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Dengue Prevention and Dangers of Alcohol-Based Mouthwash

[संगीत] ब्रॉट टू यू बाय सेंसड के बस पैक नहीं आया एसएलएस पैराफिन और ूथ का करंट बिकन तो लाइफ का करंट ऑन कुछ भी तू ट्राई करके देख ले सेंसेंट के टूथपेस्ट फ सेंसिटिव टीथ यार क्या सही मौसम हो रहा है यार आई लव बारिश यार हमें तो बिल्कुल नहीं पसंद बारिश अरे पानी भर जाता है फिर मच्छर होने लगते हैं मेरी बगल वाली फैमली के सा पता है क्या हुआ पूरी फैमिली को डेंगू हो गया है और हर साल का ये सीन है इस बार की कोई नई बात थोड़ी है इस बार देखो बारिश शुरू हो गई है और डेंगू के मामले भी बढ़ने लगे हैं डेंगू नहीं डेंगी होता है डेंगू होता है डेंगी होता है डेंगू होता है डेंगी होता है डेंगू आदिती वैसे तो तरुण सही कह रहा है बोला डेंगी ही जाता है अमेरिकन इंग्लिश में डें भी बोलते हैं पर आप चाहे इसे डेंगी बोले या डेंगू असल मुद्दा यह है कि बारिश का मौसम आते ही इसके मामले फिर से बढ़ने लगते हैं अब इस बार एक नई बात पता चली डेंगी का असर दिमाग और पूरे नर्वस सिस्टम पर पड़ता है इसके बारे में डॉक्टर साहब से पूछेंगे पर उससे पहले यह समझ लेते हैं कि आखिर हर साल बारिश के मौसम में ही क्यों डेंगी फैलने लगता है अगर डेंगी हो जाए तो शरीर में क्या होता है और सबसे जरूरी बात डेंगी से बचे कैसे सुनिए बारिश होते ही जगह जगह पानी एकत्र होने लगता है जिसकी वजह से पानी के छोटे छोटे पल्स इन पूल्स में मच्छर ब्रीड करने लगते हैं और एस जपई नाम का मच्छर और एडी एल्बो पिटस नाम के मच्छर जो खासकर इस मौसम में बढ जाते हैं व एक आर्बो वायरस डेंगी वायरस के कैरियर होते हैं जो लोगों को काट काट के इस वायरस को पर्सन टू पर्सन फैलाते हैं जितने य मच्छर बढते जाते हैं उतना ही वायरस फैलता जाता है [संगीत] डेंगू के लक्षण है तेज बुखार जो बहुत शरीर में दर्द करता है ठंड लगना बुखार लगातार रहना ना टूटना जोड़ों में दर्द मसल्स में दर्द पेट में सिवियर दर्द और पेट फूलना पेट गैस से तना होना कभी कभी उल्टी और दस्त शरीर में लस सुस्ती और कभी कभी खासी ये लक्षण धीरे धीरे पहले तीन से पाच दिन बढ़ते हैं फिर पांचवे दिन रश आने लगते हैं जो प्लेटलेट गिरते हैं जिसकी वजह से हेमरेज या खून की लीकेज होती है वो शुरू में नहीं गिरते हैं पर जब वायरस का फेस खत्म होने लगता है और उसकी इम्यून मेनिफेस्टेशन चालू होती है तो धीरे धीरे प्लेटलेट गिरने लगते हैं कभी-कभी प्लेटलेट बुखार खत्म होने के बाद भी गिरते रह सकते हैं [संगीत] डेंगू का वायरस नर्व और मसल्स और मस्तिष्क को भी अफेक्ट कर सकता है क्योंकि य न्यूरोट्रॉपिक वायरस हो सकता है इसकी वजह से मसल्स में दर्द मसल में वीकनेस जोड़ों में दर्द नर्व का पैरालिसिस जिसे हम जीबीएस कहते हैं सर में तेज दर्द बेहोशी व्यवहार में बदलाव और दौरे हो सकते हैं दिमाग प इस असर को हम डेंगू एनसेफ पैथी बोलते हैं या डेंगो एनसेफ इटिस बोलते हैं प्लेटलेट कम होने की वजह से ब्रेन में हेमरेज हो सकता है जिसकी वजह से सरदर्द उल्टी बेहोशी पैरालिसिस और दौरा भी आ सकता है डेंगू की इस खतरनाक बीमारी से बचा भी जा सकता है इसके लिए हमें पर्सनल लेवल पे कम्युनिटी लेवल पे और सरकारी लेवल पे कदम उठाने की जरूरत है पर्सनल लेवल में आपके घर के आसपास जहां जहां पानी इकट्ठा हो रहा है जैसे खाली कूलर पौधों के गमले छोटे छोटे टब गार्डन में जगह जगह पडल बन जाते हैं पानी के उन सबको क्लियर करने की जरूरत है अपने घर के आसपास साफ सफाई बरतने की जरूरत है बच्चों को खासकर मस्कट रेफ लगाने की जरूरत है अपनी बॉडी को अच्छे से कवर रखने की जरूरत है ताकि मच्छर को काटने की जगह मि दू का मच्छर खासकर दिन में काटता है इसलिए सोते समय मच्छर दानी का उपयोग हम लोग कर सकते हैं इसके अलावा अपने आपको को हाइड्रेटेड रखना है शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी क्योंकि यह वायरस बॉडी में पानी की कमी कर फल और सब्जिया और एंटीऑक्सीडेंट खाना है जो शरीर की इम्युनिटी को बेटर करता है जो हमें वायरस से लड़ने की ताकत देती है और इंफेक्शन होते हुए सीरियस बीमारी होने से बचाती है इसके साथ साथ हमें कम्युनिटी लेवल पर काम करना है क्योंकि अगर हम अपने घर को साफ कर भी लेंगे तो हमारे आसपास पानी इकट्ठा नहीं होना चाहिए पानी के पूल्स नहीं बनने चाहिए बारिश का मौसम है इस मौसम में मजे लीजिए एंजॉय करिए बस साफ सफाई का ध्यान रखिए डेंगी से बचे रहेंगे अब बढ़ते हैं सेहत के अगले सेगमेंट की तरफ तन की बात माउथ वश से कैंसर का खतरा क्यों है डॉक्टर से जानिए अगर आप मुंह की सफाई के लिए माउथ वॉश का इस्तेमाल करते हैं तो थोड़ा सतर्क हो जाइए हाल फिलहाल में हुई एक स्टडी से पता चला है कि कुछ खास तरह के माउथ वॉश से कैंसर का खतरा है इस स्टडी को इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन जो कि बेल्जियम में है वहां किया गया है जर्नल ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी में इसे छापा गया है स्टडी में कुल 59 लोगों ने हिस्सा लिया इन सभी से 3 महीने तक अल्कोहल बेस्ड माउथ वॉश इस्तेमाल करने के लिए कहा गया अल्कोहल बेस्ड यानी कि जिसमें अल्कोहल भी हो अभी आपके पीने वाली अल्कोहल नहीं है माउथ वॉश इस्तेमाल करने के कुछ समय बाद इनकी जांच हुई पता चला कि सभी लोगों के मुंह में दो बैक्टीरिया बहुत ज्यादा बढ़ गए थे पहला था फ्यूस बैक्टीरियल न्यूक्लि एटम दूसरा था स्टेप्टो कोकस एंज नोसिस ये दोनों ही कैंसर फैलाने वाले माने जाते हैं देखिए आमतौर पर मार्केट में दो तरह के माउथ वॉश हैं एक जिसमें अल्कोहल डाला जाता है और दूसरे जिनमें अल्कोहल नहीं डाला जाता अब जो अल्कोहल वाले माउथ वॉश हैं उन्हें हमारे मुंह के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जाता है ऐसा क्यों इस बारे में जानने के लिए हमने बात की डॉ रमन नारंग से डॉक्टर रमन बताते हैं कि माउथ वॉश में मौजूद अल्कोहल को कैंसर से जोड़ा जाता है और इसके पीछे कई वजह भी हैं दरअसल अल्कोहल हमारी ओरल कैविटी यानी एक तरह से मुंह के अंदर जो अंदरूनी परत है उसको नष्ट कर देता है मुंह में जो भी अच्छे बैक्टीरिया होते हैं उन्हें खत्म कर देता है इससे हमारा मुंह बुरे बैक्टीरिया और हानिकारक केमिकल्स के निशाने पर आ जाता है माउथ वॉश में मौजूद अल्कोहल सीधे शरीर में जाता है और वहां जाकर वो टूटकर एटा डिहाइड में बदल जाता है एटाइड हाइड कैंसर फैलाता है और यह हमारे डीएनए को भी नुकसान पहुंचाता है और फिर हमारे सेल्स को उनकी मरमत भी नहीं करने देता इसके अलावा ये हमारे ओरल माइक्रोबायोम को भी नुकसान पहुंचाता है माइक्रोबायोम यानी कि मुंह में पाए जाने वाले छोटे-छोटे जीव जो खुली आंखों से दिखाई नहीं देते हैं यह मुंह की हेल्थ बनाए रखते हैं जब इनको नुकसान पहुंचता है तो कैंसर के सेल्स को फैलने का म मौका मिल जाता है जो लोग खूब शराब पीते हैं और फिर मुंह की बदबू मिटाने के लिए अल्कोहल बेस्ड माउथ वॉश का इस्तेमाल करते हैं उन्हें तो और खास तौर पर इसका खतरा है दरअसल अल्कोहल से एस्ट्रोजन और इंसुलिन जैसे हार्मोस का स्तर बहुत बढ़ जाता है इससे हमारी कोशिकाएं बार-बार बटने लगती हैं जिससे कैंसर का रिस्क भी बढ़ जाता है डॉक्टर अरमन आगे बताते हैं कि माउथ वॉश से कुल्ला इसलिए भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे मुंह में सूखापन हो सकता है इसे हमारी लार बनाने वाली ग्रंथियां पर्याप्त लार बनाना बंद कर देती हैं इसे जीब और मुंह सूखने लगते हैं कई बार मुंह में जलन होने लगती है अल्सर का खतरा रहता है दांतों में दाग पड़ने लग सकते हैं देखिए बाजार में अल्कोहल फ्री माउथ वॉश भी मिलते हैं आप चाहे तो उनका इस्तेमाल कर सकते हैं समझे अब बारी है सेहत के आखरी सेगमेंट की खुराक यानी झक्कास हेल्थ टिप दही को नमक के साथ खाना ज्यादा हेल्दी है या शक्कर के साथ दही हम सबके घरों में ही खाया जाता है कभी सादा तो कभी चीनी के साथ कुछ कुछ लोग दही में नमक भी डालते हैं जैसे कि रायता बनाते वक्त स्वाद बढ़ाने के लिए कई बार थोड़ी चीनी भी डाल दी जाती है और यहीं से शुरू होती है एक बहस बर्सों पुरानी कि आखिर दही को चीनी के साथ खाना ज्यादा बेहतर है या फिर नमक के साथ अब यही सवाल हमने डाइट अनु अग्रवाल से भी पूछा डाइट अनु ने बताया कि सबसे अच्छा तो है सादा दही खाना इसमें बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं यानी दही में बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं जैसे कि प्रोटीन है कैल्शियम पोटेशियम मैग्नीशियम और बी विटामिंस ये प्रोबायोटिक भी हो होता है यानी हमारे पाचन तंत्र में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को सही से काम करने में मदद करता है इम्युनिटी बढ़ाता है साथ ही दही खाने से सूजन गैस और कब्ज जैसी परेशानियां भी नहीं होती दही में लैक्टोज भी कम होता है कैलोरीज की बात करें तो 100 ग्रा दही में 98 कैलोरी होती है अगर आप सादा दही नहीं खाना चाहते हैं तो उसमें आप नमक या चीनी डाल सकते हैं पहले दही नमक के कॉमिनेशन को समझते हैं दही में होता है एसिड फिर जब इसमें नमक डाला जाता है तो यह एसिड बैलेंस हो जाता है और फिर से बचाना आसान होता है हमें एसिडिटी नहीं होती नमक में सोडियम भी होता है तो जिनके शरीर में सोडियम की कमी है या इलेक्ट्रोलाइट्स कम है उन्हें दही में नमक मिलाकर खाना चाहिए हालांकि अगर आपको हाई बीपी की दिक्कत है तो अपनी डाइट में नमक कम कर दीजिए देखिए नमक शरीर में पानी को रोक कर रखता है जब हम ज्यादा नमक खाते हैं तो खून में पानी भी ज्यादा रहता है इससे हमारे खून की नलि हों पर दबाव पड़ता है जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है ओ भी हर दिन 2 ग्राम सोडियम खाने की सलाह देता है यानी कि रीब 5 ग्रा नमक ज्यादा नमक खाने से ब्लड प्रेशर तो हाई होता ही है हार्ट अटैक स्ट्रोक और किडनी से जुड़ी दिक्कतों का खतरा भी बढ़ जाता है इसलिए अगर ऐसी कोई भी दिक्कत है तो दही नमक ना खाएं जो लोग वजन कंट्रोल करना चाह रहे हैं वह दही नमक खा सकते हैं अगर उन्हें कोई और समस्या नहीं है तो एक चम्मच नमक में जीरो कैलोरीज होती हैं अब दही चीने के कॉमिनेशन को समझते हैं डाइट अनु बताती हैं कि चीनी कार्बोहाइड्रेट का ही एक रूप है और कापस खाने से हमें तुरंत एनर्जी मिलती है ऐसे में आप दही चीनी खा सकते हैं हालांकि डायबिटीज के मरीजों को इससे दूर रहना चाहिए वरना शुगर का लेवल बढ़ सकता है इसके अलावा जो लोग अपना वजन घटाना चाहते हैं वो भी इसे ना खाएं क्योंकि इसमें कैलोरी बहुत होती है माने 100 ग्राम दही में 98 कैलोरी और फिर एक चम्मच चीनी में 48 कैलोरीज होती हैं चाहे तो चीनी के बजाय दही में गुड़ या मिश्री आप मिला सकते हैं यह थोड़ा बेहतर है बहरहाल आप अपनी हेल्थ और पसंद के हिसाब से कोई भी कॉमिनेशन चुन सकते हैं आज सेहत पर इतना ही अगर आप एक डॉक्टर है हमसे कुछ शेयर करना चाहते हैं तो जो ईमेल आईडी इस वक्त आपको अपनी स्क्रीन पर दिख रही है उस पर हम एक मेल भेज दीजिए शुक्रिया [संगीत]