Transcript for:
बांग्लादेश में छात्र प्रोटेस्ट का विश्लेषण

देश भर के स्कूल्स और कॉलेजेस को शट डाउन कर दिया गया है और बांग्लादेश की सरकार ने मोबाइल इंटरनेट सर्विसेस को भी सस्पेंड कर दिया मुक्तिजोद्धा दे नाती पुथरा पाब ना ताले कि राजा कर नाती पुथरा पाब इस तरीके का लो लेवल आर्गुमेंट एक प्रधानमंत्री को सूट नहीं करता बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अब प्रोटेस्टर्स डिक्टेटर करके भी पुकार रहे हैं नमस्कार दोस्तों पिछले महीने बांग्लादेश में भारी संख्या में स्टूडेंट सड़कों पर उतरे प्रोटेस्ट करने के लिए शुरुआत में तो ये प्रोटेस्ट पीसफुल ही थे लेकिन अब हालातों ने बड़ा खौफनाक और हिंसक मोड़ ले लिया है बांग्लादेश में अब एक मिलिट्री कर्फ्यू डिक्लेयर कर दिया गया है ट्रूप्स ऑन द स्ट्रीट्स अ स्ट्रिक्ट कर्फ्यू अ नियर ब्लैकआउट ऑफ कम्युनिकेशन देश भर के स्कूल्स और कॉलेजेस को शट डाउन कर दिया गया है और बांग्लादेश की सरकार ने मोबाइल इंटरनेट सर्विसेस को भी सस्पेंड कर दिया इन वायलेंट क्लैशेस में अब कम से कम 150 लोग मारे जा चुके हैं और हजारों जख्मी हैं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अब प्रोटेस्टर्स डिक्टेटर करके भी पुकार रहे हैं आखिर क्या कारण है इस सबके पीछे आइए समझते हैं इस पूरी सिचुएशन को विस्तार से आज के इस वीडियो में इन प्रोटेस्ट के पीछे सीधा कारण है दोस्तों रिजर्वेशन बांग्लादेश का यूथ प्रोटेस्ट कर रहा है इनकी सरकार के कोटा सिस्टम के खिलाफ वो कोटा सिस्टम जिसके अनुसार 56 पर नौकरियां बांग्लादेश के पब्लिक सेक्टर में रिजर्व्ड है अलग अलग अलग सेक्शंस ऑफ सोसाइटी के लिए इसका मतलब सिर्फ 44 पर ऐसी नौकरियां हैं जहां पर मेरिट के बेसिस पर नौकरी मिल सकती है ये सिस्टम इंडिया से काफी अलग है क्योंकि यहां पर मेजॉरिटी रिजर्वेशन कास्ट के बेसिस पर नहीं बल्कि फ्रीडम फाइटर के बेसिस पर हो रही है इसे बेहतर समझने के लिए हमें थोड़ा बांग्लादेश की हिस्ट्री में जाना होगा आजादी मिलने से पहले जैसा कि आप जानते ही होंगे बांग्लादेश पाकिस्तान का एक हिस्सा हुआ करता था उस वक्त इसे ईस्ट पाकिस्तान करके बुलाया जाता था और आज के दिन के पाकिस्तान को वेस्ट पाकिस्तान कहा जाता था उस जमाने में ईस्ट पाकिस्तान के खिलाफ सोशल डिस्क्र नेशन हुई मेजोरिटी लोग यहां पर बंगाली बोलते थे और 10 पर से भी कम ऐसे लोग थे जो उर्दू भाषा में बात किया करते थे लेकिन फिर भी वेस्ट पाकिस्तान ने उर्दू भाषा को इंपोज किया ईस्ट पाकिस्तान पर इसके अलावा इकोनॉमिक डिस्क्रिमिनेशन हुई देश के 59 पर एक्सपोर्ट्स ईस्ट पाकिस्तान से आते थे लेकिन सिर्फ 25 पर इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट्स ईस्ट पाकिस्तान के पास जाती थी नवंबर 1970 में जब भोला साइक्लोन आया एस्टीमेट 3 लाख लोग मारे गए ईस्ट पाकिस्तान में वन ऑफ द डेडलिएस्ट ट्रॉपिकल साइक्लोंस पिछली सेंचुरी का वर्ल्ड इन 1970 अ मैसिव स्टॉर्म स्वेप इट द बे ऑफ बेंगल ड्राउनिंग 500000 पीपल इट वाज वन ऑफ द वर्स्ट नेचुरल डिजास्टर्स एनी वेर लेकिन वेस्ट पाकिस्तान ने कोई ज्यादा एफर्ट नहीं किया रिलीफ प्रोवाइड करने में यहां के लोगों को और इतना ही नहीं पॉलिटिकल डिस्क्रिमिनेशन भी हुई साल 1970 की इलेक्शंस में ईस्ट पाकिस्तान के पास 162 सीट्स थी वेस्ट पाकिस्तान में 138 सीट्स थी वेस्ट पाकिस्तान में लोगों ने अलग-अलग पॉलिटिकल पार्टीज के लिए वोट किया लेकिन ईस्ट पाकिस्तान में ओवर वेल्मिनिक पार्टी को को जिसे लीड किया जा रहा था शेख मुजीबुर रहमान के द्वारा इस इलेक्शन रिजल्ट का नतीजा यह होता कि आवामी लीग दोनों ईस्ट और वेस्ट पाकिस्तान पर गवर्न करती लेकिन वेस्ट पाकिस्तान की जो मिलिट्री थी वो बिल्कुल यह नहीं चाहती थी उस समय के पाकिस्तान मिलिट्री के कमांडर इन चीफ याहिया खान ने इस इलेक्शन रिजल्ट को एक्सेप्ट करने से ही मना कर दिया ईस्ट पाकिस्तान पर मार्शल लॉ इंपोज किया गया और रिस्पांस में शेख मुजीबुर रहमान ने एक सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट करी प्रोटेस्ट के तौर पर बादे संग्राम साद संग्राम इसी समय वेस्ट पाकिस्तान की मिलिट्री ने बड़े भारी स्केल पर अत्याचार किए ईस्ट पाकिस्तान के लोगों के खिलाफ शेख मुजीबुर रहमान को अरेस्ट किया गया और लाखों लोगों को मारा गया एक जेनोसाइड हुआ ईस्ट पाकिस्तान में करीब 1 करोड़ लोगों को रिफ्यूज लेनी पड़ी इंडिया में एप्रोक्सीमेटली 50 पर पॉपुलेशन ईस्ट पाकिस्तान की इंटरनली डिस्प्लेस हो गई इसकी वजह से इसी के बाद ही था कि 1971 की बांग्लादेश लिबरेशन वॉर हमें देखने को मिली यह वही वॉर थी जहां पर इंडिया ने मदद करी और बांग्लादेश को आजादी दिलाई अंडर द प्राइम मिनिस्टरशिप ऑफ इंदिरा गांधी मुजब रामा द लीडर ऑफ ईस्ट पाकिस्तान डिक्ले द रीजन एन इंडिपेंडेंट रिपब्लिक व ही सेड वल बी कॉल्ड बांगलादेश द लैंड ऑफ द बंगाली ईस्ट पाकिस्तान में जिन लोगों ने आजादी की ये लड़ाई लड़ी जिसकी वजह से बांग्लादेश एक आजाद देश बने ये फ्रीडम फाइटर्स हुए यही फ्रीडम फाइटर्स आज की सिचुएशन में रिलेवेंट है इस कोटा सिस्टम की वजह से क्योंकि दोस्तों बांगलादेश के इस कोटा सिस्टम में 30 पर जॉब्स को रिजर्व किया गया है फ्रीडम फाइटर्स के डिसेंडेंट्स के लिए इस इसके अलावा कुछ और रिजर्वेशंस हैं जैसे कि 10 पर औरतों के लिए 10 पर जिला कोटा है बैकवर्ड डिस्ट्रिक्ट्स के लिए 5 पर रिजर्वेशन है एथनिक माइनॉरिटी के लिए और 1 पर रिजर्वेशन है उन लोगों के लिए जिन्हें फिजिकल डिसेबिलिटीज हो इन सभी नंबर्स को ऐड अप करोगे तो टोटल 56 पर रिजर्वेशन बनती है लेकिन मेजॉरिटी शेयर 56 पर में से है ये 30 पर फ्रीडम फाइटर्स का कोटा इस आर्टिकल को देखिए ढाका यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले थर्ड ईयर इंटरनेशनल लेशंस के एक स्टूडेंट फहीम फारूकी जो कि एक प्रोटेस्टर भी है इनका कहना है कि ये प्रोटेस्ट बेसिकली कोटा सिस्टम की रिफॉर्मेशन के लिए है प्रोटेस्टर्स चाहते हैं कि एथनिक माइनॉरिटी वाली रिजर्वेशन और फिजिकल डिसेबिलिटीज वाली रिजर्वेशन को छोड़कर बाकी सारी रिजर्वेशंस हटा दी जाए सरकार के द्वारा यहां पर ये फ्रीडम फाइटर्स वाली रिजर्वेशन सबसे इंटरेस्टिंग है क्योंकि इसकी शुरुआत साल 1972 में ही हो गई थी आजादी मिलने के सिर्फ एक साल बाद इनकी मिनिस्ट्री ऑफ कैबिनेट सर्विसेस ने उस साल एक ऑर्डर इशू किया था कि फ्रीडम फाइटर्स के लिए एक कोटा होना चाहिए जिन लोगों ने अपनी लाइफ को रिस्क पर डाला जिन लोगों ने संघर्ष किया अपने देश को आजादी दिलाने के लिए उन लोगों के लिए 30 पर नौकरियां रिजर्व की जाए नोट करने वाली बात यह है कि यह चीज सिर्फ फ्रीडम फाइटर्स के लिए एप्लीकेबल थी बाद में जाकर 1997 में इस कोटा को एक्सटेंड कर दिया गया कि फ्रीडम फाइटर्स के बच्चों के लिए भी यह रिजर्वेशन दी जाए और 2010 में फिर कहा गया कि उनके बच्चों के बच्चों के लिए भी यह रिजर्वेशन दी जाए हालांकि एग्जैक्ट कोटा बाकी और कैटेगरी के लिए चेंज होता रहा ओवर द इयर्स लेकिन इन दी एंड यही हुआ कि टोटल परसेंटेज 56 पर तक पहुंच गई 2010 के इस ग्रैंड चिल्ड्रन वाले फैसले के बाद 2012-13 में एक बड़ी बड़ी मूवमेंट भी हुई थी बांग्लादेश में इस कोटा सिस्टम के खिलाफ इंडिया में जैसे यूपीएससी है यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन का एग्जाम ऐसे ही बांग्लादेश में है बीपीएससी का एग्जाम बांग्लादेश पब्लिक सर्विस कमीशन करीब 4 लाख ग्रेजुएट्स हर साल 3000 सिविल सर्विस जॉब्स के लिए कंपीट करते हैं बांग्लादेश में काफी खराब हालत है और नौकरियों की सख्त कमी है फरवरी 2018 में बांग्लादेश साधारण छात्र अधिकार संरक्षण परिषद ने रिफॉर्म्स की डिमांड करी बांग्लादेश गवर्नमेंट सर्विसेस में उस समय भी क्लैशेस देखने को मिले उन स्टूडेंट्स के बीच में जो इसके खिलाफ थे और वो स्टूडेंट्स जो प्रो कोटा थे लेकिन प्रेशर में आकर अक्टूबर 2018 में बांग्लादेश की सरकार ने सर्कुलर इशू किया कि फर्स्ट क्लास और सेकंड क्लास जॉब्स के लिए यह कोटा सिस्टम हटा दिया जाएगा बात यहीं पर खत्म हो गई होती लेकिन 2021 में कुछ फ्रीडम फाइटर्स के सात बच्चों ने हाई कोर्ट में पेटीशन डाली इस कोटा सिस्टम को हटाने के खिलाफ और 5 जून 2024 यानी कि पिछले महीने हाई कोर्ट का फैसला आता है कि जो पेटीशनर्स कह रहे हैं वो सही है सरकारी सर्कुलर को इल्लीगल डिक्लेयर कर दिया जाता है और कोटा सिस्टम को वापस इंट्रोड्यूस कर दिया जाता है यही कारण था कि पूरे देश भर में प्रोटेस्ट फिर से जाग उठते [प्रशंसा] हैं प्रोटेस्ट करने वाले स्टूडेंट्स कहते हैं कि यह कोटा अनकंस्टीट्यूशनल है ओरिजिनल कॉन्स्टिट्यूशन में कहीं नहीं लिखा गया था कि फ्रीडम फाइटर्स की अगली जनरेशन को भी जॉब्स में रिजर्वेशन द और वैसे भी इसका क्या तुक बना फ्रीडम फाइटर्स को रिजर्वेशन देना समझ में आता है क्योंकि उन्होंने संघर्ष किया था देश को आजादी दिलाने के लिए लेकिन उनके पोते पतियों तक को रिजर्वेशन दी जा रही है सिर्फ इसलिए क्योंकि उनके ग्रैंड पेरेंट्स फ्रीडम फाइटर्स थे लेकिन बात सिर्फ यहां खत्म नहीं होती इस रिजर्वेशन में करप्शन के भी आरोप लगे हैं एक्चुअली में कौन डिसाइड करेगा कि कौन फ्रीडम फाइटर है और कौन फ्रीडम फाइटर नहीं है सरकार ने यह रिस्पांसिबिलिटी खुद को दी कि सरकार डिसाइड करेगी कि कौन फ्रीडम फाइटर होगा पिछले 15 सालों से बांग्लादेश में रूलिंग पार्टी रही है आवामी लीग और प्राइम मिनिस्टर रही हैं शेख हसीना यह वही पॉलिटिकल पार्टी है जिसने संघर्ष किया था बांग्लादेश को आजादी दिलाने में भी प्रोटेस्टर्स का कहना है कि फ्रीडम फाइटर का रिजर्वेशन आवामी लीग के लोगों को डिस्प्रोशियम इंक्लूड किया गया है उन नामों को लेकर कम से कम 60000 ऑब्जेक्शंस उठी हैं और इन ऑब्जेक्शंस को सरकार के द्वारा रिजॉल्व नहीं किया गया है 10 जुलाई को यह बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचती है और सरकार हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाती है अपील करने सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा देता है लेकिन प्रोटेस्ट रुकते नहीं है स्टूडेंट्स और टीचर्स के अलावा बांग्लादेश की अपोजिशन पार्टीज भी इसमें जुड़ जाती है जैसे कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी प्रोटेस्टर्स को कंफ्रे मिलिट्री के ट्रूप्स बुलाए जाते हैं पुलिस यहां पर टियर गैस रबर बुलेट्स और साउंड ग्रेनेड्स का इस्तेमाल करती है यूनाइटेड नेशंस के सेक्रेटरी जनरल की तरफ से भी स्टेटमेंट आती है कि सरकार डेमोंस्ट्रेटर्स के खिलाफ कोई भी थ्रेट और वायलेंस ना इस्तेमाल करें इसके अलावा प्रोटेस्टर्स और बांग्लादेश छात्र लीग के बीच में भी क्लैश देखने को मिलता है जो कि स्टूडेंट विंग है आवामी लीग पार्टी का दोनों साइड्स एक दूसरे को ब्लेम करते सरकार के लॉ मिनिस्टर कहते हैं कि सरकार प्रोटेस्टर्स के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है यह कहा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट में एक अर्ली हियरिंग की कोशिश करी जा रही है ताकि जल्द से जल्द फैसला आए ढाका यूनिवर्सिटी के बाहर स्टूडेंट्स नारे लगाते हैं कि हम अपने भाइयों का खून बर्बाद नहीं जाने [प्रशंसा] देंगे सरकार प्रेशर में आकर एक जुडिशियस प्रोब कमेटी की भी फॉर्मेशन करती है वायलेंस के इंसीडेंट्स को इन्वेस्टिगेट करने के लिए आवामी लीग के जनरल सेक्रेटरी कहते हैं कि सरकार कोटाज में इंटरफेयर नहीं करेगी सुप्रीम कोर्ट के डिसीजन का इंतजार किया जाए लेकिन प्रोटेस्टर्स का जो मेन ग्रुप था स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन वो अपनी सरकार के इंटेंशंस पर डाउट करता है उनका कहना है कि प्राइम मिनिस्टर ने एक शब्द तक नहीं बोला उन मर्डर पर जो उनके पार्टी के एक्टिविस्ट ने किए इस तनावपूर्ण स्थिति के बीच प्राइम मिनिस्टर शेख हसीना की तरफ से भी बड़े इरिस्पांसिबल रिमार्क्स आते हैं वो बातों को ट्विस्ट करके कहती हैं कि प्रोटेस्टर्स को इतनी नफरत क्यों है फ्रीडम फाइटर्स से अगर फ्रीडम फाइटर्स के ग्रैंड चिल्ड्रन को रिजर्वेशन के बेनिफिट्स नहीं मिलेंगे तो क्या रजाकर्स के ग्रैंड चिल्ड्रन को बेनिफिट्स दिए जाएंगे सिर्फ प्राइम मिनिस्टर शेख हसीना ही नहीं बल्कि इनके सोशल वेलफेयर मिनिस्टर दीपू मोनी और स्टेट मिनिस्टर ऑफ इंफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मोहम्मद अली अराफात की तरफ से भी सिमिलर स्टेटमेंट्स दी जाती हैं रजाकार को लेकर आखिर क्या है यह रजाकार रजाकार दोस्तों एक पर्शियन शब्द है जिसका मतलब होता है वॉलिंटियर या हेल्पर लेकिन 1971 की वॉर में रजाकार वाहिनी एक पैरामिलिट्री ग्रुप था जो एक्चुअली में वेस्ट पाकिस्तान की आर्मी को सपोर्ट कर रहा था दूसरी तरफ मुक्ति वाहिनी था जो बांग्लादेश की आजादी के लिए फाइट कर रहा था इस रजाकार वाहिनी में करीब 500 लोग थे जिन्होंने वेस्ट पाकिस्तान की आर्मी को सपोर्ट किया और ईस्ट पाकिस्तान के लोगों पर हो रहे अत्याचारों को इनकरेज किया या उसमें भाग लिया 1973 में जब शेख मुजीबुर रहमान की सरकार बनी तो उन्होंने इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल एक्ट इंट्रोड्यूस किया इन्हीं रजाकार लोगों को ढूंढने के लिए और पनिश करने के लिए एंथ्रोपॉलजिस्ट नयनिका मुखर्जी नोट करती हैं कि करीब 37000 रजाकार को आइडेंटिफिकेशन किया गया या तो जेल में डाल कर या उनका ट्रायल अभी भी चलता रहा कुछ ट्रायल्स तो इतने लंबे चले कि 2022 में भी रजाकार वाहिनी के छह मेंबर्स को फांसी की सजा सुनाई गई फॉर क्राइम्स अगेंस्ट ह्यूमैनिटी तो पॉइंट आप यहां समझ सकते हैं क्या है दोस्तों बांग्लादेश में रजाकार का मतलब है गद्दार एंटी नेशनल देशद्रोही और अगर कोई सरकार के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहा है इस रिजर्वेशन को लेकर क्या उन्हें देशद्रोही कहना सेंस बनाता है कोई सेंस नहीं बनाता यह वही पुरानी स्ट्रेटेजी है कि सरकार को पसंद नहीं आया कि लोग सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं तो उन्हें देशद्रोही घोषित कर दो लेकिन सच बात तो यह है जैसा अमेरिकन ऑथर और एक्टिविस्ट एडवर्ड एबी ने लिखा था अ पेट्रियट मस्ट बी रेडी टू डिफेंड हिज कंट्री अगेंस्ट हिज गवर्नमेंट एक सच्चा देशभक्त अपनी सरकार से भी अपने देश को डिफेंड करता है डेमोक्रेसी का मतलब सिर्फ यह नहीं होता कि 5 साल में एक बार वोट करने चले जाओ डेमोक्रेसी एक डायनेमिक सिस्टम होता है जहां पर लोग पॉलिटिकली अवेयर होने चाहिए जनता बार-बार देश की सरकार को अकाउंटेबल ठहराते रहे जांच रहे कि सरकार सही काम कर रही है या नहीं कर रही और जरूरत पड़ने पर सर सरकार के खिलाफ भी खड़ी हो प्रधानमंत्री शेख हसीना का ये कॉमेंट प्रोटेस्टर्स पर एक क्लियर कट एग्जांपल है स्ट्रॉ एंड फैसी का इसका मतलब है कि आप दूसरे की आर्गुमेंट को गलत तरीके से प्रेजेंट कर रहे हो और उसे तोड़ मरोड़ के पेश कर रहे हो अगर प्रोटेस्टर्स कहते हैं कि वो उस रिजर्वेशन के खिलाफ है जो फ्रीडम फाइटर्स के पोते पतियों को मिलने लग रही हैं तो इसका मतलब यह कैसे हो गया कि वो फ्रीडम फाइटर्स को डिसरेटर रहे हैं जब प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने खुद इस रिजर्वेशन को हटाया था 2018 में तो क्या वो भी फ्रीडम फाइटर्स को डिसरेटर थी इस तरीके का लो लेवल आर्गुमेंट एक प्रधानमंत्री को सूट नहीं करता मैं रिक्वेस्ट करूंगा प्राइम मिनिस्टर शेख हसीना से थोड़ी मर्यादा रखिए प्रोटेस्टर्स की डिमांड कोई अनरीजनेबल नहीं है लेकिन अब इस मुद्दे पर दोस्तों हमारे इंडिया के गोदी पत्रकारों की भी जरा नॉनसेंस सुनिए सुधीर चौधरी ने आज तक टीवी चैनल के प्रोग्राम में स्टूडेंट्स के इन प्रोटेस्ट को फौरन फंडेड बता दिया हवाहवा में बातें करते हुए कहा कि इसके पीछे अमेरिका और बाकी पश्चिम देशों का हाथ है अमेरिका जैसे जो देश हैं वो पीछे से रिमोट कंट्रोल से इन दंगों को भड़का रहते हैं क्योंकि जो पश्चिम भी बड़े-बड़े जो देश हैं अमेरिका जैसे वो उन देशों के विपक्षी दलों के साथ मिल जाते हैं एक इंफोग्राफिक में लिखा कि विकासशील जिलों के निवासियों के लिए 10 पर आरक्षण विकासशील का मतलब होता है जो विकास की तरफ बढ़ रहा हो यानी डेवलपिंग जबकि बांग्लादेश ने 10 पर कोटा पिछड़े जिलों के निवासियों के लिए दिया है और इसके बाद सुधीर कहते हैं कि वेस्ट बंगाल के कुछ स्टूडेंट्स इन प्रोटेस्ट का समर्थन कर रहे हैं और यही स्टूडेंट्स अपने देश में आरक्षण की मांग करते हैं ये कैसे हो सकता है एक और चौकाने वाली खबर यह है कि बांग्लादेश में हो रहे इस आंदोलन के समर्थन में पश्चिम बंगाल में भी अब विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं वामपंथी दलों के जो छात्र भारत में सरकारी नौकरियों में आरक्षण चाहते हैं वो बांग्लादेश के उन दंगों का समर्थन कर रहे हैं जो सरकारी नौकरियों में आरक्षण खत्म करने के लिए चल रहे हैं इतना बड़ा विरोधाभास मुझे समझ नहीं आता कि सुधीर चौधरी जैसे सो कॉल्ड पत्रकारों की रीजनिंग पावर सही में इतनी कमजोर है या फिर ये जान पूछकर जनता को बहका हैं पहले खुद अपने प्रोग्राम में बताते हैं कि भारत में जो आरक्षण है वो कास्ट के आधार पर है जबकि बांग्लादेश में दूसरे क्राइटेरिया के आधार पर आरक्षण है वहां पर कोई जाति का आरक्षण नहीं धर्म का आरक्षण नहीं है यह आरक्षण अलग किस्म का है तो फिर यह कंपैरिजन करने का क्या सेंस बना इंडिया में रिजर्वेशन मिलती है सो कॉल्ड लोअर कास्ट लोगों को जिनके खिलाफ हिस्टोरिकल डिस्क्रिमिनेशन हुआ है लेकिन सिर्फ हिस्टोरिकल ही नहीं बल्कि आज के दिन भी हमें कास्ट एट्रोसिटी देखने को मिल रही हैं राजस्थान में जितेंद्र पाल मेघवाल नाम के एक दलित को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि उन्होंने मूंछ रख ली थी आज तक की ही वेबसाइट पर ये न्यूज़ आर्टिकल देखिए गुजरात में दलित दुल्हे को घोड़ी नहीं चढ़ने दिया बारातियों के पगड़ी बांधने पर किया पथराव 8 साल के बच्चे ने पानी की बाल्टी को हाथ लगा दिया तो उसे पीट दिया गया और कहां हुई ये चीज स्कूल में सिख धर्म तो ईगलिटेरियन ज्म की प्रिंसिपल्स पर शुरू हुआ यानी कि सब बराबर हैं जातिवाद खत्म करो लेकिन आज पंजाब में दलित सिखों के लिए अलग गुरुद्वारे देखे जा सकते हैं और प्रिविलेज ब्लाइंडनेस में डूबे हुए गोदी पत्रकारों के हिसाब से तो जातिवाद है ही नहीं देश में इनके हिसाब से तो आरक्षण जैसे पॉजिटिव अरमेस्टिस की कोई जरूरत ही नहीं है सब चंगा सी इनसे मैं एक ही बात कहूंगा आखिर जातिवाद खत्म करने की बात क्यों नहीं कहते कास्ट बेस्ड क्राइम खत्म कर करने की बात क्यों नहीं करते कभी ये जो अखबारों में ऐड्स छपती है ब्राह्मण लड़की चाहिए राजपूत लड़की चाहिए जाट चाहिए बनिया चाहिए इन कास्ट बेस्ड मैट्रिमोनियल एडवर्टाइजमेंट को क्यों नहीं बंद कर दिया जाता इस मैट्रिमोनियल ऐड को देखिए यहां तो ये तक लिखा है कि कास्ट की कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं है लेकिन एससी एसटी ओबीसी नहीं होना चाहिए जिस दिन इस जातिवाद को खत्म कर दोगे उस दिन कास्ट रिजर्वेशन ऑटोमेटिक खत्म हो जाएगी लेकिन गोदी पत्रकारों से यही उम्मीद की जा सकती है कि ये इंडिया की कास्ट रिजर्वेशन को बांग्लादेश की इस फ्रीडम फाइटर्स रिजर्वेशन से कंपेयर करें इंडिया में जो रिजर्वेशन है वो सोशली और इकोनॉमिकली डिप्राइव्ड क्लासेस को ऊपर सेम लेवल पर लाने के लिए है लेकिन बांग्लादेश में जो फ्रीडम फाइटर्स के डिसेंडेंट्स को रिजर्वेशन दिया जा रहा है वो कोई सेपरेट एथनिक माइनॉरिटी नहीं है उनके खिलाफ कोई हजारों सालों से अत्याचार नहीं हो रहा है इनफैक्ट वो तो सोशली रिस्पेक्टेड सेक्शन है देश का अगर उनमें से कोई इकोनॉमिकली वीक है तो उनके लिए 5 से 10 पर ईडब्ल्यूएस कोटा दिया जा सकता है 21 जुलाई को बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा कि फ्रीडम फाइटर्स के इस डिसेंडेंट्स कोटा को कम करके सिर्फ पांच % तक कर दिया जाए और बाकी एथनिक माइनॉरिटी ट्रांसजेंडर्स और डिसेबल लोगों का जो कोटा है उसे 2 पर कर दिया जाए तो टोटल 7 पर रिजर्वेशन ही हो अब मेरा पर्सनली मानना है दोस्तों बांग्लादेश में जो प्रोटेस्ट उठे इनके रिजर्वेशन के खिलाफ ये सिर्फ एक सिमम है असली बीमारी जो यहां पर है वह है अनइंप्लॉयमेंट की और इंडिया जैसे ही बांग्लादेश में भी बेरोजगारी एक बहुत बहुत बड़ी प्रॉब्लम बन चुकी है पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन मिनिस्टर फरात हुसैन ने बताया पार्लियामेंट को फरवरी में कि 5 लाख से ज्यादा पोस्ट वेकेंट थी इनके देश में अगर इन्हें फिल अप भी किया जाए तो भी काफी नहीं होगा बांग्लादेश ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स का डटा बताता है कि 18 से 19 लाख यंग लोग हर साल जॉब मार्केट को जॉइन करते हैं 17 करोड़ लोगों का देश है उसमें से जो वर्किंग पॉपुलेशन है वो करीब 2/3 है यानी 11 करोड़ के आसपास इन 11 करोड़ लोगों में से 3 करोड़ लोग अनइंप्लॉयड हैं बांग्लादेश में इकॉनमी की भी हालत काफी खराब चल रही है कंट्री के जो फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स हैं वो बहुत लो है 2022 में बांग्लादेश ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड से मदद मांगी थी अपने फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स को रिबिल्ड करने के लिए रिसेंटली एक प्लान भी जारी हुआ 5 बिलियन डॉलर का लोन लेने के लिए चाइना से अब वो अलग मुद्दा है अपने आप में कि जब भी कोई देश चाइना से लोन लेता है तो उससे प्रॉब्लम कभी सॉल्व नहीं होती बल्कि एक और नई प्रॉब्लम क्रिएट हो जाती है चाइना की डेट डिप्लोमेसी जो श्रीलंका के साथ देखने को मिला लेकिन इसके अलावा इंफ्लेशन रेट भी बहुत हाई है 9 पर पर लोगों का खर्चा बढ़ रहा है और लोगों के पास नौकरियां नहीं है तो रिजर्वेशन सिस्टम को इंप्रूव करना तो सिर्फ पहली स्टेप है अगर लॉन्ग टर्म में यहां पर सलूशन निकाल है तो सरकार को फोकस करना होगा जॉब्स क्रिएट करने पर और इन इकोनॉमिक मुश्किलों के अलावा प्राइम मिनिस्टर शेख हसीना की पॉलिटिकल मोस पर भी सवाल उठाए गए जनवरी में उन्होंने अपनी फोर्थ कंसेक्युटिव टर्म जीती लेकिन इलेक्टोरल रिंगिंग के बड़े बाहरी आरोप लगाए गए थे इसी प्रोटेस्ट में पोस्टर्स और स्लोगंस भी देखने को मिले जहां पर उन्हें डिक्टेटर बुलाया गया जैसे कि यह स्लोगन तुई के अमी के रजाकार रजाकार के बोलचे के बोलचे साइरा चार सायरा चार इसका मतलब है मैं और तू कौन रजाकार रजाकार ऐसा किसने कहा डिक्टेटर डिक्टेटर उम्मीद है प्राइम मिनिस्टर शेख हसीना अपने देश की लोगों की प्रॉब्लम्स को समझ पाएंगी और एक पॉजिटिव अप्रोच यहां पर ले पाएंगी अगर आपको यह वीडियो पसंद आया तो बांग्लादेश की पूरी हिस्ट्री पर मैंने एक डिटेल वीडियो बनाया है कि एगजैक्टली 1971 की वर में क्या हुआ था यहां क्लिक करके देख सकते हैं बहुत-बहुत धन्यवाद [संगीत]