नमस्कार आप सभी का स्वागत हैं पिछले लेक्चर में हमने Democracy in India और in Ancient Greece में हमने पढ़ा तो Democracy का जो आइडिया वो कहा से ओरिजनेट हो रहा है इंडिया और यूनान वहाँ से तक हमने कर लिया था फर्स्ट लेक्चर में आज का जो लेक्चर है जो फर्स्ट यूनिट है जो फर्स्ट यूनिट है जिसमें हमने ये वाला टॉपिक हमने कर लिया है Ancient Greece and India आज हम करने जा रहे हैं modern developments and contemporary innovations तो यहाँ पर हम जो मैंने ये starting करा है modern developments को दो definition, दो statements की through मैं start करने की इंगोसिस कर रहा हूँ जिसमें जो पहला है democracy is never fully defined लोकतंत्र है वो कभी अंतिम रूप से परिवासित नहीं किया जाता है या फिर उसको परिवासित करना थोड़ा कठीन है और टीकन आज परफेक्ट इट इस अच्छा लिंज हम यह भी नहीं कह सकते हैं यह फॉर्म आफ डेमोक्रिसी यह जो लोग तंत्र है इस स्वरूप का यह परफेक्ट है पूर्णता है निपूर्ण है ऐसे नहीं कह सकते हैं फॉर गोइंग टू परफेक्शन देखिए यह एंचु डेमोक्रिसी है यह हमें यह समझना हुआ कि यह हमेशा परफेक्शन की ओर बढ़ने वाला है यह अगरसर है, यह नहीं यह श्रीर तरह है, जैसे इस दिन यूनान से शुरू होता है, अपने है या ऑनवर्ड तो हम यह नहीं कह सकते कि कभी भी कोई अंतिम शौरूप यह हमेशा अच्छी की ओर बढ़ रहा है हम कोई भी फॉर्म को ऐसे नहीं कर सकते कि यह परफेक्ट फॉर्म एंड एप उपरेसिडेशन तो सिर्फ शतोरी ने भी इसी शौरूप में दूसरा जो statement है coffee anon के द्वारा दिया गया है no one is born a good citizen कोई भी जो व्यक्ति है वो एक अच्छा नागरिक पैदा नहीं होता तो इसका मतलब ही क्या बहुत करने है उसे बनाया जाता है और same उसी स्वरूप में नो नीशन ही बॉन आट डेमोक्राजी कोई भी नीशन जो है वह डेमोक्राजी की पैदा डेमोक्राजी स्वरूप में पैदा नहीं होती उसे बनना होता है डेमोक्राजी को अच्छीव करना पड़ता है कर दो ठीक है रैथर बोट आर प्रोसेस देखिए इसमें यह बताया गया कि यह जो दोनों है यह क्या है परिक्रिया है एक अच्छा नागरिक बनना और एक अच्छी डेमोक्रिसी बनना यह डेमोक्रिसी जैसा व्यवस्था अपना यह दोनों क्या है परिक्रिया है है जो समय-समय के हिसाफ से इवॉर्व होती है जो जीवन भर विक्षित होती रहती है आगी क्या है, young people must included from birth, जो नए लोग है, जो युवाओ है, उनको हमें जन्म से ही शामिल किया जाना चाहिए, जो democracy और कि एक गुट सिटीजन बनने के लिए कच्छा नागरिक एक सब नागरिक बनने के लिए उन युवाओं को जनर से ही सामिल किया जाना चाहिए जो यह जो कौफी एनएन है यह साथ वे जो सचीव है महासचीव है यूएनो के वह रहे हैं उनका टाइम पीरिट निश्व संतावन से दो जासी नाइटी सेवन से टू टॉजन सिक्स अ है तो अब हम बात करते हैं जो डेमोक्रिसी का जो डेवलपमेंट है उसके बारे में तो एक थोड़ा सा हम एक वह बैक रिमाइंड लेते हैं जो वह डेमोक्रिसी वह ग्रीक रूट से आता है ग्रीक वर्ड से आता है डेमोस और क्रेडोस देखिए डेमोस का जो मीनिंग है कि इसका मतलब है जनता डेमोस का मतलब है और ट्रेटोस का मतलब होता है पावर ठीक है अच्छी मीनिंग पावर कहनी जाए या रूल कहनी जाए रूल या पावर है तो अंत में हम यही कह सकते हैं कि जो डेमोक्रिसी है वह पावर ओफ पीपल है या रूल ओफ पीपल है यह दो स्वरूप में हम दर्शा सकते हैं हिंदी वाला वर्जन यहाँ पर है तो और अगर हम कंक्लूट करते हैं तो एक ऐसी प्रकार की साशन पत्ती के बारे में बात करा है डेमोग्रेसी या लोबतंत्र एक ऐसे वे के बारे में बात करा है आवे ओफ गोवर्निंग विच डिपेंड्स ओन द विल आफ द पीपल यहाँ पर दिखिए यह इंपोर्टेट हो जाता है डेमोग्रेसी में विल शाशन करने का एक तरीका जो लोगों की इच्छावों पर निर्भर करता है यह वाला important point है Please write it down जैसे कि मैंने ग्लास में भी आपको बताया था कि जो डेमोक्रिसी और भी तरीके की किसासन पदती हो सकती है, हो सकता है राजतंत्र हो, कुलीन तंत्र हो, अधिनायक वाद हो, टोटिलिटेरियन हो, एरिस्टोक्रेसी हो, मेरिटोक्रेसी हो, ओनिगार्गी हो, कुछ भी हो democracy then is not autocracy ठीक है और dictatorship अब ये autocracy और dictatorship क्या है जहाँ पर एक वेक्ती रूल करता है और नहीं यह ओनिगार्गी है, ओनिगार्गी का मतलब छोटा सा वर्ग का जो साशन करता हो, यहाँ पे यह वर्ड्स लिख्य हुए, ओनिगार्गी मतलब जहाँ पे एक छोटा सा सेग्मेंट या ग्रूप कह सकते हैं, ग्रूप आफ सोसाइटी रूल कर रही हो, या फिर जो स आगे दिखी कितना अच्छा लाइन है कि डेमोक्रिसी को हमें ये भी नहीं समझना चाहिए कि जो डेमोक्रिसी है वो रूल आफ दे मैजॉरिटी है नहीं ये इस स्वरूप में भी नहीं समझ सकते कि जो मैजॉरिटी डिसाइड करेगी वो ही होगा नहीं ये भी नहीं हो सकता एकी सेंस में बोला जा रहा है कि role of the majority नहीं है क्योंकि अगर हम बोलेंगे कि role of the majority is democracy तो ये problematic हो जाता है इसमें क्या हुआ जो minority है minority जिससे बोल सकते हैं अलप संख्यक देखिए आज की आज के समय वाला minority नहीं, जो religions को define करके बोलते हैं कि हाँ minority, नहीं, minority का मतलब यह होता है कि एक जब सरकार बनती है तो कुछ लोग सरकार में आते हैं और कुछ लोग विपक्ष में आते हैं, ठीक है, कुछ लोग सरकार में, तो जो सरकार के opposition में है, उसको minority यहाँ पे बोला गय ठीक है उसके बाद दिखिए जो डेमोग्रेसी है ना वो एक्चुल में जो थिओरी है जो डेमोग्रेसी है डेमोग्रेसी एट लिस्ट इन थिओरी इस गवर्नमेंट ऑन द बिहाव ऑफ द पीपल गवर्नमेंट किसके कि लोकदंत्र कम से कम सैधानतिक रूप से सभी लोगों की ओर उनकी इच्छाओं के अनुसार की सरकार है ठीक है क्या है अकॉर्डिंग टू दियर विल लोगों की इच्छा के अनुसार की सरकार है ठीक है यहां पर यह क्लियर करने देखिए नोट आउट हम कई बार बोल देते हैं जो डेमोक्रिसी है यह रूल आफ द मेजॉरिटी है वह रूल आफ द मेजॉरिटी का यहां पर जो मेजॉरिटी रहे वह क्या है वह मेजॉरिटी ऑफ द विल है ठीक है, मगर ये नहीं है कि आप minority जो है, जो सरकार में नहीं है, उसको आप ignore कर दोगे, तो minority को भी ignore नहीं करना है, और कई बार हम सब देखते हैं, जो modern time में, जो philosophers, जो thinkers है, वो definitely निशन इसी आधार पर देते हैं कि अट्रूट एपोक्रिसी वेर जो माइनोर्टी है वह किसी भी प्रकार का थ्रेटन फील ना करें ठीक है किसी भी प्रकार का दबदबा फील ना करें माइनोर्टी को भी अब उतना ही अधिकार होना चाहिए अपने अपनी बात को रखने का ठीक है तो यह नहीं भी हमको दबाना है माइनोर्टी को नहीं यह लोकतंत्र का मीनिंग नहीं है आगे ये पुछे कि डेमोक्रेसी क्यों होना जाए, क्यों लोगतंतर पे हम विस्वास करें, देखे जो आइडिया और डेमोक्रेसी है, ये अपनी जितनी भी मॉरल स्ट्रेंथ है, जो नैतिक ताकत है, वो कहां से ड्राइव कर रहा है, वो दो सिधानतों से ड्राइव कर रहा तो व्यक्तिकत स्वयत्ता और समानता ये दो सिधानत हैं जो इसको मॉरली सपोर्ट करते हैं डैमबल सीखो या लोकतनत की विचार को नैतिक ताकत प्रदान करते हैं प्लीज राइट इट डाउन नैतिक व्यक्तिक अगत स्वयत्ता और समानता इंडिवीजुअल अटॉनमी एंड इक्वालिटी अब देखिए कैसे बात करते हैं तो जो पहला सिंधानत है इसमें सिंपल सा बात यह कह रहा है कि कोई भी व्यक्ति दूसरे के नियम और कानुन को कैसे पालन करेगा व्यक्ति अपने नियम और कानुन को खुद पालन करेगा उसकी खुद वो व्यक्ति कब स्वतंत्र है जो वो अपनी नियम और कार्निंग को अपनाएगा ठीक है दाइडिया देट नो वन सुब्सवेट टू द रोगों इस विच है बिन इंपोज्ड बाय अदर्स कि भाई किस कोई दोसरा व्यक्ति जो रोल्स दे रहा है उसको कैसे एक इंडिविजुअल अपनाएगा नहीं अपना सकता कब अपनाएगा जब वह रोल्स उसके खुद के हुए है कि जब मैं अपने ही कानू अपने ही नियम मनुषान अपने ही सिंधानत को अपना हुआ जो मेरी खुद के सिंधानत है तब ही तो मैं फ्री हूं तो लोगतंत्र उसी की बात करता इंडिवीजुअल अटोनमी देता है कि व्यक्ति अपना स्वेशन स्वयं करें तो सेकंड आइडिया है द आइडिया ओफ इक्वानिटी अजय को तो इसमें यह है कि एक सामानता का सिद्धानत होना चाहिए, कि जैसे आपका कोई विचार है, तो आपके पास भी उतना ही पावर है इस सिस्टम के अंदर, कि आप अपनी विचार को प्रसार कर सकते हो, परचार कर सकते हो, the idea that everyone should have the same opportunity, दिखिये, हर किसी के पास सामान अवश्यर है, देखिए कोई किसी ने रूल बनाया है फोर एग्जांपल एक कोई रूल बना लिया है यहाँ पर तो मेरे पास उत्मा ही अधिकार है इस व्यक्ति ने जो रूल बनाया है उसको चैनलेंज करने का है उसका उसमें एड करने का ठीक है तो यह डेबोग्रेसी के आइडिया को डिफाइन करता है इक्वालिटी सेल्स में कि आपने कोई प्रोपोज रखा कोई नियम कानून रखा और से मुझे भी अधिकार है कोई कानून रखने का या फिर जो आपका जो कि इस तरीके से ठीक नहीं है, तो यह जो दो सिद्धान्त है, individual autonomy और equality, यह दोनों ही लोकतंतर के आइडिया को ताकत देते हैं, अब देखिए, problem कहा पर start होता है, problem यह start होता है, कि यह बोलने में तो किता अच्छा लगा है, कि हर किसी के पास autonomy है, और हर किसी के पास equality, the problem कि हम यह बहुत बड़ा प्रॉब्लम होता है और एक हमें एक ऐसे सिस्टम की आवश्यकता होता है कि जिसमें दोनों चीजों को मेंटीन करें और हम कैसे जो कंफ्लिक्ट है जो कंफ्लिक्ट होता है कि देखिए परिवार के अंदर भी कंफ्लिक्ट होता है तो इन जो कंफ्लिक्ट है यह संघर्ष की जो मत है जो संघर्ष की जो व्यू है या कंफ्लिक्ट अब कम कंफ्लिक्टिंग व्यूज है इसको हम कैसे सेटल करें कैसे इसको इसका निदान करें तो हमें एक मेकानिजम भी जरूरत होती है कि आप सब देखेंगे कि हम यह जो कंफ्रेक्टिंग व्यूज है इसको कैसे मिनिमाइज करते हैं वोटिंग्स के थ्रू करते हैं कंसेंसिस के थ्रू करते हैं एक मेकैनिजम कि हमने वोट के थ्रू कर लिया कि हां इस यह कोई बुद्ध है तो हम इसमें वोट के थ्रू समझान करने तो यह मेकैनिजम की जरूरत है ठीक है कि आप इन शेट में तो दिखिए ग्रीज का हम एक एग्जांपल मिलता है इंडिया का एग्जांपल मिलता है जहां पर इंचेंट टाइम में जो डेमोक्रिसी था देखिए हाला कि आज हम लोकतंत्र को जिस तरह से समझते हैं उसकी तुलना में अथेनियन जो वाड़न है ना वो दो रूप से अंतर है या महत्वपूर्ण दो अंतर है दिमोक्रासी से जो पहला जो डिफरेंस है वह क्या है फॉर्म ऑफ डारेक्ट डिमोक्रासी देखिए आज की टाइम में जो मॉडर जो में डिमोक्रासी है जो मॉडर डिमोक्रासी है वह क्या है वह टोटली डिपेंडेंट है रिपर्जेंटिव ए रीजन रिपर्जेंटिव डामोक्रासी पर अच्छा ठीक है तो जो पहना जो Athenian democracy थी वो क्या थी direct थी पर्तक्षिय लोकतंत्र था देखिए पर्तक्षिय लोकतंत्र और पर्तक्षिय लोकतंत्र में क्या difference है देखिए जब पर्तक्षिय लोक��ंत्र होगा ये जो direct democracy होगी उसमें लोग सीधा अपनी बात खुद रखेंगे स्वयं रखें� ठीक है और आप पर्तिक स्लूक तंतर में क्या होगा कि जो व्यक्ति हैं व्यक्ति की व्यक्ति अपने में से किसी एक लीडर या रिपर्जेंटिटिव को चुन लेगा या पर्तिनिधी को चुन लेगा और की बात रखेगा तो जैसे इंडिया में अगर हम देखे तो इंडिया में क्या है इंडिया में डारेट डेमोग्रेसी यह भी है और इन डारेट डेमोग्रेसी देखिए डारेट डेमोग्रेसी क्या है जब हम पंचायद में देखते हैं जो पंचायद ग्राहम सभा होती है तो वहां पर गांव के जितने भी 18 साल से ऊपर के सदस्य सभी उस ग्राहम सभा के सदस्य होते हैं और अगर हम यह रिपर्जेंटिव डेबोग्रेसी की बात करें जो हम एमपी या मनी या कांसलर के नो ठीक है उनसा पुजब चमदे तो व रिपर्जेंटेटिव तो इंडिया में दो तरीके की है मगर अलग-अलग नीवल पर ठीक है तो जो अथिनियन डेमोक्रासी थी वह डारेक्ट फॉर्म ऑफ डेमोक्रासी थी जो दूसरा जो अथिनियन डेमोक्रासी आज के टाइम से अलग है वह यह है कि अथिनियन डेमोक्रासी में लोग बहुत कम होते थे बहुत कम लोग होते थे तो बहुत कम लोग में जैसे फॉर इंडिया में भी अगर आप देखेंगे तो गाउं में लोग बग लगभग हजार से पंदरसु के आसपास लोग रहते हैं गाउं में या इससे कम भी हो सकता है इससे ज्यादा भी हो सकते हैं तो देखिए वहां पर जो डारेक्ट डेमोग्रेसी है जो प्रत्यक्ष लोकतंत्र है उसको वह प्रत्यक्ष लोकतंत्र को करना आसान हो जाता है ठीक है लोकतंत्र को करना आसान हो जाता है तो हम यह दो डिफरेंस की दौर पर देख सकते हैं जो अथेनियन क्योंकि कि आज जो कुछ पॉपुलेशन का जो कुछ भाग है जैसे वह अ जैसे हो गया कि विमेन हो गया जो विदेशी लोग है या फिर जो बच्चे है उन सबको एक्सक्लूड कर दिया जाता था डेमोक्रिसी से मतलब कि वो उनको डेमोक्रिसी में बात रखने या अपनी बात मनवाने का कोई अधिकार नहीं था अपना व्यू रखने का जो Athenian democracy में एक ऐसा था कि free individual, कोई किसी का दास ना हो, free individual, जो पढ़ा लिखा है, समझदार है, उसके पास politics करने का time है, उसको लोकतंदर के process में वो भाग ले सकता है. ठीक है अगर हम कोशिश करें अगर देखे जैसे फॉर इजांपल यूपीसी का एग्जाम देखो तो यूपीसी का जो एग्जाम है यूपीसी का जो सिविल सर्विसिस का यूपीसी का तो इसमें क्या डेमांड करता है कोई भी इंडिविजुअल जो graduate हो, ठीक है, तो इसी तनीके से थोड़ा से शम देखो, कोई भी वेक्ती जो free हो, उसके पास और कुछ काम करने का time ना हो, ठीक है, तो वो लोगतंतरिया और फिर citizen कहला था था, और वो direct democracy में participate कर सकता था. डेफिनीशन है यह थोड़ा सा आप लिख लीजिए याद रखिएगा डेमोक्रिसी इस नॉट तर रू व नोट तक नॉट मेजॉरिटी जैसे कि बात हमने करी जो प्रोटेक्शन आफ माइनोरिटी कि इसके अंदर क्या होता है जो माइनोरिटी है उसको प्रोटेक्ट करें अब देखिए जो आदित संक्या के नाइए धार्मिक आधार पर नहीं है देखिए गॉवर्नमेंट में पार्टी यह वह आएगी जाएगी ठीक है मगर यह सत्तापक्ष सत्तापक्ष और विपक्ष की बात करें तो विपक्ष है जो पावर में नहीं है उसको माइनोटी बताया गया है ठीक है तो उनकी प्रोटेक्शन की बात करी गई है उनका जो विव है जैसे मानी दिखिए इनका भी कोई विचार होगा विव होगा तो उनकी विचारों को बनाए रखना बताओ यह नहीं कि उनको थोड़ना उनकी विचारों पर इधर स्वीकार नहीं करना उनको अधिकार देना कि वह भी अपने विचार रख सकते कि यह डिपेंड करता है कि सब्सक्राइब पर उसको मानिया नहीं मगर किसी बात को दवाना नहीं ठीक है तो यह एनबर्ड कैमस का जो विचार था इसको भी ध्यान दखेगा कि अब देखिए आधुनिक दुनिया में या फिर आधुनिक विश्व में लोकतंत्र अब देखिए आधुनिक विश्व में अगर हम लोकतंत्र देखिए जो लोकतंत्र है डिबोक्रिसी है यह ऐसा है कि हर देश ना अपने आपको लोकतंत्रिक कर लोकतंत्र क्या हो गया एक ऐसी प्रकार की कैप हो गई जिसे ना हर कोई पहनना चाहता है ठीक है एक ऐसा कैप हो गया जिसे ना हर कोई पहनना चाहता देखिए तो हम सब देखेंगे बहुत तरीके के ईवन देखो जो चाइना है वह भी अपने आपको देमोग्रेसी बोलता है चाइना जो है वह भी बोलता है कि हम पीपल्स डेमोग्रेसी है ठीक है पीपल्स डेमोग्रेसी है इंडिया पर डेमोग्रेसी है तो हर कोई अपने आपको डेमोग्रेसी सावित करने में तो हम यह बहुत सारे फॉर्म डेमोग्रेसी के देखिए टुटेबल मैनी अ मैनी डिफरेंट फॉर्म ऑफ डेमोग्रेसी ठीक है एक इस प्रकार से एस कि डेमोग्रेटिक नेशन कि जितनी भी हर कोई अपने आपको दूसरा बात यह है कि देखिए कोई भी सिस्टम को हम यह नहीं कह सकते कि यह modern है जैसे for example हम कह दें कि यह जो Chinese है यह modern है यह European जो democracy है यह modern है नहीं कोई भी हम किसी को भी हम कह नहीं सकते कि यह perfect model है democracy जैसे कि हमने सुरुवाती statement में क्या पढ़ा था कि जो democracy है यह onward और upwards का idea है यह अक्रसर बढ़ने वाला विचार है कोई भी ऐसी परिस्थिती नहीं है कि हम कह सकते हैं कि हाँ हमने डेमोग्रासी को अच्छीव कर दिया ये पॉइंट पर डेमोग्रासी खतम हो गया और ये ही सत्या है ऐसा नहीं है डेमोग्रासी निरंतर चन्ने वाली परिक्रिया है आगे हम देखें कितने परकार के हमने पढ़ें जैसे प्रेजिडेंशन और पार्लिमेंटरी डेमोग्रासी प्रेजिडेंशन डेमोग्रासी जैसे यूएस हो गया प्रेजिडेंशन डेमोग्रासी का यूएस हो गया पार्लिमेंटरी डेमोग्रासी यूके हो गया हो गया अजय कि यूनिट्री फैडरल फैटरल इंडिया हो गया इंडिया फैडरल भी हो रही है और जो मीडियो देखो कोई कहीं पर पर्पोर्शनल वोटी होती है कहीं पर फर्स्ट पास द पोस्ट सिस्टम वना कि जो सबसे ज्यादा जिसको वोट मिलेगा वहीं चुना जाएगा तो हर तरीके आलग-आलग व्यवस्ता है कहीं पर मेजुटरियन सिस्टम है कि कहीं पर डेमोक्रिसी के अंदर ही मॉनार्की है बजाओ जैसे फॉर एग्जांपल यूखे को देखिए तो यह विटेन विटेन को देखिए तो वहां पर राणी भी है और डेमोक्रिसी भी है तो यह अनुख एक तरीके इसी बहुत कंफ्यूजन है मतलब हर कोई अपने आपको democracy बोल रहा है, क्यों बोल रहा है, क्योंकि democracy दो चीजों को establish करती है, जो कि हमने अभी पहने पढ़ा है, पहना क्या है, individual autonomy, दूसरा equality, और यह अगर हम देखे individual autonomy और जो व्यक्ति का स्वयत्ता है, और जो दूसरा है सामानता, equality, यह क्या है आत्मिक विजा ठीक है आपको सभी को सम्मान देना पड़ेगा दूसरा हर किसी की डिग्निटी को रिस्पेक्ट करना पड़ेगा हर किसी के जो विजार है उसको अक्नॉलेज देना पड़ेगा या फिर एक्सेप्ट करना पड़ेगा एक्सेप्ट नहीं उसको सम्मान देना पड़े जैसे कि हमने देखा कि जो एक चीज है जो लोकतंत्र को आत्मिक परिणाली से अलग करती है या एक जूट करती है वो क्या है जो representative है use of representative method ठीक है कि जो लोग है अपने प्रतिनिति को खड़ा कर रहे हैं वो इस बात रखें इंस्टेड ऑफ इस्टेड ऑफ टेकिंग पार्ट डायरेक्टली लो मेकिंग ठीक है मॉडर्न डेमोक्रेसी यूजिस इलेक्शन देखिए जो डेमोक्रेसी है जो आत्मिक लोकतंत्र है वह किस क्य इस यूज कर रहा है इलेक्शन स्कूल यूज कर रहा है तो सिलेक्ट रिपर्जेंटिटिव इसको हम पार्लियमिट में भेजे अपने बिहाव पर हम लोगों को प्रतिनिधित्व करने की तो इलेक्शन जो मॉडर्न डेमोक्रासी का जो इलेक्शन पार्ट हम देखें तो पर्कोशनल है और दूसरा फर्स्ट पास्ट टू पोस्ट है ना फर्स्ट पास्ट पोस्ट सिस्टम भी भी है और यह दिखिए जो इलेक्शन भी है ना तो इलेक्शन भी वह जो हमने दो सिद्धान्त पड़े थे वाय डेमोक्राइसी वाय डेमोक्रासी में आ इंडिविजुअल आटोनॉमी व्यक्ति का स्वतंत्रता व्यक्ति का स्वायत्ता और दूसरा इक्वालिटी तो देखिए जो इलेक्शन में भी क्या है कि कोई भी व्यक्ति खड़ा हो सकता है अपने यह तो हो सकता है कि मैं किसी को अपना रिप्रेजेंटी मीन नहीं बना तो वह व्यक्ति खड़ा सकते दूसरे के हर किसी के पास एक वोट है वन वोट वन वोट वन वेंड्यू अच्छा ठीक है थी तो यह सब बताता है कि मॉडर्न डेमोक्रासी में यह चीजें इजात हुई है यह इस तरीके से मॉडर जो डेमोक्रासी का आइडिया है बढ़ता जा रहा है ठीक है और नो डाउट वो जो स्टेटमेंट है इन स्टेट में इसको भी ध्यान रखना ठीक है अब यह यूएन का एक डिलूशन ने जिसमें कितना अच्छा बात बोला है कि दिखिए वाइड डेमोग्रेसी सेर कॉमन फीचर देखिए जितनी में डेमोग्रेसी ना हर क कुछ न कुछ कॉमन जो सामाने सिधानत या सामाने विशेषताओं को रहा है साचा करता है शेयर करता है कैसे जैसे इलेक्शन हो गया तो हमको बहुत जगह दिखेगा रिपर्जेंटिटिव डैमोक्रासी यह जगह दिखेगा मगर कोई देरी नो सिंगल मॉडल ऑफ डैमोक्रासी यह यूएन के रेजोलूशन ने पूरा है यह भी बोल दिया है कि एक तरीके बहुत कंटेस्टेड है हर चला डैमोक्रासी डिफरेंट हो जाता है ना कि फर्स्ट पास द पोज सिस्टम एक चुनापरिक्रिया में जिसको सबसे ज़्यादा वोट मिले वो जिद या कहीं तो प्रोपोर्शनल रिपर्जेंटेशन होता है कि यह देखा जाता है कि किस व्यक्ति को कितने पर्तीसत वोट मिले तो उसको उतने पर्तीसत का दाइत वो अपनी पार्लिमेंट में भाग लेते हैं लोगतंद्रीय अंदर अपना वोट डाल के अपने रिपर्जेंटिटिव को खड़ा कर��े मगर देखें जो केवल वोट डालना ही जो केवल वोट डाल के अपनी ड्यूटी खतम कर देना ही डेमोक्रिसी का अंतिम वो नहीं है उद्देश नहीं है कि केवल आप अपना वोट डाल दें बोट पर जाके और आपका खाम हो गया बागिया आपके रिपर्जेंटिव नहीं एक अच्छी एक सुचारू एक प्रभावकारी डेमोक्रिसी के लिए क्या जरूरी है कि जो ल कि अपनी ड्यूटी को खत्म नहीं समझें बल्कि वह हमेशा निरंतर उस प्रोसेस में जुड़े रहें कैसे जुड़े रहेंगे वह सरकार के बारे में लिखकर अपने एडिटोरियल अपने बात पब्लिक इस्पेयर जो नीतियों के बारे में बात करना एंड इसे डिस्कस्शन करना इत्यादी तो जो इफेक्टिव फंक्शनिंग ऑफ डेमोग्रासी है वह डिपेंड किस पर करता है कि जब आम लोग जो ऑर्डिनेरी पीपल यूजिंग आदर मील्स कि एज मच एस पॉसिबल ठीक है कि जैसे लिखकर कोई भी हो सकता है वह जनसभा में अपनी बात को कह सकते हैं आज किन देखिए सोशल मीडिया है तो ट्विटर पर निक्स्ट रहा जो आप तो नाम चेंज हो गया सोशल मीडिया पर निक्स्ट सकते हैं फेसबुक पर जैसे फोर इस अपने वीडियोस बनाकर डाल सकते हैं अपने अपनी अनुख डाल सकते हैं कि गवर्नमेंट भी देखिए आपको बहुत सारे प्लेटफार्म देती है कि हम जनता के बात को सुनना चाहते हैं जैसे फोर इस एंपल कोई भी बिल पास होता है वह सरी कोई भी एक्ट पास होता है उसे पब्ली डोमेन में रख दिया पार्लियमेंट ने बनाया और इस पे हम लोगों के ओपीनियन का इंतजार कर रहे हैं, मतलब लोगों के ओपीनियन का वैलकम कर रहे हैं, तो इस तरीके से हम एक भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं और लोगतनत्र का जो आइडिया है, जो उसको और इफेक्टिव बना सकत कि आगे हम देखिए कि जो लोग है उनको हमेशा इनफॉर्म रहना चाहिए कि क्या हो रहा है जैसे देखिए कोई कार्म में लोगों के नाम पर बन रहा है तो आपको हमेशा इनफॉर्म रहना चाहिए कि आपके नाम पर जैसे हर चीज बोले जाते हैं कि जैसे लोगो पाइड़ा होगा तो वह क्या चीज बन रही है क्या कानण बन रहा है आपके नाम पर उससे उस पर हमेशा आपको इनफॉर्न्ट रहना चाहिए आपको हमेशा संघ्यान होना चाहिए कि आपके नाम पर क्या दिखा जा रहा दूसरा क्या है कि आपको खुद के खुद चाहिए ठीक है आपके खुद के ओपिनियन मनाने चाहिए उसको लिखना चाहिए पब्लिस करना चाहिए पार्टिसिपेट करना चाहिए ठीक है और देखिए कोई भी बिना आफ फीडबैक सिस्टम के कोई भी लोगों की प्रतिक्रिया के बिना कोई भी सिस्टम पूरा नहीं होता है तो फीडबैक भी बहुत इंपोर्टेंट हो जाता है डेमोक्रिसी के अंदर यहां पर लिखा हुआ फीडबैक कि अगर यह नहीं होगा तो रिपर्जेंटिटिव है वह अपने हिसाब से काम करेंगे अपनी मनमानी तरीके से काम करेंगे तो फीडवैक जरूर है डेमोक्रासी में तो यह मॉड एंड अवलेबमेंट है कि जैसे फोर इजांपल कोई सरकार ने कोई नियम आनुन बनाया और जो लगता है कि वह उससे लोगों को हानी होगा तो लोग उसके सामने उसके बाद उसके यह सब जगह है डेमोक्रिसी के अंदर सोशल मूवमेंट या अपनी बात को कहने अपने उपीनियन को और कहने की जगह है इसी से हम कह सकते हैं कि मॉर्डन सेंस में जो डेमोक्रिसी है उसका आइडिया और अच्छा होगा सुरिश्चित होगा और उसी क्या होगा कि जो जनता है उसको अंतिम लाव मिलेगा और प्लीज आप अगर आप हमारे इस इनिशेटिव को पसंद करें तो लाइक करें सब्सक्राइब करें और शेयर जरूर करें अपने जितने भी फैल स्टूडेंट्स है जो सब आप इसे उनके साथ जरूर शेयर करें अपनी क्लास्टमेट के साथ शेयर करें बहुत-बहुत धन्यवाद और अपने आप अपनी कमेंट दे सकते हैं अगर कुछ नहीं आगे हम इसका और दूसरा पार्ट लेकर आएगी क्योंकि यह भी खत्म नहीं है और भी पार्ट्स है धन्यवाद