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जीवन के अनुभवों की कविता

क्यों मैं हम तो ले टेडे मेडे से रस्तों पे नंगे पाउरे चल भटक ले ना बाउरे क्यूं ना हम तुम पिरे जाके अलमस्त पैचानी राहों के पदे चल भटक लेना बावरे इन निम्टिमादी निगाहों में इन चमचमाती अदावों में लुके हुए छुपे हुए है क्या खयाल बावरे कर दो कर जाने क्यों कैसी ये धुन्द है अच्छा है बुरा क्या शगुन्द है बता कहा है तेरा गारे चला जा संगवरे सुन खन खनाती है सिंदगी ले हमें बुलाती है सिंदगी जो करना है वो आज करना है इसको टाल बावरे क्यूं नहम तुम चले जिन्दगी के नशे में ही दुपिसत रहे चल भकक लेना बावरे क्यूं नहम तुम पाशे बगीचों में फुरसत भरी ज्ञाव में चल भटक लेना बावडे इन फुलभुन कुनाती फिजाव में इन सरसराती हवाव में ए टुकर यू देखे क्या तेरा हाल बावडे प्रश्न प