रक्सा बंदन का था तियवार, मेरी बूआई और मेरी बेहन आई थी रक्सा बंदन पे हमारे गर पे हमको राखिया बंदने और हमने भी रिटन में उनको चांदी का सिक्का दिया मेरी बेहन ने पहले मेरे बड़े बाई को राखिया बंदी, फिर मेरे बाबी ने उनके बाई को राखिया बंदी, फिर मेरी बेहन ने मुझे राखिया बंदी फिर मेरी चोटे बेनने पर मुझे राकी बान दी और मैंने उनको राकी बनने पर उपभार को पेट में दिया। राकी का तेवर बड़ा ही प्यारा रहा। फिर मेरी बुआवों ने उनकी दोनों भावियों को राकी बान दी और इस तरह पावन तेवर हमने मनाया।