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सूरदास का पद्य और उसके अर्थ

नमस्कार प्यार बच्चों ज्ञान सिंधु कोचिंग क्लासेस में जुड़ चुके हैं आप अरुणेश कुमार के साथ और नए सेशन में सूरदास का आपने पढ़ा था जीवन परिचय आज हम लोग पढ़ेंगे सूरदास का जो रचा हुआ यानी सूरदास द्वारा रचित पड़ा को उनकी व्याख्या के साथ आज हम प्रश्नोत्तरी पूर्ण रूप से ये चैप्टर आज समाप्त होगा चाहे 1 घंटा लगे चाहे जितना टाइम लगे कंप्लीट चैप्टर है इस चैप्टर में पार्ट नहीं बनाना है हमें सीरियल से पूरे 11 के 11 पड़ा को पढ़ना है उनके प्रश्न उत्तर को पढ़ना है क्योंकि अब गद्यांश आधारित प्रश्न उत्तर और पद्यांश आधारित प्रश्न उत्तर आने हैं अप बोर्ड में तो आई हम लोग इनका स्वादन करते हैं पहले पद देखिए आपकी स्क्रीन पर है साथ में प्रश्न उत्तर भी हम लेकर के आए हैं क्या चराने कमल बंदो हरि राय चरण कमल बैंड बाहरी राय जाति कृपा पंगु गिरी लांग है अंधे को सबको दर्शन कमल बंदो हरि राय चरण कमल बंदो हरि राय बहिरो सुन गन पुनी बोले रंग चले सिर्फ छात्र धाराएं रंग चले श्री छात्रधर सूरदास स्वामी करुणा मैं बार-बार बंदों की पाएं चरण कमल बंदो हरि राय चरण कमल में सबसे पहले समझो अलंकार है रूपक कौन सा अलंकार है रूपक अलंकार है वंदना करता हूं हरि मैन भगवान विष्णु या भगवान श्री कृष्णा राय मतलब होता है जो सर्व शक्तिमान है जो सर्वश्रेष्ठ है जो राजा अर्थात मैं उसे सर्व शक्तिमान परमपिता परमेश्वर की आराधना करता हूं उनके चरण कमल की आराधना करता हूं अर्थात कमल रूपी चरणों की आराधना करता हूं जाकी मैन होता है जिसकी कृपा मैन कृपा से दया से पंगु मैन लंगड़ा मंगवानी लंगड़ा गिरी मिंस होता है पर्वत को लांघे मैन लांग जाता है अंधे मैन अंधे को ब्लाइंड को सब कुछ दर्शी दर्शी मतलब सब कुछ दिखाई देने लगता है बहिरो सुन बड़ा व्यक्ति सुनने लगता है जिसकी कृपा से गंगा व्यक्ति पुण्य बोले पुराण बोलने लगता है रंग यानी भिखारी जो होता है वो चले सर छात्र धाराएं वो सर पर मुकुट धरण करके चलने लगता है सूरदास जी कहते हैं स्वामी करुणा में ऐसे करुणा के स्वामी ऐसे करुणा के सागर में गोस्वामी की अर्थात उसे परमपिता परमेश्वर रूपी स्वामी की बार-बार चरण तो मैं बार-बार उसे परमपिता परमेश्वर के कमल रूपी चरणों की वंदना करता हूं जिसकी कृपा से जी होता है लंगड़ा जिसकी कृपा से लंगड़ा भी पर्वत को लांग जाता है अंधे को सब कुछ दिखाई देने लगता है बड़ा बोलने लगता है सॉरी बड़ा सुनने लगता है गंगा पुनः बोलने लगता है और भिखारी भी राजाओं जैसा मुकुट धरण करके चलने लगता है जिनके जिनके कृपा से मैं ऐसे चरण कमल की ऐसे मतलब सूरदास स्वामी ऐसे कारनामे स्वामी के उन चरण कमल की मैं बार-बार वंदना करता हूं रस की अगर बात करें तो रस यहां पर भक्ति और चांद तो सभी में चांद की अगर हम बात करें तो चांद भी संपूर्ण में गैर पद है ठीक है गे पद है प्रश्न बनेंगे तो वो आपको करना होगा प्रश्न हम यहां से कर लेते हैं इसी पद से रिलेटेड हम प्रश्न कर लेते हैं प्रस्तुत पद्यांश का रहेगा आपसे की संदर्भ लिखिए भैया लिखो सुंदर कैसे लिखेंगे प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक के काव्या खंड से सूरदास जी द्वारा रचित पद नमक शीर्षक से उदित है इतना लिखना है या प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक के काव्या खंड के सूरदास जी द्वारा रचित पद्मन शीर्षक से उदित है सूरदास किसके चरणों की वंदना करते हैं तो सूरदास भगवान श्री कृष्णा के चरण कमल की वंदना कर रहे हैं यहां पर वंदना आप लिख लीजिएगा ये पीएफ आपको डिस्क्रिप्शन में आप पहले लिंक से मिल जाएगी ठीक है जैसे आप रोज डाउनलोड करते हैं चरण कमल में कौन सा अलंकार है तो मैंने पहले ही बताया रूपक अलंकार है यह हो गया हरि की कृपा से क्या-क्या संभव हो सकता है तो हरि की कृपा से लंगड़ा पर्वत को लांग सकता है अंधा सब कुछ देख सकता है गंगा पूनाप बोलने लगता है बड़ा सुनने लगता है लंगड़ा पर्वतों को लांग जाता है और गंजे के सर पे बाल भी ए सकते हैं यह भी समझ लो क्योंकि ईश्वर की कृपा जो हुई तो भैया असंभव का संभव हो जाता है और राजा भिखारी बन जाता है ईश्वर की दया दृष्टि ईश्वर की दृष्टि से और भिखारी राजा बन जाता है ईश्वर की दृष्टि से भगवान का कार्य क्या है भगवान का कार्य है राजा से रंग रंग से राजा बनाना अगर आप राजा हैं और बहुत ज्यादा घमंडी हैं तो आप रैंक भी बन सकते हैं और आप रंग भिखारी हैं और बहुत ज्यादा आप ईश्वर के भक्ति हैं बहुत अच्छे मार्ग पर चलते हैं सन्मार्ग पर चलते हैं तो आप राजा भी बन सकते हैं क्लियर हो गया चलिए तो आगे बढ़ते हैं पांचवा देखिएगा रेखांकित अंश की व्याख्या स्वयं करें इसलिए मैंने लिखा चूंकि मैं वहां पर बता चुका हूं सर अर्थ तो जो भी अंश देखें कौन सा रेखा अंकित हो जाए कुछ पता नहीं तो अपन को क्या करना है संपूर्ण काव्यांश का व्याख्या समझ लेनी है जो भी आंसर रेखांकित करेगा उतने की हम व्याख्या कर देंगे तो पुरी व्याख्या मलरेडी बता चुके हैं पद्यांश में रस चांद अलंकार और गन बताइए तो पद्यांश में जो रस है वो कौन सा है भक्ति है चांद कौन सा है जी पद है अलंकार कौन सा है भाषा ब्रज है अलंकार आपका रूपक है ठीक है फिर देखिएगा की आप भी ज्ञात तक जाति का चुकात ना आवे [प्रशंसा] अभीगत का अर्थ क्या होता है जो अतीत और अंगत दोनों नहीं जो आजन्म है जो अमर है और अजर है वही अभीगत अभीगत का अर्थ यहां पर परम ब्रह्म ठीक है ब्रह्म ईश्वर की गति कुछ कहा था ना आवे अर्थात ईश्वर की गति का वर्णन करते नहीं बंता ईश्वर की जो स्थिति है वो अवर्णी है जो गंज जी प्रकार गंगा व्यक्ति मीठे फल को रस मीठे फल का रस जी तरह एक गंगा व्यक्ति अंतर्गत ही भावे अपनी अंतरात्मा में ही महसूस कर सकता है अपनी अंतर आत्मा में ही प्रतीति उसकी कर सकता है अंतरात्मा में ही आनंद की प्रताप कर सकता है इस तरह ब्रह्म की जो ब्रह्म का जो ब्रह्मांड होता है वह केवल अंतर आत्मा में ही महसूस किया जा सकता है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता क्योंकि ईश्वर की गति अवर्णी है परंतु जो ब्रह्मानंद का स्वाद है ब्रह्म का स्वाद है सब ही सभी में निरंतर लगातार अमित मैन होता है असीमित तोष मिंस होता है संतोष उपजावे मिंस उत्पन्न करता है परंतु वो जो ब्रह्मांड है वो जो ब्रह्म का आनंद है वो निर्गुण का निर्गुण के रस का जो आनंद है वो निरंतर सभी में असीमित संतोष की प्रताप करता है सीमित संतोष उत्पन्न करता है मां बनी को गम अगोचर वो जो परमपिता परमेश्वर वो जो अभीगत है वो अभीगत कैसा है वो मां और वाणी से अगम्य है अगोचर है अर्थात वो इंद्रियों से पैर है उसका हम इंद्रियों से क्या हम उसका असाधारण उसके दर्शन इंद्रियों से नहीं कर सकते वो इंद्रियों से पैर है जिसको आंख कान नाक त्वचा और जीव थे जिसका आस्वादन नहीं पांच ज्ञानेंद्रिय होती हैं इन पांच ज्ञानेंद्रिय से जिसका स्वाधीन हो सके उसको हम गोचर का सकते हैं तो इंद्रियां से जब पैर है सो जान जो पाव सो जान जो पर पाव उसको वही जान सकता है उसका ज्ञान इस को होता है जो उसको प्राप्त कर लेट है किसको ईश्वर को निर्गुण बम का जो ज्ञान है वो इस व्यक्ति को होता है उसका जो आनंद है वो इस को प्राप्त होता है जो उसे ब्रह्म को जान लेट है जिसको उसका ज्ञान प्राप्त होता है सब विधि सभी प्रकार से अगम्य है अगम्य जहां पहुंचाना जा सके सभी प्रकार से अगम्य विचार ही सभी प्रकार से जो निर्गुण ब्रह्म है वो अगम्य है ऐसा विचार है विचार करके ता ते मैन होता है इसलिए शगुन पढ़ा में इसलिए सूरदास कहते हैं की सूरदास शगुन ब्रह्म के पड़ा का वर्णन करता है सूरदास शगुन के पड़ा का गायन करता है क्योंकि सभी प्रकार से जो निर्गुण ब्रह्म है ठीक है और यहां पर एक लाइन र गई अर्थात जिसका ना रूप है एन जिसके गन हैं एन रेखा है ना जाति है ना उसका कोई स्वरूप है और वो निरलम है यानी की निराधार है वह निराकार है तो बिना आधार के कहां पर दौड़ कर जय जाए यानी वो ब्रह्मा अगोचर है सभी प्रकार से ऐसा विचार करके सूरदास कहते हैं की हम सगुन पड़ा का गायन करते हैं हमारे साथ कौन-कौन जुड़े हुए हैं एक बार भैया शेर कर दो ज्यादा बेहतर रहेगा ठीक है हरिकेश यादव जी हैं साक्षी जी हैं शुक्ला जी हैं उदयराज हैं राजवीर मौर्य हैं खुशी शुक्ला जी हैं चलिए रुक रुक कर नेट चल रहा ऐसा तो नहीं है भाई यहां से कोई प्रॉब्लम नहीं है वो आपके यहां होगी आप 720p चलाइए एचडी अगर आपके यहां नेटवर्क बहुत अच्छा है तो आप एचडी में चला सकते हैं 1080p जो आपकी क्वालिटी है बड़ा घाट सकते हैं उसे नेटवर्क के हिसाब से ऑटो सेट कर लेंगे तो बराबर चला करेगा ठीक है फिलहाल तो मैं चाहूंगा की आप एचडी में देखें क्योंकि इतना इंतजाम किया जाता है क्वालिटी अच्छी देने के लिए तो इसलिए आप एचडी में देखें तो आपको क्लियर भी दिखेगा है ना यहां पर कहते हैं की अभीगत का अर्थ क्या है यहां पर प्रश्न बनेगा की भाई साहब अभीगत का अर्थ क्या है ठीक है अभीगत का अर्थ बताना है तो अभीगत का अर्थ है नित्य ईश्वर ब्रह्मा मां और वचन से कौन गम और अग्गोचर है तो यहां पर निराकार निर्गुण ब्रह्मा जो की इंद्रियों से सुरागुन पद का गायन क्यों करने लगता हैं निर्गुण निराकार ब्रह्म सब प्रकार से यह क्या लिख गया भैया सब प्रकार से अगम्य है ठीक है ठीक है यहां पर इसको कैट लीजिए अगम्य है निर्गुण ब्रह्म को कहा गया है प्रसूत पद्यांश का संदर्भ ऊपर बता चुके हैं आप समझ चुके हैं रस शांत है भाषा ब्रज है अलंकार अनुप्रास है अब देखिए श्रीकृष्ण के बाल लीला का वर्णन है ठीक है श्री कृष्णा के बाल्यावस्था शैशवावस्था बाल लीला का वर्णन है तो कैसा वर्णन है आप समझिए यवत किलकत कान घुटूर आनी आत्मनी में कनक नंद के आंगन बम पकड़ी बेधावत किलकत कान गुटुर वन आवत की निकट कानूत का बहू निर प्रभु आप छह को तरसे पकड़न चाहत रजत किलकत कान घुटनों [संगीत] चाहत कनक भूमि पर कर पग छाया यहां उपमा एक रजत और करीब-करीब प्रति पद प्रति मां सुधा कमल बैठक की संजीत बाल दशा सुख एन रख जसोदा बाल दशा सूखती राखी जसोदा पुणे नंद बुलावत अचर कर ले ढके और के प्रभु को दूध पिया [संगीत] का वर्णन है कविवर सूरदास कहते हैं वात्सल्य सम्राट सूरदास कहते हैं किलकत यानी किलकारी मारते हुए कान कन्हैया घुटन अर्थात जानवानी- अर्थात घुटनों और हाथों के बाल चलते हुए ए रहे हैं बढ़िया-बढ़िया जिसको बोलते हैं तो घुटनों के बाल चलते हुए श्री कृष्णा ए रहे हैं किलकारी मारते हुए पकाने के लिए दावत मैन दौड़ते हैं श्री नंद बाबा के मायुक्त स्वर्ण जैसे आंगन में अपनी ही परछाई पकाने के लिए दौड़ते हैं ठीक मेंस होता है देख कर निर मिंस देख कर प्रभु आप मैन स्वयं की आप मेंस होता है स्वयं की छह मैन छाया कभी भगवान श्री कृष्णा अपनी ही छाया को देखकर कारी सो पोकरण चाहत कर मैन होता है हाथ यहां पे कर है कर मैन हाथ से पकड़ना चाहते हैं किला की हंस तो रजत दो दतिया किलकारी मार्कर श्री कृष्णा हंसते हैं तो उनकी जो आगे की धोतियन हैं वो बड़ा शोभायमान होती हैं ठीक है रजत मैन सुशोभित होने लगती हैं पुनीत पुनीत ही अवगत अवगत का अर्थ होता है दिखाई हैं ठीक है अब गहत मतलब होता है दिखाई हैं बार-बार अपनी दो को दिखाई हैं की किलकारी मार्कर जब श्री कृष्णा हंसते हैं तो उनकी दो दतिया जो हैं बहुत अच्छे से दिखाई देने लगती हैं तो उनको बार-बार दिखाने की कोशिश करते हैं ठीक है आरंभ वीरेंद्र कुमार अंशिका विकास कनौजिया जी चलिए आगे बढ़िया दिखाई हैं ठीक हाथ और पैरों की जो छाया उसे कनक भूमि पर अर्थात सुनहरी भूमि पर पड़ती है मनी में भूमि पर पड़ती है तो वहां पर एक उपमा सुशोभित होने लगती है करी-करी प्रतिपदा प्रतिबंध वसुधा कारी कारी प्रतिपादन होता प्रत्येक कम पर ठीक है प्रतिमानी और प्रत्येक मनी पर वसुधा मैन पृथ्वी कमल बैठक की सजती कमल की बैठक की सजा देती है तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे श्री कृष्णा के कम कम पर पग-पग पर जो वसुधा है जो धरती है वह प्रत्येक मनी पर प्रत्येक पग पर कमल की बैठक की सजा रही है ऐसा प्रतीत होता है और बाल दशा दशा सुख निरखी ठीक है यहां पे है निरखी निर लिखा होगा आपकी बुक में बाल दशा सुखणीखी जसोदा जसोदा माता जो है बालक किस दशा को बालक किस स्थिति को देखकर पुनी पुनी नंद बुलावत नंद बाबा को बार-बार बुलाती हैं ए जरा यहां देखो देखो क्या कर रहा है अचर तार ले धागे और के प्रभु को दूध पियावत की दूध पायलट वक्त श्री कृष्णा के नजर ना ग जाए तो आंचल के नीचे धक करके उनको दूध पिलाता हैं कौन-कौन दूध पिलाता हैं माता यशोदा ठीक है तो यहां पर भी प्रश्न वैसे ही बनेंगे सिंपल से कौन की मारता हुआ घुटनों के बाल ए रहा है तो श्री कृष्णा ए रहे हैं अवगाहट और कनक शब्दों का अर्थ लिखना है अवगत मेंस दिखाई हैं और कनक का अर्थ होता है सोना अपनी ही छाया को देखकर उसे कौन पकड़ना चाहता है तो श्री कृष्णा पकड़ना चाहते हैं हाथ पैरों की छाया कहां पद रही है स्वर्ण जैसी भूमि पर पृथ्वी कमल की बैठक की किसके लिए सजती है तो बालक श्री कृष्णा के लिए नंद बाबा को यशोदा क्यों बुला रही हैं बालक की क्रीडा को देख कर बालक की क्रीडा दिखाने के लिए नंद बाबा को यशोदा जी बुला रही हैं सूर्य के प्रभु का कौन है सूर्य के प्रभु कौन है ठीक है सूर्य के प्रभु कौन हैं यहां पे थोड़ा सा गलत हो गया तो टाइपिंग मिस्टेक कहीं-कहीं है वो उसको आप देख लीजिए यही पे श्री कृष्णा है सूर्य के प्रभु प्रस्तुत पद्यांश में अलंकार और गन बताइए तो वही है रस वात्सल्य है यहां पर इसमें वात्सल्य होगा चांद के पद है भाषा ब्रज है और अलंकार उपमा और पाक दोनों हैं ठीक है श्री कृष्णा थोड़े बड़े होते हैं और ग्वालो के साथ गे चराने के लिए जान लगता हैं तो कहते क्या है ये सुनिएगा की मैं अपनी सब गे चराई हूं की माता यशोदा मैं अपनी सभी गायों को चराऊंगा मैं अपनी सब गे चराई हूं मैं खुद अपनी साड़ी गायों को चराऊंगा प्राप्त हो तो बालक सॉन्ग जय हो बल्कि अर्थात बालको के साथ में बाल के अर्थ होता है बलराम के साथ में बलदाऊ के साथ में दोनों औरतें यहां पर का सकते हैं बल्कि अर्थात बालको के साथ भी का सकते हैं बाल अर्थात बलदाऊ के साथ का सकते हैं श्लेष अलंकार की पुष्टि यहां पर हम कर सकते हैं एक बार लेकिन है नहीं तो प्राप्त हो जैसे ही प्रातः होगी मैं बलदाऊ के साथ चला जाऊंगा तेरे कहे एन रही हूं मैया हम तुम्हारे खाने से नहीं रुकेंगे जैसे ही प्रातः होगी हम बलदाऊ भैया के साथ चले जाएंगे हम अपनी गे स्वयं चलाएंगे और ग्वाल बाल गया इनके भीतर नए कहूं डर नहीं लागत नए का मतलब होता है तनिक पानी को भी तनिक विनय का मतलब तनिक भी डर नहीं लगता है तुम कहती हो ग्वाल बाल और गहियों के भीतर थोड़ा सा भी डर नहीं लगता है मुझे तो नहीं लगता है इसलिए मैं जाऊंगा की यह चराने आज एन सोना दुहाई र नहीं रहा वो जगत भगवान सब गे चराई है मैं घर बैठे नहीं हो और श्याम तुम सोई रहा हो अब प्राप्त जान में दही हो मैया मैं अपनी सब गए चराई हो आंसू आज नसों आनंद दुहाई है मम्मी आज नहीं सोऊंगा मैं नंद बाबा की कसम खाकी कहता हूं आज नहीं सोऊंगा रेन अर्थात रात भर में जगत रहूंगा सुबह मुझे गया चराने जाना है तो जाना है और ग्वाल सब गे और सब जाएंगे ग्वाल चलने गई या हम बैठे रहेंगे घर में ऐसा थोड़ी अच्छा लगता है हम घर बैठे रहेंगे उनके साथ जाएंगे और सॉन्ग माता यशोदा कहती हैं सूरदास का वर्णन है माता यशोदा कहती की श्याम तुम सो जो अब तुम सो जो रात जान मैं दे हूं प्रातः कल मैं तुम्हें जान दूंगी ठीक सो जो तुम श्री कृष्णा कर रहे हैं मैं कहूं रेन दुहाई आदि शब्दों का अर्थ लिखिए तो अगर यह प्रश्न ए जाए तीन ही प्रश्न आएंगे तीन ही प्रश्न आएंगे बाय डिफॉल्टर दो प्रश्न आते हैं एक संदर्भ और रेखांकित टंस की व्याख्या तो व्याख्या बहुत इंपॉर्टेंट है आपके लिए मैं कहूं का अर्थ होता है तनिक भी ऋणी का अर्थ होता है रात और दुहाई का अर्थ होता है शपथ या कसम ठीक सूर्य श्याम तुम सोए रहो अब प्राप्त जान में डे हो ये कौन किस का रहा है तो माता यशोदा श्री कृष्णा से का रही हैं रेखांकित अंश की व्याख्या संदर्भ में सब जान गए और रस कौन सा रस इसमें वातसल्या है चांद चांद जी पद है भाषा भाषा ब्रज है और अलंकार एवं गन जो हैं वो आपको ऑलरेडी बताया जा चुका है इसमें तेरे खाने मैया होना चाहिए होगा अब देखो एक दिन बालक श्री कृष्णा जो है उन्होंने कहा प्रातः में तुमको गया चराने जान दूंगी अब बालक श्री कृष्णा गया चार के आते हैं अब माता से क्या कहते हैं वो सुनिएगा रासवां कीजिएगा शेर कर दीजिएगा की मैया नाच [संगीत] मैया होना चाहिए मैया होना चाहिए होगा मैया हम गे नहीं चलाएंगे मैया आओ मैन हम अब हम गे नहीं चलाएंगे सारे के सारे जितने ग्वाल बाल हैं सब हमसे क्या करते हैं गिरावट हैं गिरावट मतलब गाइयों से गायों को जिवत हैं हमसे अब मैं गे नहीं चलाऊंगा सारे ग्वाल बाल जो हैं वो क्या करते हैं गिरावट गया को मुझे घिरवाते हैं मेरे पी पी मतलब होता है पर मेरे पर मतलब दर्द मेरे पर दर्द कर रहे हैं अब मैं गे चराने नहीं जाऊंगा और जो ना जो मतलब होता है यदि प्रत्यय मतलब होता है विश्वास अगर आपको विश्वास नहीं है तो पूछ बलदाऊ है बलदाऊ से पूछ लो अपनी सोप दिव्य अपनी कसम मिला के आप बलदाऊ से पूछ लो मैं अपनी कसम भी दिलाता हूं हैं बलदाऊ से पूछ लो और यह है सुन्नी मैं जसोदा ग्वालिनी गाड़ी देती रेसी रेसी मैन क्रोधित होती हैं इतना सुन करके जो मैं यशोदा हैं यह है सनी इतना सुन करके माता यशोदा ग्वालिनियों को गली देती रिसाए गली देती हुई बड़ा क्रोध करती हैं की मैं पटवातीय अपने लड़का को आवे मां बा रहा है और सूरज श्याम मेरा अति बालक मराठा ही रिंगाई मैया आओ ना चराई हो गए भैया तू ही एन चराएगा इतना सुनकर माता यशोदा ग्वालिन अर्थात जितने भी ग्वाल बाल हैं सबको गली देती हैं बड़ा क्रोधित होती हैं कहते हैं मैं तो अपने बालक को लारी का मतलब होता है बच्चे को इसलिए भेजती हूं मैं पथवाथ मतलब भेजती हूं अपने नई को आवे मां बा रहा है की मां बहलाये थोड़ा सूरदास कहते हैं की माता यशोदा कहते हैं की जो श्याम है मेरा अति बालक बहुत छोटा बच्चा है मार्ट ही रिंगे री मतलब दौड़ा दौड़ा करके उसको मार लेते हैं परेशान कर लेते हैं समझ गए आप तो पद्यांश में दो लोगों के साथ किन दो लोगों के साथ वार्तालाप चल रहा तो भगवान से कृष्णा और माता यशोदा के साथ वार्तालाप चल रहा है सभी ग्वालबाल किस गे गिरते हैं तो श्री कृष्णा से गिरवाते हैं प्रत्याशी रिंगाई आदि शब्दों के अर्थ लिखिए अलंकार अनुप्रास है भाषा ब्रज है और गन प्रसाद है फिर अगला है [संगीत] [प्रशंसा] हो और सखी री मुरली विजय चोरी जिन गोपाल की ने अपने बस जिन गुफा की है अपने बस प्रीत सबने की तोर सखी रे मुरली जय चोर सखी री चेन्नई का घर भी टर्न शिवा सर धरती [संगीत] मुरली जय चोर श्री कृष्णा जो है मुरली से बड़ा प्रेम करते हैं बजाते हैं इस मुरली की धुन में सभी गोपीकाएं नृत्य करती हैं नाचती है मनमोहन हो जाते हैं मां मोहित हो जाते हैं आपस में बातचीत करती कहती मुरली यानी उसे बांसुरी को क्या करो उसे बांसुरी को चोरी आप चूड़ा लो उसे बांसुरी को चूड़ा लो सखियों उसे बांसुरी को चूड़ा लो जिन गोपाल जी नहीं अर्थात देखिए जिनका अर्थ होता है जिन मैन जिसने गोपाल मैन गोपाल श्री कृष्णा को किन्हे अपने वाश अपने वाश में जी बांसुरी ने अपने वाश में श्रीकृष्ण को कर लिया है उसे बांसुरी को चूड़ा लो प्रीत सबन की तोरी टोरी मतलब होता है तोड़कर सबकी प्रीत बाहर एक क्षण भी निशि बसर दिन और रात निष्माने रात्रि और बशर मैन दिन भारत मैन रखना है ना मैन नहीं काबू मैन कभी छोरी मैन खोल कर खोलकर उसे बांसुरी को दिन-रात घर भीतर कहानी पर भी खोलकर नहीं रखना है कभु कर कर मैन होता है हाथ कभी हाथों में कब हुई अभरण कभी होठों पर मटका लेट है उसको जोर से कभी खोज लेट है कमर में आर्ट कमर में देते के अंदर कर लेट है कभी हाथों में उसको लेट है कभी अपने होठों से लगता है और ना जानो कछु मेल ही मोहिनी ना जान कौन सी मनमोहिनी ना जान कौन सी उसको वशीकरण कर लिया है रखें अंग अंग घर उसके अंग अंग को मुझे लगता है वाष्पीकृत कर लिया है बावला कर दिया है और सूरदास कहते हैं प्रभु को मां सजनी बद्दू राज की डोर मुझे लगता है सजनी है सखी मुझे लगता है की प्रभु श्री कृष्णा का जो मां है इस राज उससे राज की दूर में बांध हुआ है उसे बांसुरी से प्रेम की डोर में उनका मां भी बन गया है इसीलिए उसको दिन-रात अपने साथ लिए फिरते हैं ठीक श्री कृष्णा की मुरली चुराने के लिए कौन का रहा है तो सखियां का रही हैं आपस में गोपाल श्री कृष्णा को अपने वाश में किसने कर लिया है तो बांसुरी ने कर लिया है श्री कृष्णा किस कभी छोड़कर नहीं रखते तो बांसुरी को छोड़कर नहीं रखते घर भीतर दिन रात में रखते हैं बांसुरी को रखते हैं मुरली को रखते हैं ठीक है अगला देखो खुदा मही बृजरत नाही उद्या वी है उधो मही बृजबिसरत नहीं वृंदावन गोकुल में पवन वृंदावन [संगीत] श्री कृष्णा का प्रेम वृंदावन के प्रति यहां पर कितना प्रकार है इन पंक्तियां में आप देखेंगे प्रस्तुत पंक्तियां में श्रीकृष्ण उद्योग से का रहे हैं की यह धुन समझा देते हैं [संगीत] मुझे नहीं भुलाए भूलती प्राप्त समय माता जसुमति प्राण जब होती थी माता यशोदा और नंद नंद बाबा देख हमारे दर्शन मंत्र से सुख को प्राप्त करते थे बड़ा खुश होते थे माखन रोटी दोह सजय माखन रोटी दही और सजय यानी मट्ठा अति हिट साथ खवावत हिट मतलब होता है प्रेम बड़े प्रेम के साथ मुझे खिलाने थे और गोपी ग्वाल बाल संघ खेलत गोपी ग्वाल बालों के सांखेलते हुए सब दिन हसरत सीरत सर दिन हंसते हुए सीरत मैन समाप्त होता था सूरदास धनी धनी बृजवासी सूरदास कहते हैं की वे बृजवासी लोग धन्य है जिन सहित जींस प्रेम है जनता अर्थात श्री कृष्णा जब तप का मतलब होता है श्री कृष्णा यदुवंशियों के ताई श्री कृष्णा जिन्हें 100 हिट जगताप जिनका श्रीकृष्ण से इतना प्रेम है इतना श्रीकृष्ण जींस प्रेम करते हैं वे बृजवासी धन्य है यहां पर किन के बीच वार्तालाप चल रहा है तो उद्धव श्री कृष्णा के बीच वार्तालाप चल रहा है किस ब्रजभूले नहीं भूलता तो श्री कृष्णा को ब्रजभूलाये नहीं भूलता यशोदा माता और नंद बाबा किस देखकर सुख प्राप्त करते थे तो श्री कृष्णा को देख कर सुख प्राप्त करते थे माखन रोटी दही मट्ठा इत्यादि प्रेम के साथ श्री कृष्णा को कौन खिलता था तो माता यशोदा और नंद बाबा और श्री कृष्णा का दिन किस प्रकार हंसते खेलने समाप्त होता था गोपी ग्वाल बालों के साथ खेलने हुए श्रीकृष्ण का दिन समाप्त होता था अलंकार अनुप्रास है गन प्रसाद और माधुरी है अब यहां पर समझो हमारे वियोग में गोपीकाएं ना तड़पे वहां के लोग ना परेशान हो तो दो आते हैं श्री कृष्णा का संदेश लेकर के आते हैं तो यहां समझिए [संगीत] समझो यहां पे 10:20 मतलब उद्धव आते हैं और कहते हैं की निर्गुण ब्रह्म की आराधना करो वो पीताओं निर्गुण ब्रह्म की आराधना करो ठीक है चलिए ठीक है भाई साक्षी फ्रेंड तो कहते हैं उद्योग कहते हैं की निर्गुण ब्रह्म की आराधना करो और श्रीकृष्ण से मां हटा लो तब गोपीकाएं कहती हैं वो जवाब है गोपिकाओं का की उधम मां भाई 10 20 उधो मां भाई दास बीस अरे एक हो तो जो गए श्याम सॉन्ग को अपराध है एक ही तो था जो श्याम के सॉन्ग चला गया शीतल मैन ढीली पद गई किसी कम की नहीं होती ठीक इस प्रकार श्रीकृष्ण के बिना हम भी किसी कम के नहीं है साड़ी इंद्रियां हमारी शिथिल हो गई हैं अब ज्ञानेंद्रिय धीरे-धीरे समाप्त हो रही हैं यानी ढीली पद रही है साड़ी इंद्रियां शिथिल हो गई हैं बिना श्री कृष्णा के जी तरह बिना शीश का शरीर हो जाता इस तरह हम र गए हैं और आशा लॉग राहत तन श्वसन जब है कोटी भारी अब हमारे शरीर में यही आशा लगी रहती है और हमारे शरीर में इसीलिए शायद सांस चल रही है की हम उनके इंतजार में उनकी प्रतीक्षा में करोड़ वर्षों तक जीवित रहे और तुम तो शाखा श्याम सुंदर के तुम तो सका श्याम सुंदर अनुप्रास अलंकार तुम तो श्री कृष्णा के शाखा हो मित्र हो सकल योग के इस संपूर्ण योग के ईश्वर हो और हमारे नंद नंदन तुम तो श्री कृष्णा के शाखा हो मित्रों फिर भी ऐसी बात करते हो तुम तो मुझे संपूर्ण योग के योग साधना के ईश्वर लगता योग साधना के ज्ञात लगता हो और नहीं जगदीश हम और हमारे नंदन सूरदास कहते हैं गोपीकाएं कहते हैं हमारे नंद नंदन अर्थात श्री कृष्णा के बिना और नहीं जगदीश और हमारा कोई ईश्वर नहीं है तो संदर्भ वही रहेगा और किन के बीच वार्तालाप है तो उद्धव और गोपियों के बीच वार्तालाप है उद्योग को किसके ईश्वर बताया गया है तो योग साधना के इसरो बताया गया है श्री कृष्णा के बिना किन किन राष्टिल हो गई है तो गोपिकाओं की इंद्रियाशील हो गई हैं उद्धव हमारे मां 10 20 नहीं है ऐसा कौन का रहा है गोपीकाएं का रही हैं नंद नंद किस कहा गया नंद अर्थात नंद के पुत्र श्री कृष्णा हैं प्रस्तुत पद्यांश में रक्षाबंधन अलंकार बताइए तो वियोग श्रृंगार रस है चांद के पद है अलंकार अनुप्रास उपमा है भाषा ब्रज है गन प्रसाद है फिर देखिएगा [संगीत] ओ ब्रिज नई एन सोजोग कहा तो बात कट ना लगाने उधो जो तुम हम जान उधो जो तुम्हें हम जान बड़े लोग ना बिका तुम्हारे ऐसे भय्याने हम तो कहानी नहीं हम सही के जिया गुणीले ओ सयाने उधो जो तुम ही हम जान कहां अबला का हादसा गम भरे मस्त करो पहचानी कहो तुमको अपनी सब बुझाता बात निदानी और श्याम जब तुम्हें पता है तब नहीं श्याम अर्थात श्री कृष्णा ने तुम्हें मैन तुमको या मैन यहां नहीं भेजो है तुम हो बीच बुलाने तुम बीच में बीच रास्ते में कहानी भूल पड़े हो और ब्रज नई ने ब्रज की नारियों से बृजबालाओं से जो कहता ठाट योग साधना की बातें कहते हो बात कट एन लगाने और तुमको शर्म नहीं आई उदास जो तुमको हम जान गए हैं श्याम श्याम तुमको यहां पर नहीं भेजें हैं श्री कृष्णा तुम कहानी बीच में आकर भूल गए हो और मुझमें जैसी ब्रिज बालो से योग साधना की बातें करते हो तुम्हें शर्म नहीं आई तनिष्क शर्म नहीं आई बड़े लोग एन विवेक तुम्हारे तुम बड़े लोग तो हो परंतु बुद्धि तुम्हारे अंदर नहीं है ऐसे भय्याने अर्थात लाड़पन में चले आए तुम हैं चतुर हम से तुमने कहा तो हमने सही लिया तुमको मस्त करो मतलब चुप रहो हम तुमको अब पहचान गए कहां निर्गुण ब्रह्म हो कहां दिगंबर और कहां हमला स्त्रियां कहां योग साधना की बातें और कहां हम अपना स्त्रियां तुम चुप रहो अब हम तुमको पांच पहचान गए सांस कहो तुमको अपनी सो अब फिर अंत में थोड़ा सा कहती है यार ये संदेशवाहक है तब व्हाट्सएप फेसबुक ट्विटर नहीं थे टेलीग्राम भी नहीं था चिट्टियां थी और चिट्टियां भी रक्त से लिखी जाति थी खून से चिट्टियां लिखी जाति थी वो क्रेज़ी था उसे समय चिट्ठियों का डाकिया आता था की सपनों में अपनों के हाथ दे गया मेरी रातों की नींद ले गया डाकिया डाक दे गया इंतजार राहत था कहानी खाकी वर्दी चमक जाए रे मेरी चिट्ठी ए रही है हम लोग एफएम पर चिट्टियां लिखने थे की काश मेरा नाम किसी रेडियो पे बोला जाए अब ये टेक्निकल युग है टेक्नोलॉजी इतनी आगे चली गई की हम अब आपसे स्टूडियो में बात कर रहे हैं जी तरह लोग रेडियो सुना करते थे टीवी देखा करते थे आज टीवी पे हम हैं और आप देख रहे हैं ये टीवी ही तो है युटुब है ना तो टेक्नोलॉजी तब बहुत कम थी तब चिट्टियां चलती थी तो अब कहते हैं तो संदेशवाहक आया है तो लो थोड़ा हाल ही चल पूछ ले अंतिम पंक्तियां कहती हैं की सच कहां ए अच्छा उद्योग एक बात बताओ ठीक पहले तो हड़काया उद्योग को पहले डाटा सिद्धांतों का खातिर है यार ये आया तो श्री कृष्णा की वहां से हैं तो सच कहो तुमको अपनी 100 100 मतलब होता है कसम दिल कर के शपथ डिकर मैं अपनी तुमको कसम दिल के कहती हूं सच कहना बूझती बात निभाना में जो पूछ रहे हैं उसे बात का निदान करना उसका निवारण करना तुम ठीक है मुझे तो मतलब पूछ रही हूं बात मैन बात को निभाना वाले निदान करना जो मैं पूछ रही हूं उसका निदान करो यानी वो बात बताओ हमको और श्याम जब तुम ही पटाई हो सूरदास कहते हैं गोपीकाएं पूछती हैं उद्धव से की ये बताओ जब श्याम तुम्हें यहां पट आए हो जब श्याम तुमको यहां भेजें थे तब नए का मतलब तनिक तब का तनिक मुस्कुराए थे थोड़ा सा मुस्कुराए थे जब श्याम यहां भेजें थे ये बता दो सच बताओ यार तो यहां पर देखिएगा तो हलचल ले लेते हैं तो गोपीकाएं यहां पर जो है कौन किस का रहा तो गोपीकाएं बुढो से का रही गोपिया किसके बड़े में पूछ रही गोपीकाएं श्रीकृष्ण के बड़े में पूछ रही हैं योग साधना की बातें कौन कर रहा है तो उद्धव कर रहे हैं ठीक है और फिर यहां पर श्रृंगार है चांद के पद है अलंकार अनुप्रास से भाषा फिर जो है वह कहते हैं की जब उद्धव कहते हैं की आप निर्गुण ब्रह्म की आराधना करो देखो भाई आप श्री कृष्णा को भूल जो और निर्गुण ब्रह्म की आराधना करो ठीक है तो कहते हैं तो गोपीकाएं उनको फिर डांटती हुई कहती क्या कहती हैं निर्गुण कौन देश को वासी निर्गुण कौन देश को वासी मधुकर कहीं समझाएं बुझत सच्ची नई निर्गुण कौन देश को वासी निर्गुण कौन देश को वासी को है जनक कौन है जननी कौन नई को दासी निर्गुण कौन देश को वासी निर्गुण कौन देश को वासी निर्गुण कौन से देश का निवासी बताओ हमको निर्गुण कौन देश को वासी बताओ तुम निर्गुण ब्रह्म की आराधना करने के लिए कहते हो तो बताओ जरूर कहां राहत है कौन से देश में राहत है [संगीत] मधुकर किसको कहा गया उद्योग को कहा गया ठीक है उद्धव कैसे लिखेंगे ठीक है उद्धव है उद्धव हम तुमको समझती हूं कहती है हंसी मतलब हंसी नहीं कर रही हैं हम सच पूछ रही हूं हंसी नहीं कर रहे हो मजाक नहीं कर रही हूं मधुकर कहानी समझा दें मैं कसम डिकर तुमको कहती हूं मैं सच पूछ रही हूं मजाक नहीं कर रही हूं बताओ निर्गुण कहां राहत है बोलो अरे को है जनक उसका बप्पा कौन है कौन है जननी उसकी अम्मा कौन है कौन न उसकी पटिया कौन है वो दासी उसकी दो दासी कौन है बताओ तुम चलो माना की तुम जानते हो निर्गुण को अब बताओ कहां राहत है निर्गुण कहां राहत है को जनक उसका पिता कौन है उसकी माता कौन है कौन उसकी स्त्री है पत्नी कौन है कौन से रस का पान करता है किस रस में उसकी अभिलाषा है किस रस में इच्छा है बताओ भाई कौन सा रस की इच्छा करता है चल अगर तुम चल करोगे तो अपने किया का फिर फल पाओगे और सुन्नत मौन हो बावालों इतना सुनते ही वो बावला उद्योग मौन हो गया सूरदास कहते हैं समय माटी माटी मैन होता है बुद्धि उसकी संपूर्ण बुद्धि भ्रष्ट हो गई नसी मैन नष्ट हो गई और वो उद्धव चुप हो गया प्रसूत पद्यांश में कौन किस प्रश्न कर रहा तो उद्भव से गोपिया कर रही है मधुकर का अर्थ क्या है मधुकर का अर्थ है उद्योग को कहा गया मधुकर यहां पर और मधुकर का शाब्दिक अर्थ जो है वो भंवरा होता है गोपीकाएं किसकी माता पिता स्त्री आदि के बड़े में पूछ रही हैं तो गोपीकाएं निर्गुण ब्रह्म की माता पिता स्त्री आदि के बड़े में पूछ रही हैं चल बरन का मतलब होता रंग ठीक है और रस यहां पर प्रयोग श्रृंगार है चांद के पद है अलंकार अनुप्रास भाषा ब्रज गन प्रसाद और अंत में देखिएगा अंत में उद्धव चल देते हैं मथुरा से सॉरी मथुरा को चल देते हैं वृंदावन से गोकुल से तो माता यशोदा एक संदेश उनसे कहती हैं क्योंकि उसे समय मथुरा में श्रीकृष्ण होते हैं कंस की नगरी में होते हैं तो उद्योग उसे समय मथुरा से वृंदावन आते हैं तो वृंदावन श्री कृष्णा जो है गोकुल में आते हैं श्री कृष्णा मथुरा में होते तो गोकुल में उद्धव आते हैं अब उद्धव जब वापस जा रहे हैं तो उद्धव से माता यशोदा कहती हैं देवकी से एक संदेश का देना संदेशों देव की सो कहियो रे सटकी हो तो ढाई तिहरे सुखी [प्रशंसा] माया करते [संगीत] तू मही कहानी आवे प्राण हो तो मेरे लाल लड़ाई ते माखन रोटी भावे तेल उबटनो और टैटू जलता ही अच्छी भैया [संगीत] टर सोच मेरे वो अलग लड़ाई तो मोहन हुई है करात संकोच संदेशों देवकी सो कहियो संदेशों देव की सो कहियो खाने का तात्पर्य है एक बार शेर कर दो यार कम संख्या में लोग जुड़े हैं सौरभ यादव हां तो ढाई अरे मैं तो हम मतलब मैं हम तो ढाई ढाई मतलब होता है अपना दूध पिलाता है उसको ढाई मां बोलते हैं जैसे दही मापन थी तो तुम्हारे सूत्र की तुम्हारे पुत्र की तो एकमात्र दायमा हूं अर्थात केवल मैंने दूध पिलाया है उसको पालनपुर करती हूं ओरिजिनल मां नहीं हूं फिर भी माया करात ही रही हो माया मतलब होता है दया परंतु फिर भी आप उसके साथ दया करते ही रहना ज्यादातर उसकी आदत को जानती हो फिर भी मैं का रही हूं फिर भी मैं बता रही हूं प्राण हो तो मेरे लाल लड़ाई तेल और उबटन और सातों जल मतलब होता है गम जल ता ही देख भजन जाते ग्राम जल देखकर के तेल और उप देखकर के वो भाग जाते हैं और इमागट्टे जाते हैं मैं उनको वो उनकी आत्माएं पुरी करती जाति हो कम कम कारी के नाइट अब वो धीरे-धीरे कर्म से नहाते हैं कठे नहीं नहाते हैं थोड़ा करके नहाते हैं फिर भाग जाते हैं सूर्य पति के सुन मही रहने दें सूरदास कहते हैं की हेपेटाइटिस हृदय में हमारे दिन-रात यही सोच बड़ा राहत है की मेरा लाख लड़े तो मोहन अलग लड़े तो अर्थात अलग मेंस होता है बाल लैडेटो का मतलब यही का सकते हो जिसके घुंघराले बाल हैं या अलग लड़े तो का मतलब होता है लाडले मिले मेरे प्रिया तुम मेरे वाला एकमात्र ही सोच राहत है की मेरे वहां पर जो मेरे अलग लड़ाई तो मेरे मनमोहन प्यार दुलारे मेरे लाल हैं वो वहां पर सोच ही संकोच करते होंगे जो यहां पर खाता थे ऐसे वहां नहीं खाता होंगे संकोच करते होंगे फिर भी आप माता देवकी से का देना मेरा यह संदेश है वह पथिक पथिक से कहती है ठीक है तो यहां पर देवकी संदेश देवकी को संदेश कौन भेज रहा है देवकी कोई यशोदा संदेश भेज रही हैं देवकी के पुत्र की धाराएं कौन है श्रीकृष्ण की ढाई माता यशोदा हैं और टाटॉमाया देव और अलग-अलग तो शब्द का अर्थ लिखिए तत्व का अर्थ होता है गम मायकर दया टीव मतलब आदत अलग लड़े तो मैन लाडला [संगीत] और गम जल और उबटन देखकर कौन भाग जाता है ग्राम जल और उबटन देख करके उबटन है वह बटन लिख गया है गलत है ठीक है यहां पर सही कर लेना पीएफ हम आपको ऑलरेडी दे चुके हैं तो इसलिए जो है यहां पर सही कर लेना उबटन माता यशोदा किस किस की साड़ी अभिलाषाएं पुरी करती हैं तो श्री कृष्णा की करती हैं प्रश्न पद्यांश में रक्षाबंधन का रस वात्सल्य है चांद के पद है अलंकार अनुप्रास से भाषा ब्रज है गन प्रसाद और माधुरी हैं तो यह 11वां पद था और 11 ही पद आपको पढ़ने हैं डिस्क्रिप्शन में पहले लिंक में दे दूंगा जहां से आप इस पीएफ को डाउनलोड कर सकते हैं तो अवश्य डाउनलोड कीजिएगा डाउनलोड करने के तरीके हम तमाम वीडियो में बता भी चुके हैं और ज्ञान सिंधु classes.in पर चले जाएंगे तो आपको प्ले लिस्ट भी पुरी मिल जाएगी या फिर आप चाहे तो प्ले लिस्ट युटुब पर अगर सर्च कर का रहे हैं तो युटुब पर ही आप प्ले लिस्ट देख लीजिए हाय स्कूल की नए सेशन के लिए नए सिलेबस की ठीक है और बाकी आप ज्ञान सिंधु classes.in पर चले जाएंगे तो आपको पुरी सिलेबस पुरी पीएफ मिल जाएगी अब देख लेते हैं एक बार हमारे साथ जुड़े कौन-कौन है ठीक है हां 12 वालों का बिल्कुल अभी चल रहा है इसके बाद तुरंत पानी पी के में 12 का चला रहा हूं परेशान ना हो बिल्कुल ठीक है चलिए धन्यवाद