हेलो बच्चों कैसे हो आप लोग उम्मीद करता हूं सब लोग बहुत बढ़िया रहोगे दोस्तों बहुत-बहुत स्वागत है आप सभी लोगों का आज के सेशन में मैं आपका दोस्त आपका मेंटर सीए जसमीत सिंह स्वागत करता हूं आप लोगों का चाणक्या 2.0 सीरीज के अंदर और बच्चों आज हम लोग जो बात करने वाले हैं वह बात करने वाले हैं बिजनेस इकोनॉमिक्स के चैप्टर नंबर नाइन इंटरनेशनल ट्रेड की मैक्रो का यह चैप्टर है पहले सीए इंटर में हुआ करता था अब उठकर आपके पास यहां पर आ गया है फाउंडेशन लेवल पे सबसे बड़ा चैप्टर आप लोग का पूरे बिजनेस इकोनॉमिक्स में यही है टोटल इसके अंदर आप लोग को पढ़नी है पांच यूनिट्स यूनिट नंबर वन आपका इंटरनेशनल ट्रेड क्या है उसके बारे में है यूनिट नंबर टू ट्रेड नेगोशिएशन के बारे में है यूनिट नंबर थ्री आपके पास बात करता है ट्रेड पॉलिसीज के बारे में इसके बाद यूनिट नंबर फोर आपके पास बात करता है एक्सचेंज रेट के बारे में और यूनिट नंबर फाइव आपके पास बात करता है कैपिटल मूवमेंट के बारे बे में तो एक-एक यूनिट को हम लोग बढ़िया तरीके से यहां पर टेक अप करने वाले हैं कुछ चीजें फैक्ट बेस आएंगी डेटा बेस्ड आएंगी वो आपको अपने एंड पे लर्न करनी होगी क्योंकि उसमें कुछ भी कांसेप्चुअल नहीं है जो इंपॉर्टेंट चीजें हैं वो मैंने हाईलाइट करा दी हैं इस वीडियो को अगर आप दो बार तीन बार देख लेते हो तो आराम से आपका इस चैप्टर के अंदर पकड़ बन जाएगा और आपको कोई भी प्रॉब्लम यहां पर निकल कर नहीं आएगी सो विदाउट वेस्टिंग एनी टाइम हम मित्रों तो हमारा सेशन स्टार्ट करते हैं विद यूनिट नंबर वन इंटरनेशनल ट्रेड चलिए भाई चर्चा शुरू करते हैं इंटरनेशनल ट्रेड पे सबसे पहले अपन मीनिंग समझते हैं कि इंटरनेशनल ट्रेड का मीन क्या होता है तो राजा बेटा ट्रेड का मतलब होता है जब कभी भी आप किसी को गुड्स एंड सर्विसेस प्रोवाइड करते हो और बदले में कंसीडरेशन चार्ज करते हो तो उसको अपन क्या बोलते हैं कि आप ट्रेड कर रहे हो ट्रेड का मतलब क्या हो गया धंधा बिजनेस करना इंटरनेशनल ट्रेड का मतलब क्या हो गया कि सर आप क्रॉस बॉर्डर ट्रेड कर रहे हो क्रॉस बॉर्डर मतलब सर आप दूसरी कंट्री के साथ ट्रेड कर रहे हो मतलब बायर जो है वह एक कंट्री का है और सेलर जो है वो दूसरी कंट्री का है इसको बोलते हैं इंटरनेशनल ट्रेड तो इंटरनेशनल ट्रेड रेफर्स टू एक्सचेंज ऑफ गुड्स सर्विसेस एंड रिसोर्सेस बिटवीन द कंट्रीज बिटवीन द कंट्रीज एक से ज्यादा कंट्री इवॉल्व होती है इंटरनेशनल ट्रेड पे तभी तो इसको इंटरनेशनल ट्रेड बोलते हैं वरना नेशनल ट्रेड ना बोले तो इंटरनेशनल ट्रेड के अंदर हम गुड्स सर्विसेस और रिसोर्सेस रिसोर्सेस में आपके पास लेबर भी आ जाएगी रिसोर्सेस में आपके पास लेबर भी आ जाएगी सर बहुत सारे इंडियंस आपके पास आउटसाइड इंडिया जाके सर्विसेस प्रोवाइड करते हैं सिमिलरली बहुत सारे आपके फॉरेनर्स इंडिया में आके सर्विसेस प्रोवाइड करते हैं तो ये क्या है रिसोर्सेस का एक्सचेंज है तो इंटरनेशनल ट्रेड में गुड्स सर्विसेस का तो एक्सचेंज होता ही है इसके अलावा अदर रिसोर्सेस का भी एक्सचेंज होता है मेजर्ली इसके अंदर अपन लेबर की बात करते हैं जब हम इंटरनेशनल ट्रेड की बात करते हैं तो यहां पर ट्रांजैक्शन हो रहा है बिटवीन द रेजिडेंट्स ऑफ डिफरेंट कंट्रीज जैसे कि मैंने बोला कि बायर हो सकता है यूएसए का हो सेलर इंडिया का हो तो इंडियन सेलर यूएस के बायर को गुड्स सेल कर रहा है यानी कि एक्सपोर्ट कर रहा है तो इंडिया के पर्सपेक्टिव से देखोगे तो यह एक्सपोर्ट कह लाएगी और यूएसए के पर्सपेक्टिव से देखोगे तो ये इंपोर्ट कहलाए गी यूएसए के पर्सपेक्टिव से ये इंपोर्ट कहलाए गी तो एक व्यक्ति का एक्सपोर्ट दूसरे व्यक्ति के लिए क्या बन जाता है इंपोर्ट बन जाता है सेलर इंडिया का है यह इंडिया से गुड्स भेज रहा है इंडिया के बाहर तो यह एक्सपोर्ट कर रहा है और इंडिया के बाहर जो व्यक्ति है जो इंडिया से गुड्स खरीद रहा है वो क्या कर रहा है इंपोर्ट कर रहा है ट्रेडिंग विद मल्टीपल करेंसीज सर जब भी इंटरनेशनल ट्रेड होता है तो एक से ज्यादा करेंसीज इवॉल्व होती हैं तो जब इंडिया यूएसए के साथ ट्रेड करती है तो इंडियन रुपी भी इवॉल्व होता है और डॉलर भी इवॉल्व होता है जब यूएसए यूके के साथ ट्रेड करती है तो डॉलर भी इवॉल्व होता है और पाउंड भी आपका इवॉल्व होता है इसके बाद आता है ग्रेटर कॉम्प्लेक्शन द इंटरनल ट्रेड ड्यू टू इट्स हेट्रो जनियन नेचर कह रहा है कि सर इंटरनेशनल ट्रेड बहुत कॉम्प्लेक्टेड है एक से ज्यादा कंट्रीज के रूल्स एंड रेगुलेशंस होंगे अब जैसे मान लो इंडिया वाले अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक आइटम यूएसए में एक्सपोर्ट कर रहे हैं तो भाई यूएसए गवर्नमेंट के जो स्टैंड ् हैं उसके हिसाब से इलेक्ट्रॉनिक गुड्स बनाने पड़ेंगे इसके अलावा गुड्स को एक्सपोर्ट करने के लिए इंडिया के अंदर भी कुछ रूल्स एंड रेगुलेशंस होंगे तो जब हम इंटरनेशनल ट्रेड करते हैं तो हमें हमारी डोमेस्टिक कंट्री के जो लॉज हैं उसके हिसाब से तो काम करना ही है और हमें ये भी मेक श्यर करना है बेटा जी कि हम फॉरेन कंट्री जिसके साथ हम डील कर रहे हैं ट्रेड कर रहे हैं हम उस फॉरेन कंट्री के रूल्स एंड रेगुलेशंस को भी क्या करके चले फॉलो करके चले जब आप डोमेस्टिक ट्रेड करते हो तो आपके ऊपर एक ही कंट्री के लॉ लगते हैं होम कंट्री के लेकिन जब आप दूसरी कंट्री के साथ भी ट्रेड करते हो तो होम कंट्री के लॉस की भी कंप्लायंस करनी है और फॉरेन कंट्री के लॉस की भी आपको कंप्लायंस करनी है टुडे लिबरल ट्रेड इज एमडवर सो एज टू अचीव ग्लोबल इकोनॉमिक डेवलपमेंट लिबरल ट्रेड का मतलब क्या है कि ज्यादा रिस्ट्रिक्शन ना लगाओ देयर शुड बी लेस रिस्ट्रिक्शंस ऑन इंपोर्ट एंड एक्सपोर्ट इंपोर्ट एक्सपोर्ट पर ज्यादा रिस्ट्रिक्शंस नहीं होनी चाहिए रेट ऑफ ड्यूटी ज्यादा नहीं होनी चाहिए क्यों नहीं होनी चाहिए ताकि ग्लोबल डेवलपमेंट हो सके ताकि ग्लोबल डेवलपमेंट हो सके उसके लिए देखो जब एक कंट्री के पास किसी चीज की कमी है तभी तो वो वहां से इंपोर्ट करे दूसरी कंट्री से है ना तो जिस चीज की मेरे पास कमी है अगर वो चीज मुझे आपसे मिल जाए तो मेरा डेवलपमेंट होगा और जो चीज आपके पास है और आप वो सेल कर रहे हो तो आप ज्यादा रेवेन्यू कमा रहे हो तो आपका भी डेवलपमेंट हो रहा है तो विनविन गेम होती है इंटरनेशनल ट्रेड में क्या होता है विनविन गेम होती है हमारे पास जो चीजें नहीं है वो हमें मिल जाती है और जिस चीज में हम अच्छे हैं वो चीज की हमारी प्रोडक्शन बढ़ती है इकोनॉमी ऑफ स्केल बढ़ता है जिससे हमारी कॉस्ट कम होती है अल्टीमेटली हमारे प्रॉफिट्स क्या होते हैं इंक्रीज करते हैं राइट ठीक है सर अब हम बात करते हैं सर इंटरनेशनल ट्रेड में और डोमेस्टिक ट्रेड में फर्क क्या है इंटरनेशनल ट्रेड में हम गुड्स सर्विसेस रिसोर्सेस एक्सचेंज करते हैं बिटवीन डिफरेंट कंट्रीज डोमेस्टिक ट्रेड के अंदर हम यह काम करते हैं विद इन द डोमेस्टिक टेरिटरी ठीक है इसके बाद पर्सन इसमें दो कंट्रीज के रेसिडेंट इवॉल्व होते हैं इसके अंदर सेम कंट्री के रेसिडेंट होते हैं तो अगर इंडिया का बंदा इंडिया में ही माल बेच रहा है तो सेम कंट्री के रेजिडेंट्स इवॉल्व है इंडिया का बंदा यूएसए में माल बेच रहा है तो इंडिया और यूएसए के रेजिडेंट्स इवॉल्व हैं रेगुलेशंस यहां पे मल्टीपल लीगल सिस्टम्स इवॉल्व होते हैं मल्टीपल लीगल सिस्टम्स आते हैं डिटेल डॉक्यूमेंटेशन होता है राइट ट्रेड बैरियर्स हो ट्रेड बैरियर्स मतलब रुकावटें इंपोर्ट एक्सपोर्ट के कुछ रूल्स एंड रेगुलेशंस है ऐसा थोड़ी ना है कि कुछ भी एक्सपोर्ट इंपोर्ट कर लोगे कुछ प्रोहिबिटेड गुड्स होते हैं उसका इंपोर्ट एक्सपोर्ट नहीं कर सकते कुछ गुड्स के इंपोर्ट एक्सपोर्ट पर गवर्नमेंट रिस्ट्रिक्शन लगाती है कि इस क्वांटिटी से ज्यादा इंपोर्ट एक्सपोर्ट नहीं कर सकते शिपिंग एंड ट्रांसपोर्टेशन का भी बड़ा इशू निकल कर आता है जबकि जब आप विद इन द कंट्री डोमेस्टिक ट्रेड कर रहे होते हो तो आपके ऊपर केवल एक ही क का लॉ लगता है डॉक्यूमेंटेशन भी ज्यादा नहीं होती फॉर्मेलिटीज भी आपके पास ज्यादा नहीं होती जब आप इंटरनेशनल ट्रेड करते हो तो कस्टम टैरिफ लगते हैं कस्टम टैरिफ मतलब कस्टम ड्यूटी कस्टम ड्यूटी तो जब अपन इंपोर्ट एक्सपोर्ट करेंगे तो इंपोर्ट ड्यूटी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगेगी जिसको हम कस्टम ड्यूटी बोलते हैं लेकिन विद इन इंडिया जब हम गुड्स परचेज और सेल करेंगे तो केवल डोमेस्टिक टैरिफ लगेगा डोमेस्टिक टैरिफ क्या है हमारे पास आज की डेट में जीएसटी इंडिया में अगर गुड्स एंड सर्विसेस अपन सेल करते हैं तो वहां पर क्या लगता है जीएसटी और जब आप इंपोर्ट एक्सपोर्ट करते हो तब आपके पास क्या लगता है सर तब आपके पास इंपोर्ट ड्यूटी और आपके पास एक्सपोर्ट ड्यूटी एप्लीकेबल होती है करेंसी दो या उससे ज्यादा करेंसी इवॉल्व होती है और डोमेस्टिक ट्रेड में केवल एक करेंसी जो होती है वो आपकी इवॉल्व होती है राइट चलिए अब हम बात करते हैं जल्दी से हमारे पास क्या बेनिफिट्स निकल कर आते हैं ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड जब हम इंटरनेशनल ट्रेड करते हैं तो हमारे पास क्या बेनिफिट्स आते हैं बूस्ट इकोनॉमिक एफिशिएंसी लीडिंग टू इकोनॉमिक ग्रोथ एंड हायर इनकम जैसा कि मैंने अभी आपको एग्जांपल दिया कि जब अपन एक्सपोर्ट करते हैं तो हमारे पास ज्यादा रेवेन्यू जनरेट होता है हमारे पास ज्यादा रेवेन्यू जनरेट होता है इकोनॉमी ऑफ स्केल का फायदा मिलता है तो जैसे मान लो अगर मैं अपने पास इस वॉच का मैन्युफैक्चरर हूं मैं इस वॉच का मैन्युफैक्चरर हूं तो मैं डोमेस्टिक विद इन इंडिया तो ये घड़ी बेच ही रहा हूं विद इन इंडिया तो मैं ये घड़ी बेच ही रहा हूं अगर मेरे पास एक्सपोर्ट ऑर्डर आने भी शुरू हो जाए यूएसए में मेरे कस्टमर्स हो ऑस्ट्रेलिया में मेरे कस्टमर्स हो जर्मनी में मेरे कस्टमर्स हो तो मैं प्रोडक्शन ला स्केल में करूंगा और हम लोगों ने प्रोडक्शन वाले चैप्टर में पढ़ा था जब हम लार्ज स्केल में प्रोडक्शन करते हैं तो इकोनॉमी ऑफ स्केल का फायदा मिलता है हमारी प्रोडक्शन कॉस्ट कम हो जाती है और हमारा प्रॉफिट मार्जिन क्या हो जाता है बढ़ जाता है तो सर आपका इकोनॉमिक एफिशिएंसी बढ़ता है आप ज्यादा पैसा कमाते हो एफिशिएंट यूज ऑफ प्रोडक्टिव रिसोर्सेस आप अपनी रिसोर्सेस को एफिशिएंटली यूज कर रहे हो फुलर यूटिलाइजेशन कर रहे हो ने रिसोर्सेस का मैंने जो फैक्ट्रीज लगा रखी हैं जहां पर यह घड़ी का मैन्युफैक्चर होता है वॉच का मैन्युफैक्चरिंग होती है उन रिसोर्सेस का मैं बेस्ट यूटिलाइजेशन कर रहा हूं मैक्सिमम उनकी कैपेसिटी पे ऑपरेट कर रहा हूं ताकि डोमेस्टिक डिमांड को भी पूरा कर सकूं और जो डिमांड इंटरनेशनली आ रही है यूएसए के कस्टमर से ऑस्ट्रेलिया जर्मनी के कस्टमर से उसको भी मीट आउट कर सकूं इंटरनेशनल ट्रेड रिड्यूस द चांस ऑफ डोमेस्टिक मोनोपोली सर इंटरनेशनल ट्रेड की वजह से डोमेस्टिक मोनोपोली नहीं बनती जैसे मान लो इंडिया में फॉर अ टाइम बीइंग मान लो एग्जांपल है हाइपोथेटिकल मान लो कि इंडिया के अंदर केवल वॉच मैन्युफैक्चर करने वाला व्यक्ति मैं हूं और इंडिया में इंपोर्ट बैन है तो मतलब वॉच में मेरी मोनोपोली हो जाएगी मैं जित रेट पर चाहूं उस रेट पर घड़ी को बेचू आपको खरीदनी पड़ेगी लेकिन अगर गवर्नमेंट इंपोर्ट्स पर बैन ना करे गवर्नमेंट्स इंटरनेशनल जो वॉच मैन्युफैक्चरर्स हैं उनको परमिट करें कि आप इंडिया में आओ इंडिया में आकर माल बेचो कोई टेंशन वाली बात नहीं है तो इस केस में वह इंडिया में मेरी मोनोपोली बनने नहीं देंगे तो जब कभी भी इंपोर्ट एक्सपोर्ट होता है तो विदेश से भी गुड्स हमारी कंट्री में आते हैं जो डोमेस्टिक कंपनीज को कंपटीशन देते हैं मोनोपोली क्रिएट नहीं करने देते प्रोवाइड एक्सेस टू द न्यू मार्केट एंड मटेरियल न्यू मार्केट की मिलती है तो जैसे अगर मैं इंडिया में वॉच का मैन्युफैक्चरर हूं और इंडिया में माल बेच रहा हूं मैं अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी बढ़ा लूं यूएसए में अपने कस्टमर्स ढूंढ लूं तो यूएसए मेरे लिए क्या हो गई नई मार्केट हो गई यूएसए इंडिया चल रहा था मजे में धंधा चल रहा था मोटा पैसा कमा रहे थे एक और नई फैक्ट्री लगा ली और यूएसए के अंदर भी कस्टमर्स आइडेंटिफिकेशन वाले इस नाम से अपन फेमस है इस नाम से अपन फेमस है राइट तो यहां पर क्या हो रहा है सर यहां पर आप अपनी नई मार्केट्स का फायदा उठा रहे हो आपके पास नया-नया कस्टमर बेस बन रहा है जिससे आपको फायदा मिलेगा इसके बाद जब कभी भी आप इंटरनेशनल ट्रेड करते हो तो दूसरी कंट्रीज के जो इनोवेशंस होते हैं जो टेक्नोलॉजिकल अपग्रेडेशन होते हैं जो ऑटोमेशंस उन्होंने करे हैं उनको भी आप इंडिया में लेकर आते हो जैसे अगर यूएसए के अंदर चाइना के अंदर वॉच बनाने की कोई नई मशीन आई है तो मैं उस मशीन को इंडिया में इंपोर्ट करूंगा और उस नई मशीन के थ्रू प्रोडक्शन करूंगा जो ओबवियसली अच्छी क्वालिटी की वॉच बनाएगा कॉस्ट एफिशिएंट होगा क्लियर है मेरी बात तो अगर एक कंट्री में टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन हुआ है तो हम इंपोर्ट करके वह टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अपनी कंट्री में भी ला सकते हैं जिससे हमारी कंट्री भी क्या हो जाएगी अपग्रेड हो जाएगी तो ऑटोमेशंस टेक्नोलॉजिकल चेंजेज इनोवेशंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट एंड प्रोडक्टिविटी इंप्रूव्स द इकोनॉमी इसके बाद आता है ग्रोथ ऑफ इनोवेटिव सर्विसेस इन सेक्टर्स सच एज बैंकिंग इंश्योरेंस लॉजिस्टिक एंड कंसल्टेंसी तो जब आप इंटरनेशनल ट्रेड करते हो तो बैंकिंग सर्विसेस के अंदर भी इनोवेशन आया जैसे मुझे अगर पेमेंट करनी है यूएसए के किसी बंदे को तो मैं किसके थ्रू कर सकता हूं बैंक्स के थ्रू कर सकता हूं बैंक ने यह प्रोसेस बनाया कि आप क्या कर सकते हो आप विदेश में भी पेमेंट कर सकते हो सर मेरा माल इंडिया से यूएस से ट्रांसपोर्ट होकर जा रहा है रास्ते में वह माल खराब ना हो जाए शिप के थ्रू जा रहा है शिप डूब ना जाए मेरा नुकसान ना हो जाए इसके लिए मैं क्या कर सकता हूं इंश्योरेंस करवा सकता हूं लॉजिस्टिक्स बोले तो ट्रांसपोर्टेशन कर सकता हूं ट्रांसपोर्टेशन के अलग-अलग मीडियम निकल कर आए जो आपको इंपोर्ट एक्सपोर्ट करने में क्या करते हैं हेल्प करते हैं जब आप इंटरनेशनल ट्रेड करते हो तो ह्यूमन रिसोर्सेस का भी क्या होता है डेवलपमेंट होता है सर ट्रेड में कौन इवॉल्व होता है एंप्लॉयज इवॉल्व होते हैं लेबर्स इवॉल्व होती हैं इनका भी अपने पास क्या होता है अपग्रेडेशन होता है इनके कम्युनिकेशन स्किल्स इंप्रूव होते हैं ये चार नए लोगों से मिलते हैं तो इनको नई चीजें सीखने को मिलती है जब ये फॉरेन कंट्रीज में जाते हैं अपने पास कस्टमर्स को ढूंढने के लिए चार लोगों को मिलते हैं चार नई चीजें देखते हैं चार नई चीजें सीखते हैं तो इनका भी ओवरऑल क्या होता है पर्सनालिटी डेवलपमेंट होता है इसके बाद जब आप किसी दूसरी कंट्री के साथ ट्रेड करते हो तो उस कंट्री के साथ आपके रिश्ते अच्छे होते हैं इंटरनेशनल कोऑपरेशन इंप्रूव होता है इंटरनेशनल हार्मनी क्या होती है यह अपने पास इंप्रूव होती है इंटरनेशनल कोऑपरेशन एंड हार्मनी ठीक है तो आपस में आपके जो रिश्ते हैं वो क्या होते हैं सर आपस में आपके जो रिश्ते हैं वो इंप्रूव होते हैं क्लियर दीज आर द बेनिफिट्स ऑफ द इंटरनेशनल ट्रेड बेनिफिट्स के अलावा देयर आर आल्सो सर्टेन डिसएडवांटेजेस ऑफ द इंटरनेशनल ट्रेड क्या-क्या डिसएडवांटेजेस निकल कर आते हैं कह रहा है कि ये जो इंटरनेशनल ट्रेड होता है ये जरूरी नहीं है कि इक्वली बेनिफिशियल हो सभी नेशंस के लिए जैसे मान लो नेपाल और यूएसए के बीच में ट्रेड हो रही है तो जरूरी नहीं है कि यूएसए और नेपाल दोनों को इस ट्रेड से फायदा मिले ऑब् वियस वो इकोनॉमी जो ज्यादा पावरफुल होगी वो दूसरी कंट्री को क्या करेगी डोमिनेट कर जाएगी अपने रूल्स पे अपने कंडीशंस पे काम करवाएगी मे नॉट इक्वली बेनिफिट ऑल द नेशन ड्यू टू अनइक्वल मार्केट एक्सेस एंड अ लैक ऑफ फेयर ट्रेडिंग प्रिंसिपल एंड अ लैक ऑफ फेयर ट्रेडिंग प्रिंसिपल अंडर प्रिविलेज कंट्रीज अंडर प्रिविलेज कंट्रीज जो अपने पास अंडर डेवलप्ड है या फिर डेवलपिंग है मतलब अभी-अभी डेवलप करना शुरू किया है आर वल्नरेबल टू इकोनॉमिक एक्सप्लोइटेशन बाय द पावरफुल ग्लोबल कॉरपोरेशंस जो बड़ी-बड़ी कंपनीज हैं वो छोटे-छोटे जो कंट्रीज हैं उनको क्या कर सकती है खा सकती है उनको क्या कर सकती है खा सकती हैं जैसे आपके पास चाइना चाइना श्रीलंका छोटी इकोनॉमी है चाइना बड़ी इकोनॉमी है तो जो चाइना के मैन्युफैक्चरर हैं वो इस रेट पे माल श्रीलंका में भेज सकते हैं कि श्रीलंका की जो मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स है वो क्या हो जाएंगी तबाह हो जाएंगी चाइना के पास इतनी पावर है वो इस स्केल पे मैन्युफैक्चरिंग करेगी कि उसकी प्रोडक्शन कॉस्ट बहुत कम आएगी और वह इस मिनिमम प्राइस पे श्रीलंका के पास माल भेजेगी कि वहां के मैन्युफैक्चरर्स उस प्राइस पे माल सप्लाई नहीं कर पाएंगे अपने कंज्यूमर्स को जिसकी वजह से वो तबाह हो जाएंगी फॉर एग्जांपल एल यह माउस का एग्जांपल ले लेते हैं चाइना ने यह माउस बल्क में प्रोड्यूस किया चाइना की एक कंपनी है उसने यह माउस बल्क में प्रोड्यूस किया चाइना की प्रोडक्शन कॉस्ट सपोज कर लो इंडियन रुपीज में ₹ की आई ट्रांसपोर्ट करके श्रीलंका तक यह 50 का पड़ गया ठीक है तो श्रीलंका में यह 00 का माउस बिक जाएगा लेकिन जो श्रीलंका के मैन्युफैक्चरर हैं वो 00 में माउस नहीं बना पाएंगे तो श्रीलंका के अंदर चाइना का माउस 0000 में बिक रहा है और श्रीलंका के जो मैन्युफैक्चरर है वो 00 में माउस नहीं बना पा रहे वो कंपटीशन से बाहर हो जाएंगे अपना धंधा बंद कर देंगे तो जो पावरफुल इकोनॉमी हैं जो पावरफुल कॉरपोरेशंस हैं वो अंडर प्रिविलेज कंट्रीज को खा जाएंगे वहां पे कंपटीशन को खत्म कर देंगे और अपनी मोनोपोली वहां पर क्या कर लेंगे क्रिएट कर लेंगे एक्सटेंसिव एनवायरमेंटल डैमेज एंड रैपिड रिसोर्स डिप्लीशन अब क्योंकि आप बल्क में प्रोडक्शन करोगे पहले आप केवल डोमेस्टिक मार्केट में सप्लाई कर रहे थे अब आप ग्लोबल मार्केट में सप्लाई कर रहे हो देश विदेश में आपका माल जाता है तो प्रोडक्शन ज्यादा होगा ज्यादा प्रोडक्शन से क्या होगा एनवायरमेंट को नुकसान होगा रिसोर्सेस आपकी जल्दी डिप्लीट होंगी खत्म होंगी इकोनॉमिक क्राइसिस एंड ट्रेड साइकिल इन वन कंट्री कैन क्विकली स्प्रेड टू द अदर्स बिजनेस साइकिल वाले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि एक कंट्री की जो बिजनेस साइकल होती है एक्सपेंशन का फेज हो चाहे कंट्रक्शन का फेज हो वो दूसरी कंट्री को भी आता है क्यों आता है क्योंकि हम ग्लोबली एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं इंडिया बहुत ज्यादा सर्विसेस प्रोवाइड करता है आईटी बेस सर्विसेस प्रोवाइड करता है यूएसए को तो जब यूएसए में मंदी का दौर आता है तो उसका इंपैक्ट इंडिया की आईटी इंडस्ट्री पे भी दिखता है आईटी इंडस्ट्री इंडिया की स्लो डाउन हो जाती है जब आपके यूएसए में रिसेशंस आते हैं तो इंडिया की कंपनी जो आईटी इंडस्ट्रीज है वो अपने एंप्लॉयज को निकालना शुरू करती है ले ऑफ शुरू कर देती हैं तो एक कंट्री की बिजनेस साइकिल का इंपैक्ट दूसरी कंट्री की बिजनेस साइकिल प भी आएगा क्योंकि ग्लोबली हम एक दूसरे के साथ क्या है इंटरलिंक्ड है इसके बाद आता है सर अ इंपेयर इकोनॉमिक ऑटोनॉमी एंड पॉलिटिकल सोव निटी जब आपके पास कोई कंट्री की ज्यादा एक्सपोर्ट हो रही है तो वो आपको क्या करेगी डोमिनेट करेगी जैसे इंडिया में इस वक्त बहुत सारे यूजर्स हैं जो कंट्रोल ला सकते हैं अपनी बात को मनवाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं क्यों कर सकते हैं क्योंकि बहुत सारा कंज्यूमर बेस है जो इन परे डिपेंडेंट है और अगर हम इनकी बात नहीं सुनेंगे तो कहीं ना कहीं हमारा भी नुकसान होगा मैं ऐसा नहीं कह रहा कि ये अनड्यू इन्फ्लुएंस डालते हैं नहीं लेकिन कुछ चीजें जब इनको बनवानी होती है तो यह गवर्नमेंट के साथ मिलकर काम करते हैं और व चीज अपनी बनवाते हैं यह गवर्नमेंट को फायदा भी देते हैं और गवर्नमेंट से फायदा भी लेते हैं इसके बाद आता है लैक ऑफ ट्रांसपेरेंसी एंड प्रिडिक्टिबिलिटी इन द ट्रेड पॉलिसीज ऑफ द ट्रेडिंग पार्टनर्स सर जब हम किसी कंट्री के साथ ट्रेड करते हैं तो वहां पर एक ट्रांसपेरेंसी का इशू है जैसे इंडिया यूएसए के साथ ट्रेड कर रहा है यूएसए की जो एसिस्टिंग गवर्नमेंट है उसने इंडियन गवर्नमेंट से प्रॉमिस किया कि आप इंडिया से माल हमको भेजो हम इंपोर्ट ड्यूटी कम लगाएंगे हम बाकियों से 15 पर का इंपोर्ट ड्यूटी लेते हैं लेकिन आप जब इंडिया से हमको माल भेजोगे यूएसए में हम आपसे केवल 10 पर का ड्यूटी लेंगे एसिस्टिंग यूएस की गवर्नमेंट ने इंडिया गवर्नमेंट को प्रॉमिस किया कि भाई बाकी कंट्री से जब माल आता है तो हम 15 पर का ड्यूटी लेते हैं आपसे हमारे पास माल आएगा तो हम 10 पर का ड्यूटी लेंगे तो इंडिया ने अपने यहां पे इंफ्रास्ट्रक्चर रेडी करा और इंडिया ने अपने मैन्युफैक्चरर से कहा कि आप लोग भी एक्सपोर्ट करो यूएस को माल एक्सपोर्ट करो हमारे रिश्ते यूएस के साथ इंप्रूव हो गए हैं लेकिन मान लो यूएस की गवर्नमेंट चेंज हो जाए यूएस की गवर्नमेंट चेंज हो जाए और जो नई गवर्नमेंट आए वो उतनी फ्रेंडली ना हो इंडिया के साथ जैसे अभी पीछे मालदीव्स में हुआ इस वक्त जो गवर्नमेंट है वह इंडिया के साथ उतनी फ्रेंडली नहीं है वह चाइना के साथ ज्यादा फ्रेंडली है इससे पहले वाली जो गवर्नमेंट थी व इंडिया के साथ फ्रेंडली थी तभी तो इंडिया ने अपनी आर्मी भेजी हुई थी वहां पर मालदी को प्रोटेक्ट करने के लिए इंडिया ने अपना हेलीकॉप्टर शिप वगैरह उनको दे रखा था लेकिन यह जो गवर्नमेंट आई है यह उतनी फ्रेंडली नहीं है तो वही चीज बोल रहा है कि ट्रांसपेरेंसी और प्रिडिक्टेबल नहीं है सामने वाले की कंट्री की गवर्नमेंट बदल जाएगी वो अपनी पॉलिसीज को चेंज कर देगी तो उससे हमारा बिजनेस क्या होगा इंपैक्ट होगा उससे हमारी इकोनॉमी क्या होगी इंपैक्ट होगी तो आने वाली यूएस गवर्नमेंट अगर इंडिया के साथ उतनी फ्रेंडली नहीं हुई तो कहीं ना कहीं इंडिया की जो एक्सपोर्ट्स है यूएसए को व कम हो जाएंगी जिससे इंडिया की इकोनॉमी क्या हो सकती है नेगेटिवली इंपैक्ट हो सकती है बेटा राइट एवरीवन यहां पर हम लोगों ने बात कर ली डिसएडवांटेजेस की और अब हम लोग बात करेंगे हमारे पास इंटरनेशनल ट्रेड की थ्योरी की कुछ चार-पांच थ्योरी है जो हम लोग को पढ़नी है ओवरऑल इन थ्योरी का क्रक्स आपको समझना है एक बार क्रक्स आपके दिमाग में बैठ गया प्रॉब्लम इ आपको थ्योरी लिखने को नहीं आएगी आपको बस थ्योरी का नाम याद रखना है और यह थ्योरी क्या कहती है इंटरनेशनल ट्रेड को लेकर आपको बस वो क्रक्स जो है वो रिटेन रखना है सारे एमसीक्यू आपके अपने आप यहां पर सारे एमसीक्यू आपके अपने आप यहां पर बन जाएंगे बेटा राइट सबसे पहली आपके पास थ्योरी आ रही है मर्केंट व्यू ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड बहुत पुरानी आप पास यह थ्योरी है लेकिन इसकी रिवेंस आज भी मानी जाती है मर्केंट व्यू ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड इस थ्योरी का अगर मैं आपको क्रक्स दूं तो यह थ्योरी का क्रक्स यह राजा बेटा यह थ्योरी कहती है कि आपके जो एक्सपोर्ट्स होने चाहिए वो आपके इंपोर्ट से ज्यादा होने चाहिए कह रहा है इकोनॉमी वही ग्रो करेगी इकोनॉमी वही ग्रो करेगी जिसके एक्सपोर्ट्स उसके इंपोर्ट से ज्यादा है ज्यादा एक्सपोर्ट्स करो ज्यादा प्रॉफिट्स कमाओ ज्यादा पैसे चापो और इकोनॉमी को मजबूत बनाओ राइट मर्केंटाइलिज्म वाज एन इकोनॉमिक पॉलिसी इन यूरोप फ्रॉम 16th टू 18th सेंचुरी तो यह थ्योरी बनने से पहले एक इकोनॉमिक पॉलिसी हुआ करती थी थ्योरी बनने से पहले यह एक इकोनॉमिक पॉलिसी हुआ करती थी यूरोप के अंदर 16th से लेकर 18th सेंचुरी तक एग्जाम में एमसीक्यू बन सकता है इस पर इट इवॉल्वड गवर्नमेंट कंट्रोल ऑफ इंडस्ट्री एंड ट्रेड यहां पर गवर्नमेंट कंट्रोल करती थी मतलब गवर्नमेंट इंटरवल एंस करती थी इंडस्ट्री और ट्रेड को इसका एक ही एम था कि हमें मेंटेन करना है सरप्लस ऑफ एक्सपोर्ट ओवर इंपोर्ट यह इसका क्रक्स है थ्योरी का मर्केंट इज्म के अंदर हमारा एक ही एम था कि हमें एक्सपोर्ट्स ज्यादा करने हैं और हमें इंपोर्ट्स कम करने हैं मर्केंट बिलीव्ड अ नेशन पावर वास सस्टेंड बाय दिस सरप्लस कह रहा है कि देश शक्तिशाली इसी अप्रोच से बनेगा कि एक्सपोर्ट ज्यादा हो और इंपोर्ट कम हो द पॉलिसी अरोज ड्यू टू डिफरेंसेस इन द डिस्ट्रीब्यूशन एंड डेवलपमेंट ऑफ रिसोर्सेस अमंग द नेशन कह रहा है कि यह पॉलिसी निकल कर क्यों आई थी तो यह पॉलिसी इसलिए निकल कर आई थी क्योंकि डिफरेंसेस दिख रहे थे हम लोगों को डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ इनकम में इनकम सही तरीके से डिस्ट्रीब्यूटर सर रिसोर्सेस प्रॉपर तरीके से डेवलप नहीं हो रहे थे सर लेबर रॉ मटेरियल कैपिटल एंड फिनिश गुड्स का फ्लो हो रहा था था क्रॉस द बॉर्डर मतलब यह चीजें इंडिया के मतलब नेशन के बाहर जा रही थी तो मर्केंटाइलिस्ट पॉलिसी में इस चीज को फोकस में लाया गया कि अगर आपको मजबूत बनना है तो आपको एक्सपोर्ट्स बढ़ाने पड़ेंगे और इंपोर्ट्स घटाने पड़ेंगे मर्केंट ज्म एमफसा इज एग्रेसिव एक्सपोर्ट पॉलिसी एग्रेसिव एक्सपोर्ट पॉलिसी लाए टू एक्युमटिका फेवरेबल बैलेंस ऑफ पेमेंट का मतलब क्या हुआ सर फेवरेबल बैलेंस ऑफ पेमेंट का मतलब हुआ कि हमारे पास फॉरेन एक्सचेंज का इनफ्लो ज्यादा होना चाहिए और फॉरेन एक्सचेंज का जो आउटफ्लो है बेटा जी वो कम होना चाहिए द दीस प्रिंसिपल्स रिमन रिलेवेंट टुडेज इकोनॉमी कह रहा है कि ये जो प्रिंसिपल मर्केंट ने दिए थे ये प्रिंसिपल आज की इकोनॉमी में भी रिलेवेंट है हर इकोनॉमी यही चाहती है कि उसके एक्सपोर्ट ज्यादा हो और उसके इंपोर्ट्स कम हो सो दैट सो दैट कि वहां पर ज्यादा फॉरेन एक्सचेंज इंडिया में या फिर कंट्री के अंदर आ सके जब आप एक्सपोर्ट ज्यादा करते हो इंपोर्ट्स कम करते हो तो फेवरेबल बैलेंस ऑफ पेमेंट निकल कर आता है और जब आप इंपोर्ट ज्यादा करते हो और एक्सपोर्ट्स कम करते हो तो अनफेवरेबल बैलेंस ऑफ पेमेंट निकल कर आता है ठीक है जी तो मोटा-मोटा इसका जो क्रक्स था वो मैंने आपको बता दिया कि एक्स पोर्ट्स ज्यादा होने चाहिए इंपोर्ट्स के इसके अलावा और कुछ थ्योरी में है नहीं इसके बाद अगली जो इंपॉर्टेंट थ्योरी निकल कर आती है वो निकल कर आती है थ्योरी ऑफ एब्सलूट एडवांटेज यह एग्जाम पॉइंट ऑफ व्यू से इंपॉर्टेंट है इसमें से क्वेश्चन पक्का आने वाला है थ्योरी ऑफ एब्सलूट एडवांटेज यह थ्योरी हमको किसने दी थी यह थ्योरी हमको एडम बाबा ने दी थी एडम स्मिथ बाबा ने 2 बाय टू मैट्रिक्स चलाई है एडम बाबा ने टू बाय टू मैट्रिक्स चलाई है इस टू बाय टू मैट्रिक्स में क्या होता है बेटा सर इस ू बाय टू मैट्रिक्स के अंदर एडम बाबा कहते हैं एडम बाबा कहते हैं कि ट्रेड दो कंट्रीज के बीच में होगा ट्रेड दो कंट्रीज के बीच में होगा और हर कंट्री केवल दो प्रोडक्ट बनाती है हर कंट्री केवल दो प्रोडक्ट बनाती है दो कंट्रीज है और दो प्रोडक्ट्स है दो कंट्रीज है और दो प्रोडक्ट्स है यह एडम बाबा की अजमन है एब्सलूट एडवांटेज थ्योरी की एब्सलूट एडवांटेज थ्योरी की यह आपके पास अजमन है कि हम हमारे पास दो ही कंट्रीज होंगी और वो दो कंट्रीज दो-दो प्रोडक्ट बनाती होंगी तो दो प्रोडक्ट होंगे और दो कंट्रीज होंगी तो जैसे मान लो आपने दो कंट्री ले ली एक कंट्री ए ले ली और एक कंट्री बी ले ली तो दो कंट्री होंगी आपके पास और आपके पास दो प्रोडक्ट होंगे तो एक प्रोडक्ट मान लो आपने राइस ले लिया और दूसरा प्रोडक्ट आपने क्लोथ ले लिया तो कंट्री ए राइस और क्लोथ बनाती है कंट्री बी भी राइस और क्लोथ बनाती है तो दो प्रोडक्ट होंगे और दो आपके पास कंट्रीज होंगी एडम स्मिथ कंसीडर्ड एज द फादर ऑफ इकोनॉमिक्स इंट्रोड्यूस द कांसेप्ट ऑफ एब्सलूट एडवांटेज इन द इंटरनेशनल ट्रेड अकॉर्डिंग टू दिस ट्रेड अकॉर्डिंग टू दिस पॉलिसी इंटरनेशनल ट्रेड इज म्यूचुअल बेनिफिशियल व्हेन वन कंट्री व्हेन वन कंट्री कैन प्रोड्यूस वन कमोडिटी विद अ क्लियर एब्स एडवांटेज वाइल द अदर वाइल द अदर कंट्री एक्सेल इन द प्रोड्यूस अ डिफरेंट कमोडिटी विद इट्स एब्सलूट एडवांटेज कह रहा है कि दो कंट्री के बीच में आपस में ट्रेड तभी हो पाएगा और वो ट्रेड बेनिफिशियल तभी होगा जब दोनों कंट्री एकएक प्रोडक्ट में बेहतर हो दोनों कंट्री एकएक प्रोडक्ट में बेहतर हो जैसे आपका कंट्री ए आपका कंट्री ए राइस बनाता है मान लो 10 केजी पर लेबर आर ठीक है मान लो 10 केजी पर लेबर आर और क्लोथ बनाता है यह 50 मीटर पर लेबर आर मतलब एक घंटा लेबर का लगा के एक आर लेबर के लगा के 10 केजी कंट्री ए क्लोथ बनाता है और कंट्री बी 50 मीटर सॉरी कंट्री ए 50 मीटर क्लोथ बनाता है अब अगर कंट्री बी की बात करें तो कंट्री बी अपने पास राइस बनाता है 7 केजी पर लेबर आर और अपने पास यह बनाता है 70 केजी पर लेबर आर 70 केजी पर लेबर आर अब एक चीज देखो कंट्री ए राइस बनाने में अच्छा है अगर मैं कंट्री बी से कंपेयर करूं तो कंट्री बी के कंपैरिजन में कंट्री ए जो है वह राइस अच्छा बनाता है और कंट्री बी कंट्री ए के मुकाबले क्लोथ ज्यादा अच्छा बनाता है तो कंट्री बी क्लोथ बनाने में ज्यादा अच्छी है और कंट्री ए राइस बनाने में ज्यादा अच्छी है तो कह रहा है कि यह दोनों आपस में ट्रेड कर सकते हैं यह दोनों आपस में ट्रेड कर सकते हैं कंट्री ए क्या करे कंट्री ए अपनी पूरी की पूरी लेबर कंट्री ए पूरी की पूरी लेबर किसके प्रोडक्शन में लगा दे सर व अपने पास राइस के प्रोडक्शन पे लगा दे ठीक है और कंट्री बी अपने पास क्या करें कंट्री बी अपनी पूरी की पूरी लेबर पूरी की पूरी लेबर क्लोथ के प्रोडक्शन पर लगा दे क्लोथ के प्रोडक्शन पर लगा दे अब क्या होगा सर कंट्री ए जो होगी कंट्री ए जो होगी वह कंट्री बी को कंट्री ए जो है वह कंट्री बी को राइस दे देगी और कंट्री बी क्या करेगी वह कंट्री ए को क्लोथ दे देगी तो कंट्री ए राइस एक्सपोर्ट कर देगा कंट्री बी को और कंट्री बी क्या करेगी सर क्लॉथ एक्सपोर्ट कर देगी कंट्री ए को तो यह एक दूसरे की नीड को फुलफिल कर देंगे जिसमें यह अच्छा है यह केवल उस चीज का प्रोडक्शन करें जिसमें यह अच्छा है यह केवल उस चीज का प्रोडक्शन करें और आपस में जिसमें ये अच्छे नहीं है उनको क्या कर ले इंपोर्ट एक्सपोर्ट कर ले तो कंट्री ए राइस में अच्छी है यह राइस बनाएगी और राइस एक्सपोर्ट करेगी कंट्री बी को कंट्री बी आपके पास क्लोथ में अच्छी है यह क्लॉथ बनाएगी और कंट्री ए को क्या करेगी सर एक्सपोर्ट कर देगी इससे इन दोनों को क्या मिलेगा राजा बेटा बेनिफिट डिराइवर होगा इससे इन दोनों को बेनिफिट राइव्स एडवांटेज इज द एबिलिटी टू प्रोड्यूस मोर ऑफ अ गुड यूजिंग द सेम रिसोर्सेस कंपेयर टू द कंपट ज्यादा गुड्स बनाना ज्यादा गुड्स बनाना यूजिंग द सेम रिसोर्स यूजिंग द सेम रिसोर्स यहां पर एक घंटे में 7 केजी बनता है यहां पर एक घंटे में 10 केजी बनता है मतलब वन लेबर आर में हम यहां पर 3 केजी एक्स्ट्रा राइस बना सकते हैं एक लेबर आर में 50 मीटर कपड़ा बनता है एक लेबर आर में 70 मीटर कपड़ा बनता है 70 मीटर्स कपड़ा बनता है तो यहां पर कपड़ा ज्यादा बन रहा है सेम लेबर आर लगा के यहां पर कपड़ा ज्यादा बन रहा है तो जिसमें आप अच्छे हो आप उस चीज का प्रोडक्शन करो आपको उसमें एब्सलूट एडवांटेज है कंट्री ए को एब्सलूट एडवांटेज है राइस में कंट्री बी को एब्सलूट एडवांटेज है क्लोथ में एडम स्मिथ इनिशियली अप्लाइड दिस प्रिंसिपल टू इंटरनेशनल ट्रेड फोकसिंग ऑन द लेबर एज द सोल इनपुट इंपॉर्टेंट है एग्जाम के लिए यहां पर एडम्स स्थ ने इनपुट में क्या लिया है लेबर ली है इनपुट में क्या लिया है लेबर ली है तो एक ही इनपुट की बात करी है एडम बाबा ने एक ही इनपुट की बात करी है एडम बाबा ने और वह इनपुट है आपका लेबर एक ही इनपुट की बात करी है एडम बाबा ने और वह इनपुट है आपका लेबर इफ अ नेशन हैज नो एब्सलूट एडवांटेज इन एनी प्रोडक्ट अगर आपका कोई भी एब्सलूट एडवांटेज नहीं है तो अकॉर्डिंग टू दिस थ्योरी आपका इंटरनेशनल ट्रेड नहीं हो सकता अगर आप दो प्रोडक्ट में से किसी भी एक प्रोडक्ट में अगर अच्छे नहीं हो दो प्रोडक्ट में से अगर किसी भी एक प्रोडक्ट में आप अच्छे नहीं हो तो आपका इंटरनेशनल ट्रेड नहीं हो सकता यानी कि मान लो कंट्री ए जो है वह अपने पास राइस में भी अच्छी है और कंट्री बी जो है वह अपने पास क्लोथ में भी बेकार है राइस और क्लोथ राइस बन रहा है 10 केजी पर लेबर आर पर लेबर आर और यह बन रहा है 70 मीटर पर लेबर आर यहां पर यह बन रहा है 7 केजी पर लेबर आर और यहां पर बन रहा है यह 50 मीटर पर लेबर आर अब अगर आप ध्यान से देखो तो कंट्री बी कंट्री ए के मुकाबले दोनों चीजों में वीक है कंट्री बी के पास कहीं पर भी एब्सलूट एडवांटेज नहीं है कंट्री बी के पास कहीं पर भी एब्सलूट एडवांटेज नहीं है कंट्री बी राइस भी कम बना रही है कंट्री बी कपड़ा भी कम बना रही है तो एस पर एब्सलूट थ्योरी एज पर एब्सलूट थ्योरी यहां पर इंटरनेशनल ट्रेड मुमकिन नहीं है एज पर एब्सलूट थ्योरी यहां पर आपका इंटरनेशनल ट्रेड मुमकिन नहीं है यहां पर इंटरनेशनल ट्रेड मुमकिन नहीं है क्योंकि कंट्री ए के पास दोनों चीजों में एडवांटेज है और कंट्री बी के पास कहीं पर भी एडवांटेज नहीं है और अगर कंट्री बी के पास एडवांटेज नहीं है तो आपस में ट्रेड यहां पर नहीं हो पाएगी क्या अंश ली है एडम बाबा ने दो कंट्री है और दो कमोडिटी है मतलब टू बाय टू मैट्रिक्स है कोई भी ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट नहीं है मतलब एक कंट्री से अगर दूसरी कंट्री में माल भेजा जाएगा तो कोई भी ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट निकल कर नहीं आएगा ऐसी अजमन ली गई है रियल वर्ल्ड में ऐसा नहीं होता कॉस्ट ऑफ कमोडिटीज डिटरमाइंड बाय द रिलेटिव अमाउंट ऑफ लेबर रिक्वायर्ड फॉर द प्रोडक्शन तो हमने एक ही इनपुट माना है तो जब हम कॉस्ट निकाल रहे हैं तो कॉस्ट निकालने के लिए हम केवल लेबर को कंसीडर कर रहे हैं क्योंकि यहां पे एक ही इनपुट माना गया है एडम बाबा ने एक ही इनपुट माना है लेबर एक ही इनपुट माना है लेबर इनपुट मतलब आपका जो माल लगा प्रोडक्शन करने के लिए लेबर वास एज्यूम टू बी मोबिल लेबर को एज्यूम किया गया है मोबिल है मोबिल का मतलब कि वो एक जगह से दूसरी जगह जा सकती है विद इन द कंट्री मोबिल है विद इन द कंट्री मोबिल है विद इन द कंट्री बट इ मोबिल है बिटवीन द कंट्रीज यानी कि लेबर दूसरी कंट्री में नहीं जा सकती एडम बाबा के हिसाब से लेबर जो है वह दूसरी कंट्री में आपके पास नहीं जा सकती ट्रेड बिटवीन कंट्रीज वुड अकर इफ ईच कंट्री हैड एन एब्सलूट एडवांटेज इन प्रोड्यूस वन कमोडिटी तो कह रहा है ट्रेड आपके पास तभी आएगा जब एटलीस्ट एक कमोडिटी में आपके पास क्या हो एब्सलूट एडवांटेज अगर आपके पास दोनों कमोडिटीज में एब्सलूट एडवांटेज नहीं है अगर दोनों कमोडिटीज में आपके पास एब्सलूट एडवांटेज नहीं है तो वहां पर इंटरनेशनल ट्रेड हो पाना मुमकिन नहीं है वहां पर इंटरनेशनल ट्रेड हो पाना मुमकिन नहीं है ठीक है जी चलिए अब आती है थ्योरी ऑफ कंपैरेटिव एडवांटेज यह भी इंपॉर्टेंट थ्योरी है और यह एब्सलूट एडवांटेज थ्योरी को कंट्रा ट कर यह एब्सलूट जो आपकी एडवांटेज थ्योरी है उसको कंट्रा ट करती है यह कहती है कि अगर मान लो कोई कंट्री यह कहती है मान लो कोई कंट्री किसी भी चीज में अच्छी नहीं है फिर भी उसके साथ ट्रेड हो सकती है फिर भी उसके साथ ट्रेड हो सकती है जैसे आपके पास कंट्री ए जो है वह राइस में भी अच्छी है और वह आपके पास क्लोथ में भी अच्छी है वह आपके पास राइस में भी अच्छी है वह आपके पास क्लोथ में भी अच्छी है वोह आपके पास क्लोथ में भी अच्छी है मतलब कंट्री बी के पास कोई भी एब्सलूट एडवांटेज नहीं है कंट्री बी के पास कोई भी एब्सलूट एडवांटेज नहीं है लेकिन फिर भी इनके बीच में ट्रेड हो सकती है फिर भी इनके बीच में ट्रेड हो सकती है सर कैसे हो सकती है प्लीज बताओ ना तो कंपैरेटिव एडवांटेज कहता है कि भले कंट्री ए दोनों चीजों में अच्छी है कंट्री ए भले दोनों चीजों में अच्छी है वो राइस भी अच्छा बना लेती है कंपेयर टू बी वो क्लोथ भी अच्छा बना लेती है कंपेयर टू कंट्री बी लेकिन अगर हम विदन कंट्री ए देखें हम विदन कंट्री ए देखें तो कंट्री ए खुद में किसमें ज्यादा अच्छी है कंट्री एक खुद में राइस में ज्यादा अच्छी है कि क्लोथ में ज्यादा अच्छी है कंट्री ए का विद इन द कंट्री किसमें ज्यादा बेनिफिट है अगर आप ध्यान से देखो तो कंट्री ए एक घंटे की लेबर लगा के 10 किलो राइस बनाती है एक घंटे की लेबर लगा के 10 किलो राइस बनाती है मान लो एक लेबर एक लेबर एक लेबर को आप ₹ पर आर देते हो सपोज कर लो आप एक लेबर को र पर आर देते हो तो अगर मैं राइस की बात करूं आप एक घंटे में 10 किलो राइस बनाते हो यानी कि आपके पास राइस की कॉस्ट कितनी है सर राइस की कॉस्ट आ रही है 100 डिड बा 10 केजी यानी कि र आपकी कॉस्ट आ रही है एक केजी की लेकिन अगर मैं क्लोथ की बात करूं तो क्लोथ की कॉस्ट कितनी आ रही है 00 खर्च करके 70 मीटर कपड़ा बन जाता है 00 खर्च करके 70 मीटर कपड़ा बन जाता है यानी कि आपके पास कॉस्ट निकल कर आ रही है 1 प 428 1.42 1.42 पर मीटर तो अगर आप देखो तो आपका कपड़ा बनाने का कॉस्ट पर यूनिट कम आ रहा है और राइस बनाने का कॉस्ट पर यूनिट ज्यादा आ रहा है या फिर आप ऐसे भी देख सकते हो कि एक घंटे की लेबर लगा के 10 किलो माल बनता है एक घंटे की लेबर लगा के 70 मीटर माल बनता है तो आप क्लॉथ ज्यादा अच्छा बनाते हो अगर कंट्री ए का कंपैरिजन किया जाए कि वह राइस अच्छा बनाती है कि वह क्लॉथ अच्छा बनाती है तो सर यहां पर वो क्लोथ अच्छा बनाती है तो आपकी जो कंपैरेटिव थ्योरी है आपकी जो कंपैरेटिव थ्योरी है वो यह कहती है कि कंट्री एक कपड़ा ज्यादा अच्छा बनाती है कंट्री एक कपड़ा ज्यादा अच्छा बनाती है तो इसको कपड़ा बनाना चाहिए और इसको कहो कि कंट्री बी से कहे कि वो राइस बनाए तो यह कपड़े पे फोकस करेगी और यह राइस पे फोकस करेगी और सर यह इसको कपड़ा दे देगी इससे राइस ले लेगी बात समझ में आया कंपैरेटिव थ्योरी यह बोल रही है कि आप दो प्रोडक्ट में अच्छे हो अगर बी से कंपैरिजन करें तो आप दोनों प्रोडक्ट में अच्छे हो मान लिया लेकिन इन दो में ज्यादा अच्छे किस्में हो आप कंट्री बी के मुकाबले कंट्री बी के मुकाबले कंट्री ए में दोनों चीजें ज्यादा बनती हैं कंट्री ए ज्यादा सक्षम है मान लिया लेकिन राइस और क्लोथ में ज्यादा सक्षम किसमें है ज्यादा बेहतर क्या बना पाते हो तो सर अगर कंट्री ए में देखा जाए राइस के मुकाबले क्लोथ ज्यादा अच्छा बनता है राइस के मुकाबले क्लोथ का प्रोडक्शन ज्यादा हो सकता है तो कंपैरेटिव थ्योरी कहती है कंपैरेटिव थ्योरी कहती है कि कंट्री ए को अपने रिसोर्सेस किस पर लगाने चाहिए कंट्री ए को प्रोडक्शन करना चाहिए क्लोथ का और कंट्री बी से कहना चाहिए कि तुम प्रोडक्शन करो राइस का अब आपके मन में आएगा कि सर ऐसा कैसे हो सकता है हम कंट्री बी को कैसे बोले कि आप केवल राइस बनाओ राजा बेटा यह सारी बातें अजमन की चल रही है यह सारी बातें अंपन की चल रही है रियल लाइफ में क्या दो ही कंट्री है नहीं नहीं क्या रियल लाइफ में दो ही प्रोडक्ट है नहीं बहुत सारी कंट्रीज है और बहुत सारे प्रोडक्ट्स हैं तो यह थ्योरी केवल ऐसे ही बनाई गई है नॉलेज परपस के लिए समय बिताने के लिए करना है कुछ काम शुरू करो थ्योरी बनाना लेके प्रभु का नाम तो यहां पर वही हो रहा है हर एक इकोनॉमिस्ट ने अपना पॉइंट ऑफ व्यू एक्सप्लेन करने के लिए थ्योरी बनाई है और वह आपको पढ़ाई जा रही है इसका रियल वर्ल्ड से कोई भी एप्लीकेशन निकल कर नहीं आएगा ठीक है पॉइंट ऑफ व्यू समझना है तो कंपैरेटिव थ्योरी आपको क्या कह रही है सर कंपैरेटिव थ्योरी आपको रिकार्डो ने दी है और रिकार्डो साहब कहते हैं रिकार्डो साहब कहते हैं कि ट्रेड आपका मुमकिन है हम ट्रेड को डिटरमाइंड करते हैं कंपैरेटिव कॉस्ट ऑफ प्रोड्यूस द गुड से एंड नॉट द एब्सलूट कॉस्ट हम कंपैरेटिव कॉस्ट को कंसीडर करते हैं एब्सलूट कॉस्ट को कंसीडर नहीं करते अ कंट्री मे बी मोर प्रोडक्टिव अ कंट्री मे बी मोर प्रोडक्टिव इन ऑल द गुड्स बट इट स्टिल बेनिफिट्स फ्रॉम द ट्रेड बाय फोकसिंग ऑन इट्स कंपैरेटिव एडवांटेज तो एक कंट्री सभी गुड्स में अच्छी हो सकती है लेकिन फिर भी आपस में ट्रेड मुमकिन है अगर हम कंपैरेटिव एडवांटेज पर फोकस करें कंपैरेटिव एडवांटेज एंटेल्स एक्सपोर्टिंग द प्रोडक्ट वेयर अ कंट्रीज एब्सलूट एडवांटेज इज ग्रेटेस्ट तो आपको वो चीज एक्सपोर्ट करनी चाहिए जहां पर आपका एब्सलूट एडवांटेज ग्रेटेस्ट है आपको दोनों में एब्सलूट एडवांटेज है आपको राइस में भी एब्सलूट एडवांटेज है आपको क्लोथ में भी एब्सलूट एडवांटेज है लेकिन ग्रेटेस्ट एब्सलूट एडवांटेज किसमें है क्लोथ में है तो आपको क्लोथ का प्रोडक्शन करना चाहिए और कंट्री बी को राइस का प्रोडक्शन करने को बोलना चाहिए आप क्लॉथ इसको दे देना आप क्लॉथ इसको दे देना और इससे आप क्या ले लेना राइस ले लेना एंड इंपोर्टिसंस जज रिलेटिवली लेस ठीक है जी आइए कुछ एमसीक्यू देख लेते हैं द थ्योरी ऑफ एब्सलूट एडवांटेज स्टेट्स दैट नेशनल वेल्थ एंड पावर आर बेस्ट सर्व बाय इंक्रीजिंग द एक्सपोर्ट एंड डिक्रीजिंग द इंपोर्ट यह बात एब्सलूट ने नहीं बोली थी मर्केंटाइल ने बोली थी नेशन कैन इंक्रीज देर इकोनॉमिक वेल बीइंग बाय स्पेशलाइजिंग इन द प्रोडक्शन ऑफ गुड दे प्रोड्यूस मोर एफिशिएंटली देन एनीवर्सरी डिपेंड्स एक्सक्लूसिवली ऑन द अमाउंट ऑफ लेबर गोइंग इनटू इट्स प्रोडक्शन एंड देयर फॉर फैक्टर प्राइस विल बी द सेम डिफरेंसेस इन द एब्सलूट एडवांटेज एक्सप्लेन डिफरेंसेस इन द फैक्टर एंड डोन मेंट्स इन द कंट्री बताइए जी इसमें से राइट आंसर क्या है बताइए जी इसमें से राइट आंसर आपके पास क्या है आप लोग अपने पास वीडियो को पॉज करेंगे और और और और और और इसका आंसर देंगे वीडियो को पॉज करके आप इसका आंसर देंगे हां जी सर करेक्ट आंसर यहां पर आपका निकल कर आएगा बी करेक्ट आंसर इज बी कि सर आप उस चीज का प्रोडक्शन करो जिसमें आप ज्यादा एफिशिएंट हो एस कंपेयर टू एनी वन एल्स दैट इज आपके पास क्या है एब्सलूट एडवांटेज है दैट इज आपके पास क्या है बेटा एब्सलूट एडवांटेज है तो करेक्ट आंसर इज बी व्च कंट्री हैज एब्सलूट एडवांटेज इन द प्रोडक्शन ऑफ t किसके पास t का एब्सलूट एडवांटेज है कंट्री जे और कंट्री के कंट्री जे में एक यूनिट बनाने में 3 घंटे लगते हैं और कंट्री के में एक यूनिट बनाने में 6 घंटे लगते हैं मतलब कंट्री जे में एक यूनिट ऑफ टी जल्दी बनती है कंट्री जे में एक यूनिट ऑफ टी जल्दी बनती है और कंट्री के में एक यूनिट ऑफ टी को बनाने में ज्यादा देर लगती है अगर आप कहो कि लेबर जो है लेबर जो है वो हमारे पास 00 पर आर लेती है अगर हम यह एज्यूम कर ले कि लेबर हमारे पास 00 पर आर लेती है तो कंट्री जे में कंट्री जे में हमें एक यूनिट को बनाने के लिए 00 खर्च होंगे क्योंकि यहां पर ती घंटे लग रहे हैं और सर कंट्री के में हमें एक यूनिट को बनाने में 00 खर्च होंगे क्योंकि यहां पे 6 घंटे लग रहे हैं तो आपका एब्सलूट एडवांटेज कहां है यहां पे 300 खर्च करके एक यूनिट बनती है यहां पे 00 खर्च करके एक यूनिट बनती है मतलब कम लेबर आर्ट्स में ज्यादा प्रोडक्शन कहां पर हो रहा है कंट्री जे में हो रहा है तो आपका एब्सलूट एडवांटेज टी में किस कि का है जे का है व्हिच कंट्री विल गेन बाय एक्सपोर्टिंग द कॉफी एंड इंपोर्टिन से देखो कि कंट्री के में एक घंटा लगता है एक यूनिट को बनाने में कॉफी का कॉफी का एक घंटा लगता है एक यूनिट को बनाने में यहां पे दो घंटे लगते हैं मतलब कॉफी बनाने में कॉफी बनाने में कौन अच्छा है सर कॉफी बनाने में के अच्छा है कॉफी बनाने में के अच्छा है तो यहां पर यहां पर यहां पर के क्या करेगा राजा बेटा सर के अपने पास कॉफी एक्सपोर्ट करेगा और आपके पास जे जो है वह कॉफी क्या करेगा इंपोर्ट करेगा ठीक है तो यहां पर तुम एक्सपोर्ट का केवल आंसर दो इंपोर्ट का आंसर मत दो कॉफी को एक्सपोर्ट कौन करेगा सर कॉफी को एक्सपोर्ट करेगा कंट्री के कंट्री के इज हैविंग एब्सलूट एडवांटेज इन कॉफी अगला क्वेश्चन आता है च कंट्री विल हैव एब्सलूट एडवा एडवांटेज इन राइस कंट्री एक्स 12 क्विंटल बनाती है एक घंटे में कंट्री वा सा क्विंटल बनाती है एक घंटे में तो एब्सलूट एडवांटेज किसके पास है एब्सलूट एडवांटेज कंट्री एकस के पास है तो कंट्री एक्स विल हैविंग द एब्सलूट एडवांटेज इन राइस यहां पर राइस ज्यादा बन रहा है यहां पर राइस कम बन रहा है इसके बाद वच कंट्री विल गेन बाय एक्सपोर्टिंग द क्लोथ कंट्री एक् में 8 मीटर कपड़ा बनता है 1 घंटे में कंट्री वा में 11 मीटर कपड़ा बनता है 1 घंटे में तो एब्सलूट एडवांटेज कंट्री वा को है तो कंट्री वा विल गेन बाय एक्सपोर्टिंग द क्लोथ व्हिच ऑफ द फॉलोइंग होल्ड्स दैट अ कंट्री कैन इंक्रीज इट्स वेल्थ बाय इनकरेजिंग द एक्सपोर्ट एंड डिस्कसिंग द इंपोर्ट कैपिट ज्म सोशलिज्म मर्केंटाइलिज्म लेजर फेयर तो सर आपके पास मर्केंट जम जो है वो यह बिलीव करती है कि एक्सपोर्ट्स को बढ़ाकर और इंपोर्ट्स को घटाकर अपन क्या कर सकते हैं सर अपन स्ट्रांग इकोनॉमी बन सकते हैं व्हिच ऑफ द फॉलोइंग डज नॉट रिप्रेजेंट अ डिफरेंस बिटवीन इंटरनल ट्रेड एंड इंटरनेशनल ट्रेड इसमें से क्या डिफरेंस नहीं है जब हम इंटरनेशनल ट्रेड करते हैं तो मल्टीपल करेंसीज इवॉल्व होती हैं यह करेक्ट है होमोजेनिजर एंड करेंसीज दोनों कंट्रीज के कस्टमर होमोजीनस होते हैं एंड करेंसीज आपके पास सेम होती है यह फीचर नहीं है लीगल सिस्टम अलग-अलग होता है यह फर्क है तो क्या पूछा गया है कि इसमें से कौन सा डिफरेंस नहीं है तो होमोजेनिक सेम क्या दोनों कंट्री में सेम कस्टमर होंगे नहीं ओबवियस है कस्टमर भी अलग-अलग होंगे भी अलग अलग होंगी तो आपका जो करेक्ट आंसर यहां पर निकल कर आएगा दैट विल बी बी ट विल बी बी बेटा यह आपकी जो हेक्सर ऑल इन थ्योरी है यह कहती है कि कंपैरेटिव थ्योरी के अंदर एब्सलूट एडवांटेज थ्योरी के अंदर केवल एक ही इनपुट था लेबर लेकिन एक्चुअली में आपके पास दो तरीके के इनपुट होते हैं एक होता है आपके पास लेबर और एक होता है आपके पास हेक्सर लिन कहता है कि अकेला लेबर आपका इनपुट नहीं है लेबर के साथ कैपिटल भी आपका इनपुट है और इसको टर्म किया गया एज अ फैक्टर एंडोमेंट क्या टर्म किया गया फैक्टर एंडोमेंट और कई बारी हेक्सर ओलिन की थ्योरी को फैक्टर एंडन मेंट थ्योरी भी बोल दिया जाता है तो हेक्सर और ओलिन यह हमारे पास दो इकोनॉमिस्ट थे इन्होंने कहा था कि बाबू आपके पास प्रोडक्शन के लिए लेबर भी इवॉल्व होती है और कैपिटल भी इवॉल्व होती है जिस कंट्री में लेबर एबंडेंट है वह लेबर इंटेंसिव टेक्नीक से बनने वाली चीज का प्रोडक्शन करेगी और जिस कंट्री में कैपिटल एबंडेंट है वह कंट्री कैपिटल मशीनरी से बनने वाली चीजों का प्रोडक्शन करेगी जैसे इंडिया में लेबर एबंडेंट है तो अपन कौन सा काम करेंगे सर अपन सर्विस बेस्ड काम करेंगे अपन एग्रीकल्चर बेस्ड काम करेंगे और क्योंकि यूएस के अंदर जर्मनी के अंदर कैपिटल ज्यादा है तो वहां पर मशीन बेस प्रोडक्शन होगा जर्मनी कार मैन्युफैक्चर करेगी और इंडिया को एक्सपोर्ट करेगी और जर्मनी इंडिया से सर्विसेस इंपोर्ट करेगी एग्रीकल्चर इंपोर्ट करेगी जो कि लेबर इंटेंसिव होती है तो जो कंट्री में लेबर एबंडेंट है वो लेबर इंटेंसिव काम करे और जो कंट्री के अंदर कैपिटल एबंडेंट में है वो कैपिटल इंटेंसिव काम करें और आपस में इंपोर्ट एक्सपोर्ट के अंदर इंटरनेशनल ट्रेड के अंदर एंगेज हो जाए अकॉर्डिंग टू द हेक्सर ऑल इन प्रपोजिशन कंट्री एक्सपोर्ट करती है वो वाला गुड दैट हैवली यूज द फैक्टर ऑफ प्रोडक्शन रिलेटिवली इन देयर ओन कंट्री आप उस चीज का एक्सपोर्ट करोगे जिसके प्रोडक्शन के लिए वह रिसोर्स चाहिए जो आपकी कंट्री में एंडेंदु है तो आप कैपिटल बेस्ड प्रोडक्शन करोगे और उसको आप एक्सपोर्ट करोगे और अगर आपकी कंट्री में लेबर एबंडेंट है तो आप लेबर इंटेंसिव प्रोडक्शन करोगे और उस प्रोडक्शन को आप एक्सपोर्ट करोगे इंक्रीजड फॉरेन कंपटीशन बूस्ट एफिशिएंसी फेवरिंग मोर एफिशिएंट फर्म्स तो कह रहा है कि सर जब कंपटीशन बढ़ता है तो जो मोर एफिशिएंट फर्म्स है केवल वही टिक पाती है क्योंकि विदेश से विदेश से अगर आपके पास गाड़िया आनी शुरू हो गई समझो मेरी बात को समझो मेरी बात को इंडिया लेबर एबंडेंट है इंडिया लेबर एंड है और आपके पास यूएसए जो है या जर्मनी जो है वह कैपिटल एबंडेंट है जर्मनी जो है वह कैपिटल एबंडेंट है अब मेरी बात को समझना जर्मनी क्या करेगा सर जर्मनी कार मैन्युफैक्चर करेगा और उन कार्स को इंडिया में क्या कर देगा इंपोर्ट कर देगा एक्सपोर्ट कर देगा उन कार्स को इंडिया में एक्सपोर्ट कर दे अब समझना मेरी बात को इंडिया में जो कार मैन्युफैक्चरर्स हैं जो इंडिया में कार मैन्युफैक्चरर्स हैं वह यहां पर क्या करेंगे सर वह यहां पर कंपटीशन फेस करेंगे वह यहां पर कंपटीशन फेस करेंगे जर्मन कार से जर्मन कार से और मान के चल रहे हैं कि सर हमारी टेक्नोलॉजी उतनी अच्छी नहीं होगी हमारी मशीनरी उतनी अच्छी नहीं होंगी हमारी कार्स उतनी अच्छी नहीं होंगी जितनी अच्छी जर्मन कार्स होंगी तो जब जर्मन कार से हमको कंपटीशन मिलेगा तो जो लेस एफिशिएंट कार मैन्युफैक्चरर है जो लेस एफिशिएंट कार मैन्युफैक्चरर हैं वह कंपटीशन झेल नहीं पाएंगे वह शटडाउन हो जाएंगे और जब वह शटडाउन होंगे तो इनके पास जो लेबर होगी वो लेबर रिलीज हो जाएगी और फिर वो कामों में लगेगी जैसे इंडिया लेबर एबंडेंट है वो एग्रीकल्चर का काम करेगी वैसे ही जैसे ये लेबर फ्री होगी यह अपने आप को किसमें एइंगेज कर लेगी लेबर अपने आप को एग्रीकल्चर में एंगेज करेगी इंडिया एग्रीकल्चर का प्रोडक्ट जो होगा वह जर्मनी को क्या करेगी एक्सपोर्ट करेगी जर्मनी को एक्सपोर्ट करेगी मेरी बात समझ में आ रही है क्या यह प्रोसेस आपका यहां पर फॉलो होगा ट्रेड इंट्रोड्यूस बेटर टेक्नोलॉजी एंड प्रोडक्ट वैरायटी नॉर्मल बेनिफिट है आपके पास इंटरनेशनल ट्रेड का एनहांस एफिशिएंसी प्रोवाइड क्वालिटी इनपुट्स एंड स्टिमुलेटिंग ट्रांसफर एंड प्रमोट कंपटीशन स्पेशली विथ द रिड्यूस टैरिफ सारी चीजें आपकी नॉर्मल वाली है मेन क्रक्स जो आपको यहां पर समझना है हेक्सर ओलिन का कि सर आप जिसमें एबंडेंट हो आप जिसमें एबंडेंट हो आप उस चीज का प्रोडक्शन करोगे अगर आप लेबर में एबंडेंट हो तो आप लेबर बेस्ड प्रोडक्शन करोगे आप कैपिटल में एंडेंजर दो चीजों का इस्तेमाल होगा लेबर और कैपिटल का यहां पर दो चीजों का इस्तेमाल होगा लेबर और कैपिटल का लास्ट आपके पास थ्योरी आती है ग्लोबलाइजेशन एंड न्यू इंटरनेशनल ट्रेड थ्योरी इसको एनटीटी थ्योरी भी बोलते हैं इसको हम लोग एनटीटी थ्योरी भी बोलते हैं ठीक है न्यू इंटरनेशनल ट्रेड थ्योरी न्यू इंटरनेशनल ट्रेड थ्योरी द न्यू ट्रेड थ्योरी द न्यू ट्रेड थ्योरी ट इमर्ज इन 1980 प्रोपाउंडेड बाय पॉल क्रूग मेंस प्रोपाउंडेड बाय पॉल क्रूगमैन न्यू ट्रेड थ्योरी किसने बनाई थी पॉल कग मैन ने बनाई थी बिल्ड अपॉन ट्रे ल ट्रेड थ्योरी जो ट्रेडिशनल थ्योरी थी मर्केंटाइल वाली उसी पर बेस्ड है एंड री अफर्ड दैट इंटरनेशनल ट्रेड रिमेंस म्यूचुअल बेनिफिशियल इंटरनेशनल ट्रेड से दोनों कंट्रीज को फायदा होता है न्यू थ्योरी इंट्रोड्यूस द कांसेप्ट लाइक इंपरफेक्ट कंपटीशन न्यू ट्रेड थ्योरी ने इंपरफेक्ट कंपटीशन मोनोपोलिस्टिक ओलिगोपॉली इसको जन्म दिया और इंक्रीजिंग रिटर्न्स को जन्म दिया इंक्रीजिंग रिटर्न्स इंक्रीजिंग रिटर्न्स मतलब इकोनॉमी ऑफ स्केल का फायदा व्हिच फर्द एनसेज द गेंस फ्रॉम ट्रेड तो मोनोपोलिस्टिक और ओलिगोपोलिस्टिक को लेकर आई और इन क्रीजिंग रिटर्न के कांसेप्ट को लेकर आई जिसने इनका प्रॉफिट बढ़ाया एसेंशियली इंटरनेशनल ट्रेड एंड लार्जेस्ट मार्केट फास्टर कंपटीशन अलाउ फॉर ग्रेटर इकोनॉमी ऑफ स्केल तो वही पॉइंट बता रहा है कि जब इंटरनेशनल ट्रेड होता है तो मार्केट बढ़ती है आपका कंपटीशन बढ़ता है और आपको इकोनॉमी ऑफ स्केल का फायदा मिलता है एडिंग टू द पॉजिटिव सम नेचर ऑफ ट्रेड बिकम द स्कोप ऑफ कंपैरेटिव एडवांटेज तो आपको पॉजिटिव सम मिलता है पॉजिटिव सम मतलब इकोनॉमी के लिए फायदे की बात होती है फायदे की बात क्यों है क्योंकि सर जब आपके पास मार्केट बढ़ेगी तो सर आपके पास ज्यादा तरीके के प्रोडक्ट्स आएंगे एज अ कंज्यूमर सोच के देखो आपके पास कभी भी एक प्रोडक्ट नहीं होगा वैराइटी ऑफ प्रोडक्ट होंगे चूज करने के लिए तो कंज्यूमर का फायदा है और सर यहां पे जब बिजनेस आपस में कंपीट करेंगे तो उनकी क्वालिटी भी क्या होगी इंप्रूव होगी द न्यू ट्रेड थ्योरी प्रपोज दैट मेनी ट्रेडेड गुड्स कम फ्रॉम द इंडस्ट्रीज विद ओलिगोपोलिस्टिक कैरेक्टरिस्टिक एंड एक्सटर्नल इकोनॉमी ड्यू टू फैक्टर्स लाइक इकोनॉमी ऑफ स्केल इन नॉन ट्रेडेड इंटरमीडियरीज तो कह रहा है कि ज्यादातर सामान जो आपके पास आता है वह ओलिगोपोलिस्टिक फर्म से आता है और आपको इकोनॉमी ऑफ स्केल का फायदा मिलता है यह थ्योरी कहती है कि जरूरी नहीं है कि ट्रेड से सबका फायदा हो यहां पर किसी एक का नुकसान भी हो सकता है दिस थ्योरी कंट्रास्ट विद द आइडिया कंट्रास्ट मतलब अलग में जाती है दिस थ्योरी कंट्रास्ट विद द आइडिया ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड एट अ पेरीटो ऑप्टिमम पेरीटो ऑप्टिमम क्या होता है इट मींस मैक्सिमाइज ओवरऑल वेलफेयर इट मैक्सिमाइज ओवरऑल वेलफेयर विदाउट हार्मिंग एनी इंडिविजुअल्स वेलफेयर कह रहा है कि सर जरूरी नहीं है कि इंटरनेशनल ट्रेड से सबको पेरीटो ऑप्टिमम हो पेरीटो ऑप्टिम मतलब सबका फायदा हो ऐसा जरूरी नहीं है इंस्टेड सजेस्टिंग दैट मार्केट ऑफ एन रिजल्ट सब ऑप्टिमम आउटकम मार्केट से कई बार सब ऑप्टिमम आउटपुट भी निकल कर आता है मोटी मोटी चीज जो एंटिटी थ्योरी ने फोकस करी एंटिटी थ्योरी ने फोकस किया दो चीजों पे इसमें एग्जाम में क्वेश्चन बनेगा एंटिटी थ्योरी के दो कांसेप्ट है दो इंपॉर्टेंट कांसेप्ट है पहला कह रहा है कि होम कंट्री को अकॉर्डिंग टू एंटिटी टू की कांसेप्ट गिड एडवांटेजेस टू द कंट्री दैट इंपोर्ट गुड्स टू कंपीट विद द प्रोडक्ट्स फ्रॉम द होम कंट्री कह रहा है सर जो कंट्री इंपोर्ट करती है गुड्स को अकॉर्डिंग टू एंटिटी टू की कांसेप्ट गिव एडवांटेज टू कंट्रीज दैट इंपोर्ट गुड्स टू कंपीट विद द प्रोडक्ट फ्रॉम द होम कंट्री होम कंट्री को क्या फायदा मिल रहा है इंपोर्ट से पहला इकोनॉमी ऑफ स्केल एज अ फर्म प्रोड्यूस मोर ऑफ अ प्रोडक्ट इट्स कॉस्ट पर यूनिट कीप्स गोइंग डाउन सो इफ द फर्म सर्विस डोमेस्टिक एज वेल एज फॉरेन मार्केट इंस्टेड ऑफ जस्ट वन इट कैन रीप द बेनिफिट ऑफ लार्ज स्केल तो अगर आप डोमेस्टिक मार्केट के साथ-साथ फॉरेन मार्केट को भी प्रोडक्ट सप्लाई करोगे तो आपका प्रोडक्शन बढ़ेगा प्रोडक्शन बढ़ने से कॉस्ट पर यूनिट कम होगी कॉस्ट पर यूनिट कम होने से आपके प्रॉफिट्स इंक्रीज होंगे तो इकोनॉमी ऑफ स्केल का फायदा मिलेगा दूसरा आपको बैंड वैगन इफेक्ट का फायदा मिलेगा बैंड वैगन इफेक्ट क्या होता है कि सर फॉरेन कंपनी के जब हम गुड्स यूज करते हैं तो हमको देखाद देखी दूसरा व्यक्ति भी इसको यूज करता है तो जैसे हूं और आप देख रहे हो तो आपका भी मन करेगा कि यार मैं भी apple-system जैसे अगर कोई फॉरेन का सॉफ्टवेयर आ रहा है whatsappwap.in ऑफि मोर हायर यूटिलिटी तो एग्जाम में बस दो चीजें याद रखना कि एंटिटी थ्योरी से इकोनॉमी ऑफ स्केल का फायदा मिलता है और एंटिटी थ्योरी से नेटवर्क इफेक्ट निकल कर आता है ये दो की कांसेप्ट है जो आएंगे एमसीक्यू में सीधा-सीधा पूछा जाएगा कि एंटिटी के दो कांसेप्ट कौन से हैं इकोनॉमी ऑफ स्केल नेटवर्क इफेक्ट फलाना इफेक्ट धिम का इफेक्ट चार चीजें दे दी जाएंगी आपको दो ऑप्शंस पर क्लिक करना है मतलब दो ऑप्शन जो करेक्ट ऑप्शन होंगे दैट विल बी इकोनॉमी ऑफ स्केल एंड नेटवर्क इफेक्ट ठीक है जी इसी के साथ हमारी जो यूनिट वन है व हमारे पास कंप्लीट होती है अकॉर्डिंग टू पॉल क्रूगमैन न्यू ट्रेड थ्योरी ट्रेड बिटवीन कंट्रीज कैन बी ड्रिवन बाय दो कंट्रीज के बीच में जो ट्रेड है वह कैसे ड्राइव होती है कंपैरेटिव एडवांटेज की वजह से डिफरेंसेस इन फैक्टर एंड डोन मेंट्स की वजह से कंपैरेटिव एडवांटेज डार्विन ने दी थी सॉरी डेविड ने दी थी डेविड रिकार्डो ने डिफरेंस इन फैक्टर एंडोनसल ऑल इन की थ्योरी है इकोनॉमी ऑफ स्केल क्रिएटिंग मोनोपोलिस्टिक कंपटीशन इन सर्टेन इंडस्ट्री स्ट्रिक्ट गवर्नमेंट रेगुलेशन प्रमोटिंग द डोमेस्टिक इंडस्ट्रीज तो सर आपके पास इकोनॉमी ऑफ स्केल का फायदा मिलता है ऐसी बात न्यू ट्रेड थ्योरी में बताई गई थी इकोनॉमी ऑफ स्केल का फायदा मिलता है इंपरफेक्ट कंपटीशन निकल कर आता है तो न्यू ट्रेड थ्योरी में याद रखना कि मोनोपोलिस्टिक का फायदा होता है मतलब इंपरफेक्ट कंपटीशन का कांसेप्ट निकल कर आता है इक्नॉमीज ऑफ स्केल का कांसेप्ट निकल कर आता है और आपके पास और आपके पास बैंड वैगन इफेक्ट निकल कर आता है द न्यू ट्रेड थ्योरी फोकस ऑन ट्रेडिशनल थ्योरी ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड एमफसा इजिंग एब्सलूट एंड कंपैरेटिव एडवांटेज इंक्रीजिंग रिटर्न्स टू स्केल एंड नेटवर्क इफेक्ट इन शेपिंग द ट्रेड पैटर्स द रोल ऑफ गवर्नमेंट इंटरवेंशन इन ट्रेड पॉलिसीज कल्चरल फैक्टर इन्फ्लुएंस द इंटरनेशनल ट्रेड तो आपके पास करेक्ट आंसर जो है वो है इंक्रीजिंग रिटर्न्स टू स्केल एंड नेटवर्क इफेक्ट इन शेप ट्रेडिंग पैटर्स ठीक है जी और इसी के साथ हमारा यूनिट वन होता है कंप्लीट अब हम हमारी गाड़ी को अगला स्टेशन पे लेकर चल रहे हैं यूनिट नंबर टू के अंदर राइट चलिए भाई अब हम बात करते हैं इंटरनेशनल ट्रेड की यूनिट नंबर टू ट्रेड पॉलिसी की यूनिट नंबर टू ट्रेड पॉलिसी की बात करता है सर ट्रेड पॉलिसी क्या होती है तो राजा बेटा ट्रेड पॉलिसी आपके पास ऐसे रूल्स एंड रेगुलेशंस है जो गवर्नमेंट इंपोज करती है इंटरनेशनल ट्रेड पे यानी कि इंपोर्ट्स पे और एक्सपोर्ट्स पे इनको कंट्रोल करने के लिए या फिर इनको प्रमोट करने के लिए फॉर एग्जांपल इंडिया के अंदर क्या रहता है इंडिया के अंदर इंपोर्ट ड्यूटी लगाई जाती है और एक्सपोर्ट ड्यूटी नहीं लगाई जाती मतलब एक्सपोर्ट करने पे गवर्नमेंट ड्यूटी नहीं लगाती और इंपोर्ट कर ने पे गवर्नमेंट ड्यूटी लगाती है इससे क्या होता है इससे एक्सपोर्ट्स प्रमोट होते हैं और इंपोर्ट्स को गवर्नमेंट क्या करती है रिस्ट्रिक्टर है जब इंपोर्ट पे ड्यूटी लगेगी तो इंपोर्ट महंगा हो जाएगा और लोग डिस्क होंगे इंपोर्ट्स करने के लिए वहीं पे एक्सपोर्ट करने पर गवर्नमेंट ड्यूटी नहीं लगाती ताकि हमारा प्रोडक्ट इंटरनेशनल मार्केट में सस्ता रहे अगर गवर्नमेंट एक्सपोर्ट प ड्यूटी लगा देगी तो हमारा प्रोडक्ट इंटरनेशनल मार्केट में महंगा हो जाएगा उसके बिकने के चांसेस कम हो जाएंगे फिर इंडिया में फॉरेन करेंसी नहीं आएगी तो इंडिया में फॉरेन करेंसी का इनफ्लो रहे इसलिए गवर्नमेंट एक्सपोर्ट पर क्या करती है ड्यूटी नहीं लगाती एक्सपोर्ट को प्रमोट करती है तो ट्रेड पॉलिसी बेसिकली है क्या सर ट्रेड पॉलिसी के अंदर वो सारे इंस्ट्रूमेंट्स आते हैं जो गवर्नमेंट आपकी यूज करती है टू प्रमोट और टू इंपोर्ट्स एंड एक्सपोर्ट्स तो इंपोर्ट एक्सपोर्ट को प्रमोट और रिस्ट्रिक्टर के लिए जो गवर्नमेंट रूल्स एंड रेगुलेशंस बनाती है दैट विल बी टर्म्ड एज ट्रेड पॉलिसी द इंस्ट्रूमेंट ऑफ ट्रेड पॉलिसी दैट कंट्री टिपिकली यूज टू रिस्ट्रिक्टर्स द एक्सपोर्ट रिस्ट्रिक्टर्स द एक्सपोर्ट हर कंट्री यही चाहती है कि इंपोर्ट्स कम हो और एक्सपोर्ट्स ज्यादा हो राइट तो करने के लिए इंपोर्ट को और एंकरेज करने के लिए एक्सपोर्ट को दो तरीके की पॉलिसीज फॉलो होती है एक होती है प्राइस रिलेटेड पॉलिसीज जिनको हम टैरिफ बोलते हैं टैरिफ बोले तो आपकी कस्टम ड्यूटी कस्टम ड्यूटी क्या होती है टैक्स होती है जो गवर्नमेंट लगाती है बेसिकली किसके ऊपर इंपोर्ट के ऊपर तो प्राइस रिलेटेड मेजर्स यानी कि कस्टम ड्यूटी और नॉन प्राइस रिलेटेड मेजर्स यानी कि नॉन टैरिफ मेजर्स नॉन टैरिफ मेजर्स क्या होते हैं जैसे गवर्नमेंट ने कोटा फिक्स कर दिया कि आप एक सर्टेन क्वांटिटी तक ही क्या कर सकते हो इंपोर्ट कर सकते हो यह क्या है आपका नॉन टैरिफ मेजर राइट इस तरीके के और बहुत सारे मेजर्स है जो हम पढ़ेंगे तो फटाफट से हम लोग हमारी कहानी को शुरू करते हैं टैरिफ से टैरिफ एक तरीका है इंपोर्ट्स को कंट्रोल करने का इंपोर्ट्स को रोकने का टैरिफ आल्सो नोन एज कस्टम ड्यूटीज आर बेसिकली द टैक्सेस एंड ड्यूटीज इंपोज्ड ऑन गुड्स एंड सर्विसेस व्हिच आर इंपोर्टेड और एक्सपोर्टेड इट इज डिफाइंड एज अ फाइनेंशियल चार्ज इन द फॉर्म ऑफ टैक्स इंपोज्ड एट द बॉर्डर ऑन द गुड्स गोइंग फ्रॉम वन कस्टम टेरिटरी टू अनदर तो जब अपने पास दूसरी कंट्री से गुड्स आएंगे दूसरी कंट्री से गुड्स हमारी टेरिटरी में आएंगे तो हम उसके ऊपर क्या करेंगे राजा बेटा कस्टम ड्यूटी लगाएंगे मैं फिर से बोल रहा हूं जनरली जनरली जनरली आपकी जो इंपोर्ट ड्यूटी है वो परवेसिव है मतलब लगभग हर एक गुड्स के ऊपर इंपोर्ट ड्यूटी लगता है जब कभी भी आप दूसरी कंट्री से इंपोर्ट करोगे तो उस परे इंपोर्ट ड्यूटी लगेगी परवेसिव है देन एक्सपोर्ट ड्यूटी एक्सपोर्ट ड्यूटी जो है वो लिमिटेड है केवल पांच छ आइटम्स है जिन पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगती है जिन पर आपके पास एक्सपोर्ट ड्यूटी लगती है केवल पांच से छह आइटम्स है जिन परे एक्सपोर्ट ड्यूटी लगती है बाकी मेजर्ली सभी आइटम्स पे एक्सपोर्ट ड्यूटी गवर्नमेंट ने माफ कर रखी है गवर्नमेंट कहती है दिल खोल के एक्सपोर्ट करो कोई टेंशन वाली बात नहीं है हम आपसे ड्यूटी नहीं लेंगे लेकिन गिने चुने पांच छह आइटम्स हैं जिनके एक्सपोर्ट पर गवर्नमेंट कंट्रोल लगा आ है उस परे ड्यूटी लगाकर उनको महंगा कर देती है राइट तो टैरिफ क्या है टैरिफ कस्टम ड्यूटी है कस्टम ड्यूटी क्या होती है बेसिकली टैक्सेस होती है जब दूसरी कंट्री से गुड्स हमारी कंट्री में आते हैं तो हम कस्टम ड्यूटी चार्ज करते हैं सर यहां पर इंपोर्ट ड्यूटी मेनली लगाई जाती है एक्सपोर्ट ड्यूटी गिने चुने प्रोडक्ट प ही लगाई जाती है तो टैरिफ का पर्पस क्या होता है सर टैरिफ का पर्पस होता है कि हम प्राइसेस को ल्टर कर द हम प्राइसेस को अल्टर कर दे फॉर एपल हमने पेन इंपोर्ट किया कितने पेन इंपोर्ट करे मान लो हमने 10000 पीसे पेन के इंपोर्ट करें और इस 10000 पीसे की कीमत थी मान के चलते हैं सर 2 लाख रुप की तो जब इस पर गवर्नमेंट इंपोर्ट ड्यूटी लगाएगी जब गवर्नमेंट इस परे इंपोर्ट ड्यूटी लगाएगी तो यह आपके पेन महंगे हो जाएंगे तो गवर्नमेंट ने अगर 10 पर का ड्यूटी लगाया 2 लाख की चीज पे 00 की ड्यूटी लगाई तो यह प्रोडक्ट इंडिया में कितने का हो गया 0000 का हो गया मान के चलते हैं यह पेन कहां से आया था मान के चलते हैं यह पेन यूएसए से इंडिया आया था तो यूएसए से इंडिया यह पेन ₹ लाख में आया था यूएसए से इंडिया यह पेन 2 लाख प आया था सर इंडिया के कस्टम स्टेशन पर इंडिया के क स्टेशन पर 00 की ड्यूटी लगा दी जाएगी यानी कि यह पेन जब इंडियन मार्केट में पहुंचेगा तो इसकी कीमत बढ़ चुकी होगी इंपोर्ट महंगी हो चुकी होगी तो जिसने भी इंपोर्ट किया उसकी कॉस्ट क्या हो गई बढ़ गई अब वह इसे महंगे में बेचेगा अब जब इंडिया में इंपोर्टेड पेन महंगे में बिकेगा तो लोग डिस्क ज होंगे महंगा पेन खरीदने से तो इससे इंपोर्ट्स क्या होंगी आपकी कम हो जाएंगी ठीक है जी द मे गोल ऑफ टैरिफ मेन गोल टैरिफ का क्या है कि सर यह गवर्नमेंट के लिए रेवेन्यू रेज करता है सर यह 00 की जो ड्यूटी लगी है यह किसके पास जाएगी गवर्नमेंट के पास जाएगी तो गवर्नमेंट का टैक्स रेवेन्यू क्या हो रहा है इंक्रीज हो रहा है सेकंड सर इंपोर्ट से हम जो हमारी डोमेस्टिक कंपनीज हैं हम उन्हें क्या करते हैं प्रोटेक्ट करते हैं हम उन्हें क्या करते हैं प्रोटेक्ट करते हैं सर इंडिया के जो पेन मैन्युफैक्चरर्स हैं इनको हम प्रोटेक्ट करने का भी काम करते हैं ऐसा ना हो कि सर बहुत बल्क में इंपोर्ट हो जाए सस्ते रेट पर इंपोर्ट हो जाए जिससे इंडियन मैन्युफैक्चरर्स को सर नुकसान हो ठीक है चाइना जैसा देश क्या करता है बहुत बल्क में एक्सपोर्ट करता है उसकी जो कॉस्ट ऑफ प्रोडक्ट होती है वो बहुत कम होती है तो उसको इकोनॉमी ऑफ स्केल का फायदा मिलता है वो सस्ते रेट पर क्या करता है एक्सपोर्ट करता है तो इंडियन फर्म्स चाइनीज फर्म के साथ कंपीट नहीं कर पाती तो गवर्नमेंट इसीलिए क्या करती है इंपोर्ट ड्यूटी लगाती है ताकि चाइनीज प्रोडक्ट भी क्या हो जाए महंगा हो जाए और इंडियन को क्या मिले इंडियन प्रोड्यूसर्स को सर कंपीट करने का मौका मिले एक लेवल प्लेइंग फील्ड मिले इस चीज का काम करती है आपकी इंपोर्ट ड्यूटी सर कितने तरीके की इंपोर्ट ड्यूटी होती है बहुत तरीके की होती है मेनली जो आपके पास होती है वो होती है एक स्पेसिफिक टैरिफ और एक होती है एडोले टैरिफ ये मेनली दो तरीके की होती है बाकी अदर वाइज और बहुत सारे हैं लेकिन इंपॉर्टेंट आपके पास दो हैं स्पेसिफिक टैरिफ क्या होता है स्पेसिफिक टैरिफ होता है कि सर आपका फिक्स्ड रेट ऑफ ड्यूटी होता है आपका एक फिक्स्ड अमाउंट ऑफ ड्यूटी है जो आपसे कलेक्ट करा जाता है यहां पर अमाउंट क्या है फिक्स्ड है यहां पर अमाउंट क्या है फिक्स्ड है जैसे एग्जांपल ले कि सर अगर आप साइकिल इंपोर्ट करते हो आप साइकिल अगर इंपोर्ट करते हो तो गवर्नमेंट कहती है कि हम आपसे 000 की ड्यूटी लेंगे हम आपसे 000 की ड्यूटी लेंगे फिक्स्ड ड्यूटी है आप 10 साइकिल इंपोर्ट करोगे तो 1000 * 10 00 की ड्यूटी अब 100 साइकिल इंपोर्ट करोगे 1000 * 100 ₹ लाख की ड्यूटी आप 50 साइकिल इंपोर्ट करोगे 1000 * 50 50 साइकल की इंपोर्ट ड्यूटी यहां पे साइकिल की वैल्यू कितनी है इससे फर्क नहीं पड़ता कितनी नंबर्स ऑफ साइकिल आई हैं कितनी नंबर ऑफ साइकिल आई है उससे फर्क पड़ता है तो अगर आप 500 साइकिल्स इंपोर्ट करोगे तो हर साइकिल पर आपको 000 की ड्यूटी पे करके चलना पड़ेगा यानी कि 5 लाख की ड्यूटी लगेगी इन साइकिल्स की वैल्यू क्या है सर ये साइकिल 5000 की 10000 की है 15000 की है साइकिल कितने की है उससे मतलब नहीं है कितनी साइकिल आई है पाच आई है 10 आई है 15 आई है 50 आई है 100 आई है जितनी भी साइकिल आई है उस परे मल्टीप्ला बाय 1000 दैट विल बी द आपका इंपोर्ट ड्यूटी इसके बाद जो एडोले टैरिफ है यह कहता है कि सर आपकी जो इंपोर्ट ड्यूटी होगी आपकी जो इंपोर्ट ड्यूटी होगी वो होगी जो भी गुड्स की वैल्यू है जो भी गुड्स की वैल्यू है इनटू रेट ऑफ ड्यूटी तो एडवम में आपके पास क्या होता है फिक्स्ड परसेंटेज ऑफ ड्यूटी लगाई जाती है यहां पर आपके पास फिक्स्ड परसेंटेज ऑफ ड्यूटी लगाई जाती है आपने कितने नंबर ऑफ यूनिट्स इंपोर्ट करे उससे मतलब नहीं है कितनी वैल्यू के इंपोर्ट करें उससे मतलब है फॉर एग्जांपल अगर हम कहे कि गवर्नमेंट यह कहती है कि हम 20 पर ड्यूटी लेंगे ऑन द वैल्यू ऑफ साइकिल ऑन द वैल्यू ऑफ साइकिल तो जैसे मान लीजिए आपने 50 साइकिल्स इंपोर्ट करी आपने 50 साइकिल इंपोर्ट करी इस 50 में से 30 साइकिल्स ऐसी थी जिनकी वैल्यू मान लो फॉर टाइम बीइंग मान लो इन 30 साइकिल की वैल्यू आपके पास ₹ लाख की थी और जो बची हुई 20 साइकिल है उनकी वैल्यू आपके पास 5 लाख र की थी ठीक है मतलब यह महंगी साइकिल थी यह सस्ती साइकिल थी तो यहां पर क्या होगा आपको 3 लाख का 20 पर 0000 का ड्यूटी लगेगा 5 लाख का 20 पर लाख का ड्यूटी लगेगा यानी कि एडवम बिल्कुल स्पेसिफिक का उल्टा उ है एडवोल आपके पास बिल्कुल उल्टा है आपने अगर बायसाइकिल इंपोर्ट करी अगर आपने बायसाइकिल इंपोर्ट करी तो आपने कितनी नंबर ऑफ बायसाइकिल इंपोर्ट करी उससे मतलब नहीं है हमें नंबर से मतलब नहीं है हमें किससे मतलब है हमें साइकिल की वैल्यू से मतलब है तो एडोले के अंदर एडवोल के अंदर हम वैल्यू पे अपना इंपोर्ट ड्यूटी चार्ज करते हैं और स्पेसिफिक के अंदर हमने कितनी नंबर ऑफ यूनिट्स मंगाई है उसके ऊपर अपन ड्यूटी चार्ज करते हैं अगला पॉइंट आता है मिक्सड टैरिफ मिक्सड टैरिफ में गवर्नमेंट कहती है कि हम आपसे या तो स्पेसिफिक स्पेसिफिक टैरिफ लेंगे या फिर हम आपसे एडोले टैरिफ लेंगे दोनों में जो भी आपका क्या आएगा हायर इन दोनों में जो भी आपका क्या आएगा हायर फॉर एग्जांपल आपने 100 बायसाइकिल इंपोर्ट करी आपने 100 बायसाइकिल इंपोर्ट करी और 000 के हिसाब से आपकी स्पेसिफिक ड्यूटी बनती है 000 के हिसाब से आपकी स्पेसिफिक ड्यूटी बनती है ₹ लाख तो गवर्नमेंट कहती है या तो हम आपसे स्पेसिफिक ड्यूटी लेंगे ₹ लाख की या फिर 20 ऑफ वैल्यू ऑफ साइकिल मान लो यह 100 साइकिल की जो कीमत है वो है आपके पास 5 लाख र की या ₹ लाख र की मान के चलो यह जो 100 साइकिल आपने इंपोर्ट करी है इनकी जो कीमत है वह है ₹ लाख की 6 लाख का 20 पर होता है 1200 तो गवर्नमेंट कहती है या तो हम आपसे स्पेसिफिक ड्यूटी लेंगे या तो एडोले लेंगे इन दोनों में जो भी आपका हायर है तो मिक्स्ड के अंदर स्पेसिफिक या फिर एडोले दोनों में जो भी आपका हायर होगा उसका ड्यूटी चार्ज किया जाएगा यह गवर्नमेंट की मर्जी है कि वह कौन से प्रोडक्ट पे स्पेसिफिक रखना चाहती है कौन से प्रोडक्ट पे एडोले करम रखना चाहती है कौन से प्रोडक्ट पे मिक्स रखना चाहती है गवर्नमेंट की मर्जी है गवर्नमेंट किसी भी प्रोडक्ट पे किसी भी तरी का ड्यूटी आपसे चार्ज कर सकती है कंपाउंड टैरिफ के अंदर क्या होता है कंपाउंड टैरिफ के अंदर आपके ऊपर स्पेसिफिक ड्यूटी भी लगती है और आपके पास एडोले भी लगती है मतलब दोनों ड्यूटी चार्ज करी जाती है स्पेसिफिक भी लगती है और एडोले भी लगती है एग्जांपल एग्जांपल जैसे गवर्नमेंट कह सकती है गवर्नमेंट कह सकती है कि हम आपसे ड्यूटी लेंगे चीज के ऊपर 5 पर एडोले से मतलब चीज की जो वैल्यू है उसका 5 पर आपसे ड्यूटी लिया जाएगा प्लस इसके साथ-साथ जितने किलोग्राम आपने चीज इंपोर्ट किया है उस परे 00 पर किलोग्राम लिया जाएगा तो फॉर एग्जांपल आपने मान लो 500 केजी चीज इंपोर्ट किया है आपने 500 केजी इंपोर्ट किया है ट रुपीस मान के चलते राजा बेटा ट रुपीस 400 पर केजी ट रुपी 400 पर केजी तो ऐसे केस में क्या होगा आपकी जो ड्यूटी लग रही है आपकी जो ड्यूटी लग रही है वह 00 पर केजी तो 500 केजी इन 00 पर केजी स्पेसिफिक तो लगेगी ही लगेगी कंपाउंड के अंदर पाउंड के अंदर स्पेसिफिक तो लगेगी ही लगेगी इसके साथ एडोले भी लगेगी इसके साथ एडोले भी लगेगी तो 500 केजी चीज आपने 400 के हिसाब से मंगाया है इसकी वैल्यू कितने की होगी 2 लाख की इसकी वैल्यू कितने की होगी 2 लाख की 500 * 400 यस 2 लाख की तो 2 लाख का आपको 5 पर ये एडोले हो गया और ये स्पेसिफिक हो गया तो 2 लाख का 5 पर प्लस अपने पास 50000 लाख 500 इन 100 500 और दो लाख का 5 पर टोटल आपके पास 0000 का ड्यूटी निकल कर आ जाएगा ठीक है तो मिक्सड के अंदर मिक्सड के अंदर या तो स्पेसिफिक लगती है या तो एडोले लगती है दोनों में जो भी हायर है मिक्स्ड के अंदर और है और और कंपाउंड के अंदर एंड है कंपाउंड के अंदर एंड है आपके पास कॉमिनेशन लगता है एडोले का एंड स्पेसिफिक टैरिफ का ठीक है जी अगली ड्यूटी आती है टेक्निकल और अदर टैरिफ टेक्निकल और अदर टैरिफ क्या कहता है कि जो कंपोनेंट्स आपने इंपोर्ट करे हैं जो प्रोडक्ट आपने इंपोर्ट किया है हम प्रोडक्ट पर ड्यूटी नहीं लगाएंगे उस प्रोडक्ट के साथ जो कंपोनेंट्स आए हैं हम उस कंपोनेंट्स पर ड्यूटी लगाएंगे फॉर एग्जांपल ऐसा हो सकता है कि जब आप मोबाइल इंपोर्ट करो तो ओबवियस है मोबाइल के साथ आपका हैंडसेट आएगा मोबाइल के साथ आपका चार्जर आएगा मोबाइल के साथ आपका टेंपर्ड ग्लास आएगा कई बार आपको मोबाइल के साथ मोबाइल का कवर भी मिल जाता है कई बारी आपको मोबाइल के साथ हेडफोंस भी मिल जाते हैं ईयरफोन जिसको बोलते हैं आजकल तो यह प्रथा धीरे-धीरे खत्म हो रही है लेकिन फिर भी मान लो आपके पास एक मोबाइल आ रहा है और उस मोबाइल के अंदर यह सारी चीजें हैं तो गवर्नमेंट क्या कह रही है गवर्नमेंट कह रही है हम हैंडसेट पर 15 पर की ड्यूटी लगाएंगे हम चार्जर के ऊपर 10 पर से ड्यूटी लगाएंगे हम टेंपर्ड ग्लास के ऊपर 20 पर से ड्यूटी लगाएंगे हम कवर के ऊपर ₹10 पर कवर यानी कि स्पेसिफिक ड्यूटी लगाएंगे और इयरफोंस के ऊपर हम 5 पर का ड्यूटी लगाएंगे तो गवर्नमेंट ने क्या किया अलग-अलग आइटम पे अलग-अलग ड्यूटी लगा दी आपने एक मोबाइल इंपोर्ट किया था उस मोबाइल के जो अलग-अलग कंपोनेंट्स थे उन अलग-अलग कंपोनेंट्स पे अलग-अलग ड्यूटी चार्ज कर दी इसको बोलते हैं टेक्निकल टैरिफ इसको क्या बोलते हैं इसको बोलते हैं अपने पास टेक्निकल टैरिफ अगला आता है टैरिफ रेट कोटा टैरिफ रेट कोटा क्या कहता है कि अगर आप एक लिमिट तक मंगाओ ग तो आपसे कम रेट ऑफ ड्यूटी लेंगे और लिमिट से ज्यादा मंगाओ ग तो आपसे हम ज्यादा रेट ऑफ ड्यूटी लेंगे फॉर एग्जांपल गवर्नमेंट ने यह रूल बनाया कि अगर आप शुगर इंपोर्ट करते हो 40000 केजी तक अगर आप शुगर इंपोर्ट करते हो 40000 केजी तक तो हम आपसे 7.5 का ड्यूटी लेंगे और अगर आप इंपोर्ट करते हो मोर देन 40000 केजी तो हम आपसे 12 का ड्यूटी लेंगे मतलब अगर आप कम क्वांटिटी इंपोर्ट कर रहे हो हमने एक कोटा बना दिया कि 40000 केजी तक अगर आप इंपोर्ट करते हो 40000 केजी तक 40000 का कोटा है 40000 केजी तक इंपोर्ट करते हो तो लोअर रेट ऑफ ड्यूटी लगेगी और 40000 केजी से ज्यादा इंपोर्ट करते हो तो 12 पर का ड्यूटी लगेगा हायर रेट ऑफ ड्यूटी लगेगा इसको बोलते हैं टैरिफ रेट कोटा टैरिफ रेट कोटा इसके अंदर दो पॉलिसी इंस्ट्रूमेंट होते हैं एक गवर्नमेंट कोटा लगाती है और एक गवर्नमेंट टैरिफ लगाती है 40000 कोटा है ये जो 40000 केजी है ये क्या है कोटा है दिस इज व्हाट दिस इज कोटा एंड दिस इज व्हाट दिस इज टैरिफ तो अगर आप विद इन द कोटा माल मंगाओ ग तो लो रेट ऑफ ड्यूटी लगेगी और अगर आउटसाइड द कोटा माल मंगाओ ग अबोव कोटा माल मंगाओ ग तो आपके ऊपर हायर रेट ऑफ ड्यूटी इंपोज करा जाएगा इसके बाद अगला पॉइंट निकल कर आता है आपके पास मोस्ट फेवर्ड नेशन टैरिफ मोस्ट फेवर्ड नेशन टैरिफ क्या है कि आप जितने भी डब्ल्यूटीओ मेंबर्स हैं उनसे सेम रेट ऑफ ड्यूटी चार्ज करोगे दैट विल बी टर्म्ड एज मोस्ट फेवर्ड नेशन ड्यूटी दैट विल बी टर्म्ड एज मोस्ट फेवर्ड नेशन ड्यूटी राइट राइट तो क्या बोल रहा आपसे एमएफएन टैरिफ रिफर टू इंपोर्ट टैरिफ एमएफएन टैरिफ रिफर टू इंपोर्ट टैरिफ व्हिच कंट्रीज प्रॉमिस टू इंपोज व्हिच कंट्रीज प्रॉमिस टू इंपोज ऑन इंपोर्ट्स फ्रॉम अदर मेंबर ऑन इंपोर्ट्स फ्रॉम अदर मेंबर्स ऑफ़ द डब्ल्यूटीओ अनलेस द कंट्री इज़ अ पार्ट ऑफ प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट दिस मींस दैट इन प्रैक्टिस एमएफएन रेट्स आर द हाईएस्ट मोस्ट रिस्ट्रिक्टिव दैट डब्ल्यूटीओ मेंबर चार्ज ईच अदर दैट डब्ल्यूटीओ मेंबर चार्ज ईच अदर तो डब्ल्यूटीओ में टोटल 164 मेंबर्स है डब्ल्यूटीओ में टोटल आपके पास 164 मेंबर्स है तो इंडिया कहती है इंडिया कहती है कि भाई यह जो 164 मेंबर्स है हम सब दोस्त हैं हम सब भाई बहन है हम सब एक हैं तो हम क्या करेंगे हम यहां पर 15 पर का ड्यूटी लेंगे चाहे किसी भी कंट्री से माल आए यूएसए से माल आएगा 15 लेंगे जर्मनी से माल आएगा 15 लेंगे ऑस्ट्रेलिया से माल आएगा 15 लेंगे नीदरलैंड से माल आएगा 15 लेंगे आयरलैंड से माल आएगा 15 लेंगे यूके से माल आएगा 15 लेंगे मोस्ट फेवर्ड नेशन का मतलब क्या हो गया कि डब्ल्यूटीओ के जितने मेंबर्स हैं हम सबसे एक ही रेट ऑफ ड्यूटी चार्ज करेंगे इट इज जस्ट लाइक कि जैसे मान लो आपके पांच दोस्त हैं तो आप उन पांचों दोस्त को क्या करते हो इक्वली ट्रीट करते हो किसी को कम नहीं किसी को ज्यादा नहीं तो ये वो इक्वल ट्रीटमेंट की बात कर रहा है कि अगर यूएसए से हम 15 पर पे इंपोर्ट करते हैं अगर यूएसए का माल इंडिया में आता है और उस परे 15 पर का ड्यूटी लगता है तो ये 15 पर का रेट ही हम एप्लीकेबल करेंगे बाकी कंट्रीज के साथ हम 15 पर से ज्यादा का रेट चार्ज नहीं करेंगे हम 15 पर से ज्यादा का रेट चार्ज नहीं करेंगे लेकिन अगर हमारा किसी कंट्री के साथ ज्यादा फ्रेंडली रिलेशन है हमारा किसी कंट्री के साथ ज्यादा फ्रेंडली रिलेशन है तो हम 15 पर से कम चार्ज कर सकते हैं फॉर एग्जांपल यूएसए का और इंडिया का प्यार है यूएसए और इंडिया का प्यार है तो यूएसए से हम ऐसा कर सकते हैं कि जब माल आए तो हम 12 पर का ड्यूटी लगाएं ऐसा कर सकते हैं मतलब अगर हम किसी के साथ प्रेफरेंशियल एग्रीमेंट में चले गए अगर हम किसी के साथ प्रेफरेंशियल एग्रीमेंट में चले गए तो वहां पर अपन लोअर रेट ऑफ ड्यूटी लगा सकते हैं अगर हम किसी के साथ प्रेफरेंशियल एग्रीमेंट में चले गए तो वहां पर हम लोअर रेट ऑफ ड्यूटी चार्ज कर सकते हैं बात समझ में आ रहा है कि नहीं बात समझ में आ रहा है कि नहीं हां सर समझ में आ रहा है वहां पर हम लोअर रेट चार्ज कर सकते हैं ले लेकिन अगर आपसे पूछा जाए कि एमएफएन क्या है मोस्ट फेवर्ड नेशन रेट क्या है मोस्ट फेवर्ड नेशन टैरिफ क्या है तो भाई वो टैरिफ वो टैरिफ जो हम सभी डब्ल्यूटीओ मेंबर से चार्ज करेंगे वो टैरिफ जो हम सभी डब्ल्यूटीओ मेंबर से चार्ज करेंगे इससे ज्यादा रेट जब हम चार्ज नहीं करेंगे दैट विल बी टर्म्ड एज मोस्ट फेवर्ड नेशन टैरिफ ठीक है ठीक है हम 15 पर से ज्यादा चार्ज नहीं कर सकते लेकिन 15 पर से कम चार्ज कर सकते हैं अगर हमारा किसी कंट्री के साथ प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट है तो ठीक है तो मैं यहां पर लिख देता हूं एमएफएन एमएफएन आपके पास क्या है सर एमएफएन मैक्सिमम रेट ऑफ इंपोर्ट ड्यूटी है मैक्सिमम रेट ऑफ इंपोर्ट ड्यूटी है जो हम चार्ज करते हैं जो हम चार्ज करते हैं फ्रॉम ऑल द मेंबर्स फ्रॉम ऑल द मेंबर्स ऑफ डब्ल्यूटीओ फ्रॉम ऑल द मेंबर्स ऑफ डब्ल्यूटीओ एमएफएन इज द मैक्सिमम रेट ऑफ इंपोर्ट ड्यूटी जो हम चार्ज करते हैं फ्रॉम ऑल द मेंबर्स ऑफ द डब्ल्यूटीओ इससे ज्यादा इससे ज्यादा रेट चार्ज नहीं कर सकते इससे ज्यादा रेट चार्ज नहीं कर सकते किसी भी डब्ल्यूटीओ मेंबर से इससे ज्यादा रेट चार्ज नहीं कर सकते किसी भी डब्ल्यूटीओ मेंबर से लेकिन अगर किसी से लेकिन अगर किसी से प्रेफरेंशियल एग्रीमेंट है अगर किसी से प्रेफरेंशियल एग्रीमेंट है तब एमएफएन से कम रेट चार्ज कर सकते हैं ठीक है तो एमएफएन क्या है वह रेट जो हम चार्ज करते हैं सभी डब्ल्यूटीओ मेंबर से वो रेट जो हम चार्ज करते हैं सभी डब्ल्यूटीओ मेंबर से उसको बोलते हम लोग एमएफएन का रेट अगला आता है आपके पास वेरिएबल टैरिफ वेरिएबल टैरिफ क्या होता है सर ऐसा टैरिफ जो इंपोर्टेड गुड्स को डोमेस्टिक गुड्स के प्राइस के बराबर लाता है अ ड्यूटी टिपिकली फिक्स्ड टू ब्रिंग टू ब्रिंग द प्राइस ऑफ इंपोर्टेड कमोडिटी अप टू द लेवल ऑफ डोमेस्टिक सपोर्ट प्राइस ऑफ द डोमेस्टिक सपोर्ट प्राइस क्या बोल रहा है सर इंपोर्टेड के प्राइस को डोमेस्टिक सपोर्ट प्राइस पर लाने के लिए जो ड्यूटी चार्ज करी जाती है उसको बोलते हैं वेरिएबल टैरिफ फॉर एग्जांपल क्लोथ का डोमेस्टिक सपोर्ट प्राइस गवर्नमेंट ने फिक्स करा हुआ है मान लो र पर मीटर ठीक है क्लोथ का मान लो डोमेस्टिक सपोर्ट प्राइस गवर्नमेंट ने फिक्स करा हुआ है 00 पर मीटर अब हमारे पास क्लोथ इंपोर्ट हुआ ट रुपी 95 पर मीटर मतलब सस्ते में इंपोर्ट हुआ तो गवर्नमेंट यहां पर क्या करेगी वेरिएबल टैरिफ लगाएगी ₹ पर मीटर का और इस इंपोर्टेड क्लॉथ को डोमेस्टिक सपोर्ट प्राइस के बराबर ले आएगी तो जब इंपोर्टेड प्राइस को डोमेस्टिक सपोर्ट प्राइस के बराबर लाने के लिए जो ड्यूटी चार्ज करी जाती है उसको अपन बोलते हैं वेरिएबल टैरिफ अगर मान लो अगर मान लो यह आपके पास क्लॉथ इंपोर्ट हुआ होता अगर आपके पास क्लॉथ इंपोर्ट हुआ होता 92 पर मीटर पर तो हम र पर मीटर का वेरिएबल टैरिफ लगाते मान लो यह कपड़ा आपके पास आया है यूएसए से और यह कपड़ा मान लो आपके पास आया है बांग्लादेश से ये आया है बांग्लादेश से तो गवर्नमेंट वेरिएबल टैरिफ अलग-अलग लगाती है यूएसए से माल 95 का आ रहा है तो उसपे ₹ का वेरिएबल टैरिफ लगा दिया बांग्लादेश से माल 92 पे आ रहा है तो उस पे ₹ का वेरिएबल टैरिफ लगा दिया उस पे ₹ का वेरिएबल टैरिफ लगा दिया तो अलग-अलग कंट्री से अलग-अलग वैल्यू पे माल आता है और अलग-अलग वेरिएबल टैरिफ लगाया जाता है सो दैट कि आप डोमेस्टिक सपोर्ट प्राइस के बराबर आ सके यह उतना एग्जाम के लिए इंपॉर्टेंट नहीं है अगला आता है प्रेफरेंशियल टैरिफ प्रेफरेंशियल टैरिफ क्या होता है कि सर कुछ कंट्रीज आपस में एग्रीमेंट कर लेती हैं कि हम एक दूसरे के साथ इंटरनेशनल ट्रेड करेंगे और उसमें हम लोग कम रेट ऑफ ड्यूटी चार्ज करेंगे जैसे एक ट्रेड एग्रीमेंट है उसको नाम दिया गया है नाफ्ताइसी नेक्स्ट चैप्टर में डिटेल में मतलब नेक्स्ट यूनिट में आगे चलकर डिटेल में य आएगा कि नाफ्ताइसी एग्रीमेंट में इन्होंने कहा है कि हम एक दूसरे से इंपोर्ट ड्यूटी चार्ज नहीं करेंगे मतलब अगर अमेरिका मेक्सिको को माल भेजेगा तो मेक्सिको इस माल पर एक भी रुपए की ड्यूटी चार्ज नहीं करेगी कैनेडा अगर ऑस्ट्रेलिया को माल भेजेगा तो अमेरिका सॉरी कनाडा अगर अमेरिका को माल भेजेगा तो अमेरिका यहां पर कोई भी इंपोर्ट ड्यूटी चार्ज नहीं करेगी मतलब यह तीनों खिलाड़ी जब आपस में ट्रेड करेंगे तो यह लोग आपस में कोई भी ड्यूटी चार्ज नहीं करेंगे यह लोग आपस में कोई भी ड्यूटी चार्ज नहीं करेंगे अगर आपस में ड्यूटी चार्ज नहीं करेंगे तो आप यह मान लो कि यह नाफ्ताइसी मेक्सिको में जा रहा है मान लो इंडियन रुपीज में बात करूं कि 000 का जा रहा है और मेक्सिको उस परे कोई भी ड्यूटी नहीं लगा रही तो मेक्सिको की मार्केट में वह आराम से 5000 का बिकेगा मेरी बात समझ में आ रही है जो प्राइस जो प्राइस यहां पर चल रहा है वही प्राइस वहां पर चलेगा इंपोर्ट ड्यूटी लगी नहीं राइट नियर ऑल द कंट्रीज आर पार्ट ऑफ एटलीस्ट वन प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट अंडर विच दे प्रॉमिस इन दे प्रॉमिस टू गिव अनदर कंट्रीज प्रोडक्ट लोअर टैरिफ देन देयर एमएफएन रेट तो एमएफएन रेट से कम रेट पर हम आपको इंपोर्ट ड्यूटी चार्ज करेंगे दस एग्रीमेंट्स आर रेसिप कल एक दूसरे से वादा करते हैं तो यह तीनों आपस में आपस में डिसाइड करे हैं कि हमारा जो रेट होगा वह क्या होगा जीरो होगा अ लोअर टैरिफ इ चार्ज फ्रॉम द गुड्स इंपोर्टेड फ्रॉम अ कंट्री विच इज गिवन प्रेफरेंशियल ट्रीटमेंट एम आपके पास यूरोपियन है यूरोपियन रीजन यूरोपियन रीजन यूरोप के अंदर जितनी भी कंट्रीज है इनका भी आपस में एग्रीमेंट है कि यह लोग आपस में ड्यूटी चार्ज नहीं करते यूरोप की जितनी भी कंट्रीज है अगर इन कंट्रीज के बीच में इंपोर्ट एक्सपोर्ट होती है तो वहां पर यह ड्यूटी चार्ज नहीं करते प्रेफरेंशियल ट्रीटमेंट देते हैं प्रेफरेंशियल ट्रीटमेंट देते हैं अगला पॉइंट आता है बाउंड टैरिफ बाउंड टैरिफ कहता है कि अगर आप डब्ल्यूटीओ मेंबर्स को एक लीगल कमिटमेंट दे दो अगर आप डब्ल्यूटीओ मेंबर्स को एक लीगल कमिटमेंट दे दो कि आप किसी पर्टिकुलर प्रोडक्ट पर आप किसी पर्टिकुलर प्रोडक्ट पर आप किसी पर्टिकुलर प्रोडक्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी नहीं बढ़ाओ ग एक इंपोर्ट ड्यूटी फिक्स कर दो जैसे मेरा जो एमएफएन का रेट है इंडिया की बात कर रहा हूं एग्जांपल ले रहा हूं मान लो मेरा एमएफएन का रेट है 15 पर मैंने कहा कि डब्ल्यूटीओ मेंबर से अगर मेरी कंट्री में माल आएगा डब्ल्यूटीओ मेंबर से अगर मेरी कंट्री में माल आएगा तो मैं मैक्सिमम 15 पर का ड्यूटी लगाऊंगा लेकिन मैंने एक और गारंटी दी मैंने कहा कि मेरी कंट्री में मान लीजिए लैपटॉप्स की दिक्कत है मेरी कंट्री में लैपटॉप्स की दिक्कत है या फिर हम यह चाहते हैं कि हमारी कंट्री में बढ़िया से बढ़िया लैपटॉप सस्ते रेट पर अवेलेबल हो क्योंकि हमारा जो इकोनॉमी है वो जनरली सर्विस बेस्ड इकोनॉमी है हम लोग ज्यादा सर्विसेस देते हैं हमारा जो जीडीपी का कंट्रीब्यूशन है वो टर्श सेक्टर का ज्यादा है मतलब वी आर मेनली इनटू अ सर्विस प्रोवाइड थिंग और हम चाहते हैं कि हमारे सर्विस प्रोवाइडर के पास सस्ते रेट पर लैपटॉप्स आए तो इंडिया ने डब्ल्यूटीओ मेंबर से बोल दिया कि आप अगर हमारी कंट्री में लैपटॉप भेजोगे तो हम आपसे 12 पर का ही ड्यूटी लगाएंगे यह हो गया बाउंड रेट यह हो गया बाउंड रेट तो बाउंड रेट एक लीगल कमिटमेंट है एक स्पेसिफिक प्रोडक्ट को लेकर एक स्पेसिफिक प्रोडक्ट को लेकर कि हम इसका प्राइस इंक्रीज नहीं करेंगे एक स्पेसिफिक प्रोडक्ट को लेकर कि हम इसका प्राइस इंक्रीज नहीं करेंगे देखो एमएफएन एक जनरल मैक्सिमम रेट है कि हम किसी भी हाल में कोई भी माल आए चाहे लैपटॉप आए चाहे कपड़ा आए चाहे चीनी आए चाहे आपका मोबाइल आए चाहे आपका चश्मा आए इंडिया में कुछ भी इंपोर्ट होगा हम 15 पर से ज्यादा नहीं लेंगे यह जनरल जनरल रेट हो गया एक जनरल रेट फिक्स हो गया कि 15 पर से ज्यादा ड्यूटी नहीं लगेगी कोई भी माल इंडिया में आए लेकिन बाउंड रेट के अंदर हम एक पर्टिकुलर प्रोडक्ट का मैक्सिमम रेट फिक्स करते हैं बाउंड रेट के अंदर हम एक पर्टिकुलर प्रोडक्ट का मैक्सिमम रेट फिक्स करते हैं और हम इस रेट को बिना अपने ट्रेडिंग पार्टनर से नेगोशिएट करें इंक्रीज नहीं कर सकते तो एक बार हमने बाउंड रेट की कमिटमेंट दे दी कि भाई हम 12 पर से ज्यादा ड्यूटी नहीं लेंगे तो हम यहां पर 12 पर का रेट बिना अपने ट्रेडिंग पार्टनर्स के नेगो के साथ उनसे बातचीत करने के बाद ही हम इस 12 पर को बढ़ा सकते हैं अदर वाइज हम 12 पर के रेट को नहीं बढ़ा सकते आपका जो बाउंड रेट है ये इंश्योर करता है ट्रांसपेरेंसी एंड प्रिडिक्टेबल सामने वाली कंट्री को पता है कि अगर हम इंडिया को लैपटॉप्स भेजेंगे तो इंडिया में लैपटॉप पे ड्यूटी 12 पर की ही लगेगी तो जो बाकी कंट्रीज है अपने यहां पे इंफ्रास्ट्रक्चर प पैसा इन्वेस्ट करेंगी कि लैपटॉप उस की डिमांड इंडिया में ज्यादा है और इंडिया की गवर्नमेंट ने कमिटमेंट दिया है कि वह 12 पर से ज्यादा ड्यूटी नहीं लगाएगी तो हमारा प्रोडक्ट वहां पर इजली बिक पाएगा तो बाकी कंट्रीज इन्वेस्टमेंट करती हैं चाइना ने इन्वेस्टमेंट कर दी यूएसए ने इन्वेस्टमेंट कर दी ऑस्ट्रेलिया ने इन्वेस्टमेंट कर दी और वह इंडिया में क्या कर रहे हैं लैपटॉप्स को एक्सपोर्ट कर रहे हैं अब अगर इंडिया वालों ने यह ड्यूटी बढ़ा दी तो यूएसए का नुकसान होगा ऑस्ट्रेलिया का नुकसान होगा और चाइना का नुकसान होगा तो अगर हमारा बाउंड रेट बढ़ाने की वजह से अगर हमने बाउंड रेट को बढ़ा दिया और इस रेट को बढ़ाने की वजह से जो बाकी कंट्रीज है अगर उनका नुकसान हो रहा है तो हमें उस नुकसान के लिए क्या करना पड़ता है कंपनसेटर है कंपनसेटर रखना कि बाउंड टैरिफ क्या है एक स्पेसिफिक प्रोडक्ट का मैक्सिमम रेट है एक स्पेसिफिक प्रोडक्ट का मैक्सिमम रेट है इसके बाद आता है अप्लाइड टैरिफ अप्लाइड टैरिफ क्या है एक्चुअली में जो आपने टैरिफ इंपोज किया दैट इज अप्लाइड टैरिफ तो आपने गारंटी दी थी आपने गारंटी दी थी कि आप लैपटॉप पे 12 पर से ज्यादा ड्यूटी नहीं लोगे तो यह आपका बाउंड रेट था यह आपका बाउंड रेट था लेकिन आपने एक्चुअली में एक्चुअली में लैपटॉप पर केवल 10 पर का ही ड्यूटी लगाया तो दिस इज व्हाट दिस इज अप्लाइड रेट दिस इज व्हाट दिस इज अप्लाइड रेट अप्लाइड टैरिफ इज द ड्यूटी दैट इज एक्चुअली चार्जड ऑन द इंपोर्ट्स ऑन अ मोस्ट फेवर्ड नेशन अ डब्ल्यूटीओ मेंबर कैन हैव एन अप्लाइड टैरिफ कैन हैव द अप्लाइड टैरिफ डिफर फ्रॉम डिफर फ्रॉम बाउंड टैरिफ आपका जो अप्लाइड टैरिफ है वो बाउंड टैरिफ से अलग हो सकता अलग हो सकता है मेरा बाउंड टैरिफ 12 पर का था और मेरा अप्लाइड 10 पर का है मैंने अप्लाइड रेट बाउंड रेट से अलग लगाया है लेकिन यह तभी हो सकता है कि आपका अप्लाइड रेट क्या होना चाहिए बाउंड रेट से ज्यादा नहीं होना चाहिए इट शुड बी नॉट हायर देन द बाउंड लेवल बाउंड रेट से ज्यादा नहीं होना चाहिए ठीक है जी अगला आता है प्रोहिबिटेड टैरिफ प्रोहिबिटेड टैरिफ होता है कि आप इतना ज्यादा टैरिफ लगा दो आप इतना ज्यादा टैरिफ लगा दो कि सर इसका इंपोर्ट हो ही ना पाए ठीक है 200 पर 300 पर 400 पर बहुत हाई टैरिफ लगा दो कि आप इसका इंपोर्ट इंडिया में क्या कर दो रिस्ट्रिक्टर दो मतलब आपने 300 पर टैरिफ लगा दिया तो 300 पर टैरिफ का मतलब यह हुआ कि अगर ₹1 लाख का माल इंपोर्ट हुआ तो ₹ लाख की तो उस परे ड्यूटी लग गई मतलब 1 लाख का माल इंडिया तक आते-आते कितने का हो गया 4 लाख का हो गया तो एक तरीके से ये क्या हो गया प्रोहिबिट हो गया कोई भी इसको इंपोर्ट नहीं करेगा क्योंकि बहुत कॉस्टली हो जा रहा है प्रोहिबिटेड टैरिफ इज वन दैट इज सेट सो हाई दैट इज सेट सो हाई दैट नो इंपोर्ट्स कैन एंटर दैट नो इंपोर्ट्स कैन एंटर इसके बाद आता है इंपोर्ट सब्सिडी इंपोर्ट सब्सिडी क्या करती है इनकरेज करती है इंपोर्ट को इंपोर्ट सब्सिडी क्या करती है इनकरेज करती है इंपोर्ट को गवर्नमेंट अपने पास से इंपोर्टर को सब्सिडी देती है इंपोर्ट करने के लिए बेसिकली यह कहां पर होता है जो एसेंशियल चीजें होती है जैसे मान लो कोई बढ़िया टेक्नोलॉजी की मशीन है यह मशीन अगर इंडिया में आएगी तो इंडिया की प्रोडक्शन एफिशिएंसी इंक्रीज होगी तो गवर्नमेंट क्या कर सकती है इसके इंपोर्ट पे इंपोर्टर को सब्सिडी दे सकती है जैसे मान लो 1 करोड़ की मशीन है तो गवर्नमेंट कहती है 90 लाख तुम लगा दो 10 लाख हम दे देंगे तुम इस मशीन को इंपोर्ट करो यह मशीन अगर इंडिया में आएगी तो इंडिया की प्रोडक्शन कैपेसिटी बढ़ेगी इंडिया का माल अच्छा हो जाएगा इसको हम एक्सपोर्ट करके बढ़िया फॉरेन करेंसी कमा लेंगे राइट तो सर इंपोर्ट सब्सिडी आल्सो एजिस्ट इन सम कंट्रीज इंपोर्ट सब्सिडी इज सिंपली अ पेमेंट पर यूनिट और अ परसेंटेज ऑफ वैल्यू फॉर द इंपोर्टेशन ऑफ गुड्स दैट इज नेगेटिव इंपोर्ट टैरिफ मतलब गवर्नमेंट सामने से पैसा दे रही है अभी तक हमने जितने पॉइंट्स पढ़े थे वहां पर गवर्नमेंट पैसा चार्ज कर रही थी यहां पर गवर्नमेंट पैसा क्या कर रही है बेटा दे रही है यहां पर गवर्नमेंट पैसा क्या कर रही है बेटा दे रही है राइट चलिए भाई आगे बढ़ते हैं और अगला आता है टैरिफ एस रिस्पांस टू ट्रेड डिस्टॉर्शन ट्रेड डिस्टॉर्शन क्या होता है कि सामने वाली कंट्री अगर आपके यहां पर डिसर पशन करना चाहती है आपकी डोमेस्टिक मार्केट को डिस्ट्रॉय करना चाहती है इसके लिए हमारी गवर्नमेंट क्या करती है सर हमारी गवर्नमेंट आपके ऊपर ड्यूटी चार्ज करती है सो दैट कि आपका प्रोडक्ट इंडिया में महंगा हो जाए और हमारी जो डोमेस्टिक इंडस्ट्री है उसको नुकसान ना हो मेजर्ली ऐसा दो केसेस में होता है जैसे मान लो चाइना क्या कर रही है चाइना अपने एक्सपोर्टर को अपने एक्सपोर्टर को सब्सिडी दे रही है वह कह रही है कि तुम इंडिया में माल भेजो तुम इंडिया में माल भेजो और हम तुम्हें सब्सिडी देंगे तुम सस्ते रेट पर इंडिया को माल एक्सपोर्ट करो जैसे माल की कीमत अगर 000 र की है तो यहां पर चाइना गवर्नमेंट क्या कर रही है सब्सिडी दे देती है ₹2000000 की और कहती है कि तुम इंडिया में यह माल ₹1000000 का आ रहा है ₹2000000 अपने एक्सपोर्टर को दे रही है कि भाई तू ₹2000000 कम में माल भेज तू सस्ते रेट पे इंडिया में माल भेजेगा इंडिया की मार्केट डिसर पट होगी जब सस्ते रेट पे इंपोर्टेड प्रोडक्ट जाएगा तो वहां के लोग हमारा प्रोडक्ट प्रेफर करेंगे वहां के जो प्रोड्यूसर्स है वहां के जो मैन्युफैक्चरर हैं वह इस प्राइस पे माल नहीं दे पाएंगे एंड ओवर द टाइम वह अपना धंधा बंद कर देंगे और हमारी मोनोपोली होगी और हम इंडिया में क्या करेंगे राज करेंगे तो कि जो इंडिया के प्रोड्यूसर्स हैं वह गवर्नमेंट के पास जाते हैं और गवर्नमेंट को बताते हैं कि मालिक देखो कि चाइना की गवर्नमेंट क्या कर रही है चाइना की गवर्नमेंट अपने एक्सपोर्टर को 00 की सब्सिडी देकर सस्ते रेट पर माल यहां पर भिजवा रही है मालिक हम मर जाएंगे कुछ करो तो हमारी गवर्नमेंट क्या करती है हमारी गवर्नमेंट इंडिया में काउंटर वेलिंग ड्यूटी लगाती है क्या लगाती है काउंटर वेलिंग ड्यूटी लगाती है इस काउंटर वेलिंग ड्यूटी को क्या बोलते हैं सीवीडी सीवीडी हम काउंटर अटैक करते हैं चाइना के ऊपर हम ये काउंटर वेलिंग ड्यूटी कितनी लगाते हैं जितनी वहां पर सब्सिडी दी गई थी तो चाइना गवर्नमेंट ने अपने एक्सपोर्टर को ₹ की सब्सिडी दी थी इंडियन गवर्नमेंट उस ₹ की इंडिया में ड्यूटी लगा देगी जिसको बोलते हैं काउंटरवेलिंग ड्यूटी यानी कि यह प्रोडक्ट वापस से इंडिया में कितने का हो जाएगा 000 का तो चाइना के इस एक्शन का इंडिया गवर्नमेंट ने मुंह तोड़ जवाब दिया जितने रुपए की सब्सिडी चाइना ने अपने एक्सपोर्टर को दी चाइना के अंदर इंडिया में हमारी गवर्नमेंट ने इंपोर्टर से ₹ एक्स्ट्रा ड्यूटी लेके उस प्रोडक्ट को वापस उसके ओरिजिनल प्राइस पर ले आया इसको बोलते हैं काउंटरवेलिंग ड्यूटी इसी तरीके से एक ड्यूटी लगती है एंटी डंपिंग ड्यूटी एंटी डंपिंग ड्यूटी क्या होती है कि मान लो एक चाइना का एक्सपोर्टर है एक चाइना का एक्सपोर्टर है वो क्या कर रहा है इंडिया में शूज भेज रहा है वह इंडिया में शूज भेज रहा है इंडिया में शूज भेज रहा है मान लो 00 में और यही शूज चाइना की मार्केट में यही शूज चाइना की मार्केट में 00 र का बिकता है इस केस में कोई सब्सिडी चाइना गवर्नमेंट नहीं दे रही सेकंड वाले केस में चाइना गवर्नमेंट कोई भी सब्सिडी नहीं दे रही चाइना का एक्सपोर्टर अपने पास से 00 में माल को इंडिया में भेज रहा है जबकि वही शूज चाइना की मार्केट में 900 का बिकता है वही शूज चाइना की मार्केट में 900 का बिकता है इसको बोलते हैं डंप करना ऐसा हो सकता है कि चाइना के एक्सपोर्टर के पास सरप्लस प्रोडक्शन हो गया हो इसने सरपस प्लस प्रोडक्शन कर लिया ज्यादा क्वांटिटी में प्रोडक्शन कर लिया और चाइना की मार्केट में उतनी डिमांड नहीं है तो अब ये क्या कर रहा है सस्ते रेट में अपना माल बेच रहा है जैसे आपने देखा होगा विंटर्स जब जाती है तो विंटर्स की जैकेट जो 6600 800 हजार हजार में बिक्री होती है वही चीज 200 300 में बिकनी शुरू हो जाती है तो जो स्वेटर जो स्वेट शर्ट्स महंगी बिक रही थी विंटर सीजन में वो बाद में सस्ती मिलने लगती है क्यों क्योंकि सर शॉपकीपर अपना माल क्लियर करना चाहता है वैसे ही एक्सपोर्टर अपने शूज का जो प्रोडक्शन है वह क्लियर करना चाहता है वह डोमेस्टिक मार्केट में रेट खराब नहीं करना चाहता वह सस्ते रेट में दूसरी कंट्री में माल भेज देता है इसको बोलते हैं डंप करना मतलब जब आपका एक्सपोर्ट प्राइस जब आपका एक्सपोर्ट प्राइस डोमेस्टिक प्राइस से कम हो जब आपका एक्सपोर्ट प्राइस डोमेस्टिक प्राइस से कम हो चाइना की डोमेस्टिक मार्केट में प्रोडक्ट 900 का बिकता है और यह प्रोडक्ट ₹ 600 का इंडिया में भेजा जा रहा है तो इसको बोलते हैं डंप करना जब एक्सपोर्ट प्राइस डोमेस्टिक प्राइस से कम होता है तो इसको बोलते हैं डंप करना ऐसे केस में इंडिया वाले क्या करते हैं ऐसे केस में इंडिया वाले एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाते हैं जितने पे आपने डंप किया है है उतने की ड्यूटी लगा दी 00 की बात खत्म ठीक है तो दो तरीके की ड्यूटी लगती है ट्रेड डिस्टॉर्शन में एक काउंटर वेलिंग ड्यूटी और एक एंटी डंपिंग ड्यूटी काउंटर वेलिंग ड्यूटी कब लगाते हैं जब चाइना की गवर्नमेंट सब्सिडी देती है एंटी डंपिंग ड्यूटी कब लगाते हैं जब एक्सपोर्टर माल डंप करता है डंप करने का मतलब कि एक्सपोर्ट प्राइस डोमेस्टिक प्राइस से क्या होता है कम होता है एक बार इसको आप लोग रीड कर लेना मैं इसको वापस से यहां पे रीड नहीं करवा ठीक है चलिए इसके बाद इफेक्ट्स ऑफ इंपोर्ट टैरिफ इंपोर्ट टैरिफ की वजह से क्या होता है सर सर इंपोर्ट टैरिफ की वजह से आपका जो ट्रेड है वह कम होता है यह एडवर्सली इफेक्ट करता है ट्रेड को ठीक है क्योंकि इंपोर्ट्स महंगे हो जाते हैं तो इंपोर्ट्स की डिमांड कम होती है और डिमांड कम होती है तो हम दूसरी कंट्री से ट्रेडिंग कम करते हैं राइट तो सर यह एडवर्सली इफेक्ट करता है ट्रेड को सर यह इफेक्ट करता है कंज्यूमर को कंज्यूमर का जो सरप्लस होता है वह छिन जाता है तो जैसे मान लो इंपोर्ट होकर आया था इंडिया में इंपोर्ट होकर आया था इंडिया में कोई चीज 00 की और गवर्नमेंट ने उस परे इंपोर्ट ड्यूटी लगा दी ₹ की तो हमने प्रोडक्ट ₹ महंगा कर दिया यह जो ₹ प्रोडक्ट हमने महंगा किया यह कौन बियर करेगा सर यह बियर करेगा अल्टीमेटली कस्टमर अल्टीमेटली इसे कौन बियर करेगा कस्टमर बियर करेगा तो कस्टमर की जेब से ₹ एक्स्ट्रा निकलेंगे जिसकी वजह से कंज्यूमर सरप्लस का क्या होगा नुकसान होगा राइट इसके बाद आता है अदर एडवर्स इफेक्ट सर आपका ट्रेड डिस्टॉर्शन होता है डिस्क होता है एफिशिएंट प्रोडक्शन हमने यूनिट वन में पढ़ा था कि हमारे पास इंटरने ल ट्रेड की वजह से रिसोर्सेस बेहतर तरीके से यूज होती हैं हम ज्यादा प्रोडक्शन करते हैं इकोनॉमी ऑफ स्केल का फायदा लेते हैं कॉस्ट पर यूनिट हमारी क्या होती है रिड्यूस होती है लेकिन जब हम इंटरनेशनल ट्रेड को डिस्कस कर रहे हैं तो एक तरीके से हम रिसोर्सेस को फुल्ली यूटिलाइज नहीं कर पाएंगे ऑप्टिमम यूटिलाइजेशन ऑफ रिसोर्सेस नहीं होगा इकोनॉमी ऑफ स्केल का फायदा नहीं मिलेगा यानी कि हम एफिशिएंट प्रोडक्ट को क्या कर देते हैं डिस्क्र कर देते हैं पॉजिटिव इफेक्ट क्या निकल कर आते हैं सर इंपोर्ट टैरिफ की वजह से हम डोमेस्टिक कंट्री जो डोमेस्टिक इंडस्ट्रीज है उनको प्रोटेक्ट कर पाते हैं उनको प्रोटेक्ट कर पाते हैं सर विदेशी कंपनियां इंडिया में आकर सस्ते रेट पर माल बेचें तो जो डोमेस्टिक इंडस्ट्रीज है वह खत्म हो जाएंगी वह कंपीट नहीं कर पाएंगी तो डोमेस्टिक इंडस्ट्रीज को कंपीट करने का मौका देते हैं हम इंपोर्टेड गुड्स को थोड़ा महंगा कर देते हैं इसके बाद बेनिफिट्स मिलता है डोमेस्टिक प्रोड्यूसर को क्योंकि उनको ज्यादा प्रोड्यूसर सरप्लस मिल जाता है जब इंपोर्टेड गुड्स महंगे हो जाते हैं तो यह ऑप्शन निकल कर आता है डोमेस्टिक प्रोड्यूसर के पास भी कि वो अपना सामान क्या कर सकता है थोड़ा सा महंगा बेच सकता है जब इंपोर्टेड गुड्स इंडिया में महंगे हैं तो डोमेस्टिक गुड्स को भी थोड़ा सा महंगा किया जा सकता है जिससे प्रोड्यूसर को एक्स्ट्रा बेनिफिट मिलता है इसके बाद एंप्लॉय मेंट इंक्रीज करता है आपका सर इंटरनेशनल ट्रेड की वजह से एंप्लॉयमेंट बढ़ती है कैसे बढ़ती है सर हम ज्यादा प्रोडक्शन करते हैं ज्यादा प्रोडक्शन करने के लिए ज्यादा लेबर की जरूरत पड़ेगी ज्यादा लेबर जरूरत पड़ेगी मतलब कि एंप्लॉयमेंट क्रिएट होगी सर गवर्नमेंट को फायदा होता है सर गवर्नमेंट को रेवेन्यू मिलता है गवर्नमेंट को रेवेन्यू मिलता है राइट चलिए अब एक पार्ट हमने इस चैप्टर का कंप्लीट कर लिया है अब हम दूसरे पार्ट पर चलते हैं और बात करते हैं नॉन टैरिफ मेजर्स पे नॉन टैरिफ मेजर मतलब गवर्नमेंट कस्टम ड्यूटी नहीं लगाएगी लेकिन फिर भी गवर्नमेंट क्या करेगी ट्रेड को रेगुलेट करेगी ट्रेड को कंट्रोल करेगी नॉन टैरिफ मेजर मतलब जिसमें गवर्नमेंट ड्यूटी चार्ज नहीं कर रही लेकिन ऐसे रूल्स एंड रेगुलेशंस लेकर आ रही है ऐसे पॉलिसी मेजर्स लेकर आ रही है जो आपके पास पोटेंशियल इफेक्ट रखती है पोटेंशियल इफेक्ट रखती है आपके इंटरनेशनल ट्रेड को आपके इंटरनेशनल ट्रेड को चेंज करने के लिए ठीक है आपके पास नॉन टैरिफ मेजर्स मैंडेटरी रिक्वायरमेंट्स होती है जो आपको फुलफिल करनी ही करनी है यह रूल्स एंड रेगुलेशंस है जो आपको फॉलो करने ही करने हैं अगर आप यह रूल्स एंड रेगुलेशंस फॉलो नहीं करेंगे तो आप इंपोर्ट नहीं कर पाएंगे आप इंपोर्ट नहीं कर पाएंगे अब एक चीज समझिए एक होता है नॉन टैरिफ बैरी एक होता है नॉन टैरिफ बैरियर बैरियर का मतलब क्या होता है कि हम एक तरीके से इंपोर्ट को बैन कर रहे हैं हम एक तरीके से इंपोर्ट को बैन कर रहे हैं तो आपका जो नॉन टैरिफ बैरियर है यह एनटी बी और एक है आपके पास नॉन टैरिफ मेजर क्या यह दोनों सेम है द आंसर इज नो नॉन टैरिफ बैरियर और एनटी एम सेम नहीं है नॉन टैरिफ मेजर्स में हम रूल्स एंड रेगुलेशंस लगाते हैं इसके अंदर हम रूल्स एंड रेगुलेशंस लगाते हैं टू कंट्रोल द इंपोर्ट टू कंट्रोल द इंपोर्ट अब कंट्रोल का मतलब कंप्लीट बैन नहीं होता कंट्रोल का मतलब कंप्लीट बैन नहीं होता नॉन टैरिफ बैरियर का मतलब होता है बैन करना नॉन टैरिफ बैरियर का मतलब होता है बैन करना जबकि नॉन टैरिफ मेजर का मतलब होता है कि इंपोर्ट्स को कंट्रोल करना आपका नॉन टैरिफ मेजर एक वाइडर टर्म है नॉन टैरिफ मेजर आपका एक वाइडर टर्म है और नॉन टैरिफ मेजर का पार्ट है नॉन टैरिफ मेजर का एक पार्ट है नॉन टैरिफ बैरियर तो जब कभी भी हमें लगता है कि डोमेस्टिक इंडस्ट्री को नुकसान हो रहा है तब हम नॉन टैरिफ बैरियर लगाते हैं तो नॉन टैरिफ बैरियर एक तरीके का नॉन टैरिफ मेजर ही है नॉन टैरिफ बैरियर एक तरीके का नॉन टैरिफ मेजर ही है तो हम यह बोल सकते हैं कि जो नॉन टैरिफ बैरियर है इट इज अ सबसेट नॉन टैरिफ बैरियर इज अ इ इ अ सबसेट इट इज अ सबसेट ऑफ नॉन टैरिफ मेजर इट इज अ सबसेट ऑफ नॉन टैरिफ मेजर सबसेट का मतलब पार्ट इट इज अ पार्ट ऑफ नॉन टैरिफ मेजर अब सर हमारे पास नॉन टैरिफ मेजर्स दो तरीके के आते हैं एक आता है आपके पास टेक्निकल मेजर्स और एक आता है आपके पास नॉन टेक्निकल मेजर्स एक आता है टेक्निकल मेजर और एक आता है नॉन टेक्निकल मेजर तो टेक्निकल मेजर की अगर हम बात करें तो टेक्निकल मेजर के अंदर हमारे पास दो चीजें आती है एक आती है सेनेटरी एंड फिटो सेनेटरी मेजर सेनेटरी एंड फिटो सैनिटरी मेजर और एक आता है हमारे पास टेक्निकल बैरियर टू ट्रेड सैनिटरी एंड फिटो सैनिटरी मेथड बेसिकली जो खाने पीने वाली चीजें होती हैं उसके ऊपर लगता है और यह कहता है कि कि कोई भी खाने पीने वाली चीज अगर इंडिया में आ रही है और उससे इंडिया के इंसानों को ह्यूमंस को एनिमल्स को प्लांट्स को एनवायरमेंट को अगर नुकसान है तो हम उसका इंपोर्ट इंडिया में नहीं होने देंगे तो जैसे कि अगर मान लो किसी एरिया में बर्ड फ्लू फैल रखा है तो वहां से अपन मीट प्रोडक्ट्स का इंपोर्ट नहीं करेंगे क्योंकि अगर कहीं पर बर्ड फ्लू फैल रखा है और वहां का मीट हमने कंज्यूम कर लिया तो ये चांसेस है कि वो बर्ड फ्लू हमारे इंडिया में भी फैले इंसानों को भी नुकसान पहुंचाएगा और वहां के वातावरण को भी एनिमल्स को भी नुकसान पहुंचाएगा तो सैनिटरी एंड फिटो सैनिटरी मेजर बेसिकली खाने पीने वाली चीजों पे लगते हैं इनमें गाइडलाइंस बनाई जाती है कि जो खाने-पीने का सामान होना चाहिए वो किस क्वालिटी का होना चाहिए किस ग्रेड का होना चाहिए अगर उसी क्वालिटी और उसी ग्रेड का होगा तभी इंपोर्ट करने दिया जाएगा अगर क्वालिटी और ग्रेड के जो स्टैंडर्ड्स बनाए गए हैं उस स्टैंडर्ड्स को अगर वह खाने पीने का सामान मीट आउट नहीं करता तो उसका इंपोर्ट हम इंडिया में नहीं होने देंगे जैसे ऐसी रिक्वायरमेंट हो सकती है कि हमारे पास अगर मान लो किसी कंट्री लेट्स से ऑस्ट्रेलिया से अगर एप्पल इंडिया में आ रहे हैं ऑस्ट्रेलिया से अगर एप्पल इंडिया में आ रहे हैं तो उन एप्पल का क्या होगा सर उन एप्पल के ऊपर इंसेक्टिसाइड पेस्टिसाइड्स का छिड़काव हो होगा और उसके बाद ही उसे इंडिया में इंपोर्ट करा जाएगा तो राइट तो यह क्या हो गया एक सैनिटरी एंड फिटो सैनिटरी मेजर हो गया कि भाई एप्पल अगर ऑस्ट्रेलिया से आ रहे हैं तो उनके ऊपर आपका इंसेक्टिसाइड और पेस्टिसाइड्स छिड़काव होगा ताकि हम उसमें से जितने भी इंफेक्शन हैं जो भी हमारे पास खतरा है उसको अपन दूर करें एंड देन हम हमारे पास उसको इंडिया में क्या करें कंज्यूम करें राइट जैसे मान लो ऐसी कंडीशन हो सकती है कि ऑस्ट्रेलिया से अगर एप्पल आ रहा है तो उसपे वैक्स नहीं होनी चाहिए आपने देखा होगा एप्पल के ऊपर वैक्सिंग हो रखी होती है तो वैक्स नहीं हुई होनी चाहिए दिस इज व्हाट दिस इज योर सैनिटरी एंड फिटो सैनिटरी मेजर्स इसको एक बार आप रीड कर लेना इसके बाद आता है टेक्निकल बैरियर टू ट्रेड टेक्निकल बैरियर टू ट्रेड फूड आइटम्स पे भी लगता है और नॉन फूड आइटम्स पे भी लगता है जैसे ऐसा एक कंडीशन हो सकता है कि अगर कोई फूड आइटम इंडिया में आ रहा है तो उसकी लेबलिंग होनी चाहिए प्रॉपर कि इसके अंदर कौन-कौन कौन सी चीजें हैं इसके अंदर कौन-कौन से इंग्रेडिएंट्स हैं इसकी प्रॉपर क्या होनी चाहिए लेबनिज की डेट बैच नंबर एक्सपायरी डेट इसके ऊपर क्या होनी चाहिए मेंशन होनी चाहिए अच्छा मान लो कोई जैम अगर इंडिया के बाहर से आ रहा है तो ऐसी कंडीशन हो सकती है कि इस जैम के अंदर जो शुगर कंपोनेंट है वो एक सर्टेन लेवल से ज्यादा नहीं होना चाहिए अगर एक सर्टेन लेवल से ज्यादा शुगर का कंपोनेंट होगा तो हम इसका इंपोर्ट इंडिया में नहीं होने देंगे दिस इज व्हाट टेक्निकल बैरियर अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक आइटम इंडिया में आ रहा है तो उसमें से जो रेडिएशंस निकलनी चाहिए वो एस पर गवर्नमेंट परमिटेड पैरामीटर तक होनी चाहिए मतलब आपके जो इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स है उसमें से रेडिएशंस निकलती है अगर वो रेडिएशंस उस पैरामीटर से ज्यादा की है तो उसका इंपोर्ट अपन इंडिया में नहीं होने देंगे दैट इज व्हाट दैट इज टेक्निकल बैरियर टू ट्रेड इसके बाद आता है नॉन टेक्निकल मेजर्स नॉन टेक्निकल मेजर्स के अंदर क्या है सर सर यहां पर हमने कोई भी टेक्निकल मेजर नहीं लगाया मतलब कोई भी कंडीशन नहीं लगाई कि आपके माल के अंदर यह ये चीजें होनी चाहिए जो माल आपने इंपोर्ट किया है जो गुड्स आपने इंपोर्ट किया है उसके अंदर ये ये चीजें होनी चाहिए हमने इस चीज का रिस्ट्रिक्शन नहीं लगाया हमने अदर रिस्ट्रिक्शंस लगा दिए जैसे हमने इंपोर्ट कोटा लगा दिया हमने कहा कि इंडिया में फिश का इंपोर्ट होगा इंडिया में फिश का इंपोर्ट होगा और हमने फिश के इंपोर्ट पे रिस्ट्रिक्शन लगा दी एक कोटा लगा दिया कि भाई मान लो अगर हम इंडिया में फिश इंपोर्ट कर रहे हैं तो 50 लाख फिश ही इंपोर्ट करेंगे इससे ज्यादा फिश इंपोर्ट नहीं करेंगे ऐसा रिस्ट्रिक्शन लगा दिया हाइपोथेटिकल एग्जांपल है रियल लाइफ से इसका कोई लेना देना नहीं है जस्ट अ एग्जांपल कि कोटा क्या है रिस्ट्रिक्शन लगाना कि आप किसी चीज का इंपोर्ट एक सर्टेन क्वांटिटी से ज्यादा कर नहीं कर सकते एक सर्टेन फिजिकल अमाउंट से ज्यादा का आप इंपोर्ट नहीं कर सकते सर यह एक सेट पीरियड ऑफ टाइम के लिए लगाया जाता है हो सकता है 6 महीने के लिए लगाया जाए 4 महीने के लिए लगाया जाए पाच महीने के लिए लगाया जाए मैक्सिमम टू मैक्सिमम कितना लगाया जा सकता है एक साल के लिए ठीक है इसके बाद बाइंडिंग कोटाज होते हैं और नॉन बाइंडिंग कोटाज होते हैं बाइंडिंग कोटा क्या होते हैं इट इज सेट बिलो द फ्री ट्रेड लेवल्स ऑफ इंपोर्ट और सर आपका इट इज एनफोर्स बाय इशूंग द लाइसेंसेस मतलब लाइसेंस चाहिए आपको बिना लाइसेंस के आप इंपोर्ट नहीं कर सकते दिस इज बाइंडिंग कोटा आप बिना लाइसेंस के इंपोर्ट नहीं कर सकते आपको लाइसेंस लगेगा बिना लाइसेंस के इंपोर्ट करना बैन है और आपका नॉन बाइंडिंग कोटा क्या हो गया सर यहां पर लाइसेंस की रिक्वायरमेंट नहीं होती है लेकिन एक क्वांटिटी सेट कर दी जाती है तो बाइंडिंग कोटा में कहा कि आपके पास लाइसेंस होगा तभी आप इंपोर्ट कर पाओगे अदर वाइज आप इंपोर्ट नहीं कर पाओगे नॉन बाइंडिंग कोटा में कहा कि लाइसेंस नहीं है कोई दिक्कत नहीं है आप इंपोर्ट कर लो लेकिन क्वांटिटी फिक्स कर दी जैसे ऊपर बताया था 50 लाख फिश तो बिना लाइसेंस के फिश को इंपोर्ट किया जा सकता है लेकिन मैक्सिमम क्वांटिटी कितनी होगी 50 लाख की होगी इसके बाद आता है आपके पास एब्सलूट कोटा एब्सलूट कोटा क्या होता है परमानेंट नेचर का होता है लिमिट करता है क्वांटिटी ऑफ इंपोर्ट टू अ स्पेसिफाइड लेवल ड्यूरिंग अ स्पेसिफाइड पीरियड एंड द इंपोर्ट्स कैन टेक प्लेस एनी टाइम ऑफ़ द ईयर नो कंडीशन इज अटैच टू द कंट्री ऑफ ओरिजिन किसी भी कंट्री से आ सकता है किसी भी कंट्री से आ सकता है इस चीज की कोई भी रिस्ट्रिक्शन नहीं है तो जैसे एग्जांपल ले लिया कि 1000 टन ऑफ फिश आप इंपोर्ट कर सकते हो व्हिच कैन टेक प्लेस एनी टाइम ऑफ द ईयर फ्रॉम एनी कंट्री एब्सलूट कोटा का मतलब क्या है कि किस कंट्री से इंपोर्ट कर रहे हो फर्क नहीं पड़ता अप्रैल में कर रहे हो मई में कर रहे हो जुलाई में कर रहे हो दिसंबर में कर रहे हो कोई फर्क नहीं पड़ता 1000 टन से ज्यादा आप इंपोर्ट नहीं कर सकते साल में किसी भी दिन किसी भी कंट्री से इसको क्या बोलेंगे एब्सलूट कोटा टैरिफ रेट कोटा इसके अंदर क्या होता है अभी पीछे पढ़ा था टैरिफ रेट कोटा में कि अगर आप एक अ सेट क्वांटिटी तक मंगाते हो छोटी क्वांटिटी तक मंगाते हो तो कम टैरिफ लगेगा ज्यादा क्वांटिटी मंगाते हो तो ज्यादा टैरिफ लगेगा इसके बाद यूनिलैटरल कोटा मतलब एक ही कंट्री कोटा लगाती है बायलट कोटा दोनों कंट्रीज कोटा लगाती है यूनिलैटरल कोटा एक ही कंट्री कोटा लगा रही है बायलट कोटा दोनों कंट्रीज आपके पास यहां पर क्या कर रही हैं कोटा लगाकर चल रही हैं राइट ठीक है सर इसके बाद अगला पॉइंट निकल कर आता है प्राइस कंट्रोल मेजर प्राइस कंट्रोल मेजर में क्या होता है गवर्नमेंट ऐसे स्टेप्स लेती है जिसमें वह कंट्रोल करती है प्राइसेस ऑफ द इंपोर्टेड गुड्स इन ऑर्डर टू सपोर्ट द डोमेस्टिक प्राइस ऑफ अ सर्टेन प्रोडक्ट व्हेन द इंपोर्ट प्राइस इज लोअर तो गवर्नमेंट ने कहा कि आप अगर कोई चीज इंपोर्ट करोगे तो उस इंपोर्ट का मिनिमम प्राइस होना चाहिए जैसे शूज की बात कर दी कि भाई अगर आप शूज इंपोर्ट करोगे तो शूज का मिनिमम प्राइस 000 होना चाहिए 000 से नीचे वाली प्राइस का जो शूज है वह इंडिया में नहीं आएगा मिनिमम इंपोर्ट प्राइस फिक्स कर दिया कि शूज का इंपोर्ट प्राइस कितना होना चाहिए 000 होना चाहिए 000 से नीचे वाला शूज आप इंडिया में इंपोर्ट नहीं कर सकते इसको बोलते हैं प्राइस कंट्रोल मेजर प्राइस कंट्रोल मेजर मतलब हम शूज की जो इंपोर्ट है उसके प्राइस पे कंट्रोल कर रहे हैं ताकि सस्ते रेट वाला शूज इंडिया में ना आए और वो इंडिया में जो हमारे छोटे-छोटे शूज मैन्युफैक्चरर हैं जो ₹ 00 00 वाला शूज बनाते हैं उनकी मार्केट खराब ना हो इसके बाद आता है नॉन ऑटोमेटिक लाइसेंसिंग एंड प्रोहिबिशन लिमिटिंग द क्वांटिटी ऑफ गुड्स दैट कैन बी इंपोर्टेड रिगार्डलेस ऑफ देयर ओरिजिन थ्रू नॉन ऑटोमेटिक लाइसेंसिंग और थ्रू कंप्लीट प्रोहिबिशन तो यह भी एक तरीके का कोटा है ठीक है कि आप एक सेट क्वांटिटी का ही माल मंगा सकते हो या फिर प्रोहिबिशन लगा दिया कि आप कोई चीज का इंपोर्ट कर ही नहीं सकते हमें इंपोर्ट ड्यूटी का लालच नहीं है गवर्नमेंट कह रही है गवर्नमेंट कह रही है कि कुछ आइटम्स ऐसे हैं जिन पर कंप्लीट प्रोहिबिशन हो गया तो जैसे आप आर्म्स एंड एम्युनिशन आर्म्स एम्युनिशन ड्रग्स नारकोटिक ड्रग्स इनका आप इंपोर्ट आप इनका इंपोर्ट नहीं कर सकते गवर्नमेंट ने क्या कर दिया सर प्रोहिबिशन लगा दिया फाइनेंशियल मेजर गवर्नमेंट आपके ऊपर रिस्ट्रिक्शन लगा सकती है फॉरेन करेंसी को लेकर कि भाई लेट्स से आप अगर कपड़ा इंपोर्ट कर रहे हो तो हम आपको फॉरेन करेंसी नहीं देंगे हम आपको फॉरेन एक्सचेंज नहीं देंगे हम आपको फॉरेन एक्सचेंज नहीं देंगे दिस इज व्हाट दिस इज फाइनेंशियल मेजर एम्स टू इंक्रीज द इंपोर्ट कॉस्ट बाय रेगुलेटिंग द कॉस्ट और एक्सेस टू द फॉरेन एक्सचेंज रिक्वायर्ड फॉर द इंपोर्ट एंड देयर बाय डिफाइनिंग द टर्म्स ऑफ पेमेंट जैसे कहा कि अगर अगर आपको इंपोर्ट करना है कपड़ा इंपोर्ट करना है तो आपको क्या करना पड़ेगा एडवांस पेमेंट करनी पड़ेगी आपको कपड़ा इंपोर्ट करना है ना जर्मनी से आप कपड़ा इंपोर्ट कर लो जर्मनी से लेकिन आपको जर्मनी में अपने सप्लायर को पहले एडवांस पेमेंट करनी पड़ेगी तभी आप माल इंपोर्ट करोगे अदर वाइज आप माल इंपोर्ट नहीं कर सकते यह फर्जी की कंडीशंस लगाई जा रही है इंपोर्ट्स को कंट्रोल करने के लिए राइट दिस इज योर फाइनेंशियल मेजर इसके बाद आता है मेजर्स अफेक्टिंग द कंपटीशन एम एट ग्रांटिंग स्पेशल प्रिविलेज टू अ स्पेसिफिक ग्रुप ऑफ इकोनॉमिक ऑपरेटर्स सच एज गवर्नमेंट डिस्ट्रीब्यूशन चैनल्स और एजेंसीज तो जैसे हमने इंपोर्ट करने की पावर किसी पर्टिकुलर ऑर्गेनाइजेशन को दे दी कि लेट्स से यह कैलकुलेटर जो है वो इंपोर्ट करेगी केवल और केवल गवर्नमेंट का इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग गवर्नमेंट का जो इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग है वही इस कैलकुलेटर का इंपोर्ट कर सकती है इसके अलावा कैलकुलेटर का इंपोर्ट कोई और नहीं कर सकता तो इसको क्या बोलते हैं सर इसको बोलते हैं मेजर्स अफेक्टिंग द कंपटीशन कंपटीशन को खत्म करने के लिए या फिर कंट्रोल करने के लिए डिसीजंस लिए जाते हैं इसके बाद आता है गवर्नमेंट प्रोक्योरमेंट पॉलिसीज गवर्नमेंट परचेज गुड्स फ्रॉम द लोकल डीलर रदर देन द फॉरेनर्स डिस्पाइना वानी है अपने लोगों के लिए अपने स्टाफ के लिए लिए तो वो यूनिफॉर्म लोकल वेंडर से बनवाए कीी कभी भी इंपोर्ट नहीं करेगी भले इंपोर्ट करके वह सस्ती मिलती हो इसको बोलते हैं गवर्नमेंट प्रोक्योरमेंट पॉलिसी इसके बाद आता है ट्रेड रिलेटेड इन्वेस्टमेंट मेजर्स रूल्स टू हैव एटलीस्ट अ पार्ट ऑफ द फाइनल गुड्स टू बी प्रोड्यूस्ड डोमेस्टिक ठीक है तो जैसे अगर आप मोबाइल जो है उसको क्या करो इंडिया में बेचना चाहते हो तो आप एक काम करो मोबाइल के पार्ट्स को इंपोर्ट कर लो इंडिया में फैक्ट्री लगाओ और उसे इंडिया में असे ल करके बेचो आपको इंडिया में मोबाइल बेचना है बेचो samsung-ro डिस्ट्रीब्यूशन पर रिस्ट्रिक्शन लगा दी कि सर कोई माल अगर इंडिया में आएगा तो वह केवल नॉर्थ में बिकेगा वो साउथ ईस्ट वेस्ट यहां पर नहीं बिकेगा हमने डिस्ट्रीब्यूशन पर क्या कर दिया रोक लगा दिया रिस्ट्रिक्शन ऑन पोस्ट सेल सर्विस पोस्ट सेल सर्विस क्या होती है कि भाई जैसे मान लो एल है एल अपना प्रोडक्ट इंडिया में बेच रहा है तो कल को अगर उनके प्रोडक्ट में कोई प्रॉब्लम निकल कर आती है तो उसके लिए सर्विस सेंटर इंडिया में होना चाहिए अगर सेल के बाद आपको सर्विसेस देनी है तो सर्विसेस के लिए आपको अपने सर्विस सेंटर क्या करने पड़ेंगे इंडिया में एस्टेब्लिश करने पड़ेंगे देती है डॉक्यूमेंटेशंस बढ़ा देती है कि अगर आपको इंपोर्ट करना है तो भाई फलाना पेपर लगेगा ढिमरा पेपर लगेगा मतलब पेपर की जो रिक्वायरमेंट है डॉक्यूमेंटेशन की जो रिक्वायरमेंट है उसे क्या कर देती है इंक्रीज कर देती है मतलब जो इंपोर्ट का प्रोसेस होता है उस प्रोसेस को मुश्किल बना देती है और जब प्रोसेस मुश्किल हो जाता है तो इंपोर्ट्स क्या होती है अपने आप में डिस्कस हो जाती हैं इसके बाद आता है रूल्स ऑफ ओरिजिन रूल्स ऑफ ओरिजिन बताता है कि सर जो इंपोर्टर है उसे यह प्रूफ करना पड़ेगा कि जो गुड्स उसने इंपोर्ट करे हैं वह कौन सी कंट्री में मैन्युफैक्चर हुए हैं तो जैसे अगर मैंने यह कैलकुलेटर इंपोर्ट करा है तो मुझे यह प्रूफ देना पड़ेगा कि यह कैलकुलेटर कौन सी कंट्री में मैन्युफैक्चर हुआ है फॉर एग्जांपल यह श्रीलंका से मैंने इंपोर्ट करा है तो मुझे प्रूफ देना पड़ेगा कि ये श्रीलंका में मैन्युफैक्चर हुआ है कि नहीं सर यह प्रूफ क्यों देना है क्योंकि हमारी गवर्नमेंट क्या करती है अलग-अलग कंट्री से इंपोर्ट्स पे अलग-अलग ड्यूटी लगाती है तो सिंगापुर से अगर माल इंपोर्ट हो रहा है तो उस परे ड्यूटी हो सकता है 15 पर की हो श्रीलंका से अगर इंपोर्ट हो रहा है तो उस परे ड्यूटी क्या हो सकती है 10 पर की हो सकती है तो लोग क्या करते हैं लोग क्या करते हैं पहले सिंगापुर से माल श्रीलंका लेकर आते हैं और फिर श्रीलंका से माल क्या करते हैं इंडिया लेकर आते हैं क्योंकि अगर डायरेक्टली सिंगापुर से आया तो 15 पर का ड्यूटी लगेगा लेकिन सिंगापुर से श्रीलंका श्रीलंका से इंडिया आया तो 10 पर का ड्यूटी लगेगा 5 पर की ड्यूटी बचाने के लिए लोग क्या करते हैं सिंगापुर में बना हुआ माल पहले श्रीलंका लेकर आते हैं और फिर श्रीलंका से इंडिया लेकर आते हैं तो गवर्नमेंट कहती है कि भाई आप हमको प्रूफ दे दो कि ये श्रीलंका में बना है तो हम आपसे 10 पर का ड्यूटी ले लेंगे लेकिन अगर आप प्रूफ नहीं दे पाते हो श्रीलंका लगाए और हमें पता है कि यह सिंगापुर में बनाए तो फिर हम इसके ऊपर क्या लगा देंगे 15 पर का ड्यूटी लगा देंगे तो रूल्स ऑफ ओरिजन कहता है कि इंपोर्टर हैज टू प्रूव कि सर यह गुड्स कौन सी कंट्री में मैन्युफैक्चर हुए हैं सेफगार्ड मेजर अगर गवर्नमेंट को लगता है इंपोर्ट्स की वजह से डोमेस्टिक इंडस्ट्रीज को नुकसान हो रहा है तो गवर्नमेंट यहां पर क्या करती है सेफगार्ड मेजर्स लेती है ट्रेड को प्रोटेक्ट करती है डोमेस्टिक इंडस्ट्रीज को प्रोटेक्ट करती है इसके बाद आता है एंबार्गो एंबार्गो क्या होता है कंप्लीट बैन अगर हमें लगता है कि किसी कंट्री से ट्रेड करके हमारी कंट्री को नुकसान हो रहा है है या किसी पर्टिकुलर प्रोडक्ट का इंपोर्ट करके हमारे यहां पर उसका नुकसान हो रहा है तो वहां पर अपन क्या कर सकते हैं सर कंप्लीट बैन लेकर आ सकते हैं ये किसी भी सिंगल गुड्स के लिए हो सकता है ऑल प्रोडक्ट्स के लिए हो सकता है किसी भी पर्टिकुलर कंट्री के लिए हो सकता है या फिर सभी कंट्रीज के लिए हो सकता है तो अगर कोई स्पेसिफिक गुड होगा तो सब कंट्रीज से उसका इंपोर्ट बैन कर देंगे या फिर किसी एक पर्टिकुलर कंट्री के साथ अपन ट्रेड को क्या कर देंगे बैन कर देंगे उसको बोलते हैं एंबारगोज क्या बोलते हैं बेटा उसको बोलते हैं अपन एंबारगोज और इसी के साथ हमारा जो नॉन टैरिफ मेजर है राजा बेटा व भी हो जाता है आपका समाप्त चलिए भाई अब बात करते हैं एक्सपोर्ट रिलेटेड मेजर से एक्सपोर्ट को भी गवर्नमेंट क्या करती है कंट्रोल करती है जैसे एक्सपोर्ट पर बैन लगाया जाता है तो कुछ गुड्स ऐसे है जिनके ऊपर गवर्नमेंट कंप्लीट बैन लगा देती है कि भाई यह वाले गुड्स आप क्या नहीं कर सकते एक्सपोर्ट नहीं कर सकते तो जैसे मान लो वीट का प्रोडक्शन इंडिया में कम हुआ इंडिया में वीट की डिमांड ज्यादा है प्रोडक्शन कम है तो गवर्नमेंट चाहेगी ना कि वीट पहले जो डोमेस्टिक हमारी डिमांड है उसको पूरा करें भाई इंडिया में वीट का प्रोडक्शन कम हुआ है और इंडिया में वीट की डिमांड ज्यादा है ऐसे में अगर हमने वीट को एक्सपोर्ट कर दिया तो हमें बाद में वही वीट को इंपोर्ट ही करना पड़ेगा तो जब आपके पास प्रोडक्शन आपकी डोमेस्टिक नीड को भी पूरा नहीं कर पा रहा तो ऐसे प्रोडक्ट को कभी भी एक्सपोर्ट नहीं करना चाहिए गवर्नमेंट ऐसे केस में क्या करती है बैन लेकर आती है और गवर्नमेंट कहती है कि आप इसे एक्सपोर्ट नहीं कर सकते सर गवर्नमेंट एक्सपोर्ट पे टैक्सेस लगाती है जनरली आपके पास सभी के सभी एक्सपोर्ट्स जो हैं वह ट्रेड फ्री है मतलब कि उन परे कोई भी ड्यूटी नहीं लगती लिमिटेड केवल पांच से छह आइटम ऐसे हैं जिनके ऊपर गवर्नमेंट टैक्सेस लगाती है अल्टी टली गवर्नमेंट क्या चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा एक्सपोर्ट हो इसीलिए एक्सपोर्ट्स के ऊपर ड्यूटी नहीं लगाई जाती अगला आता है एक्सपोर्ट सब्सिडीज और इंसेंटिव्स एक्सपोर्ट्स को इनकरेज करने के लिए प्रमोट करने के लिए गवर्नमेंट क्या करती है अपने एक्सपोर्टर को सब्सिडीज देती है इंसेंटिव्स देती है ताकि एक्सपोर्टर ज्यादा से ज्यादा क्वांटिटी क्या करे एक्सपोर्ट करें और इंडिया में फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स लेकर आए इसके बाद वॉलेटर एक्सपोर्ट रिस्ट्रेन रिस्ट्रेन का मतलब होता है रुकावट राइट गवर्नमेंट क्या कर सकती है कोटा लगा सकती है कि आप एक सर्टेन क्वांटिटी से ज्यादा एक्सपोर्ट नहीं कर सकते तो एक्सपोर्ट रिस्ट्रेंट इज अ डिस्क जमेंट फॉर दी एक्सपोर्ट कि आप एक क्वांटिटी से ज्यादा का एक्सपोर्ट नहीं कर सकते वई आर रिफर्ब ऑफ इनफॉर्मल कोटा एडमिनिस्टर्ड बाय द एक्सपोर्टिंग कंट्री वॉलंटिली रिस्ट्रेनिंग द क्वांटिटी ऑफ गुड्स दैट कैन बी एक्सपोर्टेड तो क्वांटिटी के ऊपर लिमिट लगा ई जाती है सच रिस्ट्रेंट ओरिजनेट प्राइमर फ्रॉम द पॉलिटिकल कंसीडरेशन एंड आर इंपोज बेस्ड ऑन नेगोशिएशन ऑफ द इंपोर्टर विद द एक्सपोर्टर तो इंपोर्टिन कंट्री और एक्सपोर्टिंग कंट्री इनके बीच में नेगोशिएशन होता है पॉलिटिकली लगाया जाता है पॉलिटिकली लगाया जाता है तो यूएसए और इंडिया आपस में नेगोशिएशन करने के बाद ही यह रिस्ट्रेन क्या करेंगे इंपोज करेंगे राइट तो यहां पर हमारे पास एक्सपोर्ट रिलेटेड मेजर्स भी होते हैं कंप्लीट और अब जल्दी से हम लोग करेंगे एमसीक्यू आपका काम क्या है वीडियो को पॉज करना और पॉज करने के बाद आंसर देना और कमेंट बॉक्स में जरूर से बताना कि तुम्हारे कितने एमसीक्यू ठीक थे राइट पहला क्वेश्चन आपकी स्क्रीन पर आ रहा है मिक्स्ड टैरिफ कंबाइन द एलिमेंट ऑफ स्पेसिफिक ड्यूटी टैरिफ एडोले टैक्स बोथ स्पेसिफिक ड्यूटी टैरिफ एंड एडोले करम नन ऑफ द अबब तो बाबू मिक्स टैरिफ के अंदर हम या तो स्पेसिफिक लगाते हैं या फिर एड बोलेर लगाते हैं दोनों में जो भी अपने पास हायर होता है दोनों में जो भी अपने पास हायर होता है तो बोथ स्पेसिफिक ड्यूटी टैरिफ एंड एडोले परम मिक्सड के अंदर स्पेसिफिक और एडोले दोनों निकल कर आते हैं अगला क्वेश्चन आपकी स्क्रीन पर आ रहा है बाउंड टैरिफ इन द कांटेक्ट ऑफ द वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन इवॉल्व डैश कमिटमेंट बाय अ मेंबर नेशन नॉट टू रेज इट्स टैरिफ रेट अबब अ सर्टेन स्पेसिफाइड लेवल अभी हमने क्या देखा था कि बाउंड रेट के अंदर हम ऐसा बोल देते हैं कि लैपटॉप्स के ऊपर हम 12 पर से ज्यादा का ड्यूटी नहीं लगाएंगे एमएफएन रेट मैंने आपको 15 बताया था और लैपटॉप स्पेसिफिक टू अ प्रोडक्ट स्पेसिफिक टू अ प्रोडक्ट अगर हम एक मैक्सिमम रेट फिक्स करते हैं तो उसको बाउंड टैरिफ बोलते हैं और बाउंड टैरिफ जो होती है बेटा वो आपके पास क्या होती है लीगल कमिटमेंट होती है राइट तो लीगल विल बी द करेक्ट आंसर स्पेसिफिक टैरिफ क्या होता है अ टैक्स ऑन अ सेट ऑफ स्पेसिफाइड इंपोर्टेड गुड्स एन इंपोर्ट टैक्स दैट इज कॉमन टू ऑल द गुड्स इंपोर्टेड ड्यूरिंग अ गिवन पीरियड अ स्पेसिफाइड फ्रैक्शन ऑफ द इकोनॉमिक वैल्यू ऑफ द इंपोर्टेड गुड अ टैक्स ऑन द इंपोर्ट डिफाइंड एज एन अमाउंट ऑफ करेंसी पर यूनिट ऑफ द गुड तो स्पेसिफिक टैरिफ क्या होता है फिक्स्ड होता है यह आपका फिक्स्ड अमाउंट होती है पर यूनिट जैसे हमने अभी पीछे एग्जांपल देखा था कि बायसाइकिल के केस में 000 पर साइकिल हमने लगाया है तो फिक्स्ड अमाउंट पर यूनिट तो आपके पास जो करेक्ट ऑप्शन निकलेगा दैट विल बी डी इट इज अ टैक्स ऑन द इंपोर्ट डिफाइंड एज एन अमाउंट ऑफ करेंसी अमाउंट ऑफ करेंसी मतलब यहां पर कितनी अमाउंट ऑफ करेंसी थी 000 000 पर यूनिट ऑफ द गुड पर साइकिल पर साइकिल ठीक है अगला क्वेश्चन आपकी स्क्रीन पर आता है अ टैरिफ ऑन इंपोर्ट्स इज बेनिफिशियल टू डोमेस्टिक प्रोड्यूसर जब इंपोर्ट पे टैरिफ लगता है इंपोर्ट पर जब ड्यूटी लगती है तो वह डोमेस्टिक प्रोड्यूसर्स के लिए कैसे फायदेमंद होती है इज बेनिफिशियल टू डोमेस्टिक प्रोड्यूसर ऑफ द इंपोर्टेड गुड्स बिकॉज दे गेट अ पार्ट ऑफ द टैरिफ रेवेन्यू क्या गवर्नमेंट इंपोर्ट ड्यू में प्रोड्यूसर को शेयर देती है नहीं इट रेजस द प्राइस फॉर व्हिच दे कैन सेल देयर प्रोडक्ट इन द डोमेस्टिक मार्केट इट डिटरमाइंस द क्वांटिटी दैट कैन बी इंपोर्टेड टू द कंट्री नहीं इट रिड्यूस देयर प्रोड्यूसर सरप्लस मेकिंग देम मोर एफिशिएंट नहीं सर अपने पास इट रेजस द प्राइस व्हिच दे कैन सेल देयर प्रोडक्ट इन द डोमेस्टिक मार्केट तो जब इंपोर्टेड गुड्स के ऊपर ड्यूटी लगती है तो डोमेस्टिक प्रोड्यूसर्स को भी मौका मिलता है कि वह हाई प्राइस पर अपना माल बेचे जिससे उनका प्रोड्यूसर सरप्लस बढ़ता है याद रखना जब भी इंपोर्ट ड्यूटी लगती है जब भी इंपोर्ट ड्यूटी लगती है तो कंज्यूमर को ज्यादा पैसा देना पड़ता है कंज्यूमर सरप्लस कम होता है और प्रोड्यूसर ज्यादा पैसा चार्ज कर सकता है इंपोर्टेड गुड्स महंगे हो जाते हैं जिससे डोमेस्टिक प्रोड्यूसर के पास भी मौका होता है कि वह ज्यादा प्राइस चार्ज कर सके डोमेस्टिक प्रोड्यूसर के पास मौका होता है कि वह ज्यादा प्राइस चार्ज कर सके तो डोमेस्टिक प्रोड्यूसर का सरप्लस क्या करता है राजा बेटा इंक्रीज कर जाता है अ टैक्स दैट इज अप्लाइड एस अ परसेंटेज ऑफ वैल्यू ऑन द इंपोर्टेड गुड्स इंपोर्टेड गुड्स पर परसेंटेज ऑफ वैल्यू प्रेफरेंशियल टैरिफ एडोले स्पेसिफिक मिक्सड सर जी एडोले अगला पॉइंट आता है आपके पास एस्केलेड टैरिफ क्या होता है इसका शायद से डिस्कशन रह गया था एस्केलेड टैरिफ क्या होता है सर एस्केलेड टैरिफ होता है इसके अंदर अगर आप रॉ मटेरियल का इंपोर्ट करते हो अगर आप रॉ मटेरियल का इंपोर्ट करते हो तो उस परे लोवर रेट से ड्यूटी लगती है और अगर आप फिनिश गुड्स का इंपोर्ट करते हो तो उसके ऊपर हायर रेट से ड्यूटी लगती है इसको बोलते हैं एस्केलेड तो जैसे कि अगर आप मोबाइल इंपोर्ट करोगे तो मोबाइल के इंपोर्ट पर ड्यूटी ज्यादा लगेगी लेट्स से 20 पर लेकिन अगर आप मोबाइल के पार्ट्स इंपोर्ट करोगे जैसे आप मदर बोर्ड इंपोर्ट कर रहे हो जो भी इसका बोर्ड होता है आप कैमरा इंपोर्ट कर रहे हो आप माइक इंपोर्ट कर रहे हो आप सेंसर्स इंपोर्ट कर रहे हो तो इनके ऊपर क्या होगा लोअर रेट से ड्यूटी लगेगी तो अगर आप रॉ मटेरियल इंपोर्ट करोगे तो लोअर रेट से ड्यूटी लगेगा और जब आप फिनिश गुड्स इंपोर्ट करोगे हायर रेट से ड्यूटी लगेगा इसको बोलते हैं एस्केलेड टैरिफ नॉमिनल टैरिफ रेट्स ऑन द रॉ मटेरियल व्हिच आर ग्रेटर देन द टैरिफ ऑन द मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स तो रॉ मटेरियल पे टैरिफ ग्रेटर नहीं होता रॉ मटेरियल पे टैरिफ ग्रेटर नहीं होता मैन्युफैक्चर्ड गुड्स पे फिनिश गुड्स पे टैरिफ ग्रेटर होता है नॉमिनल टैरिफ रेट्स ऑन द मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स व्हिच आर ग्रेटर देन द टैरिफ ऑन द रॉ मटेरियल ये मुझे अभी ठीक लग रहा है टैरिफ व्हिच इज एस्केलेड टू प्रोहिबिट द इंपोर्ट ऑफ पर्टिकुलर गुड्स नहीं सर जिसमें रॉ मटेरियल पे जिसमें रॉ मटेरियल पे कम टैरिफ लगता है और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स पे यानी कि फिनिश प्रोडक्ट्स पे ज्यादा टैरिफ लगता है ट इ एस्केलेड टैरिफ तो करेक्ट आंसर आपके पास क्या आएगा बी आएगा वॉलंटरी एक्सपोर्ट रिस्ट्रेन वॉलंटरी एक्सपोर्ट रिस्ट्रेन अभी पढ़ा था हम लोगों ने कि जो एक्सपोर्टिंग कंट्री होती है जो एक्सपोर्टिंग कंट्री होती है वह क्या करती है वह रिस्ट्रिक्शन लगाती है व रिस्ट्रिक्शन लगाती है ऑन एक्सपोर्ट वो रिस्ट्रिक्शन लगाती है ऑन एक्सपोर्ट एन इंपोर्टिन कंट्री वॉलेटर रिस्ट्रेनिंग द क्वांटिटी ऑफ गुड्स दैट कैन बी एक्सपोर्टेड इन टू द कंट्री ड्यूरिंग अ स्पेसिफाइड पीरियड ऑफ टाइम इंपोर्टिन कंट्री नहीं लगाती गलत है इंपोर्टिन कंट्री नहीं लगाती तो मतलब अगर माल इंडिया से यूएस से जा रहा है इंडिया से माल एक्सपोर्ट होकर अगर यूएसए जा रहा है तो इंडिया आपकी एक्सपोर्ट पोर्टिंग कंट्री है और यूएसए आपकी इंपोर्टिन कंट्री है यहां पर वॉलेटर रिस्ट्रिक्शंस जो लगाई जाएंगी वह कौन लगाएगा आपका इंडिया लगाएगा एक्सपोर्टिंग कंट्री लगाएगी डोमेस्टिक फर्म्स एग्री टू लिमिट द क्वांटिटी ऑफ फॉरेन प्रोडक्ट सोल्ड इन देयर डोमेस्टिक मार्केट नहीं एन एक्सपोर्टिंग कंट्री वॉलेटर रिस्ट्रेनिंग द क्वांटिटी ऑफ गुड्स दैट कैन बी एक्सपोर्टेड आउट ऑफ अ कंट्री ड्यूरिंग अ स्पेसिफाइड पीरियड ऑफ टाइम जी हां दिस इज द करेक्ट आंसर अगला क्वेश्चन आता है एंटी डंपिंग ड्यूटीज क्या होती हैं तो जब आपके पास एक्सपोर्टर अपनी लोकल मार्केट से कम रेट पर माल इंडिया में एक्सपोर्ट करेगा तो इंडिया वाले उस पे क्या लगाएंगे एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाएंगे शूज वाला एग्जांपल याद रखना कि चाइना एक्सपोर्टर ने 000 का जूता जो उनकी मार्केट में बिकता है चाइना की मार्केट में जो शूज 000 का बिकता है वो उन्होंने इंडिया में एक्सपोर्ट कर दिया 8800 में सस्ते रेट पे एक्सपोर्ट कर दिया डंप कर दिया एडिशनल एंटी डंपिंग ड्यूटी क्या होती है एडिशनल इंपोर्ट ड्यूटी सो एज टू ऑफसेट द इफेक्ट ऑफ एक्सपोर्टिंग फर्म अनफेयर चार्जिंग ऑफ प्राइस इन द फॉरेन मार्केट व्हिच आर लोअर देन द प्रोडक्शन कॉस्ट एडिशनल इंपोर्ट ड्यूटीज सो एज टू ऑफसेट द इफेक्ट ऑफ द एक्सपोर्टिंग फर्म इंक्रीज द कंपट ड्यू टू सब्सिडीज बाय द गवर्नमेंट जो सब्सिडी की वजह से लगती है वो काउंटर वेलिंग होती है तो यह वाला पॉइंट तो नहीं है एडिशनल इंपोर्ट ड्यूटी सो एज टू ऑफसेट द इफेक्ट ऑफ एक्सपोर्टिंग फर्म अनफेयर चार्जिंग ऑफ द लोअर प्राइस इन द फॉरेन मार्केट तो जब आप अपनी प्रोडक्शन कॉस्ट से कम जब आप अपनी प्रोडक्शन कॉस्ट से कम पे माल बेचते हो तो जैसे मान लो शूज की जो मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट थी शूज की जो मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट थी वो 900 की थी और उसका मार्केट प्राइस 000 का था ठीक है यह उसकी कॉस्ट थी और यह उसका मार्केट प्राइस था चाइना में और हमने इसको एक्सपोर्ट कर दिया 800 में तो जब आप अपनी कॉस्ट से कम वैल्यू पर एक्सपोर्ट करते हो और मार्केट प्राइस से कम वैल्यू पर एक्सपोर्ट करते हो तो वहां पर क्या लगाई जाती है एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई जाती है तो आपका ए वाला पॉइंट भी करेक्ट है और सी वाला पॉइंट भी करेक्ट है इसका मतलब आपका जो करेक्ट आंसर बनेगा दैट विल बी डी आपका जो करेक्ट आंसर बनेगा दैट विल बी डी इसके बाद आता है इंपोर्ट सब्सिडी इज सिंपली अ पेमेंट पर यूनिट और एज अ परसेंटेज ऑफ द वैल्यू फॉर द डैश ऑफ अ गुड इंपोर्ट सब्सिडी आपकी नेगेटिव ड्यूटी थी गवर्नमेंट अपनी जेब से आपको पैसा देती है तो यह किस पर लगती है इंपोर्ट पर लगती है इंपोर्ट सब्सिडी इंपोर्ट सब्सिडी गवर्नमेंट देती है इंपोर्टर को गवर्नमेंट क्या कर रही है सब्सिडी दे रही है इंपोर्टर को मैंने अभी एग्जांपल दिया था आपको कि आपको मशीनरी इंपोर्ट करनी है ₹ लाख की मशीनरी है गवर्नमेंट कह रही है ₹ लाख हम लगा देंगे ₹ लाख तुम लगा लो यह मशीन जब इंडिया में आएगी तो नई टेक्नोलॉजी इंडिया में आएगी जिससे इंडिया की रिसोर्सेस इफेक्टिवली एफिशिएंटली यूज होंगी राइट तो इंपोर्ट सब्सिडीज गवर्नमेंट देती है इंपोर्टर को कुछ इंपॉर्टेंट चीजों के इंपोर्ट के लिए ठीक है तो इंपोर्ट के लिए वोट सब्सिडी मिलती है चलिए अब बढ़ते हैं हम लोग आगे और बात करते हैं हमारी यूनिट नंबर थ्री की ट्रेड नेगोशिएशन अभी तक आपने देख लिया कि इंटरनेशनल ट्रेड क्या होता है इंटरनेशनल ट्रेड की थ्योरी क्या थी इसके बाद गवर्नमेंट की ट्रेड पॉलिसीज क्या थी मतलब गवर्नमेंट किस तरीके से इंपोर्ट और एक्सपोर्ट को कंट्रोल करती है उसमें प्राइस रिलेटेड मेजर्स भी आपने देख लिए नॉन प्राइस रिलेटेड मेजर्स भी आपने देख लिए अब हम बात करेंगे ट्रेड नेगोशिएशन ट्रेड नेगोशिएशन क्या है सर हमारी गवर्नमेंट फॉरेन कंट्रीज के साथ कई बार क्या करती है नेगोशिएशन करती है आप भी देखते हैं इंडिया के जो प्राइम मिनिस्टर हैं वो कभी यूएस के प्रेसिडेंट से मिल रहे हैं कभी ऑस्ट्रेलिया के प्रेसिडेंट से मिल रहे हैं कभी जर्मनी जा रहे हैं तो वो क्यों जा रहे हैं क्या घूमने जा रहे हैं यूएसए क्या घूमने जा रहे हैं ऑस्ट्रेलिया क्या घूमने जा रहे हैं जर्मनी नहीं सर वो लोग आपस में डील्स करते हैं यह कंट्रीज आपस में क्या करती है डील्स करती हैं एक दूसरे के साथ ट्रेडिंग एग्रीमेंट्स करती है और बहुत सारी चीजों में यह एंटर करती है राइट तो यहां पर आपके पास ट्रेड नेगोशिएशंस में क्या हो रहा है एक दूसरी कंट्री को फायदा पहुंचाने की बात चल रही है जैसे इंडिया का यूएस के साथ एग्रीमेंट हो गया कि इंडिया से जब अपना एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट यूएस प जाएगा तो यूएस उस परे ड्यूटी नहीं लगाएगी और यूएस से जब इलेक्ट्रॉनिक गुड्स इंडिया में आएगा तो इंडिया उस परे ड्यूटी नहीं लगाएगी एक ऐसा एग्रीमेंट हो गया बिटवीन द इंडिया एंड यूएसए इसको बोलते हैं ट्रेड नेगोशिएशन ठीक है तो एक दूसरे के साथ इंटरनेशनल ट्रेड करने के लिए हम एग्रीमेंट्स बनाते हैं और वह ट्रेड जो होती है वह एक दूसरे को क्या करती है फायदा देती है इनको हम क्या बोलते हैं रीजनल ट्रेड एग्रीमेंट्स बोलते हैं रीजनल ट्रेड एग्रीमेंट्स आर डिफाइंड एज ग्रुपिंग ऑफ कंट्रीज ग्रुपिंग ऑफ कंट्रीज नॉट नेसेसरीली बिलोंग टू द सेम ज्योग्राफिकल एरिया वच आर फॉर्म्ड टू रिड्यूस च आर फॉर्म टू रिड्यूस द ट्रेड बैरियर्स बिटवीन द मेंबर्स कंट्री बिटवीन द मेंबर्स कंट्री जैसे मैंने आपको एग्जांपल दिया था नाफ्ताइसी आपके पास मेक्सिको है आपके पास कैनेडा है ये लोग आपस में क्या करते हैं सर यह लोग आपस में फ्री ट्रेड करते हैं यह लोग आपस में फ्री ट्रेड करते हैं मतलब कोई भी इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगाते आपस में अमेरिका मेक्सिको को देगा मैक्सिका कैनेडा को देगा यह लोग कोई ड्यूटी नहीं लगाएंगे इसके बाद आपने यूरोपियन रीजन का देखा था कि यूरोप के अंदर जितनी भी कंट्रीयार्ड है वो आपस में जितनी भी कंट्रीज है यूरोप में वह आपस में क्या करती है फ्री ट्रेड करती हैं इसको क्या बोलते हैं रीजनल ट्रेड एग्रीमेंट इसको क्या बोलते हैं रीजनल ट्रेड एग्रीमेंट राइट तो सर हमारा पर्पस क्या होता है रीजनल ट्रेड एग्रीमेंट का रीजनल ट्रेड एग्रीमेंट का परपस होता है रिड्यूस करना ट्रेड बैरियर्स को ट्रेड बैरियर्स का मतलब जो ट्रेड की रुकावटें हैं बेसिकली जो अपनी इंपोर्ट ड्यूटी है उसे कम करना और जो नॉन टैरिफ मेजर्स है जो नॉन टैरिफ मेजर्स हैं उन्हें भी अपने पास कम रखना उन्हें भी अपने पास कम रखना जो एनटीएस है नॉन टैरिफ मेजर्स कोटा नहीं लगाना कंट्री ऑफ ओरिजिन वाला चक्कर नहीं डालना ठीक है प्राइस रिलेटेड मेजर्स नहीं लेना टाइप्स ऑफ आरटीए आरटीए कितने तरीके के होते हैं यह बहुत इंपॉर्टेंट है एग्जाम में यहां से क्वेश्चन आएगा बहुत इंपॉर्टेंट है यहां पर एग्जाम में क्वेश्चन आएगा सबसे पहला आता है यूनिलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट यूनिलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट क्या होता है इसमें एक कंट्री दूसरी कंट्री को फायदा देती है बदले में कोई फायदा एक्सपेक्ट नहीं करती है ठीक है एक तरफा प्यार है यह आपका क्या है बेटा यह आपका एक तरफा प्यार है एक तरफा प्यार है मतलब कि सर एक कंट्री दूसरी कंट्री को बेनिफिट दे रही है और बदले में उससे बेनिफिट एक्सपेक्ट नहीं कर रही है इसको बोलते हैं यूनिलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट फॉर एग्जांपल यूएसए का और नेपाल का एग्रीमेंट हो गया जिसमें यूएसए नेपाल को सपोर्ट करना चाहता है और यूएसए ने नेपाल से कहा कि आप अपने यहां से जब पश्मीना शॉल भेजोगे पश्मीना ना शॉल भेजोगे तो हम उस परे ड्यूटी नहीं लगाएंगे तो नेपाल से अगर पश्मीना शॉल एक्सपोर्ट करी जाएगी यूएस में तो यूएस वाले उस परे इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगाएंगे जिससे क्या होगा पश्मीना शॉल यूएसए में सस्ती बिकेगी उसकी सेल बढ़ेगी उसकी सेल बढ़ेगी तो नेपाल को इसका क्या मिलेगा फायदा मिलेगा इसको बोलते हैं यूनिलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट इसके बाद आता है आपके पास बायलट ट्रेड एग्रीमेंट बायलट ट्रेड एग्रीमेंट क्या होता है जिसमें दो तरफा प्यार है एक हाथ दे एक हाथ ले यूएसए का और यूके का आपस में ट्रेड एग्रीमेंट हो गया यूएसए कह रहा है यूके से कि हम आपको इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स भेजेंगे और यूके कह रहा है यूएसए से कि हम आपको सर्विसेस प्रोवाइड करेंगे आईटी बेस्ड सर्विसेस आपको देंगे तो यूएसए ने यूके से कहा कि हम आपको क्या देंगे सर हम आपको इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स देंगे आप उस परे ड्यूटी कम लगाना और आप हमको सर्विसेस दोगे तो हम उसको अपने पास कंट्री में क्या करेंगे एंकरेज करेंगे इसको क्या बोलते हैं बायलट एग्रीमेंट बायलट एग्रीमेंट यह बायलट एग्रीमेंट किसमें होता है इट इज एन एग्रीमेंट विच सेट रूल्स ऑफ ट्रेड बिटवीन टू कंट्रीज दो कंट्रीज के बीच में हो सकता है दो ब्लॉक्स के ब बीच में हो सकता है दो ब्लॉक्स का मतलब जैसे नाफ्ताइसी है यूरोपियन रीजन एक ट्रेडिंग ब्लॉक है तो नाफ्ताइसी या फिर इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगाएंगे तो यूनिलैटरल में क्या हो गया यूनिलैटरल में एक तरफा प्यार है एक कंट्री एडवांटेज दे रही है दूसरी कंट्री को बायलट एग्रीमेंट में दो तरफा प्यार है यह बायलट एग्रीमेंट या तो दो कंट्रीज में होगा या तो दो ट्रेडिंग ब्लॉक्स में होगा या तो एक कंट्री और एक ट्रेडिंग ब्लॉक में होगा इसके बाद आता है रीजनल प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट एग्रीमेंट अमंग द ग्रुप ऑफ कंट्रीज टू रिड्यूस द ट्रेड बैरियर्स और रेसिप प्रोकल एंड प्रेफरेंशियल बेसिस ओनली फॉर द ग्रुप मेंबर्स रीजनल प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट्स एग्रीमेंट अमंग द ग्रुप ऑफ कंट्रीज दो कंट्रीज के बीच में नहीं हो रहा ग्रुप ऑफ कंट्रीज के बीच में हो रहा है ग्रुप ऑफ कंट्रीज के बीच में हो रहा है इसको बोलते हैं रीजनल प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट रीजनल प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट जैसे मान लो इंडिया का श्रीलंका का और बांग्लादेश का इनका आपस में ट्रेड एग्रीमेंट हो गया इनका आपस में ट्रेड एग्रीमेंट हो गया कि भाई हम एक दूसरे के साथ इंपोर्ट एक्सपोर्ट के रिश्ते में जाएंगे और हम लोग मैक्सिमम जो इंपोर्ट ड्यूटी लगाएंगे वह 5 पर की ही लगाएंगे मैक्सिमम इससे ज्यादा नहीं लगाएंगे इसको बोलते हैं रीजनल प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट जब ग्रुप ऑफ कंट्रीज ग्रुप ऑफ कंट्रीज आप आपस में एग्रीमेंट करती है दो कंट्रीज नहीं ग्रुप ऑफ कंट्रीज जब एग्रीमेंट करती है तो रीजनल ट्रेड एग्रीमेंट कहलाता है ट्रेडिंग ब्लॉक इसको जरा ध्यान से पढ़ना फ्री ट्रेड एरिया इसको जरा ध्यान से पढ़ना यह दोनों इंपॉर्टेंट है ट्रेडिंग ब्लॉक क्या कहता है सर ग्रुप ऑफ कंट्रीज हैव फ्री ट्रेड एग्रीमेंट बिटवीन देम सेल्व एंड मे अप्लाई एंड मे अप्लाई कॉमन एक्सटर्नल टैरिफ टू अदर कंट्रीज कॉमन एक्सटर्नल टैरिफ टू अदर कंट्रीज जैसे यूरोपियन रीजन यूरोपियन रीजन यूरोपियन रीजन में जितनी भी कंट्रीज हैं जितनी भी कंट्रीज है वह आपस में क्या कर रही है फ्री ट्रेड कर रही है वह आपस में क्या कर रही है फ्री ट्रेड कर रही है मतलब यूरोप की एक कंट्री से दूसरी कंट्री में माल जा रहा है उस परे कोई भी इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लग रही उस परे कोई भी इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लग रही लेकिन जैसे ही यूरोपियन रीजन के बाहर से माल जाएगा जैसे मान लो इंडिया इंडिया अगर यूरोपियन रीजन के किसी भी कंट्री को माल देती है यूरोपियन रीजन के किसी भी कंट्री को अगर इंडिया माल देती है तो वह सब लोग एक ही ड्यूटी लगाएंगे 10 पर की अगर यूरोपियन रीजन को यूएसए से माल आता है तो सब लोग एक ही ड्यूटी लगाएंगे 15 पर की अगर यूरोपियन रीजन को ऑस्ट्रेलिया से माल आता है तो जितनी भी कंट्री है यूरोपियन रीजन के अंदर व सब एक ही ड्यूटी लगाएंगी दैट इज 12 पर तो ट्रेडिंग ब्लॉक के अंदर क्या होता है आपस में फ्री ट्रेड होती है आपस में फ्री ट्रेड होती है और बाहरी व्यक्ति से बाहरी कंट्री से जो उस ट्रेडिंग ब्लॉक का पार्ट नहीं है बाहरी कंट्री से जब माल आएगा तो जितने भी मेंबर्स हैं उस ट्रेडिंग ब्लॉक के वो सब कॉमन रेट्स लगाते हैं तो यूरोप की जितनी भी कंट्रीज हैं आपस में ट्रेड करेंगी वहां पर फ्री ट्रेड होगी कोई ड्यूटी नहीं लगेगी इस यूरोप की सब कंट्रीज में जब इंडिया से माल आता है तो सारी कंट्रीज 10 पर की ड्यूटी लगाती है यूएसए से माल आता है 15 पर की ड्यूटी लगाती है ऑस्ट्रेलिया से माल आता है तो अपने पास 12 पर की ड्यूटी लगाती हैं इसके बाद फ्री ट्रेड एरिया में क्या होता है यहां पर भी ग्रुप ऑफ कंट्रीज होती हैं दैट एलिमिनेट ऑल द टैरिफ एंड कोटास दैट एलिमिनेट ऑल द टैरिफ एंड कोटा बैरियर्स ऑन द ट्रेड विद द ऑब्जेक्टिव ऑफ इंक्रीजिंग द एक्सचेंज ऑफ गुड्स विद ईच अदर द ट्रेड अमंग द मेंबर स्टेट्स फ्लोस टैरिफ फ्री इनके बीच में जो ट्रेड होता है वह टैरिफ फ्री होता है मतलब कि फ्री ट्रेड होता है बट द मेंबर बट द मेंबर बट द मेंबर स्टेट्स मेंटेन देयर ओन डिस्टिंक्ट एक्सटर्नल टैरिफ विद रिस्पेक्ट टू द इंपोर्ट फ्रॉम द रेस्ट ऑफ द वर्ल्ड अब देखो ट्रेडिंग ब्लॉक के अंदर क्या हो रहा है ट्रेडिंग ब्लॉक के अंदर क्या हो रहा है जैसे मान लो ट्रेडिंग ब्लॉक के अंदर ट्रेडिंग ब्लॉक के अंदर तीन कंट्री है कंट्री ए बी और सी कंट्री ए बी और सी यह लोग आपस में जब ट्रेड करेंगे तो कैसे करेंगे फ्री ट्रेड करेंगे यह लोग आपस में जब ट्रेड करेंगे तो फ्री ट्रेड करेंगे और बाहरी कंट्री से बाहरी कंट्री से अगर इनके पास इंपोर्ट होगा बाहरी कंट्री से अगर इनके पास इंपोर्ट होगा तो यह कॉमन ड्यूटी चार्ज कर करेंगे कंट्री डी ने अगर कंट्री ए को एक्सपोर्ट किया तो 10 पर की ड्यूटी लगाएगा कंट्री ए कंट्री डी ने अगर बी को किया तो 10 पर की ड्यूटी लगाएगा कंट्री बी कंट्री डी ने कंट्री सी को एक्सपोर्ट किया तो यह 10 पर की ड्यूटी लगाएगा मतलब इन्होंने यह डिसाइड कर लिया है कि आपस में फ्री करेंगे और बाहरी व्यक्ति से जो आएगा उस परे हम लोग कॉमन रेट लगाएंगे उस परे हम लोग कॉमन रेट लगाएंगे ए बी के बाहर से अगर माल आएगा ए बी सी के बाहर से अगर माल आएगा तो उस पर एक ही रेट लगेगा 10 पर मतलब कंट्री डी अगर ए को देगी तो भी 10 बी को देगी तो भी 10 सी को देगी तो भी 10 लेकिन अपने पास फ्री ट्रेड में क्या होता है फ्री ट्रेड एरिया में क्या होता है फ्री ट्रेड एरिया में ऐसा होता है कि जैसे मान लो कंट्री ए बी सी है यह आपस में क्या करेंगी सर ये आपस में फ्री ट्रेड करेंगी यह आपस में फ्री ट्रेड करें लेकिन अगर बाहरी कंट्री से माल आएगा जो इस ग्रुप का पार्ट नहीं है जो इस ग्रुप का पार्ट नहीं है बाहर की किसी कंट्री से माल आएगा तो यह लोग अपना अपना रेट लगाएंगे यह लोग अपना अपना रेट लगाएंगे तो कंट्री डी अगर कंट्री ए को देती है तो कंट्री ए हो सकता है 10 पर लगाए कंट्री डी अगर कंट्री बी को देती है तो हो सकता है कंट्री बी 12 पर लगाए कंट्री डी अगर कंट्री सी को दे सकती है तो वह हो सकता है 15 पर लगाए तो ट्रेडिंग ब्लॉक के अंदर बाहरी कंट्री से जब माल आएगा तो जितनी भी कंट्रीज है उस ग्रुप के अंदर वह सेम रेट लगाएंगी लेकिन यहां पर बाहरी कंट्री से जब माल आएगा तो जितने भी ग्रुप मेंबर्स हैं यह अपना अपना अलग-अलग रेट क्या कर सकते हैं लगा सकते हैं अगला पॉइंट आता है आपके पास कस्टम यूनियन कस्टम यूनियन अ ग्रुप ऑफ कंट्रीज ग्रुप ऑफ कंट्रीज ग्रुप ऑफ कंट्रीज एलिमिनेट ऑल टैरिफ ऑन द ट्रेड अमंग देम सेल्व बट मेंटेन अ कॉमन एक्सटर्नल टैरिफ ऑन द ट्रेड विद द कंट्रीज आउटसाइड द यूनियन दस टेक्निकली वायलेट द एमएफएन द कॉमन एक्सटर्नल टैरिफ च डिस्टिंग्विश अ कस्टम यूनियन फ्रॉम अ फ्री ट्रेड एरिया कॉमन एक्सटर्नल टैरिफ वि डिस्टिंग्विश अ कस्टम यूनियन फ्रॉम अ फ्री ट्रेड एरिया इंप्लाइज दैट जनरली द सेम टैरिफ इ चार्ज व्हेनेवर वेर एवर अ मेंबर इंपोर्ट गुड्स फ्रॉम द आउटसाइड द कस्टम यूनियन द यूरोपियन यूनियन इज अ कस्टम यूनियन इट्स 27 मेंबर कंट्रीज फ्रॉम द सिंगल टेरिटरी फॉर अ कस्टमर पर्पस फॉर अ कस्टम पर्पस क्या बोल रहा है वो आपसे कस्टम यूनियन में ग्रुप ऑफ कंट्रीज हैं जो एलिमिनेट करती है ऑल द टैरिफ ऑन द ट्रेड अमंग देम सेल्फ बट आ मेंटेन कॉमन एक्सटर्नल टैरिफ ऑन अ ट्रेड विद द कंट्रीज आउटसाइड द यूनियन कॉमन एक्सटर्नल टैरिफ व्हिच डिस्टिंग्विशेज अ कस्टम यूनियन फ्रॉम अ फ्री ट्रेड एरिया इंप्लाइज दैट जनरली द सेम टैरिफ इज चार्ज वयर एवर अ मेंबर इंपोर्ट द गुड्स फ्रॉम द आउटसाइड द कस्टम यूनियन यूरोपियन यूनियन इज अ कस्टम यूनियन इट्स मेंबर कंट्रीज फॉर्म अ सिंगल टेरिटरी फॉर द कस्टम पर्पस तो कस्टम यूनियन और आपका ट्रेडिंग ब्लॉक ऑलमोस्ट सेम है आपका कस्टम यूनियन और आपका जो ट्रेडिंग ब्लॉक है वो ऑलमोस्ट सेम है वोह ऑलमोस्ट सेम है ऑलमोस्ट सेम है ठीक है कस्टम यूनियन में और ट्रेडिंग ब्लॉक में कोई भी फर्क नहीं है कस्टम यूनियन में वह आपसे क्या बोल रहा है कि कस्टम यूनियन आपस में जो इस कस्टम यूनियन के मेंबर्स हैं वह आपस में क्या करते हैं फ्री ट्रेड करते हैं और अगर कोई आउटसाइड कंट्री से इंपोर्ट होगा उस परे क्या करेंगे कॉमन इंपोर्ट ड्यूटी लगाएंगे मतलब सबका इंपोर्ट ड्यूटी क्या होगा सेम होगा कॉमन इंपोर्ट ड्यूटी लगाएंगे ठीक है ज्यादा लोड मत लेना इसका कॉमन मार्केट क्या होता है कॉमन मार्केट गोज बियोंड द कस्टम यूनियन बाय अलोंग फ्री फ्लो ऑफ फैक्टर्स ऑफ प्रोडक्शन इन एडिशन टू द फ्री फ्लो ऑफ आउटपुट मेंबर कंट्रीज आल्सो ट्राई टू हार्मोनाइज सम ऑफ देयर इंस्टीट्यूशंस अरेंजमेंट्स एज वेल एज द कमर्शियल एंड फाइनेंशियल लॉ एग्जांपल एशियन ठीक है अभी जरा मेरी बात ध्यान से सुनो कॉमन मार्केट क्या है सर कॉमन मार्केट कॉमन मार्केट यहां पर आप अपना क्या करते हो गुड्स एंड सर्विसेस का इंपोर्ट एक्सपोर्ट तो करते ही हो इसमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन कॉमन मार्केट के अंदर आपकी जो लेबर होती है आपके जो अदर फैक्टर्स ऑफ प्रोडक्शन होते हैं आपके जो अदर फैक्टर्स ऑफ प्रोडक्शन होते हैं वह भी क्या करते हैं फ्री फ्लो करते हैं अदर फैक्टर ऑफ प्रोडक्शन का मतलब क्या हो गया अदर फैक्टर ऑफ प्रोडक्शन का मतलब क्या हो गया यानी कि आपका जो लेबर है वो भी फ्री फ्लो करता है आपकी जो कैपिटल है यह भी क्या करती है फ्री फ्लो करती है मतलब एक कंट्री से दूसरी कंट्री में लेबर आसानी से जा सकती है एक कंट्री से दूसरी कंट्री में आपकी कैपिटल जो है वह आसानी से जा सकती है कोई दिक्कत वाली बात नहीं आती राइट तो मतलब कंट्री ए से कंट्री ए से अगर कंट्री बी में कंट्री ए से कंट्री बी में गुड्स और सर्विस तो जा ही रही है इसके अलावा लेबर भी जा सकती है मतलब आराम से दूसरी कंट्री में जाके काम कर सकती है इसको क्या बोलते हैं बेटा इसको बोलते हैं कॉमन मार्केट कॉमन मार्केट का एग्जांपल है एशियन आओ मैं तुमको एशियन दिखाता हूं कि एशियन में कौन-कौन सी कंट्रीज आती हैं ए एस ई ए एन एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशन ठीक है इसमें क्या-क्या आता है सर इसमें आपका कंबोडिया इंडोनेशिया मलेशिया म्यानमार फिलीपीन सिंगापुर थाईलैंड एंड वियतनाम इन कंट्रीज के अंदर इन कंट्रीज के अंदर अगर आप देख पा रहे हो इन कंट्रीज के अंदर आपका फ्री फ्लो होता है गुड्स का गुड्स तो आपस में होते ही है एक्सचेंज इसके साथ-साथ इसके साथ-साथ अदर फैक्टर ऑफ प्रशन हम लेबर भी एक दूसरी कंट्री में लेकर जा सकते हैं हम कैपिटल भी एक दूसरी कंट्री में लेकर जा सकते हैं ठीक है एशियन मेंबर स्टेट हैव कंबाइंड पॉपुलेशन ऑफ ऑफ ओवर 600 मिलियन एंड अ लैंड एरिया ऑफ 4.5 मिलियन स्क्वायर किलोमीटर एशियन जीडीपी इज द थर्ड लार्जेस्ट इन द एशिया एंड द सेवेंथ लार्जेस्ट इन द वर्ल्ड इट्स मार्केट इज लार्जर देन यूरोप एंड नॉर्थ अमेरिका ठीक है तो इसकी जो मार्केट है वो यूरोप और नॉर्थ अमेरिका से जदा बड़ी है राइट बात समझ में आ गया बात बात बात समझ में आ गया तो अभी तक आपने क्या देखा सर अभी तक आपने देखा अभी तक आपने देखा कि सर एक तो यूनिलैटरल होता है एक तरफा प्यार एक कंट्री केवल दूसरे को देती है फायदा बायलट में दो कंट्रीज इवॉल्व होती है रीजनल प्रेफरेंस रीजनल प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट के अंदर ग्रुप ऑफ कंट्रीज इवॉल्व होती है जो ट्रेड बैरियर्स को रिड्यूस करती है जो ट्रेड बैरियर्स को रिड्यूस करती है इसके बाद आपने देखा ट्रेडिंग ब्लॉक इसके अंदर फ्री ट्रेड होता है फ्री ट्रेड होता है अमंग द मेंबर्स और कॉमन कॉमन एक्सटर्नल टैरिफ होता है टू अदर कंट्रीज इसके बाद अपने पास कस्टम यूनियन सॉरी इसके बाद फ्री ट्रेड के अंदर भी ऐसा ही होता है ग्रुप ऑफ कंट्रीज होती हैं आपस में फ्री ट्रेड करती हैं और यहां पर डिफरेंट डिफरेंट एक्सटर्नल टैरिफ लगाती हैं यहां पे कॉमन एक्सटर्नल टैरिफ होता है यहां पे डिफरेंट एक्सटर्नल टैरिफ होता है कस्टम यूनियन ट्रेडिंग ब्लॉक के जैसा ही होता है कॉमन मार्केट के अंदर गुड्स का भी फ्लो होता है और अपने अदर फैक्टर्स ऑफ प्रोडक्शन का भी फ्लो होता है इसके बाद आता है आपके पास इकोनॉमिक एंड मॉनेटरी यूनियन इकोनॉमिक एंड मॉनेटरी यूनियन क्या होता है सर पूरा का पूरा जो ग्रुप होता है वह एक कंट्री बन जाता है या एक आप कह लो कि एक कस्टम एरिया बन जाता है जैसे कि यूरोप यूरोप के अंदर जितनी भी कंट्रीज हैं यूरोप के अंदर जितनी भी कंट्रीज हैं वहां पर सिंगल करेंसी चलती है सिंगल करेंसी चलती है पूरे यूरोप के अंदर यूरोप मतलब यूरोप के अंदर जितनी भी कंट्रीज आती हैं वह सब कॉमन करेंसी चलाती है यूरोप एशिया के अंदर भी बहुत सारी कंट्रीज आती हैं लेकिन एशिया के अंदर हर कंट्री अपनी करेंसी चला रही है बांग्लादेश की अलग है पाकिस्तान की अलग है इंडिया की अलग है चाइना की अलग है राइट लेकिन जो यूरोपियन यूनियन है जो यूरोपियन यूनियन है उन्होंने ऐसा स्ट्रक्चर बनाया है जहां पर वह सिंगल करेंसी चला रहे हैं सो दैट आराम से एक दूसरे के साथ क्या किया जा सके धंधा किया जा सके आराम से एक दूसरे के साथ किया जा सके धंधा फॉर अ कॉमन मार्केट द फ्री ट्रांजिट ऑफ गुड्स एंड सर्विसेस थ्रू द बॉर्डर इंक्रीजस द नीड फॉर अ फॉरेन एक्सचेंज ऑपरेशंस एंड रिजल्ट्स इन द हायर फाइनेंशियल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपेंसेस ऑफ द फर्म्स ऑपरेटिंग विद इन द रीजन कह रहा है कि सर यूरोपियन यूनियन क्या है एक कॉमन मार्केट है सारी कंट्रीज आपस में फ्री ट्रेड कर रही हैं यूरोप की एक कंट्री से दूसरी कंट्री में माल जा रहा है और कोई भी इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लग रही है तो कह रहा है कि इसकी वजह से क्या होगा जब आप फ्री ट्रेड करोगे तो आपस में ट्रेड एक्टिविटीज बढ़ेंगी और जब आपस में ट्रेड एक्टिविटीज बढ़ेगी तो उसका एडमिनिस्ट्रेशन फॉरेन एक्सचेंज इसका बड़ा लोचा आएगा तो सर इस चीज को ठीक करने के लिए इन्होंने क्या किया इन्होंने अपनी जो करेंसी है उसे कॉमन कर लिया इन्होंने अपनी करेंसी को कॉमन कर लिया ताकि फॉरेन एक्सचेंज को लेकर कभी भी कोई प्रॉब्लम निकल कर ना आए जैसे अभी इंडिया और यूएसए के बीच में अगर ट्रेड होता है तो फॉरेन एक्सचेंज फ्लक्ट एश की वजह से काफी प्रॉब्लम्स होती है लेकिन अगर अपने पास कॉमन करेंसी हो जाए तो आपस में जब ट्रेड करेंगे तो कभी भी प्रॉब्लम निकल कर नहीं आएगी ना तो आपको इंपोर्ट में फायदा होगा ना नुकसान होगा ना एक्सपोर्ट में फायदा होगा ना नुकसान होगा इट विल बी कंसीडर्ड एज बिग लोकल मार्केट इट विल बी कंसीडर्ड एज वन बिग लोकल मार्केट क्योंकि हर जगह पर क्या चल रहा है यूरो ही चल रहा है तो आपको यूरो को दूसरी करेंसी में कन्वर्ट नहीं करवाना जब दूसरी करेंसी में कन्वर्ट नहीं करवाना तो कोई भी फायदा या नुकसान नहीं होगा जब आप रुपीज को डॉलर में कन्वर्ट कराते हो तो डॉलर महंगा सस्ता होता है तो रुपी को जब डॉलर में कन्वर्ट कराते हैं तो प्रॉफिट और लॉस की सिचुएशन निकल कर आती है लेकिन जब अपने पास एक कॉमन मार्केट चल रही है पूरा यूरोप एक वन मार्केट की तरह काम कर रहा है तो जितनी भी उन सबने क्या किया यूरो को ही एस अ करेंसी एक्सेप्ट कर लिया ताकि जब आपस में ट्रेड करें तो करेंसी फ्लक्ट एश का नुकसान निकल कर ना आए करेंसी फ्लकचुएशन का नुकसान निकल कर ना आए तो जितनी भी यूरोपियन कंट्रीज है इन्होंने अपना अडॉप्ट कर लिया है अपना सिंगल करेंसी इन्होंने अडॉप्ट कर लिया है अपना सिंगल करेंसी राइट यस सर चलिए भाई अब बात कर करते हैं सर जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड गैट की बाबू आपको एक बात पता है जो आज का वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन है डब्ल्यूटीओ यह गैट को रिप्लेस करके बना है पहले इंटरनेशनल ट्रेड्स को कौन मॉनिटर करता था गैट मॉनिटर करता था लेकिन गैट में ना कुछ कमियां थी यह कमजोर था तो इस गैट को क्या किया गया डब्ल्यूटीओ से पलेस किया गया डब्ल्यूटीओ मजबूत संस्था है डब्ल्यूटीओ मजबूत संस्था है गैट जो थी वह कमजोर संस्था थी जब आपकी वर्ल्ड इकोनॉमी चेंज हो रही थी बिजनेस करने के तरीके बदल रहे थे तो गैट उन तरीकों को अडॉप्ट नहीं कर पा रहा था प्लस गैट के अंदर शुरू से ही कुछ प्रॉब्लम्स थी अभी हम डिस्कस करेंगे जिनकी वजह से हमने गैट को क्या किया रिप्लेस किया डब्ल्यूटीओ से गैट क्या था एक मल्टीलेटरल इंस्ट्रूमेंट था व्च गवर्न द इंटरनेशनल ट्रेड तो पहले ये इंटरनेशनल ट्रेड को गवर्न करता था मैनेज करता था देखता था संभालता था इट इज आल्सो रिफर टू एज प्रोविजनल एग्रीमेंट अलोंग विद द वर्ल्ड बैंक एंड आईएमएफ यह एक प्रोविजनल एग्रीमेंट था वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ के बीच में गट ने रूल्स प्रोवाइड करें इंटरनेशनल ट्रेड को लेकर 47 इयर्स तक 1948 से लेकर 1994 तक तो गैट की उपस्थिति कब तक रही 1948 से लेकर 1994 तक यानी कि टोटल 47 इयर्स तक एट राउंड्स ऑफ मल्टीलेटरल नेगोशिएशन मल्टीलेटरल नेगोशिएशन का मतलब क्या हुआ मल्टीलेटरल नेगोशिएशन का मतलब क्या हुआ बहुत सारी कंट्रीज अपने पास ट्रेड नेगोशिएशन में एंटर करती थी बहुत सारी कंट्रीज जितने भी आपके एक्सपर्ट्स होते थे ना कंट्रीज के जिनको अपन क्या बोलते हैं एंबेसडर बोलते हैं जो आईएएस पीसीएस होते हैं जो हाई रैंक्स पे होते हैं ऑफिशियल यह लोग क्या करते हैं मीटिंग्स करते हैं कंट्रीज को रिप्रेजेंट करते हैं तो कुछ हाई एंड ऑफिशियल अपने पास इंडिया को रिप्रेजेंट कर रहे होंगे कुछ ऑस्ट्रेलिया को कुछ जर्मनी को कुछ यूके को ये लोग मल्टीलेटरल नेगोशिएशंस करते थे मल्टीलेटरल का मतलब मोर मेनी कंट्रीज मेनी कंट्रीज तो टोटल कितने राउंड्स हुए थे इन 47 इयर्स में इन 47 इयर्स में टोटल एट राउंड हुए थे टोटल एट राउंड हुए थे जिनको हम ट्रेड राउंड्स भी बोलते हैं जिनको हम ट्रेड राउंड्स भी बोलते हैं तो 47 इयर्स तक गैट प्रेजेंट था और इस 47 इयर्स में गैट ने एट राउंड्स ऑफ मीटिंग करे थे ट्रेड राउंड इन द अर्लिफ्ट में गैट का काम क्या था शुरू शुरू में गट ने टैरिफ रिडक्शन की बात करी कि भाई आपस में ट्रेड करो इंपोर्ट ड्यूटीज को कम करो जितनी भी कंट्रीज गैट की मेंबर थी गैट चाहता था कि आप आपस में अपने ट्रेड्स को बढ़ाओ और ट्रेड्स को कैसे बढ़ाया जा सकता है जब ट्रेड रिस्ट्रिक्शंस को कम किया जाए और ट्रेड रिस्ट्रिक्शन में सबसे बड़ी रिस्ट्रिक्शन निकल कर आती है इंपोर्ट ड्यूटी तो कम इंपोर्ट ड्यूटी चार्ज करना वाज द मेन एजेंडा अर्लिया कैनेडी राउंड इन द मिड 60 एंड द टोक्यो राउंड इन द 70 लेड टू अ ह्यूज रिडक्शन इन द बायलट टैरिफ एस्टेब्लिशमेंट ऑफ नेगोशिएशन रूल्स प्रोसीजर्स ऑन डिस्प्यूट रेजोल्यूशन डंपिंग एंड लाइसेंसिंग तो कैनेडी राउंड जो आपके मिड 60 में हुआ था टोक्यो राउंड जो 1970 में हुआ था इसके अंदर हमने काफी सारे बायलट रिडक्शन करे इसके अंदर हमने काफी सारे बायलट टैरिफ रिडक्शन करे बहुत सारे नेगोशिएशन के रूल्स बनाए कि ट्रेड कैसे होगा ट्रेड करने के कायदे कानून कैसे होंगे और अगर दो कंट्रीज के बीच में डिस्प्यूट निकल कर आता है लड़ाई झगड़ा हो जाता है दो कंट्रीज के बीच में ट्रेड को लेकर तो उसको कैसे रिजॉल्व किया जाएगा अगर कोई कंट्री डंपिंग कर रही है अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस कर रही है तो उसको कैसे डील करेंगे लाइसेंसिंग वगैरह का क्या हिसाब रहेगा सबसे आखिरी राउंड रुगे राउंड था इसको याद रखना एग्जाम में पूछा जा सकता है एमसीक्यू में सबसे लास्ट राउंड एथ राउंड था जो 1986 से 94 तक चला ये सबसे आखिरी और मोस्ट इंपॉर्टेंट राउंड था और जब यह राउंड कंक्लूजन हुआ तो एग्जाम में एमसीक्यू बन सकता है कि कौन से राउंड के अंदर डब्ल्यूटीओ का जन्म हुआ तो एथ राउंड के अंदर डब्ल्यूटीओ का जन्म हुआ इस चीज का याद रखना गैट क्यों खत्म हुआ गैट में क्या कमजोरियां थी सर गैट आउटडेटेड था वर्ल्ड बहुत तेजी से इवॉल्व हो रहा था और गैट उतनी तेजी से इवॉल्व नहीं हो रहा था देयर वास सब्सटेंशियल एक्सपेंशन इन द इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट एंड ट्रेड इन सर्विसेस वर नॉट कवर्ड इन गैट ये इंपॉर्टेंट पॉइंट है गट केवल गुड्स के बारे में बात करता था लेकिन जब अपने पास इकोनॉमी आगे बढ़ी तो हम लोग इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स भी चेंज करने लग गए कॉपीराइट्स ट्रेडमार्क ब्रांड नेम लोगो यह भी आपस में क्या हो गया एक्सचेंज होना शुरू हो गया एक कंट्री दूसरी कंट्री को पेटेंट्स ट्रांसफर करने लग गई कॉपीराइट ट ट्रांसफर करने लग गई इस चीज को गैट में कवर नहीं किया गया था गैट सर्विसेस को डील नहीं करता था लेकिन आगे चलके बहुत ज्यादा ट्रांजैक्शन सर्विसेस में हुआ एक कंट्री दूसरी कंट्री को सर्विसेस भी तो प्रोवाइड करती है इंटरनेशनल ट्रेड इन गुड्स इंक्रीजड इनॉरमस एंड इट वाज बियोंड इट्स स्कोप गुड्स की भी ट्रेडिंग काफी बढ़ गई थी और गैट उसको संभाल नहीं पा रहा था एमिगस थी कंफ्यूजन थे इन द मल्टीलेटरल सिस्टम जो बुरी तरीके से एक्सप्लोइट करे जाते थे लूप होल्स थे जिसका कंट्रीज क्या करती थी फायदा उठाती थी लूप होल्स थे जिसका कंट्रीज क्या करती थी बेटा फायदा उठाती थी इसके बाद एफर्ट्स एट लिबरलाइजिंग द एग्रीकल्चर ट्रेड वर नॉट सक्सेसफुल एग्रीकल्चर के ट्रेड को लिबरलाइज किया जाए एग्रीकल्चर के ट्रेड को लिबरलाइज करने में गैट सक्सेसफुल नहीं हो पाया था देयर वर इन एडिक्स इन द स्ट्रक्चर एंड डिस्प्यूट सेटलमेंट सिस्टम इन शॉर्ट गैट पूरी तरीके से कमजोर था जिसकी वजह से डब्ल्यूटीओ का जन्म हुआ उर्ग राउंड यह कहां पर हुआ था पुंटलैंड था और मोस्ट एंबिशियस और लार्जेस्ट राउंड था इसमें 123 कंट्रीज ने पार्टिसिपेट किया था मेंबर्स एस्टेब्लिश 15 ग्रुप्स टू वर्क लिमिटिंग ट्रेड रिस्ट्रिक्शन इन द सेवरल एरिया दिसंबर 1993 में यह राउंड कंक्लूजन कंक्लूजन इयर्स ऑफ लबरेट नेगोशिएशन इसमें समझने लायक कुछ नहीं है रटने लायक है एक बार रीड कर लेना मोस्ट कंट्रीज साइंड द एग्रीमेंट ऑन 15th अप्रैल 1994 1994 में बहुत सारी कंट्रीज ने इस पर साइन किया और इसने इफेक्ट लिया जुलाई 1995 में जुलाई 1995 में और जुलाई 1995 में डब्ल्यूटीओ निकल कर आया जिसने गैट को क्या कर दिया रिप्लेस कर दिया ठीक है तो अपना यह राउंड कब स्टार्ट हुआ था अपना यह राउंड स्टार्ट हुआ था 1986 में इसे खत्म होना था दिसंबर 1990 में लेकिन यह खत्म हुआ दिसंबर 1993 में 15 अप्रैल 1994 को सब मेंबर्स ने इसमें साइन किया और यह अपने पास जो एग्रीमेंट था वो इफेक्टिव हुआ जुलाई 1995 से और जुलाई 1995 में डब्ल्यूटीओ जो है वो अपने पास एसिस्टेंसिया गैट वाज अ एग्रीमेंट जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड दिस इज नॉट एन ऑर्गेनाइजेशन वेयर एज डब्ल्यूटीओ इज अ ऑर्गेनाइजेशन डीलिंग विद द ट्रेड रूल्स बिटवीन द नेशन ये ट्रेड रूल्स बनाता है कि आपस में ट्रेडिंग कैसे होगी इसने कब काम करना शुरू किया था जनवरी 1995 में अंडर मकेश एग्रीमेंट साइंड बाय 123 नेशंस ऑन 15th अप्रैल 1994 रिप्लेसिंग द गैट यही पॉइंट अभी आपने पढ़ा कि 123 कंट्रीज ने 15 अप्रैल 1994 को साइन किया था और गैट को रिप्लेस कर दिया था डब्ल्यूटीओ से डब्ल्यूटीओ रील्स विद द रेगुलेशन ऑफ ट्रेड इन इंडस्ट्रियल एंड एग्रीकल्चर गुड्स यह इंडस्ट्रियल और एग्रीकल्चर गुड्स के लिए रूल्स बनाता है सर्विसेस के लिए रूल्स बनाता है इसके अलावा इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी के लिए भी रूल्स बनाता है गैट केवल गुड्स की बात करता था यह गुड्स की बात भी करता है सर्विस की बात भी करता है आईपीआर की बात भी करता है डब्ल्यूटीओ क्या चा है डब्ल्यूटीओ चाहता है कि सर सब कंट्रीज के बीच में स्मूथ फ्री फेयर और प्रिडिक्टेबल ट्रेड हो हमारे पास एक फोरम होना चाहिए फोरम मतलब एक ऑर्गेनाइजेशन होना चाहिए जहां पर हम ट्रेड नेगोशिएशन कर सके एक प्लेटफार्म होना चाहिए जहां पर कंट्रीज बैठकर आपस में बात कर सके नेगोशिएशंस कर सके ट्रेड एग्रीमेंट्स को एडमिनिस्टर करता है कि भाई दो कंट्रीज के बीच में अगर एग्रीमेंट हुआ है तो वो एग्रीमेंट ठीक है कि गलत गलत है इसको एडमिनिस्टर करता है डब्ल्यूटीओ नेशनल ट्रेड पॉलिसीज को रिव्यू करता है इंडिया अगर इंपोर्ट ड्यूटी लगा रही है हटा रही है नॉन टैरिफ मेजर्स लगा रही है तो इंडिया की जो ट्रेड पॉलिसीज है ट्रेड को बढ़ावा दे रही है इंडिया कि ट्रेड को रोक रही है इंडिया इस पॉलिसी को रिव्यू करने का काम डब्ल्यूटीओ का है असिस्ट करता है डेवलपिंग कंट्रीज को उनकी पॉलिसीज फ्रेम करने में कोऑपरेट करता है विद द अदर इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन अदर इंटरनेशनल ऑर्ग बोले तो अपने पास वर्ल्ड बैंक अपने पास आईएमएफ अपने पास यूएनओ तो जो इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशंस है उनके साथ कोऑपरेट करके चलता है डब्ल्यूटीओ में अपना 95 पर ऑफ वर्ल्ड ट्रेड होता है मतलब जितना भी दुनिया में ट्रेड हो रहा है उसका 95 पर डब्ल्यूटीओ की नाक के नीचे हो रहा है टोटल डब्ल्यूटीओ के अंदर 164 कंट्रीज है टोटल डब्ल्यूटीओ के अंदर 164 कंट्रीज है अराउंड 25 अदर्स आर नेगोशिएटिंग द मेंबरशिप इसके अलावा 25 मेंबर्स और हैं जो डब्ल्यूटीओ में मेंबर्स बनना चाहते हैं स्ट्रक्चर क्या है डब्ल्यूटीओ का इसको आप एक बार रीड कर लेना इसमें समझाने लाइक कुछ नहीं है जस्ट रीड इट वंस ठीक है जस्ट रीड इट वंस इसमें मेरे पास आपको समझाने लाइक कुछ नहीं है इसके बाद गाइडिंग प्रिंसिपल्स क्या निकल कर आते हैं डट ए के डब्ल्यूटीओ के गाइडिंग प्रिंसिपल्स क्या है बोले तो डब्ल्यूटीओ किन चीजों पर बेस्ड है डब्ल्यूटीओ किन चीजों पर चलता है गाइडिंग प्रिंसिपल का मतलब क्या है डब्ल्यूटीओ के उसूल क्या है डब्ल्यूटीओ के उसूल क्या है तो पहला जो असूल है अपना डब्ल्यूटीओ का वह है ट्रेड विदाउट डिस्क्रिमिनेशन कह रहा है कि जितने भी मेंबर्स है अपने पास डब्ल्यूटीओ के वो आपस में कोई भी डिस्क्रिमिनेशन नहीं करेंगे हमने मोस्ट वर्ड नेशन रेट पड़ा था पीछे वो क्या था कि अगर आप एक कंट्री को 10 पर पे इंपोर्ट अलाउ कर रहे हो तो बाकी कंट्रीज को भी 10 पर पे इंपोर्ट अलाव करना पड़ेगा अगर आपका प्रेफरेंशियल एग्रीमेंट नहीं है किसी कंट्री के साथ अगर आपका किसी कंट्री के साथ प्रेफरेंशियल एग्रीमेंट नहीं है तो आपको सबको एक जैसे डील करना है अगर कंट्री ए के साथ आपका प्रेफरेंशियल एग्रीमेंट नहीं है और उसको इंपोर्ट ड्यूटी 10 पर की लगाई जाती है तो बाकी जो कंट्रीज है जिनके साथ आप आपका प्रेफरेंशियल एग्रीमेंट नहीं है उनको भी आप 10 पर का ही ड्यूटी लगाओगे इसको बोलते हैं ट्रेड विदाउट डिस्क्रिमिनेशन नेशनल ट्रीटमेंट प्रिंसिपल नेशनल ट्रीटमेंट प्रिंसिपल का मतलब क्या हुआ कि जो इंपोर्टेड गुड्स एंड सर्विसेस हैं उनको वैसे ही ट्रीट करोगे जैसे डोमेस्टिक प्रोड्यूस गुड्स एंड सर्विसेस को करते हो तो जैसा क्लासिफिकेशन जैसा रवैया जैसा ट्रीटमेंट आपके पास डोमेस्टिक गुड्स के लिए होता है वैसा ही ट्रीटमेंट आपके पास क्या होना चाहिए इंपोर्टेड गुड्स के लिए होना चाहिए चाहिए तो अगर आपने लेट्स से एप्पल के लिए जो डोमेस्टिक प्रोड्यूस्ड एप्पल हैं उनके लिए अगर आपने कोई रूल बनाया है जैसे मान लो इंडिया ने रूल बना दिया कि किसी भी एप्ल पे वैक्सिंग नहीं करी जाएगी बिना वैक्सिंग करे ही एप्पल को सेल किया जाएगा तो आपको यही रूल इंपोर्टेड गुड्स पे भी लगाना है अगर आपने ऐसा बोला कि डोमेस्टिक प्रोड्यूस्ड गुड्स रेफ्रिजरेटर में रखे जाएंगे बिना रेफ्रिजरेटर के उनको कहीं पर भी स्टोर नहीं किया जाएगा तो सेम ट्रीटमेंट इंपोर्टेड गुड्स के साथ भी करना है जैसे घर के बच्चे के साथ डील करते हैं वैसे ही बाहर के बच्चे के साथ भी डील करना है घर के बच्चे के ऊपर दो बजाते हैं बाहर वाले के भी बजा दो कोई दिक्कत नहीं है इसके बाद आता है फ्री ट्रेड डब्ल्यूटीओ चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा कंट्रीज फ्री ट्रेड में इवॉल्व हो तो डब्ल्यूटीओ इस स्टेप पे काम कर रहा है कि जितने भी 164 मेंबर कंट्रीज हैं ये लोग आपस में फ्री ट्रेड करें मतलब इंपोर्ट ड्यूटी एक तरीके से चाहता है कि हटा दी जाए गवर्नमेंट अपने लिए रेवेन्यू का कोई और सोर्स ढूंढ ले मतलब डब्ल्यूटीओ की यह अपेक्षा है यह मंशा है यह चाहत है सर अपेक्षा मंशा चाहत तीन तीन हां बेटा तीन-तीन उसकी अपेक्षा है उसकी मंशा है उसकी चाहत है कि फ्री ट्रेड होना चाहिए फ्री ट्रेड होना चाहिए मतलब कि सर कोई भी इंपोर्ट ड्यूटी नहीं होनी चाहिए कोई भी इंपोर्ट रिस्ट्रिक्शंस नहीं होने चाहिए फ्रीली गुड्स एक कंट्री से दूसरी कंट्री में मूव कर सके इसके बाद प्रिडिक्टेबल प्रिडिक्टिबिलिटी का मतलब कि हम सामने वाली गवर्नमेंट के साथ अगर ट्रेड कर रहे हैं जैसे मान लो इंडिया अगर यूएस के साथ ट्रेड कर रही है तो वह यूएस की पॉलिसी को प्रिडिक्ट कर सके जैसे मैंने आपको एग्जांपल दिया था कि अगर यूएस की गवर्नमेंट कह रही है कि इंडिया आप हमको लैपटॉप एक्सपोर्ट करो हम आपसे लैपटॉप खरीदेंगे और उस परे हम 5 पर का ड्यूटी लगाएंगे तो हमें यह प्रिडिक्टिबिलिटी होनी चाहिए कि यह 5 पर की ड्यूटी कब तक चलेगी 1 साल 2 साल 5 साल 10 साल है ना ये प्रिडिक्टिबिलिटी होनी जरूरी है अगर प्रिडिक्टिबिलिटी नहीं है तो ट्रेड करने में प्रॉब्लम आएगी हमें शक होगा सामने वाले की गवर्नमेंट पे राइट तो अगर मैं आपके साथ ट्रेड कर रहा हूं तो मैं आपकी इंटेंशन को प्रिडिक्ट कर सकूं इन्वेस्टमेंट्स आर इनकरेज अंडर अ स्टेबल एंड प्रिडिक्टेबल बिजनेस एनवायरमेंट फॉरेन कंपनीज इन्वेस्टर एंड गवर्नमेंट्स कैन बी एश्योर्ड दैट द ट्रेड बैरियर्स विल नॉट बी रेज्ड अगर यूएसए वाले बोल रहे हैं कि हम आपसे लैपटॉप खरीद लेंगे 12 पर की इंपोर्ट ड्यूटी पे तो ये 12 पर की इंपोर्ट ड्यूटी रहनी चाहिए या फिर कम होनी चाहिए इसको इंक्रीज नहीं होना चाहिए अगर मैं यह प्रिडिक्ट नहीं कर सकता कि सर यूएसए क्या करेगी यूएसए ड्यूटी बढ़ाएगी घटाए गी इस चीज की प्रिडिक्टेबल नहीं है तो ट्रेड नहीं हो पाएगी प्रिंसिपल ऑफ जनरल प्रोहिबिशन ऑफ क्वांटिटेशन रिस्ट्रिक्शन क्वांटिटेशन रिस्ट्रिक्शंस टेंड टू हैव अ ग्रेटर प्रोटेक्टिव इफेक्ट दैट टैरिफ एंड री मोर लाइक टु डिस्टोर्ट द फ्री ट्रेड हेंस यूज़ ऑफ़ सच मेजर इज़ प्रोहिबिटेड मतलब कह रहा है कि कोटाज मत लगाओ डब्ल्यूटीओ क्या कह रहा है डब्ल्यूटीओ कह रहा है कोटा मत लगाओ तुमको टैरिफ लगाना है इंपोर्ट ड्यूटी लगानी है लगा दो लेकिन कोटा मत लगाओ ग्रेटर कंपटिंग आपके पास जब कभी भी इंपोर्टेड गुड्स आएंगे तो कंपटीशन बढ़ेगा आपका डोमेस्टिक भाई अगर शूज़ इंपोर्ट होकर आ रहे हैं तो जो डोमेस्टिक प्रोड्यूसर हैं शूज़ के उनको कंपटीशन मिलेगा और जब कंपटीशन मिलेगा तो वह अच्छा क्वालिटी ऑफ प्रोडक्ट निकालेंगे और अपने कंज्यूमर को कम रेट पे बेटर क्वालिटी प्रोवाइड करेंगे अल्टीमेटली पब्लिक एट लार्ज का क्या होगा फायदा होगा टैरिफ एज अ लेजिटिमेसी इंडस्ट्री का नुकसान हो रहा हो अगर आपका डोमेस्टिक इंडस्ट्री का नुकसान नहीं हो रहा तो वहां पर आपको टैरिफ लगाने की जरूरत नहीं है टैरिफ इंपोजिशन शुड बी द ओनली मेथड ऑफ प्रोडक्शन एंड टैरिफ रेट शुड बी ग्रैजुअली रिड्यूस्ड मेंबर कंट्री आल्सो बाइंड्स टू द मैक्सिमम रेट दैट इज एमएफएन रेट ठीक है इसके बाद अगला पॉइंट आता है ट्रांसपेरेंसी इन डिसीजन मेकिंग सामने वाली कंट्री की जो गवर्नमेंट है अगर वो डिसीजन मेकिंग कर रही है कि भाई मुझे इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ानी है तो उसका यह जो डिसीजन है कि इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ानी है तो क्यों बढ़ानी है आपका जो रीजन है इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का वो आपको अपने डब्ल्यूटीओ मेंबर्स को बताना पड़ेगा तो देयर शुड बी अ ट्रांसपेरेंसी एनी डिसीजन टेकन बाय द मेंबर्स रिलेटेड टू द ट्रेड शुड बी ट्रांसपेरेंट एंड वेरीफाइबिलिटी टू ऑल द ट्रेडिंग पार्टनर्स एनी अपोजिशन टू द चेंज शुड बी एप्रोप्रियेट बताए आप अपनी ट्रेड पॉलिसीज नहीं चेंज कर सकते इसको बोलेंगे ट्रांसपेरेंसी प्रोग्रेसिव लिबरलाइजेशन का मतलब क्या हुआ कि धीरे-धीरे चलते-चलते गवर्नमेंट आगे क्या करेगी अपने पास इंपोर्ट ड्यूटीज को खत्म करेगी या फिर बिल्कुल मिनिमाइज कर देगी इसको बोलते हैं लिबरलाइजेशन धीरे-धीरे प्रोग्रेसिव लिबरलाइजेशन एकदम से नहीं करेगी धीरे-धीरे एनहांसिंग द मार्केट एक्सेस डब्ल्यूटीओ एम्स टू एनहांस द मार्केट एक्सेस बाय कन्वर्टिंग ऑल नॉन टैरिफ बैरियर्स इनटू द टैरिफ एंड बाय स्पेसिफाइड टारगेट्स टू इंश्योर द मार्केट एक्सेस इन द मल्टीलेटरल एग्रीमेंट तो कह रहा है कि सर मार्केट एक्सेस बढ़ाना चाहती है डब्ल्यूटीओ जितने भी नॉन टैरिफ बैरियर्स हैं मतलब जो नॉन टैरिफ मेजर्स हैं उनको खत्म कर दिया जाएगा और उसकी जगह कहा जाएगा कि तुम ड्यूटी लगा दो तुम कोटास को हटाओ तुम नॉन टैरिफ बैरियर को हटाओ जो एनटीएस थे ना नॉन प्राइस रिलेटेड मेजर्स टेक्निकल बैरियर टू ट्रेड सेनेटरी एंड फिटो सेनेटरी मेजर्स इन सब को तुम हटाओ तुम्हें इंपोर्ट ड्यूटी लगानी है लगा दो तो नॉन टैरिफ मेजर्स को हटाओ इंपोर्ट ड्यूटी लगाओ एंड ओवर द टाइम लिबरलाइज हो जाओ वो इंपोर्ट ड्यूटी भी आप क्या करो खत्म कर दो स्पेशल प्रिविलेज देना चाहता है डब्ल्यूटीओ लेस डेवलप्ड कंट्रीज को ताकि वह ज्यादा से ज्यादा एक्सपोर्ट करें और उनके पास डेवलप्ड अ अंडर डेवलप्ड फेज से वह डेवलप्ड फेज की तरफ बढ़े प्रोटेक्शन ऑफ हेल्थ एंड एनवायरमेंट डब्ल्यूटीओ काम कर रहा है हेल्थ और एनवायरमेंट को प्रोटेक्ट करने का मतलब डब्ल्यूटीओ इस तरीके के मेजर्स लेकर आया है जिसमें जो खाने पीने का सामान होगा वो हेल्दी होना चाहिए और एनवायरमेंट का प्रोटेक्शन होना चाहिए कोई भी ऐसी चीज हमें प्रोड्यूस नहीं करनी है या एक्सपोर्ट नहीं करनी है जिससे दूसरी कंट्री का क्या हो नुकसान हो ट्रांसपेरेंट इफेक्टिव एंड वेरीफाइबिलिटी अगर दो कंट्रीज के बीच में डिस्प्यूट होता है तो उस डिस्प्यूट को रिजॉल्व करने का काम डब्ल्यूटीओ का है और डब्ल्यूटीओ का जो डिस्प्यूट रेजोल्यूशन सिस्टम है व बिल्कुल कैसा होगा ट्रांसपेरेंट होगा ठीक है मतलब दोनों पार्टीज को समझ में आएगा कि किस तरीके से डिस्प्यूट को रिजॉल्व किया गया है किस तरीके से डिस्प्यूट को रिजॉल्व किया गया है राइट ओवरव्यू ऑफ द डब्ल्यूटीओ एग्रीमेंट्स डब् ओ एग्रीमेंट्स आर ऑफेन कॉल्ड एज डब्ल्यूटीओ ट्रेड रूल्स तो जो डब्ल्यूटीओ के एग्रीमेंट्स हैं वही डब्ल्यूटीओ के ट्रेड रूल्स हैं मतलब गवर्नमेंट ने रूल्स एंड रेगुलेशंस बनाए हैं हर एक चीज के लिए रूल्स एंड रेगुलेशंस बनाए हैं जैसे आप लोग गली में क्रिकेट खेलते हो रूल्स बनाते हो ना कि वन टिप वन हैंड आउट उस घर में बॉल गई तो आउट गली के बाहर बॉल गई तो आउट तो ये आपने क्या किए हैं रूल्स बनाए हैं इन्हीं रूल्स को किसका नाम दे दिया गया है डब्ल्यूटीओ के एग्रीमेंट का नाम दे दिया गया है इसको एग्रीमेंट का नाम क्यों दिया गया है क्योंकि इस परे जो डब्ल्यूटीओ मेंबर्स हैं वो एग्री हुए और उन्होंने अपने-अपने साइन किए इन रूल्स पे वह एग्री हुए और उन्होंने अपने-अपने साइन किए इसलिए इसको क्या बोला जाता है डब्ल्यूटीओ एग्रीमेंट बोला जाता है यह जो एग्रीमेंट्स है यह अपने पास ऑब् वियस गुड्स को भी कवर करते हैं सर्विस को भी कवर करते हैं और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी को भी यहां पर क्या करते हैं कवर करके चलते हैं डब्ल्यूटीओ एग्रीमेंट्स आर ह्यूज एंड मल्टी डायमेंशन मल्टी डायमेंशन का मतलब बहुत सारे सेक्टर्स को एरियाज को कवर करते हैं ऑब्जेक्टिव्स क्या है डब्ल्यूटीओ एग्रीमेंट्स के लोगों का स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग बढ़ाना ऑब्जेक्टिव है लोगों को फुल एंप्लॉयमेंट मिले मतलब कि इकोनॉमी फुल एंप्लॉयमेंट पर काम करे इसका इनका ऑब्जेक्टिव है इंश्योर करना कि धीरे-धीरे आपकी जो रियल इनकम है मतलब आपका जो आउटपुट है वह क्या करें इंक्रीज करें इसके बाद बा आपकी प्रोडक्शन और ट्रेड आपस में क्या करनी चाहिए बढ़नी चाहिए इसके ऊपर डब्ल्यूटीओ काम करता है अब यहां पर बहुत सारे एग्रीमेंट्स है इन एग्रीमेंट्स को आपको केवल रीड कर लेना है कि किन-किन मुद्दों पर डब्ल्यूटीओ ने एग्रीमेंट किया है जैसे एग्रीकल्चर पर एग्रीमेंट कर रखा है सैनिटरी और फिटो सैनिटरी मेजर्स कब लगाए जाएंगे कैसे लगाए जाएंगे इसके ऊपर एग्रीमेंट कर रखा है टेक्सटाइल और क्लोथिंग पर एग्रीमेंट कर रखा है टेक्निकल बैरियर्स टू ड पे एग्रीमेंट कर रखा है ट्रेड रिलेटेड इन्वेस्टमेंट मेजर्स पर अपने पास एग्रीमेंट कर रखा है एंटी डंपिंग अगर हो रही है मतलब कि अगर कोई कंट्री डंप कर रही है आपके पास माल तो कैसे आपको एंटी डंपिंग ड्यूटी लगानी है कब माना जाएगा कि डंपिंग हो रही है इसके ऊपर एग्रीमेंट कर रखा है सर कस्टम वैल्युएशन कैसे होगा ड्यूटी अगर आपको निकालनी है एड वोलर ड्यूटी अगर आपको निकालनी है तो एडवेल ड्यूटी निकालने के लिए आपके पास जो रेट है जो इंपोर्ट ड्यूटी का रेट है वह जिस वैल्यू पर लगता है उस वैल्यू को बोलते हैं अपने पास एसेबल वैल्यू उस वैल्यू को क्या बोलते हैं एसेसेबल वैल्यू सीए फाइनल में सीखो ग आप इसको तो वो एसेसेबल वैल्यू कैसे निकलेगी उसके ऊपर एग्रीमेंट है एग्रीमेंट ऑन प्री शिपमेंट इंस्पेक्शन प्री शिपमेंट इंस्पेक्शन का मतलब क्या हुआ कि जब माल आपके पास आ रहा है तो उससे पहले उसका क्या होगा इंस्पेक्शन होगा उससे पहले उसका क्या होगा इंस्पेक्शन होगा तो एक्सपोर्टिंग कंट्री के अंदर एक्सपोर्टिंग कंट्री के अंदर जिस कंट्री से माल आ रहा है वहां पर पहले माल इंस्पेक्ट होगा और उसके बाद एक्सपोर्ट किया जाएगा रूल्स ऑफ ऑरिजिन के लिए एग्रीमेंट बनाए जा सकते हैं जैसे मैंने आपको बताया था कि श्रीलंका से अगर माल आएगा तो 10 पर की ड्यूटी है सिंगापुर से माल आएगा तो 15 पर की ड्यूटी है लोग क्या करते हैं सिंगापुर से माल पहले श्रीलंका लाते हैं श्रीलंका से फिर इंडिया लाते हैं तो इंडियन गवर्नमेंट यहां पर इंपोर्टर को बोलेगी कि भाई हमको प्रूफ करके बताओ कि यह माल श्रीलंका का है अगर तुम प्रूफ कर दोगे कि यह माल श्रीलंका का है तो 10 पर का ड्यूटी लग जाएगा और अगर तुम प्रूफ नहीं कर पाओगे तो उस केस में तुम्हारे ऊपर 15 पर का ही ड्यूटी चार्ज करेंगे तो रूल्स ऑफ ओरिजन को लेकर एग्रीमेंट बनाए गए इसके बाद इंपोर्ट लाइसेंसिंग के ऊपर एग्रीमेंट बनाए गए सब्सिडीज और काउंटरवेलिंग ड्यूटी के ऊपर मेजर्स बनाए गए सेफगार्ड्स के ऊपर मेजर बनाए गए कि अगर कोई कंट्री सर बहुत बल्क में आपके पास एक्सपोर्ट कर रही है आपकी डोमेस्टिक कंट्री को हैपर कर रही है तो वहां पर आप सेफगार्ड मेजर्स कैसे लोगे इसके बाद जनरल एग्रीमेंट सर्विसेस के ऊपर गुड्स के ऊपर तो पढ़ लिया सर्विसेस के ऊपर भी एग्रीमेंट बनाए इसके बाद इन्होंने एग्रीमेंट बनाए ऑन ट्रेड रिलेटेड एक्सपेक्ट्स ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट आईपीआर के लिए भी ट्रेड एग्रीमेंट्स बनाए ट्रेड रिलेटेड एस्पेक्ट ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट इसको ट्रिप्स बोल बोलते हैं ट्रेड रिलेटेड एस्पेक्ट्स ऑफ आईपीआर तो गुड्स के लिए तो रूल्स बनाए ही गुड्स के लिए तो एग्रीमेंट किए ही लेकिन इसके साथ-साथ सर्विसेस और ट्रिप्स के लिए भी करें बेटा इसका कंटेंट रीड नहीं करना उतना इंपॉर्टेंट नहीं है लिखने को नहीं आएगा एग्जाम में आपको इसका मतलब समझ में आना चाहिए ओवरव्यू मिलना है दैट इज इंपॉर्टेंट ठीक है इसके बाद अंडरस्टैंडिंग ऑन द रूल्स एंड प्रोसीजर गवर्निंग द सेटलमेंट ऑफ डिस्प्यूट सर डिस्प्यूट अगर अराइज होगा तो वो डिस्प्यूट कैसे सेटल होगा इसके ऊपर रूल्स बनाए गए ट्रेड पॉलिसी रिव्यू मैकेनिज्म रिव्यू मैकेनिज्म मतलब कि अगर डब्ल्यूटीओ ने कोई फैसला सुना दिया तो उस फैसले को रिव्यू करा जाए वापस से देखा जाए तो वह रिव्यू का मैकेनिज्म क्या होगा उसके बारे में भी यहां पर बताया गया कि यहां पे एक रिव्यू बॉडी बनाई गई है यहां पे एक रिव्यू बॉडी बनाई गई है ट्रेड पॉलिसी रिव्यू बॉडी गिव्स प्रोसीजर टू कंडक्ट पीरियोडिक रिव्यू ऑफ द ट्रेड पॉलिसीज एंड प्रैक्टिसेस ऑफ द मेंबर कंडक्टेड बाय द ट्रेड पॉलिसी रिव्यू बॉडी तो हर कंट्री ने जो ट्रेड पॉलिसीज बना रखी है जो ट्रेड पॉलिसीज बना रखी है इंपोर्ट ड्यूटी नॉन टैरिफ मेजर्स एक्सपोर्ट ड्यूटी इन पॉलिसीज को रिव्यू करता है आपका ट्रेड पॉलिसी रिव्यू बोर्ड प्लूरिलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट प्लूरिलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट क्या हो गया जहां पर एक से ज्यादा लोग इवॉल्व है ठीक है मतलब दो से ज्यादा लोग अगर इवॉल्व है तो वो पली लेटरल हो गया एग्रीमेंट ऑन ट्रेड इन सिविल एयरक्राफ्ट एसश वर गोइंग ऑन टू रिवाइज दिस एग्रीमेंट हाउ एवर नो एग्रीमेंट हैज बीन रीच रिगार्डिंग दिस रिवीजन एग्रीमेंट ऑन गवर्नमेंट प्रोक्योरमेंट ठीक है एक बार इनको रीड कर लेना नॉट दैट इंपॉर्टेंट इसके बाद आता है आपके पास दोहा राउंड यहां से आपके पास एमसीक्यू निकल कर आ सकता है दोहा राउंड ऑफिशियल लॉन्च एट डब्ल्यूटीओ फोर्थ मिनिस्ट्रियल कॉन्फ्रेंस इन दोहा कतर इन 2001 यह दोहा राउंड कब हुआ था डब्ल्यूटीओ की फोर्थ राउंड में हुआ था नाइंथ राउंड द सेकंड वर्ल्ड वॉर फॉर्मली नोन एज दोहा डेवलपमेंट एजेंडा एम्स टू अंपलिंग टू अंपलिफायर एंड रिवाइज ट्रेड रूल्स नेगोशिएशन डिस्कस हियर इंक्लूड 20 एरियाज ऑफ ट्रेड मोस्ट कंट्रोवर्शियल टॉपिक इन द यट टू बी कंक्लूजन एग्रीकल्चर ट्रेड ठीक है तो इस राउंड के अंदर मेनली किसकी बात करी गई है ग्लोबल ट्रेडिंग सिस्टम को रिव्यू करने की मॉडिफाई करने की बात करी गई है ट्रेड बैरियर्स को हटाने की बात करी गई है ट्रेड रूल्स को रिवाइज करने की बात करी गई है और यहां पर सबसे कंट्रोवर्शियल टॉपिक एग्रीकल्चर के ऊपर बात करी गई है बेटा यहां पर समझने लायक कुछ नहीं है फैक्ट बेस्ड चीज है फैक्ट को दो-तीन बार रीड कर लेना दिमाग में बैठ जाएगा आराम से एमसीक्यू निकल जाएगा ठीक है चलिए इसके बाद डब्ल्यूटीओ के क्या कंसर्न्स निकल कर आते हैं द प्रोसेस ऑफ मल्टीलेटरल नेगोशिएशन रिगार्डिंग द ट्रेड लिबरलाइजेशन इज स्लो फर्द रिक्वायरमेंट ऑफ एग्रीमेंट अमंग ऑल मेंबर्स क्रिएट इवन मोर डिफिकल्टीज मोर ओवर मॉडर्न ट्रेड बैरियर्स आर वेरी कॉम्प्लेक्टेड नेगोशिएट इन द मल्टीलेटरल फोरम तो कह रहा है कि सर नेगोशिएशन में प्रॉब्लम आती है बहुत सारी कंट्रीज इवॉल्व होती है किसी एक चीज पे सारी कंट्रीज आपस में एग्री करें इस चीज में काफी टाइम लगता है नेटवर्क ऑफ रीजनल ट्रेड एग्रीमेंट्स आपस में जो रीजनल ट्रेड एग्रीमेंट्स हो रखे हैं उनकी शर्तें कॉम्प्लेक्शन ऑफ ट्रेड इन एग्रीकल्चर टेक्सटाइल एप्रिल एंड इन मेनी अदर एरियाज हैज बीन नेगलिजिबल तो इनके ऊपर ज्यादा कुछ काम नहीं हुआ है लेटेस्ट ट्रेड नेगोशिएशन हैव मेनी प्रॉब्लम्स एंड देयर कंक्लूजन फुल तो जो ट्रेड नेगोशिएशन चल रही है वह पूरी होंगी इसकी कोई उम्मीद नहीं है मोस्ट कंट्रीज आर डिस सेटिस्फाइड बिकॉज़ मोस्ट प्रॉमिस ऑ द उर्ग राउंड हैव नॉट बीन मटेरियल केवल एक बार रीड कर लेना बेटा उतना इंपॉर्टेंट नहीं है मेन मेन चीजें हम लोगों ने यहां पर कर ली मेन मेन चीजें हम लोगों ने यहां पर कर ली है अब आइए हम बढ़ते हैं अगले टॉपिक पर और बात करते हैं चैप्टर नंबर फोर एक्सचेंज रेट एक्सचेंज रेट की एक्सचेंज रेट यूनिट नंबर फोर एक्सचेंज रेट क्या है बेटा जैसे आपका एक 84 का है दिस इज व्ट दिस इज एक्सचेंज रेट आपका ड 84 का है इसको क्या बोलेंगे सर इसको बोलेंगे डॉलर का एक्सचेंज रेट डॉलर का एक्सचेंज रेट इन इंडिया डॉलर का एक्सचेंज रेट इन इंडिया राइट अब यहां पर डॉलर की एक यूनिट है रुपीस की यहां पर फ्यू यूनिट्स है डॉलर की आपके पास एक यूनिट है और रुपीज की यहां पर फ्यू यूनिट्स है तो जो होम करेंसी होती है जो होम करेंसी होती है वह हमेशा फ्यू यूनिट्स में रिप्रेजेंट करी जाती है और जो आपकी फॉरेन करेंसी होती है उसको आप हमेशा वन यूनिट में रिप्रेजेंट करते हो तो कभी भी आपने इंडिया में ऐसा एक्सचेंज रेट नहीं देखा होगा कि एक रुपी में इतने डॉलर आते हैं ऐसा एक्सचेंज रेट आपको नहीं मिलेगा इंडिया में हमेशा आपको डॉलर का एक्सचेंज रेट मिलेगा पाउंड का एक्सचेंज रेट मिलेगा आपको यूरो का ये न का एक्सचेंज रेट मिलेगा आपको यूरो का एक्सचेंज रेट मिलेगा तो आपके पास फॉरेन करेंसी को हमेशा एक यूनिट में रिप्रेजेंट करा जाता है और इसके आगे फ्यू यूनिट्स आपकी होम करेंसी की आती है जैसे यूरो हो सकता है कि 05 का हो डॉलर 84 का है यूके का पाउंड 101 का हो सकता है न आपके पास 20 का हो सकता है हाइपोथेटिकली लिखा है मैंने ठीक है ये सब इंडियन रुपीज में क्या करे जाते हैं रिप्रेजेंट करे जाते हैं अ फॉरेन करेंसी ट्रांजैक्शन इज अ ट्रांजैक्शन दैट इवॉल्व यूज ऑफ अ फॉरेन करेंसी तो जबक जब भी जब भी जब भी जब भी जब भी आप इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन में जाओगे तो इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन में आपको फॉरेन करेंसी की जरूरत पड़ेगी जब भी आप इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन में जाओगे तो आपको फॉरेन करेंसी की जरूरत पड़ेगी फॉरेन करेंसी की जरूरत कब पड़ सकती है जब आप गुड्स इंपोर्ट या फिर एक्सपोर्ट करते हो जब आप पैसा बोरो या फिर लेंड करते हो आपने यूएसए से पैसा बोरो किया तो यहां पे यूएस डॉलर इवॉल्व होगा आपने यूएस को पैसा लेंड किया यहां पे यूएस डॉलर इवॉल्व होगा इसके बाद बाद आप एंटर करते हो इसके बाद अगर आप एंटर करते हो किसके अंदर फॉरवर्ड एक्सचेंज कॉन्ट्रैक्ट के अंदर फॉरवर्ड एक्सचेंज कांट्रैक्ट क्या होते हैं सर फ्यूचर के कांट्रैक्ट होते हैं ये फॉरवर्ड एक्सचेंज कांट्रैक्ट क्या होते हैं सर ये फ्यूचर के कांट्रैक्ट होते हैं जैसे मान लो मुझे न महीने बाद डॉलर्स की पेमेंट करनी है मुझे तीन महीने बाद डॉलर्स की पेमेंट करनी है तो मैं बैंक के साथ कांट्रैक्ट में जा सकता हूं कि भाई मेरे को ती महीने बाद $100 चाहिए आप मेरे को यह डॉलर्स 86 पर डॉलर के हिसाब से प्रोवाइड कर देना मैंने आज कांट्रैक्ट कर लिया बैंक के साथ ती महीने बाद मैं आपसे $100 खरीदूंगा इसके बाद एक्वायरिंग और डिस्पोजिंग ऑफ एसेट और सेटलिंग द लायबिलिटीज डिनॉमिनेटेड इन फॉरेन करेंसी सर आपने दुबई में घर खरीद लिया तो दुबई में घर खरीदने के लिए दुबई की करेंसी लगेगी दिरहम आपने जर्मनी में घर खरीद लिया उसकी करेंसी लगेगी ऑस्ट्रेलिया में घर खरीद लिया उसकी करेंसी लगेगी राइट आपने दुबई वाला घर बेच दिया तो आपके पास फॉरेन करेंसी आएगी कहने का मतलब विदेश में जब एसेट खरीदते और बेचते हैं विदेश में जब एसेट खरीदते और बेचते हैं तब वहां पर आपके पास फॉरेन करेंसी क्या होती है बेटा इवॉल्व होती है अब सर ये एक्सचेंज रेट कैसे फिक्स करे जाते हैं तो बेटा एक्सचेंज रेट को फिक्स करने के तीन तरीके यह एक्सचेंज रेट आपके पास तीन तरीके से फिक्स करा जाता है एक होता है आपके पास मार्केट रेट एक होता है आपके पास मार्केट रेट मार्केट रेट बोले तो मार्केट रेट बोले तो कि मार्केट डिसाइड करेगी की रेट क्या होगा इसको बोलते हैं फ्री फ्लोट क्या बोलते हैं इसको बोलते हैं फ्री फ्लोट तो मार्केट की जो डिमांड एंड सप्लाई है मार्केट की जो डिमांड एंड सप्लाई है वो डिसाइड करेगी कि डॉलर का रेट क्या है अगर मार्केट में डॉलर की डिमांड ज्यादा है और उसकी सप्लाई कम है तो डॉलर का रेट ज्यादा होगा मार्केट में अगर डॉलर की सप्लाई ज्यादा है डिमांड कम है तो डॉलर का रेट कम होगा तो मार्केट की डिमांड एंड सप्लाई डिसाइड करती है इसके बाद दूसरा होता है आपके पास फिक्स्ड रेट फिक्स्ड रेट इसको क्या बोलते हैं मैनेज रेट नहीं फिक्स रेट को बोलते हैं अपने पास फिक्स्ड फ्लोट फिक्स्ड फ्लोट यहां पर आपकी गवर्नमेंट डिसाइड करती है आपकी गवर्नमेंट डिसाइड करती है कि भाई डॉलर का क्या रेट होगा डॉलर का क्या रेट होगा तो 1971 से पहले तक अपन फिक्स रेट ऑफ सिस्टम थे और उसके बाद अपन कहां पर आ गए मार्केट रेट पर आ गए तो पहले इंडिया अपने पास फिक्स रेट सिस्टम चलाती थी बाद में इंडिया अपने आप को मार्केट रेट सिस्टम पर ले आई ठीक है जी तो फिक्स्ड के अंदर गवर्नमेंट डिसाइड करेगी और मार्केट के अंदर आपका मार्केट के अंदर आपका जो मार्केट की डिमांड एंड सप्लाई है वह डिसाइड करेगी इसको आप ऐसे भी समझ सकते हो कि यह अपने पास कैपिटल इकोनॉमी है इसको आप समझ सकते हो कि यह सोशलिस्ट है कैपिटिस में हर चीज डिमांड एंड सप्लाई डिसाइड करती है तो मार्केट रेट सिमिलर टू कैपिटल एंड आपके पास जो फिक्स रेट है वह सोशलिस्ट है क्योंकि यहां पर गवर्नमेंट डिसाइड कर रही है तीसरा आपके पास यहां पर निकल कर आता है मैनेज्ड रेट मैनेज्ड रेट या फिर मैनेज फ्लोट मैनेज रेट या फिर आपका मैनेज्ड फ्लोट इसमें क्या होता है बेटा इसमें आपके पास इसमें आपके पास मार्केट प्लस गवर्नमेंट दोनों काम करती है मार्केट प्लस गवर्नमेंट दोनों काम करती है यहां पर क्या होता है सर गवर्नमेंट जो है वो एक मैक्सिमम लिमिट और मिनिमम लिमिट सेट कर लेती है एक मैक्सिमम लिमिट और एक मिनिमम लिमिट सेट कर देती है फॉर एग्जांपल आपके पास गवर्नमेंट ने डिसाइड कर लिया गवर्नमेंट ने डिसाइड कर लिया कि मैक्सिमम एक डॉलर जो होगा वह 0 का होगा और मिनिमम एक डॉलर जो होगा वह 80 का होगा गवर्नमेंट ने ऐसा डिसाइड कर लिया अब जब आपके पास डॉलर का रेट और 80 के बीच में चलेगा तो गवर्नमेंट कुछ नहीं करेगी गवर्नमेंट कुछ नहीं करेगी लेकिन जैसे ही मार्केट में रेट मार्केट में रेट एक डलर का 90 के ऊपर गया जैसे ही 91 गया तो अब गवर्नमेंट आ जाएगी गवर्नमेंट वापस 90 पर रेट लाने की कोशिश करेगी अब समझना मेरी बात को मार्केट में डॉलर का रेट 91 क्यों गया क्योंकि मार्केट में डॉलर की डिमांड ज्यादा मार्केट में डॉलर की सप्लाई कम है इसीलिए तो रेट ऊपर जा रहा है तो यहां पर जैसे ही डॉलर का रेट बढ़ा गवर्नमेंट की लिमिट से ऊपर गया गवर्नमेंट यहां पर कर क्या करेगी गवर्नमेंट यहां पर डॉलर सेल करेगी गवर्नमेंट अपना डॉलर मार्केट में सेल कर देगी मतलब गवर्नमेंट डॉलर की सप्लाई मार्केट में बढ़ा देगी और गवर्नमेंट जैसे ही सप्लाई बढ़ाएगी आपका डॉलर का रेट अपने आप नीचे आ जाएगा डॉलर का रेट अपने आप नीचे आ जाएगा सर जैसे ही डॉलर का वैल्यू 80 से नीचे गया मान लो मार्केट में ड 79 का हो गया मार्केट में $79 का हो गया गवर्नमेंट को चाहिए कि ड 80 से नीचे नहीं जाना चाहिए तो यहां पर गवर्नमेंट क्या करेगी सर यहां पर गवर्नमेंट समझ रही है कि मार्केट में डिमांड कम है सप्लाई ज्यादा है इसीलिए तो रेट गिर रहा है मार्केट में डिमांड कम है सप्लाई ज्यादा है इसीलिए तो रेट गिर रहा है तो ऐसे केस में क्या होगा गवर्नमेंट मार्केट से फॉरेन करेंसी खरीद लेगी गवर्नमेंट डॉलर क्या कर लेगी बेटा बाय कर लेगी जैसे ही गवर्नमेंट डॉलर को बाय करेगी मार्केट में सप्लाई गिर जाएगी मार्केट में सप्लाई गिर जाएगी गवर्नमेंट ने डॉलर खरीद के अपने पास रख लिया मार्केट में सप्लाई गिर गई जैसे ही मार्केट में सप्लाई गिरेगी डॉलर का भाव ऊपर जाएगा वापस से 80 पहुंच जाएगा तो यानी कि जैसे ही भाव गवर्नमेंट की अपर लिमिट के ऊपर जाएगा गवर्नमेंट एक्शन में आ जाएगी जैसे ही बाउ गवर्नमेंट की लोअर लिमिट से नीचे आएगा गवर्नमेंट एक्शन में आ जाएगी जब तक भाव गवर्नमेंट की अपर लिमिट और लोअर लिमिट के बीच में चलेगा वो मार्केट के हिसाब से चलता रहेगा ठीक है तो भाव 80 और 90 के बीच में है तो मार्केट के हिसाब से चलेगा चाहे 82 हो चाहे 85 हो चाहे 89 हो लेकिन जैसे ही 90 के बाहर जाएगा गवर्नमेंट एक्शन में आएगी जैसे ही 80 के नीचे आएगा गवर्नमेंट एक्शन में आएगी इसको बोलते हैं अपना मैनेज्ड फ्लोट इसको क्या बोलते हैं मैनेज्ड फ्लोट चलिए तो यह तीनों मैंने आपको बता दिए यह तीनों मैंने आपको बता दिए सर एक होता है आपका मार्केट इसमें मार्केट डिसाइड करती है एक होता है आपके पास सिस्टम जहां पर गवर्नमेंट इंटरववन मेंट इंटरवेनर है ठीक है यह मैनेज वाला हो गया और तीसरा आपके पास हो गया गवर्नमेंट वाला तो यह आपके पास मार्केट रेट है यह आपके पास मैनेज रेट है और यह आपके पास गवर्नमेंट का रेट है ठीक है अब फिक्स्ड रेट के क्या फायदे हैं फिक्स्ड रेट के क्या फायदे हैं सर फिक्स्ड रेट के फायदे यह है कि स्टेबिलिटी आती है अगर गवर्नमेंट रेट फिक्स कर रही है तो फ्लक्ट एशन नहीं होगी अगर गवर्नमेंट ने डलर का रेट 80 फिक्स कर दिया तो अब वो 80 है ना वो तो भाव ऊपर जाएगा ना तो वो भाव नीचे आएगा तो इससे क्या आती है स्टेबिलिटी आती है इसके बाद सर फ्लकचुएशंस की वजह से जो एसोसिएटेड रिस्क है फ्लक्ट एश की वजह से जो एसोसिएटेड रिस्क है प्रॉफिट होने का या लॉस होने का वो भी खत्म हो जाता है इसके बाद आपका ट्रेड और इन्वेस्टमेंट प्रमोट होती है क्योंकि आपके पास एक सिंगल रेट चल रहा है गवर्नमेंट ने $ 80 का डाल दिया है तो इन्वेस्टर को पता है कि यह भाव चेंज नहीं होने वाला तो वो इंडिया में पैसा लगाने से पहले कतराए नहीं प्रॉब्लम कब आती है जब आपकी करेंसी बहुत ज्यादा फ्लकचुएट होती है जब करेंसी स्टेबल नहीं होती बहुत ज्यादा फ्लकचुएट करती है तो इन्वेस्टर हेसिटेशन करता है इन्वेस्ट करने में लेकिन अगर करेंसी स्टेबल चल रही है तो आपके नेशन में अपने पास इन्वेस्टमेंट इंक्रीज होगी आपका इंटरनेशनल ट्रेड इंप्रूव होगा सेम रीजन कि करेंसी फ्लक्ट नहीं कर रही आपका स्पेक्युलेटिंग करेंसी की डिमांड का एक रीजन स्पेक्युलेटिव मेंट ने रेट 80 फिक्स कर दिया तो भाव ना ऊपर जाएगा ना नीचे आएगा तो यहां पे स्पेक्युलेटिंग एंड लोअर इन्फ्लेशन क्योंकि आपका रेट फिक्स है तो यहां पर आपके पास इंफ्लेशन आने के चांसेस कम है बहुत तेजी से इंफ्लेशन नहीं आएगा धीरे-धीरे से नॉर्मल रेट का जो इंफ्लेशन होता है वही आएगा इनकरेजमेंट ऑफ ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट बता दिया कि ट्रेड और इन्वेस्टमेंट बढ़ता है आपकी क्रेडिबिलिटी बढ़ती है आपकी क्रेडिबिलिटी बढ़ती है आपके पास जो इंडिया का सेंट्रल बैंक है उसकी क्रेडिबिलिटी क्या होती है एनहांस होती है जब आपका फॉरेन करेंसी का रेट फ्लक्ट नहीं हो रहा तो नॉर्मल से पॉइंट है एक बार रीड कर कर लेना एक आता है नॉमिनल एक्सचेंज रेट तो जो मैंने अभी आपको बताया कि $ इंडिया में 84 का आता है या मैंने आपसे कहा कि 1 पाउंड इंडिया में ₹10 का आता है या मैंने आपसे कहा कि 1 यूरो इंडिया में ₹10 का आता है ये क्या है नॉमिनल एक्सचेंज रेट जब आपकी एक करेंसी को दूसरी करेंसी के रिस्पेक्ट में बताया जाता है जब एक करेंसी को दूसरे करेंसी के रिस्पेक्ट में बताया जाता है तो इसको अपन क्या बोलते हैं सर इसको अपन बोलते हैं नॉमिनल एक्सचेंज रेट इसके बाद आता है रियल एक्सचेंज रेट रियल एक्सचेंज रेट किसकी बात करता है गुड्स की बात करता है रियल एक्सचेंज रेट किसकी बात करता है गुड्स की बात करता है यह आउटपुट की बात करता है तो जैसे इंडिया में एक ब्रेड यूएसए की कितनी ब्रेड के बराबर है या यूएसए की एक ब्रेड इंडिया की कितनी ब्रेड्स के बराबर है दैट विल बी द रियल एक्सचेंज रेट जैसे एक डॉलर अपने पास 84 का है तो दिस इज नॉमिनल एक्सचेंज रेट जहां पर हम करेंसीज को इवॉल्व कर रहे हैं जहां पर हम करेंसीज को इवॉल्व कर रहे हैं दैट इज नॉमिनल एक्सचेंज रेट वहीं पे यूएसए की एक ब्रेड में यूएसए की एक ब्रेड में इंडिया की पांच ब्रेड आ जाएंगी यूएसए की एक ब्रेड में इंडिया की पांच ब्रेड आ जाएंगी दिस इज यो रियल एक्सचेंज रेट तो रियल मतलब आउटपुट नॉमिनल मतलब मनी नॉमिनल का मतलब मनी मॉनेटरी टर्म्स और रियल का मतलब आउटपुट फिजिकल टर्म्स ठीक है तो नॉमिनल एक्सचेंज रेट आपको क्या बता रहा है कि एक फॉरेन करेंसी में कितनी होम करेंसी आ जाएगी और आपका रियल एक्सचेंज रेट बताता है कि सर इस 84 में आप कितनी ब्रेड्स खरीद सकते हो कितनी ब्रेड्स खरीद सकते हो अपने पास यूएसए में रियल एक्सचेंज रेट जो होता है वो आपके इन्फ्लेशन को कंसीडर करता है आपकी परचेसिंग पावर को कंसीडर करता है वह आपकी परचेसिंग पावर को कंसीडर करता है जैसे इंडिया में एक ब्रेड अगर ₹ की है तो यूएसए में एक ब्रेड 0 की नहीं है क्योंकि यूस का इंफ्लेशन अलग चल रहा है यूएसए का इंफ्लेशन अलग चल रहा है तो रियल एक्सचेंज रेट रियल एक्सचेंज रेट किसको कंसीडर करता है परचेसिंग पावर को कंसीडर करता है इट रिफ्लेक्ट द रेट एट व्हिच इट रिफ्लेक्ट्स द रेट एट व्हिच वन कैन एक्सचेंज द गुड्स एंड सर्विसेस ऑफ वन कंट्री फॉर दोज ऑफ अनदर गुड्स के एक्सचेंज की बात हो रही है इट क्वांटिफाईज द ट्रेड रेशियो बिटवीन द टू कंट्रीज इंडिकेटिंग हाउ मच ऑफ अ पर्टिकुलर गुड पर्टिकुलर गुड ब्रेड की बात करी थी हाउ मच ऑफ अ ब्रेड फ्रॉम वन कंट्री कैन बी ट्रेडेड फॉर वन यूनिट ऑफ द सेम गुड इन अ फॉरेन कंट्री हाउ मच ऑफ अ पर्टिकुलर गुड फॉर वन कंट्री कैन बी ट्रेडेड फॉर वन यूनिट ऑफ द सेम गुड्स इन अ फॉरेन कंट्री तो यूएसए में एक ब्रेड खरीद ने के लिए इंडिया की कितनी ब्रेड लगेंगी यूएसए में एक ब्रेड खरीदने के लिए इंडिया की कितनी ब्रेड्स लगेंगी दिस इज रियल एक्सचेंज रेट ठीक है अ नेशन रियल एक्सचेंज रेट सिग्नीफाइड नेट एक्सपोर्ट्स ऑफ गुड्स एंड सर्विसेस ठीक है तो रियल एक्सचेंज रेट कैसे निकलता है नॉमिनल एक्सचेंज रेट को मल्टीप्लाई कराया जाता है डोमेस्टिक प्राइस से डोमेस्टिक प्राइस मतलब डोमेस्टिक प्राइस लेवल डोमेस्टिक प्राइस लेवल मतलब डोमेस्टिक प्राइस इंडेक्स और इसको डिवाइड कराया जाता है फॉरेन प्राइस इंडेक्स से नॉमिनल एक्सचेंज रेट को मल्टीप्लाई कराया जाता है डोमेस्टिक प्राइस लेवल से और डिवाइड करवाया जाता है आपके पास फॉरेन प्राइस लेवल से डिवाइड करवाया जाता है फॉरेन प्राइस लेवल से तो जैसे समझो जैसे समझो कि ल ड 80 का है ड 0 यानी कि 80 लगते हैं एक डलर खरीदने में 80 लगते हैं डलर खरीदने में तो एक रप में कितने डॉलर आ जाएंगे एक रुप में कितने डॉलर आ जाएंगे सर एक रप में आपके पास / आपके पास न बाय 0 आ जाएंगे आपके पास एक रप में न बाय 8 आ जाएंगे यह है आपका नॉमिनल एक्सचेंज रेट यह है आपका नॉमिनल एक्सचेंज रेट अब मान के चलो कि आपके पास प्राइस लेवल आपके पास प्राइस लेवल इंडिया में चल रहा है 100 20 और प्राइस लेवल यूएसए में चल रहा है प्राइस लेवल यूएसए में चल रहा है 150 का प्राइस लेवल यूएसए में चल रहा है 150 का प्लीज मेरी बात को समझना तो आपका रियल एक्सचेंज रेट क्या होगा आपका रियल एक्सचेंज रेट क्या होगा आपका नॉमिनल एक्सचेंज रेट इनटू डोमेस्टिक का प्राइस लेवल डोमेस्टिक का प्राइस लेवल डिवाइडेड बाय फॉरेन कंट्री का प्राइस लेवल डोमेस्टिक का प्राइस लेवल डिवाइडेड बाय फॉरेन करेंसी का प्राइस लेवल तो 1/80 इन 120 डिवा बा 150 1/80 इन 120 डिवा बा 150 1/80 न 120 डि 150 यानी कि 0.01 0.01 इंडिया की एक ब्रेड आपके पास वहां पर 0.01 ब्रेड्स परचेज कर सकती है दिस इज रियल एक्सचेंज रेट दिस इज रियल एक्सचेंज रेट इंडिया की एक ब्रेड इंडिया की एक ब्रेड यूएसए में 0.01 0.01 आपके पास खरीद सकती है अगर मैं प्राइस लेवल को थोड़ा सा ठीक कर दूं अगर मैं यहां पे प्राइस लेवल को थोड़ा सा ठीक कर दूं मैं यह कह दूं कि वहां पे प्राइस लेवल 70 का है वहां पे प्राइस लेवल 70 का है तो मामला कैसे बदल जाएगा 120 / 80 / 70 आपके पास 0.21 आ जाएगा 0.021 इसको बोलते हैं डिफरेंस इन परचेसिंग पावर इसको बोलते हैं डिफरेंस इन परचेसिंग पावर यह रियल एक्सचेंज रेट किसकी वजह से आ रहा है अलग-अलग इंफ्लेशन की वजह से आ रहा है दिस इज बिकॉज ऑफ डिफरेंट इंफ्लेशन ठीक है सर मोटी मोटी चीज याद रखना कि कि रियल एक्सचेंज रेट बात करता है कि इंडिया का इंडिया का कितना ब्रेड लगेगा यूएसए का एक ब्रेड खरीदने में फॉरेन गुड वन फॉरेन गुड इज इक्वल्स टू हाउ मेनी डोमेस्टिक गुड्स डोमेस्टिक गुड ठीक है और गुड को भी अगर आप करना चाहते हो तो गुड में जैसे मान लो आप मोबाइल रख सकते हो कि एक मोबाइल इंडिया के कितने मोबाइल के बराबर है ठीक है एक मोबाइल फॉरेन में इंडिया के कितने मोबाइल के बराबर है इससे भी कर सकते हो ब्रेड से भी कर सकते हो ठीक है सर चलिए बेस्ड ऑन द सप्लाई एंड डिमांड मॉडल ऑफ डिटरमिनेशन ऑफ एक्सचेंज रेट व्हिच ऑफ द फॉलोइंग ऑट टू कॉज द डोमेस्टिक करेंसी ऑफ कंट्री एक्स टू एप्रिसिएशन अगेंस्ट डॉलर अभी आपने एप्रिसिएशन और डेप्रिसिएशन नहीं पढ़ा है इसको अभी रोक लेते हैं ऑल एल्स इक्वल विच ऑफ द फॉलोइंग इज ट्रू कंज्यूमर ऑफ इंडिया डेवलपमेंट स्टेट फॉर द इंपोर्टेड कमोडिटी डिसाइड टू बाय अभी रुक जाओ क्वेश्चन बाद में करते हैं पहले कांसेप्ट कर लेते हैं पहले कांसेप्ट कर लेते हैं अब बात करते हैं फॉरेन एक्सचेंज मार्केट की बात करते हैं फॉरेन एक्सचेंज मार्केट की फॉरेन एक्सचेंज मार्केट क्या होती है सर फॉरेन एक्सचेंज मार्केट जहां पर आपके करेंसी के बायर और सेलर होते हैं करेंसी के बायर और करेंसी के सेलर जहां पर होंगे उसको बोलेंगे फॉरेन एक्सचेंज मार्केट वो मार्केट जहां पर फॉरेन करेंसी के बायर एंड सेलर होंगे दैट विल बी दैट विल बी योर फॉरेन एक्सचेंज मार्केट कौन-कौन बायर और सेलर हो सकता है सर जो कमर्शियल बैंक्स होते हैं जो आपके पास ब्रोकरेज हाउसेस होते हैं जो अपने पास फॉरेन करेंसी प्रोवाइड करवाते हैं आपका एक्सपोर्टर आपका इंपोर्टर आपका इन्वेस्टमेंट करने वाले इंस्टीट्यूशंस आपकी इंश्योरेंस कंपनीज आपके हेजर्स आपके प्राइवेट इन्वेस्टर्स इन लोगों को फॉरेन करेंसी की जरूरत पड़ती है दीज आर दी बायर्स एंड सेलर्स ऑफ दी फॉरेन करेंसी कमर्शियल बैंक ऑफेन एंगेज इन द स्पेक्युलेटिव करेंसी ट्रेडिंग एंड प्ले अ मेजर रोल इन द मार्केट एग्जाम में यहां पर अपने पास एमसीक्यू बन सकता है कि सर कमर्शियल बैंक्स जो है वह स्पेक्युलेटिव पर के लिए स्पेक्युलेटिव पर्पस के लिए ट्रेडिंग करते हैं और मेजर रोल प्ले करते हैं मार्केट के अंदर मतलब कमर्शियल बैंक सस्ते रेट में डॉलर्स को खरीदता है और महंगा करके बेचता है ब्रोकरेज हाउसेस एक्ट एस इंटरमीडियरी बिटवीन द वेरियस मार्केट प्लेयर तो ब्रोकरेज हाउसेस अरेंज करवाते हैं फॉरेन करेंसी ब्रोकरेज हाउसेस क्या करते हैं अरेंज करवाते हैं फॉरेन करेंसी ठीक है दज आर द इंटरमीडियरीज बिटवीन द वेरियस मार्केट प्लेयर दे अलोंग विद द कमर्शियल बैंक रिफर टू एज द मार्केट मेकर तो मार्केट मेकर कौन है फॉरेन करेंसी का मार्केट मेकर कमर्शियल बैंक और ब्रोकरेज हाउसेस हैं मतलब आपका भाव कहां जाएगा ऊपर जाएगा नीचे जाएगा यह किसके हाथ में है बैंक्स के हाथ में है ब्रोकरेज के हाथ में है दीज आर द मार्केट मेकर्स बिकॉज़ दे इन्फ्लुएंस द प्राइस फॉर्मेशन पैसिव मार्केट प्लेयर्स डू नॉट सेट देयर ओन एक्सचेंज रेट बट एंगेज इन द फॉरेक्स ट्रांजैक्शन फॉर द पर्पस लाइक इंटरनेशनल ट्रेड इवेस्टमेंट टूरिजम स्पेक्युलेटिंग अगेंस्ट द करेंसी रिस्क ठीक है हमारे पास कितने तरीके के ट्रांजैक्शंस होते हैं दो तरीके के ट्रांजैक्शंस होते हैं एक हमारे पास ट्रांजैक्शन होता है करंट ट्रांजैक्शन और एक होता है फ्यूचर ट्रांजैक्शन करंट ट्रांजैक्शन क्या होता है सर जो इमीडिएट सेटल होता है आपका करंट ट्रांजैक्शन क्या होता है सर यह इमीडिएट सेटल होता है करंट ट्रांजैक्शन आपका इमीडिएट सेटल होता है जनरली t प्लसटू डेज में जनरली टी प्स टू डेज में टी प्स टू डेज मतलब आज अगर आपका ट्रांजैक्शन हुआ है तो दो दिन के अंदर-अंदर ये सेटल हो जाएगा और जिस रेट पे सेटल होता है उस रेट को बोलते हैं स्पॉट रेट उस रेट को बोलते हैं स्पॉट रेट स्पॉट रेट मतलब आज का रेट स्पॉट रेट मतलब आज का रेट है ना तो मुझे अगर मान लो आज 00 चाहिए आज अगर मुझे 00 चाहिए मुझे 00 डल बाय करने हैं तो आज का भाव चल रहा है 84 तो मेरा ट्रांजैक्शन किस पर सेटल होगा 84 पर सेटल होगा इसके बाद अगला ट्रांजैक्शन होता है फ्यूचर ट्रांजैक्शन फ्यूचर ट्रांजैक्शन क्या है सर यह बेसिकली एक तरीके का कांट्रैक्ट है फ्यूचर ट्रांजैक्शन बेसिकली एक तरीके का कांट्रैक्ट है जिसके अंदर हमें कितनी क्वांटिटी चाहिए किस रेट पर चाहिए किस डेट को चाहिए यह आज एग्री हो जाता है यह आज एग्री हो जाता है और आपका ट्रांजैक्शन जो है वह सेटल होता है फ्यूचर डेट प ट्रांजैक्शन जो है वह आपका सेटल होता है एट फ्यूचर डेट एट फ्यूचर डेट तो जैसे मुझे चार महीने के बाद मुझे चार महीने के बाद $100 चाहिए $100 चाहिए चार महीने के बाद डेट भी डाल देते हैं मेरे को 10 सितंबर को $100 चाहिए तो यहां पर मैं बैंक के साथ कांट्रैक्ट कर सकता हूं मैं बैंक के साथ कांट्रैक्ट कर सकता हूं जहां पर मेरा रेट फिक्स हो सकता है कि बैंक मेरे को 89 पर डॉलर के हिसाब से ट्रांजैक्शन करेगी तो यहां पर यह जो रेट का इस्तेमाल किया गया है 4 महीने बाद मेरे को $89 का मिलेगा 4 महीने के बाद मुझे $89 का मिलेगा चार महीने के बाद मैं बैंक को 90000 दे दूंगा मैं बैंक को 8900 दे दूंगा और बैंक मुझे इसके बदले में $100 दे देगी कब चा महीने के बाद चार महीने के बाद इसको क्या बोलते हैं इसको बोलते हैं फ्यूचर ट्रांजैक्शन फ्यूचर ट्रांजैक्शन मतलब जो आपका आज नहीं होगा फ्यूचर में होगा कांट्रैक्ट आज हो जाएगा सेटलमेंट फ्यूचर पर होगा यह जो 89 का रेट है चार महीने बाद का जो रेट है इस रेट को क्या बोलते हैं इस रेट को बोलते हैं फॉरवर्ड रेट तो एक होता है स्पॉट रेट एक होता है स्पॉट रेट व आज का रेट है और जो फ्यूचर का रेट है उसको क्या बोलते हैं फॉरवर्ड रेट बोलते हैं तो जैसे मानो आज का रेट आज का रेट आज का रेट $84 का है और आफ्टर फोर मंथ्स मुझे ड अगर 89 का मिल रहा है मुझे ड 89 का मिल रहा है र महंगा मिल रहा है इसको बोलते हैं फॉरवर्ड प्रीमियम इसको क्या बोलते हैं फॉरवर्ड प्रीमियम और अगर मेरे को 4 महीने के बाद र 81 का मिल रहा है इसको बोलते हैं फॉरवर्ड डिस्काउंट तो अगर आपके पास फ्यूचर में जो फॉरवर्ड कांट्रैक्ट हो रहा है उसमें रेट अगर बढ़ के मिल रहा है आज का रेट कितना है 84 और कांट्रैक्ट में मेरे को रेट बढ़ के मिल रहा है तो मतलब कि फॉरवर्ड प्रीमियम है और अगर मेरे को रेट घट के मिल रहा है तो ये क्या है फॉरवर्ड डिस्काउंट है फॉरवर्ड कांट्रैक्ट में रेट अगर बढ़ के मिल रहा है तो वो फॉरवर्ड प्रीमियम है और अगर घट के मिल रहा है तो वो मेरे पास क्या है फॉरवर्ड डिस्काउंट है वो मेरे पास क्या है फॉरवर्ड डिस्काउंट है ठीक है इसके बाद आता है स्पॉट एक्सचेंज रेट आपको मैंने बता दिया फॉरवर्ड एक्सचेंज रेट मैंने आपको बता दिया करेंसी फ्यूचर्स क्या होते हैं सर जैसे आपके पास जैसे आपके पास ऑप्शंस होते हैं ना शेयर्स के ऑप्शन आपने सुना होगा आजकल बड़ा चल रहा है कि हमने ऑप्शंस खरीदे हमने फ्यूचर्स खरीदे तो वैसे ही करेंसी फ्यूचर्स है इसमें आप ट्रेडिंग कर सकते हो आप ऐसा समझो कि करेंसी फ्यूचर्स जो होते हैं वह फॉरवर्ड कांट्रैक्ट के तरीके ही होते हैं ठीक है फॉरवर्ड कांट्रैक्ट के तरीके ही होते हैं इसकी सेटलमेंट और डिलीवरी फ्यूचर डेट में होती है इसकी सेटलमेंट और डिलीवरी फ्यूचर डेट में होती है और यह लॉट्स में बिकते हैं जैसे एक लॉट में ऐसा हो सकता है कि $100 हो एक लॉट में $100 हो तो आपने अगर 50 लॉट खरीदी यानी कि आपने टोटल कितने का सौदा किया आपने $5000 का सौदा किया एक लॉट में $100 है और अगर आपने 50 लॉट खरीदी तो आपने $55000 का सौदा किया अब या तो ऑप्शन आपने खरीदा होगा या तो ऑप्शन आपने बेचा होगा इसमें स्पेक्युलेटिंग द फॉरेन एक्सचेंज द यूएस डॉलर ऑफेन प्लेज अ सेंट्रल रोल इन द फॉरेन एक्सचेंज इवन वन इवन वन इवन वन इट्स नॉट द नेशनल करेंसी ऑफ द पार्टीज इवॉल्वड अर्निंग इट द निकनेम ऑफ द व्हीकल करेंसी व्हीकल करेंसी क्या होती है अगर दो कंट्रीज के बीच में कांट्रैक्ट हो रहा है और वह उस करेंसी में हो रहा है जो कोई और है जैसे जैसे आपके पास इंडिया का और श्रीलंका का ट्रेड हो रहा है इनके बीच में ट्रेड हो रहा है और वह ट्रेड की वैल्यू डॉलर्स में है डॉलर एक लाख तो सर इंडिया की करेंसी रुपी है श्रीलंका की करेंसी भी कुछ और है डॉलर ना तो इंडिया की करेंसी है ना तो श्रीलंका की करेंसी है फिर भी यह ट्रेड किसम हो रही है डॉलर्स में हो रही है इंडिया ईरान के साथ ट्रेड कर रही है और वो ट्रेड डॉलर्स में रिप्रेजेंट हो रही है डलर 50 मिलियंस 50 मिलियन डॉलर्स की ट्रेड है सॉरी 5 मिलियन डॉलर्स की ट्रेड है 5 मिलियन डॉलर्स की ट्रेड है तो यहां पर क्या है इंडिया की करेंसी भी डॉलर नहीं है ईरान की करेंसी भी डॉलर नहीं है लेकिन फिर भी ट्रेड डॉलर्स में हो रही है तो अगर दोनों कंट्रीज की करेंसी डॉलर नहीं है और फिर भी ट्रेड डॉलर्स में डिनॉमिनेट करी जा रही है तो इसलिए हम डॉलर को क्या बोलते हैं व्हीकल करेंसी इस पर एग्जाम में एमसीक्यू आ सकता है काफी हाई चांसेस है इसको अपन क्या बोलते हैं व्हीकल करेंसी बोलते हैं ठीक है जी चलिए अब बात करते हैं डिटरमिनेशन ऑफ नॉमिनल एक्सचेंज रेट की डिटरमिनेशन ऑफ नॉमिनल एक्सचेंज रेट नॉमिनल एक्सचेंज रेट कैसे डिटरमिन होता है सर ओबवियस है अगर हम मार्केट की बात कर रहे हैं तो मार्केट में नॉमिनल एक्सचेंज रेट डिसाइड होगा आपके डिमांड और सप्लाई से डॉलर की डिमांड और डॉलर की सप्लाई डिसाइड करेगी कि आपका नॉमिनल एक्सचेंज रेट क्या होने वाला है है ना जी अब सर डिमांड और सप्लाई कहां से आती है डिमांड और सप्लाई कहां से आती है सर जब हमें गुड्स खरीदने होते हैं सर्विसेस खरीदनी होती हैं मतलब हमें इंपोर्ट करना होता है तो हमारे पास डिमांड आती है सर जब हमें हमारे चाहने वाले जो इंडिया के बाहर रहते हैं उन्हें गिफ्ट देना होता है उन्हें ग्रांट देनी होती है उन्हें डोनेशन देनी होती है तो हमें डॉलर्स की जरूरत लगती है मतलब डिमांड आती है डॉलर्स की सर जब हमें इन्वेस्टमेंट करनी होती है इंडिया के बाहर तो हमें डिमांड आती है डॉलर्स की सर जब हम इंडिया के बाहर शेयर्स वगैरह खरीदते हैं बॉन्ड्स वगैरह खरीदते हैं तो हमारे पास डिमा निकल कर आती है डॉलर्स की सर जब हम इंडिया के बाहर बैंक अकाउंट खोलते हैं तो डिमांड निकल कर आती है डॉलर्स की सर जब हम किसी किसी किसी किसी कंट्री में रियल कैपिटल में इन्वेस्ट करते हैं रियल कैपिटल मतलब लैंड में मशीनस में फैक्ट्रीज में बिल्डिंग्स में तो वहां पर आपके पास क्या निकल कर आती है डिमांड आती है डॉलर्स की जब हम होगा खरीद लेते हैं जब महंगा होगा बेचेंगे तब डिमांड निकल कर आती है डॉलर्स की मैंने हर बार डॉलर बोला क्योंकि मैं यूएसए की बात कर रहा था आप यहां पर कोई और फॉरेन करेंसी भी ले सकते हैं यूरो भी ले सकते हैं पाउंड भी ले सकते हैं कुल मिलाकर डिमांड कब-कब आती है सर डिमांड आती है जब आप लोगों को गुड्स एंड सर्विसेस खरीदनी होती है सर टूरिज्म पर्पस के लिए भी तो आती है जब आपको इंडिया के बाहर घूमने जाना होता है तब भी आपको फॉरेन करेंसी की जरूरत पड़ती है जब आपको इन्वेस्टमेंट करनी है फॉरेन कंपनी एंटिटी के अंदर जब आपको विदेश में एसेट्स खरीदनी है स्पेक्युलेटिंग करेंसी इंडिया में आता है जब हम यूनिलैटरल ट्रांसफर रिसीव करते हैं इंडिया के बाहर से इंडिया में गिफ्ट आया अवार्ड आया ग्रांट आई डोनेशन आई तो इंडिया में पैसा आएगा सर इंडिया में पैसा इंडिया में पैसा इन्वेस्ट किया गया एफडीआई सर इंडिया में आपने इन्वेस्टमेंट करी सर इंडिया में लोगों ने बैंक अकाउंट खुलवाए इंडिया को लोन दिया फॉरेन करेंसी में स्पेक्युलेटिंग हुई यहां से आपके पास सप्लाई निकल कर आती है ठीक है जी तो यह आपकी डिमांड डॉलर की यह सप्लाई डॉलर की यह आपका इक्विलियम यह होगा आपका प्राइस यह होगा आपका प्राइस अब दो चीज निकल कर आती है एक चीज निकल कर आती है डेप्रिसिएशन और एक चीज निकल कर आती है एपस एक चीज निकल कर आती है एप्रिसिएशन एक होता है डेप्रिसिएशन और एक होता है एप्रिसिएशन डेप्रिसिएशन मतलब क्या होता है सर आपकी होम करेंसी की वैल्यू गिर रही है आपकी होम करेंसी की वैल्यू गिर रही है आपकी होम करेंसी वीक हो गई है पहले क्या होता था सर पहले आपका एक डलर पहले आपका डल ₹ का आता था लेकिन आज वही डॉलर आपके पास 84 का आता है तो यानी कि पहले एक डलर ₹ में खरीद पाते थे अब वही डॉलर 84 में खरीद पाते हैं मतलब रुपया कमजोर हो रहा है रुपया कमजोर हो रहा है या फिर आप ऐसे समझो पहले $ डलर खर्च करके इंडिया में ₹ का सामान खरीदा जा सकता था अब वही $ डल खर्च करके इंडिया में 84 का सामान खरीदा जा सकता है यानी कि इंडियन करेंसी क्या हो रही है वीक हो रही है इसको बोलते हैं डेप्रिसिएशन इसको बोलते हैं डेप्रिसिएशन और डेप्रिसिएशन कैसे रिप्रेजेंट होता है कि आपकी सप्लाई सेम है आपकी डॉलर की सप्लाई सेम है लेकिन आपकी डॉलर की डिमांड क्या हो गई है बढ़ गई है आपकी डॉलर की डिमांड क्या हो गई है बढ़ गई है पहले जो डॉलर आपको ₹ में मिलता था अब आपको वही डॉलर 84 में मिलता है इसको बोलते हैं सर डेप्रिसिएशन डेप्रिसिएशन को हमेशा रिप्रेजेंट करते हैं राइट वर्ड शिफ्ट ऑफ द डिमांड कर्व एप्रिसिएशन का मतलब क्या होता है एप्रिसिएशन का मतलब होता है कि आपकी होम करेंसी क्या हो गई है सर आपकी होम करेंसी स्ट्रांग हो गई है आपकी होम करेंसी स्ट्रांग हो गई है तो जैसे का हो गया मतलब आपका इंडियन रुपी मजबूत हो गया पहले डॉलर को खरीदने के लिए जेब से ₹ निकालने पड़ते थे अब वही डॉलर को खरीदने के लिए जेब से ₹ 5 निकालने पड़ते हैं यानी कि इंडियन रुपी की परचेसिंग पावर बढ़ गई दैट मींस कि यहां पर एप्रिसिएशन हो गया एप्रिसिएशन को कैसे रिप्रेजेंट करते हैं सर आपकी सप्लाई इंक्रीज हो गई आपकी सप्लाई इंक्रीज हो गई आपकी सप्लाई इंक्रीज हो गई पहले आपके पास एक डलर 0 का आता था अब आपकी सप्लाई इंक्रीज हो गई डॉलर्स की जिसकी वजह से आपको डॉलर कितने का मिल रहा है 65 का मिल रहा है तो याद रखना डेप्रिसिएशन को कैसे रिप्रेजेंट करते हैं डिमांड को राइट में शिफ्ट करके डिमांड को राइट में शिफ्ट करके और अपने पास एप्रिसिएशन को कैसे रिप्रेजेंट करते हैं सप्लाई को राइट में शिफ्ट करके ठीक है जी यह पॉइंट मैंने आपको बता दिया डेप्रिसिएशन एप्रिसिएशन यह वाला पॉइंट हमने कर लिया अच्छा अब एक कांसेप्ट निकल कर आता है अब एक कांसेप्ट निकल कर आता है डीवैल्युएशन डीवैल्युएशन ऑफ फॉरेन करेंसी और एक आता है डेप्रिसिएशन ऑफ फॉरेन करेंसी दोनों में फर्क है डीवैल्युएशन ऑफ फॉरेन करेंसी यहां पर फॉरेन करेंसी की वैल्यू गिराई जाती है मतलब होम करेंसी को होम करेंसी को वीक करती है गवर्नमेंट वीक करती है गवर्नमेंट यह गवर्नमेंट करती है और यह डीवैल्युएशन किसम होता है फिक्स सिम में होता है कहां पर होता है बेटा सर यह फिक्स्ड रेट सिस्टम पर होता है यह आपके पास फिक्स रेट सिस्टम पर होता है और डेप्रिसिएशन फॉरेन करेंसी का कहां पर होता है सर आपकी होम करेंसी वीक हो रही है आपकी होम करेंसी वीक हो रही है ड्यू टू मार्केट फोर्सेस यानी कि आपकी डिमा आपकी सप्लाई से ज्यादा हो गई है आपकी डिमांड आपकी सप्लाई से ज्यादा हो रही है यानी कि यहां पर आपका रेट बढ़ेगा हम यह बोल सकते हैं कि आपकी डिमांड क्या हो रही है आपकी डिमांड इंक्रीज हो रही है आपकी डिमांड इंक्रीज हो रही है और यह कहां पर होता है यह सर मार्केट रेट सिस्टम में होता है यह आपके पास कहां होता है मार्केट रेट सिस्टम पर होता है तो यह ऑटोमेटिक होता है यह ऑटोमेटिक होता है यहां पर गवर्मेंट का कोई इंटरवेंशन नहीं है यह ऑटोमेटिक नहीं होता यह डेलिबरेशन होता है यह डेलिबरेशन होता है जान के किया जाता है बाय गवर्नमेंट यह जान के किया जाता है बाय गवर्नमेंट ठीक है इसका रिवर्स इसका रिवर्स आपका रिवैल्युएशन और एप्रिसिएशन में आता है जब आपकी होम करेंसी स्ट्रांग हो जाए डेलिबरेशन बाय गवर्नमेंट तो वह रिवैल्युएशन कहलाएगा और जब मार्केट फोर्सेस की वजह से हो जाए तो वह आपके पास एप्रिसिएशन कहलाएगा चलिए अब अपने पास व्हीकल करेंसी क्या होती है अभी थोड़ी देर पहले पढ़ा था हम लोगों ने व्हीकल करेंसी वो करेंसी होती है जो वाइडल यूज होती है टू डिनॉमिनेट द इंटरनेशनल कांट्रैक्ट मेड बाय द पार्टीज इवन व्हेन इट इज नॉट द नेशनल करेंसी ऑफ ईदर ऑफ द पार्टीज है ना तो इसमें जो चौथा वाला ऑप्शन है यह आपका करेक्ट ऑप्शन है वेकल करेंसी क्या होती है वो करेंसी जो वाइडल यूज होती है डिनॉमिनेट करती है इंटरनेशनल कांट्रैक्ट्स को मेड बाय द पार्टीज इवन व्हेन इट इज नॉट द नेशनल करेंसी ऑफ इदर ऑफ द पार्टीज तो इंडिया और ईरान में कांट्रैक्ट हो रहा है और उसको डॉलर्स में डिनॉमिनेट करा जा रहा है तो यहां पर ईरान की भी डॉलर करेंसी नहीं है और आपकी इंडिया की भी डॉलर करेंसी नहीं है लेकिन फिर भी कांट्रैक्ट को डॉलर्स में डिनॉमिनेट करा जा रहा है तो इसलिए इसको क्या बोलते हैं व्हीकल करेंसी बोलते हैं डीवैल्युएशन क्या होता है डेलिबरेशन डाउन वर्ड एडजस्टमेंट इन द करेंसी ये क्या होता है डिक्रीज और यह किसकी वजह से होता है मार्केट फोर्सेस की वजह से होता है ये कहां होता है फिक्स्ड रेजीम में होता है ये कहां होता है आपका फ्लेक्सिबल एक्सचेंज रिडीम यानी कि जो मार्केट रेजीम होती है इसके अंदर गवर्नमेंट इवॉल्व होती है इसके अंदर गवर्नमेंट का कोई रोल नहीं होता है सर यह इकोनॉमी को अफेक्ट करती है शॉर्ट टर्म में और यह इकोनॉमी को अफेक्ट करती है लंगर टर्म में फ्रीक्वेंसी इसका कोई भी फिक्स टाइम नहीं है और यह डेली बेसिस पर होती है क्योंकि फ्लकचुएशन डेली बेसिस पर आती है गवर्नमेंट कभी भी कर सकती है इसका कोई फिक्स टाइम नहीं है लेकिन यहां पर डेली बेसिस पर होता है क्योंकि फ्लक्ट एशन डेली बेसिस पर आती है द इंक्रीज इन द वैल्यू ऑफ डोमेस्टिक करेंसी इन रिलेशन टू द फॉरेन करेंसी इंक्रीज इन द वैल्यू ऑफ डोमेस्टिक करेंसी डोमेस्टिक करेंसी की वैल्यू बढ़ गई इन रिलेशन टू फॉरेन करेंसी ड्यू टू ड्यू टू फ्लक्ट एशन ड्यू टू फ्लक्ट एशन ड्यू टू फ्लक्ट एशन देखो अगर आपकी डोमेस्टिक करेंसी की वैल्यू आपकी डोमेस्टिक करेंसी की वैल्यू अगर इंक्रीज हो रही है इसका मतलब आपकी डोमेस्टिक करेंसी स्ट्रांग हो रही है अगर आपकी डोमेस्टिक करेंसी की वैल्यू डिक्रीज हो रही है इसका मतलब आपकी इकोनॉमी वीक हो रही है सर स्ट्रांग का मतलब एप्रिसिएशन आपकी करेंसी एप्रिशिया कि आपकी करेंसी डेप्रिसिएशन टू फॉरेन करेंसी ड्यू टू ड्यू टू फ्लकचुएशंस इन द फॉरेन एक्सचेंज रेट फ्लकचुएशंस कहां आते हैं मार्केट सिस्टम में आते हैं फ्लकचुएशंस कहां पर आते हैं आपके मार्केट रेट में आते हैं और मार्केट रेट में अगर आपकी करेंसी मजबूत हो रही है तो इसको किससे रिप्रेजेंट करेंगे इसको एप्रिसिएशन से रिप्रेजेंट करेंगे ड्यू टू एप्रिसिएशन ऑफ डोमेस्टिक करेंसी अगर आपकी डोमेस्टिक करेंसी एप्रिशिया पहले $ 70 का था अब अगर आपका $ 0 का हो जाए तो इसकी वजह से क्या होगा देखो डॉलर सस्ता हो गया तो इसकी वजह से इंपोर्ट्स क्या हो जाएंगी बढ़ जाएंगी अगर डॉलर सस्ता हो गया तो इसकी वजह से इंपोर्ट्स क्या होंगी बढ़ जाएंगी और एक्सपोर्ट्स क्या हो जाएंगी घट जाएंगी पहले जब हम एक्सपोर्ट करते थे तो डलर के बदले में 0 मिलते थे अब एक्सपोर्ट करते हैं तो डल के बदले में 0 मिलते हैं मतलब एक्सपोर्टर का रेवेन्यू कम हो जाएगा और एक्सपोर्टर का रेवेन्यू कम होगा तो एक्सपोर्ट्स कम हो जाएंगी एक्सपोर्ट्स डिक्रीज होती हैं और इंपोर्ट्स इंक्रीज होती हैं तो इंपोर्ट्स आपके पास क्या करेंगी राइज़ करेंगी अगला क्वेश्चन आपकी स्क्रीन पे आता है बेस्ड ऑन द सप्लाई एंड डिमांड मॉडल ऑफ द डिटरमिनेशन ऑफ द एक्सचेंज रेट सप्लाई एंड डिमांड मॉडल मतलब मार्केट का रेट व्हिच ऑफ़ द फॉलोइंग ऑट टू कॉज डोमेस्टिक करेंसी ऑफ़ द करंट x टू करंट करेंसी अ कंट्री x की करेंसी कब एप्रिशिया में हमने क्या देखा था सर एप्रिशिया बढ़ जाए डॉलर की सप्लाई बढ़ जाए तो हमारी करेंसी क्या हो जाएगी अप्रिशिएट हो जाएगी तो डॉलर की सप्लाई बढ़नी चाहिए यूएस डिसाइड नॉट टू इंपोर्ट फ्रॉम क एक् नहीं इंक्रीज इन रेमिटेंसेस फ्रॉम द एंप्लॉई हु आर एंप्लॉयड अब्रॉड टू देयर फैमिलीज इन द होम कंट्री इंक्रीज इंपोर्ट्स बाय द कंज्यूमर्स ऑफ कंट्री एक्स रीपेमेंट ऑफ द फॉरेन डेट्स बाय द कंट्री एक्स सोच के बताओ बेस्ड ऑन द सप्लाई एंड डिमांड मॉडल च ऑफ द फॉलोइंग ऑट टू कॉज च ऑफ द फॉलोइंग ऑ टू कॉज द डोमेस्टिक करेंसी ऑफ कंट्री टू एप्रिस अगेंस्ट डॉलर अच्छा अगर कंट्री एक्स की करेंसी एप्रिसिएशन हो गई है अगर कंट्री एक्स की करेंसी अप्रिशिएट हो गई है तो क्या होगा तो क्या होगा तो क्या होगा तो क्या होगा इंपोर्ट्स बढ़ जाएंगी इंपोर्ट्स बढ़ जाएंगी कंट्री एक्स में इंपोर्ट्स क्या होंगी बढ़ जाएंगी जब आपकी करेंसी एप्रिसिएशन होती है जब आपकी करेंसी एप्री होती है तो इंपोर्ट्स क्या होती है बढ़ जाती है तो यहां पर भी क्या होगा आपकी इंपोर्ट्स जो है वह बढ़ जाएंगी आपकी करेंसी एप्रिसिएशन हो गई है तो एप्रिसिएशन की वजह से क्या होगा एप्रिसिएशन की वजह से आपकी जो इंपोर्ट्स है व बढ़ जाएंगे ऑल एल्स इक्वल वहि ऑफ द फॉलोइंग इज ट्रू इफ द कंज्यूमर ऑफ इंडिया डेवलप्स अ टेस्ट ऑफ द इंपोर्टेड कमोडिटी एंड डिसाइड टू बाय मोर ऑफ द यूएस गुड्स अगर हमारा इंपोर्टेड गुड्स पर टेस्ट डेवलप हो गया अगर हमारा इंपोर्टेड गुड्स पर टेस्ट डेवलप हो गया तो क्या होगा सर टेस्ट डेवलप हो गया तो हमारी डिमांड फॉर डॉलर बढ़ जाएगी क्योंकि हम ज्यादा इंपोर्ट्स करेंगे डिमांड फॉर डॉलर बढ़ जाएगी और अगर डिमांड फॉर डॉलर बढ़ जाएगी तो डिमांड कर्व डॉलर का राइट में शिफ्ट हो जाएगा और इंडियन रुपी एप्रिसिएशन होगा नहीं सप्लाई यूएस डॉलर की श्रिंक हो जाएगी नहीं डिमांड कर्व डॉलर का राइट में चला जाएगा और इंडियन रुपी डेप्रिसिएशन होगा यस जब आपका डिमांड कर्व राइट प जाता है तो डेप्रिसिएशन होता है और जब सप्लाई कर्व राइट प जाता है तो एप्रिसिएशन होता है तो डिमांड कव जब राइट प जाएगा तो इंडियन रुपी क्या हो जाएगा डेप्रिसिएशन सिंपल सी चीज है आप ज्यादा इंपोर्ट कर रहे हो ज्यादा इंपोर्ट कर रहे हो मतलब डिमांड बढ़ रही है डिमांड बढ़ रही है मतलब रुपया कमजोर होगा डिमांड बढ़ रही है तो आपका रुपया कमजोर होगा करेंसी डीवैल्युएशन क्या होता है सर करेंसी डीवैल्युएशन मतलब आपका ल पहले ₹ का था और गवर्नमेंट ने इसको 80 का कर दिया गवर्नमेंट ने इसको 80 का कर दिया गवर्नमेंट ने डीवैल्यू कर दिया मतलब डॉलर महंगा हो गया डॉलर महंगा हो गया मे इंक्रीज द प्राइस ऑफ इंपोर्टेड कमोडिटी एंड देयर फोर रिड्यूस द इंटरनेशनल कंपट ऑफ द डोमेस्टिक इंडस्ट्री तो इंपोर्टेड कमोडिटी तो महंगी हो जाएगी पहले जो सामान 70 का आता था वह अब 80 का आएगा एंड रिड्यूस कर देगी इंटरनेशनल कंपट ऑफ डोमेस्टिक इंडस्ट्रीज ऐसा नहीं है मे रिड्यूस द एक्सपोर्ट प्राइस एंड इंक्रीज द इंटरनेशनल कंपिटिशन ऑफ द डोमेस्टिक इंडस्ट्री आपके एक्सपोर्ट के दाम गिर जाएंगे और इंटरनेशनल कंपटिंग बढ़ जाएगी देखो पहले डलर में ₹ का सामान आता था अब एक एक डलर में र का सामान आएगा यानी कि हमारा प्रोडक्ट इंटरनेशनल मार्केट में सस्ता हो जाएगा पहले एक डॉलर खर्च करके 0 का सामान आता था अब एक डॉलर खर्च करके आपके पास 80 का सामान आएगा यानी कि आपकी एक्सपोर्ट्स क्या होंगी आपकी एक्सपोर्ट सस्ती हो जाएंगी और जब आपकी एक्सपोर्ट सस्ती हो जाएंगी तो आपके पास इंटरनेशनल कंपट बढ़ जाएगी मे कॉज इन द फॉल ऑफ वॉल्यूम एक्सपोर्ट एंड प्रमोट अ कंज्यूमर नहीं आप एक्सपोर्ट्स बढ़ेंगी आपने करेंसी को डीवैल्यू किया डीवैल्यू करने से आपकी इंपोर्ट्स कम होंगी और आपकी एक्सपोर्ट्स इनक्रीस होंगी डी वैल्यू करने से इंपोर्ट्स कम होंगी और एक्सपोर्टस इनक्रीस होंगी चलिए सर अब बढ़ते हैं लास्ट यूनिट पर यूनिट नंबर फाइ कैपिटल मूवमेंट यूनिट नंबर फाइ कैपिटल मूवमेंट कैपिटल मूवमेंट सर कैपिटल मूवमेंट दूसरी कंट्री से हमारी कंट्री में कैपिटल आ रही है कैपिटल का मतलब क्या है सर कैपिटल का मतलब है किसी भी तरीके का इनफ्लो ऑफ फंड किसी भी तरीके का इनफ्लो ऑफ फंड अगर हमारी कंट्री में होम कंट्री में आउटसाइड द होम कंट्री से पैसा आ रहा है मतलब एक फॉरेन कंट्री से होम कंट्री में पैसा आ रहा है तो उसको अपन क्या बोलते हैं सर उसको अपन बोलते हैं इफ फलो ऑफ कैपिटल यानी कि मूवमेंट ऑफ कैपिटल फॉरेन कैपिटल फॉरेन कैपिटल हमारे पास चार तरीके से आ सकती है एक हमें फॉरेन एड या फिर असिस्टेंसिया पहले बहुत भारी अर्थक्वेक आया था जिसके चलते इंडिया ने आई थिंक 100 200 300 करोड़ रुपए नेपाल को फाइनेंशियल एड दिया था कि भाई अर्थक्वेक की वजह से जो भी नुकसान हुआ है उस नुकसान को तुम भर लो भैया जो बिल्डिंग बिल्डिंग गिर गई है इंफ्रास्ट्रक्चर आपका जो नुकसान हुआ है यह पैसे से आप अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को क्या करो ठीक-ठाक कर लो इसको बोलते हैं फाइनेंशियल एड और असिस्टेंसिया आपके पास बायलट हो सकती है मल्टीलेटरल हो सकती है या फिर हो सकता है कि भई आपने असिस्टेंसिया टाइड एड हो सकती है टाइड एड का मतलब कि किसी ने आपको पैसा दिया और कंडीशन लगाई कि इस पैसे को केवल इसी काम में यूज करोगे फॉर एग्जांपल कोविड में इंडिया ने ₹ करोड़ रपए नेपाल को दिए और और कहा कि यह पैसा केवल वैक्सीनेशन पे ही खर्च होगा यह पैसा केवल सैनिटाइजर्स पे ही खर्च होगा तो यह क्या हो गया टाइड एड हो गई अन टाइड एड क्या होती है सर अन टाइड एड वो होती है जहां पर कोई कंडीशन अटैच नहीं होती हमने आपको 00 करोड़ रुपए दिए कोई कंडीशन नहीं लगाई जहां मन करे वहां पर पैसा यूज कर लो फॉरेन ग्रांट्स मिलती है जो आपको गवर्नमेंट्स प्रोवाइड करती है इंस्टीट्यूशंस प्रोवाइड करती है ऑर्गेनाइजेशंस प्रोवाइड करती है इसके अलावा बोरो इंग्स आपकी कंट्री पैसा बोरो कर सकती है वर्ल्ड बैंक से बोरो कर सकती है आईएमएफ से बोरो कर सकती है दूसरी किसी कंट्री से बोरो कर सकती है पैसा रेज किया जा सकता है दूसरी कंट्री के सिटीजन से भी राइट इसको क्या बोलते हैं सर बोरो इंग्स तीसरा आता है डिपॉजिट्स फ्रॉम एनआरआई जो इंडियंस इंडिया के बाहर रहते हैं उनको गवर्नमेंट ऑप्शन देती है कि आप अपना बैंक अकाउंट इंडिया में खोलो जो भी इंटरेस्ट उसपे आएगा हम उस परे आपसे टैक्स नहीं लेंगे जो भी इंटरेस्ट आएगा हम उस परे आपसे टैक्स नहीं लेंगे तो इंडिया के बाहर लेट्स से यूएसए में कोई इंडियन है वो यूएसए में पैसा कमाए लेकिन डिपॉजिट यूएसए में नहीं करेगा इंडिया में डिपॉजिट करेगा यूएसए का इंटरेस्ट रेट कम है इंडिया ज्यादा इंटरेस्ट देती है यूएसए वाले उस इंटरेस्ट पे टैक्स भी लेंगे लेकिन इंडिया को फॉरेन करेंसी का लालच है तो इंडिया में अगर एनआरआई ने पैसा जमा किया और इंटरेस्ट कमाया उस हम फॉरेनर से टैक्स कलेक्ट नहीं करेंगे इसके अलावा आपके पास इन्वेस्टमेंट्स आ सकती हैं इन्वेस्टमेंट्स दो तरीके की आती है एक आती है एफडीआई और एक आती है एफपीआई एफडीआई क्या होती है सर जब हम किसी बिजनेस में इन्वेस्ट करते हैं जब हम किसी बिजनेस में इन्वेस्ट करते हैं जब हमारा पर्पस बिजनेस को कंट्रोल करना होता है जब हमारा परपस बिजनेस को रन करना होता है हम लॉन्ग टर्म पर्सपेक्टिव से आते हैं हम लॉन्ग टर्म पर्सपेक्टिव से आते हैं और बाबू यहां पर इन्वेस्टमेंट हम जो करते हैं वह 10 पर या उससे ज्यादा की करते हैं उसको बोलते हैं आप एफडीआई इन्वेस्टमेंट बिजनेस में होती है कंट्रोल या फिर बिजनेस को रन करने के लिए होती है आप रियल कैपिटल में पैसा लगाते हो रियल कैपिटल मतलब आप मशीनस पे पैसा लगा रहे हो फैक्ट्रीज में पैसा लगा रहे हो लैंड बिल्डिंग में पैसा लगा रहे हो लॉन्ग टर्म पर्सपेक्टिव से करते हो लंबे समय तक रहने के लिए करते हो और आप इन्वेस्टमेंट करते हो कम से कम 10 पर या उससे ज्यादा की तो मान लो कोई बिजनेस है इंडिया की कंपनी है मान लो कोई इंडिया की कंपनी है लेट्स से ए लिमिटेड ए लिमिटेड इंडिया की क कंपनी है ठीक है मान लेते हैं बी लिमिटेड यह यूएसए की कंपनी है बी लिमिटेड यूएसए में क्या कर रहा है सर बी लिमिटेड यूएसए ने ए लिमिटेड इंडिया के 15 पर इक्विटी खरीद ली इसने 15 पर इक्विटी खरीद ली यूएसए की एक कंपनी ने इंडिया की एक कंपनी में 15 पर की इक्विटी खरीद ली तो इसको अपन क्या बो बोलेंगे कि बी लिमिटेड ने इंडिया में एफडीआई किया है इट इज अ फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट टू इंडिया ठीक है तो एफडीआई क्या होती है टोटल चार तरीके हैं आपके पास टोटल चार तरीके हैं आपके पास पैसा रेज करने के लिए फॉरेन एड बरो इंग्स डिपॉजिट्स फ्रॉम एनआरआई इन्वेस्टमेंट्स इन्वेस्टमेंट में एफडीआई और इन्वेस्टमेंट में एफपीआई एफडीआई क्या होता है सर एफडीआई क्या होता है एफडीआई इज डिफाइंड प्रोसेस वेयर बाय रेसिडेंट ऑफ वन कंट्री ट इज होम कंट्री एक्वायर्स ओनरशिप ऑफ एन एसेट इन अनदर कंट्री ट इज द होस्ट कंट्री तो जैसे मान लो आपके यूएसए के मिस्टर जॉन ने यूएसए के मिस्टर जॉन ने इंडिया के ए लिमिटेड को एक्वायर कर लिया ए लिमिटेड को खरीद लिया तो इसको क्या बोलेंगे कि एफडीआई हुआ है फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट हमने विदेश में पैसा लगाया है एंड सच मूवमेंट ऑफ कैपिटल इवॉल्व एफडीआई के अंदर ओनरशिप जाती है कंट्रोल जाता है मैनेजमेंट जाता है ऑफ द असेट ऑफ द एसेट इन द होस्ट कंट्री इट इनकंपासेस इनिशियल एज वेल एस सबसीक्वेंट ट्रांजैक्शन ब बवी द डायरेक्ट इन्वेस्टर एंड द कंसर्न एंटरप्राइजेस दो टर्म यूज हो रहे हैं एक टर्म यूज हो रहा है होम कंट्री और एक यूज हो रहा है होस्ट कंट्री होस्ट कंट्री तो बी लिमिटेड यूएसए की बी लिमिटेड यूएसए की इन्वेस्टमेंट कर रही है इन्वेस्टमेंट कर रही है ए लिमिटेड इंडिया के अंदर टेड इंडिया के अंदर यह क्या कर रही है यह ए लिमिटेड इंडिया में एक्वायर कर रही है 15 पर इक्विटी तो जब आपने ए लिमिटेड की 15 पर इक्विटी खरीद ली तो मतलब आपके पास ए लिमिटेड का 15 पर का वोटिंग राइट आ गया आप ए लिमिटेड के 15 पर के मालिक बन गए तो एफडीआई के अंदर आपके पास क्या आता है कंट्रोल आता है जब हम अपनी कंट्री के बाहर इन्वेस्ट करते जब हम अपनी कंट्री के बाहर इन्वेस्ट करते हैं तो उसको एफडीआई बोलते हैं अपनी कंट्री से बाहर अपनी कंट्री से बाहर हम इन्वेस्ट करते हैं तो इसे एफडीआई बोलते हैं और मिनिमम इन्वेस्टमेंट कितनी होनी चाहिए 10 पर या उससे ज्यादा की चार तरीके की एफडीआई होती है एक होती है हॉरिजॉन्टल एक होती है वर्टिकल एक होती है कंग्लोमरेशन और एक होती है टूवे हॉरिजॉन्टल क्या होती है जब आप सेम लाइन ऑफ बिजनेस में एक्विजिशन करते हो जैसे मान लो हम इंडिया में है और हमारा यह कैलकुलेटर बनाने का काम है और हमने यूएसए की एक कैलकुलेटर बनाने वाली कंपनी के अंदर शेयर्स खरीद लिए तो इसको क्या बोलेंगे हॉरिजॉन्टल एफडीआई हम कैलकुलेट का धंधा करते थे हमने दूसरी कैलकुलेटर बनाने वाली कंपनी के शेयर्स खरीदे जो किसी और कंट्री में है तो उसको क्या बोलते हैं हॉरिजॉन्टल एफडीआई वर्टिकल एफडीआई क्या होती है वर्टिकल एफडीआई के अंदर जैसे मान लो यह कैलकुलेटर बनाने के लिए हमको यह स्क्रीन चाहिए होती है कैलकुलेटर बनाने के लिए हमको यह स्क्रीन चाहिए होती है तो मैंने एक ऐसी कंपनी के अंदर पैसा लगाया जो यह स्क्रीन बनाती थी यह कलकुलेटर बनाने के लिए मुझे यह बटंस चाहिए होते हैं तो मैंने एक ऐसी कंपनी में पैसा लगाया जो यह बटंस बनाती है जो यह बटंस बनाती है तो इसको क्या बोलते हैं वर्टिकल एफडीआई मतलब ऐसी कंपनी में पैसा लगाना जो आपके लिए रॉ मटेरियल सप्लाई करने का काम करें तो जैसे मान लो मैं कार का मैन्युफैक्चरर हूं तो मैंने ऐसी कंपनी में पैसा लगाया जो टायर बनाती है क्योंकि टायर का इस्तेमाल होता है कार को बनाने में राइट तो इसको क्या बोलते हैं वर्टिकल एफडी इन्वेस्टर एस्टेब्लिश और एक्वायर अ बिजनेस ऑपरेशन इन द होस्ट कंट्री च इज डिफरेंट फ्रॉम द इन्वेस्टर्स मेन बिजनेस बट मेन बिजनेस से अलग है बट सप्लीमेंट सप्लीमेंट मतलब सपोर्ट करता है उसके मेन बिजनेस को जैसे सुजुकी इन्वेस्ट कर रहा है इन द ऑटो पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी इन इंडिया ऑटो पार्ट्स सुजकी कहां की कंपनी है जपनीज कंपनी है सुकी जपनीज क कंपनी है तो जापनीज कंपनी इंडिया के ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनी में पैसा लगा रही है क्योंकि जैपनीज कंपनी जो सुस्की है यह ऑटोमोबिल बनाती है यह ऑटोमोबिल बनाती है ऑटोमोबिल मतलब गाड़ियां बनाती है बाइक्स बनाती है तो गाड़ियां और बाइक बनाने के लिए इसको पार्ट्स की जरूरत पड़ती है तो इसने क्या किया इंडिया के ऑटो पार्ट्स वाले धंधे में पैसा लगा दिया जैसे सेम मैंने आपको बताया कि ये कैलकुलेटर बनाने के लिए मेरे को यह स्क्रीन लगती है मैंने ऐसी कंपनी में पैसा लगाया जो यह स्क्रीन बनाती है तो मेरे बिजनेस को सपोर्ट मिला मैंने ऐसी कंपनी में पैसा लगाया जहां पर यह बटंस बनते हैं मेरे बिजनेस को क्या मिला सपोर्ट मिला कंग्लोमरेशन क्या होता है सर बिल्कुल अलग ही धंधे में चले गए जैसे मेरा इंडिया में कैलकुलेटर का धंधा है और मैंने ऑस्ट्रेलिया में किसी होटल बिजनेस में एफडीआई किया तो इसको क्या बोलेंगे कंग्लोमरेशन एफडीआई मतलब बिल्कुल ही अलग धंधे में आप चले गए इन्वेस्टर मेक इन्वेस्टमेंट इन द बिजनेस ऑपरेशन दैट इज अनरिलेटेड टू इट्स एसिस्टिंग बिजनेस अगर आपका र इन्वेस्ट करे जोमेटो के अंदर तो इट वुड बी कंग्लोमरेशन एफडीआई इसके बाद टूवे एफडीआई टूवे एफडीआई क्या होता है रेसिप प्रोकल मैंने मान लो ए लिमिटेड ने बी लिमिटेड के अंदर शेयर्स खरीदे और बी लिमिटेड ने ए लिमिटेड के अंदर शेयर्स खरीद लिए इसको क्या बोलेंगे एफडीआई ए लिमिटेड इंडिया की है और बी लिमिटेड यूएसए की है ए लिमिटेड ने बी लिमिटेड के 15 पर शेयर्स खरीदे और बी लिमिटेड ने ए लिमिटेड के 15 पर शेयर्स खरीद लिए जरूरी नहीं है कि 151 ही हो हो सकता है मान लो इसने यहां पर 25 खरीद लिए जरूरी नहीं है कि 1515 ही हो कहने का मतलब ए लिमिटेड इंडिया ने एफडीआई किया बी लिमिटेड यूएसए में बी लिमिटेड यूएसए ने ए लिमिटेड इंडिया में एफडीआई कर दिया इसको क्या बोलेंगे टू वे एफडीआई इसको बोलेंगे आप टू वे एफडीआई इसके बाद आपके पास निकल कर आता है फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट एफपीआई एफपीआई क्या होता है एफडीआई में आपको मिनिमम एफडीआई में आपको मिनिमम 10 पर इन्वेस्टमेंट करनी होती है इन बिजनेस एफडीआई के अंदर आप लॉन्ग टर्म पर्सपेक्टिव से जाते हो जबकि एफपीआई के अंदर आपका लॉन्ग टर्म पर्सपेक्टिव नहीं होता एफपीआई के अंदर हम इन्वेस्टमेंट करते हैं इन शेयर्स डिबेंचर बॉन्ड्स यह इन्वेस्टमेंट शॉर्ट टर्म के लिए होती है इस इन्वेस्टमेंट का पर्पस कंट्रोल करना नहीं होता इस इन्वेस्टमेंट का पर्पस कंट्रोल करना नहीं होता जबकि रिटर्न कमाना होता है प्रॉफिट कमाना होता है हमने सस्ते भाव में शेयर्स खरीदे होते हैं और उनका वेट करते हैं महंगा होने का जैसे ही महंगे होंगे बेच देंगे ठीक है यहां पर आप इन्वेस्टमेंट करते हो लेस देन 10 पर की 10 पर से कम की आप इन्वेस्टमेंट करते हो इसको बोलते हैं एफपीआई इसमें आप रियल कैपिटल में पैसा नहीं लगाते एफडीआई में पैसा कहां लगता है सर एफडीआई में पैसा लगता है रियल कैपिटल में रियल कैपिटल मतलब मशीनस में फैक्ट्रीज में बिल्डिंग्स में यहां पर क्या हो रहा है सर यहां पर आपका रियल कैपिटल में पैसा नहीं लगता यहां पर आप पैसा इन्वेस्ट करते हो फाइनेंशियल कैपिटल में फाइनेंशियल कैपिटल में ठीक है यहां पर इट डज नॉट इवॉल्व ओनरशिप हमें ओनरशिप नहीं चाहिए हम कंट्रोल नहीं चाहिए हमें बिजनेस नहीं चलाना है हमें सिर्फ क्या चाहिए शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट करनी है प्रॉफिट कमाने के लिए हमें शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट करनी है प्रॉफिट कमाने के लिए फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट के फीचर्स क्या होते हैं इसमें हम कैपिटल में पैसा लगाते हैं मतलब शेयर्स डिबेंचर बॉन्ड्स में पैसा लगाते हैं हम यहां पर ओनरशिप नहीं चाहते हैं इफेक्ट क्या है इमीडिएट इफेक्ट निकल कर आता है एफपीआई का आपके बैलेंस ऑफ पेमेंट पे बैलेंस ऑफ पेमेंट मतलब फॉरेन करेंसी का इनफ्लो बढ़ता है फॉरेन करेंसी का इनफ्लो बढ़ता है इंटेंशन ऑफ इन्वेस्टर क्या है केवल प्रॉफिट कमाना केवल प्रॉफिट कमाना केवल प्रॉफिट कमाना यह उसका यह उसका मेन क्या है एजेंडा है इन्वेस्टमेंट का क्राइटेरिया क्या है सर कम से कम 10 पर से कम होना चाहिए 10 पर से कम होना चाहिए 10 पर से कम होना चाहिए रिस्क एफपीआई स्पेक्युलेटिव होता है स्पेक्युलेटिव मतलब सस्ते भाव पर इन्वेस्टमेंट करता है और जब उसका भाव चढ़ता है महंगा होता है बढ़ता है तो वह उसे क्या करता है सर सेल आउट कर देता है एफपीआई स्पेक्युलेटिव परपस से किया जाता है एफडीआई एक प्रोसेस है जहां पर आप एक्वायर करते हो ओनरशिप ऑफ एसेट इन अनदर कंट्री यहां पर आप ओनरशिप नहीं लेते हो केवल फाइनेंशियल कैपिटल पर पैसा डालते हो ओनरशिप आपको नहीं चाहिए होती है यहां पे फिजिकल एसेट्स पे पैसा लगता है फाइनेंशियल एसेट्स पे पैसा लगता है एफपीआई शॉर्ट टर्म होती है एफडीआई लॉन्ग टर्म होती है एफडीआई का प्रोसेस है पैसा लगाना और निकालना थोड़ा सा कॉम्प्लिकेटेड है एफपीआई के अंदर कोई भी प्रोसेस नहीं है आप स्टॉक मार्केट में पैसा लगा रहे हो रिलेटिवली इजी है पैसा निकालना एफडीआई में स्पेक्युलेटिंग करना चाहते हैं हम लंबे समय के लिए इन्वेस्टेड हैं एफपीआई स्पेक्युलेटिव होता है हम इसीलिए पैसा लगाते हैं कि कल को शेयर का भाव बढ़ेगा अपन बेच देंगे यहां पे टेक्नोलॉजी का भी इनफ्लो होता है जब कभी भी हम किसी कंपनी में पैसा लगाते हैं तो अपनी टेक्नोलॉजी भी वहां पर लेकर जाते हैं सो दैट कि वह कंपनी ग्रो करे यहां पे टेक्नोलॉजी का मूवमेंट नहीं होता मैनेजमेंट यहां पर लंबे समय तक कंट्रोल चाहिए होता है और यहां पर हमें कंट्रोल नहीं चाहिए होता है रीजन ओनरशिप कंट्रोल मैनेजमेंट यहां पे रीजन कि हम यहां पर प्रॉफिट कमा पाए तो आप एफडीआई का मतलब यह समझो कि आप धंधा खरीद रहे हो और एफपीआई का मतलब आप एक नॉर्मल शेयर इन्वेस्टर हो आप सिक्योरिटी में पैसा इन्वेस्ट कर रहे हो बस द ओनली डिफरेंस इज एफपीआई के अंदर जो पैसा इन्वेस्ट कर रहा है स्टॉक मार्केट में वो इंडिया का नहीं है इंडिया के बाहर से है ठीक है एफडीआई के रीजंस क्या-क्या हैं बहुत सारे रीजंस हैं ठीक है अब इसमें लंबी चौड़ी लिस्ट है आपको केवल रीड करना है यहां से कुछ भी आएगा मुझे ऐसा नहीं लगता कॉमन सेंस वाली चीजें एक बार अगर आप रीड कर लोगे तो समझ में आ जाएगा इंडिया में पैसा क्यों लगाया जा रहा है क्योंकि हायर रेट ऑफ रिटर्न कमाना चाहते हैं सर क्यों पैसा लगाया जा रहा है क्योंकि प्रोडक्शन और इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं क्यों पैसा लगाया जा रहा है लार्ज स्केल इकोनॉमी का फायदा उठाने के लिए क्यों पैसा लगाया जा रहा है सर नॉलेज पर कंट्रोल रखने के लिए ठीक है इस तरी के कुछ रीजंस है एक बार रीड कर लेना मैं भी यहां पर रीड ही करने वाला हूं कुछ खास यहां पर फायदा होना नहीं है चलिए कौन से ऐसे फैक्टर्स है जो डिस्क्र आज करते हैं एफडीआई को कि इंडिया में एफडीआई ना आए ऐसे कौन से फैक्टर्स हैं तो इकोनॉमिक फैक्टर है इंफ्रास्ट्रक्चर इन एडिक्स हाई इंफ्लेशन रेट बीओपी डेफिसिट एक्सचेंज रेट बार-बार फ्लक्ट होता है वोलेटाइल है ऊपर नीचे ऊपर नीचे काफी होता है इन्वेस्टमेंट का इंडिया में पुअर ट्रैक रिकॉर्ड है स्मॉलर साइज ऑफ मार्केट है तो यह सारे रीजंस हैं कि एफडीआई क्या होती है डिस्कस होती है यह इकोनॉमिक फैक्टर्स थे सोशल फैक्टर्स क्या निकल कर आएंगे इंडिया में एफडीआई नहीं आएगी अगर लिटरेसी रेट अच्छा नहीं होगा लेबर के स्किल्स अच्छे नहीं होंगे सर अगर होस्ट कंट्री की लेबर मार्केट रिजडन कि अपने आप को बदलना नहीं चाहती लैंग्वेज बैरियर अगर होगा तो प्रॉब्लम क्रिएट होगी हाई रेट ऑफ इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स है लेबर और मालिक के बीच में में झगड़े होते रहते हैं एफडीआई इंडिया में नहीं आएगी सिक्योरिटी अवेलेबल नहीं है प्रॉपर्टी राइट्स अवेलेबल नहीं है आपके पास एफडीआई नहीं आएगी सर फॉरेन इन्वेस्टर्स की तरफ गवर्नमेंट का फ्रेंडली एटीट्यूड नहीं है तो भी आपके पास इंडिया में एफडीआई निकल कर नहीं आएगी ठीक है पॉलिटिकल रीजंस क्या है सर फेवरेबल टैक्स पॉलिसीज नहीं है बहुत ज्यादा फॉर्मेलिटीज है बहुत ज्यादा करप्शन है ठीक है पॉलिटिकल अनस्टेबल है मतलब सरकार स्टे नहीं है जोड़-तोड़ की सरकार है प्रॉपर्टी राइट्स नहीं है इंडिया के अंदर तो उस केस में प्रॉब्लम आएगी नॉन टैरिफ बैरियर एजिस्ट करते हैं तो प्रॉब्लम आएगी ठीक है अगर आपके पास गवर्नमेंट ओपन नहीं है फॉर एफडीआई तो प्रॉब्लम निकल कर आएगी एब्सेंट ऑफ फैसिलिटी ऑफ इमीग्रेशन इमीग्रेशन की फैसिलिटी अवेलेबल नहीं है तो उस केस में भी प्रॉब्लम निकल कर आएगी क्योंकि जब विदेशी कंपनी इंडिया में आएगी तो विदेश के कुछ लोग इंडिया में काम धंधा करने के लिए जो टॉप लेवल मैनेजमेंट है उसमें इंडिया के बाहर के लोग ही बैठे होंगे राइट एफडीआई कैसे-कैसे हो सकती है सर इंडिया में आप अपनी सब्सिडरी खोल सकते हो इंडिया में आप किसी भी फॉरेन कंपनी के अंदर पैसा लगा सकते हो ऑलरेडी इंडिया में कोई फॉरेन कंपनी है आपने उसमें पैसा इन्वेस्ट कर दिया सर आपने कहीं पर कंट्रोलिंग इंटरेस्ट खरीद लिया कंट्रोलिंग इंटरेस्ट का मतलब क्या होता है 51 पर या से ज्यादा आपने 51 पर या उससे ज्यादा कोई शेयर्स खरीद लिए इंडिया में किसी कंपनी के तो एफडीआई माना जाएगा आपने इंडिया की किसी कंपनी के साथ मर्जर कर लिया आपने इंडिया की किसी कंपनी के साथ जॉइंट वेंचर कर लिया आपने ग्रीन फील्ड इन्वेस्टमेंट कर दी एक होती है ग्रीन फील्ड इन्वेस्टमेंट और एक होती है ब्राउन फील्ड इन्वेस्टमेंट ग्रीन फील्ड इन्वेस्टमेंट क्या होती है कि आपने सब कुछ शुरू से किया एक नई कंपनी सेट अप करी एक नई कंपनी सेट अप करी फ्रॉम जीरो फ्रॉम स्क्रैच ठीक है आपने जीरो से कंपनी सेटअप करी आपने खुद से लैंड खरीदा खुद से आपने फैक्ट्री बनाई नई मशीनस इंस्टॉल करी नए एंप्लॉयज को हायर किया इसको बोलते हैं ग्रीन फील्ड इन्वेस्टमेंट ब्राउन फील्ड इन्वेस्टमेंट क्या होती है जब आप एसिस्टिंग धंधा खरीद लेते हो आप एसिस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जब एक्वायर कर लेते हो उसको बोलते हैं ब्राउन फील्ड इन्वेस्टमेंट मतलब इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से बन रखा था फैक्ट्री पहले से बन रखी थी धंधा पहले से चल रहा था आपने बस पैसा डाला और चलता हुआ धंधा खरीद लिया दैट विल बी अ ब्राउन फील्ड इन्वेस्टमेंट यह एग्जाम में आ सकता है ठीक है क्या फायदे होते हैं एफडीआई के सर कंपटीशन बढ़ता है जब विदेशी कंपनी इंडिया में आएगी कंपटीशन बढ़ेगा कंपटीशन बढ़ने से जो डोमेस्टिक कंपनी वो अच्छा परफॉर्म करने की कोशिश करेंगी जिससे अल्टीमेटली कंज्यूमर का फायदा होगा हायर आउटपुट क्योंकि सर जब एफडीआई होगी तो हां पे इन्वेस्टमेंट बढ़ेगी इन्वेस्टमेंट बढ़ेगी आउटपुट बढ़ेगा ग्रोथ आती है सर एफडीआई के आने से ग्रोथ बढ़ती है सर रिफॉर्म्स आते हैं ठीक है डायरेक्ट और इनडायरेक्ट एंप्लॉयमेंट जनरेट होता है जब एफडीआई इंडिया में आएगी तो एंप्लॉयमेंट जनरेट होगा डायरेक्ट एंप्लॉयमेंट जब आपको कंपनी हायर कर रही है और जब कंपनी के आसपास पकड़े वाला आ गया रिक्शे वाला आ गया है ना जो छोटे छो रेस्टोरेंट खुल गया तो जब कहीं पर भी एफडीआई हो रही है कंपनी सेटअप हो रही है तो उसके आजूबाजू सेल्फ एंप्लॉयमेंट भी बढ़ता है वो लोग जो कंपनी में काम करते हैं वो तो पैसा कमाते हैं लेकिन जो कंपनी के आसपास की सराउंडिंग्स हैं वहां पर सेल्फ एंप्लॉयमेंट बढ़ जाता है सर वहां पे आपके पास रेडी वाले आ जाते हैं खाने पीने का सामान मिल गया कोई सर वहां पर जूस लगा के बैठा है कोई वहां पर अपना नींबू पानी बेच रहा है कोई पकड़े बेच रहा है कोई खसते बेच रहा है रिक्शे वाले चलने शुरू हो गए ऑटोस चलने शुरू हो गए आसपास पीजी खुल गए हॉस्टल्स खुल गए इसकी वजह से क्या होता है सर इसकी वजह से आपके पास इनडायरेक्ट एंप्लॉयमेंट जनरेट होती है बेनिफिट करता है वर्कर्स को वर्कर का ओवरऑल इंप्रूवमेंट होता है कंट्री के पास फॉरेन एक्सचेंज आती है गवर्नमेंट का टैक्स रेवेन्यू इंक्रीज होता है अदर बेनिफिट्स बेटर एक्सेस मिल जाती है आपको फॉरेन मार्केट की बायलट और इंटरनेशनल रि आपके मजबूत होते हैं ग्रेटर पॉसिबिलिटी फॉर द प्रमोशन ऑफ एंसर यूनिट्स ठीक है एक बार इसको रीड कर लेना प्रॉब्लम क्या निकल कर आती है प्रॉब्लम क्या निकल कर आती है कि जब एफडीआई आती है तो वह कैपिटल इंटेंसिव मेथड्स का इस्तेमाल करती है वह ज्यादा वर्कर्स को जॉब नहीं देती मशीनरी से ज्यादा काम लेती है रीजनल डिस्पैरेज खड़ी होती है एफडीआई जिस एरिया में आएगी लेट्स से वो मेट्रोज में आई दिल्ली में मुंबई में चेन्नई कोलकाता में पुणे में बा अपने पास बेंगलोर में तो जिस एरिया में आएगी वह एरिया अच्छा इंप्रूव करेगा ग्रो करेगा लेकिन जो बाकी एरियाज है वोह उतने ग्रो नहीं करेंगे डिस्क करता है डोमेस्टिक सेविंग जब एफडीआई के थ्रू पैसा आने लगता है तो सर जो डोमेस्टिक सेविंग्स है वो डिस्कस होती है मतलब गवर्नमेंट भी थोड़ी सी क्या हो जाती है लिबरल हो जाती है और व टैक्सेस वगैरह ज्यादा वसूल है जिससे कि लोगों की सेविंग्स क्या होती है कम हो जाती है इसके बाद अगर इंडिया में इंडिया में फॉरेन कंट्री बोरो इंग्स कर करनी शुरू करेंगी तो इंटरेस्ट रेट चढ़ जाएगा बढ़ जाएगा जब अपने पास इंडिया में फॉरेन कंट्रीज बोरोंग करेंगी तो इंटरेस्ट रेट क्या हो जाएगा इंक्रीज हो जाएगा क्यों इंक्रीज हो जाएगा क्योंकि जब ज्यादा बोरोंग होगी तो इंटरेस्ट रेट ऊपर जाएगा फॉरेन कंट्रीज अगर इंडिया में लोन रेज करना शुरू करेंगी इंटरेस्ट रेट ऊपर जाएगा जिससे कि जो डोमेस्टिक प्रोड्यूसर्स हैं उनको लोन महंगा मिलेगा उनको लोन महंगा मिलेगा तो वह इन्वेस्टमेंट से डिस्क्र आज होंगे एफडीआई इनिशियली बैलेंस ऑफ पेमेंट को इंप्रूव करती है लेकिन जो प्रॉफिट कमाती है एफडीआई वह अपना इंडिया से बाहर लेकर जाती है जिसकी वजह से आपका बैलेंस ऑफ पेमेंट वापस से डिस्टर्ब हो जाता है जो स्किल्ड जॉब्स होती है एंटरप्रेन्योर लेवल की जॉब्स होती है वो केवल फॉरेनर्स के लिए रखी जाती है जो बेसिक जॉब्स होती है वो इंडियंस को दी जाती है मतलब कि होस्ट कंट्री में दी जाती है इसके अलावा एग्रेसिव एडवर्टाइजमेंट करते हैं एफडीआई वाले जिससे कि मार्केट डिसर पट होती है लोकल इंडस्ट्री आउट कंपीट हो जाती है और शटडाउन हो जाती है एफडीआई से कंपटीशन झेल नहीं पाती जिसकी वजह से वह अपने आप को शटडाउन कर लेती हैं डुअल इकोनॉमी बन जाती है एफडीआई की इकोनॉमी अलग हो गई और अंडर प्रिविलेज की इकोनॉमी अलग हो गई मतलब कुछ सेक्टर ऐसा होगा जिसमें एफडीआई है वह तो तेजी में डेवलप करेगा जिस सेक्टर में एफडीआई नहीं है वह सेक्टर आपका डेवलप नहीं कर पाएगा सर कंट्री की सोव निटी पे आंच आ जाती है जब विदेश कंपनियां इंडिया में आती है तो वह इंडियन गवर्नमेंट को इन्फ्लुएंस करने की कोशिश करती है अपने हिसाब से पॉलिसीज बनवाने की कोशिश करती हैं गवर्नमेंट को धमकी देती हैं कि अगर आप हमारे हिसाब से काम नहीं करोगे हम यहां से धंधा वाइंड अप कर लेंगे अब धंधा वाइंड अप करने का मतलब क्या हो गया अनइंप्लॉयमेंट बढ़ जाएगा इतने सारे लोग जो जॉब कर रहे हैं उनकी जॉब चली जाएगी प्लस इंडिया के बाहर से पैसा चला जाएगा तो बाकी लोग भी इंडिया में इन्वेस्टमेंट करने से क्या करेंगे कतराए तो ऐसे केस में एफडीआई का अनड्यू प्रेशर आता है गवर्नमेंट के ऊपर जिसकी वजह से आपकी इंडिया की सोव निटी पर आंच आ जाती है राइट एक बार कंक्लूजन आप रीड कर लीजिएगा कि कहां पर आपका एफडीआई अच्छा है कहां पर नहीं जस्ट एक बार रीड करिएगा इसको और इसी के साथ हमारा यह जो चैप्टर है वो कंप्लीट होता है मेन इस चैप्टर में एफडीआई और एफपीआई वाला पॉइंट है बेनिफिट्स डिस्कस क्यों करे जाते हैं वो इतने इंपॉर्टेंट नहीं है मेनली एफडीआई एफडीआई कैसे होती है और एफडीआई और एफपीआई का डिफरेंस क्या है इसे आप लोग अच्छे से कर लीजिएगा आई होप आप लोगों ने सेशन एंजॉय किया होगा मैंने अपनी तरफ से जितनी भी चीजें इंपॉर्टेंट थी उन परे डिटेल डिस्कशन करके इस सेशन को रिकॉर्ड किया है सेशन अगर अच्छा लगा है लास्ट तक देखा है तो थैंक यू वेरी मच और एक बारी कमेंट सेक्शन पे कमेंट करके जरूर से बता देना कि आप लोगों के कितने करेक्ट आंसर्स थे एमसीक्यू के मिलते हैं आप लोगों से नेक्स्ट सेशन में टिल देन टेक केयर ऑफ रसेल्फ बा बाय बा बाय बा बाय बायबाय