क्लास 10थ रैपिड रिवीजन चैप्टर है हमारे पास में सेक्टर्स ऑफ द इंडियन इकोनॉमी आइए देखते हैं मजा आएगा रूपरेखा अगर मैं आपको चैप्टर की बताऊं तो देखो अलग-अलग सेक्टर्स होते हैं अलग-अलग बेसिस पे ऑन द बेसिस ऑफ प्रोडक्शन अगर आप देखोगे प्राइमरी सेकेंडरी टर्श सेक्टर तीनों सेक्टर में कंपैरिजन क्यों टर्श सेक्टर ग्रो कर रहा है यह सारी चीजें आपको इस चैप्टर में जानने को मिलती है ऑन द बेसिस ऑफ वर्किंग कंडीशन ऑर्गेनाइज्ड और अन ऑर्गेनाइज सेक्टर के बारे में बताया गया है चैप्टर में और कैसे वर्कर्स को बचाया जा सकता है अन ऑर्गेनाइज सेक्टर में बात तो सही है ये बताया गया है एंड एट लास्ट कि ओनरशिप के हिसाब से पब्लिक सेक्टर और एक प्राइवेट सेक्टर होता है और क्यों पब्लिक सेक्टर का होना जरूरी है ये सारी चीजें इस चैप्टर में बताई गई है हेलो एवरीबॉडी दिस इज दिगरा सिंह राजपूत वेलकम टू आवर चैनल चैप्टर शुरू होता है हमारा तीनों सेक्टर्स ऑन द बेसिस ऑफ प्रोडक्शन को एक्सप्लेन करते हुए प्राइमरी सेक्टर पहला सेक्टर इसे एग्रीकल्चरल सेक्टर भी कहा जाता है इसलिए क्योंकि ये एक बेस प्रोवाइड करता है नेचुरल प्रोडक्ट जहां पे प्रोड्यूस हो रहे हैं जहां पे डील किया जा रहा है नेचुरल प्रोडक्ट्स में वो प्राइमरी सेक्टर और वो बेस बनता है इसीलिए प्राइमरी भी कहते हैं प्राइमरी है प्रोडक्शन प्रोसेस का सेकेंडरी सेक्टर यानी कि वो सेक्टर जो एग्रीकल्चर सेक्टर से रॉ मटेरियल लेता है उन्हें प्रोसेस करता है और एक नई चीज बना देता है इसीलिए उसे इंडस्ट्रियल सेक्टर या फिर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी कहा जाता है तीसरा सेक्टर होता है टर्श सेक्टर या फिर जिसे सर्विस सेक्टर कहा जाता है जहां पे कुछ नेसेसरीली प्रोड्यूस नहीं हो रहा होता है लेकिन प्राइमरी और सेकेंडरी को जो सेक्टर सपोर्ट कर रहा होता है एक एग्जांपल देखते हैं और देखते हैं तीनों कैसे इंटर डिपेंडेंट है जैसे मान लो कैचप बनाना है तो प्राइमरी सेक्टर से टमाटर मिलेगा सेकेंडरी सेक्टर में उस टमाटर से कैचप बनेगा और वो टमाटर को यहां से यहां तक ले जाने के लिए ट्रक लगेगा तो जैसे ट्रांसपोर्टेशन वगैरह सारी चीजें जो सर्विस में आती है वो सर्विस सेक्टर का पार्ट होती है अब अगर तीनों सेक्टर्स को कंपेयर किया जाए तो सबसे पहली चीज तो ये कि कौन सा सेक्टर कितना प्रोड्यूस कर रहा है ये कैसे पता लगाओगे तो हम वैल्यू से पता लगाते हैं कि प्राइमरी सेक्टर में कितने रुपए का प्रोडक्शन हुआ सेकेंडरी में कितने का हुआ टर्श में कितने का हुआ और जब ये वैल्यू निकाल डल रहे होते हैं ना तो इसमें फाइनल गुड्स की वैल्यू को इंक्लूड किया जाता है इंटरमीडिएट गुड्स की वैल्यू को इंक्लूड नहीं किया जाता है क्या होता है फाइनल गुड्स और क्या होता है इंटरमीडिएट गुड्स जैसे एक बिस्किट बनाना है तो उस बिस्किट को हम फाइनल प्रोडक्ट की तरह देखेंगे लेकिन उसमें आटा शकर तेल ये सारी चीजें जो बनाने में रॉ मटेरियल की तरह इस्तेमाल हो रही है उन्हें हम इंटरमीडिएट प्रोडक्ट कहते हैं फाइनल गुड्स के प्रोडक्ट की वैल्यू में इंटरमीडिएट की वैल्यू ऑलरेडी इंक्लूडेड होती है इसीलिए हम जीडीपी कैलकुलेट करते समय जीडीपी क्या होता है है जितना भी प्राइमरी सेक्टर में फाइनल गुड्स एंड सर्विसेस का वैल्यू हुआ सेकेंडरी सेक्टर में फाइनल गुड्स एंड सर्विसेस का वैल्यू और टर्श सेक्टर में फाइनल गुड्स एंड सर्विसेस का वैल्यू हुआ जब तीनों सेक्टर्स के फाइनल गुड्स एंड सर्विसेस की वैल्यू को ऐड कर देते हैं तो आपको जीडीपी मिलता है तो जब हम जीडीपी कैलकुलेट करते हैं तो वैल्यू ऑफ फाइनल गुड्स एंड सर्विसेस ही इंक्लूड करते हैं ये पूरा काम अ सेंट्रल गवर्नमेंट मिनिस्ट्री के द्वारा कैरी आउट किया जाता है अब अगर देखा जाए तो इन तीनों सेक्टर्स में एक हिस्टोरिकल शिफ्ट देखने को मिलता है प्राइमर हर इकोनॉमी प्राइमरी सेक् सेक्टर पे डिपेंडेंट होती है फिर जैसे एक्सेस प्रोडक्शन होता है तो लोग एक्सेस प्रोडक्शन होने के बाद में जब फ्री रहते हैं तो वो सेकेंडरी सेक्टर की तरफ शिफ्ट करते हैं मैन्युफैक्चरिंग स्टार्ट होती है वैल्यू एडिशन स्टार्ट होता है और डेवलप्ड कंट्रीज में आके टर्श सेक्टर डोमिनेट करता है अब अगर बात की जाए प्राइमरी सेकेंडरी टर्श सेक्टर इन इंडिया तो इंडिया में किस तरह से कौन से सेक्टर ने परफॉर्म किया है तो देखो जीडीपी हमारी ओवर द पीरियड ऑफ टाइम बड़ी है तीनों ही सेक्टर में ग्रोथ देखने को मिली है लेकिन जितनी ग्रोथ टर्श सेक्टर में देखने को मिली है उतनी ग्रोथ कहीं नहीं देखने को मिली है कारण क्या है टर्श सेक्टर आई एम ए कॉम्प्लेन बॉय नहीं है जो इतनी तेजी से बड़ा है टर्श सेक्टर में कुछ फैक्टर्स ने काम किया है जैसे सर्विस सेक्टर होता है टर्श सेक्टर बेसिक सर्विसेस हेल्थ एजुकेशन लॉ एंड ऑर्डर ये सारी रिस्पांसिबिलिटी सरकार की होती है सरकार ये सर्विसेस प्रोवाइड करेगी ही इसलिए टर्श सेक्टर का ग्रो होना तय था पहला पॉइंट हुआ दूसरा पॉइंट जैसे-जैसे प्राइमरी और सेकेंडरी सेक्टर ग्रो करेगा ना वैसे-वैसे टर्श सेक्टर ग्रो करना ही है क्योंकि टर्श सेक्टर दोनों सेक्टर्स की ग्रोथ में मदद करता है तीसरा पॉइंट लोगों का जैसे इनकम लेवल बढ़ा है तो लोगों ने ज्यादा से ज्यादा सर्विस अफोर्ड करना चालू कर दी फॉर एग्जांपल पहले घर का काम लोग खुद करते थे अब पैसा हो गया तो मेड लगवाना शुरू कर दिया जिम की प्राइवेट मेंबरशिप लेना शुरू कर दी तो सर्विसेस अफोर्ड करने लगे लोग और चौथा कारण ये है कि बहुत सारी नई सर्विसेस ओवर द पीरियड ऑफ टाइम इमर्ज हुई है जैसे इंटरनेट आज से 50 साल पहले इंटरनेट जैसा कुछ नहीं था और आज इंटरनेट के अलावा कुछ नहीं है तो इस सेंस में बहुत सारी सर्विसेस ऐसी आई है जिसके कारण टर्श सेक्टर में ग्रोथ देखने को मिली है लेकिन एक चीज समझना होगी कि हर सर्विस सेक्टर एक जैसा ग्रो नहीं करता है जो स्किल्ड और एजुकेटेड सर्विस प्रोवाइडर्स हैं वो तो खूब पैसा छाप रहे हैं लेकिन जहां पे आप देखेंगे स्मॉल रिपेयर पर्सन प्लंबर्स और ट्रांसपोर्ट पर्सन जोए वो उतना ग्रो नहीं कर रहे हैं खैर कहानी आगे बढ़ती है और चैप्टर में आपको दो कंपैरिजन दिखाया जाता है इन दोनों ग्राफ्स को देखोगे तो आपको समझ में आएगा कि जीडीपी में तो ट सर्विस सेक्टर बहुत तेजी से ग्रो कर रहा है लेकिन वेयर आर मोस्ट ऑफ द पीपल एंप्लॉयड तो आज आज भी लोग जो हैं बहुत सारे लोग प्राइमरी सेक्टर में ही एंप्लॉयड है क्यों मन नहीं कर रहा क्या खेती छोड़ने का तो कारण ये है कि आपको समझना होगा सेकेंडरी और टर्श सेक्टर ग्रो तो बहुत कर रहा है लेकिन एंप्लॉयमेंट जनरेट नहीं करी है और प्राइमरी सेक्टर जो है वो ग्रो उतना नहीं करहा है जीडीपी के टर्म्स में पर उसमें आज भी लोग एंप्लॉयड इसलिए क्योंकि लोग अंडर एंप्लॉयड है अंडर एंप्लॉयड होने का मतलब ये है कि पीपल आर वर्किंग बट दे आर नॉट वर्किंग अप टू देयर फुल पोटेंशियल यानी कि अगर वहां से आप कुछ लोगों को हटा भी लोगे तो प्रोडक्शन पे इंपैक्ट नहीं पड़ेगा लेकिन अब वो लोग जुड़े हुए हैं उसमें क्यों क्योंकि करने को काम कर रहे हैं लेकिन उनकी प्रोडक्टिविटी मैक्सिमम नहीं है तो सवाल यही आता है कि मैक्सिमम एंप्लॉयमेंट कैसे जनरेट किया जाए ये अंडर एंप्लॉयमेंट को कैसे खत्म किया जाए तो कुछ एग्जांपल्स बुक में भी है और अगर सीधा उन एग्जांपल्स का मैं आपको क्रक्स बताऊं तो इरिगेशन फैसिलिटी प्रोवाइड करो तो जो लोग अंडर एंप्लॉयड है उन्हें काम मिल जाएगा आप लोन अवेलेबल करवाओ ट्रांसपोर्टेशन फैसिलिटी प्रोवाइड करो स्मॉल स्केल मैन्युफैक्चरिंग चालू करवाओ जैसे कि एग्रीकल्चर सेक्टर में अगर मान लो अंडर एप्ल एंप्लॉयमेंट है तो दाल प्रोड्यूस कर ली तो दाल मिल्स एस्टेब्लिश की जाए जैसे टमाटर उगाया जा रहे है तो टोमेटो केचप के फैक्ट्रीज लगाए जाए इसके अलावा कुछ नए एरियाज है जिनको एक्सप्लोर करके एंप्लॉयमेंट बढ़ाया जा सकता है फॉर एग्जांपल हेल्थ सेक्टर में बहुत सारी जॉब जनरेट हो सकती है नीति आयोग की एक रिपोर्ट कहती है कि 20 लाख जॉब्स एजुकेशन सेक्टर में ही जनरेट हो सकती है वा ये सारा सब कुछ किया जा सकता है पर इसमें समय लगेगा तो इमीडिएट एंप्लॉयमेंट की प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए सरकार ने एक पॉलिसी इंट्रोड्यूस करी 2005 में मनरेगा महात्मा गांधी नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी एक्ट बापू इस एक्ट के तहत 100 डेज का गारंटीड एंप्लॉयमेंट दिया जाएगा सरकार के द्वारा रूरल एरियाज में लोगों को जहां पे अगर सरकार फेल होती है काम देने में तो सरकार अनइंप्लॉयमेंट अलाउंस भी देगी और काम जिससे लैंड की प्रोडक्टिविटी बढ़े इस तरह का काम दिया जाएगा दिस वाज एन इनिशिएटिव अंडर राइट टू वर्क कि लोगों को काम दिया जाए तो ये कुछ तरीके हैं एंप्लॉयमेंट जनरेट करने के ये हमने देखा प्राइमरी सेकेंडरी टर्श सेक्टर को ऑन द बेसिस ऑफ आउटपुट अब अगर हम बात करें सेक्टर्स को देखा जाए ऑन द बेसिस ऑफ वर्किंग कंडीशन तो एक होता है ऑर्गेनाइज सेक्टर एक होता है अनऑथराइज्ड सेक्टर में सारी चीजें रेगुलेटेड होती है गवर्नमेंट के सुपरविजन में होती है पेड हॉलीडेज मिलेंगे फिक्स्ड टेनर होगा वर्किंग आवर्स फिक्स्ड होंगे आपको दूसरी बेनिफिट्स जैसे अ डेंट फंड हो गया पेड लीव्स हो गया ये सब कुछ मिलेगा लेकिन अनऑफिशड शॉप्स वगैरह जो आ गई जहां पे एक्सप्लोइटेशन हो सकता है वर्कर्स का कोई पेड लीव्स नहीं कोई बेनिफिट्स नहीं और किसी भी प्रकार का वर्किंग आवर्स टेनर कुछ भी फिक्स नहीं होता है तो साला ये दुख का खत्म नहीं होता बे तो यहां पे क्लियर कट तरीके से दिख रहा है कि ऑर्गेनाइज सेक्टर बेहतर है लेकिन बहुत बड़ा एक नहीं समाधान पे फोकस करते हैं उन वर्कर्स को कैसे प्रोटेक्ट किया जाए तो जैसे अगर आप देख रहे हैं रूरल एरिया में जो अनऑफिशड प्रोवाइड किया जाए उन्हें सपोर्ट किया जाए कि उनका प्रोडक्ट्स खरीद लिए जाए अर्बन एरियाज में जो पिटी वर्कर्स हैं जैसे रिक्शा पुलर्स वगैरह तो इन लोगों को सपोर्ट किया जाए किस तरह से कि इन्हें रॉ मटेरियल या फिर जो स्मॉल वर्कशॉप में काम कर रहे हैं लोग उन्हें रॉ मटेरियल वगैरह टाइमली डिलीवर करवा दिया जाए तो ये कुछ तरीके हैं जिससे आप वर्कशॉप्स में अन नाइज सेक्टर में जो लोग काम कर रहे हैं छोटे लेवल प जो लोग काम कर रहे हैं उन्हें बचा सके अनऑथराइज्ड को क्लासिफाई किया जा सकता है एक होता है पब्लिक सेक्टर एक होता है प्राइवेट सेक्टर पब्लिक सेक्टर यानी कि जिसका मालिक सरकार खुद होती है सरकार क्यों इंडस्ट्री चलाएगी क्योंकि सरकार को लोगों को सर्विस प्रोवाइड करना है यहां पे प्रॉफिट मैक्सिमाइजेशन मोटिव नहीं होता है जैसे आप इंडियन रेलवेज को देखेंगे जैसे आप देखेंगे बहुत सारे थर्मल पावर प्लांट्स होते हैं बिजली प्रोवाइड करना है तो इसलिए सरकार के द्वारा ऑन किए गए सेक्टर्स पब्लिक सेक्टर प्राइवेट सेक्टर यानी कि जहां ओनरशिप एक प्राइवेट प्लेयर के पास होती है वो प्रॉफिट के लिए काम करते हैं प्रॉफिट होगा तभी वो दुकान भी चला पाएंगे ना अपनी तो इस तरह से एक प्राइवेट ओनरशिप होती है अब कहीं पे अगर हम देखें कि पब्लिक सेक्टर का होना बहुत ज्यादा जरूरी है क्यों सवाल यही बनता है तो देखो सरकार जो है ना वो चीजों को रीजनेबल कॉस्ट पे प्रोवाइड करेगी कोई भी प्राइवेट प्लेयर रीजनेबल कॉस्ट पे प्रोवाइड नहीं कर सकता है बेटा तुमसे ना हो पाएगा लॉस खा के भी अगर कुछ सर्विसेस प्रोवाइड करना है जैसे मान लो कि पीडीएस सिस्टम हो गया जहां पे सरकार ₹ में गेहूं खरीदती है ₹ में बेचती है लेकिन सरकार वो बेचेगी क्योंकि वो सर्विस मोटिव है कभी-कभी कुछ सेक्टर्स के ग्रोथ के लिए सरकार के सपोर्ट बहुत ज्यादा जरूरी है जहां पे बिजली को कम दाम में देना सरकार की नेसेसिटी नहीं तो प्राइवेट सेक्टर भी नहीं चल पाएगा इसलिए पब्लिक सेक्टर का होना जरूरी है और कुछ सर्विसेस तो बेसिक है नेचर में जैसे हेल्थ एजुकेशन सरकार को इस परे खर्च करना ही पड़ेगा दिस वाज द होल चैप्टर आई होप यू गाइस एंजॉयड इट अभी के लिए साइन ऑफ करता हूं पूरा चैप्टर आपको इसी चैनल पर मिल जाएगा डिटेल एक्सप्लेनेशन तब तक अपना ध्यान रखो साइनिंग ऑफ विद दिस टुगेदर वी कैन वी विल थैंक यू थैंक यू वेरी मच i