड लार्जेस्ट और एक important fact आप देखोगे तो India grow large variety of cash crops जैसे कि cotton, jute, sugar cane इंडिया बहुत ज़्यादा इनको grow करता है लेकिन दोस्तो आपको ये जानकर अचंबा भी होगा कि हमारे देश के gross value added में इन सब का share sugar cane, cotton और jute का share कम हुआ है कम हुआ है लेकिन फिर भी ये grow कर रही है share कम हुआ है लेकिन फिर भी ये grow कर रही है right in absolute terms और यह फैक्ट जान लो कि सो परसेंट एफडीआई अलाउड हो चुकी है इंडिया में फूड प्रोडक्ट की मार्केटिंग में यह क्वेश्चन बन सकता है भाईया ठीक है फूड प्रोडक्ट की मार्केटिंग करोगे तुम ई कॉमर्स जैसे कि अब आपको देखने है few recent measures कुछ recent measures है कुछ प्रोग्राम है जो सरकार ने स्टार्ट की है यह बड़े important होते हैं actually एक PM किसान नाम का प्रोग्राम स्टार्ट किया है ताकि फार्मर्स को कुछ income हो जाए एक MSP सब जानते हैं minimum support price कुछ 22 crores है जिसके बार में minimum rate देती है कि अगर तुम फार्मर को बोलती है इस रेट पर तुम्हारा माल नहीं बिका इस रेट पर हम खरीद लेंगे गारंटी हो गई मतलब ठीक है और कंसेशनल रेट मतलब सस्ते दामों पर आप उधार मिल जाता है, सस्ते दाम मतलब low interest rate पर farmers को loan देने का program है, edible oils के लिए national mission launch किया हुआ है, और आप देखोगे प्रधान मंत्री, फसल बीमा योजना है, जो crops होती है, उस पर कई बार risk हो जाता है, कि drought आ जाएगा, या flood आ जाएगी, जो भी खराबी होगी, उसका loss और damage के ल इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ होटी कल्चर फॉर्टी कल्चर का मतलब होता है फ्रूट शहद स्पाइसेस इन सबका प्रोडक्शन देखो फूट ग्रेन का प्रोडक्शन करोगे तो वह एग्रीकल्चर है फूट ग्रेन को छोटकर और भी तो काम बनाते हैं खेती में फ्रूट भी होते हैं स्पाइसेस भी होते हैं हनी भी होता है वह सब फॉर्टी कल्चर में कुछ सोयल हेल्थ कार्ड गॉर्मेंट ने बनाए हैं तो देखो क्वेश्चन कैसा आएगा क्वेश्चन आएगा मिद प्रोग्राम किससे रिलेटेड है तो मिद प्रोग्राम होटीकल्चर की ग्रोथ से रिलेटेड है ठीक है परंपरागत कृषि विकास योजना सरकार करने के लिए सरकार ने अलग से ही फंड बना दिया है यहां पर अ गॉर्मेंट इस फंड को यूज करके इंफ्रास्ट्रक्चर जो फार्मिंग से रिलेटिड होगा उसको बनाएगी ठीक है प्रोमोशन और फार्मर ये scheme है to increase water efficiency at the farm level कहता है पानी को तुम सही से इस्तेमाल करो पानी को waste मत करो per drop more crop होनी चाहिए प्रोग्राम का नामी ध्यान रखना है setting up of micro irrigation fund micro irrigation fund सेट किया है यानि ऐसा fund जिससे सिर्फ सिचाई पे ध्यान दिया जाएगा initiative towards agricultural mechanization agriculture को जाज ज़्यादा mechanize करने के initiative लिये जाएगे E-NAM का module के अंदर question है बाई इनेम सब्सक्राइब करें इनेम एक पैन इंडिया एलेक्ट्रोनिक ट्रेडिंग पोर्टल है पैन इंडिया एलेक्ट्रोनिक ट्रेडिंग पैन इंडिया का मतलब होता है ऑवरोल इंडिया यह हमारा अग्रिकल्चर की मार्केटिंग से रिलेटिड होता है ठीक है नैशनल एग्रिकल्चरल मार्केटिंग एलेक्ट्रोनिकली पॉसिबल हो जाती है इससे रिलेटिड है किसान रेल स्टार्ट किया है इंट्रोडक्शन आफ किसान रेल किसली है जो खेतों में यानि जो पार्म में प्रोडक्शन होता है उसका जो माल पड़ा होता है उसको वह गांव से शहर में खेतों से मंडी में यानि जहां पर प्रोडक्शन है वहां से एक सही जंगा ले जाया जाए जहां पर वह चीज बिख जाएगी तो एक लोजिस्टिक सर्विस एक तरीके की लोजिस्टिकल सर्विस एक ट्रांसपोर्ट सर्विस है एक रेल स्पेशल चला दिया किसान के लिए एक रेल स्पेशल चला दिया किसान के लिए कि यहां पर तो आपको एक मोटे लेवल का डाटा देखने को मिलेगा बहुत सारा डाटा यहां पर गिवन है बस आपको यह जानना है कि अभी भी इंडिया के अंदर 12.1 करोड़ लोग सेकंटरी सेक्टर में काम कर रहे हैं ठीक है यानी एक तरीके से आप मानोगे कि टोटल ग्रोस वैल्यू एडिट का यह 30 परसेंट है एक इंडियन इकानोमी में जो करते हैं वह सारे इंटरप्राइस जहां पर 10 से कम लोग काम करते हैं तो अब इस पर आपको प्रश्न पर प्रश्न बोलते हैं कि जो भी जीवीए प्रोडूस किया जाता है सेकेटरी सेक्टर में तो मोर थे फिफटी परसेंट शेयर इनफॉर्मल है यह कुछ देटा है दोस्तों एक बार डेटा आपको पढ़ना होगा सिर्फ इसमें जो important चीज़ें मैं बता देता हूँ, government का make in India program, vocal for local, start किया गया था 2014 में, इंडिया option खोल रही थी कि विदेशी company को इंडिया के अंदर आकर production करना चीज़ें, ठीक है, so this is called make in India, ease of doing business, इंडिया में business करना कितना easy है, इसके लिए rank जारी होती है, तो इस index में, इंडिया 63rd number पर था, कौन से year में, 2020 में, लेकिन 2019 में वो 77 number पर था, यानि, 14 पाइदान की सहलांग लगाई है यह भी डेटा ही है ठीक है डेटा ही है कुछ इनिशिएटिव देखो जैसे कि नैशनल सिंगल विंडो सिस्टम सरकार के दुआरा वन स्टॉप सॉलूशन लाया गया नैशनल सिंगल विंडो सिस्टम इन फ्रास्ट्रक्चर देर बाई रिडूसिंग लोजिस्टिक कॉस्ट कहता है कि पीम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान जो बनाया गया है वह प्लान बनाया गया है कि और मल्टी मोडल इन्फ्रास्ट्रक्चर में जो डाटा चाहिए होता है वह मल्टी मोडल का मतलब हो गया एक ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर जिसके अंदर एक से ज्यादा मोडल इनवॉल्व हो एक कोस्ट कम हो जाएं मतलब पोर्ट से जो समान ट्रांसपोर्ट करके पैकिंग करके लाया जाता है में मंडी में जहां बिकना होता है उसको तो वहां से पोर्ट से मंडी तक लाने की जो फैसिलिटी होती है उसको बोलते लॉजिस्टिक्स की कम से कम कोस्ट की जाए आत्मनिर्भर बनाने पर फोकस किया गया इंडिया विजन ऑफ बिकमिंग आत्मनिर्भर तो आप टैक्स कम भी कर सकती है सब्सिडी भी ज्यादा प्रोवाइड कर सकती है ठीक है और यह अभी कुछ चीजों के लिए जैसे कि आ एयर कंडीशनर्स और एलीडी लाइट्स के प्रोडक्शन पर अभी भी काम कर रही है इसकी में ठीक है कि विदेशी कंपनी जीरो से काम स्टार्ट करेगी इंडिया में आकर तो ग्रीन फिल्ड है ब्राउन फिल्ड का मतलब होता है विदेशी कंपनी इंडिया में आएगी पहले से कोई काम चल रहा है उसके अंदर इनवेस्टमेंट कर रही है तो प्लग एंड प्ले मतलब प्लग एंड प्ले का मतलब यह होता है कि प्लग लगाओ और टीवी में प्ले कर लो ऐसे होता ना मतलब यह है कि आओ कि उद्यमी भारत का आ सकता है एमेशन को प्रोमोट करने के लिए उद्यमी भारत सरकार लेकर आया पीएम मेगा इंटेग्रेटेड टेक्स्टाइल रीजन एंड एपरेल पीएम मित्रा बोलते भाई पीएम मित्रा बहुत इंपोर्टेंट है पीएम मित्रा बोलता है कि वर्ल कि ताकि इंडिया में ज्यादा से ज्यादा एफडीआई ओ कि सेक्टर से रिलेटेड टेक्स्टाइल सेक्टर से रिलेटेड तो पीएम मित्र टेक्स्टाइल सेक्टर से रिलेटेड था एफडीआई को प्रोमोट करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना इसके राता है ठीक है ओपनिंग आफ ग्लोबल इन्वेस्टमेंट इंडिया में एक ग्लोबल इन्वेस्टमेंट आने के लिए रास्ता लूप ठीक है और अच्छा हंड्रेड परसेंट एफडीआई इसमें कोल माइनिंग एक्टिविटीज में और सेल ऑफ कोल में भी प्रोमोट और आपको ध्यान रखना भाई फूड प्रोडक्ट की मार्केटिंग में थी और यहां पर भी है एक इंपोर्टेट हो गया फॉर एंड प्रोमोशन बोर्ड खत्म कर दिया गया यह पहले होता था इसको खत्म कर दिया इसके जगह नया सिस्टम आया जिसे बनते हैं फॉर इनवेस्टमेंट एंड फैसिलिटेशन पोर्टल एफ आईएफ यह नाम भी ध्यान रखना बाकी सभी डाटा है ओके गाइस शॉर्ट फॉर्म फॉल फॉर्म समझाने वाला इसके अंदर कुछ है नहीं शॉर्ट फॉर्म फॉल फॉर्म लिखी हुई बस और कुछ डाटा लिए आपको रिड करना पड़ेगा ठीक है यह रिकाय इंडिया इस गेरिंग अप फॉर्ट इंडॉस्ट्रियल रेवोलूशन और इंडॉस्ट्री पॉर्व पॉइंट ओं इंडिया अपना चौथा इंडॉस्ट्रियल रेवोलूशन लेकर आ रही और चोटा अब बोल रहे हैं भाईया ठीक है यह लेकर आ रही है इन विच मैनुफाक्ट्रिंग ट्रांसफॉर्मेशन नीड्स टो इंटेग्रेट इन सब चीजों से रिलेटेड होगी ठीक है भाई मैं फिर भी आपको बोल रहा हूं जो भी दिए गए ना यहां से जो गॉर्वर्मेंट के प्रोग्राम है ठीक है एग्जांपल के तौर पर बता रहा हूं जैसे कि आपसे पूछ लिया इन एम किससे रिलेटेड था पी एम किसान किससे रिलेटेड है ठीक है पीएम मित्रा किससे रिलेटेड है ऐसे क्वेश्चन पूछ लेगा ठीक है तो ऐसे वह प्राइमरी से सेकंडरी में गुस्कर हुई है प्राइमरी सेक्टर से तुम सेकंडरी सेक्टर में ट्रांसफर्म कर रहे हो प्राइमरी सेक्टर से जो प्रोडक्शन है प्राइमरी सेक्टर के अंप्लोई है वह सेकंडरी सेक्टर के तरफ शिफ्ट हुए तो इन दिन में बहुत अलग है इंडिया में ग्रोथ प्राइमरी से तरशरी में गई है तब इंडिया ऑवरल्ड ग्रोव करना तो यहां लिखा हुआ है और एक नॉर्मल रूट होता है कि प्राइमरी सेक्टर से सेकंडरी सेक्टर में हम ग्रो करते हैं ठीक है जब शिफ्ट होता है प्राइमरी से सेकंडरी में लेकिन इंडिया के इस रूट को बाइपास कर दिया इसको कि हम प्रामरी से सेकंडरी ने गए प्रामरी से टर्सचरी में मूव है हां सेकंडरी सेक्टर तो आज भी है अब दोस्तों तुम्हारे मन में क्वेश्चन होगा सर इस चैप्टर से क्वेश्चन कैसे आएंगे भाई देखो यह पूरा चैप्टर फैक्ट बेस्ट चैप्टर है इसमें सच बताऊं तो मैंने आपको रीड करके बता दिया दिल से हां करना चीजें रीड करके बताइए जहां पर कोई कहानी सुनाने के जरूर थी कोई स्टोरी बताने के जरूर थी वह मैंने बता दी अ फैक्ट बेस्ट चैप्टर है, एक तरीके से हिस्ट्री है, इंडिया की इकानोमिक हिस्ट्री, इतिहास है कि इकानोमी के लेबल पर क्या-क्या हुआ है, तो यहाँ पर लर्निंग चीज जादा है, और तुम्हें रटाफिकेशन करने की जरूरत नहीं है, रटाफिकेशन कोई नीचे दियोगे टेलिग्राम पर आपको मिल जाएगे टेलिग्राम पर नहीं यह वाले नोट मिलेंगे आपको चानक्या 2.0 बैच में आपको पीडब्लू की मोबाइल ऐप पर वालो गिन वहां कर जाओगे चानक्या 2.0 में आपको इन ओट भी अवेलेबल हो जाएगे तो ड ठीक है, module पे जाओ और इसको solve वरो, और देखो कि तुम कहाँ पर stand कर रहे हो, ठीक है, आज के class में इतना ही, जैहिंद, जैभारत, नमस्का बाइ अब्र