भारत में कृषि और उसकी प्रकारें

Oct 2, 2024

कृषि (Agriculture) - कक्षा 10 का अध्याय 4

भारत में कृषि का महत्व

  • भारत की 2-3rd जनसंख्या कृषि गतिविधियों में संलग्न है।
  • कृषि प्राथमिक गतिविधि है, जो भोजन का मुख्य स्रोत है।
  • उद्योगों के लिए कच्चे माल का बड़ा हिस्सा भी कृषि से आता है।

कृषि की विभिन्न प्रकारें

  1. प्रिमिटिव सबसिस्टेंस फार्मिंग (Primitive Subsistence Farming)

    • यह केवल आत्म-उपभोग के लिए की जाती है।
    • किसान छोटे खेतों पर प्राचीन उपकरणों से खेती करते हैं।
    • यह प्रकृति पर निर्भर करती है जैसे कि मानसून और मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता।
    • इसे स्लैस और बर्न एग्रीकल्चर भी कहा जाता है।
    • भारत में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे जमिंग, दीपा आदि।
  2. इंटेंसिव सबसिस्टेंस फार्मिंग (Intensive Subsistence Farming)

    • यह भी आत्म-उपभोग के लिए होती है लेकिन आधुनिक तकनीकों का उपयोग करती है।
    • यह अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में की जाती है।
    • आधुनिक उर्वरक, कीटनाशकों और मशीनों का उपयोग करती है।
    • इसमें पानी के लिए ट्यूबवेल और नहरों का भी उपयोग होता है।
  3. कमर्शियल फार्मिंग (Commercial Farming)

    • यह पैसे कमाने के उद्देश्य से की जाती है।
    • इसमें उच्च पैदावार देने वाले बीज, रासायनिक उर्वरक और आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
    • उदाहरण: बड़े पैमाने पर फसल उगाना और बिक्री करना।

प्लांटेशन फार्मिंग (Plantation Farming)

  • एक प्रकार की वाणिज्यिक कृषि जिसमें एक ही फसल बड़ी मात्रा में उगाई जाती है (जैसे चाय, कॉफी, रबर, आदि)।

भारत में फसल चक्र (Cropping Pattern)

  • भारत में तीन मुख्य फसल मौसम होते हैं:
    1. रवी सीजन (Rabi Season)
      • अक्टूबर से दिसम्बर में बोई जाती हैं।
      • प्रमुख फसलें: गेहूं, चना, मसूर।
    2. खरीफ सीजन (Kharif Season)
      • जून से जुलाई में बोई जाती हैं।
      • प्रमुख फसलें: धान, बाजरा, ऊरद।
    3. जैद सीजन (Zaid Season)
      • यह ग्रीष्मकालीन फसलें होती हैं।

प्रमुख फसलें

  • चावल (Rice):

    • भारत में चावल की प्रमुख फसल है।
    • इसे गर्म और अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है।
  • गेहूं (Wheat):

    • उत्तरी और उत्तरी पश्चिमी भारत में मुख्य फसल।
    • ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है।
  • मौटे अनाज (Millets):

    • ज्वार, बाजरा, रागी आदि।
  • दालें (Pulses):

    • इंडिया दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है।
  • गन्ना (Sugarcane):

    • ट्रॉपिकल और सबट्रॉपिकल फसल।
  • तेल बीज (Oilseeds):

    • मूंगफली, सरसों आदि।
  • चाय (Tea) एवं कॉफी (Coffee):

    • प्लांटेशन कृषि का उदाहरण।

गैर-खाद्य फसलें (Non-Food Crops)

  • रबर (Rubber):
    • एक्यूटोरियल फसल।
  • कॉटन (Cotton):
    • कपड़ा उद्योग के लिए महत्वपूर्ण।
  • जूट (Jute):
    • गोल्डन फाइबर।

कृषि में तकनीकी और संस्थागत सुधार

  • भारत में 60% जनसंख्या कृषि पर निर्भर।
  • ग्रीन रेवोल्यूशन और वाइट रेवोल्यूशन से कृषि में सुधार।

भूदान ग्रामदान आंदोलन

  • बिनोबा भावे द्वारा शुरू किया गया।
  • ज़मीनी सुधार के लिए प्रेरित।

निष्कर्ष

  • कृषि का विकास आवश्यक है ताकि किसानों के जीवन स्तर में सुधार हो सके।

यह नोट्स आपकी अध्ययन में सहायक हो सकते हैं। इसे पढ़कर आप कृषि के विभिन्न पहलुओं और उनकी महत्वता को समझ सकेंगे।